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मालिनी अवस्थी। वसंत तरुणाई है। यह प्रतीक्षा करना नहीं जानता और इसका उत्कर्ष है होली। वसंत ऋतु और होली का पर्व कवियों-कलाकारों ही नहीं, क्रांतिकारियों को भी प्रिय है। घनी अमराई में कोयल की कूक, गुलाब गेंदा, चंपा, चमेली पर मंडराते भंवरों का गुंजन, चारों ओर पियरी ओढ़े सरसों के खेत, गेहूं की झूमती-पकती बालियां. . . इसी वासंती मौसम में होली, धमार, काफी, जोगीरा, चौताल और चैता की स्वरलहरियां सुनाई पड़ने लगती हैं। आकाश अबीर-गुलाल सा दिखने लगता है, उत्साह का कोई ओर-छोर नहीं रहता. . . मन भीगने लगता है और तन भीगना चाहता है किसी अपने के प्रेम से। वसंत और फागुन की यह दहक टेसू-पलाश के दहकते केसरिया रंग में भीग कर ही शांत होती है।
वसंत यौवन है, तरुणाई है, उल्लास है। वसंत नवागत का स्वागत है। वसंत जीवन का उत्सव है, वसंत बिखरने-बिखेरने का मौसम है। वसंत अधीर है। यह प्रतीक्षा करना नहीं जानता और इसका उत्कर्ष है होली। वर्ष प्रति वर्ष, वसंत के उल्लास का चरम फागुन में रंगों से जब भीजता है तो ही पूरा होता है उमंग का यह अनुष्ठान। इन दो महीनों में मनुष्य एक जीवन जी लेता है। कामदेव ने ऐसी व्यवस्था ही रच रखी है। शिव ने अनंग को यह विशेष वरदान दिया है। वह निराकार होकर भी साकार हैं। सच है, जीवन वही जो सार्थक जिया जाए, आयु उतनी यथेष्ट जिसमें जीवन का लक्ष्य पूर्ण हो जाए। संभवतः यही कारण है कि वसंत ऋतु और होली का पर्व कवियों, कलाकारों, चित्रकारों का ही नही, क्रांतिकारियों का भी सबसे प्रिय मौसम है।
क्रांति का रंग वासंतिक है, केसरिया है, अदम्य साहस, शौर्य और अध्यात्मिक ऊर्जा का है। वीरों का वसंत ऐसा ही होना चाहिए। साहस और ऊर्जा से भरपूर। प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता जब पहली बार सुनी थी, तब से मेरे लिए वीरता और वसंत एक-दूसरे में गुंथ से गए।
वीरों का कैसा हो वसंत,
आ रही हिमालय से पुकार,
है उदधि गरजता बार बार,
प्राची पश्चिम भू नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगंत,
वीरों का कैसा हो वसंत।
फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग,
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग,
है वीर देश में किंतु कंत,
वीरों का कैसा हो वसंत।
कह दे अतीत अब मौन त्याग,
लंके तुझमें क्यों लगी आग,
ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग,
बतला अपने अनुभव अनंत,
वीरों का कैसा हो वसंत।
हल्दीघाटी के शिलाखंड,
ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड,
राणा ताना का कर घमंड,
दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत,
वीरों का कैसा हो वसंत।
देश की रक्षा के लिए तत्पर भारत मां के लाडलों ने हंसते-हंसते अपने रक्त से भारत माता का तिलक किया है। अंग्रेजों व देश के शत्रुओं से खून की होली खेली है और मुस्कुराते हुए अपना बसंती चोला देश पर न्योछावर कर दिया है।
मेरा रंग दे बसंती चोला,
मेरा रंग दे बसंती चोला।
यह गीत 'भगत सिंह का अंतिम गान' शीर्षक के रूप में वर्ष 1931 के साप्ताहिक 'अभ्युदय' के अंक में प्रकाशित हुआ था। भगत सिंह ने अंतिम समय में यह गीत गाया या नहीं इसके साक्ष्य उपलब्ध नहीं है किंतु निस्संदेह यह गीत भगत सिंह को पसंद था और वह जेल में किताबें पढ़ते-पढ़ते कई बार इस गीत को गाने लगते थे। उनके आसपास के अन्य बंदी क्रांतिकारी भी इस गीत को एक साथ गाते थे, इस बात के अनेक प्रमाण हैं।
स्वाधीनता की लड़ाई में देश के कोने-कोने में क्रांतिकारी एकजुट हो रहे थे। रामप्रसाद बिस्मिल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापकों में से एक थे। इस संस्था के द्वारा ही चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, अशफाक उल्ला खान, राजगुरु, प्रेम किशन खन्ना, ठाकुर रोशन सिंह और भगवतीचरण व्होरा जैसे क्रांतिकारी एक दूसरे के संपर्क में आए। भगत सिंह बिस्मिल से अत्यधिक प्रभावित थे। हालांकि एक समय में वे महात्मा गांधी से भी बहुत प्रभावित थे किंतु गांधी जी के असहयोग आंदोलन रद कर देने के कारण उनमें थोड़ा रोष उत्पन्न हुआ तो उन्होंने अहिंसात्मक आंदोलन की जगह क्रांति का मार्ग अपनाना उचित समझा। उनके दल के प्रमुख क्रांतिकारियों में आजाद, सुखदेव और राजगुरु इत्यादि थे। काकोरी ट्रेन एक्शन में चार क्रांतिकारियों, जिनमें बिस्मिल और अशफाक भी शामिल थे, की फांसी और कारावास की सजा से भगत सिंह इतने उद्विग्न हुए कि उन्होंने अपनी पार्टी नौजवान भारत सभा का हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में विलय कर दिया और एक नया नाम दिया- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। 1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए प्रदर्शन हुए और इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठीचार्ज किया। जिसमें लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह और राजगुरु ने योजना बनाकर 17 दिसंबर, 1928 को एसपी सांडर्स को गोली मार दी। आठ अप्रैल, 1929 को केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने के जुर्म में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। भगत सिंह चाहते तो भाग सकते थे पर उन्होंने पहले ही सोच लिया था कि उन्हें दंड स्वीकार है। विस्फोट होने के बाद उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद का नारा लगाया। आप कल्पना कर सकते हैं कि एक हुकूमत, जिसका दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर शासन था और जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता, ऐसी ताकतवर हुकूमत 23 साल के एक युवक से भयभीत हो गई थी।
स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिकारी साहित्य का इतिहास भाग -दो में उल्लिखित है कि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा में दिए गए दिशानिर्देश का भगत सिंह ने अक्षरशः पालन किया और अंग्रेजी सरकार से फांसी के बजाय गोली से उड़ा दिए जाने की मांग की। 23 मार्च, 1931 की शाम भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई।
यही वह विचारभूमि थी जिसके आधार पर निराला जी ने 'खून की होली जो खेली' लिखी थी। यह कविता गया से प्रकाशित साप्ताहिक 'उषा' के होलिकांक में मार्च 1946 में प्रकाशित हुई।
युवकजनों की है जान,
खून की होली जो खेली,
पाया है लोगों में मान,
खून की होली जो खेली।
रंग गए जैसे पलाश,
कुसुम किंशुक के, सुहाए,
कोकनद के पाए प्राण,
खून की होली जो खेली।
निकले क्या कोंपल लाल,
फाग की आग लगी है,
फागुन की टेढ़ी तान,
खून की होली जो खेली।
खुल गई गीतों की रात,
किरन उतरी है प्रातः की,
हाथ कुसुम-वरदान,
खून की होली जो खेली।
आई सुवेश बहार,
आम-लीची की मंजरी,
कटहल की अरघान,
खून की होली जो खेली।
विकच हुए कचनार,
हार पड़े अमलतास के,
पाटल-होठों मुसकान,
खून की होली जो खेली। ।
यहां पर मैं अपनी एक प्रिय रचना का जिक्र अवश्य करना चाहूंगी। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर शायर भी थे। उनके जीवनकाल में उनकी आंखों के सामने धीरे-धीरे हिंदुस्तान पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। इस संघर्ष में भारत ने खून की कैसी होली खेली, इसका बड़ा मार्मिक, सारगर्भित और साहित्यिक वर्णन मिलता है।
ंहद में कैसो फाग मचो री जोरा जोरी,
फूल का तख्र्ता ंहद बना था,
केसर की सी क्यारी,
कैसे फूटे भाग हमारे,
लुट गई बगिया हमारी,
जल गई सब फुलवारी,
हिंद में कैसो फाग मचो री।
गोलिन का ही गुलाल बनायो,
तोपन की पिचकारी,
आप रही सिगरे मुख ऊपर,
हिंद में कैसो फाग मचो री। ।
वसंत में चहुंओर छिटकी पियरी सरसों वातावरण में नई ऊर्जा, नई आशा लाती दिखाई पड़ती है तो फागुन में खिले टेसू, पलाश, कचनार का केसरिया रंग प्रकृति को एक अलग आध्यात्मिक आभा देते हैं। केसरिया रंग भक्ति व समर्पण का रंग है। भारतीय धर्म में केसरिया रंग को साधुता, पवित्रता, शुचिता, स्वच्छता और परिष्कार का वैसे ही द्योतक माना गया है जैसे आग में तपकर वस्तुएं निखर उठती हैं। भारत के ध्वज में पहला रंग केसरिया ही है जो शुभ संकल्प, ज्ञान, तप, संयम और वैराग्य का रंग है। एक पारंपरिक ग्राम गीत में एक पारंपरिक ग्राम गीत में होली गाती हुई ग्राम बाला को किसी और रंग की नहीं, केसरिया चुनरी ही पसंद है।
मोरे बांके सांवरिया,
मोहे ला दे केसरिया चुनरिया,
ओ रंगरेजवा न धानी गुलाबी,
मोरी रंग दे चुनरिया केसरिया।
बुंदेलखंड की अनेक फागों में युद्ध का, क्रांति का, वीरता का रंग दिखता है। एक फाग की चौकड़ी देखिए, जिसमें कहा जा रहा है कि अब तो पानी सिर से ऊपर हो गया है अर्थात अब सहन नही होता। ऐसा न हो कि यहां कौवे बोलने लगे अर्थात सब कुछ कहीं उजड़ न जाए। कवि श्याम का कहना है कि- सावधान हो जाओ हमें लड़ने के लिए बैरी ललकार रहा है, अपने को कमजोर न मानकर उनसे संघर्ष करने को सदैव तैयार रहो।
पानी हो गव मूड डुबऊवा बोलन लगे न कौआ।
रोजैं मर रए इतै आदमी, जैसे चौपे चउवा।
आतंकी हमलन कौ घुस गव लोगन के मन हउवा।
चैतो स्याम हमे ललकारे, बैरी बीर लड़उवा। ।
वीरता के लिए साहस चाहिए और साहस भी अज्ञात के साथ प्रेम प्रसंग ही है। प्रेम करने के लिए भी तो साहस चाहिए न और इसीलिए वसंत वीर की कामना करता है।
(लेखिका प्रख्यात लोकगायिका हैं)
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भीनमाल मर्चेंट एसोसिएशन की बैठक कृषि मंडी प्रांगण में सचिव श्याम खेतावत की उपस्थिति में आयोजित हुई। बैठक में श्याम खेतावत ने कहा कि मंडी प्रांगण एवं मुख्य व्यवसाय अन्य जगहों की डीएलसी समान है जबकि मंडी प्रांगण में सिर्फ कृषि जींस के का अलावा अन्य कोई व्यापार नहीं कर सकते हैं।
ऐसे में डीएलसी दर का समान होना सही नहीं है। इसको लेकर कलेक्टर को ज्ञापन भेजने के लिए चर्चा की गई। बैठक के दौरान बताया गया कि मर्चेंट एसोसिएशन का गठन करीबन आज से 75 वर्ष पूर्ण किया गया था। जिस पर एसोसिएशन की हीरक जयंती मनाने का निर्णय लिया गया।
इस अवसर पर कोलचंद सोनी, जेठाराम माली, अरविंद सेठ, दिनेश जोशी, पुखराज कानूनगो, रामलाल जाट, बगदाराम घाची, जमुनादास माहेश्वरी, मनीष खेतावत, भंवरलाल कानूनगो, सावला राम माली, बाबूलाल घाची, दिनेश कुमार सहित कई व्यापारी उपस्थित उपस्थित रहे।
श्री राम नवमी के उपलक्ष में शहर में निकलने वाली शोभायात्रा में भीनमाल मर्चेंट एसोसिएशन के व्यापारी केसरिया साफ़ा के साथ भाग लेंगे। इस दौरान मंडी परिसर में प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से बंद रहेंगे।
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मेष राशि के लोगों को आज अजनबी लोगों का सहयोग मिल सकता है। हालांकि, आज आपको अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है। साथ ही आज आपके सक्रिय हुए विरोधी परास्त हो जाएंगे। आज शाम के समय आपको कोई शुभ समाचार मिलेगी जो आपका उत्साह बढ़ाएगा।
वृष राशि के लोगों के लिए आज आर्थिक और पारिवारिक मामलों में दबाव महसूस कर सकते हैं। अधिक उत्साह और तत्परता से कार्य बिगड़ सकता है। आपका सलाह है कि पैसे कमाने के लिए कोई गलत रास्ता न अपनाएं। हालांकि, आज आपको कोई शुभ संदेश भी मिलेगा और आपकी मुलाकात पुराने मित्रों से हो सकती है।
मिथुन राशि के जातकों के लिए आज का दिन अप्रत्याशित लाभ दिलाने वाला रहेगा। साथ ही आज आपके मान सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी। आपको सलाह है कि आज आर्थिक लेनदेन में सावधानी बरते। आपके द्वारा किए गए कार्यों का विरोध होगा। साथ भी आज परिवार की समस्याओं के संबंध में कोई गलत निर्णय लेना कठिन होगा।
कर्क राशि वाले लोगों को आज उनकी मेहनत का फल मिलेगा। आज आपको अपने परिश्रम का वांछित लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं आज आपको दूर की यात्रा करनी पड़ सकती है। मानसिक परेशानी के चलते मन परेशान रहेगा। साथ ही आपको कुछ अधूरे कार्य निपटाने होंगे। सुख व दुःख को समान समझकर सब कुछ भाग्य पर छोड़ दें।
सिंह राशि के लोगों के आज सहज ही सभी काम समय पर बनते नजर आएंगे। इतना ही नहीं आपके अच्छे दिनों का संयोग मन को प्रफुल्लित करेगा। साथ ही आपको सलाह है कि आज धन खर्च करते समय नियंत्रण रखे। आज आपको व्यापार और व्यवसाय से संबंधित कई अनुभव होंगे। साथ ही आज व्यापार और व्यवसाय से जुड़े जातकों की विभिन्न क्षेत्रों में साख बढ़ेगी।
कन्या राशि के लोगों को आज उत्सव और त्योहार में शामिल होने के अवसर प्राप्त होंगे। इतना ही नहीं आज आपको अच्छे भोजन से स्वास्थ्य में वृद्धि होगी। शुभ समाचार का आना लगातार जारी रहेगा। इसलिए वहीं कार्य करें जिसके बनने की आपको उम्मीद हो। संतान के करियर को लेकर रहेगी चिंतित पर समझदारी से काम लें।
तुला राशि के लोगों के लिए दिन आर्थिक मोर्चे पर अच्छा रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपकी धाक जमेगी साथ ही आपके एक के बाद एक सभी आर्थिक मामले सुलझते चले जाएंगे। हालांकि, आपको आंख में परेशानी के कारण कार्यक्षेत्र में अस्थिरता रहेगी। समय के अनुसार, चलने से आपको उन्नति मिलेगी। वरना समय आपको पीछे छोड़ा देगा।
वृश्चिक राशि के लोगों के दांपत्य सुख में आज वृद्धि होगी। साथ ही आज कठिन कार्य आसान हो जाएंगे। आज मानसिक उलझनों के कारण आपको सिरदर्द हो सकता है। साथ ही आज आपको संतान पक्ष की चिंता रह सकती है। पड़ोसियों के कारण आपको कुछ परेशानी हो सकती है।
धनु राशि के लोगों को आज वाहन और आवास संबंधी समस्याएं परेशान कर सकती है। शुभ संदेश आने से उत्साह बढ़ेगा और मित्रों का सहयोग भी प्राप्त होगा। आज आपके हाथ में पर्याप्त धन रहेगा लेकिन फिर भी आपको कुछ पारिवारिक अशांति हो सकती है। इसलिए महत्वपूर्ण निर्णय सोच समझकर लें।
मकर राशि के लोगों के लिए संपत्ति के मामले में दिन अच्छा रहेगा। पिछले कुछ दिनों से जो संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाह चले आ रहे हैं उन्हें निपटाना आज बेहद जरुरी होगा। साथ ही आज आपके सोचे हुए कार्य सफल होंगे और मित्रों द्वारा किए जा रहे विरोध में भी कमी आएगी।
कुंभ राशि के लोगों को आज किसी पर व्यर्थ के संदेह और तर्क वितर्क करने में बर्बाद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपका समय को बर्बाद होगा ही साथ ही आपको धन की हानि होगी। साथ ही नियोजित कार्यक्रम सफल होंगे। इतना ही नहीं आपको लाभ के अच्छा खासे अवसर भी मिलेंगे। मातुल पक्ष से लाभ की आशा रहेगी।
मीन राशि के जातकों के लिए यह लाभकारी समय है, इस दौरान आप युक्ति और व्यवहार से सब कुछ पा सकते हैं। आज आपकी जटिलताएं खत्म होंगी और विरोधी भी परास्त होंगे। हालांकि, जीवनसाथी से आर्थिक कारणों से दूरी रहेगी लेकिन प्रेम यथावत बना रहेगा।
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ग्राहक : मैं ऐन. पी. इंडस्ट्रीज़ में असिस्टेंट मैनेजर हूं।
प्रॉपर्टी डीलर : आप कैसा फ़्लैट चाहते हैं ?
ग्राहक मुझे दो बेडरूम्ज़ का ड्रॉइंग, डाइनिंग और किचन वाला फ़्लैट चाहिए। टॉयलेट्स मुझे दो चाहिए और एक अच्छी बालकनी भी ।
प्रॉपर्टी डीलर : आपका बजट क्या होगा? ग्राहक : करीब पच्चीस सौ रुपए महीना।
प्रापर्टी डीलर : कौन सा फ़्लोर चाहिए?
ग्राहक : हो सके तो पहला । मकान हवादार, खुली धूप वाला और अच्छे पड़ोस में होना चाहिए।
प्रॉपर्टी डीलर : मकान कब देखना चाहते हैं ?
ग्राहक : जितनी जल्दी आप दिखा सकें। देखिए मुझे महीने के अंत तक मकान ज़रूर बदलना है।
प्रॉपर्टी डीलर : अच्छा, अच्छा। आप मुझे अपना पता और टेलीफ़ोन नं. नोट करवा दीजिए।
ग्राहक : सी-894, आज़ादपुर। और मेरा टेलीफ़ोन नंबर है 75134501
प्रॉपर्टी डीलर : ठीक है श्रीवास्तव साहब। मुझे थोड़ा सा वक्त दीजिए। मैं आपके लिए अच्छा सा फ़्लैट ढूंढ दूंगा।
ग्राहक : कितना समय लगेगा?
प्रॉपर्टी डीलर : मैं एक दो दिन में ही आपसे संपर्क करूंगा।
ग्राहक ठीक है। आपका कमीशन क्या है ?
प्रॉपर्टी डीलर : जी दो महीने का किराया।
ग्राहक : अच्छा चलता हूं । ज़रा ज़ल्दी कुछ कीजिएगा
प्रॉपटी डीलर : जी, आप बिल्कुल फिक्र मत करें।
Customer : I am assistant manager in N.P. Industries. आइ ऐम असिस्टेंट मैनेजर इन ऐन. पी. इंडस्ट्रीज़.
Property dealer: What type of flat do you want ? वॉट टाइप ऑफ़ फ़्लैट डू यू वॉन्ट?
Customer: A two bedroom flat with drawing, dining and kitchen. I want two toilets and also a good balcony अटू बेडरूम फ़्लैट विद ड्रॉइंग, डाइनिंग ऐंड किचन. आइ वॉन्ट टू टॉयलेट्स ऐंड ऑलसो अ गुड बालकनी.
Property dealer : What is your budget? वॉट इज योर बजट? Customer : About 2500/- per month.
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Customer : Preferably, first floor. I want an airy and sun facing house in a good neighbourhood. प्रिफ़रेबली फ़र्स्ट फ़्लोर. आइ वॉन्ट एन ऐअरी ऐंड सन फेसिंग हाउस इन अ गुड नेबरहुड,
Property dealer: When do you want to see the flat? वेन डू यू वॉन्ट टु सी द फ़्लैट ? टु
Customer : As soon as you can show me. You see, I have to shift positively by the end of this month. एज़ सून एज़ यू कैन शो मी. यू सी, आइ हैव टु शिफ्ट पॉज़िटिवली बाइ द ऐंड ऑफ़ दिस मंथ.
Property dealer: Oh, I see. Let me note down your address and telephone number ? ओ, आइ सी । लेट मी नोट डाउन योर एड्रेस ऐंड टेलीफ़ोन नंबर.
Customer : C-894, Azadpur. And my telephone number is 7513450. सी- 894, आज़ादपुर. ऐंड माइ टेलीफ़ोन नंबर इज़
Property dealer: O.K. Mr. Srivastav. Give me some time. I will find a nice flat for you. ओ. के. मिस्टर श्रीवास्तव, गिव मी सम टाइम आइ विल फ़ाइंड अ नाइस फ़्लैट फ़ॉर यू.
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Property dealer: I'll get back to you in a day or two. आइ विल गेट बैक टु यू इन अ डे ऑर टू.
Customer: O.K. What is your commission? ओ. के. वॉट इज योर कमीशन?
Property dealer : Two months rent sir. टू मंथ्स रेंट सर.
Customer Alright. Please do something quickly. ऑलराइट. प्लीज़ डू समथिंग क्विक्ली.
Property dealer : Yes, Yes. Don't worry at all. Bye sir. येस, येस. डोन्ट वरी ऐट ऑल. बाइ सर. |
नई दिल्ली,(टीम डिजिटल):दिल्ली से सटे नोएडा में शारदीय नवरात्र की नवमी पर भक्तों ने मां आदि शक्ति के नवें सिद्धिदात्री का पूजन किया। भक्तों ने घरों और मंदिरों में हवन कर मां देवी के रूप में कंचकों का पूजन किया। शहर के सोसाइटियों में कई स्थानों पर भडारों का आयोजन भी किया गया ।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जीवन में केवल अपने निर्धारित लक्ष्यों और आकांक्षाओं की ओर दौड़ने पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इस तरह अपनी सारी ऊर्जा उसी पर केंद्रित करते हैं, और फिर कुछ ऐसे भी होते हैं जो इन सब से परे सोचते हैं और अधिक से अधिक अच्छे की दिशा में काम करने के लिए सीमा से अधिक सोचते हैं।
प्रज्ञा साध्वी का नये बयान के मुताबिक गरबा में एंट्री और धार्मिक कार्यों में उनका समान बैन करने की मांग को आगे बढ़ाकर BJP ने मुसलमानों की पंडाल के पास दुकाने और उनका समान बैन करने की बात कही है।
भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) चलती रेलगाडिय़ों में ई-कैटरिंग के जरिए बुकिंग करवाने वाले यात्रियों को विशेष दुर्गा पूजा व्यंजनों के साथ-साथ बिना प्याज, लहसुन वाले खाने को उपलब्ध करवाएगा।
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गर्मी और तेज चिलचिलाती धूप में बहुत से लोग घमोरियों से परेशान रहते हैं। कई बार पसीना आने से फंगस और बैक्टीरियल इंफेक्शन होने की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही पसीना आने से स्किन एलर्जी और स्किन डिजीज होने का भी खतरा रहता है। ऐसे में जिन्हे इन सब चीजों की अधिक दिक्कत हो उन्हें साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही अधिक देर तक गर्मी में रहते हैं तो कपड़े भी बदल लें।
पसीने से भीगा हुआ कपड़ा अधिक देर तक न पहने। गर्मियों में कोशिश करें कॉटन के कपड़े पहनें और फुटवियर भी ऐसे पहनें जिनमें आसानी हवा पास होती रहे। इंफेक्शन होने पर एंटी फंगल पाउडर, सोप या बॉडीवॉश का इस्तेमाल करें।
गर्मी के सीजन में घमौरियां सबसे अधिक परेशान करती हैं। घमौरियों से बचने के लिए साफ-सफाई रखें। एंटी फंगस प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। दरअसल घमौरी एक तरह से स्किन एलर्जी है, जिसमें गर्दन, पीठ और फेस पर छोटे-छोटे लाल रंग के दाने निकल आते हैं। ये दाने पसीने से रोम छिद्र बंद हों ऐसे हो जाते हैं। घमौरी से राहत पाने के लिए आप एलोवेरा जेल लगा सकती है। इसके साथ ही पाउडर और लैक्टो कैलेमाइन लोशन का इस्तेमाल किया सकता है।
कई बार पसीने और चिपचिपाहट की वजह से स्किन पर रैशेज आ जाते हैं। पसीने से भीगे कपड़ों की वजह से सिरोसिस नाम की बीमारी होने का खतरा रहता है। इस बीमारी में त्वचा पर रैशेज पड़ जाते हैं। इससे बचने के लिए हमेशा सूखे कपड़े पहनें और पाउडर लगाएं। सिर को साफ रखने के लिए रेगुलर शैम्पू करें।
पसीने की वजह से शरीर पर फंगस और बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं। फंगल इंफेक्शन में दाद, एथलीट फुट और नेल इंफेक्शन होने का जोखिम रहता है। इससे बचने के लिए दिन में 2-3 बार स्किन को धो और स्किन को ड्राई रखने की कोशिश करें। ड्राई स्किन के लिए त्वचा पर मॉइस्चराइज का इस्तेमाल करें जबकि ऑयली स्किन को साफ करते रहे।
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अजनबी द्वारा फोन कॉल और पीछा करने से डरी 12वीं की छात्रा ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया। परिवार के समझाने पर अब वह अपनी मां के साथ स्कूल जाती है। पीड़ित परिवार ने रविवार को कविनगर थाने में शिकायत की है। थाना प्रभारी समरजीत सिंह ने बताया कि पीड़िता ने आरोपी का मोबाइल नंबर दिया है। इसके आधार पर आरोपी की तलाश की जा रही है। उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, सहारनपुर में तैनात सरकारी विभाग के कर्मचारी की बेटी गोविंदपुरम के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती है। आरोप है कि एक अनजान शख्स उसे फोन कर मिलने के लिए बोल रहा है। आरोपी विरोध करने पर अंजाम भुगतने की धमकी देता और छात्रा का पीछा भी करता है। छात्रा ने इस बारे में अपने परिवारवालों को बताया। जब घर के लोगों ने उस नंबर पर कॉल किया तो किसी ने फोन नहीं उठाया। छात्रा के मुताबिक, आरोपी फोन पर उसके स्कूल जाने के रास्ते और सहेलियों के बारे में भी बताता है। इस घटना से पीड़िता इतना डर गई कि स्कूल जाना ही छोड़ दिया। अभिभावकों के हिम्मत भरने और मां के साथ जाने पर वह मानी।
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सहस्र नर नारी भावाल पूद्ध भूख की ज्वाला से जल गए, अगणित होनहार भययुवक अन्नविद्दीन हो काल के कवल हो
गए। इस दशा में नगर निवासियों की नेपोलियन ने इतनी अधिक सहायता तथा सेवा की कि वह प्रत्येक प्राणी की आंखों फ्रा तारा हो गया । सत्य है, अत्याचारी के अत्याचार से पीड़ित लोग अपना मस्तक उसके पैरों पर घर देते हैं, खुशामदी धनिकों के आगे और निर्बल घलवान के आगे स्वार्थवश सिर झुका देता है, पशुवल से धनावटी प्रतिष्ठा मनुष्य पा सकता है परंतु मनुष्य हृदय का जितना काम है उसके लिये स्नेह चाहिए, करुणा और दया चाहिए तथा हार्दिक प्रेम चाहिए । ईश्वर ने नेपोलियन को जहाँ बली और चतुर बनाया था वहाँ उसको मनुष्यों के हृदयों पर विजय पाने के भी साधन प्रदान किए थे । इन्हीं सद्गुणों के कारण आज नेपोलियन फ्रांस के हर एक छोटे बड़े का स्नेह-पात्र, प्रतिष्ठा-भाजन, उपास्य देव बन गया ।
विवाह से कई दिन पहले नेपोलियन इटली देशस्थ फरांसीसी सैन्यों का प्रधान सेनापति नियुक्त हो चुका था, भूतपूर्व सेनापति पृथक् किया जा चुका था । नेपोलियन को इस बड़े दायित्वपूर्ण पद पर नियुक्त करने के समय डाइरेक्टरों ने कहा - " तुम बालक हो, इतनी बड़ी जिम्मेदारी के 'उठाने योग्य अभी तुम्हारी अवस्था नहीं है, तुम कैसे बूढ़े सेनापतियों पर शासन करोगे ? " नेपोलियन ने सरल भाव से उत्तर दिया-" में बारह महीने में ही धूढ़ा हो जाऊँगा, अथवा मेरा शरीर पात हो जायगा ।" पुनः एक डाइरेक्टर ने
कहा - " हम तुम्हें प्रधान सेनापति ही बनाते हैं, किंतु सैन्य के लिये धन की सहायता हम से कुछ न हो सकेगी। राज-कोप खाली है और उन लोगों के कुव्यवहार की सीमा नहीं है, ये सब बातें सोच लो ।" नेपोलियन बोला-" अच्छा यों ही सही, इन सब बातों का भी में ही दायी रहा, आप चिंता न करें । "
अब पाठक थोड़े से शब्दों में यह जान लें कि इस युद्ध का कारण क्या था, क्यों इटली की ओर सेना पड़ी थी, जिसके शासन के लिये फ्रांस से नेपोलियन को जाना पड़ा । हम कुछ पहले कह चुके हैं कि फ्रांस का आभ्यंतरिक विद्रोह देख तथा उसे निर्बल जान कुछ तो अन्य युरोपीय राज्यों ने यह सोचा था कि ऐसे समय मे जो कुछ फ्रांस से हम लोग छीन सकेंछीन ले, फिर ऐसा अवसर मिले या न मिले । दूसरी बात यह थी कि फ्रांस के प्रजातंत्र की धूम युरोप में फैल गई थी, राजाओं के आसन डोल गए थे, वे यह समझते थे कि जो कहीं इस प्रजातंत्र की लहर सारे युरोप में फैली तो हमारा ठिकाना न लगेगा, हम दूसरों के पसीने की गाढ़ी कमाई से भोग विलास में निरत न रह सकेंगे। स्थानांतर में युरोपीय प्रजा ईश्वर से प्रार्थना करती थी कि मांस का प्रजातंत्र कृतकार्य्यता के मुकुट से मंडित मस्तक हो और ईश्वर हमारी सुने, हमारा भी दुख दूर हो । आयरलैंड के मृतक शरीर से भी स्वतंत्रता की ध्वनि उठ खड़ी हुई थी। इसी लिये समस्त युरोपीय राज्यों ने फ्रांस की भंजातंत्र शासन प्रणाली को, जो युनाइटेड स्टेट अमेरिका के ढंग पर बनी थी,
मिट्टी में मिलाने का बीड़ा उठाया था। इस काम में आस्ट्रिया, जो इटली पर घोर अत्याचार कर रहा था, प्रधान बना । इसके साथ इंगलैंड, सार्टिनिया, पोप, सभी सम्मिलित थे एक शब्द में, सारा युरोप एक ओर और नेपोलियन के आधिपत्य में फरासीसी सैन्य दूसरी ओर। सच तो यह है कि जो कहीं बीच में अटलांटिक महासागर का व्यवधान न होता तो यह कृपित युरोपीय राजमंडल नेपोलियन की भाँति वीर वाशिंगटन को भी पकड़ कर किसी सेंटहेलना में बंदी करने के लिये वश रहते, कोई भी उपाय उठा न रखता !
इस दशा में भूसी प्यासी, कई मास से बिना वेतन पाए, दुसरी, कर्तव्य भूली हुई, विदेशस्थ फरासीसी सेना के प्रधानाधिपत्य पर युवक नेपोलियन भेजा गया। लेकिन किसी कवि ने सच कहा है कि-' रागी बागी रतन पारसी नायक और नियाय । इन पांचों के गुरु सही पर उपजें अंग सुभाय ।' नेपोलियन जात नेता था कृत नहीं, इसमें आधिपत्य की शक्ति ईश्वरप्रदत्त थी । नेपोलियन 'नाइस' में पहुँचा । यहाँ ३० सहस्र फरासीसी सैन्य क्षुधातुर, हतोत्साह असंतुष्ट पड़ी थी, इसीफो ले कर वीर नेपोलियन को समस्त युरोप की सम्मिलित शक्ति के सामने मोरचे पर खड़ा होना था। पहले तो चूड़े सेनाधिप, विना मूछ दाढ़ी के बालक को प्रधान सेना परि• चालक देख कर आश्चर्य्यान्वित हो कहने लगे कि क्या इसी के अधीन काम करके हम विजयी होंगे? परंतु मेसानो, अगारो आदि इसकी प्रतिभा को जानते थे उन्होंने कहा" इसे छोटा न समझो, 'मंत्र परम लघु जामु वम वसहि देव
गंधर्व । "वैजवंत लघु गनिए ना भाई ।" नेपोलियन ने जाते ही सेना में एक घोषणापत्र वितरण कराया । वह यह था"योद्धागण ! तुम लोग क्षुधार्त और वस्त्रहीन हो, शासनमंडल अनेक प्रकार से तुम्हारा ऋणी है और उसके हाथ में इसका बदला देने का कोई भी उपाय नहीं है। निस्संदेह इस पहाड़ी धरती में, इस अगम्य स्थान पर तुम्हारा साहस, तुम्हारी सहिष्णुता अनुकरणीय आदर्श है। लेकिन तुम्हारी वीरता का कोई प्रमाण नहीं मिलता। मैं तुम्हारा अधिप हो कर आया हूं और तुमको संपन्न उर्वरा धरती पर ले चलूंगा, अनेक धन धान्य संपन्न स्थान तुम्हारे करतल गत होंगे, और तुमको अन्न, वस्त्र, धन, ऐश्वर्य, सुयश किसी बात की कमी न रहेगी। अब योद्धाओ । यह बताओ कि तुम मे इस प्रकार से यश और ऐश्वर्य अपने हाथों प्राप्त करने का साहस है या नहीं ! है तो उठ सड़े हो, सब कुछ तुम्हारे हाथ तले है।" इस घोषणा के पढ़ने से सैन्यगण की छाती दूनी हो गई, उनकी नस नस उत्साह से भर उठी, उनकी भुजाएँ फड़कने लगीं ।
नेपोलियन ने पहले इटली में पैर धरना निश्चय किया, क्योंकि सार्डेिनिया और आस्ट्रिया मे भेद डालना बहुत आव श्यक था। इसमें कृत्कार्य्य हो कर उसने सोचा कि आस्ट्रिया की सेना को ऐसा दबाना कि आस्ट्रिया को इनकी सहायता के लिये राईन नदी पर तटस्थ सेना को बुलाना ही पड़े। तीसरे उसने पोप की शक्ति और क्षमता का नाश करना अनिवार्य्य जाना, क्योंकि यह बायॉन वंशजों के हाथ में फ्रांस का सिंहासन देने के लिये सिर तोड़ चेष्टा कर रहा था । पोप प्रजा का
और शत्रु था, इसने फ्रांस के दूत को मरवा डाला था, यद्यपि दूत अवध्य होते हैं। यह सब काम कठिन और सेना केवल ३० हजार, सो भी क्षुधा से क्षीण तन, निर्जीव; रण माममी भी पूरी नहीं; पर नहीं, नेपोलियन के आगे कटिन या असंभव तो कुछ था ही नहीं। घोषणापत्र पढ़ने के उपरांत नेपोलियन ने कूच की आज्ञा दे दी।
कुद्ध भुजंगिनी की तरह नेपोलियन की विशाल धतुरंगिणी युद्धाभिलापिणी हो चल पड़ी । नेपोलियन रात दिन घोड़े की पीठ पर बैठे विना विश्राम आगे बढ़ने लगा। यह सेना के प्रत्येक जन के मुख दुःख को अपनी आंखों से देसवा, संवेदना प्रकाश करता, दुःस दूर करने की चेष्टा करता हुआ आस्ट्रिया की सेना की ओर चला। सेनापति बेटीर ने आस्ट्रिया की सेना को तीन भागों में विभक्त किया था। इसमें से बोचवाली १० हजार मढेना नामक छोटे से ग्राम में थी । ११ अप्रैल की अँधेरी रात में हवा सनसना रही थी, वर्षा कहती थी कि आजही प्रलय करके छोडूंगी, पंकीभूत मार्ग दुर्गम हो रहा था। विपक्षी सेना निश्चित, मुँह बंद किए आठ हाथ की रजाई में लंनी ताने पड़ी थी । नेपोलियन मेना लिये मारो मार धावा कर रहा था। नदी पहाड़ों को चुपके से बिना सटका खुटका किए पैरों ही पार करके प्रभात होते होते मडेना के सामने के पहाड़ पर नेपोलियन ससैन्य पहुँच गया। इसने पर्वत पर से अनुसंधान ले लिया, परंतु शत्रु दल के कान में जू तफ रेंगने का अवसर न दिया। यकी हुई सेना को विश्राम का भी अवसर न दे कर नेपोलियन
आस्ट्रिया और सार्डिनिया के सम्मिलित वल दल के ऊपर बिजली की तरह गिर पड़ा। आगे पीछे दहिने बाएँ चारों ओर से युगपत् आक्रमण से विदलित शत्रु दल भाग उठा । तीन हजार शत्रु दल एकदम खेत रहा और कुछ घायल पड़े रहे, शेष भाग गए। यहाँ बहुत सी रण सामग्री तथा रसद नेपोलियन के हाथ लगी। यही मडेना का युद्ध है जिसकी बावत नेपोलियन ने कहा था कि मैंने वंशगौरव मडेना के युद्ध में प्राप्त किया है। पाठकों को याद होगा कि आस्ट्रिया नरेश ने अपनी पुत्री का विवाह नेपोलियन से करना चाहा था और इसके उच्च वंशज होने न होने का प्रश्न उठा था। पराजित आस्ट्रियन सेना 'डिगो' की ओर भागी, और वहाँ नई सेना से सम्मिलित हो कर विजयी नेपोलियन की सेना के हाथ से मिलन की रक्षा करने के लिये उद्यत हुई, और साहिनिया की सेना मेलिसमों की ओर भागी और राजधानी टूरिन की रक्षा में तत्पर हुई । इस तरह एक उद्देश्य नेपोलियन का सिद्ध हो गया, जैसा ऊपर कहा गया है । इस जीत के पीछे सेना को उसने कुछ विश्राम दिया; लेकिन नेपोलियन स्वयम् शत्रु दल पर फिर आक्रमण करने की आयोजना करने में लगा रहा और उसने कुछ विश्राम न लिया । १३ वीं व १४ वीं अप्रैल को घोर युद्ध होने पर आस्ट्रिया वा सार्डिनिया की सम्मिलित सेना घंटे घंटे पर नई कुमक पाती रही और पर्वत के ऊपर से नेपोलियन की सेना पर पत्थर की चट्टानें लुढ़काने लगी । नेपोलियन सेना में फिर फिर कर सिपाहियों 'को प्रोत्साहित करता हुआ आगे बढ़ता रहा। अंततः उसने
डिगो मे शत्रु दल को हटाया । यहाँ भी बहुत सी रण और खाद्य सामग्री नेपोलियन के हाथ लगी। वहाँ ३००० आस्ट्रियन सेना नेपोलियन के बंधन में आ गई मिटेसिमों में मार्टिनिया फी १५०० सेना को भी नेपोलियन ने थंदी किया। इस तरह शत्रु दल में बिजली की भाँति द्रुव बेग से नेपोलियन का आक्रमण असा हो गया और हाहाकार मच गई। भूसी निर्धन किंतु विजयी सेना लूट आरंभ कर देती पर नेपोलियन इस यात का विरोधी था, विशेषतः यह इटलीवालों की सहानुभूति प्राप्त करना चाहता था, इस लिये उसने अपने कठोर शासन द्वारा लूट की प्रथा बंद कर दी। जो रसद सामग्री उसे शत्रु दल की हाथ लगती इस से ही उसने अपनी सेना की परितृप्ति की ।
अतः नेपोलियन जेमोला पर्वत पर हो कर इटली का सौंदर्म्य देखता हुआ ससैन्य तूरिन पर आक्रमण करने के लिये चला । १८ वी अप्रैल को इसने देखा कि ८ हजार शत्रु दुल शिविर बनाए पड़ा हुआ है । नेपोलियन इन पर याज की तरह टूटा । सारे दिन तुमुल युद्ध हुआ । रात को प्रातः काल की प्रतीक्षा करते हुए फरासीसी बंदूकें सिरहाने घर कर सोए, किंतु उपःकाल में ही देखा गया कि साहिनिया की सेना ने भाग कर समीपवर्ती कारसग्लिया नदी के उस पार जा डेरा डाला है। यहाँ और नई सेना आ कर इनमें मिल गई थी और पीछे की ओर आस्ट्रिया का बड़ा भारी दल इकट्ठा हो रहा था। इस कठिन अवस्था में कर्तव्य कार्य के विचार के लिये रात को समर सभा बैठी और निश्चय हुआ
कि नदी का सेतु अच्छी तरह अरुणोदय होने के पहले तोड़ दिया जाय । बस प्रभात होने के कुछ पहले ही फरासीसी सेना पुल पर आ पड़ी और आतंकित सार्डिनीय सेना भाग खड़ी हुई । नेपोलियन को ऐसी कापुरुपता की आशा न थी, प्रत्युत इसी पुल के द्वारा आ कर शत्रु सेना से आक्रमित होने की उसे पूरी आशंका थी । अब क्याथा, सानंद फरासीसी सेना पुल के पार हो गई। आगे आगे सार्डिनिया की सेना भागी जाती थी पीछे पीछे नेपोलियन उसे खदेड़ता जाता था । शत्रु सेना मांटोवी पहाड़ पर जा कर निवेशित हुई और संध्या होते ही फरासीसी सेना भी वहाँ जा पहुँची। यहाँ अच्छा युद्ध हुआ, अंत में विजय नेपोलियन की हुई। आठ वृहन्नलिका ग्यारह झंडे और दो सहस्र शत्रु-दल के योद्धा नेपोलियन के हाथ आए, और एक सहस्र खेत रहे। लेकिन अब भी नेपोलियन के हाथ से उन्हें छुटकारा मिलता नहीं दीसा । शत्रुदल भाग भाग कर छिपता था नेपोलियन खोज खोज कर उन्हें मारता था । केरास्को से विजय लाभ करती हुई फरासीसी सेना तूरिन से दस कोस पर आ पड़ी, राजधानी में हलचल मच गई। प्रजातंत्र के पक्षपाती लोग नेपोलियन के स्वागत करने को उत्कंठित हो उठे, वे फ्रांस की जय मनाने लगे । सार यह कि सार्डिनिया नरेश काँप उठा और उसने हाथ बाँध कर क्षमा माँगी । नेपोलियन ने अपने सहयोगियों के मत का तीव्र प्रतिवाद करके सार्डिनिया से संधि कर ली। इस संधि में यही शर्त लिखी गई कि 'अब सार्डिनिया, आस्ट्रिया वा अंग्रेजों से मैत्री न रखेगा। इस संधि के
विधानानुसार नेपोलियन को तीन दुर्ग समस्त रण मामग्री तथा. खाद्य द्रव्य सहित सार्टिनिया ने प्रदान किए। जीते हुए स्थान फरासीसियों के ही पास रहे और फरामीसी सेना को आस्ट्रिया के साथ लड़ने के लिये मार्ग दिया गया
इस विजय के उपरांत नेपोलियन ने समस्त सेना को एकत्र फरके एक सारगर्भित वक्तृता दी, जिसका तत्त्व यह है - "हे सैन्यगण ! तुम्हारी धीरता से २१ झंडे, ६४ तोपें और कई दुर्ग हमारे हाथ आए हैं। तुम्हारे पास अन्न वस्त्र न या उसकी अब कमी नहीं है। तुमने १० सहय वीरों को रणभूमि शायी किया और १५ सहस्र तुम्हारे कारागार में हैं । तुम फ्रांस प्रजातंत्र के विश्वासपात्र वीर हो । एक बात करना कि लूट कर के अपना और अपने देश का नाम कलंकित न करना । जिसे तुझ जीतो वह तुम्हें दस्यु लुटेरा न जान कर अपना उद्धारक मानता हुआ तुम से प्रेम करे यही तुम्हारा धम्मे है। जो तुम में लुटेरे हैं उन्हें प्राण दंड मिलेगा। उन लुटेरों के कारण तुम सबका उज्ज्वल यश कलुपित न होने पावेगा। अभी काम बहुत सा है। जब तक कार्य असंपूर्ण रहेगा तुम्हें चैन नहीं। इटलीवासियो, देगे हम तुम्हें टूटने मारने नहीं आए, जिन स्त्रत्वापहारियों से तुम पीड़ित हो, चे ही हमारे शत्रु है। तुम प्रजातंत्र फांस पर विश्वास करो।" इसके अनंतर नेपोलियन ने जीती हुई ध्वजाएँ, संधि पत्र और सारा समाचार अपने विश्वस्त चाकर मुराट के हाथों पेरिस भेजा । अन्य सेनापति चाहते थे कि राजा को पदच्युत करके सार्डिनिया में प्रजातंत्र स्थापित |
[गपशप] दीपिका पादुकोण जब जब 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में आई हैं, कपिल शर्मा ने उनके साथ जमकर फर्ल्टिंग की है। शो में तो यह सब हंसी मजाक होता था। लेकिन बता दें, कपिल की कुछ ऐसी ही ख्वाहिश फिल्मों की भी है।
जी हां, हाल ही में जब एक इंटरव्यू में कपिल शर्मा से पूछा गया कि वह अगली फिल्म में किस बॉलीवुड एक्ट्रेस के साथ काम करना चाहेंगे तो उन्होंने सीधे सीधे कहा- दीपिका पादुकोण और कौन.. हम्मम, खैर कपिल शर्मा की बात के लिए हम उन्हें दोष नहीं देना चाहते, क्योंकि आखिर दीपिका पादुकोण के साथ आज बॉलीवुड का कौन एक्टर काम नहीं करना चाहता है।
टीवी शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल में दीपिका पादुकोण और कपिल शर्मा।
इस शो में दीपिका जब जब आईं हैं, इन्होंने काफी मस्ती की है। यह तस्वीर देखकर आप समझ सकते हैं।
इतना ही नहीं, बल्कि कपिल शर्मा ने कई बार दीपिका के सामने अपने प्यार का इजहार भी किया है।
फिल्म किस किसको प्यार करूं की कास्ट के साथ कपिल शर्मा..
अब्बास मस्तान की इस फिल्म के साथ कपिल शर्मा बॉलीवुड डेब्यू करने वाले हैं।
इस फिल्म में कपिल शर्मा चार चार लड़कियों के प्यार में फंसे नजर आएंगे। जिनमें से एक होंगी एली अवराम..
जाने तू या जाने न जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं मंजरी भी कपिल शर्मा की पत्नी बनने वाली हैं।
ये हैं सिमरन कौर.. फिल्म में कपिल शर्मा की एक और पत्नी..
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उनहत्तरवाँ अध्याय
सफल होते थे। उनके लिये भय का कारण तो कहीं था ही नहीं। प्रतः वे वृक्षों के नीचे या गुफाओं में जहाँ चाहते वहाँ रहते थे। उस काल में देश या नगर विभाग नहीं था। श्रतः मनुष्य जहाँ चाहते वहाँ रहते थे। राजा पृथु जब जब समुद्र पर चलता, तब तब समुद्र का जल जम कर ठोस हो जाता था। पहाड़ हट कर उसे रास्ता देते थे। उसकी ध्वजा कहीं भी नहीं टूटी थीं । सुखपूर्वक यासीन राजा पृथु के पास वनस्पति, पर्वत, देवता, असुर, मनुष्य, सर्प, सप्तर्पि, राक्षस, गन्धर्व अप्सराएँ और पितरों ने आकर, कहा था; आप ही चक्रवर्ती हैं, आप ही क्षत्रिय हैं, आप ही राजा हैं, आप ही हमारे रक्षक और पितृ स्थानीय हैं । हे महाराज ! आप हमें वर दें कि, हम अन्त समय तक तृप्त और सुखी रहें ।
यह सुन चेनुपुत्र राजा पृथु ने कहा जैसा तुम चाहते हो वैसा ही होगा । सदनंन्तर पृथु ने श्राजगव धनुप और प्रति घोर शरों को पृथिवी से कहा- हे वसुन्धरे ! तू तुरन्त थाकर इनके सुखों में दूध की धार छोड़ । मैं हरेक को उसकी पसंद का श्रन्न दूंगा। तेरा मङ्गल हो ।
वसुन्धरा बोली- हे वीर ! तुम मुझे कन्यारूप से स्वीकार करो। राजा पृथु ने कहा, तथास्तु । तदनन्तर उन समस्त लोगों ने पृथिवी को दुहना भारम्भ किया। प्रथम वनस्पति पृथिवी को दुहने को उद्यत हुए। किन्तु पृथिवी बछड़ा और दुहने वाले के बिना ज्यों की त्यों खड़ी रही। उस समय पुष्पित शाल वृक्ष बछड़ा बना और पलाश वृक्ष दुहने वाला बना । गूलर दूध का पात्र बना और तोड़ने से जो अँखुंश्रा निकलते हैं, वही दूध हुश्रा । जब पर्वत पृथिवी को दुहने लगे, तब उदयाचल बछड़ा; पर्वतश्रेष्ठ सुमेरु दूध दुहने वाला, रत्न और समस्त औषधियाँ दूध हुआ। यह दूध पत्थररूपी पात्र में दुहा गया । जब इन्द्र ने पृथिवी को दुहा, तब देवता बछड़े बने और अमृत दूध हुआ । असुरों ने कच्चे पात्र में मायारूपी दूध दुहा । उस समय विरोचन बछड़ा बना। मनुष्यों ने पृथिवी से खेती कर धान्यरूपी दुग्ध दुहा। उस समय स्वयम्भू मनु बछड़े बने और पृथु |
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस और देश के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रह चुके राणा भगवान दास पाकिस्तान के उन जजों में से हैं जिन्होंने इमरजेंसी को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया है.
इससे पहले पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने जब परवेज़ मुशर्रफ़ को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की अनुमति दी थी तब भी राणा भगवान दास उन तीन जजों में से थे जो इस फ़ैसले से सहमत नहीं थे.
वे उन जजों में से हैं जिन्होंने नई व्यवस्था के तहत शपथ नहीं ली है जिसका सीधा मतलब है कि इमरजेंसी के दौरान वे जज नहीं माने जाएँगे.
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के एकमात्र हिंदू जज राणा भगवान दास से शाहज़ेब जिलानी ने इमरजेंसी लगाए जाने के बाद बातचीत की.
पाकिस्तान में इमरजेंसी लगाने के फ़ैसले पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
हमने तो पहले ही इसे सरासर ग़लत और ग़ैर क़ानूनी करार दिया था. हमारे सात जजों के बेंच ने शनिवार को ही ये कह दिया था कि अगर प्रोविज़नल कॉन्स्टीट्यूशनल ऑर्डर (पीसीओ) के तहत इमरजेंसी लगाई जाती है तो ग़लत होगा. हमने अपने फ़ैसले की कॉपी भी मीडिया को दे दी थी, उसके बाद हम घर आ गए. फिर जो हुआ वह हमने टीवी पर देखा.
क्या सरकार ने आपको बताया है कि आपकी छुट्टी हो गई है?
जी नहीं, सरकार से कोई संपर्क नहीं हुआ है.
आपके घर पर सरकारी सुरक्षा मौजूद है या हटा ली गई है?
वे अब भी मौजूद हैं.
जहाँ तक आपको मालूम है, आप अभी तक सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हैं?
क़ानूनी और संवैधानिक तौर पर तो मेरा यही मानना है.
आपको तो पता है कि देश में संविधान मुअत्तल है, पीसीओ के तहत देश चल रहा है. ऐसे में आप क्या कर सकते हैं?
ये तो आने वाला वक़्त बताएगा.
आपकी इस मामले पर चीफ़ जस्टिस चौधरी से कोई मुलाक़ात या बात हुई है?
हाँ, बस ख़ैर-ख़बर तक बात हुई है, फिलहाल सारे जज अपने-अपने घर पर हैं.
क्या आपको अंदाज़ा था कि ऐसा कोई क़दम उठाया जा सकता है, इस तरह अचानक?
नहीं, मुझे इसका अंदाज़ा नहीं था, हमें नहीं लग रहा था कि इतनी जल्दी और इस तरह से यह ऑर्डर होगा.
मुशर्रफ़ ने इमरजेंसी लगाने के जो कारण बताए हैं उनमें से एक यह भी था कि न्यायपालिका अपनी हद से बाहर जाकर काम कर रही थी.
नहीं, यह बिल्कुल ग़लत है, अदालतें अपने संवैधानिक दायरे के भीतर ही काम कर रही थीं.
वो ये भी कह रहे हैं कि अदालत ने अपनी तरफ़ से 100 से ज्यादा मामलों में कार्रवाई की, इस तरह सरकार कैसे चल सकती थी?
ये तो जनता बता सकती है कि फ़ैसले सही थे या ग़लत. जज के तो निर्णय ही बताते हैं कि वह सही था या ग़लत. जज ख़ुद नहीं बोलता, उसके ऑर्डर और जजमेंट बोलते हैं.
लेकिन आपके ही कई साथी जजों ने सरकार का साथ दिया और नए पीसीओ के तहत शपथ भी ले ली है, उनके बारे में क्या कहेंगे?
सबका अपना-अपना ख़याल है, अपने अपने विचार हैं और अपना अपना ज़मीर है, इस बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है.
कल आप क्या करेंगे?
कल हम चाहेंगे कि अदालत जाएँ.
अगर आपको अदालत जाने से रोका गया तो?
हम वापस आ जाएँगे, जज सड़क पर प्रदर्शन तो नहीं कर सकते.
तो क्या आप ख़ामोश होकर बैठ जाएँगे.
ये तो आने वाला वक़्त बताएगा.
आपके इतने लंबे करियर का इस तरह अंत, आपका निजी अनुभव कैसा रहा है?
मैंने अपनी क़ानूनी और संवैधानिक भूमिका बखूबी निभाई है, मुझे कोई अफ़सोस नहीं है, कोई शर्मिंदगी नहीं है, जो लोग क़ानून और संविधान का सम्मान नहीं करते वे मौजूदा सूरतेहाल के लिए ज़िम्मेदार हैं.
'ये सब पाकिस्तान की ख़ातिर है'
'इमरजेंसी लागू करना असंवैधानिक'
'इमरजेंसी लगाना बेहद अफ़सोस की बात'
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शहर में चोरी की वारदात थम नहीं रही है। वार्ड-सात स्थित आजाद नगर में हरियाणा पुलिस के एक हेड कांस्टेबल के घर में घुसकर चोरों ने करीब तीन लाख रुपये की नकदी, मोबाइल फोन, लाखों रुपये कीमत के सोने और चांदी के जेवरात पर हाथ साफ कर दिया।
वहीं, साथ के एक मकान से महिला को चाकू दिखाकर चांदी के कुछ जेवरात और नकदी लूट ली। सूचना मिलते ही चौकी पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी मगर चोरों का कोई सुराग नहीं लग पाया।
हरियाणा पुलिस में हेड कांस्टेबल सुभाष वर्मा ने बताया कि उसकी मतलौड़ा थाना के अंतर्गत आने वाले नारा नाके पर ड्यूटी लगी हुई है। शुक्रवार रात को वह ड्यूटी पर था और घर पर पत्नी सुनील, एक बेटा व बेटी थे। परिजन मेनगेट का ताला लगाकर आगे वाले कमरे में सो गए।
छत पर सीढ़ियों का दरवाजा गलती से खुला रहने के चलते चोर नीचे आए और अलमारी से करीब तीन लाख रुपये की नगदी, सोने और चांदी के करीब साढ़े तीन लाख रुपये कीमत के जेवरात के अलावा आगे वाले कमरे से तीन मोबाइल फोन भी ले गए।
वर्मा ने बताया कि 16 अप्रैल को उनकी बड़ी बेटी प्रियंका की शादी की थी। इसमें आया करीब पौने दो लाख रुपये कन्यादान, 26 हजार रुपये लड़की के मामा द्वारा भेंट दिए गए थे। इसके अलावा 85 हजार रुपये के शादी में खर्च के बाद बचा हुआ रखा था। जो जेवरात चोरी हुए हैं, उनमें ज्यादातर बड़ी बेटी के साथ ही छोटी बेटी की शादी की तैयारी को लेकर बनवाकर रखे थे। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिसकर्मी की पत्नी सुनील ने मुताबिक पिछले कमरे में अलमारी से पैसे के साथ-साथ दो अंगूठी, एक गले का सेट, चार अंगूठी पुरुष, दो अंगूठी महिला, झुमकों की चेन, गले का टॉप्स, नथ, टीका, एक पतली गले की चेन, कानों के कुंडल, एक जोड़ी कानों के बाले के साथ साथ करीब 750 ग्राम चांदी के जेवरात चोरी हुए हैं।
पुलिसकर्मी की पत्नी सुनील ने बताया कि चोर उनके कमरे में आया ओर बैड पर रखे मोबाइल फोन उठाकर चलने लगा। जिस पर आवाज हुई तो उसकी आंख खुल गई और उसने जैसे ही आवाज लगाई तो वो खिसकने लगा। तभी वह उसकी तरफ दौड़ी, लेकिन गिरने के कारण चोर वहां से भागने में सफल हो गया।
सुभाष वर्मा ने बताया कि उसके साथ लगते मकान में एक हलवाई ने कैटरिंग का काम किया हुआ है। जिसके पास एक युवक रहता था, जो वारदात के बाद से लापता है। वही युवक रात के समय साथ लगते मकान की छत पर ही सोया हुआ था, जिसकी तलाश की जा रही है। युवक बिहौली गांव का बताया जा रहा है।
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गौहर खान लंबे समय से ग्लैमर की दुनिया में हैं। वो टीवी की दुनिया में मशहूर हैं, साथ ही वो फिल्मों में भी काफी वक्त से हैं लेकिन उनकी कोई खास पहचान नहीं है। अब लगता हैं गौहर हालात को बदल देना चाहती हैं।
'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है'
बिग-बॉस जीत चुकी गौहर खान इन दिनों अपनी फिल्म फीवर को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म में उनके जबरदस्त बोल्ड सीन हैं। पहली बार ऐसा है कि वो लीड रोल में दिखेंगी, ऐसे में गौहर की ख्वाहिशें भी बड़ी हैं।
'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है'
गौहर चाहती हैं कि इस फिल्म में उनके काम की तारीफ हो। उनका कहना है कि फिल्म देखने के बाद लोग कहें कि इस लड़की में दम है, ये अपने दम पर भी फिल्म को चला सकती है। इस सबके बावजूद गौहर के सामने मुश्किल भी कम नहीं है।
'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है'
फिल्म मे जहां एक तरफ गौहर के राजीव खंडेलवाल के साथ काफी अंतरंग सीन हैं, वहीं दूसरी हीरोइन जेम्मा एटिंक्सन ने भी फिल्म में जबरदस्त बोल्ड सीन किए हैं।
'मैं चाहती हूं, सब कहें कि हां ये लड़की कर सकती है'
ऐसे में गौहर के सामने चुनौती है कि वो खुद को साबित करें। कहीं ऐसा ना हो कि जेम्मी अपनी बोल्डनेस के दम पर महफिल लूट लें।
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लड़की विदा हुई या फिर बिक गई, परिजनों को पता नहीं चला. अपने सुनहरे सपने सजाये रुपा कुमारी गजियाबाद शादी कर पति के साथ गयी. लेकिन पति के रुप में हैवान निकाला, जिसकी दास्तां सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यह वाक्या पाकुड़ की बेटी के साथ घटी है.
पाकुड़ में 80% लोग गरीब हैं. गरीबों की बेटी को निशाना गाजियाबाद और दूसरे शहरों के लोग बना रहे हैं. कुछ ऐसा ही हुआ रिक्शा चालक की बेटी रूपा तुरी के साथ. गाजियाबाद जिला के पंकज चौधरी, पिता-सुरेश चौधरी, गांव पुथारी, थाना पोस्ट-मोदीनगर आए और पाकुड़ में शादी करने की इच्छा जाहिर की. रिक्शा चालक की बेटी रुपा तुरी को निशाना बनाया. अपने मंसूबे को पूरा करने के लिए पैसे देकर एक स्थानीय बिचौलिया को पकड़ा. बिचौलिया ने परिजनों को बातों से पटाया और रुपा कुमारी वो सपना दिखाया जो शादी के लिए एक लड़की देखती है. फिर 18 नवम्बर 2014 को कोर्ट से शपथ पत्र के माध्यम से शादी कर गाजियाबाद ले गया. पिता को पांच हजार रुपए दिए गए. साथ में भाई और मां गई. एक सप्ताह तक एक किराए के घर में रखा और पूरा सम्मान किया.
जैसे ही माँ और भाई वापस गए, उसे गांव लेकर चला गया. वहां पति ने अपना हैवान रूप दिखाना शुरू किया. 17 महीने अमानवीय शोषण के बीते. हाल के दिनों में तो रुपा को खाना तक बंद कर दिया गया. जंजीर में बांध कर बेरहमी से पीटा जाता. शादी में दी गई राशि वापस मांगी जाती. जाति सूचक गालियां दी जाती. रात में शरीर से वस्त्र हटाकर मच्छर कटवाता था. निर्वस्त्र मवेशी की तरह उसके पास खड़े रहने को विवश करता. फिर सुबह कपड़े देकर मवेशियों की सेवा में लगाता. गाय भैंस की साफ सफाई, खाने-पीने की व्यवस्था के बाद का समय गोबर से गोयठा यानी उपले बनाने में बीतता.
इन सबके बाद यदि भूखी रूपा खाना मांग लेती तो उसे परिवार बेतरह पीटता. फिर एक दिन जीवन का अंतिम दिन मान कर छत से रुपा कूद गयी. लेकिन गोबर की ढेर में गिरी तो बच गयी. वापस उस नरक में जाने की बजाय उसी हालत में सड़क पर भागती रही.
भागने के क्रम में बैलगाड़ी वाला मिला जो पहले पागल समझा. रूपा की बात सुनी तो द्रवित हो गया. कुछ दिन बेटी की तरह घर रखकर उसक इलाज कराया. ठीक होने पर दिल्ली से कोलकाता जाने वाली गाड़ी पर बैठा दिया. ट्रेन पर कुछ मजदूर बैठे थे. बातचीत में उनसे भी रूपा ने दर्द साझा किया. उन लोगों ने उसे पाकुड़ जाने वाली गाड़ी पर बैठाने में मदद की. पाकुड़ पहुंचने पर पूरा परिवार रूपा के साथ महिला थाना शिकायत के लिए गया. पर जैसा कि पीड़िता के पिता नीमचंद तूरी ने बताया कि पूरे परिवार को थाने वालों ने भगा दिया क्योंकि बिचौलिए के साथ थाना वालों की सांठगांठ थी.
बाद में जानकारी मिलने पर डीएसपी नवनीत हेम्रब और एसडीपीओ संतोष कुमार रुपा कुमार के घर पहुंचे. दास्तां सुनकर पुलिस वालों के भी रोंगटे खड़े हो गए. मामले में प्राथमिकी दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने परिजनों को आर्थिक सहायता देने की आश्वसन दिया है क्योंकि पूरे परिवार को दो जून की रोटी नसीब नहीं होती है. अधेड़ उम्र में पिता रिक्शा चलाता है तो माँ दूसरे के घरों में चौका बर्तन करती है. भाई मजदूरी का काम करता है. ऐसे में रुपा का क्या होगा, उसे यह चिन्ता दीमक की तरह खाये जा रही है.
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NAUGACHHIA : नवगछिया पुलिस जिला के इस्माइलपुर थाना क्षेत्र के नवटोलिया सुदन टोला में बिजली के शॉर्ट सर्किट से आग लगने से 4 घर जलकर राख हो गया। बताया जा रहा है कि घर में 2 बकरी भी जलकर राख हो गई हैं। घर की महिलाओं नें बताया की आगजनी के बाद खाने के लिए एक अन्न का दाना भी उनके पास नहीं बचा है। बताया जा रहा है की सुग्रीव मंडल, अंगद मंडल, रंजीत मंडल, माखन मंडल के घर में आगजनी की घटना हुई है।
स्थानीय लोगों ने बताया की बिजली के शार्ट सर्किट से आग लगने से 4 घर जलकर राख हो गए। बताया जा रहा है कि सपरिवार मकई काटने के लिए अपने खेत गए हुए थे शाम करीबन 4 बजे के लगभग बिजली के शॉर्ट सर्किट से घर में आग लगी आग लगने के बाद एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे, तीसरे से चौथे घर तक आग फैलती गई। जिससे 2 सिलेंडर ब्लास्ट हो गया। सिलेंडर ब्लास्ट होने की आवाज सुनकर स्थानीय लोगों में भगदड़ मच गई आग लगने से घर में रखें लगभग 6 लाख की क्षति बताई जा रही है।
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BP, DESK : सीवान के मंदिरापाली गांव में शराब माफिया को गिरफ्तार करने गई पुलिस की टीम पर हमला हो गया. इस हमले में पचरुखी थानाध्यक्ष सहित पांच पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं. घटना रविवार रात करीब आठ बजे की है. पुलिस थानाध्यक्ष ददन सिंह के नेतृत्व में छापेमारी करने पहुंची थी. शराब माफिया सत्येंद्र यादव उर्फ छोटन यादव और उसके परिवार के लोगों ने पुलिस पर लाठी-डंडे व ईंट-पत्थर से हमला कर दिया.
इस हमले के दौरान पुलिस की गाड़ी को भी लोगों ने क्षतिग्रस्त कर दिया. हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी यह शराब माफिया पुलिस पर हमला कर चुके हैं. पचरुखी थानाध्यक्ष ददन सिंह ने बताया कि सत्येंद्र यादव उर्फ छोटन यादव पहले से शराब के तीन मामले में अभियुक्त है. उसी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस मंदिरापाली पहुंची थी. इस दौरान पुलिस को देखते ही लाठी-डंडा लेकर कई लोगों ने हमला कर दिया. महिला सहित परिवार के अन्य लोग ईंट-पत्थर चलाने लगे. उनके अलावा चार पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं. पुलिस की जिप्सी पर भी लाठी-डंडा मारा गया.
थानाध्यक्ष ददन सिंह ने बताया कि इसके पहले भी इसी थाने के निवर्तमान दारोगा रामप्रवेश भी छापेमारी करने गए थे तो इन लोगों ने हमला किया था. यह कोई नई बात नहीं है. कहा कि जो पुलिसकर्मी घायल हुए हैं उनका इलाज चल रहा है. शराब माफिया सत्येंद्र यादव उर्फ छोटन यादव सहित कई लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. हमले में जो पुलिसकर्मी घायल हुए हैं उनमें थानाध्यक्ष ददन सिंह, सिपाही संजीव कुमार, हवलदार सुनील कुमार, चालक कृष्णा पासवान शामिल हैं. इनका उपचार स्थानीय अस्पताल में चल रहा है.
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बैंक अधिकारी मान-2
एस. एसटी. बीएन. डब्ल्यू. एच. आर डब्ल्यू. एसई.सी
ओए ओएल.ओएएल.बी.एल.वी
अथवा संगठन के आधार पर यथापेक्षित यह देखा गया कि कार्यालयों स्थापनाओं और संस्थानों द्वारा निर्धारित अनुपालन किया गया है और लेखा पुस्तकें उचित रुप मे रखी गई है। सुनिश्चित करता है कि
दिये गए अनुदेश अथवा उठाई गई आपत्तियां पूरी कर दी गई है। अथवा सुधार ली गई हैं। लेखाओ की आवधिक और औचक जांच करना। राजस्व और व्यय सहित वित्तिय मुद्दों पर उपयुक्त प्राधिकारी को सलाह देना जैसे कच्चा माल, मशीनरी व अन्य खरीदों के बारे में प्रक्रिया और परिसम्पत्तियों के निपटान, बट्टे खाते डालना, ह्रास और संविदा प्रदान करने संबंधी सलाह देना ।
बहुविध सुविस्तृत क्षेत्रों में से किसी एक के आंकड़ों को एकत्र, सारणीबद्ध और व्याख्या करने के लिए अत्यधिक प्रभावी विधियों का विकास करना और लागू करना । किसी समस्या के हल के लिए आवश्यक सूचना स्वरूप और परिणाम का निर्धारण करना व आवश्यक सूचना एकत्र करने के लिए विधि प्राप्त और सोच निकालना । अध्यनाधीन समस्या की किस्म और उपलब्ध सूचना की प्राकृति के अनुसार अपेक्षित आंकड़े प्रस्तुत करने के लिए अत्यधिक प्रभावी तकनीक का निर्धारण करना । अपेक्षित रूप में आंकड़ों की व्याख्या को प्रभावित करने वाली परिवर्तनीय स्थितियों के आधार पर निष्कर्षो का विश्लेषण
जाता है। कार्यस्थल अच्छा प्रकाशमय और सुविधाजनक होता है। कार्मिक सामन्यतः
अकेले काम करते है। यद्यपि जनता से भी कार्य करना पड़ता है। अधिकारी को फील्ड मे भी कार्य करना पड़ता है। कार्यस्थल उष्ण, आर्द्र व धूल धूसित होता है। उपयुक्त कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर व
भाग I-खण्ड ] |
अमरावती : आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के अनंतपल्ली गांव में एक कार के लॉरी से टकरा जाने से दो साल के एक बच्चे समेत एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हो गई. पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सड़क हादसे के शिकार परिवार विजयवाड़ा से आंध्र प्रदेश के राजमुंदी की ओर जा रहा था, तभी यह हादसा हुआ.
पुलिस के अधिकारी ने बताया कि इस दुखद हादसे में परिवार के सात लोगों की मौत हो गई है. मृतकों में दो महिलाएं और एक दो साल का बच्चा भी शामिल है. आरंभिक जांच के अनुसार, पूर्वी गोदावरी जिले के नल्लाचारला मंडल के अनंतपल्ली में कार ने लॉरी को पीछे से टक्कर मारी दी, जिससे यह हादसा हुआ.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, पूर्वी गोदावरी जिले में सोमवार तड़के राजमार्ग पर एक कार के सड़क किनारे खड़ी लॉरी से टकराने से एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हो गई. पूर्वी गोदावरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुधीर कुमार रेड्डी ने बताया कि नल्लाचारला गांव में कार राजमार्ग से गुजर रही थी, तभी वह सड़क किनारे खड़ी एक लॉरी से टकरा गई. हादसे में एक ही परिवार के छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. एक अन्य व्यक्ति की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई.
पूर्वी गोदावरी जिले के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार रेड्डी ने बताया कि एक ही परिवार के आठ लोग हैदराबाद से गृह प्रवेश समारोह में शिरकत करके लौट रहे थे, तभी यह हादसा हुआ. उन्होंने बताया कि दुर्घटना अनंतापल्ली गांव की सीमा के भीतर हुई, जब एक कार सड़क से नीचे उतर गई और उसके किनारे खड़ी लॉरी से टकरा गई. रेड्डी ने बताया कि आठ माह के बच्चे के अलावा पांच महिलाओं और दो पुरुषों की हादसे में मौत हो गई. वहीं, हादसे में बचे एकमात्र व्यक्ति (26) का राजामहेंद्रवरम के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.
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PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के नामांकन की तारीख समाप्त हो गई है और तीसरे चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है। इसके बीच चुनाव प्रचार भी लगातार जारी है। विभिन्न दलों के नेताओं ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चार विधानसभा क्षेत्रों जनसभा करेंगे। वहीं, तेजस्वी यादव सात चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. वहीं बीजेपी के कई बड़े नेताओं का तुफानी दौरा है।
औरंगबाद के अनुग्रह नारायण स्टेडियम, नवीनगर में पहली सभा. दूसरी चुनावी सभा श्रीमती रामदुलारी सोन्डिक बालिका हाई स्कूल मैदान राजपुर में, वहीं तीसरी जनसभा रोहतास के करगहर में जगजीवन स्टेडियम में होगी. सीएम नीतीश की चौथी सभा रोहतास के ही दिनारा में बलदेव उच्च विद्यालय के मैदान में आयोजित होगी. वे पटना से सुबह 11 बजे निकलेंगे और शाम को वापस राजधानी लौट आएंगे.
तेजस्वी यादव शनिवार को सात चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. तेजस्वी यादव पूर्वाह्न 10:35 बजे अमरपुर विधान सभा (जिला बांका) के हाईस्कूल मैदान भरको में, 11:20 बजे धोरैया विधान सभा (जिला बांका) के हाईस्कूल मैदान धवनी में, दोपहर 12:10 बजे बांका विधान सभा (जिला-बांका) के कोरोन्दा मैदान में, दोपहर 01 बजे कटोरिया विधान सभा (जिला बांका) के हाई स्कूल मैदान कटोरिया में, दोपहर 01:50 बजे बेलहर विधान सभा (जिला बांका) के झामा मैदान बेलहर में और इसके बाद दोपहर 02:40 बजे झाझा विधान सभा (जिला जमुई) के महात्मा गांधी हाई स्कूल मैदान झाझा में एवं दोपहर 03:35 बजे तारापुर विधान सभा (मुुंगेर) के गाजीपुर ईदगाह मैदान, तारापुर में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करेंगे.
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Russia Ukraine Conflict रसान रणनीतिक रूप से बेहद उपयोगी है। क्रीमिया की तरह रूस ने इस क्षेत्र को यूक्रेन से छीनकर जनमत संग्रह के जरिए रूस में शामिल कर लिया है। अब इस क्षेत्र की सुरक्षा करना रूसी सेना की जिम्मेदारी है। रूस इस इलाके को कभी नहीं जाने देगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। यूक्रेन जंग में यूक्रेनी इलाका खेरसान दोनों सेनाओं के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनता जा रहा है। खेरसान ने इस युद्ध को और जटिल बना दिया है। खेरसान में जहां यूक्रेनी सेना अपने इलाके को वापस लेने का प्रयास कर रही है, वहीं रूसी सेना इस इलाके को कतई खाली करने के मूड में नहीं है। उधर, रूसी सेना ने यूक्रेन के एनर्जी सिस्टम को ध्वस्त करके यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की पर नया दबाव बनाया है। आइए जानते हैं कि इस युद्ध में रूसी सेना की क्या योजना है। क्या जेलेंस्की पर दबाव बन रहा है।
प्रो पंत का कहना है कि खेरसान में रूसी सेना यूक्रेन के खिलाफ कोई आक्रामक रणनीति अपना सकती है। यूक्रेन जंग में दोनों सेना के लिए खेरसान महासंग्राम का गढ़ बना हुआ है। उन्होंने कहा कि रूसी सेना ने जंग के प्रारंभ में ही इस पर कब्जा कर लिया था। इस पर दोबारा कब्जा करना यूक्रेनी सेना के लिए नाक का विषय बना हुआ है। यूक्रेनी सेना का इस क्षेत्र में बड़ा जमावड़ा है। उन्होंने कहा कि पुतिन कभी नहीं चाहेंगे कि यह क्षेत्र दोबारा यूक्रेन के कब्जे में जाए। यूक्रेन का दावा है कि उसकी सेना ने रूस को 30 किलोमीटर पीछे धकेल दिया है। खुद रूसी सेना के जनरल सुरोविकिन ने इस इलाके को एक मुश्किल क्षेत्र बताया है।
उन्होंने कहा कि रूस के लिए खेरसान रणनीतिक रूप से बेहद उपयोगी है। क्रीमिया की तरह रूस ने इस क्षेत्र को यूक्रेन से छीनकर जनमत संग्रह के जरिए रूस में शामिल कर लिया है। अब इस क्षेत्र की सुरक्षा करना रूसी सेना की जिम्मेदारी है। इसलिए रूसी सेना इस इलाके को कभी नहीं जाने देगी। इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। यही सबसे बड़ा पेंच है। यह क्षेत्र दोनों देशों की सेना के लिए अहम हो चुका है। इसलिए रूस और यूक्रेन दोनों यह दावा कर रहे हैं कि नोवा काखोव्का बांध पर हमला हो सकता है।
जेलेंस्की का दावा है कि रूसी सेना इस पर हमला करके खेल बिगाड़ सकती है। उधर, रूसी सेना का कहना है कि यूक्रेनी सेना अमेरिका से मिले मिसाइल से इस बांध पर हमला कर सकती है। प्रो पंत ने कहा कि इस युद्ध में रूसी सेना को अब तक कोई ऐसी सफलता हासिल नहीं हाे सकी है। इसलिए अब रूसी सेना का लक्ष्य जेलेंस्की पर दबाव बनाना है। यही कारण है कि रूसी सेना नागरिक सुविधाओं को भी निशाना बना रही है, जिससे यूक्रेनी राष्ट्रपति पर दबाव बनाया जा सके।
यूक्रेन जंग के दौरान रूसी सेना की मिसाइलों और ड्रोन हमलों से यूक्रेन के 30 फीसद पावर स्टेशन नष्ट हो गए हैं। आलम यह है कि यूक्रेन की राजधानी कीव में कई इलाकों में लगातार ब्लैकआउट की स्थिति बनी हुई है। देश के कई शहरों में बिजली आपूर्ति बाधित है। जेलेंस्की ने कहा कि पुतिन हमारे एनर्जी सिस्टम को ही युद्ध का मैदान बना रहे हैं। इसके परिणाम बेहद घातक हो सकते हैं।
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने अमरिका व पश्चिमी देशों से आग्रह किया है कि वह रूस पर दबाव बनाए कि वह नोवा काखोव्का बांध पर हमला नहीं करे। उन्होंने कहा कि अगर इस बांध की दीवार उड़ गई तो यूक्रेन के दक्षिण भाग में भीषण तबाही होगी। इससे बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती है। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि रूसी सेना ने बांध की दीवारों पर विस्फोटक लगा दिए हैं। खास बात यह है कि इस बांध से ही यूक्रेन के दक्षिण हिस्से में पानी और बिजली की आपूर्ति होती है। अगर बांध को क्षति होती है तो इससे दक्षिण यूक्रेन में पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। इसी बांध से क्रीमिया को पानी मिलता है। राष्ट्रपति ने कहा कि बांध टूटने से यूक्रेन में बड़े पैमाने पर तबाही आ सकती है।
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शादी होने के बाद बिपाशा बसु ने बॉलीवुड से दूरी बना ली है । बिपाशा ने साल 2016 में करण सिंह ग्रोवर से शादी कर ली थी। 3 साल से बिपाशा की कोई फिल्म नहीं आई। बिपाशा आखिरी बार 'अलोन' फिल्म में करण के साथ नजर आई थीं। यहीं से दोनों की लव स्टोरी शुरू हुई थी। शादी से पहले बिपाशा बॉलीवुड के 6 एक्टर्स को डेट कर चुकी हैं। चलिए बिपाशा बसु के 41वें जन्मदिन पर हम आपको उनके अफेयर्स के बारे में बताते हैं।
बॉलीवुड में सालों तक राज करने वालीं अभिनेत्री रीना रॉय का 7 जनवरी को जन्मदिन है। रीना रॉय बॉलीवुड की ऐसी अदाकारा है जिन्होंने मुख्य भूमिका से लेकर मां तक के सभी किरदारों को बड़ी स्क्रीन पर बखूबी निखाया। उनका नाम अपने समय में हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस की लिस्ट में भी शुमार रहा है। रीना रॉय को फिल्मों से किनारा किए हुए 20 साल हो चुके हैं। पहली फिल्म से लेकर अब तक के उनके लुक में काफी बदलाव आया है। तो चलिए उनके जन्मदिन पर हम आपको उनके बदलाव की कुछ तस्वीरें दिखाते हैं।
बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण इन दिनों अपनी आगामी फिल्म 'छपाक' के प्रमोशन में व्यस्त हैं। जिसके सिलसिले में दीपिका पत्रकारों से रूबरू होती रहती हैं। पत्रकार भी दीपिका से उनकी फिल्म के साथ ही निजी जिंदगी से जुड़े सवाल भी करते रहते हैं। दीपिका भी उनके हर सवाल का जवाब देती रहती है। ऐसे में हाल ही में दीपिका से एक रिपोर्टर ने निजी जिंदगी से जुड़ा ऐसा सवाल कर लिया, जिसे सुन दीपिका खुद को रोक ना सकीं और दो-टूक जवाब दिया।
पढ़ेंः रिपोर्टर ने किया दीपिका पादुकोण से प्रेग्नेंसी पर सवाल, अभिनेत्री ने कहा, 'आपसे पूछकर प्लान करूं? '
बॉलीवुड हो या टेलीविजन इंडस्ट्री दोनों ही जगह अभिनेता/अभिनेत्रियों को पैर जमाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। इस बारे में कई एक्टर्स ने भी बताया है कि इस इंडस्ट्री का सफर इतना आसान नहीं है। ऐसे में कास्टिंग काउच के भी कई मामले सामने आते हैं। हालांकि ये मामले तब सामने आते हैं जब ये अभिनेता इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुके होते हैं।
पढ़ेंः कास्टिंग काउच का शिकार हुई थी ये अभिनेत्री, 65 वर्षीय डायरेक्टर ने कहा था 'टॉप उतारो'
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नई दिल्ली। देश में बढ़ती महंगाई और गेहूं की बढ़ती कीमत के बीच अब भारतीयों को एक और झटका लगा है। देश में चावल की कीमत (Rice price) में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। डोमेस्टिक और ग्लोबल दोनों बाजारों में पिछले पांच दिनों में चावल की कीमत 10 फीसदी बढ़ गई है। दरअसल पड़ोसी देश बांग्लादेश की वजह से भारत में चावन महंगा हुआ है। बांग्लादेश आमतौर पर अपनी चावल की जरूरतों को भारत से खरीदकर पूरा करता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार इन दिनों बांग्लादेश में चावल की किल्लत हो गई है। ऐसे में वहां चावल काफी महंगा होता जा रहा है। महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पड़ोसी देश की सरकार ने भारत से चावल का आयात बढ़ाने के लिए ड्यूटी कम करने का फैसला लिया। बांग्लादेश सरकार ने चावल के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी और टैरिफ को 62. 5 फीसदी से कम करके 25 फीसदी कर दिया है।
राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि, 'पिछले पांच दिनों में, भारतीय गैर-बासमती चावल की कीमत वैश्विक बाजारों में 350 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 360 डॉलर प्रति टन हो गई है। बांग्लादेश से खबर आने के बाद ऐसा हुआ है। '
पड़ोसी राष्ट्र ने 22 जून को एक अधिसूचना जारी की, जो 31 अक्टूबर तक गैर-बासमती चावल के आयात की अनुमति देती है। यह पहली बार है जब बांग्लादेश ने इतनी जल्दी भारत से चावल का आयात करना शुरू कर दिया है। चावल निर्यात प्रतिबंध की आशंकाओं के बीच ऐसा किया जा रहा है।
तिरुपति कृषि ट्रेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सूरज अग्रवाल ने बताया कि, 'चावल की कीमत पहले ही 10 फीसदी बढ़ चुकी है और अभी भी बढ़ रही हैं। बांग्लादेश आमतौर पर पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार से चावल खरीदता है। इन तीन राज्यों में, चावल की आम किस्म की कीमत 20 फीसदी बढ़ी है। इन तीन राज्यों में कीमत में वृद्धि से अन्य क्षेत्रों में भी चावल की कीमत पर प्रभाव पड़ा है, जहां यह 10 फीसदी तक बढ़ गई है। '
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गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाएं तमाम तरह की मेडिकल जांच करवाती हैं। इनमें से कुछ जांच मां और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत जरूरी होते हैं। जबकि बाकी के कुछ जांच डॉक्टर भविष्य में होने वाली परेशानियों को देखते हुए करवाने की सलाह देते हैं। डबल मार्कर टेस्ट इन्हीं कैटेगरी की जांच है।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में देखभाल कैसे करें)
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin खरीदने वाले लगभग तीन चौथाई लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। यह जानकारी बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के इकोनॉमिस्ट्स की ओर से पिछले सात वर्षों में लगभग 95 देशों के क्रिप्टोकरेंसी इनवेस्टर्स के डेटा की स्टडी से मिली है।
गया है कि बिटकॉइन में इनवेस्टमेंट करने वाले लगभग तीन चौथाई लोगों को नुकसान होने का अनुमान है। इस अवधि में बिटकॉइन का प्राइस लगभग 250 डॉलर से बढ़कर पिछले वर्ष नवंबर में लगभग 69,000 डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंचा था। ऐप्स के जरिए क्रिप्टोकरेंसीज खरीदने और बेचने वाले लोगों की संख्या इस अवधि में 1. 19 लाख से बढ़कर लगभग 3. 25 करोड़ पर पहुंच गई। स्टडी करने वाले रिसर्चर्स ने लिखा है, "हमारे एनालिसिस से पता चलता है कि बिटकॉइन के प्राइस में बढ़ोतरी इसके रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या बढ़ने से जुड़ी है। "
स्टडी में कहा गया है कि प्राइसेज के बढ़ने पर रिटेल इनवेस्टर्स की ओर से बिटकॉइन में खरीदारी की जा रही थी, जबकि इसके व्हेल्स जैसे बड़े होल्डर्स बिकवाली कर प्रॉफिट कमा रहे थे। इसके अलावा स्टडी में पाया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी में इनवेस्ट करने वालों में लगभग 40 प्रतिशत 35 वर्ष से कम आयु के पुरुष थे। इस सेगमेंट को अधिक रिस्क लेने वाला माना जाता है।
में काफी तेजी आई थी। इसके बाद से स्लोडाउन और कुछ अन्य कारणों से इसका प्राइस एक-तिहाई से अधिक टूट चुका है। इससे इनवेस्टर्स के साथ ही क्रिप्टो सेगमेंट से जुड़ी फर्मों को बड़ा नुकसान हुआ है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिटकॉइन में काफी बिकवाली हुई है। इन्फ्लेशन के भी लगभग पीक पर पहुंचने के संकेत हैं। इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित अन्य देशों के सेंट्रल बैंकों की ओर से मॉनेटरी पॉलिसी में कुछ छूट दी जा सकती है। यह क्रिप्टो मार्केट में तेजी का अगला बड़ा कारण हो सकता है। कुछ देशों में रेगुलेटर्स ने भी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर इनवेस्टर्स को चेतावनी दी है। इससे भी मार्केट पर प्रेशर बढ़ा है। कुछ क्रिप्टो फर्मों के डिफॉल्ट करने से इस मार्केट को लेकर आशंकाएं भी बढ़ी हैं। क्रिप्टो सेगमेंट के लिए बहुत से देश कड़े कानून बनाने पर भी काम कर रहे हैं।
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धान की फसल में खरीद के मुद्दे पर शनिवार को किसानों के सब्र का पैमाना छलक गया। किसान संगठनों ने बीजेपी-जेजेपी के विधायकों सांसदों तक पहुंचने के लिए पुलिस के बेरीकेड्स भी कई जगहों पर तोड़ दिए। करनाल में किसानों ने सीएम मनोहर लाल खट्टर के सरकारी आवास पर धावा बोला तो पुलिस ने उन्हें तितर बितर करने के लिए पानी का इस्तेमाल किया। कुरुक्षेत्र, यमुनानगर समेत हरियाणा के कई जिलों में किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया। किसानों का कहना था को वो यहां से हटेंगे नहीं। उधऱ, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि किसानों को संयम रखना चाहिए। गांधी के देश में हिंसा की जगह नहीं है।
केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब को 11 अक्तूबर से एमएसपी पर धान की खरीद करने का निर्देश जारी किया है। गुरुवार शाम को आए इस आदेश के बाद से किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। बेमौसमी बारिश और नमी का हवाला देते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। इस फैसले पर किसानों ने कहा कि प्रदेश सरकार खेती को बर्बाद करने में लगी हुई है। 11 अक्टूबर तक किसान अपनी धान की फसल को लेकर कहां रखेंगे।
किसान नेताओं का कहना है कि किसानों के घर पर अनाज रखने की पर्याप्त जगह नहीं है। अधिकतर किसान खेत से धान काट कर सीधा मंडी में बिक्री के लिए जाता है। लेकिन सरकार के द्वारा दस दिन देरी से खरीद शुरू करने के निर्णय से किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे। भाकियू ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि दो अक्टूबर को किसान अपनी धान की ट्रालियों के साथ जेजेपी व भाजपा विधायकों के घरों का घेराव कर पक्का मोर्चा डालेंगे। सभी विधायकों को ज्ञापन दिए जाएंगे। पुलिस ने भी एहतियात बरतते हुए विधायकों, सांसदों के घरों के सामने जवानों का भारी बंदोबस्त कर दिया था।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी पत्र में साफ लिखा है कि बारिश के कारण अभी तक धान की फसल पूरी तरह नहीं पकी है, साथ ही इससे फसल में नमी है। इसी के चलते अब 11 अक्टूबर से धान की एमएसपी पर खरीद शुरू होगी। हालांकि. हरियाणा सरकार एक अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद की घोषणा कर चुकी थी। बाकायदा इसके लिए सभी मंडियों में तैयारियां भी की गई हैं। लेकिन केंद्र के निर्णय के बाद धान खरीद को 11 तक स्थगित कर दिया गया था।
पंजाब व हरियाणा में किसान आंदोलन का ज्यादा जोर है लिहाजा पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पीएम मोदी से एक अक्तूबर से पंजाब में धान खरीद शुरु करने की अनुमति मांगी थी। वह शुक्रवार को पीएम मोदी से पहली बार मिले थे। लेकिन जब केंद्र ने अपने फैसले को वापस लेने से मना कर दिया तो शनिवार सुबह से किसानों ने तीखा विरोध शुरू कर दिया। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है पर हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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उझानी (बदायूं)। कोतवाली क्षेत्र के गांव बेनीनगला निवासी पिकअप ड्राइवर अजयवीर की संदिग्ध हालात मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मैंथा के दो व्यापारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली है। दोनों नामजद सगे भाई हैं। आरोप है कि नामजदों ने अजयवीर के शव को भी गायब कर दिया था।
करीब पांच महीना पुरानी घटना को लेकर मृतक अजयवीर (18) के पिता राजपाल सिंह ने बताया कि उसका बेटा मोहल्ला किलाखेड़ा निवासी मैंथा व्यापारी संजीव साहू और सुशील साहू की पिकअप पर ड्राइवर था। पिकअप से वह मैंथा ऑयल के ड्रम लोड कर बाहर पहुंचाता था। आरोप है कि 20 जून को उसने मैंथा व्यापारी के गोदाम में पिकअप खड़ी की, तभी व्यापारी दोनों भाइयों ने अजयवीर से मैंथा ऑयल के ड्रम अनलोड कराए। उसी दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इलाज के दौरान 26 जून को अजयवीर की मौत हो गई। कोर्ट के आदेश पर दर्ज गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट में मृतक के पिता का कहना है कि आरोपी संजीव और सुशील साहू ने अजयवीर के शव को भी गायब कर दिया। कोर्ट में शरण लेने से पहले राजपाल ने एसएसपी से भी कार्रवाई की गुहार लगाई थी। कार्रवाई नहीं होने पर उसे कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। इधर, पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दी है।
उझानी। कोर्ट के आदेश पर ड्राइवर अजयवीर की गैर इरादतन हत्या में सगे भाई मैंथा व्यापारियों में से संजीव साहू ने घटना की हकीकत पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने बताया कि अजय उनके यहां काम करता था। पिकअप चलाते समय ही वह बेहोश हो गया था। अजय की मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार भी राजपाल ने किया था। ऐसे में लाश गायब कर देने का भी सवाल नहीं उठता। उसकी मौत कैसे हुई, यह सभी जानते हैं लेकिन मुझे और मेरे भाई को झूठा फंसाया गया है।
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"इस साल के अंत तक, प्रिमोर्स्की टेरिटरी और सखालिन क्षेत्र में तैनात बीबीओ मोटराइज्ड राइफल इकाइयां लेर -3 मानवरहित हवाई वाहन प्राप्त करेंगी। आधुनिक यूएवी के कई सेटों को इन सैन्य इकाइयों तक पहुंचाया जाएगा, "आरआईए ने गोर्डीव के शब्दों को उद्धृत किया। "समाचार".
प्रेस सेवा के प्रमुख ने कहा कि अभ्यास की प्रगति की निगरानी करने, सैन्य सुविधाओं की स्थिति की जांच करने और इलाके का अध्ययन करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, इस यूएवी के संशोधनों में से एक का उपयोग करके, रेडियो हस्तक्षेप का उपयोग करके दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दबाना संभव है।
2013-2014 में, पूर्वी सैन्य जिले की इकाइयों को पहले से ही विभिन्न उद्देश्यों के लिए रूसी मानवरहित हवाई वाहनों के 30 से अधिक सेट मिले हैं।
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आप ही उस राज्य के उत्तराधिकारी हुए। उस समय यद्यपि उनके नादान हाथों में राज्य-सूत्र चले गये थे, तथापि उसके कारण महाराष्ट्र साम्राज्य पर उसका कोई दुष्परिणाम न हुआ । इसका कारण यह था कि यद्यपि छत्रपति शम्भाजी स्वयम् विषय हो गये थे, तथापि उनके हृदय में स्वधर्म, ग्वाभिमान एवम् स्वराज्य- प्रीति की ज्योति अभी उसी तरह दीप्तिमान थी जिस तरह उनके पिता श्री के हृदय मे अन्त तक जागरित थी । वह स्वयम् एक वीर पुरुप को सन्तान थे । अतः उनमे साहस, वीरता भी कूट-कूट कर भरी थी । यद्यपि उनकी भोग-विलास वृत्ति के कारण उन्होने अपने पिता की कमाई मे व पौरुष से कोई वृद्धि नहीं की. तथापि इतना तो अवश्य ही किया, कि जो कुछ उनके पास था उसे हाथ से जाने न दिया । छत्रपति शिवाजी ने अपने जीवित रहते महाराष्ट्र - साम्राज्य का शासन-प्रबन्ध देखने के लिये, जो अष्टप्रधान मण्डल नियुक्त किया था और उनके कर्तव्य की जो दिशा निर्धारित कर दी थीं, वही छत्रपति शम्भाजी के शासनकाल में जारी रही । परिणाम यह हुआ कि उस व्यवस्था में कोई परिवर्तन न होने के कारण साम्राज्यसंचालन का कार्य पूर्ववत् जारी रहा, और उसके पुष्टिकारणार्थ साम्राज्य को नित्य नवीन उत्साही एवम् प्रेमी तरुण मिलते गये । छत्रपति शम्भाजी का, 'भोग-विलास' उनके लिये वैयक्तिक रूपसे भले ही भयङ्कर सिद्ध हुआ, तथापि उसके कारण महाराष्ट्र साम्राज्य को कोई धक्का नहीं सहन करना पड़ा । |
पंजाब में पिछले तीन दिन से हो रही बारिश के बाद पंजाब पुलिस हरकत में आ गई है पुलिस ने लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर एडवाइजरी जारी की है। पुलिस ने सलाह दी है कि किसी भी आपात स्थिति में वह 112 पर संपर्क करें तुरंत पुलिस उनकी सेवा में हाजिर होगी। इतना ही नहीं अगर किसी को कहीं नुकसान होने की आशंका है तो इस बारे में भी पुलिस को सूचित किया जा सकता है।
भीषण बारिश की वजह से पंजाब सरकार ने 13 जुलाई तक सभी सरकारी, निजी एडेड और मान्यता प्राप्त स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी है। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बारिश को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है। उन्होंने लोगों से बारिश में घरों से न निकले की अपील की है।
पंजाब में हो रही तेज बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात बने हैं। ऐसे में विद्यार्थियों व उनके परिजनों की असुविधा को ध्यान रखते हुए पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड(पीएसईबी) ने कक्षा 5वीं और 8वीं की रि-अपीयर की परीक्षाएं गुरुवार तक स्थगित कर दी है। परीक्षा नियंत्रक जनक राज महरोक ने बताया कि अगले निर्णय तक परीक्षाएं स्थगित की गई हैं। परीक्षाओं की नई डेटशीट बाद में जारी की जाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों को हिदायत दी है कि वह बोर्ड की वेबसाइट देखते रहे। पीएसईबी की वेबसाइट www. pseb. ac. in से जानकारी हासिल की जा सकती है।
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टैलेंट (talent) एक ऐसी इन्बॉर्न स्किल (जन्मजात योग्यता) है जो इंसान जन्म से ही अपने साथ लेकर आता है। ये बात बिल्कुल सही है कि अगर आप में कोई टैलेंट है तो वो आपको ज़िन्दगी में बहुत काम आता है और अपने टैलेंट को पहचानना और उसको निखारने की कोशिश करना बहुत अच्छी बात है।लेकिन फिर भी जरूरी नहीं कि हर इंसान में कोई टैलेंट हो। यहाँ तक कि बहुत से लोग बिना किसी स्पेसिफिक (विशेष) टैलेंट के बहुत ही खुशनुमा ज़िन्दगी गुजारते हैं।
1. अपने बचपन में वापिस लौटेंः
टैलेंट को ढूंढ़ने और उसे पाने में "असफलता का डर" होना सबसे बड़ी रुकावट है। और, बचपन में हमारा दिमाग बिल्कुल बेफिक्र होता था जहाँ कई बार तो हम तारों को भी तोड़ लाने का सपना देखते हैं। इसीलिए जब आप अपने बचपन में वापिस लौटने की कोशिश करते हैं तो आपके लिए असफलता जैसे छोटे शब्द कोई मायने नहीं रखते। सोच सीमित नहीं थी ऐसा होता था बचपन जहाँ 2 उंगलियां जुड़ने से दोस्ती फिर शुरू हो जाया करती थी।
सोचें कि बचपन में ऐसा क्या था जो आप हमेशा करना चाहते थे और ऐसी कौन सी चीज़ें थीं जो आपको करना बेहद पसंद था। इसका मतलब ये नहीं कि आप हल्क (hulk) या मरमेड (mermaid) बनने के बारे में सोचें बल्कि ऐसा करने से आपको अपने टैलेंट का पता लगाने के लिए एक दिशा मिलेगी। उदाहरण के लिए आप राजकुमारी न बन के उनके बारे में मनमोहक कहानियाँ लिख सकती हैं तो ऐसे में राइटिंग (writing) का टैलेंट सामने आता है।
2. इस बात पर गौर करें कि ऐसा क्या हैं जिसे करते समय आपको समय का भी अंदाजा नहीं रहताः
उदाहरण के लिए अगर आप बोलने में बहुत निपुण हैं और आपके पास अपनी बात को कहने के लिए शब्दों का भण्डार हैं तो ये भी एक टैलेंट है। आप अपने इस टैलेंट को पब्लिक स्पीकर या किसी शो के एंकर बन कर इस्तेमाल कर सकते हैं और आसमान की बुलंदियों को छू सकते हैं। विकल्प बहुत हैं पर चुनना आपकी जिम्मेदारी हैं।
ऐसा क्या हैं जिसे करने में आप कभी बोरिंग (boring) महसूस नहीं करतें ? जब स्कूल या ऑफिस में आप बोर हो जाते हैं तो क्या ऐसा करते हैं जिससे आपका मूड (mood) बदल जाता हैं? ऐसा क्या हैं जिसे करके आपको ख़ुशी मिलती हैं? अगर आपको मुँह मांगा पैसा दिया जाए तो आप उसका क्या करोगे? अगर आपको पूरी दुनिया घूमने का मौका मिले तो आप कहाँ जाना पसंद करेंगे? अगर आपके पास कोई काम न हो तो आप कैसे अपना दिन गुजारेंगे? अपने आप से कुछ इस तरह के सवाल पूछ उनके जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करें। इस तरह के सवाल पूछने से आपको पता लगता है कि आपको क्या प्रेरणा देता हैं और आप किस काम में अच्छे हैं।
3. दूसरों से पूछेंः
कभी-कभी जब आपको अपना टैलेंट पता लगाने में मुश्किल होती है तो किसी दूसरे से पूछना बहुत काम आ सकता है। आपके दोस्त और आपके रिश्तेदार आपको बहुत अच्छे से जानते हैं और वो आपको कुछ ऐसी चीज़ों के बारें में बता सकते हैं जिसमे आप माहिर हैं।
कभी-कभार ऐसा भी होता है कि जो आपको अपने अंदर टैलेंट लगता हैं लोगों को ऐसा नहीं लगता। कोई बात नहीं। अगर आप में किसी चीज़ का इन्बॉर्न टैलेंट (inborn talent) नहीं है इसका मतलब ये नहीं कि आप उसमें अच्छा नहीं कर सकते या उसमें माहिर नहीं हो सकते। कई बार प्रैक्टिस और समय देकर आप अपनी योग्यताओं को निखार सकते हैं। और ऐसा भी नहीं कि अगर आपमें कोई टैलेंट है तो आपको वही करना चाहिए।
उदाहरण के लिएः आपके रिश्तेदार और दोस्त ये मानते हैं कि आप मैथ्स (maths) में बहुत निपुण हैं खासकर एकाउंटिंग और नम्बरों में लेकिन आपको लगता हैं कि मेरा पैशन (passion) तो बैडमिंटन है। तो अपनी जिद्द के लिए बैडमिंटन को ही चुनना कोई समझदारी नहीं होगी बल्कि ये सोचें कि कैसे मैं अपनी गणित की योग्यता को पैसा जोड़ने में लगा सकता हूँ ताकि मेरा बैडमिंटन चैंपियन होने का सपना पूरा हो सके।
4. नयी चीज़ें ट्राई (try) करेंः
दूसरों के टैलेंट पर ध्यान दें और उसमे इंट्रेस्ट (interest) लें। अपने टैलेंट को ढूंढ़ने के लिए आपको दूसरों के टैलेंट पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे लोगों के बारें में सोचें जो टैलेंटेड हैं (हो सकता है आपके पापा खाना बनाने में बहुत निपुण हों या आपकी मम्मी हर बात बहुत ध्यान से सुनती हैं) और उनकी प्रतिभा को सराहें।
घर से थोड़ा बाहर निकालें। लोकल लाइब्रेरी या बुकस्टोर जाएँ। लेक्चर अटेंड करें। कोई क्लास ज्वाइन (join) करें। कुकिंग में हाथ साफ़ करें। आर्ट को समय दें। स्पोर्ट्स में अपनी रुचि बढ़ाएं। मतलब बात सिर्फ इतनी है कि जितना हो सकें एक्स्प्लोर (explore) करें।
5. अपनी ज़िन्दगी को थोड़ा वक़्त देंः
ये अच्छी बात है कि आप दूसरों की राय और सलाह की कद्र करते है लेकिन उस पर पूरी तरह निर्भर ना हो। अपने आप को थोड़ा समय दें और सोचें आपके लिए क्या बेहतर है। अपने दिल की बात सुनें।
बहुत से लोग अपना टैलेंट तब जान पाते हैं जब उन्होंने इसके बारें में सोचा भी नहीं होता और ये पता लगने में एक क्षण भी नहीं लगता। और जब उन्हे उनका टैलेंट पता चलता है तो वो उनकी पूरी ज़िन्दगी ही बदल देता है। ऐसा हो सकता है कि एक प्रतिभाशाली संगीतकार (जो उसे नहीं पता होता कि वो इतना टैलेंटेड है) किसी परफॉरमेंस (performance) को देखता है तो उसमें म्यूजिक के लिए प्यार और बढ़ जाता है और उसे अपने टैलेंट का पता चल जाता है।
अकेले चलो। हमेशा अकेले ही चीज़ों को करें खासकर जब आप कुछ नया ट्राई करते हैं। इससे आपको अपने टैलेंट को ढूंढ़ने में आसानी होती है क्योंकि आपको वही चीज़ किसी के सामने करने का डर नहीं होता। आप गलत करो या सही, आप बिना किसी फ़िक्र के ट्राई करते हो।
6. प्रैक्टिस (practice) करेंः
अपने रूटीन में एक निश्चित समय उस टैलेंट की प्रैक्टिस करने के लिए निकालें। उदाहरण के लिए - अगर लिखना आपका हुनर है तो काम पर जाने से पहले हर सुबह कम से कम आधा घंटा इसे दें। अगर बास्केटबॉल खेलना आपका टैलेंट है तो बाहर निकलें और मैदान में प्रैक्टिस करें।
उन क्षेत्रों पर ही जरा ध्यान दें जिनमें आप कमजोर हैं। आप में चाहे कितना भी टैलेंट हो लेकिन जरूरी नहीं कि आप उस टैलेंट के हर पहलु में माहिर हों। जैसे - कहानी के डायलॉग (dialogue) लिखने में आपका जवाब नहीं लेकिन आप कहानी के प्लॉट (plot) को तैयार करने में हर बार मात खाते हैं।
7. नकारात्मक सोच को जड़ से उखाड़ फेकेंः
एक नकारात्मक सोच आपकी योग्यता को अपाहिज बना सकती है। जितना आप नेगेटिव ख्यालों को दूर करते हैं, आप अपने टैलेंट को ढूंढ़ने और उसे निखारने में एक कदम आगे आते हैं। क्योंकि आपके दिमाग में अपने टैलेंट को लेकर कोई शंका नहीं होती है।
अपनी सोच के पैटर्न (pattern) को पहचाने। नकारात्मकता से लड़ने का सबसे पहला कदम हैं आप क्या क्या कर रहे हैं और कब कर रहे हैं जैसे पहलुओं पर ध्यान देना। ऐसा हो सकता हैं कि आप गलत चीज़ों को अपने दिमाग में आने की जगह देते हैं या फिर हर चीज़ को विनाशकारी रूप देने में नहीं चूकते। आप अपने बारें में क्या सोचते हैं, आप स्थितियों को कैसे लेते हैं और अपने टैलेंट को कितनी एहमियत देते हैं - इन सभी बातों पर गौर करना बहुत जरूरी है।
अपनी सोच पर थोड़ी नज़र रखें। आपको अपनी सोच पर थोड़ा ध्यान देना होगा तभी आप उसे बदलने की कोशिश कर सकते हैं। जैसे ही आप अपनी सोच में "गलत" को आते देखते हैं वही उसे रोक कर काबू में लाएं। और चीज़ों को पॉजिटिव रूप में देखें।
अपने आप से पॉजिटिव बात करने की कोशिश करें। तो दोस्तों ट्रिक ये है कि आपको अपनी नेगेटिव सोच को बाहर फेंकना है और पॉजिटिव सोच को अपनाना है। उदाहरण के लिए- जब आप एक व्यंजन को उस तरह न बना पाएं जैसे आपने सोचा था और आप अपने आप को एक असफल शेफ के रूप में देखने लगें तो अपनी सोच को बदलें और सोचें कि ये शायद थोड़ा चुनौतीपूर्ण था और मुझे अपनी वाली परफेक्ट डिश बनाने के लिए थोड़ी और प्रैक्टिस की जरुरत है। ऐसी सोच के साथ आप अपने आप को पॉजिटिव रखते हैं।
8. अपने और दूसरों के प्रति दयालु रहेंः
लोग अपने वजूद को अपने टैलेंट की वजह से देखते है और जब कभी वो टैलेंट असफल होता है (जो की अक्सर होता है) तो वो टूट जाते हैं और अपने आप को असफल इंसान की तरह देखने लगते हैं। अपनी खुशियाँ बनाए रखने के लिए अपनी योग्यताओं के प्रति दयालु रहें।
आप अपने टैलेंट को लोगों के लिए कुछ अच्छा करने के लिए भी इतेमाल कर सकते हैं। अपने टैलेंट को सिर्फ अपने लिए इस्तेमाल न कर दूसरों को ख़ुशी के बारें में सोचें। ऐसा करने से आप अंदर से एक संतुष्टि महसूस करेंगे। जैसे कि - अगर आप एक लेखक हैं तो आप अपने बीमार दोस्त को बेहतर महसूस करवाने के लिए उस पर कहानी लिख सकते हैं।
9. अपने आप को हमेशा चुनौती देते रहेंः
अक्सर प्रतिभाशाली लोग एक पॉइंट (point) पर आकर रुक जाते हैं, उनका टैलेंट उन्हें जहॉं तक ले आया वे वहीँ तक सीमित रह जाते हैं। अपने आप को उभारने या निखारने की कोशिश नहीं करते। अपने आप को हर दिन एक चुनौती दें ताकि आपको उसे पूरा करने का एक मकसद मिल पाए।
जब आप अपने आप को चुनौती देते हैं तो ये आपको विनम्र रहने में सहायता करता है। अपने टैलेंट पर गर्व करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन शेखी मारने और ये सोचने कि मैं तो कभी कुछ गलत नहीं कर सकता/सकती, आपके आस-पास के लोगों को इर्रिटेट (irritate) करता है। ऐसी मानसिकता से इंसान अंत में नीचे ही गिरता है।
अपने आप को उस काम में चुनौती दें जो आपको लगता है मैं उसकी रग-रग से वाक़िफ हूँ। तो आपने स्पेनिश भाषा अच्छे से सीख ली ? अब अपनी फेवरेट किताब को स्पेनिश में ट्रांसलेट (translate) करने की कोशिश करें। या फिर कोई उससे भी मुश्किल भाषा जैसे अरबी या चीनी भाषा सीखने की कोशिश करें।
जब भी आपको लगे कि आपने अपने टैलेंट का कोई पहलूँ अच्छे से सीख लिया है तो उससे भी बड़ी चुनौतियां अपने सामने रखें और उसे निखारने की भरसक कोशिश हमेशा जारी रखें क्योंकि सुधार का कोई अंत नहीं।
10. बाकी चीज़ों पर भी ध्यान देंः
कुछ ऐसी चीज़ों को भी अपना समय दें जिसका आपके टैलेंट से कोई लेना-देना नहीं। ऐसे काम जिसमे शायद आप कमजोर हैं या बुरे हैं या फिर ऐसे काम जिन्हे करना आपको अच्छा लगता है। ऐसा करके आप अपने आप को सिर्फ अपने टैलेंट तक ही सिमित नहीं रखते बल्कि और अनुभवों को भी प्राप्त करते हैं। उदाहरण के लिए - अगर आपका टैलेंट गणित में हैं तो कभी आर्ट तो कभी योग में भी अपना हाथ साफ़ करें।
अपनी एहमियत को अपने टैलेंट से कभी मत आंके। या फिर अपनी पूरी ज़िन्दगी अपने टैलेंट पर ही निर्भर ना रहने दें। आप अपने फोकस (focus) और मोटिवेशन (motivation) को तभी ज़िंदा रख सकते हैं जब आप टैलेंट को अपनी ज़िन्दगी काबू न करने दें।
11. अपने टैलेंट को जरा होशियारी से इस्तेमाल करेंः
उदाहरण के लिए -अगर आप एक प्रशिक्षित गायक हैं तो जरुरी नहीं कि प्रोफेशनल सिंगिंग में ही जा सकते हैं। आप अपनी योग्यता को बच्चों को म्यूजिक सिखाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
अपने आस-पास ध्यान से देखें और पता लगाए किस चीज़ की जरुरत है जो आपका टैलेंट पूरा कर सकती है। जब आप एक जरुरत का पता लगा पाते हैं तो आप अपनी जॉब खुद बनाते है। जैसे अगर आपको लोगों से मिलना अच्छा लगता हैं तो आप कोई ऐसा बिज़नेस शुरू कर सकते हैं जो आपकी कम्युनिटी (community) में लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है।
12. कोई ऐसा तरीका ढूंढें जिसमे आप अपना टैलेंट अपनी जॉब में इस्तेमाल कर सकेंः
उदाहरण के लिए - अगर आप में आर्ट का टैलेंट हैं और आप एक कॉफ़ी शॉप में काम करते हैं तो अपनी क्रिएटिविटी (creativity) से उस बेजान से ब्लैकबोर्ड में जान डालें या फिर अपने पैशन को कैफ़े लाटे (café latte) आर्ट को सीखने में डालें।
थोड़ा ठहरे और सोंचे कि कैसे आपका टैलेंट आपके सहकर्मियों या काम करने की जगह को फायदा दे सकता है। एक प्रॉब्लम के क्या क्रिएटिव और कुछ हटके हल हो सकते हैं।
13. कुछ ऐसा करें जिससे आपका टैलेंट जॉब के अलावा यूज़ हो सकेः
अगर ऐसा हो कि आप अपने टैलेंट को अपनी जॉब में प्रयोग नहीं कर पा रहे तो ऐसे अवसर ढूंढें जब ऐसा हो सके। आँखें खोल कर देखें -और भी तरीके हैं अपना टैलेंट अपने और दूसरों के लिए यूज़ करें।
अपने टैलेंट का कोई वीडियो या ब्लॉगिंग सीरीज़ तैयार करें। उदाहरण के लिए आपकी अरबी भाषा में पकड़ किसी और को अरबी सीखने में मदद कर सकती है।
ऐसे लोगों के साथ काम करें जिनका टैलेंट आपसे मिलता जुलता हो ताकि आप और सीख सकें। तरीका कोई भी हो ऑनलाइन या आमने-सामने। ऐसे करने में आपके टैलेंट को निखार के साथ-साथ एक मज़ेदार रूप मिल जाता है।
14. अपनी कम्युनिटी के लिए कुछ करेंः
अगर मैथ आपकी खासियत है तो अपनी कम्युनिटी के गरीब और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाएं। अगर एक्टिंग करने में आप माहिर है तो एक लोकल थिएटर कैंप बनाएं जहां रंगमच की दुनिया में अपना नाम बनाने वालों को मदद मिल सके। अपने आस-पास रह रहे परिवारों को गार्डनिंग के बारें में जानकारी दें इत्यादि। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि अगर आप किसी के लिए कुछ करना चाहते है तो एक साफ़ नियत की जरुरत है।
अपने क्षेत्र में किसी के गुरु बनें। उन बच्चों की सहायता करें जो आपके ही क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं। उन्हें सिखाएं और उनके टैलेंट को ढूंढ़ने में मदद करें।
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0x लैब्स, एक विकेन्द्रीकृत एक्सचेंज इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता, ने ग्रेलॉक पार्टनर्स, फोर्ब्स के नेतृत्व में सीरीज बी फंडिंग राउंड में $70 मिलियन का पर्याप्त फंडिंग हासिल किया है। की सूचना दी मंगलवार, समाचार के स्रोत के रूप में।
रिपोर्ट के अनुसार, राउंड में प्रतिभागियों में NFT मार्केटप्लेस OpenSea, Pantera Capital, Jump Crypto और Jared Leto शामिल थे। कंपनी के मौजूदा मूल्यांकन का खुलासा नहीं किया गया है।
कंपनी ने हाल ही में अपने जल्द-से-लॉन्च होने वाले एनएफटी प्लेटफॉर्म 'कॉइनबेस एनएफटी' के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनबेस के साथ भागीदारी की है। उस समय, घोषणा ने अपने ZRX टोकन मूल्य को 67% तक बढ़ाकर $ 1.18 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचा दिया। प्रेस समय में, टोकन था व्यापार $0.782 पर, पिछले दिन से 2.55% अधिक।
अपनी भविष्य की विकास योजनाओं के बारे में बताते हुए, 0x लैब्स के सह-संस्थापक और सह-सीईओ विल वॉरेन ने फोर्ब्स को बतायाः
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बता दें कि इस धमाके की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ इस एक चिट्ठी लगी है वो बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रही है। चिट्ठी में बताया गया है कि यह अभी सिर्फ ट्रेलर है। चिट्ठी में बीते साल अमेरिकी हमले में मारे गए ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी का जिक्र है। इससे अब ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए इजरायली दूतावास को निशाना बने गया है।
इजरायल दूतावास के CCTV फुटेज से पता चला है कि धमाके की जगह के पास ही एक कैब ने दो लोगों को छोड़ा था। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस कैब ड्राइवर तक पहुंचने में कामयाब रही है। ड्राइवर के बताए हुलिये के हिसाब से पुलिस दोनों लोगों का स्कैच भी तैयार करवा रही है। पुलिस को धमाके की जगह से एक लिफाफा और आधा जला स्कार्फ भी मिला है।
धमाके में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। इस बीच सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स ने बताया है कि इस ब्लास्ट को ध्यान में रखते हुए सभी एयरपोर्ट, अहम जगहों और सरकारी इमारतों में अलर्ट जारी कर दिया गया है, साथ ही सुरक्षा उपाय भी बढ़ाए गए हैं।
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ने बातचीत करते हुए बताया है कि जामुन एवं मेथी बीजों के मोमोज और लड्डू का नियमित सेवन करने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी की दूसरी लहर की चपेट में है तथा तीसरी लहर की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं। ऐसे में हमें अपने परिवार की सुरक्षा के लिए अपने खानपान तथा जीवन शैली का विशेष ध्यान रखना होगा। और ऐसी परिस्थितियों में अगर हम लोग देसी नुस्खा अपनाते हुए जामुन एवं मेथी के बीजों का पाउडर बनाकर स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजन भी बना सकते हैं। जो हमारे शरीर को किसी भी प्रकार की कोई हानि भी नहीं पहुंचाएगा और हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाएगा।
उन्होंने व्यंजनों के बनाने की विधि के बारे में विस्तार से बताया कि मूल्य संवर्धित लड्डू बनाने के लिए विभिन्न अनुपातों में गेहूं का आटा, जामुन के बीजों का पाउडर तथा मेथी बीज का मिश्रण तैयार किया गया। जिसमें 60:36:4, 60:32:8, 60:28:12 एवं 60:24:16 के अनुपात का मिश्रण तैयार किया गया।
उन्होंने बताया कि प्रयोगों द्वारा पाया गया कि 60:24:16 के अनुपात से बने लड्डू पौष्टिकता की दृष्टि से उत्तम पाए गए। इस अनुपात से बने लड्डू में प्रोटीन का औसत स्कोर 6. 86, वसा 11. 80, क्रूड फाइबर 1. 31 तथा एस 1. 27 ग्राम पाया गया।
उन्होंने कहा जबकि इसी अनुपात के मिश्रण से बने मोमोज प्रोटीन का औसत स्कोर 11. 28, कार्बोहाइड्रेट 75. 67, वसा 1. 94, क्रूड फाइबर 0. 80 एवं ऐश 1. 17 ग्राम पाया गया। उन्होंने बताया कि स्वाद की दृष्टि से 60:36:4 के अनुपातिक मिश्रण वाला लड्डू ज्यादा पसंद किया गया तथा 60:32:8 के अनुपातिक मिश्रण वाला मोमोज स्वाद की दृष्टि से पसंद किया गया।
जामुन के बीजों में जंबोलिन और जंबोसिन नामक पदार्थ होता है। जो ब्लड शुगर को बढ़ने नहीं देता एवं शुगर को भी नियंत्रित करता है। इसी प्रकार से मेथी के बीजों में डायोसजेनिन नामक यौगिक होता है जो एस्ट्रोन हार्मोन जैसा काम करता है। जिससे खांसी व गले तथा दांतों, गांठों के दर्द में आराम मिलता है। उन्होंने बताया कि इस तरह के मिश्रण तैयार कर लड्डू व मोमोज का सेवन कर के औषधीय गुणों का लाभ प्राप्त कर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए रखी जा सकती है तथा वायरस संक्रमित बीमारियों से बचा जा सकता है।
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सूर्य देव की क़ृपा दो-तीन दिनों से दिख रहा है. वरणा पिछले एक महीने से जन-जीवन लगभग अस्त- व्य स्त हो गया था. खास कर उत्तर भारत में पता नहीं ग्लोबल वॉरमिंग का असर है या आइस एज का. कुहा के कारण दो- तीन ट्रेनें आपस में भिड़ी, भारी संख्या में सड़क पर वाहन लड़े, कई मौतें भी हुई. सैकड़ो ट्रेनें रद्द हुई. विमान रद्द हुए. देरी से चलने वालों की तो शायद चर्चा करना ही व्यडर्थ है. लगता था जीवन का रफ़्तार थम सा गया है।
* विज्ञान के इस युग मे क्या इसका कोई इलाज नहीं?
* क्या हवाई अड्डों पर, सडकों पर, एवं रेल पटरियों पर कुहे से लड़ने का कोई साधन नहीं?
* क्या मौसम विज्ञान की भविष्यवाणी के हिसाब से यात्री को पूर्व सूचना नहीं दी जा सकती है ?
* क्या विलंब होने पर यात्रियों के सुविधा का ख्याल नहीं रखा जाना चाहिए ?
* घंटो लेट चल रही ट्रेन में यात्रियों के लिए खाने - पीने का कोई इंतजाम नहीं, यहाँ तक की बाथरूम में भी पानी उपलब्धह नहीं रहता.
* हवाई यात्री दर - दर भटकते रहे .
कोई मIई - बाप नहीं.
यह कहानी नहीं मेरा अनुभव है. ज़रा सोचो भाई ? कुछ करो ? क्योंकि यह मात्र एक दिन, एक सप्ताह, या एक महीने का नहीं, वरण हर वर्ष का मौसम होने वाला है.
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मुंबई (आईएएनएस)। मुंबई के पास इमेजिक थीम पार्क में आयोजित एक समारोह में कुल 1,356 लोगों ने आग पर चलकर 'फायरवॉक' का नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।
सोमवार को आयोजित समारोह में यह रिकॉर्ड मुंबई की एक कंपनी 'ज्वेलेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' के कर्मचारियों ने बनाया। इससे पहले, यह रिकॉर्ड 608 लोगों द्वारा बनाया गया था। आग पर चलना एक प्रकार की समकालीन तकनीक है, जिसे कंपनियों द्वारा कर्मचारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कर्मचारियों को उनके सीमित आत्मविश्वास से बाहर आने में मदद की जाती है।
'ज्वेलेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' के कर्मचारियों द्वारा बनाए गए इस रिकॉर्ड के दौरान गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारी बतौर निर्णायक मौजूद थे। इस कार्य को 'फायरवॉक' के छह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित प्रशिक्षकों आशीष अरोड़ा, लीना दास, के. बी. उन्नीकृष्णन, यूसुफ पॉलसन, राजेश राय और योगिश अरोड़ा के नेतृत्व में किया गया।
इस मौके पर 'फायरवॉक' प्रमाणित प्रशिक्षकों में से एक राजेश ने कहा, "अपने डर से जीतकर ही आप अपने जीवन को भरपूर आनंद के साथ जी सकते हैं। इस कार्य को व्यक्ति विशेष के लिए शक्तिशाली परिवर्तन रूपक के रूप में माना जाता है। इसके जरिए आपको अपने सीमित क्षेत्र या सोच से बाहर निकलने में मदद मिलती है।"
'फायरवॉक' का अनुभव करने वाले 23 वर्षीय प्रतिभागी सुयेषा तामोरे ने कहा, "यह मजेदार था। मुझे नहीं पता था कि मेरे भीतर इतना डर है। मैं खुश हूं कि मैंने इसकी कोशिश की। इस उपलब्धि को हासिल करने का अहसास बेहतरीन है।"
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हरियाणा के करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज से फरार कैदी को रविवार देर शाम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को आज पुलिस अदालत में पेश करेगी। बता दें कि बीती 14 व 15 फरवरी की रात को मेडिकल कॉलेज से पुलिस टीम को चकमा देकर कैदी सन्नी निवासी पानीपत फरार हो गया था।
आरोपी के फरार होने के बाद एसपी गंगा राम पूनिया द्वारा ड्यूटी के दौरान लापरवाही करने पर दो कर्मचारियों को सस्पेंड भी किया गया। जबकि ड्यूटी पर तैनात दो SPO को नोटिस भी जारी किया गया था।
जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज से फरार होने से 13 व 14 फरवरी की रात को आरोपी सन्नी ने जेल के बैरक में कपड़े से बनी रस्सी से फंदा लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। जिसके बाद आरोपी को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में दाखिल करवाया गया था। करनाल जेल उपअधीक्षक के बयान पर आरोपी के खिलाफ थाना रामनगर में आत्महत्या का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज किया गया था।
फरार होने के बाद से ही आरोपी की धरपकड़ के लिए सभी संभावित स्थानों पर पुलिस छापेमारी कर रही थी। इसी छापेमारी के दौरान शनिवार देर शाम को सिविल लाइन थाना की टीम ने आरोपी सन्नी को हांसी से गिरफ्तार कर लिया।
सिविल लाइन थाना के SHO ललित कुमार ने बताया कि आरोपी से प्रारंभिक पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह जेल में सजा काटने से बचने के लिए मेडिकल कॉलेज से फरार हुआ था। फरार होने के बाद आरोपी हांसी में अपने एक जानकार के पास छुपने के लिए जा रहा था। जिसको पुलिस टीम द्वारा दबिश देकर काबू कर लिया गया। आरोपी से अभी गहनता से पूछताछ जारी है।
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Female Fitness: कोरोना के आतंक को रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन है। जिसके कारण सभी दुकानें, पार्लर और जिम भी बंद हैं। वहीं फिटनेस का ख्याल रखते हुए महिलाओं ने घर पर ही एक्सरसाइज शुरू कर ही है। जिनमें से कुछ महिलाओं के एक्सपीरियंस हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं। जिसकी मदद से आप भी घर पर जिम वाली फिलिंग फील कर सकती हैं।
Female Fitness: लाइफ स्टाइल संबंधित बीमारी आने के बाद लोगों में फिटनेस को लेकर जागरुकता बढ़ी है। कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो महामारी के पहले से ही अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग हैं। लेकिन कोरोना ने जिम पर भी ताले लगवा दिए हैं। इस कारण विगत लंबे समय से जिम जाकर कसरत करने वाली महिलाएं अपने घरों पर ही अपनी फिटनेस का ख्याल रख रही हैं। महिलाओं का कहना है कि हम जिम में जितना वक्त बिताते हैं उतना ही समय घर पर भी कसरत के लिए देते हैं। जिम जाने के वक्त हम अपने आप को मुश्किल से घरों पर रोक कर रखते हैं और उसी समय पर कसरत शुरू करते हैं। महिलाएं इन दिनों अपने जिम को बहुत ही मिस कर रही हैं और घर पर ही मौजूद विभिन्न उपकरणों और जुगाड़ के माध्यम से अपनी कसरत जारी रखे हुए हैं।
शहर की पूजा रहेल जोशी बताती हैं मैं टीन एज से ही जिम जा रही हूं। लॉकडाउन के समय भले ही जिम जाकर कसरत नहीं कर पा रही हूं, लेकिन उतना ही समय घर पर ही कसरत करती हूं। जिम में सभी प्रकार के सामान रहते हैं लेकिन घर पर नहीं। बहुत सी चीजों से भी आसानी से अपनी कसरत की जा सकती है। पूजा बताती हैं मैं हमेशा की तरह डेढ़ घंटे का समय इसके लिए निकाल रही हूं। फर्श, सीढ़ी, रस्सी, स्ट्रेचिंग बैंड, दुपट्टे व अन्य चीजों से मैं अपनी कसरत पूरी कर रही हूं। जिम और घर में सिर्फ सामान का अंतर होता है। हमारा लक्ष्य शारीरिक गतिविधि होना चाहिए। अपने कसरत को लंबे समय के लिए ब्रेक करने से हम काफी पीछे हो जाते हैं। पूजा शहर में एक जिम का संचालन भी करती हैं।
शीतल उपाध्याय बताती हैं कि मैं पिछले 10 सालों से लगातार जिम जा रही हूं। अभी जिम के बजाए घर पर ही एक्सरसाइज कर रही हूं। हालांकि जिम जाने के समय के दौरान मैं बहुत मुश्किल से अपने आप को घर पर रोक पाती हूं। सुबह 9. 30 बजे से 11. 30 बजे तक मैं जिम में ही अपना समय बिताया करती थी। अब भी उतना ही समय अपने घर पर कसरत कर रही हूं और अपने बेटे को भी करवा रही हूं। शीतल बताती हैं कि जिम में सामान ज्यादा होता है और वहां जाने से लोगों को देखकर मोटिवेट होते हैं। लेकिन घर में इसके लिए स्वतः मोटिवेट होना पड़ता है। इस दौरान मैं वेट ट्रेनिंग के लिए ईंट, स्कूल बैग जैसे चीजों का इस्तेमाल करती हूं। साथ ही स्ट्रैचिंग के लिए बैंड, रस्सी व अन्य चीजों का उपयोग करती हूं। घर पर जिमिंग करते हुए मैं पहले की तरह की रूटीन फॉलो कर रही हूं, जिसमें कॉर्डियो, बैक, चेस्ट व अन्य कई तरह की कसरत शामिल है। शीतल उपाध्याय जेसीआई वामा कैपिटल में पदाधिकारी भी हैं।
पचपेड़ी नाका निवासी श्वेता देवांगन एमबीए स्टूडेंट हैं। वे बताती हैं कि मैं बहुत समय से जिम जा रही हूं, लेकिन लॉकडाउन के कारण घर पर ही अपने फिटनेस का ध्यान रख रही हूं। श्वेता बताती हैं पहले की तरह अब भी उतना ही समय अपने कसरत के लिए दे रही हूं, जितना जिम में देती थी। इस दौरान में कई एनर्जेटिक कसरतों के साथ स्ट्रैचिंग, चेस्ट, बैक, कॉर्डियो व अन्य सभी तरह के वर्कआउट कर रही हूं। इसके लिए घर पर ही रखे कुछ सामानों का उपयोग कर रही हूं, जिससे मैं एक्टिव रहूं।
सड्डू निवासी ज्योति साहू एक योग एक्सपर्ट हैं और सामान्य समय में पार्क में जाकर सामूहिक तौर पर योग किया करती थीं। लॉकडाउन ने उनकी भी दिनचर्या को थोड़ा प्रभावित किया है, लेकिन उनके योग को अधिक प्रभावित नहीं कर पाया है। ज्योति अब अपने घर पर ही हर दिन की तरह योग करती हैं और घर के सदस्यों को भी इसके लिए प्रेरित करती हैं। वे बताती हैं कि मैं सुबह पार्क में अन्य लोगों के साथ योग किया करती थी। लेकिन अब घर पर ही कर रही हूं, साथ ही ऑनलाइन माध्यम से भी अपने परिचितों को योग सीखा रही हूं।
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तृतीय स्थान- तृतीय उद्देश]
तीन स्थान निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों के लिए अहितकर, प्रशुभ, अक्षम ( प्रयुक्त ) मनिःश्रेयस ( प्रकल्याणकर) मनानुगामिक, प्रमुक्तिकारी और प्रशुभानुबन्धी होते हैं१. कूजनता-आतंस्वर मे करुण क्रन्दन करना।
२. कर्करणता- शय्या, उपधि आदि के दोष प्रकट करने के लिए प्रलाप करना ।
३ अपध्यानता - प्रातं और रौद्रध्यान करना ( ३८३ ) ।
३८४-सम्रो ठाणा णिग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हिताए सुहाए खमाए जिस्सेसाए प्राणुगामिप्रसाए भवंति, तं जहा प्रकूग्रणता, अकक्करणता, प्रणवज्झाणता ।
तीन स्थान निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियो के लिए हितकर, शुभ, क्षम, नि. श्रेयस एव प्रानुगामिता (मुक्ति प्राप्ति) के लिए होते हैं१. अकूजनता-प्रार्तस्वर से करुण ऋन्दन नही करना ।
२. अकर्करणता - शय्या आदि के दोषो को प्रकट करने के लिए प्रलाप नही करना । ३ अनपध्यानता - प्रातं- रौद्ररूप दुर्ध्यान नही करना ( ३८४ ) ।
३८५ -तम्रो सल्ला पण्णत्ता, तं जहा-मायासल्ले, णियाणसल्ले, मिच्छादसणसल्ले । शल्य तीन है - मायागल्य, निदान शल्य और मिथ्यादर्शन शल्य (३८५) ।
पाने से ।
३८६ - तिहि ठाणेह समणे जिग्गथे सखित्त विउल ते उलेस्से भवति, तं जहा- मायावणयाए, खतिखमाए, प्रपाणगेण तवोकम्मेण ।
तोन स्थानों से श्रमण निर्ग्रन्थ सक्षिप्त की हुई विपुल तेजोलेश्यावाले होते है.
१ लेने से सूर्य की प्रचण्ड किरणो द्वारा उष्णता सहन करने से ।
२ क्षान्ति क्षमा धारण करने से बदला लेने के लिए समर्थ होते हुए भी क्रोध पर विजय
३. श्रपानक तप कर्म से---निर्जल - जल विना पीये तपश्चरण करने से ( ३८६ ) ।
मिक्षु- प्रतिमा-सूत्र
३८७ - तिमासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स कप्पंसि तम्रो दत्तीश्रो भोघणस्स पडिगाहेत्तए, तम्रो पाणगस्स ।
त्रैमासिक भिक्षु प्रतिमा को स्वीकार करने वाले अनगार के लिए तीन दत्तिया भोजन की और तीन दत्तिया पानक को ग्रहण करना कल्पता है (३८७) ।
३८८- एगरातियं भिक्खुपडिमं सम्मं प्रणणुपालेमाणस्स अणगारस्स इमे तभो ठाणा महिताए |
भोपालः 66 दिन बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने चप्पल पहन ही लिया है। दरअसल, ग्वालियर की सड़कें सही नहीं थी और न हीं उनका निर्माण और न ही उनकी मरम्मत हो रही थी, ऐसे मे वे पिछले कई दिनों से इस बात से काफी नाराज थे।
इस कारण मंत्री जी ने एक दिन यह कहकर चप्पल-जूता को त्याग दिया था कि जब तक सड़कें नहीं बन जाती, वे अपने पैर में चप्पल-जूते नहीं पहनेंगे। ऐसे में अंत में मंत्री जी ने चप्पल पहन लिया और इसका एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें उन्हें चप्पल पहनते हुए देखा गया है।
ऐसे में राज्य के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा चप्पल-जूता को त्यागने के बाद इलाके में सड़कों की मरम्मत शुरू हो गई थी और अब उन सड़कों का काम पूरा होने वाला है। ऐसे में जब सड़कें ठीक होने वाली है तो नगर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रविवार को ग्वालियर पहुंचे और मंत्री तोमर को चप्पल पहनाना चाहा है।
उन्होंने मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के सामने चप्पल रखा और उनसे आग्रह कर चप्पल पहनने को कहा है। इसके बाद मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने चप्पल पहन लिया।
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बिहार के बेगूसराय में एक विदेशी महिला पर्यटक का शव कुत्तों ने नोच डाले। दरअसल, सड़क दुर्घटना में भूटान की रहने वाली महिला की मौत हो गई थी। पुलिस द्वारा महिला का शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया था। जिसके लिए चार पुलिस के जवानों की ड्यूटी भी लगाई गई थी। लेकिन शव पोस्टमार्टम हाउस के सामने पड़ा रहा और लापरवाही ऐसी कि कुता आकर शव को नोंच डाले। हालांकि, बाद में शव को वहां से हटा दिया गया।
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काफी समय से हिंदी न्यूज चैनल 'इंडिया डेली लाइव' (India Daily Live) की लॉन्चिंग का इंतजार जल्द खत्म होने जा रहा है।
हिंदी न्यूज चैनल 'इंडिया डेली लाइव' की लॉन्चिंग का इंतजार जल्द खत्म होने जा रहा है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार शमशेर सिंह के नेतृत्व में लॉन्च होने जा रहे इस चैनल की लॉन्चिंग डेट तय हो गई है।
हिंदी न्यूज चैनल 'भारत एक्सप्रेस' (Bharat Express) ने 'ऑपरेशन सत्य' नाम से चलाए गए एक स्टिंग में बड़ा खुलासा किया है।
रुबिका लियाकत ने एक ट्वीट कर यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका नया शो जल्द ही आने वाला है और उन्होंने दर्शकों से अपनी राय मांगी है।
'आजतक' के कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी ने प्रशंसकों के लिए अपने जन्मदिन के रिटर्न गिफ्ट के तौर पर माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म 'कू' (KOO) की प्रीमियम पेशकश पर एक विशेष चैनल लॉन्च किया है।
न्यूज एंकर रुबिका लियाकत 'भारत24' के हेड ऑफिस सोमवार दोपहर पहुंचीं जहां उनका स्वागत सीईओ और एडिटर-इन-चीफ डॉ. जगदीश चंद्रा ने किया।
वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश तिवारी ने 'टीवी9' (TV9) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह करीब पौने पांच साल से इस समूह में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार शमशेर सिंह के नेतृत्व में नोएडा से नया नेशनल हिंदी न्यूज चैनल 'इंडिया डेली लाइव' (India Daily Live) जल्द लॉन्च होने जा रहा है।
सीनियर जर्नलिस्ट बरखा दत्त द्वारा संचालित यू-ट्यूब चैनल 'मोजो स्टोरी' को हैक किए जाने की खबर सामने आयी है।
इससे पहले समूह का हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' (AajTak) यूके के मार्केट में लॉन्च हो चुका है।
नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (New Delhi Television Ltd. ) यानी कि 'एनडीटीवी' विभिन्न भारतीय भाषाओं में 9 न्यूज चैनल शुरू करेगा।
अंग्रेजी न्यूज चैनल 'इंडिया अहेड' (India Ahead) के प्रबंधन ने दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले में अपने पूर्व एंप्लॉयी अरविंद कुमार सिंह की गिरफ्तारी के बाद एक स्टेटमेंट जारी किया है।
'आजतक' में बतौर एडिटर काम कर रहे नीरज सिंह ने अब 'इंडिया डेली' (India Daily) के साथ अपनी नई पारी शुरू की है।
एक बड़े बिजनेस हाउस द्वारा लॉन्च किए जा रहे इस चैनल में लोगों के जुड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार मिहिर रंजन भी बतौर कंसल्टिंग एडिटर कुछ दिनों पहले इससे जुड़ चुके हैं।
भावना किशोर पर दलित महिला को कार से टक्कर मारने और उसके साथ गाली गलौज करने के आरोप में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
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किसान कल्याण मिशन के अन्तर्गत कृषि एवं कृषि आधारित गतिविधियों के माध्यम से किसान कल्याण तथा किसानों की आमदनी को दोगुना करने के अभियान के तहत बुधवार को जिले के सिधौली, पहला, मिश्रिख, सकरन, परसेण्डी, ऐलिया एवं पिसावां विकास खण्डों में मेला एवं गोष्ठी आयोजित किये गए।
सीतापुरः किसान कल्याण मिशन के अन्तर्गत कृषि एवं कृषि आधारित गतिविधियों के माध्यम से किसान कल्याण तथा किसानों की आमदनी को दोगुना करने के अभियान के तहत बुधवार को जिले के सिधौली, पहला, मिश्रिख, सकरन, परसेण्डी, ऐलिया एवं पिसावां विकास खण्डों में मेला एवं गोष्ठी आयोजित किये गए। इसमें एलिया में आयोजित कार्यक्रम प्रमुख था।
जिसमें डीएम विशाल भारद्वाज मौजूद रहे। यहां मुख्य अतिथि के रूप में इलाके की भाजपा सांसद रेखा वर्मा को आंमत्रित किया गया था लेकिन न सांसद पहुंची और न इलाके के भाजपा विधायक शशांक त्रिवेदी। इस कार्यक्रम में सिर्फ डीएम की आवभगत और उनका संबोधन ही खास था, बाकी सब रस्म निभाने जैसी नौबत रही। यहां आयोजित मेला एवं गोष्ठी का उद्घाटन जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने फीता काटकर किया। उन्होंने यहां लगाये गये स्टालों को भी देखा।
कार्यक्रम में दौरान कृषि विभाग, गन्ना विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, सिंचाई विभाग, पंचायती राज विभाग, बाल विकास पुष्टाहार विभाग, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग आदि विभागों द्वारा स्टाल लगाकर किसानों को आवश्यक जानकारियां दी गयीं तथा उनकी समस्याओं का भी निराकरण किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डा0 शैलेन्द्र सिंह ने कृषि विविधीकरण पर किसानों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी। जिलाधिकारी ने प्रगतिशील किसानों एवं अन्य योजनाओं के अन्तर्गत प्रस्तावित लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र भी वितरित किये।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने सभी को कृषि विविधीकरण अपनाकर उन्नत खेती करने के लिये प्रेरित किया। जैविक कृषि के लिये प्रेरित करते हुये जिलाधिकारी ने कहा कि जैविक खेती के माध्यम से उत्पादित उत्पादों की मांग शहरों में अधिक रहती है तथा किसान बेहतर प्रबन्धन से अधिक लाभ भी कमा सकते हैं। उन्होंने खेती के अतिरिक्त मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन, शहद उद्योग आदि के द्वारा भी आमदनी बढ़ाये जाने के लिये किसान भाइयों को प्रेरित किया।
जिलाधिकारी ने किसान कल्याण मिशन के अन्तर्गत आयोजित इस कार्यक्रम की उपयोगिता के विषय में बताते हुये सभी को प्रेरित किया कि यहां पर लगाये गये स्टालों से लाभान्वित हों एवं अपनी समस्याओं का निराकरण करायें। साथ ही कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताये गये उपायों को करके कम लागत में अधिक उत्पादन करके लाभान्वित हों।
जिलाधिकारी ने कहा कि जैसा कि हम सभी अवगत हैं भारत कृषि प्रधान देश है। जनपद सीतापुर की अधिकांश जनसंख्या भी कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि जैसा कि कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद में पहले मूंगफली का उत्पादन अधिक था तथा बाद में लोग अधिकांशतः गन्ने की कृषि करने लगे। यद्यपि जनपद सीतापुर में गन्ने का उत्पादन अधिक होने के साथ-साथ मिलों के माध्यम से उनकी अच्छी खरीद है तथा अन्य जनपदों से भुगतान की स्थिति भी बेहतर है।
फिर भी हमें कृषि में विविधीकरण को अपनाना चाहिये। सरकार का यह प्रयास भी है कि उन फसलों का उत्पादन अधिक किया जाये, जिनकी मांग अधिक है तथा किसान अधिक से अधिक लाभान्वित हों। कार्यक्रम में खण्ड विकास अधिकारी एलिया, ब्लाॅक प्रमुख सहित संबंधित अधिकारी व बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से आये कृषक उपस्थित रहे।
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शॉर्टकटः मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक, २००९ भारतीय संसद द्वारा सन् २००९ में पारित शिक्षा सम्बन्धी एक विधेयक है। इस विधेयक के पास होने से बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार मिल गया है। संविधान के अनुच्छेद 45 में 6से 14 बर्ष तक के बच्चों के लिये अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गयी है तथा 86 वें संशोधन द्वारा 21 (क) में प्राथमिक शिक्षा को सब नागरिको का मूलाधिकार बना दिया गया है। यह 1 अप्रैल 2010 को जम्मू -कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में लागु हुआ। . संसद भवन संसद (पार्लियामेंट) भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा (लोगों का सदन) एवं राज्यसभा (राज्यों की परिषद) होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन 'संसद भवन' में होता है। जो कि नई दिल्ली में स्थित है। लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है। जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है। .
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक, २००९ और भारतीय संसद आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक, २००९ 7 संबंध है और भारतीय संसद 36 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (7 + 36)।
यह लेख निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक, २००९ और भारतीय संसद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखेंः
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नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति ने गंगा को स्वच्छ बनाने के अभियान में तेजी लाने के लिए करीब 19 अरब रुपये लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान कर दी है।
कार्यकारिणी द्वारा मंजूर की गई 20 परियोजनाओं में से 13 उत्तराखंड से सम्बद्ध है जिनमें नए मलजल उपचार संयंत्रों की स्थापना, मौजूदा सीवर उपचार संयंत्रों का उन्नयन और हरिद्वार में मलजल नेटवर्क कायम करने जैसे कार्य शामिल हैं।
इन सभी पर करीब 415 करोड़ रुपये की लागत आएगी। हरिद्वार देश के सर्वाधिक पवित्र शहरों में से एक है, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। अनुमोदित योजना का लक्ष्य न केवल शहर के 1.5 लाख स्थानीय निवासियों द्वारा, बल्कि विभिन्न प्रयोजनों के लिए इस पवित्र स्थान की यात्रा करने वाले लोगों द्वारा उत्सर्जित मलजल का उपचार भी करना है।
इन सभी परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण वित्त पोषण किया जाएगा। यहां तक कि इन परियोजनाओं के प्रचालन और रख-रखाव का खर्च भी केंद्र सरकार वहन करेगी। उत्तराखंड में अनुमोदित अन्य परियोजनाओं में से चार परियोजनाएं अलकनंदा नदी का प्रदूषण दूर करने से संबंधित हैं, ताकि नीचे की तरफ नदी की धार का स्वच्छतर प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके। इसमें गंदे पानी के नालों को नदी में जाने से रोकने के लिए उनका मार्ग बदलना, बीच मार्ग में अवरोधक संयंत्र लगाना और साथ ही चार महत्वपूर्ण स्थानों - जोशीमठ, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और कीर्तिनगर में नए लघु एसटीपीज़ लगाना शामिल है, जिन पर करीब 78 करोड़ रूपये की लागत आएगी।
इनके अलावा गंगा का प्रदूषण दूर करने के लिए ऋषिकेश में 158 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली एक बड़ी परियोजना का अनुमोदन किया गया है। गंगा जैसे ही पर्वत से उतरकर मैदानी भाग में प्रवेश करती है, तो वहीं ऋषिकेश से नगरीय प्रदूषक गंगा में मिलने शुरू हो जाते हैं।
गंगा को इन प्रदूषकों से छुटकारा दिलाने के लिए ऋषिकेश में यह सर्व-समावेशी परियोजना शुरू करने को हरी झंडी दिखाई गयी है। इससे न केवल सभी शहरी नालों को ऋषिकेश में गंगा में जाने से रोका जा सकेगा बल्कि उत्सर्जित जल को उपचार के जरिए फिर से इस्तेमाल योग्य भी बनाया जाएगा।
ऋषिकेश संबंधी इस विशेष परियोजना में लक्कड़घाट पर 26 एमएलडी क्षमता के नये एसटीपी का निर्माण किया जाएगा जिसके लिए ऑनलाइन निगरानी प्रणाली की भी व्यवस्था है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 665 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से उत्कृष्ट प्रदूषक मानकों के साथ 564 एमएलडी क्षमता के अत्याधुनिक ओखला मलजल उपचार संयंत्र के निर्माण की परियोजना भी अनुमोदित की गयी है। यह संयंत्र मौजूदा एसटीपी फेज़- I, II, III और IV का स्थान लेगा। इसके अलावा पीतमपुरा और कोंडली में 100 करोड़ रुपये से अधिक अनुमानित लागत वाली नई मलजल पाइपलाइनें बिछाने की दो परियोजनाएं भी मंजूर की गयी है, ताकि रिसाव रोका जा सके।
पटना में कर्मालिचक और झारखंड में राजमहल में 335 करोड़ रुपये से अधिक लागत से मलजल निकासी संबंधी कार्यों का भी कार्य समिति की बैठक में अनुमोदन किया गया। वाराणसी में, जहां वर्ष भर लाखों तीर्थ यात्री आते हैं, गंगा के प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए सार्वजनिक-निजी-भागीदारी यानी पीपीपी मॉडल वाली 151 करोड़ रुपये की परियोजना का भी कार्यकारिणी की बैठक में अनुमोदन किया गया।
उज्जैन। मप्र के उज्जैन में मां-बेटी के साथ हुए दुष्कर्म मामले की जांच पुलिस ने तेज कर दी है। पुलिस ने 12 वर्षीय पीड़िता को तो ढूंढ लिया है, लेकिन उसकी मां लापता है। पुलिस आरोपियों की धरपकड़ के लिए 400 सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
पुलिस के मुताबिक, बच्ची की मां के साथ भी दुष्कर्म होने की आशंका है, लेकिन वो कहां है इसकी जानकारी नहीं है। बताया जा रहा है कि पीड़िता प्रयागराज के किसी इलाके की रहने वाली है। दोनों के उज्जैन में आने की वजह का पता नहीं चल सका है। पुलिस ने बताया कि बच्ची हाटकेश्वर विहार कालोनी में लावारिस घूमती रही। वहां से पैदल ही वह बड़नगर रोड पहुंची थी।
गौरतलब है कि 12 वर्षीय मासूम बड़नगर रोड पर मुरलीपुरा से आगे दांडी आश्रम के समीप मिली थी। मासूम के कपड़े खून से सने थे और वो कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी। इलाज के लिए उसे चरक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में पता चला कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। देर रात हालत खराब होने पर उसे इंदौर रेफर किया गया। पीड़िता की हालत में अब सुधार है।
मामला सामने आने के बाद पुलिस इसकी तफ्तीश में जुट गई है। पुलिस की कई टीमें शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है। करीब 400 से ज्यादा कैमरों की फुटेज खंगाली जा चुकी है।
बताया जा रहा है कि पीड़िता मानसिक रूप से बीमार भी है। चिंतामन बाईपास पर बनी हाटेश्वर विहार कालोनी सहित आसपास की कालोनियों के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे हैं। फुटेज में पीड़िता अर्धनग्न अवस्था में खून से सनी करीब ढाई घंटे तक घूमती हुई नजर आ रही है। लोगों ने डायल 100 पर सूचना दी थी।
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गोरा बादिल पदमिणी या घरुपई
पृथ्वी परगट रांण प्रताप, प्रतपइ दिन-दिन अधिक प्रताप ।
तस मंत्रीसर वुद्धिनिघांन, कावेड्यां कुलि तिलक समान ॥ ६१३ ॥ सांमिघरमि धुरि भांमुसाह, वयरी-वंस विघुंसण राह ।
तस लघु भाई ताराचंद, अवनि जाणि अवतरीज इंद्र ॥ ६१४॥ धूय जिम अविचल पालइ धरा, शत्रु सहू कीधा पाधरा । तसु आदेस लही सुभ भाइ, सभा सहित पांमी सुपसाइ ॥ ६१५॥ वात रची ए वादिल तणी, सांमिघरमि अति सोहामणी । वीररस सिणगार विशेष रस वे सरस इ सवित्तेप ॥ ६१६ ॥ सुणतां सवि सुख संपद मिलइ, भणतां भावठि दूरई टल । ऊजम अंगि हुइ अति घणु, मुहकम जाणइ करि मंत्रणु ।। ६१७ ॥ षट सित षोडस गाथा वंधि, सुणिउ तिसु भाष्यु संबंध । अधिक ऊन जे हुइ उच्चरिडं, सयण सुणी ते करयो खरुं ।। ६१८ ॥ सामिधरम पालंतां सदा, सगली आव घरि संपदा । सुर नर सहू प्रसंसा करई, वरमाला लै लिखमी वरइ ॥ ६१६ ॥
इति श्री गोरायादिल-चरित्रे । बादिल-जयलक्ष्मी-वर्णनो नाम प्रथमः खंडः ।। संवत् १६४६ वर्षे मगशिर सुवि १५ दिने श्री सादडी मध्ये । वा० हेमरत्नेन लिखितं ।। श्रीरस्तु ।। कल्यारण भूयात् ।। मगलाभ्युदयोस्तु ॥ ( १e b. ) |
VARANASI (20 Oct)
गुरुवार को विदाई और स्वागत समारोह एक साथ आयोजित हुए, जहां एक तरफ कलक्ट्रेट में जिले के पूर्व डीएम विजय किरण आनंद के विदाई समारोह का आयोजन हुआ तो वहीं से कुछ दूरी पर सर्किट हाउस में नए डीएम योगेश्वर राम का स्वागत हुआ। बुधवार को प्रदेश सरकार ने बनारस के डीएम विजय किरण आनंद को हटाकर उन्हें विशेष सचिव, सिंचाई एवं जल संसाधन के पद पर नियुक्त किया तो वहीं योगेश्वर राम को जिले का नया डीएम नियुक्त किया गया।
गुरुवार दोपहर डीएम विजय किरण आनंद को कलेक्ट्रेट कर्मियों ने विदाई दी। इस दौरान माहौल काफी भावुक दिखा। कुछ कर्मचारियों ने भावपूर्ण कविता से वहां मौजूद लोगों को भी भावुक कर दिया। यह देख विजय किरण आनंद ने सभी को ढांढस दिया और उन्होंने बताया कि अब वे शासन में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बनारस दिल में है यहां हो रहे काम आगे भी होते रहेंगे, इसके बाद वे लखनऊ के लिए रवाना हो गए।
गुरुवार को बनारस पहुंचे योगेश्वर राम मिश्र ने परम्परा के अनुसार बाबा विश्वनाथ के दरबार और कालभैरव मंदिर में मत्था टेका और उसके बाद अपनी नई ड्यूटी ज्वॉइन की। उनके सर्किट हाउस पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने स्वागत के बाद मीडिया से बात करते हुए हुए कहा कि लॉ एंड ऑर्डर के साथ कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने राजघाट पुल पर भगदड़ के दौरान ख्भ् लोगों की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि इस घटना से प्रशासन आगे के आयोजनों में सीख लेकर सचेत होकर काम करेगा।
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क्राइम वेब सीरीज 'मिर्जापुर 2' लोगों के जहन में छाई रही। इस क्राइम सीरीज़-2 में महिलाओं का जोरम-जोर ज्यादा दिखा है। ऐसे में मिर्जापुर की पहली सीरीज की अपेक्षा मिर्जापुर -2 में पुरूष अभिनेताओं का दबदबा महिलाओं से कुछ कम रहा।
नई दिल्ली। बीते दिनों अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई क्राइम वेब सीरीज 'मिर्जापुर 2' लोगों के जहन में छाई रही। इस क्राइम सीरीज़-2 में महिलाओं का जोरम-जोर ज्यादा दिखा है। ऐसे में मिर्जापुर की पहली सीरीज की अपेक्षा मिर्जापुर -2 में पुरूष अभिनेताओं का दबदबा महिलाओं से कुछ कम रहा। क्योंकि सीरीज के पहले पार्ट में महिलाओं को डरा सहमा हुआ दिखाया गया था, लेकिन दूसरे पार्ट में 'मिर्जापुर 2' में महिलाओं ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों पर अपने तरीकों से आवाज़ उठाते हुए दिखाया गया है। ऐसे में चाहें वो गोलू गुप्ता हों या फिर कालीन भइया की पत्नी बीना ही क्यों न हों और या उनकी नौकरानी राधा।
इस सीजन आई 'मिर्जापुर 2' में महिला किरदारों को काफी ज्यादा पसंद किया गया है। अब वैसे तो 'मिर्जापुर 2' की लगभग हर एक्ट्रेस को आप पहचानते होंगे, आज हम आपको उस एक्ट्रेस के बारे में बताते हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे।
जीं क्या आपने 'मिर्जापुर' में कालीन भइया की नौकरानी राधा पर गौर फरमाया है? हां उसी नौकरानी की बात कर रहे है, जो पूरी सीरीज़ में डरकर रहती है। वहीं नौकरानी जिसका मुन्ना त्रिपाठी और सत्यानंद त्रिपाठी शोषण करते हैं और अंत में वो इस शोषण का बदला लेती है।
ऐसे में इस सीरीज़ में डरी सहमी दुबकी सी रहने वाली राधा जिसका असल जिंदगी में नाम प्रशंसा शर्मा वो अपने किरदार से बिल्कुल विपरीत है। प्रशंसा असल जिंदगी में काफी बोल्ड हैं। इनका इंस्टाग्राम एकाउंट देखेंगें तो उनकी बोल्डनेस देखकर एक बात तो पक्की है, कि कुछ हो चाहे न हो, लेकिन इनके देखकर आपकी आंखे खुली की खुली जरूर रहने वाली हैं।
झारखंड की रहने वाली प्रशंसा शर्मा ने देहरादून के वेलहम गार्ड स्कूल से पढ़ाई की है। फिर इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से दर्शनशास्त्र से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया है। इसके बाद प्रशंसा मुंबई आ गईं और यहां उन्होंने प्राग फिल्म स्कूल और ड्रामा स्कूल इन मुंबई में पढ़ाई की। अब प्रशंसा मुंबई में ही रह रही हैं। प्रशंसा को पहचान 'मिर्जापुर' से ही मिली है।
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यदि आपको तत्काल वजन कम करने की जरूरत है, उदाहरण के लिए,एक महत्वपूर्ण घटना केवल एक हफ्ते है, और आप कुछ अतिरिक्त किलोग्राम से छुटकारा पाने के लिए स्पष्ट रूप से अधिक वजन, तो आपको सूटकेस की सहायता करें "सप्ताह के लिए वजन कम करें"। मांस के साथ पारंपरिक मेनू। " संपूर्ण आहार 5 दिनों के उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है और नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात के खाने के अलावा, जेली और कॉम्पोट को साफ करने के अलावा, इसमें शामिल है वजन कम करने के अनुसार, इस प्रणाली के आवेदन की संपूर्ण अवधि के लिए, आप कुछ अतिरिक्त पाउंड खो सकते हैं, जबकि भूख की एक मजबूत भावना का अनुभव नहीं करते हैं। सूटकेस की सामग्री, व्यंजन और सिस्टम के बारे में प्रतिक्रिया के बारे में, हमारे लेख को पढ़ें।
यह प्रणाली, एक रूसी कंपनी द्वारा उत्पादित"लेविट" में, सूक्ष्म व्यंजन होते हैं, जिनमें से प्रत्येक व्यक्ति को एक अलग-अलग पाउच में पैक किया जाता है। आपको बस इतना जरूरी है कि पैकेज में बताए गए अनुसार गर्म पानी वाली सामग्री का काढ़ा करें, एक मिनट रुको, और फिर खुशी से इसे खाएं इस आहार का पालन करना आसान है, क्योंकि आप काम करने, आराम करने और यात्रा के लिए अपने साथ पैक भोजन ले सकते हैं, क्योंकि उबलते पानी हर जगह मिल सकता है। यह देखते हुए कि आप नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना नहीं याद करते हैं, आपको भूखा नहीं करना पड़ता है।
दैनिक आहार का ऊर्जा मूल्य इसके बारे में है500 किलो कैलोरी, जो बहुत छोटा है, इसलिए यदि आप सभी 5 दिनों का सामना कर सकते हैं जिसके लिए "हफ्ते का वजन एक सप्ताह" की गणना की जाती है, तो 2 या 3 किलोग्राम की हानि आपको व्यावहारिक रूप से गारंटी दी जाती है। लेकिन सेट से केवल व्यंजन खाने के लिए महत्वपूर्ण है, चरम मामलों में आप अपने आहार को हरी सब्जियां, एक चिकन अंडे या उबला हुआ चिकन स्तन का एक छोटा टुकड़ा के साथ पूरक कर सकते हैं। निर्माता का कहना है कि "हम एक सप्ताह में वज़न में वजनः पारंपरिक मेनू के साथ मांस" के सेट पर कोई मतभेद नहीं हैं, लेकिन उत्पादों में शामिल कुछ अवयवों के लिए एलर्जी संभव है (ध्यान से किट के निर्देश पढ़ें)। इसके अलावा, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, विशेष रूप से तीव्र चरण में, और 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए सिस्टम का उपयोग करना बेहतर नहीं है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो लोग ईमानदार हैंनिर्माता की सिफारिशों के बाद (सभी 5 दिनों के दौरान सेट से केवल भोजन खाने के लिए और एक दिन में शुद्ध पानी की निर्धारित मात्रा पीना), कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
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न्यूज डेस्कः अगर आप ग्रुप सी के पदों पर नौकरी करना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर हैं। क्यों की उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा ग्रुप सी के 746 पदों पर भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली गई है। इच्छुक उम्मीदवार आज से ऑनलाइन के द्वारा आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन आवेदन करने की प्रारंभिक तिथि 12 मार्च 2020 हैं।
ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 26 अप्रैल 2020 है।
डेटा एंट्री ऑपरेटर, जूनियर असिस्टेंट, जूनियर असिस्टेंट कम डेटा एंट्री ऑपरेटर, जूनियर असिस्टेंट कम कंप्यूटर डेटा एंट्री ऑपरेटर, कर संग्रहकर्ता, अमीन/भूमि अध्याप्ति निरीक्षक, सर्वे लेखपाल, रिकॉर्ड कीपर, पेशकार, टेलीफोन ऑपरेटर, रिशेप्सनिस्ट।
आवेदन प्रक्रिया।
ऑनलाइन आवेदन के लिए आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट www. sssc. uk. gov. in पर जाएं। इसके बाद होमपेज पर वन टाइम रजिस्ट्रेशन पर जाएं। अब अपना लॉग-इन आईडी और पासवर्ड बना लें। इसके बाद आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
योग्यता।
इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता पदों के अनुसार अलग-अलग निर्धारित हैं।
कैसे करें आवेदन।
इच्छुक उम्मीदवार आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
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भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO) के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए हैं. आवेदन प्रक्रिया 14 नवंबर 2020 से शुरु हो गई है.
इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवार इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (IBPS) की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने की आखिरी तारीख 04 दिसंबर 2020 है.
संस्था का नाम- भारतीय स्टेट बैंक (SBI)/ इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (IBPS)
पद नाम- प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO)
शैक्षणिक योग्यता- उम्मीदवार ने किसी मान्यता प्राप्त संस्थान/विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक की परीक्षा पास की हो.
आयु सीमा- उम्मीदवार की आयु कम से कम 21 साल और अधिकतम 30 साल होनी चाहिए. वहीं आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में नियमानुसार छूट दी जाएगी.
इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवार इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (IBPS) की आधिकारिक वेबसाइट https://ift. tt/32JkuEC पर विजिट कर आवेदन कर सकते हैं.
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पशु भोजन की कमी दुबला आहार में प्रोटीन की कमी के समान नहीं है। सफेद मांस और अंडे का योग्य प्रतिस्थापन प्रोटीन फलियों में समृद्ध हो सकता है, जिसे लगभग किसी भी पकवान के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इस सामग्री का मुख्य नायक मटर सूप के लिए नुस्खा होगा, किसी भी मानक मांस सूप में इसकी विविधता की विविधता में कम नहीं है।
सूप की मलाईदार स्थिरता के बारे में ऊब और एक ही स्वाद के लिए, यदि आप तेल की avocado लुगदी का एक पकवान जोड़ना नहीं है। अन्य चीजों के अलावा, यह ताजा मटर के साथ, एक आकर्षक उज्ज्वल हरे रंग के रंग के साथ पकवान प्रदान करेगा।
सामग्रीः
- जमे हुए हरी मटर - 320 ग्राम;
- एवोकैडो (मध्यम) - 1 पीसी।
- लहसुन - 1 दांत;
- तुलसी के पत्ते - 3 टुकड़े;
- पानी 115 मिलीलीटर;
- सोया दूध - 115 मिलीलीटर।
Defrost मटर, इसे नमकीन उबलते पानी में blanching। हड्डियों और छील से एवोकैडो लुगदी को अलग करना, इसे मटर के साथ एक ब्लेंडर में डाल दें। लहसुन काट, कुचल तुलसी के पत्तों से प्यूरी जोड़ें और तरल में डालें - पानी और सोया दूध का मिश्रण। सूप प्यूरी-जैसी स्थिरता प्राप्त होने तक सभी अवयवों को एक साथ मिलाएं। यदि आप चाहते हैं, तो आप अतिरिक्त तरल डालना कर सकते हैं। बहुत अंत में सूप नमक। ठंडा की सेवा करो।
क्लासिक, बहुमत की समझ में, मटर सूप में सबसे उबले हुए और खुली मटर होते हैं जो उपलब्ध सब्ज़ियों, आमतौर पर प्याज और गाजर के भुना के साथ होते हैं। हम सुझाव देते हैं कि आप पुराने के आधार को छोड़ दें, लेकिन इसे थाइम और नींबू के रस के साधारण स्वाद के साथ विविधता दें।
सामग्रीः
- प्याज - 115 ग्राम;
- अजवाइन के डंठल - 95 ग्राम;
- लहसुन - 2 दांत;
- थाइम शाखाएं - 3 पीसी।
- सूखे कटा हुआ मटर - 1 9 0 ग्राम;
- सब्जी शोरबा - 340 मिलीलीटर।
कटा हुआ प्याज और अजवाइन के डंठल से सब्जी भुना तैयार करें। जब सब्जियां आधा पकाया जाता है, तो लहसुन के चाइव और थाइम पत्तियों का पेस्ट डाल दें। इसे धोने के बाद, कटा हुआ मटर डालो। पैन की सामग्री को एक गिलास पानी के साथ सब्जी शोरबा के साथ डालें और मटर को नरम होने तक 40-45 मिनट तक पकाएं। साइट्रस के रस के साथ सूप तैयार करें।
आप मल्टीवार्केट में इस दुबला मटर सूप के लिए रेसिपी दोहरा सकते हैं, पहले "बेकिंग" पर सामग्री फ्राइंग कर सकते हैं, और फिर पानी डालना और बीप तक "सूप" मोड में खाना बनाना छोड़ सकते हैं।
सामग्रीः
- प्याज - 135 ग्राम;
- लहसुन - 5 दांत;
- फूलगोभी - 340 ग्राम;
- गाजर - 160 ग्राम;
- हरी मटर - 310 ग्राम;
- कद्दू - 210 ग्राम;
- चैंपियन - 180 ग्राम;
- सब्जी शोरबा - 1. 2 लीटर।
गाजर-प्याज भुना हुआ कुक और इसमें मशरूम जोड़ें। जब सभी मशरूम नमी वाष्पित हो जाती है, तो कई लहसुन के दांतों को निचोड़ें, कद्दू के क्यूब्स और गोभी की कलियों को तलना में डाल दें। इसके बाद, हरी मटर डालें और इसे शोरबा से भरें। सब्ज़ियों को नरम होने तक लगभग आधे घंटे तक सांस लेने दें, और फिर ब्लेंडर के साथ सूप को रगड़ें।
सामग्रीः
- हरी प्याज - 3 पंख;
- सब्जी शोरबा - 1,1 एल;
- जमे हुए मटर - 920 ग्राम;
- ब्रोकोली का फूलना - 420 ग्राम;
- हरी अजमोद और टकसाल का एक मुट्ठी भर;
- प्याज - 140 ग्राम;
- सोया दूध - 320 मिलीलीटर।
प्याज के Spasseruyte टुकड़े और उन्हें शोरबा के साथ डालना। एक बुलबुले शोरबा में गोभी और मटर की inflorescences जगह। गोभी inflorescence नरम होने तक सब कुछ लपेटें, और फिर एक साथ रगड़ें। पकवान को एक मलाईदार स्वाद देने के लिए, आप सोया दूध के साथ सूप पूरक कर सकते हैं, लेकिन यह आवश्यक नहीं है। कटा हुआ साग तैयार तैयार सूप में जोड़ें और तुरंत सेवा करें।
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Daikon - विदेशी संयंत्र, रूसी पररसोई उद्यान बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। और पूरी तरह से बेकार में। यह सब्जी एक कम कैलोरी, तैयारी (जो, उबाल कर सकते हैं तलना, स्टू या खाया ताजा), विकसित करने के लिए आसान में बहुमुखी है, पेट और आंतों को बेहतर बनाता है एंटीसेप्टिक गुण है, जिगर और गुर्दे शुद्ध। डिकॉन से उत्कृष्ट सलाद तैयार करना संभव है, जो विशेष रूप से उन लोगों द्वारा पसंद आएंगे जो एक आहार का पालन करते हैं।
जापानी से अनुवादित है, यह रूट फसलसचमुच "बड़ा जड़" कहा जाता है इसकी एक लंबी बेलनाकार आकृति है और मूली की तुलना में गाजर की तरह अधिक है, जो एक रिश्तेदार है। आकार वास्तव में विशाल तक पहुंच सकता है, हमारी मिट्टी में 4-5 किलो वजनी जड़ फसल पैदा करना आसान है। स्वाद काफी निविदा है, बिना तीखेपन और कड़वाहट के, मूली की तरह नहीं। डिकॉन, जिसकी तस्वीर नीचे प्रस्तुत की गई है, उसे एक गोल आकार दिया गया है, लेकिन यह स्वाद करने के लिए बेलनाकार से भिन्न नहीं है और यह बहुत बड़े आकार में भी पहुंच सकता है, केवल नकारात्मक यह है कि यह स्टोर करने के लिए बहुत सुविधाजनक नहीं है।
पूर्ण परिपक्वता तक वृद्धि अवधिऔसत 60-70 दिन जुलाई में मध्य-गर्मियों में सीडिंग सबसे अच्छा किया जाता है। मिट्टी प्रकाश और उपजाऊ होनी चाहिए याद रखें कि सब्जी काफी बड़ी है और बहुत सारे स्थान की आवश्यकता होगी। मिट्टी को अच्छी तरह से खुदाई की जरूरत है, बुझाने और सुपरफॉस्फेट (40 ग्राम प्रति वर्ग मीटर) जोड़ें। यदि आप बाद में बगीचे की पतली नहीं करना चाहते हैं, तो पंक्तियों के बीच, 0.5 सेंटीमीटर तक जगह छोड़नी चाहिए, 10 सेंटीमीटर की दूरी पर, एक समय में बीज बोना सर्वोत्तम है। तो यह पानी के लिए अधिक सुविधाजनक होगा, पौधों को ढुलाना और डिकॉन की कटाई के समय आसानी से पहचानें। आप इसे सुरक्षित करने के लिए एक छेद में तीन बीज लगा सकते हैं, फिर दो पत्तियों के स्तर पर, सबसे बड़े पौधे को छोड़ने, शेष वाले को निकालने या किसी दूसरे स्थान पर प्रत्यारोपण करने के लिए आवश्यक होगा। यदि डाइकॉन बहुत जल्दी लगाया जाता है, तो सबसे अधिक संभावना यह शूटर में चलेगा और खिल जाएगा। यह इस तथ्य की वजह से है कि यह पौधे थोड़ी सी दिन की रोशनी है, और इसलिए गर्मियों के दूसरे छमाही में डाइकन को लगाने के लिए वांछनीय है।
डिकॉन को जलमग्न पसंद नहीं है, बल्कि सूखा में भीयह खराब बढ़ेगा इसलिए, इस मुद्दे में मुख्य चीज मॉडरेशन है। तीन असली पत्तियों की उपस्थिति के बाद पानी भरने वाला उर्वरक किया जाना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए उपयोग करें मूलीन और यूरिया का सबसे अच्छा आसवन है।
बहुत पहले और मुख्य दुश्मन एक पिस्सू हैक्रसफेरस, यह नुकसान बहुत बुरी तरह से छोड़ देता है। दूर डराने के लिए, राख का उपयोग करें, जो बिस्तर पर नम मिट्टी से छिड़का हुआ है। इसकी उपस्थिति को रोकने के लिए, कई माली डायनियों के साथ डिकॉन को रोटी लगाने की सलाह देते हैं। यह कंपित क्रम में किया जा सकता है मई में आपको एक दूसरे से 20 सेमी की दूरी पर एक धनुष लगाने की जरूरत है। और 1-1.5 महीनों के बाद, संयंत्र डाइकन बीज। इस समय तक, हरी प्याज काफ़ी बढ़ने लगेगा, जिसमें से गंध सूक्ष्म रूप से कीट से डरते हैं। आप पानी के लिए गर्म लाल मिर्च का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
डिकॉन के एक अन्य प्रेमी वायरवर्म हैं वे जड़ फसल के लुगदी को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, कई छेद कर रहे हैं, ऐसी सब्जियां भंडारण के लिए व्यावहारिक रूप से अनुपयुक्त होगी। वायरवूम से छुटकारा पाने के लिए बहुत मुश्किल है, जैसा कि एक नियम के रूप में साइट पर सभी मिट्टी संक्रमित है।
विभिन्न प्रकार के आधार पर फसल काटने का काम किया जाता है40-70 दिन शीत शुष्क मौसम की स्थापना के बाद देर से पकने वाली किस्मों को साफ करना चाहिए, लेकिन ठंढ से पहले। यदि तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, तो जड़ फसल, कम से कम जमीन, फैला हुआ हिस्सा, क्षतिग्रस्त हो जाएगा। भविष्य में, यह लंबी अवधि के भंडारण को रोक देगा। इसलिए प्रत्येक किस्म के लिए यह समय जानने के लिए महत्वपूर्ण है - जब डाइकन को साफ किया जाए यदि मिट्टी भारी है, तो सबसे ऊपर खींच सकते हैं, बहुत लंबा रूट टूट जाएगा। इस मामले में, आपको सावधानीपूर्वक एक फावड़ा या पिचफोर्क्स के साथ खोदने की ज़रूरत है।
इसके बाद, डैकॉन को हवा पर झूठ बोलने की इजाजत दी जानी चाहिए ताकि उस जमीन पर बने रहने वाले सूख और सुस्त हो जाए। लेकिन सब्जी को सीधे सूर्य के प्रकाश में न रखें, यह फ्लेब से शुरू हो सकता है।
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अमरावती, 25 मार्च । तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता नरेंद्र कुमार धुलिपल्ला ने गुरुवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी पूर्व सीएम नारा चंद्रबाबू नायडू को बदनाम करने के लिए एक अत्याचार की साजिश को आगे बढ़ाने के लिए सीआईडी अधिकारियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि रेड्डी अमरावती की राजधानी को कुचलने के लिए निर्धारित भूमि मुद्दे का उपयोग कर रहे हैं।
धुलिपल्ला ने दावा किया कि राजधानी शहर की छवि को धूमिल करने के लिए झूठे साक्ष्य बनाने के लिए सीआईडी पुलिस ने इस प्रक्रिया में टीडीपी प्रमुख की भूमिका को गलत साबित करने में कोई संकोच नहीं किया।
टीडीपी नेता ने दावा किया कि सीआईडी के अधिकारियों ने राजधानी शहर के निवासियों को कथित रूप से हस्ताक्षर करने के लिए उनसे यह पुष्टि करने में संकोच नहीं किया कि वे अपनी असाइन की गई जमीनों को स्वेच्छा से बेचते हैं या नहीं।
उन्होंने दावा किया, लेकिन तब इन अप्रशिक्षित निवासियों को नायडू के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने के लिए शिकायतकर्ता के रूप में दिखाया गया था।
धूलिपल्ला ने कुछ वीडियो जारी किए जिनमें दावा किया गया कि वे स्ट्रिंग ऑपरेशन कर रहे हैं और दावा किया है कि अमरावती के निवासियों ने लैंड पूलिंग के दौरान अपनी जमीनों की बिक्री के बारे में कथित तौर पर सीआईडी से शिकायत नहीं की थी।
उन्होंने कहा कि सीआईडी ने आकर उनके हस्ताक्षर एकत्रित किए। उन्हें बताया गया कि यह जांच के लिए है कि वे उन जमीनों के मालिक हैं या नहीं।
तेदेपा नेता ने दावा किया कि वीडियो सरकारी साजिश के साक्षी हैं और आरोप लगाया कि सीआईडी के अधिकारी भी ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कि वे वाईएसआरसीपी के कार्यकर्ता हों।
उन्होंने कहा, एक कांडा पावनी से हस्ताक्षर गलत तरीके से लिया गया था, जो अमरावती राजधानी का निवासी था। अब उसने कहा कि अगर उसने वाईएसआरसीपी सरकार की योजना के बारे में जाना होता, तो सीआईडी द्वारा दिए गए दस्तावेज में हस्ताक्षर नहीं होते।
उन्होंने आगे दावा किया, अगर रेड्डी में कोई साहस था, तो उन्हें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने खुद विधानसभा में स्वागत किया और अमरावती को विकसित करने के लिए 30,000 एकड़ जमीन देने का अनुरोध किया।
Disclaimer: This story is auto-generated from IANS service.
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DRM बैरागढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचे, जहां उन्होंने कुबेरेश्वर धाम जाने वाले भक्तों से चर्चा की। साथ ही, कर्मचारियों को आवश्यक दिशा- निर्देश दिए।
Bhopal News : राजधानी भोपाल के सीहोर जिले में चल रहे रूद्राक्ष महोत्सव में लाखों की संख्या में श्रद्धालु सीहोर पहुंच रहे है। कोई बस से वहां पहुंच रहा है तो कोई ट्रेन से। जो लोग ट्रेन से यहां पहुंच रहे हैं वो श्रद्धालु कल से बैरागढ़ रेलवे स्टेशन पर भी डेरा जमाए हुए है। इन श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत न हो रेलवे स्टेशन पर इसे लेकर डीआरएम बैरागढ़ पहुंचे। जहां वो बैरागढ़ स्टेशन पर 10 मिनट ही रूके।
यहां पर उन्होंने रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म क्रमांक एक पर ही मौजूद यात्रियों से बातचीत की। साथ ही, उन्होंने स्टेशन मास्टर को यात्रियों के लिए पर्याप्त पानी, बैठने की उचित व्यवस्था, साफ- सफाई और आरपीएफ बल पर्याप्त संख्या में रखने के निर्देश दिए। डीआरएम ने स्टेशन मास्टर को यह भी निर्देश दिए की यात्रियों को किसी तरह की कोई भी दिक्कत न हो इसका विशेष ध्यान रखे।
उन्होंने कहा ट्रेनों के आवागमन की जानकारी लाउड स्पीकर से बार- बार स्टेशन पर प्रसारित करें। साथ ही, हर परिस्थति की जानकारी के लिए रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत सूचित करें ताकि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो सके। इस महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए आने वाले भक्तों के लिए रेलवे द्वारा एक पैसेंजर ट्रेन चलाई जा रही है। यह ट्रेन भोपाल से सीहोर, बैरागढ़ और अन्य छोटे- छोटे स्टेशन पर जाएगी। यात्रियों को लाने एवं ले जाने का कार्य करेंगी। यह ट्रेन दिन भर में चार फेरे करेगी।
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बुढाना। सडक हादसे मे एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि उसके चार अन्य साथी घायल हो गए। जिन्हे पुलिस ने उपचार के अस्पताल भिजवाया गया। युवक की मौत से परिजनो मे कोहराम मचा रहा।
जानकारी के अनुसार आज सुबह बुढाना कोतवाली क्षेत्र के मेरठ-करनाल मार्ग हाईवे पर ट्रक की चपेट मे आ जाने से टै्रक्टर-ट्राली सवार एक युवक की मौत हो गई।
तथा ट्राली मे सवार उसके चार अन्य साथी घायल हो गए। आसपास के खेतो मे काम कर रहे ग्रामीण तुरन्त ही मौके पर पहुंचे। ग्रामीणो ने पुलिस को हादसे की जानकारी दी।
सडक हादसे युवक की मौत की खबर मिलते ही इंस्पैक्टर बुढाना एम. एस. गिल मय फोर्स के मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मृतक के परिजनो को हादसे की जानकारी दी।
युवक आमिर की मौत की खबर मिलते ही परिजनो मे कोहराम मच गया। बताया जाता है कि गांव जौली निवासी उक्त ग्रामीण मेरठ मे पुरानी पुराली बेचकर वापिस लौट रहे थे।
रोते-बिलखते परिजन तथा कुछ अन्य ग्रामीण तुरन्त ही घटना स्थल की और रवाना हो गए। इसी बीच पुलिस ने चारो घायलो को एम्बूलैन्स की मदद से उपचार के लिए अस्पताल भिजवा दिया।
पुलिस ने परिजनो व ग्रामीणो की मौजूदगी मे पंचनामा भरकर शव को पोस्ट मार्टम के लिए मोर्चरी पर भिजवा दिया। परिजनो की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ तहरीर लेते भागदौड शुरू की। युवक की मौत की से ग्रामीणो मे शोक छाया हुआ है।
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खनिज निष्कर्षण प्रक्रिया के कारण प्रदूषण के लिए बढ़ती चिंता के साथ, अधिक इंजीनियरों और छात्रों को सुरक्षित खनन प्रथाओं के विकास पर केंद्रित है। खनन इंजीनियरिंग के अध्ययन को, अधिक कुशल और टिकाऊ खनन प्रक्रियाओं को विकसित करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी दोनों को गले लगाने का अभ्यास माना जा सकता है।
दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में उपलब्ध है, पीएचडी की डिग्री छात्रों को, जो शिक्षा या अनुसंधान के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं उनके लिए एक उत्कृष्ट पसंद है। डिग्री के इस प्रकार के उच्चतम योग्यता से कई क्षेत्रों में उपलब्ध है और प्राप्त करने के लिए अध्ययन के एक महान सौदा की आवश्यकता है।
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Aaj Ka Panchang: 9 दिसंबर 2022 शुक्रवार को पहले मृगशिरा नक्षत्र होने से मानस और उसके बाद आर्द्रा नक्षत्र होने से पद्म नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे। इसके अलावा शुभ और शुक्ल नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन बनेंगे।
9 दिसंबर का पंचांग (Aaj Ka Panchang 8 December 2022)
9 दिसंबर 2022, दिन शुक्रवार को पौष मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि सुबह 11:34 तक रहेगी। इसके बाद द्वितिया तिथि आरंभ हो जाएगी। शुक्रवार को मृगशिरा नक्षत्र दोपहर 02:59 तक रहेगा। इसके बाद आर्द्रा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले मृगशिरा नक्षत्र होने से मानस और उसके बाद आर्द्रा नक्षत्र होने से पद्म नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे। इसके अलावा शुभ और शुक्ल नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन बनेंगे। राहुकाल सुबह 10:59 से 12:19 तक रहेगा।
शुक्रवार को चंद्रमा मिथुन राशि में, शुक्र और बुध ग्रह धनु राशि में, राहु मेष राशि में, सूर्य वृश्चिक राशि में, शनि मकर राशि में, मंगल वृष राशि, गुरु मीन राशि में और केतु तुला राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।
9 दिसंबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
Mahabharata: इस योद्धा को मारने वाले की मृत्यु भी निश्चित थी, तो फिर श्रीकृष्ण ने कैसे बचाया अर्जुन को?
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
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गोरखपुर (ब्यूरो)। पुलिस हॉस्पिटल संचालक की पत्नी, माता और भाई समेत पांच के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही हैं।
जानकारी के मुताबिक, शाहपुर इलाके के हनुमंत नगर निवासी प्रवीन प्रकाश सिन्हा रविवार को शाहपुर पुलिस को तहरीर दी है। तहरीर में लिखा है कि अपने मित्र अमृत सिंह के साथ विकास कुमार सिन्हा जेल बाईपास स्थित आरूही अस्पताल और वेदांता मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में लैब खोलने के लिए फरवरी 2021 में लिखित समझौता हुआ। आरोप है कि 13 लाख रुपए तीन बार में लैब उपकरण खरीदने के लिए विकास सिन्हा के फर्म सिन्हा मेडिकल स्टोर में जमा कराया गया। जिसके बाद लैब संचालित होने के कुछ माह ठीक चला। इसी बीच विकास ने जेल बाईपास स्थित आरूही अस्पताल बंद हो गया।
हॉस्पिटल बंद होने पर प्रवीन प्रकाश और अमृत सिंह ने लैब उपकरण और रुपए मांगे तो आरोपी विकास ने गाली और जान से मारने की धमकी देने लगा। पीडि़तों ने कई बार रुपए और लैब उपकरण मांगने का निवेदन किया। उसके बाद भी आरोपी ने न रुपये दिया न लैब उपकरण वापस किया। जिसके बाद पीडि़तों ने पुलिस को तहरीर दी। रविवार की शाम शाहपुर पुलिस ने विकास सिन्हा, रूबी सिन्हा, इम्तियाज अहमद, राकेश सिन्हा और उषा देवी के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
जिसपर 13 लाख रुपए हड़पने का आरोप है। वह विकास सिन्हा पहले हॉस्पिटल में काम करता था। आरोप था कि मरीजों को मेडिकल कॉलेज से पकड़ कर कमीशन मिलने वाले हॉस्पिटलों में भर्ती करा रुपए वसूलता था। दो साल पहले विकास ने जेल बाईपास स्थित आरूही अस्पताल खोला था। मेडिकल कॉलेज से एंबुलेंस चालक मरीजों को फंसा कर आरूही अस्पताल में भर्ती करा देते थे। जिसके बाद विकास पर कई मरीजों से इलाज के नाम पर अधिक रुपए वसूलने का आरोप लगा था। परिजनों के हंगामा करने पर पुलिस भी पहुंचती थी। आखिर एक साल बाद विकास ने आरूही अस्पताल बंद कर दिया।
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प्रशासन पर विधायी नियन्त्ररण
अभिकरण अथवा विभाग को ही अपनी सत्ता का हस्तातरण करती है जोकि उसके नियन्त्ररण मे होता है ।
(२) ससद हस्तातरित की गई विभायी शक्ति की सीमाओ की स्पष्ट रूप से व्याख्या करती है और यदि उन सीमाओो का उल्लघन किया जाता है तो नागरिको के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालयो का प्राश्रय दिया जाता है ।
न्यायाधिकारी वर्ग देशो ( Orders) की छानवीन कर सकता है और उनको अधिकार क्षेत्र से बाहर घोषित कर सकता है । 2
प्रत ससद ऐसी व्यवस्था करती है कि हस्तातरित शक्ति के कार्यान्वय का खण्डन किया जा सके । नियमो (Rules) को सदन-कक्ष मे चुनौती दी जा सकती है । संसदीय नियन्त्ररण की दृष्टि से, इगलैंड मे दो प्रकार के वैधानिक लेख पत्र हैं
( १ ) एक तो वे, जिनके लिए ससद से स्वीकारात्मक प्रस्ताव ( Affirmative resolution) प्राप्त करना ही होता है । लेख पत्र ( Instrument) का मसौदा (Draft) ससद के सामने रखा जाता है और यह व्यवस्था की जाती है कि "यदि वह एक सपरिषद् आदेश (Order-in-council) है तो यह महामहिम (His Majesty ) के समक्ष नही प्रस्तुत किया जायेगा, अथवा यदि वह कोई अन्य लेख पत्र है तो उसका निर्माण नही किया जायेगा, जब तक कि सपरिषद् प्रदेश की स्थिति मे, प्रत्येक सदन ( House ) महामहिम से यह प्रार्थना न करे कि प्रदेश किया जाना चाहिए, अथवा अन्य किसी स्थिति में प्रत्येक सदन यह न निश्चय कर ले कि लेख पत्र का निर्माण किया जायेगा।" नियम एक स्वीकारात्मक प्रस्ताव के द्वारा ससद से अनुमोदित किए जाने होते हैं ।
(२) दूसरे वे, जोकि अस्वीकृत की प्रक्रिया (Annulment procedure) के अधीन होते हैं । ससद को यह शक्ति प्राप्त होती है कि वह अस्वीकृति प्रस्ताव ( Annulment resolution ) पास कर सके अथवा स्वीकारात्मक प्रस्ताव को अस्वीकार कर सके ।
नियम चालीस दिन की अवधि के लिए सदन की मेज पर रखने होते हैं ।
सूक्ष्म-परीक्षण समिति की व्यवस्था
(Provision of a Scrutiny Committee) इगलैंड मे Donoughmore Committee (१९३२) ने यह सिफारिश की कि प्रत्येक सदन में एक-एक स्थायी समिति ( Standing Committee ) की स्थापना
1 In a case in England in 1917, Lord Shaw of Dunfermline in Rex V, Halliday observed "The Increasing crust of legislative efforts and the Convenience to the executive of a refuge to the device of orders in Council would increase that danger (i e transitions to arbitrary government) ten fold were the Judiciary to approach any action of the Government in a spirit of Compliance rather than that of independent scrutiny"
होनी चाहिए, जोकि ऐसे प्रत्येक विधेयक (Bill) पर विचार करे तथा अपने प्रतिवेदन दे जिसमे विधि-निर्माण की शक्तिया मन्त्री को सौंपने का प्रस्ताव हो, तथा हस्तांतरित विधायी शक्ति के कार्यान्वय के लिए बनाये गए ऐसे प्रत्येक विनियम ( Regulation ) तथा नियम पर विचार करे एवं अपना प्रतिवेदन दे, जिसको सदन के समक्ष रखने की आवश्यकता हो । यह सिफारिश स्वीकार नहीं की गई थी । युद्धकाल मे, हस्तातरित विधान का पर्यवेक्षण करने के लिए लोकसभा ( House of Commons ) मे वैधानिक नियमो तथा प्रदेशो ( Statutory Rules and orders ) पर एक प्रवर समिति ( Select Committee) की स्थापना की गई थी और लार्डसभा (House of Lords) मे एक विशिष्ट प्रदेश समिति ( Special Orders Committee) की स्थापना की गई थी ।
आजकल वैधानिक लेख पत्रो ( Statutory Instruments ) पर एक प्रवर समिति बनी हुई है, जिसे कि सूक्ष्म परीक्षण कहा जाता है । यह ऐसे सारे ही लेख पत्रो की जाच करती है जिनके लिए चाहे स्वीकारात्मक प्रस्ताव को कार्यविधि ( Affirmative resolution procedure) निर्धारित की गई हो अथवा नकारात्मक (Negative) प्रस्ताव की कार्यविधि ।
भारत मे अधीनस्थ विधान पर समिति
(Committee on Subordinate Legislation in India)
भारत मे अधीनस्थ विधान पर विचार करने के लिए एक समिति बनी हुई है जोकि इस बात की छानबीन करती है कि विनियम (Regulations ), नियम ( Rules) उप-नियम ( Sub-rules ) व उप-विधिया (Bye laws) आदि बनाने की सविधान द्वारा प्रदत्त अथवा ससद द्वारा हस्तातरित शक्तियों का कार्यान्वय, ऐसे विधान की परिधि के अन्तर्गत, समुचित रूप से किया जा रहा है या नही और सदन को उसकी सूचना देती है । समिति मे पन्द्रह व्यक्ति होते है जोकि प्रध्यक्ष ( Speaker ) द्वारा एक वर्ष के लिए मनोनीत किये जाते हैं । ससद द्वारा अधीनस्थ प्राधिकारी को हस्तातरित किये गए विधायी कार्यों (Legislative functions ) के अनुसरण के लिए बनाया गया कोई भी विनियम, नियम, उप-नियम व उप-विधि आदि सदन के सामने रखा जायेगा और घोषणा के तुरन्त पश्चात् ही राज्य पत्र ( गजट ) में प्रकाशित किया जायेगा । समिति के कर्तव्य निम्न हैनियम ३१६ मे उल्लिखित ऐसा प्रत्येक प्रदेश सदन के सामने रखा जाने के पश्चात् समिति, विशेष रूप से, इस बात पर विचार करेगी कि -
( १ ) क्या यह आदेश संविधान के श्रथवा उस अधिनियम ( Act ) के सामान्यउद्देश्यो के अनुरूप है जिसके अनुसरण मे कि उसका निर्माण किया गया है
(२) क्या उसमे कोई ऐसा विषय है जिस पर कि, समिति की राय मे, ससद के एक अधिनियम के रूप मे अधिक उपयुक्त रूप से विचार तथा व्यवहार किया जाना चाहिए, |
११ साधूजी ने सूज तो निर्दोष 'दयां कांईहोवे व्रतमें के अव्रत
आहार पाणी मेंः- अशुभ कर्म
खयथाय तथा पुन्यबंध और १२ बार व्रत निपजै
१२ साधूजौने असूज तो दोषसहित आहार पाणी दीयां कांई होवे तथा व्रतमें के अब्रत मेंः-श्रीभगवती सूत्र में कहयो छ तथा श्री ठाणांगः सूत्र के तौजै ठाणें कहयोछे अल्प आयुषबंधै अकल्याणकारी कर्म बँधै तथा असूज तो दोधो ते व्रत में नहीं
१३ अरिहंतदेव देवता के मनुष्य :- मनुष्य के १४ साधू देवता के मनुष्यः- मनुष्य के
१५ देवता साधूनों वंदा करै के नहीं करैः- करौ साधू तो सबका पूजनौक
१६ साधू देवताको बांछा करे के नहीं करेः- नहीं करे
२७ सिद्ध भगवान देवता के मनुष्य :- दोनूं नहीं १८ सिद्ध भगवान सुक्ष्म के बादरः- दोनं नहीं १८ सिद्ध भगवान वसके स्थावरः- दोनं नहीं २० सिद्ध भगवन सन्नीके असन्नी :- दोनं नहीं २१ सिद्ध भगवान पर्याप्ता के अपर्याप्ता :- दोनं नहीं ॥ इति पानाको चरचा !
१ असंयति अब्रतौने दौयां काई होवः- श्रीभगवती सूत्र के आठ में सतक छटै उदेसे को भसंयति अब्रती नें सूजतो असूजतो सचित अचित च्चार प्रकार को आहारीयां येकान्ति पाप होय निर्जरा नहीं होय
२ असंजति अब्रतो जीवको जीवणो बँकणो के के मरणो बंकणोः- असंजतिको जीवणो बंकणो नहीं मरणो बंछणो नहीं, संसार समुद्र में तिरणो बंछणो से श्रीबीतरागदेव को धर्म है ३ कसाई जोवोंने मारै तिबेल्यां साधू कसाई नें उपदेश देवे के नहीं देवेः-अवसर देखे तो उपदेश देवे के नहीं देवे :- अवसर देखे तो उपदेश देवे हिन्साका खोटाफल वा है ।
प्रश्न :-- जौवोंको जीवणी बांध कर उपदेश देवे के कसाईनें तारखा निमित्त उपदेश देवे :उत्तर - कसाई नें तारवा निमित्त उपदेश देवे ते बीतराग को धर्म है
४ कोई बाडामें पसू ज्यांनवर दुखिया है अने साधू जिगारसते जाय रह्या छै ती जीव की अनूकंपा आणी छोड़े के नहीं छोड़ेःनहीं छोड़े, किणन्याय़ उ० श्रोनिसीत, सूटके १२ वार में
उदेसे कह्यो छै अनूकम्पा करिवस जीव वांधे बंधावै अनुमोदे त्वो चौमासी प्रायश्चित् आवै, तथा वंध्या जीवां नें अनुकम्पा आणी छोड़े छुड़ावै चनुमोदे तो चौमासी प्रायश्चित् आवे तथा साधू संसारी जीवांको सार संभार करे नहीं साधू तो संसारिक कर्तव्य त्यागदिया ।
॥ अथ तेरा द्वार ।। * प्रथम मूल द्वार *
१ मूल १ दृष्टान्ति २ कुण ३ आतमा ४ जीव ५ अरु ६ निर्वद्य ७ भाव द्रव्य गुण प्रजाय द्रव्या दिक१० याज्ञा ११ ज्ञिनय १२ तलाव १३ ए तेराद्वार जांणवाः प्रथम मूसंदार कहै छै जौव ते चेतना लक्षगणा, अजीव ते अचेतना लक्षण, पुन्य ते शुभ कर्म, पाप ते अशुभ कर्म, कर्म ग्रहते आश्रव, कर्म, रोके ते संवर, देशथ को कर्म, तोडी देशथी जीव उज्जल घाय ते निर्जरा जीव संघाते शुभाशुभ कर्म वंध्या ते बंध समस्त कर्मा' सें मूकावै ते मोच, 1 ॥ इति प्रथम द्वार सम्प
।। दूसरो दृष्टान्ति द्वार ।।
२ जीव चेतन का २ दीय भेदः --- एक सिद्ध, टूजो संसारी सिद्ध करमा रहित है; संसारी करमां सहित छै, तिारा अनेक भेद है सुचम अने बादर वसने स्थावर सन्नी अने सन्नी तीन बेद चार गति पांच जाति छव काय चोदे भेद जौवनां चौवीस दंडक इत्यादिक अनेक भेद जाग्वा ते चेतन गुण ओोलखवानें सोनांरो दृष्टान्ति कहै छै, जिम सोनांनों गहण भांजी भांजीनें ओर ओर आकारे घडावे तो आकार नों विनासथाय पण सोनानों बिनाम नथी, जिमकर्मों नां उदय थी जीव की पर्याय पलटे पण मूल चेतन गुण नों बिनास नहीं ।
अजीव अचेतन तिग पांच भेदः ।
धर्मास्ति अधर्मास्ति आकारित काल पुद्गलास्ति, तिच्यारांकी पर्याय पलटे नहीं एक पुद्गलास्ति की पर्याय पलटे ते ओलखवांगे सोनानों दृष्टान्ति कहै के जिम कोई सोनानों गहणो भांजी भांजी और ओर आकारे घडावे
तो आकारनों विनास पण सोनानों बिनास नहीं, ज्यू पुद्गल को पर्याय पलंटे पण पुद्गल गुण को विनास नहीं ।
पुन्य वेशुभ वार्म पापते अशुभ कर्म, ते पुन्य पाप ओलखवानें पथ्य अपथ्य आहार नो दृष्टान्ति कहै छै, कदेक जौवके पथ्य आहार घंटे और अपथ्य आहार बंधै तो जौवक निरोगपणो घटै अने सरोगपणों बधे, कदे जीवरे पथ्य आहार वधै अपथ्य घटै तब जीवरै सरोगपणो घटै चनें निरोगपण वधै पथ्य अपथ्य दोनं घटजाय तो प्राणौ सर्ण पामें, ज्यों जौवके पुन्य घटे अरुपाप बधै तो सुख घटै अने दुख बधै, कदे जौव के पाप घटे और पुन्य बधै तो मुख बधे अने दुख घटे, पुन्य पाप दोनं खय होय तो जौब मोच पामें, कर्म ग्रहते आश्रव ते ओलखषाने तीन दृष्टान्ति पांच कहण कहै छै
१ प्रथम कहण ।
१ तलाव रे नाली ज्यं जीवरे व.
२ हवेली के बारणों ज्यों जीवरे आश्रव
३ नावांके छेद्र ज्यों जौवरे आश्रव इमकह्याथकां |
करनाल हाकी क्लब ने 96वीं आल इंडिया ट्रेड्स कप हॉकी प्रतियोगिता के फाइनल में प्रवेश कर लिया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: करनाल हाकी क्लब ने 96वीं आल इंडिया ट्रेड्स कप हॉकी प्रतियोगिता के फाइनल में प्रवेश कर लिया है।
फ्लैट्स मैदान पर प्रतियोगिता के सेमीफाइनल मुकाबला कोप्स ऑफ सिगनल जालंधर व करनाल हॉकी क्लब के बीच खेला गया। मध्यांतर तक दोनों ही टीमें बिना किसी गोल के बराबरी पर थी।
मध्यांतर के बाद खेले गए मुकाबले में करनाल ने दो व जालंधर की टीम ने एक गोल किया और अंत में करनाल ने मैच को दो-एक से जीत लिया। विजयी टीम की ओर से नरेंद्र यादव व कुलजीत सिंह ने अपनी टीम के लिए एक-एक गोल किए, जबकि पराजित टीम की ओर से एकमात्र गोल मनजीत सिंह ने किया। निर्णायक खालिद हसन व जीएस सिंह रहे।
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अयोध्या धाम में वीकेंड लॉकडाउन के दिन रविवार सुबह हनुमानगढ़ी में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंच गई। जिसको देखते हुए पुलिस प्रशासन अमले में खलबली मच गई। प्रशासन ने हनुमानगढ़ी में सुरक्षा बढ़ाते हुए मंदिर की चौखट से ही श्रद्धालुओं को समझा बुझाकर वापस कर दिया। बड़ी संख्या में अयोध्या की सीमा पर जगह -जगह पूछताछ के बाद भी भीड़ को वापस कर लॉकडाउन का पालन न करा पाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
अयोध्या में श्रद्धालुओं के मंदिरों में भारी संख्या पर पहुंचने की सूचना पर जिला प्रशासन ने जिले में सख्ती से वीकेंड लॉकडाउन का पालन कराना शुरू कर दिया। अयोध्या की सीमा पर जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती की गई। बिना पूछताछ किसी को भी जिले में प्रवेश नहीं दिया गया। वीकेंड लॉक डाउन होने की वजह से हनुमानगढ़ी, कनकभवन सहित अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। दूर दराज से पहुंचे भक्त भगवान का दर्शन नहीं कर पाए।
पुलिस मंदिर के मुख्य द्वार से ही श्रद्धालुओं को लौटा रही है। जिससे कोरोना के घटते मामले को बनाए रखा जा सके। वीकेंड लॉक डाउन का भी पालन पुलिस कराने में लगी है। वहीं, हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेश दास ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि कोरोना काल अभी समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे में अभी सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार ने शनिवार व रविवार को साप्ताहिक बंदी का एलान भी किया है। ऐसे में सभी लोग सरकार के कोरोना गाइडलाइन का पालन करें। आम जनमानस प्रशासन व सरकार का सहयोग करें।
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GORAKHPUR: एनई रेलवे के जीएम राजीव मिश्र ने गुरुवार को ललित नारायण मिश्र रेलवे अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के आखिरी चरण में दवाओं के स्टोर में गए जीएम ने दवाओं की कमी मिलने पर जिम्मेदारों को जमकर फटकार लगाई। जीएम ने कहा कि जब दवा नहीं खरीद सकते तो खरीद की जिम्मेदारी किसी और को क्यों न दे दिया जाए। जीएम को अस्पताल में तय स्टॉक से आधे से भी कम दवाएं उपलब्ध मिली। इससे पहले वाडरें के निरीक्षण के दौरान मरीजों व उनके परिजनों ने भी जीएम से अव्यवस्था को लेकर शिकायत की। जीएम वाडरें व परिसर की साफ-सफाई तथा मरीजों व परिजनों के हित में किए गए कई अन्य कार्यो से प्रसन्न भी हुए और अस्पताल प्रबंधन के लिए 75 हजार रुपए का इनाम घोषित किया।
जीएम राजीव मिश्र गुरुवार सुबह करीब 11. 10 बजे रेलवे अस्पताल पहुंचे। जीएम ने सबसे पहले आईसीयू का निरीक्षण किया। वहां की व्यवस्था से संतुष्टि जताते हुए मिश्र ने कुछ और बेड बढ़ाने की आवश्यकता बताई। आईसीयू से निकलकर वह ओपीडी गए अैर वहां का निरीक्षण किया। ओपीडी में भी लगभग सभी चीजें संतोषजनक मिली। एक दवा काउंटर बंद देखकर जीएम ने हर हाल में सभी दवा काउंटरों को खुला रखने का निर्देश दिया। इसके बाद जीएम विभिन्न वार्डो में जांच करने पहुंचे। न्यू मेडिकल वार्ड में अच्छी व्यवस्था देखकर जीएम ने प्रसन्नता जाहिर की। इसके अलावा, फिमेल व मेल सर्जिकल वार्ड, आर्थो वार्ड, जनरल मेल वार्ड में जीएम ने साफ-सफाई पर संतोष व्यक्त किया।
निरीक्षण पर आए जीएम से मिलकर मरीजों व परिजनों से व्यवस्था को लेकर शिकायत भी की। मरीजों की शिकायत थी कि डॉक्टर राउंड पर नियमित रूप से नहीं आते। आते भी हैं तो लेट-लतीफ। यह शिकायत सुनकर जीएम ने सीएमडी डॉ। सतीश चंद्रा से कहा कि चेंबर से बाहर निकलिए, तब व्यवस्थाएं सुधरेंगी। मिश्र ने निर्देश दिया कि सभी डॉक्टर समय से ओपीडी में जाएं, वाडरें में राउंड पर जाएं। मरीजों को संतुष्ट करना ही डॉक्टर का पहला काम है।
जीएम इसके बाद परिसर होते हुए स्टोर में पहुंचे और वहां मौजूद फार्मासिस्ट से दवा की उपलब्धता के बारे में पूछा तो उन्हें केवल 40 प्रतिशत दवाएं उपलब्ध होने की बात बताई गई। यह सुनकर जीएम ने नाराजगी व्यक्त की। जीएम ने कारण पूछा तो पता चला कि टेंडर फाइनल नहीं हो सके हैं। इस तरह की धीमी कार्यशैली पर जीएम ने दो टूक कहा कि यदि आप लोग दवा नहीं खरीद सकते तो यह जिम्मेदारी रेलवे के स्टोर विभाग को क्यों न दे दी जाए। उन्होंने हर हाल में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने का निर्देश दिया। जीएम करीब ढाई घंटे बाद अपराह्न करीब पौने दो बजे अस्पताल से बाहर निकले।
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CAA और NRC पर सोनिया गांधी की अहम बैठक से पहले ही विपक्ष बिखरा नजर आ रहा है. इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहले ही न शामिल होने का ऐलान कर दिया था. अब महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना ने भी इस मीटिंग में शामिल होने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक शिवसेना अब इस बैठक में शामिल नहीं होगी.
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इंदौर (एएनआई)। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर महत्वपूर्ण चुनावों से पहले मंदिरों के दर्शन करने के लिए हमला किया। पृथ्वीपुर, रायगांव (एससी), जोबट (एसटी) सहित एक लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव 30 अक्टूबर को हुए थे। मतदान से एक दिन पहले, प्रियंका गांधी वाड्रा ने मध्य प्रदेश के दतिया में पीतांबरा पीठ मंदिर में पूजा-अर्चना की। उनकी मंदिर यात्रा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वह राज्य में दो राजनीतिक नेताओं का स्वागत करते हैं, लेकिन उनसे चुनाव से पहले और बाद में आने का भी आग्रह किया।
नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मैं दतिया में प्रियंका जी का स्वागत करता हूं लेकिन कभी-कभी उन्हें चुनाव के बाद भी आना चाहिए। ये लोग हमेशा चुनाव के आसपास मंदिरों में जाते हैं। मेरा मानना है कि सिर्फ चुनाव के दौरान मंदिरों का समर्थन लेना ठीक नहीं है। नरोत्तम मिश्रा, जो इंदौर जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं, ने 1 नवंबर को राज्य के स्थापना दिवस मनाने के लिए इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर मीडियाकर्मियों से बात की। कार्यक्रम के दौरान दिव्यांग कलाकारों ने देशभक्ति गीतों पर प्रस्तुति दी। इस दाैरान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 के टीके लगाने की दिशा में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को भी सम्मानित किया।
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'हिन्दुस्तान आपके द्वार कार्यक्रम में बिजली निगम की टेबल पर 50 के करीब लोगों की समस्याएं सुनी गई। कुछ का मौके पर निस्तारण हुआ तो कुछ के आवेदन लेकर निस्तारण के आश्वासन दिए गए। अधिशासी अभियंता विद्युत नगर वितरण खण्ड प्रथम नवनीत प्रजापति के निर्देशन में सभी की समस्याओं को अधिकारियों ने सुना। शिविर में एसडीओ रुस्तमपुर प्रद्युम्म सिंह, अवर अभियंता शिवम चौधरी, लाइनमैन बृजकिशोर राय, श्रीराम यादव, मुनीब, बृजेश गौंड, संविदा कर्मी श्रीप्रकाश, कृष्ण कुमार और सुनील मौजूद थे। लोगों ने मीटर रीडिंग से अधिक बिल आने, बिल न मिलने, नगा तार हटाने, क्षतिग्रस्त पोल बदलने और मीटर के तेज चलने की समस्याएं रखीं। कुछ लोगों के बिल में सुधार भी कराया गया।
नवल्स स्कूल जाने वाली रोड के मोड पर बिजली का पोल झुक गया है। कभी भी हादसा हो सकता है, इसकी शिकायत दी। इसके अलावा मकानों से सट कर जाने वाले बिजली के नंगे तार बदलने के लिए आवेदन किया। मेरे घर के सामने लगे पोल से सट कर गए बिजली केबिल को हटाने के लिए उचित स्थान पर बिजली का केबिल लगाने की अपील की।
दो माह पहले मीटर नो-डिस्पे में आ गया। तब से मनमाना बिल भेज रहे हैं। मै आनलाइन भुगतान भी कर रहा लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। हिन्दुस्तान के कार्यक्रम में भी अधिकारियों को समस्या बताई लिखित आवेदन लेकर आश्वस्त किया किया मीटर बदला जाएगा।
मेरे मकान पर अदालत में विवाद चल रहा। उस मकान पर बिजली निगम ने एक और बिजली कनेक्शन दे दिया। और अदालत में चल रहे विवाद जानकारी पहले ही बिजली अधिकारियों को पत्र के जरिए अवगत करा दिया था। उन्होंने लिखित आवेदन लेकर जांच कराने की आश्वासन दिया।
कॉलोनी से नंगे बिजली के तार हटाने की मांग अधिकारियों के समक्ष रखा। तमाम क्षेत्रों में केबिल वाले तार लगाए जा चुके हैं लेकिन यहां नंगे तार लोगों के मकान से सट कर लगे हैं जिससे करेंट आने का खतरा बना रहता है। अधिशासी अभियंता ने लिखित शिकायत लेकर कहा कि बदला जाएगा।
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20 साल बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान को पूरी तरह से छोड़ दिया है। वहीं अमरीकी जवानों के जाने के बाद तालिबान सरकार गठन की तैयारियों में जुट गया है। इसी बीच मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अल कायदा ने 2 पन्नों का मुबारकबाद का पैगाम तालिबान के नाम लिखा है। इसमें कश्मीर का भी जिक्र किया गया है।
पत्र में फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनॉन, जोर्डन, इजरायल, तुर्की, सोमालिया, यमन और कश्मीर जैसे तमाम जगहों को कब्जा करने की बात कही है। इस मुद्दे पर टीवी न्यूज़ चैनल 'आज तक' के शो 'हल्ला बोल' पर चर्चा हो रही थी। इस दौरान पाकिस्तानी पत्रकार हामिद खान और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता संबित पात्रा के बीच बहस देखने को मिली।
संबित पात्रा ने कहा, "मुझे दया आती है इन पाकिस्तानियों पर। इनके पास खाने के पैसे नहीं हैं, पर ये पूरे विश्व पर कब्जा करने चले हैं। ये बड़ी शर्म की बात है। " इसपर एंकर अंजना ओम कश्यप ने कहा, " अपने कहा दया आ रही है इनपर और उन्होंने सर झुका लिया।
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16 अक्टूबर, नई दिल्ली (CRICKETNMORE)। दिल्ली के स्कूल टूर्नामेंट में एक युवा बल्लेबाज जिनका नाम मयंक रावत है उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से एक ऐसा कमाल कर दिया है जिससे वो भविष्य में क्रिस गेल और मिस्टर 360 से भी धमाकेदार बल्लेबाज बन सकते हैं।
दिल्ली में खेले गए 26वें राधाकिशन संजय अंतर स्कूल टी- 20 टूर्नामेंट में मयंक रावत ने बाल भवन स्कूल द्वारिका की तरफ से खेलते हुए केवल 77 गेंद पर 279 रन की धमाकेदार पारी खेल दी है।
अपने इस पारी में मयंक ने विरोधी टीम के गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए और 34 चौके और 14 चौके की मदद से 279 रन की असाधारण और धमाकेदार पारी खेल दी है।
आपको बता दें कि मयंक ने ऐसा कमाल भारतीय विद्या स्कूल के खिलाफ खेलते हुए किया है।
मयंक की धमाकेदार पारी के बदौलत बाल भवन स्कूल द्वारिका की टीम ने केवल 20 ओवर में 350 रनों का स्कोर खड़ा कर दिया। जिसके जबाव में भारतीय विद्या स्कूल की पूरी टीम 142 रन पर आउट हो गई। जिसके कारण बाल भवन स्कूल को 208 रनों से जीत मिल गई।
मयंक की इस धमाकेदार पारी ने साबित कर दिया है कि यदि वो अपने क्रिकेटिंग स्किल पर इसी तरह से ध्यान देते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब मयंक भारतीय टीम का हिस्सा भी बन जाएगें और अपने धार- धार बल्लेबाजी से बड़े से बड़े धुआंधार बल्लेबाजों के रिकॉर्ड को तोड़ देगें।
वैसे आपको बता दें कि एक आंकड़े के हिसाब से मयंक ने रोहित शर्मा के वनडे में बनाए गए 264 रन को तोड़ दिया है और साथ ही गेल और डिविलयर्स जैसे बल्लेबाजों को चुनौती दे दी है।
यह मैच 14 अक्टूबर को खेला गया था.
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भारतीय खगोलविदों ने अतिरिक्त सौर ग्रहों के वातावरण को समझने की एक नई विधि खोजी है। उन्होंने दिखाया है कि सूर्य के अलावा अन्य सितारों के चारों ओर घूमने वाले ग्रहों का अध्ययन प्रकाश के ध्रुवीकरण को देखकर और ध्रुवीकरण के संकेतों का अध्ययन करके किया जा सकता है। ध्रुवीकरण के इन संकेतों अथवा हस्ताक्षर या प्रकाश की प्रकीर्णन तीव्रता में बदलाव को मौजूदा उपकरणों के साथ देखा जा सकता है और मौजूदा उपकरणों का उपयोग करके सौर मंडल से परे ग्रहों के अध्ययन का विस्तार किया जा सकता है।
हाल के दिनों में, खगोलविदों ने पता लगाया है कि हमारे सौर मंडल की तरह भी कई अन्य तारों के चारों ओर भी ग्रह घूम रहे हैं। अब तक लगभग 5000 ऐसे एक्सोप्लैनेट का पता लगाया जा चुका है। लगभग कुछ दशक पहले, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए), बैंगलोर के वैज्ञानिक सुजान सेनगुप्ता ने सुझाव दिया था कि गर्म युवा ग्रहों के तापीय (थर्मल) विकिरण और अन्य सितारों की परिक्रमा करने वाले ग्रहों के परावर्तित प्रकाश, जिन्हें अतिरिक्त-सौर ग्रह या एक्सोप्लैनेट के रूप में जाना जाता है, को भी ध्रुवीकृत किया जाएगा और ध्रुवीकरण का माप एक्सोप्लैनेटरी वातावरण की रासायनिक संरचना और अन्य गुणों का खुलासा कर सकता है। कई ब्राउन ड्वार्रफ्स के ध्रुवीकरण का पता लगाने के बाद भविष्यवाणी की पुष्टि, एक प्रकार के असफल तारों, जिनका वातावरण बृहस्पति के समान ही है, ने दुनिया भर के शोधकर्ताओं को अत्यधिक संवेदनशील पोलीमीटर बनाने और एक्सोप्लैनेटरी पर्यावरण की जांच के लिए पोलारिमेट्रिक विधियों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।
हाल ही में, सुजान सेनगुप्ता के साथ भारतीय खगोल भौतकीय संस्थान-आईआईए काम कर रही पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता अरित्रा चक्रवर्ती ने एक विस्तृत त्रि-आयामी संख्यात्मक विधि विकसित की और एक्सोप्लैनेट के ध्रुवीकरण का अनुकरण किया है। सौर-ग्रहों की तरह ही एक्सोप्लैनेट अपने तेजी से घूमने के कारण थोड़े तिरछे होते हैं। इसके अलावा, तारे के चारों ओर अपनी स्थिति के आधार पर, ग्रहीय डिस्क का केवल एक हिस्सा ही तारे की रोशनी (स्टारलाइट) से प्रकाशित होता है। प्रकाश उत्सर्जक क्षेत्र की यह विषमता गैर-शून्य ध्रुवीकरण (नॉन जीरो पोलोराइजेशन)को जन्म देती है।
'द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में प्रकाशित शोध में, वैज्ञानिकों ने एक पायथन-आधारित संख्यात्मक कोड विकसित किया है जिसमें एक अत्याधुनिक ग्रहीय वातावरण मॉडल शामिल है और विभिन्न झुकाव कोणों पर मूल तारे की परिक्रमा करने वाले एक्सोप्लैनेट की ऐसी सभी विषमताओं को नियोजित किया गया है। उन्होंने डिस्क केंद्र के संबंध में परिभाषित ग्रहों की सतह के विभिन्न अक्षांशों और देशांतरों पर ध्रुवीकरण की मात्रा की गणना की और उन्हें प्रबुद्ध और घूर्णन-प्रेरित तिरछी ग्रहीय सतह पर औसत किया। विभिन्न तरंगदैर्घयों पर ध्रुवीकरण पर्याप्त रूप से अधिक होता है और इसलिए एक साधारण पोलारिमीटर द्वारा भी इसका पता लगाया जा सकता है यदि स्टारलाइट अवरुद्ध हो। यह एक्सोप्लैनेट के वातावरण के साथ-साथ इसकी रासायनिक संरचना का अध्ययन करने में मदद करता है।
"यहां तक कि अगर हम सीधे ग्रह की छवि नहीं बना सकते हैं और अध्रुवीकृत स्टारलाइट को ग्रह के ध्रुवीकृत परावर्तित प्रकाश के साथ मिलाने की अनुमति है, तो यह राशि किसी एक दस लाख के कुछ दस भाग होनी चाहिए, लेकिन फिर भी कुछ मौजूदा उच्च उपकरणों जैसे एचआईपीपीआई, पीओएलआईएसएच, प्लैनेट पोल, आदि द्वारा पता लगाया जा सकता है। अरित्रा चक्रवर्ती ने कहा कि यह अनुसंधान उपयुक्त संवेदनशीलता के साथ उपकरणों को डिजाइन करने और पर्यवेक्षकों का मार्गदर्शन करने में मदद करेगा।
ट्रांजिट फोटोमेट्री और रेडियल वेलोसिटी विधियों जैसे पारंपरिक और लोकप्रिय तरीकों के विपरीत, जो केवल किनारे पर देखे जाने वाले ग्रहों का पता लगा सकते हैं, यह पोलरिमेट्रिक विधि कक्षीय झुकाव कोणों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ परिक्रमा करने वाले एक्सोप्लैनेट का पता लगा कर उनकी आगे जांच कर सकती है। इस प्रकार, निकट भविष्य में पोलारिमेट्रिक तकनीक एक्सोप्लैनेट के अध्ययन के लिए एक नई खिड़की खोलेगी और हमें पारंपरिक तकनीकों की कई सीमाओं को दूर करने में सक्षम बनाएगी।
चित्र 1: एक झुकाव कोण के साथ परिक्रमा करते हुए कक्षीय चरण में एक ग्रह का योजनाबद्ध आरेख i.
चित्र 2: परावर्तित प्रकाश की तीव्रता और ध्रुवीकृत प्रकाश (क्यू/आई और यू/आई) दृश्य तरंग दैर्ध्य में आंशिक रूप से प्रकाशित सतह (कक्षीय चरण 45o) के विभिन्न बिंदुओं पर चेहरे पर और किनारे पर परिक्रमा करते हुए- विचारों पर, कक्षीय झुकाव के दो चरम मामले। अलग-अलग देशांतरों पर उत्पन्न होने वाले सकारात्मक (हरा) और नकारात्मक (नीला) ध्रुवीकरण एक दूसरे को रद्द कर देते हैं। शुद्ध गैर-शून्य पता लगाने योग्य डिस्क-औसत ध्रुवीकरण ज्यामितीय विषमता के कारण अपूर्ण रद्दीकरण के कारण उत्पन्न होता है।
चित्र 3: दृश्यमान तरंगदैर्घ्य क्षेत्र में पता लगाने योग्य डिस्क-औसत ध्रुवीकरण का अनुमानित प्रतिशत और विभिन्न झुकाव कोणों पर परिक्रमा करने वाले बादल एक्सोप्लैनेट के विभिन्न कक्षीय चरण कोणों पर। ध्रुवीकरण समय के साथ स्थिर होता है यदि ग्रह को (i=0o) के साथ आमने-सामने देखा जाता है। अन्य सभी झुकाव कोणों के लिए, ध्रुवीकरण ग्रह के दो आधे चरणों के दौरान अधिकतम और पूर्ण चरणों के दौरान न्यूनतम होता है, अर्थात, जब दिन (áorb=0o) और रात (áorb=180o)दोनों पक्ष पर्यवेक्षक के सामने आते हैं।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें डॉ. एस.के. सेनगुप्ता ([email protected]), अरित्रा चक्रवर्ती ([email protected])।
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केवल घर मे ही नही, बाहरी ससार मे भी सफलता प्राप्ति के लिए नारी जीवन में सौम्य गुणो का होना आवश्यक है। अपने सौदय का प्रदशन करने वाली या अपने घर मे ही रूप गौरव ना गव करने वाली नारी न तो अपने परिवार को प्रसन्न रख सकती है, न अपनी सत्तान का ठीक प्रकार से पालनपोषण कर सकती है और न ही वह बाहरी ससार मे सफलता प्राप्त कर सकती है । पडित विजयलक्ष्मी, सरोजिनी नायडू, श्रीमती अरुणा आसफ अली, राजकुमारी अमृतकौर आदि अनेक भारतीय नारियों ने अपने सौम्य गुणों के द्वारा हो राजनीतिक तथा सामाजिन क्षेत्रो मे हो सम्मान प्राप्त नहीं किया, बल्कि विदेशा में भी भारत का नाम ऊंचा उठाया । इन आदेश नारियो ने स्वतंत्रता सग्राम मे अनेक कष्टों को सहन किया और समस्त नारी जाति मे धर्म देशभक्ति का संचार कर उनका पथ प्रदशन कर अपने वर्त्तव्य तथा धर्म का पालन किया है। उन्हाने अपना शृंगार कर अपने सौदय का प्रदर्शन नहीं किया है बल्कि महान काय करके मान-सम्मान कमाया । कर्म को ही सौदय और शृंगार माना तभी सम्मान प्राप्त किया।
अतएव यदि पुरुष जीवन की सफलता के लिए उसमे भोज, चीरता, निर्भीकता, दृढता, कठोर श्रम आदि गुणो का होना आवश्यक है तो नारीजीवन को सफलता के लिए उसमे सौम्य गुणो का विकास अपेक्षित है। इसलिए यह नि सदेह सत्य है कि नारी का प्रभूषण सौन्दय नही, उसके सौम्य गण हैं। प्रतीत मे इही गुणों के कारण वह सम्मानित रही और भविष्य मे भी इही के विकास से रह सकती है ।
मद्यपान की प्रवृत्ति ने आज फैशन का रूप धारण कर लिया है। श्राज के सामाजिक राजनीतिक और सास्कृतिक प्रादि सभी प्रकार के जीवन व्यवहार मे मद्यपान की प्रवृत्ति उत्तरोत्तर वृद्धि पाती जा रही है। मद्यपान को भाज को व्यावहारिक सभ्यता और प्रगति का मग स्वीकार किया जाने लगा है । किसी भी प्रकार का अनुष्ठान मद्यपान के प्रभाव म माज उसी प्रकार मधूरा अपूर्ण एवं नीरस समझा जाने लगा है कि जैसे मध्यकालीन भारत में वाममार्गी साधना मे सुरा सुदरी का सेवन साधना का एक आवश्यक भग बन गया था । उस काल में जसे इस प्रवृत्ति ने तामसिक वृत्तियो को बढावा देवर सहज
मानवीयता और उसके सद्धर्म को समाप्त कर दिया था, ठीक उसी प्रकार की स्थिति भाज भी भारत में मनवरत वृद्धि पाती जा रही है। उन तामसिक प्रवृत्तियो एव तद्जय दुष्परिणामों को देखकर ही भाज गाधी के देश में एक बार फिर मद्यपान की बुराई के विरुद्ध सशक्त स्वर मुखरित होने लगा है। उस स्वर की ग्रहनिश भनूगंज प्राय सभी राज्यो म विवेकवान व्यक्तियों द्वारा मुखरित की जा रही है। परन्तु वह भावाज नक्कारखाने मे तूती की भावाज से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं हो पा रही।
ससार वे सभी देशो मे भाज यद्यपि मद्यपान मुक्तभाव से हो रहा है, पर परम्परागत धर्म और सांस्कृतिक दृष्टि न किसी भी युग मे मद्यपान का औचित्य नही ठहराया, बल्कि इस बुराई भोर नरक को राह से सदैव दूर रहने की प्रेरणा और उपदेश दिया है। इसे एक प्रसामाजिक काय बताकर, सहज मानवीयता से पतित करने वाला कहकर, इससे हमेशा दूर हो रहने की प्रेरणा दी है । तभी तो प्रत्येक युग के साहित्य और धार्मिक ग्रंथो मे 'मदन मद्यपी, शराबी-कवाबी' जैसे गालीमूलक दशब्दो का प्रयोग ऐसे लोगो के लिए मिलता है, जो किसी भी रूप में मंदिरापान करते हैं। हमारे देश मे मदिरा को प्रासुरी या राक्षसी सभ्यता-सस्कृति की देन मानकर वज्य बताया गया है। स्वतत्रता प्राप्ति से पहले ही इसी कारण राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने स्वतन्त्र भारत को मदिरा आदि नशीले पदार्थों के सेवन से रहित, प्रादश राष्ट्र बनाने की परिकल्पना प्रस्तुत की थी। इसी कारण उन्होंने अपने भान्दोलनों में शराब की दुकानें बन्द की कराने के लिए धरनो और घेराव तक का आयोजन किया था । पर दुःख बात है कि उही राष्ट्रपिता के देश मे स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से मद्यपान को न केवल लत ही बढ़ती गई है, सरकारी स्तर पर अधिक से अधिक राजस्व प्राप्ति के लिए सभी प्रकार की मदिरा बिक्री के लिए अधिक से अधिक दुकानें आदि खोलकर उसके मुक्त एव भरपूर वितरण की व्यवस्था भी की गई है। स्थिति यह है कि नगरा को बात तो जाने दीजिए सामान्य स्वो और ग्रामा तक मे कदम कदम पर मंदिरा की दुकानों के जाल बिछे है और ये जाल वेदल ठेके के स्तर पर नहीं बल्कि सरकारी बिक्री केद्रो के रूप मे बिछे हैं।
इसे गाधी के देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है।
मद्यपान की अनवरत वद्धि की प्रवृत्ति को हम आधुनिक भौतिक सभ्यता को देन ही मूलत मान सकते हैं । भौतिकता के प्रश्रय ने अन्य विलास प्रवत्तियो और सामग्रियो को तो बढावा दिया ही है, मंदिरा सेवन करके विलासिता की भाषना पूर्ति को भी हवा दी है। तभी तो यह क्रिया आाज सामाजिकता का प्रम बन गई है। पहले यदि कोई पीता भी था, तो सामाजिकता के भय से छिप छिया
कर पिया करता था, पर भाग जब 'इस हमाम मे सभी नमें हैं तो फिर छिपाव कैसा ? सिनेमा मे मुक्त पान की प्रवृत्ति ने भी मद्य पान की प्रवृत्ति को विशेष हवा दी है। उसी के प्रभाव से भाज इसका प्रवेश स्कूलो, वॉलेजो मौर महिलाछात्रावासा तक मे हो गया है । बनबो की चीज भाज विद्या के पवित्र मदिरा ने भी पानी के समान ही पहुंच चुकी है। शादी-ब्याह या किसी भी प्रकार के सामाजिक उत्सव को मदिरा के प्रभाव में सूखा और फोवा माना जाने लगा है। इनमें भाग लेने की पहली शत के रूप में लोग मदिरा व्यवस्था की बात कहते हैं ।
समर्थ सम्पन्न लोग तो इसके अधिकाधिक सादी बनते ही जा रहे हैं, मरा मथ भोर निधन वर्गों में भी यह रोग कोढ के समान अधिकाधिक फैलता जा रहा है। घर मे प्रभावो का नगा नाच हो रहा है, पर मुश्किल से दो जून की रोटी अपने बच्चो को दे पाने वाले की भी शराब का नाम सुनकर बांछें खिल उठती हैं । पहले थोडे से भारम्भ होता है, फिर लत बन जाती है और तब प्रभाव मे भाव ढूढ़ने का प्रयास किया जाता है। प्रभाव मे अवैध शराब का पान किया जाता है जो कभी तत्काल भौर अक्सर धीरे धीरे सभी प्रकार से व्यक्ति को खोखला बनावर प्राणलेवा प्रमाणित होता है। इस प्रकार के समाचार हम लोग अक्सर पढ़ते सुनते रहते हैं। यह तो है प्रसमर्थ अभावग्रस्त शराबी की बात, समय घरो के युवक भी शराब के लती होवर व्यभिचार, डक्ती, चोरी आदि के शिकार होते देखे जाते है । सामाजिकता, नैतिकता आादि सभी दृष्टियो से शराबखोरी की लत मततोगत्वा हानिप्रद ही प्रमाणित होती रही है। फिर भारत जैसे गम देश में इसका अधिक सेवन यो भी उपयोगी नही । हाँ, ठण्डे जलवायु वाले देशो मे इसकी कुछ उपयोगिता अवश्य स्वीकारी जा सकती है - यह भी तभी, जब व्यक्ति के पास इसे पचाने मोर उपयागी बनाने के साधन सुलभ हो । नहीं तो वहाँ के देशा मे भी अधिक अनाचार, शराब के नशे मे, पशराब के लिए ही होते हैं, ऐसा ठण्डे देशो यानी पाश्चात्य देशो के प्रबुद्ध विचारक भी अब मुक्त भाव से स्वीकारने लगे हैं। इस स्वीकृति के साथ ही अब उन देशो मे भी शराब बदी की प्रबल भांग की जाने लगी है । पर गाँधी का देश भारत, वह बहुरा भधा होकर इस तेज धार म निरन्तर वहा जा रहा है।
इस प्रकार सिद्ध बात यह है कि शराब या इस प्रकार के माय गो मागप के मूल स्वभाव और प्रवृत्ति के सवथा विपरीत हैं । यथासम्भय द्वारो वारे का सामूहिक स्तर पर मनवरत प्रयास आवश्यक है। पहले भी सीमित प्रान्तीय स्तरो पर शराबबदी का परीक्षण किया जा चुका है, जो
असफल रहा । परिणामत उस बन्दी को ही बाद करना पड़ा। सरकार को वाकर रूप में करोडो रुपया प्राप्त होता है, यदि एकाएक पूर्ण नशा बन्दी कर दी जाती है तो सरकारी अथ-व्यवस्था पर तो उसका प्रभाव पडगा ही, पहले के समान समानान्तर पर तस्करी और अवैध शराब निर्माण की प्रथ-व्यवस्था चालू हो जायेगी, जो बाद ग्राज भी नहीं और मुक्त भाव से चल रही है। उसका प्रभाव अथ व्यवस्था के साथ-साथ पीने वानों के स्वास्थ्य, मनोवृत्तियो को भी दूषित एव चौपट कर रहा है। फिर यह आदत आज जिस सीमा तक बढ़ चुकी है, उसको केवल कानून बना देने से हो दूर नहीं किया जा सकता । जितने वप इस लत को व्यापक होने मे लगे हैं, उससे कहीं अधिक इसके विरुद्ध वातावरण तयार करने में लगने चाहिए, तभी मद्यनिषेध के प्रभावकारी परिणाम सामने आ सकते हैं ।
मद्य निषेध की दिशा मे सरकारी तौर पर कुछ कदम नई बार उठाए गये हैं । शराब बिक्री के दिन सीमित करना भी इसी प्रकार का एक कदम रहा है, जिसका कोई परिणाम न निकला और न निकलने वाला ही है। जिन्ह पोनी है वे सीमित दिन दुकानें खुलने पर अब भी बन्दी के दिनों के लिए व्यवस्था कर लेते हैं, कानून के द्वारा तो अत्यधिक निमम बनकर ही इसे रोका जा सकता है। वह यह कि एक दिन मे हो घोषणा करके शराब के कारखाने, दुकानें मादि सभी कुछ बन्द कर दिया जाए। उसके बाद पीने या इस प्रकार का वध प्रबंध घधा चरने वालो को कठोर यातना दी जाए। देशी के साथ विदेशियों के लिए भी दशराब पूर्ण प्रतिबंधित रहे । वहीं कोई ढील न हो । या फिर, जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, वर्षों तक सशक्त ढंग से ऐसा वातावरण प्रस्तुत किया जाए कि लोग स्वय हो इस मोर से मुह मोड लें। चार छ वर्ष मे मद्य निषेध करने की बात अपने माप को मुलावा देने से अधिक महत्व नही रखती ।
धन्त में, हम यही कहना चाहते हैं कि शराब की भादत धर्म, समाज सस्कृति, जलवायु पथव्यवस्था और मानव प्रकृति भादि किसी भी दष्टि से इस देश के लिए लाभदायक नही । उसे बद करने का सही दिशा में निश्चय और सही निर्णय करके ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए कि जो दूरगामी परिणाम ला सके । कोरी भावुक्ता मौर हठवादिता निश्चय ही शुभ नही हो समती ।
प्रेस को स्वतन्त्रता
प्रेस की स्वतंत्रता
स्वत त्र प्रेस या प्रेस की स्वतन्त्रता से वास्तविक अभिप्राय है- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता । प्रेस शब्द यहा मूलत समाचार पत्रों का पर्याय एव
योतक है। समाचार पत्र अपनी भूल नैतिकता मे वही कहते और छापते हैं कि जो किसी युग या देश विशेष की जनता की सामूहिक या बहुमत की भावना, इच्छा प्राकाक्षा और माँग हुआ करती है। प्रेस ही वह माध्यम है जिससे जनता अपनी जागरूकता का परिचय देकर निर्वाचित सरकार और उसकी निरकुशता पर अपना प्रवुश लगाए रख सकती है। देश की सही स्थिति का, इच्छा आकाक्षा का पता सरकार को देकर उसे तदर्थ उचित काय करने के लिए अनुप्रेरित एव सतत यत्नशील रख सकती है। प्रेस की स्वतंत्रता के रूप में अभिव्यक्ति की स्वत त्रता वस्तुत जनतश्री देशो में जन स्वातंत्र्य की वास्तविक परिचायक है। इसी कारण जनतंत्री देशो मे प्रेस का विशेष महत्त्व समझा जाता है, जबकि तानाशाही, एकतत्र प्रौर कुछ विशिष्ट रीति-नीतियो वाले देशो मे प्रेस वे कण्ठ पर हमेशा शासक वग की अगुली रहा करती है जिसे स्वतंत्रता के बुनियादी अधिकार को मान्यता देने वाला कोई भी राष्ट्र या व्यक्ति भच्छा नहीं मानता । प्रेस पर अकुश तानाशाही प्रवृत्तियो का द्योतक और पोषक ही माना जा सकता है ।
यह एक निर्विवाद सत्य है कि स्वतंत्र और जागरूक प्रेस समय-समय पर राष्ट्रीय मन्तर्राष्ट्रीय गति विधियो का सही विवेचन विश्लेषण करके सरकारों वो तो जागरूक सावधान रखा ही करता है, जन मत के अध्ययन विश्लेषण और निर्माण में भी सहायक हुआ करता है । युद्धकाल जैसी भराजक्तापूर्ण स्थितियों में अनेक बार प्रेस पर कुछ प्रतिबंध लगाना भावश्यक हो जाया करता है, या ऐसे प्रेस पर प्रतिबंध भावश्यक हुमा करता है कि जो किसी भी रूप मे जन-भावनामा को प्रतिगामी बनाता था भडवाता है। पर केवल सरकारी तानाशाही या दुष्प्रवृत्तियों के प्रकाशन से रोकने के लिए जन अभिव्यक्ति व सबल मोर श्रेष्ठतम माध्यम पर किसी भी प्रकार का प्रतिबघ लगाना किसी भी स्थिति में उचित नहीं कहा जा सकता। ऐसा करना मन्ततोगत्वा स्वय सरकार के लिए ही हानिप्रद हुआ करता है यह थात मनेव बार और विशेषकर में प्रापातकाल में प्रमाणित हो चुकी है ।
पापात स्थिति की घोषणा एवं सीमा तक स्वीकार कर भी सॅ कि जनहित
असफल रहा । परिणामत उस बदो हो हो बाद करना पड़ा। सरकार को श्रावकारी रूप मे क्रोडा छाया प्राप्त होता है, यदि एकाएक पूर्ण नशा बन्दी कर दी जाती है तो सरकारी भथ व्यवस्था पर तो उसका प्रभाव पडगा ही, पहले के समान समानान्तर पर तस्करी और अवैध शरान निर्माण की अथ-व्यवस्था चालू हो जायेगी, जो बाद भाज भी नहीं और मुक्त भाव से चल रही है। उसका प्रभाव मथ-व्यवस्था के साथ-साथ पीने वानों के स्वास्थ्य, मनोवृत्तियों को भी दूषित एव चौपट कर रहा है । फिर यह मादत आज जिस सीमा तक बढ़ चुकी है, उसको येवल कानून बना देने से हो दूर नहीं किया जा सकता। जितने वर्ष इस लत को व्यापक होने मे लगे हैं, उससे कहीं अधिक इसके विरुद्ध वातावरण तयार करने में लगने चाहिए, तभी मद्यनिषेध के प्रभावकारी परिणाम सामने मा सकते हैं।
मद्य निषेध की दिशा में सरकारी तौर पर कुछ कदम कई बार उठाए गये हैं। शराब बिक्री के दिन सीमित करना भी इसी प्रकार का एक कदम रहा है, जिसका कोई परिणाम न निकला और न निकलने वाला हो है। जिन्हें पोनो है वे सीमित दिन दुकानें खुलने पर भब भी बन्दी के दिनों के लिए व्यवस्था कर लेते हैं, कानून के द्वारा तो प्रत्यधिक निमम बनकर ही इसे रोका जा सकता है। वह यह कि एक दिन में ही घोषणा करके शराब के कारखाने, दुकानें मादि सभी कुछ बन्द कर दिया जाए। उसके बाद पीने या इस प्रकार का वध मवैध धधा करने वाला को कठोर यातना दी जाए। देशी के साथ विदेशियों के लिए भी दाराब पूर्ण प्रतिबंधित रहे । कहीं कोई ढील न हो । या फिर, जैसा कि उ कहा जा चुका है, वर्षों तक सशक्त ढंग से ऐसा वातावरण प्रस्तुत किया कि लोग स्वय हो इस भोर से मुह मोड लें। चार छ वर्ष मे करने की बात अपने-आाप को भुलावा देने से अधिक रखती ।
सन्त मे, हम यही कहना चाहते हैं कि शराब की मादत धम, संस्कृति, जलवायु मथव्यवस्था और मानव प्रकृति भादि किसी भी इस देश के लिए लाभदायक नही । उसे बद करने का सही दिशा में और सही निर्णय करके ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए कि जो परिणाम ला सके । कोरी भावुक्ता मोर हठवादिता निश्चय ही शुभ न सक्ती ।
सब पहुंचा सकता है और इस प्रकार जनता के साथ-साथ जन हितकारी सरकारों का भी पुचित एवं हितवारी हो सबता है। जन रुचियों के परिवार, समय स्थिति के अनुरूप जन-कषियों को मोडने, निर्माण कार्यो में जुटने, भुराइयो से सघर्ष कर रहें जब-मूल से उखाड़ फेंकने के लिए जन मो तैयार करने जैसे कार्य ध्यापक स्तर पर, सरल ढंग से प्रेस के द्वारा ही सम्पादित किए जा सकते हैं। किसी भी उचित बात के लिए जन-मत तैयार करना मौर मनुचित के लिए जन विरोध करना प्रेस वा बाएँ हाम का खेल है । प्रेस मे यह पारित है कि उसकी एक ही प्रावाज पर सारा राष्ट्र एवं पक्ति में सहा हो सकता है। पर यह सवेद कहना पड़ता है कि कभी-भी प्रेस भी निहित स्वाथियों के हाथो सेला जाता है। यह भी सवेद स्वीवारना पड़ता है कि य भारत ही नहीं, विश्व का प्रेस अभी तक पूर्णतया निष्पक्ष होकर जन मानस का चितेरा नहीं बन सका। इस प्रकार की स्थितियों में ही गई बार मद्रास प्रेस एक्ट या बिहार प्रेस विधेयक जैसी बातें सामने पाती हैं, जिनका न चाहते हुए भी समयन करना पड़ता है। यदि प्रेस सावधान रहे तो ऐसे बनी भावश्यक्ता ही क्यो पढे ?
प्रेस को मुख्यत (अभिव्यक्ति की दृष्टि से) दो वर्गों में रखा जा सकता है। यद्यपि प्रेस पर पूंजीपति वगया ही अधिव अधिकार है, तो भी एक वग पूजीपतियों का है, दूसरा सामान्य वर्ग का, कि जो साधन भादि की दृष्टि से काफी दुबल है। इस भेद-भाव को मिटावर ही प्रेस वास्तविव भयों मे राष्ट्रीयता का, जन-सामान्य का प्रतिनिधित्व कर सकता है। जनता का मुख बन सकता है। कई बार कुछ पत्रिकाएं विशिष्ट राजनीतिक दला का मुख बन घर भी सामने आती हैं। ऐसा होने से भी दृष्टि एकागी हो जाती है । प्रेस जन प्राकाक्षाओं का वास्तविक पूर तभी बन सकता है कि जब वह सभी घरातलो पर पूर्ण स्वतन एव निरपेक्ष हो । प्रातरिय बाह्य सभी प्रकार क दवावो से मुक्त हो । पर सखेद स्वीकार करना पड़ता है कि अभी तक विश्व में ऐसी स्थिति नहीं भा पाई है और शोघ्र भाती प्रतीत भी नही हाती । इसके लिए जिस साहस और सवरूप शक्ति की श्रावश्यक्ता है, वह न तो समय प्रेसमालिका में है न सरकार में और न विविध राजनीतिक दलो मे ही है। मत निस्तार निक्ट नही प्रतीत होता ।
जो हो, भाज हमारे देश और वि व के प्रेस क्षेत्र मे ऐसे लोगो को Fit नहीं है कि जो सभी प्रकार के निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर, जन हित के लक्ष्या की पूर्ति की दिशा में समय समय पर महत्त्वपूर्ण और साहसिक कदम उठाते रहते हैं, सभी प्रकार के अनाचारों के विरुद्ध साहसिक आलोचनात्मक
मे की गई थी। पर उस समय सबसे बडी गलती तत्कालीन सरकार ने प्रेस का गला घोट कर अर्थात प्रेस पर ससरशिप या प्रतिबंध लगाने के रूप मे ही को । परिणामस्वरूप तथाकथित उत्साही लोग जो भी मनमानियाँ करते रहे, वे सब न तो ग्राम जनता के सामने ही प्राती रही और न सरवार मे शीषस्थ नेताग्रो के सामने ही । परिणामत सदभावना से प्रेरित काय भी एक विषमकरुण एव जय कृत्य वनता रहा । आम जनता और शीषस्थ नेता दोनों गुमराह रहे और भापात स्थिति का समर्थन करते रहे । यदि प्रेस पर प्रतिबंध न होता और सही स्थितियाँ सामने भाती रहती तो बहुत सम्भव था कि प्रापात स्थिति का दुष्परिणाम जनता और तत्कालीन सरकार को न भोगना पडता । यह एक उदाहरण है, ग्रापात स्थिति का किसी भी प्रकार से समयन नही । अन्य कई देशो में भी प्रेस की स्वतत्रता के अभाव मे ठोक ऐसा हो घट चुका है जैसा कि यहाँ घटा । पाकिस्तान आादि तानाशाही वाले देश भी इसका प्रमाण हैं ।
मानव स्वभाव से स्वतंत्र प्राणी है मौर चाहता है कि उस पर नैतिकता के दायरे मे किसी भी प्रकार वा प्रतिबध न लगे । इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता का मूल्य प्राणो का बलिदान देकर हो चुपाना पड़ता है। प्राणो के बलिदान के प्रतिरिक्त कुछ वैयक्तिक या सीमित वर्गीय स्वार्थों का बलिदान भी महत्वपूर्ण हुआ करता है। ऐसी स्थिति में जहाँ प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया जाना चाहिए, वहाँ प्रेस से भी यह आशा की जानी चाहिए कि वह वयक्तिक या सीमित वर्गीय निहित स्वार्थी को तिलाजलि देकर कार्य करे। एक प्रकार मे सामाजिकता, राष्ट्रीयता भोर मानवता के व्यापक हितो के सन्दम म प्रेस के लिए स्व निर्मित माचार सहिता अवश्य रहनो चाहिए कि जिसका पालन अनिवाय हो । तभी वह जन-भावनाओं का सही प्रतिनिधित्व कर सकता है और 'स्वतंत्रता' शब्द की वास्तविक गरिमा की रक्षा भी कर सकता है। कई बार निहित स्वार्थों की पूर्ति और रक्षा के लिए प्रेस का दुरुपयोग भी किया जाता है। एक्तत्री, तानाशाहो और विशेष सिद्धान्ती देशो में सरकार तक इसी दृष्टि से प्रेस का दुरुपयोग करती है, जबकि जनती देशो मे पीली पत्रकारिता आादि का माग अपना कर प्रेस वा दुरुपयोग किया जाता है। दोनो ही प्रकार ये दुरुपयोगकतान्त गहित हो कहा जायेगा । जन-भावना को स्वस्थ सबल अभिव्यक्ति मिले प्रेम-स्वतंत्रता का यही वास्तविक अथ और उद्देश्य है। इसी दृष्टि से उसका समधन भी किया जा सकता है और किया जाना चाहिए ।
प्रेस जन-जागरण का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साधन भौर माध्यम है। वह देशविदेश मे चलने वाले मानव हित साधक कार्यों को सुरुचिपूर्ण ढंग से जन-जन
तक पहुँ वा सकता है और इस प्रकार जनता के साथ-साथ जन हितकारी सरकारों का भी शुभचिन्तक एवं हितवारी हो सकता है। जन-रुचियो के परिष्कार, समय स्थिति के अनुरूप जन-रुचियों को मोडने, निर्माण कार्यों मे जुटने, बुराइयों से सघर्ष कर उन्हें जड-मूल से उखाड़ फेंकने के लिए जन को तैयार करने जैसे काय व्यापक स्तर पर, सरल ढंग से प्रेस के द्वारा ही सम्पादित किए जा सकते हैं। किसी भी उचित बात के लिए जन-मत तैयार करना और अनुचित के लिए जन विरोध करना प्रेस का बाएँ हाथ का खेल है । प्रेस वह शक्ति है कि उसकी एक ही भावाज पर सारा राष्ट्र एक पंक्ति मे खडा हो सकता है। पर यह सखेद कहना पड़ता है कि कभी-कभी प्रेस भी निहित स्वापियों के हाथो खेला जाता है। यह भी सखेद स्वीकारना पडता है कि केवल भारत ही नहीं, विश्व का प्रेस अभी तक पूर्णतया निष्पक्ष होकर जन मानस का चितेरा नहीं बन सका। इस प्रकार की स्थितियों में ही कई बार मद्रास प्रेस एक्ट या बिहार प्रेस विधेयक जैसी बातें सामने भाती हैं, जिनका न चाहते हुए भी समर्थन करना पड़ता है। यदि प्रेस सावधान रहे तो ऐसे कानूनी आवश्यकता हो क्यो पडे ?
प्रेस को मुख्यत (अभिव्यक्ति की दृष्टि से) दो वर्गों में रखा जा सकता है । यद्यपि प्रेस पर पूजीपति वग का ही अधिक अधिकार है, तो भो एक वर्ग पूजीपतियों का है, दूसरा सामान्य वर्ग का, कि जो साधन आदि की दृष्टि से काफी दुबल है। इस भेद-भाव को मिटाकर हो प्रेस वास्तविक प्रयों मे राष्ट्रीयता का, जन सामान्य का प्रतिनिधित्व कर सकता है। जनता का मुख बन सकता है। कई बार कुछ पत्रिकाएँ विशिष्ट राजनीतिक दलो का मुख बन घर भी सामने प्राती हैं। ऐसा होने से भी दृष्टि एकागी हो जाती है। प्रेस जन आकाक्षाओं का वास्तविक पूरक तभी बन सकता है कि जब वह सभी, घरारतलो पर पूर्ण स्वतन एव निरपेक्ष हो । प्रातरिख बाह्य सभी प्रकार क दवावो से मुक्त हो । पर सखेद स्वीकार करना पड़ता है कि अभी तक विश्व में ऐसी स्थिति नहीं आ पाई है और शीघ्र माती प्रतीत भी नही हाती । इसके लिए जिस साहस और सवल्प शक्ति की श्रावश्यकता है, वह न तो समय प्रेसमालिकों में है न सरकार में और न विविध राजनीतिक दलो मे हो है । मत निस्तार निकट नही प्रतीत होता ।
जो हो, ग्राज हमारे देश भोर विश्व के प्रेस क्षेत्र मे ऐसे लोगो की कमी नहीं है कि जो सभी प्रकार के निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर, जन हित के लक्ष्या को पृति की दिशा मे समय समय पर महत्त्वपूर्ण और साहसिक कदम उठाते रहते हैं, सभी प्रकार के अनाचारों के विरुद्ध शाहसिक मालोचनात्मक
स्वर मुखरित करते रहते हैं । यदि यह साहसिक नैतिकता स्व विनिर्मित आचार संहिता के द्वारा समूचे प्रेस जगत मे मा जाए, तो निश्चय ही मानवता का बहुत बड़ा उपहार होगा। निश्चय ही उस दिन मानवता का भाग्य खुल जाएगा, जिस दिन प्रेस जगत केवल राजनीतिक या ऊपरी दृष्टि से हो स्वतंत्रता का वरण नही कर लेगा, बल्कि भान्तरिक वरण कर लेगा। पर कब आयेगा वह दिन ? इस देश मे तो वह बीसवी शताब्दी के चार-पाँच दशको तक रह कर एक बार तो चला जा चुका है । दुबारा आने की भाशा अवश्य करनी चाहिए । आशा ही मानवता का शुभ सम्बल है ।
अनुशासन की महता
'अनुशासन' - अर्थात् शासन या नियमानुकूल माचरण । अत साधारण अर्थों में अनुशासन का अभिप्राय किसी प्रदेश का, व्यवस्था या प्रबंध का, विधान या नियम का विधिवत पालन है। इस पालन में जितनी अधिक तत्परता, स्फूति, त मयता, कर्मठता आादि का परिचय मिलेगा उतना अधिक अनुशासन को भान्स तथा उत्तम समभा जायेगा। ऐसे मनुशासन मे जिसमे अनुशासित का केवल तन हो नही मन का भी सहप योग हो, सच्चा मनुशासन कहा जायेगा । वास्तव मे व्यक्ति किसी भी व्यवस्था में विधान में सभी पूर्ण शक्ति और वेग के साथ काय कर सकता है जबकि उसके मन का विश्वास साथ हो । मन की शक्ति तन से कही अधिक होती है। मनुष्य के मन का यह जीवट मौर साहस हो है जो दहाडते सिंहो भोर चिपाडते हाथियों को दश मे कर सका है न कि तन और उसकी शक्ति । शेरों के साथ खेलने वाले शकुन्तला के पुत्र भरत का समय चला गया। मनुष्य की शारीरिक शक्ति भले ही क्षीण हो गई है किन्तु मन के साहस का भाज भी कोई भन्त नहीं। भतएव अनुशासन का विश्वस्त रूप वही होगा जहाँ तन के साथ मन को भी साधा गया हो । व्यक्ति स्तर पर ही नहीं, ममाज, देश और राष्ट्रीयता के स्तर भी यह साधना परमावश्यक है। इसके बिना प्रगति भौर विकास सम्भव ही नहीं।
भारतीय दर्शन शास्त्र प्रादश जीवन की कल्पना प्रस्तुत करते हैं। यहाँ जीवन का मूल भाघार साधना है और साधना का ये भी एक प्रकार का यौगिक मनुशासन ही होता है। इसी दृष्टि से भारतीय मनीषियों ने इंद्रियनिग्रह पैर बल दिया है। इंद्रिय-निग्रह क्या है ? यह वास्तव में सन के मना८६ |
मुंबई/दि. १६- कोविड महामारी से निपटने के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन में राज्यभर के सभी धार्मिक स्थलों के दरवाजों पर ताले लग गए थे. सोमवार १६ नवंबर यानी आज से सभी धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए है. राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, दरगाह सबको खोलने की इजाजत दे दी है. लेकिन आस्था के लिए धार्मिक स्थलों में जाने से पहले कोविड के नियमों का पालन करना होगा. मास्क पहनना भी जरूरी होगा, और सोशल डिस्टेंसिंग भी.
महाराष्ट्र में कोरोना संकट के चलते 18 मार्च से मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरिजाघर सभी धार्मिक स्थल बंद कर दिए गए थे. लेकिन मंदिरों को खोलने के लिए बीजेपी ने जैसे एक अंदोलन सा छेड़ दिया. अनशन हुआ, और तो और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने उद्धव सरकार को इसके लिए चि_ी तक लिख दी, और बात हिंदुत्व तक पहुंच गई थी. फिलहाल जब सोमवार को मंदिर खुले तो श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे.
महाराष्ट्र में ये उस आंदोलन का शोर था, जहां भक्ति से लेकर सियासी शक्ति तक की गूंज थीं. मंदिरों से लेकर तमाम धार्मिक स्थलों पर ताले पड़े थे.
मुंबई से लेकर महाराष्ट्र के तमाम शहरों तक में संत समाज मंदिर खोलने की मांग पर अड़ गया. उधर सियासत भी भक्ति में भाव विभोर हो रही थी. राजभवन से लेकर सीएम निवास तक के बीच चि_ी पतरी की शक्ल में धर्म और धर्मनिरपेक्षता पर लिखा पढ़ी होने लगी. राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने सीएम उद्धव को खत लिखकर उनकी हिंदूत्व से लेकर धर्मनिपरेक्षता तक पर कलम चलाई तो सीएम और शिवसेना ने जमकर पलटवार किया. जवाबी खत में राज्यपाल से पूछा गया कि हिंदुत्व को लेकर उनके सर्टिफिकेट की आखिर जरूरत क्यों? एक तरफ साधु संत और बीजेपी मंदिर खोलने की मांग के साथ मोर्चे पर अड़े थे तो कोरोना के मामलों को लेकर सरकार अपने फैसले पर डटी थी. सीएम और राज्यपाल में खतोकिताबत के शब्द सियासी मर्यादा से बाहर जा रहे थे.
मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर के अंदर हर दिन केवल 1,000 भक्तों को जाने की अनुमति होगी. श्रद्धालुओं को अपने विवरण भरने और मंदिर ऐप के माध्यम से ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक करने की जरूरत होगी. इसके बाद टाइम स्लॉट के साथ एक क्यूआर कोड जेनरेट होगा. 1,000 श्रद्धालुओं के लिए क्यूआर कोड जनरेट किए जाएंगे. वरिष्ठ नागरिकों दर्शन से बचने और ऐप पर वर्चुअल दर्शन करने को कहा गया है.
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शिमला - हिमाचल प्रदेश में पिछले 11 दिन से हड़ताल पर चल रहे 108 एंबुलेंस कर्मचारी भले ही काम पर लौट आए हो, लेकिन सरकार को उन्होंने लंबित मांगों को पूरा करने के लिए अल्टीमेटम दिया है। एंबुलेंस यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रमजीत सिंह ने शिमला में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने कर्मियों की तीन मांगे मान ली है, लेकिन वेतनमान बढ़ाने और हरियाणा की तर्ज पर एनएचआरएम के तहत लाने की मांग अभी भी पूरी नहीं की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों को हरियाणा और दिल्ली की पॉलिसी का अध्ययन करने के बाद उसे लागू करने का आश्वासन दिया है। 108 कर्मचारी यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि 108 कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार वादाखिलाफी करती है तो यह हड़ताल हिमाचल में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में शुरू की जाएगी। एंबुलेंस यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रमजीत सिंह ने कहा कि एंबुलेंस कर्मचारी लंबे समय से सरकार से पांच मांगे कर रहे थे।
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लातेहारः प्रगतिशील शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष हीरा प्रसाद यादव सचिव प्रदीप कुमार समशेर आलम ने नए उपायुक्त भोर सिंह यादव से मिलकर बुके देकर शुभकामनाएं दी।
उपायुक्त भोर सिंह यादव ने संघ को कहा की शिक्षा को ऊंचाई तक ले जाने का प्रयास करे। संघ ने सर को भरोसा दिया की जिला को शिक्षा के क्षेत्र में पहले स्थान पर ले जाने का सामूहिक प्रयास करेंगे।
आगे उन्होंने कहा की सभी संगठनों के साथ जल्द ही एक बैठक आहुत की जायेगी।
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जो लोग ये सोच रहे थे की राघव के दिल में शक्ति के प्यार की घंटी बजती हैं तो वो गलत समझ रहे हैं क्योंकि रिपोर्ट्स की मानें तो राघव इन दिनों स्वीडन की एक लड़की को डेट कर रहे हैं.
टीवी के फेमस डांस शो डांस दिवाने के होस्ट राघव जुयाल (Raghav Juyal) अपने हरफनमौला अंदाज से सबके साथ मस्ती मजाक करते रहते हैं लेकिन असल जिंदगी में राघव काफी प्राइवेट पर्सन हैं. शो में राघव को अक्सर शो की जज शक्ति मोहन के साथ फ्लर्ट करते हुए देखा जाता रहा है लेकिन उनके दिल में शक्ति नहीं बल्कि दूर देश की लड़की ने जगह बनाई है.
जो लोग ये सोच रहे थे की राघव के दिल में शक्ति के प्यार की घंटी बजती हैं तो वो गलत समझ रहे हैं क्योंकि रिपोर्ट्स की मानें तो राघव इन दिनों स्वीडन की एक लड़की को डेट कर रहे हैं. दोनों की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिसमें ये लव बर्ड्स काफी खुश दिखाई दे रहे हैं.दरअसल इस स्वीडिश गर्ल का नाम सारा अर्रहुसिस (Sara Arrhusius) बताया जा रहा है. सारा इंटिमेसी प्रोफेशनल्स की एक इंडियन फर्म की को फाउंडर भी हैं और इन दोनों के बीच रिश्ता अभी नहीं बल्कि 2018 से बना है.
वैसे राघव ने अब तक अपने रिलेशन पर कोई जानकारी या घोषणा नहीं की है बल्कि खुद सारा ने अपने ऑफीशियल इंस्टा हैंडल से राघव के साथ रोमांटिक पिक्चर्स शेयर करके चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है.
बता जा रहा है राघव सात समुंदर पार की हसीना को 2017 में एक ट्रैकिंग के समय मिले थे ,जहां पहले दोस्ती हुई और फिर दोनों ने 2018 में एक दूसरे को डेट करना शुरू कर दिया. सारा अक्सर राघव से मिलने आती रही हैं और राघव भी अपनी लेडी लव से मिलने उनके देश गए हैं वैसे तो राघव के कुछ खास दोस्त और परिवार के सदस्य सारा के बारे में जानते हैं लेकिन जमाने के सामने राघव फिलहाल इस रिलेशन को काफी सीक्रेट रखना चाहते थे लेकिन अब जब सारा के साथ उनका रिश्ता उजागर हो ही गया तो देखना होगा की राघव इसे लेकर सफाई देंगे या सारा के साथ डेटिंग को महज अफवाह बता देंगे.
राघव के करियर की बात करें तो उन्होनें साल 2015 में आई फिल्म ABCD 2 से बॉलावुड में एंट्री की थी. राघव डांसर, कोरियोग्राफर के साथ-साथ एक बेहतरीन कॉमेडियन भी हैं. वह जब भी स्टेज पर आते हैं तो लोग हंसे बिना नहीं रह पाते.
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Sonbhadra: जनपद में शुक्रवार का अलग-अलग हादसों में जहां लगभग 24 लोग घायल हो गए। वहीं तीन महिलाओं सहित पांच की मौत हो गई। 14 बकरियों की भी जान चली गई।
Sonbhadra: जिले में शुक्रवार का दिन हादसों के नाम रहा। इस दिन हुए अलग-अलग हादसों में जहां लगभग 24 लोग घायल हो गए। वहीं तीन महिलाओं सहित पांच की मौत हो गई। 14 बकरियों की भी जान चली गई।
पहली घटना म्योरपुर थाना क्षेत्र (Mayorpur Police Station Area) के बभनडीहा गांव (Babhandiha Village) के पास की है। यहां मुर्धवा-बीजपुर मार्ग ((Murdhwa-Bijpur Road)) पर बीजपुर से रेणुकूट की तरफ जा रही सवारियों से भरी निजी बस शुक्रवार को दोपहर बाद ढाई बजे के करीब अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पेड़ से जा टकराई और इसके बाद पलट गई। इससे उसमें सवार 24 यात्री घायल हो गए। मौके पर देर तक अफरातफरी मची रही। मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से सभी घायलों को सीएचसी म्योरपुर पहुंचाया। वहां छह की हालत गंभीर पाए जाने पर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया।
दया 26 वर्ष निवासी हरहोरी, पंचम विश्वकर्मा 80 वर्ष निवासी नेमना, किरण 40 वर्ष, मनोज 35 वर्ष निवासी भवनाथपुर, झारखंड, मनीष जायसवाल 16 वर्ष, किरबिल 27 वर्ष, रामानंद निवासी नेमना की हालत गंभीर पाए जाने पर म्योरपुर सीएचसी (Mayorpur CHC) से प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। उपचार के दौरान दया निवासी हरहोरी की मौत हो गई। वहीं, गुड्डी देवी 30 वर्ष, रामसजीवन 35 वर्ष निवासी किरविल, संदीप गुप्ता 18 वर्ष निवसी पड़री, लाल मुहम्मद 43वर्ष निवासी नेमना, दयाराम 25वर्ष निवसी करकोरी, सलीमा 10 वर्ष, तरुणामति 35 वर्ष, अंकित 6 वर्ष, सविता 12 वर्ष, शालिनी 1 वर्ष, गुलाबी देवी 40 वर्ष निवासी ड्डमरडीहा, दिनेश 18 वर्ष, अनिल 18 वर्ष, अमृत लाल निवासी नेमना का सीएचसी म्योरपुर में उपचार जारी है। घटना का कारण तेज रफ्तार बताया जा रहा है।
दूसरी घटना सुकृत पुलिस चौकी क्षेत्र के बट गांव की है। यहां स्थित हाइवे किनारे एक भूसा लदी डीसीएम खड़ी थी। बताते हैं कि राबर्ट्सगंज की तरफ से जा रही गिट्टी लदी हाइवा ने अनियंत्रित होकर डीसीएम में टक्कर मार दी। हादसे की चपेट में आकर डीसीएम में बैठा राजकुमार 30 वर्ष पुत्र सुरेश निवासी संडा, थाना पन्नूगंज गंभीर रूप से घायल हो गया। जब तक उसे उपचार के लिए कहीं ले जाया जाता, उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पीएम के लिए भेज दिया।
तीसरी घटना चोपन थाना क्षेत्र (Chopan Police Station Area) के बैगबैसा गांव के पास की है। पनारी ग्राम पंचायत अंतर्गत बगबैसा निवासी 56 वर्षीय पूर्णमासी पत्नी सुरेश यादव बकरियों को चराने के लिए रेलवे लाइन की तरफ गई थी। बकरियां रेलवे पटरी से होकर गुजर रही थी। तभी वहां ट्रेन आ गई। ट्रेन की रफ्तार तेज होने के कारण बकरियां धक्का लगने के बाद उसके उपर गिरने लगी। इससे वह बकरियों समेत रेलवे लाइन किनारे खाईं में गिर गई। घटना के कारण जहां उसकी मौत हो गई। वहीं उसके साथ गिरीं 14 बकरियों की भी जान चली गई। जानकारी पाकर पहुंची पुलिस ने शवों को निकालकर पीएम के लिए भेजा।
चौथी घटना, डाला चौकी क्षेत्र (Dala Chowki Area) के लक्ष्मण नगर महाल की है। शुक्रवार को दोपहर बाद दो बजे के करीब शीला (38) पत्नी योगेश गोंड़ निवासी लक्ष्मणनगर का शव उसके कमरे में लटकता पाए जाने से सनसनी फैल गई। उसकी आठ वर्षीय बेटी प्रिया ने बताया की घटना के समय उसके पापा सो रहे थे और वह सब बाहर खेल रहे थे। इसी बीच वह घर के अंदर आई तो देखा कि उसके मां का शव फंदे से लटक रहा है। मौत का कारण स्पष्ट करने के लिए पीएम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
पांचवीं घटना, चोपन थाना क्षेत्र (Chopan Police Station Area) के कनछ गांव के पास सोन नदी स्थित मुड़कट्टा घाट के पास का है। अंकित जयसवाल 14 वर्ष पुत्र सुरेश जयसवाल गत 13 अप्रैल काी दोपहर सोन नदी में स्नान करने के लिए गया था, तभी से लापता चल रहा था। काफी खोजबीन के बाद भी उसका पता नहीं चल रहा था। शुक्रवार की शाम बजे उसका शव नदी में उतराया मिलने से सनसनी फैल गई। पुलिस ने शव को पीएम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया।
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की स्थिति में आत्मा के दर्पण में विषय का पूर्ण प्रतिबिम्ब ही नहीं उभरता वरन् आत्मा और विषय की एकाकारता हो जाती है । ऐसी स्थिति में वेद्यान्तर- शून्यता तथा स्व-पर-ज्ञान का विलयन हो जाता है । संवेदना की वास्तविक स्थिति में ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान की एकाकारता हो जाती है । यह स्थिति भावुक या सहृदय की ही हो सकती है । इसी स्थिति में कवि या कलाकार रचना की ओर प्रवृत्त होती है ।
वस्तुत संवेदना ( वेदन की सम = समतावस्था) वेदन = ज्ञान की समतावस्था है । ऐन्द्रिय ज्ञान चाहे गंध-संवेदना हो या रूप संवेदना अथवा स्पर्श या श्रवण संवेदना होंऐन्द्रिय होने पर उसकी वास्तविकता का पूर्व बोध नहीं हो सकेगा, केवल किञ्चिद् ज्ञान मात्र ही हो सकेगा। जब तक ऐन्द्रिय बोध का सम्पूर्ण प्रतिफल आत्मा में न हो अर्थात् आत्मा में ऐन्द्रिय बोध समाविष्ट न हो जाय, संवेदना नहीं हो सकती है। इसीलिए संवेदना वेदन ज्ञान की समतावस्था है। इस ज्ञान की समतावस्था में बोद्धा का अस्तित्व विलीन हो जाता है। यह विलयन उसकी भावुकता तथा संवेद्य वस्तु पर निर्भर करता है। कुछ लोग समुद्दीपकों से कम ही प्रभावित होते हैं और कुछ उद्दीपन मात्र से ही भावुक हो जाते है। जो जितना भावुक होगा, वह उतना ही संवेदनशील होगा ।
संवेदना का 'सम' शब्द सोऽहम् का प्रत्याहार रूप है। 'सः अहम्' दो पदों के पूर्व पद 'स' और उत्तर पद के 'म' से सम् पद निर्मित होता है जिसका अर्थ होता है 'वह' 'मैं' हूँ। इस संवेदना का अर्थ होता है 'वह मैं हूँ' का 'ज्ञान होना' । 'वह' पद दृश्य या संवेद्य पदार्थ का द्योतक है। यह संवेद्य जब तक 'अहम्' 'मैं' के रूप में परिवर्तित नहीं हो जाता तब तक संवेदना नहीं हो सकती है। 'मैं' पद आत्मा का द्योतक है। संवेद्य का आत्माकार में परिवर्तित हो जाना ही संवेदना है। जैसे- अरूणिम पुष्प स्फटिक में प्रतिबिम्बत होकर स्फटिक को अरूणिम बनाता हुआ वह स्फटिक के आकार के रूप में परिवर्तित हो जाता है उसी प्रकार विषय आत्मा में प्रतिबिम्बत होकर आत्माकार हो जाता
है। 97 इन तथ्यों की विवेचना से यह कहा जा सकता है कि 'संवेदना' व्यक्ति के चित्त या मन की वह दशा है जहाँ ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त किसी के सुखात्मक-दुःखात्मक भाव में चेतना या आत्मा के विलीन हो जाने से उसका प्रथक् अस्तित्व समाप्त हो जाता है
यद्यपि सभी संवेदनाएँ विषय और ज्ञानेन्द्रिय सापेक्ष हैं किन्तु इन सबका पर्यवसान चित्त (मनू) में ही होने के कारण संवेदनाओं का चित्तात्मक होना सिद्ध होता है। चित्त सुखात्मक दुखात्मक और मोहात्मक होता है। कोई भी संवेदना तटस्थात्मक नहीं हो सकती है। संसार में चार प्रकार के प्राणी - सुखी, दुःखी, पुण्यात्मा और अपुण्यात्मा होतें है। सुखी के प्रति मैत्री भाव रखना चाहिए, किन्तु बहुत से लोग सुखी के प्रति ईर्ष्या रखते है। दुःखी के प्रति सज्जन के मन में करूणा उत्पन्न होती है तथा दुष्टों के मन में हर्ष उत्पन्न होता है। पुण्यात्मा को देखकर सज्जन मुदित होते हैं और अपुण्यात्माओं की उपेक्षा करते हैं
लोक-जीवन में उपर्युक्त सभी प्रकार के भाव देखे जाते हैं। कवि इन सभी भावों का मर्मस्पर्शी चित्रण अपनी कविता में करता है। कुशल कवि स्वाभाविक वर्णन को चित्ताकर्षक बना देता है। उसकी लेखनी स्वाभाविक पाषाण-खण्ड को रत्न बना देती है जिसकी चमक चिरस्थायी रहती है ।
सुखात्मक संवेदनाओं की अभिलाषा सभी प्राणी में रहती है। विश्व का प्रत्येक प्राणी सुख से प्रेम और दुःख से घृणा करता है। सुख-दुःख न विषयगत ही है और न आत्मगत । एक वस्तु किसी के लिए भले ही सुखात्मक हो किन्तु दूसरों के लिए दुःखात्मक होती है तथा तीसरे के लिए मोहात्मक भी हो सकती है। इसलिए सुख-दुःख उभयात्मक है। साहित्य अपने कलात्मक सौन्दर्य से आनन्द प्रदान करता है चाहे वह दुःखात्मक ही क्यों न हो क्योंकि साहित्यिक संवेदनाओं की चर्वणा आनन्द मे ही समाप्त होती है ।
सुखात्मक संवेदनाए लौकिक दृष्टि से सुखमूलक हैं। जिन वस्तुओं की सम्प्रति से अन्तःकरण आह्लादित होता है अर्थात् चित्त का विकास हो जाता है अथवा चित्त विश्रान्त हो जाता है वे वस्तुएँ सुखात्मक संवेदनाओं के कारण होते है । चित्त की विश्रान्ति ही सुख है और अविश्रान्ति दुःख है । श्रृंगार, धन-धान्य, प्रिय आदि की प्राप्ति का वर्णन पाठक को ऐन्द्रिय सुख प्रदान करता है। हास-परिहास, वसन्त, प्राकृतिक सौन्दर्य आदि के वर्णन से चित्त प्रमुदित हो जाता है। इसलिए इनकी संवेदनाएं सुखात्मक होती है।
दुःखात्मक संवेदनाओं मे चित्त संकुचित हो जाता है। दुःखात्मक संवेदनाओं का साहित्य में अधिक महत्व है
वाल्मीकि की करूणा ही श्लोक रूप में परिणीत हुई थी । दुःखात्मक संवेदनाएँ लोक-जीवन का अंग बनती जा रही है। इसका भुक्तभोगी कवि ही इनकी संवेदना को समझ सकता है। इस प्रकार के जनों की श्वासों में निरन्तर अग्नि-ज्वाला धधकती रहती है जिसकी उष्मा में वह निरन्तर तपता हुआ अपनी जीवन यात्रा को पूरा करता है । दुःखात्मक संवेदनाएं प्रिय का आत्यन्तिक वियोग, धन का विनाश, अकाल और दुर्घटनाओं की विभीषिका, शोषकों के आंतक आदि सामाजिक अपराधों की उर्वर भूमि में जन्म लेकर सहृदय को करूणार्द्र बनाती हैं ।
मोहात्मक संवेदनाएँ तमोगुण प्रधान होती है । शोषकों के अत्याचार घृणा और क्रोध को जन्म देते हैं। लोक जीवन में ऐसे लोगों को बहुतायत देखा जाता है, जो मोह ग्रस्त होकर या तो अकर्मण्य हो जाते हैं अथवा अनैतिक आचरण को जीवन का अंग बना लेते हैं। उनके क्रियाकलाप अमानवीय होते है किन्तु वे उसी पङ्क में फँसकर ही सुख का अन्वेषण करते रहते है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन से सम्बन्धित रचनाएँ मोहात्मक-संवेदनाओं को जन्म देती है ।
संवेदनाएं साहित्य को जन्म देती हैं और साहित्य में संवेदनाएँ समाहित रहती हैं । दूसरे शब्दों में कहें तो संवेदना ही साहित्य है और साहित्य ही संवेदना हैं । साहित्य के शब्द केवल शब्द नहीं होतें हैं वरन् उसमें प्रवाहित संवेदनाओं के कारण ही उनका महत्व है। साहित्य के शब्द यदि संवेदनात्मक अर्थों के रूप में अपने को परिवर्तित नहीं कर पाते तो वे शब्द केवल झंकार मात्र बनकर रह जाते हैं। संवेदनाओं के माध्यम से कवि या साहित्यकार समाज, प्रकृति व मानव जीवन की विविधताओं को अपने मन-मस्तिष्क व हृदय-सिन्धु में अंकित करता है, पुनः लेखनी से अजस्र प्रवाहित होने वाले विविध प्रकार के मनोरम रंगो से उन भावों को नूतन व मर्मस्पर्शी रूप प्रदान करता है । । साहित्य में लोक-संवेदनाओं का महत्व
'लोक-संवेदना' का अर्थ है "लोक-जीवन की संवेदना ।" आचार्य भरत ने
"नाट्यशास्त्र" में बताया है कि नाट्य लोकवृत्त लोक व्यवहार का अनुकरण करने वाला है जिसमें अनेक प्रकार के भावों तथा विभिन्न अवस्थाओं का समन्वय रहता है । 98 इस नाट्य मे सम्पूर्ण ज्ञान, शिल्प, विधा, कला और योग का समावेश रहता है। इनकी दृष्टि में नाट्य दुःखार्त, क्षमार्त तथा शोकार्त जनों को विश्रन्ति = सुख (आनन्द) प्रदान करने वाला है । 100 भरत - मुनि का उपर्युक्त कथन यह सिद्ध करता है कि उत्तम काव्य लोक - जीवन (जन - साधारण) के व्यवहारों का मार्मिक चित्रण करने वाला होता है। समाज में श्रमार्त, दुःखार्त और शोकार्तो का बाहुल्य है। ये जनसाधारण अपनी जीवनवृत्तियों को काव्य में पाकर शीघ्रातिशीघ्र साधारणीकरण की अवस्था को प्राप्त हो जाते है। इसीलिए उन्हें आनन्द की प्राप्ति होती है। वस्तुतः सुख और दुःख से मिश्रित लोक व्यवहार जब अभिनय अथवा काव्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है तभी लोक में विनोद जनक सिद्ध होता है। 101
कवि जिस स्वभाव का होता है, उसकी कविता भी उसी प्रकार की होती है। जो कवि लोक जीवन की संवेदनाओं के रंगों से अपनी रचनाओं को चित्रित करता है, उसकी रचना अत्यधिक प्रभावशालिनी होती है। वही कवि सफल है जो अपनी अनुभूतियों को उसी रूप में प्रेक्षक तक पहुॅचा सके। 'काव्य का ध्येय यह कदापि नही है कि जो वस्तु एक हृदय में घटित होती है उसका प्रेषण करके दूसरों के लिए उसे बोधगम्य बना दिया जाय, वरन् इसका काम है दूसरे व्यक्ति में भी ऐसी मनोदशा की उत्पत्ति कराना जो कि कवि की उस मनोदशा के अनुकूल हो, जो अभिव्यक्ति द्वारा बहिर्मुख हो जाती है । 102
यह स्थिति तभी सम्भव होती है जब कवि लोक-जीवन के मार्मिक भावों को अपनी कविता के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। लोक जीवन को प्रत्यक्ष करने वाला कवि सभी वस्तुओं को प्रत्यक्ष कर लेता है। कवि की वास्तविक अनुभूतियाँ ही कलात्मक भावों का रूप धारण करती है, जिसका परिणाम यह होता है कि कवि स्वयं जिस भावों का सूक्ष्मता से भोग करता है इसी भावों के तल तक पाठक को पहुँचाने में सफल होता है।
कवि-प्रतिभा की सार्थकता इस बात पर निर्भर करती है कि उसकी कृतियों में लोक जीवन की संवेदनाओं का कितना व्यापक्तव अथवा वैविध्य मौलिक रूप में प्रभावी ढंग से उपस्थित किया गया है ।
लोक-संवेदनाएं मूलतः जन-साधारण के सुख-दुःख की गहरी अनुभूति कराती हैं। लोक-साहित्य में लोक-संवेदनाओं का जो रूप दिखाई पड़ता है, इतना सजग और सहज रूप उन कवियों के काव्य में नही प्राप्त होता जो लोक-प्रतिबद्ध होने का दंभ भरते हैं ।
वस्तुतः लोक साहित्य साधारण दुःखी जनों का स्वयं का भोगा हुआ साहित्य है, उसमें तरह
किसी की कृत्रिमता नहीं रहती क्योंकि उसका प्रवाह हृदय से होता है। इसमें बौद्धिकता
का विलास नहीं रहता है। कुछ प्रतिवद्ध कवि लोक पीड़ा को मार्मिक रूप में व्यक्त करने
में सफल सिद्ध हुए हैं परन्तु अनेक कवियों में केवल लोक जीवन का बाह्य स्पर्श मात्र ही दिखाई पड़ता है। लोक संवेदनाओं का सच्चा रूप - उन किसानों के श्रम की बूँदों में, जो गेहूँ और धान की बालियों में परिणत होकर बाजारों में पानी के भाव बिकते हैं उन श्रमिकों की हड्डियों में, जो कारखानों की आग में पिघलती रहती है उन श्रमिक युवतियों के फटेहाल - यौवन में, जिसे पेट की आग बुझाने के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ता उन दीन-हीन बालकों की पीड़ा में, जो प्लेटफार्मों पर फटे दोना को लूटने के लिए आपस में लड़ते रहते हैं, होटलों में दो वक्त की रोटी प्राप्त करने के लिए दिन-रात श्रम किया करते हैं तथा बँधुआ मजदूर की जिन्दगी जीने के लिए विवश रहते हैं - भूख की ज्वाला में पुत्र-पुत्रियों से घिरी हुई उन महिलाओं के दर्द में, जिनके पति अपने प्राण हथेली पर लेकर घर से बहुत दूर कुछ कमाने गये हैं, एवं मेहनतकश श्रमिक स्त्रियों के असहनीय परिश्रम, जो क्षुधानल में जलती हुई भी खेतों में धान रोपती हुई गाती रहती है, जिनके जीवन का शैशव जाड़ों की शीत-भरी रात में पुआलों में तथा यौवन गर्मी की दोपहर में खेत-खलिहानों में तथा वृद्धावस्था सड़क के पड़े ढेले की भाँति बीतता है दिखाई पड़ता
लोक-संवेदना वस्तुतः जीवन के उस अन्तःकरण की अभिव्यक्ति है जिसमें सहजता, सरसता, सिसृक्षा, जिजीविषा और दुर्धर्ष बाधाओं से संघर्ष करने की प्रबल अभिलाषा रहती है। जिसके द्वारा मानव हारकर भी विजय की अभिलाषा ही नहीं करता वरन् सन्नद्ध होकर विकराल काल से युद्ध कर प्रलय को सृजन में परिवर्तित करता रहता है ।
साहित्य की विशालता लोक-परम्परा से प्राप्त रीति-रिवाज, आचार-विचार, संस्कारों एवं संस्कृति का अनुपालन विविध प्रकार के अविश्वसनीय लगने वाले क्रिया-कलापों पर
विश्वास, शकुन अपशकुन, व्रत-त्योहारों के प्रति देवमूलक आस्था आदि क्रिया-कलापों के सूक्ष्म निरीक्षण का प्रतिफलन है। साहित्यकारों ने लोकजीवन के उफनते हुए समुद्र को केवल दूर से ही नहीं देखा, वरन् उसमें डूबकर उसके खारेपन के साथ ही उसके लावण्यमय रूप का आस्वादन करते हुए उसके हृदय तल के रत्नों को निकालकर उन रत्नों से अपनी कविता - कामिनी को सॅवारा ।
विश्व का सम्पूर्ण साहित्य सुखात्मक, दुःखात्मक तथा मोहात्मक संवेदनाओं की विवेचना करता है। उनके पात्रों मे वैशिष्ट्य भले ही हो, लेकिन संवेदनाओं में अन्तर नहीं है। यह बात दूसरी है कि अभिजात्य साहित्य में भौतिक-विलास तथा बौद्धिक कीड़ा का समावेश अधिक होने से लोक-साहित्य की भाँति हृदय की सहजता व सरसता कम दिखाई पड़ती है, पर लोक-संवेदनाओं से वह शून्य नहीं है। शिष्ट साहित्य का दीपक भी लोक-संवेदनाओं की स्नेहिल वर्तिका के प्रकाश से अन्धकार का भेदन करता रहा है । वस्तुतः साहित्य और लोक का सम्बन्ध गत्यात्मक और इतना अन्तरंग है कि विद्यमान रहने पर भी सतत मुखर नहीं होता है ।
लोक-संवेदनाओं के माध्यम से ही साहित्य में भारतीय संस्कृति में व्याप्त धार्मिक, सहिष्णुता, नैतिकता, समन्वय, समानता व विश्ववन्धुत्व जैसी भावनाओं का समावेश हुआ है । यह भारतीय संस्कृति भारत में रहने वाले हर भारतीय के संस्कारों में चेतन या अचेतन रूप में रची-बसी है जिसका आलोक कविताओं में उतर कर जन-जन को आप्लावित करता रहता है। रामायण और महाभारत की कथाओं ने भारतीय जन-मानस को अत्यधिक प्रभावित किया । फलतः लोक-गीतों में राम व कृष्ण से सम्बन्धित कथाओं का बाहुल्य देखा जा सकता है। इन महापुरुषों से सम्बन्धित गीतों को जन्म, मुण्डन, विवाहादि संस्कारो मे गाया भी जाता है । लोक गीतों की श्रुति - परम्परा वैदिक साहित्य के उदात्तत्व को उपस्थित करती है। जिस प्रकार किसी बात की प्रमाणिकता के लिए हम
वैदिक साहित्य के शब्दार्थों में डूब जाते है उसी प्रकार श्रुति - परम्परा को आज भी स्थिर रखने वाले लोक-गीतों की संवेदनाएँ साहित्य के लिए उपजीव्य है ।
जो कवि लोक-हृदय में पूर्ण रूप से समाया रहता है, उसी की कविता सरसता, सहजता को बिखेरती व काल-सीमा के बन्धनों को तोड़ती हुई वैश्वीकरण को प्राप्त होती है। एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से भिन्न है किन्तु लोक हृदय की अन्तर्भूमियों में कुछ ऐसी समानता होती है जो भिन्न-भिन्न देश, संस्कृति और जाति के मनुष्यों को एक ही क्षण में अपने में विलीन कर देती है। इसीलिए किसी एक देश-काल का साहित्य पूरे विश्व में प्रतिष्ठित हो जाता है ।
मार्क्स ने कला के सम्बन्ध में कहा है कि- कला जनोपयोगी होनी चाहिए और उसके द्वारा समाज के दलित वर्गों की मूक वेदनाओं, भावनाओं तथा आशाओं एवं निराशाओं की अभिव्यंजना होनी चाहिए। अतीत की कला महलों में पत्नी थी धनिक सत्ताधरियों के आमोद-प्रमोद का साधन बनी रही, परन्तु अब उसे जन-साधारण के सुख-दुःख, हास्य तथा अश्रुपात में भाग लेना पड़ेगा और इसी में उसकी सार्थकता निहित है। कला के प्रति मार्क्स का यह दृष्टिकोण काव्य मे लोक संवेदनाओं की अनिवार्यता
प्रकट करता है ।
लोक-संवेदनाओं में विश्वबन्धुत्व का भाव, पड़ोसी तथा समाज के प्रति प्रेम, मानव के प्रति प्रेम और श्रद्धा तथा एक दूसरे के हित के लिए आत्म-बलिदान की भावना निहित है। अतः साहित्य में इन संवेदनाओं की उपादेयता स्वयं सिद्ध है।
लोक-संवेदानाओं से तादात्म्य रखने वाला कवि अहं की चहारदीवारी से बाहर निकलकर समाज व जीवन के गूढ़ यथार्थ-सत्यों से साक्षात्कार कर उनमें व्याप्त विसंगतियों, विषमताओं व विडम्बनाओं के मूल कारणों को खोजकर अपनी कविता के माध्यम से उन्हें जग-जाहिर करता हुआ उनके खिलाफ जनमत तैयार करने में योग देता
है, ताकि समाज में सत्य, न्याय, प्रेम, नैतिकता, सहिष्णुता, समानता आदि मानव मूल्यों की प्रतिष्ठा हो सके । अतः कहा जा सकता है कि लोक संवेदनाओं से परिपूर्ण साहित्य समाज को नैतिक व मानवीय आधार पर सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
इस वैज्ञानिक युग के बढ़ते प्रभाव ने जहाँ विश्व की दूरी कम कर दी है, वहीं मनुष्य से मनुष्य की दूरी को बढ़ाया है। आज मनुष्य भौतिक विकास की लालसा में मनुष्यता की तिलाञ्जलि दे रहा है। ऐसी भयावह स्थिति में लोक-संवेदनाओं से संवलित साहित्य मानव का हित चिन्तक है । सभ्यता और भौतिकता की वृद्धि में मानव की हृदयगत कोमल भावनाओं पर प्रहार किया जिसके परिणाम स्वरूप साहित्य में अत्यधिक बौद्धिकता दिखाई पड़ती है। बौद्धिक - साहित्य अनिष्टकारी तो नही है पर लोक में उनकी पकड़ बिल्कुल न होने से उसका मूल्य आम जनता की दृष्टि से नगण्य है। स्पष्ट है कि भौतिकता के बढ़ते प्रभाव से साहित्य को लोक-संवेदनाएँ ही बचा सकती हैं क्योंकि इन लोक-संवेदनाओं में ही भारतीय सांस्कृतिक मूल्य समाहित है जो जन-जन को सही व स्वस्थ दिशा देने में समर्थ हैं । ये मूल्य हैं त्याग की भावना, सहज निश्छलता, परस्पर सौहार्द की भावना, धर्म-परम्पराओं के प्रति अनुराग की भावना आदि । त्याग की भावना स्वार्थ संकुचित मनुष्य के हृदय को विशालता प्रदान करती है। सहज निश्छलता लोभी व चतुर मनुष्य को आडम्बरमय जीवन की संकीर्ण गुफा से निकालकर विश्वबंधुत्व की धारा में प्रवाहित करने में सक्षम है। परस्पर सौहार्द्र की भावना नैतिकता तथा धर्म-परम्पराओं के प्रति अनुराग की भावना विश्रृङ्खलित मानव समाज को पाप के पङ्क से निकालकर उसे 'सत्यं शिवं और सुन्दरम' के रहस्य का साक्षात्कार कराकर परमानन्द प्रदान करने में पर्याप्त कराने में पर्याप्त है ।
अन्ततः कहा जा सकता है कि इस भौतिकवादी युग में लोक संवेदनाओं से युक्त साहित्य ही मनुष्य की प्रकृति विजयनी वैज्ञानिक लालसा को ध्वस्त कर, उसके आन्तरिक सन्तुलन, अनुशासन और उसके उत्कर्ष को लोकमंगलकारी बना सकता है, तथाकथित सम्य पुरूष की बर्बरता तथा अहङ्कार शीतला को नम्रता, सरसता और सहृदयता में परिवर्तित कर सकता है क्योंकि इन्ही लोक संवेदनाओं में समरसता की अजस्र धारा प्रवाहित होती रहती है । |
ईस्टर पर अगर आप कुछ स्पेशल बनाना चाहते हैं, तो मास्टर शेफ पंकज भदौरिया की ये पर्पल एग रेसिपी ट्राई कर सकते हैं।
रमजान (Ramadan 2023) का पाक महीना चल रहा है। गर्मी भी दस्तक दे रही है, ऐसे में शरीर को कूल रखना जरूरी है। हम आपको बताने जा रहे हैं दो मिनट रिफ्रेशिंग ड्रिंक जो आपको उपवास में भी अंदर से ठंडा रखेगा।
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फूड डेस्क. भारत और पाकिस्तान के बीच जुबानी जंग आए दिन चलती रहती है। इन दिनों चिकन मंचूरियन को लेकर फूड वॉर छिड़ा है। दोनों देशों के नेटिजन्स एक दूसरे से भिड़े हैं और चिकन मंचुरियन को अपनी रेसिपी बता रहे हैं। आइए जानते हैं किस देश ने इसे बनाया है।
चैत्र नवरात्रि में अगर 8 दिन व्रत करके आपकी एनर्जी पूरी तरह से डाउन हो गई है, तो आप आज ही ये स्वाद और हेल्थ से भरपूर मखाना कढ़ी बना सकते हैं।
अष्टमी या नवमी के मौके पर आप काले चने बना रहे हैं, तो इस सीक्रेट मसाले से आप इसे एकदम परफेक्ट बना सकते हैं।
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आज से पैंतालीस साल पहले पच्चीस जून सन उननीस सौ पचहतर को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी ने आपातकाल लगाया था । इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा जी के पास विकल्प नहीं बचा था । अंत में इंदिरा गांधी जी ने " आपातकाल " लगा दिया । जो आगे चलकर भारत का इतिहास ही बन गया । होना तो यह चाहिए था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के खिलाफ उन्हे सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था ।
आपातकाल मे लोगों की बोलने की स्वतंत्रता प्रेस की आजादी पर अंकुश ही लग गया । सिर्फ सरकार की न्यूज ही समाचार का माध्यम था। आज जिन लोग मोदी जी का विरोध कर रहे है तो उन्हे पैंतालीस साल पहले भी गौर करना चाहिए था। मुझे अच्छे से याद है कि उसी दिन गांधी चौक में स्व. मधु लिमये की आमसभा थी जो स्थगित हो गई और उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया था।
वहीं पूरे देश मे विपक्ष के नेताओ को जो जहां था वहीं पकड़ लिया गया । प्रेस की आजादी खत्म कर दी गई। उन समाचार पत्रों के मालिक व पत्रकार जो शासन के कदमों से सहमत नही थे वो भी अंदर हो गये । पूरा देश एक भय के साये मे रहने को मजबूर था । देश की पूरी सत्ता प्रधानमन्त्री स्व. इंदिरा जी के हाथो मे ही थी । नेताओं के साथ राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के स्वंय सेवको को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। पूरी कांग्रेस मे एक भी नेता ऐसा नहीं बचा जो आपातकाल का विरोध कर सके । उस समय आसाम के नेता स्व. देवकांत बरूआ तब कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उन्होंने एक बहुत प्रसिद्द नारा दिया था " इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा । " तबकी बार यह नारा जोरशोर से चल रहा था । पूरी राजनीतिक गतिविधियों पर विराम लग गया था ।
इंदिरा जी ने तब सर्वोच्च न्यायालय के तीन वरिष्ठ न्यायधीश की अनदेखी कर जूनियर को मुख्य न्यायधीश बनाया गया । जिसने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बदला । अंत मे उन्हे लोकतंत्र के नाम से जनता के सामने आना पडा । उसी समय संत विनोबा भावे जी ने आपातकाल को " अनुशासन पर्व " कहा । पर एक बात तय है कि आपातकाल के बुराइयों के बीच मे कुछ बातें हमे अपने नियमित जीवन मे देश वासियों को लाने की आवश्यकता थी । निश्चित एक अनुशासन पनपा था ट्रेन समय पर चलती थी । आफिस का काम बिलकुल सही समय मे होता था । भ्रष्टाचार डर के मारे काफी कम हो गया था । आफिस में आने जाने का जो समय था उसका पालन करते थे ।
दुर्भाग्य से हमारे यहां लोकतंत्र मे खुली आजादी मानी जाती है। किसी का कोई नियंत्रण नहीं है वही बगैर पैसा के कोई काम तक नहीं होता। आवश्यकता है इस अच्छे अनुशासन को अपनाने मे क्या आपत्ति है। कुल मिलाकर यह आपातकाल खट्टा मीठा दोनों था। पर खट्टा बहुत ज्यादा हो गया जिसके कारण से लोगों ने इसे नकार दिया। पर यह तय है आने वाले हर शासको को यह घटना उसे उसकी लक्ष्मण रेखा की याद दिलाते रहेगी । पर लोगों को भी अपने नागरिक कर्तव्यो का अहसास जो आपातकाल मे हुआ यही समय है हमे आज अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता है । बस इतना ही डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ।
(लेखक डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ जाने माने आयुर्वेद चिकित्सक हैं एवं विभिन्न समाचार पत्रों में उनका लेख प्रकाशित होता है। यह लेखक के निजी विचार हैं)
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पाकिस्तान के खिलाफ 1 दिसंबर से आयोजित होने वाले पहले टेस्ट मैच के लिए इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन का ऐलान हो गया है। लियाम लिविंगस्टोन टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाले हैं। इसका ऐलान ईसीबी ने किया है।
इंग्लैंड की टीम 17 साल के बाद पाकिस्तान की सरजमीं पर टेस्ट सीरीज खेलने के लिए तैयार है। एक दिसंबर से दोनों देशों के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज शुरू हो रही है। इसी सीरीज के पहले मुकाबले के लिए इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन का ऐलान हो गया है। एक नया ऑलराउंडर इंग्लैंड की टीम के लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाला है। इसका ऐलान भी हो चुका है।
गुरुवार से रावलपिंडी में शुरू हो रहे पहले टेस्ट मैच के लिए जैसे ही इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड यानी ईसीबी ने प्लेइंग इलेवन का ऐलान किया, वैसे ही इस बात की जानकारी भी सामने आ गई कि ऑलराउंडर लियाम लिविंगस्टोन टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करेंगे, जिनका सीमित ओवरों का करियर शानदार रहा है। इतना ही नहीं, एक खिलाड़ी की एंट्री 6 साल के बाद टीम में हुई है।
नॉटिंघमशायर के बल्लेबाज बेन डकेट को भी इंग्लैंड की टेस्ट टीम में जगह मिली है, जो पहले टेस्ट मैच में पाकिस्तान के खिलाफ खेलेंगे। बता दें कि वे 2016 के बाद पहली बार इंग्लैंड की टीम के लिए टेस्ट मैच खेलते नजर आएंगे। बेन डकेट जैक क्राउले के साथ ओपनिंग करने वाले हैं। इंग्लैंड ने सिर्फ दो ही तेज गेंदबाजों को मौका दिया है, जिनमें जेम्स एंडरसन और ओली रॉबिन्सन का नाम शामिल है।
जैक क्रॉउले, बेन डकेट, ओली पोप, जो रूट, हैरी ब्रूक, बेन स्टोक्स (कप्तान), बेन फोक्स (विकेटकीपर), लियाम लिविंगस्टोन, जैक लीच, ओली रॉबिन्सन और जेम्स एंडरसन।
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तिरुवनंतपुरम,17 जुलाई केरल में पांच और लोगों में जीका वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है, जिससे इस वायरस के मामले बढ़कर 35 हो गए हैं। राज्य में अभी 11 ऐसे लोगों का उपचार चल रहा है।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक मामला एर्नाकुलम से सामने आया है और वह व्यक्ति स्वास्थ्य कर्मी है। इससे पहले तक जीका वायरस संक्रमण के सभी मामले राजधानी से सामने आए थे।
मंत्री की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी प्रयोगशाला, अलाप्पुझा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) और कोयंबटूर में माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों में वायरस की पुष्टि हुई है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद का कुनबा बिखर चुका है. अतीक अहमद और उसका बेटा असद अब इस दुनिया में नहीं है. बेटे को एनकाउंटर में STF ने मार गिराया, जबकि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की पुलिस की मौजूदगी में हत्या कर दी गई. पिछले एक हफ्ते में ही माफिया अतीक समेत परिवार के तीन लोग मारे जा चुके हैं. बाकी लोग या तो जेल में हैं, या फिर फरार हैं.
अतीक अहमद और उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन के पांच बेटे हैं. बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में बंद है. दूसरा बेटा अली प्रयागराज की नैनी जेल में बंद है. तीसरा बेटा असद 13 अप्रैल को मुठभेड़ में एसटीएफ के हाथों मारा गया. अतीक के बाकी दो बेटे अभी नाबालिग हैं, जो बालसुधार गृह में हैं. कहा जाता है कि एक समय प्रयागराज में अतीक अहमद की तूती बोलती थी, और आज घर में सन्नाटा पसरा है.
जिस संपत्ति और शोहरत के लिए अतीक ने अपराध का रास्ता चुना, उसे आज कोई देखने वाला नहीं है. हालांकि अतीक अहमद ने पिछले तीन दशक में खूब संपत्तियां बनाईं, जो बेनामी क्यों न हो? आज हम आपको बताएंगे कि अतीक अहमद के पास कितनी नामी और बेनामी संपत्ति थी. क्योंकि उसने अधिकतर संपत्ति हड़पकर अपने नाम की थी. अब उसकी ये अथाह संपत्ति किसे मिलेगी, ये एक बड़ा सवाल है.
सबसे पहले बताते हैं, कि अतीक अहमद के पास घोषित कितनी संपत्ति थी. अतीक अहमद ने साल 2019 में वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था. उसने अपने चुनावी हलफनामे में कुल संपत्ति 25 करोड़ रुपये बताई थी. हलफनामे से खुलासा हुआ था कि अतीक अहमद के एक दर्जन से अधिक बैंक खाते थे. कागजी संपत्ति को छोड़ दें, तो अतीक अहमद ने अवैध तरीके से अकूत संपत्ति बनाई थी.
हालांकि पिछले 2 साल में अतीक अहमद की अधिकतर अवैध संपत्ति या तो कुर्क की जा चुकी है, या फिर उसपर बुलडोजर चला दिया गया है. पिछले हफ्ते प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अतीक अहमद की करीब 1169 करोड़ रुपये की संपत्ति पर या तो बुलडोजर चल गया है, या फिर उसे जब्त कर लिया गया है. इसमें से 417 करोड़ की संपत्ति को प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है, और करीब 752 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक अतीक ने पिछले करीब तीन दशक में करीब 1200 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति का साम्राज्य खड़ा किया था. अभी भी अतीक की अवैध संपत्तियों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है.
बता दें, ईडी ने अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम के एनकाउंटर से पहले अतीक और उसके करीबियों के ठिकानों पर छापे मारे थे. ईडी को तब 15 ठिकानों से 100 से ज्यादा अवैध और बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे. इस दौरान ये खुलासा भी हुआ था कि उसने लखनऊ और प्रयागराज के पॉश इलाकों में कई संपत्तियां खरीदी हैं. ये संपत्तियां या तो अतीक के नाम पर हैं या उसके परिवारवालों के नाम पर हैं.
इसी दौरान ED को अतीक के नाम दर्ज लखनऊ में 47 लाख रुपये की कीमत के 5900 Sqmt में बने मकान के सबूत भी मिले. अतीक अहमद ने साल 2013 में लखनऊ के गोमतीनगर का प्लॉट सिर्फ 29 लाख रुपये में लिखवा लिया था, जबकि सर्किल रेट के आधार पर इसकी कीमत 47 लाख रुपये थी.
अतीक की संपत्ति का कौन दावेदार?
अतीक की मौत के बाद ये सवाल सबसे बड़ा है, कि क्या उसकी पत्नी और उसके दोनों बेटों को काली कमाई की पूरी जानकारी है? खबरों के मुताबिक अतीक और अशरफ के जेल जाने के बाद शाइस्ता ने जमीन से जुड़े अवैध कारोबार को अपने हाथों में ले लिया. उमेश पाल की हत्या के पीछे शाइस्ता की बड़ी भूमिका बताई जा रही है. उमेश पाल की हत्या में नाम आने के बाद से ही वह फरार है.
यही नहीं, मारे जाने से पहले अतीक ने पुलिस को 14 ऐसे लोगों के नाम बताए थे, जो उसे फंडिंग किया करते थे. ये रकम शाइस्ता परवीन तक पहुंचाई जाती थी. इसलिए पुलिस ने शाइस्ता की तलाश तेज कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, अतीक अहमद ने पुलिस की पूछताछ में ऐसी 200 से अधिक फर्जी कंपनियों के बारे में बताया है, जिससे उसकी काली कमाई का कनेक्शन है.
शाइस्ता परवीन आखिरी बार तभी दिखी थी, जब प्रयागराज में उसके घर को गिराया जा रहा था. तब अपनी ननद यानी अतीक की बहन के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आई शाइस्ता ने अतीक की जान को खतरा बताया था.
सूत्रों के मुताबिक असद का नाम सामने आने के बाद शाइस्ता परवीन ने पहले असद को बचाने के लिए नेपाल भेजने की कोशिश की. लेकिन एसटीएफ की सख्ती की वजह से ऐसा नहीं हो सका. इसके बाद शाइस्ता ने शूटर गुलाम को असद के साथ ही रहने को कहा. इसी बीच शाइस्ता ने असद के लिए फंडिंग का इंतजाम भी शुरू कर दिया. खबर है कि शाइस्ता किसी तरह असद को देश से निकालकर खाड़ी के किसी देश में शिफ्ट करने की भी कोशिश कर रही थी. लेकिन पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेजों की दिक्कत के कारण ऐसा नहीं हो सका.
सूत्रों के मुताबिक पुलिस को ये भी पता चला कि असद को छिपाने के लिए जब शाइस्ता ने पैसे की जरूरत बताई तो अतीक के कहने पर लखनऊ के एक बिल्डर मुस्लिम खान ने शाइस्ता के पास 80 लाख रुपये की खेप पहुंचाई थी. हालांकि बाद में जब अतीक अहमद के ठिकानों पर छापे पड़े तो खबर है कि पुलिस को वहां हथियार और कारतूसों के अलावा 75 लाख रुपये और 50 शेल कंपनियों के दस्तावेज भी मिले थे.
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को हुआ था. अतीक के पिता हाजी फिरोज तांगा चलाते थे. अतीक का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता था, वो 10वीं में फेल हो गया. इसके बाद वो इलाके के बदमाशों की संगत में आ गया. पैसों की खातिर उसकी जुर्म की दुनिया में एंट्री हुई. इसके साथ ही वह मारपीट, अपहरण और रंगदागरी वसूलने जैसे काम करने लगा. जब अतीक अहमद सिर्फ 17 साल का था तो उस पर हत्या का आरोप लगा था.
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Bihar News: बिहार (Bihar) में दिल्ली के कंझावला जैसी वारदात सामने आई है। यहां एक कार सवार ने 70 वर्षीय बुजुर्ग को टक्कर मार दी। इसके बाद बोनट में फंसे बुजुर्ग को कार सवार करीब 8 किमी तक घसीटते हुए ले गया। आखिर में बुजुर्ग की मौत हो गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। आरोपी चालक फरार है।
जानकारी के मुताबिक घटना पूर्वी चंपारण जिले की है। यहां के बंगारा गांव निवासी 70 वर्षीय शंकर चौधरी अपनी साइकिल से NH-28 पर कोटवा के पास बंगारा रोड को पार कर रहे थे। तभी एक तेज रफ्तार कार सवार ने उन्हें रौंद डाला। पिपराकोठी थाना प्रभारी अनुज कुमार सिंह ने बताया कि कार को जब्त कर लिया गया है।
पुलिस जिला परिवहन कार्यालय से उसके मालिक का पता लगा रही है। थाना प्रभारी ने बताया कि एसयूवी गाड़ी गोपालगंज की ओर से आ रही थी। बताया गया है कि टक्कर के बाद शंकर चौधरी काफी देर तक बोनट से चिपके रहे। घटना को देख इलाके में हड़कंप मच गया।
बताया गया है कि करीब आठ किमी जाने के बाद गाड़ी चालक ने ब्रेक लगाए। इसके बाद शंकर गिर गए और गाड़ी उनके ऊपर से निकल गई। स्थानीय लोगों ने भी अपनी बाइकों से गाड़ी का पीछा किया और पुलिस को जानकारी दी।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कार मोतिहारी के एक डॉक्टर की है। मोतिहारी एसडीपीओ अरूर कुमार गुप्ता ने बताया कि कोटवा पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। चालक की पहचान के लिए आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। घटना के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए सड़क पर जाम लगा दिया। क्षेत्राधिकारी निरंजन कुमार मिश्रा ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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भिंडः मध्य प्रदेश के भिंड जिले की गिनती देश के सबसे गंदे शहरों में होने लगी है, और इससे यहां के बच्चे तक दुखी हैं। यही कारण है कि500 से ज्यादा स्कूली छात्र-छात्राओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर पूछा है कि 'आखिर हमारा शहर गंदा क्यों है। ' पिछले दिनों केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 476 शहरों की सफाई को लेकर कराए गए सर्वेक्षण में भिंड शहर देश के सबसे गंदे शहरों में दूसरे नंबर का शहर है। भिंड को गंदे शहरों की सूची में आने पर किशोरी पब्लिक विद्यालय के करीब 500 छात्र-छात्राएं आहत हैं। इन छात्र-छात्राओं ने अपने इस दर्द को जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री चौहान को पत्र लिखकर पूछा है कि आप ही बताएं कि हमारा शहर आखिर गंदा क्यों है।
छात्र-छात्राओं द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है,"आपके आह्वान पर देश के अन्य शहरों की तरह भिंड में भी साफ-सफाई अभियान चल रहाहै, मगर सफाई कहीं भी नजर नहीं आती है, आखिर ऐसा क्यों है, वे नहीं जान पा रहे है। "
स्कूल प्रबंधन ने छात्र-छात्राओं की ओर से पत्र खिले जाने की पुष्टि की है। बताया गया है कि छात्र-छात्राओं ने पत्र में लिखा है कि "भिंड से सांसद भाजपा के हैं, शहर के विधायक भाजपा और नगर पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष भी भाजपा के हैं, तो फिर शहर गंदा क्यों है। " साथ ही प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से शहर को साफ सुथरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील भी की गई है।
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वर्ष 1 9 83 तक, कारखानों अधिनियम, 1 9 48 और द बॉयलर एक्ट, 1 9 23 के कार्यान्वयन और प्रवर्तन को आयुक्त, श्रम और रोजगार, गोवा सरकार, दमन और दीव के अधिकार के तहत कारखाने निरीक्षक कार्यकलाप द्वारा किया गया था।
भारत सरकार के निर्देशों के प्रकाश में और श्रम मंत्रियों के सम्मेलन के 24 वें सत्र की सिफारिशों में, गोवा सरकार, दमन और दीव ने आयुक्त, श्रम और रोजगार कार्यालय से कारखाने और बॉयलर निरीक्षक को विभाजित करने का फैसला किया और सरकार के एक नए कार्यालय को "कारखानों और बॉयलर के निरीक्षक" के रूप में नामित करने के लिए।
तब से, इसे कारखानों अधिनियम, 1 9 48, बॉयलर अधिनियम, 1 9 23 और औद्योगिक सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र और औद्योगिक स्वच्छता प्रयोगशाला के तहत नियमों के कार्यान्वयन के साथ सौंपा गया है। इसके बाद पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1 9 86 के अधिनियमन के साथ, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1 9 86 के तहत कुछ प्रावधानों को लागू करने की शक्तियां मुख्य निरीक्षक के पास निहित थीं।
विभाग का नेतृत्व कारखानों के मुख्य निरीक्षक और बॉयलर, जो सरकार के पूर्व अधिकारी संयुक्त सचिव के रूप में भी कार्य करता है।
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नई दिल्लीः यदि आप दिल्ली में रहते हैं तो घर से निकलने से पहले इस खबर को जरूर पढ़ लें ताकि आपको कोई दिक्कत ना हो। दरअसल आज गणतंत्र दिवस से पहले होने वाली फुल ड्रेस रिहर्सल है जिसके चलते दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कई जगहों पर ट्रैफिक रूट्स में बदलाव किया है। इसके अलावा दो मेट्रो स्टेशन भी दोपहर तक बंद रहेंगे। फुल ड्रेस रिहर्सल के चलते कई मार्गों पर जाम लगने की संभावना है।
दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक एडवाजरी जारी करते हुए कहा है कि फुल ड्रेस रिहर्सल सुबह नौ बजकर 50 मिनट पर विजय चौक से शुरू होगी और राजपथ, सी-हेक्सागन, तिलक मार्ग, बहादुर शाह जफर मार्ग और नेताजी सुभाष मार्ग से होते हुए लाल किले की तरफ बढ़ेगी। रिहर्सल के दौरान उसी मार्ग का उपयोग किया जाएगा जिन मार्गों से होकर 26 जनवरी की परेड गुजरती है। परेड रिहर्सल पूरा होने तक विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक यातायात पर पूरी तरह रोक होगी।
रफी मार्ग, जनपथ, मान सिंह रोड रिहर्सल पूरा होने तक बंद रहेंगे। बुधवार रात 10 बजे से लेकर रिहर्सल पूरा होने तक भारी वाहन/बड़े मालवाहक वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध है। इन वाहनों को आईएसबीटी सराय काले खां और आईएसबीटी कश्मीरी गेट के बीच गुरुवार सुबह सात बजकर 30 मिनट से दोपहर एक बजकर 30 मिनट तक चलने की मंजूरी है।
गुरुवार यानि आज यात्रियों के लिए मेट्रो सेवा उपलब्ध होगी लेकिन उद्योग भवन और केंद्रीय सचिवालय स्टेशनों के कुछ प्रवेश और निकास द्वार बंद रहेंगे। केंद्रीय सचिवालय और उद्योग भवन सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे बंद रहेंगे। वहीं लोककल्याण मार्ग और पटेल चौक सुबह आठ बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजे तक बंद रहेंगे।
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इस समय पाकिस्तान (Pakistan) की आर्थिक हालत बेहद खराब है। लोगों के पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए आटा तक नहीं है और आटा खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं लेकिन तब भी कई लोगों को यह नहीं मिल पा रहा है। सब्जियों से लेकर तमाम खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं और कमरतोड़ महंगाई ने पाकिस्तान की जनता को परेशान कर रखा है। वहीं अब तक पाकिस्तान IMF के भरोसे बैठा हुआ था ताकि उसे लोन मिल जाये लेकिन अब उसकी इस उम्मीद पर भी पानी फिरते नजर आ रहा है। जी हां, पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के बीच गुरुवार को बेलआउट पैकेज के लिए वार्ता बिना किसी समझौते के खत्म हो गई है। पाकिस्तान संगठन के साथ 6. 5 अरब डॉलर वाले पैकेज के लिए आईएमएफ के साथ वार्ता कर रहा था और बिना किसी नतीजे के ही यह खत्म हो गई। यह पाकिस्तान की जनता के लिए बड़ा झटका है। हालांकि दोनों पक्ष इस बात पर रजामंद हुए हैं कि उन उपायों को लागू किया जाएगा जिसके जरिए कंगाली से बचने के लिए एक डील की जा सके।
दरअसल, आईएमएफ को इस बात पर भरोसा नहीं है कि सभी कड़ी शर्तों को पाकिस्तान लागू करेगा। मीटिंग में भी अथॉरिटीज उसे इस बात पर जरा भी यकीन दिलाने में असफल रहीं। आईएमएफ की टीम 10 दिनों के दौरे पर पाकिस्तान आई थी। गुरुवार को यह दौरा भी बिना किसी समझौते के खत्म हो गया। आईएमएफ की टीम को नाथन पोर्टर लीड कर रहे थे। शहबाज सरकार में वित्त मंत्री इशाक डार, पोर्टर और उनकी टीम को जरूरी भरोसा दिलाने में पूरी तरह से असफल रहे।
आईएमएफ की टीम के साथ पिछले कई दिनों से लगातार मीटिंग कर रहे थे। मगर इसके बाद भी उन्हें जरूरी लक्ष्य हासिल नहीं हो सका। वित्त सचिव हामिद याकूब शेख ने कहा कि जरूरी एक्शन पर रजामंदी हो गई थी लेकिन इसके बाद भी स्टाफ लेवल एग्रीमेंट का ऐलान नहीं हो सका। विश्वसनीयता संकट के चलते आईएमएफ पाकिस्तान को लोन देने से बच रहा है।
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Bollywood Live Updates 27 Septeber- सुबह होते ही हम आपके लिए फिर से बी-टाउन की कुछ खबरें लेकर सामने आए हैं और ये सिलसिला पूरे दिन जारी रहेगा। इस पेज पर आपको हर खबर की अपडेट मिलेगी।
Farah Khan- मुंबई के लाल के राजा के दर्शन करना इस वक्त काफी मुश्किल हो चुका है। सितारों के जो वीडियोज सामने आ रहे हैं वो आपको हैरान करने के लिए काफी हैं। भीड़ में बुरी तरह से फंसने पर फिल्ममेकर और कोरियोग्राफर फराह खान की हालत काफी खराब हो गई।
शादी के बाद मुंबई छोड़कर इस शहर में शिफ्ट होंगी परिणीति चोपड़ा? इस खबर से चौंक जाएंगे फैंस!
नौबत उनकी तबियत बिगड़ने तक आ गई थी। इस दौरान देखा गया कि कुछ लोग उनको सहारा देकर भीड़ से निकालकर लिए जा रहे हैं। फिलहाल फराह खान ने पोस्ट करते हुए खुद बताया है कि वो ठीक हैं लेकिन भीड़ में फंसने की वजह से उनकी हालत ऐसी हो गई थी।
Shehnaaz Gill Troll- बिग बॉस से निकलकर मशहूर हुईं शहनाज गिल इस वक्त अपने लुक्स को लेकर काफी चर्चा में रहती हैं। इस वक्त फिर से वो इस तरह की ड्रेस में सामने आई हैं कि लोग उनको खरी खोटी सुना रहे हैं। इस दौरान वो भूमि पेडनेकर के साथ थीं और येलो कलर की बेहद शॉर्ट ड्रेस पहने हुईं थीं।
वायरल वीडियो में लोगों के कमेंट्स सामने आए हैं और उनको शहनाज गिल का ये बोल्ड अवतार बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है। लोगों का मानना है कि शहनाज अब पहले जैसी नहीं रही।
इसी तरह की ढेरों बॉलीवुड की चटपटी खबरों के लिए आप बने रहिए फिल्मीबीट हिंदी के इस लाइव पेज के साथ..
सुपरहिट फिल्म आशिकी 2 फेम आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर एक बार फिर साथ में देखे गए। दोनों को साथ में ऐसे देखकर फैंस इमोशनल हो गए। इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
'फुकरे' फ्रेंचाइजी की तीसरी कड़ी 'फुकरे 3' का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म का ट्रेलर जारी हो चुका है। इसमें फुकरे गैंग को मजेदार अंदाज में देखकर दर्शक उत्साहित हो गए हैं। हालांकि, इस बार फिल्म में अली फजल की अनुपस्थिति ने दर्शकों को थोड़ा निराश कर दिया है। हालांकि, अब खबर आ रही है कि फिल्म के तीसरे पार्ट में अली फजल का स्पेशल अपीयरेंस देखने को मिलेगा।
हनीमून से पहले ही राघव को अपने इस काम से दीवाना बना रही परिणीति चोपड़ा, सुनकर आपको लगेगा झटका!
Parineeti Chopra Raghav Chadha reception: न्यूली मैरिड कपल परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा अपनी शादी के बाद लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। एयरपोर्ट लुक से लेकर शादी के लुक को लेकर परिणीति चोपड़ा के वीडियो और फोटोज जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। अब खबर है कि जल्द ही परिणीति और राघव दो जगहों पर अपनी कुछ समस्याओं की वजह से रिसेप्शन करेंगे। ऐसी खबर है कि, कपल दिल्ली में राजनेताओं और मुंबई में सेलेब्स की वजह से रिसेप्शन होगा।
Bigg Boss 17: टीवी की दुनिया सबसे ज्यादा चर्चित और पॉपुलर रियालिटी शो बिग बॉस जल्द ही फिर से अपने नए सीजन के साथ दस्तक देने वाला है। सलमान खान के इस धमाकेदार शो बिग बॉस 17 में इस बार अंकिता लोखंडे और विक्की जैन एंट्री लेने वाले हैं। ऐसी खबर है कि, शो में अपनी जबरदस्त एंट्री के लिए अंकिता ने पूरा का पूजा बाजार ही खरीद लिया है।
As per the report, They have purchased 200 outfits and plan on not repeating their clothes inside the house.
अजीबों-गरीब ड्रेस पहनकर निकली Urfi Javed ने कहा, -"मैं राज कुंद्रा की तरह करना..."
Urfi Javed: हमेशा ही अपने कपड़ो और अपने बयानों को लेकर खबरों में रहने वाली सोशल मीडिया इन्फ्लुंसर उर्फी जावेद एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है। उर्फी हाल ही में अपने नए अतरंगी लुक के साथ मुंबई में स्पोर्ट हुई, इस दौरान उर्फी ने शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को लेकर बयान दिया और कहा वह उनकी तरह की कुछ करना चाहती हैं।
इस टीवी एक्ट्रेस की मौत की खबर सुनकर रो रहे थे लोग, तभी हसीना ने फोटो शेयर करके कहा- 'मैं जिंदा हूं'
Thapki Pyaar Ki Actress: मशहूर टीवी शो 'थपकी प्यार की' से प्रसिद्धि पाने वाली टेलीविजन एक्ट्रेस जिज्ञासा सिंह ने हाल ही में अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपनी मौत की अफवाहों को खारिज कर दिया। उन्होंने यूट्यूब वीडियो का एक स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसका शीर्षक था 'थपकी प्यार की अभिनेत्री का निधन', 'एक्ट्रेस का आखिरी वीडियो' और 'एक्ट्रेस थपकी का निधन-चौंकाने वाली खबर'।
Sonam Kapoor Video: मशहूर बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर को फैशन क्वीन भी कहा जाता है। लेकिन फैशन की एक बात जो लोगों को कत्तई पसंद नहीं आती, वो है इसमें होने वाला अंग प्रदर्शन और खासतौर पर तब जब ये अंग प्रदर्शन ऊप्स मोमेंट में तब्दील हो जाए तो।
Bhojpuri Unmarried Actress: बॉलीवुड की तरह ही भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री अपना नाम कमाने की कोशिश कर रही है, हालांकि, भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री आए दिन विवादों में ही रहती है। वजह है अश्लील कंटेंट। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में भर-भरकर अश्लीलता परोसी जाती है और महिला एक्ट्रेस को तो खूब हॉटनेस दिखानी पड़ती है। लेकिन इनका खामियाजा भी भोजपुरी हसीनाओं को भुगतना पड़ता है।
परिणीति चोपड़ा, जो अपने अभिनय कौशल के लिए जानी जाती हैं, एक प्रतिभाशाली गायिका भी हैं और आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा के साथ अपनी शादी के लिए, उन्होंने 'ओ पिया' नामक एक रोमांटिक गाना रिकॉर्ड किया। हिंदी और पंजाबी दोनों भाषाओं में बोल वाले गाने के माध्यम से, परिणीति ने राघव के प्रति अपना प्यार जताया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुमान है कि जवान ने सभी भाषाओं में अपने 20वें दिन भारत में ₹5.1 करोड़ की कमाई की है। फिल्म ने पहले हफ्ते में ₹389.88 करोड़ (हिंदी में ₹347.98 करोड़, तमिल में ₹23.86 करोड़ और तेलुगु में ₹18.04 करोड़) और दूसरे हफ्ते में ₹136.1 करोड़ (हिंदी में ₹125.46 करोड़, तमिल में ₹4.17 करोड़) का कलेक्शन किया। , और तेलुगु में ₹6.47 करोड़)।
सलमान खान ने फैंस के इंतजार को खत्म कर दिया है। वादे के मुताबिक टाइगर 3 का दमदार टीजर 11 बजे रिलीज हो गया है। जाहिर है कि फैंस के लिए ये किसी उपहार से कम नहीं है।
जब भी बॉलीवुड में रोमांस या फिर रोमांटिक फिल्मों की बात होगी तो सबसे पहले अगर किसी का नाम आएगा तो वो होंगे यश चोपड़ा। मशहूर फिल्म फिलहाल हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी बनाई हुई हर फिल्म आज भी उनके होने का एहसास दिलाती है। आज यश चोपड़ा का जन्मदिन है और इस मौके पर उनको याद करते हुए उनके फैंस भावुक हो रहे हैँ।
टाइगर श्रॉफ और कृति सैनन की धमाकेदार फिल्म गणपत को लेकर चर्चा है। इस वक्त एक पोस्टर रिलीज किया गया गया है जिसमें टाइगर श्रॉफ और कृति सैनन नजर आ रही है। कृति सैनन का ये लुक काफी पसंद किया जा रहा है।
आमिर खान के साथ हाथ मिलाएंगे सनी देओल!
सनी देओल और निर्देशक राजकुमार संतोषी एक एक्शन फिल्म पर चर्चा कर रहे हैं। और ये फिल्म आमिर खान के प्रोडक्शन तले बनाई जाएगी। यह तिकड़ी फिल्म को दिसंबर 2023 या जनवरी 2024 के आसपास फ्लोर पर ले जाने की सोच रही है। वहीं, फिल्म की आधिकारिक घोषणा सनी देओल के जन्मदिन (19 अक्टूबर) पर की जा सकती है।
दरअसल 26 सितंबर को उनको जुड़वां बच्चों का जन्मदिन था और इस मौके पर एक बेहतरीन पोस्ट सामने आई थी। इस पोस्ट में उनके साथ उनके पति और फिल्म निर्माता विग्नेश शिवन नजर आ रहे हैं। नयनतारा के जुड़वां बच्चों का नाम उइर और उलाग है।
सहज ने लिखा, "मीडिया और जनता से अपील... मुझमें साक्षात्कार करने का साहस नहीं है। बिना सबूत के किसी की फर्जी बातों पर विश्वास करके हमारी छवि को और खराब न करें। पुलिस अपना काम कर रही है। जब हमने राजनीतिक दबाव में मामला नहीं निपटाने का फैसला किया तो उन्होंने हमारे खिलाफ बयान देना शुरू कर दिया।
नसीरुद्दीन शाह बोले, "मैंने आरआरआर देखने की कोशिश की, लेकिन नहीं देख सका, मैंने पुष्पा देखने की कोशिश की, लेकिन नहीं देख सका। हालाँकि मैंने मणिरत्नम की फिल्म देखी। क्योंकि वह बहुत सक्षम फिल्म निर्माता हैं और उनका कोई एजेंडा नहीं है। देखने के बाद अक्सर एक ख़ुशी का एहसास होता है जो कई दिनों तक बना रहता है। मैं कल्पना नहीं कर सकता, मैं ऐसी फिल्में देखने कभी नहीं जाऊंगा।"
लाल बागचा राजा के पंडाल से एक और चौकाने वाला वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में सोनू सूद, शेखर सुमन और फराह खान नजर आ रही हैं। बेशक इस वीडियो को देखने के बाद स्टार्स स्टार्स नहीं लगेंगे बल्कि भीड़ का एक हिस्सा दिख रहे हैं।
लाल बाग के राजा के दर्शन करने के दौरान भीड़ में फंसी फराह की हालत खराब, सामने आया ये वीडियो..
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यह श्रादत कमी-कमी ८ या १० वर्ष तक के बच्चों में बनी ह है। ऐसी स्थिति में बालक को इसके लिये लत्रित नहीं करना पाई। बालक का आत्मविश्वास बढ़ाने से तथा उसे इस श्रादव को के लिये प्रोत्साहित करने से यह आदत छूट जाती है। जिन लड़को में आत्मसम्मान का मात्र या जाता है, वे अपनी प्रवन अपनो शारीरिक क्रियाओं के कार संयम करने की शक्ति प्रकर है। इस प्रसंग में डाक्टर डगलस, ए० राम महाराय का मॉवलेम् ऑव् एव्हरी डे चाइल्ड" नामक पुस्तक में दिया हुआ नि
आठ वर्ष के अच्छे घर के एक बालक को विस्तर में पेशाब करने की श्रादत थी। उसका इलाज एक योग्य डाक्टर करते थे। उन्होंने ह श्रादत को छुड़ाने के लिये सभी प्रकार की चिकित्सा की, पर तो भो यह आदत छूटती नहीं थी। डाक्टर ने उसकी शारीरिक चिकित्सा की; दंड द्वारा भी उसकी चिकित्सा की गई, पर किसी तरह यह आदत न गई । डाक्टर के पास कोई उपाय शेष नहीं था। इसी बीच में उसके एक युक्ति सोची। एक रोज जब वह बालक से मिलने गया तो उस बालक की दिनचर्या की सभी बातों के बारे में प्रश्न किये पर उठ बिस्तर पर पेशाब करने के बारे में कोई प्रश्न नहीं किया । चन्द्र जब डाक्टर जाने लगे तो स्वयं बालक ने डाक्टर सादव से कहाआपने बिस्तर में पेशाब करने के बारे में तो कुछ नहीं पूछा, तो डाक्ट ने सहज भाव से कहा- इसके बारे में पूछना क्या है ? जो बालक अपनी कक्षा में इतना ऊँचा रहता है और जो इतने नामवरी के काम कर सकता है वह जब निश्चय कर लेगा उस श्रादत को अवश्य छेड़े सकेगा। ऐसा करते हुए वह और दूसरे विषयों पर फिर बातचीत करने लगा । डाक्टर के इस प्रकार के कहने का बालक पर विलक्षण प्रभाव हुआ। उस दिन से बालक का विस्तर पर पेशार करना चूर
गया। अब उसे पेशान जब लगती तो यह जग जाता और उठ कर
पेशाब करता ।
यहाँ हमें यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि किसी बीमारी के ने के लिये व्यक्ति के अचेतन मन की सहायता लेना आवश्यक है। उसकी सहायता प्राप्त करने के लिये चिकित्सक को मरीज के साथ अहंकार को छोड़ कर प्रेम भाव के साथ बर्ताव करना चाहिये । अब 4 तक डाक्टर यह कहता है कि मैं तुम्हारे अमुक रोग को हुड़ा हूँगा तथ तक वह किसी प्रकार भी मरीज को पूरी तरह अच्छा करने में सफल नहीं हो सकता । किसी भी व्यक्ति के सुधार में वास्तव में उस व्यक्ति का मोतरी मन ही काम करता है चाहे वद बुरी आदत का सुधार हो अथवा किसी रोग का सुधार बिना श्रचेतन मन की सहायता के किसी भी बुरी श्रादत से मनुष्य न स्वयं मुक्त हो सकता है और न कोई दूसरा व्यक्ति उसे मुक्त कर सकता है। बिस्तर में पेशाव करनेवाले व्यक्ति के विषय में भी यही सिद्धान्त लागू होता है। हमें सदा उसे प्रोत्साहित करते रहना चाहिये कि वह पेशाम के समय जाग जाय। जिस समय हमारा संदेश उसके प्रचेतन मन तक पहुँच जाता है तो हमारा काम बन जाता है। बालक के श्रात्मविश्वास को तथा आत्मभिमान को कभी भी कम न होने देना चाहिये । बालक के चरित्र गठन का यह सबसे बड़ा मौलिक सिद्धान्त है श्री चन्द्रकान्ता कोचर के निम्नलिखित विचार जो शिक्षक के नवम्बर १९४५ के अंक में प्रकाशित हुए हैं इस प्रसङ्ग में उल्लेखनीय हैंःयदि बालक को स्वच्छ नियम और श्रादते सिखाने में अधिक कठोरता की जायगी, तो चालक न केवल मूत्र ध्याग करने में इड करेगा; बल्कि अन्य दूसरी कठिनाइयाँ भी उपस्थित होने की सम्भावना हो सकती है। दाल दो में एक बालक की स्थिति मनोवैज्ञानिकों के समक्ष प्रस्तुत की गयी है। बालक तीन वर्ष का स्वस्थ और प्रसन्नचित्त |
नई दिल्ली : भारत पर एक बार फिर से डिजिटल अटैक हुआ है। इस बार हैकर्स ने देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के वेबसाइट को निशाना बनाया है। सूत्रों के मुताबिक रूसी हैकर्स की ग्रुप फीनिक्स ने वेबसाइट को हैक किया है। हैक की जानकारी मिलने के बाद मंत्रालय ने तुरंत इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को जांच में लगा दिया है।
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कपोती और मजदुववृति
कापोतोके सामने यह वाकया कि इस बोनस के लिए युम्न तान महोनाक जिनके नाम निकांन करनी चाहिये। परन्तु यह मनायिय का काकि उतना जनम भागना उनित होगा और पानामे उया इतना बासन मिला है? मित्रोके जानकारों व ऐसा मत का कितना अननसामने की स्थिति तो है, लेकिन माडिक यह मान खोकडर नहीं करेंगे। उसए ना बोनस नहीं मित्र माना। अकन मन के अनुसको माग नगर की जाय, तो हैदो माहस पावन पर्व डिनाएँ नहीं होगी।
उसने यह जान पातीक सामने रखो, लेकिन उन्हें यह विचार सरणी हो एमः नहीं आई । उनी नीति यह थी कि उचित होने के साथ ऐसी भी होनी चाहिये जिसका सदस्य दृष्टिले नोचनेवाला कोई भी व्यक्ति शहार न हो। परन्तु बाजी वृत्तिने पहले बहुत बड़ी मांग की नाम और बाद उससे बहुत कम स्वीकार करके समझोता कर लिया जाय, तो ऐसी नीति उचित नहीं मानी जायगी। इतना ही नहीं, मजदुर जनता ऐसे व्यवहारको समझ भी नहीं सकती। अतः मांग नामान्यतः उचित होनी चाहिये और व्याव हारिक भी होनी चाहिये । और यदि मांग ऐसी हो जिसे घटाया न जा सके, तो उसके लिए अंत तक लड़ लेना भी उचित माना जावना गांधीजीकी यह दृष्टि बिलकुल ठीक थी, इसलिए बोनसके प्रश्न पर इस दृष्टिसे सावधानीपूर्वक सोच-विचार कर मजूर महाजनकी औरते डेढ़ महीनेके वेतन जितने वोनसकी मांग मालिकोंके सामने रखी गई।
सरपंचकी मांग
उस समय मंगलदास सेठ कुछ बीमार थे, इसलिए गांधीजी और मैं उनसे मिलने गये। उनके साथ जब वोनसके वारेमें चर्चा हुई तो उन्होंने यह मत प्रकट किया कि पिछले वर्ष जितना वोनस इस वर्ष भी दिया जा सकता है, लेकिन डेढ़ महीनेका तो किसी हालत में नहीं दिया जा सकता । इसके बाद वे इस सम्बन्ध में अपने विचार |
दो. (चनमाला) प्राणदान ढातार तुम, श्रम क्यों तजो निराश । दासी की यह विनति, चलू साथ वनवास ।।
छं ( बनमाला) है दुःख विरह का अतुल, यह मुझमे सहा नहीं जायगा । याद कर कर यापकी यह, मन मेरा चवरायगा ।। सीता की सेवा मैं कम्गी, तुम करो श्रीराम की । सोचलें मन में जरा, मैं तो हू साथिन जान की । बोले अनुजय भामिनी ! ज्यादा न हट अब कीजिये । वापिसी में साथ लेंगें मन को तसही दीजिये ।। समझाय वनमाला को लक्ष्मण, राम आगे को चले। थकती जहा सीता वहा विश्राग लेते द्रुम तने ।। बन खण्ड से आगे बढे, मांजल पुर पास । उद्यान देख कहने लगे, मिला दृश्य यह खाम ॥ थे बाग जलाशय स्वाभाविक, अद्भुत ही रग दिखाते है । क्या यही स्वर्ग का टुकडा है, जो कवि कथन कथ गाते है ।। उसी जगह विश्राम किया, फल फूल अनुज कुछ लाले है । फिर संस्कार किया सीताने, सियाराम अनुजने खाये है ॥ जब आहार किया फल फूलों का, नही अन्न की दरकार रही। तब देख देख खुश होते है, नही मिला दृश्य यह और कही ।। फिर अनुज राम की आज्ञा पा, नगरी की सैर सिधाया है। नृप शत्रु दमन की प्रतिज्ञा का, भेद अनुज ने पाया है । भेद सब एक, मनुष्य से श्री अनुज ने पूछा तभी । वृत्तान्त यह उस पुरुषने, लक्ष्मण को समझाया सभी ।। शत्रु दमन राजा यहा, शक्ति का न कोई पार है । भूप आधीन कई, सबका यही सरदार है ।।
है जित पद्मा पद्मनी, प्रत्यक्ष पुत्री भूप की । तुलना न कर सकता कोई, उस पुण्य रूप अनूप की ।। मेरी शक्ति का वार अपने, तन पे सह लेगा कोई । जित पद्मा मेरी पुत्री को, फिर विवाहेगा वही ॥ आज तक आया न कोई, सहे न को शक्ति भूप की । मौत के बदले कोई, करता न चाहना रूप की । सुन अनुज लाई चाट, धौंसे पर करी न वार है । फिर वहा पहुंचे लगा था, खास जहां दरबार है । देखी शोभा अनुज की, बांकी का जवान है । शत्रु दमन कहने लगा, मुझ को बता तू कौन है । कहे लखन दूत मैं भरत का, स्वामी के आया काम हूं । प्रतिज्ञा पूरी करने तेरी, आ गया इस धाम हू ।
दो.- क्रोध भूप को आगया सुना दूत का नाम । राजपुत्र बिन और को, विवाहना अनुचित काम ।। यह होकर दूत भरत का, मेरी पुत्री व्याहने आया है । तो समझ लिया मैंने अब इसको, काल शीस पर छाया है । अब मारू एक तान शक्ति इसको, परभव पहुचा देऊं । जो शक्ति इसका नास करे, पहिले वह इसे दिखा देऊ ।।
दो ( शत्रु द ) - जो शक्ति सहनी पडे, उसको जरा पहिचान । परभव को पहुचायगी, जिस दम भारी तान ॥
दो ( लक्ष्मण ) - सह सकता हूं पाच मैं, कौन चीज है एक । परीक्षा कर लीजिये, खडा सामने देख्न ।।
चौ. - फिरोधातुर हो अति भूपने, शक्ति हाथ उठाई है । और देख सूरत उस लक्ष्मरण की जनता सव घबराई है ॥
यह देख वार्ता एकदम सब, लक्ष्मणजी को समझाते है । और बोली उधर पद्मा पितासे, क्यों इसकी जान गवाते है ।। बस यही हो चुका पति मेरा, इसके सग शादी कर डीजे । न व्याहू और किसी को भी, यह शक्ति हाथ से धर दीजे ।। जैसे घी डाला अग्नि में, भूपाल को ऐसे क्रोध चढा । निज शक्ति लाकर सभी, अनुज पर गजाने प्रहार जड़ा ।। किये ढो प्रहार भुजाओं पर, और दो हाथों पर मारे है । लख आश्चर्य में भूप हुआ, हैरान सभासद सारे है । सोचा कि कहता दूत किन्तु यह दूत नजर नहीं आता है । यह शक्ति में वलवीर अतुल, जो तनिक नहीं घबराता है । मन ही मन में भूपको आश्चर्य हुआ छापार । और मुस्काता हुआ इस तरह, वोला वचन उचार ॥ प्रहार पांचवा अय लड़के, हम तुझे माफ फर्माते है । तब बोले अनुज क्यो मेरे, क्षत्रापन को बट्टा लाते है । महार पाचवे की नृपने, फिर सरपे चोट लगाई है । कुछ असर नही हुआ लक्ष्मण पर, यह देख सभा हर्पाई है ।। राज कुमारी ने तुरत, पहिनाई वरमाल । परो पुत्री मेरी, यो वोले भूपाल ।। अनुज कहे उद्यान में, वैठे है श्रीराम । सेवक हूं रघुवीर का, करूं बताया काम ।। चौ. - श्रीराम सिया लक्ष्मण है, सुनकर राजा मन में हर्पाया । फिर विनय सहित तीनों को अपने महलो के अन्दर लाया ।। अति प्रेम से भोजन करवा कर, भूपति ने प्रेम बढाया है । फिर आज्ञाले श्री रामचद्रजी, आगे को चल धाया है । |
मंगल गीत मधुर धुनि मंजुल,
गांवे भक्त समाजरे नमो भविजन भावे० ॥ ५ ॥
नंदी दिव्य महोत्सव पूर्वक,
श्रीनागोर मझाररे नमो भविजन भावे ।
वाचना चारज पद श्री गुरु दें,
कुशल कीरति को सारे नमो भविजन भावे० ॥ ६ ॥ गुरु वमन्त जन जीवन पावन,
फूल प्रफुलित होतरे, नमो भविजन भावे । जग में जिससे अतिमनोहर,
यसरे परिमल पूररे नमो भविजन भावे० ॥ ७ ॥
वाचना चारज कुशल कुशल गुरु,
सुखसागर भगवानरे नमो भविजन भावे ।
'हरि गुरु पूजी हृदय कमल में,
पावो कुशल निवानरे - नमो भविजन भावे० ॥ ८ ॥ (काव्य)
भव्य - प्रसून - प्रतिबोधकारी,
तत्पाद - पद्म-द्वितयं
दादाभिधानः कुंशलाख्य सूरिः ।
प्रसून-पूजेंः परिपूजयामि ॥
ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय श्रीजिनकुशल सूरीश्वराय पुष्पं यजामहे स्वाहा ।
४- धूप पूजा ॥ दोहा ॥
हैं गुरु धर्म दशांगयुत, उरध सिद्ध गति भाव । पूजो धूप दशांग से, गुरुपद गुरुपद दाव ।।
तर्ज - ( हो उमराव थारी वोली प्यारी लागे ) हो गुरुराज पद शुभ भावधरी नित पूजो नर नार । हो गुरुराज पूजा करते भविजन होवें भव पार ।। भवपार हो जी नर नार ॥ टेर ॥
कुशल कीरति मुनिराजकी, कुशल कीर्ति विस्तार । जब छाई जग में यहां, जन चोलें जयकार ॥ हो गुरुराज श्री जिनाशासन भासन कारी पुखकार । हो गुरुराज ॥ १ ॥ श्रीजिनचन्द्र ।
आयु शेष निज जानते, आतम-ध्यान-अमंद ।।
हो गुरुराज निज पदयोग्य कुशल को देखे अविकार । ही गुरुग़ज० ।। २ ।। श्री राजेन्द्राचार्य को, ढ़ं गुरु आज्ञा लेख । कुशल कुशल पद योग्य है, यामें मीन न मे ।। हो गुरुराज जग उपकारी जानी महिमा हितकार ॥ हो गुरुराज० ॥ ३ ॥ आराधक गुरुदेव के श्रमणोपामक वीर । विजयसिंह को ढं गुरु, लेखाज़ा तवीर ।। हो गुरुराज पुण्य प्रकाश विराजित देवें बोधमार ॥ हो गुरुराज० ।। ४ ।। संघ चतुर्विध साथ में. करने धर्मप्राचर । कोसाणा में श्रीगुरु, पहुंचे स्वर्ग मकार ।। हो गुरुराज श्रीजिनचन्द्र विरह में छाया अन्धकार ।। हो गुरुगज० ॥ ५ ॥
तेरहमी सतहत्तरे, ग्यारस मिति बढ़ि जेठ । कुम्भ लगन निश्चित करें, संघ सत्र जग शेठ । हो गुरुराज पाटण पुण्य महोत्सव जाऊ बलिहार हो गुरुगज० ।। ६ ।।
तेजपाल दानी गुणी, रूडपाल सहयोग । आमंत्र श्री संघ को, पूर्व पुण्य - धनयोग ।। हो गुरुराज शोभा पाटणकी क्या वरणथी अपार हो गुरुराज० ।। ७ ।।
श्री राजेन्द्राचार्य तत्र, लेखाज्ञा अनुसार । कुशलकीर्ति मुनिराज का, करें नाम संस्कार ।। हो गुरुराज श्रीजिन कुशल सूरीश्वरकी हो जयकार हो गुरुराज० ॥ ८ ॥
श्रीजिन कुशल सूरीश्वर, दादा युग परधान । अतिशयधारी पूज्यवर, सुख सागर भगवान ॥ हो गुरुराज पद 'हरि' पूजो भावे होवो भवपार हो गुरुराज ० ॥ ६ ॥
धर्म-प्रचारी वर-बोधकारी
तत्पाद - पद्म-द्वितयं नमामि
दशांग-धूप सुपरिक्षिपामि ।।
ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह परम पुरुपाय परम गुरुदेवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय श्रीजिनकुशल सूरीश्वराय धूपं यजामहे स्वाहा ॥
मन सुपात्र गुण वृत्तिकर, सद्गुरु धरम सनेह । ज्ञान उजेला नित करे, दीपक पूजा एह ।। ( तर्ज - जिन मत का डंका आलम में ) अज्ञान तिमिर अति दूर किया,
गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने ।
वर ज्ञान प्रकाश प्रचार किया,
गुरु दीपक कुशल जिनचन्द्र परम गुरु विरह हुआ,
सूरीश्वर ने ।
अंधेरा सब जग छाया था ।
ज्योतिर्मय पद परकाश किया,
गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने । अज्ञान तिमिर० ॥ १ ॥ |
यूक्रेन से जब भारतीय छात्र लौट रहे थे तो पीएम मोदी कैसे रखते थे नज़र?
यूक्रेन से जब भारतीय छात्र लौट रहे थे तो पीएम मोदी कैसे रखते थे नज़र?
गुजरात के वडोदरा में एक कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि जिस समय भारतीय छात्रों को ऑपरेशन गंगा के तहत वापस अपने मुल्क लाया जा रहा था, पीएम मोदी सुबह, दोपहर और शाम कॉल करके पूरी जानकारी लिया करते थे. वो हर शाम रिपोर्ट मांगते थे.
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कैटरीना कैफ बॉलीवुड की फिट एक्ट्रेस में से हैं। फिट रहने के लिए वह ना सिर्फ हैल्दी डाइट फॉलो करती हैं बल्कि फिटनेस ट्रेनर यास्मीन कराचीवाला से ट्रेनिंग भी लेती हैं। वहीं, उनके फिटनेस रिजीम में कुछ खास तरह की एक्सरसाइज भी शामिल है, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
अगर आप भी फिट दिखना चाहते हैं तो उनकी तरह से 5 बेसिक रूल्स को फॉलो कर सकते हैं।
कैट हर वर्कआउट सेशन में 20 रेप्स के 3 सेट करती हैं, जो उन्हें फिट रखने के साथ फिगर को भी परफेक्ट शेप देता है। अगर आप वर्कआउट की शुरूआत कर रहे हैं तो यह आपके लिए बेहतरीन हो सकती है।
वह हर सेशन में 15 रेप्स के 3 सेट करती हैं, जिसमें वॉल पुशअप्स, इनक्लाइन पुशअप्स और नी पुशअप्स शामिल है। वह इन्हें बदल-बदल कर करती हैं, ताकि एक्सरसाइज से बोर ना हो।
यह काफी मुश्किल हो सकता है लेकिन कैटरीना इसे बड़ी ही आसानी से कर लेती हैं। हर 15 रेप्स के 3 सेट करके आप उनकी तरह टोन्ड बॉडी पा सकते हैं।
टोन्ड फिगर के लिए वह हर 15 रेप्स में 3 सेट किक के साथ रिवर्स लंज के करती हैं।
सिट-अप्स शरीर के फैट को जलाने में काफी मददगार है इसलिए वह सिट-अप्स के हर सेशन में 20 रेप्स के साथ 3 सेट करके खत्म करती हैं।
इसके अलावा वह कोर या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करके भी खुद को फिट रखती हैं। हालांकि इसे वो जरूरत पड़ने पर करती हैं। इसके अलावा वह वर्कआउट को मजेदार बनाने के लिए अक्सर चीजों को मिक्स करती रहती हैं।
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नई दिल्ली (एएनआई)। ठंड से कांपती दिल्लीवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। नए साल पर दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में शीत लहर से कुछ राहत मिलने की संभावना है जिसने पिछले कुछ हफ्तों में इस क्षेत्र को घेर लिया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिकों के मुताबिक नए साल पर न्यूनतम तापमान में 2 अंक तक की वृद्धि होने की उम्मीद हैै। इससे नए साल पर न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस हो सकता है। हालांकि राजधानी में भी बादल छाए रहने के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है।
आज न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। आज भी पूरे दिन ठंड का कहर रहेगा। माैसम वैज्ञानिकों के मुताबिक दिल्ली के अलावा, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर भीषण शीत लहर चलेगी। वहीं बिहार में भी भीषण शीत लहर का कहर बरपने की संभावना है।
आईएमडी ने अपनी ऑल इंडिया वेदर वार्निंग बुलेेटिन में कहा कि उत्तर प्रदेश के ऊपर घना काेहरा रहेगा। इसके अलावा बिहार, असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भी अलग-अलग इलाकों में शाम के समय घने कोहरे की संभावना है। मध्यप्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और पूर्वी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर आज बिजली कड़कने व गरज के साथ बारिश की संभावना है।
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(१) श्रृंगार रस
काम द्वारा दुग्ध-मंथन तथा समुद्र मंथन श्रादिमिक के सहारै सौन्दर्यं चित्रण और क्रमशः रतिभाव व्यक्ति हुआ, जिसकी चरम परिणति शृंगार रस में
होती है
सुषमा सुरभि सिंगार छीरदुहि मयन अभियममय कियो बही री। मथि माखन सिय राम संवारे सकल सुवन छवि मनहुँ मही री ।। गी०१।१० कभी-कभी छोटे से छोटा मिथक भी रसविकास में सहायक सिद्ध हुआ है । जैसे निमि का पलकों पर निवास, पुष्पवाटिका प्रसंग में
भए बिलौचन चारु अचंचल । मनहुँ सकुचि निमि तजै दिगंचल ।।
(२) वीर रस -
इसमै शक्तिबोध और उत्साहभाव व्यंजित हुआ है, इससे वीररस निष्पन्न होता है यथा धनुष भंग के कठोर रव को सुनकर सूर्य के घोड़े अपना माग छोड़ देते हैं, दिग्गज चीत्कार करने लगते हैं, शेष, कूर्म और वाराह भय से प्रकम्पित हो जाते हैं, तथा पृथ्वी डौल उठती है
भरे भुवन घौर कठौर रव रवि बाजि तजि मारग चलें । चिक्करहिं दिग्गज डौल महि हि कोल कूरम कलमलै ।। सूर असुर मुनि कर कान दीन्हें सकल बिकल बिचारहीं ।
कोदंड खंडेड राम तुलसी जयति बचन उचारहीं ।। T०१० । २६१
इसमें शक्ति और शौर्य की उद्भावना के साथ क्रोध उत्पन्न करके रौद्र450-y
रस की व्यंजना हुई है, यथा -
लबन सकल सकौप बचन जब बोले । डगमगानि महिं दिग्गज डोलै 1 रा०/१/२५४ धरती का डगमगाना और दिग्गज का डोलना मिथक है । ०१२३४
(४) भयानक रस
इसमें शेष, कूर्म, दिग्गज, बाराह, लोकपाल, दिक्पाल आदि से सम्बद्ध मिथक गृहीत हुए हैं यथा
मराभटमुकुट - दसबंध- साहस सहल - सँग बिदर नि जनु वज्र टाँकी ।
दसनधरि धरनि चिक्करत दिग्गज कमठ सेष संकुचित संक्ति मिनावी
चलित महि मैरु, उच्चलित सायर सकल
बिक्ल दिसि बधिर विसिबिदिसि बाँकी । क० । ६।४४
(५) वीभत्स रस
की गई है । (६) अद्भुत रस
युद्ध केशव संकुल धरती पर भूत, पिशाच, यौगिनी, कालिका, मुंडा आदि का रक्तपान करके आनंदित होना और नाचना भी मानस और कवितावली मैं है । ये भूत, प्रेतात्माएं और दैवियां भी पुरा से ही सम्बद्ध है
जोगिनि भरिभरि खप्पर संचाहिँ । भूत पिसाच बधू नभ नंचहिं । भटकपाल करताल बजावहिं । चामुंडा नाना बिधि गावहिं ।। ६६८८ उपर्युक्त उद्धरण में वीभत्स रसानुभूति मिथक-सामग्री के आधार पर
मिथर्कों से सर्वाधिक उद्भावना अद्भुत रस की ही होती है । इसका कारण यह है कि मिथकीय कार्यव्यापार इतरंजना युक्त है कि
उनमें से प्रत्येक के बारे में सोचा जाय तो अत्यधिक विस्मय होता है । यही विस्मय भावना अद्भुत रस का स्थायी भाव है। तुलसी के काव्य में कई पात्रों के ऐसे अनेक कार्यं व्यापर चित्रित हैं जो पौराणिक प्रभाव से आवृत हैं । वे हमारे विस्मय के कारण बनते हैं और अद्भुत रस के सर्वोत्तम दृष्टान्त कहे जा सकते हैं यथा - कई पात्रों के रूप परिवर्तन, युद्ध में रावण के करोड़ों रूप, अयोध्या राम के असंख्य रूप, नारद का तीनों लोकों में सहज भाव से आना-जाना, सूर्य के पास तक संपत और जटायु की गति, कुम्भकर्ण का कनकभूधराकार होना, सेतुबंधन प्रसंग में शिलाका सिंधु मैं तैरना, राम के मुख मैं कागभुशुण्डि का प्रवेश और शतकल्प तक विविध ब्राण्डों में भ्रमण, सुमेरू पर कागभुशुण्डि का साइंस कल्प से मैं
रहना, हनुमान का सागर लंघन, पर्वत लेकर उड़ना, बत्तीस यौजन तक मुंह फैलाना और मसक रूप धारण करना आदि । समुद्रमंथन, अगस्त्य द्वारा समुद्रपान और शेष द्वारा पृथ्वीधारण आदि वृष भी हमारी विस्मय भावना के आलंबन हैं ।
मित रस की उद्भावना ही सर्वाधिक होती है । शृंगार, वीर, रौद्र, भयानक और वीभत्स आदि रस भी पर्याप्त मात्रा में मिथकतत्वों से पुष्ट हुए हैं । करुणा, शान्त, और हास्य रस के प्रसंगों में मिथक - सामग्री का उपयोग प्रायः तुलसी ने नहीं किया है । तुलसी द्वारा किए गए मिकों के भावबोधक एवं रसबोधक प्रयोग उनकी क्लागत उपयोगिता को सिद्ध करते हैं । 2. पौराणिक अभिप्राय का अलंकृतिमूलक प्रयोग
- १४४तुलसी नै पौराणिक अभिप्राय के रचनात्मक प्रयोग द्वारा अलंकारों की उद्भावना भी की है । पीछे हम यत्र-तत्र पौराणिक अभिप्राय के अलंकृतिमूलक प्रयोग की और संकेत कर चुके हैं, यहां परिचय और दृष्टान्त के लिए कुछ सामान्य अलंकारों और उनके मिथकीय उदाहरणों की सूची प्रस्तुत की जा रही है - अलंकार
रघुपति चित्रकूट बसि नाना । चरित किए श्रुति सुधा समाना
ब्रह्म पयौनिधि मंदर ज्ञान संत सुर आहिं 1
कथा सुधा मथि काढुहि भगति मधुरता जाहिँ । T०७।१२०
कुसमय देखि सनेह संभारा ।
बढ़त बिंध जिमि घटज निवारा ।। रा०२।२६७
भूप उसास लैहिं सहि भांती ।
सुरपुर तैं जनु खसेउ जजाती ।। T०२।१४८
भोगावति जस कुल बासा ।
अमरावति जस सक निवासा ।।
तिन्हत अधिक रम्य अति बँका
जगविख्यात नाम तेहि लंका ।। T० १ । १७८ |
बंगलूर - कोलकाता के खिलाफ आईपीएल का सबसे कम स्कोर बनाकर मैच गंवाने वाली विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स बंगलूर मंगलवार को अपने घरेलू मैदान पर जब सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ उतरेगी तो उसका एकमात्र लक्ष्य पिछले शर्मनाक प्रदर्शन को पीछे छोड़ खोया मनेबल हासिल करना होगा। विराट ने ईडन गार्डन मैदान पर पूरी टीम के 49 रन पर ढेर हो जाने और मैच में 82 रन की करारी हार के बाद सभी खिलाडि़यों को काफी लताड़ा था और उन्हें जुझारुपन दिखाने की सलाह दी थी। बंगलूर आईपीएल के सबसे कम स्कोर पर आउट हुई और उसकी यह हार कप्तान सहित किसी के गले से नहीं उतर रही है, लेकिन यह साफ है कि टीम पूरी तरह से पिछड़ गई है और तालिका में सात में पांच मैच हारकर आखिरी स्थान पर है। बंगलूर के लिए यह फिलहाल अच्छी बात है कि वह अपना अगला मैच घरेलू मैदान पर खेलने उतरेगी और इन परिस्थितियों का फायदा लेकर वह फिर से अपनी स्थिति को सुधार खोया मनोबल भी वापस हासिल कर सकती है। हालांकि मौजूदा स्थिति में तो उसके लिए किसी भी टीम से भिड़ना चुनौती ही है और तीसरे नंबर की सनराइजर्स हैदराबाद निश्चित ही विराट की टीम से बेहतर स्थिति में है, जिसने सात में से चार मैच जीते हैं, लेकिन पिछले मैच में वार्नर की टीम को भी पुणे से छह विकेट से हार मिली थी और ऐसे में बंगलूर के लिए यह अच्छा मौका हो सकता है कि वह जीत की पटरी पर लौट आए।
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"हॉ ऋषिवर ! ऐसा ही है ।"
"तो स्वयं को स्मरण करा लिया करो कि सृष्टि का निर्माण ईश्वर ने किया है, तुमने नहीं । सृष्टि उसी के बनाए नियमों पर चलेगी, तुम्हारी कामनाओं पर नहीं । तुम न नियम-निर्माण कर सकते हो, न उनमें परिवर्तन कर सकते हो। तुम उन नियमों को समझ कर केवल उनके अनुकूल आचरण कर सकते हो । जव तक कार्य-कारण-स्वरूपा इस प्रकृति में बँधे हो, नियम तो ये ही रहेंगे। फिर अहंकार के हाथों का खिलौना बन, दुखी क्यों होते हो ?"
सहदेव समझ नहीं पाया कि ऋषि की इस व्याख्या से युधिष्ठिर संतुष्ट हुए या नहीं; इस चर्चा को धर्मराज ने आगे नहीं बढ़ाया । वैसे इतना तो सहदेव समझता ही था कि धर्मराज की यह विचलित मनःस्थिति अस्वाभाविक और अस्थायी थी ! - थोड़े से चिंतन और मनन के पश्चात् वे स्वयं भी कुछ इसी प्रकार के निष्कर्षों तक पहुँच जाते ।--उनकी यात्रा कुलिंदराज सुबाहु के राज्य की सीमा तक, बिना किसी विशेष घटना के निर्विघ्न चलती रही थी । सुवाहु के राज्य की सीमा के आ जाने का पता भी उन्हें अकस्मात् ही लगा था..
दूर, प्रायः उनकी दृष्टि की सीमा पर उन्हें कुछ युद्धक गज और सुसज्जित अश्व दिखाई दिए थे। तब उन्होंने देखा था कि उन पशुओं के साथ कुछ सैनिक भी थे, जिनके शस्त्र दूर से ही चमक रहे थे ।
सबसे पहले भीम ही सतर्क हुआ था ।
"हम कहाँ आ गए हैं महर्षि ?" उसने पूछा था ।
"मध्यम पांड ! हम लोग कुलिंदराज की सीमा के अत्यन्त निकट हैं। " और तब तक ऋषि की दृष्टि उन सैनिकों और उनके नायक पर पड़ गई थी, "कुलिंदराज सुवाहु का तुम्हारे प्रति शत्रु-भाव तो नहीं है ?"
"राजसूय यज्ञ के अवसर पर इस क्षेत्र में अर्जुन आया था । जहाँ तक मेरा ज्ञान है, सुवाहु ने बिना विरोध अथवा शत्रुता का भाव प्रदर्शित किए, धर्मराज को अपना सम्राट् मान लिया था । उपहार भी दिए थे।"
"तो कोई भय नहीं ।" ऋषि ने आगे बढ़ने का संकेत किया था । "भय !" भीम हँसा था, "शत्रुता का भाव हो, तो भी भय किस बात का है ऋषिवर ! मेरा धनुष मेरे कंधे पर हो, तूणीर पीठ पर, खड्ग कटि में हो और गदा हाथ में; तो भय किस बात का है ऋषिवर ?"
"भय है मध्यम पांडव !" लोमश हँसकर वोले, "भय है कि कहीं रक्तपात न हो । कहीं भीम के हाथों से, बेचारा सुबाहु व्यर्थ ही मारा न जाए।"
"ओह !" भीम ने अट्टहास किया, "आपका भय तो मेरे भय से कुछ बहुत ही भिन्न कोटि का है ऋषिवर ! किंतु भय तो भय ही होता है।"
अंतराल / 223
कुलिंदराज सुबाहु आगे बढ़ आया था । अब स्पष्ट हुआ कि उसके सैनिक, अश्व तथा गज, सब मांगलिक वेश में थे । वे पांडवों का स्वागत करने आए थे। सुवाहु ने धर्मराज को प्रणाम किया, "मेरा सौभाग्य धर्मराज ! जो आप मेरे क्षेत्र में आए । 'किंतु मित्र अर्जुन आपके साथ नहीं हैं, यह कष्ट का विषय है ।" उसे कुछ अधिक बताने की आवश्यकता नहीं पड़ी थी । पांडवों के साथ घटित घटनाओं की सूचना, उसे पहले से ही थी । उनकी गतिविधि से भी वह कुछ-कुछ अवगत रहा था ।...
वह उन्हें अपने प्रासाद में ले आया था । स्नान, भोजन और विश्राम हो चुकने के पश्चात् वह युधिष्ठिर से भेंट करने आया था ।
"धर्मराज ! आप अपने रहने की कैसी व्यवस्था पसंद करेंगे?" उसने पूछा । धर्मराज शब्द 'रहने' पर चौंके थे। उन्होंने सस्नेह उसकी ओर देखा, "तुम जानते हो सुबाहु ! हम वनवास कर रहे हैं और इस समय तीर्थ यात्रा पर निकले हैं । हमारे रहने की कैसी व्यवस्था ?" धर्मराज मुस्कराए, "हम आज विश्राम कर, कल प्रातः यहाँ से प्रस्थान करेंगे।"
"आप दुर्योधन पर सचमुच आक्रमण नहीं करेंगे ?" उसने आश्चर्य से पूछा । "दुर्योधन से हम कैसे लड़ेंगे मित्र सुबाहु !" युधिष्ठिर के कुछ कहने से पहले ही भीम ने कहा, "हमारे पास न सेना है, न युद्धक गज, न अश्व, न रथ, न शस्त्र, न धन..।"
सुबाहु ने जैसे पहले से भी कुछ अधिक चकित होकर पूछा, "और जो कुछ मेरे पास है, वह किसका है ? हम तो यही समझते आए हैं कि यह राज्य, यह सेना, धन-संपत्ति सब कुछ सम्राट् का ही है । हमारे प्राण भी सम्राट् की ही धरोहर हैं... "
"बस सुवाहु ! वस !" भीम बोला, "यह सूचना दुर्योधन तक पहुँच गई, तो वह यह सब कुछ तुमसे छीन लेगा, क्योंकि उसने द्यूत में सम्राट् का सर्वस्व जीत लिया है ।"
सुवाहु पहले तो जैसे स्तंभित ही रह गया; किंतु फिर कुछ संभलकर बोला, " ऐसा नहीं हो सकता महावीर भीम ! और ऐसा अवसर आए ही क्यों ! हम उन पर आक्रमण करने की घोषणा इसी क्षण करते हैं।"
" तुम्हारे पास कितनी बड़ी सेना है सुबाहु ?" युधिष्ठिर बोले, "तुम समझते हो कि इतनी-सी सेना से तुम दुर्योधन को जय कर लोगे ?"
"हमारी युद्ध-पद्धति भिन्न है धर्मराज !" सुबाहु बोला, "हमारी नियमित सेना छोटी है । वेतन-भोगी शस्त्र व्यवसायी सैनिक कम हैं। किंतु जब युद्ध काल आता है, तो सारे सामर्थ्यवान कुलिंद, किरात और तंगण हमारे सैनिक होते हैं । फिर हमारे मित्र, शुभचिंतक और संबंधी भी हैं। आप युद्ध का आदेश दें। सेना अपर्याप्त |
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता का नाटक शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस-जदएस गठबंधन ने भाजपा पर 'ऑपरेशन लोटस' के तहत विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है। वहीं, भाजपा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उलटा कांग्रेस-जदएस गठबंधन भाजपा विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहा है। लिहाजा पार्टी के सभी विधायकों को गुरुग्राम शिफ्ट कर दिया है।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के 10 और जेडीएस के तीन विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। भाजपा की कोशिश है कि ये 13 विधायक जल्द से जल्द इस्तीफा दे दें। भाजपा अगले हफ्ते प्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती है। बताते चलें कि विधानसभा चुनावों में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुई थीं और पार्टी नेता बीएस येद्दयुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली थी, लेकिन बाद में कांग्रेस और जेडीएस ने हाथ मिलाकर एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बना ली थी।
ताजा घटनाक्रम में कांग्रेस-जदएस के 13 विधायक बेंगलुरु से गायब हैं। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी का आरोप है कि भाजपा सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को लुभाने का प्रयास कर रही है, लेकिन गठबंधन का कोई भी विधायक पाला नहीं बदलेगा, लेकिन कांग्रेस के अंदर बेचैनी है।
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२०८ ] के लिये एक प्रोटोकल पर हस्ताक्षर किये गये और २० मई सन् १९५० से यह किया गया। भारत ने इन दोना सम्मेलन में भाग कर विभिन्न देशो मे व्यापा समझौने किय और उनके अनुसार रियायते दो और प्राप्त की।
त पश्चात् अप्रल सन् १९५१ म टोरके (इमलंड ) मे तृतीय सम्मेलन हुआ । २८ देशो ने भाग लिया था और १२७ द्विपक्षीय समझौते हुये । भारत ने भी सम्मेलन में भाग लिया। पुराने देशों के अतिरिक्त ६ नये देश भी इस सम्मेलन सम्मिलित हुये। पुरान समझौतो (जेनेवा और एनेकी) की अवधि वढा वर सन् १६ तक कर दी गई। कुछ पुरानी रियायतें वापस कर ली गई तथा कुछ नवीन रिया वे विषय में समझौते हुए ।
भारत और जी० ए० टी० टो०जी० ए० टी०टी० के अन्तर्गत भारत को प्रशुल्क सम्बन्धी जो रियायत है उनकी भारतीय प्रशुल्क मण्डल ने पूर्ण रूप से जाँच कर ली है। इस मण्डल के अनु यह निश्चित रूप में नहीं कहा जा सकता है कि उन रियायतो का भारत के व्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? मण्डल ने इतना अवश्य निश्चय के साथ कह दिया है अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक संघ ( I. J. ( ) ) वा भविष्य जब तक स्पष्ट ज्ञात न हो भारत को जी० ए० टी० टी० के विरुद्ध न जाना चाहिये । प्रशुल्क मण्डल ने यह कहा है कि प्रत्येक व्यवहार में भारत निम्नलिखित सिद्धान्तो का ध्यान रखे
(१) निम्नलिखित वस्तुमा पर रिवायत पाने की चेष्टा करनी चाहिये । ( प्र ) कच्चे माल की अपेक्षा निर्मित माल पर,
(आ) उन वस्तुग्रो पर जो विश्व की वैमी ही वस्तुओं से प्रतिद्वन्दिता क
( इ ) इन वस्तुश्रा के सम्बन्ध में जो विश्व में उनकी स्थानापन्न वस्तुप्र प्रतिद्वन्द्विता करे ।
(२) निम्नलिखित वस्तुमा पर ही रियायत देनी चाहिय :(अ) उत्पादक माल ।
(ब) अन्य मशीनरी तथा साजसामान ।
(स) प्रमुख कच्चा माल । प्रशुल्क मण्डल ने निम्नलिखित सुझाव और दिय
( १ ) व्यापारिक समझौते करते समय भारत को इस बात का ध्यान र चाहिये कि कुटीर तथा छोटी मात्रा के उद्योगों को उन्नति परमावश्यक है । अध् उनके विषय में अधिक से अधिक रियायते पाने का प्रयत्न करना चाहिये ।
(२) जिन वस्तुप्रा के सम्बन्ध में व्यापारिक समझौता (जी० ए० टी० टो अन्नगा) हुना था, उनके प्रायात व निवात पर विशेष निग्रह रवनी चाहे ये प्रति ६ माह के पश्व तु उनमन्वलितडे भी छापने चाहिए ।
भारत को जी० ए० टी० टी० के अन्तगत निम्नलिखित वस्तुप्रो पर कर को छूट मिली-सूती कपडा, चमडा, नारियल की चटाइयाँ, मसाले, छूट का सामान, अभ्रक, कालीन काजू आदि । भारत ने निम्न देशो के साथ इसी समझौते के अनुसार व्यापारिक सन्धियाँ की है- चीन, कनाडा, स० रा० अमेरिका जॅकोस्लोवानिया, लेवनान, सीरिया, क्यूबा, न्यूजीलैण्ड, इटली, स्वीडन, फिनलैण्ड, डेन्माक इत्यादि ।
भारत में निम्न लखित वस्तुप्रो के आयात पर इसी समझौते के अनुसार छूट मिली है। ताबा, पैट्रोल, रागा अगूर, पत्थर शक्कर बनाने की मशीन, ट्रॅक्टर, तेल पेरने की मशीन हल, मोटर हवाई जहाज, चावल, घडियाँ प्रादि ।
भारत को जी० ए० टी० टी० के सदस्य बनने से काफी लाभ प्राप्त हुआ है और भविष्य में अधिक लाभ मिलने की आशा है ।
In what respects does the new policy of developmental protection of the Fiscal Commission of 1949-50 differ from old policy of Discriminating Protection ?
2 Carefully examine the present Tariff Policy of the Govt of India. Is it conformity with the interests of the country?
3riefly examine the functions and working of the Tariff Commission 1952, and comment upon the future of Protection
Write an essay on the "Present Tariff and Commercial Policy" of the Govt of India
Write a full note on G A T. T
अध्याय २१
करारोपण एवं उद्योग
( Taxation and Industry )
प्रारम्भिककिसी अर्द्ध विकसित देश की सरकार द्वारा औद्योगीकरण के कार्यक्रम को पूरा करने के लिए अपनाए गय माथिक एवं वित्तीय साधनो मे प्राशुल्किक प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। कर प्रणाली ऐसी होनी चाहिये जो कि विकास में सहायक हो। इस प्रकार की कर प्रणाली के मुख्य उद्देश्य निम्बू होने चाहिए - ( 1 ) सार्वजनिक क्षेत्र के प्रोजेक्टो के लिए पर्याप्त धन जुटाना, ( 11 ) नये व पुराने दोनो ही उद्योगो मे विनियोग की वृद्धि कराना ( 111 ) द्वितीयात्मक उद्योगो (Secondary industries ) मे लगे हुए उत्पत्ति के विभिन्न साधनो की उत्पत्ति में वृद्धि करना, ( 19 ) आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्राथिक स्थिरता को कायम रखना, (v) अनुत्पादक कार्यों मे सटे के व्यवहारो को निरुत्साहित करना, और (71) प्राइवेट सेक्टर को चालू एवं विनियोग दोनो प्रकार की वस्तुग्रो के उत्पादन बढ़ाने में सहायता देना । ये उद्देश्य तब ही पूरे हो सकते हैं जबकि कर सम्बन्धी कानून वैज्ञानिक ढंग पर बनाए जाये । इसके लिए पर्याप्त साख्यिकी नियोजन की आवश्यकता पड़ती है। द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् विशेषत अर्द्धविकसित देशो मे औद्योगीकरण को प्रोत्साहन देने के दृष्टिकोण से प्राशुल्कक प्रेरणाओ (Fiscal incentives) का महत्त्व बहुत घढ गया । प्रस्तुत अध्याय में उद्योग और कर प्रणाली के सम्बन्ध की विस्तृत व्याख्या की गई है ।
के रूप ( Forms of Tax Incentives )--
कर-प्रेरणाओ के अनेक रूप हो सकते है । कौन सी वर प्रेरणा दी जाय, इसका निश्चय कई बातो पर निर्भर होता है, जैसे कर सरधना म कर का स्थान, बजट स्थिति, देश की आर्थिक परिस्थितियाँ आदि । कर- रियायतो से सरकारी आय पर प्रभाव तो पड़ता ही है, विकास योजनाये भी अप्रभावित नहीं रहती है । |
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