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लखनऊ के चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट की सुरक्षा में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। शुक्रवार शाम 625 बजे बैंकाक से आयी एयर एशिया की एफडी 146 फ्लाइट के 13 यात्री इमीग्रेशन जांच कराये बिना ही बाहर निकल गये। इनमें एक विदेशी भी था। अफसरों को जब जांच में 13 यात्री कम मिले तो हड़कंप मच गया। पता चला कि रनवे से यात्रियों को बस से लाने वाले ड्राइवर ने टर्मिनल-1 की बजाय टर्मिनल-2 (घरेलू उड़ान) पर उतार दिया। ये 13 यात्री वह थे जिनके पास सिर्फ हैंड बैगेज (अपने साथ रखने वाला बैग) ही था, इसलिये ये तुरन्त बाहर निकल गये। एयर एशिया और सीआईएसएफ के जवानों ने बाहर निकले यात्रियों को ढूंढ़ना शुरू किया। करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद सभी यात्री बाहर सड़क तक मिल गये। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी को जाने दिया गया। पुलिस, सीआईएसफ के साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। यूपी में ऐसी पहली घटना है। एयरपोर्ट पर विदेशों से आये यात्रियों का इमीग्रेशन और कस्टम चेकिंग जरूरी होती है। बैंकांक से आये यात्रियों का इमीग्रेशन कर रहे कर्मचारी को जब कहा गया कि सारे यात्री जा चुके हैं। इस बड़ी लापरवाही का असली दोषी कौन है...इसके लिये एयरपोर्ट प्रशासन ने जांच बैठा दी है। पुलिस अधिकारियों ने भी अपने स्तर से पड़ताल शुरू कर दी है। एडीसीपी शशांक सिंह ने बताया कि सुरक्षा में लापरवाही की बात सामने आने पर पुलिस जांच कर रही है। फोन से सम्पर्क कर किसी तरह बिना जांच बाहर गये इन 13 यात्रियों को फिर से जांच के लिये एयरपोर्ट बुलाया गया। तीन यात्रियों ने तो लौटने से मना कर दिया। काफी अनुनय-विनय और कुछ सख्ती पर ये यात्री लौटे व इमीग्रेशन जांच करायी।
भागलपुर के लोग हवाई सेवा के लिए एक तरफ जहां संघर्षरत हैं। वहीं दूसरी ओर अब दूल्हा हेलिकॉप्टर से पर चढ़कर बारात जा सकेंगे। ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि जिले के तिलकामांझी चौक के एक कार दुकान के पास हेलिकॉप्टरनुमा कार खड़ा है। जो स्पेशल दूल्हे के लिए तैयार हुआ है। इसे लोग 11 हजार में बुक करा सकते हैं। इस अनोखे कार को बनवाने वाले खगड़िया जिला के महेशखूंट के रहने वाले दिवाकर कुमार हैं। वह एक टेंट व्यवसायी ने अपने व्यवसाय को और मजबूत करने के लिए एक नया ही नुस्खा इख्तियार किया है। उन्होंने यूट्यूब में देखकर एक कार को हेलीकॉप्टर का मॉडल दे दिया और वह दूल्हा गाड़ी के रूप में तैयार किया। दूल्हा गाड़ी के रूप में यह हेलीकॉप्टर काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। खगड़िया महेशखूंट का रहने वाला दिवाकर मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस कार का मॉडल हेलीकॉप्टर के रूप में मैं सिवान में तीन लाख रुपये की खर्च से बनाया और कोई भी दूल्हा इस हेलीकॉप्टर वाली गाड़ी पर बैठकर शान से अपनी शादी में जा सकते हैं। अभी इस हेलीकॉप्टरनुमा गाड़ी का रीमॉडलिंग तिलकामांझी के बादल ऑटो इलेक्ट्रिक वर्क में किया जा रहा है। उन्होंने कहा अपने क्षेत्र के शादी में भी दूल्हा ग्यारह हजार रुपए में हेलीकॉप्टर से जाकर कर सकेंगे शादी। This website follows the DNPA Code of Ethics.
Hyundai Ioniq 6: दक्षिण कोरिया की कार निर्माता कंपनी Hyundai अपनी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इन दिनों खबरों में है। हाल ही में उसने अपनी नई Hyundai Ioniq 6 को लांच किया था यह अपने एयरोडायनेमिक डिजाइन और रेंज के कारण चर्चा में थी। कंपनी ने इसे भारत में लॉन्च करने का ऐलान किया है। फिलहाल हुंडई ने बीते 9 नवंबर को इसे जर्मनी, यूके, फ्रांस, नॉर्वे और नीदरलैंड के मार्केट में लॉन्च कर इसकी प्री सेल शुरू की थी। इस पहले सेल में ही गाड़ी के कुल 2500 यूनिट बिक गई। आपको बता दें कि कंपनी ने सिर्फ 2500 यूनिट्स ही बेचने के लिए उपलब्ध कराया था और यह सिर्फ 24 घंटे के अंदर ही बिक गए। हुंडई आयोनिक 6 फ्यूचरिस्टिक डिजाइन के साथ आती है। इसे E- GMP आर्किटेक्चर पर बनाया गया है। इसके बाहर की तरफ शार्प हेड लाइट, फ्रंट बंपर पर आकर्षक V शेप डिजाइन और पीछे एलइडी टेल लाइट दी गई है जो बंद होते ही छुप जाती है। इसके इंटीरियर में आपको ग्रे कलर मिलेगा। इसमें दो स्पोक स्टीयरिंग व्हील और ड्यूल स्क्रीन सेटअप भी दिया है। इसके अन्य फीचर्स में 12 इंच का इन्फोटेनमेंट सिस्टम दिया गया है जिसमें एंड्राइड के साथ ऑटो प्ले भी मिलता है। इस कार में 12 इंच का डिजिटल स्टूडेंट क्लस्टर कार्ड एंबिएंट लाइटिंग का फीचर भी मिलता है। इस कार में सेफ्टी का भी पूरा ख्याल रखा गया है। इसमें कई एयर बैग के साथ पार्किंग कैमरा और स्टेबिलिटी कंट्रोल जैसे फीचर्स दिए गए हैं। इस नए इलेक्ट्रिक कार में दो बैटरी पैक 53 kWh और 77 kWh का विकल्प मिलता है। इस बैटरी को एक बार फुल चार्ज करने पर आप 610 किलोमीटर का रेंज पा सकते हैं। इसके साथ ही इसमें सिंगल मोटर और ड्यूल मोटर के भी विकल्प मिलते हैं। इसमें ड्यूल मोटर वाली कार 5 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में सक्षम है। इस कार का बैटरी सिर्फ 18 मिनट में 10 से 80% तक चार्ज हो जाती है।
नेहरू कालोनी पुलिस ने दूसरे की जमीन बेचकर चौदह लाख की ठगी करने के आरोपी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेज दिया है। नेहरू कालोनी थाना प्रभारी राकेश गुसाईं ने बताया कि मीना देवी पत्नी बलवंत सिंह निवासी ग्राम मैखुरा कर्णप्रयाग चमोली ने 29 जुलाई को मनोज बिष्ट पुत्र देव सिंह बिष्ट निवासी कैंट रोड मोथरोंवाला के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि मनोज ने मीना देवी को मोथरोंवाला में 14 लाख की जमीन दिखाकर रजिस्ट्री करवाई थी। इसके बदले चौदह लाख रुपये मीना ने मनोज को दिए। कुछ दिनों के बाद मीना देवी और परिवार के लोग जमीन पर कब्जा लेने के लिए पहुंचे तो पता चला कि यह जमीन किसी और की है। मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपी घर से फरार हो गया था। थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी मनोज को मोथेरोंवाला से 11 दिसंबर को गिरफ्तार किया। आरोपी को शनिवार को कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया।
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श्रोत उमड़ उठा। केवल संभ्रान्त सूर सर्दार गणों ने ही नहीं, वरन स्वयं महाराज शाहू ने अत्यन्त प्रसन्न होकर उनकी भूरि भूरि प्रसंसा करते हुए कहा - "क्यों नहीं, आखिर आप पेशवा बालाजी के ही तो पुत्र हैं। आपके समान वीर जिसके पक्ष में हो तो वह पक्ष उत्तर भारत ही क्या हिमाचल के सदूर देशों पर भी महाराष्ट्रीय पताका फहरा सकता है, इसमें किंचित् मात्र भी सन्देह नहीं ।" आप मेरी आज्ञानुसार ससैन्य उत्तर भारत विजय हेतु सहर्ष जा सकते हैं। निजाम और कर्णाटक विजय का भार हमलोग देख लेगें ।" बाजीराव की वीरतापूर्ण वक्तृता से राजदर्बार में उनकी प्रशंसा का पुल बंध गया था। इतना ही नहीं वरन सितारा नगर के समस्त स्त्री पुरुषों के हृदय पर उनके प्रभुत्व ने आसन जमा लिया था। इधर श्रीपतिराव के प्रति सूर सामन्त तथा नागरिकों का जो भाव था वह दिनो दिन घटने लगा। सितारा के राजदर्बार में भी प्रतिनिधि महाशय का जो प्रभुत्व और गौरव था, वह इस घटना से नष्ट होने लगा । स्वयम् महाराज शाहू भी श्रीपतिराव से विमुख होकर पेशवा के पक्षपाती हो गये और अपनो आन्तरिक इच्छा की पूर्ति तथा राष्ट्र को निर्भय करने के निमित्त उन्होंने बादशाही मुल्कों को विजय करने की 'सनद' पेशवा को प्रदान किया । इसप्रकार राज दर्बारियों और महाराज शाहू से सम्मानित हो वाजीराव पेशवा अत्यन्त प्रसन्न हुए। उनकी बुद्धि भी अत्यन्त विलक्षण और अथाह समुद्र की भाँति थी। वे अदूरदर्शी पुरुष पण्डित उस समय महाराष्ट्र देश में और कोई दूसरा नहीं था। उनका स्वभाव सागर की भाँति गम्भीर तथा उनकी वाणी अत्यन्त मधुर थो । वे विलासिता से कोसों दूर भागते थे। बाहरी आडम्बर से उन्हें विशेष घृणा थी । मानसिक शक्ति के साथ-साथ शारीरिक शक्ति भी यथेष्ट थी। कभी-कभी तो समर भूमि में चार-चार पाँच-पाँच दिन तक घोड़े की पीठ पर ही व्यतीत हो जाते थे परन्तु घबराहट का लेशमात्र चिन्ह भी उनकी मुखाकृति पर प्रकट नहीं होता था ।
4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
इस तरह के किसी भी डिवाइस की संरचना में निम्नलिखित मॉड्यूल शामिल हैंः - डालने योग्य है। - स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर। - फ़िल्टर। - अधिकतम आउटपुट वर्तमान। - पावर स्रोत शक्ति। - आउटपुट चैनलों की संख्या। - हलचल की सुरक्षा की डिग्री। - उपवास का प्रकार। - ऑपरेटिंग तापमान सीमा। कैसे चुनने के लिए? इस तरह के उपकरणों के चयन के लिए एल्गोरिथ्म निम्नानुसार है। उपभोक्ताओं की संख्या और उनकी कुल क्षमता का निर्धारण करें। मान लीजिए कि यह 100W प्रति शक्तिशाली सोलनॉइड वाल्व के साथ काम करने के लिए माना जाता है और 5 ए के शिखर लोड के साथ एक वर्तमान है। लगभग 20% की बिजली मार्जिन लेने की सिफारिश की गई है। ऐसा करने के लिए, हम 100 डब्ल्यू को 1.2 से गुणा करते हैं, हमें 120 डब्ल्यू मिलता है - बिजली इंगित करती है कि हमारी 24 वी 5 ए की बिजली आपूर्ति इकाई (120 डब्ल्यू / 24 वी) में ऐसे संकेतक होंगे। यह ऐसी विशेषताओं वाले उपकरणों से है और चुनने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यदि आवश्यक हो, तो ऑपरेटिंग परिस्थितियों और तापमान की स्थिति पर विचार करना आवश्यक है।
काले टमाटर खाने के फायदे (Photo Credit: SOCIAL MEDIA) नई दिल्लीः देश के कई हिस्सों में टमाटर ने लोगों की कमर तोड़ दी है. टमाटर का रेट इतना महंगा हो गया है कि घरों की रसोई से टमाटर गायब हो गया है. कई राज्यों में भारी बारिश के कारण टमाटर की कीमत में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इन सबके बीच आज हम आपको काले टमाटर के बारे में बताने जा रहे हैं. ये सुनकर आप हैरान हो गए होंगे ना? आपने अब तक लाल और हरे टमाटर खाए होंगे, लेकिन बाजार में काले टमाटर भी उपलब्ध हैं. लाल टमाटर हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है लेकिन काला टमाटर भी कई बीमारियों को कंट्रोल करने में सक्षम माना जाता है. इस टमाटर को अंग्रेजी में इंडिगो रोज टोमैटो कहा जाता है. आपके दिमाग में यह चल रहा होगा कि इस टमाटर को कैसे उगाया जाता है, तो हम आपको बता दें कि यह टमाटर भी सामान्य टमाटरों की तरह ही उगाया जाता है. इस टमाटर का रंग काला है इसलिए यह सामान्य टमाटर से बिल्कुल अलग है. इस टमाटर का रंग पहले हरा होता है, जो धीरे-धीरे नीला और अंत में काला हो जाता है. हालांकि काले टमाटर के अंदरूनी हिस्से सामान्य टमाटर की तरह ही होते हैं. लेकिन काले टमाटर में लाल टमाटर की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं. काला टमाटर इंसानों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इस टमाटर के सेवन से ब्लड प्रेशर सही रहता है. इस टमाटर में प्रोटीन, विटामिन ए, मिनरल्स और कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो इंसान के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं. अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज के दौर से गुजर रहा है तो यह टमाटर उसके लिए किसी वरदान से कम नहीं है. काले टमाटर शरीर में शुगर लेवल को बनाए रखते हैं. इसके साथ ही इस टमाटर में विटामिन ए और विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में होता है इसलिए यह आंखों की रोशनी के लिए अच्छा होता है. अगर किसी व्यक्ति को दिल की बीमारी है तो वह भी इसे खा सकता है.
दरअसल ये एक तरह का मिंट डिप समोसा है, दिल्ली एयरपोर्ट पर बिकने वाले इस समोसे की लोग काफी चर्चा कर रहे हैं। हैरान होने वाली बात ये है कि इसकी कीमत सुनकर आप एक पल के लिए डगमगा जाएंगे। सोशल मीडिया (Social media) पर आए दिन खाने की चीजें वायरल होती रहती हैं। स्वादिष्ट व्यंजनों के वीडियो और फोटो से इंटरनेट पटा पड़ा रहता है। इन दिनों एक ऐसा ही अतरंगी फूड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसे समोसे का नया वर्जन कहा जा रहा है, और इसका नाम क्रमोसा है। ये सबसे अजीब व्यंजनों की सूची में शामिल हो गया है। दरअसल ये एक तरह का मिंट डिप समोसा है, दिल्ली एयरपोर्ट पर बिकने वाले इस समोसे की लोग काफी चर्चा कर रहे हैं। हैरान होने वाली बात ये है कि इसकी कीमत सुनकर आप एक पल के लिए डगमगा जाएंगे। इस क्रमोस की कीमत 170 रुपये है, मतलब 10 रुपये का मिलने वाला समोसा, जो अब आकृति और नाम बदलने के साथ 170 रुपये का हो गया। इसकी तस्वीर इंटरनेट पर तलहका मचा रही है। आम तौर पर समोसे त्रिभुजाकर होते हैं लेकिन ये अलग है। समोस देश के कोने-कोने में बिकता है, लेकिन ये तो वीआईपी क्रमोसा है, जो सिर्फ एयरपोर्ट पर मिलता है। सोशल मीडिया पर यूजर्स इसे समोसे का नया वर्जन मान रहे हैं। इसलिए तो इसकी तस्वीर जमकर वायरल हो रही है। इन सब के अलावा इसकी कीमत लोगों को ज्यादा हैरान कर रही है। बता दें कि, क्रमोसा दिल्ली एयरपोर्ट पर बिकने वाले सबसे महंगे स्नैक्स में से एक है। इसकी कीमत में तो ना जाने 17 से 20 समोसे आराम से आ जाएंगे। लेकिन शौक बड़ी चीज है, क्रमोसा खाने के लिए आपको अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। इस क्रमोसा की तस्वीर ट्विटर पर प्रियल नाम की यूजर ने शेयर की है।
नई दिल्ली. अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन (Chhota Rajan) को तिहाड़ जेल से दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. बीते शनिवार को ही उसकी कोरोना (Corona) रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. शुरुआत में जेल के एक वार्ड में उसका इलाज चल रहा था, लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद उसे दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है. इसकी जानकारी जेल के अधिकारियों ने दिल्ली की एक कोर्ट में दी. फिलहाल उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है. छोटा राजन को तिहाड़ के जिस सेल में रखा गया था, उसी सेल में कुछ दिन पहले पूर्व सांसद व माफिया मो. शहाबुद्दीन भी कोरोना पॉजिटिव पााया गया था. गौरतबल है कि राजन 2015 में इंडोनेशिया के बाली से प्रत्यर्पण के बाद अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. मुंबई में उसके खिलाफ दर्ज सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए हैं और उस पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालत गठित की गई है. तिहाड़ के सहायक जेलर ने सत्र अदालत को बताया कि वह एक मामले की सुनवाई के सिलसिले में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राजन को न्यायाधीश के समक्ष पेश नहीं कर सकते हैं, क्योंकि गैंगस्टर कोविड-19 से संक्रमित हो गया है और उसे एम्स में भर्ती कराया गया है. बता दें कि पिछले कुछ दिनों से तिहाड़ में बंद कैदियों में कोरोना का संक्रमण अचानक बढ़ गया है. इससे पहले तिहाड़ में बंद दिल्ली दंगे के आरोपी व जेएनयू का पूर्व छात्र उमर खालिद कोरोना संक्रमित हो गया था. उसका फिलहाल तिहाड़ में ही इलाज चल रहा है. जेल अधिकारियों का कहना है कि संक्रमित कैदियों के लिए अस्पताल में अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं.
ओडिशा : आपने सुना या देखा होगा कि कैसे आवारा कुत्तों (Stray Dogs) का झुंड किसी पर भी हमला (Attacked) कर देता है और घायल (Injured) करके भाग जाता है। देश की सभी राज्यों में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। आवारा कुत्ते सड़क पर किसी को भी दौड़ा रहे हैं और किसी को भी काट ले रहे हैं। ये अपनी झुंड बनाकर महिला और बच्चों को दौड़ा लेते हैं। उन्हें काट लेते हैं। ऐसी ही एक घटना ओडिशा के बेरहामपुर के गांधीनगर में हुई। वीडियो में आप देख सकते हैं की एक महिला अपने बच्चे और एक महिला के साथ बच्चे को स्कूटी से स्कूल छोड़ने जा रही थी। तभी पांच आवारा कुत्तों के झुंड ने उन्हें दौड़ा लिया। महिला ने बचने के लिए स्कूटी की रफ्तार बढ़ा दी और तेज रफ्तार से आगे जाने लगी, कुछ दूर आगे जाने पर महिला खड़ी कार से टकरा गई। जिसका सीसीटीवी फुटेज इंटरनेट पर वायरल हो गया है। सोशल मीडिया लोगों ने इस वीडियो को शेयर कर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सीसीटीवी के वीडियो में देख सकते हैं कि कुत्तों के दौड़ाने की वजह से स्कूटी में सवार दो महिलाएं कार से टकराने के बाद कैसे हवा में उछलकर सड़क पर गिरती है। मीडिया के रिपोर्ट्स के अनुसार, स्कूटी सवार बच्चा भी हादसे में घायल हो गया। इस हादसे के तुरंत बाद जब महिलाएं सड़क पर गिर जाती हैं, तो पांचों आवारा कुत्ते उसी रस्ते भाग जाते है, जहां से उन कुत्तों ने स्कूटी सवार महिलाओं को दौड़ना करना शुरू कर दिया था। वीडियो में ये भी देखा जा सकता है की एक कुत्ता हादसे के बाद स्कूटी के निचे दबा जाता है और कड़ी मशक्त कर उधर से निकल कर भाग जाता है। मिली खबर के मुताबिक, इस हादसे में किसी को भी गंभीर चोट नहीं लगी है।
बालोद,(ब्यूरो छत्तीसगढ़)। भारत को आत्मीक स्तर पर उन्नत बनाने के लिए आर्थिक, सामाजिक, सामूहिक और बौद्धिक स्तर पर भी शक्पियशाली, सुदृढ़ भारत के निर्माण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा आतंकवादी तैयार करने के घिनौने आरोप तथा हिन्दु आतंकवाद, भगवा आतंकवाद जैसे शब्दो के इस्तेमाल किये जाने के बाद देशव्यापी आंदोलन की श्रंखला में केन्दीय नेतृत्व के आहवान पर आज दोपहर 12. 00बजे स्थानीय जिला मुख्यालय जय स्तंभ चौक बालोद में भारतीय जनता पार्टी जिला बालोद के भगवा बिग्रेड द्वारा दिनभर के लिए धरना एवं उपवास कर केन्द की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के खिलाप आकोश व्यक्प किया गया। यूपीए की चेयरपरसन श्रीमती सोनिया गांधी, देश के पधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सार्वजनिक माफी मांगने तथा गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का इस्तीफा लिये जाने को लेकर राष्ट्रपति के नाम जिलाधीश को ज्ञापन सौपा गया तत्पश्चात पदर्शन स्थल से रैली स्वरूप "हिन्दु और भगवा का अपमान-नही सहेगा हिन्दुस्तान" जैसे गगनभेदी नारो के साथ जय स्तंभ चौक मे कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का पूतला दहन किया गया। देश को शक्पिशाली और सुदृढ़ बनाने तथा देश की संपभुता को अक्षुण बनाए रखने वाले भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर घिनौना आरोप के खिलाप आयोजित धरना पदर्षन मे कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद सोहन पोटाई, भारतीय जनता पार्टी जिला बालोद के अध्यक्ष पीतम साहू, संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की विधायक कुमारी मदन साहू, चन्दाकर आदि पमुख रूप से उपस्थित रहें।
इस हमले के संबंध में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बताया कि न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में शुक्रवार को गोलीबारी करने वाला बंदूकधारी एक दक्षिणपंथी चरमपंथी है जिसके पास आस्ट्रेलिया की नागरिकता है। मॉरिसन ने कहा कि क्राइस्टचर्च में "एक चरमपंथी, दक्षिणपंथी, हिंसक आतंकवादी" ने गोलीबारी की। वह आस्ट्रेलिया में जन्मा नागरिक है। उन्होंने और जानकारी देने से इनकार कर दिया और कहा कि न्यूजीलैंड के प्राधिकारियों के नेतृत्व में जांच की जा रही है। हमले के समय डीन अवे मजिस्द में नमाज पढ़ रहे एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि उसने बाहर अपनी पत्नी का शव फुटपाथ पर पड़ा देखा। , "लोग भाग रहे थे। कुछ लोग खून से सने थे। " एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि उसने बच्चों पर गोलियां चलती देखीं। "मेरे चारों ओर शव थे। " एक प्रत्यक्षदर्शी ने 'रेडियो न्यूजीलैंड' को बताया कि उसने गोलीबारी सुनी और चार लोग जमीन पर पड़े थे और "हर तरफ खून" था। अपुष्ट खबरों के अनुसार, हमलावर ने सेना की वर्दी जैसे कपड़े पहने हुए थे। बांग्लादेश की क्रिकेट टीम के प्रवक्ता ने बताया कि कोई खिलाड़ी हताहत नहीं हुआ है। उन्होंने एएफपी से कहा, "वे सुरक्षित हैं, लेकिन वे सदमे में हैं। हमने टीम से होटल में रहने को कहा है। " उन्होंने बताया कि पूरी टीम को बस में बिठाकर मस्जिद लाया गया था और जब गोलीबारी हुई, तब टीम मस्जिद में प्रवेश करने ही वाली थी।
Satta King Result: अब आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह पर्ची लिखवाने का क्या मतलब होता है। दरअसल, पर्ची लिखवाने का मतलब हुआ कि आपको एक विशेष स्थान पर कोई नंबर आने की संभावना व्यक्त करानी होती है और अगर अगले दिन वही नंबर आ जाता है, तो आपको आपके द्वारा निवेश की गई रकम पर कुछ रकम बढ़ाकर दे दी जाती है। Satta King Result 2023: जहां इस गेम को खेलने के बाद कइयों की किस्मत चमकी है तो वहीं कई ऐसे भी हैं जिनकी किस्मत डूबने के कारण उनके पैसे भी इस गेम ने डुबा दिए हैं। लेकिन इतने जोखिम होने के बावजूद आज भी ये गेम मशहूर है और खूब खेला जा रहा है। इस गेम में हर दिन एक लकी नंबर का खुलासा होता है और अगर आपका नंबर भी होता है लकी तो खुल जाता है आपकी किस्मत का पिटारा और बन जाते हैं आप सट्टा-किंग। तो चलिए देर न करते हुए बताते हैं, आज के लकी नंबर। Satta Result 2023: आप इस खेल में जितना ज्यादा निवेश करेंगे, उतना ही ज्यादा आपको रिटर्न मिलेगा। इस तरह से अगर आप ज्यादा पैसा लगाएंगे तो आपको ज्यादा पैसा मिलेगा और आपके करोड़पति बनने की संभावना प्रबल हो जाएगी। आपको बता दें कि इस पूरी प्रक्रिया को सट्टा किंग के नाम से जाना जाता है। Satta King Result 2023: जानकारी के लिए बता दें कि सट्टा किंग में रोज लकी नंबर लगाने वाले अपना रिजल्ट वेबासाइट के जरिए चेक कर सकते है। इससे संबंधित कई मशहूर वेबसाइट है। जहां पर हर दिन के नतीजे और विजेता का नाम के बारे में पता कर सकते है। बता दें कि इस खेल में आपको 00 से लेकर 99 नंबर के बीच के अंकों का चयन करना होता है। सट्टा खेल के बारे में और बता दें तो इसे कोई भी उम्र का शख्स और कही से भी खेल सकता है। क्योंकि इसे ऑनलाइन भी खेला जाता है। Satta King Result 2023: सट्टा किंग एक जोखिम भरा खेल है। इस खेल के तहत आपके द्वारा व्यक्त की गई संभावित नंबर हमेशा ही वास्तविकता में तब्दील होगी, ये जरूरी नहीं है। कई बार आपके द्वारा व्यक्त की गई संभावनाएं गलत भी साबित हो सकती है। ऐसे मान लीजिए कि आप फलां तारीख को गली में पांच नंबर आने की संभावना व्यक्त कराते हुए कोई पर्ची लिखवाते हैं, तो ये जरूरी नहीं है कि निर्धारित तारीख वो वही नंबर आएगा।
सोचने वाले आदमी को भी बरदाश्त नहीं करते। हां, वे भीड़ ही चाहते हैं। क्योंकि भीड़ बिल्कुल मशीन है। भीड़ से कोई डर नहीं, भीड़ खंडन नहीं करती, भीड़ उलट कर जवाब नहीं देती। भीड़ से कोई टक्कर नहीं, कोई चुनौती नहीं। भीड़ उधर खड़ी है, डेड मॉस है। आप बोले चले जा रहे हैं जो आपको बोलना है, जो कहना है आप कहे चले जा रहे हैं। लेकिन जब आप एक व्यक्ति के सामने खड़े होते हैं, तो एक जिंदा आदमी है और वह आपको कुछ भी नहीं बोलने देगा। वह रोकेगा, टोकेगा भी, गलत भी कहेगा, लड़ेगा भी, झगड़ेगा भी। और जब दो व्यक्ति बातचीत करेंगे, तो उनमें एक बोलने वाला, दूसरा सुनने वाला, ऐसा नहीं रह जाता, वे दोनों ही बोलने वाले होते हैं, दोनों ही सुनने वाले होते हैं। और उसमें ऐसा नहीं होता है कि एक सत्य जानता है, और दूसरा नहीं जानता। उसमें दोनों के संघर्षण से सत्य निकलता है। लेकिन गुरु को ख्याल होता है कि सत्य मेरे पास है, मुझे देना है, निकालने का सवाल कहां है? दे देना है तो आप चुपचाप ले लो और रास्ते पर हो जाओ। इसलिए आमतौर से धर्मगुरु हैं, नेता हैं, भीड़ को चलाने वाले लोग हैं व्यक्ति को पसंद नहीं करते हैं। व्यक्ति के साथ डर जाएंगे। और यह बड़ी आश्चर्य की बात है कि जो लोग बड़ी-बड़ी भीड़ को भी प्रभावित करते हैं, वे एक छोटे से व्यक्ति से घबड़ा जाएंगे, कंप जाएंगे। हिटलर जैसा आदमी लाखों लोगों को कंपाएगा, लेकिन अकेले कमरे में एक आदमी के साथ नहीं बैठ सकता है घंटे भर । इतना डर जाएगा। शादी नहीं की है हिटलर ने मरने के दिन तक, सिर्फ इसीलिए कि और किसी को तो कमरे के बाहर रोक सकते हैं; लेकिन एक औरत को, जिससे शादी कर लेंगे वह कमरे में साथ होगी। और साथ होने से इतना डर लगता है एक आदमी से ! क्यों? क्योंकि भीड़ में आदमी, भीड़ में नेता जो है वह अपने को व्यवस्थित कर लेता है। वह जैसा दिखाना चाहता है, वैसा हो जाता है। लेकिन चौबीस घंटे थोड़े ही पोज कर सकते हैं। चौबीस घंटे तो मुश्किल हो जाएगी, तुम मर जाओगे। तो हिटलर ने किसी को दोस्त नहीं माना जिंदगी भर । उसके, जो उसके साथ थे वे कहते थे, या तो उसके तुम दुश्मन हो सकते हो या उसके अनुयायी हो सकते हो। दोस्त होने का कोई उपाय नहीं है। कोई उसके कंधे पर हाथ नहीं रख सकता है। और कोई उसके पास ज्यादा देर नहीं बैठ सकता है। वह हमेशा मंच पर होगा, आप हमेशा मंच के नीचे होंगे। साथ होने का उपाय नहीं है। नेता छोड़ते ही नहीं उपाय आपको। हां, वह नहीं छोड़ता, वह नहीं छोड़ता, क्योंकि... हां, वह सब चला जाएगा। व्यक्ति से सीधा उलझना बहुत कठिन बात है। और एक छोटे से छोटा आदमी इतना अदभुत आदमी है कि जिसका कोई हिसाब नहीं। लेकिन भीड़ में कोई भी कोई नहीं है, वह तो नोबडीनेस है कोई भी कोई नहीं है । वहां बेधड़क, वहां कुछ भी नहीं है। वह नथिंगनेस है। इधर मुझे तो निरंतर ऐसा लगता है कि सीधा एक-एक व्यक्ति से बाद में मुझे, लेकिन इसका कुछ अर्थ मिला। कम्युनिकेशन है, संवाद है कुछ। इसलिए तय किया है... आप तो बहुत घूमते हैं। आपको लगता है कम्युनिकेट करना आसान है इंडिविजुअल के साथ ? वह स्टेंडर्ड ऑफ इंटेलिजेंस है कंट्री में। यह बहुत ही रेयर होती है... । नहीं-नहीं आप हमें ही अपने, या काम में, पेशे में, शहर में लगता है कि किसी इंटेलिजेंस आदमी से मिल कर एक अजीब खुशी होती है। बड़ी कम खुशी मिलती है कि बात करते हैं जैसे दीवाल दीवाल से टकरा कर वापस आ जाते हैं। आपको आज इस देश में इंटेलेक्चुअल स्टेंडर्ड क्या लगता है ? बहुत कम है, बहुत कम है। लेकिन बहुत कम होने का कारण यह नहीं है कि बुद्धिमान लोग मुल्क में कम हैं। असल में बहुत गलती हो गई। शिक्षित आदमी बुद्धिमान समझा जा रहा है, इसलिए दिक्कत हो गई है। और हम उसी में खोजते हैं बुद्धिमानी। एजुकेटेड को और इंटेलिजेंस को हम एकसाथ इकट्ठा माने हुए हैं। कोई आदमी शिक्षित है ठीक से, डिग्री है उसके पास तो वह बुद्धिमान होगा, यह जरूरी नहीं है। डिग्री जरूरी नहीं है। नहीं, डिग्री जरूरी नहीं है, यह नहीं कह रहा। यह कह रहा हूं कि डिग्री होने से आदमी इंटेलिजेंट है, यह जरूरी नहीं है। बल्कि सच यह है कि डिग्री पाने का हमारा जो रास्ता है, उसमें इंटेलिजेंट आदमी पिछड़ जाएगा, स्टुपिड आगे हो जाएगा। हमारा जो रास्ता है, जो ढंग है, क्योंकि हमारी सारी शिक्षा बहुत गहरे में स्मृति की परीक्षा है, बुद्धिमत्ता की नहीं। और बुद्धिमान आदमी जो है वह बहुत जल्दी भूलता है। और बुद्धिहीन आदमी जो है वह कुछ चीजों को पकड़ लेता है और कभी नहीं छोड़ता है। और पकड़े इसलिए रखता है कि नया कुछ समझने का तो उपाय नहीं है, यही उसकी संपत्ति है। बुद्धिमान आदमी समझता है और छोड़ देता है। क्योंकि क्या पकड़ना है? कल जब फिर सामना होगा जिंदगी का, तो फिर बुद्धिमत्ता काम कर लेगी। तो बुद्धिमान स्मृति इकट्ठी नहीं करता, बुद्धू स्मृति इकट्ठी करता है। और स्मृति की जो प्रशिक्षण है, उसमें हम खोजने जाते हैं कि इंटेलिजेंट आदमी कहां है? तो शिक्षित आदमी जरूरी रूप से बुद्धिमान आदमी नहीं है। लेकिन अगर हम यह भ्रम छोड़ दें और सहज आदमी में खोजने चले जाएं, तो बहुत बुद्धिमान लोग दिखाई पड़ेंगे। कभी गांव में एक निपट गंवार जिसको हम कहेंगे, वह बुद्धिमान हो सकता है। लेकिन हमारे जो मेजरमेंट हैं, उनमें हो सकता है वह न पकड़ में आ सके, क्योंकि हमने मेजरमेंट गलत बना रखे हैं। इसमें उसकी गलती नहीं है। बुद्धिमत्ता तो बहुत है, लेकिन शिक्षित होने को बुद्धिमत्ता समझें, तब फिर कठिनाई हो जाती है। और, और वैसे आदमी से... क्योंकि बुद्धिमत्ता के भी बहुत रूप हैं। अक्सर यह होता है कि जो मेरी बुद्धिमत्ता है, वैसे ही आदमी को मैं बुद्धिमान समझ पाता हूं। और बुद्धिमत्ता की बहुत दिशाएं हैं, बहुत आयाम हैं, डाइमेन्शंस बहुत हैं। यानी बुद्धिमत्ता कोई एक ऐसी चीज नहीं है कि वह एक ही तरह की होती है। अब एक पेंटर है। उसके पास एक तरह की विजडम है। उसके पास एक तरह की बुद्धिमत्ता है। और हो सकता है अगर गणितज्ञ से उसकी मुलाकात हो, तो गणितज्ञ समझे कि यह आदमी इटेंलिजेंट नहीं है। क्योंकि गणितज्ञ के पास एक तरह की बुद्धिमत्ता है, जहां दो और दो चार ही होते हैं। जहां सब बंधा हुआ, फिक्स्ड है। पेंटर की बात बहुत अलग है। वॉनगाग का एक, एक चित्र है। जिसमें उसने दरख्त इतने बड़े बनाए हैं कि चौखटे के पार निकल गए हैं। पेंटिंग छोटी पड़ गई है, और पेंटिंग का आकाश भी छोटा पड़ गया है, और दरख्त हैं कि पार चले जा रहे हैं, और सूरज वगैरह ऐसे छोटे-छोटे से कोने में पड़े हैं जिनका कोई हैसियत नहीं। उसका एक मित्र उसे देखने आया और उस मित्र ने कहा कि यह क्या पागलपन है? दरख्त इतने बड़े और सूरज इतना सा? इसमें कोई गणित भी तो है! यह कैसा गणित है? दरख्त इतने बड़े सूरज इतना सा ? तुम्हें कुछ प्रपोर्शन का अनुपात का ख्याल नहीं? अनुपात की जो भाषा है, वह गणित की भाषा है। प्रपोर्शन की जो बात है वह गणित की भाषा है। तो उस चित्रकार ने कहाः मैं कोई गणितज्ञ नहीं हूं, और सूरज ने कोई गणित से सहमत होने को ठेका ले लिया है? मैंने तो कुछ और ही बात चित्रित की है। गणित से इसका कोई लेना-देना नहीं। तो उस आदमी ने पूछाः चित्रित किया है? दरख्त हैं। उसने कहा कि नहीं, मैं दरख्तों को कभी भी ऐसा नहीं देख पाया। मैं उनको, दरख्तों को सदा ऐसे ही देख पाया हूं कि वे पृथ्वी की आकांक्षाएं हैं, आकाश को छूने की । दरख्त जो हैं वह पृथ्वी की आकांक्षाएं हैं आकाश को छूने की। एंबीशंस हैं पृथ्वी की। तो पृथ्वी अभी तक नहीं जीत पाई है, लेकिन हमें क्या बाधा है? हम उन्हीं को जीता देते हैं। हम आकाश को... यह जो आदमी है, इसको वह गणित वाला कहेगा, ठीक है, फिजूल हुआ यह । यह नापना था, तौलना था। नाप और तौल की एक दुनिया है, वहां की एक बुद्धिमत्ता है। लेकिन एक और तरह की बुद्धिमत्ता होती है। अब एक संगीतज्ञ है, उसकी और तरह की बुद्धिमत्ता है। एक तार्किक है, उसकी और तरह की बुद्धिमत्ता है। एक प्रेमी है, उसकी और तरह की बुद्धिमत्ता है। और एक किसान है, उसकी और तरह की बुद्धिमत्ता है। एक मिट्टी खोदने वाला है, उसकी और तरह की बुद्धिमत्ता है। लेकिन अटल सच बात यह है कि जितने तरह के लोग हैं, उतनी तरह की बुद्धिमत्ताएं हैं। और हम जब भी तौलने जाते हैं, तो हमारी बुद्धि को हम कसौटी बना लेते हैं। वह दूसरा आदमी उस कसौटी पर नहीं बैठता; क्योंकि वह दूसरा आदमी हमारे जैसा नहीं है। तब कठिनाई हो जाती है। एक मुझे बहुत प्रीतिकर रहा है हमेशा, एक फकीर है, उस पर गांव के लोगों ने राजा को इल्जाम लगा दिया है और कह दिया है कि यह जो फकीर है यह नास्तिक है, अधार्मिक है। और इसके बोलने पर रुकावट डालनी जरूरी है, सारा गांव बरबाद हो जाएगा। तो राजा ने उस फकीर को बुला लिया। और उस फकीर ने कहा कि किसने तुम्हें यह खबर दी? क्योंकि मुझे पता ही नहीं कि नास्तिकता, अधार्मिकता तौलने का मापदंड कहां है? मैं तो उसकी खोज ही कर रहा हूं। मुझे पता चल जाए, तो मैं भी उस तराजू पर बैठ कर अपने को तौल लूं कि मैं आदमी धार्मिक हूं कि अधार्मिक ? कहा किसने? उसने कहा कि मेरे ये पंडित बैठे हैं, इन्होंने कहा है। तो उसने कहा कि इन पंडितों से, इसके पहले कि मैं अपनी जांच करवाऊं, एक छोटा सा सवाल पूछना है। पंडित तैयार हो गए। ऐसे पंडित हमेशा तैयार होते ही हैं, वे रेडीमेड ही होते हैं। उसके पास कुछ, उसके पास कुछ ऐसा नहीं होता कि वह किसी चीज का मुकाबला करता हो। उसके पास चीजें तैयार होती हैं। मुकाबला सिर्फ बहाना होता है, खूंटियां होती हैं, जिन पर जो उसके दिमाग ने सदा से तैयार कर रखा है, वह टांग देते हैं। वे तैयार हो गए। उस फकीर ने एक-एक कागज उनको दे दिया और कहा कि मैं एक प्रश्न पूछता हूं, तुम सब उत्तर लिख दो। तो उन्होंने सोचा कि कोई कठिन प्रश्न पूछेगा। और मजा यह है कि सब कठिन प्रश्नों के उत्तर तैयार हैं। सरल प्रश्न मुश्किल बात है। क्योंकि उसका उत्तर कहीं लिखा होता नहीं। उस फकीर ने बड़ा सरल पूछा। उसने पूछा, वॉट इज ब्रेड ? रोटी क्या है? उन्होंने सोचा था, पूछेगा, ब्रह्म क्या है? परमात्मा क्या है? मोक्ष क्या है? प्रेम क्या है? यह कैसा गंवार आदमी आ गया है कि जो पूछता है कि रोटी क्या है? यह भी कोई सवाल है? यह कोई तत्वज्ञान है? उन्होंने कहाः यह भी कोई सवाल है? उसने कहाः मैं तो बिल्कुल नासमझ आदमी हूं, बस ऐसा ही सरल सवाल पूछ सकता हूं। आपकी बड़ी कृपा होगी, जवाब दे दें। आप इस पर लिख दें। राजा भी हैरान हुआ कि इसको काहे के लिए पकड़ लाए हैं? यह क्या नास्तिक होगा? यह बेचारा, ऐसी सरल बातें भी अभी इसे पता नहीं कि रोटी क्या है! इसके सवाल कोई मैटाफिजिक्स के, कोई ज्ञान के तो नहीं हैं। पंडितों ने लिखने में बड़ी मुश्किल में पड़ गए; क्योंकि कहीं नहीं पढ़ा था कि रोटी क्या है? पढ़ा ही नहीं था किसी किताब में, लिखा ही नहीं था किसी ब्रह्मसूत्र में, किसी गीता में, किसी कुरान में! कहीं भी नहीं लिखा है कि रोटी क्या है। बड़ी मुश्किल में पड़ गए। एक ने लिखा है कि रोटी एक तरह का भोजन है। अब और क्या करे। दूसरे ने लिखा है कि रोटी--गेहूं, पानी और आग का जोड़ है। किसी ने लिखा है कि रोटी बड़ी ताकतवर चीज है। किसी ने कहा, रोटी भगवान का वरदान है। किसी ने लिखा, किसी ने लिखा कि रोटी क्या है, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि रोटी सब कुछ है। खून भी वही है, हड्डी भी वही है, मांस भी वही है, मज्जा भी वही है। सभी वही है । तो रोटी क्या है, कहना बहुत मुश्किल है। रोटी बड़ी मिस्ट्री है। एक ने लिखा है कि पहले यह पता चल जाए कि पूछने वाले का मतलब क्या है, तभी मैं बता सकता हूं। सातों कागज लेकर राजा के सामने उसने कहा, ये कागज देख लें। अब इन पंडितों को यह भी पता नहीं है कि रोटी क्या है? और ये सात इस पर भी राजी नहीं हैं कि रोटी क्या है? ये इस पर कैसे राजी हो गए कि ईश्वर क्या है? और आस्तिकता क्या है? और नास्तिकता क्या है? इन्होंने कैसे तौल लिया वह मुझे पता बता दें आप? तो मैं भी उस तराजू पर चढ़ जाऊं। अभी मुझे ही पता नहीं है कि मैं कौन हूं? नास्तिक हूं कि आस्तिक हूं। इनको कैसे पता चल गया है ? एक तरह की बुद्धिमत्ता उन पंडितों के पास भी थी । किताबों में जो लिखा था वह जानते थे। और यह आदमी बड़ा होशियार है, वह किताब की बात ही नहीं पूछी। यह आदमी भी एक तरह की बुद्धिमत्ता लिए हुए है, जो उससे गहरी है। यानी इसके पास भी एक विजडम है। हम, अक्सर होता है कि क्या कठिनाई है कि हमें बुद्धिमान आदमी नहीं मिलता है; क्योंकि हमारी जो बुद्धिमत्ता है, हम उसी को तौलते चलते हैं। और हां, और दूसरी बात यह होती है कि जाने-अनजाने, जो हमसे सहमत हो जाए वह बुद्धिमान मालूम पड़ता है, जो कि ठीक नहीं है। जो कि ठीक नहीं है। मुश्किल तो यही है कि जो बुद्धिमान है वह सहमत जरा मुश्किल से हो सकेगा। और हमारा मन कहता है कि जो सहमत हो जाए उसको हम बुद्धिमान मान लें। सरल है वह बात। बहुत सरल है, लेकिन जरा कठिन है सहमति। जो सहमत हो जाए वह बुद्धिमान आदमी है! यानी हमारी नजर में उसकी बुद्धिमत्ता हमारी सहमति से हम तौल लेते हैं। और जब कि बुद्धिमान आदमी का सहमत होना जरा मुश्किल है। अपनी नजर है, अपनी दृष्टि है, अपना सोचना है। और मैं मानता यह हूं कि कोई आदमी किसी से सहमत हो ही क्यों? असल में सहमति की आकांक्षा बहुत गहरे में वायलेंस है। जब मैं यह आकांक्षा करूं कि मुझसे आपको सहमत होना चाहिए, तो मैं किसी न किसी गहरे तल पर आपको मिटाना चाहता हूं, और अपने को उसमें बिठाना चाहता हूं। मैं आपको मारना चाहता हूं। हां, आपको डॉमिनेट करना चाहता हूं, मारना चाहता हूं। तो हम यह भी ख्याल में रखते हैं कि जो हमसे सहमत हो जाए, वह बुद्धिमान है। और इसीलिए यह हो जाता है कि गुरुओं और महात्माओं के पास निपट बुद्धू इकट्ठे हो जाते हैं, जो उनसे सहमत हो जाते हैं। वह सोचते हैं कि बहुत अच्छे लोग इकट्ठे हो गए हैं। और वे जो, वे जो इकट्ठे हो गए हैं वे वही लोग हैं जो उनसे सहमत हो जाते हैं। वाल्तेयर के खिलाफ कोई एक आदमी था, डिडरो। और उसने वाल्तेयर के खिलाफ बहुत सी बातें कहीं। और वह एक दिन वाल्तेयर को रास्ते पर मिल गया। तो उसने वाल्तेयर से कहा कि आप तो सोचते हो कि इस आदमी को मरवा डालूं। तो वाल्तेयर ने कहाः क्या कहते हो? घर चलो। आज मैंने डायरी में तुम्हारे संबंध में एक वाक्य लिखा है। वह घर उसे लाया। डायरी में उसने एक वाक्य लिखा है कि जो मुझसे असहमत हैं और मेरे विरोध में हैं, उन्हें उस तरह के सोचने का अधिकार और हक है और उस तरह बोलने का। अगर इसकी लड़ाई में मुझे अपनी जान गंवानी पड़े, तो मैं जान गंवा दूंगा। लेकिन वे गलत हैं, इसे कहने का अधिकार मैं मानता रहूंगा। मैं जान लगा दूंगा उनके इस अधिकार के लिए कि उन्हें यह सोचने का हक है, लेकिन वे गलत हैं यह कहने का हक मुझे है। आखिर इतना हमें ख्याल हो कि हम सहमति न खोज रहे हों, तो बहुत बुद्धिमान लोग मिल सकते हैं। लेकिन सहमति खोजने की वजह से कठिनाई बढ़ जाती है। और फिर यह होता है कि जाने-अनजाने किसी न किसी रूप में हम उस आदमी को पसंद करते हैं, जो किसी न किसी भांति हमारे जैसा है। जिससे हमारी कांफ्लिक्ट न हो। और दुख की बात यही है कि जो हमारे जैसा है वह हमें कोई रस नहीं दे सकता है। रस हमें वही दे सकता है, जो हमसे मतभेद रखता हो। उतना ही रखते हैं। हां, वह गलती में है और इसलिए हम भूल में पड़ कर थोड़े दिन में पछताने लगते हैं। हम हमेशा यह कर लेते हैं कि जो हमारे जैसा है उसको चुन लेते हैं। पहले मौके पर वही अच्छा लगता है, क्योंकि वे हमारे ही दर्पण हैं जो हमें ही दिखाई पड़ जाते हैं। फिर चार दिन बाद मुश्किल शुरू हो जाती है; क्योंकि यह आदमी तो बिल्कुल हमारे जैसा है। बोरिंग तो लाने वाला है। पश्चिम में जो सारे के सारे प्रेम-विवाह की असफलता है, उसकी बुनियाद में कारण यह है। हर व्यक्ति उसको प्रेम कर लेता है पहले मौके पर, जो उसे अपने जैसा लगता है। लेकिन जब साथ रहता है, तो अपने जैसा आदमी सुखद नहीं मालूम पड़ता । भिन्न चाहिए, भेद चाहिए। उसकी अपनी रुचि, अपना व्यक्तित्व चाहिए, और वह बिल्कुल मेरे जैसा है, तो वह कॉपी छाया मालूम होने लगता है। वह व्यर्थ हो जाता है । छाया, कॉपी मालूम होने लगता है। वह व्यर्थ हो जाता है। उसमें हमें कोई रस नहीं रह जाता है। और एक बात है कि उसे हमें जीतने की आगे कोई जरूरत नहीं रह जाती है। वह जीत ही लिया गया है, बात खत्म हो गई है। तो वह अक्सर हो जाता है। और इसलिए अपने से विरोधी को प्रेम करने की क्षमता जब तक न बढ़े, तब तक न तो हम कीमती मित्र बना सकते हैं, न कीमती पत्नी खोज सकते हैं, न कीमती पति खोज सकते हैं, न कीमती साथी खोज सकते हैं। हम खोज ही नहीं सकते, अपने से विरोधी को जब तक हम प्रेम करने की क्षमता न विकसित कर ले। इसलिए पता नहीं चलता है कि कितनी बुद्धिमत्ता है। बुद्धिमत्ता तो बहुत है, बहुत है। कई बार ऐसी जगह होती है, जहां हम कभी नहीं सोचते हैं। अभी तक का कोई डेढ़ सौ दो सौ वर्षों में कालेज के प्रोफेसर हैं, ये बुद्धिमान समझे जाते रहे हैं। लेकिन दुनिया में जितने आविष्कार किए हैं वे उन लोगों ने किए हैं जिनका युनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं है। यानी प्रोफेसर्स के नाम का आविष्कार न के बराबर है। भूल-चूक है। हां, वे बुद्धिमान होने का... और ऐसी जगह से, ऐसे अनजान कोने से कोई आदमी कुछ खोज लेता है जिसका हम कभी ख्याल ही नहीं करते कि यह भी बुद्धिमान हो सकता है। कोई ख्याल ही नहीं उठ सकता है। बहुत बार ऐसा होता है कि रॉ-इंटेलिजेंस जो है, वह दिखाई नहीं पड़ती है। कच्ची युनिवर्सिटी से नहीं गुजरी है, पक नहीं गई है, कच्ची है, दिखाई नहीं पड़ती। लेकिन कच्ची बुद्धिमत्ता में विकास की ज्यादा संभावनाएं होती है और बहुत उपाय, मार्ग होते हैं। और पकी हुई बुद्धिमत्ता पके हुए घड़े की तरह हो जाती है जिसको अब नहीं ढाला जा सकता। कच्चा घड़ा है, वह अभी बहुत तरह से शक्ल ले सकता है। तो रॉ-इंटेलिजेंस तो बहुत है दुनिया में और भी बड़े मजे की स्थितियां हैं कि यह जो जिसको हम बुद्धिमान, समझदार कहते हैं, जिस प्रक्रिया से, हम इसे गुजारते हैं जिस प्रक्रिया को, जिस प्रोसेस से, वह सब बुद्धिमत्ता छीन लेती है। हेनरी थारो था, तो वह विश्वविद्यालय से पढ़ कर लौटा। वह अपने गांव का पहला ग्रेजुएट था। तो गांव के लोगों ने स्वागत किया। और उस गांव के एक बूढ़े आदमी ने स्वागत में कहा हेनरी थारो के लिए कि यह हमारे गांव का पहला स्नातक है, इसलिए मैं इसको आदर देने नहीं आया हूं। मैं तो आदर देने इसलिए आया हूं कि यह लड़का विश्वविद्यालय से अपने को बचा कर वापस लौट आया; कहा कि विश्वविद्यालय से अपने को बचा कर वापस लौट आया है। बिल्कुल अभी भी ताजा है, बासा नहीं पड़ गया। इसको मार नहीं पाए इसके प्रोफेसर, गुरु इकट्ठे होकर इसकी जान नहीं ले पाए। यह अब भी सोचता है। और अब भी फ्रेश पॉइंट्स पर, ताजे दृष्टिकोण पर खड़ा हो जाता है। और अभी भी इस तरह भाव नहीं इसमें पैदा हो गया है कि मैं जान लिया हूं। अभी भी इसमें ह्युमिलिटी है कि खोजता हूं, कुछ पता नहीं है। वह इसमें है, मैं इसलिए इसका स्वागत करने आया हूं। और यह सच बात है कि यह बहुत रेयर घटना है। हमारी जो पच्चीस साल की तालीम की व्यवस्था है, वह बुद्धिमत्ता को मारने की है। संभावना भी हो, तो उसको छांट डालने की है। क्योंकि बुद्धिमत्ता बहुत गहरे में विद्रोह है। और न समाज विद्रोह चाहता है, न बाप विद्रोह चाहता है, न मां, न गुरु, न नेता, कोई विद्रोह नहीं चाहता। और जिस आदमी में थोड़ी भी बुद्धि है, वह विद्रोही हो जाएगा। क्योंकि उसकी बुद्धि पच्चीस जगह कहेगी कि यह गलत है। पूछेगा, क्यों है? हजार सवाल उठाएगा। और सब जवाब जो पुराने पके-पके हैं उन सबको गड़बड़ कर देगा, सबको हिला देगा, डुला देगा और चीजों को अराजक कर देगा। तो इसलिए बुद्धि का डर रहा है दुनिया में हमेशा । इसलिए बुद्धिमान आदमी पैदा न हो पाए, इसकी हमारी सारी चेष्टाएं हैं। सारी चेष्टाएं है। बाप भी बेटे से कहता है कि जो आज्ञाकारी है, वह अच्छा है। लेकिन जिसमें थोड़ी बुद्धि है, वह एकदम आज्ञाकारी नहीं भी हो सकता है। आज्ञा मान सकता है, आज्ञा तोड़ भी सकता है। वे दोनों संभावनाएं सदा मौजूद रहेंगी। वह कभी न भी कह सकता है, हां भी कह सकता है, लेकिन हां ऐसी नहीं होगी कि जिसके भीतर का न बिल्कुल मार डाला गया है। मगर बाप को यह पसंद नहीं पड़ेगा कि लड़का जो न भी कह देता हो। बाप के अहंकार के विरोध में है यह बात कि कोई लड़का और न कहे! स्कूल का शिक्षक भी नहीं चाहता कि कोई न कहे। देश का नेता भी नहीं चाहता कि कोई न कहे। सब चाहते हैं आज्ञा, आज्ञा चुपचाप मानो और चलो। तो, बुद्धिमत्ता नष्ट हो जाएगी, जंग खा जाएगी। बहुत गहरे में समझा जाए तो बुद्धि आती है निगेटिव से सदा ही। उसमें जो निखार आता है, वह इनकार से आता है। कि जैसे कोई पत्थर की मूर्ति बनाता हो, तो छेनी से तोड़ डालता है जगह-जगह से। वह मूर्ति पत्थर से नहीं बनती, वह मूर्ति छेनी से और तोड़े गए टुकड़ों से निर्मित होती है अंततः । जो छान कर काट डाला गया है, उससे निर्मित होती है। नहीं तो पत्थर तो पत्थर ही है, उसमें अगर तोड़ नहीं होती, तो बना रह जाता है। तो प्रतिभा भी निषेध से, निगेटिव से, काटने से, तोड़ने से, इनकार से बनती है। और कोई पसंद नहीं करता है इसको, तो हम सब मार डालते हैं मिल कर। मैं भी उस आदमी को पसंद करूंगा कि जो मैं कहूं कि यह, वैसा कहे हां, ऐसा ही। यह मेरे अहंकार को बड़ा गहरा तृप्ति होती है इस बात की कि जो मैं कहता हूं वही ठीक है, और अकेला मैं नहीं मानता और लोग भी मानते हैं। इसलिए लोग अनुयायियों को खोजने निकल जाते हैं। जितने लोग अनुयायियों को खोजते हैं, यह बहुत गहरे में, इन्हें भरोसा नहीं है कि जो यह कह रहे हैं वह ठीक है। जब बहुत लोग भी इसको ठीक कहते हैं, तब उनको भी भरोसा आता है कि यह ठीक ही होगा। जब इतने लोग मानते हैं, तो गलत हो कैसे सकता है? जो आदमी जितना भीतर भरोसे से कम है, भरोसा कम है जिसमें अपनी बात का, वह उतने अनुयायी खोजेगा। अनुयायी जो हैं वे सब्स्टीट्यूट हैं, कांफिडेंस लाने वाले हैं। तो वह सबको राजी करना चाहेगा, सहमत करना चाहेगा, और वह तोड़ेगा, लोगों की प्रतिभाएं नष्ट करेगा। अब तक आदमी ने प्रतिभा को जगने नहीं दिया, बुद्धिमत्ता को पैदा नहीं होने दिया। इसलिए वह कम है; वैसे वह बहुत है। और अगर उसे फूटने का मौका मिले, तो दुनिया अनूठी हो जाए, लेकिन तब उस दुनिया में नियम थोड़े कम हो जाएंगे। उस दुनिया में ढांचे टूट जाएं। उस दुनिया में व्यक्ति हों, समाज कम होगा। जितनी बुद्धिमत्ता होगी, उस दुनिया में इंडिविजुअल्स होंगे, सोसाइटी मिट जाएगी । इंडिविजुअल डिसिप्लिन होगी। इनर डिसिप्लिन होगी जो उसके भीतर से आती है। तो उस खतरे से बचने के लिए बुद्धिमान को हम पैदा नहीं होने देते हैं। इसलिए सुकरात को जहर पिला देते हैं, जीसस को सूली पर लटकाते हैं। हमने बुद्धिमान आदमी के साथ अच्छा व्यवहार ही नहीं किया कभी। तो वह पैदा कैसे हो? वह उसका होना बिल्कुल अव्यावहारिक है, क्योंकि हम सब मिल कर उसको मार डालते हैं। इसलिए नहीं दिखता विजयजी। वैसे तो बुद्धिमानी बहुत है। हर आदमी में है। ऐसे तो जन्म से उसको मिलती ही है। अगर वह खुद ही उसको खोता चला जाए, तो बात अलग है। सौदा कर लेता है वह, कनवीनियंस खरीद लेता है, इंटेलिजेंस खो देता है। कुछ सौदा है। सुविधा इसी में है कि ज्यादा बुद्धिमानी न विकसित की जाए। सुविधा है बहुत इसमें। बिल्कुल यही है कारण । हालत ही यही है। बात ही यही है। सब जगह इंटेलिजेंस को नुकसान पहुंचा है। सब जगह इंटेलिजेंस को नुकसान पहुंचा है। नहीं उनको नहीं बचने दिया जाएगा, उनको खत्म ही कर दिया जाएगा। इसलिए नहीं मिलता है। नहीं तो ऐसे तो एक-एक आदमी और अगर हम बहुत सहानुभूति से खोजने लगें, तो भी फर्क पड़ेगा। क्योंकि जब हम किसी व्यक्ति के पास परीक्षक की तरह जाते हैं। तब उस व्यक्ति के सब द्वार-दरवाजे बंद हो जाते हैं। वह एकदम क्लोज्ड हो जाता है। और डर जाता है और डिफेंसिव हो जाता है। और जब कोई आदमी डिफेंसिव हो गया, तो फिर हमें उसके असली का पता नहीं चलता कि भीतर क्या है ! उसके पास अत्यंत सहानुभूति से, सिम्पैथी से ही जाने की जरूरत है, बड़े प्रेम से, परीक्षक की तरह नहीं। तो शायद एक साधारण से आदमी में भी इतनी बुद्धिमत्ता के फूल खिलने लगते हैं, लेकिन कभी किसी ने उसको सहानुभूति से नहीं देखा था, वह डर गया सब फूल उसने भीतर छिपा लिए। वह डरा हुआ खड़ा है कि भई कुछ गड़बड़ न हो जाए। यह आदमी... हर आदमी डिफेंस की हालत में हमने डाल दिया है। ऐसी बेहूदी सोसाइटी हमने बनाई हुई हैं दुनिया में अभी तक कि हर आदमी रक्षा की हालत में पड़ा हुआ है, डिफेंसिव हो गया है। और जब भी कोई डिफेंसिव हो जाए, तब वह कभी खुलता ही नहीं, क्योंकि खुलने में डर है। वह हमेशा सिकुड़ा रहता है, बंद रहता है। और इसलिए कई बार ऐसा होता है कि जिन्हें आप प्रेम करने लगते हैं, प्रेम के बाद आप पाते हैं कि उनमें बुद्धिमत्ता है। वह प्रेम उनकी बुद्धिमत्ता को एकदम निकालने का, खुलने का मार्ग बन जाता है। और दूसरा उनमें बिल्कुल बुद्धिमत्ता नहीं पाता। बेवकूफ कहेगा, क्योंकि उसको दिखता है कि उसमें कुछ भी तो नहीं है। और सच बात यह है कि न केवल बुद्धिमत्ता बल्कि जीवन की सारी चीजें सहानुभूति की हवा में खिलती हैं। यानी सच बात तो यह है कि कोई आदमी इतना सुंदर नहीं होता है जितना उसको कोई प्रेम करने वाला मिल जाता है तब वह हो जाता है एकदम से। इतना होता ही नहीं वह कभी कोई आदमी सुंदर, क्योंकि वह हमेशा डिफेंसिव है, वह सब सिकुड़ा रहता है, लेकिन जब कोई उसके पास बहुत प्रेम से आता है, तो उसकी सब पंखुड़ियां खिल जाती हैं। अब वह डर नहीं है इससे कोई, वह पूरा खुल जाता है। लोग कहते हैं कि सौंदर्य को हम प्रेम करते हैं। यह आधा हिस्सा है। प्रेम करके हम सौंदर्य निर्मित करते हैं, यह ज्यादा गहरा और ज्यादा मूल्यवान हिस्सा है। हम सौंदर्य क्रिएट, निर्मित करते हैं। और उसी तरह इंटेलिजेंस भी पैदा होती है। उसी तरह सहमत भी पैदा होता है, कांफिडेंस भी पैदा होता है। लेकिन कोई किसी को प्रेम ही नहीं करता है। हम सब प्रेम चाहते हैं, इसलिए किसी की इंटेलिजेंसी हम नहीं खोल पाते हैं और न किसी का सौंदर्य हम प्रकट कर पाते हैं। हम प्रेम चाहते हैं, और वह देने से खुलेगा। और मजा यह है कि अगर हम दें तो प्रेम लौटता है और मांगें तो रुक जाता है। वह मांगने से कभी आता ही नहीं। दुनिया में मांगने से सिर्फ कूड़ाकर्कट मिल सकता है, मूल्यवान कुछ भी नहीं मिल पाता है मांगने से। मूल्यवान तो किसी गहरे रिस्पांस से आता है, और रिस्पांस तो तब होता है जब मैं दूं। तो इसलिए बहुत प्रेम की कमी होने की वजह से दुनिया में बहुत कम लोग बुद्धिमान दिखाई पड़ते हैं। वह प्रेम की कमी है। कोई किसी को प्रेम ही नहीं कर रहा है। एक अमरीकी फिल्म अभिनेत्री थी, ग्रेटा गार्बो। उसका कहीं कोई जीवन पढ़ता था। वह यूरोप के किसी छोटे से कोने के गांव में, बीस वर्ष, अठारह वर्ष तक की हो गई तब तक एक नाईबाड़े में लोगों की दाढ़ी पर साबुन लगाने का काम करती थी। दो पैसा मिल जाता दाढ़ी पर साबुन लगाने का । दाढ़ी तो नाई काटता है। साबुन लगाने का काम कोई लड़की कर देती है। एक अमरीकी डायरेक्टर घूमने आया था और उस नाईबाड़े में दाढ़ी बनवाने गया था। वह लड़की तो वर्षों से साबुन लगा रही थी। लेकिन साबुन लगाने वाली लड़कियों को देखता कौन है? वह उस डायरेक्टर की दाढ़ी पर साबुन लगा रही थी। उसने आईने में उस लड़की को देखा--हाउ ब्यूटीफुल! और ग्रेटा गार्बो ने लिखा है कि मैं पहली दफा सुंदर हुई। उसके पहले मुझे पता ही नहीं था। मुझे पता ही नहीं था। एक आदमी ने, एक आदमी ने कहा कि कितनी सुंदर है, और बस सब बदल गया। और एकदम सब बदल गया। वह अट्ठारह साल कहां खो गए मुझे पता नहीं, मैं दूसरी ही व्यक्ति हो गई तत्क्षण। मैं साबुन लगाने वाली लड़की नहीं थी फिर । हाथ मेरा रुक गया। बात ही बदल गई थी। सब कुछ बदल गया था, जैसे एक नींद टूट गई थी। सौंदर्य का बोध उसे फिर अभिनय की खोज में ले गया। उसने लिखा है कहीं कि एक, एक आदमी ने चलते हुए इतना सा कह दिया कि कितनी सुंदर है। इसकी मैं प्रतीक्षा कर रही थी, मेरा सौंदर्य इसकी प्रतीक्षा करता था कभी, मगर मुझे पता ही नहीं था। मुझे पता ही नहीं था कभी। ऐसे ही बुद्धिमत्ता भी प्रतीक्षा करती है, लेकिन कोई कभी कहे और किसी के प्रेम में वह खिल जाए। कोई चौंका दे उसे। लेकिन हालतें उलटी हैं, हालतें उलटी हैं कि हर आदमी दूसरे आदमी को बुद्धिमान तो मानने को राजी ही नहीं है; क्योंकि उसके अहंकार को चोट लगती है इस बात से। इसलिए हर आदमी हर दूसरे आदमी को बुद्धिहीन सिद्ध करने की सब तरह की कोशिश कर रहा है। चारों तरफ से यह कोशिश चल रही है। बाप भी यह नहीं चाहता कि बेटा उससे ज्यादा बुद्धिमान हो जाए, इतना बाप भी नहीं चाहता, मां भी नहीं चाहती कि उसकी बेटी उससे ज्यादा सुंदर हो जाए। मां भी नहीं चाहती। और अगर मां के सामने भी उसकी बेटी को कोई कह देता है कि बहुत सुंदर है, तो मां पर जो गुजरती है, उसका ख्याल करना मुश्किल है। तो वह जो, जो-जो हवा चाहिए चारों तरफ वह एक साइकिक एटमास्फियर चाहिए जहां चीजें पैदा हों। वह हमने पिछले पांच हजार सालों में पैदा नहीं कर पाए। और इसलिए अधिकतम लोग, जो बहुत सुंदर हो सकते थे, साधारण मर जाते हैं। बहुत से लोग जो बुद्धिमान हो सकते थे, साधारण मर जाते हैं। बहुत से लोग जो बिल्कुल असाधारण हो सकते थे, कि जिनका होना खूबी होती जमीन पर, वह बिल्कुल ही एक कोने में ऐसे मर जाते हैं कि थे या नहीं, कभी पता नहीं चलता। इसको ही मैं कहता हूं कि बहुत से लोग बिना आत्मा को पाए मर जाते हैं। मैं जब आत्मा की बात करता हूं, तो मुझे यह सारा ख्याल होता है कि बहुत से लोग आत्मा पाए बिना मर जाते हैं। उनको पता ही नहीं चलता कि वह थे भी। इसका मतलब यह हुआ कि पाना दूसरे पर ही निर्भर है? अपने आप पर भी तो होना चाहिए? हां, हां, यह ठीक बात है। यह ठीक बात है। यह अपने पर निर्भर होना चाहिए, लेकिन निन्यानबे प्रतिशत दूसरे पर निर्भर होता है। क्योंकि जो होना चाहिए, वह है नहीं होना तो यही चाहिए कि प्रत्येक पर निर्भर हो । लेकिन निन्यानबे प्रतिशत यह दूसरे पर निर्भर होता है। एक प्रतिशत ही स्वयं पर निर्भर होता है। और वह जो एक प्रतिशत है, वह भी आपको लगता ही है कि स्वयं पर निर्भर है। वह भी बहुत गहरे अर्थों में दूसरों पर निर्भर होता है, जैसे दोनों संभावनाएं हैं कि एक आदमी को आप कहें, बहुत बुद्धिमान है। उसकी हवा, उसके आस-पास के सारे लोग उसे बुद्धिमान कहते हों, मानते हों, तो उसकी बुद्धिमत्ता पैदा हो जाए। और यह भी संभव है, लेकिन यह बहुत मुश्किल से संभव है कि सारे लोग उसको बुद्धिहीन कहते हों, तो वह डिफेंस में बुद्धिमान होने की चेष्टा में लग जाए और सिद्ध करके बता दे कि बुद्धिमान है। लेकिन यह भी दूसरे पर ही निर्भर होना है। इसमें फर्क नहीं पड़ा दोनों में। लेकिन यह संभावना बहुत कम है, यह संभावना बहुत कम है। सौ में एक है। और इसीलिए हमने जो समाज बनाया है उसमें कभी-कभी वह जिसको हम बुद्धिमान, प्रतिभाशाली कहें, वह हो पाता है। वह जो लड़ कर, विरोध में खड़ा हो जाता है, सामान्यतः यह नहीं होगा। यह ऐसा ही है मामला जैसे कि इस कमरे में हम प्लेग के कीटाणु फैला दें। पचास मित्र बैठे हैं और चालीस मित्र बीमार पड़ जाएं, और बाकी दस कहें, यह तो अपने पर निर्भर है, प्लेग के कीटाणुओं से क्या होता है, देखो हम भी तो यहीं प्लेग के कीटाणुओं में हैं, लेकिन हम बीमार नहीं पड़े हैं। तो यह सवाल प्लेग के कीटाणुओं का नहीं है। लेकिन बात ऐसी नहीं है। वह जो चालीस लोग बीमार पड़ गए हैं, अगर प्लेग के कीटाणु न होते तो वे बीमार न पड़ते? और ये जो दस बीमार नहीं पड़ पा रहे हैं, ये भी उतने स्वस्थ नहीं हो सकते हैं जितने कि प्लेग के कीटाणु न होते तो होते? उतने स्वस्थ ये भी नहीं हो सकते। भला बीमार न पड़ गए हों, भला मर न गए हों, लेकिन फिर भी उतने स्वस्थ नहीं हो सकते हैं जितने कि ये भी हुए हैं। यानी मेरा कहना यह है कि समाज ने अब तक व्यक्ति को विकसित होने में सहायता नहीं दी है, तब कहीं दस-पांच लोग लाख दो लाख करोड़ में विकसित हो जाते हैं। अगर समाज ने मौका दिया होता, जिसको मैं ऑपरच्युनिटी कह रहा हूं, ऐसा अवसर दिया होता, तो लाखों लोग विकसित होते और ये जो दस लोग हैं न यह और हजार गुना ज्यादा विकसित होते। क्योंकि ये तो इतने विरोध में इतने विकसित हो पाए, इनको तो कहना ही क्या था! हम खाद न डालें, और दस पौधे लगा दें, तो हो सकता है एकाध पौधे में फूल आ जाए एक गरीब सा फूल, और बाकी नौ पौधे बिना फूल के रह जाए तो हम कहें, यह तो अपने भीतर की बात है, इसमें आ गया, नौ में नहीं आया। लेकिन खाद डालने पर नौ में भी आता और इसमें जो फूल आता, उसका तो हिसाब लगाना मुश्किल है कि वह कैसा होता ! ऐसा दुबलाया, कुम्हलाया हुआ फूल न होता। जिंदा फूल बड़ा फूल होता। उसकी शान अलग होती। तो मेरा कहना यह है कि यह बात तो सच है कि भीतर हमारे संभावनाएं हैं, लेकिन संभावनाओं के लिए अवसर बड़ी कीमती बात है, बड़ी कीमती बात है। और संभावनाओं के लिए लड़ना चाहिए, अवसर की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए, यह भी मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अवसर भी निर्मित हो, इसकी धारणा विकसित करनी चाहिए। लड़ना ही पड़ेगा एक-एक आदमी को । आज की प्रतिभा जो है वह भविष्य की है? यह भी आप ठीक कहते हैं। असल में प्रतिभा सदा ही भविष्य की होती है। प्रतिभा सदा ही भविष्य की होती है। और जिसे हम आज समझ पाते हैं कि प्रतिभा है, उसे हम इसीलिए समझ पाते हैं कि वह प्रतिभा नहीं है और अतीत की प्रतिभाओं की कुछ नकल है । तो ही हम समझ पाते हैं। क्योंकि अभी सच में जो आज प्रतिभाशाली पैदा होगा व्यक्ति, न तो उसकी प्रतिभा को जांचने के आज मापदंड होते हैं, न आंख होती है, न लोग होते हैं, न हवा होती है। सौ दो सौ वर्ष लग जाएंगे। प्रतिभाशाली आदमी के ऊपर दोहरी कठिनाइयां हैं। वह अपनी प्रतिभा से सृजन भी करे, और अपनी प्रतिभा को पहचानने के योग्य हवा और मापदंड भी खड़ा करे, वह मर कर भी नहीं हो पाता। और अक्सर ऐसा होता है कि दो-चार सौ वर्ष बीत कर कुछ ख्याल में आ पाता है वह आदमी। यह भी ठीक कहते हैं आप। जो बहुत चरम प्रतिभा की बात है, वह तो सदा ही भविष्य की है। और उसे स्वीकृति आज तक तो नहीं मिली, लेकिन मेरा मानना है कि समाज ऐसा होना चाहिए, कि चाहे हम प्रतिभा को आज बिल्कुल माप न पा रहे हों, जांच भी न पा रहे हों, अनबूझ हो, न पहचान में, पकड़ में आती हो, तो भी समाज ऐसा चाहिए की भविष्य की संभावनाओं को भी आदर देता हो । अब तक हम सिर्फ अतीत की उपलब्धियों को आदर देते हैं, भविष्य की संभावनाओं को नहीं। अतीत की उपलब्धियों को आदर देते हैं। और अतीत की उपलब्धियों को आदर न दें, तो भी चल जाएगा, क्या फर्क पड़ता है। यानी सवाल यह है कि आज अगर बुद्ध की प्रतिभा पहचान ली जाए और हम आदर भी दें, तो फर्क क्या पड़ता है? बात खत्म हो गई है। लेकिन भविष्य की संभावनाओं को पहचानना बहुत जरूरी है, क्योंकि वह होने वाला है। और अगर हम उसे पहचानते हैं, तो उसके होने में साथी और सहयोगी बन जाएंगे। वास्तविकता को देखने में तो बहुत ही सरल है। एक बगीचे में फूल खिले हैं, इनको कोई भी देख लेता है। लेकिन एक बीज की संभावनाओं को पहचानना पारखी की बात है। समाज ऐसा भी होना चाहिए कि वह भविष्य की संभावनाओं को भी अंगीकार करता हो। और भूल-चूक के लिए राजी होता हो। क्योंकि जब भी नये रास्तों पर कोई चलता है, तो गिरता भी है, भूल-चूक भी करता है, भटकता भी है। यानी मेरा कहना यह है कि भटकने को एक बारगी ही बुरा नहीं मान लेना चाहिए, अगर हमें संभावनाओं को आदर देना हो तो। और जितने मापदंड हमारे पास हों उनको अंतिम नहीं मान लेना चाहिए, अगर हमें संभावनाओं को आदर देना हो तो, और हमें सदा इस बात का बोध होना चाहिए कि जो जाना गया है, जो पाया गया है, वह बहुत थोड़ा है उसके सामने जो जाना जाएगा और जो पाया जाएगा। इसका बोध अगर समाज को हो, तो यह कठिनाई नहीं होगी । भविष्य की प्रतिभा को भी ख्याल में रखना जरूरी है। आप समझते हैं ऐसा हो सकता है? बिल्कुल हो सकता है। क्योंकि जो भी सोचा जा सकता है वह किसी न किसी रूप से हो सकता है। वह सोचा जा सकता है न! तो वह हो भी सकता है। यह दूसरी बात है कि कितना फासला लगे, कितनी कठिनाई हो, कितनी मुश्किल हो। लेकिन अब तो मुझे लगता है कि जो मैं कह रहा हूं वह बहुत शीघ्रता से हो सकता है। क्योंकि सारी दुनिया में जो कुंठा है वह है ही इसलिए कि अधिकतम लोगों को स्वयं होने का मौका नहीं मिल पाता है, और कोई कारण नहीं है। एंग्विश जो है आज की पीढ़ी का, सारे युग का, सारे जगत का, वह जो परेशानी है, बेचैनी है, वह बेचैनी अब भौतिक नहीं है। गरीब मुल्कों को छोड़ दें, वहां की बेचैनी और है। वह बेचैनी अब एकदम भौतिक नहीं है। अब वह बेचैनी बहुत गहरे अर्थों में आत्मिक हो गई है। आत्मिक इस अर्थों में कि हर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को खोज लेने के लिए आतुर हो गया है। यह आतुरता इतनी तीव्र है कि अगर उसे मौका नहीं मिलता है, तो दुखी होगा, पछताएगा, आत्मघात करेगा, शराब पीएगा, मरेगा, छुरा मारेगा, कुछ करेगा, जहां से, जहां से वह टूटेगा। क्योंकि यह, यह बड़ा महत्व का मामला है कि जो व्यक्ति कुछ सृजन कर सकता है, अगर सृजन न कर पाए तो उसकी सारी शक्ति विध्वंस बनने ही वाली है। क्योंकि शक्ति के दो ही उपाय हैं, या तो वह सृजनात्मक हो जाए या विध्वंस बन जाए। और जब भी सृजन की शक्ति ठहर जाती है तो वह विध्वंस बन जाती है। इसलिए मीडियाकर आदमी कभी विध्वंसक नहीं होता। जिसके पास कोई प्रतिभा जैसी चीज नहीं है बहुत, वह कभी विध्वंसक नहीं होता। क्योंकि विध्वंस के लिए सृजनात्मक शक्ति चाहिए। और जब वह, वह फ्रस्ट्रेट होती है, रुकती है, दबाव पड़ता है टूट पड़ती है, तो फिर वह फोड़ने लगती है, मिटाने लगती है, जो बना सकती थी वह मिटाने लगती है। ऐसी जो स्थिति बन गई है, उस स्थिति को देख कर ऐसा लगता है कि हम उस दबाव के करीब पहुंच रहे हैं जहां कठिनाई व्यक्ति की नहीं रह गई है, जहां कि सामूहिक रूप से व्यक्ति कठिनाई में पड़ गए हैं। व्यक्ति ही कठिनाई में पड़ गया है जहां । तो इस बात की संभावना है कि इस दबाव में, इस चुनौती में, इस मरण के किनारे खड़े होने में, हो सकता है कि हम सारे ढांचे को तोड़ सकें जो कल ने बनाया था। नया ढांचा दे सकें, इसमें कोई बहुत असंभव अब नहीं मालूम होता है। क्या ऐसा नहीं है कि लोग थक जाते हैं एक पर्टिकुलर सिस्टम से? बिल्कुल, बिल्कुल थक जाते हैं। क्योंकि पुराना एस्टाब्लिश्मेंट सुव्यवस्थित था। बहुत डरा हुआ नहीं था, शांति से सोया हुआ था, तैयार था, कोई बात न थी। यह जो क्रांतिकारी इतनी मुश्किल से सत्ता में पहुंचता है और ताकत इसके हाथ में आती है, इतनी मुश्किल से कि छीने जाने के प्रति इतना सजग और डर जाता है कि यह सब तरह के रास्ते तोड़ देता है, कि कहीं से कुछ गड़बड़ न हो जाए। तो क्रांतिकारी तो हमेशा सत्ता में आने पर क्रांति-विरोधी सिद्ध होता है। और इसलिए मेरा मानना है कि ठीक-ठीक क्रांतिकारी कभी भी एस्टाब्लिश्मेंट में जाने को राजी नहीं होगा, एस्टाब्लिश्मेंट में जाने को राजी नहीं होगा। और यह भी मेरा मानना है कि क्रांति कोई ऐसी घटना नहीं है कि एक तिथि में घटती है, और फिर खत्म हो जाती है। क्रांति एक सतत प्रक्रिया है, कांस्टेंट कंटिन्युटी है। यानी मैं ऐसा नहीं मानता कि उन्नीस सौ सत्रह में फलानी तारीख को क्रांति हो गई रूस में, और फलानी तारीख को चीन में, और फलानी तारीख को हिंदुस्तान में। दो तरह के समाज हैं। और अभी तक का जो समाज है वह असल में स्थितिस्थापक है, एस्टाब्लिश्मेंट वाला ही है। जो क्रांति नहीं चाहता, लेकिन जब इतनी मुश्किल हो जाती है उस व्यवस्था में तो उसी व्यवस्था के भीतर से क्रांति दबाव से निकल आती है, फिर नई व्यवस्था निर्मित हो जाती है। अब तक कोई क्रांतिकारी समाज निर्मित नहीं हुआ । क्रांतिकारी समाज का मतलब यह है कि जिसमें क्रांति की कभी जरूरत न पड़ेगी, क्योंकि क्रांति रोज चलती ही रहेगी। यानी हम किसी भी दिन किसी चीज को एस्टाब्लिश्ड नहीं मान लेंगे, और रोज मौके रहेंगे प्रयोग के, और रोज हम बदलते रहेंगे। और जो हमने कल बनाया था, उसे जिन्होंने बनाया है वह मिटाने की हिम्मत भी रखेंगे। तो ही, तो यह तो बिल्कुल ठीक है, अब तक तो यही होता रहा है और आगे भी यही हो सकता है। लेकिन वह बेमानी है अब । यानी इतना पांच हजार साल का अनुभव यह कहता है कि क्रांतियां सब असफल हुई। कोई क्रांति सफल नहीं हुई। क्योंकि लगा कि सफल होती है, सफल होते ही ऐसा लगा कि सब गड़बड़ हो गया ! वह तो क्रांति खुद ही वही हो गई है, जो उसका दुश्मन था! तो अब तो हमें क्रांति की प्रक्रिया पर फिकर करनी चाहिए क्रांति करने की नहीं! एक क्रांति की सतत गति हो। हम क्रांतिकारी चित्त पैदा करें, ऐसा चित्त जो कहीं एस्टाब्लिश्ड फार्म लेता ही नहीं, व्यक्ति ही नहीं लेता। और अगर ऐसी समाज की स्थिति, मनःस्थिति को हम ढाल सकें, जो रोज बदलती चली जाए नदी की धारा की तरह। ऐसा नहीं है कि नदी की धारा कल बही थी, तो अब बहने का काम न रहा। उसे नदी रहना है तो आज भी बहना है, और नदी रहना है तो कल भी बहना है। नदी रहना है तो बहते ही रहना है, और नहीं तो तालाब हो जाएगी। वह सब नदियां तालाब हो जाती हैं; बहने से बचेंगी, तालाब हो जाती हैं। अब तक की सब क्रांतियां तालाब बन गई, क्योंकि हम क्रांति को एक घटना समझे हैं, हमने समझा है कि ऐसी क्रांति कोई चीज है कि एक दफा कर लो फिर निपट गए। क्रांति ऐसी कोई चीज नहीं है। वह तो ऐसी चीज है कि उसे करते ही रहो, यानी वह जीवन का ढंग ही बन जाए । क्रांति कोई घटना न हो, जीने का ढंग ही हो । हम जीएं ही ऐसे कि वह क्रांति बन जाए। जीने की व्यवस्था ही क्रांति की हो, तब ऊबने का सवाल ही नहीं उठता, तब ऊबने की कोई बात ही नहीं है, क्योंकि हम कहीं स्वीकार करके रुकते नहीं हैं। दूसरी जो बात कहते हैं वह भिन्न है। दूसरी जो बात आप कहते हैं कि ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति अपने को पा ले, तो उससे ऊब जाए। नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। क्योंकि व्यक्ति पूर्ण रूप से कभी अपने को पा ही नहीं पाता। वह इतना अनंत विस्तार है व्यक्ति का अपने को पाना कि ऐसी घड़ी कभी नहीं आती जब कोई कह दे कि मैंने अपने को पा लिया। और ऐसी घड़ी अगर आती है तो वह आदमी ऊब जाएगा फिर। फिर ऊबना पक्का है उसका, क्योंकि जो चीज पा ली गई है, उससे हम ऊब ही जाते हैं लेकिन मेरी दृष्टि में व्यक्ति के भीतर जो संभावना इतनी अनंत है कि हम थक कर कहने लगते हैं कि हमने पा लिया। असल में हम कभी अपने को नहीं पा पाते। यानी कोई चित्रकार यह नहीं कह सकता कि उसने कोई चित्र बना लिया, बात खत्म हो गई है अब । ऐसा कह ही नहीं सकता वह । रवींद्रनाथ की जिंदगी में तो बहुत, कल्याणजी बड़ी बढ़िया घटना घटी है। मर रहे हैं जिस दिन, बीचबीच में बेहोश हो जाते हैं। फिर आंख खुल जाती है तो बात करने लगते हैं। गीत लिखाने लगते हैं। जिस दिन मरे हैं, उस दिन चार-छह दफे बेहोशी के बाद होश आया है, तो फिर अब उठ नहीं सकते हैं, तो बोल कर गीत लिखाने लगते हैं। मुंह लड़खड़ा रहा है... तो गीत तो किसी ने कहा कि आप छोड़िए फिकर, आपने बहुत गीत लिखा लिए, छह हजार! आपके गीत संगीत में बंध गए हैं। ऐसा अब तक दुनिया में कभी नहीं हुआ है। शैली के भी दो ही हजार हैं गीत जो संगीत में बंध जाएं। वह महाकवि है, तो आप महाकवि से भी महाकवि हैं। अब आप चिंता मत करिए। अब आप शांत रहिए। उन्होंने कहाः लोग क्या कहेंगे कि क्या इस कवि ने अपने को पा लिया? यानी मरने के पहले मर गया था? न मुझे मरने दो, और मुझे लिखाने दो। यानी यह कवि होना एक प्रोसेस है। यह कोई ऐसी बात थोड़े ही है कि बस हो गया पूरा कि छह हजार लिख लिए। कंटीन्युअस मरने की आखिरी घड़ी तक वे लिखा रहे हैं। और आखिरी घड़ी में जो उन्होंने कुछ वचन लिखाया है, उसमें एक वचन बहुत अदभुत है, वह जो लिखवाया उन्होंने कि लोग कहते हैं कि मैं महागायक हूं। लेकिन हे परमात्मा! उनकी बात मत सुन लेना, क्योंकि वे बिल्कुल गलत कहते हैं। अभी मैं तो साज बिठा पाया था अभी, गाया कहां था? अभी तान-तंबूरा सब ठोंक-पीट कर तैयार कर लिया था, अब गाने को था, अब तेरा बुलावा आ गया। जिस आदमी को ठीक से पकड़ आ गई है व्यक्तित्वको गहरे अनंत में ले जाने की, वह किसी दिन ऐसा नहीं पाएगा, उसको हजार जन्म दो तुम, और हजार जन्मों के बाद भी वह कहेगा कि अभी हुआ क्या? अभी तो यात्रा शुरू हुई है, अभी हम चले हैं, अभी पहुंच कहां गए? जिंदगी में पहुंचना नहीं है, चलना है; सिर्फ मृत्यु में पहुंचना है। इसलिए जिनको पहुंचने का ख्याल पैदा हो जाता है, वे मर जाते हैं उसी वक्त, उसी वक्त मर गए, फिर वे जीते नहीं। फिर ऊब जाएंगे। फिर ऊबना निश्चित है। यानी जीवन से हम कभी भी नहीं ऊबते, हम असल में मरने से ऊबते हैं। और हम खुद अपने हाथ से मर जाते हैं, क्योंकि मरना कनवीनिएंट पाते हैं, मरना बड़ा सरल है। एक आदमी ने दस किताबें लिख लीं, दस गीत गा लिए, बात खत्म हो गई । वह निश्चिंत हो गया, प्रतिष्ठित हो गया, लोगों ने आदर दिया, बात समाप्त हो गई। अब वह बैठ गया है, पहुंच गया। मंजिल पा ली उसने। अब वह मरा। अब वह मर ही गया। यानी यह मुझे ऐसे ही लगता है कि जैसे एक आदमी साइकिल चला रहा है, तो ऐसा नहीं है कि पैडल कोई वक्त पर रोक ले और कहे कि अब बस ठीक है, अब चलना हो चुका, अब चल रहा है। पैडल रोक ले, और साइकिल चल जाए, ऐसा नहीं होने वाला है। वह साइकिल चल रही है पूरे वक्त, क्योंकि पैडल चल रहा है। जिस दिन पैडल रुका, साइकिल रुकी। यानी साइकिल का चलना पैडल के चलने से कुछ अलग चीज नहीं है । तो वह जो जिंदगी की गति है, वह हमारी आत्म-खोज से कोई भिन्न चीज नहीं है। वह चल रही है तो जिंदगी है। नहीं तो हम गए। और बहुत लोग मर जाते हैं। और बहुत लोग जो हम कहें कि कुछ उपलब्ध कर लेते हैं, वह बहुत जल्दी मर जाते हैं। क्योंकि एक उपलब्धि हुई और बात खत्म हो गई। और उनके मरने का भी कारण यह है कि बहुत कम है यह उपलब्धि। जो मैं कह रहा हूं कि अगर इसके अनंत फैलाव हों, और हर व्यक्ति उपलब्ध कर रहा हो, तो कोई इतनी जल्दी ठहरेगा नहीं। कोई नहीं ठहरेगा। लेकिन अभी ठहर जाता है। क्योंकि पीछे लोग दिखाई पड़ते हैं कि आ गए हैं हम एक शिखर पर जहां कोई भी नहीं है। बात ठीक है। यहां तो खत्म हो गया है मामला। तो ऐसा मुझे कभी भी नहीं लगता है कि हम कभी भी अपने को पा लेते हैं। तो प्रतिभा का जहां तक सवाल है, ऐसे व्यक्ति जिनके हमें दर्शन हुए, जैसे गांधी, टैगोर, अरविंदो, इनकी प्रतिभा को आप संपन्न मानते हैं, तो हम लोग आपसे जानना चाहेंगे उनकी प्रतिभा जो थी देश के लिए, समाज के लिए, व्यक्ति के लिए, उनके खुद के लिए वह प्रतिभा संपन्न थी या नहीं? इसी में दो-तीन बातें पूछ रहे हैं आप । पहली तो बात यह है कि प्रतिभा सदा उस व्यक्ति के लिए ही सार्थक और संपन्न होती है जिसकी है। और दूसरों के लिए सदा बांधने वाली सिद्ध होगी और रोकने वाली सिद्ध होगी। प्रतिभा जो है, वह जिस व्यक्ति के भीतर है, उसके लिए तो समृद्धि और सार्थकता देने वाली होती है। लेकिन दूसरों को सदा बांधने वाली और रोकने वाली सिद्ध होती है। अब तक ऐसा होता रहा है। अब तक ऐसा होता रहा है। जैसे गांधीजी की प्रतिभा गांधीजी के लिए तो एक आनंद है, लेकिन गांधीवादियों के लिए बिल्कुल कारागृह है। उनको बांध गई बुरी तरह, कस गई बुरी तरह। तो मैं जिस प्रतिभा की बात कर रहा हूं, मेरा कहना ही यह है कि ऐसी मनोदशा होनी चाहिए समाज की कि प्रतिभा का आदर हो, स्वागत हो, सम्मान हो, अनुगमन न हो। उसके पीछे कोई न जाए। क्योंकि जब भी प्रतिभाशाली के पीछे आप गए, तो आप अपनी हत्या कर रहे हैं। आप मिटे । आपका व्यक्तित्व गया। आप गए, आप खत्म हो गए। और इसलिए अनुयायी बनना मैं सुसाइडल मानता हूं किसी का भी, बड़े से बड़े का भी। और इसलिए दुनिया में हमेशा जो बड़े लोग होते हैं, जैसा अब तक हुआ है, तो उनके पीछे दस-पच्चीस साल के लिए बड़े अंधेरे का युग आता है। उसका कारण है। वे बड़े लोग इस तरह बुद्धि को कुंठित कर जाते हैं कि दस-पचास साल लग जाते हैं उनसे छूटने में फिर, फिर उनसे बचने में। यानी अब गांधी से बचने में पचास साल लगेंगे इस मुल्क को। जब कहीं झंझट छूटेगी। तब, और मजा यह कि गांधी से छूटने की जरूरत न पड़ती, अगर आप न बंधते तो। यह सवाल गांधी से छूटने का नहीं है, आप बंध गए हैं इसलिए उपद्रव है। गांधी ठीक हैं और वह अदभुत व्यक्ति हैं, बात खत्म हो गई है। अरविंद ठीक हैं और रवींद्रनाथ ठीक हैं और ऐसे हजार लोग होने चाहिए, लाख लोग होने चाहिए। फिर जब हम पूछते हैं यह बात, तो हमारे मन में ख्याल ही यह होता है कि क्या इनका अनुगमन किया जाए? गांधी अगर ठीक हैं तो हम पूछते ही इसलिए हैं कि क्या इनके पीछे चलें? मैं मानता हूं कि कोई भी ठीक हो सकता है, लेकिन पीछे चलना कभी ठीक नहीं है। और ठीक होना व्यक्तिगत, निजी घटना है। आप, पीछे नहीं जाना है आपको। आप पीछे गए कि आप गए, बुरी तरह गए। और अब तक ऐसे ही हुआ है कि बड़ी प्रतिभाओं से हमें फायदा तो कम हुआ है, नुकसान ज्यादा हुआ है। फायदा हो सकता था, अगर हमने उनकी इंडिविजुअल यूनिकनेस को स्वीकार किया होता। हमने कहा होता कि राम राम हैं, बहुत अदभुत हैं। और कृष्ण कृष्ण हैं, बहुत अदभुत हैं। बुद्ध बुद्ध हैं, बहुत अदभुत हैं। और सौभाग्य है कि पृथ्वी पर हुए और हमने उन्हें देखा और जाना। लेकिन हम इस चक्कर में पड़ गए कि हम बुद्ध कैसे हो जाएं। तो हम एक नकली बुद्ध हो सकते हैं ज्यादा से ज्यादा, और कुछ भी नहीं हो सकते हैं। क्योंकि मेरी दृष्टि में कोई दो आदमी न तो एक जैसे हैं और न हो सकते हैं, न कोई संभावना है। कोई मार्ग भी नहीं है। और अगर किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे जैसे होने की कोशिश की, तो वह सिर्फ आवरण ओढ़ सकता है। और आत्मा की हत्या करेगा, तभी दूसरे जैसा हो सकता है। और अब तक के सारे महापुरुष दुखदायी सिद्ध हुए; सुखदायी हो सकते थे, हो नहीं पाए। और जहरीले सिद्ध हुए। क्योंकि हमारी पकड़ यह रही कि उनका अनुगमन करो, उनको मान कर चलो, उन जैसे हो जाओ। फिर दूसरी बात यह है कि प्रतिभाशाली जो भी कह देता है, वह प्रतिभाशाली है, इसलिए ठीक नहीं हो जाता है। ठीक होना जरूरी नहीं है। प्रतिभा बिल्कुल गलत हो सकती है, और प्रतिभा हो सकती है। यानी कुछ ऐसा नहीं है जरूरी कि प्रतिभा है किसी के पास, तो उसका ठीक होना भी अनिवार्य है। प्रतिभा पूरी हो सकती है और बिल्कुल गलत हो सकती है। आप मेरा मतलब समझ रहे हैं न? और बहुत प्रतिभाएं गलत हुई हैं। वे प्रतिभाएं तो इतनी हैं कि वह आकर्षित करती हैं, अभिभूत कर लेती हैं। लेकिन वे बिल्कुल गलत हैं। गुरु और शिष्य की जो परंपरा चली है, उस विषय में क्या ख्याल है आपका? बड़ी खतरनाक है परंपरा, बड़ी खतरनाक है। और बहुत नुकसान पहुंचाया है गुरुओं ने। मेरी समझ यह है कि अच्छी दुनिया होगी, तो उसमें गुरु तो नहीं होंगे, शिष्य होंगे। इसको थोड़ा समझ लेना चाहिए। क्योंकि मैं इनको दो हिस्सों में तोड़ देता हूं। गुरु तो नहीं होंगे। क्योंकि ऐसा कोई भी आदमी जिसको गुरु होने का ख्याल है, पागलखाने में भेज देने जैसा आदमी है। जिसको यह ख्याल पैदा हो गया कि मैं गुरु हूं, उसका इलाज करवाना चाहिए, वह न्यूरोटिक है। लेकिन शिष्य दुनिया में होने चाहिए। शिष्य होने का मेरा मतलब है एटीट्यूट ऑफ लर्निंग, वह सभी में होना चाहिए। एक आदमी सीखे, सीखे, सीखे। सीखने की भावना तो... शिष्य का मतलब इतना है कि सीखने का भाव। वह सीखे जितना सीख सके। और मजा यह है कि गुरु सीखने में बाधा डालते हैं। क्योंकि जब भी कोई गुरु बनता है तो वह बांध लेता है। और सब और तरफ से सीखने के रास्ते बंद कर देता है। वह कहता है सीखो यहां और कहीं से नहीं। तो महावीर को जिसने गुरु बना लिया, वह मोहम्मद से नहीं सीख सकता। और मोहम्मद अदभुत आदमी है, उससे बहुत सीखने को है। और जिसने मोहम्मद को पकड़ लिया, वह अब बुद्ध की तरफ आंख नहीं उठाएगा। और ये तो बड़े-बड़े गुरु हैं। छोटे-छोटे गुरु बहुत हैं। वे भी सब रोकते हैं। मेरा कहना यह है कि सीखने की क्षमता और सीखने का भाव प्रत्येक में होना चाहिए, और मरने तक होना चाहिए। यानी जो आदमी जीवन भर शिष्य बना रहे मरते वक्त तक, वह अदभुत आदमी है। लेकिन हमारे यहां कुछ ऐसा है कि आदमी जन्म से गुरु हो जाता है। मरने तक शिष्य रहना बहुत दूर की बात है, जन्म से ही गुरु हो जाता है। शिष्यत्व तो बड़ा ही, बहुत इनोसेंट और बहुत निर्दोष भाव है। वह बहुत अदभुत भाव है। सीखने की तैयारी है। इससे बड़ी सरलता और विनम्रता दूसरी नहीं हो सकती है। एक मुसलमान फकीर था, बायजीद । वह जब मरने के करीब है, तो उसके शिष्यों ने उससे पूछा है, मित्रों ने पूछा है कि आपने कहां से सीखा, कौन था गुरु? तो बायजीद ने कहाः अगर गुरु होता तो बहुत कम सीख पाता। गुरु कोई भी न था, इसलिए बहुत सीखा। जो भी मिला, उसी से सीखा। और ऐसा भी नहीं था कि आदमियों से ही सीखा। दरख्त से सूखा पत्ता गिर रहा था, तो उससे भी सीखा। कल यह पत्ता हरा था और आज सूख कर गिर गया और मैं रास्ते भर सोचता चला आया, उस गिरे हुए पत्ते को देख कर कि गिरना पड़ेगा। हरे कब तक रहोगे, सूखना पड़ेगा। और उस पत्ते को मैंने नमस्कार कर लिया कि आज तू अच्छे वक्त पर गिर गया कि मैं निकलता था। तेरी बड़ी कृपा है। नहीं तो यह ख्याल ही नहीं आता कि सूखा पत्ता कल तक हरा था, वह कितनी अकड़ और शान में था, फिर सूख कर गिर गया और उसके सूखने की, गिरने की खबर वृक्ष को हो भी नहीं पाई, खबर भी नहीं हुई, किन्हीं पत्तों ने शोर भी नहीं मचाया कि कहां जाते हो। किसी ने कुछ नहीं कहा, वह चुपचाप गिर गया, जमीन पर पड़ा है। तेरी बड़ी कृपा है कि तू गिर गया जब मैं गुजरता था। क्योंकि समझ में आई है यह बात कि अभी हरे हैं, कल सूख जाएंगे। बायजीद ने कहाः एक बार मैं एक गांव में गया, रात के कोई बारह बज गए। गांव में भटक गया रास्ता, तो गांव में कोई नहीं मिला। एक चोर मिला, वह अपनी चोरी को निकला था। तो मैंने उससे पूछा कि मित्र रास्ता बता सकोगे? मैं कहां जाऊं, कहां ठहरूं? रात अंधेरी है, मुझे ठहरने का कुछ पता नहीं है! उस चोर ने कहाः तुम साधु मालूम पड़ते हो। क्योंकि साधु होना ऊपर से ही दिख जाता है। लेकिन मेरा तुम्हें पता नहीं तुम किससे पूछ रहे हो, मैं चोर हूं, और चोर होना कभी ऊपर से नहीं दिखता, वह तो भीतर होता है। तो तुम मुझे पहचान नहीं पाओगे। लेकिन मैं तुम्हें बता दूं कि मैं चोर हूं। और अगर तुम्हारी मर्जी हो तो तुम मेरे घर ठहर सकते हो। घर खाली है। और मैं रात भर तो बाहर रहूंगा, तुम निश्चिंत होकर ठहर सकते हो। लेकिन बायजीद ने कहा अपने मित्रों से कि मैंने उस दिन पहली दफा जाना कि चोर की इतनी हिम्मत हो सकती है कि कह दे कि मैं चोर हूं। और मैं साधु हूं, लेकिन मैं हिम्मत से कह नहीं सकता कि मैं साधु हूं; क्योंकि भीतर मेरे चोर मौजूद है! और उस आदमी के भीतर साधु जरूर मौजूद था तभी वह कह सका कि मैं चोर हूं, नहीं तो कहना बहुत मुश्किल था। एकदम मुश्किल था। तो मैंने उसके पैर छू लिए। वह कहने लगा, यह आप क्या करते हैं? यह आप क्या करते हैं? मैंने कहा कि मैं तेरे पैर छूता हूं। क्योंकि चोर स्वयं को कहने की हिम्मत सिर्फ साधु में होती है। चल मैं तेरे घर चलता हूं। मैं उसके घर गया। वह मुझे सुला कर चला गया। और पांच बचे के करीब फिर लौटा। नींद खुली तो मैंने पूछा कि कुछ मिला? कुछ लाए? तो वह कहने लगा, आज तो नहीं, लेकिन कल फिर कोशिश करेंगे। फिर आकर वह सो गया। वह दिन भर सोया रहा। दोपहर को उठा तो बड़ा मस्त था, नाचता था, गीत गाता था। तो मैंने उससे कहाः तुझे कुछ मिला नहीं? तो उसने कहाः कल मिल जाएगा? फिर रात गया, मैं महीने भर उसके घर था। और हर बार यह हुआ कि सुबह वह आया और मैंने पूछा, कि कहो कुछ मिला? आज तो नहीं मिला, लेकिन कल फिर कोशिश करेंगे। फिर महीने भर के बाद मैंने छोड़ दिया उसका घर। फिर मैं भगवान की खोज में वर्षों भटकता रहा और बार-बार ऐसा होने लगा कि अब नहीं मिलता, तो छोड़ दो यह ख्याल । तभी उस चोर का ख्याल आ जाता कि वह आदमी रोज लौट कर कहता था कि कल फिर कोशिश करेंगे। तो वह तो साधारण धन चुराने गया था, फिर भी हिम्मत बड़ी थी। हम भगवान को चुराने चले हैं और हिम्मत बड़ी कमजोर है, कैसे काम चलेगा? तो फिर मैं टिका ही रहा, और जब भी हारने लगता मन, तब फिर उस चोर का ख्याल आ जाता, वह कहता कि कल और कोशिश करेंगे। तो उसी चोर को... उस चोर से जो सीखा था, उसी से मैंने परमात्मा को पाया, नहीं तो पा नहीं सकता था। तो उसने मरते वक्त ऐसी बहुत सी बातें कहीं, तो ऐसे बहुत से गुरु मिले। एक गांव से गुजरता था, एक छोटा सा बच्चा दीया लिए जा रहा था। पूछा उससे, कहां जाते हो दीये को लेकर? उसने कहाः मंदिर में चढ़ाने । तो मैंने उससे कहा, कि तुमने ही जलाया है दीया? उसने कहाः मैंने ही जलाया है। तो मैंने उससे पूछा कि जब तुमने ही जलाया है, तो तुम्हें पता होगा कि रोशनी कहां से आई है? कहां से आई है बता सकते हो? तो उस बच्चे ने नीचे से ऊपर तक मुझे देखा । फूंक मार कर रोशनी बुझा दी और कहा कि अभी आपके सामने चली गई, बता सकते हैं, कहां चली गई है? और आप बता देंगे कि कहां चली गई, तो मैं भी बता दूंगा कि कहां से आई थी। तो मैं सोचता हूं, वहीं चली गई होगी, जहां से आई थी। उस बच्चे ने कहाः वहीं चली गई होगी? तो उस बच्चे के पैर छूने पड़े। और कोई उपाय न था इसके सिवाय। नमस्कार करनी पड़ी कि तू अच्छा मिल गया। हमने तो मजाक की थी, लेकिन मजाक उलटी पड़ गई। मजाक ही की थी बच्चे से लेकिन बहुत उलटी पड़ गई, बहुत भारी पड़ गई। और अज्ञान इस बुरी तरह से दिखाई पड़ा है कि ज्योति का पता नहीं कि कहां से आती है और कहां जाती है ! और बड़े ज्ञान की हम बातें किए जा रहे हैं। उस दिन से मैंने ज्ञान की बातें करना बंद कर दिया। क्या फायदा? जब एक ज्योति का पता नहीं है तो भीतर की ज्योति की बातें कर रहे हैं। कुछ पता नहीं। तो फिर मैं चुप रहने लगा, उस बच्चे ने मुझे चुप करवाया। हजारों किताबें पढ़ी थीं, जिनमें लिखा थाः मौन रहो। नहीं रहा, लेकिन उस बच्चे ने ऐसा चुप करवा दिया। कि कई वर्ष बीत गए, मैं नहीं बोला। लोग पूछते थे, बोलो। तो मैं लिख देता था कि एक दीये की ज्योति कहां जाती है यह तो बताओ? मतलब क्या है बोलने से? कुछ पता ही नहीं है तो बोलूं क्या? तो इसको मैं कहता हूं, एटीट्यूट ऑफ लर्निंग और डिसाइपलशिप, शिष्यत्व तो गुरु तो बिल्कुल नहीं होने चाहिए दुनिया में, और शिष्य सब होने चाहिए। और अभी हालत यह है कि गुरु सब हैं, और शिष्य खोजना बहुत मुश्किल मामला है। वह मिल ही नहीं सकता। वह मिल ही नहीं सकता। हां, बिल्कुल नहीं मिल सकता है। हमें यह उत्सुकता होती है जानने की कि आप सक्सेस हुए। क्या करते थे, आपकी शुरुआत कैसे हुई, कहां से आपने यह चालू किया? लोगों के ख्यालातों को चैनेलाइज करने का कब से ख्याल हुआ आपको? किस ख्याल से शुरू किया और क्यों शुरू किया? बहुत ही कठिन बात है आप जो पूछते हैं। कठिन कई कारणों से है। एक तो यह कि जिंदगी कुछ ऐसी चीज है कि वह ठीक कहां से शुरू होती है कभी नहीं बताया जा सकता। यानी जहां से शुरू होती है, वे कहते हैं, वह हमेशा माना हुआ बिंदु होता है। और दूसरी कठिनाई यह है कि अपने संबंध में कुछ भी कहना बड़ा मुश्किल मामला है, बहुत कठिन है। हां, इसलिए कठिन है कि दूसरे को तो हम बाहर से देखते हैं तो तस्वीरें अंक जाती हैं। प्रतिबिंब होते हैं हमारे पास। कल ऐसा था, परसों ऐसा था । हम अपने को कभी देखते नहीं। और भीतर अपनी कोई तसवीर नहीं अंकती। वहां तो एक धारा ही होती है, अलग-अलग नहीं होते हैं। तो भी मुश्किल हो जाता है और फिर जब भी हम बताने जाते हैं तो और मुश्किल हो जाता है। क्योंकि जब हम बताने जाते हैं तो कुछ खंडों को ही छू पाते हैं, और बीच के हिस्से गैप रह जाते हैं, और उनमें कई बार जोड़ दिखाई भी नहीं पड़ता। जैसे कि कोई एक सीढ़ियां जा रही हों हजारों, और उसमें से हम दस-पांच सीढ़ियां चुन कर बता दें, बीच की सीढ़ियां गिर जाएं, तो उन सीढ़ियों के बीच कोई तुक, कोई संबंध नहीं दिखाई पड़ता। फिर भी कोशिश की जा सकती है कि क्या। जो पहली से पहली मुझे ख्याल में आती है बात, चारों तरफ एक अदभुत झूठ का बोध होना शुरू हुआ जो पिता कह रहे हैं उसमें, जो मां कह रही है उसमें, जो मित्र कह रहे हैं उसमें, जो शिक्षक कह रहे हैं उसमें, जो मंदिर का पुजारी कह रहा है, जो नेता कह रहा है उसमें। ऐसा लगा कि एक चारों तरफ एक गहरा झूठ सबको घेरे हुए है और यह भी समझ में आना शुरू हुआ कि वह झूठ मुझे भी घेर रहा है। यानी मैं जिस ढंग से देखता हूं, वह झूठ था। क्योंकि भीतर से मैं कुछ और ढंग से देखना चाहता था। और जो बात मैंने कही, वह थी ही नहीं। रास्ते पर एक आदमी मिला और उससे कहा कि नमस्कार! आपको देख कर बड़ी खुशी हुई। भीतर मन हो रहा था, यह आदमी कहां से दिख गया सुबह-सुबह, कहीं दिन खराब न हो जाए। तो यह भी दिखाई पड़ना शुरू हुआ कि वह चारों तरफ का जो झूठ है, वह मुझको भी पकड़े ले रहा है। और अगर जल्दी जागे नहीं, तो शायद वह पकड़ ही लेगा। फिर उससे छूटना बहुत मुश्किल हो जाएगा। वह सब तरफ से घेरे लिए चला जा रहा है। जिससे कोई प्रेम नहीं है, उससे कह रहे हैं, बहुत प्रेम है। जो मुझे पहला बोध होना शुरू हुआ बहुत छोटी उम्र से, वह यह था कि एक अजीब झूठ चारों तरफ पकड़े हुए है। कि घर में लोग बैठे हुए हैं, वह छोटे बच्चे को बाहर मुझसे कहलवा देते हैं कि वह घर पर नहीं हैं। या मुझे बाहर भेजते हैं देखने कि देख लेना कौन है । अगर फलां आदमी हो तो कहना घर में हैं, और फलां आदमी हो तो कहना घर में नहीं हैं। तो मैं बहुत हैरान हुआ कि यह घर में होना भी फलां-फलां आदमी पर निर्भर होता है या कि यह घर में होना कोई सच्चाई है या यह भी झूठ है, जो कि कोई होता है तो आदमी घर में है कोई नहीं है तो घर में नहीं हैं। मुझे जो पहला स्मरण आता है वह यह कि चारों तरफ सब चीजों में एक अजीब झूठ है। मुझे मंदिर में ले जाया गया है, पत्थर की मूर्ति, मुझे पत्थर की मूर्ति दिखाई पड़ रही है और मेरे घर के लोग कह रहे हैं कि भगवान हैं। वह इतना सरासर झूठ मालूम पड़ रहा है कि बिल्कुल पत्थर की मूर्ति है, इसको मैंने बाजार में बिकते भी देखा है। यह बाजार में से खरीद कर मंदिर में भी लाई जाती है। और भगवान कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा है और मेरे घर के लोग हाथ जोड़े हुए खड़े हैं। इनका हाथ जोड़ना एकदम झूठ मालूम पड़ रहा है। सरासर झूठ मालूम पड़ रहा है। जो मुझे पहला ख्याल आता है, जो मुझे बचपन से पकड़ना शुरू हो गया, वह यह कि एक फाल्स सूडो है जो चारों तरफ सबको पकड़े हुए हैं। और जैसे-जैसे मैं बड़ा होने लगा, वैसे-वैसे मुझे दिखाई पड़ने लगा कि सब तरफ एकदम घना झूठ है और अब दो ही उपाय हैं अगर या तो यह झूठ मुझे पकड़ लेगा, और अगर झूठ पकड़ लेता है, तो फिर जीवन में सत्य की खोज का कोई रास्ता नहीं रह जाता। जिंदगी क्या है? उसका पता ही नहीं चलेगा कभी। और पता ही नहीं चलता। लंदन में एक फोटोग्राफर था। वह अपने दरवाजे पर एक तख्ती लगाए हुए है। और उसमें उसने दाम लिख रखे हैं, और लिख रखा है कि आप जैसे हैं, अगर वैसी ही फोटो उतरवानी हो, तो पांच रुपये, और जैसे आप दिखाई पड़ना चाहते हैं, अगर वैसी फोटो उतरवानी हो तो दाम दस रुपये। और जैसा आप सोचते हैं कि आप हैं, अगर वैसी फोटो उतरवानी हो तो दाम पंद्रह रुपये । एक आदमी गया उसकी दुकान पर, उसने कहा, बड़ी मुश्किल है। हम तो सोचते हैं फोटो एक ही तरह की होती है। यानी मेरी फोटो एक ही तरह की होगी, तीन तरह की कैसे हो सकती है? और यहां ऐसे लोग भी आते हैं कि यह पिछले पंद्रह और दस रुपये वाली फोटो ही उतरवाते हैं? उस फोटोग्राफर ने कहाः आप पहले आदमी हैं जो पहले नंबर की फोटो उतरवाने का ख्याल कर रहे हैं। यहां अब तक कोई आया ही नहीं, जिसने पहले नंबर की फोटो उतरवाई हो। यह मुझे बोध एकदम से गहरा पकड़ने लगा रोज-रोज, और बड़ी अड़चन हो गई उससे शुरू, बहुत अड़चन हो गई, बहुत परेशानी शुरू हो गई। क्योंकि जहां-जहां वह मुझे दिखाई पड़ने लगा, वहीं मुश्किल शुरू हो गई। घर के बुजुर्गों को कहने लगा, यह क्या मामला है? शिक्षकों को कहने लगा, यह क्या बात है? और तब एक बात मुझे इतनी साफ दिखाई पड़ने लगी कि यह अगर झूठ मुझे पकड़ लेता है, तो जिंदगी खो गई। तो जैसा हूं वैसा ही दिखाई पडूं और जैसा मुझे दिखाई पड़े वैसा ही कहूं। और जैसा मुझे ठीक लगे उसको वैसा ही जीऊं, चाहे उसका कोई भी परिणाम हो। एक बात पक्की है कि मैं झूठ होने को राजी नहीं हूं, मैं जैसा हूं वैसा ही रहूंगा। तो फिर किसी चीज पर विश्वास करना मुश्किल हो गया कि भगवान है, कि आत्मा है, कि पिछला जन्म है, कि कर्म है--किसी भी चीज पर विश्वास करना मुश्किल हो गया। और प्रत्येक चीज पर। क्योंकि सब विश्वास मुझे झूठे मालूम पड़े। असल में विश्वास झूठ का दूसरा नाम है। जो आपको नहीं मालूम होता, नहीं दिखाई पड़ता, उसको मान रहे हैं, तो वह झूठ है। इतना पढ़ा मैंने कि कहीं से कुछ पता चल जाएगा। इतने लोगों के पास गया, इतने लोगों से मिला, इतना भटका कि कहीं से कोई बता सकेगा। लेकिन फिर धीरे-धीरे पता चला कि कोई दूसरा शायद बता भी नहीं सकता। एक बात पक्की मेरे मन में हो गई कि विश्वास नहीं करूंगा। जान लूंगा तो जान लूंगा, नहीं जानूंगा तो अज्ञानी रहूंगा। विश्वास नहीं करूंगा। और इसने तो कुछ ऐसी हालत में पहुंचा दिया था कुछ दिन कि घर के लोग समझते थे मैं पागल हो गया, क्योंकि ऐसी छोटी-छोटी चीजों पर भी मुझे शक होने लगा कि जैसे मेरे पिता हैं तो मैं उनसे पूछने लगा कि इसको मैं कैसे मानूं कि आप मेरे पिता हैं? मुझे क्या पक्का है? मुझे क्या पक्का है? और क्यों मानूं? और जब कोई चीज पर विश्वास न करने की सख्त हिम्मत कर ली, जो अड़चन होनी थी वह स्वाभाविक ही थी, सब तरफ अड़चन हो गई और साथ ही एक भीतर एक वैक्यूम आना शुरू हो गया। जब हम किसी चीज पर विश्वास ही न करें, तो भीतर कौन सी चीज को पकड़ें? किसको पकड़ें? क्या है भीतर? कोई पकड़ने का उपाय नहीं रहा कि कोई सहारा बना लें, कोई विचार पकड़ लें, कोई धर्म पकड़ लें, कोई संप्रदाय पकड़ लें; कुछ मानना है मेरे को, कोई किताब, गीता, कुरान, कोई सहारा बन जाए। तो भीतर एक वैक्यूम आया। वह कोई एक वर्ष मैं बिल्कुल वैक्यूम में ही था । वैक्यूम में, मतलब आप आकर बैठ गए और मुझे पता नहीं कि आप आ गए हैं। आपको देख रहा हूं कि आप आ गए हैं, आप बैठे हैं, आप चले गए। लेकिन कल आप मुझे पूछें कि मैं आया था, तो मुझे पता नहीं। यानी आंखें बिल्कुल ऐसी हो गईं जैसे दर्पण हों--कोई आया और कोई गया । और एक वर्ष तक शायद मैं ज्यादातर पड़ा ही रहा, उठा भी नहीं। क्योंकि ऐसा, जब कोई भी विश्वास न रहा, तो यह भी होने लगा कि घर के लोग कहते हैं कि खाना खा लो, तो मैं कहता, खाया तो ठीक, नहीं खाया तो ठीक; क्योंकि खाना खाने से किसको क्या मिल गया है? कहते कि उम्र कम हो जाएगी, शरीर कमजोर हो जाएगा, मर जाओगे, बीमार पड़ जाओगे। तो मैं उनसे पूछता कि आपको पक्का भरोसा है कि आप खाना खाते रहेंगे, तो मरेंगे नहीं? अगर ऐसा हो तो मैं चल कर खाना खा लूं। आप मुझे ऐसा बता दें कि जो लोग खाना खाते रहे वे नहीं मरे, तो मैं भी खाना खा लेता हूं। और मैं आपसे यह पूछता हूं कि जिंदा रह कर आपको क्या मिल गया है जो मुझे जिंदा रहने की आप सलाह देते हैं? धीरे-धीरे घर के लोगों ने भी छोड़ दी फिकर कि जो करना हो करो, जो न करना हो न करो। और तब उस वैक्यूम में मैं बिल्कुल आटोमेटा जैसा हो गया, यानी मैं उठ कर क्यों जा रहा हूं, कहां, यह मुझे भी ख्याल में न रहा। बस चीजें आटोमेटिक हो गईं। प्यास लगी है, तो जाकर पानी पी लिया है। भूख लगी है, तो जाकर चौके में बैठ गया हूं। नहीं लगी तो दो दिन गुजर गए, चार दिन गुजर गए। स्नान करने गया हूं तो घंटों गुजर गए, दिन गुजर गए, नान ही करता रहा हूं। घर के लोगों ने समझा कि पागल हो गया है। मुझे भी बीच-बीच में शक एक ही बस दोहरता था, सब खो गया है तो बस एक ही बात दोहरती थी कभी-कभी दूसरे लोगों की आंखों में देख कर कि शायद मैं पागल हो गया हूं। लेकिन मैंने कहा कि ठीक है, अगर इस खोज में पागल ही हो जाना है, तो पागल हो जाना भी ठीक है। वह शून्य जितना बढ़ता चला गया करीब दो या तीन बार मैं कोई कई दिनों तक कोमा में चला गया बिल्कुल, यानी दो-चार दिन बेहोश ही पड़ा रहा, होश ही नहीं है । एक वर्ष... लेकिन मैंने इससे भागने की कोशिश नहीं की। क्योंकि मैंने सख्त मान यह लिया था कि जो भी हो, मैं जानना ही चाहता हूं, या मर जाऊं या जान लूं। एक वर्ष तक निरंतर इस शून्य में गुजरते-गुजरते एक दिन कोई आधी रात होगी, जैसे मैं एकदम से उठ खड़ा हूं। और कोई तीन दिन से बेहोश था। और जैसे कोई एक्सप्लोजन हो गया भीतर, कोई चीज एकदम से फूट गई, कोई बंद द्वार खुल गया, कोई दीया एकदम से जल जाए और अंधेरे में चीजें दिखाई पड़ने लगें। वह हुआ, उस होने के बाद सब बदल गया। उस होने के बाद मैं एकदम नार्मल हो गया। एकदम चुपचाप, सीधा, नार्मल हो उस दिन के बाद कोई अविश्वास न रहा, कोई विश्वास भी न रहा। दोनों ही चले गए, दोनों ही चले गए। और एक सीधी दृष्टि हो गई। अब मेरे पास कोई पक्का नहीं है मुझे ख्याल कि क्या कहूंगा आप से। आप कोई बात पूछ लेते हैं, तो मुझे दिखाई पड़ने लगता है। और जो मुझे दिखाई पड़ता है वह आपसे कह देता हूं। उसमें मुझे भी पता नहीं कि इस शब्द के बाद दूसरा शब्द क्या आएगा और इसके बाद क्या कहूंगा, यह मुझे कुछ पता नहीं है। और जब कोई नहीं है, तब मैं बिल्कुल खाली हूं। जब कोई आ गया है तो सोच-विचार खत्म ही हो गया। यानी अब बस जब बोल रहा हूं, तभी विचार है। नहीं बोल रहा हूं, तो बिल्कुल, बिल्कुल मौन हूं। लेकिन इतनी अदभुत शांति और ऐसे आनंद का अनुभव हुआ है कि मैंने ईश्वर का अर्थ ही यही कर लिया है, और जीने का एक बिल्कुल ही नया... खाना भी खा रहा हूं तो ऐसा नहीं है कि खाना मुझे कोई छोटा आनंद है। उतना ही आनंद है जितना परमात्मा का है। उसमें फर्क नहीं है। आपसे बात कर रहा हूं, तो आनंद मुझे उतना ही है कि जितना परमात्मा से बात करूं, उसमें मुझे फर्क नहीं है। सो रहा हूं तो उसमें भी आनंद है। अब जो भी कर रहा हूं, यानी अब ऐसा नहीं है कि कोई मेरे लिए धार्मिक कृत्य है और कोई अधार्मिक कृत्य है, और कोई सांसारिक बात है और कोई पारलौकिक बात है। छोटी से छोटी चीज में, और सब चीजों में रस है। ऐसी किसी चीज में मुझे विरस है ही नहीं। वैराग्य जैसी चीज ही नहीं है मुझे किसी चीज में कि मुझे विराग है, किसी चीज से भी, सभी चीजों में। और मैं तो इतना हैरान हुआ हूं कि अब तो मैं वैराग्य की परिभाषा ही यह करने लगा हूं कि राग अगर पूर्ण हो जाए, तो वैराग्य हो जाता है। और स्वाद अगर पूर्ण आ जाए, तो स्वाद से मुक्ति हो जाती है। तो अब तो जो भी चीजें हैं, उसमें कैसा पूरा... उसमें पूरा ही डूब जाता हूं। खाना खा रहा हूं, तो पूरा ही खा रहा हूं, यानी उस वक्त मैं खाना ही खा रहा हूं, उस वक्त कुछ और नहीं कर रहा हूं। सो रहा हूं, तो बस सो ही रहा हूं। कल की कोई बात करता है तो ही मुझे कल का ख्याल आता है; नहीं तो कल जब आएगा जब उसे देख लेंगे। अभी जो है, है। आपके घर ठहरता हूं, तो आप ही मेरे परिवार के हैं। मुझे याद ही नहीं आता किसी और का फिर। और आपका घर छोड़ कर गया, तो फिर मुझे आप याद ही नहीं आते कभी। फिर आऊंगा दुबारा, तो फिर ऐसे लगेगा कि आप ही के साथ था सदा । और बिल्कुल याद आ जाएंगे और पूरे याद आ जाएंगे। किसी को भूलता ही नहीं और किसी को याद भी नहीं करता कभी। यानी एक तो न भूलना ऐसा होता है कि हम किसी को याद करते रहते हैं तो नहीं भूलते। तो कभी किसी को याद ही नहीं करता। तो बस जब वह सामने आ जाता है, तो याद आ जाता है। जब वह चला जाता है, तो उसी के साथ उसकी याद भी चली जाती है। एकदम जैसे एक खाली मकान हो, वैसी हालत हो गई है। लेकिन अदभुत! और न कुछ छोड़ने का मन है, न कुछ पकड़ने की बात है। न किसी के पक्ष में हूं, न किसी के विपक्ष में हूं। और यह भी पक्का नहीं है कि जो आपसे कहता हूं, उसका आग्रह भी नहीं है कि उसे कोई माने। क्योंकि मैंने तो सब मान कर एक दिशा पाई है। इसलिए तो लोगों को कहता रहता हूं कि जहां तक बने, किसी को मानना मत। मुझको भी मत मानना, मानना ही मत। और न मानने में ठहरने की कोशिश करना। और अगर ठहर गए कभी न मानने में, तो वह हो जाएगा जो जानना है। और मानने वाला कभी जानने तक नहीं पहुंचता है। और जिस दिन से यह हुआ है, उस दिन के पहले मैं किसी से बात ही नहीं करता था। यानी आप मुझसे बात करवाना ही मुश्किल था। यानी ऐसा भी हो जाता था कि कोई मित्र आ गया है, और जबरदस्ती मुझे हिला रहा है और वह कहता है कि इस बात का जवाब दो, मैं बैठा उसे देख रहा हूं, कोई जवाब ही नहीं है। और यह भी नहीं कहूंगा कि मैं नहीं कहता हूं, नहीं कहूंगा। मुझे कोई रुचि भी नहीं थी किसी और में। लेकिन उस विस्फोट के बाद एक और अजीब घटना घटी है, और वह यह कि यह अनुभव होना शुरू हुआ कि आनंद को जितना बांट दो वह उतना बढ़ जाता है। तो अब कोई ऐसा नहीं है कि मैं किसी के माइंड को चैनेलाइज कर रहा हूं। जैसा आप बोलते हैं, किसी के माइंड को चैनेलाइज नहीं कर रहा। मुझे जो लगा है वह कह देता हूं और अपने रास्ते पर चला जाता हूं। फिर उस कहने के पीछे यह भी नहीं है कि आपने उसे माना, पकड़ा, स्वीकार किया। आपसे कोई संबंध ही नहीं बांधता कि कोई मेरा शिष्य हुआ, कि कोई अनुयायी हुआ, कि कोई, कोई मेरा साथी हो गया । ऐसा भी कुछ भी नहीं है बात। और ख्याल ही नहीं है। बस बात इतनी है कि आपने मुझे सुन लिया, मेरी बात सुन ली और मेरे भीतर जो--जैसे कोई बादल भर जाए पानी से, तो बरस कर कोई धरती पर कृपा नहीं करता है, बल्कि धरती कृपा करती है कि बरस जाने देती है। जे. कृष्णमूर्ति के विचार और आपके विचार कहां तक मिल सकते हैं? मिल सकते हैं, बहुत से विचारों से मिल सकते हैं। दुनिया में कोई समझदार आदमी का कभी फालोअर में ख्याल नहीं रहा, कभी नहीं रहा। लेकिन फालोअर सभी को मिल जाते हैं, जे. कृष्णमूर्ति को भी और सबको । विचार मेल खा सकते हैं बहुत से । सच तो यह है, यानी मेरा कहना तो यह है कि अगर मैं कुछ जान रहा हूं, तो यह हो ही नहीं सकता कि वह दूसरे जानने वालों से मेल न खाता हो। यह हो ही नहीं सकता है। अगर मैं जान रहा हूं तो वह मेल खाएगा ही। यह हो सकता है कि युग बदलते हैं, भाषा बदल जाती है, शब्द बदल जाते हैं, कहने के ढंग बदल जाते हैं। और फिर एक-एक व्यक्ति के साथ अपना-अपना माध्यम होता है। अब बुद्ध और महावीर एक ही साथ थे बिहार में, और कई बार ऐसा हुआ, एक ही गांव में ठहरे, और एक बार तो ऐसा हुआ कि एक ही धर्मशाला के आधे हिस्से में बुद्ध ठहरे, आधे में महावीर ठहरे। और दोनों ऐसी उलटी बातें बोलते हुए मालूम पड़ते हैं। लेकिन दोनों बिल्कुल एक ही बात बोल रहे हैं। मुझसे किसी ने पूछा कि जब एक ही गांव में और एक ही धर्मशाला में बुद्ध और महावीर ठहर, तो मिले क्यों नहीं? तो मैंने कहा, मिलने की कोई जरूरत न थी। मिलने की जरूरत वहीं होती है, जहां कुछ भेद होता है। वहां कोई भेद नहीं था, मिलने की कोई जरूरत न थी । शब्द बिल्कुल अलग-अलग हैं और शब्द उलटे भी हैं। महावीर कहते हैं, आत्मा को पा लेना सबसे बड़ा ज्ञान है और बुद्ध कहते हैं आत्मा को मानने से बड़ा अज्ञान नहीं है। ये दोनों एक ही बात कह रहे हैं। उनके कहने का रास्ता बिल्कुल दूसरा है। महावीर कहते हैं, आत्मा को पा लेना सबसे बड़ा ज्ञान है। लेकिन वह कहते हैं कि तुम नहीं हो आत्मा। तुम अहंकार हो, इसको छोड़ दो, इसको जाने दो, तो आत्मा मिल जाएगी। और बुद्ध आत्मा को ही अहंकार कहते हैं, वे कहते हैं, आत्मा को छोड़ दो तो वह मिल जाएगा जो है, और तब कोई दिक्कत नहीं रह जाती है। असल में दुनिया में जिन्होंने भी कुछ कभी जाना हो, उनके शब्द में रत्ती भर का भी भेद नहीं हो सकता। होने का कोई उपाय नहीं है। अगर भेद दिखता हो तो वह हमको दिखता है, वह हमको दिखता है भेद। क्योंकि हमारे पास सिर्फ शब्द होता है, अनुभूति नहीं होती है। और शब्द में भेद हो सकते हैं। अनुभूति में कोई भेद नहीं है। जब हम कहने जाते हैं तो भेद शुरू हो जाते हैं। लाओत्से ने जिंदगी भर नहीं लिखा कुछ। बहुत लोगों ने कहा कि लिखो। उसने कहाः पहले बहुत लोग लिख चुके हैं, उससे कुछ फायदा हुआ? और अगर उससे फायदा नहीं हुआ, तो मुझसे और क्यों कुछ कागज खराब करवाते हो, तुम रहने दो। मैं नहीं लिखता। अस्सी वर्ष का हो गया तो छोड़ कर जा रहा था चीन को। तो उसके गांव, चुंगी पर रुकवा लिया सम्राट ने चीन के और कहा कि ऐसे नहीं जाने देंगे, वह जो तुम जानते हो लिख जाओ। उसने कहा, मैं लिखे देता हूं, लेकिन जो मैं जानता हूं, पहली तो बात उसको लिख नहीं सकता और दूसरी बात, अगर कोई तरह से कोशिश भी करूं, तो तुम उसको पढ़ कभी नहीं पाओगे। क्योंकि तुम वही पढ़ सकते हो जो तुम जानते हो। उससे ज्यादा तुम कैसे जानोगे? और मुझे एक आदमी नहीं दिखाई पड़ता। उसने कहाः जो मेरी किताब पढ़ कर जान लेगा, तो क्यों मेहनत करवाते हो? लेकिन नहीं माना। तो उसने एक किताब लिखी-ताओ तेह किंग। एक छोटी सी किताब लिखी। इससे छोटी किताब नहीं है दुनिया में; और इससे कीमती किताब भी नहीं है। कीमती इस लिहाज से कि पहला ही वाक्य उसने लिखा, कि मुझे बड़ी दिक्कत में डाल रहे हो, सत्य कहा नहीं जा सकता और मैं कहने जा रहा हूं। और जैसे ही कहा जाता है वैसे ही सब गड़बड़ हो जाता है। वह जो जानना है, वह इतना बड़ा है और शब्द इतना छोटा है कि जैसे कोई सागर को जाने और एक प्याली में भर कर आ जाए घर, तो जो घर ले आए और उसे किसी को बताए कि यह सागर रहा तो प्याली में देखे वह सागर को, और जितना जान ले उतना भी शब्द में नहीं जाना जा सकता। लेकिन जो भी जिन्होंने कभी जाना है, वह एक ही है, वह दो हो नहीं सकता। शब्द बदलते रहेंगे, रोज बदलते रहेंगे। गीता में जो है, कुरान में जो है, बाइबिल में, महावीर में, बुद्ध में वह यही है, लेकिन यह हम जानें तो ही ख्याल में आता है नहीं तो नहीं आता। और उसे अगर पाना हो, उसे अगर जानना हो, तो किसी को पकड़ मत लेना-- महावीर को, बुद्ध को या कृष्णमूर्ति को, या मुझे, या किसी को भी। पकड़ा कि खो गया। पकड़े कि बासी चीज पकड़ ली और गए। तो सारी चेष्टा यह नहीं है कि मैं आपको कह कर कुछ समझा दूंगा। कहने की सारी चेष्टा यह है कि शायद थोड़ी सी बेचैनी आप में हो जाए। और एक मूवमेंट शुरू हो जाए, गति हो जाए और कहीं आप चल पड़ें, कोई यात्रा शुरू हो जाए। यह जो आप कहते हैं, चैनेलाइज नहीं कर रहा हूं। यह जो आप बोल रहे हैं, इसका कोई लक्ष्य तो है न ? बिल्कुल नहीं। नहीं देवानंदजी, बिल्कुल नहीं। क्योंकि मेरा मानना यही है कि लक्ष्य सिर्फ दुखी चित्त में होता है। सिर्फ दुखी आदमी के पास लक्ष्य होता है। संसार में चार आदमी अगर अच्छा सोचने लगें, तो यह लक्ष्य ही हो गया? नहीं, नहीं, यह मैं नहीं कह रहा हूं कि अच्छा सोचने लग जाएं, जैसा सोचना चाहिए, तो फिर तो मुझे बताना पड़े कि कैसे सोचना चाहिए। वह मैं नहीं कह रहा हूं। और जैसा लक्ष्य की बात उठाई, तो बहुत अच्छी बात उठाई। क्योंकि आमतौर से हमारा ख्याल यह है कि जो भी हम करते हैं, उसका कोई लक्ष्य होना चाहिए। और मजा यह है कि लक्ष्य भविष्य में होता है, और करना वर्तमान में होता है। और वर्तमान और भविष्य कभी नहीं मिलते। मिलते ही नहीं। लक्ष्य सदा वर्तमान में होता है और करना सदा अभी होता है। इसलिए एक और तरह की जिंदगी भी है कि जहां करना ही लक्ष्य होता है। जैसे कि एक आदमी चला है, कहीं जा रहा है, दिल्ली जा रहा है पैदल चल कर, तो उससे आप पूछते हैं, कहां जा रहे हो? तो वह कहता है कि दिल्ली जा रहा हूं। लक्ष्य है
सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। किसानों को न्याय योजना की चौथी किस्त को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय द्वारा दिये गए बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि GST का पैसा तो दे नहीं पा रहे हैं उसके लिए राज्यों को कर्ज़ लेने के लिए कह रहे हैं। विष्णुदेव को समझ नहीं आ रहा है इसलिए उनको टिकट भी नहीं दिए थे अब उनको झुनझुना पकड़ा दिए हैं अध्यक्ष का। अब वो उतना ही कहते बोलते हैं जितना रमन सिंह कहते हैं। इससे बाहर निकले तो उसके बाद कोई बात कहे तो समझ आएगा। केंद्र सरकार सभी राज्यों को GST का जो पैसा है वो दे नहीं रही है, कर्ज़ लेने की बात कही जा रही है। एक अप्रैल से नया वित वर्ष प्रारम्भ हो जाता है दिसंबर लग गया लेकिन GST का पैसा मिला नहीं। जब आप सेस लगा के पूरे देश के नागरिकों से पैसा वसूल रहे हैं इसलिए हमने कहा था कि आप ले लो और हमें दे दो ताकि ब्याज दर में एक रूपता रहे। अलग-अलग राज्यों और लोन लेंगे तो एक रुपता नहीं रहेगी बाद में ऑडिट ऑब्जेक्शन आएगा। आपको बता दें विष्णुदेव साय ने राज्य सरकार द्वारा किसान न्याय योजना का पैसा किश्तों पर देने के मामले में कहा था कि राजीव गांधी न्याय योजना की राशि सरकार को एकमुश्त देना चाहिए लेकिन सरकार पूरी तरह से कर्ज में डूब गई है। अब भाजपा जब 2023 में सत्ता में आएगी तो किसानों का कर्ज चुकाएगी।
उत्तर प्रदेश में मंगलवार को एक बड़ा हादसा हुआ है। यहां एक एचपी गैस प्लांट के बाहर खड़े एक ट्रक में आग लग गई है। जिसमें कई लोग झुलस गए हैं। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर. . उन्नावः आज सुबह उन्नाव में एचपी गैस प्लांट के बाहर खड़े एक ट्रक में अचानक से आग लग गई। जिसमें तीन लोग झुलस गए हैं। इस हादसे में एक की मौके पर ही मौत हो गई और दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं। कोतवाली प्रभारी दिनेश चंद्र मिश्र ने बताया कि दही चाकी एरिया औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एचपी गैस संयंत्र के बाहर सिलिंडर री-फिलिंग कराने आए ट्रक में अचानक आग लग गई। आग की चपेट में आ कर एक व्यक्ति की मौत हो गयी जबकि दो अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भिजवाया गया है। खबरों के अनुसार, मंगलवार को सुबह संयंत्र के बाहर खडे़ ट्रक के केबिन में चालक और दो अन्य व्यक्ति सो रहे थे। ट्रक में छोटा सिलेंडर रखा हुआ था। अचानक ट्रक के केबिन में आग लग गई और फैल गई। सूचना मिलने पर पुलिस तथा दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची। संयंत्र के कर्मचारियों की मदद से आग पर काबू पाया गया। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो चुकी थी। बताया जाता है कि मृतक का नाम हर्ष पाण्डेय था।
च० सीतलप्रसाद दृष्टिकोण रखते हुए वे इस आन्दोलनको आगमं एक दम कूद पडे । उन्होने अपनी मान, प्रतिष्ठा और पदको भी चिन्ता नहीं की। उनके अनेक धार्मिक सहयोगी मित्रोंने उनके इस कार्यको धमके विरुद्ध माना, परन्तु अनेक सुधारकोंने इसे समयकी अत्यन्त आवश्यकता ( Pressing necessity ) समझकर उनका स्वागत किया । सच्चे एकाउण्टेण्ट अपनी शिक्षाको समाप्त कर प्रारम्भमें हम उन्हें रेलवे कम्प अच्छा एकाउण्टेण्ट देखते है, जो अपने धार्मिक कर्तव्यको जैनवमंके महान् दशलाक्षिणी पर्वके दिनोमं दफ्तरके साहब द्वारा शास्त्र पढ़नेके लिए अवकाश मिलनेपर भी पहिले एकाउण्टेण्टके उत्तरदायित्वको पूरा करके ही करते हैं। आमतीरसे दफ्तरके कार्यकर्ता अपनी पदवृद्धि और वेतनवृद्धिके लिए लोगोसे वडी-वडी सिफारिशे पहुँचवाते है, किन्तु यहाँ दफ्तरखा माहब स्वय चाबू सीतलप्रसादजीकी पदवृद्धि और वेतनवृद्धि करके अन्य लोगोसे कहता है कि आप बाबू सोतलप्रसादजीको समझा कि वे उसे स्वीकार करें और नौकरी न छोडे । वाचू सीतलप्रसादजी विसीकी चिन्ता न कर रेलवेकी नोकरीसे त्यागपत्र दे देते है, किन्तु एकाउण्टेण्टके कार्यको वे फिर भी नही छोडते । वे अपने जीवनको एक-एक क्षणकी नियाअंत एकाउण्ट रखते हैं। एक क्षण भी व्यर्थ नही खोते । वे पूर्व से ही दिन में करने योग्य कार्योंको अपनी डायरोमे नोट कर लेते और रातको चतुर व्यापारीकी भाँति उनका मिलान करते और उनको सफलता-विफलताको देखकर दूसरे दिनकी डायरीमे अपनी दिनचर्य्या बनाते। यह एकाउंटेण्ड साहब अम्य जनोको स्वाव्याय- प्रतिज्ञा, व्रत, नियम दिलाना, सामाजिक कार्य करनेके लिए औरोको उत्तेजित करना आदिका ठीक-ठीक हिसाब ( Account ) रखनेके लिए दूसरोको भी एकाउण्टेण्ट वनाते । कहने का तात्पर्य यह है कि ब्रह्मचारीजी आरम्भमे रेलवेके एकाउण्टेण्ट थे तो अपने अन्तिम समय तक अपने तथा समस्त समाजके आध्यात्मिक एका। उण्टेन्ट रहे ।
मुजफ्फरनगर। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दोपहर ठीक 11 बजे पुलिस लाईन पहुंचे। इस दौरान वहां मौजूद जिले के जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री के आगमन के चलते शहर के कुछ रास्ते भी ब्लॉक कर दिए गए। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दोपहर ठीक 11 बजे पुलिस लाईन पहुंचे। जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे एसएसपी अभिषेक यादव ने उनकी अगवानी की। इस दौरान हेलीपैड पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल, बुढाना विधायक उमेश मलिक, विधायक प्रमोद ऊंटवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला आदि मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री डॉ0 संजीव बालियान, सभी विधायकों व भाजपा नेताओं से उनका कुशलक्षेम पूछा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन के मद्देनजर एडीजी मेरठ जोन राजीव सभरवाल ने एसएसपी अभिषेक यादव के साथ जिला कचहरी में व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की आहट ने ही जिले के अधिकारियों की नींद उडा दी। देर रात तक पूरा प्रशासन व्यवस्थाओं को चुस्त दुरुस्त करने में जुटा रहा। ऐसे अधिकारी भी सक्रिय भूमिका में दिखाई दिए, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि महीनों से उनके दर्शन भी दुर्लभ थे। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ आज जिले में आए। उनके आगमन का समाचार जनता को यह तसल्ली दे रहा था कि उनके दुख हरे जाएंगे, वहीं ऐसे अधिकारियों की नींदे उड गईं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्होने मुसीबत के इस दौर में जनता से मुंह मोड लिया। कलक्ट्रेट को दुल्हन की तरह सजा दिया गया। सीएम ने यहीं पर कोविड कंट्रोल रूम का निरीक्षण करेंगे। मुख्यमंत्री के मार्ग में पड़ने वाली सड़कों का कायाकल्प हो गया है। बीमारों के सामने आ रही सभी समस्याओं का निराकरण अचानक अफसरों के पास आ गया है। सरकार की आहट ने जिले में बिगड़ी प्रशासनिक व्यवस्था को पटरी पर ला दिया है। एक महीने से जनता के फोन नहीं उठाने वाले अफसर जनता की सेवा में तत्पर दिखाई दे रहे हैं। कलक्ट्रेट की रंगाई-पुताई कर दुल्हन की तरह सजा दिया गया है। मुख्यमंत्री कंट्रोल रूम का यहां पर निरीक्षण करेंगे और इसके बाद जिला पंचायत के सभागार में अफसरों और जनप्रतिनिधियों से वार्ता करेंगे। जिला पंचायत का सभागार भी चकाचक हो गया है। पुलिस लाइन से कचहरी तक और संभावित गांवों के मार्गों का कायाकल्प हो गया है। एक महीने से बिगड़ी व्यवस्था एक दिन में पटरी पर आ गई है। जानें मुख्यमंत्री के आगमन पर क्या कह रहे मुजफ्फरनगर के लोग?
मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के मुकसूदपुर निवासी विशाल कुमार ने 484वीं रैंक हासिल की है। विशाल के मजदूर पिता बिकाऊ प्रसाद की मौत के बाद परिवार कर्ज में डूब गया था। मैट्रिक की परीक्षा में वह जिला टॉपर था, फिर पूर्व डीजीपी अभयानंद के मार्गदर्शन में पढ़ाई की और आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बी. टेक करने के बाद तैयारी कर रहा था। जबकि मुजफ्फरपुर के मीनापुर के तेंगराहन के अभिनव कुमार ने 146वां स्थान हासिल किया है। संघ लोक सेवा आयोग ने सोमवार को सिविल सेवा परीक्षा 2021 का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया है। श्रुति शर्मा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। टॉपर श्रुति का जन्म बिजनौर में हुआ था और उन्होंने दिल्ली के डीयू से इतिहास की पढ़ाई की है। जबकि दूसरी रैंक अंकिता अग्रवाल और तीसरी रैंक गामिनी सिंगला को मिली। टॉप-10 रैंक होल्डर्स में से 4 लड़कियां थीं। साल 2021 के रिजल्ट में टॉप 10 में 5 लड़कियां थीं। संघ लोक सेवा आयोग की परिणाम सूची के अनुसार, 685 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की है। इनमें से 180 IAS के लिए, 37 IFS के लिए और 200 IPS के लिए पास हुए हैं। जिन उम्मीदवारों ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की है, उनका चयन यूपीएससी द्वारा तीन राउंड - प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के दौर में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है। इनके अलावा 80 उम्मीदवारों का दावा अनंतिम है। UPSC CSE-2021 प्रारंभिक परीक्षा 10 अक्टूबर 2021 को आयोजित की गई थी। जिसका परिणाम 29 अक्टूबर को जारी किया गया था। मेन्स परीक्षा 7 से 16 जनवरी 2022 तक आयोजित की गई थी। जिसके परिणाम 17 मार्च 2022 को आए थे। इसके बाद 5 अप्रैल को साक्षात्कार का तीसरा दौर शुरू हुआ और 26 मई तक चला। इसके बाद 30 मई को फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया।
उत्तराखंडः केदारनाथ से एक बुरी खबर सामने आ रही है. केदारनाथ में एक हेलिकॉप्टर क्रैश में छह लोगों के मौत की खबर सामने आ रही है. खबरों के अनुसार गरुड़चट्टी के पास हई दुर्घटना में एक प्राइवेट हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है. हेलीकॉप्टर आर्यन हेली कम्पनी का बताया जा रहा है. इस दुर्घटना में दो पायलटों और 4 यात्रियों के मारे जाने की खबर है. क्रैश होने की वजह को लेकर कहा जा रहा है कि ख़राब मौसम के कारण ऐसा हुआ. पुलिस टीम और एसडीआरएफ टीम घटनास्थल के लिए रवाना हो चुकी है. As an independent media platform, we do not take advertisements from governments and corporate houses. It is you, our readers, who have supported us on our journey to do honest and unbiased journalism. Please contribute, so that we can continue to do the same in future.
साल 2019 शनि की दृष्टि से अच्छा रहेगा, मिथुन राशि के जातक इस वर्ष शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से बचे रहेंगे। जॉब या बिजनेस दोनों में सफलता प्राप्त होगी। जॉब में प्रमोशन की संभावना है। छात्रों के लिए समय उत्तम है, शिक्षा के माध्यम से विदेश जा सकते हैं। दाम्पत्य जीवन में चिंता दिख रही है। किसी को प्रपोज करने की सोच रहे हैं, तो इसमें देरी ना करें।
ज़ी सिने अवार्ड्स 2019 के मौके पर आलिया भट्ट, दीपिका पादुकोण, रणबीर कपूर और मलाइका अरोड़ा के साथ कई अन्य बॉलीवुड के बड़े सितारों ने रेड कार्पेट पर अपना जलवा बिखेरा है। समारोह की तस्वीरें शानदार हैं। आप भी तस्वीरें देखेंः समारोह से कुछ दिलचस्प वीडियो भी सामने आए हैं। रणबीर कपूर, जिन्होंने 'संजू' में संजय के किरदार में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया, को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया है। इसके अलावा, जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर, जिन्होंने धड़क में एक साथ काम किया, जो उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म भी थी, को बेस्ट डेब्यू फीमेल और मेल अवार्ड्स भी मिले।
इंडस्ट्री में अपनी शानदार एक्टिंग और सिंगिंग के जरिए खास पहचान बनाने वाले आयुष्मान खुराना आज अपना 34 वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं. आयुष्मान का जन्म 14 सितम्बर को चंडीगढ़ में हुआ था. आयुष्मान अपनी मेहनत और लगन के जरिए आज इंडस्ट्री में बड़ा नाम बन गए हैं लेकिन एक समय ऐसा था जब उन्होंने इंडस्ट्री में सफलता पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था. आयुष्मान ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए ऐसे-ऐसे दिन देखे है जिसके बारे में आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते हैं. कुछ दिन पहले ही आयुष्मान का एक इंटरव्यू हुआ था जिसमें उन्होंने कुछ ऐसी बातें बताई जिसके बारे में सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. आयुष्मान ने बताया था कि जब वो अपनी पहली फिल्म के लिए ऑडिशन देने गए थे तो उनसे कास्टिंग डायरेक्टर ने ऐसी डिमांड कर दी थी कि सुनकर उनके भी होश उड़ गए थे. कास्टिंग डायरेक्टर ने ऑडिशन के दौरान आयुष्मान से उनके प्राइवेट पार्ट्स दिखाने की डिमांड कर दी थी. जैसे ही ये आयुष्मान ने ये सुना तो इसके बाद उन्होंने ये सोचा कि इससे ज्यादा वो और कुछ नहीं सुन सकते हैं और बस फिर क्या आयुष्मान ने फिल्म का हिस्सा बनने के सपना ही अपने दिमाग से निकाल दिया. हालांकि आयुष्मान ने साल 2012 में फिल्म 'विकी डोनर' से अपने करियर की शुरुआत की थी और उनकी इस फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला था. इस फिल्म में आयुष्मान ने स्पर्म डोनर का किरदार निभाया था जिसमें उनके साथ यामी गौतम नजर आईं थीं. जल्द ही आयुष्मान फिल्म 'बधाई हो' और 'अंधा धुन' में नजर आने वाले हैं.
गंगा-यमुना के दोआबा वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टीबी फेफड़ों का दम फुला रही है। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में टीबी के लक्षण सामने आ रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार कोरोना बाद टीबी होने के मुख्य कारण फेफड़ों की सहनशीलता घटना है। जिसके चलते मरीज थोड़ा भी संक्रमण झेल नहीं पा रहा और संक्रमित हो रहा है। यही वजह है कि कोरोना, ओमिक्रोन से ठीक होने वाले लोगों को तीन हफ्ते तक खांसी, बलगम की शिकायत है। कई मरीजों में तो ठीक होने के एक महीने बाद भी सांस फूलने और भारीपन की समस्या है। सरकारी अस्पताल से प्राइवेट डॉक्टरों के पास रोजाना ऐसे मरीज आ रहे हैं जिनको पहले कोरोना हुआ अब खांसी नहीं रुकी तो जांच में टीबी निकल रहा है। छाती एवं सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएन त्यागी के अनुसार कोविड की दूसरी लहर ने फेफड़ों को सबसे ज्यादा डेमैज किया है। इसलिए दूसरी लहर में कोरोना से मरने वालों की संख्या भी काफी थी। लेकिन तीसरी लहर में कोरेाना से ज्यादा ओमिक्रॉन ने फेफड़ों को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे मरीज जो कोरोना या ओमिक्रॉन के शिकार हो चुके हैं उनके फेफड़े संक्रमण के कारण पहले ही कमजोर है, तो ऐसे मरीजों को टीबी या किसी अन्य प्रकार का संक्रमण जल्दी लगता है। इन दिनों जो मरीज खांसी की शिकायत लेकर आ रहे हैं उसमें कई मरीजों में टीबी की शिकायत मिल रही है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से भी मरीजों के फेफड़े खराब हो रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर में मेरठ में 13 से अधिक कोविड मरीजों की मौत हुई। इसमें 5 मरीज ऐसे थे जिनको कोरोना के साथ जांच में टीबी भी मिला। टीबी के साथ कोरोना होने के कारण मरीज सर्वाइव नहीं कर पाए और फेफड़े कोलेप्स करने से मरीज की मौत हो गई। मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर में कोरोना से नहीं बल्कि दूसरी बीमारियों के कारण मौत हुई जिसमें टीबी भी ब़ड़ी वजह था। डॉ. विरोत्तम तोमर के अनुसार कोविड के दौरान कई मरीजों को संक्रमण बढ़ने पर आईसीयू में रखा, इलाज चला इसके बाद भी मरीज सर्वाइव नहीं कर सका। उसका प्रमुख कारण फेफड़ों की क्षमता बिल्कुल खत्म होना था। टीबी पीड़ित को कोरोना होने से संक्रमण इतना बढ़ा कि मरीज के फेफड़े उसे सह नहीं पाए। पुराने टीबी पेशेंट के अलावा रोजाना 10 नए मरीज ऐसे आ रहे हैं जिनमें टीबी के प्रारंभिक लक्षण मिल रहे हैं। डॉ. वीएन त्यागी के अनुसार अगर किसी मरीज को सात दिन से ज्यादा सूखी या बलगम वाली खांसी है तो तुरंत टीबी की जांच कराएं। मेडिकल अस्पताल, जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी या निजी क्लीनिक में जाकर ये जांच करा सकते हैं। खांसी में खून है तो भी फौरन टीबी की जांच कराएं। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अच्छी डाइट लें। कोरोना की तीसरी लहर में उप्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने हर कोविड संक्रमित मरीज की टीबी जांच कराने का भी आदेश दिया था। This website follows the DNPA Code of Ethics.
भोपाल, 12 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए धर्म स्वातं˜य अध्यादेश लागू हुए एक माह हो चुका है और इस अवधि में लव जिहाद के 23 मामले सामने आए हैं। राज्य के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सवांददाताओं से चर्चा के दौरान बताया कि बीते एक माह की अवधि में राज्य में 23 मामले धर्म स्वातं˜य अध्यादेश के तहत आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले सात भोपाल संभाग में सामने आए हैं। इसके अलावा जबलपुर व रीवा में चार-चार और ग्वालियर में तीन मामले दर्ज किए गए हैं। ज्ञात हो कि राज्य में धर्म स्वातं˜य अध्यादेश जनवरी में अस्तित्व में आया है। इस कानून के तहत बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
1 भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने नागरिकता कानून को लेकर एक पत्रकारवार्ता की। उन्होंने कहा कि हमारे देश में रह रहे लोगों को नागरिकता देने का कानून बना है, उनकी नागरिकता खत्म करने के लिए यह कानून नही है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से समाज विशेष के लोग भारत में आ कर बसे हैं। नागरिकता कानून को लेकर कांग्रेस पूरी दुनिया में अफवाह फैला रही है। इस कानून से भारत के मुस्लिम समुदाय को कोई नुकसान नहीं होगा। 2 एक तरफ प्रदेश सरकार बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए विभिन्न योजनाओं के संचालित होने की बात कर रही है दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी इस तरह की योजनाओं को लेकर गम्भीर नहीं हैं। ऐसा ही एक मामला जिले की बरगी विधानसभा के ग्राम छापर में सामने आया है । जहां बच्चों के लिए बनाए गए आंगनबाड़ी का भवन वर्षों से जर्जर अवस्था मे खाली पड़ा है । इस भवन में देर रात तक असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। भवन की जर्जर स्थिति होने और उसमें असामाजिक तत्वों के आने जाने के कारण आंगनबाड़ी का काम नजदीकी स्कूल में संचालित होता है लेकिन मात्र दो कमरों के इस स्कूल में 50 से अधिक बच्चे पहले से अध्ययन कर रहे हैं ऊपर से आंगनबाड़ी के 20 से अधिक बच्चों के आने से स्कूल का अध्यापन कार्य प्रभावित होता है। 3 एनआरसी और कैब कानून के विरोध में जबलपुर में कांग्रेसी नेताओं द्वारा आज होने वाला कार्यक्रम रदद् कर दिया गया । नया मोहल्ले में हुई मुस्लिम समुदाय की बैठक में यह फैसला, लिया गया । इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया भी उपस्थित थे। 4 दबंगों द्वारा जिंदा जलाई गई 18 साल की किशोरी आखिरकार 24 घंटे बाद जिंदगी की जंग हार गई। जबलपुर के निजी अस्पताल में मंगलवार को दोपहर किशोरी ने अंतिम सांस ली। किशोरी को सोमवार की सुबह गांव के ही कुछ दबंगों ने सिर्फ इसलिए केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया था कि उसके परिवार वालों ने उनकी शिकायत पुलिस से की थी।
IPL 2021: इस खिलाड़ी को सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) ने दिल्ली कैपिटल्स के साथ ट्रेड के जरिए लिया था. सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) को IPL 2021 में लगातार तीन मैचों में हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में टीम ने जीत की तलाश में प्लेइंग इलेवन में काफी बदलाव किया. पंजाब किंग्स के खिलाफ मैच में हैदराबाद को इन बदलावों का फायदा मिला. बाएं हाथ के ऑलराउंडर अभिषेक शर्मा (Abhishek Sharma) ने इस दौरान काफी प्रभावित किया. आईपीएल 2021 में दूसरा मैच खेल रहे इस खिलाड़ी ने पंजाब के खिलाफ बढ़िया गेंदबाजी की और दो विकेट हासिल किए. साथ ही कंजूसी भरी गेंदबाजी भी की. उन्होंने चार ओवर में 24 रन खर्च किए और दो विकेट लिए. ये विकेट दीपक हुड्डा और मोइजेस हेनरिक्स के रहे. अभिषेक ने मैच में अपनी गेंदबाजी से काफी प्रभावित किया. उन्होंने जिस गेंद पर दीपक हुड्डा का विकेट लिया उसकी तो काफी चर्चा हुई. राहुल द्रविड़ की कोचिंग और पृथ्वी शॉ की कप्तानी में 2018 में भारत ने अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता था. अभिषेक शर्मा भी इस टीम का हिस्सा था. पंजाब के खिलाफ मैच में अभिषेक को हैदराबाद के कप्तान डेविड वॉर्नर ने पहले ही ओवर में मोर्च पर लगा दिया. पहले ही ओवर में इस गेंदबाज ने टीम को लगभग कामयाबी दिला दी थी. उन्होंने विरोधी टीम के कप्तान केएल राहुल को फिरकी के जाल में फांस लिया था लेकिन राशिद खान कैच लपक नहीं पाए जिससे विकेट दूर रह गया. इस ओवर में उन्होंने महज तीन रन दिए. अभिषेक फिर पारी के 10वें ओवर में मोर्चे पर आए. इस ओवर में भी उन्होंने कंजूसी भरी बॉलिंग की और केवल छह रन दिए. अपने तीसरे ओवर में अभिषेक को पहला विकेट मिला. दीपक हुड्डा उनकी गेंद पर विकेटों के सामने पाए गए. यह गेंद काफी अनोखी थी. He's used the middle finger, rolled it over the seam to flick it backwards and keep the seam upright. This means: उन्होंने इस गेंद को अपनी बीच के अंगुली के जरिए घुमाया. उन्होंने सीम को पीछे की तरफ खींचा जिससे कि गेंद पहली बार देखने में बाहर की तरफ जाती हुई लगी. लेकिन यह गेंद दाएं हाथ के बल्लेबाज के अंदर आई और टप्पा खाने के बाद धीमी हो गई. इसी से दीपक हुड्डा चकमा खा गए. उन्होंने बैकफुट पर जाकर शॉट लगाना चाहा लेकिन तब तक गेंद ने उन्हें मात दे दी. मैच के बाद अभिषेक ने कहा कि वे काफी समय से इस पर काम कर रहे थे. यह गेंद एक तरह से स्लाइडर की तरह गई. फिर अभिषेक ने मोइजेस हेनरिक्स के रूप में दूसरा विकेट लिया. इस ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ी को उन्होंने फ्लाइट के जरिए फंसाया और क्रीज से बाहर निकलने को मजबूर कर दिया. फिर जॉनी बेयरस्टो ने स्टंप्स बिखेर दिए. इस तरह अभिषेक ने आखिरी ओवर में विकेट के साथ स्पैल का खात्मा किया. अभिषेक शर्मा को आईपीएल 2018 से पहले दिल्ली कैपिटल्स ने 55 लाख रुपये में अपने साथ जोड़ा था. फिर आईपीएल 2020 से पहले ट्रेड के जरिए वे सनराइजर्स का हिस्सा बन गए. उन्होंने अभी तक 16 मैच खेले हैं और 145 रन बनाने के साथ ही पांच विकेट लिए हैं.
नयी दिल्ली - दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ सुनंदा पुष्कर मौत मामले में सुनवाई सात मार्च तक के लिए स्थगित कर दी । जानकारी के अनुसार विशेष न्यायाधीश अरूण भारद्वाज ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी । सुनवाई के दौरान थरूर ने बहरीन और कतर जाने के लिए एक याचिका दायर की । अदालत ने उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को कल तक जवाब देने को कहा है। अदालत ने चार फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए मामला सत्र अदालत के पास भेज दिया था क्योंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत अपराध के मामले की सुनवाई सत्र न्यायाधीश करते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पुष्कर के पति थरूर पर आईपीसी की धारा 498 ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा महिला से क्रूरता) के तहत आरोप लगाया गया था लेकिन मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात शहर के एक लक्जरी होटल के कमरे में मृत पायी गयी थीं । उस वक्त थरूर के बंगले में मरम्मत का कुछ काम चल रहा था इसलिए दोनों होटल में ठहरे हुए थे । पुष्कर 17 जनवरी 2014 को शहर में एक लग्जरी होटल के सुइट में मृत मिली थीं। थरूर का आधिकारिक बंगले की मरम्मत का काम चल रहा था जिसकी वजह से दंपति होटल में रह रहे थे। इस अपराध के तहत अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुनंदा पुष्कर के पति थरूर पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 498-ए और 306 के तहत आरोप तय किए गए लेकिन मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।
श्रीलंका के इस हरफनमौला खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से लिया संन्यास! यदि सपने में कोई वाहन या आभूषण चोरी हो जाए तो क्या होगा? जानिए, शुभ और अशुभ संकेत! Somwati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर करें ये पूजा, मिलेगा मां पार्वती का भी आशीर्वाद!
लखनऊ/इलाहाबाद। बागपत जेल में फ़िल्मी अंदाज़ में मौत के घाट उतारे गए पूर्वांचल के माफिया डान मुन्ना बजरंगी को पहले ही अपनी हत्या का अंदेशा हो गया था. मुन्ना बजरंगी ने अपनी ज़िंदगी को खतरा बताते हुए जेल में भी अपने लिए सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग को लेकर कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. अपनी अर्जी में मुन्ना बजरंगी ने यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स पर कुछ लोगों से मिलकर जेल कैम्पस या फिर पेशी पर वाराणसी ले जाते समय रास्ते में फर्जी इनकाउंटर किए जाने की आशंका जताते हुए अदालत से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. माफिया डान की इस अर्जी पर हाईकोर्ट से अभी कोई आदेश भले ही न हो पाया हो, लेकिन यह इत्तेफाक ही था, कि आज जिस दिन मुन्ना बजरंगी को मौत के घाट उतारा गया, उसी दिन हाईकोर्ट में उसकी अर्जी पर सुनवाई भी होनी थी. बहरहाल मुन्ना बजरंगी के क़त्ल के बाद हाईकोर्ट में उसकी वकील स्वाति अग्रवाल ने हत्या को गहरी साजिश बताते हुए इसकी सीबीआई जांच कराए जाने का आदेश दिए जाने की मांग को लेकर अलग से अर्जी दाखिल कर दी है. अर्जी में कहा गया है कि मुन्ना बजरंगी ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी अर्जी में यूपी पुलिस की एसटीएफ से ही अपनी जान को खतरा बताते हुए फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका जताई थी, इसलिए जेल में हुई उसकी हत्या की जांच केंद्रीय एजेंसी सीबीआई या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए. अर्जी में मुन्ना बजरंगी के परिवार को आर्थिक मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है. मुन्ना बजरंगी की वकील स्वाति अग्रवाल की तरफ से दाखिल इस अर्जी पर जस्टिस एसडी सिंह की बेंच बुधवार ग्यारह जुलाई को सुनवाई कर सकती है. अपने लिए जेल और पेशी पर ले जाते समय रास्ते में विशेष सुरक्षा की मांग को लेकर मुन्ना बजरंगी ने इसी साल सोलह मई को अर्जी दाखिल की थी. अर्जी दाखिल करने के समय वह झांसी जेल में बंद था. अर्जी में उसने यूपी सरकार, यूपी के डीजीपी, झांसी जेल के सुप्रीटेंडेंट और हत्या की एफआईआर दर्ज कराने वाले आशीष कुमार साहू को पक्षकार बनाया था. हालांकि मुन्ना बजरंगी की इस अर्जी पर तकरीबन डेढ़ महीने तक सुनवाई नहीं हो सकी थी. चार जुलाई को हुई पहली सुनवाई में अदालत ने विपक्षियों से जवाब दाखिल करने को कहा था. सोमवार को अदालत मुन्ना बजरंगी की इस अर्जी पर कोई अंतरिम आदेश या फिर निर्देश जारी कर सकती थी.
हर व्यक्ति चाहता है की उसके जीवन में हमेशा सुख शान्ति बनी रहे और वह अपने परिवार को सभी तरह की सुख सुविधाएं प्रदान कर सके जिसके लिए वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता है किन्तु कई लोगों के साथ ऐसा नहीं होता उनकी सारी कोशिशें नाकाम साबित होती है जिसके कारण वह हमेशा चिंतित रहता है. आज हम आपको ऐसे उपाय बताएँगे जिससे आपकी सभी चिंताओं का समाधान हो जाएगा और आप अपनी सभी इच्छाएं पूर्ण कर पायेंगे. 1. यदि आप बार-बार किसी कार्य में असफल हो रहे है तो प्रतिदिन नियमित रूप से गाय को रोटी जरूर खिलाएं इससे आपको आपके कार्य में सफलता मिलेगी. 2. यदि आप नियमित रूप से किसी बरगद के वृक्ष पर जल में कुमकुम डालकर चढ़ाते है तो इससे भी आपके सभी कार्य सिद्ध होते है लेकिन इस बात का ध्यान रखें की आपको प्रतिदिन नियमित रूप से जल चढ़ाना पड़ेगा. 3. चन्दन का तिलक प्रतिदिन अपने माथे पर लगाकर घर से बाहर निकलने से आपके साथ सभी शुभ होता है. 4. यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन मछलियों को आंटे की गोलियां बनाकर खिलाता है तो इससे उसके जीवन के सभी कार्य में सफलता मिलती है व पुण्य की प्राप्ति होती है. 5. यदि धन की समस्या से छुटकारा पाना है तो किसी पीलेव चमकीले कपड़े में शुद्ध कस्तूरी को बांधकर अपनी तिजोरी में रखने से आपको धन की समस्या से मुक्ति मिलेगी. 6. यदि कोई व्यकी प्रतिदिन काली चींटियों को नारियल व शक्कर का चूरा खिलाता है तो उसे उसके कार्य में सफलता मिलती है व नौकरी में पदौन्नती प्राप्त होती है.
Nokia X6 स्मार्टफोन में एक नौच डिजाईन के साथ 19:9 आस्पेक्ट रेश्यो वाली डिस्प्ले होने के आसार। HMD Global अपने Nokia X6 स्मार्टफोन को लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर चुका है, यह डिवाइस 16 मई को चीन में लॉन्च किया अज सकता है। हालाँकि हम आपको काफी समय से इस स्मार्टफोन के बारे में बताते जा रहे हैं, इस डिवाइस को लेकर इसके पहले भी कई और काफी जानकारी सामने आ चुकी है। हालाँकि इसके लॉन्च के काफी करीब इसे लेकर एक बार फिर से नई जानकारी सामने आई है। नई जानकारी ऐसा कह रही है कि इस डिवाइस को लेकर एक कॉन्टेस्ट किया जाने वाला है। इस कॉन्टेस्ट को जीतने वाले लोगों को एक नया नोकिया स्मार्टफोन दिया जाने वाला है। इस रिपोर्ट में ऐसा भी कहा गया है जो वेइबो के माध्यम से सामने आई है, इसमें ऐसा भी लिखा है कि टॉप तीन एंट्री Nokia X6 स्मार्टफोन के साथ कुछ अन्य बोनस प्राइज भी जीत सकते हैं। Nokia X6 डिवाइस में ड्यूल रियर कैमरा और फिंगरप्रिंट सेंसर भी है। इस डिवाइस को लेकर पहले आई जानकारी से यह भी सामने आया है कि इसे एक Notch डिजाईन के साथ लॉन्च किया जाने वाला है। इसे लेकर भी काफी जानकारी सामने आई है। अगर हम MyDrivers वेबसाइट की एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो आपको बता देते हैं कि इसके अनुसार, कंपनी अपनी X सीरीज के स्मार्टफोंस को लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर चुकी है, और कंपनी की ओर से 27 अप्रैल को एक नया डिवाइस Nokia X6 लॉन्च किया जा सकता है। अब आप यहाँ इस डिवाइस के बारे में जरुर सोच में पड़ गए होंगे लेकिन आपको बता देते हैं कि यह कुछ सालों पहले लॉन्च किये गए Nokia X6 स्मार्टफोन का अपग्रेड वर्जन नहीं है जिसे सिम्बियन पर लॉन्च किया गया था। इस डिवाइस को महज उस पुराने डिवाइस का नाम दिया गया है। इसके अलावा यह एक बिलकुल नया फ़ोन है, जो नए स्पेक्स और फीचर्स के साथ लॉन्च किया जाने वाला है। इस रिपोर्ट के अनुसार, इस फोन को दो अलग अलग वैरिएंट्स में लॉन्च किया जा सकता है, और इन दोनों में ही कंपनी की ओर से अलग अलग चिपसेट भी दिए जाने वाले हैं। अगर एक मॉडल की चर्चा करें तो यह स्नेपड्रैगन 636 पर लॉन्च किया जाएगा, इसके अलावा एक अन्य मॉडल को मीडियाटेक P60 के साथ लॉन्च किया जाने वाला है। इसके अलावा एक मॉडल में ड्यूल कैमरा सेटअप होगा, जो ज़िस लेंस के साथ आएगा। हालाँकि अन्य वैरिएंट में यही कैमरा होगा या नहीं इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। फोन में एक 5.8-इंच की 19:9 आस्पेक्ट रेश्यो वाली डिस्प्ले होने वाली है, साथ ही इसमें 4GB रैम के साथ 6GB रैम वैरिएंट में भी लॉन्च किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसा भी कहा जा रहा है कि यह फोन Nokia 6 और Nokia 7 के बीच कहीं ठहरने वाला है। इसके 4GB मॉडल की कीमत 255 डॉलर यानी लगभग Rs 16,974 और 6GB मॉडल की कीमत 285 डॉलर यानी लगभग Rs 18,971 होने के आसार हैं। हालाँकि अभी इस कीमत में इनके लॉन्च के समय कुछ बदलाव जरुर हो सकता है।
कैलाश पर्वत का रहस्य क्या है अब तक इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता, इस पोर्वत को स्वर्ग की सीढ़ी कहा जाता है, कहा जा रहा है, कैलाश पर्वत पर भगवान शिव वास करते हैं। हिंदुओं और बौद्धों के लिए कैलाश पर्वत मेरु पर्वत का भौतिक अवतार है। तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत पर अब तक कोई चढ़ाई नहीं कर पाया है। इसे लेकर कई सारी मान्यताओं के साथ कई रहस्य भी छुपे हुए हैं। सबसे पहले आपको बता दे कि, स्वर्ग की सीढ़ी कहने जाना वाला कैलाश पर्वत सबसे पेंचीदा पर्वत श्रृंखला है, यह तिब्बत पठार से 22,000 फीट की दूरी पर है, जिसे काफी हद तक दुर्गम माना जाता है। समुद्र तल से करीब 6,656 मीटर की ऊंचाई पर स्थि है। बैध्य और बिंदू धर्मग्रंथों के मान्यताओं के अनुसार, मेरु पर्वत के आसपास प्राचीन मठ और गुफाएं मौजूद हैं। इनमें पवित्र ऋषि अपने भौतिक और सूक्ष्म शरीर में निवास करते हैं। इन गुफाओं को केवल कुछ भाग्यशाली लोग ही देख सकते हैं। मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव अपनी पत्नी माता पार्वती और अपने प्रिय वाहन नंदी के साथ एक शाश्वत ध्यान में विराजमान रहते हैं। हर साल हजारों तीर्थयात्री पवित्र कैलाश पर्वत की तीर्थयात्रा के लिए तिब्बत में प्रवेश करते हैं, कुछ लोग इस क्षेत्र में आते हैं और बहुत कम लोह पवित्र शिखर की परिक्रमा समाप्त कर पाते हैं। जहां तक शिखर पर चढ़ने की बात है तो, कुछ पर्वतारोहियों ने ऐसा करने का प्रयास किया लेकन अब तक किसी को सफलता नहीं मिल सकी है। कैलाश पर्वत की चोटी तक सभी तरह से ट्रैकिंग करना हिंदुओं के बीच एक निषिद्ध कार्य माना जाता है। पर्वत की पवित्रता को भंग करने और वहां रहने वाले दैवीय ऊर्चा को परेशान करने के डर से ऐसा करना मना है। एक तिब्बती विद्या के अनुसार, मिलारेपा नाम के एक साधु ने एक बार मेरु पर्वत की चोटी तक पहुंचने के लिए काफी दूर तक कदम रखा था, जब वे पास लौटे, तो उन्होंने सभी को आगाह किया कि वे चोटी पर आराम करने वाले भगवान को परेशान करने से बचें। कैलाश पर्वत की शोभा दो खूबसूरत झीलें बढ़ाती हैं, मानसरोवर और राक्षस ताल। ये दोनों झीलें दुनिया की सबसे ऊंचा मीठे पानी वाली झील हैं। मानसरोवर का गहरा आध्यात्मिक महत्व है, इसके विपरीत राक्षस ताल भगवा शिव के प्रसन्न करने के लिए राक्षस राजा रावण द्वारा की गई गहन तपस्या से पैदा हुआ था। वहीं, इस परव्त से वापस लौटने के बाद कई पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के नाखून और बाल कुछ मिलीमीटर तक बढ़े हुए पाए गए, माना जाता है कि, इस प्राचीन शिखर की हवा उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करती है।
पाकिस्तान ने कोलंबो में दूसरे टी-20 अंतराष्ट्रीय मैच में एक विकेट से जीत हासिल कर श्रीलंका का सफल दौरा समाप्त किया. पाकिस्तान की इस जीत में शाहिद अफरीदी और अनवर अली का अहम योगदान रहा. श्रीलंका के दिए 172 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की शुरुआत अच्छी नहीं रही और उसने मात्र 40 रनों के स्कोर पर पांच विकेट गंवा दिए. जिसके बाद मोहम्मद रिजवान और कप्तान शाहिद अफरीदी ने 61 रनों की साझेदारी कर टीम के संकट से उबारा. लेकिन इस जीत का श्रेय जाता है पाकिस्तानी युवा तेज गेंदबाज अनवर अली को जिसने नवें नंबर पर उतरकर मात्र 17 गेंदों में 46 रन ठोंक डाले. ये अनवर की बल्लेबाजी का ही कमाल था कि पाकिस्तान ने मैच को श्रीलंका की मुट्ठी से निकालकर अपनी तरफ कर लिया. अनवर ने लगभग अकेले दम पर अपनी टीम को जीत के एकदम करीब पहुंचा दिया. हालांकि मलिंगा ने उन्हें आठवें विकेट के रूप में परेरा के हाथों लपकवा दिया लेकिन तब तक पाकिस्तान और जीत के बीच आठ गेंदों और 7 रनों का ही फासला रह गया था. जिसे पाक टीम ने आसानी से 4 गेंद शेष रहते ही हासिल कर लिया. इससे पहले श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवरों में सात विकेट के नुकसान पर 172 रन बनाए थे. श्रीलंका के लिए शेहान जयसूर्या और चमारा कपूगेदेरा ने 40 और 48 रनों की पारियां खेलीं. कपूगेदेरा ने मात्र 25 गेंदों का सामना करते हुए 4 छक्कों की मदद से शानदार 4 रन ठोंके. पाकिस्तान की तरफ से शोएब मलिक ने दो जबकि अनवर अली, सोहेल तनवीर, मोहम्मद इरफान, और शाहिद अफरीदी ने एक-एक विकेट लिया. मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाले अनवर अली को मैन ऑफ द मैच चुना गया. जबकि शोएब मलिक मैन ऑफ द सीरीज बने. इस मैच में 46 रनों की पारी खेलकर अनवर ने टी20 में नवें नंबर पर उतरने वाले बल्लेबाज के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया.
नही है - सगुनह प्रगुर्नाह नहि कछु भेदा, गावह मुनि पुरान बुध बेदा । अगुन, रूप, अलख ज जोई, भगत प्रेम बस सगुन सो होई ।। 'सब भाँति अलौकिक करनी और सर्वथा अनिर्वचनीय होते हुए भी वह भक्ति के तार से बँधा हुआ है । 'भगतहित' वह दशरथ सुत' बनता जेहि इमि गावह बेद बुध, जाहि धहि मुनि ध्यान । सोइ दसरयसुत भगत हित, कोसलपति भगवान ।। जगत् को तुलसी ने ब्रह्म का चिदचिद्विशिष्ट रूप माना है, अत 'सियाराममय' मान कर उसे प्ररणाम किया है - सियाराममय सब जग जानी। करहु प्ररणाम जोरि जुग पानी ॥ (घ) सामाजिक महत्त्व - तुलसी ने सामाजिक समन्वय की साधना मे एक आदर्श समाज की प्रतिष्ठा की है जिसमे समाज के भिन्न-भिन्न अपवर्ण और आश्रम की मर्यादा का पालन करते हुए लोकहित की सामान्य साधना मे रत रहते है । तुलसी की इस व्यवस्था को हम एक 'यथार्थ समाजवाद' का नाम दे सकते है, जिसमे साम्य का दम्भ नही है, अपितु समभाव की पृष्ठभूमि पर अपने-अपने सामाजिक दायित्व का पालन करते हुए लोकधर्म को सुदृढ करने की चेष्टा की गई है । तुलसी के 'रामराज्य' का भव्य चित्र देखिए - बयरु न कर काहू सन कोई । राम प्रताप विषमता खोई ।। बरनाश्रम निज निज धरम । निरत बेदपथ लोग ॥ चर्लाह सदा पार्वाह सुख । नहि भय सोग न रोग । सब नर कराह परस्पर प्रोति । चर्लाह स्वधर्म निरत श्रुतिरीती ॥ सब उदार सब पर उपकारी। वित्र चरन सेवक नर नारी ॥ समाहार - तुलसी निर्विवाद रूप से हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि है । उनकी रचनाएँ हिन्दी साहित्य के इतिहास मे एक स्वरिंगम परिच्छेद जोडती है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा अनेक रूपो मे विकसित हुई । वह
नई दिल्ली/टीम डिजीटल। जिले में बुधवार को तीन और नए कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई। इसमें से एक युवक दुबई से लौटकर जिले में पहुंचा है। युवक में कोविड संबंधी कोई लक्षण नहीं है। इसके अलावा दूसरा संक्रमित युवक भी रूडक़ी से जिले में आया। बुखार होने पर एक निजी लैब में जांच कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दोनों मरीज होम आइसोलेशन में है। इसके अलावा एक महिला संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि वसुंधरा निवासी 31 वर्षीय युवक एक निजी कंपनी के लिए काम करता है। युवक को 14 दिसंबर को दुबई से लौटकर आया था और अब उसे दुबई जाने था, इसके लिए एक निजी लैब से टेस्ट करवाया था और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। युवक को वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं और उसे कोई लक्षण भी नहीं है। इसके अलावा राजनगर एक्सटेंशन की चाम्र्स कैसल सोसाइटी में रहने वाले 37 वर्षीय युवक में कोरोना की पुष्टि हुई है। युवक दिल्ली में एक इंश्योरेंस कंपनी में करता है और उसे वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं। हाल ही में युवक रूडक़ी होकर लौटा है, जिसके बाद उसे बुखार, खांसी और स्मैल नहीं आने की शिकायत हो रही थी। इस पर युवक ने कोरोना जांच करवाई जो पॉजिटिव आई है। फिलहाल दोनों युवक को होम आइसोलेशन में रखा गया है। इसके अलावा मुरादनगर निवासी 55 वर्षीय महिला में कोरोना की पुष्टि हुई है। महिला को वैक्सीन की कोई डोज नहीं लगी है और बुखार और खांसी की शिकायत होने पर कोरोना जांच करवाई गई थी जो पॉजिटिव आई है। महिला को गणेश अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। संक्रमितों के जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भी सैंपल भेजा गया है। इसके अलावा मरीज के इलाकें में कैंप लगाकर टेस्टिंग की जा रही है। वहीं, दिसम्बर में अब तक 42 मरीज मिल चुके है। दो मरीजों ने कोरोना को मात देकर स्वस्थ हुए है। अब 24 मरीज जिले में सक्रिय है। 22 का होम आइसोलेशन व 2 का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
विश्व प्रसिद्ध संकिसा (फर्रुखाबाद) बौद्ध धर्मस्थल पर छह से ज्यादा असलहाधारी बदमाशों ने दो स्थानों पर जमकर उत्पात मचाया। बौद्ध पुस्तकालय के अध्यक्ष व पांच अनुयायियों को बंधक बनाकर पीटा। बौद्ध पुस्तकालय के अध्यक्ष व पांच अनुयायियों को बंधक बनाकर पीटा। नगदी व सामान लूट ले गए। पुस्तकालय परिसर से कुछ दूर भूटान बौद्ध बिहार सेंटर में चार कमरों के ताले तोड़ कर लुटेरे हजारों रुपये का सामान बटोर ले गए। हालांकि पुलिस ने लूट की तहरीर पर चोरी की रिपोर्ट दर्ज की है। उधर, घंटों बाद भी घटना की जानकारी न देने पर एसपी ने थानाध्यक्ष देवेंद्र कुमार को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने मौके पर फिगरप्रिंट टीम भेज कर जांच पड़ताल कराई। लूटे गए समाना की कीमत करीब डेढ़ लाख बताई गई है। फर्रुखाबाद जिले के मेरापुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत संकिसा पर्यटन व बौद्ध धर्मस्थल है। संकिसा स्तूप से कुछ दूर अर्जुनपुर तिराहे पर बौद्ध पुस्तकालय महासंता बौद्ध बिहार है। यहां पर्यटक और बौद्ध भिक्षु रुकते हैं। बौद्ध अनुयायी चेतसिक पुस्तकालय के अध्यक्ष हैं। रविवार रात चेतसिक के अलावा भंते शीलभद्र, उपासक सोवरन सिंह, संजीव, राहुलप्रिय पुस्तकालय में थे। रात करीब 11 बजे सभी लोग अपने कमरे में सो रहे थे। इस बीच सशस्त्र बदमाश पुस्तकालय परिसर में घुस गए। परिसर में मौजूद कुत्ते के भौंकने पर सभी लोग जाग गए। बाहर निकाल कर देखा तो बदमाश कुत्ते को मार रहे थे। चेतसिक व अनुयायियों के विरोध करने पर बदमाश तमंचे से डरा धमका कर उन लोगों को कमरे में ले गए। सभी के हाथपैर बांध कर पीटने लगे। बदमाशों ने 40 हजार रुपये नगदी, पांच मोबाइल, और बाइक लूट कर भाग गए। किसी प्रकार बौद्ध अनुयायियों ने अपने हाथपैर को खोले और पुलिस को सूचना दी। उधर, पुस्तकालय से कुछ दूर बदमाश दीवार फांद कर भूटान बौद्ध बिहार परिसर में घुस गए। भंते जिगमय के कमरे का ताला तोड़ कर एलईडी टीवी, गैस सिलिंडर, पूजा के बर्तन लूट ले गए। फ्रिज और इर्न्वटर बाउंड्रीवाल के पास छोड़ कर भाग गए। भंते जिगमय इस समय नेपाल में हैं। चौकीदार मनोज कुमार ने उन्हें घटना की जानकारी दी। थाना प्रभारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है। जल्द ही खुलासा किया जाएगा। पुस्तकालय अध्यक्ष ने पुलिस पर तहरीर बदलने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस ने जानबूझकर घटना को लूट की बजाय चोरी में दर्ज कर लिया। उधर, बौद्ध के पवित्र तीर्थ स्थल पर लूटपाट की घटनाओं के बारे में एसपी को सोमवार दोपहर 1. 30 बजे तक जानकारी नहीं दी गई। उन्हें दोपहर प्रेसवार्ता में पत्रकारों से घटना के बारे में पता चला।
रावजी के तीसरे भाई अज ने ओखामंडल ( शंखोद्धार-द्वारका के निकट ) के स्वामी चावड़ा भोजराजं को मारकर वहाँ पर अधिकार कर लिया । अज ने स्वयं अपने हाथ से वहाँ के राजा का मस्तक काटा था, इसलिये उसके वंश के लोग वाढेलं राठोड़ के नाम से प्रसिद्ध हुए । वि० सं० १३४७ ( ई० सन् १२९० ) में जलालुद्दीन (ख़िलजी) ने शम्सुद्दीन को मार डाला और खुद फीरोजशाह द्वितीय के नाम से दिल्ली के तख़्त पर बैठा । इसी के अगले वर्ष उसकी फ़ौज ने पाली पर चढ़ाई की । जैसे ही यह सूचना आसानजी को मिली, वैसे ही यह खेड़ से रवाना होकर पाली आ पहुँचे, और वहीं पर शाही सेना से युद्ध कर १४० राजपूत वीरों के साथ वीर गति को प्राप्त हुए । यह घटना वि० सं० १३४८ की वैशास्त्र सुदी १५ (३० सन् १२६१ की १५ एप्रिल ) की है । के पुत्रं थे । से प्रकट होता है कि उक्त स्थान के पास जो हस्तिकुंडी ( हथूडी ) नामक नगरी थी, वहाँ पर तो विक्रम की दसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से ही राष्ट्रकूटों की एक शाखा का राज्य था । इसी तरह सीहाजी के मारवाड़ में आने के पूर्व यहां पर ( मारवाड़ में ) राठोड़ों की और भी कुछ शाखाएँ विद्यमान थीं। यह बात वि० सं० १२१३ के लेख से प्रकट होती है ( यह लेख जोधपुर के अजायबघर में रक्खा है ) । १. 'गुजरात राजस्थान में यही नाम है। परंतु कर्नल टॉड ने उसका नाम भीकमसी लिखा है ( ऐनाल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज़ ऑफ राजस्थान, भा० २, पृ० ६४३ ) " २. इस शाखा के राठोड़ इस समय भी वहाँ पर पाए जाते हैं । ३. किसी-किसी तवारीख में इस घटना का समय वि० सं० १०२४५ ( ई० सन् १२८५) भी लिखा मिलता है । ४. परंतु यदि यह श्रावणादि संवत् हो, तो इसमें एक वर्ष का अंतर आवेगा । इसके अनुसार वि० सं० १३४६ का वैशाख सुदी १५ ( ई० सन् १२६२ की २ मई ) को इस घटना का होना मानना होगा । वि० सं० १३५१ ( ई० सन् १२६३ ) का फीरोजशाह द्वितीय के समय का एक खंडित शिलालेख उसकी बनवाई मंडीर में की मसजिद में अब तक विद्यमान है। ५. किसी किसी ख्यात में इनके पुत्र में मूपा और गुडाल इन दो के नाम और भी मिलते हैं। कर्नल टॉड ने आसथानजी के पुत्रों के नाम इस प्रकार लिखे है - १ धूहड़, २ जोपसी, ३०खीपसा, ४ भोपैस्, ५ घाँधल, ६ जेठमल, ७ बांदर और ऊहड ( ऐनाल्स ऐंड ऐंटिविटीज़ ऑफ राजस्थान, मा० २, ४० ६४३ ) । राव आसथानजी १ धूहड़, २ धाँधल, ३ चाचक, ४ आसल, ५ हरडक ( हरखा), ६ खींपसा, ७ पोहड और ८ जोपसा । १. धाँधल ने कोलू के चौहानों को हराकर वहाँ पर अधिकार कर लिया था। इसी के छोट पुत्र का नाम पाबू था । यह बड़ा वीर और दृढ़- प्रतिज्ञ था। एक बार जायल (नागोर प्रांत) के स्वामी खांची जींदराव ने ऊदा चारण से उसकी एक घोड़ी माँगी। परंतु उसने वह घोड़ी उसे न देकर पाबू को देदी । इससे जींदराव मन-ही-मन कुढ़ गया । इसके बाद जिस समय पात्र ऊमरकोट के सोढा परमारों के यहाँ विवाह करने को गया, उस समय जींदराव ने अपने पुराने अपमान का बदला लेने के लिये ऊदा की गाएं छीन लीं । यह देख ऊदा की स्त्री देवल पावू के पास सहायता माँगन पहुँची । यद्यपि उस समय वह विवाह मंडप में था, तथापि देवल की प्रार्थना सुन तत्काल गायों को छुड़वाने के लिये चल दिया। मार्ग में उसने अपने बड़े भाई बूडा को भी साथ ले लिया । युद्ध होने पर ये दोनों भाई मारे गए । ख्यातों में इस घटना का समय वि० सं० १३२२ लिखा है, परंतु यह संदिग्ध है । अंत में बूडा के पुत्र भरड़ा ने ( जो इस घटना के समय मातृ-गर्भ में था, बड़े होने पर ) जींदराव को मारकर अपने पिता और चाचा के वर का प्रतिशोध किया । मारवाड़ के लोग विवाह मंडप में उठकर गो और शरणागत-रक्षा के निमित्त प्रागा देने के कारगा पाबू की और पितृ-भक्ति तथा साहस के कारण भरड़ा की अब तक पूजा करते हैं । कोनू (फलोदी- प्रांत ) के पाबू के मंदिर में के पढ़े गए लेखों में सबसे पुराना लेख वि० सं० १४१५ का है। उसमें धाँधल सोभ के पुत्र सोहड़ द्वारा पाबू का मंदिर बनवाने का उल्लेख है । ३. राव धूहड़जी यह राव आसथानजी के बड़े पुत्र थे, और उनके युद्ध में मारे जाने पर उनके उत्तराधिकारी हुऐ । इन्होंने अपनी वीरता से अपने पैतृक राज्य की और भी वृद्धि की, और आस-पास के १४० गांवों पर विजय प्राप्त कर उन्हें अपने राज्य में मिला लियो । १. इनका राज्याभिषेक वि० सं० १३४८८ या १३४६ ( ई० सन् १२६१ या १२६२) के ज्येष्ठ में हुआ होगा। २. पहले लिखा जा चुका है कि ख्यातों के अनुसार सीहाजी की मृत्यु के समय उनके गढ़ गोयंदाने ( कन्नौज के पास ) के राज्य पर उनकी बड़ी गनी के पुत्रों ने अधिकार कर लिया था; इससे आमथानजी को पाली ( मारवाड़ ) की तरफ लौट आना पड़ा। इसी का बदला लेने के लिये राव धूहड़जी ने गढ़ गोयंदाने पर चढ़ाई की । यद्यपि वहांवालों को मुसलमानों की मदद मिल जाने से धूहड़जी मफल न हो सकें, तथापि लौटने समय यह कर्नाट से अपनी कुलदेवी चक्रेश्वरी की मूर्ति ले आए, और उसे नागाना नामक गांव में एक नीम के वृक्ष के नीचे स्थापित कर दिया। इसी में इनके वंशज ( राठोड़ ) नीम को पवित्र मानने लगे । यह भी प्रसिद्ध है कि नागाना गांव के संबंध के कारण ही उम देवी का नाम नागनेची हुआ। कर्नल टॉड ने भी धूहड़जी की कन्नौज पर की इस चढ़ाई का उल्लेख किया है ( ऐनाल्स ऐंड ऐंटिकिटीज़ ऑफ राजस्थान, भा० २, ०६४६) । परंतु यह कथा कल्पित ही प्रतीत होती है । किसी-किसी ख्यात में इस मूर्ति का कल्याणी ( कोंकन - दक्षिण में ) से लाया जाना भी लिखा है । साथ ही उक्त देवी (नागनेची ) के नाम के पीछे दक्षिण में प्रयुक्त होनेवाला 'नी' प्रत्यय लगा होने से भी इस मत की पुष्टि होती है। परंतु ऐतिहासिक इस कल्याणी से कन्नौज के कल्याणा कटक (बांबे गजेटियर भा० १, खंड १, १० १५०) का तात्पर्य ही लेते हैं क्योंकि पष्ठी विभक्ति का बोधक यह 'ची' या 'चा' प्रत्यय राजस्थानी भाषा में भी प्रयुक्त होता आया है. जैसेःथानजी के वंशजों ( राठोड़ों ) का खेड़ेचा के (१) खंड़ के संबंध से राव नाम से प्रसिद्ध होना । "हे जगत जननी, पुत्र तुमचो, मेरु मज्जन वर करी; उच्छंग तुमचे बलिय थापिस आतमा पुण्ये भरी ।" ( जिन पूजा-पद्धति) इस देवी के पुजारी भी राठोड़ ही हैं, जो नमानचिया राठोड़ कहाते हैं । किसी-किसी ख्यात में लिखा मिलता है कि जयचंदजी ने जब चित्तौड़ विजय किया था, तब वहाँ पर भी अपनी कुलदेवी ( नागनेची ) का मंदिर बनवाया था ।
नेपाली में एक गीत का बोल है- 'उडायो सपना सबै हुरीले' । अर्थात् सारे सपने हवा उडÞा कर ले गई । कुछ ऐसा ही महसूस कर रहें है हमारे नेतागण । प्रसंग है- पिछले महीने सर्वोच्च अदालत द्वारा किया गया एक फैसला । संविधानसभा में २६ सभासद् मनोनयन सम्बन्धी व्यवस्था को लेकर सर्वोच्च द्वारा किया गया उक्त फैसले ने बहुत सारे नेताओ को सभासद् बनने का सपना चकनाचूर कर दिया । प्रत्यक्ष तथा समानुपातिक दोनों प्रक्रिया से सभासद् बनने में असफल रहे कुछ चर्चित नेतागण पार्टर्ीीे कोटा से मनोनित होना चाहते थे । अर्थात् पिछले दरवाजे से घुसना चाहते थे । पहली संविधानसभा में भी ऐसा ही हुआ था । राष्ट्रीय व्यक्तित्व के लिए निर्धारित इस कोटे में चुनाव में पराजित पार्टर्ीीे नेता, कार्यकर्ता, प्रमुख नेताओं की प्रेमी-प्रेमिका तथा नातेदारों को अब तक अवसर प्राप्त हो रहा था । लेकिन सर्वोच्च अदालत ने गत वैशाख २९ गते जो फैसला किया, इसके चलते अब राजनीतिक दल ऐसा नहीं कर पाएंगे । लेकिन दर्ुभाग्य की बात तो यह है कि सर्वोच्च के उक्त फैसला के विरुद्ध राजनीतिक दलों ने सरकार की तरफ से पुनरावलोकन रिट दर्ता कराया है । पुनरावेदन में कहा गया है कि उक्त फैसला सर्वोच्च के क्षेत्राधिकार बाहर से आया है । किसी भी क्षेत्र से राष्ट्र को महत्वपर्ूण्ा योगदान प्रदान करने वाले विशिष्ट व्यक्ति, नयाँ संविधान निर्माण के लिए महत्वपर्ूण्ा हो सकते हैं । इसी बात को मद्देनजर करते हुए संविधानविदों ने इस प्रावधान को संविधान में ही व्यवस्थित कर दिया था । अन्तरिम संविधान की धारा ६३ की उपधारा ३ -ग) की भावना है कि राष्ट्रीय जीवन में महत्वपर्ूण्ा योगदान देने वाले विशिष्ट व्यक्ति, प्रत्यक्ष तथा समानुपातिक निर्वाचन से बञ्चित आदिवासी, जनजाति तथा कोई वर्ग विशेष समुदाय में से सहमति के आधार में मन्त्रिपरिषद द्वारा २६ व्यक्ति का मनोनयन होना चाहिए । लेकिन इस व्यवस्था का फायदा उठाते हुए राजनीतिक दलों ने आपस में मिल कर २६ सीट का भी बंटवारा किया गया था । जिसके कारण उन लागों के प्रति जनआक्रोश बढÞते जा रहा था । राजनीतिक दलों के बीच सहमति भी हो चुकी थी कि राष्ट्रीय व्यक्तित्व के लिए सुरक्षित उक्त २६ सीट में से नेपाली कांग्रेस को ९, एमाले को ८, एमाओवादी को ४ और बाँकी अन्य छोटे दलों के लिए ५ सीट रखी गई । इस योजना को असफल बनाने में स्वयं राजनीतिक दल ही जिम्मेवार हैं । अन्तरिम संविधान, २०६३ की भावना अनुसार निर्वाचन सम्पन्न होने के बाद होने वाली पहली व्यवस्थापिका संसद बैठक से पहले ही २६ सभासदों का मनोनयन हो जाना चाहिए था । लेकिन राजनीतिक दलों के भीतर ही इस बारे में सहमति नहीं हो सकने के कारण मनोनयन में अनावश्यक विलम्ब हुआ । जिस की मार में स्वयं राजनीतिक दल तथा उन के नेतागण पडÞे हैं । सर्वोच्च अदालत द्वारा हुए फैसले के बाद नेतागण द्वारा हर्ुइ र्सार्वजनिक अभिव्यक्ति इस बात को पुष्टि करती है । अभी बहुत सारे नेतागण बता रहे हंै कि प्रधानमन्त्री सुस्त होने के कारण तथा सरकार द्वारा प्रभावकारी कार्य सम्पादन नहीं हो पाने के कारण वे लोग सभासद् नहीं बन पाए हैं । ऐसे नेतागण प्रधानमन्त्री सुशील कोइराला तथा अपने पार्टर्ीीध्यक्ष को भला-बुरा कह रहे हैं । इस तरह पीडिÞत होने वालों में नेपाली कांग्रेस से दीपकुमार उपाध्याय, आमोदप्रसाद उपाध्याय, सुरेन्द्रराज पाण्डे, डिला संग्रौला, हरिहर विरही, दिलेन्द्रप्रसाद बडू लगायत के नेतागण हैं । यह सभी नेता कांग्रेस को प्राप्त ९ सीटों में से संविधानसभा में प्रवेश करना चाहते थे । अभी उन लागों का कहना है- प्रधानमन्त्री की ढिलाई और सुस्ती के कारण ही प्राप्त अवसर गुम गया है । इसी तरह नेकपा एमाले से पार्टर्ीीहासचिवर् इश्वर पोखरेल प्रदीप नेपाल, मुकुन्द न्यौपाने आदि नेता भी इस मार में पडÞे हैं । इसी तरह एमाओवादी से नारायणकाजी श्रेष्ठ, पोष्टबहादुर बोगटी और वर्षान पुन आदि नेतागण भी पार्टर्ीीो प्राप्त ४ सीटों में से सभासद् बनना चाहते थे । इस के लिए पार्टर्ीीेडक्वाटर के साथ वे सभी सर्म्पर्क में थे । २६ सीटों में से मधेशी दल के लिए दो सीट सुरक्षित था । उस में महन्थ ठाकुर का सभासद् बनना लगभग निश्चित था । इसी तरह राजेन्द्र महतो, हृदयेश त्रिपाठी आदि नेतागण भी उसी कोटे में से संविधानसभा में पहुँचने का सपना संजोए हुए थे । सर्वोच्च अदालत के फैसले ने इनके सपनों को चकनाचूर कर दिया है । ऐसे ही पीडिÞत में से दूसरे नेता हंै- राष्ट्रीय प्रजातन्त्र पार्टर्ीीे पशुपति शमशेर राणा । वह भी कुछ छोटे दलों को प्राप्त सीटों में से संविधानसभा सदस्य बनना चाहते थे । इस के लिए राणा ने प्रधानमन्त्री सुशील कोइराला तथा अन्य छोटे दलों के साथ बातचीत भी कर ली थी । सर्वोच्च के उक्त फैसले के बाद समाचार आने लगा है कि राजनीतिक दल में आवद्ध न रहने वाले लेकिन नेताओं की चमचागिरी करने वाले कुछ व्यक्ति पैसा लेकर सभासद पद के लिए दौडÞ रहे हैं । बताया जा रहा है कि इस तरह विभिन्न शक्तिशाली नेताओं का दरवाजा खटखटाने वालों में बहुत लोग अपने को नागरिक समाज के अग्रणी, कलाकार, पत्रकार, वकील तथा व्यवसायी बताते हैं । दूसरी तरफ सर्वोच्च के फैसले से आक्रोशित नेतागण ने सरकार की तरफ से उक्त फैसले को बदर करवाने के लिए मुद्दा के पुनरावलोकन की मांग करते हुए सर्वोच्च में रिट दायर किया है । यदि सर्वोच्च द्वारा पुनरावलोकन के क्रम में पहले के फैसले में कुछ फेरबदल हुआ तो राजनीतिक दलों की चाँद ही चाँदी है ! इस तरह राजनीतिक दलों द्वारा योग्यता और दक्षताविहीन अपने खास लोगों को संविधानसभा में पहुँचाना बेहद शर्मनाक बात है । भगवान करें ऐसा न हो ! समय-समय में सर्वोच्च द्वारा तत्कालीन समय और सर्न्दर्भ के लिए ऐतिहासिक फैसला किया जाता है । संविधानसभा के लिए २०७१ वैशाख २९ का फैसला भी ऐसा ही ऐतिहासिक था । राजनीतिक दलों को अंकुश में रखने वाला यह फैसला जनभावना के अनुकूल ही है । लेकिन इस तरह के फैसले सर्वोच्च द्वारा ऐसे ही नहीं लिए जाते । इस की पृष्ठभूमि में बहुत सारे लोगों की भूमिका रहती है । वैशाख २९ गते हुए फैसले की पृष्ठभूमि में भी इस तरह के कुछ व्यक्तियों का हाथ है, लेकिन उनकी खास चर्चा मीडिया ने नहीं की । सामान्यतः सर्वोच्च के इस तरह के ऐतिहासिक फैसले का समाचार र्सार्वजनिक होते समय पृष्ठभूमि में रहने वाले व्यक्तियों की भी कुछ न कुछ चर्चा होती है । वैशाख ३० गते फैसला सम्बन्धी समाचार को सभी सञ्चार माध्यमों ने प्रमुख समाचार के रूप में प्राथमिकता दी थी । लेकिन जानकारों का मानना है कि २९ गते सर्वोच्च द्वारा जो फैसला हुआ था, उस फैसले के लिए सर्वोच्च को मजबूर करने वाले व्यक्ति के बारे में खास चर्चा नहीं हो सकी । ऐसे मुख्य पात्र हैं- विश्वेन्द्र पासवान, रामहरि श्रेष्ठ, दीपेन्द्र झा, सुरेन्द्र महतो, चन्द्रकान्त ज्ञवाली और पंकज कर्ण्र्ाा हाँ, २६ सभासद् मनोनित करते वक्त राजनीतिक बंटवारा नहीं होना चाहिए, कह कर सर्वोच्च ने जनपक्षीय जो फैसला किया है, उसके पीछे इन्हीं लोगों की प्रमुख भूमिका रही थी । आदिवासियों का मानवअधिकार सम्बन्धी वकील समूह की तरफ से रामहरि श्रेष्ठ और दलित जनजाति पार्टर्ीीे सभासद विश्वेन्द्र पासवान ने '२६ मनोनीति कोटे में राजनीतिक बंटवारा नहीं हो, अन्तरिम संविधान की व्यवस्था अनुसार गैर राजनीतिक व्यक्तियों को मनोनीत किया जाए और इसके लिए सर्वोच्च द्वारा निर्देशनात्मक आदेश की आवश्यकता है', कहते हुए अलग-अलग रीट दायर किया था । रीट में कहा गया था कि राष्ट्रीय जीवन में महत्वपर्ूण्ा योगदान करने वाले तथा संविधानसभा में नहीं पहुँच पाए दलित/जनजाति में से २६ सभासद मनोनयन हों, संविधान की ऐसी भावना है । रीट निवेदन में पहली संविधानसभा गतिविधि का उल्लेख करते हुए कहा गया था कि इस बार भी पहले की तरह ही निर्वाचन में पराजित उम्मीदवार, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता मनोनित होने की सम्भावना बढÞती जा रही है, इसको रोकना चाहिए । उक्त रीट निवेदन की भावना अनुसार अधिवक्ता दीपेन्द्र झा, सुरेन्द्र महतो, चन्द्रकान्त ज्ञवाली और पंकज कर्ण्र्ााे बहस किया था । फैसले के अन्तिम दिन दीपेन्द्र झा ने रीट निवेदक की तरफ से बहस किया था । अधिवक्ता झा की बहस सुनने के बाद ही सर्वोच्च ने शाम ७ बजे अपना फैसला सुनाया था । अधिवक्ता झा ने भारतीय संविधान की धारा ८० -३) का उल्लेख करते हुए भारतीय अदालत द्वारा सचिन तेन्दुलकर सम्बन्धी ऐसी ही प्रकृति के मुद्दे के सम्बन्ध में किए गए फैसले को अपने दलील के रूप में पेश किया था । 'राष्ट्रीय व्यक्तित्व वह है, जो अपने निजी, व्यावसायिक और सांगठनिक पहचान और एजेण्डा से अलग रह कर राष्ट्र के लिए योगदान दे सकता है । सिर्फवही व्यक्ति सभासद के हकदार हैं, राजनीतिक व्यक्ति नहीं' अधिवक्ता झा ने अपनी बहस के क्रम में बताया था । उनका मानना था कि ऐसे व्यक्ति साहित्य, कला, विज्ञान, कानून, न्याय किसी भी क्षेत्र के हो सकते हंै । लेकिन किसी दलीय प्रतिस्पर्धा और चुनाव में जाना नहीं चाहते हैं । इस सर्न्दर्भ में अधिवक्ता झा ने कांग्रेस नेता गगन थापा को राष्ट्रीय व्यक्तित्व के रूप चित्रण करते हुए कहा था- 'गगन थापा राष्ट्रीय व्यक्तित्व होते हुए भी राजनीतिक होने के कारण २६ सभासदों के कोटे में नहीं आ सकते हैं । सर्वोच्च ने झा के तर्क और भावना को सदर करते हुए फैसला किया है । फैसले में र्सवाेच्च अदालत ने कहा है कि संविधानसभा में २६ सभासद मनोनयन करते वक्त पहले कीे तरह दलगत बंटवारा नहीं होना चाहिए । यह भी कहा गया है कि चुनाव में पराजित तथा समानुपातिक सूची में रह कर प्रतिस्पर्धा करने वालों को भी इस कोटे में नहीं रखा जाए । सर्वोच्च ने आगे कहा है- राष्ट्रीय जीवन में महत्वपर्ूण्ा योगदान करने वाले और प्रत्यक्ष तथा समानुपातिक मार्फ संविधानसभा में प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रहे आदिवासी तथा जनजाति समुदाय को भी इस कोटे में जगह मिलनी चाहिए । सर्वोच्च के न्यायाधीश रामकुमारप्रसाद शाह और कल्याण श्रेष्ठ के संयुक्त इजलास ने ऐसा फैसला किया है ।
नई दिल्ली, । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर अपनी मां सोनिया गांधी से लाड करते नजर आते हैं। सोनिया और राहुल गांधी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी होते रहते हैं। कांग्रेस स्थापना दिवस के मौके पर राहुल और सोनिया का एक प्यारा सा वीडियो सामने आया है। वीडियो में राहुल अपनी मां के गाल पकड़ते नजर आ रहे हैं। बता दें कि आज कांग्रेस का स्थापना दिवस है। इस मौके पर दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी इसमें शामिल हुए थे। स्थापना दिवस पर राहुल, सोनिया के गाल पकड़ते नजर आए। दरअसल, सोनिया और राहुल गांधी आस-पास ही बैठे थे। इस दौरान कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी दोनों से बात कर रही थीं। राहुल गांधी इस दौरान हल्के मूड में दिखाई दिए। राहुल ने सोनिया का गाल पकड़ा और हंसने लगे। सोनिया ने फिर राहुल गांधी का हाथ झटका और कुछ कहती नजर आईं। मां-बेटे के इस प्यारे से वीडियो को आप भी देख सकते हैं। बता दें कि आज कांग्रेस का 138वां स्थापना दिवस है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यालय पहुंचकर झंडा फहराया। इस दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
नेकपा मसाल के अध्यक्ष मोहन विक्रम सिंह बिमार हो कर अस्पताल में भर्ना हुए हैं । प्रधानमन्त्री पुष्पकमल दाहाल 'प्रचण्ड' ने सिंह को आइतबार भेंट कर स्वास्थ्य बारे जानकारी ली हैं । ८१ वर्षीय सिंह के छाती में पानी होने कि तथा सुगर लगायत के समस्या से पीडित रहा हैं । कम्युनिष्ट आन्दोलन के अग्रज नेता सिंह विगत ४ दिन से टोखा स्थित ग्राण्डी अस्पताल में उपचार हो रहे है । आइतबार शुवह अस्पताल पहुँच कर प्रधानमन्त्री प्रचण्ड ने सिंह को भेंट किया हैं । प्रचण्ड ने सिंह को उपचार मे सरकार द्वारा आवश्यक सहयोग करने की जानकारी प्रधानमन्त्री के सचिवालय दी है । उपचार के बाद सिंह को स्वास्थ्य में अच्छे सुधार आने की सामाचार बाहर आए हैं ।
यूपी में भयावह सड़क दुर्घटना हुआ है। घटना उन्नाव की है जहां लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर ये घटना हुई। आगरा से वापस लौट रही कार के अगला पहिया का टायर फट गया और कार अनियंत्रित होकर दूसरी लेन पर जा रही कार से टकराकर दो बार पलट गई। इससे कार सवार आठ लोग दब गए और चीख पुकार मच गई। राहगीरों ने रेस्क्यू करने के साथ ही पुलिस को सूचना दी। रेस्क्यू करने पहुंची टीम ने कार सवार 8 लोगों को बाहर निकाला और क्रेन की सहायता से एक्सप्रेस वे से मलवा हटवाया। इस हादसे में दंपति और उसकी पुत्री की मौके पर ही मृत्यु हो गई जबकि दो अन्य संबंधियों की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। हादसे में तीन लोग गंभीर घायल हुए हैं, जिन्हें लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है। मुख्यमंत्री योगी ने हादसे पर दुःख जताते हुए डीएम और SP को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दरअसल बाराबंकी जनपद के चित्रगुप्त नगर के रहने वाले दिनेश गुप्ता अपनी पत्नी अनिता सिंह, 7 वर्ष की पुत्री गौरी और बहराइच जनपद के मुस्तफाबाद निवासी संबंध की सास कांति सिंह और साली प्रीति सिंह समेत 8 संबंधियों के साथ अपनी अर्टिगा कार से शुक्रवार की दोपहर करीब 3 बजे आगरा से ताजमहल देखकर वापस लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे के रास्ते बाराबंकी वापस लौट रहे थे। इसी दौरान औरास थाना क्षेत्र के किलोमीटर 238 के पास ये दुर्घटना हुआ। उनकी कार का अगले पहिया का टायर फट गया और कार अनियंत्रित होकर दूसरी लेन पर सामने से आ रही एक दूसरी कार से टकराकर दो बार पलट गई जिससे कार सवार 8 लोग दब गए और चीख पुकार मच गई। हादसे के बाद करीब एक घंटे तक एक्सप्रेस वे पर जाम के हालात बने रहे। हादसे में दंपति और उसकी पुत्री की मौके पर ही मृत्यु हो गई वही दो संबंधियों की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। भयावह हादसे में 5 लोगों की मृत्यु से परिवार में कोहराम मच गया। पुलिस ने गाड़ी नंबर के आधार पर पहचान कर मृतक के परिवार के परिजनों को सूचना दी और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। हादसे में तीन लोग गंभीर घायल हुए हैं, जिन्हें लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है। सीएम योगी ने हादसे पर दुःख जताते हुए डीएम और SP को मौके पर जाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। डीएम अपूर्वा दुबे और SP सिद्धार्थ शंकर मीना ने घायलों को बेहतर इलाज व्यवस्था कराया।
कोरोना संक्रमितों के लिये बड़ी खुशखबरी, इस एंटीवायरल दवा के दाम घटे? जेलाें में बंद बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग उठी? नेपाल की विवादास्पद टिप्पणी कहा, भारत की अयोध्या असली नहीं. . ? सर्वाधिक कोरोना संक्रमण मामले मे ये हैं देश के टाप टेन राज्य? देखिये राज्यवार स्थिति? देश मे कोरोना मामले नौ लाख के पार, फिर संपूर्ण लॉकडाउन या जनता कर्फ्यू शुरू?
गौरतलब है कि इसी साल 18 मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के ह्त्या में शामिल, सजा काट रहे दोषी एजी पेरारीवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. रिहाई का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के विशेषाधिकार के तहत दिया है. इस मामले में दायर याचिका राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच लंबित रहने पर शीर्ष अदालत ने यह बड़ा कदम उठाया है. एजी पेरारीवलन की रिहाई की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर ली है और कहा कि, राज्य कैबिनेट का फैसला राज्यपाल पर बाध्यकारी है. सभी दोषियों की रिहाई का रास्ता खुला हुआ है. गौरतलब है कि पेरारीवलन ने रिहाई के लिए याचिका डालकर कहा था कि वो 31 साल से जेल में बंद है, उसे रिहा किया जाना चाहिए. 2008 में तमिलनाडु कैबिनेट ने उसे रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, तभी से उसकी रिहाई का मामला लंबित था. As an independent media platform, we do not take advertisements from governments and corporate houses. It is you, our readers, who have supported us on our journey to do honest and unbiased journalism. Please contribute, so that we can continue to do the same in future.
चेतावनी दी। उन्होंने सदन के सदस्यों से असंसदीय मानदंडों से दूर रहने की अपील की। गुरुवार को भी सभापति ने चिंता व्यक्त की कि कार्यवाही में निरंतर व्यवधान के कारण सदन के लगभग 90 सदस्यों को उनके नोटिस स्वीकार किए जाने के बाद भी सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उठाने के अवसरों से वंचित कर दिया गया है। गुरुवार को विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी की। नारेबाजी के दौरान सदन में सीटी की आवाज आने के बाद उपसभापति हरिवंश ने चेतावनी दी कि वह सदस्य का नाम लेंगे। विपक्षी सांसद मानसून सत्र के पहले दिन से ही पेगासस परियोजना, कृषि कानून, ईंधन वृद्धि और महंगाई को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
देश की पहली महिला जासूस को देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अवॉर्ड देकर सम्मानित कर चुके हैं. First Lady Spy: ज्यादातर लोग एमआई-6 के एजेंज जेम्स बॉन्ड या प्राइवेट डिटेक्टिव शरलॉक होम्स की फिल्में देखकर रोमांचित हो जाते होंगे. देश की बड़ी आबादी व्योमकेश बख्शी के कारनामे टीवी पर देखते हुए बड़ी हुई है. बड़ी तादाद में लोग इन सभी जासूसों के तेज दिमाग और ट्रिक्स के मुरीद हुए होंगे. आज हम आपको बता रहे हैं भारत की पहली महिला जासूस के तौर पर पहचानी जाने वाली रजनी पंडत के बारे में. उनकी कहानी इन सब कल्पना से गढ़े गए किरदारों से काफी अलग है. मुंबई की रहने वाली रजनी पंडित अब तक 75 हजार से ज्यादा केस सुलझा चुकी हैं. उन्हें अपने तेज दिमाग से उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाते हुए 35 साल से ज्यादा हो चुके हैं. सीआईडी अधिकारी की बेटी रजनी पंडित के मुताबिक, वह बचपन में जासूस नहीं बनना चाहती थीं. उन्होंने मुंबई में मराठी साहित्य में पढ़ाई की है. जब वह कॉलेज में ही थीं, तभी उनकी एक दोस्त गलत संगत में पड़ गई थी. उनकी दोस्त ने सिगरेट और शराब पीना शुरू कर दिया था. यही नहीं, वह कुछ गलत लड़कों के साथ ज्यादा समय बिता रही थी. उन्होंने उस दोस्त से तोहफा भेजने की बात कहकर उसके ऑफिस का पता मांग लिया. इसके बाद उसके ऑफिस पहुंच गईं. इसके बाद उसके घर का पता निकाल लिया. फिर उसके घर पहुंचकर सबकुछ बता दिया. जब उसके घर वाले नहीं माने तो उन्हें सबकुछ दिखा दिया. इस पर उसके पिता ने कहा कि आप तो जासूस हो. बस यहीं से तय हो गया कि उन्हें भविष्य में क्या करना है. रजनी पंडित एक बार खुद भी मुश्किल में फंस गई थीं. दरअसल, उन्हें और उनके कुछ साथी जासूसों को ठाणे पुलिस ने गलत ढंग से कॉल डिटेल रिकॉर्ड हासिल करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. रजनी पर पांच क्लाइंट के लिए सीडीआर हासिल करने और बेचने का आरोप लगाया गया था. ठाणे पुलिस ने जासूस समरेश झा को गिरफ्तार करने के बाद रजनी को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया. दरअसल, समरेश ने पुलिस को बताया था कि वह रजनी के कहने पर ही सीडीआर हासिल कर मोटा पैसा बना लेता था. इसमें कुछ लोगों को नवी मुंबई से भी पकड़ा गया था. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रजनी पंडित को 'फर्स्ट लेडी डिटेक्टिव' अवॉर्ड से सम्मानित किया था. उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से ये सम्मान दिया गया. उन्हें पहला अवॉर्ड 1990 में मिला था. इसके बाद उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन्होंने 1991 में रजनी पंडित डिटेक्टिव सर्विसेस के नाम से अपनी एजेंसी शुरू की थी. उनका काम ठीकठाक चल रहा था. इसी दौरान उन्होंने दूरदर्शन को एक इंटरव्यू दिया. इसके बाद उनके पास काम की भरमार हो गई और उनकी एजेंसी चल पड़ी. उस समय उनके पास लैंडलाइन भी नहीं था. बाद में उन्होंने लैंडलाइन लगवा लिया तो रात के दो-दो बजे तक उनके पास केसेस को लेकर कॉल्स आती रहती थीं. अब उनकी एजेंसी 20 से ज्यादा लोग काम करते हैं. वह कहती हैं कि एक डिटेक्टिव में हिम्मत के साथ एक्टिंग के गुण भी होने जरूरी हैं. दरअसल, हर नए केस के हिसाब से वह अपना हुलिया और पहचान बदल लेती थीं. वह कभी नौकरानी बनकर किसी के घर में काम करने पहुंच जाती थीं तो कभी गूंगी बहरी बनकर कहीं बैठ जाती थीं. कुछ केस में वह प्रेग्नेंट महिला बनकर भी जा चुकी हैं. वह अब तक दो किताबें 'फेसेस बिहाइंड फेसेस' और 'मायाजाल' लिख चुकी हैं. अब तक वह काफी लोगों को जासूसी का प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं. उन्होंने अपने करियर में पिता-पुत्र की हत्या के मामले को सुलझाने में सबसे ज्यादा छह महीने का समय लिया था. .
29 मॉ जो धूल में बदल गयी 161 यह लोक कथा दक्षिणी अफ्रीका के मलावी देश में कही सुनी जाती है । एक बार की बात है कि भगवान सूरज की एक बेटी थी । अपने पिता की तरह से वह भी एक चमकता हुई तारा थी । बल्कि वह अपने पिता सूरज से भी ज्यादा चमकदार थी । वह तारों की सीपियों के बने जूते पहनती थी और अपनी उँगलियों पर, पैरों में, कलाइयों में और कमर में गिरते हुए तारों की चमक पहनती थी । इन सबको पहन कर वह बहुत चमक जाती और सूरज से भी ज़्यादा दूर तक अपनी रोशनी फैलाती । वह वहाँ बड़ी अक्लमन्दी और प्रेम के साथ राज करती थी । एक दिन वह अपने राज्य के अनगिनत ग्रहों को देखने के लिये निकली तो उसने दूर एक कोने में एक ग्रह देखा । वह रास्ते से थोड़ा हट कर था - करीब करीब सूरज की उँगलियों के कोने पर वह हरे और नीले रंग का था । उसने उसको फिर से देखा और सूरज से बोली - "उस ग्रह पर, वहाँ मुझे अपनी गद्दी चाहिये पिता जी । मैं अपनी ज़िन्दगी उस हरे और नीले रंग की ठंडक में गुजारना चाहती हूँ । 161 Mother Who Turned in to Dust (Tale No 29) - a folktale from Malawi, Southern Africa. Adapted from the book : "Favorite African Folktales", edited by Nelson Mandela. Told by Kasia Malaka. A creation story
फ़ार्स समाचार एजेंसी के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा "स्पष्ट रूप से ब्रिटिश टैंकर जा चुका है। उन्होंने खुद क्या कहा है और जो दावे किए गए हैं, वे तनाव पैदा करने के लिए हैं और इन दावों का कोई मूल्य नहीं है,"। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने भी गुरुवार को जारी बयान के अनुसार, घटना में शामिल होने से इनकार किया। इससे पहले गुरुवार को, दो अमेरिकी अधिकारियों ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि गार्डों से संबंधित पांच नावों को घटना में शामिल माना गया था। अधिकारियों में से एक ने घटना के बारे में कहा था कि "रॉयल नेवी एचएमएस मोंट्रोस, जो वहां था, ने अपनी बंदूकों को नावों पर इंगित किया और उन्हें रेडियो पर चेतावनी दी, जिसके बाद उन्होंने जहाज को तितर-बितर किया"। अन्य अधिकारी ने कहा "यह उत्पीड़न और मार्ग के साथ हस्तक्षेप करने का प्रयास था"। अमेरिकी सेना ने एक बयान में घटना की पुष्टि की, लेकिन घटना के किसी भी अन्य विवरण को साझा करने से इनकार कर दिया, जो एक हफ्ते बाद आता है, जिसके अनुसार ईरानी तेल टैंकर को सीरिया के लिए जिब्राल्टर से ब्रिटिश रॉयल मरीन द्वारा जब्त किया गया था।
बिहार विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग के साथ ही राज्य में लोकतंत्र के इस महापर्व की शुरुआत हो गई। कोरोना के खतरे के बीच पहले चरण में 16 जिलों की 71 विधानसभा सीटों पर 53. 54 फीसदी मतदान हुआ। मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच आर श्रीनिवास ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2015 में विगत विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 54. 75 रहा था। इस दौरान दिशानिर्देशों के उल्लंघन को लेकर 93 मामले भी दर्ज किए गए। इस अवसर पर मौजूद अपर पुलिस महानिदेशक जितेंद्र कुमार ने बताया कि गया टाउन के भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार (निवर्तमान कृषि मंत्री) के एक मतदान केंद्र पर पार्टी के निशान की तस्वीर वाला मास्क लगाए और गमझा ओढे एक मतदान केंद्र पर जाने की शिकायत मिलने पर उनके खिलाफ गया जिले के कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। एडीजी जितेंद्र कुमार ने बताया कि मतदान शांतिपूर्ण रहा। अब तक प्राप्त सूचना के अनुसार कुल 159 लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि 71 विधानसभा क्षेत्रों में आज मतदान के लिए कुल 31,371 मतदान केन्द्र 16,730 भवनों में थे, जिनमें से 2856 भवन नक्सल प्रभावित क्षेत्र में थे। बिहार विधानसभा के पहले चरण के चुनाव में कुल सामान्य निर्वाचकों की संख्या 2 करोड़ 14 लाख 06 हजार 096 थी, जिसमें पुरुषों की संख्या 1,12,76,396, महिलाओं की संख्या 1,01,29101 तथा थर्ड जेंडर की संख्या 599 थी। श्रीनिवास ने बताया कि पहले चरण के निर्वाचन में रिजर्व सहित कुल 38,026 कंट्रोल यूनिट, 51,201 बैलेट यूनिट तथा वीवीपैट का उपयोग हुआ है, जिसमें 111 कंट्रोल यूनिट, 90 बैलेट यूनिट तथा 215 वीवीपैट मॉक पोल के दौरान बदले गए हैं। मॉक पोल के उपरांत 77 कंट्रोल यूनिट, 92 बैलेट यूनिट तथा 403 वीवीपैट बदले गए। कोविड-19 को लेकर चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार मतदान कर्मियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की स्वच्छता, मास्क पहनना, थर्मल स्कैनिंग, सेनिटाइजर और साबुन और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के साथ और अन्य सुरक्षात्मक मापदंडों का पालन सुनिश्चत कराया गया। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
इंदौर/ब्यूरो। इंटरनेशनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन का अधिकारी बताकर आरोपी द्वारा ठगी करने का मामला सामने आया है। इटली स्पेशल ब्रांच फर्जी नेशनल पुलिस ने 3 लाख की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है। बताया जा रहा है की फरियादी को इंदौर के कई बिल्डरों से व्यापार के पैसे लेना थे। पैसे वसूली को लेकर नकली पुलिस बन कर व्यापारी से संपर्क किया था। आरोपी नकली पुलिस अधिकारी विपुल सॉफ्ट को होटल से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी से फर्जी आई कार्ड और पुलिस का नकली बैच बरामद हुआ है। आरोपी पर धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। एमआइजी थाना पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
जब में इंटीरियर विभाजन का निर्माण होता हैउनके लिए आधार के रूप में धातु प्रोफाइल से बना एक कठोर फ्रेम इस्तेमाल किया जाता है। यह ठंड में जस्ती इस्पात से बना टेप को 0.8 मिलीमीटर तक की मोटाई के माध्यम से तैयार किया जाता है। गैल्वनाइजिंग परत बाहरी कारकों से सूखी दीवार के लिए मार्गदर्शन प्रोफ़ाइल की सुरक्षा करता है। यह उपाय आवश्यक है क्योंकि विभाजन और नलिकाओं को कभी-कभी गीला कमरे में इकट्ठा किया जाता है, उदाहरण के लिए, बाथरूम या शॉवर कमरे में। बेशक, विभाजन के निर्माण मेंन केवल गाइड की प्रोफाइल का उपयोग किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए, शोर इन्सुलेशन को अपनाने या बनाने के लिए विभिन्न इन्सुलेशन सामग्री का उपयोग किया जाता है। प्लास्टरबोर्ड, सीमेंट-कण बोर्ड, प्लाईवुड और अन्य सामग्री चढ़ाना के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
नई दिल्लीः संसद का बजट सत्र और राष्ट्रपति का अभिभाषण संसद की पुरानी बिल्डिंग में ही होगा। इसके पहले विचार हुआ था कि राष्ट्रपति का अभिभाषण नए भवन में कराया जा सकता है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को मौजूदा भवन में संबोधित करेंगी, जिससे उन अटकलों पर विराम लग गया कि बैठक नए भवन में हो सकती है। बिरला ने एक ट्वीट में कहा, "संसद का नया भवन अभी निर्माणाधीन है और बजट सत्र में माननीय राष्ट्रपति का अभिभाषण संसद के वर्तमान भवन में होगा। " संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा और पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा। संसद का सत्र 13 मार्च को फिर से शुरू होगा और छह अप्रैल तक चलेगा। इस बीच, सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए, पूरे सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के लिए समर्पित वेबसाइट से नए संसद भवन की कुछ वास्तविक तस्वीरें शुक्रवार को हटा दी गईं। परंपरा के मुताबिक, बजट सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपना अभिभाषण देंगी। एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में बजट पेश करेंगी। सूत्रों के मुताबिक, इस बात का प्रयास किया जा रहा था कि राष्ट्रपति का अभिभाषण और बजट, दोनों संसद भवन की नई इमारत में करवाया जाए और जरूरत पड़ने पर सदन के शेष दिनों की कार्यवाही को पुरानी इमारत में ही चलाया जा सकता है। लेकिन फिलहाल पुरानी इमारत में ही बजट सत्र चलेगा। ये भी पढ़ेंः
निर्ममः शरीरजीवनमात्राक्षिप्तपरिग्रहे अपि मम इदम् इति अभिनिवेशवर्जितः । तथा अहंकारसे रहित है अर्थात् विद्वत्ता आदिके सम्बन्ध से होनेवाले आत्माभिमानसे भी रहित है। स एवंभूतः स्थितप्रज्ञो ब्रह्मवित् शान्ति वह ऐसा स्थितप्रज्ञ, ब्रह्मवेत्ता - ज्ञानी संसारके सर्वसंसारदुःखोपरमलक्षणां निर्वाणाख्याम् अधि- सर्वदुःखोंकी निवृत्तिरूप मोक्ष नामक परम शान्तिको गच्छति ग्रामोति ब्रह्मभूतो भवति इत्यर्थः॥७१॥ । पाता है अर्थात् ब्रह्मरूप हो जाता है ॥७१॥ सा एषा ज्ञाननिष्ठा स्तूयते-एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि एषा यथोक्ता ब्राह्मी ब्रह्मणि भवा इयं स्थितिः सर्व कर्म संन्यस्य ब्रह्मरूपेण एव अवस्थानम् इति एतत् । हे पार्थ न एनां स्थितिं प्राप्य लब्ध्वा विमुह्यति न मोहं ग्रामोति । ममतासे रहित है अर्थात् शरीर - जीवनमात्रके लिये आवश्यक पदार्थों के संग्रह में भी 'यह मेरा है' ऐसे भाव से रहित है । स्थित्वा अस्यां स्थितौ ब्राह्मयां यथोक्तायाम् अन्तकाले अपि अन्ते वयसि अपि ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मनिर्वृति मोक्षं ऋच्छति गच्छति, किमु वक्तव्यं ब्रह्मचर्यात् एव संन्यस्य यावजीवं यो ब्रह्मणि एव अवतिष्ठते स ब्रह्मनिर्वाण ॠच्छति इति ॥ ७२ ॥ ( अब ) उस उपर्युक्त ज्ञाननिष्ठा की स्तुति की जाती है -- नैनां प्राप्य विमुह्यति । ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति ॥ ७२ ॥ यह उपर्युक्त अवस्था ब्राह्मी यानी ब्रह्ममें होनेवाली स्थिति है, अर्थात् सर्व कर्मोंका संन्यास करके केवल ब्रह्मरूपसे स्थित हो जाना है । हे पार्थ ! इस स्थितिको पाकर मनुष्य फिर मोहित नहीं होता अर्थात् मोहको प्राप्त नहीं होता । अन्तकालमें - अन्तके वयमें भी इस उपर्युक्त ब्राह्मी स्थिति में स्थित होकर मनुष्य, ब्रह्म में लीनतारूप मोक्षको लाभ करता है । फिर जो ब्रह्मचर्याश्रमसे ही संन्यास ग्रहण करके जीवनपर्यन्त ब्रह्ममें स्थित रहता है वह ब्रह्मनिर्वाणको प्राप्त होता है इसमें तो कहना ही क्या है ? ॥७२॥ इति श्रीमहाभारते शतसाहस्रयां संहितायां वैयासिक्यां भीष्मपर्वणि श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे सांख्ययोगो नाम द्वितीयोऽध्यायः ॥ २ ॥
दयाका विरोधी होता, वह हत्याके पापसे मुक्त नहीं हो सकते थे । भला ईसा शरीर और आत्माको रुग्ण बनानेवाला पाप और दोषमें फँसानेवाला मांसका भोजन स्वीकार कर सकते थे ? तौरेतके अनुवादमें की गई गलतीके समान ही बाइबिलके अनुवादमें भी गलती मिलती है। प्राचीन समयमें लोग मांस खानेके पापके प्रायश्चित्तस्वरूप देवताओंको शांत करने के लिए पशुकी बलि दिया करते थे । इतिहासकारोंका कहना है कि एसेन जातिके लोग, जिनसे ईसा संबंधित थे, पशु बलि नहीं देते थे । इससे यह आसानीसे समझा जा सकता है कि वे मांस भी नहीं खाते थे । धर्मशास्त्रियोंकी भी यही मान्यता है । इसको इस तरह भी कह सकते हैं कि वे लोग पशकी बलि नहीं चढ़ाते थे, मांस नहीं खाते थे । ईसा और उनके शिष्योंने कभी कोई बलि नहीं दी । उन्होंने तो पशु - बलिका निषेध भी किया है । "मुझे दया चाहिए, बलि नहीं ।" जिस किसीने बाइबिलकी भावनाको समझा है और खास तौरसे तौरेतकी, जानता है कि ईसाने मांस खाना साफसाफ मना किया है और इसमें शक और शुबहेकी जगह ही नहीं है कि ईसा मांस नहीं खाते थे । तर्कके बच्चे सांपसे पैदा हुआ विज्ञान मनुष्यको आज भी उसी प्रकार पथ भ्रष्ट कर रहा है कि जिस प्रकार इसके पिता सपने आदमको स्वर्गमें किया था । यह आज भी पढ़ा रहा है कि प्रकृति-पथका त्याग करनेसे मनुष्यकी आत्मा और शरीरको अनेक लाभ मिलेंगे । अभी एक विद्वानने कहा है कि मनुष्यने परिष्कृत एवं वैज्ञानिक जीवन अपनाकर बड़ी उन्नति की है, और अंतमें वह देवताओंकी तरह अमर हो जायगा । पर विज्ञान धोखा देने और भुलावेमें रखनेके सिवा अधिक क्या कर रहा है ? प्रत्येक स्थिरबुद्धि और निष्पक्ष व्यक्ति यह कहेगा कि मनष्य अप्राकृतिक जीवनको अपनाकर देवता नहीं बन सकता, इसके विपरीत वह रोगी, दुःखी, पापी, पाजी, मूर्ख और सच्चे अर्थमें दानव ही तो बनेगा । जब ईश्वरके बनाये कानूनकी अवहेलना करनेवाले विज्ञानद्वारा कूट तर्कपूर्ण वैज्ञानिक आधारोंपर मांस-भक्षणका प्रतिपादन किया जाय तो हमें बहुत सजग रहना चाहिए । ऐसी खतरेकी घड़ीके वास्ते हमें प्रकृतिकी आवाज सुननी चाहिए जो इस संबंध में निश्चित चेतावनी देती हैं । पर शरावके संबंध में ईसाका क्या रुख था ? इस प्रश्नका उत्तर भी हमें पाना है । तौरेतमें लिखा है : "शोकातुर कौन है ? दुःखी कौन है ? चिंतित कौन है है ? घबराहट से भरा जीवन किसका है ? अकारण चोट किसे लगती है ? आंखें लाल किसकी रहती हैं ? "वे जो देरतक शराब पीते रहते हैं; वे जो नशीली शराबकी खोज में रहते हैं । " "उसका अभिमान करना उचित है जो शराबके चक्करमें नहीं पड़ता । " "तु शराबको रौंद, पर उसे पी मत ।" "शराब पीकर मतवाला मत हो । " 'अंतिम भोज' के समय ईसाने कहा था : "आज मैं तुम लोगोंसे कहता हूं कि अबके बाद मैं शराब नहीं पीऊंगा, और अब मैं अपने पिताके राज्यमें चलकर तुम लोगोंके साथ नई शराब ही पीऊंगा ।" नईका अर्थ है ताजी, जिसमें खमीर न उठा हो । नई शराबका अर्थ है अंगूरका ताजा रस । इस अवतरणसे प्रतीत होता है कि इसलिए कि वे अति कठोर प्रतीत न हों और कहीं उससे जो कार्य' वे कर रहे थे उसमें व्याघात न पड़े, उन्होंने एक बारके लिए शराब पीनेका असाधारण कार्य कर दिया होगा । ( ईसाका स्वभाव बड़ा मृदु था, वे लोगोंका आग्रह टाल न पाते थे ) पर वे हमेशा अंगूरके रसकी प्रशंसा करते थे और शराबकी बुराई । कहा जाता है कि ईसाने सानाके विवाहमें बरातियोंके लिए शराब तैयार की थी । पर बहुत संभावना इसी बातकी है कि वह शराब मादक नहीं थी । यही कारण है कि शादीमें गये 'इस घटना से ईसाकी बुद्धिमत्ता और प्रेम भावनाकी गहराई समझी जा सकती है । लोगोंने उसे बहुत पसंद किया था । आज भी फलोंके ऐसे अनेक रस बनाये जाते हैं जिनका स्वाद शराबसे हजार गुना अच्छा होता है । मालूम नहीं किस कुसमयमें अग्निका आविष्कार करके मनुष्य प्राकृतिक जीवनसे इतनी दूर हट गया । आगकी मददसे ही मनुष्य अनेक तरहके अप्राकृतिक भोजन शराब और दवाएं आदि बना सका । सुसभ्य जीवनके सारे साधनोंका जो आरंभसे रोगोंको लिए आ रहे हैं, और हमारे आजके जीवनके सभी कष्टोंका कारण अग्नि ही है । इसलिए अग्नि ही मनुष्यके सारे कष्टोंका असली कारण है । पर आदमी आज अपने शत्रुको पहचान नहीं रहा है । वह समझता है कि अग्नि उसकी परित्राणवती है, उसकी वजहसे उसे सुख-संपदाएं मिली हैं ! पर इस संबंध में सत्य भावना भी जातिके प्राणों में सन्निहित और जाग्रत है । अनेक प्राचीन कथाओंमें अग्निका शत्रु एवं राक्षसोंकी भांति वर्णन है । शैतान - की तस्वीरमें शैतान आग उगलता दिखाया गया है । ग्रीसकी प्रोमोथिस संबंधी पौराणिक कथामें बड़े चित्ताकर्षक एवं सुंदर रीतिसे बयान किया गया है कि मनुष्यका अग्निका आविष्कार देवताओंको कितना बुरा लगा और उन्होंने मनुष्यको इसके लिए कितना कठोर दंड दिया और फिर किस प्रकार संसारकी सारी बदमाशियां एक-एक करके अग्निसे पैदा हुईं । प्रोमोथिस ( अर्थात् अग्रबुद्धि) ने स्वर्गसे अग्निको इसलिए चुराया कि उसकी सहायतासे मनुष्यको मांस जायकेदार लगने लगे । प्रोमोथिसके इस कार्यसे जेस नामक देवताको बहुत क्रोध हुआ और उसने प्रोमोथिसको काकेसस नामक पर्वतपर ले जाकर जंजीरोंसे बांध दिया। गीधोंने उसका कलेजा निकालकर खा लिया । पर उसको मिले वरदानके अनुसार कले फिर निकल आया । गीध फिर झपटे और फिर कलेजा खा गए । इस प्रकार नया-नया कलेजा निकलता रहा और गीध उसे बराबर सताते रहते । इस कथाके अनुसार आज भी अग्नि मनुष्यका कम अनिष्ट नहीं कर रही है । यदि मनुष्यके पास भूनने एवं रांधनेको अग्नि न होती तो उसके लिए मांस खाना अशक्य हो जाता । फिर पशुओंको पकड़ने और मारनेके औजार हथियार भी बेकार हो जाते । मैं पहले ही बता चुका हूं कि शराब और दवाएं अग्निकी ही सहायतासे बनती हैं। मैंने निश्चित रूपसे यह भी साबित कर दिया है कि सभी बुरी बीमारियां मांस, शराब और दवाओंसे ही पैदा होती हैं । मांसकी ही भांति अन्य खाद्योंको भी रांधनेसे रोग पैदा होते हैं । गंदी हवा-सरीखे अन्य किसी कारणसे पशु बीमार न पड़ जाय तो हरा चारा और वनस्पतियां मिलते रहनेपर वह खूब स्वस्थ रहता है और उसकी सुंदरता बनी रहती है । यदि उसका चारा और आलू, गाजर, शलजम आदि तरकारियां उसे उबालकर दी जाएं तो यह पका हुआ भोजन लारसे बिना अच्छी तरह मिले ही जल्दी-जल्दी उसके गलेके नीचे सरकता जाता है और वह आवश्यकता से अधिक खा जाता है । ऐसा भोजन वह कस-कसकर खाता है, जिससे वह मोटा, कुरूप, सुस्त और ढीला अर्थात् बीमार हो जाता है । इस रीतिसे पशुका वजन छ महीनेतक तो बढ़ता जाता है, फिर उसके अधिक खाते रहनेपर भी वजन नहीं बढ़ता वरन् घटने लगता है । और उसे कई तरहके रोग घेरने लगते हैं । उसकी पाचन शक्ति खराब हो जाती है और पहले जहां थोड़े भोजनसे उसकी शक्ति बनी रहती थी वहां अब ज्यादाज्यादा खानेपर भी उसका पूरा नहीं पड़ता। मनुष्य जो कुछ आज खाता है वह प्रकृतिने उसके लिए नहीं बनाया है, इतना ही नहीं वरन् वह उसे पका-रांधकर अपने लिए अधिक प्रतिकूल -- दुष्पाच्य और शक्तिहीन बना लेता है। सोचिए तो सही आगकी सहायतासे हम अपना भोजन कितना हानिकारक एवं अनर्थकारी बना लेते हैं । इस भोजनसे हमारा पाचन संस्थान अशक्त हो जाता है और विजातीय द्रव्य ( अथवा भोजन ) शरीरमें इकट्ठा होने लगता है । फिर यह फोड़े-फुंसी, दाद-खाज, ज्वर आदि अनेक रूपोंमें बाहर निकलता है। रोगके इन लक्षणोंको दबानेके लिए डाक्टर चीर-फाड़ एवं मरहम-पट्टी करते हैं और रोगीको दवा पिलाते हैं । पर विजातीय द्रव्य इकट्ठा होनेका काम तो बंद नहीं होता । और उसे निकालनेके लिए शरीरको फिर-फिर प्रयास करना पड़ता है । रोगोंके कारणकी जानकारी न होनेके कारण आज मनुष्य प्रोमोथिसकी भांति बंधा पड़ा है और उसे अपने कष्टको सहना है । यदि हम अपना भोजन बनाने के लिए आगका उपयोग न करें तो हमें पुनः प्राकृतिक भोजनको अपनाना होगा तब डाक्टरोंको चीरने-फाड़नेका मौका ही नहीं मिलेगा । जिस प्रकार गरम पानीका स्नान त्वचा और स्नायुओंको शिथिल कर देता है ठीक उसी प्रकार गरम भोजन आमाशयको । इसलिए अच्छा हो कि जो भी भोजन किया जाय वह ठंडा हो । अधिक-से-अधिक वह सिरगरम हो सकता है । गरम तो वह किसी हालत में होना ही नहीं चाहिए । गरमं भोजन बहुत हानि करता है । यदि मनुष्य केवल फल खाता है तो गरम भोजनद्वारा होनेवाली हानिसे बच जाता है । उसे भूखसे अधिक खा जानेका भी खतरा नहीं है । अप्राकृतिक भोजनमें मनुष्य भूखके अनुसार भोजन करते रहनेकी कोशिश करते रहनेपर भी अधिक खा ही जाता है । इसलिए मनुष्य जब पका भोजन नहीं करता तो उसे इतने लाभ मिलते हैं - स्त्रियोंको चूल्हेके सामने बैठकर जहरीले धुएंसे अपना स्वास्थ्य खराब करने और रोग लगाने की जरूरत नहीं होती । उन्हें अच्छे कामोंके लिए समय मिलता है । वे अपने बच्चोंकी देख-भाल अच्छी तरह कर पाती हैं । वे ईश्वरके बनाये सुंदर प्राकृतिक स्थानों में अपना अधिक समय बिताती हैं। उन्हें अब अपने और अपने कुटुंबियोंके लिए उन खाद्योंके पकाने की जरूरत नहीं होती जो समस्त रोगों एवं संसारकी सारी विपत्तिके कारण हैं । जल्दी ही सारे कुटुंबका स्वास्थ्य परिष्कृत हो जाता है जिससे उन्हें अपूर्व शक्ति और प्रसन्नताकी प्राप्ति होती है । फलों- विशेषतः मेवोंका भोजन शरीरको सब प्रकारकी शक्तियोंसे परिपूर्ण करता है । उनकी मानसिक वृत्तियां उन्नत होती हैं और उसे देवताओंकी-सी क्षमता प्राप्त होती है । वर्षों पहले की बात है, एक बार इंग्लैंडके कोयलेकी खानोंके मजदूरोंने हड़ताल कर दी थी । उन खानों में कामके लिए कुछ घोड़े भी रखे गये थे । ये घोड़े वहीं दस-पंद्रह वर्षोंसे थे । जब उन्हें बाहर प्रकाशमें लाया गया तो वे पागल-से हो गए और वापस सीली, अंधेरी खानोंमें चले गए । भोजन पकाना बंद कर देनेपर स्त्रियों एवं उनके परिवारवालोंको क्या-क्या लाभ होंगे, स्त्रियोंको जब यह बताया जाता है तब उनकी भी हालत मुझे उन खानके घोड़ोंकी-सी होती दिखाई देती है । वे भी चुपचाप अंधेरे रसोईघरमें चली जाती हैं जहां उनके पसीनेसे भरे मुखको धूआं काला करता है, उनकी सुरत ही बदल जाती है । स्त्रियां ईश्वरकी सर्वोत्तम रचना हैं । ईश्वरने उनका निर्माण भाड़ झोंकनेके लिए नहीं किया है । शराबी यह जानते हुए भी कि शराब पीनेका नतीजा बहुत बुरा होगा, शराब पीना छोड़ नहीं पाता । विद्वान्का पढ़ते-पढ़ते शरीर टूट जाता है, चेहरा पीला पड़ जाता है और सिर चंदला हो जाता है, वह जानता है कि संसारके सभी सुख उससे दूर हटते जा रहे हैं पर वह अपनी पढ़ाई छोड़ नहीं पाता । इसी प्रकार स्त्रियां यह जानते हुए भी कि भोजन पकाना बंद करने से उन्हें एवं उनके बच्चों को पृथ्वीका सच्चा आनंद मिलेगा, वे चूल्हा झोंकने- सरीखे अप्राकृतिक कार्यका मोह नहीं छोड़ पातीं । जब आरंभमें प्रकृतिने मनुष्यको पैदा किया था तो वह सर्वांग सुंदर था । ग्रीसनिवासियोंने वीनसकी मूर्तिमें स्त्रीसंबंधी अपनी पूर्ण भावनाको अभिषिक्त किया है । आजकी स्त्रियां इस सौंदर्य से अनेक अंशों में बहुत दूर हो गई हैं । इस सौंदर्य की पुनः प्राप्तिका एक ही साधन है -- प्राकृतिक जीवन । प्राकृतिक जीवन स्वास्थ्यका प्रदाता है और स्वास्थ्य ही सौंदर्य है । क्या हमारी स्त्रियोंका यह खयाल है कि जिस सौंदर्यकी अभिलाषा स्त्रियां करती हैं वह उन्हें चूल्हा देगा ? प्रकृति के प्रांगण में रहनेवाले बूढ़े और जवान पशुओंमें हमें वह अंतर दिखाई नहीं देता जो हमें मनुष्य में देखने को मिलता है । बड़ी उम्र के पशु ही पशुओंमें सुंदर और मजबूत होते हैं और मादाके पास होनेपर प्रसन्न । प्यार पुष्पसे भी अधिक सुकुमार है, हमारे अप्राकृतिक जीवनके कारण वह बढ़ नहीं पाता । सभ्यताके झोंकेसे यह मुर्भा जाता है, कभी-कभी यह बच्चों में उस प्रकाशकी तरह दिखाई दे जाता है जिसका अंत शीघ्र ही प्राकृतिक जीवनकी भोर होनेवाला है । आत्माके सुंदरतम आवेगोंका हनन करनेवाली, धुएंभरे रसोईघरसे पुरअसर, दूसरी अन्य वस्तु नहीं है । एक स्वस्थ स्त्री जो अपने स्वास्थ्यके प्रतापसे हमेशा सुंदर एवं युवा बनी रहती है, एक सुकोमल रज्जुके सहारे पुरुषका ही नहीं सारे संसारका नेतृत्व कर सकती है। क्या ही अच्छा होता कि स्त्रियां अपनेको रसोईघरकी काली कोठरीसे मुक्त कर लेतीं और प्रेमके अनवरत आनंदकी अधिकारिणी बनतीं । आरंभ में पुरुषको जब वह प्रकृतिसे दूर नहीं हुआ था, उसका पतन नहीं हुआ था, भोजन प्राप्तिके लिए उसे पसीना नहीं बहाना पड़ता था और न उसे अपनी आत्मक अशांति और खालीपनको दूर करने के लिए जिस तिस कामको ही करना पड़ता था । निषिद्ध भोजनद्वारा ही मनुष्यपर यह गाज गिरी । "एड़ी-चोटीका जोर लगानेपर ही तुझे तेरा भोजन मिलेगा ।" यदि स्त्रियां प्राकृतिक जल-स्नान करने लगें, वायु और प्रकाशका सहारा लें तो उनमें एक नवचेतना जागृत होगी और वे अंधेरे काले रसोईघरमें काम ढूंढनेके बजाय अन्य उपयोगी कार्यों में लगेंगी । सारे अन्वेषण और आविष्कार जिनपर आजकी सभ्यताको नाज है और उसके हवाई जहाज, बारूद, रेल, बाइसिकिल, फोन सभी साधनोंके खतरे और उनके द्वारा की गई हानिको समझने के लिए हमें अपने दिमागसे सारे पूर्व संस्कारों और पक्षपातको निकाल बाहर करना होगा । आजके लोग
Viral Video: अरमान मलिक एक लोकप्रिय YouTuber हैं। इतना ही नहीं वे हमेशा इसलिए भी चर्चा में रहते हैं क्योंकि उन्होंने दो शादी की हैं और उनकी पत्नियां भी काफी फेमस हैं। ये तीनों ही वीडियो बनाते हैं। हालांकि, अब एक पंगा हो रखा है। बता दें कि अरमान की दोनों पत्नियां गर्भवति हैं। अरमान को काफी विवादों और ट्रोल्स का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन वह उनसे बेफिक्र नजर आते हैं। एक बार फिर उन्होंने अपनी दो गर्भवती पत्नियों - पायल मलिक और कृतिका मलिक के साथ अपने नए वायरल वीडियो के कारण नेटिजन्स का ध्यान खींचा है। गोद भराई समारोह के एक वीडियो में पायल और कृतिका को जश्न से पहले बहस करते हुए दिखाया गया है। दोनों गर्भवती महिलाओं के बीच खतरनाक होती लड़ाई को देख अरमान मलिक आगबबूला हो गए। बात यहां तक बिगड़ गई कि अरमान ने अपनी दोनों पत्नियों पर हाथ उठा दिया। सोशल मीडिया पर इस वक्त अरमान मलिक और उनकी पत्नियों का वीडियो वायरल हो रहा है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। खैर, वीडियो के अंत में, YouTuber का परिवार दर्शकों को सूचित करता है कि सब कुछ एक मजाक था। अरमान ने हाल ही में अपनी गर्भवती पत्नियों, कृतिका और पायल मलिक के लिए एक भव्य गोद भराई की मेजबानी की। परिवार गर्भवती महिलाओं के लिए हो रहे कार्यक्रमों को प्यार से मना रहा है। दरअसल, अरमान ने अपनी पत्नियों के लिए भव्य तीन दिवसीय गोद भराई उत्सव का आयोजन किया था। वहीं कृतिका और पायल का ग्रैंड बेबी शॉवर लुक लोगों का दिल जीत रहा है। अपनी गोद भराई के लिए, दोनों ने कियारा आडवाणी की शादी के दिन का लुक अपनाया।
भारत 2020 में एशिया पैसिफिक में जापान के बाद दूसरा ऐसा देश रहा है, जहां उसे सबसे अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है। कारोबार के अंत में बीएसई सेंसेक्स 1030 अंकों की उछाल के साथ 50,781. 69 पर बंद हुआ। भारत 2020 में एशिया पैसिफिक में जापान के बाद दूसरा ऐसा देश रहा है, जहां उसे सबसे अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2020 में क्षेत्र में हुए कुल साइबर हमलों में से भारत में सात प्रतिशत हमले दर्ज किए गए। आईबीएम की बुधवार को आई एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। आईबीएम सिक्योरिटी की ओर से जारी 2021 एक्स-फोर्स थ्रेट इंटेलिजेंस इंडेक्स के अनुसार, वित्त एवं बीमा क्षेत्र में भारत में शीर्ष हमले दर्ज किए गए हैं, जबकि इसके बाद विनिर्माण और पेशेवर सेवाओं में साइबर हमलों की सबसे अधिक घटनाएं सामने आई हैं। साइबर हमलों के प्रकार की बात करें तो रैनसमवेयर शीर्ष पर रहा, जिससे लगभग 40 प्रतिशत हमले हुए। इसके अलावा, डिजिटल करंसी माइनिंग और सर्वर एक्सेस हमलों ने पिछले साल भारतीय कंपनियों को प्रभावित किया। खाद्यान्न उत्पादन में भारत फिर एक नया रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में खाद्यान्नों का उत्पादन 30. 33 करोड़ टन रहने का आकलन किया गया है। आंकड़ों के अनुसार, चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 12. 03 करोड़ टन, गेहूं का रिकॉर्ड 10. 92 करोड़ टन, पोषक व मोटा अनाज 493 लाख टन, मक्का 301. 6 लाख टन, दलहनी फसल 244. 2 लाख टन, दलहनी फसलों में तुअर 38. 8 लाख टन, चना 116. 2 लाख टन, तिलहनी फसल 373. 1 लाख टन, तिलहनी फसलों में मूंगफली 101. 5 लाख टन, सोयाबीन 137. 1 लाख टन, सरसों 104. 3 लाख टन रहने का अनुमान है। वहीं, गन्ने का उत्पादन 39. 76 करोड़ टन और कपास का 365. 4 लाख गांठ, एक गांठ में 170 किलो, जबकि पटसन व मेस्ता का उत्पादन 978 लाख गांठ, एक गांठ में 180 किलो रहने का अनुमान है। मध्य और उच्च श्रेणी के उपभोक्ताओं में होम लोन की मांग बढ़ने लगी है। ये खुलासा मैजिकब्रिक्स के एक सर्वेक्षण से हुआ है। सर्वे से पता चला है कि लगभग 38 फीसदी उपभोक्ता 30 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच का होम लोन लेना चाहते हैं। बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली के प्रमुख आवासीय बाजारों में उपभोक्ताओं की मुख्य मांग का कुल 46 प्रतिशत 30 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच की प्रॉपर्टी में है। मैजिकब्रिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, जैसे 'घर से काम' (वर्क प्रॉम होम), सर्किल रेट और स्टैंप ड्यूटी में कमी और कम ब्याज दर। ट्विटर के सीईओ जैक डोरसे की क्रेडिट और पेमेंट्स फर्म स्क्वायर ने बिटकॉइन में 170 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। यह क्रिप्टोकरंसी में इसके पिछले निवेश से 3 गुना ज्यादा है। मंगलवार को कंपनी ने अपनी तिमाही आय की रिपोर्ट में बताया कि उसने 51,236 की औसत कीमत पर लगभग 3,318 बिटकॉइन खरीदे हैं। कंपनी ने कहा, "बिटकॉइन में स्कवायर की 50 मिलियन डॉलर की खरीद को जोड़ें तो यह 31 दिसंबर, 2020 तक के स्क्वायर फर्म के कुल कैश का 5 फीसदी है। " कंपनी ने यह घोषणा ऐसे समय में की है, जब पिछले कुछ महीनों से बिटकॉइन की कीमतें रिकॉर्ड तेजी से बढ़ी हैं। अभी एक बिटकॉइन की कीमत 50,000 डॉलर से कुछ ही कम है। कंपनी ने आगे कहा, "कंपनी के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए स्क्वायर का मानना है कि क्रिप्टोकरंसी आर्थिक सशक्तिकरण का एक साधन है, जो लोगों को वैश्विक मौद्रिक प्रणाली में भाग लेने और उन्हें अपनी वित्तीय भविष्य सुरक्षित करने का मौका देता है। " हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन बुधवार को शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव की हालत रही। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में तकनीकी खामी आने की वजह से सुबह 11. 40 बजे के आसपास फ्यूचर एवं ऑप्शन और 11. 43 बजे कैश मार्केट में कारोबार रोक दिया गया। एनएसई में दोपहर बाद 3. 30 बजे तक ही कारोबार शुरू हो पाया, जो कि वैसे बंद होने का समय होता है। इसके बाद शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखी गई। कारोबार के अंत में बीएसई सेंसेक्स 1030 अंकों की उछाल के साथ 50,781. 69 पर बंद हुआ। निफ्टी 274. 20 अंक की तेजी के साथ 14,982 पर बंद हुआ।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 29 सितंबर 2017 में चार साल के बच्चे का अपहरण और उसकी हत्या करने के मामले में आरोपी पति-पत्नी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. बच्चे का अपहरण उससे भीख मंगवाने के लिए किया गया था. 29 सितंबर 2017 को 4 साल के सौरभ को लोनी से अगवा कर लिया गया था. 4 अक्टूबर 2017 को सौरभ की लाश लोनी के ही रहने वाले सरफराज के घर से बरामद हुई थी. दरअसल सरफराज और उसकी पत्नी सलमा ने सौरभ को भीख मंगवाने के लिए अगवा किया था, लेकिन जब यह मामला पुलिस थाने पहुंचा, तो पति-पत्नी ने गला दबाकर बच्चे का कत्ल कर दिया और लाश घर में ही छुपा दी. अपहरण और कत्ल के इस सनसनीखेज मामले में अब करीब साढ़े 3 साल बाद गाजियाबाद की अदालत में दोनों पति-पत्नी सरफराज और सलमा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. अपहरण के बाद हत्या के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर 1 के न्यायाधीश जयवीर सिंह नागर ने दोषी पति-पत्नी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. दोनों ने भीख मंगवाने और बेचने के उद्देश्य से मासूम का अपहरण किया और पकड़े जाने के डर से बच्चे का कत्ल कर दिया था. अदालत ने दोनों पर 54 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है. दरअसल लोनी इलाके में रहने वाले प्रदीप मिश्रा का 4 साल का बेटा 29 सितंबर 2017 की सुबह 8:00 बजे घर के बाहर से रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया था. काफी खोजबीन करने के बाद भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला. जांच के दौरान पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी, कि पास में ही रहने वाले दंपत्ति सरफराज और सलमा के साथ एक 4 साल के बच्चे को कुछ लोगों ने देखा था. इसके बाद पुलिस ने सलमा और सरफराज के घर पर दबिश दी और वहां से बच्चे की लाश को बरामद किया गया. किडनैपिंग केस के इस मामले में सरफराज और सलमा से पूछताछ हुई, तो उन्होंने खुलासा किया कि सौरभ को किडनैप करने में चार लोग और शामिल थे. उन्होंने बताया तस्कीन, सोनू, सरताज और नाजरा भी उनके साथ अपहरण में शामिल थे. ये गैंग भीख मंगवाने और बेचने के लिए नाबालिग बच्चों का अपहरण करता था. इससे पहले कि यह बच्चे को इस इलाके से बाहर ले जाते, पुलिस ने छापेमारी शुरू कर दी थी, जिसके डर से इन्होंने बच्चे का कत्ल कर दिया. हालांकि साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने तस्कीन, नाजरा, सोनू और सरताज को बरी कर दिया है.
जिला मुख्यालय स्थित अभिलेखागार में भूमि से संबंधित दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ एवं जालसाजी के मामले में 2018 में दर्ज किए गए मामले के मुख्य आरोपी तत्कालीन वहां के लिपिक कुंवर रविदास को पुलिस ने रामगढ़ से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दर्ज कराए गए मामले में अभिलेखागार के तत्कालीन लिपि कुंवर रविदास को मुख्य आरोपी बनाया गया था । जिसमें कहा गया था कि वह कुछ भू माफियाओं के साथ सांठगांठ कर लगभग 68 एकड़ जमीन के कुछ खतियानी रैयतों का नाम अभिलेख में बदलकर कई दूसरे लोगों का जोड़ दिया गया था। इस मामले में तत्कालीन प्रभारी अभिलेखागार पदाधिकारी रेनू बाला की ओर से थाने में मामला दर्ज कराया गया था। This website follows the DNPA Code of Ethics.
IBPS RRB PO Interview Admit Card 2022: बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान, आईबीपीएस की ओर से इंटरव्यू के लिए आईबीपीएस आरआरबी पीओ प्रवेश पत्र को जारी कर दिया गया है। आईबीपीएस आरआरबी पीओ इंटरव्यू के लिए प्रवेश पत्र आधिकारिक साइट ibps. in पर दिया गया है है। डाउनलोड करने का डायरेक्ट लिंक और स्टेप्स यहां साझा किए गए हैं। Opinion India Ka: 'तिलकधारी' राहुल का अधूरा ज्ञान. . बड़ा बवाल ! Opinion India Ka : मुस्लिम पक्ष की अर्जी. . . 'फट' गई पर्ची ! 2024 Loksabha Election से Pok का क्या है कनेक्शन ? आखिर क्यों नहीं हो रही है Brij Bhushan Sharan Singh की गिरफ्तारी ?
लंदन। इंग्लैंड के गेंदबाज दो जून से शुरू हो रही टेस्ट सीरीज के दौरान न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन को जल्द आउट करने की रणनीति बना रहे हैं। तेज गेंदबाज ओली रॉबिंसन ने कहा, "मेरे ख्याल से विलियम्सन को निप बैकर के जरिए पगबाधा आउट करना एक अच्छा विकल्प रहेगा। यह प्लान ए है लेकिन अगर यह सफल नहीं होता है तो प्लान बी और सी भी हमारे पास है। " विलियम्सन का इंग्लैंड में रिकॉर्ड कुछ खास नहीं है। उन्होंने इंग्लैंड में चार टेस्ट मैचों में 247 रन बनाए हैं। हालांकि उन्होंने 2015 में लॉर्ड्स मैदान पर शतक जड़ा था। इस सीरीज के लिए इंग्लैंड की टीम में जोफ्रा आर्चर, बेन स्टोक्स, क्रिस वोक्स और सैम करेन शामिल नहीं है। ऐसे में रॉबिंसन को पहले टेस्ट में मौका मिल सकता है। रॉबिंसन ने कहा, "एक तथ्य यह भी है कि मैं रॉस टेलर को और विलियम्सन को थोड़ा जानता हूं क्योंकि मैं काउंटी में इनके साथ खेला हूं, इससे मुझे थोड़ी मदद मिलेगी। "
jharkhand: ये घटना झारखंड लोहरदगा जिले की है जहां एक 17 साल की लड़की श्वेता कुमारी(बदला हुआ नाम) को एक युवक से प्यार हो गया। दरअसल युवक ने फोन पर अपना नाम साजन उरांव बताया था और इसी नाम के साथ युवती के साथ कई दिनों तक बात करता रहा। Jharkhand: विवेक ने पुलिस की मदद से मुक्त कराया। बता दें कि विवेक सचिवालय में कार्यरत है। विवेक ने बताया कि जैसे ही उन्हें सुनीता पर हो रहे जुल्मों का पता लगा। तो उन्होंने इसकी जानकारी रांची के डीसी को दी। Jharkhand : उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में ऐसे कई स्कूल प्रकाश में आए हैं, जो इस्लामीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन अब इस प्रवृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम मांग करते हैं कि इस पूरे मामले की जांच एनआईए से कराई जाए, ताकि इस पूरी स्थिति पर विराम लगाई जा सकें। निशिकांत दुबे ने आगे कहा कि झारखंड कई मानकों में पिछड़ा हुआ है। ध्यान रहे कि इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने अब तक अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न राज्यों कई सौगातें प्रदान की है, जिसके परिणामस्वरूप में विभिन्न राज्यों में विकास की बयार बहती हुई नजर आ रही है। आज इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड दौरे पर हैं, जहां उन्होंने देवघऱ एयरपोर्ट का उद्घाटन किया है। और अभी जनता को संबोधित कर रहे हैं। आइए, जानते हैं, उनके संबोधन की मुख्य बातें। Jharkhand: दरअसल, यह पूरा माजरा झारखंड के पलामू जिले मनातू ब्लॉक से प्रकाश में आया है, जहां एक बीडीओ यानी की ब्लॉक डेवलेपमेंट अधिकारी ड्यूटी के समय में अपने आवास पर शराब का लुत्फ उठा रहे थे। अब उनकी बदकिस्मती देख लीजिए कि उसी वक्त विधायक शशिभूषण मेहता भी वहां आ पहुंचे, तो उन्होंने बीडीओ से पूछा कि ये क्या कर रहे, तो बीडीओ साहब की हिमाकत देखिए। Deoghar Airport: पीएम मोदी के दौर से पहले ही सारी तैयारी पूरी हो चुकी हैं। बाबा बैद्यनाथ मंदिर और देवघर एयरपोर्ट की खूबसूरत फोटोज सामने आई हैं। एयरपोर्ट बहुत शानदार है जहां एयरपोर्ट के बीचो-बीच देश का झंडा लहरा रहा है। Congress's Emergency: आपातकाल की घोषणा के उपरांत सभी शक्तियां इंदिरा गांधी तक ही सीमित रह गई थीं। सरकार में कोई भी मंत्री उनकी इजाजत के बिना टस से मस नहीं होती थी। हालात इस कदर गंभीर हो गए थे कि लोकतंत्र तानाशाही में तब्दील हो चुकी थी। आपातकाल के दौरान विपक्ष की आवाज को पूर्णतः कुचल दिया गया था। Jharkhand: इन सभी राज्यों में आम जनता को बिजली कटौती (Power Crisis in Jharkhand) का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच अब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की पत्नी साक्षी सिंह रावत ने ट्वीट कर बिजली संकट मामले पर झारखण्ड सरकार से सवाल किए हैं। Fodder scam case: सुनवाई के दौरान सीबीआई ने काउंटर एफिडेविट फाइल करने के लिए अदालत से वक्त मांगा। अदालत ने सीबीआई के आग्रह को स्वीकार करते हुए 22 अप्रैल को सुनवाई की तारीख मुकर्रर की थी। फिलहाल लालू प्रसाद यादव न्यायिक हिरासत में हैं। बीमारियों के चलते नई दिल्ली स्थित एम्स में उनका इलाज चल रहा है।
राहुल गांधी ने मीटिंग की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और मुझे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और दुर्गावती स्टालिन से मिलकर खुशी हुई. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (Tamil Nadu CM Stalin) ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात की. हाल ही में मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद स्टालिन की कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ यह पहली मुलाकात है. सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर यह मुलाकात हुई. इस मौके पर स्टालिन की पत्नी दुर्गावती स्टालिन भी मौजूद थीं. इस मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस तमिलनाडु को मजबूत एवं समृद्ध बनाने के लिए DMK के साथ मिलकर काम करती रहेगी. उन्होंने इस मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया,"कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और मुझे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और दुर्गावती स्टालिन से मिलकर खुशी हुई. हम मजबूत और समृद्ध तमिलनाडु के निर्माण के लिए DMK के साथ मिलकर काम करते रहेंगे." अप्रैल में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में द्रमुक, कांग्रेस और कुछ अन्य दलों के गठबंधन ने शानदार जीत हासिल की. स्टालिन ने पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला है. इससे पहले एम. के. स्टालिन ने बृहस्पतिवार को पीएम मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य को कोविड-19 टीकों का अतिरिक्त डोज देने का अनुरोध किया है. पिछले महीने मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने के बाद पहली बार राष्ट्रीय राजधानी आए स्टालिन ने यहां प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. उन्होंने तमिलनाडु में स्थित केन्द्र सरकार के टीका उत्पादन संयंत्रों को फिर से चालू करने का भी अनुरोध किया. राज्य में टीका उत्पादन का एक संयंत्र चेन्नई में चेंगलपेट में जबकि दूसरा नीलगिरि में है. प्रधानमंत्री मोदी के साथ करीब 30 मिनट चली बैठक को संतोषजनक बताते हुए, स्टालिन ने पत्रकारों से कहा, "मैंने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है." उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को सौंपे ज्ञापन में तमिलनाडु के लिए बकाया राशि राज्य को जारी करने की मांग की गयी है. राज्य की मांगें दोहराते हुए स्टालिन ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) सहित पेशेवर पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए होने वाली सभी प्रवेश परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए. ये भी पढ़ें- West Bengal: नंदीग्राम चुनावी नतीजे पर CM ममता बनर्जी के मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई गुरुवार तक टली, क्या खुद होना होगा हाजिर ?
लखनऊः 15 जुलाई, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने विभिन्न जिलों के 71 जरूरतमंद लोगो को गम्भीर बीमारी के इलाज के लिए 85 लाख 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। मुख्यमंत्री जी द्वारा यह वित्तीय मदद कैंसर, किडनी, हृदय, लिवर, ब्रेन ट्यूमर, एप्लास्टिक एनीमिया जैसे गम्भीर रोगों के उपचार के लिए स्वीकृत की गयी है। आज यहां यह जानकारी देते हुए राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि इसके पूर्व भी मुख्यमंत्री जी द्वारा विभिन्न जनपदों के 559 जरूरतमंद लोगों को 6 करोड़ 16 लाख 81 हजार रुपये की वित्तीय मदद प्रदान की जा चुकी है। प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा जनपद महोबा के श्री नूर मोहम्मद, बहराइच के श्री छांगुर, हमीरपुर की श्रीमती प्रभारानी, गोरखपुर की श्रीमती अलका श्रीवास्तव, देवरिया के श्री रामप्रवेश यादव, फिरोजाबाद के श्री सर्वेश कुमार, इटावा के श्री विनोद कुमार, जालौन की श्रीमती अर्चना को कैंसर के उपचार हेतु, इलाहाबाद के मास्टर रितिक मिश्रा, गाजीपुर के श्री सर्वजीत राजभर, गोण्डा की श्रीमती दीपमाला को हृदय उपचार हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की गयी। इसी प्रकार, फतेहपुर की श्रीमती सुन्दर देवी, लखनऊ की श्रीमती तबस्सुम, खीरी के श्री सुधीर शर्मा को किडनी के उपचार हेतु, गाजीपुर के श्री बिरजू कश्यप को ब्रेन ट्यूमर के इलाज हेतु, इलाहाबाद की कु0 सुम्बुल फातिमा को ब्लड कैंसर के उपचार हेतु वित्तीय मदद प्रदान की गयी। इसके अलावा, वाराणसी के श्री संजय पाण्डेय को न्यूरो उपचार हेतु, लखनऊ की श्रीमती शैल तिवारी को कूल्हे के प्रत्यारोपण हेतु, लखनऊ के मो. फहद को एप्लास्टिक एनीमिया हेतु उपचार के लिए वित्तीय मदद प्रदान की गयी। अन्य जरूरतमन्दों को भी इलाज के लिए मदद स्वीकृत की गयी है।
बालोद। गत दिनों भारतीय जनता पार्टी बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा करते हुए आगामी चुनाव की भी तैयारियों को लेकर मंथन किया गया। इस बैठक में गुंडरदेही क्षेत्र के पूर्व विधायक व भाजपा के नेता वीरेंद्र साहू को डोंगरग़ढ़ विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। इस दौरान पूर्व विधायक ने छत्तीसगढ़ प्रभारी व राष्ट्रीय महामंत्री ई पुरंदेश्वरी, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, विष्णु देव साय आदि नेताओं से भी मुलाकात कर क्षेत्र में पार्टी की गतिविधियों की चर्चा की। वीरेंद्र को गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र के तिरंगा यात्रा का प्रभारी भी बनाया गया है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा जो भी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। वह उसका निष्ठा पूर्वक निर्वहन करेंगे। डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में जाकर वहां के कार्यकर्ताओं से प्रत्यक्ष मुलाकात कर संगठन को और अधिक मजबूत बनाएंगे, ताकि आने वाले चुनाव में वहां हमारी जीत सुनिश्चित हो सके। हरी मिर्च और एक नींबू के लटकन को लेकर दल्लीराजहरा के विख्यात पंडित सनत कुमार पाठक बताते हैं कि बुरी नजर से बचने के लिए टोटका और व्यापार में वृद्घि के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। भारत में नीबू-मिर्ची के कई टोटकों का चलन काफी लंबे समय से है. माना जाता है कि इसे बुरी नजर से बचने और घर की सुख-शांति के लिए भी लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि इसे लगाने के लिए सप्ताह के मंगलवार और शनिवार दो दिन को शुभ माना गया है। वे नीबू-मिर्ची के लटकन को पिछले 25 वर्षों से लगातार लगाते आ रहे हैं। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि यह शिक्षा उनके पिता गोदावरी पाठक से मिली हैं। मध्य प्रदेश के सीधी जिला में अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवा कालेज के धर्मगुरु से धर्म का ज्ञान प्राप्त कर अब धार्मिक कार्य करते हैं। सभी तरह की पूजा पाठ कराते हैं।
66 : मायापोत इस छेड़छाड़ को देखकर कमरे का तनाव बाहिर निकल जाता है। रवि राधा मेहरा को कुर्सी पर बिठाता है । वह अब भी झेंपी हुई लग रही है, उसकी वजह से मुझे इतनी गालियां पड़ी हैं। रवि वर्मा को कहता है, "चलो भाई, टिफ़िन खोलो। खाना हो जाये । आज डॉक्टर मेहरा भी हमारे साथ खायेंगी । ममा ने तो पूरी बटालियन का खाना भेज दिया है ! " राधा इनकार में सिर हिलाती है। रवि हल्की डाँट मारता है, "देखो डॉक्टर मेहरा, कसूर आपका है और गुस्सा इस बेचारे पर उतरा है। अय चुपचाप खा लो। नहीं तो...।" जूही उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे गाली नहीं वकने देती । खाना खत्म करके सब चले जाते हैं। वर्मा मेरी चारपाई के नीचे से फोल्डिंग चारपाई निकालकर खोलता है, विछाता है और मेरी ओर देखते हुए सिगरेट के लम्बे-लम्बे का खींचता है। जानता हूँ, मुझे किसी बात से रोकने की तैयारी कर रहा है। सिगरेट के लम्बे कश होने वाली बात की भूमिका है । "आज बहुत देर डॉक्टर मेहरा के घर बैठे ! " "मैं खुद नहीं गया। बाहर लॉन में घूम रहा था। उसने देख लिया, बुला लिया।" मैंने सफ़ाई पेश की। थोड़ी देर वह चुप रहा, मैंने जो सफ़ाई दी उससे वह सन्तुष्ट नहीं । "क्या वह तुम्हें अच्छी लगने लगी है ? "डोण्ट बी सिल्ली। मुझमें है क्या ? उसकी अच्छी खासी नौकरी है, वेतन है, फिर तुमने देखा है, कितनी सख्ती से पेश आती है, वोलती है !" "देखो, अपने-आपको धोखा मत दो। मैं मानता हूँ वह ज़रूरत से ज्यादा कठोर है। लेकिन तुमने उसकी कठोरता को अनदेखा किया है । इगनोर किया है। बताना क्या चाहते हो ? कि उसके कठोर होने-न-होते से तुम्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता। पूरी लापरवाही दिखाकर तुम किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हो, फिर "देखो वर्मा..." वह मेरी बात बीच में काट देता है, "मैं तुम्हें दोष नहीं दे रहा कि तुम जानबूझकर ऐसा करते हो । यह तुम्हारा जीने का ढंग बन चुका है । मायापोत : 67 यही तुम्हारा घातक आकर्षण है । तुम एक मारविंड प्रकार के आदमी हो । किसी को दुख देकर अपनी ओर खींचते हो ! "देखो वर्मा, तुम्हें हो क्या गया है ? तुम्हें ग़लती लगी है । मुझे उससे कुछ नहीं लेना । कोई इन्ट्रेस्ट नहीं ! ' "सन्तोष । तुम अनजाने में सब कुछ कर जाते हो। हमेशा दूसरे से ऊँची जगह खड़े होकर बात करते हो । जब दूसरा तुम्हारे पास ऊँची जगह पहुँच जाता है तो तुम ऊँची जगह जा खड़े होते हैं । तुम्हारा मन दूसरों को पीड़ा देने में, उन्हें दुख पहुँचाने में कहीं आनन्द प्राप्त करता है। दूसरों के लिए तुम्हारी यह मुद्रा, यह पोस्चर पीड़ा देने वाला है, टार्चर है ! "वर्मा, तुम मेरी बात मानते क्यों नहीं । तुम जानते हो किसी से इनवाल्व होना मेरे बूते के बाहिर है । इतनी देर उसके घर बैठा, मैं तो कुछ नहीं वोला । वही अपने पति के मरने की कहानी सुनाती रही !' "जानता हूँ । यह भी जानता हूँ, उसके पति के मरने की बात सुनकर तुमने कोई सहानुभुति नहीं दिखायी होगी।" वर्मा ठीक कहता है। मैंने कुछ नहीं कहा था, उसकी व्यथा-कथा सुनकर । वर्मा इतने अरसे से मेरे साथ रह रहा है । अन्तर्मुखी आदमी है । कई बार तो लगता है वह मेरे अन्दर का एक हिस्सा है, जो सामने बैठा मुझे मेरे बारे में बताता रहता है, समझाता रहता है। मेरी अन्तर्छाया है, शैडो है। मुझे चुप देखकर वह कहता है, "मुझे ओमर शरीफ़ की वह अंग्रेज़ी पिक्चर याद आ रही है, जो हम दोनों ने देखी थी । नाम भूल रहा हूँ । सारी पिक्चर में वह जंगली घोड़े टेम करता रहता है । पालूत बनाता रहता है । एक घोड़ा टेम करने के बाद वह उसे छोड़ देता है, दूसरे जंगली घोड़े को टेम करने के लिए वह तलाशता रहता है । और जब तुनकमिजाज़ सोफ़िया तारा उसकी ज़िन्दगी में आती है तो उसे भी वह बिल्कुल वैसे ही टेम करता है । वश में करना, टेम करना उसके जीवन का ढंग है, ज़िन्दा रहने का स्टाइल है। तुम भी वही हो । सिर मारने के लिए तुम्हें दीवार चाहिए । और अगर यह दीवार न हो तो तुम पैदा कर लेते हो ! "लगता है, आज तुमने मेरे पीछे पड़ने का इरादा कर लिया है ! " 68 : मायापीत "मैं तुम्हारे पीछे नहीं पड़ रहा । तुम्हें बता रहा हूँ कि किसी को भी दुख देने की भयानक योजनाएँ और स्कीमिंग तुम्हारे अन्दर हमेशा चलती रहती हैं। विलकुल ब्लेक के टाइगर की तरह । लेकिन देखो, आखिर में यह सब कुछ तुम्हें लपेट लेगा, नाश कर देगा। तुम सामान्य आदमी क्यों नहीं बन सकते ? कोई ऊँचा बोलता है, गुस्सा खाता है तो जवाब में गुस्सा क्यों नहीं खाते ? नार्मल ढंग से विहेव क्यों नहीं करते ? आगे से मुसकराते क्यों हो ? इसलिए कि तुम उस दूसरे को जता रहे होते हो कि तुम सुपीरियर हो, उसके गुस्से, उसकी खीझ या उसके दुख से ऊपर और दूर ।" मुझे पता है वर्मा सच कह रहा है। और इस आदमी के साथ जो सच है, उस पर वहस नहीं हो सकती। मैं दूसरों पर जिन्दा रहता हूँ, पैरासाइट हूँ, लेकिन कहीं न कहीं उनसे ऊँचा होने का आभास उन्हें देता रहता हूँ । इसलिए दूसरे मुझ पर खर्च करके, मेरा बोझ उठाकर खुश होते हैं, अहसान मानते हैं । "लेकिन मैं जानबूझकर तो ऐसा नहीं करता, " यह सफ़ाई मैं वर्मा को नहीं दे रहा, अपने आपको दे रहा हूँ । "मैंने कब कहा कि तुम जानवूझकर, कैल्कुलेट करके ऐसा करते हो । नहीं। यह तुम्हारे ज़िन्दा रहने का तरीक़ा है । ईश्वर ने तुम्हें ऐसा ही बनाया है। बात इसलिए कर रहा हूँ कि तुम्हें और डॉक्टर मेहरा को लेकर मुझे ख़तरा लग रहा है। तुम्हारे पास होती है तो पल-पल में उसका व्यवहार बदलता रहता है । क्यों ? तुम मरीज़ हो वह डॉक्टर, और कुछ तो नहीं । फिर वह इतनी स्ट्रेंज क्यों हो जाती है ? अपने पति के मरने की घटना तुम्हें सुनाने की क्या ज़रूरत ? यह तुम्हारा मारविड़ व्यक्तित्व है, घातक आकर्षण है जो उस पर हावी हो रहा है ।" वह विलकुल सच कह रहा है। मैं असहाय हो रहा हूँ । राधा मेहरा को लेकर खतरे के जो संकेत मुझे कई बार अन्दर से मिल चुके हैं, वर्मा को भी उनका पता है । वह मेरी ज़िन्दगी जीता है, मेरे अन्दर की छाया है, जिसने शरीर धारण कर लिया है, जो मुझे हमेशा रोकती है, खतरे से आगाह करती है, बरजती है । मायापोत : 69 "मैं क्या करूँ वर्मा ! तुम्हीं बताओ, मेरा क्या कसूर है ? उसने जलते सिगरेट से दूसरा सिगरेट लगाया । एक लम्बा कश खींचा, एक लम्बी सांस ली, पराजय स्वीकार करने वाली आवाज़ में बोला, "तुम क्या कर सकते हो ? कुछ भी नहीं । तुम जिस सुख की तलाश कर रहे हो वह है नहीं। सिर्फ़ फैन्टम शिप है। जानते हो, जव नाविक डूव रहे होते हैं, लगातार तैरने के बाद अधमोये हो जाते हैं तो ऊँची उठती लहरों में उन्हें लगता है कोई जहाज़ उन्हें बचाने के लिए आ रहा है । जहाज़ होता नहीं । उनका अपना अन्दर इस फैन्टम शिप का निर्माण कर लेता है । उठती हुई लहरों को जहाज़ समझकर उनकी ओर तैरते हैं और वही लहरें उन्हें निगल जाती हैं। इस नाम की कोई चीज़ नहीं। सब कुछ फैन्टम शिप है, माया है । जिस मायापोत के मोह में तुम हो, जिसके पीछे सुख की तलाश में भागे जा रहे हो, वह कहीं है ही नहीं।" आज वह बहुत बोला है, अपनी आदत के ख़िलाफ़ । मेरा सिर नीचे झुका है, छाती को ठोड़ी छू रही है । जव से होश सँभाला है तब से 'कुछ विशेष' . तलाश कर रहा हूँ । क्या सचमुच मायापोत के आने की प्रतीक्षा में ज़िन्दगी के इतने बरस गुज़ार दिये हैं ? क्या सचमुच मैं मारविड हूँ । मुझमें घातक आकर्षण है जो अन्त में विनाश ही करता है, हमेशा तोड़ता है, जोड़ता कभी नहीं । वर्मा उठकर मेरे बिस्तरे पर आता है। चेहरे से कसूरवार लगता है । उसे कहीं महसूस हो रहा है कि आज मुझे लेकर वह बहुत निर्दय हो गया है । मुझे लिटाता है, कम्बल गले तक डालता है और यह कहकर अपनी चारपाई पर चला जाता है, "सॉरी सन्तोष ! मैं आज बहुत वक-वक कर गया । लेकिन क्या करूँ ? तुम्हें लेंकर कनसर्ल्ड महसूस करता हूँ । चलो मारो गोली । जो होना है, सो होना है।" मुझे नींद नहीं आ रही । मेरे अन्दर का पर्त दर पर्त खुल रहा है । लगता है वर्मा ने किसी अँधेरी गुफ़ा का दरवाज़ा खोल दिया है। उसकी बहुत सारी बातें सही लगती हैं, विशेषकर औरतों को लेकर । इनके प्रति मैं अनजाने में हमेशा से निर्दय रहा हूँ, ठंडा रहा हूँ । याद करता हूँ कितनी बार भट्टी और रवि किसी-न-किसी को कमरे में लाये हैं । वह अपने काम 70 : मायापोत में लगे रहते और मैं मज़े से कोई किताब पढ़ता रहता । एक तो एक बार शराब पीकर विफर गयी थी । भट्टी और रवि के होते हुए पहले मेरे साथ सोने की ज़िद कर रही थी। बार-बार कह रही थी, 'नो, नाट विद यू । पहले यह हैंडसम, फिर तुम ! ' मैं जानता था यह वह नहीं बोल रही, उसकी शराब बोल रही है । नंगा होने के बाद उसने शायद पहली वार किसी मर्द की न सुनी थी, ज़िद पर उतर आयी थी । मुझे इस तरह का का सामूहिक --मशीनी- सेक्स हर बार अच्छा नहीं लगता। रवि ने कहा था, 'मान जाओ। दो सौ रुपये दिये हैं । ए वन चीज़ है।' मैंने फिर भी इन्कार कर दिया था । भट्टो ने मुझे खाना लाने के लिए कहकर वात सँभाली थी, "इसे खाना लाने दो । हम दोनों तो थोड़ी देर वाद चले जायेंगे । तुमने तो रात भर यहीं रहना है। सुबह जाना है। सारी रात अपने हैण्डसम को देख लेना।" मैं जानबूझकर काफ़ी देर लगाकर लौटा था । जब तक शायद रवि और भट्टी भुगत चुके थे । जल्दी-जल्दी खाना खाकर चले गये। वह औरत अव भी इन्तज़ार भरी आँखों से मुझे देख रही थी, बार-बार हाथ पकड़ रही थी। मैंने खीझकर कहा था, "अव आराम से सो जाओ । दो आदमी काफ़ी नहीं क्या ?" उसने घूरकर मुझे देखा था, चारपाई से उठी थी, जीन्स डाली थी, और कैन्वेस के बूटों के तस्मे वाँधकर जाने के लिए उठी थी । उसका चेहरा अपमान से जल रहा था । कटी हुई आवाज़ में कहा था, "यू आर अ बास्टर्ड । यू मस्ट वी इम्पो ।" सुवह वर्मा को रात वाली बात बतायी थी तो उसने हल्के कहा था कि जिस काम के लिए उसे बुलाया था, पैसे दिये थे, वह काम कर देना था। दोपहर बाद भट्टी ने भी डाँटा था । शायद उस लड़की ने फ़ोन पर मेरी शिकायत की थी । "उस माँ को नाराज़ कर दिया न । अब तू ही खोज किसी और को।" उस लड़की का विफरा हुआ चेहरा मेरे आस-पास घूम रही है । क्या सचमुच साले, अब कभी नहीं आयेगी । और चाकू-सी आवाज़ अब भी दूसरों को हर्ट करने में, दुख देने
3.7 देयता की परिसीमा एक्सचेंज अपने सदस्यों के या किसी अन्य सदस्य के नाम में कार्य करते हुए किसी अन्य व्यक्ति, या अप्राधिकृत, के किसी कार्यकलाप के लिए दायी नहीं होगा और किसी भी समय उनमें से किसी द्वारा या तो अकेले या संयुक्त रूप से, भूल या चूक के किसी कृत्य को उनमें से किसी द्वारा एक्सचेंज के एजेंट के रूप में भूल या चूक का कोई कृत्य नहीं माना जाएगा। इन उप विधियों में तथा एक्सचेंज के नियमों तथा व्यापारिक नियमों/विनियमों में अन्यथा विशिष्ट रूप से उपबंधित के सिवाय, एक्सचेंज देयता उपगत नहीं करेगा या कोई देयता उपगत किया हुआ नहीं माना जाएगा और तदनुसार एक्सचेंज के माध्यम से इसके सदस्यों द्वारा किये गये लेन देनों के संबंध में या उससे संबंधित किसी अन्य मामलों, जो एक्सचेंज के संस्था अंतर्नियम तथा बहिर्नियम में परिभाषित इसके उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक्सचेंज के कार्या को संवर्धित करने, सुगम बनाने, सहायता देने, विनियमित करने या अन्यथा प्रबंध करने के लिए किये जाते हैं, के संबंध में एक्सचेंज, शासी बोर्ड / या उसके द्वारा विधिवत नियुक्त समिति के किसी सदस्य या एक्सचेंज के लिए या की ओर से 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हानियों, क्षतियों, नुकसानों तथा जुर्मानों से तथा के विरुद्ध एक्सचेंज को क्षतिपूरित करेगा तथा क्षरिपूरित रखेगा । 3. 11 दायित्व मुक्ति जहां आई एफ आर ए तथा उसके अधीन बनाये गये नियमों या उप विधियों या एक्सचेंज के नियमों तथा व्यापारिक नियमों/विनियमों के प्रावधानों के अनुपालन में किसी त्रुटि या भूल या चूक के कारण या के परिणामस्वरुप अथवा उसके अनुसरण में निष्पादित या किये गये किसी करार, संविदा या लेन देन के कारण या एक्सचेंज के किसी सदस्य या समाशोधन एजेंसी, जो एक्सचेंज का हिस्सा नहीं है, किन्तु एक्सचेंज में किये गये लेन देनों के समाशोधन तथा निपटान में लगी एक स्वतंत्र एजेंसी है, या उनके कर्मचारियों, सेवकों या एजेंटों की ओर से किसी उपेक्षा या धोखाधड़ी के कारण किसी पार्टी या व्यक्ति को कोई हानि या नुकसान पहुंचा है तो एजेंसी से इस प्रकार पूरी की गई राशि को वसूल करने का हक होगा । 3. 12 विच्छेदनीयता यदि इन उप विधियों या एक्सचेंज के नियमों तथा व्यापारिक नियमों / विनियमों का कोई प्रावधान किसी सांविधिक संशोधन, पुनः अधिनियमन, अधिसूचना या किसी सक्षम न्यायालय, अधिकरण या नियामक प्राधिकारी के किसी न्यायिक 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नियमों तथा व्यापारिक नियमों/ विनियमों के अंतर्गत किसी आवश्यकता का पूर्णतः या अंशतः पालन या अनुपालन करने में किसी विलंब या विफलता को एक्सचेंज द्वारा इन उप विधियों, एक्सचेंज के नियमों विनियमों का उल्लंघन माना जाएगा । 3. 15 इन उप विधियों या एक्सचेंज के नियमों तथा विनियमों के प्रावधान, जैसा कि समय-समय पर निर्धारित किये जाए, सदस्यों द्वारा या तो स्वयं के लिए तथा / या ग्राहकों की ओर से ऑर्डर पूरा करना सुगम बनाने के लिए, चाहे ऐसे ऑर्डर सदस्यों को सीधे दिये जाएं या किसी अन्य मध्यवर्ती के माध्यम से दिये जाएं, और इन उप विधियों या एक्सचेंज के नियमों तथा विनियमों में यथा उपबंधित रूप में लेन देनों की ट्रेडिंग, क्लियरिंग तथा निपटान के संबंध में सदस्यों, अन्य मध्यवर्तियों तथा ग्राहकों के बीच और उनमें परस्पर अधिकारों तथा देयताओं का निर्धारण करने के लिए एक्सचेंज के सदस्यों ग्राहकों तथा उनके संबंधित उत्तराधिकारियों अथवा अनुमत समनुदेशितियों के लाभ के लिए आश्यत है । 4 ट्रेडिंग के लिए संविदाओं की प्रविष्टि 4.1 बोर्ड या इस प्रयोजन के लिए नियुक्त तथा अधिकारप्राप्त सम्बद्ध अथारिटी वस्तुओं तथा उन पर अन्य लिखितों व्युत्पन्नो तथा में संविदाओं, जिसके लिए एक्सचेंज से वायदा बाजार आयोग से. अनुमति प्राप्त की है, के संबंध में संविदा विनिर्देशन को अंतिम रूप देने के लिए प्राधिकारी तथा संशोधन प्राधिकारी होगा। कोई संविदा शुरू करने से पहले एक्सचेंज आयोग की पूर्व सहमति प्राप्त करेगा । 4.2 एक्सचेंज के सदस्य सिर्फ ऐसी संविदाओं में लेन-देन करेंगे तथा उनका समाधान करेंगे जो बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट तथा वायदा बाजार आयोग द्वारा अनुमोदित हों । 4.3 एक्सचेंज में अनुमत संविदाओं में सभी लेन-देन सिर्फ एक्सचेंज द्वारा अनुमोदित रीति में किए जाएंगे। 4.4 प्रणाली में कोई ऑर्डर दर्ज करते समय सदस्य यह स्पष्ट करेगा कि क्या ऐसा ऑर्डर उसके स्वयं के नाम में है या उसके ग्राहक के खाते पर है। यदि ऑर्डर ग्राहक के लिए तथा की ओर से है तो उसे संबंधित ग्राहक पहचान संख्या निर्दिष्ट करनी चाहिए ।
संजय गांधी को भारतीय राजनीति का ऐसा पोस्टर ब्वाय कहा जा सकता है जो जितने लोकप्रिय थे उतनी ही उनके नाम की दहशत भी थी। आपातकाल और उसके बाद के कुछ सालों की राजनीति के केंद्र में संजय ही रहा करते थे। कुछ लोग आपातकाल के लिए उन्हें ही जिम्मेदार मानते हैं तो ये मानने वाले भी कम नहीं मिलेंगे कि संजय गांधी अगर कुछ दिन और जिंदा रहते तो देश की राजनीति की दशा और दिशा कुछ और ही होती। आज संजय गांधी की पुण्य तिथि है, ऐसे में याद करते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्सों को। संजय गांधी को रफ्तार का बहुत शौक था, चाहे वह कार की हो या हवाई जहाज की। उनका यही शौक उनकी जान का दुश्मन बना। जिस दिन उनकी मौत हुई उस दिन वह दिल्ली फ्लाइंग क्लब के पूर्व इंस्ट्रक्टर कैप्टन सुभाष सक्सेना के साथ उड़ान पर निकले थे। उड़ने के कुछ मिनट बाद ही जहाज का इंजन बंद हो गया और कुछ सेकेंड बाद ही वह अशोका होटल के पीछे जाकर गुम हो गया। 23 जून 1980 की सुबह हुए इस हादसे में मात्र 32 साल की उम्र में ही संजय गांधी की मौत हो गई थी। उनके साथ ही कैप्टन सक्सेना भी इस हादसे में मारे गए थे। मौत से एक दिन पहले ही संजय गांधी ने पत्नी मेनका गांधी को अपने टू सीटर हवाई जहाज में बैठाकर दिल्ली के आसमान में कई चक्कर लगाए थे। संजय गांधी ने बहुत कम उम्र में राजनीति में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। कहा जाता है कि आपातकाल के पहले और बाद के इंदिरा गांधी की राजनीति को पर्दे के पीछे से संजय ही संचालित करते थे। इंदिरा के ऑफिस से निकलकर तमाम फाइलें उनके छोटे बेटे के ऑफिस पहुंचती थी इसके बाद ही उन पर अमल होता था। तेजी से राजनीति में छाने का मंसूबा लेकर आए संजय गांधी के दौर में ही यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई जैसे युवा संगठनों को ऊर्जा मिली और उन्होंने तेजी से पूरे देश में पकड़ बनाई। उस दौर में तमाम अखबारों में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के हुडदंग और बवाल के किस्से छाए रहते थे। अपने बड़े भाई की तरह ही संजय गांधी भी प्रशिक्षित पायलट थे, लेकिन उन्होंने इसे पेशे के तौर पर नहीं अपनाया। वह मां की तरह राजनीति में आगे बढ़ने के इरादे लेकर आए थे, इसलिए संजय के दौर में राजीव पूरी तरह किनारे रहे। शायद पायलट के पेशे को छोड़कर राजनीति में आने की उनकी कोई रुचि नहीं थी। वहीं संजय गांधी पूरी तरह राजनीति को आत्मसात करना चाहते थे इसलिए अपनी मां से जुड़े तमाम छोटे बड़े फैसलों में उनकी राय समाहित रहती थी। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान अपनी बेहतरीन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। एक्टिंग की दुनिया में अपने टैलेंट का लोहा मनवा चुके आमिर एक बेहतरीन डायरेक्टर भी हैं। आमिर ने आइकॉनिक फिल्म 'तारे जमीन पर' को डायरेक्ट किया था। इस फिल्म का प्लॉट और स्टोरीलाइन इतनी बेहतरीन थी कि दर्शक ने इसे बेशुमार प्यार देकर सुपरहिट बना दिया।
कोलकाता (एएनआई): कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा (आईएसएफ) के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दीकी को केंद्रीय बलों की सुरक्षा का आदेश दिया, जिसमें भांगर में हिंसा के बाद उन्हें जान का खतरा होने का आरोप लगाते हुए सुरक्षा की मांग की गई थी। भांगर विधायक ने पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया के बाद भांगर सहित हिंसा से सुरक्षा मांगी थी। भारतीय जनता पार्टी और वाम दलों सहित विपक्षी दल सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा के पीछे मूल कारण होने का आरोप लगा रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में, नौशाद सिद्दीकी ने भी आरोप लगाया था कि विपक्षी नेताओं को नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। "9 मई से हिंसा बढ़ रही है, जैसे-जैसे समय बीत रहा है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में हर जगह नामांकन दाखिल करने में समस्याएं आ रही हैं। इसलिए, हम आज मुख्यमंत्री से मिलने गए, लेकिन हम नहीं मिल सके। " अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण," सिद्दीकी ने कहा था। नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन, बीरभूम के अहमदपुर में सैंथिया के प्रखंड विकास कार्यालय (बीडीओ) में ताजा हिंसा भड़क उठी। विशेष रूप से, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) द्वारा संवेदनशील घोषित सभी क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की आवश्यकता और तैनाती का आदेश दिया था। गौरतलब है कि आरोपों के बीच टीएमसी सुप्रीमो ने विपक्षी ताकतों पर उनकी पार्टी की छवि खराब करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और झड़पों और हिंसा में टीएमसी की संलिप्तता से इनकार किया। इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आगामी पंचायत चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अवकाश पीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, "हमने पाया कि उच्च न्यायालय के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। याचिका खारिज की जाती है। " पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव 8 जुलाई को एक ही चरण में होंगे, जिसकी मतगणना 11 जुलाई को होनी है। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है, जिसे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के लिए लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। (एएनआई)
पुलिस के तमाम प्रयासों के बाद भी छेड़छाड़ की घटनाओं पर विराम नहीं लग पा रहा है। बुधवार रात बाजार में सामान खरीदने गई महिला इंस्पेक्टर की बेटी से छेड़छाड़ की गई। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पटेलनगर कोतवाली क्षेत्र में महिला इंस्पेक्टर की बेटी बुधवार रात सामान खरीदने बाजार गई थी। घर लौटते समय मंडी तिराहे के पास अंधेरे का लाभ उठाकर एक युवक ने उसके साथ छेड़छाड़ की। इंस्पेक्टर की बेटी ने विरोध किया तो आरोपी बदतमीजी पर उतर आया। मनचले के हौसले इतने बुलंद थे कि उसने कुछ दूरी पर तैनात पुलिस कर्मियों का भी डर नहीं था। पीड़िता ने शोर मचाने के साथ फोन कर परिजनों को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। इसके बाद सक्रिय हुई पुलिस ने छेड़छाड़ के आरोपी नदीम निवासी बेहट को पकड़ लिया। पटेलनगर कोतवाली इंस्पेक्टर सूर्यभूषण नेगी ने बताया कि महिला इंस्पेक्टर की बेटी से छेड़छाड़ के मामले में मुकदमा दर्ज कर बृहस्पतिवार को आरोपी का चालान कर दिया। छेड़छाड़ की दूसरी घटना रायपुर क्षेत्र में हुई। पुलिस के मुताबिक डालनवाला क्षेत्र की महिला 16 अक्तूबर की रात रायपुर क्षेत्र से गुजर रही थी। इसी बीच एक युवक ने पीछा करते हुए महिला से छेड़छाड़ की। महिला ने विरोध जताया तो आरोपी ने गाली-गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी हैं।
मोक्षका उपाय बने है तहाँ तो पूर्वोक्त तीनो ही कारण मिले हैं अरन बने है, तहाँ तीनो ही कारण न मिले हैं। पूर्वोक्त तीन कारण कहे, तिनविषे काललब्धि वा होनहार तो किछू वस्तु नाही । जिस कालविषै कार्य बने सोई काललब्धि और जो कार्य भया सोई होनहार । बहुरि जो कर्मका उपशमादिक है, सो पुद्गलकी शक्ति है, ताका आत्मा कर्ता हर्ता नाही । बहुरि पुरुषार्थते उद्यम करिए है, सो यहु आत्माका कार्य है । तातै आत्माको पुरुषार्थकरि उद्यम करनेका उपदेश दीजिए है। तहाँ यहु प्रात्मा जिस कारणते कार्य सिद्धि अवश्य होय, तिस कारणरूप उद्यम करै, तहाँ तो अन्य कारण मिले ही मिलै र कार्यकी भी सिद्धि होय ही होय । बहुरि जिस कारणते कार्य की सिद्धि होय प्रथवा नाही भी होय, तिस कारणरूप उद्यम करै, तहाँ अन्य कारण मिलै तो कार्यसिद्धिहोय, न मिलै तो न सिद्धि होय । सो जिनमतविषै जो मोक्षका उपाय कह्या है, सो इसते मोक्ष होय ही होय । तातै जो जीव पुरुषार्थकरि जिनेश्वरका उपदेश अनुसार मोक्ष का उपाय करे हैं, ताकै काललब्धि वा होनहार भी भया र कर्मका उपशमादि भया है तो यहु ऐसा उपाय करै है । तातै जो पुरुषार्यकरि मोक्षका उपाय करै है, ताकै सर्वकारण मिले हैं, ऐसा निश्चय करना कैमोक्ष की प्राप्ति हो है । बहुरि जो जीव पुरुषार्थकरि मोक्षका उपाय न करें, ताकै काललब्धि वा होनहार भो नाही अर कर्मका उपशमादि न भया है तो यहु उपाय न करै है । तातै जो पुरुषार्थकरि मोक्षका उपाय न करै है, ताकै कोई कारण मिले नाही, ऐसा निश्चय करना मर वाकै मोक्षकी प्राप्ति न हो है । बहुरि तू
करपरसत टूट्यो जनुहुतो पुगरि पठायो ॥ २ ॥ पहिजयमाल जानको जुबतिन्ह मंगल गायो । तुलसी सुमन हरपे सुर सुजस तिह पुर छायो ॥ ३ ॥ १३ ॥ राम इ० सु० ।।१।। हुतो पुरारि पहायो भाव श्रीशिव जी रहे कि श्रीराम के छुअत टूटि जाना ॥ २ ॥ ३ ॥ ९३ ॥ राग टोड़ो - जनक मुदितमन टूटत पिनाक के । बाजे ( धावने सुहावने मंगल गान भयो सुप एकग्स रानौ शंक के ॥ १ ॥ दुंदुभी वजाइ गाइ हरषि बरषि फूल गन नाचे नाचे नायकह नाक के । तुलसौ महीस देषि । रजनीस जैसे सूने पर सून से मनो मिटाये में के ॥ २ ॥ १४ ॥ जनक इ० रांक दरिद्र ॥ १ ॥ नाक के नायक इन्द्र, दिन में जैसे देखि परत हैं तैसे राजा सब देखि परे अब दूसरी उपमा कहत अंक के मिटाए सुन्न सूना परत है अर्थात् घे हिसाव है जात है लान तो न सानि साज़ राजा राड रोपे हैं। कहा चाप चढाए व्याहु है है वडे पाये बोलै पोलै सेल असि कत चोपे हैं ॥ १ ॥ जानि पुरजन बसे धीर है लपन से बत इन्ह के पिनाक नौके नापे जोंपे हैं। कुलहि लजावे ल वालिस वजावै गाल कैधौ कूर काल वस तमकि । दोपे हैं ।। २ ।। कुअर चढाई भींहैं अब को बिलोकै सोहैं हां तहां मे अचेत पेंत केसे धोये हैं । देपे नर नारि कहें ॥ग पाड़ जाए माय वाहु पोन पावरनि पीना पाय पोये हैं ३ ॥ प्रमुदित मन लोक कोकनद कोकगन राम के प्रताप
सचित्र घायुर्वेद, अप्रैल, १९५८ भी खाना नही । कारण इनका विपाक मम्ल --प्रतएव कफपित्तप्रकोपक - होता है। भच्छ से अच्छ मधुर रसा स्मक प्रतीत होनवाल टमाटर को राघिए उसका रस अम्ल हो जाता है। यही स्थिति उसका जठराग्नि द्वारा पाक होन के अनन्तर होती है । टमाटर क सदश ही चालू हमार दश म नया भाया है। अनभव स इसका वातप्रकोपक स्वभाव हमन निश्चित कर लिया है। चाय तो उसक भी पीछ आई होन पर भी उसक गण-दोष का परिज्ञान हम हो चका है । मिच की भी यही दशा है । हरी और लाल मिर्च का भद भी वद्य जन जान चक ह । क्वीनाईन तिक्त होन पर भी उष्णवाय और रूक्ष है यह हम प्रयोग स निश्चित कर जान चक ह और उसको हठात उपयोग करत हुए स्निग्धगीत दुग्ध क सप्रमाण उपयोग की सलाह रुग्णो को दत ह । इन द्रव्या को अपन समक्ष श्राप रखग तो प्राय भी पश्चात काल म भारत म प्राए सत्यानाशी चोपचीनी आदि द्रव्या की स्वय स्मति आपको हो जाएगी । और उसक आधार पर इतना स्पष्टता से अपरिज्ञात द्रव्या के रस-गण-वीय विपाक के परिज्ञान का माग आपके सामन प्रशस्त हो ही जाएगा। नव्यमत से रसादि का विचार रस गण वायादि का प्रथ नव्य मत से क्या है ? एव किमी द्रव्य क रस गण-वार्यादि नव्यमत से कम निधारित किए जा सकत है यह प्रश्न भी अवपक विद्वाना की सभाषा में उपस्थित होता है । इस विषय म भी मरा नम्र मत ऊपर निर्दिष्ट तक क्रम से यही है कि आयवद क अन्वषण के लिए जितना भी द्रव्य सुलभ हो उसका अधिका घिक उपयोग रूग्णचिकिसामक प्रवषण काय म हो यही हमारा प्रयत्न होना चाहिए । प्रत्यक्षत्रिय जनता तथा अधिकारियो को आयुर्वेद की उपयोगिता दर्शानवाला इसस अधिक उत्तम उपाय अन्य नहीं। इसक द्वारा श्रायुर्वेद की उपयोगिता और उपादयता का प्रत्यय (विश्वास) होन पर ही धनपति किवा शासन आयर्वेद को हस्तावलम्बन दन के लिए अभिमख हो सकत ह । भ्रन्यथा नही । तथापि किसी को नव्य मत से रस गुण-वीय विपाक के ज्ञान का आग्रह हो ही तो उसकी भी पद्धति प्राचीन आचाय दशा गए है । सुश्रुत न कहा है - गुणो का ज्ञान उनक कर्मों से होता है । धन्वन्तरि निघण्टुकार न रस गुण-वीय विपाक सभी का ज्ञान कर्मों से होता हुआ बताया है। घरक न भी बिपाक की निश्चिति कम स ही होती हुई कही है। रस क अनुसार जो कम द्रव्य विशेष का होना चाहिए वह न हो ――साथ ही अन्य भी लक्षण विशेष दृष्टिगोचर हो तो विपाक रस से भिन्न भौर अमक है यह कल्पना की जा सकती है। बीय और गण म भद इतना ही है कि गुरु लघु उष्ण शीत भादि घम स्वल्प प्रमाण म हो तो उन्ह गुण कहत है । वही अधिक शक्तिशाली (इटन्स) हो तो उन्ह गुण न कहकर वीय कहा जाता है। (वीय शब्द यहा सामान्य घम क ग्रंथ म नही है धम विशेष के भ्रथ म है ) । जहा चरक न मधुर स्कद आदि के रूप म रस भद से द्रव्यो क वग दिए है वहा उसन स्पष्ट कहा है कि मघर रस क सदश जिस द्रव्य के कम हो उसका रस मधर होता है यह समझना चाहिए । खनिजो क रस का निर्णय भा प्राचीनो न उनक कम देख कर ही किया था यह निर्णय इस वचन से अनायास किया जा सकता है। खनिजो क मधुरादि रस होने का यह भी ग्रथ है कि जिन द्रव्यो म अमक शकरा हो या जो पाकातर नकराक रूप में परिवर्तित होन का स्वभाव रखत हो व ही द्रव्य मधर नही मान जान चहिए । यह भी समझना चाहिए कि शरीर का भाषय अमुक द्रव्यो क सवन से शरीर म रक्षित रहता है या उसकी उत्पत्ति सविशेष होती है । इसस यह भी समझा जा सकता है कि प्राचीन मतको नवीन सतक ढाच म बिठान क पूर्व कई भाषारभूत बात हम सब अच्छी तरह से समझ लनी चाहिए। विशेष तया अपनत्र के मत का स्वरूप सम्यक बुद्धिस्थ कर लना चाहिए । कवल शब्दा का भाषातर जान लना पर्याप्त न समझ लना चाहिए । विपाक का ज्ञान प्राणिशरीर म करना हो तो पाक की तत-तत अवस्था म आमाशय पच्यमानाशय तथा पक्वाशय म स्थित द्रव्यो को बाहर निकालकर उसकी परीक्षा की जा सकती है। इसक लिए जिस द्रव्य की परीक्षा करनी हो उसी को आहार रूप म दना आवश्यक होगा। प्राणिशरीर क बाहर विपाक की परीक्षा करनी हो तो जिन जिन रसो का सयोग आमाशय आदि म होता है उनको जितन काल द्रव्य पृथक पथक भाशय म रहत है उतन काल उस उस रस से युक्त परीक्षा नली आादि पात्र म रख कर परिणाम रूप म प्राप्त द्रव्य का निरीक्षण करना सभव होगा। कह नही सकत जैस ग्रहणीगत बुद्धितत्त्व की क्रिया से भुक्त प्रव्यगुणशास्त्र में अनुसन्धान एक विचारणा आहार या भौषध द्रव्य विवचित हो कर उसका उपयोगी प्रथ रस का ग्रङ्ग बन जाता है तथा शष अनुपयुक्त किट्ट क रूप म पक्वाशय में पहुँचा दिया जाता है वैसा विवचन ( सार किट्ट विभजन) प्रयोगशाला म परिपाक क अनतर होगा या नही और होगा तो कितन अशम ? रस का निश्चय तदगत शकरा लवण अम्ल आदि की अवस्थिति से किया जा सकता है । गुणो तथा बीयों का विनिश्चय तत्तत उपकरण से करना कदाचित् सभव होगा। जिन द्रव्यो को हम उष्ण कहत है व शरीर म उष्णता की उत्पत्ति को उद्दीपित करत ह । शीत द्रव्य उसी क्रिया को क्षीण करत है । आधुनिक प्रयोगशाला म शरीर की प्राभ्यन्तर उष्णता को जाचन का जो साधन हो उसका विनियोग इस काय म किया जा सकता है। शायद बी० एम० आर० (बसिक मटाबालिक रट) जाचन की क्रिया इसम सहायक हो सकती है । द्रव्य स्वद की बद्धि करत है । शरीर क महास्रोत रस रक्तवह स्रोत आदि की गति को भी बढात है । ब्लडप्रशर कार्डीप्रोग्राम आदि क ज्ञान के साधन इसम उपयोगी होन सभव है। मन्दगुण तथा उसके विरोधी प्रथम आया तीक्ष्ण गुण स्रोतो म वाह्य द्रव्य की गति को क्रमश मद तथा तीव्र करत है । तत तत स्रोत क वाह्य द्रव्य की गति जाचना कदाचित सुगम है । पाककर अथ म माया तीक्ष्ण गण अग्नि की बद्धि करता है। आमाशय आदि म पाचक रसो की स्रुति प्रषिक प्रमाण म हो तो द्रव्य उतन अश म तीक्ष्ण कहा जा सकता है। धात्वग्नियो की क्रिया पर द्रव्य का परिणाम मटाबालिज़म क रट की बद्धि स जाना जा सकता है। किसी गुण की कितनी इयत्ता (इसिटी) होन पर उस गुण कहना तथा कितना प्रमाण हो तो उसी को बीय कहना - - इस की कोई मर्यादा प्राचीनो न भी कही नही है। वह प्राचीन और नव्य उभय मत से विद्वानो को निर्धारित करनी चाहिए । म स्वभावत ही अधिक विचार स्वय करक वास्तव म सहाय भूत हो सकत ह । अत एसे ही किन्ही विद्वान् से इस दिशा म माग विनिश्चय करन की प्राथना पुन पुन करता हू । नव्यमत से सामान्य तथा विशेष रूप स रस गण वीय विपाक का निर्णय कैस करना उसकी दिशा ही ऊपर की पक्तियो म दर्शायी है। इस विषय क निष्णात इस काय पेनिसिलिन आदि का विचार द्रव्यगणविज्ञान के अन्वषण म पनिसिलिन प्रादि का भी विचार प्राप्त है। कई विद्वान इनक रस गुण-वीय विपाक का निश्चय करक तथा इनका तत तत दोष पर परिणाम निर्धारित कर इन्ह आयर्वेदीय निघण्ट तथा चिकित्सा म समाविष्ट कर नन का मत दर्शाते है । इसक लिए तदव युक्त भवज्य और स एव भिवजा श्रेष्ठ इत्यादि वचन भी प्रस्तुत किए जात ह । परंतु म समझता हूँ अभी इन द्रव्यो पर अन्तिम निणय अर्वाचीनो न भी घोषित नहीं कर दिया है। कई चितक तो कहत है औौषष निर्माता ब्यवसायी न होत तो भाज ऍलोपथी के स्थान पर निसर्गोपचार प्रतिष्ठित होता । मझ कुछ कुछ एसी प्रतीति होती है कि प्राचीनो न किसी काल क्षत्रभूत शरीर की दुष्टि के साथ बीजभूत जतुप्रो का भी उपचार अपनी पद्धति म शामिल किया था । परन्तु पीछ के अनुभव से व शरीर की दोषकृत दुष्टि को ही अधिक महत्व देन लग । यही आयुर्वेद की परम्परा है। जो द्रव्य जन्तुभो पर क्रिया करत ह उनका उपयोग आयर्वेदाभिमत नही है। इसी प्रकार इजक्शन द्वारा भौषष प्रयोग भी हमारे भौषषनिर्माण की परम्परा नही है। तथापि पनिसिलिन आदि का विचार करना ही हो तो इसक लिए वो वृष्टिया रखी जा सकती है । एक तो विषो का औौषधतया उपयोग पनिसिलिन प्रादि को भी विष प्राचीनो न किया ही है । गिन कर विषतत्र म दर्शित प्रकार से इनका निरूपण करना चाहिए । दूसर आयुर्वेद म शुद्ध चिकित्सा उसी को कहा है जो मूल रोग को नष्ट कर साथ ही प्राय रोग को उत्पन्न न कर । पनिसिलिन आदि शद्ध चिकित्सा की इस परि भाषा पर कहा तक खर सिद्ध होत ह यह दखना चाहिए । नव्य भौषघो के विषय म सक्षप म निदर्शित इन मुद्दो क अनुसार अधिक विस्तृत विचार विज्ञ वैद्य कर सकत है ।
पंचरुखी - नोटबंदी के इतने दिन बाद भी देहाती इलाकों में हालात नहीं सुधर पाए हैं। ताजा मामला पंचरुखी एसबीआई का। यहां जरूरत के अनुसार पैसा न मिलने पर लोगों में गुस्सा बढ़ने लग है। गुरुवार को यहां सर्दी में खड़े लोगों का कहना था कि तीन दिनों से बैंक आ रहे हैं कैश के लिए आज कल आज कल कह रहे हैं । इससे लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है । यहीं नहीं कुछ उपभोक्ताओं ने अपना खाता बदल लिया है । हालांकि बैंक ने पिछले तीन दिनों में लाखों रुपए वितरित किए हैं । अब सवाल यह है कि बैंक ने किसे रुपए वितरित किए जबकि लोगों तीनों दिनों से चक्कर लगाने की बात कह रहे हैं । नोटबंदी के दो माह बाद भी स्थिति सामान्य नही हो पाई है । जहां बैंकों में कैश की समस्या विकराल है व लोगों को आज भी चार हजार मिलने पर परेशानी हो रही है । वहीं एसबीआई के एटीएम पंचरुखी में ताला लटका हुआ है। बैंकों के अकाउंट होल्डर डोगरा अनुसार कैश की कमी चल रही है। पीछे से कैश न मिलने से समस्या आई है। जबकि पिछले तीन दिनों में बैंक से लाखों रुपए वितरित किए हैं। केंद्र सरकार के दावों की पंचरुखी में हवा निकल गई है व बैंकों में कैश उपलब्ध करवाने में कामयाब नहीं हो पाए है । उपभोक्ता अपने ही पैसों को लेने के लिए परेशान है व चक्कर काटने को मजबूर है । जनता के सब्र का बांध टूट रहा है व उनमें रोष की लहर है। बहरहाल बैंकों में कैश कम आने से समस्या बनी हुई है।
खालिस्तान समर्थक ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 15 अगस्त को लेकर बड़ी धमकी दी है। नई दिल्लीः खालिस्तान समर्थक ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 15 अगस्त को लेकर बड़ी धमकी दी है। इस बारे में खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने योगी आदित्यनाथ को धमकी दी कि 15 अगस्त को सीएम योगी आदित्यनाथ को हम लखनऊ के विधानभवन पर झंडा नहीं फहराने देंगे। मीडिया पर्सन को सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए धमकी का ऑडियो फोन पर रिकॉर्डिंग भेजा गया है। चर्चित संगठन खालिस्तान सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए धमकी वाला ऑडियो मीडियाकर्मियों को भेजा। भेजे गए इस ऑडियो में कहा गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 15 अगस्त को लखनऊ विधानभवन पर तिरंगा झंडा नहीं फहराने देंगे। बृहस्पतिवार को खालिस्तान समर्थक एवं सिख फॉर जस्टिस संगठन (एसएफजे) के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने ये धमकीभरा ऑडियो भेजा। पन्नू ने लखनऊ के मीडियाकर्मियों को +6478086308 इस नंबर के माध्यम से दी। गुरपखवंत सिंह पन्नू ने कहा कि वो सीएम योगी आदित्यनाथ को 15 अगस्त पर तिरंगा नहीं फहराने देंगे। वहीं इससे पहले गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और हिमाचल के हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार को धमकी दी थी। 59 सेंकेंड के भेजे गए रिकार्डेड ऑडियो में गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि भाजपा, आरएसएस और पीएम मोदी किसानों के विरोध में हैं और सीएम योगी आदित्यानाथ उनका साथ दे रहे हैं। पन्नू द्वारा भेजे गए यूपी के लोग और किसान यूपी सरकार को तिरंगा झंडा नहीं फहराने देंगे। साथ ही भेजे गए इस ऑडियो संदेश में ये भी कहा गया है कि सहारनपुर से रामपुर तक एरिया खालिस्तान बन जाने के बाद अपने कब्जे में लिया जाएगा। इससे पहले 15 अगस्त को लेकर खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा देश के कई मुख्यमंत्रियों को धमकी दी गई थी। इसमें कहा जा रहा है कि 15 अगस्त को झंडा ना फहराया जाए।
भारतीय कप्तान विराट कोहली मैदान पर उतरें और रिकॉर्ड न बनाएं ऐसा कम ही देखने को मिलता है। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गए दूसरे टी 20 मुकाबले में रोहित शर्मा को पछाड़ते हुए इस फॉर्मेट में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक 50 से अधिक स्कोर बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। विराट ने 22 बार 50 प्लस स्कोर बनाया है। आपको बता दें, यह अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड पहले टीम इंडिया के उपकप्तान रोहित शर्मा के नाम दर्ज था। उन्होंने 21 बार टी 20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 50 प्लस स्कोर बनाए हैं। तीसरे नंबर पर कॉलिन मुनरो 16 50 प्लस स्कोर के साथ मौजूद हैं। हिटमैन के नाम से मशहूर रोहित शर्मा अंतरारष्ट्रीय टी 20 क्रिकेट में 2434 रन के साथ नंबर-1 पर मौजूद थे। लेकिन कप्तान विराट कोहली ने उनका यह रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। विराट ने 72 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेलकर इस फॉर्मेट में 2441 रन बनाकर सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। इस मैच में विराट कोहली ने 52 गेंदों पर 72 रनों की शानदार पारी खेलकर 149 के आसान से लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाई और टीम ने 7 विकेट्स से जीत दर्ज कर 1-0 की बढ़त बना ली। अब इस सीरीज का तीसरा और आखिरी मैच 22 सितंबर को बैंगलौर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जाएगा।
पुणे। राइजिंग पुणे सुपरजाएंट के कप्तान स्टीवन स्मिथ ने किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ रविवार को महाराष्ट्र क्रिकेट संघ स्टेडियम में खेले गए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मैच में मिली जीत का श्रेय गेंदबाजों को दिया है। पुणे ने गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के दम पर टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी पंजाब की पारी 73 रनों पर ही समेट दी। इस आसान लक्ष्य को पुणे ने अपने तीन बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे (नाबाद 34), राहुल त्रिपाठी (28) और कप्तान स्मिथ (15) की बदौलत हासिल कर प्लेऑफ में प्रवेश कर लिया है। इस मैच में पुणे के लिए शार्दुल ठाकुर ने 19 रन देकर तीन विकेट चटकाए, वहीं जयदेव उनादकत, एडम जाम्पा और डेनियल क्रिस्टियन को दो-दो सफलताएं हासिल हुई। मैच के बाद स्मिथ ने कहा, आज का दिन अच्छा था। गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। एक बार फिर उनादकत ने अपनी बेहतरीन गेंदबाजी का प्रमाण दिया। भी इस प्रदर्शन से काफी मदद मिली है। (IANS)
Don't Miss! टेलीविजन पर जीतने भी रियालिटी शोज आते है उनकी अपनी कुछ प्राइजमनी होती है और साथ में दूसरे ईनाम भी होते हैं, जोकि शो के विजेता को मिलते हैं। उसी तरह टीवी का सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला शो बिग बॉस भी अपने विजेता को काफी अच्छी प्राइजमनी के साथ कुछ कुछ ईनाम भी देता है। इस बार शो का 16वां सीजन चल रहा है। तो देखना होगा कि इस बार विनर को प्राइजमनी क्या मिलेगी। दरअसल बात ऐसी है कि इस बार शो को बिग बॉस ने भी सदस्यों के साथ साथ में खेला है और प्राइजमनी पर कई बार विवाद भी हुए हैं घर में। प्राइजमनी से कई बारे किसी एक सदस्य ने दूसरे को बचाया जिसकी वजह से लड़ाई-झगड़े तो हुए ही घर में साथ ही पैसे भी कम हो गए। इस बार प्राइजमनी कम होते होते 21 लाख 80 हजार रुपये हो गई है। यानी जो भी बिग बॉस 16 का विजेता होगा उसे 50 लाख रुपये नहीं बल्कि 21 लाख 80 हजार रुपये ही प्राइजमनी के रूप में मिलने वाले हैं। हालांकि बिग बॉस ने घरवालों को प्राइज मनी बढ़ाने का एक मौका भी दिया परंतु कोई टीम ने कुछ नहीं किया। होस्ट सलमान खान का शो बिग बॉस 16 अपने आखिरी पड़ाव पर आ गया है और इसी के चलते घर के अंदर जो पांच फाइनलिस्ट है उनमें भी हलचल देखने को मिल रही है। बिग बॉस 16 जो कि इस वक्त अपने फाइनल की ओर है, काफी दिलचस्प मोड़ के साथ नए नए बदलावों को ध्यान में रखते हुए फैंस का ध्यान अपनी ओर अकर्षित कर रहा है। इस सीजन को अब तक का सबसे ज्यादा चर्चित सीजन माना रहा है क्योंकि इस बार कई सारे अजीबों-गरीबों मोड़ शो में देखने को मिले थे।
नई दिल्ली. भारतीय टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके तेज गेंदबाज परविंदर अवाना मंगलवार को शादी के परिणय सूत्र में बंध गए है. उनकी शादी दिल्ली पुलिस की सब इंस्पेक्टर संगीता कसाना से हुई है. मूलरूप से लोनी के भूप खेड़ी गांव की रहने वाली संगीता भोपुरा गांव में रहती हैं. ये समारोह शाम को लोनी में निजी परिजनों के बीच सम्पन्न हुआ. इस समारोह में करीबी रिश्तेदार ही शामिल हुए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को 10 मार्च को ग्रेटर नोएडा में रिसेप्शन होगा. इसमें वीआईपी लोगों और कई क्रिकेटरों के आने की संभावना है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संगीता की तैनाती इस समय दिल्ली के सीमापुरी थाने में है. परविंदर अवाना परिवार संग ग्रेटर नोएडा में रहते हैं.
बरेलीः वैलेंटाइन वीक का चौथा दिन टेडी डे शहर में लोगों ने सेलिब्रेट किया। जहां शोरूम में तरह-तहर के अटै्रक्टिव ऑफर्स की भरमार थी तो वहीं डिफरेंट डिजायन और कलर के टेडी बिअर भी युवाओं को खूब लुभा रहे थे। इनमें भी कपल्स के लिए मैसेज लिखे हुए और रेड, पर्पल कलर के टेडी की खास डिमांड रही। वैलेंटाउन वीक के तहत थर्सडे यानि आज प्रॉमिस डे सेलिब्रेट किया जाएगा। शहर के शोरूम आदि पर जो टेडी थे उनमें भी लव बर्डस, कपल और फैमिली के लिए अलग-अलग तरह के टेडी बिअर थे। लोग अपने लिए कुछ खास खोजने में लगे हुए थे। डिफरेंट साइज के टेडी की कीमत 500 से 4000 रुपए और जोड़ी टेडी की कीमत 1000 रुपए से 5000 रुपए तक थी। टेडी के साथ-साथ मार्केट में दिल, रोज और ग्रीटिंग कार्ड भी बिके। इनके जरिए अपने दोस्त या परिवार वालों को खुश करने के लिए भी लोगों ने खरीदे। इसके साथ ही लोग अपने खास दोस्तों के लिए भी कार्ड खरीदते दिखे। टेडी डे पर कुछ हटकर लव बर्डस जो गिफ्ट खरीद रहे थे उनके लिए मार्केट में टेडी बिअर ब्रोच भी था। इसकी भी मार्केट में खूब धूम रही। ये देखने में जितने क्यूट हैं, उतने ही लगाने में भी खूबसूरत लग रहे हैं। करीब 1000 रुपए से यह मार्केट में उपलब्ध थे। मार्केट में बिग साइज टेडी की ज्यादा डिमांड रही। गर्ल्स बड़े टेडी बिअर खूब खरीद रही थी। वहीं शोरूम ओनर्स की माने तो जितने बड़े टेडी होते हैं उनका दाम भी बढ़ता रहता है। मार्केट में वैलंटाइन डे को लेकर टेडी, चॉकलेट, रोज, कार्ड, परफ्यूम, वॉलेट और रिंग का सेवन डे कॉम्बो की भी काफी डिमांड में है। यह अलग-अलग रेंज में उपलब्ध रहे। शॉप ओनर्स की माने तो यह सेवन कांबो 2000-5000 रुपए तक कीमत में उपलब्ध है। यह मार्केट में नया ट्रेंड है और इसका क्रेज भी दिखा।
ईष्याकी अग्नि और आशाका अंत । घोड़े छोड़ दिये । वे लोग इतने आगे निकल गये कि वहाँसे हार्डविकहालका शिखर भी नहीं दिखाई देता था। जाते जाते एक अनुरागकी बात कहनेके लिए फिलिफने पीछे मुड़कर फिलिशिया की ओर देखा। उस समय उन्हें दिखाई दिया कि उनके पीछे उन्हींके समान शीघ्रगतिसे एक सवार और आ रहा है। अच्छी तरह निहारकर देखा - यह घुडसवार और घोड़ा अन्य घुड़सवारों या घोड़ोंके समान नहीं है। सवार और घोड़ेमें गति थी, किन्तु शब्द नहीं था, सब अंग प्रत्यंग थे, किन्तु वे जड़ परमाणुओं द्वारा गठित नहीं थे । अश्वारोही और अश्व मानों दोनों ही बाष्पमय छायामूर्ति थे । फिलिफको रोमांच हो आया । उसका तेज घोड़ा भी स्तम्मित होकर रुक रहा । छायामूर्तिके मुखसे एक भी शब्द नहीं निकला, किन्तु वह घोड़ेकी पीठ पर निश्चलतासे बैठी हुई फिलिफकी सङ्गिनी युवतीकी ओर गंभीर घृणा और तिरस्कारव्यंजक दृष्टि से देखने • लगी। युवती देखते ही काँप उठी और छायामूर्तिके मुँहकी ओर देख कर पहचान गई। उसके प्राण सूख गये, क्षणभरके भीतर ही उसके मुखमंडल पर एक बड़ा भारी परिवर्त्तनसा हो गया । इसके पश्चात् छायामूर्तिने अपने जलते हुए दोनों नेत्र फिलिफकी ओर फिराये, और भृकुटि कुटिल चिकट मुखभङ्गीसे अँगुलीद्वारा एक समीपवर्त्ती स्थानको बतलाया। उस स्थानकी घास और लतायें उखड़ी हुई और जमीन छिन्न भिन्न थी। छायामूर्तिने अँगुलीके इशारेसे मानो यही कहा - "देखो, यह वही स्थान है । " फिलिफके काँपते हुए प्राण भी इस भयानक इशारेसे समझ गये कि" हाँ - यही तो वह स्थान है। फिलिफ घबराकर चिल्ला उठा । घोड़ा भी भयके मारे अधीर और उच्छृंखल होकर उछलने लगा । सवारोंमेंसे और भी बहुतसे लोगोंने छायामूर्त्तिके इस दृश्यको देखा और वे भी अत्यंत विस्मित और स्तंभित छाया-दर्शनहो रहे चारों ओर एक तरहकी आतंककी ध्वनि हुई । फिलिफ अपने आपको और न सँभाल सका, वह मूर्च्छित होकर गिर पड़ा और उसका खूनसे लथ-पथ शरीर जमीन पर लोटने लगा । समीपवर्त्ती सवारोंने नौकरोंको पुकारा। नौकर दौड़े आये। वे फिलिफको कन्धोंपर रखकर घरकी ओर ले चले । फिलिशिया धराशायी तो नहीं हुई थी, किन्तु उसका मुँह पीला पड़ गया था, हृदय-जोर जोरसे धड़क रहा था और भयके मारे सारा शरीर काँप रहा था । एक सवार उसके घोड़ेको लगाम थामकर सावधानीके साथ ले चलने लगा । कहीं वह गिर न पड़े, इस आशंकासे उसे दोनों ओरसे दो आदमी पकड़कर चलने लगे । इस प्रकार फिलिशिया अपने विश्राम-भवन में पहुँचाई गई। इस तरह एक क्षणभरके भीतर शिकारका हर्ष कोलाहल विषादके रूप में परिणत हो गया । जो लोग पीछे रह गये थे, उन्हें कुत्तोंकी अवस्था बहुत ही विचित्र, विस्मयकर और आतङ्कजनक जान पड़ी। वे छाया. मूर्त्तिके दिखलाये हुए उस स्थान पर बारबार घूम-घूमकर जाते थे और उस स्थानकी मिट्टीको नखोंसे खोद-खोदकर, सूँघ-सूँघकर कभी क्रोधसे भोंकने लगते और कभी विलापके स्वरसे चीत्कार करने लगते थे । कुत्तोंकी घ्राणेन्द्रिय बहुत तीव्र होती है । जब वे बारबार उस जमीनको सूँघने और नखोंसे खोदने लगे और जब उस जगहकी मिट्टी भी कुछ ढीली पाई गई, तब लोगोंके मनमें एक प्रबल संदेह हुआ। वे सब उस जगह इकट्ठे हो गये । कुदाली और फावड़ा मँगाया गया। तीन चार आदमी उस जगहको खोदने लगे । खोदनेपर जो कुछ दिखाई दिया उससे उनके नेत्र स्तम्भित हो रहे-माथा चकरा गया । उस जगह राल्फ एस्सिटनकी मृतदेह पड़ी थी जिसमें जगह जगह गहरे घाव लगे हुए थे, अंग प्रत्यंग कुन्चले हुए, और रक्त तथा कीचड़से लथ-पथ थे । सबका प्यारा राल्फ एस्सिटन इस स्थानमें, ऐसी निष्ठुरतासे मारा गया है, यह भयंकर शोकावह सत्य इस समय सब तरहसे साफ प्रकट हो गया । ईयाकी अभि और आशाका शत शिकारीसमूहके हार्डविक-हालमें वापिस आनेके पहले ही यह सम्वाद चारों आरे फैल गया। हार्डविक हालमें भी पहुँच गया । सुनते ही लेडी हार्डविक पर मानों वज्रपात हुआ । देखते देखते उसकी अवस्था अत्यन्त शोचनीय और भीतिजनक हो गई। वह भयंकर चीत्कार करके पागलकी नाई बाहरकी ओर दौड़ी । पहले वह बारण्डेकी ओर गई और वहाँ जीनेके पासकी गैलरीमें खड़ी होकर लगातार अर्थशून्य प्रलाप करने लगी। इस प्रलापको जिन्होंने ध्यानपूर्वक सुना, वे सब कुछ समझ गये । राल्फ एस्सिटन क्यों, कैसे और किसके भड़कानेसे मारे गये, उक्त प्रलापसे यह सब प्रकट हो गया । उन्मादिनी विधवा जिसे सामने पाती, उसीको अपनी करतूतकी सारी बातें विवरणपूर्वक सुनाती थी । कभी वह धरती पर लेटकर, एक पत्थरके पटियेके पास माथा झुकाकर, अपने उन दोनों इटालियन नौकरोंका नाम खूब जोर जोरसे ले लेकर पुकारती थी । इससे लोगोंके मनमें एक नये संदेहको सृष्टि हुई । जब वह पत्थर वहाँसे हटाया गया, तो उसके नीचे एक कब दिखलाई दी, जिसमें उन इटालीय नौकरोंकी गलित देह पाई गई। दोनों लाशें विष-प्रयोगसे हरे रंगकी हो गई थीं । लेडी हार्डविकके प्रलापसे उनकी भी हत्या - कहानी प्रकट हो गई । यहींसे हार्डविकहालकी सुख-समृद्धि और गौरवका सदाके लिए अन्त हो गया। भय, दुःख, घृणा और भावनासे सभी लोग उस स्थानको छोड़कर चले गये। आशायुक्त फिलिफने फिर आशासे उत्फुल्ल होकर आँखें नहीं खोलीं । आनन्दमयी फिलिशियाने भी उस आनन्द निकेतनमें गृहस्थामिनी बनकर प्रतिष्ठित होनेका अवसर नहीं पाया। हार्डविक-हाल श्मशानभूमिमें परिणत हो गया और हार्डविक-हालकी शोचनीय कहानी अध्यामधर्मके इतिहास में एक आश्चर्यजनक अध्यायके रूपमें यथित हो रही। छाया-दर्शनदशम अध्याय । इस अभ्यायमें हम दो देशोंकी दो विभिन्न प्रकारकी कहानियाँ लिखते हैं। जो पाठक इन प्रामाणिक कहानियोंको मनोयोगपूर्वक पढ़ेंगे, वे उनमेसे नीचे लिखीं कई सार सत्य बातों को जाननेमें समर्थ होंगे। १ मृत्युका नाम महानिद्रा अथवा महानिर्वाण नहीं है। मृत्युका नाम देह-परिवर्त्तन अथवा दूसरे शरीर की प्राप्ति है। साँपका शरीर एक बाहरी आवरणसे ढँका रहता है। उसे निर्मोक या केंचुली कहते हैं। जैसे साँप उस केंचुलीको परित्याग करके भी जैसेका तैसा बना रहता है - - किसी अंशमें जरा भी परिवर्त्तित नहीं होता, उसी प्रकार मनुष्य भी अपने अस्थि-मांसमय स्थूल शरीरका परित्याग करनेपर सूक्ष्मतर परमाणुओं द्वारा निर्मित सूक्ष्म देहको धारण करके सिरकी चोटीसे लेकर पैरोंके नखों तक ठीक जैसाका तैसा बना रहता है- किसी परिवर्त्तनके अधीन होकर किसी अंशमें भी वह कोई दूसरा मनुष्य नहीं बन जाता है । २ मृत्यु के पश्चात् जिस प्रकार आकृतिमें परिवर्त्तन नहीं होता, उसी प्रकार किसीकी प्रकृतिमें भी सहसा कोई परिवर्त्तन नहीं होता । जो अत्यंत बुरा, मूर्ख, मनुष्योंको दुख देनेवाला और सुख-शांति मिटानेवाला है, वह अग्निदग्ध स्वर्णकी नाई, आत्मद्रोहजनित अनुतापकी परिशोधक अग्निमें जल-जलकर क्रमक्रमसे अच्छा होता है क्रमशः पवित्र, प्रशान्त, प्रेमभक्तिपूर्ण और परोपकारी देवपुरुष होकर उन्नति-लाभ करता है। किन्तु किसी व्यक्तिका ऐसा परिवर्त्तन एक ही दिनमें नहीं हो जाता-कम क्रमसे होता है; ~ क्रमसाध्य यन, साधना और बहुत अनुतापके पश्चात् बहुत दिनोंमें होता है। जिस समय प्रकृतिमें ऐसा वांछित परिवर्त्तन होता है, उस समय आकृति भी अत्यंत सुन्दर, ज्योतलाके समान शीतल और दूसरोंको आनंददायक हो जाती है। जबतक ऐसा नहीं होता तबतक वह यहाँ जैसा था, परलोकमें भी वैसा ही बना रहता है और यहाँ जिसके प्रति जैसा अनुरक्त या विरक्त था, वहाँ भी. उसके प्रति वैसा ही अनुरक्त अथवा विरक्त रहता है। ३ इहलोक और परलोक, अथवा पृथ्वी और अध्यात्म-जगत् दोनों ही धर्मराज्य के अन्तर्गत हैं-- धर्मप्रतिष्ठाता जगदीश्वरके मङ्गलमय शासनके अधीन हैं। मनुष्य यहाँ धर्मको उल्लंघन करके चल सकता है; परन्तु वहाँ यह बिलकुल ही संभव नहीं है। क्यों कि वहाँ सभी सबकी पार्थिव जीवनसम्बन्धिनी समस्त बातें प्रत्यक्षके समान जानते हैं - और जानकर जो जिस प्रकारके आदरसम्मानके योग्य होता है, उसका उसी प्रकार आदरसम्मान करते हैं । वहाँ केवल यही एक विशेष बात है कि वहाँ कोई किसीका अपकार नहीं करता, सभी सबका उपकार करने के लिए व्याकुल रहते हैं । इस अध्यात्मकी पहली कहानीमें जिसकी कथा लिखी गई है वह स्त्री परलोकमें जाकर भी सुख-शान्ति नहीं पा सकती है । कारण कि, उसका हृदय ऋणकी यंत्रणासे पीड़ित है । ऋण थोड़ा है, किन्तु वह है तो ऋण ही। दूसरी कहानीकी आदिसे लेकर अंत तककी सारी कथा एक दुःसह दुःखकथा है । जिसके दुःखी जीवनकी दुःखमय कथा उसमें लिखी गई है वह परलोकमें जाकर भी अपनी प्राणोंसे प्यारी आश्रित बालिकाकी विपत्ति और दुःखसे आत्मविस्मृत है । पाठक इन दोनों कहानियोंसे अनेक शिक्षा तथा परीक्षा करनेयोग्य बातें जान सकेंगे । छायां-दर्शनआत्मिक कहानी । १ आत्माकी शान्ति । स्कइटलैंडकी राजधानी एडिनबरासे ४३ मील दूर टे नदीके दाहिने किनारे पार्थ नामका एक पुराना नगर है। इस पार्थ नगरमें "फौजी छावनीके समीप दो दुःखिनी विधवायें रहती थीं। एकका नाम एनी सिम्सन ( Anne Simpson ) और दूसरीका मालय ( moloy ) या । एनी और मालय एक घरमें नहीं रहती थीं; एक दूसरेकी बहुत ही पास रहनेवाली पड़ौसिनें थीं। दोनों ही प्रौढ़ा थीं । एनी सिम्सनके कोई नहीं था, मालयके भी अपना कहने योग्य कोई नहीं था । परस्पर कोई नाता न रहने पर भी दोनोंमें बड़ा सौहाई था। अपनी अपनी आजीविका चलानके लिए दोनों ही दिनभर परिश्रम करती थीं और अवकाशके समय दोनों एक जगह बैठकर अपने अपने दुःख-सुखकी बातें कह सुन कर थकावट मिटाया करती थीं । कुछ दिनों के अनन्तर मालय बीमार हुई। बीमारी कठिन थी । एनीकी शुश्रूषा और अश्रुपूर्ण बातचीत उसकी रक्षा नहीं कर सकी । • मालयकी मृत्यु हो गई । बेचारी निराश्रिताकी खबर लेनेवाला कौन था ? भिक्षावृत्तिसे जीवन धारण करनेवाली एक दुःखिनीकी मृत्युसे किसके प्राण आकुल होंगे ? मालय चुपचाप चली गई । एनीके एकबिन्दु अश्रु और एक नीरव निश्वाससे उसका अन्तिम संस्कार हुआ। एनीके और कोई नहीं था; दुःखिनीकी एक मात्र दुःख-सङ्गिनी मालय थी, सो वह भी आज परलोकके अंधकारमें जा छिपी । एनी अब बिलकुल अकेली रह गई। एनी सारे दिन भोजन वस्त्रकी फिकरमें नाना स्थानों में घूमा करती और रात्रिको अपनी कुटीमें आकर विश्राम करती थी। पर अब इस रात्रि विश्राममें भी विघ्न उपस्थित हुआ। मालयकी मृत्युके कुछ दिन आत्माकी शान्ति प्रश्चात् एक रात्रिको एनीकी नींद सहसा खुल गई । घरमें दीपक टिम टिमा रहा था। उसके मंद प्रकाशमें उसे दिखाई दिया कि शय्याके पास मालय खड़ी है। वही मुख था, वही चितवन थी और वे ही मलिन बस्त्र थे, किन्तु उसका मुख आज अत्यंत कातर और दुखी था। एनी देखकर चौंक उठी । वह सोचने लगी कि मैं यह क्या देख रही हूँ यह क्या. आँखोंका भ्रम है। उसने दोनों हाथोंसे नेत्र मलकर फिर दृष्टि डाली। देखा,. वही मूर्ति उसी प्रकार खड़ी है। शरीरमें रोमांच हो आया; भयसे उसके नेत्र मिंच गये । छायामूर्त्तिने कहा- " एनी, किसे डरती हो ? अच्छी तरह देखो मैं तुम्हारी वही पड़ौसिन दुखिनी मालय हूँ। तुम जानती ही हो कि संसारमें मेरा कोई नहीं है कुछ भी नहीं है। बहन, मैं तुमसे एक. भिक्षा माँगती हूँ । उसे परिचित मूर्त्तिको प्रत्यक्ष देखकर और उसके मुँहसे ये बातें स्पष्ट सुनकर एनी अत्यंत भयभीत हो गई। उसे नेत्र खोलनेका साहस नहीं हुआ। अंतको बहुत कुछ साहस करके एनीने कंपित स्वरसे कहाक्या तुम सचमुच मालय हो ? तब क्या तुम अब भी जीवित हो ?" छायामूर्त्तिने कहा - " तुम्हारे हिसाबसे मेरी मृत्यु हो गई है । मैं इस समय भी, जैसी थी, वैसी ही हूँ । किन्तु कष्ट पहलेकी अपेक्षा. बहुत बढ़ गया है। बहन, क्या तुम मेरा कुछ उपकार करोगी १ मैं कुछ ऋण छोड़ गई हूँ। वह अधिक नहीं है केवल तेरह आनेका है। यही ऋण मेरे लिए दुःख और अशान्तिका कारण बन गया है। इस ऋणके. कारण मुझे यहाँ क्षणभरके लिए भी चैन नहीं मिलती। एनी, तुम मेरेः लिए कुछ परिश्रम करो, किसी पादरीको खोजकर उन्हें मेरे ऋणका वृत्तान्त सुनाओ। वे दुखिनी समझकर मुझपर कृपा करेंगे और अवश्य ही मेरा ऋण चुका देंगे।" छाया-दर्शनअब एनीने कुछ साहस करके नेत्र खोले । देखा, तो वहीं छायामूर्ति नहीं है। एनीका भय और विस्मय दूर नहीं हुआ। उसने जो देखा, जो सुना, वह स्वम है या विभीषिका; कुछ भी उसकी समझमें नहीं आया। बाकी रात उसने जागते जागते ही बिताई । इस दिनसे रातको जब एनी शय्या पर जाकर लेटती थी, तब मालयकी छायामूर्ति नित्य उसके पास आती और ऋणकी बात किसी धर्मपुरोहितसे कहने के लिए बारंबार अनुरोध करती थी। छायामूर्तिक उत्पीडनसे एनीको रात भर नींद नहीं आती थी । दिनको भी उसे शांति नहीं थी, अपने दैनिक कार्य्यके सिवा पुरोहितकी खोजमें भी उसे जगह जगह भटकना पड़ता था। इसी समय रेवरेण्ड चार्ल्स मेके पार्थ शायर नगरके रोमनकैथलिक मिशनके अधिकारी बनकर वहाँ आये। एनी यह खबर पाकर शीघ्र ही उनके पास पहुँची और उनको रीत्यनुसार प्रणाम करके दूर खड़ी हो गई। तुम क्या चाहती हो बेटी ? " एनीने कहा - "महाशय, आज सात आठ दिनसे एक छायामूर्तिके आविर्भावसे मैं अत्यंत दुःख पा रही हूँ और उक्त भयसे छुटकारा पानेकी अभिलाषासे आपके पास आई हूँ। आपकी सहायताके बिना मेरा यह कष्ट किसी प्रकार दूर नहीं हो सकता । धर्माचार्यने कहा - "तुम कैथलिक हो ? " नहीं महाशय, मैं प्रेसबिटिरियन हूँ।" धर्माचार्य - " तो फिर तुम मेरे पास क्यों आई? मैं तो कैथलिक -सम्प्रदायका गुरु हूँ । एनी-जो स्त्री मुझे नित्य रातको दिखाई देती है वह मुझसे जो कोई धर्म्माचार्य मिले उसीके पास अपना वृत्तान्त कहनेका अनुरोध
Meerut: महिलाएं ही देश का भविष्य हैं। महिलाओं को आगे लाकर देश की उन्नति की नई नींव रखी जा सकती है। इन्हीं विचारों के साथ कर्तव्य सामाजिक संगठन ने महिला दिवस के मौके पर बच्चा पार्क पर लोकसभा चुनाव में महिलाओं से अधिक से अधिक संख्या में वोट डालने की अपील की। कर्तव्य के महासचिव रणजीत सिंह जस्सल ने कहा पुरुष आज भी महिलाओं को घर के बाहर कदम नहीं रखने देते। देहात की स्थिति तो काफी खराब है। यदि देश को तरक्की की राह पर पहुंचाना है तो महिलाओं का आगे आना होगा। देश के विकास के लिए महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान की आवश्यकता है। इस मौके पर प्रभा पांडे, बलविंद्र कौर, कल्पना, गुरप्रीत कौर, बीना अग्रवाल, शबाना आदि मौजूद रहे। वेद इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। नारी शक्ति को उजागर करते हुए दुर्गा शक्ति नाम का नाटक का मंचन हुआ। स्कूल की सभी स्कूल की शिक्षिकाओं सम्मिलित किया गया था।
क्या आप कभी सोचते हैं किः स्वभाविक रूप में मानव एक खुशहाल, सुरक्षित, सामंजस्यपूर्ण ज़िंदगी जीना चाहता है। स्वयं में सुखी, परिवार में सुरक्षित, समाज में सामंजस्य, व धरती में प्राकृतिक अक्षुण्णता। आप कैसा जीना चाहते हैं? आज ये आकांक्षा केवल धन कमाने और दूसरों को प्रभावित करने, नियंत्रित करने तक सीमित है। लेकिन सच तो यह है कि हम कितना भी धन कमा लें, दूसरों को प्रभावित कर लें, इसमें तृप्ति तो नहीं मिलती है। क्या आप को तृप्ति की तलाश है? वर्तमान स्थिति तो यह है कि धन और यश की इस दौड़ में स्वयं का (शारीरिक व मानसिक स्थिति का) एवं संबंधों का ह्रास हो रहा है, जिसके फलन में समाज में कलह, झगड़े व शोषण है। लगता है कि, मुख्य धारा में हमने इस स्थिति को अपरिहार्य मान लिया है; सामंजस्यता की तो अब संभावना ही नहीं दिखती है। आपको क्या लगता है, क्या ऐसा है? ऐसा जीने का विनाशकारी परिणाम चारों ओर दिख रहा है, परंतु हम इस विषमता को चाहते तो नहीं है। फिर भी, दुर्भाग्य से हम सब जाने-अनजाने या विवशता पूर्वक इस विषमता में भागीदार हैं और अनुमोदन भी कर रहे हैं। विडम्बना यह है कि, साथ ही सामंजस्य और स्थिरता की भी आशा कर रहे हैं। आपको क्या लगता है? क्या आप भी बेहतर समाज की कामना करते हैं? जो चल रहा है, जो हम घटित करा रहे हैं, क्या हम यही चाहते है? क्या हमारे पास इस सबका कोई विकल्प हो सकता है? क्या मानव एक दूसरे के साथ तालमेल पूर्वक जी सकते हैं? क्या हम अपने संबंधों, परिवारों, समुदायों, समाज को पोषित कर सकते हैं? क्या प्रकृति के साथ तालमेल पूर्वक जीने की जीवनशैली संभव है? कई लोग इस प्रकार के उत्तर खोज रहे हैं; कुछने उत्तर पाए भी हैं व कई ऐसे भी हैं जो अलग-अलग स्तर पर इनके समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। यदि आप भी इस प्रकार के मुद्दों से जूझते हैं, तो जीवन विद्या परिचय शिविर आपके सामने समाधान के अर्थ में एक प्रस्ताव है। नोटः जीवन विद्या के आधार पर जीना परिवार मूलक, समाज-मूलक, प्रकृति में संतुलन पूर्वक ख़ुशहाली; मज़बूती; ज़िम्मेदारी के साथ जीने की जीवनशैली है। ।प्रदूषण, ऋतु असंतुलन, धरती का ताप बडना, हवा-जल-आहार का अभाव एवं विषमताएँ। ।जीवन विद्या क्या है? ।जीवन विद्या परिचय शिविर क्या है? ।जीवन विद्या, मध्यस्थ दर्शन पर आधारित सहअस्तित्व की अवधारणा को समझने व सहअस्तित्व आधारित जीने का प्रस्ताव है। ।परिचय शिविर में जीवन विद्या के मूल अवधारणाओं का परिचय मिलता है - स्वयं, संबंध, समाज, प्रकृति, और इन सबके मूल में सहअस्तित्व नियम का परिचय मिलता है। इन मूल अवधारणाओं के आधार पर हम जीने के आयामों में व्यवस्था, प्रयोजन, जिम्मेदारी, अपेक्षाओं को पहचान सकते हैं। ।जीवन विद्या के अनुसार हर व्यक्ति समझदारी के आधार पर जी सकता है; समझदारी के अभाव में अपनी मान्यता के आधार पर जीता है। ।प्रतिभागी के सभी स्पष्टीकरण (clarifications) का स्वागत है और उन्हें संबोधित किया जायेगा। ।जीवन विद्या के अनुसार, समझदारी वह है जो स्वयं में व संबंधों में सामंजस्य लाए। ।यह शिविर करो-ना करो से मुक्त है, यानि इसमें उपदेश नहीं है। ।जीने में यदि सामंजस्य का अभाव है तो समझदारी नहीं है, ऐसे में केवल अनुमान या मान्यता (assumptions) ही जीने का आधार रहता है, और इसकी जांच होनी ज़रूरी है। मान्यताओं से जानने की जो यात्रा ही सही मानों में शिक्षा है। ।यह किसी धर्म, सम्प्रदाय से संबंध नहीं रखता। ।जीवन विद्या को समझने में प्रयासरत साथियों में धीरे-धीरे सामंजस्य पूर्ण जीवन शैली की दृष्टि विकसित होते देखा गया है। ।सामान्यतः 6 घंटे प्रतिदिन के सत्र होते हैं। इसलिए प्रतिभागियों इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। ।औपचारिक सत्र के अलावा अनौपचारिक संवाद भी होते रहते हैं। ।इस शिविर के लिए कोई कड़ी नियमावली नहीं है। प्रतिभागियों से अपेक्षा रखते हैं कि वे सभ्य, शिष्ट व सहयोगी हों। जिससे सीखना, समझने का माहौल बना रहे। ।इस कोर्स का कोई शुल्क नहीं है। यह एक दूसरे के साथ सुखपूर्वक साझा करने के लिए है। ।भोजन और आवास का शुल्क है। भोजन साधारण शाकाहारी रहेगा। - जीवन विद्या कार्यशाला के स्त्रोत व्यक्ति किसी भी तरह की फीस, चंदा, रूपए आदि को स्वीकार नहीं करेंगे, यह आपसी आनंद के लिए साँझा किया जायेगा। स्त्रोत व्यक्ति : अशोक कुमार गोपाला, 52 वर्षीय, जिनका जन्म और परवरिश दिल्ली में हुई, अभी अपनी जीवनसाथी और दो बेटियों के साथ रायपुर, छत्तीसगढ़ में रहते हैं। पहले, पेशे से वह आईटी सेक्टर में कार्य करते थे। साल 2008 से वह जैविक खेती और जीवन विद्या कार्यशाला का संचालन कर रहे हैं। स्थानः संभावना परिसर हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के पास एक गाँव में बसा है. इस परिसर में ही कार्यशाला एवं रहने-खाने की व्यवस्था है। पताः ग्राम कंडबाड़ी, डाक घर कमलेहड, तहसील पालमपुर, जिला कांगड़ा 176061। किसी और जानकारी के लिए मेल करे [email protected] या Whatsapp/कॉल करें (10 am to 5 pm) 889 422 7954 ।
एजेन्सीः हर वर्ष 25 दिसम्बर को क्रिश्चन समुदाय अपना सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस मनाता है। सारी दुनिया में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन से ही 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एेसी मान्यता है कि यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था। इस विश्वास का आधार एन्नो डोमिनी काल प्रणाली है हालांकि कहना कठिन है कि 25 दिसम्बर इस मसीह के जन्म की ये वास्तविक तारीख है। इस बारे में ये भी कहा जाता है कि इस दिन को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति, जिसे शीत अयनांत माना जाता है, से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है। इस दिन इसाइ समुदाय के लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं, चर्च मे विशेष प्रार्थना समुदायों और समारोह का आयोजन होता है आैर लोग अपने घरों में सजावट करते हैं। ये दिन सांता क्लॉज़ को भी समर्पित है। जो क्रिसमस से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक आैर संभवत काल्पनिक चरित्र है। सांता मुख्य रूप से बच्चों के बीच लोकप्रिय है जो क्रिसमस पर उनके लिए तोहफे लाने से जुड़ा है। इसके 12 दिनों का अलग अलग महत्व होता है। 25 दिसबंर- ये क्रिसमस का पहला दिन होता है जिससे इस त्योहार का आरंभ होता है। इसे ईसा मसीह के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। 26 दिसंबर- 26 दिसंबर को बॉक्सिंग डे कहा जाता है। इस दिन को सेंट स्टीफन डे भी कहते हैं। मान्यता के अनुसार सेंट स्टीफन ईसाई धर्म के लिए अपने जीवन की आहुति देने के लिए जाने जाते हैं। 27 दिसंबर- क्रिसमस का तीसरा दिन यीशू के परम सर्मथक आैर उनके प्रिय मित्र कहे जाने वाले सेंट जॉन को समर्पित है। 28 दिसंबर- चौथे दिन के बारे में कहते हैं कि इस दिन राजा हारोद ने ईसा की तलाश में कई निरअपराध लोगों का कत्ल कर दिया था। इस दिन उन्हीं की याद में प्रार्थना करके उन्हें श्रद्घांजलि दी जाती है। 29 दिसंबर- पांचवा दिन सेंट थॉमस की याद में मनाते हैं जिन्हें 12वीं सदी में चर्च पर राज्याधिकार को चुनौती देने के अपराध में मृत्युदंड दे दिया गया था। 30 दिसंबर- ये क्रिसमस का छठा दिन होता है जब र्इसाइ धर्म को मानने वाले लोग सेंट ईगविन ऑफ वर्सेस्टर को याद करते हैं। 31 दिसंबर- सातवें दिन को पोप सिलवेस्टर को सर्मपित है इसीलिए इसे कर्इ स्थानों पर सिलवेस्टर कहा जाता है, जो न्यू ईयर ईव का ही एक नाम है। ब्रिटेन में कर्इ कार्यक्रमों और खेल से जुड़ी प्रतियोगिताआें का आयोजन किया जाता है।। 1 जनवरी- ये दिन ईसा मसीह की मां मदर मैरी के नाम समर्पित है। 2 जनवरी- नौवां दिन चौथी सदी में ईसाई धर्म के सबसे पहले संत कहे जाने वाले संत बसिल द ग्रेट और संत ग्रेगरी नाजियाजेन की स्मृति को सर्मपित है। 3 जनवरी- ये दिन यीशू के नामकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन चर्च में विेशेष पूजा होती है। 4 जनवरी- 18वीं और 19वीं सदी में अमेरिका में हुर्इ पहली संत एलिजाबेथ याद में ये दिन मनाया जाता है। 5 जनवरी- क्रिसमस का आखिरी आैर बारहवां दिन होता है एपीफेनी जो अमेरिका के पहले बीशप सेंट जॉन न्यूमन के सम्मान में मनाया जाता है।
उपमंडल बंगाणा के तहत करमाली गांव में शुक्रवार को चार वर्षीय बच्चा घर में बनी हौदी में डूबकर मौत का ग्रास बन गया। मृतक बच्चे की पहचान शिवांश (4) पुत्र मुकेश कुमार निवासी करमाली के रूप में हुई है। पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है। लाड़ले की मौत के बाद घर में मातम का माहौल बन गया है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा है। शिवांश शुक्रवार सुबह घर में खेल रहा था। खेलते-खेलते अचानक ही वह परिजनों की आंखों को ओझल हो गया। जब शिवांश की माता अपने लाड़ले को ढूंढने लगी तो वह कहीं नजर न आया। इस दौरान जब महिला ने हौदी के अंदर झांककर देखा तो मासूम पानी में तैर रहा था। इसे देख वह चिल्लाई ओर आवाज सुन घर के अन्य सदस्य भी वहां पहुंच गए। इसके बाद परिजनों ने शिवांश को पानी से बाहर निकाला और बंगाणा अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। उधर, एसपी अर्जित सेन ठाकुर ने बताया कि पुलिस ने मामले को लेकर कार्रवाई आरंभ कर दी है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में खेल आयोजन बंद पड़े हुए हैं लेकिन इस बीच फ्रेंच ओपन 2020 को 27 सितंबर से शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले इसका आयोजन 24 मई से सात जून तक होना था। कोविड-19 के कारण इसे सितंबर तक के लिए टाल दिया गया था। टूर्नामेंट को फिर से शुरू करने की शुरूआती तारीख 20 सितंबर से रखी गई थी, लेकिन ली पेरिसियन न्यूजपेपर्स की रिपोर्ट के अनुसार इसका आयोजन 27 सितंबर से शुरू हो सकता है। इसके स्थगन की घोषणा पहली बार मार्च में किया गया था क्योंकि उस समय कोरोना महामारी से लड़ने के लिए फ्रांस में लॉकडाउन शुरू हो गई थी। इस फैसले पर कई खिलाड़ियों ने हैरानी भी जताई थी क्योंकि उनका कहना था कि यह फैसला लेने से पहले उनसे विचार नहीं किया गया। कोरोनावायरस महामारी के कारण सभी तरह की खेल गतिविधियां रूकी हुई है। विंबलडन टूर्नामेंट 2020 को तो रद्द ही कर दिया गया है। 1945 के बाद यह पहली बार हुआ है जब विंबलडन को रद्द किया गया है। यह 29 जून से 12 जुलाई तक के बीच खेला जाना था। हालांकि अभी अमेरिकी ओपन और रोजर्स कप को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है।
Kendra Sarkar ki nakamyabi! Yah pehli bar nahi hai jab pakistan ne apni amanveeya harkat dikhayi hai. Sabse pehle Chamal Singh ki jail me hatya ki gayi. tab bhi bharat sarkar soyi rahi. Pakistan sarkar ne Chamal Singh ki postmartem report dene se inkar kar diya. Bharat sarkar tab bhi maun rahi. Abhi hal hi me Pakistaniyon ne Bharat ke do sanikon ke sir kat liye. Bharat sarkar Jawano ka sir bhi wapis na laa saki,bas sarkar itna kar saki ki unke pariwaron ko shant karne ke liye unhe arthic sahayata pradan ki. Ab ek bar phir Pakistan sarkar ne apni neech harkat dikha di. Pakistan me Sarabjeet ki hatya kiya jana Pakistan ki hi ek sajish thi. Kasab ki maut ka badla Pak sarkar ne ek nirdosh ko markar liya. Pak sarkar ki mane to Manjeet ne Pakistan me bum-dhamaka karwaya tha. Pak sarkar ne, nashe ki halat me border par pahuche, Sarabjeet ko Manjeet ke nam se jail me dal diya. Aur ant me Pak sakar ne Sarabjeet ki hatya karawa di. Hakikat to yeh mani ja rahi hai ki hamle me hi Sarabjeet ki mrityu ho gayi thi. Mahol ko shant rakhane ke liye Pak sarkar ne Sarabjeet ke mrit hone ki ghosada nhi kee thi. Sarbjeet ke pariwarwalo dwara bar-bar kehne par jab Bharat sarkar ne Sarabjeet ko Bharat ko soupne ko kaha,tab Pak sarkar ke pass aur koi rasta nhi bacha aur Sarabjeet ke marne ki ghosada kar di. Lekin halat to ab bhi yeh hain ki Kendra Sarkar ke hath me kuchh bhi nhi dikh raha. Abhi bhi sarkar ne hatho me chooodiya pahen rakhi hai. Hamesha ki tereh is bar bhi Sarabjeet ke Pariwarwalo ko paisa dekar shant kiya jayega. Ab Sarkar ko sakhti se Pak ki Napak harkat ka muh tod jawab dena hoga.
दीया मिर्जा अपनी प्रेग्नेंसी की घोषणा करने के बाद, आज मुंबई में पहली बार स्पॉट हुई हैं. मालदीव में अपने हनीमून से वापस लौटी एक्ट्रेस को इस दौरान वाइट टॉप और ब्लैक लूज़ पैंट में देखा गया. दीया ने इस दौरान पपराजी को देख पोज दिया साथ ही हाथ भी दिखाया. ढीले सफ़ेद टॉप में एक्ट्रेस के बेबी बंप को साफ़ देखा जा सकता है. सावधानी बरतते हुए और COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एक्ट्रेस को मास्क पहने देखा गया. (यह भी पढ़ेंः दीया मिर्जा ने वैभव रेखी के साथ शादी के तुरंत बाद फैंस को दी जल्द मां बनने की जानकारी, मालदीव से शेयर की बेबी बंप फ्लॉन्ट करती तस्वीर) आपको बता दें की एक्ट्रेस घर से क्लिनिक का दौरा करने के लिए निकली थीं. वहीं इससे पहले शुक्रवार को, दीया ने मालदीव से एक सन किस्ड तस्वीर शेयर करते हुए अपनी प्रेग्नेंसी की घोषणा करते हुए लिखा था, "धन्य होने के लिए . . . एक मां पृथ्वी के साथ . . . एक जीवन शक्ति है कि सब कुछ की शुरुआत है . . . सभी कहानियों की. लोरी. गाने. नए पौधे की. और आशा का फूल. सभी सपनो से शुद्ध को अपने गर्भ में लेने के लिए धन्य हूं. @vaibh_r द्वारा ली गयी तस्वीर #SunsetKeDiVaNe (sic). " (Source: Instagram)
शिकारपुर क्षेत्र की एक पीड़िता ने थाना पुलिस ने लापरवाही का आरोप लगाया है। पीड़िता का आरोप है कि शिकारपुर पुलिस दुष्कर्म के मामले में आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है। पुलिस की शह के चलते आरोपी पक्ष उसे हत्या की धमकी दे रहा है। मंगलवार को पीड़िता ने एसएसपी को सौंपे शिकायती पत्र में बताया कि बीते दिनों एक युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया और किसी को घटना की बाबत बताने पर जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता की शिकायत पर शिकारपुर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया, किंतु उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। पुलिस की सह के चलते आरोपी और उसके परिजन पीड़िता पर लगातार मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। मुकदमा वापस न लेने पर उसे हत्या की धमकी दी जा रही है। एसएसपी ने शिकारपुर पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजने के निर्देश दिए है।
सरकार ने छोटी बचत को प्रोत्साहन देने के लिए बालिकाओं की विशेष जमा योजना 'सुकन्या समृद्धि खाता' का शुभारंभ किया। उपयोगकर्ता बालिकाओं के लिए इस योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप खाता खोलने, खाते का संचालन, खाता बंद करने, निकासी, आदि से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। बाल और महिला श्रमिको के विकास और लाभ के लिए कार्यक्रम / परियोजनाएं शुरू करने हेतु संगठनो (स्वैच्छिक और गैर सरकारी) को दी जानी वाली वित्तीय सहायता के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। योजना, सहायता, लाभ उठाने के लिए पात्रता, कार्यान्वयन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य में स्वैच्छिक संगठनों को बाल कल्याण / विकास के क्षेत्र में कार्यक्रमों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय बाल कोष से अनुदान सहायता प्रदान करने के लिए आवेदन प्रपत्र उपलब्ध कराया गया है। उपयोगकर्ता प्रपत्र को ध्यान से पढ़ें और इसमें दिए गए निर्देशों के अनुसार भरें। झारखंड का बाल श्रम विभाग राज्य में बाल श्रम से संबंधित मुद्दों को देखता है। बाल कल्याण योजनाओं, कानून, निर्णयों, अधिनियमों, सम्मेलनों, राज्य योजना अभियान के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराई गई है। उपयोगकर्ता आँकड़े, डिजिटल पुस्तकालय, वीडियो गैलरी और राज्य में बाल श्रम से संबंधित अधिसूचनाएँ यहाँ देख सकते हैं। आप शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्राथमिक शिक्षा के संबंध में उपलब्ध करवाई गई जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा की भूमिका, बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा हेतु कानूनी रूपरेखा एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन संबंधी विस्तृत जानकारी यहाँ दी गई है। आप सर्व शिक्षा अभियान, महिला समाख्या कार्यक्रम एवं विभिन्न शैक्षिक योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उपयोगकर्ता हिमाचल प्रदेश राज्य में सड़क के बच्चों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों के लिए अनुदान सहायता हेतु आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं। यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही केन्द्र प्रायोजित योजना है। आप प्रपत्र को ध्यान से पढ़ें और निर्देशानुसार भरें। उपयोगकर्ता हिमाचल प्रदेश के बाल बालिका आश्रम में प्रवेश लेने के लिए आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रपत्र हिमाचल प्रदेश के बाल बालिका आश्रम में अनाथ, गरीब या शोषित बच्चे के नामांकन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। राज्य के समाज कल्याण निदेशालय के माध्यम से असम में स्थित आंगनवाड़ी केंद्रों (आंगनवाडी) के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उपयोगकर्ता जिले के नाम का चयन करके आंगनवाड़ी केंद्रों के विवरण प्राप्त कर सकते हैं। जिलों के विभिन्न प्रखंडों में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्रों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। महाराष्ट्र के समेकित बाल विकास सेवा योजना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई है। योजना, उसके उद्देश्यों, धन और लाभार्थियों के बारे में सूचना प्रदान की गई है। रिपोर्ट और परिपत्र भी उपलब्ध कराए गये है। सिटिंग इकाइयों की निरंतरता हेतु आवेदन (तमिलनाडु) सिटिंग इकाइयों की निरंतरता हेतु आवेदन (तमिलनाडु) बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 से संबंधित जानकारी प्रदान की गई है। उपयोगकर्ता अधिनियम, उसके उद्देश्यों और लघु शीर्षक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अधिनियम के अनुभागों के बारे में जानकारी दी गई है। आप बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के बारे में जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। यह जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई गई है। मॉडल नियमों एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन संबंधी दिशा-निर्देशों की जानकारी भी यहाँ दी गई है। आप इससे संबंधित अधिसूचनाएँ भी यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं। हमारे गणतंत्र के प्रारंभ से ही सभी के लिए समान अवसरों के प्रावधान के माध्यम से सामाजिक ताने-बाने के सुदृढ़ीकरण हेतु सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा (यूईई) की भूमिका को स्वीकार किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार किए जाने के साथ ही भारत ने कई योजनागत एवं कार्यक्रम अंतःक्षेपों के माध्यम से यूईई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक कार्यक्रम प्रारंभ किए है।
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ईरान में ड्रेस कोड से जुड़े दो महीने के विरोध के बीच देश में दशकों पुराने हिजाब कानून की समीक्षा की जा रही है. इस कानून के तहत यहां महिलाओं को अपना सिर ढंकना अनिवार्य होता है. कुर्द मूल की 22 वर्षीय ईरानी महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद 16 सितंबर से ईरान में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिन्हें कथित रूप से शरिया-आधारित हिजाब कानून का उल्लंघन करने के आरोप में मोरालिटी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. प्रदर्शनकारियों ने अपने हिजाब जला दिए, सरकार विरोधी नारे लगाए और मुस्लिम मौलवियों के सिर से पगड़ियां उछालीय महसा अमिनी की मृत्यु के बाद से, बड़ी संख्या में महिलाएं हिजाब नहीं पहन रही हैं, खासकर तेहरान के फैशनेबल नॉर्थ में. ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटेज़ेरी ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि "संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं कि क्या कानून में किसी बदलाव की जरूरत है. " ISNA समाचार एजेंसी के अनुसार उन्होंने यह यह साफ नहीं किया कि कानून में क्या संशोधित किया जा सकता है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि समीक्षा दल ने बुधवार को संसद के सांस्कृतिक आयोग से मुलाकात की और "एक या दो सप्ताह में इसके परिणाम देखेंगे". राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने शनिवार को कहा कि ईरान की गणतंत्रात्मक और इस्लामी नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है. लेकिन संविधान को लागू करने के तरीके लचीले हो सकते हैं. इस्लामिक क्रांति के चार साल बाद अप्रैल 1983 में ईरान में सभी महिलाओं के लिए हिजाब हेडस्कार्फ़ अनिवार्य हो गया, जिसने अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका. यह एक ऐसे देश में एक अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है जहाँ रूढ़िवादी जोर देते हैं कि यह अनिवार्य होना चाहिए, जबकि सुधारवादी इसे व्यक्तिगत पसंद पर छोड़ना चाहते हैं. इस हफ्ते ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एक जनरल ने पहली बार कहा कि महसा अमिनी की मौत के बाद से अशांति में 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है. ईरान के शीर्ष सुरक्षा निकाय, सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने शनिवार को कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों की संख्या "200 से अधिक" है. इस आंकड़े में सुरक्षा अधिकारी, नागरिक और अलगाववादियों के साथ-साथ दंगाई भी शामिल हैं. वहीं ओस्लो स्थित गैर-सरकारी संगठन ईरान ह्यूमन राइट्स ने मंगलवार को कहा कि कम से कम 448 लोग "देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए" थे. संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने पिछले हफ्ते कहा था कि विरोध प्रदर्शन में बच्चों सहित 14,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
समय मे अपथ्य भोजन करने से उसे कोई टोकता नही था, जिससे उसके व्याधिविकार फिर से प्रकट होने लगे थे और वह फिर जैसा का तैसा हो जाता था । 'वही खड्डा और वही मेढा वाला उक्ति उस पर चरितार्थ हो रही थी । [३६०-३६२] सद्बुद्धि की नियुक्ति ३३ एक समय धर्मबोधकर उसे इस प्रकार व्याधियो से पीडित होते हुए देखा और उससे अब भी इस प्रकार पीड़ित रहने का कारण पूछा । इसके उत्तर मे निष्पुण्यक ने अपनी सारी वास्तविकता बताते हुए कहा - महाराय । आपकी पुत्री तद्द्या मेरे पास सर्वदा नही रह सकती, फलतः उसकी अनुपस्थिति मे मेरी व्याधियाँ अधिक बढ़ जाती है। अतः प्रभो । आप मेरे लिये कुछ ऐसी व्यवस्था कीजिये कि फिर मुझे स्वप्न में भी पीड़ा न हो । [३६३-३६५] धर्मबोधकर ने कहा - 'भाई । तेरे शरीर मे बार-बार पीडा होने का कारण तेरा अपथ्य सेवन है । तया को तो बहुत से काम सौपे हुए है, इसलिये वह तो पूरे समय एक या दूसरे काम में व्यस्त रहती है, अत तुझे अपथ्य सेवन से बार-बार रोक सके, ऐसी कोई स्त्री हो तो तेरी परिचारिका नियुक्त करू । तू अभी तक यह नही जान पाया है कि तेरा आत्महित किस मे है ? तू पथ्य भोजन से दूर भागता रहता है और अपने अपथ्य भोजन को करने मे सर्वदा प्रयत्नशील रहता है, फिर मै तेरे बारे मे क्या करू ? धर्मबोधकर के ऐसे वचन सुनकर निष्पुण्यक ने कहा - 'प्रभो आप ऐसा न कहे । अब से मै आपकी आज्ञा का कभी उल्लघन नहीं करूंगा, आपकी आज्ञा का बराबर पालन करूंगा।' [३६६-३६९] निष्पुण्यक का कैसे भला हो, इस विचार मे परार्थ- हित मे उद्यत मानस वाले धर्मबोधकर थोडी देर सोचते रहे। फिर उसकी बात सुनकर उन्होने कहाएक सद्बुद्धि नामक लडकी मेरी आज्ञाकारिणा है। उसे दूसरा अधिक काम नही है । मेरा विचार उसे तेरी परिचारिका बनाने का है । वह लडकी तेरे पास निरन्तर रहेगी और तेरे लिए प्रथ्य क्या है और अपथ्य क्या है, इसका सुझाव तुझे देती रहेगी ऐसी अच्छी दासी मै तेरी सेवा मे नियुक्त कर रहा हूँ, इसलिये अब तुझे । भी घबराने की आवश्यकता नही है । वह अच्छी जानकार है, इसलिये विपथगामी और शिष्टाचार रहित प्राणी पर वह किंचित् भी उपकार नही करती । अत यदि तुझे सुख प्राप्त करने की इच्छा हो और दुःख से भय लगता हो तो वह जैसा कहे वैसा प्रतिदिन करना । तुझे विशेष रूप से आदेश देता हूँ और शिक्षा प्रदान करता हूँ कि तू उसके कथनानुसार ही करना । उसे जो प्रिय नहीं, वह मुझे भी प्रिय नही यह तुझे समझ लेना चाहिये । तद्दया अनेक कार्यो मे व्यस्त है, फिर भी वह कभीकभी तेरे पास आती रहेगी और तुझे जागृत करती रहेगा । तेरे परमार्थ और हितकामना से मैं फिर कह रहा हूँ कि यदि तुझे सुख पाने की इच्छा है तो सद्बुद्धि को * पृष्ठ २२
चितन भी मनोभूमि उसे उच्छ खल बना देती हैं और जब वह बड़ा होता है तो उसको इच्छाओ पर कठिन प्रतिबंध लगाना शुरू कर देती है। जब लड़का अपने चिर-परिचित वातावरण और व्यवहार के विरुद्ध आचरण देखता है, तो उसे सहन नहीं कर पाता और फिर न करने योग्य काम भी कर घठता है । छात्रो को दुबलता उनका महान् कलक कारण चाहे कुछ भी हो और कोई भी हो फिर भी हमारे नव-युवको को यह दुर्बलता उनके लिए कलक की बात है। नवयुवक को तो प्रत्येक परिस्थिति का दृढता और साहस के साथ सामना करना चाहिए। उसे प्रतिकूलताओ से जूझना चाहिए असफलताओ से लडना चाहिए विरोध के साथ सघर्ष करना चाहिए कठिनाइयों को कुचल डालने के लिए तैयार रहना चाहिए और बाधाओ को उखाड़ फेंकने की हिम्मत अपने प्रतर्मन मे रखनी चाहिए। उसे कायरता नही सोहती। दुर्बलता उसके पास फटकनी नहीं चाहिए । आत्मघात का विचार साहसो पुरषो का नहीं अपितु वह अतिशय नामदी कायरो और बुजदिलो का मार्ग है। भीवन से उदासीनता आत्मा का अपमान किसी भी प्रकार की असफलता के कारण जोवन से उदासीन हो जाना अपने अपने पौरुष का अपने पराक्रम का और अपनी आत्मा का अपमान करना है। नारमानमबम येत । अर्थात्-अपनी जात्मा का अप मान मत करो। तुम्हे मनुष्य की जिन्दगी मिली है तो उसका सदुपयोग करो । यदि तुम्हे देश के नैतिक स्तर को उठाना है तो जीवन मे प्रारम्भ से ही कच सस्कार डाला। अच्छे सस्कार पोथियों पढ़ने से नही सत्सगति से ही प्राप्त होते हैं । अतएव पढ़ने लिखने से जो समय बचे उसे भले पुरषो और सन्तो वे सम्पर्क में लगाना चाहिए । छात्र और चलचित्र आजकल अधिकाश विद्यार्थियों का सम्मा का समय प्राय चलचित्र देखने मे व्यतीत होता है। चारो ओर आज चलचित्रो की धूम मची है। स्वीकार करना चाहिए कि सिनेमा से लाभ भी उठाया जा सकता है परन्तु हमारे यहाँ जो फिल्मे आजकल बन रही हैं वे जनता को लाभ पहुंचाने को भात तो दूर रहे उलटे उसकी जगह हानि ही ज्यादा पहुंचाती है। उनसे समाज में बहुत बुराइम फैली हूँ और आज भी फैल रही है। प्राय बाजारू प्रम के किस्से और कुरुचिपूर्ण गायन तथा नत्य आदि के प्रदर्शन बालको के मस्तिष्क मे जहर भरने का काम कर रहे हैं छोटे छोटे अवोध बालक और नवयुवक जितना छन चित्रो को देखकर बिगडते हैं उतना शायद किसी दूसरे तरीके से नहीं बिगवते । यूरोप आदि देशो मे बालको की विविध विपयों की शिक्षा के लिए चलचित्रो का उपयोग किया जाता है। वहाँ के समाज ने इस कला का सदुपयोग किया है। परन्तु हमारे यहाँ इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है । वेद है कि स्वतन्त्र भारत को सरकार भी जिससे इस विषय में सुधार की आशा की जाती थी इस ओर कोई सक्षम एव उपयुक्त कार्य नहीं कर रही है।
बिठौरिया गांव में रहने वाले किराना कारोबारी के घर में किरायेदार ने ही सेंध लगा दी। नशे की लत में पड़े बीटेक पास किरायेदार ने किराना कारोबारी के लाखों के जेवरात उड़ाए। हल्द्वानी, जेएनएन : बिठौरिया गांव में रहने वाले किराना कारोबारी के घर में किरायेदार ने ही सेंध लगा दी। नशे की लत में पड़ा बीटेक पास किरायेदार किराना कारोबारी की आलमारी का लॉकर खोलकर वहां से लाखों रुपये के जेवरात उड़ा ले गया। कारोबारी की पत्नी के ज्वैलरी बॉक्स खाली देखने पर हड़कंप मचा। जांच में शक होने पर पुलिस ने किरायेदार को दबोचा तो उसके पास से चोरी के सभी जेवरात बरामद हो गए। मुखानी थानाध्यक्ष नंदन रावत ने बताया कि बिठौरिया नंबर एक की नवदुर्गा कॉलोनी में रहने वाले रमेश चंद्र पाठक की ब्लॉक कार्यालय के पास किराने की दुकान है। गुरुवार को उनकी पत्नी आशा किसी समारोह में जा रही थी तो आभूषण पहनने के लिए उन्होंने अलमारी का लॉकर खोला तो ज्वैलरी का बॉक्स खाली मिला। उसमें रखा सोने का लॉकेट जडि़त मंगलसूत्र, एक जोड़ी झुमका, टप्स, मांगटीका व एक नथ गायब थी। शाम को दंपती ने मुखानी थाने पहुंचकर घटना की शिकायत की। साथ ही बताया कि उनके घर में किराये पर बीटेक पास विकास पांडे पुत्र गिरीश पांडे पत्नी के साथ रहता है। उसकी पत्नी कमलुवागांजा स्थित गत्ता फैक्ट्री में काम करती है। वह मूल रूप से नैनीताल का है। रमेश ने विकास के नशे का लती होने के साथ ही तीन दिन से लापता होने की जानकारी भी पुलिस को दी। इस पर पुलिस ने विकास की सुरागरसी शुरू कर दी। थानाध्यक्ष के मुताबिक शुक्रवार सुबह पता चला कि विकास किसी सुनार से संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है और चंबल पुल के पास आने वाला है। पुलिस ने घेराबंदी कर चंबल पुल से विकास को दबोच लिया। उसके पास से किराना कारोबारी के घर से चोरी हुआ सारा सामान भी मिल गया। पूछताछ में पता चला कि तीन दिन पहले विकास अपने कमरे में अकेला था। रमेश पाठक दुकान में थे, जबकि उनकी पत्नी आशा पड़ोसी के घर गई थी। इसी मौके का फायदा उठाकर विकास ने जेवरात उड़ा लिए। उसे न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है।
अमरावती/दि. 6- श्रीक्षेत्र चांगापुर में हनुमानजी के जन्मोत्सव पर परंपरागत पूजा-अर्चना के साथ ही विशाल भंडारा लगा रहा. पंचक्रोशी से हजारों भक्त दर्शन के लिए उमडे. मंदिर को बहुत ही सुरुचीपूर्ण ढंग से सजाया गया. ऐसे ही व्यवस्था बनाए रखने बढिया प्रबंध किए गए थे. जिससे भाविकों के दर्शन शीघ्र एवं सुचारु रहे. उसी प्रकार हजारों ने सुबह 7 बजे से शुरु हुए भंडारा में प्रसादी ग्रहण की. आयोजन की सराहना की. मंदिर और पूरे परिसर में फूलोें की लडियों के साथ केले के स्तंभ लगाए गए थे. ऐसे ही भाविकों को श्रीफल फोडने आदि की भी सुविधा थी. स्त्री-पुरुष भक्त बडी संख्या में भंडारा में काफी देर तक सेवा देते नजर आए. श्रीवल्लभ सार्वजनिक सेवा ट्रस्ट द्वारा सुबह से लेकर रात तक रक्तदान शिविर का आयोजन भी रक्तदान समिति अमरावती के सहयोग से किया गया. गत दो दशकों से यह शिविर आयोजित होता है. सैकड़ों की संख्या में चांगापुर हनुमानजी के भक्त सहर्ष रक्तदान कर जयंती उत्सव को नया आयाम देते हैं. शिविर के 21 वें वर्ष में आज दोपहर समाचार लिखे जाने तक 275 हनुमान भक्तों ने उत्साह से रक्तदान किया था. सर्वश्री श्याम लढ्ढा, जगदीश लढ्ढा, पुरुषोत्तम अग्रवाल, बंकटलाल लढ्ढा, श्रीप्रकाश झंवर, अरुण सिकची, गुड्डू तिनखेडे, दीपक भोपूशर्मा, नागेश कुसंबीवार, गोपाल अग्रवाल, सुरेश पांडे, प्रा. दिनेश हरकुट, राधेश्याम जोपट, श्याम शर्मा, मोहन जोशी, पांडुरंग बहड, रमन व्यास, गुड्डू तिनखेडे, प्रशांत लढ्ढा, ललित लढ्ढा, अनिल सिकची, दीपक शर्मा, महेश लढ्ढा, अखिलेश खडेकार, रितेश लढ्ढा, सुदर्शन झंवर, सागर झंवर, जयंत पांडे, महेश सोनी, विजय शर्मा, सूर्यकांत जोशी, अभिषेक व्यास, विवेक सिकची, गोवर्धन भाऊ, नीतेश भट्टड, शैलेश अग्रवाल, राजू राठी, जुगलकिशोर व्यास, गोपाल उपाध्याय, सूर्यकांत जोशी, बाबूलाल राठी, मुरलीधर घाटोल, संजय भुयार, मनोज टोकसे, विवेक सिकची, आशुतोष लढ्ढा, विनय भुयार, नरसिंग बंग, मुन्ना अग्रवाल, संजय भुयार, विशाल लढ्ढा, महेंद्र भूतडा, अजय दातेराव, शैलेश चौरसिया, उमेश पाटणनकर, राकेश ठाकुर, सुनील अग्रवाल, निशाद जोध, प्रा. संजय कुलकर्णी, श्याम शर्मा, प्रमोद शर्मा, रीतेश व्यास, भरत मुलानी और पंजाबराव देशमुख वैद्यकीय महाविद्यालय की रक्तपेढी स्टाफ के डॉ. अनुश्री राउत, डॉ. अभया आष्टेकर, प्राजक्ता गुल्हाने, अमित धारणे, नीलेश चौखंडे, स्वाती तुले, जस सुंदरकर, हेरिस खान आदि का योगदान रहा.
334 । भारतीय शिक्षा का इतिहास इसी प्रकार पाठ्य पुस्तकों में सुधार करने के उद्देश्य से आन्ध्र, आसाम, बिहार महाराष्ट्र, जम्मू तथा काश्मीर, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में पूर्णतः या आंशिक रूप से पाठ्य पुस्तकों का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका है। केन्द्र में सन् 1954 में 'सेण्ट्रल ब्यूरो ऑव टेक्स्ट-बुक रिसर्च' स्थापित किया गया था जो पाठ्य पुस्तकों के सम्बन्ध में आवश्यक अनुसन्धान कर रहा है । यह ब्यूरो विभिन्न विषयों में पाठ्यक्रमों का भी अध्ययन करता है। इस प्रकार देश की बदलती हुई परिस्थितियों में माध्यमिक शिक्षा को ढालने का प्रयास किया जा रहा है । माध्यमिक शिक्षा की कुछ समस्याएँ ( 1 ) उद्देश्य - भारत में अंग्रेजी स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य प्रारम्भ से ही शासन संचालन के लिए कुछ शिक्षित अफसर व लेखक तैयार करना रहा था । दुर्भाग्य से थोड़ा बहुत आज भी यह उद्देश्य यथावत् बना हुआ है । वस्तुतः माध्यमिक शिक्ष आज भी भारत में उच्च उद्देश्य विहीन है। इसका एकमात्र उद्देश्य या तो विश्वविद्यालय में प्रवेश करना अथवा क्लर्क बना देना हो गया है। यही कारण है कि आज हम भारत में कालेजों को प्रायः ऐसे विद्यार्थियों से भरा हुआ पाते हैं जो अधिकांश में यह भी नहीं जानते कि वे क्यों शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं अथवा किस उद्यम के लिए अपने को तैयार कर रहे हैं । वे केवल इसलिए स्कूल पहुँच जाते हैं क्योंकि उन्हें घरों से पढ़ने के लिए भेजा जाता है। स्कूलों में या तो अपनी सुविधानुसार अथवा साथियों की राय से वे कुछ ऐसे सरल विषयों को चुन लेते हैं, जिनमें थोड़ा-बहुत पढ़ने से ही वे कम से कम परीक्षा में तो सफल हो ही सकें । इस सफलता का क्या उद्देश्य होगा और उनके भावी जीवन में उसका क्या स्थान होगा, इसकी ओर सम्भवतः वे कभी नहीं देख पाते । वास्तव में माध्यमिक शिक्षा विश्वविद्यालय की पूरक न होकर एक स्वतः पूर्ण स्वतन्त्र इकाई होनी चाहिए, जैसा कि हम पीछे भी संकेत कर चुके हैं । इसके अध्ययन के उपरान्त विद्यार्थी यह आत्मविश्वास अनुभव कर सके कि वह एक मंजिल पर पहुँच गया है और तुलनात्मक दृष्टि से कुछ स्वतन्त्र कार्य करने को भी समर्थ है । उसे जीवन के लिए अपने आपको तैयार समझना चाहिए, न कि विश्वविद्यालय के लिए । इस प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य अर्थिक और सांस्कृतिक दोनों ही प्रकार का होना चाहिए । किसी व्यक्ति के जीवन-निर्माण में उसकी किशोरावस्था का क्या महत्त्व है इसे शिक्षा-विशारद भलीभांति जानते हैं । 11 वर्ष से 18 वर्ष तक का समय विद्यार्थी के जीवन-निर्माण का युग है और यही समय उसके माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने का है । अतः हमारी माध्यमिक शिक्षा का उद्देश्य बालक के शरीर, मस्तिष्क तथा चरित्र का पूर्ण विकास ही है जिससे उसके अन्दर नेतृत्व की भावना का विकास हो सके और वह देश का भावी नेता बनकर आत्मविश्वास के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सके । "एक प्रकार से हाई स्कूल राष्ट्र की शिक्षा पद्धति की रीढ़ है । अतः नेताओं तथा आधुनिक शिक्षा ] अध्याय 19 : माध्यमिक शिक्षा प्रगति तथा समस्याएं । 335 जीवन के विभिन्न अंगों के लिए विशेषज्ञों को तैयार करने की शिक्षा के लिए देश को इन्हीं हाई स्कूलों की ओर देखना चाहिए । आज भारत स्वतन्त्र है और यहाँ धर्म निरपेक्ष जनतन्त्र की स्थापना हो चुकी । नये भारत के समक्ष आज विभिन्न प्रकार की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक समस्याएँ हैं । अतः हमें माध्यमिक शिक्षा का एक सामान्य व सैद्धान्तिक उद्देश्य ही न लेकर एक ऐसा उद्देश्य लेना होगा जो देश की परिवर्तित परिस्थितियों से मेल खा सके । "इसका अभिप्राय यह हुआ कि शिक्षा पद्धति को आदतों, प्रवृत्तियों तथा चरित्र के गुणों के विकास के लिए अपनी देन देनी होगी, जिससे यहाँ के नागरिक योग्यतापूर्वक एक जनतन्त्रीय नागरिकता के उत्तरदायित्वों का निर्वाह करने की क्षमता प्राप्त कर सकें तथा ऐसी विघटन - मूलक प्रवृत्तियों का विरोध कर सकें जो एक व्यापक राष्ट्रीय व धर्म-निरपेक्ष दृष्टिकोण के मार्ग का अवरोध करती हों। 7 ऐसी स्थिति में भारत में माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य हैं - छात्रों के चरित्र का निर्माण जिससे वे एक उत्तरदायी स्वतन्त्र नागरिक के रूप में जनतन्त्रीय सामाजिक व्यवस्था की स्थापना करने के लिए क्रियात्मक रूप से सहयोग प्रदान कर सकें। दूसरे, उनकी व्यावहारिक तथा व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि करना जिससे वे देश का आर्थिक निर्माण करके उसे समृद्धशाली बना सकें । तीसरे, उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास अर्थात् उनकी साहित्यिक, कलात्मक तथा सांस्कृतिक अभिरुचियों का विकास जो आत्माभिव्यंजना तथा व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए आवश्यक है । अन्त में इसका उद्देश्य है नेतृत्व के गुणों का विकास । इस प्रकार प्रक माध्यमिक स्कूल को इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील होना है और विद्यार्थी के जीवन को हर प्रकार से एक पूर्ण विकसित इकाई के रूप में तैयार करना है जो देश के जीवन को सम्पन्न बनाने की क्षमता प्राप्त कर सकें । दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे वर्तमान माध्यमिक शिक्षालय इन उद्देश्यों की पूर्ति बहुत कम कर रहे हैं । अतः आवश्यक यह है कि हम न केवल विद्यार्थियों को ही, वरन् उनके शिक्षकों तथा अभिभावकों को भी इसके उद्देश्य के विषय में पर्याप्ततः अवगत करा दें । ( 2 ) पाठ्यक्रम - हमारे देश में माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को देखने से विदित होता है कि सम्भवतः एक शताब्दी से इस समस्या पर कोई मौलिक चिन्तन और तदनुसार कार्य नहीं किया गया है। देश में समय-समय पर महान् राजनीतिक, आर्थिक और औद्योगिक परिवर्तन हो रहे हैं, किन्तु हमारी माध्यमिक शिक्षा समय की गति के साथ बढ़ने में असमर्थ प्रतीत होती है। पाठ्यक्रम का वास्तविक व व्यावहारिक जीवन तथा बालक के वातावरण से कोई सम्बन्ध ही नहीं प्रतीत होता । वह एक पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम को बिना जिज्ञासा, बिना कौतूहल और बिना समझे अथवा & Sargcant Plan, p. 26. 7 Report of the Secondary Education Commission, p. 24.
हाल ही में रैक-घुड़सवार की छत बहुत ही रही हैलोकप्रिय। तथ्य यह है कि वे बस तेज हो जाते हैं, सुंदर दिखने में भिन्न होते हैं, और अलग-अलग रंग भी हो सकते हैं। इसके अलावा, इस तरह की छत का डिजाइन आपको बिंदु निलंबन को लैस करने की अनुमति देता है। वे कमरे को बहुत सजाने के लिए, इसे स्टाइलिश, आधुनिक और मूल बनाते हैं। रंग रैक में न केवल अलग हैं। इनमें से, आप छत पर एक पूरी तस्वीर एकत्र कर सकते हैं। हालांकि, याद रखने की एक बात एक बात है। रैक निर्माण के लिए उच्च छत की आवश्यकता होती है। छत का उपयोग रसोई के लिए किया जा सकता है,बाथरूम, गलियारा, हॉलवे और अन्य कमरे। उनका फायदा यह है कि उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं है, सुरक्षित हैं, खुद को जलाने के लिए उधार नहीं देते हैं, नमी, संक्षारण और जंग के प्रतिरोधी हैं। एक विशेष कोटिंग के लिए धन्यवाद, सलाखों प्रकाश बहुत अच्छी तरह से प्रतिबिंबित कर सकते हैं। इस खत्म का लाभ इसकी उचित लागत है। रेलिंग छत की स्थापना आसान है। शुरू करने के लिए, यह एक आधार तैयार करने के लिए वांछनीय है। स्वाभाविक रूप से, सतह अच्छी तरह से साफ किया और गठबंधन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना है कि धातु की चादरें की एक बड़ी राशि की आवश्यकता नहीं थी और संरचना की व्यवस्था के साथ पीड़ित लंबे नहीं था है। आवश्यक हवा का झोंका प्रोफ़ाइल, दीवार सतह क्षेत्र, टायर, सजावटी रेक, शिकंजा या dowels, और काटने चाकू तत्वों का शराबी काम करने के लिए। अब रैक छत की स्थापना में हैफास्टनिंग ब्रैकेट्स। स्वाभाविक रूप से, ऐसा करने से पहले, आपको वांछित लंबाई के तत्व को मापने और कटौती करने की आवश्यकता है। इस स्तर पर, स्पॉटलाइट्स के लिए छेद प्रदान किए जाते हैं। रैक मुख्य रूप से latches की मदद से तय कर रहे हैं। अंतिम तत्व स्थापित करने के बाद, दीवार पर एक सजावटी पट्टी खराब हो जाती है।