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बरही (हजारीबाग): रसोईया धमना गांव निवासी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता अरविंद कुमार उर्फ पिंटू को बरही प्रखंड बजरंग दल के संयोजक की जिम्मेवारी सौंपी गई है।
इसकी जानकारी बजरंग दल के प्रांत संयोजक दीपक ठाकुर ने दिया। उन्होंने बताया कि अरविंद कुमार सनातन धर्म की रक्षा व प्रचार प्रसार के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं।
वे हमेशा सनातन धर्म के प्रति चिंतित रहते हैं, लोगों को जागरूक करने का काम भी इन्होंने किया है। हर कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लेते हैं। इनकी चेतना व सनातन धर्म के प्रति समर्पण को देखते हुए बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, विश्वास है कि वे पूरी तरह इस पर खरा उतरेंगे।
वहीं अरविंद कुमार ने बताया कि संगठन ने जो जिम्मेवारी हमें सौंपी है, उसका निर्वाहन पूरी निष्ठा व ईमानदारी पूर्वक करूंगा।
वही अरविंद कुमार को बरही प्रखंड के बजरंग दल संयोजक बनाए जाने पर विहिप जिला सह मंत्री गुरुदेव गुप्ता, विहिप प्रखंड अध्यक्ष नंद किशोर कुमार, गौ रक्षा समिति के इंद्रदेव गुप्ता, बजरंग दल सहसंयोजक नितेश कुमार, मिथिलेश श्रीवास्तव, कैलाश ठाकुर, संजय राणा, सनातन प्रेमी सिकंदर कुमार, दीपक कुमार, निकेश कुमार, लोकेश कुमार, जयंत कुमार, गणेश साहू, लक्ष्मण साहू, वीरेंद्र कुमार आदि ने बधाई दी है।
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मध्य प्रदेश ब्यूरो(छतरपुर): यहां का जिला अस्पताल लापरवाही की मिशाल और मरीजों की मौत का अड्डा बनाता जा रहा है। हालात बाद से बदतर होने के बाबजूद जिम्मेदार अधिकारी, जनप्रतिनिधि और सरकार ध्यान नहीं दे रही। एक तरफ लोग जहां मेडिकल की मांग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल को ही नहीं संभाल पा रहे हैं।
ताजा मामला छतरपुर जिले अस्पताल का है, जहां देर शाम इलाज के लिए अपनी 24 घंटे की बच्ची के साथ आई महिला की समय पर उचित इलाज न मिल पाने की वजह से से मौत हो गई। जन्म के 24 घंटे बाद ही बच्ची के सिर से मां का साया उठ गया।
जानकारी के मुताबिक, जिले के महाराजपुर नगर में 26 वर्षीय ज्योति ने एक सुंदर बच्ची को जन्म दिया था, जहां से उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर किया गया था। साथ ही डॉक्टर ने रेफर करते समय कहा था कि तत्काल ऑक्सीजन लगवा देना लेकिन जिला अस्पताल शाम 8 बजे पहुंचने के बाबजूद 2 घंटे तक पीड़ितन को कोई इलाज और ऑक्सीजन नहीं दी गई। जबकि परिजन ड्यूटी डॉक्टर और स्टाफ से इलाज की गुहार लगाते रहे बावजूद इसके किसी के कान पर जूं तक न रेंगी और 2 घंटे बाद ही ज्योति ने लेबर रूम में ही दम तोड़ दिया।
मौत के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। उनका आरोप था कि डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत हुई है। हमारी बेटी इलाज के लिए तड़पती रही और हम इलाज़ के लिए चिल्लाते रहे पर किसी ने हमारी एक न सुनी और हमारी बेटी ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
वहीं, मामले की गंभीरता को समझते हुए ड्यूटी डॉक्टर संजना रॉबिंसन लेबर रूम में जा छुपी और बाहर नहीं निकलीं। वहीं कुछ जागरूक और समझदार लोगों ने मृतका के परिजनों को समझाया कि आपका मरीज तो चला गया अब हंगामा करने से कोई मतलब नहीं जो भी कार्रवाई करना बाद में कर लेना अभी क्यों अपने मृतक मरीज को कष्ट दे रहे हो। तब कहीं जाकर वे शांत हुए और समझाइस के बाद मृतका को देर रात 11-12 बजे एम्बुलेंस में लेकर निकल गए। वहीं इस बीच डॉक्टर ने पुलिस को फोन कर सूचना दे दी थी। लेकिन तब तक मामला शांत हो चुका था और मृतका के परिजन भी जा चुके थे।
मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि डॉक्टरों की लापरवाही से लगभग रोजाना एक मरीज की जान जा रही है। गुरुवार की शाम ही हादसे में घायल 17 वर्षीय बच्ची को मृत घोषित कर PM हाउस में रखवाना और 2 घंटे बाद PM के लिए पहुंचने पर बच्ची का जिंदा मिलना फिर OT में लाकर उसका इलाज करना और फिर आधा घंटे बाद मृत घोषित करना डॉक्टरों की लापरवाही नहीं तो और क्या है? इसके बाद अब जन्म देने वाली मां की मौत होना बड़ी लापरवाही दर्शाता है, जो कि अक्षम्य है।
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बीते दो दिन पहले जसपुरा विकास खंड में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी अनुज कुमार की आत्महत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अफसरों पर सचिव के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी संघ ने साथी को न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया है। संघ जिलाध्यक्ष रमेश चंद्र कुशवाहा ने अफसरों पर उत्पीड़न का आरोप मढ़ा।
हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बा निवासी अनुज कुमार जसपुरा विकासखंड में ग्राम पंचायत अधिकारी (सचिव) पद पर तैनात थे। आरोप है कि अधिकारियों के उत्पीड़न का शिकार होकर अपने पैत्रक घर में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। संघ के जिलाध्यक्ष ने उच्चाधिकारियों पर बेवजह पंचायत सचिवों को दवाब और शोषण का शिकार बनाने का आरोप लगाया है। बताया कि अनुज का तबादला करने के साथ ही अधिकारियों ने दो माह का वेतन भी रोक रखा था। जिलास्तरीय अफसर बार-बार जांच कराने और सख्त कार्रवाई करने की धमकी दे रहे थे। इसके चलते मानसिक रूप से परेशान हो गया था। उसे ऐसा आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। इस दौरान प्रमोद द्विवेदी, अंकित अवस्थी, अनिल सिंह, सुरेश पटेल, शशि प्रकाश, कमलेश प्रजापति, महेश कुमार, विनय सिंह, योगेश सिंह, ध्यानचंद्र कुशवाहा, सतीश कुमार, लवकुश आदि मौजूद रहे।
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प्रणाली है, जो स्थान तापन के लिए उपयोग किया जाता है में से एक किस्म एक अवरक्त हीटिंग है। यह एक अतिरिक्त और आवश्यक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता। ऐसी व्यवस्था में गर्मी स्रोत हैं अवरक्त के उत्सर्जक प्रकार। अपनी विशेषताओं के कारण, अवरक्त हीटर स्थानीय ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता। वे केवल जो एक बड़े क्षेत्र और ऊँची छत होने परिसर की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण है कुछ खास क्षेत्रों में गर्मी की आपूर्ति करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, इन हीटर खुली जगह का केवल वर्तमान में, मौजूदा अनुमति देते हैं हीटिंग हैं।
इन्फ्रारेड हीटिंग, समीक्षा जो अपने काम का एक सकारात्मक मूल्यांकन देने के लिए, के रूप में अवरक्त विकिरण हीटर हवा में व्यस्त नहीं है और उनके द्वारा अवशोषित नहीं है प्रत्यक्ष गर्मी के प्रकार की है। लहरें कक्ष वस्तुओं और लोगों में किया जा रहा करने के लिए मिलता है। नतीजतन, इन वस्तुओं गरम किया जाता है और उन्हें आसपास की हवा के लिए अपनी गर्मी हस्तांतरण। यह अवरक्त हीटिंग और जो अप्रत्यक्ष कर रहे हैं हीटिंग सिस्टम के अन्य प्रकार से अलग।
हीटिंग कॉटेज, झोपड़ी या देश के लिए घर, अवरक्त हीटिंग सिस्टम, जो की समीक्षा इसकी स्थापना की सादगी को प्रमाणित करते, छत पर सीधे खड़ा होता है। आईआर हीटर के सिद्धांत पर आराम और गर्मी की भावना दे सौर विकिरण ऊर्जा। यदि आप एक निवास गर्म करने के लिए जरूरत है, यह इस उद्देश्य के लिए उपयोग करने के लिए सबसे अच्छा है इन्फ्रारेड फ़िल्म। इस तरह की एक प्रणाली की स्थापना के लिए आसान है, इसका इस्तेमाल और मरम्मत करने के लिए सस्ता है। खैर इस तरह के Unitma, Caleo, ThermoFilm के रूप में निर्माताओं से साबित मॉडल।
फिल्म बस किसी भी सतह से जुड़ी है। इस संबंध में एक छत या अवरक्त मंजिल हीटिंग को लागू करने की संभावना है। मुबारक और सिस्टम की कीमत। स्थापना करने के लिए लागत कम पानी या elektromatami की तुलना में। और बहुत गर्मी है कि मंजिल तक स्थानांतरित कर रहा है, एक केतली जितना ऊर्जा नहीं ले करता है।
इन्फ्रारेड हीटिंग, समीक्षा जो अपनी स्वायत्तता को बिंदु के, उपयोगिताओं से बंधा नहीं है। विशेष रूप से महत्वपूर्ण इस सुविधा देश है, जहां, सभ्यता के लाभों की उपस्थिति में ही बिजली है में है। इन्फ्रारेड हीटिंग, समीक्षा जो ग्रीनहाउस के लिए अपने प्रभावी उपयोग के बारे में बात करते हैं, पूरे साल के लिए फसल की इजाजत दी।
क्वार्ट्ज, हैलोजन, कार्बन हीटर (उनमें बड़बड़ाना समीक्षा की) ही सिद्धांत पर कार्य करते हैं। अंतर केवल में है हीटिंग तत्व। हीटर के कार्बन गर्मी स्रोत मुड़ तार और रिबन कर रहे हैं। उनके निर्माण के लिए सामग्री कार्बन फाइबर हैं। इन तत्वों को विद्युत प्रवाह के लिए पर्याप्त उच्च चालकता की है। के सकारात्मक पक्ष कार्बन फाइबर उनके एक विस्तृत तापमान रेंज स्वीकार करने की क्षमता है। एक हीटिंग तत्व एक वैक्यूम ट्यूब, जो हड्डी पर नमी और धूल के प्रवेश को रोकता में रखा गया है। कार्बोक्जिलिक हीटर लाभ अवरक्त तरंगों के मापदंडों को बदलने के लिए, गर्मी प्रवाह के तापमान को नियंत्रित करने के लिए अनुमति की क्षमता है। सबसे प्रसिद्ध निर्माताओं - जनरल, पोलारिस, Zenet।
इन्फ्रारेड हीटिंग सिस्टम बहुत किफायती हैं। उनकी दक्षता से अधिक पंचानबे प्रतिशत है। इमारत जब अवरक्त हीटर स्थापित करने में 150 वर्ग मीटर के एक क्षेत्र, बिजली की खपत होने में केवल 3,5 किलो / ज है।
लांग तरंगदैर्ध्य विकिरण तापीय ऊर्जा के एक आरामदायक रेंज में एक व्यक्ति के लिए हीटिंग सिस्टम भी शामिल है। अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिक आसानी से मानव शरीर के लिए अवरक्त गर्मी के लाभों को साबित होते हैं। इन्फ्रारेड चिकित्सा आम सर्दी बीमारियों, साथ ही में वजन कम करने के कार्यक्रमों का मुकाबला करने के चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है और सेल्युलाईट से छुटकारा पाने के। इन्फ्रारेड तरंगों पाचन तंत्र को प्रोत्साहित करने में मदद।
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खबर के अनुसार एटा के जिला अधिकारी के निर्देश पर अलीगंज के एसडीएम मानवेन्द्र सिंह ने ग्राम नकटई खुर्द में 72 बीघा सरकारी भूमि को कब्जामुक्त कराया हैं। बताया जा रहा है की इस सरकारी जमीन की कीमत 1. 8 करोड़ के आस-पास हैं।
बता दें की एटा के अलग-अलग इलाकों में जितने भी सरकारी जमीन हैं उन्हें चिन्हित कर कब्जा मुक्त किया जा रहा हैं। एटा जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल के निर्देशन में एटा जनपद की सरकारी जमीनों को कब्जामुक्त करने की कार्रवाई तेजी से चल रही हैं।
अलीगंज क्षेत्र के ग्राम नकटई खुर्द में 72 बीघा सरकारी जमीन पर जिन लोगों ने अवैध कब्जा किया था, उन लोगों को प्रशासन के द्वारा हटा दिया गया हैं। राजस्व विभाग एवं पुलिस टीम द्वारा संयुक्त कार्यवाही के दौरान इसे कब्जामुक्त किया गया हैं।
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Apple ने 10 सितंबर को होने वाली इवेंट के लिए मीडिया इनवाइट भेज दिया है। एपल का इवेंय 10 सितंबर को सिलिकॉन वैली कैंपस में होगा। इस इवेंट में आईफोन की 11 सीरीज लॉन्च होगी। बता दें कि हर साल एपल का एवेंट क्रिसमस हॉलिडे शॉपिंग सीजन से पहले होता है।
10 सितंबर को आयोजित होने वाले इवेंट में iPhone 11 के लॉन्च होने की उम्मीद की जा रही है। कहा जा रहा है कि इस बार भी पिछले साल की तरह आईफोन 11 सीरीज के तहत तीन आईफोन पेश होंगे। इनवाइट को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि एपल इस बार 5 रंगों में आईफोन पेश करेगा, क्योंकि एपल के लोगों में 5 रंग नजर आ रहे हैं जिनमें ग्रीन, ब्लू, येल्लो, रेड और पर्पल कलर शामिल हैं।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही आईओएस 13 के बीटा वर्जन के कोड में एक स्क्रीनशॉट सामने आया था जिसमें 10 सितंबर की तारीख नजर आई थी। स्क्रीनशॉट में "HoldForRelease" लिखा हुआ था।
इस स्क्रीनशॉट के सामने आने के बाद ही से ही कहा जा रहा था कि 10 सितंबर को ही एपल का इवेंट होगा, क्योंकि पिछले साल बीटा वर्जन में 12 सितंबर की तारीख थी और इसी दिन तीन नए आईफोन लॉन्च हुए थे जिनमें आईफोन XR भी शामिल था।
अभी तक सामने आई लीक रिपोर्ट के मुताबिक iPhone 11 Pro और iPhone 11 Pro Max में ट्रिपल लेंस कैमरा सेटअप होगा। इसके अलावा इन दोनों आईफोन में एपल का A13 बायोनिक प्रोसेसर होगा।
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KV Admission 2023: उत्तर प्रदेश में कुल 118 केंद्रीय विद्यालय हैं.
KVS Admission 2023, UP Kendriya Vidyalaya List: देश भर के विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. केंद्रीय विद्यालय संगठन यानी KVS जल्द ही विद्यालयों में एडमिशन का शेड्यूल रिलीज कर देगा. जिसके साथ ही रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. अभिभावक आधिकारिक वेबसाइट kvsonlineadmission. kvs. gov. in पर जाकर बच्चों का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. फिलहाल हम यूपी के अभिभावकों को बताने जा रहे हैं कि उनके राज्य में कितने केंद्रीय विद्यालय हैं और आप अपने बच्चों का एडमिशन कैसे करा सकते हैं.
बता दें कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आधिकारिक वेबसाइट kvsonlineadmission. kvs. gov. in पर जाकर रजिस्ट्रेशन करें. इसके बाद लॉटरी भी इसी वेबसाइट में चेक की जा सकेगी. केवी में एडमिशन के लिए आरटीई के तहत विभिन्न कोटे होते हैं. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों को नियमों के अनुसार वरीयता दी जाती है. एडमिशन के दौरान जन्म प्रमाण पत्र, ट्रांसफर सर्टिफिकेट, सरकारी सेवा सर्टिफिकेट, आवासीय प्रमाणपत्रों एवं सिंगल गर्ल चाइल्ड सर्टिफिकेट जैसे डॉक्युमेंट्स की जरूरत पड़ेगी. कक्षा 1 मिनट में एडमिशन के लिए न्यूनतम उम्र 6 साल होनी चाहिए.
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YouTube से मालामाल बनने के लिए बस कुछ बातें हैं जरूरी, अगर नोट कर लिए ये टिप्स. . . तो आप भी खेलेंगे लाखों में!
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"मैं नहीं पीता । " "बीड़ी तमाखू कुछ नहीं ?" "कुछ नहीं।"
"तो चलाय चुके फरसा, बच्चू !" और वह लौट गया । मंडली मे कुछ मजाक हुआएकाएक उसकी ओर लौट पड़ीं । फिर हँसी श्रौर खाँसी के फौरे साथ छूटे । मडली उठ गयी । सहुनियॉ ने पिसान-दाल तौल कर, एक एक को दिया और सब अपने-अपने गमछे मे बॉध कर उठ खडे हुए । एक ने पीली दुनी दी तो काफ़ी देर बक- हुई और उसे अपने गमछे का आटा तराजू से गिरा देना पडा । एक ने पैसा नहीं दिया, तो उसे तब तक के लिए जब तक वह पैसा न दे; अपनी धोती वहीं धरनी पडी। सनोहर ने सुना, सहुअाइनियाँ चिल्ला कर कह रही थी, "का ठिकाना तुम्हार लोग का, आज इहाँ, कल उहाँ । "
लोगो ने बहुत समझाया, "आज ही काम पर है, हफ्तेवारी मिलती है न ! " पर वह एक न मानी और कुड़बुडाती रही । धीरेधीरे सब चले गये। जिसने सनोहर को साथ चल कर आटा दिलाने की बात कही थी, शायद वह भी । सनोहर बैठा रहा।
कातिक का शुक्ल पक्ष था। कुएँ पर बाल्टियो की खड़खडाह और गगरियों की भक भक बढ़ती जा रही थी। दोनों हाथो मे पानी से भरे हुए मिट्टी के घड़ों के साथ, पीठ पर लदी हुई रस्सियाँ देख कर, सनोहर को फिर अपने गाँव कायदा गया था पर उसके पेट मे जैसे कुछ जल रहा था। उसका कलेजा सिकुड़ता जा रहा था । उसकी नसे तनती जा रही थीं। लगता था, उबकाई हो जाएगी। - पर यहाँ, इस जगह ? यह तो ठीक नहीं है । क्यो न वह उठ चले । |
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार के जल शक्ति राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख आचार संहिता उल्लंघन करने के मामले में फंस गए हैं. उनके खिलाफ बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के खजुरिया थाने में आदर्श आचार संहिता उल्लंघन, महामारी अधिनियम की धारा 3 और आपदा प्रबंधन अधिनियम 51 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
बलदेव सिंह औलख पर आरोप है कि उन्होंने बिना अनुमति के यहां के गांव बेगमाबाद में चुनावी जनसभा की जिसमें सैकड़ों की तादाद में लोग शामिल हुए. इस सभा में कोविड-19 गाइडलाइन का जमकर उल्लंघन किया गया. सभा में ना तो किसी के मुंह पर मास्क लगा था और न ही लोगों के बीच उचित दूरी थी.
औलख के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक खजुरिया थाने के गांव बेगमाबाद में वो अपने बहनोई बूटा सिंह के साथ करीब 80 लोगों के साथ जनसभा कर रहे थे, जिसके लिए प्रशासन से अनुमति नहीं ली थी. पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज करने के बाद आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है.
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वीतराग भगवान के श्रीमुख से प्रकाशित प्रवचन गंगा की चतुर्पथगा पावन धारायें चार अनुयोगों के रूप में आज भी प्रवाहित हैं । अनेकानेक आत्मायें इस पावन प्रवाह में कर्म मल से मुक्त होकर अतिमुक्त हुई हैं ।
भगवान महावीर ने विश्व की लोककथाओं को कुछ ऐसा मोड़ दिया कि सारी कथायें मुमुक्षु मानवों के लिये सर्वथा उपादेय वन गई और उनके संकलन से कथानुयोग " का एक महा प्रवाह प्रवाहित हुआ । यह अनुयोग अन्य अनुयोगों की अपेक्षा अधिक सरस, सरल और सुवोध है ।
शिशु सम सरल हृदय साधक द्रव्यानुयोग और गणितानुयोंग के गहन तत्त्वों को सहसा हृदयङ्गम नहीं कर पाते । वे इन धर्म कथाओं से हेय-ज्ञेय और उपादेय का स्वरूप सरलतापूर्वक समझ लेते हैं ।
स्थानाङ्ग सूत्र में हेय, ज्ञेय और उपादेय कथाओं का वर्णन
करते हुए हेय कथाओं को विकथा की संज्ञा दी गई है । स्त्रीकथा, भात कथा, देश कथा, राज कथा, अर्थ कथा और काम कथा आदि सभी विकथायें हेय हैं । केवल धर्म कथायें ही ज्ञेय और उपादेय है ।
कुछ धर्मकथायें विशिष्ट साधकों के संस्मरण हैं और कुछ धर्मकथायें धर्म रूपकों के रूप में सुसज्जित हैं । साधकों की जीवन कथाओं में युगानुसारी परिवर्तन निर्विवाद है, किन्तु रूपक 'कथाओं में कथ्य तथ्य शुद्ध स्वर्ण के समान आज भी उतना ही सुरक्षित है जितना प्रादुर्भाव काल में था ।
आगमों के व्याख्याग्रन्थों में आज जितनी जीवन कथायें और रूपक कथायें उपलब्ध हैं उनका उद्गम अतीत में किसी दिन वीतराग की वाणी द्वारा ही हुआ था, किन्तु वही कथायें आचार्यों के मुंह से प्रसारित हुई तो उनमें कुछ ऐसे अंश भी प्रविष्ट हो गये जिन्हें आज हम किसी अपेक्षा से आलोच्य या हेय कह सकते हैं । फिर भी उन कथाओं में अनालोच्य या उपादेय भाग अधिक है अतः मैंने प्रस्तुत पुस्तिका में कुछ भाष्य कथायें सरल भाषा में संकलित की हैं । आशा है पाठक "यत्सारभूतं तदुपासनीयम्' की नीति अपनाकर इन कहानियों से मार्गदर्शन प्राप्त कर मेरे श्रम को सफल वनायेंगे ।
:-मुनि कन्हैयालाल 'कमल'
जैन आगमों के गहन - गम्भीर आचार एवं तत्त्वज्ञान को अधुनातन शैली में संपादित कर प्रकाशित करने के लिए 'आगम अनुयोग प्रकाशन परिषद् की स्थापना की गई है। इसके मूल प्रेरक हैं, शास्त्र विशारद मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल'
इस संस्थान की ओर से अब तक तीन ग्रन्थ -- १. गणितानुयोग, २. जैनागमनिर्देशिका और ३, समवायाङ्ग (सपरिशिष्ट) प्रकाशित हो चुके हैं ।
चरणानुयोग और स्थानाङ्ग - इन दो ग्रन्थों का मुद्रण आधे से अधिक हो चुका है आगे चल रहा है ।
द्रव्यानुयोग और कथानुयोग का सम्पादन कार्य भी चल रहा है । आशा है निकट भविष्य में ही दोनों ग्रन्थों का मुद्रण प्रारम्भ हो जायगा ।
स्वाध्यायशील विद्वानों ने गणितानुयोग ग्रन्थ का इतना अधिक आदर किया है कि केवल एक वर्ष की अल्पावधि में ही प्रथम संस्करण समाप्त प्रायः है । थोड़ी सी प्रतियां शेप हैं ।
जैनागम निर्देशिका और समवायाङ्ग का भी भारत एवं विदेशों के शोध संस्थानों में अच्छा स्वागत हुआ है । शोध प्रेमियों के लिये ये ग्रन्थ इतने अधिक उपादेय हैं कि प्रतिवर्ष इनकी पर्याप्त मांग रहती हैं ।
स्वाध्यायशील आगम प्रेमियों की कई दिनों से यह प्रेरणा थी कि सामान्य साक्षरों के लिए भाष्य कहानियों का एक संकलन सरल हिन्दी भाषा में प्रकाशित हो, जिससे जन साधारण में आगम स्वाध्याय की रुचि जागृत हो और ज्ञान, दर्शन व चारित्र की साधना में संलग्न साधकों को मार्गदर्शन मिले । वे भाष्यकहानियों के माध्यम से कदम-कदम पर आनेवाली साधकजीवन की कठिनाईयों को समझें और उपदिष्ट उपादेय मार्ग का अवलम्वन लें ।
आगम अनुयोग प्रकाशन से प्रकाशित साहित्य का स्वाध्याय करनेवालों की भावनाओं का समादर करके आगम रहस्यवेत्ता पण्डित रत्न मुनिश्री कन्हैयालाल जी महाराज 'कमल' ने लोकोपयोगी भाष्य कहानियों का यह संकलन प्रस्तुत किया है ।
इस पुस्तक के प्रकाशन में जिन दानवीर सज्जनों ने उदार |
हरियाणा के रोहतक के महम में करीब एक माह पहले हुए सन्नी सुसाइड मामले को लेकर महम विधायक और पुलिस आमने-सामने हो गई है। महम के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) हेमेंद्र मीना ने निर्दलीय विधायक पर अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है। ASP ने यह भी कहा कि विधायक उन पर आत्महत्या के मामले में बिना किसी सबूत के एक महिला को गिरफ्तार करने का नाजायज दबाव बना रहे हैं।
वहीं विधायक कुंडू ने कहा कि ASP अफसरशाही का रौब दिखा रहे हैं। उनके अहंकार है। कानूनी कार्रवाई तो पुलिस अधिकारी के खिलाफ होनी चाहिए। अधिकारी की एक गरिमा होती है और उन्हें उसके दायरे में रहकर काम करना चाहिए।
वहीं एएसपी ने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, डीजीपी व एसपी सहित अन्य आला अधिकारियों को शिकायत भेजी है। जिसमें उन्होंने विधायक बलराज कुंडू के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने विधायक बलराज कुंडू के खिलाफ शिकायत दी गई है।
विधायक बलराज कुंडू ने कहा कि एक मासूम की मौत के बाद पूरा परिवार सैकड़ों लोगों के साथ न्याय के लिए भटक रहा है और पुलिस कुछ नहीं कर रही। जिसके बाद वे भी लोगों से मिलने पहुंचे और पुलिस को उचित कार्रवाई के लिए कहा, लेकिन एएसपी ने उनके साथ अभद्रता की।
MLA ने कहा कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। इसलिए वे एएसपी के खिलाफ मुख्यमंत्री को लिखेंगे कि एएसपी को टर्मिनेट किया जाए। क्योंकि पुलिस अधिकारी खुद को खुदा समझकर काम कर रहा है। वे आगे भी जनता की आवाज उठाते रहेंगे। उनका इस मामले से कोई पर्सनल लेना-देना नहीं है, लेकिन विधायक होने के नाते पीड़ित पक्ष के पास गए थे, ताकि उन्हें न्याय मिले।
महम में करीब सवा महीने पहले सन्नी छाबड़ा द्वारा आत्महत्या कर ली थी। मृतक ने आत्महत्या से पहले सुसाइड नोट लिखा था। जिसमें पैसे ऐंठने व दबाब बनाने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद मृतक की पत्नी की शिकायत पर स्कूल संचालिका सहित 7 लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया। हालांकि अभी तक एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई।
आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सन्नी छाबड़ा के परिवार वालों व क्षेत्रवासियों ने महम के लघु सचिवालय में धरना भी दिया था। करीब 5 दिन तक चले धरने के बाद एसडीएम द्वारा उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। जिसके बाद धरना तो खत्म हो गया लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई।
सन्नी सुसाइड मामले में एसपी उदय सिंह मीना ने SIT का गठन किया था। जिसका नेतृत्व महम एएसपी को देने की बजाए जांच रोहतक के एएसपी को सौंपी। वहीं आरोपी पक्ष द्वारा भी सन्नी व उसके परिवार वालों पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। जिसके आधार पर पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करने के बावजूद किसी मंत्री द्वारा दिए गए बयान को अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। जस्टिस एस. ए. नजीर की अगुवाई वाली 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत बताई गई पाबंदियों के अलावा स्वतंत्र अभिव्यक्ति के खिलाफ कोई अतिरिक्त पाबंदी लागू नहीं की जा सकती। बेंच में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं।
बेंच ने कहा, 'सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करने के बावजूद किसी मंत्री द्वारा दिए गए बयान को अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता, फिर भले ही वह बयान राज्य के किसी मामले को लेकर हो या सरकार की रक्षा करने वाला हो। अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार का प्रयोग राज्य के अलावा अन्य व्यवस्था के खिलाफ भी किया जा सकता है। ' कोर्ट का यह फैसला इस सवाल पर आया है कि क्या राज्य या केंद्र सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायक या उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों की बोलने की आजादी पर पाबंदी लगाई जा सकती है?
वहीं, बेंच में शामिल जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने एक अलग आदेश लिखा। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है ताकि नागरिकों को शासन के बारे में अच्छी तरह जानकारी हो। उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण असमान समाज का निर्माण करते हुए मूलभूत मूल्यों पर प्रहार करता है और विविध पृष्ठभूमियों, खासतौर से 'हमारे भारत जैसे देश के' नागरिकों पर भी हमला करता है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यह संसद के विवेक के ऊपर है कि वह सार्वजनिक पदाधिकारियों को नागरिकों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक कानून बनाए।
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दोस्तो अगर लहसुन को नियमित रूप से सेवन किया जाए तो हम काफी बीमाफियो से दूर रह सकते है, लहसुन एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है उसी के साथ इसमें एन्टी फंगल गुण भी पाए जाते है। आज हम आपको लहसुन खाने के फायदों के बारे मे बताएंगे।
1. कच्चे लहसुन के अलाव भुना हुआ लहसुन भी कम गुणकारी नहीं है। भुने हुए लहसुन में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है, इसके चलते इससे हमें एनर्जी की प्राप्ति होती है।
2. जिन लोगों को रक्तचाप की समस्या है उनके लिए यह बहुत कारगर है। लहसुन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे नसों के ब्लॉकेज कम होते हैं और दिल के दौरे का खतरा कम होता जाता है।
3. लहसुन के सेवन से शरीर में टी-सेल्स, फैगोसाइट्स, लिंफोसाइट्स आदि प्रतिरोधी तत्व बढ़ते हैं और शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। इससे किसी भी प्रकार के संक्रमण का प्रभाव शरीर को तुरंत नहीं होता।
4. वहीं लहसुन खाने से आपकी भूख भी खुलती है। वहीं लहसुन से आपको सर्दी-खांसी से लेकर वायरल तक का जोखिम कम रहता है।
5. लहसुन के सेवन से दांतों के दर्द में आराम मिलता है। दांतों में दर्द होने पर लहसुन को पीसकर दांतों पर रख लें, इससे तुंरत आराम मिलेगा। लहसुन के एंटी - बैक्टीरियल तत्व दांतों के दर्द को दूर करते हैं।
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रात को बिस्तर पर जाने से पहले करें इस चीज का सेवन, फिर देखे कमाल Reviewed by News pari on March 07, 2020 Rating:
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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अपनी ऑटोबॉयोग्राफी हर्शेल गिब्स ने खुलासा किया कि 175 रनों की पारी खेलते समय वो नशे की हालत में थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर और सलामी बल्लेबाज हर्शेल गिब्स का आज 44वां जन्मदिन है। गिब्स की गिनती दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में होती है। थी। अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से गिब्स ने दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट को नई उंचाइयों तक पहुंचाया है। हर्शेल गिब्स का जन्म 23 फरवरी साल 1974 को हुआ था।
मैच फिक्सिंग में फंसने के कारण गिब्स का क्रिकेट करियर काफी विवादित रहा है, जिसके चलते उनपर आजीवन प्रतिबंध भी लगा दिया गया। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको बताते हैं उनके जीवन की कुछ महत्तवपूर्ण बातें जिनका जिक्र उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'टू द प्वॉइंट : द नो होल्ड्स -बार्ड ऑटोबॉयोग्राफी' में किया है।
हर्शेल गिब्स ने साल 1996 में भारत के खिलाफ अपना अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर शुरू किया था। अपने टेस्ट करियर के लगभग 12 सालों के दौरान हर्शल गिब्स ने कुल 90 टेस्ट मैच खेले इस दौरान उन्होंने 6167 रन बनाए। जिसमें 14 शतक और 26 अर्धशतक शामिल थे। इस दौरान उनकी बल्लेबाजी का औसत 41. 95 रहा। अगर वनडे मैचों की बात करें तो उनका करियर लगभग 14 साल का रहा क्योंकि टेस्ट मैच से उन्होंने साल 2008 में ही संन्यास ले लिया था जबकि वो साल 2010 तक वनडे मैच खेलते रहे। उन्होंने कुल 248 वनडे मैच खेले हैं जिनमें 8094 रन बनाए। वनडे मैचों में गिब्स ने 21 शतक और 37 अर्धशतक लगाए हैं इस दौरान उनका बल्लेबाजी औसत 36. 13 का रहा है। उन्होंने 23 टी-20 मैच भी खेले जिसमें उन्होंने 400 रन बनाए हैं।
हर्शेल गिब्स को साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गयी 175 रनों की पारी के लिए उनके फैंस उन्हें आज भी याद करते हैं। 12 मार्च 2006 को ऑस्ट्रेेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गये इस ऐतिहासिक वनडे मैच में रनों की जबरदस्त बारिश हुई। इस मैच में दोनो टीमों से खूब रन बरसे तत्कालीन समय में वनडे मैचों में 300 और 350 का स्कोर काफी बड़ा माना जाता था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मेजबानों के सामने 433 रनों का हिमालयी स्कोर खड़ा कर दिया था। तब 50 ओवर में इतना बड़ा स्कोेर कभी भी किसी टीम ने नहीं बनाया था। सबको लग रहा था कि अब ऑस्ट्रेलिया यह मैच आसानी से जीत लेगा। लेकिन जब हर्शेल गिब्स मैदान पर आये तो उन्होंने ऐसी मैच जिताऊ पारी खेली कि कंगारू उनकी बल्लेबाजी देखकर दंग रह गये दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया से इस मैच को ऐसे छीना जैसे कि शेर के मुंह से शिकार छीन लिया जाए गिब्स ने इस पारी में 111 गेंदों में 175 रन बनाए और अपनी टीम को शानदार जीत दिलाई।
अंतरराष्ट्रीय वनडे मैचों में अभी तक 6 गेंदों में 6 छक्के लगाने का रिकॉर्ड सिर्फ गिब्स के पास है। वो दुनिया के कलौते ऐसे बल्लेबाज हैं जिसने वनडे मैचों में 6 गेंदों पर 6 छक्के लगाए हों। यह कारनामा गिब्स ने साल 2007 के विश्वकप में किया था। गिब्स ने नीदरलैंड के खिलाफ खेले जा रहे मैच में वान बुगें के एक ओवर की सभी गेंदों पर छक्के लगाए थे। इस मैच के बाद इस गेंदबाज ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और संन्यास ले लिया।
हर्शेल गिब्स की गिनती दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में की जाती थी। एक महान खिलाड़ी होने के बावजूद गिब्स के करियर का अंत उतना अच्छा नहीं हुआ जितना कि होना चाहिए था। मैच फिक्सिंग में घिरे होने के कारण गिब्स के करियर का अंत बुहत ही बुरा हुआ। साल 2000 में गिब्स तत्कालीन दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए के कहने पर मैच फिक्सिंग में शामिल हुए थे। इस बात का खुलासा भी गिब्स ने अपनी किताब में ही किया है। इसके अलावा गिब्स ने यह भी बताया कि साल 1996 में भी भारत दौरे पर भी हैंसी ने उन्हें मैच फिक्स करने की पेशकश की थी। आपको बता दें कि फिक्सिंग के चलते गिब्स पर क्रिकेट के लिये लाइफटाइम बैन लगा था।
शायद यह बात बहुत कम लोग ही जानते हों कि हर्शेल गिब्स को क्रिकेट से ज्यादा फुटबाल पसंद थी। स्कूल के दिनों में वह फुटबॉल और रग्बी के बेहतरीन खिलाड़ी माने जाते थे। बाद में उन्होंने क्रिकेट पर ध्यान देना शुरु किया। इसके बाद गिब्स ने क्रिकेट में जो खेल दिखाया वो दुनिया के सामने है। गिब्स को बल्लेबाजी करता देख दुनिया के अच्छे से अच्छे गेंदबाज भी खौफ खाते नजर आते थे।
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झूठी सुरक्षा के पत्थर । अपनी प्रतिष्ठा के स्वर्ण-कुम्भ में में बन्दी कर लिया था उसने तुम्हारी आत्मा के सत्य को ।
कि जब तुम्हारे सपनों के फूलों की नाव छिन्न-भिन्न हो गई थी
किसी के 'बेक-वैलेंस' की चट्टान से टकराकर ।
कि तुम, ओ मेरी आत्मा की सौरभ, जिसने उस मिलन के अन्तिम दिन कोयल से टहुकते उस मीठे उन्मन तीसरे पहर, ढाल दिया था अपना विपुल केशभार से
विह्वल मुखड़ा मेरे चरणों पर, और फिर झेल लिया था सर मेरा अपनी गोदी पर । वही तुम आत्मा की चिर काम्या, कवि के सपनों की साकर वल्लभा, उस दिन छोड़ गईं अपने प्यारे कवि को
यूग के खूनी चौराहे पर, और एक बार भी तुमने नहीं देखा था मुड़ कर । कि जब तुम्हारे-हमारे सपनों के पारिजातों को रौंदती
तुम्हारी बारात बड़े ठाठ-बाट से विदा हो गई थी बैण्ड-बाजों के साथ धरती प्रकाश को हिलाती-कँपाती हुई उस मध्य रात्रि के पहर में !
दूर जाते जुलूस की उन विलय होती गैस-वत्तियों
और बाजों की डूबती ध्वनियों के साथ उस दिन कवि की चेतना खो गई थी जाने किस रौरव-यंत्रणा के अतलान्त पातालों में । सोच लिया था तब यही भाग्य कवि का, स्वप्न दृष्टा का, प्यार का, गीत का । पर रुंध नहीं सकीं मेरी रक्त वाहिनियाँ असत्य, अन्याय, निराशा, पराजय, विफलता की उन दम घोटती फाँसियों में खा-खाकर पछाड़े 'बैंक-बैलेंस' के उन 'आइस-बर्गो' सेमेरा एक-एक रक्ताणु हो उठा वह्निमान कि अपनी ही भस्म की डेरी मे से उठा में बन कर अमर 'अल-पंछी नव जीवन का
और छा लिया मैंने सकल सत्ता का
आसमान ।
गूंज उठीं चुनौतियाँ मेरे ज्वालामय पंखों कि मेरी चेतना के स्फुलिंगों से, कि मेरी आत्मा के सार्वलौकिक दर्द में से उतरेगी ऐसी एक दुनिया प्रखण्ड प्यार
कि जिसमें धन नहीं होगा विधाता
मानव-भाग्य का ।
कि जिसमें मानव की आत्मा होगी शास्ता-नियन्ता इस अखिल भूत-सत्ता की ।
कि जिसमें कवि की वल्लभा का अपहरण नहीं कर सकेगा अत्याचारी, घमण्डी धन का देवता !
कि लो, मेरे पंखों की लपटों से फट पड़ा
तुम्हें मूछिन कर देने वाला, स्वर्ण-माया का आसुरी मोहान्धकार ।
कि लो, देखता हूँ पूर्वाचल की चूड़ा पर चला आ रहा है सूर्य-रथ तुम्हारा
किसकी कु कुमी पाती डाल गया है मेरी खिड़की पर ?
अपनी अनन्त प्रभा के मण्डल से सकल लोक को परिव्याप्त करता हुआ । कि समय के बिखरते बादलों के पार यादों की नीली पहाड़ियों पर तुम्हारी नवीना पगतलियों की जावक-ज्वाला झलमला उठी है ! कि सरदी के इस नीलमी सवेरे पूर्वाचल का डाकिया पहली किरन की रिबिन में बंधी
रमानाथ प्रवस्थी
कि तुम्हारे बिह्वल केश छाये मुखड़े के समर्पण में से, कि तुम्हारी गोद में डूबे मेरे अश्रु-भीने तपते अंगारों-से ललाट में से-उदय हो रहा है मानव का नवीन
मनवन्तर :
इस चिट्ठी में आई है उसी की खबर । कि आज जब मिलने जा रहे हैं धरती और अम्बर,
तब कौन शक्ति है दुनिया की कि जो तुमको-हमको रख सकेगी
दिल डूब गया है जिसका मेरे दिल में, आवाज़ उसी की ही होगी, पहचानो ! जिसके जीवन की रात मुझे चन्द्रमा बनाती है, जिसके सोने के लिए रात आकाश सजाती है । वह मुझे शूल के साथ, फूल-सा जीने को समझाता, में उसी रूप के राग स्वरों में बांध-बांधकर गाता । मेरी आँखों में जिसके अश्रु चमकते, मै उसी रूप का ताज मुझे पहचानो ! जिसके चरणों की धूल राह पर फूल बिछाती है, जिसके प्राणों की प्यास मुझे बरसात बनाती है । मैं उसे बाहु में बाँध काल से प्यार माँगता हूँ, में उसे जीतकर आज उसी से हार माँगता हूँ । मैं जिसका हूँ वह दूर नहीं मुझसे, तक़दीर उसी की है मेरी पहचानो !
बिछुड़ा कर |
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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (5 सितंबर, 2023) शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में देशभर के शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा का किसी के भी जीवन में मौलिक महत्व होता है। उन्होंने कहा कि कई शिक्षाविद् बच्चों के संतुलित विकास के लिए थ्री-एच फॉर्मूले की बात करते हैं, जिसमें पहला एच हार्ट (ह्रदय), दूसरा एच हेड (सिर) और तीसरा एच हैंड (हाथ) है। उन्होंने बताया कि हृदय का संबंध संवेदनशीलता, मानवीय मूल्यों, चरित्र की मजबूती एवं नैतिकता से है। उन्होंने कहा कि सिर या मस्तिष्क का संबंध मानसिक विकास, तर्क शक्ति और पढ़ाई से है और हाथ का संबंध शारीरिक कौशल एवं शारीरिक श्रम के प्रति सम्मान से है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के समग्र दृष्टिकोण पर बल देकर ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव होगा।
राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षण के पेशे में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाली शिक्षिकाओं की संख्या और अधिक होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिला सशक्तिकरण के लिए छात्राओं और शिक्षकों को प्रोत्साहित करना बेहद महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार माना जाता है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र-निर्माता के रूप में शिक्षकों के महत्व को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता का भी यह कर्तव्य है कि वे प्रत्येक बच्चे की अनूठी क्षमताओं को पहचानें और संवेदनशीलता के साथ उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करें। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा उनके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार किया जाए और माता-पिता बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों को शिक्षकों को सौंपते हैं। उन्होंने कहा कि एक कक्षा के 40-50 बच्चों के बीच प्यार बांटने का अवसर मिलना प्रत्येक शिक्षक के लिए बेहद सौभाग्य की बात है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हर कोई अपने शिक्षकों को याद करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षकों से जो प्रशंसा, प्रोत्साहन या सजा मिलती है वह उनकी यादों में बसी रहती है। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों में सुधार लाने के इरादे से उन्हें सजा दी जाती है, तो उन्हें इसका अहसास बाद में होता है। उन्होंने कहा कि उन्हें ज्ञान देने से ज्यादा महत्वपूर्ण प्यार और स्नेह देना है।
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Royal Enfield Himalayan 450 ऑफ रोड बाइक की टेस्टिंग भारत में शुरू की जा चुकी है। हाल में इसके एक टेस्ट मॉडल को स्पॉट किया गया। बता दें कि यह एक ऑफ रोड बाइक होगी जो रॉयल एनफील्ड की आने वाली 5 बाइक्स में से एक है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Royal Enfield Himalayan 450: दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी रॉयल एनफील्ड इन दिनों भारत में अपनी कई बाइक्स को लॉन्च करने की योजना बना रही है। खबर है कि कंपनी कुल 5 मॉडल्स को लॉन्च करेगी। इनमें हिमालयन 450, मेट्योर 650, क्लासिक 650, हंटर और शॉटगन 350 जैसे मॉडल्स शामिल हैं। अभी हाल ही में इनमें से एक हिमालयन 450 ऑफ रोड बाइक को टेस्टिंग के दौरान देखा गया। तो चलिए जानते हैं इन अपकमिंग बाइक में क्या कुछ नजर आया।
टेस्टिंग के दौरान स्पॉट की गई रॉयल एनफील्ड हिमालयन बाइक पूरी तरह से कैमोफ्लेज से ढकी हुई थी। जिससे इसके लुक और डिजाइन की ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई। हालांकि, आगामी हिमालयन का रेट्रो-प्रेरित डिज़ाइन तक भी देखा जा सकता था। इसके अलावा बाइक का सिंगल-पीस हैंडलबार, स्प्लिट सीटा और एक बड़ा टेल रैक भी नजर आता है। यह वर्तमान हिमालयन की तुलना में अधिक चिकना और तेज होगा और इसके पीछे का सेक्शन शार्प होगा। मोटरसाइकिल में ड्यूल रियर शॉक एब्जॉर्बर के साथ नए यूएसडी फ्रंट फोर्क्स भी मिलेंगे। साथ ही वायर-स्पोक वाले पहिये आगे की ओर 21-इंच यूनिट और पीछे की ओर 17-इंच यूनिट से लैस होंगे।
रॉयल एनफील्ड हिमालयन 450 में दिए जाने वाले पावरट्रेन की बात करें तो इसमें एक लिक्विड कूल्ड वाला सिंगल सिलेंडर मोटर होगा, जो अधिकतम 40bhp की पावर और 45 Nm का पीक टॉर्क जनरेट करने में सक्षम होगा। मोटरसाइकिल को 6-स्पीड ट्रांसमिशन मिल सकता है, जिससे टूरिंग क्षमताओं में सुधार होना चाहिए। वहीं, मौजूदा हिमालय 5-स्पीड गियरबॉक्स के साथ आता है। अन्य एडवेंचर बाइक्स की तरह, हिमालयन 450 लो और मिड-रेंज में बेहतर परफॉर्मेंस देने पर फोकस करेगा।
रॉयल एनफील्ड हिमालयन 450 की कीमतों पर ध्यान दें तो यह भारत में 2. 7 ;लाख रुपये से 3. 0 लाख रुपये की रेंज में लॉन्च हो सकती है। उम्मीद है कि यह बाइक साल 2023 के मध्य तक लॉन्च होगी और इसका मुकाबला KTM 390 Adventure और BMW G310 GS जैसी बाइक्स से होगा।
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जब हिरण शिकार की बात आती है, तो कुछ भी "परंपरा" को लीवर-एक्शन राइफल की तरह नहीं कहता है। राइफल की शैली शिकारी को नास्टलग्जा की भावना के साथ अपील करती है, और लीवर-एक्शन में संतुलन और क्रिया की चिकनीता होती है जिसे बोल्ट-एक्शन राइफल्स से मेल नहीं किया जा सकता है। गोला बारूद में हालिया प्रगति का मतलब है कि शिकारियों के पास विशेष रूप से लीवर-एक्शन राइफलों के लिए डिजाइन किए गए अधिक शक्तिशाली कारतूस का एक बेहतर चयन है।
परंपरा 30-30 विन के लिए पुराने फ्लैट-पक्षीय विनचेस्टर और मार्लिन राइफल्स का समर्थन करती है। लेकिन ये एकमात्र लीवर बंदूक नहीं हैं जिन्हें बड़े खेल शिकारी के साथ सफलता मिली है। अन्य डिज़ाइनों ने खुद को उपयोगी और लोकप्रिय साबित कर दिया है।
यहां आठ महान लीवर-एक्शन बड़े-गेम राइफल्स हैं जिन पर आप विचार करना चाहेंगे।
मार्लिन का मॉडल 336 इतिहास में सबसे सफल लीवर-एक्शन राइफल्स में से एक है - और इसके लायक है। चाहे 30-30 विन या कड़ी टक्कर वाली 35 रेम के लिए चैम्बर किया गया हो, 336 राइफल में एक मजबूत, चिकनी, अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई क्रिया प्रदान करता है जो ले जाने और शूट करने में खुशी होती है।
ब्राउनिंग का बीएलआर, 1 9 71 में पेश किया गया था, लीवर-एक्शन प्रेमी को उनकी पेशकश है, और कुछ शिकारी के साथ यह काफी कुछ हासिल कर चुका है। घूर्णन बोल्ट सकारात्मक लॉकअप के लिए अनुमति देता है, और साइड इजेक्शन स्कोप को हवा में घुमाता है। डिटेक्टेबल बॉक्स पत्रिका भी इसे एक स्टैंडआउट राइफल बनाती है।
22-250 से 450 मार्लिन के चैम्बरिंग उपलब्ध हैं। अधिक "
मार्लिन बिग-बोर लीवर-एक्शन राइफल्स छोटे 336 जितना अच्छा है-और उन्हें तब से होना चाहिए क्योंकि वे एक ही बंदूक के स्केल-अप संस्करण हैं। 45-70 (मॉडल 18 9 5) या 444 मार्लिन (मॉडल 444) के लिए चिह्नित, ये बंदूकें एक दीवार की दुकान बनाती हैं और अपने छोटे पूर्ववर्तियों की तुलना में कठिन खेल को संभालेगी।
ये पूर्ण विकसित लीवर-एक्शन गन उपलब्ध सबसे भरोसेमंद और सटीक बड़े गेम राइफल्स में से कुछ हैं।
मार्लिन का मॉडल 18 9 4 उनकी अन्य लीवर बंदूकों की तुलना में थोड़ा अलग है, लेकिन उतना ही अच्छा है। ऊपर वर्णित राइफलों पर पाए गए गोल बोल्ट के बजाय, 18 9 4 में एक फ्लैट-पक्षीय बोल्ट है जो रिसीवर के साथ फ्लश बैठता है। बंदूक उचित दायरे बढ़ने के लिए एक ठोस शीर्ष और पक्ष निकास सुविधाएँ।
यह मॉडल तीन कक्षों में बनाया गया है- 357 मैग / 38 स्पेशल, 41 रेम मैग, और 44 रेम मैग / 44 स्पेशल-हालांकि 41 लाइनअप से समाप्त हो गया है। ऊपर सूचीबद्ध कैलिबर में, 44 मैग्नम बड़े खेल शिकार के लिए सबसे अच्छा चयन हो सकता है। अधिक "
रग्गर का मॉडल 96/44 एक मीठा छोटा राइफल है। हालांकि यह मॉडल 44 की तरह दिखता है, 96 में अर्ध-ऑटो पूर्ववर्ती पर पाए जाने वाले ट्यूबलर मैग की जगह एक अलग करने योग्य रोटरी पत्रिका है। इसमें साइड इजेक्शन और स्कोप माउंटिंग के लिए एक ठोस शीर्ष रिसीवर है ।
यह एक बहुत चिकनी और सटीक छोटी बंदूक है, जो करीब-करीब ब्रश शिकार के लिए उत्कृष्ट है। यह 44 रेम मैग के लिए कक्षित है।
दुर्भाग्यवश, 2007 में यह बढ़िया राइफल बंद कर दिया गया था, लेकिन यह अभी भी इस्तेमाल किए गए बंदूक बाजार पर पाया जा सकता है। अधिक "
हालांकि इसे लंबे समय से बंद कर दिया गया है, लेकिन सैवेज 99 एक राइफल है जो लीवर-एक्शन राइफलों के लिए मोल्ड तोड़ देता है। बिल्ट-इन रोटरी पत्रिका (बाद में एक डिटेक्टेबल बॉक्स मैग) लीवर गन पर अक्सर ट्यूबलर मैग के विपरीत, इंगित गोलियों के उपयोग की अनुमति देती है।
हालांकि इस मॉडल के बड़े पैमाने पर उत्पादन 2006 में बंद हो गया था, फिर भी विंचेस्टर मॉडल 94 दुनिया में सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त लीवर-एक्शन राइफल हो सकता है जो अभी भी व्यापक रूप से उपयोग में है। हालांकि मार्लिन मॉडल 336 के रूप में स्वाभाविक रूप से चिकनी या मजबूत नहीं है, मॉडल 94 का वफादार अनुसरण है, और इसने कई सालों तक नौकरी की है, हालांकि आलोचकों ने कभी-कभी ओपन-टॉप रिसीवर के बारे में शिकायत की है जो गुंजाइश को असुविधाजनक बनाता है। उपलब्ध कक्ष 30-30 विन से 480 रग्गर तक हैं।
इन राइफलों का घरेलू निर्माण 2006 में विंचेस्टर के यूएसए फैक्ट्री के बंद होने के साथ बंद कर दिया गया था, लेकिन कुछ संस्करण तब से जापान में मिरोकू द्वारा बनाए गए हैं। अधिक "
यद्यपि 1 9 55-19 63 से बनाया गया था (1 9 73 तक एक पोस्ट -64 संस्करण बनाया गया था), मूल विनचेस्टर मॉडल 88 का वफादार अनुसरण है और अक्सर शिकारियों और कलेक्टरों द्वारा इसकी मांग की जाती है। सैवेज 99 की तरह, 88 पारंपरिक लीवर-एक्शन डिज़ाइन और उपस्थिति से निकल गया। फॉरवर्ड-लॉकिंग लग्स के साथ इसकी घुमावदार बोल्ट गैसों को घुमाने या चेहरे पर शूटर को मारने वाली टूटी हुई बोल्ट की चिंता के बिना बोल्ट-एक्शन ताकत प्रदान करती है।
राइफल 243 विन, 284 विन, 308 विन, और 358 विन के लिए कक्षित है।
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Hight Court Action On Noise Pollution: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लगातार बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के मामले को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी कर कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए हैं और इसका ब्यौरा शपथ पत्र के जरिए प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.
Hight Court Action On Noise Pollution: रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur) में लगातार बढ़ते ध्वनी प्रदूषण को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी कर कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए हैं. इतना ही नहीं बेच की तरफ से कहा गया है कि आप कार्रवाई के बाद हमें इसका ब्यौरा शपथ पत्र के जरिए दें.
छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने राजधानी में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें रायपुर में ध्वनि प्रदूषण बढ़ने के बावजूद प्रशासन द्वारा इसे रोकने कोई कार्रवाई या प्रयास नहीं करने की बात कही गई थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रायपुर कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
कोर्ट के जवाब मांगने के बाद भी प्रदूषण को रोकने कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद फिर मामला कोर्ट में चलना शुरू हुआ. याचिकाकर्ताओं ने बताया, कि शहर में इतना ज्यादा ध्वनि प्रदूषण हो गया है कि किसी भी सड़क से चलना मुश्किल हो रहा है. अब इस मामले में कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए रायपुर एसपी और कलेक्टर को कार्रवाई करने और उसकी जानकारी शपथ पत्र के जरिए पेश करने के निर्देश दिए हैं.
जनहित याचिका की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी की डबल बेंच में हुई. बेंच ने मामले की सुनवाई की और पूर्व में दिए आदेश के बारे में जाना. इसके बाद कोर्ट ने रायपुर कलेक्टर और एसपी को नया शपथ पत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि आदेश का हर दिन कड़ाई से पालन कर बताया जाए कि क्या कार्रवाई की गई. यानी कोर्ट ने अधिकारियों से डे-टू-डे रिपोर्ट मांगी है.
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रेल मंत्री ने मुफ्त में पिलाया पानी तो रेलवे ने भेज दिया 9. 90 करोड़ का बिल, जानें पूरा मामला. .
CJI ने महबूबा की बेटी से पूछा श्रीनगर में बहुत ठंड है फिर क्यों घूमना चाहती हो वहाँ, मिला ये जवाब. .
थाने से घर पहुँचते ही महिला कांस्टेबल ने लगाई फांसी, वजह....
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कोरोना संकट के बीच अब ओडिशा के कटक जिले में एक सनसनी खेज मामला सामने आया हैं जहा 40 से अधिक आवारा कुत्तों को जहर देकर मार डालने का मामला सामने आया है. पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू कर दी है. घटना को अंजाम देने के बाद से ही दोनों आरोपी फरार बताए जाते हैं.
कटक जिले के चौधवार थाना अंतर्गत महंग इलाके में हुई इस घटना को लेकर सरपंच की शिकायत पर पुलिस ने गांव के ही दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. घटना को अंजाम देने के बाद से ही दोनों आरोपी फरार बताए जाते हैं.
इससे गांव के 40 से अधिक कुत्तों की दर्दनाक मौत हो गई. घटना को अंजाम देने के बाद से ही ब्रह्मानंद और भरत मलिक फरार बताए जाते हैं. गांव के सरपंच ने दोनों के खिलाफ नामजद तहरीर दे दी है. अब पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है.
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नई दिल्ली : Tata Harrier 2023: Tata Motors देश में तीसरी सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनी है। एसयूवी सेगमेंट में टाटा की नेक्सन को सबसे ज्यादा खरीदा जा रहा है। हालांकि अगर बात मिडसाइज एसयूवी की करें, उसमें महिंद्रा का बोलबाला है। टाटा मोटर्स के पास टाटा हैरियर एसयूवी है। उसी सेगमेंट में महिंद्रा की एक्सयूवी 700 को सबसे ज्यादा खरीदा जा रहा है। ऐसे में टाटा अपनी हैरियर को नए अवतार में ले आई है और इसमें ऐसा धांसू फीचर जोड़ा है जिससे इसे खरीदने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
Tata Harrier 2023: दरअसल, Tata Harrier मिड-साइज़ एसयूवी अब ADAS (एडवांस ड्राइवर असिस्टेंट सिस्टम) फीचर के साथ आ गई है। इसमें 6 स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन भी जोड़ा गया है। इन दोनों फीचर्स वाली नई Tata Harrier के लिए कंपनी ने बुकिंग शुरू कर दी है। इसे जनवरी में ऑटो एक्सपो 2023 में पेश किया गया था।
Tata Harrier 2023: ADAS का फीचर आ जाने के बाद अब टाटा हैरियर काफी सेफ हो गई है। इसमें फॉरवर्ड कोलिशन वार्निंग, ऑटो इमरजेंसी ब्रेकिंग, ट्रैफिक साइन रिकग्निशन, लेन डिपार्चर वार्निंग, लेन चेंज अलर्ट, हाई बीम असिस्ट, ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन, रियर क्रॉस ट्रैफिक अलर्ट और रियर कोलिशन वार्निंग जैसे फीचर्स जुड़ गए हैं। इसका ऑटो इमरजेंसी ब्रेकिंग फीचर, आपात स्थिति में खुद ही ब्रेक लगा देता है। SUV में छह एयरबैग, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम (ESP) और ऑल-व्हील डिस्क ब्रेक मिलते हैं।
Tata Harrier 2023: इसके अलावा, Tata Harrier को 6-स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का फीचर भी दिया गया है। अब तक इस एसयूवी में सिर्फ मैनुअल गियरबॉक्स और एक टॉर्क कन्वर्टर मिलता था। इस ट्रांसमिशन को टर्बोचार्ज्ड डीजल इंजन के साथ जोड़ा गया है, जो लगभग 167hp और 350 Nm का टार्क ऑफर करता है। Tata Harrier का मुकाबला XUV700, MG Hector, Hyundai Creta, Jeep Compass और Kia Seltos जैसी कारों से रहता है।
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देशभर में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM Kisan Samman Nidhi Scheme) से जुड़कर किसान भाई लाभ प्राप्त कर रहे हैं. अगर आप एक किसान है और भारत सरकार की इस योजना से जुड़े हैं, तो यह खबर आपके लिए है.
दरअसल, यह बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 13वीं किस्त अगले महीने यानी दिसंबर माह तक जारी की जा सकती है. हालांकि सरकार की तरफ से अभी कोई आधिकारिक घोषणा जारी नहीं की गई है. लेकिन अगर आपने पीएम किसान योजना से जुड़ा यह कार्य पूरा नहीं किया है, तो आप 13वीं किस्त के लाभ से वंचित रह सकते हैं.
ऐसे करें पीएम किसान योजना की 13वीं किस्त के लिए आवेदन?
इस योजना के लिए आपको सबसे पहले पीएम किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा. जहां किसान कार्नर पर आपको 'नया पंजीकरण विकल्प' पर क्लिक करना होगा.
अब आपके समक्ष एक नया पेज खुलेगा.
इसके बाद आपको ग्रामीण किसान पंजीकरण या शहरी किसान पंजीकरण चुनना होगा. जिसमें आपको अपना आधार नंबर, मोबाइल नंबर और राज्य दर्ज करना होगा.
फिर आपको गेट ओटीपी पर क्लिक करना होगा.
इसके बाद आपको अपनी सभी जरूरी जानकारी, सभी विवरण को जमा करना होगा.
किसानों के स्वामित्व वाली भूमि का विवरण (पात्र लाभार्थी)
ध्यान रहे कि योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए सभी लाभार्थियों को अपना ई-केवाईसी समय रहते पूरा करना होगा. बता दें कि आप अपना ई-केवाईसी घर बैठे ऑनलाइन भी पूरा कर सकते हैं या फिर आप अपने निकटतम सीएससी या वसुधा केंद्र से बायोमेट्रिक पद्धति के माध्यम से ई-केवाईसी की प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं. इसके लिए आपको बस 15 रुपए का शुल्क भुगतान करना होगा.
ऐसे करें पीएम किसान ई-केवाईसी ऑनलाइन ?
इसके लिए आपको पीएम किसान की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करना होगा.
इसके बाद आपको साइट के फार्मर्स कॉर्नर पर पीएम किसान ई-केवाईसी लिंक पर क्लिक करना होगा.
जहां आपको अपना आधार नंबर दर्ज कर और फिर कैप्चा कोड को भरना होगा.
जैसे ही आप सर्च के बटन पर क्लिक करेंगे, तो आपके मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा.
इस ओटीपी को दर्ज करने के बाद आपको सबमिट फॉर ऑल पर क्लिक करना होगा.
अगर आपने सभी कागजात व जानकारी सही दर्ज की है, तो आपका पीएम किसान ई-केवाईसी सफलतापूर्वक हो जाएगा.
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Aaj Ka Panchang 5 October 2022: आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए बुधवार का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय।
Navratri Navami Puja: नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जानते हैं इस दिन का मुहूर्त और पूजा विधि।
Navratri Upay: आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए कुछ ऐसे उपाय जिन्हें अगर आप नवमी के दिन ये उपाय करते हैं तो इससे आपके जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल जायेगी।
Happy Navratri 2022: नवरात्रि पर अपने दोस्तों और परिजनों को दें ये बधाई संदेश।
Shardiya Navratri 2022: इस साल का शारदीय नवरात्रि बहुत विशेष है। इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होकर, 5 अक्टूबर तक चलेगी।
चैत्र नवरात्र पर मां घोड़े पर सवार होकर धरती पर आगमन करेगीं। मां के हर वाहन का अपना महत्व और असर है।
देवी मां की कृपा बनाये रखने के लिये और घर-परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिये स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में आज तड़के रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) के जवानों को 80 वर्ष की एक वृद्धा स्टेशन पर लावारिस अवस्था में बुखार से तड़पती मिली, जिसे उसके बेटे वहां छोड़ गए थे।
मान्यता है कि इस दिन देवी की विधि-विधान से पूजा करने पर कृपा बरसती है। सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
हर साल की तरह हावड़ा जिले के एक मुस्लिम बहुल गांव के लोग आगामी उत्सव के लिए मां दुर्गा के लिए बाल बनाने में जुटे हैं।
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व्रत अव्रतरूप चितकबरी या शिगिलाचाररूप ( रागविरागयुक्त ) अवस्था ( पाँचवे गुणस्थानं वाली श्रावकव्रतकी दशा ) से निरन्तर विरक्त या अरुचि रूप ऐसी सर्वथा या पूर्ण वीतरागतारूप अनुपम या अलौकिक ( लोकिकजनोसे भिन्न प्रकारकी होती है अर्थात् पूर्ण शुद्ध व निर्मल होती है ॥१६॥
भावार्थ- मोक्षमार्गी मूलमे दो तरहके होते है ( १ ) चिन्तक ( २ ) साधक । चिन्तक अव्रती होते है, जो खाली तत्त्वोकी श्रद्धा एव विचारधारा रखते है जैसे चौथे गुणस्थानवाले सम्यग्दृष्टि जीव । साधक, मोक्षमार्गकी साधना करनेवाले अणुव्रती व महाव्रतो जीव ( श्रावक व मुनि ) । परन्तु सामान्यत मोक्षमार्गी ३ तीन तरह के होते है, ( १ ) अव्रती ( २ ) अणुव्रती ( ३ ) महाव्रती, लेकिन सबमे मुख्य या श्रेष्ठ मुनिराज होते है यह यहाँ वताया गया है, मुनियोका पद दर्जा या स्थान उच्च होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि संयोगोपर्यायमे रहते हुए प्रवृत्ति व निवृत्तिरूप ( ग्रहण भोजनादि स्वरूप तथा त्याग परिग्रहादि स्वरूप ) दोनो कार्य करते है परन्तु प्रवृत्तिरूप कार्यसे अत्यन्त विरक्त या उदासीन रहते है हमेगा शुद्धताका आलम्वन लेते हैं, अशुद्धताका त्याग करते हैं अर्थात् रागको छोड़ते है - वैराग्यको धारण करते हैं, यही अलौकिकता उनके पाई जाती है । तथा मुनियोका यही कर्त्तव्य भी है - ससार, शरीर, भोगोसे जुदा रहना ।
जो श्रमण मुनि होकर भी इसके विपरीत आचरण या वृत्ति करते हैं वे महान् गलती व अपराध करते है। रागी द्वेषी मुनि कभी ससारसे पार नही हो सकता । चाहे वह राग प्रशस्त ( शुभ ) ही क्यो न होवे, वह बधका ही कारण है मोक्षका कारण नही है । यद्यपि उस भूमिकामे वह होता जरूर है परन्तु साधु मुनि उसको इष्ट या उपादेय नही मानता, विगार या बलात्कार हो समझता है एव उससे अरुचि रखता है, उसका स्वामी नही बनता इत्यादि । तब सच्चे मुनिको दुनियाँके या गृहस्थरागियोके कायोमे पड़ना ही नही चाहिये । रागको तो उसे कृतकारित अनुमोदना व मनवचनकायसे छोड़ ही देना चाहिये क्योकि वह विषरूप है । मोक्षमार्गकी साधना उनका मुख्य कर्त्तव्य है। झूठी प्रशसा या वाहवाहमे आकर उनको बन्धकारक कार्य कदापि नही रखना चाहिये । लोकैषणा या लोकख्याति सदा वर्जनीय है । इसीलिए प्रतिक्रमणादि करनेकी विधि शास्त्रोमे कही गई है। उसमे मुख्यत स्वामित्त्व छुडाया गया है - शुद्ध स्वरूपका अनुभव कराया गया है। अस्तु । इसका विचार हमेशा मुनि या त्यागीको करना चाहिये व अमल ( वर्ताव ) मे लाना चाहिये । यदि न कर सके तो उसपर श्रद्धा तो रखना ही चाहिये, जिससे सम्यग्दृष्टि बना रहे, मिथ्यादृष्टि न हो जाय ( 'ज सक्कइ त कीरइ' इत्यादि गाथा भावपाहुडमे लिखी है ) 1
अपराधके अनुसार दड (सजा ) मिलता है यह बताते हैं -
संसारमे चार तरहके जीव होते है ( १ ) अज्ञानी ( मिथ्यादष्टि ) ( २ ) ज्ञानी ( सम्यग्दृष्टि अती ) ( ३ ) अणुव्रती ( देशव्रती ) ( ४ ) महाव्रती ( पूर्णव्रती ) । ( १ ) अज्ञानी मिथ्यादृष्टि सबसे वडा ( भयकर ) अपराधी है क्योकि वह परको अपना मानता है और उसमे अत्यधिक रागद्वेप भी करता है वेहद आसक्ति रखता है। फलस्वरूप उसको ससारकी जेलमे ही लम्बी करोड़ो |
Faridabad/Alive News : हरियाणा पॉल्यूशन बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव 5 जून को पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए जागरूकता साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।
यह जागरूकता साइकिल रैली सेक्टर- 31 के टाउन पार्क में सुबह 6:30 बजे शुरू की जाएगी। जो कि विभिन्न स्थानों से गुजर कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण बारे जागरूक करेगी।
स्थानीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में आयोजित जागरूकता साइकिल रैली में बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी वर्गों के लोग भाग लेंगे।
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है कि आहार और कसरत, नींद और विश्राम के बारेमें नियमपूर्वक चलनेसे ही शरीर और मनकी अवस्था ज्ञानोपार्जनके उपयुक्त हो सकती है। संक्षेपमें यह कहा जा सकता है कि ब्रह्मचर्यपालन और आहार-निद्राका संयम ही शिक्षार्थीके लिए प्रशस्त नियम है ।
सहज अवस्थामें अनेक शारीरिक नियमोंका लंघन भी किया जाय तो वह सह्य होता है, और अनेक सहज कार्यों में विना शारीरिक शिक्षाके एक प्रका रसे काम भी चल जाता है। किन्तु इसी लिए यह नहीं कहा जा सकता कि शारीरिक नियमोंका पालन और शारीरिक शिक्षा आवश्यक नहीं है । नियमित आहार, व्यायाम और विश्रामके द्वारा अनेक दुर्बल शरीर सबल हो जाते हैं । हाथों और आँखोंकी सुशिक्षाके द्वारा लोग चित्र खींचनेमें अद्भुत निपुणता प्राप्त करते हैं। पक्षान्तरमें न सीखनेसे चित्र खींचना तो दूर रहा, एक सीधी लकीर भी नहीं खींची जाती ।
मन जैसे शरीरकी अपेक्षा सूक्ष्म पदार्थ है, वैसे ही मानसिक शिक्षा भी शारीरिक शिक्षाकी अपेक्षा कठिन विषय है । यहाँ पर मानसिक शिक्षाका उस अर्थमें व्यवहार नहीं किया गया है जिस अर्थका बोध विद्याशिक्षा कहनेसे होता । भिन्न भिन्न विद्याकी शिक्षा कहनेसे, जगत्के भिन्न भिन्न विषयोंके ज्ञानकी प्राप्ति, यह अर्थ भासित होता है, किन्तु मानसिक शिक्षा यह वाक्य उसके अतिरिक्त और कुछका भी बोध कराता है, अर्थात् ज्ञानलाभ और ज्ञानलाभकी शक्तिको बढ़ाना - इन दोनोंका बोध कराता है। ऊपर कही गई विशेष विशेष विद्याओंको सीखनेसे साथ ही साथ अवश्य ही मानसिक शिक्षा प्राप्त होती है। जैसे, दर्शनशास्त्र या गणितकी शिक्षा के साथ साथ बुद्धिका विकास होता है, इतिहास पढ़नेसे अभ्यासके द्वारा स्मृतिशक्ति की वृद्धि होती है । किन्तु यह होने पर भी भिन्न भिन्न विद्या सीखनेके साथ साथ मानसिक शिक्षा पर अलग दृष्टि रखनेकी आवश्यकता है। क्योंकि यद्यपि विद्या-शिक्षा अक्सर मानसिक शक्तिको बढ़ती ही है, मगर कभी कभी उससे इसके विपरीत फल भी उत्पन्न होता है। लगातार एक विद्याकी आलोचना करते रहनेसे यद्यपि मनुष्य उस विद्यामें पारंगत हो सकता है, किन्तु मनकी साधारण शक्ति उसके द्वारा बढ़नेके बदले घट ही जाती है । और, इस तरह पढ़े" |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारी बहुमत के साथ दूसरी बार सत्ता में आयी भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार ने राजनीति रुप से दूरगामी प्रभाव वाले ऐतिहासिक फैसले के तहत जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के साथ ही इस सीमावर्ती क्षेत्र को दो भागों में बांटने और उन्हें केंद्र शासित प्रदेश बनाने का कदम उठाया है।
अब जम्मू कश्मीर अलग तथा लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की दिल्ली की तरह अपनी विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। जम्मू कश्मीर में अब राज्यपाल नहीं होगा बल्कि वहां का प्रमुख उप राज्यपाल होगा। इस फैसले के बाद अब राज्य का अलग संविधान और अलग ध्वज नहीं रहेगा।
राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद ने जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35 ए को निष्प्रभावी कर उसके स्थान पर नया आदेश जारी किया। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में भारी शोरशराबे के बीच जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जे के प्रावधान वाले संविधान के अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने का संकल्प पेश किया। उन्होंने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया, जिसमें जम्मू कश्मीर को दो भाग में बांट कर उसके दोनों हिस्सों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रावधान है।
भारतीय जनता पार्टी शुरु से ही अनुच्छेद 370 को समाप्त करने पर जोर देती रही है। इसके तहत जम्मू कश्मीर को एक तरह से स्वायत्तशासी राज्य का दर्जा मिला हुआ है । इस दर्जे के चलते देश के अन्य हिस्सों में लागू बहुत से कानून वहां अमल में नहीं आते हैं। विदेश, रक्षा, वित्त और संचार को छोड़कर अन्य विषयों से संबंधित कानूनों को जम्मू कश्मीर में लागू करने से पहले वहां की अनुमति लेनी होती है। नागरिकता, मानवाधिकार, संपत्ति का अधिकार जैसे अहम मसलों पर जम्मू कश्मीर में अलग कानून हैं। अनुच्छेद 370 से जुड़े 35 ए के जरिये जम्मू कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार प्रदान किये गये हैं। राज्य से बाहर के लोग न तो वहां स्थायी रुप से बस सकते हैं और न अचल संपत्ति खरीद सकते हैं। राज्य के स्थायी निवासियों को ही सरकारी नौकरी मिल सकती है।
जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलोें की तैनाती , अमरनाथ यात्रा को बीच में रोकने तथा पर्यटकों को घाटी से लौटने की सलाह दिये जाने के बाद से ही केंद्र सरकार द्वारा इस तरह के कदम उठाये जाने की अटकलें लगायी जा रही थीं। कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए कश्मीर में कल रात से धारा 144 लागू कर दी गयी थी तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया था। कश्मीर के कई हिस्सों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया।
जम्मू कश्मीर के विभाजन के बाद देश में राज्यों की संख्या 29 से घटकर 28 रह जायेगी जबकि केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या सात से बढ़कर नौ हो जायेगी।
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रॉयल स्पैनिश अकादमी ( RAE ) के शब्दकोश में उल्लिखित आय का पहला अर्थ जल विज्ञान के क्षेत्र से है। इस संदर्भ में, एक जलकुंड में काफी और कभी-कभी अचानक वृद्धि को एवेन्यू कहा जाता है।
एक राजस्व एक धारा या एक नदी की बाढ़ हो सकती है। पानी के पाठ्यक्रम का स्तर बढ़ता है, इसके सामान्य प्रवाह से अधिक होता है। जब प्रवाह की वृद्धि महत्वपूर्ण होती है, तो यह बिस्तर पर बह सकता है और बाढ़ का कारण बन सकता है।
Avenues समय-समय पर और पूर्वानुमान योग्य हो सकते हैं और लंबे समय तक रह सकते हैं। इस मामले में, वे एक जलप्रपात के साथ होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण हैं। अन्य रास्ते असाधारण हैं, जो वर्षा की तीव्रता से प्रेरित हैं।
जल विज्ञान के क्षेत्र में, एवेन्यू के विचार का उपयोग सड़क या एक मार्ग का नाम करने के लिए किया जाता है जिसमें बहुत अधिक आयाम होते हैं और जो वाहनों के संचलन के लिए एक निश्चित महत्व रखता है।
यह सामान्य है कि आम रास्तों के विपरीत, मार्ग में संचलन का दोहरा अर्थ है (यह कहना है, कि उनके पास हाथ और कंट्रामानो हैं)। यही कारण है कि वे परिवहन के साधनों के अधिक प्रसार की अनुमति देते हैं। इसके अलावा, वे छोटी सड़कों की तुलना में अधिक विस्तार करते हैं, एक ही इलाके के विभिन्न बिंदुओं से जुड़ते हैं।
बड़ी संख्या में लोग, जो रोजाना रास्तों से घूमते हैं, उनमें से कई महत्वपूर्ण शॉपिंग सेंटर हैं। फ्रांस में पेरिस का एवेन्यू डेस चैंप्स एलिसीस और संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यूयॉर्क का फिफ्थ एवेन्यू इसके दो उदाहरण हैं।रास्ते भी कई बस स्टेशनों और सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों, जैसे ट्राम और मेट्रो, पर ध्यान केंद्रित करते हैं, क्योंकि वे संकीर्ण सड़कों की तुलना में आसानी से पता लगाते हैं। वास्तव में, जब एक मानचित्र को देखते हैं, तो रास्ते अपनी अधिक मोटाई और सामान्य रूप से विस्तार के कारण उत्तरार्द्ध से बाहर खड़े होते हैं, कुछ ऐसा जो स्थानीय और विदेशी दोनों लोगों के लिए शहर के नए हिस्सों का दौरा करते समय उनकी उपयोगिता बढ़ाता है। ।
पूरे वर्ष में अलग-अलग त्यौहारों के मौसम के दौरान, मुख्य राशियों को आमतौर पर सभी प्रकार के आभूषणों से सजाया जाता है और सार्वजनिक कार्यक्रमों जैसे परेड और रंगरूटों की मेजबानी के लिए। देश के आधार पर, यह क्रिसमस, नए साल, किंग्स और क्षेत्रीय मेलों में हो सकता है, और पर्यटन में तेज वृद्धि लाता है, क्योंकि सार्वजनिक राजमार्ग पर गतिविधियां विशेष रूप से हंसमुख वातावरण उत्पन्न करती हैं। जैसा कि अपेक्षित था, यातायात में वृद्धि दुकानों और सड़क व्यापारियों के लिए अच्छी खबर का भी प्रतिनिधित्व करती है।
विभिन्न शहरी क्षेत्रों के बीच वाणिज्यिक या संचार के दृष्टिकोण से एक शहर में रास्ते की मौजूदगी से होने वाले लाभों के अलावा, हम यह उल्लेख करने में विफल नहीं हो सकते कि कई बार वे कई कार दुर्घटनाओं का ध्यान केंद्रित हो जाते हैं। यदि हम बड़ी संख्या में ऐसी कारों को जोड़ते हैं जो इन सड़कों से गुजरने वाले राहगीरों की मात्रा में हैं, तो उन्हें पार करने वाले जोखिम का कारण समझना मुश्किल नहीं है, भले ही वे सड़क अधिकारियों द्वारा नियंत्रित हों।
2016 में, जॉन इरविंग ने " एवेन्यू ऑफ द सीक्रेट्स " नामक एक उपन्यास प्रकाशित किया, जो मेक्सिको में पैदा हुए एक लेखक की कहानी कहता है जो अपने बचपन का एक कचरा डंप में रहता था। जॉन इरविंग 1942 में उत्तरी अमेरिका में जन्मे एक लेखक हैं, जिनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है, जिसमें स्पेनिश भी शामिल है, कुछ ऐसा जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक निश्चित प्रसिद्धि हासिल करने की अनुमति दी है। बॉर्डर को पार करने के लिए उनकी पहली पुस्तक " द वर्ल्ड तदनुसार गार्प " थी, जो 1976 में रिलीज़ हुई थी और जॉर्ज रॉय हिल के निर्देशन में छह साल बाद बड़े पर्दे पर आई।
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इन उद्योग तक पहुंचाना आवश्यक होगा। साथ ही यह को देखना होगा कि कुटीर व लघु उद्योगों को सस्ती दर पर यह बिजली प्रदान की जाय । प्राजक्स केवल बिजली के बड़े उपभोनाओं को हो सस्ती दर पर विजली दी जाती है। गांवों में भी बिजली पहुँच जाने से देश की अर्थव्यवस्था वास्तव में प्रगतिशील और विकेन्द्रित अर्थ व्यवस्था के रूप में प्रोद्योगीकरण के मार्ग पर आगे बढ़ सकेगी।
परन्तु साथ ही यह बात ध्यान में रखनी होगी कि इन नये ग्रीजारों, शक्तिचालित मशीनों व नई उत्पादन प्रविधियों को इस प्रकार अपनाया जाय कि इससे देश मे 'प्राधिक बेकारी' ( Technological Unemployment ) बिल्कुल भी न फैले । १६५५ को ग्राम व लघु उद्योग समिति ( कवँ समिति ) ने प्रपनी रिपोर्ट में इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया है ।
(३) वित्त (Finance) को कठिनाई कुटीर व छोटे उद्योगो की एक और बहुत बडी और वास्तविक कठिनाई पर्याप्त मात्रा में व ब्याज की उचित दर पर वित्त का न मिलता है। कारीगरों व छोटे उत्पादको को कच्चा माल खरीदने व संग्रह करने तथा तैयार माल संग्रह करने व मज़दूरी प्रादि देने के लिये अल्पकालीन या कार्यशील (Norking) पूजी नाहिये। साथ ही, ग्रोजार तथा अन्य उपरा खरीदने, भूमि, इमारतो व मशीनों मादि मे विनियोग करने मोर जहां कुटीर जारीगरों की औद्योगिक सहकारी समितिया है, वहीं इन समिनियों में हिस्सा पूंजी देने के लिये, कारीगरो व छोटे उत्पादको को दीर्घकालीन व मध्यकालीन पूजी चाहिये । उन्नत उपकरणो व उत्पादन प्रविधियो तथा अलग से बनी इमारतो का प्रयोग करने वाले उद्योगों में दीर्घकालीन पूंजी को अपेक्षाकृत अधिक श्रावश्यकता होती है। पर इन विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये देश में मन्तोषजनक व्यवस्था नही है। कारीगर बहुवा निर्धत हैं। उनके पास अपनी जमा पूजी नहीं है । ऋण के लि वे भावश्यक जमानत भी नहीं दे पाते। साथ ही उनको पूंजो की माग भी कम होते है । अतः बड़े उद्योगो व व्यापारियों को वित्त प्रदान करने वाले व्यापारिक बैंक उ ऋण देने में लाभ नहीं समझते उन्हें ऋण देने के लिये अलग से सहकारी संस्था प्रौद्योगिक सहकारी समितिया भी बहुत कम हैं। गांवों में जो सह साव समितियां हैं, वे प्रधानतः किसानो को ही ऋण देती हैं; उद्योगो को ऋण ये नेत्र से बाहर का काम समझती है। 'उद्योगों को राज्य सहायता ( State Aid to Industries Acts) के प्रावधानों के अन्तर्गत राज्य सरकाई बुद्ध ऋण देवी है। हाल ही में राज्य सरकारों द्वारा दिये जाने वाले ऋण 'कुछ मात्रा में भी दिये जाने समे हैं भी इस स्रोत से प्राप्त होने वाले आवश्य से कम हैं। राज्य वित्तीय निगम)' (State Financial Co Tation) द्वारा भी पत्र बहुत सीमित मात्रा मे मध्यकालीन व दीर्घकालीन दिये जाने लगे हैं। परंतु इन सब से भी बाम नहीं चलता 24 फलस्वरूप ऋ छोटे उत्पाद को साहूकारों व मध्यजतो पर ही निर्भर रहता पत
Saaman रहे है
(Uniform Quality ) का प्रभाव, (iii) मशीनो द्वारा तैयार माल को तुलना कुटोर-उत्पादो को ऊंची उत्पादन लागत, प्रतः ऊंचे मूल्य - यह कारण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, (iv) कुटीर- कारीगरों में किसी प्रकार के विपणन संगठन का प्रभाव । अतः वे अपने माल की बिक्री के लिये पूर्णतया मध्यजनो पर निर्भर हैं। मध्यजन माल के विज्ञापन ग्रादि पर कुछ खर्च नहीं करते, जिससे इनके बाजार का क्षेत्र विस्तृत नहीं हो पाता ।
इन सब कमजोरियो के कारण कुटोर व लघु उद्योग वड़े स्तर के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं कर पाते हैं और उनके उत्पादों के बाजार का क्षेत्र सीमित ही रह जाता है ।
उपाय :- विपणन के क्षेत्र मे आवश्यकता इस बात की है कि कुटीर व लघु उद्योगो के माल को माग बढाई जाय और उत्पादकों को इस माल का उचित मूल्य दिलाया जाय । माग को देश और विदेशों में दोनों जगह वढाया जा सकता है । भारत ही भरती वडी जनसख्या के कारण, इसके लिये विशाल क्षेत्र प्रस्तुत करता
। * हा इसके जिये लोगो को क्रमशक्ति को बढ़ाकर दवी हुई श्रावश्यकताम्रो को जगाना होगा । साथ हो, विज्ञापन, प्रदर्शनियो, मेलो, भण्डारो (Emporium), शाभा-नक्षों ( Show Rooms आादि के द्वारा कुटीर उत्पादो का व्यापक प्रचार कर लोगो की रुचि इनके पक्ष में बदलनी पड़ेगी । इस दिशा में लखनऊ में उत्तर प्रदेश श्रीर सरकार का 'कला तथा चिल्प भण्डार' ('Arts and Crafts Emporium) नई दिल्ली में केन्द्रीय कुटीर उद्योग भण्डा' (Central Cottage Industries Emporium) पहले से हो सराहनीय कार्य कर रहे हैं। हाल ही के वर्षों मे इसी प्रकार के भण्डार अन्य बड़े नगरो मे भी खोले गये हैं ग्रथवा खोले जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्य सरकारें प्रमुख नगरी में अपने वायं केन्द्रों (Work Centres ) में दस्तकारी की वस्तुएं बनवार्ती तथा बेचती हैं। इस दिशा में ही राज्य सरकारों को मोर भागे बढना होगा। परन्तु केवल प्रचार से हो बाम नहीं चलेगा । बडे पैमाने पर उत्पन्न सस्ते माल से सफन प्रतियोगिता करने के लिये कुटीर व लघु उद्योगों की प्रावैधिक कार्यकुशलता वढानी होगी जिससे कि वे भी नीची उत्पादन लागत पर माल तैयार कर सकें और बेच सकें। साथ ही, उचित उपाय अपनाकर बुटीर उत्पादों में भी मशीनों से बने माल वाला समापन (Finish) और किस्म में
* ग्रन्तर्राष्ट्रीय नियोजन दल, १९५३-५४ जिसका प्रभाग चलकर जिक्र रिया जायेवा का भी इस सम्बन्ध में यह मन था कि भारतीय बाजार सपार के मत्र से बड़े सभाग्य {Potential) घरेलू बाज़ा मे से एक है। यदि यह बाज़ार नगरों और गाँवो दोनों में पूरा विकसित किया जाय तो शायद यह ग्रभी तक देखी गई सबसे बड़ा प्रौद्योगिक क्रान्ति को प्रोत्साहित कर सकता है और भारत को विश्व में प्रमुख उत्पादन तथा उपभोगवर्ता क्षेत्रों में से एक बना सकता है । |
VAISHALI : आमतौर पर आपने सुना होगा कि चोर, लूटेरे पुलिस को देख भागते हैं. लेकिन आपको ये जानकर हैरत होगी की हाजीपुर में चोरों के एक ऐसे गैंग का खुलासा हुआ है जो चोरी के लिए सिर्फ पुलिसवालों को ही निशाना बनाता था. चोरो का ये गैंग ना केवल पुलिस को निशाना बनाता था. बल्कि चोरी की वारदात के लिए पुलिस की मांद में घुस वारदात को अंजाम देता था. चोरो का ये गैंग थानों में घूम घूम थाने के अंदर ही चोरी की वारदात को अंजाम देता था.
दिलचस्प वारदात का खुलासा हुआ है हाजीपुर में. पुलिस ने लग्जरी कार से थाने पहुंचे 2 शातिर चोरों को गिरफ्तार किया, जो थाने में घुस चोरी की वारदात को लगभग अंजाम दे ही चुका था. लेकिन पुलिस की तेज नजर से शातिर चोर की काले खुल गई और खुलासा हुआ एक अद्भुत गैंग का.
दरअसल बिद्दूपुर थाने में खुद को कारोबारी बता 2 जेंटलमैन पहुंचे थे. लग्जरी कार से थाने पहुंचे दोनों लुटेरों ने बताया की वे थाने में जब्त गाड़ियों की नीलामी में खरीद करने वाले कारोबारी है. . और थाने में जब्त गाड़िया देखना चाहते हैं. पुलिस ने पटना से पहुंचे दोनों लड़को को गाड़ी देखने को कह दिया और काम में लग गए. लेकिन थोड़ी देर में थाने पहुंचे SHO को जब शक हुआ तो उन्होंने पड़ताल शुरू कर दी.
लड़को की गाड़ी की जांच हुई तो उनके गाड़ी में थाने की गाड़ियों कीमती पार्ट्स भरे पड़े मिले. पूछताछ में खुलासा हुआ की ये दोनों शातिर चोर हैं और थाने में खड़ी गाड़ियों के पाटर्स चुराने के माहिर गैंग के सदस्य थे. पता ये भी चला कि इस गैंग ने अकेले वैशाली जिले के कई थानों से चोरी की ऐसी ही वारदात को पहले भी अंजाम दिया है और चोरी कर निकल चुके थे. .
पकड़े गए दोनों लड़के पटना के रहने वाले हैं. जिन्होंने बताया की थाने से चोरी करना उन्हें ज्यादा सुरक्षित लगता था, इसीलिए ये लोग लम्बे समय से थाने में खड़ी गाड़ियों के कीमती पार्ट्स चुराने के धंधे में लगे थे. फिलहाल चोरों का ये गैंग पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है और पुलिस खुद की लंगोट में हाथ डालने वाले इस गैंग के पड़ताल में जुट गई है. पुलिस की मांद में घुस चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले इस गैंग की हरकतों से ने पुलिसवालों को भी परेशान कर दिया है.
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Oral Answer#
The Minister of Commerce (Shri Kanungo): (a) and (b). A statement is laid on the Table of the Lok Sabha. [See Appendix III, Annexure No. 54.]
(c) This has not yet been finalised. Indian Trade Exhibition in Sudan *542. Shri Raghunath Singh: Will the Minister of Commerce and Industry be pleased to state whether it is 8 fact that India is organising Indian Trade Exhibition in Sudan?
7 FEBRUARY 1988
The Deputy Minister of Commerce and Industry ( Shri Satish Chandra): Yes, Sir.
श्री रघुनाथ सिंह : मे यह जानना चाहता हूं कि जो प्रदर्शिनी हो रही है उसमे बनारसी सामान जैसे पीतल, सिल्क और हेडलम का सामान भेजा जायेगा कि नहीं ?
श्री सतीश चन्द्र : हेडियफ्ट बोर्ड इस नुमायश में हिस्सा ले रहा है और मुझे पूरी उम्मीद है कि बनारसी सामान को जरूर इसमे स्थान मिलेगा ।
श्री ब्रजराज सिंह : इस प्रदर्शिनी मे मागरे के जूते और फीरोजाबाद की चूडिया भी रक्खी जायेगी ?
श्री सतीश चन्द्र मुझे मालूम नही कि सूडान में चूडिया पहनी जाती है कि नही लेकिन इस तरह का सामान जो कुछ भी है, स्मोल स्केल का, बडी इंडस्ट्रीज का और इंजीनियरिंग गुड्स सभी उसमे भेजे जा रहे
और रूस को मतों का निर्यात +
श्री राधेलाल व्यास :
श्री विश्वनाथ राय : डा० राम सुभग सिंह : पंडित द्वा० ना० तिवारी : श्री मोहन स्वरूप : श्री बाजपेयी :
श्री म० रा० मुगिस्वामी :
क्या वाणिज्य तथा उद्योग मंत्री यह
बताने की कृपा करेंगे कि :
Oral Answers
(क) क्या यह सच है कि पोलड और रूस को भेजे गये चमड़े के जूतों के कुछ बंडल इन देशों द्वारा लौटा दिये गये है क्योंकि उनमें जो जूते थे वे स्वीकृत नमूने के अनुसार नही
(ख) यदि हा, तो इन देशों में से प्रत्येक ने कितने-कितने जोडी जूने अस्वीकृत किये ;
(ग) क्या यह सच है कि बाद को ये जूते इन देशो द्वारा स्वीकार कर लिये गये और यदि हा, तो किन शर्तों पर ;
(घ ) इस सम्बन्ध में हुये नुकसान के बारे में क्या कोई जाच की गई और किमी पर इसका उत्तरदायित्व डाला गया ; और
(ड) इस विषय में क्या कार्यवाही की गई है अथवा करने का विचार है ?
वाणिज्य मंत्री (श्री का नगो) : (क) रूस को कुल जितने जूने भेजे गये थे, उनका सिर्फ कुछ ही प्रतिशत माल अस्वीकृत किया गया है। कुछ जूते खराब भी पाये गये हैं । जूने वापस भारत नही भेजे गये हैं ।
(ख) प्रवकृत जूते शराबी वाले जूने १०२४ जोडे ४३,०८२ जोडे
(ग) भस्वीकृत जूने बाद में स्वीकार नही किये गये । खराबी वाले जूते कम कीमत पर स्वीकार किये गये है ।
(घ) जी, नही । स्टेट ट्रेडिंग कारपोरेशन ग्राफ इंडिया को कोई भी नुकसान नही हुआ । सौदे की शर्तों के अनुसार भस्वीकृत जूतों की कुल लागत और खराबी वाले जूतो की कम की गयी कीमत इन्हें सप्लाई करने वालों ने उठायी है।
(ङ) प्रश्न ही नहीं उठता।
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आगरा में रविवार को दिनभर उमस भरी गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया, लेकिन शाम को सात बजे के बाद आई आंधी ने रात में गर्मी से राहत दी। रविवार को दिन में पारा 40 डिग्री के पार पहुंच गया, जबकि शाम को 64 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी चली, जिसने जनजीवन अस्तव्यस्त कर दिया। उधर, मथुरा जिले में तेज आंधी के बाद आई बारिश से मौसम अचानक बदल गया, लेकिन आंधी मुसीबत लेकर भी आई। जगह-जगह पेड़ और विद्युत पोल गिर गए। एक बाइक सवार घायल हो गया। विद्युत पोल गिरने से कई इलाकों में बिजली व्यवस्था ठप हो गई। शहर से लेकर देहात तक आंधी से नुकसान हुआ है। वहीं बारिश होने से लोगों को गर्मी से राहत मिली है, लेकिन समस्याएं भी सामने आ गईं।
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आगरा में रविवार को अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 25. 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिन में तेज धूप के साथ उमस बढ़ी रही। आर्द्रता ज्यादा होने के कारण लोग पसीने से नहाए रहे। कूलर में भी लोगों को राहत नही मिल पाई। शाम को सात बजे के बाद मौसम में बदलाव आया। पश्चिम से काले बादल घिर आए और चंद मिनटों में ही तेज आंधी शुरू हो गई।
आंधी के कारण शाम को 7 बजे गुल हुई बिजली रात 10. 30 बजे तक ही अधिकांश क्षेत्रों में आ सकी। आंधी के कारण होर्डिंग, पेड़ भी उखड़ गए, जबकि कुछ पानी की टंकियां भी उड़ गईं जो खाली थीं। सिकंदरा वाटरवर्क्स से पानी की आपूर्ति न होने के कारण छतों पर रखी टंकियां खाली पड़ी थीं जो तेज आंधी का दबाव नहीं झेल सकीं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान केंद्र के मुताबिक अगले दो दिनों में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी के आसार हैं। उमस भी बढ़ी रहेगी।
मथुरा में तेज आंधी के साथ बारिश हुई। इससे लोगों को गर्मी से राहत मिली, लेकिन समस्याएं भी सामने आ गईं। कोसी-नंदगांव रोड पर पेड़ टूटकर गिरने से बाइक सवार घायल हो गया। आंधी के चलते स्टोन क्रेशर के समीप पेड़ टूटकर गिर गया। इसी दौरान गुजर रहा बाइक सवार पेड़ से टकराकर घायल हो गया। राहगीरों ने घायल को कोसी अस्पताल में पहुंचाया। पेड़ गिरने से नंदगांव कोसी रोड भी बाधित हो गया।
दरोगा जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में पुलिसकर्मी पेड़ हटाने में जुट गए। दरोगा ने बताया कि घायल को राहगीरों ने अस्पताल पहुंचा दिया है। पेड़ को हटाने के लिए जेसीबी बुलाई गई है। जल्द ही रोड चालू हो जाएगा। इधर, मथुरा-वृंदावन रोड पर भी पेड़ टूटने से मार्ग कुछ देर तक अवरुद्ध हो गया। वहीं शहरी इलाके मथुरा-वृंदावन के साथ देहात क्षेत्र के राधाकुंड, गोवर्धन, सुरीर, नौहझील, मांट, राया, बलदेव, फरह और सौंख में भी आंधी के बाद बारिश हुई।
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अहमदाबाद. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बीजेपी ने पहले चरण के लिए 70 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. पार्टी ने अधिकतर मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है. बीजेपी ने राजकोट पश्चिम से विजय रूपाणी लड़ेंगे. बीजेपी ने जीतू वाघाणी को भावनगर, नितिन पटेल को मेहसाणा से, अंजान से वासणभाई अहीर, वाव से शंकरभाई चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि धराद से परबतभाई पटेल, दीयोदर से केशाजी चौहाण को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है.
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस भी आज पहले चरण के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सकती है जिसमें पहले दौर की 89 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम होंगे. उम्मीदवारों की लिस्ट को अंतिम रूप देने के लिए आद दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता नें केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने जा रही है. जिसमें पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गुजरात के कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत समेत कई बड़े नेता शामिल होंगे. पिछले हफ़्ते केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पहले दौर की 89 सीटों के लिए कई नामों पर चर्चा हो चुकी है. आज की बैठक में 182 सीटों के लिए उम्मीदवारों पर विचार होगा. हालांकि पार्टी सभी उम्मीदवारों की लिस्ट एक साथ जारी नहीं करेगी.
गुजरात विधानसभा चुानव में अपना भाग्य आजमाने उतरी आम आदमी पार्टी पहले ही दोनों चरणों के उम्मीदवारों के नाम जारी कर चुकी है. गुजरात चुनाव बीजेपी के लिए बेहद अहम है, लेकिन कांग्रेस भी चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है.
बता दें कि गुजरात में दो चरणों में चुनवा होने हैं. 9 दिसंबर तो पहले चरण का चुनाव व 14 दिसंबर को दूसरे चरण के लिए मतदान होगा. गुजरात चुनाव में इस बार 50,128 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं.
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कल यानी 24 अक्टूबर को देशभर में करवाचौथ का त्योहार मनाया गया। सेलेब्स ने भी इस त्योहार को जमकर मनाया। हरियाणवी स्टार सपना चौधरी ने अपने पति वीर साहू के साथ करवा चौथ मनाया। ये सपना का दूसरा करवा चौथ था। दूसरे करवा चौथ की तस्वीर सपना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की, जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। तस्वीरों में सपना रेड कलर के लहंगे में एक दुल्हन की तरह नजर आ रही हैं, वहीं उनके पति क्रीम कलर के कुर्ते पाजायमे में दिख रहे हैं।
सपना की इन तस्वीरों पर उनके चाहने वाले जमकर प्यार लुटा रहे हैं। सपना की तस्वीरों पर फैंस लगातार कमेंट कर उनकी खूबसूरती की तारीफ भी कर रहे हैं। आपको बता दें कि 'बिग बॉस' के बाद से उनकी पॉपुलैरिटी पहले से काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक अब सपना छा चुकी हैं और उन्होंने अपना एक अलग पहचान बना लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सपना की वीर के साथ उनकी कोर्ट मैरिज हुई थी और कोर्ट मैरिज से करीब एक महीने पहले उन्होंने वीर के साथ पूर्वांचल के बलिया जिले में सांकेतिक शादी की थी। खबरों की मानें तो, सपना चौधरी और वीर साहू पिछले 4 सालों से एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में थे। वीर साहू पेशे से सिंगर, कंपोजर, लिरिसिस्ट और एक्टर हैं और उन्हें हरियाणा का बब्बू मान कहा जाता है। सपना चौधरी की तरह वीर साहू भी जाट कम्युनिटी से हैं।
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चोरों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे थानों में घुसकर चोरी की घटना को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में गोंदा पुलिस ने दो चोरों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्तों में सुखदेवनगर थाना क्षेत्र का रहने वाला मनोज लोहरा और न्यू पुलिस लाइन निवासी राज कुमार लोहरा शामिल हैं। पुलिस ने एक को सोमवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। वहीं, आरोपी राज लोहरा की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। जेल भेजने से पहले आरोपियों ने पुलिस के समक्ष अपना जुर्म स्वीकार किया है। बैट्री चोरी कर भाग रहे थे आरोपीजानकारी के अनुसार गोंदा यातायात थाना में बीते 29 अगस्त की रात दोनों चोर चोरी करने की नीयत से घुसे थे। थाना परिसर में एक जब्त ऑटो पड़ा था। रात करीब पौने ग्यारह बजे दोनों आरोपी ऑटो से बैट्री निकालकर जा रहे थे। आवाज सुनकर एसआई नवल किशोर प्रसाद ने दोनों को देखा और शोर मचाया। शोर सुनकर दोनों आरोपी भागने लगे। इसी दौरान अन्य पुलिसकर्मियों की मदद से दोनों को खदेड़कर पुलिस ने दबोच लिया और गोंदा थाने के हवाले कर दिया।
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रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। नौतपा का आखिरी दिन गुरुवार है। मौसम विभाग ने उम्मीद जताई है कि यह राहत भरा होगा। गुरुवार को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बादल छाए रहने के साथ ही बारिश के भी आसार हैं। साथ ही कुछ क्षेत्रों में बिजली भी गिर सकती है। आने वाले कुछ दिनों तक प्रदेश में मौसम का मिजाज इस प्रकार ही बना रहेगा।
बुधवार को राजधानी रायपुर सहित प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहा और तपाने वाला रहा। पिछले दिनों की अपेक्षा उमस में बढ़ोतरी हुई। प्रदेश भर में सर्वाधिक गर्म माना(रायपुर) रहा। यहां का अधिकतम तापमान 43. 6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। प्रदेश में सबसे कम न्यूनतम तापमान लाभांडी का 23. 0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसी प्रकार जगदलपुर का अधिकतम तापमान सामान्य से छह डिग्री सेल्सियस गिरकर 31. 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस वर्ष केरल में दक्षिण पश्चिम मानसून अपने निर्धारित समय से दो दिन पहले पहुंचा है। इसे देखते हुए प्रदेश में भी मानसून के कुछ दिन पहले पहुंचने के आसार हैं। प्रदेश में मानसून 10 जून के पहले भी पहुंच सकता है।
मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया कि एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा दक्षिण पूर्व उत्तर प्रदेश के ऊपर 0. 9 किमी ऊंचाई तक विस्तारित है। साथ ही एक द्रोणिका दक्षिण पूर्व उत्तर प्रदेश से बांग्लादेश तक 0. 9 किमी ऊंचाई तक है। इसके प्रभाव से गुरुवार को अधिकतम तापमान में विशेष बदलाव नहीं होगा। प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में हल्की वर्षा और गरज-चमक के साथ छींटे पड़ सकते हैं।
(अधिकतम व न्यूनतम तापमान डिग्री सेल्सियस में)
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बढ़ता वजन या मोटापा कई बीमारियां अपने साथ सौगात में लाता है। वजन बढ़ने से ना सिर्फ पर्सनालिटी खराब होती है बल्कि बॉडी लेजी भी हो जाती है। वजन को कंट्रोल करने के लिए कई तरह की डाइट मौजूद है जिसका सेवन करके लोग अपना वजन घटाना चाहते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि संतुलित जीवन शैली और पौष्टिक आहार ना सिर्फ हमें सेहतमंद रखते हैं बल्कि वजन को कंट्रोल करने में मदद भी करते हैं।
बढ़ता वजन आपको अनजाने में ही कई बीमारियों का शिकार बना सकता है। वेट बढ़ने से दिल के रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ता है। आप बढ़ते वजन से परेशान हैं तो कद्दू के बीज को डाइट में शामिल करें। कद्दू के बीज कद्दू की सब्जी से निकाले जाते हैं जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं।
एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर कद्दू के बीज विटामिन Kऔर विटामिन A से भरपूर होते हैं, जो फ्री रेडिकल से बचाव करते हैं। इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रोल कंट्रोल रहता है, साथ ही कई बीमारियों से बचाव भी होता है। ठंडी तासीर के इन बीजों का गर्मी में सेवन करने से बॉडी ठंडी रहती है।
वजन कम करने में किस तरह मददगार हैः कद्दू के बीज पोषण संबंधी पावरहाउस हैं क्योंकि वे प्रोटीन, हेल्दी वसा और फायदेमंद फाइबर का बेस्ट स्रोत हैं। ये ऐसा हेल्दी स्नैक्स हैं जो पेट को लंबे समय तक भरे रखता है। ये भूख को दबाता हैं और वजन को कंट्रोल करता है। ये बीज जिंक, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कोपर, एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोस्टेरॉल जैसे मूल्यवान पोषक तत्वों का स्रोत हैं जो बॉडी को हेल्दी रखता है।
ये हेल्दी स्नैक्स पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए फायदेमंद है। दिखने में छोटे से इन बीजों का सेवन आप नाश्ते में कर सकते हैं। इनका सेवन करने से देर तक भूख नहीं लगती। फाइबर से भरपूर बीज शरीर में पचने में अधिक समय लेते हैं, जिससे आपका पेट भरा रहता है, जिससे आप ओवर इटिंग से बचते हैं।
शुगर के मरीजों के लिए हैं वरदानः डायबिटीज के मरीजों के लिए कद्दू के बीज बेहद फायदेमंद हैं। ये इंसुलिन विनियमन में सुधार करने में मदद करते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं। ये बीज सुपाच्य प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत हैं जो ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल करने में मदद करते हैं।
इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाते हैंः कद्दू के बीज में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं जो इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग बनाने में मददगार हैं। इसका सेवन करने से वायरल संक्रमण जैसे सर्दी, फ्लू और खांसी से बचाव होता है।
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जी.एन.आई.ओ.टी. ग्रुप ऑफ इंस्टीटूशन्स के प्रांगण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वैश्य व्यापारी सम्मलेन का विशाल आयोजन किया गया। कार्यक्रम केआयोजक राजेश गुप्ता जी ( चेयरमैन, जी.एन.आई.ओ.टी. संस्थान समूह एवं क्षेत्रीय सह -संयोजक भाजपा शिक्षण संस्थान प्रकोष्ठ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश ) ने व्यापारी वर्ग की समस्याओं पर विमर्श एवं सरकार से समाधान हेतु इस सम्मलेन का आव्हान किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय श्री नन्द गोपाल गुप्ता 'नन्दी जी' (कैबिनेट मंत्री , उत्तर प्रदेश सरकार) एवं गुप्ता (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, महिला मोर्चा भाजपा) की बहुमूल्य उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथिओं ने माँ सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्वलित करके किया। तत्पश्चात राजेश गुप्ता ने मंच से सभी अतिथिओं का जी.एन.आई.ओ.टी. संस्थान के प्रांगण में स्वागत करते हुए कहा कि वैश्य व्यापारी सम्मलेन का उद्देश्य सभी वैश्य व्यापारी बंधुओं को संगठित करना है। इस सम्मलेन में ग्रेटर नोएडा , नोएडा , ग़ाज़िआबाद, हापुड़ , मेरठ , मुज्जफर नगर, खुर्जा , बुलंदशहर , दनकौर, दादरी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों से वैश्य व्यापारी समाज के लोग सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की विशिष्ठ अतिथि रेखा गुप्ता ने अपने सम्बोधन में अपना राजनीतिक अनुभव साझा करते हुए वैश्य समाज के सभी लोगों को एकजुट होकर भाजपा के सशक्त नेतृत्व के साथ खड़े होने की जरूरत को बताया। भाजपा सरकार में ही वैश्य एवं व्यापारी वर्ग की भी सुरक्षा है।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि नन्द गोपाल गुप्ता 'नन्दी'(कैबिनेट मंत्री , उत्तर प्रदेश सरकार) ने अपने सम्बोधन में सभी वैश्य एवं व्यापारी बंधुओं का आभार व्यक्त करते हुए सभी को एकजुट होकर फिर से योगी सरकार को लाने का आवाहन किया और कहा कि आज देश को मोदी जी और उत्तर प्रदेश को योगी जी का कुशल एवं सशक्त नेतृत्व मिला है। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश भयमुक्त हो गया जिसमें हर एक व्यापारी स्वतंत्र रूप से व्यापर कर सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी समाज का संगठित होना ही उसका सम्मान, सुरक्षा एवं उसकी राजनीतिक भागीदारी तय करता है। इसलिए उन्होंने कानपुर में 8th जनवरी 2022 को होने जा रहे आगाज -2022 कार्यक्रम में भारी संख्या में वैश्य व्यापारी बंधुओं को पहुंचने के लिए कहा। जिसकी जिम्मेदारी लेते हुए श्री राजेश गुप्ता जी ने कहा कि वे, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हज़ारों की संख्या में वैश्य व्यापारी वर्ग के लोगों को लेकर पहुँचेंगे।
कार्यक्रम के समापन पर राजेश गुप्ता ने मुख्य अतिथि माननीय श्री नन्द गोपाल गुप्ता 'नन्दी जी' का विशेष आभार व्यक्त करते हुए सभी आये हुए अतिथि एवं वैश्य व्यापारी बंधुओं का भी सहृदय आभार व्यक्त किया और कहा कि वैश्य व्यापारी वर्ग की आवाज न केवल सरकार तक पहुंचेगी बल्कि सरकार हमारे सम्मान एवं सत्ता में भागीदारी को भी सुनिश्चित करेगी।
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काग्रेस पर बुरा ही पड़ेगा, जिससे कांग्रेस की सत्ता बिखर सकती है। इसी कारण से नेहरू जी ने समाजवाद के सम्बन्ध मे प्रचार कार्य अधिक किया, समाजवादी विचारक और नेता इस तथ्य को समझने में असमर्थ रहे । जब नेहरू जी की इस नीति को समाजवादियो ने समझा तब तक समय काफी आगे निकल चुका था। यही कारण है कि प्रारम्भ से लेकर आज तक समाजवादी दलो पर इसका विपरीत प्रभाव ही पड़ा और उन्हें कोई विशेष सफलता प्राप्त नही हुई।
वामपथी दलों पर आधिपत्य का लक्ष्य प्राप्त करने के बाद नेहरू जी ने दक्षिणपंथियो को आश्वस्त करने की आवश्यकता अनुभव किया। ससद के समक्ष दूसरी पचवर्षीय योजना पेश करते हुये उन्होने कहा था कि "मै समाजवाद की यह परिभाषा प्रस्तुत करना नहीं चाहता कि इस शब्द का ठीक-ठीक अर्थ क्या है, क्योकि हम सैद्धातिक और सकीर्ण विचारधारा के पक्षपाती नही है।(2) उन्होंने आगे कहा कि- लेकिन मोटे तौर पर कहूँ तो हमारा अभिप्राय एक ऐसे समाजसे है, जहाँ अवसरों की समानता हो और जहां प्रत्येक के लिये अच्छा जीवन जीने की सम्भावनायें मौजूद हो, इसलिये हमे समानताएं लाने पर और असमानताएँ दूर करने पर बल देना चाहिये।"(21)
इस तथ्य की ओर संकेत करने की आवश्यकता नही है कि "नेहरू के समाजवाद मे व्यक्तिवाद का एक तत्व - उत्पादन वृद्धि की इच्छा, हमेशा विद्यमान रही है, और न केवल वितरण की समान प्रणाली वरन् भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल समाजवाद की इच्छा एव भारत की विशिष्ट कृषि समस्या और प्रजातंत्र के साथ समाजवाद का उचित सामंजस्य भी विद्यमान रहा है। वास्तव में नेहरू समाजवाद के उतने ही समर्थक थे जितना कि पश्चिमी उदारवाद के । '
लेकिन सन् 1955-60 ई. मे सन् 1934 की परिस्थतियों से काफी अन्तर आ चुका था। सन् 1956 ई. तक समय तक उन्होने जो कुछ प्राप्त किया था उसी को बनाये रखने की आवश्यकता ने उन्हें समाजवाद की निश्चित व्याख्या देने से रोक दिया था। वास्तविकता यह थी कि सत्ता ग्रहण करने के बाद नेहरू मार्क्सवादी नही रह गये, जबकि सन् 1936 में उन्होंने कहा था कि "वैज्ञानिक समाजवाद अथवा मार्क्सवाद ही विश्व की समस्याओं का अकेला हल है । ( 23 ) जबकि 1956 मे ' उन्होंने यह स्वीकार किया कि मार्क्स जो कि 19 वी शताब्दी के थे 20 वीं शताब्दी के बारे में बताने में असमर्थ थे।
इसलिये कांग्रेस को समाजवाद से प्रतिबद्ध दल का रूप देने के बजाय नेहरू उसको एक ऐसा राजीतिक सगठन बनाये रहे जहाँ हिसक क्रान्ति के लिये कार्यरत मार्क्सवादी तत्व सामन्तवादियो के साथ मिलकर खड़े होते थे। इस कारण दक्षिणपथी और वामपथी दोनो विचारधाराओ वाले दलो के लिये नेहरू और कांग्रेस के साथ (सिद्धान्तो और नीतियों के नाम पर) सहमत रहना असभव हो गया था।
समाजवाद का मूल सिद्धान्त समता के आधार पर आर्थिक सम्पन्नता होता है। नेहरू भारत को आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न तो करना चाहते थे, परन्तु समाजवाद के आधार पर नही, बल्कि यूरोपीय सम्पन्नता और सभ्यता के आधार पर । राष्ट्रीय स्वतंत्रता उनकी दृष्टि मे इसलिये आवश्यक थी कि भारत यूरोप के समान अपना विकास कर सके । इसलिये राज्य से भिन्न राष्ट्र का उनके लिये कोई अर्थ नही था। इसके अतिरिक्त विश्व के उस भविष्य के लिये जिसमे भारत का भविष्य भी शामिल था, यूरोपीय सभ्यता की उस विरासत की रक्षा नेहरू को आवश्यक प्रतीत होती थी, जिसका प्रतीक ब्रिटेन का उदारवाद है। नेहरू की उग्र राष्ट्रीयता और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया समय बीतने के साथ-साथ, यूरोपीय सभ्यता के उनके लगाव के समक्ष गौण पड़ती गयी। जब नेहरू सत्ता मे आये तब यूरोपीय आधार पर भारत की सामाजिक आर्थिक व राजनैतिक प्रणाली को विकसित करने की इच्छा ही असली बात रह गयी थी। राष्ट्रीय और सामाजिक परिवर्तन की इच्छा का स्थान अपने देश की परिस्थितियों के आधार पर दिखावा मात्र रह गया था।
यद्यपि नेहरू ने देश की परिस्थितियों के अनुसार आर्थिक एवं सामाजिक विषमता के दूर करने के लिये कल्याणकारी योजनाओ को लागू करने का अथक प्रयास किया लेकिन ये योजनाये उनके ही समय में कारगर सिद्ध न हो सकी। इसका मुख्य कारण इनके दोषो को समुचित ढंग से नही समझा गया और न ही उसे दूर करने का उचित प्रयास ही किया गया।
नेहरू जी की समाजवादी एवं कल्याणकारी योजनाएं
आज़ादी के बाद नेहरू जी ने भूमि सुधारों की प्रक्रिया पर बल दिया। जिसके लिये जमींदारी व्यवस्था की समाप्ति और काश्तकारी सुधार अति आवश्यक था। "इस सुधार की मुख्य विशेषता थी -
बिचौरियों की समाप्ति, जैसे जमींदार, जागीरदार इत्यादि ।
काश्तकारी सुधार, जिनमें काश्तकारो को जोत की सुरक्षा प्रदान की गई । भूमि कर कम किया गया, और काश्तकारो को स्वामित्व के अधिकार प्रदान किये गये ।
भूमि पर हदबन्दी
सरकारी और सामुदायिक विकास कार्यक्रम । इस दौर को सस्थागत सुधारो का दौर भी कहा गया है । (24)
सन् 1949 ई. आते-आते जमीदारी उन्मूलन बिल या भूमि काश्तकारी कानून कई प्रदेशो मे बनाए गये। जैसे उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, मद्रास, आसाम और बम्बई । जी. बी. पंत की अध्यक्षता मे बनी यू.पी. जमीदारी उन्मूलन समिति की रिपोर्ट कइयो के लिये नमूना बनी यद्यपि देश के विभिन्न हिस्सो के जमीदारो ने जमीदारी उन्मूलन कानूनो की वैधता का विरोध किया लेकिन प्रथम संशोधन 1951 मे और चौथा सशोधन 1955 मे कर इस समस्या से छुटकारा पाने का प्रयास किया गया। इन संशोधनो का उद्देश्य जमीदारी उन्मूलन लागू करने के लिये राज्य विधायिको के हाथ मजबूत करना और मूलभूत अधिकारो एव मुआवजे के प्रश्नो को अदालतो की परिधि से बाहर रखना था ।
"जमीदारी उन्मूलन एक्ट अधिकतर राज्यो मे 1956 तक पास किया जा चुका था। यह कहा जा सकता है कि 1956 के अन्त तक और अवश्य ही पचास के दशक के अंत तक, ब्रिटिश भारत के जमींदारो, और तब तक भारत मे शामिल हो चुके रजवाड़ो के जागीरदारो जैसे बिचौलियों के उन्मूलन का ख़ात्मा किया जा चुका था।' इस बात को देखते हुये कि समूची प्रक्रिया जनतांत्रिक ढ़ाँचे के तहत पूरी की गई, जिसमें लगभग हिसा का प्रयोग नहीं हुआ, कहा जा सकता है कि सारा काम काफी कम समय में पूरा किया गया।
लेकिन नेहरू जी की इस योजना में कई कमियाँ रह गयी जिसे उनके कार्यकाल में दूर करने का प्रयास नही किया गया। पहली कमी तो यह थी कि जमीदारो को अदा किया गया मुआवजा वास्तव मे आम तौर पर कम था। तथा इसमे एक राज्य से दूसरे राज्य मे अन्तर भी था। जैसे- कश्मीर मे कोई मआवजा नही दिया गया। पटियाला के दखल करने वाले काश्तकारों को कुछ भी नही मिला। दूसरे, मुआवजे की राशि देने में काफी विलम्ब किया गया। 6 अरब 70 करोड़ के कुल बकाया में से सन् 1961 ई. तक मात्र 1 अरब 64 करोड़ बीस लाख रुपये ही दिये गये।(2) तीसरे, यू.पी. के जमींदारो को वे जमीने अपने अपने पास रखने की इज़ाजत दे दी गई, जिन्हें उन्होंने अपनी 'व्यक्तिगत खेती' घोषित की थी। यह बड़ा ढीला-ढाला अस्पष्ट शब्द था। इससे उन सभी को खेतिहर बनाया जा सकता था जो न सिर्फ जमीन जोत रहे थे बल्कि व्यक्तिगत रूप से या अपने किसी सम्बन्धी के जरिये जमीन की देखभाल कर रहे थे या जमीन पूँजी और कर्जा मुहैया कर रहे थे। इसका नतीजा यह हुआ
कि वास्तव मे वे जमीदार भी जो अनुपस्थित भू स्वामी थे, अब बड़ी जमीनो के मालिक बन सकते थे। कई इलाको मे, जमीदार अपनी 'व्यक्तिगत जोत' को अधिक से अधिक बड़ा दिखाने के लिये काश्तकारो, खासकर छोटे काश्तकारो को बड़े पैमाने पर बेदखल करने लगे। इसके बाद हदबन्दी और काश्तकारी कानूनो के लागू होने पर बेदखली के और भी दौर चले । इससे कुल मिलाकर भारत में भूमि सुधारो पर काला धब्बा लग गया।
भूमि सुधारो के क्षेत्र मे नेहरू जी ने दूसरा महत्वपूर्ण कार्य काश्तकारी से सम्बन्धित कानून बना कर किया। काश्तकारी सुधार के मुख्य उद्देश्य तीन थे (28) पहला, उन काश्तकारों के लिये थे काश्तकारी की गारटी करना, जिन्होने विशेष अवधि तक उस जमीन पर खेती की हो, जैसे- ६ वर्ष, यह अवधि एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र मे भिन्न थी। दूसरा, काश्तकारो द्वारा दी गई लगान को एक (उचित) स्तर पर लाना। यह आम तौर पर लगान पर दी गयी जमीन के कुल उत्पादन का एक चौथाई से एक - छठा हिस्सा था। तीसरा उद्देश्य था, काश्तकार को उसके द्वारा जोती जा रही जमीन के स्वामित्व का अधिकार मिलना, लेकिन कुछ सीमाओ के साथ । काश्तकार को बाजार के भाव से काफी कम, कुछ विशेष वर्षों का वार्षिक लगान, जैसे आठ या दस वर्षो का, अदा करना होता था। उदाहरण के लिये आन्ध्र प्रदेश मे आठ वर्षो का लगान दाम के रूप मे अदा करना होता था। यह बाजार-भाव का करीब 40 प्रतिशत पड़ता था। नेहरू जी के इस उद्देश्य को बहुत ही कम सफलता मिली। 2) पहला उद्देश्य कि सभी काश्तकारों को काश्तकारी की सुरक्षा प्रदान करना, सीमित सफलता ही प्राप्त कर सका, जहाँ एक ओर काफी संख्या मे काश्तकारो को सुरक्षा जरूर मिली (कई तो भू-स्वामी भी बन गये) वहीं दूसरी ओर अभी भी बड़ी संख्या में असुरक्षित बने रहे। केरल और बंगाल मे सफलता के बावजूद, बिना सुरक्षा के काश्तकारी, जो अधिकतर मौखिक थी, जो बटाईदारी या अनाज या पैसो के रूप मे किराये पर दी जाती थी, भारत मे बड़े पैमाने पर जारी रही। बड़ी संख्या मे असुरक्षित काश्तकारो के बने रहने से काश्तकारी कानून का दूसरा उद्देश्य, अर्थात् भू-कर को उचित ' स्तर पर लाना, पूरा करना लगभग असंभव हो गया। बाजार की स्थिति अर्थात् प्रतिकूल भूमि व्यक्ति अनुपात के कारण, जो औपनिवेशिक भारत मे पैदा हुआ, भू- कर बढ़ने लगे। ऐसी स्थिति में कानूनी 'उचित' भू- कर केवल उन्हीं काश्तकारों पर लागू हो सकता था, जो सुरक्षित थे और जिन्हें जोत का अधिकार मिला हुआ था, अर्थात् उन्हें हटाया या बदला नहीं जा सकता था। तीसरा उद्देश्य काश्तकारों को स्वामित्व का अधिकार दिलवाना था। यह भी आंशिक रूप में ही लागू हो पाया। भू-स्वामियो द्वारा फिर से जोत आरंभ करने की कोशिश, कानूनी और गैर कानूनी बेदखली, 'स्वयं' अधिकार त्याग, मौखिक या छिपे तौर पर बटाईदारी की कोशिश ने इस उद्देश्य की पूर्ति में बाधाएँ पहुॅचायी।
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिये दो बड़े कार्यक्रम सामुदायिक विकास कार्यक्रम और पंचायती राज, 1952 और 1959 मे शुरू किय गये। ये कार्यक्रम गांवो मे कल्याणकारी राज्य की नीव डालने वाले थे। हालाकि ये कृषि के विकास के लिये भी बनाये गये थे, पर इनमे मुख्यत कल्याण का उद्देश्य ग्रामीण भारत का चेहरा बदलना था ताकि लोगो का जीवन स्तर सुधारा जा सके।
सामुदायिक विकास कार्यक्रम सीमित स्तर पर 1952 मे शुरू किया गया, जिसमे 55 विकास प्रखड चुने गए। प्रत्येक प्रखड मे 100 गाव और करीब 60 से 70 हजार की आबादी थी। 1960 के दशक के मध्य मे आकर देश का अधिकाधिक सामुदायिक प्रखडो के जाल मे ढक गया, जिसमे 6000 प्रखंड विकास पदाधिकारी और करीब 600000 भी एल. डब्ल्यू. या ग्राम सेवक नियुक्त किये गये जो इस कार्यक्रम को लागू कर सके। इस कार्यक्रम मे ग्रामीण जीवन के हर पक्ष को लिया गया था, खेती बेहतर बनाने की विधियों से लेकर संचार, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार आदि सभी पहलुओ को लिया गया था।
इस कार्यक्रम मे लोगो द्वारा आत्मनिर्भरता तथा आत्म-सहायता और उत्तरदायित्व पर मुख्य रूप से जोर दिया जाना था। यह एक प्रकार से मूलत. जनता के अपने कल्याण के लिये, जनता के एक आंदोलन के रूप मे संगठित किया जाने वाला कार्यक्रम था। जैसा कि नेहरू ने इस कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर 1952 मे कहा था कि इसका मूल लक्ष्य "जनता के बीच नीचे से शक्ति संचार करने " ( 31 ) का था। एक तरफ यह "आवश्यक था कि योजना बनाई जाए, उसका निर्देशन, संगठन और संयोजन किया जाये, परन्तु दूसरी तरफ, उससे भी ज्यादा जरूरी, निचले स्तर से स्वतः विकास की आवश्यक परिस्थिति तैयार करना था । ' इसके अलावा कार्यक्रम में भौतिक उपलब्धि का लक्ष्य तो रखा गया था, परन्तु इसका मूल उद्देश्य "समुदाय और व्यक्ति को विकसित करना तथा व्यक्ति को अपने गांव और व्यापक अर्थो में भारत का निर्माता बना देना था । ' ' (33) उन्होंने कहा, "प्राथमिक वस्तु है इसमे लगा मानव इसका एक दूसरा बड़ा उद्देश्य पिछड़े तबके को उठाना था : "हमारा लक्ष्य अवसर की समानता और अन्य पक्षो को अधिक से अधिक ऊंचे स्तर पर ले जाना होना चाहिये। (35) 1952 और उसके बाद के वर्षों में, नेहरू बार-बार सामुदायिक विकास कार्यक्रम और उसके साथ जुड़ी राष्ट्रीय विस्तार सेवा की चर्चा "नई सरकार' ,,, (96) और एक "महान क्रांति (37) तथा "भारत के पुनरुत्थानशील भावना का प्रतीक (38) के रूप मे किया करते थे।
इस कार्यक्रम को विस्तार कार्यो मे अच्छी सफलता प्राप्त हुई। जैसे- बेहतर बीज, खाद आदि होने के परिणामस्वरूप आमतौर पर खेती का विकास तेज हुआ और खाद्य उत्पादन बढ़ा। इसके अलावा सड़क, तालाब, कुआ, स्कूल तथा प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र आदि का निर्माण और शिक्षा एव चिकित्सा सुविधाओ का विस्तार हुआ । परन्तु जल्दी ही यह स्पष्टहो गया कि कार्यक्रम अपने एक प्रमुख उद्देश्य मे असफल हो गया - वह था अपनी विकास गतिविधियो मे लोगो की पूरी भागीदारी । न केवल इससे अपनी मदद स्वयं करने की भावना का विकास नही हो सका, बल्कि इसने सरकार में उम्मीदो और सरकार पर निर्भरता को और बढ़ा दिया । धीरे-धीरे इसका झुकाव सरकारी काम जैसा हो गया और अफसरशाही ढांचे का हिस्सा बनकर ऊपर से शासित होने लगा । पूरा कार्यक्रम रोजमर्रा की तरह बन गया। प्रखंड विकास पदाधिकारी पारपरिक सब-डिविजनल पदाधिकारी के प्रतिरूप बन गए और ग्रामसेवक उनके कर्मचारी । जैसा कि नेहरू ने बाद मे 1963 के दौरान कहा कि जहां यह पूरा कार्यक्रम इस प्रकार बनाया गया था कि किसान को "लीक पर से हटाया जा सके, जो पिछले कई युगो से उसी पर जीता चला आ रहा है" वहा यह कार्यक्रम खुद ही "उसी लीक मे धंस गया है । (39)
इस कार्यक्रम की कमजोरी 1957 मे ही स्पष्ट हो चुकी थी, जब बलवंत्री मेहता समिति को इसका मूल्यांकन करने का काम दिया गया। इस समिति ने इस कार्यक्रम के नौकरशाही के चगुल मे फंसने और लोगों की भागीदारी के अभाव की जमकर आलोचना की। इसके इलाज के लिये समिति ने यह सिफारिश की कि ग्रामीण और जिला स्तरीय विकास प्रशासन का जनवादी विकेन्द्रीकरण किया जाये। इस सिफारिश के आधार पर यह तय किया गया कि पूरे देश मे ग्राम पंचायत को आधार बना कर एक जनवादी स्वशासन की समाकलित व्यवस्था शुरू की जाए। यह नई व्यवस्था पचायती राज के नाम से जानी गई और विभिन्न राज्यो मे 1959 से लागू की जाने लगी। इसमे प्रत्यक्ष रूप से चुने गये ग्राम पंचायत और अप्रत्यक्ष रूप से चुने गये प्रखंड स्तरीय जिला परिषद के तीन स्तर बनाए गये । सामुदायिक विकास कार्यक्रम को पंचायती राज के साथ जोड़ दिया गया और बड़ी मात्रा में कार्य, वित्तीय संसाधन और अधिकार तीन स्तरीय समितियों को विकास कार्यक्रमों को चलाने के लिये सौंप दिये गये। इस प्रकार पंचायती राज्य के द्वारा सामुदायिक विकास कार्यक्रम की एक बहुत बड़ी कमजोरी को जनता की भागीदारी तथा कार्यक्रमो को लागू करने एवं निर्णय लेने का अधिकार सौंप कर दूर करने की कोशिश की गई। इसके तहत अधिकारियो की भूमिका सिर्फ सहायता और निर्देश देने की रह गई। इसके साथ ही, गांवों में हजारो सहकारी सस्थाओ की जाल बुन दिया
गया, जिनमे सहकारी बैक, भूमि गिरवी बैक, सेवा एव बाजार सहकारी समिति आदि संस्थाए बनाई गई। ये सभी सस्थाएँ स्वायत्व थी क्योकि इनका संचालन चुनाव के आधार पर बनी सस्थाओ द्वारा किया जाता था।
नेहरू का उत्साह फिर बढ़ गया क्योकि पंचायती राज एवं सहकारी सस्थाए समाज मे अन्य क्रांतिकारी परिवर्तन की प्रतिनिधि थी। इससे विकास और ग्रामीण प्रशासन का उत्तरदायित्व लोगो को प्राप्त हो रहा था, जिससे ग्रामीण विकास की गति तीव्र हो सकती थी। अत. वे जनता के हाथो मे शक्ति प्रदान करने का उपकरण ही नहीं, बल्कि और ज्यादा आत्म-निर्भरता और लोगो के दृष्टिकोण मे परिवर्तन लाने वाली एक प्रशिक्षण प्रक्रिया बन सकती थी। इससे भी अधिक यह बेहतर मानव के निर्माण की प्रक्रिया का शुभारंभ हो सकता था।
लेकिन एक या दूसरे रूप मे पंचायती राज को स्वीकार कर लेने के बावजूद राज्य सरकारो ने इसके विषय मे बहुत कम उत्साह दिखाया। उन्होने पचायती राज को कोई वास्तविक अधिकार प्रदान नही किया, बल्कि उनके कामो और शक्ति पर अकुश लगाया और पैसे का अभाव पैदा कर मर जाने के लिये मजबूर कर दिया। नौकरशाही ने भी ग्रामीण प्रशासन पर अपनी पकड़ बिलकुल ढीली नही होने दी । पचायतो का राजनीतिकरण हो गया और राजीनतिज्ञो द्वारा गांव के अदर गुटो का समर्तन हांसिल करने के लिये इसका इस्तेमाल किया जाने लगा। परिणामस्वरूप, ग्रामीण स्वशासन की नीव तो डाल दी गई, परन्तु इसका जनवादी विकेन्द्रीकरण मोटेतौर पर अवरुद्ध हो गया और बलवंत्री मेहता समिति एवं जवाहरलाल नेहरू द्वारा जो भूमिका इसे सौपी गई, वह कभी पूरी नही हो पाई । ( 41 )
इतना ही नहीं, सामुदायिक विकास के लाभ, नई कृषि सुविधाएं और विस्तार सेवाए मूलरूप से धनी और पूंजीवादी किसानो द्वारा हथिया ली गई। इन्हीं लोगों ने पंचायती राज संस्था पर भी प्रभुत्व जमा लिया। सामुदायिक विकास कार्यक्रम, पंचायती राज और सहकारी आंदोलन की सबसे बड़ी कमजोरी यह थी कि इसने ग्रामीण समाज के अंदर वर्ग विबाजन को नजरअंदाज किया, जहां आधे से ज्यादा लोग भूमिहीन और इसलिये बिलकुल शक्तिहीन थे । गांव पर समृद्ध, मध्यम और पूँजीवादी किसानो का सामाजिक और आर्थिक वर्चस्व था और न तो नौकरशाह और न ही समृद्ध ग्रामीण वर्ग जनता की भागीदारी और सामाजिक रूपांतरण के अग्रदूत बन सकते थे। यह एक और ऐसा क्षेत्र था जिसमें नेहरू युग की भूमि सुधार की कमजोरियां उजागर हो गई (42)
नेहरू जिन पर राजनीति को संस्थावादी बनाने का उत्तरदायित्व था, एक सीमा तक स्वयं संस्थाओं के अकर्मण्य हो जाने के लिये उत्तरदायी थे, नेहरू जी के अधीन भारत के जनतांत्रिक ढाँचे मे विकेन्द्रीकरण की अपेक्षा केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति को बढ़ावा ही मिला। नेहरू |
शहर के लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर सचेत करते हुए उनको इससे बचने के उपाय बताए गए। साबित खिदमत फाउंडेशन की ओर से गुरुवार को स्थानीय आदर्श थाना में एन-95 मास्क और सेनिटाइजर का वितरण किया गया। फाउंडेशन के निदेशक डॉ. दिलशाद आलम ने कहा कि कोरोना की जंग में पुलिस लगातार हमारी सेवा में लगी है। पुलिस कर्मियों को सबसे अधिक मास्क और सेनिटाइजर की आवश्यकता है। पुलिस के लोग लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि कोरोना से अधिक से अधिक लोगों को बचाया जा सके। इसको लेकर सोशल डिसटेंश का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत सभी थानों में मास्क और सेनिटाइजर प्रदान किया जाएगा। मौके पर फाउंडेशन के सभी सदस्य मौजूद थे।
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि सरकार उन लोगों के साथ बातचीत करने को तैयार है जो हिंसा छोड़ना चाहते हैं और भारतीय संविधान में आस्था रखते हुए मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं। बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों की संयुक्त बै"क को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में आतंकवादी हिंसा, सीमा पार से होने वाली घुसपै" से सीधे-सीधे जुड़ी है।
उन्होंने कहा कि हमारे सैन्य और अर्द्धसैनिक बल तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस आपस में बेहतर तालमेल के साथ इस हिंसा का उपयुक्त जवाब दे रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा, मेरी सरकार ने उन लोगों के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखा है जो हिंसा छोड़ना चाहते हैं और भारतीय संविधान में आस्था रखते हुए मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नक्सली-माओवादी विचारधारा से प्रभावित युवा, पिछले तीन वर्षों के दौरान सर्वाधिक संख्या में समर्पण करके मुख्यधारा में आए हैं। राष्ट्रपति ने जोर दिया कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के नियमित प्रयासों के कारण देश की आंतरिक सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। कोविंद ने कहा कि पूर्वेत्तर में भी सुरक्षा स्थिति में बदलाव आया है। नक्सली-माओवादी हिंसा की घटनाओं में भी कमी आई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए इन क्षेत्रों के जागरूक निवासी और हमारे सैन्य, अर्द्धसैनिक बल और हमारे पुलिस बल बधाई के पात्र हैं। राष्ट्रपति ने कहा,हम अपने उन सभी प्रहरियों की सराहना करते हैं और जो शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की योजना को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि रक्षा विनिर्माण सेक्टर में सामरिक ग"जोड़ से संबंधित नीति को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। इससे प्रमुख रक्षा प्लेटफार्म और उपकरणों के निर्माण में निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक भागीदारी और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। कोविंद ने कहा, मेरी सरकार ने वन रैंक, वन पेंशनके अपने वचन को पूरा करते हुए 20 लाख से ज्यादा सेवानिवृत्त सैनिकों को 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बकाया राशि का भुगतान किया है।
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पद का नाम- लैब तकनीशियन कुल पद - 6 अंतिम तिथि- 7-9-2020 स्थान- लखनऊ उम्मीदवारों की अधिकतम आयु विभाग के नियमानुसार मान्य होगी और आरक्षित वर्ग को आयु सीमा में छूट दी जाएगी।
जिन उम्मीदवारों का चयन इन पदों के लिए किया जाएगा उन्हे 19522/- वेतन दिया जाएगा। उम्मीदवारों को किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं पास हो और मेडिकल लैब तकनीकी में डिप्लोमा प्राप्त हो और अनुभव हो। चयन प्रक्रिया उम्मीदवार का लिखित परीक्षा के आधार पर चयन होगा।
यदि आपने 12वीं पास कर ली है और अनुभव है तो आपके पास सुनहरा अवसर है, सरकारी नौकरी पाने का और अपना सपना पूरा करने का। अनुभवी उम्मीदवारों के पास सरकारी नौकरी पाने का सुनहरा अवसर हैं।
संजय गांधी स्नातकोत्तर संस्थान चिकित्सा विज्ञान, लखनऊ ने लैब तकनीशियन के रिक्त पदो को भरने के लिए अनुभवी उम्मीदवारों की तलाश कर रहे है।
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सुपरस्टार अक्षय कुमार, जो आने वाली फिल्म 'मिशन रानीगंजः द ग्रेट भारत रेस्क्यू' में गुमनाम हीरो जसवंत गिल की भूमिका में नजर आएंगे, ने हाल ही में एक वर्चुअल इंटरेक्शन में आईआईटी धनबाद के छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने इस मौके पर अपने अनुभवों को साझा करते हुए एक विशेष रूप से उनके लेजेंडरी रियल लाइफ हीरो के किरदार को सिल्वर स्क्रीन पर पेश करने के बारे में बातचीत की ।
अक्षय अपनी नई फिल्म की रिलीज से पहले युवाओं से बात करना चाहते हैं। यह फिल्म काफी समय पहले एक कोयला खदान में हुए बड़े हादसे के बारे में है। इसमें दिखाया जाएगा कि कैसे जसवंत सिंह गिल के नेतृत्व में उनकी टीम ने खनिकों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। एक्टर नवंबर 1989 में हुए इस हादसे की कहानी को फिल्म के जरिये खूबसूरती से दिखाने का वादा करते हैं।
वर्चुअल कॉन्फ्रेंस प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), धनबाद में हुई, जहां से जसवन्त सिंह गिल ने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था। बातचीत के दौरान, अक्षय ने छात्रों के साथ बातचीत की और प्रेरणादायक कहानियों को साझा करने के महत्व पर जोर देते हुए दिवंगत जसवंत सिंह गिल के जीवन और योगदान पर चर्चा की।
वाशु भगनानी, जैकी भगनानी, दीपशिखा देशमुख और अजय कपूर द्वारा निर्मित, 'मिशन रानीगंजः द ग्रेट भारत रेस्क्यू' टीनू सुरेश देसाई द्वारा निर्देशित है और इसमें जेजस्ट म्यूजिक का संगीत है। यह फिल्म 6 अक्टूबर, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है, जो दर्शकों को एक प्रेरणादायक और यादगार सिनेमाई अनुभव प्रदान करेगी। यह फिल्म भारत के गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि देती है।
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प्रकृति में पाई जाने वाली कई ऐसी चीजें हैं जिनका प्रयोग न सिर्फ खान-पान बल्कि पूजा-पाठ और विशेष रूप से ज्योतिष उपाय के लिए किया जाता है. आपकी किस्मत को चमकाने से लेकर तमाम मनोकामनाओं को पूरा करने वाला केसर (Saffron) का उपाय जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
सनातन परंपरा में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कई सरल उपाय बताए गए हैं. इनमें केसर (Kesar) का उपाय ज्योतिष की दृष्टि से अत्यधिक कारगर और शुभ फलदायी माना गया है. जिस केसर (Saffron) का हम और आप अपने खाने-पीने की चीज में रंग और स्वाद लाने के लिए प्रयोग करते हैं, उसे ज्योतिष में जीवन में सुख और सौभाग्य लाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. ज्योतिष (Astrology) के अनुसार केसर का संबंध नवग्रहों में देवगुरु बृहस्पति (Jupiter) से माना गया है. यदि आपकी कुंडली (Horoscope) में बृहस्पति कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं या फिर आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रखी है तो अपनी रुठी किस्मत को मनाने के लिए एक बार केसर के ज्योतिष उपाय जरूर करें.
- ज्योतिष के अनुसार यदि घर के मुख्यद्वार पर केसर से स्वास्तिक बनाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता हैं. जिसके फलस्वरूप घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वास बना रहता है.
- ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान कर रहा हो तो आपको गुरुवार के दिन विशेष रूप से अपने गुरु को केसर से बनी खीर या फिर केसर का दान करना चाहिए.
- यदि आप अपने जीवन में सुख-सौभाग्य, सफलता, सौंदर्य, धन, संपदा, आयु और आरोग्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको केसर से जुड़े सरल उपाय जरूर करना चाहिए. जीवन से जुड़े इन सभी सुखों को पाने के लिए चांदी की कटोरी में केसर को रखकर उसका तिलक बनाएं और अपने आराध्य को अर्पण करके प्रसाद स्वरूप अपने माथे पर प्रतिदिन अवश्य लगाएं.
- केसर की शुभता और पवित्रता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता दिलाने वाले कई दिव्य यंत्रों के निर्माण में इसका स्याही के रूप में प्रयोग में लाया जाता है. ज्येातिष के अनुसर सफेद कौडि़यों को केसर से रंगने के बाद लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखने से घर में धन की देवी की कृपा निरंतर बनी रहती है.
- ज्योतिष के अनुसार यदि आपके वैवाहिक जीवन को किसी की नजर लग गई हो और जीवनसाथी के साथ आपका बात-बेबात झगड़ा होता हो तो आप अपने जीवन से कलह को बाहर निकालने और सुखी दांपत्य जीवन को पाने के लिए प्रतिदिन अपने माथे, दिल और नाभि पर केसर का तिलक लगाएं और प्रतिदिन केसर मिश्रित दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें. इस उपाय को करने पर आपका मन हमेशा शांत रहेगा और ईश्वर की कृपा से आप अपने जीवन के प्रत्येक पल का आनंद उठा सकेंगे.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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कानपुर(www. arya-tv. com) व्यक्ति को अपनी संपत्ति को अपनी पुत्रवधू को देता है तो ऐसी संपत्ति से होने वाली आय पुत्रवधू की आय नहीं मानी जाएगी। ऐसी आय संपत्ति हस्तांतरित करने वाले की मानी जाएगी और टैक्स की देनदारी पर टैक्स चुकाना होगा। कानपुर इनकम टैक्स बार एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को आयकर भवन में क्लबिंग आफ इनकम विषय पर गोष्ठी में यह जानकारी दी गई।
मुख्य वक्ता तनुश्री द्विवेदी ने बताया कि अब पति की आय में पत्नी की आय भी जुड़ेगी। इस मौके पर उपाध्यक्ष शिव मंगल जौहरी, महामंत्री संजय कुमार गुप्ता, बीएल द्विवेदी, सुनील पाल, दीपेंद्र कुमार,अवनीश मिश्रा आदि थे।
ये जान लें इनकम टैक्स बचाने के लिए अक्सर लोग अपने परिवार वालों जैसे पत्नी, वयस्क बच्चों के नाम से निवेश करते हैं। ऐसी स्थिति में क्लबिंग आफ इनकम का नियम लगता है और इस तरीके से टैक्स नहीं बचा सकते हैं। इतना ही नहीं यदि बिना किसी उचित कारण के अपनी इनकम को दूसरे की आमदनी दिखाते हैं तो आयकर विभाग कार्रवाई कर सकता है।
कोई करदाता अपनी चल या अचल संपत्ति अपनी पत्नी को बिना उचित प्रतिफल के हस्तांतरित करता है तो उस संपत्ति से प्राप्त आय उसकी पत्नी की आय न मानते हुए उसके पति की आय में जोड़कर आयकर की गणना की जाएगी। पति को ही आयकर भी देना होगा।
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रायपुर। Cycling: शहर के सायक्लिस्ट 53 वर्षीय इंद्रसेन अग्रवाल, यूथ हाॅस्टल इंडिया के द्वारा आयोजित की जाने वाली 13 दिवसीय रोमांचक सायकल यात्रा पर दिनांक नौ जुलाई को रायपुर से दिल्ली नियमित विमान सेवा से रवाना होने जा रहे हैं। वे दिल्ली से बस से मनाली स्थित यूथ हाॅस्टल के बेस कैंप पहुंचेंगे। मनाली से दो दिन की ट्रेनिंग के बाद सभी प्रतिभागी बेस कैंप से मरही के लिए 49 किलोमीटर की चढ़ाई कर समुद्र तल से 3360 मीटर के उंचाई पर पहुंचेंगे।
इस तरह आगे शिशु, जिप्सा, जिंग जिंग बार, सरचु, विस्कीनाला, बारालाचाला, पेंग, ढेबरिंग, रूमस्ते, तंगलांगला होते हुए 13 दिनों में लेह पहुंचेंगे। वहां से भारत की सबसे ऊंची सड़क जो कि 18,380 फिट ऊंची है, वहां सायकल चलाते हुए पहुंचने का टास्क है।
उल्लेखनीय है कि इंद्रसेन अग्रवाल इसके पहले केशकाल घाटी, बिलासपुर के पास चैतुरगढ़, और पिथौरा तक सायकल से यात्रा कर चुके हैं। वे स्थानीय सायकल क्लब 'टूर द रायपुर' के सदस्य हैं। क्लब के सभी दोस्तों और सायकल मित्रों ने इंद्रसेन अग्रवाल को उनके इस रोमांचक यात्रा के लिए शुभकानाएं दी हैं।
इस रोमांचक साइकिल यात्रा के मार्ग में जहां कई सुंदर प्राकृतिक नजारे देखने को मिलेंगे। वहीं, दुर्गम रास्ते में साइकिल चलाने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना भी बहुत जरूरी है। ऐसी यात्रा में जाने से पहले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे पहले साइकिलिंग की लंबी प्रैक्टिस करें और साहसिक या लंबी यात्रा पर निकलने से पहले डॉक्टर से अच्छी तरह शारीरिक जांच करा लें, ताकि रास्ते में कोई परेशानी न हो।
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यूरोपीय यूनियन में फ़ेक न्यूज़ पर काम करने वाले एक संगठन 'ईयू डिसइनफोलैब' ने दावा किया है कि पिछले 15 साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नेटवर्क काम कर रहा है, जिसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बदनाम करना और भारत के हितों को फ़ायदा पहुँचाना है। यह खबर पाकिस्तानी मीडिया पर पिछले दो-तीन दिन से काफी सुर्खियाँ बटोर रही है। इस खबर को भारत में बीबीसी हिंदी, द वायर और स्क्रॉल ने विस्तार से प्रकाशित किया है। वहीं इंडिया टुडे, एएनआई और फर्स्ट पोस्ट ने भारत के विदेश मंत्रालय के स्पष्टीकरण को प्रकाशित किया है।
बीबीसी हिंदी ने आबिद हुसैन और श्रुति मेनन बीबीसी उर्दू, बीबीसी रियलिटी चेक को इस खबर का क्रेडिट देते हुए जो खबर दी है, वह मूलतः बीबीसी अंग्रेजी की रिपोर्ट का अनुवाद है। ज्यादातर रिपोर्टों में इस संस्था के विवरण ही दिए गए हैं। किसी ने यह नहीं बताया है कि इस संस्था की साख कितनी है और इस प्रकार की कितनी रिपोर्टें पहले तैयार हुई हैं और क्या केवल पाकिस्तान के खिलाफ ही प्रोपेगैंडा है या पाकिस्तान की कोई संस्था भी भारत के खिलाफ प्रचार का काम करती है।
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दरद की मारी वन वन डोलूँ वैद मिल्या नहिं कोय । मीरा के प्रभु पीर मिटैगी जब वैद साँवलिया होय ॥
इस 'दर्दये इश्क़' की दवा भी दीदार ही है । भावों को तीव्र करने के लिए तथा अपनी साधना को अटल करने के लिए भक्त लोग भिन्न-भिन्न भावनाओं एवं संबंधों को सामने ला लाकर भाव-मन हुआ करते हैं । मीरा ने अपने विरह की तीव्रता को.. मीन, चातक, चकोर पपैया द्वारा व्यक्त किया है। मछली का आधार ही जल है, वह उसके बिना जी ही नहीं सकती -
'जैसे जल के सोखे मीन क्या जीवें विचारे' । यही गति पपीहा और चकोर की भी है, उन्हें अपने प्राण धन के अतिरिक्त संसार की कोई भी वस्तु सुख नहीं पहुँचा सकती, तृप्त नहीं कर सकती ।
जायसी की भावुकता, जैसा ऊपर कहा जा चुका है, बहुत ही गहरी एवं व्यापक थी और प्रकृति के नाना रूपों एवं विलासों में बिखरी पड़ी थी । 'वारह मासे' और 'पड् ऋतु' के वर्णन में प्रकृति के साथ कवि का कितना गहरा संबंध फलकता है, अपने अन्तस् के प्रतिविम्व को प्रकृति में स्थापित करके जायसी ने कितनी सुन्दर भाव-व्यंजना की हैश्राव पवन विछोह कर पात परा वेकरार । तरिवर तजा जो चूरि कै लागै केहि के डार ।।
पहल पहल तन कई भाँपै, दहरि हरि श्रधिको दिय काँपै । विरहिणी गोपियों के 'मधुवन ! तुम कस रहत हरे !' में कितना गंभीर व्यंग्य है । सूरदासजी का विरह-वर्णन जायसी के |
रायपुर, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माता दाऊ आनंद कुमार के द्वारा बसंत पंचमी 8 फरवरी से देश और पदेश के हित में गांधी पतिमा के सामने आजाद चौक में अखंड धरना का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सबसे पमुख मांग छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराब बंद लागू करने की है। पेस को जारी बयान में आंदोलन के पवक्पा कौशल तिवारी ने कहा है कि राज्य निर्माण आंदोलन की सफलता के बाद दाऊजी ने दस वर्षो तक इसलिए और कोई आंदोलन नहीं किया क्योंकि उन्हें राज्य सरकार से छत्तीसगढ़ के हित की अपेक्षा थी लेकिन जिस तरह से छत्तीसगढ़ में खेती की जमीन, जंगल, खदान और बांध पानी को बेचा जा रहा है उसके बाद अब चुप रहना अपराध होगा। उन्होंने कहा कि पूरा देश इन दिनों महंगाई और भ्रष्टाचार की चपेट में है। खासकर छत्तीसगढ़ में यह स्थिति विकराल होते जा रही है और इसकी पमुख वजह आम लोगों की चुप्पी है। उन्होंने कहा कि हमारी पमुख मांगे छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की है इसके अलावा चुनाव में जमानत राशि 100 रूपये से ज्यादा न हो। विदेश में काला धन जमा करने वालों का नाम उजागर हो खेती की जमीन का उपयोग न बदला जाए और छत्तीसगढ़ की नई राजधानी का निर्माण तब तक बंद रखा जाए जब तक पदेश के गांव-गांव में पानी स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाए। इसी तरह छत्तीसगढ़ में स्थित सरकारी जमीनों का संरक्षण हो न कि बंदरबाट। दाऊजी 8 फरवरी से अपनी उपरोक्प मांगों के चलते पतिदिन सायं 5 से 6 बजे तक मोमबत्ती जलाकर आजाद चौक स्थित गांधी पतिमा पर अपना आमरण धरना चलायेंगे।
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दोस्तों टीवी जगत के विवादित शो बिग बॉस 13 का समापन हो चूका है और इस शो का विजेता भी सबके सामने आ चूका है। बता दे की सिद्धार्थ शुक्ला को बिग बॉस 13 का विनर घोषित कर दिया गया है। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग चैनल पर पहले से ही सिद्धार्थ को विजेता बनाने का आरोप लगा रहे है और अब सोशल मीडिया पर उनके विनर बनने के बाद ये बहस छिड़ चुकी है कि क्या वाकई में सिद्धार्थ इस ट्रॉफी के लायक थे या ये शो पहले से ही फिक्स्ड था। लेकिन अब इसपर आसिम रियाज का रिएक्शन भी सामने आ चुका है।
बता दे की सिद्धार्थ शुक्ला की जीत के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आ रही है कि इस शो का विनर पहले से ही फिक्स्ड था। अब 'बिगबॉस 13' के पहले रनर-अप रहे आसिम रियाज ने उन अफवाहों को खारिज कर दिया, जिसमें इस सीजन के विनर सिद्धार्थ शुक्ला के फेवर में बिग बॉस 13 के शो फिक्स किए जाने की बात कही जा रही थी। बता दे की इस अफवाह को तब हवा मिली जब कलर्स टीवी की एक कर्मचारी फेरिहा ने ट्विटर पर दावा किया कि वह चैनल को इसलिए छोड़ रही हैं, क्योंकि शो के परिणाम से छेड़छाड़ की गई है और वह इसका विरोध करती हैं।
आपको बता दे की इन सभी अफवाहों पर आसिम रियाज ने स्पष्टीकरण देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया है, जिसमे असीम ने बहुत बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि- "कुछ भी ऐसा नहीं है। फिक्स कुछ भी नहीं होता। मैं यहां तक दर्शकों के प्यार की वजह से पहुंचा हूं और सिद्धार्थ भी जीता है। इसलिए कुछ फिक्स नहीं है। यही सच है, जो है सामने है।" बता दे की शो में असीम और सिद्धार्थ के बीच कई बार लड़ाई और कहा सुनी देखने को मिली है। शायद इस वजह से दर्शक शो फिक्स्ड मान रहे है।
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पिछले सालों की तरह इस साल भी विभिन्न राजनैतिक दलों और संगठनों ने 14 अप्रैल को जोर-शोर से अम्बेडकर जयंती मनाई। पिछले कुछ दशकों से लगभग सभी राजनैतिक दलों में सामाजिक न्याय के इस प्रतिबद्ध हिमायती के प्रति जबरदस्त श्रद्धा उत्पन्न हो गई है। अम्बेडकर फैन्स क्लब की सबसे ताजा सदस्य है आप, जो आरएसएस-समर्थित अन्ना हजारे आंदोलन की उपज है। आप ने बाबासाहेब को अपने दो नायकों में से एक घोषित किया है। हिन्दू राष्ट्रवाद के पैरोकार आरएसएस और उसके कुनबे ने भी अम्बेडकर जयंती पर विशाल आयोजन करने शुरू कर दिए हैं। इस साल भाजपा ने अम्बेडकर जयंती से 'सामाजिक न्याय सप्ताह' मनाने का निर्णय किया है।
इस दौरान समाज कल्याण और दलितों के सशक्तिकरण व उन्हें सामाजिक-राजनैतिक व्यवस्था में उनका उचित स्थान दिलवाने हेतु अम्बेडकर द्वारा किए गए प्रयासों को जनता के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा, भाजपा कार्यकर्ता दलित परिवारों से उनके घरों पर जाकर मिलेंगे और उन्हें यह बताएंगे कि भारत सरकार ने उनकी भलाई के लिए कौन-कौन सी योजनाएं शुरू की हैं। संघ की विद्यार्थी शाखा एबीवीपी सामाजिक समावेशीकरण को बढ़ावा देने में अम्बेडकर की भूमिका के बारे में लोगों को बताएगी।
संघ और उससे जुड़े संगठनों द्वारा अम्बेडकर का महिमामंडन अत्यंत विडंबनापूर्ण है। संघ, हिन्दू राष्ट्रवाद का पैरोकार है जो अम्बेडकर की भारतीय राष्ट्रवाद की परिकल्पना से तनिक भी मेल नहीं खाता। अम्बेडकर का राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, प्रजातंत्र और सामाजिक न्याय पर आधारित था। वे जाति एवं वर्ण व्यवस्था को ब्राम्हणवादी हिन्दू धर्म, जिसका हिन्दू राष्ट्रवादी प्रचार करते हैं, की रीढ़ मानते थे। उन्होंने हिन्दू समाज को बदलने के जो भी प्रयास किए उनका हिन्दू महासभा और आरएसएस ने कभी समर्थन नहीं किया। चाहे वह चावदार तालाब सत्याग्रह हो या कालाराम मंदिर आंदोलन, हिन्दू राष्ट्रवादियों ने अम्बेडकर से हमेशा सुरक्षित दूरी बनाए रखी। अम्बेडकर ने जाति और लैंगिक पदक्रम के विरुद्ध विद्रोह के प्रतीक स्वरूप 'मनुस्मृति' का दहन किया और स्वतंत्रता, समानता व भाईचारे पर आधारित भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दूसरी ओर, लैंगिक एवं जातिगत पदक्रम व भेदभाव ब्राम्हणवादी हिन्दुत्व का अभिन्न अंग हैं और ब्राम्हणवादी हिन्दुत्व, हिन्दू राष्ट्रवाद का वैचारिक आधार है।
अम्बेडकर द्वारा सार्वजनिक रूप से 'मनुस्मृति' को जलाने के एक दशक बाद संघ के मुखिया गोलवलकर ने इस पुस्तक की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस पुस्तक के अनुसार जाति-आधारित संरचना ने ही हिन्दू समाज को स्थायित्व प्रदान किया है। भारतीय संविधान का आरएसएस ने इस आधार पर विरोध किया था कि उसमें भारत के प्राचीन मूल्यों (जो मनुस्मृति में वर्णित हैं) को कोई स्थान नहीं दिया गया है। संघ परिवार आरक्षण का धुर विरोधी रहा है। आरक्षण के मुद्दे पर अहमदाबाद में 1980 के दशक में पहले दलित-विरोधी और फिर ओबीसी-विरोधी दंगे हुए थे। संघ परिवार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने का सीधे विरोध तो नहीं किया परंतु उसके जवाब में वह कमंडल ले आया और राम मंदिर के नाम पर देश का साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने में जुट गया।
यहीं से संघ परिवार की रणनीति में बदलाव शुरू हुआ। जातिगत और लैंगिक पदक्रम को बनाए रखने के अपने असली एजेंडे को छुपाते हुए परिवार ने दलितों और ओबीसी को हिन्दुत्व के झंडे तले लाने के लिए कई संगठनों की स्थापना की, जिनमें से एक सामाजिक समरसता मंच था। जहां अम्बेडकर जाति के उन्मूलन की बात करते थे वहीं संघ परिवार का कहना था कि जातियां एक-दूसरे की पूरक हैं। संघी चिंतक दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद इसी परिकल्पना पर आधारित है।
सोशल इंजीनियरिंग के सहारे वे दलितों और आदिवासियों को यह समझाने में सफल रहे कि उनके असली दुश्मन मुसलमान हैं। संघ परिवार का जोर 'हिन्दुओं के दुश्मन' मुसलमानों के खिलाफ हिन्दुओं को एक करने पर है। वे हिन्दू समुदाय की सभी बुराईयों के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार बताते हैं। इसी सोशल इंजीनियरिंग का यह नतीजा था कि सन् 2002 के गुजरात कत्लेआम में मुख्य प्रायोजकों ने केवल हिट लिस्टें तैयार कीं और सड़कों पर खूनखराबा करने का काम दलितों और आदिवासियों से करवाया।
उत्तरप्रदेश में सन् 2017 के चुनाव में यह प्रचार किया गया कि कांग्रेस व समाजवादी पार्टी मुस्लिम-परस्त हैं और केवल भाजपा ही दलितों, आदिवासियों व हिन्दुओं की रक्षा कर सकती है। संघ से जुड़े सामाजिक समरसता मंच, वनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती, विहिप इत्यादि निरंतर दलित-आदिवासी इलाकों में हिन्दू राष्ट्रवाद का प्रचार करते आ रहे हैं।
आदिवासी क्षेत्रों में शबरी और हनुमान का महिमामंडन किया जाता है। जिन इलाकों में अन्य हाशियाकृत समुदायों का बहुमत है वहां उन समुदायों के ऐसे नायकों को ढूंढ लिया गया है जिन्हें मुसलमानों के विरूद्ध योद्धा के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। इसका एक उदाहरण है राजभर-पासियों के नायक सुहेल देव। ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर यह दिखाया जा रहा है कि सुहेलदेव हिन्दू धर्म के रक्षक थे और उन्होंने मुस्लिम गाजी मियां के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी।
आरएसएस और उससे जुड़े संगठन दलित इलाकों में अपने काम को 'सेवा' बताते हैं। यह सेवा इन वर्गों का 'उपकार' करने पर आधारित है, उन्हें उनके अधिकार देने पर नहीं। इसके विपरीत, यूपीए सरकार ने वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार व शिक्षा का अधिकार जैसे कानून बनाए। सन् 2022 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में यह प्रचार किया गया कि भाजपा सरकार के कारण गरीब और वंचित वर्गों को मुफ्त राशन मिला।
हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा वंचित वर्गों को तवज्जो दिए जाने से ये वर्ग भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ये संगठन जिन इलाकों में काम करते हैं वहां वे ब्राम्हणवादी धार्मिकता को भी प्रोत्साहन देते हैं। हिन्दुत्ववादी संगठन दलितों व अन्य हाशियाकृत समुदायों को यह समझाने में भी सफल रहे हैं कि ऊँची जाति के हिन्दू कार्यकर्ताओं का उनके साथ मेलमिलाप ही उनके लिए सम्मान की बात है। इस तरह इन समुदायों को भाजपा को समर्थन देने के लिए राजी किया जा रहा है।
संघ परिवार का राजनैतिक एजेंडा हिन्दू राष्ट्र का निर्माण है। बाबासाहेब ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हिन्दू राष्ट्र दलितों सहित भारत की आबादी के सबसे बड़े हिस्से के लिए एक बड़ी आपदा होगा। परंतु यह विडंबना ही है कि दलित, हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के लिए कार्यरत शक्तियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। सन् 2014 से अब तक लगातार दलित व ओबीसी बहुल इलाकों में भाजपा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती आ रही है।
सन् 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत में दलित वोटों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इन चुनावों में दलितों के लिए आरक्षित 84 सीटों में से 40 सीटों पर भाजपा विजयी हुई थी। सन् 2019 के चुनावों के बाद सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) द्वारा किये गए एक विश्लेषण के अनुसार, 2014 से 2019 के बीच दलितों, आदिवासियों और ओबीसी का भाजपा के प्रति समर्थन दोगुने से भी अधिक हो गया है।
यह इस तथ्य के बावजूद हो रहा है कि भाजपा की नीतियों के कारण दलितों को मिल रही आरक्षण की सुविधा में कमी आई है और उनके विरूद्ध अत्याचार बढ़े हैं। संघ ने इन वर्गों के प्रति अपनी नीतियों में जो परिवर्तन किया है उसका भाजपा को भरपूर फायदा मिला है।
(लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं। अंग्रेजी से हिंदी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया ने किया है। )
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इमरान हाशमी स्टारर "वाई चीट इंडिया" कल 18 जनवरी को रिलीज होने वाली है। वहीं बीती रात मुंबई में फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी जहां तमाम बॉलीवुड के सितारों ने शिरकत की। इसी बीच इमरान हाशमी अपनी वाइफ परवीन शहानी के साथ नजर आएं।
हर शुक्रवार दर्शको को इंतजार रहता है कि कौन सी फिल्म रिलीज होने वाली है। आम जनता के साथ साथ फिल्म मेकर्स और बॉलीवुड सितारों के लिए शुक्रवार का दिन बेहद खास होता है। कभी-कभी बॉक्स ऑफिस पर एक तो कभी दो और कभी एक साथ कई फिल्में रिलीज होती हैं।
अभिनेता इमरान हाशमी की फिल्म "चीट इंडिया" को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक सेंसर बोर्ड ने फिल्म के नाम को लेकर आपत्ती जताई है जिस वजह से फिल्म के टाइटल को बदलने की मांग की गई है। फिल्म के मेकर्स ने भी इस सुझाव को मांग लिया है।
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स्वतंत्रता सेनानी की विधवा को पेंशन के लिए पांच साल इंतजार करने पर हाईकोर्ट ने यह नसीहत दी। इसके साथ ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को पेंशन दो माह के अंदर शुरू करने का आदेश दिया।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।
स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी को पेंशन के लिए तीन साल इंतजार करवाने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। मद्रास हाईकोर्ट का हवाला देते हुए जस्टिस राज मोहन सिंह ने कहा कि पेंशन के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को भीख का कटोरा लेकर कोर्ट आने को मजबूर न किया जाए।
होशियारपुर निवासी विद्या देवी ने एडवोकेट ज्योति सरीन के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए इंसाफ की गुहार लगाई थी। याचिका में बताया गया कि उसके पति राम स्वरूप की 3 नवंबर, 2017 को मौत हो गई थी। वे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिसके चलते केंद्र सरकार की स्वतंत्रता सेनानी सम्मान योजना के तहत उसे पेंशन मिलती थी। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से भी उसे पेंशन मिलती थी। पति की मौत के बाद जब फैमिली पेंशन के लिए आवेदन किया गया तो राज्य सरकार ने तो पेंशन आरंभ कर दी, लेकिन केंद्र सरकार की पेंशन स्कीम में रोड़ा अटका दिया गया।
तकनीकी कारणों को आधार बनाते हुए याची को फैमिली पेंशन से महरूम रखा गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में लकीर का फकीर नहीं बनना चाहिए। जब तकनीकी कारण का निदान पता है तो समाधान की ओर बढ़ना चहिए।
मद्रास हाईकोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पेंशन के लिए भीख का कटोरा लेकर अदालत आने को स्वतंत्रता सेनानियों को मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि उनकी चौखट पर जाए और स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया जाए। हाईकोर्ट ने अब केंद्र सरकार को दो माह के भीतर पेंशन की राशि जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही नवंबर 2017 से अब तक की पेंशन की राशि को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है।
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21 जून को देश भर में रिकॉर्ड टीकाकरण के बाद से इसके संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। लगभग 60 प्रतिशत तक की गिरावट अब तक दर्ज की गयी है। बताते चलें कि 21 जून के बाद केंद्र ने टीका खरीदने के काम को अपने हाथ में ले लिया था। कई राज्य सरकारों की तरफ से वैक्सीन की कमी की बात की जा रही है।
पहले दिन 21 जून को करीब 91 लाख खुराकें दी गईं और 27 जून तक करीब 4 करोड़ खुराक लोगों को लगायी गयी। जबकि एक सप्ताह के बाद 5 जुलाई से 11 जुलाई की अवधि में केवल 2. 3 करोड़ खुराक का वितरण किया गया। जनवरी में शुरू हुए अभियान के बाद से अब तक लगभग 38 करोड़ टीके देश में लगाए जा चुके हैं। 21 जून के बाद यह तय किया गया कि हर दिन 60 लाख टीके लगाए जाएंगे लेकिन यह अंतिम बार इस आंकड़ें तक 3 जुलाई को ही पहुंचा गया था। साल के अंत तक सभी वयस्कों को पूरी तरह से वैक्सीनेशन करने के लिए हर दिन 80 लाख डोज लगाने की जरूरत है।
देश के कई राज्यों में टीके की कमीः देश के कई राज्यों में टीकों की कमी का सामना किया जा रहा है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली, झारखंड और गुजरात में वैक्सीन की कमी की बात सामने आयी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि केंद्र से आवश्यकता के अनुरूप कोविड-19 रोधी टीकों की आपूर्ति नहीं होने के कारण लोगों को दूसरी खुराक देने में देरी हो रही है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी मंगलवार को राज्य को कोविड-19 के टीकों की आपूर्ति बढ़ाने की मांग की, क्योंकि प्रदेश में अभी तक उसकी क्षमता के अनुरूप टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी मंगलवार को प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य को उसकी जनसंख्या के अनुपात में कोविड-19 रोधी टीके की पर्याप्त खुराक नहीं मिली है जिससे टीके की कमी हो गई है। इसके साथ ही स्टालिन ने टीके की एक करोड़ खुराक की मांग की।
रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने मंगलवार को कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) सितंबर से अपने संयंत्रों में स्पुतनिक वैक्सीन का उत्पादन शुरू करेगा। आरडीआईएफ ने एक बयान में कहा, "एसआईआई के संयंत्रों में स्पुतनिक वैक्सीन के पहले बैच के सितंबर में तैयार होने की उम्मीद है। " बयान में कहा गया कि भारत में विभिन्न पक्ष हर साल स्पुतनिक-वी वैक्सीन की 30 करोड़ से अधिक खुराक का उत्पादन करना चाहते हैं।
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अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 22 पैसे लुढ़ककर 79.48 (अस्थायी) पर बंद हुआ. यह इसका सर्वकालिक निचला स्तर है.
घरेलू शेयर बाजार (Share Market) में कमजोरी के रुख और विदेशी बाजारों में डॉलर (Dollar) के मजबूत होने के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया (Rupee) 22 पैसे लुढ़ककर 79.48 (अस्थायी) पर बंद हुआ. यह इसका सर्वकालिक निचला स्तर है. बाजार सूत्रों ने कहा कि हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में गिरावट ने रुपये के नुकसान पर कुछ अंकुश लगा दिया है. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.30 पर कमजोर खुला और कारोबार के दौरान इसने 79.24 के उच्चतम और 79.49 रुपये के निचले स्तर को छुआ.
आखिर में रुपया पिछले बंद भाव के मुकाबले 22 पैसे की गिरावट के साथ 79.48 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह शुक्रवार को 79.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के सामने डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.56 फीसदी बढ़कर 107.60 अंक हो गया.
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 86.61 अंक घटकर 54,395.23 अंक पर बंद हुआ. वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड फ्यूचर का दाम 1.43 फीसदी घटकर 105.49 डॉलर प्रति बैरल रह गया है.
उधर, विदेशी संस्थागत निवेशकों की शेयर बाजार में बिकवाली जारी है. एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, शुक्रवार को उन्होंने 109.31 करोड़ रुपये से शेयरों की बिक्री की. विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाल लिए हैं, जिसके पीछे वजह डॉलर में लगातार बढ़ोतरी और अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें हैं.
आम आदमी पर क्या होगा असर?
आपको बता दें कि रुपए के कमजोर होने से केवल नुकसान ही नहीं, बल्कि कुछ फायदे भी हैं. भारत से विदेशों को जाने वाले सामान के अच्छे पैसे भी मिलते हैं. कमजोर रुपए देश से सामान या सेवाओं का निर्यात करने वालों के लिए फायदेमंद होता है. भारत से कल पुर्जे, चाय, कॉफी, चावल, मसाले, समुद्री उत्पाद, मीट जैसे उत्पादों का निर्यात होता है और रुपया कमजोर होने से इन सभी के निर्यातकों को फायदा होगा.
रुपए में कमजोर होने का मतलब है कि अब देश को उतना ही सामान खरीदने के लिये ज्यादा पैस खर्च करने होंगे. आयातित सामान और महंगा हो जाएगा. इसमें सोना (Gold), कच्चा तेल (Crude Oil) शामिल हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन कमोडिटी की कीमत डॉलर में तय होती है. फिलहाल कच्चे तेल की कीमतों में तेजी है और रुपए रिकॉर्ड निचले स्तर पर है ऐसे में पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel Price) आयात करना महंगा पड़ेगा.
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लखनऊः पति की लंबी उम्र के लिए हर साल महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं. इस करवा चौथ व्रत का क्रेज भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यही वजह है इस साल भी बदलते वक्त के साथ महिलाओं की जरूरतों को लखनऊ के बाजार में खासतौर पर ध्यान में रखा गया है. इस साल करवा चौथ पर लखनऊ के सभी बाजारों में शक्कर यानी चीनी से बना करवा भी उपलब्ध है. यह कलश के ही आकार का है, इससे महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद इसे खा कर अपना व्रत भी खोल सकती हैं. इस चीनी के करवे की कीमत 60 रूपए है.
राजधानी लखनऊ के बाजारों में इस बार सजी हुई करवा चौथ के पूजन की थाली भी डिमांड में है. यह पूरा एक सेट है, जिसमें थाल, एक छोटी प्लेट, उसके साथ करवा और दीया बाती के साथ ही खूबसूरती से सजी हुई छलनी भी शामिल है. ऐसे में सुहागिन महिलाओं को पूरा दिन निर्जला व्रत रखने के साथ ही पहले थाल सजाने से लेकर उन्हें छलनी और करवे तक को सजाना पड़ता था. जिसमें समय लगता था. लखनऊ के दुकानदारों ने खासतौर पर महिलाओं का ध्यान रखते हुए पूरा सेट ही मार्केट में उतार दिया है, जिसकी कीमत 100 रूपए से लेकर 800 रूपए तक है.
करवा चौथ के एक दिन पहले बुधवार को देर रात तक लखनऊ के सभी बाजार जैसे अमीनाबाद, अलीगंज, महानगर, गोमती नगर का पत्रकारपुरम और राजाजीपुरम ई-ब्लॉक बाजार के साथ नक्खास जैसे सभी बाजार देर रात 11:30 बजे तक खरीदारों से गुलजार रहे. महिलाओं ने जमकर खरीदारी की.
उधर, चौक स्थित सर्राफा बाजार में भी देर रात तक ज्वेलरी शॉप पर पुरुषों की ज्यादा भीड़ नजर आई.
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रिपोर्ट के अनुसार, यूपी आतंकवाद निरोधक दस्ता शाम तक किसी बड़े राज से पर्दाफाश कर सकती है। वहीं इस छापेमारी की भनक एसटीएस ने स्थानीय पुलिस वालों को भी नहीं लगने दी है। यूपी एटीएस अभी पूरे मामले की तफ्तीश में जुटी है।
इसके अलावा यूपी एटीएस की एक टीम महाराष्ट्र में भी छापेमारी कर रही है, जिसमें उसकी मदद महाराष्ट्र एटीएस कर रही है। वहीं तेलंगाना में हैदराबाद में भी छापेमारी की खबर है। अभी छापेमारी से जुड़ी कोई भी आधिकारिक जानकारी एटीएस की ओर से साझा नहीं की गई है।
इससे पहले 29 दिसंबर को एटीएस ने गोरखपुर में गोलघर के बलदेव प्लाजा स्थित नईम एंड संस मोबाइल शाप समेत फर्म की दो दुकानों पर छापा मारा था। इस मामले में भी ATS को टेरर फंडिंग, हवाला और देश विरोधी तत्वों की खुफिया जानकारी मिली थी। करीब आठ घंटे से ज्यादा चली इस जाँच में टीम ने दुकान में लगे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और अन्य दस्तावेज कब्जे में लिया था।
गौरतलब है कि यूपी पुलिस की ATS ने दो संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकियों को सहारनपुर से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों के नाम इकबाल और फारुख था। पुलिस ने दोनों आरोपितों के पास से फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड समेत तमाम अन्य दस्तावेज बरामद किए थे।
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BJP Sthapna Diwas: पीएम ने कहा, 'पिछले साल कोरोना ने पूरे देश के सामने एक अभूतपूर्व संकट खड़ा कर दिया था. तब आप सब, अपना सुख-दुःख भूलकर देशवासियों की सेवा में लगे रहे.'
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का आज 41वां स्थापना दिवस है. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, भारतीय जनता पार्टी के लिए यह मंत्र रहा है कि व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश है. इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिल्ली में पार्टी के मुख्यालय में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय को पुष्पांजलि अर्पित की.
उन्होंने कहा, आज गलत नैरेटिव बनाए जाते हैं. कभी CAA को लेकर, कभी कृषि कानूनों को लेकर, कभी लेबर लॉ को लेकर, बीजेपी के प्रत्येक कार्यकर्ता को समझना होगा कि इसके पीछे सोची-समझी राजनीति है, ये एक बहुत बड़ा षड़यंत्र है. इसका मकसद है देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना इसलिए देश में तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जाती हैं, भ्रम फैलाया जाता है. कभी कहा जाता है संविधान बदल दिया जाएगा. कभी कहा जाता है आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा. हमें सत्ता-सफलता के साथ और नम्र होना है और सरल होना है. हमारे लिए सफलता का अर्थ है- नए संकल्पों की शुरुआत. हम कैसे देश के लिए कुछ नया कर सकते हैं, इस दिशा में लगातार सोचना है.
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धातु और मिश्रधातु
और कार्बन के योग से बना हुआ पदार्थ मिश्रधातु नहीं माना जा सकता । ताम्र और फास्फरस के योग से बना हुआ फास्फुर काँसा मिश्रधातु नहीं हो सकता, पर साधारणतः यह भी मिश्रधातु में ही समाविष्ट है। धातुओं का पारद के साथ जो यौगिक या मिश्रण बनता है उसे पारद मिश्रण कहते हैं । यह भी एक प्रकार की मिश्रधातु ही है ।
मिश्रधातु बनाने में अनेक भिन्न-भिन्न रीतियाँ प्रयुक्त होती हैं। इनमें चार मुख्य हैं ।
( १ ) भिन्न-भिन्न धातुओं को एक दूसरे के साथ पिघलाने से। यह विधि सबसे अधिक महत्त्व की है और प्रायः सभी मिश्रधातुएँ अधिक मात्रा में इसी रीति से तैयार होती हैं । वास्तविक विधि मिश्रधातु की प्रकृति पर निर्भर करती है। यदि धातुएँ वाष्पशील हैं तो उन्हें मिलाकर पिघलाने से उनकी मिश्रधातुएँ प्राप्त होती हैं। यदि उनसे कोई एक वाष्पशील है जैसे यशद तो दूसरी अवाष्पशील धातु को पिघलाकर उसमें यशद डालकर मिश्रधातु बनाते हैं । इस विधि में * श्राक्सीकरण से बचाने के लिए धातुओं के ऊपर साधारणतया कार्बन का एक स्तर डाल देते हैं ।
( २ ) धातुओं के बारीक चूर्ण के प्रबल संपीड़न से । स्प्रिंग ने पहले-पहल देखा कि पीसी हुई धातुओं के प्रबल संपीड़न से वैसी ही मिश्रधातु प्राप्त होती है जैसे धातुओं के पिघलाने से प्राप्त होती है । ऐसा समझा जा सकता है कि संपीड़न से ताप उत्पन्न होता है और वह धातुओं को पिघलाता है जिससे उनकी मिश्रधातुएँ बनती हैं पर स्प्रिंग ने सिद्ध किया है कि संपीड़न से इतना ताप नहीं उत्पन्न हो सकता जो धातुओं को पिला सके । वूड की धातु - सोस, बिस्मथ, वङ्ग और कैडमियम की मिश्रधातु - ६००० वायुमण्डल के दबाव पर पीसी हुई धातुओं से प्राप्त हो सकती है । |
जबलपुर, यशभारत। दुर्भाग्य ही कहना होगा जब जबलपुर का नाम संस्कारधानी रखा होगा। समाज सेवा करने वालों की शहर में कमी नहीं है यहां नाम भी नहीं ले सकते हैं क्योंकि सूची बहुत बड़ी है। प्रत्येक त्यौहार में अनाथ आश्रम या फिर बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन पर पहंुचकर समाजसेवी गरीबों के साथ संवदेना व्यक्त करते हैं उपहार स्वरूप उन्हें कपड़े या फिर खाना-पैसा देते हैं। लेकिन बीते दिनों अधारताल जवाहर नगर में रहने वाले पटेल परिवार के घर का नजारा जिसने भी जिसके बाद लगा कि जबलपुर के लोगों के अंदर से संवेदनाएं समाप्त हो गई हैं,। बात हो रही है तिलहरी लूट कांड में जान गंवाने वाले सुरक्षा गार्ड राज बहादुर पटेल की। परिवार आर्थिक मदद के लिए दर-दर भटक रहा है। कहा जा रहा है कि जिस दिन गार्ड पार्थिव शरीर घर पहंुचा तो परिवार के पास कफन उड़ाने के लिए पैसे नहीं थे,पूरी अंत्येष्टि करना दूर की बात थी।
गार्ड परिवार के पास अंत्येष्टि के लिए पैसे नहीं होने की जानकारी जब यशभारत तक पहंुची तो यशभारत ने एक प्रहरी और सच्ची पत्रकारिता की मिसाल पेश करते हुए खबर प्रकाशित की साथ ही कलेक्टर डाॅक्टर इलैयाराजा टी को इस बारे में जानकारी दी। कलेक्टर ने भी बगैर देर किए पीड़ित परिवार के सदस्य को कलेक्ट्रेट बुलाकर 10 हजार रूपए की आर्थिक सहायता की। कलेक्टर की तत्काल मदद करने से परिवार ने सुरक्षा गार्ड के पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन किया ।
मृतक सुरक्षा गार्ड के परिवार ने कलेक्टर की आर्थिक सहायता राशि से अंत्येष्टि कार्यक्रम तो कर लिया लेकिन अब आगे के कार्यक्रम के लिए उनके पास पैसे नहीं है। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा हुआ है। हैरानी इस बात पर है कि अगर कलेक्टर मदद न करते तो गार्ड का अंतिम संस्कार भी न होता। पीड़ित परिवार मप्र सरकार और प्रशासन से मांग कर रहा है कि घर के किसी एक व्यक्ति को रोजगार मुहैया कराया जाए। साथ ही त्रयोदशी कार्यक्रम हो सकें इसके लिए मदद की जाए।
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किसी के पास ऐसा मैसेज आया है कि ग्यारह लोगों को भेजो तो गेहूं कट जाये और 21 लोगों को भेजो तो घर में तूड़ा भर जाये। चिलचिलाती धूप में गेहूं काटना नानी याद करने जैसा है। होटल की टेबल पर बैठकर पीजा, बर्गर, ब्रेड और तंदूरी परांठा खाने में सिर्फ जेब ढीली होती है पर टांट नहीं झुलसती। धूप और लू से लट्ठमलट्ठा होते हुए किसान की चमड़ी का रंग भी बदल जाता है। लगता है जैसे उसका शरीर झुलस गया है। भला हो कंबाइंड हार्वेस्टर का जिसने किसान को काफी सुकून दिया है पर फिर भी असंख्य किसान परिवार ऐसे हैं जो कंबाइन हार्वेस्टर की बजाय अपने पूरे परिवार के साथ मंडासा मार कर फील्ड में उतरते हैं और धूप में अपनी टांट गंजी करवाते हैं। पर फसल आने की खुशी में वह अपनी सारी वेदना विस्मृत कर देते हैं।
अन्न, रोटी और भूख का गहरा नाता है। भूखा आदमी कभी स्वाद की बात ही नहीं करता। तभी कहावत बनी होगी कि भूख में किवाड़ भी पापड़। भरपेट आदमी खाने के वक्त निश्चित रूप से क्लेश करता है और भोजन के स्वाद को कोसता रहता है। सत्तर कमियां निकालता है। अगर खाने में सचमुच ही कोई कमी रह जाये तो फिर तो उसका पारा सातवें आसमान पर हो जाता है। अगर भोजन ठीक-ठाक बना है तो उसके मुंह से सराहना के दो शब्द नहीं निकलते। वह चुपचाप खाना खाकर गुमसुम उठ जाता है जैसे कि उसके मुंह में शब्द ही नहीं बचे हैं। पर धन्य है महिलायें जो रोटियां बनाने से पहले अपना सारा प्यार भी आटे में गूंथ देती हैं। आदमी रोटियों पर कच्ची-पक्की, जली-फुंकी, करारी, नरम-सख्त होने के ठप्पे लगाता रहता है। पर औरतें भी रोटियां जलने का ठीकरा किसी न किसी के सिर पर फोड़कर ही दम लेती हैं। एक बार किसी महिला ने नाराज़गी-सी जताते हुये अपने पति से पूछा - आटा कहां से लाये थे? पति ने कहा - क्यों क्या हो गया? पत्नी बोली - आज सारी रोटियां जल गईं।
जब फसल आती है तो उसे किसान काटता है और जब आतंकी आता है तो उसे जवान काटता है। इसी कटाई की समानता के कारण संभवतः नारा बना था - जय जवान, जय किसान।
एक बर की बात है अक रामप्यारी धोरै आकै यमराज बोल्या- चाल, ईब तेरा बखत आ लिया है। रामप्यारी बोल्ली - बस एक मिनट डट ज्या। यमराज बोल्या - एक मिनट मैं के तीत्तर मार लेगी? रामप्यारी बोल्ली - बस स्टेटस पै डाल द्यूं अक ट्रैवलिंग विद यमराज।
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आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को यह घोषणा की। केजरीवाल के मुताबिक यूपी के लोग आम आदमी पार्टी को एक बार मौका देकर देखें। उन्होंने कहा कि मैं यकीन दिलाता हूं कि उत्तर प्रदेश वाले बाकी सारी पार्टियों को भूल जाएंगे।
इसी साफ नियत से हमने दिल्ली को बदलकर दिखाया है। दिल्ली के लोगों ने आम आदमी पार्टी को एक मौका दिया था और आज बाकी पार्टियों को भूल चुके हैं। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यूपी के लोगों से अपील करते हुए कहा कि आप भी एक मौका देकर देखिए। मैं यकीन दिलाता हूं कि आप भी बाकी पार्टियों को भूल जाएंगे।
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वॉशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को विवादित गोलन हाइट्स पर इजरायल की संप्रभुता को मान्यता देने से जुड़ी घोषणा पर हस्ताक्षर किए.
इजरायल ने 1967 में इस सीमावर्ती क्षेत्र को सीरिया से छीन लिया था. व्हाइट हाउस में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ ट्रम्प ने कहा, "यह फैसला लेने में काफी समय लग गया. " अमेरिका के इस क्षेत्र पर इजरायल के नियंत्रण को मान्यता देने से दशकों से इस मुद्दे पर चली आ रही अंतरराष्ट्रीय सर्वसम्मति बाधित हुई है.
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UPPSC Admit Card 2021: उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPSC) ने समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का एडमिट कार्ड जारी कर दिया है। जिन उम्मीदवारों ने UPPSC RO / ARO Recruitment 2021 के लिए आवेदन किया था, वह अब आयोग की आधिकारिक वेबसाइट uppsc. up. nic. in के माध्यम से अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।
आयोग द्वारा समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी पदों पर भर्ती के लिए प्रिलिमनरी परीक्षा 5 दिसंबर 2021 को आगरा, बस्ती, इटावा, गाजीपुर, प्रयागराज, आजमगढ़, बरेली, गोरखपुर, अयोध्या, गाजियाबाद, जौनपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, बाराबंकी, मेरठ, मुरादाबाद, रायबरेली, वाराणसी, सीतापुर, मिर्जापुर और मथुरा में आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा में उम्मीदवारों से जनरल स्टडीज और जनरल हिंदी से 200 मल्टीपल चॉइस सवाल पूछे जाएंगे। सभी उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर इन स्टेप्स के माध्यम से अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।
स्टेप 1: सबसे पहले उम्मीदवार आयोग की आधिकारिक वेबसाइट uppsc. up. nic. in पर जाएं।
स्टेप 2: फिर होम पेज पर दिख रहे 'Admit Card :- CLICK HERE TO DOWNLOAD ADMIT CARD FOR ADVT. NO A-2/E-1/2021, SAMIKSHA ADHIKARI / SAHAYAK SAMIKSHA ADHIKARI (GEN. / SPL. RECTT. ) (PRE. ) EXAM -2021' के लिंक पर क्लिक करें।
स्टेप 3: इसके बाद आपके सामने एक नया पेज खुल जाएगा। यहां सभी आवश्यक जानकारी भरें।
स्टेप 4: अब आप UPPSC RO / ARO Admit Card 2021 डाउनलोड करके प्रिंट आउट भी निकाल सकते हैं।
इस प्रक्रिया के माध्यम से कुल 337 रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी। जिसमें, RO / ARO सामान्य भर्ती के 228 पद और RO / ARO विशेष भर्ती के 109 पद शामिल हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए उम्मीदवार के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी स्ट्रीम में बैचलर्स की डिग्री होनी चाहिए। इसके अलावा भर्ती के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 साल और अधिकतम आयु 40 साल निर्धारित की गई है। हालांकि, सरकारी नियमों के अनुसार आवश्यक कैटेगरी के उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट दी जाएगी। विस्तृत जानकारी के लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन चेक कर सकते हैं।
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मोदी सरकार ने डिजिटल को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब सरकार इस दिशा में एक और नियम ला सकती है। दरअसल सरकार कागजी मुद्रा के उपयोग को कम करने के लिए एक साल में 10 लाख से ज्यादा की नकद निकासी करने वाले लोगों पर टैक्स लगाने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। काले धन पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम जल्द ही उठाया जा सकता है।
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गजनवी एक आगामी बॉलीवुड ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन सनोज मिश्रा द्वारा किया जा रहा है। इस फिल्म में राजवीर सिंह, वीरेंदर कमांडो और अर्जुन पांडे मुख्य भूमिका में दिखाई देने वाले हैं।
Jawan- 50 करोड़ की ओपनिंग के साथ Shahrukh Khan? इस एक्टर ने की तगड़ी भविष्यवाणी!
Ameesha Patel ने किया खुलासा, दूसरी एक्ट्रेसस ने नाक के नीचे से छीन लीं फिल्में, बोलीं- "मैं आउटसाइडर थी. . "
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पार्टीगेट कांड पर संसदीय समिति की रिपोर्ट सामने आने के बाद ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संसद सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया है. संसदीय समिति ने अपनी जांच में सिफारिश की है कि प्रधानमंत्री के कार्यकाल में पार्टी करने के लिए लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन कर संसद को गुमराह करने के लिए उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
संसदीय समिति आरोपों की जांच कर रही थी कि 58 वर्षीय जॉनसन ने हाउस ऑफ कॉमन्स को लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन में कोविद महामारी के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में पार्टी करने के बारे में गुमराह किया। विशेषाधिकार समिति से मामले पर एक गोपनीय पत्र प्राप्त करने के बाद जॉनसन ने अपने इस्तीफे की घोषणा की। जॉनसन ने संसदीय समिति पर उन्हें संसद से बाहर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि समिति ने अब तक एक भी सबूत पेश नहीं किया है कि मैंने जानबूझकर या लापरवाही से संसद को गुमराह किया।
पूर्व पीएम जॉनसन ने जांच रिपोर्ट मिलने की जानकारी दी थी और दावा किया था कि यह त्रुटियों से प्रेरित है। बता दें कि इसी साल मार्च में विशेषाधिकार समिति को दिए बयान में जॉनसन ने संसद को गुमराह करने की बात स्वीकार की थी. हालांकि, उन्होंने जानबूझकर ऐसा करने से इनकार किया।
उन्होंने कहा कि कोविड लॉकडाउन के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में होने वाली पार्टियों में लॉकडाउन के नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि ये जरूरी कार्यक्रम हैं, इसलिए इसकी इजाजत दी गई। पार्टी के दौरान सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया।
अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए, जॉनसन ने एक लंबा बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, "मैंने झूठ नहीं बोला है और मुझे विश्वास है कि समिति यह जानती है। " उन्होंने कहा कि वह अच्छी तरह जानते हैं कि जब मैं कॉमन्स में बोल रहा था तो मैं वही कह रहा था जो मैं ईमानदारी से सच मानता था।
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डीजीपी डीएस चौहान ने कहा कि यूपी पुलिस ने गुंडे माफिया डकैत एवं संगठित अपराध से मुक्त करते हुए एक सुरक्षित प्रदेश का निर्माण किया है. साथ ही जनता में सरकार का विश्वास कायम किया.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम पुलिस लाइन में हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हुए. इस दौरान पुलिस के सभी बड़े अधिकारी मौजूद रहे. जहां स्मृति दिवस पर शहीद पुलिसकर्मियों को सीएम योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, यूपी पुलिस के मुखिया डीजीपी डॉक्टर डीएस चौहान ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर बयान देते हुए कहा कि पिछले साढ़े पांच सालों में पुलिस का डीएनए में बदलाव हुआ है. जिससे पुलिस की सक्रियता के चलते सूबे में जातीय और संप्रदायिक हिंसा नहीं हुई.
दरअसल, पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर पुलिस लाइन में अपने संबोधन के दौरान यूपी के डीजीपी ने कहा कि यूपी पुलिस ने गुंडे माफिया डकैत एवं संगठित अपराध से मुक्त करते हुए एक सुरक्षित प्रदेश का निर्माण किया है. साथ ही जनता में सरकार का विश्वास कायम किया. ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश पुलिस के डीएनए में बदलाव हुआ है .
वहीं, डीजीपी डीएस चौहान ने पुलिस स्मृति दिवस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पुलिस की कार्य प्रणाली में लगातार बदलाव हो रहा है, जिससे अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगा है. यूपी सरकार ने पुलिस ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले पुलिस कर्मी को 25 लाख की जगह 50 लाख रुपए की रकम देने की घोषणा की है. इसके अलावा ड्यूटी के दौरान कोमा में जाने पर असाधारण पेंशन देने का फैसला लिया है.
इस मौके पर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस स्मृति दिवस पर पिछले एक साल में शहीद हुए 7 पुलिस कर्मियों के परिजनों को सम्मानित किया. साथ ही सभी पुलिसकर्मियों की सराहना की. वहीं, यूपी पुलिस की सक्रियता के चलते गुंडा और माफिया राज का सफाया हो गया.हालांकि, पुलिस कर्मियों को मिलने वाला साइकिल भत्ता अब मोटरसाइकिल भत्ता के तौर पर दिया जाएगा,जिसमें पुलिसकर्मियों का साइकिल भत्ता जो ₹200 था उसको बढ़ाकर अब ₹500 कर दिया गया है.अब यह साइकिल भत्ते की जगह मोटरसाइकिल भत्ता कहा जाएगा.जहां एक तरफ यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश पुलिस की सराहना कर रहे हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश के डीजीपी डीएस चौहान यूपी पुलिस के डीएनए बदलने की बात कर रहे हैं.
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पुलिस के हाथ बहुत लंबे होते हैं। सही सूचना, सही समय पर मिले तो काम तमाम होना तय है। क्राइम ब्रांच मेरठ को एक सप्ताह पहले एनसीईआरटी के पायरेटेड कॉपी छापे जाने की सूचना मिली। क्राइम ब्रांच इनवेस्टीगेशन में लग गई। मंगलवार को एसीएम सदर और कोतवाली सर्कल की पुलिस ने मिलकर गोलाकुआ के हाजी इलयास चौक स्थित एक गोदाम पर अचानक छापा मारा। यहां पर नौंवी से लेकर बारहवीं तक की किताबों की पायरेटेड कापी की बाइंडिंग हो रही थी। नौचंदी थाने के पीछे उस कारखाने में भी छापा मारा गया जहां पर इन किताबों की छपाई हो रही थी। क्राइम ब्रांच की एक टीम ने बी-4 सिंघल भवन प्रीत विहार में छापा मारकर किताबों की प्रिंटिंग प्लेट और कुछ अन्य छपी किताबें जब्त की।
क्राइम ब्रांच ने नौंवी से बारहवीं तक की करीब एक लाख किताबें जब्त की है। अनुमान लगाया जाए तो मेरठ में ही नौंवी से बारहवीं तक करीब 30 से पैंतीस हजार बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें एनसीईआरटी की किताबों की जरूरत पड़ती है। उसमें भी करीब छह सब्जेक्ट होते हैं। इस हिसाब से एक लाख अस्सी हजार किताबों की जरूरत होती है। ऐसे में मेरठ में इन किताबों को खपाने के लिए बड़ा बाजार मौजूद है।
सीजन और डिमांड को देखते हुए ही ये काम यहां चल रहा था। सूत्रों की माने तो ये लोग सिर्फ मेरठ ही नहीं आसपास के इलाकों में भी यहीं से सप्लाई की जा रही थी। जिसके लिए पहले भी कई खेप सप्लाई की जा चुकी है।
एनसीईआरटी के कापी राइट के तहत किताब के किसी भी भाग या पूरी किताब का पब्लिकेशन पूरी तरह से अवैध है। एनसीईआरटी ने बाकायदा इसके लिए कापी राइट एक्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है।
सीबीएसई का आदेश है कि स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही लगाई जाएं। लेकिन ये किताबें कई बार कमी के कारण बाजार में अगस्त तक भी नहीं मिल पाती हैं। जिस कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। एनसीईआरटी की तरफ से हर साल इसी तरह की देरी होती है। इसी संकट का फायदा उठाते हुए इन लोगों ने एनसीईआरटी की किताबों की पायरेटेड कॉपी छापनी शुरू कर दी। जिनकी बाजार में मांग भी जोरों पर है।
सीबीएसई को इसका आभास पहले से ही था कि कुछ लोग किताबों की कमी का फायदा ऐसे लोग उठा सकते हैं। इसी के चलते इस बार से सीबीएसई ने स्कूलों को डायरेक्ट किताबें सप्लाई करने का प्रोसेस शुरू किया था। जिसके तहत स्कूल अपनी डिमांड और डिमांड के हिसाब से पैमेंट पहले करेंगे। उसके बाद स्कूल की डिमांड के हिसाब से स्कूल को किताबें भेज दी जाती। लेकिन स्कूलों की सेटिंग प्राइवेट पब्लिशर से पहले ही हो जाती है। इस लिए अधिकतर स्कूलों ने सीबीएसई को कोई डिमांड ही नहीं भेजी। सभी स्कूलों ने अपने यहां पर किताबें बेचने के स्टॉल लगा रखे हैं।
"हमें इसकी सूचना मिली थी। एक हफ्ते तक नजर रखने के बाद आज छापा मारा गया। यहां से एक लाख किताबें जब्त की गई है। चार लोगों से पूछताछ जारी है। दिल्ली एनसीईआरटी को सूचना दे दी गई है. "
"किताबों की पायरेसी करना बहुत गलत है। अगर ऐसा हो रहा था तो उन लोगों को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। ऐसे लोगों को किसी भी हाल में बख्शा ना जाए. "
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पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने माना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक हुई है। जबकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सुरक्षा में किसी भी प्रकार की चूक की बात से इनकार किया था। इस तरह पंजाब सरकार के दो सबसे बड़े नेताओं के बयानों में ही विरोधाभास नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बठिंडा से दिल्ली वापस लौट आए हैं और फिरोजपुर रैली रद्द कर दी गई है। कॉन्ग्रेस वाले इस सुरक्षा में सेंध का सोशल मीडिया पर जश्न मना रहे।
'रिपब्लिक भारत' से बात करते हुए डिप्टी सीएम रंधावा ने कहा कि पंजाब पुलिस और प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगी 'विशेष सुरक्षा बल (SPG)' की बैठकें हुई थीं, जिनमें 'आसूचना ब्यूरो (IB)' के लोग भी शामिल रहे थे। उन्होंने कहा कि उन बैठकों में कहीं भी राज्य के गृह मंत्री को नहीं प्रतिभागी बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों के साथ भी बैठक होती रही। उन्होंने कहा कि रूट के साथ एक वैकल्पिक रूट भी लगना चाहिए था, जो नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में तुरंत रास्ता बदल कर दूसरे रास्ते से ले जाया जाता है। उन्होंने इसे सामंजस्य में कमी की वजह से हुई घटना बताते हुए कहा कि पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक (DGP) को 24 घंटे के भीतर जाँच कर के रिपोर्ट देने को कहा है। उन्होंने कहा कि सीएम से इस सम्बन्ध में उनकी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा में कहाँ चूक हुई, ये सुरक्षा एजेंसियाँ बताएँगी। उन्होंने कहा कि कहाँ चूक हुई और किसकी, इस बारे में वो अभी वो कुछ नहीं कह सकते।
पूयव मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे पंजाब सरकार की विफलता बताते हुए कहा कि पंजाब के सीएम और गृह मंत्री दोनों को बर्खास्त किया जाना चाहिए और इस सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इन्होंने रैली स्थल से 15 किलोमीटर दूर पीएम को काफिले को रुकवा कर वापस भेजा। उन्होंने कहा कि इनको शहीदों को नमन करने से रोका और रोड रूट ब्लॉक किए गए। कांग्रेस के इशारे पर घटिया राजनीति हो रही है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि रूट पंजाब पुलिस ने ही तय किया था।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक वाली बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की सुरक्षा में कोई सेंध नहीं लगी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने पंजाब सरकार से कहा है कि वो इस मुद्दे पर जिम्मेदारी तय करे और कार्रवाई करे। जबकि CM चन्नी का कहना है कि शुरुआत में पीएम मोदी को हवाई यात्रा करनी थी, लेकिन अंतिम क्षण में यात्रा की योजना बदल दी गई। उन्होंने योजना में बदलाव को ही सुरक्षा में चूक के लिए दोषी ठहरा दिया।
पंजाब में कॉन्ग्रेस सरकार के मुखिया ने कहा कि भाजपा राजनीतिक कारणों से उनकी सरकार पर आरोप लगा रही है। उन्होंने दावा किया कि वो खुद देर रात तक पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा योजना पर निगरानी रखे हुए थे। उन्होंने दावा किया कि पीएम मोदी के रोड शो का अंतिम समय में प्लान बना था और रैली के लिए 70,000 कुर्सियों के इंतजाम के बावजूद मात्र 700 लोग ही पहुँचे। फिरोजपुर की रैली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने घोषणा की कि कुछ कारणों से पीएम मोदी नहीं आ पाएँगे।
वहीं 'CNN न्यूज़ 18' से बात करते हुए पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने मुद्दे को लेकर कहा, "ये कुदरती था। " सरकारी सूत्रों के हवाले से चैनल ने बताया है कि इस तरह का हैरान कर देने वाले दृश्य फ्लाईओवर पर इसीलिए देखने को मिला, क्योंकि पंजाब पुलिस और प्रदर्शनकारियों में सहमति बनी थी। क्योंकि केवल पंजाब पुलिस को ही पीएम मोदी की यात्रा का रूट पता था। इस तरह का पुलिस का व्यवहार पहले कभी देखने को नहीं मिला। कहा जा रहा है कि हालिया वर्षों में किसी भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में ये सबसे बड़ी चूक है।
कॉन्ग्रेस के 'डिजिटल कम्युनिकेशन एंड सोशल मीडिया' सेल के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "पंजाब का पॉवर! कल से ही पंजाब की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को रोक कर रखा हुआ था। पीएम मोदी को अपनी रैली रद्द कर के दिल्ली लौटना पड़ा। पंजाब विरोधी मोदी, वापस जाओ। " कई अन्य कॉन्ग्रेस नेता भी रैली रद्द होने का जश्न मनाते हुए दिखे। लिबरल पत्रकार भी इसमें शामिल हुए।
पंजाब में सुरक्षा में बड़ी चूक के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भटिंडा से वापस लौटना पड़ा। साथ ही फिरोजपुर में प्रस्तावित उनकी रैली को भी रद्द कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में पंजाब की सरकार से जवाब माँगा है। ANI की खबर के अनुसार, भटिंडा एयरपोर्ट से वापस लौटते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहाँ के अधिकारियों से कहा, "अपने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहना, कि मैं भटिंडा एयरपोर्ट तक ज़िंदा पहुँच गया। " इसके बाद उन्होंने दिल्ली के लिए उड़ान भरी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि अपनी निकृष्ट सोच और ओछी हरकतों से पंजाब की कॉन्रेस सरकार ने दिखा दिया है कि वह विकास विरोधी है और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए भी उनके दिल में कोई सम्मान नहीं है। उन्होंने कहा कि यह घटना माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सुरक्षा में एक बहुत बड़ी चूक थी, जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार ने ऐसा करने में इस बात की भी परवाह नहीं की कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के महान सपूत सरदार भगत सिंह और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि देनी थी और राज्य में प्रमुख विकास कार्यों की आधारशिला रखनी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा में सेंध का मामला सामने आया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने जारी किया बयान। MHA ने अपने बयान में कहा है कि बुधवार (5 जनवरी, 2022) को पीएम मोदी का विमान भठिंडा में लैंड हुआ, जहाँ से उन्हें हैलीकॉप्टर से हुसैनीवाला स्थित 'नेशनल मार्टियर्स मेमोरियल' जाना था। बारिश और विजिबिलिटी कम होने के कारण उन्हें मौसम के ठीक होने के लिए 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। वहाँ उन्हें 'राष्ट्रीय शहीदी स्मारक' में बलिदानी क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित करनी थी।
जब मौसम ठीक नहीं हुआ तो निर्णय लिया गया कि सड़क मार्ग से ही प्रधानमंत्री हुसैनीवाला तक का सफर तय करेंगे। जब प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर पहुँचा तो वहाँ पता चला कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने रास्ता जाम कर के रखा हुआ था। लगभग 15-20 मिनट तक पीएम मोदी वहाँ फँसे रहे। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में एक बड़ी सेंध बताया जा रहा है। बता दें कि सड़क मार्ग से ये यात्रा दो घंटे में तय होनी थी, जिसके लिए पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक (DGP) को ज़रूरी प्रबंधन करने के निर्देश दे दिए गए थे।
हुसैनीवाला से 30 किलोमीटर दूर पीएम मोदी का काफिला फँसा रहा। पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार को पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे और उनके कार्यक्रमों के विवरण से अवगत करा दिया गया था। MHA ने भी इसकी पुष्टि की है। MHA के अनुसार, ये पंजाब के पुलिस-प्रशासन का काम था कि वो प्रबंधन के लिए ज़रूरी संसाधन की माँग करें और किसी आकस्मिक स्थिति के विषय में योजना तैयार करें। MHA ने बताया है कि सड़क मार्ग पर सुरक्षा के लिए पंजाब सरकार ने ज़रूरी प्रबंध नहीं किए, अतिरिक्त बल तैनात नहीं किया।
MHA ने कहा, "सुरक्षा में इस चूक के बाद निर्णय लिया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला वापस भठिंडा एयरपोर्ट पर जाएगा। सुरक्षा में इस गंभीर चूक के बाद पंजाब की राज्य सरकार से भी डिटेल में रिपोर्ट तलब की गई है। साथ ही राज्य सरकार को कहा गया है कि वो इस मामले में जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई करे। " भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि हजारों करोड़ रुपयों की विकास परियोजनाओं की सौगात देने पंजाब पहुँचे पीएम मोदी के कार्यक्रम में बाधा पैदा किया जाना व्यथित करने वाला है।
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पाई है। जबसे वह भारतवर्ष में या निर्विघ्न शान्ति स्थापनकर रहने समर्थ हुए हैं, या जिस समय से उन्होंने अपने देश में निरापद रहना सीखा है, तबसे वह कृषिकार्य में विशेष उन्नतिशीख है। लेकिन वह नक्षूचियोंकी अपेक्षा भी ज्यादा कलहप्रिय है; इसलिये हो खन जगह वेतनभोगी ग्रफगान-फौजें दिखाई देती है। वस्तुतः यह दोनो जातियां अपने अपने देश डाकूदलसे कितने ही श्रेष्ठ और उन्नत है। विधम्मियोंके प्रति उनका व्यत्याचार प्रधानतः घमके नामसे ही समाहित होता है, धर्म के नाम से ही वह टूमरेके विरुद्ध शत्रुताचरण या शतुके विरुद्ध ग्रस्वग्रहण करते हैं और सभी धर्मावलम्बी एकत्रित हो व्यापसमें लहायता देने के लिये समर्थ होते हैं। नगर और शहर के "क्षत्रिय" और "उरोडा" खोग बागियोकी तरह अध्यवसायशीन और रोजगारियोंको तरह 'मिवाचारी हैं, वही देशके प्रधान राजस्वसचिव और घनाध्यक्ष है। क्षत्रिय लोग एक समय राजपदपर प्रतिष्ठि से, व भी उनके हृदय में समय समयपर वीरोचित पुरानो याद नाम उठतो और वह दक्षता के साथ राज्य शासन व्यौर मैन्चपरिचालन करते है * बलिष्ठ काश्मीरी लोग प्रचुर परिमायसे शिज्यनात द्रव्य तय्यार करते हैं। कार्यदक्षता और
* राजितसिंहके सेनापतियामे हारमिंद नामक एक मिख हो ओठ में यक्ष मिख जीरपुरुष जातिकं क्षत्रिय थे। रणजितसिंदके व्यधीनस्य यन्यान्य शासनकर्त्री गोमुहकमचन्द प्रो वातावाने एक का स्वि ६शु जन्म लिया था। 'यमु |
शिविर में व्यस्त बच्चों क्या हैं?
जैसे प्रश्नों वाले बच्चों के लिए "क्या? कहाँ? कब? "क्या शिविर के कैदियों में सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा हैं यहां पर बच्चे न सिर्फ अपने ज्ञान को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि एक सच्ची समाधान की तलाश में बहुमत की राय स्वीकार करने के लिए टीम में बातचीत करना सीखते हैं।
बच्चों को कलात्मक प्रतिभा की पेशकश की जाती हैव्यक्तिगत प्रतियोगिताओं "फ्रेंडली कार्टून", "डोरिसु चित्र", "ड्रॉ अ क्लू टू द पहेली" के दौरान प्रदर्शित करें। किसी भी विषय पर डामर की साजिश रचना पर सामूहिक ड्राइंग में बच्चों की टीम भावना दिखाई दे सकती है।
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अपार्टमेंट या निजी घर में फर्श शायद इंटीरियर डिजाइन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। फर्श सेट परिसर के पूरे इंटीरियर के लिए टोन, वह कमरे में हल्कापन की भावना पैदा कर सकते हैं, या बड़े पैमाने पर सरकारी शैली बनाने। मंजिल सामग्री सभी आवश्यकताओं के अनुपालन में चुना जाता है, फर्श एक लंबी और गुणात्मक हो जाएगा। मुख्य बात की उम्मीद ऑपरेटिंग कमरे के आधार पर यह चयन करने के लिए है। उदाहरण के लिए, छत उच्च आर्द्रता और फर्श की सतह पर उच्च लोड के साथ एक कमरे में रखी नहीं किया जाना चाहिए यहां तक कि सबसे टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाले लिनोलियम के लिए हानिकारक हो सकता है।
निर्माण बाजार निजी आवास में और औद्योगिक क्षेत्रों में उपभोक्ताओं मंजिल बढ़ते विकल्पों में से एक पर्याप्त बड़ी संख्या की पेशकश करने के लिए तैयार है। फ्लोर कवरिंग के लिए सभी आधुनिक सामग्री कठिन, सिंथेटिक, प्राकृतिक, लकड़ी और कालीन में विभाजित किया जा सकता है। इससे पहले कि आप किसी विशेष कोटिंग के लिए चुनते हैं, यह परिसर, उम्मीद भार और वांछित इंटीरियर का उद्देश्य आकलन करने के लिए आवश्यक है।
टाइल, ईंट और पत्थर - फर्श के लिए यह सब कठिन सामग्री। टाइलें केवल रसोई घर में फर्श की स्थापना के लिए और बाथरूम में इस्तेमाल किया गया था। इस तरह के एक कोटिंग काफी मजबूत है और नमी से प्रभावित नहीं है। टाइल फर्श डिटर्जेंट का उपयोग कर साफ किया जा सकता। जब टाइल थक, आप से दूर ले और एक अन्य डाल सकते हैं। पानी या बिजली के हीटिंग के साथ फर्श के तहत हीटिंग की स्थापना की संभावना के आगमन के साथ यह कमरे में रहने वाले या लॉबी में एक टाइलों फर्श की व्यवस्था करने के संभव बनाया है।
पत्थर संगमरमर और ग्रेनाइट, एक प्रकार का पत्थर और क्वार्टजाइट, डोलोमाइट और घने चूना पत्थर, स्लेट, gabbros, लैब्राडोर इस्तेमाल किया कवरिंग के निर्माण के लिए। अगर धन की अनुमति देने के लिए, यह जैस्पर, मैलाकाइट और रोडोनिट के फर्श बिछाने के लिए संभव है।
अक्सर मालिकों के एक सिंथेटिक सामग्री का उपयोग करें। मंजिल अपार्टमेंट बिल्डरों विशेषज्ञों विनाइल, धातु, ठोस या रबर का उपयोग कर सुझाव देते हैं।
विनाइल कम कोटिंग व्यावहारिक हो रहा है। किसी भी सपाट सतह पर स्वीकार्य आचरण और एक अच्छी तरह से सूखे (निरंतर नमी विनाइल कोटिंग पर प्रफुल्लित कर सकते हैं) बढ़ते।
कंक्रीट रेत और सीमेंट का मिश्रण है और अच्छा प्लास्टिक गुण है, लेकिन नमी के लिए, तापमान में उतार-चढ़ाव (विशेष रूप से ऊपर की तरफ) प्रति संवेदनशील है। रासायनिक और यांत्रिक प्रभावों से अवगत कराया।
रबड़ मंजिल सामग्री रबर, सीमेंट, चाक, संगमरमर चिप्स और काग का एक मिश्रण है। इस तरह के कोटिंग्स के कई फायदे हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख लचीलापन, स्थायित्व, तापमान परिवर्तन और सदमे लोड करने के लिए प्रतिरोध कर रहे हैं मेरे पास है।
धातु कोटिंग्स जैसा कि अक्सर एल्यूमीनियम और इस्पात (स्टेनलेस या anodized) का इस्तेमाल किया।
मंजिल के लिए प्राकृतिक सामग्री के समूह को सुरक्षित रूप से एक प्रकार का पौधा, कॉर्क, जूट, बर्लेप जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, और, विचित्र रूप से पर्याप्त, लिनोलियम। तथ्य यह है कि इस सामग्री को वास्तव में शुरू में प्राकृतिक घटकों से बाहर कर दिया जाता हैः अलसी का तेल, के ताने-बाने गर्म मिश्रण करने के लिए लागू मोम, राल।
इस तरह की सामग्री काफी महंगा हो सकता है। स्थापना के दौरान भी अपने स्वयं के लक्षण है। हालांकि, इस तरह के फर्श पर्यावरण के अनुकूल हैं, स्थैतिक बिजली, और एक बहुत ही प्रभावशाली नज़र अर्जित नहीं करेंगे।
के लिए सामग्री लकड़ी के फर्श लकड़ी के विभिन्न प्रकार से बनाया गया। ओक सबसे मजबूत और प्रतिनिधि उम्मीदवार, लेकिन यह भी सबसे महंगी है। ओक फर्श भारी बोझ झेलने में सक्षम है। मेपल, बीच, एल्म, और राख भी दृढ़ लकड़ी है, जो टिकाऊ और घर्षण के लिए प्रतिरोधी मंजिल के बने होते हैं। लकड़ी के नरम ग्रेड है, जो भी एक मंजिल को कवर से निर्मित है द्वारा चूना, सन्टी, चेरी, पाइन शामिल हैं। इस तरह के लकड़ी के फर्श का नुकसान जैविक मध्यम (सड़ांध) और नमी अवशोषण (नमी अवशोषण) के एक उच्च स्तर के प्रभाव के प्रति अतिसंवेदनशीलता शामिल हो सकते हैं।
टुकड़े टुकड़े, ऊपर परत जिनमें से लकड़ी के होते हैं - लकड़ी के फर्श टुकड़े टुकड़े में से एक प्रजाति है। यह फर्श विशेष आग प्रतिरोधी वार्निश द्वारा सुरक्षित है। सामग्री इकट्ठा और प्राकृतिक लकड़ी की तुलना में काफी कम निवेश की आवश्यकता होती है, लकड़ी के प्रकार की परवाह किए बिना आसान है।
बड़े पैमाने पर आज और फर्श के लिए इस तरह के एक सामग्री, कालीन के रूप में है। संदर्भ में यह देखा जा सकता है कि इस सामग्री को ढेर आधार (प्राथमिक अस्तर), फिक्सिंग परत और द्वितीयक (आमतौर पर लेटेक्स) बिछाने के होते हैं। कालीन फाइबर की गुणवत्ता सिंथेटिक (नायलॉन, acrylics) और जैविक (ऊन या रेशम) में विभाजित किया जा सकता है। ढेर और उदासीनता की जगह करने के लिए प्रकाश और आसान - इस कोटिंग का एक बड़ा प्लस। सबसे बड़ी खामी यह है कि "उच्च यातायात" सामग्री के क्षेत्रों में पोंछते जाता है। धूल, संग्रहः एक मिथक है कि किसी अन्य तरीके से व्याख्या की जा सकती "कालीन क्योंकि यह धूल एकत्र करता है, बुरा है" कालीन काफी (लगभग आधे) हवा हम सांस में अपनी सामग्री कम करता है।
इससे पहले कि आप खत्म मंजिल खत्म करते हैं, तो, तैयार संरेखित, यानी करने के लिए आवश्यक है। ई भूमि का टुकड़ा है, जो आधार या सब्सट्रेट का एक प्रकार संचालित होगा डालो। या एक क्षैतिज सतह पर थोक फर्श दोलन के लिए नीचे 2-अंतराल मीटर से अधिक 2-3 मिमी नहीं होना चाहिए। मानव आँख के दृश्य निरीक्षण एक पूरी तरह से सपाट सतह के रूप में इस पहचान करता है। मंजिल भूमि का टुकड़ा के लिए सामग्री दो प्रकार के है। इस कारखाने हो सकता है सीमेंट रेत मिश्रण या एक इमारत संरचना है, जो एक सूखी मिश्रण है समाप्त हो गया। इन यौगिकों के अधिकांश के कसैले घटक सीमेंट है। भराव की भूमिका आम तौर पर रेत अंशों की एक किस्म (मोटे, ठीक, srednefraktsionny) और additives की एक किस्म प्रदर्शन करती है। वे, बारी में, रासायनिक पर वास्तव में, विभाजित और, प्रधानमंत्री वाहक रहे हैं। फाइबर, मजबूत फाइबर, हल्के विस्तार मिट्टी प्रकार फिलर्स, फोम के टुकड़ों - पूर्व plasticizers, विभिन्न इलाज त्वरक, के बाद दूसरे स्थान शामिल हैं।
प्रणाली "गर्म फर्श" कमरे के एक अतिरिक्त और मुख्य हीटिंग तत्व के रूप में कार्य कर सकते हैं। पानी, बिजली और अवरक्तः आज भी सफलतापूर्वक स्थान तापन के लिए उपयोग किया जाता है "गर्म मंजिल" प्रणालियों के तीन मुख्य प्रकार हैं। एक - मंजिल हीटिंग के लिए सामग्री ठोस भूमि का टुकड़ा हीटिंग तत्व से अधिक (गर्म पानी के पाइप, बिजली के तार, आदि . . . ) और इन्सुलेशन के विभिन्न प्रकार के नीचे। गर्मी इंसुलेटर के रूप में सबसे अधिक मांग polystyrene, polypropylene, कॉर्क, metalized Mylar भिन्न होते हैं। इन सामग्रियों का उपयोग करना, काफी तथ्य यह है कि मंजिल तत्वों गर्म और stacking "गर्म मंजिल" नीचे ढाँचे नहीं हैं की वजह से गर्मी के नुकसान को कम।
मंजिल इन्सुलेशन परत के लिए सामग्री की पसंद क्या प्रणाली "गर्म मंजिल" का चयन किया जाएगा पर निर्भर करता है और अनुमानित लोड जरूरी दर्ज की गई, जो बाद में एक मंजिल को कवर करने के लिए अधीन किया जा सकता है।
स्व समतल फर्श जोड़ या गाँठ फर्श, जो समान रूप से अच्छी तरह से एक निजी निवास के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है कहा जाता है, और औद्योगिक परिसर में। स्वयं समतल फर्श के लिए सामग्री - एक विशेष बहुलक योगों उच्च भार और यांत्रिक क्षति के लिए अनुकूलित। क्या बहुलक रचना प्रयोग किया जाता है पर निर्भर करता है, स्वयं समतल फर्श कई प्रकार में विभाजित किया जा सकता है।
एक ही नाम के उपयोग के साथ methylmethacrylate राल फ्लोर कवरिंग रखा जाता है। अन्य बहुलक रचनाओं के उपयोग के साथ epoxy-एक्रिलिक और सीमेंट फर्श, एक इष्टतम जगह उपकरणों जो औद्योगिक परिसर हैं।
हालांकि, ज्यादातर अंतरिक्ष विशेषज्ञों के किसी भी प्रकार के लिए बहुमुखी कहना polyurethane से स्वयं समतल फर्श। इस तरह के फर्श बहुत सौंदर्य लग रहा है, जबकि सुरक्षा और स्थायित्व के लिए पर्याप्त मार्जिन रखने, किसी भी आधार है, जो पर रखा जाता है के साथ अच्छा आसंजन (चिपचिपाहट) की विशेषता है। कोई तेजी इस मंजिल आक्रामक जैविक पर्यावरण (मोल्ड, फफूंदी) के लिए एक दुर्गम बाधा बना देता है, तो यह कोई संदेह नहीं है बालकनी, बरामदा पर या बाथरूम में रख सकते हैं। नमी प्रतिरोध, गैर विषाक्तता और स्वच्छता भी मंजिल के लक्षण हैं। नकारात्मक क्षणों प्रक्रिया एक आधार है कि दरारें और सतह Shpatlevanie समतल का पूरी तरह से सीलिंग शामिल की काफी श्रमसाध्य शर्त शामिल हैं।
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हापुड़। औरंगाबाद गांव को बुखार ने अपनी चपेट में ले रखा है। दो सप्ताह में पांच लोगों की मौत हो गई। पांचों को रात में खून की उल्टी हुई और अगले दिन दम तोड़ दिया। पांचों बुखार से पीड़ित थे। परिजनों का कहना है कि उन्हें डेंगू था। अभी भी 150 से ज्यादा मरीज घर पर ही झोलाछाप से इलाज करा रहे हैं। लगभग इतने लोग ही किठौर के निजी अस्पतालों में भर्ती हैं।
संचारी और मच्छरजनित रोगों के रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग बीते कई महीने से अभियान चला रहा है। लाखों रुपये का बजट खपा दिया गया है लेकिन धरातल पर इसका कोई लाभ होता नहीं दिख रहा। औरंगाबाद की ग्राम प्रधान के पति हंसराज का कहना है कि कई बार निवेदन के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जायजा नहीं लिया। अब पांच मौत होने पर सीमित संसाधनों के साथ गांव में कैंप लगाया गया है। उन्होंने बताया कि गांव निवासी 28 वर्षीय अनीता और 42 वर्षीय राजकुमार को तेज बुखार हुआ था। निजी अस्पताल में इलाज कराया, रात के समय खून की उल्टियां होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। निखिल (19), कपिल (38), वीरवती (70) ने भी इसी तरह दम तोड़ दिया। गांव में चारों और बुखार को लेकर दहशत है। गांव करीब 150 मरीज गांव में ही झोलाछाप से अपना इलाज करा रहे हैं। लगभग इतने ही मरीज किठौर के निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। बुखार की चपेट में आए कई परिवारों के यहां तो खाना बनाने वाला भी नहीं बचा। पड़ोसी उन्हें खाना बनाकर खिला रहे हैं।
मृतका अनीता के परिजनों ने बुखार के दौरान उसकी जांच कराई थी। प्रयोगशाला ने अनीता के डेंगू एनएस को पॉजिटिव करार दिया था। ब्लड प्लेटलेट्स कम होने के कारण ही ब्लीडिंग होने की बात भी कही थी। अनीता की उम्र महज 28 वर्ष थी, उनकी मौत से दो मासूम बच्चे हैं। परिजनों का रोकर बुरा हाल था।
ग्राम प्रधान हंसराज के बार बार आग्रह करने पर शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में पहुंची। लेकिन चंद दवाएं लेकर ही कैंप को औपचारिकता में निपटा दिया गया। घरों से आने में असमर्थ लोगों को नहीं देखा गया, जो मरीज कैंप में आए उन्हें चुनिंदा दवाएं देकर भेज दिया। औरंगाबाद की आबादी दो हजार से अधिक है, यहां उप स्वास्थ्य केंद्र बना है। सीएचओ की नियुक्ति हो चुकी है लेकिन दवा और संसाधन मुहैया नहीं कराए गए।
औरंगाबाद के पांच किलोमीटर दायरे में पड़ने वाले मुक्तेश्वरा, गोहरा आलमगीरपुर, श्यामपुर, माधापुर, मुरादपुर निजामसर, मुदाफरा समेत कई गांवों में बुखार फैल रहा है।
गांव औरंगाबाद में टीम भेजकर मरीजों की जांच कराई जा रही है। कैंप में दवाएं भी बांटी गई हैं। अब टीम को घर-घर भेजकर खून के सैंपल एकत्र किए जाएंगे। बुखार को रोकने का हर संभव प्रयास है।
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रिकांगपिओ - किन्नौर जिला में निर्माणाधीन 450 मेगावट की शौंगटौंग-कड़छम जलविद्युत परियोजना निर्माण में उपजा मजदूरों का आंदोलन हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन सहित पटेल कंपनी के अधिकारियों की कथित नाकामी का परिणाम है। यह बात प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष एवं किन्नौर के विधायक जगत सिहं नेगी ने रिकांगपिओ में कही। श्री नेगी ने बताया कि यह परियोजना प्रदेश पावर कारपोरेशन बनाएगी, लेकिन कारपोरेशन ने इस परियोजना का निर्माण कार्य पटेल कंपनी को दिया। पटेल कंपनी पिछले दो वर्षो से इस परियोजना का निर्माण कार्य सब कांट्रैक्टरों के माध्यम से करवा रही है। परियोजना के जल्द निर्माण के लिए परियोजना प्रभावित क्षेत्रों की सभी पंचायतों से समय पर ही एनओसी तक प्रदान करवाया गया, ताकि परियोजना का निर्माण समय अबधि पर पूरा किया जा सके। उन्होंने बताया कि परियोजना में कार्यरत कई मजदूर तीन-चार महीने से वेतन न मिलने को लेकर इन दिनों हड़ताल पर चले गए हैं, जबकि पूर्व में हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन, पटेल कंपनी सहित कंपनी द्वारा मान्यता प्राप्त यूनियन इंटक के बीच वार्ता में यह सहमति जताई गई थी कि हर महिने की सात तारीख को सभी मजदूरों के वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। बावजूद इसके मजदूरों को तीन- चार महीने का वेतन नहीं मिलने से नाराज कई मजदूरों के हड़ताल पर चले जाने से परियोजना कार्य ठप पड़ गया है। इससे प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। मजदूरों को समय पर वेतन न मिलने की सूरत में मजदूरों का हड़ताल पर जाने की बात को श्री नेगी ने जायज बताया। उन्होंने कहा कि सरकार के सम्मुख इस पूरे मामले को उठाकर प्रदेश पावर कारपोरेशन व पटेल कंपनी के अधिकारियों के विरुद्ध लेवर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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महिला सुरक्षा के लिए मोदी सरकार के किए गये कामकाज को कांग्रेस ने दूसरा तिकड़म बताया है। आप खुद देखिए कि ये तिकड़म है या महिलाओं की जिन्दगी में फर्क पैदा करने वाले काम।
तिकड़म या महिलाएं हुईं सशक्त?
उज्जवला योजना : दो करोड से ज्यादा गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए गैस कनेक्शन और चूल्हा मुफ्त में दिए गये। उन्हें धुएं भरी जिन्दगी से छुटकारा मिला।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान : इस अभियान से पूरे देश में लिंगानुपात में सुधार आया। हरियाणा में सेक्स रेशियो सुधर 950 हो गया।
सुकन्या समृद्धि योजना : इस योजना के तहत से 1 करोड़ से ज्यादा अकाउन्ट खोले गये। 11 हजार करोड़ रुपये बच्चे के भविष्य के लिए सुरक्षित हुए।
मुद्रा योजना : इस योजना के तहत पौने आठ करोड़ छोटे उद्यमियों को फायदा हुआ। इनमें आधी महिलाएं हैं। 3. 17 लाख करोड़ के ब्याज मुक्त ऋण दिए गये।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना : इस योजना के तहत करीब 11 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया और उन्हें कौशल बनाया गया।
मातृत्व अवकाश : केंद्र सरकार ने मातृत्व अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ता कर दिया गया।
गर्भवती महिलाओं को मदद : गर्मभवती हिलाओं को 6000 रुपये की मदद दी जाने लगी ताकि उन्हें गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार की कमी ना हो।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान : इसके तहत 33 लाख महिलाओं का चेकअप हुआ है। गर्भावस्था में सुरक्षा को अभियान का रूप दिया गया।
स्टैंड अप इंडिया : इस योजना में एससी-एसटी महिलाओं को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ तक के ऋण उपलब्ध कराए गये ताकि उनकी उद्यमिता को बढ़ाया जा सके।
नयी रोशनी : अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए नयी रोशनी योजना के तहत नेतृत्व विकास की योजना शुरू हुई। 2 लाख महिलाओं को इसका फायदा मिला।
सशस्त्र सेना में महिलाएं : पहली बार 3 महिला फाइटर पायलट इंडियन एयर फोर्स में शामिल हुई।
महिला ए हाट : महिला उद्यमियों के वित्तीय समावेशन और बाजार के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने की कोशिश की गयी।
पासपोर्ट बनाना आसान : महिलाओं के लिए पोसपोर्ट बनाना आसान हुआ। शादी या तलाक का सर्टिफिकेट देना जरूरी नहीं। पिता या मां का नाम लिख सकती हैं।
महिला पुलिस स्वयंसेवी पहल : इस पहल के तहत महिलाओं को परेशानी से बचाने के लिए महिला पुलिस गांवों में सक्रिय रहती हैं। हरियाणा के करनाल और महेंद्रगढ़ में इसका पहला प्रयोग हुआ।
पॉक्सो ई बॉक्स : बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की शिकायत अब ऑनलाइन भी किया जाना संभव हुआ।
दफ्तर में सुरक्षा : दफ्तर में यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने और इसके खिलाफ लड़ने के लिए ई-प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया गया है। ऑनलाइन शिकायत संभव हुआ।
मोबाइल फोन हैंडसेट में पैनिक बटन : महिलाओं की सुविधा के लिए मोबाइल में जीपीएस सिस्टम के साथ-साथ पैनिक बटन शुरू किया गया है। इससे खतरे की स्थिति में वह आपात सिग्नल परिजन-पुलिस को भेज सकती हैं।
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VARANASI: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ग्रेजुएशन में ख्0क्ख् में फर्जी तरीके से हुए 8ब् एडमिशन के मामले की जांच में तेजी आ गयी है। सोमवार को कैंपस पहुंचे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आईडी सिंह ने यूनिवर्सिटी के तीन स्टूडेंट्स का बयान दर्ज किया। गेस्ट हाउस में ठहरे जज ने दोपहर में मोहित सिंह, अजय पाल के साथ ही पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील सिंह से लिखित बयान लिया। इन स्टूडेंट्स ने फर्जी एडमिशन से जुड़े मामले में अपना पक्ष दो-दो पेज में लिखकर दिया। बताया जाता है कि रिटायर्ड जज आईडी सिंह क्म् जून को भी इस मामले की जांच पड़ताल करेंगे। दूसरी ओर छात्रनेता मोहित सिंह ने इन फर्जी एडमिशन को कैंसिल करने के लिए वीसी डॉ। पी नाग को पत्रक दिया।
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इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने यमन की तीन बंदरगाहों से इस देश के सैनिकों की वापसी को स्वीडन समझौते के पालन की राह में एक सार्थक क़दम बताया है।
विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अब्बास मूसवी ने सोमवार को कहा कि अलहुदैदा, रासईसा और अस्सलीफ बंदरगाहों से यमनी सैनिकों की वापसी जहां स्वीडन समझौते से उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है वहीं सऊदी अरब द्वारा इस समझौते के उल्लंघन का भी प्रमाण है।
विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने, ईरान द्वारा स्टाॅकहोम समझौते के पुनः समर्थन पर बल देते हुए उसके पालन को, यमन में व्यापक राजनीतिक समाधान की भूमिका बताया और सऊदी अरब और यूएई द्वारा समर्थित छापामारों की ओर से इस समझौते के उल्लंघन का उल्लेख करते हुए आशा प्रकट की है कि संयुक्त राष्ट्र संघ और प्रभावशाली देश, सऊदी गठबंधन पर दबाव डाल कर उसे समझौते के पालन पर मजबूर करेंगे। (Q. A. )
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लखनऊ कमिश्नरेट की दो जोन की पुलिस ने शुक्रवार को सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) की तलाश में गोमतीनगर स्थित सहारा सिटी व कपूरथला स्थित मुख्यालय पर छापा मारा। करीब दो घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान पुलिस टीम ने दोनों स्थानों पर हर केबिन व कमरों की तलाश की लेकिन सुब्रत रॉय पुलिस के हाथ नहीं लगे। डीसीपी उत्तरी के मुताबिक उनके खिलाफ बिहार शरीफ नालंदा उपभोक्ता फोरम ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। जिसके बाद गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई है।
डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी के मुताबिक सहारा के प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) के खिलाफ बिहार शरीफ नालंदा उपभोक्ता फोरम में इजराय वाद संख्या 55/2021 दाखिल हुआ था। जिसमें सहारा प्रमुख पर तीन लाख रुपये हड़पने का आरोप है। इस मामले में उपभोक्ता फोरम के न्यायाधीश ने 29 नवंबर को सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। इस वारंट की तामील व सुब्रत रॉय गिरफ्तारी के लिए फोरम ने लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस को 10 दिसंबर 22 का समय दिया था। वारंट मिलने के बाद शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे पुलिस की दो टीमों ने दो अलग-अलग स्थानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की।
डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी के नेतृत्व में एडीसीपी उत्तरी अभिजीत आर शंकर, एडीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास, एसीपी गोमतीनगर वीरेंद्र विक्रम, इंस्पेक्टर गोमतीनगर दिनेश चंद्र मिश्रा, गोमतीनगर विस्तार अनिल कुमार सिंह व सैकड़ों पुलिसकर्मियों की टीम अंबेडकर पार्क के पास स्थित सहारा सिटी पहुंची।
दो बजे से चार बजे तक पुलिस टीम ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) के बंगले की तलाशी ली। डीसीपी के मुताबिक अंदर सुब्रत रॉय नहीं मिले। उनकी तलाश की जा रही है। वहीं उनके परिजनों के नंबर कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों से लिए जा रहे हैं। जिसे सर्विलांस पर लगाया जाएगा। उधर, अलीगंज के कपूरथला चौराहे पर स्थित सहारा इंडिया के मुख्यालय पर भी पुलिस टीम ने दबिश दी। इस टीम का नेतृत्व में एसीपी गाजीपुर विजय राज सिंह व एसीपी अलीगंज आशुतोष कुमार कर रहे थे। इस टीम में गाजीपुर, अलीगंज, मड़ियांव थाने की टीम मौजूद थी। टीम ने हर केबिन को खंगाला लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा।
वहीं सुब्रत रॉय की तलाश में दिल्ली, राजस्थान व मध्य प्रदेश की पुलिस भी जुटी है। वहां पर उनके खिलाफ कई केस दर्ज हैं। दिल्ली पुलिस की टीम ने दो दिनों से गोमतीनगर इलाके में डेरा डाल रखा है। तो राजस्थान की पुलिस कुछ दिन पहले आई थी, लेकिन वह भी खाली हाथ चली गई। मध्य प्रदेश की पुलिस कई बार दबिश दी, लेकिन उसके हाथ सुब्रत रॉय नहीं लगे। पुलिस के मुताबिक सुब्रत रॉय के खिलाफ कई मुकदमें दर्ज हैं।
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फ्रांसीसी क्रिया क्रॉइज़र का मतलब है "गुना करना" या "पार करना, पास करना, या कटौती करना। " यह क्रिया ट्रैवर्स (पार करने के लिए) से थोड़ा अलग अर्थ है।
अतीत, वर्तमान, या भविष्य के काल में क्रॉइज़र का उपयोग करने के लिए, इसे संयुग्मित करने की आवश्यकता है । फ्रांसीसी छात्र जो संयोग से डरते हैं उन्हें यह जानकर खुशी होगी कि यह एक बहुत सरल है।
क्रॉइज़र एक नियमित-क्रिया है और यह कन्फियर ( confide ) , कैचर (छुपाने के लिए) , और कई अन्य क्रियाओं जैसे समान क्रियाओं के क्रिया संयोग पैटर्न का पालन करता है।
यह फ्रेंच भाषा में सबसे आम पैटर्न है और आपके द्वारा सीखने वाले प्रत्येक नए के साथ संयोग आसान हो जाता है।
क्रॉज़र को संयोजित करने के लिए, आप क्रॉइस के क्रिया स्टेम से शुरू करेंगे -। इसके लिए , विषय सर्वनाम के साथ-साथ तनाव के अनुसार विभिन्न प्रकार के आम अंत को जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए, "आई फोल्ड" " जे क्रॉइस " है और "हम फोल्ड करेंगे" " nous croiserons " है।
क्रॉइज़र का वर्तमान भाग इतना आसान है। बस जोड़ें - स्टेम के लिए चींटी और आप क्रॉइसेंट है । यह एक क्रिया के रूप में काम करता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में विशेषण, जीरूंड या संज्ञा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
अपूर्णता पिछले काल के लिए आपका एकमात्र विकल्प नहीं है "folded। " आप इसके बजाय पास कंपोज़ का उपयोग कर सकते हैं।
ऐसा करने के लिए, विषय सर्वनाम के अनुसार सहायक क्रिया avoir conjugate, तो पिछले भाग croisé जोड़ें।
एक उदाहरण के रूप में, "मैं folded" बन जाता है " jai croisé " और "हम folded" है " nous avons croisé । "
वे सबसे महत्वपूर्ण संयोग हैं, हालांकि आपको अपने फ्रेंच में निम्न में से किसी एक की आवश्यकता हो सकती है या सामना कर सकते हैं।
उपजाऊ और सशर्त किसी प्रकार की अनिश्चितता या क्रिया को प्रश्न देते हैं। उन लोगों को सरल सरल और अपूर्ण उपजाऊ से अधिक बार उपयोग किया जाता है, जो ज्यादातर लिखित में पाए जाते हैं।
अनिवार्य रूप भी उपयोगी हो सकता है और यह उन सभी में से सबसे आसान है। अनिवार्य रूप से क्रॉइज़र का उपयोग करते समय , विषय सर्वनाम की कोई आवश्यकता नहीं हैः " tu croise " के बजाय " क्रॉइस " का उपयोग करें ।
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ALLAHABAD: सोरांव थाना क्षेत्र में फाफामऊ रेलवे स्टेशन रोड निवासी पवन मिश्र उर्फ सूरज की गोली मारकर हत्या कर दी गई। रविवार सुबह बेला कछार में उसका शव मिलने के बाद हड़कंप मच गई। पुलिस ने पहचान के बाद परिजनों को घटना की जानकारी दी। मौके से शराब की बोतल, दो गिलास और खोखा मिला है।
पवन की मां पूनम मिश्रा ने बताया कि शनिवार की शाम लवकुश मिश्रा और आलोक सरोज घर से पवन को बुलाकर ले गए थे। रात में पवन नहीं लौटा। सुबह हत्या की सूचना घर पहुंची। पवन की कनपटी पर दाहिनी तरफ गोली मारी गई है। बदन पर जख्म के भी निशान मिले हैं। लवकुश को गिरफ्तार कर पुलिस ने पिस्टल बरामद किया है। पुलिस के मुताबिक शराब पीते समय किसी बात को लेकर इनके बीच विवाद हुआ। ये इतना बढ़ा कि लवकुश ने पवन को गोली मार दी।
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डिसक्लेमरःयह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारतटाइम्स. कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।
नासिक, 11 अगस्त, भाषा महाराष्ट्र के नासिक में आठ महीने के एक बच्चे की गुब्बारा निगलने से दम घुटने के कारण मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
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देश और दुनिया भर में चल रहे कोरोना वायरस के बीच कुछ खबरें ऐसी आती हैं जो कि सुकून पहुंचाने वाली होती हैं। एक ओर जहां लोग लोगों की मदद कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सितारे भी दिल खोलकर दान कर रहे हैं। शाहरुख खान इस समय मुंबई में लोगों की काफी मदद कर रहे हैं और पैसे डोनेट करने के साथ साथ उन्होने कुछ समय पहले अपना ऑफिस भी लोगों को क्वारंटीन करने के लिए दे दिया था।
लेकिन अब जो खबर उनको लेकर सामने आ रही है वो काफी शानदार है। दरअसल उनकी क्रिकेट टीम भी लोगों की मदद कर रही है। हम बात कर रहे हैं शाहरुख खान की क्रिकेट टीम. . ट्रिनबागो नाइट राइडर्स ने खाने के पैकेट बांटें हैं और ये खबर काफी तेजी से वायरल हो रही है। बता दें कि ये टीम कैरिबियाई प्रीमियर लीग में खेलती है।
फिल्म?
सामने!
जब शादीशुदा धर्मेंद्र ने तनुजा के साथ कर दी ऐसी हरकत, भड़कीं एक्ट्रेस, सेट पर ही जड़ दिया तमाचा, कहा- बेशर्म. .
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GORAKHPUR: अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए गोलघर स्थित मेन पोस्ट ऑफिस में लगाए गए बोर्ड बेकार होते जा रहे हैं। वजह है कि ऑफिस के चारों ओर नगर निगम के फ्लैक्स बोर्ड लगे हुए हैं जिसकी वजह से बाहर से गुजरने वाले लोगों को अंदर कुछ दिखाई नहीं देता है। नगर निगम की ओर से लगाए गए फ्लैक्स बोर्ड्स के कारण पूरा पोस्ट ऑफिस ढक गया है। पोस्ट मास्टर की ओर से नगर आयुक्त को इस बारे में लिखित तौर पर अवगत कराया जा चुका है। बावजूद इसके नगर निगम की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।
डाक विभाग की ओर से शहर के दोनों मेन पोस्ट ऑफिस कूड़ाघाट व गोलघर में एटीएम मशीन लगाए जा चुके हैं। सिटी के सेंटर में होने के बावजूद गोलघर मेन पोस्ट ऑफिस के बाहर लगे एटीएम के यूजर बेहद कम हैं। इसका कारण है कि एटीएम मशीन के बाहर ही बड़ा सा फ्लैक्स लगा हुआ है जिसके कारण राहगिरों को मशीन नजर ही नहीं आती है। जबकि पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों का दावा है कि एटीएम में हमेशा कैश रहता है लेकिन यूजर्स को इसकी जानकारी ही नहीं हो पाती है।
बोर्ड हटाने लिए पोस्ट ऑफिस की ओर से लिखित व मौखिक दोनों स्तर से शिकायत की जा चुकी है। पोस्ट मास्टर लक्ष्मी नरायण ने बताया कि फ्लैक्स बोर्ड हटवाने के लिए नगर निगम को कई बार लेटर जा चुका है। उन्होंने बताया कि डीएम के साथ हुई मीटिंग में भी इसका जिक्र कई बार किया जा चुका है। पर निगम के अधिकारी बार-बार बात को टाल देते हैं।
फ्लैक्स बोर्ड के कारण पोस्ट ऑफिस का नाम तक राहगीर नहीं देख पाते हैं। कई बार लेटर लिखने पर भी नगर निगम के अधिकारियों ने कुछ नहीं किया।
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अभिनेत्री हंसिका मोटवानी शादी के बंधन में बंधने वाली हैं। जी दरअसल वह जल्द ही मंगेतर-बिजनेसमैन सोहेल कथूरिया के साथ शादी करने की तैयारी में हैं। अब इन सभी के बीच उनकी शादी का जश्न जयपुर में शुरू हो गया है। हाल ही में दुल्हन की मेहंदी रस्म की कई तस्वीरें और वीडियो सामने आ गए हैं। जी दरअसल आज शुक्रवार को यह वीडियो और तस्वीरें ऑनलाइन शेयर की गई है। आप देख सकते हैं इस मौके के लिए हंसिका ने लाल और पीले रंग का एथनिक आउटफिट पहना था, जबकि सोहेल ने पीच और क्रीम एथनिक लुक चुना था।
आज यानी शुक्रवार को एक फैन अकाउंट द्वारा इंस्टाग्राम पर साझा की गई एक क्लिप में, हंसिका को पैर में मेहंदी लगाते हुए देखा गया। हंसिका सोफे पर सोहेल के बगल में बैठी थीं। आपको बता दें कि हंसिका बीते गुरुवार को अपने परिवार के साथ मुंबई से निकली और उन्हें एयरपोर्ट पर देखा गया। वहीं एक क्लिप में, हंसिका को अपनी मां और एक अन्य व्यक्ति के साथ पोज देते हुए देखा गया था। उस दौरान पैपराजी ने एयरपोर्ट पर उन्हें शादी की बधाई दी, तो हंसिका ने 'थैंक्यू' कहा था।
आपको बता दें कि हंसिका और सोहेल आने वाले रविवार यानी 4 दिसंबर को शाम को शादी के बंधन में बंधेंगे। दोनों की शादी जयपुर के मुंडोता किले में परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में होने वाली है, हालाँकि इससे अधिक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। फिलहाल इन मेहंदी की रस्म की तस्वीरों को फैंस पसंद कर रहे हैं।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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पिताजी के उस गाँव में ही था, तभी का किस्सा है। लीजिए, अब आप नहीं मान रहीं तो सुनिए - शुरू से बता रहा हूँ । हाँ, तो होऊँगा कोई छः-सात साल का ! शहर से पिताजी के दोस्त देवनारायण वकील आए उनके पास पिता जी ने बुलाया था। पिकनिक का प्रोग्राम था। तभी मैंने पहली बार नलिनी को देखा था । बालों में रिबन बाँधती थी। रंग-बिरंगे फ्रॉक पर हल्के हरे रंग का छोटा-सा चेस्टर पहने वह बिल्कुल गुड़िया- सी लगती थी। मैं लाख जमींदार का लड़का सही, लेकिन था तो गाँव का ही । गेलिस लगाकर एक ढीला-ढाला हाफ पैंट और एक कोट पहने था । उससे बोलने की बड़ी इच्छा होती थी, पर संकुचित होकर रह जाता। सुबह छः बजे ही वे लोग कार से आ गए थे, वकील साहब भीतर थे, पिताजी से बातें कर रहे थे। हम दोनों नाश्ता इत्यादि करके बाहर धूप में दूर-दूर ही घूम रहे थे, शायद संकोच यह था कि कौन पहले बोले । हमारे घर के सामने ही थोड़ी-सी जगह छोड़कर आम रास्ता था, उसके दूसरी ओर एक छोटा-सा कच्चा तालाब- पोखर । आठ-दस बतखें तैर रही थीं, हम लोग थोड़ी देर उन बतखों को देखते रहे, कभी-कभी कनखियों से एक-दूसरे को भी आपस में देख लेते। अचानक अपने हाथों को अपनी जेबों में और भी अधिक धँसाकर वह बोली- 'देखो न कितना जाड़ा है, बतखों को जाड़ा नहीं लग रहा ।' मैंने धीरे-से कहा- 'ये तो ऐसे ही तैरती रहती हैं।' इसके बाद तो वह बिल्कुल मेरे पास आकर दुनिया भर की बातें करने लगी। उसके बोलने के बेझिझक ढंग को देखकर तभी मैं चकित रह गया । दुनिया भर की तो उसे वातें याद थीं; और बड़ी बातूनी। उसने सब बताया जिस स्कूल में वह पढ़ती है, उसमें कौन टीचर अच्छी है, कौन बुरी; किस-किस लड़की से उसकी अधिक मित्रता है । जिस 'वस' में वह जाती है उसका नम्बर क्या है। ख़ैर, उस दिन उसने खूब बातें कीं। मैं विल्कुल चुप रहा; क्योंकि मेरे पास कुछ भी नहीं था । फिर भी हम दो दिनों में खूब घुल-मिल गए थे। कैरम वह बड़ा अच्छा खेल लेती थी । एक दिन बैठकर उसने मुझे शतरंज की चालें समझाई। पर भई, मेरी समझ में तो कुछ आया नहीं। ख़ैर, पिकनिक के पश्चात् जब वे लोग चले गए तो अचानक मुझे लगा, जैसे दुनिया में कोई काम करने को ही नहीं रह गया है। फिर तो जब भी पिताजी के साथ शहर जाते, उनके यहाँ जरूर जाते। लेकिन थोड़े दिन घर रहकर वह अपने किसी सम्बन्धी के यहाँ चली गई।
"मेरी पढ़ाई भी चलती रही ।" सुधीन्द्र भाई कुछ रुके। तभी मैंने देखा, धीरे-धीरे कुनमुनाता हुआ वह पापा रह-रहकर जीजी को नोचता हुआ अपनी जिद को चालू रखे हुए है। अदम्य इच्छा हुई, जोर से एक चाँटा मारकर धकेल दूँ। न बातें करने देता है, न कुछ सुनता है। बड़े लाड़ले आए ! पर जैसे-तैसे अपनी इस इच्छा को दबाया । निश्चय कर लिया कि इस बार इसने बातों में ज़रा विघ्न डाला तो कान पकड़कर बाहर निकाल दूँगा, फिर चाहे जीजी जो बकती रहें ।
"मैट्रिक कर लेने के पश्चात् वकील साहब और पिता जी के बीच एक अच्छा-खासा विवाद उठ खड़ा हुआ कि कॉलेज में पढ़ाई जारी रखने के लिए मैं हॉस्टल में रहूँ या वकील साहब के यहाँ, पिता जी हॉस्टल के पीछे पड़े हुए थे। क्योंकि दो-चार महीने
386 // हमारे युग का खलनायक : राजेन्द्र यादव
की बात होती तो कुछ नहीं था। खैर मैं यहाँ हॉस्टल में आया । वकील साहब ने आज्ञा दे दी कि दिन में एक बार यहाँ जरूर आओगे। हॉस्टल में अच्छी तरह जम लेने के बाद मैं वकील साहब के यहाँ जाने लगा । एकाध घण्टा बैठता और चला आता । वकीलनी (जिन्हें मैं चाची कहता था) और वकील साहब से ही बातें करता था। बातों में वह नलिनी की तारीफ करते, हमारी नलिनी ऐसी है, वैसी है, यों पढ़ने में तेज है, यों खेलने में होशियार है। एकाध बार तो मैंने सुना, फिर मुझे झुंझलाहट आने लगती। क्योंकि उसकी प्रशंसा करते वह थकते नहीं थे और मुझे लगता था, जैसे उनके कहने का बस इतना ही मतलब है - तुम चाहे जितने होशियार हो, नलिनी तुमसे लाख दर्जे इंटेलिजेंट है। अक्सर वह पूछते, कुछ तकलीफ तो नहीं है। रोज ही कुछ-न-कुछ खिला देते। मैंने वहाँ सेकेंड इयर किया, और छुट्टियों के पश्चात् जब मैं वहाँ गया तो बताया गया कि नलिनी अब वहीं आ गई है। मैट्रिक में फर्स्ट पास हुई है, सेकेण्ड पोजीशन है। यहीं पढ़ेगी। कभी-कभी मैं उसके विषय में सोचा करता, न जाने कैसी होगी। हम लोग सन् छत्तीस में मिले थे और अब था पैंतालीस । नौ-दस वर्ष का अन्तर बहुत होता है। तभी वकील साहब ने उसे बुलाया- 'चाय ले आओ नलिनी' । और नलिनी चाय का ट्रे लेकर आई। मैं बुरी तरह चौंक गया। पहली जो कुछ धुंधली नलिनी मेरे मानस पटल पर थी, उसकी इससे कोई तुलना नहीं थी। हमने शालीनता में नमस्कार किया। नलिनी ने चाय की ट्रे रखकर नमस्कार का उत्तर दिया, मुस्कराकर, और बेझिझक वकील साहब के पास बैठ गई ।...
'भाई साहब फर्स्ट डिवीजन में पास होने की मिठाई तो खिलवाइए ।' मैं चकित रह गया । लाख बचपन में मिले सही, लेकिन मैं तो एकदम किसी अनजान लड़के से भी इस तरह नहीं बोल सकता। फिर वह तो पन्द्रह वर्ष की लड़की थी जो धोती में सिमटी-सिमटाई-सी अपने में ही लीन हो जाने की चेप्टा किया करती है। उसकी वाणी, व्यवहार, किसी में भी कोई झिझक, संकोच या लज्जा मुझे नहीं लगी, इसके विपरीत मैं स्वयं ही सोच में था कि क्या उत्तर दूँ । चाय बन गई थी, तभी अपना कप उठा कर वकील साहब ने कहा- 'तुम तो भूल-भाल गए होगे, यह तो वही नलिनी है, जो तुम्हारे यहाँ गई थी, यह चुड़ैल कुछ भी नहीं भूलती - न मालूम बचपन से ही ऐसी याददाश्त लेकर पैदा हुई है। छोटी-से-छोटी बात सब इसे याद है ।'
'इन्हें क्यों याद होगा - हारते थे न, जिस खेल को देखो, उसी में गोल रहे थे । मिठाई चाहे जब खिलवाइए, लेकिन चाय क्यों ठण्डी किए डालते हैं?" और वह कुटिलता से मुस्कराकर कप पर झुक गई । मैं उसकी ओर सीधे देखने का साहस नहीं कर सका। इधर-उधर भागती दृष्टि को समेट कर उस ओर लाने की चेष्टा करता, पर जैसे वह वहाँ पहुँचकर किसी शक्ति से छिटक उठती । उसके इस उत्तर पर भी मैं कुछ नहीं बोला ।
'भाई साहब! आप तो बहुत ही शरमाते हैं।' उसने फिर कोंचा। इस बार मेरा सारा संकोच जैसे इस वाक्य की प्रतिक्रिया से क्षोभ बन उठा । बड़ी असभ्य लड़की है। मन में सोचा -- जब से आई है, कुछ-न-कुछ बोले ही जा रही है। जब मैं नहीं बोलना
खेल-खिलौने // 387 |
इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए आईपीएस अधिकारी दीपांशू काबरा लिखते हैं, 'शुरुआत चाहे जैसी भी रही हो, फिनिश हमेशा स्टाइल से होनी चाहिए। सुप्रभात। ' वीडियो में देखा जा सकता है कि आखिर कैसे एक शख्स सड़क पर वर्कआउट करने के लिए जैसे ही झुकता है वैसे ही वो गिर जाता है। वो पीछे को उल्ट ही जाता है। लेकिन वो फिर से उठकर पुशअप्स मारने लगता है और रुकता नहीं।
खबर लिखे जाने तक इस वीडियो को 3 लाख से ज्यादा तो व्यूज मिल चुके हैं। वहीं एक यूजर ने लिखा कि बंदा तो ओलंपिक के लायक है सर। कुछ लोगों को यह वीडियो पसंद आया तो कुछ ने शख्स का मजाक बनाया। पर एक बात है कि बंदा गिरने के बाद उठा और फिर से शिद्दत के साथ वर्कआउट करने लगा। इस बात से कुछ सीखना चाहिए। बता दें कि बीते दिनों फरीदाबाद से एक वीडियो सामने आया था। जिसमें एक शख्स अपने फ्लैट के बाहर से लटककर वर्कआउट कर रहा था। यह वीडियो काफी डरा देने वाला था।
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नई दिल्ली, (भाषा) घरेलू आर्थिक मोर्चे पर उत्साहवर्धक समाचारों से देश के शेयर बाजारों में अगले सप्ताह लिवाली का समर्थन बने रहने की उम्मीद है। हालांकि वैश्विक परिदृश्य को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है जिससे बाजार की तेजी प्रभावित हो सकती है। औद्योगिक उत्पादन के पिछले सप्ताह घोषित आंकड़ों ने बाजार में निवेशकों का उत्साह बढ़ा दिया था। अप्रैल 2010 में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 17. 6 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर रही। इसमें विनिर्माण क्षेत्र का सर्वाधिक योगदान रहा। उधर, ब्रांडबैंड वायरलेस एक्सेस ः बीडब्ल्यूए ः सेवा की नीलामी प्रक्रिया पूरी हो गयी और सरकार को उम्मीद से कहीं अधिक राजस्व मिलेगा। इससे पहले 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से भी सरकारी खजाने में काफी धन पहुंचा। कुल मिलाकर सरकार का राजकोषीय घाटा हल्का होगा। ये सभी समाचार बाजार में उत्साह बढ़ाने वाले रहे और इससे उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह शेयर बाजार पर अनुकूल असर बना रहेगा। कारोबारियों के अनुसार मानसून की प्रगति संतोषजनक है जिसका आने वाले सप्ताह में कारोबार पर अनुकूल असर हो सकता है। कंपनियों के अग्रिम कर भुगतान से भी बाजार की दिशा तय होगी। अग्रिम कर अदायगी कंपनी के प्रदर्शन का भी द्योतक होता है। बंबई शेयर बाजार में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सेंसेक्स 53 अंकों की गिरावट दर्शाता शुक्रवार को 17,064. 95 अंक पर बंद हुआ। मानसून के पुनर्जीवित होने और औद्योगिक उत्पादन के बढ़ने के आंकड़े सामने आने के बाद बंबई सेंसेक्स आरंभिक हानि की स्थिति से काफी हद तक उबर गया। सप्ताह के दौरान बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक 17,000 अंक के स्तर से नीचे 16,560. 64 चला गया था जब निवेशकों ने मुनाफावसूली की बिकवाली बढ़ा दी थी। सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों के विनियमन के फैसले को टालने के बाद आरंभ में सार्वजनिक उपक्रम की तेल विपणन कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी।
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चाट का नाम लेते ही मुहं में पानी आने लगता हैं और चाट जब इतनी टेस्टी और चटखारेदार हो तो कैसे खुद को खाने से कोई रोक पाएं। पालक के पत्तो से बनी ये चाट खट्टी-मीठी और बहुत स्वादिष्ट हैं। चाट बनाने के लिए पहले पालक के पकौड़े बनाने होगे उसके बाद पकौड़ो से चाट बनाकर खाएं।
पालक पत्ता चाट बनाने के लिए सबसे पहले आप पालक के पत्तो को पानी से धोकर इनको किसी कपड़े पर फैला ले। जिससे इनका पानी सूख जाएं। (पत्तो को कपड़े से पोछ भी सकते हैं)
उसके बाद पकौड़ो के लिए बेटर बनाकर रख ले। एक मिक्सिंग बाउल में बेसन, (बेसन को छानकर ले) चावल का आटा, स्वाद अनुसार नमक, हल्दी पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डालकर सब चीजों को पहले हैण्ड विस्कर से मिक्स कर ले।
फिर इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर मिक्स करते हुए इस कंसिस्टेंसी का बेटर बना ले। कि जब आप पालक के पत्ते को बेटर में डालकर डिप करे तो बेटर पत्ते पर आसानी से कोट हो जाएं।
बेटर बनाने के बाद इसको 2 से 3 मिनट अच्छी तरह से फेटकर ढककर बेटर को 10 मिनट के लिए रख दे। 10 मिनट बाद एक कढ़ाई में पकौड़ो को फ्राई करने के लिए ऑइल डालकर गर्म होने के लिए रख दे।
जब ऑइल मीडियम हाई गर्म हो जाएं, तब बेटर को एक बार मिक्स करने के बाद इसमें पालक का एक पत्ता लेकर बेटर में डालकर अच्छे से कोट करने के बाद गर्म ऑइल में डाल ले। इसी तरह से जितने पालक को पत्ते आपकी कढ़ाई में आयें उतने बेटर में कोट करके डाल ले। फिर मीडियम आंच पर पकौड़ो को दोनों साइड से गोल्डन होने तक फ्राई करके टिशु पेपर पर निकालकर रख ले।
इसी तरह से सारे पकौड़े बनाकर रख ले। अब दही में चीनी डालकर अच्छी तरह से फेट ले। जिससे चीनी दही में घुल जाएं और दही स्मूथ हो जाएं(दही में चीनी मिलाकर दही को पकौड़े पर डालने से चाट और भी ज़्यादा टेस्टी लगती हैं)
अब पकौड़ो को एक प्लेट में लगाकर इनके ऊपर दही, इमली की चटनी, हरी चटनी डालकर कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर, काला नमक, चाट मसाले को स्प्रिंक्ल कर ले उसके बाद सेव और बूंदी डालकर सजा ले।
आपकी पालक पत्ता चाट बनकर रेडी हैं ये चाट देखने में इतनी तेम्टिंग लगेगी की चाट को देखते ही आपके मुहं में पानी आने लगेगा।
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राहुल गांधी ने बुधवार को लोकसभा में केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने रोहित वेमुला की आत्महत्या, जेएनयू विवाद, कालाधन समेत कई मुद्दों को लेकर मोदी पर हमलावर रुख अपनाया। राहुल के इस तीखे तेवर की चर्चा जोरशोर से सोशल मीडिया खासतौर पर टि्वटर पर भी हुई। कुछ लोगों ने जहां राहुल की स्पीच की तारीफ की, वहीं कुछ ने उनका मजाक उड़ाते हुए उनकी स्पीच की तुलना कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो से की। कुछ टि्वटर यूजर्स ने राहुल की कही गई बातों पर चुटकी भी ली। मसलन-राहुल ने कहा कि वे आरएसएस से नहीं हैं, इसलिए गलती कर जाते हैं। टि्वटर यूजर्स ने पूछा कि क्या राहुल आरएसएस की तारीफ कर रहे हैं, जिनके लोग कभी गलती नहीं करते।
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Rahul Gandhi in Lok Sabha 😄😄😄 What a joker! ! ! ! ... Enjoyed his comedy.
In many ways Rahul Gandhi in Lok Sabha reminds me of Yuvraj. . born with talent, can scorch amazing innings, but must be more consistent. .
Rahul Gandhi in Lok Sabha came with mom nd followers, had some fun reading a speech, wasted valuable time of Lok Sabha.
Rahul Gandhi in Lok Sabha is the only reason that people are not missing Kapil's show.
My Gandhi, Your Savarkar.
My Muslim, your Hindu,
Rahul does a Smriti Irani in Parliament ! High decibel !
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भारतीय टीम (Team India) के अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ भुवनेश्वर कुमार के लिए पिछला कुछ समय बिल्कुल भी अच्छा नहीं गुज़रा है. खासकर वह डेथ ओवर में जमकर रन लुटा रहे हैं और अपनी गेंदबाज़ी से मैच में प्रभाव डालने में भी नाकाम हो रहे हैं.
वहीं भुवी रन देने के साथ-साथ विकेट लेने में भी असफल हो रहे हैं. यह सिलसिला काफी वक्त से चलता आ रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी भुवनेश्वर को बैक किया जा रहा है और उनको जमकर मौके दिए जा रहे हैं. हालांकि यह गलती शायद बीएसीसीआई के नए प्रेजिडेंट रोजर बिन्नी ना होने दें और भुवनेश्वर कुमार को जल्द ही टीम से ड्रॉप कर दें.
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उत्तर भारत में एक और इंटरनेशनल टूरिस्ट स्पॉट खुल गया है। करीब 56 बरसों बाद इसे खोला गया। यह इंटरनेशनल टूरिस्ट स्पॉट है चंडीगढ़ का कैपिटल कॉम्पलेक्स।
हालांकि इसी आधिकारिक ओपनिंग 12 अप्रैल को गई थी, लेकिन पब्लिक के लिए इसे 15 अप्रैल को खेला गया। पहले दिन 34 पर्यटक इसका दीदार करने के लिए पहुंचे।
पहले दिन पहुंचे 34 पर्यटकों में 14 विदेशी पर्यटक थे, जिन्होंने कॉम्प्लेक्स का भ्रमण किया। ये पर्यटक फ्रांस, स्विट्जरलैंड और जापान से आए थे। पर्यटकों में आर्किटेक्ट और आर्किटेक्ट का कोर्स कर रहे स्टूडेंट्स की संख्या अधिक रही।
आयकर विभाग में इंस्पेक्टर हरदीप सिंह ढिल्लो कैपिटल कॉम्प्लेक्स में पास बनाने वाले पहले विजिटर रहे। ढिल्लो ने बताया कि कई दिनों से अखबारों में कैपिटल कांप्लेक्स के बारे में पढ़ा तो वीकेंड तक भी नहीं रुका गया और छुट्टी लेकर सुबह ही सबसे पहले टूरिस्ट इन्फार्मेशन सेंटर पहुंच गया।
पुर्तगाल से ली कार्बूजिए का वर्क देखने पहुंची आर्किटेक्ट बंदेरा फिरेरा एना कैटरीना ने बताया कि अभी तक इस बारे में सिर्फ पढ़ा था। आज साक्षात देखने का मौका मिला। बिल्डिंग का डिजाइन और उसमें इस्तेमाल की गई सामग्री नई जेनरेशन के लिए प्रेरणा है।
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"आपकी जो कुछ आज्ञा होगी, मैं सिर - आँखों से पूरी करूँगी ।" पिताजी- -- तुम प्रतिज्ञा करती हो ?
मैं - जी हाँ ।
पिताजी - इस प्रतिज्ञा को पूरा कर दिखाओगी ?
मैं - जहाँ तक मेरा वश चलेगा, मैं निश्चय यह प्रतिज्ञा पूरी करूंगी। पिताजी - यह मेरी तलवार लो । जब तक तुम
पूत के कलेजे में न भोंक दो, तब तक भोग-विलास न करना ।
'यह कहते-कहते पिताजी के प्राण निकल गये । मैं उसी दिन से तलवार को कपड़ों में छिपाये उस नौजवान राजपूत की तलाश में घूमने लगी । वर्षो बीत गये। मैं कभी वस्तियों में जाती, कभी पहाड़ों-जंगलों की खाक छानती, पर उस नौजवान का कहीं पता न मिलता । एक दिन मैं बैठी हुई अपने फूटे भाग पर रो रही थी कि वही नौजवान आदमी आता हुआ दिखाई दिया। मुझे देखकर उसने पूछा, तू कौन है ? मैंने कहा, मैं दुखिया ब्राह्मणी हूँ, आप मुझपर दया कीजिए और मुझे कुछ खाने को दीजिए । राजपूत ने कहा, अच्छा मेरे साथ आ ।
'मैं उठ खड़ी हुई । वह आदमी बेसुध था । मैंने बिजली की तरह लपककर कपड़ों में से तलवार निकाली और उसके सीने में भोंक दी । इतने में कई आदमी आते दिखाई पड़े। मैं तलवार छोड़कर भागी । तीन वर्ष तक पहाड़ों और जंगलों में छिपी रही । बार-बार जी में आया कि कहीं डूब मरूँ, पर जान बड़ी प्यारी होती है । न जाने क्या-क्या मुसीबतें और कठिनाइयाँ भोगनी हैं जिनको भोगने को अभी तक जीती हूँ । अन्त में जब जंगल में रहते-रहते जी उकता गया, तो जोधपुर चली आई। यहाँ आपकी दयालुता की चर्चा सुनी । आपकी सेवा में आ पहुँची और तवसे आपकी कृपा से मैं आराम से जीवन बिता रही हूँ । यही मेरी रामकहानी है।"
राजनन्दिनी ने लम्बी साँस लेकर यह भरे हुए हैं ? खैर, तुम्हारी तलवार ने उसका
दुनिया में कैसे कैसे लोग काम तो तमाम कर दिया ?
ब्रजविलामिनी--कहाँ वहिन ! वह बच गया, जखम ओछा पड़ा था। उसी शकल के एक नौजवान राजपूत को मैंने जंगल में शिकार खेलते देखा था। नहीं मालूम, वही था या और कोई शकल बिलकुन मिलती थी ।
कई महीने बीत गये। राजकुमारियों ने जब से व्रजविलासिनी की रामकहानी सुनी है, उसके साथ वे और भी प्रेम और सहानुभूति का बर्ताव करने लगी हैं। पहले बिना संकोच कभी-कभी छेड़छाड़ हो जाती श्री; पर अब दोनों हरदम उसका दिल बहलाया करती हैं । एक दिन बादल घिरे हुए थे; राजनन्दिनी ने कहा - आज विहारीलाल की 'सतनई' सुनने को जी चाहता है । वर्षा ऋतु पर उसमें बहुत अच्छे दोहे है। दुर्गाकुँवर -- बड़ी अनमोल पुस्तक है । सखी, तुम्हारी बगल में जो आलमारी रखी है, उसी में वह पुस्तक है, जरा निकालना । व्रजविलामिनी ने पुस्तक उतारी, और उसका पहला ही पृष्ठ खोला था कि उसके हाथ से पुस्तक छूटकर गिर पड़ी। उसके पहले पृष्ठ पर एक तसवीर लगी हुई थी । वह उसी निर्दय युवक की तसवीर थी जो उसके बाप का हत्यारा था । व्रजविलासिनी की आँखें लाल हो गईं । त्योरी पर बल पड़ गये । अपनी प्रतिज्ञा याद आ गई । पर उसके साथ ही यह विचार उत्पन्न हुआ कि इस आदमी का चित्र यहाँ कैसे आया और इसका इन राजकुमारियों से क्या सम्बन्ध है । कहीं ऐसा न हो कि मुझे इनका कृतज्ञ होकर अपनी प्रतिज्ञा तोड़नी पड़े। राजनन्दिनी ने उसकी सूरत देखकर कहा- नवी क्या बात है ? यह क्रोध क्यों ? व्रजविलासिनी ने सावधानी से कहा -- कुछ नहीं, न जाने क्यों चक्कर आ गया था ।
आज से व्रजविलासिनी के मन में एक और चिन्ता उत्पन्न हुई -- क्या मुझे राजकुमारियों का कृतज्ञ होकर अपना प्रण तोड़ना पड़ेगा ?
पूरे सोलह महीने के बाद अफ़गानिस्तान से पृथ्वीसिंह और धर्मसिंह लौटे। बादशाह की सेना को बड़ी बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बर्फ़ अधिकता से पड़ने लगी । पहाड़ों के दरें बर्फ से ढक गये ।
पाप की अग्नि कुण्ड
आन-जाने के रास्ते बन्द हो गये । रसद के सामान कम मिलने लगे । सिपाही भूखों मरने लगे। अब अफ़गानों ने समय पाकर रात को छापे माग्ने शुरू किये। आखिर शाहजादे मुहीउद्दीन को हिम्मत हारकर लौटना पड़ा।
दोनों राजकुमार ज्यों-ज्यों जोधपुर के निकट पहुँचते थे, उत्कण्ठा से उनके मन उमड़े आते थे । इतने दिनों के वियोग के बाद फिर भेंट होगी । मिलने की तृष्णा बढ़ती जाती है । रातदिन मंजिलें काटते चले आते हैं, न थकावट मालूम होती है, न माँदगी। दोनों घायल हो रहे हैं, पर फिर भी मिलने की खुशी में जखमों कीत क़लीफ़ भूले हुए हैं । पृथ्वीसिंह दुर्गाकुँवर के लिए एक अफ़गानी कटार लाये हैं। धर्मसिंह ने राजनन्दिनी के लिए काश्मीर का एक बहुमूल्य शाल-जोड़ मोल लिया है। दोनों के दिल उमंग से भरे हुए है ।
राजकुमारियों ने जब सुना कि दोनों वीर वापस आते हैं, तो वे फूले अंगों न समाई । शृङ्गार किया जाने लगा, माँगें मोतियों से भरी जान लगीं, उनके चेहरे खुशी से दमकने लगे। इतने दिनों के विछोह के बाद फिर मिलाप होगा, खुशी आँखों से उवली पड़ती है। एक दूसरे को छेड़ती हैं और खुशी होकर गले मिलती हैं ।
अगहन का महीना था, बरगद की डालियों में मूंगे के दाने लगे हुए थे । जोधपुर के क़िले से सलामियों की घनगर्ज आवाजें आने लगी । सारे नगर में धूम मच गई कि कुँवर पृथ्वीसिंह सकुशल अफ़गानिस्तान ने लौट आये। दोनों राजकुमारियाँ थाली में आरती के सामान लिये दरवाज़े पर खड़ी थीं । पृथ्वीसिंह दरवारियों के मुजरे लेते हुए महल में आये । दुर्गाकुँवरि ने आरती उतारी और दोनों एक दूसरे को देखकर खुश हो गये। धर्मसिंह भी प्रसन्नता से ऐंठते हुए अपने महल में पहुँचे, पर भीतर पैर रखने भी न पाये थे कि छींक हुई, और बाईं आँख फड़कने लगी । राजनन्दिनी आरती का थाल लेकर लपकी, पर उसका पैर फिसल गया और थाल हाथ से छूटकर गिर पड़ा । धर्मसिंह का माथा ठनका और राजनन्दिनी का चेहरा पीला हो गया । यह असगुन क्यों ?
राजकुमारों के आने का समाचार सुनकर उन अभिनन्दन पत्र बना रखे थे । सवेरे जव कुंवर पृथ्वीसिंह सन्ध्या आदि नित्य क्रिया से निपटकर बैठे, तो वह उनके सामने आई और उसने एक सुन्दर कुश की चॅगेली में अभिनन्दन पत्र रख दिया। पृथ्वीसिंह ने उसे प्रसन्नता से ले लिया । कविता यद्यपि उतनी वढ़िया न थी, पर वह नई और वीरता से भरी हुई थी । वे वीररस के प्रेमी थे, उसको पढ़कर बहुत खुश हुए और उन्होंने मोतियों का हार उपहार दिया।
व्रजविलासिनी यहाँ से छुट्टी पाकर कुँवर धर्मसिंह के पास पहुँची। वे बैठे हुए राजनन्दिनी को लड़ाई की घटनाएँ सुना रहे थे, पर ज्यों ही व्रजविलासिनी की आँख उनपर पड़ी, वह सन्न होकर पीछे हट गई। उसको देखकर धर्मसिंह के चेहरे का भी रंग उड़ गया, होंठ सूख गये और हाथपैर सनसनाने लगे । व्रजविलासिनी तो उलटे पाँव लौटी; पर धर्मसिंह ने चारपाई पर लेटकर दोनों हाथों से मुँह ढँक लिया । राजनन्दिनी ने यह दृश्य देखा और उसका फूल-सा बदन पसीने से तर हो गया । धर्मसिंह सारे दिन पलंग पर चुपचाप पड़े करवटें बदलते रहे । उनका चेहरा ऐसा कुम्हला गया जैसे वे बरसों के रोगी हों । राजनन्दिनी उनकी सेवा में लगी हुई थी। दिन तो यों कटा, रात को कुँवर साहब सन्ध्या ही से थकावट का बहाना करके लेट गये । राजननि हैरान थी कि माजरा क्या है । व्रजविलासिनी इन्हीं के खून की प्यासी है ? क्या यह सम्भव है कि मेरा प्यारा, मेरा मुकुट धर्मसिंह ऐसा कठोर हो ? नहीं, नहीं, ऐसा नहीं हो सकता । वह यद्यपि चाहती है कि अपने भावों से उनके मन का वोझ हल्का करे, पर नहीं कर सकती । अन्त को नींद ने उसको अपनी गोद में ले लिया ।
रात बहुत वीत गई है । आकाश में अँधेरा छा गया है । सारस की दुःख से भरी बोली कभी-कभी सुनाई दे जाती है और रह-रहकर किले
के मन्तरियों की आवाज़ कान में आ पड़ती है। राजनन्दिनी की आंख एकाएक खुली तो उसने धर्मसिंह को पलंग पर न पाया । चिन्ता हुई, वह झट उठकर व्रजविलासिनी के कमरे की ओर चली और दरवाज़े पर खड़ी होकर भीतर की ओर देखने लगी। संदेह पूरा हो गया । क्या देखती है कि ब्रजविलामिनी हाथ में तेगा लिये खड़ी है और धर्मसिंह दोनों हाथ जोड़े उसके सामने दीनों की तरह घुटने टेके बैठे है । यह दृश्य देखते ही राजनन्दिनी का खून सूख गया और उसके सिर में चक्कर आने लगा, पैर लड़खड़ाने लगे। जान पड़ता था कि गिरी जाती हैं । वह अपने कमरे में आई और मुँह ढंककर लेट रही, पर उसकी आँखों से एक बूँद भी न निकली ।
दूसरे दिन पृथ्वीसिंह बहुत सवेरे ही कुँवर धर्मसिंह के पास गये और मुम्कराकर बोले -- भैया, मौसिम बड़ा सुहावना है, शिकार खेलने चलते हो ? पर्नसिंह-हाँ चलो ।
दोनों राजकुमारों ने घोड़े कसवाये और जंगल की ओर चल दिये । पृथ्वीसिंह का चेहरा खिला हुआ था, जैसे कमल का फूल । एक-एक अंग से तेज़ी और चुस्ती टपकी पड़ती थी । पर कुँवर धर्मसिंह का चेहरा मैला हो गया था मानो वदन में जान ही नहीं है । पृथ्वीसिंह ने उन्हें कई वार छेड़ा, पर जब देखा कि वे बहुत दुखी हैं, तो चुप हो गये । चलते-चलते दोनों आदमी झील के किनारे पर पहुँचे । एकाएक धर्मसिंह ठिठके और बोले - मैंने आज रात को एक दृढ़ प्रतिज्ञा की है । यह कहतेकहते उनकी आँखों में पानी आ गया । पृथ्वीसिंह ने घवड़ाकर पूछा-कैसी प्रतिज्ञा ?
तुमने ब्रजविलासिनी का हाल सुना है ? मैंने प्रतिज्ञा की है कि जिस आदमी ने उसके बाप को मारा है, उसे भी जहन्नुम पहुँचा दूँ । 'तुमने सचमुच वीर प्रतिज्ञा की है।'
'हाँ, यदि मैं पूरी कर सकूँ । तुम्हारे विचार में ऐसा आदमी मारने.
योग्य है या नहीं ?"
'ऐसे निर्दयी की गर्दन गुट्ठल छुरी से काटनी चाहिए ।' 'बेशक, यही मेरा भी विचार है। यदि में किसी कारण यह काम न कर सकूँ तो तुम मेरी प्रतिज्ञा पूरी कर दोगे ?' 'बड़ी खुशी से । उसे पहचानते हो न ?' 'हाँ, अच्छी तरह।'
'तो अच्छा होगा, यह काम मुझको ही करने दो, तुम्हें शायद उसपर
दया आ जाय ।'
'बहुत अच्छा । पर यह याद रखो कि वह आदमी वड़ा भाग्यशाली ! कई बार मौत के मुँह से बचकर निकला है । क्या आश्चर्य है कि तुमको भी उसपर दया आ जाय । इसलिए तुम प्रतिज्ञा करो कि उसे जरूर जहन्नुम पहुँचाओगे ।'
'मं दुर्गा की शपथ खाकर कहता हूँ कि उस आदमी को अवश्य मारूंगा।'
'बस, तो हम दोनों मिलकर कार्य सिद्ध कर लेंगे। तुम अपनी प्रतिज्ञा दृढ़ रहोगे न ?"
'क्यों ? क्या मैं सिपाही नहीं हूँ ? एक बार जो प्रतिज्ञा की, समझ लो कि वह पूरी करूँगा, चाहे इसमें अपनी जान ही क्यों न चली जाय। 'सव अवस्थाओं में ?"
'हाँ, सब अवस्थाओं में ।'
'यदि वह तुम्हारा कोई वन्धु हो तो ? '
पृथ्वीसिंह न धर्मसिंह को विचारपूर्वक देखकर कहा - कोई बंधु हो तो ? धर्मसिंह- हाँ, सम्भव है, कि तुम्हारा कोई नातेदार हो । पृथ्वीसिंह ने कहा - ( जोश में ) कोई हो, यदि मेरा भाई भी हो, तो भी जीता चुनवा दूँ ।
धर्मसिंह घोड़े से उतर पड़े ! उनका चेहरा उतरा हुआ था और ओठ काँप रहे थे। उन्होंने कमर से तेगा खोलकर ज़मीन पर रख दिया और पृथ्वीसिंह को ललकारकर कहा - पृथ्वीसिंह तैयार हो जाओ। वह
दुष्ट मिल गया । पृथ्वीसिंह ने चौंककर इधर-उधर देखा तो धर्मसिंह के सिवाय और कोई दिखाई न दिया ।
धर्मसिंह - तेगा खीचो ।
पृथ्वीसिंह - मैंने उसे नहीं देखा ।
धर्मसिंह - वह तुम्हारे सामने खड़ा है । वह दुष्ट कुकर्मी धर्मसिंह ही है पृथ्वीसिंह - (घवराकर ) ऐं तुम ! -मैंधर्मसिंह - राजपूत, अपनी प्रतिज्ञा पूरी करो।
इतना सुनते ही पृथ्वीसिंह ने बिजली की तरह कमर से तेगा खींच लिया और उसे धर्मसिंह के सीने में चुभा दिया । मूठ तक तेगा चुभ गया । खून का फव्वारा वह निकला । धर्मसिंह ज़मीन पर गिरकर धीरे से बोले-पृथ्वीसिंह, मैं तुम्हारा बहुत कृतज्ञ हूँ । तुम सच्चे वीर हो। तुमने पुरुष का कर्तव्य पुरुष की भाँति पालन किया ।
पृथ्वीसिंह यह सुनकर ज़मीन पर बैठ गये और रोने लगे ।
अब राजनन्दिनी सती होने जा रही है। उसने सोलहों शृंगार किये और माँग मोतियों से भरवाई है। कलाई में सोहाग का कंगन है, पैरों में महावर लगाया है और लाल चुनरी ओढ़ी है। उसके अंग से सुगन्धि उड़ रही है, क्योंकि वह आज सती होने जाती है ।
राजनन्दिनी का चेहरा सूर्य की भाँति प्रकाशमान है। उसकी ओर देखने से आँखों में चकाचौंध लग जाती है। प्रेम - मद से उसका रोयाँरोयाँ मस्त हो गया है, उसकी आँखों से अलौकिक प्रकाश निकल रहा है । वह आज स्वर्ग की देवी जान पड़ती है। उसकी चाल बड़ी मदमाती है । वह अपने प्यारे पति का सिर अपनी गोद में लेती है, और उस चिता में बैठ जाती हैं जो चन्दन, खस आदि से बनाई गई है।
सारे नगर के लोग यह दृश्य देखने के लिए उमड़े चले आते हैं।. बाजे बज रहे हैं, फूलों की वृष्टि हो रही है । सती चिता में बैठ चकी थी
कि इतने में कुँवर पृथ्वीसिंह आये और हाथ जोड़कर बोले- महारानी, मेरा अपराध क्षमा करो।
सती ने उत्तर दिया - क्षमा नहीं हो सकता । तुमने एक नौजवान राजपूत की जान ली है, तुम भी जवानी में मारे जाओगे ।
सती के वचन कभी झूठे हुए है ? एकाएक चिता में आग लग गई। जयजयकार के शब्द गूंजने लगे । सती का मुख आग में यों चमकना था जैसे सवेरे की ललाई में सूर्य चमकता है। थोड़ी देर में वहाँ राख के ढर के सिवा और कुछ न रहा ।
इस सती के मन में कैसा सत था ! परसों जब उसने व्रजविलासिनी को झिझककर धर्मसिंह के सामने जाते देखा था, उसी समय से उसके दिल में संदेह हो गया था। पर जब रात को उसने देखा कि मेरा पति इसी स्त्री के सामने दुखिया की तरह बैठा हुआ है, तब वह सन्देह निश्चय की सीमा तक पहुँच गया और यही निश्चय अपने साथ सत लेता आया था । सबेरे जब धर्मसिंह उठे तब राजनन्दिनी ने कहा था कि मैं व्रजविलासिनी के शत्रु का सिर चाहती हूँ, तुम्हें लाना होगा और ऐसा ही हुआ । अपने सती होने के सब कारण राजनन्दिनी ने जान-बूझकर पैदा किये थे, क्योंकि उसके मन में सत था । पाप की आग कैसी तेज होती है ? एक पाप ने कितनी जानें ली ? राजवंश के दो राजकुमार और दो कुमारियाँ देखतेदेखते इस अग्निकुण्ड में स्वाहा हो गई । सती का वचन सच हुआ । सात ही सप्ताह के भीतर पृथ्वीसिंह दिल्ली में कत्ल किये गये और दुर्गाकुमारी सती हो गई ।
पंजाब के सिंह राजा रणजीतसिंह संसार से चल चुके थे और राज्य के वे प्रतिष्ठित पुरुष जिनके द्वारा उसका उत्तम प्रबन्ध चल रहा था, परस्पर के द्वेष और अनबन के कारण मर मिटे थे। राजा जी सिंह का बनाया हुआ सुन्दर किन्तु खोखला भवन अव नष्ट हो चुका था । कुँवर दिलीपसिंह अब इंग्लैंड में थे और रानी चन्द्रकुंवरि चुनार के दुर्ग में । रानी चन्द्रकुंवरि ने विनष्ट होते हुए राज्य को बहुत सँभालना चाहा, किन्तु शासन प्रणाली न जानती थी और कूटनीति ईर्ष्या की आग भड़काने
के सिवा और क्या करती ?
रात के बारह वज चुके थे। रानी चन्द्रकुँवरि अपने निवास भवन के ऊपर छत पर खड़ी गंगा की ओर देख रही थी और सोचती थी -- लहरें क्यों इस प्रकार स्वतन्त्र हैं ? उन्होंने कितने गाँव और नगर डुवाये हैं, कितने जीव-जन्तु तथा द्रव्य निगल गई हैं; किन्तु फिर भी वे स्वतन्त्र है । कोई उन्हें बन्द नहीं करता । इसीलिए न कि वे बन्द नहीं रह सकतीं ? वे गरजेंगी, बल खायेंगी-- और वाँध के ऊपर चढ़कर उसे नष्ट कर देंगी, अपने ज़ोर से उसे बहा ले जायेंगी ।
यह सोचते विचारते रानी गादी पर लेट गई । उसकी आँखों के सामने पूर्वावस्था की स्मृतियाँ मनोहर स्वप्न की भाँति आने लगीं। कभी उसकी भौंह की मरोड़ तलवार से भी अधिक तीव्र थी और उसकी मुसकराहट वसन्त की सुगन्धित समीर से भी अधिक प्राण-पोषक; किन्तु हाय, अब इनकी शक्ति हीनावस्था को पहुँच गई । रोवें तो अपने को सुनाने के लिए, हँसे तो अपने को बहलाने के लिए । यदि बिगड़े तो किसी का क्या बिगाड़ सकती है और प्रसन्न हो तो किसी का क्या बना सकती है। रानी और वाँदी में कितना अन्तर है ? रानी की आँखों से आँसू की बूंदे झरने लगीं, जो कभी विप से अधिक प्राण-नाशक और अमृत से अधिक अनमोल थीं ।
वह इसी भाँति अकेली, निराश, कितनी बार रोई, जब कि आकाश के तारों के सिवा और कोई देखनेवाला न था।
इसी प्रकार रोते-रोते रानी की आँखें लग गई । उसका प्याग, कलेजे . का टुकड़ा कुँवर दिलीपसिंह, जिसमें उसके प्राण बसते थे, उदास मुख आकर खड़ा हो गया । जैसे गाय दिन-भर जंगलों में रहने के पश्चात् सन्ध्या को घर आती है और अपने वछड़े को देखते ही प्रेम और उमंग से मतवाली होकर स्तनों में दूध भरे, पूँछ उठाये, दौड़ती है, उसी भाँति चन्द्रकुंवर अपने दोनों हाथ फैलाये अपने प्यारे कुँवर को छाती से लिपटाने के लिए दौड़ी; परन्तु आँखें खुल गई और जीवन की आशाओं की भाँति वह स्वप्न विनष्ट हो गया। रानी ने गंगा की ओर देखा, और कहामुझे भी अपने साथ लेती चलो । इसके बाद रानी तुरन्त छत से उतरी । कमरे में एक लालटेन जल रही थी। उसके उजेले में उसने एक मैली साड़ी पहनी, गहने उतार दिये, रत्नों के एक छोटे से बक्स को और एक तीव्र कटार को कमर में रखा । जिस समय वह बाहर निकली, नैराश्यपूर्ण साहस की मूर्ति थी ।
सन्तरी ने पुकारा । रानी ने उत्तर दिया-- मैं हूँ झंगी ।
'कहाँ जाती है ?'
'गंगाजल लाऊँगी । सुराही टूट गई ह, रानीजी पानी माँग रही हैं । सन्तरी कुछ समीप आकर बोला - चल, मँ भी तेरे साथ चलता हूँ,
जरा रुक जा।
झंगी बोली - मेरे साथ मत आओ । रानी कोठे पर हैं । देख लेंगी । सन्तरी को धोखा देकर चन्द्रकुँवरि गुप्त द्वार से होती हुई अन्धेरे में काँटों से उलझती, चट्टानों से टकराती, गंगा के किनारे जा पहुँची। रात आधी से अधिक जा चुकी थी । गंगाजी में संतोषप्रदायिनी शान्ति विराज रही थी । तरंगें तारों को गोद में लिये सो रही थीं। चारों ओर सन्नाटा था ।
स्वामी भी उसे सम्मान की दृष्टि से देखता था । किन्तु आज स्वतन्त्र होकर भी उसके ओठ बन्द थे । उसे सभी स्थानों में शत्रु देख पड़ते थे। पंखरहित पक्षी को पिंजरे के कोने में ही सुख हूँ ।
पुलिस के अफसर प्रत्येक आने-जानेवालों को ध्यान से देखते थे, किन्तु उस भिखारिनी की ओर किसी का ध्यान नहीं जाना था, जो एक फटी हुई साड़ी पहने यात्रियों के पीछे-पीछे धीरे-धीरे सिर झुकाये गङ्गा की ओर चली आ रही है । न वह चौंकती है, न हिचकती है, न घवराती है । इस भिखारिनी की नसों में रानी का रक्त है ।
यहाँ से भिखारिनी ने अयोध्या की राह ली । वह दिन-भर विकट मार्गो में चलती, और रात को किसी सुनसान स्थान पर लेट रहती थी । मुख पीला पड़ गया था। पैरों में छाले थे । फूल-सा बदन कुम्हला
गया था ।
वह प्रायः गाँव में लाहौर की रानी के चरचे सुनती । कभी-कभी पुलिस के आदमी भी उसे रानी की टोह में दत्तचित्त देख पड़ते। उन्हें देखते ही भिखारिनी के हृदय में सोई हुई रानी जाग उठती । वह आँखें उठाकर उन्हें घृणा की दृष्टि से देखती और शोक तथा क्रोध से उसकी आँखें जलने लगतीं । एक दिन अयोध्या के समीप पहुँचकर रानी एक वृक्ष के नीचे बैठी हुई थी । उसने कमर से कटार निकालकर सामने रख दी थी । वह सोच रही थी कि कहाँ जाऊँ ? मेरी यात्रा का अन्त कहाँ है ? क्या इस संसार में अब मेरे लिए कहीं ठिकाना नहीं है ? वहाँ से थोड़ी दूर पर आमों का एक बहुत बड़ा बाग था । उसमें बड़े-बड़े डेरे और तम्बू गड़े हुए थे । कई एक सन्तरी चमकीली वदियाँ पहने टहल रहे थे, कई घोड़े बॅधे हुए थे । रानी ने इस राजसी ठाट-बाट को शोक की दृष्टि से देखा । एक बार वह भी काश्मीर गई थी। उसका पड़ाव इससे कहीं बढ़कर था ।
बैठे-बैठे सन्ध्या हो गई। रानी ने वहीं रात काटना निश्चय किया । इतने में एक बूढ़ा मनुष्य टहलता हुआ आया और उसके समीप खड़ा
हो गया। ऐंटी हुई दाढ़ी थी, शरीर में सटा हुआ चपकन था, कमर में तलवार लटक रही थी। इस मनुष्य को देखते ही रानी ने तुरन्त कटार उठाकर कमर में खोंस ली। सिपाही ने उसे तीव्र दृष्टि से देखकर पूछा -बेटी, कहाँ से आती हो ?
गनी ने कहा - बहुत दूर से । 'कहाँ जाओगी ?'
यह नहीं कह सकती, बहुत दूर ।'
सिपाही ने रानी की ओर फिर ध्यान से देखा और कहा- ज़रा अपनी कटार मुझे दिखाओ । रानी कटार सँभालकर खड़ी हो गई और तीव्र स्वर से बोली- मित्र हो या शत्रु ? ठाकुर ने कहा - मित्र । सिपाही के बातचीत करने के ढंग और चेहरे में कुछ ऐसी विलक्षणता थी जिससे रानी को विवश होकर विश्वास करना पड़ा ।
वह बोली-- विश्वासघात न करना । यह देखो ।
ठाकुर ने कटार हाथ में ली । उसको उलट-पलटकर देखा और बड़े
नम्र भाव से उसे आँखों से लगाया । तब रानी के आगे विनीत भाव से सिर झुकाकर वह बोला -- महारानी चन्द्रकुँवरि ?
रानी ने करुण स्वर से कहा - नहीं, अनाथ भिखारिणी । तुम कौन हो ? सिपाही ने उत्तर दिया - आपका एक सेवक !
रानी ने उसकी ओर निराश दष्टि से देखा और कहा -- दुर्भाग्य के सिवा इस संसार में मेरा कोई नहीं ।
सिपाही ने कहा - महनजी ऐसा न कहिए । पंजाब के सिंह की महारानी के वचन पर अब भी सैकड़ों सिर झुक सकते हैं। देश में ऐसे लोग वर्तमान है जिन्होंने आपका नमक खाया है और उसे भूले नहीं हैं । रानी -- अब इसकी इच्छा नहीं । केवल एक शान्त स्थान चाहती जहाँ पर एक कुटी के सिवा और कुछ न हो ।
सिपाही - ऐसा स्थान पहाड़ों में ही मिल सकता है । हिमालय की गोद --
में चलिए, वहीं आप उपद्रव से बच सकती हैं । |
मुंबई। शिल्पा शेट्टी के पति बिजनेसमैन राज कुंद्रा पूरे 64 दिन से जेल में बंद थे. जिनको कल यानि की सोमवार को जमानत मिल चुकी है. राज कुंद्रा को 50 हजार के मुचलके पर जमानत मिली है. जेल से बाहर आते ही ऐक्ट्रेस शर्लिन चौपड़ा ने राज कुंद्रा पर ट्वीट कर चुटकी ली है.
ऐक्ट्रेस शर्लिन चौपड़ा ने राज कुंद्रा का ट्विटर बायो शेयर किया है. राज कुंद्रा (Raj Kundra) के ट्विटर बायो में लिखा है- 'रास्तों का सही चुनाव ही जिंदगी है. ' इसका स्क्रीनशॉट साझा कर शर्लिन ने तंज कसते हुए लिखा- 'क्या प्यारा सा ट्विटर बायो है'.
बता दें कि जब से पोर्नोग्राफी का मामला सामने आया है. तभी से शर्लिन चौपड़ा न सिर्फ राज कुंद्रा पर बल्कि शिल्पा शेट्टी के पर भी कई इल्जाम लगाते हुए नजर आई है. शर्लिन ने बीते दिन भी शिल्पा शेट्टी पर तंज कसा था.
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शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) का वीडियो शेयर कर शर्लिन (Sherlyn Chopra) ने लिखा, 'दीदी, आप तो नियमित रूप से योग और व्यायाम करती हैं तो माता वैष्णो देवी जी के पास चलकर जाने में दिक्कत क्यों हुई? ' दरअसल, ये वीडियो शिल्पा शेट्टी की वैष्णो देवी यात्रा का था.
बता दें, FIR के मुताबिक इस मामले में राज कुंद्रा का नाम पुलिस के सामने शर्लिन चोपड़ा ने लिया था. पुलिस के मुताबिक शर्लिन चोपड़ा (Sherlyn Chopra) का कहना है कि उन्हें एडल्ट इंडस्ट्री में लाने वाले राज कुंद्रा (Raj Kundara) ही हैं. हर प्रोजेक्ट के लिए शर्लिन चोपड़ा को 30 लाख रुपये की पेमेंट मिलती थी. शर्लिन के मुताबिक उन्होंने इस तरह के 15 से 20 प्रोजेक्ट किए हैं.
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इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने बच्चों को शुभकामनाएं देने के साथ ही सचेत रहने की नसीहत भी दी है।
कोरोना के चलते उत्तर प्रदेश में पिछले सात महीने से बंद प्राइमरी स्कूल बुधवार को खुल गए। सूबे के स्कूलों में सुबह-सुबह बच्चे हंसते-खिलखिलाते पहुंचे हैं। ग्रामीण इलाकों में पिछले काफी समय से लोग चाहते थे कि स्कूल खुलें लेकिन कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच सरकार यह फैसला नहीं ले पा रही थी। बहरहाल कई एक्सपर्ट्स की सलाह के बाद सरकार ने एक सितम्बर से स्कूलों को खोलने का फैसला ले लिया। आज इसी फैसले के तहत बच्चों के लिए स्कूल खोले गए हैं। इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने बच्चों को शुभकामनाएं देने के साथ ही सचेत रहने की नसीहत भी दी है। सीएम ने एक ट्वीट के जरिए शिक्षकों से भी सभी बच्चों का ख्याल रखने का आग्रह किया है।
सीएम ने अपने ट्वीट में लिखा, 'कोरोना महामारी के कारण पिछले 07 माह से बंद विद्यालय आज 01 सितंबर से पुनः प्रारम्भ हो रहे हैं। सभी बच्चों को ढेर सारी शुभकामनाएं। सभी गुरुजनों से विनम्र आग्रह है कि सभी बच्चों का ध्यान रखें। हर हाल में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराने में अपना योगदान दें।' इसके पहले टीम-09 के साथ बैठक में सीएम योगी ने स्कूलों में कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखने के सख्त निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा कि स्कूलों में स्वच्छता का खास ख्याल रखना चाहिए। सैनिटाइजेशन का काम हर दिन होना चाहिए। पठन-पाठन के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
कोरोना महामारी के कारण पिछले 07 माह से बंद विद्यालय आज 01 सितंबर से पुनः प्रारम्भ हो रहे हैं। सभी बच्चों को ढेर सारी शुभकामनाएं।
सभी गुरुजनों से विनम्र आग्रह है कि सभी बच्चों का ध्यान रखें। हर हाल में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराने में अपना योगदान दें।
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मानव श्वसन प्रणाली की संरचनागैस विनिमय सुनिश्चित करने के लिए शरीर में अपना काम प्रदान करता है मानव श्वसन प्रणाली में वायुमार्ग शामिल हैं और श्वसन विभाग का गठन अल्विओली द्वारा किया जाता है। एयरवेज नाक गुहा, लारेंक्स, ट्रेकिआ, ब्रॉन्की से बना है। उनमें, हवा धूल से साफ है, सिक्त हो गई है। श्वसन प्रणाली के श्वसन विभाग में, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का गैस आदान-प्रदान होता है। फेफड़ों की संरचना पर विचार करें।
फेफड़े छाती में स्थित हैं और कब्जे में हैंउनमें से ज्यादातर जड़ सेगमेंट के अपवाद के साथ उनकी सतह, आंत में आवरण के साथ आती है। पार्श्विका और आंत में फुफ्फुस की चादरों के बीच एक बंद फुफ्फुस गुहा है।
फेफड़ों की जड़ों के माध्यम से मुख्य ब्रॉन्ची, रक्त और लसीका वाहिकाओं, तंत्रिकाओं से जुड़े होते हैं।
सही फेफड़े के तीन भाग होते हैं, बाएं फेफड़े-दो। प्रत्येक शेयर सेगमेंट होते हैं उत्तरार्द्ध फेफड़ों के संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई हैं। आकार का खंड एक पिरामिड जैसा होता है, फेफड़ों की जड़ को निर्देशित करने वाला सर्वोच्च और फुफ्फुस का आधार। खंडों के बीच की सीमा संयोजी ऊतक है, जहां अंतर्ग्रहण वाले जहाज स्थित हैं।
दाएं फेफड़े में, ऊपरी लोब में शामिल होते हैंपीछे के माध्यमिक, बेसल, पूर्वकाल बेसल, पार्श्व बेसल और पश्चतर बेसल सेगमेंट से - बाहरी और आंतरिक, निम्न से एक - अस्थिक, पश्च और पूर्वकाल खंड, मध्य।
बाएं फेफड़े में, ऊपरी लोब को जोड़ती हैएपिकल, पश्च, पूर्वकाल, ऊपरी और निचले जीभ सेगमेंट, निचले - पोस्टर-स्तरीय, औसत दर्जे का बेसल, पूर्वकाल बेसल, पार्श्व बेसल और पश्चतर बेसल सेगमेंट।
ब्रोन्कोपोल्मोनरी सेगमेंट एक शारीरिक, शारीरिक और नैदानिक इकाई है जिसके भीतर एक रोग प्रक्रिया विकसित होती है।
फुफ्फुसीय धमनियों और नसों की एक छोटी सी व्यवस्था होती हैरक्त परिसंचरण के सर्किल, जो मनुष्य के परिसंचरण तंत्र की संरचना में प्रवेश करता है। एक छोटा वृत्त एक फुफ्फुसीय ट्रंक से शुरू होता है, जो हृदय के सही वेंट्रिकल को छोड़ देता है और फेफड़ों में शिरापरक रक्त देता है। फेफड़ों के एल्वियोली में, गैस एक्सचेंज होता है, जिसके परिणामस्वरूप रक्त ऑक्सीजन से समृद्ध है और फेफड़े के नसों के माध्यम से बायीं एट्रियम में गुजरता है। फेफड़े और ब्रोन्ची को स्वायत्त रक्त की आपूर्ति ब्रोन्कियल धमनियों और नसों द्वारा प्रदान की जाती है जो रक्त परिसंचरण के महान चक्र की प्रणाली में प्रवेश करती हैं।
फेफड़े से लसीका लिम्फेटिक वाहिकाओं को बहता हैफेफड़े के रूट के लिए, लिम्फ नोड्स के माध्यम से अपने रास्ते पर गुजर रहा है। लिम्फ नोड्स की एक महत्वपूर्ण संख्या मुख्य ब्रॉन्ची और ट्रेकिआ के पास स्थित है।
ब्रोन्कोपोल्मोनरी तंत्र का असर संवेदनात्मक और पैरासिमिलेटीचिक तंत्रिका तंत्र के कारण होता है।
मानव फेफड़ों की संरचनात्मक संरचनाबाहरी सांस प्रदान करता है यह वायु-रक्त बाधा के माध्यम से फुफ्फुसीय वेंटिलेशन और गैसों का प्रसार प्रदान करता है। श्वसन, संवाहक और सेलुलर श्वसन तंत्र का सामान्य कार्य एक एकल कार्यात्मक प्रणाली बनाता है, जिसका काम शरीर में चयापचय प्रक्रियाओं के सामान्य पाठ्यक्रम को बनाए रखने के उद्देश्य से होता है।
साँस लेने के कार्य के अलावा, फेफड़े एक पूरे करते हैंकई गैर-श्वसन कार्योंः चयापचयी, थर्मोपरगुलेटरी, स्राट्री, अवरोध, निकालने वाला। वे कई जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में शामिल हैं फेफड़ों के श्वसन कार्यों के लिए भी विरोधी भड़काऊ और प्रतिरक्षाविरोधी हैं।
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