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जीर्ण जुकाममें भोजन कम-से-कम दसमें नो आदमियोके जुकामका कारण भोजनकी गलती है । इसलिए चिकित्साका सबसे आवश्यक अंग है क्या और कैसे खाना चाहिए इसका ज्ञान । आमतौरपर लोग जो कुछ भी सामने आता है खाते है और हर तरहकी चीजोंको एक साथ खाते है । उन्हें इसका कोई ज्ञान नहीं होता कि चीजें कौन-कौन-सी साथ खाई जा सकती है एवं कौन-सी नही । उनका विश्वास है कि उनको पुष्टिकर खाद्य यथेष्ट मात्रामें मिलना चाहिए और वे इस विश्वासके अनुसार चलकर रोगोको बुलाते हैं । अपने कष्टके कारण वे स्वयं है । इसका असल कारण है सही जानकारीका अभाव पर प्रकृति यह भी कहती है कि हमारे कानूनको न जानना किसीको दंडसे बचा नही सकता । उसके नियमोंकी अवहेलना चाहे अज्ञानवश की जाय या कमजोरी या स्वभावदोपवश वह नवको समान रूपसे रोगोंकी शक्लमें दण्ड देती है । जुकामके रोगीके लिए भोजनका प्रश्न बहुत महत्त्वका है। इसलिए पहले इसके संबंध में कुछ व्यापक नियम बताऊंगा कि भोजनमें क्या-क्या होना चाहिए । १ - भोजनको खूब चवाइए और धीरे-धीरे खाइए इसका पालन रोगी और स्वस्थ दोनोंपर फर्ज है । भोजनके सवधमे सबसे पहला और आवश्यक नियम यह है कि जो कुछ खाइए खूब चबाकर खाइए और धीरे-धीरे खाइए । २ - दूसरा नियम यह है भोजनमें मिताहारी वनिए । यह नियम भी करीब-करीब पहले नियमके जितना ही आवश्यक है । जुकाम गलत भोजन करनेसे होता है और जरूरत से ज्यादा खाना भोजनसंबंधी पापोमे सबसे बड़ा पाप है। अधिक खाना अपच पैदा करता है, अपचसे वायु और अम्लता उत्पन्न होती है, तथा आगे चलकर भोजनके आतोमे सड़ने लगनेके कारण विप उत्पन्न होता है । अपचसे पैदा हुई इन चीजोका कुछ भाग रक्तद्वारा सोख लिया जाता है जिससे वह विकारयुक्त एवं अम्लप्रधान हो जाता है । वह रक्त गरीरके सारे भागोमे भ्रमण करता है और प्रत्येक कोशाको रोगी बना देता है । जव रक्त और शरीरके सारे तंतु विकारयुक्त हो जाते है तब कोई-न-कोई रोग तो होना ही चाहिए और अक्सर यह रोग जुकामके रूपमे प्रगट होता है । भोजनमें मिताहारी चनिए आप पूछ सकते है 'मिताहार' का अर्थ क्या है ? मिताहारका अर्थ यह है कि भोजन उतना ही किया जाय जिससे शरीरको पूरा पोपण मिल जाय, पर भोजनका कोई अश रोग पैदा करनेके लिए शरीरमे बचा न रहे । जो बहुत अधिक खाते है उन व्यक्तियों में आपको इनमें से एक या अनेक लक्षण जरूर मिलेगे-मलिनवर्ण, त्वचाका पीलापन या भूरापन लिए हुए होना, मुहपर मुहांसे, फुंसियां, खाज, आंखके सफेद भागोंमें पीलेपन या हरेपनकी छाया, वार- वार सर्दी लगना या जुकाम होना, जीभका पीला या सफेद रहना, पित्तका आधिक्य, आमाशय में अम्लरसकी अधिकता, डकार आना या अघोवायुका खुलते रहना, भोजनके बाद ऊंघना, थकावट की अनुभूति, सवेरे सोकर उठनेके बाद सुस्ती, सवेरे मुंहका फीका हो जाना, सवेरे जलका स्वाद बुरा लगना, सवेरे वदनका भारी मालूम होना, सिरका भारी रहना या सिर दर्द रहना । ये चिह्न इस वातकी निशानी हैं कि गरीरमें भोजन आवश्यकता से अधिक पहुंच रहा है । जो अधिक खाता है उसमें सारे नहीं तो इनमेंसे कुछ लक्षण अवश्य उपस्थित रहते है। मुटापा अधिक भोजन करनेकी खास पहचान है । जो भोजनके संववम मिताहारी है उनमें आपको इनमेंसे कोई भी लक्षण न मिलेगा । वे स्वस्य दिखाई देंगे और अपनेको स्वस्थ अनुभव भी करेंगे । जब वे सवेरे उठेंगे तो प्रकृति उन्हे आनंददायक और सुंदर प्रतीत होगी और वे अपने आपको दिनभर काम करनेके लिए तैयार पायेंगे । न उन्हें कही दर्द होगा, न कोई कष्ट और न जिगरकी खराबी के कारण उन्हें जरा-सी वातपर गुस्सा ही बावेगा । जो ठीक तौरसे भोजन करते हैं उनका तन और मन दोनों निर्मल और प्रसन्न रहते हैं ।
त्रयोदश शिलालेखके निम्नभागमं : ओर 'र्वस्त्रेतो हस्ति सर्वलोक सुखाहरो नाम [स] वं श्वेतः हस्ति सर्वलोक सुसाहरः नाम । १. श्वेत एखि बुजका प्रतीक है। पशुओं नामः पालि विक्री देखिये त्रयोदश शिलालेखके निम्नभागमं : दाहिनी ओर 3. सर्व श्वेतनि (युद्ध) सम्पूर्ण विश्वको वस्तुतः सुख पहुँचानेपाले । [ गिरनार शिला एन्नि बुद्धिया भी जोतक है । भगवान बुदकी माता मायाने स्वप्न देखा था कि श्वेत हस्सिने उनके गर्भमें प्रवेश किया । मेतो' ।
नई दिल्ली। एक तरफ जहां बड़ी स्क्रीन वाले स्मार्टफोन्स की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है वहीं कुछ मैन्युफैक्चरर्स छोटे स्क्रीन वाले स्मार्टफोन को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। Jelly ने ऐसा ही एक स्मार्टफोन लॉन्च किया है जिसकी स्क्रीन 2. 45 इंच की है और यह दुनिया का सबसे छोटा स्मार्टफोन है। किकस्टार्टर पर नए Jelly स्मार्टफोन को 59 डॉलर (करीब 3,800 रुपए) की कीमत के साथ लिस्ट किया गया है। जेली स्मार्टफोन को अमेरिका में व्हाइट, स्काई ब्लू और ब्लैक कलर वैरिएंट में लॉन्च किया गया है। फोन का स्क्रीन भले ही छोटा हो, लेकिन इसके स्पेसिफिकेशंस काफी दमदार हैं। Jelly स्मार्टफोन में 2. 45 इंच ( 240 x 432 पिक्सेल) रिजोल्यूशन वाला TFT LCD डिसप्ले है। फोन में 1. 1GHz क्वाड-कोर प्रोसेसर है। इसमें 1 जीबी रैम है। वहीं Jelly के प्रो वेरिएंट में रैम 2GB। इस फोन की इंटरनल स्टोरेज 8GB है जबकि प्रो वेरिएंट में 16GB स्टोरेज मिलेगी। Jelly स्मार्टफोन में ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड नूगा है। इसके अलावा गूगल प्ले इसमें पहले से ही इंस्टॉल आता है। Jelly एक डुअल सिम स्मार्टफोन है। फोन को पावर देने के लिए 950 mAh की बैटरी है। अच्छी बात यह है कि ये फोन 4G LTE कनेक्टविटी को सपोर्ट करते हैं। फोन में 3. 5 एमएम ऑडियो जैक दिया गया है। फोन का डाइमेंशन 92. 3 x 43 x 13. 3 मिलीमीटर है। फोन में एक रियर व फ्रंट कैमरा भी है।
संगीत रत्नाकर नाम का एक बडा ग्रंथ लिखा । सारगदेव तेरहवी सदी में हुए थे और दक्षिण के यादव राजाओं के दरबार में रहते थे । भारत का परिचय मुसलमान सभ्यता से होने पर फारस और अरब के संगीत का प्रभाव भारत के संगीत पर पड़ा। इस तरह संगीत विद्या के दो अलग-अलग स्कूल बन गए - एक उत्तर भारत का संगीत, दूसरा दक्षिण भारत का संगीत या कर्नाटकी स्कूल। चौदहवी सदी के आरम्भ में अलाउद्दीन खिलजी के दरवार में एक बड़े कवि अमीर खुसरो थे । वे संगीत के बड़े जानकार थे। उन्होंने फारस और अरब के संगीत को भारत के संगीत के साथ वडी ही सुन्दरता से मिलाया और बहुत-सी नई और मीठी ध्वनिया निकाली । वे ध्वनिया पुराने हिन्दू संगीत से बहुत मिलती-जुलती थी। फिर भी उनसे अलग थी । खुसरो बहुत ही चतुर थे। उन्होंने कई बाजे भी निकाले । उन्होंने वीणा से सितार और मृदग या पखावज से तबला ईजाद किया । अमीर सुखरो के समय में ही जायक गोपाल हुए थे। बैजू बावरा भी उस समय के बहुत प्रसिद्ध गायक थे । उनका गाना सुनकर लोग तन-बदन की सुधि भूल जाते थे । औरगजेब के सिवा दूसरे सब मुगल बादशाह भी संगीत के वडे प्रेमी थे। उनके दरवारों में नामी गवैयों का जमघट लगा रहता था। अकबर संगीत और कला के सबसे बड़े प्रेमी थे । प्रसिद्ध संगीतज्ञ तानसेन अकवर के ही दरबार के रत्नो में थे । खसरो से लेकर तानसेन तक संगीत में जो नए प्रयोग किए गए, उनका फल यह हुआ कि देश के संगीत की ध्रुपद परम्परा लगभग समाप्त हो गई और एक नई परम्परा बननी शुरू हुई जिसे 'खयाल' कहते है । मुहम्मदशाह रंगीले भी संगीत के बहुत बडे प्रेमी थे। उनके दरबार के उस्ताद नियामत खां सदारग का नाम सभी संगीत प्रेमी जानते है । उन्होने संगीत की वडी उन्नति की । सदारंग गाने तो लिखते ही थे । सौन्दर्य की खोज मे वैजू बावरा
दिवंगत पिता गोपीनाथ मुंडे की जंयती पर बीड में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए पंकजा ने कहा कि भाजपा उनके पार्टी में रहने को लेकर फैसला करने के लिए स्वतंत्र है। उल्लेखनीय है कि पंकजा पिछले पांच साल से अपने पिता की जयंती पर रैली आयोजित करती रहीं हैं लेकिन इस साल राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से लोगों में इसको लेकर कौतुहल था। महाराष्ट्र की भाजपा नेता और पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे ने गुरुवार को कहा कि वह अब पार्टी की प्रदेश कोर समिति की सदस्य नहीं हैं लेकिन वह संगठन नहीं छोड़ेंगी। दिवंगत पिता गोपीनाथ मुंडे की जंयती पर बीड में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए पंकजा ने कहा कि भाजपा उनके पार्टी में रहने को लेकर फैसला करने के लिए स्वतंत्र है। उल्लेखनीय है कि पंकजा पिछले पांच साल से अपने पिता की जयंती पर रैली आयोजित करती रहीं हैं लेकिन इस साल राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से लोगों में इसको लेकर कौतुहल था। कयास लगाए जा रहे थे कि वह 21 अक्टूबर को चुनाव में मिली आश्चर्यजनक हार के बाद भाजपा छोड़ सकती हैं। इन कयासों को तब बल मिला जब उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि राजनीतिक पृष्टभूमि में बदलाव के बाद भविष्य की राह और लोगों की सेवा को लेकर विचार करने की जरूरत है। 1- पंकजा मुंडे राज्य भाजपा कोर समिति की बैठक में भी शामिल नहीं हुई और गुरुवार को उन्होंने घोषणा की कि वह अब कोर समिति की सदस्य नहीं हैं। 2- अपने भाषण में पंकजा ने हालिया विधानसभा चुनाव में पर्ली सीट से अपने रिश्ते के भाई और राकांपा नेता धनंजय मुंडे से मिली हार का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ भाजपा नेता (परोक्ष रूप से देवेंद्र फड़नवीस के लिए) इस सीट से उनकी जीत नहीं चाहते थे। 3-पंकजा ने कहा कि वह जनवरी में पूरे महाराष्ट्र में " मशाल रैली" निकालेंगी। 4-मैं अपने काम की शुरुआत 26 जनवरी को मुंबई स्थित गोपीनाथ मुंडे प्रतिष्ठान से करूंगी। 5-मैं मराठवाड़ा क्षेत्र की समस्याओं के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित कराने के लिए 27 जनवरी को औरंगाबाद में सांकेतिक अनशन करूंगी। 6-मौजूदा प्रदेश पार्टी नेतृत्व में 'ईर्ष्या और द्वेष' के लक्षण दिखते हैं। दूसरे कार्यकाल में महज 80 घंटे तक मुख्यमंत्री रह पाने के लिए देवेंद्र फड़नवीस पर कटाक्ष करते हुए खडसे ने कहा कि समय- समय पर, चमत्कार होता रहता है। 7-रोहिणी खड़से और पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे को इस साल अक्टूबर में प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान हराने के पीछे कोई साजिश थी उन्होंने कहा कि भाजपा के विकास के लिए जिन लोगों ने काम किया उनकी उपेक्षा की जा रही है और पार्टी में उनका अपमान हो रहा है। 8-गोपीनाथ मुंडे नेक और उदार नेता थे। हालांकि, मौजूदा पार्टी नेतृत्व में 'ईर्ष्या और द्वेष' का भाव है। उन्होंने कहा, "हमने कुछ लोगों पर भरोसा किया लेकिन उन्होंने हमसे छल किया।
Don't Miss Out on the Latest Updates. Subscribe to Our Newsletter Today! यह बात हम सभी जानते हैं कि ड्राई फ्रूट खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन कुछ लोगों को यह लगता है कि ज्यादा मात्रा में ड्राई फ्रूट खाने से ज्यादा सेहत बनती है, जबकि ऐसा नहीं है। ज्यादा ड्राई फ्रूट खाने से कई साइड इफेक्ट्स भी देखे जा सकते हैं। ड्राई फ्रूट्स के अंतर्गत कई प्रकार के मेवे शामिल किए गए हैं। जैसे काजू, बादाम, पिस्ता, अखरोट, मखाने, मूंगफली, चिरौंजी आदि। ड्राई फ्रूट्स में भरपूर मात्रा में विटामिन, मिनरल और फाइबर पाए जाते हैं। मगर ज्यादा मात्रा में ड्राई फ्रूट खाने से आपको पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद में भी ड्राई फ्रूट्स को खाने के नियम और तरीके बताए गए हैं। ड्राई फ्रूट्स कब और कितनी मात्रा में खाना चाहिए आइए विस्तार से जानते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ड्राइफ्रूट्स खाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है मगर इसमें सीमित मात्रा में खाना चाहिए। आमतौर पर ड्राई फ्रूट्स खाने को लेकर एक्सपर्ट का मानना है कि इसे 1 दिन में एक मुट्ठी से ज्यादा नहीं खाना चाहिए। शरीर के पोषण के लिए एक मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स पर्याप्त होता है। मगर ड्राई फ्रूट कैसे खाना चाहिए ड्राई फ्रूट खाने का तरीका क्या होना चाहिए यह आपको मालूम होना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स खाने का सही तरीका उसे भिगोकर खाना है। यानी ड्राई फ्रूट्स खाने से पहले उसे रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह पानी को छानकर ड्राई फ्रूट्स को खाएं। आमतौर पर बादाम, मूंगफली, किशमिश, काजू और चिरौंजी जैसे ड्राई फ्रूट्स को भिगोकर खाने की सलाह दी जाती है। बादाम का छिलका हमेशा निकालकर ही खाना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स खाने का ऐसा कोई खास समय नहीं होता है। हालांकि ड्राई फ्रूट्स को सुबह ब्रेकफास्ट के अलावा स्नेक्स के तौर पर लिया जाना चाहिए। सुबह भीगा हुआ ड्राई फ्रूट्स खाना अच्छा होता है। इसके अलावा शाम के समय जब आपको कुछ खाने का मन करें तो ऐसी स्थिति में बाहर की चीजें ना खाकर आप रोस्टेड नट्स को खा सकते हैं। मगर इसमें नमक की मात्रा कम होनी चाहिए। नट्स को देसी घी में रोस्ट करना फायदेमंद होता है।
नवरात्री 18 मार्च से शुरू होने वाली है, इस मौके पर हर दिन मां के 9 स्वरूपों की पूजा होती है। हर दिन के लिए एक खास रंग बनाया गया है जिसे पहनने के पीछे खास महत्व होता है। जानें किस दिन कौन-से रंग के कपड़े पहनने चाहिए। नवरात्री के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहन कर पूजा करनी चाहिए। नवरात्री के दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा होती है। इस दिन हरे रंग के कपड़े पहन कर पूजा करनी चाहिए। नवरात्री के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। इस दिन ग्रे(स्लेटी) रंग के कपड़े पहन कर पूजा करनी चाहिए। नवरात्री के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है। इस दिन नारंगी रंग के कपड़े पहन कर पूजा करनी चाहिए।
कुछ लोग आंखो पर कांटेक्ट्स लेंस का उपयोग करते है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह लेंस सीधे आपकी आंखो की कर्णिका के संपर्क में आते है। जिससे आपको इंफेक्शन हो सकता है। इसलिए आंखो को बिना हाथ धोए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही आंखों को छुना या मलना नहीं चाहिए। अगर आपको ज्यादा परेशानी हो रही है तो किसी आई केयर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। शरीर के सवेदनशील अंग में कान का भी नाम आता है। इसे भी हाथों से नहीं छूना चाहिए। अगर आपने इसे अपनी अंगुली से टच किया तो आपको स्टेफिलोकोकस बैक्टीरिया का खतरा हो सकता है। कान के अंदर की त्वचा बहुत ही पतली होती है। कानों के अंदर कभी उंगलियां और अन्य चीजें जैसे कि माचिस की तिल्ली, पेन-पेंसिल, हेयर क्लिप आदि नहीं डालनी चाहिए। हमारी कर्णनलिका यानी कि ईयर कनाल की परत बहुत ही पतली होती है। अतः बिना डॉक्टर की सलाह के बिना हमे किसी भी तरह से अपने कानों के साथ छेडछाड़ नहीं करनी चाहिए।
गुप्ता ने दावा किया कि उन पर कांग्रेस के लोगों ने उनके नेताओं के इशारे पर हमला किया। राज्य सरकार ने लालगंज के सर्कल अधिकारी जगमोहन को ड्यूटी में कथित लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया है। जहां भाजपा नेता अपनी पार्टी के सांसद का समर्थन करते दिखे, वहीं यूपी कांग्रेस ने 30 घंटे से अधिक समय तक चुप्पी साधे रखी अंत में अपने नेताओं का समर्थन करने के लिए सामने आए। यहां तक कि हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अपनी पार्टी के नेताओं पर हुए हमले की निंदा नहीं की।
JAMSHEDPUR: पानी की किल्लत क्या होती है, ये कोई बागबेड़ा के लोगों से पूछे। यहां के लोग साल भर पानी की समस्या झेलते हैं, गर्मियों में तो बूंद-बूंद पानी को तरसना पड़ता है। जो पानी उपलब्ध है उसकी क्वालिटी भी ऐसी है कि इसे पीना बीमारियों को दावत देना है। क्षेत्र के लोग वर्षो से पानी की समस्या को झेल रहे हैं। बागबेड़ा-छोटा गोविंदपुर जलापूर्ति योजना के शिलान्यास से लोगों में उम्मीद जगी है, लेकिन जब तक परियोजना पूरी नहीं होती तब तक लोगों की समस्या कम होती नहीं दिखाई दे रही है। बागबेड़ा क्षेत्र में गाउंड वाटर का लेवल भी दिन-ब-दिन नीचे जा रहा है। कई जगहों पर स्थिति ऐसी है कि साढ़े चार सौ फीट तक बोरिंग कराने पर पानी नहीं मिलता है। वाटर लेवल नीचे जाने की वजह से गर्मी के दिनों में चापाकल सूख जाते हैं। ऐसे में लोगों की परेशानियां और बढ़ जाती है। हाथ में बाल्टी, प्लास्टिक के गैलन लिए पानी के लिए चक्कर लगाते महिलाएं, पुरुष, बच्चे बागबेड़ा में हर वक्त दिख जाते हैं। आखिर करें भी तो क्या? घर में पानी की सप्लाई नहीं है, चापाकल सूख गया है। ऐसे में पानी के लिए चक्कर तो लगाना ही पड़ेगा। क्षेत्र में पानी की भीषण समस्या है। लोगों को पानी के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है। पानी के लिए होने वाली ये दौड़-धूप गर्मी के इस मौसम में लोगों के पसीने छुड़ा देती है। जिस पानी में ज्यादातर लोग हाथ-पैर धोना भी पसंद ना करे, बागबेड़ा के कई क्षेत्रों के लोगों अपने रोजमर्रा के काम के लिए इसी पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है। दूषित पानी की वजह से बागबेड़ा के कई क्षेत्रों में पिछले साल डायरिया का प्रकोप फैला था। इस वजह से कई जानें भी गई थीं। सरकारी आंकड़ों में भी डायरिया की वजह से क्षेत्र में क्ख् मौत होने की बात कही गई थी। इसे देखते हुए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की टीम पानी की जांच के लिए भी आई थी। बागबेड़ा और गोविंदपुर क्षेत्र की पॉपुलेशन साढ़े तीन लाख से ज्यादा है। यहां के करीब ख्भ्0 गांव पानी की किल्लत झेल रहे हैं। बागबेड़ा के ख्क् पंचायत में क्क्फ् गांव हैं, वहीं गोविंदपुर के ख्फ् पंचायत में क्फ्7 गांव हैं। यहां के लोग वर्षो से पानी की समस्या झेल रहे हैं। बागबेड़ा और छोटा गोविंदपुर के लोगों को अगले कुछ वर्षो में पानी की समस्या से राहत मिलेगी। अप्रैल में मुख्यमंत्री ने करीब ख्फ्7 करोड़ रुपए की लागत वाली बागबेड़ा-छोटा गोविंदपुर जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया था। इस परियोजना को तीन साल के अंदर पूरा करना है। हमारी बस्ती में दो साल से चापाकल खराब है। अभी तक इसकी मरम्मत नही हुई है। काफी दूर जाकर पानी लाना पड़ता है। यहां पानी की काफी दिक्कत है। बहुत दूर से जाकर पानी लाना पड़ता है। यहां करीब-करीब सालों भर यही स्थिति रहती है। सरकार भी मदद नहीं कर रही है। काफी दिनों से चापाकल खराब पड़ा है। कुछ दिनों पहले जब मुख्यमत्री आए थे तो चापाकल की मरम्मत की गई थी, लेकिन दो दिन के बाद फिर से नल खराब हो गया। पानी की समस्या यहां वर्षो से है। चापाकल अक्सर खराब रहता है। पानी लेने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। यहां पानी की काफी समस्या है। चापाकल खराब होने पर उसे ठीक होने में कई-कई दिन लग जाते हैं। चापाकल से पानी भी साफ नहीं आता है। पानी की काफी दिक्कत है। गर्मी के दिनों में तो पानी की समस्या और भी बढ़ जाती है। कई जगहों पर चापाकल भी सूख जाता है इसकी वजह से काफी दिक्कत होती है। यहां पानी की समस्या काफी समय से चली आ रही है। पानी लेने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। इसमें काफी समय लगता है। यहां पानी की काफी दिक्कत है। गर्मी के दिनों में तो परेशानी और भी बढ़ जाती है। हमारी परेशानी देखने वाला कोई नहीं है। यहां पानी की काफी समस्या है। दूर-दूर से जाकर पानी लाना पड़ता है। पानी के जुगाड़ में हमलोगों का काफी वक्त वर्बाद हो जाता है।
रीवा लोकायुक्त पुलिस ने एक भ्रष्टाचारी राजस्व निरीक्षक (आरआई) को बेनकाब किया है। बताया गया कि आरआई को 3 हजार की रिश्वत के साथ रंगे हाथ ट्रेप किया गया है। दावा है आरोपी राजस्व निरीक्षक जमीन सीमांकन के एवज में 4 हजार रुपए की रकम मांगी थी। 1000 रुपए पहले ले चुका था। लेकिन बिना पूरा पैसे लिए काम करने को तैयार नहीं था। ऐसे में थक हारकर किसान लोकायुक्त एसपी के पास शिकायत लेकर पहुंचा। जहां सत्यापन उपरांत शिकायत सही पाई गई। ऐसे में बुधवार की सुबह नईगढ़ी स्थित किराए के आवास से रंगे हाथ पकड़ा गया है। लोकायुक्त टीम राजस्व निरीक्षक को लेकर विश्राम गृह पहुंची है। जहां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। लोकायुक्त एसपी गोपाल सिंह धाकड़ ने बताया कि बुधवार की सुबह 11 बजे पंकज पाल आरआई नईगढ़ी तहसील जिला रीवा को 3 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। उसके खिलाफ शिकायतकर्ता प्रकाश द्विवेदी पुत्र रामयश द्विवेदी निवासी नईगढ़ी ने कुछ दिन पहले एसपी कार्यालय पहुंचकर आवेदन दिया था। पीड़ित का आरोप था कि आरोपी राजस्व निरीक्षक सीमांकन करने के एवज में 4 हजार रुपए की डिमांड की थी। दावा किया कि एडवांस रकम के रूप में 1 हजार रुपए आरआई पहले ही ले चुका था। फिर भी शिकायतकर्ता से लगातार पैसे का दबाव बना रहा था। सत्यापन के बाद शिकायत सही पाए जाने पर बुधवार को दबिश के लिए ट्रेप अधिकारी निरीक्षक जियाउल हक को मौके पर भेजा गया। जहां सुबह से ही लोकायुक्त की टीम नईगढ़ी स्थित आरआई के किराए वाले आवास के इर्द गिर्द सादे कपड़े में घूमती रही है। सूत्रों की मानें तो ट्रेप दल में शामिल उप निरीक्षक रितुका शुक्ला, प्रधान आरक्षक उमाकांत तिवारी, आरक्षक सुजीत कुमार, शैलेंद्र मिश्रा, विजय पाण्डेय, पवन पाण्डेय सहित 12 सदस्यीय दल किसान के इशारा का इंतजार कर रहा था। जैसे ही प्राइवेट आवास से किसान रिश्वत के 3 हजार रुपए देकर बाहर निकला। वैसे ही सिविल कपड़े में बाहर खड़ी लोकायुक्त की टीम ने रुपयों के साथ राजस्व निरीक्षक को धर दबोचा है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
डबरा, अरुण रजक। ग्वालियर जिले की डबरा (Dabra News) तहसील के पिछोर थाने के ग्राम पतरियापुरा में एक महिला की मौत हो गई है। महिला का शव फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला (The body of woman found hanging on the noose) है, उधर महिला की मौत पर मायके वालों ने ससुराल पक्ष पर हत्या जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों ने पुलिस पर भी सहयोग नहीं करने के आरोप लगाए हैं। मृत महिला सलैया गांव की रहने वाली थी। महिला के भाई ने mpbreakingnews को बताया कि उसकी बहन रवीना बघेल की शादी 6 साल पहले पतरिया पुरा गांव में हुई थी। शादी के बाद से ही ससुराल वालों ने दहेज के लिए उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था और लगातार वे प्रताड़ित कर रहे थे । इतना ही नहीं ससुराल वाले उसके साथ मारपीट भी किया करते थे। गांव में इस बात को लेकर पंचायत भी बैठाई गई, लेकिन फिर भी मामला शांत नहीं हुआ। जिसके बाद बाद महिला के परिजन उसे अपने घर ले आए। त्योहार के चलते महिला कल वापस अपने ससुराल गई जहां उसकी मृत्यु हो गई। महिला के भाई ने खुदकुशी करने की बात को सिरे से नकारा है। उसने बताया कि उसके घर में जितने भी कमरे हैं उनमें से किसी में भी दरवाजा नहीं है। ससुराल वाले उसे छत से घसीटते हुए नीचे लेकर आए हैं, छत पर पढ़े हुए उसके बिछिए इस बात को प्रमाणित करते हैं। इसके बाद ससुराल वालों ने मेरी बहन की गला दबाकर हत्या कर दी और सभी लोग उसकी लाश को छोड़ कर घर से बाहर निकल गए। महिला के भाई ने पुलिस पर भी आरोप लगाए हैं। उसने कहा है कि पुलिस लगातार कार्रवाई करने की बात कह रही है पर अभी तक इस मामले में किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इतना ही नहीं पुलिस अभी तक मौके पर नहीं आई है केवल कार्रवाई का आश्वासन दे रही है और कह रही है कि तुम अपना त्यौहार मनाओ। पुलिस के इस रवैये को देखते हुए मायके वालों का कहना है कि अगर पुलिस ने हमारी बात नहीं सुनी तो हम शहर में चक्का जाम करेंगे।
हरियाणा में नए साल में सरकार ने तीसरी बार ब्यूरोक्रेसी में बदलाव किया है। अब IAS विजय सिंह दहिया की जिम्मेदारी बदलते हुए उन्हें कमिश्नर एंड सेक्रेटरी यूथ एम्पावरमेंट और आंत्रप्रेन्योर डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही उन्हें कुरूक्षेत्र डेवलपमेंट बोर्ड का सदस्य सचिव भी नियुक्त किया है। इसके अलावा करनाल में डीटीओ के पद पर तैनात नुपूर बिश्नोई को हटा दिया गया है। अब उन्हें एडिशनल एसपी (ERSS) बनाया गया है। हरियाणा में विजय सिंह दहिया के अलावा दो और IAS अफसरों के विभागों को बदला गया है। IAS केएम पांडुरंग को सोशल जस्टिस विभाग के डायरेक्टर जनरल की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा उन्हें हरियाणा स्टेट बैकवर्ड क्लास के सदस्य सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली है। आईएएस राजीव रतन को उच्च शिक्षा का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। हारट्रॉन एमडी, नोडल ऑफिसर CPGRAM PG पोर्टल और अभिलेखागार विभाग के डायरेक्टर की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी उनको दी गई है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
जोगिंद्रनगर। नशा कर गाड़ी चलाने वालों की अब खैर नहीं है। जोगिंद्रनगर पुलिस अब नशे में ड्राइविंग करने वाले चालकों के खिलाफ एक्शन मोड पर है। इसी अभियान के चलते शुक्रवार रात को मुख्य आरक्षी मनवीर सिंह, अमर सिंह, अजय गुलेरिया, आरक्षी राजेश और बलदेव सिंह द्वारा पठानकोट चौक पर नाका लगाया गया। नाके के दौरान जहां एक ड्रंक एंड ड्राइव का चालान काटा गया वहीं ओवर लाईट के भी दो चालान काटे गए। जोगिंद्रनगर पुलिस द्वारा नाके के दौरान लोगों को सुरक्षित वाहन चलाने के लिए जागरूक भी किया गया।
इस्लामाबाद हाइकोर्ट ने 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड रहमान लखवी की रिहाई के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने लखवी की गिरफ़्तारी को अवैध करार दिया है। दरअसल, मुंबई हमले के साजिशकर्ता जकीउर रहमान लखवी ने उसे लोक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखे जाने को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि सरकार ने उसे 'गैरकानूनी आधार' पर हिरासत में रखा है। लखवी के वकील राजा रिजवान अब्बासी ने कहा था कि हमने लखवी की हिरासत को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सरकार ने गैरकानूनी आधार पर उसे हिरासत में लिया है। सुनवाई अदालत से जमानत मिलने के बाद सरकार के पास इसका कोई आधार नहीं था कि लखवी को लोक व्यवस्था बनाए रखने संबंधी आदेश के तहत हिरासत में रखा जाए। गौरतलब है कि लश्कर-ए-तैयबा के कार्यवाहक कमांडर लखवी साल 2008 में हुए मुंबई हमलों के प्रमुख संदिग्धों में से एक है। इन हमलों में 160 लोगों की मौत हो गई थी।
आशीर्वाद तक पहुंचा सांसद अनुराग ठाकुर का सफर दरअसल हिमाचल में भाजपा की राजनीति को फिर से पढ़ने का नजरिया हो सकता है और यह सत्ता के साधुवाद को बांटने का विमर्श भी पैदा करता है। पांच दिन की यात्रा में माहौल, मेहरबानियां, मकसद और मंजिलें दिखाई दीं, तो प्रदेश के चौराहों में कानाफूसी भी हुई। दरअसल देश भी अब राजनीति को चौराहों पर ही तो पढ़ रहा है, जहां पहले कभी संघर्ष व आंदोलन होते थे। हिमाचल में राजनीति का अर्द्धसत्य संघर्ष में रहा है, लेकिन अब आंदोलन सत्ता की जुबान में पालतू हो गया है। ऐसे में अनुराग की यात्रा के तमाम संदर्भ हाथी-घोड़ों पर सवार रहते हुए भी यह तय नहीं कर पा रहे कि यह काफिला सत्ता का है या विचारधारा का। जाहिर है भाजपा अब सत्ता की मशीनरी है, इसलिए जिसके थैले में ज्यादा होगा, जनता उतने ही जोश से हाथ फैलाएगी। इसका सबसे बड़ा आश्चर्य पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने जिस तरह बयानों के कालीन अनुराग के लिए बिछाए, समझा जा सकता है। शांता कुमार अपनी पार्टी के मार्गदर्शक (? ) हैं, लेकिन भाजपा की धारा में उनकी विचारधारा की बात का वजन दिखाई नहीं देता। वह भी भाजपा की कतारों में रेखाओं की लंबाई का अनुसरण कर रहे हैं। इस तरह हिमाचल की आशीर्वाद यात्रा के पदचिन्ह, गोपनीय जिरह की पैमाइश में किसकी रेखा लंबी कर दें, अभी तय नहीं हुआ। देखना यह भी होगा कि अनुराग ठाकुर की यात्रा का लाभ उनके अलावा किस-किस को मिलता है। जाहिर है अनुराग की उपलब्धियों पर मोहर लगाती जनता उनके भीतर की सियासी संभावनाओं को तोल रही है, तो उत्साही भीड़ के पलक-पांवडे़ केंद्रीय मंत्री को अपनी फील्ड का मुआयना करने का अवसर देते हैं। अनुराग ठाकुर के आगमन ने भाजपा के मंतव्य में नया क्या जोड़ा या पार्टी किस तरह लाभ की स्थिति में दिखाई देगी, यह एक गूढ़ सवाल है जो भविष्य की प्रतिक्रियाओं में दिखाई देगा। फिलहाल इतना जरूर है कि हमीरपुर के सांसद के पांव शिमला, मंडी और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों की परिक्रमा कर गए। शिमला तथा मंडी संसदीय क्षेत्रों में हिमाचल की वर्तमान सत्ता का सीधा तिलक दिखाई देता रहा है, लेकिन कांगड़ा अपने सियासी अतीत के कारण इस बार हमीरपुर के समीप खड़ा है। अतीत के शांता, वर्तमान के पुजारी हैं तो वर्तमान के सांसद किशन कपूर इस बार अनुराग के अनुयायी प्रतीत हो रहे हैं। सांसद किशन कपूर का वजूद खुद से ही नाराज है, तो कांगड़ा की राजनीति आगामी विधानसभा चुनावों का इंतजार कर रही है। कांगड़ा आज की स्थिति में न नया खोज पा रहा है और न ही हासिल कर पा रहा है। पहले ही संसदीय विभाजन में देहरा पर धूमल परिवार की गिरफ्त और अब केंद्रीय विश्वविद्यालय के अस्तित्व की पछाड़ में अनुराग आगे दिखाई दे रहे हैं। कांगड़ा अपने लिए नेतृत्व की हर संभावना से दूर कभी मुख्यमंत्री, तो कभी अनुराग को भी इसलिए देख रहा है, क्योंकि सांसद किशन कपूर की प्राथमिकता तो अपने बेटे शाश्वत कपूर का राजनीतिक पोस्टर ही चमकाना है। पंद्रह अगस्त व अनुराग आगमन के नाम पर कांगड़ा के सांसद ने दो तरह के होर्डिंग्स पर यही संदेश अंकित किया है कि वह अपने परिवार के लिए जनता के सामने शाश्वत कपूर का चेहरा और स्पष्टता से रखना चाहते हैं। कुछ इसी तरह हिमाचल मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्री महेंद्र सिंह के बागीचे में आशीर्वाद यात्रा के लिए फूल नहीं खिले, तो एकमात्र महिला मंत्री सरवीण चौधरी का अनुराग यात्रा के दौरान फोटोशूट का अधिकतम उपयोग भी दिखाई दिया। ऐसे में आशीर्वाद यात्रा राजनीतिक निवेश का अखाड़ा भी बनी और वर्तमान सरकार से रूठे दिलों का आसरा भी रही। यह पहला अवसर है कि पोस्टर अपने कद को होर्डिंग्स पर टांग कर भाजपा के कई चेहरों को शरण देते दिखाई दिए। जाहिर तौर पर हिमाचल सरकार इन जलसों में शरीक रही और ये पांच दिन प्रदेश की सत्ता का साथ दिखाती रही, वरना जब शांता कुमार बतौर केंद्रीय मंत्री प्रदेश में आते थे, तो उनके स्वागत में खड़ी गाडि़यों के इंजन कई बार बंद हो गए या तब कांगड़ा के तोरणद्वार भी मुंह मोड़ के खड़े रहते थे। अनुराग आगमन के तीसरे संदर्भ में हिमाचल की सरकार, सत्ता और प्रदेश को क्या कोई लाभ मिला या आइंदा मिलेगा, इसका विश्लेषण आगे करेंगे।
रांचीः राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने महिलोंग पंचायत (नामकुम) का चयन सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत किया है। श्री पोद्दार ने शुक्रवार को महिलोंग पंचायत भवन में इस बात की जानकारी दी। खिजरी के विधायक रामकुमार पाहन ने महिलोंग को आदर्श बनाने में हर संभव सहयोग की बात कही है। श्री पोद्दार ने महिलोंग को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत लेने की पृष्ठभूमि की जानकारी देते हुए कहा कि इस क्षेत्र से उनका 50 साल से सम्बन्ध रहा है। यह उनकी कर्मभूमि रही है। उनका सपना इस क्षेत्र का विकास करना है। इस योजना से यह शुरुआत हो रही है। श्री पोद्दार ने कहा कि वह इस योजना के तहत ऐसी पंचायत लेना चाहते थे, जहां मुखिया महिला हो और सक्रिय हो। महिलोंग की मुखिया सुजाता मिंज में ऐसी योग्यता है और वह शिक्षित और कर्मठ हैं। श्री पोद्दार ने कहा कि कल 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। इसकी पूर्व संध्या पर यह योजना प्रारम्भ हो रही है। श्री पोद्दार ने कहा कि अगर गांव के लोग नशामुक्त समाज बनाने का प्रयास करें तो सरकार द्वारा एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना का कार्यान्वयन स्थानीय ग्रामीणों और पंचायत को मिलकर करना है। समारोह के बाद श्री पोद्दार ने पंचायत भवन और आंगनबाड़ी परिसर में वृक्षारोपण भी किया। कार्यक्रम के दौरान नामकुम के बीडीओ गौरीशंकर ने योजना की जानकारी दी। समारोह में पंचायत प्रतिनिधि, ग्रामीण एवं अधिकारीगण मौजूद थे। महिलोंग की मुखिया सुजाता मिंज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। ग्राम प्रधान सिमोन गाड़ी ने सभा संचालन किया। पंचायत समिति सदस्य राजेंद्र महतो ने धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह में गुरुचरण महतो ने स्वागत भाषण किया। पारसनाथ भोक्ता, धनेश्वर महतो, दुतिनाथ महतो, किस्टो खलखो, काशीनाथ महतो और अन्य ने भी विचार व्यक्त किये। (प्रेस विज्ञप्ति)
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर द्वारा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कानून का पालन नहीं करने पर उसका इंटरमीडियरी दर्जा खत्म करने को लेकर कानून, इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को खरी-खरी बातें कहीं। प्रसाद ने कहा कि यदि कैपिटल हिल अमेरिका के लिए गौरव की बात है तो लाल किला भारत के लिए, जहां प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। ट्विटर ने लद्दाख को चीन का हिस्सा बताया और हमें उसे इसे हटाने के लिए तीन माह तक जद्दोजहद करना पड़ी, यह ठीक नहीं है। लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत को भी अपनी डिजिटल संप्रभुता का संरक्षण करने का उतना ही हक है। आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि हमने ट्विटर को तीन माह का वक्त दिया। दूसरी कंपनियों ने नियम का पालन किया, लेकिन ट्विटर ने नहीं किया। आईटी गाइडलाइंस का नियम 7 कहता है कि यदि आप नियमों का पालन नहीं करते हैं तो सेक्शन 79 के तहत आप इंटरमीडियरी दर्जा खो सकते हैं। इसके बाद बाद आप देश के दंडात्मक कानूनों समेत अन्य कानूनों के पालन के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ट्विटर का इंटरमीडियरी दर्जा खत्म करने का मैंने नहीं कहा है, कानून ने किया है। यदि दूसरों ने नियम का पालन किया तो, इन्होंने क्यों नहीं? हमने उन्हें तीन अधिकारी नियुक्त करने को कहा। तीन माह का वक्त दिया, वह 26 मई को खत्म हो गया। अंत में हमने सौजन्यवश अंतिम अवसर भी दिया। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री प्रसाद ने कहा कि यदि भारतीय कंपनियां या फार्मा कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करती हैं तो उन्हें वहां के नियमों का पालन करना होता है या नहीं? यदि आपको यहां व्यवसाय करना है तो,आपके भारत के संविधान व नियमों का पालन करना होगा। आप भारत के पीएम की आलोचना कर सकते हो, लेकिन नियम तो मानना होंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब कुछ लोग ट्विटर के जरिए राजनीति करते हैं तो मुझे कोई आपत्ति न हीं है, अब वे ट्विटर की राजनीति करते हैं तो भी कोई समस्या नहीं है, लेकिन यह मामला ट्विटर या सरकार या भाजपा का नहीं है। यह मामला ट्विटर व उसके यूजर्स के बीच का है, जिन्हें दुरुपयोग की दशा में शिकायत करने का मंच मिलना चाहिए। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। निष्पक्ष चुनाव होते हैं। हम असम में जीते तो बंगाल में हारे। स्वतंत्र न्यायपालिका कठोर सवाल पूछती है। मीडिया वरिष्ठ मंत्रियों से सवाल करता है। यह लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की आजादी है। इसके बावजूद आप नियमों का पालन नहीं करोगे तो यह गलत तर्क है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार पूरी तरह से निष्पक्ष है। अगर किसी देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत आधी सरकार ट्विटर पर है तो यह जाहिर होता है कि हम निष्पक्ष हैं। हम किसी भी प्लेटफॉर्म को बैन करने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन आपको कानून का पालन करना होगा। कानून मंत्री ने कहा कि हम सभी मैसेज को डिक्रिप्टेड नहीं करना चाहते हैं। सभी ऑर्डिनरी व्हाट्सएप यूजर इसे जारी रखें, लेकिन यदि किसी कंटेंट के वायरल होने पर मॉब लिंचिंग, दंगा, हत्या, महिलाओं को बिना कपड़े के दिखाने या फिर बच्चों का यौन शोषण होता है तो ऐसे मामलों में आपसे यह पूछा जाएगा कि यह कंटेंट किसने वायरल किया था। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोई ऐसा मैसेज जो सीमापार से आया है, तो भारत में किसे इसने भेजना शुरू किया, ये चीजें तो पूछी ही जाएंगी। यह लोगों के हित में है।
डांस (Dance) केवल एक गतिविधि नहीं है, बल्कि एक भावना है। डांस के जरिए कई लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, और साथ ही दुनियाभर में लोगों एक-दूसरे के साथ जोड़ते हैं। डांस लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है, और हर किसी के चेहरे पर एक खुशी लाता है। वहीं इन दिनों डांस से जुड़ा एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जो सोशल मीडिया पर तहलका मचा रहा है। दरअसल, ये वीडियो एक सरदार जी का है जो मियामी की गलियों में अपने डांस से सबको दीवाना बनाए हुए हैं। उनका डांस देखकर हर कोई झूम उठेगा और डांस करने के लिए मजबूर हो जाएगा। ये वीडियो turbanmagic नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है। जो कि वीडियो में डांस करते नजर आ रहे समिंदर सिंह ढींडसा का ही है। वहीं इस वीडियो में खुद समिंदर सिंह डांस करते नजर आ रहे हैं, इसमें वो हिप-हॉप और भागंड़ा कर रहे हैं और लोग उनकी सराहना कर रहे हैं। इस वीडियो को अभीतक 63 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं साथ ही कई लोग इस वीडियो को देख रहे हैं। लोग सरदार जी के डांस पर जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सरदार जी और उनके डांस ने दुनिया भर में दिल जीत लिया है।
लखनऊ। देश की प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है। लता मंगेशकर अपना 87वां जन्मदिन मना रही हैं। लता मंगेशकर ने आठ दशकों में 30 से ज्यादा भाषाओं में अब तक 30,000 हजार से गाने गाये हैं। उनकी मधुर आवाज का जादू सिर्फ हिन्दुस्तान में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में फैला हुआ है। आईये लता मंगेशकर के जन्मदिन पर आपको उनसे जुड़ी कई रोचक बातें बताते हैं। लता का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। एक मध्यम वर्गीय मराठा परिवार में जन्मी लता अपने सभी पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। लता का नाम पहले हेमा रखा गया था। मगर जब लता पांच साल की हुईं तो माता-पिता ने उनका नाम लता रखा। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के कलाकार और गायक थे। लता मंगेशकर ने पहली बार जब मंच पर गाना गाया तो उन्हें 25 रुपये मिले। लता इसे अपनी पहली कमाई मानती हैं। सात साल की उम्र में वह महाराष्ट्र आ गईं। इसके बाद 1942 में फिल्म एक मराठी फिल्म किती हसाल के लिए लता ने अपना पहला गाना गाया। तब लता मंगेशकर का गायकी का कारवां शुरू हुआ और एक के एक सुपरहिट गीतों से उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। लता के पिता पंडित दीनदयाल मंगेशकर का देहांत 1942 को हो गया था। तब परिवार में बड़ी होने के कारण लता के ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ गया। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उन्होंने गीत गाने शुरू किये। इसके अलावा हिंदी और मराठी फिल्मों में छोटी-छोटी कई भूमिकाएं अदा की। अपने 87वें जन्मदिन पर लता मंगेशकर ने ट्वीट कर अपने प्रशंसकों और लोगों से गुजारिश की है कि वे मेरे जन्मदिन पर मुझे गिफ्ट नहीं, बल्कि उरी हमले में शहीद हुए हमारे जवानों के परिवारों के लिए दान करें। लता ने कहा कि हम सभी का यह कर्तव्य है कि शहीदों के परिवारों के लिए जो संभव हो सके, वह करें। लता ने आर्मी वेलफेयर फंड बैटल कैजुएलिटीज फंड में अपना योगदान दिया है।
बहुत से लोग मानते हैं कि हम पीटर, आत्माओं की पहली उपस्थिति है, जिसमें उन्होंने रूस के लिए यूरोप से लाया करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। की तरह, 18 वीं सदी की शुरुआत से पहले यह सामान्य रूप में इस तरह के पेय के देश में नहीं था। इसके साथ ही हम जड़ में सहमत नहीं हो सकते। किण्वन और आसवन प्रक्रिया इवान भयानक के तहत जाना जाता था। फिर "ताज़ा पोशन" के उत्पादन की प्रक्रिया महान सम्मान के साथ व्यवहार किया जाता है, सभी विनिर्माण गुप्त सामग्री है कि पीने के एक आंसू के रूप में शुद्ध प्राप्त हुई थी बनाने का उपयोग कर प्रौद्योगिकी को देख। घर काढ़ा की उच्च लागत के कारण "ड्राइव" यह हो सकता रईसों की केवल उच्च रैंक, के रूप में "गरीबी" स्थानीय केवल घर काढ़ा घर का बना के साथ संतुष्ट हो सकता है। आज, रहस्यों में से कई स्वच्छ भूल पीते svezhevygnannogo। हालांकि अभी भी कुछ है जो अभी भी जो लोग जानते हैं कि चांदनी ड्राइव करने के लिए कैसे इस्तेमाल करते हैं। कैसे पोटेशियम परमैंगनेट साफ करने के लिए, उदाहरण के लिए, हर कोई रूस के एक गांव में जानता है। चांदनी - दोनों शाब्दिक और आलंकारिक अर्थों में, ड्राइव - नाम ही कार्रवाई करने के लिए निकलता है। विभिन्न समयों पर वह सताया गया थाः वह प्रतिबंधित कर दिया गया है, यह केवल अमीर के लिए बेच दिया गया था, एक पुलिस का सिपाही है कि जब लोग मरने के लिए प्रयोग किया जाता है से बनाया गया था। लेकिन चांदनी की शुरुआत उत्साहजनक थेः रूस में 14 वीं सदी में, लोगों ने पाया है कि फल या सब्जियों को एक लंबे समय के लिए एक गर्म स्थान में छोड़ दिया, अतिसंवेदनशील सड़ने के लिए, कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ता है और शराब की एक कमजोर डिग्री के गठन। इसके बाद, यह पाया गया पदार्थ और के हीटिंग के दौरान कि अपनी "आसवन" उत्पादन एक "शाही" पेय है। यह भी प्रयोगात्मक साबित हो चुका है कि कच्चे माल के गेहूं या राई के रूप में उपयोग स्पष्ट रूप से गुणवत्ता और वोदका के स्वाद को सुधारा। पेय की "पवित्रता" के प्रश्न के रूप में, उन दिनों में, क्रिस्टल बढ़ा महत्व दिया गया थाः से कच्चे माल की 1 टन शुद्ध चांदनी का केवल 30 लीटर निकला। सदियों के लिए, तैयारी प्रक्रियाओं में सुधार कर रहे हैं। देर से 18 वीं तक - 19 वीं सदी। रूस सबसे अच्छा और सबसे स्वादिष्ट samogonok कि यूरोप के सभी में थे के एक निर्माता बन गया हैः वे राजदूतों और गणमान्य व्यक्तियों के लिए प्रस्तुत किए गए, विदेशी व्यापारियों और व्यापारियों को बेच दिया गया है, हम वीआईपी मेहमानों के लिए इलाज किया और पता कर रहे थे। आज प्रक्रिया में तेजी लाने, लेकिन गुणवत्ता विशेष दावे करती हैः लोग चाहते किले "सिर को उड़ा दो। " चाहे चांदनी स्पष्ट करने के सवाल पर की जरूरत है आज हाँ कहने के लिए है, "सभी आवश्यक का मतलब है, और यह कई मायनों में बेहतर है के द्वारा। " क्या अच्छा चांदनी? किले, क्रिस्टल या स्वाद? या औषधीय गुण? जवाब है - ऊपर के सभी। इसके अलावा पीने के एक बहुत चमत्कारी गुण हैः - यह एक ठंड के साथ मला जा सकता है; - कीटाणुरहित (आश्चर्य की बात नहीं, चांदनी 96 डिग्री तक हो सकता है, मुख्य बात पता है कि कैसे अपने "ड्राइव"); - बेहतर पाचन के लिए एक aperitif के रूप में इस्तेमाल किया। काढ़ा किसी भी सामग्री से बनाया जा सकता। यही कारण है कि मुद्दा यह है कि सभी मामलों में इस अनूठी पीते हैं, अन्य (व्हिस्की, ब्रांडी, बोरबॉन, ब्रांडी, टकीला, रम, Grappa) में सभी संकेतक में अग्रणी, "पीछा" कर सकते हैं लगभग सभी तात्कालिक "सामग्री" से हैः - जामुन; - फल; - सब्जियों; - अनाज; - जाम, शहद, - डेयरी उत्पादों; - शराब, रस, क्वास; - बेकरी उत्पाद, - pl। एट अल। जो है, हम केवल उन अवयवों कि किण्वन की प्रक्रिया के अधीन हैं की जरूरत है। और आवश्यक है और सभी का सबसे महत्वपूर्ण चीनी, जो किण्वन प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करता है सिद्ध किया गया है। मुख्य बात यह है कि उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता और प्राकृतिक के हैं, तो आप सबसे अच्छा काढ़ा मिलता है। कैसे पोटेशियम परमैंगनेट या अन्य तरीकों साफ करने के लिए? अगले भाग में इस बारे में। हर स्वाभिमानी मद्यतस्कर घर पर इस दिव्य पेय के उत्पादन के लिए अपने निपटान विशेष उपकरण पर हैः - भबका - लोहा (अधिमानतः स्टेनलेस स्टील) पोत है, जो मैश गर्म करने के लिए प्रयोग किया जाता है; - सर्पिल - वाष्प शांत करने के लिए कार्य करता है; - तांबा ट्यूबों - घन के तार के साथ कनेक्शन के लिए की जरूरत है। वोदका उत्पादन प्रक्रिया में निम्न चरण शामिल हैंः - ब्रागा - पेय के भविष्य के लिए आधार तैयार करना। - बाद हीटिंग और जो पारित कर दिया इसके आसवन एक विशेष घन का उपयोग कर, यह एक अंतिम उत्पाद हो जाता है। - फ्यूज़ेल तेलों के हटाने। - odors को हटाया। कई दोष और odors की साफ यह प्राप्त करने के बाद मदिरा बनाना चाहते हैं। प्रश्नः "मैं पोटेशियम परमैंगनेट Moonshine साफ करते हैं" - सिद्धांत रूप में विभिन्न मंचों और पृष्ठों में नियमित रूप से दिया जाता है। आप svezhevygnanny चांदनी और पोटेशियम परमैंगनेट, और कार्रवाई के कई चरणों की आवश्यकता होगी। लेकिन अलग पिछले से, वहां अभी भी सुरक्षित रूप से और आसानी से पेय के सभी अनावश्यक "कण" को दूर करने के कई तरीके हैं। चांदनी चलाई, कई बसने और जिसके परिणामस्वरूप पेय का आनंद लें। लेकिन अगर सड़क जीवन और आपके स्वास्थ्य है, इसके माध्यम से पालन करने के लिए आवश्यक है। सभी अशुद्धियों से साफ पीने और फ्यूज़ेल तेल देरी के बिना आवश्यक है, और एक संदेह की छाया। प्रस्तावित तरीकों में से कई (उदाहरण के लिए, कैसे काढ़ा पोटेशियम परमैंगनेट साफ करने के लिए) या सुना व्यंजनों नहीं हमेशा सुविधाजनक और कुछ हद तक महंगी हैं। सबसे आसान विकल्प को दूर सब काढ़ा से अधिक बाहर ठंड है। आप नीचे दिए गए सामग्री की जरूरत हैः - फ्रीजर; - चांदनी; - पोत। गंभीर ठंड के कारण, सभी फ्यूज़ेल तेलों और अतिरिक्त तरल पदार्थ फ्रीज होगा, लेकिन असली और शुद्ध चांदनी रहते हैं। नतीजतन, अपशिष्ट को हटाने, आप एकदम साफ और स्वादिष्ट पेय मिलता है। मैं पोटेशियम परमैंगनेट कैसे साफ करते हैं? सबसे आसान और सबसे अच्छा तरीका खोजने के लिए! ऐसा करने के लिए फार्मेसी में जाना (नहीं करता है, तो घर पर) और मैंगनीज पाउडर की खरीद, जो काढ़ा में मदद मिलेगी इसकी संरचना में सभी अवांछित पड़ोसियों डाली। रचना इस प्रकार हैः वोदका svezhevygnannogo 1 लीटर मैंगनीज का केवल 2-3 ग्राम लेता है। । एक बोतल में भरने के लिए अच्छी तरह से हिलाएँ सामग्री - पेय एक विशेष गुलाबी-लाल रंग का अधिग्रहण किया। फिर आराम से 1-2 दिनों के लिए एक पोत (अधिमानतः सूरज की रोशनी के बिना एक जगह) छोड़ दें। समय के बाद एक तलछट बोतल के नीचे, जो एक पूर्ण "अतिरिक्त" स्थिरता एकत्र किया है पर गठन किया था। प्रभाव में सुधार करने के भी पोत पिछले कम आंच (20 मिनट) पर एक भाप स्नान पर डाल मैंगनीज के अलावा के बाद हो सकता है। तो रूई के माध्यम से फ़िल्टर करें। शुद्ध और उपयोग के लिए तैयार पीना! आसवन के बाद, वोदका आमतौर पर तेज और नहीं तो सुखद गंध है, जो पूरी तरह से यह स्वाद के लिए किसी भी इच्छा को हतोत्साहित किया जाता है। बदबू के कष्टप्रद नोटों से छुटकारा पाने के लिए, पेय सोडा की मदद से साफ किया जाना चाहिए। कैसे काढ़ा सोडा साफ करने के लिए - एक सरल कार्य है, और इसकी प्रक्रिया काफी सुखद और सरल है। आप की आवश्यकता होगीः - सोडा की 10-15 ग्राम। - 1 लीटर svezhevygnannogo काढ़ा। - निः शुल्क समय और धैर्य। यह, पेय और सोडा के बारे में कहा मात्रा हलचल करने के लिए जिस 40 मिनट के लिए स्पर्श नहीं आवश्यक है। 12-24 घंटे - यह चांदनी की फिर से trotted जार एक लंबे समय के लिए बर्तन में पहले से ही सामग्री छोड़ने पीछा किया जाता है,। इस समय के बाद, पीने के परिणाम पूरी तरह से साफ किया जाता है। यह ऊपर परत को दूर करने के लिए आवश्यक है और तलछट (सोडियम और फ्यूज़ेल तेल, दोष) (औसत 2-3 सेमी undrinkable तरल है)। क्या ऊपरी परत और कम और वहाँ शुद्ध काढ़ा के बीच छोड़ दिया है आंसू और बिना गंध के रूप में शुद्ध होने के लिए। नतीजतन, कैसे काढ़ा सोडा साफ करने के लिए करने का कार्य, हल हो गई है, और इसकी प्रक्रिया समय और धन का एक बहुत नहीं ले करता है। सोडा किसी भी किराने की दुकान पर खरीदा जा सकता है, इसकी कीमत हास्यास्पद कम है। इसीलिए सफाई की इस पद्धति बजट से एक है। प्राकृतिक संसाधनों (स्वच्छ और सुरक्षित) के उपयोग के लिए सबसे अच्छा तरीका दोष और हानिकारक तेलों से शुद्धि काढ़ा करने के लिए है। ऐसा ही एक विधि लकड़ी का कोयला का उपयोग है। में के रूप में रूस हमेशा जंगलों की एक बहुत कुछ किया गया है, और भी लाभ प्रकृति की हमेशा सक्षम रूस किया गया है का आनंद लेने के इस सबसे पुराने और सबसे सिद्ध तरीकों में से एक है। स्पष्ट चांदनी के बाद से लकड़ी का कोयला? यह निश्चित चरणों और प्रक्रियाओं जिसमें यह सभी नकारात्मक खो देंगे सम्मानित किए "रॉयल" पेय के स्तर पर, पालन करना चाहिए। चरण 1 - आप कोयला प्राप्त करने की आवश्यकता। ऐसा करने के लिए एक उपयुक्त लकड़ी, अधिमानतः ताजा, हरे पाते हैं। बेहतर वरीयता लिंडेन और सन्टी देने के लिए। शाखाओं की अपेक्षित संख्या चुनने के बाद (बेहतर पेड़ नहीं आधे से ज्यादा एक सदी लेने के लिए), यह एक आग शुरू करने के लिए आवश्यक है। जला दिया, गर्म अंगारों एक ढक्कन के साथ किसी भी डिश के लिए रखा और शांत जब तक छोड़ दिया जाना चाहिए। इसके बाद, आप एक ठीक करने के लिए राज्य चिंगारी पाउंड करने के लिए की जरूरत है। चरण 2 - सामग्री की तैयारीः - चारकोल - 100 ग्राम; - चांदनी - 1 लीटर। तरल घटक मिश्रण एक अंधेरी जगह में जार रख दिया और 7 दिनों के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए। ध्यान देंः एक दिन जार हिला कम से कम 4 बार। एक और एक सप्ताह के लिए जरूरत की समाप्ति के बाद एक पूरी बाकी हिस्सों में पोत को छोड़ने के लिए। चरण 3 - जाली या कपास का उपयोग कर काढ़ा छानने। कई bootleggers, "दिया" उनके विचार में, एक अद्भुत पेय, तो परेशान - मजबूत पदार्थ वर्तमान अस्पष्ट तेल में, और एक तेज नाक कि इस तरह के एक परीक्षण सहन नहीं कर सकते की गंध। आप नहीं जानते कि इस तरह के "पड़ोसियों" से छुटकारा पाने के लिए कैसे, पूरी उत्पादन आगे उपयोग के लिए अनुपयुक्त हो जाएगा। क्यों अनुवर्ती प्रश्नः "मैं चांदनी की गंध कैसे साफ करते हैं" - बहुत ही प्रासंगिक है। सबसे पहले आप बादल और तेल से पेय साफ करने के लिए की जरूरत है। इस चरण को पूरा करने के बाद आप चांदनी के सौंदर्यीकरण के लिए कई मसाले का उपयोग कर सकते हैं। उनमें से सम्मान किया जाता हैः सौंफ़, टकसाल, वेनिला, allspice या लाल दीवारों अखरोट जड़ ताजा सहिजन zubrovka, ओक छाल। तुम भी चांदनी, जो रूस में इस्तेमाल किया गया था की गंध को साफ करने के पुराने विधि का उपयोग कर सकते हैं। यह 50 ग्राम ले जाएगा जड़ बैंगनी, पारंपरिक काले किशमिश की 500 ग्राम (नहीं सफेद उपयुक्त)। चांदनी के साथ पोत को कवर, कम से कम 30 दिनों के लिए एक अंधेरी जगह में खड़े हैं। रूई कई बार के माध्यम से तनाव की समाप्ति के बाद। पेय सभी odors से वंचित हो जाएगा और जायके बैंगनी और अंगूर के सुखद सुगंध से भरा हुआ था। यहां तक कि सबसे पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से निर्मित किसी भी उत्पाद, दूषित पदार्थों और कणों जो मानव शरीर को नुकसान हो सकता हो सकती है। ऐसा कैसे? उनके प्रसंस्करण (रासायनिक या अन्य विभिन्न) के दौरान प्राकृतिक उत्पादों जारी की है प्रदूषण। इस चक्र के लिए सभी हानिकारक पदार्थ का अंत उत्पाद को हटाने का उत्पादन करना चाहिए। इस प्रकार, जब प्राथमिक बाहर "Pervak" "रेस" - गंदे और मजबूत काढ़ा। कोई रास्ता नहीं में यह के साथ भ्रमित है, उसे एक पेय के बाद का पालन किया जाना। बस को नष्ट! आज, दूषित पदार्थों और odors की काढ़ा साफ करने के लिए कई तरीके हैं। बस सरल टिप्स का पालन करने के लिए और फिर एक जाम स्वच्छ और सुरक्षित पाने की जरूरत है। नए चेहरे, अक्सर उलझन में हैं bootleggers, और अगर चांदनी पोटेशियम परमैंगनेट साफ हानिकारक नहीं है? ताकि शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव उपभोक्ता नहीं मिलेगा है इस विधि बहुत पुरानी और परीक्षण किया गया है। इसके विपरीत, यह साफ brews, और सबसे अच्छा दृश्य ले लो। पेय में सुधार के लिए कई तरीकों सिर्फ इतना है कि विरोध "मिश्रित" से आप एक प्रथम श्रेणी और क्रिस्टल पेय मिल सकता साबित होता है। काढ़ा निष्कासित - बुरा। इसके बाद आप अशुद्धियों और हानिकारक धुएं, जो बंद भी सबसे लगातार डरा सकता है की यह साफ करने के लिए की जरूरत है। विशेषज्ञों की सिफारिशों पर चांदनी पोटेशियम परमैंगनेट और सोडा तुरंत अपने "आसवन" निम्नलिखित स्पष्ट करने के लिए। लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर रहा है। भंडारण और पैकेजिंग की शर्तों जिसमें यह सीधे उसके स्वाद और समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर हो जाएगा। तो, भंडारण के तरीके से बाहर रखा जाना चाहिए किया गया हैः - प्लास्टिक की बोतलों; - लकड़ी के बैरल (आप ब्रांडी पाने के लिए नहीं करना चाहते हैं); - धातु पात्र (एल्यूमीनियम, तांबा, स्टील)। आप केवल कांच, चीनी मिट्टी की बोतलें, डिब्बे या कंटेनर का उपयोग कर सकते हैं। कुछ भंडारण और स्टेनलेस स्टील बैरल के लिए उपयोग किया जाता है। तापमान का सवाल है, यह कोई बात नहीं क्या उप शून्य, कि प्लस पेय के मतभेदों को उसके गुण खोना नहीं करता। चांदनी, उसके निर्माता का सबसे उन्नत, उच्च डिग्री पर बेहतर हो रही के अनुसार। यहाँ तक कि उसने बोतल में कॉर्क की सिफारिश की और घर साल से 10 इस समय के दौरान (जहां गर्मी ऊपर से अधिक 40 डिग्री है) की अटारी में डाल दिया, पेय परिवर्तित हो जाएगा, अमृत में बदल गया। जहां सीधे धूप के संपर्क में तुम भी स्थानों को बाहर रखना चाहिए। मादक पेय प्राकृतिक और उच्च गुणवत्ता का होना चाहिए। यह आवश्यक रूप से आयातित वोदका या व्हिस्की खरीद नहीं सकते। आप एक छोटे से प्रयास और इच्छा कर सकते हैं। आप यह भी आवश्यक साहित्य पर शेयर, या सभी बारीकियों और निर्माण के सभी चरणों की बारीकियों में विशेषज्ञों से सीखना चाहिए। यह कैसे प्रदूषक के काढ़ा साफ करने के लिए के सवाल पर ध्यान देना के रूप में स्वास्थ्य के लिए किसी भी प्रयोग से ज्यादा महत्वपूर्ण है लायक है। पुराने कारीगरों, bootleggers फ्यूज़ेल तेल और बुरा odors साबित तरीके दूर करने के लिए सलाह दी जाती है। यह लकड़ी का कोयला, बेकिंग सोडा, पोटेशियम परमैंगनेट, दूध, vymorozki विधि का उपयोग करने, और पीने के आप मसालों और जड़ी बूटियों की एक किस्म पर जोर देते हैं सकता है के सुखद खुशबू को परिपूर्ण करने के लिए लायक है। चांदनी किसी भी दावत में नियमित रूप से, गांवों में न केवल हैः यह सराहना की है और कई द्वारा प्यार करता था, उनकी स्थिति और उम्र की परवाह किए बिना। अपने गुलदस्ता और स्वाद कृपया पीने के लिए, आपको पता होना चाहिए कि कैसे निर्माताओं इस प्रक्रिया को याद किया है, उनकी खुद की गंध से काढ़ा साफ करने के लिए।
अमित शाह ने लोगों के घरों का दौरा करते हुए कहा कि आज हमने 11 घरों में जाकर अपना डोर-टू-डोर अभियान शुरू किया है। Tamil Nadu Assembly Election 2021: 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2021) में प्रचार के लिए केंद्रीय मंत्री लगातार काम कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) पोन राधाकृष्णन के प्रचार के लिए रविवार को कन्याकुमारी पहुंचे। शाह ने पहले सुचिंद्रम मंदिर का दौरा किया और फिर पार्टी के विजय संकल्प महासंपर्क अभियान की शुरुआत कर दी। ये डोर टू डो अभियान है। अमित शाह ने लोगों के घरों का दौरा करते हुए कहा कि आज हमने 11 घरों में जाकर अपना डोर-टू-डोर अभियान शुरू किया है। मुझे विश्वास है कि इस बार के चुनाव में एआईएडीएमके-बीजेपी-पीएमके सरकार तमिलनाडु में बनेगी। कन्याकुमारी में उपचुनाव 6 अप्रैल को तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के साथ होंगे। लोकसभा उपचुनाव के लिए रविवार को भाजपा के चुनाव प्रचार की शुरुआत की और विश्वास जताया कि पार्टी न केवल यहां जीतेगी बल्कि अगले महीने के विधानसभा चुनाव में भी राजग विजयी होगा। शाह का तमिलनाडु का यह दूसरा दौरा है। पिछले रविवार को उन्होंने चेन्नई का दौरा किया और मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी और उनके डिप्टी ओ पन्नीरसेल्वम से मुलाकात की थी। शाह जिले के सुसींद्रम से चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि पार्टी को विश्वास है कि 6 अप्रैल के चुनाव के बाद यहां एनडीए गठबंधन की जीत होगी। अभी हाल ही में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) ने शुक्रवार को आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 के लिए अपने 6 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। जिसमें सीएम के पलानीस्वामी एडादादी से चुनाव लड़ेंगे, जबकि डिप्टी ओ पन्नीरसेल्वम को बोदिनायकनूर विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा गया है।
- Prime Minister Narendra Modi Video Conferencing के जरिए PM मोदी ने आम आदमी के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की खुदरा प्रत्यक्ष योजना (Retail Direct scheme) और रिजर्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (Integrated Ombudsman scheme) की शुरुआत का ऐलान किया । नई दिल्ली, । PM नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को RBI की कस्टमर सेंट्रिक पहल (Customer Centric Initiative) के तहत शुरू की गई दो स्कीमों को लॉन्च किया। Video Conferencing के जरिए PM मोदी ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की खुदरा प्रत्यक्ष योजना (Retail Direct scheme) और रिजर्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (Integrated Ombudsman scheme) की शुरुआत का ऐलान किया। इस मौके पर PM मोदी ने कहा कि रिटेल डायरेक्ट स्कीम (RDG) के आने से निवेशकों के बड़े वर्ग को निवेश का एक और प्लेटफॉर्म मिल गया है। खासकर छोटे निवेशक इससे ज्यादा लाभान्वित होंगे। वहीं एकीकृत लोकपाल योजना ग्राहकों के हितों की रक्षा करने वाली है।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह ने कहा कि कुछ समय के लिए घर-घर जाकर वैक्सीन लगाना व्यावहारिक और संभव नहीं है. बिस्तर से नहीं उठ सकने वाले मरीज, बुजुर्ग या शारीरिक रूप से कमजोर और घर से बाहर जाने में अक्षम लोगों के लिए घर-घर जाकर वैक्सीनेशन (Door to Door vaccination) शुरू करने की संभावनाओं पर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने सवाल किया था. इसका जवाब देते हुए केंद्र ने कहा कि घर-घर जाकर वैक्सीन देने की फिलहाल कोई नीति नहीं है. घर-घर वैक्सीनेशन के विरोध में केंद्र की यह नीति विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए दिशा-निर्देशों पर आधारित है. सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट को यह जवाब दिया. सिंह ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों और नगर निकायों ने केंद्र के परामर्श और दिशा-निर्देशों को नज़रअंदाज़ करने का फ़ैसला किया था और वे कुछ खास नागरिकों के लिए घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी वैक्सीन लगा रहे थे. लेकिन अब तक इस तरह के अभियान को राष्ट्रीय नीति के तौर पर लागू करना संभव नहीं था. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ के सवालों का जवाब देते हुए केंद्र सरकार की ओर से अनिल सिंह ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य़ मंत्रालय को लिखे पत्र में बीएमसी द्वारा बुजुर्गों, बिस्तर पर पड़े लोगों और इस तरह के अन्य नागरिकों को घर-घर जाकर वैक्सीन देने की अनुमति मांगी गई है. लेकिन इस तरह के अभियानों के ख़िलाफ़ केंद्र की नीति स्पष्ट है. कुछ राज्य एवं नगर निकाय घर-घर जाकर वैक्सीन चलाने का अभियान चला रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय नीति का अनुसरण होना चाहिए. केंद्र की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह ने कहा कि कुछ समय के लिए घर-घर जाकर वैक्सीन लगाना व्यावहारिक और संभव नहीं है. वैक्सीनेशन के बाद कुछ समय तक लोगों को ऑब्जर्वेशन पर रखना पड़ता है. इसके अलावा घर-घर जाकर वैक्सीन देने में वैक्सीन खराब होने का खतरा है. ऐसे कई व्यावहारिक कारण हैं जो घर-घर वैक्सीनेशन की नीति अपनाने से हमें रोकते हैं. लेकिन केंद्र समय-समय पर अपनी नीति में सुधार कर रहा है और भविष्य में शायद केंद्र घर-घर जाकर टीका लगाने की अनुमति दे सकता है. सिंह ने कहा कि कई राज्यों में इस तरह के वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाए गए, केंद्र द्वारा उन्हें मना नहीं किया गया. इस पर जब ने बीएमसी से पूछा कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के दिशा-निर्देश विरोधाभासी हुए तो बीएमसी क्या करेगी? यानी केरल सरकार की तरह महाराष्ट्र की राज्य सरकार भी घर-घर जाकर वैक्सीन देने की अनुमति देती है तो बीएमसी किसके दिशा-निर्देशों का पालन करेगी? इसके जवाब में बीएमसी की ओर से वकील अनिल साखरे ने कहा कि बीएमसी राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करेगी. बीएमसी के वकील ने कहा कि बीएमसी की ओर से सारी व्यवस्थाएं तैयार हैं. बिस्तर पर पड़े लोग, विकलांग या ऐसे बुजुर्ग जो वैक्सीन लेने के लिए घर से बाहर नहीं जा सकते, उन्हें घर जाकर वैक्सीन देने की योजना पर राज्य सरकार काम कर रही है. राज्य सरकार के दिशा-निर्देश मिलने का इंतज़ार है. जैसे ही निर्देश मिलेगा बीएमसी उसके मुताबिक घर-घर जाकर वैक्सीन देने की मुहिम को अमल में लाएगी.
मेष राशि (Aries) च, चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ : मेष राशि वाले अपने कार्यों में रूचि लेंगें। पद व प्रतिष्ठा बढ़ने की उम्मीद भी कर सकते हैं। भूमि तथा संपत्ति का कार्य हल होगा। व्यावसायिक उन्नति से समस्याओं का समाधान होगा। व्यापारियों के लिए वंशानुगत व्यापार में संशोधन करना होगा। साथी से भी आपको मनोवांछित सहयोग मिल सकता है। सप्ताह के मध्य में शत्रु परेशान करने की कोशिश करेंगे, परन्तु आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे। प्यार के विषय में : इस सप्ताह आपके प्रेम संबंध में समय रोमांटिक बीतेगा। करियर के विषय में : बेरोजगार जातकों को नौकरी के अवसर मिल सकते हैं। हेल्थ के विषय में : गलत खानपान की वजह से पेट में दर्द और गैस की शिकायत रह सकती हैं। वृषभ राशि (Taurus) ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो ब बो : इस सप्ताह उधारी समाप्त करें। व्यापारियों के लिए नुकसान को भरने वाला समय है। सामाजिक गतिविधियों में भी अपना योगदान जरूर रखें। कोई भी निर्णय लेने में ज्यादा सोच विचार ना करें। नौकरीपेशा में बौद्धिकता का लाभ मिलेगा। इस सप्ताह आपकी स्थिति में सुधार हो रहा है। संतान पक्ष से शुभ समाचार मिलेगा या शुभ कार्य सम्भव है। आत्मविश्वास में कमी आएगी, शांत रहें। प्यार के विषय में : अपने रिश्ते को आगे बढ़ाते हुए अपने पार्टनर के सामने शादी का प्रपोजल रख सकते हैं। करियर के विषय में : नौकरी में पदोन्नति के साथ वरिष्ठों का सहयोग मिलेगा। हेल्थ के विषय में : मौसम की वजह से त्वचा संबंधी कोई एलर्जी हो सकती है। साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें। मिथुन राशि (Gemini) का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह : मित्रों के माध्यम से बिगड़े संबंधों की मध्यस्थता बनेगी। ध्यान रखें कि अगर किसी से कोई वादा किया है तो उसे अवश्य पूरा भी करें। अन्यथा आपकी छवि बिगड़ सकती हैं। दूसरों के मसले सुलझाने में आपका कोई महत्वपूर्ण कार्य रुक सकता है। व्यापारियों के लिए पारंपरिक क्षेत्र में विशेष लाभ का योग है। व्यवसाय हेतु विज्ञापन का उपयोग करते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे। प्यार के विषय में : अविवाहित जातकों के लिये विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। करियर के विषय में : अपने कार्य क्षेत्र में नाम कमाने का अवसर आपको प्राप्त होगा। हेल्थ के विषय में : एसिडिटी बढ़ सकती है। खान-पान पर ध्यान देना होगा। कर्क राशि (Cancer) ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो : इस हफ्ते आप ऊर्जावान रहेंगें। सामाजिक गतिविधियों में भी आपकी सक्रियता बढ़ सकती है। आपको अपने प्रतिस्पर्धियों से थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता रहेगी। आर्थिक दृष्टिकोण से किए गए प्रयास में सफलता की प्राप्ति का योग है। व्यापारियों के लिए रुके लाभ का संयोग इस सप्ताह मिलेगा। नौकरीपेशा में परिश्रम का लाभ दिखाई देगा। कुटुम्ब के किसी बुजुर्ग से धनलाभ हो सकता है। प्यार के विषय में : प्रेम संबंध में आपसी प्रेम सुदृढ़ होगा एवं लव लाइफ में खुशियां प्राप्त करने के कई अवसर आयेंगे। करियर के विषय में : आयात-निर्यात कारोबार में लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। हेल्थ के विषय में : इस सप्ताह मधुमेह के रोगी अपना ख्याल रखें। सिंह राशि (Leo) मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे : कार्यक्षेत्र के लिहाज से यह सप्ताह सामान्य रहेगा। इस दौरान छोटी दूरी की यात्रा की संभावना बन रही है। रिस्की बिजनेस या सट्टा बाज़ार में पैसा लगाना भी फिलहाल गुड डिसीज़न नहीं है। कुल मिलाकर आपके लिये यह सप्ताह बहुत ही सौभाग्यशाली रहने के आसार हैं। सप्ताह के आरंभ से ही आपके मन में पैसा कमाने के कई विचार आएंगे। आप जो भी कार्य करेंगे उसमें सफलता मिलेगी। प्यार के विषय में : इस सप्ताह अपने प्रेम संबंध से संबंधित किसी भी निर्णय को टाल दें तो बेहतर होगा। करियर के विषय में : विद्यार्थियों और युवाओं को अपनी मेहनत के अनुकूल परिणाम मिलेंगे। हेल्थ के विषय में : बदलते मौसम की वजह से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। कन्या राशि (Virgo) ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो : इस सप्ताह आपके साहस में बढ़ोत्तरी होगी और आप चुनौतियों का सामना करने में समर्थ रहेंगे। इस दौरान आप विरोधियों पर हावी रहेंगे। भाग्य भी आपके साथ-साथ चलेगा। मेहनत को सफलता का मूलमंत्र मानते हुए लक्ष्य की ओर बेखौफ आगे बढ़ते रहें। अपेक्षित परिणाम जरुर मिलेंगे। आपके कार्य को कोई अटका नहीं सकेंगा। क्रोध के अतिरेक से बचें, पारिवारिक जिम्मेदारी बढ़ सकती है। प्यार के विषय में : अपने पार्टनर के साथ ज्यादा वाद-विवाद में न पड़ें। ध्यान रहे कि आपकी बातों से उनकी भावनाएं आहत न हों। करियर के विषय में : नौकरी में तरक्की के अवसर मिलेंगे, संपत्ति का विस्तार हो सकता है। हेल्थ के विषय में : स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परंतु फिर भी दिनचर्या और खान-पान के प्रति सजग रहना बहुत जरूरी है। तुला राशि (Libra) रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते : इस सप्ताह आप धर्म-कर्म के कार्यों में आप अधिक रुचि दिखाएंगे। विद्यार्थी वर्ग अध्ययन में एकाग्रता की कमी महसूस करेंगे। संतान पक्ष प्रसन्न रहेगा। इस सप्ताह पॉलिटिक्स में आशातीत सफलता मिलेगी। बुधवार के बाद गृह निर्माण सम्बन्धी कोई कार्य प्रारंभ होगा। आय में व्यवधान आ सकते हैं, खर्चों में वृद्धि होगी। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जा सकते हैं। प्यार के विषय में : आपके दांपत्य जीवन में परेशानियां बढ़ने की संभावनाएं बन रही हैं। करियर के विषय में : मैनेजमेंट व आईटी जॉब के करियर में प्रगति की सम्भावना है। हेल्थ के विषय में : स्वास्थ्य के मामले में लापरवाही बिल्कुल भी न बरतें। वृश्चिक राशि (Scorpio) तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू : इस सप्ताह परिवार संग कोई बड़ा धर्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं। अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। जोखिम वाले क्षेत्र में धन निवेश का निर्णय फिलहाल न ही लें तो बेहतर रहेगा। अत्यधिक सोच का शिकार होंगे। सरकारी विघ्नों अथवा कानूनी जटिलताओं से आपके व्यवसाय की गति धीमी पड़ सकती है। टैक्स बचाने के लिए आपको अभी निवेश की व्यवस्था करनी पड़ेगी। प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा करते रहें। प्यार के विषय में : आप अपने जीवनसाथी के साथ अपनी लव लाइफ में ख़ुश रहेंगे। करियर के विषय में : जॉब में प्रगति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यवसाय को लेकर रुके कार्य बनेंगे। हेल्थ के विषय में : स्वास्थ्य संबंधी कोई विकार परेशान कर सकता है इसलिए सेहत पर ध्यान दें। धनु राशि (Sagittarius) ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे : इस सप्ताह आर्थिक नुकसान सम्भव है। व्यावसायिक रुप से थोड़ा संभलने की आवश्यकता रहेगी। हालांकि आपका प्रदर्शन काफी अच्छा रहेगा लेकिन जरा सी लापरवाही आपके किये कराये पर पानी भी फेर सकती है। सप्ताह के मध्य में थोड़ा चिंताकारी सृष्टी का सृजन होगा। पुराने मित्रों के साथ मुलाकात होगी साथ ही नये मित्र बनेंगे जो भविष्य में आपके लिए खूब लाभदायी सिद्ध होंगे। प्यार के विषय में : इस सप्ताह प्रेम संबंधों में भी नज़दीकियां बढ़ेंगी। करियर के विषय में : नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन के लिए प्रयास करेंगे। हेल्थ के विषय में : पेट से संबंधित समस्या होने की संभावना बन रही है। मकर राशि (Capricorn) भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी : आपके कार्यों की वजह से इस सप्ताह आपको समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। कार्य क्षेत्र में आप बदलाव संबंधी जो योजनाएं बना रहे हैं, अभी उन पर अमल करने का उचित समय नहीं है। धन के लेनदेन संबंधी कार्यों में बेहतरीन सफलता मिलेगी। दान-धर्म से जुड़े परोपकारी कार्यों में भी आप बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। आपको जिस चीज की जरूरत होगी, उसकी उपलब्धता हो जाएगी। शुभता बनी रहेगा। प्यार के विषय में : आप अपनी लव लाइफ में किसी बात को लेकर पार्टनर से नाराज़ हो सकते हैं। करियर के विषय में : अपने कार्यक्षेत्र से जुड़ी नई बातों को सीखने की कोशिश करनी होगी। हेल्थ के विषय में : सप्ताह की शुरुआत में आपको अपनी सेहत का ध्यान रखने की आवश्यकता है। कुंभ राशि (Aquarius) गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा : कामकाजी जीवन में पद व प्रतिष्ठा को हानि पहुंचने के आसार हैं थोड़ा सचेत होकर कार्य करें। इस सप्ताह अपनी रुकी हुई या अटकी हुई पेमेंट को निकालने का प्रयास करें। निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी और आर्थिक स्थिति में काफी हद तक सुधार आएगा। सप्ताह की शुरुआत में भूमि, भवन और वाहन की खरीदारी सम्भव है। भौतिक सुख सम्पदा में वृद्धि होगी, परन्तु घरेलू सुख बाधित रहेगा। प्यार के विषय में : अपने लव पार्टनर को प्रपोज करने के लिए एकदम सही समय है। करियर के विषय में : छात्रों को इस सप्ताह मनवांछित सफलता मिलेगी। हेल्थ के विषय में : स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा। किसी बात या तनाव को लेकर ज्यादा परेशान न होयें। मीन राशि (Pisces) दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची : इस सप्ताह लंबी दूरी की यात्रा होने की संभावना बन रही है। कार्य क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होगी। जो जातक अपनी बिजनेस स्कील इम्प्रूव करने के लिये किसी तरह का कोर्स करना चाहते हैं तो उन्हें भी मौके मिल सकते हैं। अच्छी आमदनी के योग हैं। पारिवारिक जीवन में शांति और सद्भाव बना रहेगा। आप द्वारा किया गया पराक्रम आपको सफलता की तरफ ले जाएगा। प्यार के विषय में : विवाहित जोड़ों के बीच रिश्तों में दरार आ सकती है, एक दूसरे पर विश्वास रखें। करियर के विषय में : सप्ताह के अन्त में रोजी रोजगार में आप तरक्की करेंगे। हेल्थ के विषय में : इस हफ्ते शुगर व बीपी के मरीज सावधानी बरतें। आपने साप्ताहिक राशिफल 12 सितंबर से 18 सितंबर का सभी राशियों का rashifal पढ़ा। आप को साप्ताहिक राशिफल 12 सितंबर से 18 सितंबर का यह rashifal कैसा लगा? कमेंट करके अपनी राय जरुर दें और हमारे द्वारा बताया गया यह राशिफल अपने मित्रों के साथ भी जरूर शेयर करें। नोटः आपकी कुंडली व राशि के ग्रहों के आधार पर आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में 'साप्ताहिक राशिफल 12 सितंबर से 18 सितंबर' से कुछ भिन्नता हो सकती है। पूरी जानकारी के लिए किसी ज्योतिषी से मिल सकते हैं।
रांची : झारखंड बीजेपी प्रदेश कमेटी की नयी सूची जारी कर दी है. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के अलावा नीलकंठ सिंह मुंडा, सुनील सिंह, राज पलिवार, अन्नपूर्णा देवी, गंगोत्री कुजूर, प्रणव वर्मा, बिनोद शर्मा, अपर्णा सेन गुप्ता को प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी है. मालूम हो कि प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने नई प्रदेश कमेटी की लिस्ट लेकर दिल्ली गये थे और बीजेपी के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, झारखंड प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से मुलाकात की थी. सांसद सह प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि यह सूची पूरी तरह से संतुलित है. प्रदेश कमेटी की सूची में सभी वर्गों का ख्याल रखा गया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी देश सेवा के लिए बनी है, व्यक्ति विशेष के लिए नहीं. प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह को बनाया गया है.
ए॰ आर॰ रहमान और लगान (२००१ फ़िल्म) शॉर्टकटः मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ। ए॰ आर॰ रहमान vs. लगान (२००१ फ़िल्म) अल्लाह रक्खा रहमान लोकप्रिय रूप से ए॰ आर॰ रहमान भारतीय फिल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से हिन्दी और तमिल फिल्मों में संगीत दिया है। इनका जन्म 6 जनवरी, 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ। जन्मतः उनका नाम 'अरुणाचलम् शेखर दिलीप कुमार मुदलियार' रखा गया। धर्मपरिवर्तन के पश्चात उन्होंने अल्लाह रक्खा रहमान नाम धारण किया। ए. आर. लगान २००१ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। लगान (उर्फ़ लगानः वन्स अपॊन अ टाइम इन इन्डीया) हिन्दी चलचित्र ई.स.२००१ में भारत में प्र्स्तुत की गई थी। यह फ़िल्म आशुतोष गौरीकर की मूल कथा पर आधारित है, जिसका उन्होनेही दिग्दर्शन किया है। आमीर ख़ान इसके सहनिर्माता होने के अलावा मुख्य अभिनेता भी है। साथ मे ग्रेसी सींह, रचेल शॅली और पॉल ब्लॅकथॉर्न ने पात्र निभाये है। फ़िल्म रानी विक्टोरिया के ब्रिटानी राज की एक सूखा पीडित गांव के किसानो पर कठोर ब्रीटानी लगान की कहानी है। जब किसान लगान कम करने की मांग कर्ते हैं, तब ब्रिटानी अफ़्सर एक प्रस्ताव देतें है। अगर क्रिकॅट के खेल में उन्को गांववासीओं ने परजित किया तो लगान मांफ़। चूनौती स्वीकारने के बाद गांवनिवासीऒं पर क्या बीतती है, यही इस फ़िल्म का चरीत्र है। इस फ़िल्म की समालोचनात्म्क सरहाना के अलावा इस को कई देसी और विदेशी पुरस्कार भी मिले है। ऑस्कर के "सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म" पुरस्कार के लिये नियुक्त की गई यह तिसरी हिन्दी फ़िल्म है। इससे पह्ले "मधर इन्डीया" और "सलाम बॉम्बे" नियुक्त किये जा चुके हैं। ई.स.२००१ की यह बहुत लोकप्रिय फ़िल्म रही। ई.स.२००७ तक इस की डीवीडी की बिक्री सबसे अव्वल थी। जीतू मीना फुलवाड़ा फुलवाड़ा9057673720 . ए॰ आर॰ रहमान और लगान (२००१ फ़िल्म) आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)। ए॰ आर॰ रहमान 44 संबंध है और लगान (२००१ फ़िल्म) 29 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (44 + 29)। यह लेख ए॰ आर॰ रहमान और लगान (२००१ फ़िल्म) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखेंः
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुग्राम के खेड़की दौला क्षेत्र से दो बच्चों का संदिग्ध हालात में अपहरण हो गया था। आरोप है कि बच्चों के पिता ने ही उनका अपहरण अपने किसी रिश्तेदारों से कराया था। मेरठ से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आ रही है। यहां पर एक पिता ने अपनी पत्नी और दो बच्चों को नहर में धक्का दे दिया। दोनों बच्चों की मौत हो गई, वहीं उनकी मां बड़ी मुश्किल से बच पाई। पुलिस मामले की जांच कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुग्राम के खेड़की दौला क्षेत्र से दो बच्चों का संदिग्ध हालात में अपहरण हो गया था। आरोप है कि बच्चों के पिता ने ही उनका अपहरण अपने किसी रिश्तेदारों से कराया था। इसके बाद रिश्तेदारों से फोन कराकर पत्नी को मेरठ ले जाने की साजिश रची। आरोप है कि मेरठ पहुंचकर रिश्तेदारों की मदद से आरोपी पति ने बच्चों और पत्नी को नहर से धक्का दे दिया। आरोपी अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था और उसे लगता था कि दोनों में से कोई भी उसका बच्चा नहीं है। बहरहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है। मेरठ में मंगलवार की रात चार साल की बच्ची का अपहरण कर लिया गया। हरदोई के रहने वाला एक दंपती मंगलवार आधी रात को सोहराब गेट डिपो पर आया था। उनके साथ 4 साल और 3 साल की दोनों बेटियां साथ थीं। आरोप है कि स्कूटी पर सवार दो बदमाश वहां पर आए और चार साल की बच्ची का अपहरण कर ले गए। सूचना मिलते ही पुलिस ने नाकाबंदी की, लेकिन अपहरणकर्ताओं का कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सेक्टर-53 थाना एरिया में रंगदारी नहीं देने पर घर में घुसकर ट्रैक्टर ड्राइवर से मारपीट करने का मामला सामने आया है। पीडि़त के पास मौजूद रुपये भी आरोपी युवक छीनकर ले गए। पीडि़त की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। गुडग़ांव, (ब्यूरो): सेक्टर-53 थाना एरिया में रंगदारी नहीं देने पर घर में घुसकर ट्रैक्टर ड्राइवर से मारपीट करने का मामला सामने आया है। पीडि़त के पास मौजूद रुपये भी आरोपी युवक छीनकर ले गए। पीडि़त की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। गुड़गांव की खबरों के लिए इस लिंक https://www. facebook. com/KesariGurugram पर क्लिक करें। राजस्थान के भरतपुर निवासी शाहिद ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि वह गुडग़ांव के सरस्वती कुंज में किराए पर रहता है। वह ट्रैक्टर ट्रॉली से मलबा डालने का काम करता है। आरोप है कि गांव वजीराबाद के अनिल उर्फ गैनी, राहुल, नानू, दीपक उर्फ काले, चंकी, मोनी उर्फ नंबरदार, मुस्सी द्वारा उससे ट्रैक्टर से मलबा डालने के 10 हजार रुपए प्रति माह वसूले जाते हैं। उसने 23 जून को मंथली देने से इंकार कर दिया। जिस पर आरोपी उसके घर पर आ गए और उससे मारपीट करने लगे। आरोपियों ने उसे जान से मारने की धमकी देते हुए उससे 5 हजार रुपए छीन लिए। आरोपियों द्वारा उससे और रुपयों की मांग की जाने लगी। वारदात का शोर सुनकर जब लोग वहां पहुंचे तो आरोपी फरार हो गए। पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।
भारत के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अमित शाह ने आज मुंबई पहुंच कर बॉलिवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक रोहित शेट्टी (Rohit Shetty) से शिष्टाचार भेंट की। रोहित शेट्टी से केंद्रीय गृहमंत्री की मुलाकात को बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि रोहित शेट्टी भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीस के एक सफलतम निर्माता निर्देशक हैं और देश विदेश में उनके और उनकी बनाई फिल्मों के प्रशंसक काफी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक रोहित शेट्टी से मुलाक़ात के बाद मुंबई के प्रसिद्ध गणेश उत्सव पंडाल लालबाग़ का राजा के भी दर्शन करेंगे। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दोपहर तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से भी औपचारिक भेंट करेंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी अमित शाह मुलाक़ात करेंगे। केंद्रीय गृहमंत्री के द्वारा महाराष्ट्र में की गई इन बैठकों को आने वाले बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
नई दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, तेजी से 3 करोड़ से अधिक लोगों के परीक्षण के साथ ही भारत ने एक और मिसाल दर्ज की है। कोविड-19 से ठीक होने वाले लोगों की कुल संख्या (20,37,870) आज 2 मिलियन को पार कर गई है। इसके अलावा देश में पिछले 24 घंटों में एक ही दिन में अब तक सबसे अधिक 60,091से ज्यादा लोगों के ठीक होने की एक और उपलब्धि दर्ज की गई है। इतनी बड़ी संख्या में कोविड -19 रोगियों के ठीक होने और अस्पतालों तथा घरों में पृथकवास (बीमारी के हल्के और मध्यम मामले में) से छुट्टी मिलने के साथ ही इस बीमारी से ठीक होने की दर 73% (73. 64%)को पार कर गई है। इससे भी मृत्यु दर (केस फेटलिटी रेट) में गिरावट दर्ज की गई है,जो आज 1. 91% के अब तक के निम्न स्तर पर है। कोविड-19 बीमारी से ठीक होने की रिकॉर्ड संख्या से यह सुनिश्चित हुआ है कि देश पर इस बीमारी का वास्तविक भार कम हुआ है यानी सक्रिय मामलों की संख्या में कमी आई है और यह वर्तमान में कुल सकारात्मक मामलों के एक चौथाई (केवल 24. 45%)से भी कम है। इस बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की अधिक संख्या और मरने वालों की घटती संख्या से यह पता चलता है कि भारत की क्रमिक कार्यनीति सफल रही है। भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों (6,76,514)की तुलना में ठीक होने वाले की संख्या 13,61,356 अधिक है। As an independent media platform, we do not take advertisements from governments and corporate houses. It is you, our readers, who have supported us on our journey to do honest and unbiased journalism. Please contribute, so that we can continue to do the same in future.
इटली में, तैयार किए गए पास्ता (यानी, पास्ता) आमतौर पर कुछ सॉस के साथ परोसा जाता है। सबसे लोकप्रिय इतालवी सॉस में से एक पेस्टो सॉस है । पेस्टो सॉस का आधार जैतून का तेल, तुलसी और कसा हुआ पनीर है (कुछ संस्करणों में, कुछ अन्य अवयवों को जोड़ें)। हम "ग्रुप ए" लेबल पर लेबल किए गए उच्च गुणवत्ता वाले पास्ता (पास्ता) का चयन करते हैं, जिसका अर्थ है कि पेस्ट उच्च गुणवत्ता का है और सर्वोत्तम हार्ड किस्मों के गेहूं से बना है। तैयार किए गए पेस्टो सॉस को सुपरमार्केट में खरीदा जा सकता है या हमारी वेबसाइट पर नुस्खा मिल सकता है । यदि आप पेस्टो सॉस के साथ पास्ता के साथ कुछ करना चाहते हैं, तो पहले से कुछ और पकाएं (उदाहरण के लिए, मशरूम के साथ स्ट्यूड चिकन)। पास्ता भी अंतिम रूप से, भोजन से ठीक पहले, अलग से तैयार किया जाता है। 1 सेवारत के लिए आपको शुष्क पास्ता के 80-100 ग्राम की आवश्यकता होती है। पेस्ट की आवश्यक मात्रा उबलते पानी के कंटेनर में रखी जाती है और 5-15 मिनट के लिए अल डेंटे की स्थिति में पकाया जाता है, जिसके बाद हम पेस्ट को कोलांडर में ले जाते हैं, कुल्ला नहीं। पास्ता के लिए सबसे अच्छा खाना पकाने का समय 8-10 मिनट है। अब आप पास्ता को पेस्टो सॉस जोड़ सकते हैं, आपको एक पूरी तरह से आत्मनिर्भर पकवान मिल जाएगा, और कुछ भी जोड़ना जरूरी नहीं है। आप दिन के दौरान किसी भी भोजन के लिए पेस्टो सॉस के साथ पास्ता की सेवा कर सकते हैं। यदि पेस्ट उच्च गुणवत्ता वाला है, तो सही ढंग से वेल्डेड किया जाता है और सामान्य अनुपात में उपयोग किया जाता है, तो आप आकृति की सद्भावना के बारे में चिंता नहीं कर सकते हैं। चिकन और मशरूम के साथ पेस्टो सॉस के साथ पास्ता। सामग्रीः - त्वचा और हड्डियों के बिना चिकन मांस - 600 ग्राम; - प्याज - 1 पीसी। - मशरूम - 200 ग्राम; चिकन मांस कटा हुआ है छोटे टुकड़े, साथ ही मशरूम और प्याज। हम पैन में तेल गरम करते हैं। सभी को हल्के ढंग से तलना, स्पुतुला को उत्तेजित करना, गर्मी को कम करना और 20 मिनट तक उबाल लें। इस मिश्रण को समाप्त पास्ता और पेस्टो सॉस के साथ परोसें। हरी किरण जोड़ने और लाइट लाइट टेबल वाइन की सेवा करना भी अच्छा है। रोटी की जरूरत नहीं है। पेस्टो सॉस के साथ पास्ता स्वादिष्ट और झींगा के साथ है। श्रिंप जमे हुए, कच्चे या थोड़ा पकाया जाता है। चयन करते समय, समाप्ति तिथि की जांच करना सुनिश्चित करें। आमतौर पर पैकेजिंग को विस्तार से वर्णित किया जाता है, साथ ही झींगा को पूरी तैयारी में पकाने के लिए किस समय के दौरान। अलग-अलग, पास्ता और झींगा उबालें, पानी निकालें, थोड़ा ठंडा करें और पेस्टो सॉस के साथ परोसें।
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
"आयो सखी सावन, मदन सरसावन, लाग्यो है बरसावन सलिल चहुँ ओर तैं । " में कैसी सुन्दर पद-मंत्री है । इसकी ध्वनि बड़ी कर्णप्रिय है । श्लेष चमत्कार सेनापति की अपनी विशेषता है । ऐसी सुन्दर श्लेष इतने अधिक और किसी कवि ने नहीं लिखे हैं । श्लेष तथा अन्य अलंकार - सौदर्य के लिए प्रश्न संख्या ७ देखिये । सेनापति जी की भाषा शुद्ध और साहित्यिक व्रज भाषा है । कवि का भाषा पर साधारण अधिकार विदित होता है । शब्दविन्यास सरस और पदलालित्य मनोहर है । उनकी सी सरस सुसंघटित, सजीव और मंजी हुई भाषा बहुत कम कवियों की है । व्रज-भाषा में तोड़-मरोड़ देव और बिहारी ऐसे सिद्ध कवियों ने भी की है । पर सेनापति ने बहुत कम तोड़-मरोड़ की है । माधुर्य और प्रसाद का सुन्दर समन्वय सर्वत्र ही मिलेगा । व्रज-भाषा का बनावटीपन उसमें तनिक नहीं है । अवधी या बुन्देली आदि भाषा के रूप इनकी भाषा में बिल्कुल नहीं मिलते । "सेनापति नैक दुपहरी के बरत" में नैक और ढरत शब्द भाषा का स्वाभाविकता दिखाते हैं । कवि सर्वत्र ही 'रग' के स्थान पर 'न' का प्रयोग करता है । जिससे भाषा का सौंदर्य तो बढ़ता ही है उसकी स्वाभाविकता भी बढ़ती है । उर्दू के प्रचलित शब्दों का भी भरसक प्रयोग कम ही है । है भी, तो उसमें भाषापन आ गया है । जैसे :- "तहखानन" शब्द में 'ख' के स्थान पर 'ख' तथा उसका व्रजभाषा का बहुवचनान्त प्रत्यय उसे सर्वथा व्रजभाषा के रंग में रंग देता है । 'व' र' के स्थान पर कवि 'उ' और 'इ' का प्रयोग करके उसमें भाषा का सौंदर्य ला देता है । जैसे : - 'पाउक', 'भाउ', 'कराइ', 'इ', । संक्षिप्त में कविवर सेनापति सरस मुक्तकों के रचियता हैं। उनकी कविता में स्वाभाविकता के साथ कल्पना और उक्ति वैचित्र्य की प्रधानता है । भाषा की सिकता, आलंकारिकता और शुद्धता अनुपम है । भावों का स्वरूप सर्वत्र ही निखरा हुआ और सजीव है । कवि की दृष्टि प्रधानतया भाषा के कलापक्ष पर है पर भावों को न बिगड़ने देने की ओर भी उसका पूर्ण ध्यान है। भक्तिविषक कविताओं में उसकी दृष्टि भावों की ओर हो जाती है। फिर भी कविता के प्रसिद्ध कवि की पदावली द्वितीय पत्र-रीति-काव्य : सेनापति बैसी ही सजी और अलंकृत स्वतः बनती जाती है। इनका प्रकृति-वर्णन मध्यकालीन कवियों में सर्वश्रेष्ठ है। उसमें प्रकृति के साथ मानव-भावनाओं का पूर्व सामञ्जस्य स्थापति किया है । शृंगार के उद्दीपन की सामग्री तो इन्होंने प्रस्तुत की ही है । उसमें कहीं-कहीं प्रकृति का सूक्ष्म एवं पंश्लिष्ट चित्ररण भी है । इन्ही गुरणों से इनका षट् ऋतु वर्णन हिन्दी साहित्य में सर्वप्रिय है । चाहे उनकी कविता इतनी मूल्यवान् न हो जितनी सेनापति जी स्वयं समझते थे और जिसके कारण उसके चोरी जाने का उन्हें बडा भय था, पर उसकी उत्कृष्टता में किसी को संदेह नहीं हो सकता । वे हिन्दी के मध्यकालीन अच्छे कवियों की मंडली के सेनापति हो सकते हैं । प्रश्न - ६ सेनापति को भक्त या रीति सम्बन्धी कैसा कवि और क्यों मानते हैं ? उत्तर - यद्यपि सेनापति जी की कविता में श्लेष, उपमा और उत्प्रेक्षा आदि का आग्रह है तथापि भावना की दृष्टि से वे शुद्ध भक्त थे । उन्होंने रामायण और राम रसायन की रचना की है । श्लेष वन में भी उन्होंने राम, सीता, सूर्य और शिव पर कवित्त रचे हैं । वे राम के उत्कृष्ट भक्त थे । रामरसायन तो भगवान् राम के ईश्वर निरूपण में ही अधिकांश लिखा गया भगवान् राम ही उनके एकमात्र आधार थे. जैसा कि उन्होंने व्यक्त किया है - ऐसे रघुवीर हृ सुनावौं पीर बन्धु भीर आगे सेनापति भली मौन है । साँवरे बदन, ताही सारंग-धरन दूजौ दुःख-हरन हमारौ और कौन है।" भगवान् की कृपा और अपनी शुद्ध भक्ति पर उन्हें पूर्ण भरोसा था आर इसके बल पर वे कलिकाल की कोई परवाह नहीं करते थे । वे जानते थे कि उनकी भक्ति सच्ची है भगवान् उन्हें अच्छी प्रकार जानते हैं, इसलिए वे कहते हैं कि हनुमान, विभीषगा आदि भी अभिमान छोड़ कर मेरा सम्मान करते हैं । मोहि महाराज आप नीके पहिचान, रानी जानकीयौ जाने हेत लछन कुमार को । विभीषन हनुमान, तजि अभिमान मेरौ करें सनमान जानि बड़ी सरकार को । ऐरे कलिकाल ! मोहिं कालौ न निदर सकै, तू तौ मतिमूढ़ अति कायर गँवार को । 'सेनापति' निरधार पाइ मोक्ष वरदार, हौं तो राजा रामचन्द्र जू के दरबार को ।। सेनापति जी भी राम कृपा का वर्णन कवि-समाज के लिए आवश्यक मानते थे । उनकी भी धारणा थी कि बिना राम गुरणगान किए कवि को मुक्ति नहीं मिलती । वे गंगा के भी परम भक्त थे और राम कथा को गंगा की धारा सकते थे तीरथ सरव सिरोमन सेनापति जानी, राम की कहानी गंगा धार सो बखानी है।" सेनापति जी को काव्य के सम्बन्ध में चमत्कार और अलंकार वृत्ति प्रियं थी । शब्द-चमत्कार औौर शब्द-सौंदर्य को ही वे काव्य का लक्ष्य मानते थे । फिर भी राम-काव्य की रचना में इस वृत्ति को छोड़ने को तैयार थे और उसमें दोषों की स्थिति भी उन्हें स्वीकार थीहोति निर्दोष, रवि जोति सी जगमगाती, तहाँ कविताई कछु हेतु न धरति है । ऐसोई सुभाव हरि कथा कौं सहज जातैं, दूपन बिना ही भूपन सौं सुधरति है। कीने हैं कवित्त कछु राम की कथा के तामैं, दीजिए न दूपन कहत सेनापति है । ही विचारों तुम जहाँ खर दूषन है, सो अखर दूषन सहित कहियतु है । राम नाम के प्रति भी उनकी ऐसी ही आस्था थी जैसी तुलसीदास आदि अन्य भक्तों की । राम नाम ही सव मन्त्रों का मन्त्र है, वेद का सार है । इसी कार लेकर शिव, हनुमान, विभीषरण, वाल्मीकि आदि महान् बने । राम नाम तो कामधेनु है - सिवजू को निद्धि, हनुमान हू की सिद्धि, विभीषन की समृद्धि बाल्मीकि बखान्यौ है । द्वितीय पत्र - रीति-काव्य : देव विधिको धार, चारयौ वेदन को मार, जय जज्ञ को सिंगार, सनकादि उर आयो है । सुधा के समान, भोग मुकुति निधान, महा मंगल निदान सेनापति पहिचान्यो है । कामना को कामधेनु, रसना को बिसराम धरम को धाम राम नाम जग जान्यो है ।। सेनापति जी ने गोस्वामी तुलसीदास जी की भांति बड़ी रामायण की रचना नहीं की, केवल ७६ छंदों में राम-कथा कह दी और राम-कथा में भी उन्होंने तुलसीदास का आधार न लेकर वाल्मीकि का आधार लिया। उन्होंने तुलसीदास का उल्लेख भी नहीं किया यद्यपि कवित्त रत्नाकर के रचना काल ( सं० १७०६ ) से पूर्व तुलसी रामायण की काफी प्रसिद्धि हो चुकी थी । फिर भी सेनापति की भक्ति और विचार-धारा गोस्वामी जी के सदृश ही थी । राम को यह परब्रह्म मानते थे और उनके निराकार और साकार दोनों रूपों को मानने को तैयार थे । "हगन सो देखै विस्व रूप है अनूप जाकौं, बुद्धि सौं बिचारै निराकार निराधर है ।।" भगवान् भक्त वत्सल हैं और सेवक के दुःखों को बड़ी प्रसन्नता और तत्परता से दूर करते हैं - "अरकर अंकुश विदारयौ हरिनाकुस है, दास कौं सदा कुशल देत जे हरष हैं ।। " सेनापति जी तो तुलसीदास जी से भी अधिक भगवान् पर दृढ़ विश्वास करते हैं। तुलसीदास की तो विनय पत्रिका पर भी भगवान् के हस्ताक्षर हो गये थे फिर भी वे निश्चिन्त थे पर सेनापति जी तो सर्वथा निर्द्वन्द्व थे"सोवै सुख सेनानि सीतापति जाकी सव लागे पीर ताही रघुवीर ही । " अन्य भक्तों की भांति सेनापति जी भी न केवल राम-भवत थे वरन् वे शिव और गंगा के भी परम भक्त थे । तुलसी की भांति वे शिव और रोम में अभेद तो नहीं मानते थे, शिव को राम का दास ही मानते थे पर इतना
- 8 hrs ago राम चरण की सुपरहिट फिल्म 'आरआरआर' का जल्द आएगा सीक्वल, परंतु राजामौली नहीं होगे डायरेक्टर! - 8 hrs ago Shahrukh Khan की 'जवान' प्रीव्यू पर सलमान खान का शानदार रिएक्शन, बोले, "पठान जवान बन गया, वाह. . " Don't Miss! - Travel आखिर क्यों कोई नहीं कर पाया कैलाश पर्वत की चढ़ाई? क्या है इसका वैज्ञानिक कारण? फराह खान के बाद अभिनेता विक्रांत मैसी का फेसबुक अकांउट हुआ हैक, बोले 'मेरे मैसेज इग्नोर करें' सोशल मीडिया एक ओर काफी शानदार प्लेटफॉर्म है तो दूसरी कई बार इसको लेकर लोग काफी परेशान हो जाते हैं। कभी कभी देखा जाता है कि फिल्म इंड्स्ट्री के बड़े बड़े सितारों के सोशल मीडिया अकाउंट भी हैक कर लिए जाते हैं जिसके बाद से काफी समस्या होती है। इस समय भी एक खबर सामने आ रही है कि मशहूर अभिनेता विक्रांत मैसी के साथ ऐसी ही एक घटना हुई है। दरअसल उनके फेसबुक अकाउंट को किसी हैकर ने हैक कर लिया है जिसके बाद से वो काफी ज्यादा परेशान हैं। उन्होने इस बात की जानकारी अपने फैंस को दी है। ये पहली बार नहीं है जब किसी सितारे के साथ ऐसा हुआ हो। विक्रांत ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि. . 'मेरा फेसबुक अकाउंट हैक कर लिया गया है और किसी भी तरह का मेसेज या कमेंट अगर मेरी तरफ से आते हैं तो उनको इग्नोर किया जाए। हमें इसको सही करनो को लेकर काम कर रहे हैं। ' उनका ये पोस्ट काफी चर्चा में है। इसके पहले खबर आई थी कि मशहूर फिल्ममेकर फराह खान का ट्विटर अकाउंट हैक कर लिया गया था। इस बात की जानकारी उन्होने अपने दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए दी थी। बात करें तो विक्रांत मैसी की तो आखिरी बार उनको फिल्म छपाक में देखा गया था और उन्होने दीपिका पादुकोण के साथ शानदार काम किया था। वो कई वेब सीरीज में काम कर रहे हैं।
किंच, असौ तद्वयाख्याताऽतीन्द्रियार्थद्रष्टा, तद्विपरीतो वा ? प्रथमपक्षे प्रतीन्द्रियार्थदर्शन प्रतिषेधविरोधो धर्मादौ चास्य प्रामाण्योपपत्ते "धर्मे चोदनैव प्रमारणम्" [ ] इत्यवधारणा नुपपत्तिश्च । अथ तद्विपरीत, कथ तहि तद्व्याख्यानाद्यथार्थप्रत्तिपत्ति प्रयथार्थाभिधानाशकया तदनुपपत्तो ? न च मन्वादीना सातिशय प्रज्ञत्वात्तद्वयाख्यानाद्यथार्थप्रतिपत्ति तेपा सातिशय प्रज्ञत्वासिद्धे । तेषा हि प्रज्ञातिशय स्वतः वेदार्थाभ्यासात्, श्रष्टात् ब्रह्मणो वा स्यात् ? स्वतश्चेत्, सर्वस्य स्याद्वि शेषाभावात् । वेदार्थाभ्यासाच्चेत् किं ज्ञातस्य, अज्ञातस्य वा तदर्थस्याभ्यास स्यात् ? न तावदज्ञातस्या करना रूप विसवाद ही दिखायी उनमें तो परस्पर विरुद्ध भावना नियोग आदि देता है । वेदके व्याख्याता पुरुष अतीन्द्रिय पदार्थ के ज्ञाता हैं कि नही यह वांत भी विचारणीय है, यदि वे व्याख्याता प्रतीन्द्रिय ज्ञानी ( धर्म आदि सूक्ष्म पदार्थको जानने वाले ) हैं तब तो आप जो अतीन्द्रिय ज्ञानीका ( सर्वज्ञका ) निषेध करते हैं उसमे विरोध आवेगा तथा अतीन्द्रिय ज्ञानी धर्म आदि विषयोका प्रतिपादन कर सकते है "धर्मे चोदनैव प्रमाणम्" ऐसी आपकी प्रतिज्ञा गलत ठहरती है, क्योकि अतीन्द्रिय ज्ञानी भी धर्मादिके विषयमे प्रमाणभूत है ऐसा सिद्ध होनेसे धर्मादिके विषयमे वेद वाक्य ही प्रमाणभूत है ऐसा नियम विघटित हो जाता है । वेदके वाक्योका व्याख्यान करनेवाले पुरुप अतीन्द्रिय ज्ञानी नही हैं सामान्य है ऐसा दूसरा विकल्प माने तो उन सामान्य पुरुषोके व्याख्यानोसे यथार्थ प्रकार हो सकेगा ? वहा तो शका ही रहेगी कि क्या मालूम यह अल्पज्ञ पुरुष प्रतिपादन कर रहा है अथवा विपरीत कर रहा है ? तुम कहो कि हमारे यहा मनु आदि प्रधान पुरुष हुए है उनके सातिशय ज्ञान सूक्ष्म आदि अदृश्य पदार्थों को जानने वाला ज्ञान था अतः वे यथार्थ व्याख्यान करते थे, सो यह बात भी गलत है मनु सतिशय ज्ञान होना ही प्रसिद्ध है, उनको सातिशय ज्ञान स्वय होवेगा या वेदार्थके अभ्याससे, अदृष्ट (भाग्य) से अथवा ब्रह्माजी ? स्वत होता है कहो तो सभी पुरुषो को सातिशय ज्ञान होना चाहिये, सिर्फ मनुमे ही हो ऐसी कोई विशेषता नही दिखायी देती । वेदार्थके अभ्याससे मनु आदि का ज्ञान सातिशय होता है ऐसा माने तो प्रश्न होता है कि उस वेदके अर्थका अभ्यास ज्ञात-समझकर होगा अथवा अज्ञात बिना समझे इतिप्रसगात् । ज्ञातस्य चेत्, कुतस्तज्ज्ञप्ति स्वत, अन्यतो वा ? स्वतश्चेत्, अन्योन्याश्रय - सति हि वेदार्थाम्यासे स्वतस्तत्परिज्ञानम्, तस्मिश्च तदर्थाभ्यास इति । श्रन्यत्तश्चेत् तस्यापि तत्परिज्ञानमन्यत इत्यतोन्द्रियार्थदर्शिनोऽनभ्युपगमेऽन्धपरम्परातो यथार्थ निर्णयानुपपत्ति । प्रष्टोपि प्रज्ञातिशया साधक तस्यात्मान्तरेपि सम्भवात् । न तथा विधोऽदृष्टोऽन्यत्र मन्वादावेवास्य सम्भवादिति चेत्, कुतोऽत्रैवास्य सम्भव ? वेदार्थानुष्ठान विशेषाच्चेत्, स तर्हि वेदार्थस्य ज्ञातस्य, अज्ञातस्य वाऽनुष्ठाता स्यात् ? अज्ञातस्य चेत्, अतिप्रसग । ज्ञातस्य चेत्, परस्पराश्रयः - सिद्ध हि वेदार्थज्ञानातिशये तदर्थानुष्ठान विशेषसिद्धि तत्सिद्धौ च तज्ज्ञानातिशय सिद्धिरिति । होगा ? बिना समझे अभ्यास द्वारा सातिशय होता है ऐसा कहो तो अतिप्रसग होगाफिर तो आबाल गोपालको वेदार्थका अभ्यास होने लगेगा । वेदके अर्थको समझकर अभ्यास किया जाता है ऐसा माने तो किसके द्वारा अर्थको समझा अपने द्वारा या अन्य किसीसे १ पहली बात माने तो अन्योन्याश्रय दोष खडा होगा - वेदार्थका पर स्वत उसके अर्थका ज्ञान होवेगा और उसके होनेपर वेदार्थका अभ्यास होवेगा । अन्य किसी पुरुपद्वारा वेदार्थको समझकर अभ्यास किया जाता है ऐसा कहे तो अन्य पुरुषने भी किसी अन्य पुरुषसे वेदार्थको समझा होगा, इसतरह अतीन्द्रिय ज्ञानीको नही मानने वाले आप मीमासकके यहा अंध पुरुपोंकी परम्पराके समान दूसरे दूसरे पुरुषोकी अनवस्थाकारी परपरा तो बढती जायगी किंतु वेदके अर्थका यथार्थ निर्णय तो हो नही सकेगा । ( भाग्यसे) ज्ञानका अतिशय होता है ऐसा कहना भी गलत है, ग्रदृष्ट तो अन्य सामान्य जनो को भी होता है । मीमासक - प्रज्ञाका अतिशय करने वाला ग्रदृष्ट तो मनु आदि ही हो सकता है सर्वसाधारण जनोमे नही ? जैन - तो फिर ऐसा ग्रष्ट मनुके किस कारणसे हुआ ? वेदार्थका अनुष्ठान करनेसे हुआ कहो तो वह भी वेदार्थको जाननेके बाद किया या बिना जाने किया ? बिना जाने किया कहो तो वही अतिप्रसग होगा और जानने के बाद किया तो उस वेदार्थको कैसे जाना, उसमे वही अन्योन्याश्रयकी बात आती है - वेदार्थके ज्ञानका अतिशय सिद्ध होने पर उसके अर्थका अनुष्ठान विशेष सिद्ध होवेगा और उसके सिद्ध • प्रमेय कमलमार्त्तण्डे ब्रह्मरगोपि वेदार्थज्ञाने सिद्ध सत्यतो मन्वादेस्तदर्थप रिज्ञानातिशय स्यात् । तच्चास्य कुत सिद्धम् ? धर्मविशेषाच्चेत्, स एवेतरेतराश्रय - वेदार्थ परिज्ञानाभावे हि तत्पूर्व कानुष्ठानज नितधर्म विशेषानुत्पत्ति, तदनुत्पत्तो च वेदार्थ परिज्ञानाभाव इति । तन्नातीन्द्रियार्थदर्शिनोऽनभ्युपगमे वेदार्थप्रतिपत्तिर्घटते । ननु व्याकरणाद्यभ्यासाल्लौकिकपदवाक्यार्थप्रतिपत्तौ तदविशिष्टवैदिक पढवाक्यार्थप्रतिपत्तिरपि प्रसिद्ध श्रु तकाव्यादिवत्, तन्न वेदार्थप्रतिपत्तावतीन्द्रियार्थदर्शिना किंचित्प्रयोजनम्, इत्यप्यसारम्, लौकिक वैदिकपदानामेकत्वेप्य ने कार्थत्वव्यवस्थितेः श्रन्यपरिहारेण व्याचिख्यासितार्थस्य नियमयितु शक्ते । न च प्रकरणा दिभ्यस्तन्नियम तेपामप्यनेक प्रवृत्तेहिसन्धानादिवत् । यदि च लौकिकेनात्याहोनेपर वेदार्थ ज्ञानका अतिशय सिद्ध होगा । ब्रह्माजीसे वेदार्थको जाना है ऐसा कहो तो ब्रह्माको वेदार्थका ज्ञान है यह पहले सिद्ध होना चाहिये तब जाकर उसके ज्ञानका अतिशय सिद्ध हो सकेगा । ब्रह्माको वेदार्थका ज्ञान किससे हुआ ? धर्म विशेषसे हुआ कहो तो पहलेके समान अन्योन्याश्रय होता है - वेदार्थके परिज्ञानका जबतक प्रभाव है तबतक उस परिज्ञानपूर्वक होनेवाले अनुष्ठान विशेषसे धर्म विशेष उत्पन्न नही हो सकेगा, और धर्म विशेष के अभावमे वेदार्थ के परिज्ञानका प्रभाव रहेगा । इसलिये अतीन्द्रिय ज्ञानीको नही माननेसे वेदार्थका ज्ञान होना भी घटित नही होता है । करनेसे जैसे लौकिक पद एव वाक्योके की प्रतिपत्ति हो जाया करती है वैसे ही लौकिक पदादिके सदृश होनेवाले जो वैदिक पद वाक्य है उनके अर्थकी प्रतिपत्ति भी सिद्ध होवेगी, जिस तरह की अश्रुतपूर्व काव्य आदिके वाक्योका अर्थाभ्यास होता हुआ देखा जाता है ? इसलिये वेदार्थको जाननेके लिये अतीन्द्रिय ज्ञानीकी जरूरत होवे सो बात नही है । जैन - यह कथन प्रसार है, लौकिक पद और वैदिक पद सदृश होते हुए भी अर्थ विभिन्न है अत अन्य अर्थका परिहार करके यही अर्थ सही है ऐसा अर्थका नियम निश्चित करना अशक्य है, अर्थात् एक एक पद एव वाक्यके अनेक अनेक अर्थ हुआ करते हैं उन अनेक अर्थोमे से यहा पर यही अर्थ ग्रहण किया जायगा ऐसा निर्णय होना श्रशक्य है, यदि कहा जाय कि प्रकरणके अनुसार अर्थका निर्णय हो जाता है सो भी बात नही है प्रकरण भी अनेक हुआ करते है जैसे द्विसधानकाव्य आदिमे एक एक प्रकरणके अनेक अर्थ होते है । तथा यदि मीमासक लौकिक अग्नि आदि शब्दके दिशब्देन । विशिष्टत्वा दिकस्याग्न्यादिशब्दस्यार्थप्रतिपत्ति, तर्हि पौरुषेयेरणा विशिष्टत्वात्पौरुषेयोसौ कथ न स्यात् ? लौकिकस्य ह्यग्न्यादिशब्दस्यार्थवत्त्व पौरुषेयत्वेन व्याप्तम् । तत्रायं वैदिकोऽग्न्या दिशब्द कथ पौरुषेयत्व परित्यज्य तदर्थमेव ग्रहीतु शक्नोति ? उभयमपि हि गृह्णीयाज्जह्याद्वा । न च लौकिकवैदिकशब्दयो शब्दस्वरूपाविशेषे सकेतग्रहणसव्यपेक्षत्वेनाऽर्थ प्रतिपादकत्वे अनुच्चार्य मारगयोश्च पुरुपेरणाऽश्रवणे समाने अन्यो विशेषो विद्यते यतो वैदिका प्रपौरुषेया शब्दा लौकिकास्तु पौरुपेया स्युः । सकेते (ता) नतिक्रमेरणार्थप्रत्यायन चोभयोरपि । । न चापौरुषेयत्वे पुरुषेच्छावशादर्थप्रतिपादकत्व युक्तम्, उपलभ्यन्ते च यत्र पुरुषै सकेतिता शब्दास्त तमर्थमविगानेन प्रतिपादयन्त, अन्यथा तत्सकेतभेदपरिकल्पनानर्थक्य स्यात् । ततो ये समान ही वैदिक अग्नि आदि शब्द अर्थबोध होना मानते है तो लौकिक शब्दके समान वैदिक शब्द को भी पौरुषेय मानना होगा फिर वेद पौरुषेय कैसे नहीं कहलायेगा ? लौकिक ( जन साधारणमे प्रयोग आने वाले ) अग्नि आदि शब्दोका अर्थ पौरुषेयत्वके साथ व्याप्त है इस तरह जब सिद्ध है तब वैदिक अग्नि आदि शब्द पौरुषेयत्वको तो छोड देवे और मात्र उसके अर्थको ( वाच्य पदार्थ जो साक्षातु जलती हुई अग्नि नाम की चीज है उसको ) बतलावे ऐसा किसप्रकार हो सकता है ? वह शब्द या तो दोनो पौरुषेयत्व अपौरुषेयत्व धर्मोको छोडेगा या दोनोको ग्रहण करेगा । लौकिक शब्द और वैदिक शब्द इनमे शब्दत्व तो समान है तथा इस शब्दका यह अर्थ है इसप्रकारका सकेत ग्रहण जिसमे हो वही शब्द अर्थका प्रतिपादक बन सकता है ऐसी जो शब्दकी योग्यता है वह भी दोनो प्रकारके ( लौकिक वैदिक ) शब्दोमे समान है, दोनो ही शब्द उच्चारण किये बिना पुरुष द्वारा सुनायी नही देते इतनी सब समानता है तब कैसे कह सकते है कि लौकिक शब्द तो पुरुषकृत ( पौरुषेय ) है और वैदिक शब्द पुरुषकृत नही है ? ( अपौरुषेय है ) सकेतका अतिक्रमण किये बिना ही दोनो प्रकारके शब्द प्रर्थको प्रतीति कराते हैं ऋत. दोनोमे समानता ही है । यह भी बात है कि वैदिक शब्दोको अपौरुषेय मानते है तो उनका अर्थ पुरुपकी इच्छानुसार करना शक्य नहीं है, किन्तु देखा जाता है कि वैदिक शब्दोका पुरुप द्वारा जिन जिन अर्थोंमे सकेत किया गया है उन उन का बिना विवाद के नरर चितवचनरचनाऽविशिष्टास्ते पोरुपेयाः यथाऽभिनवक्कूपप्रासादादिरचनाऽविशिष्टा जीर्ण कूप प्रासादादय नररचितवचनाऽविशिष्ट च वैदिक वचन मिति । न चात्राश्रयासिद्धी हेतु वैदिकीना वचनरचनाना प्रत्यक्षत प्रतीतेः । नाप्यप्रसिद्ध विशेषण. पक्ष, अभिनवक्कूपप्रासादादी पुरुषपूर्वकत्वेनास्य साध्य विशेषरणस्य सुप्रसिद्धत्वात् । न च हेतो स्वरूपासिद्धत्वम्, तद्वचनरचनासु विशेषग्राहकप्रमाणाभावेनास्याऽभावात् । न चाप्रामाण्याभावलक्षरगो विशेषस्तत्रेत्यभिधातव्यम्, तस्य विद्यमानस्यापि तन्निराकारकत्वा भावात् । याशो हि विशेष प्रतीयमानः पौरुपेयत्व निराकरोति तादृशस्यास्याऽभावादविशिष्टत्वम् न पुन सर्वथा विशेषाभावात्, एकान्तेनाऽविशिष्टस्य कस्यचिद्वस्तुनोऽभावात् । श्रप्रामाण्याभावलक्षणच प्रतिपादन होता है, यदि ऐसी बात नही होती तो उन अर्थोंके भिन्न भिन्न सकेत हुआ करते है उनकी कल्पना व्यर्थ ठहरती । इसलिये निश्चय होता है कि मनुष्यो द्वारा रचे हुए शब्दोके समान ही जो शब्द है वे पौरुपेय ही है, जैसे नये बनाये हुए कूप महल आदिकी रचनाके समान पुराने कूप महल आदि होते है तो उनको पुरुषकृत ही मानते है वैदिक शब्द मनुष्यो द्वारा रचे हुए शब्दोके समान ही है अत पौरुषेय हैं । यह नर रचित वचन समानत्व हेतु ( मनुष्य द्वारा रचित शब्दके समान हो वेदके शब्द है ) आश्रय प्रसिद्ध दोष युक्त भी नहीं है, क्योकि वैदिक शब्दोकी रचना मनुष्य रचित शब्दके समान प्रत्यक्षसे ही प्रतीत होती है । इस हेतुका पक्ष अप्रसिद्ध विशेषणवाला भी नही है, सपक्ष - नवीन कूप महल आदि पुरुषकृतपना देखा जाता ही है । अत साध्यका पौरुषेय विषेपण सुप्रसिद्ध ही है, हेतुका स्वरूप भी असिद्ध नही है अर्थात् मनुष्य रचित शब्दोके स्वरूपके समान ही वैदिक शब्दोका स्वरूप है, उन शब्दोकी विशेषता वतलानेवाला कोई प्रमाण भी नही है जिससे कि वैदिक शब्दोकी विशेषता सिद्ध हो जाय । वैदिक शब्दोमे अप्रामाण्यका प्रभाव है त लौकिक शब्दोसे वैदिक शब्दोमे विशेषता मानी जाती है ऐसा भी नही कहना, वैदिक शब्दोमे अप्रामाण्यका ग्रभाव भले ही पाया जाता हो किन्तु उससे पौरुषेयत्व नही हटाया जा सकता अर्थात् श्रप्रामाण्य का अभाव वेदको अपौरुषेय सिद्ध कर देवे सो शक्ति उसमे नही है। जिसके द्वारा वेदके शब्दोका पौरुपेयत्व निराकरण किया जाय ऐसी कोई विशेषता उन शब्दोमे नही है अत विशेषो दोषवन्तमप्रामाण्यकारण पुरुष निराकरोति न गुणवन्तमप्रामाण्य निवर्त्तकम् । न च गुणवत पुरुपस्याभावादन्यस्य चानेन विशेषेण निराकृतत्वात्सिद्धमेवापौरुषेयत्व तत्रेत्यभ्युपगन्तव्यम्, तत्सद्भावस्य प्राक्प्रतिपादितत्वात् । तदभावेऽप्रामाण्याभावलक्षरग विशेषाभावप्रसगाच्च । पौरुषेये प्रासादादी हेतोर्दर्शनादपौरुषेये चाकाशादावऽदर्शनान्नानैकान्तिकत्वम् । अत एव न विरुद्धत्वम्, पक्षधर्मत्वे हि सति विपक्षे वृत्तिर्यस्य स विरुद्धः, न चास्य विपक्षे वृत्तिः । नापि कालात्ययापदिष्टत्वम्, तद्धि हेतोः प्रत्यक्षागमबाधितकर्मनिर्देशानन्तरप्रयुक्त भवतेष्यते । न च यत्र स्वसाध्यावे लौकिक शब्दसे अविशिष्ट (समान) है किन्तु सर्वथा अविशिष्ट नहीं है, कोई वस्तु ) सर्वथा समान नही हुआ करती । आपने वैदिक शब्दोमे अप्रामाण्याभाव नामका जो विशेष बतलाया वह विशेष तो मात्र अप्रामाण्यका कारण जो दोष युक्त पुरुष है उसीका निराकरण करता है, जो पुरुष गुणवान है अप्रामाण्यको हटानेवाला है उस पुरुषका निराकरण नहीं करता है। कहो कि गुणवान पुरुषका तो प्रभाव है और दोष युक्त पुरुषका निराकरण अप्रामाण्याभाव विशेपसे हो जाता है, अ वैदिक शब्द अपौरुषेय सिद्ध हो जाते है ? सो यह कथन भी अत है गुणवान पुरुषका सद्भाव है इस बातको अभी भी सर्वज्ञसिद्धि प्रकरणमे निश्चित कर आये है । तथा यह भी निश्चित है कि यदि आप मीमासक गुणवान पुरुषको नही मानते तो अप्रामाण्य का अभावरूप विशेष भी सिद्ध नही हो सकेगा उसका भी अभाव होनेका प्रसग आता है । "वैदिक शब्द पौरुषेय है ( पुरुषने बनाये हैं ) क्योकि वे मनुष्य रचित शब्दो के समान रचनावाले ही देखे जाते है" यह हम जैनका अनुमान प्रमाण वेदके अपौरुषेयत्वका निराकरण करनेके लिये प्रयुक्त हुआ है, इस अनुमानका मनुष्य रचित वचन रचना विशिष्टत्व नामक हेतु अनैकान्तिक भी नही है, क्योकि पौरुषेय प्रासाद आदि की जो रचना है उसमे तो यह हेतु पाया जाता है और अपौरुषेयभूत आकाशादिक है उस विपक्षमे नही रहता। तथा विपक्ष में नहीं जाने के कारण ही विरुद्ध दोष युक्त भी नही है, इसीको बतलाते है - जिस हेतुमे पक्ष धर्मत्व होकर विपक्षमे वृत्ति पायी जाय वह विरुद्ध हेतु कहलाता है, किन्तु प्रस्तुत हेतु विपक्षमे नही रहता है । विनाभूतो हेतुर्धमिरिण प्रवर्त्तमान स्वसाध्य प्रसाधयति तत्रैव प्रमाणान्तर प्रवृत्तिमासादयत्तमेव धर्म व्यावर्त्तयति, एकस्यैकदैकत्र विधिप्रतिषेधयोविरोधात् । प्रकरणसमत्वमपि प्रतिहेतोविपरीतधर्मप्रसाघकस्य प्रकरण चिन्ताप्रवर्त्त कस्य तत्रैव धर्मिरिण सद्भावोऽभिधीयते । न च स्वसाध्याविनाभूतहेतुप्रसाधितर्धामणो विपरीतधर्मोपेतत्व सम्भवतीति न विपरीतधर्माधायिनो हेत्वन्तरस्य तत्र प्रवृत्तिरिति । तन्न वेदपदवाक्ययोनित्यत्व घटते । नापि वर्णाना कृतकत्वत शब्दमात्रस्यानित्यत्व सिद्धौ तेषामप्यनित्यत्वसिद्धी तेषामप्यनित्यत्वोपपत्ते । तथाहि - अनित्य शब्द कृतकत्वाद् घटवत् । न च कृतकत्वमसिद्धम्, तथाहि कृतक शब्दः जैनका यह हेतु कालात्ययापदिष्ट दोष युक्त भी नही है, जिस हेतुका पक्ष प्रत्यक्ष से बाधित हो या आगमसे बाधित हो उसके बाद भी उसका प्रयोग किया जाय तो वह हेतु कालात्ययापदिष्ट नामा हेत्वाभास होता है ऐसा आप मीमासकका ही कहना है । धर्मीमे स्वसाध्य के साथ अविनाभाव रूपसे रहकर जो हेतु स्वसाध्यको सिद्ध कर देता है ऐसा विशिष्ट हेतु जहा पर रहता है वहा पर अन्य प्रत्यक्ष आदि प्रमाण प्रवृत्त होकर उस हेतुके साध्यधर्मको हटा देवे, सो हो नहीं सकता, क्योकि एक जगह एक कालमे एक ही धर्मका विधि और प्रतिषेध करनेमे विरोध आता है । प्रकरणसम नामा दोष भी हमारे हेतुमे नही है, जहा प्रति हेतु आकर साध्य धर्म से विरुद्ध धर्मको सिद्ध कर देनेकी सभावना होती है, जिसमे प्रकरण चिता होती है, ऐसे सत्प्रतिपक्षवाले हेतुको प्रकरणसम हेत्वाभास कहते है, स्वसाध्य के अविनाभावी हेतुक द्वारा साध्यधर्मी के सिद्ध होने पर ऐसा दोष नहीं आता, उस धर्मीमे विपरीत धर्म युक्त होने की संभावना नही रहती अत साध्यसे विपरीत धर्मको सिद्ध करने वाला अन्य हेतु उसमे प्रवृत्त नही हो सकता । इसप्रकार हम जैनका "नर रचित शब्द रचना प्रविशिष्टत्वात्" हेतु प्रसिद्ध विरुद्ध तक कालात्ययापदिष्ट और प्रकरणसम इन पाचो दोषोसे रहित है ऐसा सिंद्ध होता है और इसीलिये वह स्वसाध्यको ) वेदके पौरुषेयत्वको ) नियमसे सिद्ध करता है । वेदके पद एव वाक्योको नित्य रूप सिद्ध करना घटित नही होता । वेदके पद वाक्य तो पौरुषेय अनित्य ही सिद्ध होते हैं । पद और वाक्योके समान वर्णोंका नित्यपना (पौरुषेयत्व ) भी सिद्ध नहीं होता, शब्दमात्र ही फिर चाहे वे वर्णरूप हो पद रूप हो या वाक्यरूप हो सब कृतकत्व हेतु द्वारा अनित्य ही सिद्ध होते है, अर्थात् शब्द अनित्य हैं क्योंकि वे किये हुए है इस कारणान्वयव्यतिरेकानुविधायित्वात्तद्वदेव । न चेदमप्यसिद्धम् ताल्वादिकारणव्यापारे सत्येव शब्दस्यात्मलाभप्रतोतेस्तदभावे वाइप्रतीतेः, चक्रादिव्यापारसद्भावासद्भावयोर्घटस्यात्मलाभालाभप्रतीतिवत् । अनुमान शब्द अनित्यपना सिद्ध होनेपर व अनित्यपना स्वतः ही सिद्ध होता है । यह कृतकत्व हेतु प्रसिद्ध दोप युक्त भी नही है, इसीको बताते है - शब्द किया हुआ है क्योकि उसका कारणके साथ अन्य व्यतिरेक है । जैसे घट का मिट्टीरूप कारण के साथ अन्य व्यतिरेक है । शब्दका कारणके साथ अन्य व्यतिरेक होना प्रसिद्ध भी नही है तालु ओठ कठ आदि कारणोका जब व्यापार होता है तभी शब्द उत्पन्न होता है अन्यथा नही ऐसी ही सभीको प्रतीति आ रही है । जैसे कि चक्र चीवर मिट्टी आदि कारणोका अन्वय ( सद्भाव ) हो तो घट बनता है और वे कारण न होवे तो नही बनता । इसतरह वेदके पद एव वाक्य पौरुषेय ( पुरुप द्वारा रचित ) सिद्ध होते हैं तथा साथ ही अनित्य भी सिद्ध होते है क्योकि जो पौरुषेय है वह अवश्य ही नित्य होगा । मीमासक आदि परवादी वेद वाक्य के समान प्रकार दिपूर्ण वर्णमालाको भी नित्य अपौरुषेय मानते है, इस मान्यताका निरसन भी वेदके अपौरुषेयत्वका खडन होनेसे हो जाता है क्योकि यह मान्यता प्रत्यक्ष अनुमान आदि प्रमाणोसे बाधित है, कोई भी पद वाक्य या शब्द मात्र ही प्रयत्नके बिना उत्पन्न होता है । अनादिका हो ऐसा अनुभव मे नही आता है, अनुभवके आधार पर वस्तु व्यवस्था हुआ करती है यदि उसमे किसी प्रमाणसे बाधा नही आती है तो शब्द वर्ण आदि जब तालु मदिसे उत्पन्न होते हुए दिखायी दे रहे है तब बुद्धिमानोका कर्त्तव्य होता है कि वे उन्हे पौरुषेय स्वीकार करे । अस्तु । विशेषार्थ - मीमासक प्रादि वैदिक दार्शनिक ऋग्वेद आदि चारो वेदोको अपौरुषेय एव सर्वथा नित्य स्वीकार करते है, इनका कहना है कि वेदमे धर्म अधर्म दिपदार्थोका व्याख्यान पाया जाता है इन अदृश्य पदार्थोका साक्षात्कार किसी भी प्राणीको चाहे वह मनुष्य हो या देवता हो या अन्य कोई हो, हो नही सकता, इसका भी कारण यह है कि प्रतीन्द्रिय ज्ञानी सर्वज्ञका अस्तित्व नही है न था और न आगामी कालमे होगा । बस यही कारण है कि सूक्ष्मतत्वका प्रतिपादन करनेवाला वेद पौरुषेय होना चाहिए । किन्तु विचार करने पर यह बात घटित नही होती, जब वेदके पद एव वाक्य मनुष्य द्वारा रचित पद और वाक्यके समान ही है तब कैसे कह सकते हैं कि वे अपौरुषेय हैं ? रही बात अदृश्य पदार्थके व्याख्यानकी सो सर्वज्ञसिद्धि प्रकरणमे इसका निश्चय कर आये है कि किन्ही किन्ही मनुष्य विशेषोके आवरण हट जानेपर पूर्ण ज्ञानकी प्राप्ति रूप सर्वज्ञता हो सकती है, मीमासक सर्वज्ञको नही मानते किन्तु यह मान्यता उन्हीसे बाधित होती है, क्योकि वेदके पद एव वाक्योका अर्थ करनेवाला व्याख्याता पुरुष यदि अल्पज्ञानी है तो वह अतीन्द्रिय पदार्थका ज्ञाता नहीं होनेसे विपरीत प्रतिपादन कर देगा और सर्वज्ञ है तो प्रतिज्ञा हानि नामक दोष ( सर्वज्ञ नही है ऐसी मान्यतामे दोष ) आयेगा । अत निश्चित होता है कि वेदके वाक्य पद एव वर्ण पुरुपकृत है अपौरुपेय नही है । ।। वेदापौरुपेयत्ववाद समाप्त ।। वेद अपौरुषेयत्ववाद का सारांश पूर्वपक्ष - मीमासक - हमारी मान्यता है कि वेद अपौरुषेय है किसी पुरुष द्वारा उसकी रचना नही हुई है क्योकि पुरुष को प्रतीन्द्रिय पदार्थ का ज्ञान नही होता है, आदि बहुत से अतीन्द्रिय पदार्थोका कथन नही कर सकता है, तथा यह रागी, द्वोपी है इसलिये विपरीत अर्थ का प्रतिपादन भी कर सकेगा इत्यादि अनेक कारणोसे हम मीमासक वेद का कोई कर्त्ता नही मानते है । अनुमान के द्वारा भी वेद पौरुषेय सिद्ध होता है " वेद अपौरुषेय है क्योकि उसके कर्त्ता का स्मरण नही है" । स्मरण प्रत्यक्ष पूर्वक होता है किंतु वेद कर्त्ताका प्रत्यक्ष ज्ञान किसी को भी नही है । परम्परासे स्मृति चली ना तभी सम्भव है जब पहले किसी न किसी को वह कर्ता प्रत्यक्ष हो । इस तरह मर्यमाण कर्तृत्व हेतु वेदको अपौरुषेय सिद्ध करता है । तथा - वेदाध्ययन सर्वं गुर्वध्ययन पूर्वक । वेदाध्ययन वाच्यत्वादधुनाध्ययन मथा ।। १ ।। वेद का अध्ययन शुरु से गुरु द्वारा ही होता चला आया है क्योकि वह वेदका अध्ययन है जैसे वर्तमान का अध्ययन । अतीतानागतौ काली वेदकार विवर्जितौ । कालत्वात् तद् यथा कालो वर्तमान समीक्ष्यते ॥ १॥ भूत और भविष्यत काल वेद कर्ता से रहित है, क्योकि काल रूप है । इन अनुमानके द्वारा वेद का अपौरुषेयपना अच्छी तरह सिद्ध होता है । उत्तर पक्ष जैन - यह सर्व कथन युक्ति सगत नहीं है, आप वेदके पदको पीरुपेय मानते है या वाक्य को या दोनो को ? दोनो को कहो तो वह ग्रनुमान बाधित है - वेद पोरुपेय है क्योकि पद एव वाक्य रूप है, जैसे भारतादि ग्रन्थ है । कहा कि वेद कर्ता का किसी प्रमाण से ग्रहण नही होता किन्तु यह कथन सिद्ध नही होता । तथा वेदके अपौरुपेयत्व को सिद्ध करने वाले अनुमान का हेतु असत् है । कपको है हमारे यहा वेद कर्ताका स्मरण है (जैन कालामुर नामक राक्षस को वेदका कर्ता मानते है जिसने पशु बलि की पद्धति चलाकर अन्त में मुलमा आदि का होम कराया था ) तथा चोरी आदिका उपदेश भी अपीरुपेय होनेसे मत्य
बनवा दिया है ताकि गुप्तचर पुलिस का विभाग उन्ही के नियंत्रण में रहे और उनके द्वारा वे अपनी मनमानी करने में सफल हो सके 1 रूस की तरह रूसी प्रभाव क्षेत्र में भी कम्युनिस्टो ने पुलिस शक्ति को हथियाने के अतिरिक्त प्रचार द्वारा भी अपना बल बढाया है। कभी-कभी प्रचार पुलिस से भी अधिक शक्तिशाली सिद्ध होता है । वीरो के शरीर तलवारो का सामना कर सकते है, किन्तु अधिकाश व्यक्तियों के मस्तिष्क निरंतर किये जाने वाले, एकागी प्रचार के अनिवार्य प्रभाव से नहीं बच सकते । रूसी प्रभाव क्षेत्र में गोवियत् सरकार की नीति क्या है ? प्रश्न उठता है कि रूस राष्ट्रीय भावना से प्रेरित होकर साम्राज्यवादी नीति का अनुसरण कर रहा है या वह पहले सम्पूर्ण यूरोप को और फिर समस्त एशिया को कम्युनिस्ट बनाने का षड्यंत्र रच रहा है ? इस प्रश्न का उत्तर है कि स्टालिन जैसा कूटनीतिज्ञ सदा एक हो नीति का अनुसरण नहीं करता । एक तो वह स्वभाव से ही परिवर्तनशील है और दूसरे लोगो की आखो मे धूल झोंकने के लिए भी नीति में परिवर्तन किया करता है । एक ही लक्ष्य को प्राप्ति के लिए वह कितने ही उपायो को ग्रहण करता है । यदि ये उपाय या साधन परस्पर विरोधी है तो और भी अच्छा है। इससे विरोधी विचार वालो का समर्थन प्राप्त हो जाता है और आलोक दुविधा में पड़ जाते है । सोवियत् सरकार स्लाव जाति वालो से कहती है कि रूस बडे भाई की तरह उनकी जर्मनी से रक्षा करेगा। सोवियत् प्रचारक नित्य ही इस विरोध को वढाने की चेष्टा करते रहते रहते हैं । इसमें सदेह नहीं कि चेकोस्लोवाक, वहगेरियन, युगोस्लाव और कितने ही पोल हिटलर से मुक्ति दिलाने के लिए रूसियो के कृतज्ञ है । यद्यपि जर्मनो का पतन हो गया है फिर भी उनके फिर से उठ खड़े होने का भय बना हुआ है और इसमें रूसियो का लाभ है । अधिकसे अधिक यही कहा जा सकता है कि उनके फिर से जर्मनो के चगुल में फसने की सम्भावना है । यह तो सम्भावना ही है, किन्तु रूसियो का प्रभुत्व है - आज की यथार्थता है । परन्तु फिन्लंड, बाल्टिक देश, रूमानिया, हगरी, आस्ट्रिया और अल्बानिया के निवासी तो स्लाव नहीं है । पोल स्लाव है, किन्तु वे सदा से रूसियों के कट्टर शत्रु रहे है । पोल स्लाव और कैथोलिक दोनो ही है । इसलिए सभी देशों के स्लावो की एकता का आन्दोलन पूर्वीय यूरोप के टुकड़े-टुकडे करके ही रहेगा ।
परियोजना को अपने दम पर तय करने के तीन महीने बाद नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विस्तार कार्यों के लिए नए सिरे से आमंत्रित किया है । पिछले दिसंबर में, त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट एयर ट्रांसपोर्ट कैपेसिटी एन्हांसमेंट प्रोजेक्ट, ने एशियाई विकास बैंक के ऋण के तहत विस्तार कार्यों के लिए बोलियां आमंत्रित कीं लेकिन 22 जनवरी, 2019 को अंतिम बोली प्रस्तुत करने की समय सीमा से पहले इसे अचानक रद्द कर दिया गया। परियोजना ने एशियाई विकास बैंक से यह कहते हुए ऋण नहीं लेने का निर्णय लिया कि इसकी लंबी प्रक्रिया से परियोजना धीमी हो जाएगी और अंततः वित्त वर्ष 2018 की दिसंबर में समाप्त होने वाली समय सीमा समाप्त होने के बाद लागत बढ़ जाएगी। विमानन प्राधिकरण ने कहा कि यदि वे एशियाई विकास बैंक की मंजूरी का इंतजार करते हैं , इस परियोजना के लिए निविदा जारी करने में पांच महीने लगेंगे। परियोजना के अधिकारियों ने कहा कि एशियाई विकास बैंक परियोजना की वित्त व्यवस्था के लिए अन्य स्रोतों के माध्यम से वित्त देने के लिए सहमत हो गया था, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं था कि परियोजना की व्यवस्था करने में कितना समय लगेगा। विस्तार कार्य परियोजना का चौथा पैकेज है और अवधि और लागत के मामले में यह सबसे महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि इसे पूरा होने में कम से कम तीन साल लगेंगे। एक प्रमुख घटक परियोजना के अनुसार, हवाई अड्डे के उत्तरी भाग में खड्ड को भरने के लिए 2.1 मिलियन क्यूबिक मीटर मिट्टी की आपूर्ति कर रहा है। परियोजना में लगभग 450 मीटर के टैक्सीवे का निर्माण शामिल है। परियोजना के अनुसार, 17 अप्रैल को अंतिम बोलियां आमंत्रित की गई हैं और अंतिम प्रस्तुत करने की समय सीमा 17 मई निर्धारित की गई है। त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा एयर ट्रांसपोर्ट कैपेसिटी एन्हांसमेंट प्रोजेक्ट को गैर-प्रदर्शन के लिए मूल ठेकेदार, स्पैनिश कंपनी कन्स्ट्रक्टोरा सैन्जोज़ को भेजने के बाद दिसंबर 2016 में चार पैकेज में बाँट दिया गया था। परियोजना के अधिकारियों ने कहा कि अन्य तीन पैकेज पहले ही अनुबंधित हो चुके हैं। परियोजना ने बहुत शुरुआत में एक रोड़ा बिछाया क्योंकि रनवे के विस्तार के लिए भराव के रूप में उपयोग की जाने वाली मिट्टी उपलब्ध नहीं थी। मार्च 2015 में तुर्की एयरलाइंस का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद हवाई अड्डे के बंद होने के कुछ दिनों के लिए काम किया गया था। 2015 के भूकंप और ईंधन की कमी के कारण और देरी हुई। परियोजना की पूर्णता की समय सीमा पहले 2015 और फिर 2016 तक बढ़ा दी गई थी, लेकिन उसके बाद अस्वीकार्य दिखने के बाद, तिथि को 2020 तक कर दिया गया था। संशोधित समय सीमा अब 2021 के लिए निर्धारित की गई है। एक पवित्र स्थल से मिट्टी की निकासी के विवाद के बाद मिट्टी भरने के कार्यों को निलंबित कर दिया गया था। पिछले ठेकेदार ने पशुपति खदान से मिट्टी को भराव के रूप में उपयोग करने के लिए हटा दिया था, और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई थी। अदालत ने स्थगन आदेश जारी करते हुए इसे हटाने से रोक दिया। स्पेनिश कंपनी ने 400,000 क्यूबिक मीटर मिट्टी निकालने के बाद काम बंद कर दिया। हवाई अड्डे द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 4.34 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों ने हवाई अड्डे के माध्यम से यात्रा की। 2017 में 11.70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। नेपाल में एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्री यातायात 2003 से बढ़ रहा है, 2015 में 8 प्रतिशत की गिरावट के अलावा जब देश में महा भूकंप आया था।
वास्तुशास्त्र में नौकरी और व्यापार की तरक्की के लिए भी कई उपाय बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन उपायों को करने से व्यक्ति को नौकरी और आने वाले बाधाओं का नाश होता है। वास्तुशास्त्र में नौकरी और व्यापार की तरक्की के लिए भी कई उपाय बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन उपायों को करने से व्यक्ति को नौकरी और आने वाली बाधाओं का नाश होता है। साथ ही धन से संबंधित परेशानी भी दूर होती है। वास्तुशास्त्र का यह उपाय नौकरी-व्यापार में आने वाली समस्या का समाधान करता है और धन लाभ के प्रबल का निर्माण करता है। हाथी को हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ पशु माना गया है। शास्त्रों हाथी का संबंध विघ्नहर्ता गणेश से माना गया है। इसलिए पुराने जमाने में लोग हाथी को पालते और पूजा करते थे। ऐसा माना जाता है कि हाथी पलने वाले को कभी भी धन की कमी नहीं रहती है। मौजूदा वक्त में हाथी को पलना संभव नहीं है। लेकिन इसके विकल्प के तौर पर चांदी से बने हाथी घर में रखना वास्तु के अनुसार बेहद शुभ साबित होता है। चांदी से बने हाथी रखने से घर में सकारात्मक उर्जा के साथ-साथ धन प्राप्ति के स्रोत बनते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार चांदी से बना हाथी घर या दफ्तर में रखा जाता है तो विभिन्न प्रकार का वास्तु दोष आसानी से खत्म हो जाता है। वास्तुशास्त्र में ऐसे कई वास्तु दोषों का उल्लेख है जिनकी वजह से व्यक्ति के धनवान बनने के मार्ग नहीं खुलते। यदि इन दोषों को खत्म कर दिया तो घर में लक्ष्मी का वास होता है। चांदी का बना यह हाथी कितने भी वजन का हो सकता है। इसके अलावे इसका आकर कोई निश्चित नहीं है यानि बड़ा भी हो सकता है या फिर छोटा भी। चांदी का हाथी यदि घर या दफ्तर की टेबल पर रखा जाना शुभ माना गया है जिससे धन के योग बनते हैं। इसके अलावे व्यक्ति नौकरी और रोजगार में भी तरक्की करता है। चांदी से बने इस हाथी को घर की उत्तर दिशा में रखना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना गया है।
उत्सर्पिणी के छः आरे- दुपम दुपमा, दुपमा, दुपम ग्रुपमा, सुपम दुपमा, सुषमा, सुपम सुपमा । (१) दुपमदुपमा - अवसर्पिणी का छटा यारा आदी पूनम को समाप्त होता है और सावण बढ़ी एकम को चन्द्रमा के अभिजित नक्षत्र में होने पर उत्सर्पिणी का दुपम दुपमा नामक प्रथम आरा प्रारम्भ होता है । यह आरा सपिरगी के छठे आरे जैसा है । इसमें वर्ण,गन्ध,रस, स्पर्श आदि पर्यायों में तथा मनुष्यों की गहना, स्थिति, संहनन और संस्थान आदि में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है । यह यारा इक्कीस हजार वर्ष का है । (२) दुषमा - इस आरे के प्रारम्भ में सात दिन तक, भरतक्षेत्र - जितने विस्तार वाले पुष्कर संवर्तक मेघ बरसेंगे । सात दिन की इस वर्षा से छठे आरे के अशुभ भाव रूचता उष्णता आदि नष्ट हो जायेंगे । इसके बाद सात दिन तक क्षीर मेघ की वर्षा होगी । इससे शुभ वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श की उत्पत्ति होगी । क्षीर मेघ के बाद सात दिन तक घृत मेघ बरसेगा । इस वृष्टि से पृथ्वी में स्नेह (चिकनाहट) उत्पन्न हो जायगा । इसके बाद सात दिन तक अमृत मेघ वष्टि करेगा जिसके प्रभाव से वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता आदि के वनस्पतियों अमृत मेघ के बाद सात दिन तक रसमेघ वरसेगा । रसमेघ की वृष्टि से वनस्पतियों में पांच प्रकार का रस उत्पन्न होगा और उनमें पत्र, मवाल, अंकुर, पुप्प, फल की वृद्धि होगी। नोट - नीर, घृत, अमृत और रस मेघ पानी ही बरसाते है पर इनका पानी चीर घृत आदि की तरह गुण करने वाला होता है इसलिए गुण की अपेक्षा क्षीरमेघ दिनाम दिये गये है। उक्त प्रकार से वृष्टि होने पर जब पृथ्वी सरस हो जायगी तथा वृक्ष लतादि विविध वनस्पतियों से हरी भरी और रमणीय हो जायगीत लोग मिलों से निकलेंगे। वे पृथ्वी को स सुन्दर और रमणीय देखकर बहुत प्रसन्न होंगे। एक दूसरे जुलावेंगे और खुशियाँ मनायेंगे । पत्र, पुष्प, फल या से शोभित नस्पतिया से अपना निर्वाह होते देख ने मिलन यह मर्यादा प्राज से हम लोग मासाहार नहीं करे और मासाहारी मारणी की छाया तक हमारे लिए परिहार यो (न्याज्य) होगी । इस प्रकार इस यारे में पृथ्वी रमणीय हो जायगी। मार सुखपूर्वक रहने लगेंगे। इस आरे के मनुष्यों के छहाँ सहन और हाँ सस्थान होंगे। उनकी अवगाहना बहुत से हाथ और थायु जयन्य अन्तर्मुहर्त्त और उत्कृष्ट सौ वर्ष झारी होग इस यारे जीव मर कर अपने म अनुसार चारों गतियों उत्पन्न होंगे, सिद्ध नहीं होंगे। यह यारा इमीस हजार वर्षका होगा (३) दुपम सुषमा-यालीस हजार वर्ष कम एक करोड कोडी सागरोपमका होगा। इसका स्वम्प वसर्पिणीचा आरे के सदृश जानना चाहिए । इस आरे के मनुष्यों के द सस्थान और छहाँ सहनन होंगे। मनुष्यों की अवगाहना बहुत अनुषों की होगी। आयु जघन्य अन्तर्मुहूर्त उत्कृष्ट एक करो पूर्व की होगी। मनुष्य मरकर अपने कर्मानुसार चारों गतिय में जायेंगे और बहुत से सिद्धि अर्थात् मोक्ष प्राप्त करेंगे। इस यारे में तीन श होंगे - तीकरण, चश और दशार रश । उस प्यारे म तेस तीर्थकर, ग्यारह चक्रवर्ती, नौ बलदेव नौ वासुदेव यांग नौ प्रतिरामुळे होंगे। (2) सुपम दुषमा-पट भाग दो पोगरोदरी मागगेपम का होग और मारी बातें मरमर्पिणी नीसरे समान होंगी इसके भी तीन भाग होंगे किन्तु उनका क्रम उल्टा रहेगा । अवसर्पिणी के तीसरे भाग के समान इस आरे का प्रथम भाग होगा। इसमें ऋषभदेव स्वामी के समान चौवीसवें भद्रकृत तीर्थंकर होंगे । शिल्पकलाढ़ि तीसरे आरे से चले आएँगे इसलिए उन्हें कला आदि का उपदेश देने की आवश्यकता न होगी। कहीं २ पन्द्रह कुलकर उत्पन्न होने की बात लिखी है । वे लोग क्रमशः धिक्कार, मकार और हकार दण्ड का प्रयोग करेंगे । इस आरे के तीसरे भाग में राजधर्म यावत् चारित्र धर्म का विच्छेद हो जायगा । दूसरे और तीसरे त्रिभागी के तीसरे आरे के दूसरे और पहले त्रिभाग के सदृश होंगे। (५ ६) सुपमा और सुपम सुपमा नायक पांचवें और छठे आरे के द्वितीय और प्रथम आरे के समान होंगे। विशेषावरयकभाप्य में सामायिक चारित्र की अपेक्षा काल के चार भेद किए गए हैं । (१) उत्सर्पिणी काल, (२) अवसर्पिणी काल, (३) नोउत्सर्पिणी र (४) ल । उत्सरिर्पणी पहले बताए जा चुके हैं। महाविदेह आदि क्षेत्रों में जहां एक ही आरा रहता है अर्थात् उन्नति और अति नहीं हैं, उस जगह के काल को नोउत्सर्पिणी अवसर्पिणी काल कहते हैं । द्वीप से बाहर के द्वीप समुद्रों मे जहाँ सूर्य चन्द्र वगैरह स्थिर रहते हैं और मनुष्यों का निवास नहीं है, उस जगह अकाल है अर्थात् तिथि, पक्ष, मास, वर्ष आदिकाल गणना नहीं है । सामायिक के चार भेद हैं - (१) सम्यक्त्व सामायिक (२) श्रुतसामायिक, (३) देशविरति सामायिक और (४) सर्व विरति सामायिक । पहिले के दो भेट सभी यारों में होते हैं । देशविरति और सर्वरित सामायिक उत्सर्पिणी के दुपमसुपमा तथा सुपम दुषमा ग्रारों में तथा अवसपिणी के सुपम दुपमा, दुपम सुपमा और दुपमा यारों में होते है अर्थात् इन यारों में चारों सामायिक वाले जीव होते है। पूर्व पर छहा मागे में होते है । नोउत्सपिणी वसपिरणी काल के क्षेत्र की अपेक्षा चार भाग है। देवकुर और उत्तरकुर में हमेशा सुपम सुपमा यार रहता है । हरिवर्प आर रम्यकवर्ष म सुपमा तना हैमवत और हैरण्यवत में सुपम दुपमा । पाँच महाविदेह क्षेत्रों में हमेशा दुपम सुपमा आरा रहता है। इन सभी क्षेत्रों में उत्सपिणी अर्थात उत्तरोत्तर वृद्धि या यवमपिणी अर्थात् उत्तरोत्तर ह्रास न होने से सदैव एक ही यारा रहता है । इसलिए वहाँका काल नो उत्सपिरणी यवसर्पिणी कहा जाता है । भरतादि कर्म भूमिया की जिस आरे के साथ वहाँ की समानता है वही यारा उस क्षेत्र में बताया गया है। इनमें भांगभूमियों के छहा क्षेत्रों में अर्थात तीन यारों में श्रुत और चारित सामयिर ही होते है । पूर्ववर वहाँ भी होते हैं । महानिदेह क्षेत्र में, जहाँ सदा दुपम सुपमा यारा रहता है, चारों प्रकार की सामायिक वाले जीन होते हैं। जहाँ सूर्य चन्द्रादि नक्षन स्थिर है ऐसे ढाई द्वीप से द्वीप समुद्रों में चन्द्र सूर्य की गति न होने से याल कहा जाता है। वहाँ सर्वविरति चारित्र सामायिक के सिवाय वा तीनों सामायिक मत्स्यादि जीरों में होते है। नन्दीश्वर द्वीप में विद्याचारणादि मुनियों के किसी कार्यवश जाने से यहाँ चारित्र सामायिक भी कहा जा सकता है । पूर्वधर भी वहाँ इसी तरह हो सकते है ।
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
रेवाचल - रेवारी उठा दो गई और सरदारों के हाथ ही उसका शासनभार सौंपा गया। पीछे १८४२ ई० में फिरसे एजेन्सी स्थापित हुई तथा सरदारोंका अधिकार निर्दिष्ट कर दिया गया । ६१ राज्यों में राजपिपला ही सर्वप्रधान है और प्रथम श्रेणीका सरदार समझा जाता है । छोटा उदयपुर, बारिया, सूढ़, लूनावाड़ा और बालासिनोर ये सब द्वितीय श्रेणीके हैं। इन्हें अपनी अपनी प्रजाको मृत्युदण्ड तक भी देनेका अधिकार है। बाकी ५५ राज्यों में संखेड मेवासके अधीन २६, पाण्डुमेवास के अधीन २२, दोरका मेवासके अधीन ३ हैं तथा निष्कर कदाना और संजेली राज्य ३य श्रेणीके समझे जाते हैं।. इस एजेन्सीकी आय कुल मिला कर १२२४७०८ रु० है जिनमें से १४७८२६ रु० बड़ौदा के गायकवाड़को कर देना पड़ता है। इसमें ३४१२ ग्राम लगते हैं। जनसंख्या ५ लाखके करीब है। सारी एजेन्सी में ४ म्युनिस्पलिटी, १७५ स्कूल, १५ बालिका स्कूल, छः पुस्तकालय और १ छापाखाना है । रेवाचल- सौराष्ट्र के अंदर एक पहाड़का नाम । रवादण्ड - बम्बईप्रदेशके कोलाबा जिला के अन्तर्गत एक नगर और वाणिज्य बन्दर । यह अक्षा० १८°३३ ३० तथा देशा० ७२ ५७ पू०के मध्य अलीबाग सदरले ३ कोस दक्षिण-पूर्व में अवस्थित है। यहां पुतं गीज जातिकी अनेक कीर्ति हैं। क्योंकि, एक समय यह पुगीजाधिकृत कोङ्कणराज्य के मध्य अन्तिम उपनिवेश था । यहाँका कोलिदुर्ग और नगर प्राचीर देखने लायक है । कोण्डलिका नदी मुहानेके बन्दर में नाव जहाज आदि रखे जा सकते है । यहांका जल प्रायः ३५ फुट गहरा है। शहर में रैशमी कपड़े का अच्छा कारबार चलता है । रेवारी- पायप्रदेश के गुरुगांव जिलान्तर्गत रैवारी नामक स्थानवासी बनिये जातिकी एक शाखा । ये लोग प्रधानतः सूती कपड़े बेत्रा करते हैं । गया नगरमें इन लोगका कुछ बास देखा जाता है। राजपूताना और हिन्दुस्तान के दूसरे दूसरे स्थानों में भी इन लोगोंका वास है। वहां ये लोग ऊंट, बकरे, भेंडे मादि पाल कर श्रीविका निर्वाह करते हैं। अधिकांश मनुष्य हिन्दूधर्मा. वलम्बी है, कहीं कहीं इस्लाम धर्मावलम्बी रेवारी भी देखे जाते हैं। राजपूताने के हिन्दू रेवारी बड़े चतुर तथा भट्टि अथवा दाऊदपुलोंकी तरह दुर्दान्त दस्यु हैं। पे लोग दूसरेके दल बांध कर विचरण करनेवाले ऊंट आदि पशुको इस प्रकार चुरा लेते हैं, कि उस ओर रूपाल करनेसे चमत्कृत होना पड़ता है। पहले उनमें से एक आदमी बड़ी तेजीसे पशुदल में घुस कर उस पशुको बर्छा मारता है जिसकी नजर पहले उस पर पड़ जाती है। जब क्षतस्थान से लहू निकलने लगता है तब वह बछे के मुहमें कपड़ा बांध कर लहू पोंछ लेता है। पीछे वह लहूसे तराबोर कपड़ा ले घूमाता हुआ जाता है। लड़की गंधसे मोहित दूसरा पशु ज्यों ही उसका पोछा करता है स्यों हो सभी पशु उसके पीछे चलने लगते हैं । इस प्रकार वे उन सब पशुओंको किसी निभृत स्थान में ले जा कर आपस में बांट लेते हैं । गुजरात के रेवारी अपने अपने ऊट बकरे आदिको ले कर इधर उधर विचरण करते हैं तथा उनका दूध और पशम बेच कर गुजारा चलाते हैं। रेवारी- पञ्जाबप्रदेश के गुरुगाँव जिलेकी एक तहसील । यह अक्षा० २८५ से २८ २६ ३० तथा देशा० ७६ १८ से ७६५२ पू० के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ४२६ वर्गमील है। उक्त जिले के उत्तर-पश्चिम पहाड़ी प्रदेश ले कर यह उपविभाग बना है। यहांकी मिट्टी बलुई होने पर भी स्थानीय अहीर अधिवासियोंके यश्नसे जमीन बहुत उर्वरा हो गई है। जयपुर नामक पहाड़से बहुत-सी छोटो छोटी नदियां इस उपविभागमें बहती हैं। उन नदियोंमेंसे हसवती और साहती नदी ही प्रधान है। इसमें रेवारी नामक एक शहर और २६० प्राम लगते हैं। जनसंख्या डेढ लाख से ऊपर है। यह तहसील १८२४ ई० में रिश शासनाधीन हुई । २ उक्त जिलेका एक नगर और तहसीलका विचार. सदर । यह अक्षा० २८° १२ उ० तथा देशा० ७६३८ पू० के मध्य दिल्ली से जयपुर जाने के रास्ते पर अवस्थित है। यहां रिवारी-फिरोजपुर और राजपूताना मालबा रेलपथका एक जंकशन है। यह नगर बहुत पुराना है। आज भी पीतल वरतम
मुम्बई : मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर के एक्टर बेटे रणवीर कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री से सम्बन्धित कई नायिकाओं से प्रेम सम्बन्ध रहे हैं। खबर मिली है कि रणवीर ने अब आलिया भट्ट को प्रेम में मोहित कर लिया है। आलिया भट्ट और रणबीर कपूर के लिंकअप्स के चर्चे कई दिनों से सुर्खियों में हैं। आए दिन दोनों से इस बारे में सवाल भी पूछे जाते हैं। बीते दिनों आलिया भट्ट से एक चैट शो के दौरान पूछा गया कि उनकी तस्वीरें आजकल रणबीर कपूर के साथ काफी छप रही हैं। आलिया ने इस सवाल का जवाब देने से मना कर दिया और शर्मा गईं। आलिया का चेहरा चैट शो के दौरान लाल हो गया था और उन्हें अपने दोनों हाथों से इसे छिपाना भी पड़ा था। अब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब रणबीर कपूर से आलिया और उनके लिंकअप के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बताया, 'अब मुझे आलिया पर क्रश है। ' रणबीर ने यह भी बताया कि उन्होंने आलिया की फिल्म राजी देखी और यह हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। बता दें कि रणबीर और आलिया ब्रह्मास्त्र फिल्म में साथ काम कर रहे हैं। उनके लिंकअप की खबरें इसी बीच शुरू हुईं। हालांकि आलिया कह भी चुकी हैं कि रणबीर कपूर उनके क्रश रहे हैं और उन्हें उनकी हर बात पसंद है। बीते दिनों आलिया-रणबीर सोनम कपूर के रिसेप्शन में साथ पहुंचे थे और उन्होंने पोज भी दिए थे।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच राजस्व मॉडल को लेकर खींचतान चल रही है। इसी बीच एक बड़ी बुरी खबर आयी है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज स्पिन गेंदबाज बॉब होलेंल एक घातक बीमारी से जूझ रहे हैं। 70 साल के बॉब होलेंड को मस्तिष्क का कैंसर हो गया है। बॉब होलेंड के परिवार वालों के साथ ही दोस्त भी उनकी इस बीमारी को सकारात्मक तौर पर ले रहे हैं लेकिन वो भी बॉब की इस घातक बीमारी की सच्चाई के बारे में जानते हैं। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी बॉब होलेंड को ऑस्ट्रेलिया के न्यूकेस्टले में लॉर्ड्स टेवरनर्स के समारोह में आजीवन सदस्यता के साथ सम्मानित किया गया था। इस समारोह के बाद बॉब की पत्नी कैरोनिल ने कहा था कि पूरी तरह से आश्चर्य हो रहा है। हम इस पर विश्वास नहीं कर सकते कि हम इस स्थिति मे हैं। अच्छा है कि वोे इस पद पर हैं। अब एक स्वस्थ और फिट आदमी वहां पर नहीं है। बॉब एक ऐसे गेंदबाज रहे जो अपनी लेग ब्रेक और गुगली के लिए जाने जाते थे। उन्होनें इस कठिन समय में भी बड़ी मुश्किल के साथ वहां पर भाषण दिया।
अमाला पॉल (Amala Paul) अपनी वेब सीरीज 'कुडी येदमैथे' (Kudi Yedamaithe) को लेकर इन दिनों चर्चा में हैं. इस साइंस फिक्शन को मशहूर कन्नड़ डायरेक्टर पवन कुमार ने डायरेक्ट किया है. (Instagram/Photo/AmalaPaul) सीरीज में अमला पॉल शराब की लत की शिकार एक ईमानदार पुलिस अफसर का किरदार निभा रही हैं, जिसे 16 जुलाई को ओटीटी पर रिलीज किया है. इसमें उनके काम को लेकर काफी चर्चा चल रही है. (Instagram/Photo/AmalaPaul) इसके साथ ही इन दिनों उनकी ये फोटोज भी दर्शकों का ध्यान खींच रही हैं. अमाला पॉल (Amala Paul Latest Photo Shoot) की ये तस्वीरें इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही हैं. (Instagram/Photo/AmalaPaul) ऑफ व्हाइट कलर की डीप नेक ड्रेस में Amala के ये बोल्ड पिक्स इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहे हैं. इसमें वो जितनी खूबसूरत लग रही हैं उनती ही बोल्ड और ग्लैमरस भी लग रही हैं. फैंस इसपर काफी कमेंट कर रहे हैं. (Instagram/Photo/AmalaPaul) अमला पॉल ने तमिल और मलयालम फिल्मों से अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत की थी. हाल ही में डिजिटल प्लेटफॉर्म को लेकर बढ़ रहे क्रेज पर एक्ट्रेस ने कहा था कि ये अच्छी शुरूआत है. (Instagram/Photo/AmalaPaul) अमला पॉल (Amala Paul Instagram) को इंडस्ट्री में करीब 12 साल हो चुके हैं. शुरुआत में बिना ब्रेक के उन्होंने कई फिल्मों में काम किया. कई उतार-चढ़ाव का अनुभव किया और अपनी एक जगह बनाई. (Instagram/Photo/AmalaPaul) अमला ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अब मैं उन भूमिकाओं को निभाना चाहती हूं जो मुझे चैलेंज करती हैं. अमला पॉल का कहना है, 'कुडी येदमैथे' ने मुझे एक अच्छा मौका दिया है ऐसे रोल करने का. इस पुलिस अधिकारी के चरित्र को दुर्गा कहा जाता है, एक ऐसा चरित्र जो शराब का आदी है और ईमानदार है. ये एक चुनौतीपूर्ण किरदार है'. (Instagram/Photo/AmalaPaul) इसके साथ ही अमला बॉलीवुड निर्माता महेश भट्ट निर्मित 1970 के दशक की प्रेम कहानी में भी काम कर रही हैं. सीरीज जल्द ही सामने आएगी. (Instagram/Photo/AmalaPaul) इसके साथ ही तमिल और तेलुगू में बन रही फिल्म 'कैडेवर' का उनका खुद का निर्माण भी जल्द ही पूरा हो जाएगा. (Instagram/Photo/AmalaPaul) अमाला पॉल (Amala Paul) अपनी वेब सीरीज 'कुडी येदमैथे' (Kudi Yedamaithe) को लेकर इन दिनों चर्चा में हैं. इस साइंस फिक्शन को मशहूर कन्नड़ डायरेक्टर पवन कुमार ने डायरेक्ट किया है. (Instagram/Photo/AmalaPaul)
Breaking News: सपा विधायक Vijma Yadav की विधायकी पर मंडरा रहा खतरा! Prayagraj। MP-MLA Court। Top Newsसपा के एक और विधायक विजमा यादव की सदस्यता जा सकती है। 23 फरवरी को Prayagraj के MP-MLA Court विधायक विजमा यादव (MLA Vijma Yadav) पर 22 साल पुराने मामले में फैसला सुनाएगा। देखिए पूरी खबर। चीन पर नरमी बरतने के लिए पुतिन बना रहे बाइडन पर दबाव?
JDU महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा को विपक्ष की एकजुटता से ना जोड़ा जाए. . (फोटोः ANI) बता दें कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली जाने वाली भारत जोड़ो यात्रा 7 सितंबर से शुरू हुई थी, जो अब 30 जनवरी 2023 को श्रीनगर में समाप्त होने जा रही है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने देश के हर कोने में सुर्खियां बटोरी हैं. इस यात्रा में विपक्षी दलों के कई नेता और फिल्म कलाकार भी शामिल हो चुके हैं. कई ऐसी पार्टियों के नेता भी हैं, जो इस यात्रा में बिना शामिल हुए राहुल गांधी की तारीफ कर रहे हैं. .
सिंगापुर में रहने वाला एक शख्स इन दिनों लड़कियों के बीच काफी मशहूर हो रहा है। इसके डर से वहां रहने वाले लड़के अपनी प्रेमिकाओं पर कई तरह की बंदिशें लगा रहे हैं। सिंगापुरः सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ लोगो छा जाते हैं। कभी सब्जीवाली की चर्चा होती है, तो कभी कोई चाय वाला मशहूर हो जाता है। किसी की खूबसूरत आंखें उसे मशहूर कर देती है तो किसी का फिगर। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक फूड स्टॉल में काम करने वाले शख्स की चर्चा हो रही है। लोग, खासकर लड़कियां उसके स्टॉल में खाना खाने सिर्फ उसे देखने के लिए पहुंचती हैं। इस ठेले वाले का नाम वॉल्टेर टे है। फूड स्टॉल में ऑर्डर लेने के अलावा ये कैशियर का भी काम करता है। जबसे उसने स्टॉल ज्वाइन किया है, वहां भीड़ बढ़ गई है। खाकर लड़कियों की भीड़ ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए कि लड़कियां उसकी बॉडी कीदीवानी हो गई हैं। वॉल्टेर अपने एब्स के कारण लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। लड़कियां तो उसकी इतनी दीवानी हो गई हैं कि लड़के अब अपनी गर्ल फ्रेंड्स को उस स्टॉल तक नहीं जाने देते। वॉल्टेर कोई आम ठेले वाला नहीं है। इससे पहले उसने कई तरह के प्रोफेशन में हाथ आजमाए। इससे पहले वो सिंगापुर एयरलाइन में केबिन क्रू भी रह चुका है। इतना ही नहीं, उसने कोरियन कॉस्मेटिक्स और फिटनेस वर्ल्ड में भी काम किया। लेकिन किसी भी जगह उसे सफलता नहीं मिली। इसके बाद उसने फूड स्टॉल में काम करने का फैसला किया। ये स्टॉल उसके पेरेंट्स का है, जिसमें अब वो भी काम कर रहा है। अपनी बॉडी के कारण मशहूर हुए वॉल्टेर स्टोर में कुकिंग भी करते हैं। बताया जाता है कि उनके स्टोर में आने वाले लोग खाने के अलावा उनसे सेल्फियां भी डिमांड करते हैं। वॉल्टेर अपने काम से काफी प्यार करते हैं। उनके मुताबिक, वो इस काम से काफी खुश हैं। लड़कियों से मिलने वाले अटेंशन के बारे में उन्होंने कहा कि अच्छा तो लगता है लेकिन अभी तक वो सिंगल ही हैं।
नई दिल्ली : प्याज की आसमान छूती कीमतों में फिलहाल कोई राहत के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। देश के लगभग हर कोने में प्याज की कीमत 150 से लेकर 200 के आस-पास तक पहुंच गई है जिससे विक्रेताओं और खरीददारों में हाहाकार मचा हुआ है। एक तरफ प्याज के मुद्दे पर देश में सियासत भी जमकर की जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ इसके विरोध में लोग अलग-अलग और अनोखे तरीके अपना रहे हैं। कुछ ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सामने आया है। यहां एक शादी समारोह में दूल्हा दुल्हन ने एक दूसरे को प्याज की वरमालाएं पहनाई। आम तौर पर शादियों में फूलों का हार दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे को पहनाते हैं लेकिन प्याज की बनाई हुई माला पहनाते हुए ऐसा पहली बार देखा गया। दरअसल प्याज की बढ़ती कीमतों के खिलाफ ये आम लोगों का अनोखा विरोध प्रदर्शन ही है जिससे वे सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। विरोध का तरीका बस इतना ही नहीं था इस शादी समारोह में जितने भी लोग आए थे उन्होंने शादीशुदा कपल को गिफ्ट के तौर पर प्याज की एक-एक टोकरी भेंट की। उनका मानना था कि आज की तारीख में इससे महंगा और उपयोगी गिफ्ट हो नहीं सकता। समाजवादी पार्टी के नेता कमल पटेल ने बताया कि प्याज की कीमत पिछले महीने से आसमान को छू रही है इसलिए लोग अब इसे एक बेशकीमती सामान की तरह उपयोग में ला रहे हैं। इस शादी में दूल्हा दुल्हन ने एक दूसरे को प्याज और लहसुन की वरमाला पहनाई। इस इलाके में प्याज की कीमत 120 रुपए प्रति किलो है। अन्य सपा नेता सत्य प्रकाश ने बताया कि प्याज की बढ़ती कीमतों का विरोध करने का अपना अलग-अलग तरीका और उनमें से एक ये भी है। उन्होंने बताया कि इस कपल के लिए ये एक ऐतिहासिक और यादगार शादी बन गई है। सपा नेताओं के मुताबिक वाराणसी में लगातार प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
(current) सबसे बड़ा मुद्दाः क्या तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस कार्यक्रम के जरिए यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि क्या वाकई हानिकारक है। Desh Ki Bahas : हिजाब के हिसाब में और कितना हंगामा? Desh Ki Bahas : हिजाब विवाद या कट्टर जिहाद? Desh Ki Bahas : 'कश्मीर के सच' से सेक्युलर खेमा परेशान?
उपर्युक्त उदाहरण में पण्डाांश आदि शब्द का प्रयोग कर राणाप्रताप सिंह को सूर्य एवं चन्द्रमा से दर्शाया गया है, जो आपाततः असम्भव होकर उपमा में परिणत किया गया है। इसलिए यहाँ निदर्शना अलंकार है। संयोगिता स्वयंवरम् में निदर्शना का उदाहरण द्रष्टव्य हैपरस्परं वर्णजलं सहेलं सुराभिषेषयन्त्यः 1 सायनीं सूर्यमरी पियोगजां गता युवत्यः शरदशोभा म्।। अर्थात् विलासपूर्वक लीला के साथ इंगीन जल को सोने के यन्त्र विशेषों से एक दूसरे के ऊपर खींचती हुई युवतियाँ सायंकालीन सूर्य की किरणों के सम्पर्क से उत्पन्न होने वाली भारत्कालीन मेघ की शोभा को प्राप्त हो गयी है। यहाँ पर साये कालीन सूर्य का रंगीन जल से सम्बन्ध अन्ततः उपमा में परिकल्पित होता है। अतः निदर्शना अलंकार है। दृष्टान्त अलंकार :• भाव होता है वहाँ दृष्टान्त अलंकार होता है। दृष्टान्त पुनरेतेषां सर्वेषां प्रतिविम्बनम् ।। दृष्टान्तस्तु सधर्मस्य वस्तुनः प्रतिविम्बनम् ।। जहाँ दो वाक्यों में धर्म सहित उपमान और उपमेय में विम्ब तिबिम्ब काव्यप्रकाश सूत्र 155 पृ0518
नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को वन श्रमिक संघ के पूर्व अध्यक्ष दलवीर सिंह बिष्ट को उनकी समस्त सेवाओ को जोड़ते हुए पेंशनर संबंधित सभी लाभ अथवा देयकों का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि पेंशन के लिए दस वर्ष की नियमित सेवा अनिवार्य नहीं है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ के समक्ष हुई। मामले के अनुसार वन श्रमिक संघ के पूर्व अध्यक्ष दलवीर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनकी नियुक्ति 1987 में वन विभाग में टाइपिस्ट के पद पर दैनिक श्रमिक के रूप में हुई थी। 2012 में उनका चयन फॉरेस्ट गार्ड के रूप में हो गया। 2019 में वह फॉरेस्ट गार्ड के पद से सेवानिवृत्त हो गए लेकिन विभाग ने उनको पेंशन के सभी लाभ नहीं दिए। याचिका में उन्होंने बताया कि विभाग का कहना है कि पेंशन संबंधित लाभ के लिए उनकी सेवा 10 वर्ष से कम है, इसलिए उनको यह लाभ नही दिया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रेम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि उनको दैनिक श्रमिक द्वारा पूर्व में की गई सेवाओं को जोड़कर उसे समस्त पेंशन संबंधित लाभ दिए जाएं। याचिकाकर्ता का कहना था कि वह 1991 से 2012 तक वन श्रमिक संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं, इसलिए विभाग उनसे यह पक्षपात कर रहा है जबकि कई कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर ये समस्त लाभ दिए गए हैं। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को उनकी समस्त सेवाओ को जोड़ते हुए पेंशनर संबंधित सभी लाभ अथवा देयकों का भुगतान करने के निर्देश दिए।
लखनऊ। पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर केंद्र व राज्य कर्मचारियों द्वारा किये जा रहे आंदोलन को कांग्रेस पार्टी पूर्ण समर्थन करती है। कांग्रेस पार्टी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की पक्षधर है, क्योंकि पुरानी पेंशन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा के अधिकार के तहत जीवन यापन का एकमात्र सहारा है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि पुरानी पेंशन योजना को अविलंब बहाल किया जाए। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर लगातार सड़क से सदन तक संघर्ष किया है। राजस्थान, छत्तीसगढ और हिमाचल प्रदेश के चुनाव जीतने के तुरन्त बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत देने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमांचल प्रदेश में ओपीएस की बहाली हो सकती है तो केन्द्र सरकार और उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित प्रदेशों में क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि आज राजधानी लखनऊ में इस भीषण गर्मी में केंद्र व राज्य कर्मचारियों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। इस आन्दोलन में राज्य कर्मचारियों व शिक्षकों सहित रेलवे, डाक, आयकर, लोक निर्माण विभाग, विद्युत विभाग व कई विभागों व संगठनों के कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विगत 21 मार्च को नई पेंशन योजना वापस लेने एवं पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली के लिए सैकड़ों विभागों एवं संगठनों के कर्मचारियों द्वारा हर जनपद मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया किन्तु कर्मचारी व जनविरोधी भाजपा सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। जिसका परिणाम है कि आज लखनऊ में हजारों की संख्या में कर्मचारी संघर्ष के लिए विवश हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रही है वह उन्हें राहत देने के पक्ष में नहीं है जबकि कर्मचारियों की मांग है कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए जिस प्रकार से कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़, एवं हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल की गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और उनके हितों की विरोधी साबित हुई है। केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारें सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के अधिकार का हनन करने में जुटी हुई है। कांग्रेस पार्टी कर्मचारियों के व्यापक और जायज हितों के साथ उनके आन्दोलन के साथ खड़ी है।
दुनियाभर में कुछ सालों से कोरियन फिल्म इंडस्ट्री का दबदबा देखने को मिल रहा है। इंडिया में भी कोरियन ड्रामा काफी डिमांड में है। कॉमेडी से लेकर हॉरर केड्रामा ने लोगों को दिलों पर जादू चला रखा है। अगर आपको भी कोरियन ड्रामा देखना पसंद है तो खेलें ये क्विज और दें सवालों का सही जवाब। आइए जानते हैं क्या आप रियल केड्रामा फैन हैं? बॉयज ओवर फ्लावर्स (Boys Over Flowers) ड्रामा में F4 के स्कूल का क्या नाम था? बिजनेस प्रपोजल में Kim Sejeong के पेरेंट्स के रेस्टोरेंट का नाम क्या था? कौन सा कोरियन ड्रामा वेबटून पर आधारित नही हैं? हर प्राइवेट लाइफ (Her Private Life)में पार्क मिन यंग (Park Min Young) किस म्यूजियम में काम करती थी? माय ब्यूटी आईडी गंगनम (My Beauty Id Gangnam)में Cha Eun-woo की मां को कौन सी समस्या थी? गोब्लिन (Goblin) में Gong Yoo के किरदार का नाम क्या था? किंगडम (kingdom)ड्रामा में जॉम्बी बनने का कारण था? Hospital Playlist में Jo Jung-Suk के बेटे का क्या नाम था? The King: Eternal Monarch ड्रामा में ली मिन हो के किरदार का नाम? माय मिस्टर (My Mister) में IU पार्ट टाइम जॉब क्या करती थी?
ताइवान की संसद ने एक विधेयक पारित किया है जिसके आधार पर संविधान और चीन के साथ उसके रिश्तों पर जनमत संग्रह हो सकेगा. चीन को डर है कि इसके बाद एक दिन ऐसा भी आएगा जब ताइवान औपचारिक स्वतंत्रता की घोषणा भी कर सकता है. माना जा रहा है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद विभिन्न विवादास्पद मुद्दों पर जनता के मत से फ़ैसला हो सकेगा. उल्लेनीय है कि चीन तो ताइवान को अपना हिस्सा मानता है लेकिन ताइवान इससे इंकार करता है और वहाँ लंबे समय से आज़ादी की मांग हो रही है. इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद चीन ने ताइवान के राष्ट्रपति चेन शुई बियान को 'समस्या पैदा करने वाला' कहा है और चेतावनी दी है कि चेन ताइवान के लिए त्रासदी को आमंत्रण दे रहे हैं. बीबीसी संवाददाता का कहना है कि अब चीन के प्रधानमंत्री वेन जिबाओ अगले महीने अपनी वॉशिंगटन यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र से अपील कर सकते हैं कि वह ताइवान पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे. चीन की धमकी है कि अगर ताइवान ने स्वतंत्रता की घोषणा की तो वह हमला भी कर सकता है. पिछले ही सप्ताह चीन ने चेतावनी दी थी कि ताइवान के 'अलगाववादी' युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं. चीन ताइवान को अपना ही एक अलग हुआ हिस्सा मानता है. चीन के नेतृत्व को डर है कि अगर जनमत संग्रह का प्रणाली स्थापित हो गई तो इसके बाद स्वतंत्रता के मसले पर भी मतदान हो सकता है. ताइवान के राष्ट्रपति चेन शुइ-बियान ने अगले साल मार्च में होने वाले चुनाव में फिर से जीत हासिल करने के लिए जनमत संग्रह को अभियान में सबसे ऊपर जगह दी है. उन्होंने वायदा किया है कि तीन साल के भीतर ही नए संविधान पर जनमत संग्रह करवाया जाएगा. मुख्य विपक्षी पार्टी केएमटी ने जनमत संग्रह के विरोध का फ़ैसला बुधवार को छोड़ दिया. बीबीसी के क्रिस हॉग का कहना है कि पार्टी को ये लगा कि उसकी इन नीतियों की वजह से मतदाता उससे दूर हो सकते हैं. इसी के बाद विधेयक आसानी से पारित हो सका है.
Welcome! Forgot your password? A password will be e-mailed to you. Jai Bhim को Oscars ने अपने YouTube चैनल पर अपलोड किया है। साथ ही लिखा है JAI BHIM । Scene At The Academy इसे अब तक 9,150 Views मिल चुके हैं। Contact us:
तारक मेहता का उल्टा चश्मा एक लोकप्रिय सिटकॉम शो है जिसकी देश भर में बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है. शो के अभिनेताओं ने भी पिछले कुछ वर्षों में अपने विचित्र और अनोखे किरदारों के लिए अपार पहचान हासिल की है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सीरियल में बाबूजी का किरदार निभाने वाले अभिनेता अमित भट्ट असल जिंदगी में अपने ऑन-स्क्रीन बेटे से छोटे हैं. अमित भट्ट ने अपने रोल को परफेक्ट बनाने के लिए कई बार अपने सिर मुंडवाया है. इसी के कारण वह एक बीमारी का शिकार भी हुए थे. तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के पहले के एपिसोड अगर आपको याद हो तो आपने देखा होगा कि बापूजी (चंपकलाल) शो में टोपी नहीं पहनते थे. आपको बता दें बाबूजी के किरदार के लिए उन्होंने करीब 280 बार अपना सिर मुंडवाया था. द मोई ब्लॉग यूट्यूब चैनल के साथ बातचीत करते हुए अमित ने इस पूरे वाक्ये पर बड़ा खुलासा किया था. उन्होंने बताया था कि शूटिंग के लिए, वह हर 2-3 दिनों में अपना सिर मुंडवाते थे. वहीं पुराने एपिसोड में उन्हें सबने गंजा ही देखा है. लेकिन जब उन्हें सिर मुंडवाने से दिक्कत हुई थीं तब निर्माताओं ने उनके किरदार के लिए गंजा विग पहनने का सुझाव दिया गया था, लेकिन वहीं बाद में उन्होंने विग का सहारा नहीं लिया बल्कि उन्होंने चंपकलाल के किरदार में रियल टच बनाए रखने के लिए 'गांधी टोपी' पहनने का फैसला किया. बापू जी को गांधी टोपी और सर्दियों वाली मंकी कैप में ही देखते है. हालंकि एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया की बार-बार विग के लिए उन्हें अपने सिर के बाल को रेजर से काटना पड़ता था. जिस वजह से उन्हें हेल्थ इश्यू भी हुए. बाद में डॉक्टर के कहने पर शो की मेकर्स ने अमित को विग की जगह टोपी पहना दी. उसके बाद से अमित हर एपिसोड में टोपी पहने नजर आते हैं. बता दें, अमित भट्ट को रील लाइफ में जेठालाल के पिता के किरदार में नजर आते हैं वह असल जिंदगी में जेठालाल से उम्र में छोटे हैं. रील लाइफ में चंपकलाल का किरदार निभा रहे अमित अपनी असल जिंदगी में बेहद स्टाइलिश और यंग है. शो में उनका कैरेक्टर को ज्यादा रियल दिखाने के लिए उन्हें मेकअप का सहारा लेना पड़ता है जिस से वो अपनी उम्र से काफी बूढ़े लगते हैं और अपने सिर को गंजा दिखाने के लिए वो नकली विग की सहायता लेते हैं.
ड्यूनेडिन। नील वेगनर ने शॉर्ट पिच गेंदों की झड़ी लगाते हुए महत्वपूर्ण साझेदारी को तोड़ न्यूजीलैंड को श्रीलंका पर पहले टेस्ट मैच में 122 रनों से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। 405 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए मेहमान श्रीलंकाई टीम की दूसरी पारी अंतिम दिन 95. 2 ओवरों में 282 रनों पर सिमट गई। इसी के साथ न्यूजीलैंड ने दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त बनाई। पहली पारी में शतक लगाने वाले मार्टिन गप्टिल मैन ऑफ द मैच चुने गए। दूसरा टेस्ट हेमिल्टन में 18 दिसंबर से खेला जाएगा। मेहमान टीम ने अंतिम दिन दूसरी पारी में 109/3 से आगे खेलना शुरू किया और दिनेश चांदीमल तथा कप्तान एंजेलो मैथ्यूज ने घरू टीम के इंतजार को बढ़ाया। इन्होंने कीवी गेंदबाजों को बेअसर साबित किया, ऐसे में वेगनर ने शॉर्ट पिच गेंदों की झड़ी लगाई, उनकी मेहनत रंग लाई जब उन्होंने मैथ्यूज (25) को बोल्ड कर इस साझेदारी को तोड़ा। चांदीमल और मैथ्यूज ने चौथे विकेट के लिए 56 रन जोड़े। इसके बाद कीवी गेंदबाजों ने मेहमान पारी को ज्यादा नहीं जमने दिया। चांदीमल 132 गेंदों में 11 चौकों की मदद से 58 रन बनाकर मिचेल सेंटनर के शिकार बने। इसके बाद किथुरुवान विथांगे (38) और मिलिंदा सिरिवर्दाना (29) ने आंशिक संघर्ष किया, लेकिन उनके प्रयास नाकाफी साबित हुए। ट्रेंट बोल्ट ने लंच के बाद मेहमानों को लगातार दो झटके देकर अपनी टीम की जीत के करीब पहुंचाया। डग ब्रेसवेल ने सुरंगा लकमल (23) को अपनी ही गेंद पर लपक कर श्रीलंकाई पारी का अंत किया। टिम साउदी ने 52 रनों पर 3 विकेट लिए। बोल्ट, सेंटनर और वेगनर ने 2-2 विकेट लिए। संक्षिप्त स्कोर - न्यूजीलैंड : 431 और 267/3 पारी घोषित। श्रीलंका : 294 और 282 (95. 2 ओवरों में)।
Akhilesh took a jibe at CM Yogi, said- 'Are there CM compressors that will cool down? ' लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सियासी वार पलटवार का दौर लगातार जारी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने गुरुवार को बुलंदशहर एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान अखिलेश यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर जमकर हमला बोला और उनके गर्मी वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम योगी कोई कंप्रेसर नहीं जो ठंडा कर देंगे।
नई दिल्ली. SSC JE Paper 2 Admit Card 2019: स्टाफ सिलेक्शन कमीशन, SSC ने जूनियर इंजीनियर पेपर-2 के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिया है. जिन उम्मीदवारों ने एसएससी जूनियर इंजीनियर पेपर-2 परीक्षा पास कर ली है, वे अब एसएससी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर पेपर-2 के लिए एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं. उम्मीदवार रीजनल वेबसाइट्स पर जाकर जूनियर इंजीनियर पेपर-2 के लिए एडमिट कार्ड को डाउनलोड कर सकते हैं. आपको बता दें कि स्टाफ सिलेक्शन कमीशन, SSC की ओर से जूनियर इंजीनियर पेपर-2 एग्जाम 29 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा. एसएससी जेई पेपर-2 सुबह और दोपहर शिफ्ट में आयोजित होगा. एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए उम्मीदवारों को रजिस्ट्रेशन नंबर, डेट ऑफ बर्थ अस व अन्य डीटेल्स की जरूरत पड़ेगी. उम्मीदवार एसएससी रीजनल वेबसाइट पर जाकर एसएससी जूनियर इंजीनियर पेपर-2 एडमिट कार्ड को डाउनलोड कर सकते हैं. फिलहाल उम्मीदवार नीचे लिखे स्टेप्स को फॉलो कर एसएससी जूनियर इंजीनियर पेपर-2 एग्जाम के लिए एडमिट कार्ड को डाउनलोड कर सकते हैं. - उम्मीदवार सबसे पहले एसएससी की संबंधित रीजनल वेबसाइट्स ssc. nic. in पर जाएं. - वेबसाइट के होमपेज पर ही SSC JE Admit Card 2019 लिंक पर क्लिक करें. - इसके बाद नया पेज खुलेगा, जहां पर रजिस्ट्रेश नंबर, डेट ऑफ बर्थ एंटर करनी होगी. - सभी डीटेल्स भरने के बाद उम्मीदवार Submit पर क्लिक करें. - इसके बाद एसएससी जेई पेपर-2 एडमिट कार्ड आपकी स्क्रीन पर होगा. - उम्मीदवार एसएससी जेई पेपर-2 एडमिट कार्ड को डाउनलोड करें उसका प्रिंट आउट निकाल लें. उम्मीदवार ध्यान दें कि परीक्षा के दिन एडमिट कार्ड को अपने साथ ले जाना आवश्यक है. बिना एडमिट कार्ड के किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा. एसएससी जेई पेपर-2 के संबंध में अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार एसएससी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जा सकते हैं. एसएससी जेई पेपर-1 रिजल्ट जारी होने के बाद 10, 600 उम्मदीवारों ने जूनियर इंजीनियर पेपर-2 के लिए क्वालीफाई किया है. इसमें से 8681 उम्मीदवार सिविल इंजीनियरिंग, 1919 उम्मीदवार इलेक्ट्रिकल/मेकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए हैं. एसएससी जेई परीक्षा के लिए साढ़े तीन लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किया था.
बठिंडा, जागरण संवाददाता । शिवसेना हिंदुस्तान के नेता ने हिंदू महा संगठन के तीन नेताओं पर गंभीर आरोप लगाएं है। शिवसेना हिंदुस्तान के नेता का आरोप है कि आरोपित लोगों ने उसे अपने घरों के समीप सिख फॉर सिस्ट के पोस्टर लगाने के लिए कहां था और उसे इस काम के बदले दो लाख रुपये देने की बात कहीं थी, लेकिन जब उसने पोस्टर लगाने से इंकार कर दिया, तो आरोपित लोगों ने उसे दफ्तर में बंद कर मारपीट की और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। पीड़ित शिवसेना नेता का कहना है कि उसने अपनी जान बचाकर सिविल अस्पताल में दाखिल हुआ। थाना सिविल लाइन पुलिस ने शिवसेना नेता की शिकायत पर हिंदू महा संगठन के नेताओं पर मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है। फिलहाल किसी भी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हाे सकी है। थाना सिविल लाइन पुलिस को शिकायत देकर शिवसेना हिंदुस्तान के नेता सुशील कुमार जिंदल ने बताया कि बीती 24 फरवरी को उसे हिंदू महासंगठन के नेता संदीप पाठक, अश्वनी शुक्ला व रजिंदर कालिया निवासी बठिंडा ने अपने दफ्तर अमरपुरा बस्ती में बुलाया और उसे कहा कि वह सिख फार जसिस्ट के पोस्टर उनके घरों के नजदीक चिपका दे। इस काम के लिए वह उसे दो लाख रुपये देंगे। सुशील जिंदल का कहना है कि जब उसने उक्त काम करने से इनकार कर दिया, तो आरोपितों ने मिलकर उसे दफ्तर के अंदर ही बंद कर मारपीट की और उसके साथ गाली गलौच करते हुए उसे जान से मारने की धमकियां दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है। उधर, हिंदू महासंगठन के नेता संदीप पाठक का कहना है कि गुरलाल मर्डर केस को दबाने के लिए पुलिस द्वारा उनके खिलाफ पुलिस झूठा केस दर्ज कर उनपर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। जिस दिन की घटना है, उस समय सुशील जिंदल के पास दो सुरक्षा कर्मी है। यह संभाव ही नहीं है कि पुलिस की मौजूदी में सुशील जिंदल से मारपीट की जाएं। अगर की गई है, तो सुरक्षा कर्मियों ने इसकी जानकारी तुरंत पुलिस को क्यों नहीं दी है। जिसे स्पष्ट होता है कि पुलिस एक साजिश के तहत झूठा केस दर्ज किया है।
लड़के की ओर देखा, तो वह भय से बुरी तरह काँप रहा था । उसके जीवन में यह पहला मौका था, जब उसने ए.वी.ओ. के किसी आदमी को देखा था। आज, उस तहखाने में, उसके सामने खौफनाक ए. वी. ओ. के तीस से अधिक आदमी खड़े थे। लेकिन उस समय वे खतरनाक नहीं दीख रहे थे, क्योंकि उनके जरा-सा भी इधर-उधर करने पर उन्हें गोलियों से भून डालने के लिए वे छः सशस्त्र जवान खड़े थे । जोसेफ टोथ उन्हें साथ लिये हुए सड़क की ओर बढ़ा, जहाँ अब भी लड़ाई जारी थी । संघर्षरत स्थल पर पहुँचते ही, रेडियो स्टेशन की छत से, ए. बी. ओ. के किसी सदस्य ने, अकस्मात् मशीनगन से गोलियाँ चलायीं और उनमें से एक गोली आकर टोथ के बायें पैर में लगी। गोली लगते ही टोथ असह्य पीड़ा से कराह उठा और उसका पैंट खून से भीग गया। वह सड़क पर गिर गया और अचेत होने लगा, लेकिन पूर्णतः अचेत होने से पहले उसने देखा कि गिरफ्तार ए. बी. ओ. के आदमियों में से कुछ ने उस गड़बड़ी में भागने का प्रयत्न किया और सीपेल के एक युवक ने उसी क्षण अपनी मशीनगन से उन्हें धराशायी कर दिया। दूसरी ओर, रेडियोवाली इमारत के बड़े फाटकों पर गोले चलने की जोरदार आवाज आ रही थी। उसे दूर से किसी व्यक्ति के चिल्लाने की आवाज सुनाई पड़ी - " दरवाजे टूट रहे हैं ! " और, इसके बाद ही ब्राडी सैण्डर स्ट्रीट पर पड्डा टोथ पूर्णतः अचेत हो गया ।
गोरखपुर जिले के भटहट ब्लॉक स्थित पिपरी में बनने जा रहे राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय का 28 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शिलान्यास करेंगे। इस समारोह को भव्य और यादगार बनाने के लिए राष्ट्रपति के आगमन से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद सभी तैयारियों का जायजा लिया। मंगलवार की दोपहर मुख्यमंत्री लखनऊ से हेलीकॉप्टर से सीधे समारोह स्थल पर बने हेलीपैड पर पहुंचे। इसके पहले पांच अगस्त को भी मुख्यमंत्री ने मौके पर पहुंचकर, तैयारियां देखी थीं। शिलान्यास समारोह के लिए चयनित स्थल पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री ने साफ सफाई, मुख्य मंच, सेफ हाउस, दर्शक दीर्घा आदि को देखा और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। पिपराइच के विधायक महेंद्रपाल सिंह और डीएम विजय किरन आनंद से कहा कि समारोह में जिन लोगों को आमंत्रित किया जाना है, उनकी सूची समय से बन जानी चाहिए। राष्ट्रपति के कार्यक्रम के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है। वहां से निकलने के बाद मुख्यमंत्री ने मानीराम स्थित सोनबरसा में गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय में चल रही तैयारियां भी परखीं। राष्ट्रपति 28 को आयुष विश्वविद्यालय के बाद इस विश्वविद्यालय का लोकार्पण करेंगे। बच्चों-युवाओं को देख रुक गए मुख्यमंत्री, पूछा कोई दिक्कत तो नहीं? शिलान्यास समारोह की तैयारियों का निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री जब हेलीपैड की तरफ बढ़ रहे थे, तभी उनकी नजर समूह में जुटे बच्चों और युवाओं पर पड़ गई। चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराते हुए योगी कुछ देर के लिए वहीं रुक गए। बड़े ही आत्मीयता से मुख्यमंत्री ने पूछा, कैसे हैं आप लोग? कोई दिक्कत तो नहीं? कोई परेशानी हो तो बेहिचक बताइएगा। बच्चों ने कुछ कहने के बजाए तालियों और जय श्रीराम के उद्घोष से उनका अभिवादन किया। 52 एकड़ भूमि पर बनने जा रहे राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी व योग चिकित्सा की पढ़ाई और शोध कार्य होगा। इन विधाओं से यहां चिकित्सा भी सुलभ होगी। क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी डॉ. प्रकाश चंद्र के मुताबिक प्रदेश के आयुष विधा के सभी 94 कॉलेज इस विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद के 67 (आठ सरकारी व 58 निजी), यूनानी के 15 (दो सरकारी व 13 निजी) तथा होम्योपैथी के 12 कॉलेज (नौ सरकारी व तीन निजी) अलग -अलग विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं। इसके चलते इन आयुष कॉलेजों के डिग्री/डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में कुछ भिन्नता रहती है। आयुष विश्वविद्यालय से संबद्ध होने से सभी कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में एकरूपता रहेगी और सत्र नियमन भी संभव होगा। मुख्यमंत्री योगी आयुष विश्वविद्यालय में आयुष कॉलेजों की संबद्धता एवं अन्य प्रशासनिक कार्य सत्र 2021-22 से एवं विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य सत्र 2022-23 से प्रारंभ करने के निर्देश पहले ही दे चुके हैं। गोरखपुर में इस विश्वविद्यालय के खुलने से पूर्वांचल की छह करोड़ से अधिक जनता को चिकित्सा का एक और बेहतर विकल्प मिलेगा। लखनऊ। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्याल गोरखपुर के निर्माण कार्य के लिए प्रथम किश्त के रूप में छह करोड़ 11 हजार रुपया जारी कर दिया गया है। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने आदेश जारी कर दिया है। आयुष विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य के लिए लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव पर वित्त समिति ने दो अरब 67 करोड़ 50 लाख 56 हजार की मंजूरी दी है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रथम किस्त के रूप छह करोड़ 11 हजार जारी किया गया है। विश्वविद्यालय की भूमि के समतलीकरण व अन्य कार्य के लिए 13 अगस्त को 399. 89 लाख जारी किया जा चुका है। ऐसे में अब कुल जारी धनराशि 10 करोड़ हो चुकी है। मिट्टी भराई कार्य में 50 फीसदी कार्य ग्राम विकास विभाग के सहयोग से मनरेगा के जरिए होगा। शेष मिट्टी खरीदी जाएगी। इसी तरह ऑपरेशन थिएटर, मेडिकल गैस पाइप लाइन संबंधित कार्य की गुणवत्ता जांच निदेशक आयुर्वेद करेंगे। इंस्टीट्यूट में इसी सत्र से 100 सीटों पर बीएएमएस की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसके अलावा बीएससी व एमएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, एएनएम, जीएनएम में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इसी सत्र से डिप्लोमा इन लैब टेक्निशियन, डिप्लोमा इन ऑप्टोमेट्री, डिप्लोमा इन आर्थोपेडिक एंड प्लास्टर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन इमरजेंसी एंड ट्रॉमा केयर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन डायलिसिस टेक्निशियन और डिप्लोमा इन एनेस्थिसिया एंड क्रिटिकल केयर टेक्निशियन की भी प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ होने जा रही है। आने वाले समय में विश्वविद्यालय में एमबीबीएस, बी फार्मा, डी फार्मा, पैरामेडिकल कोर्सेस, बीएससी यौगिक, बीएससी आईटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले दर्जनों पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होगी।
रोहतक, 27 मार्च (निस) रोहतक में अवैध शराब का कारोबार काफी फल-फूल रहा था। इसका नजारा आज रोहतक आईएमटी थाना के पास देखने को मिला। वहां पर अवैध रूप से पकड़ी गई लगभग एक लाख शराब की बोतलों को पुलिस ने नष्ट कर दिया। इस शराब की कीमत लगभग 3 करोड़ रुपए बतायी जा रही है। यह शराब शहर के विभिन्न थानों में वर्ष 2017 से रखी गई थी। शनिवार सुबह आईएमटी थाने के पास डीएसपी गोरखपाल राणा व तहसीलदार के नेतृत्व में पुलिस द्वारा यह कार्रवाई की गई है। जेसीबी द्वारा पहले शराब की बोतलों को तोड़ा गया और बाद में वहीं पर गड्ढा खोद कर उसमें दबा दिया गया। पत्रकारों से बातचीत में डीएसपी गोरखपाल राणा ने बताया कि वर्ष 2017 से यह शराब अलग-अलग थानों में रखी गई थी। कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। आज पुलिस द्वारा लगभग एक लाख अवैध बोतलें शराब की नष्ट की गई, जिसकी कीमत लगभगत 3 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि जिले में अवैध शराब का कारोबार करने वालों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा। पुलिस नशा तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान भी चलाए हुए है।
अभिनेता इमरान हाशमी ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच फिल्मों का बड़े पर्दे पर रिलीज होना ही बड़ी बात है इसलिए ऐसे समय में फिल्मकारों को बॉक्स ऑफिस पर कमाई की चिंता छोड़ देनी चाहिए। भारत में पहले पिछले साल और फिर कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण इस साल की शुरुआत में भी फिल्मों की शूटिंग बंद रही थी। कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण सिनेमा घर भी कई महीनों तक बंद रहे। दिल्ली और कुछ राज्यों में सिनेमाघर अब खुल गए हैं, लेकिन हिंदी सिनेमा के गढ़ महाराष्ट्र में अब भी इस संबंध में फैसला नहीं किया गया है। हाशमी की फिल्म 'चेहरे' इस शुक्रवार को बड़े पर्दे पर रिलीज होने जा रही है। उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि आखिरकार फिल्म जगत आगे बढ़ रहा है। हाशमी की 'मुंबई सागा' भी मार्च में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। हाशमी ने 'पीटीआई-भाषा' को दिए एक साक्षात्कार में कहा, " मैं खुश हूं कि काफी लंबे समय बाद सिनेमाघर खुल रहे हैं। मैं इकलौता ऐसा कलाकार हूं जिसकी दो फिल्में वैश्विक महामारी के दौरान बड़े पर्दे पर रिलीज हुई हैं। कुछ लोगों को यह निर्भीक तो कुछ को यह बेवकूफी भरा कदम लग सकता है। लेकिन अब बॉक्स ऑफिस पर कमाई हमारे फिल्म जगत का लक्ष्य नहीं है, कम से कम अभी तो नहीं। नियम बदल गए हैं, खेल बदल गया है। " अभिनेता ने कहा कि उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कैसी कमाई करेगी यह कभी उनके "नियंत्रण" में नहीं होता और मौजूदा स्वास्थ्य संकट ने इसे और मुश्किल बना दिया है। हाशमी (42) ने फिल्म 'बेल बॉटम' को सिनेमाघरों में रिलीज करने के लिए अक्षय कुमार और फिल्म के निर्माताओं की सराहना भी की। अभिनेता ने कहा, " वैश्विक महामारी से पहले भी बॉक्स ऑफिस पर आपका नियंत्रण नहीं था, लेकिन मौजूदा स्थिति में आज यह और बड़ा सवाल बन गया है। फिल्म आपको शायद अच्छी लग सकती है, लेकिन अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान में रखते हुए शायद आप उसे देखने ना जाएं। इसलिए अब किसी को नहीं पता कि फिल्म का क्या होगा। नियम अब भी हैं. . . . महाराष्ट्र में अब भी सिनेमाघर नहीं खुले हैं। " उन्होंने कहा, " अब हमें बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की कमाई को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए। यह इस भावना के साथ करना चाहिए कि किसी को तो शुरुआत करनी ही है। अक्षय और 'बेल बॉटम' के निर्माताओं को इसकी शुरुआत करने के लिए बधाई। " फिल्म 'चेहरे' पहले 2020 जुलाई में रिलीज होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण इसकी रिलीज टाल दी गई थी। इसके बाद इसे 30 अप्रैल को रिलीज होना था, लेकिन देश में संक्रमण की दूसरी लहर के कहर के कारण इसकी रिलीज तारीख फिर आगे बढ़ा दी गई। फिल्म का निर्देशन रूमी जाफरी ने किया है और इसका निर्माण 'आनंद पंडित मोशन पिक्चर्स' और 'सरस्वती एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड' के बैनर तले किया गया है। फिल्म में हाशमी के अलावा अमिताभ बच्चन, अन्नू कपूर, क्रिस्टल डिसूजा, धृतिमान चक्रवर्ती, रघुबीर यादव, सिद्धांत कपूर और रिया चक्रवर्ती भी नजर आएंगे। Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ गई है. जिससे अब 1 जून से प्रदेश धीरे-धीरे अनलॉक की ओर जाएगा. वहीं शनिवार को प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से नीचे पहुंच गया है. साथ ही रिकवरी रेट भी 90 प्रतिशत के पार पहुंच गया है. हालांकि यह फैसला जिला क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप लेंगे कि अनलॉक करना है या नहीं. मध्य प्रदेश अनलॉक को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि 31 मई से पहले कोरोना को पूरी ताकत के साथ रोकना है. एक-एक वार्ड और एक-एक गांव की माइक्रो प्लानिंग की जा रही है. उन्होंने कहा कि कलर कोडिंग के हिसाब से माइक्रो मैनेजमेंट होगा. हालांकि अभी संतोष की बात है कि संक्रमण दर घट रही है. गौरतलब है कि अभी पूरे प्रदेश में 31 मई तक कोरोना कर्फ्यू लागू है. इस दौरान किसी प्रकार की छूट नहीं दी गई है. वहीं प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दर शनिवार को गिरकर 4. 82 फीसद पर आ गई है, जबकि संक्रमण की दूसरी लहर में यह दर 20 प्रतिशत से भी अधिक हो गई थी. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि शनिवार को प्रदेश में कराए गए कुल 79,737 टेस्ट में 3,844 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है जबकि शनिवार को 9,327 लोग स्वस्थ हुए हैं. प्रदेश में कोरोना संक्रमण से ठीक होने की दर 90. 86 प्रतिशत हो गई है.
RANCHI: राजधानी में पिछले 72 घंटों से भी अधिक समय से बिजली-पानी के बिना लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। शहर की करीब 80 परसेंट आबादी चौथे दिन भी पानी के लिए इधर-उधर भागती रही है। पूरे शहर में हाहाकार मचा हुआ है। शहर के कई इलाकों में मंगलवार को लोगों की सब्र का बांध टूट गया और प्रभावित इलाकों के लोग डिब्बा-बाल्टी लेकर पानी मांगने सड़कों पर उतर आए। इसके बावजूद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, नगर निगम व नगर विकास विभाग समेत बिजली विभाग के अधिकारियों पर कोई असर पड़ता नहीं दिखा। जबकि राजधानी होने के नाते मंत्री से लेकर तमाम आलाधिकारी रांची में ही रहते हैं। रांची में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है। कई इलाकों में तीन-चार दिनों से जलापूर्ति नहीं हो रही है। नियमित जलापूर्ति की मांग पर मेन रोड के आसपास रहने वाले लोगों ने बुधवार को रतन टॉकीज चौक जाम कर दिया। लोग पानी के बर्तन के साथ सड़क पर बैठ गए। हिंदपीढ़ी थाना की पुलिस को जाम हटाने के लिए पहुंचना पड़ा। लोगों को समझाने-बुझाने की पुलिस ने काफ कोशिश की, लेकिन लोग नहीं माने। इसके बाद पुलिस ने ट्रैफि क को सर्जना चौक से कांटाटोली की ओर डायवर्ट करना शुरू कर दिया। मेनरोड से सुजाता चौक की ओर जाने वाली सड़क पर लंबा जाम लगा रहा। रुक्का से पानी बुधवार को भी नहीं भेजे जाने की वजह से चौथे दिन भी शहर के अधिकतर इलाकों में पानी की आपूर्ति बंद रही। बूटी जलागार से पानी की आपूर्ति टाउन लाइन, बरियातू-करमटोली एवं रातू मेन लाइन से की जाती है। बूटी से चार दिनों से एमइएस, कोकर, लालपुर, चुटिया, बहुबाजार, स्टेशन रोड, कडरू, मेन रोड, कचहरी रोड, अपर बाजार, मोरहाबादी, करमटोली, सरकुलर रोड, रेडियम रोड, महावीर चौक, रातू रोड, हरमू रोड, मधुकम, पंडरा एवं इटकी रोड, हिन्दपीढ़ी, पुरानी रांची, नदी ग्राउंड में रहने वाले लाखों लोगों को पानी नहीं भेजा गया है। इनमें से कई इलाके ड्राई जोन हैं। वहां डीप बोरिंग, चापानल बंद हैं। कुएं सूख गए हैं। वहीं कई इलाकों में मिसिंग पाइप लाइन नहीं है। कुछ इलाके के लोग लो प्रेशर की वजह से जरूरत भर पानी इकट्ठा नहीं कर पा रहे हैं। -सुबह 4. 30 से 8. 30 बजे तक रिम्स बरियातू रोड में पानी मिला। -11. 45 बजे सुबह टाउन लाइन में पानी थोडी देर के लिए दिया गया। इरबा, बूटी मोड़, कोकर, लालपुर, कांटाटोली, नामकुम, चुटिया, बहुबाजार, रेलवे स्टेशन, खेलगांव, होटवार, टाटीसिलवे में पानी का संकट रहा। राजधानी में बिजली सप्लाई को ठीक किया जा रहा है। शाम में फिर से आंधी-तूफान आने के कारण कई जगह बिजली के तार पर ही पेड़ गिर गए। इस कारण कई इलाकों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई, जिसे दुरुस्त करने के कारण आपूर्ति बाधित रही।
हिमाचल सरकार द्वारा गठित तीन कैबिनेट सब कमेटी की महत्वपूर्ण बैठकें शनिवार को सचिवालय में जल शक्ति एवं बागवानी मंत्री की अध्यक्षता में संपन्न हुईं। इसमें आउटसोर्स पॉलिसी का ड्राफ्ट लगभग फाइनल कर दिया गया है। इसमें आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी की गारंटी देने और सम्मानजनक मानदेय देने के दावे किए जा रहे है। कैबिनेट सब कमेटी ने अभी पॉलिसी का ड्राफ्ट फाइनल किया है। इस पॉलिसी को कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा। माना जा रहा है कि कैबिनेट की अगली बैठक में इस पॉलिसी को लाया जाएगा। चुनावी वर्ष में सरकार इस पॉलिसी को विधानसभा के मानसून सत्र से पहले लाना चाह रही है क्योंकि राज्य के विभिन्न विभागों में 30 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी सेवारत है। अभी इनकी सेवा प्रदाता कंपनियां जबरदस्त शोषण कर रही है। इससे बचाने के लिए ही पॉलिसी बनाई जा रही है। जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में फोरलेन प्रभावितों के मुद्दे को लेकर गठित दूसरी सब कमेटी की बैठक भी सचिवालय में हुई। इसमें फोरलेन प्रभावितों को चार गुणा मुआवजा देने को लेकर चर्चा की गई क्योंकि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले फोरलेन प्रभावितों को फैक्टर टू लगाकर चार गुणा मुआवजे का भरोसा दिया था, लेकिन साढ़े चार साल से सरकार इसे नहीं दे पाई है। इससे फोरलेन प्रभावितों में सरकार के प्रति रोष पनपता जा रहा है। मसलन कैबिनेट सब कमेटी ने आज की बैठक में भी रिपोर्ट तैयार की कि चार गुणा मुआवजे से सरकार पर कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा। इसे लेकर भी अंतिम फैसला राज्य मंत्रिमंडल में लिया जाएगा। इसी तरह राज्य सरकार ने तीसरी कैबिनेट सब कमेटी भी महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में शिमला के मर्ज एरिया में लोगों को आ रही समस्याओं के निदान के लिए गठित कर रखी है। इस कमेटी की भी तीन बैठकें पहले हो चुकी है। आज की बैठक में इसे लेकर भी रिपोर्ट को फाइनल रूप दे दिया गया है। अब यह मसला भी कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा। This website follows the DNPA Code of Ethics.
लेडी रणवीर सिंह बन जेनेलिया ने करवाया अतरंगी फोटोशूट. वायरल फोटोज में दिखा सतरंगी लुक. सोशल मीडिया पर अक्सर रील्स बनाने वाली एक्ट्रेस जेनेलिया डिसूज़ा देशमुख इन दिनों अपने फोटोशूट को लेकर चर्चा में हैं. उन्हें देख हर किसी को रणवीर सिंह की याद आ रही है. मल्टी कलर के जंपसूट में जेनेलिया का लुक काफी हटकर नजर आ रहा है. अक्सर जेनेलिया सिंपल लुक में ही नजर आती हैं लेकिन इस बार उन्होंने अपने लुक के साथ एक्सपेरिमेंट किया है. जेनेलिया इंस्टाग्राम एक्सपर्ट बन चुकीं हैं, वो हमेशा ट्रेंडिग वीडियो-ऑडियो पर ही रील बनाती नजर आती हैं. रितेश के साथ 'तुझे मेरी कसम है' से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली जेनेलिया डिसूजा ने भले ही कुछ ही फिल्में की हों, लेकिन उनमें से सारी ही फिल्में कमाल की थीं. रितेश के साथ 'तुझे मेरी कसम है' से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली जेनेलिया डिसूजा ने भले ही कुछ ही फिल्में की हों, लेकिन उन सभी फिल्मों में इन्होंने शानदार एक्टिंग की है. जेनेलिया डिसूजा आखिरी बार फोर्स 2 में जॉन अब्राहम के साथ नजर आई थीं.
नवाबगंज टोल प्लाजा पर लगे जाम में फसे वाहन। नवाबगंज(उन्नाव)। टोल प्लाजा पर एक दिसंबर से शुरू होने जा रही फास्टैग व्यवस्था के तहत मंगलवार को अभ्यास किया गया। इस दौरान टोल बैरियर पर लंबा जाम लग गया। जाम में कई वीआईपी व एंबुलेंस भी कई घंटे तक जाम में फंसी रही। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनईटीसी) कार्यक्रम के तहत 1 दिसंबर से टोल टैक्स का भुगतान केवल फास्टैग के जरिए लेने के निर्देश दिए हैं। नई व्यवस्था में टोल प्लाजा पर वाहन के पहुंचते ही चिप से भुगतान के जरिए खाते से पैसा कट जाएगा और गाड़ी आगे बढ़ जाएगी। मंगलवार को लोगों को जागरूक करने व फास्टैग की जानकारी देने के लिए एनएचएआई की तरफ से साइड इंजीनियर समीर बाजपेई के नेतृत्व में एक टीम टोल प्लाजा पहुंची। टीम ने तीन लेन बंद कराने के साथ टोल से निकल रहे वाहन चालकों को फास्टैग की जानकारी दी। इस दौरान जिन वाहनों में पहले से फास्टैग लगा था उनका नई व्यवस्था के तहत भुगतान कराया गया। सिर्फ तीन लेन चालू रखने से टोल प्लाजा पर भीषण जाम लग गया। जाम में कई वीआईपी समेत एंबुलेंस भी फंसी रही। इस पर वाहन सवारों की टोल कर्मियो से नोकझोंक भी हुई। एक अधिवक्ता की भी साइड इंजीनियर से बहस हुई। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
Latehar : हिंदू नव वर्ष के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद की लातेहार जिला इकाई के तत्वावधान में सदर प्रखंड के शिव मंदिर, रिचुघुटा में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिला अध्यक्ष विनय कांत पांडेय ने कहा कि आज के ही दिन दो अरब वर्ष पहले पृथ्वी का जन्म हुआ था और आज ही के दिन संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था. आज के ही दिन विक्रम संवत उज्जैन के राजा के द्वारा प्रारंभ किया गया. आर्य समाज की स्थापना भी आज ही हुआ था. उन्होंने नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए आगे कहा कि भारत की स्वर्णिम संस्कृति रही है. हमें उसे अक्षुण रखना है. हम पाश्चायत के अनुकरण करने के चक्कर में अपना गौरवशाली इतिहास खो रहे हैं. कार्यक्रम में बसंत साहू, दिनेशर यादव, प्रताप शाह, अभिषेक चंद्र पांडेय, मिलन शुक्ला, प्रकाश पांडेय, आशीष प्रसाद, रामेश्वर प्रजापति, अरविंद उरांव, मंगल देव भुइयां, दिगम्बर यादव, सुखदेव सिंह चेरो सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय बजरंग दल का लातेहार प्रखंड अध्यक्ष श्रवण तिवारी व बजरंग दल जिला पालक बसंत प्रसाद साहू को बनाया गया.
नई दिल्लीः आज हम आपके सामने एक ऐसा किस्सा लेकर आएं हैं जिसको सुनकर आपको हैरानी और अचम्भा दोनों एक साथ होंगे. दक्षिण वेल्स में लिली वाइल्डर नाम की 4 वर्ष की बच्ची बैरी के पास टहलने के लिए निकली थी. इसी दौरान वह समुद्र के पास एक टीले पर पहुंची, जहां उसे विलुप्त हो चुके डायनासोर के पदचिह्न दिखाई दिए हैं। वेल्स संग्रहालय ने ये जानकारी देते हुए कहा है कि बच्ची की ये 'खोज' डायनासोर के पैरों की वास्तविक संरचना समझने में काफी मददगार होगी. वहीं लिली की मां सैली ने एक बयान में कहा है, लिली ने डायनासोर के पदचिन्ह देखे और कहा, 'डैडी, देखो' जब लिली के पिता रिचर्ड ने घर आकर मुझे यह तस्वीर दिखाई तो मुझे भी यह अद्भुत लगा. इसके बाद रिचर्ड ने विशेषज्ञों से संपर्क किया। बेल्स संग्रहालय के जीवाश्म विज्ञान क्यूरेटर सिंडी हॉवेल्स ने कहा कि यह स्थान पहले से ही डायनासोर के पैरों के निशान के लिए जाना जाता है। लेकिन लिली को जो पदचिन्ह मिला है वो अब तक का सबसे अच्छा नमूना है। आपको बता दें कि नेचुरल रिसोर्स वेल्स की परमीशन के बाद पदचिह्न को समुद्र तट से कानूनी तौर पर हटा दिया गया है और वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च के लिए राष्ट्रीय संग्रहालय कार्डिफ में संरक्षित कर लिया गया है। बता दें की पाए गए पदचिन्ह लगभग 4 इंच लंबे हैं. माना जा रहा है कि इस डायनासोर की लंबाई 8 फीट रही होगी. बेल्स संग्रहालय के हॉवेल्स ने कहा कि इस खोज से जीवाश्म विज्ञानियों को डायनासोर से जुड़ी रिसर्च में काफी मदद मिलेगी।
50th Victory Day 50वें विजय दिवस के मौके पर कोलकाता में पूर्वी सेना कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम स्थित विजय स्मारक पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे सहित तीनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने विजय स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर 1971 के वीर योद्धाओं को याद किया। कोलकाता, 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर मिली ऐतिहासिक जीत की याद में 50वें विजय दिवस के मौके पर गुरुवार सुबह कोलकाता में पूर्वी सेना कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम स्थित विजय स्मारक पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। समारोह में मुख्य अतिथि पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे सहित तीनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने विजय स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर 1971 के वीर योद्धाओं को याद किया। (50th Victory Day) इस मौके पर पूर्व वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल अरुप राहा समेत 1971 युद्ध में शामिल रहे कई पूर्व सैन्य अधिकारियों व अन्य हस्तियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने वीर योद्धाओं को सलामी देने के साथ उनके योगदानों को याद किया। उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर की तारीख भारतीय सेना के लिए बेहद गर्व का दिन है। हर साल सेना की ओर से बेहद ही धूमधाम से विजय दिवस समारोह मनाया जाता रहा है। हालांकि इस बार कुछ दिन पहले तमिलनाडु में हुए दुर्भाग्यजनक हेलीकाप्टर हादसे में देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत समेत अन्य सैन्य अधिकारियों के आकस्मिक निधन के चलते सादगी से 50वां विजय दिवस समारोह मनाया गया। (50th Victory Day) (50th Victory Day)
भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश ने प्रियंका गांधी के राजनीति में उतरने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रियंका पहले से राजनीति में हैं। वह अपनी मां सोनिया और भाई राहुल गांधी के लिए अमेठी रायबरेली में चुनाव प्रचार करती रही हैं। मगर, इस बार वह कांग्र्रेस महासचिव के तौर पर अपने पति राबर्ट वाड्रा को जेल जाने से बचाने के लिए चुनाव मैदान में उतरेंगी, ताकि वह कह सकें कि उनके पति को राजनीतिक वजहों से सरकार जेल भेज रही है। Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
1 दाऊद की दुआ। ऐ रब, अपना कान झुकाकर मेरी सुन, क्योंकि मैं मुसीबतज़दा और मुहताज हूँ। 2 मेरी जान को महफ़ूज़ रख, क्योंकि मैं ईमानदार हूँ। अपने ख़ादिम को बचा जो तुझ पर भरोसा रखता है। तू ही मेरा ख़ुदा है! 3 ऐ रब, मुझ पर मेहरबानी कर, क्योंकि दिन-भर मैं तुझे पुकारता हूँ। 4 अपने ख़ादिम की जान को ख़ुश कर, क्योंकि मैं तेरा आरज़ूमंद हूँ। 5 क्योंकि तू ऐ रब भला है, तू मुआफ़ करने के लिए तैयार है। जो भी तुझे पुकारते हैं उन पर तू बड़ी शफ़क़त करता है। 6 ऐ रब, मेरी दुआ सुन, मेरी इल्तिजाओं पर तवज्जुह कर। 7 मुसीबत के दिन मैं तुझे पुकारता हूँ, क्योंकि तू मेरी सुनता है। 8 ऐ रब, माबूदों में से कोई तेरी मानिंद नहीं है। जो कुछ तू करता है कोई और नहीं कर सकता। 9 ऐ रब, जितनी भी क़ौमें तूने बनाईं वह आकर तेरे हुज़ूर सिजदा करेंगी और तेरे नाम को जलाल देंगी। 10 क्योंकि तू ही अज़ीम है और मोजिज़े करता है। तू ही ख़ुदा है। 11 ऐ रब, मुझे अपनी राह सिखा ताकि तेरी वफ़ादारी में चलूँ। बख़्श दे कि मैं पूरे दिल से तेरा ख़ौफ़ मानूँ। 12 ऐ रब मेरे ख़ुदा, मैं पूरे दिल से तेरा शुक्र करूँगा, हमेशा तक तेरे नाम की ताज़ीम करूँगा। 13 क्योंकि तेरी मुझ पर शफ़क़त अज़ीम है, तूने मेरी जान को पाताल की गहराइयों से छुड़ाया है। 14 ऐ अल्लाह, मग़रूर मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए हैं, ज़ालिमों का जत्था मेरी जान लेने के दरपै है। यह लोग तेरा लिहाज़ नहीं करते। 15 लेकिन तू, ऐ रब, रहीम और मेहरबान ख़ुदा है। तू तहम्मुल, शफ़क़त और वफ़ा से भरपूर है। 16 मेरी तरफ़ रुजू फ़रमा, मुझ पर मेहरबानी कर! अपने ख़ादिम को अपनी क़ुव्वत अता कर, अपनी ख़ादिमा के बेटे को बचा। 17 मुझे अपनी मेहरबानी का कोई निशान दिखा। मुझसे नफ़रत करनेवाले यह देखकर शरमिंदा हो जाएँ कि तू रब ने मेरी मदद करके मुझे तसल्ली दी है।
: २५३ : श्रद्धा का अर्ध्य : भक्ति-भरा प्रणाम अप्राप्त वैराग्य जिनोक्त सत्पथ प्रयाण कामा बहवः सुशिक्षिताः । सुशिष्य लोफा सततं सिषविरे दिवाकरं चौथमलं मुनोश्वरं ।। पाकर विराग जिनेन्द्र नय में गमन करना चाहते । ये सुशिक्षित शिष्यगण मुनि चौथमल को सेवते ॥३६॥ निशीथिनी नाथ महस्सहोदरं विभ्राजते स्माम्बरमस्य पाण्डुरम् । जनाः स्ववाचो विषयं स्वकुवंते दिवाकरं चौथमलं मुनीश्वरं ॥ थे निशाकर के सदृश अम्बर युगल शित शोभते । जन दिवाकर चौथमल मुनि के विषय में बोलते ॥३७॥ नभेवलेशोऽपि बभूव जातुचित्, प्रशासति स्थानकवासि मण्डलम् । जना न तस्मिञ्जति स्म सत्पयं दिवाकरं चौथमले मुनीश्वरे ।। जव जैन मण्डल शासते थे भेद नहीं किंचित कहीं। नहि छोड़ते सन्मार्ग को वे चौथमल जब तक यहीं ।।३८।। वणिग्जना न्याय्य पथानुवर्तनाद् प्रकामवित्ताजित लव्ध तक्रिया । वभुः स्वधर्मेण गुरो प्रशासके दिवाकरे चौथमले मुनोश्वरे ॥ थे वैश्यगण अतिशय धनी सत्कार पाते न्याय से । थे शोभित निज धर्म से श्री चौथमल जब ज्याय थे ॥३३॥ न दुःखदारिद्र्य भवायकश्चन प्रधपिता ज्ञानतमः समन्ततम् । उपास्य भक्तेह् चरित्रशालिनम् दिवाकरं चौथमलं मुनोश्वरम् ॥ पाते न दुःख दरिद्रता चारित्र शाली जन सभी । अज्ञान नाशक चौथमल गुरु को नमन करते जंभो ॥४०॥ चकार हिंसानूत- चौर्य - प्रवञ्चना कामरतांश्चमानवान् । जिनेन्द्र सिद्धान्त पयानुसारिणो दिवाकरश्चौथमलो मुनीश्वरः ।। चोरी अतृत हिंसा प्रवञ्चन काम चरत जो लोग थे । सब त्याग जिन पथ रत हुए जब चौथमल उपदेशते ।।११।। जना वदन्तिस्म मृदुस्वभावो नदेहधारी सुरलोकनायकः । इहागतो धर्म प्रचार कारणाद्दिवाकरश्चीयनलो मुनीश्वरः ।। नर देहधारी देवनायक जैनधर्म पसार नै । आये यहाँ हैं लोग कहते चौथत जन तारने ॥२॥ कुरुध्यमाज्ञां मनुजाः ! कृपालोमहेन्द्र देव मनु नुतस्य । जिनेश्वरस्येति दिवेश सयंदा दिवाकरश्चीमती 'मुनीश्वरः ।। हे मनुज देव महेन्द्र बुत जिनदेव की आज्ञा करी । थे चौथमल उपदेशते नवदुःख सागर से बरी ॥४॥ अनित्यभूतस्य कलेवरस्य यजध्यमत्योपरमाय वासनाम् । समान त लोकनिति संविवेत दियारatunी मुनीश्वरः ।। नवर कलेवर मुक्ति तिमि त्याग दो सबसना । देते दिवाकर चोधन नरनीक यह इनाया श्रद्धा का अर्घ्य : भक्ति-भरा प्रणाम : २५४ : स्वफर्म सन्तान विराम प्राप्तये प्रयासमासादयति स्म सन्ततम् । शरीर - संपोषण कर्म संत्यज द्दिवाकरश्चौथमलो मुनीश्वरः ॥ निज कर्म तन्तु विरामपाने यत्न मुनि करते सदा । थे देह पोषण कर्म छोड़े चौथमल मुनि सर्वदा ॥४५॥ भजस्वधमंत्यज लौकिकैषणां जहीहि तृष्णां कुरु साधु सेवनम् । कथा प्रसङ्गेन जनानपादिशद्दिवाकरश्चौथमलो मनीश्वरः ॥ कर धर्म त्यागो लोक सुख तृष्णा विरत साधु भजो । कहते सभा में चौथमल मुनि धर्महित सब सुख तजो ॥४६॥ जगत्पवित्रं कुरुते मुनेः कथा अतोहि भक्ति कुरुतादनारतम् । जगत्प्रिये साधु समाजसम्मते दिवाकरे चौथमले मनोश्वरे ।। जगपूत करती मुनिकथा अतएव भक्ति सदा करो । जगत प्रिय अति साधु मानित चौथमल का पग धरो ।।४७।। जिन प्रयातेन पथापरिव्रजन् समाचरल्लोक हिताय किन्न । कृतज्ञतां तत्र तनुष्व सन्ततं दिवाकरे चौथमले मुनीश्वरे ।। जिन पथ गमन करता मुनीश्वर क्या नहीं जग हित किया । सन्तत बनो मुनि कृत्यवित श्री चौथमल जो धन दिया ॥४८॥ जिनेन्द्र सिद्धान्त विवेचने रतः समस्त मेवागमयत् स्वजीवनम् । इयं ममानृण्ययुपैत्वतो मति दिवाकरे चौथमले मुनीश्वरे ।। जिन नय विवेचन में मुनि जीवन समस्त बिता दिया । होने उऋण मुनि चौथमल से कृत्य मैंने यह किया ॥४६॥ भवाटवी सन्तमसापहारिणं जगन्नुतम्मोक्ष पथ प्रचारिणम् । विशुद्ध भावेन नयामि मानसे दिवाकरं चौथमलं मुनीश्वरम् ॥ गहन जग के व्वान्त हरते मोक्ष पत्थ प्रचारते । मानस विमल में चौथमल मुनि को सदा हैं मानते ॥५०॥ नमोऽस्तु तुभ्यं भुविपापहारिणे नमोऽस्तु तुभ्यं जनशर्मकारिणे । नमोऽस्तु तुभ्यं सुखशान्ति दायिने, नमोऽस्तु तुभ्यं तपसो विधायिने ।। तुमको नमन जगतापहारी सौख्यकारी नमन हो । तुमको नमन सुख शान्तिदायी तपसो विधायी नमन हो ॥५१॥ नमोऽस्तु तुभ्यं जिनधर्मधारिणे नमोऽस्तु तुभ्यं सकलाघनाशिने । नमोऽस्तु तुभ्यं सकलाद्धिदायिने नमोऽस्तु तुभ्यं सकलेष्टकारिणे ॥ तुमको नमन जिनधर्मधारी पापहारी नमन हो । तुमको नमन सब ऋद्धिदायी इष्टकारी नमन हो ॥५२॥ कृपाकटाक्षेण विलोक्य स्वं जनं तनोतु वृति जनतापहारिणोम् । स्व सप्तमंगोनय प्राप्त सन्मति दिवाकरश्चौथमलो मुनीश्वरः ॥ कृपा दृष्टि प्रदान. कर निजलोक सव दुख हरे । निज सप्तभंगी नीति से मुनि चौथमल सन्मति करे ॥५३॥
साली- जीजा जी, ऑफर और लोफड़ में क्या फर्क होता है? रात के लिए ऑफर दूं तो लोफड़. लड़का- तुम chinese क्यों दिखती हो? लड़की- मेरे पिताजी china से थे. लड़का- वो कहां हैं अब? लड़की- मर गए. लड़का- आखिर china का माल थे, कब तक चलते. संता की बीवी- सुनिए जी, रात नींद में आप मुझे गालियां दे रहे थे. संता- ओ नहीं सोणिये, ये तेरा वहम है. बीवी- क्या वहम है? संता- यहीं कि मैं नींद में था! साली- जीजा जी, सरकार ने वोटिंग की उम्र 18 और शादी की उम्र 21 क्यों रखी है? जीजा- क्योंकि सरकार को पता है कि देश संभालना आसान है लेकिन बीवी नहीं.
नयी दिल्ली, चार दिसम्बर केन्द्र के नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार नौंवे दिन शुक्रवार को भी किसानों का प्रदर्शन जारी रहने के मद्देनजर पुलिस ने दिल्ली को हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले प्रमुख मार्ग बंद रखे जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख सीमा बिंदुओं पर यातायात बेहद धीमा रहा। उत्तर प्रदेश के किसानों के एक समूह ने बृहस्पतिवार को दिल्ली को गाजियाबाद से जोड़ने वाला प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग-24 बंद कर दिया था, जिससे वहां से राष्ट्रीय राजधानी आ रहे लोगों को परेशानी हुई। गौतमबुद्ध द्वार के पास किसानों के प्रदर्शन के कारण 'नोएडा लिंक रोड' पर चिल्ला बॉर्डर बंद है। लोगों को दिल्ली जाने के लिए 'नोएडा लिंक रोड' से बचने और डीएनडी का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है। किसानों के केन्द्र के नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहने के मद्देनजर पुलिस ने सिंघु, लांपुर, औचंदी, सफियाबाद, पियाओ मनियारी और सबोली पर दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर को यातायात के लिए बंद ही रखा। उसने कहा कि दिल्ली और हरियाणा के बीच ढांसा, दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/ बजघेड़ा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर खुले हैं। यातायात पुलिस ने कहा कि मुकरबा चौक और जीटीके रोड पर मार्ग परिवर्तित किया गया है। बाहरी रिंग रोड, जीटीके रोड, एनएच-44 पर जाने से बचें। उत्तर प्रदेश के प्रदर्शनकारी किसानों ने 'यूपी गेट' के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-9 को जाम कर दिया है। वहीं पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली आने वाले दूसरे प्रवेश मार्गों पर डटे हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कृषि कानून को वापस ना लिए जाने पर दिल्ली आ रहे अन्य मार्गों को भी जाम करने की बुधवार को चेतावनी दी थी। प्रदर्शन के शुक्रवार को नौवें दिन भी जारी रहने के मद्देनजर सिंघु, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर अब भी सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। सरकार के साथ बृहस्पतिवार को किसानों की बातचीत एक बार फिर बेनतीजा रहने के बाद, प्रदर्शन के आगे भी जारी रहने का अनुमान है। भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने गाजीपुर में प्रदर्शन स्थल पर एक 'महा पंचायत' की। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर कोई बीच का रास्ता नहीं है। साथ ही उन्होंने सरकार को किसानों को लिखित आश्वासन देने की बात भी कही। Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
इन्दौर। डेंगू पीडि़ता (Dengue Victim) की मौत (Death) के बाद परिजनों ने अस्पताल (Hospital) में डॉक्टरों (Doctors) पर लापरवाही (Negligence) का आरोप लगाते हुए हंगामा (Ruckus) किया। मौके पर पुलिस पहुंची, तब जाकर परिजन शांत हुए और भरोसा दिलाया कि इलाज में लापरवाही हुई तो उसकी भी जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। आरएपीटीसी (RAPTC) में रहने वाली मनीषा पति प्रमोद निवासी आरएपीटीसी सरकारी क्वार्टर (Government Quarter) की आज सुबह भाटिया अस्पताल (Bhatia Hospital) में इलाज के दौरान मौत हो गई। पति प्रमोद का कहना है कि तीन दिन पहले एक डॉक्टर से जांच कराई तो उसने बताया कि इन्हेें डेंगू (Dengue) है, इसके बाद बिना देर किए मनीषा को एरोड्रम रोड स्थित भाटिया अस्पताल (Bhatia Hospital) में भर्ती कराया गया। मनीषा के पैर और पेट में दर्द हो रहा था। डॉक्टरों ने डेंगू (Dengue) का इलाज नहीं शुरु किया और कहने लगे की इन्हें गैस की समस्या है। गैस का इलाज करते रहे और मनीषा की तबीयत बिगड़ती चली गई। इसके बाद उसकी मौत हो गई। परिजनों का गुस्सा देख मौके पर पुलिस भी पहुंची। बताया जा रहा है कि शव को पोस्टमार्टम (Post mortem) के लिए भी पहुंचाया ताकि मौत के कारण का पता चल सके। Share:
जिला सिरमौर में बेमौसामी बारिश ने कहर बरपाया है। मूसलाधार बारिश के चलते आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्री मानसून ने पूरे जिला में जगह-जगह जमकर तांडव मचाया है। जगह-जगह भारी भूस्खलन के चलते संगड़ाह, शिलाई, सराहां और नाहन उपमंडल की 39 सडक़ें बंद हो गईं। इससे लोक निर्माण विभाग को 84. 50 लाख रुपए की चपत लगी है। सडक़ें बंद होने से एचआरटीसी की 6 बसें अलग-अलग स्थानों पर पांच से छह घंटे तक फंसी रहीं। बारिश के बीच गिरिपार इलाके के शिलाई, क कफोटा, नैनिधार, हरिपुुरधार, नौहराधार व कुपवी, संगडाह, श्री रेणुका जी , राजगढ़, व सराहां क्षेत्र के 300 के आसपास छोटे -बड़े गांव पिछले 10 घंटे से बिना लाइट अंधेरे में डूबे हुए हैं। बिजली बोर्ड को भी 18. 05 लाख का नुकसान हुआ है। बारिश से गिरि नदी का जलस्तर बढ़ गया है। बुधवार को जटोन बैराज के तीन फ्लड गेट सुरक्षा के मद्देनजर खोलने पड़े। इससे मैदानी इलाकों में भी नदी का जलस्तर बढ़ गया है। अभी तो बरसात शुरु नहीं हुई हैं बावजूद इसके इस प्री मानसून ने जिला के आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर डाला है। कुछ सडक़ों को भी खोल पाने में विभाग ने कड़ी मशक्कत कर उन्हें नागरिक व्यवस्था हेतु सुचारू किया। उधर, उपायुक्त सुमित खिमटा ने बताया की जिला में भारी बारिश हुई है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को स्थिति से निपटने के निर्देश दिए गए हैं। नुकसान का आकलन किया जा रहा है। उपायुक्त सुमित खिमटा ने कहा कि सडक़ों को खोलने के निर्देश जारी किए गए हंै। लहसुन की फसल बर्बाद हो गई है। किसान मायूस हैं। (एचडीएम) भारी बारिश से संगड़ाह के समीप एक आल्टो कार चूना माइन से आए मलबे के बीच दब गई। समय रहते कार में सवार चार लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया। कार मलबे से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जिसे जेसीबी मशीन से बाहर निकाला गया।
बिहार का एक सिपाही कैसे बना एटीएम बाबा और उसकी पत्नी मुखिया बनकर कैसे लूट को अंजाम देती थी, पुलिस ने इस पूरे खेल का खुलासा कर दिया है। पुलिस ने चार शातिर लुटेरों को गिरफ्तार किया है। उत्तर प्रदेश में लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी में पिछले दिनों बदमाशों ने एक एटीएम को काटकर 39 लाख रुपये लेकर फरार हो गए थे, जिसका मंगलवार को पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि क्राइम ब्रांच और थाना सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा चार शातिर लुटेरों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही एटीएम चोरी की धनराशि नौ लाख तेरह हजार पांच सौ रुपये मय सामग्री के बरामद किया है। बता दें कि इस पूरी घटना को अंजाम देने में बदमाशों को केवल 16 मिनट लगे। घटना में शामिल अभी नौ लुटेरे पुलिस की पकड़ से दूर हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही फरार लुटेरों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस ने बताया कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड सुधीर मिश्रा उर्फ बुलबुल मिश्रा उर्फ एटीएम बाबा पुत्र स्वर्गीय सुरेश मिश्रा और उसकी पत्नी रेखा मिश्रा है। पुलिस ने बताया कि रेखा मिश्रा वर्तमान में मुखिया हैं। एटीएम लूट में माहिर होने के कारण इसका नाम एटीएम बाबा रखा गया है। यह एक दर्जन से अधिक एटीएम लूट की घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। इसकी पत्नी रेखा मिश्रा भी इसमें शामिल हैं, जो राजनीतिक पृष्ठ भूमि से इसकी सहायता करती हैं। दोनों ने कई एटीएम में चोरी की घटना को अंजाम देकर करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाई है। बताया गया कि सुधीर मिश्रा बिहार पुलिस में सिपाही भी रह चुका है। इस कांड में गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम नीरज मिश्रा पुत्र सुरेश मिश्रा निवासी मोहब्बत परसा थाना रिविलगंज सारण, राज तिवारी पुत्र मनोज तिवारी निवासी राघवपुर थाना रिविलगंज सारण, पंकज कुमार पांडे उर्फ लीटर पुत्र स्वर्गीय सुभाष पांडे निवासी बसडिला थाना कोपा सारण, कुमार भास्कर ओझा पुत्र कृष्णानंद ओझा निवासी कराह थाना बनियापुर है। वहीं, वाछित अभियुक्तों में विजय पांडे उर्फ सर्वेश पांडे संतकबीरनगर, भीम सिंह पुत्र शिव शंकर सिंह लाकट छपरा थाना रसूलपुर सारण, देवेश पांडे पुत्र जगदीश पांडे गोपीपुर थाना बनकटा संतकबीर नगर, सुधीर मिश्रा उर्फ बुलबुल मिश्रा और पेटीएम बाबा पुत्र स्वर्गीय सुरेश मिश्रा निवासी मोहब्बत परसा थाना रिविलगंज सारण, रेखा मिश्रा पत्नी सुधीर मिश्रा उर्फ बुलबुल मिश्रा उर्फ एटीएम बाबा निवासी मोहब्बत परसा थाना रिवीलगंज है। गिरफ्तार पांच आरोपी सारण जिला के विभिन्न थाना क्षेत्र के हैं। जबकि वांछित आरोपियों में तीन सारण के निवासी हैं और एक पति और उसकी मुखिया पत्नी भी शामिल है। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
कही, जो हम कों तो माताजी ने यह पदिक दियो है । तव वे तीनों भाई श्रीरुक्मिनीजी पास आइ दंडवत् करि कहे, जो-माताजी ! जैसो पदिक श्रीरघुनाथजी कों दियो है तैसो पदिक हमहू कों देउ । तब श्रीरुक्मिनीजी पदिक तीन उन तीनों भाईन को दिये । सो अति आनंद सों पदिक पहरि माताजी पास तें तीनों भाई फिरे । सो श्रीगुसांईजी पास आइ विराजे । तिन के नाम श्रीगोविंदराइजी ॥ श्रीबालकृष्णजी ।। श्रीगोकुलनाथजी ॥ ए तीनों भाई पदिक ऐक ही से पाइ अति प्रसन्न भए । पाछें श्रीगुसांईजी आपु घर पधारे । और नारायनदास और नारायनदास की स्त्री ये दोऊ जन श्रीठाकुरजी की सेवा भली भांति सों करन लागे । सो नारायनदास तो श्रीठाकुरजी को जगाइ मंगला भोग घरि जप करि समै भए भोग सराइ मंगलार्ति करते । पाछें श्रीठाकुरजी को स्नान कराइ सिंगार करि सिंगार - भोग धरि नारायनदास दरबार को जाते । सो नारायनदास आपु इतनी सेवा करते । और वीरां रसोई करि श्रीठाकुरजी कों राजभोग धरि सव रसोई पोति भोग सराइ राजभोग आर्ति करि श्रीठाकुरजी कों अनोसर करि वह प्रसाद ठलाइ ढांकि राखती । पाछें जब दरवार तें नारायनदास घर आवते तब वह सीरो महाप्रसाद नारायनदास स्त्री पुरुष दोऊ जन अति आनंद सों लेते । और नारायनदास ने अपने घर के आगे दोऊ ओर वैष्णवन के उतरिखे कों न्यारी न्यारी कोटड़ी करि राखी हती । और वैष्णवन के लिये सीधा सामान वीरां या प्रकार फटकि वीनि कै सिद्ध करि राखती । जैसें श्रीठाकुरजी के लिये सव सामग्री सँवारती तैसें ही वह वैष्णवन के लिये सव सामग्री सँवारि के सिद्ध करि राखती । सो वे दोऊ जन नारायनदास और उनकी स्त्री वीरां श्रीठाकुरजी में और वैष्णवन में भाव एकसो राखते । और नारायनदास तो दिन में राजद्वार में रहते । और इहां घर, जो जैसो वैष्णव आवतो ताकौ तेसो ई सन्मान वीरां करती । पाछें नारायनदास जब दरवार सों आवते तव उन वैष्णवन सों मिलते । सो उन सों नारायनदास खवर, वार्ता श्रीगुसांईजी की पूछते । पाछें सवारे जव दरवार को जाते तव नारायनदास वैष्णव को श्रीकृष्ण स्मरन करत जाते । तव वैष्णवन कों देखि के नारायनदास अपने मन में अति प्रसन्न होते । पाछें उन वैष्णवन को यथासक्ति खरच देते । सो वे वैष्णव अपनी इच्छा सों जाते तव तो जाते, परि आप तें नारायनदास कवहू वैष्णवनकों विदा न करते । और वीरां नित्य उन को सीधो पहोचावती । और वीरां वैष्णवन सों परदा कबहू न राखती। ऐसो जाकौ वैष्णवन सों सलिल भाव होंइ, ताकों श्रीगुसांईजी श्रीनाथजी क्यों न कृपा करें ? और एक समै नारायनदास ने श्रीगुसांईजी कों विनती - पत्र लिखयो । तामें यह विनती प्रभुन को लिखि पठाई, जोमहाराज! इहां मेरे पास कोई वैष्णव नाहीं ऐसो, जासों चर्चा वार्ता करिए जासों मन विगरे नाहीं । चर्चा वार्ता विना मन ठिकाने रहत नाहीं । तासों आप कृपा करि के काढू वैष्णव कों मेरे पास पठाओगे । सो या भांति पत्र लिखि के पठायो । वाके साथ श्रीगुसांईजी को भेंट हुंडी बोहोत पठाई । सो वह मनुष्य अडेल आयो । तहां श्रीगुसांईजी को दंडवत करि यह नारायनदास को पत्र और हुंडी सोंपि दीनी । सो श्रीगुसांईजी आप ही वह पत्र बांचे । और चाचा हरिवंसजी प्रभुन पास वैठे हते तिन कों वह पत्र बँचायो । पाछें श्रीगुसांईजी चाचा हरिवंसजी को यह आज्ञा दिये, जो - चाचाजी ! तुम नारायनदास पास जाहु । तब चाचा हरिवंसजी श्रीगुसांईजी आगे विनती करी, जो-महाराज! आपु की आज्ञा ते आपु के चरनारविंद छोरि कै गौड़ देस में जाउंगो, सो मेरी कहा गति होइगी ? तव श्रीगुसांईजी चाचाजी सों कहे, जोतुम जहां होहुगे तहां हों तुम को नित्य दरसन देहुँगो । तब चाचा हरिवंसजी अड़ेल ते श्रीगुसांईजी पास तें विदा होड़ कें नारायनदास के पास गौड़ देस कों चले, सो चाचाजी केतेक दिन में नारायनदास पास जाइ पहोंचे । सो नारायनदास जब राजद्वार सों आए तव चाचा हरिवंसजी ने नारायनदास सों श्रीकृष्ण-स्मरन करयो। तव नारायनदास अति आनंद सों घोड़ा तें उतरि चाचाजी कों मिले। पाछें नारायनदास चाचाजी कौ हाथ पकरि अपने घर पधराड़ प्रसाद लिवाए । पाछें चाचाजी और नारायनदास वैठे दिन रात्रि भगवद्वार्ता करयो करें । तब नारा - यनदास को दरवार जानो छुटि गयो । पाछें केतेक दिन को नारायनदास वार्ता के रस में विवस भए । सो प्रसाद लेनो, सेवा सब छूटी । मानो विकल भए हाँड़ यह विवस्था नारायनदास की भई । तब राजद्वार में तो नारायनदास कौ काम, सो नारायनदास विना सव वंद भयो । तव राजद्वार को मनुष्य नारायनदास के घर आइ के काहू मनुष्य तें पूछयो । तव काहू एक ने ऐसें राजद्वार के मनुष्य सों कही, जो एक वैरागी मथुरा सो आयो है । तिन नारायनदास को वावरो करि डारयो है । सो ये समाचार सुनि के वा राजद्वार के मनुष्य ने पात्साह के आगे जाइ कहे। जो-साहिव ! नारायनदास के तो ये समाचार हैं। तव पात्साह ने वाही समै यह हुकम करचो, जो चा वैरागी कों मो पास अव ही ले आओ। नॉतरु नारायनदास को आछौ करि दरवार पठावे । यह वात कहि वा पात्साह ने नारायनदास के घर चाचाजी को बुलावन मनुष्य विदा करे । पाछें यह खवरि काहू वैष्णव ने चाचा हरिवंसजी के आगें आइ कही । तव चाचाजी ने अपने मन में विचार कियो, जो नारायनदास कों अव ही आछौ कियो चहिए । सो चाचा हरिवंसजी स्नान करि नारायनदास के श्रीठाकुरजी को अभ्यंग स्नान कराइ वह चरनोदक नारायनदास के ऊपर छिरक्यो और कछुक प्यायो । तव तत्काल ही नारायनदास की विकलता मिटि के नारायनदास आछे भए । मन ठिकाने आयो । भावप्रकाश काहेतें ? जो अभ्यंग में आमला रहत है । सो आमला स्वरूप विस्मृति करावनहारो है । तातें नारायनदास की विकलता मिट्टी । और दूसरी अभिप्राय यह है, जो चरनोदक लिये तें सीतल भक्ति होत हैं । ताते नारायनदास को चरनोदक ते विकलता मिटी. सीतलता भई । सो स्वस्थ भए । पाछें नारायनदास ने चाचाजी सों कह्यौ जो- चाचाजी! वा अवस्था में तो मोकों वोहोत सुख हतो । तुम यह कहा करे ? जो मेरो मन वा ठौर तें निकारयो । अब फेरि यह अवस्था क्यों भई ? तव चाचा हरिवंसजी ने नारायनदास सों कह्यो, जो अवही तुम कों योंही चाहिए । सो चाचा हविंसजी अपने मन में यह बिचारे, जो अब ही इन कों या भाव की योग्यता नाहीं । पाछें नारायनदास को चाचाजी सावधान करे । जो तुम अब ही राजकाज करो । ता करि के तुम सों सेवा प्रभुनकी बनि आवे सो करो । परि मन श्रीगुसांईजी के चरनारविंद में राखियो । इतने तुम कों राजद्रव्य बाधा न करेगो । भावप्रकाश -काहेतें ? जो राजद्रव्य अनर्थ करनहागे है । सो श्रीगुसांईजी के स्मरन चिंतन सों वह वाधा करेगो नाहीं । ऐसो प्रभुन कौ प्रताप है। पाछें नारायनदास कपड़ा पहरि दरबार गए । फेरि कामकाज व्यौहार प्रथम करत हुते ताही प्रमान करन लागे । पाछें कछुक दिन चाचाजी नारायनदास पास रहि के प्रसन्नता सों नारायनदास सों सीख मांगि के गौड़ देस तें चाचा हरिवंसजी चले । सो कछूक दिन में श्रीगुसांईजी पास श्रीगोकुलजी में आए । तहां श्रीगुसांईजी कों दंडवत् करि चाचा हरिवंसजी ने ये सव समाचार नारायनदास के विस्तार पूर्वक प्रभुन आगें कहे । तव श्रीगुसांईजी आप सुनि कै चुप करि रहे । पाछें जा दिन नारायनदास राजद्वार में गए ता दिन वा पात्साह ने वोहोत द्रव्य खरच्यो । सो नारायनदास उपर वह पात्साह ऐसो प्रसन्न रहतो । और नारायनदास की स्त्री वीरां ऐसी रूपवान हती जो नित्य सिंगार करि स्नान करि श्रीठाकुरजी के मंदिर में जाइ । तब वाकौ कोऊ मनुष्य न जाने । मानों अप्सरा जात हैं । ऐसी वाकी दिव्य देह हती । सो वह वीरां नित्य अपने हाथ सों श्रीठाकुरजी की सेवा टहेल करती । परि और काहू वाई कों सेवा की टहल न देती । और वह वीरां ऐसी सुकुमारि हती, जो-पान खाँइ सो पीक वाके गरे में उतरे, सो सव वाहिर तें ज्यों की त्यों दीसे । जो पास वैठ्यो होंड़ सो जाने, जो-याने पान खाए हैं। परि वह श्रीठाकुरजी की सेवा और वैष्णवन की सेवा तो अपने हाथ ही करती । तातें वा वीरां की सराहना श्रीगुसांईजी आप वारवार श्रीमुख तें करते। और वा वीरां सों श्रीठाकुरजी वोहोत सानुभावता जनावन लागे । वह वीरां श्रीगुसांईजी, श्रीठाकुरजी की ऐसी कृपापात्र भगवदीय हती । वार्ता प्रसंग-४ और एक समै श्रीगुसांईजी फेरि नारायनदास ऊपर कृपा करि नारायनदास कों दरसन देवे कों गौड़ देस पधारे । सो नारायनदास के घर दिन पांच सात रहे । पाछें जल के उपद्रव तें कोस पांच सात ऊपर एक गाम हतो । ता ठौर जल आछौ हतो । वहां कौ जल विकार न करतो । तासों श्रीगुसांईजी वा गाम में जाँइ रहे । सो नारायनदास दोड़ वार श्रीगुसांईजी के पास दरसन करिवे का नित्य जाते । और फिर अपने गाम आवते । पाछ राजद्वार कौ सर्व काम करते । या प्रकार नारायनदास नित्यप्रति करते । सो एक दिन पात्साह आगे काहने नारायनदास की चुगली करी, जो-हजरत ! नारायनदास के गुरु अमूके गाम में इहां सों सात कास ऊपर उतरे हैं । तिन पास नारायनदास दोऊ वार जात हैं । और ता ठौर तें फिरि आवत हैं। तब एक दिन वा पात्साह ने दोसौ बावन वैष्णवन की वार्ता गाम में नित्य दोइ बार क्यों जात है ? तब नारायनदास ने पात्साह सों कह्यो, जोमेरे गुरु वा गाम में जाँइ उतरे हैं, तासों उहां मैं जात हों । तव पात्साह ने नारायनदास सों कही, जो तू उहां दोइ बार जात है और फिरि आइ के इहां हूँ कौ काम सब करत है । तव नारायनदास ने पात्साह सों वही, जो वहां हू जायो चहिए और इहां हूँ कौ कामकाज सब करयो चहिए । तब पात्साह नारायनदास कौ मन गुरु में अनुरक्त जानि के नारायनदास कों यह परवानगी दीनी, जो - नारायनदास ! जहां तांई तेरे गुरु वा गाम में रहें तहां तांई तू उहांइ तें हमारो कामकाज करियो । और तू उहांइ रहियो । तब नार/यनदास अपने मन में बोहोत प्रसन्न भए । पाछें पांच में सातमें दिन नारायनदास दरबार करि जाते । सो एक दिन वा पात्साह ने नारायनदास सों कही, जो-तू अपने गुरु कों पूछि देखियो, जो हम को उन के देखन की वड़ी इच्छा है । तव नारायनदास ने पात्साह सों कह्यो, है जो वे तो तिहारी जाति कौ मुख देखत नाहीं । तब पात्साह ने नारायनदास सों फेरि कह्यो, जो उन सों तू एक वार पूछियो तो सही । ताकौ वे तोसों कहा उत्तर करे हैं ? सो समाचार तू हमसों कहियो । ऐसें जब वोहोत वार पात्साह ने कही, तब एक बार नारायनदास ने श्रीगुसांईजी सों विनती करी, जो-महाराज ! या पात्साह कों तिहारे दरसन की वोहोत अभिलाषा है । तासों हों जब दरवार जात हों तव वह मोसों कहत हैं. जो-क्यां रे, नारायनदास ! तू पृछ्यो है के नाहीं? तातें अव आप आज्ञा करो सो हों वासों जाइ कहीं । तव श्रीगुसांईजी ने नारायनदास पास यह कहवाइ, जो तू तो कछू कहे मति । और वह जव आपु सों पूछे तव तू नाहीं हू मति करे । भावप्रकाश-याकौ अभिप्राय यह है, जो पात्साह दैवी जीव । क्यों ? जो - दैवी विना ऐसी आर्ति नाहीं होवें । तातें उनकौ मनोरथ पूरन करनो है । परि पहिलें आप ही कहवावें तो इन के बुलाइवे की अपेक्षा यह मन में आवे, तो नारायनदास कौ विगार होंड़ । जासों श्रीगुसांईजी आप ऐसें नारायनदास को कहे। सो जव नारायनदास दरवार आवत भए तव वा पात्साह ने नारायनदास सों प्रथम ही यह पूछी, जो-क्यों रे नरिया ! तू पूछयो हतो ? तव नारायनदास ने कही, जोआछी बात है, एक वार तुम को दरसन होइंगे । तब वह पात्साह अपने मन में वोहोत आनंद पाइ अति ही प्रसन्न होइ के नारायनदास सों कह्यो, जो - हों तो आज ते तीसरे दिन आऊंगो, तू आगें जा । तव नारायनदास ने ये सव समाचार श्रीगुसांईजी के आगे आइ के कहे । तव प्रभु सुनि के चुप करि रहे। पाछें नारायनदास ने वा दिन विछायत करि राखी । सो वह पात्साह उत्थापन के समै आइ श्रीगुसांईजी को दरसन करयो । पाछें दंडवत् करि कै ठाढ़ो रह्यो । तव श्रीगुसांईजी वाकों वैठिवे की आज्ञा किये । तव वह पात्साह प्रभुत की आज्ञा पाइ दंडवत् करि के वैठयो । पाछें वा पात्साह ने पुरुपोत्तम जानि प्रभुन कों हाथ जोरे । ता पाछें श्रीगुसांईजी सों विनती करो, जो महाराज कछू मनुष्य नाहीं, जोकन्हैया आज तांई हमने सुने हैं सो आजु अपनी नजर सों देखे । तात आपु कोइ अवतारी पुरुष दीसत हो । और यह नारायनदास धन्य है । सो केतेक दिन सों आप की टहल करत है। ऐसें बोहोत सराहना करिवा पात्साह ने कह्यो, जोधन्य मेरो यह देस है, जहां आप पधारे हो। और हों हूँ धन्य हों, जो आपु को दरसन पायो । इतनो कहि के पात्साह ने पाछे नारायनदास सों कह्यो, जो तेरी कृपा तें हो इनके दरसन पायो । जो तू मेरे इहां रहत हतो, और अरज करयो तो मैने इन कौ दरसन पायो । मेरे बड़े भाग्य हैं । जासो तुम से प्रधान मेरे पास है । तब ऐसें पात्साह ने बोहोत बड़ाई करी । और श्रीगुसांईजी की बोहोत सराहना करी । तब श्रीगुसांईजी खासा कौ थान रुपैया नव कौ नारायनदास हाथ पात्साह की नजरि करायो । तव पात्साह ने दंडवत् करि फेरि श्रीगुसांईजी सों विनती करी, जो महाराज ! ऐसे तो आपु की कृपा तें मेरे हू इहां बोहोत हैं । परि एक कछू आप के श्रीअंग को प्रसादी वस्त्र पाऊं । तब श्रीगुसांईजी आपु वा समै उपरेना ओढै हते सो कृपा करि कै नारायनदास हाथ दिवायो । सो वा पात्साह ने माथे चढाइ दंडवत् करि के अपनी पाग ऊपर वा उपरेना कों वांध्यो । पाछे वह पात्साह श्रीगुसांईजी सो विदा माँगि के अपने घर गयो । ता दिन ते वह पात्साह नारायनदास की वोहोत कानि राखतो । - पाछ थोरे से दिन गए तव नारायनदास ने श्रीगुसांईजी कों अपने घर पधराए । तव वह पात्साह फेरि श्रीगुसांईजी पास दरसन को आयो । पाछें श्रीगुसांईजी नारायनदास कौ मनोरथ पूरन करि के आपु अडेल पधारिये कौ विचार प्रभुन कियो । तव नारायनदास पहोंचावन चले । और पहिले जव श्रीगुसांईजी चलिवे कौ विचार करे, तब नारायनदास की और ही विवस्था होइ जांइ । तव श्रीगुसांईजी चाचा हरिवंसजी कों कहे, जो चाचाजी ! कछू ऐसो उपाइ करिये, जो हमारे चलत नारायनदास कों कष्ट न होंइ । पाछे चाचा हविंसजी ने नारायनदास के सेव्य श्रीठाकुरजी को अभ्यंग स्नान कराइ कै वह चरनोदक नारायनदास के ऊपर छिरक्यो । अरु कछू मुख में मेल्यो । तव नारायनदास कौ मन फिरयो । तव नारायनदास भली भांति प्रसन्न होइ कै श्रीगुसांईजी को विदा करे । सो नारायनदास थोरीसी दूरिलो प्रभुनको पहुंचावन आए । तव श्रीगुसांईजी प्रसन्न होंइ कै नारायनदास को विदा करे । पाछें नारायनदास ने चाचा हरिवंसजी की वोहोत मनुहार करी । ता पाछें नारायनदास अपने घर आए । बार्ता प्रसंग-५ और एक समै श्रीसत्याजी, श्रीगोपीनाथजी की बेटीजी श्रीजगन्नाथराइजी के दरसन कों पधारे । तत्र मार्ग में नारायनदास कौ गाम आयो । सो यह खबरि नारायनदास ने सुनी । तव अपनें मनुष्य मार्ग में रखवारी को नारायनदास ने पटवाए । सो जव थोरी सी दूरि नारायनदास को गाम रह्यो तव मनुष्य नारायनदास कों खबरि करी । जो-साहिव ! अमूकी ठौर वेटीजी पधारे हैं । तव नारायनदास साम्हें जाँड् के श्रीसत्या वेटीजी को अपने घर पधराइ ल्याये । सो नारायनदास के घर तें थोरी सी दूरि वंदीखाने को घर हतो । सो एक संग सगरे बंदीवान पुकारन लागे । तव श्रीसत्या वेटीजी ने वीरां सों पूछी, जो-वीरां यह सोर कैसो होत है ? तव गए। तब श्रीसत्याजी नारायनदास ऊपर अति प्रसन्न होंइ, उठि कै स्नान करि कै रसोई करि श्रीठाकुरजी कों भोग समर्पि, समयानुसार भोग सराइ, आपु भोजन करि के नारायनदास कों और वीरां को पातरि धरे । सो नारायनदास प्रसाद लै दरवार गए । इतने ही यह वात काहू नें पात्साह आगे नारायनदास की चुगली करी । जो हजरत ! नारायनदास के गुरु की बेटी नारायनदास के घर उतरी है । तिन कछू कही है । तासों नारायनदास ने सगरे बंदवा छोरि दिए हैं। तब नारायनदास सो पात्साह ने पूछी, जो आज ते सगरे बंदूवा एक ही बेर छोरि दिए, सो यह कहा काम करयो ? तब नारायनदास ने पात्साह सों कही, जो-हजरत ! नित्य पचास रुपैया तो उन कौ खरच दरवार सों लगतो । और आमदनी कछू हती नाहीं । तासों एक कौ जामिन एक करि कै छोरि दिए हैं । और अपने घर के श्रीबेटीजी के सर्व समाचार पात्साह आगें नारायनदास ने कहे । तातें एक ही बार सव बंदूवा छोरे हैं । तव नारायनदास की गुरुभक्ति देखि कै पात्साह नारायनदास ऊपर वोहोत प्रसन्न भयो । पाहें उन बंदीवानन के तें थोरो थोरो द्रव्य आवन लाग्यो । तव नारायनदास ने पात्साह सों फेरि अरज करी, जो- देखो हजरत ! काल्हि तो उन वंदीवानन कों छोरे हैं । और आज ही इतनो द्रव्य आइ पहोंच्यो है । और जो वे वंधेइ रहते तो आज द्रव्य कहां सों आवतो ? और ये भाजि तो सकत नाहीं । काहेतें, जो आपुस में एक को एक जामिन है । तातें अपनें तो पैसान सों काम है, कछू इन को वंदीखाने में देवे सों काम नाहीं । पाछें यह वात नारायनदास की सुनि के पात्साह नारायनदास ऊपर वोहोत प्रसन्न भयो । और एक सिरोपाव दै नारायनदास को घर पठायो । सो सिरोपाव पहरि नारायनदास तत्काल ही अपने घर आइ के श्रीसत्या बेटीजी कों दंडवत् करे । पाछें केतेक दिन श्रीसत्याजी आप नारायनदास के घर विराजे । ता पाछें पुरुषोत्तमपुरी श्रीजगन्नाथराइजी के दरसन को श्रीसत्या बेटीजी पधारे । सो तहां श्रीजगन्नाथराइजी के दरसन करि कछू दिन रहि पाछे फिरे । सो श्रीसत्याजी फेरि कछुक दिन नारायनदास के घर विराजे, आइ कै । पाछें जव श्रीबेटीजी अड़ेल को विदा माँगे तव नारायनदास ने श्रीसत्या बेटीजी कों वोहोत आभरन, पहरावनी, रोकड़ि भेंट करी । और कितनो सामान नारायनदास श्रीगुसांईजी को भेंट पठाए । पाछें मार्ग में अपनो रसालो, असवार दे श्रीसत्याजी कों श्रीगुसांईजी के पास पहोंचते करे । सो मनुष्य नारायनदास के श्रीसत्या बेटीजी कों पहोंचाइ के श्रीगुसांईजी को पत्र लिखाइ कै वे नारायनदास पास आए । तव नारायनदास कों वह श्रीगुसांईजी को पत्र दै के वे मनुष्य सीख माँगि के अपने घर गए । पाछें वा पत्र को माथे चढाइ कै नारायनदास ने वांच्यो । सो वांचि कै वोहोत आनंद पायो । उन नारायनदास ऊपर श्रीगुसांईजी ऐसी कृपा करते । सो श्रीसत्या वेटीजी श्रीगुसांईजी पास आइ के नारायनदास की वोहोत बड़ाई करि सराहना करो । तव श्रीगुसांईजी सत्या वेटीजी सों कहे, जोवह मेरो नारायनदास ऐसोइ है । वार्ता प्रसग - - ६ नारायनदास की चुगली पात्साह आगें करी । जो हजरत ! नारायनदास आप की सिरकार तें उत्तम उत्तम वस्त्र बुने जात हैं तिन कारीगर के घर ही सों लालच दै के आप लैत हैं । सो इहां कोई कारीगर उत्तम वस्त्र लाइ सकत नाहीं । यह वाकी बात सुनि कै पात्साह चुप करि रह्यो । पाछें एक दिन पात्साह ने नारायनदास कों एकांत बुलाइ कै पूछयो । जो नारायनदास ! मेरे कपड़ा कारीगर बुनत हैं तामें सों तू क्यों बीनि लेत है ? तब नारायनदास ने पात्साह सों कह्यो, जो हजरत ! वस्त्र तो लेत हूं । और तो सव सिरकार में लिये जाते हैं । तब पात्साह ने नारायनदास तें पूछयो, जो तिन कों तू कहा करत है ? तब नारायनदास ने पात्साह सों कही, जो हजरत ! हों उन वस्त्र कों अपने गुरु के घर पठावत हूं । तव पात्साह ने नारायनदास सां पूछयो, जो तू उन वस्त्र कौ दाम कहां सों देत है ? तव नारायनदास ने पात्साह सों कही, जो हजरत ! उन वस्त्रन के दाम हों अपने पास तें देत हूं । तव पात्साहने नारायनदास सों कही, जो उन वस्त्रन के दाम तू मति देइ । हमारी सिरकार सों दियो करि । तव नारायनदास ने पात्साह सों कह्यो, जोहजरत ! आप तो जानत ही हो, जो-हों आपकी सिरकार सों दाम दे के वस्त्र पठाऊं तो वे तो प्रभु हैं, अंगीकार न करें । और यह तुम्हारी ही ओर तें जानोगे । जो मेरे ऊपर आपकी रयाइत न होंइ तो ये ऐसें अलौकिक वस्त्र मेरे हाथ कैसें आवते ? तब वह पात्साह नारायनदास के वचन सुनि कै
आंखें बंद कर लें, तो कल्पना करना संभव है कि काबुल के सर-ए-सब्जी इलाके में कुछ अनगढ़ डिजाइन वाले दस मंजिला टॉवर शंघाई के लुजियाजुई बिजनेस डिस्ट्रक्ट के प्रतीक की तरह रोशनी से उभर रहे हैं. सही भी है, क्योंकि इमारत पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेल्ट और रोड योजना के चटक लाल रंग के साइन गाहे-बगाहे ही रोशन होते हैं, लेकिन अपना बिजलीघर बनाने की चाइना टाउन की योजना जंग की वजह से पटरी से उतर गई. वादा किया गया था कि यह प्लांट जल्दी ही तैयार हो जाएगा और इसके साथ औद्योगिक पार्क, कारखाने और दफ्तर वगैरह बनेंगे. इसी हफ्ते एक साल पहले जब काबुल पर इस्लामिक अमीरात का झंडा लहराया गया और शहर से आखिरी अमेरिकी बचाव विमान उड़ा तो कई लोगों ने यह डर जताया कि नए तालिबान शासक अपने अंतरराष्ट्रीय जेहादी सहयोगियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराके पूरे क्षेत्र में आतंकी गतिविधियां शुरू कर देंगे. बीजिंग में विदेश मंत्रालय के अधिकारी अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने पर खुशी से झूम उठे. उन्हें लगा कि मध्य एशिया में अब चीन का क्षेत्रीय एकाधिकार तय है क्योंकि उनकी महत्वाकांक्षाओं में रोड़ा लगाने वाली दूसरी महाशक्ति नहीं रह गई है. उनका मानना था कि इस्लामाबाद हिंसा का दौर खत्म करने के लिए तालिबान के साथ मिलकर काम करेगा. उसके बाद खनन और इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की बाढ़ लग जाएगी, जिससे अफगानिस्तान चीन की अगुआई वाली नई व्यवस्था में पूरी तरह शामिल हो जाएगा. हालांकि योजना के मुताबिक चीजें आगे नहीं बढ़ रही हैं. अफगानिस्तान में जेहादी गुटों की होड़ में हिंसा का खेल जारी है. हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. चांदी की तरह सफेद, मुलायम लिथियम धातु शायद नए अफगानिस्तान का इतिहास रचने में मददगार हो, जिससे दुनिया के ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की हाइड्रोकार्बन पर निर्भरता खत्म होने की उम्मीद की जा रही है. 2010 में पेंटागन ने ऐलान किया था कि अफगानिस्तान में दस खरब डॉलर मूल्य के खनिज संसाधनों का विशाल भंडार दबा है. कहा गया कि गजनी लिथियम का सऊदी अरब बन सकता है, बोलिबिया से भी आगे. दूसर जगहों की जमीन में भी विरले भंडार और लोहा, तांबा, कोबाल्ट समेत सोने की पहाड़ खड़े हैं. फ्रीक इल्स जैसे एक्सपर्ट इस विशाल आकलन पर शंका जाहिर करते हैं. वजह यह कि कोई नई खोज सोवियत भू-गर्भ वैज्ञानिकों के जरिए तीन दशक पहले की गई थी और प्रकाशित भी हुई थी. अमरिका भू-गर्भ सर्वे के नए अध्ययन में कमोवेश 'अनखोजे खनिज भंडारों में संभावित मात्रा' का आकलन भर किया गया है, न कि निकाले जाने वाले संसाधनों का वास्तविक आकलन. सोवियत दौर की ही तरह मैदानी सर्वे और संसाधनों को बाजार तक पहुंचाने के लिए सड़कों और रेललाइनों के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में सालों लगेंगे, तभी यह संभव हो पाएगा. अशांत अफगानिस्तान में यह सब छोटी बातें नहीं हैं. भारत ने हाजीगक में आयरन ऑक्साइड भंडार को लेकर योजना बनाई थी. उम्मीद की गई थी कि उसे ईरान के बॉक्साइट और खाद उद्योगों से 15 करोड़ डॉलर की लागत से बने रेलवे नेटवर्क और 8. 5 करोड़ डॉलर से चाबहार बंदरगाह से जोड़ दिया जाएगा. लेकिन अफगानिस्तान में टकराव के हालात और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगी पाबंदियों ने परियोजना को खत्म कर डाला. अमेरिका ने खनिज संसाधनों के दोहन के लिए 50 करोड़ डॉलर की रकम झोंकी तो फर्जीवाड़े के आरोप उठ खड़े हुए. कुछ आकर्षक परियोजनाओं के फंड का सीधे-सीधे गबन कर लिया गया. बादख्शान में अपने नियोजित सोने के खनन से एक अरब डॉलर राजस्व और 13,000 नौकरियां देने का वादा करने वाली कंपनी सेंटार का काम शुरू ही नहीं हो पाया. चीन की भव्य योजनएं भी कहीं की नहीं रहीं. 2007 में चीन के सरकारी मेटल्लर्जिकल समूह ने लोगार के मेस अयंक में तांबा निकालने का अधिकार हासिल किया. चीन के समूह ने पाकिस्तान में तोरखाम तक रेलवे निर्माण और उससे जुड़े बिजलीघर बनाने में 3 अरब डॉलर निवेश किए. अनुमान है कि 37. 1 करोड़ डॉलर खर्च हो गए लेकिन मेस अयंक स्थल पर चंद कंटीले तारों के अलावा कुछ नहीं है. अफगानिस्तान की खनिज संपदा को लेकर चाहे जितनी कहानियों हों, खनन निगमों को पता है कि दूसरे सुरक्षित स्थानों पर भी ऐसे ही खजाने हैं. चीन पहले ही अर्जेंटीना, बोलिविया और चीली में भारी निवेश कर चुका है, जहां दुनिया में निकाले जाने लायक लिथियम के आधे से ज्यादा भंडार हैं. गंगफेंग लिथियम अर्जेंटीना के कॉचारी-ओलारोज में सबसे बड़ी हिस्सेदार है, जो दशकों में मिली नए लिथियम सबसे बड़ा भंडार है. तियांकी लिथियम दुनिया के सबसे बड़े लिथियम उत्पादक सोशिए दाद क्यीमिका य मिनेरा में चौथाई हिस्सेदार है. मंगोलिया के भीतरी इलाके बायन ओबो परिसर में 4. 8 करोड़ टन खास खनिज भंडार है, जो अफगानिस्तान के खान नशेन से काफी बड़ा भंडार है, क्योंकि वहां 13 लाख टन ही भंडार है. इस्लामी अमीरात के नेताओं को मालूम है कि उन्हें रकम की भारी दरकार है क्योंकि पश्चिमी दानदाताओं से उन्होंने रिश्ते खराब कर लिए हैं, जिनसे देश की जीडीपी के 43 फीसदी के बराबर फंड मुहैया कराया और उसके सार्वजनिक खर्च में 75 फीसदी का योगदान किया था. वर्ष 2020 के घटनाक्रम के आकार लेने के दौरान स्कॉलर केट कार्ल ने दर्ज किया कि तालिबान अवैध खनन और नशीली पदार्थों के धंधे के अलावा अपने कब्जे वाले इलाकों के लोगों पर टैक्स लगाकर राजस्व जुटा रहे हैं. हालांकि सरकार के लिए रकम अफगान राज्य से मिला और वह अब खत्म हो रहा है. इसलिए इस्लामी अमीरात को फौरन रकम की दरकार है. हालांकि उसे हासिल करने के लिए विश्वसनीय राज्य ढांचा तैयार करना होगा और वही दूर की कौड़ी लग रहा है. इस क्षेत्र के दूसरे देशों में चीन ने अहम रणनीतिक पड़ोसियों की स्थिरता के लिए पैसा झोंकने की तैयारी दिखाई है. चीन के सरकारी एक्सिमबैंक ने 2014 में ताजिकिस्तान के वनदात-योवन रेलवे के निर्माण में करीब 7 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया. फिर, चनक से राजधानी दुशानबे तक ऊंचे पर्वतों में सड़क बनाने के लिए 29 करोड़ डॉलर का और कर्ज दिया. निर्माण कार्य चीनी मजदूरों के जरिए चीनी इंजीनियरिंग फंड से किया गया. यूरेशियानेट के विशलेषण के मुताबिक, रकम का बड़ा हिस्सा उस देश में वापस चला गया लेकिन कर्ज ताजिकिस्तान पर चढ़ा रहा. 1992 से 1997 तक उग्र गृहयुद्ध में बुरी तरह बर्बाद ताजिकिस्तान में जेहादी गुटों का खतरा बना हुआ है. चीन के लिए ताजिकिस्तान में मुख्य रूप से इस्लामी स्टेट से जुड़े गुटों का जेहादी खतरा उसकी सीमाओं से पूरब की ओर बढ़ने का खतरा है. इसलिए बीआरआई परियोजनाओं के जरिए अशांत पड़ोसी को जोड़ना रणनीतिक समझदारी है. हालांकि श्रीलंका की तरह भुगतान वापस न पाने का खतरा ऊंचा है. 2017 में दुशानबे में बिजलीघर बानाने के लिए मिले 33 करोड़ डॉलर का कर्ज चुकाने में नाकाम रहा तो ताजिकिस्तान को अपर कुमार्ग और पूरबी दुओबा की सोने की खदानों में चीनी कंपनी को रियायत देने पर मजबूर होना पड़ा. एक दूसरी वीनी खनन कंपनी काशगर शीनयू दादी माइनिंग इन्वेस्टमेंट को सीमा शुल्क और टैक्स में छूट देनी पड़ी. इसके अलावा ताजिकिस्तान को चीन के साथ विवादास्पद सीमा समझौते में काफी बड़ा इलाका सौंपने पर मजबूर होना पड़ा, जो आलोचकों के मुताबिक एकतरफा था. ताजिकिस्तान पर विदेशी कर्जदाताओं के 3. 3 अरब डॉलर के कर्ज में 60 फीसदी चीन के सरकारी एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक का है, जो मोटे तौर पर श्रीलंका से तीन गुना है. इसी तरह चीन अफगान अमीरात को ऐसी ही व्यवस्था में फंसाना चाहेगा लेकिन खनन क्षेत्र के मामले के मद्देनजर एक उलझन दिखती है. अफगान राज्य लगातार अशांत बना हुआ है, ऐसे में परियोजनाओं को पूरा कर पाना असंभव है. इस्लामाबाद को नए अफगानिस्तान की कुंजी सौंपनी थी. उसे तालिबान में अपने असर वाले गुटों पर दबाव डालकर सत्ता में साझेदारी के लिए मजबूर करना था, ताकि राजनीति में स्थिरता आती. इसके विपरीत कंधार के जेहादियों और उसके प्रतिद्वंद्वी हक्कानी नेटवर्क के दो मुख्य तालिबान गुटों में लगातार टकराव जारी है. तालिबान के लिए लड़े बड़े पैमाने पर संभावनाहीन नौजवान लड़ाके अब इस्लामी स्टेट जैसे गुटों में नए अवसर तलाश रहे हैं. अफगान तालिबान की गुटीय लड़ाई पाकिस्तान के भीतर भी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को शह दे रही है. अमेरिका और उसके पहले सावियत संघ की तरह, चीन को भी पता चल रहा है कि महाशक्तियों की भव्य योजनाएं अफगानिस्तान की हकीकत में टिक नहीं सकती हैं. लेखक दिप्रिंट के नेशनल स्कियोरिटी एडिटर हैं. वह @praveenswami ट्वीट करते हैं. विचार व्यक्तिगत हैं. (इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
श्रीगुसांईजीके सेवक खुशालदास, तिनकी वार्ता ।। वैष्णव खुशालदासनें बहुत द्रव्य कमायो और सब द्रव्य श्रीगुसांईजीके पास लेगयो वाइ समय श्रीगुसांईजीकुं खबर कराई. वाई समय श्रीगुसांईजी श्रीनाथजीको शृंगार करत हते तब सुनके चुप कर रहे और आप सेवासुं पहोंचके राजभोग पछि बहार पधारे तब वा खुशालदासने श्रीगुसांईजीके दर्शन किये और तीनलाख रुपैयाको द्रव्य सामग्री सामान लायो हतो सो सब श्रीगुसांईजीके आगे धन्यो तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी ये द्रव्य कामको नहीं है तुम पीछे ले जावो इच्छा आवे सो करो. तब वा खुशालदासनें पूछो जो मेरो कहा अपराध है? तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी तेरो अपराध नहीं है ये द्रव्य ऐंसोही है हम शृंगार करत हते वाई समय या द्रव्यकी खबर भई तब दो चित्त हमारे होयगये या द्रव्यनें आवतमात्रही सेवामेसु चित्त काढ डायो सोद्रव्य भंडार में रहेगी तो कहा नहीं करेगो यासुं ये द्रव्य हमारे नहीं चाहिये तब वा खुशालदासनें मनमैं ऐसो विचार कियो ये द्रव्य मेरे उपयोग आवेगौ तो मेरी बुद्धीको भ्रष्ट करेगो तब खुशालदासनें वह द्रव्य उठायके सब लुटाय दियो सो वा खुशालदासकुं श्रीगुसांईजीके वचनपर ऐसी दृढता वैष्णव ( २३०) गोकुलदास. (४९९) हती और संपूर्ण विश्वास हतो एक पैसाहुं राख्यो नहीं सो वे खुशालदास श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र हते । वार्ता संपूर्ण ॥ वैष्णव २२९ ।। श्रीगुसां● से • गोकुलदास हतो जानें गुप्त भेट करी ति०वार्ता । सो गोकुलदासके पास द्रव्य बहुत हतो एकलाख रुपैयाकी हुंडी लिखायके श्रीगोकुल गयो और वैष्णव संग बहुत हते सो सबनें श्रीगुसांईजीके दर्शन किये सब वैष्णवननें भेट करी और गोकुलदासनें कछु भेट नहीं करी और सब लोग निंदाकरन लगे गोकुलदास पैसावालो होयके कछु भेट नहीं करी खाली दंडवत करी तब गोकुलदासनें छाने छाने गादीके नीचे कागद घर दियो सो धरत खवासनें देख्यो सब वैष्णव गये तब खवासनें श्रीगुसांईजी वीनती कीनी जो एक वैष्णव छानोछानो कागद धरगयो है तब श्रीगुसांईजीनें वे कागद भंडार में पठायदियो सो बहुत दिन सूधी वे संग श्रीगोकुल और श्रीजीद्वार में रह्यो सो कोईदिन ये बात गोकुलदासनें प्रगट करी नहीं आपकी निंदा करायो कन्ये सो वे गोकुलदास श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र हते । वार्ता संपूर्ण ॥ वैष्णव २३० ।। श्रीगुसांईजीके सेवक नरसिंहदास तिनकी वार्ता ॥ सो वह नरसिंहदास रस्तामें जातो हतो और (४६० ) दोसौबावन वैष्णवकी वार्ता. रस्ता में भील मिल्यो सो वा भीलको ऐंसो नियम हतो मनुष्यनकुं मारडारके गांठडी लेतो तब वा नरसिंहदासकुं भील मारवेकुं दौड्यो तब नरसिंहदासको स्वरूप सिंह जैसो दखिवे लग्यो तब वो भील डरप्यो तब नरसिंहदास बोले क्युं डरपे है आव मेरे पास. तब वो भील बोल्यो तुम मनुष्य हो के सिंहहो ? मोक्कु खबर नहीं पडे है. तब वानें कही तेरे जैसेनकुं शिक्षा करने के लिये मैं सिंघहं अब तोकुं नहीं छोडुंगो. ऐसे कहके वा भीलक्कुं थप्पड मारके हथीयार खोस लिये तब भील बोल्यो मेरे हथीयार देउ अब तुमकुं नहीं मारुंगो तब वो नरसिंहदासनें कहीं जो तेरे घर में पूछ जो मैंने जितनी हत्त्या करी हैं सो पाप कोनके ऊपर है. तब वो भील घरमें पूछवे गयो तब घरके मनुष्यननें कही हमारे माथे हत्त्या नहीं है हमनें ऐसी कही नहीं. जो मनुष्य मारके खवाव तब वा भीलनें आयके नरसिंहदाससं कही. जो मेरे घरके आदमी तो हत्त्यामेंसुं पाती नहीं राखे है. तब नरसिंहदासनें कही तूं क्युं पापमें पडे है? चल मेरे संग, तेरो कल्याण श्रीप्रभुजी करेंगे. तब वो भील वा नरसिंहदासके संग चल्यो सो जायके श्रीगुसांईजीको सेवक भयो और कृपापात्र भयो सो वैष्णव ( २३२ ) रूपमञ्जरी. वे श्रीगुसांईजीके सेवक नरसिंहदास ऐसे कृपापात्र हते जिनके संगसुं भील वैष्णव भयो ॥ वै० २३१ ॥ श्रीगुसांईजीके सेवक रूपमंजरी तिनकी वार्ता ।। सो वे रूपमंजरी पृथ्वीपतीकी दासी हती हिंदुराजकी बेटी हती पृथ्वीपतीकुं परणी हती पादशाहको स्पर्श नहीं करती हती वो कहती हती जो मेरो स्पर्श करोगे तो मेरे प्राण छोड देऊंगी, विनको रूप बहुत सुंदर हतो सो पृथ्वीपति वाको रूप देखके राजी रहेतो हतो सो वे बाई रातकुं आकाश में उडके नित्य नंददासके पास आवती हती वाके पास एक गुटिका हतो सो वा गुटिका में इतनी सामर्थ हती जे कोई मनुष्य मोढामें राखे सो जहां कहे उहाँ पहोंचायदेवे सो वा रूपमंजरीके पास गुटिका हतो सो नित्य गुटिका के बलतें उडके नंददासजीके पास आवती हती ऐसे करते बहुत वर्ष बीते एक दिन पृथ्वीपती के आगे कोई मनुष्यनें पद गायो सो पद-- "देखो देखो नागरनट निरंतत कालिंदीके तट" या पदकी छेली तुकमें "आवेहै नंददास गावे तह निपटनिकट" सो ये पद पृथ्वीपतीनें सुन्यो और कही जो ऐसे हते परमेश्वरके पास बैठके गाते तब वाई समय कोइनें कही जो जिननें यह बनायो है वे तो अवहीं हाजर हैं गोपालपुरमै रहेहैं श्रीगुसांईजीके सेवक हैं तब पृथ्वीपतीनें विचार कियो जो आपणें ब्रजमें जानो और नंददासजीकुं मिलनो. तब पृथ्वीपति सहकुंटुब ब्रजमें आये गोवर्धनमें डेरा किये और नंददासजीके पास बीरवलक्कुं पठाये और कही जो नंददासजीकुं पूंछ आवो अब हम तुमक्कुं मिलवे आवें के तुम हमकुं मिलवे आवोगे ? तब नंददासजीनें कही हम परखुंके दिन मानसीगंगा स्नान करवेकुं आवेंगे सो उहाँ पादशाहकुं मिलेंगे. तब नंददासजी दूसरे दिन विलछुकुंडपें न्हायवे गये उहाँ रूपमंजरीको डेरा हतो और रूपमंजरीनें राजभोग धन्यो हतो और श्रीगोवर्धननाथजी साक्षात् अरोगते हते तब नंददासजीनें देख्यो तब वृक्षकी ओटके पास ठाडे रहे तब श्रीनाथजीनें रूपमंजरीसुं कही जो नंददासजी वृक्षकी ओटमें ठाडे है विनकुं बुलावो तब नंददासजीकुं बुलाये तव नंददासजीनें गोवर्धननाथजी के दर्शन किये तब श्रीगोवर्धननाथजीनें आज्ञा दीनी जो तुम ये महाप्रसाद लेउ तब नंददासजीनें महाप्रसाद लियो और रूपमंजरी विदा होयके नंददासजी गोपालपुर गये फेर दूसरे दिन मानसीगंगा न्हायवेकुं गये उहाँ पृथ्वीपतीकुं मिले तब नंददासजीकुं एकांत में लेजायके पूंछी जो तुमनें ये पद गायो सो कैसे? ये बात सुनके नंददासजीनें विचार कियो जो अन्यमार्गीयसुं कैसे बात करी जाय ? सो नंददासजीनें ऊंचो देखके देह छोड दीनी पादशाहतो विस्मय होयगयो बहुत उदास भयो सो पृथ्वीपतीकी रीत हती जब उदास होय तब रूपमंजरीको मुख देखवेकुं आवे सो भीतर जायके रूपमंजरीके सन्मुख ठाडो रह्यो और रूपमंजरीसुं बात करी जो परम भगवदीय नंददासजी मैंनें ऐसे पूंछयो तब नंददासजीनें कछु कही नहीं और विनकी देह छूट गई यातें मेरो चित्त बहुत उदास है ऐसे पृथ्वीपतीकी वाणी रूपमंजरीनें सुनी तब रूपमंजरीकुं विप्रयोग उत्पन्न भयो ऐसे विरहतें रूपमंजरीनें देह छोड दीनी सो देखके पृथ्वीपती बहुत उदास होय गयो सो वे रूपमंजरी श्रीगुसांईजी की ऐसी कृपापात्र हती जिनसों विप्रयोग घडीएक सह्यो न गयो ॥ वै ०२३२ श्रीगुसां● सेवक कल्याणभट्ट तिनकी वार्ता ।। एक समय श्रीगुसांईजी द्वारकातें खंभालिया में पधारे तब कल्याणभट्टजी श्रीगुसांईजीके सेवक भये और श्रीगुसांईजीके पास ग्रंथ पढे और ग्रंथ सब हृदयारूढ भये और संसार में सुं आसक्ति निकस गई तब कल्याणभट्टजीके चित्त में ऐसी आई जो श्रीगोवर्धननाथजीके दर्शन करूं तो ठीक सो कल्याणभट्ट श्रीगुसांईजीके संग गये और श्रीगोकुलमें श्रीनवनीतप्रियाजीके दर्शन किये फेर श्रीगोवर्धननाथजीके दर्शन किये तब विचार कियो जन्म पर्यंत इहां रहनो तब आन्योर में रहेवेको घर कियो सो वे कल्याणभट्टजी श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र हते ॥ प्रसंग ॥ १ ॥ सो एक समय श्रीगोवर्धननाथजीके दूध घरीयानें दोय कसेडी दूध कमती लियो जब रातकुं श्रीगोवर्धननाथजी उठ और सोनाको कटोरा लेके आन्योरमें गये सो दश पंदर वर्षको छोराको रूप धरके गये सो कल्याणभट्टजीकी बेटी देवका हती सो घरमें दूध बहुत होतो हतो सो बेच देती हती तब श्रीगोवर्धननाथजीनें पूंछी तेरेपास दूध है तब वा देवकानें कही है साढेचार पैसा शेरके लेऊंगी तब श्रीनाथजीनें साढेचार पैसा कबूल करे और कटोरामें वे देवकासों दूध लियो आर शेरभरके कटोरामें डायो तब श्रीनाथजी दूध पीवे लगे तब फीको लग्यो तब श्रीनाथजीनें पूंछी तेरे घर खांड "है वानें हां कही. तब वासुं चार आना की खांड लीनी और चारशेर दूध लियो और खांड डारके पान कियो तब वा देवकानें पैसा मांगे तब श्रीनाथजीनें कही मेरो कटोरो घरमें धरराख काल्ह कटोरा लेजाऊंगो और पैसा देजाऊंगो. तब श्रीगोवर्धननाथजी पौढे फेर सवारे श्रीगुसांईजी शृंगार करत हते जब देखे तो कटोरा नहीं है तब सब भीतरीया ढूंढवे लगे तब श्रीगोवर्धननाथजीनें श्रीगुसांईजी कही जो दूधघरीयानें दूध ओछो राख्यो हतो तब मैं देवकाके पास दूध और खांड बेचाती लेके पी आयोहुं और कटोरा गहने राख आयो हुं तब ये बात श्रीगुसांईजीनें कल्याणभट्टसुं कही तब कल्याणभट्ट सुनके बहुत प्रसन्न भये तब घर जायके देवकासुं पूंछी जो काल्ह तेरे पास कोई कटोरा धरके दूध लेगयो है ? तब देवकानें कही एक छोरा लेगयो है, और कटोरा धर गयो है. तब कल्याणभट्टजीनें कही ये तो श्रीनाथजी हते, तब कटोरा देखे तो सोनाको है तब कल्याणभट्टजी लेके श्रीगुसांईजी कुं दियो तब श्रीगुसांईजी देवका की सराहना करन लगे और कही जो याके भाग्यकी कहा बडाई करनी और दूध घरीयाकुं बुलायके उराहनो दियो और आज्ञा करी जो कोई दिन दूध कमती राखेगो तो तेरी सेवा छुडाय देउंगो और जब श्रीनाथजीकी इच्छा होवे तब देवका के पास दूध दही लेके अरोगते सो कल्याणभट्टजी श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र हते ॥ प्र०२ ॥ एकदिन कल्याणभट्टजीनें श्रीगुसांईजीसों वीनती करी जो आपके निकटवर्ती सेवक सेवा करे है कोई जल लावे है कोई जल घरे है कोई बुहारी करे कोई तेल लगावेहै कोई भंडारकर कोई रसोई करेहै सब ऐसे कहे हैं हमारो इतनो अंगकार करेंगे तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी ये सबकी भूल है हमारो सब अंगीकार कियो है हमारी कछु नहीं है ऐसे समझो चहिये सो नहीं समझे है और अंगीकार करेंगे ऐसो समझे है इनकुं विश्वास संपूर्ण नहीं है विश्वास होवे तो काहेकुं ऐसे कहै वस्तु साक्षात् प्रभूनें अंगीकार करी है यामें संदेह काहेकुं चहिये ये सुनके कल्याणभट्टजी बहुत प्रसन्न भये ॥ प्र० ३ ॥ और एक समय कल्याणभट्टने श्रीगुसांईजीसों वीनती कीनी जो महाराजाधिराज श्रीप्रभुजीके श्रीपुराणपुरुषोत्तमके उत्तम भगवदीय कृपापात्र होय सो तिनके लक्षण कैसे हैं ? सो आप कृपाकर के कहिये. तब श्रीगुसांईजीनें कल्याणभट्टसों कही जो उत्तम भगवदीय तिनके लक्षण तो यह है जो सबके ऊपर सदा कृपा राखे जो कोई भगवदीय वैष्णव के ऊपर क्रोध नहीं करनो और तिनको अपराध सहनो दुर्वचन बोले तो अपनो कहालेवे ऐसे समझके विनको अपराध नहीं माननो परंतु तिनके वैष्णव (२३३ ) कल्याणभट्ट. वचन सुनके मन डुलावे नहीं जो करे सो क्षमाही करे तिनको दोऊ हाथ जोडिके मधुरे वचनसुं बोले क्षमा राखे जो भगवदीय वैष्णवसों साचो बोले और श्रीप्रभुजीमें चित्तदेके निर्मल बुद्धि राखे और सदा सर्वदा उपकारही करे और श्रीप्रभुजीके ऊपर तथा भगवदीय वैष्णवनके ऊपरतें मन बिगाडे नहीं और इंद्रिय जीत रहे और अपने मनको विचार कोईके जानवेमें नहीं आवे श्रीप्रभुनकी सामग्री करे वामें चित्त चलायमान न करे आप महाप्रसाद लेवे और अपने अर्थ उद्यम नहीं करनी और महाप्रसाद न्यून लेनो और बहुत महाप्रसाद लेवे तो निद्रा आवे भगवद्भजन न होवे तावें न्यून महाप्रसाद लेनो और रोगादिक होय तब श्रीठाकुरजीकी सेवामें अंतराय होय और मनकुं जीतके वश करे तब श्रीप्रभुजीके भजनमें स्थिर होय रहे है मन वश होय सदासवंदा प्रभुके कार्यमें रहे और इंद्रियनको जीते विषयमें लगावे नहीं और कहे जो हम तो श्रीप्रभुजीके दास हैं शरण हैं सो ऐसे समझतो रहे और जहां बहिर्मुख लोग चर्चा करे तो मौन गहि रहे और श्रीप्रभुजीकी सेवामें सदा सावधान रहे और असावधान नहीं होनो जो श्रीप्रभुनकी (४६८) दोसौबावन वैष्णव की वार्ता. भगवदीय वैष्णवविना रहस्य वार्ता प्रगट नहीं करनी और धीरज कबहुं नहीं छोडनो भूखतें प्यासतें निद्रातें शीततें उद्यमतें क्रोधतें लोभतें इतनें दोषरूप हैं सो इनवें डरपते रहें इनके वश नहीं होय इनको जीतके रहनो और अभिमान नहीं करे और सब भगवदीय वैष्णवनको आदर करत रहें जो श्रीप्रभुजीको स्वरूप है और श्रीप्रभुजी की लीलाहैं सो भगवदीय वैष्णव के हृदय में रहे भगवत्स्वरूप है ऐंसो वैष्णवको रूप है अनेक नामरूपतें श्रीप्रभुजी लीला करत हैं ऐसे विचार करत रहनो जो मैं पहले कोन हतो और श्रीमहाप्रभुजीकी कृपातें कहा मोकों मिल्योहै अपने स्वरूपको विचार करत रहे जिनके ऐसे लक्षण होय तिनको उत्तम भगवदीय जाननो. ऐसे श्रीगुसांईजीके वचन सुनके कल्याणभट्ट बहुत प्रसन्न भये तब कहे जो वैष्णवको स्वरूप तो ऐंसोही है सो वे कल्याणभट्ट श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र भगवदीय हते. तातें इनकी वार्ताको पार नहीं तातें इनकी कहा कहिये ॥ वैष्णव २३३ ॥ श्रीगुसां० से एक कायस्थ सूरत में रहते तिनकी वार्ता ॥ सो वह कायस्थको नाम मोतीराम हतो और सूरतके सुबाके पास नौकर हतो और राजनगरमें कोई कामके लीये आयो हतो उहां श्रीगुसांईजीको वैष्णव ( २३४ ) मोतीराम कायस्थ. सेवक भयो हतो फेर कोईदिन सूरतके सुबाके संग आगरे गयो हतो सो पृथ्वीपतीकुं मिल्यो फेर वा सूबाने आवती वखत गोवर्धन में मुकाम कन्यो तब वह मोतीराम गोपालपुरमें श्रीनाथजीके दर्शनकुं गयो वाई समय श्रीनाथजीके राजभोग होयचुके हते तब वा कायस्थनें श्रीगुसांईजी के दर्शन किये और मनमें विचार कियो जो सुबाको तो जलदी कूच है और श्रीनाथजी के दर्शन नहीं होवेंगे. तब भंडारीकुं मिल्यो और मिलके कही जो मैं साठहजार रुपैया सेवा करुंगो जो दोयघडी उत्थापन वेग होवे तो. ये बात भंडारीने श्रीगुसांईजीसों विनती करी तब श्रीगुसांईजीनें दोघडी अवार उत्थापन कराये सो मोतीराम दर्शन विना सूबाके संग कूंच करगयो तब जायके कुबेरमें डेरा किये फेर दूसरे दिनवा मोतीरामको मोढो उतर गयो सो वा सूबाने देख्यो तब वा सूबानें पूंछी जो मोतीराम उदास क्युंहें ? जब मोतीरामने सब समाचार कहे. तब सूबाने कही जो तूं दर्शनके लीये साठहजार रुपैया खर्चतो इतो सो में तेरेंपर प्रसन्न हूं सो तुम जायके श्रीनाथजीके दर्शन कर आवो तब वे मोतीरामनें सवारे राजभोगके दर्शन आयके कप्ये श्रीनाथजीके दर्शन करके बहुत प्रसन्न भये (४७०) दोसोबावन वैष्णवकी वार्ता. और महाप्रसाद लियो अत्यंत भाग्य माने और लाखरुपैयाको हीरा लेके श्रीनाथजीकुं चिबुक आभ रण करायो सो वे मोतीराम वैष्णव श्रीगुसांईजीके ऐंसे कृपापात्र हते जिनकी आरति श्रीनाथजी सहि न सके और धन कारज सिद्ध नहीं होवे ये बात दिखाई, केवल भगवत्कृपासु सब कारज सिद्ध होते है ये बात दिखाई सो मोतीराम श्रीगुसांईजीक ऐसे कृपापात्र हते ॥ वार्ता संपूर्ण ॥ वैष्णव २३४ ॥ श्रीगुसांईजीके सेवक जीवा पारेख तथा सहजपाल डोशी तथा दलाल माधवदास तिनकी वार्ता ।। सो वे तीनों जने आपसमें मित्र हते और चाचा हरिवंशजीके पास नाम पाये हते और जब श्रीगु साँईजी राजनगर पधारे तब वे तीनों जने जायके खंभातमें पधराय लाये और कुटुंबसहित श्रीगुसांईजीके सेवक भये और श्रीठाकुरजी पधराय के सेवा करन लगे फेर एकदिन माधवदास दलालनें और सहजपाल डोशीनें वीनती करी जो महाराज! हम वेपार में झूठ बोले हैं जो दोष लगेहें के नहीं ? तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी" नानृतात्पात कं परं" इति ॥ झूठ समान पाप नहीं. तब माधवदासनें बीनती करी जो मैं दलाली करूंहुं आज पीछे झूठ नहीं बोलुंगो मेरे गाहकनकुं आछी रीतीसुं माल देवावैष्णव ( २३५ ) सहजपाल अदि. ऊंगो तब सहजपाल डोशीनें कही मैं एक आना नफा खाऊं अधिक नहीं खाऊंगो ऐंसी इच्छा होवे तो ल्यो सो वे तीनोंजने सत्यवादी हते और कोई दिन झूठ नहीं बोलते तब विनको सत्यपणो देखके श्रीठाकुरजी बहुत प्रसन्न भये और भगवद्गुण गान करते विनके गदगद कंठ होय जाते और कीर्तन के अनेक प्रकारके अर्थ करते एकदिन माधवदास दलालनें जीवापारेख पूंछी जो अन्याश्रय कहा होवे हैं ? तब जीवापारेखनें कही जो श्रीकृष्ण विना अंशावतारके भजनपर्यंत अन्याश्रय होवे है और सर्वत्र व्यापक मानके जो दूसरे देवकी पूजा करे तोडुं बाधकहै कारण जो अनेक देवरूपी भगवान भये हें एक एक देवकी पूजा विधि प्रमाणें करे तोडुं पार नहीं आवे. तेतीस कोटी देवता हैं सो इतने तो आवरदा मनुष्यकी नहीं है जो सब देवतानकी पूजा करिसके जासुं सर्व देवके मूल जो पुरुषोत्तम विनकी सेवा करे तें सब देवकी सेवा होजाय और कोई वाकुं प्रतिबंध नहीं करसके. जैसे-एक वृक्ष के अनेक पत्रहैं आर फलहैं और डारहें विनकुं पोषण मूलसींचनतें होते है ऐसे सब देवको पूजन श्रीपूर्णपुरुषोत्तमकी सेवातें होते है ये सुनके माधवदास दलाल बहुत प्रसन्न भये. फेर एकदिन (४७२) दोसौबावन वैष्णवकी वार्ता. चाचाहरिवंशजी खंभात आये तब वे सहजपाल डोशीनें पूंछी-- जो श्रीठाकुरजीनें सात दिनपर्यंत गिरिराजजीकुं क्युं धारण कियो ? वाको कारण कहो तब चाचाहरिवंशजी बोले- जो नंदरायजीकुं सात प्रकारको अन्याश्रय हतो सो गिरिराज पूजनतें सात प्रकारको अन्याश्रय मिटयो; सो एक तो मनुष्यमात्रपर देव ऋण होते है और दूसरो ऋषिॠण होते हैं और तसिरो पितृऋण होते है और चौथो देहके बलको अभिमान होवेहै और पाँचमो सगानके बलको अभिमान होवेहै और छठो या लोग में जो ये काम नहीं करूंगो तो मेरी निंदा होवेगी ये अहंकार होवेहै और सातमो ये तीनों ॠण मेरे ऊपर रहेंगे तो मेरो परलोक बिगडेगो ऐसी रीती जीवमें सात प्रकारके अन्याश्रय रहेंहें, ये छुडायवेके लायें और मनमें निःसाधन होयके भगवदाश्रय दृढ करनो ये बात नंदरायजीकुं जतावे के लीयें श्रीठाकुरजीनें सात दिवससूधी श्रीगिरिराज धन्योहै. ये बात पुष्टिप्रवाह मर्यादा ग्रंथकी टीका में लिखी है ये सुनके सहजपाल डोशी बहुत प्रसन्न भये और फेर जो चाचाहरिवंशजीके संग दर्शन करवक्कुं गये वे तीनों जने श्रीगुसांईजीके ऐंसे कृपापात्र हते ॥ वार्ता संपूर्ण ॥ वैष्णव २३५ ॥ वैष्णव (२३६) चांपाभाई. श्रीगुसांईजीके से चांपाभाई अधिकारी तिनकी वार्ता ॥ सो वे चाँपाभाई गुजरात में सेवक भये हते तब श्रीगुसांईजीनें चांपाभाईकुं आपके पास राखे फेर नित्य कथा श्रवण करावते. जब चांपाभाईकुं श्रीगु सांईजी विषे संपूर्ण भाव उत्पन्न भयो और चांपाभाईकी ऐसी वृत्ति भई जो श्रीगुसांईजी के ऊपर दोषबुद्धि न आवे तब श्रीगुसांईजीनें चांपा भाईकी ऐंसी दशा देखके अधिकार सोंप्यो तव चौपाभाई अधिकार करन लगे फेर श्रीगुसांईजीनें विचार कियो जो हमारे घरको जो अधिकार करे तो वाकी बुद्धि फिरेविना रहे नहीं, परंतु चांपा भाईकी बुद्धी जो फिरेगी तो याकी बुद्धीकुं आपण फेर ठेकाने लावेंगे ये विचारके आपने अधिकार सोंप्यो. सो एकसमय श्रीगुसांईजी गुजरात पधारे रस्ता में बीरबल मिले तब बीरबलनें चांपाभाईसुं पूंछी जो श्रीगुसांईजी शीतकाल में क्युं परदेश पधारेहें? तब चांपाभाईनें कही जो करज बहुत है. तब बीरबलनें कही जितनो द्रव्य चहिये इतनो तैयार है. श्रीगुसांईजीकुं पाछे श्रीगोकुल पधराय लेजावो तब चांपाभाईनें श्रीगुसांईजीसों वीनती करी तब श्रीगुसांईजीनें ऐंसो विचायो जो चांपा भाईकी बुद्धि फिरगई है हम द्रव्यकेलीयें परदेश पधारें हैं ऐसो समझो है और हमारे पधारवेको कारण तो दैवी जीवके उद्धार करनेको है तब श्रीगुसांईजीनें अर्धरात्रीकुं कूच कन्यो बीरबलकुं खबर न करी. फेर दूसरे दिन चांपाभंडारीकुं आपनें आज्ञा करी जो तुमारी बुद्धि फिरगई है अब तुम चरणोदक लेउ और श्रीसर्वोत्तमजीको पाठ करो तब चाँपाभंडारीनें वीनती करी जो मैंनें तो आपकी सेवाके लीयें बीरबलकुं बात कीनी ह्ती तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी जो इतने प्रकार के द्रव्य श्रीठाकुरजी अंगीकार नहीं करें है एक तो राज्यको द्रव्य एक वेश्याको द्रव्य एक कृपणको द्रव्य और एक हिंसाको द्रव्य एक ठगाईको द्रव्य एक चोरीको द्रव्य एक विश्वासघातको द्रव्य एक कन्याविक्रयको द्रव्य इतने प्रकारको द्रव्य श्रीठाकुरजी अंगिकार नहीं करें है. जासुं तुम कोईकुं द्रव्य संबंधी सेवाकी बात करोमती, जिनको अंगीकार प्रभुको चाहेंगे विनको स्वतः सिद्ध होवेगो महात्यागी होवे और भगवत्पदवीकुं प्राप्त भयो होवे तोहुं दुष्ट अन्न खाय वें वाकी बुद्धि फिरे ये बात श्रीमहाप्रभुजीनें भक्तिवर्धिनीग्रंथ में आज्ञा करी है । सो श्लोक -- "लभते सुदृढां भक्ति सर्वतोप्यधिकां पराम् ।। त्यागे बाधकभूयस्त्वं दुःसंसर्गात्तथान्नतः ॥" वैष्णव ( २३७ ) तानसेन. सो अन्न जो कह्यो है सो अन्न तो कछु दुष्ट होवेही नहीं परंतु वह अन्न जैसे द्रव्यसुं खरीद भयो होवे वैसे अन्नमें दुष्ट पदवी आय जायगी जासुं दुष्ट अन्नको और दुःसंगको बहुत बचाव राखनो. ये बात सुनके चांपाभाई बहुत प्रसन्न भये और ऐसो नेम राख्यो जो कोईको द्रव्यसंबंधी सेवाकी बात करणी नहीं सो वे चांपाभाई श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र हते ॥ वार्ता संपूर्ण ॥ वैष्णव २३६ ॥ श्रीगुसांईजीके सेवक तानसेन तिनकी वार्ता ।। सो तानसेन बडी जातवाले हते और गानविद्याको अभ्यास बहुत सुंदर हतो सो दिल्ली में पृथ्वीपतीके पास रहते हते और सब गवय्यानमें तानसेनजी मुख्य हते और पृथ्वीपर जे कोई राजा और बडे आदमी हते विनके पास तानसेनजी गावे जाते हते सो लाखन रुपैया इनाम लावते पृथ्वीपतीके कलावत जानके सब डरपते एकदिन तानसेन श्रीगु सांईजीके पास गायवेकुं आये सो गाये तब तानसेनकुं श्रीगुसांईजीनें दशहजार रुपैया इनामके दिये और एक कौडीदीनी. तब तानसेननें पूंछयो जो दशहजार रुपैया तो ठीक परंतु कौडी कैंसी है तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी जो तुम पादशाहके कलावत हो जाके दशहजार रुपैया है और (४७६) दोसौबावन वैष्णवकी वार्ता. तुमारे गावेकी कीमत हमारे गवैयनके आगे कौडी है तब तानसेननें कही जो ये बात मैं कैंसे मानुं? तब श्रीगुसांईजी नें गोविंदस्वामीकुं आपके पास बुलाये और आज्ञा करी एक पद गावो. तब गोविंदस्वामीनें एक सारंग रागमें गायो सो पद -- "श्रीवल्ल भनंदनरूप अनूपस्वरूप कह्यो नहिं जाई ॥" सो ये पद सुनके तानसेन चकित होयगये और गोविंदस्वामीको गान सुनके विचार कयो जो मेरो गान इनके आगें ऐसेहै जैसे मखमलके आगें टाटहै ऐंसे है सो ये कौडीकी इनाम खरी. तब गोविंदस्वामीसुं तानसेन ने कही जो बावासाहेब ! मोकुंगान सिखावो तब गोविंदस्वामीनें कही हमतो अन्यमार्गीयसुं भाषणहुं नहीं करें तब तानसेन श्रीगुसांईजीके सेवक भये और पचीसहजार रुपैया भेट करे और गोविंदस्वामीके पास गायनविद्या सीखे और श्रीनाथजीके पास कीर्तन गायवे लगे जब तानसेन महीनामें एकवार पादशाहके पास जाते और बहुधा करके महावन में रहते फेर राजा आसकरणकुं मिले सो बात आसकरणजीकी वार्ता में लिखी है फेर एकदिन तानसेनजी श्रीनाथजीके पास कीर्तन करत हते तब श्रीनाथजी सुनके मुसकाये तब वा दिनवें तानसेननें पादशाहके इहाँसुं जायवो आयवो छोड वैष्णव ( २३८) ब्राह्मणदंपती. (४७७) दियो और श्रीगुसांईजीके पास रहे आये जिनसुं श्रीनाथजी बोलते हंसते. श्रीगुसांईजीकी कानतें तानसेनकुं श्रीनाथजी सब अनुभव करावते सो वे तानसेनजी ऐसे कृपापात्र हते ॥ वैष्णव २३७ ॥ श्रीगुसांई● से एक ब्राह्मण और वाकी स्त्री तिव्वार्ता ॥ सो वे ब्राह्मण पूर्व में रहतो हतो सो श्रीगुसांईजी पूर्वदेश में पधारे तब वे सेवक भये और श्रीठाकुरजी पधरायके दोनों जने सेवा करन लगे तब वे दोनोंको भगवत्सेवामें मन बहुत लग्यो दिवसकुं भगवत्सेवा करते और रात्रिकुं भगवद्वार्ता करते सो सेवा के प्रतापतें विन दोनोंनकुं विषयनकी वृत्ति भूलगई दिवसरात्र भगवत्स्वरूपको विचार कन्यो करते, ऐसे करते बहुत दिन बीते. फेर ऐँसो विचार कियो जो अब मैं श्रीनाथजीके दर्शन जाऊं तो ठीक, सो उहाँतें चले सो थोडे दिननमें श्रीजीद्वार आय पहोंचे. सो श्रीनाथजीको संध्या आरतीको समय हतो तब भीड बहुत हती और वे स्रा दुर्बल बहुत हती सो भीडमें वाकुं दर्शन न भये तब वाकुं बहुत विरह भयो और नेत्रनमेंसुं जल आवे लग्यो वाकी ये दशा देखके श्रीनाथजी वाकुं हाथ पकडके निजमंदिर में लेगये तब देहसहित लीलामें प्रवेश भई तब वो ब्राह्मण अपनी स्त्रीकुं ढूंढवे लग्यो बहुत ढूंटी पण कहुं मिली नहीं. तब वा ब्राह्मणनें श्रीगुसांईजीसुं वीनती कीनी जो मेरी स्त्री दीखत नहींहै मैं बहुत ढूंढ़ी है. तब श्रीगुसांईजीनें सुनके आज्ञा कीनी जो तेरी स्त्री भगवलीलामें गई है. तब वानें वीनती कीनी जो भगवल्लीलामें तो लोग देह छोडके जाय हैं ऐसे ग्रंथन में लिखे है. तब श्रीगुसांईंजीनें आज्ञा करी प्रेममें कछु नेम नहीं है श्रीठा - कुरजी प्रेमके वश हैं और प्रेम कछु निर्बल वस्तु नहीं है जहां लाज कान अभिमान सब छूट जाय है. ये बात सुनके वा ब्राह्मणनें वीनती कीनी जो मैं एकवार वाकुं देखूं तब अन्न जल लेउं तब श्रीगुसाईजी वा ब्राह्मणकुं संग लेके परासोली पधारे उहाँ रासको चोतरा हतो सो उहां श्रीगोवर्द्धननाथजी रास करत ह्ते सो वा ब्राह्मणकुं श्रीगुसांईजीनें कृपा करके दिव्यदृष्टि दीनी तब रासके दर्शन भये और रासमें वाकी स्त्री दिखाई तब वह देखके मन में बहुत प्रसन्न भयो और विचार कियो याके भाग्य ऐसे उदय भये और मेरे न भये ऐसे करके मन में बहुत पश्चात्ताप करन लग्यो फेर देखे तो कछु नहीं हतो फेर श्रीगुसांईजी के पास आयके दंडवत करी और महाप्रसाद लियो तब वा ब्राह्मणकुं अत्यंत विरह भयो और मुख में तें ज्वाला निकसी तब वैष्णव ( २३९ ) ध्यानदास. वा ब्राह्मणकी देह छूट गई सो तत्काल भगवल्ली-! लामें प्राप्त भयो सो वे ब्राह्मण स्त्रीपुरुष श्रीगुसाईजीके ऐसे कृपापात्र हते जिनकुं भगवडीला में जातें विलंब न लगी ॥ वार्ता संपूर्ण ॥ वैष्णव २३८ ।। श्रीगुसांईजीके से ध्यानदास तथा जगन्नाथदास तिव्वार्ता । सो वे ध्यानदास श्रीगुसांईजीके पास रहते हते और जगन्नाथदास श्रीगुसांईजीके पास आयके रहे सो वे जगन्नाथदासक हाथ में पद्मको चिह्न हतो सो जा वस्तुमेंसुं एक काढते और एक वटजाती और दोय काढते सों दोय बढजाती परंतु घटती नहीं हती जगन्नाथदास भोरे बहुत हते विनकुं या बात की खबर नहीं पड़ती. एकदीन श्रीगुसांईजीकी भेटके पैसा जगन्नाथदासके पास हते तब बहुत भिखारी मांगवेकुं आये तब जगन्नाथदास काढ काढके सबकुं एक पैसा दो पैसा देते गये तव ध्यानदासने श्रीगुसांईजी सुं वीनती करी जो जगन्नाथदास सबकुं देवेहै सो कहासु काटे है ? तब ध्यान दासक्कुं श्रीगुसांईजीनें उत्तर दियो, जो जे कोई सत्कर्म करनेकुं मन करेहै ताकी सहायता प्रभु आप करे हैं और विनके लिये सब पहले बनाय राखेहैं विनकुं कछु कार्य करवे नहीं परेहै विनके कारज श्रीठाकुर जी स्वतः सिद्ध पहिले बनाय राखे हैं जासुं तुमकुं कोईको अभाव नहीं लायो चहिये वैष्णवतो निर्दोष है और निर्दोष वस्तूमें जो दोषारोपण करे हैं सो आप दूषित होते हैं जासुं तुम तो वैष्णव हो और दोषरहित हो काहे कोईके ऊपर दोषारोपण करोहो ये सुनके ध्यानदास बहुत प्रसन्न भये और ऐंसो नेम लियो आज पीछें भगवद्ध्यान छोड़के कोइके दोष नहीं देखूंगो जन्मपर्यंत विननें कोईके दोष देखे नहीं भगवड्यानहीं करत रहे सो वे ध्यानदास तथा जगन्नाथदास श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र ह्ते जिनक्कुं तुर्त निर्दोष ज्ञान होयगयो सो वे ऐसे वैष्णव हते ॥ वैष्णव २३९ ॥ श्रीगुसांईजीके सेवक गोपालदास तिनकी वार्ता ।। सो वे गोपालदासकुं नामनिवेदन भयो तब गोपालदासनें श्रीगुसांईजीसों वीनती करी जो महाराज अब मेरेकूं कहा करणो ? तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी तुम गोपीनाथको सत्संग करो तब गोपालदास गोपीनाथके पास जायके रहे और विश्वास ऐंसो राख्यो जो गोपीनाथ विना विचा-यो कछु काम करे नहीं है और गोपीनाथ कैसे हते साक्षात् पूर्णपुरुषोत्तम श्रीनाथजी जिनकें पाछें फियोही करते सो कॉईदिन गोपीनाथ कछु कार्यार्थ ब्रजमेसुं दिल्ली गये तब गोपालदासहुं संग गये रस्वामें जंगल में वैष्णव ( २४० ) गोपालदास. रातपडी जहां कोई मनुष्य नहीं हतो सो एक वृक्ष के नीचे डेरा कन्यो सो गोपालदासतो थाके हते सो सोयगये और गोपीनाथ तो श्रीसर्वोत्तमजीको जप करवेको बैठगये जब रात सवापहर गई तब एक सर्प आयो सो गोपालदासके गलामें काटवे लग्या तब गोपीनाथनें लकडीसों उठाय के सर्पकुं दूर कन्यो फेर सर्प आयो फेर गोपीनाथनें फेंक्यो ऐंसे करके १०० सौ वार फेंक्यो और १०० वार आयो तब वो सर्प बोल्यो जो तु मोकुं कहां सूधी फेंकेगो याको और मेरो ऋणानुबंध ऐंसोही लिख्यो है एक जन्ममें ये मेरे गलाको लोहू पीवेहै और एक जन्ममें याके गलाको लोहू मैं पीवुंहुंसो यामें तुम क्यु आडे आवोहो गोपनिाथ बोल्यो अव तो गोपालदासको छेलो जन्म है मैं याकुं काटवे नहीं देऊंगो तब सर्प बोल्यो याको लोहू पिये बिना नहीं रहुंगो तब गोपीनाथनें कही बैठ याके गलेको लोह तोक्कुं प्याय देऊंगो तब सर्प बैठ रह्यो तब गोपीनाथनें छुरी और कटोरी काढी नीचे कटोरी घरके और वाके गलामेंतें लोहू काटवे बैठ्यो तब गोपालदासकी नींद खुली तब बोले कौन है तब गोपीनाथ बोले मैंहूं तब गोपालदासकुं सर्पकी खबर नहीं हती तो हु मनमें ऐंसी आई जो गोपीनाथ करते होयंगे सो ठीकही करते होयंगे ऐंसे समझके चुप कररहे ऐंसी मनमें न आइ जो जंगलमें लायके मोकुं मारेहें और कछु जानवेही न हते और कुछ पूछीहुं नहीं तब गोपीनाथनें वा सर्पक लोह प्यायके विदा कयो और गोपालदासकुंमलमपट्टी लगायके फिर गोपीनाथ सोयगये सवारे उठके दोनों चले फिर गोपीनाथनें सब बात गोपालदाससुं कही तब दोनोंजने श्रीगोकुल आये तब गोपीनाथनें श्रीगुसांईजीसों विनती करी जो गोपालदासको मैंनें गला काट्यो तोडुं कछु नहिं बोले तब श्रीगुसांईजीनें आज्ञा करी जो गोपालदास नें विश्वास राख्यो तो याको सब कार्य भयो और मृत्युसों बचे और वैष्णव के संगतें जन्म जन्मके संकटसों छूटे ऐसो विश्वास चहिये सो वे गोपालदास श्रीगुसांईजीके ऐसे कृपापात्र हते जिनके विश्वासकी सराहना श्रीगुसांईजी घडि घडि करते ॥ वै०२४० ॥ श्रीगुसांईजीके सेवक पृथ्वीसिंघजी बीकानेर के राजा कल्याणसिंहजीके बेटा तिनकी वार्ता । सो वे पृथ्वीसिंघजी कविता बहुत करते और कवित्त सवैया छंद दोहा चौपाई ऐसे अनेक प्रकारकी कविता रचि हती और रुक्मिणीवेल और स्यामलता इत्यादिक भाषाके बहुत ग्रंथ जिनमें बनाये और दिवसरात्र श्रीठाकुरजीकी सेवा करते वैष्णव ( २४१ ) पृथ्वीसिंघजी. जिनको चित्त श्रीठाकुरजीके चरणारविंद छोडके और ठिकानें लागतो नहीं हतो और विनको संसारके विषय में चित्त लागतो नहीं हतो और वे ऐसे हते जब आपनी राणीकुं देखते तब पहँचानते न हते जो ये कौन है ऐँसो चित्त विनको श्रीठाकुरजीमें हतो और पृथ्वीसिंघजी परदेश गये तब मानसी सेवा करते. एकदिन बीकानेर ऊपर शत्रु चढ आये तब तीन दिन सूधी लडाई भई और दूसरे शत्रु दूसरी आड़ी आये तब श्रीठाकुरजीनें तीन दिन सूची लडाई करी और राजको काम चलायो और मंदिर में दर्शन कोईको दिये नहीं और मंदिर के कुमाड़ भीतरसुं बंद होय गये कोईसों खुले नहीं. चौथे दिन कमाड खुले जब पृथ्वीसिंघजी परदेश में मानसी सेवा करते जब उहाँ खबर पडी जो तीन दिन सूधी श्रीठाकुरजी नें दर्शन नहीं दिये सो पृथ्वीसिंघजीके मनमें ऐसे दर्शन भये तब ये बात बीकानेरमें लिख पठाई सो साची निकसी सो पृथ्वीसिं घजी ऐसे कृपापात्र हते ॥ प्रसंग ॥ १ ॥ फेर पृथ्वीसिंघजीनें ऐंसो नेम लियो जो ब्रजमें वास करनो, ब्रजमें देह छोडनी या बातकी खबर पृथ्वीसिंघजीके शत्रु नकुं पडी सो विननें दिल्लीपतीकुं सिखायो याकुं कहुं दूर पठावें तो ठीक. तब दिल्ली(४८४ ) दोसौबावन वैष्णवकी वार्ता. पतीनें पृथ्वीसिंघजीकुं काबलकी मुहिमपर पठाये सो उहाँ बहुत मुलक जीते. तब उहां पृथ्वी सं घजीको काल आयो तब पृथ्वीसिंघजीनें कालतें कही मैं ब्रज में देह छोडूंगो, तब काल हट गया. तब पृथ्वीसिंघजी सांडनीपें बैठकर उहाँसों चले सो दो दिनमें मथुरा आये और बीच में नदी और पर्वत बहुत हते परंतु कोई ठिकाने पृथ्वीसिंघकुं प्रतिबंध न भयो और काबुल ६०० कोस मथुराजीसो है सो दोय दिनमें आय गये ब्रजमें आयके श्रीनाथजीके दर्शन करके यमुना पान करके देह छोड दीनी. सो वे पृथ्वीसिंघजी श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपापात्र हते. जिनकुं कालनें प्रतिबंधन कन्यो ॥ वै.२४१॥ श्रीगुसांईजीके सेवक दुर्गावती राणी तिनकी वार्ता ॥ एक समय श्रीगुसांईजी दक्षिण पधारे हते दक्षिणतें तैलंग ब्राह्मणज्ञातिके या देशमें रहने के लिये लाये सो रस्तामें घडागाममें नर्मदा किनारे मुकाम कियो और उहाँ एक आदमी आंच लेवे गयो सो दक्षिणी हतो सब ठिकाने इस्तु इस्तु पूछे सो वा देशमें कोई इस्तु समझतो नहीं हतो सो बहुत ठिकाने फिरके पाछें आयो तब श्रीगुसांईजीसों कही जो इहाँ आँच नहीं मिले तब श्रीठाकुरजीकुं बहुत अवार होयगई हती जासुं श्रीगुसांईजीनें ( ४८६) दोसौबावन वैष्णवकी वार्ता. ईंजीके डेरा हते सो उहाँ बैठक कराई और उहां श्रीगुसांईजीने सप्ताहपारायण करी और उहां दुर्गावती राणीकुं नित्य दर्शन होते फेर श्रीगुसांईजी श्रीगोकुल पधारे और दुर्गावतीराणी उहां नित्य श्रीगुसांईजी के दर्शन करती साक्षात् श्रीमद्भागवतको पाठ करते ऐसे दर्शन होते सो वे दुर्गावती राणी श्रीगुसांईजीकी ऐसे कृपापात्र हती । वै ०२४२ ॥ श्रीगुसांईजीके सेवक भगवानदास तिनकी वार्ता ।। सो वे भगवानदासजी सारस्वत रामरायजी श्रीमहाप्रभुजीके सेवक ह्ते सो विनके यजमान हते विनके सत्संगतें भगवानदासजीकी बुद्धि निर्मल भई हती एक दिन भगवानदासजी वृंदावनमेंसुं चले सो रामरायके संग गोपालपुर में जन्माष्टमीके दर्शन करने गये. श्रीगुसांईजी के दर्शन किये सो साक्षात् पूर्णपुरुषोत्तम के दर्शन भये. तब भगवानदासजीनें रामरायजीसुं कहा मोकुं श्रीगुसाँईजीके सेवक करावो. तब रामरायजीनें कही तुम गोविंददेवजीके सेवक भये हो तब भगवानदासजीनें कही इनमें और गोविंददेवजीमें कछु भेद नहीं है गोविंददेवजीकी कृपातें तुम मिलेहो और तुमारी कृपातें श्रीगुसांईजीके दर्शन भये हैं जा मोकुं अबीके अबी वीनती करके सेवक करावी वैष्णव ( २४३ ) भगवानदास. तब रामरायजीनें श्रीगुसांईजीसुं वीनती करके भगवानदासजीकुं नामनिवेदन करायो, तब भगवानदासजी श्रीगोवर्धननाथजी के दर्शन करे सो भगवानदासके हृदय में भगवलीलाकी स्फूर्ती भई सो जन्माष्टमी के दिन साँझको समय हतो वाईदिन भूखे हते जासूं सांझकुं नाम निवेदन भयो फेर वाईसमय श्रीनाथजीके सन्निधान एक नयो पद करके गायो । सो पद-"श्रवण सुनु सजनीवाजे मंदिलरा आज निसलागतपरमसुहाई अति आवेश होत तन मनमें श्रीगोकुल बजत बधाई ॥१॥ दे दे कान सुनत अरु फूलत रावलके नरनारी ॥ नंदरानी ढोटा जायो है होत कुलाहल भारी ॥ २ ॥ अति ऊंचें चढि टेर सुनावत पसरि उठे जे ग्वाल ॥ गैयां बगदावोरे भैयां भयो नंदके लाल ॥ ३ ॥ आनंद भरि अकुलाय चली सब सहज सुंदरी गोपी ॥ प्रादुर्भाव जसोदा सुतको तामें तनमन ओपी ॥ ४ ॥ चंचल साज शृंगार चंदमुखि चंचल कुंडल हारा ।। हाथन कंचन थार बिराजत पदनूपुर झनकारा ॥ ५ ॥ वरखतचकुसुमन शोभित गलिदरस चोंप जियभाई ॥ गावत गीत पुनीत करत जग जसुमति मंदिर आई ॥ ६॥ धन्यदिवस धन्यरात्र आजकी धन्यधन्य यह सबगोरी ।। स्यामसुंदर चंदेलिरखत मानो अखियां त्रिपितचकोरी ॥७॥ शोभायुत आई कीरति अपने गृह मानि बधाये ॥ जाचक जन धनघन जो वरखत भान गोप तहां आये ॥ ८॥
[१५ पर्व्व। मुझपर दया कीजिये मेरी बेटी भूतसे अति पीड़ित है । परन्तु उसने उसको कुछ उत्तर न दिया और उसके २३ शिष्यांने उससे बिन्ती कर कहा इसका बिदा कीजिये क्योंकि वह हमारे पीछे पीछे पुकारती है। उसने उत्तर २४ दिया कि इस्रायेलके घरानेकी खोई हुई भेड़ोंको छोड़ मैं किसीके पास नहीं भेजा गया हं । तब स्त्रीने आ उसको २५ प्रणाम कर कहा हे प्रभु मेरा उपकार कीजिये। उसने २६ उत्तर दिया कि लड़के की रोटी लेके कुत्तोंके आगे फेंकना अच्छा नहीं है । स्त्रीने कहा सच हे प्रभु तौभी २७ कुत्ते जो चूरचार उनके स्वामियोंकी मेजसे गिरते हैं से सो खाते हैं । तब योशुने उसको उत्तर दिया कि हे नारी २८ तेरा विश्वास बड़ा है जैसा तू चाहती है वैसाही तुझे हाय. और उसकी बेटी उसी घड़ोसे चंगी हुई। योशु वहांसे जाके गालीलके समुद्र के निकट आया २८ और पर्व्वतपर चढ़के वहां बैठा । और बड़ी बड़ी भीड़ ३० अपने संग लंगड़े अंघ गूंगे टुंडों और बहुत से औरोंको लेके यीशु पास आई और उन्हें उसके चरणोंपर डाला और उसने उन्हें चंगा किया. यहांलां कि जब ३१ लोगेांने देखा कि गंगे बोलते हैं टंडे चंगे होते हैं लंगड़े चलते हैं और अंधे देखते हैं तब अचंभा करके इस्त्रायेलके ईश्वर की स्तुति किई । तब यीशुने अपने शिष्यांका अपने पास बुलाके कहा ३२ मुझे इन लोगोंपर दया आती है क्योंकि वे तीन दिनसे मेरे संग रहे हैं और उनके पास कुछ खानेका नहीं है और मैं उनको भोजन बिना बिदा करने नहीं चाहता हूं
West Bengal Assembly Elections 2021: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के चौथे फेज में 44 सीटों के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया. अधिकारियों के प्राप्त जानकारी के अनुसार, हावड़ा (Howrah) जिले में नौ सीटों, दक्षिण 24 परगना में 11, अलीपुरद्वार (Alipurduar) में पांच, कूचबिहार में नौ और हुगली (Hooghly) में 10 सीटों पर कोविड-19 संबंधी नियमों का सख्ती से पालन करते हुए मतदान हो रहा है. मतदान केंद्रों के बाहर वोटरों की लंबी कतारें देखी गई. मतदान शाम साढ़े छह बजे तक चलेगा. इस बीच, पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'पश्चिम बंगाल में चौथे चरण का मतदान हो रहा है. मैं लोगों से रिकॉर्ड संख्या में मतदान करने का आग्रह करता हूं. खासकर युवा और महिला मतदाताओं से मैं बड़ी संख्या में आकर मतदान करने का अनुरोध करूंगा. ' यह भी पढ़ें- WB Assembly Elections 2021: क्या बंगाल में ममता बनर्जी का किला ढहा पाएंगे पीएम मोदी और अमित शाह? वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, 'मैं बंगाल में अपने भाइयों और बहनों से आग्रह करती हूं कि वे आज बड़ी संख्या में बाहर आएं और अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करें. ' बता दें कि चौथे फेज में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) और राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी एवं अरुप बिस्वास समेत 373 उम्मीदवारों की राजनीतिक किस्मत का फैसला 1. 15 करोड़ से अधिक मतदाता करेंगे. As the 4th phase of the West Bengal elections begin, urging the people voting today to do so in record numbers. I would especially request the youth and women to vote in large numbers. আমি বাংলার সকল মা, ভাই ও বোনেদের আবেদন করব, সকলে আজ বিপুল সংখ্যায় নিজের গণতান্ত্রিক অধিকার প্রয়োগ করুন। I urge my brothers and sisters in Bengal to come out in large numbers and exercise their democratic right today. शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं. 15,940 मतदान केंद्रों पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 789 टुकड़ियां तैनात की गई है. सीपीएफ की सबसे अधिक 187 टुकड़ियों की तैनाती कूचबिहार में की गई है जहां चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पर हमले समेत हिंसा की छिटपुट घटनाएं देखी गई. केंद्रीय बलों की सहायता के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर राज्य पुलिस बल की भी तैनात की गई है. उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीटों के लिए आठ चरणों में चुनाव हो रहा है. पहले चरण के लिए 27 मार्च, दूसरे चरण के लिए 1 अप्रैल, तीसरे चरण के लिए 6 अप्रैल को मतदान हो चुका है. आज चौथे चरण का मतदान हो रहा है. पांचवे चरण के लिए 17 अप्रैल, छठे चरण के लिए 22 अप्रैल, सातवें चरण के लिए 26 अप्रैल और आठवे व अंतिम चरण के लिए 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती 2 मई को होगी और नतीजे भी इसी दिन सामने आएंगे.
सलूणी - उपमंडल मुख्यालय में आयोजित महादंगल मुकाबले की बडी माली के मुकाबले में दिल्ली के भोला कासमी ने सोनू को हराकर मल्लसम्राट का खिताब जीता। महादंगल की बडी माली की ईनामी राशि एक लाख 11 हजार रुपए रही। महादंगल मुकाबले के समापन मौके पर जिला भाजपा प्रधान डीएस ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि उपस्थिति दर्ज करवाई। उन्होंने महादंगल मुकाबले के विजेता व उपविजेता पहलवानों को पुरस्कृत करने की रस्म भी अदा की। उन्होंने अपने संबोधन में उपस्थित जनसमूह को मेले की मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा कि यह मेले हमारी समृद्ध लोकसंस्कृति के परिचायक हैं। मेलों के आयोजन से जहां आपसी भाईचारा बढता है वहीं लोक संस्कृति का आदान- प्रदान भी होता है। उन्होंने अपनी ओर से मेला कमेटी को एक लाख एक हजार रुपए की नगद राशि भी भेंट की। महादंगल आयोजन कमेटी के सदस्यों ने मुख्यातिथि डीएस ठाकुर को शाल व टोपी पहनाकर और स्मृति चिंह भेंटकर सम्मानित भी किया। इससे पहले सोमवार सवेरे महादंगल मुकाबले के मौके पर पंचायत घर से मेला ग्राउंड तक एक भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई। महादंगल के शुभारंभ मौके पर जिला परिषद अध्यक्ष धर्म सिंह पठानियां मुख्यातिथि रहे। उन्होंने विधिवत तरीके से महादंगल मुकाबले की शुरूआत करवाई। इस मौके पर एसडीएम सलूणी विजय कुमार धीमान, डीएसपी रामकरण राणा, पीडब्ल्यूडी के एक्सईन अरूण पठानियां, आईपीएच के एक्सईन हेंमत पुरी, वरिष्ठ भाजपा नेता मुकेश शर्मा के अलावा मेला कमेटी अध्यक्ष पवन ठाकुर, महासचिव मदन ठाकुर, रत्न चंद, जमीत राणा, केशव ठाकुर, लक्ष्मण सिंह, सरदार बलवंत सिंह, भगत राम व राजकुमार समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। महादंगल मुकाबले में हिमाचल के अलावा दिल्ली, पंजाब और जम्मू- कश्मीर के कई नामी पहलवानों ने दमखम दिखाया।
Big Breaking: रूठे पासवान को मनाने में सफल रही बीजेपी, हुआ समझौता! CM : कौन होगा छत्तीसगढ़ का सीएम, आज होगा तय, आलकमान में मंथन जारी! Congress: राजस्थान के सीएम पर फंसा पेच, बैठकोंं का दौरा जारी! Big News: आज होने जा रही है प्रमुख विपक्षी दलों की अहम बैठक, महागठबंधन पर होगा जोर! Big News: 10 दिसम्बर को होने जा रही है अहम बैठक, मायावती का रूख अबतक साफ नहीं! Meeting: बंद कमरे में मिले आरएसएस और भाजपा चीफ, शायद मंदिर मुद्दे पर हुई चर्चा! Meeting: आज दिल्ली में हुई राजनैतिक दलों की अहम बैठक, एंटी बीजेपी मोर्चा बनाने की कवायद शुरू! Meeting: अमित शाह की मौजूदगी में संघ और योगी की सरकार के बीच हो रही है अहम बैठक! Exclusive: भाजपा के तीन विस्तारकों को पद से हटाया गया, जानिए क्यों ?
हिमाचल के जिला कांगड़ा के विधायक पवन काजल ने कहा नंदेहड़ , ज़मानाबाद, अब्दुलापुर, कोटक्वाला गांव में भी सीवरेज योजना का निर्माण कर ग्रामीणों को सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। बुधवार को जनसंपर्क अभियान के अंतर्गत ग्राम पंचायत नंदेहड़ में काजल ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में विधायक प्राथमिकता योजना के आधार पर सीवरेज परियोजना का निर्माण करवा कर ग्रामीणों को सुविधा मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा नांदेड़ गांव को कांगड़ा शहर से जोड़ने के लिए गर्ग कॉलोनी वीरता तक मनुनी खड्ड के ऊपर पुल का निर्माण कर सड़क मार्ग को विकसित किया जाएगा। इन दोनों परियोजनाओं का निर्माण एमएलए प्राथमिकता पर करवा कर ग्रामीणों को सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। पुल का निर्माण होने से कांगड़ा शहर की दूरी 5 से 7 किलोमीटर कम होगी। 13 सितंबर को कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर आ रहे मुख्यमंत्री जय राम के स्वागत के लिए ग्रामीणों को निमंत्रण देने पहुंचे। काजल ने कहा कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में महिला शक्ति का उत्थान हुआ है। उन्होंने कहा मटौर में राजकीय डिग्री कॉलेज के भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर है और आने वाले समय में स्थानीय युवा पीढ़ी के लिए सांइंस विषय की कक्षाएं भी शुरू करवा दी जाएंगी। काजल ने कहा चुनावी बेला पर कुछ महत्वाकांक्षी नेता संगठन को दरकिनार कर चुनाव लड़ने की बातें कर रहे हैं। ऐसे स्वयंभू नेताओं से बचने की अपील काजल ने क्षेत्र के विकास के हित के लिए ग्रामीणों से की। उन्होंने कहा देश, प्रदेश और विधानसभा क्षेत्र का विकास, महिला सुरक्षा बीजेपी सरकार के शासन में ही सुरक्षित है। काजल ने गांव के 10 महिला मंडलों को दस-दस हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी जारी की। This website follows the DNPA Code of Ethics.
बीबीएन, 12 जुलाई (निस) बीबीएन के उद्योगों के दूषित पानी को ट्रीट करने के लिए बद्दी के केंदुवाल में स्थापित सीईटीपी प्लांट को भी सरसा नदी की बाढ़ ने भारी नुक्सान पहुंचाया है। सरसा के किनारे बने सीईटीपी में रविवार व सोमवार को आई बाढ़ ने डंगा व सुरक्षा दीवार को तोड़ दिया। बाढ़ का पानी सीईटीपी प्लांट में आ जाने से प्लांट की कई मोटरों व अन्य सामान को भारी नुक्सान हुआ जिससे दो दिन प्लांट पूरी तरह से बंद रहा। इस दौरान सीईटीपी में उद्योगों से आने वाले दूषित पानी की सप्लाई को भी रोक दिया गया। औद्योगिक क्षेत्र झाड़माजरी से पाइप के जरिए सीईटीपी में आ रहे उद्योगों के दूषित पानी की पाइप लाइन बाल्द नदी में फट गई है जिससे उद्योगोंं का पानी प्लांट में आना बंद हो गया है। बाल्द नदी में जलस्तर ज्यादा होने के चलते पाइप लाइन सुचारू कर पाना भी सीईटीपी प्रबंधकों के लिए चुनौती बनी हुई है। इस बारे सीईटीपी के सीईओ अशोक शर्मा ने बताया कि सरसा नदी की बाढ़ से सीईटीपी प्लांट को काफी नुक्सान हुआ है। प्लांट के साथ बनी सुरक्षा दीवार बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गई है जिससे प्लांट बंद रखना पड़ा। उन्होंने बताया कि काफी मशक्कत के बाद प्लांट को मंगलावार देर रात को चालू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बाल्द नदी में फटी हुई पाइप लाइन को भी जलस्तर कम होते ही ठीक कर दिया जायेगा। वहीं, इस बारे क्षेत्रीय अधिकारी एवं मुख्य पर्यावरण अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि सीईटीपी प्लांट की पाइप लाइन बाल्द नदी की बाढ़ में टूट गई। झाड़माजरी की तरफ के उद्योगों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने उद्योगों का पानी स्टोर करके रखें और व्यवस्था सुचारू होते ही उद्योगों का पानी ट्रीटमेंट के लिए इस पाइप लाइन में शुरू कर दिया जायेगा।
शहर में 10 अप्रैल रामनवमी पर हुए पथराव और आगजनी की घटना के बाद कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल 5 मई को खरगोन आएगा और दंगाग्रस्त क्षेत्रो का दौरा करेगा। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्णा ठाकुर ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में पूर्व कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, मुकेश नायक, विजयलक्ष्मी साधौ, बाला बच्चन, पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, आलिम शेख रहेंगे। इस अवसर पर भीकनगांव विधायक एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष झुमा सोलंकी और विधायक रवि जोशी उपस्थित रहेंगे। इसके बाद प्रतिनिधि मंडल के सदस्य दोपहर 2. 30 बजे मीडिया के साथ संवाद करेंगे। उल्लेखनीय है जिला प्रशासन ने शहर से कर्फ्यू हटाने का निर्णय बुधवार को लिया। गुरुवार को शहर पूरी तरह से खुला रहेगा। This website follows the DNPA Code of Ethics.
मुंबई। हाल में 'हीरो' से फिल्मों में कदम रख चुके अभिनेता सूरज पंचोली का कहना है कि बॉलीवुड कलाकारों में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और टाइगर श्रॉफ सबसे ज्यादा फिट हैं। सूरज ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, "मेरे ख्याल से अभिनेताओं में टाइगर श्रॉफ और अभिनेत्रियों में दीपिका पादुकोण सबसे अधिक फिट हैं।" सूरज यहां सेलिब्रिटी फिटनेस ट्रेनर यास्मिन कराचीवाला की किताब 'स्कल्प्ट एंड शेप' के विमोचन के लिए पहुंचे थे। उनके साथ उनकी सह-अभिनेत्री अथिया शेट्टी भी मौजूद थीं। सूरज ने कहा कि व्यायाम करने के दौरान आपको अपने शरीर के बारे में कई चीजें पता चलती हैं। मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस वहीदा रहमान का नाम 53वें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है। इसकी जानकारी केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने एक्स हैंडल पर दी है। उन्होंने अदाकारा के काम की तारीफ की है और कहा कि वो इसका ऐलान करके खुद सम्मानजनक महसूस कर रहे हैं। पिछले साल यह सम्मान आशा पारेख को मिला था। अनुराग ठाकुर ने ट्विटर पर लिखा, 'मुझे यह ऐलान करते हुए बेहद खुशी और सम्मान महसूस हो रहा है कि वहीदा रहमान जी को भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए इस साल प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने आम आदमी को राहत देते हुए, गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक लगा दी है. इससे गेहूं के आटे की कीमतों में उछाल पर लगाम लगेगा. दरअसल पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गेहूं या मेस्लिन आटे की निर्यात नीति को मंजूरी दे दी है. इससे आटे की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा. केंद्र सरकार के ये फैसला गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश सुनिश्चित करेगा और समाज के सबसे कमजोर वर्गों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस आशय की अधिसूचना जारी करेगा. हालांकि, गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण (जो घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया था), विदेशी बाजारों में गेहूं के आटे की मांग बढ़ गई है और इसका भारत से निर्यात हो रहा है. अप्रैल-जुलाई 2022 के दौरान 2021 की इसी अवधि की तुलना में 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के आटे की बढ़ती मांग के कारण घरेलू बाजार में गेहूं के आटे की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. इससे पहले, गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी. इसलिए, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध/प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की आवश्यकता थी.
नेपीता। म्यांमार में अगस्त में भड़की हिंसा में 6,700 रोहिंग्या मुसलमान मारे गए थे। यह दावा मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाली वैश्विक संस्था मेडिसिंस सैंस फ्रंटियर्स (एमएसएफ) ने किया है। संस्था ने यह दावा बांग्लादेश पहुंचे शरणार्थियों से बातचीत के आधार पर किया है। जबकि म्यांमार सरकार का दावा सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 400 लोगों के मारे जाने का है। बौद्ध बहुल म्यांमार में 25 अगस्त को रोहिंग्या आतंकियों के रखाइन प्रांत में पुलिस और सेना के ठिकानों पर एक साथ हमले के जवाब में यह हिंसा भड़की थी। इस दौरान सेना ने रोहिंग्या बहुल गांवों पर कार्रवाई की थी। लोगों पर आतंकियों को शरण देने का आरोप लगाया था। म्यांमार की सेना का दावा है कि आतंकियों द्वारा आमजनों को ढाल बनाए जाने से लोगों की जान गई। जबकि शरणार्थियों ने सेना पर अत्याचार और हत्या करने का आरोप लगाया है। मानवाधिकार संगठन के अनुसार मारे गए 6,700 लोगों में 730 पांच साल से कम उम्र के बच्चे थे। एसएसएफ दुनिया के कई देशों में पीडि़तों को स्वास्थ्य सुविधा देने का कार्य करता है। संगठन ने कहा है कि पीडि़तों की आपबीती सुनकर पता चला है कि म्यांमार में सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। मृतकों के अलावा बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। एमएसएफ के निदेशक सिडनी वोंग के अनुसार मारे गए 59 प्रतिशत बच्चे राइफल की गोली से मारे गए जबकि 15 प्रतिशत जलकर मरे। सात प्रतिशत की मौत पिटाई से हुई। अगस्त की हिंसा के बाद करीब साढ़े छह लाख रोहिंग्या मुसलमान भागकर बांग्लादेश आए। इसी के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर म्यांमार में हुए रोहिंग्या मुसलमानों के दमन की निंदा हुई। संयुक्त राष्ट्र ने उसे अल्पसंख्यकों के सफाए की मुहिम बताया, तो अमेरिकी संसद ने निंदा प्रस्ताव पारित किया।
पार्षद आदि । उनके प्रकाशकी किरणे है भावनाके स्तर ; क्योकि धाम चिन्मय है । मनमे - प्रत्येक मनमे ये भाव गृहीत होते है । मन केवल उन भावोको व्यक्त मात्र करता है, जिस भावस्तरमे जब पहुँचता है । अतिशय चचल होनेके कारण वह विविध भावस्तरोमे घूमता रहता है । स्थिर मानस अर्थात् एक भावस्तरमे स्थित मानस । तुम जानते हो कि किसी भावमे मन स्थिर हो जाय तो उसी भावके अनुरूप भगवदुपलब्धि हो जाती है । भगवानके रूप नित्य हैं, तो वे भावके अनुसार वनते नही । भाव - प्रत्येक भाव ही उन रूपोकी किरण है और जब मन एक भावमे स्थिर होता है, उस भावका रूप व्यक्त हो उठता है । जगतमे कोई कर्ता हो, नवीन कर्म करे, यह सम्भव कैसे हो सकता है । यहाँ जो भी रूप दीखते है, जो भी क्रिया होती है, वे तो नित्यधामकी प्रतिविम्व मात्र हैं - वहॉकी लीलाओका प्रतिविम्व मात्र - अवश्य ही इनमे प्रतिविम्व में आधारकी गतिसे विकृति आयी है - विकृति आती रहती है । नित्यधाम अनन्त हैं, अत दृश्यजगतमे उनमे से कभी किसीका प्रतिविम्व आविर्भूत होता है, कभी किसीका तिरोभूत होता है । इससे कल्प-कल्पमे सृष्टिमे कुछ वैभिन्य रहता है और एक कल्पमे भी युगोंके परिवर्तन होते रहते है, लेकिन तुम जानते ही हो कि श्रुति कहती है -- धाता यथापूर्वमकल्पयत् ।। ( ऋग्वेद मं १०. सु १९० म ३ ) सृष्टि अधिकाशमे पूर्व कल्पके समान ही रहती है और युगोमे, मन्वन्तरोमे, इनके प्रधान सचालकोमे ही नही, उनकी आकृतियो, गुणो, क्रियाओमे भी प्राय पूर्व कल्पका सादृश्य वर्तमान रहता है । जो निर्गुण, निराकार, अवाड मनसगोचर, अद्वयतत्त्व है - वही अपनी अचिन्त्यशक्तिसे विविध सगुण साकार चिन्मय धामो, उनके अधिष्ठाता परिकर, पार्षदादि रूपोमे व्यक्त हो रहा है । यह उसकी प्रकृति है कि वही अपने सच्चिदानन्द रूपको सत्त्व, रज, तम रूपसे व्यक्त किये है और इसमे कालरूपसे स्थित होकर कभी गुणोकी साम्यावस्था प्रलय प्रकट करता है और कभी वैपम्यावस्था सृष्टि प्रकट करता है । सृष्टिकालमे वे चिन्मय अनन्त धाम इसमे प्रतिविम्बित होकर नाना रूपोमे दीखने लगते हैं । यही जगतका आधिभौतिक रूप है । इनमे जो प्रतिविम्व है, वह अधिदैव है ओर दिव्य धाम अध्यात्म है । विम्बसे प्रतिबिम्व अभिन्न
धमतरी। जिले में वर्ष 2022 में धमतरी पुलिस द्वारा अपराध तथा अपराधियों पर नियंत्रण एवं कमी लाने हतु सार्थक प्रयास किये गये। जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2022 में कुल 2096 अपराध पंजीबद्ध किये गये जिसमें पुलिस द्वारा सभी मामलों में गंभीरता से त्वरित विवेचना कर अपराधों का निराकरण कर लंबित 10 प्रतिशत से कम रहा। हत्या हत्या के मामलों में वर्ष 2022 में कुल 27 अपराध पंजीबद्ध किये गये थे जिसमें 15 अपराध पारिवारिक विवाद के कारण एवं 12 अपराध पुरानी रंजिश के कारण घटित हुए थे। इन सभी मामलों में पुलिस द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार कर विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में पेश किया गया है। पंजीबद्ध किये गये जिसमें विगत वर्ष की तुलना में 45 प्रतिशत की कमी पाई गई है। • महिला संबंधी अपराध इस वर्ष बलात्कार के कुल 49 अपराध पंजीबद्ध किये गये थे जिसमें विगत वर्ष की - तुलना में 37. 17 प्रतिशत की कमी हुई है। शील भंग में विगत वर्ष तुलना में इस वर्ष 56 प्रकरण पंजीबद्ध हुए जिसमें 5. 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यौन उत्पीड़न में 6-6 प्रकरणों के साथ समुतल्य रहा। दहेज प्रताड़ना के इस वर्ष 11 प्रकरण दर्ज हुए इसमें 8. 33 प्रतिशत की कमी आई है। • बच्चों से संबंधित अपराध पॉक्सो एक्ट के 2022 में कुल 44 अपराध पंजीबद्ध हुए थे जिसमें से विगत वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत की कमी आई है। संपत्ति संबंधी अपराध नकबजनी के 2022 में कुल 133 प्रकरण पंजीबद्ध हुए जिसमें 12. 5 प्रतिशत की कमी - आई है। चोरी के 218 प्रकरण पंजीबद्ध हुए जिसमें 25. 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है धोखाधड़ी के 2022 में कुल 26 प्रकरण पंजीबद्ध हुए इसमें 8. 33 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। लूट व डकैती के प्रकरण समतुल्य रहे। इस प्रकार संपत्ति संबंधी अपराधों में भी कुल 362 प्रकरणों में 141 चालान किया गया । चालान का प्रतिशत 39 एवं बरामदगी का प्रतिशत 42 रहा है। • चोखा धडी एवं आईटी एक्ट के पुराने प्रकरणों में आरोपियों की गिरफतारी हेतु दीगर राज्य (झारखंड / मध्यप्रदेश / दिल्ली/ पश्चिम बंगाल व अन्य) में विभिन्न टीम गठित कर भेजी गई थी जिसमें धमतरी पुलिस को थाना अर्जुनी के अ०क० 239/20 के फरार आरोपी को जिला जामताडा झारखंड से एवं थाना सिहावा के अपराध 11/22 के फरार आरोपी मध्यप्रदेश से गिरफतार करने में सफलता प्राप्त हुई है। • दुर्घटना संबंधी अपराध इस वर्ष 143 प्रकरण दर्ज होकर 12. 26 प्रतिशत की कमी हुई है। • आर्म्स एक्ट के 40 प्रकरणो में 40 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया जो गत वर्ष की तुलना में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। • जुआ के 198 प्रकरणों में 679 व्यक्तियों को गिरफतार कर रू 550075/- जप्त किया गया जो गत वर्ष की तुलना में 9. 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। • सट्टा के 184 प्रकरणों में 185 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर रू 364425 / - जप्त किया गया जो गत वर्ष की तुलना में 39. 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। • 41 (1+4 ) दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत 2022 में कुल 13 प्रकरण तैयार कर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई - है। वर्ष की तुलना में 29. 10 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि है। • धारा 145 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत 2022 में कुल 18 प्रकरण तैयार किये गये है जो विगत वर्ष की - तुलना में 44. 44 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि है। • जिलाबदर के तहत कुल 03 प्रकरण तैयार किये गये है जो विगत वर्ष की तुलना में 66. 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फरार डायरेक्टर्स की गिरफ्तारी इसके तहत शुष्क इंडिया कंपनी के फरार डायरेक्टर महेन्द्र नरवरिया, - अमित कुमार जैन, दिनेष सैनी को उज्जैन, म0प्र0 से गिरफतार करने में सफलता प्राप्त हुई। माइको फायनेंस कंपनी के डायरेक्टर जुगल किषोर सतपथी एवं दुर्गा प्रसाद शडंगी को जालेश्वर बालेश्वर उडीसा से गिरफ्तार करने में सफलता मिली। महानदी एडवायजरी कंपनी के फरार डायरेक्ट कुलेष्वर सोनकर को गिरफतार करने में सफलता मिली। • मिलियन माइल्स इन्फास्ट्रक्चर एंड डेवलपर्स लिमि० कंपनी की जिला धमतरी स्थित संपत्ति रकबा 11. 290 हे० कीमती 21515000/- रूपये कुक कर कंपनी के 3660 हितग्राहियों को 21515000 /- राषि वितरित की गई। • जीएन गोल्ड कंपनी के ग्राम मरौद स्थित संपत्ति 0. 80 हे0 कीमती 1255000/- नीलामी की कार्यवाही की गई । अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध उक्त अधिनियम के तहत वर्ष 2022 में कुल 31 अपराध पंजीबद्ध किये गये थे जिसमें से 27 मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार कर विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में पेश किया गया है। • उक्त अधिनियम के तहत राहत राशि हेतु भेजा गया। • पीडित क्षतिपूर्ति योजना के तहत 2022 में कुल 131 प्रकरण तैयार कर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भेजा गया था। जिसमें कुल 09 प्रकरणों में 3500000 /- राशि पीडितों को स्वीकृत कराई गई। • मिशन मोबाईल तलाश जिले में गुम मोबाईल को रिकवर करने हेतु मिशन मोबाईल तलाश के तहत कुल - 312 मोबाईल कुल कीमती 4250000/- बरामद कर मोबाईल धारकों को वापस दिलाया गया। • ऑनलाईन फाड की शिकायतें प्राप्त होने पर कुल 167 प्रकरणों में रू 821248/- की राशि त्वरित कार्यवाही करते हुए होल्ड कराई है। • विगत वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटना में 331 तथा 2022 में 334 घटित हुए । सड़क दुर्घटना में विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष मृत्यु के प्रकरणों में 7. 83 प्रतिशत की कमी आई है। • वर्ष 2022 में मो०व्ही०एक्ट के तहत 13091 प्रकरणों में रू 4297100/- की चालानी कार्यवाही की गई है। 961 प्रकरण रू 1018800 /- माननीन न्यायालय में पेश किये गये इस प्रकार कुल 14052 प्रकरणों में रू 5315900/- की कार्यवाही की गई। • वर्ष 2022 में 136 वाहन चालकों का लायसेंस निलंबन की कार्यवाही हेतु परिवहन विभाग को भेजा गया है। • यातायात नियमों की जानकारी हेतु लगातार स्कूल कॉलेजों, व्यवसायिक वाहनों एवं ऑटो चालकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्कूल बसों एवं वाहन चालकों की चेकिंग, चौक चौराहों में वाहन चालकों को समझाईश, नाबालिग वाहन चालकों को समझाईश वार्ड मुहल्ले व मेला मडई में जागरूकता सहित 46 कार्यक्रम आयोजित किये गये। • जिले में वर्ष 2022 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार नक्सल ऑपरेशन / ज्वाइंट ऑपरेशन, गश्त / सचिंग कराई गई जिसके कारण कोई भी नक्सली घटना घटित नही हुई। ● जिले में वर्ष 2022 में कुल 243 मामलें परिवार परामर्श केन्द्र में काउंसिलिंग हेतु प्रस्तुत हुए थे जिसमें से काउंसलर्स द्वारा सार्थक प्रयास करते हुए कुल 90 प्रकरणों में परिवारों को जोड़ते हुए सुलह करने की कार्यवाही कराई गई। • रेज स्तर पर पुलिस महानिरीक्षक महोदय के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में जिले में ऑपरेशन गरूड अभियान दिनांक 30. 12. 2022 को चलाया गया था जिसमें कुल 211 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था एवं 11 स्थायी वारंटी व 40 गिरफतारी वारंट तामील कराया गया। • "अभिव्यक्ति "कार्यक्रम एवं "हमर बेटी हमर मान" अभियान के तहत जिले में गठित शक्ति टीम द्वारा कुल 215 कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसमें महिलाओं एवं बालिकों को आत्मरक्षा, महिला संबंध कानून की जानकारी एवं अभिव्यक्ति एप के संबंध में जानकारी देते हुए कुल 1638 अभिव्यक्ति एप को मोबाईल में डाउनलोड कराया गया। महिलाओं हेतु जारी महिला हेल्प लाईन नंबर 1091 एवं बच्चों हेतु जारी हेल्प लाईन नंबर 1098 के संबंध में भी महिलाओं को जागरूक किया गया। • नशा मुक्त धमतरी के तहत जिले के विभिन्न स्कूल कॉलेज में कुल 89 कार्यक्रम का आयोजन कराया गया जिसमें बालक बालिकाओं को नशे के दुष्प्रभाव के संबंध में बताते हुए पुलिस हेल्प लाईन के संबंध में जानकारी दी गई। • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजना तथा ग्रामीण अंचलों में खेल सामग्री का वितरण भी किया गया। - कुल 39 कार्यक्रम आयोजित कराये गये यातायात जागरूकता - इस कार्यक्रम के तहत कुल 265 कार्यक्रम आयोजित किये गये। जिसमें विभिन्न स्कूलों कॉलेजो/ संस्थानों के छात्र छात्राओं को यातायात नियमो के संबंध में जानकारी दी गई। • सायबर क्राईम जागरूकता कार्यक्रम - इस कार्यक्रम के कुल 51 कार्यक्रम आयोजित किये गये। • चलित थाना / तुहर पुलिस तुहर द्वार के तहत 55 कार्यक्रम आयोजित किये गये। • स्टुडेंट पुलिस कैडेट इस कार्यक्रम के तहत स्टुडेंट पुलिस कैडेट के छात्र छात्राओं को पुलिस थाना - चौकी पुलिस अधीक्षक कार्यालय, पुलिस लाईन का भ्रमण कराते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली के समय में अवगत कराया गया। • बाल सुरक्षा सप्ताह इसके अंतर्गत विभिन्न स्कूलों एवं स्थानों पर विभिन्न प्रतियोगिताओं, क्विज, रंगोली, - पेंटिंग, खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कर ईनाम से पुरस्कृत किया गया है। • चयन की पहल इस योजना तहत उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों को मार्गदर्शन जाता है इसके 15 कार्यक्रम आयोजित किये गये। जानकारी दी गई। • वृद्धजनों का सम्मान / हमर सियान - अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस एवं अन्य अवसरों पर 03 कार्यक्रमों का आयोजन किया जाकर वृद्धजनों से भेट मुलाकात कर उनका कुशल क्षेम जाना गया। • जनदर्शन पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कुल 35 जनदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें - आवेदकों की शिकायतों पर त्वरित संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्यवाही की गई है। • हमर तिरंगा कार्यक्रम एवं पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों एवं शहीद परिवारों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया।
सुरक्षा चिंताओं के कारण भारत ने पाकिस्तान की यात्रा करने से इनकार कर दिया था। वहीं, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान सभी ने टूर्नामेंट को पाकिस्तान से बाहर करने के लिए बीसीसीआई के विचार का समर्थन किया है। पाकिस्तान इस साल होने वाले एशिया कप से अपना नाम वापस ले सकता है। दरअसल, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) उम्मीद कर रहा था कि उसे उसके प्रस्तावित 'हाईब्रिड मॉडल' के मामले में श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से समर्थन मिलेगा। हालांकि, इन तीनों देशों के क्रिकेट बोर्ड ने पाकिस्तान के 'हाइब्रिड मॉडल' को नकार दिया। ऐसे में पाकिस्तान इस टूर्नामेंट से नाम वापस लेने पर विचार कर रहा है। इस साल एशिया कप सितंबर में वनडे फॉर्मेट में हो सकता है। क्या है हाईब्रिड मॉडल? पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के प्रमुख नजम सेठी द्वारा प्रस्तावित 'हाइब्रिड मॉडल' के अनुसार, पाकिस्तान को अपने देश में एशिया कप के तीन से चार मैचों का आयोजन करना था, जबकि भारत से जुड़े बाकी मैचों को तटस्थ स्थान पर आयोजित करने का प्रस्ताव रखा गया था। सुरक्षा चिंताओं के कारण भारत ने पाकिस्तान की यात्रा करने से इनकार कर दिया था। वहीं, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान सभी ने टूर्नामेंट को पाकिस्तान से बाहर करने के लिए बीसीसीआई के विचार का समर्थन किया है। जय शाह (बाएं) और नजम सेठी (दाएं) सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया- इस महीने के अंत में एशियाई क्रिकेट काउंसिल के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य एक औपचारिक मीटिंग कर सकते हैं। हालांकि, पीसीबी अब इस बात से अवगत है कि श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान एशिया कप के लिए उनके हाइब्रिड मॉडल प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने जा रहे हैं। सूत्र ने कहा कि सेठी पहले से ही अपनी क्रिकेट मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों और संबंधित सरकारी अधिकारियों के साथ एशिया कप में पाकिस्तान के रुख पर चर्चा करने के लिए संपर्क में थे। वह इन सबसे यह जानने की कोशिश में थे कि अगर उन्हें अपने देश में एशिया कप के किसी भी मैच की मेजबानी नहीं मिलती है तो पाकिस्तान क्या फैसला लेगा। सेठी ने बार-बार कहा है कि अगर टूर्नामेंट को पाकिस्तान से किसी तटस्थ देश में ले जाया जाता है, तो वह प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेगा। सूत्र ने कहा कि पीसीबी एशिया कप का बहिष्कार करेगा। एशिया क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) के एक सूत्र ने कहा- पाकिस्तान के पास केवल दो विकल्प हैं। टूर्नामेंट को तटस्थ स्थान पर खेलें या नाम वापस ले लें। अगर पाकिस्तान नहीं खेलता है, तब भी इसे एशिया कप कहा जाएगा, लेकिन ब्रॉडकास्टर पाकिस्तान की अनुपस्थिति में सौदे पर फिर से बातचीत करेगा। श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भारत, सभी का रुख एक जैसा है कि पाकिस्तान और किसी अन्य देश में एक साथ एशिया कप की मेजबानी करना तार्किक या वित्तीय रूप से संभव नहीं है। ऐसे में इसे किसी एक देश यानी श्रीलंका में आयोजित किया जाना चाहिए क्योंकि भारत पाकिस्तान की यात्रा नहीं कर सकता है। सूत्र ने यह भी कहा कि ऐसी संभावना है कि इस साल एशिया कप पूरी तरह से रद्द भी हो सकता है और भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान विश्व कप से पहले वनडे फॉर्मेट में एक मल्टी-टीम टूर्नामेंट भी खेल सकते हैं। सूत्र ने कहा- इस बात की भी पूरी संभावना है कि इस साल एशिया कप का आयोजन नहीं हो पाएगा क्योंकि पाकिस्तान और भारत के बीच मैच के बिना ब्रॉडकास्टर उतनी राशि की पेशकश नहीं करेगा, जितनी वे पाकिस्तान के टूर्नामेंट में शामिल होने पर एशिया क्रिकेट काउंसिल को देना चाहते थे। सूत्र ने कहा कि भारत भी घर में चार या पांच देशों के टूर्नामेंट के आयोजन की तैयारी कर रहा है, जो एशिया कप नहीं होने पर आयोजित किया जा सकता है। श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के फैसले का इन बोर्डों के बीच संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह देखा जाना बाकी है। पाकिस्तान ने श्रीलंका में दो टेस्ट मैचों की सीरीज के बाद कुछ वनडे मैच खेलने के प्रस्ताव को पहले ही खारिज कर दिया है। ऐसे में एशिया कप की मेजबानी करने की पेशकश करने के बाद अब इन दोनों बोर्ड्स के बीच रिश्ते में और प्रभाव पड़ सकता है। सूत्र ने कहा कि हालिया घटनाक्रम पाकिस्तान को विश्व कप के लिए अपनी टीम भारत भेजने के फैसले के मामले में अपना हाथ दिखाने के लिए मजबूर कर सकता है। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
दिल्ली से सटे गुरुग्राम से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक महिला कोविड के खौफ से तीन साल तक घर से बाहर नहीं निकली। महिला ने अपने बेटे को भी घर से बाहर नहीं जाने दिया। अब किसी तरह घर का दरवाजा तोड़कर महिला को बाहर निकाला गया है। पति को तक नहीं दी घर में एंट्रीगुरुग्राम की बाल कल्याण समिति सदस्य उषा सोलंकी ने बताया, 'गुरुग्राम के चक्करपुर निवासी एक व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी और बच्चा पिछले 3 साल से एक फ्लैट में बंद हैं. उनकी पत्नी न तो उन्हें अपार्टमेंट में प्रवेश करने देती हैं और न ही अपने बेटे को बाहर भेजती हैं। पुलिस को शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया गया और टीमों को फ्लैट भेजा गया। कोविड के डर से महिला ने खुद को और बेटे को कैद कर लिया और काम के लिए बाहर जाते समय उसने पति से दूसरा फ्लैट लेने के लिए कहा। उसका पति उसे पैसे भेजता था और उन्हें किराने का सामान देता था। उनका बेटा अब 11 साल का है। दोनों को बचा लिया गया और अस्पताल ले जाया गया। महिला की मानसिक स्थिति की भी जांच की जाएगी। जांच चल रही है। ' पति घर के बाहर छोड़ जाता था सामानमहिला की पहचान मुनमुन मांझी के रूप में हुई है जिन्हें 10 साल के बेटे के साथ गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। महिला का पति सुजान मांझी एक इंजीनियर है। सुजान ने कुछ दिन अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर बिताए लेकिन बाद में उन्होंने अपने परिवार के संपर्क में रहने के लिए उसी इलाके में एक और घर किराए पर ले लिया। वह वीडियो कॉल के जरिए उनके संपर्क में रहकर परिवार की सभी जरूरतों को पूरा कर रहा था। सुजान पत्नी वाले घर मासिक किराया, उनके लिए किराने का सामान और सब्जियां खरीदकर मुख्य दरवाजे पर छोड़ देता। पारखी नजर वाले का ही है खेल, दोनों तस्वीरों में से ढूंढकर दिखाना है तीन अंतर, खोज लिया तो कहलाएंगे 'धुरंधर' Big And Bold Trending : बारिश को लेकर अगले 24 घंटे में इन राज्यों में अलर्ट ! Big And Bold । Mafia Atique Ahmed ही 'बेगम' को पकड़वाएगा ! B&B International । Modi का विकास. . उभरता भारत, China में वायरल ! Big And Bold Political: 24 का वास्ता, जनसंपर्क से बनाएंगे जीत का रास्ता ! Delhi Sakshi Murder । साक्षी अकेली नहीं, कई और लड़कियां टारगेट पर ?
ETSI WANN. कल्पयामास सुतवत् ॥ १० ॥ रथं स्ववरस्याजों वानरभलत्रराम् । स मेघसमनिर्घोषस्ततकाञ्चन समभः ।। ११ ।। वभाँ स्वरः क्लृप्तः शिशुर्दिवसकृयथा । ततः पुरुषशार्दूलः स सज्जपुरःसरः ।। १२ ।। कृतान्हिकाय पार्याय म्यवेदयत तं रथम् । तन्तु लोकवरः पुंसां किरीटी हेमत्रर्मभृत् ।। १३ ।। चापवाणघरो चाहं मदक्षिणपवर्त्तत । तपोनिद्यायो किया दिजितेन्द्रियैः १४ स्तूयमानो जयाशीमिरारोह महारथम् । जैत्रः सौग्रामिकर्मन्त्रेः पूर्वमेव रथोत्तमम् ।। १५ ।। अभिमन्त्रिमानुदयं भास्करो यथा । स र रथिन श्रेष्ठः काञ्चने फाञ्चनाकृतः ॥ १६ ॥ विवभौ विमलोर्निदमान्मेराविव दिवाकरः । अन्वारुकहतुः पार्थ दुर्धर्ष वीर सात्यकि और श्रीकृष्ण एक रथमें बैठकर अर्जुनकी छावनीकी ओरको गए, श्रीकृष्णने तहाँ जाकर महारथी अर्जुन के वानरके चिन्हकी ध्वजावाले स्थको मृतकी समान कार्य करके तयार कर दिया, मेघ गर्जनेकी समान शब्दवाला और तपेहुए सुवर्णकी समान कान्तिवाला वह श्रेष्ठ रथ मातःकालके सूर्यकी समान शोभा पाने लगा, पुरुषसिंह श्रीकृष्णने, युद्धकी सक् सामग्रियोंको तयार किया कि इतनेगेंही अर्जुनभी अपना दैनिक नित्य कर्म पूराकर माथे पर मुकुट तथा शरीर पर सुवर्णका कवन धारण किये हाथमें धनुष बाण से बाहर निकला, तुरन्तही बुद्धकी सामग्री से भरे हुए दिव्य रथको श्रीकृष्ण ने अर्जुनके सामने ला खडा किया, महात्मा अर्जुनने उम्र स्थी परिक्रमा की एस समय तप, विद्या और अवस्था में बड़े कर्मनिष्ट जितेन्द्रिय ब्राह्मण विजयका आशीर्वाद देकर स्तुति करनेलगे, उनके आशीर्वादको स्वीकार करके अर्जुन पहलेलेही विजय देनेवान्ते सांग्रामिक मंत्रों से वाभिमन्त्रित किये हुए रथ पर उदयाचल पर चढनेवाले सूर्यशे समान सचार होगया, सुवर्णका कवच पहरे सुवर्णके दिव्य रथ में