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लाशों के ढेर लग गये ।' दीवान अमरनाथ के अनुमानानुसार खलीफा के छः हजार आदमी मारे गये ।
अभी युद्ध का परिणाम बीच में ही लटक रहा था कि बुद्धिमान सरदार बुद्धसिंह की नीति अपना फल लाई । इसके समझाने-बुझाने पर यार मुहम्मद खां ने सैयद अहमद खलीफा का साथ छोड़ दिया। इसका परिणाम यह निकला कि मुलख्या अफगानी सेना सुशिक्षित खालसा दल के सामने बहुत देर न ठहर सकी। खलीफा भी अवसर पाकर अपने चोटी के दो चार साथियों समेत भाग निकला और सारी युद्ध सामग्री खालसा के हाथ लगी।
यार मुहम्मद का दोबारा पेशावर का शासक नियुक्त होना
खलीफा सैयद अहमद अभी भाग ही रहा था कि राजकुमार शेर सिंह तथा फ्रांसीसी जनरल वन्तुरा अटक नदी को पार करके रणभूमि में आ धमके। यार मुहम्मद खां राजकुमार सम्मुख उपस्थित हुआ और अपने किये पर पछताया । चुनांचे राजकुमार ने पेशावर राज्य का शासन-प्रबन्ध फिर उसी को सौंप दिया और स्वयं खालसा सेना के साथ वापस लाहौर हो लिया ।
सरदार यार मुहम्मद का वध
उसके अगले वर्ष ख़लीफ़ा सैयद अहमद ने एक और प्रस्ताव किया और अपने मुरीदों को सरदार यार मुहम्मद खां के विरुद्ध उभाड़ा कि यह व्यक्ति सिखों की अधीनता स्वीकार करता है, अतएव इसे ठीक करना चाहिए । चालीस हजार ग़ाज़ियों की सेना एकत्र करके खलीफा ने पेशावर पर आक्रमण कर दिया और बारकज़ई सरदार को परास्त करके स्वयं पेशावर पर अधिकारी हो गया । सरदार यार मुहम्मद इस युद्ध में मारा गया और उसका तोपखाना सैयद मुहम्मद के
हाथ आया ।
सुल्तान मुहम्मद खां की नियुक्ति - सन् १८३० ई०
पेशावर पर सैयद अहमद का अधिकार हो जाने के कारण रणजीतसिंह कुछ घबराया । तुरंत, राजकुमार शेरसिंह और जनरल वितूरा को, जो उस समय अटक के पास-पास दौरा कर रहे थे यह आज्ञा मिली कि वह पेशावर पहुँचे। उन्होंने जाते ही सैयद अहमद के लश्कर को घेर लिया और घमासान युद्ध के उपरांत पेशावर पर अधिकार कर लिया । सैयद अहमद खो वहां से भाग गया । महाराजा ने यार मुहम्मद के भाई सुल्तान मुहम्मद खां को वापस बुला लिया और पेशावर के शासन पद पर नियुक्त किया ।
लैला नामी घोड़ा
लैला नामी घोड़ा अपने समय का प्रसिद्ध और असामान्य जानवर था, जो बारकज़ई सरदार के अधिकार में था। दीवान अमरनाथ के बेख से प्रतीत होता है कि इस घोड़े के लिए रूम के बादशाह और शाह ईरान की तरफ से बारकज़ई सरदारों के पास माँगें आई थीं, जिस के बदले वह बहुत धन देने को तैयार थे। पिछले वर्ष महाराज रणजीतसिंह ने भी उस के लिए प्रयत्न किया था, परंतु यार मुहम्मद ने यह कहकर टाल दिया था कि वह घोड़ा मर चुका है, और उसके बदले अन्य सुंदर और अच्छी चाल के घोड़े महाराजा को भेंट कर के अपना पीछा छुड़ा लिया था। अत एव इसे पेशावर की सरदारी प्रदान करने से पूर्व महाराजा ने लैला को माँगा और सुल्तान मुहम्मद
१ खलीफा के अनुमान अनुसार १००० सिख सैमिक मारे गये । दे० इण्डियन हिस्टारिकल रिकार्ड प्रोसीडिंग्ज, जनवरी १६५५ पृ० १७७।
ख़ा ने यह अद्वितीय घोड़ा महाराजा को भेंट कर दिया। इस ख़ुशी में महराजा मे वंतूरा को जो घोड़े को अपने साथ लाया था दो हजार रुपये मूल्य की खिलभत प्रदान की।
सैयद अहमद की मृत्यु - मई सन् १८३१३० -
महाराजा की सेना ज्योंही पेशावर से वापस आई खलीफ्रा सैयद अहमद ने फिर विद्रोह खड़ा किया । एक साल से अधिक यही क्रम जारी रहाँ । सुल्तान मुहम्मद खाँ उन्हें परास्त करता परंतु कभी-कभी वह सुल्तान की अपेक्षा प्रबल सिद्ध होते। अंत में कई कारणों से अफ़ग़ान लोग खलीफा से विमुख हो गये और उनकी हत्या पर तुल गये । अतएव वह यूसुफजई इलाके से निकलकर मुज़फ्फराबाद जिले में चले आये, क्योंकि यहाँ अभी तक उनमें विश्वास करने वाले शेष थे । इस लिए उनकी सहायता से अप्रैल १८३१ ई० में खलीफा ने किला मुज़फ़्फ़राबाद में मोर्चा लगा दिया । कुछ समय तक खालसा सेना के साथ यहां पर युद्ध चलता रहा। अंत में मई सन् १८३१ में एक मुठभेड़ में खलीफा और उनके सलाहकार मौलवी इस्माइल, दोनों बालाकोट के स्थान पर शहीद हो गये और यह विद्रोह समाप्त हो गया । २
काश्मीर का कुप्रबन्ध
कुछ समय से काश्मीर का सूबा राजकुमार शेरसिंह के अधीन था । दीवान बिसाखा सिंह उसका माल अफसर था । परंतु दीवान ने ईमानदारी के नियमों का पालन न किया और न राजकुमार ने ही रियासत के प्रबंध की ओर ध्यान दिया । अतएव महाराजा के पास काश्मीर के कुप्रबंध के समाचार लगातार भाने लगे। रणजीतसिंह ने जमादार खुशहाल सिंह, भाई गुरमुख सिंह और शेख गुलाम मुहीउद्दीन को प्रबंध के सुधारने के लिए भेजा । परन्तु ऐसा जान पड़ता है इन्होंने भी प्रायः प्रजा का खून चूसना ही उचित समझा ।
काश्मीर में अकाल
इसी वर्ष काश्मीर में फसल न होने के कारण अकाल पड़ गया, जो इतना प्रबल था कि हज़ारों घराने अपने देश से विदा होकर पंजाब तथा देश के दूसरे भागों में जा बसे । दीवान अमर नाथ के लेख से मालूम होता है कि ऐसा भयंकर अकाल काश्मीर में पिछले दो सौ वर्षों में नहीं देखा गया था। महाराजा ने इस अवसर पर बड़ी उदारता से काम लिया । लाहौर तथा अमृतसर में असहायों की सहायता के लिये जगह जगह पर गल्लेखाने खोल दिये गये, जहाँ अकाल-पीड़ितों को भोजन का सामान मुफ्त मिलता था, व सरकारी गोदामों से हजारों मन गेहूँ काश्मीर भेजा गया । जो अनाज व्यापारी लोगों ने काश्मीर भेजा उसको भी महाराजा मे महसूल चुंगी से मुक्त कर दिया ।
दीवान बिसाखासिंह और शेख गुलाम मुहीउद्दोन को दण्ड
महाराजा को संदेह था कि इन दो व्यक्तियों ने मिलकर सरकारी रुपया हदप लिया
१ खलीफा और उसके हिंदुस्तानी मौलवी और काज़ो दिन प्रति दिन नये नये फतवे दिया करते और शादी विवाह की प्रचलित रसमों में भी इस्तक्षेप किया करते जो पठानों को स्वीकार न थीं । २ दीवान अमरनाथ इस संबंध में लिखते हैं कि कु वर शेरसिह ने जो इस समय खालसा सेना का नायक था खलीफा की लाश को अपने सामने मँगवाया और एक कुशल चित्रकार से उसका चित्र बनवाया । जो बाद में राजकुमार ने महाराजा की सेवा में पेश किया । महाराजा ने चित्र को देखकर अपने वीर शत्रु की बड़ी प्रशंसा की । ( जफ़रनामा- रणजीतसिंह पृ० १६५) । सैयद मुहम्मद लतीफ़ का लिखना कि कुवर शेरसिंह ने खलीफ़ा का सिर कटवाकर महाराजा के पास लाहौर भेजा था, नितांत मिथ्या और निराधार है ।
है। अतएव दोनों दण्ड के पात्र हुये । बिसाखा सिंह पाँव में जंजीर बाँधकर लाहौर लाया गया और चार लाख रुपया उससे प्राप्त किया गया। शेख गुलाम मुहीउद्दीन के संबंध में महाराजा को बताया गया कि उसने अपने वासस्थान होशियारपुर में अपने मकान में नकद रुपया ज़मीन में गाड़ रखा है और संदेह को मिटाने के लिये अपने मुर्शिद की कब्र उस स्थान पर बनवा ली है। महाराजा की आज्ञा से यह कब खुदवाई गई जिसमें से नौ लाख रुपया मूल्य का सोने चाँदी और नकद रुपया प्राप्त हुआ, जिस पर महाराजा ने व्यंग में शेख से कहा कि तुम्हारे मुर्शिद की पूजा व्यर्थ नहीं गई क्योंकि उसकी हड्डियाँ सोने चाँदी में बदल गई हैं। शेख अपने पद से हटाया गया और यह तमाम रुपया सरकारी खज़ाने में दाखिल हुआ ।
कुँवर नौनिहाल सिंह का विवाह ( मार्च १८३८ ई० )
कुँवर नौनिहाल सिंह का विवाह सरदार शाम सिंह अटारी वाले की सपुत्री के साथ हुआ था । महाराजा रणजीत सिंह के जीवन के अन्तिम दो वर्षों में यह एक विशेष घटना है । इस अवसर पर लगातार कई दिन तक खुशी के उत्सव मनाये गये जिसमें महाराजा के दरबारी और लाहौर तथा अमृतसर के बड़े-बड़े धनाढ्य व्यक्ति सम्मिलित हुये लगभग प्रत्येक उत्सव में तमाशा देखने के लिये आने वाले निर्धन लोगों को नकद रुपये पैसे प्रदान किये जाते थे ।
इस प्रकार धूम धाम से विवाह रचाने का एक कारण तो यह था कि ऐसा सौभाग्यपूर्ण तथा अनुपम अवसर महाराजा के वंश में एक दीर्घकाल के बाद प्राप्त हुआ था । कई पीढ़ियों से रणजीत सिंह के पूर्वजों में से किसी के भाग्य में भी अपना पोता देखना नहीं बढ़ा था। सरदार चढ़त सिंह अभी छोटी अवस्था में ही था कि उस का बाप इस असार संसार को छोड़ चुका था । इसी प्रकार महाराजा का पिता सरदार महा सिंह भी अल्पवयस्क ही था कि उसके बाप का स्वर्गवास हो गया । स्वयं रणजीत सिंह भी अभी दसवें ही वर्ष में था कि महा सिंह को मृत्यु ने मान घेरा । यह सौभाग्य रणजीः सिंह को ही प्राप्त हुआ था कि इसे अपने पोते का शुभ विवाह देखने को मिला ।
इसके अतिरिक्त इन दिनों महाराजा की शक्ति अपनी चरम सीमा पर पहुँची हुई थी और कोष भी भरपूर था । दूर दूर के राजाओं, महाराजाओं तथा नवाओं को विवाह में सम्मिलित होने के निमन्त्रण भेजे गये, जिन्हें इन लोगों ने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया और बागत में शामिल होकर इसे सुशोभित किया। अंग्रेज़ों की ओर से सर हैनरी फेन प्रधान सेनापति ने अन्य कुछ उपाधिकारियों सहित विवाह में भाग लिया ।
शुभ मुहूर्त के अनुसार महाराजा ने १७ फागुन को लाहौर से प्रस्थान किया और १३ फागुन को अमृतसर नगर में प्रवेश किया। दूसरे दिन विवाह की रीतियाँ प्रारम्भ हो गईं। सबसे पहले वर को तेल और उबटन (वटना) मलकर स्नान करवाया गया और फिर उसकी कलाई पर कँगना बाँवा गया। इस अवसर पर महाराजा ने अपने कर-कमलों से पांच सौ रुपया नक़द और चन्द एक सोने की आशयाँ और बुतकियाँ तेल के पात्र में डाल और कुँवर
" मुन्शी सोहनलाल लिखता है कि एक समय विवाह की रीतियाँ समाप्त होने पर जब महाराजा और उस की स्त्री महारानी दातार कौर इकट्ठे हुये तो सद्दमा महाराजा के मुख से ये श निकले " हम बड़े सौभाग्यशाली है कि ऐसा शुभ दिवस जो कि हमारे बाप दादा के भाग्य में नहीं था, हमें प्राप्त हुआ है। मैं ईश्वर का कोटि कोटि बार धन्यवाद करता हूँ ।" ( दे० तृतीय पृष्ठ ३७८ ) |
सदी के महानायक वहीं अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली नंदा (Amitabh Bachchan's granddaughter Navya Naveli Nanda ) भले ही बॉलीवुड इंडस्ट्री से दूर रहना पसंद करती हैं, लेकिन वह किसी न किसी वजह से खबरों में बनी रहती हैं. नव्या का नाम उन स्टार्स किड्स की लिस्ट में शामिल है जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं. जी हां! औरों की तरह नव्या भी सोशल मीडिया लवर हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
इसी बीच नव्या नवेली नंदा ने अपने जापान वेकेशन की कुछ तस्वीरों को इंस्टाग्राम शेयर कर फैंस के दिलों दिमाग पर छा गई हैं. वह इन दिनों जापान की राजधानी क्योटो में हैं जहां वह अपने वेकेशन एन्जॉय कर रही हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
सामने आईं इन तस्वीरों में नव्या को डेनिम पैंट के साथ नीले रंग का किमोनो-स्टाइल टॉप पहने हुए देखा जा सकता है. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
नव्या ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए कैप्शन लिखा, ' एक संडे क्योटो में '. सक्सेसफुल बिजनेस वुमन नव्या के तस्वीरों को साथ कुछ वीडियो भी अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. इन तस्वीरों और वीडियो को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
इन वीडियो और तस्वीरों में नव्या नवेली जापान की संस्कृति, व्यंजन और पर्यटन की झलक साझा करती दिख रही हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
इस फोटो में नव्या को जापानी टोपी पहने और देशी खाने का लुत्फ उठाती देखी जा सकती हैं. वह कभी टोक्यो की नदी के बीच जाकर फोटो क्लिक करती दिख रही हैं , तो कभी वहां की सड़कें और अन्य खूबसूरत चीजों को एन्जॉय करती हुई देखी जा सकती हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
अब काम की बात करें तो नव्या नवेली नंदा (Navya Naveli Nanda) ने अपनी मां श्वेता बच्चन नंदा (Shweta Bachchan) की तरह बॉलीवुड में एंट्री नहीं की है, लेकिन बॉलीवुड से नाता होने के वजह से वह सुर्खियों में रहती हैं. नव्या हमेशा से अपनी मां और पिता की तरह सक्सेसफुल बिजनेस वुमन बनना चाहती हैं और वह इसी फिल्ड में अपना करियर बना रही हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
बता दें कि काम अलावा नव्या अक्सर एक्टर सिद्धांत चतुर्वेदी (Siddhant Chaturvedi) संग अपनी डेटिंग की अटकलों को लेकर खूब सुर्खियां बटोरती रहती हैं . हालांकि इन दिनों ने अपनी डेटिंग की अटकलों पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह अक्सर सोशल मीडिया पर एक दूसरे की पोस्ट पर कमेंट कर इन अटकलों को हवा देते रहते हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
Jawan में 57 साल के Shah Rukh संग 38 की Nayanthara का रोमांस, हीरोइन के पति बोले, मैंने सुना आप दोनों के बीच. .
सदी के महानायक वहीं अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली नंदा (Amitabh Bachchan's granddaughter Navya Naveli Nanda ) भले ही बॉलीवुड इंडस्ट्री से दूर रहना पसंद करती हैं, लेकिन वह किसी न किसी वजह से खबरों में बनी रहती हैं. नव्या का नाम उन स्टार्स किड्स की लिस्ट में शामिल है जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं. जी हां! औरों की तरह नव्या भी सोशल मीडिया लवर हैं. (फोटो साभार इंस्टाग्राम@navyananda)
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फरेंदा (महराजगंज): फरेंदा कोतवाली क्षेत्र के नगर पंचायत आनन्दनगर लोहिया मार्केट के निवासी दो पक्षों के बीच मामूली विवाद को लेकर खूनी संषर्घ हो गया। जिसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए है। घायलों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र फरेंदा ले जा गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने एक व्यक्ति की गम्भीर हालत देखते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। बाकी के घायलों को प्राथामिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार लोहिया मार्केट निवासी पहले पक्ष से आशीष जायसवाल व दूसरे पक्ष से शरद जायसवाल,अनूप व सब्बीर मामूली विवाद को लेकर आपस में भिड़ गए। इस मारपीट में दो लोग गंभीर रूप से घायल है। आशीष जायसवाल ज्यादा चोटें लगी होने की बात सामने आई है। उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है।
आशीष जायसवाल के पिता रामेश्वर जायसवाल ने पुलिस में इस मामले की तहरीर दी है।
तहरीर में रामेश्वर जायसवाल ने बताया है कि उसके बेटे आशीष जायसवाल को दूसरे पक्ष के शरद जायसवाल और अनूप जायसवाल ने घायल किया है। उन्होंने आशीष जायसवाल पर खतरनाक हथियार से हमला करने का भी आरोप लगाया है।
दूसरे पक्ष से शरद जायसवाल ने भी पुलिस को तहरीर दी है। जिसमें उन्होंने बताया कि है कि वो अपने घर पर बैठे हुए थे, तभी अचानक से आशीष जायसवाल, विशाल जायसवाल, अभिषेक, केदार जायसवाल, रामेश्वर जायसवाल उसके घर पर आये और गाली-गलौज करने लगे। विरोध करने पर उन्होंने मारपीट शुरू कर दी। मारपीट में उसे गंभीर चोटें आई है।
इस मामले में फरेंदा कोतवाल सतेन्द्र कुमार राय ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया की दोनों पंक्षों से तहरीर मिली है। मामले में जांच कर आगे की कार्रवाई किया जायेगी।
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दरभंगा। संविधान बचाओ - लोकतंत्र बचाओ, मोदी हटाओ देश बचाओ कन्वेंशन का आयोजन शनिवार को लहेरियासराय स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया। कन्वेंशन की अध्यक्षता कांग्रेस जिला अध्यक्ष सीता राम चौधरी, राजद जिला अध्यक्ष उमेश राय, सीपीआई जिला सहायक सचिव राजीव कुमार चौधरी, सीपीएम नेता सुधीर कांत मिश्रा, माले जिला कमिटि सदस्य साधना शर्मा, हम के प्रो बैजू बाबरा ने संयुक्त रुप से किया। वहीं कन्वेंशन का संचालन राजद नेता अनिल कुमार झा ने किया। कन्वेंशन को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के मंत्री व दरभंगा ग्रामीण के विधायक ललित कुमार यादव ने कहा कि जनता के जन मुद्दों पर संघर्ष करने वाली विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए फर्जी मुकदमें, ईडी, सीआईडी, सीबीआई जांच बैठाकर महागठबंधन व विपक्ष नेताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। इसलिए समय की मांग है कि अपनी अधिकारों को बचाने के लिए मिथिलांचल और पूरे बिहार से भाजपा, आरएसएस, बजरंग दल और दंगाई ताकेतों को भगाने के लिए महागठबंधन को मजबूत करें। पूर्व केंद्रीय मंत्री अली असरफ फातमी ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2014 में ही लालू जी और नीतीश जी को एकसाथ लड़ने की बात कही लेकिन ऐसा नहीं हो सका और दूसरे ने इसका फायदा ले लिया। आज देश का संविधान खतरे में है जिसे बचाने के लिए सभी विपक्षी दलों का एकजुट होना जरूरी है।
सीपीएम नेता डॉ. सतेंद्र कुमार यादव ने कहा कि मोदी जी जब सत्ता में आये थें तो उन्होंने कहा था की प्रति वर्ष 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार देगें, सबका साथ - सबका विकास होगा। लेकिन जब मोदी जी सत्ता में आएं तो देश को उन्माद, उत्पात और विनाश के रास्ते चला रहे है। मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए महागठबंधन को मजबूत करना होगा और यहां से सुनिश्चित करना होगा की आने वाले चुनाव में बिहार के 40 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों की विजय हो। माले नेता नेता महबूब आलम ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदुस्तान की आपसी सौहार्द, प्रेम, अमन-चैन की साझी विरासत को भाजपा, आरएसएस, बजरंग दल के लोगों के द्वारा तोड़ने, साम्प्रदायिक उन्माद, उत्पात मचाने का काम किया जा रहा है। देश की एकता को तोड़ने साजिश रची जा रही हैं। सीपीआई राज्य सचिव राम नरेश पांडे ने कहा कि देश की गद्दी पर काबिज मोदी - शाह की सरकार भारतीय लोकतंत्र और संविधान को बदल देना चाहती हैं। कार्यक्रम को माले पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा, राजद के प्रवक्ता सह पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा, राजद राष्ट्रीय महासचिव सह पूर्व विधायक भोला यादव, कांग्रेस नेता मिथिलेश चौधरी, प्रख्यात चिकित्सक डॉ. अजित कुमार चौधरी, राजद नेता व पूर्व महापौर ओम प्रकाश खेरिया, माले जिला सचिव बैद्यनाथ यादव, सीपीआई जिला सचिव नारायण जी झा, सीपीएम जिला सचिव मंडल सदस्य दिलीप भगत, हम नेता आर के दत्ता, इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, नंदलाल ठाकुर, हरि पासवान आदि ने संबोधित किया।
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जिले के ताइक्वांडो खिलाड़ी विनीत शर्मा नेशनल रेफर बनाए गए हैं। नेशनल खिलाड़ी बनाए जाने के बाद उनके गांव व ताइक्वांडो एकेडमी में खुशी का माहौल है। विनीत जिले के एक मात्र ऐसे ताईक्वांडो खिलाड़ी हैं, जिन्हें राष्ट्रीय रेफरी बनाया गया है। दरअसल, गोपालगंज एसोसिएशन के महासचिव कमल कुमार पटेल ने बताया कि फर्स्ट ऑनलाइन नेशनल क्योरगी रेफरी सेमिनार 2021 में पूरे भारत के कुल 300 ताइक्वांडो खिलाड़ियों ने पार्टिसिपेट किया था। इनमें गोपालगंज जिले से एकमात्र विनीत कुमार शर्मा को नेशनल रेफरी बनाया गया है।
विनीत कुमार शर्मा ताइक्वांडो की एकेडमी चलाते हैं। इस एकेडमी में छात्र-छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने की गुर सिखाते हैं, इसके आलावे यहां से कई राष्ट्रीय स्तर के ताइक्वांडो खिलाड़ी निकले हैं। विनीत कुमार शर्मा कोंहवा पंचायत के पसारमा ग्राम के पिता अनिल शर्मा और माता मीना देवी के पुत्र हैं। इनके इस सफलता से गोपालगंज जिले के सभी ताइक्वांडो खिलाड़ियों को रूल-रेगुलेशन के बारे में अच्छी जानकारी होगी। जिससे सभी खिलाड़ियों का राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन होगा। इस सफलता के लिए गोपालगंज ताइक्वांडो एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम सागर यादव कोषाध्यक्ष विद्यासागर प्रसाद और एसोसिएशन के सभी मेंबर ने कुमार शर्मा को हार्दिक बधाई दी।
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नई दिल्ली, कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात विधान सभा चुनाव परिणामों पर बड़ी भविष्यवाणी की है। राहुल गांधी ने आज एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि गुजरात मे लोगों की सोच बदली है। गुजरात विधान सभा चुनाव परिणामों पर बड़ी भविष्यवाणी करते हुये राहुल गांधी ने कहा है कि यह चुनाव एकतरफा और भारतीय जनता पार्टी के लिए चौंकाने वाला सिद्ध होगा। उनहोने कहा कि कांग्रेस की जीत पक्की है।
यी दिल्ली, एक विशेष अदालत ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को कोयला घोटाला मामले में भ्रष्टाचार तथा अन्य आरोपों का आज दोषी ठहराया। विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने झारखंड के पूर्व सचिव ए के बासु और निजी कपंनी विनी आयरन तथा स्टील उद्योग लिमिटेड समेत कोड़ा, गुप्ता और अन्य आरोपियों को अपराधिक षड्यंत्र समेत अलग-अलग अपराधों में दोषी ठहराया।
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण के मामलों में अपने आदेशों की परवाह नहीं करने को लेकर केंद्र की खिंचाई की और सवाल किया कि क्या सरकार कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को विदेश से वापस लाने की इच्छाशक्ति रखती है. सर्वोच्च न्यायालय ने प्रत्यर्पण के मामलों में अपने आदेशों की 'परवाह नहीं करने' को लेकर केंद्र को आड़े हाथों लिया. न्यायालय ने सरकार से पूछा कि, क्या सरकार कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को विदेश से वापस लाना चाहती है?
वडोदरा, केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा की वरिष्ठ महिला नेता मेनका गांधी ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी के धर्म को लेकर बड़ा बयान दिया है। गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी के धर्म को लेकर लगातार भाजपा दवारा सवाल उठाये जा रहें हैं। राहुल गांधी के धर्म को लेकर हुए विवाद के बारे में पूछे जाने पर मेनका गांधी ने कहाकि चुनाव कोई गुरूद्वारा तो हैं नहीं। भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार के लिए आयी मेनका गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हिन्दू गैर हिन्दू जाने दीजिए, राहुल भारतीय तो हैं।
अहमदाबाद, कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने अाज पार्टी अध्यक्ष के रूप में अपनी प्राथमिकतायें बताईं। राहुल गांधी कल ही निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किये गये हैं। वह 16 दिसंबर को पार्टी की कमान संभालेंगे। कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने अाज कहा कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनकी प्राथमिकता पार्टी को मजबूत करना, उसकी विचारधारा फैलाने तथा देश के मौजूदा राजनीतिक संवाद के तौर तरीकों में बदलाव लाना होगा।
बरेली,उत्तर प्रदेश में बरेली की नगर पंचायत ठिरिया निजामत खां के सभासद मोहम्मद उस्मान की शपथ लेने से पहले ही मृत्यु हो गई। उस्मान बरेली के कचहरी रोड पर मस्जिद के सामने होटल चलाते थे। सुबह होटल में कुछ काम कर रहे थे कि घबराहट हुई और वह गिर पड़ेए तत्काल उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
यी दिल्ली, गुजरात में दलितों के साथ हो रहे अत्याचार को लेकर, राहुल गांधी ने PM मोदी से पूछा बड़ा सवाल ? कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपना हमला जारी रखते हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के प्रचार के आखिरी दिन मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी से पूछे जाने सवालों की 14 वीं श्रृंखला का सवाल किया।
गुरदासपुर , सीमा सुरक्षा बल ने यहां भारतीय क्षेत्र में रावी नदी से आज एक पाकिस्तानी नौका जब्त की। पुलिस ने बताया कि भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक धरमकोट पट्टन के समीप बीएसएफ ने एक नौका देखी जिस पर पाकिस्तानी झंडा लगा था। पुलिस ने बताया कि बीएसएफ इस बात की जांच कर रहा है कि यह नौका भारतीय क्षेत्र में कैसे घुसी। पिछले साल अक्तूबर में अमृतसर सेक्टर में कक्कड़ सीमा चौकी के तहत आने वाले इलाके में पाकिस्तानी नौका पकड़ी गई थी।
नयी दिल्ली , सिक्किम मूल के जोगीए खस और छेत्री समेत 11 जातीय समुदायों ने केंद्र सरकार से उन्हें अनुसचित जनजाति ;एसटी का दर्जा देने की मांग की है। सिक्किम मूल के इन समुदायों के प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री डाण् जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन से उन्हें सौंपा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत मिशन' को दरंग जिले में लड़कियों के मदरसे के प्रधानाध्यापक के तौर पर इस अभियान का एक अप्रत्याशित समर्थन मिला है।
साफ-सफाई और स्वच्छता को लेकर लोगों को जागरूक करने की इनकी कोशिशों की वजह से लोगों ने इन्हें 'स्वच्छता मौलाना' की उपाधि दी है। मंगलदै में अल-जमायतुल इस्लामिया मदरसा के प्रधानाध्यापक मुफ्ती नसीहुर रहमान ने बीमारी मुक्त समाज सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को साफ-सफाई और स्वच्छता के महत्व के बारे में बताने की पहल की है।
उन्होंने कहा, पिछले तीन साल से मैं मंगलदै के आसपास के गांवों में लोगों को स्वच्छता के महत्व के बारे में बता रहा हूं लेकिन हमें अब भी लंबा रास्ता तय करना है।
मुस्लिम समुदाय में प्रधानमंत्री मोदी हो सकता है बहुत ज्यादा स्वीकार्य न हों लेकिन हम उनके इस मिशन की सराहना करते हैं और इसे शुरु करने के लिए उनका शुक्रिया करते हैं।
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पुलिस ने बताया कि व्यक्ति ने रस को प्रसाद बता कर वितरित किया था। पुलिस को शक है कि पेय में नशीला पदार्थ मिलाया गया होगा। उन्होंने बताया कि घटना फर्रुखनगर स्थित बुद्धो माता मंदिर में मंगलवार की शाम को हुई।
उन्होंने कहा कि घटना के संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 328, 336 और 120-बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने कहा कि अज्ञात व्यक्ति मंदिर परिसर में प्रसाद बताकर फलों का रस वितरित कर रहा था। इस मामले में शिकायतकर्ताओं में से एक, दिल्ली के निवासी सुशील कुमार अपने परिवार के साथ मंदिर पहुंचे थे।
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क । IIM तिरुचिरापल्ली वर्तमान में अनुसंधान सहायक रिक्तियों के पद के लिए योग्य उम्मीदवारों की भर्ती कर रहा है। यदि आप इस प्रतिष्ठित संस्थान में शामिल होने के इच्छुक हैं, तो कृपया नीचे IIM तिरुचिरापल्ली द्वारा प्रदान की गई योग्यता आवश्यकताओं को पढ़ें। आवेदन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से पहले पद की आवश्यकताओं की समीक्षा करना सुनिश्चित करें।
योग्यताः जो आवेदक IIM तिरुचिरापल्ली भर्ती 2023 के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्हें अधिकारियों द्वारा उल्लिखित योग्यता आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, उम्मीदवारों को B. A, B. Com, B. Sc, B. Tech/B. E पूरा करना होगा। योग्यता मानदंड के विस्तृत विवरण के लिए, कृपया [आधिकारिक अधिसूचना] (आधिकारिक अधिसूचना का लिंक) देखें।
IIM तिरुचिरापल्ली भर्ती 2023 के लिए आवेदन करने के लिए, नीचे दी गई चरण-दर-चरण प्रक्रिया का पालन करेंः
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Putin Net Worth: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूं तो हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं लेकिन पिछले करीब एक साल से वह अंतर्राष्ट्रीय सियासी विमर्श के केंद्र में आ गए हैं। 24 फरवरी को रूसी सेना ने यूक्रेन पर धावा बोल दिया इसके बाद से पुतिन लगातार खबरों में बने हुए हैं। कई जानकार मानते हैं कि रूस यूक्रेन युद्ध किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय संकट का रूप ले सकता है। अमेरिका और उसके समर्थक पश्चिमी राष्ट्रों ने रूस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन पुतिन पर इन सबका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। युद्ध के बाद पुतिन के निजी जीवन से संबंधित तरह-तरह की खबरें अरंतरराष्ट्रीय मीडिया में आती रही हैं जो अक्सर उनके स्वास्थ्य, सम्पत्ति और दैनिक जीवन से जुड़ी रही हैं। आज हम आपको पुतिन की संपत्ति के बारे में बताएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पुतिन बेशुमार सम्पत्ति के मालिक है। ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट मिरर में छपी समाचार के अनुसार, पुतिन के पास हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति है।
पुतिन का एक आलीशान महल है जिसे 'Putin's Palace' जाना जाता है। इसकी मूल्य 74 अरब रुपये बताई जाती है। रूस के काला सागर तट पर बने इस पुल में कई लग्जरी सुविधाएं हैं।
बताया जाता है कि महल के अंदर एक वाइन सेलर, एक सिनेमाघर और पोल डांसिंग के लिए क्लब जैसी सुविधाएं हैं। साथ ही संगमरमर से बना एक स्विमिंग पूल है। स्विमिंग पूल को ग्रीक देवताओं की मूर्तियों से सजाया गया।
पुतिन के पास कई आलीशान सुपरयॉच हैं। सबसे आलीशान सुपरयॉच का नाम 'ग्रेसफुल (Graceful)' है। इसकी मूल्य 750 करोड़ रुपये बताई जाती है।
बताया जाता है कि पुतिन के पास 19 घर हैं, 43 विमान, 15 हेलीकॉप्टर, 700 कारें और 3 करोड़ रुपये तक की दर्जनों महंगी घड़ियों का क्लेशन है। वो विदेशी पालतू जानवरों के रखने के भी शौकीन हैं।
पुतिन को 'फ्लाइंग क्रेमलिन' की मूल्य 3 हजार करोड़ रुपये बताई जाती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस विमान में सोने से बना टॉयलेट लगा हुआ है, जो अकेले 35 लाख रुपये से अधिक का है। इसमें जिम, बार, 3 बेडरूम भी हैं।
वेबसाइट caknowledge के हिसाब से अभी पुतिन की सालाना सैलरी 1. 40 लाख $ यानी करीब 1. 05 करोड़ रुपये है। यह वेबसाइट लोकप्रिय शख़्सियतों के नेटवर्थ पर नजर रखती है।
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यह मध्यस्थता का कार्य करता है। पश्चिमी वर्जीनिया आदि कुछ काउन्टियों में यह काउन्टी शिक्षा समितियों का प्रमुख अधिकारी भी होता है तथा उसका काम शिक्षण संबंधी विशेष सेवाओं से सम्बन्धित होता है ।
राज्य - शिक्षा - सुपरिन्टेन्डेन्ट या शिक्षा-कमिश्नर
राज्य - शिक्षा कमिश्नर की नियुक्ति के लिए भी चुनाव को आधार बनाया गया है । इसलिए अनेक राज्यों में उस पद के लिए कोई विशेष योग्यता निर्धारित नहीं की गयी है । परन्तु कुछ राज्यों में इस पद के लिए स्नातक होना अनिवार्य है। अमेरिका में कई बार राज्य शिक्षा समिति का सचिव, राज्य सुपरि० बनाया गया है । सन् १८१२ में न्यूयार्क राज्य में सबसे पहले इस पद का निर्माण हुआ था तथा गृह युद्ध के पूर्व अमेरिका के सभी राज्यों में इस पद का विकास हो गया था ।
राज्य शिक्षा -कमिश्नर, राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा चुना या नियुक्त किया जाता है तथा इसका कार्य राज्य - शिक्षा बोर्ड की नीतियों के अनुसार कार्य करना है । यह शिक्षा की सामान्य देख-रेख तथा पर्यवेक्षण का कार्य करता है। अमेरिका के विभिन्न राज्यों में इसके विभिन्न नाम हैं तथा इसके कार्यों के सम्बन्ध में बड़ा वैभिन्य है । कुछ राज्यों में यह नाइयों तथा सौंदर्य की दुकानों का पंजीयन भी करता है । सामान्यतः राज्य शिक्षा - कमिश्नर के निम्नांकित कार्य होते हैं - ( १ ) शिक्षण संस्थाओं सम्बन्धी आँकड़े एकत्रित करना, ( २ ) शिक्षा समितियों तथा काउन्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट को परामर्श देना , ( ३ ) शिक्षा कानूनों का अर्थ निश्चित करना, (४) विभिन्न शिक्षण संस्थाओं को आर्थिक सहायता देना, ( ५ ) विभिन्न शिक्षकों को शिक्षक प्रशिक्षण-प्रमाण पत्र देना, ( ६ ) विभिन्न शिक्षासम्मेलनों की बैठकों में भाग लेकर राज्य की शिक्षा गतिविधियों में समन्वय स्थापित करना, (७) आवश्यकतानुसार काउन्टी सुपरि० की नियुक्ति करना तथा ( ८ ) कक्षाशिक्षण विधियों को उन्नत बनाने के प्रयास करना । इसकी सहायता के लिए सहायक शिक्षा सुपरिन्टेन्डेन्ट नियुक्त किये जाते हैं ।
अमेरिका में माध्यमिक शालाओं के प्राचार्य बहुत योग्य, अनुभवी, स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त तथा उन्नत नेतृत्व करने वाले व्यक्ति होते हैं । किसी भी शाला का सम्बन्ध बालक, शाला के कर्मचारी तथा समाज से रहता है । अतः किसी भी शाला के प्राचार्य को बहुत ही योग्य होना आवश्यक है । शाला का प्राचार्य, चाहे वह प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय का हो, कक्षा शिक्षण का पर्यवेक्षण करता है । समय-समय पर शिक्षकों की बैठकें लेता है तथा विभिन्न विधियों के माध्यम से आवश्यक सहायता देकर उन्हें उन्नत बनाने का प्रयास करता है ।
शिक्षण कार्य के पर्यवेक्षक
अमेरिका में अनेक विद्वान शिक्षण कार्य का पर्यवेक्षण करते हैं । ये छात्रों के अध्ययन, प्रशिक्षण ले रहे शिक्षकों की सहायता, पाठ्यक्रम संबंधी शोध कार्य, पाठ- निर्माण में सहायता, शिक्षा में जनता के सहयोगी कार्यक्रमों की वृद्धि, पाठ्य पुस्तकों के निर्माण एवं 'चुनाव में सहायता देते हैं । अनेक काउन्टी तथा राज्य शिक्षा विभाग इन विशेषज्ञों की नियुक्ति करते हैं तथा अपने अन्तर्गत शालाओं को उन्नत बनाने के प्रयास करते हैं ।
अन्य प्रशासनीय अधिकारी
( इमारत तथा अन्य कार्य देखने वाले कर्मचारी ) अमेरिका एक सम्पन्न देश है जहाँ शाला - इमारतों, खेल के मैदान कार्यालय आदि पर लाखों-करोड़ों डालरों का व्यय होता है। व्यवस्थानीय शिक्षा सुपरि० हर कार्य की उचित देखरेख नहीं कर सकता है । अतः बड़े स्कूल, डिस्ट्रिक्ट तथा नगरों में इमारतों की देख-भाल, मरम्मत, खेल-कूद के मैदानों की देख-रेख तथा नवीन भवनों के निर्माण के लिए विशेष योग्यता प्राप्त व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है ।
विभागीय प्रमुख
अमेरिका की अनेक शालाएँ बहुत बड़ी हैं तथा इनमें प्रत्येक विभाग में एक प्रमुख या डीन होता है जो विभागों के आधार पर कार्य करता है । ये निरीक्षण या पर्यवेक्षण जैसे अनेक सहायक कार्य करते हैं । ये विभिन्न भागों के प्रमुख अपने विभागीय सहायकों के स्तर को विकसित करने के प्रयास करते हैं। इन विभागाध्यक्षों के माध्यम से प्राचार्य या कालेज प्रेसीडेन्ट के माध्यम से अन्य शिक्षक एक दूसरे से सम्बन्ध स्थापित करते हैं । अमेरिका की माध्यमिक शालाओं में इन विभागों के प्रमुख की नियुक्ति सन् १८५८ से प्रारम्भ हुई ।
शाला प्रेसीडेन्ट
अमेरिका में महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय में प्रेसीडेन्ट होते हैं तथा अनेक माध्यमिक शालाओं में शाला प्रेसीडेन्ट होते हैं । यह पद अच्छे वेतन तथा सम्मान का होता है । अतः इन पदों पर शिक्षा में रुचि लेने वाले योग्य व्यक्ति ही नियुक्त होते हैं । शाला या महाविद्यालय प्रेसीडेन्ट पर वित्त व्यवस्था तथा प्रशासन सम्बन्धी जिम्मेदारियाँ रहती हैं । साथ ही इन्हें शिक्षा - नेतृत्व करने के भी अनेक अवसर मिलते हैं ।
उपर्युक्त शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से अमेरिका में शिक्षा पर्यवेक्षण का कार्य किया जाता है तथा शिक्षा पर्यवेक्षण के माध्यम से शिक्षा स्तर को विकसित करने के प्रयत्न किये जाते हैं । अमेरिका में अब विशेष योग्यता प्राप्त व्यक्तियों को शिक्षा के २६
विशेष क्षेत्र में पर्यवेक्षण के अवसर देने की प्रवृत्तियाँ अधिक विकसित हो रही हैं तथा बीसवीं सदी के मध्य-काल तक जो सामान्य निरीक्षक नियुक्त करने की प्रवृत्ति थी उसका ह्रास होता चला जा रहा है। आजकल कक्षा शिक्षण, पाठ-निर्माण, सेवारत शिक्षकसेवा, शिक्षक प्रशिक्षण तथा अन्य विशिष्ट सेवाओं के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ नियुक्त करने तथा एक साथ पेनल के रूप में पर्यवेक्षण करने का विकास हो रहा है । इस प्रकार पर्यवेक्षण का कार्य एक समन्वित टीम द्वारा सम्पन्न होता है जिसका प्रमुख स्थानीय शिक्षासुपरिन्टेन्डेन्ट तथा उसका सहायक होता है ।
अमेरिका में शिक्षा पर्यवेक्षण का उत्तरदायित्व केवल स्थानीय शिक्षा संगठनों का ही नहीं है, क्षेत्रीय तथा राज्य स्तरीय संगठन भी शिक्षा की उन्नति के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास करते हैं । शिक्षकों की गोष्ठियाँ, विचार-विमर्ष, शिक्षा में किये गये शोध का प्रसार, उत्तम अभ्यासों का समाचार पत्रों के माध्यम से प्रसार आदि ऐसे अनेक कार्यक्रम हैं जिनके माध्यम से शाला शिक्षण को उन्नत करने का प्रयास किया जाता है ।
अमेरिका में पर्यवेक्षण के संबंध में यह समस्या विशेष रूप से लक्षित हो रही है कि विभिन्न राज्य तथा विभिन्न राष्ट्रीय शिक्षा-संगठनों के माध्यम से कक्षा शिक्षण के लिए किये जा रहे उपायों में किस प्रकार समन्वय स्थापित किया जाय । अतः शोध-कार्यों द्वारा पर्यवेक्षण को और उत्तम बनाने के प्रयास भी वहाँ किये जा रहे हैं। पर्यवेक्षण एक रचनात्मक प्रक्रिया है जो उत्तम नेतृत्व के माध्यम से शिक्षण में बहुत अधिक उन्नति ला सकती है । यह शिक्षकों की सुरक्षा भावना को विकसित करने का ठोस साधन है । अतः अमेरिका में विभिन्न प्रयासों द्वारा प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष माध्यमों से शिक्षा पर्यवेक्षण को उन्नत बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं ।
रूस में शिक्षा - पर्यवेक्षण
रूस में शिक्षा का कोई केन्द्रीय मंत्रालय नहीं है । फिर भी वहाँ शिक्षा - प्रशासन एवं पर्यवेक्षण में केन्द्रीय सत्ता का बहुत अधिक हाथ है । वहाँ शिक्षा नीतियों को साम्यवादी दल निश्चित करता है तथा केन्द्रीय शासन की सर्वोच्च सत्ता के माध्यम से ये नीतियाँ कार्य रूप में परिणत की जाती हैं। सोवियत संघ के राज्य, शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों में जो कुछ भी निर्देश केन्द्रीय सत्ता से प्राप्त करते हैं, उसी का पालन करते हैं तथा अपने नीचे के संगठनों को उसी प्रकार का कार्य करने की प्रेरणा देते हैं । इस प्रकार राज्य में शिक्षा की व्यवस्था स्थानीय संगठनों तथा संस्थाओं के हाथ में रहती है, परन्तु ये स्थानीय संगठन सभी आवश्यक तथा महत्वपूर्ण निर्देश केन्द्रीय सत्ता से प्राप्त करते हैं, जिस पर कि साम्यवादी दल का अत्यधिक प्रभाव रहता है । इस प्रकार रूस में, जो कि एक बहुत बड़ा देश है तथा बहुत बड़े क्षेत्र में फैला है एवं जहाँ विभिन्न संस्कृतियों के लोग बसते हैं, शिक्षा इन सभी विभिन्नताओं के बाद भी प्रायः एक-सी रहती है । परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं है कि रूस की शालाओं में स्थानीय विभिन्नताएँ नहीं होती हैं। अनेक शालाओं में मास्को के
विभिन्न देशों में शिक्षा - पर्यवेक्षण
आदेशों के अभाव में भी अनेक गतिविधियाँ चलती हैं। पर ये सब स्थानीय विभिन्नताओं के रूप में रहती हैं तथा इन विभिन्नताओं को छोड़कर सम्पूर्ण रूस में शिक्षण संस्थाओं में एकरूपता ही विद्यमान रहती है ।
रूस में शिक्षा के क्षेत्र में केन्द्रीकरण की इस प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलने के अनेक कारण हैं । क्रान्ति के बाद वहाँ की साम्यवादी पार्टी, जो कि सत्ता में थी, कम समय में अच्छे परिणामों को लाना चाहती थी । अतः सुनियोजित ढंग से कार्य करने की विधि को प्रोत्साहित किया गया तथा इसमें स्वतंत्रता के लिए कोई स्थान नहीं रखा गया । केन्द्रीकरण से समाज तथा राष्ट्र के सभी साधन जुटाने तथा उन्हें सक्रिय करने में सहायता मिलती है तथा नियंत्रित विकास होता है । साम्यवाद, शिक्षा के माध्यम से अपने सिद्धांतों का प्रचार तथा प्रसार समाज में करना आवश्यक मानता है । अतः केन्द्रीकरण के सिवाय और कोई रास्ता इनके पास नहीं था । इस केन्द्रीकरण के कारण राजनीतिक परिवर्तनों के अनुरूप शिक्षा में परिवर्तन करना सरल होता है तथा शिक्षा को सरलता से राज्य सत्ता से सम्बद्ध किया जा सकता है। इन्हीं सब कारणों से रूस में शिक्षा का केन्द्रीकरण रहा । यहाँ तक कि शिक्षक श्याम पट पर क्या लिखेंगे, कौन-कौन से प्रश्न बच्चों से पूछेंगे, कौनकौन सी विषय-वस्तु कितनी मात्रा में बतायी जायेगी, किस दिन बच्चों के सामने प्रस्तुत की जायेगी, यह सब पहले से निश्चित होता है तथा इन सभी बातों का अनुमोदन केन्द्र के द्वारा किया जाता है । इस प्रकार रूस में शिक्षा की प्रत्येक बात केन्द्र से ही प्रसूत एवं उद्भूत होती है। फिर भी वहाँ शिक्षा के लिए कोई केन्द्रीय मंत्रालय नहीं है तथा यूनियन सांस्कृतिक मंत्रालय एवं यूनियन उच्च माध्यमिक शिक्षा मंत्रालय से ही नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं । रूस के प्रत्येक गणतंत्र में शिक्षा मंत्रालय अवश्य हैं ।
रूस में साम्यवादी दल शिक्षा सम्बन्धी नीतियों के सम्बन्ध में निर्णय लेने के पूर्व समाज की राय जानने के लिए वाद-विवाद, व्याख्यान, दलों के लेख आदि प्रकाशित करता है तथा जनता की राय जानने के बाद दल द्वारा लिये गये निर्णयों को सोवियत सुप्रीम के समक्ष प्रस्तुत करता है । सोवियत सुप्रीम इन निर्णयों को कानून का रूप देते हैं तथा इनका पालन सभी गणतंत्र एवं स्थानीय संगठन करते हैं । इस प्रकार रूस की शिक्षा पर साम्यवादी दल का बहुत अधिक प्रभाव रहता है तथा यही दल राष्ट्रों में समन्वय की स्थापना करता है । रूस में शिक्षा के व्यावहारिक पक्ष को स्पष्ट करने के लिए पैडागाजिक विज्ञान अकादमी का सहयोग लिया जाता है। शिक्षा सम्बन्धी तकनीकी मामलों में साम्यवादी दल इस अकादमी के विशेषज्ञों से प्रभावित होते हैं । परन्तु इस अकादमी के सदस्य साम्यवादी दल द्वारा निर्धारित नीतियों के दायरे में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार रूस में शिक्षास्तर के सुधार तथा शिक्षण कला के विकास में पैडागाजिक अकादमी का सहयोग भी मिलता है । इस दृष्टि से शिक्षा - पर्यवेक्षण के क्षेत्र में पैडागाजिक विज्ञान अकादमी की गतिविधियाँ एवं स्पष्टीकरण बहुत अधिक महत्व रखते हैं। चूंकि रूस में केन्द्रीकरण अधिक है अतः पैडागाजिक विज्ञान अकादमी द्वारा निर्धारित शिक्षण विधियाँ, पाठ्यक्रम, पुस्तकें तथा अन्य
सभी बातों को सोवियत सुप्रीम के अनुमोदन के उपरान्त सभी शालाओं में ज्यों का त्यों कार्यरूप में व्यवहृत किया जाता है। यहाँ तक कि रूस में बालक एक-सी ड्रेस पहनते हैं, एकसा व्यवहार करते हैं, तथा व्यक्तिगत अन्तरों को छोड़कर प्रायः एक से ही योग्यता के होते हैं । इस प्रकार रूस में स्थानीय विभिन्नताओं के होते हुए भी शिक्षण नीति, शिक्षणविधि तथा पाठ्यक्रम एक से होते हैं । शाला का एक-सा कार्य चलता है। शालाओं में एक-सा उपकरण रहता है । शालाओं में शिक्षकों का एक प्रशिक्षण रहता है। बालकों को जो. विषय पढ़ाये जाते हैं, उन्हें वे ही विषय पढ़ने पड़ते हैं । यदि अन्य विषय में रुचि है तो शाला के उपरान्त उन्हें पढ़ने की सुविधाएँ दी जाती हैं । रूस में शहरी तथा देहाती क्षेत्रों में अन्तर अधिक पाया जाता है। शहरी शालाओं में देहातों की अपेक्षा अच्छी इमारतें होती हैं तथा अधिक योग्य शिक्षक रहते हैं । इस प्रकार हम देखते हैं कि रूस में शिक्षा - पर्यवेक्षण एवं प्रशासन में केन्द्रीकरण अधिक है । परन्तु स्थानीय सुविधाओं के अनुसार थोड़ा बहुत परिवर्तन करन की स्वतंत्रता भी है । वहाँ पर्यवेक्षण की विधियों में एकरूपता भी पायी जाती है । परन्तु केन्द्रीकरण के कारण पर्यवेक्षण की उपलब्धियाँ अधिक उच्च स्तरीय हैं। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि शिक्षा - पर्यवेक्षण में केन्द्रीकरण होना चाहिये । स्वतंत्रता के अभाव में इस व्यवस्था में प्रयोग के अवसर कम रहते हैं । |
बॉलीवुड की फिल्मों में मसाला, एक्शन और मारधाड़ देखना किसे नहीं पसंद है। हम सब हीरो के एक्शन से भरपूर दृश्यों को देखकर उन्हें अपना रियल लाइफ हीरो मान लेते हैं।
पर इन खतरनाक स्टंट दृश्यों के पीछे कलाकार बॉडी डबल का उपयोग करते हैं। इस बात पर बहुत कम लोग ही ध्यान देते हैं कि यह सीन उनके पसंदीदा अभिनेता नहीं करते बल्कि उन्हें जरूरत पड़ती है स्टंट मैन की।
ये स्टंटमैन असली हीरो होने के बावजूद भी गुमनामी में जीते हैं और एक्शन का सारा क्रेडिट फ़िल्मी सितारे ले जाते हैं। इन सबके ऊपर भी किसी स्टंट वुमन की कल्पना शायद ही किसी ने की होगी।
ज़ी5 बॉलीवुड की पहली स्टंट वुमन पर एक बायोपिक बना रहा है जिनका नाम है रेशमा पठान।
ट्रेलर में यह दिखाया गया है कि रेशमा एक गरीब घर की बहादुर लड़की थीं जिन्हे उनकी बहादुरी और निडर होने की वजह से ही बॉलीवुड फिल्मों में स्टंट करने के लिए कास्ट किया जाने लगा और तब उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपने घरवालों के आर्थिक हालत बदल दिए।
यदि अबतक आपने यह ट्रेलर नहीं देखा है तो यहाँ देखेंः
तो आइये आपको बताते हैं बॉलीवुड की पहली स्टंट वुमन रेशमा पठान से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य।
1- रेशमा ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत 1968 में 14 साल की उम्र में की थी।
2- उनका पहला स्टंट अभिनेत्री लक्ष्मी छाया के लिए 'एक खिलाड़ी बावन पत्ते' के लिए फिल्माया गया था जिसमें उन्हें स्टेज से गिर जाना था और सब लोग इस बात से चौंक गए थे कि एक टेक में ही रेशमा ने अपना शॉट क्लियर कर लिया था।
3- फिल्म 'क़र्ज़' में दुर्गा खोते के लिए बॉडी डबल करते हुए वह गिर गई थीं और उनके सर में गहरी चोट आई थी।
4- रेशमा के हेलेन और हेमा मालिनी से अच्छे सम्बन्ध थे। हेलेन उन्हें उनका टिफ़िन खाने से मना करती थीं और यह कहती थीं कि रेशमा उनके साथ उनका फाइव स्टार का खाना खाएं।
5- मिनाक्षी, श्रीदेवी, सायरा बानू और डिंपल कपाड़िया के लिए स्टंट करने के अलावा उन्होंने दिग्गज अभिनेत्री मीना कुमारी के लिए फिल्म 'मेरे अपने' में एक स्टंट किया है।
फिलहाल रेशमा ने रिटायरमेंट ले ली है और वह अपने परिवार के साथ समय व्यतीत कर रही हैं। क्या आप इस बायोपिक को देखने के लिए उत्साहित हैं? कमेंट करें और हमें बताएं।
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गोपेश्वर। उत्तराखंड के चमोली जिले में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 17 घंटे से अधिक समय बाद यातायात के लिए फिर खोल दिया गया।
राजमार्ग के अवरुद्ध होने के कारण रास्ते में फंसे सैंकड़ों श्रद्धालुओं को बृहस्पतिवार की रात अपने वाहनों में ही गुजारनी पड़ी। चमोली के अतिरिक्त सूचना अधिकारी रविंद्र नेगी ने बताया कि राजमार्ग बृहस्पतिवार सुबह करीब 10 बजे अवरुद्ध हो गया था और शुक्रवार तड़के साढ़े तीन बजे के आसपास इस पर यातायात बहाल कर दिया गया।
नेगी के मुताबिक, बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब से लौट रहे वाहनों को सबसे पहले निकाला गया। उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने राजमार्ग पर फंसे लोगों के लिए बिरही, चमोली और पीपलकोटी में ठहरने की व्यवस्था की थी तथा उन्हें भोजन मुहैया कराया।
बदरीनाथ राजमार्ग पर छिनका के पास बृहस्पतिवार सुबह 9.50 बजे के आसपास भूस्खलन हुआ था, जिससे राजमार्ग का 100 मीटर हिस्सा प्रभावित हुआ था।
इंदौर के महू से उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर गए करीब 30 श्रद्धालु लैंड स्लाइड के चलते फंस गए थे। ये सभी केदारनाथ के दर्शन के बाद बद्रीनाथ की ओर बढ़ रहे थे। गुरुवार सुबह करीब 8 बजे लैंड स्लाइड होने से रास्ता बंद हो गया। दिनभर के रेस्क्यू के बाद भी रास्ता क्लियर नहीं हो पाया है।
महू के इन यात्रियों के साथ ही अन्य राज्यों के यात्री परेशान हो रहे हैं। स्थानीय प्रशासन की टीम रास्ते को साफ करने में जुटी है। अफसरों का कहना है कि रास्ता क्लियर कर रहे हैं।
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विशाल संख्या में यहां पधारे हुए, विश्व के कोने-कोने से आए हुए, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,
100 वर्ष पहले, एक प्रवासी भारतीय भारत आए और आज 100 साल के बाद सभी प्रवासी भारतीयों का एक प्रवासी गुजराती स्वागत करता है। भारत के नागरिक विश्व के 200 से ज्यादा अधिक देशों में बसे हैं और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि उन 200 देशों में सिर्फ कोई एक भारतीय मूल का व्यक्ति वहाँ बसा है ऐसा नहीं है, वहाँ एक प्रकार से पूरा भारत बसा हुआ है। आप सबके माध्यम से भारत वैश्विक बना हुआ है। 100-150 साल पूर्व, हमारे पूर्वजों ने, साहसिक पूर्वजों ने, विश्व में जहां-जहां संभावनाएं थीं, कुछ नया करने की उमंग थी, गुलाम हिन्दुस्तान में संभावनाएं नहीं थी, उन्होंने साहस जुटाया और साहस जुटाकर दुनिया के अनेक भू-भाग में पहुंचे। सामुद्रिक यात्रा रहती थी, कठिन यात्रा रहती थी, कभी-कभी लक्ष्य तक पहुंच भी नहीं पाते थे। लेकिन उनका प्रयास रहा... कि अंजान जगह पर जाना है और अपने कौशल के द्वारा, अपने सामर्थ्य के द्वारा, अपने संस्कारों के द्वारा वहां पर अपनी जगह बनाने का प्रयास।
कुछ कालखंड ऐसा भी आया कि आज भारत के शिक्षित लोग, Professionals, जीवन में और नई ऊंचाइयों को पाने के लिए, ज्ञान वृद्धि के लिए, Exposure के लिए, विश्व में गए, उन्होंने भारत की एक नई पहचान बनाई। लेकिन वो एक कालखंड था, जब आप अपना प्राण प्रिय देश छोड़कर के, अपने स्वजनों को छोड़कर के, यार-दोस्तों को छोड़कर के, दुनिया के किसी और छोर पर चले जाते थे। कभी साहसिक स्वभाव के कारण, तो कभी संभावनाओं को तलाशने के लिए, तो कभी अवसर खोजने के लिए। वो समय था जब शायद यह जरूरी था।
किंतु मैं आप सबका स्वागत करते हुए आपको विश्वास दिलाता हूं, जब हमारे पूर्वज गए थे- संभावनाओं को तलाशने के लिए। अब भारत की धरती पर संभावनाएं अब आपका इंतजार कर रही हैं। वक्त बहुत तेजी से बदल चुका है। भारत एक नए सामर्थ्य के साथ उठ खड़ा हुआ है। और विश्व, भारत के प्रति बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है। आज गयाना, साइथ अफ्रीका, मॉरिशस - विशेष मेहमान के रूप में हमारे बीच विराजमान हैं। मैं जब मुख्यमंत्री नहीं था, उसके पहले, मुझे इन सभी स्थानों पर जाने का अवसर मिला और गयाना के आदरणीय राष्ट्रपति जी अपनी पार्टी का और उनके Founder पूर्व राष्ट्रपति जी का उल्लेख कर रहे थे. उनके सुपुत्र भरत जगदेव जी जब राष्ट्रपति थे, तब मेरा काफी उनसे सतसंग हुआ था और गयाना के लोग किसी भी समाज के क्यों न हो, किसी भी भाषा को क्यों न बोलते हो, लेकिन जिस किसी को मिलो वे गयाना की आजादी में भारत की प्रेरणा का उल्लेख अवश्य करते हैं।
महात्मा गांधी 100 साल पहले South Africa से चले थे और मातृभूमि की सेवा का सपना लेकर भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए मानवतावाद में विश्वास लेकर इस धरती पर आए थे। वो निकले थे South Africa से और आए थे हिंदुस्तान। आज South Africa भी हमारे बीच मौजूद है, जहां से गांधी लौटे थे। और African Congress और African National Congress का जन्म 8 जनवरी को हुआ था। आज 8 जनवरी है। आज ही का दिवस और तब उस समय महात्मा गांधी ने दीर्घदृष्टि से उस समय गांधीजी ने African National Congress के जन्म के समय विश्व पर को जो संदेश दिया था, उस संदेश में एक विश्वास झलकता था। उन्होने कहा था कि ये नवजागरण का, प्रेरणा बिंदू बनकर रहेगा। यह बात, उस समय, महात्मा गांधी ने कही थी।
आज भी मॉरिशस में 2 अक्टूबर मनाई जाती है, कभी हमारे यहां नहीं मनाई जाती होगी, ऐसी दो अक्टूबर आज भी मॉरिशस में मनाई जाती है। और मुझे सबके साथ मॉरिशस में सबके साथ दो अक्टूबर मनाने के लिए जाने का अवसर मिला था। और आज भी उनका जैसा उनके यहां जैसे हमारे महात्मा मंदिर इस प्रकार के कार्यक्रमों का केंद्र बना है, उनके यहां भी महात्मा गांधी के नाम से गांधी सभा गृह उनका सबसे बड़ा केंद्र बिंदु है। यानी कि हम देख सकते हैं कि कितना अपनापन है। आज शायद दुनिया के 70-80 ज्यादा देश होंगे, जहां पर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी हुई है।
कुछ दिन पहले में ऑस्ट्रेलिया गया था, वहां भी मुझे सौभाग्य मिला महात्मा गांधी के प्रतिमा के अनावरण का। कहने का तात्पर्य यह है कि इस "विश्व मानव" की पहचान, इस "युग पुरुष" की पहचान, विश्व को जितनी ज्यादा होगी और समय रहते होगी, कभी-कभी उलझनों में घिरी इस दुनिया को वैचारिक स्वतंत्रता का संदेश देने की क्षमता आज भी गांधी रखते हैं। आज भी गांधी के विचार विश्व को, और खास करके मानवतावाद को केंद्र में रखकर समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, विकास की राह कैसे सरल हो सकती है, आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव कैसे आ सकता है - शायद गांधी से बढ़कर के चिंतन कहीं नहीं है।
और हम सबका गर्व है, हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि महात्मा गांधी विदेश की उस सारी दुनिया को अलविदा करके हमारे गांव और गरीब लोगों के लिए खप गए थे। और तभी तो आज इतिहास हर पल उन्हें स्मरण कर रहा है।
हमारे देश के लोग जो बाहर गए - अगर आप गयाना जाएंगे, भाषा बोलना तो कठिन है हमारे लोगों को, लेकिन होली अगर आप देखोगे गयाना की, तो वैसी ही रंगों में रंग जाते हैं जैसे हिंदुस्तान की धरती पर हम रंग जाते हैं। जब दीवाली मनाते हैं तो आप को लगेगा कि क्या दीये जगमगाते हैं, ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान में रहने वाले हिन्दुस्तानियों को गुयाना में जलता हुआ दीप हमें प्रेरणा देने की ताक़त रखता है। ये हमारे लोगों ने विरासतें खड़ी की हैं, एक ताक़त कड़ी की है. और इसी ताकत को एक सकारात्मक काम के लिए इस्तेमाल करना, इस सामर्थ्य को विश्व में सार्थक पहचान कराने का वक्त आ चुका है। अब हम बिखरे-बिखरे, एक अकेले, किसी देश के एक कोने में - भले ही एक हिंदुस्तानी वहां अकेला होगा, लेकिन उसके साथ पूरा हिंदुस्तान जिन्दा है।
एक नई ज़िम्मेदारी मिलने के बाद, मुझे विश्व के 50 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, बातचीत करने का मौका मिला है और इतने कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में, करीब-करीब विश्व के सभी देशों के अध्यक्षों से मिलना और उनके साथ जो बातचीत हुई, खुले मन से बात हुई है। उन बातों से लगता है, दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश हो तब भी और दुनिया का गरीब से गरीब देश हो तब भी.... हर किसी की नजर हिंदुस्तान पर है। हर एक को लगता है कि हम जहां जाना चाहते हैं, शायद भारत के साथ कदम मिलाकर के हम चल सकते हैं। हर कोई अपनी एकाध-एकाध चीज के साथ भारत को जोड़कर के देख रहा है। ऐेसे अवसर बहुत कम आते हैं। अब हम हिंदुस्तान के लोग जो विदेशों में बसे हुए हैं, ये उनका कर्तव्य बनता है कि वे इस अवसर को मानव जाति के कल्याण की दृष्टि से और भारत की उत्कर्षता की दृष्टि हम काम में कैसे लगाएं? और मैं मानता हूं आज हर भारतीय एक शक्ति के रूप में वहां विराजित है। वो अगर संगठित शक्ति बनती है, अगर वे अपने आप में एक Driving force बनती है, तो हम अनेक नए परिणामों को प्राप्त कर सकते हैं।
क्यों? क्योंकि Family values उसमें अपने आप सीख जाएगा। दुनिया के किसी भी देश में भारतीय को ये अनुभव नहीं आता है। नहीं-नहीं भाई हमारे मौहल्ले में नहीं, हमारी गली में नहीं, हमारी सोसायटी में नहीं, ऐसा कभी अनुभव नहीं आता है। ये कौनसी ताकत है? ये अपनापन, लगाव, दुनिया हमें स्वागत करने के लिए बांह फैलाकर के खड़ी रहती है उसका कारण क्या है? ये हमारे मूल्य हैं, हमारी सांस्कृति है, ये हमारे संस्कार हैं, हमारी इस विरासत को हम जी रहे हैं, उसी की वजह तो हो रहा है। और इसलिए हमारी ये जो बदौलत है उस बदौलत को हम कैसे आगे लेकर के जाएं। उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए।
कभी-कभार लोगों को लगता है कि भई अब हम बाहर रहते हैं, सालों से चले गए, हम क्या कर सकते हैं? मैं समझता हूं ऐसा सोचने की जरूरत नहीं है। कोई एक-दो महीने पहले की घटना है मुझे किसी ने अखबार की एक कटिंग भेजी थी, Xerox भेजी थी उसकी और बड़ा Interesting था। मैं नाम वगैरह तो भूल गया। सूरत जिले में कोई एक NRI अपने गांव आते थे, हर साल आते थे। जब अपने गांव आते थे 15 दिन, महीना-दो महीना जितना दिन भी रुकते थे। वे सुबह झाड़ू लेकर के गांव की सफाई किया करते थे, गांव की गलियों में जाते थे कूड़ा-कचरा साफ किया करते थे और गांव वाले उनकी बड़ी मजाक उड़ाते थे। उनको लगता था इसका Screw ढीला हो गया है। सबको उनके प्रति बड़ी विचित्रता का भाव रहता था। लेकिन इस बार जब वो आए उन्होंने तो ये काम जब शुरू किया, वो तो पहले भी करते थे। अपने गांव में निकल पड़े, आते ही दुसरे दिन सुबह jetlag कुछ नहीं, बस वो ही काम। इस बार उन्होंने देखा पूरा गांव उनके साथ जुड़ गया था। और वो खबर मुझे किसी ने एक Press cutting भेजा था।
एक प्रवासी भारतीय मैं 100 साल पहले गांधी को देखता हूं - दुनिया को कैसे खड़ा कर दिया था। और एक छोटा सा नागरिक जिसका नाम-पहचान कुछ नहीं है लेकिन Commitment के साथ उसने अपने गांव को कैसे बदल दिया। इसका उदाहरण ये कहता हूं मैं ये। ऐसे तो एक हैं, अनेकों होंगे, अनेकों होंगे। जिन्होंने अपनी शक्ति, बुद्धि, समझ को रहते मां भारती की सेवा को लगाने का प्रयास किया होगा। और ये ही तो है हमारी ताकत।
आप देखिए दुनिया भारत को कितना प्यार कर रही है उसका उदाहरण देखिए। मुझे पहली बार UN में जाने का अवसर मिला। वहां मुझे भारत की तरफ से बोलना था तो बोलते-बोलते मैंने एक बात कही कि United Nation अनेक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है। Children day मनाता है, Women day मनाता है, Non-violence day मनाता है। क्यों न विश्व Yoga day मनाएं? अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कैसे मनें, ये मैंने वहां प्रस्ताव रखा और United Nation के इतिहास की एक अद्भुत घटना घटी। 193 Countries है UN के Member. Out of 193 Countries 177 Countries ने Co-sponsor के नाते उस प्रस्ताव का समर्थन किया। इतना ही नहीं इस प्रकार के प्रस्तावों में आज तक जितना समर्थन मिला है ये Record breaking है। किसी भी प्रस्ताव को कभी भी इतने सारे देशों ने समर्थन किया ऐसा कभी नहीं हुआ। 40 से अधिक मुस्लिम Countries ने समर्थन किया। सामान्य रूप से इस प्रकार का प्रस्ताव पारित होने में उसकी प्रक्रिया बड़ी विशेष होने के कारण करीब-करीब दो साल लग जाते हैं। इस प्रस्ताव को पारित होने में मुश्किल से 100 दिन लगे। मैं इस चीज को विस्तार से इसलिए कह रहा हूं कि विश्व भारत को किस प्रकार से गले लगाने को तैयार है, ये उसकी एक छोटी सी झलक है।
इससे हम अंदाजा कर सकते हैं कि दुनिया हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बैठी है और विश्व हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बना है तब ये हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने आप को विश्व की अपेक्षा के अनुसार अधिक सजग करें, अधिक सामर्थ्यवान बनाएं। दुनिया को देने के लिए हमारे पास क्या नहीं है? अगर आवश्यकता है, तो हमारे भीतर एक विश्वास की आवश्यकता है, अपने पर भरोसे की आवश्यकता है, और आखिरकार महात्मा गांधी ने आजादी दिलाई तो इसी मंत्र से दिलाई थी कि उन्होंने हर हिंदुस्तानी के दिल में आजादी की आग भर दी थी, आत्मविश्वास भर दिया था और झाड़ू लगाए तो भी आजादी के लिए करता हूं, बच्चों को पढ़ाएं तो भी आजादी के लिेए करता हूं, खादी पहने तो भी आजादी के लिए कर रहा हूं, सेवा का कोई प्रकल्प करें तो भी मैं आजादी के लिए कर रहा हूं। ऐसा एक जनांदोलन खड़ा कर दिया था।
हम भी - इस मानवतावाद की आज सबसे बड़ी ज़रूरत है तब - इन्हीं आदर्शों को लेकर के विश्व के सामने भारत एक आशा की किरण लेकर के बैठा है तब - अपने आप को सज्य करने का प्रयास हमारे लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है।
ये प्रवासी भारतीय दिवस, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब 2003 में प्रारंभ हुआ और निरंतर चल रहा है। लेकिन बीच में थोड़ा-थोड़ा, आप लोगों का आने का मन नहीं करता था, बहुत कम लोग आते थे, कुछ लोग इसलिए आते थे कि आना पड़ता था। कुछ लोग इसलिए आते थे कि आए बिना रह नहीं सकते थे। लेकिन मैं हर बार आता था। और शायद केरल में जब हुआ था एक बार, तब मैं रूबरू तो नहीं जा पाया था तब मैंने Video Conferencing से प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लिया था। मैं समय इसलिए देता था, मैं जाने के लिए इसलिए उत्सुक रहता था, कि मैं Conviction से मानता हूं कि विश्व भर में फैला हुआ जो हिंदुस्तानी नागरिक है, वो आज के वैश्विक परिवेश में भारत की बहुत बड़ी ताकत है, भारत की पूंजी है। और इस पर हम जितना ध्यान देंगे, हम आसानी से विश्व फलक पर अपनी जगह बना सकते हैं।
और इसलिए, जिस प्रकार से विश्व में रहने वाले भारतीयों के साथ भारत का नाता महत्वपूर्ण है, उतना ही भारत के लिए, विश्व में रहने वाले भारतीयों के प्रति, नाभि का नाता उतना ही जरूरी है। ये one way नहीं है। ये दो तरफा है। और इस दो तरफा को बल देने का हमारा प्रयास है।
विश्व में रहने वाला हमारा हिंदुस्तानी, एक बात मैंने बराबर देखी है कि भारत में अगर कोई भी पीड़ादायक घटना हुई हो, कोई हादसा हुआ हो - हो सकता हो सालों से हिंदुस्तान छोड़कर गया हो, भाषा भी मालूम न हो, घटना घटी हो, भौगोलिक रूप से वो कहां है, वो भी मालूम न हो लेकिन हिंदुस्तान में हुआ है - इतना कान पर पड़ते ही या टीवी पर आंख से देखते ही दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले आंख में से आंसू टपकते हैं। उसको उतना ही दर्द होता है, जितना दर्द हिंदुस्तान में जो इस घटना को अनुभव कर रहा है, उसको पीड़ा होती है, उतनी ही मेरे देशवासी जो दुनिया में बसे हैं, उनको पीड़ा होती है।
मुझे याद है जब गुजरात में कच्छ का भूकंप आया था, विश्व का कोई हिंदुस्तानी ऐसा नहीं होगा, जिसने उस समय गुजरात के आंसू पोंछने का प्रयास न किया हो। ये विश्व भर में फैला हुआ हमारा भाई - जिसको हिंदुस्तान के प्रति इस प्रकार का लगाव है, इस प्रकार का नाता है। यहां के दुख के लिए दुखी, यहां के सुख के लिए सुखी। जब मंगलयान की सफलता हुई, Mars orbit पर हम लोग पहुंचे, पहले प्रयास में पहुंचे। सिर्फ हिंदुस्तान नाचा था, नहीं, दुनिया भर में पहुंचा हुआ हिंदुस्तानी भी नाचा था। उसके लिए गर्व की बात थी कि मेरा देश ये प्रगति कर रहा है। इस ताकत को हम कैसे आगे बढ़ाएं, उस दिशा में हम सोच रहे हैं।
मैं जानता हूं जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था, प्रधानमंत्री भी नहीं था, तब भी मैं विश्व के कई लोगों से मिलता था तो मैं उनकी शिकायतें भी जरा सुनता रहता था। तब मैं देखता था कि भरी शिकायतें रहती थीं। हमने आने के बाद कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की थीं। जब मैं विदेश प्रवास पर था तो चाहे ऑस्ट्रेलिया हूं, चाहे फिजी रहा, चाहे अमेरिका गया। जो बातें मैंने बताई थीं कि हम ये करेंगे। आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब देता हूं कि हमने जो कहा था वो सब पूरा कर दिया है। हमने कहा था कि PIO card holder को आजीवन वीजा दिया जाएगा - वो काम हो चुका है। अब आपको Embassy के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दूसरी एक समस्या थी - वो क्यों थी वो अभी भी मेरी समझ मैं नहीं आता है - जो PIO card holder थे और भारत में आकर के रहते थे, उनको हर सप्ताह पुलिस स्टेशन जाना पड़ता था। कुछ सिखाने के लिए नहीं - हाजिरी लगानी पड़ती थी। और मैं जब ये सुनता था तो मैं सोचता था कि क्यों ये सब हो रहा है? लेकिन जब ये काम करने की जिम्मेवारी मेरी आई, ये नियम अब समाप्त कर दिया गया है। ये एक स्वाभिमान का विषय है, सम्मान का विषय है, ये सिर्फ कोई Administrative decision के रूप में न देखा जाए। आज सरकार में बैठे हुए लोगों के लिए आपके सम्मान का महत्व क्या है, वो इस निर्णय में दिखाई देता है।
एक मैंने कहा था क्योंकि कईयों ने मुझे कहा था कि ये PIO अलग OCI अलग क्यों - ये हमारे साथ भेद-भाव क्यों? तो मैंने हमारे अफसरों से पूछा, गोलमोल-गोलमोल जवाब आते रहते थे। आगे का मैंने कहा, जो होगा, सो होगा कर दो एक बार। अब हमने घोषणा तो कर दी। जब हम यहां आये तो सारा कानून बदलना था, बड़ी लंबी प्रक्रिया थी। खैर उस प्रक्रिया से भी हम निकल चुके हैं, और आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब दे सकता हूं कि अब PIO और OCI card दोनों व्यवस्थाओं को merge कर दिया गया है और सबको एक ही प्रकार की सुविधाएं मिल पाएंगी।
उसी प्रकार से - Visa on Arrival। आप जानते हैं, आपको क्या-क्या तकलीफें झेलनी पढ़ी हैं भूतकाल में। मैं जानता हूं। और इसलिए अब Visa on Arrival। इसलिए अब Visa on Arrival। आपके लिए ये सुविधा कर दी गई है। करीब दुनिया के 43 Countries को इसका benefit already हमने कर दिया है। उसी प्रकार से Electronic travel authorization - ये व्यवस्था भी कर दी है ताकि Online Correspondence से भी आप ये काम कर सकते हैं। आपका समय सबसे ज्यादा बचे और हमारी Embassy एक प्रकार से आपके लिए सर्वाधिक उपयोगी हो उस दिशा के महत्वपूर्ण कदम इस सरकार ने already उठा लिए हैं।
दिल्ली में एक प्रवासी भारतीय केंद्र, उसकी स्थापना का निर्णय हुआ था। अब उसका भवन तैयार हो गया है। थोड़े ही दिनों में वो भी प्रारंभ हो जाएगा और मैं मानता हूं कि इसका लाभ आने वाले दिनों में सभी प्रवासी भारतीयों को मिलेगा।
कुछ लोगों को लगता है कि प्रवासी भारतीयों के साथ ये जो मेल-मिलाप है कुछ अपेक्षाओं से है। मैं समझता हूं कि ये अपेक्षाओं के लिए नहीं है। अपनों से मिलना, यही अपने आप में एक ताकत होती है। मिल-बैठकर के एक-दूसरे के सुख-दुख बांटना ये भी अपने आप में एक बहुत बड़ा ऊर्जा का केंद्र बन जाता है और इसलिए ये हमारा मेल-मिलाप उसकी अपनी एक विशेषता है - और अब तो युवा पीढ़ी जिनका जन्म ही वहां हुआ Second generation, Third generation है। वे युवक भी इन दिनों बहुत बड़ी मात्रा में शरीख होते हैं कयोंकि उनको भी भारत के लिए कुछ न कुछ करने की उमंग रहती है।
जिनके मन में कुछ करना है उनके लिए बहुत कुछ है। लेकिन हर चीज पाउंड और डॉलर से ही होती है, ये मानने की आवश्यकता नहीं है। मैंने ऐसे लोग देखे हैं, गुजरात में हम जब भूकंप के लिेए काम कर रहे थे, Canada से एक बच्ची आई थी उससे मैं मिला था, मुस्लिम परिवार से थी। उसका जन्म शायद African country में हुआ और बाद में उसका परिवार Canada में Shift हुआ था। उसके पिता ने, उसकी माता ने कभी हिंदुस्तान देखा नहीं था लेकिन कच्छ के भूक्ंप के बाद वो आई, कच्छ में रही और महीनों तक उसने कच्छ में काम किया था। ये ताकत जो है, इसको हमने समझने की आवश्यकता है।
हमारे पास ज्ञान है, हमारे पास अनुभव है, हमारे पास एक विशिष्ट परिस्थिति में काम करने का Exposure है, हम एक अलग प्रकार के Discipline से गुजरे हुए लोग हैं। ये वो चीजें हैं जो हम अपने यहां Inject कर सकते हैं, इसको ला सकते हैं। और यहां रहकर के, कुछ समय अपने लोगों के साथ कुछ समय बिताकर के हम इन चीजों को कर सकते हैं। और ये भी देश की बहुत बड़ी सेवा होती है।
इन दिनों स्वच्छ भारत का एक अभियान चलाया है। लेकिन एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण काम, जो मैं जानता हूं कि आप सब के दिलों में भी वो उतनी ही ताकत रखता है। आप के दिलों को भी छूने के लिए उस बात में उतना ही सामर्थ्य है। और वो है मां गंगा की सफाई। आप इस प्रकार की Technology से परिचित हैं, आप इस तरह के काम से परिचित हैं। एक नमामी गंगे फंड create भी किया गया है कि दुनिया के जो भी लोग गंगा के अंदर अपना योगदान चाहते हैं वो आर्थिक मदद करना चाहते हैं वो दे सकते हैं, जो आकर के समय देना चाहते हैं वो दे सकते हैं। जो ज्ञान परोसना चाहते हैं वो ज्ञान दे सकते हैं, जो Technology लाना चाहते हैं वो Technology ला सकते हैं। एक प्रकार से विश्व भर में फैले हुए समाज जिसके मन में गंगा के प्रति और गंगा की क्या ताकत है।।। पूरे मॉरिशस को कोई एक जगह जोड़ती है, कोई एक जगह आंदोलित करती है तो मॉरिशस का गंगा सागर है। तालाब तो मॉरिशस के लोगों ने खुद बनाया है, तालाब है, लेकिन गंगा जी से लेकर के वहां जाकर जल डाला है। जल तो थोड़ा ही डाला लेकिन उन्होंने उसमें से एक भाव जब पैदा किया कि ये गंगा का प्रतिनिधित्व करती है और आज भी शिवरात्रि का मेले देखो तो पूरे मॉरिशस के मूल भारतीयों को जोड़ने का कोई एक जगह है तो वो गंगा सागर है। हिंदुस्तान से दूर गंगा नाम से बना हुआ एक तालाब भी पूरे मॉरिशस को सांस्कृतिक विरासत को जगाने की प्रेरणा दे सकता है और जब शौकत अली जी को सुनोगे तो आपक पता चलेगा किस प्रकार से उसने वहां के जीवन को बदला है। यो मां गंगा है - ढाई-तीन हजार किलोमीटर लंबी, हिंदुस्तान की 40 प्रतिशत जनसंख्या जिसके साथ सीधी-सीधी जुड़ी हुई है - और मेरे लिए गंगा की सफाई जिस प्रकार से Environment का विषय है, गंगा की सफाई श्रृद्धा का विषय है, गंगा की सफाई सांस्कृतिक विरासत का विषय है, उसी प्रकार से गंगा की सफाई उन 40 प्रतिशत उस भू-भाग में रहने वाले भाईयों-बहनों की आर्थिक उन्नति का बी प्रतीक बन सकता है और इसलिए उस काम को हमें करना है और जिन राज्यों से मां गंगा गुजरती है। वहां पर आर्थिक उन्नति के लिए हम जितना करे उतना कम है। चाहे उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो, झारखंड हो, उत्तराखंड हो, पश्चिम बंगाल हो - ये सारा इलाका है, जहां पर आर्थिक उन्नति की बहुत संभावनाएं पड़ी और उन संभावनाओं को तराशने के लिए मां गंगा एक बहुत बड़ा केंद्र बिंदू बन सकती है। गंगा के किनारे पर विकास हो सकता है, 120 से ज्यादा शहर हैं गंगा के किनारे पर, छह हजार से ज्यादा गांव हैं, ढाई हजार किलोमीटर लंबा है और काशी जैसा तीर्थ क्षेत्र हो, हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री, यमुनोत्री हो क्या कुछ नहीं है!
इस विरासत को लेकर कर हम आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं आपको निमंत्रण देता हूं। आइए। आपका ज्ञान, बुद्धि, सामर्थ्य जो कुछ भी हो इसके साथ जुडि़ए। जो Environment में विश्वास करते हैं उनके लिए भी वहां भरपूर काम है, जो Inclusive growth में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Rural development में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Adventure चाहते हैं उनके लिए भी भरपूर काम है।
मां गंगा सबको समेटे हुए हैं, मां गंगा से जुडऩे का अवसर मतलब है हजारों साल से पुरानी संस्कृति से जुडने का अवसर। इस अवसर को हम लें, और उसी का उपयोग करें, यह मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ। आज भारत विकास यात्रा पर कहां से कहां पहंच रहा है, उसके लिए आपका समय नहीं लेना चाहता। क्योंकि 11 तारीख को मैं एक दुसरे अवसर पर फिरसे इस सभाग्रह में आ रहा हूँ। उस समय काफी विस्तार से बातें करनी होंगी क्योंकि आर्थिक विषयों से जुड़ा हुआ वह कार्यक्रम है लेकिन मैं चाहता हूं कि आपकी शक्ति और सामर्थ्य, हमारे यहां शास्त्रों में एक बहुत ही बढ़िया श्लोक विदेश में रहने वाले लोगों के लिए है, बहुत अच्छा है। मैं उसका ज़िक्र यहाँ करना चाहता हूँ। शास्त्र कहते हैंः
उसका सीधा meaning यह है, कि जो विश्व में भ्रमण करता है, वो इतना ज्ञान और अनुभव अर्जित करता है, और वो ज्ञान-अनुभव इतना पैना होता है, इतना ताकतवर होता है, कि कितना ही गहरा समंदर क्यों न हो, पानी का कितना ही बड़ा सागर क्यों न हो, लेकिन उसपर एक तेल बिंदु पड़े, तो जिस प्रकार से वो उसपर प्रभावी होकर के फैल जाता है - यह विश्व भर में भ्रमण करके पाया हुआ ज्ञान भी उतना ही ताक़तवर होता है, यह मन्त्र कह रहा है। और वो ताक़त के धनी आप हैं। वो ताक़त के धनी आप हैं।
उस ताक़त का उपयोग, माँ भारती की सेवा के लिए कैसे लगे, आने वाले दिनों में, भारत जो विकास की ऊचाइयों को पार कर रहा है, आप भी उसके साथ जुड़िये, इस महान सांस्कृतिक विरासत से विश्व को परिचित कराइए, और जिस मन्त्र को लेकर के, हमारे पूर्वजों ने कल्पना की थी - हम ही तो लोग थे, जिन्होंने पहली बार विशवास से कहा थाः "वसुधैव कुतुम्भकम"। The whole world is a family।
पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, वो हमारा DNA है। वो हमारी संस्कृति है। पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, उसका एक दायित्व बनता है कि मानवतावाद के विषय को लेकर के पूरे विश्व में हम एक ताक़त के साथ पहुंचें। फिर एक बार - Guyana के राष्ट्रपतिजी हमारे बीच आये, उनका स्वागत करता हूँ, उनका आभार व्यक्त करता हूँ। South Africa की विदेश मंत्रीजी हमारे बीच आयीं, उनका भी स्वागत करता हूँ, उनका अभिनन्दन करता हूँ। और Mauritius के उप-प्रधान मंत्रीजी हमारे बीच आये, मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ।
आज के अवसर पर, राष्ट्र्पिताजी के 100 साल पहले वापिस आने की ख़ुशी में भारत सरकार ने सौ रूपएका और दस रूपए का सिक्का आज हमें दिया है, और उसकी प्रकार से पोस्टल स्टाम्प भी आपके सामने रखा है। पोस्टल स्टाम्प, और ये सिक्के इतिहास की धरोहर बनते हैं। आज भी आपने देखा होगा, पुरातात्त्विक विभाग जो रहता है - Archaeological Department - वो इतिहास की कड़ी जोड़ने के लिए, पुराने coin जो मिलते हैं, वो उसकी सबसे बड़ी ताक़त होते हैं। उसके आधार पर वो तय करते हैं, कि 400 साल पहले कहाँ कौन सी currency थी, और वो currency 2000km दूर, सात समंदर पार, कहाँ-कहाँ पर दिखाई दी - उसके आधार पर 1000 साल पहले कैसा विश्व व्यापार था, किस प्रकार के सांस्कृतिक सम्बन्ध थे, ये सारी कड़ी जोड़ने में यह काम आता है। सिक्कों का महत्त्व आज भी उतना ही है, और विश्व में कई ऐसे लोग हैं, जो इस प्रेरणा को लेकर के चलते हैं।
मेरे मन में एक विचार है। विदेश में रहे हुए हमारे मित्र उस काम को अगर कर सकें तो ज्यादा अच्छा होगा। क्या हम इस प्रवासी भारतीय दिवस पर - विशेष योगदान करने वाले लोगों का तो हमें सम्मान करने का सौभाग्य मिलता है - जिन्होंने अपने-अपने, जो अपनी कर्म भूमि है, वहां भारत का झंडा ऊंचा रखने के लिए कुछ न कुछ योगदान किया होगा। लेकिन क्या भविष्य में, अगर विदेश की जो Young Team है, वो आगे आये तो।।। मैं इस कार्यक्रम को भारत के माध्यम से करना नहीं चाहता - बाहर के लोग करें तो मेरे मनन में विचार है - कि हम आज का जो Information Technology का युग है, Communication की नयी दुनिया है, उसका उपयोग करते हुए, "भारत को जानो" - ऐसी एक प्रति वर्ष एक Quiz Competition कर सकते हैं? Online Quiz Competition।
भारत के सम्बन्ध में ही सवाल हों। और भारत से बाहर रहने वाले लोग उसमें शरीक हों, उसमें हिस्सा लें। और उसमें जिसका नंबर आये, उनका सम्मान प्रवासी भारतीय दिवस में होता रहे, ताकि साल भर हमारी युवा पीढी को online जाकर के, Quiz Competition में जुड़ करके, ज्यादा से ज्यादा marks पाने का प्रयास हो, और पूरे विश्व में, भारत को जानने का एक बहुत बढ़ा आन्दोलन खड़ा हो जाए। उस दिशा में हम प्रयास कर सकते हैं।
मैं फिर एक बार आप सबको प्रवासी भारतीय दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूँ। और पूज्य बापू ने, भारत आकर के, भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया। और इतना ही नहीं, भारत के मानवतावाद का सन्देश था, उसे पूरे विश्व को पहुंचाया, ऐसे युगपुरुष के भारत आगमन का यह शताब्दी का पर्व हम मना रहे हैं। तब हम भी, जहां भी हों - नाभि से नाता जुडा रहे। मिट्टी से नाता जुडा रहे। अपनों के लिए कुछ न कुछ कर गुजरने का हौसला बुलंद बना रहे - इसी अपेक्षा के साथ, सबको बहुत बहुत शुभकामनायें।
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अरविंद केजरीवाल अपने विकास मॉडल के जरिए दिल्ली चुनाव में सत्ता की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे. अब दूसरे राज्यों में केजरीवाल के लोकलुभावन फैसलों की चर्चा शुरू हो गई है. इसी का नतीजा है कि केजरीवाल की 'फरिश्ते दिल्ली' स्कीम के मॉडल को मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अपनाने जा रही है. इस योजना के जरिए मध्य प्रदेश में किसी का अगर रोड एक्सिडेंट होता है और वह घायल नागरिक प्राईवेट हास्पिटल में इलाज के लिए जाता है तो वहां पर निशुल्क इलाज राज्य सरकार कराएगी.
कमलनाथ सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा(PC Sharma) ने कहा कि किसी भी नागरिक का अगर रोड एक्सिडेंट होता है और घायल व्यक्ति प्राईवेट हास्पिटल में जाता है तो वहां निशुल्क इलाज करा सकेगा. इसके लिए हमारी मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार रोड एक्सिडेंट, इंश्योरेंस पॉलिसी शुरू करेगी. इस योजना को अभी फिलहाल मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, रीवा, छिंदवाड़ा जिले में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर कर रही है.
बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 'फरिश्ते दिल्ली के' स्कीम शुरू किया था. इसके तहत दिल्ली में दुर्घटना, आग लगने या एसिड विक्टिम है तो नजदीकी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में जाता है, जिसके इलाज का सारा खर्चा दिल्ली सरकार उठाती है. शुरुआती इलाज से लेकर बड़े से बड़े ऑपरेशन का खर्च दिल्ली सरकार इस स्कीम के तहत उठाती है.
फरिश्ते दिल्ली स्कीम के तहत मरीज के अस्पताल बदलने से लेकर एम्बुलेंस की सुविधा का खर्च केजरीवाल सरकार देती है. इसमें कोई पूछताछ नहीं की जाती. इसमें मदद करने वालों को भी 2 हजार रुपये का इनाम भी है. हालांकि, कमलनाथ सरकार ने मरीज के इलाज का खर्च के लिए बीमा पॉलिसी शुरू कर रही है, लेकिन घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले को किसी तरह के इनाम का कोई जिक्र नहीं किया.
कमलनाथ सरकार इसके अलावा केजरीवाल की मोहल्ला क्लिनिक के तर्ज पर संजीवनी क्लीनिक मध्य प्रदेश में शुरू करने करने का एलान पहले ही नवंबर में कर चुकी है. इस योजना के पहले चरण में मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में संजीवनी क्लिनिक खोले जा रहे हैं.
इसके अलावा पिछले साल अगस्त महीने में मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने इंदिरा ज्योति योजना लागू की है. इसके तहत 100 यूनिट की बिजली खपत करने पर उपभोक्ताओं को मात्र 100 रुपये बिल देना पड़ेगा. इस योजना का लाभ मध्य प्रदेश के करीब एक करोड़ 2 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा.
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राजस्थान हाईकोर्ट के दो जजों ने आज 350 किमी दूर से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई कर इतिहास बना दिया। पहली बार खुली कोर्ट में दो जजों जोधपुर के मुख्य न्यायाधीश रविन्द्र भट्ट और जयपुर के न्यायाधीश विनीत माथुर ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई की।
राजस्थान हाईकोर्ट के दो जजों ने आज 350 किमी दूर से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई कर इतिहास बना दिया। पहली बार खुली कोर्ट में दो जजों जोधपुर के मुख्य न्यायाधीश रविन्द्र भट्ट और जयपुर के न्यायाधीश विनीत माथुर ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई की।
मामले में सरकार से 2012 में रिक्त पदों की जानकारी मांगी और सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित हो गई। राजस्थान में इस प्रकार का यह पहला प्रयोग है जब जयपुर बैंच और जोधपुर बैंच में एक साथ सुनवाई हुई। दो अलग अलग जगहों पर बैठे जजों की खण्डपीठ बनाई गई है।
खण्डपीठ में गुर्जर आरक्षण मामले की सुनवाई के लिए खुली अदालत में विशेष वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा की गई है और पूरी कार्यवाही को दोनों पक्षकार और उनके वकील सुन सकें। मुख्य न्यायाधीश भट्ट ने इसकी पहल की थी।
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- 12 hrs ago ये क्या, 3. 3 लाख की ओवरसाइज़्ड हुडी पहनकर मलाइका अरोड़ा ने दिखाया अपना जलवा, फैंस की बोलती हुई बंद!
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अभिषेक बच्चन काफी समय से किसी फिल्म का हिस्सा नहीं बने थे लेकिन अब उनके फैंस का इंतजार खत्म हुआ है और एक शानदार एलान हो गया है। बता दें कि अभिषेक बच्चन 'द बिग बुल' नाम की फिल्म में नजर आने वाले हैं जिसकी शूटिंग शुरु हो चुकी है। फिल्म को अजय देवगन प्रोड्यूस कर रहे हैं और इस फिल्म का पहला पोस्टर भी अजय देवगन ने रिलीज कर दिया है जो कि काफी ज्यादा वायरल हो रहा है। बता दें कि इसके पहले दोनो फिल्म बोल बच्चन में नजर आए थे और लोगों को काफी ज्यादा हंसाया था।
अभिनेता अभिषेक बच्चन ने फ्लैप की फोटो पोस्ट करते हुए फिल्म के मुहूर्त की जानकारी दी थी। उन्होने फोटो पोस्ट करते हुए लिखा था कि. . 'हियर वी गो! एक नई यात्रा, एक नई शुरुआत. आपकी शुभकामनाएं चाहिए।
खबरों की मानें तो इस फिल्म में अभिषेक के साथ इलियाना डिक्रुज भी होंगी। पता चला है कि इस फिल्म को कीकू गुलाटी ही निर्देशित कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इस फिल्म की कहानी जब अजय देवगन को सुनाई जा रही थी तो उन्होने इसको सुनते ही बीच में ही हां बोल दी और उनको कहानी बेहद पसंद आई है। अजय देवगन ने इस कहानी को अनरियल बताते हुए पोस्ट किया है कि फिल्म की शूटिंग शुरु हो चुकी है।
बिन ब्रा बीच रोड में कार खड़ी करके ऐसी हरकत करने लगी भोजपुरी हसीना, लोग मांग रहे हैं लोकेशन!
बॉलीवुड पर राज करती थी ये हसीना, बहन ने भी एक्टिंग में बनाया करियर, इमरान हाशमी से है खास कनेक्शन, पहचाना?
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कानपुर(ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बतौर परमानेंट फैकल्टी के रूप में तैनात डॉक्टर दंपत्ति को शासन ने सस्पेंड कर दिया है। उन पर प्राइवेट प्रैक्टिस कर हॉस्पिटल बनाने के आरोप थे। जिसके बाद अब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कॉलेज में काम करने वाले सभी परमानेंट व संविदा पर तैनात फैकल्टी मेंबर्स को शपथपत्र देने के लिए कहा है। जिसमें उन्हें इस बात की घोषणा करनी होगी कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते। सभी विभागों के हेड को जारी पत्र के साथ दो प्रारूप भी दिए गए हैं। जिसे 10 रुपए के स्टाम्प पेपर पर भरकर साइन करके देना होगा।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. संजय काला ने बताया कि सभी एचओडी को पत्र जारी किया है। उसके मुताबिक सभी विभागों के मेडिकल डिग्री रखने वाले फैकल्टी मेंबर्स को दो दिन में 10 रुपए के स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र देना होगा। जिसमें उन्हें इस बात की घोषणा करनी होगी कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते। कांट्रैक्ट पर तैनात फैकल्टी मेंबर्स को भी इस बात का शपथपत्र देना होगा कि मेडिकल कॉलेज में डयूटी के दौरान वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे। इसके बाद भी अगर वह प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े जाते हैं तो उनकी जिम्मेदारी होगी। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोई भी फैकल्टी मेंबर डयूटी की टाइमिंग के दौरान गैरहाजिर नहीं होगा।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल भले ही अपने यहां के फैकल्टी मेंबर्स पर प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर सख्त नजर आ रहे हों, लेकिन अस्पताल में ऐसे कई सीनियर डॉक्टर्स हैं जोकि अपना ज्यादातर वक्त कॉलेज की बजाय प्राइवेट प्रैक्टिस में देते हैं। पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट हो, सर्जरी, मेडिसिन या आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट, नेत्ररोग विभाग हो,स्किन, ऑब्स एंड गायनी या न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट। इन विभागों से कई ऐसे डॉक्टर्स हैं जोकि अपना ज्यादातर वक्त प्राइवेट प्रैक्टिस में देते हैं और सरकार से प्राइवेट प्रैक्टिस न करने का भत्ता भी लेते हैं।
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'नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया', ब्रज प्रेस क्लब और 'यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन' ने उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ हमले की बढ़तीं घटनाओं पर रोष जताया है।
ट्रंप का मानना है कि दुनिया में घातक कोरोना वायरस के प्रसार का जिम्मेदार चीन है। लिहाजा वह चीन को क्षति पहुंचाने के लिए तरह-तरह की पैतरें अपना रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर 'द हिन्दू ग्रुप' ने अपने एक विज्ञापन में केरल के पलक्कड़ में एक हाथिनी की मौत पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जिसने लोगों के दिमाग को झकझोर दिया है।
मैं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से सीधे सवाल करना चाहता हूं कि लोकतंत्र के तथाकथित चौथे स्तम्भ को स्वतंत्र भारत की सरकारों ने अब तक लंगड़ा/अपाहिज क्यों बनाए रखा है?
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर मथुरा में एनयूजेआई, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन एवं ब्रज प्रेस क्लब द्वारा पर मां सरस्वती के चित्र पर उत्तरीय उढ़ाकर पत्रकारों के कार्यों की सराहना की गई।
एक तरफ विज्ञापनों के खर्च में भारी कटौती और दूसरी तरफ सरकारी विज्ञापनों में हो रही कमी की वजह से एफएम रेडियो सेक्टर का संकट बढ़ गया है।
मशहूर बॉलिवुड सिंगर कनिका कपूर के कोरोना पॉजिटिव टेस्ट के बाद कई सांसदों और नेताओं ने खुद को आइसोलेट कर लिया है।
महान भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने सबसे पहले रेडियो की खोज की, परन्तु आर्थिक कठिनाइयों के कारण वह इसे व्यावहारिक रूप नहीं दे सके।
दिव्यांगों को सशक्त बनाने और समाज की मुख्य धारा में उनकी उपस्थिति को बढ़ावा देने के लिए 'ऑल इंडिया रेडियो' (AIR) ने यह कदम उठाया।
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कैंसर के रोगी के उपचार में कितनी तकलीफे आती हैं। भयंकर पीड़ा सहन करनी पड़ती हैं। और कैंसर के 99% रोगियों को आराम भी नहीं आता।
मगर क्या आप जानते हैं के एक ऐसी भी महिला थी जिन्होंने कैंसर के हज़ारो रोगियों को बिना दवा के सही किया, सिर्फ घरेलु चिकित्सा से।
आइये जाने उनकी चिकित्सा प्रणाली को। और प्रणाम करे ऐसी महान औरत को।
Budwig Protocol - CANCER LADY.
डॉ योहाना बुडविज (जन्म 30 सितम्बर, 1908 - मृत्यु 19 मई 2003) विश्व विख्यात जर्मन जीवरसायन विशेषज्ञ व चिकित्सक थीं। उन्होंने भौतिक विज्ञान, जीवरसायन विज्ञान, भेषज विज्ञान में मास्टर की डिग्री हासिल की व प्राकृतिक विज्ञान में पी.एच.ड़ी. की। वे जर्मन व सरकार के खाद्य और भेषज विभाग में सर्वोच्च पद पर कार्यरत थी और सरकार की विशेष सलाहकार थी। वे जर्मनी व यूरोप की विख्यात वसा और तेल विशेषज्ञ थी। उन्होंने वसा, तेल तथा कैंसर के उपचार के लिए बहुत शोध की। उनका नाम नोबल पुरस्कार के लिए 7 बार चयनित हुआ। वे आजीवन शाकाहारी रहीं। जीवन के अंतिम दिनों में भी वे सुंदर, स्वस्थ व अपनी आयु से काफी युवा दिखती थी। उन्होंने पहली बार संतृप्त और असंतृप्त वसा पर बहुत शोध किया। उन्होंने पहली बार आवश्यक वसा अम्ल ओमेगा-3 व ओमेगा-6 को पहचाना और उन्हें पहचानने की पेपर क्रोमेटोग्राफी तकनीक विकसित की। इनके हमारे शरीर पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। उन्होंने यह भी पता लगाया कि ओमेगा - 3 किस प्रकार हमारे शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाते हैं तथा स्वस्थ शरीर को ओमेगा-3 व ओमेगा-6 बराबर मात्रा में मिलना चाहिये। इसीलिये उन्हे "ओमेगा-3 लेडी" के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा मार्जरीन (वनस्पति घी), ट्रांस फैट व रिफाइण्ड तेलों के हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का पता लगाया था। वे मार्जरीन, हाइड्रोजिनेटेड और रिफाइंड तेलों को प्रतिबंधित करना चाहती थी जिसके कारण खाद्य तेल और मार्जरीन बनाने वाले संस्थान परेशानी में थे।
1931 में डॉ. ओटो वारबर्ग को कैंसर पर उनकी शोध के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने पता लगाया था कि कैंसर का मुख्य कारण कोशिकाओं में होने वाली श्वसन क्रिया का बाधित होना है। यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व ही संभव नहीं है। परन्तु तब वारबर्ग यह पता नहीं कर पाये कि कैंसर कोशिकाओं की बाधित श्वसन क्रिया को कैसे ठीक किया जाये।
सामान्य कोशिकाएँ अपने चयापचय हेतु ऊर्जा ऑक्सीजन से ग्रहण करती है। जबकि कैंसर कोशिकाऐं ऑक्सीजन के अभाव और अम्लीय माध्यम में ही फलती फूलती है। कैंसर कोशिकायें ऑक्सीजन से श्वसन क्रिया नहीं करती। यदि कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति 48 घन्टे के लिए लगभग 35 प्रतिशत कम कर दी जाए तो वह कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व ही संभव नहीं है।उन्होनें कई परिक्षण किये परन्तु वारबर्ग यह पता नहीं कर पाये कि कैंसर कोशिकाओं की बाधित श्वसन क्रिया को कैसे ठीक किया जाये। डॉ. योहाना ने वारबर्ग के शोध को जारी रखा। वर्षों तक शोध करके पता लगाया कि इलेक्ट्रोन युक्त, अत्यन्त असंतृप्त ओमेगा-3 वसा से भरपूर अलसी, जिसे अंग्रेजी में linseed या Flaxseed कहते हैं, का तेल कोशिकाओं में नई ऊर्जा भरता है, कोशिकाओं की स्वस्थ भित्तियों का निर्माण करता है और कोशिकाओं में ऑक्सीजन को खींचता है। इनके सामने मुख्य समस्या ये थी की अलसी के तेल को जो रक्त में नहीं घुलता है, को कोशिकाओं तक कैसे पहुँचाया जाये ? वर्षों तक कई परीक्षण करने के बाद डॉ. योहाना ने पाया कि सल्फर युक्त प्रोटीन जैसे पनीर अलसी के तेल के साथ मिलाने पर तेल को पानी में घुलनशील बनाता है और तेल को सीधा कोशिकाओं तक पहुँचाता है। इससे कोशिकाओं को भरपूर ऑक्सीजन पहुँचती है व कैंसर खत्म होने लगता है।
1952 में डॉ. योहाना ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल व पनीर के मिश्रण तथा कैंसर रोधी फलों व सब्जियों के साथ कैंसर रोगियों के उपचार का तरीका विकसित किया, जो "बुडविज प्रोटोकोल के नाम से विख्यात हुआ"। इस उपचार से कैंसर रोगियों को बहुत लाभ मिलने लगा था। इस सरल, सुगम, लभ उपचार से कैंसर के रोगी ठीक हो रहे थे। इस उपचार से 90 प्रतिशत तक सफलता मिलती थी। नेता और नोबल पुरस्कार समिति के सभी सदस्य इन्हें नोबल पुरस्कार देना चाहते थे पर उन्हें डर था कि इस उपचार के प्रचलित होने और मान्यता मिलने से 200 बिलियन डालर का कैंसर व्यवसाय (कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा उपकरण बनाने वाले बहुराष्ट्रीय संस्थान) रातों रात धराशाही हो जायेगा। इसलिए उन्हें कहा गया कि आपको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी को भी अपने उपचार में शामिल करना होगा। उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया।
यह सब देखकर कैंसर व्यवसाय से जुड़े मंहगी कैंसररोधी दवाईयां और रेडियोथेरेपी उपकरण बनाने वाले संस्थानों की नींद हराम हो रही थी। उन्हें डर था कि यदि यह उपचार प्रचलित होता है तो उनकी कैंसररोधी दवाईयां और कीमोथेरिपी उपकरण कौन खरीदेगा ? इस कारण सभी बहुराष्ट्रीय संस्थानों ने उनके विरूद्ध कई षड़यन्त्र रचे। ये नेताओं और सरकारी संस्थाओं के उच्चाधिकारियों को रिश्वत देकर डॉ. योहाना को प्रताड़ित करने के लिए बाध्य करते रहे। फलस्वरूप डॉ. योहाना को अपना पद छोड़ना पड़ा, सरकारी प्रयोगशालाओं में इनके प्रवेश पर रोक लगा दी गई और इनके शोध पत्रों के प्रकाशन पर भी रोक लगा दी गई।
विभिन्न बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने इन पर तीस से ज्यादा मुकदमें दाखिल किये। डॉ. बुडविज ने अपने बचाव हेतु सारे दस्तावेज स्वंय तैयार किये और अन्ततः सारे मुकदमों मे जीत भी हासिल की। कई न्यायाधीशों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियो को लताड़ लगाई और कहा कि डॉ. बुडविज द्वारा प्रस्तुत किये गये शोध पत्र सही हैं, इनके प्रयोग वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं, इनके द्वारा विकसित किया गया उपचार जनता के हित में है और आम जनता तक पहुंचना चाहिए। इन्हे व्यर्थ परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
वे 1952 से 2002 तक कैंसर के लाखों रोगियों का उपचार करती रहीं। अलबर्ट आईन्स्टीन ने एक बार सच ही कहा था कि आधुनिक युग में भोजन ही दवा का काम करेगा। इस उपचार से सभी प्रकार के कैंसर रोगी कुछ महीनों में ठीक हो जाते थे। वे कैंसर के ऐसे रोगियों को, जिन्हें अस्पताल से यह कर छुट्टी दे दी जाती थी कि अब उनका कोई इलाज संभव नहीं है और उनके पास अब चंद घंटे या चंद दिन ही बचे हैं, अपने उपचार से ठीक कर देती थीं। कैंसर के अलावा इस उपचार से डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, आर्थ्राइटिस, हृदयाघात, अस्थमा, डिप्रेशन आदि बीमारियां भी ठीक होजाती हैं।
डॉ. योहाना के पास अमेरिका व अन्य देशों के डाक्टर मिलने आते थे, उनके उपचार की प्रसंशा करते थे पर उनके उपचार से व्यावसायिक लाभ अर्जित करने हेतु आर्थिक सौदे बाज़ी की इच्छा व्यक्त करते थे। वे भी पूरी दुनिया का भ्रमण करती थीं। अपनी खोज के बारे में व्याख्यान देती थी। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमें "फेट सिंड्रोम", "डेथ आफ ए ट्यूमर", "फलेक्स आयल - ए ट्रू एड अगेन्स्ट आर्थाइटिस, हार्ट इन्फार्कशन, कैंसर एण्ड अदर डिजीज़ेज", "आयल प्रोटीन कुक बुक", "कैंसर - द प्रोबलम एण्ड सोल्यूशन" आदि मुख्य हैं। उन्होंने अपनी आख़िरी पुस्तक 2002 में लिखी थी।
डॉ. बुडविज आहार-विहार क्रूर, कुटिल, कपटी, कठिन, कष्टप्रद कर्क रोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है। आहार में प्रयुक्त खाद्य पदार्थ ताजा इलेक्ट्रोन युक्त और (जैविक जहां तक सम्भव हो) होने चाहिए। इस आहार में अधिकांश खाद्य पदार्थ सलाद और रसों के रूप में लिये जाते है, जिन्हें ताजा तैयार किया जाना चाहिए ताकि रोगी को भरपूरइलेक्ट्रोन्स मिले। ड़ॉ. बुडविज ने इलेक्ट्रोन्स पर बहुत जोर दिया है। अलसी के तेल में भरपूर इलेक्ट्रोन्स होते हैं और ड़ॉ बुडविज ने अन्य इलेक्ट्रोन्स युक्त खाद्यान्न भी ज्यादा से ज्यादा लेने की सलाह दी है। इस उपचार के बाद में कहा जाता है कि छोटी-छोटी बातें भी महत्वपूर्ण हैं। और जरा सी असावधानी इस आहार के औषधीय प्रभाव को प्रभावित कर सकती है।
रोज सूर्य के प्रकाश का सेवन अनिवार्य है। इससे विटामिन-डी भी प्राप्त होता है। रोजाना दस-दस मिनट के लिए दो बार कपड़े उतार कर धूप में लेटना आवश्यक है। पांच मिनट सीधा लेटे और करवट बदलकर पांच मिनट उल्टे लेट जायें ताकि शरीर के हर हिस्से को सूर्य के प्रकाश का लाभ मिले। रोगी की रोजाना अलसी के तेल की मालिश भी की जानी चाहिए इससे शरीर मेंरक्त का प्रवाह बढ़ता है और टॉक्सिन बाहर निकलते है। रोगी को हर तरह के प्रदूषण (जैसे मच्छर मारने के स्प्रे आदि) और इलेक्ट्रानिक उपकरणों (जैसे CRT वाले टी.वी. आदि) से निकलने वाले विकिरण से जहां तक सम्भव हो बचना चाहिए। रोगी को सिन्थेटिक कपड़ो की जगह ऊनी, लिनन और सूती कपड़े प्रयोग पहनना चाहिए। गद्दे भी फोम और पोलिएस्टर फाइबर की जगह रुई से बने हों।
यदि रोगी की स्थिति बहुत खराब हो या वह ठीक से भोजह नहीं ले पा रहा है तो उसे अलसी के तेल का एनीमा भी दिना चाहिये। ड़ॉ. बुडविज ऐसे रोगियों के लिए "अस्थाई आहार" लेने की सलाह देती थी। यह अस्थाई आहार यकृत और अग्न्याशय कैंसर के रोगियों को भी दिया जाता है क्योंकि वे भी शुरू में सम्पूर्ण बुडविज आहार नहीं पचा पाते हैं। अस्थाई आहार में रोगी को सामान्य भोजन के अलावा कुछ दिनों तक पिसी हुई अलसी और पपीते, अंगूर व अन्य फलों का रस दिया जाता है। कुछ दिनों बाद जब रोगी की पाचन शक्ति ठीक हो जाती है तो उसे धीरे-धीरे सम्पूर्ण बुडविज आहार शुरू कर दिया जाता है।
प्रातः एक ग्लास सॉवरक्रॉट (खमीर की हुई पत्ता गोभी) का रस या एक गिलास छाछ लें। सॉवरक्रॉट में कैंसररोधी तत्व और भरपूर विटामिन-सी होता है और यह पाचन शक्ति भी बढ़ाता है। यह हमारे देश में उपलब्ध नहीं है परन्तु इसे घर पर पत्ता गोभी को ख़मीर करके बनाया जा सकता है।
पनीर बनाने के लिए गाय या बकरी का दूध सर्वोत्तम रहता है। इसे एकदम ताज़ा बनायें, तुरंत खूब चबा चबा कर आनंद लेते हुए सेवन करें। 3 बड़ी चम्मच यानी 45 एम.एल. अलसी का तेल और 6 बड़ी चम्मच यानी 90 एम.एल. पनीर को बिजली से चलने वाले हेन्ड ब्लेंडर से एक मिनट तक अच्छी तरह मिक्स करें। तेल और पनीर का मिश्रण क्रीम की तरह हो जाना चाहिये और तेल दिखाई देना नहीं चाहिये। तेल और पनीर को ब्लेंड करते समय यदि मिश्रण गाढ़ा लगे तो 1 या 2 चम्मच अंगूर का रस या दूध मिला लें। अब 2 बड़ी चम्मच अलसी ताज़ा पीस कर मिलायें। अलसी को पीसने के बाद पन्द्रह मिनट के अन्दर काम में ले लेना चाहिए।
मिश्रण में स्ट्राबेरी, रसबेरी, जामुन आदि फल मिलाऐं। बेरों में एलेजिक एसिड होते हैं जो कैंसररोधी हैं। आप चाहें तो आधा कप कटे हुए अन्य फल भी मिला लें। इसे कटे हुए मेवे खुबानी, बादाम, अखरोट, किशमिश, मुनक्के आदि सूखे मेवों से सजाऐ। मूंगफली वर्जित है। मेवों में सल्फर युक्त प्रोटीन, वसा और विटामिन होते हैं। स्वाद के लिए वनिला, दाल चीनी, ताजा काकाओ, कसा नारियल या नींबू का रस मिला सकते हैं।
दिन भर में कुल शहद 3 - 5 चम्मच से ज्यादा न लें। याद रहे शहद प्राकृतिक व मिलावट रहित हो। डिब्बा बंद या परिष्कृत कतई न हो। दिन भर में 6 या 8 खुबानी के बीज अवश्य ही खायें। इनमें विटामिन बी-17 होता हैं जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है। फल, मेवे और मसाले बदल कर प्रयोग करें। ओम खण्ड को बनाने के दस मिनट के भीतर ले लेना चाहिए। यदि और खाने की इच्छा हो तो टमाटर, मूली, ककड़ी आदि के सलाद के साथ कूटू, ज्वार, बाजरा आदि साबुत अनाजों के आटे की बनी एक रोटी ले लें। कूटू को बुडविज ने सबसे अच्छा अन्न माना है। गैहू में ग्लूटेन होता है और पचने में भारी होता है अतः इसका प्रयोग तो कम ही करें।
यकृत को ताकत देते हैं और अत्यंत कैंसर रोधी होते हैं।
दोपहर के खाने के आधा घंटा पहले एक गर्म हर्बल चाय लें। कच्ची सब्जियां जैसे चुकंदर, शलगम, मूली, गाजर, गोभी, हरी गोभी, हाथीचाक, शतावर, आदि के सलाद को घर पर बनी सलाद ड्रेसिंग या ऑलियोलक्स के साथ लें। ड्रेसिंग को 1-2 चम्मच अलसी के तेल व 1-2 चम्मच पनीर के मिश्रण में एक चम्मच सेब का सिरका या नीबू के रस और मसाले डाल कर बनाएं।
सलाद को मीठा करना हो तो अलसी के तेल में अंगूर, संतरे या सेब का रस या शहद मिला कर लें। यदि फिर भी भूख है तो आप उबली या भाप में पकी सब्जियों के साथ एक दो मिश्रित आटे की रोटी ले सकते हैं। सब्जियों व रोटी पर ऑलियोलक्स (इसे नारियल, अलसी के तेल, प्याज, लहसुन से बनाया जाता है) भी डाल सकते हैं। मसाले, सब्जियों व फल बदल - बदल कर लेवें। रोज़ एक चम्मच कलौंजी का तेल भी लें। भोजन तनाव रहित होकर खूब चबा-चबा कर खाएं।
अब नाश्ते की तरह ही 3 बड़ी चम्मच अलसी के तेल व 6 बड़ी चम्मच पनीर के मिश्रण में ताजा फल, मेवे और मसाले मिलाकर लें। यह अत्यंत आवश्यक हैं। हां पिसी अलसी इस बार न डाले।
अन्नानास, चेरी या अंगूर के रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीस कर मिलाएं और खूब चबा कर, लार में मिला कर धीरे धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें। चाहें तो आधा घंटे बाद एक ग्लास रस और ले लें।
पपीता या ब्लू बेरी (नीला जामुन) रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीस कर डालें खूब चबा-चबा कर, लार में मिला कर धीरे - धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें। पपीते में भरपूर एंज़ाइम होते हैं और इससे पाचन शक्ति भी ठीक होती है।
शाम को बिना तेल डाले सब्जियों का शोरबा या अन्य विधि से सब्जियां बनायें। मसाले भी डालें। पकने के बाद ईस्ट फ्लेक्स और ऑलियोलक्स डालें। ईस्ट फ्लेक्स में विटामिन-बी होते हैं जो शरीर को ताकत देते हैं। टमाटर, गाजर, चुकंदर, प्याज, शतावर, शिमला मिर्च, पालक, पत्ता गोभी, गोभी, हरी गोभी (ब्रोकोली) आदि सब्जियों का सेवन करें। शोरबे को आप उबले कूटू, भूरे चावल, रतालू, आलू, मसूर, राजमा, मटर साबुत दालें या मिश्रित आटे की रोटी के साथ ले सकते हैं।
1. डॉ. योहाना कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, वनस्पति घी, ट्रांस फेट, मक्खन, घी, चीनी, मिश्री, गुड़, रिफाइण्ड तेल, सोयाबीन व सोयाबीन से निर्मित दूध व टॉफू आदि, प्रिज़र्वेटिव, कीटनाशक, रसायन, सिंथेटिक कपड़ों, मच्छर मारने के स्प्रे, बाजार में उपलब्ध खुले व पेकेट बंद खाद्य पदार्थ, अंडा, मांस, मछली, मुर्गा, मैदा आदि से पूर्ण परहेज करने की सलाह देती थी। वे कैंसर रोगी को सनस्क्रीन लोशन, धूप के चश्में आदि का प्रयोग करने के लिए भी मना करती थी।
2. इस उपचार में यह बहुत आवश्यक है कि प्रयोग में आने वाले सभी खाद्य पदार्थ ताजा, जैविक और इलेक्ट्रोन युक्त हो। बचे हुए व्यंजन फेंक दें।
3. अलसी को जब आवश्यकता हो तभी पीसें। पीसकर रखने से ये खराब हो जाती है। तेल को तापमान (42 डिग्री सेल्सियस पर यह खराब हो जाता है), प्रकाश व ऑक्सीजन से बचायें। आप इसे गहरे रंग के पात्र में भरकर डीप फ्रीज़ में रखें।
4. दिन में कम से कम तीन बार हरी या हर्बल चाय लें।
5. इस उपचार में धूप का बहुत महत्व है। थोड़ी देर धूप में बैठना है या भ्रमण करना है जिससे आपको विटामिन डी प्राप्त होता है। सूर्य से ऊर्जा मिलेगी।
6. प्राणायाम, ध्यान व जितना संभव हो हल्का फुल्का व्यायाम या योगा करना है।
7. घर का वातावरण तनाव मुक्त, खुशनुमा, प्रेममय, आध्यात्मिक व सकारात्मक रहना चाहिये। आप मधुर संगीत सुनें, खूब हंसें, खेलें कूदें। क्रोध न करें।
8. सप्ताह में दो-तीन बार भाप स्नान या सोना-बाथ लेना चाहिए।
9. पानी स्वच्छ व फिल्टर किया हुआ पियें।
10. इस उपचार से धीरे-धीरे लाभ मिलता है और यदि उपचार को ठीक प्रकार से लिया जाये तो सामान्यतः एक वर्ष या कम समय में कैंसर पूर्णरूप से ठीक हो जाता है। रोग ठीक होने के पश्चात भी इस उपचार को 2-3 वर्ष या आजीवन लेते रहना चाहिये।
11. अपने दांतो की पूरी देखभाल रखना है। दांतो को इंफेक्शन से बचाना चाहिये।
12. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस उपचार को जैसा ऊपर विस्तार से बताया गया है वैसे ही लेना है अन्यथा फायदा नहीं होता है या धीरे-धीरे होता है।
आप सोच रहे होगें कि डॉ. योहाना की उपचार पद्धति इतनी असर दायक व चमत्कारी है तो यह इतनी प्रचलित क्यों नहीं है। यह वास्तव में इंसानी लालच की पराकाष्ठा है। सोचिये यदि कैंसर के सारे रोगी अलसी के तेल व पनीर से ही ठीक होने लगते तो कैंसर की मंहगी दवाइयॉं व रेडियोथेरेपी उपकरण बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कितना बड़ा आर्थिक नुकसान होता। इसलिए उन्होंने किसी भी हद तक जाकर डॉ. योहाना के उपचार को आम आदमी तक नहीं पहुंचने दिया। मेडीकल पाठ्यक्रम में उनके उपचार को कभी भी शामिल नहीं होने दिया।
उनके सामने शर्त रखी गई थी कि नोबेल पुरस्कार लेना है तो कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी को भी अपने इलाज में शामिल करो जो डॉ. योहाना को कभी भी मंजूर नहीं था। यह हम पृथ्वी वासियों का दुर्भाग्य है कि हमारे यहां शरीर के लिए घातक व बीमारियां पैदा करने वाले वनस्पति घी बनाने वालों पाल सेबेटियर् और विक्टर ग्रिगनार्ड को 1912 में नोबेल पुरस्कार दे दिया गया और कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी के इलाज की खोज करने वाली डॉ. योहाना नोबेल पुरस्कार से वनचित रह गई।
क्या कैंसर के उन करोड़ों रोगियों, जो इस उपचार से ठीक हो सकते थे, की आत्माएँ इन लालची बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कभी क्षमा कर पायेगी ? ? ? लेकिन आज यह जानकारी हमारे पास है और हम इसे कैंसर के हर रोगी तक पहुँचाने का संकल्प लेते हैं।
डॉ. योहाना का उपचार श्री कृष्ण भगवान का वो सुदर्शन चक्र है जिससे किसी भी कैंसर का बच पाना मुश्किल है।
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- मैट्रिक के बाद अनुसूचित जाति के लिए छात्रवृत्ति।
- मैट्रिक के पूर्व अनुसूचित जाति के लिए छात्रवृत्ति।
- वैसे छात्रों के लिए छात्रवृत्ति जो अस्वच्छ कार्यों में लगे हुए हैं।
- अनुसूचित जाति के छात्रों के मेधा का उन्नयन।
- बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना।
- मैला ढोने वालों के लिए पुनर्वास हेतु स्वरोजगार योजना।
- प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई)।
- अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए काम करने वाली स्वैच्छिक संस्थाओं को मदद।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम की योजनाएं।
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम की योजनाएं।
- मैट्रिक के बाद ओबीसी के लिए छात्रवृत्ति।
- मैट्रिक के पहले ओबीसी के लिए छात्रवृत्ति।
- ओबीसी के लिए छात्रावासों का निर्माण।
अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़ी विकास योजनाओं और उनको लागू करने संबंधी कई मामलों के बारे में बैठक में चर्चा हुई।
सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा मंत्रालय की योजनाओं को लागू करने में सुधार के लिए सराहना की गई। कुछ मामलों में राज्यों को केन्द्रीय सहायता के रूप में धन का आवंटन नहीं हुआ है। उन्हें आवंटन प्राप्त करने के लिए जरूरी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया गया है।
- पूर्ण विवरण सहित प्रस्ताव।
- उपयोगिता प्रमाण-पत्र जो लंबित हैं।
- व्यय का विवरण (लेखा परीक्षक द्वारा)
- एनजीओ के प्रस्तावों की ऑनलाइन जांच के लिए राज्य अधिकारियों का पंजीकरण।
- शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में मैला ढोने वाले लोगों का सर्वे। जिन्हें राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा पूरा नहीं किया गया है।
- पहचान किए गए मैला ढोने वाले लोगों का समेकित पुनर्वास के लिए प्रस्ताव जमा करना।
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न्यूयॉर्क॥ अमेरिकी आर्मी के दो सीनियर जनरलों ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। दोनों अफसरों ने सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के सामने अमेरिकी प्रेसिडेंट बाइडन को लेकर भी बड़ा दावा किया है।
अधिकारी ने कहा कि हमने प्रेसिडेंट बाइडन को चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान से जल्दबाजी में वापसी से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इससे पहले पूर्व प्रेसिडेंट ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने भी पाकिस्तानी परमाणु हथियारों के तालिबान के हाथ में पड़ने को लेकर धमकी दी थी।
अफसरों ने बताया कि जल्दीबाजी में कमबैक से क्षेत्रीय अस्थिरता, पाकिस्तान की सुरक्षा और उसके परमाणु शस्त्रागार के जोखिम बढ़ जाएंगे। जनरल ने स्पष्ट कहा कि तालिबान ने 20 वर्ष तक अमेरिकी सैन्य दबाव को कैसे झेला यह अब भी बड़ा प्रश्न बना हुआ है। हमें पाकिस्तानी पनाहगाह की भूमिका की गहराई से जांच करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि तालिबान के हाथ परमाणु हथियार लग गया तो दुनिया खतरे में आ जाएगी।
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आज का दिन आपके लिए धन-धान्य में वृद्धि लेकर आने वाला है और पारिवारिक मामलों को आप घर से बाहर ना जाने दें, नहीं तो समस्या हो सकती है। आपके घर किसी नए मेहमान के आगमन से आपकी खुशी बढ़ेगी। मित्रों के साथ आज किसी मनोरंजन के कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकते हैं आपको कार्यक्षेत्र में आज किसी बड़े निवेश को बहुत ही सोच विचारकर करना होगा, नहीं तो समस्या हो सकती है। भाई बहनों से आपको किसी बहसबाजी में पड़ने से बचना होगा। प्रेम जीवन जी रहे लोग आज साथी के साथ लॉन्ग ड्राइव पर जा सकते हैं।
आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहने वाला है। व्यवसाय में आपकी रुकी हुई योजनाओं को गति मिलेगी, जिससे आपको अच्छा लाभ भी मिलने की पूरी उम्मीद होगी। किसी दूर रह रहे परिजन से कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है और आप अपने धन का कुछ हिस्सा दान पुण्य के कार्य में भी लगाएंगे, जिससे आपकी सुख- समृद्धि बढ़ेगी लेकिन आपको कोई निर्णय लेने से पहले सोच विचार अवश्य करना होगा, नहीं तो वह गलत साबित हो सकता है। आपकी वाणी की सौम्यता आपको मान सम्मान दिलाएगी।
आज का दिन आपके लिए आलस्य से भरा रहने वाला है। कार्यक्षेत्र में अपने करीबियों का भरोसा जीतने में आप कामयाब रहेंगे, लेकिन आपकी खर्चे बढ़ेंगे, जो आपके लिए समस्या बन सकते हैं। आपको अपने धन का कुछ हिस्सा भविष्य के लिए भी संचय करके अवश्य रखना होगा और उनकी योजनाओं पर नियंत्रण बनाए रखें। कामकाज के मामले में दिन अच्छा रहने वाला है। बिजनेस कर रहे लोगों को अच्छा मुनाफा मिलने से उनकी प्रश्न का ठिकाना नहीं रहेगा, लेकिन आप दिखावे के चक्कर में ना आए।
आज का दिन आपके लिए एक नई उपलब्धि लेकर आने वाला है। आपके बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन रहेगा और आपके अंदर छिपी कला भी आज बाहर निकलेगी। किसी महत्वपूर्ण बात को किसी परिवार के सदस्य से साझा ना करें। आपकी कुछ नवीन विषयों में गति आएगी। एक लक्ष्य पर फोकस बनाकर आगे बढ़ेंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। आपके कुछ काम लटक सकते हैं। आपको संतान की संगति की ओर विशेष ध्यान देना होगा, नहीं तो वह किसी गलत संगति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
आज का दिन आपके लिए उन्नति दिलाने वाला रहेगा। प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र मे आप आगे बढे़ेंगे और अपनों से ज्यादा औरों के कामों का ध्यान लगाएंगे। कुछ काम आपके लिए समस्या लेकर आ सकते हैं। किसी संपत्ति संबंधित मामले में आपको चुप रहना बेहतर रहेगा। आपको किसी संपत्ति संबंधित मामले में जीत मिलती दिख रही है। आपकी पद व प्रतिष्ठा बढ़ने से आपको खुशी होगी। किसी से कोई कड़वी बात ना कहे। धार्मिक कार्यों में आप बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे।
आज का दिन आपके लिए लेनदेन के मामले में अच्छा रहने वाला है। अध्यात्म के प्रति आपकी रूचि बढ़ेगी और अपनी आय और व्यय में तालमेल बनाकर रखेंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा और वरिष्ठ सदस्यों का आप पूरा मान सम्मान करेंगे, जिससे वह भी आपसे प्रसन्न रहेंगे। किसी यात्रा पर जाते समय परिवार के सदस्यों से पूछताछ करके जाएं, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। आपको किसी मन की इच्छा की पूर्ति होने से आपको खुशी होगी और किसी काम में आप हां ना करे, नहीं तो बाद में वह आपके लिए कोई नहीं समस्या लेकर आ सकती है।
आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। आपको कुछ कुछ महत्वपूर्ण चर्चाओ में सम्मिलित होने का मौका मिलेगा, लेकिन आपको आज किसी दूर रह रहे परिजन से निराशाजनक सूचना सुनने को मिल सकती है। आप किसी काम में उसके नीति नियमों पर पूरा ध्यान दें, नहीं तो समस्या हो सकती है और किसी से बातचीत करते समय वाणी की मधुरता को बनाए रखें। आपको अति उत्साहित होकर किसी काम को करने से बचना होगा। आपकी कोई गलती किसी पुराने रोग से पर्दा उठा सकती है। जीवनसाथी से आप किसी बात को लेकर नाराज रहेंगे।
आज का दिन आपके लिए उत्तम रूप से फलदायक रहने वाला है। स्थायित्व की भावना को बल मिलेगा और आप अपने निर्णय लेने की क्षमता का पूरा लाभ उठाएंगे। मित्रों के साथ संबंधों में घनिष्ठता बढ़ेगी और आपको किसी पुराने गलती से सबक लेना होगा। नेतृत्व क्षमता को लेकर आप प्रसन्न रहेंगे। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। औद्योगिक मामलों में सक्रियता आएगी और किसी से किए हुए वादे या वचन को आप समय रहते पूरा करेंगे।
आज का दिन आपके लिए बहुत ही सूझबूझ दिखाकर आगे बढ़ने के लिए रहेगा और आप अपनी मेहनत और लगन से काम करके आप अधिकारियों को परेशान करेंगे। आप स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। यदि आपको कोई पुराना रोग था, तो वह फिर से उभर सकता है, जिसके कारण समस्या होगी और नौकरी में कार्यरत लोग अच्छा प्रदर्शन करेंगे। किसी काम में उसके नीति नियमों पर पूरा ध्यान दें। व्यवसाय कर रहे लोगों के लिए आज का दिन थोड़ा कमजोर रहेगा।
आज का दिन बिजनेस कर रहे लोगों के लिए अच्छा रहने वाला है और दीर्घकालीन योजनाओं को आप किसी परिजन की सलाह पर चलकर आप कोई बड़ा नुकसान उठा सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतें। निजी मामलों में आपको सावधान रहना होगा और मित्रों के साथ आपके घूमने फिरने जाने की योजना बना सकते हैं। किसी काम को आप पूरे उत्साह और लगन से करके आपको खुशी होगी। विद्यार्थियों को परीक्षा में मन मुताबिक परिणाम मिलने से उनकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहेगा।
आज के दिन आपके सुख समृद्धि बढ़ने से आपका मन प्रसन्न रहेगा और व्यापार में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ आप किसी वाद विवाद में ना पडे, नहीं तो समस्या हो सकती है। अविवाहित जातकों के जीवन में कोई खुशखबरी आ सकती है। लोगों के साथ विश्वास बनाए रखें। परिवार में किसी सदस्य को नौकरी के लिए घर से दूर जाना पड़ सकता है। आपको आज यदि किसी से धन उधार लेना पड़ेगा, तो वह आपको आसानी से मिल जाएगा। आप अपने बढ़ते खर्चों पर लगाम लगाए, नहीं तो समस्या हो सकती है और किसी करीबी की बात को सुनकर आज आप थोड़े परेशान रहेंगे। आपको कार्यक्षेत्र के कामों को लेकर समस्या बनी हुई थी, तो वह बेवजह की होगी।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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Glycidin Cough Syrup डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली दवा है, जो सिरप के रूप में उपलब्ध है। इसके अलावा Glycidin Cough Syrup का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है।
मरीज की उम्र, लिंग व स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी के आधार पर ही Glycidin Cough Syrup की खुराक निर्धारित की जाती है। इसकी खुराक मरीज की समस्या और दवा देने के तरीके पर भी आधारित की जाती है। इस बारे में और अधिक जानने के लिए खुराक वाले खंड में पढ़ें।
Glycidin Cough Syrup के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे चक्कर आना, ऊंघना, भूख कम लगना आदि। इनके अलावा Glycidin Cough Syrup के कुछ अन्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जो नीचे दिए गए हैं। Glycidin Cough Syrup के ये दुष्प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होते हैं और इलाज के पूरा होने के साथ ही समाप्त हो जाते हैं। हालांकि अगर ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यह भी जानना जरूरी है कि Glycidin Cough Syrup का प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर अज्ञात है और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अज्ञात है। Glycidin Cough Syrup से जुड़ी चेतावनी कि इसका लिवर, हार्ट और किडनी पर क्या असर होता है, इसके बारे में नीचे बताया गया है।
इनके आलावा, अगर नीचे दिए गए सेक्शन में मौजूद समस्याओं में से कोई भी समस्या आपको है, तो आप Glycidin Cough Syrup को न लें।
साथ ही, Glycidin Cough Syrup को कुछ दवाओं के साथ लेने से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। नीचे ऐसी दवाओं की पूरी लिस्ट दी गई है।
ऊपर बताई गई सावधानियों के अलावा यह भी ध्यान में रखें कि वाहन चलाते वक्त Glycidin Cough Syrup लेना असुरक्षित है, साथ ही इसकी लत नहीं पड़ सकती है।
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Glycidin Cough Syrup की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Glycidin Cough Syrup की खुराक अलग हो सकती है।
।किशोरावस्था(13 से 18 वर्ष)
क्या Glycidin Cough Syrup का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
रिसर्च कार्य न हो पाने के कारण Glycodin के लेने या न लेने के दुष्प्रभावों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
क्या Glycidin Cough Syrup का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
कुछ समय से स्तनपान कराने वाली महिला को Glycodin से किस तरह के प्रभाव होंगे, इस विषय पर किसी भी विशेषज्ञ का कोई मत नहीं हैं। इसलिए डॉक्टर से परार्मश के बाद ही इसका सेवन करें।
Glycidin Cough Syrup का प्रभाव गुर्दे पर क्या होता है?
Glycodin का बुरा प्रभाव किडनी पर कम होता है, क्योंकि ये नुकसानदायक नहीं है।
Glycidin Cough Syrup का जिगर (लिवर) पर क्या असर होता है?
Glycodin का लीवर पर हानिकारक प्रभाव बहुत ही कम होता है, जो आपको महसूस भी नहीं होता।
क्या ह्रदय पर Glycidin Cough Syrup का प्रभाव पड़ता है?
हृदय पर कुछ ही मामलों में Glycodin का विपरित प्रभाव पड़ता है। लेकिन यह प्रभाव बहुत कम होता है, जिससे कोई परेशानी नहीं होती है।
क्या Glycidin Cough Syrup आदत या लत बन सकती है?
नहीं, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि Glycidin Cough Syrup को लेने से आपको इसकी लत पड़ जाएगी। कोई भी दवा डॉक्टर से पूछ कर ही लें, जिससे कोई हानि न हो।
क्या Glycidin Cough Syrup को कुछ खाद्य पदार्थों के साथ लेने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
शोध कार्यों न हो पाने के कारण इस बारे में कहना मुश्किल है कि Glycidin Cough Syrup और खाने को साथ में लेने से क्या असर होगा।
जब Glycidin Cough Syrup ले रहे हों, तब शराब पीने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्या?
अगर आप Glycidin Cough Syrup और शराब एक समय पर ले रहे हैं तो संभव है कि इसके हल्के दुष्प्रभाव दिखें। कोई बड़ा खतरा नहीं है पर सावधानी जरूर बरतें।
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इंग्लैंड में होने वाले विश्वकप के लिए भारतीय टीम चुने जाने के बाद से पूर्व खिलाड़ियों में बहस शुरू हो गई है। पूर्व खिलाड़ी अपने-अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को टीम में न शामिल करने को लेकर नाराज नजर आ रहे हैं। पहले सुनील गावस्कर ऋषभ पंत को टीम में न लिए जाने पर आश्चर्य जता रहे थे। अब 2011 की विश्वकप विजेता टीम के सदस्य रहे पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने अंबाती रायडू को टीम में न शामिल किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह से ऋषभ पंत को मौके मिले और वह उसे भुना नहीं पाए। उस लिहाज से उनको लेकर बहस करना बेकार है।
गौतम गंभीर ने कहा कि महज तीन असफलताओं को देखकर रायडू को विश्वकप टीम से बाहर किया जाना दुखद है। यह चर्चा का विषय भी है। इस बल्लेबाज ने 48 के औसत से रन बनाए हैं और वह 33 वर्ष का अनुभवी खिलाड़ी है। फिर भी उसे टीम में जगह नहीं दी गई। टीम सिलेक्शन में अन्य किसी फैसले से ज्यादा दुखद मेरे लिए यह है। कुछ महीने पहले भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने नंबर चार के लिए अंबाती रायडू को अपनी पहली पसंद बताया था। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में वह सफल नहीं रहे। मुझे लगता है कि चयनकर्ताओं को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।
रायडू को न चुने जाने पर मुझे अपने दिन याद आ गए। मुझे 2007 के विश्वकप में नहीं चुना गया था तो बहुत बुरा लगा था। मुझे मालूम था कि टीम को मेरी जरूरत है। मैं क्रिकेट छोड़ने पर विचार कर रहा था। हर किसी क्रिकेटर का सपना विश्वकप में खेलने का होता है। इस वजह से मुझे रायडू के लिए दुख हो रहा है। रही बात पंत की जगह दिनेश कार्तिक को चुनने की तो पंत को काफी मौके मिले पर वह उसका फायदा नहीं उठा सके। दिनेश पंत से ज्यादा अनुभवी हैं, जिसका उन्हें फायदा मिला है। मेरी नजर में दूसरे विकेटकीपर के रूप में संजू सैमसन भी बेस्ट हैं। वह अच्छे बल्लेबाज हैं और उनमें नंबर चार पर खेलने की काबिलियत है।
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इस मजेदार वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया है, जिसे अब तक रिकॉर्ड 60 मिलियन यानी 6 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं.
दुनिया में लोग अगर सबसे ज्यादा किसी जानवर को पालते हैं तो वो है कुत्ता. इंसानों को इनसे इतना लगाव होता है कि वो इनके बिना रह ही नहीं पाते. कुत्तों का भी कुछ ऐसा ही हाल है. वो भी इंसानों के साथ के बिना रह नहीं पाते. हालांकि कुछ स्ट्रीट डॉग भी होते हैं, लेकिन उन्हें भी इंसानों से लगाव होता ही है. स्ट्रीट डॉग्स को तो आप रोजाना देखते ही होंगे. आपने ध्यान दिया होगा कि कुछ कुत्ते ऐसे भी होते हैं, जो पैदल चल रहे या फिर मोटरसाइकल या कार से जा रहे लोगों पर भौंकना शुरू कर देते हैं और कभी-कभी तो उनके पीछे-पीछे भी दौड़ने लगते हैं. सोशल मीडिया पर यूं तो हजारों प्रकार के वीडियोज वायरल (Viral Videos) होते रहते हैं, जिसमें कुत्तों से जुड़े मजेदार वीडियोज (Funny Videos) भी शामिल होते हैं. ऐसा ही एक वीडियो आजकल खूब वायरल हो रहा है, जिसे देख कर आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे.
वीडियो में आप देख सकते हैं कि एक शख्स मोटरसाइकिल से आ रहा होता है, तभी एक कुत्ता उसपर भौंकने लगता है, जिससे वह काफी डर जाता है और बाइक को थोड़ा तेज भगाने लगता है. इसी बीच कुत्ता भी उसके पीछे-पीछे भागने लगता है, जिससे शख्स बुरी तरह डर जाता है और कुत्ते को देखने के चक्कर में आगे सड़क पर ध्यान ही नहीं दे पाता और आगे जाकर सड़क किनारे खड़ी एक कार में टक्कर मार देता है और वहीं गिर जाता है. वहीं, कुत्ता भी भौंकते हुए आगे निकल जाता है, लेकिन जब वह शख्स को गिरते हुए देखता है तो फिर पीछे जाकर अपने रास्ते निकल लेता है.
देखें मजेदार वीडियोः
इस मजेदार वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर cutepuppy542 नाम की आईडी से शेयर किया गया है, जिसे अब तक रिकॉर्ड 60 मिलियन यानी 6 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं, जबकि 2.3 मिलियन यानी 23 लाख से अधिक लोगों ने वीडियो को लाइक भी किया है. वहीं, लोगों ने वीडियो देख कर तरह-तरह की मजेदार प्रतिक्रियाएं भी दी हैं. इस मजेदार वीडियो को देखने के बाद लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे हैं.
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फिल्मकार हंसल मेहता अभिनेत्री श्रीदेवी को अपनी फिल्म में काम करने का प्रस्ताव (ऑफर) देने की योजना बना रहे थे। वह दिग्गज अभिनेत्री के अकस्मात निधन से बेहद दुखी हैं और उन्होंने अब उस फिल्म को उन्हें (श्रीदेवी) समर्पित करने का फैसला किया है।
रविवार को श्रीदेवी के निधन की खबर सुनकर पूरा देश हैरान रह गया, और मेहता ने भी ट्विटर पर अपना दुख व्यक्त किया है।
उन्होंने लिखा, 'अब कभी भी एक और श्रीदेवी नहीं होगी। मैं उन्हें एक फिल्म करने का ऑफर देने वाला था। अब यह फिल्म उन्हें समर्पित होगी।'
श्रीदेवी (54) का शनिवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह अपने पति बोनी कपूर के भांजे मोहित मारवाह की शादी में शामिल होने पति और छोटी बेटी खुशी के साथ दुबई गई थीं।
श्रीदेवी को 'मिस्टर इंडिया', 'नगीना', 'सदमा', 'चालबाज', 'चांदनी', 'खुदा गवाह' जैसी उनकी बेहतरीन फिल्मों के लिए याद किया जाता है। इसके अलावा उन्होंने कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी काम किया।
पद्मश्री से सम्मानित श्रीदेवी ने 15 साल के अंतराल के बाद 2012 में 'इंग्लिश विंग्लिश' से बड़े पर्दे पर वापसी की थी। उनकी आखिरी फिल्म 2017 में आई 'मॉम' थी।
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छ्वन्रूस्॥ श्वष्ठक्कक्त्रः काशीडीह साकची स्थित काली मंदिर में शुक्रवार से शुरू हुए प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन मंदिर समिति के पदाधिकारियों व आस-पास के श्रद्धालुओं ने भव्य कलश यात्रा निकाली। सुबह मंदिर परिसर से लगभग हजार महिला श्रद्धालुओं के साथ इतने ही पुरुष श्रद्धालु बाजे-गाजे के साथ स्वर्णरेखा घाट पहुंचे। यहां पूजन के बाद कलशों में जल भर कर भगवान के जयकारे लगाते और भजन-कीर्तन करते हुए श्रद्धालु एमजीएम अस्पताल, बाराद्वारी, न्यू काशीडीह, ठाकुर प्यारा सिंह रोड, मानसरोवर रोड, रामलीला मैदान होते हुए मंदिर परिसर में पहुंचे। यहां सभी जल कलशों को स्थापित किया गया। शाम को अहमदाबाद गुजरात से आए पंडित राघव ऋषि के नेतृत्व में आठ पुरोहितों के दल ने महाभिषेक, शांति पौष्टिक होम, तत्वादि न्यास कर्म एवं निद्रा आवाहन, सायं पूजन व आरती आदि अनुष्ठान संपन्न कराए। अंतिम दिन रविवार को प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान, कलश व ध्वजारोहण, पूर्णाहुति व महाआरती के बाद विशाल भंडारा का आयोजन किया जाएगा। कलश यात्रा में समाजसेवी दिलीप सिंह, झाविमो नेता निर्भय सिंह, मीरा देवी, बेला दास, चंद्रावती देवी, सुनील दास, दीनबंधु अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, अंशु जायसवाल, बहादुर दास, नरेश अग्रवाल व अभिषेक दुबे आदि शामिल थे।
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फैशन, रेसिपी, हेल्थ और टिप्स एंड ट्रिक्स। यहां से बेहतर कहीं नहीं।
दुनिया में कई ऐसे जीव हैं, जिनके पास प्राकृतिक तौर पर अद्भुत प्रतिभा होती है और उनकी मदद से ही वे अपना जीवन आसानी से व्यतीत कर पाते हैं।
त्योहारी सीजन का आगाज हो चुका है। अभी नौ दिनों तक मनाया जाने वाला नवरात्रि का पावन त्योहार समाप्त होने की कगार पर है, वहीं कई अन्य त्योहारों जैसे दशहरा, दिवाली, भाई दूज और क्रिसमस आदि का जश्न माना बाकि है।
अगर आप किसी ऐसी जगह की तलाश में है जहां पर आप बाघों को करीब से देख सकें तो अब आपकी ये तलाश खत्म करने का समय आ गया है।
रोड ट्रिप कई लोगों की पहली पसंद होती है, हालांकि इस दौरान त्वचा को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। रोड ट्रिप में न सिर्फ त्वचा पर धूल-मिट्टी के कारण रैशेज आदि हो जाते हैं, बल्कि टैनिंग की समस्या भी हो सकती है।
वॉशिंग मशीन आने के बाद कपड़े धोना काफी आसान हो गया है, लेकिन अगर आप गलत तरीके से इसका इस्तेमाल करते या फिर इसकी सफाई पर ध्यान नहीं देते तो इसकी कार्यक्षमता पर काफी नकारात्मक असर पड़ता है।
अगर आप वजन नियंत्रित रखने के लिए सही तरीके से डाइट का पालन करते हैं तो ये वास्तव में काफी प्रभावी हो सकता है।
आपकी तरह ही आपके कुत्ते को सर्दियों में अधिक देखभाल की जरूरत है ताकि वह सर्दियों की वजह से होने वाली समस्याओं से बचा रहे सकें।
जन्मदिन का दिन हर किसी के लिए खास होता है, फिर चाहें बात बड़े की हो या बच्चे की। इसलिए कई लोग इसको खास बनाने के कई तरह की तैयारियां करते हैं, जिसमें घर की अच्छी सजावट से लेकर व्यंजनों को शामिल किया जाता है।
आमतौर पर लड़की जब अपनी शादी की खरीदारी के लिए जाती है तो उसकी यही इच्छा होती है कि वह बेस्ट आउटफिट खरीदे, जो बजट के मुताबिक हो।
सर्दियां आते ही कई लोगों को त्वचा संबंधी कई बदलावों का सामना करना पड़ जाता है जैसे कि खिंचाव, सूखापन और ग्लो का चले जाना आदि।
शरीर को स्वस्थ रखने में पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा अहम भूमिका निभाती है। इन्हीं पोषक तत्वों में से एक है विटामिन-D, जिसकी कमी के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के साथ-साथ त्वचा और आंखों से संबंधित कई बीमारियां होने लगती हैं।
अमरूद एक गुणकारी फल है जो न सिर्फ स्वादिष्ट बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।
नवरात्रि के उपवास के दौरान खुद को स्वस्थ रखने के लिए तरह-तरह के हेल्दी पेय पदार्थों का सेवन आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।
जीवनशैली में आए बदलावों और बैठकर काम करने का ट्रेंड बढ़ने की वजह से आजकल वजन बढ़ने की समस्या आम हो गई है।
शादी में शामिल होने वाली हर लड़की की यही इच्छा होती है कि वह इस खास मौके में सबसे खास दिखें।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और साबुन से हाथ धोने के अलावा एक और बात पर खास ध्यान देना जरूरी है और वह है चेहरे को बार-बार छूने से बचना।
नवरात्रि का आगाज हो चुका है और इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में लोग देवी मां को अपने-अपने तरीकों से रिझाने की कोशिश करते हैं और उपवास भी रखते हैं।
अगर आप सोचते हैं कि बाहर के प्रदूषण से आपका घर आपको बचाने में मददगार है तो आप शायद गलत हैं, क्योंकि इसी प्रदूषण की वजह से घरों के अंदर की हवा भी खराब होने लगी है।
बच्चे अपना ख्याल खुद नहीं रख पाते, इसलिए उनके शरीर को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी अभिभावकों की होती है।
शरीर को तरोताजा रखने के लिए गाजर के रस का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसके लाभ यहीं समाप्त नहीं होते हैं।
कई बार ज्यादा कामकाज, गलत तरीके से उठने-बैठने या असामान्य गतिविधियों के कारण कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं में शामिल है कंधे का दर्द, जिसे लोग अक्सर सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
शरीर के सभी अंग अपना काम तभी अच्छी तरह से कर पाते हैं जब उन्हें सारे पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मिलते हैं। ऐसा ही एक जरूरी पोषक तत्व है पोटेशियम।
पुरातन काल से ही हल्दी का इस्तेमाल त्वचा के लिए किया जा रहा है क्योंकि यह त्वचा के लिए विभिन्न तरीकों से फायदेमंद होती है।
ज्वैलरी की चमक-धमक लोगों को आकर्षित जरूर करती है, लेकिन इसकी इस चमक को बरकरार रखने के लिए आपको इनकी देखभाल अच्छे से करनी होती है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो ज्वैलरी का रंग फीका पड़ने लगता है।
जब कोई व्यक्ति थोड़ा रचनात्मक (Creative) तरीके से सोचता है तो वह चीजों और परिस्थितियों को थोड़ा अलग तरीके से समझने लगता है।
जब कभी आपकी कोई बिजनेस मीटिंग हो तो आपको अपनी ड्रेसिंग सेंस पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ आपको अच्छा लगेगा बल्कि यह आपके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा।
घर में मेहमानों का कमरा काफी अहम होता है क्योंकि यह आपकी रुचियों और आपकी शख्सियत को दर्शाता है।
फ्लोरल ज्वैलरी पिछले कुछ समय से काफी चलन में है और कई लड़कियां इसे अपनी शादी की रस्मों में पहनना पसंद करती हैं क्योंकि इससे उन्हें काफी खूबसूरत लुक मिलता है।
भारतीय थाली कई व्यंजनों से भरी है और ये बताना मुश्किल है कि कौन-सा व्यंजन कहां से आया है। भारतीय थाली में शामिल व्यंजनों की जड़ें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हैं और कुछ यूरोप से आए हैं तो कुछ अमेरिका से।
अगर आप खाने के शौकीन हैं तो आपको देश के अलग-अलग जगहों के व्यंजनों का स्वाद लेना बेहद पसंद होगा।
आमतौर पर माता-पिता सोचते हैं कि गार्डनिंग से उनके बच्चों के हाथ खराब हो जाएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर बच्चे कम उम्र में ही गार्डनिंग करने लग जाते हैं तो इससे वह जीवन से जुड़े कई सबक खुद-ब-खुद सीख सकते हैं।
आलू सबसे आम सब्जियों में से एक है और इस वजह से कई लोग इसके गुणों को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन आपको बता दें कि आलू कई सामान्य शारीरिक समस्याओं से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाव में भी मदद कर सकता है।
आजकल ईमेल करना आम हो गया है। ऑफिस के काम से अलावा भी कई कामों के लिए लोग ईमेल करते हैं।
स्ट्रीट फूड का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना लाजमी है, चाहें फिर बात भारत के स्ट्रीट फूड की हो या विदेश की। विदेशों में भी लोग स्ट्रीट फूड के अच्छे खासे शौकीन हैं।
माता-पिता न केवल बच्चों की देखभाल और उनका भरण-पोषण करते हैं, बल्कि उनके सबसे पहले शिक्षक भी होते हैं।
दिनभर के व्यस्त शेड्यूल के बाद थकान महसूस होना लाजिमी है, लेकिन दिन की शुरूआत से लेकर रात को सोने जाने तक थकावट महसूस होना बिल्कुल भी सामान्य नहीं है।
शक्ति-स्वरूप मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का आगाज 17 अक्टूबर से होने जा रहा है। कई लोग नवरात्रि में उपवास रहते हैं और अगर आप भी पहली बार नवरात्रि का उपवास रखने जा रहे हैं तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा, ताकि उपवास के दौरान आपको किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
कठोर मौसम और सूरज की किरणों के सीधे प्रभाव जैसे कई कारणों से हाथ रूखे हो सकते हैं और आजकल मार्केट में इन्हें कोमल करने का दावा करने वाली कई तरह की क्रीम और लोशन आदि उपलब्ध हैं।
सब्जियों के सेवन से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स मिलते हैं, जो शरीर के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
नीम एक ऐसा गुणकारी पेड़ है जिसके सभी हिस्से औषधीय गुणों की खान हैं। यही वजह है कि प्राचीन काल से ही नीम के पत्तों, निबोरियों, छाल और जड़ों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता रहा है।
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मुजफ्फरनगर जनपद में करीब 11 साल पहले हुई इस घटना को लेकर अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए उसको उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी पर भारी अर्थदण्ड लगाया।
मुजफ्फरनगर। जनपद में करीब 11 साल पहले एक किशोर के साथ कुकर्म करने का प्रयास किया गया और विफल रहने में उसकी गला दबाकर हत्या करने के बाद आरोपी ने शव को राजवाहे में फेंक दिया। अदालत में यह मामला लम्बा चला। आज इस प्रकरण में अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए उसको उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी पर भारी अर्थदण्ड लगाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 वर्षीय बालक की कुकर्म में विफल होने पर हत्या के मामले में अदालत ने आज सुनवाई होने पर अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी का दोषी ठहराया। इसमें आरोपी को आजीवन कारावास की सजा का ऐलानकिया गया है। किशोर की हत्या के दोषी सोहन उर्फ सोनू को उम्र कैद की सजा सुनाये जाने के साथ ही उस पर 95 हजार रुपये का जुर्माना किया गया है। मामले की सुनवाई एडीजे 7 पूनम राजपूत की कोर्ट में हुई।
अभियोजन की ओर से एडीजीसी पुष्पेन्द्र सिंह चैधरी ने 13 गवाह पेश कर कड़ी पैरवी की। अभियोजन के अनुसार गत 6 जुलाई 2010 को थाना नई मंडी के ग्राम कूकड़ा में 14 वर्षीय किशोर की कुकर्म करने में विफल होने पर गला दबा कर हत्या कर दी गयी थी। इसके बाद उसके शव को रजबाहे में डाल दिया था। पुलिस ने पीड़ित परिजन की शिकायत पर मामला दर्ज कर आरोपी सोहन को गिरफ्तार कर जेल भेज था। एडीजीसी ने बताया कि अदालत में अभियोजन की ओर से आरोपी को सजा दिलाने के लिए घटना से सम्बंधित मजबूत साक्ष्य और गवाह पेश किये गये। जिनको सही मानते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
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Viral Video: सोशल मीडिया पर एक बुहत ही प्यारा वीडियो भी वायरल हो रहा है। जिसमें एक मासूम बच्ची टीवी के सामने खड़ी है। ओलपिंक में मीराबाई चानू की ओर से की गई वेट लिफ्टिंग की नकल करती दिख रही है। बच्ची ने पहले देखा कि ओलिंपिक में मीराबाई चानू किस तरह वेट लिफ्ट कर रही हैं।
नई दिल्ली। विश्व के सबसे बड़े खेलों के महाकुंभ यानी ओलंपिक का आगाज हो चुका है। टोक्यो में चल रहे इन खेलों में भारत को अभी तक सिर्फ एक ही मेडल मिला था। जो मणिपुर की रहने वाली वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने जीता है। बता दें कि चानू ने 49 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल हासिल किया है। जिसके बाद राष्ट्रपति,पीएम से लेकर सभी ने उनको बधाईयां दी हैं। वहीं टोक्यो से स्वदेश लौटने पर चानू का एयरपोर्ट पहुंचते ही भव्य स्वागत हुआ।
वहीं अब सोशल मीडिया पर एक बुहत ही प्यारा वीडियो भी वायरल हो रहा है। जिसमें एक मासूम बच्ची टीवी के सामने खड़ी है। ओलपिंक में मीराबाई चानू की ओर से की गई वेट लिफ्टिंग की नकल करती दिख रही है।
बच्ची ने पहले देखा कि ओलिंपिक में मीराबाई चानू किस तरह वेट लिफ्ट कर रही हैं। फिर उसके बाद उसने हाथों में व्हाइट पाउडर लगाया और जैसे चानू ने वेटलिफ्टिंग की, इस बच्ची ने भी अपने छोटे-छोटे हाथों से वेट लिफ्ट किया। वहीं बच्ची का यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसे लोग भी काफी पसंद कर रहे हैं।
इस बच्ची का यह वीडियो वेटलिफ्टर सतीश शिवलिंगम ने शेयर किया है। जहां उन्होंने लिखा कि 'जूनियर मीराबाई चानू, इसे प्रेरणा कहा जाता है। ' बता दें कि यह वीडियो को 26 जुलाई को पोस्ट किया गया था।
देखते ही देखते हजारों लोगों ने इसे रिट्वीट भी किया है। वहीं कई लोगों ने इस पर कई कमेंट भी किए हैं।
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भौडी मालम होती और मै पागे की अदम मौजूदगी में उसका तमम्बुर उडाना - कमबख्त बडी ढिटाई से कहता "साले, तू क्यो जलता है ?"
जैसा कि मैं इससे पहले बयान कर चुका हूँ, पागे बहुत हॅसमख और घुल-मिठ हो जानेवाली तवाइफ थी । स्टूडियो के हर कारकन से वह ऊँच-नीच मे बेपरवा बडे तपाक स मिलती थी। यही वजह है कि वह बहुत थोडे अर्से में मकबूल हो गई-स्टूडियो के निचले तबके ने उसे एहतिगमन पागे देवी कहना शुरू कर दिया और यह इतना आम हुआ कि फिल्म के उनवानात मे पारो के बजाय पागे देवी लिखा गया।
दत्तागम पाई ने एक कदम और आगे बढ़ाया और कुछ ऐसी टिप्पम लडाई कि एक दिन पागे के घर पहुँच गया। थोडी देर वहाँ बैठा, उसम अपनी खातिर मदारात" कगई और चला आया- इसके बाद उसने हफ्ते मे एक-दो मर्तबा बाकाइदगी के साथ वहाँ जा धमकना शरू कर दिया।
पारो अकेली नही रहती थी। उसके साथ एक अधेड उम्र का मर्द भी रहता था कदो कामन मे उसमे दोगुना- मैंने दो-तीन मर्तबा उसे पागे के साथ देखा था। वह उसका पनिदेव कम और 'थाम' ज्यादा नजर आता था।
पाई ऐसे फखो-इब्तिहाज" मे कैटीन मे पारो में अपनी मुलाकानो का जिक्र नीम आशिकाना अदाज में करना कि हॅसी आ जाती। मैं ओर वाचा उसका खूब मजाक उडाने मगर वह कुछ ऐसा ढीट था कि उस पर कुछ असर न होता- कभी-कभी पागे भी मौजद होनी। मै उसकी मौजदगी में भी पाई के खाम ओर भोंडे इश्क का मजाक उडाता। वह बरा न मानती और मुसकराती रहती- उस मुसकराहट से उसने मेरठ में जाने कितने दिलो को अपनी कैंची से कतरा होगा।
पागे मे आम नवाइफो ऐसा भडकीला या छिछोरापन नही था । वह मुहज्जब' महफिलो मे बैठकर बडी शाइस्तगी " से गुफ्तग् कर सकती थी इसकी वजह यही हो - सकती है कि मेरठ मे उसके यहाँ आने जानेवाले ऐरे-गैरे नत्थू खैरे नहीं होते थे। उनका ताल्लुक मोमाइटी के रस तबके से था, जो शाइस्तगी के साथ महज तफ्रीह की खातिर कोठो की तरफ माइल होता है।
पारो अब, स्टूडियो की फजा मे बडी अच्छी तरह घर्लामल गई थी- फिल्मी दनिया मे अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई औरत या लडकी एक्ट्रेस बनती है तो उसको कोई-न-कोई फौग्न दबोच लेता है, जैसे वह गेद है और जिसे बल्ले के साथ 'कसी ने हिट लगाई है और फील्ड में खड़े खिलाडी इस ताक में है कि वह उनके हाथ मे चली आए ।
लेकिन पागे के साथ ऐसा न हुआ, शायद इसलिए कि फिल्मिस्तान दूसरे निगारखानो के मुकाबले में बहुत हद तक 'पाकबाज' था- एक वजह यह भी हो सकती है कि पारो को कोई इतनी ज्यादा जल्दी नही थी- और शायद ऐसा भी था कि फील्ड मे खडे हुए खिलाडी अपने-अपने तौर पर मसरूफ थे ।
दस्तावेज पाँच/19 |
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाल के धरना और आईएएस अधिकारियों की कथित हड़ताल के खिलाफ याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है।
नई दिल्ली, 22 जून। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाल के धरना और आईएएस अधिकारियों की कथित हड़ताल के खिलाफ याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है। न्यायमूर्ति एके चावला और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा , " गतिरोध खत्म हो गया है। अब कोई जल्दी नहीं है। " पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या वे अपनी - अपनी याचिकाएं वापस लेना चाहते हैं।
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्दर गुप्ता समेत सभी याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने अपने - अपने बिंदू उठाए हैं और वे उसे आगे बढ़ाना चाहेंगे। इसके बाद अदालत ने सभी मामलों पर तीन अगस्त को सुनवाई करने का निश्चय किया।
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उच्च न्यायालय में इस सिलसिले में दो याचिकाएं हैं। एक भाजपा नेता गुप्ता की है जो उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में केजरीवाल , उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्दर जैन के हाल के धरने के खिलाफ है।
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दूसरी याचिका अधिवक्ता हरि नाथ राम की है। यह भी केजरीवाल की हड़ताल के खिलाफ है। उन्होंने 18 जून को अंतरिम आदेश पारित करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के इनकार के बाद उच्चतम न्यायालय में भी एक याचिका दायर की है । उच्चतम न्यायालय संभवत : इसपर जुलाई में सुनवाई करे।
केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने आईएएस अधिकारियों को उपराज्यपाल से अपनी " हड़ताल " खत्म करने के निर्देश देने की मांग के समर्थन में 11 जून से धरना शुरू किया था। 18 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसपर सवाल खड़ा किया जिसके दूसरे दिन हड़ताल वापस ले ली।
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बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के रियलिटी शो 'बिग बॉस' के सेट पर आग लगने की खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि बिग बॉस के सेट पर आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की 4 गाड़ियां मौके पर पहुंची हैं।
बिग बॉस के सेट पर आग कैसे लगी इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। दमकलकर्मी आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं।
बता दें कि बिग बॉस के 15वें सीजन का फिनाले कुछ समय पहले ही हुआ है। इस सीजन की विनर तेजस्वी प्रकाश बनी हैं। वहीं सिम्बा नागपाल और करण कुंद्रा रनरअप रहे।
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इस एप के जरिए इससे रेल पैसेंजर्स की सभी जरूरतें पूरी हो जाएंगी। ऐप में टिकट बुकिंग, एंक्वायरी से लेकर फ्लाइट बुकिंग और खाना ऑर्डर करने तक की सर्विसेज मिलेंगी। इससे पहले पैसेंजर्स को अलग-अलग सर्विस के लिए अलग-अलग ऐप यूज करने पड़ते थे। ऐप को गूगल प्ले-स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
पैसेंजर्स की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बुकिंग व अन्य इंफार्मेशन से संबंधित नया मोबाइल ऐप जारी किया है। इस ऐप का नाम सारथी दिया गया है। इसकी खासियत है कि रेल संबंधित सभी ऐप का काम अकेले ही करेगा। यानी सारथी एप डाउनलोड करने वाले लोगों को कई प्रकार के दूसरे एप इंस्टाल करने की जरूरत नहीं होगी। बदलते दौर में जब वक्त की काफी कीमत है ऐसे में पैसेंजर्स एक ही ऐप से अपनी सारी जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।
ऐप के लॉन्च के साथ ही अब आप रेलवे से जुड़ी हर तरह की बुकिंग कर पाएंगे।
- पूछताछ करने के साथ कम्प्लेन भी दर्ज करा सकेंगे।
- यूजर्स के पास यदि कोई सुझाव या शिकायत है तो उसे भी इस ऐप के जरिए दिया जा सकता है।
- ऐप के जरिए यूटीएस कैटेगरी के टिकट भी बुक कर सकते हैं।
सारथी को शुरुआत में एंड्रॉएड प्लेटफॉर्म पर लांच किया गया है। लेकिन जल्द ही इसे विंडोज और आईओएस पर भी लांच किया जाएगा। अब तक अलग-अलग सर्विसेज़ के लिए रेलवे ने अलग-अलग ऐप जारी कर रखे हैं लेकिन अब ये सारे काम एक ही ऐप से हो जाएंगे। आईआरसीटीसी रेल कनेक्ट, यूटीएस इन मोबाइल, एनटीईएस, आईआरसीटीसी टूरिज्म और क्लीन माई कोच जैसे ऐप का काम सारथी से हो जाएगा। खास बात यह कि इस एप में अकेले जर्नी करने वाली लेडिज की सिक्योरिटी से जुड़ा फीचर भी है।
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भारत ने टेस्ट, टी-20 के बाद अब वनडे सीरीज में भी इंग्लैंड को मात दे दी। रविवार को खेले गए 3 वनडे की सीरीज के आखिरी और निर्णायक मैच में भारत ने इंग्लैंड को 7 रन से हराया। 330 रन के स्कोर का पीछा करने उतरी इंग्लैंड को आखिरी ओवर में जीत के लिए 14 रन चाहिए थे। लेकिन इंग्लैंड की टीम सिर्फ 6 रन ही बना सकी।
स्पोर्ट्स डेस्क : भारत ने टेस्ट, टी-20 के बाद अब वनडे सीरीज में भी इंग्लैंड को मात दे दी। रविवार को खेले गए 3 वनडे की सीरीज के आखिरी और निर्णायक मैच में भारत ने इंग्लैंड को 7 रन से हराया। 330 रन के स्कोर का पीछा करने उतरी इंग्लैंड को आखिरी ओवर में जीत के लिए 14 रन चाहिए थे। लेकिन इंग्लैंड की टीम सिर्फ 6 रन ही बना सकी। इंग्लैंड की ओर से 8वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए सैम करन ने 95 रन की पारी खेली, लेकिन वे टीम को जीत नहीं दिला सके। यह किसी भी बल्लेबाज का 8वें नंबर पर खेलत हुए सर्वोच्च स्कोर है।
टॉस हारकर बल्लेबाजी करने उतरी भारत की टीम ने 48. 2 ओवर में ही 10 विकेट खोकर 329 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड की टीम 50 ओवरों में 9 विकेट पर 322 रन बना सकी । इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा रन सैम करन (95) ने बनाए। इसके अलावा जेसन रॉय ने 14 रन, बेरिस्टो ने 1 रन, बेन स्टोक्स ने 35 रन, डेविड मलान ने 50 रन, जोस बटलर ने 15 रन और लिविंगस्टोन ने 36 रन, मोइन अली 29 रन, आदिल राशिद 19 रन, और मार्क वुड ने 14 रन बनाए। भारत की ओर से शार्दुल ने 4 विकेट, भुवनेश्वर कुमार ने 3 विकेट और टी नटराजन ने 1 विकेट लिया।
इससे पहले इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया। भारत ने 48. 2 ओवर में ही 10 विकेट खोकर 329 रन बनाए। हालांकि, एक समय था, जब ऐसा लग रहा था कि भारत आसानी से 350 रन बना लेगा। लेकिन मार्ग वुड ने 3 और आदिल राशिद ने 2 विकेट लेकर भारत को बड़ा स्कोर खड़ा करने से रोका।
पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने शानदार शुरुआत की। रोहित शर्मा और शिखर धवन में 14 ओवर में अपनी टीम के लिए 100 रन पूरे किए। हालांकि 14 ओवर की चौथी गेंद पर रोहित शर्मा आदिल रशीद का शिकार हो गए। अपनी पारी में उन्होंने 37 बॉल पर 6 चौकों की मदद से 37 रन बनाए। वहीं, 16 ओवर की चौथी गेंद पर आदिल रशीद ने शिखर धवन का विकेट भी लिया। उन्होंने अपनी पारी में 56 बॉल पर 10 चौकों की मदद से 67 रन बनाएं। दोनों भारत को एक बेहतरीन शुरुआत दी।
तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए कप्तान विराट कोहली ने बहुत जल्दी अपनी विकेट गवां दिया। 17वें ओवर की चौथी गेंद पर मोइन अली ने उनको बोल्ड किया। कोहली सिर्फ 10 गेंद पर 7 रन बना पाए थे। उनका आउट होना भारतीय टीम के लिए एक बड़ा झटका है।
केएल राहुल के 7 रनों पर आउट होने के बाद एक समय भारत की पारी लड़खड़ा गई थी, लेकिन ऋषभ पंत और हार्दिक पंड्या ने अपनी टीम के लिए शानदार पारी खेली और दोनों ने अपना अर्धशतक पूरा किया। हालांकि पंत 78 रन पर आउट हो गए। उन्हें सैम कुरेन ने विकेटकीपर जोस बटलर के हाथों कैच आउट कराया। उन्होंने अपनी पारी में 62 बॉल पर 5 चौकों और 4 छक्कों की मदद से 78 रन बनाए। वहीं, हार्दिक पंड्या ने 44 बॉलों पर 64 रन बनाए और 38वें ओवर की आखिरी गेंद पर वह बेन स्ट्रोक्स का शिकार हो गए।
हार्दिक पंड्या और ऋषभ पंत के आउट होने के बाद शार्दुल ठाकुर और क्रुणाल पंड्या ने एक छोटी पर महत्वपूर्ण पारी खेली। शार्दुल ने 21 बॉल पर 30 रन, तो क्रुणाल ने 34 बॉल पर 25 रन बनाए। शार्दुल ने अपनी पारी में 1 चौका और 3 छक्के लगाए।
भारत की जमीन पर इंग्लैंड की टीम ज्यादा कमाल नहीं कर पाई है। 1984-85 के बाद से इंग्लैंड ने भारत में कोई वनडे सीरीज नहीं जीती।
भारत और इंग्लैंड के बीच 24 मार्च को खेले गए पहले वनडे में भारतीय टीम ने इंग्लिश टीम को 66 रनों से मात दी। मैच में भारत ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी की और 50 ओवर में 317 रन बनाए। जबकि इंग्लैंड की टीम अच्छी शुरुआत के बावजूद 42 ओवर में 251 रन पर ढेर हो गई। भारत की ओर डेब्यू करने वाले प्रसिद्ध कृष्णा ने चार विकेट लिए। वहीं, शार्दुल ने 3, भुवनेश्वर ने 2 और क्रुणाल पंड्या ने 1 विकेट लिया।
इंग्लैंड ने 3 वनडे की सीरीज के दूसरे मैच में भारत को 6 विकेट से मात दे दी। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 5 विकेट पर 336 रन बनाए थे। इंग्लैंड ने इस लक्ष्य को 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया। इंग्लैंड की ओर से बेयरस्टो ने 124 रन, स्टोक्स ने 99 रन बनाए। बेरिस्टो के करियर का यह 11वां शतक था। वहीं, जेसन रॉय ने भी करियर का 19 वां अर्धशतक लगाया।
रोहित शर्मा, शिखर धवन, विराट कोहली (कप्तान), केएल राहुल, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), हार्दिक पंड्या, क्रुणाल पांड्या, शार्दुल ठाकुर, भुवनेश्वर कुमार, प्रसिद्ध कृष्ण, टी नटराजन।
जेसन रॉय, जॉनी बेयरस्टो, बेन स्टोक्स, दाविद मालन, जोस बटलर (कप्तान/विकेटकीपर), लियाम लिविंगस्टोन, मोइन अली, सैम कुरेन, आदिल राशिद, रीस टॉपले, मार्क वुड।
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पूरी सेक्युलर जमात आजकल नरेन्द्र मोदी के विरोध में महात्मा गांधी नामक अस्त्र लेकर खड़ी है। उसका कारण यह है कि नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर अर्थात गांधी जयंती के अवसर पर 'स्वच्छ भारत अभियान' की शुरुआत की। ...गांधी विचाररूपी महासागर से उन्होंने केवल एक कण उठाया। इन सेक्युलर भूत-पिशाचों को इतना भी सहन नहीं हुआ और उन्होंने तुरंत चीखना-चिल्लाना शुरु कर दिया।
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नवी मुंबई : नववर्ष (New Year) में राज्य के मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने मुंबई (Mumbai) वासियों को तोहफा देते हुए 500 वर्ग फुट तक के घरों को प्रॉपर्टी टैक्स से आजाद करने की घोषणा की। लेकिन नवी मुंबई (Navi Mumbai) के बारे में विचार नहीं किया।
19 जुलाई 2019 को इसी तरह का प्रस्ताव नवी मुंबई महानगरपालिका (Navi Mumbai Municipal Corporation) की आमसभा में मंजूर किया गया था, जिसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा गया था, लेकिन 29 माह बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने नवी मुंबई वासियों के हित वाले इस प्रस्ताव का ठंडे बस्ते में डाल रखा है, जिसे लेकर नवी मुंबई वासियों में असंतोष बढ़ने लगा है।
गौरतलब है कि ऐरोली के विधायक गणेश नाईक की सूचना पर नवी मुंबई महापालिका की आमसभा में 500 वर्ग फुट तक के घरों का प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने और प्रॉपर्टी टैक्स में रियायत देने का प्रस्ताव मंजूर किया गया था। जिसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा गया था। लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया है। जिस प्रकार से मुंबई महापालिका क्षेत्र में 500 वर्ग फुट तक के घरों का टैक्स माफ किया गया है, इसी तरह से नवी मुंबई महानगरपालिका के प्रस्ताव को भी तत्काल मंजूरी दी जाए, ऐसी मांग करते हुए ऐरोली के विधायक गणेश नाईक ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को स्मरण पत्र भेजकर की है।
गौरतलब है कि नवी मुंबई महानगरपालिका के प्रस्ताव में जहां 500 वर्ग फुट तक के घरों को पूरी तरह से प्रॉपर्टी टैक्स से मुक्त करने की बात कही गई है, वहीं महानगरपालीका क्षेत्र में 501 से 700 वर्ग फीट तक के घरों को प्रॉपर्टी टैक्स में 60 प्रतिशत तक की छूट देने का उल्लेख किया गया है। नवी मुंबई में लगभग 3 लाख 50 हजार प्रापर्टी टैक्स धारक हैं, जिसमें से 1 लाख 25 हजार प्रॉपर्टी धारक अल्प आय की श्रेणी वाले हैं। उक्त प्रस्ताव के मंजूर होने पर सबसे ज्यादा फायदा इसी वर्ग को होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए विधायक गणेश नाईक ने उक्त प्रस्ताव को महानगरपालिका में मंजूर कराया था। राज्य सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी देने पर कोरोना काल में अल्प आय के लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव को लटकाए रखा है।
विधायक गणेश नाईक ने enavabharat. com को बताया कि आर्थिक नजरिए से नवी मुंबई महानगरपालिका संपन्न महानगर पालिकाओं में शामिल है। कोरोना जैसे आपदा के दौरान भी नवी मुंबई महानगरपालिका ने इस मामले में क्रिसिल संस्था से उच्च पत श्रेणी हासिल किया है। नवी मुंबई की तुलना में मुंबई महानगरपालिका की आर्थिक स्थिति डामाडोल है, इसके बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री ने मुंबई महानगरपालिका के 500 वर्ग फुट तक के घरों का प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। इससे यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री नवी मुंबई वासियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं।
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मुंबई। निर्माता दिनेश विजान का कहना है. फिल्म गो गोवा गॉन टू मेरिस्टेले नजर आएंगे मूल फिल्म गो गोवा गोन की कहानी जो हम भी को लेकर बनी थी. इरोज इंटरनेशनल और मैडम प्रिंस में हाल ही में 2013 में आई जोंबी कॉमेडी फिल्म गो गोवा गोन की स्कीम की घोषणा की वह गोवा गोन में कुणाल खेमू के अलावा सैफ अली खान वीर दास पूजा गुप्ता और आनंद तिवारी भी नजर आए थे. फिल्म की कहानी के अनुसार तीन दोस्त गोवा की ट्रिप पर जाते हैं. लेकिन उनके बुरे सपने जैसी साबित होती है फिल्म का निर्देशन राज निदिमोरू और कृष्णा डीके की जोड़ी ने किया था. दिनेश ने कहा इस फिल्म में जो भी नहीं होंगे हम इसे एलियन ओं के साथ बना रहे हैं. बाकी सब कुछ वैसा ही होगा यह फिल्म मार्च 2021 में रिलीज होगी 2018 की हॉरर कॉमेडी की अगली कड़ी पर काम कर रहे हैं. इस कड़ी की तीसरी फिल्म मुंजा बनाने की तैयारी में भी है भी मुंजा भी समान विषय पर आधारित होगी।
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इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 के तीसरे ऑर्बिट को सफलतापूर्वक बदल दिया गया है। चंद्रयान-3 का तीसरा ऑर्बिट मैन्यूवर 18 जुलाई को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच किया गया।
खबर में आगे पढ़ेंः
चंद्रयान-3 के तीसरे ऑर्बिट बदलने के बाद इसरो ने इस बात की जानकारी दी है। ट्वीट कर इसरो ने बताया, "मिशन तय समय पर है। पृथ्वी-बाउंड पेरिगी फायरिंग ISTRAC/ISRO बेंगलुरु से सफलतापूर्वक किया गया है। अगली फायरिंग 20 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे IST के बीच करने की योजना है।" इसरो ने ये भी बताया कि प्लान के तहत चंद्रयान-3 ने 51400 किमी x 228 किमी की कक्षा प्राप्त कर ली है।
उम्मीद की जा रही है कि 31 जुलाई की रात को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर चन्द्रमा की तरफ बढ़ेगा। 5 अगस्त तक चन्द्रमा की ग्रैविटी इसे अपनी तरफ खींचने लगेगी तब स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा के चक्कर लगाएगा और सब कुछ ठीक रहा तो 23 अगस्त को यह चन्द्रमा की तरह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में करई कंपनियों का योगदान रहा है। लार्सन एंड टर्बो नाम की कंपनी ने चंद्रयान-3 के लिए स्पेस हार्डवेयर तैयार किया। इसके अलावा लॉन्च वाहन के सिस्टम इंटीग्रेशन में भी अपना योगदान दिया। अम्बिलिकल प्लेट और बूस्टर सेग्मेंट्स भी तैयार किया।
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स नाम की कंपनी ने कई जरूरी चीजें नेशनल एरोस्पेस लैबोरेटरीज को दिया। वहीं भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (BHEL) नाम की कंपनी ISRO को 100 बैटरी सप्लाई किया।
वालचंदनागर इंडस्ट्रीज़ ने 1993 में PSLV- D1 लॉन्च से लेकर अब तक ISRO के सभी 48 लॉन्च के लिए जरूरी कम्पोनेंट्स उपलब्ध करवाए हैं। सेन्टम इलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत के अलग-अलग स्पेस मिशंस के लिए अब तक 300 से 500 कम्पोनेंट्स उपलब्ध करवाए। जबकि इंजन और स्टेज बनाने के लिए ISRO ने गोदरेज, MTAR टेक्नोलॉजीस और HAL से मदद ली।
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नई दिल्लीः
मशूहर टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा और अभिनेत्री अथिया शेट्टी ने सामाजिक कार्यकर्ता माना शेट्टी के 'सेव द चिल्ड्रन' मुहिम के लिए हाथ मिलाया है. माना शेट्टी अभिनेत्री अथिया शेट्टी की मां हैं. उन्होंने बच्चों के साथ एक विशेष विज्ञापन की शूटिंग की है और धन जुटाने के लिए जीवनशैली प्रदर्शनियों का आयोजन करेंगी. माना की आराइश 'सेव द चिल्ड्रन इंडिया' की धन जुटाने वाली शाखा रही है और द लेबल बाजार के साथ सहयोग से वे अलग-अलग दर्शकों तक पहुंचने का प्रयास करते हैं.
अथिया ने एक बयान में कहा, "आय का उपयोग बस्तियों में रहने वाली किशोरियों और युवा महिलाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण और गरीब परिवारों से आने वाले विशेष बच्चों की शिक्षा के लिए किया जाता है. "
उन्होंने कहा, "हम आराइश एक्स द लेबल बाजार के मंच का इस्तेमाल सोशल मीडिया अभियान और रचनात्मकता के माध्यम से करते हैं." अथिया ने कहा कि सानिया इसे लेकर काफी उत्साहित हैं.
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दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली) दिल्ली शहर के सबसे बड़े और पुराने स्टेशनों में से एक है। ब्रिटिश हुक्मारानों ने इसे बनवाया था। यह देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से है। यहां दिल्ली मेट्रो यलो लाइनका भी स्टेशन है। यह चांदनी चौक की ओर है। यहां परिक्रमा सेवा का भी हॉल्ट होता है। .
25 संबंधोंः चण्डीगढ़, चाँदनी चौक, दिल्ली, दिल्ली परिक्रमा रेल सेवा, दक्षिण, नई दिल्ली, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, पश्चिम, पानीपत, ब्लू लाइन (दिल्ली मेट्रो), भारत, यूनाइटेड किंगडम, येलो लाइन (दिल्ली मेट्रो), रेड लाइन (दिल्ली मेट्रो), रोहतक, सोनीपत, हरियाणा, हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, जम्मू, ग़ाज़ियाबाद, करनाल, किशनगंज, अम्बाला, अमृतसर, उत्तर प्रदेश।
चण्डीगढ़, (पंजाबीः ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप 'चंडिका' के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .
चाँदनी चौक दिल्ली का सबसे पुराना एवं सबसे व्यस्त क्षेत्र है। यह पुरानी दिल्ली के सबसे व्यस्त बाजारों में से एक है। चांदनी चौक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित है। लाल किला स्मारक बाजार के भीतर स्थित है। यह १७ वीं शताब्दी में भारत के मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनाया गया था, और इसका डिजाइन उनकी बेटी जहांआरा द्वारा तैयार किया गया था। चांद की रोशनी को प्रतिबिंबित करने के लिए बाजार को नहरों द्वारा विभाजित किया गया था और यह भारत के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक बना हुआ है। .
दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ीः National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैंः हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .
परिक्रमा सेवा दिल्ली की मुद्रिका (रिंग) रेल सेवा को कहते हैं। यह सेवा मुद्रिका यानि अंगूठी के आकार में गोलाकार रेल लाइन पर चलती हुई, पुरी दिल्ली के चक्कर लगाती है। इसमें २० रेलवे स्टेशन या हॉ्ट आते हैं। इन स्टेशनों में तीन बड़े रेलवे स्टेशन भी हैं.
कुतुबनुमा-दक्षिण को इंगित करता दिशाकमल दक्षिण कुतुबनुमा द्वारा दिखायी जाने वाली चार दिशाओं में से एक दिशा है। दक्षिण दिशा उत्तर दिशा के विपरीत (दूसरी तरफ) होती है और पूर्व एवं पश्चिम दिशाओं से ९० डिग्री (अंश) पर होती है। (उत्तर दक्षिण एक दूसरे के आमने सामने हैं और पूर्व पश्चिम भी एक दुसरे के आमने सामने हैं।) यदि आप सूर्य की तरफ मुख कर के खड़े होंगे तो आपका मुख पूर्व की ओर होगा, दक्षिण दिशा आपके दाएँ हाथ की तरफ होगी, बाएँ हाथ की तरफ उत्तर होगा और पश्चिम आपकी पीठ की ओर होगी। नक्शों में दक्षिण दिशा अधिकतर पन्ने के नीचे की तरफ दिखायी जाती है और उत्तर दिशा पन्ने के ऊपर की ओर। श्रेणीःदिशाएँ भारत उपमहाद्वीप के दक्षिण में समुद्र है.
नई दिल्ली भारत की राजधानी है। यह भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के केंद्र के रूप में कार्य करता है। नई दिल्ली दिल्ली महानगर के भीतर स्थित है, और यह दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के ग्यारह ज़िलों में से एक है। भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) था। अंग्रेज शासकों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्ली को राजधानी बनाया जाए तो बेहतर होगा क्योंकि यह देश के उत्तर में है और यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा। इस पर विचार करने के बाद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्ली ले जाने के आदेश दे दिए। वर्ष 2011 में दिल्ली महानगर की जनसंख्या 22 लाख थी। दिल्ली की जनसंख्या उसे दुनिया में पाँचवीं सबसे अधिक आबादी वाला, और भारत का सबसे बड़ा महानगर बनाती है। क्षेत्रफल के अनुसार भी, दिल्ली दुनिया के बड़े महानगरों में से एक है। मुम्बई के बाद, वह देश का दूसरा सबसे अमीर शहर है, और दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद दक्षिण, पश्चिम और मध्य एशिया के शहरों में दूसरे नम्बर पर आता है। नई दिल्ली अपनी चौड़ी सड़कों, वृक्ष-अच्छादित मार्गों और देश के कई शीर्ष संस्थानो और स्थलचिह्नों के लिए जानी जाती है। 1911 के दिल्ली दरबार के दौरान, 15 दिसम्बर को शहर की नींव भारत के सम्राट, जॉर्ज पंचम ने रखी, और प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लुट्यन्स और सर हर्बर्ट बेकर ने इसकी रूपरेखा तैयार की। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। बोलचाल की भाषा में हालाँकि दिल्ली और नयी दिल्ली यह दोनों नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए के प्रयोग किये जाते हैं, मगर यह दो अलग-अलग संस्था हैं और नयी दिल्ली, दिल्ली महानगर का छोटा सा हिस्सा है। .
यह नई दिल्ली शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है। यह दिल्ली मेट्रो रेल की येलो लाइन शाखा का एक स्टेशन भी है। यह अजमेरी गेट की तरफ है। यहां दिल्ली की परिक्रमा सेवा का भी हॉल्ट होता है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की गगनरेखा मुंबई जाती अगस्त क्रांति राजधानी एक्स्प्रेस .
पश्चिम दिशा दिखाता एक कम्पास पश्चिम सामान्यः एक संज्ञा, विशेषण या क्रियाविशेषण है जो एक दिशा या भूगोल की ओर इंगित करता है। पश्चिम, चार प्रमुख दिशाओं मे से एक है साथ ही यह कुतुबनुमा के दिशासंकेतों मे से भी एक प्रमुख संकेत है। यह पूर्व का विपरीत है और उत्तर और दक्षिण के लंबवत होता है। मानकानुसार एक मानचित्र के बाईं ओर पश्चिम होता है। पश्चिम की ओर नौगमन (नेविगेशन) हेतु, कुतुबनुमा (कम्पास) के दिगंश को 270° पर बिठाना (सेट करना) पड़ता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम दिशा की विपरीत दिशा मे घूमती है, इसलिए सूर्य इस दिशा मे अस्त होता है। श्रेणीःदिशाएँ.
हरियाणा में पानीपत पानीपत, भारतीय राज्य हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है। यह दिल्ली-चंडीगढ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-१ पर स्थित है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के अन्तर्गत आता है और दिल्ली से ९० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत के इतिहास को एक नया मोड़ देने वाली तीन प्रमुख लड़ाईयां यहां लड़ी गयी थी। प्राचीन काल में पांडवों एवं कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध इसी के पास कुरुक्षेत्र में हुआ था, अतः इसका धार्मिक महत्व भी बढ़ गया है। महाभारत युद्ध के समय में युधिष्ठिर ने दुर्योधन से जो पाँच स्थान माँगे थे उनमें से यह भी एक था। आधुनिक युग में यहाँ पर तीन इतिहासप्रसिद्ध युद्ध भी हुए हैं। प्रथम युद्ध में, सन् 1526 में बाबर ने भारत की तत्कालीन शाही सेना को हराया था। द्वितीय युद्ध में, सन् 1556 में अकबर ने उसी स्थल पर अफगान आदिलशाह के जनरल हेमू को परास्त किया था। तीसरे युद्ध में, सन् 1761 में, अहमदशाह दुर्रानी ने मराठों को हराया था। यहाँ अलाउद्दीन द्वारा बनवाया एक मकबरा भी है। नगर में पीतल के बरतन, छुरी, काँटे, चाकू बनाने तथा कपास ओटने का काम होता है। यहाँ शिक्षा एवं अस्पताल का भी उत्तम प्रबंध है। .
ब्लू लाइन (दिल्ली मेट्रो)
दिल्ली की दिल्ली मैट्रो प्रणाली में 31 मैट्रो स्टेशन हैं, जो कि इंद्रप्रस्थ से द्वारका उपनगर तक जाती है। इसके द्वारा तय की गई कुल दूरी है 32.1 कि.मी। यह लाइन पूर्णतया प्रचालन में है। .
भारत (आधिकारिक नामः भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायोंः हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैंः इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .
येलो लाइन (दिल्ली मेट्रो)
right right दिल्ली की दिल्ली मैट्रो प्रणाली में 15 मैट्रो स्टेशन हैं, जो कि जहांगीरपुरी से केंद्रीय सचिवालय तक जाती है। इसके द्वारा तय की गई कुल दूरी है 17.36 कि.मी। यह लाइन पूर्णतया प्रचालन में है।.
रेड लाइन (दिल्ली मेट्रो)
दिल्ली की दिल्ली मैट्रो प्रणाली में 21 मैट्रो स्टेशन हैं, जो कि दिलशाद गार्डन से रिठाला तक जाती है। इसके द्वारा तय की गई कुल दूरी है 25.15 कि.मी। यह लाइन अधिकतर प्रचालन में है। यह अधिकांश लाइन उपरिगामी है। यह लाइन उत्तर, उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम और पश्चिम दिल्ली को जोड़ती है। यह लाइन दिल्ली में पहली लाइन थी, जो जनता के लिए आरंभ हुई। .
रोहतक जिला, भारत के हरियाणा राज्य का एक जिला है। जिले का क्षेत्रफल 2,330 वर्ग मील है। यमुना और सतलज नदियों के मध्यवर्ती उच्चसम भूमि पर, दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में यह जिला स्थित है। इसका उत्तरी भाग पश्चिमी यमुना नहर के रोहतक और बुटाना शाखाओं द्वारा सींचा जाता है, किंतु मध्यवर्ती मैदान का अधिकांश भाग अनिश्चित प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर है। रोहतक कृषिप्रधान जिला है। यह जिला चारों तरफ से हरियाणा के ही पाँच जिलों से घिरा हुआ है। वे हैंः उत्तर में जींद, पूर्व में सोनीपत, पश्चिम में भिवानी, दक्षिण में झज्जर और उत्तर-पश्चिम में हिसार। भरम है कि रोहतक सीधे भारत की राजधानी दिल्ली से भी जुदा हुआ है। पसंतु सत्य ये है कि रोहतक और दिल्ली के बीच में झज्जर का एक संकरा हिस्सा आ जाता है। .
कोई विवरण नहीं।
हरियाणा उत्तर भारत का एक राज्य है जिसकी राजधानी चण्डीगढ़ है। इसकी सीमायें उत्तर में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान से जुड़ी हुई हैं। यमुना नदी इसके उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश राज्यों के साथ पूर्वी सीमा को परिभाषित करती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हरियाणा से तीन ओर से घिरी हुई है और फलस्वरूप हरियाणा का दक्षिणी क्षेत्र नियोजित विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल है। यह राज्य वैदिक सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता का मुख्य निवास स्थान है। इस क्षेत्र में विभिन्न निर्णायक लड़ाइयाँ भी हुई हैं जिसमें भारत का अधिकत्तर इतिहास समाहित है। इसमें महाभारत का महाकाव्य युद्ध भी शामिल है। हिन्दू मतों के अनुसार महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ (इसमें भगवान कृष्ण ने भागवत गीता का वादन किया)। इसके अलावा यहाँ तीन पानीपत की लड़ाइयाँ हुई। ब्रितानी भारत में हरियाणा पंजाब राज्य का अंग था जिसे १९६६ में भारत के १७वें राज्य के रूप में पहचान मिली। वर्तमान में खाद्यान और दुध उत्पादन में हरियाणा देश में प्रमुख राज्य है। इस राज्य के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। समतल कृषि भूमि निमज्जक कुओं (समर्सिबल पंप) और नहर से सिंचित की जाती है। १९६० के दशक की हरित क्रान्ति में हरियाणा का भारी योगदान रहा जिससे देश खाद्यान सम्पन्न हुआ। हरियाणा, भारत के अमीर राज्यों में से एक है और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह देश का दूसरा सबसे धनी राज्य है। वर्ष २०१२-१३ में देश में इसकी प्रति-व्यक्ति १,१९,१५८ (अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य देखें) और वर्ष २०१३-१४ में १,३२,०८९ रही। इसके अतिरिक्त भारत में सबसे अधिक ग्रामीण करोड़पति भी इसी राज्य में हैं। हरियाणा आर्थिक रूप से दक्षिण एशिया का सबसे विकसित क्षेत्र है और यहाँ कृषि एवं विनिर्माण उद्योग ने १९७० के दशक से निरंतर वृद्धि का प्राप्त की है। भारत में हरियाणा यात्रि कारों, द्विचक्र वाहनों और ट्रैक्टरों के निर्माण में सर्वोपरी राज्य है। भारत में प्रति व्यक्ति निवेश के आधार पर वर्ष २००० से राज्य सर्वोपरी स्थान पर रहा है। .
निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन दिल्ली के तीन मुख्य रेलवे स्टेशन में से एक है। यह स्टेशन सभी मुख्य व बड़े शहरों से जुड़ा है। इसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर संकुलन व भीड़ भाड़ नियंत्रित कर बांटने के उद्देश्य से भी विकसित किया जा रहा है। य्स स्टेशन उत्तर रेलवे द्वारा संचालित एवं अनुरक्षित है। दिल्ली की दो मुख्य जीवनधाराएं रिंग मार्ग और मथुरा मार्ग इसके दोनों ओर से निकलती हैं। सराय काले खां अन्तर्राज्यीय बस अड्डा भी इस स्टेशन के निकट ही स्थित है, जो कि सभि समीपस्थ शहरों को बस सेवा द्वारा जोड़ता है। .
जम्मू (جموں, पंजाबीः ਜੰਮੂ), भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर में तीन में से एक प्रशासनिक खण्ड है। यह क्षेत्र अपने आप में एक राज्य नहीं वरन जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक भाग है। क्षेत्र के प्रमुख जिलों में डोडा, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, किश्तवार एवं पुंछ आते हैं। क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहाड़ी या पथरीली है। इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को वृहत हिमालय से पूर्वी जिलों डोडा और किश्तवार में पृथक करता है। यहाम की प्रधान नदी चेनाब (चंद्रभागा) है। जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को "मन्दिरों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है। .
ग़ाज़ियाबाद, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित एक नगर है। यह उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत का एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है और दिल्ली के पूर्व और मेरठ के दक्षिणपश्चिम में स्थित है। ग़ाज़ियाबाद में ग़ाज़ियाबाद जिले का मुख्यालय स्थित है। स्वतंत्रता से पहले ग़ाज़ियाबाद जिला, मेरठ जिले का भाग था पर स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राजनैतिक कारणों से इसे एक पृथक जिला बनाया गया। ग़ाज़ियाबाद का नाम इसके संस्थापक ग़ाज़ीउद्दीन के नाम पर पड़ा है, जिसने इसका नाम अपने नाम पर ग़ाज़ीउद्दीननगर रखा था, लेकिन बाद में, इसका नाम छोटा करके ग़ाज़ियाबाद कर दिया गया। .
हरियाणा में स्थित करनाल इस नाम के जिले का मुख्यालय शहर है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर चण्डीगढ़ से 126 कि॰मी॰ की दूरी पर यमुना नदी के किनारे स्थित है। घरौंड़ा, नीलोखेड़ी, असन्ध, इन्द्री और तरावड़ी इसके मुख्य दर्शनीय स्थल हैं। करनाल में अनेक फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में वनस्पति तेल, इत्र और शराब तैयार की जाती है। इसके अलावा यह अपने अनाज, कपास और नमक के बाजार के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर मुख्यतः धान की खेती की जाती है। यह धान उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसका निर्यात विदेशों में किया जाता है। इसकी उत्तर-पश्चिम दिशा में कुरूक्षेत्र, पश्चिम में जीन्द व कैथल, दक्षिण में पानीपत और पूर्व में उत्तर प्रदेश स्थित है। पर्यटक यहां पर अनेक पर्यटक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इनमें कलन्दर शाह गुम्बद, छावनी चर्च और सीता माई मन्दिर आदि प्रमुख हैं। यह सभी बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। करनाल के एक छोटे से गाँव मदनपुर का एक लडका जिसका नाम कमल कशयप ह वह अपनी तीर्व बूद्धि के लिए पूरे हरियाणा में मशहूर है। .
किशनगंज बिहार का एक शहर है। यह किशनगंज जिला का मुख्यालय है। बिहार की राजधानी पटना से 425 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित यह जगह पहले कृष्णाकुंज के नाम से जाना जाता था। बंगाल, नेपाल और बंगलादेश की सीमा से सटा किशनगंज पहले पुर्णिया जिले का अनुमंडल था। बिहार सरकार ने 14 जनवरी 1990 को इसे पूर्ण रूप से जिला घोषित कर दिया। पर्यटन की दृष्टि से यहां पर पर्यटक खगरा मेला, नेहरु शांति पार्क, चुर्ली किला जैसे जगह घूम सकते है। यहां से पानीघाट, गंगटोक, कलिंगपोंग, दाजर्लिंग जैसे पर्यटन स्थल भी कुछ ही दूरी पर स्थित है। .
अम्बाला शहर भारत के हरियाणा राज्य का एक मुख्य एवं ऐतिहासिक शहर है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से दो सौ किलोमीटर उत्तर की ओर शेरशाह सूरी मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर १) पर स्थित है। अम्बाला छावनी, भारत का एक प्रमुख सैनिक आगार तथा प्रमुख रेलवे जंक्शन है। अंबाला जिला हरियाणा एंव पंजाब (भारत) राज्यों की सीमा पर स्थित है। भौगोलिक स्थिति के कारण पर्यटन कें क्षेत्र में भी अंबाला का महत्वपूर्ण स्थान है। अम्बाला नाम की उत्पत्ति शायद महाभारत की अम्बालिका के नाम से हुई होगी। आज के जमाने में अम्बाला अपने विज्ञान सामग्री उत्पादन व मिक्सी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। अम्बाला को विज्ञान नगरी कह कर भी पुकारा जाता है कयोंकि यहां वैज्ञानिक उपकरण उद्योग केंद्रित है। भारत के वैज्ञानिक उपकरणों का लगभग चालीस प्रतिशत उत्पादन अम्बाला में ही होता है। एक अन्य मत यह भी है कि यहां पर आमों के बाग बगीचे बहुत थे, जिससे इस का नाम अम्बा वाला अर्थात अम्बाला पड़ गया। .
अमृतसर (पंजाबीःਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) भारत के पंजाब राज्य का एक शहर है।http://amritsar.nic.in अमृतसर की आधिकारिक वैबसाईट अमृतसर पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि सिक्खों का सबसे बड़ा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल माना जाता है। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था। इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृतसर की गरिमा बरकरार है। .
आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .
यहां पुनर्निर्देश करता हैः
दिल्ली जंक्शन, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन।
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जिला बांदा। 11 नवम्बर का रोड़वेज बस जसपुरा से बांदा जात रहै तबै ज्यादा कोहरा के कारन बस पैलानी पुल के रेलिंग तोड़ के केन नदी मा गिर गें है। जेहिसे चार मड़ई घायल होइगें अउर बस चलावें वाले के मउत होइ गे है। मड़ई बतावत हैं कि या घटना सुबेरे सात बजे भे है। रोड़वेज बस के वरिष्ठ केंद्र प्रभारी अरुण कुमार का कहब है कि विभाग कइत से घायल मड़इन का पांच-पांच हजार रुपिया अउर परिचालक का बीस हजार रुपिया दीन जई। चालक का दस हजार रुपिया दीन गा है। कार्यवाही होय के बाद चार लाख नब्बे हजार रुपिया दीन जइह।
घायल होरीलाल बताइस कि जब बस पुल के ऊपर चढ़ी है तौ कोहरा बहुतै ज्यादा रहा है अउर ट्रक आवत रहै तौ कोहरा के कारन ट्रक देखाई नहीं देत रहै। ट्रक पास मा आवै मा देखाई पड़ा तौ बस ड्राइवर बस का बचावै के कोशिश करिस तौ पुल के नीचे गिर गे। ड्राइवर बस बहुतै तेज चलावत रहै। छात्र शिवम दिवेदी बताइस कि ट्रैक्टर वाले से पता चला कि बस नदी मा गिर गे है। तौ हम दुई जने घायल मड़इन का बाहर निकाले हन।
घायल के रिश्तेदार सुरेश कुमार का कहब है कि चार मड़ई घायल होइ गे हैं बस मा कुल छह मड़ई रहै हैं। मुन्नी देवी बताइस कि लड़का बीमार रहै तौ देखे आवत रहै तबै घटना होइ गे है।
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नई दिल्ली। दिल्ली सर्राफा बाजार में मंगलवार को सोना 112 रुपये टूटकर 41,269 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार घरेलू बाजार की कमजोर मांग और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिकवाली से सोने में गिरावट आई। पिछले सत्र में सोना 41,381 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ था। इसी तरह चांदी भी 108 रुपये फिसलकर 47,152 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। पिछले सत्र में यह 47,260 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर कमोडिटी एनालिस्ट तपन पटेल के मुताबिक कमजोर मांग और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिकवाली की वजह से सोने चांदी की कीमतों में नरमी देखने को मिली है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी दोनों महंगी धातुओं में दबाव देखने को मिला है। सोने का भाव नुकसान के साथ 1,568 डॉलर प्रति औंस था। चांदी 17. 72 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर रही।
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सास : तुम शहजादे से उस समय पूछने नहीं आयी। ठीक है। (दरवाजे को तरफ मुड़कर) देखती हूं, कौन लाट साहब का बच्चा जबरदस्ती ले जाता है । ( घर में जाकर रूखी से) देखो छोरियो, तुम किस लिए बापस आयीं ? जाओ तुम अपने मेले में, कौन जबरदस्ती ले जाता है, देखूं ।
भगा : ( धीरे से ) सुना ?
कोदर : ( सास को जवाब देता हुआ-सा) नहीं तो चोटी पकड़ते कौन सी देर लगती है ?
सासः ( घुस आती है ) तुम्हारे मुंह में दांत कितने हैं एक बार फिर से गिनना। मेरे होते तू मेरी लड़की की चोटी पकड़ेगा। देख मेरे आंगन में पत्थर कितने हैं गिन ले । गिने हैं ?
जमना : बुआ, तू चुपचाप घर में चल ना। (खोंचती है। )
कोदरः पत्थर वत्थर तो
ये जरा आगे-पीछे का विचार आता है वरना
तुम क्या कर सकती हो ?
( आंगन में खड़ी रूखी मुंह बनाती है । )
सास : विचार किया हो तो मुंह से ऐसी बात मत निकालता 1
( घर में जाने को पीठ फेरती है। आंगन में खड़ी रूसी को) चल छोरी, मेले में नहीं जाना तो क्या घर में कोई काम नहीं है जो यहां खड़ी है ?
( सास घर के अंदर कुछ खटपट करती है। रूखी बड़ी रहती है । जमना उसको देखती हुई सामने आंगन में आकर खड़ी हो जाती है।)
भगा : तेरी सास तो भई बहुत तेज है । सिर में पत्थर भी मार दे तो बात
कोदर : अरे मारा पत्थर ।
भगा : तो अब तूने क्या सोचा है ?
( आश्चर्य से देखता है । )
कोदर : ( जोर से श्वास लेता हुआ) विचार तो यह है, भगा कि मन और कांच का मोती एक बार टूट जाये तो फिर जुड़ते नहीं ।
भगा : अरे इस अंग्रेजी समाज में वो भी जुड़ जाते हैं।
कोदर : (फोकी हंसी हंसता हुआ) जुड़ भी जाये तो जोड़ तो रह ही जाता है। |
देर रात से दिल्ली में लगातार हो रही बारिश से जहां फिर से कनकनी भारी सर्दी को बढ़ा दिया है।
राजधानी में सोमवार को हुई तेज मूसलाधार बारिश से पहले जहां घटाओं ने दिन में ही रात का माहौल बना दिया था, वहीं घटाओं के बरसने के बाद दुकानों व घरों में धूस आए पानी ने लोगों को काफी परेशान किया और नुकसान की वजह भी बना।
मूसलाधार बारिश से सदर बाजार का तेलीवाडा मार्किट पानी-पानी हो चुका है, यहां तकरीबन 2 फुट पानी जमा है और कई दुकानों मेें भी पानी भर गया है। इसके साथ ही प्रताप मार्किट, कुतुब रोड, महाबीर बाजार का भी हाल बेहाल है।
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भोपाल (ब्यूरो मप)। पदेश कांगेस अध्यक्ष श्री कांतिलाल भूरिया ने आज जारी अपने एक बयान में मध्यपदेश के उद्योग मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा अ. भा. कांगेस कमेटी के अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के संबंध में पिछले रविवार को इंदौर के एक सार्वजनिक कार्पाम में की गई अपमानजनक टीका-टिप्पणी की क"ाsर शब्दों में निंदा करते हुए श्री विजयवर्गीय को चेतावनी दी है कि वे अपने संवैधानिक पद की गरिमा को "ाrक से समझें और देश की नारी-शक्ति का अनादर करने से बाज आवें। श्री भूरिया ने कहा है कि श्रीमती सोनिया गांधी की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष होने के साथ-साथ भारत के सर्वाधिक पतिष्"ित नेहरू-गांधी परिवार की गरिमामयी बहू और सत्तारूढ़ संयुक्त पगतिशील ग"बंधन की सम्मानित अध्यक्ष हैं। उन्होंने भारत की एक संस्कारवान बहू के रूप में विश्व में देश का गौरव बढ़ाया है। ऐसी महान राष्ट्रनेत्री को राज्य का एक मंत्री अपनी स्तरहीन किस्सागोई के जरिये अपमानित करने का दुस्साहस करें, यह किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।
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मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही 10 रुपये का एक नया सिक्का जारी करेगा। यह सिक्का राष्ट्रीय अभिलेखागार के 125वें स्थापना दिवस के उपलक्ष में जारी किया जाएगा।
इसी तरह केंद्रीय बैंक इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ पर पांच रुपये का विशेष सिक्का जारी करेगा। पांच रुपए के सिक्के पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की इमारत का फोटो होगा। इस पर अंग्रेजी में 1866-016 अंकित होगा।
रिजर्व बैंक की एक विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि 5 व 10 रुपये के मौजूदा सिक्के परिचालन में रहेंगे।
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Rly. Budget,
[ श्री जगदम्बी प्रसाद यादव ।
मैं एक उदाहरण देता हूं दुनिया का अगर सबसे बड़ा बाजार कहा जाय तो वह रेलवे प्लेटफार्म है। जितनी चीजें बहां पर बिकती हैं उतनी शायद किसी भी बाजार में एक जगह पर नहीं बिकती हैं । लेकिन जितनी महंगी, गंदी, खराब, अव्यवस्थित और ठगी रेलवे प्लेटफार्म पर होती है उतनी कहीं पर नहीं होती है। अगर कोई शिकायत आप के विभाग मैं इस बारे में की जाय तो वह शिकायत सालों तक टंगी रहती है। मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि आप इलाहाबाद स्टेशन पर उतर जायें और एक जोड़ा चप्पल वहां पर खरीद ले। वह बिलकुल मिटटी की बनी हुई होती है, भगर जोर दे कर खड़े हो जायें तो वह टूट जायगी। इसी तरह से कानपुर में चम्पल कम कीमत पर जरूर दी जाती है । लेकिन वह चप्पल कानपुर की इज्जत को बेच देती है । और अगर बगल में ही श्राप दिल्ली स्टेशन जर चले जायें और फलों का बाजार देखें तो आप पायेंगे कि जो फल पुरानी दिल्ली शहर में 2रु० किलो मिलता है वही फल नई दिल्ली और पुरानी दिली स्टेशन जर 3, 4 रु० किलो मिलता है। इसका क्या इलाज
होगा ? इसी तरह से केटरिंग का दूध ले लें । आज यहां दिल्ली में संसद भवन में क्या दर हैं और वहां पर 5,6 रुपये प्रति किलो की दर से पड़ता है। अगर इसका हिसाब किताब किया जाये तो पता नहीं लगता है कि कौन इसकी शिकायत करे और किससे करे । इसके बारे में कुछ किया जाना चाहिये ।
1977-78 -- Genl. Disc. 316 जमालपुर वर्कशाप सबसे पुराना वर्कशाप है । लेकिन पिछली 5 पांच साला योजनाओं में वहां पर मजदूरों की संख्या 22 हजार से घटकर 8, 9 हजा र रह गई है । इसी जमालपुर वर्कशाप में हर साल 400,500 के लगभग लोग एप्रेन्टिसशिप कर लेते थे और उनको पहले नौकरी मिल जाती थी। लेकिन आज यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी कि आपके मंत्रित्व काल में उनका इंटरव्यू होने के बाद भी नौकरी की कौन कहे, प्रशिक्षण के लिए भी नहीं लिया जा रहा है । वहां प्रशिक्षित . लोग सैकड़ों की संख्या में बेकार पड़े हुए हैं । . अगर ऐसा आपके समय में हो, तो यह बड़ी दुखद बात होगी ।
इस बारे में मैं श्री हनुमन्तैय्या जी की तारीफ करूंगा। उन्होंने अपने समय में सदस्यों के लिये एक शिकायत पुस्तिका दे दी थी। उन्होंने कहा था कि जहां देखो उसमें शिकायत कर दो हम उसे तत्काल देखेंगे । उसी समय पहली बार रेलगाड़ियां समय पर चली थी । और रेलवे की समस्याओं को बहुत हद तक हल किया गया था, लेकिन अब शायद शिकायत • सुनने वाला नहीं रहा । इसलिये मैं आग्रह करूंगा कि प्राप इस बारे में नये सिरे से देखें ।
आपके विभाग के लोग समय-सारिणी के बारे में विधायकों और संसद् सदस्यों से उनके विचार पूछते हैं । लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि यह मखौल क्यों किया जाता है, जब उनके विचारों को तरजीह नहीं देना चाहते तो फिर विचार पूछने का क्या मतलब रह जाता
इसी तरह मेरा सुझाव है कि साहबगंज क्यूल लाइन को डबल लाइन बनाइये, तभी तो जो लम्बी गाड़ी चली हैं, उसका लाभ लोगों को मिल सकता हैं । साहबगंज से बड़हरबा तक तो डंबल लाइन बनी हुई है अब सिर्फ उसको बड़हरवा से क्यूल तक डबल बनाना है ।
जो छोटे छोटे स्टेशन पहले के बने हुए हैं वहां पर छोटे प्लेटफार्म बने हुए हैं, वह नीचे हैं, उनमें बिजली पानी की सुविधा नहीं है । जो सैकिंड क्लास के विश्रामालय हैं, सचमुच में वह कबूतरखाना ही हैं, इसके अलावा कुछ नहीं है । अगर आप कुछ सुधार करना चाहते हैं, तो उस ओर आपका ध्यान जाना आवश्यक है । पेयजल का प्रभाव और शौचालय की दुर्दशा दुखद है । वर्ष - धूप से बचने के लिये शेड भी नहीं हैं ।
317 Rly. Budget, JYAISTHA 23, 1899 (SAKA) 1977-78- Genl. Disc.
● [ श्री जगदमी प्रसाद यादव ।
रेलवे का साम्राज्य सचमुच में विशाल हैं लेकिन उसी तरह से इसमें भ्रष्टाचार की भी विशालता है । इस भ्रष्टाचार के अन्मूलन करने की पहल जनता पार्टी ने की है । मैं यह बताना चाहता हूं कि दो जगहों पर बहुत भ्रष्टाचार है, एक तो वँगनों के मामले में है, पांच लाख की संख्या में है और दूसरा मारक्षण का है जो कि स्टेशनों पर भी है और चलती हुई गाड़ियों में भी है । मैं जानना चाहता हूं कि इसका क्या उपाय होगा जिससे इसका ठीक से निरोक्षण हो सके ।
रहा है। दूसरा था कुछ महंगाई का, तो वह तो हम वहां सरकार नहीं बना पाए इसलिए उचित व्यवस्था उस की नहीं हो सकी । लेकिन रेलों के चलने में विलम्ब का कोई माकूल कारण नहीं बताया । इस की सफाई होनी चाहिए जिस से हम लोगों को बता सकें कि रेलों में जो सुधार हम करना चाहते हैं उन को करने की कोशिश कर रहे है ।
भारत में भिक्षा मांगने वालों का अगर कोई दिग्दर्शन करना चाहे तो यह प्लेटफार्मों पर देखकर यह अनुमान लगा सकता है कि यहां भिक्षाटन कैसा है । इसी प्रकार रेलवे के प्लेटफार्मों पर पाकेटमारों की गिनती भी बहुत बड़ी संख्या में है । इस सब के चलते रेलवे में सुरक्षा की कोई गारन्टी नहीं है । इसलिये मैं चाहता हूं कि इस अवनति की स्थिति को आप जरा अपने ढंग से देखें ।
रेलवें में जो आपने बिना श्रेणी की गाड़ियां चलानी चाही है, सचमुच में अगर प्रशासन के लायक कोई चीज स्तुत्य है, तो यही है इन गाड़ियों में अपने जो पु तकालय और अन्य सुविधाए देने की बात कही है, इससे अधिक क्रांतिकारी कदम और कुछ नहीं हो सकता मैं यह जानना चाहता हूं कि इसको गतिमान बनाने का कितना प्रयास आप कर रहे है और इसके लिये कितनी तेजी से हम कर रहे हैं यह पता लगना जरूरी है जिससे जनता के यह देखने में भा जाये कि सचमुच में जनता राज्य में जनता गाड़ी उपयोगी का से चलाई जा रही है।
एक बात मैं विलम्ब के बारे में कहना चाहता हूं कि इस चुनाव के दरम्यान दो चीजों का जनता पार्टी को मुकाबिला करना पड़ा । एक तो यह गाड़ियां विलम्ब से क्यों चलने लगीं? इस का कोई माकूल कारण नहीं बताया जा
एक बात और कहना चाहता हूं कि जितने अधिकतम लोग रेलों में लगाए जा सकते हैं उतने और कहीं नहीं लगाए जा सकते है। मैं आग्रह करना चाहूंगा कि जो हम बेकारी को समाप्त करने की योजना ला रहे है उस में रेलों का एक बहुत बड़ा हाथ होगा और रेलों का ही कांट्रीव्यूशन सब में अधिक होगा जिस में अधिकतम नवयुवकों को आप काम दे सकेंगे ।
एक शब्द म शिन्दे जी की प्रशंसा में जरूर कहना चाहूंगा वह इसलिए कि अपने कृषि मंत्री होने के काल में तो उन्हें रेल की रिपोर्ट पड़ने की फुर्सत नहीं मिली लेकिन अब इस बार उन्होंने रेल की रिपोर्ट पढ़ी है और जो उन्होंने कृषि, कृर्षक और कृषि सामान के बारे में निवेदन किया है वह बहुत ही उपयोगी है । मैं समझता हूं कि इन विचारों को श्राप जानते भी हैं और सचमुच तहे दिल से इन का पालन करने की कोशिश करेंगे क्योंकि हम ने यह कहा है कि हम किसान का और कृषि का विकास करेंगे । यह कहा जाता है कि गांव भारत की आत्मा हैं और किसान गांवों की आत्मा है । इसलिए हम जब तक इन का विकास नहीं करेंगे तब तक भारत विकसित नहीं हो सकेगा। गांवों की और रेल का मुख जाना चाहिए तभी वे विकसित हों सकेंगे ।
सामान की ढुलाई में हम यह देखते हैं कि जो सामान ढुलाया जाता है उसे खुले वगन में ले जाने के कारण समय समय पर
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पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरुक बनाने की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पैडमैन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सेनेटरी नेपकिन केंद्र का उदघाटन किया गया।
इसके अलावा कस्तूरबा गांधी विद्यालय की बालिकाओं को पंचायत उद्योग द्वारा स्थापित नैपकिन बनाने के कारखाने में नैपकिन बनते हुए भी दिखाया गया। हरदोई के युवा DM पुलकित खरे को अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन से इतनी प्रेरणा मिली है कि उन्होंने जिले की स्कूली छात्राओं को खुद अपने साथ ले जाकर ये फिल्म दिखाई। डीएम ने बालिकाओं के साथ में सिनेमा हॉल में बैठकर पैडमेन फिल्मी देखी। फिल्म खत्म होने के बाद छात्राओं से उन्होंने कई सवाल-जवाब भी किए।
यूपी के हरदोई में पंचायत उद्योग द्वारा 18 लाख रुपए की लागत से निर्मित सेनेटरी नैपकिन बनाने के बारे में बताया गया। साथ ही ये भी बताया गया कि उत्पादन केंद्र में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के रोजगार के साधन के रुप में उन्हें स्वावलंबी बनाकर उनकी आमदनी में कैसे बढ़ोतरी की जा सकती है। इसके अलावा कस्तूरबा विद्यालय की छात्राओं को ये भी जानकारी दी गई कि कैसे किशोरावस्था से ही मासिक धर्म के समय महिलाओं को स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए।
पंचायत उद्योग द्वारा निर्मित सेनेटरी नेपकिन केंद्र का उद्घाटन जिलाधिकारी पुलकित खरे ने किया। वहीं, छात्राओं ने फिल्म दिखाने के लिए डीएम को धन्यवाद दिया। कुछ बालिकाओं ने यहे भी बताया कि उनको फिल्मी बहुत अच्छी लगी और साथ में वो जागरूक भी हुईं। सरकार की ये पहल जिलाधिकारी पुलकित खरे के सार्थक प्रयास से रंग लाती दिख रही है।
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Meerut Kanwar Accident: उत्तर प्रदेश के मेरठ में दर्दनाक सड़क हादसा हुआ है। जिले के भावनपुर थाना इलाके में शनिवार को हाईटेंशन तार की चपेट में आने से पांच कांवड़ियों की मौत हो गयी और पांच अन्य घायल हो गए। मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने घटना की पुष्टि की है।
स्टोरी में आगे पढ़ेंः
जिलाधिकारी दीपक मीणा ने घटना को लेकर बताया कि मेरठ के थाना भावनपुर के अंतर्गत राली चौहान गांव के लोग डीजे के साथ कांवड़ लेकर जा रहे थे। गांव के पास रोड के किनारे 11 केवी की लाइन से उनके डीजे का फ्रेम छू जाने से दुर्घटना हुई है। 10 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया जिनमें से 5 लोगों की मृत्यु हुई है।
जानकारी के मुताबिक, कांवडियां हरिद्वार से गंगा जल लेकर लौट रहे थे। नाचते-झुमते वो वापस गांव लौट रहे थे। जैसे ही उनका डीजे वाहन गांव में प्रवेश कर रहा था तभी रोड के किनारे 11 केवी की लाइन से उनके डीजे का फ्रेम छू गया। इसके बाद पूरी गाड़ी में करंट आ गई।
डीजे के हाईटेंश लाइन की चपेट में आते ही कांवड़ियों के शरीर में करंट दौड़ गया। इनमें से कई नीचे गिर पड़े। कांवडियों के चीख-पुकार मच गई। आनन-फानन में स्थानीय लोगों ने झुलसे लोगों को 108 एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया। जहां पांच कांवडियों को मृत घोषित कर दिया। 5 घायल कांवरियों का इलाज जारी है।
वहीं, घटना के बाद कांवडियों में काफी आक्रोश है। आक्रोशित कांवड़ियों ने घटना के विरोध में सड़क पर जाम लगा दिया। हादसे की सूचना मिलते ही कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। कांवडियां इसके लिए जेई को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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Karauli ABVP News: राजस्थान के करौली में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा प्रदेश में महिला अत्याचार और पेपर लीक प्रकरणों के विरोध में न्याय पदयात्रा शुरू की गई. न्याय पदयात्रा 10 अगस्त को जयपुर पहुंचेगी जहां सभा का आयोजन होगा.
Karauli ABVP News: राजस्थान के करौली में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा प्रदेश में महिला अत्याचार और पेपर लीक प्रकरणों के विरोध में न्याय पदयात्रा शुरू की गई. न्याय पदयात्रा 10 अगस्त को जयपुर पहुंचेगी जहां सभा का आयोजन होगा. न्याय पदयात्रा के शुरू होने से पूर्व करौली के निजी मैरिज गार्डन में सभा का आयोजन किया गया. सभा को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, राष्ट्रीय मंत्री होशियार सिंह, प्रांतीय मंत्री श्याम सिंह ने संबोधित किया.
इस दौरान राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञ वलक्य ने प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए. साथ ही राहुल गांधी पर भी जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पूरे देश में मोहब्बत की दुकान लगाते हैं, लेकिन जब याज्ञवलक्य राजस्थान में आए तो उन्होंने देखा कि प्रदेश में अत्याचार बढ़ा है, भ्रष्टाचार बढ़ा है, पेपर लीक हो रहे है. अगर राहुल गांधी इसे मोहब्बत की दुकान मानते हैं तो ऐसी मोहब्बत की दुकान जनता को नहीं चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में सरकार के मंत्री और विधायक निरंकुश है. जिसके चलते भ्रष्टाचार बढ़ा है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अपने पुत्र वैभव गहलोत को आगे बढ़ाने में लगे हैं, जिसके चलते प्रदेश की आम जनता बेहाल है.
सभा के बाद न्याय पदयात्रा रवाना हुई. पदयात्रा में पदाधिकारी और कार्यकर्ता हाथों में झंडे बैनर थामे और नारे लगाते हुए चल रहे थे. पदयात्रा का कुड़गांव में विश्राम और शुक्रवार को गंगापुर में सभा होगी. पदयात्रा विभिन्न रास्तों से होते हुए 10 अगस्त को जयपुर पहुंचेगी जहां विरोध प्रदर्शन और सभा का आयोजन होगा.
न्याय पदयात्रा को देखते हुए करौली कोतवाली के सामने सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा बैरिकेडिग की गई. इस दौरान करौली एएसपी सुरेश जैफ, महिला अपराध विशेष अनुसंधान प्रकोष्ठ एएसपी किशोर बूटोलिया, डीएसपी अनुज शुभम सहित कई थानों का पुलिस जाब्ता मौजूद रहा. शांति सुरक्षा की दृष्टि से करौली के सार्वजनिक स्थान और चौराहों पर भी पुलिस जाब्ता मौजूद रहा.
इस दौरान अंजलि चौरसिया विभाग छात्रा प्रमुख सवाई माधोपुर, पूनम शेखावत राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य, करौली नगर परिषद के पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर, योगेंद्र डागुर जिला संयोजक, दीपक सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे.
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दरअसल मामला कानुपर देहात के मंगलपुर थाना क्षेत्र में कौरु गांव का है. जहां बीते रविवार हरदोई से बरात आई थी. द्वार रस्म के बाद पंडाल में सभी खाना खा रहे थे. दूल्हे की भाभी भी वहां डोसा खा रही थी. डोसे का स्वाद ठीक नहीं होने पर भाभी ने हंगामा करना शूरू कर दिया. इसके बाद दुल्हन के चाचा को बुलाकर फटकार लगाते हुए उनके मुंह पर वही डोसा दे मारा. मामले की जानकारी लगते ही दोनों पक्षों में जमकर विवाद हो गया. बात मारपीट तक पहुंच गई.
इस दौरान जिसे जो मिला, उसे एक-दूसरे पर फेंकने लगा. कुछ ही देर में पंडाल जंग के मैदान में तब्दील हो गया. काफी हंगामे के बाद दुल्हन ने खुद शादी से इनकार कर दिया. बरात बैरंग लौट गई. लड़की ने कहा, 'मेरे पापा और चाचा की इज्जत से बढ़कर कोई नहीं. मैं ऐसे परिवार में शादी नही कर सकती हूं. जहां दूल्हा दुल्हन मंडप में थे, जैसे ही इन दोनों के सात फेरों की बारी आई तो अचानक से दुल्हन ने फेरे लेने से मना कर दिया.
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अभिनेत्री स्वरा भास्कर सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए जानी जाती हैं, लेकिन स्वरा अपना अकाउंट डिलीट करना चाहती हैं.
सोशल मीडिया वो प्लेटफॉर्म है जहां हर आम और खास शख्स अपनी राय रखता है, लेकिन कई बार सोशल मीडिया कुछ लोगों के लिए मुश्किलें भी खड़ी कर देता है. बॉलीवुड के तमाम कलाकार भी सोशल मीडिया पर अपनी राय रखते हैं, जिसकी वजह से कई बार वो ट्रोल के शिकार भी बन जाते हैं.
अभिनेत्री स्वरा भास्कर सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए जानी जाती हैं, लेकिन स्वरा अपना अकाउंट डिलीट करना चाहती हैं. स्वरा कहती हैं कि वो अपना अकाउंट डिलीट करना चाहती हैं.
स्वरा ने बताया कि सोशल मीडिया पर मुझे हर दिन गालियां मिलती हैं और तीन बार मारने की धमकी भी मिल चुकी है. वो कहती हैं कि मेरे साथ ज्यादा गंभीर नहीं हुआ है, लेकिन 'मोना डार्लिग' देखने के बाद, मैं अपना अकाउंट डिलीट करना चाहती हूं।
स्वरा की अगली फिल्म 'अनारकली ऑफ आरा' रिलीज होने वाली है, फिल्म का पोस्टर रिलीज हो गया है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.
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छुट्टी के दौरान उस्मांगाज़ी ब्रिज से पैसे का भुगतान जारी रहेगा। यवुज़ सुल्तान सेलिम ब्रिज (तीसरा पुल), यूरेशिया टनल, इज़मित की खाड़ी को जोड़ने वाला उस्मांगाज़ी ब्रिज और हाईवे, जो बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (YID) मॉडल के साथ बनाए गए थे, का भुगतान रमजान के दौरान उसी तरह किया जाता रहेगा। दावत।
ओस्मांगज़ी ब्रिज टोल कितने हैं?
यवुज़ सुल्तान सेलिम ब्रिज के टोल कितने हैं? (तीसरा पुल)
यूरेशियन टोल टोल कितने हैं?
छुट्टियों पर कौन से पुल और राजमार्ग स्वतंत्र हैं?
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टीम इंडिया के प्रमुख सलामी बल्लेबाजी इन दिनों भारत व वेस्टइंडीज के बीच चल रही दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 'आराम' कर रहे हैं। हालाकि इस बात पर बहस हो रही है कि क्या उन्हें आराम दिया गया है, या उन्हें इंग्लैंड दौरे पर बेकार प्रदर्शन के चलते टीम से 'ड्रॉप' किया गया था। इन दिनों वे अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं। शिखर ने अपने परिवार के साथ बिताए पलों की फोटोज़ भी शेयर की हैं, जैसा वे हमेशा करते हैं।
शिखर को इन दिनों अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का पूरा मिल गया। उन्होंने एक तस्वीर करते हुए 'बच्चों के साथ बच्चे बनने का मज़ा की कुछ व है। ' इस वीडीयो में शिखर बच्चों के साथ तीन पहिये वाली लंबी साइकिल चला रहे हैं। इसी दौरान वे साइकिल मोड़ते हुए वे गिर गए।
उल्लेखनीय है कि वनडे व टी20 में बढ़िया फॉर्म होने के बाद शिखर का टेस्ट क्रिकेट में बढ़िया प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं, खासकर दक्षिण अफ्रीका व इंग्लैंड दौरे पर। इंग्लैंड में तो सीरीज के पहले टेस्ट में शिखर प्रयत्न करते हुए 26 व 13 रन बनाए व उससे पहले एक्सरसाइज मैच में एसेक्स के विरूद्ध एक्सरसाइज मैच की दोनों पारियों में शून्य पर ही आउट हो गए थे। 2014 की सीरीज में भी शिखर धवन सारे पांच टेस्ट नहीं खेल सके थे। तीन टेस्ट मैच के बाद उन्हें ड्रॉप कर दिया गया था। नॉटिंघम टेस्ट ने वापसी करते हुए शिखर धवन ने बेहतर खेल दिखाया व पहली पारी में 35 रन व दूसरी पारी में 44 रन बनाए। इसके बाद साउथएम्पटन में उन्होंने 23 व 17 रन बनाए थे। लेकिन अंतिम टेस्ट जो कि ओवल में हुआ था शिखर केवल तीन व एक रन ही बना सके।
धवन ने अपने इस प्रदर्शन पर बोला था कि इंग्लैंड के विरूद्ध टेस्ट सीरीज में उनकी बेकार फॉर्म 'शर्म की बात नहीं' है, क्योंकि अपना सब कुछ देने के बाद भी उनकी योजनाओं ने कार्यनहीं किया। सीमित ओवरों के क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत अतीत में टेस्ट टीम में वापसी करने वाले धवन मौजूदा एशिया कप में भी अच्छी फॉर्म में रहे। शिखर ने कहा, "मुझे लगता है कि जब भी आप अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो इससे मदद मिलती है। अगर लाभ होना होगा तो हो जाएगा, नहीं होना होगा तो नहीं होगा। मैं लाल गेंद से खेलूं या फिर सफेद से, मैं खेल की अपनी समझ का पूरा लाभ उठाने की प्रयास करता हूं। "।
शिखर अपने बेफिक्र अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं। इंग्लैंड में बेकार प्रदर्शन के बावजूद भी वे मैचों में कैचों को पकड़ने के बाद अपने चिरपरिचित अंदाज में ही जश्न मानाते हुए नजर आए। उन्होंने वेस्टइंडीज के विरूद्ध टेस्ट टीम चुने जाने के पहले भी बोला था उन्हें उनके चुने जाने या न चुने जाने की चिंता हैं। उन्हें वेस्टइंडीज दौरे के लिए न चुने जाने का अफसोस भी नहीं हैं।
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हिंदी सिनेमा के दर्शकों में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने निर्देशक रमेश सिप्पी की कालजयी फिल्म 'शोले' न देखी हो। इस फिल्म का एक दृश्य हमेशा लोगों को याद रहता है जिसमें बसंती बनी हेमा मालिनी गब्बर सिंह के साथियों की पकड़ से बचने के लिए तांगे से भागती है और तांगे का एक पहिया निकल जाने के बाद भी वह तांगा दौड़ाती रहती है।
इस दृश्य को फिल्माए जाते समय जो महिला कलाकार तांगे में हेमा मालिनी का रूप धरकर बैठी, वह हैं देश की पहली महिला स्टंट कलाकार, रेशमा पठान।
रेशमा पठान पर अब एक बायोपिक बनकर तैयार है जिसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज किया जा रहा है। इसका नाम है, 'द शोले गर्ल'। इस पहली महिला स्टंट कलाकार ने हेमा मालिनी की तमाम दूसरी सुपर हिट फिल्मों में भी उनके बॉडी डबल का काम किया। इसके अलावा अपनी पहली सालगिरह मौके पर जी5 ने अलग अलग भारतीय भाषाओं में इस साल 72 नए शो शुरू करने का भी ऐलान किया है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटेन में हाल ही में सपन्न हुए चुनाव में जीत के लिए वहां के प्रधानमंत्री श्री बोरिस जॉनसन को टेलीफोन पर बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने श्री जॉनसन को बधाई देते हुए कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में उनका फिर से चुना जाना वहां के लोगों का उनमें और उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के प्रति भरोसा दर्शाता है।
भारत की जनता की ओर से श्री जॉनसन को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने यह विश्वास जताया कि उनके सक्षम नेतृत्व में भारत और ब्रिटेन के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।
श्री बोरिस जॉनसन ने शुभकामनाओं के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और भारत-ब्रिटेन संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
प्रधानमंत्री ने श्री जॉनसन को भारत आने का निमंत्रण दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
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जब विष्णुने शालिग्रामस्य धारा किया तो शनिने वीट (वीड़ ) का रूप धारण कर शालिग्रामको वारह वर्षतक दुस दियापिना- सगरके पुत्र,
समुद्र ॥ उत्पत्ति सगर क० दे०
पुत्र जलघर (गंगा के सयोगसे ), कमल, चन्द्रमा, शल, भवतारे, वजि,
ऐरावत, धनुप, कल्पद्रुम, भूगा (देख ) - 1 पुत्री-लवरी, वाहणी, अप्सरा, सीप (दे० रत्र )जलधरराक्षस ।।
पिता-समुद्र, मातागगाजी, स्त्री (स्वर्ण अकया ) -
इदने शिवका तप किया शिवने उसको मद्दावली करतिया तन वह शिवसे लड़ने चला - शिवने समुद्र को आज्ञादी कि तू गगासे सयोगकर उनदोनों के योगसे जलधर (तार) का जन्महुमा कुदिनउपजलन ३ को सदेशा भेजा कि तुम अपना राज्ययादि छोड़ दो जन इटने राज्य नहीं छोडा तो दोनों में युद्ध और देवतों की सहायता को विष्णु आये पड़ा युद्धोने उपरान्त दैत्योंने रुद्र को बन्दि में कर लिया कुबेर गदाके लगने से व्याकुलहुये-इने पलिको मार उसके शरीरको टुकड़े २ वरडालाजलपर न राहु को शिव के पास भेजा कि उनसे कहे कि अपनी सी हम को देदें शिवने नहीं दिया और युद्ध होनेगा जलनर ने शिवका रूप धर पार्वतीजी को छलना चाहा परतु निराशहुआ उसा समय में ब्राह्मण वास्प घर वृन्दाको स्वप्न दिसाया कि जलघर मारागया जन उसको विश्वास न हुआ तोडणु ने जलपर का रूप धारण किया और कुछ दिन हन्दा के
स्थान- जम्बूदीप, (जाल धरनगर),
साथ रहे यह बात ज्ञात होनेपर वृन्दा ने विष्णु को शाप दिया और आप वनमें जाकर भस्म होगई तत्रसे उस वन का नाम हृन्दावन हुआ यह वृत्तान्त सुन पर जलघर ने शिव से युद्ध किया परन्तु शिवने उसका शिर काटडालाऔर्व मुनि ॥
कार्तवीर्य भृगुवशियाँ पर इतनी कृपा करता था कि कुछ निमें मृगुलोग धनी होगये और राजा की सन्तान वगाल होगई - एक समय राजाने भृगुरशियों से सहायता चाही कुछ न किया तन कार्तवीर्य क्रोधयुक्त भृगुवशियो मरलगा पत्र सीने अपने वालक को अपनी जान (करू) में छिपा लिया या कार्य इसका पता पागया और उस बालक को मारनेगया तर चालक अपनी मातारी जायसे निकलपड़ा उसके तेजसे वार्तवीर्य अधा होगया किंतु वह बालक अर्थात् जायसे उत्पन्न हुआ था उसका नाम
मनसा देवी ॥
भाई-चामुवि (गा राजा ) पति-नरस्कारुनि पुन- भसिन जामीनबहा पहुँचे जहापर उनके पुरुषे गे हुये थे अपने में विचार किया कि इनको किसी भांति छुड़ाना चाहिये परतु रुवान बिना यह कार्य नहीं होमत्ता इस कारण मुनि ने मनमारे साथ विवाहविया जिसमहुये इन्होंने नामों को राजा जनमेजयसे बचाया क्यों कि यह नागों को नाश करदे थे- इस देवीकी पूजा करने से मापका विप नहीं लाता एक बाद साहार के पुत्र साप के काटने से मरगये तो उसने अपने बडे लडके को लोदेने पीजरे में बन्द कर दिया उसके विवाद के उऔर यह की और यह पुजीग? |
LUCKNOW: पद्मश्री केपी सक्सेना। एक ऐसा नाम जो लखनऊ की पहचान हैं। हिन्दी व्यंग्य और फिल्म पटकथा लेखक के रूप में लोग उन्हें केपी के नाम से जानते थे। हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के बाद वे हिन्दी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले व्यंग्यकार थे। उन्होनें लखनऊ में मध्यमवर्गीय जीवन को लेकर अपनी रचनाएं लिखीं। उनके लेखन की शुरुआत उर्दू में उपन्यास लेखन के साथ हुई लेकिन बाद में गुरू अमृत लाल नागर की सलाह से वह हिन्दी व्यंग्य में आ गए। उनकी लोकप्रियता इस बात से आंकी जा सकती है कि आज उनकी करीब क्भ् हजार प्रकाशित फुटकर व्यंग्य रचनाएं हैं।
लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी के खिलाफ फिल्म एक्टर राज बब्बर इलेक्शन लड़ रहे थे। पूरा बॉलीवुड उनके प्रचार में आ गया। उस समय केपी सक्सेना से बात की गई। कहा कि वह ही बॉलीवुड की हस्तियों से टक्कर ले सकते हैं। केपी सक्सेना, उर्मिल कुमार थपलियाल और स्व। कुमुद नागर ने दो नुक्कड़ नाटक बनाए और उससे कमाल हो गया। पब्लिक पर इनका जबरदस्त इम्पेक्ट पड़ा और अटल जी इलेक्शन जीत गए।
केपी के चाहने वालों में से एक ने का कि चौक में क्9म्0 से होली के मौके पर कवि सम्मेलन चकल्लस का आयोजन शुरू हुआ। अमृतलाल नागर इसकी अध्यक्षता करते थे और केपी सक्सेना ने कई सालों तक इसमें हिस्सा लिया करते थे। के पी सक्सेना का जन्म सन् क्9फ्ब् में बरेली में हुआ था। उनका पूरा नाम कालिका प्रसाद सक्सेना था। केपी जब केवल क्0 वर्ष के थे उनके पिता का निधन हो गया। उनकी मां उन्हें लेकर बरेली से लखनऊ अपने भाई के पास आ गयी। केपी के मामा रेलवे में नौकरी करते थे। मामा के कोई औलाद न थी तो उन्होंने केपी को अपने बच्चे की तरह पाला। केपी ने वनस्पतिशास्त्र बॉटनी में स्नातकोत्तर एमएससी की उपाधि प्राप्त की और कुछ समय तक लखनऊ के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। बाद में उन्हें उत्तर रेलवे में सरकारी नौकरी के साथ-साथ उनकी पसन्द के शहर लखनऊ में ही पोस्टिंग मिल गयी। इसके बाद वे लखनऊ में ही स्थायी रूप से बस गये। उन्होंने अनगिनत व्यंग्य रचनाओं के अलावा आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए कई नाटक और धारावाहिक भी लिखे। बीबी नातियों वाली धारावाहिक बहुत लोकप्रिय हुआ। उनकी लोकप्रियता का अन्दाज इसी से लगाया जा सकता है कि था कि मूल व्यंग्य लेखक होने के बावजूद उन्हें कवि सम्मेलन में भी बुलाया जाता था। जीवन के अन्तिम समय में उन्हें जीभ का कैंसर हो गया था जिसके कारण उन्हें फ्क् अगस्त ख्0क्फ् को लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज से कोई लाभ न हुआ और आखिरकार उन्होंने फ्क् अक्तूबर ख्0क्फ् सुबह साढ़े 8 बजे दम तोड़ दिया।
केपी की व्यंग्य रचनाओं की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें सन ख्000 में भारत सरकार का विशेष अलंकरण पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।
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'लिपिस्टिक अंडर बुर्का' नामक अत्यंत मनोरंजक फिल्म बनाने वाली अलंकृता श्रीवास्तव, भूमि पेंडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा अभिनीत फिल्म 'डॉली और किट्टी' बनाने जा रही हैं। यह दो बहनों के जीवन और आपसी स्नेह को प्रदर्शित करने वाली फिल्म हैं। कभी बहनापे में आपसी डाह की नकारात्मकता भी शामिल हो जाती है। भाइयों के रिश्ते पर अनेक फिल्में बनी हैं परंतु पुरुष शासित समाज और सिनेमा में बहनापा अत्यंत कम फिल्मों में प्रस्तुत किया गया है। नूतन व तनुजा और मधुबाला व चंचल सगी बहनें भी फिल्मों में सक्रिय रही हैं और नूतन हमारी श्रेष्ठ कलाकार रही हैं। नूतन ने युवा रोमांटिक भूमिकाओं की लंबी पारी खेली, साथ ही 'सुजाता' और 'बंदिनी' में विलक्षण अभिनय किया। बिमल राय की 'बंदिनी' को नूतन की 'मदर इंडिया' माना जा सकता है। उम्रदराज होने पर उन्होंने सुभाष घई की 'कर्मा' और अमिताभ बच्चन के साथ 'सौदागर' में काम किया।
गुरुदत्त की अंतिम फिल्म का नाम था 'बहारें फिर भी आएंगी' जिसे उनकी मृत्यु के बाद उनके भाई ने पूरा किया। वह भी दो बहनों के परस्पर प्रेम और वैमनस्य की कथा थी। दरअसल, वह फिल्म बंगाली भाषा में बनी फिल्म 'प्रेसीडेंट' से प्रेरित थी। पिता की मृत्यु के बाद बड़ी बहन पिता का कारोबार संभालती है और वह एक युवा मैनेजर को नियुक्त करती है, जिससे उसे प्रेम हो जाता है परंतु वह इस बात से अनजान है कि उसकी छोटी बहन भी उसी युवा मैनेजर से प्रेम करती है। दोनों बहनों को तथ्य मालूम पड़ने पर उनमें एक-दूसरे के लिए त्याग की प्रतिस्पर्धा प्रारंभ हो जाती है। बहनापा इश्क से गहरा साबित करने का खेल शुरू हो जाता है। शोभा डे का उपन्यास 'सिस्टर्स' रोचक है। सेठ धन्नालाल की मृत्यु के बाद उनका वसीयतनामा पढ़ा जाता है। उसी समय सिगरेट पीती हुई एक आधुनिका प्रवेश करती है। उसका दावा है कि वह सेठ धन्नालाल की नाजायज संतान है और उसके पास इसे सिद्ध करने के लिए यथेष्ठ प्रमाण भी है। वह सेठ धन्नालाल की महबूबा की पुत्री है। दोनों बहनों के बीच दांव-पेंच चलते हैं और 'नाजायज' के दांव-पेंच से ही 'जायज' पुत्री समझ जाती है कि उसकी रणनीति पर उसके पिता के चातुर्य का स्पष्ट प्रभाव है।
दोनों बहनें समझौता कर लेती हैं और मिलकर पिता के व्यवसाय का संचालन करते हुए अपने निकम्मे और लोभी रिश्तेदारों के पाखंड को उजागर करके उन्हें जेल भिजवा देती हैं। करीना और करिश्मा कपूर को लेकर शोभा डे के उपन्यास से प्रेरित पटकथा लिखी जा सकती है। अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म शोभा डे के उपन्यास से प्रेरित नहीं है।
हॉलीवुड की दो बहनों की एक फिल्म में पिता की मृत्यु के बाद हिल स्टेशन पर बने छोटे से होटल का संचालन दो बहनें करती हैं। एक संगीतकार वहां काम करने के लिए एक कमरा लंबे समय तक के लिए किराए पर लेता है। संगीतकार और बड़ी बहन का प्रेम हो जाता है। संगीतकार अपनी रचना भी पूरी कर लेता है। वे विवाह करके महानगर चले जाते हैं। कुछ माह पश्चात वे छोटी बहन का हालचाल मालूम करने आते हैं। उन्हें ज्ञात होता है कि उनके जाने के बाद छोटी बहन ने अपना होटल बेच दिया है और वह चर्च में नन बन चुकी है। उन्हें छोटी बहन की डायरी से जानकारी मिलती है कि छोटी बहन भी संगीतकार से मन ही मन प्रेम करती थी। वे दोनों चर्च जाकर उससे मिलते हैं और बड़ी बहन प्रस्ताव रखती है कि वह अपने पति को तलाक देकर छोटी बहन का विवाह उससे करा देगी। छोटी बहन कहती है कि अब वह नन बन चुकी है और अब दुःखी तथा असहाय लोगों की सेवा करना ही उसका कर्तव्य है। अब सांसारिकता का कोई प्रलोभन उसे अपने काम से डिगा नहीं सकता। वह अपनी बड़ी बहन और उसके पति के सुखी दाम्पत्य के लिए प्रार्थना करेगी। छोटी बहन के कथन को रेखांकित करने वाली दो फिल्मों का विवरण इस तरह है। ज्ञातव्य है कि इतिहास प्रेरित फिल्म 'बैकेट' में ब्रिटेन का राजा अपने बाल सखा को चर्च का प्रधान बनाता है ताकि दोनों मिलकर देश के निरंकुश शासक बन जाएं। चर्च प्रधान का कहना है कि प्रभु की सेवा में आने के बाद उसकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है और अगर राजा चर्च के काम में दखल देगा तो वह उसकी मुखालफत करेगा। बैकेट का चरबा ऋषिकेश मुखर्जी ने राजेश खन्ना और अमिताभ अभिनीत 'नमक हराम' में प्रस्तुत किया था। इसी कथानक पर टीएस एलियट ने भी 'मर्डर इन कैथेड्रल' नामक काव्य नाटक लिखा है। ज्ञातव्य है कि बैकेट में रिचर्ड बर्टन ने राजा की भूमिका और पीटर ओ' टूल ने चर्च प्रधान की भूमिका अभिनीत की थी। 'बैकेट' के साथ ही टीएस एलियट के नाटक 'मर्डर इन कैथेड्रल' से प्रेरित फिल्म भी बनी है।
दोनों ही रचनाएं सत्ता के दो हाथों में सिमटने से होने वाले भयावह परिणामों को रेखांकित करती है। अवाम को तो अब अपनी त्वचा की सीमा में ही रहना है। त्वचा में जगह-जगह खरोंचें लगी हैं परंतु गनीमत है कि वह अभी तक कायम है। त्वचा पर लगे जख्मों से ही दिव्य प्रकाश शरीर में प्रवेश करता है।
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वह मुझे बरामदे के अंतिम छोर पर ले गयी । प्रसूति कक्ष का दरवाज़ कुछ खुला हुआ था। मैने देखा कि एक चादर में लिपटी हुई कैथरीन मेज पर पड़ी थी। उसके एक ओर परिचारिका खड़ी थी और दूसरी ओर डाक्टर था। पाम ही प्रागप्रद वायु (गैस) के वर्तुलाकार वेलन (सिलिटर) रखे थे। डाक्टर के हाथ मे एक नली से सम्बद्ध रबर का एक मॉस्क (नकार) था ।
"मैं आपको एक चोगा ला देती हूँ। उसे पहनकर आप भीतर जा सकते हैं । " नर्स ने कहा -' इधर आइए।
उसने मुझे एक सफेद चोगा पहना दिया और गर्दन के पिछले भाग में पिन लगा दी।
अब जा सकते हैं, आप ।" वह बोली । मैं कैथरीन के पाम पहुँचा। "ओह, प्रितम ।" कैथरीन ने थकान भरे स्वर मे कहा - "अभी तक - कोई विशेष सफलता नहीं मिली है मुझे । "
आप ही श्री हैनरा हैं ? " डाक्टर ने
" जी हाँ, क्या हाल है, डाक्टर ?"
" सब ठीक चल रहा है। " उसने उत्तर दिया ." हम लोग यहां चले आए; क्योकि पीड़ा के समय गैस आदि देने की यहाँ विशेष सुविधा है।
" गैस दो मुझे।' कैथरीन कराही । डाक्टर ने उसके मुम्ब पर रबर का मॉस्क रख दिया ओर एक डायल घुमाया। मैंने कैथरीन को जल्दी-जल्दी गहरा साँस खीचते हुए देखा। उसके बाद उसने मॉस्क दूर हटा दिया और डाक्टर ने गैस की नली का मुँह बंद कर दिया ।
'इस बार की पीड़ा गद्दरी नहीं थी। कुछ समय पहले जो दर्द उठा था, वह प्राणलेवा था । डाक्टर साहब ने मुझे उससे बचा लिया । है न डाक्टरसाहब ?" उसके स्वर में अस्वाभाविकता आ गई थी। बोलते समय 'डाक्टर' शब्द पर उसने काफ़ी जोर दिया।
" फिर चाहिए गैम । " कैथरीन कराही । उसने बडे जोर से रचर का मॉस्क पकड़ कर अपने मुख पर दबा लिया और तेजी से सॉस खीचने लगी। मैने उसे दबी हुई आवाज मे कराहते सुना। फिर उसने मॉस्क अलग हटा दिया और फीकी मुस्कान मुस्करायी।
यह भी बड़ा जानलेवा दर्द था, " वह बोली - " बड़ा भयानक ! पर तुम चिन्ता मत करो प्रियतम - चिन्ता की कोई बात ही नहीं है। जाओ तुम जाओ, दुबारा नाश्ता कर आओ।" |
लहंगा एक ऐसा परिधान है, जिसमें महिलाएं ना सिर्फ स्टाइलिश लगती हैं बल्कि खूबसूरत भी दिखती हैं। इसे आप वेडिंग से लेकर पार्टी में आसानी से कैरी कर सकती हैं। बहुत-सी महिलाओं को सिंपल लहंगे के साथ मल्टी कलर का ब्लाउज पसंद होता है और कुछ सिंपल ब्लाउज पहनती हैं। वहीं, कई महिलाएं अपना लहंगा और उसका डिजाइन तो सिलेक्ट कर लेती हैं लेकिन उन्हें आपके लहंगे के हिसाब से हेयरस्टाइल समझ नहीं आते हैं। तो अब परेशान ना हो क्योंकि आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ ऐसे 10 हेयरस्टाइल्स, जिन्हें आप हर लहंगे के साथ क्रिएट कर सकती हैं।
हाफ-बबल पोनीटेल नॉर्मल पोनीटेल की तरह ही बनाई जाती है। इस हेयरस्टाइल को बनाने में आपको बहुत कम टाइम लगेगा। अगर आप लहंगे के साथ कुछ डिफरेंट लुक चाहती हैं, तो आप हाफ- बबल पोनीटेल बना सकती हैं। इसे आप कई तरह से बना सकती हैं जैसे आप अपने बालों को ओपन करके हाफ- पोनीटेल बना सकती हैं या फिर आप पोनीटेल का जुड़ा बना सकती हैं।
इन सभी हेयरस्टाइल के अलावा, आप लहंगे पर बनाने के लिए पफ विद बन हेयरस्टाइल का भी चुनाव कर सकती हैं।
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अगर आप लहंगे के साथ एक कूल लुक चाहती हैं, तो आप अपने बालों को हल्के कर्ल कर ओपन कर सकती हैं। हालांकि, ओपन हेयरस्टाइल थोड़ा कॉमन है लेकिन बालों को थोड़ा कर्ल करना, रेगुलर स्टाइल से थोड़ा अलग है। इस हेयरस्टाइल में हर महिलाएं अच्छी लगेंगी।
हाफ बन हेयरस्टाइल डे टाइम हो या नाइट टाइम कभी भी स्टाइल कर सकती हैं। साथ ही, यह आपको एक चिक लुक भी देता है। हाफ बन बनाना बहुत आसान है। इसे बनाने के लिए फ्रंट सेक्शन से बाल लेकर उसे पीछे ले जाए और उससे बन बना लें। बाकी हेयर्स को आप ऐसे ही ओपन छोड़ दें।
पोनीटेल एक ऐसा हेयरस्टाइल है, जिसे आप लगभग हर ड्रेस पर स्टाइल कर सकती हैं। इसे आप कई तरह से ट्विस्ट करते हुए भी बना सकती हैं। अगर आप पार्टी या अन्य किसी सेलिब्रेशन में लहंगा पहन रही हैं, तो आप लहंगे पर फ्रेंच पोनीटेल को स्टाइल कर सकती हैं। यह ना सिर्फ आपको एक अच्छा लुक देगा बल्कि आप सबसे अलग भी लगेंगी।
यह बहुत-सी महिलाओं का पसंदीदा हेयरस्टाइल है, जो पिछले कुछ समय से काफी चलन में है। अगर आप थोड़ी मॉडर्न टाइप की हैं, तो यह हेयरस्टाइल आपके लिए बेस्ट है। इसे ड्रेस पर आसानी से बना सकती हैं। लेकिन अगर आप चाहें तो इसे लहंगा पर भी बना सकती हैं।
यह एक ऐसा हेयरस्टाइल है, जो आपको एक एलीगेंट लुक देता है। यह हेयरस्टाइल बेहद ही आसान है, जो दिखने में भी काफी अच्छा लगता है। आप इस हाफ अप एंड हाफ डाउन हेयरस्टाइल को बनाती हैं। आप इस हेयरस्टाइल से खूबसूरत दिख सकती हैं। इसे बनाने के लिए पहले आप बालों को अच्छी तरह कॉम्ब करें। फिर आप अपने बालों को अलग- अलग तरह से स्टाइल कर सकती हैं।
यह बेहद पुराना और पारंपरिक हेयरस्टाइल है, जिसे ट्रेडिशनल सूट पर बनाना ज्यादा पसंद करती हैं। अगर आप लहंगे के साथ चैन इयररिंग्स या सहारा इयररिंग्स पहन रही हैं, तो एक स्टाइलिश लुक पाने के लिए आप फ्रेंच चोटी को स्टाइलिश तरीके से बना सकती हैं। (साड़ी के साथ ट्राई करें यह हेयरस्टाइल)
यह हेयरस्टाइल अन्य हेयर स्टाइल से थोड़ा अलग है, जो आपके लुक में यूनीकनेस भी जोड़ेगा। इसे बनाना बेहद आसान है अगर आपके बाल एकदम स्ट्रेट हैं, तो आप उन्हें हल्का कर्ल करके साइड रोप-ब्रेड यानि अपने बालों में बल दे सकती हैं।
अगर आपके लंबे बाल हैं और आप ओपन हेयरस्टाइल से पक गई हैं, तो आप अपने बालों को ओपन करके कर्ली करके एक स्टाइलिश लुक भी दे सकती हैं। इसे आप लहंगे के साथ किसी की वेडिंग में स्टाइल कर सकती हैं।
आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia. com पर हमसे संपर्क करें।
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लखनऊः राजधानी में मगलवार को प्रधानमंत्री नरेंं मोदी रामलीला में शिरकत करने के लिए आ रहे हैं। ऐसे में जहांं एक ओर सब लोग उनके स्वागत की तैयारी में लगे हैं। वहीँ कुछ आरक्षण समर्थक स्टूडेंट्स का गुट उनकी इस विजिट का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री की इस विजिट का वो एक दिन उपवास रखकर विरोध करेंगे।
आरक्षण समर्थक स्टूडेंट्स का कहना है कि पीएम मोदी की पिछली विजिट में कुछ स्टूडेंट्स ने उनका विरोध किया था, जिसके बाद से दलित स्टूडेंट्स के साथ भेद भाव बढ़ गया है। ऐसे में उनकी इस विजिट का पूरे दिन उपवास रखकर विरोध करेंगे।
-आरक्षण समर्थक स्टूडेंट्स पीएम मोदी की विजिट का अनशन रखकर विरोध कर रहे हैं।
-अनशन रखने वाले स्टूडेंट श्रेयत बौद्ध ने बताया कि पीएम मोदी पिछली विजिट में राजधानी स्थित बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी आए थे।
-तब रोहित वेमुला के प्रकरण को लेकर उनका विरोध हुआ था।
-इसके बाद से दलित स्टूडेंट्स के उत्पीड़़न के मामले बढ़ गए।
-बीबीएयू में भी यूनिवर्सिटी प्रशासन शोषण पर उतर आया।
-इसके चलते 8 दलित स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया।
-अब पीएम मोदी दुबारा आ रहे हैं।
-हम उनकी इस विजिट का अनशन रखकर विरोध कर रहे हैं।
-हमारे साथ 8 लाख आरक्षण समर्थक स्टूडेंट्स भी उपवास रखेंगे।
-जब तक हमे न्याय नहीं मिलेगा आन्दोलन जारी रहेगा।
- आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने स्टूडेंट्स के इस विरोध को सही माना है।
-समिति के संयोजक अवधेश वर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में लाखोंं आरक्षण समर्थक लोग दशहरा नहीं मनाएंगे।
-इसके अलावा सभी उपवास भी रहेंगे।
-इस मौके पर सभी आरक्षण समर्थक लोग ये प्राण लेंगे की यूपी में बीजेपी को मजबूत नहीं होने देंगे।
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ALLAHABAD: पुराने शहर के जीरो रोड पर आए दिन होने वाले जलजमाव पर लोगों की नजर जाती थी, लेकिन छोटा-मोटा फाल्ट समझ कर लोग ध्यान नहीं देते थे। सोमवार को जब आईनेक्स्ट ने जीरो रोड की सड़कों पर परडे हजारों लीटर स्वच्छ पानी बहाए जाने के कारणों का खुलासा किया तो लोगों का गुस्सा भड़क उठा। शहर कांग्रेस कमेटी के महासचिव इरशाद उल्ला के नेतृत्व में लोगों ने जल संस्थान पहुंच कर जीएम का घेराव और प्रदर्शन किया।
इरशाद उल्ला के नेतृत्व में जल संस्थान पहुंचे लोगों ने पानी की बर्बादी को लेकर जमकर हंगामा किया। नारेबाजी करने के साथ ही प्रदर्शन किया और जीएम कार्यालय का घेराव किया। लोगों ने कहा कि जल संस्थान की लापरवाही से इस भीषण गर्मी में लोग पानी के लिए तड़प रहे हैं। कहीं लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं तो कहीं हजारों लीटर पानी नाली में बहाया जा रहा है।
लोगों ने पुराने शहर में इन दिनों भीषण पेयजल समस्या की शिकायत जल संस्थान के जीएम आरएस सलूजा से की। कहा कि पुराने शहर के बहादुरगंज, हटिया, शीश महल, रामभवन, चक बेनीगंज, चकिया मलिन बस्ती, पूरा मदारीपुर आदि इलाकों में पानी की भीषण समस्या है और जल संस्थान सो रहा है। इस लापरवाही को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। पानी की समस्या और पानी की बर्बादी दूर नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
पानी की बर्बादी का मामला सामने आने के बाद जीएम जल संस्थान आरएस सलूजा ने कहा कि अभी तक पानी की बर्बादी का मामला उनके संज्ञान में नहीं था। आईनेक्स्ट द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद वे पानी की बर्बादी पर कंट्रोल लगाने के लिए गंभीर हैं। अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है कि पानी को वेस्ट होने से बचाया जाए या फिर पम्पिंग की व्यवस्था करते हुए खुसरोबाग से संपर्क स्थापित किया जाए। ताकि ओवरफ्लो होने से पहले ही सप्लाई को बंद किया जा सके।
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कॉलेज ने शैक्षिक सत्र 2017-18 में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लॉ मार्टीनियर ब्वॉयज कॉलेज में नर्सरी एडमिशन के लिए एप्लिकेशन फॉर्म 1 नवंबर से मिलना शुरू होंगे। आपको बता दें कि इस बार कॉलेज प्रशासन ने आवेदन फार्म की कीमत तीगुनी कर दी है। पिछले साल इसकी कीमत 1500 रुपए थी, जो अब बढ़कर 5000 हो गई है।
लखनऊ : कॉलेज ने शैक्षिक सत्र 2017-18 में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लॉ मार्टीनियर ब्वॉयज कॉलेज में नर्सरी एडमिशन के लिए एप्लिकेशन फॉर्म 1 नवंबर से मिलना शुरू होंगे। आपको बता दें कि इस बार कॉलेज प्रशासन ने आवेदन फार्म की कीमत तीगुनी कर दी है। पिछले साल इसकी कीमत 1500 रुपए थी, जो अब बढ़कर 5000 हो गई है।
-पैरेंट्स को बच्चे के एडमिशन के लिए 1 नवंबर से प्रिंसिपल के ऑफिस में एप्लीकेशन देकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
-इसके बाद कार्यालय में पंजीकरण के बाद 2 नवंबर से कैंपस में आवेदन फार्म ऑफलाइन भी मिलेंगे।
-पहले तीन दिन आवेदन फार्म की कीमत 5,000 रुपए।
-इलके बाद 7 से 11 नवंबर के बीच फार्म की फीस 5,500 रुपए ।
-जबकि 15 से 18 नवंबर के बीच आवेदन फार्म लेने वालों को 6000 रुपए देने होंगे।
-1 नवंबर से प्रिंसिपल के पास रजिस्ट्रेशन।
-2 से 4 नवंबर तक सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक स्टोबर्ट हाल में 5000 रुपए जमा होंगे।
-7 से 11 नवंबर कॉलेज कार्यालय में सुबह 9 बजे से दोपहर 11 बजे तक कीमत 5500 रुपए।
-कॉलेज कार्यालय में 15 से 18 नवंबर सुबह 9 बजे से दोपहर 11 बजे तक कीमत 6000 रुपए।
-21 नवंबर 2016 से स्टोबर्ट हाल में सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक जमा होंगे फार्म।
-फार्म जमा करने के लिए अभिभावकों को केवल 21 नवंबर को एक दिन का मौका मिलेगा।
प्रिंसिपल कार्लाइल मैकफरलैंड ने क्या कहा?
-कॉलेज के प्रिंसिपल कार्लाइल मैकफरलैंड ने कहा कि अभिभावक सभी सर्टिफिकेट्स के साथ 21 नवंबर को आवेदन फार्म कॉलेज के स्टोबर्ट हाल में जमा करेंगे।
-उन्होंने कहा कि फार्म जमा करने के लिए पेरेंट्स को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक का मौका मिलेगा।
-कॉलेज में 175 बच्चों को एडमिशन मिलेगा।
-अभिभावकों को आवेदन फार्म लेने के लिए गेट नंबर 1 से एंट्री मिलेगी।
-कॉलेज के प्रिंसिपल कार्लाइल मैकफरलैंड ने बताया कि एडमिशन के लिए किसी तरह का दबाव स्वीकार नहीं किया जाएगा।
-कैंपस में पहले से पढ़े रहे छात्रों को भी दाखिले में वरीयता नहीं दी जाएगी।
-उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि अच्छी तरह निर्देश पढ़ने के बाद ही आवेदन करें।
-एडमीशन के लिए स्कूल में किसी प्रकार डोनेशन इत्यादि नहीं लिया जाता है।
-कॉलेज में दाखिले के लिए परिजन किसी तरह के लालच में ना आएं।
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दिल्ली, गुरुग्राम नोएडा में फ्लैट बुक करते समय बिल्डर्स से पूछ लें ये 5 बातें?
1 . इन शहरों में कई बार बिल्डर्स झूठ बोलकर फ्लैट को बेच देते हैं। इसलिए बिल्डर के प्रोजेक्ट में कितने टावर हैं, कितने फ्लैट और कितने मंजिल को मंजूरी मिली है यह बात वहां के एथोरिटी की ओर से अप्रूव्ड लेआउट मैप को आप जरूर देखें।
2 . कई बार कुछ स्थानीय नियमों के कारण कई फ्लैट विवाद में रहते हैं। ऐसे फ्लैट पर बैंक भी लोन नहीं देती हैं। इसलिए आप बिल्डर्स से इस बात को कंफर्म कर लें। अगर बिल्डर जानकारी ना दें तो किसी वकील से सलाह लें।
3 . फ्लैट लेने से पहले आप जमीन की लोकेशन आवश्य देखें। आप पता करें की आपके फ्लैट से हॉस्पिटल की दूरी, स्कूल, बाजार, रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड की दुरी कितनी हैं।
4 . बिल्डर बुकिंग के वक्त सिर्फ अमाउंट और किश्तों की जानकारी देता है। लेकिन बाद में कई तरह के चार्ज जैसे की पार्किंग चार्ज, सोसाइटी चार्ज, पावर आदि लगाए जाते हैं। इसलिए बिल्डर्स से यह बात आवश्य पूछे।
5 . कई बार फ्लैट की बुकिंग करने के बाद सीमेंट, सरिया आदि कच्चे माल के दाम बढ़ने पर डेवलपर ग्राहकों के लिए फ्लैट की कीमत को बढ़ा देते हैं। इसलिए आप बुकिंग से पहले बिल्डर्स से इसकी जानकारी आवश्य लें।
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जागरण संवाददाता, गाजीपुर : कोरोना काल के बाद फैली बेरोजगारी के बीच जिला उद्योग केंद्र बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छी योजना लेकर आया है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत युवा स्वरोजगार कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें बैंक 25 लाख रुपये तक का ऋण मुहैया कराएंगे। इकाई लागत का अधिकतम 25 फीसद तक राशि सरकार अनुदान देगी। शेष बैंक ऋण को सामान्य ब्याज सहित पांच वर्ष में जमा करना होगा। इसके लिए जिला उद्योग केंद्र की वेबसाइट पर आनलाइन आवेदन किया जा सकता है। उद्योग क्षेत्र के लिए 10 लाख से अधिक तथा सेवा क्षेत्र के लिए पांच लाख रुपये से अधिक निवेश वाली इकाईयों के लिए न्यूनतम हाईस्कूल पास होना चाहिए, जिसमें जन्मतिथि का अंकन होना आवश्यक है। आवेदक की आयु एक अप्रैल 2022 को 18 से 40 वर्ष तक होनी चाहिए। योजनांतर्गत उद्योग क्षेत्र में अधिकतम 25 लाख एवं सेवा क्षेत्र में अधिकतम 10 लाख तक ऋण दिए जाने का प्रविधान है। वह किसी बैंक अथवा वित्तीय संस्था का डिफाल्टर न हो। विशेष जानकारी के लिए किसी भी कार्य दिवस में कार्यालय उपायुक्त उद्योग, जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केंद्र लंका बाइपास से संपर्क किया जा सकता है।
ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम प्रधान से निर्गत जनसंख्या प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, एक फोटो एवं शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ लेने के लिए बेरोजगार अभ्यर्थी आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पात्र अभ्यर्थियों का चयन कर उनकी फाइल ऋण के लिए संबंधित बैंक को भेजी जाएगी। ऋण स्वीकृत होने के बाद अनुदान दिया जाएगा।
अजय कुमार गुप्ता, उपायुक्त उद्योग।
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर फतेहाबाद टोल प्लाजा के पास शनिवार की सुबह एक टूरिस्ट बस बेकाबू हो गई। बस ने पहले रैलिंग में टक्कर मारी। उसके बाद तीन टोल कर्मियों और एक फूल वाले को चपेट में लेते हुए पुलिस की जिप्सी में जा घुसी। जिप्सी ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के एस्कार्ट के लिए पुलिस लाइन से भेजी गई थी। एक सिपाही जिप्सी में ही फंसा रह गया। हादसे से एक्सप्रेस वे पर चीखपुकार मच गई। घायलों को इलाज के लिए आगरा भेजा गया है।
घटना शनिवार की सुबह करीब आठ बजे की है। टोला प्लाजा से दस मीटर पहले कर्मचारी अमर कांत पचौरी, सिक्योरिटी गार्ड सत्यवीर, कुशलपाल और फूलवाला सोनू खड़े थे। मुजफ्फरपुर (बिहार) से टूरिस्ट बस आ रही थी। ड्राइवर ने टोल के पास बस धीमी की। चर्चा है कि ब्रेक नहीं लगे। यह देख ड्राइवर ने सबसे आखिरी लाइन में बस को डाल दिया। बस रैलिंग को तोड़ते हुए आगे बढ़ी। सबसे पहले कर्मचारी अमर कांत पचौरी और फूल वाले सोनू को रौंदा। सिक्योरिटी गार्डों को टक्कर मारते हुए बस पुलिस की जिप्सी में जा घुसी। सिपाही ऐहतअली जिप्सी में बैठा हुआ था। अन्य दो पुलिस कर्मी अंकुर और वीरेंद्र चाय पीने के लिए गाड़ी से बाहर निकल आ आए थे। हादसे से चीख-पुकार मच गई। टोल कर्मचारियों के होश उड़ गए।
कर्मचारी अमरकांत पचौरी और फूलवाले सोनू ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया। सिपाही को जैसे-तैसे से जिप्सी से बाहर निकाला गया। जिप्पी कनस्तर बन गई थी। घायलों को इलाज के लिए आगरा भेजा गया। हादसे में बस में सवार खुशबू, अंजलि व दुर्गा प्रसाद भी जख्मी हुए हैं। उनका इलाज चल रहा है।
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तेजस्वी यादव (बाएं) और संजय जायसवाल (Photo Credit: File Photo)
Patna:
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सूबे के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लगातार रोजगार के मुद्दे पर बात कर रहे हैं। इतना ही नहीं तमाम विभाग के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र भी वितरित कर रहे हैं, लेकिन रोजगार के मुद्दे पर लगातार राजनीति भी हो रही है। दरअसल, बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल के आरोपों पर पलटवार करते हुए डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बीजेपी के साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार पर भी तंज कसा है।
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने रोजगार के मुद्दे पर केंद्री की मोदी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा, 'बिहार सरकार के नियुक्ति पत्र वितरण के तर्ज पर अब केंद्र सरकार भी नियुक्ति पत्रों को बांटने का कार्य कर रही है। ये खुशी की बात है कि सीएम नीतीश कुमार के कामों को देख कर केंद्र सरकार भी कुछ कर रही है। तेजस्वी ने आगे कहा, 'हमारी सरकार रोजगार को लेकर अभी भी हर विभाग में काम कर रही है ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। '
संजय जायसवाल ने क्या कहा?
इससे पहले CTET और BTET पास सातवें चरण की शिक्षक बहाली की प्रक्रिया को बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सूबे की महागठबंधन सरकार को जमकर घेरा। अभ्यर्थियों के साथ उन्होंने प्रेसवार्ता की। प्रेसवार्ता के दौरान संजय जायसवाल ने सूबे की सरकार को घेरते हुए कहा, '2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय हम लोगों ने वादा किया था कि किस प्रकार हम लोग नौकरी देंगे, शिक्षक बहाली को लेकर एनडीए सरकार द्वारा जानकारी दी गई थी, लेकिन सरकार बदल गई और शिक्षक बहाली प्रक्रिया महागठबंधन सरकार ने अब तक शुरू नहीं किया। '
संजय जायसवाल ने सूबे के शिक्षामंत्री प्रो. चंद्रशेखर पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य के मौजूदा शिक्षामंत्री जब विपक्ष में थे तो CTET और BTET के लिए सवाल किया करते थे लेकिन आज वो भी चुप हैं और बहाली प्रक्रिया पर कोई भी बात नहीं बोलते। उन्होंने आगे कहा कि हम लोग CM नीतीश कुमार पर शिक्षकों की बहाली के लिए दबाव बनाते थे लेकिन उनके मन में पाप था और इसलिए वो बहाली प्रक्रिया टालते रहे।
. . . तो नहीं चलने देंगे सत्र!
संजय जायसवाल ने सूबे की महागठबंधन सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार आज जो नौकरी देने की बात कर रही है, जो पहले से नियुक्त है और उन्हीं अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है। उन्होंने सीएम नीतीश के उस बयान को लेकर भी तेजस्वी यादव पर हमला किया जिसमें तेजस्वी ने 10लाख नौकरी पहली कैबिनेट में देने का बात कही थी। संजय जायसवाल ने चेतावनी भरी लहजे में ये भी कहा है कि अगर 13 दिसंबर से पहले सरकार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र नहीं देती है तो 13 दिसंबर से शुरू होनेवाले सत्र को BJP नहीं चलने देगी।
संजय जायसवाल ने ट्वीट कर भी नियुक्ति प्रक्रिया पर तंज कसा। उन्होंने ट्वीट किया, "10 हजार पुलिस की बहाली रही हो या 10 हजार राजस्व विभाग की, इन सभी नौकरियों को हमारी सरकार ने दी थी। सरकार बदलने के बाद छः बार नौकरी मेला लगा है, लेकिन उन सभी में नौकरी देने का दावा किया जा रहा है। जिन्हें पूर्व में ही नौकरी मिल गई थी। इतिहास में ये सब पहली बार हो रहा है। "
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भोपाल। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस से त्यागपत्र की औपचारिक घोषणा के चलते मध्यप्रदेश में उनके समर्थक 14 से अधिक मंत्रियों और विधायकों ने भी त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को ईमेल के जरिए भेज दिए हैं। इसी के साथ चौदह माह पुरानी कांग्रेस सरकार का अब संकट से निकलना मुश्किल नजर आ रहा है।
बताया गया है कि कुल 19 मंत्रियों और विधायकों ने त्यागपत्र भेजा है, जो वर्तमान में बेगलूरु में हैं। राज्य विधानसभा में वर्तमान में 228 विधायकों में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। आगर और जौरा विधानसभा सीट रिक्त हैं। उन्नीस विधायकों के त्यागपत्र स्वीकृत होने की स्थिति में कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 95 पर आ जाएगी और इस तरह सरकार का संकट से निकलना मुश्किल हो जाएगा।
सिंधिया के समर्थक नेताओं ने यहां बताया कि बेंगलूरु में ठहरे 19 विधायक और मंत्रियों ने विधायक पद से त्यागपत्र ईमेल के जरिए विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिए हैं। सिंधिया के खास समर्थक माने जाने वाले प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने भी ट्वीट में लिखा है कि जहां सिंधिया जी वहां मैं। मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कांग्रेस हटा लिया है। इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल और प्रदेश में विभिन्न स्थानों से श्री सिंधिया के समर्थक पदाधिकारियों के भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को त्यागपत्र भेजे जाने की सूचनाएं हैं।
अब सभी की निगाहें शाम को पांच बजे यहां मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक पर लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ बड़ा निर्णय ले सकते हैं। सूचना है कि इस संबंध में वे अपने विश्वस्त साथियों के साथ सलाह मशविरा कर रहे हैं।
वहीं इसके बाद शाम सात बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय में भाजपा विधायक दल की भी महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इसमें मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर अगली रणनीति तय की जाएगी। इसमें विधायक दल का नया नेता चुने जाने की संभावना से भी पार्टी नेताओं ने इंकार नहीं किया है। बैठक में शामिल होने के लिए भाजपा के प्रदेश संगठन प्रभारी डा विनय सहस्त्रबुद्धे भी पहुंच गए हैं। प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठकों का दौर भी जारी है।
राज्य में पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से चल रही राजनीतिक उठापटक अब पूरी तरह चरम पर पहुंच गई है और माना जा रहा है कि आज रात तक सरकार के भविष्य को लेकर स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।
मध्यप्रदेश में राजनीतिक उठापटक के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज छह मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल से की। कमलनाथ ने मंत्री इमरती देवी, तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युुम्न सिंह तोमर और डॉ प्रभुराम चौधरी को मंत्री पद से हटाने की सिफारिश करते हुए पत्र राज्यपाल को लिखा है। ये मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं और अभी बेंगलूरु में उन 19 विधायकों के साथ हैं, जिन्होंने विधायक पद से त्यागपत्र दिया है। इसके अलावा एक और पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने विधायक पद से त्यागपत्र दिया है। हालांकि वे सिंधिया नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से जुड़े रहे हैं।
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Atal Bihari Vajpayee death anniversary: भारतीय राजनीति को नई दिशा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। 16 अगस्त को देश उनकी चौथी पुण्यतिथि मना रहा है। Atal Bihari Vajpayee का जन्म 25 दिसंबर 1924 में मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी के पिता संस्कृत भाषा और साहित्य के अच्छे विद्वान थे। उनके घर में किताबों को खास महत्व दिया जाता था इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके घर की बैठक पुरानी किताबों से भरी रहती थी। वे 11 भाषाओं के ज्ञाता थे।
महान शख्सियत : आधुनिक भारत में पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी को छोड़ दें, तो अटल बिहारी वाजपेयी ही ऐसे नेता थे, जिनकी स्वीकार्यता पार्टी लाइन, धर्म, जाति से हटकर हर दल हर वर्ग, हर उम्र के लोगों में थी। काफी लंबे समय तक विपक्ष में रहते हुए भी अटल बिहारी वाजपेयी में कभी भी अपने राजनैतिक विरोधियों के लिए भेदभाव या वैमनस्यता नहीं रही।
विपक्ष की भी तारीफ की : विपक्ष के नेता के रूप में जब और जहां सत्तारूढ़ दल और उसके मुखिया की तारीफ करने की जरूरत महसूस हुई वाजपेयी ने उन्मुक्त कंठ से तारीफ की, चाहे वो भारत पाक युद्ध का वक्त हो या और तमाम राष्ट्रीय आपदा की घटनाएं, अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा दल गत राजनीति से ऊपर उठकर बात की। भारत-पाक युद्ध के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था।
नेहरू जैसी न्यायप्रियता : गुजरात में हुए नरसंहार के बाद प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी का गुजरात दौरा और अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री को राजधर्म का पालन करने की नसीहत देना उच्च न्यायप्रियता का प्रदर्शन है। ऐसा ही पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के रूप में केरल की अपनी सरकार को संवैधानिक दायित्वों का पालन करने में विफल होने के आरोप में बर्खास्त कर दिया था।
नेहरू ने की थी तारीफ : वाजपेयी जी जब पहली बार चुनकर लोकसभा पहुंचे थे तो पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें विदेश नीति पर बोलने का मौका दिया था, अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण से पंडित नेहरू इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा था कि वाजपेयी जी के अंदर देश का नेतृत्व करने के सारे गुण मौजूद हैं।
कई क्षेत्रों में किया काम : वाजपेयी के व्यक्तित्व के अलग-अलग आयाम रहे हैं। उन्होंने आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में, जनसंघ के राजनैतिक कार्यकर्ता के रूप में, आरएसएस के मुखपत्र राष्ट्रधर्म के संपादक के रूप में, देश के सर्वोत्तम विशिष्ट सांसद के रूप में, नेता प्रतिपक्ष के रूप में, विदेश मंत्री के रूप में, प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। अपने हर कार्य के साथ न्याय किया।
दृढ़ता का परिचय : इंदिरा गांधी के बाद सिर्फ वाजपेयी ही थे, जिन्होंने अमेरिका के खुले विरोध के बावजूद साहस और बहादुरी से पोखरण में परमाणु बम का सफल परीक्षण किया। प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी भी कभी शक्ितशाली विकसित देशों के सामने कमजोर नहीं पड़ीं।
इसकी तस्दीक इंदिरा के उन फैसलों से होती है, जिसमें उन्होंने परमाणु बम का परीक्षण किया और बांग्लादेश के निर्माण के दौरान हुआ भारत-पाक युद्ध का सामना किया। भारत-पाक युद्ध के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इंदिरा गांधी पर युद्ध खत्म करने का दवाब बनाया था लेकिन इंदिरा ने बिना झुके बांग्लादेश के निर्माण तक युद्ध जारी रखा और रिचर्ड निक्सन को आधे रास्ते से अपना सातवां बेड़ा वापस बुलाना पड़ा। इंदिरा जी के बाद इतनी दृढ़ता अटल बिहारी वाजपेयी में ही नजर आई थी।
Koo Appभारतीय राजनीति के अजातशत्रु, ओजस्वी और प्रखर वक्ता, पूर्व प्रधानमंत्री, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में कोटिशः नमन् करता हूं। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने वाले भविष्यद्रष्टा के विचार राष्ट्र उत्थान के लिए हम सबको सतत प्रेरित करते रहेंगे।
Koo Appमैं अपने गांव जैत से भोपाल पढ़ने आया था और छात्र रहते पहली बार चारबत्ती चौराहे पर स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के विचारों को सुना। वो दिन था और आज का दिन है, वह अपनी वाणी, विचार, ज्ञान और कविताओं के माध्यम से मुझमें जीवित हैं। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं।
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ज्यादा वजन दिल की बीमारियों को बढ़ा सकता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि वजन कम किया जाए। स्टडी में इसे लेकर एक नई बात सामने आई है। आइए जानते हैं वजन और दिल का कनेक्शन।
हेल्थ डेस्क. तकनीक के इस युग में सबकुछ आसान हो गया है। बढ़ती उम्र में भी आप मां का सुख ले सकते हैं अगर आपने अपना एग फ्रीज करा रखा है तो। प्रियंका चोपड़ा ने 30 साल की उम्र में एग फ्रीज करा दिए थे। आइए जानते हैं इसके बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क. महानवमी के दिन माता दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है। कन्या पूजन के साथ इसका नवरात्रि का समापन हो जाता है। आइए बताते हैं कन्या पूजन और प्रसाद से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स के बारे में जिसे फॉलो करेंगे को किस्मत के हो जाएंगे धनी।
लाइफस्टाइल डेस्क : आज देश भर में रामनवमी का पावन त्योहार मनाया जा रहा है। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। इसे दुर्गा नवमी भी कहते हैं। ऐसे में इस विशेष दिन पर अपने प्रियजनों को ये शुभकामना संदेश भेजें. .
फूड डेस्क. भारत और पाकिस्तान के बीच जुबानी जंग आए दिन चलती रहती है। इन दिनों चिकन मंचूरियन को लेकर फूड वॉर छिड़ा है। दोनों देशों के नेटिजन्स एक दूसरे से भिड़े हैं और चिकन मंचुरियन को अपनी रेसिपी बता रहे हैं। आइए जानते हैं किस देश ने इसे बनाया है।
लहंगा एक ऐसा आउटफिट है जिसे ज्यादातर महिलाएं कस्टमाइज करती हैं। बॉडी टाइप को समझे बिना अगर लहंगा बनवाते हैं तो यह लुक को खराब कर देता है। अगर आप लहंगे में खुद को टॉल यानी लंबा दिखना चाहती हैं तो फिर कुछ चीजों का ध्यान में रखना होगा।
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प्रेमी संग मिलकर पत्नी ने ली पति की जान (Photo Credit: प्रतीकात्मक तस्वीर)
Bokaro:
झारखंड के बोकारो से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां पत्नी ने प्रेमी के सात मिलकर अपने पति की चाकू से गोदवाकर हत्या करा दिया. मामले का खुलासा मुख्यालय डीएसपी मुकेश कुमार ने करते हुए बताया कि बीते शनिवार कि रात विनोद हेंब्रम की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले मे रौशन भारती और मृतका की पत्नी लक्ष्मी कुमारी को गिरफ्तार किया गया है. घटना में जिस चाकू का इस्तेमाल किया गया पुलिस ने वह भी बरामद कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि विनोद जब ड्यूटी जाता था तब पत्नी व उसके प्रेमी रौशन घर में एक-दूसरे के साथ रहा करते थे. जब पति को इस अवैध संबंध के बारे में पता चला तो उसने इसका विरोध किया.
वहीं, आखिरकार पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की साजिश रची और उसे मौत के घाट उतार दिया. संदेह के आधार पर पुलिस ने मुजफ्फरपुर के बनारस चौक निवासी रौशन भारती को वहां से लेकर आई और पूछताछ की. इस दौरान रौशन ने हत्या की घटना में अपने संलिप्तता को स्वीकार किया. घटना के बाद फेंके गए चाकू को भी पुलिस ने बरामद कर लिया.
बता दें कि मृतक की पत्नी का रौशन से प्रेम संबध चल रहा था. पूछताछ के दौरान रौशन ने बताया कि लक्ष्मी के सहयोग से बिनोद घर से करीब 150 मीटर दूरी पर झाड़ी में छिपकर बैठा हुआ था, जैसे ही बिनोद ड्यूटी के लिए घर से निकला. घात लगाए रौशन ने उसके सीने पर चाकू से हमला कर दिया. जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई. हत्या के बाद वह मृतक की साइकिल को स्टेशन लेकर गया और साइकिल को वहां से मुजफ्फरपुर लेकर चला गया. वहीं, चाकू को स्टेशन के पास तोड़कर फेंक दिया.
रौशन ने कुर्मिडीह से चाकू खरीदा था. वहीं, हत्या का खुलासा करते हुए डीएसपी ने बताया कि लक्ष्मी ने अपनी होंडा एक्टिवा भी रौशन को दे दी थी और स्कूटी चोरी होने की झूठी प्राथमिकी सेक्टर 4 थाना में दर्ज कराया था. उन्होनें बताया कि लक्ष्मी ने क्रिश्चन धर्म में शादी की थी. बाद में उसने बिनोद और उसके परिवार को क्रिश्चन बना दिया था. बिनोद हेंब्रम का परिवार ने फिर सरना धर्म अपना लिया. रौशन ईसाई धर्म का प्रचारक है और बिहार समेत अन्य स्थानों पर जाकर धर्म का प्रचार करता है.
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हरिद्वार से सोमवार की देर रात गाजियाबाद लौट रहे एक दो परिवारों के पांच लोगों की सड़क हादसे में मौत हो गई। मरने वालों में 2 महिला 2 पुरुष 1 बच्चा है यह हादसा मसूरी और भोजपुर कोतवाली क्षेत्र की सीमा के पास कलछीना गांव के सामने रात करीब साढ़े दस बजे का है। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची दोनों थानों की पुलिस ने कार में बैठे सभी सात लोगों को बाहर निकाला और गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने इनमें से पांच लोगों की मौत की पुष्टि की है।
मेरठ एक्सप्रैस वे थाना क्षेत्र मसूरी मेरठ से डासना आने वाले रोड़ पर थाना भोजपुर बोर्डर के पास कैन्टर नं. UP 16 FT 4364 के चालक बबलू पुत्र सोमनाथ नि. ग्राम चकूनी थाना सैदनगली जनपद अमरोहा ने अल्टो नं. DL 6CQ 8265 में टक्कर मार दी जिसमें अल्टो सवार (1) आशीष पुत्र वी.पी. सिंन्हा उम्र 33 वर्ष (2) शिल्पी पत्नि आशीष उम्र 30 वर्ष (3) देव सिन्हा पुत्र आशीष उम्र 01 वर्ष निवासीगण 551क/450 आजाद नगर आलम बाग लखनऊ (4) सोनू पुत्र दलवीर उम्र 35 वर्ष (5) परी उर्फ काव्या पुत्री सोनू उम्र 11 वर्ष मूल निवासीगण ग्राम रतरोई थाना गंगीरी जनपद अलीगढ़ हाल निवासी ग्राम मकनपुर थाना इन्द्रापुरम गाजियाबाद की सर्वोदय होस्पीटल कविनगर, गाजियाबाद में मृत्यू हो गई तथा (1) निधि पत्नि सोनू उम्र 28 वर्ष व (2) शिवि पुत्री आशीष उम्र 4 वर्ष घायल गम्भीर रुप से घायल हैं । जिनका उपचार सर्वोदय अस्पताल कविनगर, गाजियाबाद में चल रहा हैं ।
कैन्टर चालक बबलू पुत्र सोमनाथ नि. ग्राम चकूनी थाना सैदनगली जनपद अमरोहा व कैन्टर को पकड़ लिया गया हैं । अभी तहरीर प्राप्त नही हुई हैं । आवश्यक कार्यवाही की जा रही हैं ।मसूरी कोतवाली पुलिस ने बताया कि यह दोनों परिवार खोड़ा मकनपुर गांव के रहने वाले हैं और बीते सप्ताह हरिद्वार गए थे।
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दुनिया में अमीरी और गरीबी की खाई को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट के मुताबिक महज एक फीसदी धनवानों के पास दुनिया की आधी दौलत है। स्टडी में यह बताया गया है कि कैसे 2008 की मंदी के बाद दुनिया के बड़े अमीरों को फायदा हुआ है और दुनिया में मौजूद कुल दौलत में उनकी हिस्सेदारी 42. 5 फीसदी से बढ़कर 50. 1 फीसदी हो गई है। क्रेडिट सुइस ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक अमीर एक फीसदी लोगों को पास 106 ट्रिल्यन ब्रीटिश पाउंड (90,93,210 अरब रुपए) की संपत्ति है यानी अमेरिका की अर्थव्यवस्था का करीब आठ गुना। दस फीसदी दौलतमंद लोगों के पास दुनिया की 87. 8 फीसदी संपत्ति है। रिपोर्ट के मुताबिक असमानता में आ रही गिरावट प्रवृत्ति 2008 में बदली और इसके बाद से हर साल बढ़ती गई। इसी असमानता का नतीजा है कि दुनिया में करोड़पतियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 2000 के बाद दुनिया में करोड़पतियों की संख्या 170 फीसदी बढ़कर 3. 6 करोड़ हो चुकी है। दूसरी छोड़ पर दुनिया की आधी गरीब आबादी (3. 5 अरब) के पास केवल 2. 7 फीसदी संपत्ति है, जोकि 2010 के बाद पिछले साल तेजी से बढ़ा और 280 ट्रिल्यन डालर हो गया।
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30 जुलाई को सुबह 11:57 बजे शुरू हो रही है और 31 जुलाई को दोपहर तक रहेगी।
शास्त्रों की मानें तो भगवान शिव की पूजा करने से हर कष्ट से निजात मिल जाती है। यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि भोले बाबा अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं और बहुत छोटे से ही प्रयत्न से मान जाते हैं।
इस बार चतुर्दशी तिथि 30 जुलाई 2019 को शुरू होगी और महाशिवरात्रि की पूजा 31 जुलाई 2019 को सुबह 9 बजे से 2 बजे तक की जाएगी। श्रावण मास भगवान शिव की भक्ति को समर्पित है। शिवरात्रि पर महादेव की पूजा से विशेष फल मिलता है। सावन का महीना भगवान शिव के अलावा मां पार्वती की पूजा-आराधना के लिए भी सर्वेत्तम है।
सावन की शिवरात्रि पर कांवड़िए कांवड़ के जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। वैसे तो हर माह शिवरात्रि का व्रत आता है मगर फाल्गुन और सावन मास की शिवरात्रि का अपना अलग महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि सावन में शिव जी का व्रत रखने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और कुवारें लड़कों को मनचाही वधु जल्दी मिलती है।
सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्व है क्योंकि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है और कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलता है। वहीं, दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।
सावन का पवित्र महीना न सिर्फ व्रत एवं उपवास रखने के लिए खास माना जाता है बल्कि यह आपकी सेहत के लिए भी अच्छा होता है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष कृपा होती है जिसके कारण व्यक्ति को हर तरह के रोग दुख से मुक्ति मिल जाती है।
जिन महिलाओं की गोद कई सालों से सूनी है वे सावन माह में बांस के हरे पत्तों को पीसकर दूध में मिला कर शिवलिंग पर चढ़ाएं। आपको जरूर संतान सुख प्राप्त होगा।
भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं। यदि मंदिर नहीं जा सकते हैं तो पार्थिव का शिवलिंग बना कर घर पर ही रुद्राभिषेक कराएं।
सावन सोमवार के दूसरे दिन यानि मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत भोलेनाथ की पत्नी देवी पार्वती के लिए किया जाता है। यह व्रत सुहागन स्त्रियां पति की लंबी उम्र व सेहत के लिए रखती हैं।
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भारत Vs न्यूजीलैंड, 2nd T20 2022: भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीन टी20 मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला बारिश के कारण रद्द हो गया था.
भारतीय टीम टी20 वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल की हार को भुलाकर नई शुरुआत करने की कोशिशों में लगी है. न्यूजीलैंड के दौरे पर इसकी जिम्मेदारी हार्दिक पंड्या को दी गई है. दोनों देशों के बीच तीन टी20 मैचों की सीरीज खेली जा रही है. सीरीज का पहला मैच बारिश में धुल गया था. सीरीज का दूसरा मुकाबला माउंट माउंगानुई में खेला जाना है. भारतीय फैंस भी अपनी टीम को एक्शन में देखने के लिए बेताब हैं.
इस दौरे पर भारतीय टीम मैनेजमेंट को 33 साल के भुवनेश्वर कुमार की मौजूदगी को लेकर चल रही दुविधा से निपटना पड़ सकता है. इस समय सभी जवाब नकारात्मक ही दिखते हैं, इसलिये एक सवाल उठता है कि क्या भुवी को सबसे सीनियर तेज गेंदबाज के तौर पर खिलाना युवाओं से मौका छीनने जैसा नहीं होगा. सवालों की यह तलवार अंतरिम मुख्य कोच वीवीएस लक्ष्मण और कप्तान हार्दिक पंड्या के सामने लटकी हुई है.
अगर भुवनेश्वर को मौका दिया जाता है तो मैनेजमेंट उमरान मलिक और मोहम्मद सिराज की जोड़ी को परखने के मौके से चूक सकता है. मलिक और सिराज की जोड़ी फिन एलेन, ग्लेन फिलिप्स और डेवॉन कॉनवे जैसे मजबूत खिलाड़ियों के खिलाफ दबाव भरी परिस्थितियों में कैसा प्रदर्शन करते हैं. उनकी काबिलियत को परख नहीं पाएगा. भारत के तेज गेंदबाज मलिक को तैयार करने की जरूरत है. पाकिस्तान ने हारिस रऊफ, शाहीन शाह अफरीदी और नसीम शाह के साथ दिखा दिया है कि ज्यादा तेज गेंदबाज क्या कमाल कर सकते हैं.
ऋषभ पंत को जब इस सीरीज के लिए टीम का उप कप्तान नियुक्त किया गया तो कहा गया था कि वह पारी का आगाज करेंगे, लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि शुभमन गिल ईशान किशन के साथ ओपनिंग कर सकते हैं. यह देखना काफी दिलचस्प होगा. एक अन्य विकल्प केकेआर कप्तान श्रेयस अय्यर और दीपक हुड्डा के बीच हो सकता है.
वाशिंगटन सुंदर को विशेषज्ञ ऑफ स्पिनर के तौर पर लंबे समय तक खेलने का मौका मिल सकता है, जबकि हर्षल पटेल को भी लय में वापसी के लिए समय मिलेगा. हाल के समय में ग्लेन फिलिप्स टी20 के सबसे रोमांचक बल्लेबाजों में से एक हैं. फिलिप्स ने इसी मैदान पर वेस्टइंडीज के बेहतरीन गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ अपने पिछले मैच में 51 गेंद में 108 रन बनाये थे.
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जीवन-नियम के ममियम के रूप में
शायद मनुष्यों को यह बिश्वास दिलाने में कि अहिंसा व्यवहार्थ है और उनको अहिंसा को अपनाने के लिए तैयार करने में बहुत समय बाग जायगा। लेकिन समय का प्रश्न गौण है। महत्वपूर्ण बात है हद विश्वास और ठीक दिशा में सच्चा प्रयत्न । यदि थोड़े भी मनुष्य अहिंसा के सिद्धान्तों के अनुसार रहने लगें तो अहिंसा का मार्ग जमला में फैल जायगा। निस्संदेह प्रत्येक संभव साधन का अध्ययन और प्रयोग करना चाहिए। समाज के प्रत्येक क्षेत्र की अहिंसक पुर्नरचमा का भी प्रयत्न होना चाहिए। गांधीजी इस बात पर बहुत ज़ोर देते हैं कि बच्चों को पुस्तक शिक्षा के पहिले सत्याग्रह की प्रारम्भिक शिक्षा मिलनी चाहिए।' उनका विश्वास है कि साक्षरता प्राप्त करने के पहिले ही बच्चे को इस बात की शिक्षा मिलनी चाहिए कि आत्मा क्या है, सत्य क्या है और प्रेम क्या है और किस तरह जीवन संघर्ष में बच्चा घृष्णा को प्रेम से, असत्य को सत्य से और हिंसा को स्वयं कष्ट सहकर आसानी से जीत सकता है। बुनियादी शिक्षा की योजना द्वारा गांधीजी ने शिक्षापद्धति में क्रान्तिकारी परिवर्तन करने और शिक्षा पद्धति को अहिंसा पर आधारित करने का प्रयत्न किया है ।
यद्यपि गांधीजी अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सामाजिक दृष्टिकोण की उपेक्षा नहीं कर करते, लेकिन उनकी समझ में उस ओर पहला और सबसे अधिक आवश्यक कदम है अहिंसा में विश्वास करने वाले मनुष्यों का नितांत अहिंसापूर्ण जीवन, ऐसे मनुष्यों की संख्या चाहे जितनी ही कम क्यों न हो। सन् १९३६ में डा० थर्मन के इस सवाल के जवाब में कि व्यक्तियों को और समुदायों को इस पद्धति की शिक्षा किस प्रकार दी जाय, गांधीजी ने जवाब दिया था, "इसके अतिरिक्त कि आप इस सिद्धान्त के अनुसार अपने जीवन को बनाएं और वह (जीवन) अहिंसा का जीता-जागता श्रादर्श बन जाय, और कोई (अहिंसा की शिक्षा का ) राजमार्ग नहीं है। अपने जीवन में अहिंसा के
और निर्धारित होते हैं और सामाजिक जीवन के लिए यह आवश्यक है कि सहयोग को सुदृढ़ किया जाय और उसमें वृद्धि की जाय और सहयोग में रुकावट डालने वाली हिंसा को सहयोग का विनाश करने और उसमें विघ्न डालने से रोका जाय। देखिये, 'वायोलेंस बिटविन दि नेशन्स ऐंड इन दि नेशन' शीर्षक लेख, साइकोलाजिकल रिव्यू, १६४४-५१, पृ० ८५ - १०१ और १४७-६१ ।
१. सी० एफ० ऐन्ड्रयूज, 'महात्मा गांधी इडियाज', पृ० २०० । २. यं० इ०, भा० ३, पृ० ४४५ ।
प्रकाशन की पूर्वमान्यता है गम्भीर अध्ययन सुदृढ़ अध्यवसाय और सब प्रकार की अशुद्धता से पूरी तरह छुटकारा पाना ।" १
निःसन्देह सिद्धान्त की दृष्टि से गांधीजी चरमवादी हैं। उनका ध्येय है पूर्ण, निरपेक्ष अहिंसा। उनकी अहिंसा मनुष्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि छोटे-से-छोटे जीवधारी तक पहुँचती है। उनका विश्वास है कि भादर्शवादी दृष्टिकोण से जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में, कठिन से कठिन समस्या में, अहिंसा सदा कारगर होती है। "एक पूर्ण रूप से अहिंसात्मक मनुष्य स्वभाव से ही हिंसा का प्रयोग नहीं कर सकता या हिंसा उसके लिए व्यर्थ है। उसकी अहिंसा सभी परिस्थितियों में यथेष्ट है । १२
सिद्धान्त की दृष्टि से चरमवादी होते हुए भी वास्तविक जीवन में गांधीजी मनुष्य की दुर्बलताओं का ध्यान रखते हैं और उसके लिए काफ़ी छूट देते हैं। वह यह मानते हैं कि कुछ परिस्थितियों में हिंसा अनिवार्य है। टाल्स्टाय, क्वेफर्स और कुछ शान्तिवादी सम्प्रदायों के विपरीत वह सत्यामही को कुछ परिस्थितियों में जान लेने की भी भाशा देते हैं। उनका विश्वास
कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं अपने लिए यह निश्चय करना चाहिए कि वह किस सीमा तक अहिंसा के सिद्धान्त के अनुसार व्यवहार करेगा। वह गुलामी और कायरता की अपेक्षा हिंसा को अधिक श्रेयस्कर मानते हैं और लोगों को ख़तरों में कायरता और डर से भाग जाने की अपेक्षा बहादुरी से लड़ने और मरने-मारने की राय देते हैं। इस प्रकार सिद्धान्त में चरमवादी होते हुए भी, गांधीजी व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक एकता के लिए अनिवार्य बल प्रयोग को अनुचित नहीं बताते ।
सामूहिक सत्याग्रह नेता, संगठन और प्रचार
गांधीजी ने एक बार कहा था, "अहिंसा (केवल ) व्यक्तिगत गुण नहीं व्यक्ति और समाज के लिए व्यवहार-मार्ग है । " " दो व्यक्तियों के झगड़ों की तरह सामूहिक झगड़ों के कारण हैं मनुष्य की अपूर्णता, उसके दोष और मनुष्यज्ञात सत्य का आंशिक, आपेक्षिक रूप । व्यक्तिगत जीवन से भी अधिक सामूहिक सम्बन्धों में झगड़े और हिंसा इतने बढ़ गए हैं कि मनुष्य जाति का अस्तित्व आज ख़तरे में है। सामूहिक और अन्तर्राष्ट्रीय जीवन के शोषण और आक्रमणों का सृजनात्मक, विधायक रीति से सामना करने की अहिंसास्मक पद्धति संसार को गांधीजी की बड़ी देन है।
सामूहिक सत्याग्रह का महत्व
सामूहिक प्रतिरोध के रूप में सत्याग्रह के संबंध में नेतृत्व, संगठन, अनुशासन, शिक्षा और प्रतिरोध-पद्धति के जटिल प्रश्न उठते हैं । सत्याग्रह आवश्यक रूप से संख्या और परिमाण की नहीं, नैतिक शुद्धता की बात है और यदि थोड़े से पूर्ण सत्याग्रही मिल सकते, यदि एक भी मिल सकता तो मामूहिक सम्बन्धों में सत्याग्रही प्रतिरोध बहुत आसान होता । गांधीजी ने बार-बार दोहराया है कि अन्याय के विरुद्ध न्याय की जीत के लिए एक पूर्ण सत्याग्रही भी काफ़ी है। वह अन्यायी साम्राज्य की समग्र शक्ति की अवज्ञा कर सकता है और उस साम्राज्य का विनाश या सुधार कर सकता है। "पूर्ण अहिंसा को संगठित शक्ति की आवश्यकता नहीं। अहिंसा से श्रोत-प्रोत मनुष्य या स्त्री को केवल किसी बात की इच्छा करनी होती है और वह बात हो जाती है 193 गांधीजी का यह विश्वास आत्मा की असीम शक्ति के उनके सिद्धान्त का निष्कर्ष है । लेकिन पूर्णता, विचार और इच्छा पर पूर्ण नियंत्रण, मनुष्य के लिए संभव नहीं। यदि यह पूर्ण आत्मसंयम
संभव होता तो भी इसकी अधिकतम उपयोगिता यह होती कि उसके द्वारा जनता को सत्याग्रह की शिक्षा दी जा सकती; ' क्योंकि "जनतंत्र के युग में यह आवश्यक है कि वांछित परिणाम जनता के सामूहिक प्रयास के द्वारा प्राप्त हो । निस्संदेह उद्देश्य की किसी उत्कृष्ट शक्ति वाले व्यक्ति के प्रयत्न द्वारा सिद्धि अच्छी बात होगी, लेकिन इससे समाज में उसकी सामूहिक शक्ति की चेतना नहीं था सकती । १२ किंतु वास्तविक परिस्थिति में पूर्ण सत्याग्रही प्राप्य है। इसलिए जन-आन्दोलन आवश्यक हैं और सामूहिक प्रतिरोध पद्धति के प्रयोग के लिए जनता को अध्यवसाय और धैर्य के साथ संगठित करने और उनमें अहिंसात्मक अनुशासन को विकसित करने की आवश्य कता है ।
नेवा सामूहिक सत्याग्रह का जीवन प्राण है। बड़े आन्दोजनों के लिए महान् नेताओं की इस मनोवैज्ञानिक कारण से आवश्यकता है कि अधिकतम मनुष्य सिद्धान्तों के शब्दों की अपेक्षा व्यक्तियों के शब्दों में अधिक सरलता से सोच सकते हैं । वह केवलमात्र सिद्धान्तों से इतना प्रभावित नहीं होते जितना उन व्यक्तियों से जिनका जीवन उन सिद्धान्तों पर आधारित है। अधिकतम मनुष्यों को उसी प्रकार व्यक्तिगत नेता की आवश्यकता होती हैं जिस प्रकार व्यक्ति स्वरूप ईश्वर की। दूसरे महान् आन्दोलनों की अपेक्षा सत्याग्रह में व्यक्तिगत नेता और भी अधिक आवश्यक हैं, क्योंकि सत्य और अहिंसा के जीवित दृष्टांत-रूप नेता के गत्यात्मक व्यक्तित्व के प्रभाव से ही साधारण मनुष्य सामूहिक सत्याग्रह के प्रयोग के लिए आवश्यक नैतिकता के उध तल तक पहुंच सकते I
सत्याग्रही नेता सत्य और अहिंसा के आदर्शों को अपने जीवन में पूरी तरह उतारने का भरसक प्रयत्न करता है। निर्मल सच्चाई और व्यापक प्रेम, संस्कृति और सम्मानपूर्ण व्यवहार के कारण उसे अनुगामियों का दृढ़ प्रेम और आज्ञाकारिता प्राप्त होते हैं। प्रतिपक्षी भी उससे प्रेम करने लगता है और उसका विरोध दुर्बल हो जाता है। उसका इन्द्रिय-निग्रह उसको उच्चकोटि की सृजनात्मक शक्ति देता है, उसके शब्द में शक्ति श्राती है और उसके
३. जी. डी. एच कोल और मार्गरेट कोल, 'ए गाइड टु माडर्न पालिटिक्स', पृ० ३४८-४६ ।
नियंत्रित विचारों में स्वयं ( बिना किसी बाह्य साधन की सहायता के ) कार्य करने की क्षमता अपरिग्रह के अम्बास से उत्पन्न उसको निःस्वार्थता उसको अवसरवादिता से बचाती है और उसके कारण सत्याग्रही नेता छोटे-से-छोटे अनुगामी के साथ एकता का अनुभव करता है। उसके पैर बढ़ता से देश को परम्परा पर टिके होते हैं, वह स्वदेशी की भावना से ओत-प्रोत होता है और अपने देशवासियों की संस्कृति के उच्चतम अंशों का प्रतिनिधि होता है। ईश्वर में अटल आस्था के कारण और जीवन के बुनियादी सिद्धान्तों के गंभीर ज्ञान के कारण वह सफल युद्धकलाविद् और अनोखा सेनापति होता है ।
नेता जनता को विधायक और प्रतिरोधात्मक, दोनों प्रकार के, सत्याग्रह के प्रयोग के लिए तैयार करता है। उसकी सफलता की अचूक परख यह है कि उसके अनुगामी असीम धैर्य और अध्यवसाय चाहने वाले रचनात्मक कार्यक्रम में उतनी ही दिलचस्पी लें जितनी कि अहिंसात्मक प्रतिरोध में और एक प्रकार के सत्याग्रह से इटकर दूसरे का प्रयोग आसानी से प्रभावशाली रीति से कर सकें । सत्याग्रही नेता की सबसे बड़ी सफलता यह है कि उसके कुछ अनुगामी अहिंसा के प्रयोग में उससे भी आगे बढ़ जायं २
गांधीजी के-से महापुरुषों का नेतृत्व केवलमात्र उनकी आध्यात्मिक और नैतिक उच्चता से स्थापित हो जाता है। लेकिन उपनेताओं, सहायकों और कार्यकर्ताओं की शिक्षा के लिए भारतवर्ष की परंपरागत संस्था, श्राश्रम, सर्व
श्राम के वातावरण में शिक्षक और शिक्षण के दीर्घकालीन सम्पर्क से श्राश्रमवासियों के हृदय पर अहिंसा के आदर्श की अमिट छाप पड़ती है। आश्रम के जीवन में नेता और उसके शिष्व अहिंसक व्रतों का अभ्यास करते हैं। नेता का जीवन और संस्था के प्रतिदिन के प्रश्नों को निपटाने की उसकी पद्धति सत्याग्रह का ऐसा सजीव, समूर्ति पाठ है जिसका स्थान केवल मात्र पुस्तकें या भाषण नहीं ले सकते । इस प्रकार आश्रम अहिंसात्मक आन्दोलन के और भए सत्याग्रही समाज के केन्द्र बन जाते हैं। उनसे अहिंसा का सन्देश जनता तक पहुँचता है। आश्रम अहिंसा के नये प्रयोगों की जानकारी के लिए अनुसन्धान संस्थाओं और आध्यात्मिक प्रयोगशालाओं का कार्य करते
है और सत्य का आग्रह रखने में मरने की कला सिखाते हैं ।
सत्याग्रह के जन्म के बाद से ही आश्रम गांधीजी का निवास स्थान थे । भाश्रमों के शान्त, प्राकृतिक वातावरण से उन्हें प्रेरणा मिलती थी और आश्रमों में रहकर ही वह सत्य की साधना करते थे। एक बार उन्होंने कहा था, 66 में नहीं जानता कि क्यों मैं जिस संस्था को छू लेता हूं अन्त में उसे आश्रम में परिवर्तित कर देता हूँ। ऐसा लगता है कि मैं और किसी प्रकार का जीवन जानता ही नहीं "" सामुदायिक धार्मिक जीवन के अर्थ में आश्रम गांधीजी के स्वभाव में ही था । जब से उन्होंने अलग घर बलाया, तभी उनका घर आश्रम- जैसा ही था, क्योंकि उनके कुटुम्ब का उद्देश्य धर्म ही था और उसमें उनके कुटुम्बियों के अतिरिक्त कोई-न-कोई मित्र भी होता था । इन मित्रों का कुटुम्ब के साथ संबन्ध धार्मिक होता था। गांधीजी के आश्रमों के अतिरिक्त भारतवर्ष के विभिन्न भागों में बहुत से सत्याग्रह आश्रमों की स्थापना हुई । इनमें से अधिकतर का संचालन गांधीजी के शिष्यों और सहयोगियों के हाथ में है और उनका संगठन सावरमती आश्रम के - जिसे गांधीजी ने सन् १६३३ में तोड़ दिया था -- नमूने पर है ।
संगठन : कांग्रेस और जनतन्त्र
अहिंसात्मक जन-आन्दोलन के लिए नेता, उपनेताओं और सहयोगियों के अतिरिक्त स्थायी संगठन की भी आवश्यकता होती है। गाधीजी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस का सत्याग्रह की आवश्यकता के अनुसार पुनर्निर्माण करने का प्रयत्न किया था। लेकिन कांग्रेस को वह पूरी तरह अपने आदर्शों और इच्छा के अनुकूल नहीं बना पाए थे। हम यहां संक्षेप में इस बात के अध्ययन का प्रयत्न करेंगे कि कहां तक कांग्रेस अहिंसक संगठन के आदर्श तक नहीं पहुँच सकी।
भारतीय राजनीति में गांधीजी के आने के पहले कांग्रेस उच्च मध्यम वर्ग के नेताओं का संगठन थी और उसका जनता से शायद ही कोई सम्पर्क था। उसका अधिवेशन वर्ष भर में एक बार किसी शहर में होता था और उसकी राजनीति प्रार्थना और विरोध के प्रस्तावों और शिष्ट-मण्डलों (डेप्यूटेशन्स) तक सीमित थी। इस प्रकार कांग्रेस मुख्यतः विचार करने वाली संस्था थी और उसका संबन्ध कार्य की अपेक्षा मतनिर्माण से कहीं अधिक था।
१. 'इलस्ट्रेटेड वीकली श्राव इण्डिया' (मार्च ३१, १९४०) में महादेव देसाई का 'हाउडज़ मि० गांधी लिव' ? शीर्षक लेख; ६०, १-३-४६,१० २४०-६१ / २. गांधीजी, 'सत्याग्रह आश्रम का इतिहास', पू० १ ।
गांधीजी ने कांग्रेस का पुनर्निर्माण किया और उसको क्रांतिकारी बनसंस्था बनाने का प्रयत्न किया।
उनके नेतृत्व में कांग्रेस का उद्देश्य यह हो गया कि वह जनता को जगाए, शिक्षा दे, उसमें अनुशासन का विकास करे और उसको आज़ादी की अहिंसात्मक लड़ाई के लिये तैयार करे। गांधीजी के अनुसार अहिंसक संस्था के साधन सत्यपूर्ण और अहिंसक होने चाहिए । लेकिन उनके लगातार ज़ोर देने पर भी कांग्रेस 'अहिंसक' के स्थान में 'शांतिपूर्ण' और 'सत्यपूर्ण' के स्थान में 'उचित' विशेषणों पर अटल रही। गांधीजी के लिये अहिंसा जीवनसिद्धान्त था न कि केवल काम बनाने की नीति । सन् १९१९ में उनकी सखाह से कांग्रेस ने अहिंसा को केवल काम बनाने की नीति की तरह अर्थात केवळ स्वरराज्य प्राप्ति के लिए और देश के सामाजिक और धार्मिक समुदायों के आपसी सम्बन्ध के नियमन के लिए स्वीकार किया। गांधीजी को आशा थी कि भारतवासी अहिंसा की कार्यपद्धति को देख कर उसे सिद्धान्त की तरह मान लेंगे। लेकिन यद्यपि उन्होंने जनता को अहिंसा की काम बनाने वाली नीति की तरह शिक्षा दी, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अहिंसा को काम बनाने वाली नीति की तरह मानने का भी यह अर्थ था कि हम राजनैतिक क्षेत्र में ईमानदारी से शब्द और कार्य में अहिंसक रहें। "अहिंसा के काम बनाने वाली नीति होने का अर्थ है कि यदि वह असफल या प्रभावहीन सिद्ध हो तो उचित सूचना देकर हम उसे छोड़ सकते हैं। लेकिन सीधी-सादी नैतिकता की मांग है कि जब किसी नीति विशेष के अनुसार चला जाता है, तब उसका अनुसरण पूरे हृदय से हो । १३ उन्होंने कहा, "यह आवश्यक नहीं कि हमारी अहिंसा वीरों की हो, लेकिन सच्चे मनुष्यों की (अहिंसा) तो उसे होना ही पड़ेगा । १३
सन् १९३३ ई० में गांधीजी को विश्वास हो गया कि यदि अहिंसा को कारगर बनाना है तो उसे अधकचरी कामचलाऊ नीति की तरह नहीं बल्कि व्यापक सिद्धान्त की तरह स्वीकार करना चाहिए। लेकिन गांधीजी की कसौटी से कांग्रेस बहुत पीछे थी। पिछले युद्ध के कारण सन् १९४० में गांधीजी का कांग्रेस से यह मतभेद तीव्र हो गया। दिल्ली और पूना के प्रस्तावों से (जुलाई ७ और १७ सन् १६४०, कांग्रेस ने गांधीजी को नेतृत्व के भार से मुक्त कर दिया और दो दशाब्दियों तक स्वीकार की हुई अहिंसा के सिद्धान्त के प्रतिकूल
उसने इस शर्ट्स पर इंगलैंड के साथ सक्रिय रूप से युद्ध प्रयत्न में सहयोग करने का वादा किया कि इंगलैंड भारत को आज़ादी को मान ले। लेकिन कांग्रेस का यह प्रस्ताब इंगलैंड ने अस्वीकार कर दिया। इसलिए बम्बई के प्रस्ताव से ( १६ सितम्बर, सन् १९४०) कांग्रेस ने फिर गांधीजी के नेतृत्व को स्वीकार किया और अहिंसक नीति और व्यवहार को केवल स्वराज्य प्राप्ति के संघर्ष में ही नहीं, बल्कि यथासम्भव स्वतन्त्र भारतवर्ष में प्रयोग के लिये अपनाने का और निशस्त्रीकरण में संसार का पथ-प्रदर्शन करने का वचन दिया। इस प्रस्ताव से भी अहिंसा कांग्रेस की कामचलाऊ नीति ही बनी रही यद्यपि अब कांग्रेस पहले की स्थिति से आगे बढ़ी और उसने पहले को अपेक्षा अधिक व्यापक अर्थ में अहिंसा को स्वीकार किया। गांधीजी का विश्वास था कि जबतक कांग्रेस अहिंसा को अपनाए रहेगी वह अजेय रहेगी और उसको कोई भी शक्ति दबा न सकेगी।' सन् १९४२ ई० के आन्दोलन और उसके बाद की घटनाओं ने बहुत से अहिंसावादियों के विश्वास को दुर्बल बना दिया। गांधीजी का मत था कि यदि कांग्रेस के अधिकांश सदस्यों की अहिंसा में आस्था डिग गई है तो कांग्रेस को अपने विधान में से साधनों के "शान्ति पूर्ण" और "न्यायोचित" विशेषणों को हटा देना चाहिए और स्पष्ट शब्दों में घोषित कर देना चाहिए कि वह हिंसात्मक साधनों का भी प्रयोग करेगी ।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पहले और बाद की साम्प्रदायिक हिंसा को दूर करने के लिए गांधीजी ने उपवास और अन्य रूपों में वीरों की अहिंसा के सफल प्रयोग किये । अहिंसा द्वारा साम्प्रदायिक एकता की स्थापना का प्रयत्न ही उनके बलिदान का कारण था । किन्तु कांग्रेस, जो स्वतन्त्र भारत में शासनकार्य चला रही है, लगभग २५ वर्षों तक दुर्बलता की अहिंसा के प्रयोग के परिणाम स्वरूप, साम्प्रदायिक हिंसा और काश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण का सामना अहिंसा द्वारा न कर सको । सन् १९४७ में गांधीजी ने अपने एक लेख में लिखा था, "यह कोई छिपी बात नहीं है कि शासन सत्ता स्वीकार करने के बाद कांग्रेस ने स्वेच्छा से अहिंसा को त्याग दिया है ।"
१. श्रॉल इण्डिया कांग्रेस कमिटी का १६-६-१६४० का प्रस्ताव ३०, २२-९-४०, १० २६६ । गांधीजी का 'कांग्रेस रसपान्सिविलिटी फार दी डिस्टवैन्सेज़' का जवाब, १५-७-१६४३ ।
सामूहिक सत्याग्रह बहुमत और अम्यमंत
कांग्रेस में गांधीजी विभिन्न देशों का और उचित आलोचना का स्वागत करते थे और ऐसी आलोचना की सार्वजनिक जीवन के लिए बहुत स्वास्थ्यमद मानते थे।" उनका मंत था कि कप्रिंस के अन्दर के विभि दलों को संस्य और हिंसा में विश्वास के सूत्र में बंधे होना चाहिए। उनमें दूर में हो सकने वाला परिस्परिक विरोध में होना चाहिए, उनका मतभेद ध्येय और साम के सम्बन्ध में नहीं बल्कि किसी विशेष अवसर पर प्रयुक्त साधन की तफसील के बारे में होना चाहिए ।
अहिंसात्मक संस्था में निर्माण बहुमब के जनतन्त्रवादी मार्ग से होना चाहिए। लेकिन गांधीजी महत्वपूर्ण प्रश्नों पर अल्पमत पर संख्या-बल द्वारा दबाव डालने के विरोधी थे । अहिंसा की मांग है कि अल्पमत के साथ उदारता का व्यवहार किया जाय। अहिंसा में बहुमत के अत्याचार के लिए स्थान नहीं है। कांग्रेस के सम्बन्ध में गांधीजी लिखते हैं, "मेरा सदा यह मा है कि जब कोई गण्यमान्य धंस्पमत किसी व्यवहार नियम के प्रति आपत्ति करता है तो बहुमत को अल्पमत के सामने दब जाना सम्मान पूर्ण बात है। जब संख्या-जन्य शक्ति अल्पमत की दृढ़ता से ग्रहण की हुई राम की निमन्त उपेक्षा करती है, तो उसमें हिंसा की विशेषता होती है। बहुमत का नियम तभी पूरी तरह से ठीक है जब भिन्न मतवाले अपने मतभेद पर कठोरता से अनुरोध न करें और जब उनमें बहुमत की राय को उदारतापूर्वक मान लेने की भावना हो । १२ लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि अल्पमत को बहुमत प्रगति और कार्य में अवचन डालने का दैवी अधिकार हैं, "जहाँ कोई सिद्धांत की बात नहीं है और किसी कार्यक्रम को चलाता है, वहाँ अल्पमत को बहुमत की बात माननी होगी 123
इस प्रकार साधारण रीति से नीति का निर्धारण बहुमत द्वारा होना चाहिए। लेकिन यदि किसी सिद्धांत सम्बन्धी बात का निर्णय हो, तो अल्पमत के मतभेद का पूरी तरह खयाल रखना चाहिए ।
अहिंसक संस्था के अल्पमत को संस्था के साथ पूरी तरह सहयोग करना हिस्से उसकी बात माननी चाहिए। लेकिन यदि अल्पमत को १. ६०, १३-११-३७, पृ० ३३ / २. यं० इं०, मा० ३. पृ० २१२ । २. ६०, ११-८-४०, पृ० २४४
सर्वोदय तस्व- दर्शन
संस्था के मूलभूत सिद्धांतों में विश्वास नहीं है तो उसको संस्था से हट जाना चाहिए और सेवा और बलिदान से संस्था के सदस्यों के मत- परिवर्तन का प्रयत्न करना चाहिए। संस्था से हट जाने पर भी अल्पमत को यथासम्भव बहुमत के साथ सहयोग करते रहना चाहिए । संस्था के अन्दर रहकर विरोध और अड़ंगा डालने की नीति सत्याग्रह के सिद्धांतों के विरुद्ध है। गांधीजी ने सन् १९२२ में लिखा था, "यदि हम जनतन्त्र की सची भावना का विकास करने जा रहे हैं तो हम यह रुकावट डाल कर नहीं, अलग रहकर कर सकेंगे ।"9 केवल अङ्गा नीति निषेधात्मक और विनाशक है और उसका उद्देश्य है दूसरों को परेशान करके और चालबाजी से शक्ति पर अधिकार कर लेना, जब कि अहिंसा रचनात्मक और विधायक है और उसका उद्देश्य है सेवा द्वारा हृदय परिवर्तन ।
चुनाव या वोट देने के अवसर पर संस्था के विभिन्न समुदाय मतदाताओं को प्रभावित करने के सब ईमानदारी के साधनों का प्रयोग कर सकते हैं । लेकिन अनुचित दबाव न डालना चाहिए और नालोचना होना चाहिए विरोधी समुदायों की नीति की न कि समुदायों की । २
सन् १९२० में, जब कांग्रेस में स्वराज्य पार्टी के सदस्यों और अपरि वर्तन वादियों में मतभेद था, गांधीजी ने अपरिवर्तन - वादियों को सलाह दी थी कि वह पश्चिम में चालू राजनैतिक पार्टियों की पक्षपातपूर्ण मनोवृत्ति को न अपनाएँ । उन्होंने कहा था, 'जहाँ कहीं अपरिवर्तनवादी बिना कटुतापूर्वक संघर्ष के बहुमत नहीं पा सकते उन्हें खुशी से और स्वेच्छा से भद्रतापूर्वक स्वराज्य पार्टी के सदस्यों से दब जाना चाहिए। यदि उनको शक्ति या पद मिलता है तो वह सेवा के द्वारा मिलना चाहिए न कि वोटों का चतुरतापूर्वक प्रबन्ध करने से । वोट तो हैं हीं लेकिन यह बिना मांगे मिलना चाहिए ।"२ सन् १६२८ में उन्होंने कहा था, "अहिंसा शक्ति पर बलपूर्वक अधिकार नही करती। वह शक्ति को खोजती भी नहीं शक्ति उसको प्राप्त हो जाती है । १३ इस प्रकार गांधीजी के अनुसार अहिंसक संस्था में शक्ति-लिप्सा की राजनीति और संस्था के संगठन को हथियाने और उस पर अपना अधिकार रखने के लिए पैंतरेबाज़ी के लिए स्थान नहीं है ।
इस बात में भी कांग्रेस प्रायः गांधीजी के श्रादर्श से पीछे थी । सन् ११३७ के बाद कांग्रेस को एकरूपता और सुदृद्रता पर ऐसे समुदायों के पैदा १. यं० इं०, भा० २, पृ० ३४५ ।
३. मीरा, 'ग्लीनिरज', पृ० १५ /
हो जाने से हानिकर प्रभाव पड़ा है जिनको कांग्रेस के बुनियादी सिद्धांतों में विशेषकर अहिंसा में और रचनात्मक कार्यक्रम में विश्वास नहीं था । इस मतभेद के होते हुए भी यह समुदाय इसलिए कांग्रेस के अन्दर थे कि इससे वह जनता को अधिक प्रभावित कर सकते थे। यह समुदाय कभी-कभी अंगानीति को अपनाते थे और गांधीजी ने एक बार यह मत प्रकट किया था कि यदि यह समुदाय समझाने-बुझाने से न मानें तो बहुमत के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्ग यह था कि वह कांग्रेस के संगठन को इन समुदायों के हाथ में छोड़ दे और बिना कांग्रेस के नाम का प्रयोग किए कांग्रेस के कार्यक्रम को चलावे । '
कांग्रेस सदस्यता के बारे में भी गांधीजी के सिद्धांतों के अनुसार न चल सकी क्योंकि उसने अक्सर संख्या वृद्धि को अनुचित महत्व दिया। गांधीजी का सदा विश्वास था कि कांग्रेस के आंतरिक दोष सत्याग्रह की असफलता का एक महत्वपूर्ण कारण थे । सन् १९२२ में उन्होंने लिखा था, "आंतरिक भ्रष्टता का दृढ़, कठोर विरोध सरकार के विरुद्ध पर्याप्त प्रतिरोध है ।" २ सन् १६४०-४१ के युद्ध-विरोधी सत्याग्रह के ३ वर्ष पहिले से गांधीजी अपने बहुत से लेखों और भाषणों में कांग्रेस का ध्यान उसके आंतरिक दोषों की ओर आकृष्ट करते रहे थे। जब कांग्रेस ने सूबों में शासन-भार स्वीकार किया तो उसकी सदस्यता से संबन्धित खतरे दूर हो गये । इसलिए कांग्रेस के नये प्रभाव और शक्ति का दुरुपयोग करने के लिए बहुत से भर्वोछनीय व्यक्ति कांग्रेस में आ गये । कांग्रस के पदों के लिए भद्दी होड़ शुरू हो गई । सदस्यता के रजिस्टरों में झूठे नाम दर्ज किये गये और कमेटियों के चुनावों में कभों-कभी हिंसा का भी प्रयोग हुआ । व्यवस्थापक सभाओं के उत्तेजना पूर्ण कार्य के सामने विधायक कार्यक्रम की उपेक्षा की गई और अनुशासन ढीला पड़ गया । इसलिए कांग्रेस को अनुशासन की कमी और दूसरी बुराइयों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी पड़ी । युद्ध के प्रारम्भ के बाद कांग्रेस शासन के कार्य से अलग हो गई और ११४० ई० में युद्ध विरोधी सत्याग्रह हुआ । - इन दोनों घटनाओं से कांग्रेस में बहुत शुद्धता आ गई । अवसरवादी कांग्रेस को छोड़ कर सरकार के साथ जा मिले और १६४२ ई० में अगस्त-आन्दोलन के पहिले कांग्रेस एक बार फिर सुहृद संस्था बन गई और १६४२ के घातक सरकारी हमले के अभूतपूर्व अत्याचार को सह सकी। महायुद्ध के समाप्त होने के बाद शासन सत्ता प्राप्त करने के बाद कांग्रेस के विरुद्ध भ्रष्टता और अनुशासन की कमी की शिकायत पहले की अपेक्षा अधिक व्यापक हो गई है।
सर्वोदय तत्त्व-दर्शन कांग्रेस और सत्ताबाद
का कार्य अभी तक दो प्रकार का था। था और इसका सम्बन्ध कांग्रेस के आंांतरिक से था। इस कार्य में कांस जनसन्मदा संख्या भी और इस हैसियत से बह संसार की किसी जनतन्त्रवादी संस्था से पीछे नहीं थी। लेकिन पिछली सीन दशाब्दियों से कांग्रेस सकिशाली ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध जीवन-मरण के संघर्ष में लगी थी। इस प्रकार कांग्रेस युद्धकारी संस्था, अहिंसात्मक फौज भी थी । युद्ध, अहिंसक युद्ध थी, जबतन्त्र को दुर्बल बना देता है। क्योंकि समझाने-बुक और वोट द्वारा निर्वाण करने की साधारण जवादी प्रक्रियाओं को युद्धकाल में कथगित करना पड़ता है और नेतृत्व का केन्द्रीकरण और कीमता पूर्वक र्णिम करना और कार्य करना अनिवार्य हो जाता है।
पिछली तीन दशाब्दियों में जब सविनय धाशा-भंग स्थगित भी रहता था तब भी कांग्रेस का अहिंसात्मक फौज की हैसियत से कार्य चालू रहता था। क्योंकि सविनय श्राशा-मंग के स्थगित रहने का अर्थ यह नहीं था कि युद्ध का अन्त हो गया । युद्धकारी संस्था की हैसियत से कांग्रेस को नियंत्रण का केन्द्रीकरण करना पड़ता था और उसको प्रत्येक विभाग और प्रत्येक सदस्य का, वह चाहे कितना उच्च पदस्थ क्यों न हो, पथ-प्रदर्शन करना पड़ता था और कांग्रेस उनसे पूरी आज्ञाकारिता को आशा रखती थी। ' गांधीजी के शब्दों में "केन्द्रीय सत्ता को पूरी शक्ति प्राप्त है जिससे वह अपनी आधीनता में कार्य करने वाली भिन्न-भिन्न इकाइयों का अनुशासन निर्धारित कर सके और उनको अनुशासन मानने पर वाध्य कर सके । २
सविनय आशा-भंग के समय गांधीजी के अनुसार, कांग्रेस की इच्छा की अभिव्यक्ति इसके सेनापति द्वारा होती थी। "प्रत्येक इकाई को इच्छा पूर्वक विचार, शब्द और कार्य में उसकी आशा पालन करना पड़ता है। हां विचार में भी, क्योंकि युद्ध अहिंसक हैं।"
जब कभी कांग्रेस ने सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ा, उसने गांधीजी को डिक्टेटर की पूरी शक्ति दी। सन् १९३० ई० में गांधीजी ने इस बात का एक महत्वपूर्ण कारण बताया कि क्यों अहिंसक प्रतिरोध का नियन्त्रण कांग्रेस
समान जनमतन्त्रवादी संस्था के हाथ में नहीं होना चाहिए । कांग्रेस में मि मिन मनोवृत्तियों के मनुष्य हैं। कुछ अहिंसा को सिद्धान्त रूप में मानते हैं और दूसरों के लिए अहिंसा राजनीति में काम चलाऊ नीति है। "इस लिए हो सकता है कि हम लोगों की (अहिंसा की ) प्रवृत्ति, जिनके लिए महिला काम-चखाऊ नीति है, हिंसा के प्रलोभन में उनका सत्य न दे। लेकिन उनकी प्रवृत्ति, जो अहिंसा के अतिरिक्त किसी दूसरे साधन का प्रयोग नहीं करेंगे, सदा उनका साथ देगी, यदि वास्तव में उनमें अहिंसा है। इसीलिए कांग्रेस के नियन्त्रण से (सत्याग्रही नेता की) स्वतन्त्रता की आवश्यकता
लेकिन सत्याग्रही नेता नाम का ही डिक्टेटर ( अधिनायक ) होता था। डिक्टेटर की हैसियत से उसकी सत्ता केवल सविनय आशा-मंग के समय के लिए होती थी। उसकी सत्ता की उत्पत्ति जनतन्त्रवादी थी, क्योंकि काम स उसको स्वेच्छा से स्वीकार करती थी। इसके अतिरिक्त, सत्याग्रही अनुगामियों की आज्ञाकारिता उनकी स्वेच्छा पर आश्रित थी और वह जब चाहते नेता को आशा मानने से इन्कार कर सकते थे। फिर, जब सविनय भाज्ञा-भंग का श्रीदोलन जोर पकड़ता था तब बड़े-बड़े नेता गिरफ्तार हो जाते थे और कांग्रेस गैरकानूनी हो जाती थी। कांग्रेस कमेटियों का कार्य बन्द हो जाती था और वह अपने अधिकार स्थानीय डिक्टेटरों को सौंप देती थी। तब आंदोलन विकेन्द्रित और स्व-सञ्चालित हो जाता था । वास्तव में गांधींजी चाहते थे कि नेतृत्व इतनी पूरी तरह विकेन्द्रित हो जाय कि प्रत्येक सत्याग्रही स्वयं अपना नेता भी हो और अनुगामी भी / किसी भी क्रान्तिकारी आंदोलन में इससे अधिक जनतन्त्रवादी व्यवस्था शायद ही संभव हो ।
इस प्रकार कांग्रेस में प्रभावोत्पादक नेतृत्व आवश्यकतानुसार सत्ता के केन्द्रीकरण, युद्ध- समता और जनतन्त्र का सामजस्व था। पिछले युद्ध से पहले प्रान्तीय मन्त्रिमण्डलों के सदस्य गांधीजी की राय से कांग्रेस की कार्यकारिणी समितियों से, संस्था के आंतरिक जनतन्त्र की रक्षा के लिए, अलग रखे गए थे। लेकिन इससे कांग्रेस का संचालन प्रथम श्रेणी के नेताओं हाथ में नहीं रहता और कांग्रेस और सरकार की नीतियों में अन्तर बढ़ने की सम्भावना रहती है। इसलिए युद्ध के बाद से पिछला तरीक़ा बदल दिया
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यह भ्रम हो सकता है कि सत्याग्रही डिक्टेटर फ्रासिस्ट डिक्टेटर था, लेकिन दोनों में पृथ्वी आकाश का अन्तर है। फ्रासिज़्म हिला पर आश्रित १. यं० इं०, २-२- ३० ।
२. 'हिस्ट्री आदि कांग्रेस, पृ० ६५७ ।
। दूसरी और कांग्रेस अहिंसक संस्था थी । उसके दबाव डालने के साधन नैतिक थे और वह बल प्रयोग द्वारा किसी को अपनी बात मानने पर बाध्य नहीं करती थी। इस प्रकार संसार की एकमात्र महत्वपूर्ण अहिंसक संस्था की हैसियत से कांग्रेस और फ़ासिम परस्पर विरोधी हैं। कांग्रेस के अन्दर छोटेसे छोटा रूपमत भी बहुमत के अन्याय का अहिंसक प्रतिरोध कर सकता था और इस प्रकार अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता था ।
गांधीजी का कांग्रेस से अनेक बार अलग होना इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस नेता की अन्ध-भक्ति के फ़ासिस्ट सिद्धान्त को नहीं मानती थी । सन् १६४० ई० में तो कांग्रेस ने ही गांधीजी को नेतृत्व से अलग कर दिया था । कांग्रेस पर गांधीजी का प्रभाव केवलमात्र नैतिक था और वह अक्सर बढ़ाकर बतलाया जाता था। गांधीजी लिखते हैं, "मेरी राय वहीं तक मानी जाती है जहां तक मेरी राय के ठीक होने का विश्वास हो जाता है। मैं यह भेद प्रकट कर दू कि अक्सर मेरी राय का सदस्यों पर प्रभाव नहीं पड़ता।"१ यह याद दिलाना शायद अनावश्यक है कि गांधीजी अपने जीवन के पिछले १५ वर्षों में कांग्रेस को स्वयं अपना मार्ग निर्धारण करने और उनकी राय के प्रतिकूल भी स्वतन्त्रतापूर्वक कार्य करने को निरन्तर प्रोत्साहित करते रहे थे । वह यह बतला देते थे कि उनकी समझ में परिस्थितिविशेष में क्या ठीक मार्ग था। लेकिन वह कांग्रेस को उनका मत स्वीकार करने को मजबूर नहीं करते थे ।
इस भ्रम का कि कांग्रेस फ्रासिस्ट थी एक कारण यह भी है कि वह सदस्यों को अनुशासन में रखने का प्रयत्न करती थी। हम ऊपर बतला आए
कि क्यों कांग्रेसको सन् १९३७ के बाद अनुशासन की कमी को और दोषों को दूर करने के लिए नियमों का उल्लंघन करने वाले सदस्यों के विरुद्ध अनुशासन कार्यवाही करनी पड़ी । जिन संस्थाओं की सदस्यता स्वेच्छा पर आश्रित है उनके सिद्धांतों और कार्य पद्धति के प्रति वफ़ादारी ऐसी संस्थाओं के अस्तित्व की पूर्वन्यता है ।
कांग्रेस की सदस्यता भारतवर्ष की जनसंख्या के एक अंश तक ही मर्यादित थी। लेकिन कांग्रेस सेवा के अधिकार से सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रति निधित्व का दावा करती थी। देश के स्वतन्त्र होने के पहले कांग्रेस ने इस बात का भी प्रयत्न किया था कि उसमें जनमत के सभी महत्वपूर्ण अंशों का समावेश हो । लेकिन इसका कारण यह था कि कांग्रेस भारतीय राष्ट्रीयता की एकता का और साम्राज्यवाद के विरुद्ध उसके प्रतिरोध का प्रतीक थी ।
गांधीजीने एक बार कहा था, "जब कोई देश विदेशियों के हाथ से शक्ति छीमने के संघर्ष में लगा हो तो ( प्रमुख राजनैतिक दल में अन्य दलों के ) सम्मिलित होने की क्रिया स्वाभाविक है; वहां पृथक, प्रतिद्वन्द्वी राजनैतिक संगठनों की गुंजाइश नहीं। देश की सम्पूर्ण शक्ति का प्रयोग तीसरे बलपूर्वक अधिकार करने वाले दल को निकालने के लिए होना चाहिए । "१
कांग्रेस में दोष और कमियां थीं। लेकिन गांधीजी के अनुसार वह चाहे जितनी अपूर्ण क्यों न हो, उसमें श्रद्धा की चाहे जितनी कमी क्यों न हो, लेकिन शान्तिपूर्ण साधनों में दृढ़तापूर्वक विश्वास करने वाली वह एकमात्र संस्था थी । किसी दूसरी संस्था ने अहिंसक प्रतिरोध का प्रयोग इतने बड़े पैमाने पर नहीं किया है। और न इतिहास में किसी दूसरी क्रांतिकारी संस्था का नेतृत्व इतना जनतन्त्रवादी था ।
गांधीजी ने कांग्रेस की पुनर्रचना इस उद्देश्य से की थी कि वह जनतन्त्रवादी क्रांतिकारी संस्था बन जाय और भारतवर्ष के ७ लाख गांव उसकी सेवा और प्रभाव के क्षेत्र में श्रा जायें । उनका विश्वास था कि सच्चे जनतन्त्रवाद की ओर कांग्रेस ने लगातार उन्नति की थी।
अपनी धारणा के जनतन्त्रवाद में गांधीजी इस बात को महत्व नहीं देते थे कि जनता के प्रतिनिधियों की संख्या बहुत बड़ी हो-इतनी बड़ी कि आसानी से संभल न सके और उसके कारण भ्रष्टता और पाखंड बढ़े। जैसे कि उन्होंने सन् १९३४ ई० में कहा था, "सच्चे जनतन्त्र का इस बात से विरोध नहीं कि थोड़े से व्यक्ति उनकी - जिनके प्रतिनिधि होने का वह दावा करते हैं - भावनाओं, आशा और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करें।"* गांधीजी द्वारा प्रयुक्त "प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं" शब्दों को जनतन्त्रवादी आदर्श के विरुद्ध समझना नितांत भूल होगी । अहिंसक संस्था में जो स्वेच्छा पर अवलम्बित प्राज्ञाकारिता और नैतिक साधनों पर आश्रित हो "प्रतिनिधि होने का दावा" करने का अर्थ जनता की सेवा करने और उनके लिए कष्ट सहने के अतिरिक्त कुछ नहीं है। यदि बात गांधीजी पर ही छोड़ दी जाती तो वह कांग्रेस की सदस्य संख्या को यथासम्भव बहुत ही कम कर देते । "कांग्रेस थोड़े से चुने हुए सेवा करने वालों की होती, जो राष्ट्र की इच्छा के अनुसार हटाए जा सकते लेकिन जिनको उस कार्यक्रम में जो वह देश के सामने रखते |
Miss Universe 2021: भारत की हरनाज़ कौर संधू ने 21 साल बाद मिस यूनिवर्स 2021 पेजेंट जीतकर देश को प्राउड महसूस करवाया है। इज़राइल में मिस यूनिवर्स 2021 पेजेंट में, भारत का तिरंगा ऊंचा उड़ रहा है, क्योंकि एक्ट्रेस और मॉडल हरनाज़ कौर संधू को पेजेंट का विजेता घोषित किया गया। 12 दिसंबर 2021 को इलियट, इज़राइल में यूनिवर्स डोम में, हरनाज़ को मिस यूनिवर्स 2021 का ताज पहनाया गया।
भारत की हरनाज़ संधू को मिस यूनिवर्स 2021 का ताज पहनाया गया, जिसमें लगभग 80 कंटेस्टेंट्स ने भाग लिया। उसने मिस यूनिवर्स के 70 वें एडिशन में टॉप तीन फाइनलिस्ट में एंटर किया जो की इलियट, इज़राइल में आयोजित किया गया था। टॉप 3 फाइनलिस्ट में भारत की हरनाज़ कौर संधू, पराग्वे की नादिया फेरिएरा और साउथ अफ्रीका की लालेला मसवाने थीं। 2000 में लारा दत्ता के खिताब जीतने के 21 साल बाद हरनाज़ ताज घर(इंडिया) ले आई। 2000 में लारा दत्ता से पहले, सुष्मिता सेन ने 1994 में खिताब जीता था।
हरनास अपने नाम की घोषणा होने तक चिंतित दिखाई दे रही थी, और उसने और पहली रनर-अप नादिया फेरिएरा ने हाथ मिलाए हुए थे। प्रीवियस मिस यूनिवर्स, मेक्सिको की एंड्रिया मेजा ने अपने सक्सेसर को ताज पहनाया। कार्यक्रम आधी रात को आयोजित किया गया था। हरनाज़ से सवाल पूछा गया था, आप उन युवतियों को क्या सलाह देंगे जो आज के दबावों का सामना कर रहे हैं, और उनसे कैसे निपटा जाए?
इस पर हरनाज़ ने बड़ा प्यारा उत्तर दिया और कहा, आज के युवा जिस सबसे बड़े दबाव का सामना कर रहा हैं, वह है खुद पर विश्वास करना। उन्हें यह जानना जरूरी है कि वह यूनिक हैं, जो उन्हें सुंदर बनाता है। दूसरों के साथ अपनी तुलना करना बंद करें और दुनिया भर में हो रही अधिक महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बात करें। बाहर आओ, अपने लिए बोलो क्योंकि तुम अपने जीवन के लीडर हो। मुझे खुद पर विश्वास है और था, इसलिए मैं आज यहां खड़ी हूं।
कौन है हरनाज़ कौर संधू?
भारत की हरनाज़ संधू को सोमवार को 70वीं मिस यूनिवर्स का ताज पहनाया गया, जो पॉलिटिक्स और पैंडेमिक से प्रभावित एक प्रतियोगिता में लगभग 80 कंटेस्टेंट्स के क्षेत्र में टॉप पर रही। हरनाज़ चंडीगढ़ की एक 21 वर्षीय मॉडल हैं, जिसने शहर में अपना स्कूल और कॉलेज पूरा किया। वह कई सालों से मॉडलिंग इंडस्ट्री में हैं और उनके नाम पर कई पेजेंट टाइटल भी हैं। हरनाज़ ने यारा दिया पू बरन और बाई जी कुट्टंगे जैसी पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है। हरनाज़ ने टाइम्स फ्रेश फेस मिस चंडीगढ़, फेमिना मिस इंडिया पंजाब 2019 का टाइटल भी जीता था।
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Dhanbad: राज्य में बाल श्रमिकों की सुरक्षा की बातें की जाती हैं. उस पर चर्चा की जाती है. सेमिनार किये जाते हैं, ताकि लोगों में जागरुकता बढ़े. बच्चों को शिक्षा और सुरक्षा मिल सके. लेकिन ऐसा कम ही हो पाता है. जब प्रशासन द्वारा छापामारी अभियान चलाया जाता है तब सच्चाई सामने आती है. ऐसा ही एक मामला धनबाद में आया. धनबाद के बाघमारा में उपायुक्त उमा शंकर सिंह के निर्देश पर श्रम अधीक्षक प्रवीण कुमार के नेतृत्व में बाघमारा बाजार स्थित हिंदुस्तान बेकरी में मंगलवार को सघन छापामारी अभियान चलाया गया. श्रम अधीक्षक के नेतृत्व में चले इस अभियान में कुल 13 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया.
जब छापेमारी टीम पहुंची तो उन्हें देखकर सभी अचंभित हो गये. उन्हें अंदाजा नहीं था कि कोई टीम यहां अचानक जांच करने आ जायेगी. छापेमारी का नेतृत्व कर रहे श्रम अधीक्षक प्रवीण कुमार ने बताया कि धनबाद उपायुक्त के निर्देशानुसार श्रम अधिनियम के तहत मंगलवार को बाघमारा स्थित हिंदुस्तान बेकरी में छापेमारी कर 13 बच्चों को मुक्त कराया गया है. उपायुक्त के निर्देशानुसार इन सभी को पुनर्वास योजना से जोड़ा जायेगा. सभी बच्चों को चाइल्ड लाइन धनबाद के माध्यम से बाल कल्याण समिति को सोंप दिया जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि श्रम अधिनियम के तहत बेकरी के संयोजक पर भी कड़ी कानूनी करवाई की जायेगी.
छापेमारी के दौरान टीम को हिंदुस्तान बेकरी में काफी अनियमितता देखने को मिली. वहां नियम का पालन नहीं किया जा रहा था. सफाई पर पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा था. बच्चों के भोजन की उचित व्यवस्था नहीं थी. वहीं टीम में शामिल झारखण्ड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष शंकर रवानी ने बताया कि धावा दल द्वारा दो दिनो में कुल 25 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है. ये सभी बच्चे जामताड़ा, मधुपुर, देवघर, नारायणपुर और टुंडी के रहने वाले हैं. फिलहाल सभी बच्चों को स्वास्थ्य एवं कोविड जांच कराकर चाइल्ड लाइन धनबाद को सोंप दिया जायेगा ।
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पटना : कभी न थमने वाली बिहार की सियासत की जुबानी जंग जारी है. अब बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लालू परिवार और कार्यकाल दोनों को लेकर फिर हमला किया है. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देबी के राज में 15 साल तक बिहार की खस्ताहाल सड़कें देशभर में मजाक का विषय बनी हुई थीं. जबकि एनडीए के शासन में सड़कों और पुलों का निर्माण एक कीर्तिमान बन गया है.
उन्होंने कहा कि एनडीए के शासन में राज्य पुल निर्माण निगम न केवल घाटे से उबरा, बल्कि अब उसे दूसरे राज्यों से भी काम मिल रहे हैं. पीएम विशेष पैकेज के तहत 54 हजार 700 करोड़ रुपये की लागत से 82 सड़क परियोजनाओं में से 47 पर काम शुरू हो गया है. धरातल पर उभरती विकास की ये तस्वीरें लाठी रैली करने वालों को नहीं दिखती हैं. सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि राज्य की एनडीए सरकार ने पूर्ण शराबबंदी से पहले देसी शराब और ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों को वैकल्पिक रोजगार देने के लिए 840 करोड़ रुपये की योजना मंजूर की. इसके तहत नया रोजगार शुरू करने के लिए एक लाख रुपये तक की मदद दी जाएगी. इसका सबसे ज्यादा फायदा एससी-एसटी परिवारों को मिलेगा. नशामुक्ति और बेरोजगारी से मुक्ति के अभियान साथ-साथ चलेंगे.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया. इसको दुनिया के 192 देशों का समर्थन भी मिला है. मुस्लिम देशों में भी योग दिवस मनाया जा रहा है. बिहार में इस बार योग दिवस व्यापक स्तर पर मनाया जाएगा और इसका नेतृत्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक करेंगे. योगाभ्यास हमारे तन-मन और समाज को जोड़ने का कार्यक्रम है. सुशील मोदी के इस ट्वीट को अब बिहार में सड़क निर्माण को लेकर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के दिए गए आकड़ों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. गडकरी के गलत आंकडे़ दिए जाने के बाद ये कहा गया था कि जमीन न मिलने की वजह से निर्माण परियोजनाएं रुक रही है.
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अलवर/स्वदेश वेब डेस्क। केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि राजनीतिक असहिष्णुता से घिरे होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को समग्र विकास के पथ पर आगे ले जाने में सफल हुए हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने में सफल रहे हैं।
सोमवार को राजस्थान के अलवर जिले स्थित किशनगढ़ बास में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सहयोग से बनाए जा रहे विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान की शिलान्यास के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी समग्र विकास के लिए बिना किसी भेदभाव के पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने विकास कार्यों के प्रति सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति पर वोट बैंक की राजनीति को हावी नहीं होने दिया है। नकवी ने इस अवसर पर कई विकास योजनाओं का भी उद्घाटन किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के दीमक को खत्म करना और विफलताओं के दाग को धोना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन मोदी ने इसका डटकर मुकाबला किया है और समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक सहित सभी जरूरतमंद और गरीब बच्चों के लिए सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया है। इस दिशा में प्रधानमंत्री द्वारा किए गए कार्य जमीनी स्तर पर साफ दिखाई दे रहे है।
श्री नकवी ने कहा कि अलवर जिले में बनाया जा रहा पहला विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान वर्ष 2020 से काम करना शुरू कर देगा। इस संस्थान के लिए राजस्थान सरकार ने किशनगढ़ बास तहसील के खोरा पीपली गांव में 15 एकड़ जमीन दी है। संस्थान में कौशल विकास केंद्र, प्राथमिक और उच्च शिक्षा की सुविधा, आयुर्वेद और यूनानी विज्ञान तथा खेल गतिविधियों के लिए भी समुचित प्रबंध होंगे। मंत्रालय ने संस्थान में 40 प्रतिशत सीटें लड़कियों के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव किया है।
उल्लेखनीय है कि संस्थान के क्रियाकलाप तय करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों और मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के सदस्यों की एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। यह समिति जल्दी ही संस्थान के बारे में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगी। यह संस्थान सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर तैयार किया जाएगा।
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सीताराम अग्रवाल अलवर। शहर में स्थित राजीव गांधी चिकित्सालय में अस्पताल पशासन की लापरवाही से एक कर्मचारी सहित दो जनों की मृत्यु हो गई। मौत से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। अस्पताल आउटडोर के शीशे तोडक्व दिए व डाक्टरों के साथ धक्का मुक्की की। जानकारी के अनुसार मृतकों में एक अस्पताल एम्बूलेंस का चालक था जबकि दूसरा अस्पताल कर्मचारी का भतीजा था। दोनों की मौत के बाद अस्पताल में तनाव हो गया। दोनों के परिजनों ने शव लेने से इंकार कर दिया। एक मृतक के परिजनों के साथ डाक्टरों ने मारपीट कर दी। पमुख चिकित्सा अधिकारी डा. पदीप गुप्ता द्वारा मृतक और उनके परिजनों से अपशब्द कहने के बाद अस्पताल में हंगामा हो गया। पशासन दोनों पक्षों को समझाने का पयास करता रहा। शहर के मेहताब सिंह का नोहरा निवासी लोकेश मीणा पुत्र रामजीलाल मीणा (21) ने अज्ञात कारणों के चलते विषाक्प पदार्थ खा लिया। अचेतावस्था में उसे अस्पताल लाया गया। लोकेश के चाचा व बहिन भी अस्पताल में ही कार्यरत है। परिजनों ने पीएमओ पदीप गुप्ता से जयपुर ले जाने के बारे में सलाह मांगी। पर उन्होंने कोई सलाह नहीं दी बल्कि अपशब्द कहने लगा। इलाज में कथित कोताही से लोकेश की मृत्यु हो गई। परिजन आकोशित हो गए। लोकेश का इलाज कर रहे डॉ. दिनेश यादव सहित अनेक चिकित्साकर्मियों ने लोकेश के परिजनों के साथ मारपीट कर कपडक्वे फाड दिए। गुस्साए परिजनों ने पूछताछ केन्द के शीशे तोडक्व दिए। हालत तनावपूर्ण देखते हुए शिवाजी पार्प थानापभारी जगमोहन शर्मा, कोतवाली थाना पभारी चांदमल, अति. पुलिस अधीक्षक ओमपकाश भी मौके पर पहुंचे। आरएसी के जवान भीअस्पताल पहुंच गए। परिजनों ने शव उठाने से इंकार करते हुए पमुख चिकित्साधिकारी एवं दोषी डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। परिजनों ने अस्पताल परिसर में आत्मदाह की चेतावनी तक दे दी। इसके बाद पुलिस भीडक्व को तितर-बितर करने लगी। इसी बीच पमुख चिकित्साधिकारी की पताडक्वना से परेशान एम्बूलेन्स चालक महावीर शर्मा (40) ने जहर खाकर आत्महत्या का पयास किया। महावीर ने पीएमओ की वजह बताया गया है। उसने भी सांय दम तोडक्व दिया। हालत बिगडक्वते देख अति. जिला कलक्टर ओ. पी बुनकर भी वहां पहुंचे और मामले की जानकारी ली। शहर विधायक बनवारी लाल सिघंल, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय शर्मा भी मौके पर पहुचे। इधर सामान्य अस्पताल में डाक्टर से मारपीट व अभद व्यवहार को लेकर इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन ने रोष जाहिर कर बैठक की। बैठक में चिकित्कों को पूरी सुरक्षा दिलाने की मांग की। सुरक्षा नहीं मिलने पर सामूहिक अवकाश की चेतावनी दी।
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कानपुर में 197 करोड़ रुपए की कैश बरामदगी के बाद गिरफ्तार किए गए पीयूष जैन सिर्फ टैक्स चुकाकर नहीं बच पाएगा। टैक्स देकर बाकी रकम वापस मांगने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले इत्र कारोबारी पीयूष जैन की दलीलों को डीजीजीआई ने खारिज किया है। पीयूष जैन के ठिकानों पर छापामारी का नेतृत्व करने वाले डीजीजीआई अहमदाबाद विंग के एडिशनल कमिश्नर विवेक प्रसाद ने कहा की जैन की 52 करोड़ टैक्स जमा कराने की बात गलत है। टैक्स नहीं लिया जाएगा, न ही उसके पास से बरामद 197 करोड़ों रुपए को उसका बिजनेस टर्नओवर माना गया है।
विवेक प्रसाद ने यह भी कहा कि पीयूष जैन के पास बरामद रुपया डिपार्टमेंट की केस प्रॉपर्टी है, जिसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कस्टडी में सुरक्षित रखा गया है। पीयूष जैन को केवल टैक्स लेकर छोडऩे का सवाल ही नहीं उठता। अभी जांच प्रक्रिया चल रही है। रिपोट्र्स के मुताबिक इस बीच पीयूष जैन ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पीयूष ने गुहार लगाई है कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) 52 करोड़ रुपए काटकर बाकी धन उसे वापसकर दे। बताया जा रहा है कि कानपुर जेल में 14 दिन की न्यायिक हिरासत काट रहे पीयूष जैन ने इस आशय की अर्जी लगाई है। पीयूष के वकील उसकी जमानत याचिका दाखिल करने की भी तैयारी कर रहे हैं। उधर, डीजीजीआई के अधिवक्ता अंबरीश टंडन ने मीडिया को बताया कि पीयूष के घर से बरामद धनराशि टैक्स चोरी की है।
मिली जानकारी के अनुसार पीयूष जैन ने अपने बयान में कबूल किया है उसने तीन कंपनियां बनाई थीं। उन कंपनियों के जरिए चार साल में गुप्त रूप से पान मसाला कम्पाउंड बेचा था। टैक्स चोरी के मकसद से उनसे रकम जमा की। इस पर कुल 32 करोड़ रुपए का टैक्स बनता है। पैनल्टी मिलाकल 52 करोड़ रुपए की देनदारी बनती है। बताया गया कि कन्नौज में पीयूष के ठिकाने से मिले सोने और रुपयों की डिटेल अभी तक नहीं मिल पाई है। पीयूष के सात ठिकानों पर छापामारी की गई थी।
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अमरावती प्रतिनिधि/ दि. १७ - स्थानीय जिलाधिकारी कार्यालय परिसर स्थित दुय्यम निबंधक कार्यालय के 3 जिम्मेदार अधिकारियों को कोरोना के नियमों का उल्लंघन करने के चलते प्रति 3 हजार रुपए का जुर्माना ठोका गया है. बावजूद इसके दुय्यम निबंधक कार्यालय में अभी भी दस्त पंजीयन के लिए लोगों की भीड उमडती दिखाई देती है. इस बारे में 'दै. अमरावती मंडल' ने जब दुय्यम निबंधक कार्यालय अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ दिनों से उनका कार्यालय लगातार 'सर्वर डाउन' की समस्या का सामना कर रहा है. जो काम 15 या 20 मीनट में होना चाहिए, उसके लिए आधा, पौन घंटे का समय लगता है. इस कारण कार्यालय के बाहर लोगों की भीड जस की तस दिखाई देती है.
उल्लेखनीय है कि लगभग 2 साल पहले राजस्व विभाग के इस महत्वपूर्ण कार्यालय का राज्यस्तर पर लगातार 3 दिन सर्वर डाउन हुआ था, जिससे समूचे राज्यभर में 3 दिन संपत्ति खरीदी बिक्री के व्यवहार बंद पडे थे. उसके बाद इस समस्या का हल राज्यस्तर पर ढुंढा गया. बावजूद इसके हमेशा दुय्यम निबंधक कार्यालय में सर्वर डाउन की समस्या निर्माण होती है, जिससे एक दस्त पंजीयन के लिए पहले अगर आधा घंटे का समय लगता था तो उसी काम के लिए अब 2 घंटे का समय लग रहा है. हालांकि जिलाधिकारी के दिशा निर्देश के अनुसार ही दस्त पंजीयन का काम आज भी चल रहा है. केवल सर्वर डाउन के चलते काम तेजी से नहीं हो पाने के कारण बाहर भीड बढती जा रही है.
कोरोना नियमों का पालन न करने के चलते दुय्यम निबंधक कार्यालय के 3 अधिकारियों को प्रति 3 हजार का जुर्माना मनपा कोरोना प्रतिबंधक उडन दस्ते ने तकरीबन एक सप्ताह पहले ठोका था. कार्यालय की भीड व कोरोना नियमन के उल्लंघन के लिए इन तीनों अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हुए यह जुर्माना ठोका गया था, लेकिन उसके बाद फिर इस कार्यालय में भीड मात्र आज भी कायम है.
सहदुय्यम निबंधक अधिकारी गजानन बाखडे ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से सर्वर डाउन की समस्या से उनका पूरा कार्यालय त्रस्त है. यहां हमेशा ही सर्वर डाउन रहने से आधा घंटे में होने वाले काम को काफी समय लग जाता है. इस कारण लोगों के काम समय पर नहीं निपटने से बाहर भीड दिखाई देती है.
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प्रयागराज (ब्यूरो)। स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित अभिलेख एवं चित्र प्रदर्शनी (काकोरी घटना पर केन्द्रित) व अन्य प्रदर्शनी कार्यक्रम का भी आयोजन किया जायेगा। इसके साथ ही साथ क्लासिक कत्थक, फ्यूजन एवं रॉक बैण्ड का आयोजन किया जायेगा। इसी क्रम में दिनांक 16 दिसंबर को काकोरी बलिदान दिवस के अवसर पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद पार्क (गेट नं0-3) में काकोरी बलिदान दिवस के अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा आल्हा गायन एवं किस्सा गोई का आयेजन किया जायेगा। 17 दिसंबर को संगम क्षेत्र वीआईपी घाट पर क्लासिकल कत्थक, फ्यूजन एवं रॉक बैण्ड का आयोजन कया जायेगा।
काकोरी बलिदान दिवस के अवसर पर 18 दिसम्बर को शहीद चन्द्रशेखर आजाद पार्क (गेट नं0-3) में स्थानीय कलाकारों द्वारा बिरहा गायन, भोजपुरी एवं अवधी लोकगीत का आयोजन किया जायेगा। इसी क्रम में 19 दिसम्बर को शहीद चन्द्रशेखर आजाद पार्क (गेट नं0-3) में काकोरी बलिदान दिवस के अवसर पर आमंत्रित स्थानीय कवियों द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। इसके साथ ही साथ पांच शहीद स्थलों पर नुक्कड़ नाटकों की भी प्रस्तुति की जायेगी। डीएम संजय कुमार खत्री के द्वारा कार्यक्रम को सकुशल ढंग से सम्पन्न कराये जाने हेतु नोडल एवं सहायक नोडल अधिकारियों की तैनाती की गयी है तथा उनके दायित्वों को भी निर्धारित किया गया है।
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पटनाः बिहार की राजधानी पटना की सड़कों और सदन में मंगलवार को जो हुआ उसने सबको चौंका दिया. विधानसभा घेराव के लिए निकले आरजेडी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पटना पुलिस ने जो व्यवहार किया उससे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव खासा नाराज हैं. पुलिस की बर्बरता के लिए वो साफ तौर पर सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
बता दें कि आरजेडी ने बेरोजगारी, अपराध समेत कई अन्य मुद्दों के खिलाफ 23 मार्च को बिहार विधानसभा घेराव का एलान किया था. पार्टी के इस कार्यक्रम को पटना पुलिस ने अनुमति नहीं दी थी. इसके बावजूद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तय कार्यक्रम के अनुसार विधानसभा की ओर बढ़ना शुरू कर दिया. ऐसे में पुलिस ने पहले उन्हें बैरिकेडिंग कर रोकने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मानें तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.
इस दौरान कार्यकर्ताओं और नेताओं को जमकर पीटा गया. कितनी को गंभीर चोटें आईं. फिलहाल सभी घायलों को इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है. वहीं, इस मामले में पटना के गांधी मैदान और कोतवाली थाने में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी, तेज प्रताप यादव, रतन यादव, जगदानंद सिंह, रितु जायसवाल समेत 15 नामजद और 3 हजार अज्ञात कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.
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Ganga Dussehra ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व आज है। गंगा दशहरा मां गंगा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइए आपको बताते हैं इस दिन स्नान, दान और पूजापाठ करने का क्या महत्व माना गया है।
गंगा नदी में स्नान और दान-पुण्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाने वाला पर्व गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 9 जून बृहस्पतिवार को है। मान्यता है कि इस दिन भागीरथ ऋषि अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे। इसलिए ही मां गंगा को मोक्षदायिनी, पतित पावनी गंगा के रूप में माना गया हे। कहते हैं गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पाप धुल जाते हैं। गंगा दशहरे के अवसर पर देश के उन प्रमुख शहरों में, जहां मां गंगा बह रही हैं, मेल का आयोजन होता है। इस अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है और दान-पुण्य किया जाता है। आइए जानते हैं गंगा दशहरा का महत्व और इस दिन क्या-क्या दान करना चाहिए।
गंगा दशहरे को मां गंगा के धरती पर अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सौ महायज्ञों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन जो व्यक्ति गंगा में खड़े होकर गंगा स्त्रोत का पाठ करता है उसे मृत्य के बाद में बैकुंठ की प्राप्ति होती है और इस जन्म के सभी पापों का असर समाप्त हो जाता है।
ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि का आरंभ 9 जून, बृहस्पतिवार को सुबह 8 बजकर 21 मिनट से होगा। गंगा दशहरे का समापन 10 जून को सुबह 7 बजकर 25 मिनट पर होगा। उसके बाद से एकादशी तिथि का आरंभ हो जाएगा। गंगा दशहरे का पर्व इस प्रकार से 9 जून को मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा ऐसे वक्त में मनाया जाता है कि जब कि गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को ठंडी चीजों का दान आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति करवाता है। इस अवसर पर सुराही, पंखा, वस्त्र, चप्पल, छाता, खरबूजा, कच्चे आम और पके आम आदि चीजों का दान करना सबसे उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इस दिन आप आटा, चावल, घी, सब्जियां और नमक का भी दान कर सकते हैं।
इस बार गंगा दशहरे पर हस्त नक्षत्र योग बन रहा है। बताया जाता है कि गंगा मां जब धरती पर अवतरित हुई थीं, तब भी यह विशेष योग बना था। हस्त नक्षत्र का आरंभ 9 जून को सुबह 4 बजकर 31 मिनट पर होगा और इसका समापन 10 जून को सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर होगा। गंगा दशहरे के दिन इस बार रवि योग भी रहेगा। माना जाता है कि रवि योग में किया गया दान और अन्य शुभ कार्य बेहद शुभफलदायी होते हैं।
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पटवारी का सबसे सरल व अहम काम जमीन की पैमाइश करने के एवज में थाानागाजी के किशाेरी के पटवारी प्रकाश चंद मीणा काे एसीबी ने 60 हजार रुपए की रिशवत के साथा शुक्रवार देर शाम काे गिरफ्तार कर लिया। पटवारी ने परिवादी को रिश्वत की राशि लेकर अपने गांव अंगारी बुलाया। एसीबी भी पीछ-पीछे पहुंची। जैसे ही पटवारी ने 60 हजार रुपए लिए। एसीबी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया।
परिवारदी हरसाय ने बताया कि किशोरी में उनकी जमीन है। जिसकी पैमाइश के लिए पटवारी के कई चक्कर लगा लिए थे। आखिर में 60 हजार रुपए लेने के बाद पैमाइश करने काे तैयार हुआ। इसकी सूचना एसीबी को दी। एसीबी ने मामले की पुष्टि करने के बाद परिवादी को रिश्वत की राशि देने को भेजा।
रिश्वत की राशि शुक्रवार को देना तय हुआ। परिवादी ने पटवारी को फोन किया। पटवारी प्रकाशचंद ने कहा कि वह गांव अंगारी आ गया। परिवादी को अंगारी बस स्टैंड बुलाया। वहां परिवादी के पहुंचने के बाद पटवारी आया। परिवादी ने पटवारी को 60 हजार रुपए थमाए। जिसमें से पटवारी ने अपनी इच्छा से 10 हजार रुपए वापस लौटा दिए। इस दौरान एसीबी ने पटवारी को ट्रैप कर लिया। यह मामला शुक्रवार देर शाम का है।
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स्टेराइल मलहम, क्रीम, सस्पेंशन्स की तैयारी और फिलिंग ग्रेड ए पर्यावरण में ग्रेड बी पृष्ठभूमि के साथ किया जाएगा जब उत्पाद को बाहर रखा जाता है और बाद में फ़िल्टर नहीं किया जाता है।
संदूषण को कम करने के लिए रोगाणुनाशन से पहले चरणों सहित सभी प्रसंस्करण चरणों के दौरान सावधानी बरती जाएगी।
5.2 आम तौर पर, जीवित सूक्ष्मजीवों की तैयारी नहीं की जाएगी, न ही कंटेनर अन्य दवा उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रों में भरी जाएगी। हालांकि, यदि निर्माता लाइव सूक्ष्मजीवों के प्रभावी रोकथाम और निर्जलीकरण को प्रदर्शित और मान्य कर सकता है, तो बहुद्देशीय सुविधाओं का उपयोग उचित हो सकता है। मृत जीवों या जीवाणु निष्कर्षों वाली टीकों को अन्य रोगाणुनाशक दवा उत्पादों को समान परिसर में कंटेनर में बांटा जा सकता है, बशर्ते निष्क्रियता प्रक्रिया को ठीक से सत्यापित किया गया हो।
जब बहु-उत्पाद सुविधाओं का उपयोग जीवित सूक्ष्मजीवों और अन्य रोगाणुनाशक दवा उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाता है, तो निर्माता प्रदूषण को कम करने के लिए सावधानी बरतने के अलावा, जीवित सूक्ष्मजीवों के प्रभावी निर्जलीकरण को प्रदर्शित और मान्य करेगा।
5.3 एसेप्टिक प्रसंस्करण के सत्यापन में पोषक तत्व (मीडिया भरने) का उपयोग करके प्रक्रिया सिमुलेशन परीक्षण शामिल होगा। पोषक तत्व का चयन पोषक तत्व के रोगाणुनाशन के लिए उत्पाद और चुनिंदाता, स्पष्टता, एकाग्रता और उपयुक्तता के खुराक के आधार पर किया जाएगा।
प्रक्रिया सिमुलेशन परीक्षण ऐसेप्टिक विनिर्माण चरण का यथासंभव अनुकरण की दिशा में अनुकरण करेगा, सिवाय इसके कि गतिविधि किसी भी संभावित माइक्रोबियल प्रदूषण का कारण बन सकती है।
5.5 प्रक्रिया सिमुलेशन परीक्षण लगातार तीन संतोषजनक सिमुलेशन परीक्षण चलाकर सत्यापन के हिस्से के रूप में किया जाएगा। इन परीक्षणों को परिभाषित अंतराल पर और हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) प्रणाली, उपकरण या प्रक्रिया में किसी भी महत्वपूर्ण संशोधन के बाद दोहराया जाएगा । प्रक्रिया सिमुलेशन परीक्षण सामान्य उत्पादन के साथ-साथ सबसे खराब स्थिति के दौरान होने वाली गतिविधियों और हस्तक्षेपों को निगमित करेगा। प्रक्रिया सिमुलेशन परीक्षण किसी भी समय से संबंधित और परिचालन विशेषताओं का समाधान करने के लिए प्रत्येक शिफ्ट और शिफ्ट परिवर्तन के प्रतिनिधि होंगे।
5.6 मीडिया फिलिंग के लिए उपयोग किए गए कंटेनरों की संख्या वैध मूल्यांकन को सक्षम करने के लिए पर्याप्त होगी। छोटे बैचों के लिए मीडिया फिलिंग के लिए कंटेनर की संख्या कम से कम उत्पाद बैच के आकार के बराबर होगी। लक्ष्य शून्य वृद्धि होगा और निम्नलिखित लागू होंगेः
5000 से कम इकाइयों को भरते समय, कोई संदूषित इकाइयों का पता नहीं लगाया जाएगा।
5000-10000 इकाइयों की फिलिंग करते समयः
एक संदूषित इकाई के परिणामस्वरूप एक दोहराना मीडिया फिलिंग पर विचार करने सहित एक जांच होगी;
दो संदूषित इकाइयों पर विचार किया जाता है;
10000 से अधिक इकाइयों को भरते समयः
एक संदूषित इकाई के परिणामस्वरूप जांच होगी;
निम्न जांच की वैधता के कारण हेतु दो संदूषित इकाइयों पर विचार किया जाता है;
5.7 किसी भी चालू आकार के लिए, माइक्रोबियल संदूषण की अंतःक्रियात्मक घटनाएं निम्न स्तर के संदूषण का संकेत हो सकती हैं जिनकी जांच की जाएगी। सकल असफलताओं की जांच में अंतिम सफल मीडिया फिलिंग के बाद निर्मित बैचों की स्टेरिलिटी आश्वासन पर संभावित प्रभाव शामिल होगा। |
Saraikela : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री, कांग्रेस के पूर्व झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व विधायक डॉ प्रदीप कुमार बालमुचू का शुक्रवार को कोलाबीरा में कांग्रेस नेताओं ने भव्य स्वागत किया. चाईबासा से वापसी के क्रम में कोलाबीरा में कांग्रेस के वरीय जिला उपाध्यक्ष रविंद्र मंडल के नेतृत्व में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने प्रदीप बालमुचू का स्वागत किया. कार्यकर्ताओं ने प्रदीप बालमुचू को माला पहनाया और नारेबाजी की. प्रदीप बालमुचू ने सभी कार्यकर्ताओं से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया. इस दौरान कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष रविंद्र मंडल ने पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप कुमार बलमुचू को घर वापसी पर बधाई दी. मौके पर कांग्रेस के लाल बाबू सिंहदेव समेत कई वरीय नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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बीबीएन - भाजपा जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने डेढ़ करोड़ की लागत से बनने वाले गडौण-कटल-धरमाना के लिए लिंक रोड के निर्माण कार्य का मंगलवार को विधिवत शुभारंभ किया। इस दौरान लोगों ने पूर्व विधायक के समक्ष अपनी अन्य समस्याएं एवं मांगे भी रखी जिस पर पूर्व विधायक ने जनता की मांगों को स्वीकार करते हुए घड़सी में हैंडपंप लगाने की घोषणा की और बैहली से घड़सी से लिंक रोड बनाने की घोषणा की। इससे पहले भाजपा जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने मस्तानपुर से थेडकी तक पांच लाख की लागत से बनने वाली सड़क के निर्माण कार्य का भी विधिवत शिलान्यास किया । पूर्व विधायक ने बताया कि इस सड़क मार्ग के साथ-साथ छोटी पुलियां भी बनाई जाएगी, इसके अलावा उन्होंने अतिरिक्त धन भी आवश्यकता अनुसार मुहैया करवाने का आश्वासन भी दिया। इस दौरान पूर्व विधायक ने स्थानीय जनता की समस्याओं को भी सुना और ज्यादातर का मौके पर समाधान कर दिया। पूर्व विधायक ने जनसंपर्क अभियान के दौरान जनता की मांग पर महिला मंडल भवन के लिए धन उपलब्ध करवाने, हैडपंप के लिए मोटर, शिव मंदिर शेड निर्माण के लिए पांच लाख एवं पेयजल के लिए टंकी निर्माण की घोषणाएं की। पूर्व विधायक ने आयुष्मान योजना से लाभ पाने वाले लाभार्थियों को कार्ड भी वितरित किए एवं आयुष्मान योजना के बारे में विस्तारपूर्वक सभी को इस योजना से मिलने वाले लाभों के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत आने वाले लाभार्थियों को 5 लाख तक के इलाज का खर्चा भारत सरकार वाहन करेगी जिन लोगों को अभी कार्ड नहीं उपलब्ध हुए हैं शीघ्र ही उनके भी कार्ड बन जाएंगे। इस दौरान उन्होंने लोगों से भाजपा की जन कल्याणकारी योजनाओं को देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में बढ़-चढ़कर भारतीय जनता पार्टी को लीड दिलवाने की भी अपील की एवं कहा भारतीय जनता पार्टी को लीड़ दिलवाना मतलब विकास में अपनी सहभागिता देना है। इस अवसर पर पूर्व प्रधान मस्तानपुर रोशन लाल बूथ अध्यक्ष महेंद्र, पूर्व प्रधान पोली, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बहादुर खान, वार्ड मेंबर राम, प्रीतम ,भाजपा मंडल अध्यक्ष बलदेव ठाकुर, नंदलाल, बल्लू, चमन लाल शर्मा, बाबू राम गंगा राम, इंद्र सिंह, रोशन डोली, मनोहर प्रधान अवतार प्रधान, बलविंदर प्रधान, विरेंद्र कुमार, पप्पू राम शहर, हेमशंकर एवं अन्य उपस्थित रहे।
यूथ क्लब जगतपुर द्वारा आयोजित कबड्डी टूर्नामेंट में बतौर मुख्य अतिथि भाजपा जिला अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने शिरकत की। इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष ने क्लब के वालंटियरो को 18 किट्स भी वितरित किए गए।
भाजपा जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने साहिबजादा अजीत सिंह यूथ क्लब कुलाडी में करवाए जा रहे प्रो कबड्डी कप का शुभारंभ किया गया, जिसमें बलविंदर सिंह प्रधान बग्गा राम उपप्रधान, खिलियां प्रधान मीना कुमारी, हिमत सिंह, सतपाल शर्मा, शीतल सिंह सेवानिवृत्त पीटीआई उपस्थित रहे। इस दौरान पूर्व विधायक ने खेल मैदान के लिए अतिरिक्त पांच लाख रुपए की राशि देने की घोषणा की ।
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खरड़, 18 नवंबर (पंकज चड्डा)
पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब प्रोटक्शन एंड रेगुलराइजेशन आफ कांट्रैक्ट इंप्लाइज बिल 2021 के खिलाफ चौथे दिन भी रोष प्रदर्शन जारी रखा। एड्स कंट्रोल कर्मचारियों ने सरकारी अस्पताल खरड़ में धरना दिया और उसके बाद सरकारी अस्पताल से खरड़ बस स्टैंड तक शांतिपूर्वक रोष रैली निकाली। इस दौरान सीपीएफ कर्मचारी यूनियन ने भी एड्स कंट्रोल कर्मचारियों का समर्थन करने की घोषणा की। इस अवसर पर विशेष तौर पर पहुंचे सीपीएफ कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधि और जिला रोपड़ के प्रधान संजीव कुमार ने कहा कि एड्स कंट्रोल के कर्मचारी 22 वर्षों से काम कर रहे है, लेकिन उन्हें पक्का नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे इन कर्मचारियों के साथ खड़े हंै और यदि इन कर्मचारियों को पक्का नहीं किया गया तो वह भी उनके साथ प्रदर्शन में बैठ सकते हैं।
इस अवसर पर पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष महिंद्रपाल सिंह ने कहा कि सरकार के साथ मीटिंगे चल रही हैं, परंतु सरकार आश्वासन के अलावा कुछ हल नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि आज 18 नवंबर को भी सचिव स्वास्थय श्री विकास गर्ग के साथ मीटिंग की गई है। अगली मीटिंग 24 नवंबर को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव हुसन लाल के साथ की जाएगी। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों को पक्का नहीं किया जाता है, तब तक वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। इस अवसर पर महिंद्र पाल सिंह ने कहा कि चन्नीं सरकार केवल लोगों को बेवकूफ बना रही है और बड़े बड़े दावे कर रही है कि 36 हजार कर्मचारियों को पक्का किया जाएगा, लेकिन सच्चाई यह है कि स्वास्थय विभाग के कर्मचारियों को अनदेखा किया जा रहा है। इस अवसर पर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जसमेल सिंह दयोल, महासचिव अमनदीप सिंह मुकेरियां, वित्त सचिव गुरजंत सिंह तथा प्रेस सचिव मनीश कुमार समेत अन्य कर्मचारी भी उपस्थित थे।
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नयी दिल्ली, 21 दिसंबर होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (एचएमएसआई) ने होंडा डी मेक्सिको के जरिये अमेरिकी बाजार में अपनी मोटरसाइकिल नवी का निर्यात शुरू कर दिया है।
एचएमएसआई ने जुलाई 2021 में मेक्सिको को नवी 'सीकेडी किट' (एसेंबल के लिए कल-पुर्जा) का निर्यात शुरू किया था और कंपनी अब तक 5,000 से अधिक किट की आपूर्ति कर चुकी है।
एचएमएसआई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी अत्सुशी ओगाटा ने मंगलवार को एक बयान कहा, "होंडा मेक्सिको के जरिये अमेरिकी बाजार में नवी मोटरसाइकिल की आपूर्ति ने बड़े बाजारों में हमारे निर्यात पोर्टफोलियो को और मजबूत किया है। "
उन्होंने कहा, "इस नए विस्तार ने हमें भारत में वैश्विक विनिर्माण गुणवत्ता के नए मानक स्थापित करने का एक फिर से मौका दिया है। "
कंपनी ने 2016 में नवी मोटरसाइकिल का निर्यात शुरू किया था। कंपनी अबतक एशिया, पश्चिम एशिया और लातिन अमेरिका के 22 निर्यात बाजारों में 1. 8 लाख से अधिक इकाइयों का निर्यात कर चुकी है।
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2 नारन अतरं, हुपएवियाण भते । घाण सेयाणं वय कालं० २ नत्यि अतर, सव्वेयाण केवटय काल ? नात्य अतर, निरेयाण केरल ? नथि अतर, एव जाव अणतपएसियाण। एएसि ण भते । परमणुपोग्गलाग नव्वेयाणं निरेग्राण य कयरे २ जाव विसेमाहिया चा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परमाणपोग्गला सव्वेया, निरेया अससेजगुणा । एएनि ण भते । दुपएवियाण सत्राण देतेयाणं सव्वेयाण निरेचाण य कयरे २ जाव निसाहिया वा ? गोयमा ! सच्चत्योवा दुपएसिया खंवा सव्वेया, ढेसेया असलेजगुणा, निरेया असुमेजगुणा, एव जाव अस खेजपएनियाण सधाण । एएसि ण भते ! अणतप एसियाणं उधाण डेसेयाण सव्वे याण निरेयाण य कयरे जाव विनेमाहिया वा ? गोयमा ! मव्वत्योवा अणतपएलिया गया सब्वेया, निरेया अगतगुणा, देसेया अणतगुणा । एएनि ण मते 1 परमाणुपोग्गलाण सम्सेजपएसियाण अनुमेजपएसियाण अणतपएमिचाण य पंधाण देसेयाण सव्वेयाण निरेयाण दवट्टयाए पएसट्टयाए दव्वपट्टयाए रूयरे २ जाव विसेमाहिया वा ? गोग्रमा ! सव्वत्योचा अगतपएलिया खवा सव्वेया दव्वयाए १, अणतपएसिया सवा निरेया दवट्टयाए अणनगुणा २, अणतपएसिया बना देया दग्वट्टयाए अतगुगा ३, असेजपएतियाना सव्वेया दव्वट्टयाए अ (णत ) मुन्नेज. गुणा ४, सरोजपएसिया तथा सव्वैया दव्वट्टयाए अनुमेजगुणा ५, परमाणपोग्गला सव्वेचा दबट्टयाए अनुन्येजगुणा ६ उम्मेजपण्डया तथा देलेया दव्या अस मेजगुणा 9, असोजपएसिया बवा देतेया दट्टयाए अमग्येजगुणा ८, परमाणुपोग्गला निरेना द्रव्याप अमेजगुणा ९ मुग्वेजपएलिया या निरेया दन्य |
खान ने ये बातें अमेरिका के इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में कही हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सत्ता में आने से पहले सरकारों के पास "राजनीतिक इच्छा" नहीं थी कि वे अपनी धरती पर चल रहे आतंकवादी समूहों को खत्म कर सकें।
उन्होंने कहा, "जब तक हम सत्ता में नहीं आए थे, सरकार के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। क्योंकि जब आप आतंकवादी समूहों के बारे में बात करते हैं तो हमारे पास अभी भी लगभग 30 से 40 हजार सशस्त्र लोग हैं, जो अफगानिस्तान या कश्मीर के किसी हिस्से में प्रशिक्षित और लड़े हैं।
हमारी सरकार ऐसी पहली सरकार है जो आतंकी संगठनों को निरस्त्र कर रही है। ये पहली बार है जब ऐसा हो रहा है। हमने उनके संस्थानों और मदरसों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। वहां हमारे प्रशासक हैं। एक अन्य कार्यक्रम में इमरान खान ने कहा था कि उनकी सीमा में 40 आतंकी संगठन संचालित थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछली सरकारें नियंत्रण में नहीं थीं और अमेरिका को जमीनी हकीकत नहीं बताई।
खान ने अमेरिकी सांसदों से कैपिटल हिलटाउन में कहा, "हम आतंक पर अमेरिकी युद्ध लड़ रहे थे। पाकिस्तान का 9/11 से कोई लेना-देना नहीं है। अलकायदा अफगानिस्तान में था। पाकिस्तान में कोई आतंकवादी तालिबान नहीं थे। लेकिन हम अमेरिकी युद्ध से जुड़े। दुर्भाग्य से, जब चीजें गलत हुईं, जहां मैं अपनी सरकार को जिम्मेदार मानता हूं, हमने अमेरिका को जमीनी हकीकत नहीं बताई।
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कज़ाकस्तान राहत अत्यंत विविध है। यह देखने के लिए, यह देश के भौतिक मानचित्र पर कम से कम नज़र लिए पर्याप्त। लेकिन हम यह अधिक अच्छी तरह से और विस्तार से पहाड़ों, मैदानों, रेगिस्तान, नदियों और यूरेशिया के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक के बारे में बताना करेंगे।
कज़ाकस्तान - दुनिया में सबसे बड़ा landlocked देश (मैं उन राज्यों है कि विश्व महासागर धोया नहीं किया है मतलब)। इसका क्षेत्रफल 2. 72 लाख वर्ग है। एम किमी और सीमा की कुल लंबाई - से अधिक 13 हजार किलोमीटर है। इसके अलावा, यह उन लोगों के लिए दुनिया के दो भागों में स्थित हैं (के माध्यम से कजाखस्तान यूरोप और एशिया के बीच सीमा के निशान) के बीच में से दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश है।
देश का एक बड़ा क्षेत्र काफी हद तक अपने परिदृश्य और प्राकृतिक परिसरों की विविधता निर्धारित करता है। भूगोल कज़ाकस्तान रोचक और बहुत ही विविध है। दिलचस्प तथ्य यह हैः विशाल भूमि क्षेत्र के बावजूद, केवल पांच पड़ोसियों कज़ाकस्तान। यह चीन, रूस, उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिस्तान के साथ सीमा पर सीधे है।
यूरोप और एशिया के बीच सीमा पर देश के भीतर अल्माटी क्षेत्र में आयोजित किया जाता है। अक्सर यह Mugodzhary के पूर्वी तलहटी पर किया जाता है, तो नदी Emba और कैस्पियन सागर के किनारे।
कज़ाकस्तान राहत उच्च विपरीत द्वारा प्रतिष्ठित। से अधिक 7000 मीटर की देश में कुल खड़ी ड्रॉप! कज़ाकस्तान जलवायु - शीतोष्ण महाद्वीपीय और नहीं बल्कि सूखी। गर्मियों में अक्सर एक कमजोर कर देने वाली गर्मी, और सर्दियों में है - गंभीर ठंड (करने के लिए नीचे -40 डिग्री सेल्सियस)। जब उत्तर अभी भी दक्षिण के पेड़ है पनपने कर सकते हैं में snowstorms उग्र है कज़ाकस्तान जलवायु विरोधाभासों के प्रारंभिक दिनों में वसंत विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है।
इसके बाद, हम कजाखस्तान के रोचक और राहत सुविधाओं है कि क्या बारे में अधिक जानकारी का वर्णन। आप पहाड़ों देश में कहां दिखाई देगी? कहाँ मैदानों, और जहां - रेगिस्तान?
क्षेत्र पर्वत श्रृंखला और लकीरें, के बारे में 30% के कब्जे के बारे में 15% - अवसाद, 45% - - रेगिस्तान और अर्द्ध रेगिस्तान के मैदानों और पठारों, 10% है। कजाखस्तान के इस तरह के विभिन्न इलाकों क्षेत्र के काफी जटिल भूवैज्ञानिक संरचना की व्याख्या की। देश एक जगह है जहाँ स्थिर पूर्वी यूरोपीय मंच, जंगम अल्पाइन बेल्ट और मुड़ा हुआ संरचनाओं यूराल-मंगोलियाई बेल्ट अभिसरण में स्थित है।
कजाखस्तान की राहत की अनूठी विशेषताओं राज्य के भीतर ऊंचाई में उल्लेखनीय गिरावट में हैं। इस प्रकार, देश में सबसे कम बिंदु कैस्पियन सागर के तट पर स्थित है (Karagiye, समुद्र तल से नीचे 132 मीटर)। और यहाँ उच्चतम बिंदु में लगभग 7000 मीटर (देश के दक्षिण-पूर्व में खान तेंगरी के शिखर) तक पहुँच जाता है।
कजाखस्तान में ऊँचे पहाड़ों राज्य के पूर्वी और दक्षिण पूर्वी सीमाओं पर ध्यान केंद्रित किया है। यह अल्ताई Tarbagatai, Jungar Alatau और टीएन शान। इसके अलावा, उत्तर यूराल पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी सिरे है।
कजाखस्तान के मैदानी इलाकों में उत्तर में स्थित, केंद्र और राज्य के उत्तर-पश्चिम में। पश्चिम में और दक्षिण में तराई का प्रभुत्व है। Tobol और Turgay - देश के उत्तर से दक्षिण तक, जिसमें अपनी तरह की कज़ाकस्तान दो महान नदियों बनाने के लिए लंबे समय तक Turgai गर्त काटता है।
रेगिस्तान दक्षिण में और देश के मध्य-पूर्वी भाग में पश्चिम (कैस्पियन क्षेत्र में) में बड़े क्षेत्रों पर कब्जा।
देश के भीतर 85 से अधिक हजार प्राकृतिक watercourses चलाता है। कजाखस्तान की सबसे बड़ी नदियों - यूराल, Tobol, Ishim में, इली और सिर दरिया है। सबसे घने नदी नेटवर्क पहाड़ी क्षेत्रों की विशेषता है, और सबसे कम में मनाया रेगिस्तान के क्षेत्रों। कजाखस्तान की नदियों में से अधिकांश अराल और कैस्पियन समुद्र करने के लिए अपने पानी ले।
कजाखस्तान और झीलों में कई। हालांकि, पानी, जिसका क्षेत्र 100 वर्ग किलोमीटर है, केवल 21 उनमें से अधिक के बड़े निकायों - कैस्पियन और अराल सागर, बल्खश, Tengiz, अलकोल और अन्य। देश में झीलों में से अधिकांश अपने उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में केंद्रित है।
कजाखस्तान में, वहाँ भी 13 कृत्रिम जलाशयों हैं। ताजा पानी की कुल मात्रा उसमें 87 हजार घन है। किमी।
Steppes और कुल कवर में अर्द्ध रेगिस्तान मध्य एशियाई देश के राज्य क्षेत्र का लगभग 70%। अपनी साइटों में से कई अपने मूल रूप में या के रूप में मानवीय गतिविधियों के कारण संशोधित नगण्य है।
कज़ाकस्तान मैदान अल्ताई पर्वत के पश्चिम में यूराल नदी घाटी से लगभग 2000 किलोमीटर की एक व्यापक बेल्ट फैला है - पूर्व में। क्षेत्र के संदर्भ में यह दुनिया में सूखा मैदान परिदृश्य का सबसे बड़ा सरणी है। जलवायु महाद्वीपीय और बहुत शुष्क हैः औसत वार्षिक वर्षा शायद ही कभी 350-400 मिमी से अधिक है।
कजाखस्तान में नमी की कमी के कारण Steppes वनस्पति दुर्लभ है, वहाँ कोई पेड़ व्यावहारिक रूप से कर रहे हैं। लेकिन यह जीव और प्रजाति विविधता में समृद्ध है। यहाँ अद्वितीय स्तनधारियों की सामान्य किस्मः Saiga, मर्मोट, मैदान पिका, छोटी हिरन हिरण और अन्य। इस क्षेत्र के कम नहीं अमीर avifauna। कजाखस्तान के steppes में, आप एक ईगल, काले लार्क, गुलाबी हवासील, काले सारस, राजहंस, गिद्ध, गोल्डन ईगल, सफेद पूंछ ईगल पा सकते हैं।
वसंत में सबसे सुंदर और सुरम्य कजाख मैदान, शुरुआत में और मई के बीच। यह इस समय था खिलने खसखस, irises और कई अन्य चमकीले रंग, फूल पौधे क्षेत्र के हजारों की एक रंगीन कालीन में ग्रे, बेजान क्षेत्र बदल रहे हैं।
रेगिस्तान और अर्द्ध रेगिस्तान लगभग आधे कजाखस्तान के राज्य क्षेत्र पर कब्जा। वे देश के पूर्वी भाग की पर्वत श्रृंखला के अराल सागर के तट के लगभग निरंतर पट्टी खिंचाव। कज़ाकस्तान विशाल और खराब शोषण रेगिस्तानः वे शायद ही कभी फ्लैट और जंगली परिदृश्य छोटे-छोटे गांवों और सुरम्य पहाड़ियों या कारवां सुस्त ऊंट सजीव करना।
रॉकी, रेत, कुचल पत्थर, मिट्टी और खाराः कजाखस्तान के रेगिस्तान के भीतर आनुवंशिक प्रकार की एक विस्तृत विविधता से मुलाकात की।
लगभग 75,000 वर्ग किलोमीटर के रेगिस्तान Betpak डाला क्षेत्र, देश के दिल में स्थित है। राहत 300-400 मीटर के फ्लैट मैदान औसत ऊंचाई के साथ प्रदान की जाती है। ग्रीष्मकाल बहुत गर्म और शुष्क हैं, वर्षा प्रति वर्ष कम से कम 150 मिमी है। रेगिस्तान के गड्ढों उसके बाहरी विचारों takyrs में नमक के दलदल और विचित्र फैल गया।
बेट-पाक-डाला के दक्षिण में Moyynkum रेत स्थित है। इस रेगिस्तान क्षेत्र के अनुसार लगभग आधा है। दक्षिण में यह Karatau और किरगिज़ Alatau के ऊंचे पहाड़ लकीरें से घिरा है। 700-800 मीटर की दूरी पर - तदनुसार, औसत ऊंचाई अधिक है। जलवायु गिर जाता है के लिए प्रति वर्ष 300 मिमी एक छोटे से नरम, वायुमंडलीय वर्षा है। मवेशियों के लिए चारागाह के रूप में स्थानीय लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता रेगिस्तान के कई क्षेत्रों में।
जैसा कि ऊपर बताया, कज़ाकस्तान भीतर यूराल पर्वत देश के दक्षिणी सिरे है। यहाँ यह Preduralsky और Zauralskaya पठार Mugodzhary पहाड़ों, साथ ही कई छोटे लकीरें और लकीरें (Shirkala, Shoshkakol और अन्य) प्रस्तुत किया है।
Preduralsky पठार पश्चिम में केस्पियन तराई के बीच और पूर्व Mugodzhary में फैला हुआ था। यह धीरे धीरे पश्चिम और दक्षिण पश्चिम, slaboholmistuyu मैदान में सुचारु करने के लिए कम हो जाती है। पठार की औसत ऊंचाई - समुद्र तल से 150-300 मीटर की दूरी पर।
Mugodzhary - अप 657 मीटर की दूरी पर (माउंट Boktybay के शिखर) को ऊंचाई के साथ यूराल पहाड़ों की चरम दक्षिणी प्रेरणा। इन पहाड़ों, वास्तव में, कम से और विरल वनस्पति के साथ कवर उथले श्रृंखला की हिल्स के प्रतिनिधित्व करते हैं। स्थान सन्टी ग्रोव अवशिष्ट। Mugodzhary - कजाखस्तान में कच्चे माल का एक महत्वपूर्ण स्रोत। यहाँ बजरी और अन्य इमारत पत्थर खनन।
कजाखस्तान से ज्यादातर पहाड़ी भाग - देश के पूर्व और दक्षिण-पूर्व। यहाँ अल्ताई और Tarbagatai अलग बेसिन की सीमाओं विशाल झील Zaisan की। चीन और किर्गिस्तान के साथ सीमाओं पर टीएन-शान खिंचाव। वैसे, यहाँ यह देश में सबसे ज्यादा है। Karatau, Junggar और इले Alatau, Toksanbay और दूसरोंः कज़ाकस्तान के दक्षिण-पूर्वी भाग में उच्च पर्वत श्रृंखला के एक नंबर रहे हैं।
Karaganda क्षेत्र के भीतर Karkaralinsky पर्वत हैं। इस सरणी ग्रेनाइट, क्वार्टजाइट और ज्ञात अमीर जमा और बहुधात्विक अयस्कों porphyrites के मुख्य रूप से बना है।
दक्षिण में एक बड़े और बहुत सुंदर रिज Karatau (टीएन शान) है। प्राचीन आदमी की कई साइटों पाए गए हैं। इस घटना के माध्यम से, रिज एक सुरक्षा यूनेस्को में शामिल किए जाने के लिए एक उम्मीदवार है। बलुआ पत्थर, shales, चूना पत्थर, और अन्यः जटिल Karatau विभिन्न चट्टानों की एक सरणी। अपनी सीमाओं के बड़े पैमाने पर कार्स्ट प्रक्रियाओं और घटनाएं हैं। Karatau यूरेनियम, विकसित लोहा, अयस्कों मेरा है, साथ ही फॉस्फेट की ढलानों पर।
Mangyshlak पठार (Mangystau या) देश के पश्चिमी भाग में एक ही प्रायद्वीप पर स्थित। इसकी औसत ऊंचाई - समुद्र तल से 200-300 मीटर की दूरी पर। 556 मीटर की दूरी पर Mangistau के उन्नयन के साथ पहाड़ों से घिरा उत्तर पठार से। पूर्व में, यह आसन्न में सुचारू रूप से गुजरता पठार Ustyurt।
पठार के नाम की उत्पत्ति के कम से कम दो संस्करण हैं। उदाहरण के लिए, शब्द "Mangistau" के रूप में कजाख भाषा से अनुवाद "एक हजार शीतकालीन। " लेकिन तुक्रमेन शोधकर्ता लालकृष्ण Annaniyazov शब्द "mangylshak" के रूप में तब्दील हो "बड़ी गांव। " सोवियत काल में, इस पोशाक के लिए नाम Mangyshlak अटक, लेकिन आधुनिक कज़ाकस्तान उसका नाम पहले से ही अलग ढंग से - Mangystau।
"डेजर्ट। पूरी तरह से किसी भी वनस्पति के बिना - हाँ रेत पत्थर "- तो इन स्थानों प्रसिद्ध यूक्रेनी कवि वर्णित टारस Grigorevich शेवचेंको। दरअसल, जलवायु तेजी से महाद्वीपीय और अत्यंत शुष्क, बारहमासी जलाशय लगभग कोई भी साथ नदियों है। स्थानीय क्षेत्र पक्षियों, जिनमें से से विभिन्न प्रकार के सैकड़ों देखते हैं और अधिक कर रहे हैं की समृद्ध दुनिया है।
Mangyshlak पठार खनिज संसाधनों से समृद्ध है। वहाँ तेल, तांबा, मैंगनीज अयस्क, रॉक क्रिस्टल और रॉक फॉस्फेट की जमा कर रहे हैं। Mangyshlak भी खनिज जल उपचार के स्रोतों का एक बहुतः क्लोराइड, ब्रोमाइड और सोडियम।
और अधिक दिलचस्प पठार Mangyshlak? कजाखस्तान में गहरी और दुनिया की सबसे गहरी से एक - नहीं तथ्य यह है कि अपने पूर्वी छोर पर गठित एक अनूठा Karagiye उल्लेख करने के लिए। यह समुद्र तल से नीचे 132 मीटर की दूरी पर स्थित है।
पर्वत श्रृंखला, मैदानों, मैदान और कजाखस्तान के रेगिस्तान पर, हम पहले से ही बता चुका हूँ। लेकिन इस देश की राहत का वर्णन अपने सबसे बड़े तराई के एक उल्लेख के बिना पूरा नहीं होगा।
कैस्पियन अवसाद - 200 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा क्षेत्र (मोटे तौर पर एक ही क्षेत्र बेलारूस गणराज्य पर है)। यह कैस्पियन सागर के उत्तरी भाग से घिरा रहा है। इस मामले में, उत्तर सीमा तराई पहाड़ियों आम Syrt, और पश्चिम से - यूराल और Ustyurt पठार। तराई रूप में काफी चिकनी सतह, थोड़ा कैस्पियन सागर के लिए इच्छुक है। समुद्र स्तर से ऊपर -30 से 150 मीटर की दूरी से अपनी सीमा के पूर्ण ऊंचाई।
वोल्गा, यूराल, एमबीए, टेरेक और Kuma: कैस्पियन तराई पांच नदियों की घाटी को पार किया। तराई के भीतर - उथले झीलों, जिसमें से नमक सक्रिय रूप से खनन किया जाता है की एक बहुत कुछ।
जलवायु तेजी से महाद्वीपीय और शुष्क है, गर्म हवाओं हो जाते हैं। तराई के उत्तरी भाग में नागदौन-घास मैदान बड़े होते हैं, और दक्षिण में रेगिस्तान और अर्द्ध रेगिस्तान परिदृश्य का प्रभुत्व है। अक्सर नमक licks और नमक के दलदल कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का एक विशाल चारागाह के रूप में तराई कैस्पियन का उपयोग करें। यह भी सब्जियों और तरबूज विकसित करता है।
खान तेंगरी - टीएन शान की उठाई पिरामिड शिखर, कज़ाकस्तान में उच्चतम बिंदु। 6995 मीटर की दूरी पर, बर्फ खोल के एक दृश्य के साथ - - 7010 मीटर की दूरी पर पहाड़ों के पूर्ण ऊंचाई।
औपचारिक रूप से माउंट खान-तेंगरी तीन देशों में से चौराहे पर हैः कजाखस्तान, किर्गिस्तान और चीन - इस प्रकार शांति और तीन देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध का प्रतीक है। इस पहाड़ पर्वतारोही के इतिहास में पहली सोवियत मिखाइल पोग्रेबेट्स्कीय बोरिस ट्यूरिन और फ्रांज Zauberer विजय प्राप्त की। यह 1931 में हुआ था। समूह अच्छी तरह से हमले Basmachi के मामले में लैस था - partisans जो मध्य एशिया में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
खान तेंगरी के शीर्ष के बारे में 6 रोचक तथ्यः
- चरम पर कोई दूसरा नाम है - रक्त माउंटेन (पर्वतारोहियों की बड़ी संख्या है जो, जबकि उस पर चढ़ाई की मृत्यु हो गई के कारण);
- आज वहाँ 25 अलग-अलग मार्गों, जो आप शीर्ष करने के लिए चढ़ाई कर सकते हैं कर रहे हैं;
- दफन एक विशेष कैप्सूल जिसमें सभी पर्वतारोही अपने विजेताओं निम्नलिखित अपने सुझाव छोड़ के शीर्ष पर;
- जाना जाता पर्वतारोही एनाटोली बुक्रेयेव इस चोटी ग्रह पर सबसे सुंदर नाम दिया;
- 2002 में किर्गिस्तान में चोटी की छवि के साथ 100 soms का एक नोट जारी किए गए;
- खान तेंगरी के सबसे चढ़ाई के लिए रिकॉर्ड एक पर्वतारोही नोवोसिबिर्स्क से ग्लेब सोकोलोव, जो शीर्ष 34 बार के लिए गुलाब है!
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नेशनल डेस्क : अगर आप फ्लाइट में लंबे सफर पर जा रहे है तो काफी हद तक मुमकिन है कि आप बोर हो जाएंगे ,क्योंकि फ्लाइट में सफर करते समय लगातार कई घंटे बैठे रहना बहुत बोरिंग हो जाता है। मगर कई बार लोग अपने बोरियत से छुटकारा पाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। कई लोग गाने सुनकर अपना सफर काटते हैं वहीं कई लोग न्यूज पेपर पढ़ते हैं। हालांकि कुछ समय बाद लोगों को थकान महसूस होने लगती है और लोग बोर होने लगते है। ऐसे में एक वीडियो सोशल मीडिया पे काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला फ्लाइट में सफ़र के दौरान मेहंदी लगाते हुए नज़र आ रही है।
वीडियो सोशल मीडिया पे काफी तेजी से वायरल (Flight Viral Video) हो रहा है। जिसमें महिला को आप अपने हाथों में मेहंदी लगते हुए देख सकते है। पोस्ट किए जाने के बाद से वीडियो काफी तेज़ी से वायरल हो रही है पोस्ट पर कई लोगों ने कमेंट भी किया है। एक यूजर ने कमेंट किया खूबसूरत । "दूसरे ने कहा, "मैं चाहता हूं कि आप मेहंदी की महक से अन्य यात्रियों को परेशान न करें वहीं किसी ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि अगली फ्लाइट में मुझे आपके बगल में बैठने का मौका मिलेगा। हालांकि, इस वीडियो को अभी तक लाखों व्यूज मिल चुके हैं।
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