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(जी. एन. एस) ता. 04 पटना बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के पांचवें दिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सदन की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे। इस दौरान राजद विधायकों ने मेज थपथपाकर उनका स्वागत किया। बता दें कि, वह पहले दिन से लेकर अब तक सदन की कार्यवाही से नदारद थे। इससे पहले बुधवार को बिहार विधानसभा में राजद के सदस्यों ने राज्य में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर जमकर हंगामा किया,
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को कौन नहीं जानता है। वो किसी पहचान के मोहताज नहीं है। अमिताभ का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन कराची के सिख परिवार से थीं। अमिताभ ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1969 में 'सात हिन्दुस्तानी' नाम की फिल्म से की थी। सात हिन्दुस्तानी न केवल अमिताभ की पहली फिल्म थी बल्कि ये अमिताभ की इकलौती Black and White Film भी थी। इस फ़िल्म के लिए अमिताभ को सर्वश्रेष्ठ New Comer (नवागंतुक) का पुरस्कार मिला था जो कि उन्हें मिलने वाला पहला Award था। आज हम आपको सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की आज कुछ ऐसी तस्वीरें दिखा रहे हैं जो आपने यकीनन आज से पहले कभी नहीं देखी होंगी। बेटे अभिषेक और बेटी श्वेता के साथ अमिताभ और जया बच्चन। ये तस्वीर उस वक्त की है जब अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी की शादी भी नहीं हुई थी। अपने माता-पिता और भाई भाभी के साथ अमिताभ और जया। साथ में अभिषेक और श्वेता भी। मां तेजी बच्चन के साथ अमिताभ की बचपन की एक फोटो। पिता हरिवंशराय बच्चन की गोद में नन्हे अमिताभ और साथ में बालक अमिताभ की एक तस्वीर। हेमा मालिनी और धर्मेंद्र की शादी के फंक्शन में अमिताभ बच्चन। राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के साथ अमिताभ। बच्चन परिवार एक साथ। पत्नी जया बच्चन और बच्चों के साथ अमिताभ बच्चन। एक पुरानी बॉलीवुड पार्टी में अमिताभ। साथ में राजेश खन्ना और जया भादुड़ी। एक ज़माने में शत्रुघन और अमिताभ अच्छे दोस्त हुआ करते थे। द ग्रेट अमज़द खान के साथ अमिताभ बच्चन। होली के त्यौहार की एक पुरानी तस्वीर। शोले की शूटिंग के दौरान की एक तस्वीर। फिल्म आनंद की शूटिंग के दौरान की एक तस्वीर। पिता के साथ अमिताभ। एक कार्यक्रम में जाते अमिताभ। बेटी श्वेता और बेटे अभिषेक के साथ अमिताभ। अपने माता-पिता के साथ अमिताभ। एक फिल्म की कास्ट के साथ बैठे अमिताभ। तस्वीर में अमिताभ के सामने की तरफ आपको स्वर्गीय विनोद खन्ना भी नज़र आ जाएंगे। एक शूट से पहले मेक अप लेते अमिताभ और अभिषेक। अभिषेक को पहली बार गंजा कराते अमिताभ और जया बच्चन। स्वर्गीय शशी कपूर और असरानी के साथ अमिताभ। एक फ्रेम में बच्चन परिवार। अभिषेक बच्चन के जन्म के बाद पहली दफा उनको देखते अमिताभ। स्वर्गीय किशोर कुमार के साथ अमिताभ।
दिमागी विकास के लिए दो वर्ष की आयु महत्वपूर्ण समय : गर्भावस्था के दौरान लगभग 20 फीसदी माताओं ने जहरीले सफाई उत्पादों को इस्तेमाल करने की बात कही। लेकिन जब बच्चे एक से दो साल के बीच के थे, तो लगभग 30 फीसदी माताओं ने इन उत्पादों का इस्तेमाल किया। शोध के मुताबिक, माताओं ने बच्चे के जन्म के बाद जहरीले सफाई उत्पादों का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया। शोधकर्ता ने कहा, जब बच्चे दो साल की उम्र में पहुंचते हैं, तो यह उनके दिमाग के विकास का महत्वपूर्ण समय होता है। अगर वे जहरीले रसायनों के संपर्क में आते हैं, तो उनकी भाषा और संज्ञानात्मक विकास में समस्याएं हो सकती हैं। शोधकर्ता लॉरा के मुताबिक,माताओं को समझाना होगा कि गर्भावस्था के दौरान जहरीले रसायनों के इस्तेमाल को महत्व न दें। माता-पिता को बच्चे के जीवन की शुरुआत के कुछ सालों तक मस्तिष्क के विकास की नाजुकता और उनके रासायनिक उत्पादों के संपर्क में आने की संवेदनशीलता को समझना होगा। कम आय वाले घरों के बच्चों का भाषा विकास जहरीले रसायनों के इस्तेमाल से अधिक प्रभावित हो सकता है। अधिकतर लोग छोटे घरों में रहते हैं। इसके चलते बच्चों को इन रसायनों से दूर रख पाना मुश्किल हो सकता है।
चट्टोग्राम टेस्ट में जीत के बाद भारत को खासा फायदा हुआ है, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की जारी नई अंकतालिका में तीसरे स्थान पर पहुच गया है. इससे पहले भारत चौथे स्थान पर काबिज था. इसके साथ ही भारत अब सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के पीछे ही है. भारत ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की अंक तालिका में 55. 33 फीसदी के साथ तीसरा स्थान पर है. वहीं श्रीलंका के 53. 33 प्रतिशत के साथ चौथे, साउथ अफ्रीका 60 प्रतिशत के साथ दुसरे और ऑस्ट्रेलिया 75 प्रतिशत अंक के साथ पहले नंबर पर काबिज है. पाकिस्तान इस रेस में कहा है. ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस रेस से पहले ही बाहर हो चुकी है. WTC Final में जगह बनाना मुश्किल लग रहा है क्योकि इंग्लैंड और ऑस्ट्रलिया के हाथों करारी हार के बाद उनके जीत का प्रतिशत काफ़ी गिर चूका है. जिसके वजह से वह छठे नंबर पर पहुच गए है. वहीं T20 और वनडे वर्ल्ड चैम्पियन इंग्लैंड के लिए भी आसान नहीं होने वाला है. क्योकि वे पाकिस्तान से मात्र एक स्थान आगे अंक तालिका में 5वें नंबर पर मौजूद है. अब WTC Final के लिए कड़ी टक्कर अंकतालिका में टॉप की तीन टीमों के बीच हैं. भारत के पास अभी अच्छा मौका है इसमें दुसरे नंबर पर पहुचने की क्योकि भारत अगले तीन महीने में कई टेस्ट सीरीज खेलने वाली है.
बनारस के सभी बड़े अखबारों को मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की न तो कोई जल्दी है और ना ही कोई जरूरत है. सबने अपने अपने कारण डिप्टी लेबर कमिश्नर को बता दिए हैं. इसके बाद डीएलसी ने अंतिम सुनवाई के लिए 18 जून की तिथि निर्धारित की है. इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि सहारा के कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप वेतनमान नहीं चाहिए. वे वर्तमान में मिल रहे वेतन भत्तों से संतुष्ट हैं. वहीं जागरण की तरफ से अब तक इस मामले में कोई आश्वासन नहीं दिया गया है. बनारस के पत्रकारों की लड़ाई काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष योगेश गुप्ता पप्पू और पत्रकार कर्मचारी महासंघ के मंत्री अजय मुखर्जी दादा लड़ रहे हैं. ये लोग बनारस के बड़े अखबारों में अंतरिम लागू करने से लेकर मजीठिया वेज लागू करवाने की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं. दोनों पत्रकार नेता मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने को लेकर भी लगातार लेबर ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं. मंगलवार को भी इस मामले की सुनवाई थी, लेकिन इन दोनों लोगों के अलावा बनारस के बड़े अखबारों का कोई भी प्रतिनिधि सुनवाई के दौरान नहीं पहुंचा. सभी बड़े अखबारों ने इस मामले में अपनी-अपनी बात डीएलसी के सामने रख दी है. कर्मचारियों की छंटनी में लगा जागरण तथा आज ने अब तक अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया है. इस साल फरवरी में बनारस के डिप्टी लेबर कमिश्नर एके राय ने केंद्रीय सचिव डा. मृत्युंजय सारंगी के पत्र का हवाला देते हुए 20 मार्च तक बनारस के सभी बड़े अखबारों को मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने के संबंध में की कई कार्रवाई का रिपोर्ट देने को कहा था. पिछली कुछ सुनवाइयों के दौरान अमर उजाला, हिंदुस्तान, आज, राष्ट्रीय सहारा तथा दैनिक जागरण के लोग पहुंचे थे. सबसे अपनी-अपनी बात रखी थी. पर किसी ने बीस तक लिखित में अपनी बात नहीं रखी थी, जबकि दैनिक जागरण, कानपुर से आए मनोज दुबे ने दोनों पत्रकार संगठनों के औचित्य पर ही सवाल उठा दिया था. उन्होंने योगेश गुप्ता पप्पू तथा अजय मुखर्जी दादा को लेकर आपत्ति लगाई थी, जिसके बाद डीएलसी ने दोनों लोगों से अथारिटी मांगी थी. जागरण के आपत्ति के बाद दोनों पत्रकार नेता ने डीएलसी को अथॉरिटी दे दी थी. इस बीच अमर उजाला तथा हिंदुस्तान ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में चलने का हवाला देते हुए इसके बाद लागू करने की बात कही. जबकि सहारा समय ने स्पष्ट रूप से डीएलसी को लिखकर दे दिया कि उसके कर्मचारी संतुष्ट हैं. उनको मजीठिया वेज बोर्ड की कोई दरकार नहीं है. उन्हें जो पैसे मिल रहे हैं वे पर्याप्त हैं. जबकि जागरण और आज ने अब तक इस मामले में लिखित रूप में कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया है. जागरण के मनोज दुबे ने डीएलसी को फोन करके बीमारी का बहाना बनाया तथा बाद में अपना पक्ष रखने की बात कही. एके राय ने सभी पक्षों को अंतिम सुनवाई के लिए 18 जून का समय दिया है. उन्होंने स्पष्ट आदेश दिया है कि 18 जून को सभी पक्ष उपस्थित हों ताकि सुनवाई की जा सके. अब देखना है कि मंगलवार को ही डीएलसी के आदेश की धज्जियां उड़ाने वाले अखबारों के प्रबंधन 18 जून को कौन सी रणनीति अपनाते हैं. वैसे भी अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ पाने वाले पत्रकारों के लिए आखिर योगेश गुप्त पप्पू और अजय मुखर्जी दादा कब तक लड़ाई लड़ेंगे. कभी पराडकरजी, खाडिलकरजी, गर्देजी, इश्वरचंद्र सिन्हा, पंडित गंगासागर मिश्र, कमलापति त्रिपाठी जैसे निर्भीक पत्रकारों की धरती अब डरपोक और कायर पत्रकारों की धरती बनती जा रही है. वे अपने उत्पीड़न के खिलाफ ही आवाज उठाने में डर रहे हैं.
मुंबई. टीवी रियलिटी शो बिग बॉस के सीजन 7 हिस्सा रह चुकी एक्ट्रेस और मॉडल सोफिया हयात सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और उनकी हर फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती हैं। फैंस को उनकी कई बोल्ड फोटोड इंप्रेस कर जाती हैं। वो बिग बॉस के बाद लंबे समय से किसी शोज में नजर नहीं आईं, लेकिन होली के मौके पर उन्होंने खुद को लेकर एक घटना के बारे में बताया है, जिसके बाद वो सुर्खियों में आ गई हैं। दरअसल, बीते दिन यानी की 29 मार्च सोमवार को होली का त्योहार देशभर में सेलिब्रेट किया गया। कोरोना के चलते सभी ने इसे अपने घरों में ही मनाया। इसी बीच सोफिया हयात ने अपनी यादें ताजा की। उनकी ये यादें एक बुरा एक्सपीरियंस है, जिसे जानने के बाद हर कोई गुस्सा हो सकता है। अगर सोफिया की मानें तो एक होली पार्टी में उनके साथ बदसलूकी की कोशिश हुई थी। उनकी स्कर्ट में हाथ डाला गया था। वो उस घटना के बाद अंदर तक हिल गई थीं। खबरों की मानें तो सोफिया हयात के हवाले से कहा जा रहा है कि वो एक होली पार्टी में गई थीं, जहां पर कई सारे सेलेब्स आए थे। वो सभी के साथ फोटो खिंचवाने में सहद महसूस नहीं करती हैं। एक्ट्रेस के हवाले से ही आगे कहा गया है कि लेकिन पता नहीं क्यों उन्होंने वहां पर कई गोल गप्पे खाए थे, जिसमें शायद भांग जैसा कुछ मिला हुआ था। वो खाने के बाद सोफिया काफी ज्यादा खुश हो गईं और सभी के साथ फोटो क्लिक करवाने लगीं। अब सोफिया के मुताबिक उस पार्टी में एक शख्स ने उनकी स्कर्ट में हाथ डालने की कोशिश की। पहली बार में उन्होंने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन जब फिर ऐसा हुआ, उन्होंने उस शख्स को नीचे गिरा दिया। एक्ट्रेस ने वैसे इस घटना पर तो नाराजगी जाहिर की,लेकिन ये भी कहा कि उनके एक दोस्त ने उन्हें जरूरी मदद दी और उन्हें उनके घर तक पहुंचवा दिया। वैसे, ये पहली बार नहीं है जब सोफिया ने कोई शॉकिंग किस्सा लोगों के बीच शेयर किया हो। इससे पहले भी उन्होंने कई ऐसी घटनाओं का जिक्र किया है। बिग बॉस से जुड़ी भी उनकी ऐसी ही यादें लगातार सुर्खियों में रही हैं।
मैं दरवाजा लोक करके मुडी तो साकेत मेरे सामने खड़ा था। मैं- साकेत तुम यहां? साकेत- हां वो तुमसे कुछ बात करनी थी। बुरा न मानो तो तुम्हारे रूम में चले। मैं- अर्जेंट है? साकेत- हां। मैंने रूम का लोक खोला और हम अंदर चले गए। मैंने साकेत से पूछा,- अब बताओ क्या बात है? साकेत- मैं कुछ दिनों से तुम्हें एक बात कहना चाहता था। पर पता नहीं कैसे कहूं? मैं- ज्यादा मत सोचो,बोलो अभी। साकेत- वो मैं तुमसे कहना चाहता था कि मैं तुमसे प्यार करता हूं। मैं - क्या?? (यह भी)ये कब हुआ? साकेत- पता नहीं कब हुआ, पर हुआ। मुझे हसी आ गई, यह मेरे साथ हो क्या रहा है? मैंने साकेत से कहा- देख साकेत मै तेरी भावनाओं को समझ सकती हुं पर मैं तुम्हें हा नहीं कह सकती। तुम हमेशा मेरे अच्छे दोस्त हो और रहोगे। और इससे आगे कभी कुछ नहीं हो सकता। मैं तुम्हें दोस्त के रूप में खोना नहीं चाहती। उम्मीद कर रही हुं के तुम समझ रहे हो। साकेत- sorry पाखि, मुझे लगा तुम भी मुझे पसंद करती हो। अगर तुम्हें बुरा लगा तो...। मैं- तुम मेरे दोस्त हो और दोस्तों की बात का बुरा नहीं मानते। और एक बात, हम किसी से इसका जिक्र नहीं करेंगे। और इस बात को यहीं खत्म करते हैं ठीक है। साकेत- (अरमानों को दबाकर) अच्छा तो नहीं लग रहा पर ठीक है चल तेरे लिए कुछ भी। हम दोनों एक-दूसरे को गले लगाते हैं तभी फिर से अवि दरवाजा खोलकर अंदर आ गए। और उन्होंने हमें एक-दूसरे को गले मिलते देख लिया। हमें देख वह रूम से बाहर चले गए। उसके चहरे पर गुस्सा मैंने देख लिया था। साकेत- मैं बताता हुं उन्हें, वो समझ रहे हैं एसा कुछ नहीं है। मैं- साकेत मैंने तुझे अभी बताया न कि इस बात का जिक्र किसी से नहीं करेंगे। कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है। वो क्या हमारा सगा है जो उसे clarify करना पड़े? कोई जरूरत नहीं है बताने की और वो तुमसे कुछ पूछेंगे भी नहीं। साकेत- तुम इतना गुस्सा क्यों हो रही है? नहीं बताउंगा कुछ उनको, ठंड रख। चल चलते हैं अब। हम दोनों नीचे सबके पास आ गए। निशु- इतनी देर क्यों लगा दी? मैं- वो हमें कुछ काम था। काव्या- कैसा? मैं- (यह जासूस पिछा नहीं छोड़ेगी ?) इसे तेरे साथ डांस करने में रोमांस थोड़ा कम फील हो रहा था, तो उसे सिखा रही थी तेरे साथ रोमांस से कैसे डांस किया जाए।? काव्या- मुझे नहीं कह सकता था? मैं सिखा देती रोमांस वाला डांस। अवि- जिससे रोमांस होगा उसी के साथ डांस करेगा न। काव्या- इसलिए तो हम साथ डांस कर रहे हैं न। नहीं तो रोकी या मौनी बोलते ही अच्छी तरह डांस करने को।? रविभाई- चलो सब हमारा टर्न आ रहा है। हम सब स्टेज पर गए। पूरे रिहर्सल में अवि मुझे गुस्से से देख रहे थे। मौनी- अब सिर्फ सोंग की लास्ट लाइन," मैं वारी जावा..." मैं हमें एक दुपट्टा लेना है, जो पहले ही नीचे रखा जाएगा। उसके दोनों छोर सभी पार्टनर्स एक एक-एक तरफ से पकड़ेंगे और दोनों को नजदीक आकर अपने आप पर डालेंगे। आप सब को एक बार मैं और रोकी दिखा देंगे, बाद में आपको उसी तरह करना है। राजा- क्या कर रही है तु दिशा, क्या कर रही है?? दुपट्टा हवा में उड़ाना है और हमें बीच में आना है। दिशा- हां, तो वही तो कर रही हुं। राजा- क्या वही कर रही हुं? दुपट्टे को उछालने के बजाय तु उसको खींच रही। जिससे मैं बार बार तुमसे टकरा जाता हुं। चल फिर से करते हैं। हम सब उन दोनों को देखने लगे। दिशा दुपट्टे के दोनों छोर को हवा में छोड़ने के बजाय उसे बिना छोड़े अपनी तरफ खींच रही थी तो राजा दुपट्टे के साथ उसकी तरफ आ जाता है। यह देखकर हमारे साथ साथ रोकी और मौनी भी हंसने लगे।? रवि- देखा, अब क्या किया। भाई रोकी हमसे नहीं होगा यह। रोकी- रवि अभी तो देर है प्रोग्राम शुरू होने में, तबतक आप प्रेक्टिस करे। चलिए सबका डांस परफेक्ट हो गया है तो सबको best of luck ?। और रवि-दिशा सब परफेक्ट है बस लास्ट स्टेप का रिहर्सल करते रहे। आपका डांस हमने सेकंड लास्ट रखा है तो घबराएं नहीं। आप सब अब अपनी तरफ से प्रेक्टिस करना चाहे तो कर सकते हैं बाकी जरुरत नहीं है। हम अब दूसरों के डांस का फाइनल देख लेते हैं। हमने अपना ग्रांड रिहर्सल कंपलीट किया। हम सबने उन दोनों को thank u कहा और गार्डन में रखे चाय-नाश्ता करने चले गए। डांस प्रेक्टिस के दौरान अवि ने एकबार भी मुझसे कुछ नहीं कहा और नाही कोई हरकत की। मैंने भी इस बात को कोई तवज्जो नहीं दी। मैंने भैया से कहा कि सबको कल के बारे में एकबार पूछ ले। रवि भाई- कल मैं, पाखि और अवि snow view देखने जाने वाले है किसीको आना है साथ में? दिशा- राजा तो नहीं आएगा, क्योंकि मेरे हाथों में मेहंदी लगेगी तो मुझे खिलाएगा कौन? रवि भाई- तुझे तो मैंने पहले ही केंसल कर दिया था पोपटलाल की तरह। दिशा- हम मेंसे किसका नाम पोपटलाल है?? रवि भाई- है भगवान, "तारक मेहता का उल्टा चश्मा" में जो पोपटलाल आते हैं वे। जो हमेशा केंसल केंसल करते रहते है। मैं- आपने SAB TV पर नया शो देखा है, "भाखरवडी"? क्या मस्त शो है वाह! सबके सब किरदार क्या एक्टींग करते हैं। उसमें उर्मिला ठक्कर का किरदार करने वाली एक्ट्रेस मेरी फेवरेट है। और वो प्रभाकर के भाई कौन है? नाम याद नहीं आ रहा, जो हमेशा अन्ना के सामने सबको फंसाते रहते हैं। वो भी मजेदार है। काव्या- तुमने कब देखी यह सिरीयल? मैं- अपने मोबाइल पर और कहा? आठ बजे डेईली एपिसोड है पर उस वक्त या तो रिहर्सल करते हैं या रिद्धि के घर डिनर के पर गए होते हैं। तु भी देखना मजा आएगा। वैसे देखने का मजा सब के साथ आता है। हम बातें कर रहे थे तभी मनोज आया और बताया कि आज डिनर यही करना है। सब यही आने वाले हैं डिनर के लिए। मीना- अच्छा हुआ, रोज़ रोज़ यहां वहां करके थक जाते हैं। साकेत- अब हमें रिहर्सल की जरूरत नहीं है तो डिनर करके मोल रोड घूमने चले? मैं- हां यह बढ़िया है। क्यों रवि भाई? सब सहमत हो गए। मैंने रिद्धि के आते ही उसे बताया कि,- डिनर के बाद हम मोल रोड जाने वाले है। अगर तुम्हें हमारी जरूरत है तो रुक जाते हैं। रिद्धि- कुछ काम नहीं है, तुम सब घूम आओ। और अब शादी तक हम सब यही रहने वाले है। कल और परसों पूरा दिन यही पर रहना है तो पापा ने सबको यही रहने का सुझाव दिया। मैं- wow! तब तो मजा आ जायेगा। रात को मिलते हैं फिर। और बता देना कौनसा रूम है तेरा, ऐसा न हो कि किसी और के रूम में चले जाएं।? सबने साथ में डिनर करके अंकल-आंटी और संजना दीदी से मिलकर मोल रोड घूमने चले गए। मोल रोड पर कार नहीं ले जा सकते तो थोड़े दूर पार्किंग में कार पार्क करके पैदल ही चलने लगै। यहां पर बहुत सारी दूकान है शोपिंग के लिए। मजा आने वाला है आज तो। निशु जो अवि के साथ चल रही थी- wow! भैया यहां पर बहुत सारी केंडल्स की दूकाने है। हम घर के लिए जरूर खरीदेंगे। और wooden show peace भी बहुत अच्छे है यह तो मैं लूंगी ही। अवि- तुझे जो लेना है वह लेना, और हां जो भी लेना है वह दो लेना। निशु- क्यो? अवि- श्रुति के लिए, उसने मंगवाया है। रवि- हंममम... श्रुति के लिए...। अवि- चलना तु सीधे सीधे, मार खाएगा वरना। रवि- देख रहा हुं जनाब का मुड बिगड़ा हुआ है। क्या हुआ? पाखि ने कुछ कहा? अवि- तेरी बहन तुझे उल्लू बना रही है। ज्यादा विश्वास मत करना उस पर। रवि- एसा क्यों बोल रहा है तु? मुझे मुझसे ज्यादा विश्वास है उस पर। अवि- तेरी बहन का साकेत के साथ चक्कर चल रहा है, पूछ लेना उसे। रवि- अपनी जीभ को लगाम दो अवि। ? अवि- सच ही कह रहा हु। दोनों पाखि के रूम में एक-दूसरे से गले मिल रहे थे। साकेत के बच्चे को मैं छोड़ूंगा नहीं, देख लेना आज रात। रवि- पहले तु मुझे पाखि से बात करने दे। वो मुझसे कुछ नहीं छुपाती। अवि- तेरी बहन तुझसे छुपाने लगी है। मैरी बात क्या अब तक बताई तुझे? दोनों बहस करते चल रहे है। इधर सब शोपिंग करने में मस्त थे। काव्या- ठंड मस्त लग रही है यार। चलो ना कुछ गरमागरम खाते हैं। मैं- मोमोज? काव्या- लोकल वेंडर्स से ही लेते हैं कहीं होटल में नहीं जाएंगे। हम सबने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और एक जगह मोमोज का लुफ्त उठाने लगे।
फतेहाबाद, 3 जुलाई (निस) श्री अरोड़वंश धर्मशाला, फतेहाबाद के भवन की पुनर्निर्माण कार्य का शिलान्यास मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन सुभाष बराला द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में फतेहाबाद के विधायक दुड़ाराम विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता अरोड़वंश महासभा के प्रधान मोहरीराम ग्रोवर ने की। कार्यक्रम में सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन सुभाष बराला ने कहा कि देश के उत्थान और तरक्की में अरोड़वंश समाज का उल्लेखनीय योगदान रहा है। समाज के लोगों ने सामाजिक कार्यों के साथ-साथ देश की मजबूती और विकास के लिए अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार सामाजिक-धार्मिक संगठनों के सहयोग के लिए निरंतर प्रयासरत है। फतेहाबाद के विधायक दुड़ाराम ने कहा कि अरोड़वंश समाज ने उनका हरसंभव सहयोग और साथ दिया है। इस अवसर पर अरोड़वंश धर्मशाला के महासचिव एडवोकेट नरेश सचदेवा, डॉ. गुलशन सेठी, केके अरोड़ा, भारतभूषण मिड्डा, वेद फुलां, महेन्द्र सिंह ग्रोवर, महेेन्द्र सिंह मोंगा, सतपाल अरोड़, आत्माराम अरोड़ा, हसबंस सेठी, तिलकराज मोंगा, भारत भूषण मोंगा, भगवत सिंह मोंगा, बृसराज सचदेवा, कवि सचदेवा, तरसेम फुटेला, राजकुमार अरोड़ा, अजय मोंगा, सूरज मानकटाला, गगन मानकटाला, अनिल ग्रोवर, रसप्रीत ग्रोवर, राजेन्द्र मोंगा, राजेन्द्र सचदेवा, नरेन्द्र मोंगा, राहुल मोंगा, अंकित गैरा, विनोद अरोड़ा, अशोक ग्रोवर, विरेन्द्र बाईया, रामनारायण कक्कड़, महेन्द्र वधवा, कृष्ण सचदेवा, प्रवीन जोड़ा, किशोर लाल नारंग, राधेश्याम नारंग, दर्शन नागपाल, राकेश गम्भीर, शम्मी धींगड़ा, अशोक बागला, रवि मैहता सहित क्षेत्र के कई लोग मौजूद रहे।
राहुल नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत ज्यादा शौक था। वह अपने इस शौक के चलते कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था, लेकिन वह किसी भी मैराथन दौड़ को पूरा नही कर पाता था। वह थक कर हर बार दौड़ को बीच में ही छोड़ देता था। एक दिन मैराथन के शुरू होने से पहले उसने ठान लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए वह इस मैराथन दौड़ को पूरा जरूर करेगा। रेस शुरू हुई और राहुल ने दौड़ना शुरू किया। धीरे- धीरे सारे धावक आगे निकल रहे थे, मगर अब राहुल थक गया था और वह रुक गया और फिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो क्या हुआ मैं चल तो सकता ही हूं। और वो धीरे- धीरे चलने लगा। चलते- चलते वो बहुत थक गया और नीचे गिर पड़ा। परंतु इस बार उसने हिम्मत नहीं हारी और दौड़ पूरा करने की ठान ली। वह वापस उठा और लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः उसने दौड़ को पूरा कर ही लिया। वह मैराथन रेस तो हार चुका था लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले वह दौड़ को कभी भी पूरा नही कर पाया था। उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव आ चुका था, जिस वजह से वो जमीन पर लेट पड़ा। लेकिन वह बहुत खुश था क्योंकि आज वह हार कर भी जीता था। कहानी की सीखः कभी न हार मानना ही लक्ष्य की तरफ पहली सीढ़ी है। कभी- कभी लक्ष्य प्राप्ति में समय लग जाता है, लेकिन हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
धर्म सकल सुख देन 'धर्मः' संस्कृत कोश में धर्म शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार की गयी है धृ धातु से मन् प्रत्यय लगाकर धर्मः शब्द बना है, "ध्रियते लोकोऽनेन धरति लोकं वा" कर्त्तव्य, धार्मिक या नैतिक गुण, अच्छे काम, धर्म है। 'धर्म' मानव के चार पुरुषार्थों में प्रथम पुरुषार्थ भी है। श्री कुन्दकुन्दाचार्यकृत प्रवचनसार गाथा स. १९ में श्रीजयसेनाचार्य ने टीका करते हुए धर्म शब्द के अनेक अर्थ किए हैं" इह धर्मशब्देन अहिंसा लक्षणः सागारानगाररूपस्तथोत्तमक्षमादिलक्षणो, रत्नत्रयात्मको वा तथा मोहक्षोभरहित आत्मपरिणामः शुद्ध वस्तुस्वभावश्चेति गृह्यते । स एव धर्मः पर्यायान्तरेण चारित्र भण्यते । अर्थात् यहाँ धर्म शब्द से १. अहिंसा लक्षण धर्म २. मुनि धर्म, श्रावक का धर्म, ३. उत्तम क्षमा आदि दस लक्षण धर्म ४. रत्नत्रयात्मक धर्म ५. मोह क्षोभ रहित आत्म परिणाम धर्म अन्य पर्याय से अर्थात् चारित्र भाव की अपेक्षा कहलाता है अतः प्रवचनसार कुन्दकुन्द स्वामी ने कहा- "चारित्तं खलु धम्मो " ॥ गा. ७ ॥ श्रीपूज्यपाद स्वामी ने सर्वार्थसिद्धि में लिखा- "अहिंसालक्षणो धर्मः " वह अहिंसा लक्षण धर्म कैसा है? सत्य उसका आधार है, विनय उसकी जड़ है, क्षमा उसका बल है, ब्रह्मचर्य से रक्षित है, उपशम की उसमें प्रधानता है, नियति उसका लक्षण है और परिग्रहरहितपना उसका आलम्बन है। इसकी प्राप्ति नहीं होने से जीव दुष्कर्मों के विपाक से उत्पन्न दुःखों का अनुभव करते हुए संसारचक्र में परिभ्रमण करते हैं। परन्तु इस धर्म की प्राप्ति होने पर नाना प्रकार * मर्यादा शिष्योत्तम - २९६ * के अभ्युदयों, नरेन्द्र, धरणेन्द्र, देवेन्द्रादि की प्राप्तिपूर्वक मोक्ष की प्राप्ति होना निश्चित है। ऐसा चिन्तन करना धर्मस्वाख्यातत्त्वानुप्रेक्षा है । स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा ग्रन्थ में कार्तिकेय स्वामी धर्म की परिभाषा / लक्षण जैनागम के चारों अनुयोगों की अपेक्षा बताते हुए लिखते है -- धम्मो वत्थु सहावो, खमादि भावो य दहविहो धम्मो । रयणत्तयं च धम्मो जीवाणं रक्खणं धम्मो ॥ ४७८ ॥ 'धर्म' वस्तु का स्वभाव है। आचार्यश्री ने धर्म का यह लक्षण द्रव्यानुयोग की अपेक्षा लिखा, दूसरा है उत्तम क्षमादि दस प्रकार का धर्म, धर्म है; यह लक्षण चरणानुयोग की अपेक्षा कहा। तीसरा है रत्नत्रय धर्म यह लक्षण करणानुयोग की अपेक्षा कहा तथा जीवों की रक्षा करना धर्म है, यह लक्षण प्रथमानुयोग की अपेक्षा से कहा । धर्म वस्तु का स्वभाव है। जैनधर्म अनादि शाश्वत सनातन धर्म है। यहाँ आचार्यों ने कहा "धम्मो वत्थु सहावो" धर्म वस्तु का स्वभाव है, किसी पर थोपने की वस्तु नहीं। नीम का स्वभाव कड़वापन है, नीबू का स्वभाव खट्टापना है, शक्कर मीठी है, नमक खारा, मिर्च चरपरी है, ऑवला कषैला है। ये सब इनका अपना स्वभाव है, धर्म है। नीम में कडवाहट या शक्कर में मिठास किसी ने डाला नहीं, यह स्वभाव से उनमें है, क्योंकि यह उनका धर्म है। नीम अपने स्वभाव/धर्म को छोड़ दे यानी नीम कड़वाहट छोड दे और शक्कर मिठास छोड़ दे तो नीम को ऊँट और शक्कर को मानव दूर से छोड़देगा क्योंकि धर्मच्युत हो गये हैं। इसी प्रकार जीव का धर्म है- जानना देखना, ज्ञाता द्रष्टा रहना । अनादिकाल से यह जीव अपने ज्ञाता द्रष्टा स्वभाव को छोड़कर "पर का कर्ता" बना हुआ है। कर्ता बुद्धि के ही कारण यह पर वस्तु में भी राग-द्वेष करता है । इसी का फल है कि अपने शाश्वत स्थान सिद्धालय में स्थान न पाकर चौरासी लाख योनियों में फुटबाल 'बॉल' की तरह चक्कर लगा रहा है। जब तक कर्ताबुद्धि है तब तक धर्म नहीं प्राप्त होता । आचार्य कहते हैं यह जीव अपने स्वभाव में रहने लग जावे, ज्ञाता द्रष्टा बनकर रहने का अभ्यास कर ले तो कर्मों का कोई वश नहीं चलने वाला। मर्यादा शिष्योत्तम २९७* "कर्म बिचारे कौन, भूल मेरी अधिकाई, अग्नि सहे घनघात संगति लोहे की पाई।" जीव कर्मों को दोष देते हैं पर अपनी अनादिकालीन भूल सुधारने का प्रयत्न नहीं करते । धर्म कहीं बाहर नहीं, धर्म अपनी आत्मा में है, धर्म अपने परिणामों में है। धर्म कहाँ ? राजा जनक के दरबार में एक जिज्ञासु ने आकर प्रार्थना की, स्वामिन् ! आप बड़े धर्मात्मा हैं, मैं लोगों से सुनता आया हूँ मुझे भी धर्म बता दीजिये? जनक राजा बोले- मैंने अभी-अभी उस नदी में मगर को धर्म दिया है तुम उससे जाकर ले लो । वह जिज्ञासु नदी में मगर के पास जाकर बोला- मुझे धर्म दे दो। अभी-अभी जनक राजा आपको धर्म देकर गया मुझे वही धर्म चाहिए। मगर ने कहा- भाई मुझे प्यास लगी है। पहले एक लोटा पानी लाकर मुझे दे दो, मैं तुम्हें धर्म दे दूँगा । जिज्ञासु ने कहा- ओह ! अरे भाई! नदी में रहकर प्यास ? यह कैसी बात? पानी में मीन प्यासी, मुझे सुन-सुन आवे हाँसी । । वह कहने लगा-पानी में रहकर प्यास की बात, मुझे तो यह सुनकर ही हँसी आ रही है। मगर कहने लगा- भाई । धर्म तुम्हारे अपने भीतर है बाहर नहीं; तुम अपने अन्दर की चीज मुझसे माँग रहे हो यह सुनकर मुझे हँसी आ रही है। तेरा सांई तुज्झ में, ज्यों पुहपन में वास । कस्तूरी के मिरग ज्यों, फिरि - फिरि ढूंढे घास ॥ कस्तूरी मृग की नाभि में छिपी रहती है पर मृग को ज्ञान नहीं होने से वह वन-वन में उस सुगंधि की प्राप्ति के लिए भटकता है, आज जीवों की स्थिति ही यह हो गई है कि 'धर्म' जो अपनी आत्मा का स्वभाव है, सच्चरित्रता, नैतिकता में निहित है अपने अन्दर है वह उसकी खोज बाहर कर रहा है। धर्म कहीं मन्दिर में, तीर्थ में, मठ में, शास्त्र में नहीं, धर्म तो हमारे अन्दर है। ये तीर्थ आदि धर्म के साधन हैं। बध्यते मुच्यते जीवः निर्ममः सममः क्रमात् । निर्ममत्व भाव धर्म है, जीव का स्वभाव है और ममत्व भाव अधर्म * मर्यादा शिष्योत्तम २९८ * है। पर वस्तु में राग-द्वेष की उत्पत्ति अधर्म परिणाम / विभाव भावों से ही होता है। वस्तु स्वभाव से जैसी है वैसी है, न अच्छी है न बुरी । परन्तु जीव के विभाव परिणाम इसमें अच्छे-बुरे की कल्पना करते हैं गर्मी के दिनों में जो भोजन पानी, वस्त्र आदि अच्छा लगता है वही ठंड की ऋतु में अरुचिकर लगता है क्यों? वस्तु में कहीं अशुभपना आया है ? नहीं, जीव की राग-द्वेष रूप विभाव / अधर्म रूप परिणति का यह फल है। जब तक परद्रव्यों में शुभाशुभ की कल्पना, कर्ता बुद्धि, राग-द्वेष की कल्पना है, तब तक "वत्थुसहावो धम्मो " की प्राप्ति दुर्लभ । वीतराग भाव वस्तु स्वभाव है, वही धर्म है। यह वस्तु स्वभाव धर्म निश्चय धर्म है। उत्तम क्षमा, मार्दव आदि दस प्रकार के परिणामों को चरणानुयोग की अपेक्षा आचार्यों ने धर्म कहा। चरणानुयोग में धर्म के दो भेद किये - १. सागार धर्म २. अनगार धर्म अथवा गृहस्थ धर्म व मुनि धर्म । गृहस्थ क्षमा आदि धर्मों का एकदेश पालन कर अपने कर्त्तव्यों का पालन करता है। मुनिगण सर्वदेश क्षमादि धर्मों का पालन कर मुनिपद के कर्त्तव्यों का पालन करते हैं। आचार्य समन्तभद्रस्वामी ने 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार' में लिखासकलं - विकलं चरणं तत्सकलं सर्वसंगविरतानाम् । अनगाराणां विकलं, सागाराणां ससंगानाम् ॥ ५० ॥ 'चारित्तं खलु धम्मो' सर्वपरिग्रहों से रहित मुनिराजों के सकल चारित्र होता है। यह मुनियों का धर्म है और परिग्रह सहित गृहस्थों का विकल चारित्र यह श्रावक का धर्म है। मुनिराज क्रोध को क्षमा से, मान को मार्दव से, माया को आर्जव से, लोभ को शौच से, असत्य को सत्य से, असंयम को संयम से, कर्मों को तप से, ममत्व को त्याग से, अहंकार- ममकार को आकिञ्चन्य से और अब्रह्म को ब्रह्मचर्य से जीतते हैं। जिसका प्रत्याख्यान नहीं किया था ऐसे परद्रव्य का, परभाव का त्याग करते हैं, जिसकी आलोचना नहीं की थी, उसकी आलोचना करते हैं, जिस दोष आदि की निन्दा नहीं की उसकी निन्दा करते हैं, जिसका प्रतिक्रमण नहीं किया उसका प्रतिक्रमण करते हैं, इस प्रकार विराधना को त्याग कर आराधना स्वीकार करते हैं, अज्ञान, कुदर्शन, कुचारित्र, * मर्यादा शिष्योत्तम २९९ * कुतप, अकरणीय, अक्रिया, प्राणातिपात, असत्य, चोरी, अब्रह्म, परिग्रह, रात्रिभोज, आर्त्तरौद्रध्यान, तीन कृष्णादि अशुभ लेश्या, आरम्भ, असंयम, सग्रन्थता, सचेल आदि त्यागने योग्य, मुनि अवस्था में अनाचरणीय का त्याग करके आराधना, सम्यक् ज्ञान, सम्यग्दर्शन, सम्यक् चारित्र, सुतप, करणीय, सुक्रिया, अहिंसा, अभयदान, अचौर्य, सत्य, दत्तादान, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, दिन में एक समय भोजन, धर्म शुक्ल ध्यान, तीन शुभ पीत आदि लेश्या, अनारम्भ, संयम, निर्ग्रन्थता, अचेलकत्व आदि अपने सकलचारित्र के योग्य चारित्र धर्म को अंगीकार करते हैं। तथा "झाणाज्झयणं मुक्खं जदिधम्मे" यति / अनगार के मुख्य कर्त्तव्य ध्यान व अध्ययन में रत हो अपने गृहीत व्रतों के निर्दोष आचरण सदा तत्पर रहते हैं। घोर उपसर्ग परीषह के आने पर भी 'वत्थु सहावो धम्मो' रूप धर्म में विचरण करते हुए, वस्तु स्वरूप के परिणमन के ज्ञाता द्रष्टा / ज्ञायक मात्र बनकर सभी कुछ क्षमादि भावों के द्वारा जीतते हैं, अपने स्वभाव से विचलित नहीं होते हैं । "दाणं पूया मुक्खं सावयधम्मे ण सावया तेण विणा" श्रावक धर्म में दान व पूजा मुख्य कर्त्तव्य है। श्रावक जीवन में सुबह से शाम तक गृहस्थाश्रम की क्रियाओं का सम्पादन करना पड़ता है, उसे उसके लिए अर्थ उपार्जन करना भी अनिवार्य है। इस क्रिया में सावद्य / पाप होता ही है, फिर गृहस्थाश्रम में पीसना, कूटना, झाड़ना, बुहारना, रसोई बनाना / भोजन तैयार करना और पानी भरना आदि पञ्चसूना पापों से वे बच भी नहीं पाते। इसके अतिरिक्त व्यापार, धंधा, पञ्चेन्द्रिय विषयों में, भोगोपभोग की सामग्री में राग-द्वेष परिणाम होना भी स्वाभाविक ही है। इन सावद्य क्रियाओं से उपार्जित पाप की शुद्धि श्रावक धर्म में जिनपूजा व सुपात्रदान से ही हो सकती है। जिनपूजा श्रावक धर्म का प्राण है। यह गृहस्थ धर्म की आधारशिला है। जिस प्रकार ध्यान अध्ययन के बिना यतिधर्म टिक नहीं सकता उसी प्रकार जिनपूजा व पात्रदान के बिना श्रावक धर्म टिक नहीं सकता । सामान्यतः पूजा सद्गृहस्थ का मुख्य कर्त्तव्य है। गृहिणी का कर्त्तव्य घर है। घर की अधिष्ठात्री धर्मपत्नी कहलाती है। पति के साथ-साथ समस्त धार्मिक क्रियाओं का / अनुष्ठानों का सम्पादन जहाँ दम्पति वर्ग करते हैं वहीं सागार धर्म है अतः जैनाचार्यों ने * मर्यादा शिष्योत्तम ३०० * श्रावकाचार में एक ही प्रकार का वर्णन किया है। आज तक किसी भी आगम में श्रावकाचार व श्राविकाचार पृथक्-पृथक् नहीं बताये अतः दम्पति वर्ग को समान रूप से प्रतिदिन जिनेन्द्रदेव की अष्टद्रव्य से पूजा, अर्चा, अभिषेक आदि करना चाहिए। सौ कार्य छोड़कर नहाना चाहिए, हजार कार्य छोड़कर भोजन करना चाहिए, लाख कार्य छोड़ कर राजाज्ञा पालना चाहिए और करोड़ों कार्य छोड़कर जिनेन्द्रदेव की पूजा करना चाहिए। गृहस्थ आश्रम में धन-सम्पत्ति आदि भोगोपभोग से शरीर को खुराक मिलती है परन्तु आत्मा को खुराक दान से मिलती है। धन का सर्वश्रेष्ठ उपयोग है दान। उत्तम-मध्यम जघन्य पात्रों में, साधु पुरुषों, मुनि-आर्यिका, क्षुल्लकक्षुल्लिकाओं, श्रावक-श्राविकाओं में यथायोग्य भक्तिपूर्वक दान देवें । समन्तभद्र आचार्य ने लिखा हैनवपुण्यैः प्रतिपत्ति सप्त गुण समाहितेन शुद्धेन । अपसूनारम्भाणामार्याणामिष्यते दानम् ॥ ११३ ।। पञ्चसूना पाप और आरम्भ रहित आर्यजन-सकलसंयमी मुनि, आर्यिका व एकदेश संयमी क्षुल्लक - क्षुल्लिका के लिए श्रद्धा, तुष्टि / संतोष, भक्ति, विवेक, निर्लोभता, क्षमा और सत्य इन सात गुणों व पड़गाहन, उच्चासन, पाद-प्रक्षालन, पूजा, नमस्कार, मन शुद्धि, वचन शुद्धि, काय शुद्धि व भोजन शुद्धि नवधाभक्तिपूर्वक दान देना श्रावक का धर्म है। इसी प्रकार श्रावक का कर्त्तव्य है कि वह आहार - औषध - अभयदान व ज्ञानदान देकर स्व-पर का उपकार करे तथा दीन-दुखियों को करुणा भाव से दान करेदातारों का मजा इसी में, खाने और खिलाने में । कंजूसों का मजा इसी में, जोड़-जोड़ मर जाने में ॥ धन को सप्त क्षेत्रों - जिनचैत्य, चैत्यालय, चार दान, जिनतीर्थ, जिन आगम, पञ्चकल्याणक महोत्सव, जिनमहोत्सव आदि में दान देकर अपने धन का सदुपयोग करना चाहिए। आचार्यों का कथन है अधिक नहीं तो कम से * मर्यादा शिष्योत्तम - ३०१ * कम कमाई का दसवाँ हिस्सा तो श्रावक को दान में अवश्य ही देना चाहिए। प्रकृति का नियम है कि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र का बरसा पानी पीता है। कवि की सुन्दर कल्पना बादलों को संबोधित कर रही हैवितर वारिद वारिद वातुरे, चिर पिपासित चातक पोतके । प्रचलिते मरुतेक्षणमन्यथा, क्व च भवान् क्व पयः क्व च चातकः ॥ हे बादल ! बरसो, बरसो, बहुत देर से चातक पक्षी के लिए कुछ बिन्दु जल बरसा- बरसा दे। अन्यथा हवा का प्रबल वेग आते ही पता नहीं तू कहाँ उड़कर पहुँचेगा । कहाँ तेरी यह बूँद होगी और कहाँ यह चातक होगा? इसी तरह भव्यात्माओ ! धन को समय रहते दान में लगा दो अन्यथा पता नहीं कब पापरूपी पवन इसे उड़ाकर ले जाये, कोई छापा डालेगा, कोई डाका डालेगा, कोई किडनेप करके यह सब तेरे पास से ले जायेगा । चंचला लक्ष्मी हाथ से उड गयी तो तू सिर ठोककर पछतायेगा । श्रावक धर्म, दान व पूजा कर्त्तव्यपालन के लिए प्रथम 'कुलाचार' का पालन आवश्यक है। मद्य, मांस, मधु तीन मकार का त्याग व बड, पीपल, पाकर, ऊमर व कठूमर पाँच फलों का त्याग, रात्रि भोजन नहीं करना, पानी छानकर पीना व नित्य वीतराग जिनदेव का दर्शन करना ये जैनकुल के कुलाचार हैं। जैसे मूल के बिना वृक्ष, नींव के बिना मकान ठहर नहीं सकता वैसे कुलाचार के बिना श्रावक धर्म नहीं हो सकता । जैनकुल में जन्म लेने मात्र से कोई जैनी नहीं हो जाता । गाँधीजी ने लिखा है- मैं जैन कुल में उत्पन्न होने मात्र से किसी को जैनी नहीं मानता किन्तु जो भी रात्रि भोजन का त्यागी है उसे मैं जैनी मानता हूँ। पहले, आचरण से जैनी की पहचान होती थी, कोई भी जैन भाई नल पर कपड़ा लगाकर पानी पीता तो व्यक्ति दूर से देखकर ही कह देते थे वह जैनी है। जैनी यात्रा को निकलते थे तब अपने लोटा छन्ना डोरी साथ रखते थे। कभी याचना नहीं करते थे। कहावत प्रसिद्ध है - "लोटा डोर छरी उसकी यात्रा खरी ।' खाने के पीछे आज व्यक्ति पागल सा बन गया है। सबसे प्रथम 'बेड टी' इसके बिना तो नींद नहीं खुलती, डनलप का गद्दा नहीं छूटता, फिर चाय फिर नाश्ता, फिर चाय फिर भोजन, फिर दोपहर की चाय फिर भोजन, फिर रात में नाश्ता * मर्यादा शिष्योत्तम ३०२ * चाय, दिन और रात खाते रहो फिर भी शान्ति नहीं। अरे भैया हमारे पास आओ बढ़िया चाय, नाश्ता करो, ऐसा नाश्ता कि फिर भूख-भूख चिल्लाना नहीं पड़े। आओ हम तुम्हें चाय पिलाएँहमारी चायप्रभु नाम की चाय पी लो, आत्मध्यान का नाश्ता । ज्ञानामृत का भोजन कर लो, यही मोक्ष का रास्ता ।। आज घरों में कुलाचार, भारतीय संस्कृति के आचार तो समाप्त हो गए। फैशन में मानव बिक गया। लड़के-लड़कियों की वेश-भूषा ऐसी बन गयी कि लड़के-लड़कियों की पहचान ही नहीं हो पाती । लड़के बड़े-बड़े बाल रखने लगे तो लड़कियाँ बाल कटाने लगीं। लडकों की पोषाक लड़कियाँ पहनने लगीं। सास-ससुर के प्रति, माता-पिता के प्रति आदर्श विनय, सम्मान, सत्कार की भावनाएँ समाप्त हो गयी हैं। बेटी और बहू के आदर्शों की मर्यादा का लोप हो गया । श्रावक या मुनि जो जिस पद में स्थित है उसी के अनुकूल क्रिया कर्त्तव्य धर्म कहलाता है। श्रावक अपनी मर्यादाओं से दूर हो रहा है। सीता जब तक लक्ष्मणरेखा में रही रावण उसका हरण नहीं कर पाया। सीता ने जैसे ही लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन किया उस पर विपत्तियों का पहाड़ आ पड़ा। यही अवस्था श्रावक धर्म में आज हमारे समाज की है। सामाजिक नियंत्रण मर्यादाओं का उल्लंघन होने से आज घर-घर अशान्ति का वातावरण है। कुलाचार की मर्यादा लुप्त हो गई है। जिस घर में कुलाचार धर्म का पालन नहीं होता, वहाँ देवपूजा, दान आदि श्रावक धर्म का पालन नहीं हो सकता । श्रावक का कर्त्तव्य है निर्णय करे- "हमें जीने के लिए खाना है या खाने के लिए जीना है।" आज जैनकुलों में श्रावकधर्म की मर्यादा नहीं रह गई । एक पशु भी जिन कार्यों को नहीं करता, जिन चीजों को नहीं खाता, वह मानव करता व खाता है। कोई पशु पान पराग नहीं खाता किन्तु मनुष्य खाता है, कोई पशु चोरी डकैती करके जेल नहीं जाता पर मनुष्य चोरी, डकैती, दुष्कर्म करके जेल जा रहा है। मैं एक नगर में पहुँचा। मुझ से एक व्यक्ति ने कहा -महाराजजी, आशीर्वाद दीजिये ! मैंने कहा- सफेद-सफेद, गोल-गोल कुछ खाते हो? जी हाँ। मुँह से धुआँ निकालते मर्यादा शिष्योत्तम - ३०३ * हो ? जी हाँ। कुछ-कुछ पीते भी हो ? जी हाँ । मुँह में चबाते भी हो ? जी हाँ । मैंने कहा, अरे भाई ! ऐसे काम तो गधा भी नहीं करता, घोड़ा भी नहीं करता, फिर ये बताओ घोड़ा, गधा को आशीर्वाद दूँ या आपको? आगे आचार्यदेव ने कहा- "रयणत्तयं च धम्मो" रत्नत्रय धर्म है। सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान व सम्यक् चारित्र धर्म है। सदृष्टि - ज्ञानवृत्तानि धर्मं धर्मेश्वरा विदुः । यदीयप्रत्यनीकानि, भवन्ति भवपद्धतिः ॥ ३ ॥र.श्रा. ॥ सम्यग्दर्शन - तत्त्वों का श्रद्धान, देव शास्त्र गुरु का श्रद्धान, सम्यग्ज्ञानतत्त्वों का जैसा स्वरूप है वैसा जानना और सम्यक् चारित्र - पापक्रियानिवृत्ति ये संसार की दुखमयी अवस्था से उठाकर मुक्ति में ले जाते हैं अतः धर्म हैं और इनसे विपरीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान- चारित्र संसार - मार्ग है। कुन्दकुन्द आचार्य 'दर्शन पाहुड' में लिखते हैं- "दसणमूलो धम्मो " धर्म का मूल सम्यक्त्व है। दर्शन के अभाव में ग्यारह अंग नौ पूर्व का ज्ञान अथवा बाह्य विविध प्रकार का ज्ञान भी भार रूप है, मिथ्या ही है तथा सम्यक्त्व के बिना कठोर व्रत, उपवास, तपश्चरण आदि भी पत्थर की नौकावत् डुबोने वाला ही है। एक बार अन्तर्मुहूर्त के लिए जीव ने सम्यक्त्व प्राप्त कर लिया तो अनन्त संसार, पंचपरावर्तन से वह छूट जाता है, मात्र अर्द्ध पुद्गल परावर्तन संसार उसके लिए शेष रह जाता है। सम्यक्त्व के होते ही समस्त ज्ञान सम्यक् व चारित्र सम्यक् हो जाता है। अतः हमें शंकादि २५ दोषों से रहित सम्यक्त्व प्राप्ति का पुरुषार्थ करना है। णाणं णरस्स सारं, सारो वि णरस्स होइ सम्मत्तं । सम्मत्ताओ चरणं चरणाओ होइ णिव्वाणं ॥ ३१ द.पा. ॥ ज्ञान जीव के लिए सारभूत है, ज्ञान की अपेक्षा दर्शन सारभूत है क्योंकि सम्यक्त्व से चारित्र सम्यक्त्व नाम पाता है और चारित्र से निर्वाण की प्राप्ति होती है। जम्बूद्वीप के विदेह क्षेत्र में वीतशोकनगर में राजा वैश्रवण राज्य करते * मर्यादा शिष्योत्तम ३०४ * थे। एक दिन वे बसन्त ऋतु में क्रीड़ार्थ किसी उद्यान में पहुँचे। आमोद-प्रमोद करते हुए राजा की दृष्टि शिला पर विराजमान ध्यानमग्न मुनिराज पर गई । मुनिचरणों में जाकर उसने उल्लासपूर्वक विनय से उनको पंचांग नमस्कार किया। आगम में कथन आता है कि पुरुष वर्ग देव-शास्त्र - गुरु के लिए पंचांग या अष्टाङ्ग नमस्कार करें तथा स्त्रियाँ गवासन और व्रती, त्यागी वर्ग सदा गवासन से नमस्कार करें। राजा ने मुनिराज को पंचाङ्ग नमस्कार किया व धर्मोपदेश देने की प्रार्थना की। मुनिराज ने कहा - राजन् ! यह जीव अनादिकाल से मोह व मिथ्यात्व में फँसा हुआ मिथ्या श्रद्धा, ज्ञान, आचरण करता हुआ पुनः पुनः कर्मबन्ध करता हुआ जन्म-मरण के दुःखों को उठाता है। वास्तव में इसके हितकारी "सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः" सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक् चारित्र हैं। यही सच्चे सुख का मार्ग है। जो इसकी आराधना करता है, बाह्य में रत्नत्रय व्रत करता है वह मुक्ति को प्राप्त करता है। राजा - गुरुदेव ! रत्नत्रय व्रत की विधि बताइये । मुनिराज-भादों, माघ और चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में तेरस, चौदस, पूर्णिमा तीन दिन तक यह व्रत किया जाता है। द्वादशी को व्रत की धारणा और प्रतिपदा को पारणा होता है। उत्तम तो तीनों दिन उपवास करें, पाँचों दिन सावद्य कर्म त्यागकर सामायिक, पूजा, स्वाध्याय, जाप आदि में समय बितावें । इस प्रकार उत्तम १२ वर्ष, मध्यम ८ वर्ष (कांजी आहार बेला करके ) । इतनी शक्ति न हो तो एकासन के साथ ३ या ५ वर्ष तक यह व्रत करें। पश्चात् शक्ति अनुसार उद्यापन करें - रत्नत्रय विधान करें । "ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्यो नमः मन्त्र का जाप करें। राजा ने मुनिराज से व्रत का संकल्प लिया । व्रत को यथाविधि पूर्ण कर उद्यापन किया । पश्चात् एक दिन वैश्रवण राजा बड़े भारी वटवृक्ष को जड़ से उखड़ा से देख वैराग्य को प्राप्त हुए और दीक्षा धारण कर अन्त में समाधिमरण कर अपराजित विमान में अहमिन्द्र हुए। वहाँ से चयकर मिथिलापुरी में कुम्भराय राजा के पुत्र तीर्थंकर मल्लिनाथ हुए । रत्नत्रय धर्म का आराधक या तो उसी भव से मुक्ति * मर्यादा शिष्योत्तम ३०५ * को पाता है या तीन या चार भव का उल्लंघन नहीं करता। रत्नत्रय धर्म साक्षात् मुक्ति का हेतु है। छहढाला में दौलतरामजी ने लिखा हैजो भाव मोहतें न्यारे, दृग ज्ञान व्रतादिक सारे । सो धर्म जबै जिय धारे, तबही सुख अचल निहारे ॥ "जीवाणं रक्खणं धम्मो " - "धम्मो दयाविसुद्धो" जहाँ दया है वहाँ निर्मल धर्म है। " धर्म का मूल दया है" प्राणी मात्र में दया भाव होना मन-वचनकाय से किसी भी प्राणी का घात नहीं करना । मानसिक-वाचनिक - कायिक हिंसा रहित दया अनुकम्पा रूप परिणाम धर्म है। धर्म मानव ही नहीं जीव मात्र का स्वभाव है। सिंह क्रूर होकर भी अपने बच्चों पर दयालु है। इससे सिद्ध होता है कि दया जीव मात्र का स्वभाव है- "अहिंसा परमो धर्मः" अहिंसा धर्म मंगल है, उत्कृष्ट है, जिसके मन में यह धर्म होता है वह देवों के भी द्वारा पूजा जाता है। पाप समय निर्बल बनो, धर्म समय बलवान । पुराणों में आचार्यों की सबसे प्रथम देशना यही हुई, हिंसा आदि पाँच पाप हैं उनका त्याग करो, पाप अधर्म है। पुण्य धर्म है। भगवान् वीर का जीव उसने सर्वप्रथम सिंह की पर्याय में हिंसा करने का मांस खाने का त्याग किया, भगवान् नेमिनाथ के जीव ने भील की पर्याय में मांस खाने का त्याग किया वे तीर्थंकर बने । मानव को 'पापभीरु' बनना आवश्यक है। पहले छोटा सा पाप करते व्यक्ति को नरक जाने का डर था, आज मानव मन से पापभीरुता निकल गई। उसी का फल है-मांस निर्यात, कत्लखाना खोला जाना आदि । सत्य ही लिखा है- "पापमरातिधर्मो बन्धुः जीवस्य" । इस प्रकार धर्म की विविधता जानकर अपनी-अपनी भूमिका के अनुसार आचरण करें। सर्वप्रथम हिंसादि पापों का त्याग करें, पश्चात् तत्त्वार्थ का सच्चा श्रद्धान कर रत्नत्रय की आराधना कर उत्तम क्षमादि धर्म को धारण करें तभी "वत्थुसहावो धम्मो" की प्राप्ति कर आत्मा सिद्धसुख को प्राप्त कर धर्ममय बनेगा । * मर्यादा शिष्योत्तम ३०६ * काल-परिस्थितियों के अनुसार दृष्टान्त बदल सकते हैं, समझाने की शैली भी बदल सकती है, भाषा, वेशभूषा, रहन-सहन बदल सकता है पर मूल सिद्धान्त कभी नहीं बदलते हैं। "वस्तु स्वभाव धर्म कभी भी नहीं बदलता ।" धर्म शाश्वत है, अकाट्य है । बाह्य वस्तुएँ सब बदल सकती हैं पर धर्म कभी नहीं बदलता। यशस्तिलक चम्पू में सोमदेव आचार्य ने लिखा- पुरुष अपना रहन-सहन सब कुछ बदल दे पर धर्म नहीं बदल सकता, पर यदि अरिहंत देव के प्रति मन से श्रद्धा खत्म हो जायेगी तब धर्म परिवर्तित हो जायेगा । आज मानव के पास सब कार्यों के लिए समय है पर धर्मकार्यों के लिए 'No time' समय नहीं है। टी.वी. देखने के लिए, मनोरंजन के लिए, खेलने, कूदने, घूमने के लिये समय है, पर धर्मकार्य के लिए समय नहीं है, उसे कवि कहते हैंहरदम है तैयार तू पाप कमाने के लिए। कुछ तो समय निकाल प्रभुगुण गाने के लिए ।। एक व्यक्ति मुझसे बोला-महाराज । धर्म करने में मन नहीं लगता क्या करें? मैंने कहा- भैया ! 'करिष्यामि' का मन्त्र - यह करूँगा, यह करना है, वह करना है-इस मन्त्र को बदलकर 'मरिष्यामि' - इस मन्त्र को जपना शुरू कर दीजिये । मुझे मरना भी है - यह जिस क्षण निश्चित हो जायेगा उसी क्षण आवाज आयेगी मरना है, फिर संसार में क्या करना है ? बस, धर्म करने की भावना जागृत हो जायेगी । अन्त में यही कहना है जिस प्रकार रत्नों में श्रेष्ठ हीरा है, वृक्षों में श्रेष्ठ गोशीर्ष चन्दन है उसी प्रकार धर्मों में श्रेष्ठ धर्म अहिंसा धर्म है, वस्तु स्वभाव धर्म है, उसी से प्रीति करोतत्प्रति प्रीतिचित्तेन, येन वार्तापि हि श्रुता । निश्चितं स भवेद् भव्यः, भाविनिर्वाणभाजनं ॥ संसार आकाशरूपी दो पाटों के बीच जीव निरन्तर दुखी है किन्तु जो धर्मरूपी कील का सहारा लेते हैं वे शाश्वत अविनाशी सुख को प्राप्त करते हैं। क्योंकि धर्म मानव से मानव को जोड़ता है, तोड़ता नहीं । मानव जीवन * मर्यादा शिष्योत्तम ३०७* में जीने की कला धर्म से ही आती है। जो धर्मपूर्वक जिन्दगी में जीया नहीं वह शान्ति से मर भी नहीं सकता, अतः धर्म को धारण करो । चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणाश्चलपर्वत - मन्दिरम् । चलाचली च संसारे, धर्म एको हि निश्चलः ॥ इच्छित वस्तु देने के लिए धर्म ही कामधेनु है, धर्म ही चिन्तामणि है, धर्म ही स्थिर रहने वाला कल्पवृक्ष है तथा धर्म ही अविनाशी निधि है। मोक्षः कर्मक्षयादेव, स चात्मज्ञानतो भवेत् । ध्यानसाध्यं मतं तच्च, तद् ध्यानं हितमात्मनः ॥
एंटी डैंड्रफ शैम्पू के साइड इफेक्ट्स. ( Image Source : Freepik ) Anti Dandruff Shampoo Side Effects: डैंड्रफ बालों में होने वाली एक आम समस्या है, जिसका कभी न कभी लगभग सभी ने सामना किया है. डैंड्रफ की वजह से न सिर्फ बाल डैमेज होने लगते हैं, बल्कि टूटना भी शुरू हो जाते हैं. इनकी वजह से सिर में खुजली भी होने लगती है. ज्यादातर लोग डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए एंटी-डैंड्रफ शैंपू का इस्तेमाल करते हैं. अब सवाल उठता है कि क्या एंटी-डैंड्रफ शैंपू आपके बालों के लिए फायदेमंद है या नहीं? दरअसल पॉपुलर हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब ने एंटी-डैंड्रफ शैंपू को बालों को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है. उनका कहना है कि इस शैंपू के इस्तेमाल से आपके बालों और जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है. हाल ही में शेयर अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में जावेद हबीब ने एंटी-डैंड्रफ शैंपू को बालों के लिए नुकसानदेह बताया. उन्होंने कहा कि अगर आप इस शैंपू का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो आपको ऐसा करने से बचना चाहिए. क्योंकि बालों में ज्यादा एंटी-डैंड्रफ शैंपू लगाने से आपकी जड़ें कमजोर हो सकती हैं और तो और आपके बाल भी खराब हो सकते हैं. इस शैंपू के इस्तेमाल से बाल रूखे और बेजान हो सकते हैं. इसलिए इनको ज्यादा यूज करने से आपको बचना चाहिए. हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब कहते हैं कि किसी को भी एंटी-डैंड्रफ शैंपू का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे डैंड्रफ जाए न जाए, लेकिन बालों की समस्याएं जरूर शुरू हो जाएंगी. अगर आप एंटी-डैंड्रफ शैंपू का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो हफ्ते में केवल दो बार ही करें. जितना कम आप एंटी-डैंड्रफ शैंपू का इस्तेमाल करेंगे, उतना ही कम नुकसान आपके बालों को पहुंचेगा. 1. ड्राई हो जाएंगे बालः एंटी-डैंड्रफ शैंपू आपके बालों को ड्राई कर सकता है. इसके इस्तेमाल से आपको अपने बाल रूखे और बेजान लग सकते हैं. ये शैंपू आपके बालों से नमी को छीन सकता है और उन्हें दोमुंहे बना सकता है. ड्राई बालों के साथ झड़ने की समस्या अक्सर देखी जाती है. यही वजह है कि इस शैंपू का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना चाहिए. 2. बिगड़ सकता है स्कैल्प का पीएचः एंटी-डैंड्रफ शैंपू के ज्यादा इस्तेमाल से आपके स्कैल्प का पीएच बिगड़ सकता है. इसकी वजह से आपके बालों को कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
आचार्य चाणक्य ने नौकरी-व्यापार में तरक्की को लेकर कई मंत्रों के बारे में बताया हैं. चाणक्य का कहना हैं कि नौकरी में सफलता पाने के लिए कई गुणों का होना बहुत जरूरी है. Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को विद्वान का दर्जा दिया गया है. कहा जाता हैं कि उन्हें कई विषयों के बारे में जानकरी थी. फिर चाहे वो वैवाहिक जीवन हो या फिर नौकरी-व्यापार में तरक्की के मंत्र. उनकी नीतियों को अनपनाने के बाद कई लोगों की किस्मत चमकी है. जब चारो ओर निराशा हो तो चाणक्य की नीतियों को अपनाने के बाद ही इंसान इनसे उबरने की उम्मीद कर सकता है. चाणक्य ने अपने शास्त्र नीतियों में बताया है कि नौकरी में सफलता पाने के लिए व्यक्ति में कौन से गुण होने चाहिए. जिससे वह सफलता की सीढ़ी चढ़ सके. तो आइए इन गुणों के बारे में जानते हैं. 1. लक्ष्यः किसी भी व्यक्ति को कामयाबी तब ही हासिल होती है जब लक्ष्य तय हो. नौकरी और व्यापार में अपने लक्ष्य का पता होना चाहिए तभी तरक्की हासिल की जा सकती है. अगर कामों को पूरी प्लानिंग के साथ किया जाए तो समय के साथ किसी भी काम को आसानी के साथ पूरा किया जा सकता है. व्यापार में भी अपने काम को निर्धारित करें ताकि नकुसान होने से बच सकें. 2. अनुशासन और मेहनतः लक्ष्य को पूरा करने के लिए मेहनत और अनुशासन को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. चाणक्य की मानें तो मेहनत के बल पर ही किसी भी व्यक्ति में अनुशासन की भावना को उजागर किया जा सकता है. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कभी भी दूसरों के भरोसे नहीं बैठना चाहिए. चाणक्य कह गए हैं कि व्यक्ति कितना ही संपन्न क्यों न हो जाए उसे हमेशा काम करते रहना चाहिए. अगर अपना काम दूसरों को सौंप देते हैं तो काम समय से पूरा नहीं हो पाएगा. 3. वफादारीः अपने काम के प्रति वफादार होना जरूरी होता है. क्योंकि ये कामयाबी की पहली निशानी होती है. काम में लापरवाही करने से काम को भी नुकसान पहुंचा सकती है. व्यक्ति अगर ईमानदार रहता है तो भविष्य में सफलता जरूर हासिल होती है. लापरवाही करने से काम के साथ-साथ व्यक्ति की छवि को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है. 4. निर्डरः जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब व्यक्ति को सही समय पर सही फैसला लेना बहुत आवश्य होता है. चाणक्य के मुताबिक नौकरी-व्यापार में नुकसान की समझ होना भी बहुत जरूरी है. इसी को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति को फैसले लेने चाहिए. नुकसान होने पर रोने की बजाय भविष्य की रणनीति तैयार करनी चाहिए. इसलिए वही व्यक्ति जीवन में सफल होता है जो अपनी असफलता से डरता नहीं है.
75 साल के लिए दुनिया की आबादी प्रशंसा से उद्भव, गठन और कैडिलैक फ्लीटवुड के रूप में कार के विकास में देखा। 1996 में यह आश्चर्यजनक मॉडल की रिहाई के सम्मान में एक विदाई भाषण दिया गया था जब, लक्जरी वाहन के प्रशंसकों की एक बड़ी संख्या को दिल का दौरा होने के कगार पर सचमुच बदल गया। 1921 इस खूबसूरत कार की रोशनी में एक विजयी उपस्थिति द्वारा चिह्नित किया गया। 20 वीं सदी के तीसरे दशक, मोटर चालकों के लिए चमकीले रंग से भराः यह ठीक तो सबसे छिछोरा मॉडल कैडिलैक फ्लीटवुड रिहा कर दिया गया है। अब तक, इस भव्य मशीन के मालिक बनने के लिए, कट्टर मोटर चालकों बहुत कुछ बलिदान करने को तैयार हैं। 1954 में वह प्रकाशित कैडिलैक फ्लीटवुड, जो रॉक 'एन' रोल एल्विस प्रेस्ली के राजा की पहली पसंदीदा कार बन गई। यह तो है कि लक्जरी और धन के चार प्रतीक था और संगीत ओलिंप का अवतार बन गया। सुरुचिपूर्ण उपस्थिति के अलावा, कार अपनी शक्ति और आठ की ताकत से पता चला है "दिल। " गुलाबी घमंडी डिवाइस 5. 4 लीटर वी 8 इंजन के गरजनदार शक्ति छिपा की लंबी हुड, एक 160 स्टील चुस्त मस्टैंग के द्वारा संचालित के तहत। इस कार एल्विस और उनकी टीम के लिए ईमानदारी से सेवा की है, हालांकि, बहुत लंबे समय नहीं हैः कैडिलैक फ्लीटवुड दौरे सड़क पर आग लग रही है। हालांकि, इस कार के लिए प्यार अपने नुकसान की कड़वाहट की तुलना में मजबूत था, इसलिए कुछ समय के बाद रॉक 'एन' रोल के राजा इस भयानक मशीन के चार संस्करण पर ले जाता है। अपने संग्रह के चरमोत्कर्ष 1954 मॉडल अच्छा गुलाबी रंग है, जो वह अपनी माँ को दे दिया था। वैसे, कि इस अधिनियम को प्रेरित किया है माताओं की एक बड़ी संख्या में इस तरह के एक उपहार का सपना, और उनके बेटों - वास्तविकता में इस सपने को साकार करने की तलाश के लिए। यह इच्छा एक भी "सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की स्वर्ग» पर नॉकिंग में दिखाई देता है। यह मॉडल कैडिलैक जब यह मंच नव कैडिलैक फ्लीटवुड Brougham पर एक छोटे से दबाया गया था, 60 के दशक तक बहुत लोकप्रिय था। एक चार दरवाजा सिडैन और टू-डोर कूपः इस संशोधन दो संस्करणों में उपलब्ध था। कैडिलैक फ्लीटवुड लिमोसिन, जो 1976 में शुरू हुआ - इस लक्जरी कार के स्थान में कंपनी का एक और मॉडल आया था। यह ध्यान देने योग्य है कि कंपनी को अधिक से अधिक प्रशंसकों के एक उचित मूल्य पर अपने ब्रांड लक्जरी कार आनंद लेने का अवसर प्रदान करने के लिए कोशिश कर रहा है के लायक है। जल्दी और मध्य 90 के दशक में जनरल मोटर्स के इंजीनियरों ने एक संशोधित तंत्र और जिद्दी के मुद्दे पर विचार पर समय का एक विशाल राशि खर्च की। अपनी आकांक्षाओं का परिणाम एक कैडिलैक फ्लीटवुड कार्वेट इंजन के हुड के अंतर्गत स्थापना था। यह मोटर वाहन अभूतपूर्व शक्ति पहले दे दी है। मॉडल बोर्ड के अंत स्पष्ट विकल्प वाहन नियंत्रण, बारी-बारी कर्षण नियंत्रण के स्थिरीकरण, तह बाहरी दर्पण, साथ ही संशोधित स्पार्क प्लग, जो प्लैटिनम सुझावों प्राप्त की है चिह्नित। 2013 में भी लक्जरी और लक्जरी वाहनों की एक बड़ी संख्या समेटे हुए है। इन स्टील "स्वैलोज़" से एक एक नई कैडिलैक हैः अपने आकार बदल रहा है और चिंता का विषय है जनरल मोटर्स, कई साल पहले की तरह की सामग्री में सुधार, इस ब्रांड के प्रशंसकों के बीच भावनाओं का एक तूफान के कारण होता है।
BAREILLY: नगर निगम में सैटरडे को कार्यकारिणी समिति की तीसरी बैठक संपन्न हुई। तीन घंटे चली मैरॉथन बैठक में जनसुविधाओं की बजाय अधिकारियों का जोर नगर निगम की आय बढ़ाने पर रहा। आखिर में इन्हीं प्रस्तावों पर मुहर भी लगी। सड़क निर्माण के लिए पहले निर्माण विभाग की मंजूरी की शर्त लगा दी गई। निगम की राजस्व वसूली बढ़ाने के प्रस्ताव बॉयलॉज कमेटी की मंजूरी को बढ़ा दिया। स्लाटर हाउस की निगरानी को कमेटी बनाई और अवैध निर्माण की जांच का भी निर्णय लिया गया। यहां मेयर डॉ। उमेश गौतम, नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, उपसभापति अतुल कपूर मौजूद रहे। बैठक का शुभारंभ पूर्व में हुई बैठक और मासिक लेखा-जोखा प्रस्तुत करने के साथ हुई। फिर प्रेमनगर थाने के सामने दुकानों की नीलामी का प्रस्ताव रखा। उच्चतम बोली की जानकारी देने के बाद समिति ने पार्षदों के प्रस्ताव के मुताबिक वहां बारिश से बचाव को शेड और दो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का निर्णय लिया। नगर निगम की दुकानों के नाम परिवर्तन करने पर शुल्क वृद्धि के साथ किराया लेने का प्रस्ताव स्वीकृत कर बोर्ड को भेजा गया। दो निष्प्रयोज्य वाहनों की नीलामी और नगर निगम के किराए पर संचालित दुकानदारों को जलकर और सीवर टैक्स भी अदा करने के प्रस्ताव पर मुहर लगी। नगर निगम ने होटल, बारातघरों, डेयरी, शराब की दुकानों, डायग्नोस्टिक सेंटर, प्राइवेट क्लीनिक, नर्सिग होम समेत अन्य भवनों पर लाइसेंस फीस बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। इसके साथ ही, नगर निगम में स्थित आवासीय व गैर आवासीय भवनों के नामांतरण की फीस पांच रुपए तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी लगाया था। कार्यकारिणी समिति ने दोनों ही प्रस्तावों को पहले बॉयलॉज कमेटी की मंजूरी दिए जाने को बढ़ाते हुए मंजूरी के लिए भेजने का निर्णय लिया। वहां से मंजूरी के बाद दोबारा कार्यकारिणी में प्रस्ताव रखे जाएंगे। मेयर ने इसके लिए 20 जून तक बॉयलॉज कमेटी की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम ने वार्डो में स्थित सरकारी तालाबों में मछली पालने के लिए लीज पर दिए जाने का प्रस्ताव भी लगाया था। इस पर महापौर ने सभी वार्डो में स्थित तालाबों की सूची उपलब्ध कराने को प्रभारी संपत्ति अधिकारी को निर्देश दिए। तालाबों की स्थिति जानने के लिए कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी को 20 जून तक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निगम सीमा में बारातघरों के बाहर पार्किग से यातायात अवरुद्ध होने के संबंध में प्रस्ताव था। समिति ने एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया। बारातघरों की अवैध पार्किग से सालाना भूमि उपयोग शुल्क तय किया जाएगा। इस बाबत कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी। सर्किट रेट के हिसाब से शुल्क तय होगा। इस प्रस्ताव के पास होने पर बारातघर स्वामियों के अवैध पार्किग चल सकेंगे। वहीं, वह वार्ड जहां कचरा अधिक है वहां दो-दो की तादाद में सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया। ऑल इंडिया कल्चरल एसोसिएशन को दिए जाने वाला अनुदान एक लाख से बढ़ाकर तीन लाख किए जाने का प्रस्ताव निरस्त, फिलहाल अनुदान एक लाख ही रखे जाने पर सहमति बनी। नगर निगम के अस्थाई फड़ों की नवीनीकरण का प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया। उन्हें वेंडिंग जोन में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा 91-2 के तहत रखे गए सभी निर्माण कार्यो के प्रस्ताव नामंजूर हुए। उसे निर्माण विभाग की स्वीकृति के बाद मंजूर किया जाएगा। ज्यादातर प्रस्ताव पास कर दिए गए हैं कुछ प्रस्तावों पर कमेटी गठित कर दी गई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर निर्णय होगा। कार्यकारिणी में रखे प्रस्तावों में शहर के विकास का खाका खींचने पर जोर रहा।
न्यूजीलैंड के खिलाफ क्राइस्टचर्च में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन पाकिस्तान के कार्यवाहक कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान (Mohammad Rizwan)ने अर्धशतक जड़कर इतिहास रच दिया। रिजवान ने 71 गेंदों में 11 चौकों की मदद से 61 रन की पारी खेली। रिजवान का यह SENA (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड,न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में लगातार पांचवां अर्धशतक है। यह कारनामा करने वाले वह पाकिस्तान के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। इस मामले में उन्होंने महान बल्लेबाज जहीर अब्बास का रिकॉर्ड तोड़ा था। अब्बास ने अपने टेस्ट करियर के दौरान इन 4 देशों में लगातार 4 अर्धशतक जड़े थे। एशिया में यह रिकॉर्ड भारत के गुंडप्पा विश्वनाथ के नाम है, जिन्होंने SENA में लगातार 7 अर्धशतक जड़े हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में रिजवान ने पहली पारी में 71 औऱ दूसरी पारी में 60 रन बनाए थे। हालांकि अब तक की तीनों पारियों में वह शतक पूरा नहीं कर सके। टीम के नियमित कप्तान और स्टार बल्लेबाज बाबर आजम चोट के कारण टेस्ट सीरीज का हिस्सा नहीं है। उनकी गैरमौजूदगी में टीम की कमान रिजवान के हाथों में है।
इंडिया न्यूज़, Tech News (Whatsapp Features) :- वॉट्सऐप एक ऐसा मेस्सेंजिंग प्लेटफार्म है जो अपने ग्राहकों को नया एक्सपीरियंस देने के लिए हर बार नए फीचर्स को पेश करता है। इस प्लेटफॉर्म पर नए फीचर्स की भरमार है। लेकिन आपको बता दे वॉट्सऐप पर ऐसे भी कई फीचर्स है जो गुप्त है। जिनके बारे में लोगो को नहीं पता और यह तो लाज़मी होगा अगर फीचर के बारे में पता ही नहीं होगा तो लोग उस फीचर का प्रयोग भी नहीं करेंगे। आज हम आपको इस लेख में उन्ही फीचर्स के बारे में बताने जा रहे है जिनसे आप अवगत नहीं है। ऐसा ही एक फीचर है Read Receipt जिसके बारे में कम ही लोग जानते है। इस फीचर से आपको बहुत फायदा होने वाला है। आइये जानते है क्या है इस फीचर के फायदे और इसे इस्तेमाल करने का आसान तरीका। क्या है Read Receipt का यह नया फीचर? आपको बता दे वॉट्सऐप पर एक Read Receipt का ऑप्शन प्राप्त होता है जिसे ऑफ करने से लोगों को आपके रीड मैसेज की जानकारी नहीं मिलती। इसका मतलब यह है कि इस ऑप्शन को ऑन करने से पहले यदि आप किसी यूजर का मैसेज भेजते है तो एक ब्लू कलर का टिक आ जाता है लेकिन यदि आप इस ऑप्शन को ऑन कर देते है फिर किसी यूज़र को मैसेज भेजते है तो उसके पास वह ब्लू कलर का टिक शो नहीं होगा। इससे किसी को ये पता नहीं चलेगा कि आपने उसके मैसेज पढ़े हैं या नहीं वह गुप्त रहता है। आपको यह भी बता दे इस फीचर से एक फायदा यह भी होगा की वजह से आप दूसरों के स्टेटस को भी उनकी जानाकरी के बिना देख सकेंगे। यानी जब आप किसी यूजर का WhatsApp Status देखेंगे, तो उसकी सीन लिस्ट में आपका नाम नजर नहीं आएगा। जानिए यह फीचर कैसे करेगा काम? - इस फीचर को यूज करने के लिए आपको सबसे पहले वॉट्सऐप ऐप ओपन करना होगा। - इसके बाद यूजर्स को Setting में जाना होगा। यहां आपको Privacy का ऑप्शन मिलेगा। इस पर क्लिक करना होगा। - अब Read Receipt का फीचर नजर आएगा, जिसके सामने टिक बॉक्स होगा। - आपको इस फीचर को ऑफ करना होगा। इसके बाद आप ऊपर के सभी फीचर्स को यूज कर सकेंगे। हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Twitter: आए दिन ट्विटर में कई फेरबदल, एलन मस्क के मजेदार और सार्कैस्टिक रीट्वीट या ट्विटर के नए नियम की वजह से बीते कई दिनों से ट्विटर चर्चा का विषय बना हुआ है. ट्विटर का सबसे ताजा अपडेट यही है कि कई वेरीफाइड अकाउंट में ऑफिशियल लेबल पेश किया और इसके कुछ देर बाद ही अचानक से यह लेबल गायब हो गया. जानकारी हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आधिकारिक हैंडल उन चुनिंदा हैंडल में से था, जिन पर नया टैग लगा था. इसपर एक स्पष्ट भ्रम को दूर करते हुए सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी "शिकायत हॉटलाइन ऑपरेटर" एलोन मस्क ने कहा कि कृपया ध्यान दें कि आने वाले महीनों में ट्विटर बहुत सारी मूर्खतापूर्ण चीजें करेगा. हम जो काम करते हैं उसे रखेंगे और जो बदलेंगे उसे बदल देंगे. जब अमेरिकी YouTuber Marques Brownlee ने इस बात की पुष्टि करते हुए एक ट्वीट साझा किया कि लेबल गायब हो गया है, तो Elon Musk ने कहा, "मैंने अभी-अभी इसे मारा है. . . ब्लू चेक सबसे अच्छा लेवलर होगा. " सभी खातों को "आधिकारिक" लेबल नहीं मिलेगा! ट्विटर ने बुधवार सुबह घोषणा कर कहा कि वह प्रमुख मीडिया आउटलेट्स और सरकारों सहित चुनिंदा सत्यापित खातों के लिए एक 'आधिकारिक' लेबल पेश करेगा, जब वह नीले सत्यापन चिह्न के साथ अपनी नई $ 8 सेवा शुरू करेगा. "पहले से सत्यापित सभी खातों को "आधिकारिक" लेबल नहीं मिलेगा और लेबल खरीद के लिए उपलब्ध नहीं है. जिन खातों को यह प्राप्त होगा उनमें सरकारी खाते, वाणिज्यिक कंपनियां, व्यावसायिक भागीदार, प्रमुख मीडिया आउटलेट, प्रकाशक और कुछ सार्वजनिक हस्तियां शामिल हैं," ट्विटर का अर्ली स्टेज उत्पाद कार्यकारी एस्थर क्रॉफर्ड ने ट्वीट किया था. ट्विटर एक भारी आलोचना के दौर से गुजर रहा! ट्विटर का प्रतिष्ठित नीला बैज एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिसमें अरबपति एलन मस्क भारी आलोचना के बावजूद अपने $ 8 शुल्क के साथ चिपके हुए हैं. एलोन मस्क ने हाल ही में ट्वीट किया, "मुझे पूरे दिन ट्रैश करें, लेकिन इसकी कीमत 8 डॉलर होगी. "
आर्यन खान ड्रग केस में एनसीबी के गवाह किरण गोसावी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। पहले से ही धोखाधड़ी के मामले में पुलिस कस्टडी में कैद किरण गोसावी के ऊपर एक और मामला दर्ज किया गया है। पुणे पुलिस ने बताया है कि गोसावी के खिलाफ पीड़ित को धमकी देने और साजिश से संबंधित एक और मामला दर्ज किया गया है। इस तरह गोसावी पर कुल तीन मामले दर्ज हो चुके हैं। फिलहाल वह धोखाधड़ी मामले में 5 नवंबर तक पुलिस कस्टडी में है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पुणे पुलिस ने बताया कि क्रूज ड्रग्स केस में एनसीबी गवाह किरण गोसावी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420,409,506 (2), 120 (बी) और हथियार अधिनियम 3 (बी) के तहत पीड़ित को धमकी देने और साजिश से संबंधित धाराओं के तहत एक और मामला दर्ज किया गया है। उसके खिलाफ कुल 3 मामले दर्ज हो चुके हैं। दरअसल, आर्यन खान ड्रग्स मामले का एनसीबी गवाह गोसावी गुरुवार यानी 28 अक्टूबर को ही पुणे पुलिस की गिरफ्त में आया था। 2018 के धोखाधड़ी मामले में फरार चल रहे गोसावी को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से कोर्ट ने उसे आठ दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। बता दें कि किरण गोसावी को चार साल पुराने शेराबनो कुरैशी धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है। जिसमें नौकरी दिलाने के नाम पर 3. 09 लाख रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है। इसी केस में गोसावी फरार चल रहा था। 2019 में पुणे सिटी पुलिस ने उसे वांटेड घोषित किया। वह तब से लापता था और उसे केवल एनसीबी गवाह के रूप में क्रूज रेड के दौरान देखा गया था। जिसके बाद मुंबई पुलिस ने 14 अक्टूबर को उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया था। पुणे पुलिस ने कहा है फरारी के दौरान गोसावी ने लखनऊ, जबलपुर, हैदराबाद और फतेहपुर में रहने के दौरान अपना परिचय सचिन पाटिल के रूप में दिया था। पुणे पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि गोसावी खुद को स्टॉप क्राइम एनजीओ और सीआईबीसीए जासूसी एजेंसी के सदस्य के रूप में पेश करता था। उन्होंने कहा कि हम सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों के जरिए उसकी तलाश कर रहे थे। किरण गोसावी उस समय चर्चा में आ गया जब क्रूज पर एनसीबी की रेड के बाद आर्यन खान के साथ उसकी एक सेल्फी वायरल हुई थी। एक बार से पुलिस की नजरों में आने के बाद किरण गोसावी ने पहले कहा था कि वह लखनऊ में आत्मसमर्पण करेग, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पुणे सिटी पुलिस ने आज उसको गिरफ्तार कर लिया। आर्यन खान मामले में कई हैरान करने वाला दावे करने वाला प्रभाकर सैल कथित तौर पर किरण गोसावी का बॉडीगार्ड है। इस मामले में प्रभाकर ने हलफनामे के साथ दावा किया है कि आर्यन खान को छोड़ने के लिए उसने अपने 25 करोड़ रुपए के लेने-देन की बात सुनी थी। इसमें कुछ पैसे समीर वानखेड़े को भी दिए जाने की बात भी थी।
बॉलीवुड की मशहूर गायिका नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) आज अपना 34वां जन्मदिन (Neha Kakkar Birthday) मना रही हैं। सिंगर को आज इंडस्ट्री में किसी पहचान की जरुरत नहीं है। आज नेहा सिंगिंग इंडस्ट्री पर राज कर रही हैं लेकिन उनका शुरूआती जीवन काफी मुश्किलों से भरा रहा है। बॉलीवुड की मशहूर गायिका नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) आज अपना 34वां जन्मदिन (Neha Kakkar Birthday) मना रही हैं। सिंगर को आज इंडस्ट्री में किसी पहचान की जरुरत नहीं है। आज नेहा सिंगिंग इंडस्ट्री पर राज कर रही हैं लेकिन उनका शुरूआती जीवन काफी मुश्किलों से भरा रहा है। गरीबी और दयनीय स्थिति की वजह से नेहा जब उनकी मां के कोख में थीं तो उन्हें जन्म नही देना चाहती थीं। लेकिन प्रेगनेंसी फेज ज्यादा होने की वजह से उनकी मां अबॉर्शन नहीं करा पाई थीं। और इस तरह नेहा का जन्म हुआ। कभी पैसों और गरीबी की वजह से इस दुनिया में आने के लिए संघर्ष करने वाली नेहा आज करोड़ों की मालकिन है। आज जन्मदिन के मौके पर जानते है सिंगर की कितनी है नेट वर्थ (Neha Kakkar Net Worth)। एक अंग्रेजी वेबसाइट की माने तो नेहा की नेट वर्थ लगभग 7 मिलियन अमरीकी डॉलर है। वहीं इंडियन करेंसी में नेहा करीब 52 करोड़ की मालकिन है। वह फिल्मों में एक गाने के लिए 8-10 लाख फीस लेती हैं। उन्हें बॉलीवुड में सबसे अधिक बैंक बैलेंस वाली सिंगर माना जाता है। वह देश में सबसे ज्यादा टैक्स देने वालों में से हैं। नेहा कक्कड़ एक घंटे के लाइव परफॉरमेंस के लिए 20-25 लाख रुपये चार्ज करती हैं। नेहा चैरिटी के लिए कई लाइव कॉन्सर्ट शो में भी परफॉर्म करती हैं। नेहा मुंबई के मशहूर इलाके पैनोरोमा टॉवर में रहती है। उसके घर की कीमत 1. 2 करोड़ रुपये के आसपास है। उनके पास कुछ लग्जरी कारें हैं जिनमें ऑडी क्यू7, बीएमडब्ल्यू आदि शामिल हैं। किसी भी सेलिब्रिटी की बात करें तो उनकी कमाई का काफी हिस्सा उनकी फैन फॉलोइंग पर निर्भर करता है। नेहा कक्कड़ सिनेमा की दुनिया की सबसे लोकप्रिय सिंगर और कम्पोजर में से एक हैं। सिंगिंग के अलावा नेहा एक रियलिटी टीवी शो जज, लाइव परफॉर्मर भी हैं। और इन सब के जरिए नेहा की कमाई होती है। फिलहाल जब सिंगिंग की बात होती है तो नेहा की आवाज दिल को छू लेने वाली मानी जाती है। सिंगिंग सेंसेशन नेहा कक्कड़ बहुत ही कम समय में मशहूर हो गई। नेहा ने कई भाषाओं ने गाने गाए हैं। यही कारण है कि उन्हें हमारे देश की सबसे लोकप्रिय आवाज माना जाता है। इतनी बड़ी जिम्मेदारी और कड़ी मेहनत के साथ वह देश में मोस्ट पेड सिंगर्स में शुमार हैं। नेहा कक्कड़ ने मशहूर सिंगर रोहनप्रीत सिंह से शादी के बंधन में बंधी है। शादी के हर फंक्शन में नेहा कक्कड़ का लुक कमाल का था।
क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में टी-20 प्रारूप ऐसा है जिसमें बल्लेबाज गेंदबाजों की खूब पिटाई करते हैं। इस प्रारूप में अब टीम 200 से अधिक रन का स्कोर खड़ा कर देती हैं। एक गेंदबाज के लिए T20 क्रिकेट में खाली ओवर निकालना बहुत बड़ी बात होती है और आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि कुछ गेंदबाज ऐसे हैं जिन्होंने T20 क्रिकेट में अंतिम ओवर मेडन निकाला है। पाकिस्तान के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर ने टी20 विश्व कप 2010 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 20th ओवर मेडन निकाला था। आमिर ने उस मुकाबले में जबरदस्त गेंदबाजी करते हुए अंतिम ओवर में 5 विकेट चटकाए थे जिसमें 2 रन आउट शामिल थे। इस सूची में एक स्पिनर का नाम देख कर आपको बेहद हैरानी होगी क्योंकि टी20 क्रिकेट का अंतिम ओवर स्पिनर के द्वारा मेडन निकालना बेहद ही खास बात है। न्यूजीलैंड के जीतन पटेल ने वेस्टइंडीज के खिलाफ हैमिल्टन के मैदान पर यह कारनामा किया था। वेस्टइंडीज को अंतिम ओवर में 37 रनों की जरूरत थी और जीतन पटेल ने पोलार्ड (Kieron Pollard) और रामदीन के सामने मेडन ओवर निकाल दिया। सिंगापुर के गेंदबाज जनक प्रकाश ने भी यह कारनामा कर रखा है। आईसीसी मैच टी-20 विश्व कप एशिया रीजन के फाइनल में इस गेंदबाज ने यह कारनामा किया था। अंतिम ओवर में कतर को 33 रनों की जरूरत थी ऐसे में इस गेंदबाज ने अंतिम ओवर में बिना रन खर्च किए 1 विकेट चटका कर अपनी टीम को जीत दिला दी। यह जनक प्रकाश का डेब्यू मैच भी था। T20 क्रिकेट में अंतिम ओवर में डर निकालने के मामले में नवदीप सैनी एकमात्र भारतीय गेंदबाज हैं। नवदीप ने भी अपने डेब्यू के पहले मुकाबले में यह कारनामा करके दिखाया। वेस्टइंडीज के खिलाफ नवदीप सैनी ने 4 ओवर में 1 मेडन ओवर डालते हुए 17 रन खर्च कर तीन विकेट चटकाए थे।
विक्रोना संघर्ष के एक डेप्यूटेशन ने लार्ड मिन्टों से मिलकर अपनी शिकायतें तथा आकांक्षाएं प्रकट कीं। उन्होंने साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की मांग की। इस डेप्यूटेशन ने विभाजन का वह कार्य पूरा किया जो पूर्ववर्ती वायसरायों की कुटिल नीति भी नहीं कर सकी थी । और इसके पीछे थे कौन ? बेक साहब के उत्तराधिकारी श्री आर्चबोल्ड । इसमें इन्हीं की कुमन्त्रणां का सहयोग था जैसा कि उन्होंने नबाब मोहसिनुल्मुल्क को १० अगस्त १९०६ के पत्र में लिखा था ( श्री मोतीबाबू एम. ए. एल. एल बी. द्वारा रचित "पाकिस्तान का प्रश्न " ) लार्ड मिन्टों ने इस डेप्यूटेशन का उत्तर देते हुए कहा था "तुम्हारी यह मांग न्यायपूर्ण है कि तुम्हारा महत्व तुम्हारी संख्या पर ही निर्धारित नहीं होना चाहिए किन्तु तुम्हारे सम्प्रदाय की राजनैतिक महत्ता का भी ध्यान रखना चाहिए" लार्ड मिन्टो का उठाया हुआ ही यह सब झगड़ा था जिसका प्रमाण तत्कालीन भारत-मंत्री लार्ड मार्ले के Recollections में मिलता है। वह लिखते हैं "मैं आपको ( लार्ड मिन्टों को ) एक बार फिर स्मरण कराता हूँ कि उनके अधिकारों के संबंध में तुम्हारे प्रारम्भिक वक्तव्य ने ही मुस्लिम मांगों का झगड़ा पैदा किया है।" लार्ड मिन्टो का यह कार्य भारत के हिन्दू-मुसलमानों को एक दूसरे से पृथक् करने में कितना महत्वपूर्ण था, इसका प्रमाख श्रीमती मिन्टो को लिखे गये एक बड़े आफीसर के उस पत्र से मिलता है जिसमें उसने उस समय ही लिखा था "मुझे आपको एक पंक्ति में यह बतला देना चाहिए कि आज इतिहास की एक महान् घटना घटी है - राजनीतिका एक ऐसा कार्य हुआ है, जोकि भारत और भारतवर्ष के इतिहास पर अनेकों वर्षों तक प्रभाव रक्खेगा। यह वास्तव में ६ करोड़ २० लाख व्यक्तियों ( मुसलमानों) को राजद्रोही विरोधियों ( कांग्रेसियों ) में सम्मिलित होने से रोकना था।" वस्तुतः उस समय इस नीति ने ६ करोड़ २० लाख मुसलमानों को कांग्रेस से फोड़ दिया । सन् १९०६ यें कांग्रेस से पृथक् मुस्लिम लीग की स्थापना हुई थी। उसके उद्देश्य को श्री० हुमायूँ कबीर ने अपनी पुस्तक "मुस्लिम पॉलिटिक्स" के पृष्ठ २ पर बड़े सुन्दर शब्दों में वर्णन किया है। वह लिखते हैंः- "Founded in 1906 A. D. by a group of well-to-do and aristo cratic Musalmans, it was intended to keep the muslim intelligentsia and middle classes away from the dangerous potitics into which the Indian National Congress was just then embarking. It raised the cry of special Muslim interets and pleaded that these could not be safe-guarded except by co-operation with the British." अर्थात् - "धनी और उच्चवर्ग के मुसलमानों के एक दल द्वारा सन् १९०६ में स्थापित की गई मुस्लिम लीग का उद्देश्य यह था कि पढ़े लिखे और मध्यमवर्ग के मुसलमानों को उस ख़तरनाक राजनीति से पृथक् रखा जाय जिसमें राष्ट्रीय कांग्रेस तब प्रवेश कर रही थी। उसने विशेष मुस्लिम हितों की रक्षा की आवाज उठाई और कहा कि बृटिश के साथ सहयोग किये बिना मुस्लिम अधिकारों की रक्षा नहीं हो सकती।" इसी बात का समर्थन अखिल भारतीय मुस्लिम मजलिस के प्रधान ख्वाजा अब्दुलमजीद ने ता० १६ नवम्बर १९४५ को फीरोज़ावाद में व्याख्यान देते हुये किया। आपने मई १९०७ का लीग तिकोमा संघर्ष का एक मसविदा पढ़कर सुनाया जिसमें कहा गया था कि अगर अँग्रेज हिन्दुस्तान से चले जायेंगे तो हमें हिन्दुओं से दब कर रहना पड़ेगा, इसलिये हमें अँग्रेजों को कायम रखने के लिये अँग्रेजी सल्तनत की हर प्रकार से मदद करनी चाहिये । इसी प्रकार का रवैया लीग अब भी अपनाये बैठी है । इस प्रकार लार्ड मिन्टो की भेद-नीति ने मुसलमानों को कांग्रेस से सर्वदा के लिये पृथक् रखने का बीज बो दिया और उसी समय मुसलमानों को पृथक् साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व देने की बात भी चलाई गई जिसको सन् १९०७ के मिन्टो-मार्ले शासनसुधार' में पर्याप्त रूप से स्थान दिया गया । श्री विद्यासागर विद्यालंकार ने ता० २५ नवम्बर १९४५ को साप्ताहिक वीर अर्जुन में लेख लिखते हुए इस विषय पर अच्छा प्रकाश डाला हैःदुर्भाग्यपूर्ण पृथक् चुनाव सन् १९६० में लार्ड कर्जन ने कांग्रेस की राजनैतिक प्रगति से चिड़ कर कहा था - 'कांग्रेस पतनोन्मुख हो रही है, मेरी यह हार्दिक अभिलाषा है कि मैं कांग्रेस को शान्तिपूर्वक मरता देख कर ही भारत से विदा लू ।" तत्कालीन साम्राज्यवादी भारतीय राष्ट्रीयता को कुचलने के लिये कितने व्यग्र थे, यह भाषण उनका एक नमूना है। उन लोगों को इसमें सफलता मिली । उस दिन अंग्रेज साम्राज्यवादियों ने वर्तमान जर्मनी- विजय से भी अधिक खुशी मनायी और शुभ कामनाओं का आदानप्रदान किया। उसके नमूने ये हैं :-- १९०६ की कहानी है। लार्ड मिण्टो भारत के वायसराय थे, कांग्रेस की सफलता को धूल में मिलाने के लिये सारा वायरीगल लॉज व्यस्त था। उन्हीं दिनों किसी रहस्यमय प्रेरणा से आगाखां के नेतृत्व में ऊंचे वर्ग के थोड़े से पूंजीपति मुसलमानों के एक डेपूटेशन ने लार्ड मिण्टो के दर्शनों की प्रार्थना की। वह स्वीकार कर ली गई । वायसराय को परमभक्त मुसलमानों की ओर से एक अभिनन्दन पत्र भेंट किया गया और मुसलमानों के साथ रियायत करने तथा उनकी सांस्कृतिक रक्षा के लिए पृथक् निर्वाचन की अपील की गई। इसके उत्तर में लार्ड मिण्टों ने कहा- "मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि इस महाद्वीप की रहने वाली जनता और जातियों के प्रमुख भाग की उपेक्षा करके कोई भी शासन व्यवस्था स्थिर नहीं रह सकती। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपकी जाति की परम्पराओं, संस्कृति तथा धर्म की उपेक्षा नहीं की जायगी।" इस दृष्टिकोण पर इंग्लैण्ड के श्वेतगृह के तत्कालीन भारत मन्त्री श्री मार्ले ने जो भाव व्यक्त किये थे, वे भी ध्यान देने योग्य हैं। ये भारत मन्त्री महोदय अपने देश में एक उत्साही सुधार वादी समझे जाते थे, जब कि साम्राज्य में वह एक प्रसिद्ध प्रतिक्रियावादी थे। आपने एक पत्र में लार्ड मिण्टो को लिखा- "आपने मुझे जो अपने मुसलमान मित्रों के सम्बन्ध में लिखा है, वह बहुत ही मनोरंजक और आल्हादजनक है। यह सारी घटना इतनी अधिक सुन्दर है जितनी कि हो सकती है।" मुस्लिमलीग के जनक बढ़ती हुई राष्ट्रीयता का भय ब्रिटिश बुद्धि को कितना परेशान किये हुये था, यह गोखले के उन दिनों के भाषणों से स्पष्ट हो जाता है। एकबार स्वर्गीय गोखले ने स्पष्ट कहा थातिकोना संघर्ष 'ब्रिटिश अधिकारी कांग्रेस के प्रभाव को रोकने के लिए पहले से ही व्यग्र थे ।' इसी कारण कांग्रेस के प्रभाव को रोकने के लिए तत्कालीन वायसराय लार्ड मिण्टों ने आगाखां को मुस्लिमलीग की स्थापना करने की सलाह दी थी। मुस्लिमलीग को आगाखां ने जन्म दिया, जोकि भारतीय राष्ट्रीयता का एक प्रत्युत्तर था । १९०६ के अपने जन्मकाल से ही यह संस्था लण्डन के 'इण्डिया हाउस' के इशारों पर नाचती रही है। जब यहां के लोगों में राष्ट्रीयता पूरे जोर से लहराने लगी तो सर गाखां यूरोप की यात्रा पर निकल पड़े। उन दिनों राष्ट्रवादी मुसलमान अपने ब्रिटिश विरोधी विचार कांग्रेस मञ्च पर से प्रकट करते थे, आज के कट्टर सम्प्रदायवादी मि० जिन्ना जैसे व्यक्ति भी उन दिनों लीग के कट्टर विरोधी थे और इसे एक प्रतिक्रियावादी मुस्लिम संघठन बताते थे । खिलाफत कमेटी ने सन् १९२३ में अपना एक डेप्यूटेशन टर्की भेजने का निश्चय किया। इस डेप्यूटेशन को मुस्तफा कमाल से बातचीत करके यहां के मुसलमानों में दृष्टि कोण को उपस्थित करना था। उस डेप्यूटेशन के जिन थोड़े से व्यक्तियों को बाहर जाने का पासपोर्ट मिला, उनमें सर आगाखां भी एक थे । मनोरंजक बात यह थी कि टर्की का गाजी कमाल इस भेंट से अत्यधिक क्रुद्ध हुआ कि श्रागाखां जैसे व्यक्ति उसे 'पानइस्लामिक' समस्या पर विचार करने को बाध्य करें। गुलाम देश का प्रतिनिधि स्वतन्त्र देश के व्यक्तियों पर अपनी विचारधारा थोपने का प्रयत्न करे, क्या यह हास्यास्पद नहीं है ? गवर्नमेंट का हथियार बहुत काल तक, मुस्लिम लीग एक निष्क्रिय संस्था बनी रही। १९२४ में इसका पुनरुद्धार किया गया और नये प्राण फूंकने के लिये नये मल्ल इस संस्था में लाये गये । साम्प्रदायिक मुसलमानों को श्वास लेने का अवसर मिला और नये धूम धड़ाके के साथ इसका काम शुरू किया । १९२८ में नेहरू रिपोर्ट को लेकर एक सर्वदली मुस्लिम परिषद् बुलाई गई, कहा गया कि यह परिषद् भारतीय मुसलमानों के भविष्य को दृष्टि में रखते हुए एक नये विधान का निर्माण करेगी। नेहरू रिपोर्ट के विरुद्ध तो सब एक मत थे, परन्तु उसका उद्देश्य क्या हो इस पर भयंकर मतभेद था । श्री मुहम्मदअली का कहना था कि हमारा उद्देश्य पूर्ण स्वतन्त्रता होना चाहिये तथा अन्य संस्थाओं के समान साइमन कमीशन का बहिष्कार करना चाहिये । परन्तु सर मुहम्मदशफी इसके विरोध में थे, उनका मत था कि हमें कर्मशन को पूरा सहयोग देना चाहिए और ब्रिटिश राज्य समूह में औपनिवेशिक स्थिति को स्वीकार कर लेना चाहिए। इस विवाद को लेकर भयंकर संघर्ष हो गया और समझौता न हो सकने के कारण इस परिषद् के समाप्त होने की सम्भावनायें प्रगट होने लगीं । परन्तु मित्र वही है जो विपत्ति के समय काम आये - परिषद् के प्रधान सर आगाखां ने चतुराई के साथ इस विपत्ति को टाल दिया । प्रस्ताव में से पूर्ण स्वतन्त्रता या औपनिवेशिक पद को निकाल दिया, साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट का जो उल्लेख था उसे भी खत्म कर दिया। उसके स्थान पर केवल एक 'संघ-विधान' की मांग रख दी । श्री मुहम्मअली के प्रस्ताव द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता की ज्योति जगाने का प्रयत्न किया गया था, उसे समाप्त करने में कौशल संगाखां ने दिखाया और इस प्रकार अपनी जाति की चेतना को दसियों वर्ष पीछे धकेल दिया । अब आप कहते हैं पाकिस्तान ही वर्त्तमान गतिरोध का हल है। यहां के कम्युनिस्टों की भांति लीग-कांग्रेस की एकता को आव श्यक बताते हैं । संसार की शांति और सुरक्षा के लिये बृटिशः राज्य-समूह और अमेरिका की मैत्री आवश्यक समझते हैं । इनकी इस प्रकार की गतिविधियों को 'मिश्र' के एक अखबार के शब्दों में उद्धत किये देते हैं"हिन्दुस्तान में जब-जब राष्ट्रीयता की जोरदार आबाज़ उठी, तब-तब हिज हाईनेस आगाखां ने राष्ट्रीय जहाज के पेंदे में टारपीड़ो मार कर छेद करने का प्रयत्न किया । हिन्दुस्तान के राजेमहाराजे और हिजहाइनेस आगाखां-- ऐसे दो मर्ज हैं, जिनसे छुटकारा पाये बिना भारत स्वतंत्र नहीं हो सकता।" श्रीयुत स्वामी भवानीदयालजी संन्यासी ने जोकि दक्षिण अफ्रीका, नेटाल की इरिडियन नेशनल कांग्रेस के प्राण और प्रधान रहे हैं और जो एक प्रसिद्ध नेता हैं, अपनी पुस्तक "स्वामी शंकरानन्द" दर्शन में इस बात पर बहुत अच्छा प्रकाश डाला है जहां पर कि उन्होंने सर के लन्दन की गोलमेज़ कान्फ्रेन्स में कार्यों का वर्णन दिया है, यह सर अलीइमाम वही मुस्लिम नेता थे जोकि बृटिश भेदनीति के प्रथम शिकार बने थे ।' ज़मीयतुल उलमायें-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद मदनी ने मुरादाबाद में तारीख ६ नवम्बर १९४५ को एक बड़ी सभा में भाषण देते हुए कहा कि पाकिस्तान की ईजाद पहले अंग्रेज़ों ने की थी क्योंकि उनका साम्राज्य इसी "फूट पैदा करो और हुकूमत करो" की नीति की नींव पर खड़ा है। मुस्लिम लीग एवं उसके नेता भारत में अंग्रेज़ों के मददगार और देश की आज़ादी के रास्ते में रोड़े हैं । ( वीर अर्जुन ११-११-४५) लेकिन शायद उपरोक्त उद्धरणों से और लार्ड मिन्टों के आश्वासनों से अगर भारतीय मुसलमान यह समझ लें कि भारत३२ ] सरकार उनका पक्ष समर्थन करती है और मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग को कभी स्वीकार कर लेगी, तो यह उनकी बड़ी भारी भूल होगी। भारत सरकार का रुख हमेशा अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिये अस्थिर रहेगा और रहता आया है, बृटिश साम्राज्य के भारत में स्थिर रखने के लिये उसे जब-जब जैसी-जैसी नीति की आवश्यकता होगी, तब-तब वैसी ही नीति बरती जायगी । यदि हिन्दुओं को अपने साथ मिलाने से अथवा कांग्रेस का पक्ष समर्थन करने से बृटिश सरकार की हित सिद्धि होती है तो वह उनका पक्ष समर्थन करने में कुछ भी आनाकानी नहीं करेगी और यदि कभी कांग्रेस को शक्तिशाली समझेगी तो वह मुस्लिमलीग से मिलकर कांग्रेस को दबाने का यत्न करेगी। उदाहरण पिछले वर्षों में ही कई बार मिल चुके हैं। अक्टूबर सन् १९३७ में अब युद्ध प्रयत्नों में कांग्रेस के सहयोग की आशा थी तो वायसराय महोदय ने सन् १९३५ ई० के संघ शासन में अपना पूर्ण विश्वास प्रगट किया जिसका कि बिरोध मुस्लिम लीग कई बार कर चुकी थी। लेकिन फिर ८ अगस्त सन् १७४० ई० को जब युद्ध प्रयत्नों में कांग्रेस की ओर से कोई आशा न रही तो उन्हीं वायसराय महोदय ने मुस्लिमलीग को प्रसन्न करने के लिये कहा- 'It (1935 Act, ) can no longer serve the purpose for which it was originally designed' अर्थात् -- १९३५ संघ शासन का कानून उस कार्य को सिद्ध नहीं कर सकता जिसके लिये वह प्रारम्भ में बनाया गया था। इसी प्रकार मुस्लिम लीग के पाकिस्तान के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए १४ अगस्त सन् १६४४ ई० को भारत मन्त्री मि० एमरी ने अपने भाषण में कहा 'It may indeed prove to be the case; it is by entirely novel departures from the existing scheme that an agreement may be reached. अर्थात् -- यह हो सकता है कि वर्त्तमान प्रणाली से हट कर बिलकुल नवीन रूप से उस ( पाकिस्तान योजना ) के लिये सहमति देने को हम बृटिश लोग तैयार हो सकते हैं इसके बाद १८ नवम्बर १९४१ ई० को उन्होंने फिर उसका समर्थन किया और अन्त में सन् १९४२ के क्रिप्स प्रस्तावों में बृटिश सरकार ने एक प्रकार से पाकिस्तान के सिद्धान्त को मान ही लिया लेकिन जब राजगोपालाचार्य के प्रस्ताव पर मुस्लिम लीग और कांग्रेस में कुछ समझौता होने के लक्षण दिखाई पड़े तो में १७ दिसम्बर १९४२ ई० को वायसराय महोदय ने अपने कलकत्ते के भाषण में पाकिस्तान का फिर जोरदार विरोध किया और कहा कि भारत की भौगोलिक एकता स्थिर रहनी चाहिये । बृटिश सरकार भारत का विभाजन करने के पक्ष में नहीं और भारत में एक बलवान् केन्द्रीय सरकार रहनी चाहिये । इन उदाहरणों से स्पष्ट होजाता है कि बृटिश सरकार की नीति न तो पाकिस्तान के पक्ष में प्रतीत होती है और न ही विपक्ष में किन्तु उसकी नीति तो हिन्दू और मुसलमानों को परस्पर न मिलने देकर अपने साम्राज्य के हित साधन की है । इस बात को कांग्रेस ने खूब समझ लिया है और इसीलिये कांग्रेस के नेता समय-समय पर यह घोषणा करते रहें हैं कि हिन्दू३४] मुसलमानों के मतभेद को बढ़ावा देने वाली कोई तीसरी ही शक्ति है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने १४ जुलाई सन् १६४२ ई० को वर्धा में इस आशय का एक प्रस्ताव भी पास किया था -- "The Congress representatives have tried their utmost to bring about a solution of the communal tangle, but this has been made impossible by the presence of foreign power and only after ending of the foreign domination and intervention can the present unreality give place to reality and the people of India belonging to all groups or parties will face India's problem and solve them on a mutually agreed basis. अर्थात् - कांग्रेस प्रतिनिधियों के समस्त प्रयत्न करने पर भी भारत की साम्प्रदायिक समस्या केवल एक विदेशी शक्ति के भारत में उपस्थित रहने से हल नहीं हो सकती और केवल विदेशी शासन और हस्तक्षेप के समाप्त होने पर ही यह असम्भव चीज सम्भव बन जायगी। उस समय भारत के सब सम्प्रदाय और दलों के मनुष्य भारत की समस्याओं को पारस्परिक समझौते के आधार पर सुलझालेंगे । लेकिन दुख इस बात का है कि मुस्लिम लीग इस भेदनीति को न समझ कर एक विदेशी शासन के हाथ की कठपुतली अबतक बनती रही है। अब जरा देखिये कि विदेशी शासन के हाथों में खेलकर मुस्लिम लीग ने अपनी मांगों को कैसे बढ़ाया है। मुस्लिम लीग की नीति प्रारम्भ में लार्ड बिलियम बैंटिक के समय में जब सर्व प्रथम भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार हुआ और जब सन् १८३७३० में फारसी को राज्य भाषा के पद से हटा कर अंग्रेजी को उसका पद दिया गया, तब से मुसलमान लोग अपने मुल्ला-मौलवियों के अंग्रेजी शिक्षा का एक प्रकार से बहिष्कार सा करते रहे और अपनी पुरानी भाषा फारसी, अरबी के पीछे पड़े रहे लेकिन हिंदुओं ने अंग्रेजी शिक्षा को तुरंत अपना लिया. और फलस्वरूप वे अच्छे २ सरकारी पद पाने लगे लेकिन भारतीय मुसलमान शिक्षा-दीक्षा, सरकारी नौकरियां, रीति, रङ्ग-ढङ्ग सब में पिछड़ गये। उनकी पिछड़ी हुई अवस्था को देखकर ही सन् १८७५ में सर सैयद अहमदखां ने मुसलमानों के लिए एक कॉलेज की स्थापना की जिसने बाद को अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का रूप धारण किया। उससे मुसलमानों में अंग्रेजी शिक्षा का कुछ प्रचार हुआ और वे नये रङ्ग-ढङ्ग समझने लगे। इस प्रकार सन् १८८५ ई० में जब इण्डियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की गई तब से हिंदू और मुसलमान दोनों कंधे से कंधा भिड़ाकर स्वराज्य प्राप्ति के लिये आन्दोलन करते रहे । लेकिन अलीगढ़ कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल तथा अन्य कुछ कूटनीतिनों की सम्मति से मुसलमानों ने अपना अस्तित्व पृथक् मानना आरम्भ कर दिया और जैसाकि हम पहिले लिख चुके हैं सन् १६०६ ई० में सरकारी नीति की प्रेरणा से उन्होंने मुरलिम लीग की स्थापना की। मुसलमानों की इस पृथक् रहने की भावना को सन् १६०९ ई० के शासन सुधारों में हिंदू मुसलमानों का पृथक् निर्वाचन स्वीकार करके और भी बढ़ा दिया गया लेकिन सन् Na kra ang dan darak te १९१६ तक कोई विशेष कार्य मुस्लिम लीग ने नहीं किया। श्री हुमायूँ कबीर के शब्दों में ' It was not more than a dignified debating club.' अर्थात् - वह केवल एक अच्छी डिवेटिंग क्लब बनी रही । उस समय सन् १९९६ ई० में श्री पूज्य भाई परमानन्दजी के शब्दों में कांग्रेस के कर्णधारों ने "काँग्रेस के इतिहास में सबसे बड़ी भूल की जबकि लोकमान्य तिलक के विरोध करते रहने पर भी कांग्रेस ने मुस्लिम लीग से समझौता करने के लिए साम्प्रदायिक आधार पर पृथक् निर्वाचन के सिद्धान्तों को स्वीकार कर लिया । इस साम्प्रदायिक पृथक् निर्वाचन सिद्धान्त ने देश में हिंदू और मुसलमानों को हमेशा केलिए एक दूसरे से पृथक कर दिया । सन् १९२० ई० के असहयोग आन्दोलन में भी मुस्लिम लीग कांग्रेस के साथ नहीं हुई। यद्यपि केन्द्रीय खिलाफत कमेटी ने और मौलाना मोहमद अली शोकत अली ने कांग्रेस के साथ मिल कर काम किया और वह भी इसलिये कि कांग्रेस ने मुसलमानों की खिलाफत को पुनर्जीवित करना अपना ध्येय मान लिया । कुछ विद्वानों के विचार में कांग्रेस की यह दूसरी भूल थी क्योंकि उसने अपने राष्ट्रीय उद्देश्य से गिरकर साम्प्रदायिक प्रश्न को अपने ध्येय में सम्मिलित कर लिया था। क्योंकि मुस्लिम लीग इस आन्दोनन में मुसलमानों का नेतृत्व नहीं कर रही थी, इस भारतीय राजनीतिक क्षेत्र में उसकी पोजीशन दिन पर दिन गिरती ही गई और सन् १६३२ तक वह बहुत ही गिर गई क्योंकि उसके मुकाबले में मुस्लिम कान्फ्रेंस तथा अन्य कई मुस्लिम पार्टियाँ खड़ी हो चुकीं थीं । मि० जिन्ना प्रारम्भ में मुस्लिमलीग के तीव्र विरोधी थे किन्तु सन् १९२० ई० में वह उसमें सम्मलित हो गये । तथा कुछ वर्षो
इन सभी के बीच में एक नामांकन ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है। जिनका नाम लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) है। जो राष्ट्रपति चुनाव लड़ने जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव (President Election) की तारीखों का ऐलान कर दिया है। सभी दल नए महामहिम को चुनने के लिए बैठकों का दौर कर रहे हैं और अभी तक किसी का भी नाम सामने नहीं आया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) के उत्तराधिकारी का फैसला अगले महीने 18 जुलाई को भारत के 16वे राष्ट्रपति चुनाव में हो जाएगा। चुनाव आयोग ने नामांकन प्रक्रिया को शुरु करदिया है और 29 जून का अंतिम तारीख तय किया है। इन सभी के बीच में एक नामांकन ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है। जिनका नाम लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) है। राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की यादव ने योजना बना ली है और उनका विश्वास है कि इस चुनाव में एक बिहारी उम्मीवार होना चाहिए। हालांकि, यहां एक मोड़ आ गया है, ये यादव राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव नहीं हैं बल्कि सारण जिले के निवासी हैं। जो संयोग से उनके प्रसिद्ध नाम की वजह से उनकी कर्मभूमि है। यादव ने दावा किया है कि उन्होंने दिल्ली के लिए एक फ्लाइट की टिकट बुक करा दी है। जहां वह 15 जून का अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। यह पहली बार नहीं है जब यादव राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। उन्होंने साल 2017 में कोविंद से मुकाबला किया था। यादव ने कहा कि मेरे पेपर को पिछली बार रद्द कर दिया गया था। क्योंकि मेरे पास प्रस्तावकों की पूरी संख्या नहीं थी। सारण जिले के मरहउरा विधानसभा के रहीमपुर गांव के निवाली यादव मुश्किल से 42 साल के हैं। आरजेडी प्रमुख के बेटे के जितने नौजवान हैं। हालांकि वह भी एक बड़े परिवार की जिम्मेदारी निभाते हैं। यादव ने कहा कि मैं जीविका के लिए कृषि का काम करता हूं और सामाजिक कार्यों में भी शामिल हूं। मेरे सात बच्चे हैं। मेरी सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि उनके जानने वाले उन्हें धरती पकड़ के नाम से जानते हैं जिसका अर्थ होता है पृथ्वी से चिपके रहने वाले। वह अपने पर गर्व करते हुए कहते हैं कि राजद सुप्रीमो ने 2014 के लोकसभा चुनावों में अपनी पत्नी राबड़ी देवी की हार के लिए मुझे दोषी माना था। लालू यादव ने नगर पंचायत से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक अपने किस्मत को आजमाया है लेकिन कभी सफलता नहीं मिली लेकिन इसकी वजह से उन्होंने सबसे ज्यादा बार चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड दर्ज किया है।
भाजपा का हर लोकसभा सीट पर संयोजक मंडल भी तैयार किया जाएगा। यह संयोजक मंडल ही लोकसभा में रणनीति बनाने, टिकट तय करने तक में अहम भूमिका निभाएगा। इस संयोजक मंडल में लोकसभा के सभी विधायक या हारी हुई विधानसभा में चुनाव लड़ चुके प्रत्याशी, लोकसभा क्षेत्र में आने वाले सभी एमएलसी, लोकसभा संयोजक और लोकसभा प्रभारी शामिल होंगे। लोकसभा चुनाव से जुड़े सभी फैसलों को स्थानीय स्तर पर लेने की जिम्मेदारी यही संयोजक मंडल निभाएगा। इस संयोजक मंडल के ही जिम्मे लोकसभा में होने वाली जनसभा, रैलियों के कार्यक्रम तय करने से लेकर प्रदेश कार्यालय से संवाद करना भी इसकी ही जिम्मेदारी होगी। हर दिन में एक पदाधिकारी पहुंचेगा 40 घरों तकभाजपा ने इन जीती हुई सीटों पर हर घर तक पहुंचने का खाका भी खींच लिया है। इसमें बूथ अध्यक्ष, बूथ समिति से लेकर जिलाध्यक्ष तक सभी पदाधिकारियों, विधायकों को एक दिन में 40 घरों तक पहुंचने की जिम्मेदारी दी जा रही है। इनमें एक व्यक्ति को सुबह 20 और शाम को 20 घरों से संपर्क करना है। सभी हर घर तक केंद्र और राज्य सरकार के कामों की एक बुकलेट भी लेकर पहुंचेंगे। उस परिवार के साथ बैठकर चाय पर चर्चा करेंगे। उन्हें भाजपा और उसके कामकाज के बारे में बताएंगे। साथ ही पार्टी को वोट देने के लिए प्रेरित करेंगे। यह जनसंपर्क अभियान लोकसभा चुनाव की वोटिंग के एक दिन पहले तक चलेगा। कम वोट पाए बूथों पर ज्यादा फोकसभाजपा ने लोकसभा चुनाव तक के लिए 21 क्लस्टर पहले ही तय कर दिए हैं। सरकार के मंत्री इस क्लस्टर की मदद से ही काम करेंगे। क्लस्टर में तय पदाधिकारी चुनाव के दिन तक तैनात रहेंगे। इनमें पार्टी पदाधिकारियों के अलावा दूसरे राज्यों के मंत्री, पूर्व सीएम या प्रदेश अध्यक्ष शामिल हैं। सात केंद्रीय मंत्रियों को भी इसमें जिम्मेदारी दी गई है। इनका मुख्य फोकस कम वोट पाए बूथों पर ज्यादा होगा। इनमें मछली शहर सीट पर सिर्फ 181 मतों से तो मुजफ्फरनगर सीट पर 6,526 मतों से जीत हासिल हुई थी। मेरठ लोकसभा पर भी जीत का अंतर 4,729 मतों का ही रहा था तो चंदौली में 13,954 मतों से ही भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने उपचुनाव में जीती रामपुर और आजमगढ़ सीट को मिलाकर करीब 25 सीटें ऐसी छांटी हैं, जहां जीत का अंतर एक लाख से कम रहा है। इनके अलावा 30 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जीत का अंतर सवा लाख से कम था। वहीं, उन हिस्सों को भी चिह्नित किया जाएगा जहां मतदाताओं में स्थानीय मुद्दों या किसी अन्य कारण से नाराजगी का खतरा है। दोनों ही आशंकाओं को संपर्क व संवाद से दूर करने की कोशिश की जाएगी। पार्टी का पूरा लक्ष्य हर सीट पर ऐसा 'नया वोट बैंक' तैयार करने का है जो उन वोटों की भरपाई कर सके जिनके किसी वजह से खिसकने की आशंका है।
से उठे वा समय प्रात स्मरण के ध्यान के दश श्लोक आपने वर्णन किये सब श्लोक में वरावर युग्म स्वरूप को वैभव वर्णन करते आये एक श्लोक नायिका की प्रधानता को वर्णन कियो । श्लोक - प्रातर्नमामि वृषभानसुता पदाब्जन्नेत्रालिमिः परिणुतंबजसुन्दरीणां । प्रेमातुरेण हरिणाऽथ विशारदेन श्रीमदूत्रजे शतनयेन सदाभिवन्द्यः ॥ अर्थ - प्रातः काल वृषभानु की बेटी के चरण कमल को मैं दन्डवत करौहूं बज सुन्दरी जो ललिता विशाखा तिनके नेत्ररूपी भौरा जिनकी स्तुति करें श्रीमद्वजेशजो नन्दस्य तिनके वेटा श्री हरि वंडे निपुण प्रेम से आतुर होयके जिन चरणों को सदा अभिवंन्दन करें यह रस की परिपाटी पुष्ट भई चारव्यूह वासदेव संकर्षण प्रधुमन अनिरुद्ध में मनके अधिष्ठाता श्री अनिरुद्ध निम्बार्क भगवान हैं निम्बा र्क रूपसे नारदजी के शिष्य हैं पर सुदर्शन रूपसे उनके भी आद्य हैं चार आद्या चार्य श्री कृष्ण हंस मुदर्शन अनिरुद्धये पहिले कहि आये तामें सुदर्शन भगवान में प्रमाण ।।
गंगाधर राम के पूर्वजों का इतिहास की राज्य की स्थापना का वर्णन एवं गंगाधर राव की रूवि तथा प्रकृति का उत्सेस है यह नाग बहुत संदीप में भूमिका स्वरूप है । "उदय में रानी के बाल्यकाढ, गंगाधर राम से उनके विवाद मौरीबागमन पुत्र को उत्पति और मृत्यु राजा द्वारा पाँच बालक दामोदर राव का गौद किया जाना, राजा को मृत्यु, अंगरेबा HTET दशक की मदोवृति और सी राज्य का अंगरेजी राज्य में जिल रानी को प्रतिक्रिया और गुप्त राति से मंगरेजों से प्रतिशोध की मा रामो की तोकप्रिमता तथा को जनता द्वारा रानी के भौग आदि का वर्णन है। मध्याक्ष सैनिक DTAनियों में मंगों की नीति के फलस्वरूप विभिन्न रानी-संगठन, सिपाही विद्रोह का पाठ की सैनिक उगवनी में पान अधिकार तथा शासन-व्यवस्था सागर सिंह डाकू का पढ़ना, पर ये का आक्रमण और उसको पराजम, जैनररोज का परमाण करने के लिये प्रस्थान बादि बनाएं वर्णित है। "कद भाग में अंगों का भांसी पर बाण, रानी द्वारा होममा उसको रा के लिए की वीरता एवं उनका माध्यमविदान, दामों की पावन प्रदा वो द्वारा भांसी को बूटमार का छोड़की के सिपहा में पेश को लेकर पुनः मंगरे से युद्ध और परावन, गुवासियर पर पेशवा का विकार tan का बह पर भी करते हुए रानी का माहव होना तथा बाया मेमाराम की छुटी में मृत्यु बादि बलामीका का है। उपर्युक्त सभी बलाएं और बिनका उपन्यासकार ने अपने उपन्यास में समावेश किया है, इतिहासानुमोदित है और उपन्यासकार को द्वारा नाटक एवं मोड़ पर - राम का विवरण १९६४) डार है दिया है। में पारी में भवन प्रा०वि०, दमाहाभाद
इस वक्त पूरा देश कोरोना से परेशान है। कोविड-19 विश्व में कहर बरपा रहा है। कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग जैसे तरीकों को अपनाया जा रहा है ताकि इस वायरस से छुटकारा पाया जा सके। वहीं वैज्ञानिक और शोधकर्ता कोरोना के इलाज के लिए दवाएं बनाने में लगे हुए हैं और अलग-अलग तरीकों से कोरोना संक्रमण से निजात पाने के लिए अपना काम कर रहे हैं। इन्हीं सबके बीच प्लाज्मा थैरेपी के जरिए एक उम्मीद नजर आ रही है। विदेशों के बाद अब भारत इस तकनीक से कोरोना को मात देने के लिए अपने प्रयास करने में जुट गया है जिसे कंवलसेंट प्लाज्मा थैरेपी (convalescent plasma therapy) कहा जाता है। कंवलसेंट प्लाज्मा थैरेपी (convalescent plasma therapy) कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में आशा की एक किरण बन गई है। प्लाज्मा थैरेपी की मदद से कोविड-19 रोगी के रक्त से एंटीबॉडी का उपयोग कर वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों का इलाज किया जाता है। दिल्ली के निजी अस्पताल में इस थैरेपी का इस्तेमाल जिस 49 वर्षीय गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति पर किया गया, वह कम समय में ही ठीक हो गया जिसके बाद कोरोना से जंग में एक उम्मीद नजर आने लगी है। लेकिन plasma therapy से ही कोरोना का सटीक इलाज हो सकता है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। आखिर क्या है कंवलसेंट प्लाज्मा थैरेपी? कंवलसेंट प्लाज्मा थैरेपी (convalescent plasma therapy) क्या होती है? यह थैरेपी काम कैसे करती है? इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमने बात की डॉक्टर अमित गांगुली (ईएनटी सर्जन) से। डॉक्टर गांगुली बताते हैं कि प्लाज्मा थैरेपी को Passive immunity भी कहते हैं। इसका मतलब होता है कि इम्युनोग्लोबुलिन (immunoglobulins), जो किसी और के शरीर में पर्याप्त मात्रा में होता है और वो रोगी के शरीर में जाकर रोग से लड़ने में मदद करता है। ये 2-3 तरीकों से काम करते हैं, जैसे ये एंटीबॉडी वायरस के सरफेस पर जो एंटीजन (Antigen) है, वहां जाकर जुड़ जाते हैं। एंटीबॉडी और एंटीजन रिएक्शन से वायरस की दीवार टूट जाती है और वायरस बिखर जाता है जिससे व्यक्ति संक्रमित नहीं रहता। दूसरा तरीका यह है कि वे प्रोटीन को इस तरह से बदल देते हैं जिससे कि इसका रिपलिकेशन नहीं हो पाता और इससे शरीर में धीरे-धीरे संक्रमण खत्म हो जाता है। डॉक्टर गांगुली बताते हैं कि शरीर में जब कोई भी इंफेक्शन होता है, चाहे वो बैक्टीरियल हो या वायरस से, उसमें एक पदार्थ होता है जिसे कहते हैं एंटीजन। यह एंटीजन जब शरीर में वायरस के साथ जाता है तो यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) को चैलेंज करता है और इम्यून इससे लड़ने के लिए रिएक्ट करता है, तब शरीर में रोग से लड़ने के लिए कुछ प्रोटीन बनते हैं जिन्हें इम्युनोग्लोबुलिन कहते हैं और यही एंटीबॉडी होते हैं, जो उस बीमारी से लड़ने में कारगर होते हैं। जरूरी यह है कि व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कितनी सशक्त है और वो कितना इम्युनोग्लोबुलिन या एंटीबॉडी पैदा कर सकता है। यदि व्यक्ति के शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन की मात्रा ज्यादा हो तो व्यक्ति बीमारी से ठीक हो जाता है और ऐसे लोग जो रोग से ठीक होते हैं, उनके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता या एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में होती है। ऐसे लोगों के रक्त से दूसरे सेल्स को हटाकर सिर्फ प्लाज्मा ले लिया जाता है। प्लाज्मा दूसरे व्यक्ति को रोग से लड़ने में मदद करता है। दूसरे व्यक्ति जिनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर है, जैसे पहले से कोई दूसरी बीमारी से ग्रसित हो, जैसे मधुमेह या कोई और बीमारी। इसमें पहले से ही व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता न के बराबर है और उन्हें यदि एंटीबॉडी दे दी जाए तो उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता 2-3 महीनों के लिए बढ़ जाती है। यह जो एंटीबॉडी प्लाज्मा के जरिए दी जाती है, इसे 'प्लाज्मा थैरेपी' कहते हैं।
पूर्व टेस्ट सलामी बल्लेबाज रहे नाईक ने मुंबई क्रिकेट संघ को भेजी शिकायत में कहा है कि मैच के दौरान पिच के सपाट होने पर शास्त्री ने उन्हें अपशब्द कहे थे और नाराजगी जताई थी. नाईक ने भी कथित तौर पर इसका जवाब दिया था. तेंदुलकर ने अगले महीने होने वाले अमेरिका के तीन मैचों के टी20 प्रदर्शनी क्रिकेट दौरे की तैयारी की शुरूआत की जहां वह और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व महान स्पिनर शेन वार्न 'क्रिकेट आल स्टार्स सीरीज 2015' के मैचों में विरोधी टीमों की अगुआई करेंगे. इस श्रृंखला के मैच न्यूयार्क, ह्यूस्टन और लास एंजिल्स में होंगे.
अब यह वृत्तान्त सुनाओ। पुत्र शोक से सन्तप्त एवं भय और मृत्यु को तरह कुद्ध, नरव्याघ्र अर्जुन को देख, मेरे पुत्र उसके सामने कैसे टिक आते सके होंगे ? कपिध्वज और धनुष को टंकारते हुए, पुत्रशोकातुर अर्जुन को देख, मेरे पुत्रों ने क्या किया ? हे सञ्जय ! उस युद्ध में दुर्योधन का क्या हाल था ? क्योंकि मुझे तो आज हर्षनाद सुन नहीं पड़ता, केवल शोक-ध्वनि ही सुनायी पड़ रही है। आज के पूर्व जयद्रथ के शिविर में जैसे मनोहर एवं सुखद शब्द सुनायी पड़ते थे, वैसे तो आज सुन नहीं पड़ते। मेरे पुत्रों के शिविर में सूतों, मागधों और नर्तकों के दल के दल नित्य ही स्तुतिगान किया करते थे। आज उनके स्तुतिगान की ध्वनि तो सुनायी नहीं पड़ती। दीनजनों की याचना के शब्द जो मुझे सदा सुन पड़ते थे, वे भी तो आज नहीं सुन पड़ते । हे सञ्जय ! मैं बैठा बैठा, सत्यपराक्रमी सोमदत्त के शिविर सें, उसकी प्रशंसा के गीत सुना करता था, किन्तु उनके बदले आज मुझ अभागे को तो प्रार्त्तनाद के शब्द सुन पड़ते हैं । हा ! मुझे अपने पुत्रों के शिविर भी आज उत्साहहीन से जान पड़ते हैं। विविंशित, दुर्मुख, चित्रसेन, विकर्ण और मेरे अन्य पुत्रों के शिविरों में भी पूर्व जैसी हर्षध्वनि नहीं हो रही है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, और वैश्य जाति के शिष्यगण, जिनकी सेवा शुश्रूषा किया करते हैं, जो प्रसिद्ध महाधनुर्धर हैं, जो मेरे पुत्रों के कथनानुसार कार्य किया करते हैं, जो वितण्डाबाद, वाद, सम्भाषण, विविध प्रकार के बाजों की ध्वनि में तथा मधुर सङ्गीत में सदा अनुरक्त रहते हैं और जिनकी सेवा में कौरव, पाण्डव एवं सात्वतवंशी राजागण उपस्थित रहा करते हैं; हे सञ्जय ! उन अश्वत्थामा के शिविर से भी तो पहले जैसी हर्षध्वनि नहीं सुन पड़ती। महाधनुर्धर अश्वत्थामा की सेवा में जो गवैया और नचैया रहा करते थे, आज उनके गाने नाचने का भी शब्द तो नहीं सुन पड़ता । बिन्द और अनुबिन्द के शिविर में तथा केकयों के शिविरों में सन्ध्या समय, निस्य नाचना गाना हुआ करता था, उनके गाने नाचने का शब्द भी नहीं सुन पड़ता । श्रुतनिधि सोमदत्त के शिविर में वेदध्वनि करने वालों की वेदध्वनि पचासीवाँ अध्याय रोदों की टंकार, वेदध्वनि, भी नहीं सुनायी पड़ी । द्रोण के शिविर में सदा रोदों की टंकार, तोमरों एवं तलवारों की संकार, और रथों की घरघराहट सुनायी पड़ती थी । आज द्रोण के शिविर में भी सन्नाटा है। विविध देशवासियों के विविध प्रकार के गीत भी आज नहीं सुन पड़ते । जब उपलव्य में सन्धि कराने को श्रीकृष्ण आये थे- तब मैंने मूढ़ दुर्योधन से कहा था कि बेटा ! श्रीकृष्ण के कथनानुसार तू पाण्डवों से सन्धि कर ले । सन्धि करने का यह अच्छा अवसर है। इसे तू हाथ से मत निकाल और मेरे कथन का तिरस्कार मत कर । तेरी भलाई ही के लिये श्रीकृष्ण सन्धि कराने आये हैं। यदि । इस लमय तूने सन्धि न की तो युद्ध में तू पाण्डवों से जीत न सकेगा । उस समय श्रीकृष्ण ने बहुप्रकार अनुनय विनय कर दुर्योधन को बहुत समझाया, किन्तु हठी दुर्योधन ने उनकी बात न मानी । मेरी सलाह न मान, दुर्योधन दुःशासन और कर्ण की सलाह मानी । क्योंकि उसके सिर पर तो काल खेल रहा है। मैं तो हे सञ्जय ! उसी समय जान गया था कि घोर संहार होने वाला है। फिर जब दुर्योधन जुवा खेलने को उद्यत हुआ, तब भी मैंने उस कुकृत्य को रोकना चाहा । विदुर ने भी रोकने का बहुत कुछ प्रयत्न किया । भीष्म और जयद्रथ ने भी उस काम में अपनी सम्मति प्रकट की, शल्य, भूरिश्रवा, पुरुमिन्न, जय, अश्वस्थामा, कृपाचार्य और द्रोण ने भो जुए को बुरा बतलाया। किन्तु किसी की कुछ भा न चली । यदि मेरे पुत्र दुर्योधन ने इन लोगों का कहना तब मान लिया होता, तो वह चिरकाल तक अपने मित्रों, सुहृदों और भाई बिरादरी वालों के साथ सुखमय जीवन बिताता । dog wit हे सञ्जय ! दुर्योधन को समझते समय मैंने उससे यह भी कहा था कि, पाण्डव सरल स्वभाव के हैं। मधुरभाषी हैं, वे जाति बिरादरी वालों से कभी कटुवचन नहीं कहते। वे कुलीन, मान्य एवं बुद्धिमान हैं। वे कभी दुःखी नहीं रह सकते । वे तो सदा सुखी रहेंगे। क्योंकि इस जोक में धर्मात्मा को सर्वत्र सुख ही सुख मिलता है और मरने पर भी उनका कल्याण
West Champaran News कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में बन रहे भवन की अनियमितता पर विधायक ने किया निरीक्षण निर्माण स्थल पर नहीं दिखा प्राक्कलन बोर्ड तो विधायक ने जताई नाराजगी। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय को प्रोन्नत कर उच्चतर माध्यमिक में तब्दील किया जा रहा है। हरनाटांड़ (पचं), जासं। छात्राओं के लिए बनाए जा रहे छात्रावास भवन में अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्राक्कलन के आधार पर ठेकेदार काम करना सुनिश्चित करें। अन्यथा ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई के लिए वरीय अधिकारी को पत्र लिखा जाएगा। उपरोक्त बातें गुरुवार की देर शाम वाल्मीकिनगर विधायक धीरेंद्र प्रताप ङ्क्षसह उर्फ ङ्क्षरकू ङ्क्षसह ने प्रखंड के हरनाटांड़ स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय परिसर में निर्माणाधीन माध्यमिक कक्षा भवन के निरीक्षण के दौरान कही। उन्होंने कहा कि छात्राओं के लिए बनाए जा रहे छात्रावास में गुणवत्तापूर्ण कार्य होना चाहिए। ताकि भवन का भविष्य बेहतर हो सके। बताते चलें कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय को प्रोन्नत कर उच्चतर माध्यमिक में तब्दील किया जा रहा है। अभी तक इस छात्रावास में कक्षा छह से आठ तक की छात्राएं ही पठन पाठन करती थीं। लेकिन अब यहां नौंवीं से बारहवीं कक्षा की छात्राएं भी छात्रावास में रहकर पठन पाठन कर सकेंगी। अब यहां छह से बारहवीं तक कि छात्राएं छात्रावास का लाभ उठा सकेंगी। । सूचना बोर्ड बहुत ही आवश्यक है। योजना का पूरा विवरण का बोर्ड जब तक नहीं लगाया जाता तब तक काम प्रारंभ नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ठेकेदार को सूचित कर दें कि भवन निर्माण विभाग द्वारा इस भवन के निर्माण के लिए जो प्राक्कलन बना है उसी के हिसाब से गुणवत्तापूर्ण कार्य करें। अन्यथा वरीय अधिकारियों को इस संबंध में लिखा जाएगा और जांच कराई जाएगी।
आजकल की भाग दौड़ भरी जीवन में आदमी कई सारी रोंगों का घर बनता जा रहा है। इनमें से एक खतरनाक रोग है डायबिटीज, जो दिल, किडनी और दिमाग से जुड़ी कई अन्य रोंगों को जन्म दे सकता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए अपने खानपान पर जरूर ध्यान देना चाहिए। आपको बता दें कि डायबिटीज के रोगियों को अंजीर, अंगूर, आम, चेरी, केला, आदि जैसे फल नहीं खाने चाहिए, क्योंकि इसमें चीनी की मात्रा अधिक होती है। हालांकि जामुन, नाशपाती, मौसमी, प्लम, जैसे फलों का सेवन डायबिटीज के रोगी कर सकते हैं। आज हम उन चीजों के बारे में बात करेंगे, जो डायबिटीज के लोगों के लिए जहर साबित हो सकती है। प्रोसेस्ड मीट जैसे बेकन, हैम, सलामी, बीफ आदि में कई नुकसानदायक केमिकल होते हैं, जो ताजे मीट में नहीं होते हैं। कई रिसर्च के अनुसार, प्रोसेस्ड मीट के के सेवन से कैंसर और दिल की रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए प्रोसेस्ड मीट का सेवन नहीं करना चाहिए। फुल-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स में चीनी की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण डायबिटीज के रोगियों के लिए नुकसानदायक होते हैं। इससे दिल की रोग का खतरा बढ़ जाता है। ये चीजें खाने से आदमी मोटा भी हो जाता है। वाइट ब्रेड, चावल और पास्ता खाने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल, वजन बढ़ाने और लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में डायबिटीज के रोगियों को सफेद कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों को अपनी डाइट में शामिल नहीं करना चाहिए। ज्यादातर पैकेज्ड फूड मैदा से बने होते हैं, जिनके खाने से शरीर में शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। जैसा की सब जानते हैं कि ड्राई फ्रूट्स में कई तरह के विटामिन, मिनिरल्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं। ड्राई फ्रूट्स को खाने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और शुगर लेवल बढ़ जाता है। फलों की तुलना में ड्राई फ्रूट्स में अधिक कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को ड्राई फ्रूट्स नहीं खाने चाहिए।
मुंबई, 11 नवंबर रेमंड लिमिटेड ने उद्योगपति विजयपत सिंघानिया की आत्मकथा 'एन इनकंप्लीट लाइफ' के विमोचन को लेकर बंबई उच्च न्यायालय में दायर अपनी अवमानना याचिका बृहस्पतिवार को वापस ले ली। रेमंड के वकीलों ने कहा कि वे याचिका वापस ले रहे हैं क्योंकि वे ठाणे जिला अदालत के समक्ष एक नई याचिका दायर करना चाहते हैं। न्यायमूर्ति माधव जामदार ने इसपर याचिका को उचित अदालत में दायर करने की स्वतंत्रता के साथ वापस लेने के तौर पर खारिज कर दिया। रेमंड समूह के पूर्व अध्यक्ष 83 वर्षीय सिंघानिया पुस्तक के विमोचन को लेकर अपने अलग हुए बेटे गौतम सिंघानिया और रेमंड कंपनी के साथ कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं। रेमंड लिमिटेड और उसके अध्यक्ष गौतम सिंघानिया ने 2019 में ठाणे सत्र अदालत और मुंबई में एक दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि इसकी (किताब की) सामग्री मानहानिकारक है। ठाणे की अदालत ने अप्रैल 2019 में किताब के विमोचन के खिलाफ आदेश दिया था। पिछले हफ्ते कंपनी ने उच्च न्यायालय से प्रकाशकों, मैकमिलन पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड को पुस्तक के वितरण, बिक्री या उपलब्ध कराने से रोकने का आग्रह किया। याचिका में आरोप लगाया गया कि विजयपत सिंघानिया ने ठाणे अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए 31 अक्टूबर को गुप्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया था। एकल न्यायाधीश ने पुस्तक की बिक्री, प्रसार और वितरण पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था लेकिन न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने बुधवार को आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि निचली अदालत के आदेश की गलत व्याख्या की गई। Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
UP Nagar Nikay Chunav Result 2023- यूपी नगर निकाय चुनाव में भले ही बीजेपी ने मेयर, पालिका पंचायत में दबदबा कायम रखा है, बावजूद प्रदेश के कई मंत्री गृह जनपद में अपनी साख तक नहीं बचा सके। इनमें सबसे प्रमुख नाम प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार शर्मा का है। UP Nagar Nikay Chunav Result 2023- यूपी नगर निकाय चुनाव में जीत के बाद भाजपाई फूले नहीं समा रहे हैं। खुश हों भी क्यों न? पहली बार सूब के सभी 17 नगर निगमों में कमल खिला है। रिजल्ट घोषित होते ही बीजेपी दफ्तर में बधाइयों का तांता लग गया। रंग-गुलाल के साथ ही ढोल-नगाड़ों की थाप पर समर्थक झूम रहे थे। यह खुशी उस वक्त और दोगुनी हो गई जब पार्टी कार्यालय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे। दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या और बृजेश पाठक ने उन्हें मिठाई खिलाई कर जीत की बधाई दी। इस दौरान प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सहित पार्टी के कई दिग्गज नेता मंच पर मौजूद रहे। बीजेपी ने भले ही मेयर, पालिका पंचायत में दबदबा कायम रखा है, बावजूद प्रदेश के कई मंत्री गृह जनपद में अपनी साख तक नहीं बचा सके। इनमें सबसे प्रमुख नाम प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार शर्मा का है। नौकरशाह से राजनेता बने अरविंद कुमार शर्मा ने जब यूपी में आये थे तो उन्हें योगी आदित्यनाथ के मुकाबिल देखा जा रहा था। उस वक्त इन्हें डिप्टी सीएम बनाये जाने की अटकलें थीं, लेकिन सीएम कार्यालय से इस पद के लिए उन्हें हरी झंडी नहीं मिल सकी। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उन्हें नगर विकास मंत्रालय सौंपा गया। निकाय चुनाव में उनके सामने खुद को साबित करने का मौका था लेकिन, उनके गृह जिले मऊ में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। वह भी तब जब उनकी दखल के बाद प्रत्याशी का नाम फाइनल हुआ था और उन्होंने खुद मऊ में डेरा डाल रखा था। मऊ नगर पालिका में अध्यक्ष पद पर बसपा के अरशद जमाल ने बीजेपी प्रत्याशी अजय कुमार को हरा दिया। मऊ नगर पालिका में अध्यक्ष पद लंबे अर्से बाद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुआ था। स्थानीय भाजपाई किसी ब्राह्मण, ठाकुर और भूमिहार को प्रत्याशी बनाने के फेवर में थे, लेकिन नगर विकास मंत्री एके शर्मा की पैरवी के बाद जाटव समाज के अजय कुमार का टिकट फाइनल किया गया था। इसे लेकर स्थानीय भाजपाइयों में कथित तौर पर नाराजगी भी थी। अजय कुमार पहले बसपा के को-ऑर्डिनेटर भी रहे हैं। बसपा कैंडिडेट ने उन्हें 36 हजार वोटों से हरा दिया। अरविंद कुमार शर्मा ही नहीं प्रदेश के कई और मंत्री निकाय चुनाव में अपनी साख नहीं बचा पाये। इनमें पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह, चिकित्सा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, मंत्री गुलाब देवी, मंत्री असीम अरुण और मंत्री बलदेव सिंह औलख शामिल हैं। ये अपने गृह जिले में बीजेपी प्रत्याशी नहीं जिता पाए। बरेली की आंवला नगर पालिका में सपा के आबिद अली ने बीजेपी कैंडिडेट राजीव सक्सेना को हरा दिया है। आंवला पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह का निर्वाचन क्षेत्र है। ऐसे ही सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी बीजेपी कैंडिडेट की हार हुई है। यहां कांग्रेस के शत्रोहनलाल सोनकर जीते हैं। इस सीट पर कमल खिलाने का जिम्मा उद्यान राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह का था। चिकित्सा राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह के निर्वाचन क्षेत्र तिलोई में भी भाजपा की हार हुई है। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षामंत्री गुलाब देवी के गृह जिले संभल में बीजेपी नगर पालिका की एक ही सीट जीत सकी है जबकि एक सीट निर्दलीय को मिली है। कन्नौज और रामपुर नगर पालिका में भी बीजेपी की हार हुई। कन्नौज में समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण और रामपुर में राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी देख रहे थे। यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी ने सभी 17 नगर निगमों में जीत दर्ज की है। 199 में में 88 पालिका अध्यक्ष पद बीजेपी के खाते में गये हैं। पंचायत अध्यक्ष के 544 पदों में से 191 पर बीजेपी जीती है। नगर पालिका में 1344 व नगर पंचायत में भाजपा के 1402 सदस्य जीते हैं। इसके अलावा पार्षद के 813 पदों पर भाजपाई चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।
शिवपुरी के पिछोर नगर परिषद का रिजल्ट आ गया है। आए रुझानो में भाजपा कांग्रेस के 6-6 पार्षद जीते हैं। अब यहां की किसकी नगर सरकार बनेगी ये फैसला निर्दलीय पार्षदों के सर पर आ गया है। निर्दलीय जिस पलड़े की ओर जाएंगें। उसी पक्ष की सरकार यहां बनेगी। यहां निर्दलीय के खाते में 3 सीट आई हैं। This website follows the DNPA Code of Ethics.
Tamar: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद वर्तमान कांग्रेस कोऑर्डिनेटर कमिटी के सदस्य प्रदीप बलमुचु शनिवार को तमाड़ पहुंचे. वे तमाड़ के नुरीडीह गांव में कांग्रेस के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष बुधराम मुंडा के पिता के श्राद्धकर्म में शामिल हुए. इससे पूर्व गागरसोतीया में वे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर कार्यकर्ताओं को निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी सुदूर क्षेत्र के लोगों तक पहुंचे. उन्हें इसका लाभ दिलाने के लिए हर कार्यकर्ता को आगे आना होगा. उन्होंने कहा कि भाषा के आधार पर बाहरी लोगों की सरकारी नौकरी पर सेंधमारी गलत है. इस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए. कहा कि ये नया मुद्दा नहीं है. झारखंड अलग राज्य तो बना. लेकिन झारखंडियों को कभी महसूस नहीं हुआ कि उन्हें अपना झारखंड राज्य मिला है. हर जगह बिहारी भाषा का बोलबाला रहा. आम आदमी थाना जा रहा हो या प्रखंड जा रहा हो हर जगह बिहारी भाषा का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में धीरे-धीरे लोगों में आक्रोश भरता गया. आज यह आंदोलन का रूप ले लिया है. सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है.
Posted On: तीनों सेनाओं के संयुक्त दल के हिस्से के रूप में भारतीय नौसेना का मार्चिंग दस्ता 14 जुलाई 2023 को पेरिस में आयोजित होने वाली बैस्टिल डे परेड में भाग लेने के लिए फ्रांस पहुंच गया है। इस परेड में नौसेना की टुकड़ी के चार अधिकारी तथा 64 नाविक शामिल होंगे और कमांडर व्रत बघेल नौसैनिक दल का नेतृत्व करेंगे। नौसैन्य अधिकारी बघेल गोलाबारी एवं मिसाइल वारफेयर के विशेषज्ञ हैं और वे अभ्यास वरुण के दौरान फ्रांसीसी जहाज बीसीआर वार पर रवाना हुए थे। कमांडर व्रत बघेल के कनिष्ठ नौसैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृत (जिन्होंने आरडी परेड 2023 में भारतीय नौसेनिक दल का नेतृत्व किया), लेफ्टिनेंट कमांडर रजत त्रिपाठी और लेफ्टिनेंट कमांडर जितिन ललिता धर्मराज उनका सहयोग करेंगे। इस उत्सव का जश्न मनाने के लिए भारतीय नौसेना की गतिविधियों का संचालन प्रथम पंक्ति के स्वदेश निर्मित विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस चेन्नई द्वारा किया जा रहा है, जिसे 12 से 16 जुलाई 2023 तक फ्रांस में तैनात किया जाएगा। इस जहाज का चालक दल फ्रांस के ब्रेस्ट में बैस्टिल डे परेड के समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों, पनडुब्बियों और विमानों के शक्तिशाली बेड़े के साथ दुनिया की सबसे विशाल नौसेनाओं में से एक है। इसका आदर्श वाक्य संस्कृत में 'शं नो वरुणः' (जिसका अर्थ है कि महासागरों के देवता हमारा कल्याण करें) ऋग्वेद से लिया गया है और यह 1500 ईसा पूर्व का है। भारतीय नौसेना एक 'लड़ाकू तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के खतरों से निपटने में सक्षम प्रतिरोधी बल' है, जिसे अत्यधिक कुशल एवं पेशेवर कार्यबल द्वारा संचालित किया जाता है। भारत की युद्धपोत निर्माण क्षमता ने भारतीय नौसेना के विकास और तेजी से आधुनिकीकरण में बहुत बड़ा योगदान दिया है। देश के शिपयार्ड आज सभी प्रकार के जहाजों का निर्माण कर रहे हैं और यह बड़े गर्व की बात है कि भारत चुनिंदा एवं विशिष्ट देशों के एक बहुत छोटे समूह में शामिल है, जिन्होंने अपने स्वयं के विमान वाहक पोत, विध्वंसक जहाज, छोटी नौकाओं और परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण व संचालन किया है। आईएनएस चेन्नई स्वदेशी प्रौद्योगिकी की अत्याधुनिकता का प्रतीक है। इस वर्ष भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हुए हैं। दोनों देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में गहरे संबंध हैं जो उनकी नौसेनाओं तक भी विस्तारित हुए हैं। मैसर्स मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा फ्रांस के मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से प्रोजेक्ट 75 के तहत स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण ने न केवल नौसेना की क्षमता को बढ़ाया है, बल्कि भविष्य की कई परियोजनाओं के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया है। दोनों नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यास (वरुण) नौसैन्य शक्ति के सभी क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक जटिल अभ्यास श्रृंखला में परिपक्व हो गया है। यह भारत-फ्रांस रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार को दर्शाता है। इस अभ्यास को साल 1993 में शुरू किया गया था और वर्ष 2001 में इसे 'वरुण' नाम दिया गया। अभ्यास वरुण का 21वां संस्करण 23 जनवरी को अरब सागर में आयोजित किया गया था।
अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया है, मैं शपथ ले चुका अंगदानकर्ता हूं. . . मैं इसकी पवित्रता का हरा रिबन पहनता हूं। इस कैप्शन के साथ उन्होंने एक तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें वह हरा रिबन पहने दिखाई दे रहे हैं। अमिताभ बच्चन के इस ट्वीट पर कई फॉलोअर्स ने रिऐक्शंस दिए हैं। एक ने लिखा है, सर आपको हेपेटाइटिस-बी है सर आपके अंग किसी दूसरे को ट्रांसप्लांट नहीं किए जा सकते। साथ ही आपका लिवर भी ट्रांसप्लांट किया हुआ है और आप इम्यूनोस्प्रेसैंट दवाओं पर हैं। मैं आपकी अंग दान करके जिंदगियां बचाने की इच्छा की इज्जत करता हूं, लेकिन माफ कीजिएगा आप वैज्ञानिक तौर पर एक डोनर नहीं हो सकते। जागरूकता के लिए धन्यवाद सर। इसके जवाब में एक और ट्वीट है, जिसके जवाब में लिखा है, वह आंखें, किडनी, दिल डोनेट कर सकते हैं। ये बकवास बंद करो। कम से कम उनका मेसेज अच्छा है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर जैसे अशांत इलाकों में वॉट्सऐप कॉलिंग सेवा पर रोक लगा सकती है. ऐसी जानकारी मिली है कि आतंकी सीमा पार बैठे अपने आकाओं से लगातार संपर्क में बने रहने के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल करते हैं. गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में सोमवार को हुई एक बैठक में इस संबंध में मंजूरी दी. बैठक में 2016 में नगरोटा में सेना के शिविर में हुए आतंकी हमले के संबंध में हाल में हुई गिरफ्तारियों का जिक्र किया गया. गिरफ्तार किए गए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस से कहा कि वे वॉट्सऐप कॉल के जरिये सीमा पार से निर्देश ले रहे थे. इस आतंकी हमले में सुरक्षाबलों के 7 जवान शहीद हुए थे. हाल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को तीन लोगों की हिरासत दी गयी जिन्हें राज्य पुलिस ने आतंकियों की मदद में कथित रूप से शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया था. बैठक में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और साथ ही सुरक्षा एजेंसियों एवं जम्मू कश्मीर पुलिस के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए. बैठक 'कीपैड जेहादियों' द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गई दुर्भावनापूर्ण सामग्री पर चर्चा करने के लिए बुलायी गयी थी. 'कीपैड जेहादी' अफवाह फैलाकर या किसी घटना को सांप्रदायिक रंग देकर कानून व्यवस्था बिगाड़ने के इरादे से इंटरनेट पर जहर फैलाने का काम करते हैं. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक अल क़ायदा, ISIS और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने इंटरनेट पर भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा छेड़ रखा है. साथ ही ये देश के युवाओं को बरगला कर अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे जिहादियों से निपटने के लिए रणनीति बनाई जा रही है. अमरनाथ यात्रा को देखते हुए इस तरह के देशविरोधी तत्वों की ऑनलाइन गतिविधियों को लेकर खास सतर्कता बरतने का फैसला किया गया है.
नई दिल्लीः अभिनेत्री सोनम कपूर आहूजा के अनुसार, उनके पति और व्यापारी आनंद आहूजा उनके सबसे बड़े चीयरलीडर हैं. शनिवार को फिक्की (एफआईसीसीआई) लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) के 35वें वार्षिक सत्र के दौरान सोनम ने लैंगिक समानता पर बात करने के साथ ही यह बताया कि किस तरह उनके पति उनका समर्थन करते हैं. सोनम ने कहा कि फिल्म जगत में मुझे बराबर नहीं, बल्कि हमेशा एक महिला ही समझा गया, लेकिन मुझे जल्द ही यह अहसास हुआ कि महिलाओं को इससे समझौता नहीं करना चाहिए. अपने एक बयान में सोनम ने कहा, "कला समाज का प्रतिबिंब है. शादी के बाद मेरे पति ही मेरे चीयरलीडर हैं और अपना सर्मथन जाहिर करने के लिए उन्होंने अपने नाम के बीच में मेरा नाम जोड़ लिया और वह आनंद सोनम आहूजा बन गए." पिछले साल आनंद के साथ वैवाहिक बंधन में बंधी सोनम टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा के साथ इस सत्र में शामिल हुई थीं. वहीं, अगर फिल्मों की बात करें तो सोनम की अगली फिल्म 'द जोया फैक्टर' है. इसमें उनके साथ दलकेर सलमान हैं.
दीप्ति से मरियम बनने के बाद दंत चिकित्सक महिला हिंदू युवाओं को अश्लील चैट के जरिए फँसाती थी और उन्हें ISIS में जाने के लिए तैयार करती थी। कॉन्ग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक भी कर्नाटक में सिद्धारमैया की सरकार में मंत्री बनेंगे। CM और डिप्टी सीएम सहित कुल 10 मंत्री। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कुछ पत्रकार कॉन्ग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे थे। पत्रकारों का यह गिरोह डीके शिव कुमार से जुड़ा हुआ था। डीके शिवकुमार अक्सर मंदिर जाते रहते हैं। धार्मिक झुकाव नहीं छिपाते हैं। इसलिए कॉन्ग्रेस आलकमान ने सिद्धारमैया को चुना। मीडिया में चल रही बातें। कर्नाटक पर अब कॉन्ग्रेस सिद्धारमैया और शिवकुमार की तस्वीरों से संदेश देने की कोशिश कर रही। पर बयान कुछ और ही कहानी कह रहे। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टू, कर्नाटक में कंबाला और महाराष्ट्र में सांड दौड़ करने की अनुमति दे दी है। सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम की भूमिका में होंगे। 20 मई को बेंगलुरु में शपथ ग्रहण समारोह होगा। सिंधिया, पायलट, प्रतिभा, TS बाबा और सिद्धू - CM न बनने की स्थिति में DK शिवकुमार के सामने 5 उदाहरण हैं। अब उनके ऊपर है कि वो किसके रास्ते जाएँगे। 'News 24' के पत्रकार राजीव रंजन ने 'जय श्री राम' को आक्रामक नारा बताया। मोहम्मद फैज ने कहा - 'श्री का मतलब लक्ष्मी। श्री नारी शक्ति का द्योतक है। ' कर्नाटक में कॉन्ग्रेस को मिला जनादेश कुछ समुदायों और एक विशेष मजहब की खुशफहमियों की उपज है। क्या मनवांछित हिस्सेदारी नहीं मिलने पर ये कॉन्ग्रेस और कर्नाटक को चैन से जीने देंगे?
राम मंदिर निर्माण के शुभारंभ पर सम्पूर्ण देश राम भक्ति में डूबा हुआ है। इस ऐतिहासिक मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को देशवासियों को बधाई दी। वहीं उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पत्नी उषा नायडू के साथ घर में रामायण पाठ का आयोजन किया। राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट करते हुए कहा, राम-मंदिर निर्माण के शुभारंभ पर सभी को बधाई! मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम के मंदिर का निर्माण न्यायप्रक्रिया के अनुरूप तथा जनसाधारण के उत्साह व सामाजिक सौहार्द के संबल से हो रहा है। मुझे विश्वास है कि मंदिर परिसर, रामराज्य के आदर्शों पर आधारित आधुनिक भारत का प्रतीक बनेगा। उपराष्ट्रपति नायडू ने एक संदेश में राम मंदिर के पुनर्निर्माण को सत्य, नैतिकता जैसे मानवीय मूल्यों तथा श्री राम द्वारा स्थापित मर्यादाओं की पुनर्स्थापना बताया। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राजा के रूप में राम ने सदाचरण के सर्वोच्च प्रतिमान स्थापित किए जो सभी के लिए अनुकरणीय है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुरुषोत्तम श्री राम द्वारा स्थापित मर्यादाएं भारत की मौलिक चेतना का अभिन्न अंग है, जो क्षेत्र या जाति की संकीर्ण सीमाओं से ऊपर, आज भी सभी के लिए प्रासंगिक है। भूमि पूजन के साथ ही भव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना साकार हो गया है।
जब पूज्य गुरुदेव ने षोडशी साधना सम्पन्न की भगवती त्रिपुर सुन्दरी षोडशी के नाम का स्मरण ही सौन्दर्य और जीवन का श्रृंगार है । कितनी भी महाविद्या साधनाएं क्यों न कर ली जाएं, कैसी भी शक्ति या सिद्धियां क्यों न प्राप्त कर ली जाएं, किन्तु भगवती षोडशी की साधना के बिना सभी कुछ अधूरा ही तो है । बिना षोडशी के लावण्य से अभिभूत हुए जीवन नीरस और निस्तेज ही तो है । क्योंकि यथार्थ में 'श्री' की जननी काव्य की सृजनकर्त्री और वैभव की आश्रयस्थला भगवती षोडशी ही तो हैं । केवल जिनके सौन्दर्य और श्रृंगार का वर्णन करने में ही योगी और लालित्य से विभूषित कविरूपा मुनिजन जीवनपर्यन्त परिश्रम कर करके थक गए किन्तु फिर भी अतृप्त ही रह गए, क्योंकि देवी का यही स्वरूप, सही अर्थों में प्रकृति का सम्पूर्ण स्वरूप है। अन्य महाविद्या स्वरूपों में तो वे किसी एक पक्ष विशेष की स्वामिनी हैं, किन्तु षोडशी स्वरूप में प्रकृति स्वरूपा बनकर प्रतिक्षण गतिशील और प्रकृति की ही भांति प्रवाह से भरी हैं । जहां अन्य महाविद्यायें शक्ति की प्रखरता से, दिव्यता से आभूषित हैं, वहीं मां भगवाती षोडशी एक वेगवान नदी की ही भांति सम्पूर्ण सौन्दर्य और विविधता के साथ निरन्तर गतिशील हैं ।
Those traveling by metro must read Delhi Metro timings will change for three days. चीखपुकार सुनकर लोग मौके पर पहुंचे और बच्ची को शकुशल बचा लिया गया। फिलहाल घायल का नजदीकी निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। फुकरे 3' में फुकरे गैंग एक बार फिर भरपूर कॉमेडी के साथ दर्शकों को फुल टू एंटरटेन करने आ रहे हैं। मुजफ्फरनगर के नेहा पब्लिक स्कूल में हुआ थप्पड़ कांड में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से जवाब मांगा है।
कई बार ऐसा होता है कि हम किसी व्यक्ति से मिलते हैं और सोचते हैं कि इस व्यक्ति का स्वभाव क्या होगा। हम उस व्यक्ति से दोस्ती तो करना चाहते हैं लेकिन इस बात को लेकर भ्रमित हो जाते हैं कि वह व्यक्ति भरोसे के लायक है या नहीं। ज्योतिष से आपकी समस्या का समाधान हो सकता है। ज्योतिष के माध्यम से आप किसी व्यक्ति विशेष के स्वभाव के बारे में जान सकते हैं। इतना ही नहीं यह ज्ञान आपको उस व्यक्ति की जीवन शैली के बारे में भी बहुत कुछ बता सकता है। अब तक आपने हस्तरेखा विज्ञान के बारे में काफी पढ़ा होगा। उदाहरण के लिए, आपके हाथ की हथेली पर जीवन रेखा आपकी उम्र के बारे में बताती है, हृदय रेखा आपके प्रेम के मामलों को प्रकट करती है, जबकि सिर की रेखा आपके करियर और शिक्षा की भविष्यवाणी करती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि न केवल हाथों की रेखाएं बल्कि उंगलियां भी व्यक्ति के बारे में कई राज खोल सकती हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप किसी व्यक्ति के हाथों की उंगलियों को देखकर उसके बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। 1. जिस व्यक्ति के हाथ की सबसे छोटी उंगली आगे की ओर होती है, उस व्यक्ति का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है। वह व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है और उसकी स्मरण शक्ति भी अन्य लोगों की तुलना में बहुत अधिक होती है। 2. अगर किसी व्यक्ति के हाथ की उंगलियों की लंबाई सामान्य है तो समझ लें कि ऐसे लोग अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर आगे बढ़ते हैं। इन लोगों को परिवार और समाज में उचित सम्मान मिलता है। 3. जिन लोगों के हाथ की सबसे छोटी उंगली का आखिरी सिरा चौकोर होता है, वे लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं। उनके विचार दूर हैं। ये लोग हमेशा दूसरों से दो कदम आगे होते हैं और बेहद प्रतिभाशाली भी होते हैं। 4. अगर किसी व्यक्ति के हाथ की उंगलियां सामान्य से ज्यादा लंबी हैं तो समझ लें कि ऐसे लोग बहुत चालाक होते हैं। लोगों को भनक तक नहीं लगती और ये लोग अपनी चाल चलते हैं। 5. यदि किसी व्यक्ति के हाथ की सबसे छोटी उंगली टेढ़ी हो तो समझ लें कि यह व्यक्ति जीवन में कई बार असफल हुआ है और यह वह चीज नहीं है जो एक सक्षम और सक्षम व्यक्ति में होती है।
उधर प्रोफेसर भास्कर अपने घर में बने सीक्रेट लैब में कुछ सर्च करने में लगे हुए थे और इधर अविनाश और उसका दोस्त सूरज कॉलेज से निकलकर घर जाने के लिए रोड पर आ चुके थे, फिर जैसे ही दोनों कुछ देर के बाद जब वो हाईवे पर पहुंचते हैं वैसे ही एक कार तेजी से उनकी तरफ़ आकर रुकती हैं और वो दोनों डर जाते हैं फिर अविनाश अचानक से उनको बोलता हैं, "अबे अंधा हैं,क्या ऐसे गाड़ी चलाई जाती है, पता नहीं इन सबको गाड़ी चलाने का लाइसेंस कौन दे देता हैं" , फिर उनकी बातें सुनकर गाड़ी का दरवाज़ा खुलता हैं और अंदर से वही सीनियर निकलता हैं, और फिर थोड़ी देर के बाद गाड़ी की बाकी के तीनों दरवाजे खुलते हैं और उसमें से कुछ और लड़के हाथों में डंडे लेकर आते हैं और इन दोनों की तरफ़ बढ़ने लगते हैं , फिर अविनाश और सूरज उनकी मंशा समझ जाते हैं और वो दूसरी ओर भागने लगते हैं और फिर वो सीनियर और उसके साथी कुछ दूर तक उसका पीछा पैदल ही करते हैं और फिर उनका एक साथी गाड़ी लेकर आ जाता हैं और फिर वो सब गाड़ी से उनके पीछे भागने लगते हैं, थोड़ी देर तक पीछा करने के बाद जब अविनाश और सूरज थक जाते है तब पीछे से उस सीनियर का एक साथी तेजी से उनकी तरफ़ आकर उन दोनों को पकड़ लेता हैं, और फिर उन दोनों को पकड़ कर उसी जगह लेकर जाता हैं जहां पर पहले अविनाश को लेकर गया था, उसी अंधेरे गोडाउन में , और फिर उन दोनों को अलग अलग कुर्सी पे रस्सी से बांध देता हैं, लेकिन इस बार डरने की ऐसी कोई बात नहीं थी, क्योंकि जब अविनाश और सूरज उन लोगों से बचकर भाग रहे थे , तभी अविनाश ने सूरज को बोला था, " तू डर मत सूरज इस बार ये लोग हमदोनों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं क्योंकि इस बार मेरे पास ये इंद्र कवच हैं और जब तक ये मेरे साथ है मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं हैं, बस अब वो जो कुछ भी करे उनको करने देना ठीक हैं ", थोड़ी देर के बाद जब उन लोगों ने अविनाश और सूरज को कुर्सी पे बांध दिया था तब फिर वो सीनियर उनके पास आया और बोला, " मैंने तो सोचा था की इतनी मार खाने के बाद तू कुछ दिनों तक कॉलेज नहीं आएगा लेकिन तू तो बिलकुल ठीक हैं और फिर तू इतनी मार खाने के बाद भी एकदम से ठीक कैसे हो गया, क्या तेरे पास कोई जड़ी बूटी है जिसको खाकर तू तुरंत ठीक हो गया और फिर से मुझसे पीटने के लिए आ गया", फिर अविनाश उससे बोलता हैं, " जड़ी बूटी तो नहीं लेकिन कुछ और हैं जिससे मैं तेरी बैंड बजाऊंगा" , इतना बोलने के बाद अविनाश कुर्सी पर बैठे बैठे ही उन सभी रस्सी को खोल देता है और फिर खड़ा हो जाता हैं और फिर वो उस सीनियर की तरफ बढ़ता हैं और उसके पेट में एक जोरदार मुक्का मारता हैं, उस मुक्के के कारण वो दूर जाके गिर जाता हैं, उस सीनियर के गिरने के बाद उसके सारे साथी अविनाश के तरफ बढ़ते हैं और फिर एक के बाद एक उसपे वार करने लगते हैं, अविनाश उनके सारे वारों से बचते हुए उन सभी को खूब मारता हैं और फिर वो जाकर सूरज के हाथ में बंधी रस्सी को खोलकर उसे वहां से लेकर घर चला जाता हैं, अगले दिन सुबह अविनाश आम दिनों की तरह कॉलेज जाने के लिए अपने घर से बस स्टैंड की तरफ जैसे ही निकला वैसे ही उसने देखा की उसकी बस वही खड़ी थी और फिर जैसे ही अविनाश बस की तरफ आगे बढ़ा वैसे ही बस का कंडक्टर जोर से चिल्लाने लगा, " जंक्शन - जंक्शन जिसको जंक्शन जाना हैं जल्दी बस में सवार हो जाओ बस खुलने वाली हैं" , अविनाश का कॉलेज भी उसी रूट में पड़ता था और उसे कॉलेज जाने के लिए लेट भी हो रहा था तो वो जल्दी से बस की तरफ बढ़कर उसमें सवार हो गया। थोड़ी देर के बाद जब बस कुछ आगे बढ़ी तब जैसे ही बस के ड्राइवर ने ब्रेक दबाया तो ब्रेक नही लगा , फिर एक आदमी ने ड्राइवर से बोला, " अरे भाई मुझे यही उतरना हैं आप आगे कहां लेकर जा रहे हैं बस यही पर रोक दीजिए ड्राइवर साब", फिर ड्राइवर ने उससे कहा , " अरे भाई मैं कोशिश तो कर रहा हूं लेकिन बस नही रुक रही हैं, लगता है बस के ब्रेक फेल हो चुके हैं" इतना सुनते ही बस में सवार सारे यात्रियों की हालत खराब हो जाती है और फिर वो सब आपस में ही बातें करने लगते हैं और उस बस से बाहर निकलने के लिए बस में ही इधर उधर भागने लगे, इधर बस का ड्राइवर बस को कंट्रोल करने के चक्कर में न जाने कितने ही गाड़ियों को कुचलकर आगे बढ़ रहा था। फिर अविनाश ने सोचा, " अब ये बस बेकाबू हो चुकी है और न जाने आगे ये कितना नुकसान करेगी अब मुझे ही इसे रोकना होगा अगर मैने इसे न रोका तो बहुत प्रॉब्लम्स हो सकती हैं", फिर अविनाश कुछ देर सोच कर बस के पीछे जाने लगता हैं और फिर वो बस की पिछली दीवार पे बने शीशे को तोड़कर शीशे से बाहर इस तरह कूदता है की जैसे वो गलती से बाहर गिर गया हो, ना की जानबूझकर , और फिर वो जैसे ही उस बस से कूदा तब उसने सड़क पर कूदते ही वहां उड़ रही धूल को अपने आप को ढक लिया और फिर उसी धूल का फायदा उठा कर वो पीछे की तरफ चला जाता हैं, उसे लगा की अगर वो इस तरह से बस को बचाने जायेगा तो सबको पता चल जायेगा की वो कौन हैं इसलिए उसने वही पास में एक बड़ा सा स्कॉफ जैसा एक कपड़ा एक कपड़े के दुकान के बाहर टंगा हुआ देखा और फिर उसने उस स्कॉफ को अपने मुंह पर इस तरह लपेट लिया जिससे की उसका चेहरा न दिखाई दे और फिर वो उस बस को रोकने के लिए उस बस की तरफ तेज गति से बढ़ता हैं और फिर उस बस को अपने दोनों हाथों से उसे पीछे से पकड़ लेता हैं, और फिर धीरे धीरे वो उस बस की स्पीड को कम करके उस बस को रोक देता हैं और फिर वो उस बस के पिछले हिस्से को पकड़ कर तोड़ कर बस से अलग कर देता हैं और उस बस से सब लोगों को बाहर निकलने के लिए बोलता हैं। अविनाश के ऐसा बोलते ही सारे लोग बस से जल्दी जल्दी बाहर निकल जाते हैं। जैसे ही वो उन सभी लोगों को बस से बाहर निकाल देता है तो फिर उसको कुछ लोगों के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई देती हैं, फिर अविनाश देखता है कि जिस रास्ते से वो बेकाबू बस आई थी उस रास्ते में कई सारी गाडियां इधर उधर खड़ी थी जिनको उस बस ने ठोकर मारकर उनकी हालत खराब कर दी थीं, फिर वो देखता हैं की उन सभी गाड़ियों में कई सारे लोग फंसे हुए थे और शायद वो लोग गाड़ियों से बाहर निकलने में असमर्थ थे जिस कारण वो मदद के लिए वो पुकार रहे थे , फिर अविनाश उन सभी गाड़ियों के पास जाकर उन लोगों को वहां से बाहर निकलता हैं और फिर जब सारे लोग वहां पर सुरक्षित हो जाते हैं तब वो वहां से जैसे ही जाने लगता हैं तब एक आदमी उससे बोलता है, " तुमने इतने सारे लोगों की जान बचाई हैं कम से कम अपना नाम तो बता दो" " कश्यप" अविनाश ने जोर से बोला और फिर वो वहां से हवा की गति से चला जाता हैं। और फिर वो कुछ देर के बाद अपने कॉलेज में चला जाता हैं और ऐसे बरताव करता हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं। इधर अविनाश अपने कॉलेज जाने की तैयारी में हैं और फिर वो अपने घर से कॉलेज के लिए तैयार होकर निकल जाता हैं, और जैसे ही वो कॉलेज के अंदर पहुंचता हैं तो देखता हैं सारे बच्चे कल को घटना के बारे में ही बातें कर रहे थे, जोकि काफी चौकाने वाला था। "अरे यार तू विश्वास नहीं करेगा कल उस स्टेशन वाले रोड पे मैंने क्या देखा?" मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा है की मैंने अपने आंखो से वो सब देखा, अविनाश का एक बैचमेट अपने दूसरे दोस्त से बोलता है। " हां यार तूने सही बोला मैंने भी उसे कल टीवी पर देखा था, लेकिन मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है की उस लड़के में इतनी ताकत कहां से आ गई जो उसने उस बस को अपने दोनों हाथों से रोक दिया और फिर उसके पिछले हिस्से को उखड़कर दूर फेंक दिया किसी आम लड़के में इतनी ताकत होना कोई आम बात नही हैं जरूर वो कोई हीरो होगा, और अंतिम में उसने अपना नाम भी तो बताया था , कश्यप", एक लड़के ने दूसरे लड़के को बोला। " कहीं वो एलियन तो नही जो दूसरी दुनिया से यहां आया हो हम लोगों की मदद के लिए" , अविनाश ने उन दोनों की बातों को बीच में टोकते हुए बोला। " एलियन जैसा कुछ नहीं होता वो सब मंघरंथ कहानी हैं, वो सिर्फ फिल्मों में ही धरती पे आते है असली में नहीं", नैना ने अविनाश की बात का जवाब देते हुए बोला। फिर अविनाश नैना से बोलता हैं," हां लेकिन वो था तो काफी ताकतवर तभी तो उस ब्रेक फेल बस को अपने हाथों से ही रोक दिया और फिर उन गाड़ियों से उन लोगों को भी तो बाहर निकाला था उनकी गाड़ी का दरवाजा तोड़कर ," " मैं भी एक बार उससे मिलना चाहती हू और उसके उस स्कॉफ के पीछे छिपे चेहरे को देखना चाहती हूं" नैना ने धीरे से फुसफुसाते हुए बोला। " हां तो देख लो यही पर तो हैं , " अविनाश ने बोला और जोर से हंसने लगा। " क्या बोला तुमने यहां पर ?, लेकिन कहा पर मुझे तो वो नही दिख रहा है क्या वो अपने इस कॉलेज में आया है" नैना ने खुश होकर बोला। सभी लोग आपस में बात कर ही रहे थे की इतने में उनके क्लास रूम में वो सीनियर का दोस्त घुस जाता हैं और फिर वो तेजी से अविनाश और सूरज की तरफ बढ़ता हुआ उनके पास पहुंचता हैं और फिर वो अविनाश से बोलता है, " बेटा तू वहां से तो भाग गया लेकिन यहां से कैसे भागेगा, यहां पर तो तुझे कोई बचा भी नहीं सकता हैं" "देखो मैं यहां पर कोई तमाशा नही करना चाहता हूं इसलिए तुम यहां से चले जाओ", अविनाश ने उस सीनियर के दोस्त से बोला। "अच्छा बेटा तमाशा नहीं करना चाहता, तो मैं मेरी धमकी तुझे तमाशा लग रही हैं" , उस सीनियर ने अविनाश से कहा और फिर उसने अविनाश को धक्का देकर गिरा देता हैं। फिर अविनाश उठता है और फिर वो उस सीनियर की तरफ जाकर उससे बोलता है, " देखो इससे पहले मुझे गुस्सा आ जाए तुम यहां से चले जाओ वरना"। फिर वो सीनियर उसे गुस्से से देखता है और उसे एक घुसा मारने ही वाला होता हैं की अविनाश उसका हाथ पकड़ लेता है और फिर उसे अपने पैर से जोर से लात मारता हैं, जिसके कारण वो सीनियर का दोस्त दूर जाकर गिरता हैं, उसके बाद वो सीनियर का दोस्त वहां से उठकर जाने लगता हैं और बोलता हैं, " देख लूंगा तुझे तू कॉलेज के बाहर आके मिल मुझे" , इसके जवाब में अविनाश भी उससे बोलता है, " हां हां देख लूंगा पहले ठीक से खड़ा तो हो जा" उस सीनियर के दोस्त की ऐसी हालत देखकर वहां मौजूद सभी स्टूडेंट्स चौंक गए थे क्योंकि जिस अविनाश को कुछ दिनों पहले जब सीनियर्स मार रहे थे तब वो उनसे उसे छोड देने के लिए बोल रहा था और आज वो उस सीनियर की धमकी को इतने हल्के में ले रहा था और ऊपर से उसे पैरों से मारा भी। फिर वहां पर मौजूद कुछ स्टूडेंट्स आपस में बात करने लगे , " आज तो उस सीनियर की क्या बेइजती हुई है वो भी सब जूनियर्स के सामने, और इस लड़के में अचानक से इतनी हिम्मत कैसे आ गई भाई, लेकिन कुछ भी हो मजा आ गया उस सीनियर की शकल देखने लायक थी" उधर सारे स्टूडेंट्स आपस में फूस फुसाकर बातें कर रहे थे और इधर नैना अविनाश को एक टक लगाकर देखे जा रही थी। इधर जब से प्रोफेसर भास्कर उस गुफ़ा में उस इंद्र कवच को लाने के लिए गए थे उस दिन के बाद से आज तक वो अपने कॉलेज में हिस्ट्री की क्लासेस लेने के लिए नही आए थे। अविनाश और सूरज बस इन्हीं बातों को सोचते हुए आपस में बातें कर रहा था और इसी वजह से उसे कॉलेज में मन नहीं लग रहा था। "यार सूरज जब से मैंने और प्रोफेसर भास्कर ने उस गुफ़ा में उस कवच को खोजा था उस दिन से वो अपने कॉलेज में नहीं आ रहे हैं, कहीं उनकी तबियत तो खराब नही हो गई न, अगर ऐसा है तो हम लोगों को एक बार उनके घर जाकर उनका हाल चाल पूछ लेना चाहिए ,कही कोई सीरियस प्रोब्लम न हो गई हो" , अविनाश ने धीरे से फुसफुसाते हुए सूरज से बोला। "बात तो तू सही कह रहा हैं अविनाश! कही कोई बड़ी प्रोब्लम न हो जाए, और कॉलेज में किसी दूसरे प्रोफ़ेसर ने भी उनके बारे में कुछ जानकारी नहीं दी हैं हमलोगों को" , सूरज भी उसकी बात से सहमत होकर बोलता हैं।
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
ब्रेड भजिया रेसिपी (Bread Bhajiya Recipe): ब्रेड भजिया (Bread Bhajiya) वैसे तो हर मौसम में खाया जाने वाला फूड आइटम है, लेकिन अगर सर्दियों (Winter) के बीच गरमागरम ब्रेड भजिया का स्वाद मिल जाए तो उसकी बात ही अलग होती है. ब्रेकफास्ट में भी ब्रेड भजिया एक बेहतर विकल्प होता है. हर घर में सुबह का वक्त काफी महत्वपूर्ण होता है. खासतौर पर महिलाओं के लिए ये वक्त काफी टाइट शेड्यूल वाला होता है. ऐसे में घर के कामों के बीच कई बार परिवार के लिए ब्रेकफास्ट (Breakfast) तैयार करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है. ऐसे में किसी ऐसी फूड डिश की याद आती है जो स्वादिष्ट भी हो और झटपट तैयार हो जाए. अगर आपके साथ भी कभी ऐसा मौका आए तो ऐसे वक्त में ब्रेड भजिया रेसिपी को ट्राई किया जा सकता है. ब्रेड भजिया रेसिपी बनने में काफी आसान है और बेहद कम वक्त में तैयार हो जाती है. ठंड के मौसम में सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट में इस डिश के सामने आते ही बच्चों के साथ बड़ों के मुंह में भी पानी आ जाता है. अब तक आपने इसे ब्रेकफास्ट रेसिपी के तौर पर ट्राई नहीं किया है तो हम इसे बनानी की रेसिपी आपने साझा करने जा रहे हैं, इस विधि का पालन कर आप आसानी से ब्रेड भजिया बना सकते हैं. ब्रेड भजिया बनाने के लिए सबसे पहले ब्रेड स्लाइस को लें और उनके चारों किनारों को काटकर अलग निकाल दें. उसके बाद एक बाउल लें और ब्रेड के सफेद हिस्सों के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. अब दूसरी बाउल लें और उसमें सबसे पहले बेसन डाल दें. उसके बाद लाल मिर्च, बारीक कटा प्याज, हरी मिर्च का पेस्ट, हींग, हरा धनिया डाल दें. इसके बाद इस मिश्रण में आधा कप ताजा गाढ़ा दही डाल दें और हाथों से मिश्रण को अच्छी तरह मैश करें. जब दही के साथ मिश्रण अच्छी तरह से मिल जाए तो घोल को पतला करने के लिए उसमें आवश्यकता के अनुसार पानी डाल दें. अब ब्रेड के टुकड़ों को इस घोल में डालकर मिला दें. जब यह मिश्रण अच्छी से मिल जाए तो एक कड़ाही लें और उसे मीडियम आंच पर गर्म करने रख दें. अब इसमें तेल डालें और गैस की फ्लेम को तेज कर दें. जब तेल अच्छी तरह से गरम हो जाए तो गैस की फ्लेम को फिर से मीडियम पर कर दें. अब गरम तेल में चम्मच या हाथों की मदद से भजिए डालें. कड़ाही की क्षमता को ध्यान में रखते ही एक बार में उतने भजिये तलने के लिए डालें. जिससे उन्हें फ्राई होने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. भजियों को पलटते हुए सुनहरा होने तक तलें. अब एक-एक कर पूरे भिजये के घोल का घान निकाल लें. इस तरह आपके ब्रेकफास्ट के लिए गरमागरम ब्रेड भजिये बनकर तैयार हो चुके हैं. अब इसे चटनी, दही या फिर टोमेटो सॉस के साथ नाश्ते में सर्व करें. .
एक डॉक्टर बनने से पहले "सभी लेकिन निबंध" अनौपचारिक रूप से "ऑल लेकिन डिस्र्टेशन" (या एबीडी) के रूप में जाना जाता है, डॉक्टरेट उम्मीदवार ने अपने शोध प्रबंध के अपवाद के साथ डॉक्टरेट की डिग्री के लिए सभी आवश्यकताओं को पूरा कर लिया है। एक छात्र आमतौर पर डॉक्टरेट उम्मीदवार के लिए आगे बढ़ता है जब उसने डिग्री के लिए आवश्यक सभी coursework पूरा कर लिया है और डॉक्टरेट व्यापक परीक्षा उत्तीर्ण की है । डॉक्टरेट उम्मीदवार के रूप में, छात्र का अंतिम कार्य शोध प्रबंध को पूरा करना है। यद्यपि छात्र एक डॉक्टर के उम्मीदवार बनने के बाद मेडिकल स्कूल समाप्त हो सकते हैं, डॉक्टरों के रूप में पूर्ण मान्यता के लिए उनकी यात्राएं खत्म हो चुकी हैं। कई डॉक्टरेट उम्मीदवार कई कारणों से एबीडी स्थिति में रहते हैं जिसमें शोध, समय प्रबंधन और प्रेरक घाटे का संचालन करने में कठिनाई, अनुसंधान समय से परेशान रोजगार और आखिरकार विषय वस्तु में रुचि का नुकसान शामिल है। अपनी शिक्षा के दौरान, सलाहकार छात्र के साथ साप्ताहिक साप्ताहिक बैठक आयोजित करेगा, जो उन्हें एक मजबूत शोध प्रबंध के मार्ग के साथ मार्गदर्शन करेगा। इससे पहले कि आप मेडिकल स्कूल के दौरान अपने काम पर काम करना शुरू करें, बेहतर। यह ध्यान में रखना सबसे अच्छा है कि आपके द्वारा विकसित शोध प्रबंध में एक विशिष्ट परिकल्पना होनी चाहिए जिसे छात्र द्वारा खोजे गए नए डेटा द्वारा परीक्षण और सहकर्मी की समीक्षा, समर्थित या अस्वीकार किया जा सकता है। पीएच. डी. उम्मीदवारों को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए, जो अक्सर एबीडी स्थिति में लंबी अवधि की ओर जाता है। विशेष रूप से यदि छात्रों ने डॉक्टरेट कार्यक्रम में दाखिला लेने के दौरान सहकर्मियों और संकाय सदस्यों के माध्यम से अपने शोध प्रबंध विचारों को नकारने की सामान्य चिकित्सा स्कूल गलती की है। डॉक्टर अपने शोध प्रबंध को पूरा करने के लिए डॉक्टरेट उम्मीदवार की क्षमता में एक बड़ा कारक है, इसलिए आखिरी मिनट शुरू होने तक प्रतीक्षा करने के परिणामस्वरूप ये उम्मीदवार अपने काम को प्रकाशित करने से पहले कई सालों तक ऐसा ही कर सकते हैं। हालांकि, एक बार जब छात्र अपने शोध प्रबंध को पूरा करने में कामयाब होता है, तो पीएच. डी. उम्मीदवार को संकाय सदस्यों के एक पैनल के सामने अपने बयान की रक्षा करनी चाहिए। सौभाग्य से, एक डॉक्टरेट को पूरा करने की उम्मीद रखने वाले छात्रों को एक शोध प्रबंध सलाहकार और समिति दी जाती है। एक छात्र के रूप में, आपको यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से इन सलाहकारों का पूरी तरह से उपयोग करना चाहिए कि आपका शोध प्रबंध सार्वजनिक मंच के लिए तैयार है जिसमें आपको इसकी रक्षा करनी चाहिए। एक बार उम्मीदवार के शोध प्रबंध की सार्वजनिक रक्षा संतोषजनक स्तर पर पूरी हो जाने के बाद, रक्षा की देखरेख करने वाली समिति कार्यक्रम में एक रक्षा अंतिम रिपोर्ट फॉर्म प्रस्तुत करेगी और छात्र स्कूल के डेटाबेस में इलेक्ट्रॉनिक रूप से अनुमोदित शोध प्रबंध प्रस्तुत करेंगे, उनके लिए अंतिम कागजी कार्य पूरा करेगा डिग्री। वहां से, उम्मीदवार को उनकी पूर्ण डॉक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया जाएगा और आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका में एक चिकित्सक के रूप में काम करने के लिए मान्यता प्राप्त हो जाएगी (अन्य सभी आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं)। "एमडी" या "पीएचडी" जोड़ने में सक्षम होने के साथ-साथ अपने खिताब के अंत तक, इन नव-शीर्षक वाले डॉक्टर संभावित नियोक्ताओं के लिए अपना पुनः शुरू करना शुरू कर सकते हैं और लाभकारी रोजगार की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए अपने सलाहकारों, संकाय सदस्यों और मित्रों की सिफारिश पत्रों की तलाश कर सकते हैं। अंत में, शिक्षा के आठ वर्षों के बाद, चिकित्सा छात्र दवा की रोमांचक पेशेवर दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं, अपना अभ्यास स्थापित कर सकते हैं या एक सम्मानित अस्पताल में शामिल हो सकते हैं और जीवन बचाने शुरू कर सकते हैं।
भोपाल मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटों में राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। राज्य के अधिकांश हिस्सों में मंगलवार की सुबह से हल्की बदली छाई हुई है जिससे धूप खिलकर नहीं निकल पाई। बादलों के छाने से गर्मी व उमस से कुछ राहत है। बीते 24 घंटों के दौरान इंदौर, श्योपुर व शिवपुरी में बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटों मे सामान्य से भारी बारिश होने का अनुमान जताया है। मौसम विभाग ने धार, बैतूल, झाबुआ, अलीराजपुर, रतलाम, नीमच, मंदसौर में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। राज्य के मौसम में बदलाव का दौर जारी है। मंगलवार को भोपाल का न्यूनतम तापमान 24. 9 डिग्री सेल्सियस, इंदौर का 23 डिग्री सेल्सियस, ग्वालियर का 25. 8 डिग्री सेल्सियस और जबलपुर का न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
जापान और अमेरिका के विरोध के बीच उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि उसने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण कर लिया है। इस परमाणु परीक्षण के चलते 9. 8 तीव्रता के झटके महसूस किए गए हैं। दावा है कि उत्तर कोरिया का यह परीक्षण पिछले परीक्षण की तुलना में 5-6 गुना अधिक ताकतवर था। स्टेट मीडिया का कहना है कि उत्तर कोरिया ने इस बम को बैलिस्टिक मिसाइल पर लगा भी लिया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस बार के टेस्ट के कारण कंपन हुई वह 5वें टेस्ट के मुकाबले 5-6 गुना ज्यादा थी। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने किम जोंग उन की एक तस्वीर जारी की थी जिसमें वह नए बम का निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं। एजेंसी ने दावा किया है कि किम जोंग उन जिस बम का निरीक्षण कर रहे थे वह हाइड्रोजन बम है। वहीं जापान ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उत्तरो कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया है। बता दें कि हाल के महीनों में उत्तर कोरिया ने कई मिसाइल परीक्षण किए हैं। ऐसी मिसाइल का भी परीक्षण किया है जिसकी पहुंच अमरीका के कई शहरों तक है। पिछले सप्ताह भी उत्तर कोरिया ने एक मिसाइल दागी थी जो जापान के ऊपर से निकल गई। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसे खतरा बताया था। साथ ही उत्तर कोरिया ने प्रशांत महासागर स्थित अमरीकी क्षेत्र गुआम पर भी हमला करने की धमकी दे चुका है।
मुंबईः बॉलीवुड एक्टर विक्की कौशल (Vicky Kaushal) और कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) इन दिनों अपनी शादी की खबरों की वजह से सुर्खियों में लगातार बने हुए हैं। खबरों को मानें तो दोनों जल्द ही शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं। यह तक की दोनों के शादी के कपड़ो से लेकर वैन्यू तक सब डिसाइड हो गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों की शादी हेवी बजट शादियों में से एक होगी। इस शादी को खास बनाने के लिए इसकी तैयारियां भी बहुत स्पेशल तरीके से की गई हैं। हाल ही में ये मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थी कि दोनों राजस्थान के सवाई माधोपुर के सिक्स सेंस किले में शादी रचाएंगे। राजस्थान का ये किला बहुत ही ज्यादा रॉयल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह शादी की रस्में 1 से 7 दिसंबर तक चलेंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों की शादी की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। खबरों की मानें तो वेडिंग आउटफिट्स फेमस सेलिब्रिटी डिजाइनर सब्यसाची (Sabyasachi) डिजाइन कर रहे हैं। हाल में ऐसी भी खबर सामने आई थी कि दोनों ने डायरेक्टर कबीर खान के घर दिवाली के दिन रोका सेरेमनी भी कर लिया हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैटरीना की शादी में कई करीबी दोस्त और सेलेब्स शामिल होने वाले हैं। ऐसे में अब मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कैटरीना और विक्की की शादी में कौन-कौन ठुमके लगाएंगे उसकी लिस्ट सामने आई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अली अब्बास जफर (Ali Abbas Zafar), कबीर खान (Kabir Khan), करण जौहर (Karan Johar), रोहित शेट्टी (Rohit Shetty), ईसाबेल कैफ (Isabelle Kaif), कियारा आडवाणी (Kiara Advani), मिनि माथुर (Mini Mathur), वरुण धवन (Varun Dhawan), नताशा दलाल (Natasha Dalal), सनी कौशल (Sunny Kaushal), और सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) शादी में ठुमके लगाएंगे। गौरतलब है कि हाल ही में इंडिया टुडे के खबर के अनुसार उनके एक सूत्र जो कैटरीना के करीबी दोस्त हैं उन्होंने ने बताया कि दोनों का रोका हो गया है। खबरों की मानें तो दोनों का रोका कबीर खान के घर पर की गई हैं। गौरतलब है कि कैटरीना, कबीर खान को अपना राखी ब्रदर मानती हैं। यह फंक्शन बहुत ही प्राइवेट था। खबरों की मानें तो इस फंक्शन में सिर्फ विक्की और कैटरीना के फॅमिली और कुछ खास दोस्त ही शामिल हुए थे।
बलौदाबाजार। शिवसेना बलौदाबाजार के जिलाध्यक्ष संतोष यदु के कार्यालय में बिटकुली ग्राम में पिछले दिनों जानलेवा हमले का शिकार रामचरण साहू अपने स्वजनों के साथ पहुंचे और घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने हमला करने वालों पर कार्रवाई कराने की मांग की है। रामचरण ने बताया की बिना किसी कारण विवाद के नशे के कारोबारियों ने रात में उनके भाई के घर घुसकर पिस्टल तलवार, राड, लाठी, डंडों से हमला कर दिया और घर के मेन गेट का दरवाजा तोड़कर घुस गये। बीच बचाव करने रामचरण व उसका बेटा नीलकमल साहू , उत्तम साहू ,वर्षा साहू समेत पूरे परिवार को गंभीर चोट पहुंचाया। जब रामचरण अचेत अवस्था में जमीन पर गिर पड़ा तब आरोपित अपने मोटरसाईकल से फरार हो गये जिसके बाद घायलों को निजी अस्पताल में भर्ती किया गया जहा आज भी ईलाज चल रहा हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और तीन सहयोगी आरोपितों को पकड़ लिया है लेकिन मुख्य आरोपित योगेश सेन व उनके लगभग 20-25 सहयोगी आज भी बेधड़क गांव में घूम रहे हैं जो कभी भी किसी अपराधिक घटना को अंजाम दे सकते हैं। जिसके बाद जिलाध्यक्ष संतोष यदु स्वयं सिटी कोतवाली थाना पहुंचे और घटना के जांच अधिकारियों से जानकारी ली और जल्द आरोपितों को पकड़ने के लिए कहा। साथ ही चेतावनी दी कि जल्द जानलेवा हमले के मुख्य आरोपितों को नहीं पकड़ा तो वे किसी अन्य घटना को अंजाम देते हैं तो इसकी जवाबदारी पुलिस प्रशासन के ऊपर रहेगी। सिमगा पुलिस ने माजदा वाहन से 95 हजार के कबाड़ सामान जब्त कर आरोपित को किया गिरफ्तार। थाना प्रभारी अमित तिवारी ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली कि कबाड़ी का काम करने वाला एक व्यक्ति भारी मात्रा में कबाड़ सामान माजदा वाहन से रायपुर की ओर परिवहन कर रहा है। सूचना पर सिमगा पुलिस द्वारा अवैध रूप से कबाड़ सामान ले जाते हुए माजदा वाहन को सिमगा-बेमेतरा पुल के पास पकड़ा गया। आरोपित चेतन साहू उम्र 24 वर्ष निवासी बेमेतरा थाना व जिला बेमेतरा से माजदा वाहन कीमत लगभग 4,50,000 रुपये एवं उसमें रखा पुराना मोटरसाइकिल पार्ट्स, छड़, लोहा एवं अन्य लोहे का कबाड़ सामान कीमत लगभग 95,000 को जब्त किया गया।
PATAN : अभी-अभी छपरा से एक बड़ी खबर आ रही है। जहां राजद और बीजेपी समर्थक आपस में भिड़ गए है। दोनों के बीच मारपीट होने की सूचना मिल रही है। मिल रही जानकारी के अनुसार घटना दरियापुर स्थित बूथ संख्या 207 पर हुई है। बताया जा रहा है कि राजद और बीजेपी समर्थक को बीच हुई झड़प के बाद मारपीट हुई है। इस दौरान कई वाहनों को भी निशाना बनाया गया है। घटना के बाद मौके पर पुलिस के रवाना होने की सूचना है। हालांकि प्रशासन की ओर से इसकी अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
राजद से निष्कासित राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव को बजट भाषण समाप्त होने के दौरान अपनी मांगों से जुड़े पर्चे को पीयूष गोयल के पास रखते देखा गया। पीयूष गोयल जब बजट भाषण पढ़ रहे थे उस दौरान विशेष दर्शक दीर्घा में उनकी पत्नी सीमा गोयल मौजूद थी। इसके अलावा उनके परिवार के सदस्यों में शोभन लाल गोयल, शशि गोयल आदि मौजूद थे। बजट भाषण समाप्त होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीयूष गोयल के पास जाकर उनकी पीठ थपथपायी। इस दौरान भाजपा और राजग के घटक दलों के नेताओं को भी प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को बधाई देते देखा गया।
Nawazuddin Siddiqui (Photo Credit: Social Media) New Delhi: बॉलीवुड अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और उनकी पत्नी आलिया सिद्दीकी के बीच काफी समय से गर्मा-गर्मी चल रही है और ये सब किसी से छुपा नहीं है. साथ ही अब, महीनों की गर्म बहस और कानूनी लड़ाई के बाद, बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने कथित तौर पर अपनी पत्नी आलिया सिद्दीकी और भाई शमासुद्दीन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है. खबरों के मुताबिक, उनके द्वारा किए गए दावों के कारण मानहानि और उत्पीड़न के लिए हर्जाने के रूप में 100 करोड़ रुपये की मांग की गई है. आपको बता दें कि, नवाज़ुद्दीन के वकील सुनील कुमार ने जस्टिस रियाज चागला के सामने मानहानि का मामला दायर किया है और इस मामले की सुनवाई 30 मार्च को होनी है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मुकदमे में अदालत से अनुरोध किया गया कि अभिनेता को बदनाम करने से दोनों को रोका जाए. इसमें यह भी कहा गया है कि उनके भाई और अलग रह रही पत्नी को उनके खिलाफ लगाए गए मानहानिकारक आरोपों को वापस लिया जाए और अपने सोशल मीडिया हैंडल पर किसी भी मानहानिकारक कंटेंट को पोस्ट करने की अनुमति ना दी जाए. साथ ही , अभिनेता ने उनसे पहले पब्लिश किए गए पोस्ट के लिए भी सार्वजनिक माफी की मांग की है. इसके अलावा, अभिनेता ने यह भी दावा किया कि वह उन्हें 10 लाख रुपये प्रति माह भुगतान करते थे, साथ ही, उन्होंने अपनी पूर्व पत्नी को प्रोडक्शन हाउस शुरू करने के लिए 2. 5 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन यह आरोप लगाया गया कि इसका इस्तेमाल उनके पर्सलन कामों के लिए किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि एक महीने के झगड़े के कारण अभिनेता, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को 100 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ है. इससे पहले, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कथित तौर पर बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया था कि अगर उन्हें अपने दो बच्चों से मिलने का मौका मिला तो वह अपनी पत्नी आलिया के खिलाफ अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका वापस ले लेंगे. बी-टाउन अभिनेता के वकील प्रदीप थोराट ने शेयर किया कि नवाज के बच्चे कुछ समय से दुबई में स्कूल नहीं जा रहे थे और वह उनका पता नहीं लगा पाए थे, जिसके कारण उन्होंने याचिका दायर की थी.
अर्टिगा को टक्कर देने वाली 7-सीटर गाड़ी ने बाजार में मचाया तूफान! G ट्रिम में रियर पार्किंग कैमरा नहीं है। इसमें केवल रियर पार्किंग सेंसर मिलते हैं। इसमें एंड्रॉयड ऑटो और एपल कारप्ले के साथ 7-इंच की टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट स्क्रीन दी है। इस इंफोटेनमेंट स्क्रीन पर क्रूज कंट्रोल और रियर पार्किंग कैमरा फीड की कमी है। टोयोटा ने हाल ही में अपनी न्यू 7-सीटर MPV रुमियन (Toyota Rumion) को लॉन्च किया है। ये कार मारुति अर्टिगा के प्लेटफॉर्म पर तैयार की गई है। यानी जिन ग्राहकों को अर्टिगा खरीदने के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ रहा था उनके सामने अब रुमियन का भी ऑप्शन है। टोयोटा ने रुमियन को कुल 6 वैरिएंट में लॉन्च किया है। ये सभी पेट्रोल इंजन के साथ आते हैं। इसमें एक CNG वैरिएंट भी शामिल है। इन वैरिएंट में S MT NEO, G MT NEO, S AT NEO, V MT NEO, V AT NEO और S MT CNG शामिल हैं। अब इसके मिड-स्पेक G ट्रिम का वीडियो सामने आया है। ऐसे में आप इस MPV को खरीदने का प्लान बना रहे हैं तब आपको इसकी डिटेल बता रहे हैं। रुमियन भारत में 3 ट्रिम S, G और V के साथ मिल रही है। ट्रिम स्तर के आधार पर टोयोटा CNG और ऑटोमैटिक गियरबॉक्स ऑप्शन देती है। हालांकि, G ट्रिम में CNG और ऑटोमैटिक दोनों ऑप्शन नहीं मिलते। यह केवल एक पावरट्रेन कॉम्बो के साथ आ रही है। इसमें एस्पिरेटेड 1.5-लीटर इंजन और 5-स्पीड गियरबॉक्स मिलता है। इस वैरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत 11.45 लाख रुपए है। बता दें कि रुमियन पर 6 महीने का वेटिंग पीरियड पहुंच चुका है। मिड-स्पेक G नियो ड्राइव MT में टॉप-स्पेक V ट्रिम का ज्यादातर डिजाइन देखने को मिलता है। जैसे बाहर फ्रंट फेसिया में ग्लॉसी फिनिश के साथ बड़ी ग्रिल दी है। देखने में यह अर्टिगा से बड़ी है। ये टोयोटा इनोवा क्रिस्टा के साथ आने वाली ग्रिल के जैसी लगती है। अर्टिगा और रुमियन में इतना फर्क है कि यहां पर आपको सुजुकी की जगह टोयोटा का लोगो मिलता है। हेडलाइट्स में अर्टिगा जैसा ही हैलोजन प्रोजेक्टर सेटअप किए गए हैं। टॉप-स्पेक V ट्रिम पर भी यह बिल्कुल ऐसा ही सेटअप है। क्रोम डोर हैंडल, डोर के हैंडल पर रिक्वेस्ट सेंसर, ORVMs पर टर्न इंडिकेटर्स, रियर डिफॉगर, रियर वॉशर और वाइपर, 195-सेक्शन टायर के साथ 15-इंच डुअल-टोन एलॉय व्हील टॉप-स्पेक V ट्रिम के समान ही हैं। G ट्रिम में रियर पार्किंग कैमरा नहीं है। इसमें केवल रियर पार्किंग सेंसर मिलते हैं। इसमें एंड्रॉयड ऑटो और एपल कारप्ले के साथ 7-इंच की टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट स्क्रीन दी है। इस इंफोटेनमेंट स्क्रीन पर क्रूज कंट्रोल और रियर पार्किंग कैमरा फीड की कमी है। G ट्रिम में इलेक्ट्रिकली एडजस्टेबल और फोल्डेबल ORVMs, 4 स्पीकर और दो ट्वीटर, पुश-बटन इंजन स्टार्ट, MID के साथ सेमी-डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, फुली ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, रियर AC कंट्रोल, सामने बैठने वालों के लिए कूल्ड कप होल्डर, ड्राइवर आर्मरेस्ट मिलता है। सेफ्टी के लिए G ट्रिम में ABS, EBD, ट्रैक्शन कंट्रोल और 2 फ्रंट एयरबैग दिए हैं। टॉप-स्पेक V ट्रिम में 4 एयरबैग मिलते हैं।
देश के ऑटो सेक्टर में तमाम कंपनियों ने इस मार्च 2022 में अपनी नई कारों को लॉन्च करने का मन बना लिया है जिसमें इलेक्ट्रिक कार से लेकर सेडान और एसयूवी तक शामिल हैं। अगर आप भी एक नई कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो यहां जान लें मार्च 2022 में लॉन्च होने वाली इन तमाम कारों की लॉन्च डेट के सात फीचर्स की पूरी डिटेल। MG ZS EV 2022: एमजी मोटर्स अपनी इस इलेक्ट्रिक कार को नए बैटरी बैक और फीचर्स के साथ लॉन्च करने वाली है जिसके बाद माना जा रहा है कि इस कार की रेंज मौजूदा कार से बढ़ जाएगी और साथ ही कंपनी इसमें 75 से ज्यादा कार कनेक्टेड फीचर्स को भी देने वाली है। एमजी मोटर्स इस इलेक्ट्रिक कार को भारत में 7 मार्च के दिन लॉन्च करेगी। Toyota Glanza Facelift 2022: टोयोटा मोटर्स अपनी पॉपुलर हैचबैक ग्लैंजा को नए फीचर्स और थोड़े कॉस्मेटिक बदलावों के साथ इसका फेसलिफ्ट वेरिएंट लॉन्च करने जा रही है। कंपनी इस हैचबैक को 15 मार्च के दिन भारत में लॉन्च करेगी जिसका सीधा मुकाबला, मारुति बलेनो, हुंडई आई20 जैसी कारों के साथ होगा। टोयोटा ग्लैंजा में कंपनी दो इंजन का विकल्प देने वाली है जिसमें पहला 1. 2 लीटर डुअल जेट और दूसरा डुअल वीवीटी पेट्रोल इंजन होगा। Volkswagen Virtus 2022: फॉक्सवैगन अपनी इस प्रीमियम सेडान का टीजर लॉन्च से पहले ही जारी कर चुकी है जिसके बाद कंपनी 8 मार्च के दिन इसे लॉन्च करने वाली है और 9 मार्च को इसका वर्ल्ड प्रीमियर भी आयोजित किया जाएगा। कंपनी इस कार को 1. 0 लीटर और 1. 5 लीटर टीएसआई इंजन और 5 स्पीड मैनुअल और एएमटी गियरबॉक्स के साथ लॉन्च कर सकती है। (ये भी पढ़ें- मात्र 6 लाख के बजट में यहां मिल रही है Mahindra Thar, साथ मिलेगा फाइनेंस प्लान, पढ़ें पूरी डिटेल) Lexus NX 350H 2022: लेक्सस इंडिया इस एसयूवी को ग्लोबल मार्केट में पहले ही लॉन्च कर चुकी है जिसके बाद इसे 9 मार्च के दिन भारत में लॉन्च किया जा रहा है। (ये भी पढ़ें- Renault दे रही है अपनी इस हैचबैक पर 80 हजार तक का डिस्काउंट, कीमत 5 लाख रुपये से भी कम, पढ़ें डिटेल) कंपनी इस एसयूवी को हाइब्रिड टेक्नोलॉजी के साथ लॉन्च करने वाली है जिसमें 2. 5 लीटर का नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन दिया जाएगा इसके अलावा कार में एक इलेक्ट्रिक मोड भी दिया जाएगा जिसमें एक इलेक्ट्रिक मोड भी दिया जाएगा जिसमें ये कार 55 किलोमीटर की रेंज देगी। BMW X4 2022: बीएमडब्ल्यू अपनी इस प्रीमियम कार को इस महीने में लॉन्च कर सकती है लेकिन लॉन्च डेट को लेकर कंपनी ने अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि कंपनी ने इस कार के लॉन्च से पहले ही इसकी बुकिंग को शुरु कर दिया है कंपनी इस कार में एकदम नए हेडलाइट, 12. 3 इंच का फुल डिजिटल ड्राइवर डिस्प्ले, नया टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, हेड अप डिस्प्ले पैनोरमिक सनरूफ जैसे कई प्रीमियम फीचर्स को एड करने वाली है।
रायपुर।छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत और उपचुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है। पंचायत चुनाव 20 जनवरी को होंगे। वहीं चुनाव के नतीजे भी 20 जनवरी को ही आ जाएंगे। इसके साथ ही कोरिया और कोंडागांव में आम चुनाव होंगे। वहीं नामंकन की प्रकिया 28 दिसंबर से शुरू होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 3 जनवरी। बता दें कि पंचायत चुनाव में नोटा का प्रावधान नहीं है। वहीं यह चुनाव 235 सरपंच, 1807 पंच पद से लिए होंगे। चुनाव 3 जिला पंचायत, 30 जनपद पंचायत में होंगे।
मिथुन राशि - आज आप परिवार वालों के साथ किसी ट्रिप का प्लान बना सकते हैं। किसी पुराने दोस्त के साथ फोन पर बातचीत हो सकती है, इससे आपके रिश्ते बेहतर होंगे। आपकी मुलाकात किसी ऐसे व्यक्ति से हो सकती है, जिसके आपको भविष्य में फायदा हो सकता है। किसी खास काम में आपको सफलता मिल सकती है। आपके मन में नए-नए विचार आ सकते हैं। सेहत के मामले में खुद का ध्यान रखना बेहतर होगा, खान-पान का ध्यान रखना होगा। मंदिर में केले दान करें, जीवन में माता-पिता का सहयोग मिलता रहेगा। कर्क राशि - आज आपका ध्यान कार्य को पूरा करने में लगा रह सकता है। किस्मत का साथ मिलने में परेशानी आ सकती है। ऑफिस में किसी काम को लेकर थोड़ा विचार-विमर्श करना पड़ सकता है। इस राशि के छात्रों का दोस्तों के साथ मेल-जोल बढ़ सकता है। आपको अपनी गलती से थोड़ा नुकसान हो सकता है। कुछ लोग आपसे जलन की भावना रख सकते हैं। सुबह-शाम घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं, आपकी सभी परेशानियां दूर होगी।
मिजोरम की एकमात्र लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए वोटिंग जारी है. साथ ही मिजोरम की एकमात्र विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव के लिए वोटिंग चल रही है. चुनावों को शांती से कराने के लिए और सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए यहां केंद्रीय अर्धसैनिक बल की 8 कंपनियां तैनात की गई हैं. विधानसाभा चुनाव रांगतुर्जो विधानसभा सीट पर कराया जा रहा है. मिजोरम लोकसभा सीट पर सत्तारूढ़ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. मिजोरम में फ्राइडे को लोकसभा और विधानसभा की एक सीट के लिए वोट डाले जाएंगे. 1,091,014 की आबादी वाले मिजोरम में से आज करीब 702,189 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इसमें 355,954 महिलाएं भी शामिल हैं. इस सीट पर पहले 7 अप्रैल को मतदान होना था, लेकिन गैर सरकारी संगठनों और छात्र संघों द्वारा लोकसभा चुनाव का बहिष्कार को देखते हुए यहां मतदान की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया था. मिजोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अश्रि्वनी कुमार के मुताबिक निर्वाचन आयोग ने मिजोरम की मौजूदा स्थिति पर विचार करते हुए राज्य की एकमात्र संसदीय सीट पर चुनाव की तारीख बढ़ा कर फ्राइडे कर दिया था. आयोग ने मनडे रात इस संदर्भ में निर्देश जारी किए हैं.
हनुमानगढ़ जंक्शन में वकील के सूने मकान में दिनदहाड़े चोरी के मामले को लेकर बुधवार को वकीलों ने बुधवार को कोर्ट में काम का बहिष्कार किया। शहर में दिनदहाड़े चोरी की वारदातों को लेकर वकीलों में पुलिस के खिलाफ नाराजगी नजर आई। बार संघ के बैनर तले नाराजगी व्यक्त करने वाले वकीलों ने एडवोकेट मोहन मुंजाल के घर हुई चोरी की वारदात का जल्द खुलासा कर सीसीटीवी फुटेज में नजर आ रहे 2 चोरों को गिरफ्तार करने की मांग की। बार संघ अध्यक्ष एडवोकेट मनजिन्द्र सिंह लेघा ने बताया कि सीनियर एडवोकेट मोहनलाल मुंजाल निवासी मकान नंबर 109, सिविल लाइंस के ताले तोड़कर मंगलवार को दोपहर करीब 3 बजे के आसपास 2 अज्ञात बदमाश घुसे। चोरों ने अलमारी से नकदी, सोने-चांदी के गहने और दस्तावेज चोरी कर लिए। यह वारदात घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में कैद हो गई। इस घटना की सूचना तत्काल जंक्शन पुलिस थाना में देकर मुकदमा दर्ज करवाया गया, लेकिन अभी तक बदमाशों को पकड़ने के लिए पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। जंक्शन और टाउन के शहरी क्षेत्र में चोरी होने की वारदातें लगातार और अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही हैं। चोर बेखौफ होकर चोरी की वारदात करते हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। बार संघ अध्यक्ष मनजिन्द्र सिंह लेघा के बैनर तले एडवोकेट दोपहर को एसपी को ज्ञापन सौंपने एसपी कार्यालय पहुंचे। इस दौरान बाहर तैनात पुलिसकर्मियों ने 4-5 वकीलों को मिलने के लिए एसपी की ओर से बुलाने की बात कही तो वकील नाराज हो गए। उनका कहना था कि एसपी गेट पर आकर उनसे ज्ञापन लें, लेकिन एसपी ज्ञापन लेने नहीं आए। इस बात को लेकर वकीलों और पुलिस कर्मियों में तनातनी हो गई और धक्का-मुक्की से माहौल गर्मा गया। नाराज वकीलों ने एसपी को ज्ञापन सौंपने का फैसला टाल दिया और मौके पर ही ज्ञापन फाड़ दिया। साथ ही 7 दिन तक काम का बहिष्कार करने की घोषणा की। चोरी की वारदात का खुलासा नहीं होने पर कार्य बहिष्कार को बेमियादी समय के लिए जारी रखने की चेतावनी दी। इसके अलावा घोषणा की कि वे पुलिस कर्मियों को कोर्ट परिसर में नहीं घुसने देंगे। इस दौरान वकीलों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारे लगाए। बार संघ अध्यक्ष लेघा ने कहा कि न्याय न मिलने तक डटकर संघर्ष किया जाएगा। वकील के घर हुई चोरी का खुलासा नहीं होने पर वकील नाराज हो गए। बुधवार को उन्होंने पुलिस कर्मियों का प्रवेश कोर्ट कैंपस में बंद करने का फैसला लिया था, जिसके बाद कैदियों को पेशी पर लेकर आए पुलिसकर्मियों को वकीलों ने हाथ जोड़कर वापस जाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पुलिस जब तक वकील के घर हुई चोरी का खुलासा नहीं कर देती है, तब तक आपकी पेशी या हाजिरी नहीं लगने देंगे। वकीलों ने कहा कि उनका विरोध लगातार जारी रहेगा। हम कोर्ट कैंपस में किसी भी पुलिसकर्मी की पेशी नहीं करवाएंगे। This website follows the DNPA Code of Ethics.
दरअसल अमेरिकी वैज्ञानिकों ने नई जेनरेशन के लिए एक ऐसी कार डिजाइन की है जो हवा में उड़ सकेगी। इस कार का नाम टेराफुगिया टीएफएक्स है जो जमीन पर भी चल सकेगी और हवा में भी उड़ सकेगी। अब आप सोच रहे होंगे की इस कार को चलाने के लिए पायलट लाइसेंस की जरूरत है तो ऐसा नहीं है। इस कार को कोई भी बिना किसी पायलट लाइसेंस के उड़ा सकता है। इस कार को लैंड कराने में भी किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। टेराफुगिया टीएफएक्स 805 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने में सक्षम है। जैसे ही ये कार हवा में उड़ने के लिए तैयार होती है वैसे ही इसका पिछला हिस्सा फोल्ड हो जाता हैं और ड्राइविंग वाला हिस्सा कॉकपिट में तब्दील हो जाता है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इतनी एडवांस कार भी डेवलप हो जाएगी। टेराफुगियो टीएफएक्स एक हाइब्रिड इलेक्ट्रॉनिक कार है। बताया जा रहा है कि इस कार को उड़ाने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। इसको उड़ाने के बाद सिर्फ डेस्टीनेशन सेट करना होगा और सब कुछ ऑटोमेटिकली हैंडल होने लगेगा। इस कार को फिलहाल मार्कट में आने के लिए 8 से 10 साल लगेंगे। ये कार कुल दूरी, टाइम, मौसम और फ्यूल का हिसाब रखेगा। साथ ही इसको चलाने के लिए बस 5 से 7 घंटे की ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी।
Posted On: खजुराहो के महाराजा छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर में आज सांस्कृतिक कार्यसमूह की प्रथम बैठक के तीसरे और चौथे कार्यसमूह सत्र का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्य प्रक्रिया के साथ-साथ ज्ञान साझेदार यूनेस्को द्वारा प्रस्तुतियां पेश की गईं। संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन ने अपने समापन भाषण में कहा कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता में संस्कृति कार्यसमूह की पहली बैठक आज संपन्न हो गई। बैठक में चार महत्वपूर्ण सत्रों में भारत द्वारा तय की गई प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। श्री गोविंद मोहन ने कहा कि भारत ने इस बैठक के लिए चार मुख्य विषय रखे थे। इनमें सांस्कृतिक संपत्ति का संरक्षण और पुनर्निर्माण; सतत भविष्य की जीवंत विरासत का उपयोग करना; सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना शामिल हैं। श्री गोविंद मोहन ने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि विशेषज्ञ अब वेबिनार के माध्यम से सूक्ष्म स्तर की विस्तृत काम करेंगे, ताकि अगस्त तक हम एक नई पहल की घोषणा कर सकें और उसके आधार पर एक नया रास्ता तैयार किया जा सके। उन्होंने कहा कि बैठक में ब्रिटेन, मॉरीशस, जापान, सिंगापुर, अमरीका सहित कई देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। आज शाम जी-20 के प्रतिनिधियों ने खजुराहो में आदिवर्त जनजातीय एवं लोक कला संग्रहालय का भी दौरा किया। संग्रहालय में प्रदेश के पांच सांस्कृतिक क्षेत्रों - बघेलखण्ड, बुन्देलखण्ड, मालवा, निमाड़ और चंबल के साथ ही साथ सातों प्रमुख जनजातियों गोंड, बैगा, भील, भैरा, कोरकू, कोल एवं सहरिया के प्रतिनिधि आवास एवं दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं को बनाया और संग्रह किया गया है । इससे पहले कल, सांस्कृतिक कार्य समूह की प्रथम बैठक का उद्घाटन सत्र भारत की अध्यक्षता की चार प्राथमिकताओं के बारे में चर्चा पर केंद्रित रहा, जो आने वाले प्रतिनिधियों के साथ संस्कृति को वैश्विक निरंतरता और विकास हेतु संबल के रूप में बढ़ावा देती हैं। त्रोइका के सदस्यों इंडोनेशिया और ब्राजील ने उद्घाटन भाषण दिए। इंडोनेशिया ने अपने भाषण में इस बात पर बल दिया कि संस्कृति और रचनात्मकता निरंतरता के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण हैं। इंडोनेशिया के भाषण के बाद, ब्राजील ने अपनी आगामी जी-20 अध्यक्षता के दौरान इन प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। यूनेस्को में सहायक महानिदेशक, संस्कृति श्री अर्नेस्टो ओटोन आर ने इस बारे में चर्चा की कि कैसे भारत की अध्यक्षता के तहत जी-20 सीडब्ल्यूजी के परिणाम 2030 के बाद के एजेंडे में संस्कृति को मजबूती देने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। सत्र के दूसरे भाग के दौरान सभी 17 सदस्यों ने अपने राष्ट्रीय वक्तव्य दिए। सत्र का आयोजन कल खजुराहो में महाराजा छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर में किया गया। सत्र का आरंभ केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार और उनके बाद संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी के स्वागत भाषणों से हुआ। इसके बाद, सचिव, संस्कृति मंत्रालय और जी-20 की भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत संस्कृति कार्य समूह के अध्यक्ष श्री गोविंद मोहन ने अपने आरंभिक भाषण में वैश्विक रचनात्मक और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को नए सिरे से आकार देने के लिए दुनिया भर में संस्कृति के संरक्षण को फिर से मजबूत बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती लिली पांडेया ने उन चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया जो बैठकों के दौरान चर्चा का केंद्र रहेंगे। 23 फरवरी, 2023 की शाम जी-20 के प्रतिनिधियों ने मंदिरों के पश्चिमी समूह का दौरा किया और इस दौरान उन्हें वहां के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई । खजुराहो में मंदिरों के पश्चिमी समूह में जी-20 के प्रतिनिधियों ने मलेशिया की श्री रामली के नेतृत्व वाली सूत्रा फाउंडेशन द्वारा निर्देशित आकर्षक और जीवंत प्रस्तुतियों का भी आनंद लिया।
17 संबंधोंः दण्डशास्त्र, दण्डविधि, दंड, धनु, प्रकृतिवाद (दर्शन), भारतीय राजनय का इतिहास, मुण्डा, राममूर्ति नायडू (पहलवान), राज्य, शुक्रनीति, सामाजिक नियंत्रण, स्वराज, विधि, आपराधिक मनःस्थिति, आजीवन कारावास, कार्योत्तर विधि, अपहनन। दण्डशास्त्र (Penology) अपराधशास्त्र का एक प्रभाग है जो अपराध के लिये दण्ड तथा जेलों के प्रबन्धन से संबन्धित है। किसी ब्यक्ति को उसके अपराध या किसी कथित कार्य के लिए दण्डित ठहराना या अपराधी घोषित करना . कानूनों के उस समूह को दंड विधि (Criminal law, या penal law या 'फौज़दारी कनून') कहते हैं जो अपराधों एवं उनके लिये निर्धारित सजाओं (दण्ड) से समबन्धित होते हैं। आपराधिक मामलों में दण्ड कई प्रकार का हो सकता है (जो कि अपराध की प्रकृति पर निर्भर करता है) - मृत्युदंड, आजीवन कारावास, साधारण कारावास, पेरोल, या अर्थदण्ड आदि। यह दीवानी कानून से अलग है। . राजा, राज्य और छत्र की शक्ति और संप्रभुता का द्योतक और किसी अपराधी को उसके अपराध के निमित्त दी गयी सजा को दण्ड कहते हैं। एक दूसरे सन्दर्भ में, राजनीतिशास्त्र के चार उपायों - साम, दाम, दंड और भेद में एक उपाय। दण्ड का शाब्दिक अर्थ 'डण्डा' (छड़ी) है जिससे किसी को पीटा जाता है। . धनु वैदिक काल की हिन्दू लम्बाई मापन की इकाई है। एक धनु बराबर होता है दो दण्ड के। पांच धनु से एक रज्जु बनता है।;विष्णु पुराण अनुसार. प्रकृतिवाद (दर्शन) प्रकृतिवाद (Naturalism) पाश्चात्य दार्शनिक चिन्तन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्त्व मानती है, इसी को इस बरह्माण्ड का कर्ता एवं उपादान (कारण) मानती है। यह वह 'विचार' या 'मान्यता' है कि विश्व में केवल प्राकृतिक नियम (या बल) ही कार्य करते हैं न कि कोई अतिप्राकृतिक या आध्यातिम नियम। अर्थात् प्राक्रितिक संसार के परे कुछ भी नहीं है। प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन आदि की सत्ता में विश्वास नहीं करते। यूनानी दार्शनिक थेल्स (६४० ईसापूर्व-५५० इसापूर्व) का नाम सबसे पहले प्रकृतिवादियों में आता है जिसने इस सृष्टि की रचना जल से सिद्ध करने का प्रयास किया था। किन्तु स्वतन्त्र दर्शन के रूप में इसका बीजारोपण डिमोक्रीटस (४६०-३७० ईसापूर्व) ने किया। प्रकृतिवादी विचारक बुद्धि को विशेष महत्व देते हैं परन्तु उनका विचार है कि बुद्धि का कार्य केवल वाह्य परिस्थितियों तथा विचारों को काबू में लाना है जो उसकी शक्ति से बाहर जन्म लेते हैं। इस प्रकार प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन इत्यादि की सत्ता में विश्वास नहीं करते हैं। प्रो. यद्यपि भारत का यह दुर्भाग्य रहा है कि वह एक छत्र शासक के अन्तर्गत न रहकर विभिन्न छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित रहा था तथापि राजनय के उद्भव और विकास की दृष्टि से यह स्थिति अपना विशिष्ट मूल्य रखती है। यह दुर्भाग्य उस समय और भी बढ़ा जब इन राज्यों में मित्रता और एकता न रहकर आपसी कलह और मतभेद बढ़ते रहे। बाद में कुछ बड़े साम्राज्य भी अस्तित्व में आये। इनके बीच पारस्परिक सम्बन्ध थे। एक-दूसरे के साथ शांति, व्यापार, सम्मेलन और सूचना लाने ले जाने आदि कार्यों की पूर्ति के लिये राजा दूतों का उपयोग करते थे। साम, दान, भेद और दण्ड की नीति, षाडगुण्य नीति और मण्डल सिद्धान्त आदि इस बात के प्रमाण हैं कि इस समय तक राज्यों के बाह्य सम्बन्ध विकसित हो चुके थे। दूत इस समय राजा को युद्ध और संधियों की सहायता से अपने प्रभाव की वृद्धि करने में सहायता देते थे। भारत में राजनय का प्रयोग अति प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। वैदिक काल के राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में हमारा ज्ञान सीमित है। महाकाव्य तथा पौराणिक गाथाओं में राजनयिक गतिविधियों के अनेकों उदाहरण मिलते हैं। प्राचीन भारतीय राजनयिक विचार का केन्द्र बिन्दु राजा होता था, अतः प्रायः सभी राजनीतिक विचारकों- कौटिल्य, मनु, अश्वघोष, बृहस्पति, भीष्म, विशाखदत्त आदि ने राजाओं के कर्तव्यों का वर्णन किया है। स्मृति में तो राजा के जीवन तथा उसका दिनचर्या के नियमों तक का भी वर्णन मिलता है। राजशास्त्र, नृपशास्त्र, राजविद्या, क्षत्रिय विद्या, दंड नीति, नीति शास्त्र तथा राजधर्म आदि शास्त्र, राज्य तथा राजा के सम्बन्ध में बोध कराते हैं। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, कामन्दक नीति शास्त्र, शुक्रनीति, आदि में राजनय से सम्बन्धित उपलब्ध विशेष विवरण आज के राजनीतिक सन्दर्भ में भी उपयोगी हैं। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद राजा को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये जासूसी, चालाकी, छल-कपट और धोखा आदि के प्रयोग का परामर्श देते हैं। ऋग्वेद में सरमा, इन्द्र की दूती बनकर, पाणियों के पास जाती है। पौराणिक गाथाओं में नारद का दूत के रूप में कार्य करने का वर्णन है। यूनानी पृथ्वी के देवता 'हर्मेस' की भांति नारद वाक चाटुकारिता व चातुर्य के लिये प्रसिद्ध थे। वे स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य एक-दूसरे राजाओं को सूचना लेने व देने का कार्य करते थे। वे एक चतुर राजदूत थे। इस प्रकार पुरातन काल से ही भारतीय राजनय का विशिष्ट स्थान रहा है। . मुंडा एक भारतीय आदिवासी समुदाय है, जो मुख्य रूप से झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र में निवास करता है। झारखण्ड के अलावा ये बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा आदि भारतीय राज्यों में भी रहते हैं। इनकी भाषा मुंडारी आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है। उनका भोजन मुख्य रूप से धान, मड़ूआ, मक्का, जंगल के फल-फूल और कंध-मूल हैं । वे सूत्ती वस्त्र पहनते हैं । महिलाओं के लिए विशेष प्रकार की साड़ी होती है, जिसे बारह हथिया (बारकी लिजा) कहते हैं । पुरुष साधारण-सा धोती का प्रयोग करते हैं, जिसे तोलोंग कहते हैं । मुण्डा, भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं । २० वीं सदी के अनुसार उनकी संख्या लगभग ९,०००,००० थी ।Munda http://global.britannica.com/EBchecked/topic/397427/Munda . राममूर्ति नायडू (पहलवान) प्रोफेसर राममूर्ति नायडू (अंग्रेजीःKodi Rammurthy Naidu तेलुगूःకోడి రామ్మూర్తి నాయుడు जन्मः१८८२ - मृत्युः१९४२) भारत के विश्वविख्यात पहलवान हुए हैं जिन्हें उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिये ब्रिटिश सरकार ने कलयुगी भीम की उपाधि से अलंकृत किया था। दक्षिण भारत के उत्तरी आन्ध्र प्रदेश में जन्मे इस महाबली ने एक समय में पूरे विश्व में तहलका मचा दिया था। स्वयं ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम व महारानी मैरी ने लन्दन स्थित बकिंघम पैलेस में आमन्त्रित कर सम्मानित किया और इण्डियन हरकुलिस व इण्डियन सैण्डोज जैसे उपनाम प्रदान किये। उनके शारीरिक बल के करतब देखकर सामान्य जन से लेकर शासक वर्ग तक सभी दाँतों तले उँगली दबाने को विवश हो जाया करते थे। प्रो॰ साहब ने व्यायाम की जो नयी पद्धति विकसित की उसे आज भी भारतीय मल्लयुद्ध के क्षेत्र में प्रो॰ राममूर्ति की विधि के नाम से जाना जाता है जिसमें दण्ड-बैठक के दैनन्दिन अभ्यास से शरीर को अत्यधिक बलशाली बनाया जाता है। . विश्व के वर्तमान राज्य (विश्व राजनीतिक) पूँजीवादी राज्य व्यवस्था का पिरामिड राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी 'राज्य' कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी 'राज्य' कहते हैं। राज्य आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। दुनिया के अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। वास्तव में, 'राज्य' शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला, इसे एक ऐतिहासिक सत्ता माना जा सकता है; दूसरा इसे एक दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है; और तीसरा, इसे एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक-दूसरे से टकराव ही हो। असल में, इनके बीच का अंतर सावधानी से समझने की आवश्यकता है। वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंग बताये जाते हैं - निश्चित भूभाग, जनसँख्या, सरकार और संप्रभुता। भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं- राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारण देखें।) कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्तांग सिद्धांत " कहलाता है - राजा, आमात्य या मंत्री, पुर या दुर्ग, कोष, दण्ड, मित्र । . शुक्रनीति एक प्रसिद्ध नीतिग्रन्थ है। इसकी रचना करने वाले शुक्र का नाम महाभारत में 'शुक्राचार्य' के रूप में मिलता है। शुक्रनीति के रचनाकार और उनके काल के बारे में कुछ भी पता नहीं है। शुक्रनीति में २००० श्लोक हैं जो इसके चौथे अध्याय में उल्लिखित है। उसमें यह भी लिखा है कि इस नीतिसार का रात-दिन चिन्तन करने वाला राजा अपना राज्य-भार उठा सकने में सर्वथा समर्थ होता है। इसमें कहा गया है कि तीनों लोकों में शुक्रनीति के समान दूसरी कोई नीति नहीं है और व्यवहारी लोगों के लिये शुक्र की ही नीति है, शेष सब 'कुनीति' है। शुक्रनीति की सामग्री कामन्दकीय नीतिसार से भिन्न मिलती है। इसके चार अध्यायों में से प्रथम अध्याय में राजा, उसके महत्व और कर्तव्य, सामाजिक व्यवस्था, मन्त्री और युवराज सम्बन्धी विषयों का विवेचन किया गया है। . सामाजिक नियंत्रण (Social control) से तात्पर्य उन सामाजिक तथा राजनैतिक युक्तियों/प्रक्रियाओं से है किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को राज्य, समाज या सामाजिक समूहों के नियमों का पालन करने के लिए नियंत्रित करतीं हैं। समाजशास्त्री सामाजिक नियंत्रण के दो मूलभूत साधन बताते हैं. स्वराज का शाब्दिक अर्थ है - 'स्वशासन' या "अपना राज्य" ("self-governance" or "home-rule")। भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के समय प्रचलित यह शब्द आत्म-निर्णय तथा स्वाधीनता की माँग पर बल देता था। प्रारंभिक राष्ट्रवादियों (उदारवादियों) ने स्वाधीनता को दूरगामी लक्ष्य मानते हुए 'स्वशासन' के स्थान पर 'अच्छी सरकार' (ब्रिटिश सरकार) के लक्ष्य को वरीयता दी। तत्पश्चात् उग्रवादी काल में यह शब्द लोकप्रिय हुआ, जब बाल गंगाधर तिलक ने यह उद्घोषणा की कि "स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।" गाँधी ने सर्वप्रथम 1920 में कहा कि "मेरा स्वराज भारत के लिए संसदीय शासन की मांग है, जो वयस्क मताधिकार पर आधारित होगा। गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।" वस्तुतः गांधीजी का स्वराज का विचार ब्रिटेन के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, ब्यूरोक्रैटिक, कानूनी, सैनिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं का बहिष्कार करने का आन्दोलन था। यद्यपि गांधीजी का स्वराज का सपना पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया जा सका फिर भी उनके द्वारा स्थापित अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस दिशा में काफी प्रयास किये। . विधि (या, कानून) किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई संसूचकों (इन्स्ट्रक्शन्स) के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विधि अत्यन्त आवश्यक है। विधि मनुष्य का आचरण के वे सामान्य नियम होते है जो राज्य द्वारा स्वीकृत तथा लागू किये जाते है, जिनका पालन अनिवर्य होता है। पालन न करने पर न्यायपालिका दण्ड देता है। कानूनी प्रणाली कई तरह के अधिकारों और जिम्मेदारियों को विस्तार से बताती है। विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द लगता है। आध्यात्मिक जगत में 'विधि के विधान' का आशय 'विधाता द्वारा बनाये हुए कानून' से है। जीवन एवं मृत्यु विधाता के द्वारा बनाया हुआ कानून है या विधि का ही विधान कह सकते है। सामान्य रूप से विधाता का कानून, प्रकृति का कानून, जीव-जगत का कानून एवं समाज का कानून। राज्य द्वारा निर्मित विधि से आज पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। राजनीति आज समाज का अनिवार्य अंग हो गया है। समाज का प्रत्येक जीव कानूनों द्वारा संचालित है। आज समाज में भी विधि के शासन के नाम पर दुनिया भर में सरकारें नागरिकों के लिये विधि का निर्माण करती है। विधि का उदेश्य समाज के आचरण को नियमित करना है। अधिकार एवं दायित्वों के लिये स्पष्ट व्याख्या करना भी है साथ ही समाज में हो रहे अनैकतिक कार्य या लोकनीति के विरूद्ध होने वाले कार्यो को अपराध घोषित करके अपराधियों में भय पैदा करना भी अपराध विधि का उदेश्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1945 से लेकर आज तक अपने चार्टर के माध्यम से या अपने विभिन्न अनुसांगिक संगठनो के माध्यम से दुनिया के राज्यो को व नागरिकों को यह बताने का प्रयास किया कि बिना शांति के समाज का विकास संभव नहीं है परन्तु शांति के लिये सहअस्तित्व एवं न्यायपूर्ण दृष्टिकोण ही नहीं आचरण को जिंदा करना भी जरूरी है। न्यायपूर्ण समाज में ही शांति, सदभाव, मैत्री, सहअस्तित्व कायम हो पाता है। . कोई किसी अपराध के लिये दंडित नहीं हो सकता, यदि उसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में कानून द्वारा अमान्य कोई काम न किया हो या कानून द्वारा निर्धारित किसी अनिवार्य काम में त्रुटि नहीं की हो। साधारणतः किसी अपराध की पूर्णता के लिये यह आवश्यक है कि वह 'दोषपूर्ण मन' या 'आपराधिक मनःस्थिति' (Mens Rea) से किया जाय। किंतु अपराधी की स्वेच्छा से होने पर ही उसका काम अपराध माना जा सकता है। स्वेच्छा से किया हुआ काम या काम की अवहेलना वह है, जिसे करने या न करने की इच्छा रही हो। अतः किसी व्यक्ति ने यदि अचेतन अवस्था में--यथा, निद्रित होने पर, अत्यंत कम अवस्था रहने से, जड़ता या विक्षिप्तता के कारण - कोई अपराध किया है तो यह माना जायगा कि ऐसी परिस्थिति में उसका मस्तिष्क काम नहीं कर रहा था। फलतः उस काम के करने या उसकी अवहेलना में उसकी इच्छा नहीं थी। इसी प्रकार अत्यंत बाध्य होने पर कोई व्यक्ति यदि कोई अपराध करे तो इसमें उसकी स्वेच्छा काम अभाव रहेगा। कोई काम या इसमें च्युति इच्छापूर्ण मानी जायेगी, यदि कार्यकारी उपयुक्त सावधानी बरतने पर उसे नहीं करता या उसकी अवहेलना से विरत होता। किसी अनायास हुए काम या काम की त्रुटि को स्वेच्छापूर्ण नहीं मानते। अतः यदि यह प्रमाणित हो कि उपयुक्त सावधानी बरतने पर भी ऐसा काम नहीं रुक सका तो यह दंडनीय नहीं हो सकता। कभी कभी कानून द्वारा वर्जित किसी काम के करने की इच्छा मात्र ही दोषपूर्ण मन माना जाता है। सीमित वर्ग के अपराधों में दोषपूर्ण मन आवश्यक नहीं है। दृष्टांत के लिये, कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के रहते दूसरा विवाह करे, तो अपनी प्रतिरक्षा में वह यह नहीं कह सकता कि उसने शुद्ध मन से यह विश्वास किया था कि उसका पहला विवाह विच्छिन्न हो चुका है। इस वर्ग में कानून द्वारा निर्दिष्ट छोटे छोटे अपराध ही आते हैं। यह जानने के लिये कि ऐसे अपराधों में दोषपूर्ण मन आवश्यक है या नहीं, निर्दिष्ट कानून (Statue) के उद्देश्य की ओर देखना आवश्यक हो जाता है। जिस अपराध में विशेष इच्छा या मानसिक स्थिति आवश्यक है, उसके लिये कोई व्यक्ति अपराधी नहीं होगा, यदि उसका मन दोषपूर्ण नहीं था एवं दूसरे व्यक्ति के आदेश से उसने वह अपराध किया था। किंतु जिस व्यक्ति के आदेश से वह अपराध हुआ, वह उत्तरदायी होगा। साधारणतः कोई व्यक्ति किसी काम या उसकी अवहेलना के लिये उत्तरदायी नहीं होगा, यदि उसने स्वयं अपराध नहीं किया है या निर्धारित काम करने से विरत नहीं हुआ है या किसी दूसरे व्यक्ति को अपराध करने के लिये अधिकार नहीं दिया है और न उसे निर्धारित काम करने से विरत होने की प्रेरणा दी है। कोई मालिक अपने सेवक या ऐजेंट के विद्वेष, कपट या काम की उपेक्षा के लिये दंडित नहीं किया जा सकता, क्योंकि सेवक या एजेंट की मानसिक स्थिति मालिक की मानसिक स्थिति नहीं कही जा सकती। किंतु सीमित वर्ग के कुछ मामलों में जहाँ मानसिक स्थिति अपराध के लिये आवश्यक नहीं है, अपने सेवक या एजेंट के सामान्य कार्य के दौरान में किए गए कामों के लिये मालिक उत्तरदायी होगा, भले ही उसे ऐसे काम की जानकारी न रही हो और वे काम उसके आदेश के विरुद्ध ही क्यों न किए गए हों। कोई निगम (Corporation) अपने सेवक या एजेंट के द्वारा ही काम कर सकता है। अतः इनके काम या कानून द्वारा निर्दिष्ट काम में त्रुटि के कारण निगम ही उत्तरदायी हो सकता है। किंतु राजद्रोह (Treason), गुरुतर अपराध (Felony), तथा ऐसे लघुतर अपराधों के लिये, जिनमें व्यक्तिगत रूप में हिंसा का अभियोग लगे अथवा ऐसे अपराधों के लिये जिनमें कारावास या शारीरिक यातना द्वारा ही दंड दिया जा सके निगम उत्तरदायी नहीं हेगा। अपने सेवक या एजेंट के अपराध के लिये उसे केवल अर्थदंड दिया जा सकता है। . आजीवन कारावास (Life imprisonment) एक दण्ड है जिसमें अपराधी को अपने बाकी जीवन को जेल में गुजारना होता है। यह दण्ड कुछ गम्भीर अपराधों के लिये दिया जाता है जैसे- हत्या, गम्भीर किस्म के बालयौनापराध, बलात्कार, जासूसी, देशद्रोह, मादक द्रव्य का व्यापार, मानव तस्करी, जालसाजी के गम्भीर मामले, बड़ी चोरी/डकैती, आदि। श्रेणीःविधि. कार्योत्तर विधि (ex post facto law) उस प्रकार की विधि को कहते हैं जो किसी आपराधिक कार्य के होने के बाद उस कार्य के विधिक परिणाम को बदल दे। दण्ड विधि के सन्दर्भ में बात करें तो कोई कार्योत्तर विधि उस कार्य को दण्डनीय बना सकती है जो कार्य उस समय (कानून के लागू होने के पहले) वैध (आपराधिक नहीं) था। कार्योत्तर विधि किसी अपराध के लिए निर्धारित दण्ड को कम या अधिक कर सकती है। इसी प्रकार, कार्योत्तर विधि साक्ष्य के नियमों को भी बदल सकती है ताकि अपराधों में दण्द मिलना अधिक सम्भावित हो जाय। इसके विपरीत कार्योत्तर विधि का एक प्रकार सर्वक्षमा विधि (अमनेस्टी लॉ) है जो कुछ कृत्यों को वैध या अनपराधिक घोषित कर देती है। श्रेणीःविधि. अपहनन बिना किसी व्यवस्थित न्याय प्रक्रिया के बिना, किसी अनौपचारिक अप्रशासनिक समूह द्वारा दिए गए दण्ड या शारीरिक प्रताड़ना को कहा जाता है। कथित शब्द का उपयोग अक्सर एक बड़ी भीड़ द्वारा अन्यायिक रूपसे किसी कथित अपराधियों को दंडित करने के लिए या किसी समूह को धमकाने के लिए, सार्वजनिक फांसी, या अन्य शारीरिक प्रताड़ना को चिह्नित करने के लिए उपयोग किया जाता है। . यहां पुनर्निर्देश करता हैः
कौन बनेगा करोड़पति-12 में आज रात का एपिसोड अमिताभ बच्चन ने हमेशा की तरह गर्मजोशी के साथ शुरू किया। केबीसी-12 शो में बिग बी ने सेट पर मौजूद कंटेस्टेंट के सामने फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट का सवाल रखा। इसमें राज लक्ष्मी ने सबसे तेज जवाब लेकर हॉट सीट पर अपनी दावेदारी पेश की। अमिताभ बच्चन ने राज लक्ष्मी का कौन बनेगा करोड़पति-12 में स्वागत किया। बहुत ही शानदार अंदाज में बिहार से आईं राज लक्ष्मी ने अपनी केबीसी-12 की जर्नी शुरू की। लगातार कई सवालों के जवाब देकर राज लक्ष्मी लखपति बनीं। अमिताभ बच्चन ने राज लक्ष्मी से एपिसोड में कंगना रनौत से भी जुड़ा सवाल पूछा। इस ऐतिहासिक चरित्र(रानी लक्ष्मी बाई) का बचपन कहां बीता है? इसका सही जवाब राज लक्ष्मी ने एक्सपर्ट लाइफलाइन यूज करते हुए D. वाराणसी दिया। जो कि सही उत्तर था। इसमें से किस नेता को महात्मा गांधी ने अजातशत्रु कहा था? राज लक्ष्मी ने इस सवाल का जवाब दिया B. लाल बहादुर शास्त्री दिया। जो कि गलत था, इसका सही जवाब डॉ. राजेंद्र प्रसाद था। Times Now Navbharat पर पढ़ें Entertainment News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।
दुबई की एक अदालत ने 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में कथित बिचौलिए एवं ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार देर शाम इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले भारत ने इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई आपराधिक जांच के आधार पर खाड़ी देश से आधिकारिक तौर पर इस संबंध में आग्रह किया था जिसके बाद मंगलवार को अदालत ने यह फैसला दिया। अधिकारियों ने बताया कि क्रिश्चियन मिशेल जेम्स (54) के खिलाफ आदेश की पूरी जानकारी कल मिल सकेगी क्योंकि कानूनी फैसला अरबी भाषा में है और भारतीय अधिकारियों के आग्रह पर उसका अंग्रेजी में अनुवाद कराया जा रहा है। इस फैसले को मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो और ईडी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। ईडी ने जून 2016 में मिशेल के खिलाफ दायर अपने आरोप-पत्र में आरोप लगाया था कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से करीब 225 करोड़ रुपये प्राप्त किए। ईडी ने कहा था कि यह पैसा और कुछ नहीं, बल्कि कंपनी द्वारा 12 हेलीकॉप्टरों के समझौते को अपने पक्ष में कराने के लिए वास्तविक लेन-देन के "नाम पर" दी गई "रिश्वत" थी। सीबीआई और ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में गुइदो हाश्के और कार्लो गेरोसा के अलावा मिशेल तीसरा कथित बिचौलिया है। अदालत द्वारा उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के बाद दोनों जांच एजेंसियों ने उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया था। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
किया ।' जंगल के जीवों ने अपनी वाणी-विहीन वाणी से उसे धर्म का रहस्य बतलाया था और अकबर की जाकरूक आत्मा ने उसे सुन लिया । यह स्पष्ट ही, अत्यन्त भावुक और धर्मप्राण व्यक्ति का लक्षण प्रतीत होता है । अकबर हिन्दुत्व और इस्लाम, दोनों का प्रेमी था किन्तु, दोनों की कट्टरता से उसे घृणा थी । धर्म परिवर्तन करनेवालों को वह नीची नजर से देखता था, क्योंकि उसका विश्वास था कि "जो लोग अपना धर्म भय या लोभ से बदलते हैं, उनमें धार्मिकता नहीं होती है । " हलाहल का विस्फोट हिन्दू-मुस्लिम एकता का जितना बड़ा नेता अकबर था, उतना बड़ा नेता और कोई हुआ है या नहीं, यह बताना आसान नहीं है। किन्तु, जिन गुणों के कारण अकबर पर हिन्दुओं की श्रद्धा बढ़ी, उन्हीं गुणों के कारण मुसलमान उसके खिलाफ हो गये । काजी और मुल्ल पठानों के समय राजकाज में हस्तक्षेप करते थे और पठान सुलतान उनकी दस्तंदाजी को रोक नहीं पाते थे । पठानों के समय मुल्ले खुलकर बड़ाई उस सुलतान की करते थे, जिसके राज्य-काल में अधिक-से-अधिक मूर्तियाँ और मन्दिर तोड़े जाते थे तथा अधिक-से-अधिक हिन्दू मुसलमान बनाये जाते थे । किन्तु, अकबर ने जब शासन को धर्मनिरपेक्ष बनाना चाहा और यह घोषणा कर दी कि जो भी व्यक्ति जबर्दस्ती मुसलमान बनाया गया हो, वह चाहे तो अपने धर्म में वापस जा सकता है, तब मुल्लों की दृष्टि में वह इस्लाम का द्रोही समझा जाने लगा । अकबर ने इस्लाम का कोई अहित नहीं किया । वह शरीयत को मानता था और तौहीद के सिद्धान्त पर अटल विश्वास रखता था । उसका अपराध केवल यह था कि सभी धर्मों को वह एक दृष्टि से देखता था और चाहता था कि मुस्लिम राज्य में जैसे मुसलमान निश्चिंत रहते हैं, वैसे हो, सभी धर्मों के लोग बेफिक रहें। किन्तु, बादशाह की यह उदार नीति मुल्लों को सह्य नहीं हुई। मल्लों की एक मात्र कामना यह थी कि भारत के अन्य धर्मों का चाहे जो भी हाल हो, किन्तु, इस्लाम का प्रसार अधिक-से-अधिक होना चाहिए। लेकिन, अकबर की उदार नीति के कारण इस्लाम के प्रसार में बाधा पड़ती थी । इसलिए, मुल्लों ने बादशाह के खिलाफ आन्दोलन आरम्भ कर दिया । इस जहरीले आन्दोलन के सब से बड़े नेता का नाम शेख अहमद सरहिन्दी था । शेख अहमद सरहिन्दी शेख अहमद सरहिन्दी का जन्म १५६३ ई० में हुआ था और उसकी मृत्यु सन् १६२४ ई० में, यानी अकबर की मृत्यु के कोई १९ साल बाद हुई । शख अहमद इब्ने - तैमिया का १. ए पेजेंट ऑव् एशिया (केनेथ सौंडर्स ) अमृत और हलाहल का संघर्ष • शिष्य था । वह केवल कट्टर मुसलमान ही नहीं, प्रत्युत, इस्लामेतर धर्मों का प्रचण्ड विरोधी भी था । इस्लाम को वह सभी धर्मों, सभी संस्कृतियों के प्रभाव से मुक्त रखना चाहता था । वह इस्लाम के उस प्राचीन, आरम्भिक रूप का कायल था, जब मुस्लिमसमाज में तसव्वुफ का प्रचार नहीं हुआ था, न मुस्लिम संस्कृति पर किसी अन्य संस्कृति का प्रभाव ही पड़ा था । उन्नीसवीं सदी में वहाबियों ने इस्लाम के जिस प्राचीन रूप को वापस लाने की कोशिश की तथा बीसवीं सदी में उसके जिस रूप का आख्यान हाली और इकबाल ने किया, शेख सरहिन्दी इस्लाम के उसी रूप का उपासक था । लगभग चार सौ वर्षों के सम्मिलित जीवन में मुसलमानों ने हिन्दुओं से जो भी आदतें सीखीं थीं, शेख सरहिन्दी उन सब को गुनाह समझता था। विवाह, श्राद्ध, पर्व, त्योहार और दैनिक रहन-सहन में हिन्दुओं और मुसलमानों के बहुत से रीति-रिवाज समान हो गये थे । गोहत्या से घृणा उस दिनों मुसलमानों को भी होने लगी थी और विधवाविवाह को मुसलमान भी हीन कर्म मानने लगे थे । शेख अहमद ने इन सारी बातों को दुष्कर्म बताया और मुसलमानों से उसने कहा कि हिन्दुओं की संगति में तुमने जो कुछ भी सीखा है, उसे छोड़ दो, क्योंकि ये बातें असली इस्लाम के खिलाफ हैं। उसका उपदेश था कि भारत के मुसलमानों को ठीक उसी प्रकार से रहना चाहिए, जैसे मोहम्मद साहब के समय में अरब के मुसलमान रहा करते थे और उन्हें सतर्क रहना चाहिए कि हिन्दुस्तान में बसनेवाले बहुसंख्यक गैर-मुस्लिमों की आदतें उनके भीतर न समा जायें । हिन्दुओं से शेख अहमद को भयानक विद्वेष था । वह उन्हें काफिर समझता था और उसका विश्वास था कि काफिरों के दलन और अपमान से बढ़कर भगवान को प्रसन्न करने का और कोई उपाय नहीं है।' हिन्दू-मुस्लिम एकता के विरुद्ध अपना जहरीला प्रचार शेख अहमद ने अकबर के ही राज्य-काल में आरम्भ कर दिया था। किन्तु अकबर का रोब-दाब सारे देश में था, अतएव, शेख अहमद का प्रचार उस समय जोर नहीं पकड़ सका । लेकिन, अकबर के मरने के बाद शेख अहमद ने निर्भय होकर मुसलमानों के भीतर आग भड़काना शुरू कया। नतीजा यह हुआ कि जहाँगीर ने उसे पकड़वा कर जेल में डाल दिया। मगर, जहाँगीर ढीला-ढाला बादशाह था । प्रभावशाली मुसलमानों के बीचबिचाव करने से उसे दया आ गयी और शेख अहमद को उसने कैद से रिहा कर दिया। लेकिन, शेख अहमद को हिन्दू-मुस्लिम एकता पर दया नहीं आयी। जेल से रिहा होते ही उसने अपना प्रचार १. "Sh. Ahmad was fiercely hostile to the Hindus, whom he regarded as infidels and considered nothing more pleasing to God than their humiliation and disgrace." [ डा० ताराचन्द की पुस्तक हिस्टरी ऑव् द फ्रीडम मूवमेंट, जिल्द १ से ]
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
तीन फुटबॉल वर्ल्ड कप जीताने वाले एकमात्र फुटबॉलर पेले का 82 साल की उम्र में शुक्रवार की सुबह मृत्यु हो गया। फुटबॉल की दुनिया में जब भी महान खिलाड़ियों की चर्चा होगी, पेले का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। ब्राजील के इस महान फुटबॉलर के पैरों में जादू था। इस खेल को खूबसूरत बनाने वाले पेले ने महज 17 वर्ष की उम्र में पहले वर्ल्ड कप खिताब जीता था। पेले का बचपन गरीबी में गुजरा, लेकिन बचपन से ही उन्हें फुटबॉल से प्यार हो गया था, उनका लगाव ऐसा था जैसे वो कह रहे हों कि उनका जन्म केवल और केवल फुटबॉल के लिए ही हुआ है। हालांकि, प्रारम्भ में उनके हालात ऐसे थे कि वो सड़क पर पड़े रद्दी कागजों का गोला बनाकर फुटबॉल खेला करते थे। उनके पास पैसे नहीं थे कि वो फुटबॉल का किट खरीद सकें। पैसे जुटाने के लिए उन्होंने जूते पॉलिस करने का काम प्रारम्भ किया। इस तरह उन्होंने पैसे जुटाए और फिर फुटबॉल के लिए किट खरीदा। इसके बाद महज 11 वर्ष की उम्र में उन्हें संतोस की यूथ टीम की तरफ से खेलने का मौका मिल गया। उन्होंने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया और अपने धारदार खेल की सहायता से जल्द ही उन्हें सीनियर टीम में एंट्री मिल गई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके पैरों में ऐसा जादू था कि उन्हें खरीदने के लिए क्लब आपस में भिड़ गए थे। लेकिन ब्राजील की गवर्नमेंट ने उन्हें किसी क्लब में जाने नहीं दिया और उन्हें राष्ट्रीय संपदा घोषित कर दिया। पेले ने ब्राजील के लिए खेलते हुए 114 मैचों में सबसे अधिक 95 गोल किए। मैदान में पेले के कदम पड़ते ही मानों फुटबॉल उनके पैरों के इशारों पर चहलकदमी करने लगती थी। लोगों की सांसें थम जाती थीं। स्टेडियम उनके नाम से गूंज उठता था। फिर चाहे किसी भी राष्ट्र के प्रशंसक क्यों न हों, मैदान पर उनकी मौजूदगी देख वो उनके प्रशंसक हो जाते थे। लेकिन शुक्रवार को उनके मृत्यु के साथ ही फुटबॉल की दुनिया का जादूगर भी हमेशा के लिए विदा हो गया।
छोटे बच्चों की त्वचा बहुत नाजुक होती है इसलिए उनके लिए नैपीज बहुत ध्यान से चुननी चाहिए। अगर आप बच्चों को अच्छी क्वालिटी की नैपी नहीं पहनाते हैं तो उन्हें रैशेज हो सकते हैं। यदि आप भी कम दाम में बढिया क्वालिटी की नैपी खरीदना चाहते हैं तो आज Amazon आपके लिए Pampers नैपीज पर कुछ खास ऑफर्स लेकर आया है। आइए जानते हैं सेल ऑन Amazon फॉर पैंपर्स पर मिल रही खास डील्स के बारे में।
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
इंडियन मिलिट्री एकैडमी देहरादून में रविवार को हुई पासिंग परेड में सेना को मिले नए अफसरों में वीरभूमि हिमाचल के कई वीर मातृभूमि की सेवा करने के लिए लेफ्टिनेंट बन कर निकले हैं। इनमें से एक नगरोटा बगंवा के गांव ठानपुरी के शुभम वालिया ने भी लेफ्टिनेंट बनकर अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। देशसेवा करने के लिए लेफ्टिनेंट बने शुभव वालिया ने अपने गांव के साथ-साथ हिमाचल का नाम भी रोशन किया है। इनके पिता मनोज वालिया भी इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पिता से प्रेरणा लेकर शुभम ने इंडियन आर्मी में शामिल होने का दृढ़ निश्चय किया था। शुभम वालिया की आरंभिक शिक्षा माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा से हुई है, जबकि उसके बाद 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई उन्होंने आर्मी स्कूल सुजानपुर से हासिल की है। इसके बाद वह एनडीए में उन्हें प्रवेश मिला। अब उनकी तैनाती 16 कमाउं रेजिमेंट मणिपुर के लिए हुई है। अगर मेहनत, लग्न व निष्ठा से कार्य किया जाए, तो मुश्किल से मुश्किल मंजिल भी फतह की जा सकती है। ऐसा ही देश के प्रथम धरोहर गांव परागपुर गढ़ के आदित्य पटियाल ने इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बनकर कर दिखाया है। जी हां, कठिन परिश्रम कर परागपुर के गढ़ गांव के आदित्य पटियाल ने इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बनकर क्षेत्र का नाम चमकाया है, जिससेे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। आदित्य पटियाल के पिता प्रमोद पटियाल भी सीमा सुरक्षा बल में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में सेवाएं दे चुके है। आदित्य की दसवीं तक की शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल धर्मशाला में हुई, जबकि सेंट स्टीफंस चंडीगढ़ में जमा दो नॉन मेडिकल और फिर 2017 में एसएसबी इलाहाबाद से पास की और एनडीए पुणे में तीन वर्ष का बीएससी कम्प्यूटर साइंस की डिग्री जे एनयू से की। इसके बाद आईएमए देहरादून में प्रवेश पाया और शनिवार को पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेकर लेफ्टिनेंट बने हैै। बनखंडी के लछू गांव के शुभम डढवाल भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। लेफ्टिनेंट बनने के बाद शुभम डढवाल की पोस्टिंग जोधपुर में हुई है। शुभम डढवाल की प्रारंभिक शिक्षा डीएवी बनखंडी में हुई, जबकि 10वीं उन्होंने सैनिक स्कूल जोधपुर और 12वीं जीएवी पब्लिक स्कूल कांगड़ा से पास की। 2012 में वह सेना में भर्ती हो गए। इस दौरान उन्होंने एसीसी कमीशन पास किया और चार वर्ष की ट्रेनिंग के बाद लेफ्टिनेंट बने हैं। शुभम डढवाल के पिता दलबीर डढवाल भी सेना से नायब सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि मां राज कुमारी गृहिणी हैं। शुभम डढवाल के बड़े भाई हैदराबाद में प्राइवेट जॉब करते हंै। शुभम के माता-पिता बेटे के लेफ्टिनेंट बनने पर काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने बेटे पर नाज है। शुभम डढवाल ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता और परिवार को दिया है। चाय नगरी पालमपुर के घुग्घर के अंशुमन ठाकुर ने सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल कर पालमपुर वासियों का सीना चौड़ा कर दिया है। अंशुमन ने भारतीय रक्षा अकादमी खडग़वासला पुणे में तीन वर्ष और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में एक वर्षीय कठिन प्रशिक्षण के बाद पासिंग आउट परेड में यह सम्मान हासिल किया है। बताते चलें कि अंशुमन के दादा टेक सिंह ठाकुर रेलवे में अधिकारी रह चुके हैं। अंशुमन के पापा सुरेंद्र ठाकुर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जिया में प्रधानाचार्य पद पर तैनात हैं और माता शैली भी एक अध्यापिका है। अंशुमन के नाना मिलाप चंद मिन्हास और नानी उषा मिन्हास भी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं। घर में अच्छा शैक्षणिक माहौल होते हुए अंशुमन बचपन से ही भारतीय सेना में सेवाएं देना की तमन्ना पाले हुए थे। अंशुमन ने कठिन परिश्रम के बल पर अपने सपने को साकार किया है। अंशुमन माउंट कार्मल ठाकुरद्वारा पालमपुर के होनहार छात्र रहे हैं। अंशुमन ने जमा दो तक की पढ़ाई माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा में की है। अंशुमन के पापा सुरेंद्र ठाकुर व माता शैली में बेटे की इस उपलब्धि पर घर व्यक्त करते हुए अपार खुशी जाहिर की है। कोटखाई के स्पर्श शांकटा आर्मी में लेफ्टिनेंट बन गए है। स्पर्श कोटखाई तहसील की पुडग़ पंचायत के भवाना गांव के रहने वाले हैं। उनकी इस सफलता पर पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। लेफ्टिनेंट स्पर्श शांकटा की माता अर्चना शांकटा और पिता विशाल शांकटा अपने बेटे की सफलता से बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि स्पर्श को बचपन से ही आर्मी में जाने का शौक था, स्पर्श की प्रारंभिक शिक्षा लॉरेंस स्कूल सनावर से की उसके बाद एसआरम यूनिवर्सिटी चिन्नई से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 12 जून 2021 को एनडीए से ट्रेनिंग पूरी की और भारतीय सेना का हिस्सा बने। स्पर्श के पिता विशाल शांकटा इस समय जिला परिषद के सदस्य भी है, जबकि पेशे से वह सरकारी ठेकेदार है। अपने बेटे की इस सफलता को लेकर उन्होंने कहा कि यह पूरे इलाके के लिए गर्व की बात है और इससे पूरे इलाके का नाम प्रदेश में ऊंचा हुआ है। उधर, स्पर्श ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। मंडी जिला के खड़ीहार पंचायत के कनोग निवासी किसान परिवार से संबंध रखने वाले शैलेश चंदेल सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। रूप लाल चंदेल और जुध्या देवी के घर जन्में शैलेश के सेना में लेफ्टिनेंट बनने पर क्षेत्र में खुशी की लहर है। पढ़ाई के दौरान वह हमेशा शीर्ष पर रहे हैं और वह पेंटिंग में भी काफी रूचि रखते थे। चौथी कक्षा में पढ़ते हुए उन्होंने राष्ट्रीय ड्राइंग प्रतियोगिता में 10000 रुपए का इनाम भी जीता था। शैलेश की माता गृहिणी है और पिता सेना से सूबेदार मेजर के पद से रिटायर हुए हैं। इनकी बहन शिवाली एमबीए करके नौकरी कर रही है। शैलेश को हर प्रतियोगिता की तैयारी करवाने में इनकी माता का काफी योगदान रहा। शैलेश टीईएस-37 में भर्ती होकर अब ईएमई में अपनी सेवाएं देंगे। अभी शैलेश की बीटेक चल रही है। बता दें कि शैलेश के दादा भीखमराम के दो पोते मेजर अश्वनी चंदेल और लेफ्टिनेंट शैलेश चंदेल व पौत्रवधू मेजर अनुपमा सेना में अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जो इनके परिवार के लिए एक गर्व का क्षण है और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हिमाचल के एक बागबान के बेटे ने अपने परिवार को नाम पूरे प्रदेश भर में रोशन किया है। सोलन से संबंध रखने वाले युवा दीपक शर्मा अपनी मेहनत व दृढ़ संकल्प से भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। हाल ही में ओटीए चेनई में हुई पासिंग परेड में आर्मी अफसर ने दीपक शर्मा के कंधे पर लेफ्टिनेंट का स्टार लगाकर नवाजा। दीपक थापा के लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति से उनके परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है। दीपक शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा डीएवी ठियोग से की है, जबकि उन्होंने डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी से बीएसी फॉरेस्ट्री की डिग्री प्राप्त की है, जिसके बाद उन्होंने एसएसबी का इंटरव्यू कै्रक किया। इसके बाद इन्हें ओटीए चेनई में ट्रेनिंग दी गई। दीपक ने बताया कि उनके पिता रमेश शर्मा बागबानी क्षेत्र से संंबंध रखते हैं, जबकि उनकी माता उषा शर्मा गृहिणी है। उन्होंने बताया कि उनके छोटे भाई अंकित शर्मा ने हर कदम पर उनका साथ दिया है। साथ ही उन्होंने इस मुकाम को हासिल करने पर सुरेश शर्मा सहित उनके सभी शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया है। दीपक शर्मा ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन परिस्थितियों में कभी डगमगाना नहीं चाहिए। केवल अपने लक्ष्य पर फोकस रखते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने परिजनों व गुरुजनों को दिया है।
संवाद सूत्र चरही( हजारीबाग):- चरही थाना क्षेत्र के चरही-घाटो मार्ग के फुसरी पुल के समीप अज्ञात वाहन की चपेट में आने से बाइक सवार युवक विजय टुडू ( 32 वर्ष) की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक बहेरा पंचायत के छपरकोचा निवासी स्व. संजलु टुडू का पुत्र बताया गया। वह अपने घर से बाइक संख्या जेएच 24 एफ 0622 से फुसरी की तरफ जा रहा था। पीछे से किसी अज्ञात भारी वाहन उसे धक्के मारकर भाग गया। युवक की सिर में गंभीर चोट लगने के कारण मौके पर ही मौत हो गई। सड़क पर आने-जाने वाले लोगों द्वारा ग्रामीणों और पुलिस को खबर की गई। मौके पर पुलिस घटना स्थल पर पहुंच शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए हजारीबाग भेज दी। तत्काल मुआवजा के लिए चुरचू बीडीओ और सीओ से संपर्क कर तत्काल मुआवजा का आश्वासन परिजन को दिलाया गया। इस दुर्घटना के कारण मृतक के घर में मातम छाया हुआ है। मृतक अपने पीछे तीन बेटियां और पत्नी सुनीता बास्के को छोड़ गया। पति-पत्नी मिलकर अपने घर की गृहस्थी चलाते थे। विजय टुडु मजदूरी कार्य करते थे, जबकि पत्नी सुनीता बास्के चरही स्थित एक पेट्रोल पंप में वाहनों में तेल डालने का कार्य करती है, जिससे दोनों की कमाई से तीनों बेटियों की पढ़ाई और गृहस्थी चल पाती थी।
तब अनेने वहाँ आया और बोला - "अनन्सी, यह तो तुम्हारे लिये एक सवक था । तुम यह चाहते थे कि कोई बेवकूफ तुम्हारे साथ मछली पकड़ने के लिये जाये पर तुमने ठीक से देखा ही नहीं कि तुम किसको साथ ले जा रहे हो । तुम तो खुद ही बेवकूफ निकले।' अनन्सी ने हॉ में सिर हिलाया । फिर कुछ सोचते हुए और अपनी पीठ और टॉगें जहाँ उसको डंडे पड़े थे सहलाते हुए पछताते हुए अनेने से कहा "हॉ ठीक कहते हो अनेने । तुम पर तुम किस तरह के साथी हो ? कम से कम तुमको मेरी इतनी परवाह तो करनी ही चाहिये थी कि जब मैं पिट रहा था तब तुम मुझे आ कर बचा लेते ।
विषाणु-विरोधी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाओं हाल के वर्षों में सबसे लोकप्रिय दवाओं बन जाते हैं। वे इलाज के लिए जुकाम के लिए नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा समान रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया दवाओं। ऐसा ही एक उपकरण एक इलाज "Novirin" है। निर्देश, संरचना, आवेदन, और इस दवा की एनालॉग का एक विवरण इस लेख में आपका ध्यान करने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। आप गोलियों के आवेदन की सुविधाओं में सीखना होगा। इसके अलावा जो के बारे में उल्लेख के लायक एक एंटीवायरल दवा "Novirin" चिकित्सकों से प्रतिक्रिया है। कैसे दवा "Novirin" (गोलियाँ) करता है? दवा के प्रयोग के लिए निर्देश है, साथ ही कैप्सूल के साथ फफोले एक गत्ते का डिब्बा में रखा जाता है। पैकेजिंग के मुखौटे पर आप नीले रंग बनाया शिलालेख देख सकते हैं। इसके अलावा, वहाँ एक हरे रंग की पट्टी है जो "Novirin" की तैयारी (गोलियाँ) के बारे में विस्तृत जानकारी पर। उपयोग के लिए निर्देश एक अधिक विस्तृत व्याख्या में शामिल है। यहाँ औषधीय गुणों, संकेत और नशीली दवाओं के उपयोग के तरीके बताए गए। आप सीमाओं और संलग्न निर्देशों में प्रतिकूल प्रतिक्रिया के बारे में सीख सकते हैं। पैकेज में रखा फफोले 10 गोलियों होते हैं। इस तरह की किट इकाई 2 या 4 में तदनुसार हो सकता है, दवा 20 या 40 कैप्सूल की मात्रा में स्रावित होता है। गोलियों के एक गोल आकार की है। उनके खोल सफेद है। आप पहले से ही जानते हैं, पैकेज की सामग्री को उपयोग के लिए निर्देश और गोलियों के छाले प्रदान करता है। प्रत्येक कैप्सूल की रचना 500 मिलीग्राम आइनोसीन pranobex भी शामिल है। आलू स्टार्च और मैग्नीशियम स्टीयरेट के रूप में तैयार करने में कार्य करता है में अतिरिक्त घटकों। उपयोग के लिए "Novirin" की तैयारी (गोलियाँ) निर्देश की बात करते हैं के रूप में, उपकरण immunomodulating गतिविधि के साथ एक एंटीवायरल दवा है। कि कहा औषधि "Novirin" उपयोग के लिए निर्देश के साथ? दवाओं के उपयोग के लिए संकेत निम्नलिखित हैः - तीव्र वायरल बीमारी, गले में खराश, नाक बह के साथ संक्रमण; - बैक्टीरिया वनस्पति (ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, गलसुआ) के गुणन के कारण होता; - संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस, cytomegalovirus; - दाद के विभिन्न प्रकार, दाद सहित; - चेचक। दवा अक्सर इलाज में किया जाता है। आमतौर पर यह जीवाणु विकृतियों के लिए आवश्यक है। इसके अलावा दवा एक निवारक उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मतभेद क्या हैं? जब सही करने के लिए दवा "Novirin" प्रयोग नहीं किया जा? नशीली दवाओं के प्रयोग का कहना है निम्नलिखित मामलोंः - अतिसंवेदनशीलता, या दवा के किसी भी घटक के लिए एक एलर्जी विकसित करने की संभावना; - तीव्र चरण में urolithiasis; - तीव्र गुर्दे की विफलता। अत्यधिक सावधानी के साथ गर्भावस्था के दौरान और बच्चों के उपचार के लिए दवा का प्रयोग करना चाहिए। इस मामले में, चिकित्सक एक उपचार regimen का चयन करता है, चरित्र विकृति से शुरू। कैसे चिकित्सा "Novirin" टैब का उपयोग करने के लिए जानने के लिए। 500 मिलीग्राम (छाला 20), उपयोग के लिए निर्देश आप आगे बता देंगे। सब से ऊपर वर्णित विकृतियों औषधि में एक दिन तीन से पांच बार दो कैप्सूल के एक औसत खुराक में किया जाता है। गंभीर मामलों में, दैनिक खुराक ऊपर एक वयस्क के लिए 15 कैप्सूल के लिए हो सकता है। यह ध्यान देने योग्य है कि यह राशि आवश्यक कई चरणों में विभाजित किया जाना चाहिए। बच्चों के लिए आम तौर पर शरीर के वजन के आधार पर दवा निर्धारित है। तो, शरीर के वजन के हर किलोग्राम के लिए सक्रिय संघटक के बारे में 50 मिलीग्राम के लिए खाते चाहिए। उपयोग करने से पहले, एक आत्म मूल्यांकन करने के लिए और है कि क्या नियुक्त चिकित्सक सही खुराक की जांच सुनिश्चित करें। अपने बच्चे को 12 किलोग्राम, "Novirina" की 600 मिलीग्राम की अपनी अधिकतम दैनिक खुराक वजन का होता है, तो। यह बड़े पैमाने पर 2-4 खुराक में विभाजित किया जाना चाहिए। यह कहा जाता है कि यह नियमित अंतराल पर दवा लेने के लिए वांछनीय है कि। इस विधि बीमारी पर अधिकतम प्रभाव का इलाज होगा। यदि आप बच्चों की दवा "Novirin" निर्देश देते हैं, दवा का वर्णन है, साथ ही डॉक्टरों की राय की रिपोर्ट है कि दवा पहले से भंग किया जा सकता है। इस के लिए एक गोली या कैप्सूल हिस्सा पाउडर को कुचलने और पानी के साथ पतला। बड़े बच्चों को अपने स्वयं के गोलियाँ चबाना सकते हैं, उन्हें पानी के साथ नीचे धोने। नशीली दवाओं के उपचार या रोकथाम में नियंत्रित किया जा सकता। इस्तेमाल दवा "Novirin 500" (गोलियाँ) के रूप में? उपयोग के लिए निर्देश का कहना है कि वयस्कों दैनिक खुराक के लिए सक्रिय संघटक की 1,000 से 2,000 मिलीग्राम है। इस हिस्से को 2-4 खुराक में बांटा गया है है। पाठ्यक्रम हमेशा एक डॉक्टर का चयन और ऊपर एक महीने के लिए हो सकता है। दवा अक्सर बच्चों में श्वसन रोगों की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया। बालवाड़ी में भाग लेने के पूर्व स्कूल उम्र के बच्चों के लिए विशेष रूप से सामयिक दवा। तो बच्चों को दो सप्ताह के पाठ्यक्रम सुधार को सौंपा गया है। इस मामले में खुराक शरीर के वजन के आधार पर गणना की है। 50 पर मिलीग्राम "Novirina" हर किलोग्राम लिया जाना चाहिए। उपचार के बाद वहाँ एक सप्ताह में एक ब्रेक है, और सर्किट फिर से दोहराएँ। यदि आवश्यक हो, ऐसी चिकित्सा छह महीने या उससे भी ज्यादा तक बढ़ाया जा सकता। हालांकि, इस तरह की सिफारिश चिकित्सक प्रदान करना चाहिए। दुर्बल प्रतिरक्षा से युक्त लोगों के लिए निम्न चित्र में इस दवा की नियुक्ति की। दिन में तीन गोलियाँ करने के लिए एक लिया जाना चाहिए। पाठ्यक्रम सुधार नौ हफ्तों तक जारी है। डॉक्टर यह आवश्यक समझे, तो योजना बढ़ाया या दोहराया जा सकता है। आप पहले से ही कैसे दवा "Novirin" (गोलियाँ) का उपयोग करने के पता है। बच्चों और वयस्कों के लिए उपयोग के लिए निर्देश पता चलता है कि आम तौर पर अच्छी तरह सहन ठीक से चयनित खुराक। हालांकि यह शामिल नहीं है, और पक्ष प्रतिक्रियाओं। ज्यादातर मामलों में, वे निम्नलिखित रूप में व्यक्त कर रहे हैंः - उल्टी, पेट में दर्द, उल्टी, - सिर दर्द, कमजोरी, बेचैनी, - भूख, अपच, कब्ज या दस्त का अभाव; - जोड़ों का दर्द, वृद्धि हुई पेशाब की मात्रा। हैं, तो सुधार के दौरान आप के प्रतिकूल प्रभाव या बेचैनी कारण किसी अन्य अप्रत्याशित प्रभाव का वर्णन किया है, तो आप सलाह के लिए एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। सबसे अधिक संभावना, उपचार अन्य, अधिक कोमल से बदल दिया जाएगा। इस मामले में अलग संरचना के साथ इसी तरह की दवाओं के रूप में चुना। कैसे दवा करता है? रोगी के शरीर में एक बार, दवा पेट में पहले से ही रक्त में अवशोषित होने के लिए शुरू होता है। सक्रिय संघटक की अधिकतम राशि उपयोग की एक घंटे बाद प्लाज्मा में पाया। हालांकि, दवा के प्रभाव बाद में शुरू होता है। इसकी कार्रवाई "Novirin" लगभग 4 घंटे के बाद शुरू होता है। आठ घंटे के लिए एक दवा मानव शरीर में संग्रहित है। यही कारण है कि डॉक्टरों को नियमित अंतराल पर दवा के उपयोग की सलाह देते है। यह योजना आप उपचार के अधिकतम प्रभावशीलता को प्राप्त करने के लिए अनुमति देता है। सक्रिय पदार्थ आइनोसीन pranobex एक वायरस से प्रभावित कोशिकाओं को परिभाषित करता है और उन्हें प्रभावित करता है। दवा रोग झिल्ली के गुणन को रोकता है और शरीर से उन्मूलन को तेज करता है। एक ही समय में दवा श्वेत रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है और इंटरफेरॉन का स्तर बढ़ जाता है। इस कार्रवाई की वजह से शरीर की प्रतिरक्षा रक्षा बढ़ाने आता है। जिसके परिणामस्वरूप कोशिकाओं स्वतंत्र रूप से रोग संक्रमण से निपटने के लिए शुरू करते हैं। प्रदर्शित दवा मुख्य रूप से गुर्दों द्वारा उत्सर्जित कर रहा है। आंशिक रूप से "Novirin" और उसके मुख्य सक्रिय संघटक मूत्र में पाया। दवा की एक छोटी सी अनुपात पेट के माध्यम से अपरिवर्तित उत्सर्जित होता है। अगर यह जितनी जल्दी हो सके करना शुरू कर दिया है उपचार दवा के अनुसार सबसे प्रभावी होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वागत बीमारी के पहले दिन के रूप में के रूप में जल्दी शुरू कर देना चाहिए। बहरहाल, यह हमेशा संभव नहीं एक विशेषज्ञ के साथ पूर्व परामर्श के लिए की जरूरत की वजह से है। दवा अक्सर विरोधी ज्वरनाशक और विरोधी वायरल यौगिकों के साथ संयोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। साथ ही यह उनकी कार्रवाई पुष्ट। जटिल सुधार की शुरुआत से पहले दवाओं की संरचना के साथ परिचित करने के लिए आवश्यक है। इस प्रकार के पदार्थ की अधिक मात्रा से बचने जाएगा। दवा की लंबी अवधि के उपयोग के साथ यह शरीर के संचालन और यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है। इस उद्देश्य के लिए हम नियमित रूप से एक विशेषज्ञ जाएँ और सौंपा परीक्षण पास। आप पहले से ही पता है दवा की किस तरह "Novirin" (गोलियाँ) उपयोग के लिए निर्देश। मूल्य पैसे प्रति पैक कैप्सूल की संख्या पर निर्भर करता है। अधिक गोलियाँ आप मिलता है, उच्च लागत। पैकेज तैयारी "20 कैप्सूल Novirin" आप के बारे में 400 रूबल, या 97 रिव्निया खर्च होंगे। आप एक बड़ा पैक खरीदते हैं, तो यह लगभग 700 रूबल, या 180 रिव्निया खर्च होंगे। दवा मुख्य रूप से यूक्रेन में खुदरा श्रृंखलाओं में बेचा जाता है। रूस में, हालांकि, यह समान दवाओं का उपयोग करने का फैसला किया। क्या दवा की जगह ले सकता? दवा "Novirin" (गोलियाँ) उपयोग के लिए निर्देश की संरचना के बारे में बताना होगा। दवा की analogues - यह एक ऐसी ही रचना या एक ही प्रभाव होने का मतलब है। कहा जाता है कि दवा का पहला प्रकार एक निरपेक्ष अनुरूप है। सक्रिय संघटक के इस खुराक पर भिन्न हो सकते हैं। आप के सामने एक ही प्रभाव होने का मतलब है, लेकिन अलग संरचना है, यह एक रिश्तेदार अनुरूप दवा है। निम्नलिखित माध्यम से पहले दवा का मतलब "Isoprinosine" और "Groprinozin" के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वे एक ही सक्रिय पदार्थ होते हैं। इस मामले में, समान दवा की खुराक के लिए भी। रिश्तेदार अनुरूप दवाओं के अलावा इस प्रकार हैंः "Ergoferon", "Anaferon", "TSikloferon", "Arbidol" और कई अन्य। यह याद रखा जाना चाहिए कि स्वयं दवा बदल नहीं सकते। इससे पहले कि यह जरूरी है कि डॉक्टरों को पता और नियुक्ति पाने के लिए। कहाँ संकेत दिया, डॉक्टर अपने स्वयं के बराबर करने के लिए आप की सिफारिश करेंगे। उपभोक्ताओं का कहना है कि दवा काफी महंगा दवा है। हालांकि, इसकी कार्रवाई मूल्य सीमा के साथ पूरी तरह अनुरूप है। दवाओं के प्रभाव निर्विवाद है। नियमित रूप से इस्तेमाल के कुछ दिनों के बाद गतिशीलता और सुधार निरीक्षण करने के लिए। हालांकि, डॉक्टरों सभी लक्षण के लापता होने के बाद एक और दो दिनों के लिए इलाज जारी रखने के लिए सलाह दी जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि दवा के वाहनों के प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह भी गर्भावस्था के दौरान नियंत्रित किया जा सकता। यह गर्भावस्था की पहली तिमाही में "Novirina" के उपयोग से बचना चाहिए। सभी इस तथ्य के कारण है कि अब तक महत्वपूर्ण प्रयोग किये नहीं और कैसे दवा भ्रूण अंगों के गठन को प्रभावित कर सकते हैं के बारे में कोई जानकारी नहीं है करने के लिए। फार्मासिस्टों का कहना है कि दवा "Novirin" हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर लोकप्रियता हासिल की। यह अक्सर महामारी और बढ़ती घटनाएं दौरान अर्जित कर रहा है। इस तरह के एक उच्च कीमत के बावजूद, दवा एक अच्छा पक्ष साबित हुई और डॉक्टरों और लगभग सभी उम्र के रोगियों का विश्वास जीतने के लिए सक्षम था। पहले से ही उल्लेख किया है, नशीली दवाओं के उपचार के लिए, लेकिन यह भी सुधार के उद्देश्य के लिए न केवल खरीदा जाता है प्रतिरक्षा स्थिति के जीव की। एक डॉक्टर औषधीय उत्पाद को खरीदने के लिए से प्रिस्क्रिप्शन की आवश्यकता नहीं है। अब जब कि आप जानते हैं कि चिकित्सा "Novirin"। निर्देश, रचना, दवाओं के उपयोग, साथ ही इसके बारे में समीक्षा अपने ध्यान में प्रस्तुत कर रहे हैं। इस उपकरण का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है। विशेषज्ञ आपको दवा की सही खुराक चुनें, और साथ ही एक उपयुक्त सुधार सर्किट की पेशकश करने में मदद करेगा। आत्म उपचार के लिए उपकरण का उपयोग न करें। ज्यादातर मामलों में, रोगी स्वतंत्र रूप से विकृति के विकास की प्रकृति का निर्धारण नहीं कर सकता। इस बार गलत उपचार की ओर जाता है। अच्छे स्वास्थ्य और भलाई!
- 4 min ago अंजू की जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पाया नसरुल्ला, पाकिस्तान की सीमा पार कर जल्द आएगा हिंदुस्तान! - 1 hr ago Year Ender 2023- इस साल दुनिया को अलविदा कह गए ये दिग्गज सितारे.. एक एक नाम कर देगा दुखी! Don't Miss! Armaan Malik Wives Payal Kritika Fight: अरमान मलिक यूट्यूब की दुनिया में अपना काफी नाम बना चुके हैं। साथ ही अरमान पर्सनल लाइफ को लेकर ज्यादा चर्चा में बने रहते हैं। पायल मलिक और कृतिका मलिक भी अपने व्लॉग के जरिए फैंस को अपनी हर एक अपडेट शेयर करती हैं। लेटेस्ट व्लॉग में दिखाया गया है कि पायल और कृतिका के बीच झगड़ा हो जाता है और गोलू जैद को लेकर घर चली जाती है। यूट्यूबर अरमान मलिक की दोनों बीवियों के बीच हुआ 'झगड़ा' लेटेस्ट व्लॉग में दिखाया है कि पायल ने बताया कि उनकी आंखें मेकअप की वजह से काफी काली हो गई है जो कि रिमूव भी नहीं हो रहा है। वहीं कृतिका ने बताया कि आज आयान और तूबा चार महीने के हो गए है। व्लॉग में आगे दिखाते है कि पायल बच्चों को दवाई देती है। घर में तूबा की दोस्त जारा आती है। वहीं पायल ने बताया कि जो उन्हें फैंस की तरफ से गिफ्ट मिले हैं वो साइज में काफी बडे है इसीलिए इनकी फीटिंग कराना है। पायल और कृतिका मार्किट में काफी शॉपिंग की। इसके आगे कृतिका आम खरीदने लगती हैं तो पायल उसको रोक देती है। इस हरकत पर कृतिका को गुस्सा आ जाता है। गाड़ी में बैठकर कृतिका और पायल की खूब लड़ाई होती है। आगे कृतिका प्लान करती है कि वो पायल के साथ प्रैंक करेगी कि वह घर छोड़कर जा रही है। व्लॉग में कृतिका जाने की जिद्द करती है लेकिन पायल उसको काफी रोकती है। कृतिका कहती है कि उसको पायल के साथ अब बिल्कुल भी नहीं रहना है। पायल जैद को लेकर बोलती हैं कि ठीक है चली जा अपनी मम्मी के घर.... लेकिन जैद मेरे पास ही रहेगा। कृतिका मलिक आगे बोलती हैं कि जब तक अरमान दुबई से मुझे लेने नहीं आ जाते मै वापिस इस घर मे नहीं आउंगी। पायल मलिक इन सब चीजों से काफी परेशान हो जाती है वो जैद को अपनी गोद में उठा लेती है। वहीं पायल जैद को देखकर बोलती है कि इसको डाइपर तो पहनाया नहीं और इतना बोलकर पायल और कृतिका आपस में जोर - जोर से हंसने लगती हैं। इसके बाद कृतिका बता देती है कि वह पायल के लिए सिर्फ मजाक कर रही थी। पायल बोलती है कि कृतिका का प्रैंक फेल हो गया। Koffee With Karan 8: शर्मिला टैगोर ने हिंदी शब्द ना समझ पाने पर सैफ की लगाई क्लास, बोलीं-'तुम एक हिंदी एक्टर..
उत्तर-पूर्वी दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने के मुख्य आरोपी आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सात ऐसे वीडियो जुटाए हैं, जो अहम सबूत माने जा रहे हैं। पुलिस ने हाल में दाखिल अपनी चार्जशीट में इन सात वीडियो का हवाला दिया है। ये वीडियो ताहिर हुसैन के घर व छत के हैं जो 23 फरवरी से 25 फरवरी के बीच के बताए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कड़कड़डूमा कोर्ट में ताहिर हुसैन समेत 15 लोगों के खिलाफ दंगों की साजिश रचने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में तमाम लोगों को जहां दंगों की साजिश का हिस्सा बताया गया है, वहीं तत्कालीन निगम पार्षद का इलाके में प्रभाव व अपने समुदाय पर नियंत्रण दंगों को फैलाने की मुख्य कारण माना गया है। पुलिस के मुताबिक, वीडियो से पता चलता है कि ताहिर हुसैन की छत से लोगों को नुकसान पहुंचाने की तैयारी पहले किस तरह की गई। इन वीडियो में ताहिर के नजदीकी साथियों को साफ देखा जा सकता है, जो बंदूक-गोली, तलवार-चाकू, तेजाब, पेट्रोल बम, पत्थर, लाठी-डंडे व अन्य खतरनाक सामान वहां जुटा रहे हैं। हालांकि, पुलिस ने यह भी कहा कि ताहिर के साथियों को इस साजिश का हिस्सा नहीं माना गया है। ताहिर के साथियों को दंगे भड़काने का ही आरोपी बनाया गया है, क्योंकि असली साजिश का रचयिता ताहिर ही था। बाकी सब आरोपी उससे प्रभावित थे। चार्जशीट में कहा गया है कि ताहिर हुसैन का घर भजनपुरा से करावल नगर की तरफ मुख्य मार्ग पर होने की वजह से इस स्थान को दंगों के लिए अड्डा बनाया गया। यहां से हमला करना आसान था। ताहिर हुसैन का घर तीन मंजिला था। तीसरी मंजिल की छत पर पहले से दंगों का तमाम सामान मौजूद था। वहां अपने लोगों को चढ़ने की अनुमति दी गई। आस-पास कोई इतनी ऊंची इमारत न होने का फायदा दंगाइयों ने उठाया। छत से तेजाब में भीगे कपड़े में आग लगाकर मुख्य मार्ग पर फेंके गए। यहां तक कि तेजाब व पेट्रोल शीशी में भरकर फेंके गए। इससे कई पुलिसकर्मी तेजाब से झुलसे भी थे। ये सभी कृत्य इन सात वीडियो क्लीपिंग में साफतौर पर दिखने का दावा पुलिस ने चार्जशीट में किया है। चार्जशीट के मुताबिक, इन वीडियो में आरोपियों की आक्रामकता स्पष्ट दिख रही है। आरोपी ताहिर हुसैन की दंगों से संबंधित तीन जमानत याचिकाओं पर शुक्रवार को भी सुनवाई अधूरी रह गई। ताहिर हुसैन की तरफ से वरिष्ठ वकील के. के. मनन और वकील उदिति बाली ने दलीलें पेश कीं और अपने मुवक्किल को एक बड़ी राजनीतिक साजिश का शिकार बताया। वहीं, विशेष लोक अभियोजक मनोज चौधरी ने अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय ना होने की बात कही। इसके बाद दंगों के मामले को सुन रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने ताहिर हुसैन की तीनों जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 12 अक्टूबर की तारीख तय की।
मुंबई. Maharashtra MSBSHSE HSC 12th Result 2019 LIVE Updates: महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन (MSBSHSE) 12वीं रिजल्ट ऑफलाइन मोड में जारी हो गया है. स्टूडेंट्स ऑनलाइन मोड में अपना रिजल्ट ऑफिशियल वेबसाइट www. mahahsscboard. maharashtra. gov. in, www. mahresult. nic. in पर 1 बजे से चेक कर सकेंगे. महाराष्ट्र बोर्ड की तरफ से 12वीं की परीक्षा फरवरी महीने में आयोजित की गई थी. महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं रिजल्ट चेक करने के लिए स्टूडेंट्स को रोल नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर और डेट ऑफ बर्थ की जरूरत पड़ेगी. इसलिए स्टूडेंट्स को सलाह है कि वो अपना एडमिट कार्ड अपने पास रख लें, ताकि रिजल्ट जारी होने के बाद सबसे पहले चेक कर सकेंगे. महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं 2018 रिजल्ट की बात करें तो महाराष्ट बोर्ड 12वीं 2018 की परीक्षा में कुल 88. 41 प्रतिशत स्टूडेंट्स सफल हुए थे. महाराष्ट बोर्ड 12वीं में लड़कियों का पास प्रतिशत 92. 36 जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 85. 23 था. महाराष्ट्र बोर्ड की तरफ 2018 में 12वीं रिजल्ट 30 मई को जारी किया गया था. Maharashtra MSBSHSE HSC 12th Result 2019 LIVE Updates: 01:05 Pm- महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड 12वीं परीक्षा का रिजल्ट जारी हो गया है और बोर्ड रिजल्ट का ऑनलाइन लिंक भी एक्टिव कर दिया है. स्टूेंड्ट बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं. 12:48 Pm- महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड 12वीं परीक्षा का रिजल्ट कुछ मिनट बाद एक्टिव हो जाएगा. महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं रिजल्ट लिंक एक्टिव होने के बाद स्टूडेंट्स विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकेंगे. - महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड 12वीं की परीक्षा में शामिल स्टूडेंट्स सबसे पहले बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं. - महाराष्ट्र बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाने के बाद रिजल्ट लिंक पर क्लिक करें. - अपना रोल नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर और डेट ऑफ बर्थ इंटर करें. - महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं रिजल्ट आपके सामने होगा. - महाराष्ट बोर्ड 12वीं रिजल्ट की एक प्रति डाउनलोड कर अपने पास ऱख लें, क्योंकि भविष्य इसकी जरूरत पड़ेगी. 11:33 am- Girls outprerform boys with 90. 25% (महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं में 90. 25 प्रतिशत लड़कियां पास) महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं की परीक्षा में कुल 90. 25 प्रतिशत लड़कियां पास पास हुई हैं. जबकि 12वीं में लड़कों का पास प्रतिशत 82. 40 प्रतिशत है. पिछले वर्ष यानी कि 2018 में में लड़कियों का पास प्रतिशत लड़कों से बेहतर था. 11:30 am- महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन (MSBSHSE) 12वीं परीक्षा में लड़कियों का पास प्रतिशत लड़कियों से बेहतर रहा है. 11:22 am- महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन (MSBSHSE) 12वीं रिजल्ट ऑफलाइन मोड में जारी हो गया है. महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं की परीक्षा में कुल 85. 88 प्रतिशत स्टूडेंट्स पास हुए हैं. बोर्ड द्वारा ऑनलाइन रिजल्ट 1 बजे ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी किया जाएगा. 10:50 am-महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं रिजल्ट जारी होने में चंद पलों का समय बचा हैं. स्टूडेंट्स अपना एडमिट कार्ड हाथ में लेकर बैठे और लैपटॉप ऑन कर लें, ताकि रिजल्ट घोषित होने के बाद सबसे पहले चेक कर सकेंगे. 10:28 am- महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं की परीक्षा 21 फरवरी से लेकर 20 मार्च के बीच आयोजित कराई गई थी. साथ ही महाराष्ट्र बोर्ड के अंतर्गत के नौ डिविजन आते हैं, जिनमें नागपुर, नासिक, लातूर, कोनकन, औरंगाबाद, मुंबई, कोल्हापुर अमरावती और पुणे शामिल हैं. इन डिविजन में हर साल महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं परीक्षा का आयोजन कराता है. 10:28 am- महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं रिजल्ट ऑफिशियल वेबसाइट वेबसाइट पर कुछ देर बार जारी कर देगा. स्टूडेंट्स अपना एडमिट कार्ड हाथ में रखें. ताकि सबसे पहले रिजल्ट देखें. 10:10 am- महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं रिजल्ट जारी होने के बाद स्टूडेंट्स अपनी मार्क्सशीट अपने स्कूल या फिर बोर्ड कार्यालय से प्राप्त कर सकेंगे. महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं की मार्क्सशीट लेते समय इस बात का ध्यान रखें, कि उसमें दी मूल सूचनाएं जैसे- नाम, पता, माता-पिता का नाम, विषय आदि चेक कर लें, अगर कोई गलती हो तो इसकी शिकायत बोर्ड ऑफिस में करें. महाराष्ट्र बोर्ड द्वारा स्टूडेंट्स की पूरी सहायता की जाएगी. 09:55 am- महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड 12वीं की परीक्षा में पिछले वर्ष लड़कियों का पास प्रतिशत लड़कों से बेहतर था. महाराष्ट बोर्ड ने पिछले वर्ष 12वीं परीक्षा का रिजल्ट मई में जारी किया था. 09:40 am- महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड 12वीं रिजल्ट जारी होने के बाद अगर वेबसाइट क्रैश हो जाती है तो स्टूडेंट्स परेशान न हो, क्योंकि अक्सर रिजल्ट जारी होने के बाद वेबसाइट क्रैश हो जाती है. इसलिए स्टूडेंट्स को सलाह है कि वो रिजल्ट कुछ देर बाद चेक करें. - महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड 12वीं की परीक्षा में शामिल स्टूडेंट्स सबसे पहले बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं. - महाराष्ट्र बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाने के बाद रिजल्ट लिंक पर क्लिक करें. - अपना रोल नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर और डेट ऑफ बर्थ इंटर करें. - महाराष्ट्र बोर्ड 12वीं रिजल्ट आपके सामने होगा. - महाराष्ट बोर्ड 12वीं रिजल्ट की एक प्रति डाउनलोड कर अपने पास ऱख लें, क्योंकि भविष्य इसकी जरूरत पड़ेगी.
११० :: संघर्ष की ओर "प्रातः खेल और व्यायाम " दस वर्षीय धोर बोला, "फिर ब्रह्मचारी भैया ने अक्षर सिखाए और गिनती भी। और फिर हमने युद्ध प्रशि क्षण सामग्री तैयार की ।" लक्ष्मण ने प्रशंसा के भाव से उसे देखा-धीर पर्याप्त गंभीर और दायित्वपूर्ण वयस्क के समान वात कर रहा था महत्त्व का भाव, प्रायः बच्चों के चेह्रों पर दिखाई पड़ रहा था । "भोजन हो गया ?" "हा ?" "निरीक्षक कौन थे ?" कई बच्चे अपने स्थानों से खिसककर आगे आ गए। वे सब दस-बारह वर्ष की आयु के बच्चे थे । "छोटे बच्चो को ठीक से, उनके पास बैठकर खिला दिया था न ?" "अच्छी प्रकार !" नौ वर्षीय मिता ने आश्वस्त कंठ से कहा, "सीता दीदी ने अच्छा काम करने के लिए हमारे विषय में विशेष रूप से प्रशस्ति वचन कहे है । " "सच ! तव तो तुम लोग योग्य बच्चे हो ।" लक्ष्मण हंसे, "अब यह बताओ कि किस-किस को माता-पिता की याद आयी और किस-किस को यह काम अच्छा नहीं लगा ?" "कोई भी नही रोया।" धीर ने बताया । "और काम !" "काम सब को खेल के समान प्रिय लगा।" मिता बोली । "अच्छा, एक प्रश्न का उत्तर दो।" लक्ष्मण क्षण-भर रुककर बोले, "तुम सब इधर-उधर व्यर्थ घूमने वाले आपस में मार पीट करने वाले, माता-पिता को तंग करने वाले बच्चे हो...' "नही !" लक्ष्मण का प्रश्न पूरा होने से पहले ही प्रायः बच्चे समवेत "स्वर में बोले, "हम समाज के उपयोगी अग है। हम समाज का व्यर्थ बोझ नही, सार्थक अग है।" "छोटे बच्चो की रक्षा कौन करेगा ? "बड़े बच्चे !" "जो दुर्बल और असहाय को सताएगा, वह क्या कहलाएगा ?" "राक्षस !" "क्या तुम राक्षस बनना चाहते हो ?" "नहीं ! हम राक्षसों का नाश करना चाहते हैं । लक्ष्मण मुसकराए, "तुम लोग सचमुच योग्य वच्चे हो। तुम्हारे विषय में विशेष रूप से प्रशस्ति-वचन कहे ही जाने चाहिए ।" वे रुके, "मैं जा रहा हूं। तुम लोग अब क्या करोगे ?" "वड़े बच्चे, छोटे बच्चों को सुलाकर, स्वयं अपना पाठ याद करेंगे।" "अच्छा, अब कल मिलेंगे।" चन के जिस भाग से कुटीरो के लिए लकडियां कटी थी, वही राम अपनी टोली के साथ वन की सफाई कर रहे थे। उनकी टोली मे बीस पुरुप थेदस श्रमिक और दस ब्रह्मचारी ये बीस व्यक्ति कठोर कर्मक्षमता के आधार पर चुने गए थे। यह टोली इस क्षेत्रकी जन-वाहिनी का मेरुदड बनने जा रही थी । वे लोग प्रातः से ही राम के साथ थे। राम ने उन्हें बताया था कि वैसे सो समस्त श्रमिको तथा आश्रमवासियों को सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त करना था, किंतु उन्हें मुख्य रूप से श्रमिक अथवा ब्रह्मचारीही रहना था । उन्हे अपने स्थान पर रहकर, अपना काम करते हुए, अपनी अपने समाज की तथा सामाजिक संपत्ति की रक्षा करनी थी; किंतु राम की इस टोली को मुख्यतः सैनिक - कर्म करना था तथा आवश्यकतानुसार अन्य स्थानों पर जाकर वहां जन सामान्य की रक्षा करनी थी । अपने खाली समय में उन्हें सामाजिक उत्पादन के क्षेत्र में अपना योगदान करना था । संयोग से वन के इस भाग से लकड़ी काटने के कारण, वन छीज गया था । वैसे भी यह स्थान वस्ती, आश्रम तथा खान - प्राय. तीनों के ही समीप था। राम ने अपनी टोली के सामाजिक उत्पादन-श्रम के लिए इसी स्थान को पसंद किया था। उन लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार कुछ बड़े-बड़े वृक्ष छोड़कर, शेप पेड़-पौधों को काट दिया था। उनकी जड़ें खोल डाली थी और झाड़-झंखाड़ साफ कर दिए थे। सारा क्षेत्र साफ कर,
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम आज बिहार, उप्र और मप्र के 17 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। टीम पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े लोगों के घर को खंगाल रही है। बिहार के दरभंगा और मोतिहारी में NIA की टीम PFI से जुड़े सदस्यों के खिलाफ छापेमारी करने आई है। मंगलवार सुबह-सुबह जब NIA टीम पहुंची तो इलाके में हड़कंप मच गया। दरभंगा में डॉ. सारिक रजा और मो. महबूब के घर अलग-अलग टीम पहुंची है। वहीं मोतिहारी में सज्जाद अंसारी के घर में भी NIA की एक टीम पहुंची है। टीम के साथ स्थानीय पुलिस भी है। सभी जगह घर को बाहर से लॉक कर दिया गया है। किसी बाहरी को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। टीम घर के अंदर दस्तावेजों को खंगाल रही है। सूत्रों की मानें इन सभी का तार PFI से जुड़ा है। मोतिहारी में PFI की टीम सोमवार देर रात ही पहुंची। यहां SP से मुलाकतार के बाद सुबह चकिया और मेहसी थाना की पुलिस के साथ कुअवां गांव पहुंची। इसके बाद सज्जाद अंसारी के घर सर्च ऑपरेशन चला रही है। टीम ने घर के अंदर बाहर से आने वालों की इंट्री पर रोक लगा दिया गया। एक-एक चीज को बारीकी से खंगाला जा रहा है। सूत्रों की मानें तो टीम घर से सदस्यों से भी पूछताछ कर रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सज्जाद पिछले 15 महीने से दुबई में ही रहकर नौकरी करता है। दरअसल, पिछले माह NIA ने मोतिहारी से ही PFI के सदस्य इरशाद को गिरफ्तार किया था। इससे पूछताछ के आधार पर टीम सज्जाद अंसारी के घर पहुंची। बता दें कि फुलवारीशरीफ आंतकी मॉड्यूल का तार मोतिहारी से जुड़ने के बाद से ही NIA की टीम लगातार मोतिहारी में छापेमारी कर रही है। इस मामले में आधा दर्जन संदिग्ध गिरफ्तार किए गए हैं। दरभंगा में आज मंगलवार सुबह ही NIA की दो अलग-अलग टीम पहुंची। पहली टीम नगर थाना क्षेत्र के उर्दू बाजार स्थित डेंटिस्ट डॉ. सारिक रजा के घर पहुंची। टीम ने घर में बाहर से आने वालों की इंट्री पर रोक लगा दिया। घर के सदस्यों से पूछताछ की। इसके बाद डॉ. सारिक के कमरे में दस्तावेजों को खंगाल रही है। वहीं दूसरी टीम सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के शंकरपुर गांव निवासी मो. महबूब के घर पहुंची। बताया गया है कि NIA की टीम के आने की सूचना मिलते ही मो. महबूब मौके से गायब हो गया। NIA ने महबूब की मां एवं दोनों भाई से पूछताछ की। 40 वर्षीय मो. महबूब विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है। उसकी शादी अब तक नहीं हुई है। इससे पहले एनआईए की टीम इस गांव में मो. सनाउल्लाह एवं मो. मुस्तकीम के घर छापेमारी कर चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि डॉ. सारिक और महबूब के तार PFI से जुड़े हैं। NIA इसी मामले को लेकर दोनों के घर पहुंची। हालांकि NIA के अधिकारी या दरभंगा पुलिस में इस मामले में कुछ कहने से इनकार कर दिया है।
अमेरिका में एक बार फिर कोरोना वायरस को लेकर चिंता का माहौल है. तीन हफ्ते पहले जहां देश में लगातार टीके लेने वालों की संख्या बढ़ रही थी और सरकार ने संस्थानों को खोलने के आदेश दे दिये थे. पूरे देश में माहौल बेहतर हो रहा था, अब उसके बिल्कुल उलट लोग एक बार फिर चिंतित हैं. कारण है कि अमेरिका के कुछ राज्यों में फिर से कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी आयी है. ये राज्य हैं- लुइसियाना, टेक्सास, फ्लोरिडा और मिशूरी, जहां वायरस के डेल्टा वैरिएंट के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. इन राज्यों में रिपब्लिकन का वर्चस्व है, जिस कारण लोग टीका लेने में आना-कानी कर रहे हैं. उन राज्यों में जहां टीकाकरण तेजी से हुआ है, वहां संक्रमण के मामले बिल्कुल कम हैं. इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण के नये मामलों में जिन लोगों को अस्पतालों में भर्ती होना पड़ा है, उनमें से 97 प्रतिशत लोगों ने टीके की एक भी खुराक नहीं ली है. जाहिर है कि टीके के कारण कोरोना नियंत्रण में आ रहा है या कहें कि टीके की एक खुराक से भी कोरोना से लड़ने की क्षमता बेहतर हो रही है. अमेरिका में इस समय तीन टीके दिये जा रहे हैं. फाइजर, मॉडर्ना की दो खुराकें और जॉनसन एंड जॉनसन की एक खुराक बिना किसी कीमत के दी जा रही है. राष्ट्रपति बाइडेन लगातार कोशिश कर रहे हैं कि देश की अधिकांश आबादी को टीके लग जाएं, लेकिन अब भी सिर्फ 49 प्रतिशत लोगों ने ही वैक्सीन की दोनों खुराकें ली हैं. पैंसठ साल से अधिक उम्र के लोगों में 85 प्रतिशत ने दोनों खुराकें ली हैं. न्यूयार्क टाइम्स अखबार के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक महीने में कोरोना पीड़ितों की संख्या में चार गुना की तेजी आयी है और अगर लोगों ने टीके नहीं लिये, तो संक्रमण में तेजी आयेगी और हालात फिर से खराब हो सकते हैं. पूरे देश में इस समय हर दिन करीब 80 हजार नये मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें से 40 हजार मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है. लुइसियाना राज्य में हालात बहुत खराब हैं, जहां जुलाई महीने की शुरुआत में हर दिन चार सौ मामले सामने आ रहे थे, अब हर दिन का आंकड़ा 2400 को पार कर चुका है. कोरोना संक्रमण में तेजी आने के पीछे अनेक कारण हैं. पहला कारण तो यही है कि रिपब्लिकन लोगों में टीके को लेकर शंका है. इस शंका को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलना होगा और अमेरिकी इतिहास को परखना होगा. यह कहना इस पूरे मसले का सरलीकरण होगा कि रिपब्लिकन लोग टीके नहीं ले रहे हैं. हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी का रवैया इस समस्या को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार जरूर है. पिछले दिनों रिपब्लिकन पार्टी के कई सांसदों ने कैपिटल हिल में बिना मास्क पहने प्रदर्शन किया था. अब सोचा जा सकता है कि इस तरह के प्रदर्शन का आम लोगों पर या रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों पर क्या असर पड़ा होगा. यहां गांव-गांव में रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों को यह बताने वाला कोई नहीं है कि जो सांसद बिना मास्क के संसद में घूमना चाहते हैं उनमें से संभवतः अधिकतर ने टीका ले रखा है. ऐतिहासिक रूप से यह बड़ा तथ्य है कि अमेरिकी लोग अपनी सरकारों पर हमेशा से शक करते हैं और इसकी जड़ें अमेरिका की आजादी की लड़ाई में छुपी हुई हैं. इतिहास में रुचि रखने वाले जानते हैं कि अमेरिका में आनेवाले लोग मूल रूप से यूरोपीय थे और यहां उनका शासन तंत्र तो था, मगर वे कर इंग्लैंड की रानी को ही देते थे. विद्रोह इसी के खिलाफ हुआ यानी कि गोरे लोगों ने गोरे लोगों के खिलाफ विद्रोह किया था. अमेरिकी गोरों ने ब्रितानी गोरों के खिलाफ जो विद्रोह किया, असल में वह सरकारी नीतियों के खिलाफ विद्रोह था. इसके बाद गुलामी की प्रथा को खत्म करने को लेकर हुआ विद्रोह भी एक तरह से सरकारी नीति के खिलाफ ही विद्रोह था, जिसने पूरे देश को लगभग चार साल तक गृह युद्ध की आग में झोंके रखा. कहने का मतलब ये है कि अमेरिका की बहुसंख्यक आबादी सरकार को आम लोगों के जीवन में हस्तक्षेप करने वाले के रूप में देखती है और सरकार के हर फैसले को शक की निगाह से देखती है. शायद यह भी एक कारण है कि यहां शिक्षा से लेकर जीवन के हर पहलू को प्राइवेट हाथों में सौंपे जाने को लेकर लोगों में एक तरह की सहमति है. लोगों का मानना है कि साम्यवादी व्यवस्था वाली सरकार लोगों के जीवन में दखल देती है और इसलिए वे एक पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था में भी सरकार को शक की निगाह से देखते हैं. ये भी ध्यान रखना चाहिए कि यूरोप से इतर अमेरिका में सरकार को वेलफेयर स्टेट की तरह नहीं देखा जाता है बल्कि सरकार को निगरानी करने वाले की तरह लिया जाता है, जो लोगों के जीवन में कम-से-कम हस्तक्षेप करे. यही कारण है कि राज्यों के पास कई अधिकार होते हैं और वे राज्य की प्रगति के लिए केंद्र सरकार के नियमों का इंतजार नहीं करते हैं. फिलहाल, लोगों के इस रवैये का असर टीकाकरण पर पड़ रहा है. कोरोना के दौरान भी सारी बहस इस पर ही हुई थी कि राज्य सरकारें इससे निपटने में सक्षम नहीं रही हैं, क्योंकि केंद्र की भूमिका उनको मदद करने की ही होती है. फिलहाल अमेरिकी लोगों का यही रवैया रहा तो पूरा देश एक बार फिर कोरोना की विभीषिका से दो-चार हो सकता है. अमेरिका में टीकाकरण की रफ्तार में तेजी आ रही है. कुछ हफ्तों से यह गति ढीली थी. अमेरिका के रोग नियंत्रक केंद्र के मुताबिक बीते शनिवार को 8. 16 लाख से अधिक खुराक दी गयी. यह लगातार पांचवां दिन था, जब सात लाख से अधिक टीके लगाये गये. अभी तक देशभर में 34. 64 करोड़ से अधिक टीके लगाये जा चुके हैं. आंकड़ों की मानें, तो 16. 84 करोड़ लोगों का टीकाकरण पूरा हो चुका है यानी उन्हें दोनों खुराक मिल चुकी है. यह संख्या कुल अमेरिकी आबादी का 49. 6 प्रतिशत है. अमेरिका में 12 साल से अधिक आयु के लोग टीके लगाने के लिए योग्य हैं. इनमें से 58 प्रतिशत से अधिक लोगों को दोनों खुराक लग चुकी है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हाल में संक्रमण बढ़ने से उन लोगों की सोच भी बदल रही है, जो टीका लगाने से अब तक हिचक रहे हैं. यदि ऐसा होता है, तो महामारी की रोकथाम में बड़ी मदद मिल सकती है. (ये लेखक के निजी विचार हैं. )
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने, जो खेत प्रदर्शनकारियों को "देशद्रोही", "माओवादी" और "खालिस्तानी" करार देते हुए प्रदर्शन करने के लिए निकले थे, उन्होंने शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मसमर्पण के बाद एक त्वरित यू-टर्न लिया। तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने मोदीजी के "राजनेता जैसे" फैसले की सराहना की और किसानों के एक वर्ग के प्रति उनके "संवेदनशील" दृष्टिकोण पर जोर दिया। पूर्व कानून मंत्री, रविशंकर प्रसाद, जिन्होंने कहा था कि "टुकड़े-टुकड़े गिरोह" देश की एकता को खतरे में डालने के लिए किसानों के विरोध का इस्तेमाल कर रहे थे, एक कदम आगे बढ़े और कथित तौर पर मोदी के कदम को ऐतिहासिक और साहसी करार दिया। निजी तौर पर, हालांकि, उनमें से कई गुस्से में दिखाई दिए - इतना नहीं कि उनके 56 इंच के सीने वाले नेता प्रदर्शनकारियों के सामने झुक गए थे, बल्कि इसलिए कि राहुल गांधी सही साबित हुए थे। कांग्रेस सांसद ने इस साल जनवरी में कहा थाः "मेरे शब्दों को चिह्नित करें। मुझसे यह लो। ये कानून, सरकार इन्हें वापस लेने पर मजबूर हो जाएगी। मैंने जो कहा उसे याद करो। " अब उन्हीं भाजपा नेताओं को राहुल को 'पप्पू' कहकर उनका उपहास करने से पहले दो बार सोचना होगा। समोसा, चाट, दही वड़ा, जलेबी - जब सभी ने सोचा कि बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हारने से लालू प्रसाद बीमार पड़ गए और पटना से दिल्ली के लिए उड़ान भरी, तो असली दोषियों को पकड़ लिया गया। यह पता चला है कि लालू, पटना में अपने दो सप्ताह के प्रवास के दौरान, अपनी सबसे बड़ी बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती के आवास पर राष्ट्रीय स्तर पर उन सभी प्रकार के स्नैक्स खा रहे थे जो उन्हें उपलब्ध नहीं थे। राजधानी। "वह इतने सारे नेताओं और पुराने समय के लोगों से घिरे बैठे होंगे, जो प्यार से अपने साथ तरह-तरह के खाने लाए थे। कभी-कभी लालू जी की भी कुछ खाने की इच्छा होती और वे लाने के लिए दौड़ पड़ते। ऐसा लगता है कि उन्होंने सभी चिकित्सकीय सलाह का उल्लंघन किया और उन्हें जल्दी से दिल्ली वापस ले जाना पड़ा। दिल्ली के डॉक्टर उसे सिंगापुर भेजने पर विचार कर रहे हैं, जहां उसकी सात बेटियों में से एक अपने परिवार के साथ रहती है, या इलाज के लिए लंदन... भोजन के लिए, "उनके करीबी एक एमएलसी ने कहा। देश में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक और मिजोरम के पांच बार के मुख्यमंत्री ललथनहवला ने हाल ही में 2023 के राज्य चुनाव नहीं लड़ने और बढ़ती उम्र के कारण राज्य कांग्रेस प्रमुख का पद छोड़ने के अपने फैसले का खुलासा किया। वह 83 वर्ष के हैं। इससे नए नेता का मार्ग प्रशस्त होगा। थानहवला दो साल को छोड़कर 1973 से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। कांग्रेस पिछला विधानसभा चुनाव मिजो नेशनल फ्रंट से हार गई थी। थनहवला दोनों सीटों से हार गए, लेकिन पार्टी उनके साथ बनी रही। थनहवला के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से उनका मुख्यमंत्री पद छोड़ने का निर्णय था, ताकि उग्रवाद को समाप्त करने के लिए 1986 में हस्ताक्षरित ऐतिहासिक मिजो शांति समझौते को सुचारू रूप से लागू किया जा सके। आज तक, मिजोरम अस्थिर पूर्वोत्तर में सबसे शांतिपूर्ण राज्य बना हुआ है। औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा में मिजोरम कांग्रेस इकाई अपनी प्रतिक्रिया में काफी सुरक्षित है। थनहवला पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भी पद छोड़ना चाहते थे, लेकिन भाजपा और एमएनएफ की धमकी के कारण उन्होंने अपना मन बदल लिया। इस बार कांग्रेस के लिए हालात बेहतर नहीं हैं, लेकिन उनका जाना उनके काम को और भी मुश्किल बना सकता है, बावजूद इसके कि नेता अपने पद छोड़ने के बाद भी पार्टी के लिए काम करने की इच्छा रखते हैं। 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से पूर्वोत्तर में कांग्रेस का मुक्त पतन जारी है। जब सूखे बिहार में जहरीली शराब की घटनाएं नियंत्रण से बाहर हो रही थीं, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मास्टरस्ट्रोक खेला। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, केके पाठक को शराबबंदी और उत्पाद शुल्क विभाग का नेतृत्व करने के लिए वापस लाया - एक ऐसा कदम जिसने सभी के दिलों में डर पैदा कर दिया है। पाठक अप्रैल 2016 में राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाए गए कुख्यात कठोर कानून के सूत्रधार थे। उन्होंने अपने काम को इतनी गंभीरता से लिया कि उन्होंने कुमार के जनता दल (यूनाइटेड) के नेताओं को भी नहीं बख्शा, जिसके कारण उनका स्थानांतरण हो गया। "हम नहीं जानते कि वह क्या करने जा रहा है इसलिए हम आत्माओं से संबंधित मामलों में कम झूठ बोलेंगे। हम इंतजार करेंगे और देखेंगे। इसके अलावा, वह खुद मुख्यमंत्री द्वारा वापस लाए जाने के कारण और भी किसी की नहीं सुनेंगे, "एक उच्च पद पर बैठे व्यक्ति ने कहा। ओमन चांडी वह है जो अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद धीमा होने से इनकार करता है। केरल के 78 वर्षीय पूर्व सीएम, जो राज्य में नए पदाधिकारियों के चयन के दौरान अनदेखी किए जाने पर नाराज थे, ने हाल ही में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की, उनकी शिकायतों को हवा दी। जहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के सुधाकरन और विपक्ष के नेता वीडी सतीसन चांडी और रमेश चेन्निथला के नेतृत्व वाले गुटों को मिटाने के लिए हाथ से काम करने के लिए जाने जाते हैं, वहीं दिग्गज नेता ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता है। वह और उसके हित। हालांकि राज्य का नया नेतृत्व पार्टी में अब तक अनसुनी "अर्ध-कैडर" प्रणाली के साथ भारी बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है, चांडी इतनी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हैं। चांडी के लड़ाके, जो अभी भी दक्षिण और मध्य केरल में ईसाई वोट बैंक पर हावी हैं, युवा नेताओं के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं। कर्नाटक के पूर्व सीएम, एचडी कुमारस्वामी, हाल ही में जनता दल (सेक्युलर) के सांसदों को पकड़ने की कोशिश के लिए एक 'वरिष्ठ कांग्रेस नेता' - संभवतः विपक्ष के नेता, पीसी सिद्धारमैया पर अपनी बंदूकें प्रशिक्षण दे रहे हैं। लेकिन कुमारस्वामी के सहयोगियों ने भी सोचा कि कांग्रेस को इससे क्या फायदा हुआ क्योंकि हाल के वर्षों में दोनों पार्टियों के दलबदलू भाजपा में चले गए हैं। जैसा कि कुछ लोग कहते हैं, यह दो नेताओं के बीच प्रेम-घृणा संबंधों में एक कम ज्वार है।
दिल्ली में साल 2008 बाटला हाउस मुठभेड़ के आरोपी शहजाद अहमद की एम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई। नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में साल 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर का आरोपी और इंडियन मुजाहिदीन का संचालक शहजाद अहमद की मौत हो गई है। शनिवार को दिल्ली स्थित एम्स में इलाज के दौरान उसकी मौत की सूचना मिली है। बाटला हाउस में हुई मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या और अन्य अधिकारियों पर हमला करने का दोषी शहजाद ठहराया गया था। शहजाद अहमद की तबीयत खराब होने के कारण उसे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था, जहां उसका इलाज चल रहा था। इस बीच खबर आई कि शनिवार, 28 जनवरी को शहजाब अहमद की मौत हो गई है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के अधिकारी इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिदीन के कुछ आतंकी बाटला हाउस इलाके में एक मकान में छिपे हुए हैं। सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर और उनकी टीम इलाके में पहुंच गई। 19 सितंबर 2008 के दिन जब आतंकियों को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम वहां पहुंची तो वहां जबरदस्त मुठभेड़ हुई। इस दौरान दो आतंकी मारे गए जबकि इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए बाटला हाउस में हुई इस घटना को राजधानी में कई बड़ी घटनाओं में से एक माना जाता है। गौरतलब है कि 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर केस में आतंकी आरिज खान को पहले ही कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी थी। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मार्च 2021 में मौत की सजा सुनाई थी। इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान पर साल 2008 में दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर और यूपी में जो धमाके हुए उनका मुख्यसाजिशकर्ता आरिज खान का कोर्ट ने माना था।
अवमर्श [ प्रतिमर्श ] नाम से दो भेद है । और रूक्ष औषधियोंद्वारा किये जानेवाले नस्यके अवपीडन, प्रघमने इस प्रकार दो भेद हैं। चूंकि विरेचन बृहंण आदि जो नस्य के भेद हैं वे सभी उपरोक्त स्नेह व रूक्ष पदार्थों द्वारा ही होते हैं इसलिये [ मुख्यतः ] सम्पूर्ण नस्यों के भेद चार हैं। बात, पित्त या वातपित्तोंसें उत्पन्न शिरो रोगो में, अंबमर्ष नस्य को उपयोग में लाना चाहिये ॥ ६८ ।। अवमर्ष नस्य । यद्यमस्यं तत्त्रिवारं प्रयोज्यं । याबडूक्त्रं प्राप्नुयात्स्नेहाबंदुः ।। तं चाप्या आवमर्ष विधिज्ञाः । रूक्षद्रव्यैर्यत्तदत्र द्विधा स्यात् ॥ ६९ ॥ भावार्थःसर्वत्र नस्यको त्रिवार प्रयोग करना चाहिये । जब वह नस्यगत स्महबिंदु मुखमें आजावे उसे अवमर्ष नस्य कहते हैं। इसकी मात्रा दो बिंदु है। रूक्षद्रव्यगत नस्य उपर्युक्त प्रकार दो तरहका है ॥ ३९ ॥ अवपीडन नस्य । व्याध्यावपीडन मिति प्रवदंति नस्यं । श्लेष्मानिले मरिचनागरपिप्पलीनाम् ॥ कोशातकी मरिच शिग्वपमार्गबीज-- । सिंधूत्यचूर्णमुदकेन शिरोविरेकम् ॥ ७० ॥ भावार्यः -- लेष्मवात रोग में मिरच, साठे, पीपलके अबपीडन स्प माहिये। एवं कडुवीतुई, मिस्त्र, सैंजन, अपामार्ग के बीज व सेंधानमक के चूर्ण को पानीमें पीसकर शिरोविरेचनार्थ प्रयुक्त करना चाहिये । ॥ ७० ॥ नस्य के लिये अपात्र नस्थेत्येते. वर्जनीया मनुष्याः ! स्नाताः स्नातुं प्रार्थयन्मुक्तवताः ॥ असतीणा गर्भिणी रक्तपित्ताः । वासैस्सद्यः पीनसेनाभिभूताः ॥ ७१ ॥ . . रूक्ष औषधियों कल्क काय स्वरस आदिसे जो नस्य दिया जाता है उसे अपीडन न चूर्ण को नळीमें भरकर, नासा रैथमें फूका जाता है उठे प्रथम स्व
पुरुष प्रधान समाज में नारी एक बार फिर हार गई। हवस के भूखे भेडि़यों ने उसकी जिंदगी इस कदर तबाह कर दी कि उसके जिस्म की कीमत मात्र नशे के चार कैप्सूल बनकर रह गए। शायद महिला दिवस की एक रात पहले भी उसके साथ यही हुआ होगा। उसे मंगलवार को महानगर बठिंडा की समाज सेवी संस्था सहारा जनसेवा के कार्यकर्ताओं ने उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया है। जहां उसने एक ही रट लगा रखी है कि उसे बस पारवनस्पास के कैप्सूल चाहिए और कुछ नहीं। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले में पैदा हुई ज्योति (काल्पनिक नाम) ने अर्द्धबेहोशी की हालत में बताया कि उसकी मां पिंकी का पति राजवीर के साथ झगड़ा हो गया। उस वक्त वह महज तीन वर्ष की थी। उसकी मां पति को छोड़कर दिल्ली आ गई और साथ में उसे भी ले गई। फिर उसकी मां बठिंडा आई और यहां वह अपनी मां से बिछुड़ गई। बाद में वह आर्केस्ट्रा में काम करने वाली एक युवती के पास सिरकी बाजार में रहने लगी। इस दौरान उसका संपर्क उक्त युवती के भाई सेठी के साथ हुआ। उसने उसे भी आर्केस्ट्रा में काम करने पर लगा दिया। इस दौरान वह बुरे लोगों की संगत में ऐसी पड़ी कि नशे की आदी हो गई। शहर के कुछ लोग नशा खिलाकर उसकी इज्जत से खेलते रहे। अब हालात ये हैं कि उसके जिस्म की कीमत मात्र नशा है। कोई भी उसे नशा करवाकर अपने साथ ले जाता है और उसकी अस्मत का सौदागर बन जाता है। अब उसका कोई ठिकाना तो नहीं वह नशे के तस्कर एक युवक के साथ रहती थी। जो पिछले दिनों नशीली दवाओं के साथ पकड़ा गया और पुलिस ने उसे जेल भेज दिया। अब उसका कोई ठिकाना नहीं है कोई भी उसे नशा करवाकर इस्तेमाल करता है और बाहर फेंक देता है। नशे के लिए पैसे नहीं हों तो वह नशे के लिए जिस्म का सौदा करने को तैयार हो जाती है। आज सुबह नगर की समाज सेवी संस्था सहारा जन सेवा के अध्यक्ष विजय गोयल के पास फोन आया कि एक लड़की तेलियांवाला मोहल्ला में बेसुध पड़ी है। इस पर गोयल ने अपनी संस्था के समाज सेवकों की मदद से उसे उठाकर सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया। सहारा अध्यक्ष ने बताया कि उसे पहले भी दो बार इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है मगर वह इलाज नहीं करवा पाती है। उन्होंने एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल के साथ संपर्क किया है और उसे नारी निकेतन भेजने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पहले साल दर साल और अब लगभग हर माह बदल रहे मौसम से वैज्ञानिक भी हैरान-परेशान हैं। वे समझ नहीं पा रहे कि लगातार हो रहे इस बदलाव की बड़ी वजह क्या है! मौसम विज्ञानी इसके पीछे जलवायु परिवर्तन से अलग कुछ अन्य कारक भी देख रहे हैं। नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। पहले साल दर साल और अब लगभग हर माह बदल रहे मौसम से वैज्ञानिक भी हैरान-परेशान हैं। वे समझ नहीं पा रहे कि लगातार हो रहे इस बदलाव की बड़ी वजह क्या है! मौसम विज्ञानी इसके पीछे जलवायु परिवर्तन से अलग कुछ अन्य कारक भी देख रहे हैं। इन्हीं का पता लगाने के लिए मौसम विभाग एक वृहद अध्ययन करने में जुटा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान चरम मौसमी घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। सर्दी 'गर्म' होने लगी है, जबकि गर्मी 'ठंडी' महसूस हो रही है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो वर्ष 2020-21 के बाद से असामान्य मौसम का कारण पश्चिमी विक्षोभ के बदलते चरित्र में निहित है। अगर हालिया दो वर्षों पर ही ध्यान दें तो 2022 में मार्च महीना 122 साल में सबसे गर्म रहा था। वहीं, अबकी बार दिसंबर और फरवरी माह गर्म रहे हैं, जबकि मार्च, अप्रैल और मई ठंडे साबित हो रहे हैं। इन बदलावों से न केवल फसलें, बल्कि मानव स्वास्थ्य भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहा है। क्या पश्चिमी विक्षोभ है कारण? मौसम विज्ञानी बताते हैं कि हर बार इस बदलाव की मुख्य वजह पश्चिमी विक्षोभों की अधिकता या कमी सामने आई है। ऐसे में अध्ययन भी पश्चिमी विक्षोभों को लेकर ही चल रहा है। बताया जाता है कि पश्चिमी विक्षोभों की उत्पत्ति भूमध्य सागर की ओर से होती है। ऐसे में मौसम वैज्ञानिक यह पता करने में जुटे हैं कि इनकी फ्रीक्वेंसी क्यों बढ़ रही है? साथ ही यह भी जांचा जा रहा है कि पश्चिमी विक्षोभ भी दक्षिण दिशा में न जाकर भारत में ही इतने सक्रिय क्यों हो रहे हैं? आईएमडी के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अखिल श्रीवास्तव ने बताया कि अभी यह अध्ययन चल रहा है, इसलिए फिलहाल कुछ भी कह पाना मुश्किल है, लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि इसी साल इसकी रिपोर्ट आ जाएगी। इसी के आधार पर भविष्य में चरम मौसमी घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिए कारगर योजना तैयार की जा सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में ऐसी घटनाओं में लगातार वृद्धि हो सकती है। इसलिए भविष्य की तैयारी भी समय से करनी होगी। क्या हैं पश्चिमी विक्षोभ? आईआईटीएम पुणे के जलवायु वैज्ञानिक राक्सी मैथ्यू काल बताते हैं कि पश्चिमी विक्षोभ ऐसे चक्रवाती तूफान हैं, जो जमीन पर बनते हैं। ये तूफान ज्यादातर मेडिटेरियन क्षेत्र के तापमान में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से गर्म हवा और उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्रों से ठंडी हवा के मिश्रण से होने वाले उतार चढ़ाव से बनते हैं। वैसे तो स्टॉर्म सिस्टम पूरे साल बनते रहते हैं, लेकिन ज्यादातर दिसंबर व अप्रैल-मई के बीच भारत आते हैं। किसी बढ़ते हुए पश्चिमी विक्षोभ से पहले गर्म, नम हवा आती है और उसके बाद ठंडी, शुष्क हवा। यह सिस्टम दिसंबर और जनवरी सरीखे अत्यधिक सर्दियों वाले महीनों में तापमान गर्म रखता है और फरवरी और मार्च-अप्रैल में तापमान को बढ़ने से रोकता है।
झांसी में दिव्यांग की सिर कूचकर हत्या करने के मामले में मृतक की बेटी के कथित बॉयफ्रेंड की एंट्री हुई है। वह बेटी से शादी करना चाहता था। मना करने के बाद भी वह बेटी को परेशान कर रहा था। वह परिवार के साथ दिल्ली चली गई थी। इस दौरान कथित बॉयफ्रेंड ने सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ अश्लील पोस्ट डाल दी थी। परिवार ने नवाबाद थाना में FIR भी कराई थी। आरोपी जेल भी जा चुका था। अब उसी पर हत्या का शक जताया है। पुलिस ने इस एंगल पर मामले की जांच शुरू कर दी है। मृतक लक्ष्मण रायकवार (57) रेलवे कॉलोनी के खोली इलाके में रहते थे। उनके बेटे सुमित ने बताया कि बड़ी बहन मानिक चौक पर एक साड़ी की दुकान पर काम करती थी। खुशीपुरा का आकाश वर्मा उनको परेशान करने लगा। घर आते-जाते पीछा करता था। शादी करने की जिद करने लगा तो परिवार वालों ने मना कर दिया। इसके बाद बहन परिवार के साथ दिल्ली जाकर रहने लगी। बेटे ने बताया कि आकाश वर्मा का उत्पीड़न लगातार बढ़ने लगा। उसने बहन की फोटो के साथ अश्लील कमेंट लिखकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थी। एक बार पिता का मोबाइल भी छीनकर ले गया था। हमने नवाबाद थाना में FIR कराई थी। तब वो पकड़ा भी गया था। मुझे शक है कि आकाश ने ही पिता की हत्या की है। पुलिस ने आकाश के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था। सोमवार सुबह लक्ष्मण रायकवार का शव न्यू कोच फैक्ट्री के पास कच्चे संपर्क मार्ग पर मिला था। शाम को शव का पोस्टमॉर्टम हुआ। इसमें पता चला है कि लक्ष्मण की हत्या पत्थर से कूचकर की गई। उसके सिर पर पत्थर से दो बार वार किया गया। इससे सिर की हड्डी टूट गई और कान भी कट गया था। यही उसकी मौत की वजह बना। पुलिस ने आकाश की तलाश शुरू कर दी है। 8 माह पहले हुए एक एक्सीडेंट में लक्ष्मण एक पैर से दिव्यांग हो गए थे। उनके 4 बेटियां और दो बेटे हैं। सभी अपनी मां मालती के साथ दिल्ली में रह रहे थे। मां, बड़ा बेटा और दो बहनें एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने जाती हैं। जबकि लक्ष्मण घर पर अकेले ही रह रहे थे। मौत के बाद अब घर में कोहराम मच गया है। पुलिस सभी एंगलों पर मामले की जांच कर रही है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
उनके असामान्य नाम स्विमिंग सूट फ्रांसीसी शब्द "बैंडू" से प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ है "पट्टी"। शीर्षक मॉडल के बहुत सार का खुलासा करता है। स्विमिंग सूट की मुख्य विशेषता इसके ऊपरी हिस्से में एक स्ट्राप्लेस की कमी है। लैकोनिज्म और अविभाज्य डिजाइन आपको शानदार आकार वाले महिलाओं को स्नान सूट बैंडो में आकर्षक लगने की अनुमति देता है। और लघु और छोटी स्तन के साथ लड़कियों के लिए, बैंडो की तैरना एक जादुई खोज है! दरअसल, स्विमिंग सूट की बोडिस विभिन्न चौड़ाई के पट्टी के रूप में प्रस्तुत की जाती है, जिससे इसे विलुप्त क्षेत्र में पूरी तरह से तन प्राप्त करना संभव हो जाता है। और प्रतिभाशाली डिजाइनरों की आधुनिक कल्पनाएं मॉडल और विभिन्न रंगों के साहस से आश्चर्यचकित नहीं रहती हैं। एक नए फैशनेबल बिकनी के मॉडल का चयन करते समय , कुछ सिफारिशों का पालन करना उचित है। प्रत्येक महिला को प्रकृति द्वारा उसके उत्साह के साथ चिह्नित किया जाता है। लेकिन वह अभी भी कुछ लाभदायक हाइलाइट करने का प्रयास करती है, लेकिन कुछ वह शर्मनाक मर्दाना विचारों से शर्मनाक रूप से छिपाती है। इसलिए, मॉडल के आदर्श रूप को चुनना जरूरी है जो आपको सजाएगा, केवल गरिमा पर जोर देगा। इस सीजन में, आप शायद बोडिस के अप्रत्याशित स्वरूपों से प्रसन्न होंगे। छाती पर एक विस्तृत पट्टी के साथ स्विमिंग सूट, वसा महिलाओं और बड़े स्तनों वाली महिलाओं के लिए उपयुक्त। यह मॉडल महिलाओं की गरिमा का भरोसेमंद रूप से समर्थन करेगा, पक्षों की हड्डियों पर सिलवाए जाने के लिए धन्यवाद और आपको स्नान करने या ड्राइविंग के दौरान चिंता नहीं करेगा। और अगर किसी कारण से आप अभी भी अपना पेट नहीं दिखाना चाहते हैं, तो आप अपने लिए और बैंडो बिकनी के संयुक्त मॉडल का चयन कर सकते हैं। इस सीजन के मॉडल के डिजाइन से आप अपनी सेक्स अपील और रहस्य को बनाए रखने की अनुमति देते हैं, यहां तक कि अपने कमर के नरम वक्र को भी कवर करते हैं। एक बैंडो बिकनी के अलग-अलग मॉडल में, कोई भी लड़की वॉल्यूम को दृष्टि में बढ़ाने और स्तन के आकार पर जोर देने में सक्षम होगी। बोडिस के लिए कपड़े की पट्टी में, डिजाइनरों ने आंखों के लिए अदृश्य हड्डियों को सीवन किया। लेकिन वे वहां भी नहीं रुक गए। बोडिस में पार्श्व समर्थन के अलावा पुश अप - हटाने योग्य फोम कप हैं। नवीनतम मॉडलों पर, आंखों को आकर्षित करने वाले अनुक्रम और बहु-स्तरित कॉक्वेटिश बाह भी हैं। आप धूप से स्नान करने और तैरने में सहज महसूस करेंगे और अभी भी आश्चर्यजनक लगेंगे। यहां तक कि बॉल गेम भी आनंद लाएगा, जो कि एक बोडिस और उसके कंधे के पट्टियों के कप को सही करने के लिए असीम रूप से मजबूर नहीं करेगा। 2013 में बैंडो स्विमिंग सूट के निचले भाग के लिए, पैंटी के मॉडल धातु सहायक उपकरण, विभिन्न buckles, बड़े मोती या छल्ले के रूप में, साथ ही कूल्हों पर पट्टियों के रूप में सजावट द्वारा प्रतिष्ठित हैं।
२०२] सो ठीक नहीं, किन्तु संख्यात, असंख्यात दो ही महते तो ठीक होता, अथवा संख्यात और अनन्त ये दो कहते तो ठीक होता क्योंकि संख्यात कहनेमे तो गिनती आई, और असंख्यात उसको कहते हैं कि जिसकी गिनती नहीं, अनन्त भी उसको हो कहते हैं कि जिसकी गणना न होय इससे दो का ही कहना ठीक है, तीनका कहना ठीक नहीं। उत्तर - भो दयानुप्रिय । अभी तेरें को सत्य उपदेशदाता गुरुका संग हुआ नहीं, केवल दु गर्मित और मोह-गभित घेराम्यवालों का और अग्रेजी सादिव विद्यावालों का तथा घतमान काल में नवीन दयानंद-मत आर्य समाजवालों का संग होने से ऐसी शका होती है। सोशका दूर करनवे घास्ते शास्त्रानुसार पहते हैं कि शाखोंमें संख्यात असख्यात और अनन्त इस अभिप्रायसे कहा गया है कि संख्यात तो उसको बहते हैं कि जैसे गणित विद्यावाले यहीं तो १६ अर्को तक की और कोई २१ की, पोई २६ तककी गणना कहते हैं और धोई ५२ हर्ष तककी और कोई ६६ अक्षर तककी गिनतीको गणित कहते हुए संख्यां बाधते हैं सो यहातक तो संख्यात हुआ। इसके ऊपर जो एक दो हर्फ भी होय तो असंख्यात हो गया । सो संख्या से ऊपर अर्थात् लोफिय व्यवहार की गिनतीसे ऊपरयालेबो असल्यान कहा। इस तरह संख्यात और असख्यात हुआ। अनन्तका अभिप्राय ऐसा है कि वेवलि भगवान् जिशासुने समझाने वास्ते कल्पना करके बतायें उनका नाम अनन्त हैं। अनतरे भी जैनमत में ६ भेद हैं। उन ६ भेद में कई अनंतमें तो क्लवस्तु समझाई गई हैं, और कई भेद में ऐसा कहा गया है कि पोई धन्तुही ऐसो नहीं है कि जो इस अन"त को पूरा करे। इस रीनिसे शास्त्रकारोंने संख्यात, असंख्यात और मनात ये तीन भेद यहे हैं। दूसरा प समाधान और भी देता है, परन्तु इस समाधान में मेरा आग्रह नहीं है। यह यह है कि सरयात ता उसको कहना कि जो ऊपर लिखे हरपों तब की गणना में आ सके, असख्यात उसको कहना कि जो उससे उपर केली आदिषति दृशत " जिज्ञासुओं को समझाये और अनन्त उसको कहना कि टी जाने तो सही, परन्तु वचनमे कह नहीं सके। इसरीतिसे भी वर्तमान कुतर्कों का समाधान है। इसमें जो बोतराग सर्वज्ञके चचन से विरोध होय तो में समस्त संघके समय अहंतादि छओंकी साक्षीमें मिथ्या दुष्टत देता है । इस रीतिसे इस अगुरुलधुकी छ हानी और वृद्धि कही । सो सर्वद्रयमें समय २ हो रही है। हानी अर्थात् व्यय होना, वृद्धि अर्थात् ऊपजना । इसरोतिसे उत्पाद और व्यय तो गुण तथा पर्याय में होता है, और ध्रुवपना द्रव्य में है। जैसे ओनमें जीवपना तो भु है और ज्ञान, दर्शन चारित्र वीर्य आदिमें उत्पाद-श्यय हैं, वैसे ही ज्ञान में ज्ञानपना तो ध्रुव हे और ज्ञानमें न यपनेका तो उत्पाद-न्यय है । इस रीतिसे पुटुगल- परमाणुमें परमाणुपना तो ध्रुव है, और उसका जो गुण गन्ध, रम, वर्ण, स्पर्श इनमें उत्पाद-व्यय है, जैसे रूप में रूपपना तो ध्रुव है और उसमें काला, पीला, नीला, लाल, सफेदमें उत्पाद-व्यय है। इसीरीति से सव वस्तुमें जानो, यह द्रव्य का सामान्य स्वभाव मन आनो, और विशेष वा अन्य शास्त्रोंमें कथन किया है वहाले पहचानो। मेरी बुद्धि अनुसार मैंने सामान्य स्वभावका भेद कहा । इस रीति से किचित द्रव्यका स्वभाव, बुद्धि अनुसार छ सामान्य लक्षण करके कहा । इन छ द्रव्यों का ही शास्त्रमें बहुत विस्तार है। मैंने तो उनका किंचित् विचार लिखाया है इस प्रथके समाप्त करनेको मन आया है, अन्त मगल करनेको भी दिल चाया है, इस प्रथको प्रारभ से समाप्ति तक बराबर नहीं लिखाया है; च २ में तीन अन्य प्राथ भी समाप्त कराया है, उनमें इस ग्रन्थकी साक्षी भी दिवाया है, इस प्रथका प्रारंभ और समाप्तिमें अनुमान वर्ष डेढके बिस्व आया है, इस शका निवृत्त करने के वास्तै इतनी तुफका सम्बन्ध मिलाया है, इस ग्रन्थको देखकर जिज्ञासुओंका मन हुलमाया है, आत्मार्थियोंको द्रव्यानुयोगका किंचित् भेद बताया है। व्यक्ति भाव गुण रहित चिदानन्द शक्ति भाव में धाया है। चिरंजीय यह ग्रन्थ सदा रह जामें आत्मरूप दिखाया है। भानु रुप प्रकाश इमोमें किचिन द्रव्यानुयोग अनलाया है। [ द्रव्यमय रक्षा । गुरुकुल-यास शरण गहि प्यारे जो जैन धर्म तें पाया है। मारय भव नहीं यार है, चिदानन्द में यह उपदेश सुनाया है। दोश । सुमिरन करो श्री धीर का, शासनपति महाराज । मनवाछित फळ होत है सफल हो सब बाज ॥ १ ॥ श्री पारस फलोधी प्राममें, पीनो में घोमास । पार्श्वनाथकी शरणमें, पूरण प्राय समाम ॥ २ ॥ गल कोटि शाखा पयर, उत्तमचन्द्र पान खरतर वियद धारक सदा करते मातम ध्यार ॥ ३ ॥ कियो मत्थ मन रंगसे चिदानद आनंद । रचि सहित इसको पढ़ मिले युगल याण निधि इन्दुमें (१९५२) संवत् विक्रम जाT । कातिक शुला सप्तमी, गुरु घार पहचान ॥ f रुचि सहित इसको पढे, शुद्ध उपदेश होय मेल । तय अनुभव इसका मिले जिस दूध मिश्री होय मेल ॥ ६ ॥ द्रष्य अनुभव राषिर, सदा रहो विस्तार । रवि चन्द्र जयतक रहे तय तक अन्य मन्त्रार ॥ ७ ॥ ग्रम देख खल पुरषको, ऊपज द्वेष अपार । चिदानन्द नहीं दोपप उनके फर्मों बी है मार ॥ ८ ॥ पक्षपात इसमें नहीं अनुभव थियो प्रकाश । घरे मनन इस प्रथा सफल होय मन आश ॥ ६ ॥ चिदानन्दपो सीख यह सुनियो धतुर सुजान। यार थार इसको पढे, आनम मिले निधान ॥ १० ॥ चिदानद निज मित्रको प्रतियोधन यह प्रत्य । उपकारी मय सधर्म जिन घाणी निज पथ ॥ ११ ॥ व्यत्तिभाव गुण रहित है, शक्ति भाव निज कन्द्र । गुरु कृपा से मैं भयो चिदानंद आनंद ॥ १२ ॥ ज्यानुभर-रत्नाकर ] जैन धर्मका दाम हु, संयम किचित् केश। भांड चैा को करत है, भरता पेट हमेश ॥ १३ ॥ निन चाणी गंभीर है, आशय अति गंभीर । अन्य बुद्धि में बाल हू, सुनियो जिन आगम धीर ॥ १४ ॥ बुद्धिभ्रममे जो कछु, जिन याणी विपरीत । मिथ्या दुष्कृत देत ह, मन वच काय समीत ॥ १५ ॥ NEE - इति श्रीजैनधर्माचार्य महामुनि श्रीचिदानदस्वामि विरचित श्रीद्रव्य - अनुभव- रक्षा करनामा ग्रन्थ समाप्त । । समाप्त ।
आरोपी कथित तौर पर अमेरिकी विश्वविद्यालय का छात्र है और नशे की हालत में सोते समय उसने साथी यात्री पर पेशाब कर दिया था. यह घटना अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या AA292 में घटी. नई दिल्लीः हवाई सफर में पेशाब करने का एक और मामला सामने आया है. न्यूयॉर्क से नई दिल्ली आने वाली अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट में एक यात्री ने नशे में धुत होकर अपने साथी यात्री पर कथित तौर पर पेशाब कर दिया. सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को यह जानकारी दी. पुलिस ने आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया है और इस मामले में जरूरी कानूनी कार्रवाई कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या AA292 में घटी. यह फ्लाइट न्यूयॉर्क से शुक्रवार रात 9:16 बजे उड़ान भरी थी और 14 घंटे 26 मिनट की उड़ान के बाद शनिवार रात 10:12 बजे यहां इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड की थी. सूत्र ने बताया कि उस छात्र ने इस गंदी हरकत के लिए माफी मांगी, इसके बाद पीड़ित यात्री ने उनके खिलाफ केस दर्ज करने से मना कर दिया क्योंकि इससे उसका करियर बिगड़ सकता था. हालांकि, एयरलाइन ने इसे गंभीरता से लिया और आईजीआई एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को इसकी जानकारी दी. एटीसी ने सीआईएसएफ कर्मियों को सतर्क कर दिया, जिन्होंने आरोपी यात्री को दिल्ली पुलिस को सौंप दिया. दिल्ली एयरपोर्ट की पुलिस को एक व्यक्ति आर्य वोहरा के खिलाफ अमेरिकन एयरलाइन से पेशाब करने की शिकायत मिली, जो यूएसए में एक छात्र है और डिफेंस कॉलोनी दिल्ली का निवासी है. इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है. पिछले साल नवंबर में इसी तरह का एक मामला सामने आया था, जहां नशे में धुत एक शख्स (शंकर मिश्रा) ने न्यूयॉर्क से नई दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट में एक बुजुर्ग महिला पर कथित तौर पर पेशाब कर दिया था. इस घटना के करीब एक महीने बाद मिश्रा पर एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके बाद मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया था और लगभग एक महीने जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था. घटना के 12 घंटे के भीतर मामले की सूचना नहीं देने पर डीजीसीए ने एयर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. मिश्रा पर चार महीने के लिए उड़ान भरने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
पंचकूला (हप्र) : चंडीगढ़ में हादसे के बाद नगर निगम पंचकूला अलर्ट हो गया है। निगम आयुक्त धर्मवीर सिंह ने बड़े पेड़ों की तुरंत प्रभाव से ट्रीमिंग करने को कहा है, ताकि पेड़ों पर वजन कम हो और वह गिरे नहीं। साथ ही खोखले पेड़ों का भी सर्वे कर रिपोर्ट बनाई जाएगी और उसके बाद नियमानुसार कार्रवाई होगी। शहर में कई जगहों पर पेड़ काफी बड़े हो गए हैं और हादसों का खतरा बना रहता है। कई पेड़ जानलेवा भी हो सकते हैं। 1 जुलाई को सेक्टर 10 के मकान नंबर 201 निवासी 75 वर्षीय सुभाष भारद्वाज सैर कर रहे थे कि अचानक मकान नंबर 205 के सामने एक ऊंचा वृक्ष उन पर आ गिरा और उनके पैर की दो हड्डियों में फ्रैक्चर हो गया। 2 महीने के लिए उन्हें प्लास्टर लगाया गया है। शहर के वृक्षों की ऊंचाई 20 से 40 फुट हो चुकी है और वृक्षों की नियमित प्रूनिंग ना किए जाने के कारण वृक्ष एक तरफ झुकते जा रहे हैं। शिवालिक विकास बोर्ड हरियाणा के पूर्व सदस्य जगमोहन भनोट ने कहा कि निगम के बागवानी विभाग को नियमित रूप से शहर के वृक्षों की लंबाई मोटाई ऊंचाई की जांच करनी चाहिए । कांग्रेस नेता योगेंद्र क्वायत्रा ने महापौर कुलभूषण गोयल एवं आयुक्त धर्मवीर सिंह से मांग की कि पंचकूल में लगे वृक्षों की नियमित प्रूनिंग एवं छंटाई की जाए, ताकि बारिश और आंधी- तूफान में वृक्ष किसी भी नागरिक को नुकसान ना पहुंचाएं। मनीमाजरा के पॉकेट नंबर 10 के मॉडल मिडिल स्कूल के बाउंड्री वाल के बाहर लगा एक पेड़ शनिवार शाम को अचानक टूट कर गिर गया। इसके कारण स्कूल की चारदीवारी भी टूट गई । गनीमत यह रही कि शनिवार को स्कूल में बच्चों की छुट्टी थी जिसके कारण कोई बड़ा हादसा होने से बचाव हो गया। मौके पर निगम अधिकारी पहुंचे। उन्होंने गिरे पेड़ को हटाने का कार्य शुरू किया।
मार्दव - मृदु भाव रखना । जाति, कुल आदि का अहंकार न करना । आर्जव - ऋजुभाव - सरलता रखना, माया न करना । मुक्ति - निर्लोभता रखना, लोभ न करना । तप - अनशन आदि वारह प्रकार का तप करना । ६. संयम - हिंसा आदि आश्रवों का निरोध करना । सत्य - सत्य भाषण करना, झूठ न बोलना । शौच- संयम में दूषण न लगाना, संयम के प्रति निरुपलेपता-पवित्रता रखना । आकिंचन्य-परिग्रह न रखना । १०. ब्रह्मचर्य - ब्रह्मचर्य का पालन करना । ग्यारह उपासक प्रतिमाएं१. दर्शन प्रतिमा- किसी भी प्रकार का राजाभियोग आदि आगार न रखकर शुद्ध, निरतिचार, विधिपूर्वक सम्यग्दर्शन का पालन करना । यह प्रतिमा व्रतरहित दर्शन श्रावक की होती है। इसमें मिथ्यात्वरूप कदाग्रह का त्यागे मुख्य है । 'सम्यग्दर्शनस्य शंकादिशल्यरहितस्य अणुव्रतादिगुणविकलस्य योऽभ्युपगमः । सा प्रतिमा प्रथमेति ।' - अभयदेव, समवायांग वृत्ति । इस प्रतिमा का आराधन एक मास तक किया जाता है । २. व्रत प्रतिमा - व्रती श्रावक सम्यक्त्व लाभ के वाद व्रतों की साधना करता है । पाँच अणुव्रत आदि व्रतों की प्रतिज्ञाओं को अच्छी तरह निभाता है, किन्तु सामायिक का यथा समय सम्यक् पालन नहीं कर पाता । यह प्रतिमा दो मास की होती है । ३. सामायिक प्रतिमा इस प्रतिमा में प्रातः और सायंकाल सामायिक व्रत की साधना निरतिचार पालन करने लगता है, समभाव दृढ़ हो जाता है किन्तु पर्वदिनों में पोपवव्रत का सम्यक् पालन नहीं कर पाता । यह प्रतिमा तीन मास की होती है । ४. पोषध प्रतिमा - अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा आदि पर्व दिनों में आहार, शरीर संस्कार, अब्रह्मचर्य, और व्यापार का त्याग-इस प्रकार चतुर्विध त्यागरूप प्रतिपूर्ण पोषध व्रत का पालन करना, पोपध प्रतिमा है । यह प्रतिमा चार मास की होती है । ५. नियम प्रतिमा - उपर्युक्त सभी व्रतो का भली भाँति पालन करते हुए प्रस्तुत प्रतिमा में निम्नोक्त नियम विशेषरूप से धारण करने होते हैं वह स्नान में नहीं करता, रात्रि में चारों आहार का त्याग करता है। दिन में भी प्रकाणभोजी होता है । धोती की लांग नहीं देता, दिनमें ब्रह्मचारी रहता है, रात्रि में मैथुन की मर्यादा करता है । पोपध होने पर रात्रि-मैथुन का त्याग और रात्रि में कायोत्संग करना होता है। यह प्रतिमा कम से कम एक दिन, दो दिन और अधिक से अधिक पांच मास तक होती है । ६. ब्रह्मचर्य प्रतिमा - ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करना । इस प्रतिमा की कालमर्यादा जघन्य एक रात्रि और उत्कृष्ट छह मास की है । सचित्त त्याग प्रतिमा-सचित्त आहार का सर्वथा त्याग करना । यह प्रतिमा जघन्य एक रात्रि की और उत्कृष्ट कालमान से सात मास की होती है । आरम्भ त्याग प्रतिमा - इस प्रतिमा मे स्वयं आरम्भ नहीं करता, छह काय के जीवों की दया पालता है। इसकी काल मर्यादा जघन्य एक, दो, तीन दिन और उत्कृष्ट आठ मास होती है । ६. प्रेष्य त्याग प्रतिमा - इस प्रतिमा में दूसरो के द्वारा आरम्भ कराने का भी त्याग होता है । वह स्वयं आरम्भ नहीं करता, न दूसरों से करता है, किन्तु अनुमोदन का उसे त्याग नही होता । इस प्रतिमा का जघन्यकाल एक, दो, तीन दिन है । और उत्कृष्ट काल नौ मास है । १०. उद्दिष्ट भक्त त्याग प्रतिमा - इस प्रतिमा ने उद्दिष्ट भक्त का भी त्याग होता है । अर्थात् अपने निमित्त से बनाया गया भोजन भी ग्रहण नहीं किया जाता । उस्तरे से सर्वथा गिरो मुण्डन करना होता है, या शिखामात्र रखनी होती है । । किसी गृहस्थसम्बन्धी विषयों के पूछे जाने पर यदि जानता है तो जानता हूँ और यदि नही जानता है तो नहीं जानता हूँ - इतना मात्र कहे । उसके लिए अधिक वाग्व्यापार न करे । यह प्रतिमा जघन्य एक रात्रि की और उत्कृष्ट दस मास की होती है । ११. श्रमणभूत प्रतिमा - इस प्रतिमा में श्रावक श्रमण तो नहीं, किन्तु श्रमणभूत अर्थात् मुनि सहग हो जाता है । साधु के समान वेप वनाकर और साधु के योग्य ही भाण्डोपकरण धारण करके विचरता है । शक्ति हो तो लुञ्चन करता है, अन्यथा उस्तरे से शिरोमुण्डन कराता है। साधु के समान ही निर्दोप गोचरी करके भिक्षावृत्ति से जीवन यात्रा चलाता है। इसका कालमान जघन्य एक रात्रि अर्थात् एक दिन रात और उत्कृष्ट ग्यारह मास होता है । वारह भिक्षु प्रतिमाएं - १. प्रथम प्रतिमाधारी भिक्षु को एक दत्ति अन्न और एक दत्ति पानी की लेना कल्पता है । साधु के पात्र में दाता द्वारा दिए जाने वाले अन्न और जल की धारा जब तक अखण्ड बनी रहे, उसका नाम दत्ति है । धारा खण्डित होने पर दत्ति की समाप्ति हो जाती है । जहाँ एक व्यक्ति के लिए भोजन वना हो वहीं से लेना चाहिए । किन्तु जहाँ दो तीन आदि अधिक व्यक्तियों के लिए भोजन वना हो, वहाँ से नहीं लेना । इसका समय एक महीना है । दूसरी प्रतिमा भी एक मास को है । दो दत्ति आहार की, दो दत्ति पानी की लेना । इसी प्रकार तीसरी, चौथी, पांचवीं, छठी और सातवीं प्रतिमाओं में क्रमशः तीन, चार, पाँच, छह और सात दत्ति अन्न की और उतनी ही पानी की ग्रहण की जाती हैं । प्रत्येक प्रतिमा का समय एक- एक मास है । केवल दत्तियों की वृद्धि के कारण ही ये क्रमशः द्विमासिकी, त्रिमासिकी, चतुर्मासिकी, पञ्चमासिकी. पाण्मासिकी और सप्तमासिकी कहलाती हैं । ८. यह आठवीं प्रतिमा सप्तरात्रि = सात दिन रात की होती है । इसमें एकान्तर चौविहार उपवास करना होता है। गाँव के बाहर उत्तानासन (आकाश की ओर मुँह करके सीधा लेटना ), पाश्र्वसन ( एक करवट से लेटना ) अथवा निपद्यासन ( पैरों को बराकर करके खड़ा होना या बैठना) से ध्यान लगाना चाहिए । ६. यह प्रतिमा भी सप्तरात्रि की होती है। इसमें चौविहार वेले- वेले पारणा किया जाता है । गाँव के बाहर एकान्त स्थान में दण्डासन, लगुडासन अथवा उत्कटुकासन से ध्यान किया जाता है । १०. यह भी सप्तरात्रि की होती है । इसमें चौविहार तेले-तेले पारणा किया जाता है । गाँव के बाहर गोदोहन आसन, वीरासन, अथवा आम्रकुब्जासन से ध्यान किया जाता है । ११. यह प्रतिमा अहोरात्र की होती है । एक दिन और एक रात अर्थात् आठ प्रहर तक इसकी साधना की जाती है । चौविहार वेले के द्वारा इसकी आराधना होती है । नगर के बाहर दोनों हाथों को घुटनों की ओर लम्बा करके दण्डायमान रूप में खड़े होकर कायोत्सर्ग किया जाता है । १२. यह प्रतिमा एक रात्रि की है । अर्थात् इसका समय केवल एक रात है । इसका आराधन वेले को बढ़ाकर चौविहार तेला करके किया जाता है। गांव के बाहर खड़े होकर, मस्तक को थोड़ा-सा झुकाकर, किसी एक पुद्गल पर दृष्टि रखकर, निनिमेष नेत्रों से निश्चलतापूर्वक कायोत्सर्गं किया जाता है । उपसर्गों के आने पर उन्हें समभाव से सहन किया जाता है ।
Meenal Kotak Interview : अल्ट्रारनर मीनल कोटक ने संयुक्त राज्य अमेरिका के विस्कॉन्सिन राज्य के मिलवॉकी शहर में आयोजित अल्ट्रामैराथन में भारत के लिए मल्टीडे रिकॉर्ड बनाया। मिल्वौकी मल्टीडे इवेंट में सैकड़ों वैश्विक एथलीट अल्ट्रामैराथन प्रतियोगिता के लिए एकत्र हुए थे जो लगभग पूरे सप्ताह तक चली थी। यह आयोजन जो 12, 24, 48, 72 और 144-घंटे की श्रेणियों में फैला था, कोटक ने 72-घंटे की श्रेणी में भाग लिया था। बता दें की 72 घंटे में 379 किमी की दौड़ पूरी कर वह अब मिल्वौकी इवेंट में महिला एथलीटों में पहले स्थान पर हैं। भारत की शीर्ष अल्ट्रा धावकों में से एक, मीनल कोटक की यात्रा उनकी पहली दौड़ की समाप्ति रेखा पर शुरू हुई। हालांकि, कई लोग उनकी त्रुटिहीन यात्रा के बारे में जानते हैं, लेकिन अक्सर यह समझना मुश्किल होता है की उनकी एथलेटिक क्षमता के पीछे क्या कारण है। SheThePeople के साथ एक इंटरव्यू में, मीनल ने अल्ट्रा रनर के रूप में अपनी यात्रा, नवीनतम 74-घंटे दौड़ने का रिकॉर्ड, पिछले 24-घंटे का रिकॉर्ड, वह दबाव से कैसे निपटती है, और क्या चीज उसे जारी रखती है के बारे में बताया। 2014 में एक ट्रेडमिल दौड़ ने मीनल कोटक को उनकी दौड़ने की क्षमता और सहनशक्ति का एहसास कराया, और सही लोगों की मदद से जिन्होंने उनकी ताकत को पहचाना, वह जल्द ही दिल्ली हाफ मैराथन में दौड़ीं। 34 साल की उम्र में बिना किसी पेशेवर दौड़ के अनुभव के मीनल एक ऐसे ट्रैक पर निकल पड़ी जिसने उसके जीवन की दिशा बदल दी। आज लगभग एक दशक बाद मील दर मील दौड़ते हुए, उसने संयुक्त राज्य अमेरिका में 379 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 72 घंटे की दौड़ पूरी की। हालांकि, यह उपलब्धि उनकी सबसे विजयी उपलब्धियों में से एक है, लेकिन उनकी एक दशक लंबी यात्रा में कई उतार-चढ़ाव शामिल हैं। 2015 में जब मीनल को उनकी दौड़ने की क्षमता पर पकड़ मिली, तो उन्होंने अल्ट्रा-रनिंग को लक्ष्य बनाने का फैसला किया। मीनल की महत्वाकांक्षा इस तथ्य से भी उपजी थी की उस समय भारत में अति-महिला धावकों की कमी थी, और वह इस कहानी को बदलना चाहती थीं। मीनल जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट के लिए ट्रैक पर आना और अंततः अपने देश का प्रतिनिधित्व करना एक सपना था जिसे उन्होंने रिकॉर्डों को पार करते हुए देखा था। "मैं दिल्ली में इतने सारे लोगों को दौड़ते हुए देखकर आश्चर्यचकित थी। हालांकि, यह जानकर की बहुत कम महिला अल्ट्रा धावक थीं, मेरी रुचि बढ़ गई। मैं इसका लाभ उठाना चाहती थी और वह स्थान बनाना चाहती था जहाँ महिलाएँ भी लंबी मैराथन के लिए भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें। मैं अपनी गति और रणनीति पर काम करना शुरू किया। मैंने तेज दौड़ने के बजाय अधिक देर तक दौड़ने पर काम किया," वह याद करती हैं। 2017 में, उन्होंने 24 घंटे चलने वाली श्रेणी में प्रमुख चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करना शुरू किया। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने उनकी क्षमता को पहचाना और जल्द ही उन्हें बुला लिया। उन्होंने उसके रिकॉर्ड की जाँच की, और बस इतना ही। कोटक ने 2017 में बेलफ़ास्ट में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसके बाद उन्होंने 2018 में एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया। "यह जानकर की बहुत कम महिला अल्ट्रा धावक हैं, मेरी रुचि बढ़ गई। मैं इसका लाभ उठाना चाहता था और वह स्थान बनाना चाहता था जहां महिलाएं भी लंबी मैराथन के लिए भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें। " कोटक की दौड़ने की दिनचर्या सुनियोजित है, लेकिन इसमें काफी अनुशासन शामिल है। सप्ताहांत में, जब पूरी दुनिया पार्टी की योजना बना रही होती है, वह दस घंटे की दौड़ प्रशिक्षण के लिए तैयार होती है। वह संक्षेप में बताती है, "मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को, तीन घंटे की दौड़ होती है; शुक्रवार को छुट्टी होती है, और फिर शनिवार को आठ घंटे की दौड़ होती है, बाद में रविवार की अवधि दस घंटे की दौड़ के साथ बढ़ जाती है। " जब उनसे पूछा गया की क्या उन्हें अब भी उम्मीदों के दबाव से निपटना है, तो उन्होंने जवाब दिया, "मैंने इतने गहन खेल के साथ आने वाले उतार-चढ़ाव देखे हैं। सभी खेलों में ऐसा होता है और फिर लोगों को खिलाड़ियों पर भद्दी टिप्पणियां करते हुए देखा है, चाहे वह गहन समापन के दौरान क्रिकेटर हों या खेल में कोई अन्य खिलाड़ी, यह कष्टप्रद और परेशान करने वाला है। बाहर के लोगों के लिए यह समझना हमेशा कठिन होगा कि एथलीटों को शुरुआती लाइन तक पहुंचने के लिए क्या करना होगा। दबाव के संदर्भ में, मैं नहीं समझता मैं अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरूंगा; मैंने पहले भी ऐसा किया था, अब नहीं। " फिल्म एडी द ईगल के एक युवा लड़के का उदाहरण देते हुए, जो ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखता है और एक ऐसे खेल में अपनी ताकत खोजने की दिशा में काम करता है जो उसे दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन में खेलने में सक्षम बनाएगा, कोटक इच्छुक धावकों को सलाह देते हैं। अपनी ताकत खोजें. लेकिन, वह कहती हैं, साथ ही, रास्ते में अनुशासन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। "लगातार बने रहना वहां तक पहुंचने की कुंजी है, और अनुशासन आपको वह हासिल कराता है, इसलिए किसी भी खेल का प्रयास करते समय इसे ध्यान में रखना अभिन्न अंग है," वह अंत में कहती हैं।
राष्ट्रपति ने कहा, 'बेलारूस के साथ अपने संबंधों को और सुदृढ़ करने व इनमें विविधता लाने के लिए भारत अब भी पूरी तरह से कटिबद्ध' बेलारूस गणराज्य के राष्ट्रपति श्री अलेक्जेंडर वी. लुकाशेंको ने आज मिन्स्क में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के सम्मान में एक प्रीतिभोज का आयोजन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 1991 में एक स्वतंत्र देश के रूप में बेलारूस के उभरने के बाद भारत और बेलारूस मित्रता एवं पारस्परिक लाभ के आधार पर अपने रिश्तों को काफी मजबूती प्रदान करने में सफल रहे हैं। दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सामान्य रुख साझा करते हैं। संयुक्त राष्ट्र और गुटनिरपेक्ष आंदोलन समेत अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भारत और बेलारूस के बीच सहयोग काफी घनिष्ठ और सार्थक रहा है। यह सिलसिला जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे का बेलारूस द्वारा अनुमोदन किए जाने के लिए भारत तहे दिल से उसकी सराहना करता है। भारत इस बात से भी प्रसन्न है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करने संबंधी भारत के प्रस्ताव का बेलारूस ने समर्थन किया था। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी यात्रा के दौरान आयोजित परिचर्चाओं और विभिन्न कार्यक्रमों से भारत-बेलारूस संबंध नए मुकाम पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने यह बात दोहराई कि बेलारूस के साथ अपने संबंधों को और सुदृढ़ एवं विविधतापूर्ण बनाने के प्रति भारत अब भी कटिबद्ध है।
।मंजू मियां वो गन्नी मियां वो शकुर मियां । पिता गुल्लू मियां वो अमानत मियां वो । अमीर मियां पिता असरफ मियां कयुमुद्दीन मियां वगैरह पिता मो0अली । मियां नसीमउद्दीन मियां वगैरह पिता रहतल्ली मियां वो जान मोहम्मद मियां सिंह वो वगुनी सिंह वो रामू सिंह पिता । जरक सिंह वो नंदेश्वर सिंह पिता मंगल सिंह । मो0 साहबजान मियां पिता अखज मियां । वो मो0 रोइन मियां वो मो0अब्दुल मियां । । पिता वल्लू मियां बुदू मियां पिता सलीमन मियां वो रहीम । मियां पिता बैल मियां वो बन्हू मियां । पिता कमली मियां । जयपाल भुईया पिता दुखराम भुईया (1284) कयुमुद्दीन मियां वगैरह पिता मो0अली । मियां नसीमउद्दीन मियां वगैरह पिता । रहतल्ली मियां वो जान मोहम्मद मियां । जुमन मियां वो सुदीन मियां पिता कल्लू
सैंटियागो (चिली), 2 अक्टूबर; इक्वाडोर और ब्राजील के खिलाफ खेले जाने वाले विश्व कप क्वालीफायर मैचों के लिए चिली की राष्ट्रीय टीम में मॉरिसियो पिनिला को शामिल किया गया है। पिनिला वर्तमान में युनिवर्सिदाद दे चिली क्लब का फारवर्ड के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, 33 वर्षीय खिलाड़ी पिनिला ने एक साल पहले किसी मैच में चिली की राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच जुआन एंटोनियो पिज्जी द्वारा नौ स्थानीय खिलाड़ियों को विश्व कप क्वालीफायर मैचों के लिए टीम में शामिल किया गया है और पिनिला उनमें से एक हैं। इससे पहले, पिछले माह 19 खिलाड़ियों की प्रारंभिक सूची कोच द्वारा जारी की गई थी और अब इसमें नौ स्थानीय खिलाड़ियों के शामिल किया गया है। अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए अपने करियर में अब तक कुल 45 मैच खेलने वाले पिनिला ने युनिवर्सिदाद क्लब के लिए पिछले चार मैचों में पांच गोल दागे हैं। कोपा अमेरिका की विजेता चिली वर्तमान में कोनमेबोल- में 10 देशों की सूची में छठे स्थान पर है। अगले साल रूस में होने वाले विश्व कप में प्रवेश की उम्मीदों को बरकरार रखने के लिए चिली को अपने दो क्वालीफायर मैचों में हार हाल में जीत हासिल करनी होगी। चिली का सामना पांच अक्टूबर को इक्वाडोर से और पांच दिन बाद ब्राजील से होगा।
91Mobiles द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, ऐसा कहा जा रहा है कि भारत में Vivo V15 स्मार्टफोन को 25 फरवरी को लॉन्च किया जा सकता है. हालांकि अभी तक इसके बारे में कोई ठोस खबर सामने नहीं आई है. वीवो वी15 स्मार्टफोन की कीमत की बात के जाए तो इसकी कीमत 22,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच हो सकती है. साथ ही आपको याद करा दें कि Vivo V15 Pro की भारत में कीमत 28,990 रुपये है और इस दाम में 6 जीबी रैम/ 128 जीबी स्टोरेज वेरिएंट आप खरीद सकते हैं. भारत में इसे 20 फरारी को पेश किया जा चुका है. अब इसके लीक हुई स्पेसिफिकेशन पर नजर डालें तो वीवो वी15 में 6. 39 इंच का एलसीडी डिस्प्ले पैनल मिल सकता है. साथ ही आपको याद करा दें कि Vivo V15 Pro में एमोलेड डिस्प्ले पैनल का इस्तेमाल किया गया था. स्पीड और मल्टीटास्किंग के लिए मीडियाटेक हीलियो पी70 प्रोसेसर के साथ 4 जीबी रैम और 64 जीबी की इंटरनल स्टोरेज कंपनी दे रही है. अतः अब बात कैमरा सेटअप की करें तो मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, Vivo V15 स्मार्टफोन ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप के साथ भारत आएगा. लेकिन Vivo V15 Pro की तरह इसमें 48 मेगापिक्सल का सेंसर नहीं मिल रहा है.
एक नामकरण सम्मेलन का पालन करने का एक नियम है क्योंकि आप तय करते हैं कि आपके पहचानकर्ताओं का नाम क्या है (जैसे वर्ग, पैकेज, चर, विधि, आदि)। नामकरण सम्मेलन का उपयोग क्यों करें? विभिन्न जावा प्रोग्रामर के पास प्रोग्राम के तरीके के लिए विभिन्न शैलियों और दृष्टिकोण हो सकते हैं। मानक जावा नामकरण सम्मेलनों का उपयोग करके वे अपने कोड को स्वयं और अन्य प्रोग्रामर के लिए पढ़ने के लिए आसान बनाते हैं। जावा कोड की पठनीयता महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब यह है कि कोड क्या करता है, इसे समझने के लिए कम समय बिताया जाता है, इसे ठीक करने या संशोधित करने के लिए अधिक समय छोड़ देता है। इस बिंदु को स्पष्ट करने के लिए यह उल्लेखनीय है कि अधिकांश सॉफ्टवेयर कंपनियों के पास एक दस्तावेज़ होगा जो नामकरण सम्मेलनों की रूपरेखा तैयार करता है, जिसे वे अपने प्रोग्रामर का पालन करना चाहते हैं। एक नया प्रोग्रामर जो उन नियमों से परिचित हो जाता है, वह प्रोग्रामर द्वारा लिखे गए कोड को समझने में सक्षम होगा, जिसने हाथ से कई साल पहले कंपनी छोड़ दी हो। पहचानकर्ता के लिए नाम चुनते समय सुनिश्चित करें कि यह सार्थक है। उदाहरण के लिए, यदि आपका प्रोग्राम ग्राहक खातों से संबंधित है तो उन नामों का चयन करें जो ग्राहकों और उनके खातों से निपटने के लिए समझ में आते हैं (उदाहरण के लिए, ग्राहक नाम, खाता विवरण)। नाम की लंबाई के बारे में चिंता मत करो। एक लंबा नाम जो पहचानकर्ता को पूरी तरह से जोड़ता है वह एक छोटे से नाम के लिए बेहतर है जो टाइप करने के लिए जल्दी हो सकता है लेकिन संदिग्ध हो सकता है। नामकरण सम्मेलन का पालन करने की कुंजी सही पत्र केस का उपयोग करना हैः लोअरकेस वह जगह है जहां किसी शब्द में सभी अक्षरों को बिना किसी पूंजीकरण के लिखा जाता है (उदाहरण के लिए, जबकि, अगर, mypackage)। अपरकेस वह जगह है जहां एक शब्द में सभी अक्षरों को राजधानियों में लिखा जाता है। जब नाम में दो से अधिक शब्द होते हैं तो उन्हें अलग करने के लिए अंडरस्कोर का उपयोग करें (उदाहरण के लिए, MAX_HOURS, FIRST_DAY_OF_WEEK)। कैमलकेस (जिसे ऊपरी कैमलकेस भी कहा जाता है) वह जगह है जहां प्रत्येक नया शब्द पूंजी पत्र (उदाहरण के लिए, कैमलकेस, ग्राहक खाता, प्लेइंगकार्ड) से शुरू होता है। मिश्रित मामला (लोअर कैमलकेस के रूप में भी जाना जाता है) नाम के पहले अक्षर को छोड़कर कैमेलकेस जैसा ही है, लोअरकेस में है (उदाहरण के लिए, हैइल्डल्ड, ग्राहक फर्स्टनाम, ग्राहक लैंडनाम)। नीचे दी गई सूची प्रत्येक पहचानकर्ता प्रकार के लिए मानक जावा नामकरण सम्मेलनों की रूपरेखा तैयार करती हैः
कोलकाता, 28 जून पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक देब ने देश के प्रधान न्यायालय को पत्र लिखकर कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को हटाने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया कि उनका रुख 'भेदभावपूर्ण' है। इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कहा कि यह "न्यायपालिका पर धौंस जमाने" का प्रयास है। भाजपा ने दावा किया कि बार काउंसिल, जिसके अध्यक्ष तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बजबज के विधायक अशोक देब हैं, ने इस मांग को आगे बढ़ाया है क्योंकि उच्च न्यायालय ने चुनाव के बाद की हिंसा के लिए हाल ही में ममता बनर्जी नेतृत्व वाली सरकार की खिंचाई की थी। मालवीय के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए भाजपा विधायक श्रीरूपा मित्रा ने भी कहा कि यह मामला गंभीर चिंता का विषय है। इंग्लिश बाजार की विधायक मित्रा ने कहा, "राज्यपाल के बाद अब मुख्य न्यायाधीश पर हमला हो रहा है। " छह बार के विधायक देब तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
सीएम ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, 'ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कुछ ड्राइवर महिलाओं को देखकर बस नहीं रोकते क्योंकि महिलाओं का सफ़र फ़्री है। इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत पहले बस में मुफ्त सफर का ऐलान किया था। तब से ही राजधानी में महिलाओं को बस से सफर करने के लिए किराया नहीं देना पड़ता है। लेकिन अब यह मुफ्त बस सेवा महिलाओं के लिए परेशानी बनता जा रहा है। दरअसल कुछ बस ड्राइवर बस स्टॉप पर खड़ी महिलाओं को बस में बैठाने के लिए भी राजी नहीं हो रहे हैं क्योंकि वो पूरा सफर मुफ्त में ही करेंगी और नियमों के मुताबिक, बस वाले उनसे किराया नहीं ले सकते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद एक वीडियो शेयर कर महिलाओं को हो रही इस समस्या को उठाया है और इसपर कड़ी कार्रवाई की बात कही है। सीएम ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, 'ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कुछ ड्राइवर महिलाओं को देखकर बस नहीं रोकते क्योंकि महिलाओं का सफ़र फ़्री है। इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बस ड्राइवर के ख़िलाफ़ सख़्त एक्शन लिया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें नजर आ रहा है कि तीन महिलाएं बस स्टॉप पर खड़ी होकर वहां बस का इंतजार कर रही हैं। इसी दौरान लाल रंग की एक बस वहां पहुंचती है। यह तीनों महिलाएं उस बस को रुकने का इशारा करती हैं औऱ फिर बस की तरफ दौड़ लगाती हैं। लेकिन इस दौरान बस का अगला दरवाजा खुलता है और एक शख्स बस से उतर कर बाहर आ जाता है और फिर यह बस बिना महिलाओं को साथ लिए ही चली जाती है। वहां खड़ी महिलाएं भी बस ड्राइवर के इस रवैये से दंग रह जाती हैं। राजधानी दिल्ली में महिलाएं बसों में मुफ्त में सफर तय करती है। क्लस्टर हो या इलेक्ट्रिक या डीटीसी इनमें सफर करने के लिए महिलाओं को टिकट नहीं लेना पड़ता। जिससे उन्हें काफी राहत मिलती है। इनता ही नहीं दिल्ली सरकार की बसें एनसीआर के रूटों पर भी चलती हैं और इन रूटों पर भी महिलाओं के लिए सफर मुफ्त है। करीब चार साल पहले केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में महिलाओं के मुफ्त बस सेवा का ऐलान किया था। पिछले साल दिल्ली के तत्कालनी डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने जानकारी दी थी कि वर्ष 2021-22 में तीन करोड़ से अधिक महिलाओें ने सार्वजनिक परिवहन बसों में मुफ्त सफर का लुत्फ उठाया था।
राजा क्या कर सकता है ? जो ऐसी व्यवस्था न हो तो राजा प्रधान प्रौर सब समर्थ पुरुष अन्याय में डूबकर न्याय धर्म को दुबाके सब प्रजा का नाश कर प्राप भी नष्ट हो जायें, अर्थात् उस श्लोक के अर्थ का स्मरण करो कि न्याययुक्त दण्ड ही का नाम राजा श्रीर धर्म है जो उसका लोप करता है उससे नीच पुरुष दूसरा कौन होगा ? ( प्रश्न ) यह कड़ा दण्ड होना उचित नहीं, क्योंकि मनुष्य किसी प्रङ्ग का बनाने हारा वा जिलानेवाला नहीं है, ऐसा दण्ड नहीं देना चाहिए । (उत्तर) जो इसको कड़ा दण्ड जानते हैं वे राजनीति को नहीं समझते, क्योंकि एक पुरुष को इस प्रकार दण्ड होने से सब लोग बुरे काम करने से अलग रहेंगे और बुरे काम को छोड़कर धर्ममार्ग में स्थित रहेंगे। सच पूछो तो यही है कि एक राई भर भी यह दण्ड सब के भाग में न श्रावेगा। और जो सुगम दण्ड दिया जाय तो दुष्ट काम बहुत बड़कर होने लगें। वह जिसको तुम सुगम दण्ड कहते हो वह क्रोड़ों गुणा अधिक होने से क्रोड़ों गुणा कठिन होता है, क्योंकि जब बहुत मनुष्य दुष्ट कर्म करेंगे तब थोड़ा-थोड़ा दण्ड भी देना पड़ेगा अर्थात् जैसे एक को मनभर दण्ड हुम्रा और दूसरे को पाव भर तो पाव भर अधिक एक मन दण्ड होता है तो प्रत्येक मनुष्य के भाग में प्राध पाव बीस सेर दण्ड पड़ा, तो ऐसे सुगम दण्ड को दुष्ट लोग क्या समझते हैं ? जैसे एक को मन और सहस्र मनुष्यों को पाव-पाव दण्ड हुआ तो ६ । सवा छः मन मनुष्य जाति पर दण्ड होने से अधिक और यही कड़ा तथा वह एक मन दण्ड न्यून और सुगम होता है ।" वर्णानुसार दण्डव्यवस्था - संवत्सरामिशस्तस्य दुष्टस्य द्विगुणो दमः । खात्यया सह संवासे चांडाल्या तातदेव तु ।। ३७३ ।। ( संवत्सर + अभिशस्तस्य ) एक वर्ष में ही पुनः दूसरी बार परस्त्रीगमन के दोष से दूषित होने वाले (दुष्टस्य ) दुष्ट को ( द्विगुणः दमः ) दुगना दण्ड होना चाहिए (व्रात्यया) व्रात्या [१० । २०] और (चाण्डाल्या सह संवा से ) चाण्डाली स्त्री [१०।२६२७] के साथ संभोग करने पर भी ( तावत् + एव तु ) उतना ही दण्ड अर्थात् दुगुना दंड होना चाहिए ॥ ३७३ ॥ वर्णमावसन् । शूद्रो गुप्तमगुप्तं वा द्वेजातं धु ( गुप्तं वा प्रगुप्तं द्वजातं वर्णम् + भाबसन्) सुरक्षित प्रथवा असुरक्षित द्विजवरगं की स्त्री से संभोग करने वाले (शुद्रः) शूद्र को ( प्रगुप्तम्) यदि प्रसुरक्षिता से संभोग करे तो (अङ्ग- सर्वस्वः) लिङ गेन्द्रिय एवं सर्वस्व = धन प्रादि से ( हीयते) रहित करदेना चाहिए, मौर (गुप्तं सर्वेण ) सुरक्षिता से करने पर धन प्रादि तथा प्राणश्रादि से भी रहित करदेना चाहिये मर्यात् सर्वस्वहरण करके प्राणवध करवे ॥ ३७४ ॥