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अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान पर आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है. अमेरिका के सेना प्रमुख ने कहा है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की पाकिस्तान की सीमा में सुरक्षित पनाहगाह हैं और अगर पाक अपनी जमीन पर इसी तरह आतंकवाद को आश्रय देता रहा तो अफगानिस्तान में आंतकवाद पर लगाम लगाना मुश्किल होगा.
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इससे पहले पाकिस्तान पर आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने का आरोप लगाया था. अमेरिकी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क ए मिली ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसदों को यह जानकारी दी. जनरल मिली ने कहा, 'ऐसे किसी आतंकवाद को मिटाना बहुत मुश्किल है, जिसकी किसी अन्य देश में सुरक्षित पनाहगाह हो.
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बेल्लारी (कर्नाटक), 17 सितंबर पांच बार के एशियाई चैम्पियन मुक्केबाज शिवा थापा (63. 5 किग्रा) ने नॉकआउट जीत के साथ प्री-क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की की तो वहीं, हरियाणा के सचिन ने शुक्रवार को विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता गौरव बिधूड़ी को हराकर यहां जारी पांचवीं एलीट पुरुष राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपने अभियान का शानदार आगाज किया।
असम का प्रतिनिधित्व करने वाले थापा ने शुरूआती दौर के अपने मुकाबले में इस्पात संयंत्र खेल बोर्ड (एसपीएसबी) के शुभम ममता को नॉकआउट से हरा दिया।
मुकाबले के दौरान संतुलन बिगड़ने के बाद शुभम का चिकित्सा टीम ने इलाज किया।
'इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स' में खेले जा रहे मुकाबले में खिताब के दावेदार रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड के गौरव के खिलाफ 57 किग्रा भारवर्ग में सचिन ने कलात्मक खेल दिखाते हुए संयम बनाये रखा और 4-1 की जीत दर्ज की।
हरियाणा के एक अन्य मुक्केबाज और दक्षिण एशियाई खेलों के चैंपियन अंकित खटाना ने हिमाचल प्रदेश के धर्म पाल को सर्वसम्मत फैसले के आधार पर हराकर 75 किग्रा भार वर्ग के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया।
तेलंगाना के सावियो डोमिनिक माइकल (54 किग्रा) और गोवा के अशोक पाटिल (67 किग्रा) ने भी 4-1 की समान जीत के साथ अंतिम-आठ चरण में जगह पक्की की। सावियो ने झारखंड के कृष्णा जोरा को हराया, तो वहीं अशोक पाटिल ने हिमाचल प्रदेश के मोहन चंदर को मात दी।
चैम्पियनशिप के तीसरे दिन आगे का सफर तय करने वाले अन्य मुक्केबाजों में चंडीगढ़ के कुलदीप कुमार (48 किग्रा) और सचिन भी शामिल है। कुलदीप ने राजस्थान के सुशील सहरान पर आसान जीत दर्ज की । सचिन 71 किग्रा भार वर्ग के शुरूआती दौर के मुकाबले के दौरान बिहार के रौशन कुमार के खिलाफ आक्रामक हो गए और इसी कारण रेफरी ने प्रतियोगिता रोक दी और उन्हें विजेता घोषित कर दिया।
महाराष्ट्र के मुक्केबाज निखिल दुबे (75 किग्रा) ने टूर्नामेंट में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा और क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। उन्होंने अंतिम-16 दौर के मैच में तेलंगाना के वेणु मंडला को हराया।
इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को अगले महीने बेलग्रेड में होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया जाएगा।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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मशहूर टेलीकॉम कम्पनी वोडाफोन इंडिया ने हाल ही में मुंबई में 4G सर्विस को लेकर नया बयान दिया है. बातचीत में यह सामने आया है कि वोडाफोन यहाँ दिसम्बर तक 4G सर्विस शुरू करने वाला है. साथ ही आपको मामले में यह भी बता दे कि एक आधिकारिक बयान में यह बात सामने आई है कि मुंबई में कई सेवा प्रदाता है जोकि ग्राहकों को नई सर्विसेस देने के लिए आगे आ रहे है. इसको लेकर यह भी कहा गया है कि यहाँ 1800 मेगाहर्ट्ज़ में नई सेवा की शुरुआत की जा रही है. बयान से यह बात भी सामने आई है कि पहले ही कम्पनी के द्वारा कई प्रदेशों में 4G सर्विस शुरू की जा चुकी है और अब यहाँ माना जा रहा है कि यह सर्विस मुंबई में भी अपना बेहतरीन प्रदर्शन देने में कामयाब रहने वाली है.
इस मामले को देखते हुए कम्पनी ने कहा है कि उसके द्वारा यहाँ 500 करोड़ से भी अधिक का निवेश किया जा चूका है और साथ ही करीब एक हजार से भी ज्यादा जगहों को देखा जा चूका है. कम्पनी के एक बयान से यह बात भी सामने आई है कि मुंबई देश के बड़े डेटा बाजारों में से एक है क्योकि यहाँ से कम्पनी को करीब 30 फीसदी डेटा राजस्व प्राप्त होता है. कम्पनी का कहना है कि इस स्थिति को और भी मजबूत बनाये जाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इससे ग्राहकों को भी बहुत फायदा मिलने वाला है.
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मंगलवार को केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने अपने एक बयान से सबको चौंका दिया। गिरिराज सिंह ने संकेत दिया है कि वो राजनीति से संन्यास ले सकते हैं। मीडिया से बात करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि उनकी राजनीतिक पारी अब समाप्त होने वाली है। राजनीति में वो जो कुछ भी करना चाहते थे, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा कर दिया।
मुजफ्फरपुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, गिरिराज सिंह ने कहा, "पीएम मोदी की दूसरी पारी मेरे राजनीतिक जीवन की भी आखिरी पारी है। मैं राजनीति में मंत्री और विधायक बनने के मकसद से नहीं बल्कि कुछ सपनों को पूरा करने आया था। मेरा सपना था, 'जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा हो"।
गिरिराज सिंह ने आगे कहा, "मेरा मकसद था, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 ए को हटाना। मोदी सरकार ने इसे हटाकर मेरे मकसद को पूरा कर दिया है। पीएम मोदी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी लाल किले से इसकी घोषणा कर दी है। आने वाले इन पांच सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारे जैसे सभी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें पूरी हो जाएंगी। इन सब के बाद राजनीति करने का मेरा उद्देश्य ही क्या होगा "?
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उदर हर्निया मानव शरीर के कुछ अंग शरीर के अंदर खोखले स्थानों में स्थित है। इन खोखले स्थानों को "देहगुहा" (body cavity) कहते हैं। देहगुहा चमड़े की झिल्ली से ढकी रहती है। इन गुहाओं की झिल्लियाँ कभी-कभी फट जाती हैं और अंग का कुछ भाग बाहर निकल आता है। ऐसी विकृति को हर्निया (Hernia) कहते हैं। .
3 संबंधोंः महामाया मेडिकल कॉलेज, मानव शरीर, अंग।
Mahamaya Govenment Allopathic Medical College generally Mahamaya Medical college, is one of the premier Medical colleges with multispeciality hospitals.The institution, as a mega project, is built within the constituency of chief minister of Uttar Pradesh Km.
मानव शरीर मानव शरीर एक मानव जीव की संपूर्ण संरचना है, जिसमें एक सिर, गर्दन, धड़, दो हाथ और दो पैर होते हैं। किसी मानव के वयस्क होने तक उसका शरीर लगभग 50 ट्रिलियन कोशिकाओं, जो कि जीवन की आधारभूत इकाई हैं, से मिल कर बना होता है। इन कोशिकाओं के जीववैज्ञानिक संगठन से अंततः पूरे शरीर की रचना होती है। .
* अंग महाजनपद.
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कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि अगर भारत पाकिस्तान के रवैये में बदलाव चाहता है तो उसे भी अपने पड़ोसी देशों के प्रति बर्ताव में परिवर्तन का परीक्षण करना चाहिए।
पूर्व वित्तमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर एक परिचर्चा के दौरान बोल रहे थे।
'बियांड पॉलिटिक्स : डिबेटिंग ए न्यू सिक्योरिटी मेनिफेस्टो' विषय पर परिचर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि अगर दोनों देश एक दूसरे को बुरा बताते रहेंगे तो हालात में कभी सुधार नहीं होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले प्रधानमंत्रियों ने कहा कि हम अपने मित्र बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।
मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि जो बताया जा रहा है जमीनी हकीकत उससे अलग है।
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उत्तम भोजन से महत्वपूर्ण है शुद्ध पानी और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है शुद्ध वायु। आयुर्वेद और भारतीय परंपरा के अनुसार पानी पीने का एक निश्चित समय होता है तब पानी पीने का भरपूर लाभ मिलता है। आओ जानते हैं कि पानी या जल पीने का क्या है उचित तरीका और क्या है पीना का उचित समय और किस पात्र में पिएं पानी।
- ताम्बे के लोटे में रात्रि को रखा पानी प्रातः उषाकाल में पीने से कब्ज दूर होकर पाचन तंत्र में सुधार होता है।
- सुबह खाली पेट पानी पीने से मांसपेशियां और नई कोशिकाएं बनती हैं।
- स्नान करने के तुरंत बाद पानी पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ मिलता है।
- भोजन के 1 घंटे पहले और भोजन के 1 घंटे बाद पानी पीने से लाभ मिलता है।
- सोने से पूर्व आधा गिलास पानी पीने से हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है।
- खाली पेट पानी पीने से लाल रक्त कणिकाएं जल्दी बनने लगती हैं।
- खाली पेट पानी पीने से मासिक धर्म, कैंसर, डायरिया, पेशाब संबंधी समस्याएं, टीबी, गठिया, सिरदर्द व किडनी के रोगों में आराम मिलता है।
- सुबह ब्रश और शौचादि से पूर्व ताम्बे के लोटे में रात्रि को रखा पानी पीएं, इससे मल खुलकर आता है तथा कब्ज की शिकायत नहीं होती है।
- जल न कम पीएं और न ही अत्यधिक। कहीं का भी जल न पीएं। जल हमेशा छानकर और बैठकर ही पीएं।
- पानी का उचित तरीके से सेवन करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है जिससे वजन कम होता है।
- पानी को बैठकर ही पीना चाहिए। खड़े होकर पानी पीने से किडनी और ग्लेन ब्लैडर पर इसका नकारात्मक असर होता है।
- पानी को आराम से घुंट-घुंट कर ग्रहण करना चाहिए। इससे आपकी किडनी या ग्लेन ब्लैडर पर एकदम से भार नहीं पड़ता है।
- घूंट-घूंट करके पीना चाहिए क्योंकि इससे हमारे मुंह में मौजूद लार भी पेट में जाती है जो पाचन के लिए जरूरी होती है।
- जल को चबाकर पीने से यह भोजन को पचाने की शक्ति हासिल कर सकता है। चबाकर पीने का अर्थ है पहले उसे मुंह में लें और चबाते हुए पी जाएं।
- खाली पेट घुंट-घुंट पानी पीने से पेट की गंदगी दूर होकर रक्तशुद्ध होता है।
- घुंट-घुंट पानी पीने से पेट अच्छी तरह साफ होने पर यह भोजन से पोषक तत्वों को ठीक प्रकार से ग्रहण कर पाता है।
- जल को पीतल या तांबे के गिलास में ही पीना चाहिए।
- चांदी के ग्लास में पानी पीने से सर्दी-जुकाम की समस्या दूर होती है।
- पीतल के बर्तन में पानी पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गुरुत्व का बल बढ़ता है। पाचन तंत्र सुधरता है।
- तांबे के गिलास में पानी पीने से शरीर के दूषित पदार्थ यूरिन और पसीने से बाहर निकलते हैं। ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। पेट संबंधी विकार भी दूर होते हैं। तांबा पानी को शुद्ध करने के साथ ही शीतल भी करता है तांबे के गिलास में पानी पीने से त्वचा संबंधी रोग भी नहीं होते हैं। तांबे का पानी लीवर को स्वस्थ रखता है।
डिस्क्लेमर : सेहत संबंधी नुस्खे डॉक्टर की सलाह पर ही आजमाए जाने चाहिए।
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1. कैरी के अचार में खास तौर पर साबुत राई डाल देने से अचार का स्वाद और रंग दोनों बढ़ जाते हैं।
2. अचार स्वादिष्ट बने और उसका रंग भी ऐसा हो कि देखकर ही मुंह में पानी आ जाए। इसके लिए अचार के मसाले में सरसों का तेल बिना गर्म किए ही डालना चाहिए।
3. अचार को स्वादिष्ट बनाने के लिए राई को बिना पीसे ही खड़ी राई डालनी चाहिए। इससे अचार का रंग तो अच्छा आता ही है साथ ही स्वाद भी बढ़ जाता है।
4. मीठे आम के अचार में शक्कर डालकर गैस पर पकाकर भी बनाया जा सकता है।
5. हरी मिर्च का नींबू के रस वाला अचार बनाने में जितना आसान होता है, उतना ही खाने में स्वादिष्ट भी लगता है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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Sheer Khurma For Ramadan : रमजान का पवित्र महीना जल्द ही शुरू होने वाला है। रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। व्रत के दौरान सेहरी के समय और रोजा इफ्तार के बाद ही कुछ भी खाया या पिया जाता है। अगर आप भी रमजान में रोजा रखते हैं तो हम आपको बता रहे हैं शीर खुरमा बनाने की रेसिपी, जिसे आप रोजा शुरू करने से पहले या खोलने के बाद खा सकते हैं। शीर खुरमा खाने में जितना स्वादिष्ट होता है। इसे बनाना इतना आसान है। ईद के मौके पर शीर खुरमा भी खाया जाता है।
शीर खुरमा बनाने के लिए मुख्य रूप से सेंवई, दूध, चीनी और सूखे मेवों का उपयोग किया जाता है। अभी तक अगर आपने शीर खुरमा घर पर नहीं बनाया है तो आप हमारे द्वारा दी गई रेसिपी से इसे आसानी से बना और खा सकते हैं।
- शीर खुरमा बनाने के लिए सबसे पहले एक नॉनस्टिक पैन लें और उसमें घी डालकर मीडियम आंच पर गर्म करें। जब घी पिघल जाए तो इसमें सेवइयां डालें और करछी की मदद से चलाते हुए सेवइयां को भून लें। ध्यान रहे कि सेवइयां सेकते वक्त आंच को धीमा कर दें।
- जब सेवइयां लाइट ब्राउन हो जाए तो गैस की फ्लेम बंद कर दें। अब सेवइयां एक बर्तन में निकालकर अलग रख दें। अब एक बर्तन लें और उसमें दूध डालकर मीडियम आंच पर गर्म करने रख दें।
- कुछ देर बाद जब दूध में पहला उबाल आ जाए तो उसमें केसर और इलायची डालकर अच्छे से मिक्स कर दें। इसके बाद दूध को तब तक उबालते रहें जब तक कि वह आधा न रह जाए।
- अब दूध में स्वादानुसार चीनी डाल दें और पकने दें। इस दौरान बीच-बीच में करछी की मदद से दूध को चलाते रहें। जिससे दूध बर्तन के तले में नहीं चिपके जब तक दूध पक रहा है उसी दौरान काजू, बादाम और पिस्ता को लें और सभी के बारीक-बारीक टुकड़े कर लें। जब दूध तैयार हो जाए तो उसमें सेवइयां और कटे हुए सूखे मेवे डालकर लगभग 5 मिनट तक पकने दें।
- इसके बाद गैस की आंच को बंद कर दें। अगर आप एकदम ठंडा शीर खुरमा खाना पसंद करते हैं तो उसे कुछ वक्त के लिए फ्रिज में रख दें। उसके बाद ड्राईफ्रूट्स गार्निश कर सर्व करें।
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Jamshedpur : बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना से हरहरगुट्टू क्षेत्र में घर-घर पाइप लाइन कनेक्शन देने का कार्य शुक्रवार से शुरू किया जाएगा. बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष सुबोध झा को यह जानकारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता अभय टोप्पो ने वार्ता के दौरान दी. अभय टोप्पो ने कहा कि बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत घर-घर कनेक्शन देने के पहले चरण का काम 13 अगस्त से शुरू होगा. श्री टोप्पो ने पाइपलाइन बिछाने में सभी लोगों का सहयोग मांगा है. साथ ही पाइप लाइन टेस्टिंग करने के बाद सड़क खोदकर जो पाइप ले जाए गए हैं, उनकी मरम्मत में भी लोगों का सहयोग जरूरी है. उन्होंने कहा कि बागबेड़ा की 7 पंचायत, कीताडीह की 4 पंचायत, घाघीडीह की 5 पंचायत, परसुडीह की 3 पंचायत और रेलवे क्षेत्र की 33 बस्तियों में बचे हुए कार्यों और वहां पाइपलाइन के कारण बने गड्ढे की मरम्मत की जाएगी. विभाग को 16 से 17 करोड़ रुपए इसके लिए प्राप्त हो रहा है. बरसात के बाद रेलवे ट्रैक के नीचे से पाइपलाइन को गिद्दी झोपड़ी फिल्टर प्लांट तक ले जाया जाएगा.
वार्ता के बाद सुबोध झा ने कहा जब तक बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना से घर-घर पाइपलाइन के माध्यम से पानी बागबेड़ा कीताडीह-घाघीडीह रेलवे क्षेत्र की 33 बस्तियों और परसुडीह के 19 पंचायत क्षेत्रों में पानी उपलब्ध नहीं हो जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा. इससे पूर्व अधीक्षक अभियंता शिशिर सोरेन जी से मिलने वालों में आंदोलनकारी सुबोध झा के साथ सांसद प्रतिनिधि संजीव कुमार संपूर्ण घाघीडीह विकास समिति अध्यक्ष छोटे राय मुर्मू, कृष्णा पात्रो, ऋतु सिंह, अमीना खातून, प्रभा हादसा सपन दास, संदीप कुमार, डॉ विजय शंकर प्रसाद, संदीप कुमार शामिल थे.
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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शिमलाः हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को कहा कि इस मानसून के दौरान राज्य में हुई भारी बारिश के कारण तबाह हुए बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा करने में एक वर्ष लग जाएगा।
सुक्खू ने 'पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारी बारिश के कारण हुआ अनुमानित नुकसान 10 हजार करोड़ रुपये है।
इस सप्ताह राज्य में बारिश के चलते भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जिनके चलते सड़कें बंद हो गईं और घर ढह गए। लगभग 60 लोगों की मौत हो गई तथा कुछ और लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। इससे पहले जुलाई में भी राज्य में भारी बारिश हुई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कों और जल परियोजनाओं के पुनर्निर्माण में समय लगता है। लेकिन सरकार इस प्रक्रिया में तेजी ला रही है।
उन्होंने कहा, "हमें एक वर्ष में बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से बहाल करना होगा। मैं इसी को ध्यान में रखकर काम कर रहा हूं। यह एक बड़ी चुनौती है, पहाड़ जैसी चुनौती है। लेकिन हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।"
सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार चार वर्ष में हिमाचल प्रदेश को "आत्मनिर्भर" और 10 वर्ष में देश का "सबसे समृद्ध" राज्य बनाने के अपने दृष्टिकोण के तहत काम करती रहेगी।
आपको बता दें हिमाचल प्रदेश में पिछले दिसंबर सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
उन्होंने भारी क्षति के लिए रविवार से हो रही तेज बारिश को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह "पहली बार" है कि एक ही दिन में लगभग 50 लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि राज्य में "ढाचांगत डिजाइनिंग" की कमी है।
उनके मुताबिक़ जगह-जगह इमारतें जल प्रवाह के प्राकृतिक मार्ग को बाधित करती हैं, और संरचनाओं को तैयार करने पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सड़कों को चौड़ा किया जाना इस तबाही में एक महत्वपूर्ण कारण है। सुक्खू ने कहा कि अधिकांश भूस्खलन सड़कों के किनारे नहीं हुए। मुख्यमंत्री के मुताबिक़ जलवायु परिवर्तन एक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि लाहौल-स्पीति में पहले कभी ऐसी बारिश नहीं हुई।
सुक्खू ने साक्षात्कार के दौरान संकेत दिया कि नए दिशानिर्देश जारी करके भवन निर्माण नियमों का सख्त कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाले राज्यों की मदद के लिए केंद्र सरकार के मानदंडों में बदलाव की अपील भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर के लोगों को और अधिक मदद मिलनी चाहिए। वह कहते हैं कि "एक किलोमीटर क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार 1.5 लाख रुपये देती है। ये कुछ नहीं है।" सुक्खू आरोप लगाते हैं कि हिमाचल प्रदेश को नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि संसद में इसका प्रतिनिधित्व कम है।
मुख्यमंत्री मांग करते हैं कि केंद्र सरकार को राज्य को विशेष पैकेज देना चाहिए क्योंकि यह "उत्तर भारत का फेफड़ा" है।
सुक्खू ने पर्यटकों से हिमाचल प्रदेश की यात्रा जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा कि शिमला और कांगड़ा घाटी की टूटी सड़कों को बहाल किया जाएगा।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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बॉलीवुडः दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत को दुनिया को अलविदा कहे 21 से ज्यादा दिन हो गए हैं. लेकिन अभी भी सुशांत की यादों से उनके फैंस निकल नहीं पा रहे हैं. सुशांत की कई वीडियोस सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहीं हैं. वहीँ सुशांत के कई फैंस उन्हें अलग-अलग तरीके से ट्रिब्यूट दे रहे हैं. अब हाल ही में सुशांत के एक फैन ने उन्हें खास तरह से ट्रिब्यूट दिया है. सुशांत की एक फैन ने उनके नाम पर एक तारा ही खरीद लिया है.
सुशांत सिंह राजपूत को अंतरिक्ष देखने का बहुत शौक था, जिसके लिए उन्होंने अपने घर में ही आसमान में दूर तक देखने के लिए टेलिस्कोप रखा हुआ था. यह नहीं सुशांत को अंतरिक्ष, गैलेक्सी, चांद- तारों का बहुत शौक था. कई लोगों ने यह तक की बताया की उन्होंने चाँद पर जमीन भी ले रखी थी. जिसे वो टेलिस्कोप के जरिए देखा करते थे. उन्होंने वो टेलिस्कोप करीब 55 लाख रुपए खर्च करके खरीदा था. जो उनके घर के लिविंग रूम में रखा हुआ था. वहीं अब सुशांत की एक फैन ने भी ट्वीट कर बताया है कि उन्होंने सुशांत के नाम का एक तारा रजिस्टर करवाया है.
फैन रक्षा ने जो सर्टिफिकेट शेयर किया है उसके अनुसार RA. 22. 121 पोजिशन के स्टार को सुशांत सिंह राजपूत नाम दिया गया है. हालांकि फिलहाल फैन द्वारा शेयर किए गए इन सर्टिफिकेट की सत्यता की पुष्टि अमर उजाला नहीं करता है. ये ट्वीट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
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सहारा में हेड स्वतंत्र मिश्र लगातार अपनी गोटियां खेल रहे हैं. इस बार फिर फेरबदल करके ग्लोबल हेड के खासमखास को इस तरीके से कतरा गया है कि वो उफ भी नहीं कर सकते. बिना पद से छेड़छाड़ किए उनके कद की घेरेबंदी कर दी गई है. वे अब भी सहारा के एसाइनमेंट हेड हैं, लेकिन अब निर्णय अकेले नहीं ले सकेंगे. चार लोगों की उनके कामों में बराबर की दखलंजादी रहेगी.
आज सुबह ही सहारा में सर्कुलर जारी किया गया है. जिसमें एसाइनमेंट में चार लोगों की एक टीम बनाए जाने की सूचना दी गई है. उपेंद्र राय के शासनकाल में दुर्गेश उपाध्याय सहारा के सभी चैनलों के एसाइनमेंट हेड हुआ करते थे. उनकी मर्जी से एसाइनमेंट का पत्ता हिलता था. हालांकि कहने वाले यहां तक कहते हैं कि उन्हें सहारा में आने से पहले एसाइनमेंट पर काम करने का अनुभव नहीं था, उनका करियर भी कोई लम्बा नहीं है, बावजूद इसके उपेंद्र राय के खासमखास होने के चलते वे एसाइनमेंट हेड बना दिए गए थे.
जब से उपेंद्र राय को ग्लोबल करके स्वतंत्र मिश्रा को सहारा की कमान सौंपी गई है तब से उपेंद्र राय को खासमखासों के पद और कद में लगातार कटौती जारी है. हालांकि कहा जा सकता है कि इतिहास दोहराया जा रहा है, जो उपेंद्र ने दूसरे लोगों के साथ किया था अब वही वाकया उनके लोगों के साथ हो रहा है. कुछ दिन पहले ही उपेंद्र राय के मौसेरे भाई विजय राय को टीवी से प्रिंट में भेजकर उनके पर कतर दिए गए थे. पर इस बार दुर्गेश उपाध्याय के पद से बिना छेड़छाड़ किए उनके कद को घटा दिया गया है.
दुर्गेश उपाध्याय अब भी समय के हेड हैं, परन्तु नए फेरबदल में एसाइनमेंट पर जिम्मेदारी देखने के लिए चार लोगों की एक टीम बना दी गई है, जिसमें ब्रिजेश कुमार मधुकर, आलोक रंजन, योगेश दुबे एवं दीपिका भान को शामिल किया गया है. अब इनलोगों की भी बराबर दखल एसाइनमेंट में रहेगी. इनलोगों को कह दिया गया है कि ये लोग यूपी-उत्तराखंड, बिहार-झाखरंड, एनसीआर, एमपी-सीजी, समय के लिए एसाइमेंट से सभी कुछ तय कर सकते हैं. छोटा सा फरमान यह भी जारी कर दिया गया है कि ये लोग दुर्गेश उपाध्याय को कोआर्डिनेट करके चलेंगे. पर सच्चाई है कि दुर्गेश को अब पैदल कर दिया गया है.
जिन चार लोगों को एसाइनमेंट की टीम में शामिल किया गया है, ये सभी सहारा के पुराने साथी हैं. ये लोग पिछले आठ से दस सालों से सहारा से जुड़े हुए हैं तथा एसाइनमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. बताया यह भी जा रहा है कि इन चारों लोगों को एक एक रिजनल चैनल की जिम्मेदारी भी मौखिक रूप से सहेज दी गई है, जिसमें इन लोगों का निर्णय ही मान्य होगा. यानी दुर्गेश को संदेश दे दिया गया है कि अब चुपचाप हेड बनकर गोल रहिए या फिर यहां से गोल होइए. माना जा रहा है देर सबेर इन्हें भी निपटाया जाएगा. अब देखते हैं अगला निशाना किस पर लगता है.
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श्राप दूसरों को शत्रु मानोगे तो आपको मित्र कौन मानेगा ? और उस दशा में आप भी सुखी किस प्रकार हो सकते है ? श्राप परहित करेंगे, करुणा करेंगे, पर के प्रति मैत्रीभाव धारण करेंगे तो आपको भी आनन्द होगा और दूसरों को भी आनन्द होगा ।
इस माधुओं के लिए सभी जीव मित्र हैं। गृहस्थ तो कदाचित् स्वार्थ के कारण भी किसी से मित्रता करते होंगे, कदाचित् अस्थि और चर्म के अर्थात् शरीर के मित्र होते होंगे, किन्तु साधु आत्मा के मित्र हैं। माधु के लिए किमी से किसी तरह का नहीं होता । उनके लिए सभी जीव समान रूप से मित्र हैं ।
सिद्धा जैसा जीव है, जीव सोई सिद्ध होय । फर्म मैल को अन्तरो, वृके विरला कोय ।
हम माधु लोग गाय, कीडी, मनुष्य और परमात्मा को कर्मउपाधि रहित मी स्वरूप में देखत हैं। वह मे कर्म मल का अन्तर है लेकिन निश्चय में तो सभी जीव समान स्वरूप के वारक है । जो ऐसा मानेगा वह किसी जीव का अमान नहीं करेगा, किसी के प्रति शत्रुता धारण नहीं करेगा। आपका मित्र आपको ढो दूरी बात कह दें, तो भी आप उसका भला ही चाहेंगे, बुरा नहीं चाहेंगे। हो सकता है कि ऐसा करने वाले को आप मित्र न मानें, लेकिन हम तो अपने थप्पड मारने पर भी मैत्रीभाष ही रखेंगे। हमें किसी से भी द्वेप नही हो सकता । व्यवहार तो रखना ही होता है, लेकिन निश्चय में - यथार्थ में सभी से प्रेम है। सन्न, मती, श्रावक और सभी पर मेरा समभाव है। आप भी अपनी मित्रता
[ बनादिर किरदावली : चतुर्ण माम
की जाँच करो और वह भी सोचो कि आपके ऊपर किस-किस का उपकार है? अपने ऋणको किस दृष्टि से देखना चाहिए, वह कार से समाता हूँ।
मानसरोवर के किनार पर एक इस बैठा हुआ था। वर एक कविविका कवि ने कहा- राम मैं तेरे गुरु ग बा मानसरोवर के दोनों में से किसे बड़ा कई ? तरा मानसरोवर यही पर उपकार हैबताकर मैं सिर्फ बाया हूँ कि तुम पर मानका कैसा कर्ज है ? राजइस तू म इस सरोबर का कमाना है। इसमें बहुपमझ के प पर सू बैठा है और तून पराग से सुगम्बित बढ़ किया है। तूने इस सरोबर के मोती जुगे । अब तुमे वह देखना है कि इ भाग को तू किस प्रकार पुकाता है ? बता सुसमेबर का क्या मत्युपकार करता है जिसक धरा वर्ष शुरू बाय १
कवि के मरममा बेचारा बस क्या उत्तर दे सकता था ! इसे स्कुल पाणी प्राप्त नहीं है। मैं हूँकि राजहंस पा- 'मरे सामने इम और पानी मिला हुआ भाग दो मैं दोनों को अलग अलग कर दूंगा। अगर मैं अपमा पोतम राज की और से ही
कविता है- ठीक है। ऐसा ही होना चाहिए। ऐसा होने से दू राजइस डाएगा और तुम पर मामसरोबर का
दई उतर बायगा ।
मग ऐसी ई बात में अपने लिए भी देखता हूँ। मेरे जिए मानसरोवर है। मैं इस की तरह इसका आरम लेकर बै
हूँ । मैं इस सघ का खाता-पीता हूँ और सघ मेरे शरीर की रक्षा करता है। शास्त्र मुझसे पूछना है - सघ का यह ऋण लिया तो हैं, इसे चुकाओगे किस प्रकार ? इसके बदले कौन-सा प्रत्युपकार फरोगे ?
इस विषय में गुरु हमें शिक्षा देते हैं -- हे साधु, तू अपना साधुपन पाल । यह सघ इसीलिए तुझे भोजन, पानी आदि की सहूलियत देता है। जैसे हम में दूध-पानी को अलग करने का गुण हैं और इस गुण के द्वारा वह अपना ऋऋण चुकाता है, उसी प्रकार तू ध्यानमौन की सहायता से, शास्त्र का मनन करके धर्म-अधर्म औपुण्यपाप को अलग अलग व्याख्या करके मघ को समझा, तो संघ के ऋण से तू मुक्त हो जायगा। ऐसा करना माधु का धर्म भी है । इस धर्म का पालन करने पर साधु को देने वाले और लेने वाले साधुदोनों ही सद्गति पाते हैं। मैं यदि असत्य के काँटे हटाकर सघ को सत्य की शिक्षा दृगा तो मेरा धर्म रहेगा यदि मैं खुशामद पड़ जाऊँगा तो मुझ पर सघ का ऋण रह जायगा और भगवान् का ऋण भी मैं नहीं चुका सकू गा ।
श्रावकों को भी अपने कर्तव्य का विचार करना चाहिए । हाकिम रियाया के पीछे होता है और धनवान्, गरीब की बदौलत होता है। आप धनवान हैं तो क्या हुआ, आप पर गरीबों का ऋण है। आपके ऊपर जिनका ऋरण बढा है, उनका हित करके ही आप उसे चुका सकते हैं। अगर आप गरीबों की दया न रवखेगे और उनकी कठिनाई का खयाल न करेंगे तो आपके ऊपर ऋण बढा रह जायगा और जब उनके पास ही न रहेगा तो आपके पास कहाँ |
विषय-वल्लभ सम्प्रदाय के अनुयायी गृहस्थ और विरक्त संग्रह । इसमें निम्नलिखित भक्तों का उल्लेख है : - १ - कृष्णदास २- पद्मनाभदास ३इन्नोजिया तुलसी की वार्ता ४- रघुनाथदास ५-लक्ष्मणभट्ट, ६- सेठ पुरुषोरामदास ७उनकी बेटी रुकमणी की वार्ता - रामदास सारस्वत ९-वेणीदास १० - माधोदास ११मांत्राणी कड़ावाली १२ - गज्जनघावनाक्षत्री १३ - महावन की क्षत्राणी १४-जयदाससूर क्षत्री १५ - देवा कपूर क्षत्री १६ दिनकरदास मकुंददास १७ प्रभुदास राजघाट शागरेवाले १८ - पुरुषोत्तमदास सेरगढ़ वाले १९ - तिपुरदास कायथ, २० पूर्णमल अंबालेवाले २१जादवेंद्रदास २२ गुसाईं दास सारस्वत २३ - माधव भट्ट २४- गोपालदास २५ - पद्मरावत २६ - जोशी जगन्नाथ की माता २७- महीघर २८ - राणाण्यास २६- रामदास सावोरा गुजराती ३०-ईसुरदुवे ३१ - एक राजपूतनी ३२ वासुदेवदास ३३ वाया चेखू और कृष्णदास घर घरिया ३४- जगतानंद ब्राह्मण थानेसर के ३५- एक सूनार की वार्ता ३६नारायणदास उठेर ३७- एक वैरागी ने शालिग्राम पूजो ताकी वार्ता ३८ - भगवान दास भितरिया ३९ - दामोदरदाल कायस्थ की वार्ता ४०- सिंहनद की विधवा क्षत्राणी की वार्ता ४१ - कविराज ग्राहाण की वार्ता ४२ - गहू स्वामी की वार्ता, जनार्दनदास गोपालदास ४३श्री गुसाईं जी की वार्ता ४४- प्रान्योर को एक ब्रजवासी अपने बेटा को ब्याह कियो ताकी बार्ता ४५ - अच्युतदास ब्राह्मण ४६ - कन्हैशाल क्षत्री ४७- नारायणदास अंबाले वाले ४८ - पाथी गुजरी की वार्ता ४९ - स्वामी कुंभनदास ५० लीखांन पठान ५१ रूप पुरा के गोपालदास ५३- हरिदास खबास ५४ - आचार्य के अयोध्या पधारने की वार्ता ५५ - भाईला कोठारी के भतीजा ५६ - माणिकचंद ५७ - मुरारिदास ५८ - संतदास, चोपड़ा ५९ - सुंदरदास माहजी ६० - जनार्दनदास चोपड़ा ६१ - परमात्र दे स्वामी ६२- चाचाह वंशजी की वार्ता ६३ - वासुदेव दास छवड़ा ६४ - नागजी भट्ट ६५ - माधवदास भटनागर कायथ ६६ - कायथ सिंहाराय के बाप घेटा तिनकी वार्ता ६७ - श्री गुसाई जी की वार्ता के साथ कुछ और वार्ताएँ हैं जो एक दूसरे के अंतर्गत हो गई हैं ।
संख्या ५६. रास पंचाध्यायी, रचयिता -- गोपाल ( जनगोपाल ), कागज - देशी, पत्र - २०, याकार - ११४५ ९ इंच, पंक्ति ( प्रतिपृष्ठ ) - १२, परिमाण ( अनुष्टुप् ) - ४९५, पूर्ण, रूप- प्राचीन, पद्य, लिपि-नागरी, रचनाकाल - १७५५ वि०= सन् १६९८ ई०, • लिपिकाल - १८८१ वि०, प्रासिस्थान--पंडित श्रीधर मिश्र जी ज्योतिषी, मोहल्ला - सदावर्ती आजमगढ़, जिला - आजमगढ़ ।
श्रादि - श्री गणेशाय नमः । श्रथ रास पंचाध्याई लिप्यते ।।
॥ छप्पै ॥ "
श्रीराधा चरणारविंद आनंद मोदवर ।
नव पल्लव दल मंजु ललित जावक जुत सुंदर ।। |
यदुवंश का संहार
कृष्णचन्द्र ने उसे समझा बुझा कर विदा किया और आप योग में निष्ठ हो बैठ गये। आकाश में देवता स्तुति करने लगे ।
इधर दारुक यहाँ पहुँच कर सब समाचार कह कर अर्जुन को साथ लेकर द्वारका को गये । वहाँ उन्होंने देखा पुरी हतश्री हो रही है। उन्हें देख कर रुक्मिणी आदि रानियाँ रुदन करने लगों । अर्जुन को देख वसुदेव विलाप कर कहने लगे - हे पार्थ ? गान्धारी ने जो शाप दिया था और पीछे दुर्वासा ने, उनके कारण यह अनर्थ प्रत्यक्ष हुआ है । जब यदुवंशियों का नाश हो गया तब केशव हमारे समीप आये थे और कहा कि दारुक अर्जुन को बुलाने गया है वे आते होंगे। अर्जुन को मुझे ही समझना घे स्त्री और बालकों की रक्षा करेंगे। जिस दिन अर्जुन द्वारका में श्रावेंगे उस के सातवेंदिन समुद्र बढ़कर नगरी को डुवा देगा। यह कर कर जहाँ सब यदुवंशियों का नाश हुआ था कृष्णचन्द्र वहाँ चले गये। हे अर्जुन ! अब मुझे संसार सूना दिखाई देता है, इससे शरीर त्यागने ही में कुशल है । वसुदेव की बात सुन कर अर्जुन को बड़ा दुःख हुआ । उन्हों ने कहा- हे महाराज ! द्रौपदी और भाइयों के सहित हम बिना कृष्ण की सहायता के अब जगत में नहीं रह सकते । कृष्णचन्द्र की यात्रा से विदित हो गया कि हम लोगों का अन्त समय श्रा गया । यहाँ के बालक वृद्ध और स्त्रियाँ श्रचेत हैं; रक्षा के लिये हम सब को इन्द्रप्रस्थ ले जाँयगे । यह कह कर दारुक के सहित सभाभवन में श्राये । राज्य कर्मचारियों को समझा कर कहाभाइयो ! आज के सातवें दिन समुद्र बढ़ कर द्वारकापुरी को डुबा देगा, इसलिये सब सामान और स्त्री बालों के सहित श्राप लोग बाहर निकल जाँय अर्जुन की बात सुन कर सब निकलने की तैयारी करने लगे । रात्रि में कृष्ण बलराम का स्मरण करते हुए प्रातःकाल वसुदेव स्वर्ग सिधारे । नगर में बड़ा हाहाकार मचा । देवकी, रोहिणी, सुभग और मदिरा चारों रानियाँ पति के साथ सती हो गयीं। उनकी क्रिया करके अजुन वहाँ आये जहाँ सब यदुवंशी परस्पर लड़कर मरे थे । कृष्ण बलराम के शरीर को देख कर बहुत रुदन किया फिर प्रेतकर्म करके द्वारका को लौट आये। स्त्रियाँ छाती पीट पीट कर रुदन करने लगीं। शीघ्र ही दासी दास, हाथी, घोड़े और रानियों को साथ लेकर वज्र कुमार बाहर निकले । सब को संग में लेकर अर्जुन हस्तिनापुर की ओर चले। जिस दिन सब बाहर हुए उसी दिन द्वारकापुरी को समुद्र ने अपने उदर में छिपा लिया ।
वन पर्वत पार करते सबको साथ लिये अर्जुन ने रात्रि में पंजाब प्रान्त में आकर निवास किया। उन्हें बालक, वृद्ध और स्त्रियों के सहित वन में श्राया जान दुष्ट आभीरों ने आपस में सलाह की किं केला अर्जुन क्या कर सकता है ? चलो चारों ओर से घेर कर स्त्रियों और बालकों के गहने लूट लें । वे सब लोहदंड लेकर सामने आये, अर्जुन ने हँस कर कहाअरे मूर्खो ! लौट जाश्रो, यदि जीना चाहते हो तो लालच त्याग कर सीधे अपनी राह लो, नहीं तो मेरे बाण से कोई भी जीते न बचोगे। परन्तु उन दुष्टों ने अर्जुन के वचन की कुछ परवा न करके आक्रमण कर ही दिया। पार्थ ने ज्यों त्यों करके गाण्डीव पर रोदा चढ़ाया और दिव्य अस्त्र चलाने का विचार किया; किन्तु एक का भी स्मरण नहीं हुआ। कुछ बाण चलाये पर उनसे डाकुओं की कुछ क्षति नहीं हुई, वे कई एक स्त्रियों को आभूषणों के सहित उठा ले गये। अर्जुन के मन में बड़ा खेद हुआ, उन्होंने समझ लिया कि बिना श्रीकृष्णचन्द्र के अब मेरा पुरुषार्थ हीन हो गया। वहाँ से चल कर सब का साथ लिये कुरुक्षेत्र में आये । भोजकुल की स्त्रियों, बालकों औौर वृद्धों को अच्छे स्थानों में हहराकर सब प्रकार का सुपास कर दिया । |
गेहूं तथा उसके उत्पादों पर रोक लगाने के कुछ माह बाद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर सरकार ने गलत समय गलत कदम उठाया है। उबले चावल और बासमती चावल के रूप में दो उन्नत प्रकारों को छोड़ दिया जाए तो शेष हर प्रकार के चावल के निर्यात पर या तो रोक लगा दी गई है या फिर उस पर 20 प्रतिशत का उच्च आयात शुल्क लगाकर निर्यात की संभावनाओं को लगभग समाप्त ही कर दिया गया है। ये कदम इस प्रमुख अनाज की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और आपूर्ति को यकीनन प्रभावित करेंगे। इससे खाद्यान्न की कमी से जूझ रहे देशों में खाद्य सुरक्षा का संकट और गंभीर हो जाएगा। कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन विवाद के चलते जिस समय वैश्विक अन्न आपूर्ति बाधित थी उस समय भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाकर पहले ही वैश्विक नेताओं और संगठनों की नाराजगी मोल ली थी। यह बात इस तथ्य के बावजूद थी कि भारत वैश्विक बाजार के प्रमुख गेहूं आपूर्तिकर्ताओं में शामिल नहीं था। परंतु चावल के मामले में भारत न केवल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है बल्कि 40 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ वह सबसे बड़ा निर्यातक भी है। ऐसे में भारत से चावल के निर्यात को अचानक रोके जाने से वैश्विक चावल बाजार में उथलपुथल मच जाएगी। बल्कि यह दांव उलटा भी पड़ सकता है और अनाज के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता और विश्वसनीय व्यापारिक साझेदार की उसकी छवि को नुकसान पहुंचाकर उसके ही हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।
चावल निर्यात पर प्रतिबंध को उचित ठहराना किसी भी दृष्टि से खासा मुश्किल है। हालांकि यह स्वीकार करना होगा कि चालू खरीफ सत्र में धान की बोआई का रकबा मॉनसूनी बारिश की अनिश्चितता की वजह से कम हुआ है। मॉनसून के अनिश्चित रहने से धान के उत्पादन वाले इलाके में सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड शामिल हैं। हालांकि देश के समग्र चावल उत्पादन पर इसका बहुत अधिक असर पड़ने की संभावना नहीं है। ऐसा इसलिए कि इन राज्यों में सामान्य धान उत्पादन काफी कम है। आधिकारिक आंकड़ों पर नजर डालें तो खरीफ के समग्र उत्पादन में 40 से 50 लाख टन से ज्यादा की कमी नहीं आएगी। ऐसे में चावल की कुल उपलब्धता पिछले वर्ष के स्तर के आसपास रह सकती है। पिछले वर्ष हमारे पास चावल का काफी अधिशेष भंडार था और हमने 2. 1 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था। गत माह सरकार के चावल भंडार के बारे में अनुमान था कि यह बफर स्टॉक और जरूरी रणनीतिक भंडार की तुलना में कम से कम दोगुना है। कृषि मंत्रालय ने कहा है कि खरीफ उत्पादन में अनुमानित कमी की भरपाई रबी के मौसम में की जा सकती है। यानी देश में चावल के अधिशेष की स्थिति बनी रहेगी।
इसके अलावा निर्यात पर प्रतिबंध का समय भी अनुचित माना जा रहा है। यह प्रतिबंध धान की फसल कटाई के मौसम के ठीक पहले लगाया गया है। फसल कटाई का मौसम इस महीने के अंतिम सप्ताह में आरंभ होगा। इस निर्णय की बदौलत घरेलू कीमतों में जो गिरावट आएगी उसका असर किसानों की आय पर पड़ना तय है। इससे उनका संकट और बढ़ेगा और ग्रामीण इलाकों में औद्योगिक वस्तुओं और सेवाओं की मांग पर भी विपरीत असर पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा (दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक चले विरोध प्रदर्शन का अगुआ संगठन) समेत कई संगठनों ने पहले ही उच्च कीमतों तथा कृषि उपज के सुनिश्चित विपणन के समर्थन में प्रदर्शन दोबारा शुरू करने की चर्चा छेड़ दी है। ऐसे समय पर जबकि अन्न उत्पादकों को फसल की आकर्षक कीमत देना सुनिश्चित करना चाहिए उस वक्त निर्यात में कटौती जैसे अदूरदर्शी निर्णय की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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पुलवामा में सीआरपीएफ पर हमले की जिम्मेदारी लेने वाला आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद अब पाकिस्तान के गले की हड्डी बन गया है. ना केवल अमेरिका ने फिर से पाकिस्तान को इस आतंकी संगठन पर कार्रवाई करने के लिए कहा है बल्कि इमरान खान पर अब विश्व बिरादरी का भी दबाव बढ़ गया है कि वो जैश पर कार्रवाई करने के साथ इसके सरगना को भी गिरफ्त में लें. बताते हैं कि इस आतंकी संगठन के पास 50 हजार सदस्य हैं, जो पाकिस्तान में ट्रेनिंग कैंपों में रहते हैं.
जैश-ए-मोहम्मद ही वो आतंकी संगठन है जिसने दिसंबर 2001 में लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर नई दिल्ली में भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला किया.
फरवरी 2002 में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की गर्दन काटकर हत्या कर दी. भारत के मुंबई में होने वाले 26/11 अटैक का मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को ही बताया जाता है. इसके अलावा कश्मीर में आए दिन होने वाले आतंकी हमलों की तार भी इसी संगठन से जुड़ी मिलती है.
जैश-ए-मोहम्मद की शुरुआत मसूद अजहर ने ही की थी. दिसंबर 1999 में अपहरित भारतीय विमान IC 814 के यात्रियों को बचाने के लिए मसूद अज़हर को कंदहार ले जाकर छोड़ दिया गया. इसके बाद मार्च 2000 में मसूद अज़हर ने हरकत-उल-मुजाहिदीन को बांटकर जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की.
इस वक़्त जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा दो सबसे बड़े आतंकी संगठन हैं, जिन्हें भारत और ख़ास तौर से कश्मीर में हमलों के लिए पाकिस्तानी हुकूमत की सरपरस्ती हासिल है. हम उस दौर में जी रहे हैं जब जिहादी संगठनों को भरपूर मदद मिल रही है. कई सरकारें ऐसे संगठनों को ट्रेनिंग देती हैं.
जैश-ए-मोहम्मद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान के निजाम के रोल से इनकार नहीं किया जा सकता. मसूद अज़हर का अख़बार पाकिस्तान में खुलेआम छपता और बिकता है. इसके अलावा वो पाकिस्तानी पंजाब के बहावलपुर शहर में खुलेआम अपनी गतिविधियां चलाता है. उसके संगठन का केंद्र है, उस्मान-ओ-अली-मरकज़ नाम की मस्जिद. जो जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय और ट्रेनिंग सेंटर भी है.
पाकिस्तान के आतंकी सरगना जैश-ए-मोहम्मद ने भारत को अपना नंबर वन दुश्मन बताया है. इतना ही नहीं उसने प्रधानमंत्री मोदी को भी दुश्मन नंबर वन बताया है. मसूद अजहर ने कहा कि भारतीय मीडिया ने 'अल कलाम' के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है, और इस तरह से भारत हमारे दुश्मनों में टॉप पर बन गया है.
जैश-ए-मोहम्मद भारत के सीमावर्ती इलाकों में होने वाले हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जम्मू-कश्मीर में जितनी भी आतंकी वादरात होती हैं उनमें जैश-ए-मोहम्मद का नाम शामिल होता है. गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 37 जवान शहीद हो गए हैं वहीं 5 जवान घायल हुए हैं. 70 गाड़ियों के साथ 2500 CRPF जवानों का काफिला जा रहा था जिसपर आतंकियों ने हमला किया.
इस हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है.
पुलिस ने पुलवामा में आतंकी हमला करने वाले आतंकी की पहचान आदिल अहमद के रूप में की है. जानकारी के मुताबिक, आदिल पुलवामा का ही स्थानीय नागरिक है. हमला विस्फोटक लेकर जा रही गाड़ी के बस से टकराने के बाद हुआ.
जम्मू-कश्मीर पुलिस हमले की जांच कर रही है. पुलिस ने कहा कि हमला कैसे हुआ, किसने किया अभी इसकी जांच की जा रही है. हमले से पहले इलाके की रेकी की गई थी. इसके बाद रणनीति के तहत काफिले पर हमला किया गया.
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महाराष्ट्र में जारी संकट के बीच अब फ्लोर टेस्ट की चर्चा जोरों पर है। इस पर हो रही एक टीवी डिबेट में राजनीतिक विश्लेषक संजय झा ने कहा कि एकनाथ शिंदे के 16 विधायकों को उद्धव ठाकरे जी की पार्टी ने डिस्क्वलीफाई करने की मांग की है। जब तक वो नहीं होता या उस पर फैसला नहीं आता, तब तक आप फ्लोर टेस्ट कैसे कर सकते हैं। यदि वो अयोग्य घोषित हो गए हैं, तो दो तिहाई तो होगा ही नहीं।
बता दें कि महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर ने शिंदे कैंप के कुछ विधायकों को अयोग्य नोटिस जारी करने का फैसला किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है।
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जयपुर एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने बुधवार को ओमान से आए एक यात्री से 6. 83 लाख रुपए के दो गोल्ड बिस्किट जब्त किए हैं। बिना टैक्स दिए ये सोना गल्फ कंट्री से भारत लाया गया था, जिसे अब कस्टम विभाग ने जब्त कर लिया है। सोने का वजन 141. 550 ग्राम (116. 550 व 25 ) है। सोने की कीमत 20 लाख रुपए से कम है, इसलिए नियम के मुताबिक युवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है। जयपुर एयरपोर्ट पर गोल्ड चोरी छिपे गोल्ड लाने और उसे पकड़ने की बीते 5 दिन के अंदर ये दूसरी कार्रवाई है।
जयपुर एयरपोर्ट पर तैनात कस्टम विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर भारत भूषण अटल के निर्देशन में यह कार्रवाई की गई। अटल ने बताया कि मस्कट से आज शाम सलाए एयरवेज की फ्लाइट में यह यात्री जयपुर पहुंचा था, जो सीकर का रहने वाला है। एयरपोर्ट पर जब पासपोर्ट की जांच की जा रही थी, तभी इस युवक के हावभाव देखकर शक हुआ। इस पर उसे पूछताछ की और उसके लगेज को मंगवाया। लगेज बैग को जब खोलकर देखा तो उसमें इमरजेंसी लाइट की बैट्री का वॉक्स पड़ा था, जिसे लाइट रखी थी। लाईट को जब पूरा खोलकर देखा तो उसमें लगी बैट्री के अंदर सोने के दो बिस्किट रखे हुए थे।
असिस्टेंट कमिश्नर ने बताया कि सोने के बिस्किट को कार्बन पेपर से रैप किया हुआ था, जब यात्री से पूछा तो उसने बताया कि किसी ने कहा था कि कार्बन पेपर में सोने को पैक करने के बाद वह एक्सरे मशीन में डिटेक्ट नहीं होता। पूछताछ में यात्री ने बताया कि वह कोरोनाकाल से पहले काम के सिलसिले से ओमान गया था और घर पर उपयोग के लिए यह सोना लेकर आया।
5 दिन पहले 11 सितम्बर को भी जयपुर एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने ऐसे ही सोना लेकर आए एक व्यक्ति को पकड़ा था और वह भी सीकर का ही था। वह एयर इंडिया के फ्लाइट से दुबई से यहां आया था और उसके पास से 465. 700 ग्राम सोना बराम हुआ था, जिसका बाजार मूल्य 22. 53 लाख रुपए था। यह सोना व्यक्ति पंखे की मोटर में छुपाकर लाया था।
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Dayanand Pandey : आज की तारीख़ में लगभग सभी मीडिया संस्थानों में ज़्यादातर पत्रकार या तो अनुबंध पर हैं या बाऊचर पेमेंट पर। कोई दस लाख, बीस लाख महीना पा रहा है तो कोई तीन हज़ार, पांच हज़ार, बीस हज़ार, पचास हज़ार भी। जैसा जो बार्गेन कर ले। बिना किसी पारिश्रमिक के भी काम करने वालों की लंबी कतार है। लेकिन बाकायदा नियुक्ति पत्र अब लगभग नदारद है, जिस पर मजीठिया सिफ़ारिश की वैधानिक दावेदारी बने। फिर भी कुछ भाई लोग सोशल साईट से लगायत सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे हैं। जाने किसके लिए।
मजीठिया मामले में महाराष्ट्र में लगता है पत्रकारों के अच्छे दिन नहीं आने वाले हैं। महाराष्ट्र के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता को अपने ही राज्य के पत्रकारों से गुरेज हो गया है। राज्य के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन और सुविधाओ से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड को अमल में लाने के मामले में चुप्पी साध ली थी। विपक्ष ने जब इस मामले को विधान सभा में उठाया तो मंत्री महोदय ने आनन फानन में पत्रकारों और प्रबंधन तथा कामगार विभाग की 20 अप्रैल को बैठक बुलाने का एलान किया।
मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा में गड़बड़ झाला कर माननीय सुप्रीम कोर्ट की आंखों में धूल झोकते हुये फर्जी रिपोर्ट भेजे जाने के मामले से जुड़े मुंबई के श्रम आयुक्त के यहां दायर एक आरटीआई का गोलमोल जवाब देना खुद श्रम आयुक्त मुंबई को भारी पड़ने वाला है। मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट शशिकांत सिंह ने आरटीआई से प्राप्त प्रमोशन मामले से जुड़े एक सूचना पर असंतुष्ट होकर श्रम आयुक्त कार्यालय में अपील दायर कर पूछा है कि अगर आपके पास मजीठिया मामले के लिये महत्वपूर्ण प्रमोशन लिस्ट नहीं है तो आपके विभाग द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट को किस आधार पर मजिठिया वेज बोर्ड के क्रियान्यवयन की रिपोर्ट भेजी गयी है। इस अपील को स्वीकार कर लिया गया है और इस पर २५ अप्रैल को दोपहर मेंश्रम आयुक्त कार्यालय मुंबई शहर के प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष सुनवाई होनी है।
लखनऊ : मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू किए जाने के संबंध उत्तर प्रदेश के समाचार पत्रों की स्थिति और अब तक हुयी प्रगति को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अब तक सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट न पेश किए जाने पर इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) का एक प्रतिनिमंडल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी के नेतृत्व में सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार सुबह इस मामले को लेकर मुख्य सचिव आलोक रंजन से भी मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
LEADING organisations of Journalist and non-Journalist newspaper and news agency employees as well as prominent institutions of media persons in Maharashtra have formed a Joint Action Committee (JAC) to press for the implementation of the Justice Majithia Wage Boards Awards, as mandated by the Supreme Court of India. The JAC has decided to hold a May Day open interactive session on Sunday, 1st of May 2016 at either the Mumbai Press Club Hall or the Mumbai Marathi Patrakar Sangh Hall from 12 noon onwards. Efforts are underway to invite Maharashtra Government representatives to address the session.
मजीठिया वेज बोर्ड के वेतन, भत्ता और प्रमोशन के लिये कार्मिक प्रबंधन को पत्र लिखकर ये दस्तावेज जरूर मांगें। देखें सारा राज खुल जायेगा। प्रबंधन की धोखाधड़ी जानने के लिए यह पत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजें तो बेहतर होगा।
मुंबई : पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन, सुविधाओं तथा भत्ते से जुड़े मामले पर महाराष्ट्र सरकार के कामगार मंत्री प्रकाश मेहता ने २० अप्रैल को दोपहर दो बजे से मंत्रालय के दलान क्रमांक ६०७ में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया है।
Mumbai, Apr 13 : Maharashtra government will hold a meeting with newspaper managements within a wwage board for journalists and non-journalists, the State Assembly was informed here today.
मुंबई : सालों से चल रहे मीडिया समूहों के पत्रकारों के अधिकार और उनके वेतन तथा भत्ते को लेकर आज महाराष्ट्र विधानसभा से जोर-शोर से आवाज बुलंद की गई। पत्रकारों को मजीठिया आयोग के तहत वेतन और भत्ते दिये जायें इसके लिए सभी दलों के नेताओं ने अपनी सहमति दर्ज कराई। करीब आधा घंटे चले विचार-विमर्श के बाद राज्य के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता ने आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही एक बड़ी बैठक बुलाएंगे और उसमें पत्रकारों के हितों को लेकर उचित निर्णय लिया जाएगा।
बंधुओं, आज महाराष्ट्र विधानसभा में मजीठिया वेतन आयोग पर अब तक अमल न होने के विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत चर्चा होगी। सभी पत्रकारों से अनुरोध है क़ि इससे जुड़े मुद्दे विभिन्न पार्टियों के विधायकों को बताएं ताकि अखबार मालिकों और सरकार के लेबर विभाग की मिलीभगत सामने आ सके। मुख्य मुद्दे इस प्रकार हैं. .
पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मचारियों के वेतन से जुड़े मजीठिया मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद मध्यप्रदेश के श्रम आयुक्त कार्यालय ने एक सर्कुलर सभी सहायक श्रम आयुक्तों को और संभागीय श्रम कार्यालय को तथा श्रम निरीक्षकों और जिला श्रम कार्यालय को जारी कर तत्काल इस पर कदम उठाने का निर्देश दिया है। केसी गुप्ता श्रम आयुक्त मध्य प्रदेश इंदौर ने 30 मार्च 2016 को ये सर्कुलर जारी किया है जिसमें लिखा है कि भारत सरकार और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश के बावजूद मजीठिया वेतनमान न लागू किए जाने की अनेक शिकायतें प्राप्त हो रही हैं।
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है, ओलावृष्टि के बाद बिजली के बिल की वसूली यह गरीब किसानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है.
मेरी आपसे विनती है कि मंत्रीजी इस और ध्यान देंगे और किसानों का बिजली का बिल इस बार माफ करेंगे यही प्रार्थना है, धन्यवाद.
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, विगत दिनों जो अतिवृष्टि और ओलावृष्टि हुई है उससे फसलों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. सरकार संवेदनशील है माननीय मुख्यमंत्रीजी ने 32 जिलों का दौरा किया है और राहत राशि देने की घोषणा भी की है. प्रकृति स्वतंत्र है और जीव परतंत्र है प्राकृतिक आपदा होती रहती है और युगों से हो रही है लेकिन आज राहत राशि की चर्चा इसलिये हो रही है क्योंकि राहत राशि मिल रही है. अंग्रेजों के जमाने में ऐसे नियम, कानून, कायदे थे जिसमें राहत राशि मिलना असंभव था क्योंकि कहीं इकाई तहसील होती थी, ओला या अतिवृष्टि की इकाई कहीं राजस्व निरीक्षक मंडल होती थी कहीं ब्लाक होती थी कहीं किसी तहसील में प्राकृतिक आपदा एकजाई नहीं आती थी न एक राजस्व निरीक्षक मंडल में आती थी न विकासखंड में आती थी तो कभी भी किसान को राहत राशि मिलती नहीं थी लोग कभी आशा ही नहीं करते थे. लेकिन जब से मध्यप्रदेश में माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में सरकार आई है तब से उस इकाई को तहसील, राजस्व निरीक्षक मंडल या ब्लाक छोड़कर और पटवारी हल्का नंबर छोड़कर एक किसान का खेत इकाई बना दिया गया है. यदि एक खेत में भी प्राकृतिक आपदा आती है ओला या बाढ़ कुछ भी तब भी राहत राशि मिलती है. पुरानी आरबीसी 6(4) अंग्रेजों के जमाने का कानून था. तब प्राकृतिक आपदा आती थी तो पटवारी/अधिकारियों से सर्वे का कहा तो वे 200-300 रुपये एकड़ का मुआवजा बना देते थे.
जब से मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में सरकार आई है तब से आरबीसी 6 (4) में संशोधन हुआ है. इकाइयां भी बदलीं व राहत राशि के मापदंड भी बदले गये. जहां 200-500 रुपये एकड़ राहत मिलती थी आज 18000 रुपये एकड़ तक किसान को नुकसान का मिलता है, पान बरेजा का नुकसान 30000 रुपये एकड़ तक मिलता है. पशु हानि में भी एक नॉमिनल राशि मिलती
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थी 200-400 रुपये अब 16000 रुपये तक पशु हानि का भी सरकार देती है इसलिये आज राहत राशि की चर्चा हो रही है. राहत राशि में पहले 200-400 रुपये मिलते थे लोग तो यह राशि लेने ही नहीं जाते थे और दूर कहीं तहसील मुख्यालय पर यह राशि बांटी जाती थी अब तो यह गांव-गांव जाकर चेक बांटे जाते हैं और अब तो किसानों के बैंक खातों में यह राशि सीधे जमा की जा रही है. पिछले वर्ष भी प्राकृतिक आपदा आई सरकार ने पूरी संवेदना के साथ सर्वे कराया और पर्याप्त राहत राशि किसानों को दी गई. नरसिंहपुर जिले में लगभग 75 प्रतिशत जिले में हुई थी एक अरब रुपया राहत राशि का पूरे जिले में बाँटा गया था. उसमें कुछ दिक्कतें आती हैं उससे मैं सहमत भी हूँ. सर्वे में दिक्कतें आती हैं, तो राजस्व मंत्री जी बैठे हैं, मुख्यमंत्री जी से मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि जो सर्वे होता है उसमें जो सर्वे टीम जाती है, एक जो संबंधित किसान है, उसको कौनसी फसल उसके खेत में थी, कितने परसेंट उसमें नुकसान हुआ है, इतना लिखकर एक रसीद टाइप दे दें, तो बाद में जो दिक्कत आती है, किसान समझ जाता है कि मेरा 50 परसेंट से ऊपर नुकसान है और फिर उसको नहीं मिलता है, कहीं कहीं ऐसी विसंगति आती है तो ऐसी व्यवस्था एक राजस्व विभाग के द्वारा कर दें, एक रसीद दे दें कि इतने रकबे में तुम्हारी इस फसल का नुकसान हुआ है और इतने परसेंट नुकसान हुआ है, तो कम से कम किसान आश्वस्त हो जाए, तो फिर बाद में जो दिक्कत आती है, वह दिक्कत न हो. सर्वे तो लगभग ठीक होता है लेकिन कहीं कहीं कुछ लोग गड़बड़ करते हैं तो वह गड़बड़ न हो. पर्याप्त राहत राशि किसानों को मिले. इस बार भी मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि पर्याप्त राशि किसानों को मुआवजे के रूप में मिलेगी. अध्यक्ष महोदय, हमारे जिले में ओलावृष्टि कम गाँवों में हुई है लेकिन अतिवृष्टि हुई है, तो अतिवृष्टि से जो दलहन फसल है, मसूर, बट्टी, चना, इनका नुकसान हुआ है क्योंकि जो खेत में कटी हुई फसल थी वह भी सड़ गई है और जो खेत में खड़ी फसल थी वह भी खराब हो गई, तो मैं राजस्व मंत्री जी से, मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि जहाँ अतिवृष्टि भी हुई है, वहाँ भी सर्वे कराया जाए और गेहूँ की फसल या बाकी फसलों के लिए, लेकिन दलहनी फसल में वहाँ भी नुकसान है 50 परसेंट से ऊपर याने दाना खराब हो गया, उसका सर्वे
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सुप्रीम कोर्ट गैंगरेप पीड़िता बिलकिस बानो के मामले में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुनवाई के लिए नई विशेष बेंच बनाने को तैयार हो गया है। बिलकिस बानो की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप का शिकार हुईं बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था।
बिलकिस बानो ने अपनी वकील शोभा गुप्ता के जरिए मामले में दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दोबारा याचिका दाखिल की थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले की तत्काल सुनवाई की मांग भी की थी। इस पर भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने बिलकिस बानो की याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में जल्द से जल्द नई बेंच का गठन करने की बात कही।
क्या है बिलकिस बानो गैंगरेप केस?
वर्ष 2002 में गोधरा में कारसेवकों से भरे ट्रेन के डिब्बे में लगी आग के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। 3 मार्च, 2002 को दाहोद के रंधिकपुर गांव में गुस्साए लोगों ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस समय वह 21 साल की थीं और 5 महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के 14 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। मरने वालों में बिलकिस की 3 वर्षीय बेटी भी शामिल थी।
बिलकिस बानो ने पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की रिहाई पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि मामले में रिहाई की नीति गुजरात सरकार की जगह महाराष्ट्र सरकार की लागू होनी चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद बिलकिस बानो की दोषियों को फिर से सजा दिलाने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई थी।
गुजरात सरकार ने 1992 की माफी नीति के तहत पिछले साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। गुजरात सरकार ने रिहाई पर कहा था कि जेल में 14 साल पूरे होने और उम्र, जेल में बर्ताव और अपराध की प्रकृति जैसे कई कारणों के चलते दोषियों की सजा में छूट के आवेदन पर विचार किया गया था।
किस प्रकिया के तहत हुई थी दोषियों की रिहाई?
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रियाद। सउदी अरब से एक चौकाने वाली घटना सामने आई है। वहां का एक परिवार उस वक्त हैरानी में पड़ गया जब उनकी 23 साल की बेटी ने एक भारतीय प्रवासी लड़के से प्रेम की बात स्वीकारी और उससे विवाह की इच्छा जताई।
सूत्रों के अनुसार बेटी के शादी की जिद्द पर उसके पिता ने तुरन्त कार्यवाही करते हुए लड़की का प्रेमी जहां काम करता है उसके मालिक से मिले और जल्द से जल्द उसे भारत भेजने का आग्रह किया लेकिन उनकी यह कोशिश नाकाम रही।
23 वर्षीय युवती लगातार अपने परिवार पर उस लड़के से शादी करने पर दबाव बना रही है। लड़का रियाद के एक मॉल में डिलीवरी मैन का काम करता है।
लड़की ने अपने परिवार को बताया कि वह उस लड़के से मॉल में ही मिली थी जिसके बाद से दोनो के बीच प्रेम संबध शुरू हो गया।
रिपोर्ट के अनुसार लड़की अभी भी उस लड़के से शादी करने की जिद्द पकड़े हुई है जो कि वहां के स्थानीय मानदंडों के खिलाफ है जिसकी वजह से उसका पूरा परिवार परेशान है।
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इजमिर महानगर पालिका के मेयर Tunç Soyerशहर की पर्यटन क्षमता को विकसित करने के लक्ष्य के अनुरूप उठाए गए कदमों का फल मिला। सालों बाद, इज़मिर के लिए पहला क्रूज 14 अप्रैल को बनाया जाएगा। इज़मिर मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका द्वारा अलसांकक बंदरगाह पर, जो फिर से क्रूज पर्यटन की तैयारी कर रहा है, पूरी गति से जारी है। मेयर सोयर, जिन्होंने यात्रा से पहले बंदरगाह में कार्यों की जांच की, जिसका उद्देश्य शहर की अर्थव्यवस्था में गंभीर योगदान देना है, ने घोषणा की कि नगर पालिका के भीतर पर्यटन पुलिस विभाग की स्थापना की गई थी।
इज़मिर उन क्रूज यात्राओं के लिए तैयार हो रहा है जो सालों बाद फिर से शुरू होंगी। पहला पर्यटक दल 14 अप्रैल को अलसांकक बंदरगाह पहुंचेगा। साल के अंत तक, हजारों पर्यटक 34 क्रूज यात्राओं के साथ इज़मिर की यात्रा करेंगे। इज़मिर मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका के मेयर Tunç Soyer, तुर्की राज्य रेलवे गणराज्य (TCDD) इज़मिर पोर्ट प्रबंधन निदेशालय का दौरा किया, ताकि क्रूज यात्राओं से पहले की तैयारियों की जांच की जा सके, जिससे शहर की अर्थव्यवस्था को ताजी हवा देने की उम्मीद है।
इज़मिर मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका, इज़मिर गवर्नर कार्यालय और इज़मिर प्रांतीय संस्कृति और पर्यटन निदेशालय के समन्वय के तहत कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले सोयर ने कहा कि सभी कमियों को 14 अप्रैल तक पूरा किया जाएगा, और इज़मिर का बंदरगाह और उसके आसपास की मेजबानी के लिए तैयार हो जाएगा। पर्यटक समूह।
यह कहते हुए कि इज़मिर मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका ने नए सीज़न से पहले महत्वपूर्ण तकनीकी और प्रशासनिक कदम उठाए, सोयर ने घोषणा की कि पर्यटन पुलिस विभाग इज़मिर मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका पुलिस विभाग के दायरे में स्थापित किया गया था। नया प्रधान कार्यालय पर्यावरण और जोनिंग पुलिस विभाग के तहत काम करेगा। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी बंदरगाह के आसपास यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा, इज़मिर मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका द्वारा आयोजित होने वाले पर्यटन संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाली टीमों में प्रत्येक में 6 लोग शामिल होंगे। टीमें, जो पर्यटन कार्यालयों में भी होंगी, यह सुनिश्चित करने के लिए भी काम करेंगी कि इज़मिर आने वाले आगंतुक पर्यटन क्षेत्रों में आराम से यात्रा कर सकें। पुलिस कर्मी, जो नागरिक टीमों के साथ मिलकर निरीक्षण और नियंत्रण कार्य जारी रखेंगे, संबंधित विभागों को सूचना प्रवाह भी प्रदान करेंगे। शहर में खंडहर हो चुके सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों में सहायता सेवाएं, परामर्श और मार्गदर्शन सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी। टीमों के पास विज़िट इज़मिर एप्लिकेशन के साथ एक टैबलेट भी होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ पर्यावरण हितैषी सेवा करने वाली पुलिस टीम घरेलू और विदेशी पर्यटकों की शिकायतों और आवेदनों को संबंधित इकाइयों तक पहुंचाने और आवश्यक समन्वय प्रदान करने में एक सेतु का काम करेगी।
तकनीकी अध्ययन के दायरे में क्या किया गया?
इज़मिर मेट्रोपॉलिटन म्युनिसिपैलिटी डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस अफेयर्स की टीमों द्वारा समुद्र के किनारे पर तरजीही सीमाओं का नवीनीकरण किया गया। क्षेत्र में डामर बिछाने और पैचिंग का काम 25 मार्च 2022 को शुरू हुआ था। फुटपाथ का काम पूरा होने के बाद रोड मार्किंग का काम शुरू हो जाएगा। बंदरगाह में ग्रीन एरिया पर साइड बॉर्डर का काम किया जाएगा। समुद्र के किनारे बनी इमारत की दीवारों पर पलस्तर और पेंटिंग का काम जारी है। बंदरगाह में पर्यटकों के पैदल मार्ग के लिए, सड़कों के किनारे एक तरजीही सीमा के साथ एक लाइन बनाई गई थी, और लगभग 7 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्र में डामर फ़र्श का काम किया जाता है। बंदरगाह में 2 हैंगर के बाहरी प्लास्टर को नवीनीकृत और चित्रित किया गया है। भूनिर्माण का काम भी अंतिम चरण में पहुंच गया है।
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ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर अब नए टिकटॉक संसेशन बन गए हैं। वॉर्नर के टिकटॉक वीडियो भारतीय फैन्स के बीच भी खासे पॉपुलर हो रहे हैं। इसकी खास वजह यह है कि वॉर्नर बॉलीवुड और टॉलीवुड गानों पर डांस करके अपने वीडियोज बना रहे हैं। डेविड वॉर्नर एक बार फिर से अल्लू अर्जुन के तेलुगु गाने 'रामुलु रामुला' पर डांस किया है। इससे पहले भी वॉर्नर अल्लू अर्जुन के 'बुट्टा बोमा' पर डांस किया था, जिसके बाद एक्टर ने भी बल्लेबाज की तारीफ की थी। अब एक बार से वॉर्नर के डांस पर फैन्स अपने रिएक्शन दे रहे हैं।
डेविड वॉर्नर ने अपने नए टिकटॉक वीडियो में अल्लू अर्जुन के तेलुगु गाने 'रामुलु रामुला' शानदार डांस किया है। इस वीडियो में वॉर्नर की पत्नी कैंडिस और बेटी भी नजर आ रही हैं। वॉर्नर अल्लू अर्जुन के डांस की शानदार नकल कर रहे हैं। फैन्स वॉर्नर के इस डांस से काफी इंप्रेस हैं और कह रहे हैं कि उन्हें टॉलीवुड ज्वॉइन कर लेना चाहिए।
वॉर्नर ने ऑफिशियल इंस्टाग्राम से इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है- कैंडी वॉर्नर सोच रही हैं कि वापस आ गए हैं? गाना कौन सा है? इस वीडियो में वॉर्नर की बेटी भी एकदम खुलकर डांस कर रही हैं। वॉर्नर और उनकी पत्नी कैंडिस का डांस बेहद शानदार हैं।
बता दें कि डेविड वॉर्नर आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ से खेलते हैं। हैदराबाद में उनकी खासी पॉपुलैरिटी है। ऐसे में फैन्स तमिल और तेलुगु गानों पर उनके डांस को काफी पसंद कर रहे हैं। अगर स्थितियां सामान्य होती तो इस वक्त डेविड वॉर्नर आईपीएल में खेल रहे होते, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस टूर्नामेंट को अनिश्चिचतकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
कोरोना वायरस (कोविड-19) की महामारी लगातार बढ़ती जा रही है और विश्व भर में अब तक 42 लाख से अधिक लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 4,246,741 लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए हैं और 290,879 लोगों की मौत हो चुकी है।
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भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से गुजरात के पाटीदार के हार्दिक पटेल की भूख हड़ताल को अनदेखा किया और कोई भी मंत्री या नेता उन के पास नहीं फटका, साफ करता है कि भाजपा के लिए पाटीदार जैसे किसान, कामगार, मजदूर, छोटे व्यापारी केवल सेवा के लिए हैं, मेवा के लिए नहीं. सदियों से पौराणिक कहानियां सुनासुना कर गांवगांव में पिछड़ों यानी अदर बैकवर्ड कास्टों का धर्म और धंधों में जम कर इस्तेमाल किया गया और उन्हें हमेशा ही गरीबी व गुरबत में रख कर नेतागीरी भी चमकाई गई और पंडागीरी भी.
पिछड़े अलगअलग राज्यों में अलगअलग नाम से जाने जाते हैं. कहींकहीं उन का रुतबा ऊंचा हो गया है और वे अपने को सवर्णों के बराबर मानते हैं. उन्हीं में से कुछ भगवा चोला पहन कर पंडों का सा काम करने लगे हैं. जमीन की खाने वाले ये लोग आज फिर भी मोहताज हैं, बेहाल हैं. इन्हें न पहले मेहनत का फल मिला और न आज लोकतंत्रवोटतंत्र के जमाने में मिल रहा है.
इस की वजह यह भी रही है कि ये लोग आमतौर पर इस बात पर खुश रहते हैं कि इन के आसपास बसे दलितों से ये बहुत ऊंचे हैं. जो फटकार इन्हें पंडों, ठाकुरों और सेठों से मिलती है उस का गुस्सा दलितों पर निकाल कर दिल ठंडा कर लेते हैं. इसी में इन की बदहाली की वजह छिपी है.
देश की आज की जरूरत भरपेट खाना, अच्छा कपड़ा और पक्का मकान है जो पिछड़े और दलित साथ मिल कर मुहैया करा सकते हैं. अकेले किसी के बस का नहीं है. सरकारें इन्हें तो पत्तल पर रख कर परोस देंगी, यह खामखयाली है, सपना है. नेताओं के भाषण चाहे कुछ हों रोटी, कपड़ा और मकान मेहनत से आएंगे और जब तक गांवकसबों में सब काम नहीं करेंगे, कुछ नहीं होगा. लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, कांशीराम, हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी जैसे नेताओं की पहले और अब भी इन लोगों को साथ लाने की कोशिशें हो रही हैं पर यह आसान नहीं है क्योंकि ऊंचनीच का भेदभाव पीढि़यों पुराना है और कुछ भाषणों से दूर नहीं हो सकता.
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अफगानिस्तान के उत्तर में स्थित फरयाब प्रान्त में अफगानी विशेष सेना के एक अभियान में पांच तालिबानी आतंकियों को सेना ने ढेर कर दिया है। यह जानकारी प्रांतीय प्रवक्ता ने साझा की है। आतंकवाद विरोधी अभियान को शुक्रवार को गुरजीवन जिले में दारा ए शेख क्षेत्र में अंजाम दिया गया था।
इस हमले में तालिबान के दो ठिकानों को तबाह कर दिया गया है। तालिबान और इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों के कारण अफगानिस्तान राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा के हालातो से जूझ रहा है। इस हमले के बाबत तालिबान की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
अफगानिस्तान की राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा सेनाएं आतंकवाद को नेस्तनाबूत करने के लिए समस्त राष्ट्र में अभियानों को अंजाम दे रही है। अफगानिस्तान आतंक के बुरे दौर से गुजर रहा है।
हाल ही में भारत ने यूएन में अफगान नेतृत्व और अफगान नियंत्रित समवेशी शान्ति और सुलह प्रक्रिया के समर्थन को दोहराया है।
यूएन सुरक्षा परिषद् में अफगान मामले में हो रही ओपन डिबेट में बुधवार को भारत का शान्ति प्रक्रिया को समर्थन को दोहराया था जो देश में एकता, सम्प्रभुता, लोकतंत्र, समवेशी और समृद्धता का प्रचार और संरक्षण करता है।
सीरिया और इराक में साल 2014 के शुरूआती दौर में जिहादी चरमपंथी समूहों का उभार हुआ था और इसी दौरान अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट का कद बढ़ा था। अफगानिस्तान में आईएस खुद को खोरासन प्रान्त कहती है, यह नाम अफगानिस्तान, ईरान और मध्य एशिया के भागो पर लागू होता है।
अफगानिस्तान और तालिबान के बीच शान्ति वार्ता की मध्यस्थता अमेरिका कर रहा है और अमेरिका ने इसके लिए विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद को भेजा है। जल्द ही अमेरिका और तालिबान के बीच अगले चरण की मुलाकात शुरू हो जाएगी।
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कक्षा गुणवत्ता सौंदर्य प्रसाधन "बड़े पैमाने पर बाजार» LUMENE पीढ़ियों के लिए जाना जाता है। परंपरागत रूप से, यह पर्यावरण के लिए एक अधिकतम देखभाल और उनके ग्राहकों के स्वास्थ्य के साथ, उत्तरी पौधों के अर्क का उपयोग किया जाता है। हालांकि, ताकि मांग में होने के लिए, सभी उत्पादों केवल उनके अनुयायियों का विश्वास बनाए रखने के नहीं होना चाहिए, लेकिन यह भी उन्हें कुछ पूरी तरह से नया पेशकश करने के लिए। आज हम मेकअप और युवा लाइन LUMENE प्राकृतिक कोड अद्यतन और का ख्याल के बारे में बात प्राकृतिक मेकअप। प्राकृतिक - न केवल क्योंकि इन नग्न के फैशनेबल और अत्यंत सफल रंगों सहित रचना के सबसे सुरक्षित साधन बल्कि इसलिए भी कि सीमा में हैं।
एक स्वयंसिद्ध रूप में, हम कैसे आत्म देखभाल शुरू करने के लिए सीख सकें। LUMENE प्राकृतिक कोड की एक श्रृंखला में आप न केवल सामान्य सफाई एजेंट मिल जाएगा। जो मेकअप झाग एजेंट को धोने के लिए पसंद है, और नहीं हाथ कपास पैड निस्संदेह आश्चर्य में हमेशा और दूर करने के लिए नए उत्पाद को प्रसन्न उन आँख मेकअप। यह आंखों के लिए सीधे आवेदन किया है और पानी के साथ धोया जाता है। खपत बेहद किफायती कीमत - मानवीय, एक भाग के रूप में - ज्यादा कुछ नहीं। केवल चेतावनीः करने के लिए जलरोधक सौंदर्य प्रसाधन मजबूत साधन की आवश्यकता हो सकती। थोड़ी देर बाद - काजल LUMENE प्राकृतिक कोड, बल्कि प्रतिरोधी जा रहा है, पूरी तरह से हटा दिया जाता है, लेकिन सजावटी सौंदर्य प्रसाधनों के लिए है।
की उल्लेखनीय सामान्य देखभाल उत्पादों जेल साफ़ इसे पहचाना जा सकता है धोने, जो सुस्त त्वचा के लिए बनाया गया है और सूजन से लड़ने में मदद करता है के लिए। के बाद से एक युवा उम्र सबसे आम सामान्य और है संयोजन त्वचा, यह पैसे लाइन LUMENE प्राकृतिक संहिता की उसके अधिकांश के लिए इरादा था। लोशन और scrubs के आवेदन पर टिप्पणियाँ ब्रांड दावों निर्माता का समर्थन करता है। वे, व्यापक सफ़ाई और व्यावहारिक रूप से गैर परेशान करने का कार्य के साथ सामना हालांकि धोने के लिए पानी के उपयोग के कारण सूखापन के कुछ प्रभाव, भाग में संभव है। तो अगर आप pimples और भरा हुआ pores माना सफाई उत्पादों अच्छा सहायकों हो सकता है मुकाबला करने के लिए नए तरीकों की तलाश कर रहे हैं। लेकिन क्रीम और इस ब्रांड के अधिक विवादास्पद के तरल पदार्थ की समीक्षा, तो क्रीम एक सलाहकार की व्यक्तिगत चयन की आवश्यकता है।
सजावटी सौंदर्य प्रसाधन LUMENE प्राकृतिक कोड फैशनेबल रंग की विशेष रूप से प्रशंसा की हकदार छाया है, जो ब्रांड की अच्छी प्रतिष्ठा की पुष्टि करता है की पूरी श्रृंखला के अलावा, प्रतिरोधी रहे हैं और पूरा दिन नीचे रोल नहीं है। निश्चित रूप से आप पहले से ही इन उज्ज्वल पच्चीकारी के लिए ध्यान आकर्षित किया है। वे वास्तव में उन्हें कोशिश के लायक! आँख मेकअप के अच्छे और अन्य साधनों, काजल, जो इसकी कीमत सेगमेंट में रैंकिंग में एक अच्छा स्थान है भी शामिल है।
नींव और पाउडर रंगों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत किया। क्रीम मेकअप के लिए एक अच्छा आधार हैं और चेहरे एक स्वस्थ रंग दे, लेकिन नहीं विशेष रूप से छलावरण खामियों। इस के लिए एक बहुत ही किफायती है मास्किंग पेंसिल कई रंगों, में किए गए "पर्यावरण शैली। " पाउडर कोटिंग घनत्व तरीके से इसे लागू किया जाता है पर निर्भर करता है; कई लोग इस ब्रश, नहीं एक स्पंज संलग्न के लिए उपयोग करने के लिए पसंद करते हैं। यह भी याद रखना चाहिए कि, हालांकि उत्पादित ब्रांड LUMENE सौंदर्य प्रसाधन parabens और कई अन्य हानिकारक संरक्षक और पाउडर का उपयोग, जो महत्वपूर्ण है बिना किया जाता है, पाउडर शामिल नहीं है, यह उपयोगी पैकेज पर रचना को पढ़ने के लिए है। उदाहरण के लिए, तैलीय त्वचा पाउडर रोकना साथ फिट नहीं करता के मालिकों कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कैसे स्वाभाविक था चावल स्टार्च, pores।
इसी श्रृंखला के होंठ चमक पहले से ही बंद कर दिया प्रशंसकों के लिए न केवल छाया, लेकिन यह भी बनावट, लेकिन निश्चित रूप से की तरह अलग हो सकता है किसी भी समय चमकता है। के लिए साधन की एक सुस्पष्ट विशेषता होंठ बनाने LUMENE प्राकृतिक रंगों, जो एक इत्र की दुकान से जो कई तूफान की तलाश में लगभग सभी कर रहे हैं की उपस्थिति है। यह चमक छाया №1 और №3 लिपस्टिक रंगों है कि सबसे अधिक प्राकृतिक होंठ श्रृंगार प्रदर्शन करने के लिए, शानदार चित्रित आँखों से में सम्मिश्रण अनुमति देते हैं।
हमें उम्मीद है कि इस संक्षिप्त समीक्षा के बाद आप इस सार्थक फिनिश सौंदर्य प्रसाधनों में रुचि रखते हैं, और अपनी पसंद सरल और सुखद है।
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Paras Tierea Society Sector 137: नोएडा की हाईराइज पारस टिएरा सोसायटी की लिफ्ट गिरने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. इस सोसाइटी में टावर-24 की लिफ्ट 8वीं मंजिल से गिरकर माइनस दो में पहुंच गई.
Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा की एक हाईराइज सोसायटी में बड़ा हादसा हो गया. इस सोसायटी की 8वीं मंजिल से लिफ्ट गिरी तो अंदर फंसी महिला की दर्दनाक मौत हो गई. ये दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम सामने आया नोएडा के सेक्टर 137 की पारस सोसायटी में जहां सोसायटी में लगी एक लिफ्ट (Paras Society Lift Accident) में एक महिला की मौत हो गई. महिला जैसे ही लिफ्ट में चढ़ी तो अचानक लिफ्ट का तार टूट गया. जिसकी वजह से लिफ्ट 8वें फ्लोर से गिरकर लिफ्ट बेसमेंट में माइनस 2 में पहुंच गई और महिला की मौत हो गई.
फेलिक्स अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, 'महिला के सिर के पीछे चोटें थीं और कोहनियों पर खरोंच थी, जो लिफ्ट से गिरने के कारण हुई प्रतीत होती है. महिला को जब अस्पताल लाया गया तो उसकी नाड़ी की गति रुकी थी और उसकी पलकें फैली हुई थीं. संभवतः अचानक हुई इस घटना के कारण महिला को दिल का दौरा पड़ा था.' डॉक्टर ने कहा कि मरीज का इलाज किया गया लेकिन उसे बचाने में असफल रहे. जानकारी के मुताबिक महिला को करीब 15 से 20 मिनट बाद बाहर निकाला जा सका.
हादसे का शिकार हुई बुजुर्ग महिला की उम्र 70 साल बताई गई है. घटना शाम करीब साढ़े चार बजे हुई और एक घंटे बाद फेलिक्स अस्पताल में महिला की मौत हो गई. मौत के बाद पारस सोसायटी के लोगों ने जमकर विरोध किया. घटनाक्रम का पता चलते ही सोसायटी के सैकड़ों लोग एक जगह जमा हो गए और नारेबाजी करते हुए खराब मेंटेनेंस को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करने लगे. महिला की मौत के बाद सोसायटी के निवासियों ने अध्यक्ष का घेराव किया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की.
महिला की मौत से पहले बृहस्पतिवार को पारस टिएरा के टावरों में से एक में एक और लिफ्ट गिर गई थी. सोसाइटी के निवासियों के व्हाट्सऐप ग्रुप पर साझा की गई जानकारी के अनुसार घटना के समय लिफ्ट खाली थी. गौरतलब है कि दिल्ली-NCR के हाईराइज अपार्टमेंट्स में मेंटिनेंस बड़ा मुद्दा बन चुका है. सोसायटी में सिक्योरिटी सबसे अहम फैक्टर है. CCTV और लिफ्ट पर सबसे ज्यादा ध्यान दिए जाने की बात कही जाती है. लेकिन ऐसे हादसे सोसायटी के कर्ताधर्ताओं के दावों की पोल खोल देते हैं.
निवासियों के भारी विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने बताया कि स्थानीय सेक्टर 142 थाने, पास के फेज- 2 और फेज- 3 के थाना प्रभारियों सहित अतिरिक्त बल मौके पर भेजी गई थी. एसीपी 3 (मध्य नोएडा) सुमित शुक्ला स्थिति की निगरानी कर रहे हैं.
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नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह से 21 अप्रैल को दर्ज दो प्राथमिकियों के संबंध में अभी तक पूछताछ नहीं की है, जिसमें गंभीर आरोप शामिल हैं, जिसमें संरक्षण के तहत उल्लंघन भी शामिल है। यौन अपराधों से बच्चे (पॉक्सो) अधिनियम।
सूत्रों के अनुसार, 14 दिन पहले प्राथमिकी दर्ज करने के बावजूद पुलिस ने अभी तक सिंह को समन नहीं भेजा है। एक सूत्र ने कहा, "हमने सात पहलवानों के बयान दर्ज किए हैं और सिंह को जल्द ही समन भेजा जाएगा। "
पुलिस के अनुसार, उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल), 354ए (यौन उत्पीड़न), और 354डी (पीछा करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा मामला धारा के तहत दर्ज किया गया था। पॉक्सो एक्ट के 10।
क्या कहता है कानून?
जबकि तीन गैर-जमानती और "गंभीर" अपराधों के कारण भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग जारी है, कानूनी प्रावधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले इस मामले पर स्पष्टता प्रदान करते हैं।
आईपीसी की धारा 41ए और शीर्ष अदालत के विभिन्न निर्णयों के अनुसार, यदि अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा सात साल से कम है तो आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने कहा कि गिरफ्तारी का फैसला पूरी तरह से पुलिस अधिकारियों के पास है। हालाँकि, गंभीर अपराधों से जुड़े मामलों में, आमतौर पर गिरफ्तारी करने का मानदंड माना जाता है। जिंदल ने कहा, "विशेष रूप से, POCSO अधिनियम के तहत अपराधों को गैर-जमानती के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसलिए, यदि वैध जांच की आवश्यकता है, तो परिणामी कार्रवाई के रूप में गिरफ्तारी की संभावना अधिक है। "
सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य वकील, रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि चूंकि सिंह को गिरफ्तार करने में देरी हो रही है, यह मामले की प्राथमिक जांच के कारण हो सकता है।
"चूंकि POCSO अधिनियम के तहत अपराध और कथित रूप से किए गए अन्य कृत्यों में सात साल तक की सजा होती है, इसलिए इन परिस्थितियों में, जांच अधिकारी धारा 41 और सीआरपीसी की धारा 41-ए के प्रावधानों के अनुपालन का पालन कर सकता है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदान किया गया है। अमरेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में अगर सिंह जांच में 'जांच अधिकारी' (IO) के साथ सहयोग नहीं करते हैं, तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है, "सिंह ने कहा।
क्या डिमांड करते हैं पहलवान?
इससे पहले, बृज भूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली तीन महिला पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कार्यवाही बंद करने के बाद, ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा, "यह ठीक है", और वे परामर्श के बाद भविष्य की कार्रवाई का फैसला करेंगे। वरिष्ठों के साथ।
"यह ठीक है, हम सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं। उनका काम केवल प्राथमिकी दर्ज करना है। कोई भी अदालत किसी को गिरफ्तार करने के लिए नहीं कह सकती है। हम अपने विरोध पर अड़े हुए हैं और यह तब तक चलेगा जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता। " -पुराने पहलवान ने आईएएनएस को बताया।
"पहले हमारी लड़कियों के 164 सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज किए जाएं। वह अभी तक नहीं किया गया है। हम इसके लिए इंतजार कर रहे हैं, उसके बाद हम देखेंगे कि इस संबंध में क्या करने की जरूरत है। "
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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का नाम बदलकर राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर रखने की पुरानी मांग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को एएमयू के बगल में बनने वाले एक नए विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। इसका नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह रखा गया है। पीएम मोदी ने यूनिवर्सटी का शिलान्यास किया, उसके बाद एक वीडियो के तहत शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सरकार के कार्यों के बारे में बताया गया।
यूनिवर्सिटी के उद्घाटन के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूपी के लिए यह बहुत बड़ा दिन है। राधाष्टमी भी है, आज के दिन को यह अवसर और भी पुनीत बनाता है। बृजभूमि के कण-कण में राधा ही राधा बसी हैं। उन्होंने देश को राधाष्टमी की बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा कि विकास के इतने बड़े कार्यों की शुरुआत इस पवित्र दिन से हो रही है।
पीएम ने कहा कि जब कोई अच्छा काम होता है तो हमारे बड़े याद आते हैं। उन्होंने यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह को याद करते हुए कहा कि आज उनकी कमी बहुत ज्यादा खल रही है। आज कल्याण सिंह जी हमारे साथ होते तो राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय और डिफेंस सेक्टर में बन रही अलीगढ़ की नई पहचान को देखकर बहुत खुश होते।
'21वीं सदी में सुधार रहे 20वीं सदी की गलतियां'
पीएम ने कहा कि 20वीं सदी की गलतियों को आज 21वीं सदीं में सुधार रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजा सुहैलदेव हों या राजा महेंद्र प्रताप सिंह उन्हें भुला दिया गया। आज हम नई पीढ़ी को उनसे परिचित करा रहे हैं।
'गरीबों की योजनाओं में 2017 से पहले था रोड़ा'
2017 से पहले गरीबों की हर योजना में रोड़े अटकाए जाते थे। एक-एक योजना लागू करने के लिए दर्जनों बार केंद्र की तरफ से चिट्ठी लिखी जाती थी। यहां उस गति से काम नहीं होता था। यूपी के लोग भूल नहीं सकते कि पहले यहां किस तरह के घोटाले होते थे, किस तरह राजकाज को भ्रष्टाचारियों के हवाले कर दिया गया था। आज योगी की सरकार पूरी ईमानदारी से यूपी के विकास में जुटी है।
'अपराधी सलाखों के पीछे'
चौधरी चरण सिंह ने जो रास्ता दिखाया उससे देश के किसानों को बहुत लाभ हुआ। आज भी अनेक पीढ़ियां उन सुधारों के कारण गरिमामयी जीवन जी पा रहे हैं। छोटे किसानों की चिंता चौधरी को थी। छोटे किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है। छोटे किसानों की संख्या 80 फीसदी से ज्यादा है। देश के दस किसानों में से आठ के पास छोटा जमीन का टुकड़ा है। केंद्र सरकार का इसलिए प्रयास है कि छोटी जोत वालों को ताकत दी जाए।
किसानों के खातों में एक लाख करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं। यूपी में बीते चार सालों में एमएसपी पर खरीद में नए रेकॉर्ड बने हैं। गन्ना भुगतान की समस्याओं को कम किया जा रहा है। यूपी के गन्ना किसानों को एक लाख 40 हजार से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है। आने वाले साल को गन्ना किसानों के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे खुले जा रहे हैं।
गन्ने से बनने वाले इथनॉल का प्रयोग बढ़ाया जा रहा है। इससे वेस्ट यूपी के गन्ना किसानों को बड़ा फायदा होगा। विकास विरोधी हर ताकत से उत्तर प्रदेश को बचाना है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह जैसे, राष्ट्र नायकों की प्रेरणा से अपने लक्ष्य में सफल होंगे।
एक मुस्लिम मेहरबान हमारे यहां गांव में आते थे। मेरे पिताजी जी बहुत अच्छी दोस्ती थी। हमारे यहां ताला बेचने आते थे। दिन भर वसूलकर जो रुपये मिलते थे, मेरे पिताजी के पास रखते थे। 5-6 दिन बाद जब जाते थे, तब सारे रुपये मेरे पिता से ले जाते थे। यूपी के दो शहरों से बहुत परिचित रहे, एक अलीगढ़ तो दूसरा सीतापुर। लोग अपने घर या दुकान की सुरक्षा के लिए अलीगढ़ के भरोसे रहते थे क्योंकि अलीगढ़ का ताला लगा होता था तो लोग निश्चिंत हो जाते थे। अब लोगों के घरों दुकानों की ही नहीं, अलीगढ़ के डिफेंस इंडस्ट्री में बने प्रॉडक्ट्स पूरे देश की सुरक्षा करेगें।
'अब आयात नहीं, निर्यात करेंगे डिफेंस प्रॉडक्ट'
हम डिफेंस के लिए जो भी चाहिए था आयात ही करते थे। आज आजादी के 75 साल बाद इससे बाहर आ रहे हैं। अब हम डिफेंस प्रॉडक्ट निर्यात करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। दर्जनों कंपनियां यहां यूनिट लगाने की तैयारी में हैं।
यूपी पूरी दुनिया के निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। यह तब होता है जब माहौल बनता है और सुविधाएं मिलती हैं। आज यूपी को डबल इंजन सरकार का बड़ा फायदा मिल रहा है। योगी और उनकी टीम ने यूपी को आगे बढ़ाने के लिए तैयार किया है।
विकास के अवसरों से जिनको दूर रखा गया ऐसे हर समाज को शिक्षा और नौकरियों में अवसर दिए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की चर्चा, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स और फैसलों के लिए होती है। वेस्ट यूपी इसका सबसे बड़ा लाभार्थी है। जिस यूपी को देश के विकास के रुकावट के रूप में देखा जाता था। आज वह देश का नेतृत्व कर रहा है। योगी के यूपी ने अच्छा काम किया है।
'सीएम और पीएम के तौर पर मिला सौभाग्य'
'जब मैं गुजरात का सीएम था, तब मुझे श्याम जी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को भारत लाने का सौभाग्य मिला। कच्छ में उनके अस्थि कलश रखे हैं। वह हमें मां भारती के लिए जीने की प्रेरणा देते हैं। आज पीएम के तौर पर मुझे फिर से सौभाग्य मिला है कि आज राजा महेंद्र प्रताप सिंह जैसे महान शख्सियत के नाम पर यूनिवर्सिटी का शिलान्यास कर रहा हूं। '
'अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए दान दी थी जमीन'
पीएम मोदी ने कहा, 'भारत की स्वतंत्रता के लिए ही नहीं लड़े बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए वृंदावन में आधुनिक टेक्निकल कॉलेज, अपने संसाधनों से पैतृक संपत्ति दान देकर बनवाया। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए भी जमीन राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने ही दी। 21वीं सदी का भारत शिक्षा और कौशल के नए दौर की तरफ चला है तब मां भारती के ऐसे अमर सपूत के नाम पर यूनिवर्सिटी का निर्माण सच्ची कार्यांजलि है। '
जब कोई शुभ काम होता है तो हमें अपने बड़े जरूर याद आते हैं। मैं आज इस धरती के महान सपूत स्वर्गीय कल्याण सिंह जी की अनुपस्थिति बहुत ज्यादा महसूस कर रहा हूं। आज कल्याण सिंह जी हमारे साथ होते तो राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय और डिफेंस सेक्टर में बन रही अलीगढ़ की नई पहचान को देखकर बहुत खुश हुई होती। उनकी आत्मा जहां भी होती, हमें आशीर्वाद देती होगी।
'राजा महेंद्र प्रताप को कभी नहीं भूलता वेस्ट यूपी'
इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह को पश्चिमी उत्तर प्रदेश कभी नहीं भूलता। अब उनके नाम पर एक यूनिवर्सिटी बन रही है। यह गर्व की बात है। डिफेंस कॉरिडोर और राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी आजादी की इस गाथा को बताएगा।
यूपी सीएम ने कहा कि मुजफ्फरनगर में एक यूनिवर्सिटी प्रस्तावित है। मेरठ वन डिस्ट्रिक वन प्रॉडक्ट के लिए दुनिया में प्रसिद्ध है। देश का पहला स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी भी मेरठ घोषित किया गया है। अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर यूनिवर्सिटी बन रही है। देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र में काम हो रहा है।
यूपी के किसानों का 95 हजार करोड़ का भुगतान पिछली सरकार ने किया। 1 लाख 43 हजार करोड़ का भुगतान 2017 से यूपी सरकार कर चुकी है। सरकार ने किसानों के हितों में तमाम योजनाएं शुरू कीं। किसानों के हितों के लिए तमाम काम हो रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में घोसी लोक सभा क्षेत्र से भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर को जान से मारने की धमकी दी गई है. सांसद ने इस संबंध में पुलिस को शिकायत दर्ज कराई है.
बीजेपी सांसद हरिनारायण राजभर ने बताया कि अपना नाम उमेश यादव बताने वाले किसी व्यक्ति ने पूर्वाहन उन्हें फोन करके 15 दिनों के अंदर जान से मारने की धमकी दी है. इस बाते से वह काफी चिंतित हैं.
इसके बाद सांसद ने फौरन पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर उन्हें शिकायत की और इस मामले में तहरीर देकर संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज कराया है.
हालांकि सांसद का कहना है कि उन्हें प्रदेश की पुलिस पर भरोसा नही हैं. उन्हें अब तक सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है. सांसद का कहना है कि धमकी मिलने के बाद से वह दहशत में हैं. उन्होंने सरकार से सुरक्षा की मांग की है.
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1 सितंबर 1939 को पोलैंड में क्या हुआ था?
पूर्वजों ने इसे तब भी समझाः 1940 में मास्को में पहले से ही एक अच्छी किताब प्रकाशित की जाएगी, जिसमें से आप एक उत्कृष्ट उद्धरण ले सकते हैंः
सामान्य लामबंदी की घोषणा केवल 30 अगस्त को की गई थी, यानी जर्मन आक्रमण की पूर्व संध्या पर। यह सच होने के लिए नियत नहीं था; पहले से ही शुरू हो चुके युद्ध के प्रहारों के तहत, यह केवल भयानक अराजकता लेकर आया। बुलाए गए जलाशयों द्वारा रेलमार्ग और गंदगी की पटरियों को अवरुद्ध करना शुरू कर दिया गया था, जो पहले से ही पीछे हटने वाले सैनिकों की ओर बढ़ रहे थे। इस पूरी दुखद तस्वीर ने दिखाया कि यदि युद्ध की स्थिति की शुरुआत एक आधुनिक सेना को एक असंबद्ध रूप में पाती है, तो कोई भी इसे संगठित करने, इसे केंद्रित करने और संगठित तरीके से युद्ध में प्रवेश करने की संभावना पर भरोसा नहीं कर सकता है।
और फिर, यह अगले दो वर्षों में, अलग-अलग देशों में बार-बार हुआ, जब तक कि यह मास्को और स्टेलिनग्राद के खिलाफ नहीं आया। विशेष रूप से पोलिश सेना के संबंध में, डंडे के पास मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से काफी अच्छी सेना थी, लेकिन उनके पास सामान्य सामान्य कर्मचारी और युद्ध की योजना नहीं थी, लेकिन उनके पास आशावाद और कठोरता का विशाल भंडार था।
पूर्व-युद्ध के वर्षों के दौरान, पोलिश सैन्य योजना Wshud योजना पर आधारित थी, यूएसएसआर के साथ युद्ध की योजना, जिसे पोलैंड अपना मुख्य दुश्मन मानता था। किलेबंदी और संचालन के थिएटर की तैयारी के लिए अधिकांश धन ठीक वहीं खर्च किया गया था, सोवियत सीमाओं के पास, यह लाल सेना के विरोध में था कि पोलिश सेना को तेज किया गया था। और जर्मनी के साथ युद्ध की स्थिति में, "एस" और "डब्ल्यू" जुटाने की योजनाएँ थीं, जिन पर विस्तार से काम नहीं किया गया था और संसाधनों के साथ प्रदान नहीं किया गया था।
चेकोस्लोवाकिया के पतन और साधारण तथ्य की प्राप्ति के बाद ही स्थिति बदलनी शुरू हुई कि पोलैंड तीन तरफ से जमीन से घिरा हुआ था, और पूर्व में - यूएसएसआर द्वारा, जिसमें से, गृह युद्ध की आड़ में, बड़े क्षेत्र ले जाया गया और युद्ध के आरकेकेए कैदियों का नरसंहार किया गया, और संबद्ध रोमानिया पूरी तरह से संबद्ध नहीं है, और बुखारेस्ट राष्ट्रमंडल के हितों की लड़ाई में हस्तक्षेप नहीं करेगा। समुद्र के द्वारा सहयोगियों के साथ संचार एक पूर्ण की कमी के कारण असंभव है बेड़ा. . . इस स्थिति का परिणाम जाहूद योजना थी, जिसके साथ पोलैंड ने युद्ध में प्रवेश किया।
डंडे, सफल लामबंदी के साथ, 1 मिलियन सैनिकों को युद्ध के मैदान में रख सकते थे, जिसमें 39 पैदल सेना डिवीजन, 11 घुड़सवार सेना और 2 मोटर चालित ब्रिगेड, 3 पर्वत ब्रिगेड और अन्य इकाइयाँ शामिल थीं। पीकटाइम आर्मी - 260 हजार लोग। यह उपकरण के साथ भी बुरा नहीं था - इसलिए, 3393 आर्टिलरी पीस, एंटी-एयरक्राफ्ट गन - 470, एंटी-एयरक्राफ्ट गन - 1124 थे। टैंक पोलैंड में 610 अलग-अलग प्रकार के, 824 विमान थे। डंडे ने एक पूर्ण लामबंदी करने का प्रबंधन नहीं किया, लेकिन उन्होंने पश्चिम में सात सेनाओं (मोडलिन, पोमोर्ज़, पॉज़्नान, लॉड्ज़, क्राको, कार्पेथियन, प्रशिया) और दो टास्क फोर्स (नरेव) को तैनात किया। और विस्ज़को)। सामान्य रूप मेंः
छिपी हुई लामबंदी के लिए धन्यवाद, 1 सितंबर की सुबह तक, लामबंदी योजना 60% तक पूरी हो गई थी, लेकिन पोलिश सैनिकों की तैनाती पूरी नहीं हुई थी - केवल 46,8% सैनिक लक्षित क्षेत्रों में थे, लेकिन उनके पास समय नहीं था पूरी तरह से अपनी स्थिति ले लो।
जर्मनी ने अपनी सेनाओं को सेनाओं के दो समूहों - उत्तर और दक्षिण में विभाजित किया, जिसमें 57 मिलियन सैनिकों के 1,5 डिवीजन, 13500 बंदूकें और मोर्टार, 2533 टैंक और 2231 विमान शामिल थे।
इस प्रकार, पोलैंड पर जर्मनों का एक गंभीर लाभ था, लेकिन एक सक्षम प्रभावी रक्षा के साथ, पोलिश सेना दुश्मन को काफी लंबे समय तक रोक सकती थी। लेकिन पोलिश सरकार प्रभावी रक्षा स्थापित करने में असमर्थ थी, इसके अलावा, उसने इसके लिए विशेष रूप से प्रयास नहीं किया।
योजना बनाने में, डंडे ने कई गलतियाँ कीं, जिनमें शामिल हैंः
1. सीमा पर सैनिकों का समान वितरण।
2. छिपी हुई लामबंदी के साथ देरी।
3. बातचीत की प्रभावशीलता को कम करके आंकना विमानन और वेहरमाच टैंक।
4. उनके सैनिकों के गुणों का पुनर्मूल्यांकन।
5. भंडार का लगभग पूर्ण अभाव, जिसने युद्ध को वास्तव में सीमा युद्ध में बदल दिया।
6. नई संरचनाओं के निर्माण के लिए गंभीर लामबंदी का अभाव।
इन गलतियों को मूर्खता द्वारा समझाया जाना दूर है, लेकिन पश्चिमी सहयोगियों के कारक को कम करके आंका गया है और बीस वर्षों में रणनीति और रणनीति में हुए परिवर्तनों को कम करके आंका गया है। बहुत से जनरलों (और न केवल पोलैंड में) ने युद्ध को अतीत के युद्ध की निरंतरता के रूप में देखा, जब फेरीवाले के घर के लिए महाकाव्य लड़ाई भड़क गई, और 5 किमी आगे बढ़ने को एक बड़ी सफलता माना गया। खैर, फ्रांस, यूरोप की सबसे शक्तिशाली भूमि सेना, जिसके साथ पोलिश सेना एक अनुरेखण थी, लामबंदी के पूरा होने के बाद, यह 3,2 मिलियन लोग, 2850 टैंक और 2400 विमान हैं। सिद्धांत रूप में, यह एक व्यापक आक्रामक और पोलिश मोर्चे से बलों के एक महत्वपूर्ण हिस्से के मोड़ के लिए पर्याप्त से अधिक है।
लेकिन फ्रांस और इंग्लैंड ने हस्तक्षेप नहीं किया और नौ डिवीजनों की सेनाओं के साथ केवल एक सीमित ऑपरेशन किया, जिसके बाद वे एक रक्षात्मक रक्षा में चले गए, जिसमें केवल जनशक्ति में तीन गुना श्रेष्ठता थी। टैंकों में, कहते हैं, यह निरपेक्ष था। दरअसल, जर्मन खुद इसे पूरी तरह से समझते थेः
"हम न तो 1938 में और न ही 1939 में, वास्तव में इन सभी देशों के केंद्रित प्रहार का सामना करने में सक्षम थे। और अगर हम 1939 में वापस नहीं हारे थे, तो यह केवल इसलिए था क्योंकि लगभग 110 फ्रांसीसी और ब्रिटिश डिवीजन जो पोलैंड के साथ हमारे युद्ध के दौरान 23 जर्मन डिवीजनों के खिलाफ पश्चिम में खड़े थे, पूरी तरह से निष्क्रिय रहे।
वे समझ गए, लेकिन उन्होंने युद्ध शुरू कर दिया, क्योंकि, सैन्य कारकों के अलावा, राजनीतिक कारक भी थे (सहयोगी तब तक युद्ध शुरू करने की जल्दी में नहीं थे जब तक कि लामबंदी पूरी नहीं हो गई और पोलिश सेना की प्रभावशीलता और स्थिति के साथ स्थिति यूएसएसआर को स्पष्ट किया गया था) और मनोवैज्ञानिक (फ्रांस में उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में हुए नुकसान को बहुत अच्छी तरह से याद किया। और दोहराने के लिए जल्दी नहीं किया)।
यह वही था जिसे पोलिश नेतृत्व ने ध्यान में नहीं रखा था, और अकेले लड़ाई में, सैनिकों का ऐसा विन्यास, जिसने 1 सितंबर को आकार लिया, जल्दी से आपदा का कारण बना। दरअसल, तबाही हुई थी - दरअसल, पोलैंड को 10 दिनों के भीतर ही हरा दिया गया था। 5 सितंबर तक, मोर्चे को तोड़ दिया गया था, पोलिश गलियारे पर कब्जा कर लिया गया था, और विस्तुला से परे वापसी शुरू हुई थी। 7 सितंबर को, कमांडर-इन-चीफ ने बर्बाद वारसॉ छोड़ दिया; 9 सितंबर को, पोलिश सरकार को शरण देने पर फ्रांस के साथ बातचीत शुरू हुई। 15 सितंबर तक, पोलिश सेना पूरी तरह से घिरी हुई थी, केवल व्यक्तिगत इकाइयों द्वारा प्रतिरोध की पेशकश की गई थी, एक केंद्रीकृत नेतृत्व से वंचित।
वारसॉ की रक्षा, अतिरिक्त सबूत के अलावा कि पोलैंड में बहादुर सैनिक और बुद्धिमान अधिकारी थे, कुछ भी नहीं बदला और कुछ भी तय नहीं किया। डंडे ने एक असाधारण वीरता दिखाई, लेकिन इसमें पहले से ही शून्य की तुलना में थोड़ी कम समझ थी, 28 सितंबर तक यह सब देशभक्ति के कार्य से ज्यादा कुछ नहीं था।
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत प्रभावशाली और शिक्षाप्रद रही, और इससे सीखने के लिए गंभीर सबक हैंः
1. उन सहयोगियों पर भरोसा करना बेवकूफी है जिनके साथ आपका कोई संबंध नहीं है (अर्थात सामान्य हित)।
2. सहयोगी, कुल शक्ति में आपसे काफी बेहतर, हमेशा समझौतों को पूरा नहीं करेंगे, इस मामले में बिस्मार्क द्वारा आवाज उठाई गई गधे और सवार का नियम काम करता है।
3. एक संभावित विरोधी का चयन करते समय, किसी को अत्यंत उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए और पिछली शताब्दियों की शिकायतों से दूर नहीं होना चाहिए।
4. सबसे खतरनाक दुश्मन दुनिया में किसी की ताकत और प्रभाव का अधिक आंकलन है। पोलैंड के मामले में, यह विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि यह सोवियत सुरक्षा प्रस्तावों की स्पष्ट अस्वीकृति थी, एक सैन्य गठबंधन पर जर्मनी के साथ बातचीत, चेकोस्लोवाकिया के विभाजन में भागीदारी और विशेष रूप से इंग्लैंड और फ्रांस पर निर्भरता, की अनिवार्यता को महसूस करने के बाद। युद्ध, जिसके कारण वास्तव में यही परिणाम हुआ।
एक पूरी तरह से औसत यूरोपीय राज्य द्वारा नाजी जर्मनी के सामने एक महाशक्ति के रूप में खेलने के प्रयासों का कोई अन्य परिणाम नहीं हो सकता था। और अगर डंडे ने कहाः
अपने प्रधान मंत्री के होठों से।
फिर जर्मनी से आयाः
"यह डेंजिग नहीं है," हिटलर ने कहा। "हमारे लिए, यह पूर्व में रहने की जगह और बाल्टिक समस्या के समाधान के बारे में खाद्य आपूर्ति के प्रावधान के बारे में है। "
और पोलिश सहयोगियों का मानना थाः
"पोलैंड का भाग्य युद्ध के समग्र परिणामों से निर्धारित होगा, और बाद में, बाद में, लंबे समय में जर्मनी को हराने के लिए पश्चिमी शक्तियों की क्षमता पर निर्भर करेगा, न कि इस पर कि क्या वे जर्मन दबाव को कम कर सकते हैं या नहीं। शुरुआत में पोलैंड। "
और केवल आश्चर्य की बात यह है कि पोलैंड के पास फिर से वही सहयोगी हैं।
- लेखकः
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एक तरफ प्रधानमंत्री महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी सरकार की नाकामियों को स्वीकार कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उन्हीं की सरकार दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में सीएनजी और पीएनजी के दामों में वृद्धि की घोषणा कर रही है। इससे स्पष्ट होता है कि मनमोहन सरकार मान तो रही है कि उसकी नाकामियों की वजह से आम देशवासी बेहद परेशान है और इस सरकार को संवेदनहीन मानता है किन्तु सरकार न सिर्प जमाखोरों, भ्रष्टाचारियों, वायदा कारोबारियों के सामने विवश है बल्कि अपनी ही सरकार के ऐसे मंत्रियों की कारगुजारियों को रोकने में भी अक्षम है जो महंगाई बढ़ाने में लगातार लगे हुए हैं। मनमोहन मंडली का जिस राजनीतिक जमात से संबंध है, उसका तो राजनीतिक आधार ही महंगाई के अर्थशास्त्र पर निर्भर है। इसलिए जो लोग यह उम्मीद किए बैठे हैं कि प्रधानमंत्री अब महंगाई पर काबू के लिए प्रयास करेंगे वे न सिर्प नासमझ हैं बल्कि वास्तविकता को भी नकारने का प्रयास कर रहे हैं। भला कौन-सी संस्था और कौन-सा व्यक्ति यह नहीं चाहता कि वह आम जनता में लोकप्रिय हो किन्तु परिस्थितियां उसे इतना मजबूर कर देती हैं कि वे कुख्यात बन जाते हैं और न चाहते हुए भी आम जनता को राहत नहीं दे पाते। डॉ. मनमोहन सिंह ने महंगाई और भ्रष्टाचार मुद्दे पर सिर्प विवशता जाहिर की है, उन्होंने यह तो आश्वासन नहीं दिया कि इन दोनों दुराचरण संबंधी प्रवृत्तियों का उन्मूलन किया जाएगा कारण कि उनकी पार्टी कांग्रेस कभी भी उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती जो किसी न किसी रूप से राजनीतिक संरक्षण में हैं। एक तरफ कुछ डपोरसंखी आर्थिक विशेषज्ञ आर्थिक ग्रोथ के लिए सब्सिडी जैसी कमजोर वर्ग की संजीवनी को संरक्षणवाद के नाम पर खत्म करने की वकालत करते हैं तो दूसरी तरफ राजनीतिक संरक्षणप्राप्त जमाखोर आम जनता का शोषण कर रहे हैं। प्याज और चीनी को ही लीजिए। ये दोनों ही महाराष्ट्र के कृषि उत्पाद हैं। वहां पर बिचौलियों की तूती बोलती है क्योंकि उन्हें केंद्रीय कृषि एवं उपभोक्ता मंत्रालय से संरक्षण मिलता है। जब भी सरकार को विपक्ष ने घेरा तो सरकार ने एक ही घिसापिटा जवाब दिया कि मौसम प्रतिकूल होने से फसल अच्छी नहीं हुई किन्तु फसली मौसम में ही महंगाई का होना निश्चित रूप से आश्चर्य की बात है। आश्चर्य यानि अस्वाभाविक बात है। लोग हरी सब्जियों के लिए नवम्बर से मार्च तक का समय बहुत अनुकूल मानते हैं किन्तु आज फसली सब्जियां भी महंगी हैं। इससे स्पष्ट है कि वायदा बाजार इतना विकसित हो गया है कि कृषि उत्पाद किसान के खेत-खलिहान से बाजार में पहुंचते-पहुंचते इतना महंगा हो जाता है कि किसान को मिली कीमत और उपभोक्ता द्वारा चुकाई गई कीमत में कम से कम तीन गुणा अन्तर आ जाता है। यह वायदा बाजार सिस्टम मनमोहन सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। दरअसल 2004 में सत्ता संभालते ही मनमोहन सरकार ने जिस शिथिल मौद्रिक नीति को अपनाया उसी के परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति जिन्न की तरह बोतल से निकल कर ऐसी भागी कि सरकार की पकड़ में कभी भी आई ही नहीं। पी. चिदम्बरम जब वित्तमंत्री थे तो महंगाई के लिए आर्थिक ग्रोथ रेट का हवाला देते थे। वे कहा करते थे कि जब ग्रोथ रेट बढ़ेगा तो महंगाई तो बढ़ेगी ही। प्रणब मुखर्जी खुलकर तो कुछ भी नहीं बोलते किन्तु महंगाई से खुश नहीं हैं। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री तो हमेशा से कहते रहे कि आर्थिक विकास और महंगाई एक-दूसरे से जुड़े हैं। कोई प्रधानमंत्री से पूछे कि महंगाई तो निरन्तर बढ़ रही है आखिर फिर नवम्बर में कोर सेक्टर का ग्रोथ रेट घटकर 2. 3 प्रतिशत ही क्यों रह गया। सच तो यह है कि सरकार से आर्थिक व्यवस्था संभाले संभल नहीं रही है। सरकार को पहले तो चिन्ता हुई नहीं कि वायदा बाजार अपने फायदे के लिए आपूर्ति में बाधाएं, आपूर्ति चेन को बाधित करने और कृषि उत्पादों की कृत्रिम अभाव पैदा करने की ऐसी साजिश करेगा कि उन्हें बाजार से हटा पाना मुश्किल हो जाएगा। जब वायदा कारोबारियों के उत्पात से मुद्रास्फीति ग्रॉफ इतना बढ़ गया कि आम उपभोक्ताओं में त्राहि-त्राहि मच गई तो सरकार ने रिजर्व बैंक पर दबाव डालकर रेपो रेट इतना अधिक बढ़वा दिया कि बैंकों से ऋण प्राप्त करना आम आदमी के लिए मुश्किल हो गया और इसका सीधा असर निर्माण पर पड़ा। सीमेंट, लोहे की सरिया और कोयले की बाजार पर मंदी की मार पड़ने लगी। परिणाम यह हुआ कि ग्रोथ रेट ने जमीन पकड़ लिया। सरकार के बहाने की पोल तो खुली ही आम जनता भी परेशान हो रही है। महंगाई और ग्रोथ रेट में कमी के लिए सीधे तौर पर भले ही वायदा कारोबारियों को जिम्मेदार ठहराया जाए किन्तु सच तो यही है कि उन्हें संरक्षण तो इसी मनमोहन मंडली ने दी है। चूंकि अभी भी सरकार अपनी नीति बदलने को तैयार नहीं है इसलिए हालत और खराब होगी। पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में वृद्धि, सीएनजी, पीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी आम बात हो जाएगी।
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सनराइजर्स हैदराबाद की टीम ने बीच आईपीएल सीज़न में डेविड वॉर्नर को कप्तानी से हटाकर केन विलियमसन को नया कप्तान बना दिया है और अब इस बात पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं कि ऐसा क्या हुआ कि वॉर्नर को कप्तानी से हटाने की जरूरत पड़ गई।
अब इस मामले पर मशहूर कमेंटेटर साइमन डोउल ने एक हैरान करने वाला दावा किया है। उनका कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रबंधन के साथ तकरार और मनीष पांडे पर उनकी हालिया कमेंट उनकी बर्खास्तगी का कारण बन गई।
SRH ने शनिवार तड़के घोषणा की कि केन विलियमसन डेविड वार्नर की जगह बाकी बचे मैचों की कप्तानी करेंगे। डोउल ने इस बारे में कहा है कि दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ मैच के बाद डेविड वार्नर का बयान, जहां उन्होंने पांडे के बाहर होने के लिए 'चयनकर्ताओं' का नाम लिया था, शायद यही कारण है कि वॉर्नर से कप्तानी छीनी गई है।
क्रिकबज से बात करते हुए, साइमन डोउल ने कहा, "मुझे लगता है कि ये सब टीम में तकरार की वजह से नहीं बल्कि कोचिंग स्टाफ के साथ तकरार के चलते हुआ है। मनीष पांडे को लेकर वॉर्नर ने जो कुछ कहा था ज़ाहिर है कि, यह उनका निर्णय नहीं था। आखिरकार, वह स्पष्ट रूप से ऐसा नहीं करना चाहता था और लेकिन ऐसा हुआ। आपने इसका दोष किसी और पर ठहराया और मुझे लगता है कि उसने इसके लिए कीमत चुकाई है।"
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संसद के बाद कृषि से संबंधित कानून पास करने के बाद पूरे भारत में हंगामा छाया हुआ है। कानूनों का विरोध करने के लिए लाखों की संख्या में किसान (30 से अधिक विभिन्न किसान यूनियन समूह) दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर इकट्ठे हुए हैं। यदि सरकार उन तीन कानूनों को वापिस नहीं लेती जो किसानों के अनुसार काले कानूनों जैसे हैं तो स्तिथि बहुत जल्द बिगड़ सकती है।
आइए जानें सरकार का इन कानूनों के बारे में क्या कहना है?
सरकार द्वारा लागू किये गए तीन फार्म कानूनों को भारत कृषि सेक्टर में एक महत्वपूर्ण सुधार के तौरपर पेश किये जा रहे हैं जो बिचौलों के काम को ख़तम करेगा।
पहला, किसान केवल APMC की मंडियों पर बेच सकते हैं-कृषि उत्पादन मार्केटिंग कमेटी, हालाँकि किसान उत्पादन व्यापार एक्ट, 2020 के लागू होने के साथ, किसान अपनी उपज APMC मंडियों के बाहर देशभर में कहीं पर भी बेच सकता हैं।
राष्ट्र, कौन से तीन कानूनों की बात कर रहा है ?
- किसानों का उत्पादन व्यापार (तरक्की और सुविधा)
आइये अभी तीनों कानूनों के कुछ फायदे और नुकसानों के बारे में विस्तारपूर्वक विचार करें।
- APMC मंडियों के बाहर, किसानों को अपनी फसल किसी भी जगह पर बेचने की आज़ादी मिलेगी।
- सभी व्यापारक रुकावटों को दूर करके एक राष्ट्र, एक बाज़ार की धारणा अंतरराज्य व्यापार को प्रेरणा मिलेगी।
- किसानों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्मों का प्रयोग करते व्यापार में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन करना, उनके मार्केटिंग और आवाजाई पर होने वाले खर्चों की बचत, विवाद के निपटारों के लिए नई विधि भी प्रस्तुत की गई है। जिसके अंतर्गत किसान अदालत में चल रहे मुकदमेबाजी से बच सकते हैं।
- राज्य सरकारें जो 'बाजार शुल्क' एकत्र करती हैं, वह राज्य की आमदन का एक बड़ा स्रोत है। क्योंकि किसानों को APMC मार्किट से बाहर बेचने की आज्ञा दी जाएगी, इस साल राज्य काफी माली नुकसान झेलेंगे, जैसे कि यह नियम बिचौले लोगों की भूमिका को ख़त्म करता है, कमिशन एजेंटों का व्यापार बंद हो जायेगा और किसान सीधे रजिस्टर्ड व्यापारियों को बेच सकते हैं।
- यह नियम कई दशकों से भारत में चल रहे हैं। MSP आधारित खरीद प्रणाली और परंपरागत मंडी प्रणाली को ख़तम कर देगा।
- किसान परचून विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, निर्यात करने वाले और खाद्य उत्पादों के निर्माता आदि के साथ व्यापारक समझौता कर सकते हैं। उनके शोषण की आशंकाओं को दूर करने और ग्लोबल बाजार तक पहुंचने की अनुमति दी जाएगी।
- यह नियम अब खरीददार- कृषि क्षेत्र में उद्यमियों को प्रोत्साहित करना और अनाज उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसान तकनीकी और बुनियादी ढांचे में निवेश करने में सक्षम होंगे। इसके साथ किसान खेती के ऊपर होने वाले खर्चे को कम करके ज़्यादा आमदन ले सकेगा।
- अनुबंध की शर्तों को पूरा करने के बाद, खरीददार किसानों को अच्छी फसल पैदा करने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध करेगा।
- यह कॉन्ट्रैक्ट विशेष रूप से कृषि उत्पादों से संबंधित होगा न कि इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली भूमि के लिए। इसके लिए किसान अपनी ज़मीन के मालिक बने रहेगें और ज़रूरत पड़ने पर वित्तीय संस्थानों से ऋण ले सकते हैं, ऋण सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं।
- इस नियम के अनुसार ताकत कॉर्पोरेट और व्यापारियों के हाथ होने की संभावना है और वह किसान को अधिक मुनाफे का लालच देकर अपनी बातों में ले सकते हैं जबकि आमतौर पर किसानों के पास मुनाफे वाले सौदे को बंद करने के लिए बातचीत के कौशल बहुत कम हैं।
- जिन किसानों के पास कम ज़मीनें हैं उन किसानों को इस नियम का लाभ नहीं हो सकता, क्योंकि वे प्रायोजकों से वंचित हो जाते हैं।
- विवादों के मामले में कॉर्पोरेट, निर्यात करने वाले और प्रायोजक का एक लाभ होगा।
- यह कानून कॉरपोरेट्स को आज़ादी देता है किसानों को नहीं। चल रहे विरोध के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि इसमें कहीं भी MSP का उल्लेख नहीं है।
- यह कानून कृषि क्षेत्र में निजी निवेश का मार्ग खोल देता है जिससे किसानों को बड़े स्तर पर धनराशि दी जाएगी और उत्पादन में भी सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
- यह कानून किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
- सरकार ने प्याज, आलू, अनाज, दालें, तिलहन आदि को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया है और स्टॉक सीमा भी हटा दी गई है।
- इससे कोल्ड स्टोरेज में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा, जिससे श्रृंखला आधुनिकीकरण की तरफ बढ़ेगी।
- स्टॉक सीमा को हटाने के साथ, किसान बुनियादी ढांचे और परिवहन में निवेश करने के लिए एक बड़े बाजार को आकर्षित कर सकते हैं क्योंकि अब सरकार द्वारा लगाए गए कई प्रतिबंधों से किसान को राहत मिल चुकी होगी।
- अनाज के भंडारण की कोई सीमा नहीं है, बड़ी कंपनियां बहुत अधिक मूल्य ले सकती हैं, जिससे किसानों का शोषण होना संभव है।
- सरकार ने "असाधारण परिस्थितियों" में जो मूल्य की कीमतें लागू की है वह बहुत ज़्यादा है और असल में कभी भी लागू नहीं की जा सकती।
- पंजाब की किसान यूनियन, जो "दिल्ली चलो" मार्च का भी हिस्सा है, केंद्र द्वारा पास किये गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रही है। मार्च का मुख्य उद्देश्य उनकी मांगों के प्रति आवाज उठाना है, जो किसानों के आगे केंद्र के आत्मसमर्पण की मांग कर रहे हैं। सरकार ने दिल्ली-हरियाणा सीमा क्षेत्रों में भारी सुरक्षा बल तैनात किए हैं जो कि विरोध के मुख्य स्थान हैं।
"दिल्ली चलो" मार्चः किसानों की नाराजगी का मुख्य कारण ?
किसान नए तीन कानूनों का पालन करने से इनकार कर रहे हैं। किसानों के अनुसार, मंडी प्रणाली के ख़त्म होने के साथ उन्हें अपनी फसलों की MSP मिलने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही।
उनकी मांग है कि सरकार को MSP लिखित रूप में गारंटी देनी चाहिए, अन्यथा निजी कॉरपोरेट घरानों को दिए जाने वाले हाथों का परिणाम उनके शोषण का नतीजा होगा।
कमिशन के एजेंट, जिन्हें आमतौर पर 'आहडती' के रूप में जाना जाता है और किसान बंधन को बनाए रखना चाहते हैं जो दशकों से चला आ रहा है। हर आहडतिया लगभग 300 किसानों के वित्तीय ऋणों की संभाल, उचित मूल्य सुनिश्चित करना और उनकी फसलों की समय पर खरीद सुनिश्चित बनाता है।
किसानों का मानना है कि नए कानून आहडतियों के साथ उनके रिश्तों को तोड़ देंगे और कॉर्पोरेट उनके प्रति इतनी सहानुभूति नहीं रखेंगे और उनकी समस्याओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे।
- उनके कर्ज माफ किए जाने चाहिए।
MSP को उत्पादन की औसत लागत से 50% अधिक बनाने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए; "निर्धारित MSP का भुगतान ना करना" एक दंडनीय अपराध बनाया जाना चाहिए।
एक कानून बनाया जाना चाहिए जिसके अनुसार बिचौलियों द्वारा फसल का भुगतान सुनिश्चित किया जाये। हमेशा से यह नियम रहा है कि बैंक कर्ज वसूली के नाम पर किसानों के खातों से पैसे की कटौती नहीं करती।
कानूनों ने किसानों के प्रति सरकार में विश्वास पैदा किया है जो कानूनों के सकारात्मक पहलुओं को उजागर कर रहा है जो भारत में कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण में मदद करेंगे। हालांकि, सरकार को ऐसे कानूनों को पास करने से पहले किसानों और राज्यों के विचारों पर चर्चा करनी चाहिए।
इसके अलावा, सरकार को किसानों की भलाई के लिए सबसे पहली बात जिस पर ध्यान देने की ज़्यादा जरूरत है कि APMC मंडियों को मजबूत करना और उनमें कमियों को दूर करना।
"अपनी खेती" हमेशा किसानों और उनके हितों का समर्थन करती है, जिसके लिए हम अक्सर नवीनतम कृषि कानूनों और रुझानों के बारे में जागरूक रखने के लिए जानकारीपूर्ण लेख पोस्ट करते हैं। कृषि, कृषि उपकरण, बीज, पौधों की बीमारियों, कीटनाशकों आदि के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपनी खेती ऐप डाउनलोड करें और नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट प्राप्त करें।
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नई दिल्ली : इन दिनों बुरे समय से गुजर रही कांग्रेस को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ताज़ा मामला केरल का है जहाँ एक कंस्ट्रशन कम्पनी ने अपना बकाया नहीं मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.
हैदर कन्स्ट्रकशन कम्पनी के बिल्ड़र का आरोप है कि जिस इमारत का उद्घाटन सोनिया गांधी ने किया था उसके निर्माण का बकाया रुपया उसे अभी तक नहीं मिला है. कम्पनी ने कहा कि भुगतान के मामले को लेकर सोनिया गांधी, केपीसीसी अध्यक्ष वीएम सुधीरन और विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के खिलाफ कोर्ट जाएगी.
इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को नोटिस भेजा गया है जिसमें बिल्ड़र ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने बकाया नहीं चुकाया है.
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राज्यसभा से बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी अकसर अपने मुखर बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते है। अब उन्होंने अपनी ही पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय को हटाए जाने की मांग कर दी है। सुब्रमण्यम ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि अगर कल (गुरुवार) तक अमित मालवीय को नहीं हटाया गया, तो इसका मतलब ये होगा कि पार्टी मुझे नहीं बचाना चाहती है।
इससे पहले उन्होंने बीजेपी की आईटी सेल को दुष्ट बताते हुए उनपर फर्जी आईडी से निजी हमले करने का आरोप लगाया था। सुब्रमण्यम ने बुधवार को अपने ट्वीट में लिखा, कल तक अगर मालवीय को बीजेपी आईटी सेल से नहीं हटाया जाता है तो इसका मतलब है कि पार्टी मेरा बचाव नहीं करना चाहती। चूंकि पार्टी में ऐसा कोई मंच नहीं है जहां मैं अपनी राय रख सकता हूं, इसलिए मुझे अपना बचाव करना होगा।
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Bihar ke rajyapal kaun hai 2023, Bihar Governor Name: राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) बिहार राज्य के वर्तमान राज्यपाल (Governor) हैं। राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर का जन्म 23 अप्रैल 1954 को गोवा के पणजी में हुआ था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) बचपन से ही आरएसएस से जुड़े थे 1989 में राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) ने बीजेपी को ज्वाइन किया। बता दें की राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर गोवा सरकार में कैबिनेट मंत्री और गोवा विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को साल 2012 में वे गोवा विधानसभा के अध्यक्ष बनाये गये। साल 2015 में वे गोवा के पर्यावरण और वन मंत्री भी बने। बता दें की गोवा विधानसभा को पेपरलेस करने के कारण आज भी उनकी सराहना की जाती है।
राज्यपाल का क्या काम होता है?
बता दें की 'राज्यपाल' (Governor) भारत के किसी राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। इनके पास राज्य स्तर पर केंद्रीय स्तर पर भारत के राष्ट्रपति के समान शक्तियां (Power) और कार्य होते हैं। भारत में राज्यपाल राज्यों में मौजूद हैं, जबकि उपराज्यपाल और प्रशासक दिल्ली और पुडुचेरी और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद हैं।
बता दें की एक राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है और अपने सभी निर्णय मुख्यमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद की सलाह के आधार पर लेता है।
लेफ्टिनेंट गवर्नर (Lieutenant Governor) एक केंद्र शासित प्रदेश का संवैधानिक प्रमुख होता है। हालाँकि, एलजी रैंक केवल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, दिल्ली और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद है।
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क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद आले-सानी की वाशिंगटन की यात्रा के दौरान, अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कांग्रेस के लिए एक नोट जारी किया, जिसमें दोहा को वाशिंगटन का ग़ैर-नाटो सहयोगी देश बताया गया है।
अमरीका ने आतंकी संगठन दाइश के सरग़ना को मार गिराने का दावा किया है।
रूसी प्रतिरक्षामंत्रालय ने बताया है कि मॉस्को पश्चिम की चुनौतियों से मुकाबले के लिए बेलारूस में S-400 डिफेन्स सिस्टम पहुंचा दिया है।
अफ़ग़ानिस्तान को अकाल सहित विभिन्न समस्याओं का सामना है और आजकल अफ़ग़ानिस्तान में रोटी की समस्या बहुत जटिल व विषम रूप धारण कर गयी है इन हालात में भारत अफ़ग़ानिस्तान को 50 हज़ार टन गेहूं भेजने वाला है।
9 फरवरी बुधवार को वियना वार्ता के नवीनतम घटनाक्रम पर सुनवाई के लिए अमेरिकी सीनेट की एक अहम बैठक होना तय पाया है।
अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को पूर्वी यूरोप और जर्मनी में 3 हज़ार अमरीकी सैनिकों की तैनाती की मंज़ूरी दी। 1700 अमरीकी सैनिक पोलैंड में तैनात होंगे और 1000 सैनिक जर्मनी से रोमानिया भेजे जाएंगे। 300 सैनिक जर्मनी में तैनात होंगे। बाइडन के आदेश के अनुसार पेंटागोन इलाक़े में हाई एलर्ट सैनिकों की संख्या साढ़े आठ हज़ार से ज़्यादा कर देगा।
रूसी विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है कि दुनिया को जिस चीज़ से बचाना चाहिये वह ब्रिटेन के राजनेताओं की मूर्खता और अज्ञानता है।
बहरैन में सबसे बड़ा नौसैन्य अभ्यास हो रहा है जिसमें इस्राईल और सऊदी अरब भी भाग ले रहे हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय पेन्टॉगन के प्रवक्ता ने एक बार फिर क्षेत्र में ईरान की नीतियों के संबंध में बेबुनियाद दावों को दोहराते हुए कहा है कि ईरान क्षेत्र के कुछ देशों लिए ख़तरा बना हुआ है।
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1966 के दस्तावेज कहते हैं कि 1965 तक कांग्रेस और ट्रस्ट के जरिए वियना में बोस की बेटी अनिता की मदद की गई। बोस के परिवार को कुछ समय तक 200-300 रुपये (उस समय एक बड़ी रकम थी) भेजा जाता रहा। बाद में अनीता जर्मनी के एक कॉलेज में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर बन गईं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन की खबर उनकी पत्नी एमिली शेंकल को रेडियो से मिली। वो 24 अगस्त, 1945 को वियना में अपने घर पर थीं। रेडियो पर खबर आई कि बोस ताइपेई में एयर क्रैश में मारे गए। पूरा परिवार स्तब्ध रह गया। उनकी बेटी अनिता चार साल की होने वाली थी। जब सुभाष जर्मनी से जापान के लिए निकले थे, तब बेटी तीन महीने की भी नहीं हुई थी। दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने की ओर था, लेकिन उसने यूरोप और खासकर जर्मनी के अधीन आ चुके देशों में हालत खराब की हुई थी। लोग अभावों और असुरक्षा के बीच जीवन गुजार रहे थे।
शेंकल को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वो करें तो क्या करें। हालांकि मानसिक तौर पर वो पहले से हर स्थिति के लिए तैयार थीं, लेकिन सुभाष के नहीं रहने की खबर उनके लिए गहरा आघात थी। उनकी शादी सीक्रेट तरीके से हुई थी। अब बेटी को लेकर उन्हें तमाम सवालों से दो-चार होना ही था। घर की आर्थिक स्थिति युद्ध के तत्कालीन हालात के बीच बहुत मुश्किल होती जा रही थी। अब बेटी के साथ उन्हें लंबा जीवन जीना था। घर में एक बूढ़ी और बीमार मां भी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और उससे जुड़े देशों में विधवाओं और पिताविहीन बच्चों की संख्या खासी ज्यादा हो चली थी।
शेंकल उस समय खुद भी केवल 34 साल की थीं। दूसरी शादी करने के कई प्रस्ताव उनके सामने आए। इसे लेकर कई तरह के दबाव भी झेलने पड़े, लेकिन वो टस से मस नहीं हुईं। उनका मानना था कि सुभाष के बाद उनकी जिंदगी में अब कोई नहीं आ सकता। वो जीवन भर सुभाष की यादों और उनकी बेटी के साथ ही जीती रहीं। एमिली मजबूत चरित्र और दृढ़ इच्छाशक्ति वाली महिला थीं। जिंदगी ने उन्हें संघर्ष ही दिया, लेकिन वो डटी रहीं। जिंदगी तो चलनी ही थी। उन्हें पोस्ट ऑफिस में नौकरी मिल गई।
दो दिनों बाद नेहरू ने संबंधित अफसरों को लिखा, "कृपया फाइनेंस और विदेश मंत्रालय से पता करें कि क्या इस तरह वियना धन भेजा जा सकता है। क्या हम विशेष मामले की तरह इसे मानते हुए धन वियना भेज सकते हैं। हमें इस तरह पैसा भेजकर उनकी मदद करनी चाहिए। " मंत्रालय और रिजर्व बैंक ने मिलकर रास्ता निकाल लिया। उन्होंने ऐसी व्यवस्था कर दी कि अमीय कोलकाता के विदेश विभाग के आफिस में पैसा जमा करें और ये वियना में एमिली शेंकल तक पहुंच जाए। विदेश विभाग ने अमीय को बता दिया कि वो इस तरह का आसान ट्रांजिक्शन शुरू कर सकते हैं। अमीय के अनुरोध के बाद कुछ दूसरी बातों या मदद का रास्ता भी तैयार हुआ।
नेहरू उस समय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष थे, उन्होंने इस बारे में कांग्रेस कार्यालयों को बताया। उन्होंने लिखा, 'मैं सोचता हूं कि हमें उनके लिए 100 डॉलर की व्यवस्था करनी चाहिए और क्रिसमस पर उपहार के रूप में भेजने चाहिए। ' प्रधानमंत्री के आदेश के बाद अक्टूबर 1952 में वियना में भारत के राजनयिक केवी रामस्वामी को आधिकारिक तौर पर सूचना दी गई कि इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया लंदन में आपके नाम एक 100 डॉलर का ड्रॉफ्ट भेजा गया है। प्रधानमंत्री की इच्छा है कि इस धन को आधिकारिक अकाउंट से अलग रखा जाए और इसे मिसेज शेंकल को नकद या उपहार के रूप में दे दिया जाए।
नेहरू केवल यहीं नहीं रुके, उन्होंने वित्तीय मदद के अलावा 15 अगस्त 1952 को विदेश सचिव को पत्र लिखकर पूछा, "क्या ये संभव है कि वियना में हमारे प्रतिनिधि के जरिए सुभाष चंद्र बोस की पत्नी के लिए कुछ चाय भेजी जा सके। " ये व्यवस्था 1953 में एक साल तक चलती रही। उसी समय नेहरू को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर बीसी राय से एक मदद मिली। उन्होंने सुभाष बोस के नाम से एक ट्रस्ट बनाया, जिससे सुभाष की विधवा के जरिए उनकी बच्ची के लिए धन भेजा जा सके।
साल 2016 में नेताजी से संबंधित जो फाइलें केंद्र सरकार ने जारी कीं, उसमें एक तथ्य और था, जिसका प्रचार नहीं हुआ। वो ये था कि नेहरू ने बोस के वियना स्थित परिवार यानी उनकी पत्नी और बेटी को लगातार वित्तीय मदद देने का प्रयास किया। इसके लिए सरकारी स्तर पर बाधाएं दूर की गईं। इन फाइल्स में 1952 से लेकर 1954 तक के वो पत्राचार भी हैं, जो भारत सरकार ने वियना में रह रहे बोस के परिवार से किए थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर जो ट्र्स्ट बनाया गया था, उसके लिए भी धन जुटाया गया। ट्रस्ट ने करीब दो लाख रुपए की एक मोटी धनराशि बैंक में जमा कर दी। इससे दो काम होने थे, पहला काम था सुभाष की बेटी को लगातार आर्थिक मदद। दूसरा काम ये कि जब वो 21 साल की हो जाए, तो उसे पूरी रकम मिल जाए। इस संबंध में नेहरू और बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी राय ने एक करार तैयार किया। इसमें प्रावधान किया गया कि 21 साल की होने पर ये रकम अनिता को मिलेगी, लेकिन अगर इस बीच उनकी मृत्य हो जाती है, तो रकम उनकी मां शेंकल को मिल जाएगी। अगर दोनों ही इस दुनिया में नहीं रहीं, तो ये रकम आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के पास लौट जाएगी, क्योंकि इस ट्रस्ट के धन को कांग्रेस नेताओं से ही जुटाया गया था।
साल 1966 का एक दस्तावेज कहता है कि 1965 तक कांग्रेस और ट्रस्ट के जरिए अनिता को मदद की गई। इसके बाद उनका विवाह हो गया। एक अच्छे एकेडमिक करियर के बाद वो जर्मनी के किसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर बन चुकी थीं। दस्तावेज कहते हैं कि बोस के परिवार को कुछ समय तक 200 से 300 रुपया (उस समय के लिहाज से ये बड़ी रकम थी) शेंकल को भेजी गई, लेकिन फिर ये सहायता बंद हो गई।
उस दौरान नेहरू ने बोस की पत्नी को भारत आने का न्योता भी दिया, लेकिन उन्होंने अपनी मां की तबीयत खराब होने के कारण इस आमंत्रण को स्वीकार नहीं किया। एक फरवरी 1955 को उन्होंने नेहरू को पत्र लिखकर अपने भारत नहीं आ पाने की सूचना दी। पत्र के अंत में उन्होंने खासतौर पर लिखा कि अनिता काफी मेधावी स्टूडेंट निकल रही है। वो भारत से संबंधित हर बात में दिलचस्पी लेती है। उसके टीचर उसे भारत मामलों का एक्सपर्ट कहते हैं।
1958 में नेहरू को बताया गया कि अनिता को कुछ समय से आर्थिक मदद नहीं मिली है, वो आर्थिक दिक्कत में हैं। तब ना केवल मदद भेजी गई, बल्कि एरियर भी दिया गया। तभी बंगाल के मुख्यमंत्री रॉय ने सुनिश्चित किया कि 15 साल की हो चुकी अनिता को लगातार वित्तीय मदद मिलती रहे, दोबारा कभी ये स्थिति पैदा ही न हो कि आर्थिक मदद रुक जाए। ये वित्तीय मदद राय (जुलाई 1962) और नेहरू (मई 1964) के निधन के बाद भी उनके पास पहुंचती रही। जुलाई 1964 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने खुद कहीं ये जिक्र भी किया कि कोलकाता के लिए सुभाष चंद्र बोस ट्रस्ट में नेहरू की जगह उन्हें और डॉक्टर बीसी राय के स्थान पर बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रफुल्लचंद्र सेन को ट्रस्टी बनाया गया है।
प्रेस ने इस यात्रा को खासी उत्सुकता से कवर किया। अनिता जहां कहीं गईं, वहां उनका जोरदार और गर्मजोशी से स्वागत हुआ। जब अनिता वियना से दिल्ली आईं, तो एयरपोर्ट पर नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल ने उनकी अगवानी की। इसके बाद नेहरू ने स्नेहपूर्वक प्रधानमंत्री आवास पर उनका स्वागत किया। इसके करीब एक महीने बाद ब्रिटिश प्रेस ने इस संबंध में एक आपत्तिजनक रिपोर्ट प्रकाशित की। लंदन के समाचार पत्र 'डेली एक्सप्रेस' ने अनिता बोस का स्वागत करते हुए नेहरू की तस्वीर के साथ खबर छापी और हेडिंग दी, 'गद्दार की बेटी नेहरू से मिली'।
(संजय श्रीवास्तव की संवाद प्रकाशन से आई किताब 'सुभाष बोस की अज्ञात यात्रा' के कुछ अंश)
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इस फ्लाइट की खासियत यह है कि ये बिना पायलट के उड़ान भर सकती है. यही नहीं, ये टेकऑफ से लेकर लैंडिंग तक का सारा काम भी खुद ही हैंडल कर सकती है.
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (Defence Research and Development Organisation) को अत्याधुनिक मानवरहित विमान के विकास में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. डीआरडीओ (DRDO) ने ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator) की पहली फ्लाइट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. इस फ्लाइट की खासियत यह है कि ये बिना पायलट के उड़ान भर सकती है. इतना ही नहीं, ये टेकऑफ से लेकर लैंडिंग तक का सारा काम भी बिना किसी मदद के खुद ही हैंडल कर सकती है.
डीआरडीओ ने एक बयान में बताया कि इस एक्सरसाइज़ को शुक्रवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग (Chitradurga) स्थित एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में अंजाम दिया गया. मानव रहित हवाई वाहन यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) को ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर' कहा जाता है. विमान के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'विमान पूरी तरह से ऑटोनॉमस मोड में ऑपरेट हुई. एयरक्राफ्ट ने एक सफलतापूर्वक उड़ान का प्रदर्शन किया, जिसमें टेकऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक स्मूथ टचडाउन शामिल है. ये एयरक्राफ्ट आगामी बिना पायलट के चलने वाली विमानों के डेवलपमेंट की दिशा में एक मील का पत्थर है. यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक जरूरी कदम भी है.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, DRDO ने बयान में कहा कि एयरक्राफ्ट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी. इस एयरक्राफ्ट ने खुद इस एक्सरसाइज़ को अंजाम दिया. यह विमान इस तरह की सामरिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया एक जरूरी कदम है. इस एयरक्राफ्ट को बेंगलुरू स्थित एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (Aeronautical Development Establishment) ने डिजाइन और विकसित किया है. ADE डीआरडीओ के तहत एक प्रमुख रिसर्च लेबोरेटरी है.
Congratulations to @DRDO_India on successful maiden flight of the Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator from Chitradurga ATR.
यह विमान एक छोटे टर्बोफैन इंजन से ऑपरेट होता है. इस विमान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडर कैरिज और कंप्लीट फ्लाइट कंट्रोल और एवियोनिक्स सिस्टम स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि यह स्वायत्त विमानों (Autonomous Aircraft) की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है और इससे महत्वपूर्ण सैन्य प्रणालियों के रूप में आत्मनिर्भर भारत का मार्ग भी प्रशस्त होगा. रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस सिस्टम के डिजाइन, डेवलपमेंट और टेस्टिंग से जुड़ी टीमों के प्रयासों की सराहना की.
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Lionel Messi : बार्सिलोना ट्रेनिंग ग्राउंड जहां कोरोना टेस्ट किए जा रहे थे, उसके बाहर एक बच्चा बैठा था जिसने मेस्सी की टीशर्ट पहनी हुई थी। बच्चा अपने चहेते लियोनेल मेस्सी को देखने पहुंचा था, लेकिन लियोनेल मेस्सी ग्राउंड पर नहीं पहुंचे थे और बच्चा मायूस बैठा रहा।
लियोनेल मेस्सी को लेकर चर्चा तेज है कि वह फूटबाल क्लब बार्सिलोना से अलग होने जा रहे हैं। इन सबको लेकर अलग अलग खबरें आ रही है, कभी क्लब और मेस्सी के 2021 तक के कॉन्ट्रैक्ट की बात तो कभी लियोनेल मेस्सी के अलग क्लब से सम्पर्क की बाते सामने आ रही है।
लियोनेल मेस्सी को लेकर जो अब खबर आ रही है, वो इस बात का शक और बढ़ा रही है कि लियोनेल मेस्सी बार्सिलोना क्लब से जल्द अलग हो सकते हैं। दरअसल बार्सिलोना फुटबॉल क्लब द्वारा आयोजित कोरोनावायरस टेस्ट में ये स्टार खिलाड़ी नहीं पहुंचा, जबकि अन्य सभी फुटबॉलर टेस्ट करवाने पहुंचे थे। बार्सिलोना क्लब से जुड़े सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए एएफपी को बताया।
एक खबर के मुताबिक बार्सिलोना ट्रेनिंग ग्राउंड जहां कोरोना टेस्ट किए जा रहे थे, उसके बाहर एक बच्चा बैठा था जिसने मेस्सी की टीशर्ट पहनी हुई थी। बच्चा अपने चहेते लियोनेल मेस्सी को देखने पहुंचा था, लेकिन लियोनेल मेस्सी ग्राउंड पर नहीं पहुंचे थे और बच्चा मायूस बैठा रहा।
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घर बैठे पैकिंग का काम कैसे करे? घर बैठे पैकिंग का काम कैसे मिलेगा?
।। Ghar Baithe Packing Ka Kam Kaise Kare, पेन पैकिंग का काम, पैकिंग का काम चाहिए, घर बैठे पैकिंग का काम near me, घर बैठे पैकिंग का काम चाहिए कांटेक्ट नंबर, साबुन पैकिंग का काम,
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Wat A Burger franchise kaise le, आज के समय में लोगों को फ़ास्ट फ़ूड बहुत पसंद आ रहा हैं। वह इसलिए क्योंकि घर का बना हुआ खाना तो हम (Wat A Burger franchise in Hindi)
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आगरा। शहर में नई स्ट्रीट लाइट लगाना तो दूर, पुरानी की मरम्मत भी 100 प्रतिशत नहीं हो सकती। ये नगर निगम सदन की बैठक में शनिवार को स्पष्ट कर दिया गया। आयुक्त ने शासन का आदेश का हवाला देते हुए फिलहाल नई स्ट्रीट लाइट लगाने पर हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में अभी अंधेरे में ही स्मार्ट सिटी बनाएंगे।
नगर निगम में सदन की बैठक हुई। इसमें 81 प्रस्तावों को पटल में रखा गया। इस बीच त्योहारों में भी बंद स्ट्रीट लाइटों पर पार्षदों ने जमकर नाराजगी जाहिर की और हंगामा किया। पार्षदों का आरोप था कि नई स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई जा रही हैं। अगर 25 लाइटें खराब हैं, तो महज पांच की ही मरम्मत की जा रही है। ऐसे में अंधेरे की समस्या वैसी ही बरकरार है। नगर निगम आयुक्त इंद्र विक्रम सिंह ने जवाब में बताया कि शासन का आदेश है कि नई फिटिंग लाइटें नहीं खरीदी जाएंगी। नगर निगम व्यवस्था को बनाने के लिए बंद लाइटों को सुधारने के नाम पर लाइटें, वायर, चोक सहित अन्य सामानों की खरीदारी करता है। इस वजह से नई लाइटों पर रोक और मरम्मत की संख्या में कमी आ रही है। इस पर पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। आदेश के प्रस्ताव को सदन से बदलने का सुझाव भी दिया। लेकिन ये आवाज हंगामे में ही दबकर रह गई। सदन की बैठक दोपहर 1. 30 बजे शुरू हुई, जो शाम पांच बजे तक चली।
स्ट्रीट लाइटों को एलईडी से बदलना है। इसका आदेश शासन से आ चुका है। नगरायुक्त ने एलईडी लगाने के लिए टेंडर जारी होने की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि हम मरम्मत में ही अधिकांश राशि खर्च कर देते हैं। इस कारण नई लाइटें नहीं लग पाती हैं।
सदन की बैठक में निर्माण कार्यो में बरती जा रही अनियमितता, लापरवाही पर एक सब इंजीनियर विजेता श्रीवास्तव को घेरा गया। पार्षद संदीप उपाध्याय ने मुद्दा उठाया कि पिछले सदन पर इंजीनियर के कामकाज को लेकर चर्चा हुई थी। एक जांच भी चल रही थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले पर पूरे सदन ने समर्थन किया, तो एसई श्रीवास्तव को दो पार्षदों के वार्डो से हटा दिया गया। उन्हें कार्यालय में अटैच करने की भी बात कही जा रही है।
ये सदन प्रमुख रूप से जलकल विभाग के कामकाज को लेकर बुलाया गया था, लेकिन इसमें जलकल की जीएम मंजूरानी गुप्ता ही नहीं पहुंची। उन्होंने वायरल का कराण बताते हुए प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर पार्षदों ने महापौर के संरक्षण का भी आरोप लगाया। ये विषय बहस और हंगामे के बीच खत्म हो गया। जीएम की अनुपस्थित में निर्णय नहीं हो सका।
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गया, और अखण्ड सास आलाप खीच कर वह गाता ही चला गया। बीच वात्र म हिचकी और कम्पन में आवाज इव इव कर फिर उठनी रून्न की गम्भीर वापिका म स उठ रहा अंतर व आल्हाद का जैमा स्वर हो जाने क्मी विमूढ व्यथा से समस्त प्राण को वह उद्विग्न और यह करता है।
तभी वही से दा चार आरामतलव फैमनबल छोक्रा न चित्लावर
'चुप भी रहेगा वे गये की तरह बसुग रेंक रहा है - घटा भर हो गया - खापडी चाट गया - चुप चुप वे चुप ।
घोर भी क्छ ताने कशिया पणा ठुस्म और गालिया की ज्यो ज्यो चारो मोर की रोक और तिरस्कार बढ़ रहा था, माम के स्वर की प्रा हाद वेदना तीव्र म तीव्रतर हो रही थी । और बनवत वह काफर गा उठा । प्रत्य के समुद्र का गजन जस उसक स्वर में समा गया हा और एक अनत श्रालाप तान से वह गाता ही चला गया । धीरे धीरे स्वर डूबन लगा और उस हिचकिया आने नगी । और वह एकाएक घम से चक्कर खाकर नीच गिरा गिरना था कि नीचे वालो ने ग्राडे हाथो लिया। दो चार ग्राम धू से उनकी पसलियो पर पड़ तब बडी जार का खामी उसे धाई । खामते खासत दा चार उबान आप और तभी खिडकी म से मुह निकाल कर उसने बड़े जोर सेव कर दी। आसपास फम वे मानव जातु बुरी तरह बिगडवर गार मचाने लग ।
निल पगडोधारी वणव ने हरे कृष्ण हरे राम 1 विस्तृत विस्तर समेग और उक्ट असह्य ग्लानि म पाखें मूदते हुए मुह पर कर वे विस्तरे म दुबक गय । मेरे गुजराती बुजुग जो कभी म खरदि जींच रहे थे जाग उठे और अगडाइ भरत हुए बडबडायप्रभो तो देखते देखते म कितना खा गया है साला बड़ा नाभोडा है मात्रा वाघडा । नरकवा फोडा --- कितना माना है - सबभ |
एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी का ध्यान अब अपनी विरासत पर है। उन्होंने अपने उत्तराधिकार को लेकर फैसले पर विचार करना शुरू कर दिया है। संपत्ति और कारोबार को बच्चों के बीच कैसे बाँटा जाए, इसे लेकर वो दुनिया भर के तमाम फॉर्मूलों का अध्ययन कर रहे हैं। वॉल्टन से लेकर कोच परिवार तक का अध्ययन कर वो देख रहे हैं कि दुनिया के अरबपतियों ने कैसे अपने उत्तराधिकार बाँटे कि विवाद भी नहीं हुआ और ये न्यायसंगत भी रहा।
मुकेश अंबानी का साम्राज्य 208 बिलियन डॉलर (15. 50 लाख करोड़ रुपए) का है, ऐसे में ज़रूरी है कि इसका बँटवारा अच्छे से किया जाए। धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद जिस तरह से मुकेश और अनिल अंबानी में कारोबार के बँटवारे को लेकर विवाद हुआ था, वो नहीं चाहते कि उनके बच्चे उसी अनुभव से गुजरें। इसीलिए, एक खास उम्र तक वो बँटवारा कर देना चाहते हैं। क्योंकि उत्तराधिकार के संघर्ष के कारण बड़े-बड़े कारोबार तबाह हुए हैं और कारोबारी परिवार अलग-थलग हुए हैं।
हालिया उदाहरणों को देखते हुए मुकेश अंबानी को वॉलमार्ट नामक कंपनी का संचालन करने वाली वॉल्टन परिवार का फॉर्मूला ज्यादा पसंद आया है। कहा जा रहा है कि मुकेश अंबानी अपने परिवार की संपत्तियों को एक ट्रस्ट की तरह संस्था बना कर संचालन का दायित्व देने की योजना पर काम कर रहे हैं, जो रिलायंस ग्रुप का भी प्रबंधन करेगी। 'मिंट' और 'ब्लूमबर्ग' ने सूत्रों के हवाले से ये खबर चलाई है। बता दें कि आधिकारिक रूप से कहीं से इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
मुकेश अंबानी की योजना है कि नई संस्था में उनके और उनकी पत्नी नीता अंबानी के अलावा उनके दोनों बेटे और एक बेटी, इन सभी के स्टेक्स होंगे। साथ ही इसमें मुकेश अंबानी के कुछ करीबी लोग भी शामिल होंगे, जो वर्षों से उनके सलाहकार हैं। हालाँकि, प्रबंधन और प्रतिदिन के कारोबार का कार्य बाहरी प्रोफेशनल लोग ही रहेंगे और परिवार का इसमें दखल कम रहेगा। रिलायंस का साम्राज्य आज रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल से लेकर टेलीकम्युनिकेशन, ई-कॉमर्स और ग्रीन एनर्जी तक फैला हुआ है।
एशिया के कई ऐसे अरबपति कारोबारी हैं, जो ढलती उम्र के कारण संपत्ति और कारोबार के बँटवारे की समस्या से जूझ रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इनमें से अधिकतर कारोबार खड़े हुए थे। फिर उनके परिवार ने इसे आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई। आज ऐसे अरबपति कारोबारियों की तीसरी-चौथी पीढ़ी तैयार हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंबानी परिवार कैसे अपनी संपत्ति व कारोबार का बँटवारा करता है, इस पर अन्य लोगों की भी नजर है। 94 बिलियन डॉलर (7 लाख करोड़ रुपए) की संपत्ति वाले मुकेश अंबानी ने फ़िलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है।
विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कोरोना महामारी के बाद कई अरबपति कारोबारी और चिंता में हैं कि आगे के लिए पहले से सोचना शुरू कर दिया जाए। उत्तराधिकार के बँटवारे के लिए क्लाइंट्स की संख्या अचानक से बढ़ गई है। हालाँकि, मुकेश अंबानी अब भी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, लेकिन अब उनके बेटे-बेटी ऊपरी तौर पर ज्यादा दिखाई देते हैं। जून में शेयरधारकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने जता दिया था कि उनके 30 वर्षीय जुड़वाँ बेटे-बेटी आकाश और ईशा, और 26 वर्षीय अनत कंपनी में बड़ा किरदार अदा करने वाले हैं।
उन्होंने कहा था कि उन्हें आकाश, ईशा और अनंत के नेतृत्व में रिलायंस की समृद्ध विरासत को संभालने वाली अगली पीढ़ी को लेकर उन्हें कोई शक नहीं है। बता दें कि 1992 में वॉलमार्ट के संस्थापक सैम वॉल्टन के निधन के बाद वॉल्टन परिवार में संपत्ति और कारोबार का जिस तरह से बँटवारा हुआ, उससे मुकेश अंबानी खासे प्रेरित हैं। आज भी वॉलमार्ट समूह आसमान की ऊँचाइयाँ छू रहा है। 'हर्म्स फैशन एम्पायर' चलाने वाला डुमास परिवार और जॉनसन कंपनी चलाने वाला परिवार भी अपनी अगली पीढ़ी को आगे कर चुका है।
वॉल्टन परिवार ने इस सम्बन्ध में जो तरीका अपनाया था, उसके तहत सैम वॉल्टन ने अपने जीवित रहते ही 1988 में डेविड ग्लास को CEO बना दिया था। उससे पहले वही कंपनी के CEO हुआ करते थे। दुनिया के इस सबसे अमीर परिवार ने खुद को बोर्ड तक सीमित कर लिया और बाकी ऑपरेशन्स प्रोफेशनल्स संभालते रहे। वॉलमार्ट के बोर्ड में सैम के बेटे रॉब और भतीजे स्टुअर्ट को शामिल किया गया। साथ ही उनकी पोती के पति ग्रेग पेनर को 2015 में अरकांसस स्थित कंपनी बेंटोनविल्ले का चेयरमैन बनाया गया।
हालाँकि, इसके लिए इस परिवार की आलोचना भी हुई थी कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल आकर के वो शेयरधारकों से ऊपर खुद ही सारे पद ले रहे हैं। लेकिन, इस परिवार के कई अन्य सदस्यों को वॉलमार्ट से अलग फिलैंथ्रॉपी और अन्य कंपनियों में पद दिए गए। उन्हें निवेश की जिम्मेदारी सौंपी गई। सैम ने अपने निधन से 40 वर्ष पूर्व 1953 में ही उत्तराधिकार की तैयारी शरू कर दी थी, जो उनके चार बेटों एलाइस, रॉब, जिम और जॉन में बँटी। अब भी ये परिवार वॉलमार्ट का 47% हिस्सा अपने पास रखे हुए है।
इस परिवार का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि इतनी बड़ी कंपनी का आधा हिस्सा अपने पास रखने का अर्थ है कि जिन मैनेजर्स को वो हायर करते हैं, वो जानते हैं कि असली सत्ता कहाँ पर है। हालाँकि, वॉलमार्ट कहता है कि वो स्वतंत्र विचारों को कंपनी में जगह देने को प्राथमिकता देता है। बता दें कि 2002 में रिलायंस भी इसी समस्या में फँसा हुआ था, जब धीरूभाई अंबानी का निधन हुआ। उस समय मुकेश चेयरमैन और अनिल वाईस चेयरमैन हुआ करते थे और साथ काम कर रहे थे।
लेकिन, इसके बाद कंपनी के विस्तार के दौरान दोनों भाइयों में नाराज़गी बढ़ती गई। एक को लगता था कि दूसरा बिना पर्याप्त विचार-विमर्श किए निर्णय ले रहा है। अनिल अंबानी ने जब एक पॉवर जनरेशन प्रोजेक्ट की घोषणा की तो मुकेश अंबानी नाराज़ हो गए क्योंकि उनसे इस सम्बन्ध में राय नहीं ली गई थी। जबकि अनिल की शिकायत थी कि निवेशकों की संस्था में मुकेश ने अपनी मनमानी चलाई। अनिल अंबानी ने एक बार रिलायंस के वित्तीय स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।
उनके द्वारा चलाई जा रही सब्सिडियरी के डायरेक्टर्स ने उनके समर्थन में इस्तीफा तक दे डाला। शीरूभाई के निधन के 3 वर्ष बाद उनकी पत्नी और अंबानी भाइयों की माँ कोकिलाबेन को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। 2005 में हुए समझौते में अनिल को टेलीकम्युनिकेशंस, एसेट मैनेजमेंट, मनोरंजन और पॉवर जनरेशन वाला कारोबार मिला, जबकि मुकेश को रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स, तेल-गैस और टेक्सटाइल्स का। विशेषज्ञ कहते हैं कि उत्तराधिकार के मामले में ये एक बेहद बुरा समझौता और अनुभव साबित हुआ।
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चंबा - चनेड़ से द्रड्ढा एनएच 154-ए...थोड़ी सी सावधानी हठी तो दुघर्टना घटी। चंबा पठानकोट बनीखेत एनएच मार्ग पर बीच में आने वाले चनेड़ से द्रड़ा तक करीब आठ किलोमीटर सड़क मार्ग पर सफर खूनी बनता जा रहा है। मार्ग पर बेझिझक होकर गाड़ी दौड़ा रहे वाहन चालक रफ्तार में सड़क की ढलान को न भांप पाने के चलते अनहोनी को अंजाम दे रहे हैं। रविवार को उपरोक्त मार्ग पर चनेड़ के समीप हुआ कार हादसा कोई पहला हादसा नहीं है। इससे पहले भी इन्हीं क्षेत्रों में कईयों को गहरे जख्म मिले हैं। पिछले दिसंबर माह में इसी सड़क मार्ग पर कांदू के समीप दुल्हा दुल्हन की गाड़ी के सड़क से नीचे उतर जाने से भी एक महिला की मौत हो गई जबकि पांच अन्य टीएमसी को गहरी चोटें आई थी। बारात जम्मू कशमीर के बसोली से शादी की रास्में निभाने के बाद चंबा आ रही थी। इससेे कुछ दिन पहले भी कांदू के समीप ही एक गाड़ी के सड़क से नीचे उतर जाने से दो लोगांे की मौके पर ही मौत हो गई थी। जिला चंबा से संबंध रखने वाला युवा फौज से छुट्टी घर आया था। पठानकोट एनएच पर कांदू के पास पहुंचने पर उनकी बेटी को उल्टी आने लगे। शीशे मंे उल्टी कर रही बेटी की तरफ जैसे ही नजर दौड़ी गाड़ी सड़क से नीचे उतर कर गहरी खाई में जा समाई। दुर्घटना में लड़की सहित उसके एक अन्य रिशतेदार को गंभीर चोटें आई थी जबकि दो की मौत हो गई थी। अब रविवार को चनेड के समीप महाराष्ट्र नंबर की गाड़ी के गहरी घाई में समा जाने से उसमें सवार तीन लोगों की मौत हो गई। इस दुर्घटना ने पुराने जख्मों का भी हरा कर दिया है। इसके अलावा भी मार्ग पर कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं। चनेड़ द्रड्डा सड़क मार्ग पर हो रही घटनाओं के चलते वाहन चालकों के अलावा टैक्सी यूनियनों, स्थानीय लोगों एवं बुद्धिजीवियों ने विभाग से उपरोक्त सड़क मार्ग पर सड़क किनारे बैरीकेडस लगाने की मांग उठाई थी। लेकिन अभी तक बैरियर नहीं लग पाए हैं। अब लोग इस पर सवाल खड़े करने लगे हंै कि अगर मार्ग किनारे क्रैश बैरियर होते तो गाड़ी सड़क से नीचे उतरने से बच सकती थी। उधर वाहन चालक एवं लोग विभाग से एक बार फिर उपरोक्त मार्ग पर बैरिकेडस लगाने की गुहार लगाने लगे हंै। ताकि फिर से ऐसी अनहोनी न हो सके।
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मुंबईः पटकथा लेखक सलीम खान ने आज अपने अभिनेता पुत्र सलमान खान को भारतीय ओलंपिक दल का सदभावना दूत नियुक्त करने के फैसले का बचाव किया जिसकी देश की कुछ प्रमुख खेल हस्तियों ने आलोचना की थी। पहलवान योगेश्वर दत्त और फर्राटा धावक मिल्खा सिंह ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के सलमान को सदभावना दूत नियुक्त करने के फैसले की आलोचना की थी।
सलीम ने आज ट्विटर पर अपने बेटे का समर्थन किया जो अपनी आने वाली फिल्म सुल्तान में पहलवान की भूमिका निभायेंगे। उन्होंने इसके अलावा मिल्खा सिंह पर भी तंज कसा। अस्सी वर्षीय सलीम ने लिखा, सलमान खान ने भले ही प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं लिया हो लेकिन वह ए श्रेणी का तैराक, साइकिलिस्ट और भारोत्तोलक है। खिलाड़ी हम जैसे खेल प्रेमियों के कारण ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। मिल्खा सिंह जिनकी जीवनी पर भाग मिल्खा भाग फिल्म बनी थी, ने कहा था कि आईओए को बालीवुड के एक व्यक्ति के बजाय पीटी उषा जैसी खेल हस्ती के नाम पर विचार करना चाहिए था। इस पर प्रतिक्रिया करते हुए सलीम ने कहा, मिल्खा जी यह बालीवुड नहीं है, यह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री है और वह भी दुनिया में सबसे बड़ी है। यह वही इंडस्ट्री है जिसने आपको गुमनामी में जाने से बचाया।
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मंदसौर। तरुण राठौर जिले की नाहरगढ़ पुलिस ने आज संजीत के जंगल से 12 लोगों को जुआ खेलते गिरफ्तार किया है। इनमें से एक भाजपा का संजीत नगर अध्यक्ष है जो विधायक जगदीश देवड़ा का काफी करीबी माना जाता है। इसके अलावा कई और जुवारी भी थे। जो वहां पर घोडीदाने पर जीत हार पर पैसा लगा रहे थे। इनके कब्जे से 8 हजार 770 रुपए,मोबाइल व घोडीदाना बरामद किए है। पुलिस ने बताया कि काफी समय संजीत के जंगल में घोडीदाना का खेल चल रहा है। जिसकी सूचना हमें मिल रही थी। परन्तु ये लोग रोज जंगल में जगह बदल बदल के खेलते थे। जिसके कारण ये पकड़ाई में नहीं आ रहे थे। किंतु आज पक्की सूचना के आधार पर नाहरगढ़ पुलिस ने पकड़ लिया है। वहीं 12 आरोपियों में से एक भाजपा का संजीत नगर अध्यक्ष है जिसका नाम ललित सिंधी है जो मल्हारगढ़ विधायक जगदीश देवड़ा का करीबी है। ओर वह भी यहां पर अन्य जुवारियो के साथ हार जीत पर पैसा लगा रहा था। इसके अलावा अन्य जुवारी मन्दसौर सहित आसपास के गांव के है। इन सभी को रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
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सुपर हॉट कपूर कन्या.. बॉलीवु़ड डेब्यू में आने की तैयारी शुरू!
श्रीदेवी की बेटी जान्हवी कपूर और खुशी कपूर काफी बड़ी हो गई हैं और ऐसा लगता है मानो उनकी भी पूरी तैयारी है फिल्मों में आने की ।
दरअसल श्रीदेवी की दोनों बेटियां सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और इंस्टाग्राम पर तो उन की अच्छी खासी फैन फॉलोइंग भी है। जान्हवी कपूर भी दिखने में काफी खूबसूरत हैं और वो तो बहुत जल्द फिल्मों में भी आ सकती हैं।
खुशी कपूर अपने दोस्तों के साथ US घुमने गई थी और उनकी तस्वीरें देखकर आप भी कहेंगे कि वाकई वो काफी स्टाइलिश और स्मार्ट हैं। वो अपने दोस्तों के साथ इस ट्रिप पर गई थीं।
आप भी देखिए उनकी कुछ तस्वीरें।
Khushi Kapoor, daughter of Sri devi visited US recently and posted her pictures on Instagram. Check out her recent pictures from US vacation and also her other drop dead gorgeous pictures.
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जालौन में झांसी-कानपुर नेशनल हाईवे 27 पर ट्रक मालिक को कार सवार उपनिरीक्षक ने टक्कर मार दी। हादसे में ट्रक मालिक गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत नाजुक होने पर चिकित्सक ने उसे कानपुर रेफर कर दिया। कानपुर ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। टक्कर मारने वाले दरोगा को स्थानीय लोगों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने आरोपी दरोगा को बना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
घटना झांसी-कानपुर नेशनल हाईवे 27 के उसरगांव के पास की है। जहां उरई कोतवाली के इंदिरा नगर तुफैलपुरवा निवासी फजयब आलम उर्फ बाबू (32) ट्रक चलवाता था। शुक्रवार की सुबह उसके पास सूचना आई कि ट्रक कालपी कोतवाली क्षेत्र के नेशनल हाइवे स्थित उसरगांव के पास खराब हो गया। जिसके चलते फजयब आलम मौके पर पहुँच रहा था। इसी दौरान झांसी की ओर से तेज रफ्तार से आ रही कार ने उसे जोरदार टक्कर मार दी। जिससे फायजब सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना को देख वहां मौजूद लोगों ने मौके पर पहुंचे। साथ के लोगों ने कार चालक को पकड़ लिया। कार चालक ने नीचे उतरकर अपने आपको झांसी के ककरबई थाना में तैनात उपनिरीक्षक सुमित कुमार बताया। जिस पर स्थानीय लोगों ने दरोगा सुमित कुमार पकड़कर आटा थाना पुलिस को सौंप दिया और घायल ट्रक मालिक को लेकर निजी गाड़ी से इलाज के लिए उरई अस्पताल लेकर आए।
जहां हालत गम्भीर देख चिकित्सक ने कानपुर रेफर कर दिया। दरोगा सुमित कुमार ने पुलिस से घायल का इलाज कराने की बात कही। जिस पर पुलिस ने परिजनों को बिना बताये गाड़ी सहित छोड़ दिया। घायल फजयब को जब परिजन कानपुर ले जा रहे थे उसने रास्ते ने दम तोड़ दिया।
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पंजाब के तारनतरन से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां पुलिस और निहंगों के बीच खूनी झड़प हो गई. इस टकराव में निहंगों ने तलवारों से हमला कर पुलिस अधिकारियों के हाथ काट दिए. जिससे दोनों की कलाई कटकर अलग हो गई. वहीं पुलिस ने अपनी सुरक्षा में फायरिंग की और दोनों निहंगों का एनकाउंटर करते हुए उनको मार गिराया.
बता दें कि तरनतारन में पुलिस के साथ निहंगों की मुठभेड़ में दो इंस्पेक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए. एसएचओ नरेंद्र सिंह और एसएचओ बलविंदर सिंह पर निहंगों ने हमला किया. घायल हालत में दोनों को अमृतसर के अमनदीप हॉस्पिटल में करवाया गया. निहंगों और पुलिस के बीच ये मुठभेड़ तरनतारन के सुरसिंह गांव में हुई.
सूत्रों के मुताबिक, दो निहंग नादेड साहिब हजूर साहिब में एक हत्या कर यहां आए थे. जब इनका पुलिस से सामना हुआ तो पुलिस ने दोनों निहंगों को पकड़ने की कोशिश की. लेकिन इसी दौरान इन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया. जिसमें दो पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हो गए. जवाब में पुलिस ने दोनों का एनकाउंटर कर दिया.
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कोरोना से संक्रमित करीना कपूर के पापा रणधीर कपूर कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल के ICU में भर्ती हैं। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रणधीर कपूर को डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है। वे कुछ दिन अस्पताल में ही रहेंगे। इसी दौरान रणधीर की छोटी बहन रीमा जैन ने अपना दर्द बयां किया है। 30 अप्रैल को रणधीर के मंझले भाई ऋषि कपूर की पहली डेथ एनिवर्सरी थी। इस मौके पर रीमा ने ऋषि को याद करते हुए कहा- मैं अपने दो भाइयों (ऋषि कपूर और राजीव कपूर) को खो चुकी हूं और एक अस्पताल में भर्ती है।
मुंबई. कोरोना से संक्रमित करीना कपूर के पापा रणधीर कपूर कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल के ICU में भर्ती हैं। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रणधीर कपूर को डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है। वे कुछ दिन अस्पताल में ही रहेंगे। इसी दौरान रणधीर की छोटी बहन रीमा जैन ने अपना दर्द बयां किया है। 30 अप्रैल को रणधीर के मंझले भाई ऋषि कपूर की पहली डेथ एनिवर्सरी थी। इस मौके पर रीमा ने ऋषि को याद करते हुए कहा- मैं अपने दो भाइयों (ऋषि कपूर और राजीव कपूर) को खो चुकी हूं और एक अस्पताल में भर्ती है। इसलिए मैं बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हूं। बता दें कि रणधीर कपूर कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके हैं और उन्हें खुद नहीं पता कि वे कैसे वायरस की चपेट में आ गए।
टीवी एंकर कनुप्रिया का कोरोना से निधन :
जानी-मानी एक्ट्रेस और बह्मकुमारी की टीवी एंकर कनुप्रिया का कोरोना के चलते निधन हो गया। कनुप्रिया के निधन की जानकारी बीके शिवानी ने सोशल मीडिया के जरिए दी। कनुप्रिया ने दो दिनों पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर बताया था कि वो अस्पताल में भर्ती हैं और उन्हें दुआओं की जरूरत है। रिपोर्ट्स के अनुसार ऑक्सीजन लेवल कम होने और बढ़ते बुखार के कारण उनका निधन हो गया। कनुप्रिया ने दूरदर्शन से बतौर एंकर अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने एक्टिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग और थिएटर में भी काम किया। फिर वो शो अवेकनिंग विद ब्रह्म कुमारी में बतौर एंकर जुड़ी।
बिग बॉस 14 की विनर और टीवी की छोटी बहू के नाम से फेमस रुबीना दिलाइक भी कोरोना की चपेट में आ गई है। रुबीना ने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी खुद इंस्टाग्राम पर दी है। रुबीना ने अपने पोस्ट में लिखा- मैं हमेशा पॉजिटिविटी की ओर देखती हूं, अब एक महीने बाद मैं प्लाज्मा डोनेट कर पाऊंगी। कोरोना संक्रमित हो गई हूं, 17 दिनों तक घर पर क्वारंटाइन रहूंगी। बीते 5-7 दिन में जो भी मेरे संपर्क में आया है वो अपनी जांच करवा ले। फ्रेंड्स रुबीना के पोस्ट पर उनके जल्दी ठीक होने की कामना कर रहे हैं। निक्की तंबोली ने लिखा- हे भगवान, अपना ध्यान रखो बेबी। अली गोनी ने लिखा- या अल्लाह रहम, कृपया अपना ध्यान रखो रुबी। इसी तरह दृष्टि धामी, राहुल महाजन और अन्य सेलेब्स ने भी रुबीना को जल्द ठीक होने की शुभकामनाएं दी हैं। बता दें कि रुबीना सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती है और वे अपने बोल्ड स्टेटमेंट के लिए भी जानी जाती है।
कोरोना से रोज हजारों मौतें हो रही हैं और लाखों संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में हजारों लोग आगे बढ़कर इनकी मदद कर रहे हैं। आलिया भट्ट ने महाराष्ट्र और दिल्ली से लेकर पंजाब तक के वेरिफाइड नंबर्स को इंस्टाग्राम पर शेयर कर कोरोना संक्रमितों की मदद की है। आलिया भट्ट ने पोस्ट के जरिए लोगों को बताया- यह अनिश्चितताओं का दौर है। इंफ्रास्ट्रक्चर और इन्फोर्मेशन इस वक्त की जरूरत हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जो भी हम कर सकते हैं उसके लिए वक्त कम है लेकिन हम जानकारियां और सूचनाओं को बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने पत्रकार फेय डिसूजा के साथ मिलकर कोविड 19 से जुड़ी जानकारी को इकट्ठा कर देश के अलग-अलग शहरों के कोविड-19 हेल्पलाइन नंबर्स की लिस्ट शेयर की हैं। उन्होंने पंजाब, केरल, गुजरात और कोलकाता, पुणे, बेंगलुरु और चेन्नई सहित कई राज्यों और उनके शहरों में कोविड-19 के लिए सुविधा और सेवा देने वाले हेल्पलाइन नंबर्स को शेयर किया है।
कोरोना संक्रमित एक्टर बिक्रमजीत कंवरपाल का शनिवार को निधन हो गया। 52 बिक्रमजीत सेना से रिटायर थे और 2003 से इंडस्ट्री में सक्रिय थे। उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों और टीवी शोज में काम किया था। बिक्रमजीत के निधन की खबर फिल्ममेकर अशोक पंडित ने अपने ट्विटर पर शेयर की है। अशोक पंडित ने लिखा- आज सुबह कोविड के चलते हुई एक्टर-मेजर बिक्रमजीत कंवरपाल के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर कंवरपाल ने बहुत सी फिल्मों और टीवी शोज में सपोर्टिंग रोल्स किए हैं। उनके परिवार और नजदीकी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं। बिक्रमजीत ने मर्डर 2, डेंजरस इश्क, हे बेबी, शौर्य, आरक्षण, जंजीर, हाईजैक, रॉकेट सिंह, जब तक है जान और द गाजी अटैक जैसी फिल्मों में काम किया था।
कन्नड़ एक्टर अर्जुन गौड़ा लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आए हैं। कोरोना काल में अर्जुन लोगों के लिए एंबुलेंस ड्राइवर तक बन गए हैं। वे हर किसी की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, जिसे भी इसकी सख्त जरूरत है। इस पहल को उन्होंने 'प्रोजेक्ट स्माइल ट्रस्ट' नाम दिया है। अर्जुन ने खुलासा किया है कि वह एम्बुलेंस सेवा का उपयोग उन लोगों की मदद के लिए कर रहे हैं जिन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने की जरूरत है। इसके साथ ही वे अंतिम संस्कार के लिए भी मदद कर रहे हैं। अर्जुन के मुताबिक, 'मैं कई दिनों से सड़कों पर हूं और लोगों की मदद कर रहा हूं। हर धर्म के लोगों का उनके धर्म के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर भयानक रूप में वापस आई है। इस बार हर रोज लाखों लोग इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं। कई सेलिब्रिटी भी संक्रमित हो चुके हैं। हाल ही में टीवी शो पटियाला बेब्स के एक्टर अनिरुद्ध दवे ने भी सोशल मीडिया के जरिए फैंस को बताया था कि वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अब अनिरुद्ध की हालत पहले से ज्यादा खराब हो गई है, जिसके चलते उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा है। इस बात की जानकारी एक्टर की फ्रेंड ने दी है। टीवी एक्ट्रेस आस्था चौधरी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया है कि अनिरुद्ध की हालत पहले से ज्यादा खराब हो गई है, जिसके चलते उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। इसके साथ ही आस्था ने फैंस से अनिरुद्ध के लिए दुआ मांगने के लिए कहा है।
एक्ट्रेस संभावना सेठ ने भी सोशल मीडिया पर अपने कोविड पॉजिटिव पति को बेड मुहैया कराने के लिए मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने लिखा- दिल्ली के जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में बेड दिलाने में कोई मेरी मदद कर सकता है। यह मेरे घर के नजदीक है। मेरे पिता कोरोना पॉजिटिव हैं और उन्हें बेड की जरूरत है। वो इस समय मेरे भाई के साथ हॉस्पिटल के बाहर बेड के लिए इंतजार कर रहे हैं।
कोरोना की वजह से कई फिल्ममेकर्स ने अपनी अपकमिंग फिल्मों की रिलीज डेट आगे बढ़ा दी हैं। इसी सिलसिले में साउथ सुपरस्टार वेंकटेश ने भी फिल्म नरप्पा की रिलीज डेट पोस्टपोन करने का फैसला लिया है। फिल्म नरप्पा 14 मई को रिलीज होने वाली थी लेकिन अब मेकर्स इसे कोरोना महामारी का दौर खत्म होने के बाद रिलीज करेंगे। वेंकटेश ने लिखा- नरप्पा एक ऐसी फिल्म है, जिसे हमने कड़ी मेहनत से बनाया है। फिल्म को अब तक जैसा प्यार मिला है, उससे भी हम काफी खुश हैं। इन दिनों पूरे विश्व को एक संकट ने घेर रखा है और हम भी इससे अछूते नहीं हैं। देश की स्थिति को ध्यान में रखते हुए और अपने दर्शकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए हम नरप्पा की रिलीज डेट आगे बढ़ा रहे हैं।
भारत में बढ़ती कोरोना महामारी को देश के साथ दुनिया के तमाम देशों के अखबारों और टीवी चैनलों में दिखाया जा रहा है, जिस पर कंगना रनौत ने आपत्ति जताई है। उन्होंने एक वीडियो शेयर कर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और भारत के बुद्धिजीवियों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा-कोरोना के सिवाय ऐसी बहुत सारी चीजें हैं, जो परेशान करने वाली हैं, जिन्हें मैं आपके साथ डिस्कस करना चाहती हूं। कभी आपने देखा है भारत में कोई आपदा आती है, संकट आता है तो इंटरनेशनली एक मुहिम चलती है और सारे देश एक साथ हो जाते हैं। भारत को ऐसे दिखाया जाता है कि जैसे तुम लोग तो अभी-अभी बंदर से इंसान बने हो। चार गोरों के सिवाय जबतक वो आकर गुलाम नहीं बनाएंगे, जबतक तुम्हें नहीं बताएंगे क्या करना है, कैसे उठना, बैठना, खाना है। तुमको तो पता ही नहीं है कि डेमोक्रेसी क्या है। तुम्हें अक्ल ही नहीं है तो हम तुम्हें बताएंगे कि क्या करना है। इनका चैनल बनता है ये जो बुद्धिजीवी हैं।
वेबसीरीज बारिश और टीवी सीरियल ये जादू है जिन्न के एक्टर विक्रम सिंह चौहान अपनी गर्लफ्रेंड स्नेहा शुक्ला के साथ शादी के बंधन में बंध गए हैं। कोरोना के कारण शादी में सिर्फ करीबी दोस्त और रिश्तेदार ही शामिल हुए। विक्रम ने इंस्टाग्राम पर शादी की एक फोटो शेयर की हैं।
बिग बॉस कंटेस्टेंट रहे आसिम रियाज और हिमांशी खुराना अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। आसिम ने कहा- यह बहुत जल्दी है। हम अभी काम कर रहे हैं। हम अभी रिलेशनशिप में हैं लेकिन हम काम कर रहे हैं। निश्चित रूप से एक दिन शादी करेंगे।
नेहा कक्कड़ और हिमांश कोहली किसी वक्त में एक दूसरे से खुलेआम अपने प्यार का इजहार करते थे, लेकिन 2018 में दोनों के रिश्ते में दरार आई और रिश्ता खत्म हो गया। अब हिमांश ने नेहा को लेकर कुछ खुलासे करते हुए कहा- मैं अब सच में खुश हूं ये देखकर कि वो आगे बढ़ गई है और अब मैं भी अपनी सपनों की जिंदगी जी रहा हूं, पैसा कमा रहा हूं, लोगों का मनोरंजन कर रहा हूं।
लंबे समय से फैन्स यह जानने को बेचैन हैं कि आखिर खतरों के खिलाड़ी 11 में इस बार कौन-कौन सेलिब्रिटी नजर आएंगे। लीक हुई लिस्ट की मानें तो राहुल वैद्य, दिव्यांका त्रिपाठी, निक्की तंबोली, वरुण सूद, अर्जुन बिजलानी, अनुष्का सेन, सना सय्यद, अभिनव शुक्ला, महक चहल, विशाल आदित्य सिंह, आस्था गिल और सनाया ईरानी नजर आएंगे। इसकी शूटिंग साउथ अफ्रीका में होगी।
जॉन अब्राहम ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर जानकारी देते हुए लिखा- हमारा देश इस वक्त बहुत बड़ी मुसीबत से लड़ रहा है। हर एक गुजरते मिनट के साथ कई ऐसे लोग हैं जो ऑक्सीजन, आईसीयू बेड, वैक्सीन और खाने की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं। हालांकि, इस मुश्किल घड़ी में हम सभी एक-दूसरे को सपॉर्ट कर रहे हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स एक एनजीओ को हैंड ओवर कर दिए हैं ताकि लोगों की सहायता हो सके। एनजीओ एक्टर के सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल सूचनाओं को पोस्ट करने और लोगों की मेडिकल हेल्प करने में करेंगे।
उर्वशी रौतेला कई बॉलीवुड सेलेब्स में से एक हैं जो लोगों को महामारी से लड़ने में मदद करने के लिए आगे आई हैं। उन्होंने उत्तराखंड को 27 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर डोनेट किए है। हाल में श्रद्धा कपूर के भाई सिद्धार्थ कपूर, कपल गुरमीत चौधरी और देबिना बनर्जी सहित कईयों कोरोना काल में लोगों की है।
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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा - गर्भ गिराने के उपाय ।
ईश्वरसे डरनेवालोंको न तो व्यभिचार करना चाहिये और न गर्भ, गिराना चाहिये । एक पाप तो व्यभिचार है और दूसरा गर्भ गिराना । व्यभिचारसे गर्भ गिराना हज़ारों-लाखों गुना बढ़कर पाप है, क्योंकि इससे एक निर्दोष प्राणीकी हत्या होती है। अगर किसी, तरह व्यभिचार हो ही जाय, तो भी गर्भको तो भूलकर भी न गिराना चाहिये। ज़रासी लोक-लज्जाके लिये इतना बड़ा पाप कमाना महामूर्खता है। दुनिया निन्दा करेगी, बुरा कहेगी, पर ईश्वर के सामने तो अपराधी न होना पड़ेगा ।
हम हिन्दु पाँच-पाँच या सात-सात और जियादा-से-ज़ियादा नौ दश बरसकी उम्र में कन्याओंकी शादी कर दी जाती है । इससे करोड़ों लड़कियाँ छोटी उम्र में ही विधवा हो जाती हैं। वे जानती भी नहीं, कि पुरुष सुख क्या होता है। जब उनको जवानीका जोश आता है, कामदेव जोर करता है, तब वे व्यभिचार करने लगती हैं पुरुष- सग करनेसे गर्भ रह जाता है। उस दशामें वह गर्भ गिराने में ही अपनी भलाई समझती हैं। अनेक स्त्री-पुरुष पकडे जाकर सज़ा पाते हैं, अनेक दे-लेकर बच जाते हैं और अनेकोंका पुलिसको पता ही नहीं लगता। हमारी रायमें, अगर विधवाओंका पुनर्विवाह कर दिया जाय, तो यह हत्याएँ तो न हों ।
माजी विधवा-विवाह पर जोर देते हैं, तो सनातनी हिन्दू उनकी मसखरी करते और विधवा-विवाहको घोर पाप बतलाते हैं । पर उन्हें यह नहीं सूझता कि अगर विधवा-विवाह पाप है, तो भ्रूणइत्या कितना बड़ा पाप है। भ्रूणहत्या और व्यभिचार उन्हें पसन्द है, पर विधवा-विवाह पसन्द नहीं !! जो स्त्रियाँ विधवा-विवाहके नामसे कानोंपर उँगली धरती हैं, इसका नाम लेना भी पाप समझती हैं, वे ही घोर व्यभिचार करती हैं। ऐसी घटनाएँ हमने आँखों से देखी हैं। हमारी ५० सालकी उम्र में, हमने इस बातकी, बारीकी से,
जॉच की, तो हमें यही मालूम हुआ कि हिन्दुओंकी सौ विधवाओं से नव्वे व्यभिचार करती हैं, पर ८० फी सदीमें तो हमें जरा भी शक नहीं। हम कट्टर सनातन धर्मी और कृष्ण के भक्त हैं, आर्यसमाजी नहीं, पर विधवा-विवाह के मामले में हम उनसे पूर्णतया सहमत हैं। हमने हर पहलूसे विचार करके एव धर्मशास्त्रका अनुशीलन और अध्ययन करके ही अपनी यह राय स्थिर की है। हमने कितनी ही विधवाओंसे विधवा-विवाहपर उनकी राय भी ली, तो उन्होंने यही कहा, कि मर्द श्राप तो चार-चार विवाह करते है, पर स्त्रियाँ मगर अक्षयोनि भी हों, तो उनका पुनर्विवाह नहीं करते। यह उनका घोर अन्याय है । कामवेगको रोकना महा कठिन है। अगर ऐसी विधवाऍ व्यभिचार करें तो दोप-भागी हो नहीं सकतीं, हिन्दुओंको अव लकीरका फकीर न होना चाहिये । विधवा-विवाह जारी करके हजारों पाप और कन्याओंके श्रापसे बचना चाहिये । विधवा-विवाह न होनेसे हमारी हजारों लाखों विधवा वहन-चेटियॉ मुसलमानी हो गईं। हम व्यभिचार पसन्द करें, भ्रूणहत्याको बुरा न समझें, अपनी स्त्रियों को मुसलमानी बनते देख सकें, पर रोती विलपती विधवाओंका दूसरा विवाह होना अच्छा न समझें, हमारी इस समझकी वलिहारी है। हमने नीचे गर्भ गिरानेके नुसने इस ग़रजसे नहीं लिखे कि, व्यभिचारिणी विधवायें इन नुसख़ोंको सेवन करके गर्भ गिरावें, बल्कि नेक स्त्रियोंकी जीवनरक्षाके लिए लिखे हैं । गर्भ गिराना उचित है ।
हिकमत में लिखा है, नीचेकी हालत में गर्भ गिराना उचित है ( १ ) गर्भिणी कम उम्र और नाजुक हो एव दर्द न सह सकती हो । बच्चा जननेसे उसकी जान जानेकी सम्भावना हो ।
(२) गर्भ न गिरानेसे स्त्रीके भयानक रोगों में फँसनेकी सम्भावना हो ।
स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा -गर्भ गिरानेके उपाय ।
(३) बच्चा जननेके दर्द चार दिनों तक रहें, पर बालक न हो, तब समझना चाहिये कि बच्चा पेटमें मर गया । उस दशामें गर्भिणी की जान बचाने के लिए फौरनसे पहले गर्भ गिरा देना चाहिये । अगर मरा हुआ बच्चा स्त्रीके पेट में देर तक रहता है, तो उसे जहर चढ़ जाता और वह मर जाती है ।
पेट में मरे और जीते बच्चेकी पहचान ।
अगर बालक पेटमें कड़ा पत्थरसा हो जाय, गर्भिणी करवट यदले तो वह पत्थरकी तरह इधरसे उधर गिर जाय, गर्भिणीकी नाभि पहले की अपेक्षा शीतल हो जाय, छाती कमजोर हो जाय, आँखों की सफेदीमें स्याही श्रा जाय अथवा नाक, कान और सिर सफेद हो जायँ, पर होंठ लाल रहें, तो समझो कि बच्चा मर गया। बहुत चार देखा है, जब पेटमें बच्चा भर जाता है, तब वह हिलता नहींपत्थर सा रखा रहता है, स्त्रीके हाथ-पाँव शीतल हो जाते हैं और श्वास लगातार चलने लगता है। इस दशामें गर्भ गिराकर ही गर्भिणीकी जान बचायी जा सकती है।
याद रखना चाहिये, जिस तरह मरे हुए बालक के देर तक पेट में रहनेसे स्त्रीके मर जानेका डर है, उसी तरह बच्चे के चारों ओर रहनेवाली झिल्ली, जेरनाल या अपराके देर तक पेटमें रहने से भी स्त्रीके मरनेका भय है ।
नोट- यद्यपि हमने "प्रसव-विलम्ब-चिकित्सा" और "गर्भ गिरानेवाले योग" अलग-अलग शीर्षक देकर लिखे हैं, पर इन दोनों शीर्षकोंमें लिखी हुई दवाएँ एक ही हैं। दोनोंसे एक ही काम निकलता है। इनके सेवनसे बच्चा जल्दी होता तथा मरा बच्चा और फिल्जी या जेरनाल निकल आते हैं। ऐसे ही अवसरोंके लिए हमने गर्भ गिरानेवाले उपाय लिखे हैं। |
भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क है, इसी कड़ी में भारत सरकार ने हिंद महासागर के क्षेत्र में अपनी युद्धक क्षमताओं को कई बार आका है। भारतीय विदेश मंत्रालय के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) खतरों व अनिश्चितताओं में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि का सामना करेगा।
'समुद्री सुरक्षा एवं उभरते गैर परंपरागत खतरोंः हिंद महासागर क्षेत्र की अतिसक्रिय भूमिका का मामला' विषय पर गोवा समुद्री सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने भू-राजनीतिक अस्थिरता से उभरती चुनैतियों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता का अभाव रहने से क्षेत्र में सैन्यकरण बढ़ा है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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Rabindra Nath Bhaiya: जिले के उग्रवाद प्रभावित परनाडाबर पुलिस ने छापामारी कर आठ लीटर महुआ शराब के साथ महिला को गिरफ्तार किया है। इस बावत उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार ने बताया कि मंझगांवां गांव से आधा किलोमीटर दक्षिण बरगद वृक्ष के पास झोपड़ी बनाकर महिला द्वारा महुआ शराब बेचे जाने की गुप्त सूचना मिली।
सूचना के आलोक में त्वरित कार्रवाई कर महिला को आठ लीटर महुआ शराब के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। बता दें परनाडाबर पुलिस द्वारा कहीं न कहीं प्रतिदिन शराब बरामद कर कारोबारियों की गिरफ्तारी की जा रही है। बावजूद कारोबारी अपने धंधे से बाज नहीं आ रहे हैं।
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संभल। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाने के बाद संभल में पुलिस और प्रशासन एहतियाती तौर पर सतर्क है। बवाल 19 व 20 दिसंबर को हुआ था। इस बवाल के बाद महिलाओं ने एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद से लोग शांत हैं। कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं हो सका है लेकिन विरोध प्रदर्शन का अंदेशा अभी बरकरार है। अंदेशे के चलते पुलिस और प्रशासन एहतियाती सतर्कता बरत रहा है।
पुलिस और पीएसी के साथ अब अर्धसैनिक बल भी बुला लिया गया है। पुलिस व पीएसी की चार कंपनी संभल में हैं और पांच थानाध्यक्षों को पुलिस बल के साथ तैनात किया गया है। संभल को 12 सेक्टर में बांटा गया है।
संवेदनशीलता के हिसाब से पुलिस बल की तैनाती की गई है। सभी सेक्टरों पर मजिस्ट्रेट भी लगाए गए हैं। उप जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि मजिस्ट्रेटों की निगरानी रहेगी। नागरिकतासंसोधन कानून को लेकर लोगों को जागरूक किया गया है।
शांति व्यवस्था को लेकर बैठक करके संवाद भी किया गया है जिसमें लोगों ने कहा है कि वे शहर में अमन बनाए रखेंगे। पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने बताया कि संभल में एहतियाती सतर्कता अभी जारी रहेगी। लोगों से आग्रह है कि वे कानून हाथ में न लें और शांति व्यवस्था बनाए रखें।
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जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं भाजपा अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए सड़कों को काला करने का काम कर रही है और इन सड़कों को इस कदर काला किया जा रहा है कि ये सड़के मात्र 3 महीने भी नहीं टिक पा रही है नाहन राजगढ़ सड़क पर पपड़ना पुल से चमरेड पुल तक 4 किलोमीटर सड़क को अप्रैल अंतिम वीक में पक्का किया गया था लेकिन बावजूद इसके यह सड़क जुलाई तक हि उखड़ गई और यही नहीं इससे पूर्व भी कई जगह पर सड़क पक्का होने के दौरान ग्रामीणों ने सड़क को हाथों से उखाड़ कर दिखाया है.
आम आदमी पार्टी संगठन मंत्री अंकुश चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए चुनाव के नजदीक आते ही सड़कों को (पक्का) काला करने का काम कर रही है जो कि 3 महीने भी नहीं टिक पा रही है उन्होंने कहा कि मैं भाजपा सरकार से पूछना चाहता हूं कि यह सड़क बनाने में भाजपा ने किस-किस को फ्री कि रेबढ़िया खिलाई है जो यह सडक मात्र 3 महीने में ही उखड़ गई .
उन्होंने यह भी कहा कि जब यह सड़क पक्की हो रही थी तब भी उन्होंने इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए उस वक्त भी इस सड़क को मात्र हाथों से से उखाड़ कर उखाड़ कर दिखाया था और प्रशासन से उचित कार्यवाही की भी मांग की थी उसके बाद एक बार फिर इसके ऊपर तारकोल डाला गया था लेकिन उसके बावजूद भी यह सड़क मात्र 3 महीने भी नहीं टिक पाई और 3 महीनों में ही इस सड़क में कई जगह गड्ढे हो गए. यही नहीं पच्छाद में और भी कई जगह सड़को को काला करने का काम किया जा रहा है , जिसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठते है.
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लखनऊ । पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के शर्मनाक बयान के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन किया और पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पुतला दहन कर आक्रोश व्यक्त किया। राजधानी लखनऊ में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए पार्टी मुख्यालय से अटल चौक तक विरोध मार्च निकालकर बिलावल भुट्टो का पुतला जलाया। पार्टी कार्यकर्ताओं जिला स्तर पर भी जोरदार प्रदर्शन कर पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान का विरोध करते हुए पुतला फूंका। विरोध प्रदर्शन पार्टी पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।
पार्टी मुख्यालय पर हजारों की संख्या में उपस्थित पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयान की भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बयान उनकी कुंठा और मानसिक दिवालियेपन का परिचायक है। आज विश्व पटल पर पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद को पालने-पोसने और बढ़ावा देने वाले देश की बन गई है। पाकिस्तान में आतंकवाद की फैक्ट्री चलती है। पाकिस्तान के आंतरिक हालात और उसकी बदहाली किसी से छुपी नहीं है। पाकिस्तान के लगातार बिगड़ते आर्थिक हालात, सेना का मनमुटाव दुनिया भर के देशों से पाकिस्तान के खराब रिश्ते और आतंक को संरक्षण की पाकिस्तानी नीति से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने ऐसा गिरा हुआ और अमर्यादित बयान दिया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में विश्व पटल पर भारत की पहचान एक सशक्त राष्ट्र के रूप में बनी है। भारत की विदेश नीति की सराहना चहुओर हो रही है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत का मान-सम्मान पूरे विश्व में बढ़ा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री पर अमर्यादित बयान देकर पाकिस्तान पर एक कलंक और लगाया है।
राजधानी लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ता बिलावल भुट्टो के बयान के विरोध में हजारों की संख्या में पार्टी मुख्यालय पर एकत्र हुए। दोपहर 12ः30 बजे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकालते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारें लगाए। अटल चौक पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का पुतला दहन किया। विरोध प्रदर्शन में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह, प्रकाश पाल, प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ला, अनूप गुप्ता, अमरपाल मौर्य, प्रदेश मंत्री शंकर लोधी, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित, प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव, समीर सिंह, हीरो बाजपेयी, महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा, जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण लोधी, महापौर संयुक्ता भाटिया, पूर्व मंत्री सदस्य विधान परिषद मोहसिन रजा, विधायक नीरज बोरा, योगेश शुक्ला, अब्रीश रावत, रामचंद्र प्रधान एमएलसी, बुक्कल नवाब सहित हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।
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jamtara : मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि योजना के तहत जिले को मिली राशि सरेंडर कर दी गई है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष राज्य सरकार की ओर से जिले के तकनीकी रूप से प्रशिक्षित युवाओं के लिए आर्थिक सहायता के लिए आवेदन लिया गया था. जिले के करीब 285 प्रशिक्षित युवा-युवतियों ने आवेदन जिला नियोजनालय कार्यालय में जमा किया था. इसके बाद इन युवाओं को आस जगी थी कि सरकार की ओर से सहायता राशि मिलेगी. राशि वितरण के लिए राज्य से जिला नियोजनालय कार्यालय को दो करोड़ 14 लाख 40 हजार रुपये दिये भी गए. लेकिन यह राशि विभाग की ओर से सरेंडर कर दी गई. इससे युवाओं में निराशा देखी जा रही है.
मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि योजना के माध्यम से झारखंड के सभी नागरिक, जो शिक्षित होने के बावजूद बेरोजगार हैं, प्रत्येक वर्ष पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जानी थी. इस योजना का लाभ सिर्फ तकनीकी रूप से प्रशिक्षित बेरोजगार युवक उठा सकते हैं, खास कर जिनके पास नेशनल स्किल डेवलपमेंट एजेंसी से किसी भी रोजगार या स्वरोजगार में शामिल ना होने का प्रमाण है. प्रोत्साहन राशि सीधे लाभार्थी के खाते में डीबीटी के माध्यम से पहुंचाना है.
जिला नियोजन पदाधिकारी प्रीति कुमारी ने कहा कि सभी युवाओं का आवेदन कार्यालय में रखा गया है. फिलहाल यह राशि विभाग को सरेंडर कर दी गई है. सरकार का निर्देश प्राप्त होते ही युवाओं को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
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आदर्श साहित्य संघ, जो सत्साहित्य के प्रकाशन एवं प्रचार प्रसार का ध्येय लिए कार्य करता आ रहा है, इस महत्त्वपूर्ण प्रकाशन का प्रबन्धाभार ग्रहण कर अत्यधिक प्रसन्नता अनुभव करता है।
जैन परम्परा का इतिवृत्त जानने में यह पुस्तक विशेष रूप से सहायक सिद्ध होगी, ऐसी आशा है ।
सरदारशहर ( राजस्थान )
आषाढ कृष्णा ११, २०१७
जयचन्दलाल दफ्तरी
आदर्श साहित्य संघ
द्वितीय संस्करण
जैन परम्परा का इतिवृत जानने में यह पुस्तक विशेष रूप से सहायक सिद्ध हुई है, यह कहना अतिशयोक्ति पूर्ण नही है । पुस्तक का द्वितीय सस्करण इसका ज्वलन्त प्रमाण है । हमे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि साहित्यानुरागी समाज संघ द्वारा प्रकाशित पुस्तको से लाभान्वित हो समय-समय पर इसका मार्गदर्शन करता रहेगा ।
चूरू ( राजस्थान )
भादव शक्ला १ स० २०२६
आदर्श साहित्य सघ |
लखनऊ : इस्लामिक धर्म गुरू जाकिर नाईक के बचाव में कांग्रेस के नेता इमरान मसूद आ गए हैं। उन्होंने जाकिर नाईक को लेकर उपजे विवाद पर कहा कि जाकिर ने आतंकवाद की तारीफ नहीं की है और न ही उसका समर्थन किया है। दरअसल उत्तरप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यख इमरान ने यह भी कहा कि नाइक मीडिया और सुरक्षा एजेंसियों का शिकार हुए हैं।
दरअसल सरकार को पहले साध्वी प्राची को पकड़ लिया गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मसूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विरोध कर चुके हैं। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में इमरान को पकड़ा जा चुका है।
हालांकि मसूद का विरोध इस बात को लेकर भी रहा है कि यदि धार्मिक भाषण देने वालों पर कार्रवाई की ही जा रही है तो फिर उन साध्वियों और नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं होती तो उग्र भाषण देते हैं।
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pm modi speech in india today conclave : इस बीच पुरी ने अपने भाषण में 2014 के बाद पूर्वोत्तर भारत में आए सकारात्मक परिवर्तन का उल्लेख किया। पुरी ने प्रधानमंत्री को जमीन से जुड़ा हुआ आदमी बताया। आइए, आगे जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में क्या कुछ कहा। प्रधानमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने जहां अपनी सरकार की उपलब्धि का जिक्र किया।
चलिए, मान लिया कि नरेंद्र मोदी आज की तारीख में देश की क्या स्थिति है। देश की अर्थव्यवस्था गर्त में है। उन्होंने कहा कि देश बदहाल हो चुकी है। आप अर्थव्यवस्था का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि देश से 1 लाख उद्दमी छोड़कर जा चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव का जिक्र कर कहा कि लोग इस बात को नहीं भूलेंगे। उन्होंने कहा कि लोग बुलडोजर का गलत इस्तेमाल का प्रतिशोध जरूर लेंगे।
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श्रमणोपासको !
पर्युपण का पर्व आज सातवां दिन है. पिछले छह दिनों प्रवचनों में आप सुन चुके हैं कि कर्तव्य प्रेरणा के लिये किस प्रकार सुत्रार्थज्ञान, अहिंसाधर्म, अभयदान, धर्मोपदेश और सच्ची तपस्या की आवश्यकता है. आज दक्षमा के महत्व पर विचार करेंगे.
पर्युपण का एक नाम "क्षमापना पर्व" भी है. इससे सिद्ध होता है कि इस पर्व का आयोजन दक्षमा मांगने और क्षमा करने के ही किया गया है. अपने द्वारा जान या अनजान में हुई पिछली वर्ष की भूलों के लिए इस पर्व के प्रसंग पर क्षमायाचना की जाती है.
क्षमा मांगना साहस का काम है - अहंकारहीन नम्र व्यक्ति हो क्षमा याचना कर सकता है. क्षमा याचना करने वाली आत्मा ही आरावक हो सकती है कहा हैःजो उवसमइ तस्स अत्थि आराहणा ।
- बारह सौ सूत्र
क्षमा करना वीरता का कार्य है - वैर्यशाली गम्भीर सहिष्णु व्यक्ति ही क्षमा कर सकता है. स्वयं समर्थ हो कर --शक्तिसम्पन्न होकर भी जो दुर्बल (कमजोर) अपराधी को क्षमा |
बॉलीवुड की उलाला एक्ट्रेस विद्या बालन के साथ हाल ही कुछ ऐसा हो गया जिसे सुनकर उनके फैंस यकीनन बेहद उदास हो जाएंगे। दरअसल विद्या बालन की कार का मुंबई के बांद्रा के पास एक दूसरी कार से एक्सीडेंट हो गया है।
मीडिया में आई खबरों की मानें तो 38 साल की विद्या बालन मीटिंग के लिए किसी से मिलने जा रही थीं। उसी वक्त उनकी कार दूसरी कार से टकरा गई। जिसकी वजह से उनकी कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है।
डीएनए की मानें तो फिलहाल विद्या ठीक-ठाक हैं और उन्हें किसी तरह की चोट नहीं आई हैं। बता दें कि हाल ही में विद्या बालन ने तुम्हारी सुलु की शूटिंग पूरी की है। इस फिल्म में वो एक नाइट जॉकी का किरदार निभा रही हैं।
फिल्म में एक हाउस वाइफ का किरदार निभा रहीं विद्या इस फिल्म से यह मैसेज दे रही हैं कि कई बार आपको उड़ने के लिए पंखों की जरूरत नहीं होती। बता दें कि उनकी ये फिल्म 1 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
अब तक इस फिल्म के 3 पोस्टर्स और 1 टीजर वीडियो अब तक रिलीज किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं फिल्म में अमिताभ एक 102 साल के पिता का किरदार निभाते नजर आएंगे। और ऋषि कपूर एक 75 वर्षीय बेटे की भूमिका में होंगे।
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BNN DESK: हर वर्ष पूरे विश्व में 5 दिसंबर का दिन विश्व मृदा दिवस या विश्व मिट्टी दिवस के रूप में मनाया जाता है. सबसे पहले वर्ष 2017 में पांच दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया गया था, जो उससे पहले हर वर्ष 20 दिसंबर को मनाया जाता है. दरअसल पांच दिसंबर को थाईलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के जन्मदिन पर मनाया जाता है.
राजा भूमिबोल अदुल्यादेज किसानों के बीच काफी लोकप्रिय थे और ऐसा माना जाता है कि राजा भूमिबोल ने 70 साल तक थाइलैंड पर शासन किया था. अपने शासन काल में राजा भूमिबोल ने कृषि पर विशेष ध्यान दिया था और कृषि सुधार को लेकर कई सुधार भी किए थे. ऐसा भी कहा जाता है कि राजा भूमिबोल अपने देश के हर गरीब और किसान से हर समय मुलाकात के लिए तैयार रहते थे उनकी समस्याओं को दूर करने का हरसंभव प्रयास करते थे.
विश्व मृदा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य किसानों को मिट्टी और उर्वरा के प्रति जागरूक करना है. आधुनिक समय में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के लिए दवाओं के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त होती जा रही है. इस उद्देश्य से भी विश्व मिट्टी दिवस मनाया जाता है. हर फसल के उत्पादन में जिस प्रकार से इन दिनों कीटनाशकों व रासायनिक खादों का उपयोग हो रहा है, उससे भूमि का स्वास्थ्य खराब हो रहा है. विश्व मृदा दिवस पर मिट्टी के रखरखाव और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने का संदेश दिया जाता है.
दुनिया के कई देश कृषि प्रधान है. इस मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने किसानों के हित के लिए कई अभियान चलाए हैं, जिनमें मृदा संरक्षण पर विशेष बल दिया गया है. भारत में आधी आबादी कृषि पर निर्भर है. भारत में भी मृदा संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वस्थ धरा, हरा खेत का नारा देकर आह्वान किया किसानों के हौसले को बुलंद करने की कोशिश की है.
भारत में किसानों के हित के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें किसान फसल बीमा योजना प्रमुख है. इस योजना के तहत किसानों को सालाना तीन किश्तों में 6000 रुपए दी जाती है. इसके अतिरिक्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिट्टी की गुणवत्ता में विशेष सुधार के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की थी. इस योजना से भी किसान लाभन्वित हो रहे हैं.
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फिल्म थप्पड़ से पहले इन फिल्मो में दिखाई गई है अभिनेत्रियों के साथ घरेलु हिंसा, इस तरह किया था सामना!
इन सितारों ने की थी लव मैरिज, सालो बाद टुटा था इनका रिश्ता, एलिमनी में देनी पड़ी थी तगड़ी रकम!
50 की उम्र पार कर चुकी ये 5 अभिनेत्रियां आज भी देखती बेहद खूबसूरत और जवान!
' इमरान हाशमी के साथ फ़िल्म करके अब पछता रही ये अभिनेत्री, वजह जानकर रह जायेंगे हैरान!
शमा सिकंदर ने फिर दिखाया अपना हॉट अंदाज़, सोशल मीडिया पर फोटोज हो रही वायरल!
फिल्मों में सफलता मिलते ही शराब पिने की लगी थी ये अभिनेत्री, पिता पर लगा चुकी है धोखाधड़ी का आरोप!
होटल के कमरे में पकड़ी गई थी यह अभिनेत्री, नाम जानकर नहीं होगा यकीन!
शिल्पा शेट्टी के बाद अब इस अभिनेत्री के घर जल्द गूंजने वाली है किलकारियां!
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चंडीगढ़ - हरियाणा बोर्ड दसवीं परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। परीक्षा परिणाम शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने घोषित किए। इस बार 51. 15 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए हैं। लड़कियों का रिजल्ट लड़कों से अच्छा रहा है। पिछले साल की तरह इस बार भी करीब आधे स्टूडेंट्स ही पास हो पाए हैं। पिछले साल 50. 49 प्रतिशत ही पास हो पाए थे। वहीं 2016 में भी 48. 88 विद्यार्थी ही पास हो पाए थे। शिक्षा मंत्री प्रो. रामविलास शर्मा ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि लड़कियों का पास प्रतिशत अधिक यानी 55. 34 है, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 47. 61 रहा है। जींद के कार्तिक ने कुल 500 अंकों में से 498 अंक प्राप्त कर हरियाणा में टॉप किया है। उसने पांच में से तीन विषय में सौ फीसदी अंक हासिल किए हैं। स्वयंपाठी विद्यार्थियों का परिणाम 66. 2 फीसदी रहा। वहीं रैंकिंग में दूसरे नंबर पर सेलिना यादव, सोनाली और हरिओम रहे हैं। तीसरे स्थान पर भी तीन विद्यार्थी रहे हैं। तीनों छात्राएं हैं। इनके नाम रिया(अंबाला), प्रीति (महेंद्रगढ़) व जिज्ञासा (पानीपत) हैं। तीनों के 494-494 अंक हैं। चरखदादरी जिला का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। दूसरे नंबर पर महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी तीसरे नंबर रहा है। मेवात सबसे फिसड्डी जिला रहा है। यहां का रिजल्ट सबसे खराब रहा। ग्रामीण तबके के विद्यार्थी हावी रहे। 51. 72 फीसदी ग्रामीण तबकों से विद्यार्थी पास हुए हैं, जबकि शहरी इलाकों की पास प्रतिशतता 49. 75 रही। सरकारी स्कूलों के 44. 38 फीसदी विद्यार्थियों की तुलना में निजी स्कूलों के 59. 87 फीसदी विद्यार्थी उत्तीर्ण रहे। गुरुग्राम का रिजल्ट 45. 75 और फरीदाबाद का 41. 29 फीसदी रहा। हरियाणा दसवीं कक्षा के परीक्षा परीणाम दोपहर करीब सवा दो बजे घोषित किए गए। हरियाणा बोर्ड की दसवीं कक्षा की परीक्षा आठ से 30 मार्च तक हुई थी। परीक्षा में 3,83,499 छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे। पिछले वर्ष मोनिका रानी नाम की छात्रा ने 98. 6 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप किया था। श्री शर्मा के साथ बोर्ड अध्यक्ष डॉ. जगबीर सिंह व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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जहां मधुमक्खियों ने अपना छत्ता बना लिया था। बॉल लेने ज्यों ही ऋषि गया कि मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। उसे टीएमएच के आईसीयू में भर्ती किया गया है। उसके पिता मुकेश हैं जो टेम्पो चालक हैं। ऋषिराज तीरंदाज भी है। तीरंदाज छात्र की मदद के लिए कोच बीएस राव और हरेन्द्र सिंह टीएमएच मे जमे हैं।
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साल 1990 में आयी अग्निपथ में लीड रोल अमिताभ बच्चन ने निभाया था। फिल्म और अमिताभ को. . नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था। फिल्म में अमिताभ के साथ माधवी, मिठुन चक्रवर्ती और पद्दमिनी कोल्हापूरे थे । लोगों सोच रहे थे कि फिल्म के रीमेक में में अभिषेक बच्चन होंगे लेकिन फिल्म मे रीतिक रोशन आ गये । फिल्म मे अभिनेत्री का किरदार प्रियंका चोपड़ा निभा रही है। फिल्म के निर्देशक करण मल्होत्रा हैं।
वैसे फिल्म की शूटिंग जब से शुरू हुई है तब से ही अभिनेता रितिक रोशन दो बार चोटिल हो चुके है। एक बार उनका हाथ जल गया तो एक बार उनका हाथ कट गया है। देखते हैं ये फिल्म रीतिक रोशन के करियर में क्या मोड़ लेकर आती है। फिल्म में कई महोत्सवो को दिखाया गया है। जन्माष्टमी, होली महोत्सव को विशेष रूप से फिल्म में फिल्माया गया है। 10 जनवरी को रितिक का बर्थ-डे है, देखते हैं ये फिल्म उनके लिए क्या लेकर आती है?
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नई दिल्ली। India Population News इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है जहां पर दुनिया में भारत की जनसंख्या अब 139 करोड़ हो गई है। जहां इसकी जानकारी आज केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने लोकसभा में शेयर की है।
आपको बताते चलें, यहां पर लोकसभा की सुनवाई के दौरान मंत्री नित्यानंद राय ने बताया, संयुक्त राष्ट्र (UN), इकोनॉमिक और सोशल अफेयर्स डिपार्टमेंट, पॉपुलेशन डिवीजन के ऑनलाइन पब्लिकेशन और वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्टस 2022 के मुताबिक चीन की जनसंख्या 1 जुलाई 2023 को 1 अरब 42 करोड़ 56 लाख 71 हजार अनुमानित की गई थी।
वहीं पर नेशनल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में 1 जुलाई 2023 को भारत की जनसंख्या के 1 अरब 39 करोड़ 23 लाख 29 हजार होने का अनुमान जताया था।
आपको बताते चलें, इससे पहले ही केंद्र सरकार ने 28 मार्च 2019 को गजट में 2021 की जनगणना को लेकर बात की थी। इसके अलावा इससे पहले ही कोरोना के आने से जनगणना की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी अब इस साल जनसंख्या के आंकड़े पेश हुए है।
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SE MED DA
चोर वणायो, आप हीज खेलकण्यो है । मुरजी व्हे जरबा लगावो, मुरजी व्हे' चंवर करो ।
"राजी है उस ही में जिसम तेरी रजा है । या यो भी वाहवा है आरयों भी वाहवा है ॥" ( २१ )
रंबर रो डोरो ज्यू बधे, जद लांवो व्हे' जाय, ने पात्रो समेटाय जदी छोटो व्हे जाय । यूँ ही ब्रह्म रो वधणो संसार समेटावणो, चैतन्य वृत्ति रो फेलणो ने ममेटावणो चैतन्य है, एक ही है।
जो पदार्थ दीखे सबहो जड़ है । देखे जो चैतन्य । जो पदार्थ दोखे जो मन है । अणी तरे' यूँ मन प्रत्यक्ष है, ने देखे सो आत्मा चैतन्य है, सो हो है । अग्रणी सिवाय प्रकट प्रत्यक्ष कई ? ज्ञान, जड़ =मन, चैतन्य = श्रात्मा ।
की पलक में खलक हे सारा । खलककी पलक से अलख है न्यारा ॥ देवत देखत ऐसा देख
मिट जाय धोखा हो जाय एक ।
श्री गोताजी रो सिद्धान्त हरिदासजी री टीका हूँ श्री गीताजी में योग और सांख्य दो नाम श्रावे । चणा ने ही सगुण निर्गुण, या सविकल्प निर्विकल्प वा भक्ति ज्ञान, अन्वय व्यतिरेक, वा कर्म सन्यास, आदि अनेक नाम यूँ के शकाँ हाँ । श्रवार प्रायः ( अकसर ) प्राणायामने वा नेती धोती पट् कर्म ने योग माने है, ने घणा खरा ने प्रतिमा पूजन ने ही भक्ति माने हे ने घणा खरा "अहं ब्रह्म" बकवाने ज्ञान माने है। पर गौण में, ने मुख्य में भी फरक व्हेवे, जदी गौष भी नी व्हेचे केवल प्रतिष्टारे वास्ते जदी ईकाम कराँ हाँ, जद् उलटी श्री भक्ति, योग, ज्ञान, री बुराई कराँ, वणी व्हो' ने श्रीज वास्ते शास्त्र में बुराई आ।वे सो सदोप कर्म री हो है, निर्दोष ने दोष तो सामान्य मनुष्य भी देखो अनुचित समझे, जदी तरण तारण प्राप्त पुरुष श्यो कदी करे। वयाँ जो बुराई करी चींरो यो हो भाव प्रतीत व्हवे के अपो उत्तम सिद्धान्त री बुराई (निन्दा) नोव्हे' जाय । श्री गीताजी में सर्वसिद्धान्त सार श्रीभगवान अर्जुनजी ने निमित्त करने अधिकारी जीवाँ रे वास्ते
kan yan
कीधी है। चावे जणी जात, देश, मत, रो मनुष्य व्हेवे परमारथ में चालवा में ई सिद्धान्त चणी ने अंगोकार करणा पड़ेगा या वात "श्री कुराण" श्री बाइयल, आदि दूसरा देश रा महामारे मान्य पुस्तकाँ यूँ भी प्रमाणित व्हेवे क्यूँ के दूसरा देश, जात, रो ईश्वर दूसरो नी है । यूँ ईश्वरीय ज्ञान एक है और मायिक ज्ञान रो तो पारनी है ।
श्रीगीताजी रे वास्ते लोग केवे के अर्थशास्त्र है अर्थात् नीति है, सो नी है। केवल अर्जुनजी रा शोक-मोह-अज्ञान निवृत्ति रो गीताजी में उपदेश है, लड़वा रो नी । लड़पो तो अर्जुनजी से प्रारब्ध कर्म है । सो ही श्री भगवान आज्ञा करी के लड़ । "स्वधमम पिचावेदय" शृं प्रभु रो सिद्धान्त नी है, या साबित व्हेचे है । क्यूँ के यूँ तो "श्रथ चैनंनित्यजातं " यो भी कोई अज्ञानी प्रभु रो मत मान लेवेगा, पर नी व्हे' शके । क्यूँ के यो तो पक्षान्तर है अर्थात् अज्ञान में भी शोकादि नी करणा चावे । फेर ज्ञान से तो केणी ही कई । "योग" । यूँ गीताजी में यो अभिप्राय है, के "प्रत्येक पदार्थ में परमात्मा ने मिल्या थका देखणा", या ही वात
समग्र गीताजो में है "रसाहमसु कौन्तेय" इत्यादि यूँ पदार्थ से न्यारो प्रतोत व्हेणो ही माया है, ने प्रतीति प्रत्येक पदार्थ री आत्मा रा अस्तित्व ( योग ) यूँ है, ने दीखे न्यारा प्रणोज बास्ने इने योग माया के है, और अटे या शंका करे के पदार्थ तो न्यारा है, ने वणों में ईश्वर रो योग (मेळ ) व्हियो, ज्यूँ नी है। ज्यूँ घडा में मृत्तिका रो योग है, यूँ प्रभु रो मर्वत्र योग है, माया या होज है, के केवल घर होज समझणो ने घट में मृत्तिका देखताँ देखताँ घट से दीखणो बन्द व्हे' ने मृत्तिका रो हीज भान रे' जाणो "सांख्य" सो सांख्य पेली कठिन है, योग रॉ महज में में सांख्य री प्राप्ति है। श्रणीज बात ने अनेक प्रकार यूँ श्री भगवान आज्ञा करी है। श्री हरिदासजी कृत, ज्ञानामृत्त टीका में या बात खूब समझाई श्री परमहंस रामकृष्ण देवकृत तत्वोपदेश में भी या हीज बात है । अणीज योग री प्रशंसा भगवान स्थान स्थान पर कोधी है। अणी योग री पूर्ण स्थिति ही योग प्राप्ति वा सांख्य है, सो आज्ञा है, के "तदा योगमनाप्स्यसि " "यो माम् पश्यति सर्वत्र " दृष्टा रो स्वरूप में अवस्थान ( स्थिति ) ही योग है,
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ने नाना भाव यूँ ही वृत्ति सारूप्य व्हेचे, ऋणी वास्ते एक भाव यूँ ही वृत्ति स्थिर व्हेवे और वास्तव में नानात्व कुछ नो है। सच्चिदानन्द अात्मा में चित् शक्ति ने न्यारी मानवा यूँ दो प्रतीत व्हे' गया । वास्तव में सत् के वो, वा चित् के वो, वा आनन्द के वो, एक ही है । वा चित् शक्ति ज्ञान स्वरूप है, जो शू जदी वर्णी आपणो ज्ञान छोड़ दीघो, जदो प्रकृति नाम पड्यो, पर है वा एक ही । फेर वणी में शूं त्रिगुण, अहं, बुद्धि, मन, इन्द्रियादि पदार्थ व्हेता गया, सो कणो में व्हिया, थात्मा में। क्यूँके वेद में एक से एक में स्थिति बताई है, पर आत्मा तो आपरी महिमा में होज स्थित है, या हो व्यवसायात्मिका बुद्धि है। अणी में ही सब एक है। अणी रो हो संक्षेप भूतशुद्धि है। नवीन साइन्स भी कतराई अंश में ई ने माने है, जदी चणा रो साइन्स पूरी व्हे जायगा, जदी वी ईने पूरी मान लेगा । श्री भग वान भी आज्ञा करे है, के "व्यवमायात्मिका बुद्धिरे केह कुरुनन्दन" के निश्चयात्मिका बुद्धि तो या एक ही है, के सर्वत्र श्रीकृष्ण रा दर्शन करणा, ने अनिश्वप्रतारी तो अनन्त शाखारीः फेर अनन्त बुद्धि
है । वाँ रे भावे तो गारो न्यारो, घड़ो न्यारो, ने चुकवयो न्यारो, ने कळशो न्यारो, ने मटको न्यारो ने कूळकी, कृळको, तूती, कुञ्जो, पातो, कँडो, दीवाण्यो, फेर हाथी, घोड़ा वगेरा ( न्यारा ) गारो भी काळो. पोळी, भूरो, खड़ी ने यूँ अनन्त भेद व्हे' शके है, ने घी मूर्ख या हीज माने है, के गारो नी है। किन्तु न्यारा है "नान्यःस्तीतिया दिनः" । क्यूँ के कामात्मा है, कामना हो वाँ री आत्मा है । "अशी बुद्धि ने छोड़ यथार्थ बुद्धि अङ्गीकार करणी जो कोई मतवाळा यूँ के वे, के यो तो भक्ति रो मत नी है, तो वर्षों ने पूछणो जदी भक्ति से मत फेर कश्यो है। घणाँ खरा मात पदार्थ माने, घणाँ खरा छः ने घणाँ खरा दो इत्यादि । पर वणारो यो सिद्धान्त नी है, वणारो तो यूँ समझावणो है । ज्यूँ न्याय हूँ या बात समझ में आय जाय, के उपरोक्त घटत्यादि सब भृत्तिका है, ने जो ईश्वर शँ न्यारा माने है, वी ईश्वर री निन्दा करे है यूँ तो अनादि नरो वस्तु है, ईश्वर हीज अनादिनी है, या सावित व्हेगा, ने ईश्वर में भो शक्ति कोय, नी । जदी पदार्थ शुं सृष्टी वणावणी पड़े, ज्यूँ आपोँ ने गारा भाटा यूँ मकान चपावणो
रोक फरक पड़ेगा, के आपाँ गारो भाटो लावाँ, ने वठे मूँडा घागे पड्यो रे'वे । 'पर स्वतंत्रता तो नो री', और सब में ईश्वर मानवा में विकारोपणो ईश्वर में नी आवे जी । क्यूँ के विकार तो छैत में है, एक में नी । श्री गोस्वामीजी . महाराज भी श्राज्ञा करे है"सिया राम मय सब जग जानी " "जेहि जाने जग जाहि हिराई । कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं ।"
धन्य है वणने, जो श्री भक्ताधिराज दयाल गोस्वामी जी रा वचनों से भी अनादर करे है । महाराज तो श्री शङ्कर गुरु रा-भगवान रा-वाक्य आज्ञाकरे है -
"उमा जे राम चरण रत, विगत काम मद क्रोध । निज प्रमुमय देखहिं जगत, के सनहिं करहिं विरोध ॥
म्हाँ जो भाटा लोड़ी मय तो जगत देखाँ ने केवा के प्रतिमा में प्रभु है । जणी समय थाँने प्रतिमा में प्रभु रा दर्शण व्हेगा । जदी तो लोग धाँने के वे के प्रतिमा मत पूजो, तो चरड़यो नी ।
क्यूँ के म्हें तो प्रभू ने पूजा हाँ, प्रतिमा भाव कठे रियो, ने यूँ केवों के माधूर्य भाव नी रेवे है. सो भी नो । क्यूँ के "न तत्र महात्म्य विस्मृतिरपनगद." श्री नारद जी "अन्यथा जाराणामिय" जो गोपिका वर्णों में महात्म्य ज्ञान भूल प्रेम करती तो जाएँ ( दूजा पतियाँ) से नॉई प्रेम हे तो । क्यूँ के जाराँ रो तो मामूली भक्ताँ जश्यो प्रेम परस्पर व्हे' है, पर घठे महात्म्यं नी है। महात्म्य युक्त माधुर्य में माधुर्य अतरो बन्धणोचावे, के महात्म्य भी वी में लीन व्हे' जाय । ज्यूँ श्री व्रज गोपिका रा वचन है, के भगवान आप गोषिका ने हीज सुख देवा ने चाळा नी हो, पर सम्पूर्ण प्राणियाँ रा अन्तरात्मा हो । श्रणी महात्म्य ज्ञान में चणाँ ने अतरो माधुर्य वढ्यो के "ग्रहो ! ई प्रभु म्हॉने प्रत्यक्ष दर्शण दे रिया है और प्रेम शू आलिङ्गन प्रदान कर रिया है। वणी महात्म्य में अशी मत्त व्ही' और माधुर्य बढ्यो के कितब ( हे धूर्तकपटी ) के वा लागी क्यूँ के महात्म्य विना माधुर्य रो प्रादुर्भाव व्हेवे ही नी । कोई ग्रन्थ अश्योनी जी में महात्म्य नी व्हेये, ने मुसलमान और नास्तिक मख री बणाई थकी श्रीमद्भागवत
जी वा राम चरितादि में महात्म्य रो वर्णन नी वायूँ वीं में माधुर्य भी प्राप्त नी व्हेवे, ने महात्म्य यूँ ही म्हें श्रवार श्री कृष्ण कृपाल री भक्ति कर शकाँ हाँ। दूज्यूँ जयाँ ने महात्म्य ज्ञान नी है, वो अथ प्रभु ने भी याद नी करे । रावण जाण . ने भी प्रभु ने नर किया । जणी पे श्री जी श्राज्ञा करी "राम मनुज कॅस रे शठ घंगा" महात्मा जो माधुर्य री पढ़ाई कीधी सो वास्तव में सत्य है और महात्म्य रो फल माधुर्य है। पर अवार भ्रम में पड़, विना वृक्ष ही फल ने खावणो चावे, ने ईश्वर में महात्म्य है, ने वो भक्त भी जाऐ, पर माधुर्य में लीन व्हेवा यूँ वो वश्या ही व्हे जाय। विना महात्म्य रे निश्चय व्हियाँ या किस तरे निश्चय व्हेवे, के प्रभु अवार म्होंने अठे दर्शण देवेगा, पर वणी रा महात्म्य रूँ ही भक्ताँ ने निश्चय व्हेबे, के खामी म्हाँणा हीज है, वो प्रभु तो त्यार ऊभा है, अणी वास्ते प्रभु ने सर्वशक्तिमान् समझणा चावे । महात्म्य री दृढ़ता में ही माधुर्य है । माधुर्य तो कणीक घड़भागी ने मिले है ।
श्री परम दयालु भक्त शिरोमणि श्री गोस्वामी जी महाराज कृत ऋणोँ चौपायाँ ने विचारवा यूँ |
(जी. एन. एस) ता. 31 हरियाणा लोग अगस्त 2019 में विशेष दर्जे के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदलाव को महसूस कर रहे हैं और कुछ लोगों द्वारा बाधाओं के बावजूद, "हम अपने लक्ष्य के करीब पहुंच रहे हैं" यह सुनिश्चित करने के लिए कि केंद्र शासित प्रदेश 2047 तक एक विकसित भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सपने का हिस्सा है, लेफ्टिनेंट राज्यपाल (एल-जी) मनोज सिन्हा ने गुरुवार को कहा।
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है कि एक बार एक पिता था और एक माता थी । परिवार में बच्चों को हंसी में कभी-कभी राजा बेटा कहा जाता है, और सबसे बड़े पुत्र को युवराज कहा जाता है । स्वयं राजा जनता का पिता कहलाता है'। फिर कुछ स्थानों में छोटे बच्चे प्रायः खेल में छोटे जानवर कहलाते हैं । उदाहरण के लिए, कार्नवाल में 'छोटा मेंढ़क', या जर्मनी में 'छोटा कीड़ा, और बच्चे से सहानुभूति दिखाते हुए कहते हैं, 'बिचारा छोटा कीड़ा ।' (हिन्दी भाषी प्रदेश में बच्चे को 'बंदर', बच्ची को 'चिड़िया' और सामान्यता बच्चे को 'चूहा या चुहिया' कहते हैं । )
फिर मकान के प्रतीक पर विचार करेंगे । जब हम अपने स्वप्नों में मकानों के छज्जों को पकड़ते हैं, तब क्या हमारे मन में विशेष रूप से उभरी हुई छातियों वाली स्त्री के सम्बन्ध में जर्मन भाषा की यह प्रसिद्ध और प्रचलित कहावत नहीं आती । 'उसके पास किसीके पकड़ रखने योग्य चीज है ।' (Die hat etwas zum Anhalten ) । इसी तरह का एक और बोलचाल का प्रयोग है। उसके मकान के सामने बहुत-सी लकड़ी है ।' (Die hat viel Holz vor dem Hause) मानो इस तरह जब हम यह कहते हैं कि लकड़ी स्त्री का मातृरूप प्रतीक है, तब इससे हमारे निर्वचन की पुष्टि हो जाती है ।
लकड़ी के विषय पर अभी कुछ और कहना पड़ेगा। आसानी से समझ में नहीं ताकि लकड़ी स्त्री और माता का प्रतीक क्यों हो पर इसमें विभिन्न भाषाओं की तुलना हमारे लिए उपयोगी हो सकती है । जर्मन शब्द Holz ( लकड़ी) उसी धातु से निकला हुआ बताया जाता है जिससे ग्रीक U&n, जिसका अर्थ है सामग्री या कच्चा सामान । यह उस प्रकार का उदाहरण है जिसमें एक सामान्य नाम अंत में एक विशेष वस्तु का वाचक हो जाता है, और यह क्रम बहुत जगह दिखाई देता है । एटलांटिक महासागर में मैडीरा नामक एक द्वीप है, और यह नाम इसे तब दिया गया था जब पुर्तगालियों ने इसे ढूंढा था, क्योंकि उस समय इसमें घने जंगल थे और पुर्तगाली भाषा में जंगल या लकड़ी के लिए 'मैडीरा' शब्द है । पर आप देखेंगे कि यह मैडीरा शब्द लैटिन के 'मैटीरिया' शब्द का ही रूपान्तर है, और 'मैटीरिया' शब्द सामान्य रूप से वस्तु का वाचक है पर मैटीरिया शब्द 'मैटर ' ( माता) शब्द से निकला है, और जिस सामान में से कोई चीज़ बनती है उसे उस चीज का जन्मदाता माना जा सकता है । इस प्रकार स्त्री या माता के प्रतीक के रूप में लकड़ी या जंगल का प्रयोग इस पुराने विचार का अवशेष भी है ।
जन्म सदा पानी से कुछ सम्बन्ध रखता हुआ दिखाई देता है । या तो हम पानी में गोता लगा रहे हैं, या उससे निकल रहे हैं, अर्थात् हम जन्म लेते हैं, या पैदा होते
१. रूसी भाषा में 'छोटा पिता' । ( देखिए कालिदास - स पिता पितरस्तासां केवलं जन्म हेतवः - अनुवादक )
हैं । यह नहीं भूलना चाहिए कि विकास के वास्तविक तथ्यों की ओर यह प्रतीक दो निर्देश करता है । धरती पर रहने वाले सब स्तन्यपायी जिनसे मनुष्य वंश पैदा हुआ है, उन प्राणियों के वंशज हैं जो पानी में रहते थे -- यह दोनों में से दूर वाला संकेत है -- पर प्रत्येक स्तन्यपायी व्यक्ति अर्थात् प्रत्येक मनुष्य भी पानी में रहने की पहली अवस्था में से गुजरा है, अर्थात् वह भ्रूण के रूप में माता के गर्म के एमनियोटिक तरल में रहा है और इस प्रकार जन्म के समय पानी से निकला है । मैं यह नहीं कहता कि स्वप्न द्रष्टा यह बात जानता है; इसके विपरीत, मेरा यह कहना है कि उसे यह जानने की कोई आवश्यकता ही नहीं । शायद वह बचपन से सुनता हुआ कुछ और बात जानता है, पर मैं यह कहता हूं कि इससे भी प्रतीक बनने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा । बच्चे को छुटपन में कहा जाता है सारस पक्षी बच्चे दे जाते हैं । पर फिर उन्हें बच्चे मिलते कहां से हैं ? किसी तालाब या कुएं में से, अर्थात् पानी से । मेरा एक रोगी, जिसे बचपन में जब वह बहुत छोटा ही था यह बात बताई गई थी, एक दिन तीसरे पहर कहीं गायब हो गया और अन्त में एक झील के किनारे लेटा हुआ मिला । उसने अपना छोटा-सा मुंह निर्मल जल की ओर कर रखा था और वह उत्सुकतापूर्वक ताक रहा था कि क्या झील के तले में वह बच्चों को देख सकेगा ।
वीर पुरुषों के जन्मों की पौराणिक कहानियों में, जिनका ओ० रैन्क ने तुलनात्मक अध्ययन किया है - इनमें सबसे प्राचीन, लगभग अट्ठाईस सौ ईस्वी पूर्व का अक्क का राजा सारगोन है -- पानी में पड़े होने और उसमें से बचाए जाने का उल्लेख प्रमुख होता है । रैन्क ने देखा कि यह उसी प्रकार जन्म का प्रतीक है जैसे । स्वप्नों में होता है। स्वप्न में कोई आदमी किसीको पानी में से बचाता है । तब वह उस व्यक्ति को अपनी माता बना लेता है या कम से कम एक माता तो बना ही लेता है; और पुराण-कथाओं में जो कोई किसी बच्चे को पानी में से बचाती है, वह स्वयं को उसकी सगी माता बताती है । एक प्रसिद्ध मज़ाक है जिसमें एक तीव्रबुद्धि यहूदी लड़का, यह पूछने पर कि मूसा की माता कौन थी, तुरन्त उत्तर देता है : "राजकुमारी ।" हम उससे कहते हैं "नहीं, उसने तो उसे सिर्फ पानी में से निकाला था ।" "यह तो वह कहती थी," वह उत्तर देता है, और इस तरह प्रकट करता है कि उसने पौराणिक कथा का सही अर्थ समझ लिया है ।
यात्रा पर जाना स्वप्नों में मरने का प्रतीक होता है; इसी प्रकार जब कोई बालक किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पूछता है जो मर गया है और जिसका प्रभाव उसे अनुभव हो रहा है, तब उससे कह दिया जाता है कि 'वह परदेस गया है ।' यहां
१. Evolution. २. Mammal. ३. Embryo.
भी मैं इस विचार को नापसन्द करता हूं कि इस स्वप्न प्रतीक का मूल बच्चे को दिए गए टालू जवाब में है। कवि जब परलोक के लिए यह कहता है कि 'वह ज्ञात देश जहां से कोई पथिक वापस नहीं लौटता' तब वह इसी प्रतीक का प्रयोग करता है । इसी तरह रोज़ की बातचीत में हम अन्तिम यात्रा' (महाप्रयाण या गंगा यात्रा) शब्दों का प्रयोग करते हैं, और प्राचीन कर्मकाण्ड से परिचित लोग अच्छी तरह जानते हैं कि मृतों के देश में यात्रा का विचार, उदाहरण के लिए, प्राचीन मिस्रवासियों में कितनी गम्भीरता से माना जाता था । बहुत जगह 'मृत का लेखा' ( Book of the Dead) देने की पद्धति अब भी क़ायम है - - यह लेखा ममी अर्थात् संरक्षित शव को अपनी अन्तिम यात्रा पर ले जाने के लिए दे दिया जाता था । कब्रिस्तान बस्ती से दूर होते हैं इसलिए मृत व्यक्ति की अन्तिम यात्रा एक वास्तविकता बन गई है ।
यौन प्रतीक सिर्फ़ स्वप्नों से ही सम्बन्ध नहीं रखते । 'सामान' शब्द से आप सब परिचित होंगे, जो स्त्री का तिरस्कार के साथ उल्लेख करने में प्रयुक्त होता है। पर शायद लोगों को पता नहीं है कि वे जननेन्द्रिय के एक प्रतीक का प्रयोग कर रहे हैं। नए अहदनामे (New Testament) में लिखा है : "औरत कमजोर जहाज़ है ।" यहूदियों के धर्मलेखों में जिनकी शैली कविता से बहुत मिलती-जुलती है, यौन प्रतीकों वाली बहुत-सी पदावलियां हैं, जिनका बहुत बार ठीक-ठीक अर्थ नहीं लगाया गया है और जिनके भाष्य से, उदाहरण के लिए, सौंग औौफ सोलोमन में बड़ी गलतफहमी पैदा हुई है ।' बाद के हिब्रू साहित्य में स्त्री को बहुत बार मकान द्वारा निरूपित किया गया है, जिसमें दरवाजा योनिद्वार का प्रतीक है । इस प्रकार, जब पुरुष यह देखता है कि कोई स्त्री अब कुमारी या अक्षतयोनि नहीं है, तब वह कहता है कि 'मैंने दरवाजा खुला पाया है।' इस साहित्य में स्त्री के लिए 'मेज़' का प्रतीक भी आता है; स्त्री अपने पति के विषय में कहती है : "मैंने उसके लिए मेज़ लगाई, पर उसने इसे उल्टा कर दिया ।" लंगड़े बच्चों की दुर्बलता का कारण इस तथ्य को बताया जाता है : "पुरुष ने मेज़ को उल्टा कर दिया ।" यहां मैं एल० लेवी के एक ग्रन्थ से एक उदाहरण देता हूं । वह ग्रन्थ है 'सेक्सुअल सिम्बोलिज्म इन द बाईबल एण्ड द तालमद' (अर्थात् बाईबल और तालमद में मैथुन विषयक प्रतीक ) ।
स्वप्नों में जहाज़ स्त्री का वाचक होता है, जिसका समर्थन व्युत्पत्ति शास्त्री भी करते हैं । उनका कहना है कि जहाज़ ( Schiff) शब्द पहले मिट्टी के बर्तन का नाम था, और यह शब्द Schaff ( टब या कठौता) ही है । चूल्हा स्त्री या माता के
१. "मैं एक दीवार हूं और मेरे स्तन बुर्जों के समान हैंः तब मैं उसकी नज़रों को बांध सकी थी।" -- Cant viii. 10. |
• वेदकथाका वैशिष्ट्य - एक परिचय *
देकर समझाया गया है। जो एक प्रकारका जगत्का नित्य इतिहास है। नित्य - वेदम अनित्य ऐतिहासिक आख्यान नहीं हो सकते। इसी प्रकार वेदमे कुछ राजाओंके तथा भारतीय इतिहासके कुछ व्यक्तियोंके भी नाम प्राप्त होते हैं। इससे यह प्रश्न उपस्थित होता है कि जब वेद अपौरुषेय हैं, तब इनमें ऐतिहासिक आख्यान तथा ऐतिहासिक व्यक्तियोके नाम कैसे आते हैं ? परतु वास्तवमे वेदके ये शब्द किन्हीं ऐतिहासिक व्यक्तियाके नाम नहीं हैं, प्रत्युत वेदम ये यौगिक अर्थम आते हैं। मन्त्रोंके आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक अर्थोके अनुसार भिन्न-भिन्न अर्थ हो जाते हैं तथा कल्पकल्पान्तरको ऐतिहासिक कथाआका सूत्र या बीज भी इन कथाओमे रहता है। इस प्रकार ये कथाएँ ऐतिहासिक नहीं, अपितु नित्य और शाश्वत हैं। एतिहासिक व्यक्तियोंके मातापिताओने वेदके इन शब्दोंके आधारपर अपनी सततियोंका वही नाम रख दिया था। वेदका इन व्यक्तियासे काई सम्बन्ध नहीं। इन व्यक्तियोंके नामों एव वैदिक नामोंम केवल श्रवणमात्रको समानता है। वेदमे इतिहासका खण्डन करते हुए महर्षि जैमिनिने भी मीमासा-दर्शनम यही बात कही है।
वास्तवमं वेदके ये आख्यान हमारे जावनको प्रभावित करते हैं। हमारे अदर नैतिक मूल्या-सुसस्कारोंको जन्म देते हैं। ये कथाएँ उपदेश नहीं देतीं प्रत्युत अपनी प्रस्तुतिसे हमारे अदर एक विचार उत्पन्न करतो हैं अच्छे-बुरेका विवेचन करती हैं और हमे उस सत्-असत्से परिचित कराकर हमारे मन-मस्तिष्कपर अपनी छाप भी छाड़ती हैं। ये कथाएँ केवल देवा-दानवों ऋषियों-मुनियों एवं राजाओको ही नहीं हैं, अपितु समस्त जड़-चतन पशु-पक्षी आदिसे भी सम्बन्धित हैं, जो हम कर्तव्य-कर्मोका बाध कराती हुई शाश्वत कल्याणका मार्गदर्शन कराती हैं ।
वेदोके प्रतिपाद्य विषय
यह सर्वविदित है कि मानवके ऐहिक आर आमुष्मिक कल्याणके साधनरूप धर्मका साङ्गोपाङ्ग विश्लेषण वेदामे ही उपलब्ध है। धर्मके साथ-साथ अध्यात्म मयादा ज्ञान-विज्ञान कला-कौशल शिल्प-उद्योग आदि एसा कौन-सा विषय है, जिसका प्रतिपादन वदामें न किया
गया हो ? यही कारण है कि मनीषियोने वेदको कालातीत अक्षय ज्ञानका निधान कहा है। मनुष्य-जातिक प्राचीनतम इतिहास, सामाजिक नियम राष्ट्रधर्म, सदाचार कला त्याग, सत्य आदिका ज्ञान प्राप्त करनेके लिये एकमात्र साधन वेद ही हैं।
वेदम जो विषय प्रतिपादित है, वे मानवमात्रका मार्गदर्शन करते हैं। मनुष्यको जन्मसे लेकर मृत्युपर्यन्त प्रतिक्षण कब क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये साथ ही प्रात काल जागरणसे रात्रि - शयनपर्यन्त सम्पूर्ण चर्या और क्रिया-कलाप हो वदाके प्रतिपाद्य विषय हैं। इस प्रकार वेदका अन्तिम लक्ष्य मोक्षप्राप्ति हो है। ईश्वरोपासना, योगाभ्यास, धर्मानुष्ठान, विद्याप्राप्ति ब्रह्मचर्यपालन तथा सत्सग आदि मुक्तिके साधन बतलाये गये हैं। कर्मफलकी प्राप्तिके लिये पुनर्जन्मका प्रतिपादन आत्मोन्नतिके लिये सस्काराका निरूपण समुचित जीवनयापनके लिये वर्णाश्रमको व्यवस्था तथा जीवनकी पवित्रताके निमित्त भक्ष्याभक्ष्यका निर्णय करना वदाकी मुख्य विशेषता है।
कर्मकाण्ड उपासनाकाण्ड और ज्ञानकाण्ड - इन तीन विषयाका वर्णन मुख्यत वेदामे मिलता है। कर्मकाण्डमें यज्ञ-यागादि विभिन्न क्रिया-कलापाका प्रतिपादन विशेषरूपसे हुआ है। यज्ञके अन्तर्गत दवपूजा देवतुल्य ऋषि-महर्षियाका सगतिकरण (सल्पग) और दान- ये तोना होते हैं। वैदिक मन्त्राद्वारा देवताआकी तृप्तिक उद्देश्यस किये हुए द्रव्यके दानको यज्ञ कहते हैंमन्त्रैर्देवतामुद्दिश्य द्रव्यम्य दान याग । तैत्तिरीयसहिता (३ । १०१५) में यह बात आती है कि द्विज जन्म लते ही ऋषि ऋण देव-ऋण और पितृऋणाका ऋणी बन जाता है। ब्रह्मचयके द्वारा ऋषि ऋणस यज्ञक द्वारा दवॠणल और सततिक द्वारा पितृ ऋऋणसे मुक्ति होता है। अत इन ऋणास मुक्तिहतु तत्तत् प्रतिपादक अवश्यानुष्ठेय यज्ञाका सम्पादन करना चाहिये।
यज्ञ नित्य और नैमित्तिक दा प्रकारक होत हैं। जिन कमक करनस किसी फलको प्राप्ति नहीं होती और न करनस पाप लगते हैं, उन्ह नित्य (यन) कर्म कहत हैं।
* वेदो नारायण साक्षात् * SRKSKSMMEN
जैसे- सध्या-वन्दन, पञ्चमहायज्ञादि । पञ्चमहायज्ञ करनेसे आत्मोनतिके साथ-साथ पूर्वजन्मके पापोंसे निवृत्ति भी होती है --
सर्वगृहस्थै पञ्चमहायज्ञा अहरह कर्तव्या । अर्थात् गृहस्थमात्रको प्रतिदिन पञ्चमहायज्ञ करना चाहिये। पञ्चमहायज्ञके अन्तर्गत ये हैं - (१) 'ब्रह्मयज्ञ'- वेदोंके स्वाध्यायको ब्रह्मयज्ञ कहते हैं। (२) 'देवयज्ञ'-अपने इष्टदेवकी उपासना परब्रह्म परमात्माके निमित्त की गयी पूजा और हवनका दवयज्ञ कहते हैं। (३) 'भूतयज्ञ'- कृमि, कीट-पतग पशु और पक्षीकी सेवाको भूतयज्ञ कहते हैं। (४) 'पितृयज्ञ'परलोकगामी पितरांके निमित्त पिण्डदानादि श्राद्ध एव तर्पणको पितृयज्ञ कहते हैं और (५) 'मनुष्ययज्ञ'-क्षुधा - पीड़ित मनुष्यके घर आ जानेपर उसको भोजनादिसे की जानेवाली सेवारूप यज्ञको अर्थात् अतिथि- सेवाको मनुष्ययज्ञ कहते हैं।
नैमित्तिक कर्म मुख्यतया दो प्रकारके होते हैं - श्रौत और स्मार्त । श्रुतिप्रतिपादित यज्ञाको श्रीतयज्ञ और स्मृति प्रतिपादित यज्ञोको स्मार्तयज्ञ कहते हैं। श्रौतयज्ञमें केवल वैदिक मन्त्राका प्रयोग होता है तथा स्मार्तयज्ञोंम वैदिक, पौराणिक एव तान्त्रिक मन्त्रोंका भी प्रयोग होता है।
उपर्युक्त सभी प्रकारके यज्ञ सात्विक, राजसिक और तामसिक भेदसे तीन प्रकारके होते हैं। जो यज्ञ निष्कामभावसे प्रभुकी प्रसन्नताके लिये किये जाते हैं, उन्हें सात्त्विक यज्ञ कहते हैं। जो यज्ञ सकाम अर्थात् किसो फल - विशेषकी इच्छासे किये जाते हैं, उन्ह राजसिक यज्ञ कहा जाता है और जो यज्ञ शास्त्रविरुद्ध किये जाते हैं, वे तामसिक कहलाते हैं। सात्त्विक यज्ञका अनुष्ठान सर्वोत्तम कहा गया है शास्त्रोंमे इसका महान् फल बतलाया गया है।
एक प्रश्न उठता है कि यज्ञ-यागादि वैदिक कर्मोको फलश्रुतिमें स्वर्गप्राप्तिकी बात कही गयी है। तब जो व्यक्ति स्वर्ग न चाहता हो मोक्ष ही चाहता हो तो उसके लिये वैदिक कर्मको आवश्यकता हो क्या हो सकती है ? इसका उत्तर - बृहदारण्यकापनिषद् (४।४।२२) क वचनस मिलता हैतमेत वेदानुवचनेन ग्राह्मणा विविदिपन्ति यज्ञेन दानेन तपसानाशकेन ।
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ब्राह्मण लोग वेदाध्ययनसे, कामनारहित यज्ञ दान और तपसे उस ब्रह्मको जाननेकी इच्छा करते हैं - इस वचनम 'अनाशकेन' ( कामनारहितेन) - पद विशेष अर्थपूर्ण है। इसका यही अर्थ है कि वेदोक्त यज्ञादि कर्म जब आसक्ति सहित किये जाते हैं तब उनसे स्वर्गलाभ होता है और जब आसक्तिरहित किये जाते हैं तब कामक्रोधादिकोसे मुक्त होकर कर्ताका चित्त शुद्ध हो जाता है तथा वह मोक्षका अधिकारी बन जाता है। यही यात गीतामें भगवान्ने कही हैयज्ञदानतप कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत् । यज्ञो दान तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम् ॥ एतान्यपि तु कर्माणि सङ्ग त्यक्त्वा फलानि च । कर्तव्यानीति मे पार्थ निश्चितं मतमुत्तमम् ॥
यज्ञ, दान तप आदि कर्म त्याज्य नहीं हैं, अवश्य करणीय हैं, क्योंकि वे मनीपियाको पावन करते हैं। इन कर्मीको भी आसक्ति और फलेच्छाका त्याग करके करना चाहिये यही मेरा निश्चित उत्तम मत है। यहाँ उपनिषद्क 'अनाशकेन' पदको ही गीताके 'सङ्गं त्यक्त्वा फलानि च' शब्दोंने विशद किया है।
अत जो मनुष्य अपना आत्यन्तिक कल्याण चाहता है अर्थात् जन्म-मरणके बन्धनसे मुक्त होना चाहता है, उसे वैदिक कर्मकाण्डके फलरूप स्वर्गभागको इच्छा न रखते हुए निष्कामभावसे भगवान्की प्रसन्नता के लिये ही कर्म करते रहना चाहिय। यह बात मुण्डकोपनिषद् (१। २ । ७) में भी आयो है।
मनुष्यका चित्त अनेक प्रकारक कुकर्मोंसे मलिन हो जानेके कारण इन सब मलाको हटानेके लिये सत्कर्मोका किया जाना आवश्यक है। सत्कर्म कराना ही वैदिक कर्मकाण्डका उद्देश्य है । वेदाक्त कर्मोके करनस चित्त शुद्ध होता है और तब ब्रह्मविद्या अथवा ज्ञानकी याते श्रयण करनेसे फलवती होती हैं।
वेदोक्त कर्मोको करनके लिये वर्णाश्रमधर्मका पालन करना भी अत्यन्त अनिवार्य है। वेदोंमं ब्राह्मण क्षत्रिय,
•वेदकथाका वैशिष्ट्य - एक परिचय •
वैश्य और शूद्र-इन चार वर्णोंकी व्यवस्था बतायी गयी है। साथ ही इन चारों वर्णोंके कर्तव्योंका भी निरूपण है। इसी प्रकार आश्रम व्यवस्था - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आदि चार आश्रमोंका निरूपण किया गया है। सर्वप्रथम ब्रह्मचर्य-आश्रममें ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य-द्विज - बालकोंका उपनयन सस्कार करानेकी विधि है, जिससे वे वेदोक्त कर्म करनेके अधिकारी बनते हैं। इस आश्रम में विद्याध्ययनके बाद गृहस्थाश्रम में अग्नि और देवताके साक्षीमें विवाह सस्कारका प्रतिपादन किया गया है तथा गृहस्थाश्रमके नियमोंका प्रतिपादन हुआ है। तदनन्तर सासारिक प्रपश्योसे निवृत्त होकर एकमात्र परमात्मप्रभुकी उपासनामे सलग्न होनेके लिये वानप्रस्थ तथा संन्यासाश्रमकी व्यवस्थाका निरूपण हुआ है।
देखनेको मिलता है। इस सूक्तमें सृष्टिकी उत्पत्तिके सम्बन्ध में अत्यन्त सूक्ष्मताके साथ विचार किया गया है, इसलिये यह सूच सृष्टि-सूक्तके नामसे भी जाना जाता है।
इस सूक्तके प्रथम भागमें सृष्टिके पूर्वकी स्थितिका वर्णन है। उस अवस्थामें सत्-असत्, मृत्यु - अमरत्व अथवा रात्रि-दिवसयह कुछ भी नहीं था। न अन्तरिक्ष था न आकाश था, न कोई लोक था, न जल था। न कोई भोग्य था, न भोक्ता था । सर्वत्र अन्धकार हो अन्धकार था। उस समय तो केवल एक तत्त्वका ही अस्तित्व था, जो वायुके बिना भी श्वास ले रहा था।
द्वितीय भागमें कहा गया है कि जो नाम-रूपादिविहीन एकमात्र सत्ता थी, उसीकी महिमासे ससाररूपी कार्य-प्रपञ्च प्रादुर्भूत हुआ।
तृतीय भागमें सृष्टिकी दुर्ज्ञेयताका निरूपण किया गया है। समस्त ब्रह्माण्डमे ऐसा कोई भी नहीं है, जो यह कह सके कि सृष्टि कैसे उत्पन्न हुई। ससार सृष्टिके परम गूढ रहस्यको यदि कोई जानते हैं तो केवल वे जो इस समस्त सृष्टिके अधिष्ठाता हैं। उनके अतिरिक्त इस गूढ तत्त्वको कोई नहीं जानता।
वेदोमे सूक्त
वेदोंमे यत्र-तत्र सूकरूपी अनेक मुक्कामणियाँ बिखरी पड़ी हैं, जिनमे व्यक्तिकी अभीष्ट सिद्धिके अमोघ उपादान अन्तर्निहित हैं। निष्ठा एव आस्थाके द्वारा व्यक्ति अपनी विविध कामनाओंकी पूर्ति इनके माध्यमसे करनेमें समर्थ है। वेदमन्त्रोंके समूहको सूक्त कहा जाता है। जिसमें एकदैवत्य तथा एकार्थका ही प्रतिपादन रहता है। वेदवर्णित सूक्तोमे इन्द्र विष्णु, रुद्र, उषा, पर्जन्य प्रभृति देवताओंकी अत्यन्त सुन्दर और भावाभिव्यञ्जक प्रार्थनाएँ हैं। वैदिक देवताओंको स्तुतियोंके साथ लौकिक एवं धार्मिक विषयोंसे सम्बद्ध तथा आध्यात्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अनेक सूक हैं, इनमें आध्यात्मिक सूळ दिव्य ज्ञानसे ओतप्रोत हैं जिन्हें दार्शनिक सूक्तके रूपम भी जाना जाता है। वेदके दार्शनिक सूक्लोमे पुरुषसूक्त, हिरण्यगर्भसूक्त, वाक्सूक्त तथा नासदीयसूक्त आदि प्रसिद्ध हैं। इन सूकोंमें ऋषियोंकी ज्ञान-गम्भीरता तथा सर्वथा अभिनव कल्पना परिलक्षित होती है। समस्त दार्शनिक सूक्रोंके बीच नासदीयसूक्तका अपना विशेष महत्त्व है।
नासदीयसूक्तमें सृष्टिके मूल तत्त्व गूढ रहस्यका वर्णन किया गया है। सृष्टि-रचना-जैसा महान् गम्भीर विषय ऋषिके चिन्तनमें किस प्रकार प्रस्फुटित होता है - यह नासदीयसूकमें
नासदीयसूक्तकी गणना विश्वके शिखर- साहित्यम होती है। सूक्तमें आध्यात्मिक धरातलपर विश्व-ब्रह्माण्डकी एकताको भावना स्पष्ट रूपसे अभिव्यक्त हुई है। भारतीय संस्कृतिमें यह धारणा निश्चित है कि विश्व-ब्रह्माण्ड में एक ही सत्ता विद्यमान है, जिसका नाम-रूप कुछ भी नहीं है। इस सूक्तमें इसी सत्यको अभिव्यक्ति है।
वेदोमे आध्यात्मिक सदेश
वेद चाहते हैं कि व्यक्तिके चित्तवृत्तिरूप राज्यमें प्रतिपल पवित्र वरेण्य एव उर्वर विचार सरिता बहती रह, जिससे अन्त करणमं सद्वृत्तियाँ जाग्रत् होती रहे- तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रयोदयात् (ऋ० ३। ६२।१०) - सच्चिदानन्दरूप परमात्मन् । आपके प्ररणादायी विशुद्ध तेज स्वरूपभूत दिव्यरूपका हम अपन हृदयमं नित्य ध्यान करते हैं उससे हमारी बुद्धि निरन्तर प्ररित हावी
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* वेदा नारायण साक्षात्
रह । आप हमारी बुद्धिको अपमार्गसे रोककर तेजोमय शुभ मार्गकी ओर प्रेरित करे। उस प्रकाशमय पथका अनुसरण कर हम आपकी ही उपासना कर और आपको ही प्राप्त हो ।
वेदांकी भावना है कि हम ईश्वरको अनन्य एकाग्रतासे, उपासनासे प्रसन्न करे और वे हमारे योगक्षेमादिको सर्वदा सम्पन्न करें। 'ससारको धारण करनेवाले भगवन् ! हमारी अभिलाषाएँ आपको छोड़कर अन्यत्र न कहीं गयी हैं, न कदापि कहीं जाती ही हैं, अत आप अपनी कृपाद्वारा हमे सब प्रकार सामर्थ्यसे सम्पन्न कर' (ऋ० ८।२४।११)।
ज्ञानको पराकाष्ठापर भक्तिका उदय होकर भक्तिके सदा परिपूर्ण होनेसे वृत्तिम मुक्तिकी वासना भी नहीं उठती है - ऐसा जीवन ही वैदिक जीवन-सस्कृतिका आदर्श हैयो व शिवतमो रसस्तस्य भाजयतेह न । उशतीरिव मातर ॥ (अथर्व ० १ । ५ । २ ऋ० १० १९१२) 'प्रभो ! जो आपका आनन्दमय भक्तिरस है, आप हमे वही प्रदान करें। जैसे शुभकामनामयी माता अपनी सतानको सतुष्ट एव पुष्ट करती है, वैसे ही आप (मुझपर ) कृपा करें।'
वेदमे ईश्वरसे प्रार्थना की गयी है कि वह हमे सन्मार्गपर लाय, हमारे अन्त करणको उज्ज्वल कर आत्मश्रेयके सर्वोच्च शिखरका प्राप्त करा दे -
भद्र मन कृणुष्व
(सामवेद १५६०) 'हे प्रभु! आप हमारे मनको कल्याण-मार्गमें प्रेरित करें।' वेदाको मान्यता है कि तप पूत जीवनसे ही मोक्षकी प्राप्ति होती हैयस्मात्पक्यादमृत सयभूव यो गायत्र्या अधिपतिर्वभूव । यस्मिन्वेदा निहिता विश्वरूपास्तेनौदनेनाति तराणि मृत्युम् ॥ (अथर्व० ४३५१६)
'जो प्रभु-गुण-गान करनवाली गायत्रोद्वारा अपने जीवनकी आत्मशुद्धि कर स्वामी बन गया है जिसने सय पदार्थोका निरूपण करनेवाले ईश्वरीय ज्ञान - वेदको पूर्णत धारण कर लिया है, वही मानव वेदज्ञानरूपा पके हुए ओदनके ग्रहणसदृश मृत्युको पारकर मोक्ष पद प्राप्त करता है जो मानवINWRXKANKERKMSEXSEXK
जीवनका अन्तिम लक्ष्य है।'
गायत्रीमन्त्रको वेदका सार सर्वस्व कहा गया है। यह सम्पूर्ण मन्त्रोम सर्वोपरि मन्त्र है। इसमें परब्रह्म परमात्मासे सद्बुद्धि प्रदान करनेको प्रार्थना की गयी है। कहते हैं कि मात्र गायत्रीमन्त्रके जपसे भी व्यक्तिको वेदके स्वाध्यायका फल प्राप्त हो जाता है, अत स्नान सध्याक अनन्तर पवित्रावस्थाम यथासाध्य द्विजको गायत्रीमन्त्रका जप अवश्य करना चाहिये । इस मन्त्रके जपमें भगवती गायत्री अथवा अपने इष्टदेवका ध्यान करना चाहिये।
'जूआ मत खलो ।'
वेद भगवान्का सविधान है। इनम अनेक ऐसे मन्त्र हैं जिनसे शिक्षा प्राप्त कर मनुष्य अध्यात्मके सर्वोच्च शिखरपर पहुँच सकता है। वेदोम इस लोकको सुखमय तथा परलोकको कल्याणमय बनानेको दृष्टिसे मनुष्यमात्रके लिये आचार-विचारके पालनका विधान तो किया हो गया है, साथ ही आध्यात्मिक साधनाके बाधक अनेक निन्दित कर्मोस दूर रहनेका निर्देश भी दिया गया है। जैसेअक्षैर्मा दोव्य ।
मा गृथ कस्य स्विद्धनम् ।
[ वेद'पराये घनका लालच न करो।'
मा हिंसी पुरुपान्पशूंश्च
(अथर्व० ६ । २) 'मनुष्य और पशुआको मन, कर्म एवं वाणीसे (किसी भी प्रकार) कष्ट न दो।'
देव-दुर्लभ मनुष्य-शरीरका प्रयोजन सकल दुखनिवृत्ति एवं परमानन्दकी प्राप्ति है। वेदाके प्रति पूर्ण निष्ठा रखकर और उनके बताये गये मार्गपर चलकर ही मानव इस प्राप्त कर सकता है।
मानवमानके लिये अन्तिम उपदेश है- 'सत्यके मार्गपर चलो -'ऋतस्य पथ प्रेत (यजु० ७१ ४५)। यही है वेदका आध्यात्मिक सदेश।
- राधेश्याम खेमका |
भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट सीरीज से पहले टीम के तैयारी शिविर में क्षेत्ररक्षण और कैच पकड़ने पर जोर दिया गया है। उन्हें लगता है कि आगामी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान यह काफी महत्वपूर्ण होगा।
उन्होंने कहा, हर कोई वास्तव में अच्छी स्थिति में दिख रहा है। टेस्ट टीम को फिर से एक साथ लाना अच्छा है। पिछले एक महीने में हमारे पास बहुत अधिक सफेद गेंद वाली क्रिकेट थी। उनमें से कुछ लड़के, सफेद गेंद से लाल गेंद की सीरीज में शिफ्ट हो रहे हैं।
यह उनके लिए अच्छा है कि नेट्स में वे खूब पसीना बहा रहे हैं। द्रविड़ ने बीसीसीआई द्वारा अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, टेस्ट मैचों में क्षेत्ररक्षण भी वास्तव में महत्वपूर्ण रहा है। क्षेत्ररक्षण श्रृंखला का वास्तव में महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रहा है।
कैचिंग, स्लिप फील्डिंग में बहुत जोर दिया जा रहा है। " भारत वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरुआती टेस्ट से पहले नागपुर के वीसीए स्टेडियम में अभ्यास कर रहा है। द्रविड़ ने आगे कहा कि एक महत्वपूर्ण श्रृंखला की तैयारी के लिए टेस्ट टीम के पास एक सप्ताह का समय होना बहुत अच्छा है।
उन्होंने कहा, हमारे पास वास्तव में कुछ दिन अच्छे रहे हैं। हमारे पास वास्तव में कुछ लंबे सत्र रहे हैं। मुझे लगता है कि एक कोचिंग स्टाफ के रूप में यह रोमांचक है क्योंकि हम जितना क्रिकेट खेलते हैं, आपको इस तरह का समय नहीं मिलता है।
उन्होंने कहा, आपको वास्तव में एक कैंप करने के लिए समय नहीं मिलता है या आप समय की एक विस्तारित अवधि प्राप्त कर सकते हैं जहां आपको खिलाड़ियों के साथ काम करने और टेस्ट श्रृंखला के लिए तैयारी करने का मौका मिलता है।
इस समय भारत के पास बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी है, जिसने 2017, 2018-19 और 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछली तीन सीरीज जीती हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी बार 2004 में भारत में टेस्ट सीरीज जीती थी।
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पंजाब के जिला अमृतसर में खेतीबाड़ी मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने आज बार्डर एरिया पर बसे गांव राणियां का दौरा किया। खेतीबाड़ी मंत्री ने 700 एकड़ जमीन का निरीक्षण किया। बातचीत करते हुए मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि बार्डर एरिया का गांव राणियां में 32 करोड़ रुपये की लागत से साथ बीज फार्म के लिए सरकार द्वारा खरीदी गई इस जमीन की जांच करवाई जाएगी।
मंत्री धालीवाल ने कहा कि तत्कालीन CM प्रकाश सिंह बादल की सरकार में सुच्चा सिंह लंगाह खेतीबाड़ी मंत्री और काहन सिंह पन्नू अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर थे, उस समय जमीन बहुत महंगे मूल्य में खरीदी गई हैं। उन्होंने कहा कि जमीन रावी दरिया और सरहद पर लगी कांटेदार तार से भी पार है और सरकार ने 2008 में साढ़े चार लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन खरीदी है।
BSF की अनुमति के बिना जमीन पर कोई दाखिल नहीं हो सकता। इस कारण उस समय क्या योजना बनाकर जमीन खरीदी गई, इसकी जांच करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार को रजिस्ट्री करवाने वाले किसान और उससे पहले के मालिक परिवारों की तलाश की जाएगा ताकि सच्चाई सामने आ सके।
मंत्री धालीवाल ने कहा कि केवल तीन-चार सीजन ही इस जमीन में खेती हुई है। इसके बाद जमीन पर झाड़ियां उगनी शुरू हो गई है। धालीवाल ने कहा कि समझ नहीं आ रही कि किसान परिवार से संबंध होने के बावजूद बादल साहिब ने इस तरह की जमीन महंगे भाव में कैसे खरीद ली।
उन्होंने कहा कि जमीन में पानी के लिए 30 ट्यूबवेल, बिजली और खेती के साजो सामान जिसमें ट्रेक्टर, जेनरेटर और अन्य मशीनरी शामिल है, जिसकी खरीद 8 करोड़ रुपए खर्च करके की गई है। उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे की बर्बादी की गई है। फार्म में खरीदी मशीनरी खराब और जमीन बंजर हो रही है।
मंत्री धालीवाल ने कहा कि इस जमीन को फिर से इस्तेमाल में लाने के लिए विचार किया जाएगा। यह मामला मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के ध्यान में जरूर लाया जाएगा। केन्द्र सरकार से तालमेल किया जाएगा क्योंकि इस जमीन का रास्ता BSF अधीन है, ताकि इसका सही इस्तेमाल हो सके।
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गोपालगंज (आससे)। उत्पाद विभाग की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर सिद्धवलिया थाना क्षेत्र के प्यारे पूर् दियारा में महुआ और मीठा निर्मित एक ऐसी शराब फैक्ट्री पकड़ा जो दियारा के जंगलों में काफी सुरक्षित तरीके से चलाई जा रही थी। जिसमें उत्पाद विभाग की टीम ने 20 ड्राम से ज्यादा शराब को नष्ट किया।
यह मिट्टी के अंदर जंगल के भीतर खुफिया तरीके से एक बहुत बड़ी फैक्ट्री चल रही थी। जिसमें पूरा सिस्टम लगा हुआ था और कई हजार लीटर शराब ड्रमों में भर कर रखी गई थी। हालांकि कोई भी गिरफ्तार नहीं हो पाया पुलिस की भनक अपराधियों को लग गई और वह समय रहते निकल गए परंतु फैक्ट्री को उत्पाद विभाग ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया सारे शराबों में आग लगाकर सभी ड्रामो को जला दिया गया।
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घटना की जानकारी मिलने पर बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह के अलावा अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. बुलंदशहर पुलिस के ट्विटर अकाउंट से एसएसपी के बयान का एक वीडियो जारी किया गया है.
बुलंदशहर. महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) में साधुओं की मॉब लिंचिंग में हत्या का मामला अभी ठंडा ही नहीं पड़ा था. इसी बीच यूपी (UP) के बुलंदशहर (Bulandshahr) में धारदार हथियारों से दो साधुओं (two saints) की हत्या की खबर मिली. इस घटना को अंजाम देने वाले आरोपी युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस आरोपी से पूछताछ का प्रयास कर रही है. इस घटना से ग्रामीणों में काफी रोष है. घटना की जानकारी मिलने पर बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह के अलावा अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. बुलंदशहर पुलिस के ट्विटर अकाउंट से एसएसपी के बयान का एक वीडियो जारी किया गया है.
इस वीडियो के माध्यम से एसएसपी ने जानकारी दी है कि आरोपी युवक ने दो दिन पहले इन साधुओं का चिमटा चुरा लिया था. जिसकी जानकारी होने के बाद इन साधुओं ने उसको डांट-फटकार लगाई थी. एसएसपी का कहना है कि राजू नामक युवक ने भांग के नशे में आकर इस घटना को अंजाम दिया. पुलिस ने अर्दधनग्न अवस्था में इस आरोपी को गिरफ्तार किया है. एसएसपी ने बताया कि आरोपी को गांव के लोगों ने तलवार के साथ देखा था. उन्होंने बताया कि संभवत उसने गुस्से में आकर इस घटना को अंजाम दिया. अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले इस युवक को पुलिस ने घटना स्थल से लगभग दो किलोमीटर की दूरी से गिरफ्तार किया गया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने बुलंदशहर जिले के पगौना गांव में हुई इस घटना पर रिपोर्ट मांगी है. इसके अलावा सीएम ने जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत मौके पर पहुंच कर घटना के सम्बन्ध में विस्तृत आख्या देने तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाई सुनिश्चित करने निर्देश दिए हैं.
यूपी के बुलंदशहर के अनूपशहर कोतवाली के गांव पगोना में स्थित शिव मंदिर पर पिछले करीब 10 वर्षों से साधु जगनदास उम्र (55) वर्ष और सेवादास (35) रहते थे. सोमवार की देर रात मंदिर परिसर में ही दोनों साधुओं की धारदार हथियारों से प्रहार कर हत्या कर दी गई. इस घटना की जानकारी मंगलवार सुबह को ग्रामीणों को मिली. जब ग्रामीण मंदिर में पहुंचे तो उन्हें साधुओं के खून से लथपथ शव पड़े मिले.
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निवेश कर ब्याज कमाने के कई तरीकें हैं लेकिन इन सब में आज भी बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट सबसे बहतर है। इस लेख में हम यही जानने की कोशिश करेंगें कि कौन सा बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर सबसे बहतर ऑफर दे रहा है। लेकिन इस से पहले यह जानने की ज़रूरत है कि फिक्स्ड डिपॉजिट होता क्या है। और टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट की दरें क्या हैं।
फिक्स्ड या रेकरिंग डिपॉजिट्स को टर्म डिपॉजिट्स कहा जाता है। सेविंग अकाउंट बार-बार की जरूरतों के लिए खुलवाया जाता है। वहीं, फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी अकाउंट में जमा धन को एक निश्चित समय तक छोड़ना पड़ता है। इस अवधि में बैंक जमा रकम पर आपको ब्याज देता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट का मकसद ज़्यादातर किसी विशेष परिस्थिति से निपटने के लिए बचत करना होता है। ये भी बता दें, कि तय समय से पहले फिक्स्ड डिपॉजिट के पैसे निकालने की अनुमति नहीं होती है, लेकिन विशेष परिस्थिति या एमरजेंसी में इसे निकाला जा सकता है। इसी को एफडी तोड़ना भी कहते हैं। इसके लिए बैंक जुर्माना भी वसूल सकता है।
कई बैंक जैसे स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एसबीआई, आईडीएफसी बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, उज्जीवन बैंक और डीएचएफएल बैंक बहुत अच्छी फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं का ऑफर दे रहे हैं। बैंक सामान्य नागरिकों के लिए 3. 50% से 8. 75% तक ब्याज दर और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 4. 00% से 9. 15% ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं। ये सभी एक करोड़ रुपए से कम निवेश के लिए हैं।
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) : एसबीआई फिक्स्ड डिपॉजिट में 1000रु. से लेकर एक करोड़ रुपए तक का निवेश किया जा सकता है। एसबीआई 7 दिन से 365 दिनों की अवधि में 5. 75% प्रति वर्ष से 6. 40% प्रति वर्ष की ब्याज दरों का ऑफर दे रहा है। इस डिपॉजिट को शोर्ट-टर्म डिपॉजिट के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनमें एक वर्ष से कम का कार्यकाल होता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए शोर्ट-टर्म एफडी में ब्याज दरें 6. 25% से 6. 90% प्रति वर्ष तक हैं।
हमेशा, एफडी का चयन करने के लिए उनकी अवधि की भी तुलना कर लेनी चाहिए। उसके बाद अपनी ज़रूरत के हिसाब से सबसे बहतर को चुनना चाहिए। एसबीआई एफडी योजना में 5 साल से 10 साल तक की अवधि में ब्याज दरें सबसे ज़्यादा हैं। इसमें ब्याज दर 6. 85%प्रति वर्ष है। वहीं वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज दर 7. 35% है।
एचडीएफसी बैंक : एचडीएफसी बैंक भी फिक्स्ड डिपॉजिट पर कई तरह की ब्याज दरें ऑफर कर रहा है। ये सभी ब्याज दरें एक करोड़ रुपए के निवेश से कम पर हैं। एचडीएफसी बैंक में ब्याज दरें शोर्ट टर्म अवधि के लिए 3. 50% प्रति वर्ष से लेकर 7. 00% प्रति वर्ष तक हैं। इनकी अवधि 7 दिनों के कार्यकाल से लेकर 365 दिनों तक है। इन्हें शोर्ट टर्म डिपॉजिट के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनका कार्यकाल एक वर्ष से कम का होता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए शोर्ट--टर्म डिपॉजिट में ब्याज दरें 4. 00% से 7. 50% प्रति वर्ष तक हैं।
एचडीएफसी बैंक एक से दो साल की अवधि में सबसे ज़्यादा ब्याज दरों का प्रस्ताव दे रहा है। इस कार्यकाल में सामान्य नागरिकों के लिए ब्याज दरें 7. 25% प्रति वर्ष और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 7. 75% तक प्रति वर्ष हैं।
5 साल से 10 साल के कार्यकाल के लॉन्ग-टर्म डिपॉजिट के लिए भी एचडीएफसी बैंक अच्छे रिटर्न देता है। 10 वर्षों के कार्यकाल में बैंक सामान्य नागरिकों के लिए 6. 00% प्रति वर्ष और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 6. 50% प्रति वर्ष ब्याज दरें ऑफर कर रहा है।
आईडीएफसी बैंक : आईडीएफसी बैंक उन बैंकों में से एक है जो सबसे अधिक ब्याज दरें प्रस्तावित कर रहा है। शोर्ट-टर्म डिपॉजिट की बात करें तो बैंक 7 दिन से दो 2 साल तक की अवधि पर 4. 00% से लेकर 7. 50% तक की ब्याज दरें ऑफर कर रहा है। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये बैंक भी ब्याज दरें बढ़ा रहा है। शोर्ट-टर्म डिपॉजिट में इनके लिए ब्याज दरें 4. 50% से लेकर 8. 00% तक है।
अगर आईडीएफसी बैंक में एफडी की अवधि 3 साल से 10 साल तक के बीच रखी जाए तो ब्याज दर 8. 25% और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 8. 75% तक हैं। तो अगर अवधि के हिसाब से देखा जाए तो शोर्ट-टर्म डिपॉजिट अच्छी ब्याज दरों के साथ बहतर ऑफर है।
इंडसइंड बैंक : इंडसइंड बैंक भी अधिक ब्याज दरें अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं पर ऑफर कर रहा है। अगर शोर्ट-टर्म डिपॉजिट अवधि के हिसाब से इस बैंक की ब्याज दरें देखी जाए तो कुछ ऑफर काफी आकर्षित हैं। 7 दिन से 1 साल 29 दिन तक की एफडी पर बैंक 3. 75% से 8. 00% प्रति वर्ष की ब्याज दरें ऑफर कर रहा है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये ब्याज दर 4. 25% से 8. 50% प्रति वर्ष तक हैं। वहीं, लॉन्ग-टर्म डिपॉजिट में बैंक 2 साल से 5 साल तक की अवधि में बैंक 7. 50% की ब्याज दर दे रहा है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये 8% प्रति वर्ष है।
उज्जीवन बैंक : उज्जीवन बैंक भी कई प्रकार की फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाएं ऑफर कर रहा है। शोर्ट-टर्म एफडी को देखें तो बैंक 7 दिनों से 799 दिनों तक की डिपॉजिट पर 5. 50% से 8. 50% प्रति वर्ष ब्याज दरों का प्रस्ताव दे रहा है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये 6. 00% से 9. 00% प्रति वर्ष तक है। लॉन्ग टर्म डिपॉजिट में बैंक 3 साल से 10 साल तक की अवधि में 7% और 6. 50% प्रति वर्ष की ब्याज दरें दे रहा है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये 7. 50% और 7. 00% प्रति वर्ष है।
डीएचएफएल बैंक : डीएचएफएल बैंक उन चुनिन्दा बैंकों में से एक है जो शोर्ट-टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों ही तरह की डिपॉजिट में बहुत अच्छी ब्याज दरें ऑफर कर रहा है। लेकिन इस बैंक की न्यूनतम एफडी अवधि भी एक साल की है। शोर्ट-टर्म डिपॉजिट में बैंक 1 साल से 3 साल तक की अवधि में 8. 15% से 8. 70% प्रति वर्ष ब्याज दरें दे रहा है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये ब्याज दरें 8. 55% से 9. 10% प्रति वर्ष हैं।
वहीं, लॉन्ग-टर्म डिपॉजिट में अगर 5 साल से 10 साल तक की अवधि में ब्याज दरें 8. 70% और 8. 30% प्रति वर्ष हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये ब्याज दरें 9. 10% और 8. 70% प्रति वर्ष हैं।
ये उन प्रमुख बैंकों की जानकारी थी जो फिक्स्ड डिपॉजिट पर सबसे अधिक ब्याज दरें दे रहे हैं। अगर अब भी आपको एफडी में निवेश करने में मुश्किल हो रही है तो आप एफडी कैलकुलेटर पर जाकर पूरा हिसाब आसानी से पा सकते हैं।
ये कैलकुलेटर ऑनलाइन उपलब्ध है। आपको उसमें वो रकम डालनी होगी जो आप निवेश करना चाहते हैं और जितने समय तक आप एफडी चाहते हैं उतनी अवधि भी। इसके बाद आपको आसानी से उन बैंकों की लिस्ट मिल जाएगी जो आपकी ज़रूरत के हिसाब से सही ऑफर दे रहे हैं।
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२. घोरावारी निमखेरा कोयला क्षेत्र - यह क्षेत्र दमुआ के निकट ही है। घोराबारी सान में १५ फुट मोटा स्तर है पर इसका केवल ८ फुट का कोयला निकाला जा सकता है। इसका कलरी-मान ६३४८ कलरी है। इस कोयले में रासको मात्रा १७-१९ प्रतिशत है पर जल की मात्रा केवल २ से २५ प्रतिशत है। इससे कठोर कोक प्राप्त होता है। घोरावारी स्तर के नीचे दो और स्तर मिलते है। दोनों १० फुट मोठे हैं। निकटवर्ती नदी में कुछ अन्य छोटे-छोटे स्तर भी देखे गये हैं ।
३. पनारा जिनौर क्षेत्र -जुनोर देव खान में १४ फुट मोटे एक स्तर से कोयला निकाला जाता है । इस कोयले का कलरीमान ३,६०२ कलरी है।
४. दलता जमाई क्षेत्र - दोनगरिया खान में दलता-स्तर पाया गया है। कोक बननेवाला कोयला यहाँ है। इसका कलरीमान ३,६०२ कलरी है। यहाँ के कोयले दो स्तरों में है जिनमें एक स्तर १० फुट मोटा है। कोयले अच्छे किस्म के नहीं है ।
५. जामकुन्दा क्षेत्र और हिंगलादेवी-ये दोनों क्षेत्र साथ-साथ है। इस क्षेत्र को घोगरी सान में ५ फुट मोटाई का एक स्तर है। इसका कलरी-मान ५,५०० कलरी हैं । यहाँ ४ स्तर पाये गये हैं जिनकी मोटाई ५ फुट से कम है । नजारपुर में शिखर स्तर ५३ फुट मोटा है।
पेंचघाटी कोयला क्षेत्र
पॅचघाटी में कोयले के प्रायः नव-दस विभिन्न क्षेत्र है । ये गोंडवाना के नीचे दविखन में है ।
१. गजन डोह-क्षेत्र - मृत-शिलिका के ८ फुट के नीचे ५ फुट का कोयले का एक स्तर पाया गया है। यह स्तर उत्तर की ओर काले पत्थर में झुकता है । यह देखने के लिए एक स्तर अविच्छिन है, काले-पत्थर के खोदने की आवश्यकता है।
२. बरकुही क्षेत्र ---यह क्षेत्र वरकुही रेलवे स्टेशन के समीप है। यहाँ के एक स्तर प्रायः ७ फुट मोटे से कोयला निकाला जाता है । इसके ऊपर ४ फुट मोटे एक और स्तर का पता लगा है।
३. भण्डरिया भुटारिया क्षेत्र-परसिया के एक मोल दक्खिनपच्छिम में गोगरानाला में प्रायः ८ फुट मोटाई के एक स्तर का पता लगा है।
४. चाँद मेटा डोंगर-चिकलो क्षेत्र -चांद मेटा को खोदाई में कोयले के कई स्तर पाये गये हैं, जिनमें एक स्तर ९३ फुट मोटा है । यह कोयला कन्हन श्रेणी का ही है पर कोक बननेवाला नहीं है। इस क्षेत्र में १५० लाख टन कोयला प्राप्त है। |
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि मोमिन जवानों ने आतंकवादी गुट दाइश का विनाश करके अमरीका जैसे घमण्डी वर्चस्ववादी को घुटने टेकने पर विवश कर दिया।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बल देकर कहा है कि इस्लामी प्रतिरोध को दबाने के लिए शत्रु ने हर संभव प्रयास किया किंतु इसमें वह विफल ही रहा।
वरिष्ठ नेता ने बुधवार को तेहरान में बसीज अर्थात स्वयंसेवियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लाम की क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित होकर जन्म लेने वाले प्रतिरोध के दमन के लिए यथासंभव प्रयास किये गए किंतु मोमिन युवा प्रतिरोधकर्ताओं ने कैंसर रूपी फोड़े दाइश, का काम तमाम कर दिया। उन्होंने कहा कि दुश्मन को घुटने टेकने पर विवश करके इन युवा क्रांतिकारियों ने यह सिद्ध कर दिया कि हम एेसा कुछ कर सकते हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पवित्र क़ुरआन की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि ईश्वर के मार्ग में प्रतिरोध का लोक-परलोक दोनों जगहों पर प्रतिफल मिलता है। उन्होंने कहा कि संसार में यह प्रतिफल, मान-सम्मान और तरक़्क़ी के रूप में दिखाई देता है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले 38 वर्षों से इस्लामी गणतंत्र ईरान, षडयंत्रकारियों के षडयंत्रों का शिकार रहा है। उन्होंने कहा कि विगत की तुलना में वर्तमान समय में ईरान की तरक़्क़ी, हज़ार बराबर है। उन्होंने कहा कि यह है प्रतिरोध का सांसारिक प्रतिफल।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि दाइश जैसे आतंकवादी संगठन के विनाश में स्वयंसेवियों के मनोबल की भूमिका सर्वोपरि रही है। उन्होंने कहा कि शत्रु यह प्रयास कर रहा था कि दाइश जैसे आतंकवादी गुट के माध्यम से इस्लामी प्रतिरोध को कुचल दे किंतु मोमिन युवाओं ने कड़ा प्रतिरोध करते हुए दाइश की नाक रगड़ दी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लिए अमरीका, ज़ायोनिज़्म तथा रूढ़ीवादियों की ओर से कुछ षडयंत्र तैयार किये गए थे जिनमें से एक दाइश को, इस्लामी गणतंत्र ईरान के माध्यम से नष्ट कर दिया गया।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि तकफ़ीरी आतंकवादी गुट का विनाश करके मोमिन युवाओं ने बहुत महत्वपूर्ण काम अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ पड़ोसी देशों का यह मानना था कि दाइश को घुटने टेकने पर विवश करना संभव नहीं है किंतु जब वे मैदान में आए और उन्होंने सफलता को निकट से देखा तो उन्हें इस्लामी क्रांति के इस सेदश पर विश्वास हुआ कि "हम कर सकते हैं"।
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पूर्व भारतीय बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण का मानना है कि बांग्लादेश के पास रविवार से शुरू होने वाली तीन मैचों की टी-20 सीरीज में भारत को उसके घर में हराने का अच्छा मौका है। लक्ष्मण का कहना है कि मेजबान टीम के मध्यक्रम में अनुभव की कमी है।
लक्ष्मण ने एक कार्यक्रम में कहा, घरेलू टीम के लिए यह एक मुश्किल सीरीज होगी क्योंकि बांग्लादेश एक मजबूत टीम के साथ आ रही है लेकिन मेरा मानना है कि सीरीज 2-1 से भारत के पक्ष में रहेगी। 44 वर्षीय पूर्व बल्लेबाज ने साथ ही कहा कि इस सीरीज में भारत को उसके घर में हराने का शानदार मौका है क्योंकि टीम की बल्लेबाजी में गहराई है। हालांकि उनकी गेंदबाजी में सबसे ज्यादा दबाव मुस्ताफिजुर रहीम पर रहेगा क्योंकि वह अन्य गेंदबाजों की तुलना में ज्यादा अनुभवी हैं।
उन्होंने कहा कि टी-20 में युजवेंद्र चहल और वाशिंगटन सुंदर भारत के प्रमुख हथियार होंगे क्योंकि सीरीज के तीनों मैचों में पिच स्पिनरों के अनुकूल होगी। लक्ष्मण ने कहा, गेंदबाजी में चहल के पास काफी अनुभव है। इसके अलावा क्रुणाल के पास भी मैच जिताने की क्षमता है।
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ब्यूनस आयर्स। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में बातचीत असफल होने से भारत जैसे अन्य विकासशील देशों को निराशा हुई है। इसकी अहम वजह अमेरिका का सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान ढूंढने की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटना है। चार दिवसीय यह बैठक बिना किसी मंत्रिस्तरीय घोषणा या बिना किसी ठोस परिणाम के ही समाप्त हो गई। बस मत्स्य और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में ही थोड़ी प्रगति हुई है क्योंकि इसके लिए कामकाजी कार्यक्रमों पर सहमति बनी है।
इस संगठन में 164 सदस्य देश शामिल हैं। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इस संगठन की शीर्ष निर्णय इकाई है। भारत द्वारा प्रमुख तौर पर उठाई गई खाद्य सुरक्षा की मांग को लेकर एक साझा स्तर पर पहुंचने से अमेरिका ने मना कर दिया जिससे यह बातचीत असफल रही।
तमाम कोशिशों के बावजूद सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मुद्दे पर सदस्य देश गतिरोध खत्म करने में विफल रहे। इससे विकासशील देशों समेत अन्य कई सदस्य राष्ट्रों को निराशा हुई। बातचीत के विफल होने पर कोई मंत्रिस्तरीय घोषणा नहीं हुई। हालांकि बैठक की अध्यक्षा अर्जेंटीना की मंत्री सुसैना मालकोरा ने अपने बयान में बैठक की प्रगति के बारे में जानकारी दी।
इस मसले पर भारत ने बेहद प्रयास किए लेकिन इस पर सहमति न बन पाना उसके लिए एक बड़ी निराशा है। हालांकि अधिकारियों ने इस बात पर संतोष जताया कि देश ने बातचीत के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में अपने हितों को अक्षुण्ण रखा।
मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का फैसला उसी समय लिख दिया गया जब अमेरिकी व्यापार के सहायक प्रतिनिधि शैरोन बोमर लॉरिस्टेन ने एक छोटी समूह बैठक में कहा कि सार्वजनिक खाद्य भंडारण का स्थायी समाधान अमेरिका को मंजूर नहीं है।
सम्मेलन के अंत में भारत द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि,
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व व्यापार संगठन के मौजूदा लक्ष्यों एवं नियमों पर आधारित कृषि सुधारों को एक सदस्य राष्ट्र के मजबूत विरोध करने से कोई परिणाम बाहर नहीं आ सका और ना ही अगले दो साल के लिए कोई कार्ययोजना कार्यक्रम तैयार हो सका।
इस बैठक में भारतीय दल का नेतृत्व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने किया। G33 समूह के सहयोग से उन्होंने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर स्थायी समाधान के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखी। यह मामला दुनियाभर के 80 करोड़ लोगों की जीविका का अहम मुद्दा है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुसार विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों का खाद्य सब्सिडी बिल उनके द्वारा उत्पादित कुल खाद्यान्न के मूल्य के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। खाद्य उत्पादन का यह मूल्य निर्धारण 1986-88 की दरों पर तय होता है।
भारत इस मूल्य निर्धारण की गणना के फार्मूला में संशोधन की मांग कर रहा है ताकि सब्सिडी की इस सीमा की गणना संशोधित हो सके।
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आगरा। आगरा विकास प्राधिकरण के नवागत उपाध्यक्ष ने चार्ज लेने के बाद विधिवत रूप से कार्य शुरू कर दिया है। मून ब्रेकिंग से बात करते हुए आगरा विकास प्राधिकरण के नवागत उपाध्यक्ष अजय द्विवेदी ने बताया कि पूर्व में आगरा विकास प्राधिकरण की जो योजनाएं चल रही हैं जिसमें जोनल पार्क, इनर रिंग रोड, चौपाटी शामिल है। आगरा विकास प्राधिकरण का प्रयास रहेगा कि इन योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूर्ण कर लिया जाए। साथ ही साथ शासन की मंशा के आधार पर कार्य किया जाए और अन्य योजनाओं को भी जल्द अमल में लाया जाए।
आगरा विकास प्राधिकरण में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार चरम पर है जो आगरा विकास प्राधिकरण को दीमक की तरह चाट रहा है। इस सवाल पर आगरा विकास प्राधिकरण के नवागत उपाध्यक्ष अजय द्विवेदी ने कहा कि प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य किया जाएगा। भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
आगरा विकास प्राधिकरण के नवागत उपाध्यक्ष अजय द्विवेदी ने अपना संदेश अधिकारियों और कर्मचारियों को दे दिया है और दिशा निर्देश भी जारी कर दिए है।
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लंबी सैर थक हो सकता है, और आरामदायक जूते भी चीज के लिए फिट नहीं हैं। क्या चुनने के लिए? शायद लोकप्रिय महिला स्लीपरों? यह कोई आश्चर्य नहीं है कि वे तेजी से सक्रिय और गतिशील का ध्यान जीतने कर रहे हैं। यह जूता कम जाने के लिए एक बढ़िया विकल्प है, खासकर जब बैले फ्लैटों से ऊब है, और स्टड के लिए एक तरस अभी तक जाग नहीं है।
स्लीपरों क्या है?
जूते इस तरह की है कि एक छोटे से कठोर और गर्वित इंग्लैंड से बाहर आया था। उन्नीसवीं सदी में वापस यह जूते अभिजात था, हालांकि, उसके ज्यादातर पुरुष थे। स्लीपर खुद विंस्टन चर्चिल, जो अक्सर एक आरामदायक मखमल चप्पल में दोपहर को चाय पिया प्यार करता था। स्लीपर पसंद आया रॉबर्ट कैनेडी, Stiv Makkuin खुद प्रिंस अल्बर्ट। और ह्यू हेफनर पत्रिका "प्लेबॉय" के लिए सामान्य शूटिंग के लिए इस तरह के एक जूते में बनी हुयी थी। लांग इस जूता केवल अमीर लोगों के लिए चुना है, लेकिन इतना सुविधाजनक एक बात बड़े पैमाने पर बाजार को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। अग्रणी चार्ल्स फिलिप, जो सक्रिय रूप से फैशनपरस्त स्लीपरों गढ़ा गया था के इतालवी ब्रांड था। महिला मॉडल मर्दाना से अधिक प्रबल है, लेकिन पुरुषों एक लोकतांत्रिक शासक था। वे फीते और buckles की जरूरत नहीं है, लेकिन वहाँ insteps पर एक टैब है। कुछ डिजाइनरों, मॉडलों के लिए एक एड़ी जोड़ने हालांकि मूल संस्करण फ्लैट बैले फ्लैट जैसा दिखता है।
पहली महिला स्लीपरों कपड़ा से बना। विशेष रूप से लोकप्रिय मखमल था, लेकिन अब वहाँ suede, चमड़े और अन्य सामग्री से बना एक स्टाइलिश मॉडल हैं। यह बैले फ्लैट या संकीर्ण स्टड की एक योग्य प्रतिस्थापन है। अनेक सितारे असहज जूते के थक गए हैं और आराम है कि महिलाओं को स्लीपरों देना चुनें। उदाहरण के लिए, अलेक्सा चांग, रिहाना, बेयोनस, निकोल रिची , और अन्य। क्योंकि कई Laufer अशिष्ट लगते हैं, लेकिन फीते और buckles के साथ जूते पहनते नहीं करना चाहती अपनी पसंद, समझा जा सकता है। नाम महिला स्लीपरों पूरी तरह से सही ठहराने के, के रूप में यह छत या कालीन (पर्ची करने के लिए) पर सुचारू रूप से संपत्ति स्लाइड के लिए मिला है। वे बहुत सावधान सहज और सरल हैं। जब मेहमानों के लिए इंतजार कर रहे उनके एक टक्सीडो के साथ पहना। चप्पल सड़क पर "बाहर", प्रासंगिकता नियम, आधिकारिक कपड़े के साथ संयुक्त खो दिया है। स्लीपर प्रकाश पतलून और शर्ट के साथ पहना जाता है। आज, वे जींस के साथ जोड़ा जाता है।
क्या से स्लीपरों पहनने के लिए?
महिलाओं आज कम नियम सुझाव देते हैं, तो आप किसी भी शैली में आकर्षक रहने की अनुमति देते धनुष। स्लीपर्स - एक आकस्मिक शैली है कि जींस, शर्ट और जैकेट के आधार के पूरक के लिए सबसे अच्छा विकल्प। लेकिन स्त्री शैली "लड़कियों के pripevochki" स्लीपरों चुस्त ब्लाउज एक स्कर्ट-सूरज के साथ कोमल रंग, रंग का चड्डी और के संयोजन की अनुमति देता है। सुरुचिपूर्ण महिला सीधे पतलून ब्रिटिश लंबाई, प्रपत्र-ढाले एक टाई या क्रेवत और एक रंग के जूते के साथ सफेद ब्लाउज की छवि रचना कर सकते हैं।
हर लड़की की अलमारी में आरामदायक जूते के कई विकल्प होना चाहिए। तो यह और काले की उपयोगी जोड़ी प्रकाश स्लीपरों की एक जोड़ी है। फैशन अब प्रिंट animalic। वह बहुत ही प्रभावशाली नज़र स्लीपरों महिलाओं है। फोटो हिंसक लहजे सक्रिय रूप से रखने के फैशन ब्लॉगर्स और सितारों के साथ धनुष। बिल्ली muzzles साथ मॉडल, और स्टड और रिवेट्स साथ कहा, "चप्पल" के रास्ते में आक्रामकता का एक नोट को स्पर्श करना। सही मायने में एक प्रतिष्ठित मार्क स्टब्स और वूटन, जो 1993 के बाद से स्लीपरों महिलाओं का उत्पादन कहा। शो से तस्वीरें पुष्टि करते हैं कि आरामदायक जूते लंबे "बदसूरत" श्रेणी से चला गया। सब के बाद, कीलें मूल मॉडल का उत्पादन क्रिश्चियन लूबूटिन। यह प्रीमियम जूते, और हर कोई उसे पैसे के लिए पर्याप्त होगा। लेकिन वहाँ हमेशा इस तरह के Topshop और ज़रा रूप में सस्ती ब्रांड हैं।
कौन नहीं करना चाहिए?
बेशक, पैर की अंगुली स्लीपरों पर एक सख्त प्रतिबंध है, लेकिन लड़कियों को जो वर्ग "bezkabluchnyh" के लिए जाना चाहते के लिए अनेक सिफारिशें की हैं। सबसे पहले, एक संकीर्ण टखने के साथ लंबे समय पतले पैर पर अच्छा स्लीपरों। तो, वे कॉम्पैक्ट और साफ लग रही है। बंद बहुत चौड़ा है, तो जूते ठेठ पहना-चप्पल को याद करने की धमकी दी, और इस आशय आधुनिक फैशन के दायरे से बाहर है। दूसरे, स्लीपरों - आराम की लगातार अनुयायियों के लिए जूते की जोखिम भरा विकल्प है, क्योंकि यह एक विशेष शैली की आवश्यकता नहीं है और आप अपनी छवि के साथ खेलने के लिए अनुमति देते हैं। लेकिन खेल अभी या बाद में ऊब, और कंपनी स्लीपर पसीना पैंट और टी-शर्ट फैला कर देगा। तीसरा, स्लीपरों - खराब मौसम में सहायक नहीं; वे देखभाल के क्षेत्र में मनमौजी हैं और गर्मियों की सूखी गर्मी के लिए अधिक उपयुक्त है।
डिजाइनर, इसके विपरीत की छवि बनाने के रोमांस और अभिजात वर्ग पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं। सब के बाद, अंत में, यह अभिजात इन मुलायम चप्पल के लिए फैशन में प्रवेश किया था। इसलिए, प्रासंगिक ब्रिटिश लंबाई, संकरा सिल्हूट और खुले टखने। स्लीपर जींस-पतला के साथ मिलकर आदर्श हैं, लेकिन किसी भी मोजे और स्टॉकिंग्स शामिल नहीं! पैर बर्दाश्त नहीं कर सकता है, तो अधिकतम है कि आप खर्च कर सकते हैं, यह प्रकाश पारदर्शी podsledniki है। आम तौर पर संकीर्ण और छवि में विस्तृत के प्रासंगिक संयोजन बनी हुई है। ताकि पैंट-सिगरेट से अधिक आकार के स्वेटर के साथ संयुक्त। ध्यान शॉर्ट्स बाईपास न करें। जूते के रंग में कोई प्रतिबंध नहीं हैं, लेकिन यह याद है कि क्लासिक रंग रंगीन टुकड़ियों के लिए अच्छे हैं लायक है।
कैसे सार्वभौमिक के कुछ जोड़े को लेने के लिए? बेशक, कल्पना को दिखाने के लिए। गर्मी के कपड़े के लिए और तुच्छ cartoonish प्रिंट के साथ फूलों के एक रंग के जूते चुनें। विन-विन मॉडल उज्ज्वल होगा, लेकिन अंधेरे स्लीपरों थोड़ा भारी छवि हो सकता है। पर मंच स्कर्ट, स्वेटर बड़े बुना हुआ मिनी पोशाक और यहां तक कि काले चमड़े का जैकेट के एक विमान-पैक के साथ संयुक्त है महिलाओं के लिए उदास स्लीपरोंः इसलिए, इसके विपरीत पर खेलने के लिए जारी रखने के लिए। याद रखें कि जानबूझकर अशिष्टता अक्सर लड़की और उसके कोमलता की शान पर जोर देती है।
क्या से चमड़े के पहनने के लिए?
और वास्तव में, क्या महिलाओं के लिए चमड़े के स्लीपरों पहनने के लिए, क्रम में फैशन के शिखर पर बने रहने के लिए? काले रंग है, जो जूते शीर्ष, चमड़े वास्कट, शॉर्ट्स और गहने जातीय शैली में के साथ जोड़ा जाएगा में एक छोटे से आक्रामक धनुष की कोशिश करो। इतनी के रूप में अपने आप को उम्र की बोलियां न, लंबे स्कर्ट और पेंसिल स्कर्ट के साथ एक जूता गठबंधन न करें। उज्ज्वल चमड़े स्लीपरों "tames" जैकेट रंग सुखदायक। जूता एकमात्र रबर में है, तो वे शरद ऋतु और वसंत उनके लिए खुले हैं के जीवन का विस्तार कर सकते हैं। स्लीपर चमड़े बहुत नरम और इसलिए आरामदायक है। लेकिन जैसे-जैसे पैरों साँस लेने नहीं होगा रंग विकल्प नहीं चुनते,।
इसलिए, यह स्लीपरों खरीदने लायक है? हाँ, यह गर्मियों के लिए एक बढ़िया विकल्प है! अंत में, यह आरामदायक जूते का चयन करने के फैशनेबल हो गया है! अपने पैरों छापों की एक किस्म देने के लिए मौसम के लिए कई मॉडल का चयन करें। आज, धूप शहर पर टहलने के लिए जूता अलमारी मखमल स्लीपरों से बाहर निकलना है, लेकिन कल पुआल जोड़ी है, जो पूरी तरह से गर्म है के मोड़ आ जाएगा! और क्या तुम कल चुनें? हम, साबर कर सकते हैं? यह एक बहुत ही महान सामग्री है, और उसके साथ जूते का दर्जा लग रहा है। एक पार्टी के लिए स्फटिक और कढ़ाई के साथ मॉडल फिट। बस एक दुकान में हर संभव सजावट नहीं मिलाते। अपने जूते उज्ज्वल हो जाएगा, लेकिन अच्छा में "स्वादिष्ट। " और यह कह रही है युवा लोगों के लिए कुछ शब्द हठ का मानना है कि स्लीपर में लड़की बहुत संज्ञा नहीं लगती है लायक है। यह पूरी तरह से देखने का गलत बात है! वास्तव में, उनके महिला के पैर में एक आराम, चाल आसान और चिकनी हो जाता है। वह संकीर्ण नाक और हाइ हील्स से ग्रस्त नहीं है। वह हमेशा चलना और नृत्य करने के लिए तैयार है। और एक ही समय में यह अभी भी संभव है पर कम स्कर्ट और कपड़े पहनते हैं! अंत में, स्लीपरों टखने, जो अविश्वसनीय रूप से सेक्सी और आकर्षक है खोलने शामिल है, लेकिन यह कोई फर्क नहीं पड़ता। तो इस फैसले में एक ही हैः स्लीपर हो! यह जूता उचित और काम पर, और एक तारीख को है। मुख्य बात अपने तरीके से और आराम क्षेत्र को मिल रहा है! तो केवल वास्तविक महिला और एक असली फैशन कर सकते हैं।
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नई दिल्ली. देश के 32 राज्यों में कोरोना का प्रकोप जारी है। देश में संक्रमण का आंकड़ा 4900 तक पहुंच गया है। जबकि 131 मरीजों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस का खतरा कितना बड़ा है, इसका कहर देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश और दुनिया के लिए कोरोना कितना बड़ा संकट बन कर उभरा है। इन सब के बीच डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, प्रशासन और सरकार कोरोना को मात देने के लिए जी जान से जुटे हैं।
डॉक्टर मरीजों को बचाने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। अक्सर डॉक्टर और नर्स की मार्मिक तस्वीरें सामने आती हैं। कोई डॉक्टर 10 दिन से अपने परिवार से नहीं मिल रहा तो कोई डॉक्टर संक्रमित मरीजों को बचाने के लिए घर ही नहीं जा रहा है। इन सब के बीच दिल्ली एम्स में तैनात डॉक्टरों की कहानी सामने आई है।
कोरोना से जारी जंग के बीच हालात यह है कि किसी डॉक्टर का भरा-पूरा परिवार है जिससे वो हफ्तों से नहीं मिला, कोई कुंआरा है और घर पर उसके मां-बाप उसकी चिंता में व्याकुल हैं। खतरा भी दोतरफा है। एक तरफ, लगातार संक्रमित बीमारी से जूझ रहे शरीरों के संपर्क में रहना और दूसरा कई जगहों पर डॉक्टर और नर्सों पर हमला भी हो रहा है।
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कुशाः काशा यवा दूर्वा उसीराश्च सकुन्दकाः । गोधूमा ब्रीहयो मुञ्जा दश दर्भा सवल्वजाः" ॥
तत्र क्रमःडणः "शुचौ देशे शुचिर्भूत्वा स्थित्वा पूर्वोत्तरामुखः। निकु प्रणवेन च तं स्पृष्टा हुं फट्कारेण चोद्धरेत् ।। विरञ्चिना सहोत्पन्न परमेष्ठिनिसर्गज । नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव ॥ कुशमूले स्थितो ब्रह्मा कुशमध्ये तु केशवः । कुशाग्रे तु हरो देवस्त्रयो देवा कुशे स्थिताः" ॥
कुशलक्षणञ्च -
"अच्छिन्नाग्रान् शप्तपर्णान् समूलान् कोमलान् शुभान् । देवपितृयजार्थं च समादद्यात् कुशान् द्विजः ॥ सप्तपर्णाः शुभा दर्भास्तिलक्षेत्रसमुद्भवाः । ते समस्ता नियोक्तव्या दैवे पित्र्ये च कर्मणि ॥ जातमात्रो भवेद्दर्भः साग्रमूलः कुशः स्मृतः । सप्तपर्णस्तु कुतपश्छिन्नाग्रस्तृण उच्यते ॥ अच्छिन्नाग्रा ह्यशुष्काग्रा हस्वा प्रादेशमात्रकाः । कुतपा इति विज्ञेयास्तैस्तु श्राद्धं समाचरेत् " ।। चतुर्भिर्दर्भेर्विप्रस्य पवित्रकम्, क्षत्रियादेरेकैकं न्यूनम्, सर्वेषां द्वाभ्यां वा ग्रन्थितमग्रन्थितं पवित्रं ज्ञेयमिति ।
भाद्र अमा में कुशग्रहण करना चाहिए । इस अमा में शुद्ध कुशा ग्रहण करना चाहिए। यह कुशा मृतक से अतिरिक्त कर्म में बार-बार प्रयुक्त हो सकता है। मृतक कर्म में प्रयुक्त होने पर वह अग्राह्य हो जाता है । कुश-काश, यव (जौ), दूब, उशीर (खस),
कुन्दपुष्प, गोधूम, धान, मूँज व वल्वज ये दर्भ कर्म कहे जाते हैं । पवित्र होकर पूर्व या उत्तर मुख होकर कुश ग्रहण करें । उखाड़ने का मन्त्र है "ॐ हुँ फट्"।"ब्रह्मा के साथ परमेष्ठी के स्वभाव से तुम उत्पन्न हुए हो । इसलिए हे दर्भ ! तुम सब पापों को दूर कर हमारे लिए कल्याणकारी बन जाओ"। एक बार जड़ को ढीली करके उखाड़ना चाहिए ।
कुश के मूल में ब्रह्मा, मध्य में केशव और अग्र में शंकर निवास करते हैं । ये तीन देव कुश में सर्वदा निवास करते हैं । इसका ध्यान रखकर कुशा का व्यवहार करें । पवित्री वर्णक्रम से ४।३।२ कुशों की अथवा सभी के लिए दो कुशों की होगी । कुश का लक्षण - अग्रभाग कटा न हो, सात पत्र हों, मूलसहित और कोमल हो, इन लक्षणों का कुश शुभ है । यही कुश देव - पितृ यज्ञों में उपयोगी है । तिल के खेत में उत्पन्न सात पत्र के कुश सभी देव-पितृ कार्यों में लिए जाते हैं। उत्पन्न मात्र से दर्भ, मूल-अग्र सहित कुश व मूल अग्र सप्तपर्ण कुश कुतप ( सर्वोत्तम ) है तथा अग्र कट जाने पर तृण हो जाता है । अग्रसहित शुष्क व प्रादेशमात्र कुश कुतुप कहलाते हैं ।
अथ कार्तिकी अमावास्या दीपमाला । अस्यां प्रातरभ्यङ्गः, प्रदोषे दीपदानलक्ष्मीपूजनादि विहितम्, तत्र सूर्योदयं व्याप्यास्तोत्तरं घटिकाधिकरात्रिव्यापिनि दर्शे सति न सन्देहः । अत्र प्रातरभ्यङ्गदेवपूजादिकं कृत्वा, अपराह्ने पार्वणश्राद्धं कृत्वा, प्रदोषसमये दीपदानोल्काप्रदर्शनलक्ष्मीपूजनानि कृत्वा भोजनं कार्यम् । अत्र दर्शे बालवृद्धादिभिन्नैर्दिवा न भोक्तव्यम्, रात्रौ भोक्तव्यमिति, विशेषो वाचनिकः । तथा च परदिन एव दिनद्वये वा प्रदोषव्याप्तौ परा, पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तौ लक्ष्मीपूजनादौ पूर्वा, अभ्यङ्गस्नानादौ परा, एवमुभयत्र प्रदोषव्याप्त्यभावेऽपि । पुरुषार्थचिन्तामणौ तु पूर्वत्रैव व्याप्तिरिति । पक्षे परत्र यामत्रयाधिकव्यापिदर्शे दशपिक्षया प्रतिपद्वृद्धिसत्चे लक्ष्मीपूजादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम्, एतन्मते उभयत्र प्रदोषव्याप्तिपक्षेऽपि परत्र दर्शस्य सार्द्धयामत्रयाधिकव्यापित्वात् परैव युक्तेति भाति । चतुर्दश्यादिदिनCC-0. Swami Atmanand Giri (Prabhuji) . Veda Nidhi Varanasi. Digitized by eGangotri
त्रयेऽपि दीपावलिसंज्ञके
तिशयः । अस्यामेव निःसारणं कार्यमिति ।
यत्र यत्राहि स्वातीसंयोगस्तस्य तस्य प्राशस्त्यानिशीथोत्तरं नगरस्त्रीभिः स्वगृहाङ्गणादलक्ष्मी४०१
कार्तिकी अमावास्या । यह दीपमालिका के नाम से प्रसिद्ध है । इसमें प्रातः अभ्यङ्ग व प्रदोष में दीपदान तथा लक्ष्मीपूजन कार्य होता है । सूर्योदय से सूर्यास्त के बाद अधिक-घटिका-व्यापिनी अमा हो तो इसे अमा मानने में कोई सन्देह नहीं है । इस अमावास्या में प्रातः अभ्यङ्ग, देवपूजन व अपराह्न में पार्वण श्राद्ध करके प्रदोष में दीपदान, आकाशदीप-प्रदर्शन, लक्ष्मीपूजन करके भोजन करना चाहिए । इस अमा में बाल, वृद्धों को छोड़ अन्य व्यक्ति दिन में भोजन न कर रात्रि में भोजन करें । यह विशेष कथन है । दूसरे दिन या दोनों दिन प्रदोष-व्याप्ति होने पर दूसरे दिन की अमा ग्राह्य है । यदि पूर्वदिन में ही प्रदोष-व्याप्ति हो तो पूर्वदिन में ही लक्ष्मीपूजनादि कार्य करें और दूसरे दिन अभ्यङ्ग-स्नानादि कार्य होंगे । इस प्रकार दोनों दिन प्रदोषव्याप्ति के अभाव में पूर्वा ही ग्रहण करनी चाहिए, यह पुरुषार्थचिन्तामणि का मत है । व्याप्ति के पक्ष में दूसरे दिन तीन प्रहर से अधिक अमा हो और अमावास्या की अपेक्षा तीसरे दिन प्रतिपदा का घटिकामान अधिक हो तो, लक्ष्मीपूजन आदि कार्य दूसरे दिन ही करेंगे । इस आधार पर दोनों दिन प्रदोष-व्याप्ति के पक्ष में परा ( दूसरे दिन) अमावास्या ग्राह्य है । साढ़े तीन याम से अधिक अमावास्या की व्याप्ति में परा ही ग्राह्य है, यह युक्तियुक्त प्रतीत होता है। चतुर्दशी से तीन दिन तक दीपावली मनाने के पक्ष में जिस दिन स्वाती नक्षत्र का योग हो, उस दिन की शुभता विशेष है, उसी में अर्धरात्रि के बाद नगर - स्त्रियाँ अपने घर से दरिद्रता का निःसारण करती हैं ।
अथ माघी अमावास्या । तस्यां ब्रह्माणं सावित्रीसहितं पूज्य नवनीतधेनुं दद्यात् ।
"अत्रामार्कपातश्रवणैर्युक्ता चेत्पौषमाघयोः । अर्मोदयः स विज्ञेयः कोटिसूर्यग्रहैः समः ॥ दिवैव योगः शस्तोऽयं न तु रात्रौ कदाचन । अर्द्धदये तु सम्प्राप्ते सर्वं गङ्गासमं जलम् ।। शुद्धात्मानो द्विजाः सर्वे भवेयुर्ब्रह्मसत्तमाः । यत्किञ्चिद्दीयते दानं तद्दानं मेरुसन्निभम् " ।।
तत्र चतुष्षष्टिपलमितताम्रपात्रं पायसगुञ्जामितसुवर्णयुतं ब्राह्मणाय दत्वा पृथ्वीदानसमं फलं प्राप्नोति ।
माघी अमावास्या । इस अमावस्या में सुवर्णनिर्मित सावित्र के सहित ब्रह्मा की पूजा करके नवनीत धेनु का भी दान देना चाहिए । इसमें अर्धोदय योग भी होता है, जो पौष व माघ की अमावास्या के दिन रविवार व श्रवण के योग से अर्द्धदय योग बनता है । इसमें स्नान, दान से कोटि सूर्यग्रहण के समान फल होता है । यह योग दिन में ही मान्य होता है, रात्रि में कदापि नहीं । इस योग की प्राप्ति में सभी जल गंगा के समान हो जाते हैं और शुद्धात्मा सभी ब्राह्मण ब्रह्मा के समान हो जाते हैं । इसमें जो भी दान दिया जाय वह मेरु दान के बराबर हो जाता है । इसमें ताँबे के पात्र में चौसठ पल खीर सुवर्ण सहित दान से पृथ्वी दान का फल मिलता है ।
अथ फाल्गुनी अमावास्या । अस्यामपराह्णव्यापिन्यां युगादित्वादपिण्डकं श्राद्धं कार्यम् । तत्र दर्शश्राद्धेन सह तन्त्रं कार्यम् । अस्यां शततारकायोगे परमः पुण्यकालः । अत्र श्राद्धात्परमा पितृतृप्तिः, धनिष्ठायोगे तु तिलानेन श्राद्धं कायम्, तेन वर्षायुतकालं तृप्तिरित्यमावास्यानिर्णयः । अथ श्राद्धेऽमावास्या निर्णीयते । तत्र साऽपराह्णव्यापिन्येव, यथा पञ्चधा
ग्राह्या । पूर्वेधुरेव
परेधुरेव वाऽपराह्ने कार्नेनैकदेशेन व्यापित्वे सैव ग्राह्या । उभयदिनेऽप्यपराह्ने वैषम्येणैकदेशव्यापित्वे याऽधिकव्यापिनी, सा ग्राह्या, दिनद्वये साम्येनैकदेशव्याप्तौ तिथिक्षये पूर्वा, तिथिवृद्धौ तिथिसाम्ये च परा, तत्र समयव्याप्तौ तिथिवृद्धिक्षयसाम्योदाहरणानि - चतुर्दशी १९, अमा २३ दिनं ३०, दिनद्वयेऽपि समा पञ्चघटिकैकदेशव्याप्तिश्चतुर्दश्यपेक्षया वृद्धिसत्वादुत्तरा ग्राह्या, तथा चतुर्दशी २३, अमा १९, अत्रैका घटिका समा व्याप्तिघटिकाचतुष्टयेन तिथिक्षयात्पूर्वा ग्राह्या । अथ चतुर्दशी २१, अमा २१, अत्र घटीत्रयेण दिनद्वयेंऽशतः समा व्याप्तिस्तिथेस्तु वृद्धिक्षयाभावेन समत्वात्परा ग्राह्या, दिनद्वये दिनद्वये पूर्णा पूर्णा पराह्नव्याप्तौ तिथिवृद्धित्वात्परा ग्राह्या, यदा दिनद्वयेऽप्यपराह्णस्पर्शाभावस्तदा गृह्याग्निमद्भिः श्रौताग्निमद्भिश्च सिनीवालीसंज्ञका चतुर्दशीमिश्रा पूर्वा ग्राह्या, निरग्निकैः स्त्रीशूद्रादिभिश्च कुहूसंज्ञका प्रतिपन्मिश्रा परा ग्राह्येति माधवाचार्यसम्मतो दर्शनिर्णयः प्रायः सर्वत्र शिष्टैराद्रियत इति । अत्र च साग्निकानां बढ़चतैत्तिरीयसामगानां बृहनिबन्धे व्यवस्था द्रष्टव्येति ।
फाल्गुनी अमा युगादि है । यह अपराह्ण-व्यापिनी ग्राह्य है । इस युगादि में पिण्ड-दान के विना श्राद्ध किया जाता है । किन्तु यह श्राद्ध दर्श-श्राद्ध के साथ एकतन्त्र से करना चाहिए । यदि इसमें शतभिषा का योग हो जाय, तो यह अतिशय पुण्यदायिनी होती है । इसमें श्राद्ध करने से पितरों को अपरिमित सुख मिलता है । इस फाल्गुनी अमा में धनिष्ठायोग होने पर यदि तिलान्न श्राद्ध किया जाय, तो दस हजार वर्ष तक पितृगण तृप्त रहते हैं ।
अब श्राद्ध में अमावस्या का निर्णय किया जाता है । यह अपराह्णव्यापिनी ही ग्राह्य है । दिनमान को पाँच भागों में विभक्त कर दिन के चतुर्थ भाग में व्यापिनी अमा श्राद्धकार्य में ग्राह्य है । पूर्व या पर
दिन पूर्ण अपराह्ण काल की ("पञ्चभक्तदिनमानस्यैकचतुर्थभागपूर्णकालव्याप्तेस्तात्पर्यः") व्याप्ति वाली अमा ग्राह्य है, एकदेश व्याप्ति वाली नहीं ।
विषमता होने पर दोनों दिन अपराह्न-व्याप्ति में जो अधिककाल तक व्यापक हो वही ग्राह्य है। दोनों दिन एकदेश व्याप्ति में जो अधिकदेश व्याप्ति हो वही ग्राह्य है। दोनों दिन व्याप्ति में समता होने पर तिथिक्षय में पूर्वा, तिथि-वृद्धि व तिथि- समता में परा ग्राह्य है ।
वृद्धि-क्षय का उदाहरण- चतुर्दशी १९, दूसरे दिन अमा २३, दिनमान ३० है तो दोनों दिन चतुर्थभाग के एकदेश की व्याप्ति मिलती है । परन्तु द्वितीय दिन चार घटिका अधिक होने से परा ही ग्राह्य है । यदि चतुर्दशी २३ घटिका है और द्वितीय दिन अमा १९ घटिका है और दिनमान ३० है तो पूर्व दिन परापेक्षया ४ घटिका अधिक होने से पूर्वा ही ग्राह्य है । पुनः चतुर्दशी २१ व दूसरे दिन अमा २१ घटिका, दिनमान ३० है तो दोनों दिन चतुर्थभाग अपराह्णकाल में समान व्याप्ति है और तिथियों में हास-वृद्धि का अभाव है तो परा ही ग्राह्य है । दोनों दिन पूर्ण अपराह्न व्याप्ति में पूर्वोदाहरण में दोनों दिन अमा २४ घटिका हो तो भी परा ग्राह्य है । यदि दोनों दिन अपराह्णस्पर्शाभाव हो तो गृह्याग्नि व श्रौताग्नि को सिनीवालीसंज्ञक चतुर्दशीमिश्रा अमा पूर्वा ही ग्राह्य है । निरग्निक स्त्री-शूद्रादिकों को कुहूसंज्ञक प्रतिपयुता अमा ग्राह्य है। यह माधवाचार्य निर्णीत दर्शश्राद्धीय अमा प्रायः सर्वत्र शिष्टगृहीत है । गृहीताग्निक बहृच, तैत्तिरीय एवं सामवेदियों को बृहन्निबन्ध में व्यवस्था देखनी चाहिए ।
अथ च दर्शे दर्शश्राद्धवर्षश्राद्धयोर्दर्शमासिकयोर्दर्शश्राद्धोदकुम्भश्राद्धयोश्च सम्पाते देवताभेदाच्छ्राद्धद्धयं कार्यम् । तत्रादौ मासिकाब्दिकादिश्राद्धं कृत्वा
पाकान्तरेण दर्शश्राद्धं कार्यम्, वैश्वदेव आब्दिकादिश्राद्धशेषेण पृथक्पाकेन वा दर्शश्राद्धात् प्राग्भवति । आहिताग्निस्तु वैश्वदेवं पिण्डपितृयज्ञं च कृत्वाब्दिकं कुर्यात् । दर्शश्राद्धमनुपनीतविधुरप्रवासस्थैरपि कार्यम् । इत्यमाश्राद्धनिर्णयः ।
अब दर्श में दर्शश्राद्ध व दर्शवार्षिक श्राद्ध या दर्शश्राद्ध व मासिक श्राद्ध, दर्शश्राद्ध व उदककुम्भ श्राद्धों के सम्पात में (एक में दूसरे की उपस्थिति) देवता भेद होने में दो पृथक्-पृथक् श्राद्ध करना चाहिए । उसमें प्रथम मासिक व वार्षिक श्राद्ध करके पाकान्त से दर्शश्राद्ध करना चाहिए । वैश्वदेव श्राद्ध आब्दिकादि श्राद्ध शेष से अथवा पृथक् पाक से करें । यह दर्शश्राद्ध से पूर्व वार्षिक श्राद्ध के साथ होता है । यहाँ पर वार्षिक श्राद्ध एकोद्दिष्ट से प्रयोजन नहीं है; क्योंकि एकोद्दिष्ट में वैश्वदेव श्राद्ध नहीं होता है। अग्निहोत्री वैश्वदेव व पितृपिण्ड कार्य करके आब्दिक श्राद्ध करते हैं । दर्शश्राद्ध अनुपनीत (जिसका यज्ञोपवीत नहीं हुआ है), विधुर व प्रवासी भी कर सकते हैं ।
अथ संक्रान्तीनां पुण्यकालनिर्णयः । तत्र मेषसंक्रान्तौ पूर्वाः पराश्च दश दश नाड्यः पुण्यकालः, रात्रौ त्वर्द्धरात्रात् प्राक् सङ्क्रमे पूर्वदिनोत्तरार्द्धं पुण्यम्, अर्द्धरात्रात्परतः सङ्क्रमे उत्तरदिनस्य पूर्वार्द्धं पुण्यम्, अर्द्धरात्रे सङ्क्रमे दिनद्वयं परपूर्वभागे पुण्यमिति । अथ वृषसङ्क्रमे पूर्वाः षोडशनाडिकाः पुण्यकालः, रात्रौ च प्रागुक्तवदिति । अथ मिथुनसंक्रान्तिः । अत्र पराः षोडशनाड्यः पुण्यकालः, रात्रौ च प्रागुक्तवदिति । अथ दक्षिणायनसंज्ञा कर्कसंक्रान्तिः । कर्कसंक्रान्तौ पूर्वं त्रिंशत्राड्यः पुण्यकालः । तत्रापि संक्रान्तिसन्निहिता नाड्यः पुण्यतमाः। रात्रावर्द्धरात्रात्प्राकूपरतश्च सङ्क्रमेऽपि पूर्वदिने पुण्यकालः, तत्रापि मध्याह्नात् परतः पुण्यतमत्वम्, सूर्योदयोत्तरं घटिकाद्वयात् प्राकू सङ्क्रमे परत एव पुण्यम् । ज्योतिर्ग्रन्थे तु सूर्योदयात्
प्राग् घटिकात्रयात्मकसन्ध्यासमयेऽपि कर्कसङ्क्रमे परदिन एव पुण्यमित्युक्तमिति । कर्ककन्याधनुः कुम्भस्थे रवौ केशकर्त्तनादिकं निषिद्धमिति । अथ सिंहसङ्क्रान्तिः । एतस्याः पराः षोडशनाड्यः पुण्यकालः । रात्रौ तूक्तं ज्ञेयम् । अत्र मासे एकभक्तव्रतम्, नक्तव्रतम्, विष्णुशिवाद्यभिषेकश्चोक्तः । अत्र गोप्रसूतिस्तु महदनिष्टदा ( यच्च) "सिंहराशिगते सूर्ये यस्य गौश्च प्रसूयते"। तेन व्याहृतिभिर्घृताक्तायुतसंख्यया सर्षपहोमं कृत्वा सा गौर्ब्राह्मणाय देया। एवं निशीथे गोः क्रन्दनेऽपि मृत्युञ्जयमन्त्रेण होमादिरूपा शान्तिः कार्य्या ।
संक्रान्ति के पुण्यकाल का निर्णय । मेष की सूर्य संक्रान्ति में पूर्वापर १०-१० घटिका पुण्यकाल रहता है । इसमें अर्धरात्रि से पूर्व संक्रान्ति में पूर्व दिन के मध्याह्नोत्तर काल तथा अर्धरात्रि के बाद की संक्रान्ति में पर दिन के पूर्वार्द्ध में पुण्यकाल होता है और अर्धरात्रि के समय में दोनों पूर्व दिन के परार्ध व उत्तर दिन के पूर्वार्द्ध में पुण्यकाल होता है । वृष संक्रान्ति में पूर्व १६ घटिका पुण्यकाल होता है । रात्रि की संक्रान्ति में पूर्ववत् निर्णय दिया जाय । मिथुन की संक्रान्ति के पर में १६ घटिका पुण्यकाल होता है । रात्रि में पूर्व की भाँति निर्णय करें । दक्षिणायनसंज्ञक कर्क संक्रान्ति में पूर्व तीस घटिका पुण्यकाल होता है। इसमें भी संक्रान्ति काल की सन्निकटतम घटी विशेष पुण्यदायक होती है। रात्रि में अर्धरात्रि के पूर्व या पर संक्रान्ति में पूर्व ही मध्याह्नोत्तर पुण्यकाल होता है। सूर्योदय के बाद दो घटी के अन्दर कर्क-संक्रान्ति में पर में पुण्यकाल होता है। ज्योतिषग्रन्थों के अनुसार सूर्योदय से पूर्व तीन घटिका सन्ध्याकाल में भी कर्क-संक्रान्ति में दूसरे दिन ही पुण्यकाल होता है । ऐसा निर्दिष्ट है । कर्क, कन्या, धनु व कुम्भ के सूर्य में क्षौरकर्म निषिद्ध है । सिंहसंक्रान्ति में संक्रान्ति काल के बाद १६ घटिका पुण्यकाल होता है । रात्रिसङ्क्रम में मेष-संक्रान्ति विहित रात्रिकाल का अध्याहार किया जाय । इस सूर्यसंक्रम मास में एकभक्त ( एक समय भोजन) व्रत, नक्तव्रत (रात्रि भोजन का व्रत), भगवान् विष्णु व शिव का
अभिषेक होता है । इस मास में गोप्रसव महान् अनिष्टकारी है । अतः व्याहृति से घृताक्त सर्षप होम दश हजार होना चाहिए और गो का दान करना चाहिए । इसी प्रकार निशीथ में गोक्रन्दन होने पर भी मृत्युञ्जय मन्त्र से होमादिरूप शान्ति करनी चाहिए ।
एवं श्रावणे मासे दिवाश्विनीप्रसवोऽपि निषिद्धः, यच्च -
"माघे बुधे च महिषी श्रावणे वडवा दिवा ।
सिंहे गावः प्रसूयन्ते स्वामिनो मृत्युदायकाः" ॥ इति । एषूत्पातेषु शान्तिप्रकरणोक्ता शान्तिर्विधेयेति ।
पूर्वोक्त रीति के अनुसार श्रावण में घोड़ी के प्रसव का निषेध है । जैसा कि "माघ मास में बुध के दिन भैंस, सिंहस्थ सूर्य में गाय, श्रावण मास में दिन में घोड़ी के प्रसव से स्वामी की मृत्यु होती है । इस प्रकार के उत्पातों में शान्ति प्रकरण विहित शान्ति करानी चाहिए ।
अथ कन्यासंक्रान्तिः । अत्र पराः षोडशनाड्यः पुण्यकालः । अथ तुलासंक्रान्तिः । तुलामेषसंक्रान्ती विषुवत्संज्ञे। तस्याः पूर्वापराः पञ्चदशनाड्यः पुण्यकालः । विशेषः प्रागुक्त एव । अथ वृश्चिकसंक्रान्तिः । अस्याः पूर्वाः षोडशनाड्यः पुण्याः । शेषं प्राग्वत् । अथ धनुःसंक्रान्तिः । अत्र पराः षोडशनाड्यः पुण्याः । प्रागुक्तमन्यत् । अथोत्तरायणमकरसंक्रान्तिः । अत्र दिवा मकरसङ्क्रमे संक्रान्त्यनन्तरं चत्वारिंशन्नाड्यः पुण्याः । घटिकाद्यल्पदिनशेषे मकरसंक्रान्तौ संक्रान्त्यासन्नपूर्वकाले दिवैव स्नानश्राद्धदानभोजनानि कार्याणि, रात्रौ श्राद्धदानादेर्निषेधात्, स्वल्पदिनभागे स्नानश्राद्धभोजनादेः कर्तुमशक्यत्वाद् रात्रौ भोजननिषेधात् पुत्रवद्गृहिण उपवासनिषेधाच्च । तस्मादीदृशे विषये परपुण्यकालत्वं बाधित्वा मकरसंक्रान्तेः पूर्वभाग एव पुण्यकालत्वं ज्ञेयम् । रात्रौ
पूर्वभागे परभागे निशीथे वा मकरसङ्क्रमे उत्तरदिनं पुण्यम्, तत्राप्युत्तरदिनपूर्वार्द्धं पुण्यतरम्, तत्रापि सूर्योदयोत्तरं पञ्चनाड्यः पुण्यतमाः । एवं रात्रिसंक्रान्तिविषयेऽन्यत्रापि यत्र पूर्वदिनोत्तरार्द्धस्य पुण्यत्वं तत्र दिनान्ते पञ्चनाडीनां पुण्यतमत्वम्, यत्रोत्तरदिनपूर्वार्द्धस्य पुण्यत्वं तत्रोदयोत्तरं पञ्चनाडीनां पुण्यतमत्वम् । एवं दिवासङ्क्रमेऽपि संक्रान्तिसन्निहितनाडीनां मकरादिषूत्तरासां पुण्यतमत्वं ज्ञेयम् । यच्च -
"या याः सन्निहिता नाड्यस्तास्ताः पुण्यतमाः स्मृताः" ॥ इत्युक्तेः । कन्या की संक्रान्ति में परा षोडश घटिका पुण्यकाल होता है । तुला व मेष संक्रान्ति ही विषुवत् संक्रान्ति कही जाती है । इसमें पूर्वपर में १५ घटिका पुण्यकाल होता है। अन्य विशेष प्रागुक्त है । वृश्चिक संक्रान्ति में भी पूर्व में षोडश घटी पुण्यकाल होता है । शेष पूर्ववत् है । धनु-संक्रान्ति में पर १६ घटिका पुण्यकाल होता है । अन्य प्रथमोक्त है। उत्तरायण मकर संक्रान्ति के संक्रमणकाल के बाद ४० घटिका पुण्यकाल होता है । एक घटी से अल्प दिन शेष काल में यदि मकरसंक्रान्ति होती है, तो संक्रान्ति के अतिसन्निकट पूर्व दिन में ही स्नान, श्राद्ध, दान और भोजन आदि कार्य कर सकते हैं । रात्रि में श्राद्ध-दानादि का निषेध होने से स्वल्प दिन शेष में ही स्नानादि कृत्य करना चाहिए ।
विशेष - यदि अवशेष दिन के स्वल्पकाल में स्नानादि कृत्य सम्भव न हो और रात्रि में श्राद्ध-दानादि तथा पुत्रवान् गृहस्थ के लिए उपवास निषेध है, तो ऐसी विषम परिस्थिति में मकर के पर पुण्य का अपवाद करके पूर्व काल में ही पुण्यकाल सम्बन्धित समस्त कार्य कर लेना चाहिए । रात्रि के पूर्व या पर भाग अथवा निशीथ के किसी भाग में संक्रान्ति
होने पर दूसरे दिन के पूर्व भाग में पुण्यकाल होता है। उसमें भी सूर्योदय के बाद ५ घटिका तक अतिपुण्यतम पुण्यकाल होता है । इसी प्रकार रात्रि संक्रान्ति के विषय में जहाँ पूर्व दिन उत्तरार्ध में पुण्य-काल है, वहाँ दिनान्त में पाँच घटिका अतिपुण्यतम काल होता है । एवं उत्तर दिन में सूर्योदय के बाद ५ घटी तक पुण्यतम काल होता है । इस प्रकार दिवा संक्रान्ति में भी संक्रान्तिकाल की सन्निकटतम परा नाडी मकरादि संक्रान्तियों में अतिपुण्यतम काल की होती हैं; क्योंकि संक्रान्ति का अतिसन्निकट काल पुण्यातिशयदायक है ।
मुहूर्त्तचिन्तामण्यादौ तु सूर्य्यास्तादूर्ध्वं घटीत्रयं सन्ध्याकालस्तत्र मकरसङ्क्रमे परदिनपुण्यत्वं बाधित्वा पूर्वदिनं पुण्यत्वमुक्तम्, नेदं सर्वत्र धर्मशास्त्रग्रन्थेषु दृश्यते । "शुक्लपक्षे तु सप्तम्यां संक्रान्तिर्ग्रहणाधिका" इति । अथ कुम्भसंक्रान्तिः । अत्र पूर्वं षोडशनाड्यः पुण्या इति । अथ मीनसंक्रान्तिः । अत्र पराः षोडशनाड्यः पुण्याः । रात्रौ तु प्राग्वत् । इति संक्रान्तिनिर्णयः । प्रत्येकसंक्रान्तौ दानं तत्प्रक्रिया च बृहन्निबन्धेभ्यो ज्ञेयेति ।
मुहूर्तचिन्तामणि के अनुसार सूर्यास्त के बाद तीन घटी सन्ध्या काल रहता है । उसमें मकर संक्रान्ति के पर दिन का पुण्यकाल बाधित होता है और पूर्व दिन पुण्यकाल माना जाता है। ऐसा निर्णय धर्मशास्त्रादि ग्रन्थों में नहीं मिलता है। शुक्लपक्ष की सप्तमी में संक्रान्ति होने पर वह ग्रहण से भी अधिक पुण्यप्रदा होती है । कुम्भ की संक्रान्ति में पूर्व १६ घटिका काल पुण्यप्रद होता है । मीन संक्रान्ति की परा १६ नाड़ी पुण्यकाल होता है । रात्रि की संक्रान्ति पूर्ववत् समझें, यह संक्रान्ति-निर्णय है । प्रत्येक संक्रान्ति में दानादि कार्य की जानकारी बृहन्निबन्ध से प्राप्त करें ।
अथ ग्रहणनिर्णयः । चन्द्रसूर्य्यग्रहणं यावच्चाक्षुषदर्शनयोग्यं तावत् पुण्यकालः । अतो ग्रस्तास्तस्थलेऽस्तोत्तरं द्वीपान्तरे ग्रहणसत्त्वेऽपि दर्शनयोग्यत्वाभावान्न पुण्यकालः । एवं ग्रस्तोदये उदयात्पूर्वं न तु पुण्यकालः । मेघादिप्रतिबन्धेन चाक्षुषदर्शनासम्भवे शास्त्रादिना स्पर्शमोक्षकालौ ज्ञात्वा स्नानदानाद्याचरेत् । रविवारे सूर्यग्रहश्चन्द्रवारे चन्द्रग्रहश्चूडामणिसंज्ञकस्तत्र दानादिकमनन्तफलम्, ग्रहस्पर्शकाले स्नानम्, मध्ये होमः सुरार्चनं श्राद्धञ्च, मुच्यमाने दानम्, मुक्ते स्नानमिति क्रमः ।
अथ ग्रहण निर्णय । सूर्य-चन्द्र ग्रहण जब तक चक्षुगोचर होता है, तब तक पुण्यकाल होता है । इसलिए अस्तकालिक ग्रहण (अस्त के बाद ग्रहण) व द्वीपान्तरीय ग्रहण में चाक्षुषगोचर के अभाव में पुण्यकाल भी अनपेक्ष्य है । इस प्रकार ग्रस्तोदय में उदय के पूर्व पुण्यकाल का अभाव रहता है; किन्तु आकाश के मेघादिछन्न होने पर दर्शनाभाव में भी शास्त्रादि से स्पर्श व मोक्ष के काल को जानकर स्नानादि कार्य करना चाहिए । रविवार के दिन सूर्यग्रहण व सोम के दिन चन्द्रग्रहण होने पर चूड़ामणि नाम का पुण्ययोगयुक्त ग्रहण होता है, इसमें स्नानदान का अनन्त फल होता है। ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य काल में होम, देवार्चन व मोक्ष के समय दान व श्राद्ध और मुक्त होने पर पुनः स्नान करना चाहिए ।
तत्र स्नानजलेषु तारतम्यम् -
"शीतमुष्णोदकात्पुण्यमपारक्यं परोदकात् । भूनिष्टमुद्धृतात्पुण्यं ततः प्रस्रवणोदकम् ॥ ततोऽपि सारसं पुण्यं ततः पुण्यं नदीजलम् । ततस्तीर्थनदीगङ्गा पुण्या पुण्यस्ततोऽम्बुधिः" ॥ इति ।
ग्रहणे स्नानं सचैलम्, सचैलत्वं मुक्तिस्नानपरमिति केचित्, मुक्तिस्नानाभावे सूतकित्वानुपगमः, ग्रहणेऽमन्त्रकस्नानम्, सुवासिनीभिः स्त्रीभिरशिरःस्नानं
शिष्टस्त्रियस्तु सशिरस्कमपि । जातमृताशौचे ग्रहणानिमित्तं स्नानदानश्राद्धादिकार्यमेव । तच्च"स्नाने नैमित्तिके प्राप्ते नारी यदि रजस्वला ।
पात्रान्तरिततोयेन स्नानं कृत्वा व्रतं चरेत् ॥ न वस्त्रपीडनं कुर्यात्रान्यद्वासश्च धारयेत् । त्रिरात्रमेकरात्रं वा तथैवोपोष्य यापयेत्" ॥ इति । एकरात्रपक्षे ग्रहणदिनात्पूर्वदिन उपवास इति केचित् ।
स्नानार्थ जल में तारतम्य प्रतिपादित करते हैं । उष्ण जल से शीत जल पवित्र है । दूसरे के कूपादि जल से स्वनिर्मित कूपादि का जल पवित्र है । कूपादि के जल से भूमिस्थ जल उत्तम है। भूमिस्थ जल से झरना, झरना से तालाब, तालाब से नदी, नदी से तीर्थनदी उससे भी गंगा का जल पवित्रतम है। नदी के जल से समुद्र का जल पवित्र है । ग्रहण में सचैल स्नान करें। कोई कहते हैं कि मुक्त होने पर सचैल स्नान करना चाहिए । मुक्ति तक सूतक रहता है । ग्रहण में अमन्त्रक स्नान, सुवासिनियों को अशिर-स्नान करना चाहिए । शिष्ट स्त्रियों (बड़ी-बूढ़ी) को सशिरस्क स्नान करना चाहिए। मृत व सूतक अशौच में ग्रहण के निमित्त स्नान, दान, श्राद्ध अवश्य करें। (कारण) निमित्त उपस्थित होने पर रजस्वला स्त्री नदी से जल लेकर पात्रान्तर से स्नान व व्रत कर सकती है; किन्तु रजस्वला वस्त्र प्रक्षालन व दूसरा वस्त्र धारण नहीं कर सकती है और ग्रहण के अवसर पर तीन या एक दिन व्रत उपवास करके समय व्यतीत करने का विधान है । एक दिन के पक्ष में ग्रहण के दिन से पूर्व दिन उपवास करना चाहिए । यह कोई कहते हैं ।
ग्रहणसम्बन्धाहोरात्र उपवास इत्यपरे, पुत्रवद्गृहिणो ग्रहणसंक्रान्त्यादौ नोपवासः, पुत्रवत्पदेन कन्यावानपि ग्राह्य इति केचित्, ग्रहणे पितृदेवतपणं
कार्यमिति केचित्, "सर्वेषामेव वर्णानां सूतकं राहुदर्शने" । तेन ग्रहणकाले स्पृष्टवस्त्रादेः क्षालनादिना शुद्धिः । अत्र गोभूहिरण्यादिदानं महाफलम् - "सर्वं गङ्गासमं तोयं सर्वे व्याससमा द्विजाः ।
सर्वं भूमिसमं दानं ग्रहणे चन्द्रसूर्य्ययोः" ॥ इति । "सममब्राह्मणे दानं द्विगुणं ब्राह्मणब्रुवे ।
श्रोत्रिये शतसाहस्रं पात्रे त्वानन्त्यमश्नुते" ॥ इति ।
अयमर्थः - अब्राह्मणे संस्कारादिरहिते जातिमात्रे, ब्राह्मणब्रुवे गर्भाधानादिसंस्कारयुते वेदाध्ययनहीने, संस्कारवेदाध्ययनयुते श्रोत्रिये, विद्यासदाचरणादियुते पात्रे इति । ग्रहणे श्राद्धमामान्नेन हेम्ना वापान्नेनेति केचित् । ग्रहणेऽवश्यं गायत्रीस्वेष्टादिमन्त्रजपः, तद्विना मन्त्रमालिन्यम्, ग्रहणे शयनाद्रोगी, मूत्रे कृते दारिद्र्यम्, पुरीषे कृमिः, मैथुने ग्रामशूकरः, अभ्यङ्गे कुष्टी, भोजने नरक इति । पूर्वपक्वान्नं ग्रहणोत्तरं त्याज्यम्, ग्रहणे जलपाने पादकृच्छ्रकथनाज्जलमपि त्याज्यम्, काञ्जिकं तक्रं तैलघृतपाचितमन्नं क्षीरं च पूर्वसिद्धं ग्रहणोत्तरं ग्राह्यम्, घृते सन्धिते गोरसेषु ग्रहणकाले कुशान्तरायं कार्यम् ।
कुछ का मत है कि जिस दिन ग्रहण हो उस दिन अहोरात्र व्रत उपवास करें। किन्तु सन्तान वाले गृहस्थ ग्रहण व संक्रान्ति का उपवास न करें । ग्रहण में किसी के मत से देव-पितृ-तर्पण करना चाहिए । "ग्रहण का सूतक सभी वर्गों के लिए होता है" । ग्रहण में स्पृष्ट वस्त्र की प्रक्षालन से शुद्धि होती है । ग्रहण में गो-भूमि-सुवर्ण के दान से महाफल होता है । ग्रहण में सभी जल गंगाजल व सभी ब्राह्मण व्यास के समान माने जाते हैं । यत्किञ्चित् दान सभी भूमिदान के बराबर होता है । ग्रहण में अब्राह्मण को दिया दान दान मात्र होता है, ब्राह्मण को दिया दान दूना व श्रोत्रिय ब्राह्मण को दिया दान लाख गुना होता है और सत्पात्र को दिया दान अनन्त होता है। संस्काररहित
जाति से ब्राह्मण ही अब्राह्मण है। गर्भाधानादि संस्कारसम्पन ब्राह्मण किन्तु वेदाध्ययन से विमुख ब्राह्मण है और संस्कारयुक्त वेदाध्ययन करने वाला ब्राह्मण श्रोत्रिय है तथा सभी संस्कारों से युक्त सर्वदा अध्ययन करने वाला ब्राह्मण पात्र है । ग्रहण में श्राद्ध आमान्न (अपक्च) व सुवर्ण से करना चाहिए । कोई पक्वान्न से श्राद्ध करने को कहते हैं । ग्रहण में गायत्री व अभीष्ट देवता के मन्त्र का जप करने का विधान है। अन्यथा मन्त्र में मलिनता आती है । ग्रहण में शयन से रोगी, मूत्रोत्सर्ग से दरिद्रता, शौच (मलत्याग) से कृमि, मैथुन से ग्रामशूकर, तेललेपन से कुष्ठी, भोजन आदि करने से नरक होता है । ग्रहण के पूर्व निर्मित पक्वान्न ग्रहण में अपवित्र हो जाता है । उसे त्याग देना चाहिए । ग्रहण में जलपान से पादकृच्छ्रव्रत से शुद्धि होती है, अर्थात् ग्रहण में जल भी नहीं लेना चाहिए । अचार, तेल या घृत से पके अन्न, दूध आदि ग्रहणोत्तर ग्राह्य हैं। घी-दूध या इनसे पकी वस्तु में ग्रहणकाल में कुशा डाल देना चाहिए ।
अथ वेधविचारः । सूर्यग्रहे ग्रहणप्रहरादर्वाग् यामचतुष्टयं वेधः । चन्द्रग्रहे तु प्रहरत्रयम् । तत्र दिनप्रथमप्रहरे सूर्यग्रहे पूर्वरात्रिप्रहरचतुष्टये न भोक्तव्यम्, द्वितीययामे ग्रहणे रात्रिद्वितीययामादौ न भोक्तव्यम्, एवं रात्रिप्रथमयामे चन्द्रग्रहे दिनद्वितीययामादौ न भुञ्जीत ।
ग्रहण में वेध । वेध अर्थात् सूतक की प्रवृत्ति, जिस प्रहर में सूर्यग्रहण हो, उसके पूर्व के चार प्रहर सूतक व्याप्त रहते हैं। जैसे दिन के प्रथम प्रहर में सूर्यग्रहण हो तो पूर्व रात्रि के चारों प्रहर में भोजन निषिद्ध है । यदि द्वितीय प्रहर (दिन) में ग्रहण हो, तो पूर्व रात्रि के दूसरे प्रहर के प्रारम्भ से सूतक प्रारम्भ हो जाता है। इसमें भोजन व देवपूजन निषिद्ध है । इसी प्रकार चन्द्रग्रहण में तीन याम पूर्व सूतक लगता है । जैसे रात्रि के प्रथम प्रहर में चन्द्रग्रहण हो तो पूर्वदिन के
दूसरे प्रहर से सूतक प्रारम्भ हो जाएगा एवं रात्रि के द्वितीय प्रहर के ग्रहण में सूतक पूर्व दिन के तृतीय प्रहर से प्रारम्भ हो जायेगा । वेधकाल में भोजन निषिद्ध है ।
बालवृद्धातुरविषये तु सार्द्धप्रहरात्मको मुहूर्त्तत्रयात्मको वा वेधः । शक्तस्य वेधकाले भोजने त्रिदिनमुपोषणं प्रायश्चित्तं ग्रहणकाले भोजने प्राजापत्यमिति । चन्द्रास्तग्रस्तोदये तु यामचतुष्टयवेधात्तत्पूर्वं दिवा न भुञ्जीत । केचित्तु चन्द्रपूर्णमण्डलग्रासे यामचतुष्टयं वेधः । एकदेशग्रासे यामत्रयमिति ग्रस्तास्ते तु -
"ग्रस्तावेवास्तमानं तु रवीन्दू प्राप्नुतो यदि । परेघुरुदये स्नात्वा शुद्धोऽभ्यवहरेन्नरः" ॥
अत्र स्नात्वा शुद्ध इत्युक्त्या शुद्धमण्डलदर्शनकालिकस्नानात् पूर्वमशुद्धिप्रतिपादनाज्जलाहरणपाकादिकं शुद्धबिम्बोदयकालिकस्नानात्पूर्वं न कार्यम्, सूर्यग्रस्तास्तादौ पुत्रवद्गृहिण उपवासनिषेधात्तेन षण्मुहूर्तात्मकं वेधं त्यक्त्वा ग्रहणात्पूर्वं भोक्तव्यमिति । पुत्रवद्गृहिणापि तत्रोपवास एव कार्यमिति माधवमतमेव तु शिष्टाचारानुसृतं युक्तम् । ग्रहणदिने पित्रादेर्वार्षिक श्राद्धप्राप्तौ सति सम्भवेऽन्नेनैव कार्यम् । ब्राह्मणाद्यलाभेनासम्भवे त्वामेन हेम्ना वा कार्यम् । जन्मराशेर्ग्रहणफलं ग्रहप्रकरणे शुभं मध्यममशुभं च ज्ञेयम् ।
बाल-वृद्ध और रोगी को छोड़कर अन्य के लिए वेधकाल में भोजन निषिद्ध है । बाल, वृद्ध, रोगी के लिए ११/, प्रहर या तीन मुहूर्त सूतक लगता है । यदि सामर्थ्यवान् सूतक में भोजन करे, तो उसे तीन दिन तक उपवासरूप प्रायश्चित्त करना चाहिए और ग्रहण के समय भोजन से प्राजापत्य व्रतरूप प्रायश्चित्त करना चाहिए। यदि चन्द्रमा ग्रस्तोदय ग्रहण के साथ अर्थात् उदय हो, तो पूर्व की चार प्रहर की घटिकाओं में सूतक रहता है । अर्थात् ग्रहण लगा हुआ उदय हो, तो ग्रहण प्रहर के पूर्व चार प्रहर सूतक रहता है । कोई कहते हैं कि
पूर्ण चन्द्रग्रहण में चार प्रहर एकदेश ग्रहण में तीन याम सूतक होता है । चन्द्र या सूर्य ग्रहण के साथ अस्त हो जाँय, तो अग्रिम दिन उदय के बाद मोक्षस्नान व भोजनादि कार्य किये जाते हैं । यहाँ विशेष वचन स्मरण करें - "ग्रस्तास्त में दूसरे दिन बिम्बोदय दर्शन काल तक विहित सूतक सम्बन्धी कार्य (मोक्षस्नान, जलपान व भोजनादि) न करें । बिम्बोदय के बाद समस्त दैहिक व धार्मिक कार्य करने का अधिकार प्राप्त है । सूर्य के ग्रस्तास्त में पुत्रवान् गृही के लिए उपवास निषिद्ध है । अतः ग्रहण से ६ मुहूर्त पूर्व सूर्यग्रस्तास्त में भोजन कर सकता है । अर्थात् ग्रस्तास्त से ६ घटिका से पहले भोजनादि कार्य विहित हैं। यह माधव का मत ही शिष्टाचारानुगत है । समस्त प्राणी व गृही के लिए ग्रहण-सूतक में भोजन निषिद्ध है । यही पक्ष युक्त भी है । ग्रहण के दिन यदि एकोद्दिष्ट पितृ-श्राद्ध प्राप्त हो जाय, तो यथासम्भव अन्न से वार्षिक श्राद्ध करें। यदि ब्राह्मण (भोजनार्थ) न मिले तो सुवर्ण या आमान्न से श्राद्ध करें । जन्म-राशि से किस स्थान पर ग्रहण लगता है, उसका शुभ, मध्यम, अनिष्ट फल ग्रहप्रकरण से जानें ।
जन्मराशौ तनक्षत्रे वा चन्द्रग्रहणे रजतमयं चन्द्रबिम्बं सूर्ये स्वर्णमयं सूर्यबिम्बं नागं चोभयत्र स्वर्णमयं घृतपूर्णे ताम्रपात्रे कांस्यपात्रे वा तत्तन्मण्डले तं तं पूज्य दुःस्थानस्थितदोषशान्तये ब्राह्मणाय देयम्, दुष्टराशिजं ग्रहणं नावलोक्यम्, शुभमपि जलपटादिव्यवधानेनावलोकनीयम् ।
जन्मराशि या जन्मनक्षत्र पर चन्द्र ग्रहण में चाँदी का चन्द्रबिम्ब व सूर्यग्रहण में सुवर्ण का सूर्यबिम्ब व नाग बनाकर अथवा दोनों ग्रहण में सुवर्ण का नाग व बिम्ब बनावे, उस बिम्ब का घृतपूर्ण ताँबे या काँसे के पात्र में पूजन करके दान देवे । अथवा ग्रह-मण्डल बनाकर उस मण्डल में तत्तद् ग्रह स्थापित कर पूजनोत्तर दुःस्थान स्थित ग्रहण दोष निवृत्ति हेतु ब्राह्मण को दान देवे । अथवा अनिष्ट फलप्रद ग्रहण को न देखे । शुभ फलदायक ग्रहण को भी जल व वस्त्र के आवरण से देखना चाहिए, प्रत्यक्ष देखना दोष है ।
मङ्गलकार्येषु पूर्णग्रासे चन्द्रग्रहे द्वादश्यादितृतीयान्तं दिनसप्तकं निन्द्यम्, सूर्यपूर्णग्रासे एकादश्यादिचतुर्थ्यन्तदिनानि वर्ज्यानि, खण्डग्रहणे चतुर्दश्यादिदिनत्रयं वर्ज्यम्, ज्योतिर्निबन्धेषु ग्रासपादतारतम्येन दिनाधिक्योनत्व - व्यवस्था, प्रस्तास्ते पूर्वं दिनत्रयं ग्रस्तोदये परं दिनत्रयं च वर्ज्यम्, पूर्णग्रासे षण्मासं ग्रहणक्षं वर्ज्यम्, पादादिग्रासे सार्द्धमासादितारतम्येन योज्यम् । ग्रहणसङ्कल्पितद्रव्यस्य ग्रहणोत्तरं दाने तद्विगुणं देयम् । इति ग्रहणनिर्णयः ।
पूर्ण चन्द्रग्रास में द्वादशी से तृतीया तक सात दिन मंगलादि शुभ कार्य न करें । पूर्ण सूर्यग्रास में एकादशी से चतुर्थी तक नव दिन शुभ कार्य में निषिद्ध हैं । खण्ड ग्रहण में चतुर्दशी से तीन दिन निषिद्ध हैं । ज्यौतिर्निबन्ध में ग्रास के पाद के अनुसार दिन की संख्या निश्चय करनी चाहिए । ग्रस्तास्त में पूर्व तीन दिन व ग्रस्तोदय में बाद तीन व ग्रहण का दिन शुभ कार्य में त्याज्य है । जिस नक्षत्र पर पूर्ण ग्रहण हो, उस नक्षत्र में ६ मास तक शुभ कार्य न करें। पादग्रास क्रम से डेढ़ मासादि क्रम तारतम्य से निषिद्ध मानें । जैसे पादग्रास में ११/२ मास, अर्ध में ३ मास, त्रिपाद में ४१/२ मास व पूर्णग्रास में ६ मास तक ग्रास का नक्षत्र निषिद्ध है । ग्रहण में संकल्पित द्रव्य ग्रहण के बाद देने से द्विगुणित देना चाहिए ।
अथ मलमासनिर्णयः । स द्विविधः - अधिमासः क्षयमासश्च । संक्रान्तिरहितो मासोऽधिमासः, संक्रान्तिद्वययुक्तो मासः क्षयाख्यः । पूर्वाधिमासादुत्तरोऽधिमासस्त्रिंशत्तममासमारभ्याष्टसु नवसु वा मासेष्वन्यतमो भवति । क्षयमासस्तु एकचत्वारिंशदधिकशतसंख्यैर्वषैरेकोनविंशतिवर्षैर्वा भवति, न त्वधिकमासवदल्पकालेन कार्त्तिकादिमासत्रयेष्वेव, अन्यत्र यस्मिन्वर्षे क्षयमासस्तत्राधिमासCC-0. Swami Atmanand Giri (Prabhuji) . Veda Nidhi Varanasi. Digitized by eGangotri
द्वयं भवति । क्षयमासात्पूर्वो ह्येकस्तदनन्तरमन्यः, मध्ये क्षयः । यथा चैत्रामावास्यायां मेषसंक्रान्तिः, ततः शुक्लप्रतिपदमारभ्यामापर्यन्तं संक्रान्तिर्नास्ति, ततश्शुक्लप्रतिपदि वृषसंक्रान्तिरिति, पूर्वः संक्रान्तिरहितो मासोऽधिकवैशाखसंज्ञकः, वृषभसंक्रान्तियुतस्तु शुद्धवैशाखसंज्ञकः ।
क्षय व मलमास दो प्रकार का है ! जिस चान्द्रमास में सूर्य की संक्रान्ति नहीं होती है, वह अधिमास है और जिस चान्द्रमास में दो अमा के अन्दर दो संक्रान्ति हो, वह क्षयमास है । प्रथम अधिमास से ३० मास के बाद आठ या नव मास के अन्दर किसी मास में अगला अधिमास होता है । १९ वर्ष या १४१ वर्षों के बाद क्षयमास होता है । यद्यपि यह क्षयमास व अधिमास का समय स्थूल है, सर्वदा ठीक नहीं होता है, इसके लिए सिद्धान्तगणित प्रमाण है। अधिकमास जैसे स्वल्प काल में क्षयमास सम्भव नहीं है । यह प्रायः कार्तिक, मार्गशीर्ष या पौष मासों में होता है । जिस वर्ष में क्षयमास होता है, उस वर्ष क्षयमास के पूर्व एक व क्षयमास के बाद दूसरा मलमास होता है । अर्थात् क्षयमास के वर्ष में पूर्व-पर दो मलमास होते हैं। जैसे चैत्र अमावास्या में मेष-संक्रान्ति, पुनः चैत्रशुक्ल प्रतिपदा से अमा के अन्दर कोई संक्रान्ति नहीं हुई, पुनः वैशाख शुक्ल प्रतिपदा में वृष की संक्रान्ति होने से पूर्व संक्रान्ति-रहित मास वैशाख मास अधिमास हुआ और वृष-संक्रान्ति वाला शुद्ध वैशाख मास हुआ ।
अथ क्षयमासोदाहरणम् । भाद्रपदकृष्णामावास्यायां कन्यासंक्रान्तिस्तत आश्विनोऽधिमासः, शुद्धाश्विनप्रतिपदि तुलासंक्रान्तिः, कार्त्तिक शुक्लप्रतिपदि वृश्चिकसंक्रान्तिः, ततो मार्गशीर्षशुद्धप्रतिपदि धनुःसंक्रान्तिः, तस्मिन्नेव मासेऽमावास्यायां मकरसंक्रान्तिरिति, धनुर्मकरसंक्रान्तिद्वयमुक्त एको मासः क्षयमाससंज्ञः, स च मार्गशीर्षपौषाख्यमासद्वयात्मक एको मासो ज्ञेयः, तस्य
प्रतिपदादितिथीनां पूर्वार्द्ध मार्गशीर्ष उत्तरार्द्ध पौष इत्येवं सर्वतिथीनां मासद्वयात्मकत्वम् । अत्र तिथिपूर्वार्द्ध मृतस्य मार्गशीर्षे प्रत्यब्दश्राद्धम्, उत्तरार्द्धे मृतस्य पौषे, एवं जनने वर्द्धापनादिविधिरपि, तत ऊर्ध्वं माघामावास्यायां कुम्भसंक्रान्तिः, ततः फाल्गुनोऽधिमासः, शुद्धफाल्गुनस्य शुक्लप्रतिपदि मीनसंक्रान्तिः, एवं पूर्वापराधिमासद्वययुक्तः क्षयमासो यस्मिन्वर्षे तत्र त्रयोदशमासात्मकं किञ्चिदूननवत्यधिकशतत्रयदिनैर्वर्षम्, तत्र क्षयमासात्पूर्वोऽधिमासः संसर्पसंज्ञः सर्वकर्मार्हः शुभकर्मणि न त्याज्यः, अंहस्पतिसंज्ञः क्षयस्तदुत्तरभाव्यधिमासश्च सर्वकर्मसु वर्ज्यः, एवं त्रिवत्सरान्तस्थः केवलोऽधिकमासोऽपि वर्ज्यः ।
क्षममास का उदाहरण - भाद्रपद कृष्ण अमा को कन्या की संक्रान्ति, आश्विन में मलमास, शुद्ध आश्विन प्रतिपदा में तुलासंक्रान्ति व कार्तिकशुक्ल प्रतिपदा में वृश्चिक-संक्रान्ति, इसके बाद मार्गशीर्षशुक्ल प्रतिपदा में धनु-संक्रान्ति, इसी मास की अमा में पुनः मकर संक्रान्ति, इस प्रकार दोनों धनु-मकर संक्रान्ति से युक्त एक मास क्षयमास हुआ । यह मार्गशीर्ष-पौष-मासात्मक एक मास क्षयमास हुआ । क्षयमास की तिथियों के दो भाग कर पूर्व भाग प्रथम मास और उत्तरार्द्ध अग्रिम मास, यथा पूर्व मार्गशीर्ष व उत्तर भाग पौष होगा । इसमें (क्षयमासात्मक) जन्म, मृत्यु होने पर जिस तिथि में जन्म, मृत्यु हो, उसका बराबर दो भाग करने पर यदि तिथि के पूर्वार्द्ध में जन्म-मृत्यु हुआ, तो अग्रिम वर्ष मार्गशीर्ष में उसी तिथि में वर्धापन व वार्षिक श्राद्ध होगा । शुक्लपक्ष से शुक्ल व कृष्णपक्ष से कृष्ण होता है । इसके बाद माघ की अमा में कुम्भ की संक्रान्ति होगी और फाल्गुन अधिमास शुद्ध फाल्गुन प्रतिपदा में मीन-संक्रान्ति होगी, इस प्रकार क्षयमास के पूर्वापर में दो अधिमास का होना युक्तियुक्त है।
जिस वर्ष क्षयमास होगा उस वर्ष में १३ मास व थोड़ा न्यून ३९० दिन होंगे, उसमें क्षयमास के पूर्व अधिमास को संसर्प व उत्तर के के अधिमास को अंहस्पति संज्ञक कहेंगे। दोनों अधिमास व क्षयमास शुभ कार्यों में त्याज्य हैं ।
अत्र वर्ज्यावर्ज्यनिर्णयः । अनन्यगतिकं नित्यं नैमित्तिकं काम्यं चाधिमासक्षयमासयोः कर्त्तव्यम् । सङ्गतिकं नित्यं नैमित्तिकं काम्यं च वर्ज्यम् । (तथा हि) सन्ध्याग्निहोत्रादि नित्यम्, ग्रहणस्नानादि नैमित्तिकम्, शारीर्यादिकं रक्षोग्रहगृहीतजीवनार्थं रक्षोघ्नेष्ट्यादिकं च मलमासेऽपि कार्यम्, ज्योतिष्टोमादि निमित्तं जातेष्ट्यादि नैमित्तिकं पुत्रकामेष्ट्यादि काम्यं च मलमासोत्तरं शुद्धमास्येव कार्यम् । आरब्धकाम्यस्य मलमासेऽप्यनुष्ठानम्, नूतनारम्भसमाप्तिश्च न कर्त्तव्या तथा पूजालोपादिनिमित्तकं पुनर्मूर्त्तिप्रतिष्ठागर्भाधानाद्यन्नप्राशनान्तसंस्कारान् प्राप्तकालानन्यगतिकान् ज्वरादिरोगशान्तिमलभ्ययोगे श्राद्धं व्रतादिकं नैमित्तिकं प्रायश्चित्तं नित्यश्राद्धमूनमासिकादिश्राद्धानि दर्शश्राद्धं च मलमासेऽपि कुर्यात् ।
अनन्य स्वतन्त्र, जिसका दूसरा विकल्प न हो ऐसा, नित्य नैमित्तिक काम्य कार्य क्षयमास व मलमास में भी होता है और सगतिक अर्थात् जिसका दूसरा विकल्प हो सकता है, ऐसे नित्य, नैमित्तिक व काम्य आदि कार्य क्षयमास व मलनास में नहीं होते हैं । जैसे सन्ध्या, अग्निहोत्र आदि नित्य हैं, ग्रहणस्नान, दान आदि नैमित्तिक और शारीर ( क्षुद्र ग्रह, भूत-प्रेत-पिशाच आदि बाधित) रक्षासम्बन्धी काम्य कार्य की शान्ति मलमास में की जा सकती है । ज्योतिष्टोमादि में जातकेष्टि आदि निमित्त और पुत्रेष्ट्यादि काम्य कर्म मलमास के बाद शुद्ध समय में किये जायेंगे । आरम्भ काम्यव्रत मलमास में भी कर सकते हैं । नूतन कर्म का आरम्भ व समाप्ति मलमास में नहीं करेंगे तथा पूजालोप- निमित्तक पुनर्मूर्तिप्रतिष्ठा, गर्भाधान
से अन्नप्राशनान्त संस्कार निश्चितकालात्मक होने से मलमासादि में वर्ज्य नहीं हैं; किन्तु ये कार्य अपने यथोक्त समय में नहीं हुए हैं; तो पुनः संस्कार में मलमासादि त्याज्य होगा । ज्वरादि रोग की शान्ति, नैमित्तिक प्रायश्चित्त, नित्यश्राद्ध (ऊनमासिकादि श्राद्ध दर्शश्राद्ध) मलमास में भी करने चाहिए ।
चैत्रादौ मलमासे मृतानां कदाचिद्बहुकालेन तस्मिन्नेव चैत्रादौ मलमासे प्राप्ते मलमास एव प्रतिसांवत्सरिकं श्राद्धं कर्त्तव्यम् । चैत्रादौ शुद्धमासे मृतानां तु प्रत्याब्दिकं श्राद्धं मलमासे न कर्त्तव्यम्, शुद्ध एव कार्यम् । शुद्धमासे मृतानां प्रथमाब्दिकं मलमास एव कार्यम्, न तु शुद्धे, द्वितीयाब्दिकं तु शुद्ध एव, एकादशाहान्तं कर्म सपिण्डीकरणं च मलेऽपि कार्यम्, द्वितीयमासिकादिश्राद्धन्तु मले शुद्धे चावृत्त्या द्विवारं कर्त्तव्यम् । एवं च यत्र द्वादशमासिकमधिकमासे प्राप्तं तस्य मले शुद्धे च द्विवारं कृत्वा ऊनाब्दकाले ऊनाब्दिकं च कृत्वा चतुर्दशे मासे प्रथमाब्दिकं कार्यम् । यस्मिन्वर्षे क्षयमासाव्यवहितोऽधिमासः, यथा कार्त्तिकोऽधिमासस्तदुत्तरो मासो वृश्चिकधनुःसंक्रान्तियुक्तत्वात्क्षयसंज्ञकः, तत्र कार्त्तिकमासस्थं प्रत्याब्दिकं पूर्वेऽधिमासे उत्तरे क्षयमासे च कार्यम्, तत्रापि क्षयाद् व्यवहितपूर्वोऽधिमासो यथाऽऽश्विनोऽधिमासो मार्गशीर्षः क्षयमासस्तत्रापि आश्विनमासगतं श्राद्धमधिके शुद्धे त्याश्विने च कार्यम्, द्वयोरपि कर्मार्हत्वादिति भाति । व्यवहितक्षयमासगतं त्वाब्दिकं क्षयमास एव कार्यं तथा पूर्वमार्गशीर्षक्षयोदाहरणे मार्गशीर्षगतं पौषगतं चाब्दिकमेबास्मिन्नेव मासे तिथिपूर्वार्द्धादिभागं विनैव कार्यमिति फलितम् । "नभो वाथ नभस्यो वा मलमासो यदा भवेत् ।
आषाढ्यः सप्तमः पक्षः पितृपक्षस्तदा भवेत्" ॥ इति ॥ इति मलमासनिर्णयः ॥
चैत्रादि मासों में मलमास हो व उसमें यदि कोई मर जाय और कदाचित् पुनः कालान्तर में उसी मास में मलमास आ जाय, तो बहुत
दिनों में प्राप्त मलमास में मृत का एकोद्दिष्ट श्राद्ध मलमास में ही करेंगे और प्रतिवार्षिक श्राद्ध (एकोद्दिष्टादि) शुद्ध चैत्र में करेंगे; किन्तु शुद्ध मास में मृत का वार्षिक श्राद्ध मलमास में नहीं करेंगे । शुद्ध मास में मरने वाले का प्रथमाब्दिक श्राद्ध मलमास में ही करेंगे, शुद्ध में नहीं । द्वितीय आब्दिक (वार्षिक) श्राद्ध शुद्ध मास में ही करेंगे । आपतित एकादशाहादि सपिण्डी श्राद्ध मलमास में भी करेंगे। द्वितीय मासिकादि श्राद्ध मलमास व शुद्ध मास दोनों में करना चाहिए । इस प्रकार यदि द्वादशमासिक श्राद्ध अधिमास में प्राप्त हो जाय, तो मलमास व शुद्ध मास दोनों में करेंगे । ऊनाब्दकाल में ऊनाब्दिक श्राद्ध करके चौदहवें मास में प्रथमाब्दिक श्राद्ध करेंगे। जिस वर्ष में क्षय-मास अव्यवहित मलमास हो, जैसे कार्तिक में अधिमास हो और उसके बाद का मास मार्गशीर्ष वृश्चिक व धनु की संक्रान्तियुक्त क्षयमास हो गया हो, तो कार्तिक मास में होने वाला प्रत्याब्दिक श्राद्ध पूर्वाधिमास और उत्तर क्षयमास दोनों में करेंगे। इसमें भी क्षय से व्यवहित पूर्वाधिमास (यथा आश्विन अधिमास हो, मार्गशीर्ष क्षय हो, तो भी आश्विनमास में प्राप्त श्राद्ध अधिक व शुद्ध दोनों में करेंगे। दोनों कर्म में योग्य हैं । अव्यवहित क्षयमास होने से आब्दिक श्राद्ध क्षयमास में ही करेंगे और पूर्व मार्गशीर्ष मास के क्षयात्मक उदाहरण में मार्गशीर्षगत और पौषमासगत आब्दिक श्राद्ध इसी मास में तिथि पूर्वार्द्धादि भाग के विना ही मार्गशीर्ष का मार्गशीर्ष में व पौष का पौष में करेंगे । यह सिद्ध है । श्रावण या भाद्रपद यदि मलमास हो जाय, तो आषाढी पूर्णिमा से सातवाँ पक्ष पितृपक्ष होगा । यह मलमास का निर्णय है।
अथ सिंहस्थापवादः । मघानक्षत्रगते सिंहांशगते च गुरौ सर्वदेशेषु सर्वमाङ्गलिककर्मणां निषेधः । सिंहांशोत्तरं गोदादक्षिणे भागीरथ्युत्तरे सिंहदोषो नास्ति । गङ्गागोदामध्यदेशे तु सर्वसिंहस्थे विवाहव्रतबन्धयोर्दोषः । अन्यकर्माणि सिंहांशोत्तरं सर्वदेशेषु कार्याणि । मेषस्थे सूर्ये सर्वदेशेषु सर्वमाङ्गलिककर्मणां
सर्वसिंहस्थे न दोषः। क्वचिद् वृषस्थेऽर्केऽपि दोषाभाव उक्तः । अत्र सिंहस्थे गुरौ गोदावरीस्नानम्, कन्यागते कृष्णास्नानं महापुण्यम्, गोदावर्यां यात्रिकाणां मुण्डनोपवासावावश्यकौ, न तु तत्तीरवासिनाम् । गर्भिण्यामपि भार्यायां विवाहादिमङ्गलोत्तरमपि गोदावर्यां मुण्डने दोषो नास्ति । गयागोदावरीयात्रायां मलमासगुरुशुक्रास्तादिदोषो नास्तीति सिंहस्थगुरुनिर्णयः ।
सिंहस्थ गुरु का अपवाद । मघानक्षत्र व सिंहांश ( पूर्वाफाल्गुनी के प्रथम चरण) का गुरु सभी देशों के शुभ कार्यों में निषिद्ध है । सिंहांश के बाद सिंहस्थ गुरु गोदावरी के दक्षिण व गंगा के उत्तर निषिद्ध नहीं है । गंगा-गोदावरी के मध्य में सिंहस्थ गुरु समस्त विवाह व व्रतबन्धादि (जनेऊ आदि) में निषिद्ध है। अन्य शुभ कार्यों में सिंहांशोत्तर गुरु सर्वत्र ग्राह्य है; किन्तु मेषस्थ सूर्य में सभी देशों में सभी मंगल कार्यों में सर्वसिंह गुरु दोष-रहित हो जाता है । किसी के मत से वृषस्थ सूर्य में भी सिंहस्थ गुरु का दोष नहीं होता है । सिंहस्थ गुरु में गोदावरी का स्नान व कन्या के गुरु में कृष्णा नदी में स्नान महापुण्यदायक है । गोदावरी के यात्रियों को मुण्डन व उपवास आवश्यक है । किन्तु तीरवासियों के लिए मुण्डन आवश्यक नहीं है । भार्या के गर्भवती होने पर विवाहादि मंगल कार्यों के बाद भी गोदावरी पर मुण्डन का दोष नहीं होता है । गया व गोदावरी की यात्रा में मलमास, गुरु-शुक्रास्तादि दोष नहीं होता है ।
अथ सर्वकालोपयोगित्वादाशौचनिर्णयस्त्र्यम्बकीयाशौचात्सङ्गृह्यते । तत्र सपिण्डाः सप्तपुरुषावधयः । सकुल्या दशपुरुषावधयः । बान्धवास्त्रयः - आत्मपितृमातृ-संज्ञकाः, तत्रात्मबान्धवाः -
"आत्मपितृष्वसुः पुत्रा आत्ममातृष्वसुः सुताः । आत्ममातुलपुत्राश्च विज्ञेया आत्मबान्धवाः" ।। |
रायपुर : Raipur Breaking राजधानी रायपुर के मुजगहन थाना क्षेत्र के डूण्डा स्थित एक्सिस बैंक में हुए फर्जीवाड़ा मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिए है, जिनके पास से 3 करोड़ 52 लाख रूपये भी जप्त किये गए है, यह रकम अलग - अलग बैंक खातों में जमा कराया गया था, व 1 करोड़ 18 लाख रूपये को होल्ड कराया गया है। इस अपराध में शामिल आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मुम्बई, गुजरात एवं अन्य राज्यों टीम भेजा गया था. तब कहीं जाकर इनकी गिरफ़्तारी की गई.
बता दे कि प्रार्थी बी आनंद कलस्टर हेड एक्सिस बैंक रायपुर ने थाना मुजगहन में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि छ. ग. राज्य कृषि मण्डी बोर्ड के बैंक खाता जिसमें सतीश वर्मा एवं चन्द्रभान सिंह ने अपने सहयोगी अन्य लोगों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से चेक बुक जारी कराकर, चेक बुक के माध्यम से फर्जी तरीके से रकम स्थानांतरित कराया एवं उन्हीं चेक बुक के माध्यम से अन्य बैंक खातों में फर्जी तरीके से रकम स्थानांतरित कराया। इस प्रकार आरोपियों द्वारा बैंक को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने और बेईमानी के ईरादे से स्वयं के लाभ के लिए अवैधानिक तरीके से छल कर कूटरचना कर बैंक से करीबन 16,40,12,655/- रूपये का धोखाधड़ी किये।
वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में आरोपियों की पतासाजी करते हुए प्रकरण में 05 आरोपियों को रायपुर/दुर्ग, 02 आरोपियों को हैदराबाद तथा 01 आरोपी को बैंगलोर से इस प्रकार प्रकरण में अब तक कुल 08 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोपी के श्रीनिवास राव पिता सुब्रमण्यम राव उम्र 21 साल निवासी वैश्वनी नक्षत्र डोर नंबर 1002 रेलवे स्टेशन के पास डूंगरपुर रोड थाना यशवंतपुर बैंगलोर (कनार्टक) को गिरफ्तार कर रायपुर लाया गया है। आरोपी के श्रीनिवास के बैंक खाता में कुल 04 करोड़ 48 लाख रूपये स्थानांतरित किया गया था, जिस संबंध में उसका पुलिस रिमाण्ड लेकर रकम के संबंध में विस्तृत पूछताछ की जा रहीं है।
इसी प्रकार पुलिस टीम के सदस्यों द्वारा हैदराबाद से सत्यनारायण वर्मा उर्फ सतीश वर्मा पिता व्यंकट राजू उम्र 33 साल निवासी फ्लैट नंबर जी/2 एस आर एवेन्यू निजाम पेट रोड हैदराबाद थाना जे एन टी यू जिला मेडक तेलंगाना तथा सांई प्रवीण रेड्डी पिता करूणाकर रेड्डी उम्र 28 साल निवासी उपर वल्ली फ्लैट नंबर 503 परमारेड्डी डायमण्ड एवेन्यू थाना राजेन्द्र नगर जिला राजेन्द्र नगर तेलंगाना को हैदराबाद से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमाण्ड पर रायपुर लाया गया है तथा आरोपियों का पुलिस रिमाण्ड लिया जाकर उनसे भी विस्तृत पूछताछ की जाएगी।
प्रकरण में अब तक नगदी रकम 2 करोड़ 34 लाख रूपये जप्त करने के साथ ही अलग - अलग बैंक खातों में जमा 1 करोड़ 18 लाख रूपये को होल्ड कराया गया है, इस प्रकार कुल 03 करोड़ 52 लाख रूपये जप्त एवं होल्ड़ कराया गया है। प्रकरण में संलिप्त अन्य अरोपियों की पतासाजी हेतु अलग-अलग टीमें बनाकर मुम्बई, गुजरात एवं अन्य कई राज्यों में रवाना किया गया है। आरोपियों द्वारा बैंक को जो आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है उस दिशा में रकम बरामद करने एवं प्रकरण में संलिप्त अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने के हर संभव प्रयास किये जा रहे है।
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स्टेट डेस्क/पटना। समाज सुधार अभियान के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां मंच से शराबबंदी के साथ दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर अपनी बात रख रहे थे, वहीं उसी मंच से बिहार पुलिस के डीजीपी एसके सिंघल ने 21वीं सदी की बेटियों को अजीबोगरीब नसीहत दी।
डीजीपी ने कहा है कि बेटियों को अपने मां-बाप की मर्जी से ही शादी करनी चाहिए। डीजीपी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि जो बेटियां मां बाप की मर्जी के बगैर खुद फैसला ले रही हैं उनके साथ बहुत बुरा भी हो रहा है। बिहार की लड़कियों की सामाजिक हालात सुधारने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार 2005 से अलग-अलग योजनाएं लागू कर रहे हैं। वे इन दिनों समाज सुधार अभियान पर निकले हुए हैं।
पंचायत चुनाव हो चाहे, सरकारी नौकरी या फिर स्कूली और उच्च शिक्षा हर जगह मुख्यमंत्री लगातार समाज की महिलाओं को उनका हक दिलाने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं उनके शासन में पुलिस महकमे के सबसे बड़े अफसर ने महिलाओं की स्वतंत्रता विरोधी बातें कही हैं।
सिंघल ने कहा कि मैं बेटियों के माता-पिता से अनुरोध करूंगा कि वे अपने बेटा-बेटी से लगातार बातचीत करते रहें, उनको अच्छे से संस्कार दे। उनकी भावनाओं को अच्छे से समझे और अपने परिवार को मजबूती से जोड़ें। डीजीपी ने कहा कि समाज में अपराध को रोकने के लिए पुलिस तो अपना काम करती ही है, लेकिन अगर अभिभावक अपने बच्चों पर ध्यान दें तो बेटा-बेटी हमेशा अच्छे राह पर जाएंगे।
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डाल देवे. सब को मिलाय के एक जीव करे. फिर इस में से १० मासे की गोली बनायके नित्य प्रति एक २ देवे तो ऊरुस्तंभ, गांठ, गंडमाला और उदर इन पर उत्तम है तथा इसी विधि से शिलाजीत को देना चाहिये ।।
निष्कत्रयं शुद्धसूतं निष्कद्वादशगंधकम् । गुंजाबीजं विषं निष्कं निंबबीजं जया तथा ॥ प्रत्येकं निष्कमात्रं तु मापं जेपालबीजकम् । जातीजंबीरघत्तरकाकमाची वेर्दिनम् ॥ मद्यै सर्व वटीं कुर्यात् घृतैर्गुजाद्वयं पिवेत् । गुंजागर्भो रसो नाम हिंगुसैंधवसंयुतः ॥ समंडं दापयेत्पथ्यमूरुस्तंभप्रशांतये ।। अर्थ-पारा १ तोले, गंधक ४ तोले और गुंजा (बूंवची), बच्छनाग विष, निबोरी और अरनी ये प्रत्येक चार २ मासे ले और जमालगोटा १ मासे इन सब को एकत्र करके चमेली, जभीरी नींबू, धतूरा और मकोय इन के रस में एक २ दिन खरल करे इस की दो २ रत्ती की गोली बनाय ले एक गोली को घी, हींग और सैंधानिमक इन के साथ सेवन करे तो ऊरुस्तंभ को शांति करे. इस पर मंड और भात ये पथ्य में देवे ।।
पलमर्धपलं वापि रसोनस्य सुकुट्टितम् । हिंगुजीरकसिंधूत्थसौवर्चलकटुत्रिकम् ॥ एभिः संचूर्णतः सर्वैस्तुल्यं तैलेन संयुतम् । यथाग्नि भक्षयेत्प्राज्ञो रुबुक्काथानुपानतः ॥ मासैकस्य प्रयोगेण सर्वान्वातामयान् जयेत् । एकांगसर्वांगगतमूरुस्तंभं च गृध्रसीम् ॥ कटिपृष्ठास्थिसंधिस्थमर्दितं चापतंत्रकम् । ज्वरं धातुगतं जीर्ण नित्यशैत्यं करोत्रिजम् ।।
अर्थ-कूटी हुई लहसन, हींग, जीरा, सैंधानिमक, संचरनिमक, सोंठ, मिरच और पीपल इन का चूर्ण ४ तोले अथवा २ तोले लेकर उस की बराबर अंड का तेल लेवे फिर अग्रवल विचारके खाने को देय और ऊपरसे अंड की जड का काढा देवे इस प्रकार १ महिने पर्यंत करे तो संपूर्ण बात के रोग, एकांगवात, सर्वांगवात, ऊरुस्तंभ, गृध्रसी, कमर, पीठ, हड्डी और संधि इन की वादी, अर्दित और अपतंत्रक वायु, धातुगत और जीर्णज्वर, हाथ पैरों का शीत इन सब का नाश करे ॥
आमवातकर्मविपाकः ।
उरुस्तंभरोग पर पथ्य
रूक्षः सर्वो विधिः स्वेदः कोद्रवा रक्तशालयः । यवाः कुलित्थाः श्यामाका उद्दालाश्च पुरातनाः ॥ सौभांजनं कारवेलं पटोलं वास्तुकं तथा । सुनिषण्णं काकमाचीं वेत्राग्रं तप्तवारि च ॥ जांगलेर घृतैमसैः शाकैश्चालवणैर्हितैः । एतत्पथ्यं समुद्दिष्टमूरुस्तंभविकारिणाम् ॥
अर्थ-सब रूक्षण कर्त्ता विधि, पसीने निकालने, कोदों अन्न, लाल चावल, पुराने जों, कुलथी, सामखिया, वनकोदों, सहजना, करेला, परवल, लहसन, चोपतिया, मकोय, वेत की अग्रभाग, उष्ण जल, विना घी डाली हुई जंगल की मछली, लवण विना साग ये पदार्थ पथ्य कहे हैं ॥
ऊरुस्तंभरोग पर अपथ्य
गुरुशीत द्रवस्निग्धविरुद्धासात्म्यभोजनम् । विरेचनं स्नेहनं च वमनं रक्तमोक्षणम् ॥ वस्ति च न हितं प्राहुरुरुस्तंभविकारिणाम् । अर्थ-भारी, शीतल, पतले, चिकने, विरुद्ध और आत्मा को अहित ऐसे पदार्थों का सेवन, जुलाब, स्नेहनकर्म, वमन, रुधिर का निकालना, बस्तीकर्म, ये सब ऊरुस्तंभ विकारवालों को हित नहीं हैं ।
श्रीकृष्णलालमाथुरतनुजदत्तरामनिर्मिते आयुर्वेदोद्वारे बृहन्निघण्टु रत्नाकरे ऊरुस्तंभकर्मविपाक निदानचिकित्सापथ्यापथ्यं समाप्तम् ।
हुताग्निनिर्वापक आमवातवानिति वचनात् । तदुक्तदोषशांतये अयुतसंख्याको गायत्रीजपः ।।
अर्थ- जो प्राणी हवन करी हुई अग्रि का विसर्जन करे विना शांति कर देता है वह आमवातरोगी होय है. उस प्राणी को उस दोष की शांति करने को दश हजार गायत्रीजप करना चाहिये । |
ही निकट से देखें तो यह दिखायी पड़ेगा कि वहाँ धर्म का प्रभाव सामान्य रूप से गृहीत मत के रूप में जितना है उससे बहुत कम प्रभाव ईश्वरीय सिद्धान्त के रूप में है।
अमरीकियों के राजनीतिक कानून ऐसे हैं कि बहुमल समाज पर सार्वभौम सत्ता के साथ शासन करता है और यह तथ्य मस्तिष्क पर बहुमत के स्वाभाविक अधिकार को बहुत अधिक बढ़ा देता है। मनुष्य में अपने ऊपर शासन करने वाले की बुद्धि की श्रेष्ठता को मान्यता देने से बढ़ कर अन्य कोई प्रवृत्ति दिखायी नहीं देती । निस्सन्देह सयुक्त राज्य अमरीका में बहुमत की यह राजनीतिक सर्वशक्ति सम्पन्नता उस प्रभाव में वृद्धि कर देती है, जो प्रभाव जनमत समाज के प्रत्येक सदस्य के मस्तिष्क पर इसके बिना डालता । किन्तु उस प्रभाव की नीव इस पर आधारित नहीं होती। इन आधारों की खोज उन लोकप्रिय संस्थाओं में, जिसका निर्माण उस परिथिति के अन्तर्गत रहने वाले लोग अपने आप कर सकते हैं, न करके समानता के सिद्धान्त में ही करनी चाहिए। राजा द्वारा शासित होने वाले लोकतानिक समाज में बहुसख्यकों का बौद्धिक प्रभुत्व उस क्षेत्र के लोगों के बौद्धिक प्रभुत्व से सम्भवतः कम पूर्ण होगा, जहाँ शुद्ध लोकतंत्र प्रतिष्ठित है, किन्तु वह सदा अत्यन्त पूर्ण रहेगा और समानता के युगों में चाहे जैसे राजनीतिक कानूनों से मनुष्यों पर शासन किया जाय, इस बात की पूर्व कल्पना की जा सकती है कि वहाँ जनमत में विश्वास एक प्रकार का धर्म बन जायेगा तथा बहुमत उसको आदेश देने वाला पैगम्बर होता है।
इस प्रकार बौद्धिक प्रभुत्व भिन्न प्रकार का होगा, परन्तु वह कम नहीं होगा और यह सोचना तो बहुत दूर की बात है कि उसका लोप हो जायगा, प्रत्युत मेरा तो अनुमान है कि वह शीघ्र ही अत्यन्त प्रबल हो जायगा और निजी निर्णय के कार्य को मानव जाति की महानता अथवा प्रसन्नता के लिए उपयुक्त सीमाओं की अपेक्षा सकीर्ण सीमाओं में आबद्ध कर देगा। समानता के सिद्धान्त में मुझे दो प्रकृतियाँ स्पष्टतः दिसलायी पड़ती है। एक प्रवृत्ति तो वह है, जो प्रत्येक मनुष्य की बुद्धि को अव्यवहृत अपना अपरीक्षित विचारों की ओर ले जाती है। दूसरी प्रवृत्ति वह है, जो मस्तिष्क में किसी प्रकार के विचार उत्पन्न नहीं होने देती और मैं देखता हूँ कि किस प्रकार कतिपय कानूनों के प्रभुत्व के अन्तर्गत प्रकातन मस्तिष्क की उसनता को नट कर देता है, जिसके लिए एक प्रजातानिक सामाजिक स्थिति अनुकूल होती है, जिससे मानव मस्तिष्क एक बार उन समस्त बन्धनों को, जो उस पर पड़ों द्वारा अथना मनुष्यों द्वारा लगाये
गये थे, छिन्न-भिन्न कर अधिकतम संख्या की सामान्य इच्छा से घनिष्ठतापूर्वक जकड़ जायगा। जो विभिन्न शक्तियाँ व्यक्तियों के मस्तिष्कों की शक्ति को रोकती अथवा अवरुद्ध करती है, उन सभी के स्थान पर यदि प्रजातान्त्रिक राष्ट्र बहुमत की निरंकुश सत्ता को स्थापित कर दें, तो इससे केवल बुराई का स्वरूप परिवर्तित हो जायगा। इससे मनुष्यों को स्वतंत्र जीवन का साधन नहीं उपलब्ध होगा, उन्हें केवल दासता के एक नये स्वरूप का पता चलेगा । (और यह कोई सरल कार्य नहीं है।) मैं इस कथन की पुनरावृत्ति बारबार नहीं कर सकता कि जो लोग विचार स्वातंत्र्य को एक पुनीत वस्तु मानते हैं और जो न केवल अत्याचारी से, अपितु अत्याचार से घृणा करते हैं, उनके लिए यह अत्यधिक विचार करने का विषय है। जहाँ तक मेरा सम्बन्ध है, जब मै सत्ता के मजबूत हाथों से जकड़ा हुआ अनुभव करता हूँ तब में यह जानने की तनिक भी परवाह नहीं करता कि मेरा दमन कौन कर रहा है और केवल इस कारण भी जुए में जुतने की मेरी प्रवृत्ति नहीं होती कि जुए को लाखों व्यक्तियों के हाथों ने पकड़ रखा है।
१७ -- धर्म पर प्रजातंत्र का प्रभाव
मनुष्य रूढ़िवादी विश्वास के विना काम नहीं चला सकते और यह अत्यन्त वाछनीय भी है कि इस प्रकार का अन्धविश्वास उन लोगों में बना रहे। समस्त प्रकार के रूढ़िवादी विश्वासों में से मुझे धर्मविषयक रूढ़िवादी निश्वास सयांधिक वाछनीय प्रतीत होता है और यह निष्कर्ष इस ससार के हितों की दृष्टि से भी एक सष्ट निष्कर्ष है। ऐसा कोई भी मानवीय कार्य नहीं है, चाहे वह कितना ही विशिष्ट क्यों न हो, जिसनरा उगम ईश्वर, मनुष्य जाति के साथ उसके सम्बन्ध, मनुष्यों की आत्मा के स्वरूप और अपने सह-प्राणियों के प्रति मनुष्यों के सम्बन्धों में मनुष्यों द्वारा निर्मित किसी अत्यन्त सामान्य धारणा से न हुआ हो । न कोई वस्तु इन धारगाओं को ऐसा सामान्य स्रोत बनने से ही रोक सकती है, जिससे शेष समस्त धारणाएँ निषत होती है। इसलिए मनुष्य ईश्वर के विषय में, आत्मा के वियर में, अपने रचयिता और अपने समागियों के प्रति अपने कर्तव्यों के विषय में निश्चित विचारों को अदा करने में बहुत अधिक रुचि लेते हैं; क्योंकि इन प्राथनिक (नूल) सिद्धान्तों के विषय में उत्पन्न होने
वाले सन्देह उनके समस्त कार्यों को संयोगाधीन बना देंगे और वे किसी-न-किसी रूप में अव्यवस्था और निष्क्रियता के अपराधी हो जायेंगे ।
इसलिए यह एक ऐसा विषय है, जिस पर हरेक के लिए निश्चित धारणा बनाना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है और दुःख की बात यह है कि यह एक ऐसा भी विषय है, जो हरेक के लिए कठिन है और कोई भी व्यक्ति स्वतंत्र होकर एकमात्र अपने तर्क की व्यक्ति से राय कायम नहीं कर सस्ता इतने आवश्यक इन सत्यों की गहराई तक केवल वे मस्तिष्क ही पहुँच सकते हैं, जो जीवन की साधारण चिन्ताओं से पूर्णरूपेण मुक्त हो तथा जो मस्तिष्क गहराई तक पहुँचने चाले, सूक्ष्म एवं चिन्तन द्वारा प्रशिक्षित हो, भले ही ऐसा करने में उन्हें बहुत अधिक समय लगे तथा बहुत अधिक सावधानी से काम लेना पड़े । वास्तव में हम देखते हैं कि दार्शनिक लोग भी प्रायः अनिश्चितताओं से घिरे रहते हैं और दर कदम पर नैसर्गिक ज्योति, जो उनके पथ का मार्गदर्शन करती है, अधिक मंद और कम सुरक्षित होती जाती है। हम यह भी देखते हैं कि अपने समस्त प्रयत्नों के बावजूद वे अभी तक केवल कुछ परस्पर विरोधी विचार ही हूँढ़ पाये है, जिन पर हजारों वर्षों से मानव मस्तिष्क आन्दोलित होता रहा है, किन्तु वह सत्य को कभी दृढ़तापूर्वक नहीं पकड़ सका अथवा उसकी त्रुटियों में भी नवीनता को नहीं प्राप्त कर सका। इस प्रकार के अध्ययन मनुष्यों की औसत योग्यता ते बहुत अधिक ऊपर हैं और यदि मानव जाति के बहुमत में ऐसी खोज की क्षमता हो भी, तो यह स्पष्ट है कि इस प्रकार की खोजों के लिए समय का अभाव बना ही रहेगा।
मनुष्यों के जीवन के दैनिक व्यवहार के लिए ईश्वर और मानव स्वभाव सम्बन्धी निश्चित विचारों का होना अनिवार्य है, परन्तु उनके जीवन का व्यवहार उन्हें इस प्रकार के विचार ग्रहण करने से रोक देता है, ऐसी कठिनाई और कहीं देखने को नहीं मिलती। विज्ञानों में कुछ तो ऐसे हैं, जो समाज के अधि कादा लोगों के लिए उपयोगी है और जिन्हें अधिकांश जनता समझ सकती है, कुछ ऐसे हैं, जो अधिकाश मानव जाति के लिए उपयोगी है और उसकी पहुँच के अन्तर्गत है। अन्य विज्ञान ऐसे हैं, जिन तक केवल थोड़े से व्यक्ति ही पहुँच सकते हैं और जिनका अभ्यास अधिक लोग नहीं करते और जिनके लिए इससे अधिक किसी बात की आवश्यकता नहीं होती कि उनका व्यवहार बहुत अधिक बाद में किया जाय; किन्तु मैं जिस विज्ञान की बात कह रहा हूँ, उसना दैनिक व्यवहार सभी के लिए अनिवार्य है, यद्यपि अधिकाश व्यक्तियों के लिए
उसका अध्ययन पहुँच के बाहर होता है। इसलिए ईश्वर और मानव स्वभाव के सम्बन्ध में सामान्य विचार सभी अन्य विचारों से ऊपर होते हैं, जिन्हें निजी निर्णय की सहज क्रिया से मुक्त रखना सर्वाधिक उपयुक्त है और जिनमें प्रामाणिकता के एक सिद्धान्त को मान्य कर देने में लाभ ही लाभ है तथा हानि तनिक भी नहीं।
धर्म का प्रथम उद्देश्य और उसके प्रमुख लाभों में से एक लाभ यह है कि वह इन मूलभूत प्रश्नों में प्रत्येक के लिए एक ऐसा हुल प्रस्तुत करता है, जो स्वाभाविक रूप से समाज के जनसमूह के लिए स्पष्ट, सूक्ष्म, बोधगम्य और स्थायी होता है। कुछ ऐसे धर्म हैं, जो मिथ्या और अत्यन्त मूर्खतापूर्ण हैं, परन्तु यह दृढ़तापूर्वक कहा जा सकता है कि कोई भी धर्म, जो उस सीमा के अन्तर्गत रहता है, जिसका मैने अभी वर्णन किया है और जो उसका अतिक्रमण करने का आडम्बर नहीं रचता, (जैसा कि अनेक धर्मो ने प्रत्येक दिशा में मानव मस्तिष्क के स्वतंत्र क्रियाकलापो पर प्रतिबन्ध लगाने के उद्देश्य से प्रयत्न किया है) बुद्धि पर स्वस्थ नियंत्रण रखता है और इस बात को स्वीकार करना ही पड़ेगा कि यदि वह परलोक में मनुष्यों की रक्षा नहीं करता, तो कम-से-कम इस समार में उनकी प्रसन्नता और उनकी महानता के लिए अत्यन्त लाभदायक होता है। यह बात विशेषरूप से स्वतंत्र राष्ट्रों में रहने वाले लोगों के लिए लागू होती है। जब लोगों का धर्म नष्ट हो जाता है, तब सन्देह बुद्धि की उच्चतर शक्तियों को ग्रस्त कर लेता है और अन्य शक्तियों आशिक रूप से क्षीण हो जाती है। प्रत्येक मनुष्य, उन विषयों के सम्बन्ध में, जो उसके सहप्राणियों और स्वय उसके लिए अत्यन्त रुचिकर होते हैं, केवल भ्रमपूर्ण और परिवर्तनशील धारणाएँ बनाने का अभ्यस्त होता है। उसकी धारणाएँ अतर्कपूर्ण और सरलता से त्याग्य होती है और जब वह मनुष्य की भाग्य-सम्बन्धी कठिन समस्याओं का हल ढूँढ़ते निशा हो जाता है, तब वह उज्जाइनरु रूप से उसके सम्बन्ध में विचार करना ही छोड़ देता है। इस प्रकार की स्थिति आत्मा को दुर्बल बनाने, आत्मबल के स्रोतो को शिथिल करने और लोगो को दासता के लिए तैयार करने के सिवाय और कुछ नहीं कर सकती। इस स्थिति में केवल यही नहीं होता कि वे अपनी स्वतंत्रता को छीन लेने की अनुमति दे देते हैं, प्रत्युत वे बहुधा अपने आप उसे समर्पित कर देते हैं। राजनीति की भाँति ही जन धर्म में भी सत्ता भा कोई सिद्धान्त नहीं रह जाता, तब मनुष्य इस असीमित स्वतंत्रता के पहलू से शीघ्र भयभीत हो जाते हैं। चारों ओर की क्लुओं का निरन्तर आन्दोलन |
Janhvi Kapoor: जान्हवी कपूर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती है. हाल ही मे एक्ट्रेस ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया हैं. जिसमें वो कमाल की लग रही थी. जान्हवी कपूर ने सिल्वर बॉडीकॉन ड्रेस पहना हुआ है. साथ ही ग्लोइंग मेकअप के साथ बालों को खुला छोड़ रखा है. जान्हवी कपूर का ये लुक बेहद प्यारा है.
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वर्ल्ड क्रिकेट में ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करने वाली टीमों की बात करे तो साउथ अफ्रीका का नाम टॉप तीन में जरुर शुमार किया जायेगा. बात चाहे वनडे फॉर्मेट की हो या टी20 वाइट बॉल क्रिकेट में टीम को रोकना बेहद मुश्किल माना जाता है लेकिन जब बात आती है आईसीसी टूर्नामेंट्स की तो टीम साल - दर -साल अपने चोकर्स के टैग को और मजबूत करती नज़र आती है.
टी20 वर्ल्ड कप 2022 (T20 World Cup 2022) में भी यही कहानी सामने आई. टीम को सेमी फाइनल में पहुँचने के लिए नीदरलैंड्स के खिलाफ मुकाबले में जीत दर्ज करती थी. लेकिन जिस साउथ अफ्रीका ने इंडिया को 5 विकेट से हराया तथा बांग्लादेश के खिलाफ 104 रन से जीत दर्ज की वो टीम नीदरलैंड्स के हाथों 13 रन से हार गयी. इस हार के साथ ही टीम के सेमीफाइनल में पहुँचने के रास्ते बंद हो गये.
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Bhojpuri Chhath Geet: अभी भोजपुरी फेमस सिंगर अरविंद अकेला कल्लू का नया छठ गीत'आईल बाड़ी जा घाट लिपे' (Aail Badi Ja Ghat Lipe) रिलीज हुआ है।
Bhojpuri Chhath Geet: छठ का महीना शुरू हो चुका है। चारों ओर लोग छठ माई की भक्ति में डूब चुके हैं। भोजपुरी सिनेमा में इस त्योहार का क्रेज सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। अभी भोजपुरी फेमस सिंगर अरविंद अकेला कल्लू का नया छठ सॉन्ग (Arvind Akela Kallu new chhath song) 'आईल बाड़ी जा घाट लिपे' (Aail Badi Ja Ghat Lipe) रिलीज हुआ है। जैसे ही अरविंद अकेला का छठ गीत (Arvind Akela Kallu chhath geet) रिलीज हुआ, तेजी से वायरल हो गया। इसे अब तक एक लाख व्यूज मिल चुके हैं। बहुत तेजी से अरविंद अकेल कल्लू का यह छठ स्पेशल सॉन्ग (Arvind Akela Kallu special chhath song) मिलियन की ओर बढ़ रहा है।
इस छठ सॉन्ग की थीम बहुत ही अलग है। छठ देवी गीत 'आईल बाड़ी जा घाट लिपे' काफी मजेदार है। अरविंद अकेला कल्लू और उनकी को-एक्ट्रेस के बीच नोक-झोक देखने को मिल रहा है। इन दोनों की प्यारभरी लड़ाई भोजपुरिया दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है। अरविंद (Arvind Akela Kallu Ka Chhath Gana 2021) के साथ इस गाने में मुधर सुर दिया है अंतरा सिंह प्रियंका ने। जबकि लिरिक्स दिया है पवन पांडे ने। अरविंद का यह छठ सॉन्ग Aadishakti Films पर रिलीज किया गया है।
आज अरिवंद अकेला कल्लू किसी पहचान के मोहताज नहीं है। इस मुकाम को हासिल करने को लिए उन्होंने 9 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया। साल 2014 में अरविदं अकेला कल्लू ने भोजपुरी गीत "गवनवा कहिया ले जईबा" से अपनी करियर की शुरुआत की। इसके बाद साल 2015 में रिलीज हुआ भोजपुरी गीत "मुर्गा बेचैन बाटे" से उन्हें पहचान मिली। यह गाना उन दिनों काफी पॉपुलर हुआ। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट गीत गाए।
वैसे तो अरविंद ने कई सुपरहिट गाने दिए हैं। लेकिन उन्हें शोहरत मिली भोजपुरी गाना 'जिला टॉप लागेली'। अरविंद का यह गाना आज भी सबसे ज्यादा सुना जाता है। इसके बाद अरविदं का 2017 का भोजपुरी गाना "चोलिया के हुक राजा जी" ने तो पूरी भोजपुरी सिनेमा में तुफान मचा दिया।
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