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शिवपुरी। जिले के सतनवाड़ा थाना क्षेत्र के सतनवाड़ा में आरोपी चंदा कुशवाह एक 16 वर्षीय अविवाहित दलित युवती से लगातार बलात्कार करता रहा। उक्त बलात्कार का पता युवती के परिजनों को तब लगा जब बलात्कार का शिकार युवती के पेट में चार माह का गर्भ ठहर गया।
इसके बाद युवती ने उसके साथ बलात्कार करने वाले आरोपी के विषय में परिवार बालों को जानकारी दी। तत्पश्चात आरोपी चंदा कुशवाह के विरूद्ध भादवि की धारा 376, 506 और एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया गया। आरोपी फरार बताया जाता है।
पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंशी जाटव की नाबालिग पुत्री कमला (बदला हुआ नाम) के साथ कई दिनों से आरोपी चंदा कुशवाह बलात्कार कर रहा था। युवती द्वारा विरोध करने पर आरोपी उसे जान से मारने की धमकी देता था। लगातार बलात्कार करने से युवती को गर्भ ठहर गया। उसकी तबियत जब खराब रहने लगी तो परिजनों ने उसे डॉक्टर को दिखाया तब डॉक्टर ने बताया कि वह गर्भवती है। जिसे सुनकर परिवारबाले चौक गए फिर युवती से जब पूंछा गया तो उसने आरोपी का नाम उजागर कर दिया।
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लखनऊः हाल में बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के बारे में खुलासा हुआ था कि मायावती अगले लोकसभा चुनाव में फूलपुर से मैदान में उतरेगी, किन्तु भारतीय जनता पार्टी मायावती को फूलपुर में फ़ैल करने की योजना में है. अभी तक इस बारे में खुलासा तो नहीं हो पाया है कि मायावती फूलपुर से चुनाव लड़ेगी किन्तु बहुजन समाज पार्टी अपने स्तर को मजबूत करने के लिए नयी रणनीति के तहत 18 तारीख को हर महीने दो मंडलों में एक रैली करेंगी.
ऐसे में पार्टी में नई जान फूंकने के लिए मायावती ने 18 सितंबर 2017 से 18 जून 2018 तक यूपी दौरे का कार्यक्रम बनाया है. जिसको देखते हुए भाजपा भी कोई बड़ा गेम खेल सकती है. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य को मायावती के सामने खड़ा किया जा सकता है.
बता दे कि यूपी में बीजेपी की सरकार बने चार महीने से अधिक का समय हो चुका है. किन्तु अब अगले दो महीने के अंदर योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य को सांसद पद से इस्तीफा देकर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी. जिसमे पहले कहा गया था कि ये लोग राष्ट्रपति चुनाव के बाद इस्तीफा देंगे. किन्तु अब खबर आ रही है केशव प्रसाद को केंद्र में ही रखा जायेगा.
केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री है. और उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए सांसद पद छोड़ना होगा. किन्तु अब बीजेपी केशव प्रसाद मौर्य को यूपी में नहीं बल्कि केन्द्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है. जिसमे उन्हें मायावती के फूलपुर प्लान को फ़ैल करने के लिए भी मैदान में उतारा जा सकता है.
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से क्या सन्देश दूं ? पता नहीं मुझे क्यों रिहा कर दिया गया है। मेरे पिताजी, जो दमेके मरीज है, और मेरे सैकड़ों साथी अब भी जेलमें है। मे ऐसा महसूस करता हूँ कि मुझे बाहर आनेका कोई अधिकार नहीं था। मे केवल यही कह सकता हूँः लड़ाई जारी रखो, भारतको आजादीके लिए काम करते रहो। आरामकी जरूरत नहीं है, और किसी झूठे समझौते के लिए अपने सिद्धान्तों को छोड़ने की जरूरत नहीं है। अपने महान् नेता महात्मा गांधीके पीछे चलो और कांग्रेसके वफादार रहो । कुशल बनो, संगठित होकर काम करो, और सबसे बड़ी बात यह है कि चरखे और अहंसाको मत भूलो । उग्र पन्थी नहीं है
संयुक्त प्रान्तके प्रचार आयुक्त लखनऊसे लिखते है कि १५ फरवरीके अपने पत्रमें उन्होंने देहरादूनसे निकलनेवाले 'गढ़वाली' को असावधानीमें एक उग्र पन्थी पत्र कह दिया था। अब उन्होंने लिखा है कि वह दरअसल एक नरम विचारोंवाला पत्र है । ओछा अत्याचार
ढाकाके बाबू विमलानन्द दासगुप्तको एक सार्वजनिक सभाके सिलसिलेमें, जो ढाकामें गत २३ जनवरीको हुई थी और जबरदस्ती तितर-बितर कर दी गई थी, गिरफ्तार कर लिया गया था। बादमें उनपर मुकदमा चलाया गया और उनके विरुद्ध कोई प्रमाण न मिलनेपर वे बरी कर दिये गये । परन्तु अधिकारियोके लिए यह पर्याप्त नहीं था । इसलिए अब उन्हें वकालत सम्बन्धी अधिनियमकी धारा ४० के अधीन निम्नलिखित नोटिस मिला है :
ढाकाके जिला मजिस्ट्रेटने मुझे यह रिपोर्ट दी है कि इस अदालतके एक बकोल बाबू विमलानन्द दासगुप्त, एम० ए० बी० एल०, ने जुलाई १९२१ में अपनी वकालत स्थगित कर दी और वे तथाकथित ढाका नेशनल कालेजमें अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हो गये। यह भी पता चला है कि उक्त बिमलानन्द दासगुप्त ने इस नौकरीके लिए उच्च न्यायालयकी अनुमति नहीं ली। जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्टसे यह भी पता चलता है कि उक्त विमलानन्द दासगुप्त उस सभामें उपस्थित थे और उन्होंने उसमें भाग भी लिया था जो २९ जनवरी, १९२२को ढाकामे ढाकाके जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिताकी धारा १४४के अधीन जारी किये गये आदेशोंके प्रतिकूल आयोजित की गई थी ।
आगे यह भी पता चलता है कि उक्त विमलानन्द दासगुप्तपर जब भारतीय दण्ड संहिताकी धारा १८८के अधीन मुकदमा चला, तो उन्होंने अदालतमें यह कहा कि ब्रिटिश सरकारके प्रति उनके मनमें कोई वफादारी नहीं है और जाँच करनेवाले मजिस्ट्रेटके पदके लिए उनके हृदय में कोई सम्मान नहीं है। इससे यह मालूम होता है कि उक्त विमलानन्द दासगुप्त ने इस तरह वकीलोंके लिए बनाये गये नियमोंका शोचनीय उल्लंघन किया है। |
हौ, मिले, रहते हैं । Vertical नलिकाओं मे Cadmiam, की छड़ रखी जाती हैं। इन छडों को नलिकाओं में इच्छानुसार ऊपर नीचे किया जा सक्सा है। यह सारा यन्त्र सीमेंट की मोटी दीवारों में बन्द रहता है। इन दीवारों मेंऐसा स्थान बना रहता है जहाँ से भट्टी के कार्य का संचालन किया जा सकता है । भट्टी को संचालित करने वाले विशेष प्रकार की पोशाक पहने रहते हैं । सीमेंट को दीवार तथा पोशाक का उपयोग हानिकारक विकिरण ( Harmfil Radiations ) मे बचने के लिये होता है ।
WORKING OF ATOMIC REACTOR
परमाणु भट्टी का कार्य
परमाणु भट्टी का कार्य यूरेनियम के परमाणुभो को विखण्डित करना होता है। प्रारम्भ में यूरेनियम को घड़े नलिकामों में रखखी जाती हैं तथा केडमियम की छड़ बाहर रखी जाती है। बहुत भारी तत्व होने के कारण यूरेनियम के कुछ परमाणु स्वयं टूटते रहते हैं और उनमें से कुछ neutrons बाहर निक्ले रहते हैं। परमाणु भट्टी में ऐसे neutrons की संख्या निरंतर बढ़ती जाती हैं। इन nentrons की गति ( speed ) काफी तेज होती है, किन्तु जब ये ग्रॅ फाइट में होकर गुजरते हैं तब इनकी गति कम हो जाती है। न्यूट्रोन्स की गति ( चाल ) को कम करने वाले पदार्थों को snoderators रहते हैं। जब भन्दगामी न्यूट्रोन्स ( slow moring neutrons ) 1295 के परमाणुओं से टकराते हैं तब वे परमाणु टूट जाते हैं। Q235 का परमाणु टूटकर दो हल्के तत्वों के परमार में बदल जाता है।
विखण्डन को रूप रेखा दो प्रकार की है :=
- इस प्रकार हम देखते हैं कि 1235 या तो बेरियम और क्रिप्टन' मे अथवा स्ट्रोन्शियम और जेनॉन ( Xecon ) में बदल जाता है। इस क्रिया के फलस्वरूप १५-१६ न्यूट्रोन्स बाहर निकलते है। इनमें से १२-१३ न्यूट्रोन्स तो शक्ति ( energy ) मे बदल जाते हैं तथा दोष यूरेनियम के अन्य परमाणुओ पर प्रहार करते हैं। यूरेनियम के परम के टूटने की पुनः वैसी ही क्रिया
होती है जिसका वर्णन ऊपर किया जा चुका है। इस प्रकार यूरेनियम के परमा गुओ के टूटने का सिलसिला प्रारम्भ हो जाता है । घोड़े समय पश्चात् हो गर्भो ( heat ) के रूप में अत्यधिक शक्ति प्राप्त होने लगती है। सिलसिले से उत्तरोत्तर बढ़ने वाली इस क्रिया को चेन प्रक्रिया ( chain reaction ) कहते हैं ।
यूरेनियम 235 के परमाणु विखण्डन ( atomio fission ) से प्राप्त न्यूट्रोन्स शीघ्रगामी ( fast moving ) होते हैं। इनमे से कुछ न्यूट्रोन्स तो graphite के कारण मन्दगामो हो जाते हैं। यहाँ से फाइट moderator का काम देता है । जो न्यूट्रीन्स शीघ्रगामी ही बने रहते हैं वे 238 के द्वारा पकड लिए जाते हैं। इस क्रिया के कारण 1338 जो बहुत अधिक मात्रा में होता है, प्लूटोनियम ( plutonium ) नाम के तत्व में बदल जाता है । यूरेनियम 238 की प्लूटोनियम में बदलने की क्रिया -- 0232+N=0*2
3 -- Bparticle=Np72328 ( neptanium ) Np299 - 8 particle=Pu23 (platoniam )
( ii )
( iii )
इस प्रकार परमाणु भट्टी में दोनों प्रकार की क्रियाएं चलती रहती हैं। प्लूटोनियम का उपयोग भी विखण्डन के द्वारा परमाःगु- शक्ति प्राप्त करने के लिये किया जाता है। कुछ समय पश्चाई यह क्रिया इतनी अधिक बढ़ जाती है कि परमाणु भट्टी मे कैडमियम की छड डालना भावश्यक हो जाता है। केंडमियम धातु की यह विशेषता है कि वह बहुत तेजी के साथ न्यूट्रोन्स का शोषण |
ईआधार को डाउनलोड करते वक्त आप आधार कार्ड के नंबर को छिपा सकते हैं। यह उन लोगों के अधिक काम आएगा जो आधार नंबर नहीं साझाकरना चाहते हैं।
जी हां अब आधार कार्ड को और सुरक्षित बनाया गया है। यह सुविधा ईआधार के लिए शुरू की गई है। इस सुरक्षित आधार को 'मास्क्ड आधार' का नाम दिया गया है।
ईआधार क्या है?
ईआधार पासवर्ड से सुरक्षित आधार की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी है। इस पर यूआईडीएआई के डिजिटल हस्ताक्षर होते हैं। आधार अधिनियम के अनुसार, ईआधार सभी उद्देश्यों के लिए आधार की फिजिकल कॉपी के बराबर मान्य है। ईआधार को https://uidai. gov. in/ से डाउनलोड किया जा सकता है। ईआधार को आधार कार्ड, वर्चुअल आधार या एनरोलमेंट आईडी के जरिए डाउनलोड किया जा सकता है।
- सबसे पहले uidai. gov. in पर जाएं।
- इसके बाद आधार इंरोलमेंट सेक्शन में डाउनलोड आधार पर क्लिक करें।
- आईडी चुने जिसके जरिए आप ईआधार डाउनलोड करना चाहते हैं।
- मास्क्ड आधार को चुनें।
- इसके बाद आधार कार्ड, वर्चुअल आधार कार्ड या एनरोलमेंट आईडी एंटर करें।
- इकसे बाद अपना नाम, पिन कोड, सिक्यूरिटी कोड डालें और ओटीपी के लिए रिक्वेस्ट करें।
- ओटीपी दर्ज करें।
ध्यान रहे ईआधार कार्ड पासवर्ड प्रोटेक्टेड होते हैं और इसका पासवर्ड आपके नाम के पहले चार अक्षर और आपके जन्मतिथि वाले साल के चार अक्षर होते हैं। उदाहरण के लिए, आपका नाम RAMESH KUMAR और आप साल 1989 b ई-आधार का पासवर्ड RAME1989 होगा।
मास्क्ड आधार वाले आधार कार्ड में 12 अंकों की पहचान संख्या में शुरुआत के 8 अंक छिप जाएंगे और अंत के सिर्फ 4 अंक दिखार्इ देंगे। हालांकि आपकी तस्वीर और क्यूआर कोड सहित अन्य जानकारी दिखती रहेगी।
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सीहोर जिले के गोपालपुर थानान्तर्गत व लाड़कुई वन परिक्षेत्र के ग्राम खजूरपानी में एक ऐसा मामला साममे आया है। जहां तेंदुए ने एक 5 वर्षीय बालिका पर हमला कर दिया । दरअसल हर रोज की बच्ची अपने घर के बाहर आँगन में खेल रही थी तभी तेंदुए ने 5 वर्षीय बालिका पर हमला किया और बच्ची को मुंह में दबाकर जंगल की ओर लेकर भाग गया। वहीं जब बच्ची के पिता, चाचा एवं अन्य लोगों ने जब तेंदुए को देखा तो वह उसके पीछे भागने लगे और शोर करते हुए पत्थर मारना शुरू कर दिया जिससे तेंदुआ बच्ची को छोड़कर भाग गया। जंगल की ओर ले गया जिससे बच्ची की मौत हो गई। सूचना मिलने के तुरंत बाद ही अपने वन अमले के साथ मुआयना करने मौका स्थल खजूरपानी पहुंचे। जहां पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम के लिए शब को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नसरुल्लागंज भेजा गया।
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विकार किसी का रूपादि बदलना; परिणाम; दोष; सत्ता, वृद्धि, परिणाम, अपक्षय और विनाश ये पंच विकार हैं ।
-विकास फैलना; बढ़ना; वह प्रक्रिया जिसके अनुसार कोई वस्तु अपनी आरंभिक सामान्य अवस्था से धीरे-धीरे बढ़ती, फैलती श्रीर सुधरती हुई उन्नत और पूर्णावस्था को प्राप्त होती है, यह सिद्धांत कि एक कोठक से यह संसार बन गया ।
विकृत जिसमें किसी प्रकार का विकार या बिगाड़ हुआ हो ।
कृति विकार; बिगाड़ मूल प्रकृति का वह रूप जो मूल धातु में विकार होने पर उसे प्राप्त हुआ हो कायं जिससे कोई नया तत्व उत्पन्न हो । |
Uttar Pradesh Mathrubhumi Yojana: जनभागीदारी के जरिए गांवों का विकास करने के उद्देश्य से मातृभूमि योजना की शुरूआत की गई है। इसके योजना के जरिए आप अपने परिजन को हमेशा के लिए अमर कर सकते हैं।
Uttar Pradesh Mathrubhumi Yojana: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनभागीदारी के माध्यम से गांवों को विकसित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना 2022 का मुख्य उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना है। इस योजना के माध्यम से नागरिकों को गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास के विभिन्न कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदारी प्रदान की जाएगी। राज्य सरकार परियोजना की कुल लागत का 50% वहन करेगी, जबकि शेष 50% का योगदान इच्छुक लोगों द्वारा किया जाएगा।
बदले में परियोजना का नाम सहयोगियों के रिश्तेदारों के नाम पर उनकी इच्छा के अनुसार रखा जा सकता है। इस योजना के माध्यम से नागरिकों को विकास कार्यों में वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना विकासशील गांवों में भी कारगर साबित होगी।
इस योजना के तहत नागरिकों के साथ संवाद करने के लिए पंचायत सहायकों को नियुक्त करने का भी निर्णय लिया गया है। पंचायत सहायकों द्वारा यूपी मातृभूमि योजना से संबंधित जानकारी भी प्रशासन को उपलब्ध कराई जाएगी। सभी पंचायत सहायकों को प्रशासन एवं दाता द्वारा दी जाने वाली राशि में से अधिकतम 10000 हजार रुपये का भुगतान किया जायेगा।
इस योजना के माध्यम से नागरिकों को गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास के विभिन्न कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदारी का मौका मिलेगा।
परियोजना की कुल लागत का 50% सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और बाकी 50% नागरिक द्वारा प्रदान किया जाएगा।
सहयोगी की इच्छा के अनुसार परियोजना का नाम रखा जाएगा।
व्यक्ति को योजना पर आधा खर्च देकर परियोजना का पूरा क्रेडिट दिया जाएगा।
इस योजना को शुरू करने की घोषणा 15 सितंबर 2021 को की गई।
इस कार्यक्रम के माध्यम से मुख्यमंत्री द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि सरकार लगातार गांवों में सामाजिक विकास के लिए काम कर रही है।
इस योजना के माध्यम से गांवों में स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाडी, पुस्तकालय, स्टेडियम, व्यायामशाला, ओपन जिम, पशु नस्ल सुधार केंद्र, अग्निशमन सेवा केंद्र आदि स्थापित किए जा सकते हैं।
इसके अलावा सीवरेज के लिए सीसीटीवी, सोलर लाइट, एसटीपी प्लांट लगाने में भी नागरिक सहायता कर सकते हैं।
- आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
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फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' टॉम हैंक्स अभिनीत 1994 में आई हॉलीवुड फिल्म 'फॉरेस्ट गम्प' से प्रेरित है।
कुलकर्णी ने 2006 में आई फिल्म 'रंग दे बसंती' में आमिर के साथ काम किया था।
कुलकर्णी ने बताया कि आमिर खान की निर्माण कंपनी के बैनर तले बनी 'जाने तू . . या जाने ना' की सफलता की पार्टी के बाद वह और आमिर अपनी पंसदीदा फिल्मों के बारे में चर्चा कर रहे थे, जब 'फॉरेस्ट गम्प' का जिक्र हुआ।
फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' का ट्रेलर जून में जारी किया गया था, जिसे लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है।
फिल्म का निर्देशन अद्वैत चंदन ने किया है। इसमें करीना कपूर खान, मोना सिंह और नागा चैतन्य भी नजर आएंगे। यह दुनियाभर में 11 अगस्त को रिलीज होगी।
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वडोदरा,गुजरातः गुजरात में मध्यवर्ती वडोदरा जिले के डभोई तालुका के फरतीकुई गांव में शुक्रवार को देर रात गटर और उससे जुड़े कुएं (स्थानीय भाषा में खारकुआं) की सफाई करने इसमें उतरे 4 सफाईकर्मियों समेत 7 लोगों की मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि मृतकों में उस दर्शन होटल के 3 कर्मी भी थे जिसके निकट यह घटना हुई। होटल मालिक हसन अब्बास घटना के बाद से ही फरार बताया गया है। उसने होटल में भी ताला लगा दिया है। मृतक सफाईकर्मियों में एक पिता-पुत्र की जोड़ी भी शामिल है। इस बात की जांच की जा रही है कि इनकी मौत गटर लाइन में रहने वाली गैस से दम घुटने के कारण हुई है अथवा ये सभी डूबने से मरे हैं।
मृतकों की पहचान हितेश हरिजन (23) और उसके पिता अशोक हरिजन (45), महेश हरिजन (25) तथा महेश पाटनवाडिया (46) (चारों सफाईकर्मी और निकटवर्ती थुवावी गांव के निवासी) तथा होटल के 3 कर्मियों अजय वसावा (24, निवासी कादवली गांव जिला भरूच), विजय चौधरी (22) और शहदेव वसावा (22) (दोनों सूरत जिले के उमरपदा तालुका के वेलावी गांव निवासी) के रूप में की गई है। घटना की विस्तृत पड़ताल की जा रही है।
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भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि बाघों को अवैध शिकारियों से बचाने के लिए ज़रूरी है कि कड़े क़दम उठाए जाएँ.
राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क के दौरे पर गए प्रधानमंत्री ने कहा कि बाघों को बचाने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति बनाने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा कि इसके लिए ज़रूरी है कि जंगलों पर जनसंख्या का दबाव कम करने के प्रयास किए जाएँ.
राजस्थान के अभयारण्यों से बाघों के बड़ी तादाद में लापता होने की चर्चा तेज़ होने के बाद प्रधानमंत्री वहाँ पहुँचे.
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को एक लिखित बयान में बताया है कि पिछले पाँच वर्षों में 400 से अधिक बाघ लापता हो चुके हैं.
बाघों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने एक कार्यदल का गठन किया है और पर्यावरणविद् सुनीता नारायण को उसका प्रमुख बनाया गया है.
प्रधानमंत्री ने वन अधिकारियों से विस्तार से बातचीत की और बाघों के संरक्षण को एक महत्वपूर्ण काम बताया.
भारत में इस समय बाघों की कुल संख्या लगभग साढ़े तीन हज़ार आँकी गई है लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि यह आँकड़ा वास्तविक संख्या से अधिक हो सकता है.
इसी बीच पश्चिम बंगाल के सुंदरबन डेल्टा के बाघों को बचाने के लिए एक ख़ास अभियान की शुरूआत की जा रही है, इसके तहत बूढ़े बाघों के लिए विशेष सुरक्षित क्षेत्र बनाया जाएगा.
जो बाघ बूढ़े हो चुके हैं और ख़ुद शिकार नहीं कर सकते सरकार उनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी लेगी ताकि वे अवैध शिकारियों के हत्थे न चढ़ जाएँ.
अधिकारियों का कहना है कि इससे बाघों की तादाद में आ रही गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी.
सुंदरबन के मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा ने बीबीसी को बताया कि नई व्यवस्था के तहत 'बाघों के लिए वृद्धाश्रम' बनाया जाएगा.
उनका कहना है कि बाघों को उनके प्राकृतिक वातावरण में ही रखा जाएगा ताकि वे ख़ुद को बंधा हुआ न महसूस करें लेकिन उन्हें आबादी से दूर रखा जाएगा क्योंकि बूढ़े बाघ आसान शिकार की तलाश में अक्सर लोगों या पालतू जानवरों पर हमला करते हैं.
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Lohardaga: पंचायत चुनाव को लेकर लोहरदगा पुलिस द्वारा अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ छापामारी अभियान चला रही है इसी क्रम में लोहरदगा पुलिस अधीक्षक आर रामकुमार के निर्देश पर मिले गुप्त सूचना के आधार पर बगड़ू थाना क्षेत्र अंतर्गत मेरले गांव के चंदन साहू के घर में छापामारी की गई जिसमें भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब बरामद किया गया, वहीं चंदन साहू को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई. उसी के निशानदेही पर बड़चोरगाई के काली उरांव के घर पर भी छापामारी की गई जहां से भी पुलिस को भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब मिली, दोनों जगहों पर पुलिस को कुल 47 पेटी अंग्रेजी शराब मिली इसकी मात्रा 441 लीटर है.
अवैध शराब बिक्री के मामले में मेरले निवासी 25 वर्षीय युवक चंदन साहू को हिरासत में लिया गया है. साथ ही बगड़ू थाना में प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है. पूरे मामले पर लोहरदगा एसडीपीओ वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया की पंचायत चुनाव को लेकर अवैध शराब बिक्री की रोकथाम के लिए छापामारी अभियान चलाया जा रहा है इसी क्रम में चंदन साहू के घर में छापामारी कर भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब बरामद की गई है. पूरे मामले पर प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है.
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लखनऊ , 7 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के देवरिया में आश्रय गृह की कई बालिकाओं के गायब होने को लेकर विपक्ष के कड़े तेवर का जवाब देते हुए राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि जो दल इस मामले में राजनीति कर रहे हैं, पहले वे बताएं किनके राज में ये शेल्टर होम फले-फूले हैं। लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन के दौरान जोशी ने कहा, जिन बालिका संरक्षण गृहों में सुविधाएं अच्छी नहीं हैं, उन्हें मिलने वाली सरकारी सहायता रोक दी जाएगी। आगे तभी उन्हें सहयोग मिलेगा जब वो सभी मानकों पर खरे उतरेंगे।
उन्होंने देवरिया कांड पर बयान देने वाले नेताओं को आड़े हाथों लिया और कहा, देवरिया कांड पर वही नेता बयानबाजी कर रहे हैं जिनके शासनकाल में अवैध शेल्टर होम बढ़े। उन्हें ऐसे संवेदनशील मामलों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। मंगलवार शाम तक देवरिया कांड की रिपोर्ट आ जाएगी। जो भी मामले में दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मामले की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
देवरिया कांड की जांच के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसीएस रेणुका कुमार और एडीजी (महिला हेल्पलाइन) अंजू गुप्ता को भेजा गया। उन्होंने पीड़ित बालिकाओं के बयान लिए।
रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, देवरिया संरक्षण गृह को मान्यता 2010 में दी गई थी। बसपा और सपा सरकार में इस गृह को बढ़ावा मिला। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद 2017 में सीबीआई द्वारा सभी बाल गृहों की जांच की बात सामने आई। हमारी सरकार ने 21 ऐसे गृहों की मान्यता समाप्त कर दी। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में सपा और बसपा ने गलत लोगों को रखा था। हमारी सरकार मामले में 70 लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
मंत्री ने कहा, देवरिया खुलासे के बाद सरकार पूरी तत्परता से जांच करवा रही है। मां विंध्यवासिनी बालिका संरक्षण गृह मामले में डीपीओ ने 15 नोटिस दिए थे। मामले में स्थानीय स्तर पर लापरवाही हुई है। अगर हम थोड़ी सावधानी से काम करते तो यह घटना नहीं होती। आज (मंगलवार को) शाम को जांच रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, शेल्टर होम से 23 बच्चियां मिली हैं। बाकी गायब बच्चियों का रिकार्ड से टैली करवाकर पता लगाया जा रहा है। मंडल स्तर पर सरकार बड़े बाल गृह खोलेगी। सरकार केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के सुझावों पर भी अमल करेगी। भाजपा की सरकार जिम्मेदार एनजीओ को काम सौंप रही है, जो बहुत अच्छी तरह से इस काम को आगे बढ़ाएंगे।
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Xiaomi और Apple जैसी टेक कंपनियां आने वाले वक़्त में EV मार्केट में एंट्री करने की तैयारी भी करने में लगे हुए है. एक तरफ जहां Apple Car चर्चा में है तो वहीं Xiaomi EV का भी लोगों को प्रतीक्षा है. यह कंपनियां स्मार्टफोन मार्केट में दिग्गज साबित हो चुकी है. अब Xiaomi जल्द ही कम कीमत वाली EV मार्केट में उतारने वाली है. शाओमी ने कुछ वक़्त पहले ही Xiaomi EV नाम से एक नई इलेक्ट्रिक व्हीकल फर्म रजिस्टर भी कर ली है.
भारत में बढ़ा EV मार्केटः EV मार्केट भारत में बहुत बढ़ गया है. Mahindra और Tata कंपनियां इसका लाभ उठा रही हैं. Tata की Nexon EV इंडियन मार्केट में धमाल मचा रही है. सरकार ऐसा माहौल बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है जो इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास के लिए अनुकूल हो और इसे ऑटो इंडस्ट्री का समर्थन भी मिला है.
आएगी Xiaomi EV: Xiaomi ने इस बारें में बोला है कि वह EV के लिए प्रोडक्शन और डेवलपमेंट के लिए 10 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने वाली है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शाओमी अपनी पहली EV कार सेडान या SUV कैटेगरी में लेकर आ सकती है. लेकिन अभी तक कंपनी ने कुछ नहीं बोला है.
2024 में सड़कों पर ही दिख रही है Xiaomi EV: Xiaomi Motors को भी बीते वर्ष 1 सितंबर को बीजिंग में रजिस्टर्ड भी कर दिया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 के फर्स्ट क्वार्टर में कंपनी आधिकारिक तौर पर प्रोडक्शन शुरू भी कर दिया है. Xiaomi के सीईओ Lei Jun ने दावा है टेस्टिंग शुरू हो चुकी है और प्लान के मुताबिक, 140 टेस्ट व्हीकल 2024 में पूरे देश में तैनात किए जाने वाले है.
इतनी हो सकती है कीमतः मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो Xiaomi EV का मूल्य 40,000 डॉलर (33,04,174 रुपये से ज्यादा) से ज्यादा होगी. लेकिन कंपनी ने इस पर कुछ नहीं कहा है.
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हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैह व सल्लम ने इरशाद फरमाया----- "मुझे दोजख दिखाई गई मैं ने वहाँ औरतों को ज्यादा पाया वजह यह है कि कुफ़ करती है। सहाबा-ए-किराम ने अर्ज किया, क्या वोह अल्लाह के साथ कुफ़ करती है ? इरशाद फरमाया नही ! वोह शौहर की ना शुकरी करती है (जो के एक तरह का कुफ़ है) और एहसान नहीं मानती, अगर तू किसी औरत से उमर भर एहसान और नेकी का सुलूक करे लेकिन एक बात भी ख़िलाफे तबियत हो जाए तो झट कह देंगी मैंने तुझ से कभी आराम और सुकून नहीं पाया" ।
(बुख़ारी शरीफ, जिल्द 1 बाब नं. 21, हदीस नं. 28, सफा नं 109 )
(हदीस : हज़रत उमर रदीअल्लाहो तआला अन्हो रिवायत है हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया-"तुम को नहीं मअलूम औरत के लिए शिर्क के बाद सब से बड़ा गुनाह शौहर की ना फरमानी है" ।
(गुन्यतुत्तालेबीन, सफा 114 )
लिहाज़ा औरतों को चाहिये कि अपने शौहर की ना शुकरी न करे वरना फिर जहन्नम में जाने के लिए तैयार रहें ।
औरत अगर येह चाहती है कि शौहर को अपना गुरवीदा बनाए रखे तो उस की ख़िदमत में कोताही न करे इस की पुर ख़ुलूस ख़िदमतों को देख कर शौहर खुद ही उस का गुरवीदा हो जाऐगा । हदीस : हज़रत अबूहुरैरा रदौअल्लाहो तआला अन्हों से रिवायत है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया---
"शौहर अपनी बीवी को जिस वक्त बिस्तर पर बुलाए और वोह आने से मना कर दे तो उस औरत पर खुदा के फरीश्ते सुबह तक लअनत करते रहते है" ।
(बुख़ारी शरीफ, जिल्द 3 बाब नं. 115, हदीस नं. 178, सफा नं. 96)
(हदीस :- एक और रिवायत में है कि----"जब शौहर अपनी हाजत (सोहबत) के लिए बीवी को बुलाए तो बीवी अगर रोटी पका रही हो तो उस को लाज़िम है कि सब काम छोड़ कर शौहर के पास हाज़िर हो जाए । (तिर्मिजी शरीफ, जिल्द 1 बाब नं. 788, हदीस नं. 1159, स. 595 ) हदीस :- हज़रत आएशा रीअल्लाहो तआला अन्हा से मरवी है--- "हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में एक जवान औरत हाज़िर हुई और अर्ज़ किया--"या रसूलुल्लाह ! मै जवान औरत हूँ मुझे निकाह के पैग़ाम आते है मगर मैं शादी को बुरा समझती हूँ, आप मुझे बताईए बीवी पर शौहर का क्या हक है" ? आप ने फरमाया--- "अगर शौहर की चोटी से ऐड़ी तक पीप हो और वोह उसे ज़बान से चाटे तो भी शौहर का हक अदा नहीं कर पाऐगी"। उसने पूछा--"तो मैं शादी न करो" ? आप ने फ़रमाया--"तुम शादी करो क्योंकि इस में भलाई है" । (मुकाशेफतुल कुलूब, बाब नं. 95 सफा नं 617 ) आह ! अफसोस आज कल की ज्यादा तर औरतें अपने शौहरों को बुरा भला कहती और गालिया देती है कुछ बे बाक बेशर्म तो अपने शौहर को मारने से भी नहीं चुकती। कुछ अय्यश बदचलन औरतें अपने बीमार शौहर को घर पर छोड़ कर दूसरे मर्दों के साथ रंग रलियाँ मनाने में मस्त रहती है ।
खुदारा एैसी औरतें होश में आए अपने शौहर के मरतबे को पहचाने और इस दुनिया में थोड़ी सी मस्ती, रंगरलियों और थोड़े से झूटे मजे की ख़ातिर हमेशा हमेशा रहने वाली आख़ित की ज़िन्दगी को तबाह व बरबाद न करे ।
एक खास अमल :- जिस शख्स की बीवी उसका कहा न मानती हो ना फरमान, ज़बानदराज, और झगड़ालू होतो वोह शख्ल सोते "अलमानेओ" दिल से बहुत ज्यादा पढ़े बफज़लेहि तआला औरत फरमाबरदार और मुहब्बत करने वालो हो जाएगी । (वजाइफे रजवीया, सफा नं. 224) |
रॅपन्ज़ेल सिंड्रोम एक तरह की मानसिक समस्या है। मेडिकल की भाषा में इसे ट्राइकोबिजोर (पेट में बाल का गुच्छा) नाम से जाना जाता है। यह आमतौर पर लड़कों के मुकाबले कम उम्र की लड़कियों में अधिक पाया जाता है।
मुंबई, मिड डे। महाराष्ट्र के पालघर जिले में बसे शहर वसई (Vasai) के एक निजी अस्पताल में 13 साल की एक बच्ची के पेट से 1. 2 किलोग्राम वजनी बालों का एक गुच्छा निकला है। मंगलवार को डॉक्टरों की यह सर्जरी करीब एक घंटे तक चली। दरअसल, बच्ची पिछले कुछ दिनों से कुछ भी खा या पी नहीं पा रही थी इसलिए उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची रॅपन्ज़ेल सिंड्रोम (Rapunzel Syndrome) से ग्रस्त है, जिसमें इंसान को अपने बाल खाने की आदत होती है। बच्ची के माता-पिता ने सबसे पहले उसका एक प्राइवेट क्लीनिक में इलाज कराया, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं आया। कुछ खाने के बाद ही वह तुरंत उल्टी कर देती थी।
बच्ची की बिगड़ती हालत को देखते घरवाले उसे वसई वेस्ट में स्थित डिसूजा अस्पताल (D'souza Hospital) में लेकर गए। वहां डॉक्टरों ने पहले उसका सोनोग्राफी (Sonography) कराया। रिपोर्ट में पता चला कि उसकी छोटी आंत में बाल के गुच्छे जमा हो गए हैं।
बच्ची का सर्जरी करने वाले डॉ जोसेफ डिसूजा (Dr Joseph D'souza) ने कहा, 'बच्ची के पेट की जांच के बाद सामने आई सोनोग्राफी की रिपोर्ट से सच्चाई का पता चला। मैंने बच्ची के माता-पिता से बात की, तो उन्होंने बताया कि बच्ची को पिछले सात-आठ सालों से अपने बाल खाने और नाखून चबाने की आदत है। इसे रॅपन्ज़ेल सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। '
मिली जानकारी के मुताबिक डॉ डिसूजा ने बताया, 'लगभग डेढ़ घंटे के ऑपरेशन के बाद हम बच्ची के पेट से बालों के गुच्छे को निकालने में कामयाब रहे, जो 32 इंच लंबा, 13 इंच चौड़ा है और 1. 2 किलो वजनी था। इस गुच्छे में भोजन के टुकड़े वगैरह मिले हुए थे। '
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प्रीमियम इलेक्ट्रिक SUV Volvo XC40 Recharge को भारत में Volvo द्वारा पेश किया गया था। यह देश की पहली लग्जरी EV है जो कि भारत में बनाया गया था। बीते साल वोल्वो XC40 रिचार्ज को भारत में पेश किया गया था और जून 2021 में वोल्वो ने वाहन के लिए प्री-बुकिंग लेना शुरू कर दिया। आज के बाद वोल्वो सिर्फ वोल्वो इंडिया की वेबसाइट पर पेश किया जाएगा और सिर्फ नॉर्मल बुकिंग चार्ज के लिए उपलब्ध होगा।
कंपनी की बेंगलुरु में होसकोटे की फैक्ट्री वोल्वो एक्ससी40 रिचार्ज को बनाना भारत में कर रही है। रेंज की बात करें तो एक्ससी 40 रिचार्ज इलेक्ट्रिक एसयूवी सिंगल चार्ज में 418 किमी की दूरी तय कर सकती है और इसे 150 किलोवाट की रेट से तेजी से चार्ज किया जा सकता है।
कंपनी कार पर 3 साल की कंप्रेशिव गारंटी के अलावा वोल्वो में एक थर्ड पार्टी 11kW वॉल बॉक्स चार्जर 8 साल की बैटरी वारंटी, 4 साल की डिजिटल सर्विस मेंबरिशिप, 3 साल का वोल्वो सर्विस पैकेज के साथ तीन साल का रोड साइड एसिस्टेंट भी शामिल होगा। भारतीय बाजार में Volvo XC40 रिचार्ज का मुकाबला प्रीमियम मॉडल Kia EV6, BMW i4 और Mini Cooper SE से हो सकता है।
स्पेसिफिकेशंस की बात की जाए तो Volvo XC40 में ट्विन मोटर पावरट्रेन के साथ 78kWh की बैटरी दी गई है। इसमें 150kW रैपिड चार्जिंग कैपेसिटी की बदौलत बैटरी पैक सिर्फ 33 मिनट में 10 से 80 प्रतिशत चार्ज कर सकता है। एक 50kW फास्ट चार्जर के जरिए 2. 5 घंटे में पूरी तरह से चार्ज किया जा सकता है। इंजन 480bhp पीक पावर और 660Nm पीक टॉर्क जनरेट करता है। एक्ससी 40 रिचार्ज महज 4. 9 सेकंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड पकड़ सकती है। XC40 रिचार्ज का ड्यूल मोटर कॉन्फिगरेशन भी AWD लेआउट के साथ आ सकता है। XC40 रिचार्ज एक बार चार्ज करने पर ARAI सर्टिफाइड 418 किलोमीटर की रेंज दे सकता है।
फीचर्स की बात करें तो प्राइमेरी इंफोटेनमेंट सिस्टम अब एंड्रॉयड बेस्ड है और एक्ससी40 रिचार्ज एक्ससी60 से डिजिटल डिस्प्ले की एक नई सीरीज शामिल करता है जो कि काफी फास्ट है। गूगल प्ले स्टोर से कुछ ऐप्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है और ऑनबोर्ड ई-सिम के जरिए बेस्ड हो सकता है। पैनोरमिक सनरूफ, वायरलेस फोन चार्जिंग, लेवल 2 ऑटोनॉमस ड्राइविंग के साथ सेंसर-बेस्ड एडीएएस टेक्नोलॉजी, लिंक्ड कार टेक्नोलॉजी, ड्राइवर-साइड मेमोरी के साथ पावर्ड फ्रंट सीट्स, और एक हाई-एंड हरमन कार्डन साउंड सिस्टम सभी में शामिल हैं।
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सरकारी तेल कंपनियों ने आज पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है. पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Petrol-Diesel price) लगातार 13वें दिन भी स्थिर रहीं. हालांकि, पेट्रोल-डीजल के दाम अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. दिल्ली में पेट्रोल का दाम (Petrol Price in Delhi) 91. 17 रुपए जबकि डीजल का दाम 81. 47 रुपए प्रति लीटर है. वहीं, मुंबई में पेट्रोल की कीमत 97. 57 रुपए और डीजल की कीमत 88. 60 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुकी हैं.
बता दें तेल कंपनियां हर रोज सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Today Petrol-Diesel Price) तय करती हैं. सुबह छह बजे से ही नई दर लागू होती है. पेट्रोल और डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और दूसरे टैक्स जोड़ने के बाद ही रिटेल में इसकी बिक्री होती है. पेट्रोल और डीजल रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं. डीलर कमीशन पेट्रोल पंप वाले लोगों का होता है. एक्साइज ड्यूटी का बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार वसूलती है. वहीं, वैट राज्य वसूलते हैं.
पेट्रोल-डीजल की कीमत आप एसएमएस के जरिए भी जान सकते हैं. इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, आपको RSP और अपने शहर का कोड लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा. हर शहर का कोड अलग-अलग है, जो आपको आईओसीएल की वेबसाइट से मिल जाएगा.
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होली का त्योहार अगले सप्ताह देश-दुनिया में धूमधाम से मनाया जाएगा। उससे पहले टेक कंपनियां भी अपने गैजेट पर बंपर ऑफर देने लगी हैं। होली के इस खास मौका पर iPhone 11 को खरीदने का शानदार मिल रहा है। होली ऑफर के तहत आप आईफोन 11 को महज 41,900 रुपये में खरीद सकते हैं, जबकि वास्तविक कीमत 54,900 रुपये है। इस ऑफर के साथ आईफोन को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों स्टोर से खरीदा जा सकेगा। होली ऑफर के तहत आईफोन 11 के अलावा iPhone 12 mini और iPhone 12 पर भी बढ़िया डिस्काउंट मिल रहा है।
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RR vs RCB: आईपीएल 2023 में रविवार यानी आज दो मुकाबले खेले जाएंगे। पहले मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स का मुकाबला रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से होगा। दोनों टीमों के बीच यह मुकाबला जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेला जाएगा।
RR vs RCB: आईपीएल 2023 में रविवार यानी आज दो मुकाबले खेले जाएंगे। पहले मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स का मुकाबला रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से होगा। दोनों टीमों के बीच यह मुकाबला जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेला जाएगा। प्ले-ऑफ में जगह बनाने के लिहाज से यह मुकाबला दोनों ही टीमों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। राजस्थान रॉयल्स ने अब तक 12 में से 6 मैच जीते हैं, जबकि दूसरी तरफ आरसीबी ने 11 मुकाबलों में से 5 में जीत दर्ज की है। ऐसे में दोनों टीमों के बीच एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।
कैसा हैं दोनों टीमों का हेड टू हेड रिकॉर्डः
इस सीजन में दोनों ही टीमों का प्रदर्शन लगभग एक जैसा ही रहा हैं। दोनों ही टीमें प्ले-ऑफ की रेस में बनी हुई हैं। राजस्थान रॉयल्स ने अब तक 12 में से 6 मैच जीते हैं, जबकि दूसरी तरफ आरसीबी ने 11 मुकाबलों में से 5 में जीत दर्ज की है। ऐसे में दोनों टीमों के बीच एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। अगर बात करे दोनों टीमों के हेड टू हेड रिकॉर्ड की तो अब तक कुल 29 मुकाबले खेले जा चुके हैं, जिसमें 14 बार आरसीबी ने जीत दर्ज की है, जबकि 12 बार राजस्थान रॉयल्स की टीम बाजी मारने में कामयाब हुई हैं। इनके अलावा 3 बेनतीजा रहे हैं।
जायसवाल बनाम डुप्लेसिस होगा मुकाबलाः
बता दें दोनों ही टीमों के पास ओपनिंग जोड़ी बहुत खतरनाक हैं। जहां एक तरफ राजस्थान के पास जोस बटलर और यशस्वी जायसवाल जैसे धाकड़ खिलाड़ी मौजूद हैं। वहीं दूसरी तरफ आरसीबी के लिए ओपनिंग में कोहली और डुप्लेसिस की जोड़ी अपना जलवा दिखा रही हैं। ऐसे में आज होने वाले इस मुकाबले में जायसवाल बनाम डुप्लेसिस रोचक भिड़ंत देखने को मिलेगी। इस मैच में राजस्थान की टीम अपने होम ग्राउंड पर आरसीबी के मुकाबले कुछ मजबूत नज़र आ रही हैं।
कब और कैसे देखें मैच की लाइव स्ट्रीमिंगः
बता दें राजस्थान रॉयल्स और आरसीबी के बीच यह मैच जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेला जाना है। आईपीएल 2023 में खेले जाने वाले मैचों का लाइव प्रसारण पिछले सीजन की तरह स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क पर किया जाएगा। यह प्रसारण एसडी और एचडी दोनों में होगा। इसका विवरण हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध रहेगा। आईपीएल 2023 के मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग जियो सिनेमा एप पर फ्री में उपलब्ध रहेगी।
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कोरोना संक्रमित व्यक्ति झारखंड के लोहरदगा दिल्ली से पहुंचा तो वहां हड़कंप मच गया। मिली जानकारी के मुताबिक युवक किस्को मोड़ का रहने वाला है और पिछले 12 दिनों से अपने परिवार के साथ रह रहा था। बताया जा रहा है कि दिल्ली में हुई सैंपल जांच के बाद लोहरदगा सदर अस्पताल में भी जांच हुई, जिसमें शख्स की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
मामले में पति के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी के बाद पत्नी दो बच्चों के साथ घर से भाग कड़ी हुई है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक टीम महिला को ढूंढ़ने में जुटी हुई है। बता दें कि संक्रमित पति को कोविड-19 केयर सेंटर चिरी में भर्ती कराया गया है। संक्रमित युवक के सम्बन्ध में बताया जा रहा है कि वह दिल्ली में किसी कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड का नौकरी करता था।
युवक ने दिल्ली में कोरोना की जांच कराई थी उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद बाद उसे दिल्ली में क्वारंटाइन किया गया था। एक दिन वह मौका देखकर दिल्ली से फरार हो एक प्राइवेट टैक्सी से लोहरदगा पहुंच गया था। जिसके बाद लोहरदगा के में किराये के मकान में पत्नी और दो बच्चों के साथ रह रहा था। इधर इतने दिन पत्नी और बच्चे भी उसके साथ रह चुके हैं इसलिए उनकी तलाश की जा रही है ताकि उनकी भी जांच कराई जा सके।
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जोधपुर । शौर्य, पराक्रम, अनुपम लोक संस्कृति और मनोहारी परम्पराओं के साथ ही कई विलक्षण थातियों से भरे जोधपुर का 565 वा स्थापना दिवस शुक्रवार को विभिन्न मनोहारी एवं आकर्षक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया।
जोधपुर स्थापना दिवस पर जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विभिन्न कार्यक्रम हुए।
जोधपुर स्थापना दिवस पर रन फॉर जोधपुर का आयोजन शुक्रवार सुबह किया गया। इसमें महापौर कुन्ती देवड़ा परिहार की उपस्थिति में अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेंद्र डांगा, बीएसएफ के अधिकारी एमएस खींची, श्री नरेश जोशी, पर्यटन विभाग के उपनिदेशक भानुप्रताप, सहायक निदेशक डॉ. सरिता फिड़ोदा सहित पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। इनके साथ ही शहर की विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों, बीएसएफ के कैमल कॉन्टिजेंट आदि ने भी अयोजन में हिस्सा लिया।
रन फॉर जोधपुर के दौरान विभिन्न लोक कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से स्थापना दिवस दौड़ को सांस्कृतिक रस-रंगों से भर दिया। रन फॉर जोधपुर शहर में घंटाघर से आरंभ हुई तथा मुख्य मार्गों से होते हुए श्री उम्मेद राजकीय स्टेडियम पहुंच कर सम्पन्न हुई।
लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां ने बिखेरा आकर्षण -जोधपुर स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में शहर के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर लोक कलाकारों के समूहों द्वारा लोकवाद्यों की सुमधुर स्वर लहरियों पर पेश की जाती रही लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां ख़ासे आकर्षण का केन्द्र बनी रही। इनका लुत्फ उठाने देशी-विदेशी पर्यटकों एवं स्थानीयों का तांता लगा रहा। पर्यटन विभाग की सहायक निदेशक डॉ. सरिता फिड़ोदा ने बताया कि स्थापना दिवस के अवसर पर शहर के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर लोक कलाकारों द्वारा दिनभर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
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महेन्द्र भारती रेवाड़ी । श्रीमती संतरा देवी हैल्थ एंड एजूकेशन ट्रस्ट और अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में गांव मोहनपुर में विभिन्न बिमारियों की जांच हेतु निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन डॉ. सरत गोपालन ने किया। शिविर में आंखों व सिलियेक रोग के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीजों की जांच की गई तथा उन्हें उचित परामर्श दिया गया। इस अवसर पर एम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राघव गुप्ता ने कहा कि इस पकार के स्वास्थ्य शिविर लगाकर जरूरतमंद मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं पदान करना बहुत बड़ी मानव और राष्ट्रसेवा है। आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में आंखों के मरीजों की संख्या में बढोतरी हो रही है और बच्चों में भी इस बीमारी के लक्षण पाए जाने लगे हैं, जिसका मुख्य कारण नजदीक से टीवी देखना तथा कंप्यूटर का इस्तेमाल करना है। उन्होंने समाज के लोगों से आ"ान किया कि वे स्वयं और अपने बच्चों के टेलीविजन देखने के समय निर्धारित दूरी पर बैठकर ही टीवी देखने के लिए पेरित करें, क्योंकि नजदीक से टेलीविजन देखने से नेत्र ज्योति पर असर पडता है। पदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि आज हर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है। पिछले नेत्र जांच शिविर में आए मरीजों के नेत्रों की जांच भी की गई तथा उचित परामर्श दिया गया। शिविर में भोज्य पदार्थ विशेषज्ञ और अध्यक्ष सिलियेक सोसायटी नई दिल्ली की ईशी खोसला ने रोगियों की जांच करते हुए कहा कि सिलियेक नामक रोग ग्लूटिन नाम पोटीन की एलर्जी के कारण होता है और ग्लूटिन वाले खाद्य पदार्थों से परहेज ही इस रोग का स्टीक ईलाज है। उन्होंने बताया कि इस रोग के कारण हमारी आंतडियों को हानि पहुंचती है, जिसके कारण खाना पचाने की क्षमता कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप दस्त, पेट दर्द, खून की कमी और शरीर का विकास ठीक से नहीं हो पाता। उन्होंने बताया कि इस रोग वाले मरीजों के लिए गेंहू कस आटा, मैदा, सूजी, राई, जौ, सेवई, ब्रैड, नूडल्स, बिस्कुट, दलिया, पिज्जा, पैटीज, गेंहू के आटे से बने पदार्थ, समोसा, मठरी, जलेबी, गुलाब जामुन, हींग का सेवन नहीं करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस रोग के रोगी चावल, बाजरा, ज्वार, रागी, अरारोट, आलू, मक्की, साबूदाना, सोयाबीन आटे का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इनमें ग्लूटिन नहीं पाया जाता।
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सूत्रों के अनुसार चीन से आने वाले कई ऐसे आइटम है जिसका निर्माण भारत में आसानी से किया जा सकता है, मगर चीन से आसानी से उपलब्ध होने का कारण उन आइटम के निर्माण की दिशा में देश के उद्यमियों की ओर से प्रयास नहीं की गई। कॉस्मेटिक उत्पाद के मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े उद्यमियों ने बताया कि लिपस्टिक और सिंदूर के साथ एक बहुत ही छोटा ब्रश जैसे आइटम लगाए जाते हैं जिससे उसके प्रयोग में महिलाओं को आसानी हो सके। इस एक ब्रश की कीमत 10-15 पैसे होती है। वैसे ही, महिलाएं आई-लाइनर लगाने के लिए जिस ब्रश का प्रयोग करती है, वह भी चीन से ही आता है। चीन से मंगाने में इसकी कीमत 28-30 पैसे आती है। ये ब्रश भारत में नहीं बनते हैं और भारत के कास्मेटिक मैन्यूफैक्चरर्स इस प्रकार के ब्रश को मंगाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए चीन को दे देते हैं।
उद्यमियों ने कहा कि सेनिटाइजर रखने में प्रयोग होने वाले ट्रिगर पंप तक चीन से आ रहे हैं। उद्यमियों ने कहा कि चीन में 7 रुपए में बिकने वाले ट्रिगर पंप को चीन भारत में 30 रुपए में भेज रहा है। उद्यमियों के अनुसार कई ऐसे केमिकल है जिसका उत्पादन भारत में होता ही नहीं है जबकि उनके बिना कास्मेटिक के कई चीजों को बनाना संभव ही नहीं है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार चीन से आने वाले इन-इन छोटे आइटम को चिन्हित किया जा रहा है। इन वस्तुओं के उत्पादन को देश में शुरू करवाने के लिए मशीन की खरीदारी एवं फिनिशिंग में चीन के समतुल्य लाने के लिए ऑटोमेशन में उद्यमियों की सहायता सरकार की ओर से की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार अभी उद्यमियों की सहायता योजना पर विचार किया जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार फिनिश्ड उत्पाद के निर्माण के लिए चीन से निर्भरता को खत्म करने के लिए भारत में ही पूरी सप्लाई चेन स्थापित करनी होगी। सप्लाई चेन के तहत सैकड़ों छोटे-छोटे आइटम हैं जिनकी थोक कीमत एक रुपए से कम है। एमएसएमई मंत्रालय की सहायता से इस तरह के उत्पादों के निर्माण की शुरुआत से भारी संख्या में रोजगार भी निकलेंगे।
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भोजपुरः चचेरे भाई ने बहन के साथ चार साल से कर रहा था यौन शोषण, बच्चे की मां बन गई पीड़िता, कई बार रेप करने के बाद शराब पीकर मारपीट किया, पति के बाद भाई ने दिखा धोखा!
पुलिस ने आरोपित चचेरे भाई को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपित ध्रुर्व शर्मा उर्फ दीपू शर्मा चरपोखरी स्थित एक गांव का निवासी है।
पटनाः बिहार में भोजपुर जिले के नवादा थाना क्षेत्र से रिश्ते को कलंकित करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक द्वारा अपनी ही चचेरी बहन का चार सालों तक यौन शोषण किया गया। वहीं, रिश्ते को कलंकित करने वाली इस घटना के बाद पीडिता चचेरी बहन अपने ही चचेरे भाई के एक बच्चे की मां बन गई।
वहीं, भाई से धोखा खाने के बाद पीड़िता ने अपने चचेरे भाई के विरुद्ध नवादा थाना में नामजद प्राथमिकी कराई है। पीड़िता ने चचेरे भाई पर यौन शौषण करने और शराब पीकर मारपीट किए जाने का आरोप लगाया है। पुलिस ने आरोपित चचेरे भाई को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपित ध्रुर्व शर्मा उर्फ दीपू शर्मा चरपोखरी स्थित एक गांव का निवासी है।
आरोपित भाई नवादा थाना क्षेत्र के एक मोहल्ला में ही किराए पर रहता था। पुलिस के अनुसार पीड़िता की पूर्व में शादी हुई थी। इसके बाद एक बच्चा भी हुआ। बाद में वह पति से अलग हो गई थी। महिला कोर्ट के माध्यम से भरण-पोषण का खर्चा पति से ले रही थी। इसी दौरान वह अपने चचेरे भाई के संपर्क में आ गई।
इसके बाद वह उसके साथ किराए के मकान में रहने लगी। इस दौरान चचेरे भाई ने कई बार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को शर्मशार किया। आरोपित चचेरी बहन को पत्नी के रूप में रखता था। पड़ोसियों तक को अपने रिश्ते की भनक नहीं लगने दी। पीड़िता का आरोप है कि यौन शोषण के दौरान उसका एक बच्चा भी हुआ है।
नवादा के थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि इस मामले पुलिस ने यौन शोषण और उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। पीड़िता को बहला-फुसलाकर और झांसे में लेकर यौन शोषण किया गया है। शिकायत के बाद तत्काल प्राथमिकी करते हुए आरोपित की गिरफ्तारी की गई है।
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KANPUR : कलक्ट्रेट में बुधवार को उत्पीड़न से परेशान चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने जहर खा लिया। कुछ ही देर में कर्मचारी की हालत बिगड़ गई तो साथी कर्मचारियों में हड़कम्प मच गया। फौरन उसे उर्सला हॉस्पिटल में एडमिट कराया। जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। एडीएम सिटी और सीओ कोतवाली ने उर्सला जाकर मामले की जानकारी की। कर्मचारी ने सीनियर ऑफिसर्स पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।
रावतपुर में रहने वाले अनिल दीक्षित शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। वो प्राथमिक विद्यालय मसवानपुर में कार्यरत हैं। एमएलसी चुनाव में उसे कलक्ट्रेट ऑफिस से संबद्ध कर दिया था। अनिल का आरोप है कि चुनाव खत्म होने के बाद भी उसे उसके मूल विभाग में नहीं भेजा गया। साथ ही निर्धारित ड्यूटी से ज्यादा समय तक काम लिया जाता है। छुट्टी भी नहीं मिल रही है। ख्7 अप्रैल को अनिल की बेटी की शादी भी है। ऑफिस में ज्यादा समय लेने और छुट्टी न मिलने के कारण वो शादी की तैयारियां नहीं कर पा रहे हैं। अनिल ने अपनी पीड़ा अधिकारियों के सामने रखी कोई सुनवाई नहीं हुई जिससे वे मानसिक प्रताडि़त हो गए। बुधवार को अनिल दीक्षित ऑफिस गया और फिर से अपनी समस्या रखी लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। जिससे क्षुब्ध होकर उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। एडीएम सिटी अविनाश सिंह और सीओ कोतवाली जितेंद्र श्रीवास्तव कर्मचारी का हाल जानने उर्सला पहुंचते तो उसने उत्पीड़न का आरोप लगाया।
अनिल दीक्षित के जहरीला पदार्थ खाने का पता चलते ही उनके साथी और कर्मचारी संघ के पदाधिकारी भी उर्सला पहुंच गए। उन्होंने उत्पीड़न के विरोध में गुरुवार को हड़ताल पर रहने का फैसला किया है।
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(ज) विभक्तिसूचक प्रत्यय एवं परसर्ग से रहित केवल मूल एकवचन शब्द रूपों का
व्यवहार, यथातुलसी प्रीषु निहारि जहाँ तहाँ बृजनारि ठगी ठाढ़ी मग लिये रीते भरे घट हैं
झ विभक्तिसूचक प्रत्यय एवं परसर्ग से रहित ऐसे रूपों का व्यवहार जो बहुवचन सूचक प्रत्यय के संयोग से बने हैं, यथा निम्नलिखित पंक्ति में प्रयुक्त कमलनि
लोने लोने धनुज विसिष कर कमलनि लोने मुनि पट कटि लोने सरघर है 10
सम्बोधन कारक :
इस कारक के रूपों के सम्बन्ध में यह समझ लेना आवश्यक है कि तुलसी ने केवल कुछ स्थलों को छोड़कर जहाँ पर संस्कृत संज्ञाओं के रूप प्रयुक्त हो गये हैं, प्रायः सम्बोधन का अर्थ व्यक्त करने के लिये शब्दों के मूल रूपों को विकृत नहीं किया केवल कहीं-कहीं पर हे, रे तथा री, आदि शब्दों को इन रूपों के पहले स्थान देकर उन्होंने उक्त संबोधनार्थ को व्यक्त किया है । वैसे तो सामान्यतः कर्ताकारक में प्रयुक्त होने वाले मूल शब्द रूप, बिना संबोधनसूचक चिन्हों के व्यवहृत किये गये हैं। उनकी समस्त रचनाओं में यही प्रवृत्ति दृष्टिगोचर होती है । साथ ही उनमें एक महत्वपूर्ण बात यह भी पाई जाती है कि प्रायसः 'हे' शब्द का प्रयोग शिष्टता तथा आत्मीयता का भाव तथा रे' का प्रयोग घृणा अथवा तुच्छता का भाव व्यसक्त करने के उद्देश्य से किया गया है। 'रे' के द्वारा चेतावनी काभी भाव अभिव्यक्त करने की चेष्टा की गयी है। कहीं-कहीं अन्य कारक रूपों की भाँति इस कारक में भी संस्कृत संज्ञाओं के सम्बोधन कारक रूप प्रयुक्त हो गये
1- श्रीकृष्ण गीतावली 20 |
महाराष्ट्र के नागपुर में एक क्विज शो में इनाम जीतने के नाम पर महिला से ठगी का मामला सामने आया. महिला के पास एक फोन कॉल आया, जिसमें कहा गया कि उसने टीवी में दिखाए जाने वाले एक क्विज शो में इनाम के तौर पर 25 लाख रुपये जीत लिए हैं. महिला इस फोन कॉल के झांसे में आ गई और उसे 2. 15 लाख की चपत लग गई.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ये पूरा मामला नागपुर के कलमना थाना क्षेत्र का है. जहां 39 वर्षीय एक महिला के पास 2 फरवरी को एक फोन कॉल आया. फोन करने वाले ने अपना नाम हरजीत सिंह बताया. उसने महिला से कहा कि उसने टीवी क्विज शो में 25 लाख जीत लिए हैं, लेकिन ये रकम हासिल करने के लिए उसे कुछ पैसे जमा करने होंगे.
फोन करने वाले हरजीत ने महिला से फोन पर संपर्क किया और कहा कि इनाम की रकम बड़ी है, इसलिए उसे टैक्स के तौर पर 2. 15 लाख रुपये पहले डिपॉजिट करने होंगे. जिसके बाद महिला ने 2. 15 लाख रुपये फोन करने वाले के बताए गए अलग-अलग खातों में जमा करा दिए.
हरजीत ने कहा था कि 8 फरवरी तक इनाम की रकम उसके खाते में आ जाएगी. लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी जब 25 लाख महिला के खाते में नहीं आए तो उसे खुद के ठगे जाने का अहसास हुआ. यहां तक कि फोन करने वाले ने अपना नंबर भी बंद कर लिया.
2. 15 लाख रुपये ठगे जाने के मामले में महिला ने नागपुर के कलमना पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. फिलहाल पुलिस ने केस दर्ज जांच शुरू कर दी है. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। यहां पर जहां एक तरफ हर क्षेत्र की बोलियों में विभिन्नता पाई जाती है वहीं हर क्षेत्र के तीज−त्यौहारों में भी भिन्नता मिलती है। किन्तु कुछ ऐसे भी धार्मिक त्यौहार तथा धार्मिक पुरुषों की याद मनाने वाले दिवस होते हैं, जिन्हें मनाते हुए पूरे भारतवर्ष में एकरूपता की झलक मिलती है। मनुष्य के रास्ते अलग हैं, किन्तु मंजिल एक है, इंसानियत को मानव एकता का यह पैगाम देने वाले महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की याद में राजस्थान के अजमेर शहर में मनाया जाने वाले सालाना उर्स में सभी धर्मों के लोगों का जमावड़ा लगता है।
गरीबों के हिमायती और इंसानियत के मसीहा ख्वाजा के इस उर्स में देश−विदेश के मुसलमान तो जुटते ही हैं साथ ही अन्य धर्मों के श्रद्धालु भी बाहर से आते हैं। अमीर, गरीब, बच्चे एवं बूढ़े सभी लोग श्रद्धा से ख्वाजा की मजार पर शीश झुकाकर दुआ मांगते हैं। मध्य एशिया के सीस्तान कस्बे में नौ रजब 530 हिजरी 1143 ई. को एक साधारण कस्बे में जन्मे ख्वाजा साहब के पूर्वज संजार कस्बे में रहते थे इसलिए उन्हें संजरी भी कहा जाता है। उनके खानदान के ख्वाजा इसहाक शामी हिरात के पास चिश्त कस्बे में रहने के कारण उन्हें चिश्ती के नाम से भी जाना जाता है। चौदह वर्ष की अल्पायु में माता बीबी महानुर का इंतकाल होने तथा इसके कुछ दिनों बाद ही पिता गयासुद्दीन का साया सिर से उठने से वह एक तरह से बेसहारा हो गये। ख्वाजा साहब को दो पत्नियों बीबी अमातुल्ला और बीबी अस्मत शरीक से तीन बेटे और एक बेटी हुई।
महान संत हजरत शेख इब्राहिम कंदौजी से अध्यात्म की प्रेरणा पाने के बाद ख्वाजा को दुनियादारी बेमानी लगने लगी। सत्य एवं ज्ञान की खोज में वह विभिन्न देशों की यात्रा करते हुए मक्का पहुंचे। हज के बाद उनकी मुलाकात मशहूर संत शेख उस्मान हारूनी से हुई और वह उनके शिष्य बन गये। करीब 52 वर्ष की उम्र में ख्वाजा साहब को उनके गुरु ने इस दीक्षा के साथ अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया कि दीन दुखियों की सेवा करना, भूले भटकों को राह दिखाना और मायारूपी संसार की बुराइयों से बचाना एक संत का मुख्य धर्म है।
ख्वाजा मोईनुद्दीन अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भारत आए और अजमेर में अपना बसेरा बनाया। लोगों को एकता, भाईचारे और इंसानियत की राह पर चलने की सीख देने वाले ख्वाजा की ख्याति कुछ ही समय में चारों और फैल गई और पूरे भारतवर्ष से संत उनके पास आने लगे। ख्वाजा साहब ने साधारण जीवन जीया। कभी भरपेट खाना नहीं खाया और संत के रूप में तमाम उम्र एक ही वस्त्र में गुजार दी। वस्त्र के फटने पर वह उसमें पैबंद लगा लिया करते थे। कहा जाता है कि पैबंद लगने के कारण उनका पहनावा इस कदर भारी हो गया कि उनके इंतकाल के बाद जब इसे तौला गया तो इसका वजन करीब साढ़े बारह सेर था। ख्वाजा साहब एक दिन में दो बार पूरी कुरान पढ़ जाते थे उन्होंने अपने जीवन में 51 बार हज की पैदल यात्रा की। ख्वाजा साहब ने अनीसुल अरवाह और एक अन्य पुस्तक लिखी। इन पुस्तकों में जहां ख्वाजा साहब के उच्च आध्यात्मिक विचारों के दर्शन होते हैं, वहीं रहस्यवाद पर इन्हें विश्व में उच्च कोटि की पुस्तकों में शुमार किया जाता है। ख्वाजा साहब एक आला दर्जे के शायर भी थे। उनकी कविताओं का एक संग्रह दीवान−ए−मोईन के नाम से प्रकाशित भी हो चुका है। इसमें ख्वाजा साहब की करीब 250 कविताएं संग्रहित हैं।
यह महान संत जीवन के अंतिम क्षण 6 रजब 633 हिजरी की रात इशा की नमाज के बाद अपनी कुटिया का दरवाजा बंद कर इबादत में मशगूल हो गया। रात बीतने तक उनकी आवाज आती रही, लेकिन अंतिम पहर में आवाज अचानक बंद हो गई। दिन निकलने तक जब कुटिया का दरवाजा नहीं खुला तो उनके शिष्यों को चिंता हुई। दरवाजा तोड़ने पर पता चला कि इंसानियत के मसीहा ने देह का चोला उतार फेंका था। दुनिया की इस अजीम हस्ती की याद में उस स्थान पर एक दरगाह का निर्माण किया गया जो आज देश भर में विख्यात है। बहुरंगी चित्रकारी एवं नक्काशी से बनी यह दरगाह पूरी तरह संगमरमर की है। इसके ऊपर एक आकर्षक गुम्बद है जिस पर एक सुनहरा कलश है। मजार पर मखमल की गिलाफ चढ़ी हुई है और इसके चारों ओर परिक्रमा के स्थान पर चांदी के कटघरे बने हुए हैं। यहीं वह पावन स्थल है जिसे देखने हजारों मील दूर से जायरीन आते हैं और स्वयं को ख्वाजा के निकट पाकर सफर की थकान भूल जाते हैं।
गौर करने लायक बात यह है कि ख्वाजा साहब की मजार−ए−मुबारक बहुत दिनों तक कच्ची बनी रही। मजार को भव्य रूप उनके शिष्यों द्वारा दिया गया। दरगाह के गुम्बद की नक्काशी सुल्तान महमूद बिन नासिरूद्दीन ने कराई और मजरी का दरवाजा बादशाह मांडू ने बनवाया। मजार के अंदर सुनहरा कटहरा बादशाह जहांगीर और दूसरा कटहरा शहजादी जहांआरा बेगम द्वारा चढ़ाया हुआ है। मजार पर लगा दरवाजा मुगल बादशाह अकबर ने भेंट किया। इसके छत पर मखमल की छतरी भी लगी हुई है। उर्स के दिनों में जायरीनों के दर्शन के लिए खोला जाने वाला बुलंद दरवाजा भी अति मनोहर है। हिजरी 1047 में मुगल बादशाह शाहजहां ने लाल पत्थर से नक्कार खाना शाहजहांनी बनवाया। इसके ऊपरी हिस्से में अकबरी नक्कारखाने रखे हुए हैं। सुल्तान महमूद खिलजी द्वारा बुलंद दरवाजा हिजरी 700 में बनवाया गया। यह दरवाजा करीब 85 फीट ऊंचा है। दरवाजे की बुर्ज पर ढाई फीट लम्बे सुनहरे कलश लगे हुए हैं। शाहजहां द्वारा बनाए नक्कारखाने का निर्माण 131 हिजरी में हैदराबाद के नवाब मीर महबूबअली खां ने करवाया था। 70 फीट ऊंचे दरवाजे वाले इस नक्कारखाने में प्रति दिन पांच बार नोबत बजाई जाती है। उर्स के दिनों में कव्वालियों के लिए बने महफिल खाने का निर्माण आज से 106 वर्ष पूर्व हैदराबाद के नवाब बगीरूद्दौल ने कराया था। मुगल बादशाह अकबर द्वारा भेंट किया गया सहन चिराग दरगाह के प्रवेश द्वार पर बुलंद दरवाजे के सामने रखा गया है। बुलंद दरवाजे के पश्चिम में रखी गई बड़ी देग मुगल बादशाह अकबर की देन है।
प्रति वर्ष उर्स की शुरुआत पहले रजब को चांद नजर आने पर नक्कारों और शहनाईयों की मधुर धुनों से होती है। उर्स के प्रारंभ में एक विशेष झंडा भी फहराया जाता है। जन्नती दरवाजा भी विशेष तौर से इन्हीं दिनों में ही खोला जाता है। रोजाना दरगाह शरीफ को गुलाबी जल से धोया जाता है और इसके ऊपर इत्र छिड़का जाता है। कहा जाता है कि 6 दिन उर्स मनाए जाने के पीछे ख्वाजा साहब के निधन की तिथि की अनिश्चितता है। यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि उनका देहांत किस दिन और किस विशेष घड़ी में हुआ। इसलिए ख्वाजा साहब का उर्स 6 दिनों तक मनाया जाता है। उर्स के दिनों में ख्वाजा साहब की मजार पर अनगिनत चादरें चढ़ाई जाती हैं। चादर चढ़ाने के पीछे मान्यता यह है कि जो व्यक्ति अपनी मनोकामना पूरी करता है वह चादर चढ़ाना या देग लुटवाना जैसी रस्म निभाता है। उर्स के दौरान पूरे 6 दिनों तक रात भर कव्वालियां गूंजती हैं और इसमें देश−विदेश से आने वाले कव्वाल भाग लेते हैं। इस प्रकार हिन्दुओं के धार्मिक स्थल पुष्कर से कुछ दूरी पर स्थित ख्वाजा साहब का यह स्थल सर्वर्धम सद्भाव की प्रेरणा देता है।
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आज की जिंदगी भागमभाग वाली जिंदगी हो चुकी है। चाहे वह ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में हो, अच्छा परीक्षा परिणाम पाने का हो या फिर अच्छी लाइफ स्टाइल जीने के लिए हो सभी को भागने की जल्दी रहती है। और इस भाग-दौड़ में सबसे महत्वपूर्ण स्थान घड़ी की होती है। लेकिन सिर्फ दीवार पर लगी घड़ी लगाने भर से हम जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त नहीं करते, बल्कि उसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।
तो आइए जानते हैं घड़ी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें जो निश्चित ही आपके जीवन की सारी परेशानियां दूर करके आपको ऊंचाइयों पर ले जाएगी और सफलता निरंतर आपके कदम चूमेगी।
- घड़ी पश्चिम दिशा में भी लगा सकते हैं, लेकिन दक्षिण दिशा की दीवार पर कभी भी भूल कर भी घढ़ी न लगाएं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अगर आप दक्षिण की दीवार पर घड़ी लगाते हैं तो आपका ध्यान बार-बार दक्षिण दिशा की ओर जाएगा और दक्षिण दिशा से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा से आपके कार्य में निरंतर परेशानी आती रहेगी।
- घड़ी हमेशा उत्तर या पूर्व की दीवार पर ही लगाएं।
- हमेशा घड़ी को ऐसी जगह लगाएं, जहां से वह सभी को आसानी से दिखाई दे सकें।
- दीवारी घड़ी की नियमित रूप से साफ-सफाई करते रहें, उस पर धूल जमा न होने दें।
- अगर आपने अपने हॉल को सजाने के लिए मधुर संगीत या मधुर आवाज उत्पन्न करने वाली घड़ी पसंद की है तो ऐसी घड़ी हमेशा घर के ब्रह्मस्थान स्थित लॉबी में लगाएं। इससे आपको बहुत फायदे होंगे।
- ऐसी घड़ी को तुरंत बदल देना चाहिए जिसका शीशा टूटा हुआ हो, ऐसी घड़ी घर में रखने से इसका परिवार के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जवारे सोली पूनावाला और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ फेमा के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करते हुए मुंबई के वर्ली स्थित सीजे हाउस में स्थित 41. 64 करोड़ रुपये की तीन अचल संपत्तियों को जब्त किया है। ईडी ने जावरे सोली पूनावाला और उनके परिवार के खिलाफ फेमा के प्रावधानों के तहत लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के दुरुपयोग के मामले की जांच कर रही है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रत्नागिरी जिले के दापोली में एक रिसॉर्ट के निर्माण से जुड़े कथित धनशोधन मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल परब के एक सहयोगी के खिलाफ सोमवार को यहां एक विशेष अदालत के समक्ष अपना आरोपपत्र दाखिल किया। आरोप पत्र परब के सहयोगी सदानंद कदम और पूर्व उप-विभागीय अधिकारी जयराम देशपांडे के खिलाफ दायर किया गया है। जांच एजेंसी ने इस मामले में परब से भी पूछताछ की थी।
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मे सदैव मेरे पीछे खड़ी हो और शुभचिन्तक भी छूट गए है। बहुत से अपरिचित छात्र है, हिंदी विभाग के दूसरे विभागों के है। वे कभी मिलते है तो सम्मान करत है । उनक स्नेह का हूँ । मैं यह मानता हूँ कि स्नेह क सम्बल से हमाग जीवन यात्रा चलती रहती है ।
औग्गाबाद नगर तो अब मग नगर है। नगर के प्रति काफी सामग्री जोडकर रखी है। इतिहास - भृगाल दोनो विषयों का अपना आकर्षण है। समय के साथ दिया तो औरंगाबाद पर स्व पुस्तक प्रकाशित करूंगा । औरंगाबाद को मैं दक्षिण की दिल्ली मानता हूँ । दोनो नगरो मे बहुत साम्य है। शाहजहाबाद पुरानी दिल्ली और लाल किला शाहजहाँ के समय के है। इसी तरह औरंगाबाद और किले-आर्क औरगज के समय के हैं। शाहजहाँबाद को बनाकर भी शाहजहाँ दिल्ली में अपने बनाए लील किल में रह नहीं सका। इस तुलना मे औरगजेब औरंगाबाद में बादशाह बनने के पूर्व रहा है और जिन्दगी के अन्तिम वर्ष भी उसने इसी नगर में गुजरे है। उसकी मृत्यु इसी क्षेत्र में हुई । उसकी कत्र खुलताबाद मे -- यही पर है। पुरानी दिल्ली का स्वरूप शहर की प्राचीर और दरवाजों के भीतर जैसे आज है, वैसे ही पुराना औरंगाबाद आज भी वैसे ही है। नई दिल्ली की तरह अब तो नया औरंगाबाद बन गया है और यह नया औरंगाबाद नगर के परकोटे और टरबाजों से बाहर है। पुरानी दिल्ली के दरवाजों से औरंगाबाद के दरवाजे अधिक सुरक्षित है। अस्तु ।
आत्मकथा के प्रथम भाग की प्रतिक्रिया में पत्र मिले है। फोन से भी प्रतिक्रियाएँ मिली । इसमे मेरा उत्साह बढ़ा है। प्रतिक्रिया में लिखे गए कुछ पत्र अन्त मे दे रहा हूँ । दूसरा भाग इसीलिए लिखा भी गया है। स्थानीय मुद्रक श्री रामकृष्ण जोशी का इसके प्रकाशन में पूरा सहयोग है । यह पुस्तक भी जैसे जैसे लिखी जाती रही, वैसे वैसे छपती रही है । मुद्रक महोदय का अतएव आभारी हूँ। मुझे न चाहने पर भी पुन. प्रकाशक बनना पड़ा । आरंभ में जब प्रकाशक बना उस समय कुछ बुजुर्ग प्रकाशको से सम्पर्क रहा। उनके कारण आगे बढा और फिर ऐसे प्रकाशको मे से कुछ ने मेरी पुस्तके छापी भी हैं । श्री अशोक महेश्वरी के पिता श्री प्रेमन्चद महेश्वरी ने वाणी प्रकाशन का आरम्भ १९६९ ई में किया । १९७० या १९७१ ई मे दक्षिण की यात्रा पर निकले । औरगाबाद घर पर आए । कमला नगर में एफ-६१ में उनके आवास पर भी गया । उन्होंने अपना शोध-प्रबन्ध भी मुझे दिखलाया। उनके निधन (१९७९ ई ) के बाद मे वह छपा भी है। उनके सहयोग के कारण मुझे उनके पुत्रो का सहयोग मिला है। आज तो दोनो भाई अपने चरम उत्कर्ष पर है। श्री मलिक साहब, (नेशनल पब्लिशिंग हाउस), श्री विश्वनाथजी और उनके सहयोगी श्री ईश्वरचद्रजी खण्डेलवाल (राजपाल एण्ड मन्ज) तथा श्री कृष्णचन्द्र बेरी (वाराणसी) जैसे प्रकाशको से सम्पर्क हुआ। उन्होंने कुछ पुस्तके छापी है। उन सब का आभारी हूँ । किन्तु आज तो मेरे पास इतना समय नहीं कि पुस्तक लिखने के बाद प्रकाशक को दूँ और फिर लम्बी प्रतीक्षा करूँ ? इसीलिए स्वयं छपवाने का निर्णय किया है। पुन प्रकाशक बनना मजबूरी है
आत्मकथा लिखने में अभिव्यक्ति का सुख है । इसमें स्वयं अपने को कसौटी पर कमना है । मन को मैला नहीं करना है अपितु सब कुछ कहकर मन को निर्मल करना है । अपने को छिपाना नहीं, उजागर करना है। आत्मकथा में भाषा कुछ आत्मीय हो ही जाती है । और मैं मानता हूँ कि आत्मकथा मे आत्मीयता होनी चाहिए । मै कितना आत्मीय हो पाया हूँ, यह तो पाठक बतलाएँगे । तटस्थता के कुछ पृष्ठ तो उन्हें मिल ही जाएंगे । प्रतीक्षा करूँगा ।
इस आत्मकथा लिखने से पूर्व मैंने जैन मुनि मिश्रीलालजी की आत्मकथा लिखी। मैंने शर्त रखी थी आप अपनी कथा बतलाएगे तो मैं लिखूँगा । वे कहते गए, मैं लिखतं गया । पूरी कथा पाँच वर्षों में लिखी गई । सब कुछ उनका कहा हुआ था । भाषा उन्हींकी थी । मैने कोई परिवर्तन नहीं किया । केवल भाषा की अशुद्धियों को ठीक किया । शब्द ही नहीं, वाक्य गठन भी वैसे ही उनकी प्रथम पुरुष की भाषा में रखा और पुस्तक अशोक महेश्वरी ने छापी । मुनिजी के देवलोक गमन से पूर्व वह पुस्तक छप कर आ गई थी । वह पुस्तक उन्होंने पढ़ी तो उन्हें लगा कि मै ही बोल रहा हूँ और सब कुछ सत्य और ठीक है, उनकी अपनी अभिव्यक्ति उस पुस्तक मे है । उनके मुख पर मैंने संतोष और सुख की दीप्ति देखी। मैं बीमार था तो मुझे देखने घर पर पधारे । मगलीक दी अर्थात् मगल वचन सुनाए और देखिए जब बीमार हो गए तो अस्पताल मे थे । उस समय सिकदराबाद से मेरे बडे साहू और फूफा आए । उनको साथ लेकर मुनिजी के पास पहुँचा । बहुत प्रसन्न हुए । मुनिजी ने मेहमान को रोक लिया । नाम था बीसूलालजी इफरिया । डफरियाजी जब दूसरे दिन अकेले ही मुनिजी के पास गए तो उन्होंने कहा कि जब कल आओ तो राजमल को लेकर आना । दूसरे दिन जब मै गया तो उन्होंने सब को मंगलीक दी । वही भुनिजी की अन्तिम मंगलीक और अन्तिम भेट है । उसके बाद तो पूना गए और मुबई के बाम्वे अस्पताल मे रहे। बाद मे देवलोक के हो गए । मैं यह सब इसीलिए लिख रहा हूँ कि अपनी बात कहने में लिखने में और पढ़ने में भी सुख है । अतीत में खोए रहने में, अभिव्यक्ति सुख का स्रोत बन जाती है । हम जिन्दगी को आज के नजरिए से देखने लगते है । आत्मकथा के प्रूफ्स को पढ़ते समय मैंने उसे अनुभव किया है। इसे पढ़कर दूसरे लोग. पाठक वृद क्या अनुभव करते है, यह जानने की इच्छा है । मै औरगाबाद के १९६८ से २००४ ई तक के मेरे अपने अतीत के जीवन से जुड़ा हुआ हूँ । इसी अभिव्यक्ति के बल पर आत्मविश्वास के साथ शेष कार्य पूरा करने की योजना है। इति शुभम् ।
मनीषा नगर, केसरसिहपुरा, औग्गाबाद (महाराष्ट्र) ४३१ ००५
मराठवाडा विश्वविद्यालय (पहाड़सिंहपुरा )
आज जहाँ पर मराठवाडा विश्वविद्यालय स्थित है, उस क्षेत्र का नाम पहले पहाडसिंहपुरा था। पहाडसिंह औरछा का राजा था। शाहजहाँ के समय में पहाड़सिंह को दक्षिण की जागीर मिली । गोडवाने में गायें जोतो जाती है, यह पहाडसिह को अच्छा न लगा । भाट के मुख से उसने ऐसा समाचार सुना तो वह गोंडवाने की ओर बढ़ गया । उसने गायों को इससे मुक्ति दिलाई । कहा है
वीरसिह जू के वंश प्रबल पहाडसिंह,
तेरी बाट हेरती हैं, गौएँ गोंडवाने की ।
पहाडसिह को शाहजहाँ ने १६४९ ई. में ओरछे की गद्दी दे दी थी। उसी के समय मे पहाड़सिह दक्षिण में दौलताबाद तक चले आए । दौलताबाद से आगे बढकर औरंगाबाद के निकट सह्याद्रि की माला की तलहटी में पहाड़सिंहपुरा बसाया । इनकी रानी का नाम हीरादेवी था । पहाडसिह के बड़े भाई जुझारसिंह ने अपनी
औरंगाबाद की अतीत / /
रानी से कहकर अपने छोटे भाई हरदौल को विष देने के लिए विवश किया । रानी अपने देवर को बहुत चाहती थी। उसने हरदौल को सब बतला दिया था। फिर भी उसने विष मिश्रित भोजन कर लिया। इससे हरदौल की तत्काल मृत्यु हो गई । बुन्देलखण्ड मे हरदौल का यह कथानक बहुत प्रसिद्ध है। हरदौल के चबूतरे बाद में बहुत जगह बने है । पहाडसिहपुरा में भी स्वर्ण महल के प्रवेश द्वार से लगी मड़क की दूसरी ओर यह चबूतरा आज भी खण्डहर के रूप में है। पहाडसिंहपुरा मे बुन्देलखण्ड की संस्कृति दर्शानेवाले अवशेष आज भी बिखरे । इनमें सबसे प्रसिद्ध 'स्वर्ण-महल' है । मराठी में इसे ही सोनेरी महल कहते है । सोनेरी महल के प्रवेश द्वार के ठीक सामने विश्वविद्यालय का शासकीय भवन है । पहाडमिहपुरा का क्षेत्र आज विश्वविद्यालय का क्षेत्र है । इस क्षेत्र मे कई भवन बने हुए हैं। एक ओर यह क्षेत्र बेगमपुरा से लगा हुआ है तो दूसरी ओर इसकी सीमाएँ उत्तर-पूर्व की पर्वतमाला तक पहुँचती है । इसके दक्षिण-पश्चिम मे भावसिंहपुरा है और दक्षिण मे जयसिंहपुरा है। जयसिहपुरा के निकट ही विश्वविद्यालय का प्रवेश द्वार है । यह द्वार १९७४ ई मे बना । रेणिगुंटावार पढरीनाथ (छोटा नाम -- नाथ साहब) के समय में बना। उस समय वे विश्वविद्यालय के कुलपति धे ।
मराठवाडा विश्वविद्यालय की स्थापना १९५८ ई. में २३ अगस्त को हुई । उसका विधिवत् उद्घाटन पं जवाहरलाल नेहरू ने किया । इस विश्वविद्यालय को शासन की ओर से ६९ ७६९ स्क्वेअर किलोमीटर भूमि सोनेरी महल के समीप की - पहाड़सिंहपुरा की भूमि - मिली। इस क्षेत्र में ही विश्वविद्यालय के सभी भवन बने । प्राकृतिक रूप में यह क्षेत्र वैसे ही सुन्दर है । हरदौल को बुन्देलखण्ड मे लोकदेवता के रूप में मान्यता प्राप्त हो गई है। उसके चबूतरे गाँव गाँव में बने हैं। हरदौल के प्रेत के चमत्कारपूर्ण प्रमगो को नर्मदाप्रसाद गुप्त ने विस्तार से लिखा है । वे लिखते हैं
'कहा जाता है कि हरदौल की मृत्यु पर एक मेहतर और कुत्ता ने अवशिष्ट भोजन खाकर प्राण दे दिये थे । मेहतर की चौतरिया (चबूतरे का छोटा रूप) तो पहिचान बन गई है, सभवत इसी कारण उच्च और निम्न वर्ग - दोनों एक-सी श्रद्धा रखते है और सभी हरदौल की पूजा करते है । एक घटना यह भी प्रसिद्ध है कि हरदौल के सात सौ साथियों ने प्राण त्याग कर उनका अनुसरण किया था। बहुत गहराई
2 / औरंगाबाद का अतीत
से देखने पर यह राजा के प्रति मौन विरोध का सूचक प्रतीत होता है । सामूहिक प्राण त्याग उस युग की ऐसी मिसाल है, जो इतिहास मे नया अध्याय जोड़ती है। दूसरी घटना राजा के प्रति प्रजा का असतोष है। एक जनश्रुति के अनुसार प्रजाजनो ने राजा से हरदौल की हत्या का स्पष्टीकरण मांगा था । कैम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ इंडिया भाग ४, पृ १८५ में लिखा है कि जुझारसिंह को अपने लोगो के विरोध का भी सामना करना पड़ा । क्योकि उसने अपनी पत्नी का अपने भाई हरदौलसिंह से गुम प्रेम के सदेह पर भाई को विष दिलवा दिया था, जिसके अनुयायी बहुत अधिक थे । ओरछा की जनता का आक्रोश जहाँ हरदौल की लोकप्रियता प्रकट करता है, वहाँ उस जनपद की जागरूक चेतना का उदाहरण भी प्रस्तुत करता है ।
प्रेत के चमत्कार शेष दो घटनाएँ हरदौल के प्रेस से जुडी हुई हैं । लोकप्रचलित है कि हरदौल की बहिन कुंजकुंवरि अपनी पुत्री के विवाह का निमंत्रण देने या भात माँगने ओरछा आई थीं। उन्होंने राजा जुझारसिंह को हत्यारा मानकर न्योता नहीं दिया अथवा जुझारसिंह ने किसी कारणवश लेने से इनकार कर दिया, दोनो प्रकार के विवरण मिलते है । लेकिन यह सभी मानते है कि कुंजा हरदौल को उसी जगह पर न्यौता रख आई, जहाँ उनकी दाह-क्रिया की गई थी । समय पर मोहरो, सोने-चांदी के आभूषणों और अन्य कीमती सामग्री से लदे घोडों या गाडियो के साथ हरदौल की सवारी दतिया पहुॅची । हरदौल की अवाई पर सलामी मे तोपे दागी गई, मार्ग में मंगल कलश लिये खडी नारियों के अचल अपने-आप मोहरों से भर गए और कुजा का घर चीकट से जगमगा गया । बहिन और भाई की प्रेमभरी भेट और वर के आग्रह से हरदौल का दर्शना देना, दोनों प्रसंग चमत्कारपूर्ण है। इन्हीका प्रभाव जन जन पर छाया हुआ है। इनके अलावा हरदौल की विदाई के समय कुजा का सभी के विवाहों में इसी प्रकार की सहायता का वचन लेना, सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ है । इस दृष्टि से हरदौल सामाजिक हित से बँध जाते है और उनके देवत्व का प्रमुख आधार यही लोकमंगल की भावना है ।
बुन्देलखण्ड की लोक मस्कृति का इतिहास, नर्मदाप्रसाद गुप्त, राधाकृष्ण प्रकाशन नई दिल्ली २. प्रथम सस्करण १९९५ ई पृ ३१८-३४९
औरंगाबाद का अतीत / 3
नर्मदाप्रसाद गुप्त ने बतलाया है कि हरदौल का प्रेत, हरदौल से अधिक प्रभावशाली रहा है । उस प्रेत ने मुगलो को परेशान कर दिया था । कहते है कि मुगलो के प्रतिनिधि हिदायत खाँ, ओरछे में इतने भयभीत हो गए कि वो ओरछा छोड़कर बादशाह के पास पहुँच गये । यह भी कहा जाता है, उक्त प्रेत ने बादशाह को भी प्रभावित किया । जुझारसिंह को गद्दी से हटाने के लिए विवश किया । यह सब कुछ कल्पित होने पर भी इनमे लोकविश्वास है । हरदौल लोक के आदर्श के प्रतीक हो गए थे । जनता की भावना उनके साथ जुड गई थी । हरदौल की उपेक्षा मुगल बादशाह नहीं कर सके ।
हरदौल का चबूतरा दिखलाने डा भालचन्द्र तेलग मेरे साथ आए थे। उन्होने बतलाया कि चबूतरे पर नागरी लिपि तथा फारसी लिपि (उर्दू) मे 'हरदौल' नाम चबूतरे पर लिखा हुआ है। चबूतरा ठीक से खड़ा नहीं था । था । आसपास की झाड़ी में छिप गया था । झाड़ी पार कर निकट पहुॅचो तो साफ-साफ देखा जा सकता है । चबूतरे के पास मे बावली ( कुँए के) अवशेष है । कुछ दूरी पर बडा पेड रहा है। एक छोटे मंदिर के अवशेष भी वहाँ पर है । स्वर्ण-महल के ठीक सामने वह चबूतरा है। Zoology विभाग के छात्र प्रशासकीय भवन जाते आते समय इस चबूतरे के पास से गुजरते रहते है ।
स्वर्ण-महल के प्रवेशद्वार से बाहर निकलो तो मुख्य सड़क की दाहिनी ओर का विभाग झूलोजी Zoology विभाग की ओर जाता है । इसी मार्ग पर दूसरी ओर मन्दिर बना हुआ है । मन्दिर के पीछे कुछ दूरी पर हरदौल का चबूतरा है। इस सड़क से सीधे ही सीधे प्रशासकीय भवन की ओर जाने के लिए पगडण्डी है । आस पास बहुत झाड़ी है । इस झाडी मे ही दाहिनी ओर चबूतरा है। झाडी के बीच से गुजरते हुए एक नाला आता है । नाला पार करने पर विश्वविद्यालय की मुख्य सड़क पर पहुँचा जा सकता है। सामने प्रशासकीय भवन है और उक्त सड़क वही पर बस अड्डे से मिल जाती है। प्रशासकीय भवन की कम्पाउण्ड की फेसिंग से लगकर पुराने खण्डहर है। लगता है, वहाँ पर बडी बावली रही है । बड़े-बड़े पेड़ भी रहे है । उन पेड़ो के अवशेष है। बावली के अवशेष है । पानी की नहरो के अवशेष है । सभवत यहाँ से पानी स्वर्ण महल में नहरो से पहुँचता हो । स्वर्ण-महल के चबूतरे पर पानी का हौज है । उस हौज़ मे पानी पहले पहुँचता हो । उस चबूतरे से नीचे उतरने के लिए सीढियाँ है। उसकी दोनो ओर पानी के नीचे बहने की व्यवस्था है। नीचे बहुत बड़ा प्रागण है । प्रांगण के चारो ओर ऊंची ऊंची दीवारे हैं। एकदम सामने प्रवेशद्वार है, जिसमे तीन द्वार
4 / औरंगाबाद का अतीत |
दिल्ली में एक महिला को ईंट मारने के आरोप में सेवा से बर्खास्त किए गए यातायात पुलिस हेड कांस्टेबल को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद में बयान भी दे सकते हैं. सोमवार को दिल्ली के गोल्फ लिंक इलाके में दो बच्चों के साथ एक महिला पर यातायात पुलिसकर्मी सतीश चंद्र के ईंट से हमला करने का वीडियो वायरल होने के बाद इसके व्यापक विरोध को देखते हुए कांस्टेबल को गिरफ्तार किया गया. उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया. बाद में उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. कांस्टेबल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की जो धाराएं लगाई गई हैं, उनके तहत अधिकतम दो साल की सजा संभव है. पुलिस के अनुसार सतीश चंद्र के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (जानबूझकर नुकसान पहुंचाना), धारा 341 और धारा 427 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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नमकीन चीजों के साथ कभी भी दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। नाश्ते में अगर आप नमक से बनी चीजे खा रहे हैं तो उसके साथ कभी दूध न पीएं।
दूध ठंडा माना जाता है इसलिए इसे कभी गर्म चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए। मछली गर्म मानी जाती है। इसलिए मथली के साथ दूध पीने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
दूध के साथ फल, खासकर खट्टे फल नहीं खाने चाहिए। संतरा, नींबू खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए और इन फलों और दूध को भी साथ में नहीं खाना चाहिए। इससे उल्टी हो सकती है।
उड़द की दाल खाने के बाद दूध पीने से बचना चाहिए। उड़द की दाल खाने के कम से कम 2 घंटे बाद ही दूध पीना चाहिए। तुरंत दूध पीने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
गाजर, शकरकंद, आलू, तेल, दही, नारियल, लहसुन के साथ भी दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
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पूर्व भारतीय कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी को खेलते रहना चाहिए या संन्यास ले लेना चाहिए, इस पर क्रिकेटरों में अलग-अलग राय देखने को मिल रही है। 38 साल के धोनी ने विश्व कप के बाद से कोई मैच नहीं खेला है। वह वेस्टइंडीज दौरे और दक्षिण अफ्रीका के साथ हुई सीमित ओवरों की सीरीज में भी नहीं खेले थे। अब वह विजय हजारे ट्रॉफी और बांग्लादेश के खिलाफ होने वाली टी-20 घरेलू सीरीज से भी बाहर ही रहेंगे। पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का मानना है कि संन्यास का फैसला धोनी पर ही छोड़ देना चाहिए।
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अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर स्टारर फिल्म 'हाफ गर्लफ्रेंड' चेतन भगत के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित फिल्म है। यह फिल्म साल 2018 में रिलीज हुई थी। मोहित सूरी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था। इस फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।
साजिद नाडियाडवाला और करण जौहर द्वारा निर्मित फिल्म '2 स्टेट्स' भगत के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित थी। साल 2014 में आई इस फिल्म में अर्जुन कपूर और आलिया भट्ट मुख्य किरदार में थे। फिल्म की कहानी चेतन भगत के जीवन पर आधारित थी, जिसमें अर्जुन और आलिया क्रमशः चेतन और उनकी पत्नी की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर देखा जा सकता है।
चेतन भगत की नॉवेल 'द 3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ' पर आधारित फिल्म काई पो छे बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई थी। साल 2013 में रिलीज हुई इस फिल्म से दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था। सुशांत के अलावा इस फिल्म में राजकुमार राव और अमित साध भी मुख्य भूमिकाओं में थे। इस फिल्म को नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।
चेतन भगत की 'फाइव पॉइंट समवन' पर आधारित बॉलीवुड फिल्म 3 इडिट्स उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों में से एक थी। आमिर खान, करीना कपूर, आर माधवन और शरमन जोशी अभिनीत यह इंजीनियरिंग में छात्रों के जीवन पर आधारित थी। फिल्म बोमन ईरानी ने एक सख्त और अहंकारी प्रोफेसर की भूमिका निभाई। 2009 में आई इस फिल्म को यूट्यूब और नेटफ्लिक्स पर देखा जा सकता है।
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पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैँ। अफरीदी ने कोविड 19 पॉजिटिव होने की जानकारी खुद सोशल मीडिया के जरिए साझा की है।
अफरीदी पिछले काफी महीनों से अपने फाउंडेशन के जरिए पाकिस्तान में कोरोना से संक्रमित और इसकी वजह से प्रभावित लोगों की मदद का काम कर रहे हैं। वह लोगों तक खाना और जरूरत के सामान को पहुंचाने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कोरोना संक्रमित लोगों के साथ ज्यादा वक्त बिताने की वजह से उनके इस वायरस से संक्रमित होने की उम्मीद है।
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- Movies ब्रालेस ड्रेस पहनकर असहज हुईं जन्नत जुबैर? मीडिया के सामने ही करतीं बार बार फिक्स!
सिंघम एक्ट्रेस काजल अग्रवाल शादी के बंधन में बंध गई हैं। एक्ट्रेस ने बॉयफ्रेंड गौतम किचलू संग मुंबई के ताज होट में शादी रचाई है। करोना वायरस की वजह से काजल की शादी में बहुत कम लोग शामिल हुई हैं। सोशल मीडिया पर काजल अग्रवाल की शादी की फोटो सामने आई है। फोटो में काजल और गौतम वरमाला पहने नजर आ रहे हैं। काजल लहंगे में बहुत ही खूबसूरत लग रही हैं। रेड कलर के लहंगे के साथ एक्ट्रेस ने हैवी नेकलेस कैरी किया हुआ है। काजल अग्रवाल का खूबसूरत रेड लहंगा बॉलीवुड की जानी मानी डिजाइनर अनामिका खन्ना ने डिजाइन किया है। वहीं काजल का दुल्हन लुक एमी पटेल ने स्टाइल किया है।
रेड लहंगे के साथ एक्ट्रेस ने गोल्डन दुपट्टा कैरी किया हुआ है। माथा पट्टी, कमरबंद उनके लुक में चार चांद लगा रहा हैं। उनके पति गौतम ने व्हाइट कलर की शेरवानी पहनी हुई हैं। दोनों की वरमाला भी व्हाइट गुलाब की हैं। दोनों की जोड़ी बहुत ही अच्छी लग रही हैं। इससे पहले काजल की संगीत सेरेमनी, मेहंदी और हल्दी की फोटो काफी वायरल हुई थी। वहीं अब उनकी शादी की फोटो इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं।
काजल के पित गौतम किचलु मुंबई बेस्ड बिजनेसमैन है। वह इंटीरियर डिजाइन ई कॉमर्स फ्लेटफॉर्म के मालिक है। वह एंटरप्रेन्योर और डिस्सर्न लिविंग डिलजाइन शॉप के फाउंडर हैं। इसके अलावा गौतम किचलू की कंपनी फर्नीचर, डेकोर आइटम्मस और हाउसहोल्ड का सामान सेल करती हैं। काजल अग्रवाल ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म 'क्यों हो गया ना' से की थी। इसके बाद उन्होंने साउथ इंडस्ट्री में काम किया है। आज के समय में काजल साउथ की पॉपुलर एक्ट्रेस हैं।
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पातेपुर विधानसभा सीट पर किसको मिलेगी जीत ?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में वैशाली जिले की पातेपुर विधानसभा सीट पर 7 नवंबर को दूसरे चरण के दौरान वोटिंग हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां से आरजेडी की प्रेमा चौधरी को सफलता मिली थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रेमा चौधरी को अपना कैंडिडेट नहीं बनाया है। उनकी जगह आरजेडी ने शिवचंद्र राम और बीजेपी लखींदर पासवान को अपना कैंडिडेट घोषित किया है।
2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी की प्रेमा चौधरी ने बीजेपी के महेन्द्र बैठा को 12 वोटों से हराया था। पिछला 6 चुनाव इन्हीं दोनों प्रत्याशियों के बीच हुआ है। दोनों प्रत्याशियों को तीन-तीन बार सफलता मिली है। भाजपा अभी तक यहां से सिर्फ एक बार ही जीत पाई है।
2015 के विधानसभा चुनाव में 56. 2 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। जिसमें 50. 5 पुरुष 60. 2 प्रतिशत महिलाएं शामिल थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में 2. 77 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जातीय समीकरण की अगर बात करें तो इस सीट पर रविदास, पासवान, कुर्मी और कोइरी मतदाताओं का प्रभाव अधिक है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी। और उसी दिन शाम तक यह पता चल जाएगा कि बिहार की जनता किसे अपना नेतृत्व दे रही है। इस आखिरी चरण के लिए सभी पार्टियों के नेता पूरी कोशिश कर रहें हैं। रैली, बैठक, और कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए वोटरों को साधने की कोशिश हो रही है।
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कैसे मित्रों की सूची बनाने के लिए, "टच में"?
सामाजिक एक बार से अधिक नेटवर्क के उपयोगकर्ताओं के अधिकांश सोचाः "कैसे, दोस्तों की एक सूची बनाने के लिए" टच में "? "। क्या यह निर्भर करता है के लिए तो? सिस्टम से? उपयोगकर्ता से? आप जानने के लिए कि दोनों कारकों रास्ता कैसे दोस्तों के एक सूची बनाने के लिए प्रभावित करते हैं, "टच में" आश्चर्य हो सकता है।
पता लगाएँ कि जो दो तरह से, अपने मित्रों में हैः
अपने पृष्ठ पर जाएं और मुख्य चित्र की बाईं तरफ के मेनू, "मेरे मित्र" का चयन करें - वह ऊपर से पीछे नहीं है।
मुख्य पृष्ठ एक छोटे से नीचे और बाईं ओर, तुरंत उपहार के बाद स्क्रॉल करें, होगा टैब "मित्र। "
किसी भी मामले में, वस्तुओं में से एक का चयन करके, आप एक ही पृष्ठ पर मिल जाएगा। यह के बीच में दोस्तों और उनके पृष्ठों के कई प्रसंस्करण कार्यों की एक सूची होगा। शीर्ष पर एक त्वरित खोज के लिए एक स्तंभ है - लिंग, उम्र और शहर से अधिक उन्नत खोज - यह एक और नाम या उपनाम, और सही बना रही है।
कैसे मित्रों की सूची बनाने के लिए, "टच में"?
शीर्ष पर लोग, पृष्ठ आप सबसे अधिक बार की यात्रा कर रहे हैं। सूची स्वचालित रूप से उत्पन्न है, और केवल साथियों के खातों में अपने सक्रिय छुट्टियों पर निर्भर करता है। सूची स्वचालित रूप से उत्पन्न होता है - सही आप खोला नहीं किया जाएगा, उदाहरण के लिए, "फोन बुक", "नए दोस्त" पर मेनू से कौन सा टैब। एक ही ऑनलाइन टैब के साथ है।
कैसे मित्र मानक समूहों में से "संपर्क" की एक सूची बनाने के लिए?
डिफ़ॉल्ट रूप से, "टच में" कई "सूची" है जिसमें आप अपने मित्रों को ला सकता है है। वे कहा जाता हैः
सबसे अच्छे दोस्त।
रिश्तेदार।
साथियों।
विश्वविद्यालय में मित्र।
स्कूल में मित्र।
आप इस तरह से "संपर्क" मित्रों के एक सूची कैसे बनाऊं, यह आप पर निर्भर है। उसके दोस्त के किसी भी इसी ग्राफ में किसी भी बाधाओं के बिना दर्ज किया जा सकता। लोग हैं, जो इन सूचियों में हैं के बारे में जानकारी जाँच कर रहे हैं नहीं, उदाहरण के लिए, स्तंभ "सहयोगियों" में किसी को भी प्रवेश कर सकते हैं, के बाद से नेटवर्क प्रबंधन "संपर्क" की पुष्टि करने या इस जानकारी का खंडन नहीं होंगे।
मित्र जो इस तरह के समूहों में हैं किसी को भी देख सकते हैं की सूची। रद्द या मानक समूहों में से एक को छिपाने के लिए कुछ नहीं कर सकते। इन सूचियों में मित्रों को जोड़ने के लिए के रूप में, यह करने के लिए बहुत आसान है। बस मित्रों की सूची पर जाएँ, और विकल्पों में चारों ओर उनमें से किसी का चयन चुनें "सूची में जोड़ें"। इसके बाद, पॉप-अप विंडो, वांछित समूह टिक निशान।
कैसे दोस्तों में से "संपर्क" सूची बनाने के लिए जब उनके समूहों का उपयोग?
मित्र "संपर्क" भी अलग-अलग सूचियां, जो व्यक्तिगत रूप से उपयोगकर्ता द्वारा बनाई गई हैं में पाया जा सकता। ऐसे समूह किसी भी गंतव्य और नाम हैं। इन सूचियों की मुख्य विशेषता - वे दूसरों से छिपा है और आप के लिए सुलभ कर रहे हैं। व्यक्तिगत श्रेणी बनाएं दाईं ओर मेनू में मित्र हो सकता है। मानक समूहों के बाद पैरा होने की जब आप उस पॉप-अप विंडो दिखाई देगा पर क्लिक करें "सूची बनाना"।
इसके मेनू को दो भागों में बांटा गया हैः अपने मित्रों की एक सूची छोड़ दिया, और सही लोग हैं, जो समूह में हो जाएगा करने के लिए पर। सबसे पहले हम इस तरह के रूप में, एक नाम के बारे में सोच की जरूरत है "लोग। " तो बस लोगों के बाएं कॉलम पर क्लिक करें और वे सही पर आ जाएगा। अब आप कि जिस तरह से "संपर्क" मित्रों की सूची बनाने के लिए कैसे समझते हैं? ! मित्र की स्थिति में यह सिर्फ विंडो के तल पर "सहेजें" बटन पर क्लिक करें को मजबूत करने के लिए।
अलग-अलग श्रेणियों, जो उपयोग नहीं किया जाता और उन में पर्याप्त कोई मित्र शामिल नहीं है आने के लिए और आइटम "सूची हटाना" लेने के लिए दूर करने के लिए। वे ब्लॉक या गोपनीयता सेटिंग के एक मेनू के माध्यम से अपने पृष्ठ पर सामग्री का उपयोग करने की अनुमति दे सकते - दोस्तों, जो इन समूहों में हैं का लाभ। क्या सेटिंग में जाकर चाहिए और टैब "गोपनीयता" का चयन करें, तो क्षमताओं को संपादित करें, विकल्प का चयन "कुछ दोस्तों सूचीबद्ध करता है। "
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श्रीनगर। हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के बड़े बेटे को जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया और छोटे बेटे को 88 वर्षीय नेता और पिता के घर में घुसने नहीं दिया। वास्तव में गिलानी को सभी परिवारिक संपर्कों से दूर रखा गया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
एक सरकारी अस्पताल में यहां एक डॉक्टर नईम गिलानी को सुबह करीब 10 बजे तब गिरफ्तार किया गया, जब वह यहां हैदरपोरा स्थित अपने पिता और हुर्रियत के कट्टरपंथी नेता के निवास पर जा रहे थे। एक पारिवारिक सूत्र ने कहा, नईम को घर के अंदर नहीं घुसने दिया गया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी शनिवार अपराह्न फोन के जरिए राष्ट्र को संबोधित करने के बड़े गिलानी के कार्यक्रम से पहले हुई।
हैदरपोरा स्थित निवास के आसपास प्राधिकारियों द्वारा जैमर्स लगाए जाने के कारण गिलानी का भाषण नहीं हो सका। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर और गिलानी के छोटे बेटे नसीम गिलानी को सुबह में पुलिस ने पिता के घर में घुसने से रोक दिया। पुलिस ने कहा, आपको गिलानी से मिलने की स्वीकृति नहीं है।
बाद में नसीम ने जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर भावनात्मक हमला करते हुए अपने फेसबुक पृष्ठ पर लिखा, मैं महबूबा मुफ्ती से एक साधारण सवाल पूछना चाहता हूं। जब कोई आपके पिता के नाम का भी उल्लेख करता है तो आप रोने लगती हैं। मेरे पिता के बारे में क्या सोचती हैं, जो प्रतिदिन मुझको देखना चाहते हैं।
परिवारिक सूत्रों ने कहा, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के 88 वर्षीय अध्यक्ष हृदय रोग, गुर्दे की समस्या और सांस की समस्या से पीडि़त हैं। नसीम ने आगे कहा, मेरे बड़े भाई को भी गिरफ्तार किया गया है और उन्हें हमहमा पुलिस थाना ले जाया गया है।
पुलिस ने बड़े गिलानी के परिजनों, मीडिया और आगंतुकों को उनके घर में प्रवेश पर रोक लगा दी है। सूत्र ने आगे कहा, प्राधिकारियों ने सभी फोन संपर्क बंद करने के लिए उनके निवास पर जैमर्स भी लगा दिए हैं।
गिलानी गत आठ जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने के बाद से कश्मीर घाटी में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। वे लगातार घर में नजरबंद हैं। गिलानी मीरवाइज फारूक और यासिन मलिक समेत अन्य अलगाववादी नेताओं के साथ 'संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व' के बैनर तले हर सप्ताह 'विरोध कैलेंडर' जारी कर रहे हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गत अगस्त महीने के मध्य में नईम को बुलाया था और जांच एजेंसी ने उनसे कथित आतंकी कोष के बारे में आरंभिक पूछताछ की थी। सरकार की नजर में हिंसा भडक़ाने वालों समेत सैकड़ों अलगाववादी नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को राज्य की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है।
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में चोरी की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। यहां के जंगपुरा इलाके में स्थित शोरूम को चोरों ने निशाना बनाया। दीवार काटकर चोर शोरूम में दाखिल हुए। यहां से सोना, हीरा और जेवरात चोरी करके फरार हो गए।
सीसीटीवी की मदद से चोरों की तलाश की जा रही है। जंगपुरा के ज्वेलरी शोरूम में चोरों ने सेंध लगाकर वारदात को अंजाम दे दिया। चोरों ने छत काटकर करीब 25 करोड़ रुपये के जेवरात चोरी कर लिए।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली के जंगपुरा भोगल इलाके में स्थित शोरूम को चोरों ने निशाना बनाया। दीवार काटकर चोर शोरूम में दाखिल हुए। यहां से 20-25 करोड़ रुपए के सोना, हीरा और जेवरात चोरी करके फरार हो गए। सीसीटीवी की मदद से चोरों की तलाश की जा रही है।
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Institute of Company Secretaries of India Result: इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (Institute of Company Secretaries of India) ने आईसीएसआई सीएसईईटी परिणाम 2021 (ICSI CSEET Result 2021) घोषित कर दिया है. कंपनी सचिव कार्यकारी प्रवेश परीक्षा परिणाम (Company Secretary Executive Entrance Test Result) आईसीएसआई (ICSI) की आधिकारिक साइट (Official Site) icsi. edu पर उपलब्ध है. परीक्षा 8 और 10 जनवरी, 2022 को देश भर के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी.
सीएस फाउंडेशन कार्यक्रम परीक्षा में 61. 63 फीसदी और सीएसईईटी 66. 10 फीसदी परीक्षार्थी सफल घोषित किए गए हैं। सीएस फाउंडेशन के परिणाम में लड़कियों ने शीर्ष दो रैंक हासिल की है. उर्मी चेतन पहली रैंक पर हैं जबकि विशाखा जसवानी दूसरी रैंक पर हैं.
संस्थान आज परिणाम के साथ व्यक्तिगत उम्मीदवार के अंकों का विषय-वार ब्रेक-अप भी जारी कर रहा है. जो आईसीएसआई (ICSI) की आधिकारिक वेबसाइट (Official Website) पर उपलब्ध होगा. कंपनी सचिव फाउंडेशन कार्यक्रम परीक्षा, दिसंबर - 2021 सत्र और सीएस कार्यकारी प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) का औपचारिक ई-परिणाम-सह-अंक विवरण संस्थान की वेबसाइट (Website) पर अपलोड (Upload) किया जाएगा.
Education Loan Information:
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पुलिस ने बताया कि यह दुर्घटना शाम करीब छह बजे गोहाना-पानीपत राजमार्ग पर हुई, जब एक ट्रक ने एक कार और एक जीप को टक्कर मार दी। पुलिस ने बताया कि घायलों को खानपुर स्थित पीजीआई ले जाया गया है। उन्होंने बताया कि ट्रक चालक दुर्घटना के फौरन बाद मौके से फरार हो गया। ट्रक को जब्त कर लिया गया है।
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मुंबईः अभिनेता टिम रोथ (Tim Roth) के बेटे कॉर्मैक रोथ (Michael Cormac Roth) का 25 साल की उम्र में निधन हो गया है। कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद कॉर्मैक रोथ ने लॉस एंजेलिस में आखिरी सांस ली है। माइकल कॉर्मेक रोथ के निधन की पुष्टि उनके परिवार ने की है। परिवार ने सोमवार को एक बयान में कहा, 16 अक्टूबर को रोथ ने "अपने परिवार की मौजूदगी में शांति से अंतिम सांस ली, जो उसे बेहद प्यार करता था"।
बेनिंगटन कॉलेज के स्नातक, रोथ एक गिटारवादक, संगीतकार और निर्माता थे। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पेज पर खुलासा किया था कि उन्हें नवंबर 2021 में स्टेज 3 जर्म सेल कैंसर का पता चला था। उनके पिता 'रिज़रवॉयर डॉग्स', 'पल्प फिक्शन' और 'द इनक्रेडिबल हल्क' जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं।
कॉर्मैक रोथ के परिवार में उनके माता-पिता, टिम और निक्की रोथ तथा भाई, हंटर रोथ हैं।
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आगरा। सफाई कर्मचारियों के काम पर लौटने को लेकर शनिवार को विवाद हो गया। कोठी मीना बाजार स्थित नगर निगम की कर्मशाला आईडीएच से जैसे ही वाहन निकले, वाल्मीकि समाज के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। जमकर हंगामा किया। वाहनों के साथ पुलिस टीम पर भी पथराव किया। पचकुइयां चौराहे से कोठी मीना बाजार मैदान तक हंगामा चलता रहा। उपद्रवियों ने रेलवे ट्रैक से पत्थर फेंके। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां फटकारी तो वे मौके से भाग खड़े हुए। इसके अलावा शहर में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुआ। शहर में चौथे दिन भी कूड़ा नहीं उठा, हालांकि नगर निगम के अफसरों का दावा है कि कुछ स्थानों से कूड़ा उठाया गया।
सफाई कर्मचारियों के एक गुट ने महापंचायत के फैसले का विरोध किया था। महापंचायत का पुतला फूंक कर विरोध जताया। शनिवार सुबह सात बजे सहा। नगर आयुक्त अनुपम शुक्ला आईडीएच कोठी मीना बाजार पहुंचे। उन्होंने यहां से कचरे के वाहनों को निकलवाना शुरू किया, तो राजनगर, लोहामंडी व आईडीएच के आसपास रहने वाले वाल्मीकियों ने विरोध करना शुरू कर दिया। वाहन चालकों को पीटने की धमकी देते हुए पथराव शुरू कर दिया। इस पर टास्क फोर्स के सहयोग से सहायक नगर आयुक्त अनुपम शुक्ला ने कमान संभाल ली। उन्होंने डंडा लेकर विरोध प्रदर्शन करने वालों को दौड़ा लिया। इस दौरान रोड जाम हो गया।
पुलिस मौके पर पहुंच गई। कुछ देर के लिए मामला शांत हो गया। गाडि़यों को निकला जा रहा था। तभी फिर से प्रदर्शनकारी एकजुट होकर सामने आ गए। पथराव शुरू कर दिया। इससे भगदड़ मच गई। पुलिस ने रेलवे ट्रैक पर चढ़कर पथराव करने वालों का खदेड़ा। इसके बाद मौके पर अपर नगर आयुक्त केबी। सिंह और एसपी सिटी, व अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। इस दौरान सहा। नगर आयुक्त अनुपम शुक्ला ने अपने नेतृत्व में कुछ डलावघरों से कूड़ा उठवाया।
हाथरस प्रकरण को लेकर शुक्रवार को नगर आयुक्त और सफाई कर्मचारियों के संगठनों के बीच सíकट हाउस में मीटिंग हुई थी। उसमें यह निर्णय लिया गया था कि शनिवार से सफाई कर्मचारी कार्य करेंगे। इसके बाद ही एक गुट शुक्रवार सुबह से काम पर पहुंचा था। दूसरे गुट ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। महापंचायत के फैसले का विरोध करते हुए कई स्थानों पर काम बंद करा दिया। जबकि, वाल्मीकि महापंचायत के पदाधिकारी चौ। मान सिंह और श्याम करुणेश ने हड़ताल स्थगित करने की घोषणा की थी। वहीं, श्रीकांत गुट के लोग इस फैसले से सहमत नहीं है। इस गुट ने शहर में सफाई व्यवस्था का विरोध किया है।
सदर भट्टी में काम कर रहे कर्मचारियों को काम करने से रोक दिया गया। सुपरवाइजर बॉबी की पिटाई लगा दी गई। उसे बचाने आए उसके साथी बंटू की भी पिटाई कर दी। सेनेटरी इंस्पेक्टर संजीव यादव के साथ अभद्रता कर दी। यहां तक कि सफाई कर्मचारियों ने सेनेटाइजेशन का काम भी नहीं करने दिया। इस मामले में सेनेटरी इंस्पेक्टर द्वारा मामले की जानकारी नगर आयुक्त निखिल टीकाराम फुंडे को दी गई। नगर आयुक्त ने इस बारे मे एसएसपी बबलू कुमार को अवगत कराते हुए पुलिस मदद की मांग की।
इस मामले में नगर निगम के अफसरों द्वारा तकरीबन डेढ़ दर्जन सफाई कर्मचारियों को चिह्नित किया गया है। जो हंगामा करने में सहयोग कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इनकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जल्द ही नगर आयुक्त इस पर निर्णय लेकर कार्रवाई कर सकते हैं।
आगरा। हाथरस प्रकरण को लेकर शहर में हो रहे विरोध के चलते सफाई व्यवस्था ठप है। यहां तक कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 के तीसरे और अंतिम चरण की शुरुआत ठीक नहीं रही है। तीन दिनों से कूड़े का उठान नहीं किया गया है। नगर निगम के सौ वार्ड में 2300 टन कूड़ा पड़ा है। हाथरस प्रकरण के चलते बीते गुरुवार को 3900 सफाई कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर थे। शुक्रवार को हड़ताल पर रहे। इससे दोनों दिन कूड़े का उठान नहीं हो सका। एक दिन में निगम के सौ वार्ड से 800 टन कूड़ा निकलता है। शनिवार को महज 100 टन कूड़े का उठान हुआ फिर जूता मंडी के पास पथराव हो गया। इससे गाडि़यां कुबेरपुर स्थित खत्ताघर नहीं पहुंच सकीं। गली से लेकर रोड तक कूड़ा फैला हुआ है। कंटेनर और हैंगिंग डस्टबिन पूरी तरह से भर गए।
डीएम प्रभु एन सिंह का कहना है कि शनिवार को उकसावे में आकर वाल्मीकि समाज के कुछ लोगों ने पथराव किया। सफाई कार्य में व्यवधान डाला। जनहित में सफाई कार्य करें। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हाथरस प्रकरण के चलते नगर निगम के सौ वार्ड में तीसरे दिन डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन ठप रहा। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। निगम प्रशासन में 300 के आसपास शिकायतें पहुंचीं, जिनका निस्तारण कराया जा रहा है।
नगरायुक्त निखिल टीकाराम फुंडे ने लोगों से रोड और गली में कूड़ा न फेंकने की अपील की है। पास ही स्थित डलावघर या फिर निर्धारित स्थल पर ही कूड़ा फेंकें। प्लॉट या फिर अन्य किसी भी स्थल में कूड़ा न फेंकें।
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेनी शरणार्थियों से मुलाकात की। पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बाइडेन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कसाई कहा। उन्होंने शरणार्थियों को बहादुर बताया।
वारसॉ। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने शनिवार को पोलैंड के वारसॉ में यूक्रेनी शरणार्थियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को "कसाई" कहा। राष्ट्रपति के साथ यात्रा करने वाले पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि हर दिन पुतिन के साथ व्यवहार करते समय शरणार्थियों को देखकर क्या लगता है? जो बाइडेन ने जवाब दिया, "वह एक कसाई हैं। "
स्टेडियन नारोडोवी में संक्षिप्त सवाल-जवाब सत्र के दौरान बाइडेन ने बताया कि वह अपने जीवन में इस तरह की जगहों पर कैसे गए थे। उन्होंने कहा कि वह हमेशा "मानव आत्मा की गहराई और ताकत" से हैरान होते हैं। बाइडेन ने कहा कि यह अविश्वसनीय है। उन सभी छोटे बच्चों को देखें। बस गले लगाना चाहते हैं। बस धन्यवाद कहना चाहते हैं। मेरा मतलब है, यह आपको बहुत गर्वित करता है।
बाइडेन ने कहा कि "उन बच्चों में से प्रत्येक ने प्रभाव के लिए कुछ कहा। उन्होंने कहा कि मेरे पिता या मेरे दादा या मेरे भाई के लिए प्रार्थना करें जो वहां (यूक्रेन में) लड़ रहे हैं। " उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि यह कैसा होता है जब आपका कोई युद्ध क्षेत्र में होता है। हर सुबह आप उठते हैं और प्रार्थना करते हैं कि आपको वह फोन नहीं आए।
बाइडेन ने यूक्रेन के शरणार्थियों को बताया 'बहादुर'
जो बाइडेन ने शरणार्थियों के साथ समय बिताया। उन्होंने उन परिवारों से मुलाकात की, जिन्हें यूक्रेन छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। बाइडेन से बात करने वाली एक महिला ने बताया कि वह अपनी बेटी के साथ आई है। उसका पति और बेटा यूक्रेन में लड़ रहे हैं। बाइडेन ने कहा कि यह भयावह है।
इसके बाद बाइडेन ने गुलाबी जैकेट पहने एक छोटी लड़की को उठाया। उन्होंने उसके और उसके परिवार के साथ सेल्फी ली। राष्ट्रपति ने कहा कि वह यूक्रेनी नहीं बोलते हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि कोई लड़की को बताए कि मैं उसे घर ले जाना चाहता हूं। उन्होंने बार-बार बाइडेन से कहा कि सब कुछ के लिए धन्यवाद। बाइडेन ने परिवार से कहा कि आप सभी बहादुर हैं।
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पंजाब के जिला लुधियाना में आज सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ श्री गुटका साहिब के अंग दुगरी नहर किनारे पड़े मिले। हिन्दू धर्म की पवित्र कथाओं की पुस्तकें भी पास में ही पड़ी मिलीं। किसी राहगीर ने धार्मिक ग्रंथ के अंग पड़े होने के बाद गुरिंदर सिंह को फोन किया। मौके पर गुरिंदर सिंह व अन्य लोग पहुंचे।
गुरिंदर सिंह और लोगों ने इलाका पुलिस को फोन करक मामले के बारे में सूचित किया। वहीं धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी होने के बाद इलाका वासियों में रोष है। लोगों का कहना है कि पंजाब का माहौल खराब करने की कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं। पुलिस को इस तरह के लोगों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
घटना स्थल पर तुरंत थाना दुगरी की SHO मधु बाला पुलिस बल के साथ पहुंची। पहले तो यह अंदेशा जताया जा रहा था कि किसी ने नहर में विर्सजित करने के लिए यह अंग रखे होंगे, लेकिन जब मौका देखा गया तो नहर बिल्कुल सूखी थी, जिस कारण अब पुलिस को भी शक है कि माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है।
SHO मधु बाला ने बताया कि उन्हें जैसे ही सूचना मिली, वह मौके पर पहुंच गईं। धार्मिक ग्रंथ के अंगों को गुरुद्वारा साहिब में सम्मानपूर्वक पहुंचा दिया गया है। वहीं अब इलाके के CCTV कैमरे चैक किए जा रहे हैं। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।
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Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, आज हमारी बातचीत के केंद्र में हिमाचल है।
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, आज हमारी बातचीत के केंद्र में हिमाचल है। हिमाचल को लेकर चुनाव आयोग के द्वारा 2 दिन पहले ही कार्यक्रम की घोषणा कर दी गई और 16 अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश देश को बहुत लोग आते हैं और दुनिया को बहुत लुभाता है। एक ऐसा प्रदेश है जो अपनी विविधता के कारण देवभूमि भी कहा जाता है।
भूमि को अस्तित्व में आए 50 साल से ज्यादा का समय हो चुका है। पिछले 37 साल का इतिहास विधानसभा के संदर्भ में इस राज्य का यह है कि किसी भी सरकार अपने आप को रिपीट नहीं किया है। अर्थात चाहें वह कांग्रेस पार्टी या भारतीय जनता पार्टी। किसी भी बड़े नेता को ले लीजिए, कोई भी लगातार अपने जनसमर्थन हो हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाया है। वर्तमान में हिमाचल के सीएम जयराम ठुकार हैं। बीजेपी की प्रचंड बहुमत की सरकार है। यहां जेपी नड्डा के लिए एक बड़ी चुनौती है। उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए यहां विधानसभा चुनाव हो रहा है। अगर यहां पार्टी नहीं जीती तो क्या होगा।
हिमाचल चुनाव टूटेगा बदलाव का मिथक?
'चर्चा'
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अगरतलाः त्रिपुरा सरकार के बिजली विभाग ने त्रिपुरा में फ्लोटिंग और ग्राउंड माउंटेड-आधारित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPC) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार समझौता ज्ञापन त्रिपुरा में फ्लोटिंग और ग्राउंड माउंटेड आधारित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए है और समझौता ज्ञापन त्रिपुरा में बड़े आकार की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास की दिशा में यात्रा शुरू करता है और त्रिपुरा सरकार को अपनी स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को पूरा करने में मदद करेगा।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान, त्रिपुरा के ऊर्जा मंत्री जिष्णु देव वर्मा और मुख्यमंत्री डॉ माणिक साहा नई दिल्ली में उपस्थित थे।
एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी आरईएल) ने 16 जनवरी को नई दिल्ली में त्रिपुरा सरकार के साथ राज्य में फ्लोटिंग और ग्राउंड माउंटेड आधारित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एमओयू पर राजीव गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक, एनटीपीसी आरईएल और महानंदा देबबर्मा, महानिदेशक और सीईओ, त्रिपुरा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी ने हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन के गायन के बाद, जलाशय और आसपास की खाली जलमग्न भूमि में फ्लोटिंग और ग्राउंड माउंटेड सौर परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी, राज्य में त्रिपुरा सरकार द्वारा भंडारण सुविधा के साथ/बिना आवंटित किसी भी अन्य खाली भूमि में ग्राउंड माउंटेड सौर परियोजनाओं की स्थापना और त्रिपुरा के डी-कार्बोनाइजेशन और ऊर्जा संक्रमण के लिए दोनों पक्षों के बीच पारस्परिक रूप से सहमत अक्षय ऊर्जा परियोजना के विकास के अवसरों की खोज करना।
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पद पवारि जलु पान करि आपु सहित परिवार । पितर पारु करि प्रभुहि पुन मुदित गयउ लेइ पार ।।
अर्थ- श्रोप्रभु के चरण नसों को देख कर गंगाजो को आनन्द हुआ, क्योंकि श्रीगंगाजी की उत्पत्ति नखों से ही है. किन्तु प्रभु के वचनों को सुनकर कि, "होव निलम्ब उतारहु पारु" मोहने बुद्धि को सोच लिया अर्थात् श्री गङ्गाजी को मोह हुआ कि कहीं यह साधारण राजकुमार तो नहीं है । थ्रोप्रभु की आज्ञा पाकर केवट कठौते में पानी भर लाया और आनन्द से प्रेम में विभोर होकर चरणमलों को धोने लगा । समस्त देवता आकाश से फूलों की वर्षा करते हुए कहते हैं कि इसके समान पुन्यात्मा दूसरा कोई नहीं है । श्रीचरणों को धोकर और परिवार सहित चरणामृत लेकर अपने पितरों को संसार सागर से प्रथम पार करके तय प्रसन्नता पूर्वक श्रीप्रभु को गङ्गा के पार ले गया।
पानी कठवता भरि ले आया -०० कठवता में पानी लाने से केवट की चतुरता वगट होती है। फठौता में लाया जिस में परीक्षा भी हो जायगो । यदि यह उड जाय तो कठौता हो जायगा नाव तो बच जायगी। दूसरा भाव कि कठौता में लाया कठौती में नहीं क्योंकि उसने सोचा कि कठौती से चरण रज स्पर्श होने से तो स्त्री वन जायगी अतः कठौता में लाया कि अगर बने तो पुरुष ही बने स्त्री नहीं। कठौता में पानी लाने का भाव तीसरा यह कि इस समय श्रीप्रभुजी कैकेयी माताजी को आक्षा वश "तापस घेष विशेष उदासी" हैं। विशेष उदासी कोई धातु छूते |
नागपुर, 10 अगस्त बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने भंडारा सरकारी अस्पताल में आग लगने के मामले के आरोपी दो नर्सों को मंगलवार को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी।
पूर्वी महाराष्ट्र के भंडारा में अस्पताल में नौ जनवरी 2021 को लगी भीषण आग में दस नवजात शिशुओं की मौत हो गयी थी । घटना के वक्त ड्यूटी पर तैनात दो नर्स शुभांगी सथावणे और सुनीता मसूलकर पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था।
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार और पुलिस को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा और इस महीने के अंत में अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से राहत प्रदान की।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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बिग बॉस 16 में हिस्सा लेने के लिए अंजलि अरोड़ा से भी संपर्क किया गया है।
अंजलि ओटीटी रियलिटी शो लॉक अप की सेकंड रनर बनीं थी।
इस शो में मुनव्वर फारुकी के साथ उनकी खास बॉन्डिंग सबसे ज्यादा चर्चित रही थी।
उन्होंने मुनव्वर फारूकी के साथ प्यारे पलों के लिए बहुत लोकप्रियता हासिल की।
प्रशंसकों ने उन्हें मुंजाली नाम दिया था।
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दूसरे प्रकार का मौन वचन का बताया गया है । ससार मे जितने भी जीव है, उन सबमे सिर्फ मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जिसमे स्पष्ट बोलने की शक्ति है । यद्यपि मनुष्य की तरह अनेक पचेन्द्रिय पशु-पक्षियों के जवान होती है, शारीरिक शक्ति में भी शेर हाथी तथा अन्य जीव-जन्तु मनुष्य से अधिक होते है, फिर भी वे अपनी जिह्वा का प्रयोग मनुष्य की तरह स्पष्ट, मधुर अथवा कडवी भाषा मे नही कर सकते ।
मनुष्य अपनी वाणी से ही औरो को दोस्त अथवा दुश्सन बना सकता है । कहा भी है -
जिह्वा मे अमृत बसै, विष भी तिनके पास
इक बोले तो लाख ले, एके लाख-विनास ।।
जिह्वा मे ही मधुरता रूपी अमृत और कटुता रूपी विष रहता है । एक तो लाखो को अपना बना लेता है और दूसरा लाखो को वेगाना । वाणी से ही मनुष्य सम्मान का पात्र बनता है और वाणी से ही अपमान का पात्र भी बन जाता है । कभी-कभी तो वाणी के द्वारा महा अनर्थ भी हो जाता है ।
इसीलिये कहा गया है कि प्रत्येक मनुष्य को यथा- शक्य मौन रहना चाहिये । वाणी के मौन के भी दो भेद बताए गए है ( १ ) चुप रहना ( २ ) और सावध भाषा न बोलना ।
बिलकुल न बोलना तो मौन कहलाता ही है किन्तु सावद्य भाषा, अर्थात् पापजनक भाषा न बोलना भी वचन का मौन माना जाता है । शास्त्रो मे सावद्य भाषा बोलने का निषेध है । उसमे पापो का आगमन होता है । मुनियो के सामने अनेक प्रकार की परिस्थितियाँ आती है । कोई आकर कहता है कि मैं धर्म कार्य करना चाहता हूँ आज्ञा दीजिये ।" और कोई आकर शादी विवाह के मुहूर्त अथवा सट्टा लगाने के लिये अको के विषय मे भी पूछने लगता है । इस प्रकार अनेक तरह की स्थितियाँ उनके सामने होती है । उस समय मुनि क्या करते है ? बहुतवार वे मौन धारण कर लेते हैं । कई कार्य ऐसे होते है कि उनकी आज्ञा देने पर आरम्भ-समारम्भ होता है और निषेध करने पर अनेको की सुख शांति मे बाधा पडती है । अत. ऐसे अवसर पर मौन धारण करना ही उत्तम होता है ।
कभी-कभी वचनो के थोडे से प्रयोग के कारण भी मनुष्य किसी जटिल बधन मे बँध जाता है और बडी कठिनाई से उससे छूट पाता है । एक उदाहरण लीजिए२२
एक सन जगल मे साधना कर रहे थे। उनके पास एक राजा आ गया । राजा के कोई पुत्र नहीं था अत. किसी ने उसे सुझाव दिया कि अमुक वन मे एक सतववर्ष से मौन साधना कर रहे हैं । सेवा करके उन्हें प्रसन्न कर लेने पर वे आप की इच्छा पूरी करेंगे । वारह वर्ष से वे मौन है और उससे उनमे इतनी शक्ति आ गई है कि अगर उनके मुँह से आप को वरदान मिल जाय तो निश्चय ही वह सत्य होगा ।
राजा ने वही किया। खूब मन लगाकर उनकी सेवा भक्ति की । अत मे राजा को व्याकुल और उदास देखकर सत का मन पिघल गया। बारह वर्ष के पश्चात् वे बोल पडे - 'राजन । चिन्ता मत करो, तुम्हारे यहाँ पुत्र उत्पन्न होगा ।' राजा अत्यन्त प्रसन्न होकर बार-बार मुनि को नमस्कार करके
चला गया ।
इधर सत को रूपाल आया- 'अरे राजा को मैंने पुत्र उत्पन्न होने का वरदान तो दे दिया किन्तु उसके पुत्रयोग तो है ही नहीं । वह घोर चिन्ता मे पड गए । सोचने लगे - बारह वर्ष पश्चात् भी बिना विचारे बोलकर में कैमी विपत्ति मे फँस गया ।
किन्तु वरदान तो सत्य करना ही था । अत उन्हे अन्त मे यह निश्चय करना पड़ा कि, मैं स्वयं ही जाकर उनके पुत्र रूप में उत्पन्न होऊँ ।" यही हुआ । सन ने देह त्याग किया और वे राजा के यहाँ जाकर पुत्र रूप मे उत्पन्न हा गए ।
उन्हें अपने पूर्वजन्म का स्मरण था । अत उन्होंने पुन मौन धारण कर लिया । पुत्र के बोलने लायक वय के हो जाने पर भी जब राजा ने देखा कि वह वोलता नही तो वे बडे दुखी हुए । सोचा कि पुत्र प्राप्त हुआ पर मेरे दुर्भाग्य से गूंगा हो गया। किन्तु क्या हो सकता था । अनेक प्रकार के इलाज और जादू टोने करवाए पर सब व्यर्थ गए । राजा भाग्य को कोसता हुआ पुत्र जैसा या उसी से सतोप करने लगा
एक दिन राजकुमार अपने अनुचरो के साथ घूमने गया । वहाँ जगल मे एक वृक्ष के नीचे बैठ गया। उसी वृक्ष पर एक कौआ भी आकर बैठा और काँव काँव करने लगा। उसे शोर मचाते देख एक व्यक्ति ने उसे जोर से पत्थर फैक कर मारा । पत्थर नुकीला था, उससे कौए को चोट पहुँची और वह घायल होकर राजकुमार के सामने आकर गिर पड़ा। उसका दुख देखकर
राजकुमार का मौन टूट गया । वह कौए को लक्ष्य करके बोल पडा-- 'अरे तू बोला ही क्यो ?
अनुचरो ने जब राजकुमार को बोलते देखा तो वे प्रसन्न व हैरान हो गए और दौडे दौडे राजा के पास पहुँचे । राजा से उन्होंने निवेदन कियामहाराज राजकुमार तो आज से बोलने लगे ।
राजा सुनकर हर्षविह्वल हो गए और राजकुमार के पास जाकर उससे बात करने की कोशिश करने लगे। किन्तु राजकुमार तो पुनः मौन हो गए थे । अत लाख प्रयत्न करने पर भी वे बोले नही । इससे राजा ने अनुचरो को झूठा मानकर उन्हें सजा देने का आदेश दे दिया । अनुचर राजकुमार के पैरो पर गिर पडे । राजकुमार ने तब कहा - भाई । तुम भी क्यो बोले ?
राजा ने राजकुमार को जब अपने सामने ही स्पष्ट रूप मे बोलते देखा तो उसने राजकुमार से बहुत ही जिद करके इसका कारण पूछा ।
अंत मे राजकुमार ने कहा - "महाराज । मै तो वही संत हूँ जिसने तुम्हे वरदान दिया था । बारह वर्ष बाद तुम्हे वरदान देने के लिये बोलने के कारण मुझे तुम्हारा पुत्र बनकर इतना कष्ट उठाना पडा । वन मे कौआ बोला तो उसे मरना पड़ा और तीसरे तुम्हारे अनुचर बोले तो इन्हे सजा भुगतने की नौबत आ गई । अब तो कृपा कर मुझे पुन जगल मे जाकर अपना कल्याण करने दो । वचन के बचन मे आकर मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया। अब शेष जीवन में मौन रहकर साधना करते हुए बिताना चाहता हूँ ।"
बधुओ । बचनो के द्वारा सत को कितनी परेशानी उठानी पडी, यह उपरोक्त लघु कथा से आप समझ ही गये होगे । इसीलिये गाधीजी ने कहा था -
"मोन सर्वोत्तम भाषण है । अगर बोलना ही पडे तो कम से कम बोलो । एक शब्द से काम चले तो दो भी मत बोलो ।"
मौन को अत्यधिक महत्व देते हुए वेदव्यास जी ने तो महाभारत के शाति पर्व मे यहां तक लिखा है।
नापूष्ट कस्यचिद् ब्रूयान्नव्यन्यायेन पृच्छत । ज्ञानवानपि मेघावी जडवत्समुपाविशेत् ।।
अर्थात् किसी के प्रश्न किये बिना न वोले, तथा अन्याय से कोई प्रश्न
करता हो तब भी न बोले । मेधावी पुरुष ज्ञानवान् होकर भी मूर्ख की तरह व्यवहार करे ।
इसके अतिरिक्त ऐसे व्यक्तियों को तो विशेष रूप से मौन धारण करना चाहिये जिनमे कि विवेक की कमी है। विवेकहीन पुरुष की कटु वाणी कदमकदम पर अपने दुश्मन बनाती चलती है । क्योंकि उनके कटु वाक्य सुनने वाले के हृदय में तीर की तरह चुभ जाते है और उसका परिणाम उन्हें कभी कभी तो बहुत ही बुरा भोगना पडता है । 'रहीम' ने स्पष्ट कहा भी है --
रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गई सरग पताल । आपु तो कहि भीतर गई, जूती खात कपाल ॥
वास्तव में प्रकृति ने तो मनुष्य की जिह्वा को अत्यन्त कोमल बनाया है । अतएव इससे बोले हुए वचन भी कोमल और मधुर होने चाहिये । एक फारसी कवि ने वडी सुन्दरता मे इस भाव को प्रगट किया है
अज बराए नरम गुफ्तन शुद जवा वे उस्तखा । सख्त तगो तुरश गुफ्तन नेस्त कोर आकिला ।।
अर्थात् जिह्वा मे ईश्वर ने हड्डी न डालकर इसलिये कोमल रखा है कि यह कोमल शब्दों का उच्चारण करे । कटु और कठोर शब्द बोलना अक्लमदो का कार्य नहीं है ।
अब आप लोग समझ गए होगे कि वाणी का मौन क्या है और यह मनुष्य के लिये कितना आवश्यक है ।
तीसरे प्रकार का मौन काया का माना जाता है । काया का अर्थात् शरीर का मौन रखना मन तथा वचन के मौन से भी अधिक आवश्यक है ।
महापुरुषों ने बताया है कि जीवो की चौरासी लाख योनियाँ है । हम स्वय भी अगरिणत प्रकार के जीव-जन्तु इस सृष्टि मे देखते है । कई आकाश मे उडते है, कई पृथ्वी पर चलते हैं और कई जीवन भर पानी में ही अपना समय व्यतीत कर देते है । इसके अतिरिक्त विश्व इस पृथ्वी तक ही सीमित नही है । ऊपर स्वर्ग मे देवता और नीचे नरक मे नारक जीव निवास करते है । अनन्तानन्त तिर्यंच जीव भी काल यापन करते है ।
इस प्रकार ससार मे अनन्त- अनन्त जीव हैं, किन्तु मनुष्य को ही ऐसी काया, विलक्षरण मस्तिष्क और असाधारण विवेक मिला हुआ है, जिसके कारण
वह इन समस्त जीवो से उन्नत और श्रेष्ठ समझा जाता है । यह श्रेष्ठता इसे अनन्तानन्त पुण्यो के सचित कोष के द्वारा प्राप्त हुई है ।
अब यह मनुष्य के हाथ में है कि वह अपने चामत्कारिक मस्तिष्क, विशाल हृदय और पाँचो इन्द्रियो का सदुपयोग अथवा दुरुपयोग करे । शरीर और इन्द्रियो का दुरुपयोग न करना ही वास्तव मे काया का मौन है । इन्द्रियो को - विषय कषायो मे रत रखना, इनके द्वारा दूसरो को पीडा पहुँचाना, हिसा करना, यह सब इनका दुरुपयोग है और इसके विपरीत इन्हे पर दुख भजन बनाकर और अशुभ प्रवृत्ति से हटाकर शुभ प्रवृत्ति मे लगाना इनका सदुपयोग करना है । जो व्यक्ति यह करता है वह शाश्वत सुग्व की प्राप्ति कर सकता है । कहा भी है
मन और इन्द्रियाँ वश में हैं हो जाती, जिनकी चेतन मे चित्तवृत्ति रम जाती । धारा जिन सत्पुरुषो ने सुविरति बाना, कर कर्मनिर्जरा पाया मोक्ष ठिकाना ।।
वास्तव में देखा जाय तो समस्त ममता का केन्द्र शरीर है । शरीर पर ममत्व होने के कारण ही ससार के अन्य पदार्था पर भी ममत्व उत्पन्न होता है । अत आत्मकल्याण के इच्छुक व्यक्तियों को सर्वप्रथम अपने शरीर का मोह छोडना चाहिये ।
यह विचार करना आवश्यक है कि शरीर आत्मा से भिन्न है । सिर्फ एक पर्याय मे ही यह साथ देता है । इसलिये इस अशाश्वत शरीर का मोह छोडकर शाश्वत आत्मा के कल्याण का प्रयत्न हमे करना है । यह सोचना चाहिये कि जब शरीर ही अपना नहीं है तो ससार के अन्य पदार्थ तथा पत्नी, पुत्र, मित्र और परिवार आदि अपने कैसे हो सकते है ? वस्तुत कोई भी आत्मा का सहचर नही है, सिर्फ पुण्य और पाप ही इसके साथ लगे रहते है ।
पाप और पुण्य के प्रभाव से मनुष्य जन्म-मरण करता रहता है और इनको क्षीरण करके ही जन्म-मरण के दु खो से छुटकारा पा सकता है । तो मुक्ति प्राप्त करने के लिये क्या किया जाना चाहिये ? यही कि समस्त इन्द्रियो को वश में रखा जाए, दूसरे शब्दो मे काया का मौन धारण किया जाय ।
शरीर की अनित्यता कोई परोक्ष वस्तु नही है । हम प्रतिदिन उसे देखते है । क्षणभगुर शरीर प्रतिक्षण वदलता रहता है । अगर ऐसा न होता
तो बाल्यावस्था, यौवनावस्था, प्रौढावस्था तथा वृद्वावस्था में भेद कैसे होता ? युवावस्था के पश्चात् शारीरिक शक्ति का ह्रास होने लगता है और धीरे धीरे शक्ति का लेश भी नहीं रह जाता । अन्तत आत्मा इसे छोड जाती है । इसके अतिरिक्त यह आवश्यक नहीं है कि वृद्धावस्था आए ही । मृत्यु तो किसी भी समय झपट कर जीवन को समाप्त कर देती है। पहले क्षण में मनुष्य हँसता है, बोलता है, कडाएँ करता है और दूसरे ही क्षण शरीर चेतना रहित हो जाता है और आत्मा प्रयारण कर जाती है। तभी तो चेतावनी दी जाती है -
कविरा नौवत आपनी दिन दस लेहु बजाय । यह पुर पट्टन यह गली, बहुरि न देखो आय । पाचो नौवत वाजती, होत छतीसो राग ।
सो मन्दिर खाली पडा, बोलन लागे काग ॥
जन्म-मरण का यह कम अनादि काल से चला आ रहा है और अनन्त काल तक चलता रहेगा । न यह भग होता है और न इसमे परिवर्तन ही होता है । समार मे अनेक महापुरुष हुए, अनन्त चक्रवर्ती और अनन्त तीर्थकर भी हो चुके है किन्तु इस नियम को कोई भग नहीं कर सका । पृथ्वी को कपा देने वाले महा शक्तिशाली राजा, महाराजा भी इस पृथ्वी पर आए पर कोई भी अपने शरीर को सदा टिका नही सके । अभिमानी और महावलवान रावण का भी अन्त एक कीडे की तरह ही हुआ ।
कहने का तात्पर्य यही है कि इस क्षणभर शरीर का मोह छोडकर मनुष्य अपनी समस्त इन्द्रियो को वश मे रखे । इन्हें अपनी इच्छानुसार विषयभांगो की ओर न जाने दे । कपायो का नाश करे और मन मे एकत्व चिन्तन करते हुए शुभ विचारों को स्थान दे। गाधीजी की अमूल्य शिक्षा थी, कि बुरे दृश्य देखो मत, बुरी बात सुनो मत और बुरे वचन बोलो मत ।" वास्तव मे यही काया का मौन है। ऐसा मौन धारण करने पर ही शरीर का और इन्द्रियो का सदुपयोग हो सकता है ।
शरीर नश्वर है, अपावन वस्तुओं के संयोग से बना है, और कालान्तर मे छूट जाने वाला है, फिर भी इसका महत्त्व ससार की समस्त वस्तुओं से बहुत अधिक है । इस शरीर को पाकर ही मनुष्य धर्म साधना कर सकता है । शरीरमाद्य खलु धर्मसाधनम्
सभी धर्म-कर्मों के लिए शरीर ही सबसे पहला साधन है ।
इस शरीर-नौका के द्वारा भव-समुद्र को तैरा जा सकता है और पार |
स्टेट डेस्कः झारखंड के सरायकेला के तिरूलडीह थानाक्षेत्र में कुकड़ू साप्ताहिक हाट से लौट रही पुलिस टीम पर नक्सलियों ने हमला कर दिया. इस हमले में पांच पुलिसकर्मी शहीद हो गये. इनमें दो एएसआई और तीन कांस्टेबल शामिल हैं. घटना के बाद नक्सली पुलिस के हथियार लेकर फरार हो गये.
जानकारी के मुताबिक कुकड़ू हॉट में गस्ती कर पुलिस पार्टी लौट रही थी. उसी दौरान नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया. जिसमें पांच पुलिसवालों की गोली लगी और उनकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में कुछ नक्सलियों को भी गोली लगने की सूचना है.
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AUS vs ENG ODI: टी 20 वर्ल्ड कप 2022 के तुरंत बाद ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच 3 वनडे मैचों की सीरीज होनी है। इसके लिए इंग्लैंड ने टीम का ऐलान कर दिया है। जोस बटलर को कमान सौंपी गई है, जबकि कई नए चेहरों को भी जगह मिली है। इंग्लैंड के इस स्क्वाड में ज्यादातर उन्हीं खिलाड़ियों को बरकरार रखा गया है, जो मौजूदा समय में टी20 वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रहे हैं।
ओपनर जेसन रॉय वनडे टीम में वापसी हुई है। टी20 वर्ल्ड कप के लिए स्क्वाड में जगह नहीं बनाए पाए थे। खराब फॉर्म के चलते उनका चयन नहीं हुआ था। रॉय कते अलावा डेविड मलान, सैम बिलिंग और जेम्स विंस को भी वनडे टीम में जगह मिली है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए दिग्गज ऑलराउंडर बेन स्टोक्स और मार्क वुड को आराम दिया गया है। ये दोनों ही खिलाड़ी टी20 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा हैं। आपको बता दें कि वनडे स्क्वाड में चुने गए 15 में से 11 खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया में ही मौजूद हैं।
पहला वनडे- 17 नवंबर को एडिलेड में खेला जायेगा।
दूसरा वनडे - 19 नवंबर को सिडनी में खेला जायेगा।
तीसरा वनडे- 23 नवंबर को मेलबर्न में खेला जायेगा।
जोस बटलर (कप्तान), मोइन अली, सैम बिलिंग्स, सैम करन, लियाम डॉसन, क्रिस जॉर्डन, डेविड मलान, आदिल राशिद, जेसन रॉय, फिल साल्ट, ओली स्टोन, जेम्स विंस, डेविड विली, क्रिस वोक्स, ल्यूक वुड।
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छत्तीसगढ़ में धमतरी जिले के दलदली गावं के जंगल में गांव वालों ने एक मादा तेंदुआ का शव देखा. शव की जानकारी ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को दी. घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कार्यवाई में जुट गयी. सामने आयी जानकारी के मुताबिक मादा तेंदुए के शरीर पर चोट के कई निशान हैं और शुरूआती दौर में देखने से पता चलता हैं कि यह चोट आपस में दो जानवरों के भिड़ने की वजह से आये हैं. वन विभाग के अधिकारी फिलहाल घटना से जुड़ी और जानकारी बाहर निकालने में जुटे हुए हैं.
छत्तीसगढ़ में धमतरी जिले के जंगल में वन विभाग ने मादा तेंदुए का शव बरामद किया है. वन विभाग के अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी. जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि जिले के नगरी वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले दलदली गांव के जंगल में वन विभाग ने मादा तेंदुए का शव बरामद किया है. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने वन विभाग को जंगल में तेंदुए का शव होने की जानकारी दी थी जिसके बाद वन विभाग के दल को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया था. बाद में दल ने तेंदुए का शव बरामद कर लिया.
अधिकारियों ने बताया कि मादा तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि तेंदुए के शरीर पर चोट के निशान थे. आशंका है कि किसी जंगली जानवर के साथ लड़ाई के दौरान तेंदुए की मौत हुई है. इस संबंध में अधिक जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही मिल सकेगी. अधिकारियों ने बताया कि गर्मी बढ़ने और क्षेत्र में जल स्रोतों के सूखने के कारण पानी की तलाश में वन्य प्राणी अक्सर गांव के करीब चले जाते हैं. ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है.
घटना की जानकारी मिलते ही डीएफओ मयंक पांडेय और टीम घटनास्थल पर पहुंचे. यहां पहुंचकर वन विभाग ने शव को कब्जे में लिया और उसे श्यामतराई डिपो भेजा गया. यह तीन डॉक्टरों की एक टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स की माने तो मृत मादा तेंदुए का शव दो से तीन दिन पुराना है. (भाषा इनपुट के साथ)
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Chaibasa : पश्चिमी सिंहभूम के डीसी के नाम पर फर्जी फेसबुक अकाउंट खोलने और रुपये मांगने के मामले में चाईबासा पुलिस टीम ने सोमवार को सहारनपुर में छापेमारी करके आरोपी आशिफ को गिरफ्तार किया है. आशिफ सहारनपुर के थाना मंडी, गांव मुस्तफाबाद कॉलोनी का रहने वाला है.
सहारनपुर में की गई छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी आशिफ के पास से एक मोबाइल और सीम कार्ड बरामद किया है. उसने अपना अपराध भी स्वीकार कर लिया है. चाईबासा पुलिस ने उसके खिलाफ एक मामला दर्ज करके सोमवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
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बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से डिप्रेश के कारण कई लोगों की सुसाइड की खबरें सामने आ रही है। हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एक छात्रा ने आत्महत्या कर सबको हैरान कर दिया है।
सोशल मीडिया (Social Media) पर टिकटॉक वीडियो से धूम मचाने वाली एक लड़की का आत्महत्या का मामला सामने आया है। 18 साल की यह लड़की दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा बताई जा रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले दो-तीन महीनों से यह लड़की डिप्रेशन में थी। हालांकि, सुसाइड की वजह अभी तक सामने नहीं आ सकी है।
छात्रा के कमरे से कोई भी सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। लड़की के रूम से उसके कजन को बॉडी मिली। कहा जा रहा है कि टिकटॉक के बैन होने के कारण वह काफी परेशान थी। टिकटॉक स्टार की आत्महत्या की जांच-पड़ताल दिल्ली पुलिस कर रही है। पुलिस महज 18 साल की उम्र में आत्महत्या करने के पीछे की वजह को तलाश करने की कोशिश कर रही है।
इससे पहले टिकटॉक स्टार सिया कक्कड़ ने सुसाइड कर लिया था। वह सिर्फ 16 साल की थी। पुलिस ने इस मामले को सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड से भी जोड़कर देखने की कोशिश की। लेकिन सुशांत की आत्महत्या से सिया कक्कड़ की मौत का कोई लिंक सामने नहीं आया। पुलिस ने एक्ट्रेस के सेलफोन को आगे जांच के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिया डिप्रेशन में थीं।
कुछ महीने पहले टिक-टॉक वीडियो पर लाइक न मिलने से परेशान एक व्यक्ति ने नोएडा के सेक्टर 39 थाना क्षेत्र के एक गांव में पंखे से फंदा लगाकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। सहायक पुलिस आयुक्त अरुण कुमार सिंह ने बताया था कि सेक्टर 39 थाना क्षेत्र के सलारपुर गांव में चांद मस्जिद के पास रहने वाला इकबाल (18 वर्ष) टिक- टॉक वीडियो बनाकर उन्हें अपलोड किया करता था। कुछ दिनों से उसकी टिक-टॉक वीडियो को लाइक नहीं मिलने से वह काफी परेशान था।
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बॉलीवुडः कोरोना महामारी के चलते बॉलीवुड से लेकर टीवी इंडस्ट्री की शूटिंग थप चल रही थी. लेकिन अब धीरे-धीरे सुरक्षा के हिसाब से शूटिंग शुरू की जा रही है. इसके साथ ही शूटिंग के साथ ही नहीं कई फिल्में भी रिलीज़ के लिए रोकी गईं हैं. इस महामारी का इंडस्ट्री पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. कई बड़ी फिल्मों की रिलीज टाली गई. मार्च में इरफान खान की फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम' के बाद से कोई भी फिल्म सिनेमाहॉल में रिलीज नहीं हो सकी. लेकिन अब एक जोरदार खबर हमारे सामने आ चुकी है.
इन दिनों कई बड़े स्टार्स को देखने के लिए उनके फैंस भी बेक़रार हैं. बॉलीवुड फैंस इस खबर को सुनकर खुशी से उछल सकते हैं. क्योंकि खबर है कि अक्षय कुमार की फिल्म 'सूर्यवंशी' और रणवीर सिंह की फिल्म '83' थिएटर में रिलीज होने जा रही है. यह जानकारी किसी और ने नहीं बल्कि INOX ने खुद अपने ट्विटर हेंडल से दी है.
मल्टीपेल्क्स की बड़ी ब्रांड INOX ने ट्वीट किया है कि अपने कैलेंडर्स पर मार्क कर लें. हम रोहित शेट्टी की फिल्म 'सूर्यवंशी' को इस दिवाली और कबीर खान की फिल्म '83' को इस क्रिसमस पर थिएटर में रिलीज करने जा रहे हैं.
बता दें कि रोहित शेट्टी की फिल्म 'सूर्यवंशी' में अक्षय कुमार और कटरीना कैफ लीड रोल में हैं. यह फिल्म 26 मार्च को रिलीज होने वाली थी. लेकिन 19 मार्च को ही सिनेमाहॉल बंद कर दिए गए थे. मूवी के ट्रेलर को फैंस से शानदार रिस्पॉन्स मिला था.
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Yes Bank Stock Price News: निजी क्षेत्र के यस बैंक के शेयरों में पिछले तीन सत्रों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। बैंक का शेयर मंगलवार को 52 हफ्तों के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मंगलवार को दिनभर के कारोबार के दौरान कंपनी का शेयर 13. 03 फीसदी की तेजी के साथ 23. 85 रुपये पर पहुंच गया. बैंक के शेयरों में इस उछाल से इस शेयर में सट्टा लगाने वाले काफी उत्साहित हैं.
एनएसई पर गुरुवार को बैंक का शेयर 17. 75 रुपये पर बंद हुआ। शुक्रवार को यह 11 फीसदी चढ़कर 19. 70 रुपये पर बंद हुआ था।
12 दिसंबर यानी सोमवार को यह सात फीसदी चढ़कर 21. 10 रुपए के स्तर पर बंद हुआ था। मंगलवार को दिनभर की ट्रेडिंग के दौरान कंपनी का शेयर एक समय 13 फीसदी चढ़कर 23. 85 रुपये के स्तर पर पहुंच गया था. इस तरह यह शेयर लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है।
यस बैंक के शेयरों में पिछले एक महीने में 38. 30 फीसदी का उछाल देखा गया है। पिछले छह महीनों में यह बढ़कर 86. 22 फीसदी हो गया है। इस साल अब तक यह बढ़कर 68. 33 फीसदी, एक साल में 68. 93 फीसदी हो गया है।
पिछले हफ्ते बैंक के बोर्ड को आरबीआई से वेरवेंटा होल्डिंग्स और कार्लाइल ग्रुप से पूंजी जुटाने की अनुमति मिली थी। इस वजह से बैंक के शेयरों में यह तेजी देखने को मिली.
इससे पहले जुलाई में यस बैंक ने कहा था कि ये दो ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी कंपनियां 8,898 करोड़ रुपए के निवेश से बैंक में 9. 99-9. 99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी। इस लेनदेन को लेकर केंद्रीय बैंक ने सशर्त अनुमति दी है।
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नई दिल्ली । । टीम इंडिया हाल ही में वेस्टइंडीज के साथ 2 टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 2-0 से जीत हासिल करने के बाद आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में पहले स्थान पर कब्जा किया। वहीं भारतीय कप्तान विराट कोहली का भी जबरदस्त प्रदर्शन देखने को मिला और टेस्ट रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज होते हुए दिखाई दिए।
लेकिन हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के मध्यक्रम बल्लेबाज स्टीव स्मिथ का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला जिन्होंने भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली को पीछे छोड़ते हुए 2 अंकों की छलांग लगाते हुए 904 अंकों के साथ पहले स्थान पर काबिज हुए। वहीं विराट कोहली एक पायदान नीचे उतरते हुए 903 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर बने हुए है।
न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन 878 अंकों के साथ तीसरे पायदान पर हैं जबकि चेतेश्वर पुजारा 825 अंकों के साथ चौथे स्थान पर बने हुए हैं पांचवें स्थान पर 749 अंकों के साथ हेनरी निकोलस का कब्जा है।
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दुश्मन देशों की साज़िश से वाक़िफ़ है भारत, क्या है '2 फ्रंट वॉर' जिसकी तैयारी में जुटे चीन-पाकिस्तान?
जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पिछली बार चीन गए थे तब चीनी नेताओं और जनरलों के साथ बातचीत में प्रमुख मुद्दा दोनों देशों की सेनाओं में बेहतर तालमेल बिठाना था. ताकि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तानी फ़ौज और PLA में आपसी सूझबूझ के साथ कामकाज हो.
खबर आई है कि चीन, पाकिस्तान को उसके कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) में एक मिसाइल सिस्टम स्थापित करने में मदद कर रहा है. खबर भारत की खुफ़िया एजेंसी RAW यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के सूत्रों से आई है.
PoK में लसादन्ना ढोक में इस सरफेस टू एयर मिसाइल की तैनाती के लिए सिविल वर्क्स का काम शुरू भी हो चुका है और ध्यान देने वाली बात है कि इस निर्माण कार्य में पाकिस्तानी आर्मी के लोगों के साथ PLA के कर्मचारी भी जुटे हुए हैं.
पाकिस्तानी आर्मी (Pakistan Army) के लगभग 130 फौजी और लगभग 40 सिविलियन कर्मचारी निर्माण स्थल पर काम में जुटे हुए हैं. इस मिसाइल सिस्टम का कंट्रोल रूम बाघ ज़िले में मौजूद आर्मी ब्रिगेड हेडक्वार्टर में होगा.
PLA के 7 कर्मचारी और 3 अफ़सर इस कंट्रोल रूम में तैनात किये जा रहे हैं. यह अपनी तरह का अकेला वाकया नहीं है. RAW के सूत्रों का कहना है कि ऐसे ही मिसाइल सिस्टम्स की तैनाती के लिए PoK में ही हट्टियां वाला ज़िले के चकोटी में और झेलम ज़िले के चिनारी में भी निर्माण कार्य चल रहा है.
अपने आप में किसी आर्मी के इस तरह के निर्माण कार्य को सामान्य माना जाएगा. लेकिन PoK में स्थिति अलग है. यहां चीन और पाकिस्तान (China-Pakistan) अपनी सेनाओं में बेहतर तालमेल के लिए ये कदम उठा रहे हैं. इसमें कोई माथापच्ची करने की ज़रुरत नहीं कि इस मशक़्क़त का निशाना भारत है.
हम पहले भी आगाह कर चुके हैं कि जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पिछली बार चीन गए थे तब चीनी नेताओं और जनरलों के साथ बातचीत में प्रमुख मुद्दा दोनों देशों की सेनाओं में बेहतर तालमेल बिठाना था. ताकि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तानी फ़ौज और PLA में आपसी समझ बूझ के साथ कामकाज हो. साफ़ है भारत के ये दोनों पड़ोसी देश भारत के खिलाफ 2 फ्रंट वॉर (Two-front war) की तैयारी में जुटे हैं.
यह 2 फ्रंट वॉर क्या है?
भारत की पश्चिमी और पश्चिमोत्तरी सीमा पर पाकिस्तान स्थित है और हमारी उत्तरी सीमाओं से लेकर पूर्वी सीमाओं तक चीन की सीमा लगती है. 2 फ्रंट वॉर की स्थिति में ये दोनों देश भारत पर साथ मिलकर समन्वित हमला कर सकते हैं ताकि भारत को पश्चिमी और उत्तरी दोनों तरफ से दबोचा जा सके. लेकिन ऐसा नहीं है कि भारत दुश्मन देशों की ऐसी साज़िश से नावाक़िफ़ है.
भारतीय CDS यानी चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत साल 2018 से ही साफ करते रहे हैं कि भारत हमेशा शांति चाहता है लेकिन अगर ज़रुरत पड़ी तो वह 2 फ्रंट वॉर के लिए भी तैयार है. जनरल रावत का कहना था कि भारत की सुरक्षा क्षमता में अब बहुत मज़बूती है और हमारी आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों साथ मिलकर ऐसी किसी भी स्थिति से लोहा लेने के लिए तैयार हैं.
अभी 4 दिन पहले वायुसेनाध्यक्ष आर के एस भदौरिया ने भी ज़ोर दे कर कहा कि राफेल युद्धक के सम्मिलित हो जाने के बाद भारतीय वायुसेना को अपने प्रतिद्वंदियों पर बढ़त हासिल हो चुकी है और हम दुश्मन के सीमा में दूर तक, गहरे जाकर निशाना लगा सकते हैं. वायुसेनाध्यक्ष के अनुसार हम किसी भी युद्ध के लिए तैयार हैं, भले ही वह 2 फ्रंट्स पर क्यों न लड़ा जाये!
हम भारतीयों को अब यह समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान अब पूरी तरह से चीन का अलमबरदार हो चुका है और चीन जो चाहता है वह पाकिस्तान को करना पड़ता है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो. सुरक्षा साज़ोसामान और सामरिक मामलों में तो पाकिस्तान अब पूरी तरह चीन पर आश्रित है. क़र्ज़ के लिए भी वह चीन के सामने ही हाथ फैलाता है क्योंकि अमेरिका और पश्चिमी एशिया के मुल्क, खासतौर पर सऊदी अरब ने अब उसे और पैसे देने से इंकार कर दिया है.
चीन के महत्वाकांक्षी साम्राज्यवादी बेल्ट एंड रोड प्रोग्राम का सबसे बड़ा हिस्सा यानी चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) जो PoK और पाकिस्तान में स्थित है. चीन इससे अपने बहुत सारे आर्थिक, राजनीतिक, अंतर्राष्ट्रीय और सामरिक लक्ष्य हासिल करना चाहता है, जिनमें बलूचिस्तान के रास्ते अरब सागर पर स्थित ग्वादर बंदरगाह पहुंच कर हिन्द महासागर क्षेत्र में दखल देने की अपनी ताक़त और व्यापार बढ़ाना प्रमुख हैं.
PoK और गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) भारत के हिस्से हैं, भले ही अभी वो पाकिस्तान के कब्ज़े में हों. लेकिन CPEC के चलते चीन सामरिक प्रतिष्ठानों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में अब यहां इतना निवेश कर चुका है कि इस इलाके से बाहर निकल पाना उसके विकल्पों में शामिल नहीं है.
इसलिए इन इलाकों से संबंधित सारे फैसले अब चीन लेता है और पाकिस्तान उन पर सिर्फ अपनी स्वीकृति की मुहर लगाता है. इनमें गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का 5वां प्रांत बनाना शामिल है.
स्कार्दू एयरबेस पर अब चीन की वायुसेना के जंगी जहाज़ भी तैनात हैं. भारत ने CPEC के प्रोजेक्ट्स को लेकर चीन और पाकिस्तान से कड़ा विरोध व्यक्त किया है.
चीन, भारत को घेरना भी चाहता है इसलिए वह पाकिस्तान के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, म्यानमार, श्रीलंका और मालदीव में भी इस दिशा में कोशिश करता रहता है, हालांकि इनमें से अधिकतर पड़ोसियों से हमारे संबंध मधुर हैं. तो लौटकर बात चीन-पाकिस्तान की धुरी पर आ जाती है.
दोनों के बीच सभी क्षेत्रों में अंतरंग सहयोग का मतलब यही है कि अब भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हमेशा चौकस और तैयार रहने की ज़रूरत है और इसमें 2 फ्रंट वार के लिए तैयार रहना भी शामिल है.
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इंग्लैंड क्रिकेट टीम का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा हैं. बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज में खराब प्रदर्शन करने के बाद इंग्लैंड टीम भारत दौरे पर आयी थी. बांग्लादेश में मेहंदी हसन और शकीब अल हसन के खिलाफ इंग्लैंड का प्रदर्शन काफी फीका रहा था. लेकिन भारत के खिलाफ राजकोट में खेले गये पहले टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद इंग्लैंड टीम अगले तीन टेस्ट मैचों में कुछ खास नहीं कर पायी और सीरीज 3-0 से हार गयी.
अब टेस्ट सीरीज का पांचवां और आखिरी मैच 16 दिसंबर से चेन्नई में खेला जाएगा, और आखिरी टेस्ट से पहले इंग्लैंड के पूर्व कप्तान जैफ्री बॉयकोट ने इंग्लिश टीम को टीम में बदलाव करने की सलाह दी हैं.
वानखेडे टेस्ट में 4 तेज गेंदबाज और 2 स्पिनर के साथ खेलने से इंग्लैंड टीम को भारी नुकसान उठाना पड़ा और भारत ने 631 रन बनाए और इंग्लैंड को एक पारी से हराया. भारतीय स्पिनरों ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों को कोई मौका नहीं दिया.
उन्होंने कहा,
उन्होंने कहा, अगर उन्हें लगता हैं, कि वे पहले जैसे कप्तानी कर पाएंगे तो उन्हें कप्तानी करनी चाहिए वरना छोड़ देनी चाहिए.
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Moradabad सेवानिवृत्त आइएएस को बीमा पालिसी में छह हजार रुपये की जीएसटी लाभ दिलाने के नाम पर 54 हजार रुपये की ठगी की गई। सेवानिवृत्त आइएएस ने साल 2019 में नोएडा एसएसपी को शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाताः सेवानिवृत्त आइएएस को बीमा पालिसी में छह हजार रुपये की जीएसटी लाभ दिलाने के नाम पर 54 हजार रुपये की ठगी की गई। सेवानिवृत्त आइएएस ने साल 2019 में नोएडा एसएसपी को शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी। इसी शिकायत पर मंगलवार को सिविल लाइंस पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर की गई है।
पाकबड़ा के मढ़न गांव निवासी डीके गुप्ता सेवानिवृत्त आइएएस हैं। साल 2011 में वह सेवानिवृत्त हो गए थे। वर्तमान में वह परिवार के साथ बीटा टू कालोनी ग्रेटर नोएडा में रहते हैं। उन्होंने बताया कि 13 मई 2019 को उनके पास महिला का फोन आया था। उस दौरान वह गांव के फार्म हाउस में थे। महिला ने खुद को निजी बीमा कंपनी का कर्मचारी बताते हुए कहा कि आज ही उन्हें जीवन बीमा पालिसी की किस्त जमा करानी होगी। इससे उन्हें छह हजार रुपये का जीएसटी लाभ होगा।
महिला के झांसे में आकर डीके गुप्ता सिविल लाइंस मुरादाबाद स्थित एसबीआइ की बैंक शाखा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने महिला के बताए खाते नंबर 54 हजार रुपये स्थानांतरित कर दिया। रुपये स्थानांतरण के दो दिन बाद सेवानिवृत्त आइएएस की पत्नी की तबीयत खराब हो गई। इसके बाद वह नोएडा चले गए। तभी उन्हें बीमा कंपनी के कर्मचारी ने काल करके बताया कि उनकी किस्त अभी तक जमा नहीं हुई है। इसके बाद ठगी की जानकारी हुई।
पीड़ित डीके गुप्ता ने तत्काल नोएडा एसएसपी के कार्यालय पहुंचकर तहरीर दी। इसके बाद इस मामले की जांच शुरू हुई। कार्रवाई नहीं होने पर पीड़ित सेवानिवृत्त आइएएस ने एसएसपी मुरादाबाद से कुछ दिन पूर्व मुलाकात की। उन्होंने अपने साथ हुई घटना की जानकारी दी।
एसएसपी हेमराज मीना ने नोएडा पुलिस दी गई तहरीर की रिपोर्ट मांगी। उसी रिपोर्ट के आधार पर सिविल लाइंस लाइंस थाने में अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। सिविल लाइंस सीओ डा. अनूप सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। साइबर सेल इस मामले की जांच कर रही है।
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अध्याय - २८ ]
व्यंजना के अनुरूप होती यह भगिमा भाव के तत्व में उल्लमित होने वाले स्प का सहज अतिशय है । इसी अतिशय से युक्त होने के कारण भाव सहज, सुन्दर एव कलात्मक होता है। इसी कारण भाव साक्षात जीवन को कलात्मक एवं सुन्दर बनाता है । भाव की व्यजना से युक्त जीवन एक प्रकार का साक्षात् काव्य हे । काव्य के 'रूप' में ग्रन्वित होकर वह वाव्य का काव्य बन जाता है । प्रकृति-वर्णन और भाव निरूपण के प्रसंग मे तत्व के स्व-गत सोन्दर्य तथा अभिव्यक्ति के रूप गत सौन्दर्य का विवेक आवश्यक है । इसी विवेक के द्वारा कलात्मक सौन्दर्य के विभिन्न स्तरों का विवेचन हो सकता है। इन स्तरो का सकेत इस प्रकार है । प्रकृति का उदासीन सत्य रूप के महज अतिशय रहित होने के कारण कलात्मक सौन्दर्य में कठिनता से ग्रन्वित होता है, यद्यपि इतना अवश्य है कि कोई भी तत्व पूर्णत स्प-रहित नहीं होता, अत कोई भी तत्व कला का उपादान बनने के योग्य नहीं है। प्रकृति के सौन्दर्य का 'म्प' उसे कला के अधिक अनुकूल वनाता है। प्राकृतिक श्रेयो मे तत्व की प्रधानता ही रहती है, रूप का अधिक महत्व नहीं होता । तत्व का यह महत्व उपयोगिता के रूप मे फलित होता है । म्पगत सौन्दर्य के अनुकूल न होने के कारण प्राकृतिक श्रेयो को कला एवं काव्य में कम स्थान मिलता है । जहाँ वे कला अथवा काव्य के उपादान बने हैं वहाँ भी वे प्राकृतिक सुख एव रुचि के कारण अधिक आकर्षक बने है तथा उनके सम्बन्ध मे कलात्मक सौन्दर्य का महत्व अधिक नहीं है । पारस्परिक भाव एव अभिव्यक्ति के 'रूप' से ग्रन्वित होकर हो वे कलात्मक सौन्दर्य के महत्व के साथ सगत वन सके हैं। सांस्कृतिक श्रेय हो भाव के ऐसे रूप है जिनमें रूप के अतिशय के की तरंगें उठती है। अभिव्यक्ति के रूप इन तरगो पर किरणों के समान विलास करते हैं और दोनों के समन्वय से जीवन के पटल पर एक श्रेष्ठ क्लात्मक सौन्दर्य की सृष्टि होती है ।
प्राकृतिक सत्य और प्राकृतिक श्रेय की उदासीनता का कारण समात्मभाव का अभाव है। इनके स्वरूप मे समात्मभाव का आधार नहीं होता इसीलिये ये उदासीन होते हैं । समात्मभाव का अभाव ही उदासीनता का कारण है । और इसके सौन्दर्य के प्रसग में हमने अनेक वार सक्त किया है कि समात्मभा उसका मूल आधार है । समात्मभाव कला के स्वरूप और उसके स्पगत का निर्माण नहीं करता फिर भी यह असदिग्ध है कि वह कला के रूप स
रचना का प्राधार अवश्य है । कला का मौन्दर्य तो म्प के अतिशय में ही स्फुटिन हाता है किन्तु समात्मभाव बनाको सृजनात्मक प्रेरणा का स्रोत है । को भूमिका में हो कलात्मक सौन्दर्य को रचना सम्भव होती है। प्राकृतिक मन्य और प्राकृतिक श्रेय के उदासीन रूपो मे समात्मभाव का आधार नहीं रहता विन्तु समात्मभाव के आधार के बिना ये क्ला के उपादान नहीं वन सक्ने । समात्मभाव की भूमिका में उदासीन सत्य और उदासीन श्रेय में भी भाव के अफूटने लगते है तथा वे जिनके उदासीन तत्व को सौन्दर्य को और अभिमुख करते हैं। मान्कृतिक भावो के श्रेय मे समात्मभाव उनके स्वस्पगत तत्व की भांति समवेत रहता है । समात्मभाव सौन्दर्य की है। यह आत्मा सास्कृतिक श्रेय के भावो में व्याप्त आत्मा रहती है। इसीलिए वे सहज सुन्दर होते है। इसीलिए सौन्दर्य की रचना करने वाले रूप के अतिशय में उनका समन्वय अधिक सफल होता है और श्रेष्ठ क्लात्मक सौन्दर्य की सृष्टि करता है । उदासीन सत्य और प्राकृतिक श्रेय के साथ तुलना में मास्कृतिक श्रेय का यह अन्तर महत्वपूर्ण है। सास्कृतिक श्रेय के भावो मे समवेत समात्मभाव जीवन का एक साक्षात् सत्य होता है । इसके साक्षात् सत्य की नजीवता ही सास्कृतिक भावो को उदासीन सत्य और प्राकृतिक श्रेय की तुलना में अधिक सजीव बनाती है । क्ला को सौन्दर्य रचना मे जिस समात्मभाव की प्रेरणा रहती है वह जीवन का साक्षात् सत्य नहीं होता, वह वाल्पनिक अधिक होता है। उदामीन सत्य और प्राकृतिक श्रेय के तत्वों में किसी वाल्पनिक समात्मभाव का अन्वय उन्हें क्लात्मक सौन्दर्य का उपादान बनाता है । इनके उपादानो से निर्मित कन्ना एव काव्य में उदासीन तत्व काल्पनिक, समात्मभाव और रूप का अतिशय ये तीन विधायक प्रग होते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य में प्रकृति वे उपकरणो मे समवेत रूप वा अतिशय और मिल जाता है। प्राकृतिक श्रेय जो प्राकृतिक सत्य पर अश्रित है, जब क्ला एवं पाव्य के उपादान बनते हैं तो माक्षात् समात्मभाव की भाव-विभूति मिलने पर वे अधिक सम्पन सौन्दर्य की सृष्टि करते है । सास्कृतिक श्रेयो के भाव सबसे अधिक सम्पन सौन्दर्य की रचना करते हैं । उनके तत्व में भी साक्षात् नमात्मभाव और रूप के अतिशय का सहज समवाय रहता है । कला का आधारभूत काल्पनिक समात्मभाव और वलात्मक अभिव्यक्ति वा सौन्दर्य (पका अतिशय) मिल कर इन्हें और अधिक सुन्दर बना देते हैं तथा श्रेष्ठतम सौन्दर्य की रचना करते हैं ।
अध्याय २१
उदासीन सत्य की तुलना में शिवम अथवा श्रय एक रचनात्मक भाव है । सत्य अवगति का विषय है। ग्रहणात्मक चेतना तटस्थ और उदासीन रूप में उसका ग्रहण करती है। यह उदासीनता और तटस्थ दृष्टिकोण सत्य और उसके साधक के बीच एक आवश्यक भेद का कारण बनता है । सत्य के अनुसंधान के लिए इस भेद का अक्षुण्ण रहना आवश्यक है। साधक के सत्य मे तन्मय होने पर अनुसंधान का प्रश्न समाप्त हो जाता है। इसके विपरीत शिवम् अथवा श्रेय रचनात्मक चेतना का एक स्वतन्त्र भाव है । स्वतन्त्रता, सकल्पमूलकता और रचनात्मकता के अतिरिक्त श्रेय में एक आत्मीयता का भाव भी रहता है । प्राकृतिक श्रय तो सत्य की भाँति प्रधानत ग्रहह्णात्मक ही होता है। केवल इतना अन्तर है कि जहाँ सत्य का ग्रहण उदासीन एव तटस्थ होता है वहाँ प्राकृतिक श्रेय का ग्रहण प्रास्वादन के सुख से के युक्त होता है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक श्रय का अन्वय भी मनुष्य के जीवन म होता है । इस अन्वय मे प्राकृतिक श्रेय के उपादान मनुष्य के जीवन मे आत्ममात अथवा तन्मय हो जाते हैं। इसे आध्यात्मिक अर्थ मे आत्मीयता नहीं कहा जा सकता क्योकि इसमें साम्य नहीं होता । इस अन्वय को आहार कहना अधिक उचित है । यह एकपक्षीय होता है। इसमें श्रेय के उपादान जीवन में विलीन होकर अपना स्वरूप एव अस्तित्व खो देते हैं। इसके विपरीत सास्कृतिक श्रेय में एक साम्य होता । सास्कृतिक श्रेय मुख्यत सामाजिक सम्बन्धो में साकार होता है । का लक्षण चेतना के दो बिन्दुओं या अधिक बिन्दुओ के द्वारा एक दूसरे का सम्भावन है। सत्य तथा प्राकृतिक श्रेय के उपादान सास्कृतिक श्रय के उपकरण बन सकते है किन्तु स्वरूप से चेतना का यह रचनात्मक भाव है ।
श्रेय का यह भाव अनेक रूपो मे साकार होता है । सत्य के विविध स्प तथा प्राकृतिक श्रय के अनेक भेद और जीवन की अनेक परिस्थितियाँ श्रेय के इन अनेर स्पो का निर्माण करती है । सत्य के विभित रूपो का विवेचन पिछले अध्यायो म हो चुका है। वहां उनका विवेचन सत्य की दृष्टि से ही हुआ है । श्रेय के उपकरणो |
द्वारा भी दुर्विज्ञय है । २२ आनन्दतीर्थ के इस वचन का अपने प्रथम भाषण के मंगलाचरण में उल्लेख कर डा० सुकथनकर ने महाभारत के प्रसिद्ध विद्वान् ओल्डनवर्ग के मत का सबसे पहले उल्लेख किया है । मत में महाभारत का आरम्भ एक सरल कथाकाव्य के रूप कालान्तर में वह असंख्य असंगतियों से गया ।२३ ओल्डनवर्ग का विश्वास था कि छोटी कीर्ति-कथायें गद्य के सूत्रों से जुड़ी हुई थीं । महाभारत के धार्मिक अंश प्रक्षेप हैं । महाभारत के अध्ययन के आरम्भ से से ही पश्चिमी विद्वानों के विचार और उनकी खोज इसी दिशा में अग्रसर रही है। पश्चिमी विद्वान् इस विशाल ग्रन्थ के स्वरूप को समझने में असमर्थ रहे हैं, जिसका धार्मिक अंश कथा भाग से चौगुना है । २४ उनकी खोज के प्रयत्न महाभारत के मूल और प्रक्षिप्त अंशों को अलग करने में लगे रहे हैं । २५
महाभारत की पश्चिमी आलोचना की यह दिशा आरम्भ से ही रही है । सन् १८२६ में जर्मन विद्वान् वौप ने यह मत प्रकट किया था कि महाभारत के सभी अंश एक समय की रचना नहीं है । वौप के बाद लासैन ने वौप के मत का समर्थन किया और महाभारत के विभिन्न अंशों को अलग-अलग करने की चेष्टा की । लासन के अनुसार शौनक के सत्र में जिस महाभारत का पाठ हुआ था वह उसका दूसरा संस्करण है । आश्वलायन गृह्यसूत्र में उल्लिखित महाभारत का यही रूप था । इसके काल का अनुमान लासैन ने ईसा से ४०० वर्ष पूर्व लगाया है । लासैन का मत है कि कृष्ण के प्रभुत्व के अनुरूप अंश
२२ - डा० सुकथनकर : सीनिंग आव महाभारत - पृष्ठ - १
दुर्विज्ञेयं अतः सर्वैः भारतं तु सुरैरपि :
आनन्दतीर्थ मध्वाचार्य : महाभारत तात्पर्य निर्णय - २/१४६
२३ - डा० सुकथनकर : मीनिंग आव महाभारत - पृष्ठ १ २४ - डा० सुकथनकर : मोनिंग आव महाभारत - पृष्ठ - ४ - - २५ - डा० सुकथनकर : मोनिंग आव महाभारत - पृष्ठ - ४ |
टी20 वर्ल्ड कप के कार्यक्रम का एलान हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउन्सिल ने टी-20 वर्ल्ड कप के कार्यक्रम का एलान किया है। भारत 24 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले महामुकाबले से इस टूर्नामेंट में अपने अभियान की शुरुआत करेगा।
टी 20 वर्ल्ड कप में 24 अक्टूबर को भारत और पाकिस्तान का मुकाबला होगा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउन्सिल ने टी20 वर्ल्ड कप के कार्यक्रम का एलान किया है। भारत 24 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले महामुकाबले से इस टूर्नामेंट में अपने अभियान की शुरुआत करेगा। भारत और पाकिस्तान दोनों ही को इस वर्ल्ड कप के ग़्रुप 2 में रखा गया है। टीम इंडिया का अगला मुकाबला 31 अक्टूबर को होगा। न्यूजीलेंड के साथ भारत दूसरा मैच खेलेगा। तालिबान के कब्जे में आ चुका अफगानिस्तान 25 अक्टूबर को शारजाह में इस टूर्नामेंट का अपना पहला मैच खेलेगा। 3 नवंबर को टीम इंडिया अफगानिस्तान के साथ अपना तीसरा मुकाबला खेलेगी।
टी20 वर्ल्ड कप 17 अक्टूबर से 14 नवंबर तक यूएई और ओमान में खेला जाना है। टूर्नामेंट का पहला सेमीफाइनल 10 नवंबर को और दूसरा सेमीफाइनल 11 नवंबर को खेला जाएगा। 14 नवंबर को वर्ल्ड कप का फाइनल होगा। वहीं 15 नवंबर को फाइनल के लिए रिजर्व डे के तौर पर रखा गया है। भारत का पहला मैच पाकिस्तान से दुबई में 24 अक्टूबर को होगा। कोरोना महामारी की वजह से भारत में होने वाला यह टूर्नामेंट अब ओमान और यूएई में खेला जाना है।
इस टूर्नामेंट के पहले दौर में 8 क्वालिफाइंग टीमें भाग लेंगी। इन 8 टीमों में से 4 टीमें सुपर 12 दौर में पहुंचेंगी। प्रारंभिक दौर में 8 टीमों में बांग्लादेश, श्रीलंका, आयरलैंड, नीदरलैंड्स, स्कॉटलैंड, नामीबिया, ओमान और पापुआ न्यू गिनी शामिल है. टूर्नामेंट का फाइनल 14 नवंबर को खेला जाएगा।
वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल अबु धाबी में खेला जाएगा। 10 नंबर को पहला सेमीफाइनल के बाद 11 नवंबर को दूसरा सेमीफाइनल दुबई में खेला जाएगा। दोनों सेमीफाइनल के लिए रिजर्व डे हैं। वर्ल्ड कप को लेकर खिलाड़ियों में भी खासा उत्साह बना हुआ है।
ग्रुप 1 और ग्रुप 2 दोनों को मिलाकर कुल आठ टीमें पहले ही सुपर 12 में अपनी जगह बना चुकी हैं। अब सुपर 12 में जगह बनाने के लिए आठ टीमें पहले राउंड में क्वालिफायर मुकाबले खेलती नजर आएंगी। ग्रुप-1 में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज के साथ राउंड 1 ग्रुप ए का विजेता और राउंड 1 ग्रुप बी का उपविजेता शामिल हैं। वहीं ग्रुप-2 में भारत, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, अफगानिस्तान के साथ राउंड 1 ग्रुप बी का विजेता और राउंड 1 ग्रुप ए का उपविजेता शामिल हैं। वहीं ग्रुप-2 में आयरलैंड-नीदरलैंड और श्रीलंका-नामीबिया के बीच 18 अक्टूबर को अबू धाबी में मुकाबले खेले जाएंगे। दोनों ही ग्रुप की टॉप दो टीमें बाकी की आठ टीमों के साथ मिलकर दूसरे राउंड में शिरकत करेंगी।
टी 20 वश्व कप 2016 के बाद पहला कप होगा। पिछली बार वेस्टइंडीज की टीम ने इंग्लैंड को हराकर वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था। भारत ने सुपर-10 के ग्रुप मुकाबले में पाकिस्तान को 6 विकेट से मात दी थी। सेमीफाइनल में भारत को विंडीज के हाथों 7 विकेट से हार झेलनी पड़ी थी।
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बचपन में वजन ज्यादा था तो शौकिया टेबल टेनिस खेलने वाली सुतीर्था मुखर्जी का नाम अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है। एशियन क्वालीफायर में भारत की नंबर 1 मनिका बत्रा को हराकर टोक्यो 2020 ओलंपिक में खेलने वाली सुतीर्था ने ओलंपिक में स्वीडन की लिंडा बर्गस्ट्रॉम को हराया था।
प्रयागराज, जेएनएन। बचपन में वजन ज्यादा था तो शौकिया टेबल टेनिस खेलने वाली सुतीर्था मुखर्जी का नाम अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है। एशियन क्वालीफायर में भारत की नंबर 1 मनिका बत्रा को हराकर टोक्यो 2020 ओलंपिक में खेलने वाली सुतीर्था ने ओलंपिक में स्वीडन की लिंडा बर्गस्ट्रॉम को भी हराया था।
10 अक्टूबर, 1995 को पश्चिम बंगाल के एक छोटे से शहर नैहाटी में सुतीर्था का जन्म हुआ। 2015 में उन्हें उम्र विवाद पर दो साल का प्रतिबंध झेला लेकिन, पूरी तरह से टूटने के बाद भी शानदार वापसी की और ओलंपिक तक का सफर तय किया।
2017 में सीनियर चैंपियनशिप, 2018 में गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक, 2019 में राष्ट्रीय खिताब, आइटीटीएफ वर्ल्ड टीम क्वालिफिकेशन में रोमानिया की दुनिया की 19वें नंबर की बर्नाडेट स्ज़ोक्स को हराकर वह सनसनी भी बनी। दक्षिण पूर्व रेलवे में कार्यरत सुतीर्था ने दैनिक जागरण संवाददाता अमरीश मनीष शुक्ल के साथ अपने करियर व विभिन्न विषय पर खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश. . . . ।
प्रश्न - प्रयागराज आकर कैसा लग रहा है?
-उत्तर - यहां इंडिया की टाप रैंकिंग के खिलाड़ी मौजूद है। माहौल बहुत अच्छा है, प्रतियोगिता बहुत संघर्ष पूर्ण होगी। बहुत शानदार लग रहा है।
प्रश्न - क्या लक्ष्य लेकर यहां आई हैं ?
उत्तर - सबसे पहले टीम को जिताना है, फिर व्यक्तिगत पदक जीतने हैं।
प्रश्न - इस खेल में कैसे आई ?
उत्तर - मेरी मम्मी को इनडोर गेम बहुत पसंद थे। नौहाटी में क्लब था, पहले शौक के लिए खेला, बाद में इसे करियर के रूप में चुना ।
प्रश्न - टेबल टेनिस कब से खेल रही हैं ?
प्रश्न - मनिका बत्रा को हराया, क्या सोच के उतरी थी ?
उत्तर - मैं बहुत सकारात्मक थी। बस अपना खेल खेला और जीत दर्ज की।
प्रश्न - सुतीर्था खुद को कैसे देखती हैं ?
उत्तर - खेल में बहुत फोकस हूं। आधा समय खेल को बाकी समय अपने मन का कोई भी कार्य करती हूं।
प्रश्न - आपके घर में कौन कौन है ?
उत्तर -घर में पापा मम्मी हैं। पापा आर्मी में हैं। मैं मां के साथ रहती हूं।
प्रश्न - पढ़ाई में कैसी रहीं आप ?
प्रश्न - खेल में बेटियों को लेकर आप क्या सोचती हैं ?
उत्तर - बेटियों को पढ़ाई के साथ एक गेम जरूर खेलना चाहिए। कुछ तो जरूर करो। इससे जीवन में भी फोकस रह सकते हैं।
प्रश्न - टेबल टेनिस को करियर के रूप में बच्चे क्यों चुने ?
उत्तर - इसमें बहुत जाब है। यह बहुत प्रसिद्ध खेल है। नाम, पैसा, करियर सबके लिए बेहतर है।
प्रश्न - टेबल टेनिस के लिए सबसे जरूरी क्या है ?
उत्तर - बहुत प्रैक्टिस, इंटेलिजेंस, फ्लैक्सेबलिटी चाहिए होती है।
प्रश्न - कोई नया बच्चा टेबल टेनिस खेलना चाहे तो क्या करे ?
उत्तर - पहले तो वह खेले, अगर खेल में रुचि हो तभी खेले ।
प्रश्न - आगे लक्ष्य क्या है ?
उत्तर - फिर से नेशनल चैंपियन बनना है और 2024 पेरिस ओलंपिक में पदक जीतना है।
प्रश्न - बेटियों और उनके स्वजन को क्या संदेश देंगी ?
उत्तर - बेटियां किसी से कम नहीं है। वह सबकुछ कर सकती है। माता-पिता बेटियों को भी आगे बढ़ाएं, उन्हें अपना सपोर्ट दें।
प्रश्न - आपके जीवन का सबसे यादगार पल ?
उत्तर - ओलंपिक में खेलना मेरा सपना था, कड़े स्ट्रगल के बाद जब मैनें ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया तो वह सबसे यादगार पल रहा।
प्रश्न - माता पिता को आपकी उपलब्धि देखकर कैसा लगता है ?
उत्तर - वह बहुत खुश हैं। मेरे साथ उन्होंने भी स्ट्रगल का हर दौरा देखा है। उन्हें गर्व होता है।
प्रश्न - आप लाइफ को इंज्वाय कैसे करती हैं ?
उत्तर - टेबल टेनिस ही सबसे बड़ा इंज्वायमेंट है। इसके अलावा मुझे मेकअप करना और टीवी देखना पसंद है।
प्रश्न - टेबल टेनिस के अलावा और कौन सा खेल पसंद है ?
उत्तर - बैडमिंटन, टेनिस पसंद है। बड़े खिलाड़ियों की जर्नी देखना भी पंसद है।
प्रश्न - कौन सा खिलाड़ी पसंद है ?
प्रश्न - खेलों में मोदी सरकार को किस नजरिए से देखती हैं ?
उत्तर - मोदी जी के आने बाद बहुत बदलाव हुआ है। खेलों इंडिया से लेकर अब बहुत मौके हैं। अब खिलाड़ी बहुत सपोर्ट पाते हैं।
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इंदौर। पूर्व भारतीय खिलाड़ी चंद्रकांत पंडित, जो सबसे सफल घरेलू क्रिकेट कोचों में से एक हैं, को आगामी 2020-21 सत्र के लिए मध्य प्रदेश का कोच नियुक्त किया गया है।
इससे पहले पंडित विदर्भ के कोच थे, उनकी कोचिंग में विदर्भ ने 2017-18 और 2018-19 में रणजी ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी में बैक-टू-बैक जीत हासिल की थी।
पंडित ने कहा कि इस निर्णय के पीछे का विचार आगे बढ़ना और एक नई चुनौती लेना है।
पंडित ने कहा, "मैंने विदर्भ को तीन साल के लिए कोचिंग दी है। आम तौर पर मैं हमेशा दो साल या तीन साल के लिए अपने कोचिंग स्टेंट करता हूं। मेरा विचार हमेशा आगे बढ़ना है। नई चुनौती लेना अच्छा है। "
पंडित ने आगे कहा कि जिस तरह से विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ने उनका समर्थन किया वह उससे से खुश थे उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मैं विदर्भ से बहुत खुश था - जिस तरह से टीम ने खेला है, जिस तरह से मुझे एसोसिएशन से समर्थन मिला उससे मुझे काफी खुशी मिली।
उन्होंने कहा कि प्रशांत वैद्य (वीसीए उपाध्यक्ष और क्रिकेट विकास समिति के अध्यक्ष) और आनंद जायसवाल (वीसीए अध्यक्ष) से काफी सहयोग मिला। मैं विदर्भ से बहुत खुश था। मुझे मिले समर्थन का सम्मान करता हूंऔर वह हमेशा मेरे जीवन का हिस्सा रहेगा। (एजेंसी हिस. )
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मिजोरम की एक महिला वॉलीबॉल खिलाड़ी लालवेंतलुआंगी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इस तस्वीर में वह मैदान पर बच्चे को दूध पिलाती नजर आ रही है। दरअसल, आईजोल में हो रहे मिजोरम स्टेट गेम्स 2019 में सोमवार को मैच के हाफ टाइम के दौरान उन्होंने अपने सात महीने के बच्चे को दूध पिलाया था।
एक ओर सोशल मीडिया यूजर्स लालवेंतलुआंगी की जमकर तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी ओर मिजोरम के खेलमंत्री रॉबर्ट रोमाविया रोयते ने प्रोत्साहन के रूप में 10 हजार रुपये देने का एलान किया। लालवेंतलुआंगी तुईकुम की टीम से खेलती हैं।
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( किसी तथ्य को पूर्वापर सम्बन्ध बनाकर नूतन परिकक्षपना करना - जिसमें अन्तःस्थ और वहिःस्थ कल्पना के उड़ान की पूर्ण स्वतन्त्रता रहती है ) तथा अभ्यास - जो कर्ता में मादक द्रव्य के व्यसनी की तरह एक ऐसी आदत डाल देता है, जिससे कर्ता और कृति में समवाय सम्बन्ध हो जाता है - ये चारों तश्व प्रतिभा के अभिनअङ्ग समझे जाते रहे हैं ।
रचनात्मक सूझ ( Creative insight )
आधुनिक मनोविज्ञान ने पशु, मनुष्य या अन्य प्राणियों में नई सूझ की सत्ता मानी है, जो प्रतिभा का अधुनातन स्वरूप जान पड़ती है। निश्चय ही वैज्ञानिक एवं कलाकार में क्रमशः एक ऐसी सूझ का विकास होता है, जिसे विज्ञान और कला दोनों दृष्टियों से 'रचनात्मक सूझ' कह सकते हैं। रचनात्मक सूझ मूल प्रवृत्यात्मक सूझ का हो एक विकसित और परिमार्जिन रूप है । सूझ की शक्ति सभी प्राणियों और व्यक्ति में समान मात्रा में नहीं होती, बक्षिक वह प्राणी या व्यक्ति सापेक्ष होती है। मेधावी वैज्ञानिक और मर्मग्राही कलाकारों में वह प्रायः अधिक दृष्टिगोचर होती है। प्रतिभा की तरह रचनात्मक सूझ में भी पूर्व ज्ञान के साथ-साथ अकस्मात् ज्ञान- स्फुरण का अपूर्व योग रहता है । रचनात्मक सूझ वस्तु चयन और शैली या विषय और रूप दोनों की नव्यता में प्रतिविम्बिन होती है । नयी सूझ के 'प्रागनुभविक ज्ञान होने का भ्रम हो सकता है, किन्तु यह प्रागनुभविक ज्ञान नहीं है अपितु प्रागनुभविक और अर्जित ज्ञान ( संस्कारगत या अन्य ) दोनों को संयुक्त पीठिका पर म्फुरित होने वाली आशु क्षमता है । कलाकृतियों की रचनात्मकता को अधिकाधिक विशिष्ट बनाने में इसका योग अपरिहार्य है। रमणीय बिम्बोद्भावना को साकार करने वाली प्रतिभा का प्राण नई सूझ को ही माना जा सकता है। यों तो प्रतिभा की सीमा केवल नई सूझ तक सीमित नहीं, अपितु स्वयमेव वह एक ऐसी जटिल प्रक्रिया है, जिसका विकास अनेक मनोगत प्रक्रियाओं के योगदान से हुआ है। सामान्यतः साधारण व्यक्ति में वस्तु या वातावरण के प्रति कुछ न कुछ प्रतिक्रियात्मक मनोवृत्ति रहती है, किन्तु प्रतिभावान् व्यक्ति में वस्तु या वातावरण के प्रति होने वाली प्रतिक्रिया अधिक भिन्न और विशिष्ट कोटि की प्रतीत होती है। यदि यह कहा जाय कि वह प्रत्येक वस्तु और वातावरण को भी अपनी विशिष्ट पर्यवेक्षिणी दृष्टि से देखता है तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। सामान्य व्यक्ति को अपेक्षा उसकी ग्राहकेन्द्रिय अधिक सूक्ष्म और व्यक्तिनिष्ठ वैशिष्टयों से संवलित होती रहती है। वस्तु या वातावरण के प्रति होने वाली प्रतिक्रियाओं में जो सहज क्रियायें होती १. कोलिन्स और ड्रेपर ने जिन्हें 'Reflex Actions' कहा है ।
हैं, उनको देखकर ऐसा लगता है कि जैसे उनमें कोई विशेष उद्देश्य नहीं है। परन्तु वास्तविकता तो यह है कि प्रतिभाशाली व्यक्ति की सहज क्रियाओं में भी महान् उद्देश्य छिपा रहता है; जो उसकी महत्तर रचनात्मकता का मूलभूत कारण होता है। सामान्य व्यक्ति की सहम क्रिया में सम्बन्ध प्रत्यावर्तन या वस्तु अनुकूलन ( Conditioning ) जैमी किया सहज रूप से लक्षित होती है; किन्तु प्रतिभाशाली व्यक्ति में वस्तु अनुकूलन क्रिया अपने ढंग की या विशिष्ट प्रकार की हुआ करती है । प्रायः ऐसा देखा जाता है कि जिस वस्तु के प्रति उसकी रुझान होती है - वही उसकी प्रतिभा के बल पर विज्ञान, कला एवं साहित्य की अमर कृति बन जाती है। अतः प्रतिभा में निहित वस्तु अनुकूलन को हम अधिक रचनात्मक या सर्जनात्मक कह सकते हैं ।
प्रतिभा विस्कुल अनजान और अपरिचित क्षेत्र में अभिव्यक्तिगत प्रभाव नहीं दिखला सकती। आशुकवियों और कलाकारों में भी न्यूनाधिक अनुवांशिक या संस्कारगत प्रभाव का प्रावल्य रहता है। किन्तु साधारण स्थिति में प्रतिभा का विकास आदतों और अभ्यासजन्य क्रियाओं ( Habits and habitual actions ) से भी पूर्णरूप में प्रभावित रहता है । सामान्य अच्छी या बुरी आदतों की तरह प्रतिभावान् व्यक्ति में भी अच्छी या बुरी असामाजिक आदर्ते होती हैं, जिनका अचेतन प्रभाव उनकी रचनात्मक प्रक्रिया पर भी पड़ता है। फिर भी जहाँ तक रचनात्मक प्रतिभा का प्रश्न हैप्रतिभाशाली व्यक्ति अभ्यासजन्य क्रियाओं के द्वारा अपनी प्रत्येक रचनात्मक प्रक्रिया में शैली और रूप-विधान की बैंमा समता अर्जित कर लेता है, जो उसकी मौलिकता और विशिष्टता का कारण हुआ करती है ।
अवतारवाद की दृष्टि से प्रतिभा क उपयुक्त जितने उपादान हैं, सहज नहीं हैं, अपितु अवतरित या आविर्भूत है। मनुष्य अपनी रुचि के अनुरूप अपने मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के भोजनों से शक्ति ग्रहण करता है । मानसिक भोजन के द्वारा ही अनेक प्रकार की मानस-शक्तियाँ ( Psychic faculties ) आविर्भूत होती हैं। प्रतिभा भी उसी प्रकार की एक अवतरित शक्ति है । प्रतिभा का स्फुरण कवि या कलाकार में वातावरण या परिस्थिति के प्रति अनुकूल किया और प्रतिक्रिया दोनों से होता है। यदि ऐतिहासिक दृष्टि से सस्य का मूल्यांकन किया जाय तो अनुकूल क्रिया की अपेक्षा प्रतिक्रिया ने अमर काव्यों और कला-कृतियों की सृष्टि करने की प्रेरणा दी है। वियोग, दुःख, कष्ट, अवसाद, पीड़ा, अभाव, करुणा, अपमान आदि प्रतिक्रियात्मक मानवीय अनुभूतियों ने ही वाल्मीकि, कालिदास, भवभूति, तुलसीदास, सूरदास, पंत, प्रसाद, निराला, तथा होमर, दांते, गेटे, मिस्टन, लियनादो, डी, विची,
इत्यादि की प्रतिभा को उत्प्रेरित किया है। इनके साहित्य एवं कला का अध्ययन करने पर स्पष्ट पता चल जाता है कि क्रिया की अपेक्षा प्रतिक्रिया में प्रतिभा के विकास की क्षमता अधिक है। चाहे वह कृति आदर्श का निरूपण करती हो या यथार्थ की या उपदेश का उपस्थापन करती हो या विशुद्ध 'कला के लिए कला' की दोनों स्थितियों में वह अपनी प्रतिक्रियात्मक प्रतिभा के बल पर अमर कृति बन सकी है ।
प्रतिभा में ग्राहकता और रचनात्मकता दोनों विशेषताएं विद्यमान हैं । किसी व्यक्ति में दोनों समान मात्रा में पायी जाती है। परन्तु य सहृदय व्यक्ति में ग्राहक क्षमता अपेक्षाकृत अधिक होती है और कलाकार या कृतिकार में ग्राहकता की अपेक्षा रचनात्मकता अधिक प्रबल रहती है। प्रतिभा की सचेष्टता मन के अचेतन, उपचेतन और चेतन तीनों भागों में दीख पड़ती है, फिर भी विशेषकर चेतन में यह अधिक प्रबुद्ध और सक्रिय बन प्रतिभा को हम ऐकि व्यापार से अधिक आत्मनिष्ट व्यापार कह क्योंकि वह सामान्य धारणा को प्रतीकों या बिस्बों के माध्यम से तथा अमूर्त या मूर्त धारणाओं को रचनात्मक प्रक्रिया के द्वारा रमणीय बिम्बोद्भावना करती है। चिंतन की तरह प्रतिभा द्वारा सम्पन्न रचनात्मक प्रक्रिया में भी धारणा-विग्ध के निर्माण द्वारा मूल वियों का एकत्रीकरण (Assimilation), गर्भीकरण ( Incubation ), स्फुरण ( Illumination ) और प्रमापन ( Verification ) इत्यादि क्रियाओं का समानुपातिक योग होता है । मूल धारणा प्रतीकों या वियों के उपस्थित होते ही प्रतिभा की रचनात्मक प्रक्रिया बिस्यों के गर्भकरण का कार्य प्रारम्भ करती है जिसके फलस्वरूप धारणा-बिम्बों में सघनता, तीव्रता और नवीन सौष्ठव का संचार होने लगता
। इस उपक्रम में प्रतिभा को विभिन्न रचनात्मक विचारों का योग मिलता है । रचनात्मक विश्वार कभी तो नितान्त मौलिक स्फुरण के रूप में आते हैं और कभी पूर्वानुभूत विचारधारा भी उत्प्रेरणा का कार्य करती है। नए आलोक के रूप में आये हुए स्फुरण और उत्प्रेरणा की विश्वसनीयता और सत्यता की परख करने में प्रतिभा सदैव सजग एवं सक्रिय प्रतीत होती है। स्वयं प्रकाश ज्ञान या सहज ज्ञान ( Intuition )
प्रतिमा ( Genious ) के अतिरिक्त एक ऐसे ज्ञान के विषय में विचार होता आ रहा है, जो मनुष्य में होने वाले सामान्य बोध के साथ कलात्मकबोध की भी अभिव्यक्ति करता है। प्रतिभा और प्रागनुभविक ज्ञान से सम्बद्ध होते हुए भी स्वयंप्रकाश ज्ञान या सहज ज्ञान जैसे ज्ञान का अस्तित्व भी पूर्वी और पश्चिमी दोनों में किसी न किसी रूप में मान्य रहा है। अभी
प्रतिभा के प्रसंग में हमने देखा कि भारतीय विचारकों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने अलौकिक काव्य या कलात्मक क्षमता को देवी शक्ति की देन या उसका आर्विभूत रूप माना है। आधुनिक मनोवैज्ञानिकों द्वारा चिन्तय सूझ का सिद्धान्त ( In sight theory ) इस संदर्भ में विचारणीय है। कोहलर, काफ्का जैसे मनोवैज्ञानिकों के मतानुसार 'सुझ' ही साहित्यकला, विज्ञान इन समस्त ज्ञान के प्रसार की जननी है। कोहलर बनमानुष पर प्रयोग करने के पश्चात् 'अहा ! अनुभव' ( Aha experience ) का निष्कर्ष प्रस्तुत किया। उसकी दृष्टि में मनुष्य में भी वही 'अहा ! अनुभव' देखने को मिलता है। हगिन्सन, वाट्सन पावलोव आदि द्वारा पशुओं एवं अन्य लघु जन्तुओं पर किए गए प्रयोग यद्यपि भिन्न-भिन्न निष्कर्षों के द्योतक थे । किन्तु इन सभी निष्कर्षों में एक सामान्य तथ्य अवश्य दृष्टिगत होता है कि समस्त प्राणियों में प्रारम्भ से ही ऐसा ज्ञानात्मक बोध अवश्य रहा है, जिनके द्वारा वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में संलग्न रहे हैं। उन्हें ही विचारक सहज ज्ञान या 'Intuition' कहते रहे हैं । निश्चय ही प्रतिभा की तरह सहज ज्ञान का सम्बन्ध अचेतन मन से अधिक सम्बद्ध नहीं प्रतीत होता । इसे सूझ भी कहना अधिक युक्तिसंगत नहीं प्रतीत होता; यद्यपि सूझ और सहजज्ञान दोनों का सम्बन्ध चेतना से है, फिर भी अस्वाभाविक स्फुरण या आलोक अधिक है, किन्तु सहज ज्ञान में सूझ का किसी में पूर्णतः अभाव भी हो सकता है और आधिक्य भी किन्तु सहजज्ञान न्यूनाधिक मात्रा में सभी में विद्यमान रहता है। फिर भी सूक्ष और सहजज्ञान दोनों वस्तुनिष्ठ और आस्मनिष्ठ दोनों है । 'सूझ' महसा घटित होने वाला व्यापार है जबकि सहजज्ञान को हम अपेक्षाकृत स्वाभाविक अधिक कह सकते हैं। सहजज्ञान के विचारों में मूर्धन्य कॉट सहजज्ञान को वस्तु-संवेदनात्मक समझता है । उसके मतानुसार हम जितने प्रकार से और जिन साधनों द्वारा वस्तु का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, उनमें सहजज्ञान वह है- जिनके द्वारा वस्तु से ( व्यक्ति का ) तरक्षण सम्बन्ध हो जाता और समस्त विचारधारा उसी ओर प्रवृत्त हो जाती है। इसीसे सहजज्ञान किसी निश्चित या लक्ष्य वस्तु की अपेक्षा रखता है। यों तो वस्तु का प्रत्यक्षबोध वस्तु-संवेदना या ऐन्द्रिक बोध द्वारा सम्भव है; अतः सहजज्ञान के लिए भी ऐन्द्रिय-बोध या संवेदनशीलता की आवश्यकता पड़ती है। कॉटने सहजज्ञान को एक प्रकार का विशुद्ध ऐन्द्रिय संवेदन माना है। उसके मतानुसार हमारा समस्त ज्ञान प्रकट, प्रस्तुत या प्रतीति की उपस्थापना १. कृ. प्योर. री. पृ. ४१ ।
अतिरिक्त कुछ नहीं है, क्योंकि जिन वस्तुओं का ज्ञान हम करते हैं वे पदार्थ वस्तुतः वे ही नहीं हैं, जिनका हमें ज्ञान है। वे जैसा प्रतीत होते हैं - बही हमारा सहजज्ञान है । वस्तु को हम दिक्-काल सापेक्षता से पृथक् नहीं कर सकते । इम्मीसे हमारा सहजज्ञान भी दिक् और काल के भेद से दो प्रकार का हो जाता है। और वस्तु के भी विदित रूप और स्वयं रूप दो प्रकार के रूप हो जाते हैं। हमें वस्तु के विदित रूप का ही ऐन्द्रिक बोध होता है । गोचर या ऐन्द्रिक ज्ञान कौंट के अनुसार दो प्रकार का होता है-विशुद्ध सहजशान और अनुभूत सहजज्ञान' ।
प्रागनुभविक ज्ञान विशुद्ध सहज ज्ञान है और उससे अन्तरवर्ती ज्ञान अनुभूत सहज ज्ञान है । पहला हमारी संवेदन में परमावश्यक होकर संस्कारगत रूप में अवस्थित है और दूसरा विभिन्न रूपों में गोचर होता है। इस प्रकार काँट ने वस्तु-संवेदनात्मकता या गोष्वरता को सहज ज्ञान माना है। जब कि क्रोचे ने नार्किक बुद्धिगम्य के विपरीत विशेषकर कल्पना से उपलब्ध ज्ञान में सहज ज्ञान की उपस्थिति बनायी है। दोनों की दृष्टि में सहज ज्ञान चतुहीन ज्ञान है। बुद्धि इसे नेत्र प्रदान करती है। उसकी दृष्टि में सहज ज्ञान किसी पर निर्भर नहीं है। कॉट और कोचे दोनों ने धारणा और सहज ज्ञान का अन्तर स्पष्ट करने का प्रयास किया है। कॉट की दृष्टि में धारणा बुद्धिगम्य है और स्वच्छन्द विवार पर आश्रित है और सहज ज्ञान इन्द्रियगम्य है और प्रभाव पर आधारित है। क्रोचे के अनुसार एक कलाकृति दार्शनिक धारणाओं से आपूरित हो सकती है, साथ ही उसमें दार्शनिक विमर्शों की अपेक्षा वर्णनारमकता और सहज ज्ञान का प्राचुर्य सम्भव है । परन्तु इन समस्त धारणाओं के होते हुये भी कलाकृति का सम्पूर्ण प्रभाव सहज ज्ञान है और समस्त सहज ज्ञानों के होते हुये मी दार्शनिक विमर्शों का समन्वित प्रभाव धारणा है । यो क्रोचे प्रत्यक्ष बोध को सहज ज्ञान मानता है, किन्तु उसका प्रत्यक्ष बोध प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों को आत्मसात् कर लेता है । सहजज्ञान यथार्थ के प्रत्यक्षीकरण की अविभाज्य एकता है और सम्भावना का सहज विस्व है। दिक और काल सहजज्ञान के स्वरूप हो सकते हैं, किन्तु ओ सहजज्ञान कला में रहस्योद्घाटित होता है, वह दिक काल का सहजज्ञान नहीं है अपितु चरित्रगत और व्यक्तिगत आकृतिविज्ञान है ।
१. कृ. प्योर. री. पु. ५५ ।
२. एस्थे. पृ. २१
३. कम्प. एस्थे. पृ. ३०४ । कौंट के कथनानुसार - Thoughts without contents are empty intuitions without concepts are blind'.
५. एस्थे. पू. ३
४. कृ. प्योर. री. पु. ६८ । |
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने किसानों की फसल को बेसहारा मवेशियों द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान को लेकर निगम के जोन कार्यालय में नगर निगम आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा। माकपा के प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि कहा कि समस्या का सम. . . chhattisgarhTue, 14 Sep 2021 08:35 PM (IST)
जुलाई के मुकाबले अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर में थोड़ी गिरावट आई है। अगले महीने इसके और कम होने की संभावना है। businessMon, 13 Sep 2021 10:34 PM (IST)
ज्ञापन में शिक्षित युवाओं को रोजगार तत्काल उपलब्ध कराया जाए तथा न उपलब्ध कराने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाए। chhattisgarhFri, 13 Aug 2021 07:21 AM (IST)
Kerala Politics: रामायण पर आयोजित टॉक सीरीज में कई वामपंथी विचारकों ने अपने विचार रखें। nationalSat, 31 Jul 2021 02:21 PM (IST)
बस्तर संभाग में कार्यरत निजी क्षेत्र की ऋण प्रदाय करने वाली कंपनियों के खिलाफ सीपीआई के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल के नाम डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। chhattisgarhSat, 31 Jul 2021 07:21 AM (IST)
बीजापुर उप तहसील की स्थानीय समस्याओं का समाधान के लिए सीपीआई ने अनंतपुर में सोमवार को एक दिवसीय धरना देकर राज्यपाल व मुख्य मंत्री के नाम नायब तहसीलदार को सौंपा। chhattisgarhWed, 28 Jul 2021 05:36 PM (IST)
बांकीमोंगरा (नईदुनिया न्यूज)। सुराकछार गांव के भू-धसान मामले को शीघ्र निपटाने का निर्देश राजस्व मंत्री ने एसईसीएल प्रबंधन व जिला प्रशासन को दिए थे, पर एक साल बीतने के बाद भी कोई पहल नहीं हो सकी। किसानों को अभी मुआवजा नह. . . chhattisgarhWed, 14 Jul 2021 09:48 PM (IST)
मालनपुर(नईदुनिया न्यूज) मालनपुर में संचालित फैक्ट्रियों में स्थानीय लोगों को रोजगार दिए जाने एवं सर्वदलीय समिति का गठन कर उसकी देखरेख में विकास कार्यों को कराए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर नगर परिषद परिसर में चल रहे मार. . . madhya pradeshWed, 14 Jul 2021 07:25 AM (IST)
Protest By Showing Black Flag: भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों ने सीटू एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले केंद्र सरकार को काला झंडा दिखाया। chhattisgarhWed, 26 May 2021 03:59 PM (IST)
माकपा नेता ने कहा- गरीबों के पेट से निवाला छीनने वाली राज्य सरकार सभी गरीब परिवारों को वितरित करें यह अतिरिक्त अनाज। chhattisgarhThu, 13 May 2021 04:09 PM (IST)
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गूगल द्वारा तैयार भले ही आपने कई चीजे इस्तेमाल की हों लेकिन अब जो गूगल बनाने जा रहा है उससे दुनिया से बीमारी फ़ैलाने वाले मच्छरों का खात्मा हो जयेगा वो भी चुटकियों में।
गूगल की मदर कंपनी अल्फाबेट ने अमेरिकी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की आबादी कम करने की योजना तैयार की है, गूगल की योजना मशीन जनित 2 करोड़ ऐसे मच्छर पैदा करने जा रही है जो दूसरे मच्छरों की आबादी बढ़ने से रोकेंगे।
योजना के अनुसार कैलिफोर्निया के फ्रेस्नो काउंटी में लाखों की संख्या में स्टेंड मेल मॉस्कीटो छोड़े जाएंगे ये मेल मॉस्कीटो जब हवा में मौजूद फीमेल मॉस्कीटो से मेटिंग करेंगे, तो उसके बाद मादा मच्छर जो अंडे देंगी, उनसे बच्चे विकसित नहीं होंगे। इस परियोजना का नाम डीबग फ्रेस्नो है इस योजना का परिचालन अल्फाबेट की सहायक कंपनी वेरली कर रही है।
इस परियोजना का नाम डीबग फ्रेस्नो है. इस योजना का परिचालन अल्फाबेट की सहायक कंपनी वेरली कर रही है. वैज्ञानिकों ने कहा कि इसका मकसद एडीज एजेप्टाई मच्छरों की संख्या में कमी लाना है. मच्छरों की यह प्रजाति जीका, डेंगू व चिकुनगुनिया फैलाने के लिए जिम्मेदार होती है.
कंपनी ने फ्रेस्नो काउंटी के करीब स्थित दो इलाकों में 20 सप्ताह में 10 लाख ऐसे नर बंध्या मच्छरों को छोड़ने की की योजना बनाई है, जो काटते नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बंध्या नर मच्छरों को पैदा करने के लिए उन्हें वोलबचिया बैक्टीरिया से संक्रमित किया जाएगा।
वोलबचिया एक तरह का जीवाणु है जो प्राकृतिक तौर पर 40 फीसदी कीटों में पाया जाता है। तो देखा आपने किस तरह गूगल मच्छर अब दूसरे मच्छरों को खत्म करेगा।
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पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफ़आरडीए) एवं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति, राजस्थान के संयुक्त तत्वाधान में केंद्र की महत्वाकांक्षी अटल पेंशन योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान किए गए उत्कृष्ट कार्यनिष्पादन की समीक्षा एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से, अटल पेंशन योजना आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन आज जयपुर में किया गया। बैठक में पीएफ़आरडीए के मुख्य महाप्रबंधक श्री प्रवेश कुमार ने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से योजना के बारे में जानकारी दी। पीएफ़आरडीए की पूर्णकालिक सदस्य (अर्थशास्त्र) श्रीमती ममता शंकर ने बताया कि अटल पेंशन योजना के तहत राजस्थान का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से संतोषजनक रहा है। राजस्थान में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, जिनकी आयु 18-40 के बीच है, अधिक संख्या में है, जिसके कारण राजस्थान में योजना के अन्तर्गत अधिक से अधिक श्रमिकों का नामांकन किया जा सकता है। उन्होने सभी बैंकों से योजना के तहत राज्य में पूर्ण संतृप्ति उपलब्ध अनुरोध किया।
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति, राजस्थान के संयोजक एवं बैंक ऑफ बड़ौदा के महाप्रबंधक श्री कमलेश कुमार चौधरी ने सभी बैंकों के वर्ष 2022-23 के दौरान अटल पेंशन योजना के तहत प्रदत्त लक्ष्यों एवं किए गए कार्यनिष्पादन की समीक्षा की और इस वित्तीय वर्ष में प्रदत्त लक्ष्य के सापेक्ष अधिक कार्यनिष्पादन करने की सभी हितग्राहकों से अपील की।
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प्रिलिम्स के लियेः
मेन्स के लियेः
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने संसद में जवाब दिया है कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का भारत की चाबहार बंदरगाह परियोजना पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है और बंदरगाह अच्छी तरह से कार्य कर रहा है।
- सामरिक चाबहार बंदरगाह परियोजना के लिये भारत ने अमेरिका से अलग अपवाद वाला दृष्टिकोण अपनाया है।
चाबहार बंदरगाह के बारे मेंः
- यह ईरान के सिस्तान प्रांत में हिंद महासागर में स्थित है।
- चाबहार बंदरगाह को मध्य एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा व्यापार के सुनहरे अवसरों का प्रवेश द्वार माना जाता है।
- बंदरगाह, जो भारत के पश्चिमी तट से आसानी से पहुँचा जा सकता है, को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के काउंटर के रूप में देखा जा रहा है जिसे चीन के निवेश के साथ विकसित किया जा रहा है।
भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्वः
- वैकल्पिक मार्गः चाबहार बंदरगाह सभी को वैकल्पिक आपूर्ति मार्ग का विकल्प प्रदान करता है, इस प्रकार व्यापार के संबंध में पाकिस्तान के महत्त्व को कम करता है।
- सामरिक आवश्यकताएँः यह ओमान की खाड़ी पर स्थित है और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से केवल 72 किमी दूर है जिसे चीन द्वारा विकसित किया गया है।
- वन बेल्ट वन रोड (One Belt One Road- OBOR) परियोजना के तहत चीन अपने आक्रामक रूप से स्वयं के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को आगे बढ़ा रहा है।
- कनेक्टिविटीः भविष्य में चाबहार परियोजना और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (International North South Transport Corridor) रूस तथा यूरेशिया के साथ भारतीय संपर्क/कनेक्टिविटी का अनुकूलन कर एक दूसरे के पूरक होंगे।
अमेरिकी प्रतिबंधों में अपवाद के कारणः
- अफगानिस्तान के हित मेंः अमेरिका स्वीकार करता है कि चाबहार बंदरगाह परियोजना न केवल भारत या ईरान के रणनीतिक हित में है बल्कि अफगानिस्तान के रणनीतिक हित में भी है।
- अफगानिस्तान एक भू-आबद्ध देश है जो व्यापार के लिये पाकिस्तान पर निर्भर है। इसका सारा व्यापार बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी बंदरगाहों से होता है।
- पाकिस्तान अक्सर अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार के लिये भारत को पारगमन से इनकार करता है।
- यह परियोजना अफगानिस्तान को एक रणनीतिक विकल्प प्रदान करती है और इसे भूमि से घिरे होने के बावजूद मदद करती है।
- पाकिस्तान को बायपास करनाः यदि भविष्य में अमेरिका और ईरान के बीच के मसले सुलझ जाते हैं तो चाबहार बंदरगाह अमेरिका को पाकिस्तान को बायपास करने में सक्षम बनाएगा।
- पाकिस्तान अभी भी उन सभी प्रशासनिक मार्गों को नियंत्रित करता है जिनके द्वारा अफगानिस्तान को आपूर्ति की जा सकती है।
- इसके कारण अमेरिका हमेशा से ही आतंकवादियों, विशेषकर अफगान तालिबानों पर कार्रवाई करने से हिचकिचाता रहा है। चाबहार बंदरगाह अमेरिका को ऐसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का विकल्प देता है।
- अफगानिस्तान के हित मेंः अमेरिका स्वीकार करता है कि चाबहार बंदरगाह परियोजना न केवल भारत या ईरान के रणनीतिक हित में है बल्कि अफगानिस्तान के रणनीतिक हित में भी है।
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कोरोना महामारी के इस बुरे दौर में एक फ्रंटलाइन वर्कर पीपीई किट पहने सड़कों पर भीख मांगता हुआ नजर आया. दरअसल अश्विनी पाढे नाम का ये शख्स राज्य सरकार के खिलाफ अनूठे ढंग से प्रदर्शन कर रहा है.
कोरोना ने पूरी दुनिया में भयंकर तबाई मचाई. इस बीच जिन लोगों ने पूरी हिम्मत के साथ अपना काम किया, उन्हें कोरोना वॉरियर्स के तमगे से नवाजा गया. लेकिन ओडिशा में इस महामारी के दौरान एक फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर पीपीई किट पहने सड़कों पर भीख मांगता हुआ नजर आया. दरअसल अश्विनी पाढे नाम का ये शख्स राज्य सरकार के खिलाफ अनूठे ढंग से प्रदर्शन कर रहा है.
एक खबर के मुताबिक एएनएम वर्कर अश्विनी पाढे ओडिशा के भद्रक में पीपीई किट पहने हुए सड़कों पर भीख मांगते हुए दिखा. कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार ने अश्विनी पाढे समेत हजारों अन्य लोगों की संविदा के आधार पर भर्ती की थी. लेकिन महामारी की स्थिति में सुधार होने के बाद इनका अनुबंध खत्म हो गया. ओडिशा सरकार का अनुबंध समाप्त होने के बाद कई एएनएम वर्कर्स अचानक बेरोजगार हो गए.
इसलिए अश्विनी पाढे नाम के शख्स को भीख मांगते हुए देखा गया. उन्होंने कहा, जब कोरोना की वजह से यहां की स्थिति बहुत खराब थी तो सरकार ने हमें कोरोना वारियर्स के रूप में काम करने के लिए नियुक्त किया. हमारे ऊपर फूलों की वर्षा की गई. हमारे काम को खूब सराहा गया और हमें सम्मानित किया. हमने कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए अपने परिवार के जीवन को खतरे में डाला. लेकिन अब कोई हमारी सुध नहीं ले रहा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'लगभग नौ महीने तक काम करने के बाद, राज्य की सरकार ने बिना किसी पुनर्वास व्यवस्था के हमारा अनुबंध समाप्त कर दिया. अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हर जगह भीख मांगकर अपने इस विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे. राज्य की राजधानी में पीएमजी स्क्वायर में पिछले दो महीनों से सैकड़ों एएनएम कार्यकर्ता धरने पर बैठे हैं, जो फिर से बहाली की मांग कर रहे हैं.
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रिश्तों को शर्मसार करने वाला एक मामला बिहार के भागलपुर से सामने आया है। यहां मौसी ने अपनी ही भतीजी को उत्तर प्रदेश के एक युवक के हाथों 40 हजार रुपए में बेच दिया।
भागलपुर। रिश्तों को शर्मसार करने वाला एक मामला बिहार के भागलपुर से सामने आया है। यहां मौसी ने अपनी ही भतीजी को उत्तर प्रदेश के एक युवक के हाथों 40 हजार रुपए में बेच दिया। फिर जबरन मंदिर में उसकी शादी कराई। जब युवक लड़की को लेकर ट्रेन से जा रहा था तभी अकबरनगर स्टेशन के पास लड़की से ट्रेन से कुदकर जान देने की कोशिश की। लेकिन स्टेशन पर मौजूद यात्रियों ने उसे बचा लिया।
मामले का खुलासा तब हुआ जब लड़की उक्त युवक के साथ जाने से मना करने लगी। लेकिन जब वह लड़का उसे जबरदस्ती ले जाने लगा तो उसने ट्रेन से कुदकर खुदकुशी की कोशिश की। ट्रेन से लड़की के कुदते ही स्टेशन पर लोगों की भीड़ जुट गई। लोगों की भीड़ जुटती देख उत्तर प्रेदश से आया लड़का चुपचाप निकल गया। जिसके बाद लड़की को समझा कर उसके परिवार वाले घर ले गए।
मिली जानकारी के अनुसार मौसी ने साहेबगंज के भोला बाबा मंदिर में उस युवक से भतीजी की शादी करवाई थी। शादी के समय लड़की की मां भी वहां मौजूद थी। शादी के बाद लड़की की मां और मौसी उस लड़के के साथ लड़की को उत्तर प्रदेश पहुंचाने जा रहे थे। तभी रास्ते में अकनगर स्टेशन पर लड़की ने कुद कर जान की कोशिश की।
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प्रबलित ग्लास - इसके लिए क्या है? ग्लास की इस तरह की महंगी किस्म का उत्पादन मांग में है और हर दिन गति प्राप्त कर रहा है तो इसके क्या फायदे हैं? चलो निर्माण की विधि से शुरू करते हैं।
इस तरह के कांच की स्थापना दो में उचित हैमामलेः जब इसे परिसर में उपयोग किया जाता है जहां सामान्य ग्लास के उपयोग से चोट लग सकती है, और दूसरा मामला - जब प्रबलित ग्लास कमरे की सजावट का एक तत्व होता है।
बहुत से लोग याद करते हैंसत्तर अस्सी, प्रबलित ग्लास का व्यापक रूप से विभिन्न संस्थानों में उपयोग किया जाता थाः किंडरगार्टन में (बच्चों को चोट पहुंचाने के लिए अगर ग्लास ब्रेक, स्कूल, भवनों में जहां कुछ उत्पादन भवनों में बड़ी संख्या में लोग हैं।
तार को मजबूत करने से गिलास को पूरे सतह पर तापमान को समान रूप से वितरित करने की क्षमता मिलती है, इसलिए ऐसी फायरप्लेस अक्सर आग सीढ़ियों से लैस होती हैं।
ऐसा होता है कि, कांच में तार, बुलबुले और गोले के रूप में मजबूत करने के लिए उपयोग किए जाने वाले पैमाने के कारण।
रूसी बाजार प्रबलित गिलास प्राप्त करता हैदोनों घरेलू और आयातित। व्लादिमीरस्काया (गुस-ख्रुस्तल्नी) और टेवर क्षेत्रों में स्थित रूसी पौधे, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की आपूर्ति करते हैं। विदेशी उत्पादों से बेलारूसी और पोलिश उत्पादन के उत्पादों को ध्यान देने योग्य है। प्लास्टिक की खिड़कियों में इस्तेमाल की गई सीलबंद इन्सुलेटिंग ग्लास इकाइयों के निर्माण के लिए प्रबलित ग्लास का भी उपयोग किया जाता है। सच है, ऐसी डबल-चमकीले खिड़कियां परंपरागत लोगों की तुलना में बहुत भारी और अधिक महंगे हैं।
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मोगा. कांग्रेस पार्टी की ओर से बहादुर भारतीय फौजियों का मनोबल बढ़ाने के लिए मोगा में एक रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस रैली में कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी विशेष तौर पर पहुंचेंगे। इस रैली के नाम और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने लोगों से बातचीत की।
जाखड़ ने कहा कि भारतीय बहादर फौजियों का मनोबल बढ़ाने के लिए रैली का आयोजन किया जा रहा है। रैली का नाम जय जवान जय हिन्दुस्तान रैली रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि रैली के दौरान बनाए जाने वाले पंडाल का नाम शहीद जैमल सिंह के नाम पर रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा के लिए जिस तरह से देश के बहादर सैनिक अपना बलिदान दे रहे है उसका कोई सानी नहीं है। कांग्रेस सरकार हर समय देश की फौज के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि देश के सैनिकों की शहादत पर कुछ राजनीतिक पार्टियां राजनीति कर रही है जो बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि देश प्रति कोई दल छोटी सोच न रखें। इमरान खान की ओर से पकड़े गए भारतीय पायलट को छोड़ने के बारे में जाखड़ ने कहा कि यह एक अच्छी सोच है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से इमरान खान ने यह काम किया है उसी तरह उसे आतंकियों के खात्मे के लिए काम करना चाहिए, जिससे किसी भी देश को कोई नुकसान न पहुंचे।
जाखड़ ने कहा कि करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने के समय जिस तरह से दोनों देशों के नेताओं को सदबुद्धि मिली उसी तरह आतंकवाद के खिलाफ काम करना चाहिए।
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इस डील के बाद अब फिल्म एग्जिबिशन इंडस्ट्री का एक नया रूप देखने को मिल सकता है। विलय के बाद पीवीआर और आईनॉक्स लीजर संयुक्त रूप से पूरे भारत में 1,500 से अधिक स्क्रीनों के मालिक होंगे।
मुंबईः देश की दो सबसे बड़ी मल्टिप्लेक्स चेन पीवीआर सिनेमाज (PVR Cinemas) और आईनॉक्स लीजर (INOX Leisure) के बीच विलय की घोषणा हो चुकी है। रविवार को पीवीआर और आईनॉक्स कंपनी के बोर्ड्स की मीटिंग में यह फैसला लिया गया। इस विलय के बाद पीवीआर के सीएमडी अजय बिजली ही कंपनी के नए एमडी होंगे।
विलय के बाद पीवीआर और आईनॉक्स लीजर संयुक्त रूप से पूरे भारत में 1,500 से अधिक स्क्रीनों के मालिक होंगे। पीवीआर लिमिटेड ने रविवार को कहा कि उसके निदेशक मंडल ने कंपनी में और उसके साथ आईनॉक्स लीजर लिमिटेड के मर्जर योजना को मंजूरी दे दी है। आईनॉक्स के बोर्ड ने विलय योजना को भी मंजूरी दे दी है। बता दें कि इस डील के बाद अब फिल्म एग्जिबिशन इंडस्ट्री का एक नया रूप देखने को मिल सकता है।
बता दें कि पीवीआर और आईनॉक्स दोनों ही कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। विलय के बाद, आईनॉक्स प्रमोटरों की संयुक्त यूनिट में 16. 66 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जबकि पीवीआर प्रमोटरों की 10. 62 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। विलय के बाद आईनॉक्स के प्रमोटर्स पीवीआर के मौजूदा प्रमोटर्स के साथ विलय की गई यूनिट में को-प्रमोटर बन जाएंगे।
शेयर बाजार में आईनॉक्स लीजर का शेयर शुक्रवार को 6 फीसदी से अधिक बढ़कर 470 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ था, जिसका मार्केट कैप 5,700 करोड़ रुपये था। पीवीआर का शेयर शुक्रवार को 1. 55 प्रतिशत की तेजी के साथ 1804 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ, जिसका मार्केट कैपिटल 11,100 करोड़ रुपये से अधिक था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त विलय वाली कंपनी 16,000 करोड़ रुपये से अधिक मार्केट कैप वाली एक बड़ी कंपनी बनाएगी।
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।सभी (7) काण्ड क्रमशः
भरतजी और श्री रघुनाथजी का प्रेम अगम्य है, जहाँ ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का भी मन नहीं जा सकता। उस प्रेम को मैं कुबुद्धि किस प्रकार कहूँ! भला, *गाँडर की ताँत से भी कहीं सुंदर राग बज सकता है?॥3॥ (*तालाबों और झीलों में एक तरह की घास होती है, उसे गाँडर कहते हैं।)
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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गृह मंत्रालय ने कल राष्ट्रपति के पास दया याचिका (Mercy Plea) भेज दी थी.
निर्भया रेप कांड (Nirbhaya rape case) के एक दोषी विनय शर्मा ने अपनी दया याचिका वापस लेने की मांग की है. उनकी दलील है कि उसने दया याचिका पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. बता दें कि कल गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका (Mercy Plea) भेज दी थी.
सबसे पहले दया याचिका खारिज करने की फाइल दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थी. इसके दो दिन बाद गृह मंत्रालय ने इसे राष्ट्रपति को बेज दिया. अधिकारियों ने बताया कि ये फाइल विचार करने और अंतिम निर्णय के लिए राष्ट्रपति को भेज दी गई है. गृह मंत्रालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में एक दोषी की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश करने वाली फाइल में टिप्पणी भी की है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा था पॉक्सो एक्ट में सजा मिलने वाले को माफी नहीं मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि ऐसे मामलों में दया याचिका का प्रावधान खत्म होना चाहिए.
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अभिनेता सुलीन ग्रोवर की अगामी फिल्म कॉफी विद डी नए साल की पहले वीक में रिलीज होने वाली थी। लेकिन अब इसकी रिलीज डेट बदल दी गई है। कॉफी विद डी में सुनील ग्रोवर मुख्य किरदार में है। ये फिल्म अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद को लेकर बन रही है इस फिल्म को लेकर सुनील ग्रोवर और फिल्म निर्माताओं को अंडरवर्ल्ड से धमकियां मिल रही है। इस वजह से इस फिल्म की रिलीज डेट टाल दी गई है। वैसे आपको बता दें कि अभी तक ये मालूम नहीं हो पाया है कि कब रिलीज होगी लेकिन मिली जानकारी के अनुसार इसका फैसला गुरुवार को होगा।
खबरों की मानें तो अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का खास छोटा शकील प्रोमो को देखकर गुस्से में है। इसी वजह से छोटा शकील ने फिल्म के प्रोड्यूसर विनोद रमानी को प्रोमो और फिल्म से दाऊद पर फिल्माए गए मजाक के सीन्स को काटने की धमकी दी है।
कॉल्स उनको दुबई के नंबरों से आ रही हैं।
फिल्म के निर्देशक विशाल मिश्रा ने कहा कि, 14 दिसंबर को ट्रेलर लॉन्च होने क बाद से ही हमें धमकी भरी कॉल आ रही हैं। एक कॉल तो दुबई से भी आई थी। इस घटना के बाद से निर्देशक ने दावा किया है कि इससे पूरी टीम सदमें में है। यही वजह है कि वो लोग मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हो गए है।
आपको बता दें कि इस फिल्म में कॉमेडियन सुनील ग्रोवर एक पत्रकार की भूमिका निभा रहे है, जो दाउद का इंटरव्यू लेना चाहता है, जिसमें वो कामयाब भी हो जाता है। फिल्म में जाकिर हुसैन दाउद का किरदार निभा रहे हैं।
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अगर आप बालों के टूटने , सूखे स्कैलप और बालों को पतला करने से परेशान हैं , तो नारियल तेल से मसाज करें। नारियल के तेल से मालिश करने से बाल मजबूत और बड़े हो जाएंगे।
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जो बालों को अच्छा प्रोटीन देता है। यह तेल बालों के रोम को जड़ों से बचाता है। अगर आपको बालों के झड़ने की समस्या है तो नारियल तेल का प्रयोग करें। नारियल के तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बालों को मजबूत बनाता है , लेकिन बालों के विकास को भी बढ़ाता है।
नारियल का तेल बालों पर प्रदूषण के प्रभाव को कम करता है। यह आपको गर्मी से भी बचाता है। आइए जानते हैं कि नारियल का तेल बालों के लिए कितना फायदेमंद है।
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यह भारतीय उपमहाद्वीप पर राजद्रोह का मौसम प्रतीत होता है। औपनिवेशिक युग का अवशेष राजद्रोह कानून पाकिस्तान और भारत की सरकारों के हाथों में असंतुष्ट आवाजों को कुचलने के लिए एक शक्तिशाली हथियार बन गया है। दिसंबर 2019 में पाकिस्तान की सरकार ने देशव्यापी स्टुडेंट्स सॉलिडेरिटी मार्च में हिस्सा लेने पर सैकड़ों लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगाया, जो छात्रसंघों की फिर से बहाली समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। मार्च में शामिल प्रतिभागियों में से एक आलमगीर वज़ीर को 2 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह 'सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश' के आरोप में जेल में बंद है।
27 जनवरी को पश्तून तहाफुज़ मूवमेंट (PTM) के नेता मंज़ूर पश्तीन को भी पेशावर में उनके निवास पर देर रात छापेमारी कर राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एक दिन बाद पुलिस ने पश्तून की गिरफ्तारी के खिलाफ इस्लामाबाद में एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए वामपंथी आवामी वर्कर्स पार्टी (AWP) के कई युवा कार्यकर्ताओं समेत 23 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया।
पश्तून तहाफुज मूवमेंट एक जातीय पश्तून अधिकार आंदोलन है जो पाकिस्तान तालिबान के खिलाफ अपने युद्ध में पाकिस्तान की सेना द्वारा किए गए कथित अधिकारों के हनन के लिए जवाबदेही की मांग कर रहा है। गठन के बाद से ही यह शांतिपूर्ण अधिकार आंदोलन लगातार धमकियों और गिरफ्तारियों से निशाने पर रहा है।
आवामी वर्कर्स पार्टी के कार्यकर्ताओं और पश्तून तहाफुज मूवमेंट के कई समर्थकों को रिहा कर दिया गया है, लेकिन मंजूर पश्तीन समेत अधिकांश कार्यकर्ता अभी भी जेल में बंद हैं। इन लोगों को अपनी सरकार के कार्यों की केवल आलोचना करने पर वर्षो तक सलाखों के पीछे जीवन बिताने के जोखिम का सामना करना पड़ता है। पाकिस्तान किसी भी उस व्यक्ति को चुप कराने के लिए राजद्रोह कानून का उपयोग करता है जिसे वह अपनी अथॉरिटी के लिए खतरा मानता है।
सरहद के पार भारत में जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में साल 2016 में छात्र नेता कन्हैया कुमार और उमर खालिद के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। जेएनयू लेफ्ट डिसेंट होने की वजह से प्रतिष्ठा का केंद्र रहा है। नतीजन भारत की हिंदू राष्ट्रवादी भाजपा सरकार का इस संस्था को अपने अधिनायकवादी एजेंडे के लिए एक बाधा मानती है और लगातार अपने शिक्षकों पर छात्रो पर तुच्छ मुकदमे लगाती है।
इस महीने की शुरुआत में जेएनयू के एक शोधकर्ता शरजील इमाम पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया क्योंकि वह नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहा था। हाल के वर्षों में देशभर के व्यापार संगठनों, पर्यावरणविदों और प्रोफेसरों समेत अन्य लोगों के खिलाफ राजद्रोह कानून का इस्तेमाल किया गया है।
इन सबके बारे में विशेष रूप से उल्लेखनीय यह है कि इन निराधार आरोपों को एक कानून के माध्यम से लगाया जा रहा है जो ब्रिटिश राज द्वारा भारत में विद्रोही विरोधी उपनिवेशवादी आंदोलन के खिलाफ व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था। गांधी के राष्ट्रीय मंच पर आने से पहले औपनिवेशिक भारत के सबसे प्रमुख राष्ट्रवादी नेताओं में से एक बाल गंगाधर तिलक को उनके लेखन के माध्यम से 'जनता को उकसाने' के लिए राजद्रोह कानून के तहत कई बार कोशिश की गई थी।अपने 1916 के ट्रायल में उनका बचाव युवा बैरिस्टर मोहम्मद अली जिन्ना ने किया था, जो बाद में भारत के विभाजन और पाकिस्तान राज्य के संस्थापक के प्रमुख प्रस्तावक बन गए।
1920 से 1940 के दशक तक आलोचना करने पर कई भारतीयों को राजद्रोह कानून के तहत लाने की कोशिश की गई थी जिनमें महात्मा गांधी, मौलाना मोहम्मद ए जौहर, भगत सिंह और एम एन रॉय भी शामिल थे। स्वतंत्रता से पहले राजद्रोह कानून औपनिवेशिक शासन की बेरुखी का पर्याय था क्योंकि ब्रिटिश अधिकारियों ने इस कानून का उपयोग स्थानीय लोगों को अपनी जमीन में 'विदेशी एजेंट' होने का आरोप लगाने के लिए किया था।
उपमहाद्वीप में जिन स्वतंत्रता सेनानियों को राजद्रोह के आरोप में कैद किया गया था उन्होंने इसे सम्मान के रुप में लिया। जनता ने उन्हें नायकों के रुप में देखा क्योंकि तब देशभक्त होने का मतलब सत्ता में बैठे लोगों से असंतोष था। फिर भी भारत और पाकिस्तान के जन्म के समय दोनों ही राष्ट्र राज्यों ने एक जैसे कानूनों को अपने यहां अपनाया। ये वहीं औपनिवेशिक कानून थे जिनके खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों ने लड़ाई लड़ी थी।
यही औपनिवेशिक नीतियां आज भी दोनों देशों ने अपने यहां अपनाया हुआ है। राजद्रोह का यह कानून गुलामी के दिनों की याद दिलाता है। इन दोनों देशों की सरकारों ने जो कानून बनाए हैं उससे यह नहीं लगता कि ये देश की जनता के बनाए कानून हैं बल्कि सिर्फ उन्हें मशीन का एक पुर्जा समझा जाता है, जो चलता रहे और काम करता रहे।
दमन के इस नये दौर की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक 'भड़काऊ भाषण' पर जोर देना। आज न तो पाकिस्तान और न ही भारत को राजद्रोह के तहत कार्रवाही करने के लिए कुछ भी बताने की जरुरत नहीं। दूसरा प्रश्न उठाया जाता है कि इस तरह के भाषणों से राष्ट्रीय संप्रभुत्ता कमजोर होती है, लेकिन इसके लिए भी राजसत्ता को कुछ साबित नहीं करना पड़ता और तो और इन्ही भाषणों और नारों को ही राज्य के खिलाफ कुछ गहरी साजिश का 'सबूत' मान लिया जाता है।
जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा न करने पर असुरक्षा की यह भावना इन देशों की बढ़ती अक्षमता से उपजी है।पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने आईएमएफ के साथ सबसे दंडनीय सौदों में से एक पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप अभूतपूर्व समस्या हुई है। शिक्षा के बजट में 40 प्रतिशत की कटौती की गई है और स्वास्थ्य क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है। इस बीच गेहूं की कमी ने खाद्य बाजार की स्थिति बिगाड़ दी है और मुद्रास्फीति 14 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
भारत की अर्थव्यवस्था में भी भारी गिरावट आई है। आर्थिक विकास दर 2018 की पहली तिमाही में 8.1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से घटकर पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही में सिर्फ 4.5 प्रतिशत रह गई है। कृषि संकट के साथ बढ़ती बेरोजगारी ने कई गरीब परिवारों को बिना किसी विकल्प के साथ छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'अच्छे दिन' का वादा करके बहुमत हासिल किया था। इसके अलावा जनता को उनके जीवन जीने के सभ्य मानकों से निरंतर ध्यान हटाने के लिए जनता को दुश्मन बनाकर इन शासक वर्गों की आवश्यकता को तेज कर दिया है।
यही कारण है कि पाकिस्तान के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में अभूतपूर्व संख्या में लोगों को 'भारतीय एजेंट' होने के आरोप का सामना करना पड़ रहा है, जबकि भारत में सरकार के विरोधियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी 'आईएसआई एजेंट' कहा जा रहा है। यही कारण है कि आज दोनों देशों में इतने सारे लोग दुश्मन की सेवा करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
फिर भी भारत और पाकिस्तान दोनों में इस क्षेत्र में व्याप्त अधिनायकवाद के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ रहा है। इन तेजी से बढ़ने वाले आंदोलनों में दो विशेषताएं मुख्य रूप से हैं। पहला उनका नेतृत्व युवा नागरिकों द्वारा किया जा रहा है जो भय और घृणा फैलाने वाले उन तरीकों से लड़ रहे हैं जो सत्ताधारी कुलीनों के द्वारा सुरक्षा, रोजगार और मुक्त भाषण (फ्री स्पीच) के अपने सबसे बुनियादी अधिकारों से ध्यान हटाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहे हैं। उदाहरण के लिए भारत में हजारों छात्र भेदभावपूर्ण सीएए के खिलाफ अभियान में शामिल हो गए हैं, जो शायद भारत में मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
इसी प्रकार पाकिस्तान में युवा नेतृत्व वाले आंदोलनों के रूप में उभरे स्टूडेंट्स सॉलिडेरिटी मार्च और पीटीएम आम कारणों से जनता को एकजुट करने में कामयाब रहे। वो भी एक ऐसे समय में जब मुख्यधारा की विपक्षी राजनीतिक पार्टियां सत्ता के खिलाफ राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था के विरोध में खड़े होने में सफल नहीं हो पायी हैं।
इन आंदोलनों की दूसरी खासियत यह है कि ये संविधान को अपनी वैधता को आधार बनाते हैं। भारत में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि इस तरह का भेदभावपूर्ण कानून संविधान की बुनियादी संरचना को कमजोर करता है और सांप्रदायिक बहुसंख्यकवाद के प्रति भारत के रास्ते को सुगम बनाता है। इसी प्रकार पाकिस्तान में कार्यकर्ता बोलने की आजादी को संविधान का मूल तत्व बता रहे हैं जिसके बिना लोकतंत्र निरर्थक हो जाता है।
दोनों मामलों में राज्य ने प्रदर्शनकारियों पर राजद्रोह के आरोप लगाकर जवाब दिया है। इससे विचित्र स्थिति उत्पन्न हुई जहां राज्य का सबसे महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज विध्वंसक साहित्य में बदल गया है, वहीं वैधता के संकट के संकेत ने दक्षिण एशिया में सत्तावादी सरकारों को परेशान कर दिया है।
भारत और पाकिस्तान दोनों के कार्यकर्ता राजद्रोह कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग के प्रति हाल के दिनों में अधिक मुखर हुए हैं। वास्तव में वे उचित सवाल पूछ रहे हैंः यदि वे स्वयं शासक हैं तो कौन लोग उनके खिलाफ राजद्रोही हो रहे हैं? इस सवाल का एक ईमानदार संकल्प न केवल उप-महाद्वीप को औपनिवेशिक शासन की सबसे गहरी विरासतों से एक को दूसरे दूर करने की अनुमति देगा, बल्कि यह हमें यह पता लगाने में भी मदद करेगा कि इस क्षेत्र में देशभक्त होने का क्या मतलब है, जहां राष्ट्रवाद लगातार बड़ा होता जा रहा रहा है।
(अम्मार अली जान कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास में पीएचडी कर रहे हैं। यह आलेख पूर्व में अलजजीरा में प्रकाशित किया जा चुका है।)
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जून 2019 में क्रिकेट से संन्यास लेने वाले युवराज सिंह घरेलू क्रिकेट में वापसी करने की कोशिश में लगे हैं। युवराज ने इस साल सितंबर में ही संन्यास से वापसी का निर्णय लिया था और दोबारा पंजाब के लिए खेलने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से अनुमति मांगी थी। अब पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन (PCA) ने उन्हें 10 जनवरी से शुरू हो रही सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए अपने संभावित खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल किया है।
आईएस बिंद्रा पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के स्टेडियम में युवराज पिछले कुछ दिनों से पंजाब टीम के खिलाड़ियों के साथ जमकर पसीना बहा रहे हैं। उन्होंने नेट्स पर 45 मिनट का समय बिताया और गेंद उनके बल्ले पर अच्छे से आ रही थी। वह आगामी सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के साथ पंजाब के लिए घरेलू क्रिकेट में वापसी करने की कोशिश में लगे हैं। बता दें कि 18 दिसंबर से पंजाब के क्रिकेटर्स 10 दिन के कैंप में हिस्सा लेंगे।
भले ही युवराज वापसी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उनकी वापसी मुश्किल दिख रही है। दरअसल, 39 साल के युवराज के पास मैच फिटनेस की कमी है और वह शेप में नहीं दिख रहे हैं। अभी तक उन्हें BCCI प्रेसीडेंट सौरव गांगुली से वापसी करने की अनुमति भी नहीं मिली है। PCA सेक्रेटरी पुनील बाली ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "हम अभी भी BCCI की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। "
अगस्त में PCA सेक्रेटरी बाली ने युवराज से घरेलू क्रिकेट में वापसी का आग्रह किया था। बाली के आग्रह पर युवराज पंजाब के खिलाड़ियों को 21 दिन तक मेंटोर करते नजर आए थे। युवराज ने 3-4 सप्ताह तक बाली के आग्रह पर विचार किया और फिर वापसी का निर्णय लेते हुए BCCI को मेल भेजा था। यह युवराज पर निर्भर होगा कि वह तीनो फॉर्मेट खेलते हैं या केवल लिमिटेड ओवर्स में ही खेलना पसंद करेंगे।
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आज 15 मार्च 2015 को होटल गोमती लखनऊ में लोकमित्र के द्वारा स्कूल और शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए 'शिक्षक पहल' कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय शेयरिंग कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम में 7 जिलों से 85 शिक्षकों समेत 110 लोग प्रतिभाग किए।
इस कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे शिक्षकों को राज्य स्तर पर एक मंच पर लाया गया जो अपने स्कूलों का एक हद तक बेहतर बना पा रहे हैं। शिक्षकों ने अपने प्रयासों को शेयर किए और एक दूसरे को राय विचार भी दिए। इन शिक्षकों को भी एक-दूसरे के प्रयासों से सीखने का बेहतर अवसर मिला साथ हीं वे उत्साही भी हुए। इससे शिक्षक अपने स्कूल में बेहतर प्रयास करने के लिए उत्साहित तो हुए हीं, साथ हीं उन्होंने यह भी महसूस किया कि उन्हें लगातार सीखते रहने की जरूरत है। सभी स्कूलों के सभी शिक्षक सक्षमता और मनोबल के साथ कार्य कर पाएं, इसके लिए शिक्षक समूह को स्कूल और संकुल स्तर पर आपस में नियमित संवाद करने की जरूरत है। शिक्षकों ने माना की शिक्षा के सुधार की पहल अध्यापक के सहयोग और उत्साह से ही संभव है। हर एक पहल के लिए ऊपरी निर्देश का इंतजार न करें।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्री कमलेश जोशी ने कहा कि वंचित समुदाय के बच्चे परिषदीय स्कूल में आ रहे हैं। उनकी परिस्थितियों को समझने की जरूरत है। शिक्षकों को अपनी सैद्धांतिक समझ को अपडेट करने की जरूरत है। पढ़ने और विचार करते रहने की जरूरत है। इसी से शिक्षको को शिक्षा व्यवस्था में खुद को बेहतर स्थिति में लाने में मदद करेगा। अन्यथा शिक्षा तंत्र में उसे कमतर ही आंका जानता है।
इस कार्यशाला को आयोजित करने के पहले पिछले कुछ माह में सात जिलों (रायबरेली, लखनऊ, प्रतापगढ़, फतेहपुर, बस्ती, बांदा, मुजफ्फरनगर) में शेयरिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इन कार्यशालाओं में जिले के करीब 20 से 40 शिक्षकों को आमंत्रित किया गया। ये वे शिक्षक थे, जिनके बारे में कई स्रोतों से जानकारी मिली थी तथा ये प्रयासों को दस्तावेजित करने और शेयर करने के लिए उत्साहित हुए थे।
- कार्यशाला में सैकड़ों शिक्षकों ने किया प्रतिभाग,
मौजूदा समय में वंचित समुदाय के जो बच्चे परिषदीय स्कूल में आ रहे हैं। उनकी परिस्थितियों को समझने की जरूरत है। साथ ही शिक्षकों को भी अपनी सैद्धांतिक समझ को अपडेट करने की आवश्यकता है। यह बात रविवार को शिक्षक पहल कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय शेयरिंग कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित कमलेश जोशी ने कही। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को पढ़ने और विचार करते रहना चाहिए। इसी से शिक्षकों को शिक्षा व्यवस्था में खुद को बेहतर स्थिति में लाने में मदद मिलेगी।
राजधानी के एक निजी होटल में आयोजित कार्यक्रम में 7 जिलों से 85 शिक्षकों समेत 110 लोगों ने प्रतिभाग किए। इस कार्यक्रम में शिक्षकों ने अपने प्रयासों को शेयर किया और एक दूसरे को राय विचार भी दिए। इन शिक्षकों को भी एक-दूसरे के प्रयासों से सीखने का बेहतर अवसर मिला। शिक्षकों ने महसूस किया कि उन्हें लगातार सीखते रहने की जरूरत है। सभी स्कूलों के सभी शिक्षक सक्षमता और मनोबल के साथ कार्य कर पाएं, इसके लिए शिक्षक समूह को स्कूल और संकुल स्तर पर आपस में नियमित संवाद करने की जरूरत है। शिक्षकों ने माना की शिक्षा के सुधार की पहल अध्यापक के सहयोग और उत्साह से ही संभव है। हर एक पहल के लिए ऊपरी निर्देश का इंतजार नहीं करना चाहिए। कार्यशाला में जिले के करीब 20 से 40 शिक्षकों को आमंत्रित किया गया।
शिक्षक पहल कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय शेयरिंग कार्यशाला सम्पन्न : सैकड़ों शिक्षकों ने साझा किए सभी के साथ अपने शिक्षण अनुभव Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 9:00 AM Rating:
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 14 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर बलरामपुर में प्रदेश के पहले शहीद पार्क का उद्घाटन किया, जिसके बाद यहां लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इस पार्क में शहीद जवानों की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। सभी प्रतिमाओं के पास शहीद जवानों की पूरी जानकारी दी गई है।
शहीद पार्क में बड़ी संख्या में लोग अपने पूरे परिवार के साथ आ रहे हैं और वे जवान जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया, उनकी प्रतिमाओं को देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा है कि शहीदों को याद करने के लिए साल में किसी एक दिन का इंतजार न किया जाए, बल्कि उन्हें लोग हर दिन याद करें। इसी सोच के साथ बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में प्रदेश के पहले शहीद पार्क की स्थापना की गई है।
बलरामपुर में देश के पहले शहीद पार्क को लगभग 40 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है। इसके निर्माण के लिए नगर पालिका को नोडल एजेंसी बनाया गया था। बलरामपुर के शहीद चौक पर स्थापित इस पार्क में शहीद प्रधान आरक्षक लाजरुस मिंज, शहीद आरक्षक महेश राम पैंकरा, शहीद आरक्षक अनिल खलको, शहीद उप निरीक्षक नबोर कुजूर, शहीद प्रधान आरक्षक मनाजरूल हक, शहीद उप निरीक्षक मसीह भूषण लकड़ा, शहीद प्रधान आऱक्षक रामसाय राम की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।
इनकी प्रतिमाओं के नीचे अमर शहीदों का बायोडाटा भी उकेरा गया है, ताकि हर कोई इनके अतुल्य योगदान के बारे में जान सके। देश के इन वीर सपूतों को देखने के लिए शहीद पार्क में लोगों की भीड़ उमड़ रही है और इससे इन शहीदों को वो सम्मान मिल रहा है, जिनके ये हकदार हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस पहल के बाद लोग हर दिन देश के लिए मर मिटने वाले इन शहीदों को याद करेंगे और इनकी कुर्बानी की दास्तान सुनकर देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत होंगे।
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दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 24 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। कोविड 19 महामारी से अब तक एक लाख 70 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी इस वायरस का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। देश में कोरोनावायरस से संक्रमितों की संख्या 18 हजार के पार पहुंच चुकी है। यह बीमारी भारत में अब तक 590 लोगों की जान ले चुका है। इस वायरस से निपटने के लिए दुनिया के 200 से ज्यादा देश लॉकडाउन का सहारा ले रहे हैं। यही वजह है कि सभी प्रकार की खेल गतिविधियों पर लगाम लगी हुई है। खिलाड़ी अपने घर में ही कैद हैं। हालांकि, वे सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस को एंटरटेन कर रहे हैं।
इसी क्रम में सोमवार देर शाम सुरेश रैना और युजवेंद्र चहल ने इंस्टाग्राम लाइव पर चैट की। दोनों ने एक दूसरे से सवाल जवाब किए। इस दौरान कुछ ऐसी चीजें सामने आईं, जो पाठकों ने शायद ही कभी पढ़ी या सुनी होंगी। इसी दौरान रैना ने चहल से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से जुड़े सवाल भी पूछे। रैना ने चहल से पूछा कि स्टार क्रिकेटरों के होने के बावजूद आखिर रॉयल चैलैंजर्स बंगलौर (आरसीबी) अब तक आईपीएल की ट्रॉफी क्यों नहीं जीत पाई है। इस पर चहल ने जो जवाब दिया वह वाकई चौंकाने वाला था।
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तत्त्वनिर्णयप्रासादपहिले रचे गये हैं. और चतुर्दशपूर्वमें शब्दप्राभृत १, नाट्यप्राभृत २, वाद्यप्राभृत ३, संगीतप्राभृत ४, स्वरप्राभृत ५, योनिप्राभृत ६. इत्यादि सर्वजगत्की विद्याके प्राभृत थे. तिनमेसें शब्दप्राभृत में सर्व शब्दोंके रूपोंकी सिद्धि थी, नाट्यप्राभृतमें सर्व नाटकोंके विधिका कथन था, और प्रमाणनयप्राभृतमें सप्तशतार नयचक्रकी सवालक्ष कारिका थी, तिसकी एक कारिका ऊपरसें श्रीमल्लवादि आचार्यने द्वादशारनयचक्रतुंव नामक तर्कशास्त्र रचा, सो वृत्तिसहित अष्टादश सहस्र (१८०००,) श्लोकसंख्या है. तिसकी प्रथम कारिका यह है ।
विधिनियमभंगवृत्तिव्यतिरिक्तत्वादनर्थकमबोधं जैनादन्यच्छासनमनृतं भवतीति वैधर्म्यम् ॥ १ ॥
तथा सम्मतितर्क मूल १६८, कारिका वृत्तिसहित २५००० श्लोक प्रमाण हैं. यह भी, पूर्वके प्रमाणनयप्राभृतसें उद्धार करके विक्रमादित्य राजाके समय में वीरात् (वीर - महावीरका संवत् ) ४७० वर्षक लगभग श्री सिद्धसेनदिवाकरने रचा है. । तथा शब्दांभोनिधिगंधहस्तिमहाभाष्य १, अनेकांतजय पताका २, धर्मसंग्रहणी ३, शास्त्रवार्त्तासमुच्चय ४, न्यायावतार ५, न्यायप्रवेश ६. सर्वज्ञसिद्धि ७, प्रमाणसमुच्चय ८, तत्वार्थ ९ षट्दर्शनसमुच्चय १०, इत्यादि अनेक प्रमाणग्रंथ पूर्वधारीयांके समय में रचे गए हैं । तथा प्रमाणनय तत्त्वालोकालंकारसूत्र तिसकी ८४००० श्लोकप्रमाण स्याद्वादरत्नाकरनामावृत्ति १, लघुवृत्ति ५००० श्लोकप्रमाण रत्नाकरावतारिकानामा २, प्रमेयरत्नकोश ३, लक्ष्मलक्षण ४, खंडनतर्क ५, नयप्रदीप ६, स्याद्वादकल्पलता ७, नयरहस्योपदेश ८, खंडखाद्य ९ स्याद्वादमंजरी १०, प्रमाणमीमांसा ११, प्रमाणसुंदर १२, इत्यादि सेंकडो प्रमाणग्रंथ पूर्वोक्त ग्रंथानुयायी रचे गए हैं. । और व्याकरणके ग्रंथ, जैनेंद्र इंद्रादि व्याकरणानुसारे बुद्धिसागर व्याकरण, और तिसका न्यास श्रीबुद्धिसागरसूरिने रचा है. और विद्यानंदसूरिने विद्यानंद व्याकरण रचा है, श्रीमलयगिरिजीने शब्दानुशासनव्याकरण रचा है, और श्रीसिद्धहेमव्याकरण श्रीहेमचंद्रसूरिजीने रचा है. तिसकी बाबत किसी कविने तिस व्याकरणको देखके यह श्लोक कहा है।
भ्रातः संवृणु पाणिनिप्रलपितं कातंत्रकंथा वृथा । माकार्षीः कटुशाकटायनवचः क्षुद्रेण चांद्रेण किम् ॥ कः कंठाभरणादिभिर्बठरयत्यात्मानमन्यैरपि । श्रूयंते यदि तावदर्थमधुराः श्रीहेमचंद्रोक्तयः ॥ १ ॥
भावार्थः- हे भाइ ! जबतक अर्थोकरके मधुर, ऐसी श्रीहेमचंद्रजीकी उक्तियों सुणते हैं, तबतक पाणिनिके प्रलापको बंद कर, कातंत्रको वृथा कंथा ( गोदडी ) समान जान, कौडे ( कटुक) शाकटायनके वचन मत कर अर्थात् उच्चारण न कर, तुच्छ चांद्रकरके क्या है ? कुछ भी नही, तथा कंठाभरणादि अन्य व्याकरणोंसें भी कौन पुरुष अपने आत्माको पीडित करे ? कोई भी नही. ॥ तथा शिशुपालबधके सर्ग २ के श्लोक ११२ में माघकवि, न्यासग्रंथका स्मरण करते हैंः इसवास्ते माधकवि, न्यासके प्रणेता जिनेंद्र, और बुद्धिपाद बुद्धिसागर आचार्यों पीछे हुए हैं.
ऐसे माघकाव्यके उपोद्घातके षष्ठ (६) पत्रोपरि जयपुरमहाराजाश्रित पंडित व्रजलालजीके पुत्र पंडित दुर्गाप्रसादजीने लिखा है, ।
इस लेखसे भी जैनव्याकरणोंके न्यास अतिचमत्कारी है, और प्राचीन पंडितोंको सम्मत है. नही तो, माघसरिखे महाकवि, न्यासका स्मरण किसवास्ते करते ?
पाणिनिकी उत्पत्तिका स्वरूप, सोमदेवभट्टविरचित कथासरित्सागर, तथा तारानाथतर्कवाचस्पतिभट्टाचार्यविरचित कौमुदीकी सरला नाम टीका, और इतिहासतिमिरनाशक के तीसरे खंडके अनुसारसें लिखते हैं ।। - पाटलिपुत्रनगरके नवमे नंदके वखतमें वर्ष उपवर्षनामा पंडित थे, तिनके तीन मुख्य विद्यार्थी थे, वररुचि ( कात्यायन), व्याडी इंद्रदत्त, और एक जडबुद्धि पाणिनिनामा छात्र था. सो तहांसें हिमालयपर्वतमें जाके तप करता हुआ, तिसके तपसें तुष्टमान हाँके किसी शिवनामा देवाने
तत्वनिर्णयप्रासादतिसकी इच्छानुसार नवीन व्याकरण रचनेका वर दीया, तब तिसने व्याकरणकी अष्टाध्यायी रची. और वररुचि आदिकोंको कहने लगा कि, मेरे साथ व्याकरणविषयमें शास्त्रार्थ करो. तब वररुचि आदिकोंने तिसकेसाथ शास्त्रार्थ करके सात दिनमें पाणिनिका पराजय करा; तब तिसकालमें महादेवने आकाश में आके हुंकारशब्द करा, तब तिन पंडितोंका इंद्रव्याकरण नष्ट हो गया; तव पाणिनिने तिन सर्वपंडितोंको जीत लीये. तद पीछे वररुचिने हिमालय पर्वतमें जाके. शिवकी आराधनासें वर पाके, तिस अष्टाध्यायीकी न्यूनता पुग्णवास्ने वार्तिक रचा. ॥
इससे सिद्ध हुआ कि, पाणिनि नंदराजाके समय होनेसें श्रीकीरात् १५५ वर्ष पीछे लगभग हुआ तो क्या. पाणिनिमें पहिलें पंडितजन व्याकरणसें शून्य थे ? शून्य नहीं थे. किंतु जैनेंद्र, इंद्र, शाकटायनादि जैनव्याकरण प्रचलित थे, तो फिर, जैनमन व्याकरणशून्य कैसे सिद्ध होवे ? कदापि न होवे तथा पातंजलिने जो अष्टाध्यायीके ऊपर भाष्य रचा है, सो भी प्रायः जैनेंद्र इंद्र शाकटायनादिव्याकरणानुसार रचा है.
पूर्वपक्षः- आपने कितनेही प्रमाणोंद्वारा जैनमतको प्राचीन ठहराया सो ठीक है; परंतु 'जैन' शब्द जिनशब्द से तन्द्रित होके बनता है, और 'जिन' शब्द 'जि जये' धातुका बनता है और धातु प्राचीन नही है.
क्योंकि, श्री बाबु शिवप्रसादजी सितारेहिंड अपने रचे इतिहासतिमिरनाशकके तीसरे खंडके पृष्ठ १७ में लिखते हैं कि 'जिजय धातु प्रमाणिक नही है. क्योंकि सायन और नृसिंह ने अपने रचे उणादि और स्वरमंजरीमें इस धातुको छोड़ दिया है. यह धातु किसी प्रमाणिक ग्रंथ में नहीं मिलता है.
उत्तरपक्षः- हे प्रियवर ! वाबुसाहबने जो लिखा है, सो, क्या जाने किस अनुभवज्ञानसें लिखा है !! क्या वाबुजी सितारेहिंद वेदोंको प्रमाणिकग्रंथ नहीं मानते हैं ? क्योंकि, यजुर्वेद अध्याय १९ मंत्र ४२ । ५७ में जि जयधातुके प्रयोग है. जिसको शंका होवे मो. यजुर्वेद देख लेवे. वेदोंके अप्रमाणिक होनेसें, फिर वो ऐसा वेदांसें पुराना पुस्तक कौनसा है, जिसने जि जयधातुको अप्रमाणिक जानके छोड दिया है ? यह लेख
तो, किसीने जैनमतोपरि द्वेषबुद्धिसें लिखा मालुम होता है. किसी मताग्रहीको यह सुझा कि, जिस जि जयधातुसें जिन सिद्ध होता है. तिसधातुकोही उडा दो. इसीतरें द्वेषबुद्धिसें वेदोंमेंसें कितनीही ऋचा, मंत्र और शाखायोंको गुम्म करदी हैं. तो बिचारा जि जयधातु तो किस गिणतीमें है ?
पूर्वपक्षःजैनमत वेदमतकी बातें लेकर रचा गया है, ऐसे कितनेक कहते हैं, तिसका क्या उत्तर है ?
उत्तरपक्षः - हे प्रेक्षावानो ! तुमको विचारना चाहिये कि, जेकर जैनमत वेदकी कितनीक बातें लेकर रचा गया होवे, तब तो जो कथन, जैनमतमें है, सो सर्व वेदोंमें होना चाहिये. परंतु, कर्मकी ८ मूलप्रकृति, और १४८ उत्तरप्रकृतियोंके स्वरूपके कथन करनेवाले पट्कर्मग्रंथ, पंचसंग्रह कर्मप्रकृति प्राभूतकी संग्रहणी, प्राचीन पांच कर्मग्रंथ, शतक, षडशीति कर्मग्रंथ. प्रज्ञापना उपांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति, आदिमें लगभग अशीतिसहस्र ( ८०००० ) लोकोंका प्रमाण है. तिनको कथनका गंधभी, चार वेदसंहिता ब्राह्मण, उपनिषत् कल्पादिमें नहीं है, और साधुकी पदविभागसमाचारी. जिसके कथन करनेवाले सवालक्ष (१२५००० ) लोक लगभग हैं; और जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध, मोक्ष, इन पदार्थोंका जैसा स्वरूप, जैन मतके शास्त्रों में कथन करा है, तैसा स्वरूप वेदों में स्वप्नमें भी कदी नही दीख पडेगा. इसवास्ते प्रेक्षावानोंको चाहिये कि, वेद और जैनमतके शास्त्र पढके तिनका मुकाबला करें और विचारें, तब यथार्थ मालुम हो जावेगा कि, जैनमत वेदमेंसें रचा गया है, वा, वेदोंमें जे जे अच्छी बातें है, वे जैनमत मेंसें लेके रची गईं हैं ? जो पूर्वोक्त ग्रंथोंका मुकावला करके तत्त्व निश्चय करके धारेगा, तिसका कल्याण होवेगा.
तथा जैनमतके प्राचीन होनेमें एक अन्य भी प्रमाण मिला है सो ऐसें है. । श्रीकांतानामा नगरीका रहनेवाला धनेशनामा श्रावक यानपात्रकरके समुद्र में जाता था; तिनके अधिष्ठायक देवताने तिस जहाजको |
३८४ । भारतीय क्ला एवं संस्कृति
अर्थात् सम्यक जीविका । ( ६ ) सम्मा वायाम अर्थात् सम्यक व्यायाम । ( ७ ) सम्मा सति अर्थात् सम्यक स्मृति । (८) सम्मा समावि अर्थात् सम्यव समाधि
(१) सम्मा दिटठी - दुख समुदाय और दुख निरोध का नाम ही सम्पर्क दृष्टि है। जब तक हम ससार को दुख रूप न मानगे तब तक हमारे क्त्तव्य का लक्ष्य उससे भागने की ओर न होगा। सच्चे नान के बाद ही सच्चा सकरप आता है ।
(२) सम्मा सक्त्व - दुख समुदाय के नान से निश्चय हो जाता है कि तृष्णात्याग के बिना दु ख से छुटकारा नहीं हो सकता । जब हमारा सबक साथ अद्वप, अहिंसा और मैत्री का भाव होगा तभी हमारी तृष्णा का क्षय हो सकेगा। अतएव हमे ऐसा भाव बना लेना चाहिए, जिससे किसी के प्रति हिंसा और द्वेष का व्यवहार न हो । यही विचार सम्यक सकल्प है ।
(३) सम्मावाचा - सव प्रकार के झूठ, दूसरो की निदा, अपमान, चुगली, झूठी गवाही बादि से विमुख रहना चाहिए । निरथक वार्तालाप भी दूषित समभा जाता है । सम्यक वार्तालाप मनुष्यो म परस्पर प्रेम उत्पन्न करने में सहायक होता है । ऐसी कोई बात न कहनी चाहिए जिससे दूसरे का जी दुमे । यहाँ तक कि अप राधी को दण्ड देते समय भी आदर का यवहार होना चाहिए और उसमें व्यक्तिगत वर भाव अथवा रोप की ग ध न जानी चाहिए ।
(४) सम्मा कम्मात - बौद्ध धम मे हिंदू धर्म की भाँति हो आवागमन माना गया है। लोग अपने कर्मों के अनुकून बुरा या भला ज म लेते हैं। वौद्ध धम जात्मा को नहीं मानता कि तु एक प्रकार से कम का सिद्धात मानता है । प्राणी का पुन जाम नहीं होता किन्तु उसका सस्कार और अतिम विचार एक नया रूप धारण कर लेता है। स्वय बुद्ध ने जातक क्याओ के अनुसार अनेक वार जन्म लिया था ।
कर्मो म पचशील मुख्य है । सवत पाप निवृत्ति को शील कहते है । ये पच शोल बथात् पाच आनाए सर बौद्ध गृहस्थो और मिथुओ के लिए है -
( १ ) कोई किसी को न मारे (२) चोरी न करे जर्थात जो वस्तु न दी गई हो उसे नल ( ३ ) झूठ न बोले ( ४ ) नशीली चीजो का सेवन न करे, (५) व्यभि चार न करे ।
भिक्षुआ के लिए पाँच और नियम है जो इस प्रकार हैं(१) रात्रि में दर से भोजन न करना (२) माला न पहनना और सुर्गा धत द्राय न लगाना । ( ३) भूमि पर मोना (४) नाच गान वाद्य में आसक्त न होना । (५) सोना चादी को व्यवहार में न लाना ।
ये दमा आनाएँ निक्षजी के लिए अनिवाय हैं और प्रथम पचशील गृहस्थो
घमचक्रप्रवत्तन नून - संयुक्त निकाय, ५५/२/१ |
अगर रामपुर बाजार में किसी भी दुकानदार का थड़ा अढ़ाई फुट से ज्यादा होगा तो उस पर नगर परिषद का हथोड़ा चलना तय है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने नगर परिषद को सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रशासन ने कहा कि नगर परिषद ने सभी व्यापारियों को अपनी दुकान के बाहर केवल अढ़ाई फुट का थड़ा निकालने की अनुमति दी है। ये अनुमति भी जगह को देखते हुए दी गई है। यानी बाजार के तंग हिस्से में ये नियम मान्य नहीं हैं। प्रशासन ने कहा कि वह खुद मौके का मुआयना कर चुके हैं। जिसमें अधिकतर दुकानदारों ने अपने थड़े को बढ़ा रखा है। जो नियमों के विपरीत है। ऐसे में थड़ा बढ़ने से जहां बाजार में आए लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर बाजार में एंबुलेंस और अग्निशमन विभाग की गाडि़यों को एकदम से आना खासा मुश्किल भरा है। इसी को देखते हुए अब प्रशासन हरकत में आया है।
प्रशासन ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर अढ़ाई फुट से अधिक किसी का भी थड़ा है उसे तोड़ दिया जाएगा। प्रशासन ने कहा कि वैसे तो अढ़ाई फुट का थड़ा भी तंग बाजार में मान्य नहीं है। लेकिन इससे अधिक थड़ा कई समस्याओं को जन्म देता है। इस बात से बाजार के व्यापारी बेखबर है। प्रशासन ने कहा कि अगर कभी बाजार में आग जैस घटना हो जाती है तो एकदम से अग्निशमन की गाड़ी मौके पर पहुंचना आसान नहीं होगा।
वहीं अगर बाजार में कोई बीमार हो जाता है और उसे तुरंत फर्स्ट एड की जरूरत है। ऐसे में एंबुलेंस का मौके पर आना भी बाजार की तंग सड़क पर दिक्कतें खड़ी कर देगा। ऐसे में सभी व्यापारियों को इस समाजिक मुद्दे पर एकजुटता से सोचना चाहिए। ये नियम व्यापारियों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करते है। प्रशासन ने नगर परिषद को ये भी हिदायत दी कि वह अतिक्रमण करने वालों पर नरमी न बरते। बाजार में जो भी तहबाजारी है उन पर कार्रवाई की जाए, ताकि बाजार में आवाजाही में दिक्कतें न हो।
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Yogi Adityanath: गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से लगातार पांच बार चुने जाने का रिकॉर्ड भी योगी के ही नाम है। जब वे सांसद थे तभी देश की एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने अपने सर्वे में उनको देश के कुछ सबसे रसूखदार लोगों में से एक माना।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में पहली बार किसी मुख्यमंत्री बने संन्यासी ने न सिर्फ अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया, बल्कि दोबारा गद्दी संभालने जा रहे हैं। एक संत के रूप में गोरक्षपीठ का दायित्व संभालने वाले योगी ने राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में एक योद्धा के रूप में उभरे तो वनटांगियों की सेवा और उनके हक दिलाकर एक संवेदनशीलता का परिचय दिया। गोरखपुर की शहर विधानसभा क्षेत्र से वह तकरीबन एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं। वह गोरखपुर के लगातार पांच बार सांसद भी रहे हैं। वह 1998 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। 2017 में वह मुख्यमंत्री बने। 2022 का चुनाव योगी के चेहरे पर ही लड़ा गया। उन्होंने अपनी भूमिका का निर्वाहन किया। एक बार अपने को साबित किया। महज 22 साल की उम्र में ही नाथपंथ में दीक्षित होकर वह सन्यासी (योगी) बने। इस रूप में वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के उत्तराधिकारी बने। अवेद्यनाथ संत समाज और समाज में एक सर्वस्वीकार्य नाम था।
ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने अपने प्रिय शिष्य (योगी) को अपनी राजनीतिक विरासत भी सौंप दी। इस तरह 1998 में वह 26 साल की उम्र में से सबसे कम उम्र के सांसद (लोकसभा सदस्य) बने। इसके बाद तो योगी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से लगातार पांच बार चुने जाने का रिकॉर्ड भी योगी के ही नाम है। जब वे सांसद थे तभी देश की एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने अपने सर्वे में उनको देश के कुछ सबसे रसूखदार लोगों में से एक माना।
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972, पौढी गढवाल (उत्तराखंड) के पंचुर गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। बाल्यकाल से राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित योगी का जुड़ाव नब्बे के दशक में राम मंदिर आंदोलन से हो गया। राम मंदिर आंदोलन के दौरान ही वह इसके नायक गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आए। महंत जी के सानिध्य और उनसे प्राप्त नाथ पंथ के बारे में मिले ज्ञान ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक विज्ञान तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने सन्यास लेने का निर्णय कर लिया।
इसी क्रम में वह 1993 में गोरखनाथ मंदिर आ गए और नाथ पंथ की परंपरा के अनुरूप धर्म, अध्यात्म की तात्विक विवेचना और योग साधना में रम गए। उनकी साधना और अंतर्निहित प्रतिभा को देख महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी के रूप में दीक्षा प्रदान किया। गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी के रूप में उन्होंने पीठ की लोक कल्याण और सामाजिक समरसता के ध्येय को सदैव विस्तारित किया। महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के उपरांत वह 14 सितंबर 2014 को गोरक्षपीठाधीश्वर (महंत) के रूप मे पदासीन हुए। इसी भूमिका के तदंतर वह इसी तिथि से अखिल भारतीय बारह भेष पंथ योगी सभा के अध्यक्ष भी हैं।
करीब तीस दशकों से मंदिर पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को राजनीतिक दायित्व भी गोरक्षपीठ से विरासत में मिला है। उनके दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ गोरखपुर संसदीय क्षेत्र का एक बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद और मानीराम विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे हैं। 1996 में गोरखपुर लोकसभा से चुनाव जीतने के बाद ही महंत अवेद्यनाथ ने घोषणा कर दी थी कि उनकी राजनीति का उत्तराधिकार भी योगी ही संभालेंगे। इसके बाद योगी 1998 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल कर बारहवीं लोकसभा में उस वक्त सबसे कम उम्र (26 वर्ष) के सांसद बने। तब से 2014 तक लगातार पांच बार संसदीय चुनाव में जीत हासिल करने वाले वह विरले सांसदों में रहे।
पांडेय ने बताया कि 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले योगी ने तमाम उपलब्धियों के बीच न केवल शानदार कार्यकाल पूरा किया है बल्कि सार्वजनिक जीवन में बेदाग छवि को भी बरकरार रखा है। पांच साल के दौरान उनकी खुद की जीवनचर्या संन्यासी की ही भांति रही। सादगीपूर्ण व अनुशासित जीवनशैली में तनिक भी परिवर्तन नहीं आया है। सम्भवतः वह प्रदेश के अबतक के इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने प्रदेश के हर जिले का कई बार दौरा करने के साथ नोएडा जाने के मिथक को भी तोड़ा है। पहले मुख्यमंत्री इस मिथक के भय से नोएडा नहीं जाते थे कि वहां जाने से सीएम की कुर्सी चली जाती है।
गिरीश पांडेय ने कहते हैं कि 'योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने देश के अंदर अपने परसेप्शन को बदला है। आज यूपी की पहचान एक सुरक्षित राज्य के रूप में है। आज देश के अंदर उत्तर प्रदेश बेहतर कानून व्यवस्था के रूप में जाना जाता है और अलग-अलग राज्यों में यहां के मॉडल को उतारने और उसको जानने की उत्सुकता भी रहती है।
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अमरोहा (उत्तरप्रदेश) प्रेस क्लब रजिस्टर्ड के तत्वावधान में गजरौला इकाई का गठन कर नवनीत अग्रवाल को अध्यक्ष एवं राजीव कुमार को महामंत्री बनाया गया।
दयाराम प्रजापति को उपाध्यक्ष, रोहित प्रजापति को मंत्री एवं सरजीत सिंह नवीन को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई ।
गजरौला के होटल पैराडाइज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एसडीएम मांगे राम चौहान, विशिष्ट अतिथि इंस्पेक्टर शरद मलिक एवं भाजपा किसान मोर्चा के महामंत्री कुंवरपाल खड़कवंशी की मौजूदगी में रजिस्टर्ड प्रेस क्लब अमरोहा के जिलाध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने मंडी धनौरा तहसील अध्यक्ष पद पर संजय कुमार एवं उपाध्यक्ष पद पर कपिल कुमार को मनोनीत किया।
कार्यक्रम में अमरोहा, मंडी धनोरा, हसनपुर एवं नौगांवा सादात तहसील से आए पत्रकार साथियों ने शिरकत की।
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नवीन वैष्णव , अजमेरः जाको राखे साइया मार सके ना कोई, एक बार फिर यह कहावत राजस्थान के अजमेर में चरित्रार्थ हो गई। यहां गुरुवार को सुबह एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने लोगों रोंगटे खड़े कर दिए, लेकिन घटना के बाद जो स्थिति सामने आई, वो चमत्कार से कम नहीं थी। दरअसल यहां अजमेर में स्मार्ट सिटी के तहत चल रहे एलिवेटेड रोड के निर्माण में लगी एक क्रेन अचानक एक चलती कार पर आ गिरी। बताया जा रहा है कि यहां पुल की एक भुजा पर क्रेन भारी लोहे की रोड उठा रही थी और इस दौरान ट्रैफिक भी चालू था। इसी दौरान पंजाब से ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के लिए आए लोगों की कार गुजर रही थी। अचानक कार पर क्रेन असंतुलित होकर आ गिरी। गनीमत रही कि कार में बैठे लोगों को ज्यादा चोटें नहीं आई। इस हादसे में तीनों लोगों की जान भी जा सकती थी, लेकिन हुआ कुछ ऐसा कि लोगों के मुंह से यह बात निकल गई कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।
मिली जानकारी के अनुसार कार में सवार एक युवक थोड़ी ज्यादा चोट आई है। वहीं कार में बैठे दो अन्य लोगों के चोटें नहीं आई। वहीं इस हादसे से कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। कार लोहे के पीपे की तरह मुड गई है। बताया जा रहा है कि कंपनी प्रबंधन की लापरवाही के चलते यह हादसा हुआ है। अजमेर के गांधी भवन के सामने एलिवेटेड रोड का काम चल रहा है। जोखिम पूर्ण काम करने के दौरान भी ट्रैफिक को रोका जाना चाहिए था।
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..प्रचार का चन्दा था । भूपसिह उनके स्वभाव पर रीझ गये और धूमधाम से श्रीकठसिंह का आनन्दी के साथ व्याह हो गया ।
आनन्दी अपने नये घर मे आई, तो यहाँ का रग-ढंग कुछ और ही देखा । जिस टीम टाम की उसे बचपन से ही आपड़ी हुई थी, वह यहाँ नाम-मात्र को भी न थी । हाथी, घोड़ों का तो कहना ही क्या, कोई सजी हुई सुन्दर बहेली तक न थी । रेशमी - स्लीपर साथ लाई थी, पर यहाँ बाग कहाँ ! मकान मे खिड़कियॉ तक न थी, न जमीन पर फ़र्श, न दीवार पर तस्वीरें । यह एक सीधा-सादा देहाती गृहस्थ का मकान था; किन्तु आनन्दी ने थोड़े ही दिनों में अपने को इस नई अवस्था के ऐसा अनुकूल बना लिया, मानो उसने विलास के सामान कभी देखे ही न थे ।
एक दिन दोपहर के समय लालबिहारी सिह दो चिड़ियाँ लिये हुए • और भावज से बोना - जल्दी से पका दो, मुझे भूख लगी है। - नदी भोजन बनाकर इसकी राह देख रही थी। अब यह नया व्यञ्जन बनाने बैठी । हाँड़ी मे देखा, तो घी पाव-भर से अधिक न था । बडे घर की बेटी, किफायत क्या जाने । उसने सब घी मास में डाल दिया । लालबिहारी खाने बैठा, तो दाल मे घी न था, बोला- दाल मे घी क्यो - नहीं छोड़ा ?
आनन्दी ने कहा - घी सब मास में पड़ गया । लालबिहारी जोर से बोला- अभी परसो घीया है, इतना जल्द उठ गया
नदी ने उत्तर दिया- आज तो कुल पाव-भर रहा होगा । वह सब मैंने मास में डाल दिया ।
से जिस तरह सूखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है, उसी तरह क्षुधा बावला मनुष्य जरा-ज़रा-सी बात पर तिनक जाता है। लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बहुत बुरी मालूम हुई, तनककर बोला- मैके में तो चाहे घी की नदी बहती हो !
स्त्री गालियाँ सह लेती हैं मार भी सह लेती हैं, पर मैके की निन्दा |
बॉक्स ऑफिस पर इस समय रईस और उसकी लैला की ही धूम मच रही है. और हो भी क्यों न फिल्म में किंग खान अपने पुराने अंदाज में एक बार फिर दिखाई दिए है. फिल्म ने अपने पहले दिन जहाँ 20 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया था वही फिल्म ने अपने दूसरे दिन 27 करोड़ रूपए की कमाई की है.
ऐसे में फिल्म की कुल कमाई लगभग 50 करोड़ रूपए के आस पास हो गई है. वही शाहरुख़ की रईस के साथ में रिलीज हुई अभिनेता ऋतिक रोशन की फिल्म ने अपने पहले दिन 11 करोड़ के आस पास बिजनेस किया था और वही फिल्म ने दूसरे दिन अपनी कमाई में इजाफा करते हुए 17 करोड़ रूपए काम लिए है.
ऐसे में फिल्म का कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन लगबहग 28 करोड़ रूपए के आस पास हो गया है. अभी इन दोनों ही फिल्मो के बिच जंग जारी रहेगी. क्योकि फिल्म 25 जनवरी बुधवार को रिलीज हुई थी और अभी वीकेंड के आना बाकी है. और अनुमान लगाया जा रहा है कि इन छुट्टियों के दिन इन दोनों ही फिल्मो का कलेक्शन बढ़ सकता है.
रितिक ने पहले ट्वीट में शाहरुख़ को मेंटर बताया. . . बाद में ऐसे निकाला गुस्सा!
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इंटरनेट डेस्क। एक्ट्रेस सोफी चौधरी अपनी अदाओं के लिए जानी जाती है।
अपनी ग्लैमरस अदाओं का जलवा बिखेरती रहती है।
एक्ट्रेस सोफी चौधरी की हाल ही में कुछ तस्वीरें वायरल हुई है।
इन फोटोज ने इंटरनेट पर तहलका मचाया है।
बैकलेस ड्रेस में सोफी चौधरी ने अपने हुस्न का जादू बिखेरा है।
सोफी का हॉटनेस अंदाज देख कर फैंस हुए हैरान।
बैकलेस ड्रेस में सोफी चौधरी के फैंस हो गए दीवाने।
इंस्टाग्राम पर शेयर की है फोटोज।
लाखों की संख्या में है उनके फैंस।
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चर्चा में क्यों?
25 मई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के 5 संभागों में राजीव गांधी सेंटर ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (आर-केट) केंद्र खोलने के लिये 25.90 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान को मंजूरी दी है।
- राजीव गांधी सेंटर ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (आर-केट) केंद्र प्रदेश के अजमेर, कोटा, भरतपुर, बीकानेर एवं उदयपुर संभागों में खोले जाएंगे।
- नए आर-केट केंद्र कोटा के सर्वपल्ली राधाकृष्णन भवन (राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय), उदयपुर के विज्ञान भवन (मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय), भरतपुर के आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस विभाग (राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय), अजमेर के राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय तथा बीकानेर के स्कूल इनोवेशन हब (महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय) में खोले जाएंगे।
- मुख्यमंत्री के इस निर्णय से युवाओं को ब्लॉक चेन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स एवं वर्चुअल रियलिटी आदि की एडवांस्ड तकनीकों के बारे में जानकारी मिलेगी। साथ ही, इन केंद्रों में सर्टिफिकेट कोर्स और मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च कर सकेंगे।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जयपुर में भी आर-केट स्थापित किया गया है। साथ ही, जोधपुर के राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल यूनिवर्सिटी कम इन्स्टीट्यूट के तत्वावधान में इसके अस्थायी कैंपस में भी आर-केट के कोर्स प्रारंभ किये जा चुके हैं।
- मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में इस संबंध में घोषणा की गई थी।
चर्चा में क्यों?
25 मई, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आमजन को बेहतर आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाने हेतु राज्य की राजधानी जयपुर के सिंधी कैंप के केंद्रीय बस स्टैंड पर नवनिर्मित अत्याधुनिक बस टर्मिनल का उद्घाटन किया।
- नवनिर्मित टर्मिनल से आमजन को यात्रा में सुगमता होगी। सिंधी कैंप बस स्टैंड पर नवनिर्मित बस टर्मिनल में यात्रियों की सुविधा हेतु यात्री शेड, बुकिंग विंडो, कार्यालय उपयोग हेतु बेहतरीन कक्ष, आधुनिक शौचालय, वातानुकूलित यात्री प्रतीक्षालय, फूडकोर्ट एवं व्यवसायिक उपयोग हेतु परिसर होगा।
- इसके अतिरिक्त उक्त परिसर सीसीटीवी कैमरे, वाईफाई, पब्लिक अनाउन्समेंट सिस्टम, लिफ्ट, एस्केलेटर, फायर फाईटिंग सिस्टम एवं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तथा 15 किलो वॉट के सोलर प्लांट से युक्त होगा।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महिला यात्रियों के लिये रोडवेज की सभी श्रेणी की बसों के किराए में 50 प्रतिशत छूट देने की घोषणा की। रियायती यात्रा का दायरा बढ़ने से महिलाएँ रोडवेज की साधारण बसों के साथ-साथ अब एक्सप्रेस, डीलक्स सहित सभी श्रेणी की बसों के किराए में 50 प्रतिशत छूट का लाभ ले सकेंगी।
- प्रदेश में सैटेलाइट एवं नए बस स्टैंड बनाए जा रहे हैं। जोधपुर में भी अत्याधुनिक बस स्टैंड तैयार किया जा रहा है। लक्खी मेलों में जाने वाले श्रद्धालुओं को भी किराए में छूट दी जा रही है। हरिद्वार में अपने दिवंगत जनों की अस्थी विसर्जन में जाने वाले लोगों के लिये निःशुल्क यात्रा का प्रावधान किया गया है।
- प्रदेश में परीक्षा देने जा रहे अभ्यर्थियों को भी रोडवेज बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा उनके रहने और खाने का प्रबंध भी करवाया गया।
- राज्य सरकार द्वारा रोडवेज कर्मियों के लिये पुरानी पेंशन योजना एवं आरजीएचएस लागू की गई है।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वरिष्ठजनों एवं विशेष योग्यजनों को रोडवेज बसों में निःशुल्क यात्रा के लिये आरएफआईडी स्मार्ट कार्ड प्रदान किये।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा बस अड्डों के उन्नयन के लिये 125 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 875 नई रोडवेज बसें खरीदी गई हैं तथा 500 नई बसें खरीदने का कार्य किया जा रहा है।
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