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नागपुरः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज यहाँ कहा कि राज्य सरकार चर्मकार समाज के सर्वांगीण विकास के लिए कृतसंकल्प है। इसीलिए चर्मकार समाज की अपेक्षा, बाधाओं और समस्याओं को समझने और उन्हें सही ढंग से हल करने के लिए उनकी सरकार ने संत रोहिदास चर्मकार कल्याण आयोग की स्थापना की है और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी वाई. सी. पवार को संत रोहिदास चर्मकार कल्याण आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।चर्मकार समाज के विकास के लिए संघर्ष कर रहे भैय्यासाहेब बिघाणे को आज आयोग के सदस्य बनाया गया है।
मुख्यमंत्री चर्मकार सेवा संघा द्वारा आयोजित मेधावी छात्रों के सम्मान समारोह और समाज के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। इस अवसर पर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, महापौर नंदा जिचकार, जिला परिषद की अध्यक्षा निशा सावरकर, विधायक डॉ. परिणय फुके, पूर्व विधायक नरेंद्र भोंडेकर, चर्मकार सेवा संघ के संस्थापक अध्यक्ष भैय्यासाहेब बिघाणे और सुभाष पारधी प्रमुख अतिथि के रूप में मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी समय बेशक चर्मकार समाज में शिक्षा की कमी थी,लेकिन अब स्थिति तेजी से बदल रही है और चर्मकार समाज विभिन्न क्षेत्रों में तेज़ी से प्रगति कर रहा है। आज का सौभाग्यपूर्ण अवसर इस बीत का एक अच्छा उदाहरण है। चर्मकार समाज के युवकों को शिक्षा का महत्व समझना चाहिए और सर्वोत्तम पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहिए और सरकार में बड़े पदों तक पहुँचने की कोशिश करनी चाहिए। राज्य सरकार ने चर्मकार समाज के विकास के लिए कई योजनाएं लागू की हैं और अब ये छात्र विदेशों में शिक्षा के अवसर प्राप्त कर सकेंगे जिसका पूरा व्यय राज्य सरकार नहीं करेगी। चर्मकार समाज के प्रतिभाशाली और गरीब छात्रों के शिक्षा का अवसर देने के लिए कई स्कॉलरशिप योजना शुरू की गई है।
श्री फड़णवीस ने कहा कि नई पीढ़ी को समाज को आगे ले जाने के मिशन पर काम करना चाहिए। राज्य सरकार ने चर्मकार समाज के विकास के लिए संत रोहिदास चर्मोद्योग एवं चर्मकार विकास महामंडल की पुनर्गठन किया है। इस महामंडल के माध्यम से राज्य सरकार विविध योजनाओं का कार्यान्वित करेगी।
संत रोहिदास चर्मकार आयोग सरकार ने गठित किया और इस आयोग का अध्यक्ष वाई. सी. पवार की नियुक्ति है और लंबे समय से चर्मकार समाज के विकास के लिए संघर्ष कर रहे भैय्यासाहेब बिघाणे को आयोग के सदस्य नियुक्त किया गया है।
नागपुर में चर्मकार समाज के लिए एक आलीशान समाज भवन निर्माण करने की माँग को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नागपुर में आलीशान समाज भवन का निर्माण किया जाएगा। मुंबई में 14 करोड रुपये खर्च करके चर्मकार समाज के लिए भव्य भवन का निर्माण किया जाएगा। नागपुर में भी आलीशान समाज भवन निर्माण करने का प्रस्ताव भेजना अनुरोध मुख्यमंत्री ने की। श्री फड़णवीस ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार केवल जगह ही नहीं बल्कि निर्माण का नब्बे फीसदी धनराशि भी देगी। इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री ने पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और विधायक डॉ. परिणय फुके के ऊपर सौंप दी।
इस अवसर पर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने चर्मकार समाज के विकास के लिए समाज का भवन और संत रोहिदास चर्मकार आयोग का गठन करके चर्मकार समाज को न्याय देने का काम किया है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का सम्मान किया। श्री गड़करी ने उम्मीद जताई कि चर्मकार समाज भवन में केवल मंगल कार्यालय नहीं होगा बल्कि उस जगह कौशल्य विकास, महिला एव योग कल्याण और समाज के युवक-युवतियों की प्रतिभा को निखारने का केंद्र भी होगा।
श्री गडकरी ने कहा कि मिहान में युवक-युवतियों को रोजगार देने और यहाँ लिस्टेड कंपनियों को बुलाने की हमारी कोशिश है। इससे चर्मकार समाज के युवक-युवतियों को रोजगार का बड़ा अवसर मिलेगा। श्री गड़करी ने अपील की कि समाज के संपन्न लोगों को ग़रीब एवं वंचित युवक-युवतियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
श्री गडकरी ने कहा कि चर्मकार सेवा संघ को नागपुर में विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की योजना तैयार करे। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
इस कार्यक्रम में गज्णमान्य लोगों के हाथों मेधावी छात्रों का सम्मान किया गया। मुख्यमंत्री द्वारा भैय्यासाहेब बिघाणे की आयोग के सदस्य के रूप में घोषणा करने के बाद उनका केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों सत्कार किया गया। इस कार्यक्रम में चर्मकार समाज के बंधुओं समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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प्रदेश के अग्रणी मीडिया समूह दिव्य हिमाचल के प्रीमियर डांस हिमाचल डांस इवेंट के तहत ऑडिशन का काफिला 15 जून बुधवार को बिलासपुर पहुंचेगा। डांस हिमाचल डांस इवेंट सीजन-8 में भाग लेने के लिए ऑडिशन देने वाले बच्चों में खासा क्रेज देखने को मिल रहा है। जिला बिलासपुर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, डांस अकादमियों में युवक-युवतियां ऑडिशन को लेकर खासे रोमांचित हैं। इस मैगा इवेंट के लिए अल्फा सीनियर सेकेंडरी स्कूल बरठीं के छात्रों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं, अरनी यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश इस इवेंट की लीड स्पॉन्सर है। दिव्य हिमाचल ने डीएचडी सीजन-8 की तैयारियों में जुटे प्रतिभागियों से बातचीत की तो उन्होंने अपने विचार यूं रखे।
अल्फा सीनियर सेकेंडरी स्कूल बरठीं की 10वीं कक्षा की छात्रा श्रुति का कहना है कि डीएचडी ऑडिशन के आयोजन को डांस के शौकीन युवाओं के लिए एक बेहतरीन अवसर है। खासकर ग्रामीण बच्चों के लिए यह एक बेहतर मंच साबित हो रहा है। वहीं, उन्होंने इस इवेंट के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
अल्फा स्कूल की नौवीं कक्षा की छात्रा शगुन ने कहा कि वह ऑडिशन को लेकर काफी क्रेजी हैं। उन्होंने कहा कि इस इवेंट में स्कूल के अन्य बच्चे भी भाग लेकर अपनी प्रतिभा दिखाएंगे।
अल्फा सीनियर सेकेंडरी स्कूल बरठीं में सातवीं कक्षा की छात्रा वंशिका ने कहा कि डीएचडी सीजन-आठ के ऑडिशन को लेकर वह खासी उत्साहित है। वह स्कूल में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेती हैं। डांस हिमाच डांस में भी वह जरूर भाग लेंगी।
अल्फा सीनियर सेकेंडरी स्कूल बरठीं के नौवीं कक्षा के छात्र ध्रुव शर्मा ने कहा कि उसे डांस का शौक है। ऑडिशन के बारे में पेरेंट्स से बात की। उन्होंने इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया है।
अल्फा स्कूल बरठीं के सातवीं कक्षा के छात्र हर्ष चंदेल ने कहा कि उसे स्कूल के अध्यापकों से इस इवेंट के बारे में जानकारी मिली है। आडिशन के लिए प्रैक्टिस जोरों से कर रहे हैं।
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हर दिन की तरह बीते दिन भी मायानगरी के एयरपोर्ट पर कई सितारों को स्पॉट किया गया। सबसे पहले नज़र आने वालों में से रही जान्हवी कपूर और उनकी बहन खुशी कपूर। जहां एक तरफ जान्हवी वही सफेद सूट में दिखीं और खुशी का अंदाज़ यहां कैजुअल नज़र आया। दोनों बहने कसकर एक दूसरे का हाथ पकड़े हैं।
इनके बाद नज़र आईं सनी लियोन, यानी फिल्मी जगत की मोस्ट गूगल्ड अभिनेत्री। यहां सनी लियोन रेड एंड व्हाइट अंदाज़ में नज़र आईं। यह रेड एंड व्हाइट कलर का ट्रैक सूट इन पर काफी जच रहा है। वहीं इन रंगों को देख एक ही चीज़ याद आती है, जो सनी की शर्ट पर साफ साफ पढ़ी जा सकती है।
वहीं इनके बाद नज़र आई दिलबर गर्ल का अंदाज़ इस बार कुछ बदला बदला प्रतीत हुआ। अक्सर छोटी या डिजाईनर ड्रेसेज में नज़र आने वाली नोरा फतेही यहां ट्रेडीशन्ल अटायर में नज़र आईं। यह सूट नोरा पर काफी जच रहा है। वहीं इन दिनों नोरा अपनी फिल्म स्ट्रीट डांसर पर जोरो से काम कर रही हैं।
इनके बाद यहां एक टीवी एक्टर का भी आना हुआ। यह हैं रोहन मेहरा। 13 साल की उम्र से टीवी पर काम कर रहे रोहन मेहरा अब 20 साल के हो गए हैं। ये रिश्ता क्या कहलाता से अपने करियर की शुरूआत कर चुके रोहन आखिरी बार किचन चैंपियन नामक रियेलिटी शो में बतौर कंटेस्टेंट बनकर आए थे।
इन सभी के बाद नज़र आए सिद्धार्थ मल्होत्रा। अपनी फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त चल रहे सिद्धार्थ काफी समय के बाद मायानगरी में यहां नज़र आए हैं। इन दिनों ये शहीद विक्रम बत्रा पर बन रही बायोपिक शेरशाह और फिल्म मरजावां पर एक साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा इनकी एक और फिल्म रिलीज़ पर है नाम है जबरिया जोड़ी।
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शॉर्टकटः मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
RSA सम्मेलन 2008 में गूगल के उपकरण को प्रदर्शित करते हुए गूगल उत्पादों की सूची में गूगल इंक. द्वारा जारी अथवा अधिगृहित किये गए सभी प्रमुख डेस्कटॉप, मोबाइल और ऑनलाइन उत्पाद शामिल हैं। वे बीटा विकास में या तो स्वर्ण प्रकाशन हैं या गूगल लैब्स पहल का आंशिक आधिकारिक हिस्सा हैं। इस सूची में पूर्व के उत्पाद भी शामिल हैं, जिन्हें या तो विलय, या समाप्त कर दिया गया अथवा उनका पुनः नामकरण किया गया। इन उत्पादों में वेब खोज सुविधाओं को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। . गूगल वेव कंप्यूटर द्वारा संचार का एक तुल्यकालिक कॉन्फ्रेन्सिंग साधन है। श्रेणीःकंप्यूटर श्रेणीःइंटरनेट.
गूगल उत्पादों की सूची और गूगल वेव आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
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यह लेख गूगल उत्पादों की सूची और गूगल वेव के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखेंः
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मने सौ-सौ बार मुझे यह समझाया है
तुमने सौ-सौ बार मुझे यह समझाया है - यों अतीत में खो जाना तो नहीं जिन्दगी ।
पर, भविष्य की रेखाएँ खिंचकर रह जायें, मुखरित होकर रंग नहीं उनमें भर पाये, पथ की उज्ज्वलता भी मन को भरमाती हो और लक्ष्य की दूरी, दूरी ही रह जाये।
तब कोई क्यों अपने मन को समझायेगा यों अतीत में खो जाना तो नहीं जिन्दगी ।
वही वही क्रम दुहराये जब प्रतिदिन, हरक्षण एक माप से ही मप जावे पिछला जीवन । नियत समय में, नियत काम के बन्धन हों ज फिर कैसे कुछ अर्थ रखे युग का परिवर्तन ?
आंमंत्रण पर परवशता जब पंथ रोक लेतब अतीत में खोजाना तब क्या नहीं जिन्दगी ?
आगत के संकेत न जब कुछ कह पाते हों, और स्वप्न के महल व्यर्थ ही ढह जाते हों, वह चेतनता, जो रूपम नया सजा पातीउस पर ही चिंतन के बंधन बँध जाते हों।
तब उसकी तड़फन का, मजबूरी का, ल यों अतीत में खो जाना क्या नहीं जिंदर्ग |
यही कारण है कि देशभक्ति शीर्षक सबसे स्पष्ट है, लेकिन अल्पज्ञात छुट्टियों में से एक के बारे में एक कहानी शुरू करना चाहिए है। रूस 2 सितम्बर के दौरान हर साल पारंपरिक रूप से रूस गार्ड के दिन चिह्नित करता है। छुट्टी को आधिकारिक तौर राष्ट्रपति डिक्री द्वारा 2000 में स्थापित किया गया था। रूस गार्ड के तीन सौवां साल - यह वास्तव में यादगार तारीख करने के लिए समय समाप्त हो गया था। यह क्या है सैनिकों की तरह?
असल में इतालवी से शब्द "गार्ड" "सुरक्षा" के रूप में अनुवाद करता है। रूस में, यह शब्द आम तौर पर विशेषाधिकार प्राप्त सैनिकों कहा जाता है। वे अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और नवीनतम सैन्य मामलों से सुसज्जित है और, ज़ाहिर है, सच देशभक्त, कार्य शुरू करने के लिए पहले संकेत के लिए तैयार हो। वैसे, यहां तक कि सुदूर अतीत गार्ड में सेना के कोर था, और जब प्रभु, अक्सर अपने निजी अंगरक्षक के रूप में कार्य विशेष रूप से सशस्त्र बलों आवश्यक थे। इसलिए, रूसी गार्ड के दिन - यह न सिर्फ एक तारीख है जब हम उनके देश का वास्तविक देशभक्त याद है, यह भी बीते युग के नायक के कारनामे याद करने के लिए एक समय है,।
वैसे, पहली बार एक रूसी चौकीदार पीटर प्रथम के अभियान सैनिकों के संदर्भ में इतिहास में उल्लेख किया है यह वह था जो उनके शासनकाल, इंपीरियल गार्ड के पहले साल की स्थापना की। और यह अभिजात वर्ग इकाइयों Semenovski और से बनाया गया था Preobrazhensky रेजिमेंट। दुर्भाग्य से, 1918 में गार्ड को भंग कर दिया गया था। यह द्वितीय विश्व युद्ध के वर्षों के द्वारा फिर से जगा दिया। 1941 में, भयंकर लड़ाइयों के दौरान बहादुरी से लड़े और 4 डिवीजन निशानेबाजों हलचल। यह उनकी है और गार्ड को कॉल करने के लिए शुरू किया। यह Iosifa Stalina आदेश था। और यह सब लाल सेना पर गर्व नाम पहनने के लिए शुरू किया "के गार्ड" सितम्बर 1941 में। नाजियों की मुक्ति के लिए खूनी लड़ाई के दौरान सोवियत शहरों जैसे शीर्षक संरचनाओं और सैन्य संगठनों सम्मानित किया जाता है पर विजय प्राप्त की, सेवा में खुद को प्रतिष्ठित किया। इस प्रकार, रूस गार्ड के दिन एक समृद्ध इतिहास है। यह याद रखें - अपने देश, अपनी मातृभूमि से प्यार करने का मतलब है।
पीटर के शासनकाल के दौरान boyars के बच्चों और अदालत, एक "हास्य टीम" (जो वह बाध्य और रूसी गार्ड के दिन) का गठन बाद में यह एक बन गया सैन्य यूनिट। विदेशी अधिकारियों को आमंत्रित किया सेनानियों, जो पश्चिमी यूरोपीय सैन्य विज्ञान के अनुसार रंगरूटों की खुदाई के लिए निर्देश दिया गया प्रशिक्षित करने के लिए। खिलौना बंदूक वर्तमान सैन्य हथियारों द्वारा बदल दिया। एक पूर्व poteshki स्टील पैमाने शिक्षाओं। प्रशिक्षण सैनिकों कोई प्रयास या वित्त बख्शा है। Yauza हो गई मिनी किले के तट पर। वह एक तूफान, और रक्षा दुर्ग इमारतों के रूप में कौशल और तकनीक सिद्ध। कई सालों बाद पैदल सेना दस्ते को जोड़ा गया, घुड़सवार सेना, तोपखाने और झील Pereyaslavl पर एक छोटा सा बेड़े की कमान से मिलकर। वैसे, रूस गार्ड दिवस शैली शो, जो उच्च वर्गीय सैन्य इकाइयों के प्रारंभिक वर्षों पुनः पेश देख सकते हैं। गैलेंट घुड़सवार सेना, पैदल सेना बहादुर और अच्छी तरह से करने के उद्देश्य से तोपखाने अपने सभी महिमा में दर्शकों के सामने पेश हुए। दोनों बच्चों और वयस्कों के लिए एक वास्तविक इलाज - दिन की रक्षा।
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आंध्र प्रदेश के सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी और महाराष्ट्र के चिराग शेट्टी की जोड़ी ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के मौजूदा सीजन में भारत का पहला मेडल पक्का कर लिया है। यह भारत का वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेंस डबल्स का पहला मेडल है। इससे पहले 2011 में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने विमेंस डबल्स में ब्रॉन्ज जीता था।
जापान में चल रही चैंपियनशिप के मेंस डबल्स इवेंट में रैंकीरेड्डी-अर्जुन की भारतीय जोड़ी ने डिफेंडिंग चैंपियन जापान के ताकुरो होकी-यूगो कोबायाशी को 24-22, 15-21, 21-14 से हराते हुए सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
यह मुकाबला एक घंटे 15 मिनट तक चला। फाइनल में उनका सामना एरोन चिया-सू वोई यीक की मलेशियाई जोड़ी से होगा।
मेंस डबल्स के एक अन्य क्वार्टर फाइनल में ध्रुव-अर्जुन की गैरवरीय भारतीय जोड़ी को इंडोनेशिया के मोहम्मद अहसान-हेंड्रा सेतियावान की तीसरी सीड जोड़ी ने 21-8, 21-14 से हराया। यह मैच 30 मिनट तक चला।
इस जोड़ी ने ही यांग काई टेरी और लोह कीन हियान की सिंगापुर की जोड़ी को 18-21, 21-15, 21-16 से हराकर टॉप-8 में जगह बनाई थी।
मेंस सिंगल्स में एचएस प्रणय हारकर बाहर हो गए हैं। क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उन्हें चीन के झाओ जून पेंग ने 19-21, 21-16, 21-18 से हराया। इसी के साथ मेंस सिंगल्स में भारतीय चुनौती समाप्त हो गई है। इससे पहले किदांबी श्रीकांत भी हारकर बाहर हो गए थे।
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लखनऊ, 24 अगस्त 2018: आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उप्र की प्रान्तीय कार्यसमिति की आज एक आवश्यक बैठक में आरक्षण समर्थकों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण दिये जाने के लिए जो सर्कुलर जारी कर राज्यों को पदोन्नति में आरक्षण देने का निर्देश दिया गया था, यूपी में उसका कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से केन्द्र सरकार ने पिछले 4 सालों से अधिक समय से पदोन्नति में आरक्षण बिल को लोकसभा में लटका कर देश के दलित समाज को अपमानित कराया है, वह दलित विरोधी नीति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जब देश में दलित वर्ग के लिये कोई भी कानून बनता है तो उस पर हल्ला मचने लगता है। अब पदोन्नति में आरक्षण पर क्रीमीलेयर की बात हो रही है, सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब संविधान में यह व्यवस्था दी गयी है कि दलित समाज क्रीमीलेयर की श्रेणी में नहीं आयेगा। क्योंकि वह अनुसूचित जाति/जनजाति संवर्ग में होने के नाते संवैधानिक व्यवस्था के तहत पिछड़ा है। आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम नहीं है, ऐसे में दलित समाज को संवैधानिक व्यवस्था के तहत न्याय मिलना चाहिए।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उप्र के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, केबी राम, डा. रामशब्द जैसवारा, आरपी केन, अनिल कुमार, अजय कुमार, श्याम लाल, अन्जनी कुमार, प्रेमचन्द्र, अशोक सोनकर, दिनेश कुमार, अजय चैधरी, राम औतार, सुनील कनौजिया ने एक संयुक्त बयान में कहा कि पूरे देश के दलित समाज को केन्द्र की मोदी सरकार लगातार भरमा रही है। उप्र के कुछ दलित नेता जो जल्दी ही भाजपा में शामिल हुए हैं, वह केन्द्र सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण दिये जाने के 15 जून के आदेश पर प्रेस कांफ्रेंस कर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे कि उप्र के दलित कार्मिकों को जल्द ही पदोन्नति में आरक्षण मिलेगा, लेकिन अब वह चुप्पी साध कर बैठ गये हैं। क्योंकि उप्र की सरकार पदोन्नति में आरक्षण देने की बात तो दूर अभी भी शिक्षा विभाग में दलित अध्यापकों के वेतन फ्रीज व रिवर्शन पर अमादा है। जो यह सिद्ध करता है कि उसे दलित वर्ग के कार्मिकों से कोई लेना देना नहीं है।
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सेंट जोंस (एंटिगा), 20 अगस्त । वेस्टइंडीज के टेस्ट और वनडे टीम के कप्तान जेसन होल्डर को विंडीज का साल का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट खिलाड़ी चुना गया है। वेस्टइंडीज ने 2018 में होल्डर की कप्तानी में श्रीलंका को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-1 से ड्रॉ पर रोका था जबकि इसके बाद बांग्लादेश को दो मैचों की टेस्ट सीरीज 2-0 से हराया था।
हरफनमौला खिलाड़ी होल्डर ने इसी दौरान वनडे में 405 रन बनाने के साथ-साथ 21 विकेट भी लिए थे। अब वह गुरुवार से भारत के साथ होने वाली दो मैचों की टेस्ट सीरीज में विंडीज टीम की कप्तानी करेंगे।
सोमवार को हुए पुरस्कारों की घोषणा में होल्डर के अलावा शाई होप को वनडे का साल का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया। होप ने पिछले साल 875 रन बनाए थे, जिसमें तीन शतक और इतने ही अर्धशतक शामिल थे।
इसके अलावा कीमो पॉल को टी-20 के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पॉल ने पिछले साल ही टी-20 में पदार्पण किया था, जहां उन्होंने 13 मैचों में 124 रन बनाने के अलावा 17 विकेट भी हासिल किए थे।
वहीं, ओशाने थॉमस को इमर्जिग प्लेयर ऑफ द ईयर और भारत के खिलाफ खेली जाने वाली दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए वेस्टइंडीज टीम में शामिल किए गए हरफनमौला खिलाड़ी रखीम कोर्नवाल को वेस्टइंडीज चैंपियनशिप प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला। आंद्रे रसेल को कैरेबियाई टी-20 प्लेयर अवार्ड मिला।
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नयी दिल्ली, आठ जनवरी सटोरियों द्वारा अपने सौदों के आकार को बढ़ाने के कारण स्थानीय वायदा बाजार में शुक्रवार को रिफाइंड सोया तेल का दाम 21. 5 रुपये की गिरावट के साथ 1,187. 2 रुपये प्रति 10 किग्रा रह गया।
नेशनल कमोडिटी एण्ड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज में जनवरी माह में डिलीवरी के लिये रिफाइंड सोया तेल के वायदा अनुबंध का भाव दो पैसे यानी 0. 02 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,187. 2 रुपये प्रति 10 किग्रा रह गया। इस अनुबंध में 30,080 लॉट के लिये सौदे किये गये।
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि मुख्यतः व्यापारियों द्वारा अपने सौदों की कटान करने से यहां वायदा कारोबार में रिफाइंड सोया तेल कीमतों में गिरावट आई।
हालांकि, रिफाइंड सोया तेल के फरवरी महीने में डिलीवरी किये जाने वाले वायदा अनुबंध का भाव 0. 8 रुपये यानी 0. 07 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,186. 5 रुपये प्रति 10 किग्रा हो गया। इस अनुबंध में 35,215 लॉट के लिये सौदे किये गये।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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किसीको हिंसा मत करो
जो आदमी चलनेमें असावधानी बरतता है, विना ठोकसे देखेमाले चलता है, वह त्रस और स्थावर जीवोंको हिंसा करता है। ऐसा आदमी कर्मबन्धनमें फंसता है। उसका फल कटु आ होता है।
अजयं आसमाणो उ पाणभूयाई हिसइ । बंधइ पायर्य कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥'
जो आदमी बैठने में असावधानी बरतता है, विना ठीकसे देखेमाले बैठता है, वह यस और स्थावर जीवोंकी हिंसा करता है। ऐसा आदमी वर्मबन्धनमें फंसता है। उसका फल कडुमा होता है ।
अजयं भुज्जमाणो उपाणभूयाई हिंसा । यंघ पावयं कम्मं तं से होइ कटुयं पलं ॥
जो आदमी भोजन करने में असावधानी बरतता है, बिना ठोकसे देखे-भाले भोजन करता है, वह त्रस और स्थावर जीवोंकी हिंसा करता है। ऐसा आदमी कर्मवन्धनमें फंसता है। उसका फल कडुआ होता है ।
अजयं भासमाणो उपाणभूयाइ हिसइ । चंघश पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं पलं ॥ |
सोशल मीडिया पर सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा 30 जीबी फ्री डाटा दिए जाने वाला मैसेज फेक है। कंपनियों ने इस तरह की कोई स्कीम नहीं निकाली है। मैसेज के साथ फिशिंग लिंक्स वायरल हो रहे हैं। इन पर क्लिक करने से यूजर का डाटा चोरी हो सकता है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। 15 अगस्त के पहले से सोशल मीडिया पर 30 जीबी फ्री डाटा ऑफर का एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें लिखा है कि सर्विस प्रोवाइडर्स यूजर्स को 30 जीबी फ्री डाटा ऑफर दे रहे हैं। इनमें कंपनियों के नाम के साथ लिंक दिए गए हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि सर्विस प्रोवाइडर्स ने इस तरह की कोई स्कीम नहीं दी है। इनके साथ में फिशिंग लिंक्स वायरल हो रहे हैं। पहले भी इस तरह के कई मैसेज वायरल हुए हैं, जिनकी विश्वास न्यूज ने पड़ताल की है।
हमें वॉट्सऐप पर यह मैसेज मिला। इसमें लिखा है,
वायरल मैसेज की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले इसमें दिए गए लिंक्स को ध्यान से देखा। ये सभी हमें संदिग्ध लगे। एयरटेल के नाम से दिए गए लिंक पर क्लिक करने पर जो पेज खुला, उसका यूआरएल https://fill2.us/Claim-Now#1660716257213 है। यह एयरटेल की आधिकारिक वेबसाइट का लिंक नहीं है। इसमें नीचे लिखा है कि अगर आपको 30 जीबी फ्री डाटा चाहिए तो नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें। इसको दोस्तों और परिवार को भी शेयर करने को कहा गया है।
एयरटेल के अलावा बाकी लिंक्स पर क्लिक करने पर भी इससे मिलते-जुलते यूआरएल मिले। खास बात यह है कि इस पर मैसेज और नीचे दिए गए कमेंट्स करने वाले यूजर्स के नाम समान हैं। जैज, जॉन्ग, टेलीनॉर और अदर नेटवर्क्स के साथ दिए गए लिंक्स 14 अगस्त यानी पाकिस्तान की आजादी का बधाई संदेश दे रहे हैं, लेकिन इनमें भी कमेंट करने वाले यूजर्स समान हैं।
एयरटेल, जिओ, वोडाफोन आइडिया, बीएसएनएल, जैज, जॉन्ग और टेलीनॉर की आधिकारिक वेबसाइट पर इस तरह के ऑफर की कोई जानकारी नहीं है। गूगल पर कीवर्ड से सर्च करने पर भी हमें किसी विश्वसनीय वेबसाइट पर इस तरह की कोई खबर नहीं मिली।
निष्कर्षः सोशल मीडिया पर सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा 30 जीबी फ्री डाटा दिए जाने वाला मैसेज फेक है। कंपनियों ने इस तरह की कोई स्कीम नहीं निकाली है। मैसेज के साथ फिशिंग लिंक्स वायरल हो रहे हैं। इन पर क्लिक करने से यूजर का डाटा चोरी हो सकता है।
- Claim Review : सर्विस प्रोवाइडर्स कंपनियां यूजर्स को 30 जीबी फ्री डाटा दे रहे हैं।
कॉरपोरेट और राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर सत्ता को हमेशा आइना दिखाने वाली फैक्ट चेक जर्नलिज्म सिर्फ और सिर्फ आपके सहयोग से संभव है। इस मुहिम में हमें आपके साथ और सहयोगी की जरूरत है। फर्जी और गुमराह करने वाली खबर के खिलाफ जारी इस लड़ाई में हमारी मदद करें और कृपया हमें आर्थिक सहयोग दें।
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भारत में सशस्त्र क्रान्ति चेष्ट
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क्रान्तिकारी आन्दोलन का सूत्रपात
भारत कैसे पराधीन हुआ
भारतवर्ष एक दिन में ज़ों के अधीन नहीं हुआ था, करीब एक सौ साल के पड्यंत्र, कूटनीति तथा विश्वासघात के बाद हिन्दुस्तान में बृटिश झण्डा स्वतंत्रता पूर्वक फहरा सका था । १७५७ ई० में पलासी के मैदान में भारतवर्ष की स्वाधीनता हर ली गई, जो ऐसा समझते हैं, वे गलती करते हैं । पलासी तो केवल उस विराट षड्यंत्र का, जिसके फलस्वरूप भारतवासी गुलामी की जंजीर में जकड़े गये, एक वार मात्र था । यह बात भी ग़लत है कि अङ्गरेज़ों ने तलवार के जोर से ही हिन्दुस्तान को जीता । सत्य तो यह है कि हिन्दुस्तान मक्कारी और षड्यंत्र से जीता गया, वश्यकता पड़ने पर कभी कभी तलवार भी काम में लाई गई थी। हिन्दुस्तान मक्कारी और षड्यन्त्र से जीता गया है, तलवार का भी इस्तेमाल किया गया था। आज भी दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्यवाद बड़ी तीव्रगति से अपने ख़ूनी पंजों को धँसाने
१४ भारत में सशस्त्र क्रान्ति चेष्टा का रोमांचकारी इतिहास
की चेष्टा में संलग्न है । फैसिस्ट जापान, जर्मनी और इटली की उनकी साम्राज्य लिप्सा के निमित्त हम कोसते हैं, क्योंकि उनके काले कारनामे रोज़ दुनिया में द्वितीय महायुद्ध के रूप में प्रकट हुये; किन्तु बृटेन के के कारनामों तथा हथकण्डों से हम परिचित नहीं हो पाते, इसलिए हम उसके सम्बन्ध में चुप रहते हैं। द्वितीय महायुद्ध के बाद भी क्या रक्तलोलुप बृटिश सिंह चुप बैठा है ? नहीं, वह बैठा नहीं है, वह बराबर अपने पैशाचिक षड्यन्त्रों को जारी रक्खे हुए है । सर्वत्र बड़ी । चुप्पी के साथ वह अपनी जघन्य साम्राज्य - पिपासा को तृप्त करने में लगा है । यह बात नहीं कि बृटेन गोली चलाने में विश्वास नहीं करता। सच तो यह है कि वह ऐसे समय में अपने शिकार पर एक भेड़िये की तरह टूट पड़ने में विश्वास करता है, जब कि दुनिया के जनमत की दृष्टि कहीं और लगी हुई हो; क्योंकि वह शोरगुल करना पसन्द नहीं करता है । वह जापान, जर्मनी तथा इटली की तरह डाँटफटकार तथा तर्जन गर्जन में विश्वास नहीं करता, बल्कि काम निकालने से काम रखता है । बृटिश परराष्ट्र नीति का बराबर यही मूल मन्त्र रहा है । स्टालिन तथा समाजवादी रूस के साथ उसके झगड़ों का यही कारण है ।
ग़दर - एक साम्राज्य-विरोधी प्रयास
भारतवर्ष में बृटिश झण्डे का सिक्का जमते जमते जम ही गया, किन्तु उधर उसको उखाड़ने से लिए भी कुछ शक्तियाँ जी जान से काम करने लगी थीं । १८५७ ई० में जो ग़दर हुआ, उसको बहुत से लोग भारतीय स्वाधीनता का युद्ध मानने से इनकार करते हैं । इस बात में तो कोई सन्देह नहीं कि जिन दलों के प्रयत्नों के फलस्वरूप ग़दर की लपट फैल गयी थी, उन सबका एक उद्देश्य यह होने पर भी कि हिन्दुस्तान से फिरङ्गियों के पैर उखड़ जायँ, उन सबके अन्तिम ध्येय में कोई समता नहीं थी । कोई कुछ चाहता था, कोई कुछ । गदर का सफल होना प्रगतिशीलता के हक में अच्छा होता या बुरा, इसमें भी
सन्देह प्रकट किया जाता है; क्योंकि ग़दर सफल होने का अर्थ होता कि पाश्चात्य देशों में पूँजीवादी क्रांतियाँ होने पर जिस सामन्तवाद का पैर उखड़ रहा था, उसकी भारत में पुनःस्थापना होती । किन्तु इसके साथ ही यह भी जोर के साथ नहीं कहा जा सकता कि देशी सामन्तवाद देशी पूँजीवाद के सामने बहुत दिन टिकता दिन टिकता क्योंकि देशा पूँजीवाद को भी पनपना ही था । फिर यह बात भी तो है कि ग़दर के पीछे जो प्रतिक्रियावादी तथा देश को सामन्तवादी युग में लौटा ले जाने वाली भावनाएँ थी, वे कुछ भी हों (Subjective) कारण-रूप थीं, उनका ..bjective ) कार्य-रूप परिणाम, बहुत सम्भव है, और होता ही । इतिहास में इसके सैकड़ों उदाहरण हैं कि किसी आन्दोलन के संचालकों के मन की कारणरूप भावना और होते हुए भी, एक आन्दोलन के कार्य रूप परिणाम कुछ और ही हुए हैं । हम इसलिए, ग़दर को एक साम्राज्यवाद विरोधी कार्य ही कहेंगे । सच बात तो यह है कि ग़दर के नेताओं कापस में कुछ और अधिक सहयोग होता, तो बहुत सम्भव है, भारत से बृटिश साम्राज्यवाद का खेमा उखड़ जाता । इस दृष्टि से हम ग़दर को निश्चित रूप से एक क्रान्तिकारी प्रयास मानते हैं ।
ग़दर को जिस बर्बरता के साथ दबाया गया, उसके सामने चीन में होने वाले जापानियों के तथा रूस पर किये गये जर्मनों के अत्याचार फीके पड़ जाते हैं। साम्राज्यवाद पूँजीवाद का सबसे विकसित रूप है, इस बात का सबसे जीता-जागता प्रमाण इस तथ्य से मिलेगा कि बृटिश साम्राज्यवाद ने अपने पैरों को दृढ़ता के साथ जमाने के लिए
मानुषिक उपायों द्वारा यहाँ के घरेलू धन्धों तथा छोटे धन्धों का नाश कर, पूँजीवाद के लिए पथ प्रशस्त कर दिया है। पहले पहल बृटिश साम्राज्यवाद ने यह सोचा कि यहाँ केवल साम्राज्यवाद का ही बोल-बाला रहेगा, किन्तु विरोधी परिस्थितियों के कारण बृटेन ने
१६ भारत में सशस्त्र क्रान्ति चेष्टा का रोमांचकारी इतिहास
कुछ और ही सीखा है, फलस्वरूप सामन्तवाद और पूँजीवाद के सबसे विकसित रूप साम्राज्यवाद में दोस्ती हो गई। यह एक अजीब बात है । थोड़ी प्रासङ्गिक होते हुए भी एक बात पर मैं इस जगह दृष्टि करना चाहता हूँ, वह यह है कि यह जो मंत्रिमंडल की योजना भारतवासियों पर लादी जाने वाली है, इसका भी मान्शा यही है कि यहाँ के सामन्तवाद को दृढ़ बनाकर साम्राज्यवाद को चिरस्थायी
बनाया जाय ।
पूंजीवाद के साथ राष्ट्रीयता का जन्म
दरअमानुषिक अत्याचारों द्वारा दबा जरूर दिया गया, किन्तु इस का अर्थ यह नहीं कि भारतवासी दब गये। सच्ची बात तो यह है इन
चारों से भारतवासी भारतवासी हो गये। पहले वे अपने क्षुद्र स्वार्थी, सम्प्रदायों, बहुत हुआ प्रान्तों की दृष्टि से सोचते थे; किन्तु अब वे कुछ-कुछ अखिल भारतीय दृष्टि से सोचने लगे हैं । जब बृटेन ने इन त्याचारों के युग में उन लोगों को जो, अपने को शेर समझते थे तथा उन लोगों को जिनको लोग ग्राम तौर से बकरी समझते थे, एक ही तलवार के घाट में पानी पिलाया अपमान किया, लांछित किया, तो उन सबके कान खड़े हो गये । आपस की दुश्मनी भुलाकर भारत के सभी वर्ग, अंग्रेजों को सार्वजनिक दुश्मन समझने लगे। यहीं से उस चीज़ का सूत्रपात होता है, जिसको हम भारतीयता या देशभक्ति कह सकते है । यह बात यहाँ पर स्मरण रखने योग्य है कि इस अखिलभारतीय देशभक्ति की नींव बहुत कुछ बृटिश-द्वेष पर थी, तथा इसकी मनोवैज्ञानिक नींव में उन चारों की याद भी थी, जो ग़दर में किये गये ये वाद उद्भव को समझने के लिए इस बात को समझना बहुत आवश्यक है ।
बीज काम करने लगा
क्रान्तिकारी आन्दोलन ठीक-ठीक किस समय प्रारम्भ होता है, यह कहना ठीक है; क्योंकि बीज हमेशा मिट्टी के नीचे काम करता है ।
पूँजीवाद के साथ राष्ट्रीयता का जन्म
जब वह अंकुर के रूप में प्रकट होता है. तभी हम जान पाते हैं कि वह तक नीचे-ही- नीचे कार्य करता रहा है। ग़दर के बाद कितने ही गिरोह ऐसे आये और गये, जो बृटिश सत्ता को मिटाने के लिए गुप्तरूप से प्रयत्न करते रहे, किन्तु उनकी योजनाएँ कल्पना में ही रह गई । वे कार्यरूप में परिप्त न हो सकीं । कम-से-कम इतिहास को इनका कोई निश्चित पता है । कूका विद्रोह की बात हम छोड़ देते हैं, उस विद्रोह का दृष्टिकोण अखिल भारतीय था या नहीं, इसमें संदेह है ।
कांगरेस का जन्म
सन् १८८५ में कांगरेस का जन्म हुआ। किन्तु उस समय की कांग्रेस के पीछे न तो हम किसी क्रांतिकारी शक्ति को देखते हैं, न उसके कार्यक्रम में कोई क्रान्तिकारी बात थी । उस ज़माने के क्रांतिकारी विचारों के व्यक्तियों ने अर्थात् उन व्यक्तियों ने जिनका अपना उद्देश्य बृटेन की सत्ता को यहाँ से उखाड़ने का था, कांग्रेस पर कोई ध्यान नहीं दिया । कांग्रेस तो उन दिनों अर्जीदिहन्दों का एक मजमा था, उससे साम्राज्यवाद विरोध या इस प्रकार के किसी नारे की उम्मीद रखना बेकार था । हम देखते हैं, न तो चाफेकर बन्धु न सावरकर बन्धु न वारीन्द्र कुमार घोष कोई भी कांग्रेस में न थे। बात यह है, कांगरेस का जनता से उस समय कोई सम्बन्ध नहीं था, इसीलिए उसकी कोई पूछ भी नहीं थी ।
हिन्दू-संरक्षिणी सभा
१८६४ के क़रीब श्री० दामोदर चाफेकर तथा उसके भाई बालकृष्ण ने एक सभा बनाई, जिसका नाम "हिन्दूधर्म-संरक्षिणी सभा" रक्खा था । चाफेकर बंधुओं के अंदर कौन-सी भावना काम कर रही थी, यह इसी से पता लगता है कि शिवाजी और गणपति-उत्सव के अवसर पर उन्होंने निम्नलिखित श्लोक गाये थे ।
शिवाजी श्लोक
केवल बैठे-बैठे शिवाजी की गाथा की प्रवृत्ति करने से किसी को आज़ादी नहीं मिल सकती है। हमें तो शिवाजी और वाजीराव की तरह कमर कसकर भयानक कृत्यों में जुट जाना पड़ेगा। दोस्तों, श्र के निमित्त ढाल-तलवार उठा लेनी पड़ेगी ! हमें शत्रुओं के श्रच सैकड़ों मुण्ड को काट डालना पड़ेगा ! सुनो, हम राष्ट्रीय युद्ध के मैदान में अपने जीवन का बलिदान कर देंगे और आज उन लोगों के रक्तपान से, जो हमारे धर्म को नष्ट कर या ग्राघात पहुँचा रहे हैं, पृथ्वी को रङ्ग देंगे। हम मारकर ही मरेंगे और तुम लोग घर बैठे औौरतों की तरह हमारा क़िस्सा सुनोगे !
गणपति श्लोक
हाय ! गुलामी में रहकर भी तुमको लाज नहीं ग्राती ? इस मे यह है कि तुम आत्महत्या कर डालो । उफ ! दुष्ट, हत्यारे कुसाइयों की तरह गोवध करते हैं, गोमाता को इस दशनीय दशा से छुड़ा लो । मर जाओ, किंतु पहले अंगरेजों को मारो तो सही ? चुप मत बैठे रहो, बेकार पृथ्वी पर बोझा मत बढ़ाओ । हमारे देश का नाम तो हिन्दुस्तान है, फिर यहाँ राज्य क्यों करते हैं ।
१८६७ में पूना में ताऊन भयङ्कर रूप से फैल रहा था। उसको दूर करने के लिये घर-घर तलाशी होने लगी, और जिन मकानों में बीमारी पाई गई, उनको जबरदस्ती खाली कराया गया । मिस्टर रैण्ड नामक एक अगरेज इस कार्य के लिये विशेष रूप से तैनात होकर आए । ये महशय जुरा कड़े मिज़ाज के थे; जिस बात को सहूलियत के साथ के सानी से किया जा सकता था, उसी बात को उन्होंने बदमिजाजी और सख्ती से किया। सच बात तो यह है कि मिस्टर रैण्ड ऐसे परोपकार के कार्य के लिये सर्वथा योग्य थे। नतीजा यह हुआ कि पूना तथा उसके
पास मिस्टर रैण्ड की बड़ी बदनामी हुई, और सभी लोग उन्हें सार्वजनिक शत्रु के रूप में देखने लगे। अखबार भी मिस्टर रैण्ड का तिरस्कार करने लगे। ४ मई १८६७ को लोकमान्य बालगङ्गाधर तिलक ने अपने समाचार पत्र 'केसरी' में इस आशय का लेख लिखा कि बीमारी तो केवल एक बहाना है, वास्तव में सरकार लोगों की आत्मा को कुचलना चाहती है। उन दिनों यह पत्र काफी जनप्रिय हो चुका था । इसी लेख में यह भी लिखा था कि मिस्टर रैण्ड त्याचारी है, और जो कुछ वे कर रहे हैं, वह सरकार की आज्ञा ही से कर रहे हैं; इसलिये सरकार के पास सहायता के लिये प्रार्थना पत्र देना व्यर्थ है ।
१२ जून १८६७ ई० को शिवाजी का अभिषेकोत्सव मनाया गया था, और १५ जून को उसी का विवरण देते हुए 'केसरी' ने कुछ पद्य छापे, जिनका शीर्षक 'शिवाजी की उक्तियाँ' था। पुलिस का कहना था कि शिवाजी की उक्ति के बहाने इसमें अगरेज़ जाति के विरुद्ध विद्वेष का प्रचार किया गया था। इस उत्सव के अवसर पर बोलते हुए, पुलीस की रिपोर्ट के अनुसार, एक वक्ता ने कहा - "आज इस पवित्र उत्सव के मौके पर प्रत्येक हिन्दू तथा मरहठे का - चाहे वह किसी भी दल या सम्प्रदाय का हो - दिल बाँसों उछल रहा है। हम सत्र ही अपनी खोई हुई स्वाधीनता को पा लेने की चेष्टा कर रहे हैं,
में मिलकर ही इस भारी बोझ को उठाना है। किसी भी ऐसे पथ में रोड़ा अटकाना अनुचित होगा, जो अपनी बुद्धि के अनुसार इस भार को उठाने का कार्य कर रहा है। हमारे के झगड़ों से हमारी उन्नति बहुत कुछ रुक जाती है। यदि कोई हमारे देश पर, ऊपर से त्याचार करता है, तो उसे ख़त्म कर दो। किन्तु दूसरों के कार्य में बाधा मत डालो । x x x ऐसे कभी मौके या उत्सव, जब कि हम सभी अनुभव करते हैं कि हम एक सूत्र में बँधे हैं, खूब मनाए जाने चाहिए । " पुलीस - रिपोर्ट के अनुसार एक और वक्ता ने उसी अवसर पर कहा - "फ्रांस की राज्य - क्रान्ति में भाग लेने वालों ने इस बात से इनकार किया
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है कि वे कोई हत्या कर रहे हैं, उनका कहना है कि वे रास्ते के काँटों को हटा रहे हैं । " लोकमान्य तिलक स्वयं इस उत्सव पर सभा के सभापति थे। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा - "क्या शिवा जी ने अफ़ज़लखॉ को मार कर कोई पाप किया ? इस प्रश्न का उत्तर महाभारत में मिल सकता है। भगवान श्रीकृष्ण ने तो गीता में अपने गुरु तथा सम्बन्धियों तक को मारने की आज्ञा दी है । यदि कोई मनुष्य परार्थबुद्धि से कोई हत्या भी कर डाले, तो उस पर उसका दोष नहीं लग सकता । श्रीशिवाजी ने अपने पेट भरने के लिए तोफजल को मारा नहीं था, उन्होंने दूसरों की भलाई और अच्छे उद्देश्य से खाँ की हत्या की थी । यदि चोर हमारे घर में घुसावें, और हममें उनको पकड़ने की शक्ति न हो, तो हम बाहर से किवाड़ बन्द कर लें और उन्हें जिन्दा जला डालें । इसे ही नीति कहते हैं। ईश्वर ने विदेशियों को हिन्दुस्तान के राज्य का पट्टा लिखकर नहीं दिया है। श्रीशिवाजी ने जो कुछ भी किया, वह यह था कि उन्होंने अपनी जन्मभूमि पर विदेशियों की राज्य शक्ति हटाने के लिए लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने इस प्रकार किसी पराई चीज़ पर दखल करने की चेष्टा नहीं की। एक कूपमण्डूक की भाँति अपनी दृष्टि को संकुचित मत बनाओ । 'भारतीय दण्ड विधान' से यह सचक मत लो कि क्या करना चाहिये और क्या नहीं। इसके विपरीत श्रीमद्भगवद्गीता के भव्य वायुमण्डल में चले और महापुरुषों के चरणों पर विचार करो।"
मिस्टर रेण्ड की हत्या
२२ जून को सारे साम्राज्य में महारानी विक्टोरिया का ६० वाँ राज्याभिषेक दिवस मनाया जा रहा था। पूना शहर में भी उत्सव हो रहा था। रात को रोशनी हो रही थी, ऋातशबाजियाँ छूट रही थीं । दो गोरे अफसर खुशी में मस्त भूमते हुए गणेशकुण्ड से लौट रहे थे । गदर हुये ४० साल गुज़र चुके थे, इस बीच में बृटिश साम्राज्य |
बम ब्लास्ट केस में गिरफ्तार आरोपियों को दिसंबर 2019 में जयपुर की निचली कोर्ट ने सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ आरोपियों के वकीलों ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। लम्बी सुनवाई के बाद 29 मार्च 2023 को हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को दोष मुक्त करते हुए बरी करने का फैसला सुनाया। इस फैसले से जयपुर के उन परिवारों को बड़ा झटका लगा जिनके परिवारों के सदस्य इन बम धमाकों के शिकार हुए थे। 13 अप्रैल को पीड़ित परिवारों की ओर से हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर की।
बम धमाकों के आरोपियों के बरी होने के निर्णय के बाद भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। बीजेपी का आरोप है कि राज्य सरकार ने इस गंभीर प्रकरण की जांच में जानबूझकर लापरवाही बरती और हाईकोर्ट में मजबूत पैरवी नहीं की। इसी वजह से हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मामले पर कांग्रेस को कटगरे में खड़ा कर चुके हैं।
बीजेपी के आरोप के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बम धमाका वर्ष 2008 में हुआ था तब प्रदेश में भाजपा का शासन था। बीजेपी के राज में ही इस प्रकरण की जांच हुई थी। सीएम ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में आई तब दिसंबर 2019 में आरोपियों को फांसी की सजा हुई थी। कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि बम धमाकों के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। उन्हीं के कार्यकाल में धमाके हुए थे और उन्हीं के शासन में जांच हुई थी। हाईकोर्ट के फैसले के 40 दिन बाद राजस्थान सरकार की ओर से भी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई।
13 मई 2023 को जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट मामले की 15वीं बरसी है। इस घटना के आतंकियों से बरी होने के फैसले के खिलाफ बीजेपी की ओर से जयपुर के सभी 250 वार्डों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। हनुमान मंदिरों में हनुमान चालीसा के पाठ किए जा रहे हैं। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सहित तमाम नेता अलग अलग मंदिरों में हुए धरना प्रदर्शन और हनुमान चालीसा पाठ में मौजूद रहे। (रिपोर्ट - रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)
धमाकों के आरोपियों को हाईकोर्ट से बरी किए जाने के आदेश पर पीड़ित परिवारों ने रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद कोर्ट ने 17 मई को अंतरिम राहत पहलू पर विचार करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवारों की एसएलपी को मंजूर करते हुए सुनवाई 17 मई को होगी।
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भोजपुरी फिल्मो के सुपरस्टार व गायक जो के अब अपनी राजनितिक पारी को अंजाम दे रहे मनोज तिवारी जो के बीजेपी पार्टी व राजधानी दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष है. उन्होंने एक बार फिर से अपने बयान में आने वाले एमसीडी चुनावो पर कुछ दोहराया है. जी हाँ, वैसे भी एमसीडी चुनाव प्रचार के लिये भाजपा थीम सॉन्ग पर विचार कर रही है. एमसीडी चुनावों को देखते हुए जानी मानी हस्तियों को शामिल करने के बाद अब अहम चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान लोगों में जोश भरने के लिए भाजपा खुद का चुनावी थीम सॉन्ग लाने जा रही है.
आगामी 22 अप्रैल को होने जा रहे निगम चुनावों के लिये चुनाव प्रचार जल्द शुरू होने की संभावना है. लोक गायक रहे दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आने वाले चुनावों को लेकर एक गीत की इच्छा जाहिर की है. उनके गीतों में पूर्वांचल की महक देखने को मिल सकती है. मनोज तिवारी ने कहा, कि एमसीडी चुनावों के लिये हमारे पास एक गीत होना चाहिए.
इसकी शुरूआती लाइन कुछ इस तरीके की हो सकती हैं : जिय हो दिल्ली के बाला ऐसी कुछ तर्ज पर गीत सुनाई दे सकता. बिहार से ताल्लुक रखने वाले तिवारी एक लोकप्रिय भोजपुरी गायक हैं. उन्होंने क्षेत्रीय भाषा की कई फिल्मों में अभिनय भी किया है. पूर्वांचल क्षेत्र उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों में उनके प्रशंसकों की संख्या अधिक है. उनकी इसी छवि को भुनाकर भाजपा इस तबके के लोगों को लुभाने के लिये दांव खेल रही है. बॉलीवुड फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में उनका गाया गीत जिय हो बिहार के लाला काफी मशहूर हुआ था.
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देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और पिन कोड यानी पोस्टल आइडेंटिफिकेशन नम्बर ने अपने 50 साल पूरे कर लिए हैं. 15 अगस्त, 1962 को भारत में इसकी शुरुआत की गई थी. इसकी शुरुआत का इतिहास भी दिलचस्प रहा है. पोस्टल डिपार्टमेंट के मुताबिक, देश में ऐसी कई जगह थीं जिनके नाम एक जैसे थे. इसके कारण चिट्ठी, दस्तावेज और दूसरी चीजों को पहुंचाना मुश्किल हो रहा था. इसी कंफ्यूजन को दूर करने और आसानी से चीजों को डिलीवर करने के लिए पिनकोड सिस्टम को लागू किया गया.
क्या है 6 अंकों के पिनकोड का मतलब?
देश में 6 अंकों का पिनकोड मान्य होता है. पहली संख्या का मतलब राज्य की दिशा को बताता है. दूसरा अंक जोन को बताता है. तीसरा अंक जिले की जानकारी देता है. वहीं, चौथा, पांचवा और छठा अंक उस पोस्ट ऑफिस की भौगोलिक स्थिति को बताता है जहां पर पोस्ट ऑफिस है. पिनकोड के जरिए चिट्ठियां और सामान पोस्ट ऑफिस या कोरियर एजेंसी तक पहुंचाया जाता है. यहां से ये सब इसके पते पर भेजा जाता है.
देश में 9 भौगोलिक क्षेत्रों को पिनकोड अलॉट किया गया है. इसमें एक अंक को आर्मी पोस्टल सर्विस के रिजर्व किया गया है. डिपार्टमेंट के मुताबिक, देश में कुल 19101 पिन अलॉट किए गए हैं. जिनकी मदद से उनकी लोकेशन को जाना जा सकता है. इसे तैयार करने और देशभर में लागू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.
देश में पिनकोड को लागू करने का आइडिया श्रीराम भीकाजी का था. उस दौर में वो संचार मंत्रालय में बतौर अतिरिक्त सचिव काम कर रहे थे और टेलीग्राफ बोर्ड के सीनियर मेम्बर भी थे. उस दौर में देश में चीजों की डिलीवरी के लिए एक ऐसी व्यवस्था की जरूरत थी जिसे हर राज्य में आसानी से लागू किया जा सके. ऐसे में भीकाजी ने पिनकोड के जरिए ऐसा सिस्टम तैयार किया जिससे चीजों की डिलीवरी देश में कहीं होना आसान हो गया. पिनकोड के जरिए लोकेशन के बारे में काफी कुछ बताया और समझा जा सका. जीपीएस के दौर में भी पिनकोड का महत्व घटा नहीं है.
भीकाजी उस दौर में संस्कृत के जाने-माने कवि भी थे. उन्होंने संस्कृत में 105 किताबें लिखीं और उनका नाटक 'विलोमा काव्य' आज भी संस्कृत साहित्य का मास्टर पीस कहा जाता है.
अपने कार्यकाल में उनका योगदान अहम रहा. वह दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड फिलेटलिक एक्जीबिशन के बाद चेयरमैन भी रहे. जिसमें 120 देशों को शामिल किया गया था. 31 दिसम्बर, 1973 को वह रिटायर हो गए. उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए कई अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया.
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लैटिन इंटरसे ( "आयात" ) से, शब्द ब्याज का मूल्य, लाभ और लाभ से जुड़े वित्त में उपयोग होता है। इसे दूसरे तरीके से रखने के लिए, पूंजी का उत्पादन करने वाले लाभ को संदर्भित करता है, जिसे गणना और संचालन की एक श्रृंखला के माध्यम से जाना जा सकता है और किसी संगठन या कंपनी की अर्थव्यवस्था के प्रमुख तत्वों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है।
दूसरे शब्दों में, ब्याज एक सूचकांक है जो एक प्रतिशत के माध्यम से बचत की लाभप्रदता या ऋण की लागत को व्यक्त करने की अनुमति देता है। 10% की वार्षिक ब्याज दर के साथ 10, 000 पेसो की एक निश्चित अवधि का तात्पर्य है कि, एक साल के बाद, बचतकर्ता ब्याज में 1, 000 पेसो चार्ज करेगा।
दूसरी ओर, एक क्रेडिट का ब्याज वह है जो ऋण का अनुरोध करने वाला व्यक्ति किसी वित्तीय संस्थान को उसी के अधिग्रहण के बाद से गुजारे गए समय के आधार पर चुकाता है और अनुबंध में सहमत शर्तों को ध्यान में रखता है। 20% के ब्याज के साथ 5, 000 पेसो के ऋण के लिए आवेदन करते समय, विषय को 1, 000 पेसोस का ब्याज देना होगा, इसलिए वह 6, 000 पेसो का योग लौटाएगा।
साधारण ब्याज की परिभाषा के लिए, यह उन हितों के बारे में है जो समय में एक निवेश प्रारंभिक पूंजी के लिए धन्यवाद पैदा करता है। इसलिए, साधारण ब्याज की गणना मूलधन, ब्याज दर और अवधि (निवेश का समय) के आधार पर की जाती है।
साधारण ब्याज पर विचार करते समय महत्वपूर्ण बात यह है कि एक निश्चित अवधि में पूंजी द्वारा उत्पादित ब्याज उसी अवधि तक जमा नहीं होता है जो निम्न अवधि के अनुरूप ब्याज उत्पन्न करता है।
इसका मतलब यह है कि निवेश की गई पूँजी द्वारा उत्पन्न साधारण ब्याज, निवेश की अवधि के सभी अवधियों में समान होगा, बशर्ते कि दर और अवधि में परिवर्तन न हो।
यह इंगित करना महत्वपूर्ण है कि चूंकि यह आदिम पूंजी के आधार पर गणना की जाती है, समय के प्रत्येक एकात्मक अंतराल में यह अपरिवर्तनीय रहता है, क्योंकि कहा गया पूंजी भी ऐसा करती है।
यह गणना उन लाभों को जानने के लिए भी काम कर सकती है जो एक निश्चित अवधि में (शुरुआत में) प्राप्त किए गए हैं और भविष्य में परिभाषित भविष्य में हमारे पास किस समकक्ष पूंजी की जानकारी हो सकती है। सामान्य तौर पर, साधारण ब्याज की गणना का उपयोग आमतौर पर 1 वर्ष से कम समय के लिए किया जाता है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि साधारण ब्याज का पूंजीकरण नहीं होता है।
दूसरी ओर, चक्रवृद्धि ब्याज वह है जो समय के साथ पैसे की लागत को जानने की अनुमति देता है, जो एक प्रारंभिक पूंजी (सीआई) से शुरू होता है। इस तरह, विभिन्न समय अवधि के बीच लाभ, निवेश और नुकसान के उतार-चढ़ाव को जाना जा सकता है। यह प्रारंभिक पूंजी और प्रत्येक अवधि के विशिष्ट निवेशों को ध्यान में रखते हुए गणना की जाती है, और यहां वह बिंदु आता है जहां यह साधारण ब्याज से बिल्कुल अलग है : परिसर में लाभ को पूंजीकृत और पुनर्निवेशित किया जाता है या प्रारंभिक पूंजी में जोड़ा जाता है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह कहना कि साधारण ब्याज पूंजीकरण नहीं करता है, पूरी तरह से सच नहीं है, केवल यह कि वह गतिविधि के आरंभ में केवल एक बार ऐसा करता है, जबकि यौगिक इसे कई बार करता है क्योंकि ऑपरेशन किया जाता है।
उन्हें बेहतर ढंग से समझने के लिए एक उदाहरण : यदि हमारे पास १०% की ब्याज दरों के साथ १०० की राशि का मूल्य है और केवल एक बार पूंजीकरण किया जाता है, तो हम अंत में १०१ प्राप्त करेंगे (साधारण ब्याज राशि के बराबर और ब्याज दर के बराबर होगा) चार बार पूंजीकृत परिणाम अधिक होगा (चक्रवृद्धि ब्याज अंत में 104.06 होगा क्योंकि इसकी गणना पूंजीकरण की मात्रा के आधार पर की जाती है)।
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बिग बॉस 15 के घर में माइशा अय्यर और ईशान सहगल के बीच का रोमांस इंटेंस होता जा रहा है. माइशा और ईशान कैमरे के सामने एक दूसरे के साथ इंटीमेट होते हुए नजर आ रहे हैं. घरवाले माइशा और ईशान की तेज रफ्तार से बढ़ने वाली लव स्टोरी पर अक्सर ही उन्हें छेड़ते हुए नजर आते हैं. बीते दिन के एपिसोड में घरवाले माइशा और ईशान के बच्चों के नाम पर भी चर्चा करते हुए देखे गए, जिसे सुनकर माइशा ब्लश करने लगीं.
माइशा और ईशान की लव स्टोरी पर चर्चा करते हुए विधि ने सबसे पहले कहा कि इन दोनों को अब एक ही ब्लैंकेट की जरूरत होगी. इसपर जय मजाकिया अंदाज में कहते हैं- कंबल की भी जरूरत नहीं है अब इनको. इसके बाद जय माइशा और ईशान के रोमांस पर चुटकी लेते हुए कहते हैं- "मार डालो हमें अपने रोमांस से. हमको लगा था घर में रोमांस ढाई महीने में शुरू होगा लेकिन यह लोग तो ढाई दिन में ही शुरू हो गए. "
ईशान यूं तो हर समय ही माइशा पर अपना प्यार लुटाते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन बीते एपिसोड में रात के अंधेरे में ईशान ने माइशा को प्रपोज भी किया. ईशान ने माइशा से कहा कि वो उन्हें बहुत ज्यादा प्यार करते हैं. ईशान ने अपनी मां और बिग बॉस के प्लेटफॉर्म की कसम खाकर कहा कि वो उनसे शादी भी करेंगे और वो एक ही लड़की के साथ रहने वाले इंसान हैं. ईशान की बातें सुनकर माइशा काफी खुश और हैरान भी दिखीं. इस दौरान ईशान बार-बार माइशा को आई लव यू. . . . आई लव यू कहते रहे.
इन दिनों घर में सबसे ज्यादा चर्चे माइशा और ईशान की लव स्टोरी के बारे में ही हो रहे हैं. अफसाना खान को लगता है कि माइशा और ईशान गेम में आगे बढ़ने के लिए फेक लव स्टोरी चला रहे हैं. वहीं दूसरी ओर विशाल भी यह कहते हुए दिखाई दिए कि माइशा और ईशान के बीच सिर्फ अट्रैक्शन है प्यार नहीं. विशाल ने कहा कि किसी को 3 दिन में प्यार नहीं होता है.
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- 16 min ago रवीना टंडन की बेटी से लोगों ने कर दी ऐसी डिमांड, जवाब सुनकर खुला रह जाएगा मुंह!
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71 वर्षीय अमिताभ बच्चन ने अपने साथ के कलाकारों को उनके गिरते करियर के समय टूटते हुए देखा है और उन्हें इस बात से डर लगता है कि कहीं उनके करियर में ये पड़ाव ना आए कि वो असफलता से रुबरु हों। हालांकि अमिताभ की फिल्में अगर बॉक्स ऑफिस पर असफल भी हों तो भी उनके फैंस कभी भी अमिताभ को इस बात का एहसास नहीं होने देगे लेकिन फैंस को फर्क पड़े ना पड़े लेकिन अमिताभ को जरुर अपनी फिल्मों की सफलता या असफलता से फर्क पड़ता है। दुनिया भर में करोड़ों लाखों फैंस होने के बावजूद अमिताभ को लगता है कि अगर उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पिट गयीं तो उनके फैंस उनके दूर हो जाएंगे।
अमिताभ बच्चन हाल ही में मेलबर्न के फिल्म फेस्टिवल में भाग लेने पहुंचे जहां पर उन्हें आईएफएफएम कार्यक्रम के दौरान दि इंटरनेशनल स्क्रीन आइकन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। अमिताभ बच्चन इस वक्त आर बाल्की, सुजीत सरकार और विधु विनोद चोपड़ा के साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा वो केबीसी और अपने एक फिक्शन शो की भी शूटिंग कर रहे हैं।
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ओवन में व्यंजनों को खाना पकाने के लिए पर्याप्त हैविविध। वे अलग-अलग होते हैं और मछलियों के अतिरिक्त ग्रेड और अतिरिक्त सामग्री जो भोजन को बनाते हैं। ओवन में पकाया जाता है, मछली फ्राईिंग पैन में भुना हुआ से ज़्यादा रसदार होता है। बेशक, ओवन में मछली खाना पकाने के लिए व्यंजनों की प्रक्रिया के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है, लेकिन इसका परिणाम असाधारण असामान्य और अमीर स्वाद होता है। ये उन मामलों के लिए मछली खाना पकाने के विकल्प हैं जहां आप विशेष रूप से अपने परिवार या दोस्तों को खुश करना चाहते हैं।
पकवान को पकाने के लिए आपको डेढ़ किलो मछली (टिलिपिया, पाइक पार्च, पाइक, आदि) की जरूरत है, आधा किलो आलू, 150 ग्राम प्याज, मेयोनेज़, ताजा जड़ी बूटी, काली मिर्च, नमक।
मस्तिष्क को हटाकर मछली को साफ करें, और छोटे टुकड़ों में काट लें। नमक और काली मिर्च इसे। आप थोड़ा नींबू का रस छिड़क कर सकते हैं।
आलू और मछली पकाने के लिए एक आस्तीन में डाल दिया और ओवन में डाल दिया। 180 डिग्री के ओवन के तापमान पर एक घंटे के लिए सब कुछ सेंकना।
निम्नलिखित उत्पादों की आवश्यकता होगीः एक किलोग्राम नदी मछली, 3 गाजर, 3 प्याज, थोड़ा केचप, आटा, सूरजमुखी तेल।
मछली छीलनें और अपने लकीरें और बड़ी हड्डियों को हटा दें। टुकड़ों में काटें, पैन में आटा और भून में रोल करें।
अचार तैयार करने के लिए, वनस्पति तेल की एक बड़ी मात्रा में प्याज और गाजर को अलग से तलना आवश्यक है।
एक मोल्ड में तली हुई मछली को भूनकर, सब्जियां डालनातेल और 40 मिनट के लिए ओवन में डाल दिया। पहली परत मछली जाना चाहिए (लगभग आधे), फिर तली हुई सब्जियां, केचप के साथ भरपूर मात्रा में डाला गया। आप कुछ ताजा कटा टमाटर जोड़ सकते हैं दूसरी बार एक ही परतों के साथ कवर करें इस प्रकार, ओवन में मछली को कैन्ड के रूप में पकाया जाएगा। यह गर्म और ठंड दोनों खाया जा सकता है।
ओवन, नींबू का रस, मेयोनेज़ की 150 ग्राम, लहसुन की 2 लौंग के हिस्सों, मसाले (स्वाद के लिए), नमक और काली मिर्च मछली fillets के 500 ग्राम की आवश्यकता है।
मछली को टुकड़ों में काट लें, नमक जोड़ें, जोड़ेंथोड़ा काली मिर्च और मसाले, नींबू के रस के साथ छिड़क। लहसुन के माध्यम से थोड़ा लहसुन निचोड़ें और मेयोनेज़ के साथ मिलाएं। मेयोनेज़ में लहसुन आपको हल्के ढंग से पैन को उबालने की ज़रूरत है इस पर मछली रखो, रिंगों के साथ उस पर एक छोटे से धनुष रखकर। मछली के ऊपर, लहसुन के साथ शेष मेयोनेज़ तेल दें। सभी ओवन में डालकर लगभग 180 मिनट पर लगभग 45 मिनट के लिए सेंकना।
ओवन में मछली खाना पकाने के व्यंजन इस चमत्कार पकवान के बिना अधूरे होंगे, जो तैयार करने के लिए बहुत आसान है और बहुत स्वादिष्ट निकलता है।
अब मैकेरल को मसालेदार होना चाहिए ऐसा करने के लिए, आप नींबू, नमक, काली मिर्च, मछली और साग के लिए मसाला के एक सॉस बनाने की जरूरत है।
अच्छी तरह नमक, मछली पर नींबू का रस निचोड़ो, सीजन के साथ छिड़के मछली के प्रत्येक टुकड़े में ग्रीन डाल दिया और कई घंटों के लिए फ्रिज में गर्भवती होने के लिए छोड़ दिया।
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ट का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले आहार और शारीरिक गतिविधि जैसे लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ किया जाता है। इसे 'स्टेटिन' या 'एचएमजी-कोए रिडक्टेस इनहिबिटर्स' दवा के रूप में भी जाना जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देते हैं जो अंततः हार्ट स्ट्रोक/अटैक का कारण बनते हैं। यह दवा कोलेस्ट्रॉल के निर्माण के लिए जिम्मेदार एंजाइम को रोककर शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को कम करती है। अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इस दवा को सोते समय लें। हाई कोलेस्ट्रॉल वाले व्यक्तियों में अक्सर हेल्थ से संबंधित अन्य जटिलताएं विकसित हो जाती हैं। इससे बचने के लिए, आपको इस दवा को समय पर लेना चाहिए और अपने डॉक्टर द्वारा सुझाई गई जीवनशैली और आहार में बदलाव का पालन करना चाहिए। आपको व्यायाम करना चाहिए और कम तले और जंक का सेवन करना चाहिए, शराब और धूम्रपान सीमित करना चाहिए और पैक किए गए भोजन से बचना चाहिए।
।रोसवैसटेटिन (10.0 एमजी)
एमबीबीएस, एमडी (फार्माकोलॉजी)
एमबीबीएस, एमडी (फार्माकोलॉजी)
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मुंबई। सलमान खान की फिल्म 'भारत' इस ईद पर रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। फिल्म की एडवांस बुकिंग शुरू हो चुकी है।
फैंस अपने फेवरेट स्टार की फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस बीच सलमान खान का ऐसा भी फैन है जिसने अपने फेरवेट हीरो की फिल्म देखने के लिए पूरा थिएटर बुक कर लिया।
डेक्कन क्रोनिकल की रिपोर्ट के मुताबिक, आशीष सिंघल नाम के फैन भारत की रिलीज के पहले दिन, पहला शो देखने के लिए नासिक में एक पूरा थिएटर बुक करा दिया है।
यह पहला मौका नहीं है जब सलमान खान के लिए फैंस की इस तरह की दीवानगी देखने को मिली है। हाल ही में सिंगर सोना महापात्रा के एक बयान के बाद सलमान के फैंस ने सरेआम उन्हें धमकी दे दी थी।
मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस वहीदा रहमान का नाम 53वें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है। इसकी जानकारी केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने एक्स हैंडल पर दी है। उन्होंने अदाकारा के काम की तारीफ की है और कहा कि वो इसका ऐलान करके खुद सम्मानजनक महसूस कर रहे हैं। पिछले साल यह सम्मान आशा पारेख को मिला था।
अनुराग ठाकुर ने ट्विटर पर लिखा, 'मुझे यह ऐलान करते हुए बेहद खुशी और सम्मान महसूस हो रहा है कि वहीदा रहमान जी को भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए इस साल प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जा रहा है।
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राजस्थान के मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित के खिलाफ रेप केस में जांच तेज हो गई है। गुरुवार को दिल्ली की सदर बाजार पुलिस ने पीड़िता को पूछताछ के लिए बुलाया। सूत्रों ने बताया है कि पीड़िता ने पुलिस को आरोप से जुड़े अहम वीडियो सबूत दिए हैं।
पीड़िता ने तमाम वीडियो एविडेंस हमारी टीम को भी दिखाए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि केस में पीड़िता का बयान दर्ज किया जा चुका है और अब इससे जुड़े जो सबूत सामने आए हैं, उस पर इन्वेस्टिगेशन चल रही है।
DCP नॉर्थ सागर कलसी ने बताया, 'रेप केस में अभी जांच जारी है, हम सभी तथ्यों की पड़ताल कर रहे हैं। सबूतों के आधार पर ही जांच पूरी होने के बाद पुलिस आगे एक्शन लेगी। '
23 साल की रेप पीड़िता ने 8 मई को दिल्ली के सदर थाने में जीरो FIR रजिस्टर कराई थी। इसके बाद स्थायी FIR भी दर्ज कर ली गई है। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने राजस्थान की पुलिस को इस बारे में सूचित किया। राजस्थान पुलिस भी इस मामले में जांच करेगी। रेप पीड़िता ने बताया है कि उसके साथ राजस्थान के सवाई माधोपुर में भी रेप किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने IPC की धारा 312 (गर्भपात कराने), 328 (जहर देकर अपराध करने की कोशिश), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए अपहरण), 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 506 (आपराधिक धमकी) जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
रेप पीड़िता ने आरोप लगाया कि मंत्री पुत्र रोहित जोशी ने 8 जनवरी से 17 अप्रैल के बीच उसका कई बार रेप किया।
इस मामले की तकनीकी जटिलता पर हमने पूर्व DGP विक्रम सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि यौन अपराध से जुड़े मामले में 8 मई को अगर जीरो FIR हुई है तो मई के सैकेंड हाफ में ये केस विवेचना से आगे बढ़कर एक्शन पर आ जाना चाहिए।
राजस्थान सरकार में मंत्री महेश जोशी ने कहा- 'मैं ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं समझता। कानून को अपना काम करने देना चाहिए। मुझे जो कहना था वो कह चुका हूं। '
गौरतलब है कि रेप पीड़िता ने दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज कराई है। आपको बता दें कि दिल्ली के निर्भया गैंगरेप और हत्या के केस के बाद कानून में जीरो FIR का प्रावधान लाया गया था। कोई भी पीड़िता बलात्कार के संबंध में FIR पूरे देश में कहीं भी लिखवा सकती है।
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अपने में प्रसन्न ही रहती । हाँ ! विचार के क्षणों में गम्भीर अवश्य जाती । वह नित्य प्रातः सूर्योदय से पहले उठती, शोचादि से निवृत अपने लिए नाश्ता तैयार करती। फिर देखती दैनिक समाचार पत्र यह भी उसकी आदत थी, उसके बिना उसे चैन नहीं पड़ती । तदुपरा स्नान आदि कर वह भोजन की व्यवस्था करती । तब उसका चूल जलता । सवेरे की चाय स्टोव में वनती थी । भोजनोपरान्त वस द्वा वह सीधी अपने दफ्तर पहुँचती । दफ्तर में खूब मन लगाकर का करती । लन्च के समय वह स्टाफ़ के लोगों से भी प्रात्मीयतापूर्वक वा करती । छुट्टी होने पर सीधी घर आती । तनिक सुस्ता कर फिर सन्ध्य • पूजन पर बैठती और रात के लिए तो उसके पास तमाम काम रहत था । वह किसी क्लर्क के लड़के का स्वेटर बुनती तो अपनी किसी सह कारी महिला का व्लाऊज़ मशीन पर सींती। किसी की साड़ी में वार्ड लगाती । इस तरह वह कुछ-न-कुछ करती ही रहती । जब तक सो नह जाती ।
पड़ौसी सहानुभूति दिखलाते । शीला को समझते और महिला कहतीं कि व्याह कर लो वेटी, जमाना अच्छा नहीं, लम्बी उमर है । ज़िन्दगी कैसे पार करेगी ? तब शीला के पास एक ही जवाव होता कि 'मैंने जो तय कर लिया है वही ठीक है । अब व्याह मुझे वन्धन-सा लगत है । मैं कभी नहीं करूंगी।
...औौर शीला, जब कभी अपने प्रति सोचती तो वह पाती कि व अपनी जगह दुरुस्त है । उसे अपने प्रति विश्वास हो गया था । उसक आत्मा में दृढ़ता समा गई थी और वह मांटी की ही नहीं, हाड़ माँस की भी नहीं, फौलाद को वन गई थी । कर्तव्य और परिशोध की भावना ने उसे वज्र को चादर उढ़ा दी थी । इसीलिए वह पापारण नारी थी । इस तरह शीला ने जब कोठी पड्यन्त्र सुना तो उसका खून उक्ल उबल जाने लगा । आखिर उसने दृढ़ निश्चय कर लिया कि आज ही रात को में राकेश तथा बलराज दोनों का काम तमाम कर दूंगी। ले... |
यिहूदा ।
उन सब कठोर बातोंके विषय में जो भक्तिहीन पापियोंने उसके बिरुद्ध कही हैं दोषी ठहरावे । ये तो कुड़कुड़ानेहारे १६ अपने भाग्यके दूसनेहारे और अपने अभिलाषोंके अनुसार चलनेहारे हैं और उनका मुंह गलफटाकी की बातें बोलता है और वे लाभके निमित्त मुंह देखी बढ़ाई किया करते हैं ।
पर हे प्यारो तुम उन बातोंको स्मरण करो जो हमारे १७ प्रभु यीशु ख्रीष्टके प्रेरितोंने आगेसे कही हैं कि वे तुमसे १८ बोले कि पिछले समयमें निन्दक लोग होंगे जो अपने अभक्तिके अभिलाषोंके अनुसार चलेंगे। ये तो वे हैं १८ जो अपने तई अलग करते हैं शारीरिक लोग जिन्हें आत्मा नहीं है ।
परन्तु है प्यारो तुम लोग अपने अति पवित्र २० विश्वास के द्वारा अपने तईं सुधारते हुए पवित्र आत्माकी सहायतासे प्रार्थना करते हुए अपने को ईश्वर के २१ प्रेममें रखो और अनन्त जीवनके लिये हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्टकी दयाकी आस देखा । और भेद करते २२ हुए कितनोंपर तो दया करो । पर कितनांको आगमेंसे २३ छीनके उस बस्त्रसे भी जो शरीरसे कलंकी किया गया है घिन्न करके डरते हुए बचाओ ।
जो तुम्हें ठोकरसे बचाये हुए रख सकता है और अप- २४ नी महिमाके सन्मुख आह्लाद सहित निर्दोष खड़ा कर सकता है. उसको अर्थात अद्वैत बुद्धिमान ईश्वर हमारे २५ चाणकतीको ऐश्वर्य्य और महिमा और पराक्रम और अधिकार अभी और सदाल भी होवे । आमीन ॥ |
खबर के अनुसार आलू, टमाटर, गोभी, प्याज की कीमतों में गिरावट आने से लोगों को थोड़ी राहत महसूस हुई हैं। अलीगढ़ के स्थानीय सब्जी मंडी में प्याज, गोभी, मटर, आलू, मूली आदि के दाम 12 से 15 रुपये किलो से ज्यादा नहीं हैं।
हालांकि शहर में जगह जगह फुटकर में सब्जी विक्रेता लोगों को पहले की कीमतों पर ही सब्जी बेच रहे हैं। लेकिन सब्जी मंडियों में सभी तरह के सब्जियों के दाम कम हो गए हैं। सब्जी मंडियों में दूसरे राज्यों से भी सब्जियां भरपूर मात्रा में आ रही हैं, जिससे की इसके दाम और भी कम होंगे।
अलीगढ़ में सब्जियों के दाम : आलू 12 से 15 रुपये किलो, फूलगोभी 15 से 20 रुपये किलो, प्याज, 15 से 20 रुपये किलो, मूली 10 रुपये किलो, बंदगोभी 15 से 20 रुपये किलो।
मेरठ में सब्जियों के दाम : आलू 10 रुपये किलो, गाेभी 20 रुपये किलो, गाजर 40 रुपये किलो, मटर 35-40 रुपये किलो, प्याज 25 रुपये किलो, लोकी 40 रुपये किलो, टमाटर 30 रुपये किलो,
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छिंदवाड़ा, नवदुनिया प्रतिनिधि। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी छिन्दवाड़ा शिवमोहर सिंह द्वारा असुरक्षित हेल्थ टॉनिक का निर्माण कर उसे विक्रय करने वाले कंपनी के नॉमिनी अजय प्रकाश पिता भानुप्रताप गुप्ता जिला सोलन (हिमाचल प्रदेश) एवं मैनेजर नरेश राय निवासी जिला सोलन (हिमाचल प्रदेश) को 6-6 माह के सश्रम कारावास तथा 50-50 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।
घटना इस प्रकार है कि 27 दिसंबर 2013 को खाद्य सुरक्षा अधिकारी पुरुषोत्तम भंडूरिया के द्वारा सामान्य निरीक्षण के दौरान कुबेर मेडिकल एजेंसी का निरीक्षण किया। निरिक्षण के दौरान उनके द्वारा आरोपित मिथलेश की उक्त दुकान से मल्टी कैच टानिक एवं बी वाइटल सिरप को शंका के आधार पर जब्त किया गया और उसे परीक्षण हेतु विज्ञान प्रयोगशाला भोपाल भिजवाया गया। भोपाल से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर जब्त दवाइया असुरिक्षत एवं मिथ्या छाप वाली होना पाई गई। विवेचना के दौरान खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा अभियुक्त मिथिलेश सोनारे से उक्त टानिक को क्रय करने वाले संस्थान की जानकारी प्राप्त की गई। इस पर मिथिलेश सोनारे द्वारा उक्त टॉनिक को मल्टीकैच टॉनिक फार्मास्युटिकल लिमिटेड देवास नाका इंदौर से क्रय करना बताया गया। उक्त जानकारी के आधार पर अभिहीत अधिकारी की ओर से उक्त कंपनी के जिम्मेदार व्यक्तियों को जानकारी प्रदाय किये जाने हेतु कहा गया। कंपनी की ओर से नॉमिनी अभियुक्त अजय प्रकाश गुप्ता एवं मैनेजर अभियुक्त नरेश राय के द्वारा उक्त टॉनिक उनकी कंपनी में तैयार होना तथा उसका विक्रय अभियुक्त मिथिलेश सोनारे को किये जाने की जानकारी प्रदाय की गई। उक्त जानकारी के आधार पर कंपनी मल्टीकैच टॉनिक फार्मास्युटिकल लिमिटेड कैचेट द्वारा असुरक्षित खादय प्रदार्थ ( मल्टी विटामिन टॉनिक) का निर्माण संग्रहण एवं विक्रय करना प्रमाणित पाया गया। इस आधार पर उपलब्ध साक्ष्य तथा दस्तावेजो के आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपितों को असुरक्षित खादय प्रदार्थ (मल्टी विटामिन टानिक) का निर्माण, संग्रहण कर उसे विक्रय करने का दोषी पाते हुए कारावास एवं अर्थदंड से दंडित किया गया। प्रकरण के अन्य आरोपित दवा विक्रेता मिथिलेश सोनारे की दोषसिद्धि के संबंध में पूर्व में निर्णय पारित किया जा चुका है। प्रकरण में शासन की ओर अभियोजन अधिकारी अभयदीप सिंह ठाकुर के द्वारा पैरवी की गई।
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बावर्चीख़ाना की मटमैली फ़िज़ा में बिजली का अंधा सा बल्ब कमज़ोर रोशनी फैला रहा था। स्टोव पर पानी से भरी हुई केतली धरी थी। पानी का खोलाओ और स्टोव के हलक़ से निकलते हुए शोले मिल जुल कर मुसलसल शोर बरपा कररहे थे। अंगीठियों में आग की आख़िरी चिनगारियां राख में सोगई थीं। दूर कोने में क़ासिम ग्यारह बरस का लड़का बर्तन मांझने में मसरूफ़ था। ये रेलवे इन्सपैक्टर साहब का ब्वॉय था।
बर्तन साफ़ करते वक़्त ये लड़का कुछ गुनगुना रहा था। ये अल्फ़ाज़ ऐसे थे जो उस की ज़बान से बग़ैर किसी कोशिश के निकल रहे थे।
अभी बर्तनों को राख से साफ़ करने के बाद उन्हें पानी से धो कर करीने से रखना भी था। और ये काम जल्दी से न हो सकता था। लड़के की आँखें नींद से बंद हुई जा रही थीं। सर सख़्त भारी होरहा था मगर काम किए बगै़र आराम.... ये क्योंकर मुम्किन था।
स्टोव बदस्तूर एक शोर के साथ नीले शोलों को अपने हलक़ से उगल रहा था। केतली का पानी उसी अंदाज़ में खिलखिला कर हंस रहा था।
दफ़अतन लड़के ने नींद के नाक़ाबिल-ए-मग़्लूब हमले को महसूस करके अपने जिस्म को एक जुंबिश दी। और "जी आया साहब" गुनगुनाता फिर काम में मशग़ूल होगया।
दीवार गेरियों पर चुने हुए बर्तन सोए हुए थे। पानी के नल से पानी की बूंदें नीचे मैली सिल पर टपक रही थीं और उदास आवाज़ पैदा कररही थीं। ऐसा मालूम होता था कि फ़िज़ा पर ग़नूदगी सी तारी है। दफ़ातन आवाज़ बुलंद हुई।
"जी आया साहब!" लड़का इन ही अल्फ़ाज़ की गर्दान कररहा था भागा भागा अपने आक़ा के पास गया।
कमरे में सुराही और गिलास रखने के बाद वो अभी बर्तन साफ़ करने के लिए गया ही था कि फिर उसी कमरे से आवाज़ आई।
"जी आया साहब!" क़ासिम भागता हुआ फिर अपने आक़ा के पास गया।
क़ासिम भागा भागा गया और पार्सी के होटल से, जो घर से क़रीबन निस्फ़ मेल के फ़ासले पर था, सोडे की बोतल ले आया और अपने आक़ा को गिलास में डाल कर दे दी।
क़ासिम को वर्ना के बाद जुमला बख़ूबी मालूम था। "बहुत अच्छा साहब" कह कर वो बावर्चीख़ाना में चला गया और बर्तन साफ़ करने शुरू कर दिए।
अब नींद उस की आँखों में सिमटी चली आरही थी। पलकें आपस में मिली जा रही थीं, सर में पिघला हुआ सीसा उतर रहा था........ ये ख़याल करते हुए कि साहब के बूट भी अभी पॉलिश करने हैं क़ासिम ने अपने सर को ज़ोर से जुंबिश दी और वही राग अलापना शुरू कर दिया।
इस ख़याल को बाग़ियाना तसव्वुर करके क़ासिम ने तर्क कर दिया। और बर्तनों पर जल्दी जल्दी राख मलना शुरू करदी।
थोड़ी देर के बाद जब नींद फिर ग़ालिब आई तो उस के जी में आई कि उबलता हुआ पानी अपने सर पर उंडेल ले। और इस तरह इस ग़ैर मरई ताक़त से जो इस काम में हायल हो रही थी नजात पा जाये........ मगर पानी इतना गर्म था कि उस के भेजे तक को पिघला देता। चुनांचे मुँह पर ठंडे पानी के छींटे मार मार कर उस ने बाक़ीमांदा बर्तन साफ़ किए। ये काम करने के बाद उस ने इत्मिनान का सांस लिया। अब वो आराम से सौ सकता था और नींद.... वो नींद, जिस के लिए उस की आँखें और दिमाग़ इस शिद्दत से इंतिज़ार कर रहे थे अब बिलकुल नज़दीक थी।
बावर्चीख़ाने की रोशनी गुल करने के बाद क़ासिम ने बाहर बरामदे में अपना बिस्तर बिछा लिया और लेट गया। इस से पहले कि नींद उसे अपने नरम नरम बाज़ूओं में थाम ले इस के कान शो शो की आवाज़ से गूंज उठे।
अभी क़ासिम शू का एक पैर भी अच्छी तरह पॉलिश करने न पाया था कि नींद के ग़ल्बा ने उसे वहीं सुला दिया।
सूरज की लाल लाल किरणें मकान के शीशों से नमूदार हुईं। मगर क़ासिम सोया रहा।
क़ासिम फ़ौरन उठ बैठा। हाथ में जब उस ने पॉलिश करने का बरशश देखा और रात के अंधेरे की बजाय दिन की रोशनी देखी तो उस की जान ख़ता होगई।
ये कह कर उस ने जल्दी जल्दी पॉलिश करना शुरू कर दिया।
पॉलिश करने के बाद उस ने अपना बिसतरबंद किया और उसे ऊपर के कमरे में रखने चला गया।
क़ासिम भागा हुआ नीचे आया। और अपने आक़ा के पास खड़ा होगया।
इन्सपैक्टर साहब दफ़्तर चले गए। क़ासिम बावर्चीख़ाना साफ़ करने में मशग़ूल होगया।
डेढ़ घंटे की अनथक मेहनत के बाद उस ने बावर्चीख़ाना का सारा काम ख़त्म कर दिया। और हाथ पांव साफ़ करने के बाद झाड़न लेकर ड्राइंगरूम में चला गया।
वो अभी कुर्सीयों को झाड़न से साफ़ कर रहा था कि उस के थके हुए दिमाग़ में एक तस्वीर सी खिच गई। क्या देखता है कि इस के गिर्द बर्तन ही बर्तन पड़े हैं और पास ही राख का एक ढेर लग रहा है। हवा ज़ोरों पर चल रही है जिस से वो राख उड़ उड़ कर फ़िज़ा को ख़ाकसतरी बना रही है। यकायक इस ज़ुल्मत में एक सुर्ख़ आफ़ताब नुमूदार हुआ जिस की किरणें सुर्ख़ बरछियों की तरह हर बर्तन के सीने में घुस गईं। ज़मीन ख़ून से शराबोर होगई।
क़ासिम दहश्त ज़दा होगया। और इस वहशत नाक तसव्वुर को दिमाग़ से झटक कर "जी आया साहब, जी आया साहब" कहता फिर अपने काम में मशग़ूल होगया।
थोड़ी देर के बाद उस के तसव्वुर में एक और मुंतज़िर रक़्स करने लगा। छोटे छोटे लड़के आपस में कोई खेल खेल रहे थे। दफ़अतन आंधी चलने लगी जिस के साथ ही एक बद-नुमा और भयानक देव नुमूदार हुआ। ये दीवान सब लड़कों को निगल गया। क़ासिम ने ख़याल कि वो देव इस के आक़ा के हमशकल था। गो कि क़द-ओ-क़ामत के लिहाज़ से वो उस से कहीं बड़ा था। अब उस देव ने ज़ोर ज़ोर से डकारना शुरू किया। क़ासिम सर से पैर तक लरज़ गया।
वो ये सोच रहा था और मेज़ पर रखी हुई चीज़ों को पूंछ रहाथा। अचानक उसे क़लमदान के पास एक खुला हुआ चाक़ू नज़र आया........ वही चाक़ू जिस के मुतअल्लिक़ उस के आक़ा ने कहा था बहुत तेज़ है, चाक़ू का देखना था कि उस की ज़बान पर ये लफ़्ज़ ख़ुदबख़ुद जारी होगए........ चाक़ू तेज़ धार चाक़ू! यही तुम्हारी मुसीबत ख़त्म कर सकता है।
कुछ और सोचे बग़ैर क़ासिम ने तेज़ धार चाक़ू उठा के अपनी उंगली पर फेर लिया। अब वो शाम को बर्तन साफ़ करने की ज़हमत से बहुत दूर था और नींद.... प्यारी प्यारी नींद उसे बाआसानी नसीब हो सकती थी।
क़ासिम अपनी फ़तह पर जी ही जी में बहुत ख़ुश हुआ।
शाम के वक़्त मेहमान आए और चले गए। बावर्चीख़ाना में झूटे बर्तनों का एक तोमार सा लग गया। इन्सपैक्टर साहब क़ासिम की उंगली देख कर बहुत बरसे और जी खोल कर उसे गालियां दीं। मगर उसे मजबूर न कर सके........ शायद इस वजह से कि एक बार उन की अपनी उंगली में क़लम तराश चुभ जाने से बहुत दर्द हुआ था।
आक़ा की ख़फ़्गी आने वाली मुसर्रत ने भुला दी और क़ासिम कूदता फाँदता अपने बिस्तर पर जा लेटा। तीन चार रोज़ तक वो बर्तन साफ़ करने की ज़हमत से बचा रहा। मगर इस के बाद उंगली का ज़ख़म भर आया........ अब वही मुसीबत फिर नुमूदार होगई।
क़ासिम इस कमरे का फ़र्श कितना मेला होरहा है। पानी लाकर अभी साफ़ करो। देखना कोई दाग़ धब्बा बाक़ी न रहे!
"पाँच रोज़ इस क़िस्म के अहकाम सुनने में गुज़र गए। क़ासिम काम की ज़्यादती और आराम के क़हत से तंग आगया। हर रोज़ उसे निस्फ़ शब तक काम करना पड़ता। फिर भी अलस्सुबाह चार बजे के क़रीब बेदार हो कर नाशते के लिए चाय तैय्यार करना पड़ती। ये काम क़ासिम की उम्र के लड़के के लिए बहुत ज़्यादा था।
एक रोज़ इन्सपैक्टर साहब की मेज़ साफ़ करते वक़्त इस का हाथ ख़ुदबख़ुद चाक़ू की तरफ़ बढ़ा। और एक लम्हा के बाद उस की अगली से ख़ून बहने लगा। इन्सपैक्टर साहब और उन की बीवी क़ासिम की इस हरकत पर सख़्त ख़फ़ा हुए। चुनांचे सज़ा की सूरत में उसे शाम का खाना न दिया गया। मगर क़ासिम ख़ुश था........ एक वक़्त रोटी न मिली। उंगली पर मामूली सा ज़ख़म आगया। मगर बर्तनों का अंबार साफ़ करने से तो नजात मिली गई........ ये सौदा क्या बुरा है?
चंद दिनों के बाद उस की उंगली का ज़ख़्म ठीक होगया। अब फिर काम की वही भरमार थी। पंद्रह बीस रोज़ गिद्धों की सी मशक़्क़त में गुज़र गए। इस अर्सा में क़ासिम ने बार-हा इरादा किया कि चाक़ू से फिर उंगली ज़ख़्मी करले। मगर अब मेज़ पर से वो चाक़ू उठा लिया गया था और बावर्चीख़ाना वाली छुरी कुन्द थी।
एक रोज़ बावर्ची बीमार पड़ गया। अब क़ासिम को हरवक़्त बावर्चीख़ाना में रहना पड़ा। कभी मिर्चें पीसता, कभी आटा गूँधता, कभी कोइले सुलगाता, ग़र्ज़ सुबह से लेकर शाम तक उस के कानों में "अबे क़ासिम ये कर! अबे क़ासिम वो कर!" की सदा गूंजती रहती।
बावर्ची दो रोज़ तक न आया.... क़ासिम की नन्ही सी जान और हिम्मत जवाब दे गई। मगर सिवाए काम के और चारा ही किया था।
साहब का नाम सुनते ही क़ासिम का रंग और पीला पड़ गया।
चार बजे के क़रीब इन्सपैक्टर साहब दफ़्तर से लौटे और अपनी बीवी से क़ासिम की नई हरकत सनु कर उसे फ़ौरन अपने पास बुलाया।
क़ासिम ख़ामोश खड़ा रहा।
क़ासिम को अफ़सोस न हुआ बल्कि उसे ख़ुशी महसूस हुई कि चलो काम से कुछ देर के लिए छुट्टी मिल गई। घर से निकल वो अपनी ज़ख़्मी उंगली से बेपर्वा सीधा चौपाटी पहुंचा और वहां साहिल के पास एक बंच पर लेट गया और ख़ूब सोया।
चंद दिनों के बाद उस की उंगली का ज़ख़्म बद एहतियाती के बाइस सेप़्टिक होगया। सारा हाथ सूज गया। जिस दोस्त के पास वो ठहरा था उस ने अपनी दानिस्त के मुताबिक़ इस का बेहतर ईलाज किया मगर तकलीफ़ बढ़ती गई। आख़िर क़ासिम ख़ैराती हस्पताल में दाख़िल होगया। जहां उस का हाथ काट दिया गया।
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बीते शनिवार की रात 11. 30 बजे बॉलीवुड की सदाबहार एक्ट्रेस श्रीदेवी के निधन के पीछे की सच्चाई हर घंटे एक नया मोड़ ले रही है। एक ऐसी घटना बन गई है जिस पर बड़ी मुश्किल से यकीन किया जा सकता है। कोई इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा है कि कुछ घंटे पहले तक एक शादी समारोह में हंसती-खिलखिलाती, नाचती श्रीदेवी की अचानक मौत कैसे हो गई। ऑटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक श्रीदेवी की मौत शनिवार रात 10. 01 बजे हुई। हालांकि विस्तार से जानकारी आनी अभी बाकी है। ऑटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक मौत का वक्त और इसके पहले रिपोर्ट में जो वक्त मौत की बताई गई उसमें एक से डेढ़ घंटे का अंतर है। आपको बता दें कि बोनी कपूर शाम 5. 30 बजे होटल में श्रीदेवी की कमरे में गए थे। दोनों के बीच करीब 15 मिनट तक बात हुई। फिर फ्रेश होने के लिए श्रीदेवी बाथरूम में चली गईं। इसके बाद क्या हुआ कोई नहीं जानता। रात 9 बजे बोनी कपूर ने अपने दोस्त को श्रीदेवी के बाथटब में गिरकर बेहोश होने की खबर दी और पुलिस को भी सूचना दी। इस बात पर सस्पेंस बना हुआ है कि आखिर बीच के समय में क्या हुआ। आइए जानते हैं श्रीदेवी की मौत और उस साढ़े तीन घंटे की सच्चाई।
शादी समारोह के समाप्त हो जाने के बाद जब पूरा परिवार भारत लौट आया था तो श्रीदेवी आखिर क्यों अकेली दुबई में रुक गई थीं। पति बोनी कपूर और छोटी बेटी खुशी भी मुंबई लौट आए थे पर श्रीदेवी अकेली होटल में रुक गई थीं। क्या बोनी कपूर के साथ उनकी कोई अनबन हो गई थी। दोनों के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया था। क्या इसीलिए बोनी ने पत्नी श्रीदेवी को मनाने के लिए सरप्राइज डिनर का आयोजन किया था जो कभी पूरा ही नहीं हो पाया। अभिनेत्री श्रीदेवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भले ही मौत की वजह सामने आ गई हो लेकिन अभी भी मौत की गुत्थी सुलझी नहीं है।
भास्कर में छपी रिपोर्ट के अनुसार होटल के कर्मचारियों से मिली जानकारी में बताया गया है कि मोहित मारवाह की शादी 20 फरवरी को हुई थी। इसके बाद 21 फरवरी को पूरा परिवार भारत लौट गया था लेकिन श्रीदेवी अकेली दुबई में रुक गई थीं। होटल के सूत्रों के मुताबिक श्रीदेवी के परिवार के मुंबई लौटने से लेकर 24 तारीख तक बोनी कपूर के वापिस श्रीदेवी के पास आने तक वह होटल के कमरे से बाहर नहीं निकली थीं यानि 21 फरवरी से लेकर 24 फरवरी शाम 5. 30 बजे तक श्रीदेवी होटल के कमरे में ही थीं। वह किसी भी काम के लिए बाहर नहीं निकलीं।
यूएई के अखबार खलीज टाइम्स ने लिखा है- शनिवार शाम 5. 30 बजे बोनी कपूर मुंबई से वापस जुमैरा एमीरैट्स टॉवर्स होटल लौटे, वह श्रीदेवी को सरप्राइज डिनर पर ले जाना चाहते थे। बोनी कपूर ने होटल के कमरे में श्रीदेवी को उठाया और उनसे करीब 15 मिनट तक बातचीत की। इसके बाद श्रीदेवी तैयार होने के लिए वॉशरूम गईं। 15 मिनट तक जब वह बाहर नहीं निकलीं तो बोनी कपूर ने वॉशरूम का दरवाजा खटखटाया। जब श्रीदेवी ने दरवाजा नहीं खोला तो बोनी कपूर ने होटल के कुछ कर्मियों को बुलाया और तेज धक्का देकर दरवाजा खोला। श्रीदेवी अंदर बाथटब में गिरी पड़ी हुई थीं। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि अगर ज्यादा शराब पीने की वजह से श्रीदेवी के कदम लड़खड़ा रहे थे तो बोनी उन्हें अकेले कैसे बाथरूम में जाने देते?
सूत्रों की मानें तो जब श्रीदेवी को बाथटब से बाहर निकाला गया तो उनके नाक से काफी गाढ़ा खून निकल रहा था और चेहरा भी नीला पड़ गया था। इसके बाद बोनी कपूर ने श्रीदेवी को होश में लाने की कोशिश की लेकिन श्रीदेवी नहीं उठीं। बोनी ने अपने दोस्त को फोन किया। उसके बाद रात 9 बजे पुलिस को जानकारी दी गई। पुलिस तुरंत होटल के कमरे में पहुंची लेकिन तब तक श्रीदेवी की मौत हो चुकी थी। बोनी ने डॉक्टरों को ये भी बताया कि पिछले दो दिनों से श्रीदेवी की तबीयत खराब थी। सवाल ये है कि आखिर वह कौन सी वजह थी जिसके चलते खराब तबीयत के बावजूद श्रीदेवी ने शराब पी थी।
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मसाज- केला, पपीता, संतरा या कोई और फल, आप जो चाहें उस फल का पेस्ट बनाकर अपने चेहरे पर मसाज करें। 10 मिनिट के लिए इसे चेहरे पर ऐसे ही लगा रहने दें। उसके बाद आप गुनगुने पानी के साथ चेहरे को धो लें। फिर देखें, आपके चेहरे पर आएगा एक अद्भुत निखार और जीवन में छाएगी खुशियों की बहार।
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एक एंकर, अभिनेता, कवि और लेखक शैलेश लोढ़ा इंडस्ट्री में 25 साल से ज्यादा समय से सक्रिय हैं।
देश की सबसे बड़ी होटल श्रृंखला रैडिसन होटल, बरेली ने अपने पहले 360 डिग्री ब्रैंड अभियान के लिए बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता मुकेश जे भारती को ब्रैंड एंबेसडर नियुक्त किया है।
बता दें कि अनुपम खेर इससे पहले 'द अनुपम खेर शो-कुछ भी हो सकता है' को होस्ट कर चुके हैं।
ऑनलाइन मीडिया में काम करने वाली महिला पत्रकार ने पिछले सप्ताह आयोजित एक इंटरव्यू के दौरान मौखिक रूप से दुर्व्यवहार की शिकायत की थी।
तेलुगू फिल्म अभिनेता चिरंजीवी का उदार चेहरा एक बार फिर लोगों के सामने आया है, जब उन्होंने एक बीमार पत्रकार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया।
लोकप्रिय टीवी सीरियल 'कुंडली भाग्य' में करण लूथरा का लीड रोल प्ले करने वाले एक्टर धीरज धूपर ने शो को छोड़ने का फैसला कर लिया है।
रोहित सक्सेना को यह पुरस्कार कोरोना काल में लोगों की सेवा कर देश के हीरो बन चुके सोनू सूद ने अपने हाथों से दिया है।
'द वायर' और इसके संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ की गई एफआईआर को लेकर देश के तकरीबन 3,500 लोगों ने उत्तर प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की है।
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अर्थ - श्रम, उदावर्त्त, रुदित, मद्या, क्रोधित, भयभीत, उयरित वेगके आघात शिरोदोप, अन्य रोगयुक्त पुरुषोंके अंजन नहीं लगाया जाता । राग, वेदना, तिमिर, स्राव, शूल सूजन और सम्भ्रममें भी निषेध है ।
अंजन विषयम विशेष कथन ।
निद्राक्षये क्रियाशक्तिं प्रवाते दृग्वलक्षयम् ॥ रजोधू महटेगस्रावाधीमन्थसम्भवम् ॥ संरम्भशूलौ नत्यान्ते शिरोरुजि शिरोरुजम् । शिरःस्नातेऽतिशीते च रवावनुदितेऽपि च । दोपस्थैर्य्याद पार्थं स्यात्त्रोतोमार्गावरोधनात् । पोपवेगोदये दत्तं कुर्य्यात्तांस्तानुपद्रवान् ॥ तस्मात्परिहरं दोपानञ्जनं साधु योजयेत् ॥
अर्थ-निद्राके अन्तमें अंजन लगानेसे नेत्रोंको खोलने मूंदनेकी शक्त हो जाती है । वात रोगमें अंजन लगानेसे दृष्टिके बलका नाश होता है। रज और धूम्र लगे हुए नेत्रोंमें काजल लगानेसे राग, स्राव और अधिमन्य रोगकी उत्पत्ति होती है । नस्य कर्मके अन्तमें लगानेसे सूजन और शूल शिरो रोगमें लगानेसे शिरमे वेदना होती
। और शिर सहित शीतल जलसे नान न करके अत्यन्त शीतमें अथवा सूर्यके उदय होनेसे प्रथम अंजन लगानेसे दोपोंकी स्थिरताके कारण वे निकल नहीं सक्ते, किन्तु स्थिर हो जाते हैं । अजीर्णमें स्रोत रुक जाते हैं इससे अंजन लगानेसे दोपोंका उल्लेश ही होता है । यदि द्रोपोंके वेगमें अंजन लगाया जाता है तो रोग शोकादिमें कहेहुए उपद्रव खडे हो जाते हैं इसलिये दोपोंकी निवृत्ति करके अंजन लगाना चाहिये ।
अकालाञ्जन रोगोंकी चिकित्सा । लेखनस्य विशेषेण काल एप प्रकीर्त्तितः । व्यापदश्व जयेदेताः सेका योतनलेपनैः । यथास्वं धूमक व लैर्नस्यैश्वापि समुत्थिताः॥ विशदं लघुनां स्रावि क्रियापटुसुनिर्मलम् । संशान्तोपद्रवं नेत्रं विरिक्तं सम्यगादिशेत् । जिलं दारुणदुर्वर्ण त्रस्तं रुक्षमतीव च । नेत्रं विरेकातियोगे स्यन्दते चातिमात्रशः । तत्र सन्तर्पणं कार्यं विधानं चानिलापहम् ॥ अक्षि मन्दविरिकं स्पद्रुदयतरदोषवत् । घूमनस्या अनैस्तत्र हितं दोपावसेच नम् ।। स्नेहवर्णबलोपेतं प्रसन्नदोपवर्जितम् । ज्ञेयं प्रसादने सम्यगुपयुकेऽक्षि निर्वृतम् ॥ किंचिद्धीनविकारं स्यातर्पणाद्विकतादति । तत्र दोपस्त्रीचिकित्सासमूह भाग ४ ।
हरं रूक्षं भेषजं शस्यते मृदु ।। साधारणमपि ज्ञेयमेवं रोपणलक्षणम् । प्रसादनवदाचष्टे तस्मिन् युक्तेऽतिशेषजम् ॥ स्नेहनं रोपणं वापि हीनयुक्त - मपार्थकम् ॥ कर्त्तव्यं मात्रया तस्मादञ्जनं सिद्धिमिच्छता ॥ पुटपाकक्रियाव्यासु क्रियास्वेकैव कल्पना । सहस्रशाश्वा अनेषु बीजेनोक्तेन पूजिताः ॥ अर्थ - विशेष करके यह काल लेखनाञ्जनका कहा गया है, इन रोगोंको यथायोग्य आ आश्च्योतन, लेपन, धूम कंवल, नस्य इन कम्मोंसे निवृत्त करे । ( लेखनाजनके योगातियोगका वर्णन ) यदि नेत्र विशद लघु स्राव रहित क्रिया पटु निर्मल और शान्त हो गये हैं उपद्रव जिनके उनको समझना चाहिये कि अंजनका सम्यक् योग हुआ है । वक्रता, कठिनता, दुर्वर्ण, स्राव, रूखापन, जो अत्यन्त फडकें तो लेखनाञ्जनका अतियोग समझो, । इसमें सन्तर्पण और वातानाशक चिकित्सा करे । ( लेखनांजनका होन याग ) जो अत्यन्त उत्कट दोषसे युक्त होकर पीडासी उत्पन्न होय उसे होनाति योग समझो, इसमें धूमनस्य और अंजन द्वारा दोषोंका अवसेचन करे । ( प्रसादनाञ्जनका योगातियोग ) स्नेहवर्ण और बलसे युक्त प्रफुल्लित दोषोंसे राहत सब क्रियाओंको सहनेके योग्य जब नेत्र हो जायँ तब प्रसादनका सम्यक् योग समझो । तर्पणके अति योगसे जो कुछ हान दोप होय उसको प्रसादनका अतियोग समझो, इसमें दोषको दूर करनेवाली रूखी और कोमल औषध हितकारी है । ( रोपणांजनका योगाऽतियोग ) रोपण अंजनके योग और अति योगके लक्षण प्रसादनके योग आर अतियोगके समान ही होते हैं । इसमें प्रसादनांजनके अति योगके समान ही औषध की जाती है । ( प्रसादन रोपणका हीन योग ) स्नेहन अथवा रोपण यदि हीन मात्रासे प्रयुक्त किये जायँ तो निष्फल होते हैं, इसलिये इन अंजनोंको यथार्थ मात्राके अनुसार देवे । पुटपाकादि क्रियाओंमें एक ही कल्पना होती है, परन्तु अंजनोक्त मधुर रसको छोडकर पंचरसके लेखनांजन कल्पनासे तथा स्नेह युक्त तिक्त कषायके द्वारा रोपणाजन कल्पनासे तथा स्नेहयुक्त मधुर रसके द्वारा प्रसादनांजनकी कल्पनासे अंजनोंमें सहस्रों प्रकारकी कल्पना है ।
दृष्टि वर्द्धक अंजन ।
दृष्टेर्बलविवृद्धयर्थं टाप्यरोगक्षयाय च । राजार्हान्यञ्जनायचाणि निबोधैतान्यतः परम् ।। अष्टौ भागानञ्जनस्थ नीलोत्पलसमत्विषः । औडुम्बरं शातकुम्भं राजतञ्च समासतः ॥ एकादशैतान्भागांस्तु योजयेत्कु - शलो भिषक् । सूषाक्षिप्तं तदाध्मातमावृतं जातवेदसि ॥ खदिराश्मन्त -
वन्ध्याकस्पद्रुम ।
काङ्गगरैर्गोशकद्भिरथापि वा। गवांशकद्रसे मूत्रे दनि सर्पिपि माक्षिके ॥ तैलमव्यवसामज्जसर्वगन्धोदकेषु च । द्राक्षारसेक्षुत्रिफलारसेपु सुहिमेपु च ॥ सारिवादिकषाये च कपाये चोत्पलादिके ।। निषेचयेत्पृथक् चैनं ध्यातं ध्मातं पुनः पुनः ॥ ततोऽन्तरीक्षे सप्ताहं पुोतवद्धं स्थितं जले । विशोप्य चूर्णयेन्मुक्तां स्फीटकं विद्रुमं तथा।। कालानुसारिवां चैव शुचिरावाप्ययोगतः । एतच्चूर्णाअनं श्रेष्ठं निहितं भाजने शुभे ॥ दन्तस्फटिकबैदूर्य्य शंखशैलासनोद्भवे । शातकुम्भेऽथ शार्ङ्ग वा राजते चसुसं. स्कृते । सहस्रपाकवत् पूजां कृत्वा राज्ञः प्रयोजयेत् । तेनाञ्जितोक्षा नृपतिर्भवेत् सर्वजनप्रियः । अधूष्यः सर्वभूतानां दृष्टिरोगविवर्जितः ॥
अर्थ - यहांपर उन अंजनोंका वर्णन किया जाता है, जो दृष्टिके बल बढानेके निमित्त और याप्य रोगोंको निवृत्त करनेके निमित्त हैं । ये अंजन उत्तमोत्तम राजा 1 महाराजा व श्रीमन्त धनाढ्य लोगोंके योग्य हैं। नीलकमलके पुष्पके नमान कान्तिवाला सुर्मा ८ भाग, शुद्ध ताम्र १ भाग, सुवर्ण १ भाग, रजत ( चांदी ) १ भाग इन सब ११ भागको एकत्र करके मट्टीकी मूसमें रखके खैर, अश्मन्तक तथा कंडोंकी अझिमें गलाकर एक रस करलेवे, जय पिघल कर एकत्र हो जावे तत्र गोके गोवरके पानी, गौमूत्र, दही घृत, शहत, तैल, मद्य, चर्बी, मजा, सर्वगंधके काथ, दाखका क्काथ, ईखका रस, त्रिफलाका काथ, सारिवादि काय, उत्पलादि काथ इत्यादिमें वारम्बार बुझावे । फिर उस टिकियाको एक वस्त्र में बांधकर आकाशसे लिये हुए वर्षातके जलमें भिगोदेवे, सात दिवसके वाद निकाल कर सुखा खरलमें डालकर अति सूक्ष्म चूर्णकर मोती, बिल्लौर, मूंगाकी शाख, तगरकी जड प्रत्येक ( छःछः मासे ) लेकर इनका सूक्ष्म चूर्ण करके मिलावे, जव अति सूक्ष्म चूर्ण हो जाये तव १ तोला. ७॥ मासे सींगापुरी भीमसेनी कर्पूर मिलाकर कांचकी शीशीमें भर लेवे । यदि राजाओंके यहां इसको तैयार किया जाय तो दुन्तस्फटिक, वैदूर्य्य, शंख, पत्थर, असन, सुवर्ण, सींग, चांदी इनके पात्रों में उत्तम रीतिसे रखे । और सहस्र पाककी विधिसे पूजा करके राजाओंके लगावे, इस अंजनको लगानेसे राजा सर्वप्रिय होता है । इसके लगानेसे पंचभूतोंसे उत्पन्न हुई दृष्टि अगम्य, और रोग रहित हो जाती है । ऊपर कथन की हुई गोली सलाई व बत्ती इनको जल व स्त्रीके दुग्ध व वकरीके दुग्धमें घिसकर काजलसा बन जावे तब सलाईपर रखके नेत्रों में लगावे । यदि ऐसा न किया जावे तो कठिन चीजको नेत्रों में फेरनेसे जखम पड़ जाता है ।।
स्त्रीचिकित्सासमूह भांग ४ । betebebet totret
आयुर्वेद में नेत्रपांक रोगके नाम अभिष्यन्द अधिमन्थ रखे गये हैं, अभिष्यन्द नेत्रपाककी प्रथम स्थिति है और अधिमन्थ दूसरी स्थिति है । इसी प्रकारसे यूनानी तिब्ब में नेत्रपाककी संज्ञा रंमद है । मुल्ताहिमानामक पर्देके सूज जानेको रमद कहते हैं और रमदहकीकी भी इसीको कहते हैं । रमद उस दशाको भी बोलते हैं, जैसे गर्मी, धूप, धूल, धूआं व किसी प्रकारकी गर्मी नेत्रों में पहुंचने से सुख व दूखनेकीसी दशा हुई होय और किसी किसी हकीमने सर्दी व गर्भीके किसी कारणसे भी नेत्रों में सूजन हुई होय उसको रमद नामसे ही उपाय लिखा है । परन्तु असलमें रमदके ( रक्तजं रमद, पित्तज रमद, कफज रमद, वात्तज रमद, रीही रमद ) यह पांचही भेद हैं । अबमें नेत्र दुखनेको रमद कहते हैं । रक्तज रमदमें नेत्र विशेष सूजा हुआ और नेत्रमें खिचावट पड़ती है मैल विशेष निकलता है नेत्रकी रगें मवादसे भरी हुई रहती हैं, कनपटियों में दर्द और धमक रहती है और रक्तकी अधिकताके चिह्न प्रगट होते हैं । उपाय इस रोगका यही है कि बालक और अतिवृद्धको छोडकर किसी प्रकारका उपद्रव न होवे तो सरेरू नसकी फस्द खोलदेवे, मगर जिस ओरकी आंख दुखती होय उधरकी ही फस्द खोले। यदि दोनों नेत्र दुःखते होयँ तो दोनों सरेरूकी फस्द खोल देवे, यदि 'किसी कारण विशेषते फस्द न खोली जावे तो गुद्दीपर पछने लगाकरं रक्तमोक्षण करे यदि बालक भी अन्नाहारी होय और रक्तका जोश अधिक देखा जावे तो पछने लगाना उचित है । जिस बालककी उमर अति छोटी होय और केवल दुग्धाहारी होय तो हरड, आलूबुखारा, पित्तपापडा, इमली इनके काथसे कोष्ठको नर्म करे और रक्तमोक्षणके पछि वडी उमरके मनुष्योंके कोष्ठको भी इन्हीं औषधियोंसे नर्म करे और मलको निकालनेके पछि शियाफे अवियाजअंडेकी सफेदी व मेथीके लुआब अथवा 'स्त्रकि दुग्ध में घिसकर नेत्रों में लगा बत्तीको घिसकर लगावे और शियाफ (बत्ती :) और लुआब लसदार दवाओंको मस्तक और शरीर शुद्ध होनेके प्रथम न लगावे । क्योंकि शरीर और मस्तक शुद्ध न किये जावें तो रक्तका जोश कम नहीं होता और ऐसी दशामें दवा लगानेसे किसी पर्देको हानि पहुँचना संभव है । और नेत्र दुखतेही आरम्भमें नेत्रों में पानी लगानाभी वर्जित है, क्योंकि पानी लगानेसे मल पकता नहीं किन्तु-कच्चा रहता है । और नेत्रके पर्दे मोटे हो जाते हैं और पढेको हानि पहुँचाता है। .शियाफे अवियाजके बनानेकी विधि ।
जस्तका फूला ( सफेदा ) समगे अव कतीरा इन तीनोंको कूट छानकर ईसव गालक लुआब अथवा अंडेकी सफेदमें मिलाकर बत्ती बना लेवे और किसी २ तबीबन इस नुसखेमें अफीम और शोधी हुई अजंरूतभी थोडी मिलाई हैं । नेत्रमेंसे मलके निकल जानेपर नेत्रकी पुष्टता और मवाद हटानेके लिये चन्दन, रसौत, अकाEL |
MATHURA (8 March): बसंत पंचमी से शुरू हुआ होली का धमाल अब चरम पर पहुंचने लगा है। लड्डू होली, लठामारा होली, रंगभरनी एकादशी आदि पर इतना अबीर-गुलाल उड़ेगा की धरा से लेकर आसमान तक होली के रंग में सराबोर हो जाएगा। अबीर गुलाल की खुशबू से ब्रज की फिजा महकेगी। अनुमान है कि चालीस दिवसीय होली के आयोजनों में करीब 5500 टन अबीर-गुलाल ब्रज में उड़ेगा। होलिका अष्टक 16 मार्च से लग रहे हैं। इस दिन से जहां-जहां होली के आयोजन होंगे, आसमान सतरंगी नजर आएगा। इससे पहले महावन में होली 12 मार्च को होनी हैं। लठामार होली और मंदिरों में अबीर-गुलाल की वर्षा होती है। इस अलौकिक पल का साक्षी बनने के लिए श्रद्धालु मचल रहे हैं। इन आयोजनों में इतना अबीर-गुलाल उड़ेगा कि बदरा भी लाल हो जाएंगे। इस अवसर का बाजार को भी वर्ष भर इंतजार रहता है। कदम-कदम पर दुकानें सजती हैं।
बाजार भी होली के रंग में सतरंगी हो जाता है। होली के लिए मंदिरों द्वारा हाथरस, बनारस से अबीर-गुलाल मंगाया जा रहा है। होली पर निकलने वाले डोले भी होली को दिव्य बना देते हैं। अपने प्रिया-प्रियतम को रंग लगाने के लिए श्रद्धालु तरह-तरह के अबीर गुलाल और रंग खरीद रहे हैं। महावन से शुरू हुए धमाल से बल्देव की कोड़ामार होली तक देश-दुनिया के श्रद्धालु ब्रज की होली के रंग में सराबोर रहेंगे। बरसाना, नंदगांव में लठामार होली, गोकुल की छड़ीमार होली, बलदेव के हुरंगा वाले दिन इन स्थानों पर आसमान के दर्शन मुश्किल हो जाते हैं। इन आयोजनों के अलावा गांव-गांव होने वाले हुरंगा में भी जमकर अबीर-गुलाल उड़ता है। तरह-तरह के रंग के अबीर-गुलाल से आसमान सतरंगी हो जाता है। हर किसी को इन आयोजनो में सराबोर होने का इंतजार है। रंगों के थोक विक्रेता गुरप्रीत चावला बताते हैं कि अबीर-गुलाल और रंगों की बिक्री शुरू हो गई हैं। होली को लेकर लोगों में जोश है।
इस बार गुलाल की खुशबू के आगे स्प्रे की खुशबू भी फीकी पड़ जाएगी। लाल, गुलाली, पीला, नीला, हरा, तोतई आदि रंग का गुलाल जब आसमान में उड़ेगा तो वातावरण सतरंगी हो जाएगा। गुलाल में खुशबू पर विशेष ध्यान कपंनियों ने दिया है। ये है गुलालसूखा रंग गुलाल है, जो रंगीन सूखा चूर्ण होता है, जिसे होली के त्योहार में गालों पर या माथे पर टीका लगाने के काम आता है। बिना गुलाल के होली के रंग फीके ही रह जाते हैं। बसंत पंचमी से ही अबीर गुलाल उड़ना शुरू हो जाता है। द्वारिकाधीश मंदिर, बरसाना, नंदगांव, बल्देव, वृंदावन आदि मंदिरों में वसंत पंचमी से ही श्रद्धालु होली का आनंद लेना शुरू कर देते हैं। होली के रसियाओं पर जमकर झूमते हैं।
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सोलन : कोरोना वायरस के कारण अब हर कोई सहमा हुआ है। किसी क्षेत्र से कोरोना पॉजिटिव के मिलने की सूचना आती है तो वहां दहशत का माहौल बन जाता है। ऐसे में सरकार ने मरीजों के नाम सार्वजनिक करने को लेकर रोक लगा दी है। बद्दी में पुलिस ने एक सोशल मीडिया ग्रुप के एडमिन के खिलाफ बीते दिन 19 कोरोना पॉजिटिव पाए मरीजों के नाम सार्वजनिक करने पर मामला दर्ज किया है। पुलिस ने धारा 54 डिजास्टर मैनेजमेंट, 188 आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
जानकारी के अनुसार एक फेसबुक पेज बद्दी पोल खोल में बद्दी में बीते दिन 19 कोरोना पॉजिटिव पाए गए मरीजों के नाम अपलोड किए गए थे, जिसको लेकर बद्दी में लोगो में असुरक्षा की भावना फेल रही थी। लोग पैनिक हो रहे थे। जिसको लेकर बद्दी पुलिस ने बद्दी पोल खोल के एडमिन के खिलाफ मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
Himachal: सोशल मीडिया पर कोरोना पॉजिटिव के नाम सार्वजनिक करने पर मामला दर्ज Reviewed by Himachal Fast News on 16 June Rating:
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नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि जारी लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान वैसे प्रवासी लोगों को घर जाने की इजाजत दी गई है जो पहले से ही अपने शहर को छोड़ कर चल दिये थे। जिसमें वे लोग ज्यादातर है जो लॉकडाउन के लागू होने से पहले से ही किसी राज्य में फंस गए थे। उन्हें लॉकडाउन लागू होने के बाद उसी शहर में मजबूरी में रहना पड़ा। इस बाबत गृह मंत्रालय ने कहा है कि वैसे लोगों को फिलहाल जाने की सुविधा नहीं दी जा रही है जो आराम से अपने घरों में अभी है।
गृह मंत्रालय ने यह विशेष स्पेशल ट्रेन उन परेशान लोगों के लिये चलायी है जो मजदूर,छात्र और तीर्थयात्री कहीं फंस गए है। लेकिन वे अपने प्रदेश नहीं जा पा रहे है। ऐसे राज्यों को बसों या ट्रेन से अपने प्रदेश के लोगों को ले जाने की इजाजत दी गई है। साथ ही गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि वैसे लोग अपने घरों पर सुरक्षित रहें, मौजूदा समय में घर से निकलकर जाने की होड़ में जरुरतमंद लोगों के लिये ही वे लोग मुश्किल खड़ी कर सकते है। ऐसे में उन्हें ऐसे हालात बनाने से बचना चाहिये।
मंत्रालय ने कहा है कि वैसे लोग जो अपने ऑफिस आना-जाना चाहते है उसके लिये अलग से गाइडलाइन में प्रावधान किया गया है। उसका वे सब लोग पालन करें तो बेहतर होगा। दरअसल यह विशेष ट्रेन फंसे हुए मुश्किल लोगों को सुविधा देने के लिये है। वैसे लोग जो अपने प्रदेश से दूसरे प्रदेश जा रहे थे या वापस लौट रहे थे, उन्हें सुविधा देने के लिये यह विशेष ट्रेन चलायी गई है। इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) को पत्र लिखा है-जिसमें लोगों की आवाजाही में परेशान और फंसे लोगों को जाने की इजाजत दी जाए।
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हार्दिक ग्रंथि हाइपरप्लासियाप्रोस्टेट (या संक्षिप्त बीपीएच) एक सौम्य गठन के साथ एक बीमारी है जो प्रोस्टेट या ग्रंथियों के उपकला के stromal घटक से विकसित किया गया है।
इस विकृति के लिए एक छोटे से नोडल की विशेषता है(या कई नोड्यूल) यह धीरे-धीरे बढ़ता है और मूत्रमार्ग को निचोड़ता है। इस दबाव के परिणामस्वरूप पेशाब की प्रक्रिया का उल्लंघन है।
इसे तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए कि बीपीएच नहीं दे रहा हैमेटास्टेसिस। दूसरे शब्दों में, ऐसी बीमारी प्रोस्टेट कैंसर का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। हालांकि कुछ मामलों में इसके घातक अधः पतन अभी भी पैदा हो सकता है।
रोग का इलाज करने के लिए,पूरी तरह से अलग दवाओं, एक संयंत्र के आधार पर सहित। सबसे प्रभावी साधनों में जैविक रूप से सक्रिय अनुपूरक प्रोस्टगुट फोटे शामिल हैं। निर्देश, इस दवा की कीमत, साथ ही इसके एनालॉग नीचे प्रस्तुत किया जाएगा।
"प्रोस्टगुट फोटे" के रूप में इस तरह के एक उपकरण के लिए कौन से प्रारूप विशिष्ट है? समीक्षा की रिपोर्ट है कि यह दवा कैप्सूल के रूप में खरीदा जा सकता है। वे फफोले और कार्डबोर्ड पैक में रखा जाता है।
विचाराधीन उत्पाद की संरचना में ऐसे प्राकृतिक घटकों में शामिल हैं जैसे सेरेनोइड जीव की हथेली सब्बल, 90% इथेनॉल के फलों का सूखा निकालने और चिल्ली की जड़ों का सूखा निकालने।
साथ ही साथ सहायक सामग्री का इस्तेमाल किया जाता हैः ट्राइग्लिसराइड्स, सिलिकॉन डाइऑक्साइड कोलाइड और सोया हाइड्रोजनीकृत तेल।
कैप्सूल खोल के संबंध में, इसमें 85% ग्लिसरॉल (ग्लिसरॉल), लोहे ऑक्साइड पीला, ई 131, जिलेटिन पॉलिस्युनेटिनेट, ई -172 और पेटेंट वाले नीले रंग के वी होते हैं।
दवा "प्रोस्टागुट फोटे", जिसकी कीमत इंगित की गई हैआगे, जैविक रूप से सक्रिय पदार्थों का एक जटिल समूह है, जिसमें एंटी-एंड्रोजेनिक, विरोधी भड़काऊ, एंटीपोलिफायरेटिव, इम्यूनोमोडाइलिंग और एंटी-एडमेटस एक्शन शामिल हैं।
एंटी-एडमेटस और एंटी-प्रज्जातीय गुणइस एजेंट का एरासिडोनीक एसिड के कैस्केड के लिंक के साथ-साथ ल्यूकोट्रिएंस और प्रोस्टाग्लैंडीन के संश्लेषण के अवरोध के कारण, उनके पारगम्यता में बाद में कमी के कारण होता है। इस प्रभाव के परिणामस्वरूप, रोगी के दर्द कम हो जाते हैं, प्रोस्टेट ऊतक की सूजन और सूजन समाप्त हो जाती है।
इस दवा का इम्यूनोमोडाइलिंग प्रभावउत्तेजनात्मक प्रक्रियाओं में प्रोस्टेट ऊतक पर ऑटोइम्यून प्रभाव को दबाने की अपनी क्षमता और सक्रिय लिम्फोसाइटों के प्रसार को कम करने के लिए भी समझाया गया है।
एंटीग्रोजेनिक के संबंध में औरBUD antiproliferative गुण, वे एंजाइम 5.alpha.-रिडक्टेस और aromatase का निषेध, जो टेस्टोस्टेरोन और estradiol से DHT के संश्लेषण को रोकता है, प्रोस्टेट ऊतकों के विकास को बढ़ावा देने के साथ जुड़े रहे हैं।
दवा "प्रोस्टगुट फोटे" तेज और प्रभावी हैपेशाब विकार के संकेतों को समाप्त करता है, जो बीपीएच के कारण होता है। इसके अलावा, इस उपकरण में जलती हुई सनसनी और दर्द कम होता है जब पेशाब होता है, रात की आवृत्ति कम कर देता है और झूठे आग्रह करता है, और मूत्राशय के तेज खाली होने को भी बढ़ावा देता है।
यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि कैप्सूल लेने से रोगी की यौन गतिविधि पर कोई प्रभाव नहीं होता है।
"प्रोस्टेट फोर्ट" आहार अनुपूरक का इस्तेमाल पहली और दूसरी डिग्री के बीपीएच में परेशान पेशाब प्रक्रिया के साथ-साथ प्रोस्टेटाइटिस के साथ भी किया जाता है।
पूरक "प्रोस्टेट फेटे" डॉक्टर के साथ परामर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए। कैप्सूल पूरे दिन में दो बार एक टुकड़ा (नाश्ते पर और सोने से पहले) में एक पूरे टुकड़े को निगल लिया जाता है।
दवा को थोड़ी सी पानी से धोया जाना चाहिए उपचार की अवधि कम से कम एक महीने है।
"प्रोस्टेट फेटे" पूरक, जिनमें से एनलॉग्स नीचे सूचीबद्ध हैं, साइड इफेक्ट के विकास में योगदान कर सकते हैं। एक नियम के रूप में, वे एलर्जी प्रतिक्रियाओं के रूप में प्रकट होते हैं।
निर्देशों में अन्य दवाओं के साथ इस दवा की बातचीत वर्णित नहीं है।
दवा "प्रोस्टेट फोर्ट" के साथ अतिदेय के मामलों को आज तक तय नहीं किया गया है।
"प्रोस्टेट फोर्ट" आहार पूरक एक दवा नहीं है जैविक additive प्रोस्टेट ग्रंथि के ट्यूमर के विकास के कारण लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद करता है। हालांकि, नया गठन स्वयं इसे समाप्त नहीं करता है। इस संबंध में, मरीजों को नियमित रूप से जांच के संचालन के उद्देश्य से एक डॉक्टर की यात्रा करनी चाहिए, जिसमें तीव्र मूत्र संरक्षण और रक्त में उपस्थित होना शामिल है।
प्रश्नावली में जोड़ की कीमत 750 से शुरू होती हैरूबल (60 कैप्सूल)। ज़रूरत पड़ने पर, सक्रिय fitodrug के रूप में "सर्पेंस", "Palprostes" फल निकालने हथेली धीरे-धीरे "Permikson" इस तरह के माध्यम से बदला जा सकता है, "Prostamol ऊनो", "Prostagut मोनो", "Prostaplant" सूखी Serenoa के उद्धरण धीरे-धीरे।
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क्या लद्दाख के बौद्ध लोगों का डर नाजायज है कि जब कश्मीरी आतंकी वहाँ लहसुन-ए-हिन्द चिल्लाकर नारा-ए-अदरक लगाते आएँगे तो उन्हें वहाँ से भाग कर कहीं और नहीं जाना पड़ेगा?
रक्षाबंधन का इतिहासः फ़र्ज़ी नारीवादियों के कुतर्कों के नाम (लम्पट वामपंथी भी पढ़ें)
हर परंपरा में उच्च स्थान बाँधने वाले को दिया जाता है कि उसका दिया गया सूत्र (धागा) बँधवाने वाले की रक्षा करेगा क्योंकि इसमें उसने अपनी अराधना, आत्मीयता, स्नेह आदि की शक्ति संचित कर दी है। फिर यहाँ स्त्री हीन कैसे है ये समझ से परे है।
क्या बदल गया है 'हज़ार जख्म दे कर मारेंगे' से कराची वालों के 'अल्ला खैर करे' तक? (भाग-2)
पाकिस्तान की समस्या यह है कि उसका दम्भ भी भीख पर टिका हुआ है और अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने उसके कटोरे में सिक्के डालने से मना कर दिया है। अब पाकिस्तान उस कटोरे को बेच कर नान और टिमाटर का जुगाड़ कर सकता है, लेकिन भारत से युद्ध की सोचने पर भी, उसकी हालत यह होगी कि वहाँ की जनता भारत के बमों से नहीं, भूख से मर जाएगी।
जिसका भाग्य गधे के लिंग से लिखा गया हो... उसे कोई चीन या विदेशी मुस्लिम काम नहीं आता (भाग-1)
इनकी मूर्खता आप देखिए कि खुद खाने के लाले पड़े हैं और चाहते हैं कि कश्मीर ले कर उन्हें भी अपने जैसा बना देंगे। यही तो खिलाफत है कि खलीफा के शासन में सारे लोग सिर्फ इसलिए खुश रहें कि अब तो हम इस्लामी खिलाफत में हैं और शरिया कानून है यहाँ। वो रुक कर ये तक नहीं सोचते कि ऐसे शासन में उनका जीवन स्तर क्या होगा?
रवीश जी, पत्रकार तो आप घटिया बन गए हैं, इंसानियत तो बचा लीजिए!
अनुभवी आदमी शब्दों को अपने हिसाब से लिख सकता है कि वो एक स्तर पर श्रद्धांजलि लगे, एक स्तर पर राजनैतिक समझ की परिचायक, और गहरे जाने पर वैयक्तिक घृणा से सना हुआ दस्तावेज। रवीश अनुभवी हैं, इसमें दोराय नहीं।
JNU में तो दो बार से सारे वामपंथियों के नितम्ब चिपक कर एक होने के बाद ही चुनाव जीते जा रहे हैं, इस साल कितने चिपकेंगे ये देखने की बात है। घर में कॉफी पीने वाला लेनिनवंशी पब्लिक में लाल चाय पीने लगता है और छत पर मार्लबोरो फूँकता माओनंदन कॉलेज के स्टाफ क्लब में बीड़ी पीता दिखता है।
रवीश जी, इतने दुबले क्यों हो रहे हैं कश्मीर को लेकर?
किताबें तो मैंने भी बहुत पढ़ी हैं, और पेज नंबर मुझे भी याद हैं, लेकिन मैं अभी तक इतना धूर्त नहीं बन पाया कि उस ज्ञान का इस्तेमाल अपनी फर्जी विचारधारा और मालिकों के प्रोपेगेंडा की रोटी सेंकने में कर सकूँ। वो तरीके रवीश को ही मुबारक हों।
सौ करोड़ की आबादी, NDA के 45% वोट शेयर में आखिर किसके वोटर कार्ड हैं? फिर सवाल कौन पूछेगा इन हुक्मरानों से? आलम यह है कि तीन चौथाई बहुमत वाले योगी जी के राज्य में, हिन्दुओं को अपने घरों पर लिखना पड़ रहा है कि यह मकान बिकाऊ है!
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मालदीव के प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण और क्षमता वृद्धि पर भारत और मालदीव के बीच हस्ताक्षर किए गए समझौते पर आज दोनों देशों के बीच विचार विमर्श के बाद कार्य प्रारंभ कर दिया गया। इस संबंध में आज मालदीव के माले में स्थित सिविल सर्विस कमीशन में आयोजित एक समारोह में प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग और राष्ट्रीय सुशासन केंद्र और मालदीव सिविल सर्विस कमीशन के बीच विचार विमर्श के बाद यह कार्यवाही हुई। भारत की ओर से प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग के अपर सचिव श्री वी श्रीनिवास के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मालदीव से प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की। मालदीव के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिविल सर्विस कमीशन के अध्यक्ष डॉ. एले शामीन ने किया। इस अवसर पर भारत के मालदीव में उच्चायुक्त श्री संजय सुधीर भी उपस्थित थे।
प्रतिनिधिमंडल स्तर के विचार-विमर्श के बाद दोनों पक्षों के बीच सितंबर 2019 से दिसंबर 2020 तक पहले दस प्रशिक्षण कार्यक्रमों की तिथि और भागीदारी स्तर को लेकर आम सहमति बनी। इस अवसर पर सिविल सर्विस कमीशन में डॉ एले शामीन,श्री संजय सुधीर और श्री वी श्रीनिवास द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम संबधी कैलेंडरभी जारी किया गया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जून 2019 मेंमालदीव की यात्रा के दौरान"पड़ोसी प्रथम" की नीति परबल दिया था और मालदीव को विस्तृत सामाजिक-आर्थिक विकास की आकांक्षा पूर्ण करने और लोकतांत्रिक और स्वतंत्र संस्थानो को सशक्त करने में भारत की ओर से पूर्ण सहयोग के प्रति आश्वस्त किया था।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने मालदीप के उपराष्ट्रपति श्री फैसल नसीम से मुलाकात की। मालदीप के उपराष्ट्रपति ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को बधाई दी और जून 2019 में मालदीप के प्रशासनिक अधिकारियो के क्षमता वृद्धि पर हस्ताक्षर किए गए सहमति पत्र पर शीघ्र कार्यान्वयन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित रक्षा सौदे से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली को सुनायी गयी चार साल कैद की सजा पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। जेटली के वकील ने इस बारे में बताया। वकील अभिजात ने बताया कि न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली जेटली की याचिका पर सीबीआई से जवाब भी मांगा है। जेटली की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और पी पी मल्होत्रा ने पैरवी की।
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली को चार साल की कैद की सजा सुनाई थी। जया को यह सजा लगभग 20 साल पुराने रक्षा सौदे में कथित भ्रष्टाचार के मामले में सुनाई गई। जया के अलावा उनके पूर्व पार्टी सहयोगी गोपाल पचेरवाल और रिटायर्ड मेजर जनरल एस. पी. मुरगई को भी चार साल कैद की सजा सुनाई गई।
विशेष सीबीआई जज वीरेंदर भट के समक्ष सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि दोषियों को अधिक से अधिक सजा देनी चाहिए, क्योंकि उनके द्वारा किए गए अपराध प्रकृति भी बेहद गंभीर है। सीबीआई ने दोषियों को अधिकतम सात साल जेल की सजा देने की मांग की थी। जबकि न्यायाधीश वीरेन्द्र भट ने गुरुवार तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया और उन्हें आज शाम पांच बजे तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया है। इस मामले में अदालत की कार्रवाई बंद कमरे में हुई है।
जनवरी 2001 में न्यूज पोर्टल तहलका ने 'ऑपरेशन वेस्टएंड' नामक स्टिंग किया था। जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आया था। इस स्टिंग ऑपरेशन में दोषियों को काल्पनिक कंपनी बनाकर सेना के लिए हाथ से संचालित होने वाले थर्मल इमेजर्स की आपूर्ति ऑर्डर के लिए रिश्वत लेते दिखाया गया था।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जेटली ने संदिग्ध कंपनी वेस्टेंड इंटरनेशनल के प्रतिनिधि मैथ्यू सैम्युअल से दो लाख रुपये गैर कानूनी तरीके से लिए थे जबकि मुरगई को 20 हजार रुपये मिले। तीनों आरोपियों के साथ सुरेंद्र कुमार सुरेखा आपराधिक साजिश के मामले में पक्षकार थे, लेकिन सुरेखा बाद में सरकारी गवाह बन गए थे।
इस मामले का खुलासा होने के बाद रक्षा मंत्री फर्नांडीज को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। जया रक्षा मंत्री फर्नांडीज की बेहद करीबी थी। अदालत ने तीनों आरोपियों- जेटली, पछेरवाल और मुरगई- को आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधी कानून की धारा-9 के तहत दोषी करार दिया है।
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बॉलीवुड एक्ट्रेस कायनात अरोड़ा ने एक बार फिर अपनी हॉटनेस का तड़का लगाते हुए सोशल मीडिया पर स्विमिंग पूल में जाते बेहद बोल्ड तस्वीर शेयर की है। कायनात की इन बोल्ड अदाओं को देखने के बाद हम शर्त लगा सकते हैं कि आप खुद को बार बार देखने से रोक नहीं पाएंगे।
कायनात का जन्म 2 दिसम्बर 1986 को उत्तर प्रदेश के पंजाबी परिवार में हुआ था। कायनात 90 के दशक की एक्ट्रेस दिव्या भारती की कजिन बहन हैं, हालांकि दिव्या आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बहन भी ग्लैमरस अंदाज में किसी से कम नहीं हैं।
बॉलीवुड में कायनात ने साल 2010 में आई फिल्म 'खट्टा मीठा' से डेब्यू किया था। इस फिल्म में कायनात 'आईला रे आईला' गाने में परफॉर्म करती दिखी थीं। इसके बाद कायनात ने तमिल फिल्म 'Mankatha' में केमियो किया था। कायनात अक्सर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहकर अपनी हॉट तस्वीरों का जलवा फैंस के बीच बिखेरती रहती हैं।
Summer Holidays ! ! ! #TravelStories ? ♀️ ? ♂️ ? ♀️ ? ? ? ? ? ?
Walk down The Lane Sometimes. . . not Merely To Walk ! ! ! But To See , How you Look When You walk ?
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गई । सुरक्षा के लिए रेत के बोरे, सैनिक सामग्री भरने के लिए चोरियाँ, यातायात के लिए मोटर और डिच्चों को ढकने का सामान इत्यादि के लिए जूट के कपड़े की माँग बहुत बढ़ी। इसके साथ ही बाजार में भी साधारण माँग, व्यापार की तीव्रता के कारण बहुत अधिक बढ़ गई । प्रथम महायुद्ध काल में उद्योग की प्रगति बहुत अधिक हुई। राज्य की ओर से भी इसे पूर्ण सहायता मिली । उद्योग का इतना अधिक विकास हो गया और अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में इसका इतना अधिक महत्व बढ़ गया कि भारत के उद्योगधंधों में जूट उद्योग का प्रमुख स्थान हो गया ।
द्वितीय महायुद्ध आरंभ होने के पूर्व तक इस उद्योग में लगभग २४ करोड़ से अधिक पूंजी लगी थी। लगभग ३ लाख से अधिक मजदूरों की संख्या थी और राज्य को प्रति वर्ष लगभग ६-७ करोड़ रुपयों की आय निर्यात कर द्वारा होती थी। परंतु जूट का इतिहास अनेक प्रकार के परिवर्तनों से भरा हुआ है । एक ओर वह सङ्गठन की दृष्टि से अच्छे से अच्छा उद्योग माना जाता है। परंतु दूसरी ओर राष्ट्र हित की दृष्टि से अब तक उस पर विदेशी और विदेशी सङ्घठन का अधिकार रहा है। यदि एक ओर इस उद्योग के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत को एकाधिकार का स्थान प्राप्त हुआ, तो दूसरी ओर देश के विभाजन के बाद यह सिद्ध हो गया है कि इस उद्योग का स्थानीयकरण व्यापक राष्ट्र-व्यवस्था की दृष्टि से अहितकर था। इस उद्योग से देश के निर्यात में काफी लाभ हुआ परंतु साथ ही १६२६ की मंदी का प्रभाव उद्योग पर इतना बुरा पड़ा कि बहुत लंबे समय तक उसमें श्रमिक संख्या कम की गई, काम के घंटे घटाये गये, शिफ्ट कम की गई और कभी-कमी उत्पादन पर भी नियंत्रण लगाया गया। इन विशेषताओं के कुछ मुख्य कारण है---
( १ ) चारदाने का उपयोग अधिकतर कृषि पदार्थों के एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाने में होता है। जब देश में फसल अच्छी होती है तो बारदाने की माँग बढ़ जाती है और सफल खराब होने पर इसकी माँग एकाएक घट जाती है। अच्छी फसल के समय देश में वारढ़ाने की माँग बढ़ने से उसका ( बारदाने का ) निर्यात घट जाता है, और यदि विदेशों में फसल अच्छी भी हो तो भी देश अधिक मात्रा में वारदाना बाहर नहीं भेज सकता ।
( २ ) कुछ समय तक जूट की वस्तुओं का निर्माण इंग्लैंड में डंडी ( Dundy ) नामक स्थान पर भी होता रहा । डंडी और कलकत्ते की प्रतिस्पर्धा जूट उद्योग के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना है । बहुत समय तक इंग्लैंड की सरकार ने डंडी के उद्योगपतियों को अनेक प्रकार से सहायता और संरक्षण दिया और बड़े लन्ये समय की प्रतिस्पर्धा के बाद बंगाल के जूट उद्योग की श्रेष्ठता को स्वीकार किया ।
-( ३ ) जूट उद्योग का स्थानीयकरण एक बन्दरगाह पर हुआ और तक उद्योग का मुख्य उद्देश्य निर्यात रहा है, इसलिए उद्योग का सारा आधार निर्यात रहा है। उसकी आंतरिक समस्याओं स्थानीयकरण के दुष्परिणामों, पटसन की खेती और पटसन के उद्योग के असंतुलन की ओर उगपद्योतियों का ध्यान नहीं गया । यही कारण है कि देश का विभाजन होने पर उद्योग इतना अन्नव्यस्त हो गया कि लगभग १५० वर्ष पुराना उद्योगको भागों में विभक्त हो गया है। पटसन के खेत पाकिस्तान में चले गये और जूट के कारखाने भारत में रह गये। बड़ी देर के बाद भारत सरकार ने अनुभव किया कि संयुक्त भारत में यद्यपि सूर का उद्योग सर्वश्रेष्ट उद्योग था, परंतु विभाजन के पश्चात् श्रौद्योगिक दृष्टि से वह एक जटिल समस्या बन गया है । उद्योग की उपर्युक्त |
ट्रैकिंग करने की प्रवृत्ति भी निरंतर बढ़ रही है ।
कुछ लोग ट्रैकिंग को पुलिस बलों अथवा सेना के जवानों का खेल समझते हैं जबकि वास्तविकता यह नहीं है । भारत में यह खेल इसलिए उपेक्षित रहा क्योंकि हम शारीरिक स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान नहीं देते । ट्रैकिंग तो ऐसा खेल है जिसे बुद्धिजीवी, कलाकार और व्यवसायी भी उसी प्रकार खेल सकते हैं, जिस प्रकार पुलिस बलों एवं सेना के जवान । ट्रैकिंग तो मात्र मनोरंजन और आनंद के लिए भ्रमण करना है और इसे कोई भी कर सकता है ।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष रूप से हिमालय में ट्रैकिंग के अनेकानेक स्थल हैं। यहां हर प्रकार के लोग ट्रैकिंग कर सकते हैं चाहे वे ट्रैकिंग शुरू करने वाले हों अथवा अनुभवी ट्रैकर केवल मनोरंजन के लिए या किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए, युवा हो अथवा प्रौढ़, जोखिमभरी यात्रा करने के लिए अथवा प्रकृति की गोद में आराम करने के लिए ट्रैकिंग व्यक्ति को प्रकृति के समीप लाती है । ट्रैकर अपने देश को दूसरों की अपेक्षा अधिक समझने लगता है। उसे पग-पग पर अनेकता में एकता के दर्शन होते हैं, जो कि भारतीय जीवन पद्धति का मूल है । संक्षेप में, ट्रैकिंग फुरसत का वक्त बिताने का बढ़िया तरीका है ।
ट्रैकिंग पर जाने की तैयारियां उपरोक्त उद्देश्यों को सामने रखकर ही की जा सकती हैं। व्यक्ति अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समय और धन तथा आवश्यक सामग्री का प्रबंध करके यात्रा पर निकल सकता है। इन्हीं उद्देश्यों को सामने रखकर ट्रैकिंग पद्धति का चुनाव करना होता है और उसी के अनुरूप उसे तैयारी भी करनी होती है। ट्रैकिंग करने की अलग-अलग पद्धतियां हैं। अधिकतर विदेशी ट्रैकर यूरोपीय ढंग से ही भारत और नेपाल में ट्रैकिंग करना चाहते हैं जबकि यहां यह व्यावहारिक नहीं है। यूरोपीय भू-प्रदेशों, वहां के साधन सुविधाओं में और भारत व नेपाल के साधन सुविधाओं में बहुत अंतर है। दोनों प्रकार के क्षेत्रों की अलग-अलग विशेषताएं हैं। उन्हें ध्यान में रखकर ही पद्धति का चुनाव किया जाये तो अच्छा रहता है । ट्रैकर निम्नलिखित पद्धतियों में से अपने स्वभाव, उद्देश्य, समय और धन को ध्यान में रख हुए किसी का भी चुनाव कर सकता है। सुविधानुसार इनका मिश्रण भी किया जा सकता है।
स्वतंत्र विचरण : इसे 'बैक पैकिंग' के नाम से जाना जाता है । इस पद्धति से ट्रैकर हर प्रकार से बंधन मुक्त होकर, मनचाहे ढंग से स्वतंत्र भ्रमण करता है । हर आवश्यक वस्तु उसकी पीठ पर लदी रहती है। उसे अपना मार्ग स्वयं ही चुनना होता है। जहां स्थान मिले और उसकी इच्छा हो वह वहां डेरा डाल देता है । जब चाहे तब चल पड़ता है। जो मिल जाये खा लेता है । इस प्रकार की पद्धति आनंददायक होती है परंतु इसमें कठिनाइयां भी अधिक हैं। भारतीय भू-प्रदेशों के लिए इसे व्यवहारिक
नहीं माना जाता । यहां पर अभी ट्रैकिंग का पर्याप्त विकास नहीं हुआ है। न तो नियमित मार्ग हैं और न रास्तों पर आवश्यक सुविधाएं । ठहरने के स्थान भी न के बराबर हैं; और जो हैं वे अच्छे नहीं हैं। रास्तों पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर ईंधन तक नहीं मिलता । मार्गों के नक्शे भी नहीं हैं। भाषा की कठिनाई के कारण ट्रैकर का मंजिल तक पहुंचना कठिन हो जाता है । दुर्घटना होने की स्थिति में भाषा एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। ऐसे भू-प्रदेशों में न केवल चिकित्सालयों का अभाव है बल्कि जरूरत पड़ने पर बचाव की सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। इस पद्धति में व्यक्ति हर बात के लिए खुद पर निर्भर रहता है, इसलिए जरूरत पड़ने पर उसे किसी प्रकार की सहायता मिलने में कठिनाई ही होती है।
स्थान के अनुरूप : इस पद्धति को 'लिविंग आफ द लैंड' कहा जाता है । इस पद्धति में व्यक्ति एक अथवा आवश्यकतानुसार अधिक कुली साथ लेकर यात्रा पर निकलता है। मार्ग के लिए उसे बहुत कुछ इन्हीं कुलियों पर निर्भर करना पड़ता है। रास्ते में जो भी भोजन उपलब्ध हो उसे उसी पर संतोष करना होता है । इस प्रकार यात्रा करने पर यह भय सदा बना रहता है कि कहीं मार्ग में अच्छे भोजन और साफ पानी का प्रबंध न होने के कारण, पूरी यात्रा का आनंद ही समाप्त न हो जाये। अच्छा भोजन और स्वच्छ पानी न मिलने पर व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। ऐसी पद्धति अपनाने वालों को ऐसे यात्रा मार्गों का चुनाव करना चाहिए जहां न केवल अच्छे खाने-पीने का प्रबंध हो, बल्कि ठहरने की सुविधा भी मिल सके।
इस प्रणाली में भी कई अड़चनें आती हैं, इसलिए विदेशियों के लिए यह बहुत अच्छी नहीं कहीं जा सकती। भाषा की कठिनाई के कारण कई प्रकार की गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं जो ट्रैकर का मन खट्टा कर सकती हैं। किसी गांव में किसी के घर पर ठहरना ट्रैकर के लिए असुविधाजनक हो सकता है। अभी इन दूरस्थ क्षेत्रों के गांवों में सुविधाओं का नितांत अभाव है। किसी छोटे से कच्चे मकान के धुएं भरे कमरे और एकदम विभिन्न प्रकार के वातावरण में व्यक्ति को ठीक से नींद नहीं आती, जो उसके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालती है। चूंकि व्यक्ति को प्रातः ही दूसरे पड़ाव के लिए यात्रा करनी होती है, इसलिए रात में अच्छी नींद आने से अगले दिन की यात्रा आरामदायक रहती है ।
इस पद्धति में लोगों के रीति-रिवाज और खान-पान तथा रहन-सहन के तरीकों के कारण भी अड़चनें आती हैं। लेकिन चूंकि यूरोप के लोग ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन के संबंध में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं, इसलिए इन दिनों यूरोपवासियों के मध्य यह पद्धति लोकप्रिय हो रही है।
स्वयं करनाः 'डू इट यूअर सेल्फ' पद्धति के अंतर्गत ट्रैकर न केवल हर प्रकार का प्रबंध खुद करता है, बल्कि सभी तरह की जानकारी भी अपने-आप प्राप्त करता है। अपनी सहायता के लिए वह किसी स्थानीय गाईड को साथ लेता है जो उसकी स्थानीय कठिनाइयों को सुलझाने में सहायता करता है। जो लोग कम धन व्यय करते हुए ट्रैकिंग करना चाहते हैं उनके लिए यह पद्धति अच्छी है । इस प्रकार यात्रा करने में कई बार गाईड एवं कुली समस्याएं भी पैदा कर देते हैं । इसलिए कुली एवं गाईड का चुनाव करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी जरूरी है। इस बात की पूरी आशंका होती है कि मार्ग में कुली और गाईड ट्रैकर को मूर्ख बनाकर ठगने का प्रयास करें। जरूरी यह है कि यात्रा से पूर्व ही मार्ग और मार्ग में मिल सकने वाली सुविधाओं का पूरा ब्यौरा प्राप्त कर लेना चाहिए। ऐसा प्रबंध भी करना चाहिए कि कुली अथवा गाईड मार्ग में ही ट्रैकर को छोड़कर न लौट आयें ।
संस्था के माध्यम से किसी ट्रैकिंग ट्रैवल एजेंसी के माध्यम से यात्रा के प्रबंध करवाना हमेशा उचित होता है। मार्ग में प्रबंध में कोई गड़बड़ी हो अथवा कुली इत्यादि कोई गड़बड़ करें तो एजेंसी के मालिक को पकड़ा जा सकता है। इससे समय की बहुत बचत होती है और यात्रा सुगम और सुखद होती है। अनेक समस्यायों का तो ट्रैकर को पता तक नहीं चलता । यात्रा प्रारंभ होने से पहले ही संस्था यात्री के लिए हर प्रकार की सुविधा जुटा देती है। इन सारे प्रबंधों की जानकारी ट्रैकर को रहती ही है ।
इन सभी पद्धतियों में इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में यात्रा करे वहां के संबंधित अधिकारियों को अपने विषय में सूचना देता रहे । कुली और गाईड का पूरा पूरा विवरण भी ट्रैकर को अपने पास रखना चाहिए और उसकी जानकारी भी संबंधित व्यक्तियों को देते रहना उचित होता है । इससे संकट के समय सहायता पहुंचने में बहुत आसानी होती है। |
Bigg Boss12 फिनाले से सिर्फ दो दिन दूर है। इस समय घर में पांच कंटेस्टेंट रोमिल, दीपिका, दीपक, श्रीसंत और करणवीर बोहरा बचे हैं। वैसे तो बीते साल की विनर शिल्पा शिंदे को बिग बॉस के घर से 44 लाख रुपए मिले थे और इस साल इनामी राशि 50 लाख रखी गई थी लेकिन घरवालों द्वारा दिए गए टास्क को पूरा ना करने पर बिग बॉस ने इनामी राशि ज़ीरों कर दी थी। अब इस बात को लेकर कोई नई जानकारी नहीं आई है। शनिवार के एपिसोड में आज तक की सीनियर जर्नलिस्ट श्वेता सिंह, विकास गुप्ता और जयभानुशाली शामिल होंगे। आज के शो में घरवालों को तीखें सवालों को सामना करना पड़ेगा। हर बार की तरह इस बार का फिनाले भी काफी शानदार होने वाला है। रणवीर सिंह सिंबा का प्रमोशन करने पहुचेंगे और साथ ही सलमान अपने गानों पर थिरकेंगे। सोशल मीडिया पर विनर कौन बनेगा की बहस शुरु हो चुकी है। श्रीसंत और दीपक को काफी सपोर्ट मिल रहा है और इन्हें विजेता भी माना जा रहा है।
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जीरकपुर, 14 मई (मुकेश चौहान)
बुडो काई डू मिक्स्ड मार्शल आट्र्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के खिलाडिय़ों ने नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम, सीरी फोर्ट स्पोट्र्स कांप्लेक्स में आयोजित राष्ट्रीय सिख गेम्स 2021 में भाग लिया। बुडो काई डू खिलाडिय़ों ने प्रतियोगिता में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और 25 स्वर्ण, 34 रजत व 24 कांस्य पदक जीत कर इतिहास रच दिया। इस प्रतियोगिता में सीबा इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, संगरूर की स्टूडेंट सुख सिमृत धीमान ने राष्ट्रीय सिख गेम्स 2021 में जीता गोल्ड मेडल जीता और स्कूल के गौरव को बढ़ाया। राष्ट्रीय सिख खेलों का आयोजन बूडो काई डू मिक्स्ड मार्शल आट्र्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से जप जाप सेवा ट्रस्ट द्वारा कराया गया था।
सर्वश्रेष्ठ घोषित किए गए खिलाडिय़ों में जोबनप्रीत, गुरसेवक सिंह, एकमवेर सिंह, लवप्रीत सिंह, बलराज सिंह, सुंदरप्रीत, ख्याति शर्मा और सुखसिमरन धीमान प्रमुख थे। शरणजीत सिंह, प्रेजिडेंट, बूडो काई डू मिक्स्ड मार्शल आट्र्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सतनाम सिंह, आयोजक और जपजाप सेवा ट्रस्ट को बूडो काई डू खिलाडिय़ों को एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया। टूर्नामेंट से पहले एक तैयारी शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें 200 से अधिक खिलाडिय़ों को महत्त्वपूर्ण टिप्स, कराटे वर्दी और किट आदि वितरित की गई। कवलजीत सिंह ढींडसा और शरणजीत सिंहने खेल शुरू होने से पहले टीम का परिचय दिया।
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शॉर्टकटः मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
चिकने तल से प्रकाश का परावर्तन झील के जल में पर्वत का प्रतिबिम्ब, परावर्तन का परिणाम है। जब कोई प्रकाश की किरण किसे माध्य्म से टकराकर पुनः उसे मार्ग में वापस लौट जाती है तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है। दो माध्यमों के मिलान तल पर पहुंचकर किसी तरंग का पुनः उसी माध्याम में पीछे लौट जाना परावर्तन कहलाता है। उदाहरण के लिये, जल की तरंगों, ध्वनि, प्रकाश तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय तरंगों का परावर्तन। दर्पण में हम अपना जो प्रतिबिम्ब देखते हैं वह परावर्तन के कारण ही बना होता है। ध्वनिविज्ञान में, ध्वनि के परावर्तन के कारण प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है जो सोनार में उपयोग में लायी जाती है। भूविज्ञान में भूकम्प तरंगों के अध्ययन में परावर्तन उपयोगी है। रेडियो प्रसारण तथा राडार के लिये अत्युच्च आवृत्ति (VHF) एवं इससे भी अधिक आवृत्तियों का परावर्तन महत्वपूर्ण है। . सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित एक मेघ प्रकाश एक विद्युतचुम्बकीय विकिरण है, जिसकी तरंगदैर्ध्य दृश्य सीमा के भीतर होती है। तकनीकी या वैज्ञानिक संदर्भ में किसी भी तरंगदैर्घ्य के विकिरण को प्रकाश कहते हैं। प्रकाश का मूल कण फ़ोटान होता है। प्रकाश की तीन प्रमुख विमायें निम्नवत है।.
परावर्तन (भौतिकी) और प्रकाश आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): विद्युतचुंबकीय विकिरण।
विद्युतचुंबकीय तरंगों का दृष्यात्मक निरूपण विद्युत चुंबकीय विकिरण शून्य (स्पेस) एवं अन्य माध्यमों से स्वयं-प्रसारित तरंग होती है। इसे प्रकाश भी कहा जाता है किन्तु वास्तव में प्रकाश, विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक छोटा सा भाग है। दृष्य प्रकाश, एक्स-किरण, गामा-किरण, रेडियो तरंगे आदि सभी विद्युतचुंबकीय तरंगे हैं। .
परावर्तन (भौतिकी) 12 संबंध है और प्रकाश 5 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.88% है = 1 / (12 + 5)।
यह लेख परावर्तन (भौतिकी) और प्रकाश के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखेंः
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NeW Delhi : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) बकायों की वापसी में देरी और नोटबंदी के प्रभाव जैसी रुकावटों के कारण अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे मुख्य बाजारों समेत वैश्विक मांग में सुधार के बाद भी 2017-18 में देश का निर्यात प्रभावित हुआ. उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी. देश का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत की दर से बढ़कर 302. 8 अरब डॉलर रहा. हालांकि पहले अनुमान था कि यह 325 अरब डॉलर तक पहुंचेगा. इसी दौरान आयात 20 प्रतिशत की वृद्धि से 459. 6 अरब डालर के बराबर रहा. संगठन ने अपनी रिपोर्ट ' कारोबार , उद्योग एवं निर्यातकों पर जीएसटी का असर ' में कहा कि निर्यात में मध्यम स्तर की 10 प्रतिशत की वृद्धि रही. पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा एक साल पहले के 108 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत बढ़कर 157 अरब डॉलर पर पहुंच गया. संगठन के अध्यक्ष अनिल खेतान ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि नोटबंदी के असर तथा जीएसटी की रुकावटों जैसे विभिन्न संरचनात्मक एवं घरेलू कारकों से निर्यात वृद्धि पर असर पड़ा है. खेतान ने कहा कि कई निर्यातक अभी भी एकीकृत जीएसटी के अपने बकाया रिफंड के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. इससे उनको दैनिक खर्च की पूंजी का अभाव है और वे काम नहीं कर पा रहे हैं.
इसे भी देखें- डबल ऑर्डिनेंस : क्या मध्यम वर्ग की नाराजगी से डरी मोदी सरकार ?
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(जी. एन. एस) ता. 17 चंडीगढ़ हरियाणा में बीजेपी ने सभी दसों लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे और उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है। आज हरियाणा बीजेपी की तरफ से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है। वहीं बीजेपी ने विपक्ष पर तंज कसा कि कुछ पार्टियों पर जनता को भ्रमित करने का काम कर रही हैं।
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नई दिल्ली/ धीरज कुमार। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रचंड जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। सीएम केजरीवाल के साथ-साथ 6 मंत्री मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, राजेंद्र गौतम, इमरान हुसैन, कैलाश गहलोत, सत्येंद्र जैन ने भी शपथ ली। शपथग्रहण के दौरान कुछ विचित्र अंदाज देखने को मिला। शपथ लेते समय केजरीवाल के तीन मंत्रियों ने 'ईश्वर' शब्द की जगह अलग-अलग शब्दों का प्रयोग किया।
सीएम केजरीवाल के बाद चौथे नंबर शपथ लेने के लिए आए बाबरपुर से विधायक गोपाल राय (Gopal Rai) ने 'ईश्वर' की जगह 'आजादी के शहीदों' का प्रयोग किया। उन्होंने शपथ लेते हुए कहा कि 'मैं गोपाल राय आजादी के शहीदों की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्ष्क्षुण रखूंगा। मैं मंत्री के तौर पर अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतरमन से निर्वहन करूंगा। मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष की भावना के बिना, सभी प्रकार के लोगों के लिए संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा। ' गोपनियता की शपथ लेते हुए भी राय ने इसी शब्द का उपयोग किया।
बल्लीमारान से आप विधायक इमरान हुसैन (Imran Hussain) ने मंत्री पद की शपथ लेते हुए 'ईश्वर' की जगह 'अल्लाह' का उपयोग किया। उन्होंने कहा- 'मैं, इमरान हुसैन, अल्लाह की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा। मैं मंत्री के रूप में कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा। ' हालांकि गोपनियता की शपथ लेते वक्त हुसैन ने 'ईश्वर' का प्रयोग किया।
मंत्रियों की सूची में सबसे अंतिम नं पर शपथ लेने आए सीमापुरी से विधायक राजेंद्र पाल गौतम (Rajendra Pal Gautam) ने 'ईश्वर' की जगह 'तथगत बुद्ध' का प्रयोग किया। उन्होंने शपथ लेते हुए कहा कि 'मैं, राजेंद्र पाल गौतम, तथगत बुद्ध की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्ष्क्षुण रखूंगा। मैं मंत्री के तौर पर अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतरमन से निर्वहन करूंगा। मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष की भावना के बिना, सभी प्रकार के लोगों के लिए संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा। '
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गर्मियों में तरह-तरह के मौसमी फल मिलते हैं। जिनमें पानी भरा हुआ है। इन्हीं फलों में से एक है अनानास। यह शरीर को ठंडक पहुंचाने के साथ-साथ आपको कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसलिए इस मौसम में अनानास के जूस को अपनी डाइट में शामिल करें। इसमें कैल्शियम, फाइबर, विटामिन-सी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो कई परेशानियों से बचने में मदद करता है।
जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं उनके लिए अनानास का रस बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप डायरिया, पेट दर्द, कब्ज या सूजन से परेशान हैं तो अनानास का जूस आपके लिए सही है।
अनानास में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाते हैं। हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए आप अनानास का जूस पी सकते हैं।
अनानास एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है। जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। अनानास का जूस पीने से आप दिल से जुड़ी बीमारियों से बचे रह सकते हैं। ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को अनानास का जूस पीने की सलाह दी जाती है।
अनानास के जूस में विटामिन-ए पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है। बच्चों को अनानास का जूस पिलाएं, उनकी आंखों की रोशनी तेज होगी।
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भांग fit-~-खण्ड 1]
भारत का राजपत्र, दिसम्बर 15, 1979 (अग्रहायण 24, 1901)
प्ररूप भाई टी० एन. एस
बायककर प्रधिनियम, 1961 (1961 का 43 ) की धारा 269 व ( 1 ) के प्रधीन सूचना
कार्यालय, सहायक प्रायकर आयुक्त ( निरीक्षण )
श्रर्जन रेंज, एरणाकुलम, कोचीन- 16
एरणाकुलम दिनांक 9 नवम्बर 1979
निदेश सं० एल० सी० 363 / 79-890 - - यतः, मुझे, के० नारायण मेनोन
प्रायकर पधिनियम, 1961 ( 1961 का 43 ) (जिसे इसमें इसके पश्चात 'उक्त अधिनियम' कहा गया है), की धारा 269-5 के प्रधीन सक्षम प्राधिकारी को, यह विश्वास करने का कारण है कि स्थावर सम्पत्ति, जिसका उचित बाजार मूल्य 25,000/- ए से अधिक है
और जिसकी सं० अनसूची के अनुसार है जो पालघाट में स्थित है ( और इससे उपाबद्ध अनुसूची में और पूर्ण रूप से वर्णित है ) रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी के कार्यालय कोल्लनगोड में रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 ( 1908 का 16 ) के अधीन दिनांक 27-3-79 को पूर्वोक्त सम्पत्ति के उचित वाजार मूल्य से कम के दृश्यमान प्रतिफल के लिये सन्तरित की गई है और मुझे यह विश्वास करने का कारण है कि यथापूर्वोक्त सम्पत्ति का उचित बाजार मूल्य, उसके दृश्यमान प्रतिफल से, ऐसे दृश्यमान प्रतिफल का पह प्रतिशत अधिक है और प्रस्तरक ( मन्तरकों) और प्रस्तरिती (रितियों) के बीच ऐसे अन्तरण के लिए तय पाया गमा प्रतिफल, निम्ननिश्चित उद्देश्य से उक्त मन्तरण निश्चित में वास्तविक सेकषित नहीं किया गया है :--
( क ) पन्तरण से हुई किसी धाय की बाबत, उपत बधिनियम के अधीन कर देने के अन्तरक के दायित्व में कमी करने या उससे बचने में सुविधा के लिए। और / या
(ख) एसी किसी प्राय या किसी मन या अन्य पास्तियों को जिन्हें भारतीय आयकर अधिनियम, 1922 (1922 का 11 ) या उक्त मधिनियम या धमकर अधिनियम, 1957 (1957 का 27 ) के प्रयोजना अन्तरिती द्वारा प्रकट नहीं किया गया था मा किया जाना चाहिए था या, छिपाने में सुविधा के लिए।
अतः गय, उक्त पधिनियम की धारा 269-म के पनुसरण में, मैं उक्त प्रधिनियम की धारा 269-ब को उपधारा (1) के बधीन निम्नलिखित व्यक्तियों, अर्थात् :--
1. श्री एल मलगु सुन्दरम चेट्टियार तथा अन्य
( अन्तरक ) 2. श्री प्रार० एम० मुथुपल नियप्पा चेट्टियार तथा 15 अन्य । (अन्तरिती)
को यह सूचना जारी करके पूर्वोक्त सम्पत्ति के पर्जन के लिए कार्यवाहियां करता हूं ।
उक्त सम्पत्ति के अर्जन के संबंध में कोई भी प्राक्षेपः10487
( क ) इस सूचना के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से 45 दिन को अवधि या तत्संबंधी व्यक्तियों पर सूचना की तामील से 30 दिन की अवधि, जो भी प्रबंधि बाव में समाप्त होती हो, के भीतर पूर्वोक्त व्यक्तियोंम से किसी व्यक्ति द्वारा;
(ख) इस सूचना के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से 45 दिन के भीतर उक्त स्थावर सम्पत्ति में हितबय किसी पम्य व्यक्ति द्वारा प्रधोहस्ताक्षरी के पास लिखित में किए जा सकेंगे ।
एपष्टीकरणः-- इसमें प्रयुक्त
शब्दों मीर पदों का, जो उक्त
पचिनियम के प्रध्याय 20-क में परिभाषित है,
वही अर्थ होगा, जो उस मध्याय में दिया गया है ।
842 acres of Coffee and Cardamom estates as per Schedule attached to doc. No. 376/79.
के० नारायण मेनोन सक्षम प्राधिकारी
सहायक प्रायकर आयुक्त (निरीक्षण)
भर्जन रेंज, एरणाकुलम |
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में 16 वर्षीय एक लड़की को उसके घर के सामने से अगवा कर लिया गया और चार लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया. पुलिस के मुताबिक यह घटना गुरुवार को हुई और लड़की बाद में बघरा गांव में एक खाली घर से बरामद की गई. लड़की के हाथ बंधे हुए थे और चेहरा कपड़े से ढका हुआ था.
थाना प्रभारी एस. कुमार ने बताया कि चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है और आरोपियों को पकड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि बघरा के पुलिस चौकी के प्रभारी जितेंद्र पंवार को लापरवाही के मामले में निलंबित कर दिया गया है.
वहीं, इससे पहले बदायूं जिले की एक महिला के रिश्तेदारों द्वारा उसका अपहरण कर तेलंगाना के सिकंदराबाद ले जाने, वहां रिश्तेदारों द्वारा उससे गैंगरेप किए जाने और बाद में पुलिस को सूचित करने पर कोई कार्रवाई नहीं होते देख पीडि़ता की ओर से खुदकुशी कर लिए जाने का मामला सामने आया था. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने प्रथम दृष्टया इसे लापरवाही मानते हुए दातागंज कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक अमृतलाल को निलंबित कर दिया था.
पुलिस सूत्रों ने बताया था कि मामला जिले की दातागंज कोतवाली इलाके का है जहां गैंगरेप पीडि़ता ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होते देख मौत को गले लगा लिया. मृतका के पिता रसूल ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया है कि महिला के रिश्तेदार आरोपियों ने 15 मई को उसे उस वक्त अगवा कर लिया था जब वह दवा लेने बदायूं गई हुई थी. पीडि़ता को तेलंगाना के सिकंदराबाद में बंधक बनाकर रखा गया और 15 दिनों तक तीन लोगों ने उसके साथ रेप किया.
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नए साल पर 25 जनवरी को दो बड़ी फिल्में रिलीज होगी। एक है सुपरस्टार शाहरूख खान की 'रईस' और दूसरी है रितिक रोशन की 'काबिल'। हाल ही में इन दोनों फिल्मों के क्लैश पर रितिक रोशन ने बात रखी। रितिक का कहना है कि वह नहीं जानते कि क्या होगा लेकिन वे अपनी फिल्म को लेकर खूब मेहनत कर रहे हैं।
साथ ही रितिक ने कहा कि फिल्मों के बीच मुकाबला हो सकता है। हालांकि हम दोनों की दोस्ती के बीच कोई मुकाबला नहीं है। बता दें, रितिक और शाहरूख अच्छे दोस्त रहे हैं। दोनों के बीच कभी मनमुटाव वाली खबरें सामने नहीं आई।
गौरतलब है कि रितिक रोशन की 'काबिल' और शाहरूख की 'रईस' दोनों ही फिल्में 25 जनवरी को रिलीज हो रही हैं। रितिक ने 'काबिल' में एक अंधे आदमी का किरदार निभाया है। वे कहते है कि इस फिल्म में उन्हें एक हीरो की तरह नहीं बल्कि एक नैचूरल और रियल दिखाना था। यह अभी तक किए गए सारे रोल से कठिन था।
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नोएडा में सेक्टर-113 थाना क्षेत्र में एक छात्र द्वारा एक छात्रा के अश्लील वीडियो और तस्वीर को कथित रूप से सोशल मीडिया पर वायरल करने का मामला सामने आया है। थाना प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र कुमार ने बताया कि सेक्टर 74 की सुपरटेक केपटाउन सोसायटी की एक युवती ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि गलगोटिया यूनिवर्सिटी से एमसीए की पढ़ाई कर रही उसकी छोटी बहन जब कक्षा दसवीं में थी तब उसकी दोस्ती निश्चय जादौन नामक युवक से हुई थी। कुमार ने शिकायतकर्ता के हवाला से बताया कि निश्चय की गलत हरकतों से आजिज आकर उसकी बहन ने उससे किनारा कर लिया, लेकिन वह उसके साथ लगातार गलत व्यवहार करता रहा तथा उसके साथ अश्लील हरकत करता रहा।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि निश्चय ने उसकी बहन को धमकी दी कि अगर वह उसके साथ दोस्ती नहीं रखेगी तो वह उसकी अश्लील वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा। कुमार ने बताया कि पीड़िता के अनुसार आरोपी ने 25 अप्रैल को उसकी बहन के अश्लील वीडियो और फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि आरोपी की हरकत के चलते उसकी बहन ने कॉलेज जाना बंद कर दिया है। थाना प्रभारी ने बताया कि इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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रायपुर,कुणाल राठी,6 अक्टूबर 2021। राजधानी रायपुर में एक बार फिर आरोपी के हिरासत से फरार होने का मामला सामने आया है। परंतु इस बार आरोपी पुलिस की नही बल्कि DRI के अफसरों की हिरासत से भाग खड़ा होने में सफल हुआ है।
मामला सिविल लाइन थाना इलाके के पंचशील नगर स्थित DRI कार्यालय का है जहां गरियाबंद से 833 किलो गांजा की तस्करी करते हुए गिरफ़्तार किए गए 2 आरोपियों को अग्रिम कार्यवाही के लिए रायपुर स्थित कार्यालय लाया गया था जहां अफसरों को चकमा देकर आरोपी वाहन चालक बंडारी चंद्रशेखर फरार हो गया। इसकी सूचना तत्काल सिविल लाइन कंट्रोल रूम को देने पर पुलिस द्वारा आरोपी की पतासाजी की गई लेकिन आरोपी भागने में सफल रहा।
पुलिस ने बताया कि आरोपी वाहन चालक व उसके साथी को DRI ने आंध्रप्रदेश की एक गाड़ी में 833 किलो गांजा की तस्करी करते हुए गरियाबंद में पकड़ा था। आरोपी की फ़ोटो सहित पहचान पत्र के आधार पर उसकी तलाश में टीमें जुटी हुई है। फिलहाल आरोपी के खिलाफ सिविल लाइन थाना में अपराध दर्ज कर लिया गया है।
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सुरेश रैना बेशक क्रिकेट के हर प्रारूप से संन्यास ले चुके हैं, लेकिन ये खिलाड़ी अभी भी खुद को फिट रखने में आगे हैं. आप भी रैना के वर्कआउट से जिमिंग टिप्स ले सकते हैं.
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज सुरेश रैना यंग क्रिकेटर्स के लिए फिटनेस गुरू हैं. 35 प्लस होने के बाद सुरेश रैना ना सिर्फ मैदान पर पसीना बहाते हैं बल्कि जिम में भी खूब वर्कआउट करते हैं. हाल ही सुरेश रैना उस वक्त चर्चा में आए थे, जब उन्होंने रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज के दौरान एक कैच पकड़ा था. वही अंदाज और वही चीते जैसी फुर्ती, सुरेश रैना की फिटनेस देखकर लोग हैरान थे. बता दें कि सुरेश रैना अपनी फिटनेस का बेहद ध्यान रखते हैं. वह एक भी जिम मिस नहीं करते हैं.
आपको बता दें कि कुछ समय पहले सुरेश रैने ने फैंस को फिटनेस टिप्स भी दिए थे. सुरेश रैना नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाने की सलाह भी देते हैं. उनका मानना है कि यह आपको अपनी फिटनेस पर नजर रखने में मदद करेगा. सुरेश रैना के मुताबिक, डॉक्टर से सलाह लेने से आपके शरीर को प्रभावित करने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या का जल्द पता लगाने में मदद मिलेगी.
सुरेश रैना ऑयली फूड से भी दूर रहते हैं. हालांकि, रैना को घर का खाना बेहद पसंद है लेकिन वह इससे दूरी बनाए रखते हैं. बता दें कि ऑयली फूड न केवल आपका मोटापा बढ़ाते हैं बल्कि इससे हार्ट की बीमारियों का खतरा भी बना रहता है. आपको बता दें कि रैना बॉडी को डिटॉक्स रखने के लिए 4 से 5 लीटर पानी भी पीते हैं.
सुरेश रैना अपने शरीर को फिट रखने के लिए बास्केटबॉल, बैडमिंटन और स्क्वैश जैसी गेम्स भी खेलते हैं. क्रिकेट के अलावा वह नियमित रूप से इन खेलों पर प्रयास करना पसंद करते हैं.
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Gold Heist: कनाडा से चोरी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप दातों तले उंगली दबा लेंगे. चोरी का यह ऐसा मामला है, जिसे आपने अभी तक सिर्फ फिल्मों में देखा होगा, लेकिन अब यह हकीकत है.
Gold Heist: साल 2012 में अभिषेक बच्चन की एक फिल्म आई थी 'प्लेयर्स'. इस फिल्म में तेज दिमाग और अचूक प्लान वाला चोरों का एक ग्रुप भारी सिक्योरिटी के बीच एक चलती ट्रेन से अरबों रुपए का सोना गायब कर फुर्र हो जाता है. खैर ये तो बात है एक फिल्म की, लेकिन कनाडा में सचमुच कुछ ऐसा ही हुआ है. यहां चोरों के एक गिरोह ने सोने से भरे एक कंटेनर को बड़ी ही चलाकी से उड़ा लिया. इस कंटेनर में एक-दो करोड़ नहीं बल्कि 121 करोड़ का सोना था.
कहानी तीन दिन पुरानी है. इस घटना के बाद से पुलिस की रातों की नींद हराम हो गई. अधिकारियों ने बताया कि 17 अप्रैल की रात एक कंटेनर टोरंटो के पियरसन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा. इस कंटेनर में 121 करोड़ के सोने के अलावा बेहद कीमती सामान भी था. इस कंटेनर को बाद में एयरपोर्ट के कंटेनर फैसिलिटी (जहां सभी कंटेनर्स को रखा जाता है) में शिफ्ट किया गया. 20 अप्रैल को पता चला कि पूरा कंटेनर ही चोरी कर लिया गया.
बड़ी बात यह है कि कंटेनर को चोरी हुए तीन दिन बीत गए, लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक कोई सुराग नहीं लगा. इलाके के पुलिस निरीक्षक स्टीफ़न डुइवेस्टेन ने 'टोरंटो स्टार' अखबार से बातचीत में कहा कि यह कंटेनर एक विमान से उतारा गया था. उन्होंने कहा कि कंटेनर की यह डकैती बेहद दुर्लभ है. हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं कि आखिर ये कंटेनर कैसे चोरी हुआ. इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.
टोरंटो सन अखबार ने बताया है कि चोरी किए गए सोने का वजन 3600 पाउंड है. इस घटना के बाद टोरंटो एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ने कहा कि माना जा रहा है कि चोरों ने तीसरे पक्ष से एक गोदाम को पट्टे पर लिया. ऐसे गोदामाों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता से बाहर है.
बता दें कि पुलिस को इस चोरी में किसी विदेशी गैंग का हाथ होने का शक है. फिलहाल यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि यह कंटेनर किस कंपनी का था और किस विमान से कनाडा आया था.
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निर्वाचन आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव और कुछ विधान सभाओं के चुनाव के लिए राजनीतिक दलों द्वारा आकाशवाणी और दूरदर्शन पर निशुल्क चुनाव प्रसारण के लिए समय तय कर दिया है। इसके लिए आयोग ने 14 मार्च, 2014 को आदेश संख्या 437/टीवीएस/2014/एलएस जारी किया है।
6 राष्ट्रीय दलों को कुल मिलाकर आकाशवाणी और दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर चुनाव-प्रसारण के लिए कुल 580-580 मिनट मिलेंगे जबकि इन्हीं राष्ट्रीय दलों को कुल मिलाकर क्षेत्रीय स्तर के आकाशवाणी और दूरदर्शन के केन्द्रों पर कुल 880-880 मिनट मिलेंगे। ये छह राष्ट्रीय दल हैं-बीएसपी, बीजेपी, सीपीआई, सीपी-एम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी।
इसी तरह, 47 राज्य स्तर के राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर संबंधित आकाशवाणी और दूरदर्शन के क्षेत्रीय केन्द्रों पर कुल 1795-1795 मिनट मिलेंगे। इन चुनाव-प्रसारणों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जिनका पालन किया जाना जरूरी है।
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नई दिल्लीः दिल्ली वन विभाग ने हाल ही में दक्षिणी दिल्ली में पकड़े गए लगभग 60 बंदरों को 14 दिनों के लिए क्वारंटीन कर दिया है. दरअसल, इन बंदरों को उन क्षेत्रों से पकड़ा गया है, जहां कोरोना संक्रमण के अधिक मामले सामने आए हैं और वन विभाग ने सावधानी के रूप में उन्हें अलग रखने के लिए ये कदम उठाया है, ताकि अभयारण्य के अन्य जानवरों में कोरोना का संक्रमण न फैले.
वन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया है कि पकड़े गए इनमें से किसी भी बंदर में कोरोना का कोई लक्षण नहीं देखा गया है. इन सभी बंदरों के एंटीजन टेस्ट किए गए, जिसमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है. वन विभाग की टीम ने इन बंदरों को तुगलकाबाद के पशु बचाव केंद्र (Animal Rescue Center) में क्वारंटीन में रखा है. इनमें से 30 बंदरों का 14 दिन का आइसोलेशन पीरियड पूरा हो चुका है, जिन्हें अब असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य (Asola Bhati Wildlife Sanctuary) में छोड़ दिया जाएगा।
जबकि बाकी के 30 बंदर अभी भी आइसोलेशन में ही हैं. वर्ष 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, असोला भाटी अभयारण्य में लगभग 2,500 बंदर हैं. असोला में पाए जाने वाले अन्य जंगली जानवरों में तेंदुए, नीलगाय, सियार और साही शामिल हैं.
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अधिक व्यञ्जक है । इसमें शक नहीं कि कविता ऐसी वस्तुओं के अनुकरण में चित्रकला से पिछड़ जाती है जिनके भाग और रूप आकाश में फैले हुए हैं, क्योंकि उसके प्रतीक क्रमिक होते हैं और समय में प्रगति करते हैं। परन्तु जैसे कि चित्रकार किसी शरीर की क्रिया को उसकी प्रगति में से सबसे अधिक व्यञ्जक क्षरण को छाँट कर दिखाता है, वैसे ही कवि किसी शरीर को उसके उस लक्षण को छाँट कर दिखाता है जो उस शरीर का स्पष्टतम चित्र सामने लेता है। परन्तु यदि कवि किसी शरीर के स्पष्टतम लक्षण को न छाँट सके और उस शरीर का हमें सुस्पष्ट दर्शन देने में असफल रहे, तो भी वह अपने ऐसे प्रतीकों द्वारा जो उसके वाञ्छित अर्थ के द्योतक हों, हमें उस शरोर का प्रशंसनीय वर्णन दे सकता है। फिर भी कविता कृत्यों के वर्णन करने में ही फलीभूत होती है, कारण यह है कि काव्यात्मक अभिव्यञ्जना में शब्द अनुक्रम में चलते हैं और क्रिया में शरीर अनुक्रम में चलता है । और, क्योंकि कविता में शरीर और कृत्यों दोनों का अनुकरण करने की प्रशंसनीय क्षमता है, कविता सब कलाओं में श्रेष्ठ कला है । इसी कला में भाव और प्रकृति के सङ्केन्द्ररण की वह सिद्धि सम्भव है जो कि कलात्मक यथार्थ का रहस्य है । विभिन्न कलात्रों का तुलनात्मक वर्णन लैसिङ्ग ने अपने 'लोकून' नामक रोचक निबन्ध में किया है । इस निबन्ध में साहित्यिक शोभा और आलोचनात्मक निपुणता दोनों अच्छी तरह दीख पड़ती हैं । निबन्ध का नाम तीन मूर्तिकलाकारों के उस प्रसिद्ध मूर्त्त समुदाय से आता है, जो सोलहवीं शताब्दी में रोम में खोदा गया था । निबन्ध उस समय के ऊपर बहस करता हुआ शुरू होता है जिस समय पर वह मूर्त्त समुदाय गढ़ा गया था । लैसिङ्ग सब तरह के साक्ष्यों की
छान बीन करता है । वह पुरातत्त्वज्ञों और शास्त्रीय पण्डितों के लेखों का अध्ययन करता है । परन्तु उसकी धारणा है कि कलात्मक साक्ष्य भी इस प्रश्न को ठीक-ठीक सुलझा सकती. है । इस दृश्य को मूर्तिकलाकारों ने तो मूर्त्त समुदाय में दिया ही है, उसका वर्णन वर्जिल में भी मिलता है । गोकि उसका यह निष्कर्ष कि वे मूर्तिकलाकार जिन्होंने इस मूर्त्तसमुदाय को गढ़ा था, शुरू के सीज़रों के समय में रहते थे, ऐतिहासिक प्रमाणों से पुष्ट नहीं हो पाया, फिर भी समय सम्बन्धी बहस इस बात पर बड़ा प्रकाश डालती है कि किस प्रकार माध्यम की विभिन्नता रूप को परिवर्तित कर देती है। कहानी का शास्त्रीय वर्णन यह है - ट्रोय का लोकून नामक पुरोहित नेपच्यून देवता पर एक सांड को बलि चढ़ा रहा था । देवार्पण के लिये सांड का बध करते समय दो वृहत्काय सर्प समुद्र से निकले । उन्होंने लाप्रोकून के दोनों लड़कों पर जो वेदी के निकट खड़े थे, आक्रमरणं किया । लड़कों का पिता अपने पुत्रों की रक्षा के लिये जल्दी से झपटा, परन्तु सर्प उसकी ओर बढ़े और अपने जटिल चपेटों में लेकर उसे ऐसा मसल डाला कि वह प्रतिव्यथित होकर मर गया । वर्जिल और मूर्तिकलाकारों, दोनों ने इस वर्णन को परिवर्तित किया है। दोनों लोन और उसके दोनों बेटों को सर्पों के चपेटों में मसले हुए प्रदर्शित करते हैं । यह सादृश्य इस अनुमान को दृढ़ करता है कि या तो कवि ने मूर्तिकलाकारों का अनुकरण
किया या मूर्तिकलारों ने कवि का अनुकरण किया । पिछला अनुमान अधिक सही मालूम होता है । यदि ब्योरों की आलोचनात्मक परीक्षा की जाय तो पहले, वर्जिल में लोकून भयानक चीखें मारता है, परन्तु मूर्त्त समुदाय के चेहरे बिल्कुल शान्त हैं । इससे स्पष्ट है कि मूर्तिकलाकारों ने कवि का अनुकरण किया । मूर्तिकला में चीखता हुआ चेहरा कुरूप हो जाता है और जुगुप्सित प्रतीत होता है; इसके अतिरिक्त कविता में चीखता चेहरा क्लेश का व्यञ्जक होता है । कलाकार चीखों को आहों में परिवर्तित करने के लिये अपने माध्यम के कारण विवश हो गये । यदि कवि कलाकारों का अनुकरण करता तो वह बड़ी सुगमता और रमणीयता से कोवरित कर सकता था । दूसरे, वर्जिल में सर्प दो बार लाओकून की कमर और दो बार उसकी गर्दन के चपेटे लेते हैं; इसके अतिरिक्त मूर्त्त समुदाय में चपेटे शरीर और गर्दन से जांघों और पैरों की ओर बदल दिये गये हैं। इससे फिर यह सिद्ध होता है कि कलाकारों ने कवि का अनुकरण किया । शरीर के प्रमुख और प्रवदात भागों के सम्पीडन के वर्णन से कवि हमारी कल्पना को एकदम जाग्रत करता है; परन्तु कलाकारों की कृति में इन भागों का प्रच्छादन सारे प्रभाव को नष्ट कर डालता है । जैसी कृति है उसमें पीड़ा की ग्राह दिखाती हुई गर्दन की समवृत्ति कितनी व्यञ्जक है और पेट का दुःसह आकुञ्चन कितना व्यञ्जक है, वे कलाकार जिन्होंने इन भागों को नग्न दिखाया वे अपनी कला में वास्तव में प्रवीण थे । फिर सूच्यग्रस्तूप के रूप में कृति का ऊपर उठना कितना सुन्दर और प्रभावोत्पादक है । यदि चपेट गर्दन की ओर होती तो कृति सौष्ठवहीन हो जाती और जाँघ और पैरों के चपेट रुके हुए पलायन और गतिहीनता का द्योतन करते हैं और प्राकुञ्चन का प्रभाव भी वैसा ही रहा आता है जैसा कि कवि के वर्णन में । यदि कवि कलाकारों का अनुकरण करता तो वह पिता और पुत्रों के एक गाँठ में जकड़ जाने को बड़ी स्पष्टता से दिखा सकता था । परन्तु कवि ने जकड़ कर वर्णन को दबा दिया है और इसके प्रत्यक्षीकरण के लिये कल्पना पर भरोसा किया है। तीसरे, वर्जिल में लामोकून अपने माथे की याजकीय माला पहने है और इसके अतिरिक्त मूर्त्त समुदाय में पुरोहित का माथा नङ्गा है । यदि कवि कलाकारों का अनुकरण करता तो वह माथे में प्रदर्शित पीड़ा का वर्णन करता । परन्तु कवि पुरोहित को याजकीय माला पहनाता है, क्योंकि काव्यात्मक वर्णन में पीड़ावह माथे की कल्पना माला के नीचे की भी जा सकती है । एक ही विषय पर दो भिन्न माध्यमों में उत्पादित कृतियों की तुलना से यह बात अच्छी तरह देखी जा सकती है कि किस प्रकार रूप, माध्यम की विभिन्नता से परिवर्तित हो जाता है । इसी कारण कलात्मक रूप का प्रत्यक्ष निरूपण और स्पष्ट प्ररणयन एक ही विषय हैं । हमें ज्ञात है कि आन्तरिक दर्शन प्रकृत माध्यम में कभी ज्यों का त्यों नहीं आ सकता; इसीलिये कला की मुख्य समस्या यही है कि माध्यम को ऐसे नियन्त्रित किया जाय कि उसमें भाव स्पष्ट चमक पड़े ।
पहले अर्थ में रूप, खाका, प्राकृति,
अथवा मान्य विधि है। इस अर्थ में रूप
ऊपरी साधारण और रेखा चित्रवत् है, और किसी वस्तु के हृदय और उसकी अन्तरात्मा का विरोधी है, उन सब गुरगों के विपरीत है जो तात्विक और महत्त्वपूर्ण होते हैं । कला और काव्य में इस रूप का अनुसरण करना प्रतिभाहीनता का द्योतक है । ऐसे कलाकारों और कवियों को यान्त्रिक नैपुण्य मिल सकता है, परन्तु ये कलात्मक अथवा काव्यात्मक उत्कटता से सदा वञ्चित रहेंगे। ऐसे रूप का अनुसरण करना कलासम्बन्धी तत्त्वज्ञान के भी विरुद्ध है । मनुष्य का अनुभव परिवर्तनशील है; न सब मनुष्य एक-सा अनुभव करते हैं और न एक मनुष्य ही किसी विशिष्ट वस्तु के बारे में सदा एक-सा अनुभव करता है । क्योंकि कलात्मक रूप अनुभव के रूप का फ़ोटो है और अनुभव सदा बदलता रहता है, कलात्मक रूप सदा बदलना चाहिये । कलात्मक रूप को स्थिर कर देना कला को फैक्टरी की उत्पादित वस्तु बना देता है । समस्या-पूर्ति में कविता लिखने और उससे कवि-सम्मेलनों और मुशायरों में वाह-वाह की आवाज़ों से तुष्टि पाने से कवियों को शाब्दिक और छान्दिक पटुता सम्बन्धी लाभ हो सकता है, परन्तु उनकी काव्यात्मक शक्ति का आविर्भाव नहीं हो सकता । इस प्रकार के सम्मेलनों और मुशायरों को नवयुवकों तक सीमित कर देना चाहिये और कवियों की प्रारम्भिक शिक्षा का ही साधन मानना चाहिये । इन्हें इससे अधिक महत्त्व देना काव्य के हित में नहीं है । काव्य के आलोचक को भी किसी कृति के मूल्य निर्धारण करने में ऐसे रूप को महत्त्व न देना चाहिये ।
दूसरे अर्थ में रूप की धारणा कला को मूलतथ्य और मानसिक अनुभव से सीमित कर देना है जैसा कि क्रोचे और आई० ए० रिचास करते हैं । क्रोचे तो कला को मन से बाहर आने ही नहीं देता; और ई०ए० रिचार्ड्स कलात्मक अनुभव को साधारण अनुभव का विकसित रूप समझता है; साधारण अनुभव का विकसित रूप होने के कारण कलात्मक अनुभव अधिक मूल्यवान होता है । आई० ए० रिचार्ड्स निवेदन को कलात्मक । क्रियाशीलता के लिए तात्विक समझता है । इस अर्थ में रूप को समझना किसी वस्तु के वास्तविक सार को ग्रहण करना है, उसके भौतिक और मानसिक रहस्य तक पहुँचना है । प्रत्येक वस्तु संसार में द्विध्रुवस्थ है, उसे प्रमूर्त प्रत्यय समझ सकते हैं और उसे मूर्त्त पदार्थ समझ सकते हैं । ० जी० कौलिङ्गवुड की वैदग्ध्यपूर्ण उक्ति है कि कोई चित्रकार किसी स्त्री के घनत्व में अनुरक्त हो सकता है या उसके स्त्रीत्त्व में। किसी शरीर के अवयवों का सम्बन्ध समझना और उन सम्बन्धों की समस्त व्यवस्था को समझना, तथा इस व्यवस्था से मन का नैसर्गिक स्वभाव निर्दिष्ट करना और मन की गति को स्पष्ट देखनाशरीर को मन में और मन को शरीर में देखना, भौतिक और मानसिक अस्तित्वों का समन्वय, यही वस्तु का सार है । इस सार के जानने के लिये मन की औपपत्ति और व्यावहारिक वृत्तियों को रोक कर उसकी सारी शक्तियों को वस्तु पर केन्द्रित करना होता है । इस प्रकार ज्ञान-सार की मानसिक अभिव्यक्ति क्रोचे के मतानुसार कला है और इस प्रकार ज्ञान - सार की किसी वाह्य माध्यम में अभिव्यक्ति आई० ए० रिचार्ड्स के मतानुसार कला है । परन्तु कला की ये दोनों धारणाएँ ठीक नहीं हैं। इस प्रकार की कला वास्तविक
संसार का भाग हो जाती है और कला की दुनिया और साधारण दुनिया में कोई अन्तर नही रह जाता है । कला की दुनिया एक दूसरी दुनिया है जो इसी दुनिया के आधार पर अवश्य बनी हुई है परन्तु उसकी रीति और उसका उद्देश्य दूसरा होता है, वह दुनिया एक विशेष प्रकार की तुष्टि का साधन है जो तुष्टि ज्ञान - तथ्य की तुष्टि से भिन्न होती है । ज्ञान - सार की मानसिक अथवा प्राकृतिक अभिव्यक्ति कलाकार को ऋषि बना देती है और उसे कला के क्षेत्र से पृथक् कर देती है । कलाकार वास्तविक तथ्य की स्पष्टता को अपने व्यक्तित्त्व और माध्यम के मिश्रण द्वारा व्यक्त कर उसे रमरणीय और रोचक बनाता है । कला का लोककला को व्यक्तवस्तु के सार के मानदण्ड से ही नहीं जाँचता, वरन् वस्तु का सार व्यक्त करते हुए जब कला सौन्दर्य की अनुभूति दे, तब ही वह कला को ठीक कला समझता है ।
कला की तीसरी धारणा तत्वज्ञान सम्बन्धी या अनुभवातीत है । वस्तु के आदर्श सत्य को वस्तु में देखना और ऐसे अनुभव को माध्यम द्वारा व्यक्त करना कला है । यही प्लैटोवाद है। सिड्नी, स्पेन्सर, शेक्सपिअर, ड्रायडन, डेवनैराट, व सवर्थ और शैली सब प्लैटोवाद से प्रभावित रहे हैं । शैली अपने 'डिफ़न्स ऑफ़ पोयट्री' नामक निबन्ध में लिखता है, "दैविक मन कवि को सहज गान के लिये उत्तेजित करता है और उसे जीवन की ऐसी प्रतिमाओं की रचना के लिये अग्रसर करता है, जो नित्य सत्य का दर्शन देती हैं । ...... कविता मानव प्रकृति के ऐसे अपरिवर्तशील रूपों के अनुसार कार्यों की रचना हो, जो रचयिता के मन में विद्यमान् होते हैं, और जो मन ( रचयिता का ) दूसरे सब मनों का प्रतिरूप होता है ।" इस पिछले उद्धृत वाक्य में प्लैटोवाद तो व्यक्त है ही, दो और कलासम्बन्धी सिद्धान्त व्यक्त हैं - कला की व्यापकता और उसकी सामाजिक झङ्कार । कला व्यापक सत्य देती है और उसका सत्य सब मनुष्यों के मन में प्रतिध्वनि पाता है। जो कला की दूसरी धारणा के विषय में कहा जा चुका है, वही इस धारणा के विषय में कहा जा सकता है । यह धारणा भी कला के सार को नहीं पहुँचती । वस्तु सुन्दर हैं, जब उनमें नित्य सत्य की झलक है; और कला सुन्दर है, जब वह नित्य सत्य की झलक को प्रदर्शित करती है । नित्य सत्य या ऐकान्तिक सौन्दर्य पहले विद्यमान है और कला उसके पीछे आती है। फिर, यह ऐकान्तिक सौदर्न्य न परिभाषित है और न कथनीय है । और, यह भी विचार है कि ऐकान्तिक सौन्दर्य की धारणा समस्त कला को सौन्दर्यहीन बना देती है। कला के संसार में प्रवेश करना नित्य सत्य या सौन्दर्य के दर्शन से निराश होना है, क्योंकि अव्यक्त होते हुए वह कला में मिल ही नहीं सकते । कला तब ही कला है जब उसमें सौन्दर्य का अनुभव हो । कलात्मक सौन्दर्य ऐसी तुष्टि है जो उस प्रत्यक्षानुभव से होती है जिसमें कलाकार की विषय-वस्तु भावनामय हो माध्यम द्वारा रूप में विकसित होती है । यह सौन्दर्य कला का सत्य सौन्दर्य है और इसी से कला की समीक्षा हो सकती है । नित्य सौन्दर्य तत्त्वज्ञान की चीज है, वह अनुभवातीत है, और उसकी आलोचनात्मक सार्थकता
कोई नहीं । जब उस सत्य और सौन्दर्य का प्रत्यक्षीकरण ही नहीं तो उसके अनुसरण में विषय-वस्तु को रूप देना असम्भव ही है । उसमें केवल श्रद्धा होना प्लेटो की तरह समस्त कला का बहिष्कार करना है।
चौथे अर्थ में रूप ठीक कलात्मक रूप है । यह रूप माध्यम में धीरे-धीरे कलाकार के मानसिक अनुभव को विकसित करता है । मन और प्राकृतिक माध्यम दोनों से यह निकलता है । रूप की इस धारणा के अनुसार - और यही ठीक धारणा है - कला द्विलिङ्गीय उत्पादन है । न अकेले मन से और न अकेले प्राकृतिक माध्यम से कला का सृजन हो सकता है। जैसे बच्चा पिता और माता से पैदा होता है और पिता और माता दोनों के सदृश होता है तथा उनसे पृथक् स्वतन्त्र और भिन्न सत्ता भी रखता है वैसे ही कला भी मन और माध्यम से उत्पन्न होकर उनके सदृश भी होती है और उनसे अलग स्वतन्त्र और भिन्न सत्ता भी रखती है। मन को पुरुष और प्राकृतिक माध्यम को स्त्री समझना चाहिए । जैसे बच्चों के सृजन में पिता प्रौर माता दोनों को उत्ताप होता है इसी प्रकार कला के सृजन में मन को उत्ताप होता है और माध्यम भी एक प्रकार से उत्ताप की दशा में होता है । वह अपने उन गुणों को कलाकार के सम्मुख खोलता है जिनके प्रयोग से कलाकार अपने मन को माध्यम में प्रविष्ट कर देता है । कलाकार के अनुभव का रूप तो आन्तरिक अथवा वाह्य जीवन से निर्दिष्ट होता ही है, परन्तु वह माध्यम में व्यक्त होते समय धीरे-धीरे परिवर्तित होता जाता है । उत्ताप की दशा में अभिव्यक्ति के लिये एक विचार दूसरे विचार को, एक भाव दूसरे भाव को, एक प्रतिमा दूसरी प्रतिमा को, एक शब्द दूसरे शब्द को, और एक वाक्यांश दूसरे वाक्यांश को सुझाता है । इस प्रकार कला रचनात्मक परिक्रिया में अपना रूप निकालती है । उत्पादन के विचार से हम कला को रचनात्मक आविर्भाव कह सकते हैं और कलाकार के विचार से उसे रचनात्मक श्रात्माभिव्यक्ति कह सकते हैं । इस विवेचन से यह भी स्पष्ट है कि कला के लिए भाव या अन्तर्वैग अनिवार्यतः आवश्यक है । भाव और अन्तर्वैग के लिए क्रोचे और आई० ए० रिचास कोई स्थान नहीं देते। वे भूल जाते हैं कि समस्त मानसिकता ज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक तीनों एक साथ हैं । कला-सृजन में मन में उत्ताप और अन्तर्वेग आविर्भूत होते हैं जिनकी शान्ति और तुष्टि बाह्य रचना से होती है। मन विषयवस्तु पर लगा हुआ उन मानसिक वृत्तियों का प्रयोग करता है जो विषय से सम्बन्धित होती हैं और निर्माण के कार्य को अग्रसर करती हैं। कला उत्पादन भावों और अन्तवेंगों से प्रभावित रहती है। यह कहना कि कला भाव या अन्तर्वैग की अभिव्यक्ति है, ज्यादा ठीक नहीं है । कला की विषयवस्तु भाव या अन्तर्वैग के अतिरिक्त और बहुत-सी मानसिक और सांसारिक जीवन की वस्तुएँ हो सकती हैं। कला में व्यक्त भाव या अन्तर्वेग वह भाव या अन्तर्वेग है जो कला की वस्तु से या उसके माध्यम की प्रकृति से उठता है। विषयवस्तु से उठा हुआ भाव या ऋतवेंग माध्यम से उठे हुए भाव या
मन्तवेंग का विरोधी हो सकता है या सहायक हो सकता है। सहायक है, तो ठीक है ही; और यदि विरोधी है, तो कलाकार उचित साधन से उन्हें एक-दूसरे के उपयुक्त करने का प्रयास करता है। इस प्रकार शनैः शनैः कलाकार अपने मन के विचारों, भावों, और अन्तर्वेगों को अपने माध्यम में प्रविष्ट करता है । इसी क्रिया को प्रारोपण ( इम्प्यूटेशन ) कहते हैं। आरोपण द्वारा निर्जीव कलाधार सजीव हो जाता है और वह उन गुरगों को प्रदर्शित करता है जो उसकी प्रकृति के बाहर हैं । मन मौर आधार के प्रवेश सम्मिश्रण से आधार को सजीव, व्यञ्जक, और पूर्ण रूप देना ही कला है। इसी से कलाकार ऐसे विषय छाँटता है जो रूप पा सकते हैं । असीम, अनन्त इसमें रूप है ही नहीं और न इनका व्यक्तिकरण हो सकता है और न इन्हें मूर्त रूप दिया जा सकता है । ये धारणाएँ कलात्मक सौन्दर्य के क्षेत्र से बाहर हैं । सौन्दर्य के लिए किसी न किसी प्रकार की जटिलता आवश्यक है । जब भिन्न प्रकार के बहुत से वों में एकत्ता है, तो सौन्दर्य प्रा जाता है । एकत्व इस ढङ्ग से आये कि समस्त में भागों को भूल जायें; जैसे, मनुष्य के रूप में इतने भाग हैं पर जब हम मनुष्य को देखते हैं तो भागों को नहीं देखते प्रतीत होते, समस्त मनुष्य को ही देखते प्रतीत होते हैं । जहाँ जितने अवयव एकीकृत होंगे वहाँ उतनी ही अधिक सुन्दरता का प्रदर्शन होगा । ऐकान्तिक सौन्दर्य अनेकत्व में एकत्व है । रेखागरिगत सम्बन्धी विन्दु में कोई सौन्दर्य नहीं । रेखा सौन्दर्य की ओर अग्रसर होती है। त्रिभुज, प्रायत, और वर्ग, सौन्दर्य की र और भी असर होते हैं ।
जिस कलामीमांसा सम्बन्धी क्रियाशीलता में कलाकार अपने को अपने माध्यम में मिलाकर उसे व्यञ्जक रूप प्रदान करता है, उसकी बहुत-सी विशेषताएँ हैं । इस क्रियाशीलता में कलाकार का मन ध्यान योग की अवस्था में होता है । वह वस्तु के व्यावहारिक और प्रौपपत्तिक मूल्यों से उदासीन होता है । वह उसी के आन्तरिक गुणों से उसी के ब्यौरों से पूर्णतया सीमित रहता है। इन गुणों और ब्योरों को काट-छाँट कर उसका मन अभिव्यञ्जना के हित में उपयोग करता है । आधार के वाह्य गुणों और प्रयोगों से भी उसका मन कोई प्रयोजन नहीं रखता, उसके केवल मूर्तिसाधक और नय गुरगों का अभिव्यञ्जना के हित में उपयोग करता है । मन सोचता अवश्य है परन्तु उसका सोचना वस्तु और माध्यम के व्यञ्जक गुणों से बाहर नहीं जाता । मन की यही शक्ति कल्पना है । कल्पना नियन्त्रित विचार शक्ति है । वह साधारण विचारशक्ति के बन्धनों से मुक्त होती है, ऐसे बन्धनों से जैसे निर्धारण, विश्वास और तथ्यों से अनुरूपता । कल्पना में अपनी ही व्यवस्था और सङ्गतता होती है । यह सङ्गतता बाहर की किसी दूसरी वस्तु से निर्दिष्ट नहीं होती वरन् कलाकृति की आन्तरिक बनावट से ही निर्दिष्ट होती है । कल्पनात्मक सङ्गतता ही कला को स्वप्न और ख्याली पुलाव व मनमोदकता से पृथक् करती है वरना तो मन की इन क्रियाओं में भी न औपपत्तिक निमग्नता है और न व्यावहारिक । बहुत से सौन्दर्यशास्त्रज्ञ मन की उन सब क्रियाशीलताओं को एस्थेटिक
कहते हैं जो अनौपपत्तिक और अव्यावहारिक होते हुए स्वतः मानन्दक होती हैं, चाहे वे सार्थक व्यञ्जकता में सिद्ध न हों । हम सार्थक व्यञ्जकता को जो कल्पना द्वारा निष्पन्न होती है, एस्थैटिक क्रियाशीलता के लिये आवश्यक समझते हैं ।
कलामीमांसा - सम्बन्धी एस्थेटिक अनुभव में सौन्दर्य की अनुभूति होती है । सौन्दर्य, प्रज्ञावादियों ( इण्टिलैनुअलिस्ट्स ) के मतानुसार सम्पूर्ण अभिव्यक्ति का निर्धारण है, जैसे सत्य सम्पूर्ण प्रकृतता का निर्धारण है और शिव सम्पूर्ण कल्याण का निर्धारण है । वेंगवादियों ( इमोशनलिस्ट्स ) के मतानुसार सौन्दर्य, सत्य और शिव मूल्य हैं । यही मत हमें मान्य है । मूल्य दो वस्तुओं में ऐसा परस्पर सम्बन्ध है जिसमें आने से एक वस्तु दूसरी वस्तु के लिए महत्त्व पा जाती है; जैसे चुम्बक के लिये लोहा, और प्राणी के लिए वायु मूल्यवान् है । कला मनुष्य के लिए मूल्यवान है क्योंकि वह उसकी निर्मायक रूप देने की प्रेरणा की तुष्टि करती है; जैसे, सत्य मनुष्य के लिए मूल्यवान् है क्योंकि वह उसकी जिज्ञासाविषयक प्रेरणा की तुष्टि करता है, और शिव मनुष्य के लिये मूल्यवान् है क्योंकि वह उसकी सामाजिकताविषयक प्रेरणा की तुष्टि करता है । सौन्दर्य कलाकार त्मिक अवस्था में उसकी एस्थैटिक प्रेरणा की तुष्टि करता है । सौन्दर्य वस्तु का गुरण नहीं है और न वह मन की किसी विशिष्ट शक्ति का उत्पादन है । मन में कोई ऐसी शक्ति नहीं जो केवल अपनी क्रिया से ही वस्तु को सौन्दर्य दे दे; जैसे वह वस्तुओं को रङ्ग दे देती है। केवल एस्थेटिक प्रेरणा है जो मन को कुछ क्रियात्मक दिशाओं में चालू कर देती है, जो भेद में ऐक्य स्थापित कर देती है, जो रूपहीन वस्तु को रूप दे देती है । मनुष्य की संवेदनशीलता में रूप एक स्थायी तत्त्व है । मनुष्य रूप के लिये अन्दर से ही रुचि रखता है। उसके विचार, उसके अन्तर्वंग, उसके आदर्श, उसके विश्वास और उसका समस्त आन्तरिक जीवन रूप द्वारा व्यक्त होकर सिद्ध होता है। हमारे वाह्य कार्य हमारे आन्तरिक जीवन के रूप हैं । वह आन्तरिक नियन्त्रण है जिसे वस्तु व्यक्त होने में अपने ऊपर स्थापित करती है । रूप निरर्थक प्रकृति को सार्थक बनाता है । कलाकार की रचना रूप ही है । रूप ही में सौन्दर्य है । विषयवस्तु की सूक्ष्मता सौन्दर्य की आभा को और उज्ज्वल कर देती है परन्तु सौन्दर्य रूप ही में है, कृति के अङ्गों के विन्यास में है । कला दो प्रकार की होती है- रूपात्मक ( फ़ौर्मल) और प्रतिनिध्यात्मक (रैप्रीजेएटेटिव), क्योंकि माध्यम की वस्तु विषयवस्तु से पृथक् है । कला रूपात्मक तब होती है जब उसमें कला के माध्यम सम्बन्धी सामग्री से पृथक् कोई विषयवस्तु नहीं होती, जैसे शुद्ध सङ्गीत । नहीं तो कला प्रतिनिध्यात्मक होती है। रूपात्मक कृति और प्रतिनिध्यात्मक कृति दोनों सार्थक होती हैं । सङ्गीत और वस्तुकलाएँ रूपात्मक हैं, यद्यपि वास्तुकला में उपयोगिता का तत्त्व भी श्रा जाता है। काव्य प्रतिनिध्यात्मक कला है । कला कोरे रूप में सौन्दर्य की अनुभूति देती है; परन्तु जब कला की सामग्री के अवयवों के सम्बन्ध विषयवस्तु के अवयवों के सम्बन्ध के सूचक होते हैं तो सौन्दर्य की अनुभूति और भी बढ़ जाती है । कला की आधारविषयक सामग्री के सम्बन्धों से निकला रूप सुन्दर है और विषयवस्तु
विषयक सामग्री के सम्बन्धों से निकला हुआ रूप सुन्दर है तथा दोनों रूपों का एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध सुन्दर है । सुन्दरता रूप में है । विषयवस्तु के महत्त्व से कला में उत्कटता प्राती हैं, सौन्दर्य रूप के अनुभव तक ही सीमित है । रूपात्मक और प्रतिनिध्यात्मक मानदण्डों से हम गद्य और कविता की पहचान कर सकते हैं । जहाँ विषयवस्तु रूप को नियन्त्रित रखे, वहाँ गद्य है, जहाँ रूप विषय को नियन्त्रित रखे वहाँ कविता है । रूप से नियन्त्रित वस्तु हमें सौन्दर्य की अनुभूति देती है और कला की सामग्री में रूप का आरोप हो एस्थेटिक क्रियाशीलता का सार है । कला में हमारी निर्मायक प्रेरणा की तुष्टि की क्षमता अथवा सौन्दर्य सदा विद्यमान् है । प्रकृति में वे ही दृश्य सुन्दर हैं जिनके देखने से मनुष्य को अपनी निर्मायक प्रेरणा की तुष्टि की प्रतीति होती है । सौन्दर्य प्रकृति के कुछ दृश्यों कलाकृतियों और हमारे मन के मध्य एक विशिष्ट सम्बन्ध का द्योतक नाम है ।
सौन्दर्य की अनुभूति में आनन्द की अनुभूति भी होती है । कलाकार का अन्तर्वेग ध्याननिग्मान कलाग्राही की चेतना में प्रतिबिम्बित होता है । जब यह प्रतिबिम्बित [अन्तर्वेग एक ओर तो मन का समतोलन ले आये और दूसरी ओर अपना आस्वादन दे, तब ही कला में सौन्दर्य की अनुभूति होती है । कला का आनन्द आत्मसंग्रह के साथ होता है, जब
व्यावहारिक र औपपत्तिक वासनाओं से मुक्त होती है । यह प्रानन्द किसी बाहरी और दूर के उद्देश्य से सम्बन्धित नहीं है । यह श्रानन्द अनौपपत्तिक और अव्यावहारिक होते हुए अलौकिक है और इसीलिये दीर्घकालीन है जैसा कीट्स के पद- 'ए थिंग ऑॉफ् ब्यूटी इज़ ए ज्वाय फ़ार एवर' से विदित है । परन्तु इस आनन्द में दो कमियाँ हैं । एक तो यह कि यह आनन्द निरन्तर नहीं है क्योंकि वह कला-विषयों के अनुभव से होता है और कला विषय बदलते रहते हैं । दीर्घकालीन इस अर्थ में है कि जब कलाकृति का अनुभव होगा तभी श्रानन्द होगा । दूसरी कमी यह है कि यह आनन्द इन्द्रियों द्वारा होता है, अन्तरात्मा से नहीं, जैसे रहस्यवादी ( मिस्टिक ) का आनन्द । कला हमें इन्द्रियों और कल्पना के स्तर पर प्रभावित करती है। कला में अनुभव प्राध्यात्मिक नहीं होता है । कलाकार अपने को वाह्य वस्तु में व्यक्त करता है, वह अपने को अपने जीवन में व्यक्त नहीं करता । उसे अपनी आत्मा का प्रत्यक्षीकरण सिद्ध नहीं होता । असली प्रानन्द कलाकार को तब प्राप्त हो सकता है जब वह उसी विरक्तता, उसी निःस्वार्थता और उसी समतोलन से रहे जिस विरक्तता, निःस्वार्थता और समतोलन को कला चाहती है, संक्षेप में जब वह अपने जीवन को कला बनाले ।
अन्त में, एस्थेटिक अनुभव में व्यापकता और निवेदनीयता ( कम्यूनीकेबिलिटी ) होती हैं । सौन्दर्य निजी अनुभव नहीं है । शारीरिक संवेदनाएँ निजी हैं, क्योंकि वे अपने शरीर से उठती हैं । मानसिक स्थितियाँ निजी हैं, मानसिक प्रक्रियाओं की चेतना निजी है । सौन्दर्य सार्वजनिक है जैसे सत्य सार्वजनिक है और शिला सार्वजनिक है। सौन्दर्य को हम
निर्मायक प्रेरणा की तुष्टि बता चुके हैं । यह निर्मायक प्रेरणा सब मनुष्यों में होती है । कला मूर्त रूप उपस्थित करती हैं । यह मूर्त रूप कलाकार के मन से बाहर भौतिक संसार में उपस्थित होता है । जिस किसी में निर्मायक प्रेरणा जागृत होती है, और वह सभी में जागृत होती है - ऐसे मनुष्यों को छोड़ दिया जाय जो रात-दिन पशुओं की तरह इन्द्रियभोग के उपकरणों को एकत्रित करने में जीवन व्यतीत करते हैं, वही कला को देख कर निर्मायक प्रेरणा की तुष्टि कर सकता है और सौन्दर्य का अनुभव कर सकता है । सौन्दर्य तात्त्विक रूप से सार्वजनिक है, वह बहुत मनुष्यों के निर्मायक अनुराग को उत्तेजित करता है । रूप देना और उसका अनुभव करना सब संस्कृत मनुष्यों की प्रेरणा है । इसी से कला के मूल्याङ्कन का मानदण्ड अनात्मिक है, आत्मिक नहीं । कला वही कला कहलाई जा सकती है जो सब को निवेदनीय हो । जो कलाकार अपनी कला के विषय में यह कहता है कि वह चाहे दूसरों के लिये सुन्दर न हो, उसके लिये सुन्दर है, वह अपने मुँह से अपनी कला की असफलता को घोषित करता है - यह दूसरी बात है कि वह इतना बढ़ा-चढ़ा कलाग्राही है कि जो उसको सुन्दर है, वह दूसरों को भी सुन्दर है । सुन्दर वही है जो संस्कृत सहृदयों को सुन्दर है, जैसे अरिस्टॉटल के कथनानुसार शिव वही है जो नीतिपरायण मनुष्यों को शिव हो । कलाकार में निवेदन की चेतन प्रवृत्ति नहीं होती जैसा कि अक्सर समझा जाता है और जैसा कि कभी-कभी मिल्टन, वर्ड सवर्थ और शैली जैसे कवियों की उक्तियों से प्रतीत होता है कि वह जानबूझ कर दूसरों के लिये सौन्दर्य उत्पादित करता है, शनीय है । वह तो अपने अनुभव को अपने माध्यम में व्यक्त करने में संलग्न रहता है । मनुष्य सामाजिक जीव है और उसकी अधिकांश क्रियाएँ सामाजिक सार्थकता रखती हैं। जैसे वह नित्य अपना कार्य करता है, जैसे वह अपने को कपड़ों से आभूषित करता है, जैसे वह चलता फिरता है, उसकी सब क्रियाएँ दूसरे को चेतन या अचेतन रूप से निवेदित होती हैं । अपने अनुभव की सामाग्री को रूप देना ही अचेतन रूप से दूसरों के निवेदनार्थ होता है । वही अनुभव सफल कला में आविर्भूत होता है जो सब को ग्राह्य होता है । कलात्मक उत्पादन का वाह्य वस्तु होना, जिसे सब कोई देख सकते हैं, सुन सकते हैं, और ग्रहण कर सकते हैं, भी इस बात का द्योतक है कि कला सार्वजनिक वस्तु है । निजी कलाकृतियाँ नहीं होती। इस विवेचन से सिद्ध है कि निवेदन कला का आवश्यक उद्देश्य है, यद्यपि वह प्रायः प्रचेतन रूप में ही रहता है । यहाँ के रसास्वादन और ध्वनि के सिद्धान्त रसिक और सहृदय की उपस्थिति मान कर निवेदनीयता के सिद्धान्त को दृढ़ करते हैं ।
निवेदन क्या है ? कुछों लोगों का मत है कि निवेदन अनुभवों का वास्तविक हस्तातरकररण है। ब्लेक का विश्वास मालूम होता है कि मन की स्थितियाँ शक्तियाँ हैं जो अब इस मन में और फिर उस मन में या बहुत से मनों में प्रवेश कर जाती हैं । निवेदन के और दूसरे व्याख्याता भी ऐसी ही परासम्बन्धी व्याख्याओं का सहारा लेते हैं। उनका कहना है कि
मानव मन जैसा हम उन्हें समझते हैं, उनसे कहीं वृहद् हैं, कि किसी मन के भाग दूसरे मन के भाग बनने के लिये जा सकते हैं, कि मन एक-दूसरे में प्रवेश कर जाते हैं और आपस में मिल जाते हैं, कि विशिष्ट मन केवल मायिक भास हैं, कि सब मनों के अन्तर्गत एक ही मन है जिसके दूसरे मन बहुत से पहलू हैं । परन्तु इस प्रकार की व्याख्याओं का समर्थन अनुभव नहीं करता । निवेदन में एक अनुभव ज्यों का त्यों दूसरे के पास नहीं जाता । जो होता है वह यह है कि किन्हीं निर्दिष्ट दशा में दो पृथक् मनों में बहुत कुछ समान अनुभव उपस्थित होते हैं । अन्यचित्तज्ञान ( टैलीपैथी ), मोहन ( हिप्नोटिज्म ), और अप्रत्यक्षदर्शन ( क्लेअरवोयेन्स ) की बात जाने दीजिये । वैधिक रीति से हमें मनों की पृथकता माननी पड़ती है । बहुत अनुकूल परिस्थिति में उनके अनुभव, यदि हम कड़ी दृष्टि से जाँच न करें तो, समान हो सकते हैं । निवेदन तब होता है जब हम वाह्य उपकरणों पर इस प्रकार क्रियाशील होते हैं कि उस क्रियाशीलता से परिवर्तित उपकरण दूसरे मन को प्रभावित करने में सफल होते हैं और उस मन में एक ऐसा अनुभव होता है जो हमारे अनुभव के समान होता है तथा किसी कदर हमारे अनुभव से निश्चित होता है । ऐसे अनुभव को जो दो आदमियों के प्रत्यक्ष हो, एक आदमी दूसरे आदमी से आसानी से निवेदित कर सकता है । मानो, एक आदमी ने बाज़ीगर देखा है और दूसरे ने नहीं देखा है और बाज़ीगर दोनों के सम्मुख उपस्थित है, तो जिसने पहले बाज़ीगर देखा है वह दूसरे से कह सकता है कि यह बाज़ीगर है और दूसरा समझ लेता है कि वह बाज़ीगर है । परन्तु यदि वही आदमी दूसरे आदमी से बाज़ीगर की अनुपस्थिति में बाज़ीगर का अनुभव निवेदित करे तो तभी वह दूसरे आदमी को अपना अनुभव निवेदन करने में सफल होगा जब वह वर्णनकला में प्रवीरण हो और दूसरे में बड़ी संवेदनशीलता और ग्रहणक्षमता हो । साधारणतौर से निवेदन ऐसे दो आदमियों में ही आसान होता है जिनमें बड़ी घनिष्ठता हो, जो बहुत दिनों तक साथ-साथ एक ही परिस्थिति में रहे हों, जिनके अनुभवों की पुञ्जि बहुत कुछ एक-सी हों । ऐसे आदमियों के लिये भी इस बात की और आवश्यकता है कि वे अपने पुराने अनुभवों को उचित विवेक के साथ याद ला सकें । यदि ऐसी समानताएँ नहीं तो निवेदन सम्भव नहीं । कठिन उदाहरण वे हैं जिनमें निवेदन करने वाला ही सुनने वाले के अनुभव के कारणों को बहुत कुछ स्वयं देता और नियन्त्रित करता है, जिनमें सुनने वाला अपने पुराने अनुभवों के तत्त्वों को समाविष्ट हो जाने से कठिनाई से रोक पाता है । ऐसे कठिन उदाहरणों में निवेदन का माध्यम नानांशक होना चाहिये । एक तत्त्व दूसरे तत्त्व को सन्दर्भ में सार्थक कर देता है । इसी से तो गद्य की जगह पद्य ही काव्य के अनुभवों के निवेदन के लिये श्रेष्ठ है । निवेदन की कठिनाई विषय वस्तु की कठिनाई नहीं समझनी चाहिये । कठिन वषय, जैसे गरिणत और भौतिक विज्ञान के, बड़ी सुगमता से निवेदित हो सकते हैं । जहाँ निवेदन करने वाला सुनने वाले के प्रत्युत्तर ( रेस्पोन्स ) को नियन्त्रित करता है वहाँ तो निवेदन कठिन होता ही है । कठिनाई वहाँ भी होती है, जहाँ निर्देशों से सूचित बातों के
लिये नहीं, जैसे विज्ञान में, वरन् प्रवृत्तियों को उत्तेजित करने के लिये जैसे काव्य में, निवेदन किया जाता है । ऐसे निवेदन को गहरा निवेदन कह सकते हैं ।
निवेदन की सुगमता तीन बातों पर निर्भर है । पहली बात यह है कि कलाकार का पुराना अनुभव उसे प्राप्य हो; ज्यों का त्यों प्राप्य नहीं, वरन् विवेकपूर्ण । ज्यों का त्यों अनुभव तो पागलों को प्राप्य होता है । मौलिक अनुभव कुछ प्रेरणाओं पर आधारित था । यदि उन प्रेरणाओं के समान कुछ प्रेरणाएँ फिर दुबारा न उपस्थित हों तो वह अनुभव फिर जागृत नहीं हो सकता । किसी अनुभव में थोड़ी प्रेरणाएँ हो सकती हैं और किसी में बहुत सी प्रेरणाएँ हो सकती हैं । जिस अनुभव में थोड़ी प्रेरणाएँ होती हैं उसकी जागृति के मौके कम होते हैं । जब तक कि वे प्रेरणाएँ फिर प्रबल न हों, अनुभव की जागृति सम्भव है । जिस अनुभव में बहुत सी प्रेरणाएँ होती हैं उस अनुभव की जागृति के मौके बहुत होते हैं। ऐसे अनुभव की प्रेरणाओं में कुछ प्रेरणाएं एक व्यवस्था पा जाती हैं, दूसरी प्रेरणाएँ दूसरी व्यवस्था पा जाती हैं, तीसरी प्रेरणाएँ तीसरी व्यवस्था पा जाती हैं और इस प्रकार वह अनुभव इन संयुक्त प्रेरणा से नानांशक हो जाता है । यदि प्रेरणा की कोई एक व्यवस्था फिर दुबारा लक्षित हो जाय तो सारा अनुभव जागृत हो जाता है । नानांशक अनुभव भी वह जल्दी जागृत होता है जिसकी प्रेरणाओं अथवा प्रेरणा की नाना व्यवस्थाओं में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है । सुव्यवस्थित अनुभव, चाहे भागों में, चाहे समस्त सङ्गत मौकों पर, आसानी से प्राप्त होता है । अनुभव शिराविषयक प्राबल्य से आई हुई जागरुकता की अवस्था में अच्छी तरह व्यवस्थित होता है । स्वभाव से हीन जागरुकता की अवस्थाएँ साधारण मनुष्यों की अपेक्षा कलाकार को अधिक संख्या में सुलभ होती हैं। इसीलिये कलाकार के अनुभव सुव्यवस्थित होते हैं और वह अपने पहले अनुभवों को आसानी से जगा लेता है । उसका नया अनुभव भी जागरुकता की अवस्था में सुव्यवस्थित होता है और यदि कलाग्राही भी जागरुकता की अवस्था में हो और कलाकार के अनुभव की प्रेरणाएँ पर्याप्त मात्रा में उसकी भी रही हों तो कलाकार का अनुभव उसके लिये सुगमता से निवेदित हो जाता है। दूसरी बात जिससे निवेदन सुगम हो जाता है, वह निवेदित अनुभव की विशिष्टता है । यह विशिष्टता रोग, उत्केन्द्रता, या नियमातिरिक्तता के कारण नहीं होती । यह विशिष्टता ऐसे अनुभवों के नियमित दिशाओं में सूक्ष्म विकास से आती है जो मानव जाति के आम रास्ते में होते हैं और जो सबकी पहुँच के भीतर होते हैं । व्यवस्था में ये अनुभव समकालीन बहुत से मनुष्यों के अनुभवों से बढ़े-चढ़े होते हैं । परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं पर रूढ़ियाँ, रिवाज, और नियम आसानी से नहीं बदलते हैं । कवि अधिक संवेदनशीलता के कारण यह देख लेता है कि उसके समय की रूढ़ियाँ, रिवाज, और नियम उस काल के जीवन के अनुकूल नहीं हैं और साधारण मनुष्यों से पहले अपने को पुनर्व्यवस्थित कर लेता है । उसके मन का विकास औरों से पहले होता है। यह विकास मन के उन नये, सुनस्य, और अस्थिर भागों की ओर से होता है जिनके लिये पुनर्व्यवस्था आसान होती
है । पुनर्व्यवस्था भी ऐसी होती है जो समस्त शरीर और मन के हित में होती है । ऐसी पुनर्व्यवस्था सेन ( स्ट्रेन ) कम हो जाता है और प्राणी को सुख मिलता है । पुनर्व्यवस्था में आतान का कम होना इस बात का प्रमाण है कि विकास हितकारी है । शैली ने अपने को आदर्श सौन्दर्य को स्त्रियों के रूप में पाने के आधार पर पुनर्व्यवस्थित किया। इस पुनर्व्यवस्था से उसका जीवन दिन पर दिन दुःखमय होता गया और वह अकाल मृत्यु का शिकार हुआ । इस प्रकार का विशिष्ट अनुभव व्यापक रूप से निवेदनीय नहीं होता है। शैली के 'एलास्टर' पढ़ने से यह बात स्पष्ट हो जाती है। अनुभव की वही विशिष्टता निवेदनीय होती है जो नियमित दिशा में है। इसका उदाहरण शेक्सपिअर है और कीट्स भी होता यदि वह बहुत दिनों तक जीवित रहता । अनुभव की प्राप्यता और व्यवस्थित अनुभव भी नियमित दिशा में विशिष्टता के बाद तीसरी बात जिससे निवेदन सुगम हो जाता है, वह अनुभव की उपयुक्त माध्यम में अभिव्यक्ति है । इसके लिए कलाकार को रचनाकौशल में अभ्यस्त होना चाहिए ।
रचनाकौशल (टैक्नीक) आन्तरिक धारणा की प्रतीकों में अभिव्यक्ति है। इसीलिए जो लक्षण भ्रान्तरिक धारणा के होंगे वही लक्षरण रचनकौशल के होंगे । आन्तरिक धारणा के दो लक्षण होते हैं - - पहले तो भावमय विचार, और दूसरे उनका ऐक्य । आन्तरिक धारणा की वस्तु टुकड़ों टुकड़ों में व्यक्त की जाती है; परन्तु जब वह इस तरह व्यक्त की जा रही है, अन्त में वह ऐक्य में स्थापित होने की क्षमता भी व्यक्त करती जा रही है । और जब समस्त वस्तु व्यक्त हो जाती हैं तो वह वास्तव में विव्यस्त ऐक्य है। रचनाकौशल में भावमय विचारों के अनुरूप वाक्सरणि और ऐक्य के अनुरूप रूप होता है । वाक्सार रिण आन्तरिक धारणा की वस्तु का प्रतीक है और रूप उसके ऐक्य का प्रतीक है । इस प्रकार रचनाकौशल के भी दो लक्षण हुए -- पहले तो वाक्सरिगण और दूसरे रूप । वाक्सररिण में शब्दों के अर्थ और उनकी आवाज़, दोनों निर्दिष्ट हैं । सङ्केतित अर्थ और उच्चरित शब्द दोनों मिलकर अभिव्यक्त अनुभव अथवा कलाकृति के वस्तु हुए और वे दोनों शारीरिक विकास प्राप्त कर रूप का आविर्भाव करते हैं । वस्तु और रूप में केवल प्रत्ययात्मक पार्थक्य है । वस्तु और रूप एक हैं यह कहना ठीक है, परन्तु जब दोनों एक हैं तो दोनों लोप हो जाते हैं और केवल कलाकृति ही रह जाती है। परन्तु जब हम कहते हैं कि अमुक कृति का रूप है तभी हम देढ़े
तरीके से यह कहते समझे जाते हैं कि उस कृति की विषय-वस्तु है । वास्तव में वस्तु और रूप एक ही चीज के दो पहलू हैं और जब हम दोनों पहलुओं पर विचार करते हैं तो यह कहने में कोई सार्थकता नहीं कि वे एक हैं। वस्तु और रूप दोनों पहलुओं पर विचार करने से कला के रचनाकौशल सम्बन्धी विषय के मीमांसन में बड़ी सहायता मिलती है। यदि मनुष्य अपने अनुभव को ज्यों का त्यों सीधे निवेदित कर सकता तो इन विचारों की आवश्यकता न होती । परन्तु, क्योंकि अनुभव टेढ़े तरीके से प्रतीकपद्धति द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है, उसकी अभिव्यक्ति
निरपंयात्मक झालोचना]
की पहली अवस्था उसको टुकड़ों में तोड़ना होता है; और जैसे ही कि टुकड़ों को क्रम से व्यक्त करने के लिये उपयुक्त प्रतीकों का प्रयोग किया जा रहा है, कलाकार इस वात को भी पूरी तरह से ध्यान में रखता है कि पीछे से टूटा हुआ समस्त अनुभव फिर से एक हो जाय । वास्तव में अनुभव का कोई विशेष ब्योरा तब तक ठीक. व्यक्त नहीं हो सकता जब तक कि वह इस प्रकार व्यक्त नहीं किया जाता कि वह आखिरी समस्त अभिव्यक्ति से घनिष्ठतापूर्वक सम्बन्धित न हो। इस प्रकार रूप को कौई वाह्य चीज़ न समझना चाहिए जिसको पीछे से कलावस्तु पर आरोपित किया जाता है; कला के रूप का अन्तिम स्थापन कलाकृति के अस्तित्व की समस्त परिक्रिया में निहित होता है । रचनाकौशल का सिद्धान्त है कि कार्यसाधक ही व्यञ्जक है और इसी सिद्धान्त पर आधारित कला में रूप-सौष्ठव होता है ।
प्रत्येक कला की आधाररूपी वस्तु होती है जिसे साध कर उसे रूप देता हुआ कलाकार उसके रूप में अपने अनुभव के रूप को व्यक्त करता है। उसका अनुभव कलाधार के उपयोग से पहले ही रूप पा गया हो, यह सम्भव है; परन्तु यह रूप कलाधार के उपयोग के साथ-साथ भी विकसित हो सकता है और कलाधार के उपयोग से पहले वाला रूप परिवर्तित भी हो सकता है। पिछली दोनों बातें ज्यादा होती हैं । काव्य के आधार शब्द हैं। काव्य शब्दों को इस तरह इस्तेमाल करता है कि हमारे भाव और विचार हमारी कल्पना में इन्द्रियोत्तेजक अनुभवों के रूप नाट्य करने लगते हैं और वे अन्त में अपने को रूप में व्यवस्थित कर लेते हैं । रचनाकौशल द्वारा काव्य भाषा को आन्तरिक अनुभव के समतुल्य होने के लिए विवश कर देता है । काव्य की यह शक्ति कविता में अधिक दृष्टिगोचर है । कविता भाषा में आन्तरिक अनुभव का फोटो देने में उद्यत होती है, और इस उद्देश्य कौ वह शब्दों के अर्थविषयक और आवाज़विषयक दोनों धर्मों का उपयोग करके पाती है ।
शब्दों के दो तरह के प्रथं होते हैं - - सरल और प्रतीयमान । किसी शब्द का सरल अर्थ वही है जिसे हम शब्दकोष में पाते हैं; जो वाक्य निर्माण की प्रक्रिया में सहायक होता है, जो विचार की व्यवस्था को निश्चित करता है। किसी शब्द का सरल अर्थ इस शब्द की परिभाषित अथवा तार्किक विशेषता है । शब्द का सरल अर्थ वह अर्थ है जो उसके मूल्य की समस्त सम्भव विभिन्नताओं में व्यापक होता है, वह प्रत्येक शब्द के शक्य मूल्य का आसन्न और सिद्ध सूत्र है; वह उसका खरा और स्पष्ट दर्शन है । कविता शब्दों का उनके सरल अर्थों में प्रयोग करती है, परन्तु शब्दों के असरल मूल्यों पर अधिक एकाग्र होती है । शब्दों का असरल या काव्यात्मक मूल्य उनके अर्थ की असामान्य योग्यता के अतिरिक्त कोई दूसरी चीज़ नहीं है। यह असामान्य योग्यता विशिष्ट साहचर्यों में संदर्भ से व्यञ्जित उत्कटता के कारण आती है। शब्द को मूल्य देने में कवि उस शब्द को उसके सरल अर्थ से हटाकर उसे ऐसे अर्थ का व्यञ्जक करता है जिससे वह शब्द वैयक्तिक शक्ति और विशिष्ट जान पा
जाता है । शब्दों मूल्य का स्त्रोत अनुभव है । किसी शब्द का मूल्य जीवन के व्यापारों के सम्बन्ध में उसके प्रयोग से प्राता है। जीवन के कोई दो व्यापर एक से नहीं होते परन्तु उनको व्यक्त करने के लिए शब्द एक से हो सकते हैं । जीवन का कोई कार्य या व्यापार अपने को नहीं दुहराता, परन्तु भाषा को अपने को दुहराना पड़ता है। इसी कारण थोड़े-थोड़े भिन्न कार्यों और व्यापारों के सम्बन्ध में प्रयुक्त होते-होते शब्द अनेक विभिन्न अर्थों का सूचक हो जाता है; और जितने समय तक वह शब्द भाषा में जीवित रहता है उतने समय तक ही वह विभिन्न कार्यों और कार्यों की विभिन्न विशेषताओं का सूचक हो जाता है। फिर किसी शब्द से चिह्नित कोई जीवन-कार्य दूसरे अनुभूत कार्यों में फँसा हुआ पुनरुपस्थित हो सकता है। इस प्रकार किसी शब्द की विभिन्न व्यञ्जकता एक ही कार्य से सीमित नहीं रहती, वरन्. दूसरे अनुभवों से सम्बन्धित अवस्थाओं और परिस्थितियों तक बढ़ जाती है, और धीरेधीरे उस शब्द में व्यञ्जकता की एक अद्भुत राशि इकट्ठी हो जाती है। ऐसे समृद्ध शब्दों ही में सौन्दर्य की अनुभूति होती है । सुन्दर शब्द, जैसा कि यूनानी-आलोचक लॉञ्जायनसः ने कहा था, भावों और विचारों के प्रकाश हैं । यों तो कवि को सभी शब्द प्रिय होते हैं. पर सुन्दर शब्द विशेष रूप से प्रिय होते हैं । ये उनके घनिष्ठ सम्बन्धी, सखा और मित्र होते हैं । इस प्रसङ्ग में हमें एक सच्ची कहानी याद आ जाती है। रामानुजम् जो प्रोफेसर हार्डी के साथ गरिणत में अनुसन्धान करते थे, एक बार बीमार हो गये। उन्हें देखने के लिए प्रोफेसर हार्डी एक बस में आये जिसका नम्बर सत्तरहसौ उन्तीस था। प्रोफेसर हार्डी ने बातों में कहा, "रामानुजमु, मैं एक ऐसी गाड़ी में आया जिसका नम्बर बड़ा मनहूस है।" रामानुजम् ने पूछा, "वह क्या है ? " प्रोफेसर हार्डी ने कहा, "सत्तरहसौ उन्तीस ।" रामानुजम् ने एकदम कहा, "नहीं, नहीं प्रोफेसर हार्डी । यह नम्बर मनहूस नहीं बल्कि बड़ा चित्ताकर्षक है।" प्रोफेसर हार्डी ने पूछा, "कैसे ?" रामानुजम् ने कहा, " "सत्तरहसौं उन्तीस अंकगरिगत की पहली ही वह अभाज्य संख्या है जो भिन्न-भिन्न दो संख्याओं के घनों का योग होती है । देखिये, बारह का घन और एक का घन भी जुड़कर सत्तरहसौ उन्तीस होता हैं और दस का घन और नौ का घन भी जुड़कर सत्तरहसौ उन्तीस होता है। " प्रोफेसर हार्डी सुनकर चकित रह गये । उन्होंने रामानुजम् का जीवन चरित्र लिखते समय इस घटना के विषय में लिखा है कि रामानुजम्
की प्रभाज्य संख्याओं के साथ इस प्रकार रहता था जैसे कोई अपने घनिष्ठ मित्रों के साथ रहता है। बस, ऐसे ही कवि सुन्दर शब्दों के साथ रहता है । वह उनके आन्तरिक रवारों से पूर्णतया परिचित होता है । अतिशयोक्ति में हम यह कह सकते हैं कि कवि का जीवन - आनन्द ही शब्दमयी अभिव्यञ्जना है। ऐसे प्रचलित शब्द जो जीवन के विभिन्न कार्यों से सम्बन्धित होकर समृद्ध हो जाते हैं, पाठक को काव्य-रस का आस्वादन देते हैं । कवि कभी-कभी शब्दों को उन्हें थोड़े से बदले हुए अर्थ में प्रयोग करके ऊपर उठा देता है। एरिस्टॉटल ने यह मति कवियों को दी थी, "तुम्हें वाक्यांश
को पारदेशिक (फॉरेंन ) रूप देना चाहिये, क्योंकि शैली के सम्बन्ध में मनुष्य ऐसे हो प्रभावित होते हैं जैसे वे दूसरे देश के नागरिकों से प्रभावित होते हैं।" इसी कारण कवियों को यह स्वतन्त्रता प्राप्त है कि वे पुराने शब्दों को पुनर्जीवन दे दें, उपभाषाओं के शब्दों का प्रयोग कर लें, और नये शब्द गढ़ लें । बहुत से शब्द ऐसे हैं जो कविता में सदियों से प्रयुक्त होते-होते काव्यात्मक वाक्सररिग हो गये हैं जैसे अंग्रेजी में मॉर्न, क्लाइम, और दूसरे शब्द । इन शब्दों में व्यञ्जकता नहीं रह जाती और इनका उपयोग करना अच्छी रुचि के मुफ़िक नहीं है ।
प्राच्य साहित्यशास्त्र में रचनाकौशल पर बड़ा ध्यान दिया गया है । शब्द का जैसा सूक्ष्म अध्ययन यहाँ हुआ है, वैसा योरुप में नहीं हुआ । 'विष्णुपुराण' में शब्द को विष्णु का अंश माना गया है और 'महाभाष्य' में लिखा है कि एक शब्द का यदि सम्यक् ज्ञान हो जाय और उसका सुन्दर रूप में प्रयोग किया जाय तो वह शब्द लोक और परलोक दोनों में अभिमत फल का दाता होता है । शब्द का शास्त्रों में बड़ा महत्त्व है और उसके अर्थज्ञान के हेतु उसके व्यापारों का सूक्ष्म और विस्तृत विवेचन करीब-करीब सब साहित्यशास्त्रों में मिलता है । शब्द की तीन शक्तियाँ मानी गई हैं - - प्रभिधा, लक्षरणा, और व्यञ्जना । शक्ति से अभिप्राय शब्द और अर्थ के सम्बन्ध का है । साक्षात् सङ्केतित अर्थ के बोधक व्यापार को अभिधा कहते हैं। अभिधा शक्ति से पद-पदार्थ के पारस्परिक सम्बन्ध का रूप खड़ा होता है। उदाहरण के लिये, 'गधा एक जानवर है, ' इस वाक्य में गधा शब्द का अपने अर्थ में साक्षात् सङ्केत है और इस अर्थ का ज्ञान हमें गधा शब्द की अभिधा शक्ति से होता है । शब्द की दूसरी शक्ति लक्षरणा है। मुख्यार्थ को बाधा या व्याघात होने पर रूढ़ि या प्रयोजन को लेकर जिस शक्ति के द्वारा मुख्यार्थ से सम्बन्ध रखने वाला अन्य अर्थ लक्षित हो उसे लक्षणा कहते हैं। उदाहरण के लिए, 'यह नौकर गधा है, ' यहाँ गधे का अर्थ साक्षात् सङ्केतित नहीं होता । इस वाक्य में अभीष्ट अभिप्रायसिद्धि के लिए सादृश्य के आधार पर प्रसिद्ध अर्थ बेवकूफ से इसका अर्थ जोड़ा गया । अतः गधे से बेवकूफ अर्थ का ज्ञान होना उस शब्द की लक्षणा शक्ति द्वारा है। शब्द की तीसरी शक्ति व्यञ्जना है। अभिधा और लक्षणा के अपना-अपना अर्थबोध करा. के विरत - शान्त - हो जाने के बाद जिस शक्ति द्वारा व्यङ्गयार्थ का बोध होता है, उसे व्यञ्जना कहते हैं । उदाहरण के लिए, 'मैं हूँ पतित, पतिततारन तुम, ' यहाँ वाच्यार्थ है, 'मैं पापी हूँ, तुम पापियों का उद्धार करने वाले हो' । परन्तु इस वाक्य का यह अर्थ भी निकलता है, जब तुम पतितों के उद्धार करने वाले हो, तो मुझ पतित का भी उद्धार करोगे । 'गङ्गा पर गाँव हैं,' इस उदाहरण में अभिधा शक्ति कोई अर्थ नहीं देती, गाँव गङ्गा के ऊपर नहीं हो सकता । लक्षणा शक्ति से गङ्गा पर का अर्थ 'गङ्गा के किनारे पर ' लक्षित होता है, और व्यञ्जना शक्ति से 'गाँव के शीतल और पावन होने की अधिकता' का ज्ञान होता है । पाश्चात्य रचनाकौशल के विषय में ऊपर हम कह चुके हैं कि कविता, व्यञ्जक-शब्दों को अधिक पसन्द करती है । शुक्ल जी का मत है कि काव्य की रमरणीयता
वाच्यार्थं में होती है किन्तु यह ज्यादा ठीक नहीं है । पाश्चात्य आलोचना की एक उक्ति है कि रूपक सूक्ष्माकार कविता है । यदि अपने जीवन में कोई कवि एक नये व्यञ्जक रूपक का आविष्कार करे तो वह कवियों में बड़ी ऊँची पदवी का हक़दार है । हम यहाँ शास्त्रीय मत का समर्थन करते हैं कि कविता की जान व्यञ्जकता हो में है, व्यञ्जना चाहे रस-भाव की हो चाहे वस्त्त्वलङ्कार की । इस विषय पर व सवर्थ और कोलरिज की आलोचनात्मक बहस बड़ी शिक्षाप्रद होगी ।
कविता, भाषा को भावों और विचारों का यान नहीं बनाती बल्कि वह भाषा को उनका प्रतिनिधि बनाने का प्रयास करती है । इसी प्रयास में वह उन सब गुणों का एक साथ प्रयोग करती है जो भाषा में होते हैं । भाषा का मौलिक रूप तो बोली है, लिखित रूप तो पीछे की चीज़ है । बोला हुआ शब्द प्राथमिक है, वही विचार का प्रतीक है । । लिखा हुआ शब्द बोले हुए शब्द का प्रतीक है और इस तरह प्रतीक का प्रतीक है। मन-मन में पढ़ने की वृत्ति ने लिखित शब्द को ही विचारों का सीधा प्रतीक बना दिया है । परन्तु बात यह है कि भाषा विचारों की निवेदनीय प्रतीक पद्धति होने की हैसियत से दो तरह का अस्तित्व रखती है - दृश्यमान चिह्न और श्रोतव्य चिह्न । कविता में भाषा का अस्तित्व बतौर श्रोतव्य चिह्न है। जब हम कविता को मन में पढ़ते हैं तब भी हम उसे मन में सुनते हैं; और कविता को सदा आवाज से पढ़ना चाहिये, क्योंकि आवाज़ द्वारा भी कवि अपने अनुभव का कुछ भाग व्यक्त करता है । फिर भी भाषा की दृश्यमान हैसियत को कम महत्त्व नहीं देना चाहिये । श्रोतव्य चिह्नों से हमारी [अन्तर्वैगीय ग्रहणशीलता उन्नत होती है, परन्तु लिखी हुई या छपी हुई भाषा में आँख के सहारे विचारों के सूक्ष्म साहचर्य या सार्थकता के अनुक्रमिक विकास का जैसा ग्रहण होता है वैसा सुनी हुई भाषा में नहीं होता। फिर भी काव्यात्मक भाषा की प्रेरणा कानों दोनों को साथ-साथ होती है और काव्य-प्रणयन में श्रोतव्य रचनाकौशल की समस्या उठ खड़ी होती है ।
श्रोतव्य रचना कौशल के लिये कवि को श्रवणेन्द्रियमूलक मन को संस्कृत करना चाहिये । वह स्वरशास्त्र में प्रवीण हो । स्वर और व्यञ्जनों के संक्रमण से वह मनोवाञ्छित प्रभाव पैदा कर सके । अनुप्रास ध्वन्यनुकरण, तुक, और पुनरावृत्ति से भाषा को चमत्कृत करने की उसमें क्षमता हो ।
स्वर और व्यञ्जनों के संक्रमरण के विषय में साधारण सिद्धान्त यह है कि लघु स्वरों का बाहुल्य पद्यांश में गति का वेग लाता है और ऐसे विचारों का व्यञ्जक होता है जिनमें क्षिप्रता, वेग, कोमलत्व, तुच्छता, और चापल्य का सम्बन्ध हो । इसके विरुद्ध दीर्घस्वरों का बाहुल्य पद्यांश को मन्द गति देता है और ऐसे विचारों का व्यञ्जक होता है जिनमें दीर्घता, अवकाश, समय, दूरी, दौर्बल्य, थकावट, विश्राम, गाम्भीर्य और गौरव का सम्बन्ध हो । मिल्टन का 'लैलैग्रो' और टैनीसन का 'द बुक' लघुस्वरों के बाहुल्य के उदाहरण हैं और मिल्टन का 'इल पैन्सरोसो' दीर्घस्वरों के बाहुल्य का उदाहरण हैं। |
दुख से बहुत ही दूर है, जो प्रकृति के उस पार है, जो इहलोक अथवा परलोक में हम जिस सुख भोग की कल्पना करते हैं उससे भी बहुत दूर है, जो घन, यश, और सन्तान की तृष्णा से भी बहुत दूर है। उस समय भनुष्य क्षणकाल के लिए दिव्यदृष्टि प्राप्त करके स्थिर होता है -वह उस समय वृक्ष के ऊपर भाग में बैठी हुई चिड़िया को शान्त और महिमा - मय देखता है - वह देखता है कि वह खड्ढे और मीठे कोई भी फल नहीं खाती है -- वह अपनी महिमा में स्वयं आत्म-तृप्त है - जैसा गीता में कहा है :यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्व मानवः । आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्य न विद्यते ॥
" जो आत्मरति हैं, जो आत्मतृप्त हैं और जो आत्मा में ही सन्तुष्ट हैं, उनके करने के लिए और कौन कार्य शेष रह गया है ? वे वृथा कार्य करके क्यों समय गंवायें ? "
एक बार अचानक ब्रह्म-दर्शन प्राप्त करने के पश्चात् मनुष्य पुनः भूल जाता है, पुन संसाररूपी वृक्ष के खड्ढे और मीठे फल खाता है - और उस समय उसको कुछ भी स्मरण नहीं रहता । काचित कुछ दिनों के पश्चात् वह पुनः एक बार पहिले के समान ब्रह्म के दर्शन प्राप्त करता है और जितनी चाट खाता है, उतना ही वह नीचे की शाखा में बैठा हुआ पक्षी ऊपर बैठे हुए पक्षी के निकट जाता है। यदि वह सौभाग्य से संसार के तीव्र आघात पाता रहे, तो वह अपने साथ, अपने प्राण, अपने सखा उसी दूसरे पक्षी के निकट क्रमशः आता है। और वह
जितना ही निकट आता है, उतना ही देखता हूँ कि, उस ऊपर बैठे हुए पक्षी की देह की ज्योति आकर उसके पंखों के चारों ओर खेल रही है। और वह जितना ही निकट जाता है उतना ही उसका रूप बदल जाता हैं। धीरे-धीरे वह जब अत्यन्त निकट पहुँच जाता है, तब देखता है, कि वह मानों क्रमशः मिलता जा रहा है - अन्त में उसका पूर्ण रूप से लोप हो जाता है। उस समय वह समझता है कि उसका पृथक अस्तित्व किसी समय में भी न था, वह उसी हिलते हुए पत्तों के भीतर शान्त और गम्भीर भाव में बैठे हुए दूसरे पक्षी का प्रतिबिम्ब मात्र है । उस समय वह जानता है कि, वह स्वयं ही वही ऊपर बैठा हुआ पक्षी है, वह सदा से शान्त भाव में बैठा हुआ था - यह उसी की महिमा है। वह निर्भय हो जाता है; उस समय वह सम्पूर्ण रूप से तूप्त होकर धीर और शान्त भाव में निगम रहता है। इसी रूपक में उपनिषद् द्वैतभाव से आरम्भ कर पूर्ण अद्वैत भाव में हमें ले जाते हैं।
उपनिषदों के अपूर्व कवित्व, महत्व का चित्र महोच्च भावसमूह दिखलाने के लिए सैकड़ों उदाहरण उद्धृत किये जा सकते हैं किन्तु इस वक्तृता में इसके लिए समय नहीं है । तो भी एक बात और कहूँगा;उपनिषदों की भाषा और भाव की गति सरल है, उनकी प्रत्येक बात तलवार के धार के समान, हतौड़े की चोट के समान साक्षात भाव से
में आघात करती है। उनके अर्थ समझने में कुछ भी मूल होने की सम्भावना नहीं है- उस संगीत के प्रत्येक सुर में शक्ति है, और वह में हृदय में पूर्ण असर करता है। उनमें किसी प्रकार की अस्पष्टता नहीं है, |
सलमान खान और कटरीना कैफ कोस्टार के साथ एक्स कपल भी रह चुके हैं । दोनों की साथ में पहली फिल्म 'मैंने प्यार क्यों किया' थी । इसके बाद दोनों ने कई फिल्मों में काम किया । फिल्म 'युवराज' के दौरान दोनों के रिलेशनशिप में होने की भी खबर आई । हालांकि कटरीना और सलमान ने कभी खुद इस बात को नहीं कबूला । कुछ समय बाद ही कटरीना का अफेयर रणबीर कपूर से हो गया । हाल ही में कटरीना ने सलमान और अपने रिश्ते के बारे में बात की । उन्होंने कहा कि वो और सलमान दोस्त के अलावा कुछ नहीं हैं ।
हाल ही में आईफा अवॉर्ड के दौरान कटरीना कैफ ने डांस परफॉर्मेंस दी थी । इस मौके पर सलमान खुद को रोक नहीं पाए और खड़े होकर कटरीना-कटरीना चिल्लाने लगे । अवॉर्ड्स शो में परफॉर्मेंस के लिए जैसे ही कटरीना के नाम की घोषणा हुई सलमान खान अपनी सीट से उठ खड़े हुए और उनके लिए सीटी बजाई । ऐसा करते हुए सलमान खान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ।
वहीं कटरीना इन दिनों अपनी अगली फिल्म 'सूर्यवंशी' की शूटिंग में बिजी हैं । इस फिल्म में वो अक्षय कुमार के साथ नजर आएंगी । फिल्म को रोहित शेट्टी डायरेक्ट कर रहे हैं । इसमें अक्षय कुमार की फिल्म 'मोहरा' का गाना 'टिप टिप बरसा पानी' भी रीक्रिएट किया जाएगा । इस गाने की शूटिंग के वक्त की तस्वीरें कटरीना ने साेशल मीडिया पर शेयर की थीं ।
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Drew McIntyre: WWE SmackDown में पिछले हफ्ते ड्रू मैकइंटायर (Drew McIntyre) की हालत द ब्लडलाइन ने खराब कर दी थी। रोमन रेंस (Roman Reigns), द उसोज और सैमी जेन ने भयंकर अटैक मैकइंटायर पर किया। अब अपनी इंजरी पर बात करते हुए मैकइंटायर ने बड़ा बयान दिया है। द ब्लडलाइन की जुड़ने की पूरी कोशिश इस समय सैमी जेन कर रहे हैं। पिछले हफ्ते मैकइंटायर ने सैमी जेन के ऊपर बड़ी जीत हासिल की थी। इसके बाद ही रोमन रेंस और द उसोज ने आकर अटैक किया था।
Sportskeeda Wrestling को दिए गए इंटरव्यू में मैकइंटायर ने बड़ा बयान देते हुए कहा,
"पिछले फ्राइडे इन लोगों ने मेरे साथ अच्छा किया। जब मैं 'अच्छा किया' कहता हूं तो इसका मतलब है कि ये बहुत ही भयंकर था। मेरी लाइफ में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। 21 साल से इंडस्ट्री में हूं और अपनी लाइफ में कभी ऐसा मैंने नहीं देखा। मैंने अलग-अलग तरह की फाइट्स की है। जिस तरह पिछले हफ्ते मुझे दर्द महसूस हुआ, वैसा कभी नहीं हुआ। पिछले कुछ दिनों से मैं अच्छा महसूस नहीं कर रहा हूं। मुझे इसे अटैक के बाद मेडिकल स्टाफ की जरूरत पड़ी। अब मैं रोमन रेंस के खिलाफ सोचने के लिए मजबूर हो गया है। "
"मैंने रोमन रेंस को संदेश दे दिया है। Clash at the Castle से पहले ब्लू ब्रांड का एक अंतिम एपिसोड होगा। इस एपिसोड में रोमन रेंस से जरूर बदला लूंगा। मैंने बड़े मैच से पहले उनके लिए प्लान तैयार कर लिया है। "
Clash at the Castle इवेंट में रोमन रेंस और मैकइंटायर के बीच WWE अनडिस्प्यूटेड यूनिवर्सल चैंपियनशिप के लिए मैच होगा। मैकइंटायर के पास इस बार चैंपियन बनने का मौका होगा। 30 साल बाद WWE द्वारा किसी इवेंट का आयोजन यूके में कराया जा रहा है। फैंस को इस इवेंट में जरूर मजा आएगा। अब देखना होगा कि इतने बड़े मैच के अंत में कौन बाजी मारेगा।
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सतना (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में नई शराब नीति के तहत शराब दुकानों का आवंटन नए सिरे से हो चुका है। नए ठेका की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है और अब एक अप्रैल से नई दुकानें भी शुरु हो जाएंगी जिसे लेकर अब जिले के कई क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए हैं। रहवासी क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने को लेकर महिलाएं भी विरोध में उतर आई हैं। सतना के कोठी, जैतवारा और शहर में भी लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि दुकानें मंदिर, बीच बाजार, स्कूल और बस्तियों के बीच खुल रही हैं जिसके कारण समाज में बुरा असर पड़ेगा।
कोठी : सतना जिले के कोठी में नए शराब ठेकेदार द्वारा विद्यालय व बस्ती के बीच शराब दुकान खोली जा रही है जिससे क्षेत्रवासियों में आक्रोश है और महिलाओं व लोगों ने इसका विरोध किया है। लोगों का कहना है कि अगर स्कूल और बस्ती के बीच शराब दुकान खुली तो धरना आंदोलन सहित उग्र प्रदर्शन भी किया जाएगा।
जैतवारा : जिले के नगर परिषद जैतवारा के वार्ड नं 03 में भी सोमवार को क्षेत्र की महिलाओं ने जमकर हंगामा किया। यहां रहवासी क्षेत्र में शराब की दुकान खोले जाने को लेकर सोमवार को स्थानीय महिलाएं सड़क पर आ गईं और विरोध किया गया। महिलाओं ने कहा कि यहां किसी भी हालत में शराब की दुकान नहीं खुलने दी जाएगी। जैतवारा के चिल्ला में बस्ती के अंदर स्थापित की जा रही शराब दुकान के विरोध में क्षेत्र की महिलाओं ने सोमवार को नायब तहसीलदार व जैतवारा थाना पुलिस को ज्ञापन सौंप उक्त शराब दुकान को अन्य स्थापित कराए जाने की मांग की।
सतना : सतना शहर के जयस्तंभ चौक पर भी शराब दुकान का अहाता खोलने जाने की जानकारी के बाद व्यापारियों और स्थानीय निवासियों ने विरोध जताया है। व्यापारियों का कहना है कि यहां बगल में मंदिर है और शहर का मुख्य बाजार भी है। यहां शराब दुकान का अहाता खुलने से सामाजिक तत्वों का जमावड़ा बढ़ेगा और व्यापार में भी समस्या आएगी। व्यापारियों ने कहा कि यहां अहाता खुलने से महिलाओं को भी समस्या होगी जो कि मुख्य बाजार में खरीददारी करने निकलती हैं।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज फिक्की के युवा महिला संगठन के 25 सदस्यीय शिष्टमंडल से मुलाकात की।
इस शिष्टमंडल ने महिला उद्यमिता और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर प्रधानमंत्री से बातचीत की।
प्रधानमंत्री ने शिष्टमंडल के सदस्यों द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों का विस्तार से जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान सामुदायिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण लाभ के साथ "वेस्ट टू वेल्थ" उद्यमिता के लिए बहुत बड़ा अवसर अवसर प्रदान करता है।
जल संरक्षण पर एक प्रश्न का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी को जल के विवेकपूर्ण उपयोग और सूक्ष्म एवं ड्रिप सिंचाई पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवार के मूल्य, विविधता की स्वीकृति और पर्यावरण के प्रति चेतना भारत की महानतम परंपरा के वे तीन गुण हैं जिनका हमें अवश्य ही अनुपालन करना चाहिए।
इस मुलाकात के दौरान शिक्षा, कौशल विकास, कला एवं संस्कृति और महिला सुरक्षा जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई।
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उत्तर प्रदेश पुलिस में 15 हजार से ज्यादा PAC जवान एक साथ मिलने से विभाग की ताकत में भारी इजाफा हुआ है। मंगलवार को राजधानी लखनऊ समेत 87 केंद्रों पर दीक्षांत परेड का आयोजन किया गया था। वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ की पुलिस लाइन में आयोजित पीएसी दीक्षांत परेड में परेड की सलामी लेने के बाद पुलिस बल का हिस्सा बनने के वाले इन बहादुर जवानों के मंगलमय भविष्य की शुभकामनाएं दी। वहीं इस मौके पर डीजीपी डीएस चौहान भी मौजूद रहे। सीएम योगी ने कहा कि राजधानी लखनऊ में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे 399 पीएसी आरक्षियों के दीक्षांत परेड के अवसर पर एक शानदार परेड देखकर प्रसन्नता की अनुभूति हुई है।
सीएम ने इस दौरान प्रशिक्षकों को भी धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने कहा वर्ष 2017 में नई सरकार के गठन के समय भारी संख्या में पुलिस और पीएसी के पद भर्ती के लिए लंबित पड़े हुए थे। सीएम ने कहा हम लोगों ने पांच वर्षों के दौरान बिना किसी भेदभाव के 1 लाख 62 हजार से अधिक पुलिस आरक्षियों की सफलतापूर्वक भर्ती और प्रशिक्षण को आगे बढ़ाया गया है।
सीएम ने कहा 2018 के करीब 15 हजार 487 पीएसी रिक्रूट आरक्षियों का आधारभूत प्रशिक्षण जनवरी 2022 में प्रारंभ हुआ था। 6 महीने के अपने सफलतम प्रशिक्षण के कारण प्रदेश के 87 केंद्रों में दीक्षांत परेड का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश पुलिस बल का हिस्सा बनने के लिए इन सभी बहादुर जवानों का हृदय से स्वागत करता हूं। इनके मंगलमय भविष्य की कामना करता हूं। साथ ही सीएम योगी ने कहा कि पदोन्नति की प्रक्रिया जो वर्षों से लंबित पड़ी थी, उन्हें भी सरकार ने समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने का कार्य किया है। सीएम ने कहा पीएसी के सभी वाहनियों के पुनर्गठन के साथ ही अवस्थापना सुविधाओं के लिए आवासीय सुविधा को बेहतरीन सुविधाओं से युक्त देने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया है।
यूपी के प्रति देश-दुनिया में बदली अवधारणासीएम योगी ने कहा 5 वर्ष के अंदर देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश के प्रति जो धारणाएं थी, उन धारणाओं को हम लोगों ने बेहतरीन कानून व्यवस्था के माध्यम से पूरी तरह से बदलने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि युवाओं को प्रदेश के बाहर जाकर के अपनी पहचान छुपाने के लिए मजबूर होना पड़ता था, आज गौरव के साथ कह सकता है, उत्तर प्रदेश का निवासी हूं। ये तभी संभव हो पाया जब पुलिस बल और पीएसी के जवानों ने नेशन फस्ट की प्रतिज्ञा के अनुरूप बेहतर परिणाम दिए हैं। साथ ही सीएम ने कहा बेहतरीन कानून व्यवस्था का असर है कि प्रदेश में बेहतरीन निवेश हुआ है, जिससे रोजगार सृजन की जो अनंत सम्भावनाए विकसित हुई। प्रदेश के अंदर हर तबके में सुरक्षा का भाव जो पैदा हुआ है वो देखते हुए बनता है।
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PSL 2022: Virat Kohli fan in Pakistan Super League with the banner of 'I want to see your century in Pakistan'
विराट कोहली ने दुनियाभर के मैदानों पर रन जरूर बनाए हैं, लेकिन अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने पाकिस्तान जाकर एक भी मैच नहीं खेला है। 2008 में विराट के डेब्यू के बाद से भारतीय टीम कोई द्विपक्षीय सीरीज के लिए पाकिस्तान नहीं गई है।
विराट कोहली और उनका पोस्टर लिए फैन (बाएं)
पाकिस्तान सुपर लीग में आधे से ज्यादा मैच खेले जा चुके हैं। मोहम्मद रिजवान की मुल्तान सुल्तांस, लाहौर कलंदर्स और पेशावर जल्मी की टीम लगभग सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है। वहीं, पाकिस्तान के दो धाकड़ ओपनर्स सरफराज अहमद की टीम क्वेटा ग्लैडिएटर्स और बाबर आजम की टीम कराची किंग्स के बीच नॉकआउट में पहुंचने की होड़ है। बाबर की कराची तो लगभग इस दौड़ से बाहर हो चुकी है।
शुक्रवार को क्वेटा और मुल्तान के बीच मैच खेला गया। पहले बल्लेबाजी करते हुए मुल्तान सुल्तांस ने कप्तान रिजवान की ताबड़तोड़ 54 गेंदों में नाबाद 83 रन और राइली रूसो की 26 गेंदों पर 71 रन की पारी की बदौलत 20 ओवर में तीन विकेट पर 245 रन बनाए।
इसके अलावा शान मसूद ने 38 गेंदों पर 57 रन की पारी खेली। जवाब में क्वेटा ग्लैडिएटर्स की टीम 15. 5 ओवर में 128 रन पर सिमट गई और मुल्तान ने मैच 117 रन से जीत लिया। मसूद और रिजवान जब बल्लेबाजी कर रहे थे, तब एक विचित्र घटना घटी।
लाइव मैच के दौरान मुल्तान सुल्तांस की पारी के 12वें ओवर में कैमरा दर्शक दीर्घा की ओर घूमा। वहां स्टैंड में एक पाकिस्तानी फैन विराट कोहली की बड़ी पोस्टर लिए हुए नजर आया। इस पर विराट के लिए एक संदेश भी लिखा हुआ था। इस फोटो पर लिखा था- विराट कोहली, मैं आपको पाकिस्तान में शतक लगाते हुए देखना चाहता हूं। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान में भी विराट के कई चाहने वाले मौजूद हैं।
दरअसल, विराट कोहली ने दुनियाभर के मैदानों पर रन जरूर बनाए हैं, लेकिन अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने पाकिस्तान जाकर एक भी मैच नहीं खेला है। 2008 में विराट के डेब्यू के बाद से भारतीय टीम कोई द्विपक्षीय सीरीज के लिए पाकिस्तान नहीं गई है। मुंबई में 2008 आतंकी हमले के बाद से भारत ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है। दोनों टीमों के बीच 2007-08 के बाद से कोई टेस्ट सीरीज नहीं खेली गई है। सिर्फ आईसीसी टूर्नामेंट्स के जरिए ही भारत और पाकिस्तान आमने-सामने आए हैं।
लाइन ऑफ कंट्रोल पर लगातार सीजफायर का उल्लंघन और फरवरी 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद से यह संबंध और बिगड़ गए थे। भारत और पाकिस्तान ने पिछले नौ साल में एक भी द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली है। दोनों के बीच पिछली टी-20 और वनडे सीरीज दिसंबर 2012 में खेली गई थी। टी-20 सीरीज 1-1 से ड्रॉ रही थी, वहीं वनडे सीरीज को पाकिस्तान ने 2-1 से जीता था।
ऐसे में फैन्स विराट को पाकिस्तान में खेलते देखना चाहते हैं। भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान भी पाकिस्तानी फैन्स विराट को काफी सपोर्ट करते हैं। विराट का हालांकि, पाकिस्तान के खिलाफ रिकॉर्ड बेहद शानदार है। वनडे, टी-20 और टेस्ट को मिलाकर विराट ने पाकिस्तान टीम के खिलाफ 20 मैचों में 56. 46 की औसत से 847 रन बनाए हैं। इसमें दो शतक और पांच अर्धशतक शामिल है।
हालांकि, पिछले दो सालों में विराट के प्रदर्शन में गिरावट आई है और वह किसी भी फॉर्मेट में एक भी शतक नहीं लगा पाए हैं। विराट ने पिछला शतक नवंबर 2019 में कोलकाता में लगाया था। इसके बाद से फैन्स को उनके शतक का बेसब्री से इंतजार है। विराट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 455 मैचों में 54. 31 की औसत से 23,517 रन बनाए हैं। इसमें 70 शतक और 121 अर्धशतक शामिल है।
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ख़बरों के अनुसार विद्रोहियों ने कर्नल मुअम्मर ग़द्दाफ़ी के बेटे सैफ़-अल-इस्लाम को अपनी गिरफ़्त में ले लिया है जबकि ग़द्दाफ़ी ने संघर्ष जारी रखने का संकल्प दोहराया है। उनके दूसरे बेटे मोहम्मद के भी हिरासत में होने की ख़बर है। ग्रीन स्क्वॉयर पर उत्साहित लोगों की भीड़ ने झंडे लहराकर और आसमान में गोलियाँ दाग़कर विद्रोहियों का स्वागत किया।
ये ग्रीन स्क्वॉयर वही जगह है जहाँ इससे पहले ग़द्दाफ़ी के समर्थन में प्रदर्शन होते रहे हैं और विद्रोहियों का कहना है कि अब से उस जगह को उसके पुराने नाम 'शहीद चौक' से ही जाना जाएगा।
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस मौक़े पर कहा है कि ग़द्दाफ़ी की सत्ता अब एक 'निर्णायक बिंदु' पर पहुँच गई है। वहीं ब्रिटेन की ओर से कहा गया है कि लीबियाई नेता की सत्ता का अंत अब नज़दीक़ है इसलिए उन्हें ख़ुद ही चले जाना चाहिए।
शहर के कुछ हिस्सों में संघर्ष जारी है। त्रिपोली में मौजूद बीबीसी संवाददाता मैथ्यू प्राइस के अनुसार विद्रोही उस होटल पर क़ब्ज़े की कोशिश कर रहे हैं जहाँ वह और कई अन्य पत्रकार ठहरे हुए हैं।
लीबियाई सेना के अनुसार लगभग कर्नल ग़द्दाफ़ी के प्रति वफ़ादार 65 हज़ार सैनिक अब भी त्रिपोली में हैं मगर विद्रोहियों को त्रिपोली तक पहुँचने में किसी बड़े प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा और ऐसी भी ख़बरें मिल रही हैं कि कई ने विद्रोहियों के सामने समर्पण कर दिया है।
विद्रोहियों के 'नेशनल ट्रांज़िशन काउंसिल' के प्रमुख मुस्तफ़ा मोहम्मद अब्दुल जलील ने सोमवार तड़के कहा, "मैं आप लोगों को चेतावनी देना चाहूँगा कि त्रिपोली में और उसके आस-पास अब भी आपको विरोध का सामना करना होगा. "
लीबिया के सूचना मंत्री मूसा इब्राहिम ने बताया है कि शहर में रविवार दोपहर से जारी संघर्ष में 1300 लोगों की मौत हुई है जबकि 5000 लोग घायल बताए जा रहे हैं। उनका कहना है कि अब तो अस्पतालों में और हताहतों के लिए जगह भी नहीं बची है।
विद्रोहियों ने पिछले दिनों में पूर्व और पश्चिम दोनों ओर से शहर का रुख़ किया है जबकि नैटो की सेनाओं की ओर से उन्हें वायुसेना की सहायता मिल रही थी।
वॉशिंगटन से अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा की ओर से जारी बयान में कहा गया, "आज रात ग़द्दाफ़ी शासन के विरुद्ध लहर एक निर्णायक बिंदु पर है। त्रिपोली एक तानाशाह के हाथों से खिसक रहा है. " ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का कहना था, "ये स्पष्ट है कि ग़द्दाफ़ी के शासन का अंत अब निकट है. "
टेलीविज़न पर तस्वीरों में दिख रहा है कि लीबियाई लोग घुटनों पर बैठे त्रिपोली की ज़मीन को चूम रहे हैं। विद्रोहियों के प्रमुख जलील ने कहा कि अगर कर्नल ग़द्दाफ़ी जाने की घोषणा कर दें तो उनकी कार्रवाई रुक जाएगी। उन्होंने बताया कि सैफ़ अल-इस्लाम को 'कड़ी सुरक्षा के बीच एक सुरक्षित जगह पर रखा गया गया है. ' जलील का कहना है कि विद्रोही फ़ौज कर्नल ग़द्दाफ़ी और उनके बेटों को सुरक्षित देश छोड़ने देने के लिए तैयार है।
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पेड़ पौधे हमारे जीवन में कितने जरुरी है यह बात तो आप जानते ही होंगे। हमें ना सिर्फ पेड़ पौधों से सिर्फ ऑक्सीजन मिलता है। बल्कि छांव के साथ साथ फल और फूल भी मिलते हैं। पेड़ पौधे का हर हिस्सा हमारे लिए बहुत उपयोगी होता है। पेड़ पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक इलाज में भी किया जाता है। इतना ही नही पेड़ में उगने वाले कुछ फूल हमारे धनलाभ के लिए भी काम आते हैं। इनमें से एक है नागकेसर का फूल। नागकेसर के सूखे फूल औषधि और मसाले बनाने के काम भी आते हैं। यह देखने में मेंहदी के पौधे की तरह लगता है।
यह फूल सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि धन लाभ के लिए भी बहुत खास माना जाता है। नागकेसर का फूल तंत्र क्रियाओं में बहुत ही लाभकारी माना जाता है। इसके इस्तेमाल से लक्ष्मी मां को प्रसन्न कर सकते हैं। आपके बताते हैं नागकेसर फूल के उपाय। नागकेसर का इस्तेमाल घर में धन वृद्धि के लिए किया जाता है। इसके इस्तेमाल से घर में अपार धन आता है। इसके कई उपाय हैं।
- नागकेसर के फूल क छोटी सी डिब्बी में शहद भरकर शुक्ल पक्ष की रात को या किसी भी दूसरे शुभ मुहूर्त में अपने घर की तिजोरी में रख दें या ऐसी जगह जहां आप पैसे रखते हों। इससे कभी भी आपके घर में धन की कमी नहीं होगी। आपको अचानक धनलाभ हो सकता है।
- शुक्रवार के दिन नागकेसर का फूल लेकर पहले शिव जी के सामने उसकी पूजा करें। पूजा करने के बाद स्वच्छ सफेद रंग के कपड़े में लपेट कर रख लें। साथही शिव जी को कच्चे दूध दही घी और गंगाजल डालकर पहले धो लें। अब इसे दुकान की तिजोरी, ऑफिस के कैश बॉक्स किसी भी जगह रख लें। इस उपाय से धन बढ़ेगा।
- पूर्णिमा के दिन से आप रोज शिवलिंग पर नाग केसर फूल अर्पित करें। इससे आपको लाभ मिलने लगेगा। आखिरी पूर्णिमा के दिन उसे अपने घर पर लाकर तिजोरी में रख दें। इससे आपको धनलाभ होगा और घर में बरकत होगी।
- अगर आप बिजनेसमैन हैं तो नागकेसर का फूल आपके लिए बहुत लाभदायी हो सकता है। किसी भी शुभ मुहूर्त में निर्गुंजी, नाग केसर के फूल और पीली सरसों के दाने एक छोटी सी पाटली में बांध ले। इसे बांधकर दुकान के बाहर टांग दें। ऐसा उपाय करने से आपके व्यापार में वृद्धि होगी। आपका बिजनेस बढ़ेगा। साथ ही आपके घर में धनवृद्धि होगी।
- हर किसी की इच्छा होती है कि उसकी तिजोरी कभी खाली ना हो औऱ हमेशा पैसे रुपये भरे रहें। इसके लिए आप नाग केसर के फूल साबुत हल्दी सुपारी एक सिक्का तांबे का टुकड़ा और चावल को कपड़े में बांधकर लक्ष्मी मां के सामने रखें। इसके बाद मां लक्ष्मी की सच्चे मन से पूजा करें। अब इसे तिजोरी में रख दें। आपकी तिजोरी हमेशा पैसे से भरी रहेगी।
धनलाभ के अलावा यह फूल आपके व्यक्तित्व को आकर्षित बनाने का भी काम करता है। किसी भी शुभ तिथि में नागकेशर, चमेली के फूल, कूट, कुमकुम, गाय का घी एक में मिलाकर तिलक बनाकर माथे पर लगा लें। इससे आपका व्यक्तित्व आकर्षित हो जाएगा।
पीपल सोंठ , कालीमिर्च और नागकेसर को बराबर मात्रा में पीस लें। इसमें घी मिलाकर 7 दिन तक लगाकार खाएं। जिन स्त्रियों को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है उन्हें यह उपाय करना है। इसका सेवन गर्भवती स्त्री के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
नागकेसर के चूर्ण में मिश्री या मक्खन के साथ मिलाकर खाएं। इससे खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
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जैक्स-यवेस एक प्रसिद्ध महासागरीय फोटोग्राफर है, फोटोग्राफर,आविष्कारक (पहले एक्वालंग सहित), एक तकनीशियन। इसके अलावा, यह व्यक्ति कई फिल्मों और पुस्तकों के लेखक है Jacques-Yves Cousteau के बारे में क्या मशहूर है, हम आज बात करेंगे।
भविष्य के महासागर एक्सप्लोरर का जन्म 11 जून, 1 9 10 को हुआ थाफ्रांस में वर्ष (सेंट-आंद्रे-डी-क्यूबैक) जैक्स-यवेस के पिता एक वकील थे। अपने युवाओं में कौस्टा ने कई यात्राएं की और शुरुआती बचपन से तैरना सीखा। हालांकि, उनकी बीमारी के कारण, उन्होंने बहुत वजन कम किया, इसलिए डॉक्टर ने लड़के को बहुत शारीरिक गतिविधि की सिफारिश नहीं की।
1 9 20 से 1 9 22 तक कूस्टा परिवार रहते थे और काम करते थेसंयुक्त राज्य अमेरिका यहां जैक्स-ईव ने अंग्रेजी सीखी। कौस्टाऊ के लिए जीवन के इन वर्षों में बहुत तीव्र थे जैक्स-यवेस कॉस्टा ने डिजाइन और यांत्रिकी में बहुत रुचि दिखाई। स्काउट्स के ग्रीष्मकालीन शिविर में भविष्य के आविष्कारक ने अपना पहला डाइव बनाया। फ्रांस लौटने पर, उसने पहला कैमरा खरीदा, और बैटरी की बैटरी के साथ एक कार भी डिजाइन की।
1 9 30 के दशक की शुरुआत तक, जैक्स-इवेस की शिक्षाफ्रेंच नौसेना अकादमी में वह भाग्यशाली था, जैसा कि उनकी टीम दौर "। जैन d 'आर्क" एक जहाज कुछ समय के बाद पर दुनिया यात्रा के लिए चला गया, जैक्स-यवेस कॉस्ट्यो के वितरण नौसेना बेस के लिए शंघाई में किया गया था। कुछेक साल बाद, वह भी सोवियत संघ का दौरा किया। सोवियत यूनियन जैक्स-यव्स ने बहुत फोटोग्राफ किया, लेकिन लगभग सभी तस्वीरें उसे से जब्त कर ली गईं।
कौस्टाऊ अपनी जवानी में एक पायलट बनना चाहता थाएकेडमी ऑफ नेवल एविएशन में प्रशिक्षण पूरा करना। हालांकि, वह एक गंभीर कार दुर्घटना में था और कई चोटों का सामना करना पड़ा, यही वजह है कि उन्हें इस सपने के साथ भाग लेना पड़ा। जैक्स-यवेस की पसंदीदा लड़की सिमोन मेलच्योर ने उसे जीवित रहने में मदद की। 1 9 36 में, पुनर्वास के लिए, कौस्टा ने एक प्रशिक्षक के रूप में सुफ्रेन क्रूजर पर काम करना शुरू किया यहां, टूलॉन के बंदरगाह में, वह स्कूबा डाइविंग के लिए विशेष चश्मा में समुद्र का पता लगाने के लिए अपने जीवन में पहली बार था। जैक्स-यवेस ने महसूस किया कि यह उनकी नियति थी।
क्यूस्टा ने 1 9 37 में सिमोन मेलचियर से विवाह किया (ऊपर चित्रित)। उनके पुत्र फिलिप और जीन मिशेल थे।
1 9 38 में फिलिप टैए और फ्रेडरिक दुमस के साथवर्ष कास्टाऊ पाइप, मुखौटा और पंख के साथ पानी में गिर गया। बाद में उन्होंने मास्क में सागर के पहले अध्ययनों के बारे में लिखा, कि उनकी आंखों को "एक अद्भुत दृष्टि" के साथ प्रस्तुत किया गया था।
1 9 40 के शुरुआती दिनों में जैक्स-यवेस संस्थापक बन गए"शार्क संघ" नामक एक फिल्म कंपनी। 1 9 42 में 18 मिनट की फिल्म कूस्टौ "पानी के नीचे 8 मीटर" दिखाई दिया। वह पानी के नीचे की दुनिया के बारे में जैक्स-यवेस की पहली पेंटिंग्स में से एक बन गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कौस्टा ने फ्रांस में प्रतिरोध आंदोलन में भाग लिया।
जैक्स-यवेस कूटेऊ के लिए प्रसिद्ध है, यह बोलना, यह असंभव हैअपने कई आविष्कारों के बारे में बात मत करो। उनमें से सबसे प्रसिद्ध एक्वलुंग का सृजन है। 1 9 43 में, पहला प्रोटोटाइप परीक्षण किया गया था। और यह सफल रहा। यह मॉडल जैक्स-यवेस द्वारा एमिल गागनन के साथ विकसित किया गया था। 1 9 46 में, एक्वलुंग का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ उसके जीवन में जाक-यवेस कॉस्ट्यो भी प्रकाश व्यवस्था जुड़नार, जलरोधक कैमरा, पानी के भीतर टेलीविजन प्रणाली और SP350 ( "डाइविंग तश्तरी") बनाने - एक छोटे से पनडुब्बी, अच्छा गतिशीलता है। यह महासागर की गहराई के वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए था। फ्रेंच नौसेना के निर्देशों पर, युद्ध के तुरंत बाद, कूस्टौ ने स्कूबा डाइवर्स के एक स्कूल की स्थापना की। बाद में फ्रांसीसी सेंटर फॉर अंडरवाटर रिसर्च जैक्स-यवेस कूस्टौ का प्रमुख बन गया।
"अंडरवाटर हाउस" और "सोसाइटी ऑफ सोसायटी"
1 9 60 के दशकों तक इस शोधकर्ता की महत्वाकांक्षी परियोजना "पानी के नीचे के घर" का विकास इसका कार्यान्वयन 1 9 63 के ऑपरेशन "प्रीकॉइंटिंट द्वितीय" और 1 9 65 "प्रीकॉन्टाइंटिएंट III" था।
लेकिन हमने आपको सब कुछ प्रसिद्ध नहीं बताया हैJacques-Yves Cousteau। यह शोधकर्ता एक प्रमुख सार्वजनिक व्यक्ति था। 1 9 73 में जैक्स-यवेस ने एक गैर-लाभकारी संगठन "सोसाइटी कौस्टा" बनाया, जिसका लक्ष्य समुद्री पर्यावरण की रक्षा करना है।
शोधकर्ता ने अपने अभियानों को पूरा किया, अध्ययन कियाविश्व महासागर के अज्ञात क्षेत्रों जैक्स-यव्स ने नए प्रकार के जहाजों को डिजाइन किया जो पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से सुरक्षित हैं। 1 9 85 में इसे "बेड़े" ने यॉट एलिसोन के साथ भर दिया, जो इलेक्ट्रो-इलेक्ट्रिक सिस्टम के लिए धन्यवाद देता है। 1 9 7 9 में, अगली फिल्म के फिल्मांकन के दौरान, जैक्स-यवेस, फिलिप का सबसे छोटा बेटा मारा गया था।
1 9 81 में, कस्टियो फाउंडेशन पेरिस में स्थापित किया गया था। 9 वर्षों के बाद, शोधकर्ता अंटार्कटिका के अभियान पर चला गया। उन्होंने पूरी दुनिया को यह देखने के लिए कि छह पीढ़ी के लिए अंटार्कटिक की प्रकृति को संरक्षित किया जाना चाहिए, उसके साथ उन्होंने छह बच्चों (प्रत्येक महाद्वीप से एक प्रतिनिधि) लिया।
1 99 0 में, कूस्टौ की पत्नी सिमोन कैंसर से मर गईं। उनकी मृत्यु के एक साल बाद, जैक्स-ईव ने दूसरी बार शादी की। उनकी पत्नी फ्रांसीसी ट्रिपल विवाह से पहले भी इस महिला ने अपने बेटे पियरे और बेटी डायना को जन्म दिया था।
"केलिप्सो 2"
परिणामस्वरूप 1 99 6 में कैलिस्पो डूब गयाएक बार्ज के साथ टकराव। यह सिंगापुर के बंदरगाह में हुआ था। पोत वसूली के अधीन नहीं था। थोड़ी देर के बाद यह ला रोशेल के संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया था। अपने टूटने के बाद, उन्होंने जैक्स-यवेस कौस्टा द्वारा कैलिस्पो-2 का निर्माण शुरू किया। उनकी जीवनी इस जहाज़ पर चालक दल के साथ मिलकर समुद्री अभियानों की भीड़ द्वारा चिह्नित की जाती है।
शोधकर्ता की मृत्यु 87 जून, 25 जून को हुई थी1997। श्वसन बीमारी के बाद मृत्यु हुई, जो जटिलताओं के साथ हुआ। जैक्स-यव्स म्योकॉर्डियल इंफार्क्शन से मर गए। यह बोर्डो (फ्रांस) में हुआ था। उन्हें संत-आंद्रे-डी-क्यूबैक के कब्रिस्तान में दफनाया गया था।
जैक्स-यव्स को कई अलग-अलग पुरस्कार दिए गए थेअपने शोध के लिए। उनमें से, द ऑर्डर ऑफ द लीजियन ऑफ ऑनर, जो जैक्स-यवेस कौस्टा प्राप्त हुआ, विशेष रूप से मूल्यवान था। उनकी लेखनी की पुस्तकें, जिन्हें सबसे मशहूर माना जाता है, निम्नलिखित हैंः "लिविंग सागर", "द लाइफ एंड डेथ ऑफ़ कोरल्स", "द वर्ल्ड ऑफ साइलेंस", "सनकेन ट्रेजरी", "द सन ऑफ़ द सन"
और आज "टीम कूस्टौ" और "सोसायटीउनके बच्चे और पोते-पोते विश्व महासागर, जीन मिशेल, उनके बेटे, एक पर्यावरणविद, एक शोधकर्ता, एक फिल्म निर्माता, एक शिक्षक, उसके पोते फैबियन के बाद अपने दादा के चरणों में अनुसंधान जारी रखते हैं। उन्होंने एक समुद्र विज्ञानकार बनने का फैसला किया। 2014 में जैक्स-यवेस के सम्मान में, उन्होंने पानी के भीतर वैज्ञानिक अभियान 31 दिनों तक बना दिया।
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मिरजा ने अपने स्वर में बड़ा दीन आग्रह भरकर कहा - मैं फिर तुमसे कभी न माँगूँगा गोबर ! मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा है इस शराब की बदौलत मैंने लाखों की हैसियत बिगाड़ दी और भिखारी हो गया। अब मुझे भी जिद पड़ गयी है कि चाहे भीख ही माँगनी पड़े, इसे छोडूंगा नहीं ।
जब गोबर ने अबकी बार इनकार किया, तो मिरजा साहब निराश होकर चले गये। शहर में उनके हजारों मिलने वाले थे। कितने ही उनकी बदौलत बन गये थे। कितनों ही को गाढ़े समय पर मदद की थी; पर ऐसे से वह मिलना भी न पसंद करते थे। उन्हें ऐसे हजारों लटके मालूम थे, जिससे वह समय-समय पर रुपयों के ढेर लगा देते थे; पर पैसे की उनकी निगाह में कोई क़द्र न थी । उनके हाथ में रुपए जैसे काटते थे। किसी न किसी बहाने उड़ाकर ही उनका चित्त शांत होता था । गोबर आलू छीलने लगा। साल-भर के अन्दर ही वह इतना काइयाँ हो गया था और पैसा जोड़ने में इतना कुशल कि अचरज होता था। जिस कोठरी में वह रहता है, वह मिरजा साहब ने दी है। इस कोठरी और बरामदे का किराया बड़ी आसानी से पाँच रुपया मिल सकता है । गोबर लगभग साल भर से उसमें रहता है; लेकिन मिरजा ने न कभी किराया माँगा न उसने दिया। उन्हें शायद ख़याल भी न था कि इस कोठरी का कुछ किराया भी मिल सकता है। थोड़ी देर
में एक इक्केवाला रुपये माँगने आया। अलादीन नाम था, सिर घुटा हुआ, खिचड़ी डाढ़ी, और काना। उसकी लड़की बिदा हो रही थी । पाँच रुपए की उसे बड़ी जरूरत थी । गोबर ने एक आना रुपया सूद पर रुपए दे दिये ।
अलादीन ने धन्यवाद देते हुए कहा भैया, अब बाल-बच्चों को बुला लो। कब तक हाथ से ठोकते रहोगे ।
थोड़ी आमदनी में
गोबर ने शहर के ख़र्च का रोना रोया
गृहस्थी कैसे चलेगी?
अलादीन बीड़ी जलाता हुआ बोला ख़रच अल्लाह देगा भैया! सोचो, कितना आराम मिलेगा । मैं तो कहता हूँ, जितना तुम अकेले ख़रच करते हो, उसी में गृहस्थी चल जायगी । औरत के हाथ में बड़ी बरक्कत होती है। ख़ुदा कसम, जब मैं अकेला यहाँ रहता था, तो चाहे कितना ही कमाऊँ खा-पी सब बराबर । बीड़ी तमाखू को भी पैसा न रहता। उस पर हैरानी। थके-माँदे आओ, तो घोड़े को खिलाओ और टहलाओ। फिर नानबाई की दूकान पर दौड़ो। नाक में दम आ गया । जब से घरवाली आ गयी है, उसी कमाई में उसकी रोटियाँ भी निकल आती हैं और आराम भी मिलता है । आख़िर आदमी आराम के लिए ही तो कमाता है । जब जान खपाकर भी आराम न मिला, तो जिंदगी ही ग़ारत हो गयी । मैं तो
कहता हूँ, तुम्हारी कमाई बढ़ जायगी भैया ! जितनी देर में आलू और मटर उबालते हो, उतनी देर में दो-चार प्याले चाय बेच लोगे। अब चाय बारहों मास चलती है ! रात को लेटोगे तो घरवाली पाँव दबायेगी । सारी थकान मिट जायगी ।
यह बात गोबर के मन में बैठ गयी । जी उचाट हो गया । अब तो वह झुनिया को लाकर ही रहेगा। आलू चूल्हे पर चढ़े रह गये, और उसने घर चलने की तैयारी कर दी; मगर याद आया कि होली आ रही है; इसलिए होली का सामान भी लेता चले। कृपण लोगों में उत्सवों पर दिल खोलकर ख़र्च करने की जो एक प्रवृत्ति होती है, वह उसमें भी सजग हो गयी। आख़िर इसी दिन के लिए तो कौड़ी-कौड़ी जोड़ रहा था । वह माँ, बहनों और झुनिया के लिए एक-एक जोड़ी साड़ी ले जायगा । होरी के लिए एक धोती और एक चादर। सोना के लिए तेल की शीशी ले जायगा, और एक जोड़ा चप्पल। रूपा के लिए जापानी चूड़ियाँ और झुनिया के लिए एक पिटारी, जिसमें तेल, सिंदूर और आईना होगा। बच्चे के लिए टोप और फ्राक जो बाजार में बना बनाया मिलता है। उसने रुपए निकाले और बाजार चला । दोपहर तक सारी चीजें आ गयीं। बिस्तर भी बँध गया, मुहल्लेवालों को ख़बर हो गयी, गोबर घर जा रहा है। कई मर्द औरतें उसे बिदा करने आये ।
गोबर ने उन्हें अपना घर सौंपते हुए कहा
तुम्हीं लोगों पर
छोड़े जाता हूँ। भगवान् ने चाहा तो होली के दूसरे दिन लौटूंगा ।
मेहरिया को बिना लिए न
एक युवती ने मुस्कराकर कहा आना, नहीं घर में न घुसने पाओगे।
दूसरी प्रौढ़ा ने शिक्षा दी हाँ, और क्या, बहुत दिनों तक चूल्हा फूँक चुके। ठिकाने से रोटी तो मिलेगी!
गोबर ने सबको राम-राम किया । हिंदू भी थे, मुसलमान भी थे, सभी में मित्रभाव था, सब एक-दूसरे के दुःख-दर्द के साथी। रोजा रखनेवाले रोजा रखते थे। एकादशी रखनेवाले एकादशी। कभीकभी विनोद-भाव से एक-दूसरे पर छींटे भी उड़ा लेते थे। गोबर अलादीन की नमाज को उठा-बैठी कहता, अलादीन पीपल के नीचे स्थापित सैकड़ों छोटे-बड़े शिवलिंग को बटखरे बनाता; लेकिन सांप्रदायिक द्वेष का नाम भी न था । गोबर घर जा रहा है। सब उसे हँसी-ख़ुशी बिदा करना चाहते हैं।
इतने में भूरे एक्का लेकर आ गया । अभी दिन-भर का धावा मारकर आया था। ख़बर मिली, गोबर घर जा रहा है। वैसे ही एक्का इधर फेर दिया। घोड़े ने आपत्ति की । उसे कई चाबुक लगाये। गोबर ने एक्के पर सामान रखा, एक्का बढ़ा, पहुँचाने वाले गली के मोड़ तक पहुँचाने आये, तब गोबर ने सबको राम-राम
किया और एक्के पर बैठ गया। सड़क पर एक्का सरपट दौड़ा जा रहा था। गोबर घर जाने की खुशी में मस्त था। भूरे उसे घर पहुँचाने की खुशी में मस्त था । और घोड़ा था पानीदार, घोड़ा चला जा रहा था। बात की बात में स्टेशन आ गया । गोबर ने प्रसन्न होकर एक रुपया कमरे से निकाल कर भूरे की तरफ़ बढ़ाकर कहा लो, घरवाली के लिए मिठाई लेते जाना ।
भूरे ने कृतज्ञता-भरे तिरस्कार से उसकी ओर देखा तुम मुझे ग़ैर समझते हो भैया! एक दिन जरा एक्के पर बैठ गये तो मैं तुमसे इनाम लूँगा। जहाँ तुम्हारा पसीना गिरे, वहाँ ख़ून गिराने को तैयार हूँ। इतना छोटा दिल नहीं पाया है। और ले भी लूँ, तो घरवाली मुझे जीता छोड़ेगी ?
गोबर ने फिर कुछ न कहा । लज्जित होकर अपना असबाब उतारा और टिकट लेने चल दिया।
फागुन अपनी झोली में नवजीवन की विभूति लेकर आ पहुँचा था। आम के पेड़ दोनों हाथों से बौर के सुगंध बाँट रहे थे, और कोयल आम की डालियों में छिपी हुई संगीत का गुप्त दान कर
रही थी। गाँवों में ऊख की बोआई लग गयी थी। अभी धूप नहीं निकली; पर होरी खेत में पहुँच गया है। धनिया, सोना, रूपा तीनों तलैया से ऊख के भीगे हुए गट्ठे निकाल-निकालकर खेत में ला रही हैं, और होरी गँड़ासे से ऊख के टुकड़े कर रहा है। अब वह दातादीन की मजदूरी करने लगा है। किसान नहीं, मजूर है। दातादीन से अब उसका पुरोहित जजमान का नाता नहीं, मालिकमजदूर का नाता है।
दातादीन ने आकर डाँटा हाथ और फुरती से चलाओ होरी! इस तरह तो तुम दिन-भर में न काट सकोगे।
चला ही तो रहा हूँ
होरी ने आहत अभिमान के साथ कहा महराज, बैठा तो नहीं हूँ।
दातादीन मजूरों से रगड़ कर काम लेते थे; इसलिए उनके यहाँ कोई मजूर टिकता न था । होरी उसका स्वभाव जानता था; पर जाता कहाँ।
पंडित उसके सामनें खड़े होकर बोले - चलाने-चलाने में भेद है । एक चलाना वह है कि घड़ी भर में काम तमाम, दूसरा चलाना वह है कि दिन-भर में भी एक बोझ ऊख न कटे ।
होरी ने विष का घूँट पीकर और जोर से हाथ चलाना शुरू किया, इधर महीनों से उसे पेट-भर भोजन न मिलता था । प्रायः एक जून
तो चबैने पर ही कटता था, दूसरे जून भी कभी आधा पेट भोजन मिला, कभी कड़ाका हो गया; कितना चाहता था कि हाथ और जल्दी उठे, मगर हाथ जवाब दे रहा था। उस पर दातादीन सिर पर सवार थे। क्षण-भर दम ले लेने पाता, तो ताजा हो जाता; लेकिन दम कैसे ले? घुड़कियाँ पड़ने का भय था ।
धनिया और तीनों लड़कियाँ ऊख के गट्ठे लिये गीली साड़ियों से लथपथ, कीचड़ में सनी हुई आयीं, और गट्ठे पटककर दम मारने लगीं कि दातादीन ने डाँट बताई यहाँ तमाशा क्या देखती है धनिया? जा अपना काम कर। पैसे सेंत में नहीं आते। पहर-भर में तू एक खेप लायी है । इस हिसाब से तो दिन भर में भी उख न ढुल पायेगी।
धनिया ने त्योरी बदलकर कहा क्या जरा दम भी न लेने दोगे महराज! हम भी तो आदमी हैं । तुम्हारी मजूरी करने से बैल नहीं हो गये। जरा मूड़ पर एक गट्ठा लादकर लाओ तो हाल मालूम हो ।
पैसे देने हैं काम करने के लिए, दम मारने के लिए नहीं। दम मार लेना है, तो घर जाकर दम लो ।
धनिया कुछ कहने ही जा रही थी कि होरी ने फटकार बताई तू जाती क्यों नहीं धनिया? क्यों हुज्जत कर रही है ?
धनिया ने बीड़ा उठाते हुए कहा हुए बैल को औंगी न देना चाहिए।
जा तो रही हैं, लेकिन चलते
जान पड़ता है, अभी मिजाज
दातादीन ने लाल आँखें निकाल लीं
ठंडा नहीं हुआ। जभी दाने-दाने को मोहताज हो ।
धनिया भला क्यों चुप रहने लगी थी - तुम्हारे द्वार पर भीख माँगने नहीं जाती।
दातादीन ने पैने स्वर में कहा अगर यही हाल है तो भीख भी माँगोगी।
धनिया के पास जवाब तैयार था; पर सोना उसे खींचकर तलैया की ओर ले गयी, नहीं बात बढ़ जाती; लेकिन आवाज की पहुँच के बाहर जाकर दिल की जलन निकाली भीख माँगो तुम, जो भिखमंगे की जात हो। हम तो मजूर ठहरे, जहाँ काम करेंगे, वहीं चार पैसे पायेंगे।
सोना ने उसका तिरस्कार किया अम्माँ, जाने भी दो। तुम तो समय नहीं देखती, बात-बात पर लड़ने बैठ जाती हो ।
होरी उन्मत्त की भाँति सिर से ऊपर गडाँसा उठा-उठाकर ऊख के टुकड़ों के ढेर करता जाता था। उसके भीतर जैसे आग लगी हुई थी। उसमें अलौकिक शक्ति आ गयी थी । उसमें जो पीढ़ियों
का संचित पानी था, वह इस समय जैसे भाप बनकर उसे यंत्र कीसी अंध-शक्ति प्रदान कर रहा था। उसकी आँखों में अँधेरा छाने लगा। सिर में फिरकी-सी चल रही थी। फिर भी उसके हाथ यंत्र की गति से, बिना थके, बिना रुके, उठ रहे थे। उसकी देह से पसीने की धारा निकल रही थी, मुँह से फिचकुर छूट रहा था, सिर में धम-धम का शब्द होरहा था, पर उस पर जैसे कोई भूत सवार हो गया हो। सहसा उसकी आँखों में निबिड़ अंधकार छा गया । मालूम हुआ वह जमीन में धँसा जा रहा है। उसने सँभलने की चेष्टा से शून्य में हाथ फैला दिये, और अचेत हो गया। गँड़ासा हाथ से छूट गया और वह औंधे मुँह जमीन पर पड़ गया ।
उसी वक़्त धनिया ऊख का गट्ठा लिये आयी। देखा तो कई आदमी होरी को घेरे खड़े हैं ।
मालिक तुम्हें ऐसी बात न कहनी चाहिए, जो आदमी को लग जाय । पानी मरते ही मरते तो मरेगा।
धनिया ऊख का गट्ठा पटककर पागलों की तरह दौड़ी हुई होरी के पास गयी, और उसका सिर अपनी जाँघ पर रखकर विलाप करने लगी तुम मुझे छोड़कर कहाँ जाते हो। अरी सोना, दौड़कर पानी ला और जाकर शोभा से कह दे, दादा बेहाल हैं।
हाय भगवान ! अब मैं कहाँ जाऊँ । अब किसकी होकर रहूँगी, कौन मुझे धनिया कहकर पुकारेगा... ।
लाला पटेश्वरी भागे हुए आये और स्नेह भरी कठोरता से बोले क्या करती है धनिया, होश सँभाल । होरी को कुछ नहीं हुआ । गर्मी से अचेत हो गये हैं। अभी होश आया जाता है। दिल इतना कच्चा कर लेगी, तो कैसे काम चलेगा?
धनिया ने पटेश्वरी के पाँव पकड़ लिये और रोती हुई बोली क्या करूँ लाला, जी नहीं मानता । भगवान् ने सब कुछ हर लिया । मैं सबर कर गयी । अब सबर नहीं होता। हाय रे मेरा हीरा!
सोना पानी लायी। पटेश्वरी ने होरी के मुँह पर पानी के छींटे दिये। कई आदमी अपनी-अपनी अँगोछियों से हवा कर रहे थे। होरी की देह ठंडी पड़ गयी थी । पटेश्वरी को भी चिन्ता हुई; पर धनिया को वह बराबर साहस देते जाते थे।
धनिया अधीर होकर बोली ऐसा कभी नहीं हुआ था। लाला, कभी नहीं ।
पटेश्वरी ने पूछा रात कुछ खाया था ? |
VARANASI: जरूरी नहीं कि अभावों में रहने वाले सफलता के शिखर पर नहीं पहुंच सकते। ऐसा संभव है। इसे साबित किया है अनुराग सिंह पटेल और तितिक्षा कुमारी ने। दोनों ने यूपी बोर्ड दसवीं के एग्जाम में 9फ्. क्7 परसेंट मार्क्स हासिल कर टॉप किया है। डिस्ट्रिक्ट टॉपर बनने वाले इन स्टूडेंट्स ने साबित कर दिखाया है कि समर्पण और लगन से प्रयास किया जाए तो आसमान छूना मुश्किल नहीं है। खास बात यह कि अनुराग और तितिक्षा सामान्य फैमिली को बिलांग करते हैं। इसके बाद भी इन दोनों ने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया है।
क्लास एट्थ तक अपने घर रहकर पढ़ाई करने वाला अनुराग आगे की पढ़ाई के लिए मौसी के घर को अपना ठौर बना लिया। बेसिकली चंदौली निवासी अनुराग ने क्लास नाइंथ में अपना एडमिशन सनातन धर्म इंटर कॉलेज में कराया। गोदौलिया स्थित मौसी के घर रहकर पढ़ाई करने वाले अनुराग के पिता किसान और मां हाउस वाइफ हैं। गरीबी और तंगहाली के बीच एकलौता बेटा पढ़ लिखकर नाम रोशन कर सके इसके लिए उसे शहर भेज दिया। होनहार अनुराग ने भी पेरेंट्स के सपने को मानो साकार करने की ठान ली और पहले ही कदम में बोर्ड एग्जाम में टॉपर बनने का गौरव हासिल कर दिया।
बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट हो और गर्ल्स पीछे रहें ऐसा हो नहीं सकता। शुक्रवार को यूपी बोर्ड के दसवीं के एग्जाम के डिक्लेयर हुए रिजल्ट में भी ऐसा ही हुआ। पावरलूम मशीन चलाकर और एलआईसी एजेंट के तौर पर मिलने वाले पैसे से फैमिली मेंबर्स का भरण पोषण करने वाले रमाशंकर मौर्य की बेटी तितिक्षा ने इस एग्जाम में टॉप कर पिता के सपने को पूरा किया। ढेलवरिया, चौकाघाट स्थित छोटे से मकान में रहकर पढ़ाई करने वाली तितिक्षा 9फ्. क्7 परसेंट मार्क्स हासिल कर डिस्ट्रिक्ट में टॉपर बनी हैं। आर्य महिला इंटर कॉलेज की स्टूडेंट तितिक्षा स्कूल, कोचिंग व घर को जोड़कर दस घंटे पढ़ाई करती हैं। इस बीच बचने वाले समय में तितिक्षा मां के काम में भी हाथ बंटाती हैं।
दसवीं रिजल्ट में टॉप पर रहे अनुराग व तितिक्षा का टारगेट सिविल सर्विसेज में जाने का है। हाईस्कूल रिजल्ट को शुरुआत मानने वाले अनुराग का कहना है कि मंजिल अभी काफी दूर है। आईपीएस बनने की चाहत है, जिससे कि गरीब लोगों का हेल्प कर सकूं। साइंस में इंट्रेस्ट रखने वाले अनुराग ने बताया कि वह आईपीएस बनकर सोसाइटी को कुछ देना चाहता है। पैसे कमाकर पेरेंट्स के लिए अच्छा घर बनाने की उसकी तमन्ना है। वहीं तितिक्षा का भी सिविल सर्विसेज में जाने की इच्छा है। कहा कि आईएएस बनकर सोसाइटी और देश की सेवा करना चाहती हूं।
दोपहर में जैसे ही रिजल्ट डिक्लेयर हुआ, अनुराग व तितिक्षा के टॉप करने की खबर फैल गयी। इसके बाद तो अनुराग व तितिक्षा हीरो बन गए। दोनों की फैमिली में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इनकी इस सक्सेस पर बधाई देना के लिए फोन के घनघनाने का जो सिलसिला स्टार्ट हुआ वो देर रात तक चलता रहा। बधाई देने वालों में रिलेटिव्स, फ्रेंड्स व आसपास के लोग भी शामिल रहे।
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पूरे देश में बारिश के कारण उत्पादक केंद्रों से आपूर्ति में समस्या के कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में टमाटर की खुदरा कीमतें 140 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। एशिया की सबसे बड़ी थोक फल और सब्जी मंडी आजादपुर मंडी में सोमवार को टमाटर की थोक कीमतें गुणवत्ता के आधार पर 60-120 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रहीं और इससे आम जनता परेशान है।
मदर डेयरी के सफल बिक्री केंद्र पर रविवार को टमाटर 99 रुपये प्रति किलो बिक रहा था. एक ऑनलाइन खुदरा विक्रेता सोमवार को 140 रुपये प्रति किलोग्राम पर हाइब्रिड टमाटर बेच रहा था। बिगबास्केट पर टमाटर की कीमत 105-110 रुपये प्रति किलो थी. दिल्ली-एनसीआर ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं. सरकार का कहना है कि टमाटर की कीमत में बढ़ोतरी 'मौसम' की वजह से हुई है. इस समय कीमतें आमतौर पर ऊंची होती हैं। अगले 15 दिनों में टमाटर के दाम कम हो जायेंगे.
आजादपुर टमाटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कौशिक ने कहा, 'बारिश के कारण प्रमुख उत्पादक केंद्रों से आपूर्ति बाधित होने के कारण टमाटर की कीमतें बढ़ी हैं। ' कौशिक कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) आजादपुर के सदस्य भी हैं।
बारिश के कारण पड़ोसी राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से टमाटर की सप्लाई तेजी से खत्म हो गई है. अब हिमाचल प्रदेश दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए एकमात्र आपूर्तिकर्ता है। उन्होंने कहा कि इस पहाड़ी राज्य में भी भारी बारिश हो रही है, जिससे कटाई और परिवहन प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि व्यापारियों को महाराष्ट्र और कर्नाटक के उत्पादक केंद्रों से टमाटर की पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिल रही है, जिसके कारण बारिश के कारण कीमतें ऊंची चल रही हैं.
अशोक कौशिक ने यह भी कहा, "25 किलो की क्रेट की कीमत 2400 से 3000 रुपये के बीच है. टमाटर की कीमत उत्पादक केंद्रों पर प्रति किलो 100-120 रुपये प्रति किलो है. व्यापारियों को इस जिंस को दिल्ली लाना मुश्किल होता है. " इतनी ऊंची दरें। " जोखिम नहीं ले सकते। " उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में बारिश में सुधार होने के बाद अगले 15 दिनों में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में टमाटर की आपूर्ति में सुधार होने की उम्मीद है। तब तक टमाटर की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी।
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बंगाल : जेपी नड्डा ने रैलों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां पर टोलाबाजी, तुष्टिकरण और तानाशाही विराजमान रही है.
इसलिए बीजेपी ने तय किया है कि परिवर्तन यात्रा के माध्यम से बंगाल की जनता को जगाएंगे, उनको बताएंगे. बल्कि मुझे तो लगता है कि अब बंगाल की जनता जाग चुकी है.
बंगाल में बढ़ते राजनीतिक तापमान के बीच आज से भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन यात्रा निकाल रही है.
आज पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल के नौदीप से यात्रा की शुरुआत की. वहीं 11 फरवरी से अमित शाह कूच विहार से यात्रा निकालेंगे. बंगाल में जल्द ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है.
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यूक्रेनी खुफिया ड्रोनआक्रामक के दौरान मित्र देशों की सेना के लिए इतना कष्टप्रद, "गायब" होने लगा। यूक्रेनी जनता के अनुसार, हाल ही में यूक्रेनी सेना ने डोनबास गणराज्य की एनएम इकाइयों के आक्रामक क्षेत्रों में यूएवी का उपयोग करके हवाई टोही आयोजित करने की असंभवता के बारे में शिकायत करना शुरू कर दिया है।
कई यूक्रेनी टीजी चैनल यूक्रेनी सेना द्वारा खुफिया जानकारी के लगातार नुकसान के बारे में शिकायतें प्रकाशित करते हैं मुफ़्तक़ोर, और न केवल सरल वाले, यानी। नागरिक उद्देश्य, सैन्य जरूरतों में परिवर्तित, लेकिन सैन्य भी, यानी। टोही के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया। यह संबद्ध बलों द्वारा उपयुक्त उपकरणों की प्राप्ति के लिए जिम्मेदार है, जो पहले केवल रूसी सैनिकों के साथ सेवा में था।
जैसा कि पहले बताया गया था, कुल 100 सैन्य कर्मियों के साथ रूसी सैनिकों का एक समूह, शायद थोड़ा अधिक, यूक्रेन में एक विशेष सैन्य अभियान में भाग ले रहा है। इसके साथ ही रूसी सैनिकों के साथ, डोनबास गणराज्यों की इकाइयों द्वारा आक्रमण किया जाता है, अर्थात्। डीएनआर और एलएनआर। मोर्चे के कुछ क्षेत्रों में, केवल रूसी सेनाएं संचालित होती हैं, दूसरों में, रूसी तोपखाने के समर्थन से रिपब्लिकन सैनिक। तदनुसार, इकाइयों के उपकरण अलग हैं, सभी के पास इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण नहीं हैं। हालाँकि, यूक्रेन के सशस्त्र बलों की शिकायतों को देखते हुए, यह समस्या धीरे-धीरे हल हो रही है।
- यूक्रेनी टीजी चैनल यूक्रेन के सशस्त्र बलों की शिकायतों का हवाला देते हैं।
रूसी संघ के रक्षा मंत्रालय की दैनिक रिपोर्टों के अनुसार, वायु रक्षा प्रणाली प्रति दिन लगभग 15 अलग-अलग यूक्रेनी ड्रोन को मार गिराती है, लेकिन सेना इलेक्ट्रॉनिक युद्ध पर डेटा प्रदान नहीं करती है। हालांकि यह संभव है कि वे "डाउनडेड" श्रेणी के सभी ड्रोन सहित सामान्यीकृत डेटा प्रदान करें।
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क्षणभंगुर है जीवन,
क्षणभंगुर है सारा संसार,
क्षणभंगुर है सारे सपने।
सपनों की इस दुनिया में,
ना तेरा कोई, ना मेरा कोई,
जो है आज है, कल ना जाने,
कौन रहे, कौन ना रहे,
क्षणभंगुर है सब।
क्यों ना मिलकर सब रहे?
क्या अपना, क्या पराया?
क्या पता कल तुम रहे ना रहे?
और हम रहे ना रहे,
क्षणभंगुर है सारा संसार।
सच यही है, एक दिन सबको जाना है।
सच यही है, एक दिन सबको मरना है।
अकेले ही आए थे हम,
अकेले ही जाना है।
फिर क्यों करते हो मेरा तेरा,
सब खेल ऊपर वाले का है।
उसकी मर्जी से आए हम,
उसकी मर्जी से जाएंगे।
सत्य यही है जीवन का,
एक दिन संसार से सबको,
अलविदा कह जाना है,
क्षणभंगुर है सारा संसार।
विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो। यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।
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नई दिल्लीः चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि बिहार में 30 साल से विकास नहीं हुआ है, उनके इस दावे को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को खारिज कर दिया.
किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर उनके कार्यकाल के लिए 30 साल तक राज्य में कोई विकास नहीं होने का आरोप लगाया था. इसी पर पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने प्रशांत किशोर के बयानों को निराधार बताया और राजनीति में उनके अब तक के महत्व पर सवाल उठाया.
नीतिश कुमार ने कहा था कि सीएए एक नीतिगत मामला है और राज्य सरकार लोगों को कोविड से बचाने के बारे में ज्यादा चिंतित है. यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान की प्रतिक्रिया में आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि इस अधिनियम को महामारी की समाप्ति के तुरंत बाद लागू किया जाएगा.
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तेजस्वी ने बिहार के मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने संसद में विधेयक को समर्थन दिया था और इसलिए इस विषय पर उनके बयान मायने नहीं रखते.
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Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : सरदार पटेल ग्रुप ऑफ एजुकेशन, गालुडीह को सत्र 2023-24 के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल से मान्यता मिल गई है. यह संस्थान झारखण्ड परिचारिका निबंधन परिषद से मान्यता प्राप्त है. कॉलेज में एएनएम, जीएनएम के कोर्स कराए जाते हैं. संस्थान के निदेशक उपेन्द्र प्रसाद ने बताया कि इस क्षेत्र के छात्रों को नर्सिंग कोर्स करने के लिए शहर से दूर जाना पड़ता था जिससे छात्रों को पढ़ाई करने में परेशानी होती थी. अब इस क्षेत्र के विद्यार्थियों को गालूडीह में ही नर्सिंग कोर्स करने की सुविधा प्राप्त हो सकेगी. संस्थान द्वारा गरीब तथा एससी, एसटी, ओबीसी छात्रों को कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति की सुविधा भी दी जाती है. मौके पर कॉलेज के प्रिंसिपल जसमीत टुडू एवं अन्य शिक्षक उपस्थित थे.
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हिमाचल CM सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में राज्य में आबकारी नीति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश के अंदर चल रहे शराब के ठेकों को नीलाम करने का निर्णय लिया गया है। इससे राज्य सरकार को 2400 करोड़ की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद है। प्रदेश में 6 साल बाद शराब ठेकों की नीलामी होगी।
कैबिनेट मीटिंग की ब्रिफिंग देते हुए उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन सिंह चौहान ने बताया कि मंत्रिमंडल ने कोविड सेस को खत्म करके काऊ सेस लगाने, प्रदेश में पुरानी बसों को रिप्लेस करके इलेक्ट्रिक बसें खरीदने और पावर प्रोजेक्ट पर सेस वसूलने के निर्णय को भी हरी झंडी दी है।
कैबिनेट ने प्रदेश सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी 2023-24 को मंजूरी प्रदान की। इसका उद्देश्य सरकार के राजस्व बढ़ोतरी, शराब के मूल्य में कमी और पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी रोकना शामिल है। बैठक में 5 लीटर केग ड्रॉट बीयर की रिटेल करने का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा पर्यटन स्थलों पर थ्री स्टार होटलों में मिनी बार खोलने की भी मंजूरी दी गई।
पूर्व सरकार के समय एक बार भी शराब के ठेकों को नीलामी नहीं की गई। प्रदेश के सभी ठेकों को 10% हाइक देकर रिन्यू कर दिया जाता था। इस पर कांग्रेस ने हमेशा ही विरोध जताया और विधानसभा चुनाव के दौरान इस मामले को कांग्रेस ने अपने मुद्दों में भी शामिल रखा था।
प्रदेश मंत्रिमंडल ने हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स से वाटर सेस वसूलने के मामले काे भी हरी झंडी दिखाई। प्रदेश में कुल 172 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स हैं। सरकार ने निर्णय लिया है कि इनसे 10 मार्च से लेकर वाटर सेस लिया जाएगा। इससे सरकार को एक हजार करोड़ से अधिक की आमदनी का अनुमान है। इसके लिए सरकार बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश वाटर सेस ऑन हाइड्रो पावर जनरेशन बिल-2023 लाएगी।
वाटर से वसूलने के लिए अलग से आयोग बनाने पर भी सहमति हुई। इसमें एक अध्यक्ष सहित 4 सदस्य बनाए जाएंगे। सरकार ने उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर ही पावर प्रोजेक्ट्स से वाटर सेस वसूलने का निर्णय लिया है।
कैबिनेट ने HRTC में 15 साल पूरा कर चुकी बसों को भी रिप्लेस करने की स्वीकृति प्रदान की है। इनकी जगह सरकार इलेक्ट्रिक बसों की खरीद करेगी। CM ने अधिकारियों को बसों की खरीद का प्रपोजल तैयार करने को कहा, जिसे अगली बैठक में पेश किया जाएगा।
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PATNA : पंडारक मामले को लेकर मोकामा विधायक अनंत सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती है। पटना के ग्रामीण एसपी कांतेश मिश्ना ने कहा कि पंडारक मामले में जरुरत पड़ी तो विधायक अनंत सिंह से पूछताछ होगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल मामले की जांच चल रही है। अभी तक 3 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
एसपी ने कहा कि पंडारक मामले में अभी तक 3 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। 8 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज किया गया है। जांच के बाद आगे का अनुसंधान होगा। सूत्रों के मुताबिक पटना पुलिस ऑडियो वायरल मामले में विधायक अनंत सिंह का वॉयस सैंपल की जांच करा सकती है।
पंडारक में बीते 14 जुलाई को पुलिस ने भोला सिंह और उसके भाई मुकेश सिंह की हत्या के इरादे से पंडारक पहुंचे तीन अपराधियों को हथियार के साथ धर दबोचा गया था। उन अपराधियों ने पूछताछ में कई लोगों के नाम बताए हैं। जिसमे एक नाम मोकामा विधायक अनंत सिंह का भी है, पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अनंत सिंह के खिलाफ पुख्ता सबूत मिल गए है. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जा रही है।
गिरफ्तार अपराधियों ने अनंत सिंह का सीधे तौर पर नाम लिया हैं वहीं वायरल ऑडियो को प्रथम दृष्टा में सही पाया गया हैं । पटना की एसएसपी गरिमा मलिक और पुलिस मुख्यालय के वरीय पुलिस अधिकारी सबूतों की समीक्षा कर रही हैं । राजनीति गलियारे में जहां इसकी चर्चा जोरों पर हैं वहीं विधायक अनंत सिंह और इनके समर्थक मौन हैं ।
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मुंबईः मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि भगोड़े गैंगस्टर छोटा शकील के एक शूटर को हत्या के एक मामले में 25 साल बाद गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान 50 वर्षीय लईक अहमद फिदा हुसैन शेख के रूप में हुई है। अधिकारी ने कहा, "छोटा शकील गिरोह के शूटर लईक अहमद फिदा हुसैन शेख (50) को पायधोनी पुलिस ने 28 जुलाई को ठाणे रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया। शेख गिरफ्तार अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन गिरोह के एक सदस्य की हत्या में आरोपी है। "
आरोपी ने अपने साथियों के साथ मिलकर 2 अप्रैल 1997 की शाम को गिरफ्तार अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन गिरोह के सदस्य मुन्ना धारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस समय पुलिस ने मामला दर्ज कर शेख को गिरफ्तार कर लिया था। अधिकारी ने कहा, "आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3, 25 के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद, आरोपी को साल 1998 में एक अदालत द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया गया। " अधिकारी ने बताया कि 1998 के बाद से आरोपी शेख भूमिगत हो गया और किसी भी अदालती सुनवाई में पेश नहीं हुआ, जिसके बाद उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया.
पुलिस को गुप्त सूत्रों से जानकारी मिली कि आरोपी शेख मुंब्रा में रहता है. जिसके बाद वे उस पते पर पहुंचे लेकिन वह नहीं मिला और न ही किसी ने उसे पहचाना। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि आरोपी ठाणे परिसर में टैक्सी ड्राइवर के रूप में काम करता था। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने शेख की लोकेशन का पता लगाया और शुक्रवार को ठाणे रेलवे स्टेशन के पास जाल बिछाकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
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नयी दिल्ली, एक जून नोवेल कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में टीकों से प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता इतनी बढ़ जाती है कि वे वायरस के सामने आते नये स्वरूपों से भी सुरक्षित रह सकते हैं। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
अमेरिका की रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 रोगियों के रक्त में मौजूद एंटीबॉडी का विश्लेषण कर इनकी उत्पत्ति का पता लगाया।
अध्ययन में शामिल 63 लोगों को पिछले साल कोविड हुआ था।
अनुसंधानकर्ताओं ने उन पर नजर रखी और आंकड़े बताते हैं कि समय के साथ प्रतिरक्षा तंत्र की 'मेमोरी बी कोशिकाओं' से उत्पन्न एंटीबॉडी की क्षमता सार्स-सीओवी-2 को समाप्त करने के लिहाज से बेहतर हुई।
'मेमोरी बी कोशिकाओं' में अनेक प्रकार के एंटीबॉडी संग्रहित रहते हैं।
अध्ययन में सामने आया कि इन लोगों के अंदर वायरस के खिलाफ दीर्घकालिक सुरक्षा प्रणाली विकसित हो रही है।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि मॉडर्ना या फाइजर के टीके की कम से कम एक खुराक लेने वाले 26 लोगों के समूह में ये एंटीबॉडी और बढ़ गये।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के आज़मगढ़ ज़िले में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में प्रदर्शन और कथित देश विरोधी नारेबाज़ी के आरोप में 35 नामज़द और सैकड़ों अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में पुलिस ने 19 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।
पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह ने गुरुवार को बताया कि मौलाना जौहर पार्क बिलरियागंज में मंगलवार को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में प्रदर्शन के लिए पहुंचीं महिलाओं की आड़ में कुछ लोगों ने 'हम लेकर रहेंगे आजादी' के कथित नारे लगाने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एक विशेष समुदाय के ख़िलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया।
उन्होंने बताया कि उपद्रवी लाठी-डंडों, ईंट-पत्थरों के अलावा घातक हथियारों से भी लैस थे।
इस मामले में 35 नामज़द तथा सैकड़ों अन्य अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।
ओलमा काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव ताहिर मदनी सहित 20 लोगों को बुधवार को मौक़े से गिरफ़्तार कर लिया गया।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में ओलमा काउंसिल के फ़रार नेता नूरुल हुदा, मिर्ज़ा शाने आलम और ओसामा पर 25-25 हज़र रुपये का ईनाम घोषित किया गया है।
बता दें कि इससे पहले जौहर पार्क में पुलिस ने सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहीं महिलाओं पर लाठीचार्ज और पथराव किया था। पुलिस ने सवेरे पार्क को खाली करा कर उसमें टैंकर से पानी भरवा दिया था। (AK)
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अंमिताभ बच्चन ने इसमें उल्लेख किया है कि किस तरह से एक इंसान को हर रोज संघर्ष से होकर गुजरना पड़ता है,
मेगास्टार अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. यही नहीं, वह ब्लॉग भी लिखते हैं, जिसे काफी पसंद किया जाता है. इन दिनों बिग बी का एक ब्लॉग वायरल हो रहा है. इसमें उन्होंने जिंदगी के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं. अमिताभ ने लिखा है कि जिंदगी कभी हार नहीं मानती हैं और यह कभी आसानी से हार न मानने की अपील करती है, यही जिंदगी की खासियत है.
उन्होंने इसमें उल्लेख किया है कि किस तरह से एक इंसान को हर रोज संघर्ष से होकर गुजरना पड़ता है, धूल, गंदगी, मिट्टी, बारिश और गर्मी इन बाधाओं के होते हुए भी वह जीवित रहने के लिए अपने संघर्ष को जारी रखता है क्योंकि जिंदगी एक निरंतर एक मरम्मत का काम है. अमिताभ ने लिखा, "जिंदगी निरंतर एक मरम्मत का काम है. हर दिन के शुरू होते ही इस बात की अपेक्षा रहती है कि आगे क्या होगा, किन प्रयासों का सामना करना होगा,
यहां जो भी है अज्ञात है और इससे उबरने या स्वीकार करने की क्या इच्छा है और अंततः रहस्योद्घाटन होता है कि यह निरंतर एक प्रगति का काम था और किसी को यह करना ही था क्योंकि इसे मरम्मत की जरूरत है. सुलझाए जाने की जरूरत है. उपाय की जरूरत है. " इन दिनों 'केबीसी' होस्ट करते नजर आ रहे अमिताभ जल्द ही 'चेहरे', 'झुंड', 'ब्रह्मास्त्र', 'गुलाबो सिताबो' जैसी फिल्मों में नजर आने वाले हैं.
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भारतीय राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के 60वें स्थापना दिवस पर जिला मुख्यालय बालोद काग्रेस भवन में युवा कांग्रेसियों ने ध्वजारोहण व शपथ ग्रहण किया। chhattisgarhMon, 10 Aug 2020 12:38 AM (IST)
लालबर्रा (नईदुनिया न्यूज)। पुलिस थाना लालबर्रा परिसर में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसमें प्रभारी तहसीलदार इंद्रसेन तुमराली, नायब तहसीलदार प्रतिभा पटेल, थाना प्रभारी रघुनाथ खातरकर, जिला काग्रेस कमेटी महामंत्री रव. . . madhya pradeshFri, 31 Jul 2020 04:08 AM (IST)
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं पर दुर्भावनावश एफआइआर कराने वाले काग्रेस पाटी के कार्यकर्ताओं पर शासन के नियमों का पालन न करने पर उचित कार्रवाई किए जाने एड. . . chhattisgarhFri, 31 Jul 2020 12:33 AM (IST)
भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णकांत पवार के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं पर दुर्भावनावश एफआईआर कराने वाले काग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं पर शासन के नियमों का पालन न करने पर उचित कार्यवाही की मांग पर कलेक्टर जन्मेजय महोबे एवं एड. . . chhattisgarhFri, 10 Jul 2020 12:57 AM (IST)
पशुधन की देखभाल हेतु भूपेश बघेल सरकार के प्रयासों की हिन्दू संगठनों ने प्रशंसा की है। वर्तमान में छग सरकार के द्वारा गौपालन, नरवा, गरुआ, घुरवा, बारी योजना पर तीव्रता से क्रियान्वयन करने हेतु आरएसएस तथा विश्व हिंदू परिषद . . . chhattisgarhFri, 03 Jul 2020 04:03 AM (IST)
कांग्रेस जिलाध्यक्ष डॉ रश्मि चन्द्राकर ने कहा कि प्रदेश में का? ग्रेस सरकार छग की चार चिन्हारी के संवर्धन के लिए वचनबद्ध है। गोठानो के माध्यम से पशुओं के रहने बल्कि उनके चारे की व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार ने की। अब गोधन न्या. . . chhattisgarhSat, 27 Jun 2020 11:11 PM (IST)
कमल नाथ बोले- बहुमत की सरकार को भाजपा ने साजिश रचकर गिराया। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा- मामले को लेकर हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। madhya pradeshThu, 11 Jun 2020 10:06 AM (IST)
25 मई 2013 को झीरम घाटी में शहीद हुए कांग्रेस नेताओं का शहादत दिवस सोमवार को मनाया गया। जिसमें शहीद हुए वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, छत्तीसगढ़ का? ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल,chhattisgarhWed, 27 May 2020 07:41 AM (IST)
चतुर्थ श्रेणी एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की 10 सूत्री मांगों के निराकरण को लेकर सोमवार को नगर पालिक निगम रीवा में कर्मचारी काग्रेस के बैनर तले क्रमिक भूखहड़ताल शुरू की। madhya pradeshTue, 03 Mar 2020 12:08 AM (IST)
अंबिकापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सरगुजा में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने एकतरफा जीत हासिल की है। सरगुजा जिले की 14 जिला पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों में से 11 सीटों में कांग्रेस समर्थित प्रत्य. . . chhattisgarhWed, 05 Feb 2020 06:32 AM (IST)
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कोटपूतली शहर के हाईवे स्थित बानसूर कट के पास शनिवार रात को अज्ञात वाहन ने राहगीर को टक्कर मार दी। हादसे में राहगीर की मौके पर मौत हो गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घटना की जानकारी ली।
वहीं हादसे के बाद हाइवे पर आंशिक रूप से जाम लग गया। पुलिस ने जाम खुला कर यातायात सुचारू करवाया। पुलिस ने मृतक की शिनाख्त करने का प्रयास किया। मृतक के पास शिनाख्त के कोई भी दस्तावेज नहीं मिलने पर पुलिस आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने में जुटी है। पुलिस ने शव को जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया है। साथ ही बताया कि शव की अभी तक शिनाख्त नहीं हुई है। पुलिस मृतक की पहचान में जुटी हुई है।
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नई दिल्लीः कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते प्रसार के बीच एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक करेंगे। बता दें कि यह पीएम मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ छठी बैठक होगी। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट कर जानकारी दी गई है कि यह बैठक दो दिन यानी 16 और 17 जून को होगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी राज्यों से कोरोना की स्थिति को लेकर रिपोर्ट मांग सकते है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र, दिल्ली, और गुजरात के लिए अलग योजना बनाई जा सकती है। लॉकडाउन में फिर से सख्ती बढ़ाने पर और यातायात सुविधाओं को लेकर चर्चा हो सकती है।
पीएमओ के मुताबिक, पीएम 16 जून को 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के CMs के साथ बातचीत करेंगे - पंजाब, असम, केरल, खंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, हिमाचल, चंडीगढ़, गोवा, मणिपुर, नागालैंड, लद्दाख, पुदुचेरी, अरुणाचल, मेघालय मिजोरम, अंडमान व निकोबार द्वीप, दादरा नगर हवेली और दमन दीव, सिक्किम और लक्षद्वीप शामिल है।
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वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 जून को 15 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के CMs के साथ बातचीत करेंगे - महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, बिहार, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, तेलंगाना और ओडिशा शामिल है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमितों के मामले बढ़कर 308993 हो गया है। इनमें से 145779 अब भी एक्टिव है इनका अभी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। बीते 24 घंटे में 11,458 नए मामले सामने आए हैं और 386 लोगों की मौत हो गई है। वहीं वायरस की चपेट में आने से पुरे देश में 8,884 मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि 154330 लोग ठीक हो चुके है। ये आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए देश भर में 30 जून तक लॉकडाउन 5 को लागू कर दिया है।
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मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) के हॉस्टल में बुधवार को थर्ड ईयर की एक स्टूडेंट ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सूसाइड की वजह होम सिकनेस बताई जा रही है. मल्ला पल्ली नाम की छात्रा ने सुसाइड नोट में अपने मम्मी-पापा को मिस करने की बात लिखी है.
मैकेनिकल ब्रांच की छात्रा पल्लवी मैनिट के हॉस्टल नंबर सात में रहती थी. मंगलवार रात पल्लवी की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी. कुछ दोस्त उसे रेडक्रॉस अस्पताल ले गए. यहां पता चला कि ब्लड प्रेशर लो हो गया था. कुछ देर इलाज के बाद डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी और उसे वापस भेज दिया था.
बुधवार को तबीयत खराब होने की बात कहकर पल्लवी अपनी रूममेट के साथ क्लास में नहीं गई थी. उसकी रूममेट जब क्लास से लौटकर आई, तो मल्ला पल्लवी का शव पंखे से लटका मिला. उसने घटना की सूचना तुरंत हॉस्टल वार्डन को दी.
साथी छात्राओं के मुताबिक पल्लवी बार-बार घर जाने की इच्छा जताती थी. मल्ला आंध्रप्रदेश के विशाखापट्नम की रहने वाली थी. तमिल में उसने करीब 10 लाइनों में सुसाइड नोट लिखा है. इसमें उसने सुसाइड की स्पष्ट वजह तो नहीं बताई. हालांकि उसने लिखा है कि वो मम्मी-पापा को बहुत मिस कर रही है. वो उनके बिना नहीं रह सकती है. मल्ला का शव लेने उसके परिजन गुरूवार को भोपाल पहुंच गए हैं.
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में गठित पांच मंचों ने लोगों से धर्म और मजहब से ऊपर उठकर भारतीय जनता पार्टी सरकार के लिए वोट करने की अपील करते हुए कहा कि वे 'लोटस को वोट करे,लुटेरों' को नहीं।
देश में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के चुनावों के मद्देनजर इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, भारतीय क्रिश्चियन मंच, हिमालय परिवार, भारत-तिब्बत सहयोग मंच और राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच ने संयुक्त रूप से विशाल जन जागरण मतदान अभियान चलाया। इस दौरान इन पांचों मंचों की 25 टीम ने पांच राज्यों के 75 स्थानों पर मतदाताओं को जागरुक किया।
बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ, शिक्षा प्रकोष्ठ, युवा प्रकोष्ठ, मौलाना प्रकोष्ठ, मदरसा प्रकोष्ठ, मलंग प्रकोष्ठ, पर्यावरण प्रकोष्ठ, सेवा प्रकोष्ठ और महिला प्रकोष्ठ की टीमों ने बुद्धिजीवियों, मुफ्तियों, इमामों, मौलानाओं, मदरसों, युवाओं, व्यापारियों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, छात्रों और महिलाओं के सामने भाजपा सरकार की उपलब्धियों को रखा और पार्टी के लिए वोट करने की अपील की।
संघ नेता ने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और पूर्व उप-राष्ट्रपति एवं भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हामिद अंसारी की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार की तारीफ की और सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया।
उन्होंने पंजाब सरकार पर सवाल उठाया कि जहां देश का प्रधानमंत्री सुरक्षित न हो, जहां झंडे का अपमान होता हो... वहां की सरकार देश के लिए कलंक के बराबर है। उन्होंने धर्मांतरण और हिजाब विवाद पर भी अपनी राय रखते हुए कहा कि इसका विरोध किया जाना चाहिए।
सर्वप्रथम पांचों संगठनों के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं, समाज के प्रबुद्ध वर्गों समेत बड़ी तादाद में अल्पसंख्यकों को संबोधित किया। संघ नेता ने सब धर्मों से आह्वान किया कि धर्म, मज़हब, जाति, समुदाय से ऊपर उठ कर जनहित की सरकार को वोट दें तथा मजबूर नहीं, मजबूत सरकार बनाएं।
संघ नेता ने केंद्र एवं भाजपा शासित राज्यों के काम की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार ने देश हित और समाज हित में अनेक काम किए हैं जिसका सीधा फायदा सभी धर्म और समुदाय के लोगों तक पहुंचा है। उन्होंने कहा ऊपर वाला एक है... चाहे उनको ईश्वर कहो या अल्लाह, या वाहे गुरु कहो या गॉड या परमात्मा। हम सभी उसी परमात्मा के पुत्र और पुत्री हैं।
इसलिए सभी धर्मों को एक-दूसरे का सम्मान करते हुए एक साथ मेल-मिलाप से रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों की परंपरा भले अलग होती है लेकिन हमारे रस्मो-रिवाज एक हैं, हमारे यहां के शादियों में दुल्हन का लाल जोड़ा होता है। ऐसा इसलिए है कि हम सबका डीएनए एक है।
कुमार ने कहा कि जब चीन ने दुनिया भर में कोरोना वायरस फैलाया तो पूरी दुनिया की मानवता की रक्षा के लिए मोदी के नेतृत्व में भारत ही था और है जो सामने खड़ा हुआ और सबकी मदद की। भारत ने अपने देश की बनी वैक्सीन दुनिया भर में भेज कर लोगों के जीवन की रक्षा की. . साथ ही साथ कोरोना काल में देश में गरीबों को मुफ्त राशन बांटा और विदेशों में भी खाद्य सामग्री भेजा।
पांचों मंचों के मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि 14 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नौ जिलों सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर की 55 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसके मद्देनजर इन स्थानों पर विशेष जन जागरण अभियान चलाया गया।
उत्तराखंड में सभी 70 और गोवा की सभी 40 सीटों के लिए 14 फ़रवरी को मतदान होने हैं। इसलिए उत्तराखंड में अल्पसंख्यक बाहुल्य विधानसभा सीट हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून को केंद्रित करते हुए जागरण कार्यक्रम किए गए जबकि गोवा में दक्षिण और उत्तरी गोवा पर फोकस करते हुए जन जागरण अभियान चलाया गया।
गोवा में 25 फीसदी ईसाई और आठ प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं। उत्तराखंड की 22 सीटों पर मुस्लिम वोटों के प्रभाव से फैसला होता है। मणिपुर में दो चरणों में 28 फरवरी और पांच मार्च को मतदान होगा।
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कटक - मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए उठे चर्चे के बीच अपनी उम्मीदवारी की पुष्टि करते हुए सुरेश शर्मा ने कहा कि वह चुनावी मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सत्तापक्ष से कहीं अधिक है। इसलिए हार जीत की परवाह किए बिना हम इस चुनाव में उतर रहे हैं। हमारे समर्थकों ने सहयोग का आश्वासन दिया है और उनके कहे अनुसार ही हम चुनावी मैदान में होंगे। उल्लेखनीय है कि सुरेश शर्मा पिछले कई सालों से विपक्ष की भूमिका को निर्वहन करते हुए चुनावी मैदान में उतरते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष नहीं होगा, तो सत्तापक्ष तानाशाह हो सकता है। विपक्ष की भूमिका सत्ता पक्ष को मनमानी करने से रोकना है और जनता की सेवा के लिए मजबूर करना है। हमारा भी यही उद्देश्य है और हम चुनाव में उतर रहे हैं।
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कोलकाता : भारतीय महिला क्रिकेटरों का क्रिकेट के प्रति जूनून देखने को बनता है, पूर्व भारतीय कप्तान और वर्तमान भारतीय टीम की खिलाड, तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी का कहना है कि वो इस समय किसी प्रकार के रोमांटिक जल्दबाजी में नहीं है और न हीं अन्य एक्टिविटी में शामिल होना चाहती है. अपना पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट पे देना चाहती है. झूलन गोस्वामी का कहना है कि वो अभी अपना ध्यान क्रिकेट के अलावा नहीं देना चाहती.
ये बात उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में कही ,झूलन इतनी व्यस्त है कि उन्होंने किसी प्रकार के रिश्ते से इंकार कर दिया , कहा कि में इतनी व्यस्तता में किसी भी रिलेसन के साथ न्याय नहीं कर पाऊँगी तो फिर नए रिश्ते की तो बात ही नहीं हो सकती क्योंकी एक समय में एक ही काम पे अच्छे से ध्यान दिया जा सकता है. आगे कहती है कि मेने एक समय में दो- दो काम के परिणामो को अपने रिस्तेदारो और दोस्तों में देखा है उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा था था.
. जब झूलन से पूछा गया के वो खली समय में क्या करती है तो उन्होंने कहा कि मैं भारतीय फिल्मो की दीवानी हूँ और संगीत सुन्ना अच्छा लगता है. मैंने विश्व कप के कुछ मैचों के बीच -बीच में क्लासिकल बंगाली फिल्मे देखी थी जिससे कि अपना ध्यान कही और न भटके. महिला विश्व कप के भारत को फाइनल में इंग्लैंड के हाथो 9 रनो से हार झेलनी पड़ी थी , झूलन कहती है कि महिलाओ को बुनियादी सुविधा देनी होगी जिसका एक प्रयास बंगाल क्रिकेट संघ ने जिला क्रिकेट शुरू करके कर दिया है.
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Karnataka Election 2023: क्या राहुल गांधी, दादी इंदिरा गांधी की तरह कर्नाटक की जमीन से अपनी राजनीतिक पुनर्वापसी कर पाएंगे ? कर्नाटक की हालिया चुनावी परम्परा भी कांग्रेस के पक्ष में दिख रही है। 2008 में यहां भाजपा की सरकार बनी तो 2013 में कांग्रेस सत्ता में लौटी। 2018 में कुछ महीनों के लिए जेडीएस की सरकार रही लेकिन फिर भाजपा को सत्ता मिल गयी। तो क्या 2023 में कांग्रेस वापसी करेगी ? ट्रेंड के हिसाब से तो कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है लेकिन चुनाव जीतना इतना आसान भी नहीं। कोई भी दल, मुद्दों, रणनीति और जनसमर्थन से ही चुनाव जीत सकता है। राहुल गांधी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है।
राहुल गांधी के लिए कर्नाटक चुनाव क्यों अहम ?
दो कारणों से कर्नाटक चुनाव राहुल गांधी के लिए निर्णायक है। उन्हें न केवल भाजपा को जवाब नहीं देना है बल्कि विपक्ष को भी कांग्रेस की हैसियत बतानी है। कांग्रेस को दरकिनार कर जिस तरह से देश में गैरकांग्रेस तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश हो रही है वह राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका है। कर्नाटक चुनाव जीत कर वे एक तीर से दो शिकार कर सकते हैं। अगर राहुल गांधी कर्नाटक चुनाव में जीत के नायक बनते हैं तो तीन बातें उनके हक में जा सकती हैं। पहला संदेश ये जाएगा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव जीत सकती है। दूसरी संदेश ये जाएगा कि केवल ममता बनर्जी और अंरविंद केजरीवाल ही नहीं बल्कि राहुल गांधी भी भाजपा को रोकने की ताकत रखते हैं। तीसरा संदेश ये जाएगा कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता कभी मजबूत हो नहीं सकती।
मां के जूते के फीते बांधे, जीता दिल !
लेकिन केवल चाहने से क्या होगा ? चुनाव जीतने के लिए लोगों का जनसमर्थन जरूरी है। जनसमर्थन कैसे मिलेगा ? जाहिर है इसके लिए जनता से जुड़ना होगा। राहुल गांधी ने इसके लिए मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखी है। कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा के दो राजनीतिक बिंब पर जरा गौर कीजिए। सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से इस पदयात्रा में देर से शामिल हुई थीं। वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पहली बार कर्नाटक के मांड्या से शामिल हुईं थीं। सोनिया गांधी की इस सहभागिता से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश कई गुना बढ़ गया था।
सोनिया गांधी से कर्नाटक के लोगों का आत्मीय जुड़ाव है। खास कर महिलाएं उनके प्रति सम्मान की भावना रखती हैं। सोनिया गांधी कर्नाटक के वेल्लारी से सांसद रह चुकी हैं। मांड्या इलाके में पदयात्रा के दौरान एक दुर्लभ दृश्य तब सामने आया जब राहुल गांधी नीचे बैठ कर अपनी मां के जूते के फीते बांध रहे थे। वैसे तो यह एक सामान्य बात थी लेकिन इस दृश्य का भावनात्मक महत्व बहुत प्रबल था। दरअसल पदयात्रा के दौरान सोनिया गांधी के जूते के फीते खुल गये थे जिससे उन्हें चलने में दिक्कत होने लगी। तब राहुल गांधी ने खुद नीचे बैठ कर अपनी मां के फीते बांध दिये। इस दृश्य को देख कर आम जनता की नजर में राहुल गांधी की इज्जत बढ़ गया। मालूम हो कि इस क्षेत्र में जेडीएस का प्रभाव सबसे अधिक है। इस बार कांग्रेस ने अपने लिए जमीन तैयार करने की कोशिश की है।
कर्नाटक के मैसूर में जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा चल रही थी तब वहां राहुल गांधी का एक जुझारू रूप देखने को मिला था। यात्रा के दौरान राहुल गांधी को एक स्थान पर जनसभा करनी थी। मंच तैयार था। लोग भी बड़ी तादाद में जुटे थे। जैसे ही राहुल गांधी मंच की तरफ बढ़ने लगे अचानक बारिश शुरू हो गयी। वे मंच पर पहुंचे तो मूसलाधार वर्षा होने लगी। ऐसी स्थिति में उन्होंने न तो बारिश रुकने इंतजार किया और न ही किसी से छतरी मांगी। वे भींगते हुए ही भाषण देने लगे। श्रोता भी बारिश के बीच उनकी बात सुनते रहे। तब राहुल गांधी ने कहा था भारत जोड़ने की कोशिश को कोई रोक नहीं सकता, बारिश और तूफान भी नहीं। इसके अलवा तुमकुर जिले में भी राहुल गांधी ने बारिश के बीच पदयात्रा की थी। यानी राहुल गांधी ने पदयात्रा के दौरान कर्नाटक के लोगों के दिलों में जगह बनाने की भरपूर कोशिश की।
भाजपा ने सरकार बना ली थी। 2018 में कांग्रेस के 80 विधायक जीते थे लेकिन आज की तारीख में उसके 69 विधायक ही बचे हैं। जब कि भाजपा अब 104 से 117 पर पहुंच गयी है। मध्य प्रदेश में भी इसी तरह कांग्रेस सरकार का पतन हो गया था। यानी राहुल गांधी पर कर्नाटक चुनाव जीतने के साथ साथ, विधायकों को एकजुट रखने की दोहरी जिम्मेदारी है।
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अमेरिका में एक भारतीय को कॉल सेंटर के माध्यम से धोखाधड़ी करने पर तीन साल की सजा दी गई है। सजा पाने वाला युवक साहिल नारंग गुरुग्राम, हरियाणा का रहने वाला है। मई 2019 में अमेरिका में गिरफ्तारी के समय वह अवैध रूप से रह रहा था। भारत के कॉल सेंटरों के माध्यम से अमेरिका के लोगों के साथ धोखाधड़ी करने वाले गैंग का पर्दाफाश अमेरिकन खुफिया एजेंसियों ने किया था।
एफबीआइ की जांच के मुताबिक 9 महीने की अवधि में साहिल ने औसतन हर रोज 70 से अधिक फोन कॉल को कॉल सेंटरों को हस्तांतरित किया। एक अनुमान है कि उसकी धोखाधड़ी वाली योजनाएं 30 फीसदी तक सफल रहीं।
बता दें कि यह गिरोह कंप्यूटर में वायरस आने व ऐसे ही अन्य तरकीबों से लोगों को फोन करते थे और बातों में उनसे व्यक्तिगत जानकारी जुटाकर बैंकों से धन निकाल लेते थे। साहिल को दिसंबर 2020 में दोषी करार दिया गया था। बुधवार को उसे 36 महीने की सजा सुनाई गई। इस मामले में अब तक कई भारतीयों को जेल भेजा जा चुका है। गिरोह लगभग 22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर चुका है। इनका निशाना अधिकांश बुजुर्ग हुआ करते थे।
एफबीआइ की जांच के मुताबिक नौ महीने की अवधि में साहिल ने औसतन हर रोज 70 से अधिक फोन कॉल को कॉल सेंटरों को हस्तांतरित किया। एक अनुमान है कि उसकी धोखाधड़ी वाली योजनाएं 30 फीसदी तक सफल रहीं।
वहीं, कोलंबिया की पुलिस ने अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के आवास के पास हथियार सहित एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। कमला हैरिस के लिए इस आवास को सरकार की तरफ से आवंटित किया गया है और बदलाव का काम होने के चलते वह अभी यहां रहने नहीं पहुंची हैं। फिलहाल वह व्हाइट हाउस के गेस्ट होम ब्लेयर हाउस में हैं। हथियारों के साथ इस व्यक्ति को मैसाचुसेट्स एवेन्यू में सीक्रेट सर्विस के अफसरों ने गिरफ्तार किया। यह व्यक्ति सैन एंटोनियो का पॉल मुरे है। इसके पास से खतरनाक राइफल और भारी मात्रा में कारतूस भी मिले हैं।
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नारनौंद , 1 मई (निस)
गांव बास को तीन साल पहले नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया था। लेकिन ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करके यह घोषणा करवा दी थी कि गांव को नगर पालिका नहीं बनाया जाएगा। इसको लेकर गांव के कुछ लोगों में नाराजगी हो गई और उन्होंने गांव को नगर पालिका का दर्जा समाप्त ना करने के लिए सरकार के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से धरना शुरू कर दिया है।
रविवार को ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रदर्शन करते हुए जींद भिवानी रोड सरकार को उचित आते हुए संकेतिक रोड जाम भी किया। वही उसी दौरान दो बाइक सवार युवकों के साथ झगड़ा भी हो गया। करीब तीन साल पहले ग्रामीणों की मांग पर ही प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने गांव बास की पंचायत को नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया था। उस समय किसी भी ग्रामीण को आपत्ति नहीं थी लेकिन करीब दो महीने पहले ग्रामीणों ने नगर पालिका का दर्जा समाप्त करवाने के लिए सरकार के खिलाफ धरना दिया था। उसके बाद सरकार की तरफ से शहरी निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने धरने पर पहुंचकर यह घोषणा कर दी थी कि नगर पालिका का दर्जा समाप्त करके दोबारा से ग्राम पंचायत का दर्जा दे दिया जाएगा। मंत्री की इस घोषणा के बाद गांव की कुछ ग्रामीणों में रोष पैदा हो गया और उन्होंने गांव के ही जल घर में सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
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अमरोहा : जिनका पाकिस्तान की जमात ए अहले सुन्नत, जमीयत उलमा ए पाकिस्तान, और दावत ए इस्लामी, तंजीम उल मदारिस जैसी जमाअतों और तंजीमों को कायम करने में अहम किरदार है।
जिन्होंने 1943 मुल्तान में मदरसा अनवार उल उलूम कायम किया। जी हां हम ज़िक्र कर रहे है पाकिस्तान की उस मशहूर हस्ती की जिन्हें वहां आज भी ग़ज़ाली जमां , इमाम ए अहले सुन्नत के लक़ब से याद किया जाता है।
अल्लामा साहब की पैदाइश भारत के सूबे उत्तर प्रदेश के अमरोहा शहर में मौहल्ला कटकुई पर जुमेरात 13 मार्च 1913 ई. को हुई आप अभी 6 साल के ही थे के आपके वालिद सय्यद मुहम्मद मुख्तार अहमद शाह काज़मी का इंतेकाल हो गया। इनका नसब 35 पुश्तों से सय्यदना इमाम मुसा काज़िम से और 42 पुश्तों से सय्यदना अली करम अल्लाहु वजहुल करीम से जा मिलता है इमाम मुसा काज़िम से निस्बत की बिना पर इन्हें काज़मी कहा जाता है।
इनके सबसे बड़े भाई मुहम्मद खलील काज़मी ने इन्हें पाला क्योंकि इनके खानदान के तमाम अफराद आला तालिम याफ्ता थे लिहाज़ा इन्होंने अपनी बुनियादी तालिम अपनी वालिदा से हासिल की बाद में इन्हें इनके चचा ने हदीस की सनद और तसव्वुफ़ की तालिम दी, कम उम्र में ही आप अपने इल्म की वजह से मशहूर हो गए थे।
1935 में आप अमरोहा से मुल्तान (पाकिस्तान) की तरफ हिज़रत कर गए 1935 से इन्होंने लाहौरी दरवाजे के बाहर मस्जिद हाफिज फतह शेर में खुत्बा दिया, इन्होंने हज़रत चुप शाह की मस्जिद में हदीस का दर्स, बुखारी शरीफ के बाद तकमील मिश्कात शरीफ शुरू किया यहाँ वो अपने इल्म की वजह से अवाम और ख्वास में मशहूर हो गए।
बहावलपुर इस्लामिया युनिवर्सिटी में लम्बे समय तक बा हैसियत शैख़ उल हदीस तदरीसी फराइज़ को सर अंजाम दिया आपने पाकिस्तान में सियासी खिदमत को भी अंजाम दिया और मुस्लिम लीग को ज्वाइन किया और काइद ए आज़म मुहम्मद अली जिन्ना से खतो किताबत किया करते थे।
और शाही मस्जिद ईदगाह के पहलू में दफन किया गया..
आज भी अमरोहा के मौहल्ला कटकुई पर आपके खानदान के लोग रहते है जो काज़मी कहलाते है..
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कांग्रेस ने चौथे चरण की तीन विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें पीलीभीत विधानसभा सीट से शकील अहमद नूरी को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं , शाहाबाद सीट से अजीमुश्शान को टिकट मिला है। तिंदवारी सीट से आदिशक्ति दीक्षित कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस ने चौथे चरण की तीन सीटों में दो महिला प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाया है।
वहीं तीसरे चरण की एक सीट पर उम्मीदवार घोषित किया है। कांग्रेस ने कल्याणपुर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बदल दिया है। इस सीट से नेता तिवारी को टिकट मिला है, पहले यहां से गायत्री तिवारी को उम्मीदवार बनाया गया था।
बता दें, यूपी में कांग्रेस 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' नाम से मुहिम चला रही है, इसके चलते पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने वादा किया था कि यूपी में वो 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देंगी। इसको हर लिस्ट पूरा भी किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, पहली लिस्ट के 125 उम्मीदवारों में 50 महिलाएं, दूसरी लिस्ट के 89 प्रत्याशियों में 37 महिलाएं और तीसरी लिस्ट के 41 कैंडिडेट में 16 महिलाएं शामिल थीं चौथी लिस्ट में 61 उम्मीदवारों में 24 महिलाओं को टिकट दिया गया है। वहीं इस लिस्ट में 4 उम्मीदवारों की घोषणा हुई, जिसमें तीन महिलाओं को टिकट दिया गया है।
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सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों और हेडमास्टरों को दो टाइम सुबह और शाम हाजिरी लगानी होगी। शिक्षकों पर शिकंजा कसने को उच्च शिक्षा निदेशालय ने यह फैसला लिया है। निदेशालय की ओर से बार-बार निर्देश देने के बावजूद शिक्षक सुबह-शाम हाजिरी नहीं लगा रहे हैं।
ऐसे में निदेशालय ने स्कूल प्रमुख के नाते प्रिंसिपलों और हेडमास्टरों को पहले स्वयं निर्देशों का पालन करने को कहा है। अनदेखी करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण निदेशालय ने मार्च महीने में यह फैसला लिया था। प्रिंसिपलों और हेडमास्टरों को हाजिरी रजिस्ट्रर को सुबह-शाम चैक करने को कहा गया।
स्कूलों के औचक निरीक्षण के दौरान इस रजिस्ट्रर की जिला उपनिदेशकों को अनिवार्य तौर पर जांचने के भी आदेश दिए गए। लेकिन कई स्कूल इन आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। स्कूलों के औचक निरीक्षण के दौरान हाजिरी रजिस्ट्रर खाली पाए गए।
निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने कहा कि जुलाई माह के पहले हफ्ते में निर्देश जारी कर सभी शिक्षकों को सुबह-शाम हाजिरी लगाने को कहा गया था। अब फिर से निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
निदेशक ने बताया कि बिना छुट्टी लिए स्कूलों से गायब रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कुछ शिक्षकों के गैर जिम्मेवार रवैये से सभी सरकारी स्कूलों का नाम खराब हो रहा है।
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Micro Insurance Schemes जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी लघु योजनाओं के कवरेज को बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए सरकार एक बड़ी योजना पर काम कर रही है। पूरी जानकारी नीचे देखें। (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) जैसे लघु बीमा योजनाओं के कवरेज को बढ़ाने की तैयारी में है। इसके लिए वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें ग्राम पंचायत स्तर पर इन योजनाओं को प्रभावित करने के उद्देश्य पर काम करने की बात हो रही है।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि तीन महीने का अभियान 1 अप्रैल से 30 जून, 2023 तक देश के सभी जिलों को कवर करेगा। अभियान के प्रभावी रूप से चलाने के लिए और निगरानी को सुनिश्चित करने में मुख्य सचिवों की सक्रिय भूमिका के लिए समर्थन मांगा गया है। इसके तहत, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया गया है कि राज्यों में जनसंख्या के दायरे और आकार को देखते हुए सूक्ष्म-बीमा योजनाओं के तहत नामांकन को बढ़ाएं।
जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत अब तक सक्रिय नामांकन 8. 3 करोड़ का है। वहीं, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 23. 9 करोड़ लोगों ने अपना मानांकन किया है। इन योजनाओं के तहत लगभग 15,500 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान भी किया गया है।
बता दें कि जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत वैसे लोग जिनके पास बैंक या डाकघर में खाता है और जिन्होंने बीमा के प्रीमियम के लिए ऑटो-डेबिट में शामिल होने की सहमति दी है, उन्हें मृत्यु के मामले में 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर प्रदान करता है।
दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के साथ 18-70 वर्ष की आयु के लोगों को आकस्मिक मृत्यु या कुल स्थायी विकलांगता के लिए 2 लाख रुपये और आंशिक स्थायी विकलांगता के लिए 1 लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान करता है। सरकार को उम्मीद है कि इससे योजना को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
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RSMSSB द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, स्टेनोग्राफर के पदों पर मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं पास उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं. इसके अलवा कंप्यूटर साइंस/कंप्यूटर एप्लीकेशन में 'O' या हायर लेवल सर्टिफिकेट कोर्स या COPA/ DPCS सर्टिफिकेट या डिग्री/डिप्लोमा होना भी आवश्यक है.
राजस्थान अधीनस्थ और मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड (RSMSSB) ने स्टेनोग्राफर के पदों पर भर्ती के लिए बंपर वैकेंसी निकाली है, जिस पर आवेदन करने का आज यानी 24 सितंबर को आखिरी मौका है.
इन पदों पर भर्ती के लिए 1211 वैकेंसी निकाली गई है, जिन पर 12वीं पास के साथ कंप्यूटर की जानकारी रखने वाले उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं. इच्छुक उम्मीवार आज ही ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
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मध्य प्रदेश में अवैध निर्माणों को लेकर नगरीय प्रशासन विभाग ने बड़ा आदेश जारी किया है। इसमें नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद को अनुमति के विपरित निर्माण की रिपोर्ट बनाने और उस पर कार्रवाई करने को लिखा है।
नगरीय विकास एवं विभाग के आयुक्त निकुंज कुमार श्रीवास्तव की तरफ से आदेश जारी किए है। इसमें 20 सितंबर तक बिल्डिंग परमिशन से विपरित मकान निर्माण का सर्वे और उस पर कार्रवाई करने को कहा गया है। साथ ही आयुक्त ने 20 सितंबर तक कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा प्रत्येक माह की 7 तारीख को पिछले माह की गई कार्रवाई की रिपोर्ट संचालनालय के कॉलोनी सेल में उपलब्ध कराने को कहा है। इसमें आदेश में साफ लिखा है कि नगर निगम क्षेत्र में स्वीकृत एफएआर से अधिक और स्वीकृत नक्शे के विपरित निर्माण किया जा रहा है। निगम के अमले के द्वारा समय पर कार्रवाई नहीं करने से इस तरह के निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है।
बता दें सरकार ने अनुमति से अधिक हुए निर्माणों को नियम के तहत वैध करने के लिए कंपाउंडिंग के लिए अभियान चलाया था। शहर में बड़ी संख्या में लोगों ने स्वीकृत एफएआर और नक्शे के विपरित निर्माण किया हुआ है। विभाग की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 50 प्रतिशत से अधिक मकान नक्शे के विपरित और स्वीकृत एफएआर से अधिक पर बने है।
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