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मन्त्री ऐसा चाहिए
भारत सरकार आजकल एक-से-एक महत्त्वपूर्ण चाय पर रही है । चारा और निर्माण और विकास का काय जोरा पर है। हर क्षेत्र म नई-नई मर्यादाए उसने स्थापित की हैं। लेकिन अभी त मत्रिया के लिए कोई सहिता उसने स्थापित नही की कि अमुक योग्यता वाला व्यक्ति हो मन्त्री बनाया जा सकता है। यही कारण है कि साधारण-से-साधारण पढ़ा लिखा, वाला, वुरूप बौना, दु आरा, विवाहित, विधुर - गज यह है कि चाहे जैसा भी व्यक्ति क्यो न हो, आज मन्त्री बना दिया जाता है। लेकिन अब समय आगया है कि जब मंत्रियो को योग्यता का निर्धारण हो हो जाना चाहिए ।
भारत के भूतपूर्व उप-खाद्यम श्री श्री एम०वी० कृष्णप्पा ने स्वानुभव से इस सम्बंध मे पहल करके विचारपूवव बुद्ध मर्यादाए स्थापित की थी। उनका कहना था कि आदश मत्री को कट की तरह खाना चाहिए उसकी चमडी भैंसे की तरह मोटी और वडी होनी चाहिए उसे गधे की तरह काम करना चाहिए और सोना कुत्ते वा तरह चाहिए ।
अथात एक मत्रो मे व सब गुण होन चाहिए जो ऊट भैसा, गधा और कुत्ते म होते हैं। यानी, मत्रिया मे वेवल मनुष्यो के हो नही, जानवरो के भी गुण होने आवश्यक हैं ।
कहते हैं कि एक बार जाज वर्नाड शा के पास एक अत्यन्त रूपवती महिला पहुंची और उनसे निवेदन किया कि वह कृपा कर उससे विवाह करने को राजी होजाए
बर्नाड शा ने पूछा, 'देवोजी, आपके ऐसा चाहने का कारण क्या है ?
महिला ने बताया 'जरा इस बात की कल्पना कीजिए कि हमारी जो सतान होगी वह मुझ जैसी रूपवान और आप जसी बुद्धिमान होकर दुनिया मे तहलका न
मचा देगी ?
बर्नाड शा हसे और कहने लगे "लेकिन इसका उल्टा भी तो हो सकता है वह सतान मुझ जैसी कुरूप और आप जसी बुद्धिमान पैदा होगई तो क्या होगा "
बर्नाड शा के इस फाम ले का यदि म त्रयो को इस कृष्णप्पा-योग्यता पर भी लागू करें तो परिणाम कोई क्म उल्टा नही निकलता। क्या पता कि टी
मंत्रो ऐसा घाहिए / 1
तरह संचित भोजन करने वाले मन्त्री उसोकी तरह बलबलाने भी लग जाए । उनको चमड़ी हो भैसे की तरह मोटी न हो, अकल भो उसका अनुवारण करने लगे । गदहे की तरह काम मा बोझ उठाने वाले, यदि उसकी तरह दुलत्तो भी झाडने लगे और मुत्ते की तरह अचफ नोद सोने वाले महाशय यदि दूसरा व टुवडों पर पलवर अपनो पूछ भी सोधी न होने दें तो गजब हो जाएगा कि नहीं ?
फिर भो मन्त्रिया मे यदि जानवरा का प्रतिनिधित्व ढूढना हो तो हमारा निवेदन है कि सरकार या ध्यान नेवल चौपायो पर ही नहीं, परिदा पर भी जाना चाहिए । इस सम्बघ मे गोआ और बगुला, ये दो पक्षी ऐसे हैं जो पक्षी जगत से वाली और गोरी दोना ही जातियों का सही प्रतिनिधित्व करत हैं और भारत में इनको सख्या वडी है ।
इसीलिए मंत्रिया की यह परिभाषा हो तो अधिक ठीक रह ---
एक ऐसा व्यक्ति जो ऊट की तरह खाता हो, बुत्ते की तरह सोता हो गधे मी तरह थाम करता हो, जिसकी धमडी भैंसे के समान हो, जिसकी चेष्टा कोए जसो हो और जो बगुले जैसा ध्यान लगा सकता हो उसोको भारतवर्ष के मत्रिपद पर आसीन किया जा सकता है। ऊपर लिखे हुए गुणो वे पूरी मात्रा में पाए जाने पर यह आवश्यक नहीं कि उमम मनुष्यता के गुण भी पूरी मात्रा में विद्यमान हो ।
अथ उद्घाटन इति उद्घाटन
श्रीमती इंदिरा गाधी यो शिकायत है कि सम्मेलना का अधिकाश समय याद व्यतीत हो जाता है। इस सिलसिले में उन्होंने यूनेस्को ये आवडे भी बताए हैं। उनका अपना अनुभव भी कुछ ऐसा ही है कि लोग शिष्टाचार को महत्त्व अधिक दत हैं काम को नही । सभा-सम्मेलना म आजकल प्राय घाम की बातें कम ही होती हैं।
इस सम्बन्ध में हमारा भी कुछ अनुभव है और हम कहना चाहते हैं कि सम्मेलनो का आधा समय धन्यवाद म और आधा उद्घाटन म बीत जाता है। फिर काम के लिए समय रहता हो कहा है ? सेद है कि अपनी बात की पुष्टि मे हम यूनेस्को के आवडे नही दे सकते, लेकिन हमारे पास अपने ही देश के, अपनी दिल्ली वे, एक नही कई उदाहरण पेश करने के लिए मौजूद है। उनमें से एक का हाल लीजिएराजधानी में एक नामी नेता ने कई मुकामी वायकर्ताओं का जुगाड करने, एक विशेष प्रयाजन से, एक खास जगह पर एक विराट सम्मेलन बुलाया। आजकल कोई भी सम्मेलन तब तक विराट नही होता, जब तक कि उसका उदघाटन कोई विराट मत्री न करें। भले ही उसका सम्मेलन के विषय से क ख ग का भी सम्बध न हो, लेकिन किसी भी सम्मेलन को सनाथ करने के लिए मंत्री की उपस्थिति अनिवाय होती है । मत्री आते हैं तो उनका स्वागत करने के लिए स्वागताध्यक्ष भी तलाश किए जाते हैं। परिणामस्वरूप इस सम्मेलन के लिए भी एक विराट पुरुष स्वागताध्यक्ष बनाए गए। स्वागताध्यक्ष हा और स्वागत मन्त्री न हो, यह कसे हो सकता था ? वह भी बनाए गए । सम्मलन का समय सायकाल 6 बजे से था, लेकिन तब तक विराट जन-समूह एकत्र न होने के कारण मन्त्री महोदय अपने बगले पर रुके रहे और जलसे की वायवाही शुरू होने में सिफ डेढ घण्टे का विलम्ब हुआ ।
जलसा शुरू होने पर पहले सयोजक का उद्घाटन भाषण हुआ। जिसमे सम्मेलन देर से प्रारम्भ होने के लिए जनता और मन्त्री महोदय से क्षमा मागी गई और लगे हाथ सम्मेलन को बुलाने मे उनका क्या योगदान है एव वह अपने आपमे कितने महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं, यह भी मानी महोदय को सुनाते हुए जनता को बता दिया ।
दूसरा उदघाटन किया स्वागत मनी महोदय ने । वह लगता था स्वागताध्यक्ष के आदमी थे । उन्होंने अपने बारे में अधिक कुछ न कहकर स्वागताध्यक्ष की ही सेवाओ का गुणगान किया और उनसे प्राथना की कि वह अपना अमूल्य स्वागत भाषण पढें ।
अथ उद्घाटन इति उद्घाटन / 9
इस तरह तीसरा उदघाटन भाषण किया स्वागताध्यक्षजी ने । उन्होने अपनी सेवाआ का विनम्रता से और मत्रीजी की सेवाओं का गव से वर्णन किया तथा त्रुटिया के लिए क्षमा मागते हुए मत्रीजी से सम्मेलन के विधिवत उद्घाटन की प्राथना की।
मनोजी उठने के लिए अपना टोपी दुपट्टा ठीक कर ही रहे थे कि सभापति बोले- आप जरा ठहरिए, और सभापति स्वय माइक पर आगए। उहे डर था कि मन्त्रीजी के भाषण के बाद जनता चली जाएगी और उनका भाषण कोइ नही सुनगा । इसीलिए उन्होने चालाकी से काम लेकर पहले तो चन्द शद मन्त्रीजी की प्रशसा मे कहे और फिर उह जो कुछ बहना था, वह भी लगे हाथ सक्षेप म उद्घाटित कर गए ।
इतना सब उद्घाटित हो चुका तो मानीजी उठे और उन्होने उस सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया। सम्मेलन जिस विषय पर हो रहा था, उस पर मंत्री महोदय की कोई जानवारी न थी, इसलिए वह इधर-उधर भटकते रहे। जनता ऊब गई । इससे मन्त्रीजी भी खिन्न होगए और उन्होंने सिर्फ दो घंटे मे अपना भाषण समाप्त कर दिया। मत्री जी के डिनर का टाइम होगया । वह जान लगे। मगर बिना धन्यवाद लिए वह कैसे जा सकते थे ? अस्तु बारी बारी से फिर सभापति, स्वागताध्यक्ष, मन्त्री और संयोजक ने उहे धन्यवाद दिया । मत्रीजी धन्यवाद वा भार सम्हाले हुए बडी मुश्किल से उठे और मत्रीजी के उठते ही जनता भी उठ गई ।
अब आप पूछेंगे कि सम्मेलन में क्या हुआ ? तो हम आपको बताएंगे कि सभापति महोदय ने सम्मेलन में रखे जाने वाले प्रस्तावा में से दो पढ़ कर सुनाए और शेष 7 प्रस्ताव मच पर बैठे लोगो न पढे हुए मानकर स्वीकार कर लिए। उपस्थित पत्रकारा न मन ही मन आयोजको को धन्यवाद दिया कि जान बची और लाखा पाए । चलो, जल्दी से इस उद्घाटन का समाचार छापे ।
भैस कि गधा ?
बात पुरानी है। अहमदागद को 25 धमप्राण महिलाए गोहत्या के विराध म स्थानीय वूचडखान के सामने सत्याग्रह कर रही थी। लेकिन हुआ अचानक यह वि क्साई गाया की जगह उस दिन भसँ बाटने को ले आए। स्थिति ऐसी थी कि उस पर तत्काल ही करपात्रीजी से धमन्ध्यवस्था प्राप्त नहीं की जा सकती थी। सत्याग हिणया को स्वयं ही किसी फैसले पर पहुंचना था कि भस को रक्षणीय माना जाए या नही? आखिर कुछ क्षणो की विक्तव्यविमूढता के बाद यही फसला किया गया कि सत्य का आग्रह केवल गाया के लिए किया जा सकता है, भैंसो व लिए नहीं । क्योकि गाय वे जान होती है, भस के नहीं। गाय गोरी भूरी होती है, भस निपट कलौ । दक्षिण अफ्रीवा साक्षी है कि रक्षा या सुरक्षा का अधिकार जम से हो गोरो को प्राप्त है वो नही । इसलिए चाहे वह दूध अधिक क्या न देती हो, उसका दूध अधिक पुष्टिकारक और सुस्वाद ही क्यो न होता हो जहा तक रक्षा का प्रश्न है, आदोलन का प्रश्न है, वह गाय के लिए ही सुरक्षित है। भगवान को अगर भसा की रक्षा करनी अभीष्ट होती तो कृष्ण गायें नही, भैंसें चरात । शकर भोलेनाथ बल को वाहन न बनाकर भैंसे पर सवारी करत । सज्जन पुरुषा को बछिया के ताऊ न कहर भैसिया के भाई कहा जाता । यह पृथ्वी गाय के सीग पर खड़ी न होकर भसिया की पीठ पर लदी होती। लोगों के नाम गोपाल न होकर भैसपाल होत । इसलिए अहमदाबाद की महिलाओं के निश्चय की तारीफ ही करनी चाहिए कि उनकी सूझबूझ ने न केवल धम की मर्यादा को स्थिर रखा, अपितु उस दिन की गिरफ्तारी के
सकट से भी अपने आपको बचा लिया ।
लेकिन हिदुस्तान मे मौलिक मनुष्यो को कमी नही । यहा फला के लिए क्ला बाद के लिए वाद और विवाद के लिए विवाद करने वाले ही नही-आदोलन के लिए आ दोलन करने वाले भी कम नहीं हैं। अगर निकट भविष्य म ही कही कोई महापुरुष भैस रक्षा आदोलन' का भी सूक्षपात कर दें और हिंदुस्तान की किसी महानगरी मे भैस सेवक मडल' को स्थापना हो जाए तो हमे आश्चय न होगा । बल्कि यह भी हो सकता है कि हिदुस्तान म घर घर भैस रक्षा की दुई फिर जाए और अगले चुनावों के लिए भस को रक्षा हमारा जमसिद्ध अधिकार है एक नया नारा अभी से बल पकड़ने लगे ।
भैंस कि गया ? / 11
हिन्दुस्तान मे यदि भैस रक्षा का आदोलन उठ खडा हुआ तो उसे दबाना सरकार को मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि गाय के मुकाबले में भैंस अधिक वजनदार और भौतिव स्वार्थों वे निक्ट है। भैंस रक्षा के लिए हमारे शास्त्रो मे भी कम तक नही हैं। प्राचीन ऋषियों ने भैंस को अत्यत आदरसूचव महिषी नाम दिया है। इसके पूज्य पतिदेव स्वय यमराज की सवारी में सन्नद्ध रहते हैं और ससार के बुद्धिवादी हजारी बार सिर पटवकर यह फैसला नहीं कर सके हैं कि अक्ल बडी है या भंस ।
एक समय की बात है कि ब्रिटेन के आम चुनावो म एक उदारदलीय सदस्य ने समुद्र तट पर छुट्टी मनान वाला का ध्यान आकर्षित करने के लिए गधे की सवारी स्वीकार और 'माइक हाथ में लेकर कहने लगे, "प्यारे भाइयो और बहनो, मुझ पर विश्वास रखो, मैं गधा तक से काम ले सकता हूँ । जसे में इस पर सवारी गाठ रहा हू, वसे ही ।"
पता नहीं गधा-सवार श्री आई० आई० आक्स्ट चुनाव जीते या नहीं, लेकिन उन्होंने एक मिसाल अवश्य कायम कर दी कि चुनाव मे गधो का भी उपयोग किया जा सकता है। वैसे तो अब भी कुछ समझदार लोगो का खयाल है कि चुनाव वे चक्कर मे पडना (भले) आदमियो वा काम नही । जिदगी में आदमी से अपना बोध ही नहीं ढोया जाता, फिर हजारो, लाखो मतदाताओं की लादी को घर से घाट और घाट से घर उतारना कोई आसान काम नहीं है। बिना शीतला माता की कृपा से यह काम संभव नहीं हो सकता । राजनीति भावुक आदमिया का खेल नही, कि जरा किसी ने छेड दिया तो काटने भौंकने दौड पडे । यहा तो अनियनित लोकमत का बोझा बिना दुलती झाडे उठाना पड़ता है। चुनाव में खड़े होने वाले के सिर पर अगर सीग हुए तो वह कभी नही चुना जा सकता। इसलिए साकेतिक रूप में उम्मीदवार को अपनी विशेषताओं को पूरी और सही जानकारी कराने के लिए गधा जितना उपयुक्त माध्यम है, उतना दूसरा कोई नही हो सकता। भारत के उम्मीदवारो को इस ओर अभी से ध्यान देना चाहिए। दो बला के मुकाबले यदि चुनाव सग्राम मे विजय दिलाने वाला कोई चुनाव चिन्ह हो सकता है तो वह गधा हो है - निपट निरोह सेवाभावी फमावरदार और भारत के गाव-गाव म पाए जाने वाला बहुमत
सम्पन्न । |
मणिभद्र अपना अन्तिम वाक्य समाप्त करना है कि इसके पहले ही रनमाला गद् गद् होकर बोडी-"प्राणनाथ, आज्ञाका हूँ । क्या तुम्हें ! जिस पवित्र मूर्तिके दर्शन मात्र हृदयमें पूजा करने के भावनायें उठने लगती है, जिसके कष्ठकी सुमधुर ध्वनि सुनकर प्रा शीत हो जाते हैं, कानों में अमृतकी धारा जैसी बह उठती है, जिसके सहवाससे शरीर भोर मन पवित्र होता है उसे आज्ञा देने के लिए इ हो ! अच्छा प्राणनाथ, बताओ तो सही जब मैं तुम्हें आज्ञा दे दूँग तब मुझे जीने के लिए किसका आधार रह जायगा । नाप, क्षमा करो, मैं नहीं समझ सकती कि आज मेरा मन इतना अशान्त और निर्दे बना जा रहा है । इस बातका कुछ निर्णय नहीं कर सकती संसार परियाग करते समय हृदयमें इतनी घबराहट क्यों बोरी!!! इतना कह कर रत्नमाला एक साथ से पड़ी । कावेग उससे सँभाटा न गया। यह बड़ी देर तक बैठी बेटी रोती रही। जब बहुत चुकने बाद उसके हृदय का भार कुछ हलका हुआ और यह कुछ रख हुई तब उसने कहा-" नाष, छोड़ो; इस संसारको छोड़ो ! जिस संसर में फेंस कर मनुष्य अपना कर्तव्य मूल जाते हैं उस संसारको छोड़ो। जिस ससारमें मनुष्य अपने आपको भी भूख जाता है उस संसारको छोड़ो अब इस संसार मोड करने की आवश्यकता नहीं है। जाओ नाथ जाओ, सदा के लिये जाओ ! जिस बीतराग-धर्म मार्ग पर एक श्री चनसंसारके जम्म-मरण आदि समय न हो जाते हैं उस मार्ग २० जाओ ! जाओ, प्राणेश्वर जाओ दुखियों के दुःख करने . हुलई सकेको के आँछ कर उन्हें धीरज बंधानेके दिए जाओ ! |
मध्य प्रदेश सरकार पेट्रोल डीजल में कितना टैक्स लगाती हैः बुधवार को पीएम मोदी ने विपक्ष वाले राज्यों को पेट्रोल-डीजल में लगने वाले वैट को कम करने के लिए आग्रह किया और महाराष्ट्र और पडोसी राज्य दमन में ईंधन के दामों में बड़े फालसे का जिक्र किया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश और पडोसी राज्य यूपी में ईंधन के दामों में बड़े अंतर पर बात नहीं की.
MP Me Petrol Diesel Par Kitna Tax Lagta hai: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में पेट्रोल और डीजल में इतना टैक्स थोपा जाता है जितना विपक्ष सरकार वाले राज्यों में भी नहीं लगता, देश में सबसे महंगा ईंधन बेचने वाले कुछ राज्यों में मध्य प्रदेश भी टॉप पर है. पीएम मोदी का कहना है कि बीजेपी शाषित प्रदेशों में ईंधन पर लगने वाले VAT को कम किया जाकर जनता को लाभ पहुंचाया गया है लेकिन एमपी में शिवसेना सरकार वाले राज्य महाराष्ट्र और कांग्रेस राज वाले राजस्थान से कुछ कम कीमत में पेट्रोल नहीं मिलता है। मध्य प्रदेश ऐसा बीजेपी शाषित राज्य है जहां सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल बिकता है.
How much tax is levied on petrol diesel in Madhya Pradesh: वर्तमान की बात करें तो मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार पेट्रोल डीजल पर भारी भरकम टैक्स लगाती है. यहां पेट्रोल पर 35.98% वैट यानी वेल्यू एडिट टैक्स लगता है. जबकि डीजल में करीब 25% तक वैट लगता है.
जबकि कांग्रेस शाषित राजस्थान में डीजल पर 26% और पेट्रोल में 36% VAT, महाराष्ट्र में डीजल पर 3 रुपए एडिशनल टैक्स+ 21% VAT और पेट्रोल में 10.12 रुपए प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और 25% VAT लगता है. जबकी मध्य प्रदेश के एक और पडोसी राज्य यूपी में जहां बीजेपी है वहां एमपी की तुलना में VAT बहुत कम है.
उत्तर प्रदेश में जहां पेट्रोल 110 रुपए में बिक रहा है वहीं मध्य प्रदेश में 120 रुपए लीटर के ऊपर पेट्रोल की कीमत पहुंच गई है,
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दिल्ली. चेन्नई सुपर किंग्स ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2021 का खिताब अपने नाम कर लिया है. जिसके बाद स्टार सलामी बल्लेबाज रुतुराज गायकवाड़ अपने घर लौट आए हैं, यहां उनकी मां ने उनका भव्य स्वागत किया है. 24 साल के रुतुराज ने मैच के दौरान अपने प्रदर्शन से ऑरेंज कैप के विजेता भी बन गए हैं.
सलामी बल्लेबाज रुतुराज गायकवाड़ ने IPL 2021 में 45. 35 की औसत से IPL 2021 में 7 अर्धशतक और एक शतक के साथ 635 रन बनाया है. CSK ने फाइनल में कोलकाता नाइट राइडर्स को 27 रन से हराकर शुक्रवार को अपना चौथा IPL खिताब जीत लिया. दुबई से घर लौटने के बाद गायकवाड़ की मां ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया. जिसको सीएसके ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें लिखा, 'मर्सल अरासन होम'.
दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले गए फाइनल में सुपर किंग्स ने नाइट राइडर्स को 27 रन से हरा दिया है. चेन्नई पिछले सीजन में सातवें स्थान पर रही थी. इस सीजन में चेन्नई ने हार के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी और फिर चौथी आईपीएल ट्रॉफी जीती.
193 रनों का पीछा करते हुए केकेआर के सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल और वेंकटेश अय्यर ने जिस तरह से लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया, उससे लग रहा था कि लक्ष्य इतना मुश्किल नहीं होगा. लेकिन एक बार जब वह आउट हो गए. कोलकाता लक्ष्य पीछा करने में विफल रही, क्योंकि उन्होंने लगातार विकेट गंवाए और 20 ओवरों में 165/9 ही बना सकी.
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था।
मैं आज यहां याद कर रहा हूं बांग्लादेश के उन लाखों बेटे-बेटियों को जिन्होंने अपने देश, आपनी भाषा और संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे, अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी।
मैं आज भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्तिजुद्धो में बांग्लादेश के भाइयों-बहनों के साथ खड़े हुये थे। जिन्होंने मुक्तिजुद्धो में अपना लहू दिया, अपना बलिदान दिया, और आज़ाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को, बांग्लादेश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबुर्रहमान जी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने बांग्लादेश और यहाँ के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।
राष्ट्रपति अब्दुल हामिद जी, प्रधानमन्त्री शेख हसीना जी और बांग्लादेश के नागरिकों का मैं आभार प्रकट करता हूं। आपने अपने इन गौरवशाली क्षणों में, इस उत्सव में भागीदार बनने के लिए भारत को सप्रेम निमंत्रण दिया।
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हिंदू धर्म में जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने पृथ्वी पर अवतार लिया था. कृष्ण भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी आराधना करते हैं. जानते हैं इंदौर के रहने वाले ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित कृष्ण कांत शर्मा से बांसुरी से जुड़े वास्तु के कुछ उपाय के बारे में यहां.
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के घर में वास्तु दोष है जिस कारण उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो जन्माष्टमी के दिन आप अपने घर में बांसुरी लाकर भगवान कृष्ण को पूजा के दौरान अर्पित कर दें और दूसरे दिन उस बांसुरी को अपने घर की पूर्व दीवार पर तिरछी लगा दें. वास्तुशास्त्र में ऐसा बताया गया है कि ऐसा करने से घर का वास्तु दोष खत्म होता है.
ऐसा माना जाता है कि जिस घर में लकड़ी से बनी बांसुरी होती है. उस घर पर सदैव कृष्ण की कृपा बनी रहती है. वास्तु शास्त्र में भी बांसुरी को शांति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. व्यापार व्यवसाय में उन्नति के लिए आप अपने घर दुकान के मुख्य द्वार पर दो बांसुरी लगा सकते हैं. ऐसा करने से आपको व्यापार में उन्नति प्राप्त होगी.
यदि किसी व्यक्ति के घर में पति-पत्नी के बीच हमेशा अनबन बनी रहती है. तो ऐसे में जन्माष्टमी के दिन बांसुरी लाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करनी चाहिए और दूसरे दिन उस बांसुरी को अपने बिस्तर के पास रख दें. ऐसा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होगा.
ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि बांसुरी बजाने से उससे उत्पन्न होने वाली ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देती है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है. यदि किसी व्यक्ति के घर में नकारात्मक शक्तियों का वास है, तो ऐसे व्यक्ति को चांदी की बांसुरी लाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करना चाहिए. यदि चांदी की बांसुरी नहीं ले पाते तो बांस की बांसुरी भी श्रीकृष्ण को अर्पित कर सकते हैं.
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२१२ । मसिरेखा
दो माह वाद विमान की बदली कानपुर हुई। संभवतः 'ऊपरी' आय का कोई मामला था, जिसके फलस्वरूप ऊपर वाले रुष्ट हो गये थे । रंगे हाथ पकड़ने का अवसर नहीं मिला । न ही कोई पक्का सबूत मिला कोई ।
विमान ठहरे भोजन- विलासी व्यक्ति । किसी गँवार रसोइये की पूरी-सब्जो' पर निर्भर रहने से उन्हें एक दिन नहीं चलता। अतः विमला को साथ चलना पड़ा। वह भी अकेली कैसे रह पायगी ? चारो ओर तो बस 'आता है, जाता है' लोग हैं । दिल खोल कर दो वातें भी किस से करेगी ? सारे दिन क्या करेगी ? भगवान ने तो गोद - कंधे पर कोई दिया नहीं, जो उसी की साज-सँवार में समय काट दे । यहाँ वह अभाव आलो ने दूर कर रखा था । इस घर में आने के बाद अपने आप हो लड़की का भार उसके ऊपर पहुँच गया था। 'मंझली वहू' जैसा भंझट होन इंसान और मिलता ही कौन ? यह जरूरत दिन-दिन और भी बड़ी हो कर दीख रही थी। लड़की बड़ी हो रही थी । इससे भी बड़ी एक वात और थी । इस घर में सुरमा को एक जन हो तो समझता था । फिर उसे किस के पास छोड़ जाय ? मंझली दीदी चली जा रही है, सुन कर वह भी बहुत मुश्किल में पड़ गयो थी । साथ ले जाने का प्रस्ताव रखे जाते ह उत्फुल्ल हो उठी । सव तरह से सोच कर सास ने भी सहमति दे दी । विजन की रा का इंतजार करना अनावश्यक था । वह विमला का दायित्व था । उससे ज्यादा जानता था कि विजन इस व्यवस्था से निश्चित ही होगा ! कानपुर पहुँच कर खबर। देना ही काफी होगा । वही किया ।
विजन ने लिखा था, "इसमें नयी बात क्या है ? मंझले दादा की कानपु बदली की खबर जिस दिन मिली थी, उसी दिन यह जान गया था। अपनी इन दो नूतन पोपिताओं को छोड़ कर तुम जातों ही कैसे ? यदि तुम जा पाती, तब वह वार एक नई खवर होती ।"
विमला ने लिखा- "लोटा-कंबल ले कर तुम भी चले श्राश्रो ना । हमारा ए पोषित और बढ़ जायगा । डर नहीं। घर बहुत बड़ा है। कुंजन-गुंजन को असुविधा नह होगी । उस समय आलो को मैं सम्हाल लूंगी।"
इस प्रसंग में और कोई जवाब नहीं आया ।
कानपुर आ कर सुरमा ने एक नये जीवन का स्वाद पाया और उसे ही सर्वत भाव से ग्रहण करने की चेप्टा की थी । विवाह के वाद प्रथम वार उसको बातची और चाल-ढाल में थोड़ी उत्फुल्लता दिखाई पड़ी । सदा-विराग मुख पर कारण प्रक रण हँसी की एक झलक, मंझली दीदी के साथ छोटी-मोटी छेड़-छाड़, लड़की को कर खेलना, चातें, भाग-दौड़ में लगने लगो । जेठ से यथेष्ट परिमाण में दूरत्व रख ही उस समय की प्रचलित रीति थी। कुछ परिवारों में यह टूटना शुरू हुई थी, उस सतर तक नहीं पहुँच सके थे । सुरमा उस ओर भी थोड़ा आगे बढ़ी थी । इस |
च्युत, अस्त-व्यस्त पंखी से तुम कर-कर वनंत में ही विलीन ।
इस तरह का प्रखर क्रान्ति-भाव पैत की सामान्यतः सुकुमारवायवीय कल्पना के परिप्रेक्ष्य में विशिष्ट स्थान रखता है। क्रान्ति के कठोर के पश्चात नय सृजन की चाह ताज़, मांसल शब्दों में विवृत हुई है :
कंकाल जाल जा में फैले
फिर नवल रुघिर, पल्लव लाली । प्राणों की ममेर से मुखरित
जीवन की मसिल हरियाली ।
युगवाणी में संकलित दो लड़के शीर्षक कविता की माषा
में निहित बोलचाल का प्रवाह छायावादी काव्यमाणा के एक विशिष्ट मोड़ की और संकेत करता है । बौलचाल में भी कविता का संप्रेषण हो सकता है, इसका अच्छा प्रमाण दी लड़के से मिलता है। पासी के बच्चों का कम करने के लिए कवि में जो वात्मविश्वास वॉर जात्मीयता होनी चाहिए, वह इस कविता में देखी जा सकती है :
मानव के बालक है ये पासी के बच्चे, रोम रोम मानव, साँच मैं ढाल सच ।
सामान्यतः कोमल कुमार चित्रण के लिए प्रसिद्ध पैत इन दो लड़कों के कम में एक्दम बोलचाल की भाषा पर उतर जाते हैं !
भी बॉगन में (डी पर है मेरा घर ) दो छोटे-से लड़ने वा जाते हैं अक्सर, मंगता, नववये पॉप, सनी, मिट्टी के मटम पुल पर कुतीक।
में काम ने कहा है
सहानुभूति ही मिल सकती है।
अपेपारवृत अधिक महत्त्वाचादनी प्रयत्न है । यद्यपि पाठकों को ग्रामीणों के प्रति केवल बौद्धिक जीवन में मिलकर उसके मीत्तर है ये अवश्य नहीं |
पश्चिम बंगाल में लगातार कोरोना के मामले में कमी हो रही है. देश के अन्य राज्यों में कॉलेज और स्कूल खुलने लगे हैं. अब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने संकेत दिया है कि दुर्गा पूजा के बाद बंगाल में स्कूल और कॉलेज खोले जा सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में लगातार कोरोना (Corona) के मामले में कमी हो रही है. देश के अन्य राज्यों में कॉलेज (College) और स्कूल (Schools) खुलने लगे हैं. अब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने संकेत दिया है कि दुर्गा पूजा (Durga Puja) के बाद बंगाल में स्कूल और कॉलेज खोले जा सकते हैं. राज्य सरकार वैकल्पिक दिन स्कूल और कॉलेज खोले जाएंगे. बता दें कोरोना महामारी के कारण फिलहाल बंगाल में स्कूल और कॉलेज बंद हैं. महामारी के कारण इस साल माध्यमिक और उच्च माध्यमिक की परीक्षा नहीं हुई है.
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने गुरुवार को कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर ग्लोबल एडवाइजरी कमेटी के साथ बैठक की. इनमें नोबेल पुरस्कार अभिजीत बिनायक बंद्योपाध्याय शामिल थे. इस बैठक में कोरोना महामारी और तीसरी लहर से बचने के उपायों पर चर्चा की. ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कोरोना लगभग नियंत्रण में है. यह घटकर एक फीसदी के आसपास हो गया है.
इस अवसर अभिजीत बिनायक बनर्जी ने कहा कि राज्य ने बहुत काम किया है. इस बार आपकी जिम्मेदारी है कि आप मीडिया में सभी को सही जानकारी दें. पिछले साल त्योहार में मौसम के लिए विस्तार प्रोटोकॉल का सुझाव दिया गया था. इस साल भी इसे पालन किया जाएगा. केंद्र सरकार वैक्सीन का उत्पादन नहीं कर पा रही है. सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी (BJP) शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक आदि में जनसंख्या की तुलना में ज्यादा वैक्सीन दी गयी है, जबकि बंगाल को वंचित किया गया है. बंगाल को अपेक्षाकृत कम वैक्सीन दी गई है. बार-बार मांगने के बावजूद बंगाल को जरूरत के अनुसार वैक्सीन नहीं दी गई है. वैक्सीन की मांग करते हुए सीएम ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को फिर पत्र लिखा है.
ममता बनर्जी ने कहा कि असम, सिक्किम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में कोविड का प्रकोप बढ़ रहा है. बंगाल फिलहाल प्रतिदिन 4 लाख लोगों को टीका दिया जा रहा है, लेकिन हमारी क्षमता 10 लाख लोगों को टीका देने की है, लेकिन हमें पर्याप्त टीके नहीं दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बंगाल में कोरोना संक्रमण के मामले कम रहे हैं. मार्च में संक्रमित मामलों की संख्या 33 फीसदी थी, जो घट तक 3 फीसदी पर पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि अभी तक बंगाल 3.68 टीके दिए गये हैं. इनमें से 2.20 लोगों को दोनों डोज दे दिए गये हैं. बता दें कि सीएम ने वैक्सीन की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है और पक्षपात का आरोप लगाया है.
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दिल्ली के जहांगीरपुरी में Hanuman Jayanti शोभा यात्रा में पनपे बवाल और सांप्रदायिक तनाव की जांच जारी है । इसी क्रम में Delhi Police ने Jahangipuri Violence के 22 आरोपियों की सूची जारी है । Times Now Navbharat के पास सभी की Exclusive तस्वीर मौजूद हैं। ये वो लोग हैं जिनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने हिंसा भड़काई। पुलिस का कहना है कि जो आरोपी गिरफ्त से बाहर हैं उन्हें पकड़ने की कोशिश की जा रही है। उम्मीद है कि शेष आरोपी भी गिरफ्त में होंगे। हिंसा के लिए जिम्मेदार शख्स में से एक अंसार के बारे में बताया जा रहा है कि वो सिर्फ मोहरा है असली मास्टर माइंड कोई और है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले हफ्ते जहांगीरपुरी सांप्रदायिक झड़प के मुख्य आरोपी अंसार शेख और अन्य संदिग्धों की संपत्तियों के स्रोतों की जांच के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना द्वारा केंद्रीय एजेंसी को लिखे पत्र के एक दिन बाद प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। ईडी शेख और अन्य संदिग्धों के सभी वित्त की जांच करेगा और जांच करेगा कि क्या किसी धन का इस्तेमाल सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार यह संदेह है कि शेख ने विदेश से कुछ धन हासिल किया होगा। दिल्ली पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच से पता चला है कि वह पश्चिम बंगाल के हल्दिया में एक बड़ी हवेली का मालिक है।
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नई दिल्ली। देश में एक तरफ कैंसर (Cancer) के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के महंगे होने के चलते लोग इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में सरकार ने कड़ा कदम उठते हुए कैंसर के इलाज में काम आने वाली 42 दवाओं को सस्ता कर दिया है। कैंसर की इन 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया गया है। इसके अलावा सरकार ने कैंसर के मरीजों के लिए ट्रेड मार्जिन 30 फीसदी तक सीमित कर दिया है। इससे कैंसर की दवाएं 85 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएंगी। लेकिन इसके बाद भी कैंसर का इलाज (Cancer treatment) काफी महंगा पड़ेगा। स्थिति तो यह है कि लोग कैंसर (Cancer) का इलाज कराते-कराते कंगाल हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि लोग पहले से ही स्वास्थ बीमा कवर ले लें। एलआईसी (LIC) ऐसा बीमा प्लान देता है।
डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स ने इसके लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन में बताया गया है कि नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने जनहित में ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर, 2013 के पैरा 19 के तहत कैंसर (Cancer) के इलाज में काम आने वाली 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं को शामिल किया है। NPPA के डेटा के मुताबिक, सरकार के इस फैसले से कैंसर के 105 ब्रांड्स का मैक्सिमम रिटेल प्राइस 85 फीसदी तक घट जाएगा। बता दें कि अभी कैंसर (Cancer) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 57 शेड्यूल्ड दवाएं प्राइस कंट्रोल के तहत हैं। डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स नकी नोटिफिकेशन के मुताबिक, MRP पर ट्रेड मार्जिन को 30 पर्सेंट तक सीमित करने के लिए कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 42 दवाओं को चुना गया है।
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कैंसर (Cancer) की दवाओं की इस सूची को अंतिम रूप देने के लिए अस्पतालों और फार्मा कंपनियों से और डेटा जुटाए जा रहे हैं। दवा कंपनियों को कीमतों को दोबारा कैलक्युलेट करने और उनकी जानकारी NPPA, राज्यों के ड्रग कंट्रोलर, स्टॉकिस्ट्स और रिटेलर्स को देने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। इस सूची को अंतिम रूप देने के लिए हॉस्पिटल्स और फार्मा कंपनियों से और डेटा जुटाए जा रहे हैं। ' दवा कंपनियों को कीमतों को दोबारा कैलक्युलेट करने और उनकी जानकारी NPPA, राज्यों के ड्रग कंट्रोलर, स्टॉकिस्ट्स और रिटेलर्स को देने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। NPPA ने बताया कि नई कीमतें 8 मार्च से लागू हो जाएंगी।
भारत में हर साल कैंसर (Cancer) के 10 लाख नए मरीज सामने आते हैं। यह बीमारी इतनी गंभीर है कि इसकी वजह से इन 10 लाख में से करीब 7 लाख मरीजों की मौत हो जाती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मानें तो 2020 तक मरीजों की संख्या करीब 18 लाख हो जाएगी और मौतों की संख्या 8 लाख के पार निकल सकती है।
कैंसर (Cancer) जैसी बीमारी का इलाज कराते-कराते लोग कंगाल हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि लोगों के पास कैंसर (Cancer) और ऐसी ही अन्य गंभीर बीमारी के इलाज के लिए स्वास्थ बीमा (health insurance) की सुविधा हो। यह स्वास्थ बीमा (health insurance) काफी सस्ते होते हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में लोग इनको नहीं लेते हैं। लेकिन अगर बाद में उनको या उनके परिवार में किसी को यह बीमारी हो जाए तो इलाज कराते कराते कंगाली की स्थिति आ जाती है। ज्यादातर स्वास्थ बीमा (health insurance) देने वाली कंपनियां कैसर गंभीर बीमारियों के इलाज का कवर देती हैं। ऐसी ही एक पॉलिसी एलआईसी की एलआईसी कैंसर कवर पॉलिसी (LIC Cancer Cover Policy) है, जिसमें करीब 300 रुपये महीने पर लाखों का रुपये का बीमा कवर मिल जाता है।
कैंसर (Cancer) की प्रमुख जांच में मैमोग्राफी और पैप स्मियर शामिल होती हैं। मैमोग्राफी में स्तन के तंतु की एक्सरे के जरिए जांच की जाती है। पैप स्मियर जांच को पैपेनिकोला भी कहते हैं। गर्भाशय या सेरविक्स टिशू ले कर इस जांच को किया जाता है। इस के अलावा कैंसर (Cancer) की जांच के लिए शरीर के प्रभावित हिस्से का एक्सरे किया जाता है।
कैंसर (Cancer) का रोग जिस स्थान पर हुआ वह इस बात का मुख्य कारक होता है कि इलाज कैसे होगा? इस के साथ ही साथ मरीज की हालत कैसी है, यह भी महत्त्वपूर्ण होता है। इस के इलाज में रेडियम किरणों का प्रयोग किया जाता है। ये किरणें शरीर के कैंसर (Cancer) कोष को खत्म करने का काम करती हैं। कैंसर (Cancer) के इलाज में रेडियम का प्रयोग काफी सावधानी से किया जाता है। कैंसर (Cancer) की शुरुआती अवस्था में सर्जरी सब से प्रभावशाली होती है। तब तक कैंसर (Cancer) शरीर में फैला नहीं होता है।
LIC ने एलआईसी कैंसर कवर पॉलिसी (LIC Cancer Cover Policy) पेश की है। इस पॉलिसी की खास बात आपको बड़ी बीमारियों से सुरक्षा देना है। एलआईसी की साइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, आप एलआईसी कैंसर कवर पॉलिसी (LIC Cancer Cover Policy) में महीने में 300 रुपये से थाेड़ा कम यानी साल भर में 3,380 रुपये देकर कैंसर (Cancer) जैसी जानलेवा बीमारी का कवर ले सकते है।
(पूरी जानकारी एलआईसी (LIC) की बेवसाइट पर जाकर ली जा सकती है, या किसी एलआईसी (LIC) एजेंट से या एलआईसी (LIC) कार्यालय में जाकर अधिकारियों से ली जा सकती है। )
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हुए जीवन को खुल कर बोलने की स्वतन्त्रता दें ।
देखना यह है कि मध्ययुगीन साहित्य में इस मध्यदेशीय मन की अभिव्यक्ति किस प्रकार हुई है और उसकी वास्तविक स्थिति क्या है । साहित्य का इतिहास और साहित्यिक परम्परा सांस्कृतिक परम्पराओं और प्रयोगों के प्रसारण का माध्यम हैं और बाद में स्वयं सांस्कृतिक परम्परा उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती । वास्तव में साहित्य और संस्कृति पारस्परिक प्रभाव से ही विकसित होते हैं । मध्ययुग में इस दो-तरफा आदान-प्रदान का क्या स्वरूप था, यह विचारणीय विषय है ।
विद्वानों का विचार है कि आरम्भ से ही भारतीय साहित्य में दो परम्पराएं चल रही हैं । पहली परम्परा संस्कृत साहित्य की है जिसके निर्माण में एक विशिष्ट वर्ग ( एलीट ) ने भाग लिया है और जिसने विभिन्न साहित्य-रूपों तथा शैलियों में एकता स्थापित की है । यह साहित्य अखिल भारतीय साहित्य है और जनपदीय सूत्रों मे ऊपर उठकर समस्त राष्ट्र को एक ही स्पन्दन के सूत्र में जोड़ता है । यह नहीं कहा जा सकता कि इस साहित्य के निर्माण में प्रादेशिक अथवा जनपदीय उपकरणों (लोकवार्ता, लोकगीत तथा लोक-छन्द ) का क्या हाथ था, परन्तु पहली शताब्दी के बाद जब संस्कृत का साहित्य रचा जाने लगा तो उसने अपने विशिष्ट संदर्भों, प्रतीकों, देवकथाओं (मिथ), आदर्शों, काव्यरूपों तथा छन्दों का निर्माण कर लिया था । संस्कृत देववाणी बन गई और उसका साहित्य सुसंस्कृत भारतीय मन का प्रतिनिधित्व करने लगा । इस राष्ट्रीय साहित्य की मुद्रा अंग्रेजी साहित्य के प्रवेश तक अर्थात् अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक बरावर मान्य रही है । लगभग दो सहस्र वर्षों के इस लम्बे काल में संस्कृत साहित्य ने भारतीय जीवन-चिंतन तथा संस्कृति को स्थैर्य दिया है और उन्हें बदलते जीवन-मूल्यों में निरंतर निश्चित मान (नार्म ) की ओर लौटाया है । यह कम महत्त्व का कार्य नहीं है क्योंकि यह साहित्य की भारतीय परम्परा का बल है । भारतीय शिष्ट समाज ने सब कहीं समान सामाजिक परम्पराओं की स्थापना की थी जो अराजकता के युगों में भी नष्ट नहीं हो सकीं। उथल-पुथल के केन्द्रों से अलग इन दूरवर्ती समाजों ने साहित्यिक प्रयोगों को जांचा-परखा और उन्हें परम्परा से जोड़ा । वास्तव में न तो ये प्रयोग एकदम क्रांतिकारी थे, न इतने अधिक थे कि परम्परा को कोई बड़ी चुनौती देते । दूसरी साहित्य परम्परा का सम्बन्ध शिष्ट-वर्ग से न होकर जनपदीय समाज से था जो गीतों, वार्ताओं कथाओं और लोक-छन्दों आदि के रूप में लोकमानस की अभिव्यक्ति करता था । यह प्रथित मान के प्रति विद्रोह था और इसका अपना प्रादेशिक और विभाषीय रंग था । यह दूसरी परम्परा कभी-कभी पहली परम्परा में अन्तर्भुक्त हो गई है और फलस्वरूप शिष्ट- साहित्य जनसाहित्य भी बन गया है और शताब्दियों तक यह योगायोग अखण्ड बना रहा है । मध्ययुगीन हिन्दी-काव्य में इस उभयपक्षीय आदान-प्रदान और योगायोग की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ।
क्यों ऐसा हुआ, इसका कारण जानने के लिए हमें भारतीय राज व्यवस्था का अध्ययन करना होगा जो विकेन्द्रीकरण पर थी जिसने जनपद-शासन को स्वतंत्रता प्रदान कर दी थी । प्रत्येक जनपद अपनी भाषा लोकवार्त्ता, संगीत-परम्परा तथा प्रचार-विचार को लेकर चलने में स्वतन्त्र था; क्योंकि आर्थिक दृष्टि से वह परिपूर्ण इकाई था और उस पर नागरिक शिष्ट जीवन का प्रभाव कम पड़ता था । फलतः विद्रोह के बदले स्वीकार तथा समन्वय की भावना प्रबल हुई । वर्ण-व्यवस्था, सम्मिलित कुटुम्ब, श्रेणी-योजना समाज के सुसंगठित र व्यवस्थित रखने के साधन थे और कर्मवाद ने सहिष्णुता तथा उदारता के लिए पर्याप्त अवकाश निकाल लिया था । अतः धर्ममतों, सम्प्रदायों तथा साधना-मार्गों में सहनशीलता का प्रसार हुआ था । सारा समाज एक संतुलित, मर्यादित इकाई के रूप में गतिमान था और वर्ण-व्यवस्था के भीतर से किसी प्रकार के विरोध के फूटने की आशंका भी नहीं थी । इस प्रकार जनपदीय संस्कृति अपने सीमित क्षेत्र में परिपूर्ण संस्कृति थी और वह अखिल भारतीय संस्कृति के भीतर, परन्तु उससे स्वतन्त्र रहकर, निरन्तर विकासमान थी ।
यह नहीं कि इस जनपदीय संस्कृति में (जो प्राकृतिक साहित्य के माध्यम से प्रकाशवान थी) और राष्ट्रीय संस्कृति में (जो संस्कृत साहित्य में प्रतिविम्बित थी ) किसी प्रकार का आदान-प्रदान ही नहीं हुआ हो । वास्तव में संस्कृत और प्राकृत (जनपदीय भाषाओं में आदान-प्रदान निरंतर चलता रहा है । महाकाव्य-युग के संस्कृत साहित्य में राजषि अभिनन्दन ग्रन्थ |
डेविस कप विजेता श्री सोमदेव देवबर्मन और श्री युकी भांबरी ने टीम के सपोर्टिंग स्टाफ के साथ आज यहां खेल मंत्री डॉ. एम.एस. गिल से मुलाकात की । डॉ. गिल ने दक्षिण अफ्रीका में शानदार प्रदर्शन करने के लिए भारतीय डेविस कप टीम को बधाई दी।
इस अवसर पर डॉ. गिल ने कहा कि आज देवबर्मन, बोपन्ना और भांबरी के रूप् में हमारे पास एक युवा भारतीय टीम है जो आने वाले समय में भारतीय टेनिस को नई ऊंचाइयां देगी । उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों ने कई वर्षों की अथक मेहनत, प्रशिक्षण और तपस्या करके यह मुकाम हासिल किया है ।
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Revidox डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली दवा है, जो टैबलेट के रूप में उपलब्ध है। बैक्टीरियल संक्रमण के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल की जाती है। इस दवाई Revidox को अन्य दिक्कतों में भी काम लिया जा सकता है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
Revidox की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। इसकी सही मात्रा इस पर भी निर्भर करती है, कि मरीज की मुख्य समस्या क्या है और उसे किस तरीके से दवा दी जा रही है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
Revidox के सबसे सामान्य दुष्प्रभाव प्रकाश के प्रति संवेदनशील हैं। कुछ मामलों में Revidox के कुछ अन्य साइड इफेक्ट भी देखे जा सकते हैं, जो नीचे दिए गए हैं। Revidox के दुष्प्रभाव जल्दी ही खत्म हो जाते हैं और इलाज के बाद जारी नहीं रहते। अगर ये दुष्प्रभाव और ज्यादा बिगड़ जाते हैं या ठीक नहीं होते तो अपने डॉक्टर से तुरंत बात करें।
गर्भवती महिलाओं पर Revidox का प्रभाव गंभीर होता है और स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इस दवा का प्रभाव गंभीर है। आगे Revidox से जुड़ी चेतावनियों के सेक्शन में बताया गया है कि Revidox का लिवर, हार्ट, किडनी पर क्या असर होता है।
ऐसी कुछ अन्य समस्याएं भी हैं, जीने बारे में नीचे बताया गया है। अगर आपको इनमें से कोई भी समस्या है, तो Revidox न लें।
Revidox के साथ कुछ अन्य दवाएं लेने से शरीर में गंभीर प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। नीचे ऐसी दवाओं की पूरी लिस्ट दी गई है।
उपरोक्त सभी जानकारीयों के साथ-साथ यह भी ध्यान रखें कि ड्राइविंग करते समय Revidox दवा लेना असुरक्षित है। यह भी ध्यान रखें कि इस दवा की लत नहीं लग सकती है।
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Revidox की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Revidox की खुराक अलग हो सकती है।
।किशोरावस्था(13 से 18 वर्ष)
।बच्चे(2 से 12 वर्ष)
क्या Revidox का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
गर्भवती महिलाओं को Revidox का सेवन करना हो, तो वह इससे पहले अपने डॉक्टर से इसे लेने की सही विधि व इसके दुष्प्रभावों के बारे में जान लें। क्योंकि इसे बिना किसी डॉक्टरी परामर्श के लेना खतरनाक हो सकता है।
क्या Revidox का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को Revidox लेने के बाद कई तरह के विपरीत प्रभावों का भी सामना करना पड़ता है। इसीलिए डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही आपको इसका सेवन करना चाहिए।
Revidox का प्रभाव गुर्दे पर क्या होता है?
Revidox किडनी के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है।
Revidox का जिगर (लिवर) पर क्या असर होता है?
Revidox का लीवर पर हानिकारक प्रभाव बहुत ही कम होता है, जो आपको महसूस भी नहीं होता।
क्या ह्रदय पर Revidox का प्रभाव पड़ता है?
Revidox हृदय के लिए पूरी तरह से अनुकूल है।
क्या Revidox आदत या लत बन सकती है?
नहीं, Revidox को लेने के बाद आपको इसकी आदत नहीं पड़ती है।
क्या Revidox को लेते समय गाड़ी चलाना या कैसी भी बड़ी मशीन संचालित करना सुरक्षित है?
नहीं, आप ऐसा कोई भी काम न करें, जिसमें दिमाग के सक्रिय होने की आवश्यकता होती हो। Revidox लेने के बाद किसी मशीन पर काम करने या वाहन चलाने से आपको दूरी बनानी होगी।
क्या Revidox को लेना सुरखित है?
हां, डॉक्टरी सलाह के बाद।
क्या मनोवैज्ञानिक विकार या मानसिक समस्याओं के इलाज में Revidox इस्तेमाल की जा सकती है?
नहीं, Revidox दिमागी विकारों के इलाज में सक्षम नहीं है।
क्या Revidox को कुछ खाद्य पदार्थों के साथ लेने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
खाने की कई चीजों में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जिनके साथ यदि आप Revidox को लें तो इससे दवा का असर अपने निर्धारित समय के बाद से ही होना शुरू होता है।
जब Revidox ले रहे हों, तब शराब पीने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्या?
Revidox के बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी मौजूद नहीं है। क्योंकि इस विषय पर अभी रिसर्च नहीं हो पाई है। अतः डॉक्टर के परामर्श के बाद ही इस दवा को लें।
Revidox को बिना पर्ची के नहीं ले सकते हैं। Revidox एक प्रिस्क्रिप्शन दवा है जिसे डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना सीधा फार्मेसी से नहीं लिया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी एंटीबायोटिक लेने पर उसके साइड इफेक्ट झेलने पड़ सकते हैं।
Revidox को पेनिसिलिन के साथ नहीं लेना चाहिए क्योंकि Revidox बैक्टीरिओस्टैटिक है जोकि पेनिसिलिन के बैक्टीरियानाशक प्रभाव पर असर कर सकती है।
Revidox के साथ प्रेडनिसोलोन ले सकते हैं। ये एक्ने और त्वचा संक्रमण से राहत दिलाती है। Revidox इंफेक्शन को रोकने में मदद करती है जबकि प्रेडनिसोलोन सूजन घटाती है।
Revidox को भोजन के साथ या भोजन के बिना खा सकते हैं। अगर Revidox लेने के बाद पेट खराब हो रहा है तो Revidox को खाने या दूध के साथ लें और खूब सारा पानी पीएं। Revidox की खुराक इंफेक्शन की गंभीरता पर निर्भर करती है। प्रभावित हिस्से पर क्रीम दिन में दो बार या डॉक्टर के निर्देशानुसार लगानी चाहिए। डॉक्टर की प्रिस्क्राइब की गई मात्रा से कम या ज्यादा क्रीम ना लगाएं।
Revidox 8 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देनी चाहिए। इससे खासतौर पर 8 साल से कम उम्र के बच्चों के दांतों का रंग हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं।
US Food and Drug Administration (FDA) [Internet]. Maryland. USA; Package leaflet information for the user; Doryx® (doxycycline hyclate)
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सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म पर पर्सनालिटी क्विज एप्स को प्रतिबंधित कर दिया है। पिछले साल ब्रिटिश फर्म कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा फेसबुक यूजर्स का डाटा चोरी करने का मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया कंपनी ने यह फैसला किया है। इस मामले के कारण फेसबुक लंबे समय से निशाने पर है।
बता दें कि पर्सनालिटी क्विज एप्स के जरिये यूजर्स से उसके राजनीतिक व निजी पसंद से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं। फिर उनके द्वारा दी गई जानकारियां से डाटा बेस तैयार किया जाता है। 2014 में कैंब्रिज के एक शोधकर्ता ने इसी तरह के एप 'दिस इज योर डिजिटल लाइफ' से करीब 8. 7 करोड़ फेसबुक यूजर्स का डाटा कथित तौर पर इकट्ठा किया था। फिर उस डाटा को कैंब्रिज एनालिटिका को सौंप दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, उस डाटा का इस्तेमाल 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया था। इस मामले के चलते आलोचना का सामना कर रही दिग्गज कंपनी फेसबुक ने आखिरकार पर्सनालिटी क्विज एप्स पर रोक लगा दी है। कंपनी का कहना है कि संदिग्ध एप डेवलपर पर हो रही कार्रवाई के दौरान यह कदम उठाया गया है।
शुक्रवार को जारी बयान में फेसबुक की ओर से कहा गया, 'हमने अपनी नीतियों में बदलाव किया है। इसके तहत कम उपयोगिता वाले एप जैसे पर्सनालिटी क्विज एप आदि हमारे प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित किए जा रहे हैं। ' इसके अलावा पुराने एप भी यूजर्स के डाटा तक पहुंच नहीं बना सकेंगे। यदि किसी यूजर ने 90 दिनों से कोई एप इस्तेमाल नहीं किया है तो यूजर के डाटा तक उस एप की पहुंच नहीं होगी।
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आज़ाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की आज सालगिरह है. मौलाना उन चुनिन्दा लोगों में से हैं जिन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए अथक प्रयास किए.. पढ़िए उनके ऐसे ही कुछ विचार जो आज भी हमें यह एकता और सोहार्द बनाए रखने के लिए प्रेरित करते हैं..
"उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।" "जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।"
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एटा जनपद मे आज आजादी का अमृत महोत्सव के तहत मुस्लिम समाज के लोगों ने विशाल तिरंगा यात्रा निकाली। इसमें एटा जनपद के मुस्लिम समुदाय के हजारों लोगों ने भाग लिया। एटा शहर में पहली बार मुस्लिम समुदाय द्वारा तिरंगा रैली निकाली गयी। इस दौरान पूरा शहर वंदे मातरम् और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा। मुस्लिम समुदाय की इस तिरंगा यात्रा के दौरान हिन्दू भाइयों ने जगह जगह स्वागत किया। इस यात्रा का सहयोग किया। हजारों की तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों के हाथों में तिरंगा लेकर शहर के प्रमुख मार्गों से तिरंगा रैली निकाली।
इस अवसर पर एटा शहर मे जगह जगह पर लोगों ने तिरंगा यती का स्वागत किया। इस अवसर पर तिरंगा यात्रा का नेतृत्व कर रहे मुस्लिम नेता शराफत हुसैन काले ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हम सभी को अपने तिरंगे पर गर्व है और हम लोग इस महोत्सव को बड़ी धूम धाम से मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि तिरंगा हमारी आना बान और शान है। हम इसके लिये कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। हमने बड़ी क़ुरबानी के बाद ये आजादी हासिल की है।
मुस्लिम समुदाय की यह तिरंगा रैली प्रगतिशील समाज वादी पार्टी के एटा जिला अध्यक्ष शराफत हुसैन काले के नेतृत्व में शाह मार्केट गांधी मार्केट से होकर पूरे एटा शहर में निकाली गई। इस अवसर पर सुरक्षा की दृष्टि से एसडीएम सदर शिवकुमार सिंह और सी ओ सिटी कालू सिंह बड़ी संख्या मे पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।
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Quick links:
Cyclone Biparjoy update: चक्रवात बिपरजोय धीरे-धीरे 5 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर की दिशा में आगे बढ़ रहा है। च्रकवाती तूफान के मजबूत होने और इसके प्रभाव से भारी बारिश के साथ तेज हवाएं चलने के आसार हैं। IMD महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार 14 जून के बाद इसकी दिशा बदलेगी। 15 जून की दोपहर तक 125-135 किमी/घंटा की रफ्तार से एक बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान सौराष्ट्र, कच्छ और पाकिस्तान के तट से टकरा सकता है।
बिपरजोय के कारण 14-15 जून को सौराष्ट्र, कच्छ में तेज बारिश हो सकती है। दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी कांडला, गुजरात के पीआरओ ओम प्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया कि चक्रवात Biparjoy सिग्नल नंबर 10 लगा दिया गया है और कांडला बंदरगाह पर कोई जहाज नहीं है। सभी सुविधाओं के साथ लोगों के लिए एक अस्थायी आश्रय केंद्र बनाया गया है।
चक्रवाती तूफान बिपरजोय के कारण मुंबई में मरीन ड्राइव पर ऊंची लहरें उठती देखी गईं। वहीं गुजरात के कच्छ में तेज हवाएं के साथ समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं। मांडवी बीच और वलसाड में तेज हवा के साथ ऊंची लहरे उठ रहे हैं। IMD महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बचाया कि 'चक्रवात को लेकर हमने 14 जून के लिए ऑरेंज अलर्ट और सभी जिलों के लिए 15 जून के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। लोगों से सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील करते हैं।'
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को चक्रवाती तूफान बिपारजॉय से संबंधित हालात की समीक्षा की। यह चक्रवात गुरुवार को गुजरात के कच्छ क्षेत्र में दस्तक दे सकता है। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, पृथ्वी विज्ञान सचिव एम रविचंद्रन, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कमल किशोर और भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र शामिल हुए।
अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि बिपरजोय के बहुत प्रचंड चक्रवाती तूफान के रूप में सौराष्ट्र-कच्छ के तटीय क्षेत्र में दस्तक देने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर गुजरात के उत्तरी और दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने संबंधी गतिविधियों पर रोक लगा दी गयी है और इन जिलों में समुद्र से लोगों को निकाला जा रहा है। द्वारका से अब तक करीब 1,300 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
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Best Yoga For Belly Fat - जैसा कि हम सभी जानते हैं पूरे विश्व में 21 जून को योगा दिवस मनाया जाता है। योग हमारे शरीर के लिए एक बहुत ही अच्छा वरदान है। नियमित रूप से योग करने से निरोग रहेंगे और फिट रहेंगे। आज के समय में ज्यादा वसा वाला खाना खाने से लोगों के पेट पर चर्बी जमा हो जाती है आज हम आपको ऐसे मुख्य रूप से तीन योगासन के नाम बताएंगे जिनकी सहायता से आप अपने पेट की चर्बी को बिल्कुल खत्म कर सकते हैं।
पेट पर अत्यधिक मात्रा में वसा का जमा होना ही चर्बी कहलाता है और चर्बी की समस्या मुख्य रूप से महिलाओं में देखी जाती है। अगर आप नियमित रूप से योगा करें तो अब कई रूप से इसके प्रभाव को महसूस कर पाएंगे कि किस प्रकार योगा आपके शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखता है और आप को निरोग रखता है।
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त्रिकोणासन, सर्वांगासन और वीरभद्रासन मुख्य रूप से ऐसे तीन योगासन है जिनकी सहायता से न सिर्फ आपके पेट की चर्बी कम होगी बल्कि पेट के आसपास के इलाके में भी मौजूद चर्बी घटती नजर आएगी। नियमित रूप से इन योगासनों को करने से आप महसूस करेंगे कि दिन पर दिन आपकी चर्बी खत्म हो रही है और आप खुद को सुडौल महसूस करेंगे।
आइए आपको बताते हैं इन तीनों योगासनों को आपको कैसे करना है एवं इस से क्या-क्या लाभ है।
त्रिकोणासन करने की विधि :
- सबसे पहले आपको अपने दोनों पैरों के बीच 2 से 3 फुट की दूरी बना लेनी है।
- अब दाहिने पैर की तरफ दाहिना हाथ झुकाना है और श्वास अंदर लेनी है।
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए ऊपर की तरफ उठना है।
त्रिकोणासन के लाभ :
- इस आसन से गर्दन पीठ कमर और पैर मजबूत होते हैं।
- पेट पर जमा अतिरिक्त चर्बी और मोटापा पूरी तरह से खत्म हो जाता है।
- पाचन प्रणाली बिल्कुल स्वस्थ हो जाती है और एसिडिटी से छुटकारा मिलता है।
- शरीर का संतुलन ठीक होता हैं।
सर्वांगासन करने की विधि :
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आपको मैट पर सीधा लेट जाना है।
- अब धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाएं फिर कूल है और रीड की हड्डी को भी ऊपर की तरफ सीधा करने का प्रयास करें।
- आप अपनी पीठ को क्यों नहीं के सहारे से उठा सकते हैं।
सर्वांगासन के लाभ :
- इस आसन से हृदय में आने जाने वाला रक्त साफ और शुद्ध हो जाता है।
- इस योगासन से हृदय की मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है।
- योगासन पाचन शक्ति को ठीक करता है और कब्जे से भी राहत दिलाता है।
वीरभद्रासन करने की विधि :
- आपको अपने सिर को ऊपर की तरफ उठाना है और हाथों को बिल्कुल सीधा रखना है।
- आपकी दृष्टि आपके दोनों हाथों की उंगली पर होनी चाहिए।
- जैसे आप ताड़ासन करते हैं उस प्रकार से ही आपको वीरभद्रासन भी करना है।
वीरभद्रासन के लाभ :
- वीरभद्रासन पेट की चर्बी कम करने के लिए बहुत ही अच्छा योगासन है।
- इससे पैर और कूल्हे भी मजबूत होते हैं।
- यह योगासन आपकी शरीर की ऊर्जा बढ़ाता है और थकान से लड़ने में मदद करता है।
- यह शरीर के ऊपरी हिस्से के लिए भी एक शक्तिशाली आसन है।
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मुहम्मद हुसैन आज़ाद
मुहम्मद हुसैन आज़ाद उर्दू के महान् शैलीकारों में से हैं। एक शाइर के रूप में, अपने कुछ साथियों के साथ उन्होंने उर्दू शाइरी के नये युग की नींव डाली लेकिन उर्दू साहित्य में उनका स्थान मुख्यतः उनकी तेजस्वितापूर्ण एवं जीवंत शैली और साथ ही अतीत की पुनर्रचना की सामर्थ्य के कारण है 1
मुहम्मद हुसैन का जन्म 1830 ई. में दिल्ली में हुआ । कुछ समय घर पर पढ़ाई करने के बाद उन्होंने उत्तर पश्चिम भारत की उस दौर की अग्रणी संस्था दिल्ली कॉलेज में अध्ययन किया। उनके पिता मुहम्मद बाक़िर 1836 ई. में शुरू हुए दिल्ली के पहले उर्दू समाचार पत्र 'दिल्ली उर्दू अख़बार' के संपादक थे 1857 के विद्रोह के बाद वे उनकी देशभक्तिपूर्ण भावनाओं के कारण अंग्रेज़ सरकार ने उन पर मुकदमा चलाया, और उनके घर व संपत्ति को ज़ब्त कर लिया। 'आज़ाद' बड़ी मुश्किल से बचे और छह-सात साल छिपते- छिपाते रहे । 1864 ई. में जब विद्रोह का गुबार थम चुका था, उन्हें लाहौर के शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गयी। इसके बहुत बाद ओरियंटल कॉलेज में अरबी के प्रोफेसर के रूप में उनकी पदोन्नति हुई ।
आज़ाद हालाँकि बहुत कम अंग्रेज़ी जानते थे लेकिन उन्हें अपने समय की समझ थी, और वह अच्छी तरह जानते थे कि पुराना उर्दू अदब एक अंधी सुरंग में प्रवेश कर गया है और इसे मुक्त कराने की ज़रूरत है। पंजाब के लोक शिक्षण निदेशक कर्नल हॉलरायड के इशारे पर 1874 ई. में उन्होंने एक मुशायरे की शुरूआत की, जहाँ ग़ज़लों की बजाय विषय आधारित नज़्में पढ़ी जाती थीं। इससे एक नया रुज्हान सामने आया, जिसके परिणामस्वरूप बाद में आधुनिक धारा की उर्दू शाइरी के आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा।
आज़ाद, विद्रोह की घटनाओं के आघातपूर्ण प्रभाव के कारण और बाद में जाकर अपनी बेटी की दुःखद मृत्यु के कारण, दिमागी खराबी के शिकार हो गये और अपने जीवन के अंतिम बीस वर्षों तक विक्षिप्तावस्था में रहे। 1910 ई. में लाहौर में उनका निधन हुआ।
'आब-ए-हयात', आधुनिक पद्धति से लिखा गया उर्दू कवियों का पहला वृत्तांत, आज़ाद की श्रेष्ठतम कृति है। इसमें उन्होंने उर्दू शाइरों के जीवन एवं कृतित्व को अद्भुत वर्णन क्षमता एवं कल्पनाशीलता के साथ प्रस्तुत किया है कि इसे पढ़ते हुए पाठक स्वयं को अतीत के मोहक संसार में पाता है। विचित्र बात यह है कि इतिहास सम्बंधी कुछ चूकों के बावजूद इसकी गद्य-शैली की खूबखूब प्रशंसा की गई, यहाँ तक कि यह पुस्तक अपनी मिसाल आप बन गई । इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आज़ाद की लेखनी से छूकर कवियों के चित्रण और व्याख्यान जीते जागते आँखों के आगे घूमने लगते हैं।
आज़ाद का लेखन लगभग बीस पुस्तकों में प्रकाशित है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास पर आधारित कहानी संग्रह, 'किसस-ए- हिंद', रूपक कथात्मक निबंधों का संग्रह - ( दो खंडो में) 'नैरंग-ए- ख़याल और अकबर महान् (1556-1605) के समय का इतिहास 'दरबार-ए-अकबरी' उनकी अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं। इन पुस्तकों में 'आब-ए-हयात' की भाँति उत्कृष्ट गद्य-शैली नहीं मिलती, फिर भी ये पुस्तकें अपने गद्य की सरसता, लयात्मकता, मोहकता और अपने विशिष्ट आस्वाद के लिए जानी जाती हैं ।
प्रस्तुत संचयन के लिए 'आब-ए-हयात' से किसी गद्यांश के चयन को जान-बूझ कर छोड़ा गया है। कारण यह है कि उत्तर प्राथमिक पाठ्यक्रम के लिहाज़ से इसका गद्य बहुत ज्यादा लाक्षणिकतापूर्ण है और इस बात का डर था कि इसके शब्दों और प्रयोगों के स्थानापन्न देने से इसका मौलिक सौंदर्य नष्ट हो जाता। इसकी जगह पर यहाँ 'दरबार-ए-अकबरी' से एक अंश शामिल किया गया है। इसमें सलीम (जहाँगीर, 1605-1627) और मेहरुन्निसा खानम ( बाद में नूरजहाँ) की प्रेम कहानी का वर्णन है और यह अपने ढंग का एक ललित गद्यांश है।
मेहरुन्निसा का जन्म 1577 ई. में कंदहार में हुआ था, जब उसके पिता फारस से भारत की यात्रा के रास्ते में थे। कहा जाता है कि नौजवानी में उसने शाहज़ादा सलीम का मन मोह लिया। लेकिन सलीम के पिता सम्राट अकबर ने इस प्रेमासक्ति पर अपनी स्वीकृति की मुहर नहीं लगाई और उसके सुझाव पर मेहरुन्निसा का विवाह शेर अफ़ग़न से कर दिया गया। शेर अफ़ग़न वह व्यक्ति था जिसे उसकी विशिष्ट सैन्य सेवाओं के लिए बंगाल में जागीर अता की गयी थी। 1605 ई. जहाँगीर के रूप में सलीम जब तख़्तनशीन हुआ, शेर अफ़ग़न की
हत्या कर दी गयी। इस घटनाक्रम में जहाँगीर कहाँ और किस रूप में आता है, अब तक इस बात की प्रामाणिकता की जांच सही ढंग से नहीं की गयी है । बहरहाल सच्चाई जो भी हो, मेहरुन्निसा एक कैदी के रूप में दिल्ली लायी गयी । जहाँगीर ने पहले उसे अपनी माँ की कनीज़ों के बीच रखा लेकिन बाद में अपने सत्तारूढ़ होने के छठवें वर्ष जहाँगीर ने उससे शादी कर ली और उसे नूरजहाँ (सृष्टि की रोशनी ) का ख़िताब दिया। नूरजहाँ को इतना सम्मान दिया गया कि भारत में किसी अन्य शाही बेगम को नसीब न हुआ होगा। उसने भी अपने पति को मुग्ध कर लिया, जहाँगीर बाद नाममात्र का बादशाह ही रहा । यहाँ तक कि नूरजहाँ के नाम के सिक्के भी ढाले गये
नूरजहाँ ताजमहल की सुंदरी मुमताज़ की फूफी थी । वह अतिशय सुंदर और महत्वाकांक्षी स्त्री थी, और उसे फारसी साहित्य का अच्छा ज्ञान भी था । वह साज-सज्जा के मुआमले में अगुआ थी। उसके कालीनों, पर्दों, ज़री के कामों और जालियों की शैली समूचे भारत में विख्यात हैं। उसने जहाँगीर के साथ अपनी के अठारह वर्ष बिताये, और 1645 ई. में लाहौर में उसकी मृत्यु हुई, जहाँ जहाँगीर के मकबरे के पास ही उसे दफ्न किया गया।
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Adnan Sami Indian Citizenship: बॉलीवुड के मशहूर सिंगर अदनान सामी ने बॉलीवुड के तमाम हिट गाने गाए हैं। सिंगर ने अपनी बेहतरीन आवाज से लाखों फैंस के दिलों में जगह बनाई है। ये बात तो सभी जानते हैं कि अदनान सामी एक वक्त पर पाकिस्तान के नागरिक थे। लेकिन बाद में पाकिस्तानी की नागरिकता छोड़ने के बाद भारत की अपना ली थी। जिसके बाद वह पाकिस्तान के लोंगो के निशाने पर आ गए थे और उन्होंने अदनान के भारतीय नागरिकता अपनाने पर कई सवाल खड़े किए थे।
दरअसल, पाकिस्तान के लोगों ने अदनान सामी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने ये सिर्फ पैसों के लिए किया है। अब अदनान सामी ने इसपर खुलकर अपनी भड़ास निकाली है और उन्हें करारा जवाब भी दिया है। उन्होंने इस पर खुलकर बात की और एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि, 'पाकिस्तान के कुछ लोग कहने लगे कि ओह इन्होंने इंडिया इसलिए चूज़ किया है क्योंकि इन्हें वहां अधिक पैसे मिलते हैं। मैंने कहा-एक्सक्यूज मी, क्या आपको मेरी फैमिली बैकग्राउंड का जरा भी आइडिया है? '
'पैसों के लिए करना होता तो. . . '
इस बारे में बातचीत कर आगे अदनान सामी ने पाकिस्तानी लोगों पर निशाना साधते हुए कहा, 'क्या आपको मेरी फैमिली बैकग्राउंड के बारे में जरा भी जानकारी है? क्या आपको ये भी पता है कि पैसा कभी भी मेरी जिंदगी में इतना जरूरी नहीं रहा है? मेरे सिर पर ऊपर वाले का आशीर्वाद हमेशा से बना हुआ है और मैं एक बेहद संपन्न परिवार में पैदा हुआ हूं। अगर सिर्फ पैसों की ही बात होती तो मैंने जो कुछ पाकिस्तान में छोड़ा है मैं वो छोड़कर नहीं आता। '
अदनान सामी ने आगे कहा कि, लोग कभी भी ये बात नहीं समझ पाएंगे कि मुझे भारत और यहां के लोगों से कितना प्यार हैं। मैं जब से भारत में रहने लगा हूं मुझे यहां से एक अलग लगाव हो गया है और यही वजह है कि मैंने भारत की नागरिकता ली थी। उन्होंने कहा कि जो प्यार उन्हें भारत से हासिल हुआ है एक सिंगर के तौर पर उन्हें काफी पसंद है।
अदनान सामी ने आगे बताया कि भारत की नागरिकता मिलना उनके लिए इतना आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि, उस वक्त ये मेरे लिए काफी मुश्किल था। भारत और पाक के बीच जिस तरह का पॉलिटिकल माहौल है ऐसे में उनके लिए भारत की नागरिकता लेना इतना आसान नहीं था। क्योंकि वह एक सिंगर हैं और उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं रहा।
इससे पहले अदनान सामी ने बताया था कि, भारत की नागरिकता लेने के लिए उन्हें लगभग 18 साल लग गए थे। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया था कि, उस वक्त दो बार उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट हो गई थी। बता दें कि अदनान सामी का नाम उन सिंगर्स में शामिल होता है जो हर मुद्दों पर अपनी खुलकर राय रखते हैं। इसके अलावा अदनान सामी सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं।
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अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने बीबीसी से बातचीत में कहा है कि अमेरिका रूस की दुस्साहसी या आक्रामक हरकतों का जवाब देगा.
ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका की नज़र विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी के साथ व्यवहार, सोलर विंड हैक और चुनावी हस्तक्षेप जैसे क़दमों पर रही है.
ब्लिंकेन जी7 देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक के लिए ब्रिटेन में थे.
दो दिनों की बातचीत के बाद जारी किए गए बयान में रूस की यूक्रेन के ख़िलाफ़ उसके "ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और अस्थिर करने वाले बर्ताव" को लेकर और साइबर हमलों के मामले में आलोचना की गई.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार रूसी नेता की आलोचना करने से बचते हुए नज़र आते थे.
ब्लिंकेन ने बीबीसी रेडियो 4 के टुडे कार्यक्रम में कहा कि बाइडन प्रशासन चीन को रोकने की कोशिश नहीं कर रहा है, बल्कि उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अमेरिका एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को बनाए रखने के पक्ष में है.
उन्होंने कहा कि देशों को ये बहुत सावधानी से देखने की ज़रूरत है कि चीन उनकी रणनीतिक पूँजी में निवेश कर रहा है या नहीं.
अफ़ग़ानिस्तान को लेकर ब्लिंकेन ने ज़ोर देकर कहा कि सैनिकों को वापस बुला लेने के बाद भी अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान के मामले से जुड़ा रहेगा.
बाइडन प्रशासन ने घोषणा की थी कि अमेरिका के सैनिक सितंबर तक पूरी तरह अफ़ग़ानिस्तान छोड़ देंगे.
ब्लिंकेन ने कहा कि क्षेत्रीय शक्तियों को आगे आना होगा और अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर देश को सकारात्मक रास्ते पर ले जाने की कोशिश करनी होगी.
उत्तरी आयरलैंड के बारे में क्या?
उन चमकते सितारों की कहानी जिन्हें दुनिया अभी और देखना और सुनना चाहती थी.
जब ब्लिंकेन से ब्रिटेन के साथ एक संभावित व्यापार संधि और उत्तरी आयरलैंड की स्थिति पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि प्रशासन का फोकस अब भी आयरलैंड में शांति पर है.
जो बाइडन ने इससे पहले कहा था कि ब्रेक्ज़िट से 1998 गुड फ्राइडे समझौता को नुक़सान नहीं होना चाहिए, जिसने उत्तरी आयरलैंड की "समस्याओं" को प्रभावी ढंग से ख़त्म किया.
उत्तरी आयरलैंड के लिए पोस्ट-ब्रेक्ज़िट व्यापार समझौतों की वजह से वहाँ तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी और इसकी वजह से फर्स्ट मिनिस्टर आर्लेन फोस्टर ने इस्तीफ़ा भी दे दिया था.
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निजी संवाददाता-नेरवा,चौपाल-आजादी के 73 साल के उपरांत भी ग्राम पंचायत माटल के क्यार, क्यारी, कफरौना, चेंटाडा, खेड़ा व सिक्का आदि आधा दर्जन गांव के लोग आज भी सड़क सुविधा को तरस रहे हैं। गांववासियों को सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है, जब इन गांव में कोई व्यक्ति बीमार हो जाए।
इन आधा दर्जन गांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाए, तो उसे पीठ पर उठा कर दो से तीन घंटे के खतरनाक पैदल सफर के बाद सड़क तक पंहुचाया जाता है। शुक्रवार को भी ऐसा ही एक मंजर उस समय देखने को मिला जब कफरौना निवासी राजेश को घास काटने वाली मशीन से पैर में गहरी चोट लग गई।
राजेश को उसके चचेरे भाई हेमराज ने अन्य ग्रामीणों किरण कुमार,मनोज कुमार, राकेश ठाकुर, संजीव ठाकुर, महेंद्र सिंह दिनेश कुमार एवं जगत ने दो डंडों में बंधी चादर में रख कर पीठ पर उठा कर अढ़ाई घंटे का कठिन सफर तय करने के बाद सड़क तक पहुंचाया। इन गांव से सड़क तक चंझाल पुल पंहुचने के लिए गहरी खाई से होकर उतराई उतरनी पड़ती है, जबकि क्यार की तरफ से माटल के लिए एक घंटे की खड़ी चढ़ाई का सफर तय करना पड़ता है। उक्त गांव के लोगों का आरोप है कि वह बीते तीस साल से इन गांव को सड़क से जोड़ने की गुहार लगा रहे है, लेकिन मात्र आश्वासनों के सिवाय उनको कुछ नहीं मिला है।
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शॉर्टकटः मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
बाल्टिक सागर का भौगोलिक मानचित्र बाल्टिक उत्तरी यूरोप का एक सागर है जो लगभग सभी ओर से जमीन से घिरा है। इसके उत्तर में स्कैडिनेवी प्रायद्वीप (स्वीडन), उत्तर-पूर्व में फ़िनलैंड, पूर्व में इस्टोनिया, लिथुआनिया, लाटविया, दक्षिण में पोलैंड तथा दक्षिण-पश्चिम में जर्मनी है। पश्चिम में डेनमार्क तथा छोटे द्वीप हैं जो इसे उत्तरी सागर तथा अटलांटिक महासागर से अलग करते हैं। जर्मानी भाषाओं, जैसे डच, डेनिश, फ़िन्नी में इसको पूर्वी सागर (Ostsee) के नाम से जाना जाता है। इसमें गौरतलब है कि यह फ़िनलैंड के पश्चिम में बसा हुआ है। यह एक छिछला सागर है जिसका पानी समुद्री जल से कम खारा है। कृत्रिम नहर द्वारा यह श्वेत सागर से जुड़ा हुआ है। फिनलैंड की खाड़ी, बोथ्निया की खाड़ी, रिगा की खाड़ी इत्यादि इसके स्थानीय निकाय हैं। इसकी औसत गहराई ५५ मीटर है तथा यह कोई १६०० किलोमीटर लम्बा है। . एक जलपोत से नील नदी का दृश्य, मिस्र में लक्सर और असवान के बीच. यह पृथ्वी पर सबसे लंबी नदियों की सूची है। इसमें 1,000 किलोमीटर से अधिक वाले नदी तंत्र शामिल हैं। .
बाल्टिक सागर और लंबाई के आधार पर नदियों की सूची आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पोलैंड, लातविया, जर्मनी, काला सागर, अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर।
पोलैंड आधिकारिक रूप से पोलैंड गणराज्य एक मध्य यूरोप राष्ट्र है। पोलैंड पश्चिम में जर्मनी, दक्षिण में चेक गणराज्य और स्लोवाकिया, पूर्व में युक्रेन, बेलारूस और लिथुआनिया एवं उत्तर में बाल्टिक सागर व रूस के कालिनिनग्राद ओब्लास्ट के द्वारा घिरा हुआ है। पोलैंड का कुल क्षेत्रफ़ल ३ लगभग लाख वर्ग कि.मि. (1.20 लाख वर्ग मील) है, जिससे ये दुनिया का ६९वां व युरोप का ९वां विशालतम राष्ट्र बन जाता है। लगभग 4 करोड़ की जनसंख्या के साथ यह दुनिया का ३३वां सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाता है। एक राष्ट्र के रूप में पोलैंड की स्थापना को इसके शासक मिस्जको प्रथम द्वारा ९६६ इसवी में इसाई धर्म को राष्ट्रधर्म बनाने के साथ जोड़ कर देखा जाता है। तत्कालीन समय में पोलैंड का आकार वर्तमान पोलैंड के जैसा ही था। १०२५ में पोलैंड राजाओं के अधीन आया और १५६९ में पोलैंड ने लिथुआनिया के ग्रैंड डचि के साथ मिलकर पोलिश-लिथुआनियन कामनवेल्थ की स्थापना करते हुए एक लंबे रिश्ते की नींव डाली। ये कामनवेल्थ १७९५ में तोड़ दिया गया और पोलैंड को आस्ट्रिया, रूस और प्रुसिया के बीच बांट लिया गया। पोलैंड ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद १९१८ में अपनी स्वाधीनता पुनः हसिल की मगर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय फ़िर से पराधीन होकर नाजी जर्मनी और सोवियत संघ के अधीन चला गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में पोलैंड ने अपने साठ लाख नागरिकों को खो दिया। कई साल बाद पोलैंड रूस से प्रभावित एक साम्यवादी गणराज्य के रूप में ईस्टर्न ब्लॉक में उभरा। १९८९ में साम्यवादी शासन का पतन हुआ और पोलैंड एक नये राष्ट्र के रूप में उभरा जिसे सांविधानिक तौर पे "तृतीय पोलिश गणतंत्र" कहा जाता है। पोलैंड एक स्वयंशासित स्वतंत्र राष्ट्र है जो कि सोलह अलग-अलग वोइवोदेशिप या राज्यों (पोलिशः वोयेवुद्ज़त्वो) को मिलाकर गठित हुआ है। पोलैंड यूरोपीय संघ, नाटो एवं ओ.ई.सि.डी का सदस्य राष्ट्र है। .
लातविया या लातविया गणराज्य (लातवियाईः Latvijas Republika) उत्तरपूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है और उन तीन बाल्टिक गणराज्यों में से एक है जिनका द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भूतपूर्व सोवियत संघ में विलय कर दिया गया। इसकी सीमाएं लिथुआनिया, एस्टोनिया, बेलारूस और रूस से मिलती हैं। यह आकार की दृष्टि से एक छोटा देश है और इसका कुल क्षेत्रफल ६४,५८९ वर्ग किमी और जनसंख्या २२,३१,५० (२००९) है। लातविया की राजधानी है रीगा जिसकी अनुमानित जनसंख्या है ८,२६,०००। कुल जनसंख्या का ६०% लातवियाई मूल के नागरिक है और लगभग ३०% लोग रूसी मूल के हैं। यहाँ की आधिकारिक भाषा है लातवियाई, जो बाल्टिक भाषा परिवार से है। यहाँ की आधिकारिक मुद्रा है लात्स। लात्विया को १९९१ में सोवियत संघ से स्वतंत्रता मिली थी। १ मई, २००४ को लातविया यूरोपीय संघ का सदस्य बना। यहाँ के वर्तमान राष्ट्रपति हैं - वाल्डिस ज़ाट्लर्स। .
कोई विवरण नहीं।
नासा के वर्ल्ड विंड ग्लोब सॉफ्टवेयर द्वारा कृष्ण सागर का दृश्य कृष्ण सागर या काला सागर एक महाद्वीपीय समुद्र है जो दक्षिण-पूर्वी यूरोप, कॉकेशस और अनातोलिया के प्रायद्वीप (तुर्की) से घिरा है। अंध महासागर में यह भूमध्य और एजियन सागरों और विभिन्न जलडमरूमध्यों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। इसमें बोस्पोरस की जलसंयोगी मारमरा सागर का नाम उल्लेखनीय है। कृष्ण सागर, 436,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का जलाशय है, जिसकी अधिकतम गहराई 2212 मीटर है। इसमें समाहित जल का आयतन लगभग 5,47,000 घन किमी है। कृष्ण सागर पश्चिम में बुल्गारिया, रोमानिया, उत्तर-पूर्व में रूस और यूक्रेन, दक्षिण में तुर्की के बीच स्थित है। इसके पूर्व में जॉर्जिया तथा कॉकेशस की पर्वतमालाएँ हैं जो इसे कैस्पियन सागर से अलग करती हैं। पूर्व से पश्चिम की सबसे अधिक लंबाई लगभग 1175 किमी है। "'कृष्ण सागर"' का क्रीमिया गणराज्य के एक गांव से दृश्य इस तट के साथ लगे महत्वपूर्ण शहरों में शामिल हैंः कॉस्टैंटा (306000 550000 के एक मेट्रो के साथ), इस्तांबुल (11372613), ओडेसा (1001000), मंगालिया (41153), बुर्गास (229250), वार्ना (357752 416000 के एक मेट्रो के साथ), खेरसॉन (358000), सेवास्टॉपॉल (379200), याल्टा (80552), कर्च (158165), नोवोरोसीस्क (281400), सोची (328809), सूखुमी (43700), नैवोदारी (34669), पोती (47149), बातुमी (121806), ट्रैबज़ॉन (275137), सैमसन (439000) ओर्दू (190143) और जोंगूल्दाक (104276).
ग्लोब पर अंध महासागर की स्थिति अन्ध महासागर या अटलांटिक महासागर उस विशाल जलराशि का नाम है जो यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को नई दुनिया के महाद्वीपों से पृथक करती है। क्षेत्रफल और विस्तार में दुनिया का दूसरे नंबर का महासागर है जिसने पृथ्वी का १/५ क्षेत्र घेर रखा है। इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति से लिया गया है जिसमें इसे नक्शे का समुद्र भी बोला जाता है। इस महासागर का आकार लगभग अंग्रेजी अक्षर 8 के समान है। लंबाई की अपेक्षा इसकी चौड़ाई बहुत कम है। आर्कटिक सागर, जो बेरिंग जलडमरूमध्य से उत्तरी ध्रुव होता हुआ स्पिट्सबर्जेन और ग्रीनलैंड तक फैला है, मुख्यतः अंधमहासागर का ही अंग है। इस प्रकार उत्तर में बेरिंग जल-डमरूमध्य से लेकर दक्षिण में कोट्सलैंड तक इसकी लंबाई १२,८१० मील है। इसी प्रकार दक्षिण में दक्षिणी जार्जिया के दक्षिण स्थित वैडल सागर भी इसी महासागर का अंग है। इसका क्षेत्रफल इसके अंतर्गत समुद्रों सहित ४,१०,८१,०४० वर्ग मील है। अंतर्गत समुद्रों को छोड़कर इसका क्षेत्रफल ३,१८,१४,६४० वर्ग मील है। विशालतम महासागर न होते हुए भी इसके अधीन विश्व का सबसे बड़ा जलप्रवाह क्षेत्र है। उत्तरी अंधमहासागर के पृष्ठतल की लवणता अन्य समुद्रों की तुलना में पर्याप्त अधिक है। इसकी अधिकतम मात्रा ३.७ प्रतिशत है जो २०°- ३०° उत्तर अक्षांशों के बीच विद्यमान है। अन्य भागों में लवणता अपेक्षाकृत कम है। .
उत्तरी सागर अंध महासागर का एक सीमावर्ती समुद्र है जो संयुक्त राजशाही, स्कैंडेनेविया, जर्मनी, फ़्रांस, नीदरलैंड और बेल्जियम के बीच स्थित है। यह अंध महासागर के साथ दक्षिण में अंग्रेज़ी खाड़ी के द्वारा और उत्तर में नारवेयी सागर के द्वारा जुड़ा हुआ है। यह 970 कि॰मी॰ से लम्बा और 580 कि॰मी॰ चौड़ा है और क्षेत्रफल लगभग 750,000 वर्ग कि॰मी॰ है। उत्तरी सागर पूरब में यूरोप महाद्वीप और पश्चिम में ग्रेट ब्रिटेन से घिरा है। इकोसिना (१९२१) के अनुसार इसकी गहराई ३०८ फुट है। इस प्रकार यह एक उथला सागर है। इसका नितल उस महाद्वीपीय निधाय (कांटिनेंटल शेल्फ) का एक भाग है जिसके ऊपर ब्रिटिश द्वीपसमूह स्थित है। इस निधाय को ढाल (प्रवणता) उत्तर से दक्षिण तक प्रायः एक समान है। डॉगर बैंक्स नामक समुद्र में निमग्न बालू का मैदान उत्तरी सागर के मध्य में स्थित है। इंग्लैंड के समुद्रतट के समीप इस सागर की गहराई ६५ फुट है जो पूर्व की और बढ़कर १३० फुट हो जाती है। इस सागर की सामान्य लवणता ३४ से ३५ प्रति सहस्र है। उत्तरी सागर सूक्ष्म जीवों और पौधों में विशेष रूप से धनी है। इसलिए मछलियाँ इधर प्रचुर मात्रा में, अपने भोजन की खोज में, आकर्षित होती है। फलतः उत्तरी सागर विश्व का एक महत्वपूर्ण मत्स्य उत्पादक क्षेत्र है। मत्स्य के प्राप्तिस्थानों में डॉगर बैंक्स (शीतकाल में) और महाद्वीपीय समुद्रतट के समीप स्थित उथले समुद्र (ग्रीष्मकाल में) प्रमुख हैं। पकड़ी जानेवाली मछलियों में हेरिंग का अनुपात सबसे अधिक रहता है; इसके बाद क्रमानुसार हैडक, कॉड, प्लेस, ह्वाइटिंग, मैकेरल इत्यादि आती हैं। श्रेणीःयूरोप के सागर.
बाल्टिक सागर 17 संबंध है और लंबाई के आधार पर नदियों की सूची 172 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 3.17% है = 6 / (17 + 172)।
यह लेख बाल्टिक सागर और लंबाई के आधार पर नदियों की सूची के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखेंः
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की सम्मति के न दें । हां किसी ग्रामीण कट्ट मनुष्य को दे देने में कोई हानि नहीं । (१८७) पुराने उपदंश स्वित्रकुष्ट के लिये अत्युत्तम अर्क
( ६० वशीर अहमद कुरेशी, स्यालकोट द्वारा प्रेपित और तिब्बिया कालेज दिल्ली द्वारा प्रमाणित )
योग--मांसपत्र २० तो०, उशवा विलायती १६ तो०, त्रिफला २४ तो० । निम्न पत्र, जलनीम, श्वेतचंदन का चूर्ण, रक्त चन्दन चूर्ण, धनिया, चोबचीनी, सरपोंखा, चिरायता, श्वेत जीरा, मुण्डी बूटी, वनफशा, नीलोफर, गावजवाँ उन्नाव वेर, पित्तपापड़ा, मजीठ, करंजवा की गिरी हल्दी, दारू हल्दी, प्रत्येक ८ तो० ।
निर्माण विधि - - सव दवाओं को जौं कुट करके ३ दिन व रात पानी में भिगोए रखें, फिर भक्के द्वारा अर्क खींचलें । पहिले सप्ताह में ३-३ तो०, प्रातः व सायं, दूसरे सप्ताह ४-४ तो० प्रातः सायं और तीसरे सप्ताह :: ५ - ५ तो० प्रातः सायं पिलायें ।
अपथ्य --- नमक, मिर्च और पौष्टिक वस्तुएं न खायें। ईश्वर कृपा से निश्चय ही लाभ हो जायेगा ।
(१८८) वर्मन एण्ड कम्पनी का सुविख्यात तैल कुष्ट नाशक हड़ताल तैल ( सरदार लक्ष्मण चन्द जी S.L.C.. चर्मन एण्ड को, मेरठ द्वारा )
कथन है कि दिल तो अपना यह हृदयंगत. योग प्रकट कर देने को नहीं चाहता था, किन्तु आपका त्याग देख कर मैं भी यह हृदय का टुकड़ा भेज रहा हूँ । यह औषधि असंख्य रोगियों पर परीक्षित और सफल है ।
योग- - रोहू मछली जो तोल में ८ पौ० से कम न करें और ५ तोला हड़ताल पीस कर भर दें। मछली को एक ऐसे डिब्बे में रखें, जिसमें ऊपर जाली हो, और नीचे से बन्द हो । अब इसे खुले मैदान में रखदें । जब इसमें कीड़े पड़ जावें, तो इन्हें चुन कर एक पक्की शीशी में भरलें और शीशी को पके हुए चावलों के मध्य दवादें । चावल खूब गरम २ और शीशी ढकने के लिए पर्याप्त हों। थोड़ी देर में निकालें, शीशी में तेल प्राप्त होगा। इस तेल को फुरेरी से दागों पर दो बार लगाने से ही स्वित्रकुष्ट के दाग मिट जायेंगे और त्वचा का असली रंग आ जाएगा ।
सूचना-- यही वह हरताल का तेल है, जिसे की मि
यागर हूँढते फिरते रहते हैं । इससे कई अक्सीरी काम निकलते हैं ।
(१८६) साधुसन्यासियों का रहस्यमय योग स्वित्र की एक दिन में चिकित्सा यद्यपि स्वित्र जैसा दुस्साध्य रोग चिरकाल तक रेचन व औषधि सेवन से भी कभी-कभी निर्मूल नहीं होता इसीलिए हमारे यहां इसे कच्चा कोढ़ कहते हैं । किन्तु भगवान ने कई वस्तुएँ ऐसी भी बनाई हैं, जिनके अद्भुत चमत्कारी गुण चकित कर देते हैं । एक कवि ने ठीक कहा है-दवा दर्द बोल उठे कि तासीर उसको कहते हैं, 'बदन कुन्दन बना देती है अक्सीर उसको कहते हैं।'
योग - - एक नितान्त काला सर्प, जो नीचे भी काला हो, पकड़ कर सिर व दुम की ओर से काट कर उसका रक्त किसी चीनी की प्याली में इकट्टा करें और रुई की फुरेरी से दागों पर लगायें । दाग तत्काल रक्त को पी जायेंगे । जब तक वे रक्त चूसते रहें, चार २ लगाते रहें । जब चूसना बन्द करदें, तो रक्त लगाना भी बन्द करदें । नितान्त लाभ प्राप्त होगा ।
(१६०) नासूर के लिये अक्सीरी तेल
जो घाव पुराना होकर नासूर बन जाय, और किसी भी प्रकार ठीक न होता हो, उनके लिए यह तेल रसायन है । इससे निश्चय ही लाभ हो जाता है। एक रोगिणी के घाव से अत्यधिक पीप निकला करती थी। घाव इतना बड़ा और गहरा कि देख कर जी बिगड़ जाता था। वह घाव भी इस तेल के लगाने से कुछ दिनों में ही ठीक हो
गया ।
योग - - कपूर ५ तो० बारीक पीस कर शीशी में • डालें और उसमें एक तोला कार्बोलिक एसिड मिला कर रख दें। थोड़ी देर में स्वयं ही तेल का रूप धारण कर लेंगे। सुदृढ़ कार्क लगा कर शीशी को सुरक्षित रखें ।
सेवन विधि - - पिचकारी से दवा को नासूर के भीतर पहुंचावें या बत्ती भिगो कर घाव में भर दिया करें । गिनती के दिनों में ही घाव ठीक हो जायेगा ।
( १६१) नासूर का अक्सीर मलहम सफेदा १ तो०, सिन्दूर १ तो०, राल २ तो०, मुर्दासंग ६ माशा, कत्था १ तो०, मोम २ तो०, सरसों का तेल ५ तो०, बहरोजा ६ मा० । प्रत्येक को पृथक् २ पीस कर रखें, फिर मिट्टी के कूडे में तेल डाल कर उसमें राल.
मिला कर भली भांति घोंटें । सः २ पानी डालते जांय, लगभग १ छ० पानी सूख जायगा । फिर शेप दवाएँ एकएक करके डालते जांय । तत्पश्चात् ४० दिन तक इस मलहम को लोहे की डिबिया में पड़ा रहने दें । काली सी हो जायगी । फिर उसे फाये पर लगा कर घाव पर चिपका दें । इसी मलहम की दूसरी निर्माण विधि यह है कि पहिले मोम, तेल, रतनजोत तीनों को आग पर हल करके फिर विधिवत् मलहम बनालें । (१६२) पुराने घाव या नासूर की खाद्य औषधि घावनाशक वटी नं०१
( प्रेषक -- पं० ठाकुरदत्त जी शर्मा अध्यक्ष अमृतधारा औपधालय ) पंडित जी का कथन है कि इन गोलियों के खिलाने से नासूर का घाव स्वतः ही भर कर आराम हो जाता है।
ग - - संखिया सफेद, चोक, चोबचीनी, कुचला, काली मिर्च, पीपल वरावर २ लेकर खरल में बारीक रगड़ लें, फिर अदरक का रस मिला कर खरल करें। जितना
खरल किया जायेगा उतनी ही उत्तम औषधि बनेगी। यदि ४० दिन खरल किया जाय तो फिर कहना ... ही क्या है ? अन्यथा २१ दिन व खरल करें । फिर. मोठ के दाने के बराबर गोलियां बनालें और १ गोली |
कहानी में हुआ है, वैसा शायद अन्यत्र कहीं नहीं हो सका । कथोपकथन ( Dialogue ) का महत्व भी इस कहानी में डूब प्रकट हुधा है ।
इन पाँचो कहानियों के एकत्र कर देने में हमारा केवल यही उद्देश्य है कि वर्तमान हिंदी साहित्य के प्रधान अंगों से परिचित होने के लिये हमारे बाचकों को जगह-जगह न भटकना पड़े, मनोरंजन के साथ-साथ उन्हें उत्तम शिक्षा मिले, और भाषा और शैली का मनुकरण करने के लिये उनके सामने हिंदी के जन- प्रिय तथा सान्य लेखक की कृति आदर्श रूप से उपस्थित हो ।
प्रस्तुत पुस्तक का स्टैंडर्ड हमारी पाठशालाओं के सातवें, भाठवें, नवें तथा दसवें दर्जे के विद्यार्थियों की क्षमता के अनुसार रक्खा गया है, जिससे स्कूल और पाठशाक्षाओं के विद्यार्थी भी प्रेमचदजी की विख्यात लेखन शैली से परिचित हो सकें। इसका मैटर भी साल-भर में समाप्त हो जाने के हिसाब से ही संग्रह किया गया है ।
झाशा है, शिक्षा प्रेमी सज्जन - विशेषकर हिंदी-साहित्य सम्मेलन, मदरास- हिंदी प्रचार कार्यालय, जालघर• कन्या महाविद्यालय, गुरुकुल काँगड़ी, गुरुकुल वृदांवन, पजाब, यू० पी० सी० पी०, विहार, दिल्ली, राजपूताना श्रादि प्रांतों की टेक्स्ट बुक कमेटियाँ, इटरमीडिएट-बोर्ड और युनिवर्सिटियाँ तथा अन्यान्य भारतवर्षीय शिक्षा संस्थाएँ - हमारे इस उद्योग से संतुष्ट होंगे, और अपने बालकों और बालिकाओं में इस पुस्तिका का प्रचार बढावेंगे ।
श्रीदुलारेलाल भार्गव ( संपादक ) |
जीरे का इस्तेमाल आमतौर पर रसोई में मसाले के तौर पर होता है. लेकिन जीरा सिर्फ दाल और सब्जियों का स्वाद बढ़ाने का काम नहीं करता, बल्कि ये कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में भी कारगर है.
रसोई में जीरे का इस्तेमाल वर्षों से होता आ रहा है. ये किचेन के पारंपरिक मसालों में से एक है. लेकिन क्या आपको पता है कि जीरा सिर्फ दाल और सब्जियों का स्वाद बढ़ाने का काम नहीं करता, बल्कि ये कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में भी कारगर है. आइए जानते हैं जीरे के औषधीय गुणों के बारे में.
1. जब शरीर में रेड ब्लड सेल्स बनना कम हो जाते हैं तो इस समस्या को एनीमिया कहा जाता है. ऐसे में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है और उसे काफी थकान और कमजोरी महसूस होती है. ऐसे में जीरे का सेवन काफी लाभकारी है. जीरे में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है जो रेड ब्लड सेल्स को तेजी से बढ़ाता है.
2. जीरे के अंदर कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है. जीरे का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं, साथ ही गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से शरीर का बचाव होता है.
3. अगर आपको अक्सर सर्दी या खांसी-जुकाम की समस्या रहती है तो आपको जीरे का सेवन जरूर करना चाहिए. जीरे में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो इन समस्याओं को दूर करने में मददगार हैं.
4. इतना ही नहीं जीरे का प्रयोग पूरे रेस्पिरेटरी सिस्टम को दुरुस्त रखता है. इसमें एंटी-कंजेस्टिव गुण होते हैं जो फेफड़े को साफ करने का काम करते हैं और सांस संबन्धी समस्या में राहत देते हैं.
5. अगर आपको गैस और एसिडिटी की समस्या रहती है या भूख नहीं लगती तो जीरा आपकी इन समस्याओं को दूर कर सकता है. जीरा के अंदर कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो पेट की समस्याओं को दूर करते हैं.
6. जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द होता है, उनके लिए जीरा काफी लाभकारी साबित होता है. जीरे में कई ऐसे गुण होते हैं जो इस समस्या से निजात दिलाते हैं. इसके अलावा जिन महिलाओं का डिलीवरी के बाद दूध कम बनता है, उन्हें भी जीरे का सेवन करने की सलाह दी जाती है.
7. तमाम रिसर्च बताती हैं कि जीरा शरीर से चर्बी तेजी से घटाने का काम करता है. ऐसे में मोटापा कम करने के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद है. इसके अलावा जीरा खाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है.
वैसे तो जीरे को भूनकर पाउडर बनाकर दही, छाछ आदि में लिया जा सकता है. लेकिन इसका पूरा फायदा लेने के लिए एक चम्मच जीरे को 4-5 घंटे के लिए एक कप पानी में भिगो दें. इसके बाद उस पानी को उबालकर आधा होने दें, फिर पिएं. जीरे का पानी सुबह खाली पेट पीने से कहीं ज्यादा फायदा होता है.
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कनाडा के क्यूबेक में एक बड़ी त्रासदी हुई है। यहां शनिवार को मछली पकड़ने के दौरान चार बच्चों की डूबने से मौत हो गई। खबरों के मुताबिक स्थानीय समयानुसार शनिवार को कुछ बच्चे नदी में मछली पकड़ने गए थे, इसी दौरान नदी में आए तेज ज्वार में बच्चे बह गए, जिससे चार बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई.
क्यूबेक प्रांतीय पुलिस की एक प्रवक्ता ने कहा कि उत्तरी तट पर नदी के किनारे बसे शहर पोर्टनेफ-सुर-मेर में दुर्घटना के बारे में आपातकालीन सेवाओं को सतर्क कर दिया गया था। प्रवक्ता ने बताया कि मछली पकड़ने के दौरान करीब 11 लोग उच्च ज्वार की वजह से लापता हो गए। उन 11 में से 6 को बचा लिया गया और पांच लोगों का रातभर में पता नहीं चला।
प्रवक्ता के अनुसार सुबह छह बजे के करीब दस वर्ष से अधिक उम्र के चार बच्चे बेहोशी की हालत में मिले। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुलिस ने बाद में पुष्टि की कि बच्चों की मौत हो गई थी। क्यूबेक प्रांतीय पुलिस के अनुसार, 30 वर्षीय एक व्यक्ति अभी भी लापता है और गोताखोरों, एक नाव और एक हेलीकॉप्टर की मदद से उसकी तलाश की जा रही है।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से की जा रही राजनैतिक प्रतिशोध की कार्रवाई को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी ऊना ने शनिवार को प्रदर्शन किया।
उपायुक्त कार्यालय के बाहर जिला अध्यक्ष वीरेंद्र धर्माणी की अध्यक्षता में मुंह पर काली पट्टी बांधकर कांग्रेसियों ने रोष जताया। रोष प्रदर्शन में पीसीसी महासचिव एवं नूरपुर के विधायक अजय महाजन भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। जिला कांग्रेस ने अपनी मांगों को लेकर डीसी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।
वीरेंद्र धर्माणी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने स्वतंत्रता से पहले और बाद देश के विकास में अहम भूमिका निभाई है। पार्टी का मुख्य उद्देश्य देश में सामाजिक, धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना को बनाए रखना है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि सभी उद्देश्य और राजनीतिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना की थी।
इस अखबार को चलाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ रुपये लोन के रूप में सहयोग किया। लेकिन भाजपा ने एक साजिश के तहत सुब्रमण्यम स्वामी को मोहरा बनाकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा है।
इस षड्यंत्र का कांग्रेस मुंह तोड़ जबाव देगी। पीसीसी महासचिव एवं विधायक अजय महाजन ने कहा कि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार सत्तासीन हुई है, उसी दिन से कांग्रेस नेताओं को प्रताड़ित करने की साजिश रची जा रही है।
इस अवसर पर जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष ईश्वर दुखिया, अविनाश कपिला, पंडित रामनाथ शर्मा, महासचिव यशपाल राणा, प्रवक्ता विजय डोगरा, ब्लॉक प्रधान हजारी लाल धीमान, रविंद्र फौजी, मास्टर प्रीतम सिंह, व्यापार सैल अध्यक्ष राकेश कैलाश, नरेंद्र सैणी, लीगल सैल अध्यक्ष वीरेंद्र मनकोटिया, एपीएमसी अध्यक्ष शिव कुमार सैणी, रमेश गुज्जर, राजीव मेहता, अमन शर्मा, संजय शर्मा, वरुण पुरी, विनोद कुमार, राकेश शर्मा, राम लुभाया, गुरचरण सिंह, बलदेव कुटलैहड़िया, मुनीष शर्मा, राजेंद्र मलांगड़, भूपिंद्र सिंह, कुलवंत सिंह, महिंद्र सिंह मिंदी, विजय आंगरा, शिव सिंह सहित अन्य कांग्रेसी उपस्थित रहे।
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नई दिल्लीः आज का दौर ऐसा है कि हम घर या कभी भी शादी की पार्टी या फिर बर्थड़े पार्टी है तो या गेट टूगेदर हो। सभी जगह पर कैंडल का यूज तो करते है। इसको लगाने से आपके घर सुंदर लगने के साथ-साथ सुगंधित होता है। इससे हमें एक सुकुन सा मिलता है। लेकिन क्या आप जानते है कि कैंडल हमारी सेहत के लिए कितनी नुकसानदेय है।
सुगंधित मोमबत्तियों का धुएं हमारे लिए सिगरेट से कई गुना ज्यादा नुकसानदेय होती है। इसमें मौजूद टॉक्सिक केमिकल हमारी सेहत के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदेय होता है। इसको घर में लगाने से हमारे पूरे घर में यह केमिकल फैल जाता है। यह कभी-कभी इतनी टॉक्सिन फैला देती है कि कैंसर का कारण भी बन जाता है। जो कि हमारे स्वास्थ्य को अधिक हानिकारक साबित हो सकता है।
साथ ही हम जब वैक्स कराने किसी सैलून में जाते है तो इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इससे बचने की कोशिश करने चाहिए। जानिए सुगंधित कैंडल हमारी सेहत के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकती है।
जब हम मोमबत्ती जलाते है तो इसके तेल से एक धुंआ निकलता है। जो कि हमारे लिे बहुत अधिक खतरनाक होता है। इस बारें में डॉक्टरों का कहना है कि मोमबत्ती के धुएं से हवा में कैंसर का धुआ यानी कि बेंजीन और टोल्युनि पाया जाता है।
जिससे कैंसर का खतरा अधिक होता है। इसलिए जितना हो सके इसका यूज कम करें जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से आप बच सके।
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हम सभी पैदल चलने वाले हैं, जो कि पूर्ण हैसड़क यातायात के प्रतिभागियों एक व्यक्ति की यात्रा के लिए, काम करने के लिए, स्कूल में, इन सभी मामलों में आता है यह पैदल यात्री है, और इसलिए, क्रम में व्यक्तिगत सुरक्षा और अन्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में, यह यातायात नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है।
आंकड़ों के मुताबिक, सड़क पर होने वाले दुर्घटनाओं में से आधा पैदल चलने वालों की भागीदारी के साथ होती है, और यह एक भयानक संकेत है। सड़क पर सभी परेशानियों का मुख्य कारण लापरवाही है।
जैसा कि सड़क के नियम कहते हैं, पैदल यात्रीवह व्यक्ति है जो वाहन के बाहर सड़क पर या साइकिल या फ़ुटपाथ पर है। इसके अलावा पैदल चलने वाले व्यक्ति व्हीलचेयर, रोलर स्केट्स, स्कूटर और परिवहन के अन्य समान साधनों पर चलते हैं।
सड़क सेवा कर्मचारी पैदल चलने वालों नहीं हैं, जबकि पैदल चलने वाले काम नहीं करते और पैदल चलने वालों के लिए नियम उन पर लागू नहीं होते हैं।
सड़क के नियम स्पष्ट रूप से वर्तनी हैं,सड़क पर पैदल चलने वालों को पैदल यात्री सड़क या फुटपाथ के साथ सख्ती से चलना चाहिए। और केवल उनकी अनुपस्थिति के मामले में, कैरिज़वे के साथ आंदोलन की अनुमति है। एक फुटपाथ, पैदल यात्री या बाइक पथ की अनुपस्थिति में, पैदल यात्री के सुरक्षा नियमों को यातायात प्रवाह का सामना करने के लिए, कारावास के दाहिनी ओर कड़ाई से ले जाने के लिए निर्धारित किया जाता है।
साइकिल, मोपेड या व्हीलचेयर से यात्रा करने वाले व्यक्ति को वाहनों के पाठ्यक्रम का पालन करना चाहिए, कड़ाई से कैरिजवे के दायीं ओर भी।
सड़क यातायात में एक पूर्ण भागीदार समान रूप से एक ड्राइवर और पैदल यात्री है। किसी सड़क या चौराहे के चौराहे पर पैदल यात्री की सुरक्षा एक पैदल यात्री क्रॉसिंग को सुनिश्चित करने में सहायता करती है।
पैदल चलनेवाली क्रॉसिंग समायोज्य और अनियमित हो सकते हैं।
पैदल यात्री के सुनहरे नियम सड़क के पार हैं जहां दोनों दिशाओं में एक अच्छा अवलोकन और वास्तव में यातायात की स्थिति का आकलन करने की क्षमता है। चालक और पैदल यात्री के लिए अच्छी दृश्यता उतना ही महत्वपूर्ण है।
सड़क पर अक्सर अप्रत्याशित परिस्थितियां हैं, इसलिए आंदोलन के अन्य प्रतिभागियों की गलतियों को समझने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है। एक पैदल यात्री स्थिति की आशा करने में सक्षम होना चाहिए।
पैदल चलनेवाली क्रॉसिंग एक ऐसी जगह है जहां आप दोनों पैदल चलने वालों और चालकों के लिए बेहद सावधानी बरतनी चाहिए।
यह शहरी परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से सच है, जहांबंद हो जाता है एक दूसरे के करीब स्थित हैं। जटिलता और ड्राइवरों पार्क बंद हो जाता है के पास जोड़ें, इस प्रकार आगे दृश्यता सीमित है।
टकराव का मुख्य कारण उल्लंघन हैसड़क के नियम, जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को सार्वजनिक परिवहन को बायपास करने के लिए बाध्य किया जाता है, जो सामने से एक स्टॉप पर रोकता है। पीछे से बस को बायपास करके, पैदल यात्री सड़क पर पूरी स्थिति को नहीं देखता है।
जल्दबाजी में भी त्रासदी होती है किसी भी तरह से जावक परिवहन में जाने की इच्छा किसी व्यक्ति को खतरे के बारे में भूल जाती है और सीधे कार के पहियों के नीचे दौड़ती है अक्सर, ऐसे "दौड़" के परिणामस्वरूप गंभीर चोट या मौत भी होती है।
बच्चों की सड़क यातायात चोटें आधुनिक समाज की सबसे जरूरी समस्या है।
हर समय, माता पिता के लिए जिम्मेदार थेबच्चों। सड़क पार वयस्क के बगल में, बच्चे, उसे और यातायात देख पर निर्भर करता है इसलिए वयस्कों एक बच्चे का हाथ पकड़ चाहिए। सभी वयस्कों याद रखना चाहिए कि एक बच्चे के माता-पिता की पैदल नकली और अन्य पुराने पैदल चलने वालों के नियमों सीखता है।
यह जितनी जल्दी हो सके, बच्चे के व्यवहार को सड़क पर टपकना शुरू करना चाहिए, उसे प्राथमिक नियम समझा जाना चाहिए और अपना उदाहरण देना होगा।
बच्चों के एक समूह को ले जाने के दौरान, दो साथियोंसड़क के दोनों किनारों पर खड़ा होना चाहिए, दाएं और बाएं स्थायी एस्कॉर्ट्स को उनके हाथों में उठाए गए लाल झंडे के साथ आंदोलन का सामना करना चाहिए। कैरिजवे पर जाने से पहले, समूह को रोकना होगा, जिससे कि विस्तारित गठन को समूहित किया जा सके। बच्चों के पूरे समूह सड़क के पार पारित होने के बाद, आखिरकार कैरिजवे छोड़ दें।
आवासीय क्षेत्रों के लिए न केवल सड़कों,पड़ोस में स्थित है, लेकिन सभी आसन्न यार्ड क्षेत्रों। आमतौर पर, आवासीय क्षेत्र की शुरुआत और अंत विशेष निशानी द्वारा निर्दिष्ट की जाती है, हालांकि, गज की दूरी पर, यह चिन्ह वैकल्पिक है।
इस तथ्य के बावजूद कि आवासीय क्षेत्र में सड़क पर पैदल चलने वालों को यातायात में प्राथमिकता दी जाती है, कारों के आंदोलन में अनुचित बाधाएं पैदा करना असंभव है।
सड़क पर पैदल यात्री सुरक्षा के नियम निम्नलिखित कार्रवाइयों से निषिद्ध हैंः
पैदल यात्री के अधिकार और कर्तव्यों को रूसी संघ के क्षेत्र में सड़क के नियमों में शामिल किया गया है।
पैदल यात्री पर जुर्माना लगाया गया उल्लंघन की सूची काफी बड़ी है, और इसे जानना चाहिए।
200 से 1500 रूबल की मात्रा में उल्लंघन की गंभीरता के आधार पर जुर्माना लगाया जाता है। सड़क के नियमों की अज्ञानता जिम्मेदारी के पैदल यात्री से छुटकारा नहीं पाती है।
सबसे पहले, यह याद रखना चाहिए कि लाल निषिद्ध सिग्नल सड़क पार करने के लिए मना किया गया है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जीवन के लिए खतरनाक है। इस उल्लंघन के लिए, 500 रूबल का जुर्माना लगाया गया है।
यदि एक पैदल यात्री, एक अनधिकृत स्थान पर सड़क पार करते समय, वाहन में हस्तक्षेप किया गया और उसकी गलती के कारण, एक दुर्घटना हुई, तो जुर्माना 1500 रूबल तक होगा।
बेशक, मौद्रिक राशि में लगाई गई जुर्माना इतनी बड़ी नहीं है, लेकिन फिर भी यह एक प्रशासनिक उल्लंघन होगा।
उसकी सुरक्षा के बारे में पहले सावधानी बरतनी चाहिएसिर्फ एक पैदल यात्री। पैदल यात्री की सुरक्षा पैदल यात्री और चालक के कार्यों के संयोजन में निर्भर करती है, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि पैदल यात्री द्वारा प्राप्त चोटें जीवन के साथ असंगत हो सकती हैं।
ड्राइवर को उसके चारों ओर सब कुछ देखने की उम्मीद मत करोऔर सुनता है। सड़क पर चलने वाले व्यक्ति या सड़क मार्ग पार करने वाले व्यक्ति को सावधानी से सड़क की निगरानी करनी चाहिए और किसी और चीज से विचलित नहीं होना चाहिए। पैदल यात्री सुरक्षा सावधानियां फोन पर बात करने, हेडफ़ोन पर संगीत सुनने या एक हुड पहने हुए हैं जो पूरी तरह से साइड व्यू को बंद कर देती है।
इस के लिए आवंटित में भी सड़क पार करनास्थानों, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ड्राइवर पैदल यात्री को देखता है और समय पर रुक जाता है। सबसे विश्वसनीय विकल्प सबसे पहले वाहन के चालक के साथ आंखों के संपर्क स्थापित करने के लिए होता है और उसके बाद ही संक्रमण शुरू करने के लिए। यह याद रखना चाहिए कि ट्रैफिक लाइट से लैस पैदल यात्री क्रॉसिंग भी सड़क पर पैदल यात्री की सुरक्षा को पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं कर सकता है।
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मतदाता पहचान पत्र हासिल करने की हमारी रूचि छिपी नहीं है. आखिर वोट देने से ज्यादा सिम खरदीने में यह जरुरी जो है वास्तव में जिस दिन मतदाता पहचान पत्र की केवल मतदान डालने में ही प्रयोग की सरकारी घोषणा हो जाए तो, किसी महंगे मल्टीप्लेक्स में सिनेमा की टिकट महंगी होने पर लाइन से हट जाने का जो भाव आता है यही भाव पहचान पत्र हासिल करने की जुगत में लगे लोगों के मन में जरुर आ जाएगा. लोगों के वोट देने का अधिकार देने भर से ही लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता, लोकतंत्र, व्यवस्था या संस्थाओं के लोकतान्त्रिक कार्यों से जाना जाता है, हमारे कार्य, सोच कितनी लोकतान्त्रिक है ये ही एक लोकतान्त्रिक होने के आदर्श मापदंड है! विनायक सेन जैसे आवाज़ उठाने वाले लोगो को जेल में और जनता के पैसे लुटने वाले को सत्ता के खेल में जगह जिस देश में मिलती हो उसे लोकतंत्र कहना बेमानी होगा, इस लिहाज से आजाद होने के ६३ साल में भारत लोकतंत्र के आदर्श मापदंडों पर सही से खरा उरता नहीं दिखाई देता!
मीडिया में सुर्खिया पाए देश के अलोकतांत्रिक कार्यों को छोड़ भी दिया जाए तो, एक आम नागरिक द्वारा किसी पुलिस थाने में शिकायत करने में उसकी हिचकिचाहट, सरकारी दफ्तरों में बार बार जाने में घिसते जूते, अपने ही जन प्रतिनिधियों से बात करने में डर का भाव और जंतर मंतर में आन्दोलन कर रहे आम जन पर पुलिस के डंडों की मार मार चिक चिक कर यह बताती है की हम कितने परिपक्व राजनितिक व्यवस्था के वासी है! इस देश में मीडिया की भूमिका पर नजर दोडाए तो निराशा ही हाथ लगती है, मीडिया न कहकर कॉरपोरेट मीडिया कहे तो तर्कसंगत होगा, आज़ादी की लड़ाई में जिन आन्दोलनों ने हमे आजाद कराया, आज उन्हीं आन्दोलनों को चलाना पैसों पर टिका है. जिसके पास सबसे ज्यादा पैसा उतनी ही आन्दोलन की गूंज गूंजेगी जिसके पास पूंजी नहीं वो जन्तर मंतर पर चिल्लाता चिल्लाता मर जाएगा और कॉरपोरेट मीडिया भी पैसे वालो को कवर करेगी, लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन राडिया टैप कांड ने मीडिया का चश्मा पहने लोगों को मीडिया का चश्मा उतारने पर भले ही मजबूर कर दिया हो लेकिन देश को सही मायने में लोकतंत्र बनाने में लम्बी दूरी तय करना अभी बाकी है!
नववर्ष के मौके पर प्रधानमंत्री ने नए साल में निराशावाद को दूर करने की अपील तो की लेकिन वह भूल गए कि निराशा फैलाने वालो में इस देश की राजनितिक व्यवस्था का हाथ सबसे बड़ा रहा, राजनीतिक दलों के दलिये प्रणाली के दुरूपयोग ने इसका और भी ज्यादा विकास किया खुद को लोकतान्त्रिक तरीके से कार्य का दम भरने वाली इन पार्टियों में आलाकमान का चलन शुरू हुआ है, आलाकमान यानि जिसके हाथ में सारी कमान हो जो खुद निर्णय अपने तरीके से ले ऐसा लगता है जैसे कोई तानशाह डंडा दिखाकर पार्टी को चलाता हो वाकई में पार्टियों की ऐसी प्रणाली सही मायने में तानाशाह लगती है ऐसे में लोकतंत्र की चादर ओड़े तानाशाह रवैय्या अपनाए इन दलों से लोकतान्त्रिक व्यवस्था देने की बात हज़म नहीं होती! सांविधानिक पदों का इस्तेमाल यह दल अपने हितों की पूर्ति करने में जरा भी नहीं चुकते. जैसे बरसों पहले राजा अपने करीबी और हितो की पूर्ति करने वाले को मंत्री पद देता था! सरकारी योजनाएं, योजनाएं कम नेताओं, नोकरशाहों के लिए बीमा पॉलिसी ज्यादा लगती है खुद सरकार ने अपने विकास कार्यक्रम को अच्छा दिखाने के लिए बीपीएल सूची में हकदार गरीबों को शामिल ही नहीं किया , बीपीएल सूची में गरीबों के आकड़ो को लेकर सरकार और तेंदुलकर समिति के आकड़ों में ही खासा अंतर है ऐसे में सरकार से यह अपेक्षा करना की वो सही मायने में आम जन विकास करेगी किताबी बाते लगती है, लेकिन फिर भी हमे दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक, महान देश होने का गुरुर है वास्तव में महानता को सही अर्थो में देखे जाने की जरुरत आ पड़ी है जिस देश में सड़क पर ठण्ड में सिकुड़ते लोगो के लिए उच्चतम न्यायालय खुद हस्तक्षेप करके सरकार को रेन बसेरा बनाने का आदेश देता हो क्या वो देश वाकई में महान है? स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री द्वारा देश को विश्व का सबसे बड़ा और सफल लोकतान्त्रिक देश बताना जायज है? क्या वाकई में हम लोकतान्त्रिक हो गए की हमें अपनी बात रखने की आज़ादी है? इन सवालो पर आत्ममंथन करने की जरुरत है, संसद ठप (करोड़ का नुकसान) करके जिस तरह इस देश के विपक्ष ने जेपीसी को लेकर कोशिश की है अगर इस सवालों को सुलझाने में गंभीरता दिखाई होती तो सही मायने में हम महान और आदर्श लोकतान्त्रिक देश कहलाते!
देखा जाए तो लोकतंत्र व्यापक एक आदर्श व्यवस्था है हम इस आदर्श व्यवस्था के बालकाल में ही खड़े दिखाए देते है, परिपक्व लोकतंत्र तब ही बन सकेंगे जब कहने भर से ही नहीं अपने विचार और कार्यों से लोकतंत्र को साबित कर सकेंगे!
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CHAITRA 7, 1900 (SAKA)
मगर उन को मिल जाय तो वह पहली स्टेज से इस को बनाना शुरू करेंगे ।
जहां तक इस बात का सम्बन्ध है कि 116 लाख रुपये का लाभ हुआ उस में मलेरिया की एक दवा जो हम इसी साल में लाए हैं उस में 188 लाख रुपये का घाटा भी कॅनेलाइजिंग एजेंसी को हुआ है । यह घाटा हम कैनेलाइजिंग एजेंसी के खाते में रखते हैं और वह दवाइयां जिन के दाम बहुत ज्यादा होते हैं उन को कम करने के लिए इस मुनाफे का इस्तेमाल करते हैं । यह मुनाफ़ा कैनेलाइजिंग एजेंसी के काफर्स में या गवर्नमेंट को नहीं जाता बल्कि कन्ज्यूमर्स को लौट कर जाता है और दूसरी तरह से उस की सेवा में खर्च किया जाता है ।
श्री श्याम सुन्दर दास : माननीय मंत्री जी ने मार्च में स्वयं स्वीकार किया था कि मैक लैबोरेटरीज को 55 लाख कुछ रुपये के अगेंस्ट एल-चेस विदेश से मंगाने की अनुमति दी गई थी। इसलिए यह कहना गलत है कि बेसिक मैन्यूफैक्चर वह करते हैं। एल-वेस वे मंगाते हैं और उस को कन्वर्ट करते हैं। मैं यह जानना चाहता हूं कि यह जो प्राइस में चेंज हुआ, यह प्राइस बड़ाने की प्रक्रिया क्या है ? क्योंकि नियम स्पष्ट है : जो हमारी ही सरकार ने इम्पोर्ट ट्रेड कंट्रोल पालिसी अपनाई थी उस में प्राइसिंग किस तरह से तय की जायेगी वह स्पष्ट किया गया है
The sale price for distribution of canalised items to actual users will be determined by the Pricing Committee presided over by the Chief Controller of Imports and Exports and consisting of Economic Adviser in the Ministry of Industry, Development Commissioner (Small Industries) and representatives of Directorate General of Technical Development, Department of Economic Affairs, and Ministry of Commerce as members.
MR. SPEAKER: Please do not make t long.
Oral Answers 22
श्री श्याम सुन्दर बास : यहां जो प्राइस तय की गई है यह प्राइस सरकार के द्वारा जो स्वयं स्वीकृत नीति है उस नीति के विरोध में सिर्फ उस विभाग के अधिकारियों ने तय की है और प्राशंका है कि शायद इस तरह मूल्य बढ़ाने का एक ही औचित्य रहा होगा कि मैक लैबोरेटरीज को फायदा हो क्योंकि सम्पूर्ण देश में मैक लैबोरेटरीज को छोड़ कर दूसरे किसी ने बनाया नहीं या तो सरकार की स्वयं की एजेंसी ने मंगाया । मैं यह जानना चाहता हूं कि यह जो कमेटी होगी उस कमेटी में कामर्स मिनिस्ट्री के भी प्रादमी रहेंगे, डेवलपमेंट कमिश्नर स्माल स्केल इंडस्ट्रीज भी रहेंगे लेकिन इन सभी को वाइ-पास कर के केवल इस मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने जो प्राइस तय की क्या इस से यह आशंका नहीं पैदा होती है कि मुनाफा कमाने वाली इस कम्पनी और इस विभाग के अधिकारियों में कोई संबंध है । मैं जानना चाहता हूं, सरकार इसका स्पष्टीकरण करे कि इस घोषित नीति में परिवर्तन जो किया गया वह क्यों किया गया और क्या इस विभाग के अधिकारियों भौर उस कम्पनी में कोई मिलीभगत थी ?
श्री हेमवती नन्दन बहुगुणाः पहली बात तो यह है, मैं माननीय सदस्य से सफाई से कह देना चाहता हूं, मैं ने यह नहीं कहा कि मैक लैब बनाते हैंः मैंने कहा कि मैक लंब को जो लाइसेंस दिया गया है वह बेसिक स्टेज से बनाने का है। मैक लैब ने 18 टन इम्पोर्ट किया है, जो रिप्लेनिशमेंट अपने एक्सपोर्ट के खिलाफ करने के लिए रेप लाइसेंस उन को मिला है जिसको कामर्स मिनिस्ट्री के कानून में एक्सपोर्ट इम्पोर्ट में देते हैं उसके मुताबिक उन्होंने बताया हैं । उस 18 टन को वे बाजार में नहीं बेच सकते हैं। अपनी फैक्ट्री में उस का क्लोरमफेनिकाल वे बनाएंगे । 77-78 के लिए यह 18 टन है । उस के बाद जो मुनाफा वह करेंगे इस को बनाने से उसका हिसाग
23 Oral Answers
लगा कर उस की सामूहिक प्रक्रिया शुरू होगी । अब हमारी स्थिति क्या है ? (व्यवधान) . मान्यवर, हमारी समस्या यह है कि अगर हम एल बेस से क्लोरेमफेनिकाल बनायें तो उसका दाम एक के जी का 465
भाता है, अगर हम क्लोरेमफेनिकाल बनायें सारा का मारा इम्पोर्ट बेस मान करके, पूरा क्लोरेमफेनिकाल बाहर से मंगा लें तो उसका दाम आता है केवल मात्र 360 रुपए और अगर हम क्लोरेमफेनिकाल बनायें बेसिक स्टेज से तो उसका दाम प्राता है 586 रुपए । तीन तरह का क्लोरेमफेनिकाल बाजार में उपलब्ध है । जो हम मंगाते हैं उसमें इम्पोर्ट, बँसिक स्टेज और पेनल्टीमेट-तीनों का हमारे पास 25 टन है । इम्पोर्ट का सात टन है, बेसिक स्टेज से जो बनाना है भौर 75 टन है एलोकेटेड पेनल्टीमेट स्टेज से जिसमें से 40 टन था चुका है। तीनों का जो हमने दाम लगाया, भगर हम वही दाम रहने देते जो दाम था, दाम बदलते नहीं तो जो इम्पोर्ट कर रहा क्लोरेमफेनिकाल 360 रुपए पर उसको कितना मुनाफा होता ? भगर हम क्लोरेमफेनिकाल वालों को मुनाफा उठाने देते तो यह कहा जाता कि हमने मुनाफा उठाने दिया। इसलिए हमने सबको माप-अप करके कैनेलाइजिंग एजेंसी का मुनाफा बना दिया।
जहां तक मैकलंब का सवाल है, जो मुनाफा उनको इसके कारण होगा उस प्रश्न पर हम जरूर विचार करेंगे और माननीय सदस्य को सूचित करेंगे।
श्री सुरेन्द्र विक्रम : क्या यह सही है कि मैकलैब को फायदा पहुंचाने के लिए 27-9-77 को पब्लिक नोटिस जारी की गई ताकि कोई दूसरा व्यापारी एल- बेस मेडिसिन का इम्पोर्ट न कर सके ?
श्री हेमवती नन्दन बहुमुजाः इसके लिए सूचना की आवश्यकता होगी लेकिन एक बात स्पष्ट है, हमने इम्पोर्ट लाइसेंस तो
मैकलैब को भी नहीं दिया, उन्होंने एक्सपोर्ट करने के कारण, कामर्स मिनिस्ट्री का जो साधारण कानून है उसमें अपना अधिकार समझा लाने का और लाये लेकिन हम देख रहे हैं इसके जरिए बहुत मुनाफा होने की गुंजायश है और उसका बन्दोबस्त हम अलग से करेंगे ।
Organisation of Railway Officials
* 476. SHRI R. K. MHALGI : Will the Minister of RAILWAYS be pleased to state :
(a) whether it is a fact that the Railway officials have formed an organisation of their own ;
(b) If so, since when this organisation has been working ;
(c) whether it has been recognised by the Government; and
(d) the names of the office bearera ?
THE MINISTER OF RAILWAYS (PROF. MADHU DANDAVATE ) :
(a) There are two recognised Federations of Railway Officers' Associations functioning on the Railways, namely :(1) Federation of Railway Officers' Associations.
(ii) Indian Railway Class II Officers
(b) (i) Federation of Railway Officers' Amociations. since 1966,
(ii) Indian Railway Class II Officers Federation..since 1968.
(c) Yes, Sir. Both the Federations are recognised.
(d) The principal office bearern are :Federation of Railway Officert' Associationm (as in June 1977 ) :
Shri Pratap Narain, President.
Mrs. Priya Prakash, General Secretary.
(ii) Indian Railway Class II Officers' Federation (as in June 1977):
Shri M.P. Bhargava, President.
Shri S. K. Khanna, General Secretary
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गुजरात टाइटंस और चेन्नई सुपरकिंग्स (GT vs CSK) के बीच आईपीएल 2023 (IPL 2023) का पहला क्वालीफायर मैच चेपॉक में खेला जा रहा है। इस मैच में कप्तान हार्दिक पांड्या ने टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया। बतौर कप्तान हार्दिक पांड्या और एमएस धोनी आमने-सामने हैं।
टॉस जीतकर हार्दिक पांड्या ने कहा कि हम पहले गेंदबाजी करेंगे। हमने सुना है कि ओस आएगी, इसलिए हम जानना चाहते हैं कि किस चीज का पीछा करना है। हमें टॉप-2 में आने के बाद आराम करने के लिए कहा गया था, लेकिन हम नहीं चाहते थे, फोकस्ड रहना चाहते थे और अच्छी क्रिकेट खेलना चाहते थे।
हम एक स्मार्ट टीम हैं, हम केवल एक तरह से नहीं खेलते हैं, हम सुनिश्चित करते हैं कि विकेट से सर्वश्रेष्ठ निकले और हमने अनुकूलन किया है। एक बदलाव, यश दयाल की जगह दर्शन नालकंडे आए हैं।
वहीं, एमएस धोनी ने कहा कि हम पहले गेंदबाजी करना चाहते थे, क्योंकि वे लक्ष्य का पीछा करने वाली बेहतरीन टीम हैं। हमने परिस्थितियों का थोड़ा बेहतर उपयोग किया है, इस तरह के टूर्नामेंट में लड़कों ने वास्तव में अच्छी तरह से अनुकूलन किया है। अपनी स्ट्रेंथ को बैक करना जरूरी है, कॉन्फिडेंस लेवल हाई होना चाहिए।
वे ऐसा करने में सफल रहे हैं और इसलिए हमने अच्छा प्रदर्शन किया है। पिछले गेम में काफी ओस थी, लेकिन आसपास की हवा के साथ, हम आज रात इसके बारे में नहीं कह सकते, लेकिन यह सूखा दिखता है। हम एक उसी टीम के साथ खेल रहे हैं।
गुजरात टाइटंस और चेन्नई सुपरकिंग्स (GT vs CSK) के बीच अब तक खेले गए मैचों की अगर हम बात करें तो यहाँ पर चेन्नई का रिकॉर्ड बेहद ही ख़राब रहा है। चेन्नई की टीम गुजरात के खिलाफ एक भी मैच नहीं जीत पाई है।
पिछले साल जब गुजरात का डेब्यू हुआ तो पुणे और मुंबई में दोनों टीमों के बीच मैच खेले गए जहाँ हार्दिक की टीम को जीत मिली जबकि इस साल दोनों टीमों के बीच एक मैच अहमदाबाद में खेला गया था जहाँ गुजरात को जीत हासिल हुई। ऐसे में चेन्नई के लिए ये खतरे की घंटी है।
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नई दिल्लीः
बॉलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस (Jacqueline Fernandez) आए दिन कुछ ना कुछ ऐसा करती हैं कि चर्चा में आ जाती हैं. जैकलीन (Jacqueline Fernandez) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. हाल ही में जैकलीन ने इंस्टाग्राम (Instagram) पर 30 मिलियन फॉलोअर्स पूरे होने की खुशी में लोगों को धन्यवाद दिया.
जैकलीन ने एक खूबसूरत सा वीडियो शेयर कर के लोगों को शुक्रिया कहा है. इस वीडियो के साथ जैकलीन ने एक पोस्ट भी शेयर किया है.
इस उपलब्धि पर प्रीति जिंटा (Preity Zinta), फराह खान (Farah Khan), उर्वशी रौतेला और डायना पेंटी (Diana Penty) जैसे कलाकारों ने भी बधाई दी हैं.
बता दें कि नेटफ्लिक्स की आने वाली फिल्म 'मिसेज सीरियल किलर' से जैकलीन डिजिटल इंटरटेनमेंट की दुनिया में कदम रखने जा रहीं हैं. फराह खान की फिल्में यूं तो नाच-गाने से भरपूर रही हैं, लेकिन उनकी नई फिल्म 'मिसेज सीरियल किलर' में न नाच वाला कोई दृश्य है, न कोई गाना है. इस फिल्म में जैकलीन फर्नाडिस मुख्य भूमिका में हैं. 'मिसेज सीरियल किलर' की कहानी फराह के पति शिरीष कुंदर ने लिखी है और उन्होंने ही निर्देशन भी किया है.
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सरकारी भर्ती की राह देख रहे हरियाणा राज्य के युवाओं के लिए जरूरी खबर है। हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड कल यानी 23 फरवरी, 2023 को एचएसएससी टीजीटी भर्ती 2023 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर देगा। जो उम्मीदवार ग्रुप सी पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे एचएसएससी की आधिकारिक वेसाइट hssc. gov. in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस भर्ती अभियान से संगठन में 7471 पदों को भरा जाएगा। पदों पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 मार्च, 2023 तक है।
बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा, भिवानी द्वारा आयोजित आवेदित पद के लिए संबंधित विषय की हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एचटीईटी)/स्कूल शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीईटी) उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र होना चाहिए। बात करें आयु सीमा की तो उम्मीदवार की आयु 18 से 42 वर्ष के बीच होनी चाहिए। उम्मीदवार जो पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे यहां उपलब्ध विस्तृत अधिसूचना के माध्यम से शैक्षिक योग्यता की जांच कर सकते हैं।
चयन प्रक्रिया में सामाजिक-आर्थिक मानदंड और अनुभव के बाद लिखित परीक्षा शामिल है। बता दें कि सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं। प्रश्न पत्र द्विभाषी (अंग्रेजी और हिंदी) में दिया जाएगा। टीजीटी पदों पर भर्ती के लिए ऑफलाइन (ओएमआर आधार) लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी। इस भर्ती के संबंध में अन्य जानकारी के लिए उम्मीदवार एचएसएससी की आधिकारिक वेबसाइट देख सकते हैं।
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य अनुसंधान, जनकी कडी मं अभी और भी कइ अनुसंधान शामल कए जा सकत है, यह दशा त ह क मनुष्य कोइ अधरपशु जीव नहीं ह, जसाक वकासवादी हमस मनवाना चाहत हं और उसन कभी भी पशु जीवन व्यतीत नहीं कया है। ऐस ही उदाहरण रस्तुत करन क बाद, माइकल बगनट न यह टपपणी की हः
सपटः ऐसी कोई संभावना नहीं ह क इनमं स कसी भी आंकड को धरती क इतहास क समबनध मं पारमप रक वञान क समझ क खांच मं फट कया जा सक। वास्तव मं, यद इस रमाण को हमार वारा समीषत एक भी मामल क रसंग म यथाथर की कसौटी पर कसक दखा जाए तो उसस यही संकत मलता ह क वाकइ मं मनुषय अपन आधु नकळूप और अंदाज मं इस धरती पर बहुत लमब समय स अ सततववान रहा
पुराततव का इतहास ऐसी खोजो स भरा पड़ा ह और उन अनवषणो क समष "पारंप रक" वकासवादी सोच, जसका ववरण बगनट न दया ह, बडी ही असमंजस की स्थत मं आ पडी ह। परन्तु यह सच ह क वकासवादी सोच क धनी लोग अनवषणों क ऐस महतवपूणर नमूनों को लोगों की नगाह स बडी सावधानीपूर्वक बचाए फरत हं और उनकी उपषा कर दत है । डा वसवादी अपनी वचारधारा को जीवत रखन क लए चाह जतना जतन कर लं, सर उठात हुए रमाण यह झलका ही दत हं क वकास एक झूठ ह और 'सृट' एक सच ह जस आप नकार नहीं सकता। इवर न शूनय स मनुषय की सृट की, उसमं अपनी चतना का उच्छ्वास रवा हत कया और उस वह सखाया जो वह नहीं जानता था। वह इवर की ही ररणा ह जसक दम पर अपन अ सततव की रथम बला स ही मनुषय मानव-जीवन जीन मं सषम हो सका है।
"इन गेव रथम" के उतखनन से रापत परणाम इतहास के वकास समबनधी क्याखया को खं डत कर देते है
कए गए शोधो स जाहर होता क आज स हजारो साल पहल रहन वाल इनसान वस ही औजारों का इस्तमाल करत थ जसक आजकल क रामीण षरो मं कए जात हं । वतसान फलस्तीन क "इन गव रथम" नामक एक उतखनन षर मं 15,000 इसवी पूवर वषर पुरान एक झोपड की नीव स अनाज पीसन की च ककयां, पतथर का कूटक (मोटा र) तथा हं सए य सब चीजं रापत हुइ हं। इनमं स सबस पुराना औजार 50,000 इसा पूवर का ह। 35
इन खुदाइयो मं रापत इन तमाम साम रयो स यह पता चलता ह क मनुषय की जू रतो की फह रशत हर समय रायः एक जसी ही रही ह। मानवो वारा खोज गए समाधान अपन समय की तकनीक क अनुपात मं एक-दूसर स रायः मलत-जुलत ही रह हं। आज क रामीण षरो मं फसल तयार करन और अनाज पीसन क लए जन औजार-उपकरणों की आज भी नतानत आवश्यकता होती ह, व ही उपकरण उस पुरा काल में भी र
कए जात रह थ।
आज अत वक सत समताओं क साथ-साथ अपषाकृत पछडी हुइ समाताओं का भी अ सततव ह। क तपय समाज तकनीकी दृट स बहुत उननत हं तो इसका यह मतलब नहीं क मान सक या शारी रक_पस भी व बहुत आग हं।
ऐस आदम जीव जसक इस चर मं दखाए गए हं, कभी भी नहीं था। य और ऐस ही तमाम चर डा वसवादी वञा नको की मनःकृ तयां हं जनका कोई भी वञानक महतव नहीं।
लोग शकार करक अपना जीवन चलात हं या खती करक इसस यह तातपयर नहीं नकलता क व इस कारण अपनी_मानस क ष मताओं में उननत या पछड हुए हूं। दूसर शबो मं, यद कोइ समाज शकार करक अपना भरण-पोषण करता ह तो वो इस लए नहीं क व लंगूरो स बहुत गहरा वास्ता रखत हं, और य द कसी समाज की आजी वका कृष ह तो इसका भी यह मतलब नहीं क व लंगूर अवस्था स काफी आग बढ़ चुक हूं।
परा मडो क नमाण मं जस रचनातमक कुशलता और तकनीक का उपयोग कया गया था वह आज भी रहस्य बना हुआ है। यवशालकाय नमाण जनकी नकल कर पाना आधुनक तकनीक क वाबजूद क ठन लगता ह, आज स 2,500 वषर पूवर रहन वाल उचच प स सषम लोगों वारा तयार कए गए थ
डयाडर कपलंग की पुस्तक "जस्ट सो स्टो रज "
दुनया की रसधतम पाषाण संरचाओ मं स एक नयूरंज - 93 वृहदाकार पतथरो स बनी ह। जात नहीं हो पाया ह क पतथर क इन भारी टुकडों को कस रकार ढोया गया होगा, न ही यह क इसक |
एंट्रे मेट्रोपॉलिटन नगरपालिका के सिटी बसों के चालक एमरे डरिकान ने अपनी बस में आग की नली में हस्तक्षेप करके उड़ान के दौरान एक घर में आग लग गई।
मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका की एक सहायक कंपनी, ट्रांसपोर्ट इंक में एक इन-सिटी पब्लिक ट्रांसपोर्ट ड्राइवर, Emre Dirican, 35 AAV 07 सार्वजनिक बस के साथ Gürsu-Varsak KC08A लाइन पर यात्रा कर रहा था और Altınova जिले में PTT स्ट्रीट के स्टॉप पर यात्रियों को गिरा दिया। । इस बीच, उन्होंने स्टेशन के पास एक दो मंजिला घर के दूसरे तल के प्रवेश द्वार पर बालकनी से धुआं और आग की लपटें उठती देखीं। सार्वजनिक बस की पार्किंग करते हुए, डारिकन घर चला गया क्योंकि उसने बस में लगी आग की नली को पकड़ लिया और बालकनी पर लगी आग में पहला हस्तक्षेप किया। आग की लपटों को बाहर निकालते हुए एमरे डरिकान ने संभावित आपदा को रोका। यह निर्धारित किया गया था कि प्लास्टिक की कुर्सी और मेज को प्रज्वलित करते हुए चूल्हे की बाल्टी से छज्जे तक राख में अंगारे के अवशेष के कारण आग लग गई।
बस चालक एमरे डरिकन ने कहा कि जब उन्होंने स्टॉप पर यात्रियों को छोड़ा तो उन्होंने धुआं देखा और कहा, "पहले मुझे लगा कि जब वे दूसरी मंजिल पर धुआं देख रहे थे तो वे एक बारबेक्यू जला रहे थे। जब मैंने और करीब से देखा, तो मैंने देखा कि आग बढ़ने लगी थी। "मैंने बस में आग बुझाने का यंत्र लिया, उस क्षेत्र में गया जहाँ आग लगी थी और इसे बाहर निकालने में कामयाब रहा।"
डिरिकन ने यह भी कहा कि आग लगने के बाद उसने घर का दरवाजा खटखटाया और मकान मालिक आग से अनजान था, "जब वह बाहर आया तो मकान मालिक हैरान था क्योंकि वहां हर जगह धुंआ था। वे आश्चर्यचकित थे जब उन्होंने मुझे देखा, मैंने उन्हें थोड़ा और सावधान रहने के लिए कहा। शुक्रिया अंताल्या ट्रांसपोर्ट इंक। उन्होंने हमें अग्नि प्रशिक्षण और प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण दिया, और उनके प्रशिक्षण ने आज एक आपदा को रोका "।
मेजबान महिला ने कहा, "सुबह में मैंने चूल्हे की राख को बाद में फेंकने के लिए बालकनी पर छोड़ दिया। मौसम थोड़ा घुमावदार था, आग बालकनी में फर्नीचर तक फैल गई। हम अपने 3 बच्चों के साथ वहां थे, हमें कभी इसका एहसास नहीं हुआ। हमारे ड्राइवर दोस्त के लिए धन्यवाद, उसने इसे देखा और आग लगा दी। उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, "
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Cristiano Ronaldo (Photo Credit: google search)
नई दिल्लीः
Cristiano Ronaldo Rape Case : पुर्तगाल के स्टार फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो के ऊपर अमेरिका में लंबे समय से रेप का केस चल रहा था. अब उसमें सिविल जज ने फैसला सुना दिया है. नेवादा की कैथरिन मायोग्रा ने साल 2009 में यह आरोप लगाया था कि पुर्तगाल के इस सुपर स्टार फुटबॉलर ने लॉस वेगास के एक होटल में उन पर हमला किया और फिर दुष्कर्म किया. अब इस मामले में 42 पेज के फैसले में रोनाल्डो को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है. दरअसल, 42 पेज के फैसले में कहा गया है कि मायोग्रा के वकील ने मुकदमे की सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया बल्कि उसका दुरुपयोग किया. इसलिए इस केस को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता.
बता दें कि क्रिस्टियानो रोनाल्डो विश्व के सबसे प्रसिद्ध और महंगे फुटबॉलरों में से एक है. वह पुर्तगाल के हैं और फुटबॉल की बहुत बड़ी फ्रेंचाइजी मैनचेस्टर यूनाइटेड के लिए खेलते हैं. रोनाल्डोंने पांच पर बैलोन डीओर पुरस्कार जीता है, वहीं, चार बार यूरोपीय गोल्डन शूज भी जीता है. यही नहीं, उन्होंने अभी तक के अपने करियर में 32 ट्रॉफियां जीती हैं. इसमें सात लीग खिताब है, जबकि पांच यूईएफए चैंपियंस लीग हैं. इसके अलावा यूईएफए यूरोपीय चैंपियनशिप, एक यूईएफए राष्ट्र लीग है. उन्होंने चैपिंयस लीग में सबसे ज्यादा गोल (140) करने का रिकॉर्ड भी बनाया है. इसके अलावा पुरुष खिलाड़ी द्वारा सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है. उन्होंने 115 अंतरराष्ट्रीय गोल किए हैं.
क्रिस्टियानो रोनाल्डो पर रेप का आरोप लगने से उनके प्रशंसकों में काफी निराशा थी. यूरोप सहित तमाम देशों में उनके लाखों फैंस हैं. अब रोनाल्डो के बरी होने से सभी प्रशंसकों में खुशी की लहर है.
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एक समय पृथ्वी शॉ को भारत का भविष्य माना जा रहा था और वो रेस में शुभमन गिल और ईशान किशन से बहुत आगे थे लेकिन उनका खराब फॉर्म और उनका मैदान के बाहर व्यवहार उनको इस रेस में काफी पीछे कर गया। अब आलम ये है कि चयनकर्ता उन्हें भारत की दूसरे दर्जे की टीम में भी नहीं चुन रहे हैं। यही कारण है कि शॉ अपना टैलेंट दिखाने के लिए इंग्लैंड पहुंच चुके हैं जहां वो रॉयल लंदन वनडे कप में नॉर्थैम्पटनशर के लिए खेल रहे हैं लेकिन उनका डेब्यू उतना शानदार नहीं रहा जितना उन्होंने सोचा था।
नॉर्थैम्पटनशर के लिए अपने डेब्यू में पृथ्वी सिर्फ 34 रनबना सके। ग्लूस्टरशर ने नॉर्थैम्पटनशर के सामने जीत के लिए 279 रनों का लक्ष्य रखा था ऐसे में पृथ्वी शॉ से उनकी टीम को एक अच्छी शुरुआत की दरकार थी जो कि उन्होंने दी भी लेकिन दूसरे छोर से विकेटों का पतझड़ लगा रहा और जब शॉ 34 के स्कोर पर पहुंचे तो वो भी अजीबोगरीब तरीके से अपना विकेट गंवा बैठे।
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खाद्य सुरक्षा [Food Security]
चित्र 10.1 लाइफ पत्रिका से लिया गया चित्रः (अ) मालगाड़ी से अन्न जमा करने का प्रयास करते हुए बच्चे (आ) भूमि पर गिरे हुए अन्न को बुहारती हुई महिला
"मैं अपने भाई बहनों में सबसे बड़ा था। जीवनयापन के लिए मैं प्रतिदिन एक मज़दूर का कार्य करता था। उस समय अपने पिताजी को गाँव में छोड़कर, अपने भाई-बहनों को साथ लेकर कलकत्ता आ गया। भोजन के लिए उनके पास केवल थोड़ा LIFE सा आटा था। हम जहाँ भी भोजन बाँटा जा रहा था
उन सभी जगहों पर गये। कलकत्ता की गलियों में मैंने बहुत से लोगों को संघर्ष करते हुए देखा। मैंने उन माताओं को देखा जिनके बेटे वास्तव में मर चुके थे, पर उन्हें हाथों में थामे वे घूम रही थीं। लेकिन माताएँ फिर भी उन पर पानी के छींटे मार रही थी ताकि, वे सक्रिय अवस्था में आ सकें। मैंने बहुत सी चीज़ों को देखा। उन लोगों को देखा जो साँप और घास तक को खा रहे थे। मैं अपने एक भाई-बहन को खो चुका था।
वहाँ पर कुछ लोग किसान थे जो कृषि से जुड़े थे। वे भिखारी नहीं थे इसलिए भीख माँगना नहीं जानते थे। उनके अंदर बहुत स्वाभिमान था। जब वे आये तो फुटपाथ पर बैठे-बैठे उन्होंने दम तोड़ दिया। ऐसी तस्वीरें जब कलकत्ता की जनता के सामने आई तभी वे लोग इतने बड़े स्तर की आपदा के बारे में समझ सके।"
आज़ादी से पहले भारत में अकाल में खाद्य का
बृहद स्तर पर अभाव था। बड़े स्तर पर भूख से मौत एक सामान्य कारण था । उदाहरण के लिए 194345 में बंगाल में अकाल के समय 3 से 5 मिलियन लोग बंगाल, असम और उड़ीसा के आस-पास रहते थे। निम्नलिखित को पढ़िए।
बंगाल में ब्रिटिश प्रशासकों द्वारा खाद्यान्नों के वितरण के आयोजन को ठुकराने के कारण भारत की स्वतंत्रता के पूर्व ही बंगाल में महान् अकाल पड़ा। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय सरकारें, केंद्र और राज्य दोनों ने लोगों में खाद्यान्न की सुनिश्चितता के लिए
सामाजिक अध्ययन
खाद्य सुरक्षा
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हरिद्वार : शहर के ढाई सौ विक्रम चालकों ने निजी बस संचालकों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। आरोप है कि निजी बस चालकों ने शनिवार को तीन विक्रम चालकों के साथ मारपीट की। साथ ही इन निजी बसों का संचालन नियम विरुद्ध किया जा रहा है। विक्रम चालकों ने पहले तो गंगनहर कोतवाली में तहरीर दी। इसके बाद एसडीएम चौक पर प्रदर्शन किया।
शनिवार को निजी बस चालकों ने सवारी बैठाने के दौरान रुड़की के तीन विक्रम चालकों भूरा, कुर्बान और शमीम के साथ रामपुर चुंगी के समीप मारपीट कर दी। रात को हंगामा भी हुआ। सुबह शहर से भगवानपुर के बीच संचालित होने वाले ढाई सौ विक्रम चालकों ने विक्रमों का संचालन बंद कर दिया। विक्रम चालक संघ के अध्यक्ष देशराज सैनी के नेतृत्व में सैकड़ों विक्रम संचालक पहले तो गंगनहर कोतवाली पहुंचे और पुलिस को तहरीर दी।
इसके बाद एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया। इस अवसर पर अध्यक्ष देशराज सैनी ने कहा कि निजी बसें सहारनपुर से रुड़की के बीच संचालित हो रही है। इन बसों का रूट दूसरा है। लेकिन यह बसें राजमार्ग से संचालित हो रही हैं। हर दिन विक्रम चालकों के साथ मारपीट की घटनाएं आम हो रही है।
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मुंबई में कोरोना के बढ़ते केस के बीच बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर मशहूर निर्देशक संजय लीला भंसाली कोरोना पॉजीटिव पाए गए। इसके चलते भंसाली की फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' और रणबीर कपूर की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की शूटिंग रुक गई है।
90 के दशक की राजकुमारी करिश्मा कपूर ने एक बार फिर से अपने अभिनय से साबित किया है, अब ऑल्ट बालाजी और जी5 की 2020 की सबसे बहुप्रतीक्षित वेब श्रृंखला "मेंटलहूड" के साथ दर्शकों और विशेषकर अपने फैंस का दिल जीता है,,,
फिल्म 'पानीपत' (Panipat) 6 दिसंबर को सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) और कृति सेनन (Kriti Sanon) और संजय दत्त (Sanjay Dutt) लीड रोल में नजर आ रहे हैं। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सही कमाई की है।
अर्जुन कपूर (arjun kapoor), संजय दत्त (sanjay dutt), कृति सेनन (kriti sanon) स्टारर फिल्म "पानीपत" (panipat) को लेकर आए दिन कोई ना कोई अपडेट्स आते रहते हैं। वहीं हाल ही में फिल्म से संजय जत्त और कृति सेनन का लुक रिवील किया गया है जोकि सोशल मीडिया (social media) पर खूब वायरल हो रहा है।
इन दिनों बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर (arjun kapoor) आशुतोष गोवारिकर (ashutosh gowarikar) की फिल्म "पानीपत" (panipat) की शूटिंग में व्यस्त चल रहे हैं। फिल्म में उनके अलावा संजय दत्त (sanjay dutt) और कृति सैनन (Kriti Sanon) भी अहम किरदार में नजर आएंगे।
संजय दत्त की बायोपिक 'संजू' की जबरदस्त सफलता के बाद फिल्म के निर्देशक राजकुमार हिरानी ने फिल्म से जुड़ी एक बहुत बड़ी बात का खुलासा किया है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। राजकुमार हिरानी ने बताया है कि फिल्म में वास्तविक चीजों के अलावा अलग से कहानी जोड़ी गई है।
संजय दत्त की बायोपिक 'संजू' जब से रिलीज हुई हैं तब से किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती है। अब इस बार एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। बता दें, जेल में बंद डॉन अबू सलेम ने फिल्म के कुछ सीन पर आपत्ति जताई है। सलेम ने फिल्म 'संजू' के मेकर्स को लीगल नोटिस भेजा है।
बॉक्स-ऑफिस पर राजकुमार हिरानी की फिल्म 'संजू' क्या रिलीज हुई सभी बड़ी फिल्मों की शामत आई। संजय दत्त की जिंदगी पर बनी इस फिल्म ने एक-एक करके बॉक्स-ऑफिस के कई बड़ी फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ डाले। फिल्म ने दुनियाभर में 500 करोड़ रुपये की कमाई का आंकड़ा पार कर लिया है।
फिल्म "संजू" लोगों को इतनी पसंद आ रही है कि फिल्म ने कमाई के मामले में कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अब निर्माताओं ने एक बीटीएस वीडियो जारी की है जिसमें राजकुमार हिरानी फ़िल्म के मुख्य अभिनेता रणबीर कपूर को संजू में ट्रांसफॉर्म करते हुए नज़र आ रहे है।
शुक्रवार को बॉक्स-ऑफिस पर संजू क्या आई मानों एक भूचाल सा आ गया। फिल्म की धमाकेदार एंट्री ने सभी पिछली रिलीज हुई फिल्मों को एेसी धूल चटाई जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी।
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बीजापुर : सरकार के एक आदेश और शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही से बीजापुर की 1-2 नहीं बल्कि 779 बच्चियों के भविष्य के सामने संकट खडा हो गया है. 'बेटी पढाओ, बेटी बचाओ' का नारा देने वाली सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के नाम पर जिला मुख्यालय के हृदय स्थल में 25 सालों से संचालित कन्या हायर सेकंडरी स्कूल का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है.
1995 में कांग्रेसी नेता राजेन्द्र पामभोई ने जनभागीदारी के माध्यम से स्कूल का शुभारंभ किया था. 25 साल बाद शिक्षा विभाग की बडी लापरवाही की वजह से इस स्कूल का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो चुका है. दरअसल 17 फरवरी को छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने प्रदेश के हर जिले में सीबीएसई इंग्लिश मिडियम स्कूल खोलने का आदेश जारी किया, इसके लिए ऐसे स्कूल का चयन करना था जिसमें छात्रों की संख्या बेहद कम हो.
बीजापुर शिक्षा विभाग ने लापरवाही की सारी हदें पार करते हुए सीबीएसई इंग्लिश मिडियम स्कूल के संचालन के लिए कन्या हायर सेकंडरी स्कूल का चयन किया, जिसमें पहले से 779 छात्राएं अध्ययनरत हैं. शिक्षा विभाग ने कन्या हायर सेकंडरी स्कूल के डाईस कोड को सीबीएसई इंग्लिश मिडियम स्कूल के नाम पर पंजीकत कर दिया है, जिससे दस्तावेजों में अब कन्या हायर सेकंडरी स्कूल का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो चुका है.
शिक्षा विभाग के इस कदम से अब स्कूल में अध्ययनरत छात्राओं के साथ ही उनके अभिभवकों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं. परेशान छात्राएं हर रोज स्कूल पहुंचकर शिक्षकों से आगे की पढ़ाई को लेकर सवाल करती हैं. जिला मुख्यालय में कन्या हायर सेकंडरी के अलावा ब्वायज हायर सेकंडरी स्कूल संचालित है, लेकिन स्कूल में पहले ही क्लास रूम बेहद कम हैं, ऐसे में कन्या हायर सेकंडरी स्कूल में अध्ययनरत छात्राओं का दाखिला ब्वायज हायर सेकंडरी स्कूल में नहीं हो सकता. ऐसे में छात्राओं को दूसरा विकल्प ढूंढना होगा.
जिला शिक्षा अधिकारी दुब्बा समैया अपनी लापरवाही पर सफाई देते हुए कह रहे हैं कि शासन के मंशानुरूप फैसला लिया गया है. लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी अब तक तय नहीं कर पाये हैं कि स्कूल में अध्ययनरत छात्राएं आगे कहां पढ़ाई करेंगी.
भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने इस मुद्दे पर सरकार और शि़क्षा विभाग को कटघरे में खड़े करते हुए कहा है कि कांग्रेस की सरकार ने न केवल 779 बच्चियों के भविष्य के साथ खिलवाड किया है, बल्कि हजारों परिवारों के साथ अन्याय किया है.
बीजापुर नगर पालिका उपाध्यक्ष और इस स्कूल के शाला प्रबंधन समिति के सदस्य पुरुषोत्तम सल्लूर कहते हैं कि शिक्षा विभाग ने लापरवाही की सारी हदों को पार कर न केवल स्कूल में अध्ययनरत छात्राओं के साथ बल्कि यहां अध्यापन का कार्य कर रहे शिक्षकों के साथ अन्याय किया है.
बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ने कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल बंद होने के भाजपा के आरोप को गलत बताते हुए कहा कि कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल के डाइस कोड में ही इंगलिश मीडियम स्कूल संचालित होगा.
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धर्मशाला - हिमाचल प्रदेश विधानसभा क्षेत्र शाहपुर की भाजपा नेत्री सरवीण चौधरी ने जीत की हैट्रिक अपने नाम कर ली है। शाहपुर में तीसरी जीत 6147 मतों के बड़े मार्जन से दर्ज करके मेजर विजय मनकोटिया और केवल सिंह पठानिया को चित किया है। शाहपुर से सरवीण चौधरी को सबसे अधिक 23 हजार 104 मत पड़े, जबकि दूसरे नंबर पर आजाद प्रत्याशी मेजर विजय सिंह मनकोटिया को 16957 और तीसरे नंबर पर कांग्रेस के प्रत्याशी ने 16 हजार 333 मत प्राप्त किए। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से सरवीण चौधरी ने 6147 मतों से अपना विजयी अभियान जारी रखा। शाहपुर विधानसभा में कुल 60139 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। बसपा उम्मीदवार बनारसीदास को 516 मत, आजाद प्रत्याशी रमेश ने 1111 और देश राज ने 1108 मत प्राप्त किए। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं ने नोटा का भी जमकर इस्तेमाल किया। शाहपुर में जिला भर से सबसे अधिक 1010 मतदाताओं ने नोटा को तरजीह दी। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की गिनती आठ बजे से शुरू हुई, बावजूद इसके कार्यकर्ताओं को शाम लगभग साढ़े आठ बजे तक ही परिणाम मिल पाया। शाहपुर से विजयी उम्मीदवार सरवीण चौधरी ने कहा कि पिछले पांच सालों में कांग्रेस सरकार ने भेदभाव की राजनीति करते हुए शाहपुर के विकास कार्य में हमेशा अंडगा अटकाया है। लेकिन अब विकास को गति दिए जाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
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रायपुर (छ०गढ) - - - - - - प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रदेश के दूरस्थ स्थानों में नदी-नालों पर बेली ब्रिज के साथ सड़कों का निर्माण हो रहा है। इससे आवागमन सुगम हो गया है। सड़क सम्पर्क होने से आम नागरिकों को राहत मिल रही है।
राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जहाँ वृहद् पुलों के निर्माण में बाधाएं खड़ी की जाती हैं, वहां आमजनो के सुलभ आवागमन के लिए प्री-फेब्रिकेटेड स्टील बेली-ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। ब्रिज बनाने की इस तकनीक का उपयोग सेना में सैनिकों के आवागमन के लिए किया जाता है।
ज्ञात हो कि बारिश के दिनों में नदियों एवं नालों के कारण छत्तीसगढ़ राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन बाधित रहता था। कई गाँव तो मुख्यधारा से कटकर टापू का रूप ले लेते थे। ग्रामीणों की इन परेशानियों को देखते हुए इन नदियों एवं नालों पर पुल का निर्माण आवश्यक था।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत एक अप्रैल 2011 के पहले की निर्मित सड़कों में 15 मीटर से अधिक लम्बाई के बृहद पुल पुलियों को बनाये जाने के संबंध में प्रावधान नहीं थे किन्तु बाद में किये गए प्रावधानों के अनुसार पहले से स्वीकृत सड़कांे में छूटे हुए वृहद् पुलों का निर्माण प्रारंभ किया गया।
इस कड़ी में वर्ष 2013-2014 में स्वीकृत 118 पुलों में से 109 पुलों का निर्माण प्रगति पर हैं। इन पुलों में से माह जून 2016 तक 50 पुलों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है।
इनमें बालोद जिले के 4, जशपुर के 4, कांकेर के 5, कोण्डागांव के 3, कवर्धा के 7, कोरबा के 5, कोरिया के 4, महासमुंद के 4, सूरजपुर के 5, रायगढ़ के 2, सरगुजा के 6 और राजनांदगांव जिले के एक वृहद पुल का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है।
राज्य शासन द्वारा अब आम नागरिकों की बेहतर सुविधा के लिए वर्ष 2011 के पश्चात् निर्माण की जा रही सड़कों के साथ ही बृहद पुलों की स्वीकृति भी दी जा रही है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि राज्य में बेली-ब्रिज के आठ पुलों की स्वीकृति प्रदान की गयी है इसमें कांकेर में दो, कोण्डागांव में तीन, राजनांदगांव में एक, और बस्तर में दो पुलों के निर्माण की स्वीकृति मिली थी। इन स्वीकृत पुलों में से कोण्डागांव में तीन पुलों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चूका है शेष पुलों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
अधिकारियो ने बताया कि चालू वर्ष 2016-17 में वृहद् पुल-पुलियों के प्रथम बैच में 65 पुलों की स्वीकृति केन्द्र सरकार से प्राप्त हो चुकी है, जबकि इसी वर्ष के द्वितीय बैच के 98 बृहद पुलों के निर्माण के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दी है।
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बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर (Anupam Kher) ने हाल ही में एक वीडियो साझा किया है जिसमें एक रूसी आर्मी स्कूल के छात्रों को अपनी सुबह की असेंबली के दौरान एक लोकप्रिय भारतीय देशभक्ति गाना गाते हुए देखा जा सकता है। ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और फैंस भी इसे देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं।
अनुपम खेर ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो क्लिप साझा की, जिसमें रूसी सेना के कुछ कैडेटों को मनोज कुमार की फिल्म शहीद के मशहूर गाने को खुशी से गाते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में, वे एक-दूसरे के कंधों पर हाथ रखे हुए दिखाई दे रहे थे और एक साथ 'ऐ वतन' गाना गा रहे थे।
ये वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया है और लोग इसे जमकर शेयर कर रहे हैं। कुछ फैंस ने गर्व जताया तो कुछ ने एक्टर को ये वीडियो शेयर करने के लिए धन्यवाद कहा है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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से लुक होकर 'कुरु' ही रहा। पूर्ववत हो यह 'कुछ' शब्द प्रव बहुवचन विषयक तथा है। सोणा निवासी जनपद' ऐसा विग्रह करके पूर्ववत श्रण प्रत्यय आाया तथा उसका लुप भी जनपदे लुन् (४२१८५०) से हो गया। अब यह 'कुल' शब्द जनपद का वाची है, सो एक्वचन होना चाहिये, पर लुपि युक्तव३० से पूर्ववत, लिङ्ग वचन होने से पूर्व जैसे कि बहुवचनविषयक था, घंसे हो हो गया । सो 'जस' विभक्ति
वसू कुरेच जनपद बन गया ।।
मगधा जनपद, मत्स्याङ्क्षा वा सुह्या पुण्डा इन सारे उदाहरणों में द्वधज्मगधकलिङ्गसूरममादण् (४११११६८) से बहुत धपत्यों को कहने मे झण् प्रत्यय होकर पूर्वदत् तद्राजस्य ० (२०४९६२ ) से लुक होकर पुन निवास अयं से अं प्रत्यय प्राया । सिद्धि पूर्ववत हो जानें । प्रकृत सूत्र से बहुवचन विषयक ये सारे शब्द हो गये । ऊपर की हो सारी बात यहाँ भी लगा लेनी चाहिये ।
गोदौ ग्राम (गोवौ नाम का प्राम)
गोदो नाम हृदौ- गोदी यह दो जलाशयों का नाम है । सो 'नोदयोरदूरभवो ग्राम ' ऐसा विग्रह करके अदूरभवदच ( ४१२१६६ ) से प्रदूरभव (निकट) अयं मे अण प्रत्यय होकर "गोद श्रोस अण्" रहा। वरणादिभ्यश्च (४२१८१) से पूर्ववत् हो प्रणु का लप् होकर 'गोद' रहा ] प्रब यह गोद एकत्वाभिधायो है, क्योंकि एक ग्राम को कहता है । सो यहाँ एकवचन का प्रत्यम होना चाहिये, पर अणु प्रत्यक्ष को उत्पत्ति से पूर्व यह 'गोद शब्द द्विवचनात था। अत प्रकृत सूत्र से अब भी द्विवचन हो होकर, द्विवचन का प्रत्यय 'श्री' प्राकर गोदौ ग्राम बन गया ॥
कटुकबदरी ग्राम ( (क्टुक्बदरी नाम का ग्राम )
यहाँ भी 'क्टुषचदर्या श्रदूरभवो ग्राम (क्टूश्वदरी के समीपवाला ग्राम ) इस अयं में पूर्ववत, श्रदूरभदश्च (४/२०६६) से अणु प्रत्यय होकर वरणादिभ्यश्च ( ४ । २२८१ ) से पूर्वचत श्रण का लुप हो गया, तो 'क्टुबदरी' रहा । अब यह कटुबदरी शब्द पुल्लिङ्ग प्राम शब्द का वाचक है । सो समानाधिकरण होने से कटुकबदरी में भी पुल्लिङ्ग होना चाहिये पर लूपि युक्नव० सूत्र ने कहा कि पूववंत, लिङ्ग बचन हों। सौ यहाँ भ्रूण प्रत्यय को उत्पत्ति से पूर्व वदरी में स्त्रीतिङ्ग या । श्रत श्रव यद्यपि ग्राम पुल्लिङ्ग का बाचक है, तो भी स्त्रीलिङ्ग हो रहा। शेष प्रहल्यायो ( ६११९६६ ) से उसका लोप हो गया ।
वस्तुत यह् उदाहरण पूर्ववत् व्यक्ति - लिङ्ग करने का है, तथा ऊपर के सव उदाहरण पूर्ववत बञ्चन = सह रया (एक्स्व द्वित्व बहुत्वादि ) करने के हैं। |
कोरोना वायरस की वजह से इनदिनों लगभग सभी देशों में लॉकडाउन चल रहा है. सभी क्रिकेटर्स इनदिनों अपने परिवार के साथ घर पर बंद है. कई क्रिकेटर्स इनदिनों सोशल मीडिया पर अपना ज्यादा समय दे रहे हैं और अपने फैंस से रूबरू हो रहे हैं. इनदिनों क्रिकेटर्स अपनी ऑल टाइम इलेवन भी चुने रहे हैं. इसी बीच साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी डेविड मिलर और मोंडे ज़ोंडेकी ने भी अपनी ऑल टाइम साउथ अफ्रीका इलेवन का ऐलान कर दिया है.
साउथ अफ्रीका की इस ऑल टाइम इलेवन टीम में डेविड मिलर ने टॉप-6 खिलाड़ियों को चुना है. वहीं नीचें के 5 खिलाड़ियों को मोंडे ज़ोंडेकी ने चुना है.
इन दोनों खिलाड़ियों ने अपनी इस ऑल टाइम इलेवन साउथ अफ्रीका इलेवन का कप्तान फाफ डू प्लेसी को बनाया है. साथ ही उन्हें नंबर-5 पर मध्यक्रम की जिम्मेदारी दी है.
डेविड मिलर ने टॉप-6 खिलाड़ियों को चुनते हुए ओपनिंग की जिम्मेदारी क्विंटन डी कॉक और हाशिम अमला को दी गई है. नंबर-3 पर जैक कैलिस और नंबर-4 पर एबी डीविलियर्स को रखा है. नंबर-6 के लिए उन्होंने जेपी डुमिनी को चुना है.
मोंडे ज़ोंडेकी ने 2 ऑलराउंडर खिलाड़ियों के तौर पर लांस क्लूजनर और शॉन पोलॉक को चुना है. वहीं 2 विशेषज्ञ तेज गेंदबाज के तौर पर एलन डोनाल्ड और मखाया एनटीनी को रखा गया है. साथ ही दिग्गज लेग स्पिनर इमरान ताहिर को बतौर विशेषज्ञ स्पिनर टीम में जगह मिली है. इन दोनों खिलाड़ियों के द्वारा चुना गई इस टीम में डेल स्टेन को 12वें खिलाड़ी के रूप में रखा गया है.
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अंडर 19 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराकर भारत चौथी बार वर्ल्ड चैंपियन बन गया है। इस मैच में भारत की ओर से मनजोत कालरा (101*) ने शानदार शतक बनाया। मनजोत के अलावा इस मैच में भारतीय गेंदबाजों का भी रहा, जिन्होंने ऑस्ट्रेलियाई पारी को 216 रन पर ही समेट दिया। भारत ने रेकॉर्ड चौथी बार यह खिताब अपने नाम किया है।
मनजोत के शतक के अलावा हार्विक देसाई (40*), शुभमन गिल (31) और कप्तान पृथ्वी शॉ (29) ने बेहतरीन योगदान दिया। टीम इंडिया इस मैच में ऑस्ट्रेलिया पूरी तरह हावी दिखी। राहुल द्रविड़ की कोचिंग में वर्ल्ड कप में उतरी टीम इंडिया पूरे टूर्नमेंट में अजेय रही उसे कोई भी टीम हरा नहीं पाई।
217 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत शानदार रही। कैप्टन पृथ्वी शॉ ने मनजोत कालरा के साथ पहले ओपनिंग विकेट के लिए 71 रन की साझेदारी की। पृथ्वी शॉ यहां विल सदरलैंड की बॉल पर बोल्ड हुए तो पारी को संभालने शुभमन गिल आ गए। उन्होंने मनजोत कालरा के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 62 रन की साझेदारी की। 31 रन पर खेल रहे गिल को परम उप्पल ने बोल्ड कर दिया।
यहां से भारत के विकेट कीपर बल्लेबाज हार्विक देसाई (47*) ने मनजोत के साथ भारत की विजयी लय को आगे बढ़ाया और भारत को 8 विकेट से जीत दिलाकर मैच और वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया।
इससे पहले टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने उतरी कंगारू टीम 47. 2 ओवर में 216 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया के लिए जोनाथन मेरलो ने (76) रन का योगदान दिया।
टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने उतरी ऑस्ट्रेलिया को उसके ओपनर्स ने अच्छी शुरुआत देने की कोशिश तो की, लेकिन भारत ने उसे मजबूत स्थिति में पहुंचने नहीं दिया। टीम इंडिया नियमित अंतराल पर विकेट लेती रही और उसने कंगारू टीम पर दबाव बनाए रखा।
पृथ्वी शॉ के नेतृत्व में इस टूर्नमेंट में खेल रही टीम इंडिया ने अभी तक शानदार खेल दिखाया है। वह अभी तक इस टूर्नमेंट में अजेय रही है। उधर ऑस्ट्रेलिया की बात करें, तो यह टीम भी इस टूर्नमेंट में अभी तक सिर्फ भारत से ही हारी है। ऐसे में दोनों टीमों के बीच खेला जा रहा यह मुकाबला बेहद रोचक होने की उम्मीद है।
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बाजार कोई भी हो, उपभोक्ता राजा की सी हैसियत में ही रहता है, जबकि उत्पादक उसके आगे एक सेवादार की हैसियत से है। उसे यदि अपना उत्पाद बेचना है तो उसे हर तरह से उपभोक्ता की पसंद-नापसंद, आवश्यकता व इच्छाओं का ख्याल रखना होता है। इसके विपरीत जब उत्पादक या सेवा प्रदाता अधिक लाभ कमाने के चक्कर में अपने उत्पाद मानक से कम निर्मित कर बाजार में उतारने लगता है, या फिर सेवा में कमी करने लगता है तो उपभोक्ता रूपी राजा व उत्पादक रूपी सेवादार के बीच अविश्वास जन्म ले लेता है। आहत उपभोक्ता न्याय के लिए आंदोलन करने या फिर उपभोक्ताओं के उत्पीड़न मामलों को उपभोक्ता अदालतों में उठाने के लिए विवश हो जाता है । पीड़ित उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने की इस मुहिम में कई स्वयंसेवी संस्थाएं व एनजीओ भी आगे आए हैं।
आती है।
उपभोक्ता चूंकि संगठित नहीं है, इसलिए हर जगह ठगे जाने की आशंका रहती है। उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत भी यहीं से होती है। इसलिए उपभोक्ता को जागना होगा व स्वयं का संरक्षण करना होगा। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार कोई व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिये सामान अथवा सेवाएं खरीदता है व बदले में वस्तु का निर्धारित मूल्य चुकाता है या चुकाने का वायदा करता है वही व्यक्ति या संस्था उपभोक्ता की परिधि में आते हैं। वही ऐसे सामान या सेवाओं का उपयोग करने वाला व्यक्ति या संस्था भी उपभोक्ता की श्रेणी में है। तभी तो प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में उपभोक्ता है। यदि किसी उपभोक्ता को अनुचित प्रतिबंधात्मक पद्धति के प्रयोग करने से कोई क्षति हुई है अथवा खरीदे गये सामान में यदि कोई खराबी है या फिर किराये पर ली गई या उपभोग की गई सेवाओं में कमी पाई गई है या फिर विक्रेता ने उपभोक्ता से प्रदर्शित मूल्य अथवा लागू कानून द्वारा अथवा इसके मूल्य से अधिक मूल्य लिया है तो ऐसा करना उपभोक्ता सेवा में कमी की परिधि में आएगा।
सकती हैं।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
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मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। राज्य में मैतेई और कुकी आदि समूहों में खूनी टकराव की स्थिति बनी हुई है। राज्य की स्थिति को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। जितना जल्दी हो सरकार को कड़े फैसले करने होंगे।
मणिपुर हाईकोर्ट ने 27 मार्च को दिए अपने फैसले पर पुनर्विचार याचिका स्वीकार कर ली है और इस संबंध में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इस घटनाक्रम की अहमियत इस मायने में है कि हाईकोर्ट के 27 मार्च को दिए गए इस फैसले के बाद से ही राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच तनाव का मौजूदा दौर शुरू हुआ जो देखते देखते भीषण हिंसा का गवाह बन गया। इस फैसले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मैतेई समुदाय को एसटी स्टेटस देने की सिफारिश करे। ऐसे में इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका का स्वीकृत होना स्वाभाविक ही सबका ध्यान खींच रहा है। मगर याद रखना चाहिए कि यह किसी सरकार का अपने किसी फैसले पर दोबारा विचार के लिए तैयार होने का मामला नहीं है। चूंकि हाईकोर्ट ही अपने फैसले की समीक्षा कर रहा है इसलिए उसकी कसौटी न्याय भावना और संविधान, कानून, परंपराएं तथा उनकी व्याख्या ही होगी। फिर भी, हाईकोर्ट ने 27 मार्च के फैसले पर दोबारा विचार की प्रक्रिया शुरू कर दी है, यह सूचना मौजूदा हालात में कम महत्वपूर्ण नहीं। एक तो इससे 27 मार्च के फैसले पर तत्काल अमल की अनिवार्यता टल गई है और दूसरे इससे यह संकेत भी मिला है कि न्यायपालिका के रवैये में खुलापन है, वह इस संबंध में किसी खास रुख को लेकर अड़ी हुई नहीं है।
मौजूदा हालात में जब राज्य के मैतेई और कुकी आदि समूहों में खूनी टकराव की स्थिति बनी हुई है, यह पॉजिटिव संकेत काफी उपयोगी हो सकता है। इसके जरिए विभिन्न तबकों के बीच बढ़ गई दूरी को कम करने की कोशिश की जा सकती है। लेकिन राज्य में फिलहाल सबसे बड़ा संकट ही यही है कि कोई ऐसी संस्था नहीं नजर आती जो समूची आबादी में विश्वास जगा सके। विभिन्न जाति समूहों से जुडे संगठनों की बात तो दूर रही, सुरक्षा बलों, कानून व्यवस्था की एजेंसियों और यहां तक कि सरकार की भूमिका को लेकर भी लोगों की राय बंटी हुई दिख रही है। खुद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनकी सरकार भी सवालों के घेरे में हैं। आलम यह है कि बीजेपी के विधायकों की ओर से भी इस सरकार पर न केवल पक्षपात के आरोप लगाए जा रहे हैं बल्कि इसे हटाने की भी जरूरत बताई जा रही है। हालांकि राज्य में अभी जिस तरह का तनाव भरा माहौल है उसमें कभी-कभी सरकार की निष्पक्ष कार्रवाई भी पक्षपातपूर्ण मान ली जाती है। लेकिन आज जब इस सीमावर्ती संवेदनशील राज्य में पहली जरूरत शांति कायम करने की है तो सही हो या गलत आम धारणा को ज्यादा समय तक अनदेखा नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार को समझना चाहिए कि उसे सख्त फैसले लेने होंगे, इससे पहले कि उनकी भी सार्थकता समाप्त होने लगे।
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यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Arsenic Trioxide की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Arsenic Trioxide की खुराक अलग हो सकती है।
।किशोरावस्था(13 से 18 वर्ष)
।बच्चे(2 से 12 वर्ष)
क्या Arsenic Trioxide का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
गर्भवती स्त्रियों पर Arsenic Trioxide के कई खतरनाक दुष्प्रभाव होते हैं, इसलिए इसको बिना किसी डॉक्टरी सलाह के न लें।
क्या Arsenic Trioxide का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
Arsenic Trioxide को लेने वाली जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं, उन पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव होते है। इसलिए आपको डॉक्टर से पूछने के बाद ही इसे लेना चाहिए।
Arsenic Trioxide का प्रभाव गुर्दे पर क्या होता है?
Arsenic Trioxide से किडनी प्रभावित हो सकती है। आप भी दवा से साइड इफेक्ट महसूस करें तो दवा लेना तुरंत बंद कर दें। चिकित्सक से सलाह के बाद ही इसे दोबारा लें।
Arsenic Trioxide का जिगर (लिवर) पर क्या असर होता है?
Arsenic Trioxide का सेवन करने से आपके लीवर पर हानिकारक परिणाम दिख सकते हैं, ऐसा ही कुछ आप भी महसूस करें तो दवा को लेने से बचें और अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
क्या ह्रदय पर Arsenic Trioxide का प्रभाव पड़ता है?
हृदय पर Arsenic Trioxide का हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है, ऐसी कोई स्थिति होने पर आप दवा न लें और इस बारे में अपने डॉक्टर से अच्छे से पुष्टी करने के बाद ही यह दवा लें।
क्या Arsenic Trioxide आदत या लत बन सकती है?
नहीं, Arsenic Trioxide लेने से कोई लत नहीं पड़ती। फिर भी, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर ही Arsenic Trioxide का इस्तेमाल करें।
क्या Arsenic Trioxide को लेते समय गाड़ी चलाना या कैसी भी बड़ी मशीन संचालित करना सुरक्षित है?
नहीं, आप ऐसा कोई भी काम न करें, जिसमें दिमाग के सक्रिय होने की आवश्यकता होती हो। Arsenic Trioxide लेने के बाद किसी मशीन पर काम करने या वाहन चलाने से आपको दूरी बनानी होगी।
क्या Arsenic Trioxide को लेना सुरखित है?
हां, परंतु इसको लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
क्या मनोवैज्ञानिक विकार या मानसिक समस्याओं के इलाज में Arsenic Trioxide इस्तेमाल की जा सकती है?
मस्तिष्क विकारों में Arsenic Trioxide काम नहीं कर पाती है।
क्या Arsenic Trioxide को कुछ खाद्य पदार्थों के साथ लेने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
कई दवाओं को खाने के साथ ही लिया जाता है। Arsenic Trioxide को भी आप भोजन के साथ ले सकते हैं।
जब Arsenic Trioxide ले रहे हों, तब शराब पीने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्या?
Arsenic Trioxide व शराब का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
US Food and Drug Administration (FDA) [Internet]. Maryland. USA; Package leaflet information for the user; TRISENOX™ (arsenic trioxide)
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जैनधर्म की प्राचीनता मोर मोकमत
शिवशिवलिंग पर जटाजूटधारी शिव की चारमुख वाली मूर्तियां भी पुरातत्व संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। ऐसी एक प्रतिमा लखनऊ के पुरातत्त्व संग्रहालय में भी सुरक्षित है। श्री ऋषभ देव आादि सब तीर्थ कर जब समवसरण में बैठकर धर्मोपदेश देते हैं, उस समय उनके चारों तरफ एक-एक (चार) मुख दीख पड़ते हैं ।
( २५) शिव और मृगचर्म
शिव की कतिपय मूर्तियों और चित्रों में बायें कन्धे से लेकर कटि तक मृगचर्म भी मंकित होता है। श्री ऋषभदेव ने जब मुनि दीक्षा ग्रहण की थी तो प्राचीन जैनागमों के अनुसार लगभग १ वर्ष तक उनके बांयें कन्धे पर देवदूष्य वस्त्र रहा था तत्पश्चात् वस्त्र न रहने से वे नग्न रहे। इस देवदृष्य वस्त्र ने शिवोपासना तांत्रिकों के हाथों पड़ जाने से शिव मूर्तियों पर मृगचर्म अंकन का स्थान प्राप्त कर लिया ।
(२६) शिव और ऋषभ को पूजा विधि में एक रूपता -
अग्नि पुराण में शिव की पूजा का विधान इस प्रकार किया हैपत्रः पुष्पैः फलंर्वापि जलेब विमलंः सवा । कनवोरः पूज्यमानः शंकरो वरदो भवेत् ॥
अर्थात् पत्र, पुष्प, फल, निर्मल जल, सुगन्ध नैवेद्य आदि से शिव की पूजा करने से वरदाई होता है। इसी प्रकार श्री ऋषभादि अहंतों की पूजा भी जल, सुगंध, पुष्प, फल, नैवेद्य आदि अष्ट द्रव्यों से होती है ।
(२७) ऋषि पंचमी, यह ऋषभ पंचमी होनी चाहिये
भादों सुदि पंचमी जैनेतरों में ऋषि पचमी के रूप में सर्वमान्य है । जैन परंपरा में यह पंचमी सांवत्सरिक पर्व मानी जाती है। जैन परम्परा में यह पर्व सर्व पर्वों में उत्तम, उत्कृष्ट और आध्यात्मिक होने के कारण पर्वाधिराज माना जाता है। यही पर्व वैदिक ब्राह्मण परम्परा में ऋषि पंचमी के रूप में प्रति पवित्र माना जाता है । यह पंचमी किसी एक अथवा अनेक वैदिक परम्परा के ऋषियो की स्मृति रूप में मनाई जाती हो, इस का कोई विवरण ( प्रमाण ) उपलब्ध नहीं है । दूसरी तरफ जैन (प्रार्हत्) इसी पंचमी को सावत्सरिक पर्व मान कर इसे महापर्व से नामांकित करते हैं। इसदिन सर्वोत्तम श्राध्यात्मिक जीवन का अनुभव करने के लिये मुमुक्ष प्रयत्नशील रहते हैं । मुझे लगता है कि जैन और वैदिक परम्परा के जुदा-जुदा नाम के एक ही दिन में मनाये जाने वाले दोनों पर्व भादों सुदी पंचमी को मानने की मान्यता किसी समान तत्त्व में है और यह तत्त्व मेरी दृष्टि से ऋऋषभदेव के स्मरण के लिये है । एक अथवा दूसरे कारण से वैदिक प्रार्य जाति में ऋषभ
1. जैन शास्त्रो में वर्णन है कि तीर्थ कर केवलज्ञान पा लेने पर स्वयं देवताओं द्वारा निर्मित समवसरण ( व्याख्यान मंच) पर पूर्व दिशा में मुख करके बैठते हैं तथा दक्षिण, पश्चिम और उत्तर इन दिशाम्रो में उस तीर्थ कर के देवता ऐसे प्रतिबिम्बों की रचना कर विराजमान कर देते हैं जो साक्षात् तीर्थंकर हो मालूम पड़ते हैं। सब् प्रभु चतुमुच मालूम पड़ते हैं। |
लाइव हिंदी समाचार (हेल्थ कार्नर ) :- काली मिर्च का इस्तेमाल हम अपनी रोजमर्रा की जीवन में अक्सर करते ही रहते हैं. कभी हम इसका यूज खाने को तीखा बनाने में करते हैं, तो कभी शिकंजी बनाने में. यदि बात की जाए काली मिर्च के फायदों की तो यह ना सिर्फ खाना टेस्टी बनाने में सहायता करती है, साथ ही यह हमारे शरीर को कई रोगों से भी दूर रखने मे हमारी काफी सहायता करती है.
इसलिए आज हम आपको काली मिर्च का सेवन करने से होने वाले कुछ ऐसे फायदों के बारे में बताएंगे जिन्हें पढ़कर आप यह जान पाएंगे की काली मिर्च का सेवन करना हमारे लिए कितना जरूरी है. तो चलिए दोस्तों जानते हैं काली मिर्च का सेवन करने से हमें क्या-क्या लाभ होते हैं.
- जोड़ों के दर्द के लिए लाभकारी :- अगर नियमित रूप से काली मिर्च का सेवन किया जाए तो, यह हमारे शरीर में होने वाले जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी समस्याओं को दूर रखने में सहायता करती है. क्योंकि काली मिर्च में एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी अर्थराइटिस जैसे गुण पाए जाते हैं, जो जोड़ों के दर्द और गठिया जैसे रोग की परेशानी को दूर करने में काफी मददगार होते हैं.
- वजन कम करने में लाभकारी :- प्रतिदिन काली मिर्च का सेवन करने से हमारे शरीर का वजन कम होता है साथ ही हमारे शरीर का पाचन तंत्र भी मजबूत होता है. क्योंकि काली मिर्च में पाइपरीन और एंटीओबेसिटी जैसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर की स्थूलता कम करने में हमारी सहायता करते हैं.
- मस्तिष्क के लिए लाभकारी :- यदि रोजाना नियमित रूप से काली मिर्च का सेवन किया जाए तो इससे हमारे मस्तिष्क से संबंधित रोगों से भी निजात मिलता है. क्योंकि काली मिर्च में मेथेनॉलिक अर्क और एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण पाए जाते हैं जो हमारी मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में हमारी काफी सहायता करते हैं, जिससे अल्जाइमर जैसी रोग होने का खतरा कम हो जाता है साथी ही हमारी याददाश्त शक्ति भी बढ़ती है.
- सर्दी जुकाम में लाभकारी :- अगर किसी आदमी को सर्दी या जुखाम की परेशानी हो और वह ऐसे में काली मिर्च का सेवन करता है, तो उसे सर्दी जुखाम से शीघ्र ही राहत मिलती है. क्योंकि काली मिर्च में पाइपरीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो सर्दी जुकाम को दूर रखने में काफी लाभकारी होता है. साथी काली मिर्च का सेवन करने से गले की खराश भी दूर हो जाती है.
- कोलेस्ट्रोल कम करने में लाभकारी :- जिन व्यक्तियों के शरीर में कोलेस्ट्रोल अधिक बनने की परेशानी होती है, यदि वह लोग रोजाना काली मिर्च का सेवन करें तो इससे उनके शरीर का कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहेगा. क्योंकि काली मिर्च में पाइपरीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण रखने में काफी अहम किरदार निभाता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकता है.
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दिल्ली. टोयोटा मोटर कॉर्प ने घोषणा की है कि वह अमेरिका में अपनी कुछ इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति सीरीज लाने के प्रयास में उत्तरी कैरोलिना में एक नई 1. 29 बिलियन डॉलर की लागत से बैटरी फैक्ट्री का निर्माण कर रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार, टोयोटा ने घोषणा की है कि वह अगले दशक में बैटरी तकनीक में करीब 13. 6 अरब डॉलर का निवेश करेगी, उत्पादन में 9 अरब डॉलर का निवेश शामिल है. क्योंकि यह अपने वाहन लाइनअप को विद्युतीकृत करने का प्रयास करता है.
नया संयंत्र शुरू में सालाना 8 लाख वाहनों के लिए लिथियम-आयन बैटरी की आपूर्ति करने में सक्षम होगा. पहले वर्ष में, फर्म इलेक्ट्रिक वाहनों के आगामी लाइनअप के लिए 1. 2 मिलियन बैटरी पैक का उत्पादन करने की योजना बना रही है.
नई विनिर्माण इकाई से 1,750 नए अमेरिकी रोजगार सृजित होने की उम्मीद है. ऑटोमेकर ने इस बात पर जोर दिया कि वह बैटरी के उत्पादन के लिए नई सुविधा में 100 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है. इससे पहले, टोयोटा की सहायक कंपनी वोवन प्लैनेट ने घोषणा की कि उसने लेवल 5 का अधिग्रहण पूरा कर लिया है, जो राइडशेयर दिग्गज लाइफ्ट का सेल्फ-ड्राइविंग डिवीजन है.
लेवल 5 2017 में गठित लाइफ्ट का एक डिवीजन है, जो विशेष रूप से सेल्फ-ड्राइविंग तकनीकों के लिए समर्पित है. चार वर्षों में, सेल्फ-ड्राइविंग डिवीजन अपने चौथी पीढ़ी के प्लेटफॉर्म के सार्वजनिक सड़क परीक्षण तक पहुंच गया है.
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गुरदासपुर। पाकिस्तान के साथ जम्मू कश्मीर से गुजरात तक लगती सीमा को हाईटेक किया जा रहा है और आने वाले समय में सीमा अभेद्य कर दी जाएगी। ये कहना है केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू का। उन्होंने कहा कि देश की समस्याओं के लिए कांग्रेस का लंबा कार्यकाल जिम्मेदार है और देश में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग ही देश को बरबाद करने पर तुले हैं। वे रविवार को आरएसएस नेता रामप्रकाश प्रभाकर की 25वीं बरसी पर करवाए गए बलिदान दिवस में शिरकत करने गुरदासपुर के कदिया कस्बे में पहुंचे थे। जहां उन्होंने उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि जब से भाजपा सरकार बनी है। उनके खुद के इलाके आंध्रप्रदेश में आतंकवाद कम हुआ है। भारत में हो रही घुसपैठ को लेकर उन्होंने कहा कि इसके लिए कंाग्रेस जिम्मेदार है। जो भारत में घुसपैठ कराया करती थी। खुद बांग्लादेश के एक बड़े नेता ने उन्हें 2004 में इसके बारे में बताया था। आरएसएस नेता रामप्रकाश प्रभाकर की 25वीं बरसी पर करवाए गए बलिदान दिवस में भाजपा नेताओं के साथ, अकाली नेता और कई धार्मिक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होने पहुंचे। जिन्हेांने सभी से एकता और हिंदू सिख भाईचारे की एकता का संदेश दिया।
साली के प्यार के लिए पत्नी की कर दी हत्या. . . जानें फिर क्या हुआ ?
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मुंबईः 200 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग केस को लेकर सुकेश चंद्रशेखर जेल में बंद है। अब सुकेश चंद्रशेखर ने जेल में बैठे एक और सनसनीखेज दावों के साथ चिट्ठी तैयार की। इस बार ये चिट्ठी सुकेश ने नोरा फतेही और जैकलीन फर्नांडीज के बीच विवाद को लेकर लिखी है। सुकेश ने दावा किया है कि नोरा फतेही ने आर्थिक अपराध ब्यूरो के सामने अपना बयान बदल दिया था। सुकेश ने ये भी कहा कि नोरा की इच्छा थी कि मैं जैकलीन को छोड़ दूं। मेरे बार-बार मना करने के बावजूद नोरा मुझे परेशान करती रही थी।
चिट्ठी में सुकेश ने आगे लिखा- जैकलीन और मैं गंभीर रिलेशनशिप में थे। यही कारण था कि नोरा, जैकलीन से जलती थी। नौरा मुझे जैकलीन के खिलाफ भड़काती थी। साथ ही वो मेरा ब्रेनवॉश कर रही थी। नौरा की इच्छा थी कि मैं जैकलीन को छोड़ दूँ। आगे सुकेश ने लिखा है कि निक्की तम्बोली और चाहत खन्ना केवल मेरे पेशेवर सहयोगी थे। वो सिर्फ मेरे प्रोडक्शन में काम किया करते थे।
दरअसल, इस पूरे मामले की शुरुआत ठग सुकेश चंद्रशेखर से संबंधित 200 करोड़ की मनी लॉन्डरिंग केस से हुई है, जिसमें जैकलीन का नाम भी जोड़ा गया है। अभिनेत्री पर कई आरोप लगे हैं। जिसमें कहा गया है कि उन्होंने सुकेश से कार और कई बहुमूल्य तोहफे लिए हैं। इस मामले में ईडी और दिल्ली पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है की एक्ट्रेस ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने स्वीकारपूर्वक बताया है कि वह सुकेश चंद्रशेखर से कई महंगे तोहफे ले चुकी हैं।
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मिस यूनिवर्स का खिताब इस बार जोजिबिनी टूंजी ने जीता है। साउथ अफ्रीका की जोजिबिनी अपने आप में बहुत खास हैं। उनकी शख्सियत के बारे में जानें।
मिस यूनिवर्स 2019 का खुलासा हो गया है। इस साल दक्षिण अफ्रीका की सुंदरी जोजिबिनी टुंजी ने ये खिताब अपने नाम किया है। इस साल के मिस यूनिवर्स इवेंट में 90 देशों की सुंदरियां आई थीं और उन सभी को पछाड़ते हुए टुंजी ने ये खिताब अपने नाम कर लिया। जोजिबिनी की शख्सियत बहुत बड़ी है और उनके जवाब सुनकर सभी जज उनके कायल हो गए थे।
जोजिबिनी को मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने से पहले एक सवाल का जवाब देना था। उनका सवाल था 'वो कौन सी जरूरी चीज़ है जो आप आजकल की युवा लड़कियों को सिखाना चाहती हैं। '
इसका जवाब उन्होंने बहुत दृढ़ता के साथ दिया। टुंजी ने कहा, 'सबसे ज्यादा जरूरी चीज़ जो मैं युवा लड़कियों को सिखाना चाहती हूं वो वो है जिसको लेकर लड़कियां लंबे समय से वंछित रही हैं। इसलिए नहीं क्योंकि लड़कियां चाहती नहीं हैं बल्कि इसलिए क्योंकि लड़कियों के लिए समाज ने एक लेबल लगा दिया है। मुझे लगता है कि हम सबसे ताकतवर जीव हैं इस दुनिया के और हमें हर मुमकिन अवसर मिलना चाहिए। यही हमें युवा लड़कियों को भी सिखाना चाहिए कि ऊपर उठें और आगे बढ़ें। समाज में अपनी जगह बनाने से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं। '
इतना ही नहीं टुंजी ने रंगभेद को लेकर भी काफी कुछ कहा, 'मेरे जैसे रंग, मेरी स्किन, मेरे जैसे बालों को सुंदर नहीं माना जाता। मैं बड़े होते हुए खुद को सुंदर नहीं मानती थी। बच्चे जो खोखले ब्यूटी स्टैंडर्ड के आगे चलते हैं वो मुझमें अपना अक्स देखें। '
ग्लोबल आइकन ओप्रा विनफ्रे ने भी उनके जवाब को शेयर किया।
इतना ही नहीं जोंजिबिनी के मिस यूनिवर्स का खिताब जीतते ही वो सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड होने लगीं।
जोंजिबिनी की खासियत ये थी कि उन्होंने न ही अपने बाल बदले न ही खुद को बदला और वो हमेशा महिला सशक्तिकरण की बातें करती आई हैं। किसी भी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में एक तय सीरत और सूरत वाली लड़की को लिया जाता है, लेकिन जोंजिबिनी ने ये सब कुछ बदल कर रख दिया।
खूबसूरती के मायने कई मामलों में तय किए जाते हैं लेकिन जोंजिबिनी ने युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा बनने का काम किया है। 26 साल की जोंजिबिनी जेंडर इनिक्वालिटी को लेकर काफी सक्रीय हैं और महिलाओं के अधिकारों को लेकर काम करती हैं। जोंजिबिनी को मिस साउथ अफ्रीका 2019 का खिताब मिला था। वो साउथ अफ्रीका की तीसरी महिला हैं जिन्हें ये खिताब मिला है और लीला लोप्स के बाद पहली ब्लैक वुमेन जिन्हें ये खिताब मिला है। लीला लोप्स को 2011 में मिस यूनिवर्स चुना गया था।
मिस यूनिवर्स का खिताब जीतना बहुत गर्व की बात है और जोंजिबिनी ने ये जीतकर कई लोगों का दिल भी जीत लिया है।
आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia. com पर हमसे संपर्क करें।
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एसआई कन्हैया राय वाहनों की चेकिंग करते हुए।
जौनपुर। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी के निर्देश पर यातायात पुलिस द्वारा रोजाना विशेष चेकिंग अभियान चलाकर लोगों को यातायात के प्रति जागरूक करने के साथ साथ चालान व जुर्माना वसूलने का कार्य किया जा रहा है। जनपद में लोग यातायात नियमों को ठीक तरीके से जान पाए साथ ही लोग यातायात नियमों का ठीक तरीके से पालन करे। इसी क्रम में शुक्रवार को नवाब यूसुफ रोड पर एसआई यातायात पुलिस कन्हैया राय द्वारा चेकिंग अभियान के दौरान दर्जनों वाहनों का चालान किया गया। साथ ही मामूली गलती पर उन्हें देकर छोड़ने के साथ साथ हेलमेट लगाकर चलने की शपथ दिलाई गई। जिससे कि न सिर्फ उनकी जान बच सके और हादसों में कमी हो।
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प्यार का हफ्ता आज से शुरू हो गया है। कपल वैलेंटाइंस वीक के लिए काफी एक्साटिड है। 7 फरवरी यानी आज से 14 फरवरी तक का समय कुछ राशि वालों के लिए बेहद शानदार रहने वाला है। वहीं कुछ राशि वालों के लिए दिल तोड़ने जैसा रहेगा। चलिए आपको बताते है कि सभी 12 राशियों के जातकों के लिए लव और रिलेशनशिप के मामले में ये वीक कैसा रहेगा।
मेष- वैवाहिक जीवन में आपकी कामुकता आपके जीवन साथी को कुछ असहज अनुभव कराएगी। प्रेम प्रगाढ़ होता है जब दोनों साथ बैठकर अपने मन की बात कहते हैं। शरीर से अधिक उनके दिल के करीब जाने का प्रयास करें। वैवाहिक जीवन की आंतरिक बातें किसी दूसरे से कहने से बचें अन्यथा जीवनसाथी के क्रोध के पात्र बन सकते हैं।
वृषभ- यह सप्ताह अपने अंदर के प्रेमी को पहचानने के लिए उत्तम है। परिवार में किसी विवाद के कारण आपका मन कुंठित रहेगा। आपका प्रेम कितना प्रगाढ़ है इसका निर्णय सप्ताह के अंत तक होगा। राहु की नकारत्मकता से बचते हुए अपने जीवनसाथी पर विश्वास करेंगे तो सभी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी।
मिथुन- जीवनसाथी की ओर से कोई शुभ समाचार प्राप्त होगा। सप्ताह के मध्य में कुछ पुराने झगड़े सुलझेंगे, जिससे सबंध और प्रगाढ़ होंगे। जीवनसाथी से थोड़ी बहुत बहस हो सकती है पर उससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा।
कर्क- मुश्किलों में साथ दे वो ही तो परफेक्ट जीवनसाथी है, इस पंक्ति को अपनी जिंदगी में चरितार्थ होता देखेंगे। प्रेम विवाह के योग बन रहे हैं अतः विचार न करे और अपने दिल की बात उनसे कह दें। यदि विवाहित हैं तो इस सप्ताह पुनः प्रेम परवान चढ़ेगा और आपको वैवाहिक सुख प्राप्त होगा।
सिंह- कोई अनजान चेहरा जीवन में आकर आपको खुशियों से भर देगा। जीवनसाथी यदि आपकी जरूरतों को नहीं समझ पा रहे हैं तो आप खुलकर अपनी बात कहें और संबंधो को बेहतर बनाएं।
कन्या- यदि अविवाहित हैं तो सप्ताह के अंत तक किसी खास से मुलाकात हो सकती है। वैवाहिक जीवन में कुछ तनाव रहेगा। किसी रोमांटिक जगह घूमने जा सकते हैं। क्रोध पर काबू रखें अन्यथा इस सप्ताह संबंध टूट भी सकता है।
तुला- किसी से प्रेम करते हैं तो दिल की बात कहने से बचना बेहतर होगा अन्यथा निराशा हाथ लग सकती है। विवाहित हैं तो साथ में समय व्यतीत करें। कहीं घूमने का प्लान बन सकता है। याद रखें आप दोनों का साथ महत्वपूर्ण है, जगह नहीं।
वृश्चिक- इस सप्ताह पुराने झगड़े सुलझेंगे। लव कपल शादी के बंधन में बंध सकते हैं। व्यस्तता के चलते जीवनसाथी को अधिक समय नहीं दे पाएंगे परन्तु सप्ताह के अंत में किसी शुभ समाचार से दिल झूम उठेगा।
धनु- एक मजाक जी का जंजाल बन सकता है। पड़ोसी या रिश्तेदार आप दोनों के बीच दरार डालने का प्रयास करेंगे। अपने दिल की बात खुलकर अपने जीवन साथी को बताएं इससे प्यार बढ़ेगा।
मकर- कार्यों की व्यस्तता के कारण अपने जीवनसाथी को अधिक समय नहीं दे पाएंगे जिससे संबंधो में दूरियां बनेंगी। सप्ताह के अंत में कहीं घूमने का प्लान बना सकते हैं इससे संबंध सुधरेंगे।
कुम्भ- इस सप्ताह प्रेम में डूबे रहेंगे। जीवनसाथी से कोई गिफ्ट मिल सकता है जो आपके मन को नई उड़ान देगा। सप्ताह के मध्य में किसी अन्य के कारण आपके संबंध में क्लेश हो सकता है।
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बुलंदशहरः आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंचे बुलंदशहर।
बुलंदशहरः आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंचे बुलंदशहर।
बुलंदशहर की विधानसभा शिकारपुर क्षेत्र के कस्बा पहासू में संजय सिंह जनसभा कर रहे है सम्बोधित।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर बरसे राज्यसभा सांसद संजय सिंह।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार और केंद्र सरकार ने जनता के साथ धोखा और छल किया है।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद ने कहा अगर उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार आती है तो दिल्ली की तर्ज पर होगा उत्तर प्रदेश का विकास।
सांसद संजय सिंह ने कहा योगी मोदी के कहने से नहीं बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान से चलेगा देश।
सांसद संजय सिंह ने कहा उत्तर प्रदेश के स्कूलों में कोई पढ़ाई नहीं की जाती है, लेकिन दिल्ली के स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान को सिखाया जाता है।
संजय सिंह ने कहा सरकार ने 21 मुकदमा दर्ज कराई है, क्योंकि मैंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था।
सांसद संजय सिंह चौहान बीजेपी सरकार भगवान राम की नहीं हुई आम जनता की क्या होगी।
सांसद संजय सिंह ने बीजेपी सरकार को चंदा चोर बताया।
संजय सिंह ने कहा बीजेपी सरकार बेईमानों की सरकार है।
संजय सिंह ने कहा बीजेपी के संविधान बदल रहे हैं।
संजय जी ने कहा अगर कोई भी बाबासाहेब के संविधान को बदलने की कोशिश करेगा तो मैं उसके साथ सामने आ कर लड़ूंगा।
संजय सिंह ने कहा दिल्ली में पहले स्कूलों में बहुत ज्यादा गंदगी होती थी। आज हमारी सरकार में स्कूल एयर कंडीशन बने हुए हैं।
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नई दिल्ली : सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर फिर एक बार देश की राजनीति में उबाल आ गया है। अभी ऐसा महसूस हो रहा था कि इस मामले में ठंडक पड़ गई है लेकिन कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुये सर्जिकल स्ट्राइक के मामले की आग की बुझी चिंगारी को हवा दे दी है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुये यह पूछा है कि वे यह बतायें कि सर्जिकल स्ट्राइक का दावा करने वालों में से सच्चा कौन है।
कांग्रेस ने यह भी कहा है कि यदि हिम्मत हो तो सच्चाई सामने लाई जाये। कांग्रेस के महासचिव दिग्जिवसिंह ने यह कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय लेने वाले यह दावा कर रहे है कि ऐसा पहली बार ही हुआ है, लेकिन यह सरासर गलत है। दिग्गी ने कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइल यूपीए सरकार के दौरान भी हुये है।
गौरतलब है कि बीते दिन मोदी सरकार के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने संसदीय समिति की बैठक में यह जानकारी दी थी कि सर्जिकल स्ट्राइक मोदी सरकार के ही कार्यकाल में हुआ है, लेकिन अब इस मामले में कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। दिग्गी का कहना है कि सर्जिकल स्ट्राइक यूपीए सरकार के भी कार्यकाल में हुआ था लेकिन देश की सुरक्षा के कारण इस बात को सार्वजनिक नहीं किया जा सका था।
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किसी भी खास मौके पर सितारों की पुरानी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगती हैं। अब एक ऐसी ही अभिनेत्री की तस्वीर सामने आई है जिनके अभिनय का लोहा हर कोई मानता है।
ये अभिनेत्री कोई और नहीं तब्बू हैं। 4 नवंबर को तब्बू ने अपना 48वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया। इस मौके पर बॉलीवुड के कई दूसरे सितारों ने सोशल मीडिया पर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। तब्बू की बहन फरहा नाज ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर बचपन की तस्वीर शेयर की जिसमें दोनों बहनें नजर आ रही हैं। तब्बू हूबहू अपनी मां की तरह नजर आती हैं। बचपन की एक अन्य तस्वीर में तब्बू की मां दोनों बेटियों को गोद में लिए हुए हैं।
1980 में फिल्म 'बाजार' से डेब्यू करने वालीं तब्बू ने अपने करियर में तरह-तरह के किरदार निभाए और पॉपुलर हो गईं। फिल्मी बैकग्राउंड होने की वजह से तब्बू का रुझान बचपन से ही फिल्मों की तरफ था। यही वजह थी कि काफी कम उम्र में ही उन्होंने फिल्मों में एंट्री ले ली थी। देव आनंद ने फिल्म 'हम नौजवान' (1985) में तब्बू को मौका दिया। उस वक्त तब्बू महज 14 साल की थीं और इतनी छोटी-सी उम्र में उन्होंने फिल्म में एक दुष्कर्म पीड़िता का किरदार निभाया। इस किरदार में तब्बू ने दर्शकों को अंदर तक झकझोर दिया और अपना मुरीद बना लिया। इसके बाद तो फिर तब्बू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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हरियाणा विधानसभा में बुधवार को अरावली संशोधन बिल (पंजाब भू संरक्षण अधिनियम 1900) पास हो गया। इससे गुड़गांव, फरीदाबाद व दिल्ली पर गहरा असर पड़ेगा। अब दक्षिण हरियाणा में 70 हजार एकड़ जंगल का हिस्सा अरावली रेंज से बाहर हो गया। इससे भारी मात्रा में अरावली के अंदर निर्माण हो जाएंगे, जिससे ईको सिस्टम पूरी तरह से खराब हो जाएगा। पर्यावरण बिगड़ने के अलावा अरावली में वास करने वाले वन्यजीवों को भी नुकसान होगा। उधर सरकार के इस फैसले के विरोध में बुधवार सुबह पर्यावरणविदों ने हूडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन पर प्रदर्शन किया और कहा कि वह बिल के विरोध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट जाएंगे।
गौरतलब है कि अरावली रेंज काफी पुरानी श्रृंखलाओं में से एक है। दक्षिण हरियाणा के पांच जिलों गुड़गांव, मेवात, फरीदाबाद, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ में इसका दायरा फैला है। इसका कुल दायरा लगभग 180 वर्ग किमी है। सरकार ने इसमें संशोधन कर करीब 70 हजार एकड़ जंगल को अरावली बाहर कर दिया। इसके विरोध में पिछले दिनों पर्यावरणप्रेमियों ने खुशबू चौक पर मानव श्रृंखला बनाकर रोष जताया था। विधानसभा में बिल पास होने पर बुधवार सुबह और शाम में लोगों ने हूडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन पर प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया गया कि अरावली को उजाड़ा जा रहा है। गुरुवार को सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन पर प्रदर्शन किया जाएगा।
पर्यावरणविद् आकाश जैन ने कहा कि प्रदूषण लेवल इतना है कि कई बार सांस लेना मुश्किल हो जाता है, लेकिन यदि इतने बड़े हिस्से में अरावली को नष्ट कर दिया तो हालात और बदतर हो जाएंगे। इस बिल के विरोध में हाई कोर्ट जाएंगे। पर्यावरणविद् चेतन अग्रवाल ने कहा कि यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले 5 से 10 साल के अंदर इसका नुकसान दिखना शुरू हो जाएगा। ग्राउंड वॉटर अभी काफी नीचे है। अरावली रिचार्ज जोन है। यदि पानी रिचार्ज नहीं हुआ तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। डॉ. सारिका वर्मा ने कहा कि पब्लिक और पर्यावरण के लिए यह संशोधन ठीक नहीं है। प्रदर्शन में शामिल वीना पद्माभान और लतिका ने कहा कि मैं अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हूं। यदि हरियाली कट गई तो ऑक्सिजन कहां से आएगा। हम सबको इसे बर्बाद होने से बचाने के लिए एकजुट होना होगा।
इसका असर वन्यजीवों पर भी पड़ेगा। 2017 सर्वे रिपोर्ट की मानें तो अरावली में सबसे ज्यादा तेंदुओं, लकड़बग्घों और गीदड़ों की संख्या में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक फरीदाबाद और गुड़गांव जिलों के अंतर्गत आने वाले घामरोज, भोंडसी, रायसीना, मांगर, गोठड़ा, बड़खल, कोटला, कंसाली, नीमतपुर, खोल और पंचोटा में तेंदुओं और लकड़बग्घों की स्थिति काफी बेहतर है।
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स्पोर्ट्स डेस्क- आईपीएल सीजन-12 में सोमवार को एक ही मुकाबला खेला गया, मैच किंग्स इलेवन पंजाब और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच खेला गया, ये मुकाबला मोहाली के मैदान पर था जहां किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने एक रोमांचक मुकाबले में 6 विकेट से मैच अपने नाम कर लिया.
151 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने रोमांचक घमासान में 1 गेंद रहते 4 विकेट खोकर मैच अपने नाम कर लिया. किंग्स इलेवन पंजाब की टीम जब टारगेट का पीछा करने उतरी तो क्रिस गेल 14 गेंद में महज 16 रन बनाकर आउट हो गए, जिसके बाद लोकेश राहुल और मयंक अग्रवाल ने मोर्चा संभाला. दोनों ही बल्लेबाजों ने एक बड़ी और सधी साझेदारी की, जो टीम को जीत दिलाने के लिए काफी रही, हलांकि मयंक अग्रवाल 43 गेंद में 55 रन की पारी खेलकर आउट हो गए, लेकिन लोकेश राहुल ने एक छोर से मोर्चा संभाले रखा, और आखिर में टीम को जीत दिलाकर ही वापस लौटे. लोकेश राहुल ने 53 गेंद में नाबाद 71 रन की पारी खेली, जिसमें 7 चौका और 1 सिक्सर लगाया, डेविड मिलर 1 रन बनाकर, और मंदीप सिंह 2 रन बनाकर आउट हो गए.
सनराइजर्स के गेंदबाजों ने गेंदबाजी तो सधी की, लेकिन अफसोस टीम को जीत न दिला सके, सनराइजर्स के गेंदबाजों में 2 विकेट संदीप शर्मा ने हासिल किए, इसके अलावा 1 विकेट राशिद खान और 1 विकेट सिद्धार्थ कौल ने हासिल किए.
सनराइजर्स हैदराबाद की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 4 विकेट खोकर 150 रन बनाए. सनराइजर्स की ओर से एक बार फिर से डेविड वार्नर ने शानदार खेल दिखाया, और 62 गेंद में 70 रन की पारी खेली, जिसमें 6 चौका और 1 सिक्सर लगाया, इसके अलावा विजय शंकर ने 26 रन बनाए, 27 गेंद का सामना किया. मनीष पांडे ने 15 गेंद में 19 रन की पारी खेली, जॉनी बेयरस्टो 1 रन ही बनाकर आउट हो गए। मोहम्मद नबी ने 7 गेंद में 12 रन की पारी खेली. दीपक हुड्डा 3 गेंद में 14 रन बनाकर नाबाद रहे, दीपक हुड्डा ने अपनी इस पारी में 2 चौका और 1 सिक्सर लगाया.
किंग्स इलेवन पंजाब के गेंदबाजों में मुजीब उर रहमान, मोहम्मद नबी और आर अश्विन तीनों ही गेंदबाजों ने 1-1 विकेट हासिल किया.
इस मैच के बाद प्वाइंट टेबल में किंग्स इलेवन पंजाब की टीम को बहुत फायदा हुआ, और वो सीधे छठवें नंबर से तीसरे पायदान पर आ गई, अब किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने 6 मैच में 4 मैच जीत लिए हैं तो वहीं 2 मैच में हार का सामना करना पड़ा है.
इसके अलावा सनराइजर्स हैदराबाद की टीम ने 6 मैच में 3 मैच हारे हैं और 3 मैच जीते हैं इसके साथ ही सनराइजर्स की टीम चौथे नंबर पर खिसक गई है.
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्लेन मैक्सवेल ने इस आईपीएल में 23 छक्के लगाए हैं।
बल्लेबाज फाफ डु प्लेसिस ने इस आईपीएल में 23 छक्के जड़े।
ज मयंक अग्रवाल ने कुल 18 छक्के लगाए हैं।
चेन्नई सुपर किंग्स के शानदार खिलाड़ी ऋतुराज गायकवाड़ ने इस आईपीएल में कुल 23 छक्के जड़े।
जड़े हैं।
के एल राहुल ने आईपीएल 2021 में कुल 30 छक्के लगाए।
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देशभर में कोरोना के नए मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. दिल्ली और मुंबई के बाद अब कोरोना ने केरल सरकार को चिंता में डाल दिया है. केरल में गुरुवार को कोविड-19 के 765 नए केस दर्ज किए गए. कोरोना के सबसे ज्यादा केस एर्नाकुलम और राजधानी तिरुवनंतपुरम में सामने आए हैं.
कोविड-19 के मामलों में तेजी आने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है. स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज के मुताबिक जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए ज्यादातर मामलों में ओमिक्रॉन पाया गया है. मंत्री ने जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं. केरल में फरवरी के दौरान कोरोना के मामले बहुत कम थे. लेकिन मार्च के महीने में मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने गुरुवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. मंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड-19 के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सभी जिलों को इससे निपटने के लि तैयारियां मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं. सभी जिलों ने कोविड मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए प्लान तैयार किया है. प्राइवेट अस्पतालों को पहले की तरह ही कोविड मामलों की सटीक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.
किन्हें सावधान रहने की जरूरत?
मंत्री ने कहा है कि डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां झेल रहे लोगों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और विशेष रूप से बच्चों को कोरोना से सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एक महीने के अंदर संक्रमण से 20 से ज्यादा मौत हो चुकी हैं. इनमें से ज्यादातर 60 साल से ज्यादा के हैं. आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों में भी ज्यादातर 60 साल की उम्र से ज्यादा के ही हैं.
मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा है कि निजी अस्पतालों के मुख्यालय को कोविड मरीजों के लिए अलग से बेड रिजर्व रखने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही केरल मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन (KMSCL) को जरूरत का अनुमान लगाने के लिए परीक्षण किट और सुरक्षा उपकरण तैयार करने का निर्देश दिया गया है. प्रदेश में तैयार आइसोलेशन वार्ड में कोविड मरीजों को भर्ती कर इलाज करने के निर्देश दिए गए हैं. मंत्री ने आइसोलेशन वार्डों को जल्द से जल्द पूरी तरह से चालू करने के लिए तैयार करने का निर्देश दिया है.
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उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम, देश से जुड़ी हर जरुरी खबर।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अभी थमता नहीं दिख रहा है। रूसी सेना के हमलों से हालात बेहत खराब हैं।
कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे महाराष्ट्र में लगातार कम होते मामलों को देखते हुए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने आगामी 2 अप्रैल से राज्य में लागू सभी कोरोना संबंधित पाबंदियों को हटाने का निर्णय किया है।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बिना नोटिस के अकाउंट ब्लॉक करने पर सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि असम, नागालैंड और मणिपुर में AFSPA (सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम) के तहत आने वाले अशांत इलाके घटाने का फैसला लिया गया है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक महिला के अपने माता-पिता से शादी का खर्च दिलवाने के संबंध में दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई।
अमेरिका और उसके सहयोगियों की आर्थिक पाबंदियों के असर को कमजोर करने वाले रूस के एक प्रस्ताव पर विचार करने के लिए अमेरिका ने भारत की आलोचना की है।
राजस्थान के दौसा में एक महिला डॉक्टर की आत्महत्या पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। डॉक्टर के पति ने भाजपा के एक स्थानीय नेता पर पुलिस पर उनकी पत्नी के खिलाफ FIR दर्ज करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है। इसी FIR के कारण डॉक्टर ने आत्महत्या की है।
दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर तोड़फोड़ करने के आरोप में गुरुवार को आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। बाकी आरोपियों की तलाश अभी जारी है।
भारत में बीते दिन कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,225 नए मामले सामने आए और 28 मरीजों की मौत दर्ज हुई। इनमें पुरानी मौतें भी शामिल हैं।
लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति ने मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की सिफारिश की है।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में मंगलवार रात सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों को ढेर कर दिया। दोनों आतंकी एक छोटी मुठभेड़ के बाद मारे गए।
दिल्ली के संजय गाधी ट्रांसपोर्ट नगर में मंगलवार को सीवर में गिरे चारों लोगों की मौत हो गई है। कई घंटों तक चले अभियान के बाद उनके शव बाहर निकाले जा सके हैं।
भारत में बीते दिन कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,233 नए मामले सामने आए और 31 मरीजों की मौत दर्ज हुई। इनमें पुरानी मौतें भी शामिल हैं।
असम और मेघालय के बीच पिछले 50 सालों से चल रहा सीमा विवाद अब खत्म होने की ओर है।
देश में 2016 से 2020 के बीच लगभग 3,400 सांप्रदायिक दंगे हुए। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आज लोकसभा में जवाब दाखिल करते हुए ये जानकारी दी।
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) सूची को अपडेट करने के बाद विदेशी न्यायाधिकरण (FT) द्वारा विदेशी घोषित किए गए लोगों को डिटेंशन सेंटरों में रखा जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर से साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद बाहरी लोगों के वहां जमीनें खरीद पाने की उम्मीद बंधी थी, लेकिन अब तक महज 34 बाहरी लोग ही वहां जमीन खरीद पाए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में ये जानकारी दी।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पिछले 15 सालों से एक प्राथमिक सरकारी स्कूल में कार्यरत एक शिक्षक चार कॉलेजों सहित करोड़ों रुपये की संपत्ति की मालिक निकला है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत का पुरजोर विरोध किया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले अकाउंट्स पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर सोमवार को माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म टि्वटर को फटकार लगाई है।
दिल्ली की एक कोर्ट ने सोमवार को 'बुल्ली बाई' ऐप के क्रिएटर नीरज बिश्नोई और 'सुल्ली डील्स' ऐप के क्रिएटर ओंकारेश्वर ठाकुर को जमानत दे दी। दोनों को मानवीय आधार पर जमानत दी गई है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर को सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले शहरों की सूची में रखा गया है।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव इसी सप्ताह संक्षिप्त यात्रा पर भारत आ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि चीन में अपनी बैठकें समाप्त करने के बाद लावरोव भारत पहुंचेंगे।
भारत में बीते दिन कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,259 नए मामले सामने आए और 35 मरीजों की मौत दर्ज हुई। इनमें पुरानी मौतें भी शामिल हैं।
केंद्रीय कर्मचारी संगठनों द्वारा सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार से बुलाए गए दो दिन के भारत बंद में देशभर से सरकारी कर्मचारी और बैंककर्मी शामिल हुए।
पंजाब विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनानी वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने सत्ता संभालने के बाद से ही जनता के हित में कार्य करना शुरू कर दिया है।
केंद्रीय कर्मचारी संगठनों द्वारा बुलाया गया दो दिन का भारत बंद आज से शुरू हो गया है। बंद के कारण देशभर में आम जनजीवन से संबंधित कई सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
भारत में बीते दिन कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,270 नए मामले सामने आए और 31 मरीजों की मौत दर्ज हुई। इनमें पुरानी मौतें भी शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में तथाकथित राजनीतिक हिंसा में आठ लोगों को जिंदा जलाए जाने के मामले की जांच में जुटे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 22 लोगों को आरोपी बनाया है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को आतंकियों ने मध्य कश्मीर के बडगाम में एक विशेष पुलिस अधिकारी के घर में पास फायरिंग करते हुए उसकी हत्या कर दी।
कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले दो सालों से बंद हिन्दू धर्मावलंबियों की प्रमुख अमरनाथ यात्रा अब आखिरकार दो साल बाद 30 जून से फिर से शुरू होगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कच्चे तेल की कीमतों का हवाला देते हुए तेल कंपनियां लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा रही हैं।
मिसाइल क्षेत्र में एक और बड़ा मुकाम हासिल करते हुए भारत ने रविवार को मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओडिशा के बालासोर के तट पर किया गया है।
आज देश में एक बार फिर तेल के दामों में इजाफा हुआ है। पिछले छह दिन में ये पांचवीं बार है जब पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए गए हैं।
दो दिन के भारत बंद के कारण देशभर में सोमवार और मंगलवार को बैंकिंग सेवाएं भी प्रभावित रहेंगी। कई केंद्रीय यूनियनों ने ये हड़ताल बुलाई है और बैंक यूनियनों ने भी इस हड़ताल में शामिल होने का फैसला लिया है।
भारत में बीते दिन कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,421 नए मामले सामने आए और 149 मरीजों की मौत दर्ज हुई। इनमें पुरानी मौतें भी शामिल हैं।
कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे देश के गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों के लिए केंद्र सरकार ने शनिवार को बड़ी घोषणा की है।
राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के एक विधायक के बेटे और उसके चार दोस्तों पर 15 वर्षीय नाबालिग से गैंगरेप करने और 15 लाख रुपये हड़पने का आरोप लगाया गया है।
देश में लगातार बढ़ते पेट्रोल-डीजल और रसाई गैस के दामों को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरने की तैयारी की है।
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद देश में बंद हुआ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का नियमित संचालन अब आखिरकार दो साल बाद रविवार से फिर से शुरू होगा। इसकी सभी तैयारी कर ली गई है।
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IIIT Lucknow Temporary Faculty के पद के लिए 1 उम्मीदवारों की भर्ती कर रहा है। आवेदन करने से पहले, उम्मीदवार नौकरी के विवरण की जांच कर सकते हैं और लिंक का उपयोग करके आवेदन कर सकते हैं। IIIT Lucknow Temporary Faculty भर्ती 2023 के बारे में विवरण नीचे दिया गया है और इसमें आवेदन करने की अंतिम तिथि, वेतन, आयु सीमा, और बहुत कुछ शामिल हैं।
आवेदक जो IIIT Lucknow Temporary Faculty भर्ती 2023 के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्हें अधिकारियों द्वारा पोस्ट की गई योग्यता विवरण की जांच करनी होगी, आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार उम्मीदवारों को योग्यता को पूरा करना होगा जो कि M. Phil/Ph. D है। योग्यता का विस्तृत विवरण प्राप्त करने के लिए, कृपया नीचे दी गई आधिकारिक अधिसूचना देखें।
Temporary Faculty के लिए कुल रिक्तियां 1 है। योग्य उम्मीदवार आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से जा सकते हैं और नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। वेतन और चयन प्रक्रिया का पूरा विवरण नीचे दिया गया है।
उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा / व्यक्तिगत साक्षात्कार / चिकित्सा परीक्षण / वॉकिन साक्षात्कार के आधार पर किया जाएगा। एक बार एक उम्मीदवार का चयन हो जाने के बाद उन्हें IIIT Lucknow में Temporary Faculty के रूप में रखा जाएगा।
IIIT Lucknow भर्ती 2023 वेतन Not Disclosed है। आमतौर पर, उम्मीदवारों के चयन के बाद उन्हें Temporary Faculty IIIT Lucknow में पद के लिए वेतन सीमा के बारे में सूचित किया जाएगा।
IIIT Lucknow ने Temporary Faculty पदों के लिए Lucknow में वैकेंसी नोटिफिकेशन जारी किया है। उम्मीदवार यहां स्थान और अन्य विवरण देख सकते हैं और IIIT Lucknow भर्ती 2023 के लिए आवेदन कर सकते हैं।
उम्मीदवार सीधे IIIT Lucknow भर्ती 2023 के लिए 20/01/2023 पर चल सकते हैं। साक्षात्कार के लिए ले जाने के लिए वॉकिन पता और दस्तावेज अधिसूचना में प्रदान किए गए हैं।
IIIT Lucknow भर्ती के लिए वॉकिन प्रक्रिया जानने के लिए 2023 उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं और IIIT Lucknow भर्ती 2023 डाउनलोड कर सकते हैं अधिसूचना। IIIT Lucknow Temporary Faculty रिक्तियों के लिए 20/01/2023 को वॉकिन इंटरव्यू आयोजित करेगा।
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New Delhi: राजधानी में अपराध पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए दिल्ली पुलिस ने फरार चल रहे सभी गैंगस्टरों पर नकेल कसने के लिए तैयारी कर ली है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच समेत सभी डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी (DCP) को निर्देश दिए हैं। वे अपने-अपने इलाकों में रहने वाले गैंगस्टरों की सूची तैयार कर उनके खिलाफ जल्द से जल्द धर-पकड़ अभियान शुरू कर दें।
यही वजह है दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच को खासतौर पर बड़े गैंगस्टरों पर काम करने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर पुलिस हेड क्वार्टर में मीटिंग के बाद ये तय किया गया है जल्द ही इस मामले कार्रवाई शुरू की जाए।
इसी कड़ी में दिल्ली पुलिस पिछले कुछ समय से 150 से अधिक बदमाशों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें कुख्यात जितेंद्र उर्फ गोगी, संदीप उर्फ ढिल्लू व अनवर ठाकुर आदि शामिल हैं। ये लंबे समय से फरार थे। दिल्ली से बाहर रहकर ये अपने गुर्गे के जरिए राजधानी में रंगदारी वसूलने, सुपारी लेकर हत्या कराने, डिस्प्यूटेड जमीनों को कब्जा करने ओर वर्चस्व के लिए गैंग वार की घटना को अंजाम दे रहे थे।
जितेंद्र उर्फ गोगी व संदीप ढिल्लू पिछले तीन सालों से दिल्ली पुलिस को नाक में दम कर रखा था। कुछ महीने से स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच ने इनामी बदमाशों को दबोचने के लिए अभियान छेड़ दिया है। पुलिस के निशाने पर अब बाहरी दिल्ली के रहने वाले एक लाख का इनामी प्रवीन मोंटा के अलावा कुख्यात हाशिम बाबा, आया नगर का रोहित गुर्जर व दक्षिण दिल्ली का रवि गंगवार, अब्दुल नासिर गैंग, राशिद कैबलवाला, छेनू गैंग, पासोंदा गैंग, सत्ते गैंग, साबिर गैंग जैसे सैकड़ों बदमाश हैं।
दिल्ली पुलिस की लिस्ट में गैंग के गुर्गे भी शामिल जिनपर हत्या, एक्सटॉर्शन, हत्या के प्रयास जैसे मामले हैं, जिनपर पुलिस ने इनाम भी रखा है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक गैंगस्टरों को पकड़ने के बाद उनकी पूरी चेन के बारे में पता लगाकर सभी को गिरफ्तार किया जाएगा। यही नहीं जो भी अपराधी जमानत या पैरोल पर आए हैं, उसके लिए लोकल पुलिस को काम पर लगा दिया है ताकि उनकी मूवमेंट पर नजर रखी जा सके।
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जोहानिसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका के एक शीर्ष नेता ने देश में भारतीय मूल के लोगों के योगदान की प्रशंसा की और कहा कि इस समुदाय ने देश के स्वतंत्रता संघर्ष में अहम भूमिका निभाई थी।
जोहानिसबर्ग में दक्षिण अफ्रीकी तमिल संघ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गाउतेंग प्रांत के प्रमुख डेविड मखुरा ने कहा कि भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी लोगों ने विभिन्न युगों में देश के संघर्ष अभियानों में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद और रंगभेद के खिलाफ हमारी लड़ाई से लेकर मौजूदा समय में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तक भारतीय मूल के समुदाय ने हमेशा हमारा समर्थन किया है। दक्षिण अफ्रीका में अर्थव्यवस्था के केंद्र गाउतेंग में भारतीय मूल के 14 लाख लोग रहते हैं।
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बेंगलुरु. प्रो रेसलिंग लीग के 15वें मुकाबले में मुंबई गरूड़ ने हरियाणा हैमर्स को हरा दिया है. इस मुकाबले में मुंबई गरूड़ को हरियाणा हैमर्स ने 4-3 से हराया. सेमीफाइनल मुकाबले में मुंबई गरूड़ बेंगलुरु योद्धा और हरियाणा हैमर्स, पंजाब रॉयल्स से भिड़ेगा.
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प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसक व अराजक घटनाओं से कांग्रेस पार्टी व पूरा देश क्षुब्ध है। आंदोलनरत किसान संगठनों द्वारा खुद को इस घटनाक्रम से अलग कर लेने का स्पष्ट वक्तव्य एक सही दिशा में उठाया कदम है। किसानों के आंदोलन में जिस तरीके से हिंसा की गई है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसक व अराजक घटनाओं से कांग्रेस पार्टी व पूरा देश क्षुब्ध है। आंदोलनरत किसान संगठनों द्वारा खुद को इस घटनाक्रम से अलग कर लेने का स्पष्ट वक्तव्य एक सही दिशा में उठाया कदम है। किसानों के आंदोलन में जिस तरीके से हिंसा की गई है। किसानों के साथ मारपीट कर आंदोलन को कुचलने की कोशिश की गयी है। यह मोदी सरकार का अलोकतांत्रिक आचरण है।
अहिंसा और सत्याग्रह ही इस किसान-मजदूर आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत रही है। उम्मीद है कि किसान और मजदूर एवं गरीब का ये गठजोड़ शांतिपूर्ण व अहिंसक आंदोलन के रास्ते पर चल तीनों खेती विरोधी काले कानूनों की वापसी के लिए दृढ़ संकल्प रहेंगे।
कांग्रेस मानना है कि 'गण' और 'तंत्र' के बीच पिछले 61 दिनों से जारी टकराव की स्थिति लोकतंत्र के लिए कतई सही नहीं है। ऐसे में मोदी सरकार को भी अहंकार के सिंहासन से उतर किसान और मजदूर की न्याय की गुहार सुननी चाहिये।
किसानों को बातचीत के लिए बुलाना लेकिन मांग नहीं स्वीकारना उचित नहीं है। किसानों को विचलित करना उचित नहीं है। कांग्रेस केंद्र सरकार द्वारा अपनाये गये किसान विरोधी लोकतंत्र विरोधी रवैया और चंद बिजनेस समूहों की सरपरस्ती की कड़ी निंदा करती है।
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: शाहन के शाह : अपने पति के शव पर बिलखती निःसन्तान रानी के वैधव्य से दुखी होकर गुरू को दया तो आ गयी लेकिन बाद में यही दया-भाव उस रानी के प्रति उनकी आसक्ति में बदल गया। जाहिर था कि गुरू ने गुरू-दायित्वों को गृहस्थ जीवन में तिरोहित कर दिया। गुरू को टोकने का साहस किसी में नहीं था, लेकिन वह चेला ही क्या, जो अनाचार को सहन कर जाए। भले ही वह अनाचार खुद उसके गुरू ही करने पर आमादा क्यों ना हों। बस फिर क्या था, चेले ने लगायी भभूत, उठाया त्रिशूल और लगा दिया हुंकारा :- उठ जाग मछन्दर गोरख आया। यह गाथा है उस सात्विकता की जिसकी रक्षा का संकल्प किया गोरक्षनाथ ने। बाद में गोरखनाथ के नाम से प्रसिद्ध इस चेले ने अपने ही गुरू को उसके गुरूत्व का आभास कराने के लिए किसी भी सीमा तक जाने में तनिक भी संकोच नहीं किया। यही वजह रही कि गोरखनाथ संप्रदाय का एक बड़ा खेमा मुसलमानों का है जो पाकिस्तान के रावलपिण्डी में है।
मूल रूप से शिव के उपासक माने जाते हैं नाथ-सम्प्रदाय के लोग। मराठी संत ज्ञानेश्वर के अनुसार क्षीरसागर में पार्वती के कानों में शिव ने जो ज्ञान दिया, मछली के पेट में निवास कर रहे मत्स्येन्द्रनाथ के कानों तक पहुंच गया। और इसी के साथ ही मत्स्येन्द्रनाथ बाकायदा गुरू हो गये। अब रही चेले की बात। यह घटना अलग है। गोरखपीठ की मान्यता के अनुसार शिव ने ही एक बार धूनी रमाये औघड़ की शक्ल में एक निःसंतान महिला को भभूत देते हुए उसे मंगल का आशीष दिया। लेकिन दूसरी महिलाओं ने उस महिला को भरमा दिया कि इन औघड़ों के चक्कर में मत पड़ो। महिला ने उस भस्म को जमीन में गाड़ दिया। बात खुली तो जमीन खोदी गयी और निकल आये गोरक्षनाथ। इसके बाद से ही साथ हो गया मत्स्येन्द्रनाथ और गोरक्षनाथ का। इन दोनों ने काया, मन और आत्मा की सम्पूर्ण पवित्रता की जरूरत को समझा और अपने इस संकल्प को जन-जन तक पहुंचाने के लिए नगरों-गांवों की धूल छाननी शुरू कर दी। योग और ध्यान को इसके केंद्र में रखा गया।
गुरू-चेले का यह सम्बन्ध अविच्छिन्न रूप से चल ही रहा था कि अचानक एक राज्य की मैनाकिनी नाम की रानी का करूण रूदन मत्स्येन्द्रनाथ को विचलित कर गया। वह निःसंतान थी और अपने पति के शव पर विलाप कर रही थी। मत्स्येन्द्रनाथ को दया आ गयी। रानी की गोद भरने के लिए वे राजा के शव में प्रवेश कर गये। मैनाकिनी की गोद साल भर बाद लहलहा उठी। लेकिन कुछ ही दिनों बाद वे अपने कर्तव्यों को ही भूल गये। रास-लीलाओं ने उन्हें घेर लिया। राजमहल में पुरूषों का प्रवेश रोक दिया गया। केवल महिला कर्मचारी या नर्तकियां ही वहां जा सकती थीं। गोरक्षनाथ इस हालत से विचलित थे। गुरू को बचाना था और तरीका सूझ नहीं रहा था। बस एक दिन भभूत लगाया और त्रिशूल उठाकर संकल्प लिया गुरू को बचाने का। नर्तकियों के साथ उनके ही वेश में राजमहल में प्रवेश कर गये। रास-रंग और गायन-नर्तन शुरू हुआ।
स्त्री-वेश में अपनी अदायें दिखा रहे गोरखनाथ मृदंग भी बजा रहे थे। पूरा माहौल वाह-वाह से गूंज रहा था। कि अचानक राजा के शरीर में वास कर रहे मत्स्येन्द्रनाथ की आंखें फटी की फटी ही रह गयीं। गौर से सुना तो पाया कि एक नर्तकी के मृदंग से साफ आवाज आ रही थी कि जाग मछन्दर गोरख आया, चेत मछन्दर गोरख आया, चल मछन्दर गोरख आया। मत्स्येन्द्रनाथ बेहाल हो गये, सिर चकरा गया। गौर से देखा तो सामने चेला खड़ा है। गुरू शर्मसार हो गये। राजविलासिता छोड़कर चलने को तैयार तो हुए, लेकिन शर्त रखी कि मैनाकिनी के बेटे को नदी पर साफ कर आओ। गोरखनाथ को साफ लगा कि गुरू में मायामोह अभी छूटा नहीं है। उन्होंने राजकुमार को धोबी की तरह पाटा पर पीट-पीट कर छीपा और निचोडकर अलगनी पर टांग दिया। मत्स्येन्द्रनाथ नाराज हुए तो गोरखनाथ ने शर्त रख दी कि माया छोड़ों तो बेटे को जीवित कर दूं। मरता क्या ना करता। भोगविलास ने गुरू की ताकत खत्म कर दी थी। शर्त माननी ही पड़ी। यानी गुरू तो गुरू ही रहा मगर चेला शक्कर हो गया। बाद की सारी गाथाएं गोरखनाथ की शान में गढ़ी गयीं।
उधर आस्था से अलग तर्कशास्त्रियों के अनुसार ईसा की सातवीं से लेकर बारहवीं शताब्दी के बीच ही गोरखनाथ का आविर्भाव हुआ। चूंकि यह काल भारत के लिए काफी संक्रमण का था, इसलिए गोरखनाथ का योगदान देश को एकजुट करने के लिए याद किया जाता है। काया, मन और आत्मा की शुद्धि को समाजसेवा और फिर मोक्ष के लिए अनिवार्य साधन बताने का गोरखनाथ का तरीका जन सामान्य ने अपना लिया। गोरखनाथ का कहना था कि साधना के द्वारा ब्रहमरंध्र तक पहुंच जाने पर अनाहत नाद सुनाई देता है जो वास्तविक सार है। यहीं से ब्रह़मानुभूति होती है जिसे शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। वे राम में रमने को एकमात्र मार्ग बताते हैं जिससे परमनिधान वा ब्रह्मपद प्राप्त होता है। गोरखनाथ ने असम से पेशावर, कश्मीर से नेपाल और महाराष्ट्र तक की यात्राएं कीं। उनकी बनायी गयीं 12 शाखाएं आज भी जीवित हैं जिनमें उडीसा में सत्यनाथ, कच्छ का धर्मनाथ, गंगासागर का कपिलानी, गोरखपुर का रामनाथ, अंबाला का ध्वजनाथ, झेलम का लक्ष्मणनाथ, पुष्कर का बैराग, जोधपुर का माननाथी, गुरूदासपुर का गंगानाथ, बोहर का पागलपंथ समुदाय के अलावा दिनाजपुर के आईपंथ की कमान विमलादेवी सम्भाले हैं, जबकि रावलपिंडी के रावल या नागनाथ पंथ में ज्यादातर मुसलमान योगी ही हैं।
लेखक कुमार सौवीर लखनऊ के जाने-माने पत्रकार हैं. इन दिनों महुआ न्यूज में ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत हैं. उनका यह लेख जनसंदेश टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है, वहीं से साभार लिया गया है.
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द मोदी ने आज श्री माता वैष्णोदेवी कटरा-उधमपुर रेल लाइन राष्ट्र को समर्पित की। प्रधानमंत्री कटरा रेलवे स्टेशन से उधमपुर के लिए पहली रेल सेवा को हरी झंडी दिखाई और रेल में यात्रा करने वाले विद्यालय के छात्र-छात्राओं से बातचीत की। इस रेल को बच्चों के "भारत माता की जय" उद्घोष के साथ रवाना किया गया।
प्रधानमंत्री ने रेलवे स्टेशन का भी दौरा किया और सुझाव दिया कि स्टेशन की ऊर्जा आवश्यकताओं को सौर ऊर्जा के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि कटरा रेलवे स्टेशन को पर्यावरण अनुकूल और लोगों के अनुकूल रेलवे स्टेशन बनाया जाना चाहिए। जिससे सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
इस मौके पर, कटरा में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में जारी अमरनाथ यात्रा और रमज़ान का पवित्र महीना तथा अब श्री माता वैष्णोदेवी के भक्तों को उनके करीब लाने वाली इस नई रेल लाइन के समागम से एक बेहद पवित्र अवसर बन गया है। श्री मोदी ने कहा कि यह रेलवे लाइन सिर्फ जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए ही नही, बल्कि पवित्र वैष्णोदेवी की गुफा की यात्रा के इच्छुक 125 करोड़ भारतीयों और सम्पूर्ण देश के लिए एक उपहार है और उन्हें इस उपहार को देते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है। श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने रेल मंत्री को सुझाव दिया है कि इस रेल का नाम श्री शक्ति एक्सप्रेस होना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं के लाभ के लिए रेलवे स्टेशन पर उपयोग की जाने वाली सुविधाओं और बेहतर तकनीकों के लिए माता वैष्णोदेवी गुफा बोर्ड को भी शुभकामनाएं दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर का विकास बिना बाधा के जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कटरा में नए रेलवे स्टेशन के साथ राज्य में और अधिक शानदार विकास किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर से पूर्वोत्तर तक के हिमालयी राज्यों के लिए समान विकास मॉडल की दिशा में काम करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कटरा अब जम्मू और कश्मीर के विकास में केन्द्र बिन्दु बन चुका है और यह राज्य के विकास की गति का इंजन बनेगा। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बनिहाल तक रेल सेवा के विस्तार के माध्यम से श्री वाजपेयी के स्वप्न को पूर्ण करने की दिशा में कार्य करेगी।
श्री मोदी ने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि रेल और बस संपर्क को पहली बार जोड़ा जा चुका है। इस सुविधा के माध्यम से यात्री एक ही टिकट के माध्यम से रेल अथवा बस दोनों से यात्रा कर सकेगा। उन्होंने इस सुविधा को एक मिश्रित मॉडल का नाम दिया। उन्होंने कहा कि कटरा को देशभर से 6 युगल रेलों के माध्यम से भी जोड़ा जा रहा ह। प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों को विश्वास दिलाया कि बड़े शहरों और जम्मू जैसे महत्वपूर्ण स्थलों का आधुनिकीकरण उनकी सरकार की प्राथमिकता है।
इस दिवस के महत्व पर अपने संबोधन में श्री मोदी ने कहा कि इस रेल के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के विकास को गति और उड़ी-2 पनबिजली परियोजना के माध्यम से ऊर्जा मिली है, जिसका वह दिन में उद्घाटन करेंगे। उन्होंने कहा कि वह माता वैष्णोदेवी के आशीवार्द से देश की विकास यात्रा की शुरूआत कर रहें है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार इस विकास यात्रा को आगे ले जाएगी, नए आयाम स्थापित करेगी और आम आदमी के लाभ की दिशा में कार्य करेगी। श्री मोदी ने कहा कि उनका उद्देश्य विकास और समग्र लाभ के माध्यम से जम्मू और कश्मीर के लोगों का दिल जीतना है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी मंशा किसी राजनीतिक जीत या हार की नही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने, कठिन समय गुजारा है, सत्ता में हों या न हों उनकी यह इच्छा और दायित्व है कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके, उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके, युवाओं को रोजगार और हर स्तर के व्यक्ति तक पहुंच बनाई जा सके।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में रेल लाने का श्रेय सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य में रेल नेटवर्क के आगे विस्तार तथा जम्मू रेलवे स्टेशन का उन्नयन किए जाने की भी अपील की।
रेल मंत्री श्री संदानंद गौडा ने कहा कि माता वैष्णोदेवी के भक्तों की इच्छा को एक लंबे समय के बाद पूर्ण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमत्री श्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि माता वैष्णोदेवी के भक्तों की इच्छा को प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी के राज्य में पहले दौरे के माध्यम से पूर्ण किया गया है।
अपने समापन संबोधन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री अरुणेन्द्र कुमार ने प्रधानमंत्री को विश्वास दिलाया कि कटरा रेलवे स्टेशन को एक मॉडल सौर ऊर्जा स्टेशन के तौर पर विकसित किया जाएगा।
इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल श्री एन.एन. बोहरा, राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, रेल मंत्री श्री सदानंद गौडा, रेल राज्यमंत्री श्री मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री श्री जितेन्द्र सिंह और श्री अरुणेन्द्र कुमार उपस्थित थे।
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क़तर की राजधानी दोहा में सबसे कम विकसित देशों पर यूएन के पाँचवें सम्मलेन के दौरान, मंगलवार को बड़ी संख्या में युवा प्रतिनिधि चर्चा के केन्द्र में रहे. इन देशों के साढ़े 22 करोड़ युवजन का प्रतिनिधित्व करने वाले इन युवाओं ने उन्हें और उनके समुदाय को प्रभावित करने वाले विकास मुद्दों को रेखांकित किया.
विश्व भर में, एक अरब 80 करोड़ युवाओं की आयु, 10 से 24 वर्ष के बीच में है, जोकि इतिहास में ऐसी सबसे बड़ी पीढ़ी है. इस आयु वर्ग में लगभग 90 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं, जहाँ वे आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं.
मगर, जलवायु परिवर्तन के निरन्तर बढ़ते प्रभावों से लेकर, कोविड-19 महामारी के कारण उपजे वैश्विक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक दुष्प्रभावों के कारण युवाओं को ऐसी चुनौतियों व मुद्दों से जूझना पड़ रहा है, जोकि अक्सर पुरानी पीढ़ी की वजह से पैदा हुए हैं.
इस पृष्ठभूमि में, अल्पतम विकसित देशों में युवजन का वर्तमान और भविष्य, आर्थिक और पर्यावरणीय झटकों की दृष्टि से सम्वेदनशील है और उनके लिए जोखिम मंडरा रहा है.
सबसे कम विकसित देशों के लिए यूएन का पाँचवा सम्मेलन, दोहा कार्रवाई कार्यक्रम में तय किए गए लक्ष्यों को पाने पर केन्द्रित है, जिसके केन्द्र में युवजन को रखा जाना होगा.
यह कार्यक्रम व्यापक स्तर पर प्रगति और टिकाऊ विकास के रास्ते में आने वाले ढांचागत अवरोधों को हटाने पर लक्षित है, जिसमें युवजन की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाना होगा, और उन्हें प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाना होगा.
यूएन की उच्च प्रतिनिधि ने मंगलवार को एक अन्तर-पीढ़ीगत सम्वाद के दौरान यह बात कही, जिसके ज़रिये LDC देशों के युवाओं को सरकार व राष्ट्र प्रमुखों, निर्णय-निर्धारकों, वरिष्ठ यूएन अधिकारियों और वरिष्ठ कूटनीतिज्ञों के साथ एक मंच पर लाया गया था.
इंटरएक्टिव चर्चा के दौरान, युवजन ने अपने विचारों, प्रयासों, सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों को साझा किया और दोहा कार्रवाई योजना को लागू किए जाने में पेश आने वाली चुनौतियों की शिनाख़्त की.
यूएन सदस्य देश और अन्य हितधारकों ने राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कारगर कार्रवाई को लागू करने की प्रक्रिया में युवजन को शामिल किए जाने पर प्रतिबद्धता व्यक्त की.
अनेक LDC देशों से युवा, वित्तीय साधनों के अभाव या फिर यात्रा पाबन्दियों के कारण दोहा तक की यात्रा कर पाने में असमर्थ थे, जिसके मद्देनज़र, अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने उनकी ओर से बात रखी.
यूएन न्यूज़ ने दोहा सम्मेलन में शामिल होने वाले अनेक प्रेरणादायी युवजन से बात की. तन्ज़ानिया के युवा प्रतिनिधि हम्फ़्री म्रेमा ने बताया कि वे बड़ी दूर से आए हैं, जहाँ युवाओं को अक्सर अन्त में बुलाया जाता है, जब निर्णय को अन्तिम रूप दिया जा चुका होता है.
भूटान के युवा प्रतिनिधि सान्गे लोडे ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें अक्सर महसूस होता है कि युवाओं और सरकार के बीच में दूरी है.
नेपाल की इरीना स्थापित, LDC5 सम्मेलन में विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित विषयों में महिलाओं की प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुईं.
उन्होंने कहा कि STEM विषयों में महिलाएँ और विविधता आवश्यक हैं और पूर्वाग्रहों को ख़त्म किया जाना होगा. इरीना का मानना है कि विज्ञान और टैक्नॉलॉजी पर निर्णय निर्धारण में महिलाओं को बातचीत की मेज़ पर जगह मिलनी चाहिए.
अफ़ग़ानिस्तान की फ़्लोरेंस पोउया ने यूएन न्यूज़ को बताया कि उनके देश में महिलाओं को बुनियादी अधिकार, शिक्षा, से वंचित किया गया है.
मंगलवार को युवाओं के आर्थिक समावेशन और उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देने के लिए भी एक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें युवजन को प्रोत्साहित करने और सशक्त बनाने के रास्तों पर चर्चा हुई.
यूएन औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) में कृषि अर्थशास्त्र के लिए निदेशक ड्जेन तेज़ेरा ने विकास प्रक्रिया में युवजन के विचारों को शामिल किए जाने की अहमियत को रेखांकित किया.
"यह कोई विकल्प नहीं है बल्कि एक आवश्यकता है. " उन्होंने ध्यान दिलाया कि विश्व की आधी आबादी की आयु, 30 वर्ष से कम है और इनमें से अधिकाँश आबादी विकासशील देशों में रहती है.
इसलिए उनकी आवाज़ों, अनुभवों व विचारों से विचार प्रक्रियाओं को सूचित किया जाना होगा, विशेष रूप से शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और रोज़गार सम्बन्धी विषयों पर.
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गाजियाबाद के थाना मोदीनगर इलाके में रुपयों के लालच में हत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस वारदात को भी दिल्ली के श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड की तर्ज पर अंजाम दिया गया था. मोदी नगर के राधा कुंज इलाके में किराए पर रहने वाले पीएचडी स्कॉलर की मकान मालिक ने पहले गला दबाकर हत्या की. इसके बाद लाश के तीन टुकड़े करके अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया.
अंकित खोकर मूल रूप से बागपत का रहने वाला था. वह माता-पिता की इकलौती संतान था. अंकित के माता-पिता की भी मौत हो चुकी है. वह लखनऊ से पीएचडी कर रहा था और गाजियाबाद में अकेला रहता था. उसने अपनी पैतृक जमीन बेची थी. इससे उसको करीब एक करोड़ रुपए मिले थे.
अंकित पिछले 8 साल से उमेश शर्मा के घर में किराए पर रहा था. उमेश की पत्नी को अंकित अपनी बहन मानता था. अंकित को उसके मकान मालिक पहले तो उमेश ने भरोसे में लेकर बिजनेस करने के लिए लाखों रुपए उधार लिए. इसके बाद उसकी नीयत बाकी के पैसों पर खराब हो गई.
उसने अंकित से उसके अकाउंट में जमा बाकी पैसों को हथियाने के लिए उमेश की हत्या करने का खौफनाक प्लान बनाया. पुलिस के मुताबिक, उमेश ने 6 अक्टूबर को बाजार से आरी और बड़ी पन्नी खरीदी. पहले अंकित को गला दबाकर मार दिया. इसके बाद उसके तीन टुकड़े करके शव को मुजफ्फरनगर की खतौली नहर ईस्टर्न पेरिफेरल-वे और मसूरी नहर में फेंक दिया.
इसके बाद उसके अकाउंट से 40 लाख रुपए ऑनलाइन अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लिए. साथ ही अंकित के मोबाइल, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड अपने पास रख लिया. इसके बाद उमेश ने अपने साथी प्रवेश को अंकित का डेबिट कार्ड देकर उत्तराखंड से पैसे निकालने के लिए भेज दिया. साथ ही हिदायत दी कि वह अपने साथ मोबाइल लेकर न जाए.
इधर, दोस्त अंकित की कोई खोज खबर न पाकर परेशान हो रहे थे. वह काफी दिनों फोन नहीं उठा रहा था. अंकित केवल व्हाट्सएप मैसेज पर दोस्तों से बात कर रहा था. मैसेज में स्पेलिंग भी गलत लिखी जाती थी. इसके बाद दोस्तों को शक हुआ और उन्होंने मोदीनगर थाने में अंकित की गुमशुदगी दर्ज करवाई.
पुलिस ने जब जांच आगे बढ़ाई, तो अंकित के मकान मालिक उमेश पर शक गहराया. इसके बाद पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की, तो उमेश ने सारा मामला बता दिया. पुलिस अधिकारी भी इस संगीन हत्याकांड की वारदात के बारे में सुनकर हैरान हो गए. फिलहाल, पुलिस उमेश के खिलाफ सबूत जुटाकर सख्त कार्रवाई करने की बात कह रही है.
मामले में गाजियाबाद रूरल के डीसीपी इरज राजा ने बताया, "अंकित के चार दोस्तों ने 12 दिसंबर को मोदीनगर थाने में आकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से जांच की. पहला शक मकान मालिक उमेश पर गया. "
राजा ने कहा कि "पुलिस ने उमेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की. उसने पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की, लेकिन सख्ती करने पर टूट गया और जुर्म कबूल कर लिया. इसके बाद उसने हत्या की पूरी साजिश के बारे में बता दिया. उमेश और उसके साथी प्रवेश से अभी मामले के बारे में और पूछताछ की जा रही है. "
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की बीमारीका वृत्त सुनकर रंज हुआ, ईश्वर शीघ्र ही उसे अच्छा करे ।
'सरस्वती' की कापी लौटानेकी जरूरत नहीं, इस देशमे कोई बात प्रचलित हो जानेसे उसका छूटना कठिन हो जाता है - "हिन्दू" शब्द लोगोके हाड़। मासमे प्रविष्ट हो गया है, अतएव जब तक सब लोग आर्यसमाजके ऐसे विचारोके न हो जायेंगे इसका प्रयोग बन्द न होगा । शब्दोके अर्थ हमेशा बदला करते है । बुरेका भला और भलेका बुरा हो जाया करता है । "आर्य" शब्दके विषयमे भी एक लेख देना है ।
परलोकके पत्र मन-गढ़न्त मालूम होते है । कहिए ऐसी बाते न लिखा करे । पर लोग पढ़ते बडे भावसे हैं । "दो कदीम शहर" अगरेज़ी Archaeological Reports की बदौलत है ।
खजुराहो, देवगढ़की पुरानी इमारते, मथुराका कंकाली टीला आदि इस तरह के कई लेख तैयार है, पर नीरस होनेके कारण देनेको जी नही
चाहता ।
शेक्सपियरके कई नाटकोकी आख्यायिका निकल चुकी है। "और भी निकालेगे" की सूचनाके लिए धन्यवाद ।
संस्कृत मे "पवनदूत" है, पर यह उसकी नकल नही, सस्कृतवालेको पढ़े हमे थोड़े ही दिन हुए ।
पं० भीमसेनजीके खिचड़ी पद्य छापेगे, तब तक उन्हें धन्यवाद दीजिए, जयपुरके पण्डित रामकृष्णने ऐसे अनेक श्लोक "जयपुरविलास" मे लिखे है । परिडतजीका योगदर्शन आया है, उत्तम है, लाहौरके एक पण्डितकी भूमिकामे अच्छी खबर ली है ।
म० प्र० |
BAREILLY:
प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले नगर निगम ने शहर में सड़क निर्माण कार्यो पर करोड़ों का बजट खपाने की तैयारी कर ली है। 13 दिसम्बर को हुई निगम की कार्यकारिणी बजट बैठक में बिना चर्चा व आपत्ति के ही सड़क निर्माण व मलिन बस्ती के विकास पर भारी भरकम बजट खर्च करने पर मुहर लग गई। यह फैसला तब लिया गया, जबकि मूल बजट में इन मदों पर 50. 44 करोड़ का बजट तय किया गया था। लेकिन सितम्बर तक निगम महज 19. 45 करोड़ ही खर्च कर सका। बावजूद इसके रिवाइज्ड बजट में इन मदों पर मूल बजट का 38 फीसद 10. 50 करोड़ की रकम बढ़ा दी गई। इनमें मलिन बस्ती पर खर्च होने वाले कुल 4. 9 करोड़ के बजट में से सितम्बर तक एक भी रुपया खर्च न किया जा सका है।
चुनाव आयोग की आरे से प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की घोषणा जल्द हो सकती है। ऐसे में चुनाव को लेकर कभी अधिसूचना भी जारी हो सकती है। इसे देखते हुए नगर निगम में आनन फानन में बजट खपाने का खेल शुरू हो गया है। निगम ने 2016-17 के अपने रिवाइज्ड बजट में सड़क निर्माण व मलिन बस्ती के मद में कुल 61 करोड़ का बजट खर्च करने का फैसला किया है। जिसमें स्टेट फाइनेंस कमीशन मद में सड़क निर्माण पर कुल 33 करोड़, अवस्थापना निधि में सड़क निर्माण पर 8 करोड़, 13वें व 14वें फाइनेंस कमीशन मद में सड़क निर्माण पर 15 करोड़ और मलिन बस्ती पर कुल 4. 9 करोड़ का बजट खर्च होना है।
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इंडिया न्यूज़, Bollywood News: पंजाब के मानसा जिले में सिद्धू मूस वाला की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या ने देश को सदमे में ला खड़ा किया। सिद्धू मूसे वाला के फैंस बॉलीवुड में भी भरे पड़े है। पिछले कुज दिन सिद्धू के फैंस के लिए मुश्किलों से भरे थे। जिसके कुछ दिनों बाद, सलमान खान ने सुर्खियां बटोरीं, कथित तौर पर, उन्हें एक पत्र मिला जिसमें उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार को मिले धमकी भरे पत्र में लिखा था, 'मूसा वाले जैसा कर दूंगा', जिसके बाद मुंबई पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी। और अब, हालिया अपडेट के अनुसार, सीबीआई अधिकारी सलमान खान की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद उनके आवास पर पहुंच गए हैं।
एएनआई ने आज सुबह ट्वीट किया था, "महाराष्ट्र के गृह विभाग ने अभिनेता सलमान खान और उनके पिता सलीम खान को कल, 5 जून को धमकी भरा पत्र भेजे जाने के बाद उनकी सुरक्षा को मजबूत किया। " चूंकि मामले में जांच चल रही है, सीबीआई अधिकारियों को भी आगे की जांच के लिए सलमान खान के आवास पर क्लिक किया गया था। शुरुआती लोगों के लिए, धमकी का पत्र एक बेंच पर पाया गया, जहां सलीम खान आमतौर पर अपनी सुबह की सैर के दौरान ब्रेक लेते हैं। इस बीच, पुलिस कथित तौर पर इलाके के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच कर रही है।
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लेकिन क्रिकेट फैन्स उस वक्त हंसी के ठहाके लगाने लगे जब इंग्लैंड की पारी दौरान अश्विन की गेंदबाजी के दौरान मोईन अली ने एक शॉट खेला जो लॉग ऑफ के तरफ गई जहां कोहली खड़े थे। जैसे ही मोईन अली ने शॉट खेला धोनी ने कोहली को बड़े ही मजाकया ढ़ंग मे गेंद पकड़ने को कहा। धोनी जो हमेशा मैदान पर चुटकुले अंदाज में अपने साथी खिलाड़ियों को पुकारते हैं इस बार धोनी ने कोहली को कहा- "पकड़कर मारदे...चीकू..".
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Hanuman Janmotsav 2023: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस में सुंदरकांड से लंकाकांड तक पवनपुत्र हनुमान के बल, बुद्धि और विवेक के कुशल उपयोग के कई उदाहरण हैं। किस तरह वह माता सीता की खोज में लंका जाते हैं, सुरसा के मुख से बाहर आते हैं, लंका में प्रवेश के लिए सूक्ष्म रूप धरते हैं, भेष बदलकर विभीषण से मिलते हैं, लंका की कमजोरियों और सीता जी का पता लगाकर आते हैं। यह सारी खूबियां हनुमान जी को कुशल अनुसंधानकर्ता बनाती हैं। यही वजह है- पुलिस के आराध्य हनुमान जी ही हैं। शहर के हर थाने में हनुमान जी का मंदिर जरूर मिलेगा, कई थाना प्रभारी तो हनुमान जी को ही सबसे बड़ा थानेदार मानते हैं, यहां तक कि थाने में जब आते हैं तो सिर झुकाकर प्रणाम कर हनुमान जी को सैल्यूट मारते हैं। इसकी वजह श्रद्धा तो है ही, पुलिस अधिकारी कहते हैं- सबसे पहले अनुसंधानकर्ता हनुमान जी ही हैं, इसलिए उनकी शरण में जाने से ऊर्जा महसूस होती है। उनसे बल, बुद्धि और विवेक का कुशल प्रबंधन सीखने को मिलता है।
शहर के थानों में स्थित हनुमान मंदिरों में सुबह-शाम आरती होती है। पुलिसकर्मी यहां सिर झुकाते हैं। समय-समय पर सुंदरकांड और रामायण का भी आयोजन किया जाता है।
हर जगह सिर्फ शक्ति से ही काम नहीं चलता, बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल भी करना होता है, यह सिखाते हैं हनुमान जीः
- श्रीरामचरितमानस जब पढ़ते हैं तो पता लगता है हनुमान जी किस तरह अपनी शक्ति, बुद्धि, विवेक का इस्तेमाल करते हैं। जिस तरह हनुमान जी रक्षक कहे जाते हैं, उसी तरह पुलिस भी समाज की रक्षक है। चोर, लुटेरे, बदमाश से जनता की रक्षा करने की जिम्मेदारी पुलिस की है। हनुमान जी सिखाते हैं, हर जगह सिर्फ शक्ति से काम नहीं चलता। इसी तरह हर जगह पुलिस डंडा चलाएगी तो कैसे काम चलेगा। जब ला एंड आर्डर जैसी स्थिति बनती है तो बुद्धि, विवेक का इस्तेमाल कर आक्रोशित लोगों को समझाकर स्थिति संभाली जाती है। यह सीख हनुमान जी से ही मिलती है। मैं तो रोज थाने में कुर्सी पर बैठने से पहले हनुमान जी को प्रणाम करता हूं, उन्हें सैल्यूट करता हूं, फिर काम शुरू करता हूं।
अपराधी को दंड और पीड़ित की मदद, यह सीख हनुमान जी देते हैंः
- हनुमान जी के ऐसे कई प्रसंग हैं, जिसमें वह अपराधी को दंडित करते हैं, पीड़ित की मदद करते हैं। यही पुलिस का काम है। मैं हाल का एक बता रहा हूं, किस तरह हनुमान जी संकट में मदद करते हैं। डबरा में 35 लाख रुपये की लूट हुई थी, हर तरफ से हार गए। तब थाने में हनुमान जी के मंदिर में गुड़, चना का प्रसाद चढ़ाकर राह दिखाने की प्रार्थना की। कुछ देर बाद एक पुराना सब इंस्पेक्टर मिलने के लिए आया था, जो डबरा में पदस्थ रहा था। हम उस समय फुटेज दोबारा देख रहे थे। उसकी नजर स्क्रीन पर पड़ी, उसने गुलाबी कैप लगाये युवक को पहचान लिया। कुछ देर बाद एक सिपाही आया, उसने इसकी पुष्टि कर दी। देर रात उसे उठाया तो उसने 5 लाख रुपये के एवज में लुटेरों को मुखबिरी करने की बात कुबूल कर ली, इसी पर काम किया तो लूट खुल गई।
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पहले यातना शिविर नाजियों में भी बनाया जाने लगा तीसरा रैह तुरंत नाजी पार्टी के सत्ता में आने के बाद। उनका मूल लक्ष्य नई सरकार के विरोध के संदिग्ध व्यक्तियों के अलगाव था। साम्यवादियों और समाजवादियों - पहली, जो 1933-34 में नाजियों वापस यातना शिविर में किया गया था, Weimar गणराज्य के उनके मुख्य विरोधियों बन गया। पहले से ही जुलाई 1933 में कैदियों की संख्या देश भर में 26 हजार लोगों के निशान पर पहुंच गया। हालांकि, के बाद पहले चरण में, जब नेशनल सोशलिस्ट पार्टी देश भर में इसकी कुल बिजली सेट, गिरफ्तारी की संख्या से थोड़ा गिरावट आई है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण गिरफ्तार के कई जारी किए गए।
बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की एक नई दौर देर 30 में शुरू होता है। अब यातना शिविर नाजियों सक्रिय रूप से जर्मन यहूदियों की भरपाई। उन्हें इसके अलावा यहां अक्सर शराबियों, बेघर लोगों और दूसरों की तरह अलग अलग असामाजिक तत्वों मिला है। 1938 में, रक्तहीन जब तक पहला क्षेत्रीय लाभ के संबंध में (Anschluss), कैदियों की संख्या और भी अधिक बढ़ जाती है। शिविर की इसी अवधि में एक एकीकृत संरचना लेने के लिए शुरू कर रहे हैं। नाजी यातना शिविरों, स्त्री रूप में प्रकट, उदाहरण के लिए, Ravensbrück, पोमेरानिया में स्थित है। लेकिन वास्तव में भीषण गुंजाइश पूरी व्यवस्था पहले से ही युद्ध के दौरान पहुँच गया है।
युद्ध के दौरान, शिविर प्रणाली लगातार विस्तार हो रहा है, जो स्वाभाविक है। अधिकृत क्षेत्रों से कैदियों के अलावा बढ़ गया है और जर्मन राजनीतिक कैदियों की संख्या जर्मनी के आक्रामक नीति का विरोध। Majdanek, ट्रेब्लिंका, Auschwitz और अन्य, अधिक या कम जाने-माने आज के दर्जनोंः वहाँ शिविरों न केवल रैह में, लेकिन यह भी अधिकृत क्षेत्रों में हैं। समलैंगिकों, धार्मिक sectarians, जिप्सी और यहूदियों पर अत्याचार की गति नीति प्राप्त कर रहा। अक्सर स्टील और यातना शिविरों नाजियों में यातना। सोवियत संघ के आक्रमण के बाद इन संरचनाओं के अस्तित्व में सबसे विकराल चरण शुरू होता है। यातना शिविर नाजियों सचमुच मौत का एक कारखाना में बदल दिया। तो, दुनिया भर में मशहूर Auschwitz पूरी तरह से जनवरी 1942 से अर्जित किया। तथ्य यह है कि NSDAP की इस अवधि के दौरान अंत में यहूदियों के पूर्ण विनाश, जिसके बाद वे यातना शिविरों का मुख्य शिकार थे की ओर बढ़ रहा है। इस प्रकार, रुडोल्फ हेस, Auschwitz के मुख्य कमांडेंट (नाजी पार्टी का एक उच्च रैंकिंग सदस्य के साथ भ्रमित होने की नहीं Rudolfom Gessom, जो था समय ब्रिटिश कैद में था) पहले कीटनाशकों का उपयोग क्रिस्टल, "Zyklon बी" कहा जाता है का आविष्कार किया, एक के रूप में जहरीले पदार्थ। और अपने फैसले पर बहुत गर्व, बार-बार नाजी अधिकारियों के बीच का दावा है, यह संभव Auschwitz के शिकार लोगों की संख्या में वृद्धि करने के लिए और पूरे नाजी प्रणाली में मौत का सबसे कुशल मशीन बनाना है। इस पैशाचिक यातना शिविर की एक और नवीनता एक विशाल गैस कक्षों के निर्माण, जो उनके बढ़ाने के लिए अनुमति दी थी क्षमता। इस प्रकार, नाजी मालिकों की एकाग्रता प्रणाली कब्जे और अधिकृत क्षेत्रों में लोगों की सामूहिक विनाश के कुख्यात नीति में सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक बन गया है।
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ये कुत्ते लगभग किसी भी मौसम की स्थिति में रहने में सक्षम हैं - उन्हें साइबेरिया की ठंड, और न ही अफ्रीका की गर्मी की परवाह नहीं है। लेकिन इस लेख में हम एक शहर के अपार्टमेंट में जर्मन चरवाहा रखने के विकल्प का विश्लेषण करेंगे।
एक जर्मन चरवाहे का एक पिल्ला एक छोटी सी चंचल कीट है जो पूरी तरह से सब कुछ gnaws: जूते और कपड़े से फर्नीचर तक। जर्मन चरवाहा एक अपार्टमेंट में रहने से पहले, आपको उसके लिए सभी "स्वादिष्ट" चीजों को हटाने की जरूरत है, क्योंकि यह न केवल खराब संपत्ति के साथ, बल्कि पालतू जानवरों की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से भी भरा हुआ है।
अपार्टमेंट में जर्मन शेफर्ड रखने का मुख्य नियम पिल्ला के लिए एक अलग जगह को परिभाषित करना है। एक पिल्ला को एक हटाने योग्य कवर के साथ एक कूड़े की जरूरत होती है जिसे समय-समय पर हटाया जा सकता है और धोया जा सकता है। अपने पालतू जानवरों को सिकेट पर चढ़ने के लिए सिखाएं, तारों और केबल्स काटने न करें, रसोई अलमारियों पर चढ़ाई न करें।
एक अपार्टमेंट में जर्मन शेफर्ड की देखभाल कैसे करें?
जर्मन चरवाहे के रख-रखाव और देखभाल की ज़िम्मेदारी और सही दृष्टिकोण की आवश्यकता है। कुत्ते को दिन में 1-2 बार ऊन, और कुत्ते को स्नान करने के लिए, फिर साल में तीन बार से अधिक नहीं - शरद ऋतु, वसंत, गर्मी। अपने पालतू जानवरों के कान देखें और गीले सूती तलछट के साथ महीने में कम से कम एक बार उन्हें साफ करें। एक जर्मन चरवाहे की देखभाल के लिए विशेष दांत पाउडर के साथ हर तीन महीने में दांतों की आवश्यकता होती है और सफाई होती है । पालतू दुकानों में फ्लोराइड के साथ कृत्रिम और प्राकृतिक हड्डियों का एक बड़ा चयन होता है - आपको अपने कुत्ते के दांतों के लिए क्या चाहिए।
एक जर्मन चरवाहा की देखभाल करने का एक और महत्वपूर्ण सिद्धांत पंजे का क्लिपिंग है। स्वस्थ पंजे चमकता है, exfoliate मत करो और गिरना नहीं है; एक केश के लिए एक पंजे का उपयोग करें।
कुत्ते को विभिन्न स्वस्थ खाद्य पदार्थों को खिलाएंः मांस, अनाज, सूखे भोजन, सब्जियां और डेयरी उत्पादों।
जर्मन चरवाहे को ठीक से कैसे चलें?
यदि एक जर्मन चरवाहा एक अपार्टमेंट में रहता है, तो उसे एक घेरे में रहने के बजाय उससे अधिक बार चलना जरूरी है। पार्क में चरवाहा चलो, खेलें, ट्रेन करें , पालतू जानवरों के साथ अन्य कुत्तों के साथ संबंध देखें, आक्रामकता की अनुमति न दें, कुत्ते को झटके और थूथन पर चलने की कोशिश करें।
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पू० के लगभग इन राज्यों की स्वतंत्रता अद्भुत कर ली गई और एक केन्द्रीय राज्य कायम किया गया। यहाँ का राजा मिनो की उराधि से प्रसिद्ध था और इन राजाओं का दो कालीन शासन का इतिहास में मिनोअन युग के नाम से विख्यात है। इस युग में सभ्यता और समृद्धि की खूब ही उन्नति हुई थी। नोसस राज्य की राजधानी थी। राजभवन विशाल होता था। कई देशों के साथ राजनीतिक और व्यापारिक सम्बन्ध या। एजेंस क्रीट के अधीन या और कर भेजा करता था। एक यूनानी दन्त कथा के प्रचलित है कि क्रीट में मिनोटर नाम का एक राक्षस रहता था जिसके भोजन के लिये एथेंस से मनुष्यों और पशुओं का निश्चित कोटा मेजा जाता था। यह संदेह किया जाता है कि १५वीं सदी ई० पू० में क्रीट मिश्री साम्राज्य का अंग रहा हो क्योंकि थुमस तृतीय के समय में एक कर्मचारी एजिया द्वीप समूह का गवर्नर कहा जाता था। किन्तु यह सदेह ही है। क्रीट पराधीन था - इसकी स्पष्ट चर्चा कहीं नहीं मिलती है। १४०० ई० पू० में नोसस शहर तहस-नहस कर दिया गया। अभी इसके विषय में विस्तृत ज्ञान इतिहासकारों को नहीं प्राप्त हो सका है। अगले ४०० वर्षों में नोसेंस का पुनरुत्थान हुआ । लेकिन फिर १००० ई० पू० में इसपर भीषण आक्रमण हुआ और अनुमान किया जाता है कि ट्राय शहर के विश्वसक यूनानियों ने ही इस दुष्कार्य को भी किया था । तत्पश्चात् नोटस पुनः सॅमल नहीं सका । ५३६ ई० पू० में फारस के सम्राट् ने क्रीड के साथ सारे ईजियन द्वीप समूह को ही अपने साम्राज्य के पेट में हड़प लिया ।
क्रीटन सभ्यता एवं संस्कृति
भौगोलिक प्रभाव
क्रोट द्वीप समूह की मौगोलिक स्थिति सभ्यता के विकास के लिये बहुत ही अनुकूल थी। यह भूमव्यसागर के मध्य में स्थित है और यह सागर तीन महादेशों-यूरोप, एशिया और अफ्रीका को छूता है। भूमध्यसागर में और भी अनेकों द्वीप थे जो एजिया द्वीप समूह के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्हीं में से क्रीट भी एक द्वीप या किन्तु यह सत्रों मे बड़ा और शक्तिशाली था। एशिया माइनर एजिया द्वीप समूह को पूर्वी भू-भागों से मिलाता था और कीट मिश्र को अन्य देशों से सम्बन्धित करता था। एशिया माइनर हिड्डियों का निवास स्थान या और वहाँ सभ्यता विकसित अवस्था में थी। इसके उत्तरपश्चिम में ट्राय शहर २५०० ई० पू० के लगभग उन्नत दशा में था। इसके सिवा सामुद्रिक स्थिति होने के कारण किसी बाहरी आक्रमण का भय और संदेह नहीं था। अतः क्रोट में भी उच्चकोटि की सभ्यता का उदय हुआ । प्राचीनकालीन सभ्यताओं में क्रीटन सम्पता का भी एक उत्तम स्थान है। इसे मिनोअन या इंजियन सभ्यता भी कहते हैं। राजाओं की उदाधि मिनो के आधार पर मिनोअन नामकरण हुआ है। क्रीटन
भूमध्य सागरीय सभ्यता - फलस्तीन, फिनीशिया, क्रीड
लोग इंजियन समुद्र के द्वीपों तथा तटीय प्रदेशों के निवासी थे । इसलिये वे तथा उनकी सभ्यता ईजियन के नाम से सम्बोषित होने लगा था।
यह सभ्यता प्रधानतः सामुद्रिक है। किनीशियों की भाँति कीट निवासी भी वाणिज्यव्यापार की क्रिया में सभ्यताओं का भी आदान-प्रदान करते थे । किन्तु फिनीशिया की सम्यता जहाँ विभिन्न सम्यताओं का केवल समन्वय था, क्रीट की सभ्यता में समन्वय और मौलिकता - दोनों ही बातें थीं। यह भी स्मरण रखना चाहिये कि सम्पूर्ण एजिया द्वीप की सभ्यता क्रीट की ही सभ्यता की छाया मात्र थी । यही नहीं, यूरोप में सभ्यता की प्रथम ज्योति यहीं पहुॅची थी और यहाँ से ग्रीस तथा रोम होते हुए यूरोप के अन्य देशों में इसका प्रकाश पहुॅचा था।
सभ्यता तथा संस्कृति का उल्लेख
क्रीट की शासन व्यवस्था सुदृढ़ थी जिसका आधार नगर राज्य था। राजा बड़ा ही शक्तिशाली था। वह पुरोहित और सेनापति मी था । उसकी राजधानी धन और वैभव का नमूना थी । मिनो की सेवा करने के लिये विविध पेशे वाले पर्याप्त संख्या में वहाँ रहते थे। राजमहल का निर्माण बड़ा ही विचित्र ढंग का होता था। श्रन्दर में प्रवेश कर जाने पर निकलने के रास्ते का पता बड़ी कठिनाई से मिलता था । मिट्टी के विशाल घड़ों में व्यवहार करने की चीजें रखी जाती थीं। अधीनस्थ देशों से कर और भेंट की चीजें आती थीं । राजा के पास स्थल और जल सेनाऍ रहती थीं। किन्तु जल सेना की ही प्रधानता थी । इतिहास में क्रोट ही प्रथम राज्य है जहाँ जल सेना संगठित थी ।
क्रीट निवासियों के धर्म के विषय में बहुत ही थोड़ी जानकारी प्राप्त हो सकी है। ये लोग प्रकृति के उपासक थे। वे वृक्ष, पशुओं तथा नागों की पूजा करते थे । जगत-माता उनकी प्रसिद्ध देवी थी जिसे वे सब जीव-जन्तुओं की जननी समझते थे। वे बलिदान और कर्मकाण्ड में विश्वास करते थे। धार्मिक उत्सवों में गाने-बजाने होते थे किन्तु देवताओं के लिये मन्दिर नहीं बनाए जाते थे।
खेती करना, मछली मारना, जहाज चलाना और व्यापार करना - क्रीट निवासियों के मुख्य पेशे थे। कला-कौशल के भी काम होते थे। मिश्र, यूनान आदि पड़ोसी देशों से उनका व्यापारिक लगाव था । व्यापार के प्रसार के लिये सायप्रस, सिसली और यूनान में उपनिवेश भी कायम किये गये थे। यूनान के दक्खिन में टिरीन्स और माइकेनी नाम के दो प्रसिद्ध शहर थे। आरगोलियस की खाड़ी से कोरिथ की खाड़ी तक के व्यापारिक रास्ते के छोर पर माइकेनी स्थित था । अतः यह वैभव से परिपूर्ण था । क्रीट और मिश्र दोनों ही के जहाज यहाँ आते थे और मालों को उतारते थे ।
नोसस का राजप्रासाद वास्तु कला का सर्वोत्तम नमूना है। इसमें श्वेत पत्थर लगे थे जिसमें पर्याप्त चमक-दमक होता था । राजप्रासाद एक सम्पूर्ण नगर ही के
समान था जिसके अन्दर सभी आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त होती थीं। इसमें बहुत से कमरे होते थे और वे भी बड़े ही विशाल । इसमें स्नानागार भी थे और पानी बाहर निकल जाने के लिये नालियों निर्मित थीं। शहर में भी गन्दे पानी के निकास के लिये नालियों का जाल बिछा हुआ था। ये नालियों अभी भी वैसे ही दीख पड़ती हैं मानो हाल ही की बनी हुई है। १६वीं सदी तक लंदन और पेरिस में भी ऐसी नालियों का नाम निशान तक भी नहीं था। सर आर्थर इवास के शब्दों में 'वर्तमान काल में भी बहुत ही कम राष्ट्रों ने उस तरह का वैज्ञानिक ढंग पर स्वास्थ्य के लिये प्रबन्ध किया है।' मोहेनजोदड़ो की नगर व्यवस्था से क्रीट की नगर व्यवस्था में बहुत कुछ साम्य पाया लाता है।
चित्र ३१ - मिनोअन आभूषण और घड़ा
मोहेनजोदड़ो की भाँति फीट की सभ्यता भी शातिसूचक है। दीवारों पर सुन्दर चित्र औौर बेल-बूटे कित हैं। बेल-बूटेदार सुन्दर और आकर्षक कपड़े, आभूषण और बर्तन भी बनाये जाने थे । वर्तन तो शिल्प कला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हैं। कुम्हार के चाक जैसी चीज पर बर्तन बनाया जाता था और इसपर पालिश देकर सुन्दर-सुन्दर चित्र शंकित किया जाता था । साइप्रस से तौबा और स्पेन तथा अन्य देशों से टीन लाकर कोसा बनाया जाता था। कों से से अनेक वस्तुएँ तैयार की जाती थीं। हाथी दाँत और संगमरमर की सुन्दर मूर्तियों बनती थीं ।
इस प्रकार क्रीट में ऐसी ही चीजें अधिकतर मिली है जिनका सम्बन्ध शाति काल से है। किसी युद्ध के दृश्य या शस्त्र-शस्त्र का चित्र अंकित किया हुआ नहीं पाया गया है।
भूमध्य सागरीय सभ्तता - फिलस्तीन, फिनीशिया, क्रीड
चित्र ३२ - क्रीटन कला का एक नमूना
क्रीटन सभ्यता की देन
क्रीट भी फिनीशिया की भाँति सभ्यता का वाहक और प्रचारक था। पहले ही कहा गया है कि यहीं से सभ्यता का प्रकाश यूरोप में फैला है। मालों के साथ-साथ सभ्यता का भी विनिमय होता था। यूनानी सभ्यता इजियन सभ्यता का बहुत बड़ा ऋणी है। उसे इजियन सभ्यता का नवीन संस्करण ही कहा जा सकता है।
अध्याय १२ भूमध्यसागरीय सभ्यता - प्राचीन यूनान
यूनानी इतिहास का महत्व
विश्व के इतिहास में यूनान देश का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है। भूमध्य सागरीय सभ्यताओं में यनानी सभ्यता को भी उच्च स्थान प्राप्त है। इसके कई कारण है। यह सभ्यता एशियाई सभ्यताओं की तरह प्राचीन तो नहीं है किन्तु कई बातों में उनसे आगे है। यूनान ने सभ्यता के प्रायः प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति की । राजनीति शास्त्र और प्रजातंत्र राज्य का विकास यूनान ने खूब किया। इसके पहले व्यक्तिगत स्वतंत्रता का कहीं नाम भी नहीं था। इसने सभ्यता का केवल विकास ही नहीं किया, बाहरी सकट से उसकी रक्षा भी की। फारस के साम्राज्यवाद से इसने अपनी सम्पता की रक्षा कर यूरोप तथा अन्य देशों में उसके प्रचार के लिये सुअवसर प्रदान किया। एशिया और यूरोप के बीच का दरवाजा यूनान था और इसी दरवाजे से यूरोप में सभ्यता का प्रवेश हुआ । इस के अभाव में यूरोप के इतिहास का रूप बिलकुल भिन्न होता। पता नहीं कि यह कितने समय तक बर्बरता और अज्ञान का शिकार बना रहता । यूनान ही यूरोप की सभ्यता का जन्मदाता है। या यों कहें कि यूरोर की सभ्यता यूनान की सभ्यता की ही सन्तान है। इसी भावना को प्रदर्शित करते हुए एक बार महान् कवि शेली ने कहा था "हम सभी ग्रीक ही हैं; हम लोगों के विधान, कलाएँ और साहित्य सबका मूल तो ग्रीस में ही है । "
इस प्रकार यह प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन युगों को मिलाने वाली एक बड़ी कड़ी है। "सारे इतिहास का लक्ष्य यूनान होते हुये विजयी रोम तक पहुँचना है। श्राज का सारा इतिहास पराबित और ध्वस्त रोम से ही चल कर हमारे पास आता है । ७१ भौगोलिक स्थिति
यूनान में भूगोज्ञ और इतिहास के बीच गहरा सम्बन्ध दीख पड़ता है। यहाँ के इतिहास की विशेषतायें भौगोलिक विशेषताओं के ही परिणाम है। यूनान एक प्रायद्वीप जिसके तीन और समुद्र है। कोरिन्थ की खाड़ी देश को दो भागों में विभक्त करती है। खाड़ियों और समुद्र के कारण देश का किनारा वृटिश द्वीप समूह की तरह बहुत ही कटा हुआ है और अच्छे बंदरगाहों की भरमार है। अतः व्यापार और उपनिवेश के
• सैन्डर्सन-वर्ल्ड हिस्ट्री, पृष्ठ ३
क्षेत्रों में प्रगति करना स्वाभाविक ही है। देश का भीतरी माग पहाड़ों के कारण कई हिस्सों में बॅट गया है और प्रत्येक भाग के लोगों के लिये दूसरे भाग में आना-जाना कठिन ही नहीं, असम्भव भी रहा है। इससे नगर राज्यों का उत्थान अनिवार्य हो गया और राष्ट्रीय एकता सम्भव नहीं हो सकी। प्रत्येक नगर निवासी अपनी स्वतंत्रता का कट्टर पाती बन गया । इसकी रक्षा के लिए युद्ध भी करना पड़ता था। इससे युद्ध तथा हिंसात्मक प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिला। इसी कारण ये शातिप्रिय क्रीटनों को सहज ही पराजित कर सके । सामुद्रिक सम्बध के कारण एबिया द्वीप समूह के द्वारा एशिया से सभ्यता ग्रीस में पहुॅची। वस्तुतः यूनानी सभ्यता इजियन सभ्यता की ही देन है।
लेकिन ग्रोस के पूर्वी किनारे पर ही अधिक और उत्तम बंदरगाह हैं। इन्हीं बंदरगाहों के द्वारा व्यागर का काम होता था । अतः पश्चिम की अपेक्षा पूर्वी किनारा पहले सभ्य हुआ । देश का भीतरी भाग नदियों की घाटी के समान उपजाऊ नहीं था। अतः यहाँ के लोगों को बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता था जिससे वे शरीर से हृष्ट-पुष्ट होते थे । इस तरह व्यापार, सामुद्रिक यात्रा, नौका-संचालन आदि कामों में यूनानियों की विशेष अभिरुचि उत्पन्न हुई । जलवायु इतनी थी कि यूनानियों की मानसिक शक्ति प्रबल और क्रियाशील बनी रही। देश में प्राकृतिक सौंदयों की भी अधिकता थी। इस कारण उनकी कल्पना-शक्ति जागृत होती रही और वे उच्चकोटि की कला, साहित्य तथा दर्शन उत्पन्न करने में समर्थ हुये । प्रस्तर की अधिकता के कारण कारीगरी तथा वास्तुकला के विकास को प्रोत्साहन मिला।
प्राकृतिक दृष्टि से यूनान के तीन भाग थे । (क) उत्तरी भाग जिसमें दो मुख्य राज्य थे । इसी भाग में मकदुनिया था जिसके विषय में आगे चलकर जानकारी प्राप्त होगी। ख ) मध्य भाग जिसमें १ राज्य थे। इनमें नाटिका का राज्य जिसमें एथेन्स स्थित था, बहुत प्रसिद्ध या । (ग) दक्षिणी भाग जिसमें सात राज्य थे । इनमें विशेष प्रसिद्ध लेकोनिया का राज्य था जिसमें स्वार्टा स्थित था । इन राज्यों के सिवा यूनान देश के अन्तर्गत एशिया माइनर का कुछ भाग और छोटे-मोटे बहुत से द्वीप थे । इस तरह प्राचीन काल में इस देश का क्षेत्र, वर्तमान समय की अपेक्षा बहुत अधिक था । यूनान का इतिहास प्रधानतः सार्टी, एथेन्स, यीब्ज और मकदुनिया के नगर राज्यों का ही इतिहास है। अनुकूल भौगोलिक स्थिति के अतिरिक्त यूनानियों के उत्थान के कुछ अन्य कारण भी थे । यूनान के पड़ोसी देशों की सभ्यताएँ समृद्धिपूर्णं थीं जिनसे इसने बहुत कुछ सहज ही सीखकर अपनी सभ्यता को शक्तिशाली बनाया । सैन्य तथा जल शक्ति के कारण उसे किसी बाहरी शत्रु का भय नहीं रहा और निरंकुश सम्राट् को भी हरा सका । उसे एयेन्स जैसे नगर राज्य का सर्वोत्तम पय-प्रदर्शन मिला नहीं अनेक सुयोग्य पुरुषों का प्रादुर्भाव हुआ । मकदुनिया ने सिकन्दर जैसे महान् विजेता को
जन्म दिया जिसके नेतृत्व में यूनान एक विस्तृत साम्राज्य की राजधानी बन गया । प्राचीन निवासी
यूनान देश और यहाँ के निवासी ग्रीस और ग्रीक नाम से क्रमशः विख्यात है। ये नाम बहुत बाद में प्रचलित हुए । पूर्व इतिहास काल के लेखक होमर के लेखों में भी इन नामों की चर्चा नहीं की गयी है। होमर का काल ईसा के लगभग वीं सदी पूर्व बतलाया जाता है। ये दोनों नाम कालान्तर में रोमन शब्द आई - साई से निकल कर प्रसिद्ध हुये है।
यूनान के लोग अपने को हेलन कहते थे । इनके पहले पेलारजान्स नामक जाति के लोग रहते थे जो साधारणतः कुछ खेती-बारी का काम करते थे । हेलन लोग २००० ईसा पूर्व के लगभग पूर्व की ओर से कास्सियन प्रदेश से चले और कालान्तर में इस प्रदेश में आये । ये लोग आर्य जाति के थे और लगभग १२वीं सदी ईसा पूर्व तक यहाँ बस गये थे। ये पहले येवली प्रान्त में बसे और इसके बाद क्रमशः दक्षिण की तरफ बढ़ते गये। ये अपने देश को हेलास कहते थे । इनकी चार शाखायें थीं - डोरियन, ईश्रोलिन, एकिथन और आयोनियन । इनमें डोरियन और आयोनियन ही नाम विशेष उल्लेखनीय है। स्पार्टी के निवासी डोरियन और एथेन्स के निवासी आयोनियन शाखा के ही प्रतिनिधि थे और इन्होंने ने ही यूनान के इतिहास में प्रमुख माग लिया है।
आर्यों के बीच भाट की श्रेणी के गायक होते थे को उनकी यश-गाथाओं को स्मृति, गीत और कविता के रूप में स्थायी रखते थे। हेलेनों के बीच ऐसे ही कितने भार थे । इलियड और ओडिसी नाम के उनके दो महाकाव्य है जैसे भारतीय आर्यों के रामायण और महाभारत नाम के दो महाकाव्य है । इन महाकाव्यों के असल रचयिता के सम्बंध में विद्वानों के बीच मतभेद है। किन्तु अधिक लोगों का अनुमान है कि होमर नाम के एक अंध एक अंध कवि ने इन्हें लिखा। लेकिन यह स्मरणीय है कि होमर ने प्रधानतः सम्पादक का काम किया था जिस तरह व्यास ने महाभारत को सम्पादित किया था । होमर ने १००० ई० पू० के लगभग इन ग्रन्थों का सम्पादन किया था। इलियड में एशिया माइनर के उत्तर-पश्चिम में स्थित ट्राय शहर पर यूनानियों के आक्रमण तथा विजय का वर्णन है। श्रोडिसी में ट्राय से श्रोडेसियम ( ईल्यूसीस ) नामक सेनापति की लौटती यात्रा का वर्णन है। इन महाकाव्यों में प्रकृति सौंदर्य का भी सुन्दर चित्रण
। इनके कथानक कहाँ तक सत्य है - यह विवादास्पद है। लेकिन यूनानियों के पूर्वइतिहास काल की स्थिति जानने के लिये ये ही महत्वपूर्ण साधन हैं। यूनान के इतिहास का प्रथम भाग यही पूर्व इतिहास काल है जिसे वीर-काल या होमरिक काल कहते हैं। इसका समय लगभग ८वीं सदी ( ७७६ ई० ) तक माना जाता है।
वीर गाथा काल का संक्षिप्त इतिहास
उस समय यूनानी खेती करते थे और मेड़ पालते थे। शिकार और युद्ध में इनकी विशेष अभिरुचि रहती थी। कुछ व्यापार भी होने लगा था। उनके रहन-सहन पर मेसोपोटेमिया का बड़ा प्रभाव पडा था। लोग कुछ ऐसे कपड़े पहनते थे जो पैरों तक लटके रहते थे। स्त्रियों अपने मुख का कुछ भाग ढका रखती थीं। लोगों का ख्याल या कि मनुष्य का ही परिवर्तित रूप देवता का होता था । अतः मनुष्य की तरह उनकी मूर्तियाँ भी बनाई जाने लगी थीं।
उनकी राजनीतिक संस्था राजतन्त्र प्रणाली पर आधारित थी । प्रत्येक राज्य में एक वर्ग रहता था जिसका एक मुखिया होता था । वह सरदार या राजा कहलाता था। बही युद्ध में सेनापति और उत्सव में पुरोहित का भी कार्य करता था। लेकिन एशिया के कई देशों के जैसा प्राचीन यूनान का राज तन्त्र स्वच्छद और निरक्कुश नहीं था । राजा और प्रजा के दो विभिन्न वर्ग नहीं थे। दोनों ही समान ये । समान व्यक्तियों में ही राजा का प्रथम स्थान माना जाता था। राज्य प्रबंध में वह प्रमुख कुलीनों और साधारण पुरुषों से भी राय लेता था।
कालान्तर में समय गति के साथ राजा कमजोर होता गया और कुलीनों तथा सामान्य व्यक्तियों की शक्ति बढ़ती गई । अतः राजतन्त्र के स्थान पर प्रजातंत्र राज्य कायम हो गया। कुछ राज्यों में राजा के स्थान पर सरदारों ने ही अपना हुक्म चलाया लेकिन उसके बाद वहाँ भी प्रजा ने अपनी सत्ता स्थापित की। प्रजातंत्र राज्य में कुछ निश्चित काल के लिये एक प्रधान चुना जाता था और राज्य के सभी लोग सभा में बैठकर अपने राज्य के लिये कानून बनाते । किसी भी पद पर कोई भी नागरिक योग्यतानुसार नियुक्त होने का अधिकारी था। सत्रको बोलने और मत प्रदान करने की स्वतंत्रता थी। इस तरह यनान में कितने ही नगर - राज्य कायम हो गये । प्रत्येक नगर राज्य एक दूसरे से स्वतंत्र था और अपने राज्य की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिये लोग सदा ही तसर रहते थे। परंतु सबों के बीच एकता का अभाव था। राष्ट्रीय एकता की भावना नहीं थी, उल्टे सभी आपस में झगड़ते रहते थे। इन नगर राज्यों मे सार्टा और एथेन्स के ही राज्य अधिक प्रगतिशील और प्रसिद्ध थे । इन राज्यों के विकास का प्रधान कारण या - यूनान की प्राकृतिक बनावट जिसका वर्णन पहले ही किया जा चुका है। इसके सिवा यूनान निवासियों की भी यह विशेषता थी कि वे स्वतंत्रता के बड़े ही प्रेमी ये । यूनानियों में सम्पर्क के साधन
अभी कहा गया कि यूनान में नगर राज्यों की स्थापना के कारण राष्ट्रीय एकता का अभाव था। फिर भी उनके बीच सम्पर्क के कई साधन ये :- (१) उनके बीच के भाषा और वंश की समानता थी। उनके पूर्वज एक कुल के थे । ( २ ) हेलेनों की
विभिन्न शाखाओं के बीच रहन-सहन, चाल-चलन में कुछ अन्तर तो या किन्तु विदेशियों की तुलना में सर्वो के रहन-सहन में बहुत समानता थी । ( ३ ) ट्रोजन का युद्ध सभी हेलेनों की कीर्ति समझी जाती थी और ईलियड तथा श्रोडेसी के महाकाव्य उनके राष्ट्रीय साहित्य माने जाते थे। सभी हेलेन ट्राय के विरुद्ध एक होकर लड़े थे। होमर उनके सनातन लेखक थे और उनकी कृतियाँ सर्वत्र पढ़ी जाती थीं। (४) उनके कितने देवी-देवता एक ही थे । समय-समय पर धार्मिक उत्सव होता था जिसमें सभी राज्य के प्रतिनिधि श्राते थे। एक प्रमुख धार्मिक संघ था जो एम्फिक्टिश्रोनिक संघ के नाम से प्रसिद्ध था। साल में दो बार डेल्फी स्थित एपोलो के मंदिर में इसकी बैठक होती थी। ऐसे ही किसी मुख्य कार्य करने के पहले सभी लोग पीथिया देवी की राय करते थे। इस प्रथा को औरेक्ल कहते है। ( ५ ) यूनान में खेल-कूद को बड़ा महत्व दिया जाता था। अतः इसकी देखरेख के लिये कई संस्थाएँ कायम थीं जिनमें समूचे यूनान का प्रतिनिधित्व होता था। एलिस में श्रालिम्पस पर्वत पर प्रत्येक ४ वर्ष पर राष्ट्रीय खेल कूद करने की प्रथा स्थापित थी। ये श्रोलिम्पिक खेल के नाम से प्रसिद्ध
। दो बार के उत्सवों के बीच के समय को अलिम्यियाद कहा जाता था। इस उत्सव के मौके पर विराम-सन्धि हो जाती थी और प्रत्येक माग से लोग इसमें श्रद्धा और उत्साह के साथ शामिल होते थे। समी विजेताओं का राष्ट्रीय सम्मान किया जाता था और उनकी मूर्तियाँ स्थापित की जाती थीं। ( ६ ) जब व्यापार के लिये किसी राज्य का नागरिक दूसरे राज्य में जाता था तो वह वहाँ किसी का अतिथि होकर रहता था।
इस प्रकार पारस्परिक सम्पर्क के लिये यूनानियों को बहुत मौके मिलते थे। लेकिन इससे सामाजिक और जातीय एकता की ही भावना प्रस्फुटित हुई; राजनीतिक एकता या राष्ट्रीयता की भावना नहीं उत्पन्न हुई। फारस के विदेशी श्राक्रमण के समय भी यह एकता स्थापित न हो सकी, शान्ति काल की बात तो दूर रहे।
यह पहले ही बतलाया गया है कि एशिया में बसने वाले श्रार्य-पारसी तथा हिन्दू और यूनान में बसने वाले श्रार्य लगभग एक ही समय में और एक ही जगह से चले थे। वे आपस में सगे-सम्बन्धी ही थे और उनके विचार तथा संगठन एक ही तरह के थे। किन्तु समय गति के साथ उनके विकास क्रम के अनुसार उनमें भिन्नता बढ़ती गई। एशियाटिक आर्य दार्शनिक, धार्मिक और आदर्शवादी बन गये लेकिन यूनानी वैज्ञानिक, व्यवहारिक और बुद्धिवादी हो गये। यूनानियों की भी शाखाओं में अन्तर पड़े गया और सबसे अधिक अन्तर डोरियन तथा आयोनियन के बीच में उत्पन्न हुआ। दोनों की विचारधाराओं में आकाश-पाताल का अन्तर था। |
हैदराबाद. लोग भगवान के पास स्वास्थ्य, सुरक्षा या फिर अपनी कामयाबी के लिए प्रार्थना करने जाते हैं. लेकिन हैदराबाद के चिल्कुर बालाजी मंदिर के देवता आपको वीजा भी दिला सकते हैं. विश्व प्रसिद्ध चिल्कुर बालाजी का प्राचीन मंदिर वीजा भगवान के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर भगवान बालाजी और उनकी पत्नी श्री देवी और भू देवी को समर्पित है. विदेश जाने की हसरत पाले यहां लोग वीजा के लिए भगवान से सिफारिश करने आते हैं. वीजा मिल जाने पर मंदिर के एक खास हिस्से की 108 बार परिक्रमा करके भगवान को धन्यवाद भी करते हैं.
ऐसा ही एक मंदिर पंजाब में हैं यहां भी लोग वीजा पाने के लिए प्रार्थना करने आते हैं. यहां आने वाले भक्त मंदिर के बाहर बिकने वाले खिलौना हवाईजहाज को मंदिर में चढ़ाते हैं. इससे उनका यकीन मजबूत होता है कि उन्हें जल्दी ही वीजा मिल जाएगा.
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मुजफ्फरनगर (उप्र)। (भाषा) अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने अपने गांव के लोगों से पेड़ लगाने की अपील की है। उन्होंने रविवार की शाम को बुढ़ाना शहर में सफीपुर पट्टी गांव में वृक्षारोपण मुहिम शुरू की और 35 पौधे लगाये। नवाजुद्दीन ने अपने गांव में 5000 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। इस अभियान में जहां केंद्र और राज्य सरकार लगातार लोगों को शुद्ध पर्यावरण को लेकर जागरूक कर वृक्षारोपण करा रही है। वहीं, फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्द्की द्वारा रविवार दोपहर मुज़फ्फरनगर में बुढ़ाना स्थित अपने गांव सफ़ीपुरपट्टी में अपने खेतों के चारों और नीम के पांच हजार पौधे लगाने के लक्ष्य का शुभारंभ कर दिया है। नवाजुद्दीन सिद्द्की द्वारा वृक्षारोपण करने की सराहना पूरे जनपद में की जा रही है। नवाजद्दीन सिद्द्की अपने खेत पर आम किसान की तरह नजर आ रहे थे। सर पर सफ़ेद पगड़ी बांधे नवाजुद्दीन ने मिट्टी खोदकर पहले नीम का पौधा लगाया और फिर पानी दिया।
कुछ देर बाद नवाजुद्दीन खेत में बनी कुटिया में बैठ गए। जहां उन्होंने अपने कुछ परिचितों से चर्चा की। मीडिया को जानकारी देते हुए नवाजद्दीन सिद्द्की ने बताया कि देखिये मुंबई और मुज़फ्फरनगर में बहुत अंतर है। मुंबई मेरी कर्मभूमि है तो मुज़फ्फरनगर मेरी जन्मभूमि है। मुंबई में अधिकतर समय में फिल्मों में व्यस्त रहता हूं और जब भी मौका मिलता है तो मैं मुज़फ्फरनगर के बुढ़ाना में अपने गांव लौट आता हूं, रिफ्रेश होने के लिए, क्योंकि मेरे गांव और मेरे खेतों में बहुत सी यादें हैं। यंहा से एनर्जी लेकर जाता हूं और फिर से अपने काम पर लग जाता हूं।
दो वर्ष पहले मैं और मेरे छोटे भाई फैजुद्दीन ने सोचा था कि, हम मिलकर अपने खेतों पर नीम के पेड़ लगाएंगे। बीच में शूटिंग के लिए बाहर चला गया था। पर्यावरण को बचाने के लिए देश का हर व्यक्ति चाहे वो अभिनेता हो या नेता सभी आज पर्यावरण की महत्व को समझते हैं और समय समय पर वृक्षारोपण भी करते रहते हैं। इसलिए मैंने भी आज बुढ़ाना स्थित अपने गांव सफीपुर पट्टी में अपने खेतों के चारों और नीम के पांच हजार पौधों को लगाने का लक्ष्य रखा है। जिसकी आज शुरुआत हो गयी है।
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महेश भट्ट के लिए भी व्यस्त हैं इमरान!
जब महेश भट्ट से इमरान के बारे में पूछे गया तो महेश भट्ट ने कहा "इमरान अब वो लड़के नहीं रह गए हैं जो हमें कॉल करके काम के लिए पूछते थे। वो अब बहुत व्यस्त हैं और राज़ 3 के लिए उन्हें कास्ट करने में हमें बहुत मुश्किल हुई। राज़ एक फ्रेन्चाइसी है और इसके लिए हमें इमरान के साथ की बहुत जरुरत थी। "
तो क्या महेश भट्ट को इमरान ने फिल्म में काम करवाने के लिए प्रार्थना करनी पड़ी? इस सवाल पर महेश भट्ट ने कहा मैं ज्यादातर इंटरफियरेंस नहीं करता हूं लेकिन इस बार जब मेरी टीम ने मुझसे कहा तो मैने ये किया। राज़ 3 के प्रमोशन के इतने देर से शुरु होने की वजह पूछने पर महेश भट्ट ने कहा जल्दी शुरु करना बहुत आसान होता है लेकिन फिर उस प्रमोशन को बनाए रखना बहुत मुश्किल। अभी फिल्म को रिलीज होने में लगभग एक महीना है इसलिए हम अच्छा कर रहे हैं।
दूसरी तरफ इमरान हाशमी ने कुछ समय पहले कहा था कि चाहे जो भी हो लेकिन वो हर साल महेश भट्ट के साथ दो फिल्में करेंगे। इस बात पर महेश भट्ट ने कहा "इस साल तो हम दो फिल्में करने में सफल हो गए लेकिन अगले साल हो सकता है कि हम सिर्फ दो फिल्में ही करें। "
भट्ट कैंप की 'मर्डर' फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद से इमरान हाशमी के करियर ने बॉलीवुड में ऊंचाइयों को ही छुआ और एक के बाद एक हिट फिल्में देकर आज इमरान का किरयर उस स्टेज पर है जहां हर एक्टर पहुंचना चाहता है। लेकिन सफल होने के बाद उन्होने अपने मेंटर यानी भट्ट कैंप को भी इंतजार कराना शुरु कर दिया अब ऐसे में भट्ट कैंप भी आखिर कब तक इमरान के नखरे सहेगा।
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खेल। राजस्थान रॉयल्स (Rajasthan Royals) को इस सीजन का अपना पहला मुकाबला 29 मार्च को सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) के खिलाफ खेलना है। इस अहम मैच के लिए टीम के सभी खिलाड़ियों ने मैदान पर अभ्यास करना शुरू कर दिया है। बता दें कि, राजस्थान ने इस बार के आईपीएल के लिए युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) को अपनी टीम से जोड़ा है। चहल इस टीम लिए घातक गेंदबाज साबित हो सकते हैं।
अगर पहले मुकाबले के लिए राजस्थान टीम की संभावित प्लेइंग इलेवन की बात करें तो यशस्वी जयसवाल (Yashasvi Jaiswal) समेत प्रसिद्ध कृष्णा (Prasidh Krishna) को खेलने का मौका दिया जाएगा। यशस्वी एक शानदार ओपनिंग बल्लेबाज हैं। ऐसे में उन्हें खेलने के लिए बुलाया जा सकता है। उनके साथ जोस बटलर (Jos Buttler) बतौर ओपनर पहले मुकाबले में मैदान पर आ सकते हैं। इसी बीच शिमरोन हेटमायर (Shimron Hetmyer) और रासी वैन डेर डूसन को भी मौका मिलने की उम्मीद है। दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के स्टार बल्लेबाज डूसन ने पिछले कई मुकाबलों में घातक बल्लेबाजी से सबका दिल जीता है। अगर तेज गेंदबाजों की बात की जाए तो इसमें प्रसिद्ध कृष्णा, ट्रेंट बोल्ट (Trent Boult) और नवदीप सैनी (Navdeep Saini) को टीम में शामिल किया जा सकता है। ये तीनों ही गेंदबाज अपनी घातक गेंदबाजी के लिए जाने जाते हैं।
युवा खिलाड़ी रियान पराग (Riyan Parag) पर भी सबकी नजरें टिकी होंगी। अगर रियान टीम खेले तो वह टीम के लिए अहम खिलाड़ी साबित हो सकते हैं। शिमरोन हेटमायर समेत रासी वैन डेर डूसन पहले मुकाबले में आप सभी को नजर आ सकते हैं। बता दें कि, राजस्थान रॉयल्स को इस टूर्नामेंट का पहला मुकाबला 29 मार्च को हैदराबाद के खिलाफ शाम 7:30 बजे खेलना है।
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गीयरई गंधव्वाणियाहिवई।
बलिस्स णं वइरोणिंदस्स वइरोयणरण्णो सत्ताणिया, सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा-पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए । महदुमे पायत्ताणियाहिवई जाव किंपुरिसे रहाणियाहिवई, महारिट्टे णट्टाणियाहिवई, गीयजसे गंधव्वाणियाहिवई ।
धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो सत्त अणिया, सत्त अणियाहिवई, पण्णत्ता, तं जहा- पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए । रुद्दसेणे पायत्ताणियाहिवई जाव आणंदे रहाणियाहिवई, नंदणे णट्टाणियाहिवई, तेयली गंधव्वाणियाहिवई ।
भूयाणंदस्स सत्त अणिया, सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहापायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए । दक्खे पायत्ताणियाहिवई जाव णंदुत्तरे रहाणियाहिवई, रई णट्टाणियाहिवई, माणसे गंधव्वाणियाहिवई । एवं जाव घोसमहाघोसाणं नेयव्वं ।
सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सत्त अणिया, सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा-पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए । हरिणेगमेसी पायत्ताणियाहिवई जाव माढरे रहाणियाहिवई, सेए णट्टाणियाहिवई, तुंबुरू गंधव्वाणियाहिवई ।
ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा-पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए । लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवई जाव महासेए णट्टाणियाहिवई, रए गंधव्वाणियाहिवई । सेसं जहा पंचम ट्ठाणे । एवं जाव अच्चुतस्सवि नेयव्वं ॥ ४२ ॥
छाया- चमरस्य खलु असुरेन्द्रस्य असुरकुमारराजस्य सप्तानीकानि, सप्तानीकाधिपतयः प्रज्ञप्तास्तद्यथा- पादातानीकं, पीठानीकं, कुञ्जरानीकं, महिषानीकं, रथानीकं, नाट्यानीकं, गन्धर्वानीकम्। द्रुमः पादातानीकाधिपतिः। एवं यथा पञ्चमस्थाने यावत् किन्नरो रथानीकाधिपतिः, रिष्टो नाट्याधिपतिः गीतरतिर्गन्धर्वानीकाधिपतिः ।
बलेः वैरोचनेन्द्रस्य वैरोचनराजस्य सप्त अनीकानि, सप्त अनीकाधिपतयः प्रज्ञप्तास्तद्यथा- पादातानीकं यावद् गन्धर्वानीकम्। महाद्रुमः पादातानीकाधिपतिर्यावत् किम्पुरुषो रथानीकाधिपतिः, महारिष्टो नाट्यानीकाधिपतिः गीतयशो गन्धर्वानीकाधिपतिः ।
धरणस्य नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य सप्तानीकानि, सप्तानीकाधिपतयः प्रज्ञप्तास्तद्यथा - पादातानीकं यावत् गन्धर्वानीकम् । रुद्रसेनः पादातानीकाधिपतिर्यावद् आनन्दो रथानीकाधिपतिः, नन्दनो नाट्यानीकाधिपतिः, तेतली गन्धर्वानीकाधिपतिः।
भूतानन्दस्य सप्तानीकानि, सप्तानीकाधिपतयः प्रज्ञप्तास्तद्यथा- पादातानीकं यावत् गन्धर्वानीकम्। दक्ष पादातानीकाधिपतिर्यावद् नन्दोत्तरो रथानीकाधिपतिः, रतिर्नाट्यानीकाधिपतिः, मानसो गन्धर्वानीकाधिपतिः। एवं यावत् घोषमहाघोषयोनेंतव्यम् ।
शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य सप्तानीकानि, सप्तानीकाधिपतयः प्रज्ञप्तास्तद्यथापादातानीकं यावत् गन्धर्वानीकम् । हरिनैगमेषी पादातानीकाधिपतिर्यावन्माठरो रथानीकाधिपतिः, श्वेतो नाट्यानीकाधिपतिः, तुम्बरुर्गन्धर्वानीकाधिपतिः ।
ईशानस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य सप्तानीकानि, सप्तानीकाधिपतयः प्रज्ञप्तास्तद्यथापादातानीकं यावद् गन्धर्वानीकम्। लघुपराक्रमः पादातानीकाधिपतिर्यावन्महाश्वेतो नाट्यानीकाधिपतिः, रतिर्गन्धर्वानीकाधिपतिः, शेष यथा पञ्चमस्थाने । एवं यावत् अच्युतस्यापि नेतव्यम् ।
मूलार्थ- चमर असुरेन्द्र असुरकुमारराज के सात अनीक़ हैं और सात ही अनीकाधिपति कथन किए गए है, जैसे- पादातानीक, पीठानीक, कुञ्जरानीक, महिषानीक, रथानीक, नाट्यानीक, गन्धर्वानीक। द्रुमदेव पादातानीकाधिपति है। इसी प्रकार जैसे पाचवें स्थान में वर्णन किया गया है, यावत् किन्नर रथानीकाधिपति है। रिष्ट नाट्यानीकाधिपति और गीतरति गन्धर्वानीकाधिपति है।
बलि वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज के सात अनीक एव सात अनीकाधिपति हैं, जैसेपादातानीक यावत् गन्धर्वानीक । महाद्रुम- देव पादातानीकाधिपति है यावत् किम्पुरुष स्थानीकाधिपति है और महारिष्ट नाट्यानीकाधिपति है, गीतयश गन्धर्वानीकाधिपति है।
धरणेन्द्र नागकुमारेन्द्र नागकुमार राज के सात अनीक हैं और सातों के ही अनीकाधिपति हैं, जैसे पादातानीक यावत् गन्धर्वानीक। रुद्रसेन पादाताधिपति यावत् आनन्द रथानीकाधिपति है एवं नन्दन नाट्यानीकाधिपति है। तेतली गन्धर्वानीकाधिपति है।
भूतानन्द के सात अनीक तथा सात अनीकाधिपति हैं- पादातानीकाधिपति यावत् गन्धर्वानीकाधिपति । दक्ष पादातानीकाधिपति यावत् नन्दोत्तर रथानीकाधिपति है। रति नाट्यानीकाधिपति है तथा मानस गन्धर्वानीकाधिपति है। एवं यावत् घोष और महाघोष इन्द्रो के विषय में भी समझना चाहिए। |
अंजली राय, भोपाल। सेंट्रल एक्साइज कस्टम विभाग से असिस्टेंट कमिश्नर के पद से 2017 में सेवानिवृत्त होने के बाद वाणीश्री दामोदरन गौतम रूकी नहीं, बल्कि उन्होंने फिर से पढ़ना शुरू किया। 64 वर्ष की उम्र में उन्होंने योग विज्ञान में स्नातकोत्तर कोर्स किया और 85 प्रतिशत अंक लाकर टापर बनीं। इसके लिए उन्हें स्वर्ण पदक मिला। वे कहती हैं कि कई लोग सोचते हैं कि सेवानिवृत्त होने के बाद जीवन खत्म हो जाता हैं और वे आराम की मुद्रा में आ जाते हैं। मेरा मानना है कि अब तो जीवन शुरू हुआ है, जो आप नौकरी और घर की जिम्मेदारी में अपने शौक को पूरा नहीं कर पाते हैं। वह अब समय मिला है, जिसे पूरा कर सकते हैं। वाणीश्री का कहना है कि अब आगे वे पीएचडी करेंगी। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में दो पदक मिले। पहला स्नातकोत्तर में अधिक अंक लाने के लिए स्वर्ण पदक और दूसरा अटल कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। वे कालेज में एक दिन भी अनुपस्थित नहीं रही। वे कहती हैं कि कभी-कभी तो रात दो बजे तक प्राेजेक्ट बनाती रहती थी। उन्होंने कहा कि मेहनत के कारण ही यह सफलता मिली है।
रीमा रायकवार को 2021-22 में योग विज्ञान में स्नातकोत्तर में सर्वोच्च अंक लाने के लिए स्वर्ण पदक मिला है। वे कहती हैं कि परिवार का साथ और खुद की मेहनत के कारण यह पदक मिला। आगे उनका लक्ष्य नेट क्वालिफाई करना और पीएचडी करना है। उनका कहना है कि कोविड काल के बाद योग विज्ञान की काफी डिमांड बढ़ी है। अभी वर्तमान वे योग ट्रेनर भी हैं।
प्रतीक पटेल को पुस्तकालय व शिक्षा विज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर में सर्वोच्च अंक लाने के लिए स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। वे कहते हैं कि अभी आगे और भी पढ़ाई करेंगे। उनका कहना है कि अच्छे अंक लाने के लिए वे हर रोज कक्षा में उपस्थिति के साथ-साथ नियमित पढ़ाई करते थे। उनका कहना है कि मेहनत के बदौलत सबकुछ पाया जा सकता है।
दीक्षा समारोह में बीएड विभाग की तीन सहेलियां सेल्फी लेती नजर आईं। इसमें ज्योति यादव प्रथम, सुमेधा राणे द्वितीय और पिंकी चौहान तीसरे स्थान पर रहीं। उन्होंने कहा कि उनकी आगे भी एक साथ पढ़ाई करने की है। तीनों ग्रुप स्टडी करके प्रथम, द्वितीय व तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
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- just now रवीना टंडन की बेटी से लोगों ने कर दी ऐसी डिमांड, जवाब सुनकर खुला रह जाएगा मुंह!
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HOT Pics: एक, दो नहीं. . 'मस्तीजादे' में सनी लियोन. . और 27 बिकिनी. .
[गपशप] सनी लियोन अपनी आने वाली फिल्म में कुछ ऐसा करने वाली हैं, जिसे देखकर एक खास दर्शक वर्ग के पैसे तो जरूर वसूल हो जाएंगे। अब जाहिर है, सनी की फिल्म देखने जाएंगे तो वे कहानी या किरदार देखने तो सिनेमाघर तक नहीं ही जाएंगे।
खैर, बता दें कि मिलाप झावेरी की फिल्म 'मस्तीजादे' में सनी लियोन 27 बिकिनी में नजर आने वाली हैं। जी हां, 27 बिकीनी. . यानि की लगभग हर फ्रेम में सनी अलग अलग बिकिनी में दिखने वाली हैं। इसके लिए उन्होंने काफी तैयारी भी है।
SHOCK: नवाजुद्दीन सिद्दिकी के साथ अगली फिल्म में दिखेंगी सनी लियोन!
बता दें, मस्तीज़ादे के लिए सनी लियोन को अपना वजन भी कम करना पड़ा। फिल्म में सनी डबल रोल में नजर आने वाली हैं- लिली लेले, लैला लेले. . और वहीं, इनके प्रेमी होंगे तुषार कपूर और वीर दास।
27 बिकिनी के अलावा सनी इस फिल्म में स्ट्रीपटीज भी करती नजर आएंगी। फिल्म में यह सीन जेनिफर एनिस्टन और डेमी मूरे के स्ट्रीपटीज सीन को ध्यान में रखते हुए डाला गया है। लिहाजा, फिल्म में स्ट्रीपटीज कर वे तुषार कपूर और वीर दास को सिड्यूस करेंगी।
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नई दिल्लीः
अभिनेता अभिषेक बच्चन ने फिल्म 'हैप्पी न्यू ईयर' के अपने सह-कलाकारों शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण और निर्देशक फराह खान को संकेत दिया कि 2014 की इस हिट फिल्म का सीक्वल बनाने का समय अब आ गया है.
अभिषेक ने एक गाड़ी की तस्वीर पोस्ट की जिस पर हिंदी में 'नंदू' लिखा हुआ था. 'हैप्पी न्यू ईयर' में अभिनेता के किरदार का नाम नंदू था. फिल्म में बोमन ईरानी, सोनू सूद और जैकी श्रॉफ ने भी काम किया था.
अभिषेक (43) ने तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा, "यह एक संकेत है! शाहरुख, दीपिका पादुकोण, फराह खान, बोमन ईरानी, सोनू सूद और जैकी श्रॉफ..बैंड को फिर से वापस लाने का समय आ गया."
बड़े पर्दे पर अभिषेक आखिरी बार अभिनेत्री तापसी पन्नू और विक्की कौशल के साथ फिल्म 'मनमर्जियां' में नजर आए थे. ऐसी भी खबरें हैं कि अभिषेक अपनी पत्नी ऐश्वर्या के साथ फिल्म गुलाब जामुन में नजर आएंगे लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं है.
(इनपुट आईएएनएस से)
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PATNA : रविवार को पटना पहुंचने से पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने दिल्ली में भक्त चरण दास को लेकर जो बयान दिया उसके बाद आरजेडी और कांग्रेस के बीच तकरार बढ़ गई। लालू ने बिहार कांग्रेस प्रभारी पर जो टिप्पणी की है उसके बाद कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता भी अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं लेकिन लालू के इस बयान पर बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भक्त चरण दास ने लालू को गांधीवादी तरीके से जवाब दिया है। बिहार कांग्रेस प्रभारी ने कहा है कि हम लालू यादव का आदर और सम्मान करते हैं, वह बड़े भाई की तरह हैं। उन्हें जो भी बोलना है. . वह कह सकते हैं लेकिन मेरे मन में उनके लिए सम्मान था और आगे भी रहेगा।
इतना ही नहीं भक्त चरण दास ने कहा है कि लालू यादव बड़े आदमी हैं। गाली दे सकते हैं. . हम तो छोटे आदमी हैं। हम गाली क्या दें? लालू जी ने लंबे अरसे तक बिहार में शासन किया और उन्हें इस बात का जवाब देना चाहिए कि राज्य के अंदर पिछड़ों और गरीबों की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हो पाया? उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी जरूरी चीजें क्यों नहीं मुहैया कराई जा सकी? आर्थिक प्रगति के बगैर सामाजिक न्याय की बात का क्या मतलब रह जाता है? बिहार कांग्रेस प्रभारी ने यह भी साफ कर दिया कि आरजेडी से कांग्रेस का गठबंधन टूट चुका है। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी बात क्या होगी कि मैं खुद कह रहा हूं कि कांग्रेस से अगले लोकसभा चुनाव में 40 सीट पर अकेले लड़ेगी।
एक तरफ तो लालू प्रसाद यादव ने जहां भक्त चरण दास के ऊपर अपने अंदाज में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। वही बिहार कांग्रेस प्रभारी इस मसले पर ज्यादा आक्रामक नजर नहीं आ रहे। भक्त चरण दास ने यह भी कहा है कि गठबंधन बिहार में खत्म हो चुका है और कांग्रेस अब तो अपने बूते आगे बढ़ेगी। दास ने कहा कि लालू यादव मुख्यमंत्री और उनका बेटा तेजस्वी यादव अगर मुख्यमंत्री बन जाए तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मेरा सवाल एक है कि आरजेडी के शासनकाल में रहते गरीबों और पिछड़ों की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ?
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राजसमंद में नाथद्वारा थाना क्षेत्र के सालोर गांव में सोमवार को फायरिंग की घटना हो गई। जिसके बाद आसपास के क्षेत्र में भय का माहौल बन गया। इस घटना के बाद घायल युवक को नाथद्वारा के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उसका इलाज जारी है।
जानकरी के अनुसार सोमवार दोपहर में सालोर निवासी युवराज पुत्र मांगीलाल चौधरी अपने साथियों के साथ होटल पर बैठा था। होटल से बाहर निकलने पर बाइक पर सवार दो नकाबपोश बदमाशों ने युवराज पर दो फायर किए।
फायरिंग में युवराज के बाएं पैर की जांघ पर ओर दाएं पैर के टखने पर छर्रे लगे। एक हाथ की उंगली भी टूट गई, फायरिंग के बाद दोनों बदमाश मौके से बाइक लेकर फरार हो गए ।
घटना के बाद घायल युवक के साथी उसे लेकर नाथद्वारा अस्पताल पहुंचे। ऑपरेशन के बाद युवक को आईसीयू में भर्ती करवाया गया। घायल का इलाज जारी है। घटना के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची और तफ्तीश प्रारम्भ की।
नाथद्वारा उपनिरीक्षक सोनाली शर्मा ने बताया कि इलाके में नाकाबंदी कर आरोपियों की तलाश की जा रही है। दोपहर में सालोर गांव में फायरिंग की घटना की जानकारी मिली थी। जिसके बाद हॉस्पिटल पहुंचकर मामले की जानकारी ली।
नाथद्वारा हॉस्पिटल के डॉ. गुंजन शर्मा ने बताया कि युवक का इलाज जारी है। अभी युवक की हालत खतरे से बाहर है।
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तेजस्वी प्रकाश टीवी इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस में से एक हैं।
तेजस्वी 10 जून को अपना बर्थडे सेलिब्रेट करती हैं।
एक्ट्रेस अपने बोल्ड अवतार की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहती हैं।
एक्ट्रेस तेजस्वी सोशल मीडिया पर अपनी हॉट तस्वीरें शेयर करती रहती हैं।
येलो थाई स्लिट ड्रेस में तेजस्वी बेहद ग्लैमरस लग रही हैं।
ब्लू कलर की ड्रेस में एक्ट्रेस काफी बोल्ड नजर आ रही हैं।
पर्पल कलर की ब्रालेट और पैंट में तेजस्वी का यह लुक काफी वायरल हुआ था।
ब्लैक हाई थाई स्लिट ड्रेस में एक्ट्रेस बेहद हसीन नजर आई, सभी ने उनकी ये फोटो काफी पसंद की।
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इंदौर। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी की वजह से मैदानी इलाकों में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। पिछले कुछ दिनों से मालवा-निमाड़ पर भी ठंड का सितम देखने को मिल रहा है। लगातार दूसरे दिन इंदौर, खंडवा, उज्जैन, देवास जैसे जिलों में स्कूलों की छुट्टियां कर दी गई हैं। वहीं सीवियर कोल्ड की स्थिति भी बनी हुई है।
मंगलवार को खरगोन में न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुच गया। ये इस सीजन का सबसे ठंडा दिन है। यहां ठंड ने सात साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दिसम्बर 2011 में यहां न्यूनतम 2 डिग्री तक पहुंचा गया था तापमान। ठंड की वजह से अभिभावकों ने स्कूलों में छुट्टी घोषित करने की मांग की है। वहीं इंदौर में भी कमोबेश यही हाल हैं। इस बार पड़ रही कड़ाके की ठंडक ने इंदौर में जनवरी माह में पिछले सात साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मंगलवार को इंदौर में न्यूनतम तापमान 5. 6 डिग्री दर्ज किया गया जो कि सामान्य से चार डिग्री कम रहा। लगातार तीसरे दिन शहर में 'सीवियर कोल्ड डे' की स्थिति रही।
हिमाचल में हो रही बर्फबारी व उत्तरी हवाओं के कारण फिर से प्रदेश कंपकपाया। पिछले तीन दिन से अधिकतम तापमान भी सामान्य से आठ डिग्री कम रहा और तापमान 20. 1 डिग्री दर्ज किया गया।
ठंड के चलते कलेक्टर व स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को भी 8वीं तक के विद्यार्थियों का अवकाश घोषित कर दिया। खंडवा, देवास, रतलाम और नीमच में मंगलवार को स्कूलों में आठवीं तक अवकाश रहेगा। मंदसौर में पाला गिरने से अफीम के डोडे काले पड़ गए हैं।
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