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फेलटेड चेरी अपने कॉम्पैक्ट आकार, फूलों के दौरान सजावटी और प्रचुर मात्रा में फलने के लिए लोकप्रिय है। लेकिन हमेशा यह बिना किसी समस्या के बढ़ता है। गार्डनर्स अक्सर समस्या का सामना करते हैं कि महसूस किया गया चेरी प्रचुर मात्रा में खिलता है, लेकिन फल नहीं सहन करता है, और फिर आपको पता होना चाहिए कि यह क्यों हो रहा है और आपको क्या करना चाहिए।
खराब फल असर के कारणों में शामिल हैंः
- एकल लैंडिंग यह इस तथ्य के कारण है कि यह पौधे स्वयं उपजाऊ है, यानी, जामुन के गठन के लिए इसे पार परागण की आवश्यकता है।
- रोपण के लिए गलत ढंग से चुनी गई सीट।
- प्रारंभिक उम्र चेरी, एक बीजिंग के साथ लगाया जाता है, रोपण के बाद केवल 2-3 साल के लिए फल और 4 हफ्तों के लिए एक हड्डी फल सहन करना शुरू कर देता है। इस पेड़ से पहले केवल प्रचुर मात्रा में खिलता है और कई अकेले जामुन दे सकता है।
- अत्यधिक छंटनी चूंकि सभी शाखाएं पेड़ पर फल नहीं लेती हैं, आपको पता होना चाहिए कि कौन से लोगों को काटा जा सकता है और जिसे काटा नहीं जा सकता है।
क्या होगा यदि चेरी फल नहीं लेता है?
एक बगीचे के भीतर कई (3 से कम नहीं) चेरी लगाने के लिए अनिवार्य है। यह एक किस्म या कई के रोपण हो सकता है।
खराब रोशनी में खराब चेरी खराब हो जाती है और जब पानी इसके चारों ओर मिट्टी में स्थिर हो जाता है। पहले से ही अपनाए गए पौधे को प्रत्यारोपित करने की अनुशंसा नहीं की जाती है, इसलिए इन समस्याओं को अन्य तरीकों से हल करना आवश्यक हैः पड़ोसी पौधों का काटने या पानी के बहिर्वाह की व्यवस्था।
एक महसूस चेरी काटना हर साल किया जाना चाहिए। इसे काट लें, जबकि आपको केवल 5 शाखाओं के लिए उपयोगी शाखाएं चाहिए। आप युवा शूट और गुलदस्ता टहनियों को छू नहीं सकते, जो 2 साल में और जामुन उगेंगे।
यदि आप लेख अनुशंसाओं में डेटा का पालन करते हैं, तो आप सालाना 15 साल तक बड़ी मात्रा में स्वादिष्ट मीठे और खट्टे बेरीज एकत्र कर सकते हैं।
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।ग्राम क्रमांक :
।ग्राम का नाम :
।तहसील :
।जनपद :
।फसली वर्ष :
।भाग :
।प्रत्येक गाटे का क्षेत्रफल (हे.)
।1 - ऐसी भूमि, जिसमें सरकार अथवा गाँवसभा या अन्य स्थानीय अधिकारिकी जिसे1950 ई. के उ. प्र. ज. वि.एवं भू. व्य. अधि.की धारा 117 - क के अधीन भूमि का प्रबन्ध सौंपा गया हो , खेती करता हो । ( नदारद )
।1क(क) - रिक्त ( नदारद )
।1-ख - ऐसी भूमि जो गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट केअन्तर्गत व्यक्तियों के पास हो । ( नदारद )
।2 - भूमि जो असंक्रमणीय भूमिधरो केअधिकार में हो। ( नदारद )
।3 - भूमि जो असामियों के अध्यासन या अधिकारमें हो। ( नदारद )
।4 - भूमि जो उस दशा में बिना आगम केअध्यासीनों के अधिकार में हो जब खसरेके स्तम्भ 4 में पहले से ही किसी व्यक्तिका नाम अभिलिखित न हो। ( नदारद )
।4-क - उ.प्र. अधिकतम जोत सीमा आरोपण.अधि.अन्तर्गत अर्जित की गई अतिरिक्त भूमि -(क)जो उ.प्र.जोत सी.आ.अ.के उपबन्धो केअधीन किसी अन्तरिम अवधि के लिये किसी पट्टेदार द्वारा रखी गयी हो ।
।4-क(ख) - अन्य भूमि । ( नदारद )
।5-1 - कृषि योग्य भूमि - नई परती (परतीजदीद)
।5-2 - कृषि योग्य भूमि - पुरानी परती (परतीकदीम) ( नदारद )
।5-3-क - कृषि योग्य बंजर - इमारती लकड़ी केवन। ( नदारद )
।5-3-ख - कृषि योग्य बंजर - ऐसे वन जिसमें अन्यप्रकर के वृक्ष,झाडि़यों के झुन्ड,झाडि़याँ इत्यादि हों। ( नदारद )
।5-3-ग - कृषि योग्य बंजर - स्थाई पशुचर भूमि तथा अन्य चराई की भूमियाँ । ( नदारद )
।5-3-घ - कृषि योग्य बंजर - छप्पर छाने की घास तथा बाँस की कोठियाँ । ( नदारद )
।5-3-ङ - अन्य कृषि योग्य बंजर भूमि। ( नदारद )
।5-क (क) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - कृषि हेतु ( नदारद )
।5-क (ख) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - आबादी हेतु ( नदारद )
।5-क (ग) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - सामुदायिक वनाधिकार हेतु ( नदारद )
।6-1 - अकृषिक भूमि - जलमग्न भूमि ।
।6-2 - अकृषिक भूमि - स्थल, सड़कें, रेलवे,भवन और ऐसी दूसरी भूमियां जोअकृषित उपयोगों के काम में लायी जाती हो।
।6-3 - कब्रिस्तान और श्मशान (मरघट) , ऐसेकब्रस्तानों और श्मशानों को छोड़ करजो खातेदारों की भूमि या आबादी क्षेत्र में स्थित हो। ( नदारद )
।6-4 - जो अन्य कारणों से अकृषित हो ।
।यह खतौनी इलेक्ट्रोनिक डिलीवरी सिस्टम द्वारा तैयार की गयी है तथा डाटा डिजीटल हस्ताक्षर द्वारा हस्ताक्षरित है।
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लखनऊ। भारतीय रेल आने वाले समय में बुलेट ट्रेन चलाने का सपना देख रही है। मौजूदा समय में जो ट्रेन चल रही है उनमें सुविधा या सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर नए-नए नियम ला रही है लाखों पैसे खर्च कर रही है बावजूद इसके क्या यात्री सुरक्षित हैं खासकर महिला यात्री। महिला यात्री की सुरक्षा के मामले में जीआरपी या आरपीएफ स्टाफ कितना जागरूक है ये तब देखने को मिला जब माँ-बेटी चलती ट्रेन से कूद गई। अब आपको बताते है क्या थी वजह जिसके कारण माँ-बेटी को चलती ट्रेन से कूदना पड़ा।
दिल्ली के गीता नगर निवासी प्राइवेट कर्मी की पत्नी बेटी के साथ हावड़ा (कोलकता) अपने मायके गई थी। शुक्रवार को प्राइवेट कर्मी की पत्नी 12 वर्षीय बेटी के साथ हावड़ा-आनंद विहार एक्सप्रेस से दिल्ली लौट रही थीं। दोनों जनरल बोगी में यात्रा कर रही थी। महिला ने बताया कि हावड़ा से उनकी बोगी में चार-पांच युवक बैठे थे। ट्रेन चलने के बाद रास्ते में युवकों ने उनसे और बेटी से छेड़छाड़ शुरू कर दी।
महिला का आरोप है कि युवकों ने उसके साथ भी बदसलूकी की। उन्होंने विरोध किया और बोगी में मौजूद यात्रियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई आगे नहीं आया। जब मुगलसराय स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो उन्होंने स्टेशन पर उतर कर हंगामा किया। इसकी सूचना मिलने पर जीआरपी कर्मी आए, लेकिन शोहदे बोगी से जा चुके थे। इसके बाद शोहदों के डर से वह बेटी के साथ दूसरी बोगी में जाकर बैठ गईं।
इसके बाद फतेहपुर से पहले रसूलाबाद स्टेशन के पास में ट्रेन धीमी होने पर बेटी के साथ उतर गई। उसका सामान ट्रेन में ही छूट गया था। वे लोग रसूलाबाद स्टेशन गए वहां से आरपीएफ ने महिला को फतेहपुर स्टेशन भेज दिया। फतेहपुर जीआरपी थाने में उन्होंने पुलिस को पूरा वाकया बताया। ट्रेन में सामान छूटने की जानकारी भी दी। जीआरपी फतेहपुर के सूचना देने पर जीआरपी सेंट्रल ने ट्रेन से उनका बैग उतार लिया। महिला के मुताबिक फतेहपुर जीआरपी ने इलाहाबाद-उधमपुर एक्सप्रेस से उन लोगों को कानपुर भेज दिया।
महिला ने पुलिस को बताया कि शोहदों की हरकतों से वह और बेटी बहुत भयभीत थी। उन लोगों को लगा कि इस ट्रेन में भी शोहदों न चढ़ आए हो। रात अधिक होने पर शोहदे उन लोगों को आगे भी तंग करेंगे। इसी डर से वह बेटी को लेकर चंदारी स्टेशन के पास चलती ट्रेन के कूद गईं थी। इससे उन लोगों के सिर व शरीर पर चोटें आईं। घटना की सूचना पाकर जीआरपी मौके पर पहुंची और उन लोगों को हैलट में भर्ती कराया। महिला ने बताया कि उसका सामान ट्रेन में ही रह गया, जिसे सेंट्रल स्टेशन पर जीआरपी ने उतारा है।
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कोकेली का शोर नक्शा बनाया जाएगाः कोकेली पायलट प्रांत को यूरोपीय संघ के आईपीए 2009 कार्यक्रम के ढांचे के भीतर पर्यावरण और शहरीकरण मंत्रालय द्वारा किए गए प्रोजेक्ट "क्षमता निर्माण के लिए पर्यावरण शोर निर्देशन" में चुना गया है। इस संदर्भ में, संसाधनों के लिए शोर मानचित्र (जैसे सड़क, रेलवे, औद्योगिक सुविधाएं और बंदरगाह) जो कोकेली सीमाओं के भीतर आवासीय क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे, तैयार किए जाएंगे।
कोकेली मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका, पर्यावरण संरक्षण और नियंत्रण विभाग, विकास और शहरीकरण विभाग, रणनीति विकास विभाग, पर्यावरण और शहरीकरण मंत्रालय, कोकेली प्रांतीय पर्यावरण निदेशालय और शहरीकरण और कोकेली पोर्ट प्राधिकरण और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के प्रतिनिधियों के साथ परियोजना की पहली परामर्श बैठक। यह प्रदर्शन किया गया था। बैठक एंटिक्कापी में हुई और यूरोपीय संघ के परियोजना विशेषज्ञ आत्मा डेविस ने भाग लिया।
बैठक के दौरान, भौगोलिक सूचना प्रणाली, ज़ोनिंग स्थिति, उद्योग, बंदरगाह, राजमार्ग और रेलवे की वर्तमान स्थितियों के बारे में जानकारी साझा की गई थी जो शोर नक्शों के दायरे में आवश्यक हो सकती हैं। परियोजना के अगले चरण में; तकनीकी कर्मचारियों के लिए यूरोपीय संघ के विशेषज्ञों को शोर मानचित्र तैयार करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
परियोजना डेटा के संग्रह, गणना के तरीकों के निर्धारण, शोर मानचित्र की तैयारी और परिणामों के विश्लेषण के साथ जारी रहेगी। किए जाने वाले उपायों का निर्धारण करके कार्य योजना तैयार की जाएगी।
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।PART III - SEC. 4]
(ग) केन्द्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी अपने किसी कर्मचारी को प्रचालन और रखरखाव पद्धतियों के अनुपालन का सत्यापन करने के प्रयोजनार्थ लिखित में सूचना देकर परियोजना का निरीक्षण करने के लिए नामित करने की पात्र होगी।
कंपनी का जिन प्रचालन और रखरखाव पद्धतियों को अपनाने का प्रस्ताव है वह उन्हें तैयार करेगी तथा वाणिज्यिक प्रचालन की अनुसूचित तारीख से 180 दिन पूर्व अनुमोदनार्थ केन्द्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी को प्रस्तुत करेगी। इस प्रस्ताव के प्राप्त होने के बाद 60 दिन के अंदर केन्द्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी लिखित में कंपनी को प्रस्तावित प्रचालन और रखरखाव पद्धति के संबंध में अपनी आपत्ति, यदि कोई हो, अधिसूचित कर सकती है और संशोधन का सुझाव दे सकती है। दोनों पक्षों को इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए और एक समझौते पर पहुंचना चाहिए और यदि इस मुद्दे पर समझौता नहीं हो पाता हो तो यह मामला स्वतंत्र अभियंता को भेजा जाएगा।
प्रत्येक पक्ष को इस करार के उचित प्रशासन के प्रयोजनार्थ उनमें से प्रत्येक के लिए अपेक्षित पूर्ण और सही रिकार्ड तथा सभी आंकड़े रखने होंगे। दोनों पक्षों को इस अपेक्षा और जब तक ये रिकार्ड नष्ट न करने हों, उस समयावध को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श करना चाहिए। कोई भी पक्ष उचित पूर्व सूचना देकर अन्य पक्ष के पास रखे रिकार्ड का निरीक्षण कर सकता है।
कंपनी ट्रांसमिशन से इतर प्रयोजनार्थ ट्रांसमिशन परिसम्पत्तियों का इस शर्त के अध्यधीन उपयोग कर सकती है अथवा उपयोग करने की अनुमति दे सकती है कि ऐसा उपयोग ट्रांसमिशन क्षमता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं करेगा और कि ऐसे उपयोग से होने वाले लाभों का बंटवारा आयोग के निर्णयानुसार ट्रांसमिशन परिसम्पत्तियों के लाभार्थियों में किया जाएगा।
आर.ई.बी. द्वारा आउटेज अनुसूची को अंतिम रूप दिया जाएगा (केन्द्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी को कंपनी से परामर्श करना चाहिए और मामला आर.ई.बी. मंच पर ले जाना चाहिए ) । जहां कहीं संभव हो, इमेरजेंसी ) राउटेज पर केन्द्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी के साथ चर्चा करनी चाहिए । इटेज प्राप्त करने और सभी प्रकार के आउटेज के बाद ऊर्जाकरण के ए संबंधित आर.एल.डी. सी. द्वारा अनुमति जारी की जाएगी।
(ज) केन्द्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी प्रचालन और रखरखाव ठेकेदारों के लिए अर्हताएं तय करे और कंपनी केन्द्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी को सूचित करते हुए इन |
Dog Buy Vegetables Video: कुत्ता सबकुछ कर सकता है लेकिन बाजार जाकर सब्जी कैसे खरीद सकता है? इस वीडियो को देखकर आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। सबसे हैरानी वाली बात तो यह है कि कुत्ते को पता होता है कि उसे कौन सी सब्जी खरीदनी है।
कुत्ते का वीडियो (इंंस्टाग्राम)
Dog Buy Vegetables Video: कुत्ता वफादार होने के साथ-साथ होशियार भी होता है। आपने अक्सर देखा होगा कि कुत्ता अपने मालिक की हर बात समझ लेता है और फिर उसे पूरा करने की कोशिश करता है। इसके बाद भी इन दिनों एक कुत्ते का जो वीडियो वायरल हो रहा है। उसने लोगों को हैरान कर दिया है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि कुत्ता सबकुछ कर सकता है लेकिन बाजार जाकर सब्जी कैसे खरीद सकता है। कुछ लोग कह रहे हैं कि इस कुत्ते को बहुत अच्छे से ट्रेंड किया गया है। इसके बाद ही कुत्ता हैरान कर देने वाला काम आसानी से कर रहा है।
आप देख सकते हैं कि कुत्ता दुकानदार महिला से इशारे में बात कहकर सब्जी खरीदता है। सबसे पहले वह सब्जी मार्केट में एक दुकान पर पहुंचता है। इसके बाद अपना एक पैर सब्जी पर रखता है। इसके बाद दुकानदार कुत्ते द्वारा लाए गए लाल रंग के डिब्बे में सब्जी रखती है। फिर उसी लाल रंग के डिब्बे से पैसे निकालकर उसमें छुट्टे पैसे रख देती है। आप देख सकते हैं कि दुकानदार कुत्ते से होशियारी दिखाते हुए कम पैसे रखती है, लेकिन कुत्ते उससे पैर के इशारे से कहता है कि पैसे कम हैं। इसके बाद दुकानदार और पैसे डिब्बे में डालती है। इस वीडियो को देखकर यूजर्स काफी भावुक हो गए हैं। वीडियो को beautifulanimals24 नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो को लोग जमकर पसंद कर रहे हैं। इसके साथ ही कुत्ते की भी खूब तारीफ कर रहे हैं।
ट्रेंडिंगः
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दीक्षार्थियों का परिचय
यह पहले ही कहा जा चुका है कि इन दोनों दीक्षार्थियों का सांसारिक सम्बन्ध माता और पुत्र का था जो कि पीपाड़ के रहने वाले थे । वैरागो बालक श्री हस्तीमलजी की उम्र अभी केवल ६ वर्ष की थी। के पिता का देहान्त हो चुका था । मातु श्री रूपकुवरजी ने ही आपका लालन-पालन किया था और इन्हीं के उदार उपदेश का यह प्रभाव या चमत्कार था कि आपके मन में इस वाल्यवय में ही दीक्षा के भाव जागृत हो यद्यपिय से वालक थे किन्तु जन्मान्तर के संस्कार
से आपका हृदयाल और विशाल था । शिशु सुलभ चंचलता के संग २ गहन विषय ग्रहण की गंभीरता और विलक्षणता भी निसर्ग से प्राप्त थी । कहा भी है कि - " होनहार विरवान शीघ्र ही आप मुनि श्री हर्पचद्रजी म के उपदेश, वचनों और संयम के अनुकूल शिक्षाओं से साधु जीवन के सर्वथा योग्य वन गए ।
दीक्षार्थियों का परिचय : १०५
मुनि श्री हर्षचन्द्रजी म० ने अजमेर में रहते हुए आपको पच्चीस बोल, नव तत्व, लघु दंडक, समिति गुप्ति, व्यवहार सम्यक्त्व, श्वासोच्छ्वास, ६८ बोल और भगवती एवं पन्नवरण के मिलाकर २५-३० थोकड़े व रस्तुति, नमि प्रव्रज्या, और दश वैकालिक सूत्र के चार अध्ययन का अभ्यास करा दिया था। संस्कृत में शब्द रूपावली भी पूरी कण्ठस्थ करादी गई । इस तरह इतने थोड़े समय में आपने जो कुछ भी ज्ञानाभ्यास किया, उसके लिए बड़ी २ उम्रवालों को एक लम्बे काल की आवश्यकता पड़ जाती है।
पूज्यश्री ने आपकी कई तरह से परीक्ष ली, मगर बालक होते हुए भी आप सफल रहे । पूज्यश्री का हृदय इस परीक्षण परिणाम पर प्रसन्नता से भर गया ।
दीक्षा की स्वीकृति
वैरागिरणी माता व पुत्र के शील, स्वभाव, संयम और धर्माचरण के प्रति अटल लगन और दृढ़ निश्चय को देखते हुए पूज्य दोनों को दीक्षा देने की स्वीकृति प्रदान
करदी । इन मां-पुत्र का जीवन यद्यपि संसारकाल में व्यावहारिक दृष्टि से स्वतन्त्र था फिर भी दीक्षा के प्रसंग में आवश्यक था कि निकटतम सम्बन्धी की आज्ञा प्राप्त करली जाय।
कुटुम्बी की आज्ञा लेने के लिए रूपकुवर बाई पीपाड़ गयीं । वहां रूपचंदजी वोहरा, जो वैरागी हस्तीमलजी के संसार सम्बन्ध में काका लगते थे उनसे इस सम्बन्ध की बात की गई तो वे और उनकी माताजी आज्ञा देने से साफ इन्कार कर गए। उन्होंने कहा कि हमारे चार घरों के बीच यह एक ही लड़का है, इसको हम साधु बनने की आज्ञा कैसे दे सकते हैं ? परन्तु रीयां निवासी रूपचंद्रजी गुंदेचा, लखमीचंदजी कवाड़ औ-निवासी सेठ मगनमलजी के बहुत कुछ समझाने पर अन्त में उन्होंने भ्राता
दीक्षा की स्वीकृति : २०७
दे दी। आज्ञा पत्र प्राप्त कर मगनमन बाई रूपकुंवरजी वापिस अजमेर चली। मिल जाने पर माव शु० द्वितीय गुरुवार का शुभ दिन दीक्षा के लिए निश्चित किया गया ।
वैरागी चौथमलजी जो पादू से पूज्यश्री के साथ हुए थे एवं बहुत मेहनत से जिनका ज्ञानाभ्यास कराया जाता था, पूज्यश्री ने सहयोग और उपदेश योग से उनको भी इस योग्य बना दिया था कि वे साधु धर्म के मर्म को भली भांति समझ या
दो और दीक्षाएं :
उसके काका को बुलाकर सब हाल कह सुनाया किन्तु वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ और बोला कि मेरे घर में क्या कुछ खाने की कमी है जो इस लोकापवाद को सिर उठाऊ कि उसने भतीजे को साधु बनने दिया ।
सन्तोषचन्दजी ने उसे बहुत तरह से समझाया कि गरीबी के कारण कोई साधु व्रत स्वीकार नहीं करता । आज हजारों लाखों गरीब भूख से अकुलाए दरदर की खाक छानते हैं मगर वे साधु क्यों नहीं बन जाते ? और बड़े २ राजे महाराजे सेठ साहूकार सब कुछ छोड़ छाड़ कर मुनि वन जाते हैं ऐसा क्यों ? उनको किस चीज की कमी रहती है ? तुमी की तरह बात मत ? करो। बहुत पुण्य प्रभाव से जीवन सुधार का यह स्वर्ण अवसर हाथ लगता है। पेट तो कुत्ते बिल्ली आदि पशु भी भर लेते हैं, जीवन तो कीड़े मकोड़े भी यापन कर ही लेते हैं । इसलिए लड़के की भावना है तो हठ न कर के तुमको आज्ञा पत्र लिख देना चाहिए । बालक में मर जाते और हम सब संतोष कर लेते हैं, कोई सेना में भर्ती हो जाता तो कोई मुंह चुराकर भाग जाता है, तब भी हमें सन्तोष करना पड़ता है ; फिर यह तो आत्मकल्याण के लिए साधु बन कर तुम्हारे घर का नाम उज्ज्वल बनाने जाता है। अतः इसमें बड़ी उमंग से अपने को उसका साथ देना चाहिए । वहुत समझाने पर आखिर यह बात उसे भी जंची और उसने आज्ञा पत्र सेठजो को लिखकर दे दिया तथा वह अजमेर भेज दिया गया। इस समाचार से चारों ओर खुशी छाई और अजमेर में बैरागियों के बन्दोले की तैयारी चालू हो गई ।
वैरागी चौथमलजी जो पादू से पूज्यश्री के साथ हुए थे एवं बहुत मेहनत से जिनका ज्ञानाभ्यास कराया जाता था, पूज्यश्री ने अपने सहयोग और उपदेश योग से उनको भी इस योग्य बना दिया था कि वे साधु धर्म के मर्म को भली भांति समझ उसे निभा सकें । जरूरत थी सिर्फ दीक्षा ग्रहण की । अतः उनके लिए भी वही मुहूर्त निश्चित किया गया । इधर व्यावर की एक वैरागिन बाई भी महासती श्री राधाजी के पास दीक्षा ग्रहण करने को बहुत पहले से तैयार थी ।
इस प्रकार दो भाई और दो बाई ऐसे चार दीक्षाएं एक साथ होने का शुभ प्रसंग अजमेर में उपस्थित हो गया। इससे अजमेर की धर्म-समाज में उत्साह और उमंग की एक लहर सी फैल गई । वैरागी वैरागिन बाई का ज्ञापत्र प्राप्त कर लिया गया था ।
आज्ञा पत्र प्राप्त करने के लिए पादू के
चौथमलजी के बारे में सेठ सन्तोपचन्दजी को
सूचना दी गई और उन्होंने मेवाड़ गांव |
घटना से पहले सूफियान ने मृतक को एक मोबाइल फोन दिया था। जिसे लेकर दोनो के परिजनों के बीच कल विवाद हुआ था। इस दौरान सूफियान मृतका को लेकर चौथे माले पर गया था।
Apps Banned: मोबाइल ऐप के खिलाफ बढ़ती शिकायतों के बीच, केंद्र ने चीन सहित विभिन्न देशों में विकसित 348 ऐप को ब्लॉक कर दिया है।
मुस्मिल धर्म गुरुओं ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि नमाज जामा मस्जिद के अंदर ही होगी सड़कों के ऊपर नहीं होगी।
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बॉलीवुड तड़का टीम. सुपरस्टार सलमान खान कुछ दिनों पहले ही डेंगू का शिकार हो गए थे, जिसके बाद वह बिग बॉस की शूटिंग नहीं कर पाए। एक्टर को डेंगू होने के बाद उनके फैंस काफी चिंतित नजर आए, लेकिन अब भाईजान के फैंस के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। सलमान डेंगू से ठीक हो गए हैं। हालांकि, एक्टर को डेंगू होने के बाद से BMC की टीम रोजाना गैलेक्सी अपार्टमेंट में दवा और धुंए का छिड़काव करवा रही है। इसी बीच पता चलता है कि सलमान के अपार्टमेंट के पास से डेंगू का लार्वा मिला है।
बीएमसी के मुताबिक बिल्डिंग की दो अलग-अलग जगह पर लार्वा मिला है, जिसके बाद टीम काफी सतर्क हो गई है। सलमान खान के आसपास के इलाकों में दवा का छिड़काव किया जा रहा है।
बता दें, डेंगू होने के बाद सलमान खान अपनी इलाज करवा रहे थे। इसके चलते वह किसी भी दिवाली पार्टी में भी नजर नहीं आए। यहां तक की उन्हें बिग बॉस की शूटिंग भी रोकनी पडी। लेकिन अब राहत की बात भाईजान डेंगू के बाद पूरी तरह ठीक हो गए हैं। बीती रात सुपरस्टार को अपने जीजा आयुष शर्मा की बर्थडे पार्टी में भी देखा गया था।
काम की बात करें तो सलमान खान जल्द ही फिल्म किसी का भाई किसी की जान में नजर आएंगे।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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फिल्म 'शहजादा' अल्लू अर्जुन और पूजा हेगड़े स्टारर 'अला वैकुंटापुरमलू' नामक एक तेलुगु फिल्म की रीमेक है। फिल्म 'शहजादा' में कार्तिक आर्यन और कृति सैनन लीड रोल में है, साथ ही इस फिल्म का निर्देशन रोहित धवन ने किया है। यह फिल्म एक्शन से भरपूर पारिवारिक म्यूजिकल ड्रामा है। बता दें कि, 'शहजादा' का 10 फरवरी को रिलीज होगी। साथ ही, फिल्म को भूषण कुमार की टी-सीरीज के बैनर तले बनाया गया है।
कार्तिक आर्यन और कृति सैनन की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'शहजादा' जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है। बता दें कि, फिल्म का ट्रेलर 12 जनवरी को रिलीज किया गया था और इसे फैंस से खूब प्यार भी मिला था। अब फिल्म 'शहजादा' का ट्रेलर शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' के ट्रेलर को पछाड़कर सबसे ज्यादा देखा जाने वाला ट्रेलर बन गया है। 'शहजादा' का ट्रेलर लोगों को बहुत पसंद आ रहा है, वहीं फिल्म के मेकर्स ने आज फिल्म 'शहजादा' का पहला गाना भी लॉन्च कर दिया है।
आपको बता दें कि, फिल्म 'शहजादा' का पहला गाना आ गया है और इस सॉन्ग में कार्तिक और कृती की जोड़ी को मस्ती और रोमांस करते नजर आ रही है। शहजादा को बैंकरोल करने वाली टी-सीरीज ने 'मुंडा सोना हूं मैं' नाम का पहला गाना पेश किया है। यह गीत कार्तिक और कृति के साथ प्रीतम के संगीत की धुन पर नाचते हुए बीच पार्टी का माहौल दे रहा है। बता दें कि, गाने को दिलजीत दोसांझ और निखिता गांधी ने गाया है, जबकि इसे बॉस्को सीजर ने कोरियोग्राफ किया है। इस गाने में कार्तिक और कृति की जबरदस्त कैमेस्ट्री देखने को मिली है।
सॉन्ग में कार्तिक आर्यन और कृति सैनन की परफॉरमेंस बेहद एनर्जेटिक दिख रही है। कार्तिक आर्यन के फैंस फिल्म 'शहजादा' के पहले गाने को भी बहुत पसंद कर रहे हैं। बॉलीवुड को नजरअंदाज कर सकते हैं लेकिन कार्तिक आर्यन को नहीं कार्तिक आर्यन का ये चुलबुला अंदाज सभी को बहुत पसंद आ रहा है।
Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin: एक मैसेज से बदलेगी सई जिंदगी, क्या विराट निकल पाएगा मुसीबत के दलदल से?
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मंडी शहर में लगातार बढ़ रही ट्रैफिक परेशानी का सबब बनती जा रही है। आलम यह है मंडी शहर की हर गली-चौराहे पर दोपहियों का जमघट लगा रहता है। मंडी शहर में दोपहिया वाहनों को एकमात्र इंदिरा मार्केट की छत के सिवाय कहीं भी ठिकाना नहीं है, जिसके चलते मंडी शहर की गलियां ही पार्किंग स्थल बन गई है। शहर के मुख्य डाकघर सड़क, सीटी पुलिस चौकी के समीप, महाजन बाजार, मोती बाजार, चंद्रलोक गली सहित अन्य क्षेत्रों में दोपहिया वाहनों का जमघट लगा रहता है। जिला मुख्यालय में कार्य के चलते पूरे जिला से लोग वाहनों के साथ पहुंचते हैं। बढ़ती ट्रैफिक के चलते इंदिरा मार्केट की छत छोटी पड़ गई है। इंदिरा मार्केट के तीनों तरफ दोपहिया वाहन खड़े करने का प्रावधान है। हालांकि पुलिस द्वारा नो पार्किंग स्थल पर वाहन पार्क करने पर चालान किए जाते हंै। लेकिन शहर में दोपहिया वाहन के लिए स्थाई पार्किंग न होने कारण लोगों को वाहन गलियों में पार्क करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अब शहरवासियों को नगर निगम से पूरी आस है कि दोपहिया वाहनों के लिए अवश्य पार्किंग की व्यवस्था करेगी। शहर में दिन-प्रतिदिन वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है, जिसके चलते लोग नो-पार्किंग को न मानते हुए सूचना बोर्ड के सामने ही गाडिय़ां पार्क कर रहे हैं।
हरमीत सिंह बिट्टू अध्यक्ष, मंडी नागरिक अधिकार मंच का कहना है कि शिवरात्रि पर्व के बाद मंडी शहरवासी नगर निगम के चुनाव में व्यस्त हो गए है। मंडी शहर में सबसे बड़ी विकराल समस्या पार्किंग की है। चौपहिया व दोपहिया व्हीकल को शहर में पार्किंग करना चुनौती बन गया है। उन्होंने नगर निगम से चुनकर आने वाले प्रत्याशियों से मांग की है कि शहर में पार्किंग की व्यवस्था के लिए उचित कदम उठाए। शहर की गलियों में खड़े वाहन लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है।
अशुतोष पाल का कहना है कि मंडी शहर में मुख्य व्यवसाय करने वालों के साथ-साथ उनके कर्मचारियों को पार्किंग की सही व्यवस्था न होने से दो-चार होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग दोपहिया वाहन का प्रयोग करते हैं। लेकिन शहर में दोपहिया वाहन के लिए व्यवस्था की काफी कमी है। वहीं गलियों में दोपहिया वाहन खड़े होने से जहां स्थानीय लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। मंडी शहर के लिए पार्किंग एक ज्वलंत मुद्दा है।
आकाश शर्मा अधिवक्ता जिला न्यायालय मंडी का कहना है कि जल्द ही मंडी नगर निगम बनने जा रही है। मंडी में पार्किंग की जटिल समस्या है। मंडी के चार छोर है। इसमें खलियार, बाड़ीगुमाणू, पुरानी मंडी और पड्डल-भ्यूली शामिल है। उन्होंने बताया कि शहर से बाहरी क्षेत्र में काफी स्पेस है। जहां वाहनों को पार्क करने के लिए अच्छा उपाय है। उन्होंने कहा कि नगर निगम मंडी के प्रत्याशियों को उक्त समस्या को हल करने के लिए एक विजन होना चाहिए। राजकमल खलियार निवासी का कहना है कि मंडी शहर में पार्किंग की समस्या काफी बढ़ गई है, जिसके चलते शहर की हर गली से क्रास होना काफी मुश्किल हो गया है। कुछ लोग गलियों में दोपहिया वाहन खड़े करकेे गायब हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी नगर निगम के प्रत्याशी पार्किंग की समस्या को हल करने के लिए विशेष कदम उठाए। शहर में दोपहिया पार्किंग की व्यवस्था होना जरूरी है।
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(पृणतः) पालन करने वा विद्यादि गुणों से परिपूर्ण करनेवाले की (दक्षिणा) देने योग्य दक्षिणा के (न) समान (पृथुज्रयी) बहुत वेगवती (असुर्येव) प्राणों में होनेवाली बिजुली के समान वा (जञ्जती) युद्ध में प्रवृत्त झंझियाती हुई सेना के समान (भद्रा) कल्याण करनेवाली (रातिः) देनी है, उससे सबको बढ़ाओ॥७॥
भावार्थः-इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो इन जीवों की पाप-पुण्य से उत्पन्न हुई, सुख दुःख फलवाली गति है, उससे समस्त जीव विचरते हैं। जो पुरुषार्थी सेनाजन शत्रुओं को जैसे-वैसे पापों को जीत निवारि धर्म का आचरण करते हैं, वे सदैव सुखी होते हैं ॥ ७ ॥
प्रति॑ ष्टोभन्ति॒ सिन्ध॑वः प॒विभ्यो॒ यद॒भ्रियां वाच॑मु॒दी॒रय॑न्ति। अव॑ स्मयन्त वि॒द्युत॑तः॒ पृथि॒व्यां यदी॑ घृ॒तं म॒रुतः प्र॒ष्ण॒वन्ति॑ ॥ ८ ॥
प्रति॑ । स्तो॒भ॒न्ति॒ सिन्ध॑वः । प॒विऽभ्य॑ः । यत् । अ॒भ्रिया॑म् । वाच॑म् उ॒त्ऽई॒रय॑न्ति । अव॑ स्व॒य॒न्। वि॒ऽद्युत॑ । पृ॒थि॒व्याम्। यदि॑। घृ॒तम्। म॒रुत॑ प्र॒ष्ण॒वन्ति ॥ ८ ॥
पदार्थ :- (प्रति) (स्तोभन्ति) स्तनन्ति । अत्र व्यत्ययेन परस्मैपदम् । (सिन्धवः) नद्यः (पविभ्यः) वज्रवत् किरणेभ्यः (यत्) यदा (अभ्रियाम् ) अभ्रेषु भवां गर्जनाम् (वाचम्) वाणीम् (उदीरयन्ति) प्रेरते (अव) (स्मयन्त) ईषद्धसन्ति (विद्युत) तडितः (पृथिव्याम्) भूमौ (यदि) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (घृतम्) उदकम् (मरुतः) (प्रुष्णुवन्ति ) स्नेहयन्ति ॥८॥
अन्वयः - हे विद्वांसो ! यद्यदा मरुतोऽभ्रियां वाचमुदीरयन्ति तदा सिन्धवः पविभ्यः प्रतिष्टोभन्ति यदि च मरुतो घृतं प्रुष्णुवन्ति तदा विद्युतः पृथिव्यामवस्मयन्त तद्वद्यूयं भवत॥८॥
भावार्थः- ये मनुष्या नदीवदा तडिद्वत्तीव्रा विद्यां पठित्वाऽध्यापयन्ति, ते सूर्यवत् सत्याऽसत्यप्रकाशका जायन्ते ॥८॥
पदार्थः-हे विद्वानो! (यत्) जब (मरुतः) पवन (अभ्रियाम् ) मेघों में हुई गर्जनारूप ( वाचम् ) वाणी को (उदीरयन्ति) प्रेरणा देते अर्थात् बद्दलों को गर्जाते हैं, तब (सिन्धवः) नदियां (पविभ्यः) वज्र तुल्य किरणों से अर्थात् बिजुली के लपट-झपटों से (प्रति, ष्टोभन्ति) क्षोभित होती हैं और (यदि ) जब पवन (घृतम्) मेघों के जल (प्रुष्णुवन्ति) वर्षाते हैं, तब (विद्युत) बिजुलियां (पृथिव्याम्) भूमि पर (अव, स्मयन्त) मुसुकियाती सी जान पड़ती हैं, वैसे तुम होओ ॥८॥
भावार्थः-जो मनुष्य नदी के समान आर्द्रचित्त, बिजुली के समान तीव्र स्वभाववाले विद्या को पढ़ कर पढ़ाते हैं, वे सूर्य के समान सत्य और असत्य को प्रकाश करनेवाले होते हैं ॥८॥
अष्टक-२। अध्याय-४। वर्ग-६-७
मण्डल-१। अनुवाक - २३ । सूक्त - १६८
असू॑त॒ पृश्न॑र्मह॒ते रणा॑य त्वे॒षम॒यासा॑ म॒रुता॒मनीकम्।
ते स॑प्स॒रासो॑ऽजनय॒न्ताभ्व॒मादत्स्व॒धामि॑षि॒रां पर्य॑पश्यन् ॥ ९ ॥
असू॑त। पृश्न॑ः। म॒ह॒ते। रणा॑य त्वे॒षम् अ॒यासा॑म् म॒रुता॑म् । अनी॑कम् । तते । स॒प्स॒रास॑ः । अ॒ज॒न॒य॒न्त॒। अभ्व॑म्। आत्। इत्। स्व॒धाम् । इ॒षि॒राम्। परि॑ अ॒प॒श्य॒न्॥९॥
पदार्थः-(असूत) सूते (पृश्निः) आदित्य इव (महते ) ( रणाय ) संग्रामाय ( त्वेषम्) प्रदीप्तम् (अयासाम्) गन्तॄणाम् (मरुताम्) मनुष्याणाम् (अनीकम् ) सैन्यम् (ते) (सप्सरासः) गन्तारः । अत्र सप्तेरौणादिकः सरप्रत्ययः । सप्तीति गतिकर्मासु पठितम् । (निघं० ३.१४) (अजनयन्त) (अभ्वम्) अविद्यमानम् (आत्) अनन्तरम् (इत्) एव (स्वधाम्) अन्नम् (इषिराम्) प्राप्तव्याम् (परि) (अपश्यन्) सर्वतः पश्येयुः॥९॥
अन्वयः- एषामयासां मरुतां पृश्निरिव त्वेषमनीकं महते रणायासूत ते आदिदिषिरां स्वधामजनयन्त सप्सरासः सन्तोऽभ्वं पर्य्यपश्यन् ॥ ९॥
भावार्थः-अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । ये विचक्षणा राजपुरुषा विजयाय प्रशस्तां सेनां स्वीकृत्याऽन्नाद्यैश्वर्यमुन्नयन्ति, ते तृप्तिमाप्नुवन्ति ॥ ९ ॥
पदार्थः-(एषाम्) इन (अयासाम्) गमनशील (मरुताम् ) मनुष्यों का ( पृश्निः) आदित्य के समान प्रचण्ड प्रतापवान् (त्वेषम् ) प्रदीप्त (अनीकम् ) गण (महते) महान् (रणाय) संग्राम के लिये (असूत) उत्पन्न होता है (आत्) इसके अनन्तर (इत्) ही (ते) वे (इषिराम्) प्राप्त होने योग्य पदार्थों के बीच (स्वधाम्) अन्न को (अजनयन्त) उत्पन्न करते और (सप्सरासः) गमन करते हुए (अभ्वम्) अविद्यमान अर्थात् जो प्रत्यक्ष विद्यमान नहीं उसको (पर्य्यपश्यन्) सब ओर से देखते हैं ॥ ९ ॥
भावार्थः-इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो विचक्षण राजपुरुष विजय के लिये प्रशंसित सेना को स्वीकार कर अन्नादि ऐश्वर्य की उन्नति करते हैं, वे तृप्ति को प्राप्त होते हैं ॥ ९ ॥ पुनस्तमेव विषयमाह ।।
ए॒ष वः॒ स्तोमो॑ मरुत इ॒यं गीर्मान्दा॒र्यस्य॑ मा॒न्यस्य॑ का॒रोः ।
ए॒षा या॑सीष्ट॒ त॒न्वे॑ व॒या॑ वि॒द्यामे॒षं वृजनं॑ जी॒रदा॑नु॒म्॥ १० ॥ ७॥
ए॒षः। व॒ः। स्तोम॑ः। म॒रु॒तः। इ॒यम्। गीः। मा॒न्दा॒र्यस्य॑ मा॒न्यस्य॑ का॒रोः । आ । इ॒षा । या॒सी॒ष्ट॒। त॒न्वे॑। व॒याम्। वि॒द्याम॑। इ॒षम्। वृ॒जन॑म्। जी॒रदा॑नु॒म् ॥ १० ॥ |
गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन (सीटीसीआर) डिवीजन द्वारा जारी एक आदेश के बाद अप्रैल के मध्य में एजेंसी ने केरल पुलिस से मामले को अपने हाथ में ले लिया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को इस साल 2 अप्रैल को हुए एलाथुर ट्रेन आगजनी मामले के सिलसिले में राष्ट्रीय राजधानी में 10 स्थानों पर तलाशी ली। एजेंसी के अधिकारियों ने आज सुबह से ये तलाशी ली और दिल्ली के शाहीन बाग और संदिग्धों के अन्य ठिकानों पर अभी भी छापेमारी जारी है। एनआईए ने इस मामले में संदिग्धों के ठिकानों पर ये तलाशी ली, जिसे लगभग एक महीने पहले आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने अपने कब्जे में ले लिया था और इसने "अत्यधिक कट्टरपंथी" गिरफ्तार आरोपी शाहरुख सफी पर आरोप लगाते हुए अपनी जांच शुरू की।
जैसा कि यह कई राज्यों से जुड़े आतंक का एक स्पष्ट मामला था, एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम को अपने संदेह के आधार पर लागू किया कि अभियुक्त को उसके संचालकों द्वारा राज्य भेजा गया था और उसे पर्याप्त स्थानीय मदद मिली थी। एनआईए की कार्रवाई आरोपी शाहरुख सैफी के रूप में पहचाने जाने के कुछ दिनों बाद आई है, जो आतंकवादी अधिनियम के दौरान घायल हो गए थे, कोझिकोड में एक जिला सत्र अदालत द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के आरोपों के साथ थप्पड़ मारा गया था। रेलवे पुलिस द्वारा दायर एक मामले में उस पर हत्या का आरोप लगाया गया था।
अधिकारियों के अनुसार, अपराध के पीछे एक पूर्व नियोजित साजिश थी और यह एक व्यक्ति का मिशन नहीं था जैसा कि अभियुक्तों ने कबूल किया है। दिल्ली के शाहीन बाग के रहने वाले 27 वर्षीय सैफी को ट्रेन में आगजनी के मामले के बाद महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) और सेंट्रल इंटेलिजेंस ने गिरफ्तार किया था। हमले में उन्हें चोटें भी आई थीं। एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा पूछताछ के समय सैफी ने विरोधाभासी बयान दिए, जिसमें शुरू में, उन्होंने कहा था कि उन्हें किसी के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था और बाद में यह कहते हुए मुकर गया कि सब कुछ उनके द्वारा ही नियोजित और क्रियान्वित किया गया था।
एनआईए उस बड़ी साजिश की जांच कर रही है, जिसके तहत केरल पुलिस द्वारा "अत्यधिक कट्टरपंथी" होने और इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक के भड़काऊ भाषणों से प्रभावित सैफी ने आगजनी की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। एनआईए संभावित संचालकों और सहयोगियों को भी देख रही है जो इस साजिश का हिस्सा हो सकते हैं और यह अंतर-राज्य लिंकेज की भी जांच कर रही है, यह देखते हुए कि सैफी दिल्ली के शाहीन बाग का निवासी है और उसे महाराष्ट्र के रत्नागिरी से गिरफ्तार किया गया था। एनआईए शुरू से ही ट्रेन में आगजनी के मामले में शामिल रही है और अपनी कोच्चि शाखा के अधिकारियों के साथ जांच में लगी हुई है।
आग लगने के कारणों की जांच करने और फोरेंसिक विश्लेषण के लिए नमूने एकत्र करने के लिए एजेंसी के अधिकारी भी हमले के तुरंत बाद घटना स्थल पर पहुंचे। 2 अप्रैल को, सैफी ने कोझिकोड के इलाथुर में अलप्पुझा-कन्नूर एक्जीक्यूटिव एक्सप्रेस में कुछ यात्रियों पर ज्वलनशील तरल छिड़क कर आग लगाने का प्रयास किया था। आग से बचने के लिए ट्रेन से कूदने की कोशिश में तीन यात्रियों की मौत हो गई। बाद में सैफी को रत्नागिरी से गिरफ्तार किया गया था।
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परम आत्मीय स्वजन,
"मुझ को वो मेरे नाम से पहचान तो गया"
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है । मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 मार्च दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 28 मार्च दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
(सदस्य प्रबंधन समूह)
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आ० गिरिराज जी,आप जैसे गंभीर ग़ज़लकार से दाद पाना ही लेखन को सार्थक बनाता है मुझे ख़ुशी है ग़ज़ल आपको पसंद आई ,तहे दिल से आभार आपका सादर.
पुछल्ला शायद भारत के सेमी फाइनल में हारने पर कहा गया है . सादर.
आदरणीया राजेशकुमारी जी सादर, बहुत सुन्दर गजल कही है. सभी अशआर और गिरह भी बहुत खूब और यह शेर तो बस क्या ही कहने.
वल्लाह इक शरीफ़ का ईमान तो गया..........बहुत खूब ! बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.
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पुराने साम्राज्य में उसे खण्ड-खण्ड कर देने वाले आन्दोलन फैल गए थे और कुछ ही वर्षों में उसके उपनिवेशों की श्रावादी घटकर ५० करोड़ से १० करोड़ रह गई । रूस को अपनी शाओं की इस पूर्ति से सन्तोष हुआ ।
ऐतिहासिक विरोधाभास से मुख्य 'शत्रु' की निर्बलता के साथ-साथ एक दूसरी सोवियत विरोधी शक्ति का सहसा जन्म हुआ, जो ब्रिटिश साम्राज्य से भी अधिक प्रबल और सम्पन्न थी । ब्रिटेन ने जो जगह खाली कर दी थी, उसकी पूर्ति सोवियत यूनियन ने नहीं, बल्कि एक दूसरी एंग्लो-सेक्सन कम्युनिस्ट विरोधी शक्ति ने की। जब कि ब्रिटेन अपने विश्व व्यापी साधनस्रोतों और जन-शक्ति के बावजूद अटलांटिक में एक छोटे-से द्वीप में रह गया, तब अमेरिका एक विशाल राष्ट्र था, जिसकी श्राबादी उसकी तिगुनी थी। ब्रिटिश उद्योग ने हर लड़ाई में अपने मित्रों को सामान सप्लाई किया था। अमेरिका ने यह काम अपने हाथ में लिया। उसका उद्योग गुण और मात्रा दोनों ही में ब्रिटेन से कहीं ज्यादा आगे बढ़ गया था । पहले ब्रिटिश सोने, कर्ज और सहायताओं से ब्रिटिश-नेतृत्व में अन्तर्राष्ट्रीय एक और युद्ध सम्बन्धी मित्रताओं की स्थापना में बड़ी सहायता मिलती थी; अब अमेरिकी साधन स्रोतों के इस क्षेत्र में आ जाने से उनकी तुलना में वे फीके से जान पड़ते हैं।
शक्तियों के विभाजन में, जिसके बारे में स्तालिन और उनके प्रेस अक्सर जिक्र किया करते थे, अब सोवियत यूनियन एक छोर पर और अमेरिका दूसरे छोर पर जान पड़ता है। उनके बीच में 'मध्यस्थ तत्व' है, जैसा कि वर्ग-संघर्ष के पुराने सिद्धान्तों में छोटे-छोटे मध्यवर्ग के पूँजीपति किसान और बुद्धिजीवी वर्ग किसी पक्ष में नहीं होते। और पूँजीपतियों को अकेला छोड़ देने के लिए उन्हें मजदूर वर्ग के पक्ष में लाने की कोशिश करनी पड़ती है । अब चूँकि वर्ग-संघर्ष ने विश्वव्यापी भौगोलिक रूप धारण कर लिया है, इसलिए इन मध्यस्थ तत्रों का प्रतिनिधित्व चे राष्ट्र और राज्य करते हैं जो राजनीतिक और भौगोलिक रूप से इन दोनों महाशक्तियों के बीच |
Career After Pregnancy: मां बनने के का सफर आसान नहीं होता। यह सुखदायी होने के साथ मुश्किल भरा और जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला होता है। प्रेगनेंसी के साथ शुरू हुई कई प्रॉब्लम्स डिलीवरी के बाद भी जीवन पर असर डालती रहती हैं। महिलाओं को बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी उठाना पड़ता है, ऐसे में अगर महिला वर्किंग है तो उसके लिए दोबारा करियर शुरू करना काफी मुश्किल होता है। यही वजह है कि ज्यादातर महिलाएं प्रेगनेंसी के बाद इस मुश्किल भरे सफर पर जाने से बेहतर गृहणी बनकर जीना पसंद करती हैं। अगर आप डिलीवरी के बाद दोबारा अपना करियर शुरू करने के बारे में सोच रही हैं, लेकिन आगे नहीं बढ़ पा रही तो परेशान होने की जरूरत नहीं। यहां बताए गए टिप्स को फॉलो कर आप आसानी से दोबारा अपना करियर शुरू कर सकती है।
डिलीवरी के बाद ज्यादातर महिलाएं अपने बच्चे को संभालने में इस कदर व्यस्त हो जाती हैं, वे करियर से संबंधित फील्ड को लेकर कि खुद को अपडेट नहीं रख पाती। इसकी वजह से उनका आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। दोबारा करियर शुरू करने के लिए खुद को अपडेट रखना जरूरी है। करियर से संबंधित जानकारी पाने के लिए आप अपने ऑफिस के दोस्तों से बातचीत जारी रखें।
अगर आप डिलीवरी के बाद जल्द से जल्द दोबारा करियर शुरू करना चाहती हैं तो इसके लिए आपको सही प्लानिंग करनी होगी, वह भी प्रेगनेंसी के दौरान। प्लानिंग कर लें कि आपो कब तक आपको ब्रेक लेना है और उसके बाद कैसे दोबारा करियर की शुरुआत करनी है। अधिकतर समस्याएं उनके साथ आती हैं, जिनकी कोई प्लानिंग नहीं होती। कोशिश करें कि करियर में गैप ज्यादा लंबा न हो।
प्रेगनेंसी के बाद दोबारा करियर शुरू करने के लिए रास्ता तलाश रही महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम का नया कल्चर काफी फायदेमंद रहा है। अगर आप बच्चे की देखरेख को लेकर ज्यादा चिंतित हैं, तो आप डिलीवरी के बाद वर्क फ्रॉम होम ले सकती हैं। इससे आप बच्चे की देखरेख भी कर लेंगी और अपडेटेड भी रहेंगी।
डिलीवरी के बाद अगर आप किसी जॉब इंटरव्यू के लिए जा रही हैं, तो परेशान न हों। खुद पर विश्वास बनाए रखें और अपनी सोच को सकारात्मक बनाकर इंटरव्यूअर को भी इस गैप के बारे में समझाएं। अगर आप अपडेटेड रहेंगी तो यह सामने वाले को साफ नजर आ जाएगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप गैप ले चुकी हैं। इसलिए खुद की सोच को सकारात्मक बनाकर ही आगे बढ़ें।
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यूपी में होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए पहली अक्तूबर से वोटर लिस्ट पुनरीक्षण शुरू होगा। अगर आपके घर पर बूथ लेबल आफिसर (बीएलओ) नहीं आता है तो आप उसे फोन कर घर पर बुला सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट http//sec. up. nic. in पर पंचायतवार हर वार्ड के लिए तय बीएलओ का नाम व उसका मोबाइल नम्बर उपलब्ध रहेगा।
अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि प्रत्येक बीएलओ एक गणनाशीट लेकर गणनाकार के साथ मकान नम्बर के हिसाब से हर घर जाएगा। पहली अक्तूबर से शुरू हो रहे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में करीब एक लाख कार्मिक जुटेंगे। यह शिक्षक, राजस्व कर्मी व अन्य सरकारी कर्मचारी होंगे। वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान में ड्यूटी लगाने की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि जितने भी मतदान केंद्र हैं, उनके प्रत्येक पोलिंग बूथ के हिसाब से बीएलओ लगाए जाते हैं। साथ ही एक चौथाई स्टाफ रिजर्व रखा जाएगा।
वेद प्रकाश वर्मा, अपर निर्वाचन आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट http//sec. up. nic. in पर जाकर 'सर्च बीएलओ' पेज पर जाकर आप अपनी पंचायत के अपने वार्ड के बीएलओ का नाम व फोन नम्बर पता कर सकते हैं। अगर बीएलओ ठीक से काम नहीं कर रहा है या उससे आपको कोई शिकायत है तो आप प्रशासन से उसकी शिकायत भी कर सकते हैं। आयोग के नम्बर-- 0522-2630130, फैक्स नम्बर--0522- 2630115 , 2630134 और ई-मेल आईडी पर भी--secup@secup. in, secup@up. nic. in पर भी सम्पर्क किया जा सकता है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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पंक्ति ४७ पछी
४८ धवलसकल
शीलादित्य ३ जानां खेडानां ताम्रपत्रो
पतरूं वीजुं
पं. ४९ ५४ द्विषतां परममाहेश्वरः श्रीशैलादित्यः कुशली सर्व्वानेव समाज्ञापयत्येवमस्तु वा विदितं यथा मया मातापित्रोः पुण्याप्यायनाय गिरिनिर्झरविनिर्गतखेटकचादंस्तुस्थितचातुव्विद्यमान्यतापसगात्रसब्रह्मचारिब्राह्मण सान्दपुत्रब्राह्मणनाधुनगरकपथके देयापलिग्रामे दक्षिणपरसीम्नि चिलिकवर केदारक [ शछित ] सिद्धक्षेत्रं रज्जुकविरकपन्नष्ट खेटकमानेन श्रीहि पिदकद्दारा षभिः खण्डैरवस्थितं यत्र प्रथमखण्डस्याप्यालानपूर्व्वतः ग्रामादुत्थितः रोहिणयिर्जग्रामयायी पन्था दक्षिणतः दोध्वकसरोटपरतः कवि त्थाविकग्रामादुत्थितः : गण्डुकप्रामयायी पन्थाः दन्तुरपेचकशालिक्षेत्रं तथा द्वितीयखण्डं यस्य पूर्व्वतः करिल्याविकप्रामादुत्थितः गहन ॥ १४ ॥
पं. ५५ - ६२ ग्रामयायीपन्थाः दक्षिणतः रोहिणीयर्जग्रामसीमा अपरतः तापसपल्लिकाग्राम सीमा उत्तरतः रविकोणक्षेत्रं नवमिदमाप्या[ टनविश्या ] सकेदारिक भूमिकं सार्द्धक्षेत्रं ३ तथा सुराष्ट्रकष्टका लक्ष्योदकप्रबद्धजम्बुवानरग्रामे पूर्व सीम्नि आदित्यदास भागिसकाख्या प्रकृष्टपरिखा विंशतिभूपादावर्त्तपरिसरा बापी यस्याः पूर्व्वतः वराहम्मणिकग्रामसीमा दक्षिणतो बृहत्वापी अपरतः लाभदरिल्लकमकृष्टक्षेत्रं उत्तरतः ब्राह्मणस्वामिकप्रकृष्ट क्षेत्रं भूः खण्डावस्थितं अशीतिभूपादावर्त्त परिमाणं क्षेत्रद्वयं १ खण्ड दक्षिणपरसीम्नि दधित्थः प्रकृष्टं एकोनपञ्चाशद्भृपादावर्त्तपरिमाणं यस्य पूर्व्वतः दिव्यकनक्षेत्रं दक्षिणतः गर्गरक्षेत्रं अपरतः भीमक्षेत्रं उत्तरतः रमसालिकावापी द्वितीयखण्ड दक्षिणपरसीम्नि विनामेश्वरप्रकृष्टं चतुस्त्रिंशद्भूपादावर्त्तपरिमाणं यस्य पूर्वतः आदित्यदासक्षेत्रं दक्षिणतः लोहारपादकग्रामसीमा अपरतः ब्राह्मण रौप्यशर्म्मसीमा - हककण्डनादीनां क्षेत्रं उत्तरतः रौग्धिनदिन कामाप्रकृष्टगर्गक्षेत्रं नवमुदवापीसहितं सार्द्धक्षेत्रं इत्थं सोहक सोपरिक रं रं सम्भूत शालिप्रत्यक्ष सधान्य हिरन्योदयं सहसोपरोधं सोत्पद्यमानवृष्टिकं सर्व्वराजकीयानामहस्तप्रक्षेपणीयं पूर्वपत्तदेवब्राह्मणदायब्राह्मण विंशतिरहितं भूमिछिद्रन्यायेनाचन्द्रार्का ।। ६२ ॥
६३ वर्णव क्षितिसरित्पर्वतसमकालीनं पुत्रपौत्राद्यन्वयभोग्यमुपकृति स्वर्गति धम्मादयोन्मिश्रं अचितस्योचितया ब्रह्मदेयस्थित्या भुञ्जतः
૬૪ સુષત્તિતાં ....
रयमस्मदायो ।।
६५ नावमन्तव्य परिपालयितव्यश्चेत्युक्तञ्च बहुभिर्वसुधा एतत् कर्ता राजपुत्र ध्रुवसेनः ॥
सन्धिविग्रहाधिकृतदिविरपतिश्रीस्कन्द भट्टपुत्र दिविरपति श्रीमदनहिलेनेति सं ।। ३६५ ।। वैशाख्य शु ॥ १ ॥
॥ સ્વહસ્તો મમ ।।
તમને બધાને વિદિત થાએ કે માતાપિતાના પુણ્યને માટે તે શીલાદિત્યના દીકરાએ બ્રાહ્મણ સાન્તના દીકરા બ્રાહ્મણ લધુલ્લને દાન આપેલ છે, જે ચાતુર્વેદી હતા. ખેટક કેદારમાં નગરક પથઠમાં તૈયાપલિગામમાં નત્ય સીમમાં ૬ ખણ્ડવાળુ ખેતર ( આપ્યું છે ). ત્યાર બાદ દરેક ખણ્ડની સીમા આપી છે.
ઉપરની જમીન તળાવ તથા ટેકરીઓ સહિત લધુલ્લના વંશવારસના ભેગવટા માટે સૂર્યચંદ્ર પૃથ્વી નદીની સ્થિતિ પર્યંત આપેલ છે. રાજાના નાઝરેાએ તેને હરકત કરવી નહી
આ દાનના કર્તા શીલાદિત્યના દીકરા ધ્રુવસેન હતા. લેખક ક્રિવિપતિ કન્હભટ્ટના દીકરા (વિપતિ મદનહિલ હતા. સં. ૩૬૫ વૈશાખ શુ. ૧
એક વલભી ( શીલાદિત્ય ૩ જાના સમયના ) ( દાનપત્રનુ' પહેલુ' પતરૂ
સં. ૩૬૫ ના વૈશાખ સુ. ૧.
કાઠિયાવાડના માજી પાલિટિકલ એજંટ કર્નલ, જે. ડબ્લ્યુ, વૉટસને ભેટ આપેલું આ વલભી નાં એક દાનપત્રનું પહેલું પતર્ છે. બીજું પતરૂ હજી ઉપલબ્ધ નથી. પરંતુ અહિ આ પેલાં વર્ણન, માપ તથા ખીજી હકીકત ઉપરથી તે મળી આવવા સંભવ છે. રાજકેટના વેટસન મ્યુઝીયમના કયુરેટર મી. દિકક્કરે વળામાંથી કેટલાક વધારે પતરાં થોડા વખત પહેલાં મેળવ્યાં છે. તેમાં આ દાનપત્રને ખીએ ભાગ હાવાના સંભવ છે કે જેમાં તેના ખાસ મહત્વના ભાગ છે.
પતરાંનું માપ ૧૫'×૧ર"નુ છે. અને તે એક જ માજી ઉપર કાતરેલું છે.
લેખ ૩૦ પંક્તિએના છે. અને પતરૂ શ્રીધરસેન( ૪ )ના નામથી પૂરૂ થાય છે. વંશાવલિના ભાગમાં ભટ્ટાર્ક, ( પં. ર )ગુહુસૈન, ( ૫. ૬) ધરસેન, ( ü. ૧૦ ), શીલાદિત્ય, ( પં. ૧૩) ખરત્ર, પં. ૧૮ )ધરસેન ૩ જો, ( પં. ૨૧ )ધ્રુવસેન ૨ જો, ( પં. ૨૭ ) અને ધરસેન ૪ થા, ( ( ૫. ૩૦)માં આપેલા છે. પતરાની પંક્તિની સંખ્યા ઉપરથી અનુમાન થઈ શકે કે આ દાનપત્ર શીલાદિત્ય ૩ જાનું છે.
[ મ ગુટ્ટારમહારાગાષિરાગવરમેશ્વર સર્વોત્તશ્રીપરમેનઃ
જ. બા. મારો, એ.સા. ન્યુ સી, થે, ૧ મા ૭૦ ૭. લી આચાર્ય
શીલાદિત્ય ૩ જાના એક દાનપત્રનું શું પતરૂ,
આ પતરાના કાંઠાએ ભાંગેલા છે, અને તેની સપાટીમાં મેટાં કાણાંએ પડેલાં છે આના છેલ્લે ભાગ જેમાં સાધારણ રીતે તારીખ હેાય છે તે નાશ પામ્યા છે, એ મેટુ' નુકશાન છે. દાનમાં આપેલી મિલકતનાં વર્ણનવાળે ભાગ પણ નાશ પામ્યા છે. પતરાનું માપ આશરે ૧૫×૧૦:' છે.
અક્ષરો ચેખ્ખા અને સંભાળપૂર્વક કાતરેલા છે. અને જ્યાં જ્યાં પતરૂં સારી સ્થિતિમાં છે ત્યાં ત્યાં અક્ષરા વાંચવામાં હરકત આવતી નથી. આખા લેખ લગભગ વ્યાકરણની ભૂલે વગરના છે.
આ દાન શીલાદિત્ય ૩ જાએ આપ્યું છે. તેને માત્ર પરમમાહેશ્વર કહ્યો છે, પરંતુ રાજાના બીજો ઈલ્કામે લગાડયા નથી.
વલભીની બીજી ખાજુએ આવેલા રાણી ડુડ્ડાના વિદ્ગારમાં આવેલા એક પદ્ધ મને મા દાન આપ્યું છે.
આ દાનની ખીજી વિગત મળી શકતી નથી.
१ [ प्रदानसलिलक्षालितामहस्तारविन्दः कन्याया इव मृदुक ]रग्रहणादमन्दीकृतानन्दविधिर्व्वसुन्धराया x कार्मुकधनुर्वेद इव संभाविता [ शेषलक्ष्यकलापः ]
२ [ प्रेणतसमस्तसामन्तमण्डलोत्तमाङ्गवतचूडामणीय ] मानशासन : परममाहेश्वरपरमभट्टारकमहाराजाधिराजपरमेश्व[ रचक्रवर्त्तिश्रीवर- ]
३ सेनस्तत्पितामह भ्रातृश्रीशीलादित्यस्य शार्ङ्गपाणेरि ] वाङ्गजन्मनो भक्तिबन्धुरा वयवकल्पितप्रणतेरतिघवलया तत्पा[ दारविन्दप्रवृत्तया४ चरणनखमणिरुचा मन्दाकिन्येव नित्यममलि ]तोत्तमाङ्गदेशस्यागस्यस्त्येव राजपेर्दाक्षिण्यमातन्वानस्य प्रबलघवलिन [ यशसां वलयेन ]
५ मण्डितककुभा नभसि यामिनीपतेर्विरचिताखण्ड परिवेषमण्डलस्य पयोदश्यामशिखરજૂ[ ૩] વિસર્જાવંત્મ્ય સ્તનયુ[ યાઃ ક્ષતઃ વસુઃ શ્રીફેર-]
६ [ भटस्याङ्गजः क्षितिपसंहतेर ]नुरागिण्य शुचिर्यशोशुकभृतः स्वयवरमालामिव राज्यश्रियमर्प्पयन्त्या कृतपरिग्रहः [ शौर्य ] मप्र [ तिहतव्यापार-]
७ [ मानमित प्रचण्डरिपुमण्डलं ] मण्डलाग्रमिवावलम्बमानः शरदि प्रसभमाकिष्एँ शिलीमुख बाणास नापादितप्र[ साधनानां परभुवां ]
* જ, ખેડ. બ્રા. ર. એ. સા. ન્યુ, સી વેશ. ૧ પા. ૪૦ ડી. બી. દિર
૧ ધરસેન ૫ માના વર્ણનથી પતરૂં શરૂ થાય છે. ૨ અક્ષરા ગણતરીની મુકયા છે. ૩ લિંગા વિષ્ણ
૪ વાંચા રશિયા, ૫ વાંચી શોજી. ૬ વાંચે સ્વયં. છ વાંચા ટ |
व्यापार लाभदायी रहेगा। रुका पैसा प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्यों का प्रतिफल मिलेगा। कार्य की प्रगति होगी। आज आप अपनी योजनाएं गोपनीय रखें। आप का दांपत्य जीवन बहुत ही अच्छा रहेगा आपके आप अपने साथी तथा बच्चों के प्रति दयावान, भावुक रहेगे। आप अपनी योग्यता से लम्बे समय से लटकी किसी समस्या से निजात पा लेंगे इससे आपको अच्छा खासा आर्थिक लाभ भी होगा।
आज अपना आर्थिक लक्ष्य पाने के लिए आज का दिन बड़ा ही शुभ है। आपके सामने जो काम है उसे आप समय से पहले पूरा कर लें। इसके लिए जरूरी है कि आप सकारात्मक सोचें ठीक ढंग से की गई प्लानिंग और सही मौके की बदौलत से आपके व्यावसायिक सपने आज जरूर साकार होंगे।
आज आपकी वैवाहिक अड़चनें समाप्त होंगी जिससे आपके मन को काफी ख़ुशी मिलेगी। आय-व्यय में असंतुलन की स्थिति बन सकती है। विरोधी परास्त होंगे। भौतिक विकास के कार्यों को बल मिलेगा। अपने प्रयासों से उन्नति पथ प्रशस्त करेंगे। इच्छित काम पूर्ण हो सकेंगे। आमदनी के नए माध्यम नजर आएंगे। स्वास्थ्य के लिहाज से आज का दिन सामान्य रहेगा और बीमार लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होगा और मन खुश रहेगा।
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य एवाई किंचिदिति वस्तुमात्रमिंद्रियानिद्रियाभ्यामद्राक्षं स एव तद्वर्णसंस्थानादि सामान्यभेदेनावगृह्णामि तद्विशेषात्मनाकांक्षामि तदेव तथावैमि तदेव धारयामीति क्रमशः स्वयं दर्शनावग्रहादीनामिंद्रियानिन्द्रियोत्पाद्यत्वं प्रतीयत प्रमाणभूतात्मत्यभिज्ञानात् क्रममा व्यनेकपर्यायव्यापिनो द्रव्यस्य निश्चयादित्युक्तमायम् ।
जो ही मैं " कुछ है ", इस प्रकार महासत्तास्वरूप केवल सामान्य वस्तुको इन्द्रिय अनिन्द्रियों के द्वारा देख चुका हूं ( दर्शन उपयोग ) सो ही मैं रूप आकृति रचना आदि सामान्य मेदोंकरके उस वस्तुका अवग्रह कर रहा हूं ( अवग्रह ) तथा वही मैं अन्य विशेष अंश स्वरूपकर के उस वस्तुका आकांक्षारूप ज्ञान कर रहा हूं ( ईश ) तथा वही मैं तिस प्रकार ही है, इस ढंगसे उसी वस्तुका निश्चय कर रहा हूं ( अवाय ) एवं वही में उसी वस्तुकी कालान्तरतक स्मरण करने योग्यपनसे धारणा कर रहा हूं ( धारणा ) । इस प्रकार क्रमसे दर्शन, अवग्रह, ईहा, अवाय, धारणा, ज्ञानोंका इन्द्रिय अनिन्द्रियों के द्वारा उत्पत्ति योग्यपना स्वयं प्रतीत हो रहा है। वही एक आत्मा क्रमसे दर्शन और अनेक ज्ञानोंको उत्पन्न करता है। प्रमाणभूत सिद्ध हो रहे प्रत्यभिज्ञानसे क्रमसे होनेवाली अनेक पर्यायों में व्यापनेवाले द्रव्यका निकाय हो रहा है। इसको हम पहिले कई बार कह चुके हैं ।
वर्णसंस्थादिसामान्यं यत्र ज्ञानेवभासते । तन्नो विशेषणज्ञानमवग्रहपराभिधम् ॥ १९ ॥ विशेषनिश्चयोवाय इत्येतदुपपद्यते ।
ज्ञानं नेहाभिलाषात्मा संस्कारात्मा न धारणा ॥ २० ॥ इति केचित्प्रभाषते तच्च न व्यवतिष्ठते । विशेषवेदनस्थेह दृष्टस्येहात्वसूचनात् ॥ २१ ॥ ततो दृढतरावायज्ञानाद् दृढतमस्य च । धारणत्वप्रतिज्ञानात् स्मृतिहेतोर्विशेषतः ॥ २२ ॥ अज्ञानात्मकतायां तु संस्कारस्येह तस्य वा । ज्ञानोपादानता न स्याद्रूपादेवि सास्ति च ॥ २३ ॥
कोई अपना राग अलाप रहे हैं कि जिस ज्ञानमें वर्ण, रचना, आकृति आदिका सामान्यरूपसे प्रतिभास होता है वह ज्ञान तो हमारे यहां विशेषणज्ञान माना गया है। आप जैनोंने उसका दूसरा नाम जवग्रह घर दिया है । तथा जिस ज्ञानकरके वस्तुके विशेष अंशोका निश्चय कराया जाता है, |
लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को 54 दिन का पूरा वेतन देने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्मचारी और नियोक्ता(कंपनी) आपस में समझौते से मामला सुलझाए। इसमें राज्य के श्रम विभाग मदद करेंगे। कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस बीच पूरा वेतन न देने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने MSMEs सहित कई कंपनियों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें लॉकडाउन के 54 दिनों की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूर्ण वेतन और भुगतान करने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई।
चीफ जस्टिस भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमने कंपनियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। इस पर पहले के आदेश जारी रहेंगे। केंद्र सरकार द्वारा जुलाई के अंतिम सप्ताह में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल किया जाए। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों और कंपनियों के बीच सुलह के लिए बातचीत का जिम्मा राज्य सरकार के श्रम विभागों को दिया जाता है।
इससे पहले 4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने वेतन भुगतान पर गृह मंत्रालय (MHA) की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए देखा कि कंपनी और कर्मचारियों के बीच सुलह का कोई रास्ता निकाला जा सकता है जिससे 54 दिनों की सैलरी दी जा सके।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की एक पीठ, जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और एम आर शाह शामिल है, इस याचिका पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट में पिछली बार हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, सैलरी देने वाली कंपनियों की दलील है कि वो 29 मार्च से 17 मई के बीच के 54 दिनों की पूरी सैलरी देने की हालत में नहीं है। उनकी दलील थी कि सरकार को ऐसे मुश्किल हालत में उद्योगों की मदद करनी चाहिए। इस केस की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय कौल और एमआर शाह की बेंच कर रही है।
4 जून को सुनवाई के दौरान कोर्ट को ये बताया गया कि कर्मचारियों और कंपनियों के बीच सैलरी को लेकर बातचीत हुई है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि अगर कोई कोई कंपनी ये कह रही है कि वो पूरी सैलरी देने की हालत में नहीं है तो वो फिर अपनी ऑडिटेड बैलेंस शीट दिखाए।
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ताईवान ताइक्वांडो विवाद पर चीन को `खेद'
बीजिंग, (एएफपी) चीन ने शुक्रवार को कहा कि उसे ताइक्वांडो में ताईवान की पदक की दावेदार यांग शु चुन को डिस्क्वालीफाई किये जाने पर `खेद' है। यांग शु को जुराबों में अतिरिक्त इलेक्ट्रानिक सेंसर लगाने पर एशियाई खेलों से बाहर कर दिया गया था। ताईवान के राष्ट्रपति ने जांच की मांग की है जिससे कि ग्वांग्झू में हो रहे खेलों में उनके खिलाड़ि यों के साथ निष्पक्ष व्यवहार हो। पच्चीस वर्षीय यांग को बुधवार को इसलिए डिस्क्वालीफाई कर दिया गया था क्योंकि उनके दोनों पैरों में एक-एक अतिरिक्त सेंसर लगा हुआ था जो अधिक अंक जुटाने का प्रयास था। यांग ने जोर देकर कहा था कि यह नियमों के मुताबिक है और उन्हें डिस्वालीफाई किये जाने के बाद ताइवन के नेताओं और मीडिया ने कड़ी प्रतिक्रिया की। चीन सरकार की प्रवक्ता ने कहा कि चीन डिस्वालीफिकेशन पर ताईवान की चिंता को समझता है। ताईवान मामलों के कार्यालय की राज्य परिषद की प्रवक्ता फेन लिकिंग के हवाले से शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने कहा, यांग शु चुन काफी प्रतिस्पर्धी ताइक्वांडो खिलाड़ी है। जो भी हुआ उस पर हमें खेद है। विश्व ताइक्वांडो प्रमुख ने कहा है कि घटना की पूरी जांच होगी लेकिन अंतिम फैसला 27 नवंबर को खेलों के खत्म होने के बाद ही आएगा।
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Ghaziabad: जिले में सोमवार को सुबह एक बहुमंजिला इमारत में आग लग गई। हादसे में दो महिलाओं के जान गंवाने की आशंका है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
मुख्य दमकल अधिकारी (सीएफओ) राहुल पाल ने बताया कि गाजियाबाद जिले के लोनी इलाके में लाल बाग कॉलोनी में सुबह करीब छह बजकर 52 मिनट पर आग लगने की सूचना मिली। इमारत में 'टेंट हाउस' और 'कैटरिंग सर्विस' की दुकान थी।
उन्होंने कहा, " उन्हें (महिलाओं) अस्पताल ले जाया गया और उनकी संभवतः मौत हो गई है।" अधिकारी ने बताया कि उनके अलावा वहां इमारत में आठ अन्य लोग मौजूद थे, जिन्हें बचा लिया गया। पाल ने बताया कि घटना की सूचना मिलने पर दमकल कर्मियों के दल के साथ ट्रोनिका सिटी से दो दमकल वाहनों को और साहिबाबाद से एक दमकल वाहन को मौके पर भेजा गया।
पाल ने बताया कि संदेह है कि आग शॉर्ट-सर्किट होने की वजह से लगी। हादसे के समय भूतल पर कोई मौजूद नहीं था। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान के दौरान लोहे का एक दरवाजा गिरने से एक दमकल कर्मी घायल हो गया।
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Benefits of Matka Water: गर्मियों के मौसम में सभी लोग ठंडे पानी से प्याज बुझाना पसंद करते हैं। ऐसी स्थिति में यदि आप फ्रीज का पानी छोड़कर मटके का पानी पिएंगे तो आपके शरीर में कई तरह के लाभ देखने को मिलेंगे।
- जैसा कि आप लोग जानते ही है कि गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है ऐसे में सभी लोग प्यास लगने पर ठंडे पानी का प्रयोग करते हैं।
Benefits of Matka Water: जैसा कि आप लोग जानते ही है कि गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है ऐसे में सभी लोग प्यास लगने पर ठंडे पानी का प्रयोग करते हैं। ठंडे पानी को पीने से न केवल शरीर में ठंडक महसूस होती है बल्कि हमारी प्यास भी बुझती है। ऐसे मौसम में अधिकतर लोग फ्रिज का पानी पी रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते है फ्रिज का पानी पीने से हमारे शरीर में कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं।
यदि आप खुद को रोगों से दूर रखना चाहते हैं जो आज से ही आप मटके का पानी पीना शुरू करें। जिस तरह आप प्याज लगने पर फ्रिज का पानी पीते हैं ठीक उसी प्रकार प्यास लगने पर आप मटके का भी पानी पी सकते हैं।
आपको बता दें कि बाजार में इन दिनों खूब जोर शोर से मिट्टी के बर्तन मिल रहे हैं। इसके साथ ही लोग मिट्टी के बॉटल ग्लास कटोरी का भी खूब इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि इससे सेहत को अनेक प्रकार के फायदे मिलते हैं। आइए जानते है कि हमारे शरीर में किस तरह फायदे मिलते हैं?
गर्मियों के दिनों में फ्रिज का पानी छोड़कर आप यदि मटके का पानी पीते हैं, तो इससे आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। साथ ही आपका शरीर अनेक प्रकार की बीमारियों की चपेट में आने से बच जाता है।
गर्मियों के मौसम में अक्सर लोग हीटवेव की वजह से बीमार पड़ जाते हैं,यदि आप मटके का पानी पीना शुरू करते हैं, तो आप लू की समस्या से भी आप बच सकत हैं। गर्मियां शुरू होते ही लू की समस्या अधिकतर लोगों को परेशान करती हैं ऐसे में आप मटके का पानी पीकर इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
मटके का पानी पीना सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है साथ ही जिस व्यक्ति के शरीर में पेट से जुड़ी किसी भी तरह की कोई भी समस्या है, तो उसे मटके के पानी का सेवन करना चाहिए। साथ ही मटके का पानी पीने से पाचन में भी सुधार होता है।
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फ़ मन अज्लमु २४ ७३७
लिए इस मे निशानिया है । (४२) क्या उन्हों ने खुदा के सिवा और सिफारिशी बना लिए है। कहो कि चाहे वे किसी चीज का भी अख्तियार न रखते हो और न ( कुछ ) समझते ही हो ? (४३) कह दो कि सिफारिश तो सब खुदा ही के अख्तियार मे है । उसी के लिए आसमानो और जमीन की बादशाही है, फिर तुम उसी की तरफ लौट कर जाओगे । (४४) और जब तहा जिक्र किया जाता है. तो जो लोग आखिरत पर ईमान नहीं रखते, उन के दिल भीच उठते हैं और जब इस के मित्रा औरो का जिक्र किया जाता है, तो खुश हो जाते है । ( ४५ ) कहो कि ऐ खुदा ! (ऐ) आसमानो और जमीन के पैदा करने वाले (और) छिपे और खुले के जानने वाले । तू ही अपने हर बन्दो मे इन वातो का, जिन मे वे इख्तिलाफ करते रहे है, फैसला करेगा । (४६) और अगर जालिमो के पास वह सब ( माल व मताअ ) हो जो जमीन में है और उस के साथ उसी कदर और हो तो क्रियामत के दिन बुरे अजाब ( से मुख्लसी ) पानी के बदले मे दे दे और उन पर खुदा की तरफ से वह वात जाहिर हो जाएगी, जिस का उन को ख्याल भी न था । (४७) और उन के आमाल की बुराइया उन पर जाहिर हो जाएगी और जिस (अजाब) की वे हसी उडाते थे, वह उन को आ घेरेगा। (४८) जब इसान को तक्लीफ पहुचती है, तो हमे पुकारने लगता है, फिर जब हम उस को अपनी तरफ मे नेमत बख्शते है, तो कहता है कि यह तो मुझे ( मेरे ) इल्म ( व सूझ-बूझ ) की वजह से मिली है । (नही, ) बल्कि वह आजमाइश है, मगर उन मे से अक्सर नही जानते । (४६) जो लोग इन में पहले थे, वे भी यही कहा करते थे, जो कुछ वे किया करते थे, उन के कुछ काम भी न आया । (५०) उन पर उन के आमाल के वबाल पड गये और जो लोग उन मे से ज़ुल्म करते रहे हैं, उन पर उन के अमलो के ववाल बहुत जल्द पडेगे और वे ( खुदा को ) आजिज़ नही कर सकते । (५१) क्या उन को मालूम नही कि खुदा ही, जिस के लिए रोजी को फैला देता है और (जिस के लिए चाहता है) नग कर देता है । जो ईमान लाते हैं, उन के लिए इस मे ( बहुत-सी) निशानिया हैं । (५२) * YYXX०मजिल ६५०९५० |
13 जनवरी से 18 जनवरी के बीच ग्रेटर नोएडा में आयोजित होगा ऑटो एक्सपो 2023।
इस दौरान कई कंपनियों की ओर से वाहनों को पेश किया जाएगा।
साउथ कोरियाई कार कंपनी किआ की कॉन्सेप्ट ईवी9 को इस एक्सपो में देखा जा सकेगा।
ब्रिटिश कार कंपनी एमजी भी एक्सपो में एमजी4 इलेक्ट्रिक को शोकेस करेगी।
ह्यूंदै की ओर से आयोनिक6 को शोकेस किया जाएगा।
बीवाईडी की ओर से भी इलेक्ट्रिक सेडान सील को दिखाया जाएगा।
मारुति की ओर से भी एक्सपो में एक इलेक्ट्रिक कार को शोकेस किया जाएगा।
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KANPUR: कानपुर मेट्रो के फर्स्ट फेज में बनने वाले हैलट मेट्रो स्टेशन के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और एलएलआर हास्पिटल के काफी बड़े हिस्से का यूज होना तय हो गया है। ऐसे में रूट के रास्ते में पड़ रही कई अहम चीजें भी हटाई जाएंगी। जिसमें नया ओपीडी रजिस्ट्रेशन काम्प्लेक्स भी शामिल है, जिसपर शुरू हुए बिना ही तोड़े जाने का संकट आ गया है। अस्पताल में पेशेंट्स के लिए कई अहम जरूरी जगहें इस रूट में पड़ रही है। मेट्रो रूट का अलाइनमेंट नहीं बदलने से उन्हें हटाया जाना तय हो गया है। जिससे पेशेंट्स की भी प्रॉब्लम कुछ हद तक बढ़ सकती है, क्योंकि एलएलआर हास्पिटल में हैलट मेट्रो स्टेशन का बड़ा हिस्सा आएगा।
हैलट हास्पिटल की ओपीडी में पेशेंट्स के बढ़ते लोड को देखते हुए 2 करोड़ की लागत से ओपीडी से बाहर एक रजिस्ट्रेशन काम्प्लेक्स का निर्माण चल रहा है। जिसका 98 फीसदी काम पूरा भी हो चुका है और इसे जल्द शुरू किया जाएगा। यह काम्प्लेक्स हैलट की चाहरदिवारी से ही लगा है। वहीं मेट्रो स्टेशन के लिए जाने वाले ट्रैक का हिस्सा इसी के ठीक ऊपर से गुजरेगा। जिसके लिए चाहरदिवारी से 8. 80 मीटर का हिस्सा मेट्रो के लिए जाएगा। ऐसे में अब इस काम्प्लेक्स के बिना शुरू हुए ही टूटने की संभावना बढ़ गई है। इसी काम्प्लेक्स के फर्स्ट फ्लोर पर डिजास्टर मैनेजमेंट स्किल ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण भी प्रस्तावित है, जिसके लिए कॉलेज को केंद्र सरकार से फंड भी मिल चुका है। मेट्रो रूट की वजह से अब इसे भी दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ेगा।
- रजिस्ट्रेशन काउंटर न शुरू होने की वजह से पेशेंट्स को ओपीडी में पहले की तरह ही भीड़ का सामना करना पड़ेगा।
मेट्रो प्रोजेक्ट में कॉलेज और हॉस्पिटल का काफी हिस्सा आ रहा है। कोशिश यही की जा रही है कि जो चीजें पहले बनी हैं, रोगी हित में उन्हें न तोड़ा जाए। इसके लिए मेट्रो के अधिकारियों और शासन में लगातार बात चल रही है।
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अ) प्राचीनः
1. नामकरणः
021 ऐतिहासिक
किसी भी देश के नामकरण में अनेक तथ्य सहायक होते हैं। कभी शासकों के नाम पर
तो कभी वहां के निवासियों के नाम पर देश का नामकरण होता है और कभी कभी उस देश की प्राकृतिक दशा भी नामकरण में सहायक होता है। जनपद हमीरपुर का नामकरण भी कुछ इसी प्रकार ही है।
सुप्रसिद्ध अंग्रेज विद्वान डी० एल० ड्रेक ब्रांकमैन के अनुसार हमीरपुर जिले की स्थापना ग्यारहवीं शताब्दी में हम्मीरदेव द्वारा की गई थी। वह एक करचुलि राजपूत थे और उन्होंने मुसलमानों से पराजित होकर बदना नामक एक अहीर के साथ यहां शरण ली थी जिसके नाम पर समीप के गांव का नाम बदनपुरा पड़ा' कुछ विद्वान हमीरपुर को चन्देल शासक हम्मीरवर्मन (1289-1309 ई0) द्वारा बसाया मानते हैं किन्तु इसके पूर्व हमीरपुर जनपद बुन्देलखण्ड प्रदेश का ही एक भू भाग रहा है।
बुन्देलखण्ड प्रदेश को भी पूर्व में विभिन्न नामों से जाना गया कभी यह धसान अथवा
दशार्ण नदी के कारण, धसान या दशार्ण कहलाया तो कभी जुझौतिया ब्राह्मणों की बहुलता के कारण इसे जुझीति अथवा यजुर्होत्र कहा जाता रहा।
इसके अतिरिक्त जेजा अथवा जयशक्ति नरेश के नाम पर महा जेजामुक्ति अथवा जेजाक मुक्ति के नाम से भी प्रसिद्ध रहा है। इस प्रकार बुन्देलखण्ड के अनेक नाम बदले जिनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है।
1. हमीरपुर गजेटियर 1909 भाग - 22 पृष्ठ-17
2. स्मारिका हमीरपुर महोत्सव 94, पृष्ठ ।
3. चन्देलकालीन बुन्देलखण्ड का इतिहास - डा० अयोध्याप्रसाद पाण्डेय, पृष्ठ-4 |
अब यह अधिकारिक हो गया कि भारतीय फुटबॉल टीम के पास इंडोनेशिया में आगामी एशियाई खेलों में भाग लेने का कोई मौका नहीं बचा है।
नई दिल्ली, पांच जुलाई। अब यह अधिकारिक हो गया कि भारतीय फुटबॉल टीम के पास इंडोनेशिया में आगामी एशियाई खेलों में भाग लेने का कोई मौका नहीं बचा है, क्योंकि देश को गुरुवार को जारी टूर्नामेंट के ड्रॉ में शामिल नहीं किया गया। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने पुरुष और महिला फुटबॉल टीम को इस बार इंडोनेशिया नहीं भेजने का फैसला किया, क्योंकि वे ओलंपिक संस्था द्वारा निर्धारित क्वालिफाइंग मानकों को पूरा नहीं कर सके।
आईओए ने भारत की पुरुष और महिला फुटबॉल टीमों को पदक जीतने का दावेदार नहीं मानते हुए उन्हें जाने की अनुमति नहीं दी। भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम की निगाहें एशियाई खेलों का इस्तेमाल अगले साल होने वाले एएफसी एशिया कप की तैयारी के तौर पर करने पर लगी थीं।
इस फैसले से विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने आईओए के फैसले को 'अदूरदर्शितापूर्ण' बताया था। इस फैसले को अनुदर्शी के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि भारतीय फुटबॉल पिछले कुछ वर्षों में लगातार ऊपर बढ़ रही है। राष्ट्रीय टीम फीफा रैंकिंग में 173 से 97वें स्थान पर पहुंच गई और उसने एएफसी एशिया कप 2019 के लिए क्वालिफाई किया और फीफा अंडर-17 विश्व कप की सफल मेजबानी की।
'ब्लू टाइगर्स' टीम अंतरराष्ट्रीय मैचों में हालिया अच्छे प्रदर्शन की बदौलत इस समय एशिया में 14वीं रैंकिंग पर है। वहीं ड्रॉ के अनुसार 24 टीमें पुरुष स्पर्धा में खेल रही हैं, जबकि महिला वर्ग में 11 देश हैं।
मेजबान इंडोनेशिया को अंडर-23 पुरुष टूर्नामेंट के ग्रुप ए में हांगकांग, लाओस और चीनी ताइपे के साथ रखा गया है, जिसमें प्रत्येक देश 'इस उम्र से अधिक' के तीन खिलाड़ी उतार सकता है।
ग्रुप बी में थाईलैंड, उज्बेकिस्तान, बांग्लादेश और कतर शामिल हैं जबकि ग्रुप सी में 2014 के कांस्य पदकधारी इराक, चीन पीआर, टिमोर-लेस्टे और सीरिया मौजूद हैं। जापान को ग्रुप डी में वियतनाम, पाकिस्तान और नेपाल को रखा गया है।
साल 2014 रजत पदकधारी डीपीआर कोरिया का सामना ग्रुप एफ में सऊदी अरब, इरान गणराज्य और म्यामां से होगा। प्रत्येक ग्रुप से शीर्ष दो टीमें तथा सर्वश्रेष्ठ तीसरे स्थान पर काबिज चार टीमें राउंड 16 में पहुंचेंगी। पुरुष फुटबाल टीमें जकार्ता और पालेम्बांग में 14 अगस्त से एक सितंबर तक खेलेंगी जबकि महिलाओं की प्रतियोगिता 16 से 31 अगस्त तक होगी।
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थोड़ी देर बाद दुगनी क़ीमत कह आधे दामपर चीजें बेच देने वाले मिस्री अरब छोटी-छोटी पाल वाली नावोंपर आने लगे और अपनी चीजें बेचनेका प्रयास करने लगे। हम लोगोंने कुछ नहीं खरीदा । अपनी नौकासे ये रस्सीकी सीढ़ी ऊपर फेंककर हमारे जहाज़में अटका देते और माल लेकर खटाखट चढ़ आते । काले ( हबशी और नूबियाई ) से लेकर सफ़ेद तक कई रंगोंके मिस्री देखे जो अरबी बोलते थे ।
मिस्रकी भाषा अरबी है । मिस्रपर अरबोंका ही राज क़ायम है । वहाँ मामलुक - गुलामोंके बाद ही फिर अरबोंका अधिकार हो गया था । वास्तव में अरबोंका शासन और प्रभाव मिस्र के दक्षिण अबिसी नियासे लेकर एक ओर तो तुर्कीकी सरहद तक है दूसरी ओर ईरानकी सीमासे लेकर अरब, ईराक लाँघता भूमध्यसागरतक । इस चतुर्दिक् विस्तार के बीच सर्वत्र अरबोंका राज्य है, सर्वत्र अरबी ही बोली जाती है । अपवाद केवल इसराइलका छोटा-सा यहूदियोंका अभी हालका बना स्वतंत्र राज्य है जिसका बड़े त्यागसे और लड़ाइयाँ लड़कर यहूदियोंने निर्माण किया है । अरबोंने अन्य राष्ट्रों द्वारा उसके स्वीकार कर लिये जानेपर भी उसे अंगीकार नहीं किया है और जले भुने बैठे हैं। पता नहीं कब आग भड़क उठे ।
ईराक, अरब ( सऊदो आदि ) और मिस्रसे अलग मध्य-पूर्व में चार राज्य हैं जो कभी-कभी फिलिस्तीन या पॅलेस्टाइन राज्योंके नामसे जाने जाते हैं । ये हैं इसराइल, लेबनान, सीरिया और ट्रान्स्जार्डन । इनमें से यहूदी इसराइलको छोड़, जैसा ऊपर कहा जा चुका है, सब अरबी राज्य हैं । इनको आपसमें, विशेषकर इसराइलके विरुद्ध संगठित रखने के लिए एक 'अरब लीग' क़ायम है; जिसमें ईराक और अरब भी शामिल हैं और जिसका नेतृत्व मिस्र के हाथ में है। यहूदी सदियोंके सताये हुए हैं। वे दुनियामें अपने व्यापारके कारण काफ़ी धनी हैं। चारों ओर संसारमें बिखरे हुए हैं। बड़ी कठिनाइयों और बलिदानोंके बाद उन्होंने इसराइलके नये
राष्ट्रमें टिकने की जगह पाई है । उसपर भी अरब राहु बनकर उनपर मँडरा रहे हैं ।
सुबह सात बजते-बजते बन्दरके मिस्री अफ़सर जहाज़पर आने लगे । कस्टम ( चुंगी, ज़क़ात ), पुलिस सभी आये । पुलिसने हमारे पासपोर्ट देखे और कहा कि वैसे तो बग़ैर 'वीसा' के उतरनेका हुक्म नहीं है पर अगर जहाज़के एजेण्ट यात्रियोंकी ज़िम्मेदारीका एक साधारण रुक्का लिख दें तो 'परमिट' मिल सकती है जिससे 'पिरॅमिड' और मिस्रकी राजधानी क़ाहिरः देखी जा सकती है। पर चूँकि जहाज़ शामके चार बजे ही नहर होकर पोर्ट सैयद जाने वाला था हमलोगोंने इसपर विशेष ध्यान नहीं दिया। बादमें जब जाना कि हम रातसे पहले नहरमें प्रवेश नहीं पा सकते और कि क़ाहिरः और पिरैमिड बजाय पोर्ट सैयदसे ज़्यादा नज़दीक यहीं से हैं तब बड़ा अफ़सोस हुआ। पूछनेपर ज्ञात हुआ कि क़ाहिर की राह पोर्ट सैयदसे प्रायः ४ घंटेमें तै होती है पर स्वेज़से केवल डेढ़ ही घंटेमें। यानी हम सुबह जाकर तीसरे पहर तक आसानीसे लौट सकते थे । ट्रेन भी मिल जाती, मोटर भी । यात्रियोंके लिए वहाँ कम्पनियाँ भी हैं जो उन्हें दर्शनीय स्थानोंको ले जानेका प्रबन्ध करती हैं। ऐसा भी हो सकता था कि स्वेज़ से क़ाहिरः चले जायँ और पोर्ट सैयदपर अपना जहाज़ पकड़ लें । पर इन सुविधाओंका पता वास्तव में तब चला जब काफ़ी देर हो चुकी थी और जब जाया नहीं जा सकता था । मन तब और भी खिन्न हुआ जब जाना कि रातके दस बजेसे पहले जहाज़ लंगर नहीं उठा सकता ।
अँधेरा होते ही स्वेज़के जल विस्तारपर बत्तियोंके तारे सहसा जगमगा उठे । दूर और निकट, तटपर और पानीमें, नगरमें और जहाज़ोंपर सर्वत्र हज़ारों प्रकाश एक साथ चमक उठे । और बीच-बीच में थोड़ी-थोड़ी देरमें जल उठने वाले आलोकस्तम्भोंके प्रकाशपुंज जैसे समुद्रकी सतहपर फिरकर उसके अंधकारको बुहार देते। उनके फैलते प्रकाश मंडल में इस मार्गका अन्तरंगतक चमक उठता । और जब उनका रश्मि-मार्ग क्षणमात्र सीधा
होता तो उसका विद्युत्प्रवाह आकाश - गंगाके स्रोत-सा लगता जिसमें आसपासके बल्व नीहारिकाओंकी भाँति डूबते-उतराते-से धूमिल हो जाते । इस प्रकाश पुंजसे ही हमें उस अनन्त अंधकारका बोध होता जो हमारे जहाज के पीछे फैला हुआ था । प्रकाशसे ही अन्धकारकी गहनताका बोध होता है । पर मनुष्य इतना महान् है कि वह अन्धकारको भी जीत लेता है । मुहम्मद इकबालकी उक्ति कितनी सुन्दर है - खुदा, तूने अन्धकार बनाया, हमने चिराग़ बना लिया !
स्वेज नहर बहुत सँकरी है इससे एक साथ ही दोनों ओरसे जहाज़ आ-जा नहीं सकते । यातायात एक ही ओरसे एक समय होता है । अर्थात् एक बार पच्छिमसे पूरब जाने वाले जहाज़ निकलते हैं दूसरी बार पूरबसे पच्छिम जाने वाले जहाज़ । सुबहसे ही पूरब जाने वाले जहाजोंका बेड़ा भूमध्यसागरकी ओरसे आने और नहरके मुँहसे निकलकर जैसे स्वेजकी खाड़ीमें पसरने लगा । जहाजोंका यह ताँता शामतक बना रहा। हमारा जहाज़ स्वेज़के बन्दरमें पीछे था । वास्तवमें स्वेज़ लाँघनेवाले एक ओरके जहाज़ोंमें भी आपसका एक सिलसिला होता है। पहले यात्रियों वाले जहाज़ निकलते हैं, फिर आधा यात्रियों आधा मालवाले, फिर टैंकर यानी तेल ढोने वाले, और अन्तमें फ़टर ( फ़ोट या कारगो यानी माल ढोने वाले ) । हमारा जहाज फ़टर है ।
साढ़े दस बजे हमारे जहाजने लंगर उठाया । दस बजेसे ही चलनेके उपक्रम होने लगे थे । दौड़-धूप, कुछ हल्ला-गुल्ला मचा हुआ था । मैं तो जहाज़ खुलनेकी राह देखता देखता थककर केबिनमें नौ बजे ही सोने चलां गया था । पर श्री जेम्सने जो दरवाजा खटखटाया तो आँख खुल गई । जो ऊपर गया तो देखा अनेक मिस्री नाविक-माँझी, जो दिनमें ही ऊपर आगये थे, इधर-उधर घूम रहे थे । ये, सुना पोर्ट सैयद तक साथ जायँगे । पाइलट भो आ गया था । वास्तवमें, सुना, नहर पार करना आसान नहीं और स्वेजका मिस्री पाइलट ही उसका पथ-प्रदर्शन करता है । कप्तान
बम्बई और पोर्ट संघदके बीच
और उसके कर्मचारी रातमें स्वेज़ पार करते समय बराबर जागते रहते हैं । यह पाइलट, एक मिस्री अफ़सरने बताया, बड़ी तनख्वाह पाता है । अस्तु ।
स्वेज़की नहर और नहर बनानेवाले फ्रेंच इञ्जीनियरका स्मारक बाईं ओर छोड़ते हुए प्रायः आध घंटेमें नहरके मुँहमें हमारा जहाज़ प्रविष्ट हुआ । बाईं ओर सुन्दर साफ़ छोटे-छोटे मकान बने हुए थे, दूर तक लगातार, नहरके किनारे । दोनों ओर बत्तियोंकी क़तार थी । हमारा बेड़ा पन्द्रह जहाजोंका था । ग्यारह हमारे आगे थे, तीन पीछे । 'जान बाके' का नम्बर बारहवाँ था । मन्थर गतिसे हमारा जहाज चला, शान्त जलमें, नीरव । हम चुपचाप डेकपर खड़े नहरको देखते और उसकी उपादेयतापर विचार करते रहे ।
यदि यह नहर न होती तो यात्रा और माल ढोनेमें कितना कष्ट होता । हिन्दुस्तान पहुँचने के लिए एक दुनिया सर करनी होती, अफ्रीकाके महाद्वीप - का चक्कर करना होता । उसी राहसे स्पेन और सारे अफ्रीका के पश्चिमी और दक्षिणी तट नापते गुडहोपका अन्तरीप होते जहाज़ महीनोंमें हिन्दुस्तान पहुँचते थे । पिछले महायुद्धमें भी स्वेजकी राह छोड़ उधरसे ही खतरेसे बचने के लिए जाना पड़ता था। इस नहरसे यातायातकी कितनी सुविधा होगई ।
जब मिस्रकी ग्रीक सुघड़ शौक़ीन मनस्विनी रानी क्लियोपात्रा हिन्दुस्तानके मोती, रत्न और माल भरे जहाजके जहाज खरीदकर अपने धन और वैभवको सार्थक करती तब उसे महीनों जहाजोंकी राह देखनी पड़ती थी । सिकन्दरिया के बन्दरमें पहुँचते एक जमाना लग जाता था । रोमके नृशंस सम्राट् नीरोने एकबार भूमध्यसागर और लालसागरको एक नहर द्वारा मिलानेका प्रयत्न किया, मिला भी दिया, और कुछ दिनों भारत, मिस्र और रोमके बीच पहली दूसरी सदी ईसवीमें उसी राह जहाज़ चले भी पर कुछ ही दिनोंमें वह पट गई और उधरसे यातायात बन्द हो गया। वह नहर कहाँ थी, नहीं कहा जा सकता ।
'खुदा तूने अन्धकार बनाया, पर हमने चिराग़ बनाया !' निश्चय प्रकृति विराट है, बलवती है, भयावनी है, पर मनुष्य उसका विजयी है, शासक है, स्वामी है। मनुष्यने अपनी सूझ, अध्यवसाय और शक्तिसे फिर भूमध्यसागर और लालसागरके उपरले सिरे, स्वेज़की खाड़ी को मिला ही दिया । और इस नहरसे मिस्रका अतुल लाभ भी हुआ । इस नहरको बनाया एक फ्रेंच इंजीनियरने । अनन्त धनके व्ययसे यह खुदी । इसमें फ्रेंच, अंग्रेज़ और मिस्री सरकार तीनोंके पहले हिस्से थे । अंग्रेज़ोंको कुछ काल बाद अलग हो जाना पड़ा । फ्रांस और मिस्र के बीच अस्सी सालका एक राजीनामा कायम है जो अब सात साल बाद समाप्त हो जायगा और नहरकी सारी आमदनी केवल मिस्र लेगा । अंग्रेज़ोंने फिर अधिकतर मिस्री शेयर खरीद लिये ।
फ्रेंच कम्पनी इतनी धनी हो गई है कि पोर्ट सैयदके पास नगरके सामने, बन्दर पार, वह एक नगर बसा रही है । सुना, उसका नाम पेरिस होगा और उसमें समृद्धि बरसेगी । जो हो, स्वेजको नहरसे बड़ी आमदनी है । नित्य प्रायः तैंतीस जहाज इससे होकर गुज़रते हैं और कम्पनीको सौ मिलियन पाउण्डकी सालाना आमदनी होती है । सौ मिलियन पाउण्डदस करोड़ पाउण्ड - प्रायः एक अरब तैंतीस करोड़ पचहत्तर लाख रुपया प्रतिवर्ष । और यह आमदनी सात वर्ष बादसे अकेली मिस्त्री सरकारको होगी।
मेरी मुग्ध चिन्तन-धारा न जाने कबतक चलती रहती यदि मिसेज़ जेम्स याद नहीं दिलातों कि रात काफ़ी गुज़र चुकी है, सोनेका समय हो गया है । डेकसे केबिन चला गया और बिस्तरपर पड़कर सो रहा ।
थका हुआ था, नींद अच्छी आई । सोकर ज़रा देरमें उठा था फिर भी अभी सूरज पूरा निकला न था, दाहिनी ओर जरा ज़रा धुँधला झाँक रहा था और हम उत्तरकी दिशामें बढ़ते चले जा रहे थे । स्वेज़के बादका
पानी गदला था, नीलाभ-हरिताभ गदला, नहरका पानी शुद्ध हरा । लगता था जैसे स्वदेशकी किसी नदीका हो, जमुनाका सा ।
जब मैंने ऊपर डेकसे इधर-उधर नज़र डाली तो देखा नहर सँकरी है । दोनों ओर बालूके तट हैं जो दूर-सामने एक दूसरेसे मिलेसे लगते हैं । और दोनों ओर क्षितिज तक बालूका मैदान ही मैदान दीख पड़ने लगा । और कभी दाहिने कभी बायें खेतीके लायक़ ज़मीन भी दिखाई पड़ी, शायद बने खेत भी थे । पर क्षितिज तक दोनों ओर सपाट मैदान था। एक पहाड़ी तक कहीं न दिखाई पड़ी ।
नहर जगह-जगह पक्की बँधी हुई भी थी । अनेक स्थलोंपर नौकाओं द्वारा घाट उतरनेकी भी व्यवस्था थी जिसके लिए स्टेशन बने थे । ये ही स्टेशन रेलवे स्टेशनोंका भी काम करते थे। नगरके साथ ही साथ पक्की, मेटल्ड, काली सड़क थी जिसपर मोटरें दौड़ रही थीं और सड़कके पीछे पास ही रेलवे लाइन थी । बम्बई छोड़नेके बाद पहले-पहल पाँच-छः डब्बोंवाली दौड़ती रेलगाड़ी देखी, भूरी-भूरी ।
नहरमें छोटी-छोटी नावें पत्थर ढोती आती-जाती देखीं । पर जहाज़ एक ही ओरको चल रहे थे । और पहलेसे पूरब ( दक्खिन ) जानेवाले जहाज जो नहरमें आ गये थे वे चुपचाप बँधे खड़े थे । इन जहाज़ोंमें अनेक अमरीकी थे, अनेक ब्रिटिश, अनेक नारवेई, इतालीय, ग्रीक आदि । एक रूसी जहाज़ भी देखा जिसपर हँसिया हथौड़ेवाला सोवियत झण्डा फहरा रहा था । उसका नाम सम्भवतः 'दिमत्री देस्क्वा' था । सर्वत्र शान्ति थी, जल नीरव था, सूरज दाहिने निकल चुका था और हम प्रायः पाँच मील फ़ी घण्टेकी रफ़्तारसे चुपचाप चले जा रहे थे ।
स्वेजकी नहर सन् १८६९ ई० में बनकर तैयार हुई थी और नवम्बरमें ही यातायातके लिए खुल गई थी। इसमें संसारके सारे राष्ट्रोंके जहाज आजा सकते हैं। स्वेजकी खाड़ी और भूमध्यसागर तक नहरकी लम्बाई साढ़े
८७ मील है जिसमें साढ़े ७६ मील तो सीधी लम्बाई है और ११ मील घुमावदार है । बीचमें तीन झीलें भी पड़ती हैं - तिमसा और बड़ी छोटी तिक्त झीलें । नहर इनके भीतरसे होकर जाती है और स्वाभाविक ही जहाँ इनकी स्थिति है नहर चौड़ी फैल गई है । प्रायः २१ मीलकी दूरी नहर इन झीलोंके भीतर होकर तै करती है और साढ़े ६६ मील अपनी राह, मनुष्य द्वारा प्रस्तुत, अप्राकृतिक । नहरकी चौड़ाई इसी कारण जहाँतहाँ काफ़ी है पर साधारणतः यह २९५ और ३३० फुटके बीच है । नहरकी गहराई प्रायः ३८ फुट है और ३४ फुट तकके गहरे पेंदे वाले जहाज़ इसमें आ-जा सकते हैं। हमारा जहाज़ निचले डेकसे तले तक प्रायः २९ फुट है । कल ही स्वेज़के बन्दरमें ही कम्पनीका 'सरवेयर' आकर जहाजकी पैमाइश कर गया था, उसकी लम्बाई-चौड़ाई-गहराई सब फ़ोते से नाप गया था । नहर पार करनेके सम्बन्धमें जहाज़के वजनका भी बराबर ध्यान रखा जाता है। नहरमें बालू न भर जाय इससे बराबर उसकी गहराई नापी - देखी जाती है और बालू निकाला जाता रहता है । यह निश्चय है कि सावधान मनुष्यकी देख-रेख में रहने और उसकी वैज्ञानिक सूझके कारण इस नहरको वह दशा नहीं हो सकती जो प्राचीन कालमें रोमन सम्राट् नीरो द्वारा खुदवाई नहरकी हुई ।
दस बजेके लगभग दोनों ओर दूर-दूर तक जलका विस्तार दिखाई पड़ने लगा जो बराबर बढ़ता गया। यह समुद्रका जल था जो स्थलपर भीतर ही भीतर घुस आया था। मिस्रकी मुख्य नदी नील है । वह दक्षिणके पहाड़ोंसे निकलकर भूमध्यसागरमें डेल्टा बनाती हुई गिरती है। समुद्रमें गिरते समय उसकी कई शाखाएँ हो जाती हैं। एक शाखा इधर पोर्ट सैयद की ओर भी चली आई है ।
आध घण्टेमें हम पोर्ट सैयदके बन्दरमें दाखिल हो गये, स्वेज़से ठीक बारह घण्टे चलकर । इस प्रकार हमारे जहाज़ 'जान बाके' की रफ़्तारका औसत प्रायः ७ मील फ़ी घण्टा रहा था। स्वेज़ में गर्मी कुछ कम हुई थी
बम्बई और पोर्ट सैयद के बीच
परन्तु नहरमें हवा काफ़ी सर्द हो गई थी और मिस वाल्टनने तो गर्म स्कर्ट और कोट भी पहन लिये थे । बन्दरका पानी नीचे गदला था ।
पोर्ट सैयदका बन्दर काफ़ी बड़ा है। चारों ओर इधर-उधर विविध प्रकारके जहाज़ लंगर डाले खड़े थे । उनसे माल उतर चढ़ रहा था । हमारा जहाज़ उनके पाससे निकलता प्रायः उत्तरी छोर तक चला गया और उसने वहाँ जाकर लंगर डाला । घण्टे भरके भीतर ही माल उतरने लग गया । बड़े क़रीनेसे माल उतरता है। उसके लिए खास लम्बी-चौड़ीगहरी और मज़बूत नावें होती हैं । तारकी रस्सियोंसे मज़बूत तख्ता बँधा रहता है जिसपर जहाज़के तलेसे माल उठाकर रखते हैं और जैसे-जैसे रस्सी लिपटती जाती है वैसे-ही-वैसे तख्ता उठकर जहाज़के लेबेल ( बराबर ) में आता है, फिर उसे एक ओर कर देते हैं जिधर नावें खड़ी होती हैं, प्रायः पचास फुट नीचे । रस्सी फिर ढीली होने लगती है और तख्ता नीचे नावोंपर पहुँच जाता है । कुली बड़ी सफ़ाईसे माल नावमें फेंकने लगते हैं । उसे फेंकनेमें वे ऐसे सधे रहते हैं कि बक्से यथास्थान गिरकर बैठ जाते हैं । आज देर तक मैं मज़दूरोंका तक मैं मज़दूरोंका काम करना और मालका उतारा जाना देखता रहा ।
जहाजके प्रायः लगते ही सामान बेचने वाले आ गये । कइयोंने छोटीछोटी अनेक दुकानें लगा दीं। और एकने तो खासा अच्छा बाज़ार ही सामनेके बिचले डेकपर लगा दिया। मैं उनके सुन्दर बैगोंमेंसे एक लेना चाहता था । पर उनके दामोंका अन्दाज़ कुछ न होनेके कारण ठग जानेके डरसे नहीं लिया। फिर यह भी खयाल आया कि आखिर अभी लौटती राह मिस्रसे हो होकर जाना है तभी जो कुछ लेना है ले लूँगा । फिर भी वहाँका चमड़ेका माल बम्बई और इलाहाबादकी अपेक्षा अच्छा और सस्ता जान पड़ा। मैंने एक सुन्दर लेडीज पर्स लिया भी । पहले तो बेचने वालेने इसका दाम दो पाउण्ड यानी लगभग २६।।।) बताया परन्तु फिर वह ९ ) तक आ गया । ९) में वह उसे दे भी देता पर मेरे पास १०) का
नोट था और फेर-बदलको न समझ सकनेके कारण मैंने १० ) पूरे देकर पर्स ले लिया । मैं बम्बईमें इसके बड़ी प्रसन्नतासे २०) दे सकता था ।
थोड़ी ही देरमें चारों ओर नावें भर गईं, छोटी, बड़ी, मझोली सभी प्रकारकी । अनेकमें, जो हाथसे खेई जाती थीं, ४०-५० तक आदमी बैठे थे, सभी अरब, सभी मिस्री । ऊपर नीचे चारों ओर जहाज़ चीजें बेचनेवालों और जाने कैसे-कैसे आदमियोंसे भर गया । अनेक सिक्के बदलने वाले आये जो मिस्री सिक्कों या नोटोंके बदले डालर, पाउण्ड, रुपये आदि लेते थे । दुनियाके सारे सिक्के यहाँ इस जहाज़पर ही बदले जा सकते थे। ये निश्चय दरोंमें फर्क़ डालकर अपना कमीशन पाते होंगे । डालर पा जाना तो बड़ी बात है। पर मैंने डालर नहीं खर्च किये । मैं अपने डालर बराबर बचाता जा रहा हूँ । इतने थोड़े जो हैं, कुल ५०० । मैंने अपनी खरीदारी रुपयों द्वारा ही की ।
पुलिस आ गई थी और स्वेज़की ही भाँति यहाँ भी हमारे पासपोर्ट देखे गये । पूछकर जानां कि किनारे जा सकते हैं, कुछ घण्टोंके लिए । केवल पासपोर्ट गैगवे ( जहाँसे जहाज़से उतरकर तटकी ओर जाते हैं ) में खड़े पुलिस कर्मचारीको बाहर जाते समय दे देना होगा जो लौटते समय वापस मिल जायगा । तटपर जाने और नगर देखनेकी बड़ी इच्छा थी परन्तु मेरे जहाज़ी साथी उस ओरसे अत्यन्त उदासीन जान पड़े। कोई बाहर नहीं जाना चाहता था फिर मैंने भी किनारे जानेका विचार छोड़ दिया विशेषकर इसलिए कि मुझे मिस्र लौटकर अभी आना है । यद्यपि मैं कह नहीं सकता कि यदि हवाई जहाज़ काहिरासे गया तब भी पोर्ट सैयद जा सकूँगा । जो हो, तटपर न जा सका और जहाज़पर ही अपने पत्रोंकी प्रतीक्षा करने लगा ।
स्वेज़के बन्दरमें कप्तानकी बहुत-सी चिट्ठियाँ और दूसरी डाक आई थी । मालूम हुआ कि पोर्ट सैयदसे भी डाक वहीं भेज दी जाती है । पर शायद यह उस डाककी बात है जो समयसे जहाज़के एजेण्टके पास
बम्बई पोर पोर्ट संयदके बीच
एजेण्ट यात्रा -एजेण्टोंसे भिन्न होते हैं । ये केवल आदिके एजेण्ट होते हैं । खैर, मैं कप्तानकी . डाक देखकर बहुत ईर्ष्यालु हुआ। मेरे लिए एक भी पत्र कहींसे न आया । परन्तु पोर्ट सैयदमें कई पत्र एक साथ आ गये - पाँच । सभी घरके थे । केवल दो पत्र न थे, जिनकी आशा कर रहा था। पत्नी और चित्राके । मेरा विश्वास है कि उन्होंने अदनके पतेपर पत्र भेजा होगा पर हमारा जहाज़ जो वहाँ भी पहले जानेवाला था, वहाँ न रुक सीधा स्वेज़ चला आया था । इसीसे सम्भवतः उनके पत्र वहीं रह गये, मुझे न मिल सके। । मैंने तत्काल अपने यात्रा - एजेण्ट टामस कूक ऐण्ड सनको अदनके
पतेसे पत्र डाला और लिखा कि मेरे पत्र जेनोआ के टामस कूकके ही पोर्ट सैयदवाले दफ़्तरसे मेरे पत्र जहाज़पर ही मुझे मिले थे । पत्रोंको पढ़कर अत्यन्त प्रसन्न हुआ । घरकी याद ताज़ी हो गई फिर भी उनको बार बार पढ़ा । ऐसा लगा कि यदि वे लिपिहीन सादे भी होते तो अभितृप्ति उतनी ही होती । अपने लोगोंको स्पर्श कर वे आये थे, कितने क़ीमती थे भला ।
इसीसे पत्नी और चित्राके पत्रोंका न मिलना विशेष निरुत्साहका कारण हुआ । खैर, नीचे जाकर कुछ और पत्र लिखे । घरके लिए पत्र कल ही अधिकतर लिख लिये थे । सोचा था कि उनका मज़मून तो विशेष बदलना नहीं है, हाँ, यदि आये पत्रोंमें कोई विशेष जिज्ञासा मिली तो उसका उत्तर और जोड़ जोड़ दूंगा । कुछ बातें ज़रूर बढ़ानी पड़ीं जो बढ़ाकर लिफ़ाफ़ बन्द कर दिये। टिकट किसपर कितना लगा यह न जान सका क्योंकि कप्तानने कहा कि टिकट एजेण्टके यहाँसे लगकर पत्र छोड़ दिये जायँगे फिर बादमें हिसाब हो जायगा । हाँ, लिफ़ाफ़ोंकी पीठपर भेजनेवाले का नाम ज़रूर लिख दिया गया जिसमें यात्री - यात्री के व्यक्तिगत हिसाबमें कोई गड़बड़ी न हो । एक पत्र और अन्तमें जल्दी-जल्दी में टाइप किया पर समय हो गया था, डाक चल पड़ी थी । डेककी ओर तेज़ीसे गया पर डाक |
अमरावती/दि. 24 - हिंदी भाषा विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है. इसका इतिहास 1 हजार साल से भी अधिक पुराना है. तमाम अवरोधों के चलते भले ही हिंदी देश की राष्ट्र भाषा नहीं बन पायी किंतु विश्व में सबसे अधिक बोली व समझे जाने वाली भाषा के रुप में हिंदी को सम्मान मिला है. पर्यटन तथा व्यापार को बढाने में हिंदी भाषा सर्वाधिक महत्वपूर्ण साबित हुई है इस आशय का प्रतिपादन साहित्यकार भगवान वैद्य प्रखर ने किया है. उनके अनुसार आगामी समय हिंदी भाषा के लिए गौरमय रहनेवाला है. क्योंकि जिस तेजी से हिंदी भाषा की लोकप्रियता बढ रही है उसे चमत्कार ही कहा जा सकता है.
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं देने के लिए साहित्यकार भगवान वैद्य प्रखर को 30 वां आचार्य आनंद ऋषि पुरस्कार प्रदान किया गया. उन्हें यह पुरस्कार आचार्य आनंदऋषि साहित्य निधि संस्था हैदराबाद व्दारा प्रदान कर सम्मानित किया गया. संस्था व्दारा हर साल अहिंदी साहित्कारों को यह पुरस्कार दिया जाता है. साहित्यकार भगवान वैद्य ने बताया कि देश आजाद होने के पश्चात राष्ट्रध्वज, राष्ट्रीय पक्षी सहित अन्य राष्ट्रीय चिन्ह तय किए जाने के बाद भी हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन पायी. यह अलग बात है कि यह भाषा बोलने और समझने वालों की संख्या बढी है. संविधान संशोधन में राष्ट्रभाषा के लिए डाले गए मापदंड हैरत वाले है वह न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी जैसे ही स्थिति हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के मामले में सरकार की है.
साहित्यकार प्रखर ने बताया कि हिंदी भाषा का इतिहास 1 हजार साल से भी अधिक पुराना है. स्वयं के साथ ही यह दूसरों का भी सम्मान करने वाली भाषा है. वर्तमान में चारों धामों की यात्रा के साथ ही व्यापार बढोत्तरी में हिंदी भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है. सुविख्यात कवि तथा साहित्यकार प्रखर की एक हजार से अधिक रचनाएं व अनेको किताबें प्रकाशित हो चुकी है. भगवान प्रखर के मुताबिक हिंदी राष्ट्रीय एकता तथा अखंडता को मजबूत करने में सशक्त भूमिका निभाने वाली भाषा है.
स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश के विविध प्रांतों के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी भावनाएं लोगों तक पहुंचाने के लिए हिंदी भाषा को ही संपर्क भाषा के रुप में चुना था आजादी के पहले से लेकर देश को आजादी मिलने के बाद भी देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाली भाषा के रुप में इसे सम्मान मिला है. आजादी के बाद दक्षिण राज्यों में कुछ अग्रदूतों के कारण राष्ट्रभाषा बनने में भले दिक्कतें आयी है लेेकिन आज न केवल भारत में बल्कि विश्व में सर्वाधिक लोगों व्दारा बोले जाने वाली तथा समझने वाली भाषा हिंदी है.
भगवान प्रखर ने बताया कि 15 साल तक संघीय सरकार के कार्यालयों में कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देने के बाद हिंदी के साथ ही अंग्रेजी को भी महत्व दिया जाने लगा है. िंहंदी में भेजे जाने वाले पत्रों के साथ ही अंगे्रजी में भी पत्र भेजे जाने लगे है. सरकार व्दारा हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है यही कारण है कि आज देश में सर्वाधिक बोले व समझे जानेवाली भाषा हिंदी है. भगवान प्रखर ने यह भी बताया कि सबसे अधिक फिल्मे हिंदी में बनती है. विदेशों में भी इसे सर्वाधिक पंसद किया जाता है आज देश के हर राज्य में हिंदी फिल्में देखी जाती है जिसके माध्यम से हिंदी को बडे पैमाने पर बढावा मिला है ऐसी भावना भगवान वैद्य प्रखर ने 30 वां आचार्य आंनदऋषि साहित्य पुरस्कार प्राप्त होने पर व्यक्त की.
आचार्य आनंदऋषि साहित्य पुरस्कार प्राप्त भगवान वैद्य प्रखर ने जब आचार्य आनंदऋषि महाराज के बारे में जानकारी जुटानी शुरु की तो वे भी हैरत में पड गए. महाराष्ट्र के अहमदनगर में जन्में महाराज श्री ने 92 वर्ष तक सेवाएं दी. अनगिनत सामाजिक साहित्य उपक्रमों को देशभर में चलाया उन्हें 16 भाषाओ का ज्ञान था जिसमें वे 9 भाषाओं में लिखना व बोलना व समझना जानते थे. उम्र के 84 साल में उन्होंने उर्दू तथा संस्कृत भाषा भी सिखी अपना प्रवचन उन्होंने हिंदी भाषा में ही दिया. उनके सम्मान में आचार्य आनंदऋषि साहित्य निधि संस्था व्दारा हर साल हैदराबाद यहां पर अहिंदी भाषिय साहित्यकारों कवियों को यह पुरस्कार दिया जाता है. भगवान वैद्य को 30 वां आचार्य आनंद ऋषि साहित्य पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया. इसके पूर्व इस पुरस्कार से डॉ. बाल शौरी रेड्डी, वसंत देदव, पं. नारायणदेव, शंकर पुणतांबेकर, श्रीपाद जोशी, डॉ. रुक्माजीराव अमर, डॉ. नाराण्यण रणसुंभे तथा डॉ. दामोदर खडसे को इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
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नॉर्थईस्ट के कई आतंकी संगठनों पर भारत और म्यांमार की सेना ने बड़ा प्रहार किया है। दोनों देशों की सेनाओं ने मिलकर अपनी-अपनी सीमाओं में सैन्य ऑपरेशन चलाया। इस अभियान में म्यांमार के अंदर स्थित आतंकियों के कई कैंप तबाह कर दिए गए। इसके अलावा, भाग रहे आतंकियों को भारतीय सुरक्षाबलों ने धर दबोचा। इस मिशन को 'ऑपरेशन सनशाइन-2' नाम दिया गया था। यह सैन्य अभियान 16 मई से लेकर 18 जून के बीच चलाया गया। माना जा रहा है कि इस ऐक्शन की वजह से नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में पांव पसार चुके उग्रवाद को तगड़ा झटका लगा है।
भारतीय सीमा के अंदर इस ऑपरेशन में इंडियन आर्मी के दो बटालियन के अलावा स्पेशल फोर्सेज, असम राइफल्स और घातक इन्फेंट्री के जवान शामिल थे। वहीं, म्यांमार की सेना के चार ब्रिगेड भी आतंकियों के सफाए में शामिल हुए। बता दें कि इससे पहले, इसी साल 22 से 26 फरवरी के बीच 'ऑपरेशन सनशाइन-1' ऑपरेशन चलाया गया था। उस वक्त भारतीय सेना ने भारतीय क्षेत्र के अंदर संदिग्ध अराकान विद्रोही कैंपों के खिलाफ ऐक्शन लिया था। भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद भाग रहे विद्रोहियों को म्यांमार की सेना ने अपनी तरफ गिरफ्तार कर लिया था।
उधर, 'ऑपरेशन सनशाइन-2' के तहत भारतीय सेना ने करीब 70 से 80 आतंकियों को पकड़ा। इन्हें स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, 'ऑपरेशन सनशाइन-2' के तहत NSCN-K के कम से कम सात से आठ कैंपों के अलावा उल्फा, केएलओ, एनईएफटी के ठिकानों को म्यांमार सेना ने बर्बाद कर दिया। एक सरकारी अधिकारी ने इस जॉइंट ऑपरेशन को बेहद कामयाब बताया है। अफसर ने द संडे एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि यह मिशन दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल के साथ अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन सनशाइन-1' के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच पैदा हुए भरोसे की वजह से इस बार का मिशन कामयाब रहा। अधिकारी के मुताबिक, 2015 में भारतीय सेना द्वारा आतंकी संगठन NSCN-K के खिलाफ सीमा के पार चलाए गए अभियान की वजह से म्यांमार सेना में नाराजगी थी, लेकिन मिलकर चलाए गए अभियान से अब पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।
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इससे योनि का ढीलापन दूर हो जाता है और कुँवारी युवती के योनि की तरह हो जाती है । सिद्ध नुक्ता हे अवश्य आजमाईश करें।
शिश्न के छोटा होने पर
केचली 3 माशा सेंधा नमक डेढ़ माशा, तिल का तेल 3 माशा तीनों को खरल में पीसकर शिश्न पर लेप करें आधा घण्टा बाद गाढ़े गाय के दूध से धो डालें। 7 दिन में पुरुष का शिश्न बढ़कर लम्बा, मोटा और सख्त हो जाता है ।
स्वस्थ्य सुंदर बच्चे के लिए
दो संतरा रोजाना गर्भवती स्त्री को आठवें महीने तक खिलायें बच्चा स्वस्थ्य और सुंदर पैदा होगा ।
बच्चे के चेचक में
रुद्राक्ष के दाने को पत्थर पर पानी के सहारे घिसकर 3 माशा पिलाने से चेचक के दाने नहीं निकलते या कम निकलते हैं।
काली खांसी में
केले के सूख पत्ते को जलाकर उसकी भस्म 2 माशा तक शहद में खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है ।
मंगला जडी बूटी
के अन्दर विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटी तथा उनको किस उपचार में उपयोग किया जाता है। का विस्तृत विवरण चित्र सहित दिया गया है। कौन सी जडी बूटी किस बीमारी में कार्य करेगी। का विवरण पहली बार प्रकाशित किया गया है। पुस्तक का मूल्य 50/- रुपये डाक खर्च सहित पुस्तक का आर्डर देते समय 10 रुपये डाक के साथ भेजे प्रत्येक पुस्तक मंगाने का पताःमंगला प्रकाशन- 9/2011. गली न04, कैलाश नगर, दिल्ली-110031
जलोदर होने पर
पीपल चूर्ण एक पाव शुहर के दूध में भिगो दें फिर सूखने के लिए डाले दें । इसी तरह 21 बार डालें सूख जाने पर सुबह शाम 4 से 8 रत्ती तक पानी के साथ खायें जलोदर निश्चय ठीक हो जायेगा ।
जूं मारने की दवा
बकायन के बीज पानी में पीसकर बालों में लगाने से बालों के सभी जूं मर जाते हैं ।
खटमल मारने की दवा
फिटकिरी गरम पानी में डालकर चारपाई में डालने से खटमल मर जाते हैं.
आग से जल जाने पर
इमली की छाल जलाकर पीसकर गाय के घी में मिलाकर लगाने से लाभ होता है । जले जगह पर आलू पीसकर लगाने से जलन शांत हो जाती है 1
कनखजूरा काटने पर
करुआ या रेड़ी के तेल के दिए में थोड़ा सा तेल लें काटे स्थान पर मलें। दर्द, सूजन और जलन ठीक होगी। अथवा सफेद जीरा पानी में पीसकर काटे हुए स्थान पर लेप करें लाभ होगा।
दाद होने पर
दाद को अच्छी तरह साफ करके शुद्ध सरसों का तेल लागने के एक सप्ताह में दाद जड़ से ठीक हो जाता है । |
मेष राशि वाले जातकों की बात करें तो आज का दिन आपका अच्छा रहने वाला है. जो लोग नौकरी कर रहे हैं, उन्हें अपने दिए गए कार्यों को समय पर पूरा करना होगा. सीनियर भी आपकी सहायता करेंगे. अपनी क्षमताओं को पहचाने क्योंकि आपके अंदर ताकत की नहीं बल्कि इच्छाशक्ति की कमी है. कोई अच्छी खबर जीवन साथी से मिलेगी, जिससे आपका उत्साह और दुगना हो जाएगा.
आज आप ऑफिस से घर वापस आकर अपना पसंदीदा काम कर सकते हैं, इससे आपके मन को शांति मिलेगी. आप अपने जीवन की कुछ यादगार शामो में से एक आज अपने जीवन साथी के साथ बिता सकते हैं. काम की अधिकता आज आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकती है. हालांकि शाम के वक्त थोड़ी देर ध्यान करके आप अपनी उर्जा वापस ला सकते हैं.
माता-पिता की मदद से आप आर्थिक तंगी से बाहर निकलने में कामयाब रहेंगे. मुमकिन है, कि परिवार वाले आपकी उम्मीदों को पूरा ना कर सके. इस बात की इच्छा ना करेंगे, वह आपके मुताबिक काम करेंगे बल्कि अपने काम करने का तरीका बदलकर पहल करें. परिवार का सहयोग मिलेगा. माता जी का सानिध्य मिलेगा. हायर एजुकेशन के लिए समय बढ़िया है.
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अस्त-व्यस्त हो जायेगा । अत उक्त कथन प्रथम मत से सम्बद्ध ही माना जाना जाना चाहिए ।
ऊपर जो कुछ कहा गया है वह उन लोगों का मत दृष्टिगत रखते हुये कहा गया है जो यह मानते है कि एक रस दूसरे में व्यभिचारी होता है। अर्थात् जिस प्रकार किसी रस की निष्पत्ति में स्थायोभाव का परिपोष सचारियों के द्वारा होता है इसी प्रकार किसी एक रस को अन्य दूसरे रस पुष्ट किया करते हैं। नाटघशास्त्र में भावाध्याय की समाप्ति में एक श्लोक आया है जिसका आशय यह है'जहाँ बहुत से रस मिले हुये हों उन रसों में जिस भाव का रूप बहुत अधिक व्यापक हो वह रस स्थायी होता है। शेष रस व्यभिचारी होते हैं ।'
भावाध्याय में जो क्रम बतलाया गया है उस पर विचार करने से अवगत होता है कि किसो प्रवन्ध काव्य में कोई एक चित्तवृत्ति ऐसी होती है जो समस्त प्रवन्ध में व्याप्त रहती है और आधिकारिक इतिवृत्त की चित्तवृत्ति कही जाती है। ऐसी चित्तवृत्ति स्थायीरूप में आमासित होने के कारण स्थायी चित्तवृत्ति कही जाती है और प्रासंगिक इतिवृत्त में रहनेवाली चित्तवृत्ति व्यभिचरित अथवा परिवर्तित होनेवाली होती है। अत वह चित्तवृत्ति व्यभिचारिणो चित्तवृत्ति कही जाती है। आधिकारिक इतिवृत्त से सम्वन्ध रखनेवालो चित्तवृत्ति उपकरणों के सयोग से परिपोष को प्राप्त होकर स्थायी रस का रूप धारण कर लेती है और प्रासंगिक इतिवृत्त से सम्बद्ध चित्तवृत्ति व्यभिचारी रस का रूप धारण कर लेती है । जिस प्रकार आस्वादन के अवसर पर स्थायीभाव का सचारियों से कोई विरोध नहीं होता अपितु सचारियों से स्थायी की पुष्टि हो होती है उसी प्रकार स्थायी रस की पुष्टि सचारी रसों से हो जाती है । आचार्य भागुरि ने भी प्रश्न उठाया है कि क्या रसों में स्थायो और सचारी की व्यवस्था होती है ? इसका उत्तर उन्होने स्वीकृतिपरक दिया है तथा कहा है कि रसो में यह अवश्य मानता पडता है कि कुछ रस स्थायी होते है और कुछ सचारी ।
'बहूना समवेताना 'सचारिणो मता' इस पलीक की एक व्याख्या ऊपर दी गई है । दूसरे लोग उस व्याख्या को नहीं मानते। वे कहते हैं कि इस पद्य में यह सिद्धान्त माना गया है कि एक स्थान पर जो रस स्थायी के रूप में स्वीकृत किया जाता है वही अन्यत्र व्यभिचारी हो जाता है। भरत मुनि ने भावों को सख्या कुल ४९ बतलाई है। उनमें केवल ८ स्थायीभाव बतलाये गये है । वस्तुत ये ८ स्थायोभाव सर्वदा स्थायी ही रहें ऐसा नहीं होता । जो भाव एक स्थान पर स्थायी होता है वही अन्यत्र व्यभिचारी भी हो सकता है और जो एक स्थान पर व्यभिचारी होता है वह दूसरे रस में स्थायी हो सकता है। उदाहरण के लिये वीर रस में क्रोध व्यभिचारी के रूप में आता है और वही रौद्र रम में स्थायी बन जाता है। निर्वेद को सचारियों में गिनाया गया है। यह भाव अनेक रसों में सचारी होता भी है। किन्तु यही भाव उस समय स्थायी बन जाता है जब तत्त्वज्ञान को विभाव बनाकर धान्त रस को निष्पत्ति की जाती है। यह तो हुई प्रसिद्ध रसों की बात । जो माव शास्त्रीय ग्रन्थों में स्थायी की श्रेणी में नहीं रक्खे गये हैं केवल सचारी हो होते हैं वे भी जब इतिवृत्त |
है कि जैसी गोधना करनी हो उसी साधना के उपासकों का स्मरण किया जाता है। युद्धवीर युद्धवीरों का तो अर्थवीर अर्थवीरों का स्मरण करते हैं । यह धर्म युद्ध है, अतः यहाँ धर्मवीरों का ही स्मरण किया गया है । जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर धर्म साधना के लिए अनेकानेक भयंकर परीपह सहते रहे हैं एवं अन्त में साधक से सिद्ध पद पर पहुँच कर जर श्रमर परमात्मा हो गए हैं । अतः उनका पवित्र स्मरण हम साधकों के दुर्बल मन में उत्माद चल एवं स्वाभिमान की भावना प्रदीत करने वाला है। उनकी स्मृति हमारी आत्मशुद्धि को स्थिर करने वाली है। तीर्थंकर हमारे लिए कार में प्रकाश स्तंभ है
भगवान् ऋषं देव
वर्तमान कालचक्र में चौंत्रीम तीर्थकर हुए हैं, उनमें भगवान ऋषभदेव सर्व प्रथम हैं। पके द्वारा ही मानव सभ्यता का श्राविर्भाव हुआ है। पसे पहले मानव जंगलों में रहता, वन फल खाता ए सामाजिक जीवन से शुन्य केला घूमा करता था । न उसे धर्म का पंता था नकर्म का ही । भगवान् ऋषभ के प्रवचन ही उसे सामा जिक प्राणी बनाने वाले हैं, एक दूसरे के सुख दुःख की अनुभूति मे सम्मिलित करने वाले हैं। दूसरे शब्दों में यों कहना चाहिए कि उर युग में मानव के पास शरीर तो मानव का था, परन्तुमा मानव की न थी । मानव-श्रात्मा का स्वरूप दर्शन, सर्व प्रथम, भगवान ऋषभदेव ने ही कराया ।
भगवान् ऋषभदेव जैन धर्म के आदि प्रवर्तक है। जो लोग जैन धर्मको क माने बैठे हैं, उन्हें इस ओर लक्ष्य देना चाहिए । भगवान् ॠपभ॑देव के गुण गान वेदों और पुराण तक में गोए गए हैं । वे मानव स्कृति के श्रादि उद्धारक थे, अतः वे मान मात्र के पूज्य रहे हैं । 'श्राज भले ही वैदिक समाज ने, उनका वह ऋण, भुला दिया हो, परन्तु प्रचीन वैदिक ऋषि उनके महान् उपकारों को |
श्राप बनारसी कजरीबाज भैरो के समकालीन कवि थे। 'भैरो' से आपकी कजली की प्रतिद्वन्द्विता खूब चलती थी। आप जाति के मुसलमान थे। इन लोगों की होड़ में पहले तो अच्छी-अच्छी रचनाएँ सुनाई जाती थीं; पर अन्त में ये लोग गाली-गलौज पर उतारू हो जाते थे। कभी कभी लाठी भी चल जाती थी। अश्लीलता उस समय पराकाष्ठा पर पहुँच जाती थी। आपके गीत प्रकाशित करने योग्य नहीं हैं।
मारकंडे दास
मारकंडे दास गाजीपुर के रहनेवाले थे। आपके पिता का नाम गयाप्रसाद था। बनारस में भी एक मारकण्डे जी थे, जो जाति के ब्राह्मण और सोनारपुरा महल्ला के पास 'शिवाला घाट' के रहनेवाले थे, जिन्होंने भाँड़ों की मण्डली भी कायम कर ली थी। पता नहीं, दोनों एक ही व्यक्ति थे या दो ।
गाजीपुर के मारकण्डे दास द्वारा रचित 'सावन फटाका' नामक कजली की पुस्तिका मुझे प्राप्त है। इसमें ६६ कजलियाँ हैं, जो अधिकांश भोजपुरी में हैं और अन्त में हरिश्चन्द्र का एक सवैया है तथा पृ० २६ पर जहाँगीर नामक कवि की दो और पृ० २७ से २६ तक शिवदास कवि की ४ कजलियाँ भोजपुरी में हैं और पृ० ३०-३१ पर अन्य दो कवियों की खड़ी बोली की रचनाएँ हैं। अन्त में महेस और मोती की भोजपुरी में ४ और २ कजलियाँ हैं। जो पुस्तक मुझे मिली है, वह उसका पाँचवाँ संस्करण है। मारकण्डे जी का समय १६ वीं सदी का अन्त और २० वीं सदी का प्रारम्भ माना जाता है। आपकी रचनाएँ सुन्दर और प्रौढ़ तथा भाषा बनारसी भोजपुरी है।
गनरत चरन सरन मैं तोहरो हमपर करड दया तू आज । आठसिद्धि नवनिधि के दाता, सकल सुधारेला काज । गनपत० । विधिन हरन बा नाम तोहरो सरबगुनन के साज । गनपत । मारकण्डे दास खास तव किंकर राख लेहु मम लाज ।
गनपत चरन सरन मैं तोहरो ॥१॥
जोबना भइल मतवाल, वारी ननदी ।। टेक ।।●
पिया निरमोहिया सत्रत सँग रीके भेजे नहीं तनिक हवाल वारी ननदी । आधी आधी रतिया पछिले पहरवा, लहरे करेजवा में आग वारी ननदी । ऐसी निरमोहिया के पाले हम पड़लीं कब तक देखबि हम चाल वारी ननदी । कहे मारकण्डे दूसर कर जैबे छुट जैहैं सबदिन के चाल वारी ननदी ॥३॥
जरा नैके' चलू तू जानी ७ जमाना नाजुक बाटे ना ।
गोरे गाल पर काला गोदनवा चमकत बाटे ना । जरा नैके० ॥
१. ईशारीप्रसाद बुक्सेलर, चीक, पटना सिटी द्वारा प्रकाशित और सत्यनुवाकर प्रेस में ठाकुरप्रसाद मिश्र द्वारा मुद्रित है। २. नई उम्र की २. पिछले चाउचउन चासदाल ५. दूसर कर जैबे दुसरा पति करके चही बाऊँगी ६ नम्र होकर प्यारी है। |
निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है किसी प्रकार का दृढ़ श्रम विभाजन नहीं था और खाद्य इकोनामी में स्त्रियों का योगदान पुरुषों से ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं था । लर्नर का मत है कि शिकार संग्रह वाले समुदाय ज्यादा समतावादी रहे हैं और सबकी एक दूसरे पर निर्भरता उनकी चारित्रिक विशेषता रही है। स्त्री और पुरुष की सापेषिक स्थिति के बारे में सबसे सटीक यही कहा जा सकता है कि वे 'अलग लेकिन समान' थे।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि स्त्रियों की आर्थिक भूमिका, जिसे बहुत ही ऊंचा आंका जाता था, का वजन उसको प्रजनन की भूमिका को महत्त्वपूर्ण माने जाने से और भी बढ़ जाती थी । गर्भवती स्त्रियों, मां की भूमिकाएं निभाती स्त्रियों और यहां तक कि संतानोत्पादन के चित्रण, स्त्री की प्रजनक भूमिका को महत्त्व दिए जाने का संकेत देते हैं। संतानोत्पादन करती स्त्री के चित्र को मातृ देवी माना गया है। मेसोपोटामिया और अन्य प्राचीन संस्कृतियों के साक्ष्य-स्थलों पर भी मातृ देवी मिली हैं। इसी आधार पर यह मत प्रस्तुत किया गया कि स्त्री और पुरुष दोनों के धार्मिक अभिव्यक्ति का सबसे पहला रूप मां और बच्चे के बीच का मनोवैज्ञानिक जुड़ाव है। स्त्री की इस रहस्मयी और नाटकीय ताकत की वजह से ही स्त्री और पुरुष दोनों 'मातृ' देवी के महिमामंडन की ओर उन्मुख हुए। शिकार-संग्रह वाले समाज में स्त्री की प्रजनन क्षमता काफी मूल्यवान मानी जाती थी। कारण, समुदाय का अस्तित्व इसी पर निर्भर था। कठोतियास, भीमबेटका और खखई (सभी मध्य भारत में) से प्राप्त प्रागैतिहासिक चित्रों में स्त्री की यौनिकता को उसके अस्तित्व का अभिन्न अंग माना गया है ।
नोट्स शिकार-संग्रह इकोनामी में स्त्री का प्रजनक रूप उसके उत्पादक रूप से अलग नहीं है। एक विद्वान ने समाज की इस अवस्था को मैट्रिस्टिक नाम दिया है, जिसमें कोई भी स्त्री किसी पुरुष या अन्य स्त्री की सत्ता के अधीन नहीं थी। ऐसे समाज में स्त्री यौनिकता पर पुरुष के नियंत्रण की जरूरत नहीं रही होगी।
हड़प्पा से प्राप्त पुरातात्विक स्रोतों को पुख्ता करने वाले लिखित साक्ष्यों के नहीं मिल पाने की वजह से उसकी सांस्कृतिक या उसके अन्य पक्षों की समझ अपूर्ण है (मेसोपोटामिया में दोनों ही प्रकार के साक्ष्य मिले हैं)। ऐसे में, वहां स्त्री और पुरुष के बीच संबंध कैसा रहा होगा इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। तथापि हाल में हुए विश्लेषणों के आधार पर जो तस्वीर (हालांकि धुंधली और अस्पष्ट ही) उभर कर सामने आई है, उसके मुताबिक यह एक विकसित सभ्यता थी और समाज स्पष्टतः स्तरीकृत था। खाद्यान्न उत्पादक और वितरण का जटिल और विकसित तंत्र था, कारीगरी यानी शिल्पकर्म को खास महत्त्व प्राप्त था और स्थानीय और दूरदराज दोनों ही तरह के व्यापार होते थे। साथ ही, एक तरफ मजदूर तबका था तो दूसरी तरफ दुर्ग में रहने वाले अभिजन। हाल ही में हुए एक अध्ययन से वहां जनसंख्या के नियंत्रित क्षेत्रीय वितरण के साथ-साथ शिल्पकर्म के सुव्यवस्थित तंत्र का पता चला है। वहां से दो तरह की प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। एक तो पुरुषों (शायद राजाओं और पुरोहित राजाओं) का है और दूसरा मातृ देवी का, जिसकी शायद पूजा की जाती थी। मातृ देवी की यह प्रतिमा और कांसे की एक नग्न 'नृत्यरत लड़की' की प्रतिमा इस बात की ओर संकेत करती हैं कि स्त्री की जीवनदायिनी शक्ति और प्रजनन से उसके विशेष संबंध का महिमामंडन जारी था। लेकिन एक विकसित और जटिल अर्थव्यवस्था, सामाजिक स्तरीकरण और एक राजसत्ता की मौजूदगी में यह असंभव है कि स्त्री यौनिकता पर समुदाय या राजसत्ता का नियंत्रण नहीं रहा होगा। हां, यह हो सकता है कि इस नियंत्रण को अनुष्ठान अथवा उत्सव का रूप दे दिया गया हो। लर्नर ने मेसोपोटामिया में मिले साक्ष्यों ( पुरातात्विक और लिखित दोनों) के आध ार पर पितृसत्ता की उत्पत्ति और इसके गठन की विभिन्न अवस्थाओं का जिस भांति रेखांकन किया है, उससे तो यही इंगित होता है कि स्त्री की यौनिकता पर किसी न किसी रूप में समुदाय, वंश या राजसत्ता का नियंत्रण आद्य या प्राक्-राज्यों के सामाजिक गठन का एक पहलू था । इस आधार पर यही मानकर चला जा सकता है कि हड़प्पा में भी ऐसा रहा होगा।
5.1.1 ऋग्वैदिक और उत्तर - वैदिक समाज
ऋग्वैदिक काल भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा विवादास्पद है। 19वीं सदी के हिंदू राष्ट्रवादियों ने इस अवधि को काफी महिमामंडित किया। उनमें से अधिकांश उभर रहे शिक्षित मध्य वर्ग (अमूमन ऊंची जाति से ही) के पुरुष थे। 19वीं सदी में कुछ परिस्थितियों की वजह से ये राष्ट्रवादी वैदिक युग के महिमामंडन की और उन्मुख हुए थे। एक तो उन्हें ब्रिटिश शासकों के समक्ष भारतीय परंपरा को श्रेष्ठतर साबित करना था। दूसरा, जो कि मुख्य कारण था, उन्हें अतीत की ऐसी तसवीर प्रस्तुत करने की जरूरत थी जिसमें स्त्री की स्थिति 'अच्छी' रही हो। 19वीं सदी में स्त्री की बुरी स्थिति को ब्रिटिशों ने भारतीय असभ्यता का प्रबल सबूत माना था। इसी की प्रतिक्रिया में राष्ट्रवादियों ने वैदिक समाज को 'स्त्री की स्थिति' के संदर्भ में स्वर्ण युग कहना शुरू कर दिया। लेकिन कभी भी इस अवधि का गंभीर ऐतिहासिक विश्लेषण करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। हाल में इस अवधि के समाज और उसकी अर्थव्यवस्था को समझने के लिए तत्कालीन साहित्यिक और ( एक सीमा तक ) पुरातात्विक साक्ष्यों का विश्लेषण किया जाने लगा है। लेकिन नारीवादी नजरिए से इस अवधि का गहन अध्ययन और सूक्ष्म पड़ताल किया जाना बाकी ही है। फिर भी अब तक जो कार्य हुए हैं उनके आधार पर हम उस अवधि को ऐतिहासिकता और ऋग्वेद के साक्ष्यों को संदर्भ प्रदान कर सकते हैं। चूंकि समाज मुख्यतः पशुचारी था, इसलिए उसे आरंभिक अवस्था का सरल और अमूमन समतावादी समाज माना गया है। उसमें अधिशेष (सरप्लस) की उगाही नहीं होती थी। जन्म के आधार पर असमानता की चर्चा पहली बार ऋग्वेद के दसवें मंडल में पुरुषसूक्त स्तोत्र में हुई हैं। ऐसी मान्यता है कि इसे बाद में जोड़ा गया। जन्माधारित असमानता का कोई और प्रमाण नहीं मिलता। 'पुरुषसूक्त' के विश्लेषण से समाज के पितृसत्तात्मक प्रकृति का पता चलता है। मसलन, इसमें हम पुरुष योद्धाओं का गुणगान कुछ ज्यादा ही पाते हैं। इन श्लोकों में भी उन्हें वैसी महत्ता नहीं दी गई है जैसी कि इंद्र जैसे देवताओं की वीरता के गुणगान में हम पाते हैं। दूसरे से सातवें मंडल तक का हिस्सा ऋग्वेद के आरंभिक हिस्सों में से एक है। इसमें भी जहां 407 श्लोक देवताओं के लिए हैं, वहीं देवियों के लिए केवल 22 श्लोक। साथ ही, इंद्र और उषा के बीच तनाव या द्वंद्व के होने की संभावना का जिक्र भी हम ऋग्वेद के एक श्लोक में पाते हैं।
जहां तक उत्पादन और श्रम विभाजन की बात है, तो चूंकि अर्थव्यवस्था का स्वरूप काफी सरल था इसलिए स्त्रियां उत्पादन कार्य से अलग नहीं की गई थीं। बल्कि स्त्रियों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण थी । पुरुष अपने कबीले या परिवार की संपत्ति (यानी पशु) बढ़ाने के चक्कर में प्रायः लड़ाई (युद्ध) में ही लिप्त रहते थे। ऐसी स्थिति में स्त्रियों पर ही परिवार या कबीले के पशुधन की सुरक्षा की जिम्मेदारी रहती होगी। ऋग्वेद में युद्ध की चर्चा सबसे ज्यादा हुई है। विभिन्न कबीलों के बीच आपस में और ऋग्वैदिक कबीले और उनके विरोधियों ( दस्यु, दास और शूद्र) के बीच निरंतर युद्ध होते रहते थे और पुरुष उनमें लिप्त रहते थे । बलि के अनुष्ठान में स्त्रियों की भागीदारी थी, बल्कि उनका होना अनिवार्य था। स्त्री यौनिकता पर कबीले या समुदाय का नियंत्रण था, जिसका नेतृत्व पितृसत्तात्मक था। नियोग की व्यवस्था से तो यही पता चलता है कि स्त्री की यौनिकता पर उस परिवार का अधिकार था जिसमें वह ब्याही जाती थी। पति की मृत्यु होने पर स्त्री को देवर से ब्याह दिया जाता था। साथ ही पराजित कबीले की स्त्रियों की विजेता कबीले / वंश के घरों में सम्मिलित कर लिया जाता था, जो उत्पादन और संभवतः अपने मालिकों के लिए प्रजनन हेतु श्रम प्रदान करती थीं। लिंग-जनित स्तरीकरण द्विआयामी था। एक तो वर्ग के आधार पर और दूसरा उस वंश या कुल के भीतर जिसका स्त्री हिस्सा होती थी। प्रजनक की उसकी भूमिका का जिक्र बाद के वैदिक ग्रंथों मसलन, ब्राह्मण और गृह्यसूत्रों (800 ई. पू.) के विवाह संबंधी अनुष्ठानों में भी किया गया है। इसके हम अचानक से उत्पन्न होने के रूप में नहीं ले सकते। ऐसा हो सकता है कि समाज में बढ़ते स्तरीकरण की वजह से स्त्री यौनिकता पर नियंत्रण की प्रकृति में बदलाव हुए हों। कुछ विद्वानों का तो मत है कि अधिशेष उत्पन्न नहीं करने वाली साधारण पशुचारी आर्थिक व्यवस्था के बावजूद ऋग्वैदिक समाज में वंश के आधार पर असमानता विद्यमान थी । श्रेष्ठ और निम्न दो तरह के वंश थे। कबीले का मुखिया यानी राजन केवल श्रेष्ठ वंश से ही हो सकता था। रथीयोद्धा के भी अभिजात वर्ग से होने की बात की गई है और यदि खुद को सीमांकित समुदाय के रूप में बनाए रखने के लिए उनके बीच ही विवाह हो सकते थे तो स्त्री यौनिकता पर किसी न किसी रूप में कुछ प्रतिबंध जरूर रहे होंगे।
बाद के वैदिक ग्रंथों में इसके सीधे साक्ष्य मिलते हैं। उदाहरण के लिए शतपथ ब्राह्मण में पुरुष के प्रत्यक्ष नियंत्रण (खासकर पति) में जो स्त्री नहीं है उसकी यौनिकता को लेकर भय सा व्यक्त किया गया है। भय इस बात का कि 'पत्नी पराए मर्द के पास जा सकती है। साथ ही राजा द्वारा विवाह संबंध के भीतर 'यौन संबंध के व्यवस्थित बने रहने' की जिम्मेदारी लेने की बात की गई है। देवराज वरुण विवाहेतर संबंध बनाने वाली स्त्री को बंदी बनाते हैं, इस बात का जिक्र हुआ है। अनियंत्रित स्त्री यौनिकता को लेकर जो भय व्याप्त था, उसकी अच्छी अभिव्यक्ति दीर्घजिह्वी के मिथक में हुई है। 'दीर्घजिह्वी' यानी जिसकी बढ़ी हुई हो। यह राक्षसी (अनियंत्रित) यौन पिपासा
का रूपक (मेटाफर) है। दीर्घजिह्वी अपनी उपस्थिति मात्र से यज्ञ को नष्ट कर देती थी। तब देवताओं ने सुमित्र को भेजा जो काफी सुंदर थे। उन्होंने दीर्घजिह्वी को बहला-फुसलाकर पहले तो शांत किया और फिर बाद में नष्ट कर दिया। लगभग उसी अवधि में (600 ई. पू. तक) गृह्यसूत्रों में पत्नी के पति के घर में प्रवेश करने के उपरांत उत्पन्न खतरे के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की गई है। उसके चयन, निरीक्षण और नियंत्रण के प्रति अत्यंत सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है। हालांकि उसकी अनिर्वायता को स्वीकार किया गया है, कारण, पति के वंश का आगे बढ़ना पत्नी की प्रजनन क्षमता पर ही निर्भर है लेकिन उसमें इस पूरी योजना को तितर-बितर कर देने की भी क्षमता है। पत्नी चुनने के प्रति सावधानी बरतने पर अतिरिक्त जोर उस भय / चिंता का ही परिणाम है जो किसी 'अपरिचिता' को पति के वंश या घर में प्रवेश करने से जुड़ा है।
कुमकुम राय ने 800 से 400 ई. पू. के बीच के प्रमुख ब्राह्मणवादी ग्रंथों का नारीवादी नजरिए से अत्यंत सूक्ष्म विश्लेषण किया है और उत्तरी भारत में राजतंत्र के उद्भव और विकास को रेखांकित किया है। उन्होंने जाति/वर्ग के साथ-साथ लिंगजनित स्तरीकरणों के बीच के संबंध को समान सामाजिक प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदर्शित किया है। यह उनके कार्य का सबसे बड़ा पक्ष है। अनुष्ठानों ( रीतिरिवाज) को आधार बनाकर राय बताती हैं कि कैसे वर्णाधारित स्तरीकरण और उत्पादन और प्रजनन पर नियंत्रण को वैधता प्रदान करने के लिए ब्राह्मणवादी ग्रंथों में वर्णित कर्मकांडों का इस्तेमाल किया जाता था जो राजा और यजमान ( घर का मुखिया) द्वारा संपन्न किए जाते थे। जहां अश्वमेध, वाजपेय और राजसूय जैसे बड़े कर्मकांडों का आयोजन राजा के अधिकार क्षेत्र के दायरे के उत्पादक-प्रजनन साधनों पर उसके नियंत्रण को वैधता दिलाते थे वहीं घर के भीतर के कर्मकांड घरेलू दायरे के उत्पादक-प्रजनक साधनों पर यजमान के नियंत्रण को। इस तरह दो समांतर प्रक्रियाओं के माध्यम से राजा और ऊंची जातियों-दोनों ने उत्पादन और प्रजनन पर नियंत्रण और कुछ पुरुषों और सभी स्त्रियों की पराधीनता स्थापित और व्यवस्थित की।
5.1.2 बौद्ध और जैन साहित्य ( 600-300 ई. पू.)
छठी सदी ईसा पूर्व तक आते-आते गंगा की घाटी में कई स्तरों पर, चाहे वह कृषि हो, व्यापार हो, शहरीकरण हो या राज्य का स्वरूप हो, बड़े बदलाव होते देखने को मिलते हैं। 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व के बीच की अवधि के जो साक्ष्य बौद्ध और जैन ग्रंथों में मिलते हैं वे उपरोक्त बदलाव की वजह से वर्ग, जाति और लिंग आधारित स्तरीकरणों पर हुए प्रभावों के विस्तृत चित्रण समेटे हुए होने की वजह से काफी महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, इनमें ब्राह्मणों की अगवाई में जाति के विकास की प्रक्रिया और उसे मिल रही चुनौतियों का भी अच्छा चित्रण हुआ है। कई जगहों पर हम बुद्ध और ब्राह्मणों के बीच ऐसे संवाद पाते हैं, जिनमें ब्राह्मण अपने जन्मजात श्रेष्ठ गुणों के आधार पर समाज में अपनी सर्वोच्च स्थिति के साथ-साथ निम्न वर्णों, वैश्यों और शूद्रों की सेवाएं प्राप्त करने के अधिकार का दावा करते हैं। वे वर्ण के पदों में और ब्राह्मणवादी ग्रंथों में निर्देशित वर्ण-विभाजन (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र) के अनुसार बात करते हैं। इसके साथ ही वे सजा के मामले में भी खुद को औरों से अलग व्यवहृत किए जाने का दावा करते हैं, जबकि बुद्ध इनमें से किसी से भी सहमत नहीं होते। ब्राह्मणों और बुद्ध के बीच के विवाद में वस्तुतः जो बात सबसे प्रमुख या हावी दिखाई देती है वह है ब्राह्मणों के प्रत्येक दावे को बुद्ध द्वारा निरस्त किया जाना। बुद्ध उनके इस दावे को निरस्त करते हैं कि उन्हें निम्न जातियों से श्रम करवाने का अधिकार है। बुद्ध कहते हैं कि यह अधिकार सिर्फ उन्हें है जिनके पास धन है - कारण, केवल वही श्रम खरीदने की क्षमता रखते हैं। जन्मना कोई मालिक और कोई दास नहीं हो सकता।
महाद्वीप के उत्तर-पश्चिम भाग का उदाहरण देते हुए बुद्ध कहते हैं कि वहां मालिक (अय्या) दास हो जाता है तो दास मालिक। स्पष्ट है कि बुद्ध आर्थिक गत्यात्मकता की संभावना वाली खुली व्यवस्था के हिमायती थे न कि ब्राह्मणों द्वारा दावा की जा रही उस व्यवस्था के जिसमें हैसियत जन्मना तय होती हो । सभी मनुष्यों में कुछ बातें एक समान हैं और सभी एक ही जैविक प्रक्रियाओं से जन्म लेते हैं, यह कहते हुए बुद्ध खुद को सबसे ऊपर रखने वाले ब्राह्मणों की खिल्ली सा उड़ाते हैं। बुद्ध ब्राह्मणों द्वारा राजा से बड़े भूदान लेकर उत्पादन के साधन पर कब्जा जमाने के प्रयास से भी असहमति जताते हैं। इसके कई कारण रहे होंगे लेकिन सामान्य समझ यही रही हो सकती है कि उत्पादन के साधन (भूमि) पर ब्राह्मणीय नियंत्रण उनके श्रेष्ठ होने के दावे को मजबूत करने वाला साबित होगा। ये ग्रंथ यह स्पष्ट करते हैं कि ब्राह्मणों द्वारा खुद को जन्मना श्रेष्ठ मानने के दावे को केवल बुद्ध ही चुनौती दे रहे थे ऐसी बात नहीं थी, बल्कि वैकल्पिक धारणाएं भी विद्यमान थीं। यह सर्वमान्य सा था कि उत्पादन के साधन के रूप में भूमि पर नियंत्रण और कुछ खास पेशे श्रेष्ठ होने के आधार हैं। भूमि-नियंत्रक के रूप में गहपति को उच्च श्रेणी में रखा गया है और उनके लिए कहीं भी वर्ण या जाति जैसे ब्राह्मणवादी पदों का प्रयोग नहीं हुआ है। इससे एक तरफ जहां यह इंगित होता है कि उच्चता या श्रेष्ठता की स्थिति में पहुंचने के अवसर खुले से थे वहीं दूसरी तरफ यह भी स्पष्ट होता है कि कुछ पेशे उतने ही हीन नजर से देखे जाते थे जितना कि श्रम बेचना। बौद्ध ग्रंथों मे श्रम खरीदने वाले मुख्यतः गहपति हैं और मजदूरी - भोजन के बदले श्रम प्रदान करने वाले अथवा श्रम बेचने वाले दास और कम्मकार हैं। श्रमिक तबका स्वायत्त न होने, गरीब और हाशिए पर होने की वजह से व्यवस्था में निचले दर्जे पर था।
यहां जो बात ध्यान देने लायक है वह यह कि समाज में केवल दो वर्ग थे, उच्च और निम्न । ब्राह्मणवादी व्यवस्था की भांति जटिल विभाजन नहीं था। बुद्ध के एक (विशेष) बयान में स्तरीकरण की व्यवस्था में क्षेत्रीय विविधता की हकीकत का पता चलता है। पेशों की सूची से पता चलता है कि कोई भी पेशा खानदानी नहीं था। लेखन, हिसाब-किताब, सेना जैसे कई पेशे थे जो चुनाव के लिए खुले हुए थे।
तो जहां तक वर्ग और जाति का प्रश्न है, बौद्ध ग्रंथों में चित्रित स्तरीकरण वास्तविक उत्पादन संबंधों के नजदीक ठहरते हैं। इसके साथ ही, ये जाहिर करते हैं कि जन्मजात श्रेष्ठता की वजह से कुछ वर्ण नैयायिक विशेषाधिकारों के हकदार हैं, इस धारणा को स्पष्ट चुनौती मिल रही थी। इनमें उत्पादन के साधनों पर हक हो अथवा दासता-ये स्थायी नहीं हैं यानी जो मालिक हैं वे दास की स्थिति में आ सकते हैं और दास मालिक की स्थिति में कोई जन्मना मालिक अथवा दास नहीं है। कारण, उत्पादन के साधनों पर अधिकार न तो दैवी है और न ही जन्मना । जैसा कि ब्राह्मणवादी ग्रंथ जाहिर करने का प्रयास करते हैं। यही नहीं, राजनीतिक व्यवस्था की धुरी राजा से वर्ण विभाजन को बनाए रखने के बारंबार उद्बोधन हमें ब्राह्मणवादी ग्रंथों में मिलते हैं जबकि बौद्ध ग्रंथों में राजा महज विवाहेतर यौन संबंध कायम करने वाले स्त्री और चोर को दंडित करने के प्रति जागरूक व्यक्ति के रूप में चित्रित हुआ है। परिवार और निजी संपत्ति सामाजिक संस्थान के रूप में मान्य है न कि दैवी और अपरिवर्तनीय जन्मना रुतबा । बौद्ध ग्रंथों में सामाजिक स्तरीकरण मनुष्य द्वारा निर्मित और इसलिए परिवर्तन अथवा वर्ग विभाजन को स्थितिशील (स्टैटिक) और जगत में हो रहे निरंतर परिवर्तन के साथ अपरिवर्तनीय मानने से इनकार किया। आखिर परिवर्तन की धारणा बौद्ध दर्शन की बुनियादी धारणा है।
बौद्ध ग्रंथों में आए साक्ष्य का एक महत्वपूर्ण पक्ष है, सजातीय विवाहों के संदर्भ। गौरतलब है, जन्मजात श्रेष्ठता को अस्वीकार किया गया है और उस पर विवाह, बहस या विरोध व्यक्त किए जाने के बावजूद सजातीय विवाह के संदर्भ आए हैं। विवाह में 'जाति' को प्राप्त महत्वपूर्ण स्थान यह संकेत करता है कि जाति की धारणा विद्यमान थी। उसका आशय 'जन्म' से रहा होगा, जो सजातीय इकाई का रूप ले चुकी थी। उसके साथ वे अन्य लक्षण नहीं जुड़ थे जो आज जाति के साथ अनिवार्यतः जुड़े हुए हैं। वैसे शासक कुलों में 'रक्त शुद्धता' को तरजीह प्राप्त था। कारण, ब्राह्मणों के जन्मजात श्रेष्ठता के दावे को निरस्त करने के क्रम में बुद्ध एक तर्क यह भी देते हैं कि वे (यानी ब्राह्मण) रक्त शुद्धता को बरकरार रखने के प्रति उस भांति गंभीर नहीं हैं जिस भांति शाक्य कुल, जिससे खुद बुद्ध थे। एक ऐसी घटना का विस्तृत जिक्र भी हुआ है जिसमें शाक्य अपनी बेटी का विवाह राजा विदुभव से नहीं करते हैं, क्योंकि
शाक्यों की तुलना में उसका वंश हीन है। लेकिन राजा बलशाली है, इसलिए शाक्य उसे सीधे न नकारकर चालाकी से दासी की बेटी को राजा के संग कर देते हैं, इससे उनकी शुद्धता बची रह जाती है । इस तरह, बौद्ध स्रोतों से यह जाहिर होता है कि जाति के साथ-साथ गोत्र और कुल की धारणाएं वजूद में आ चुकी थीं और ब्राह्मण और क्षत्रिय कुल 'सजातीय' इकाई का रूप ले चुके थे। हालांकि सजातीयता के उल्लंघन भी होते थे और यदि मामला विशिष्ट पुरुषों का हो तो उसे बर्दाश्त किया जाता था। सजातीय विवाह की स्वीकृति के बावजूद जाति की ब्राह्मणवादी व्याख्या के विरोध के साक्ष्य भी बौद्ध - स्त्रोतों में मिलते हैं। खासकर, जन्म के आधार पर रुतबा और विशेषाधिकार तय किए जाने और जातियों का पदानुक्रम कर उसे उत्पादन संबंधों पर आरोपित कर स्थायी और स्वाभाविक रूप देने के प्रयास का विरोध किया जा रहा था । उत्पादन के साधन के स्वामी के रूप में गहपति का 'उच्च' माना जाना यही इंगित करता है कि सामाजिक रुतबा तय किए जाने का पैमाना उत्पादन के साधन पर अधिकार अथवा अनाधिकार था। बौद्ध ग्रंथों में नए उत्पादन संबंध स्थापित करने का प्रयास, ताकि कोई भी न्यूनतम संसाधन, उद्यम और श्रम की व्यवस्था के बूत (गहपति की भांति) ऊपर उठ सके, पल्लवित नहीं हो पाया। ब्राह्मणों द्वारा प्रस्तावित विचारधारात्मक संरचना का विकल्प नहीं पनप सका। सजातीय विवाह को दी गई अत्याधिक महत्ता इसका कारण रहा होगा। अंततः इसे उत्पादन व्यवस्था और जन्म आधारित पेशे से आबद्ध किए जाने के बाद ब्राह्मणवादी व्यवस्था के व्यवस्थित होने का मार्ग प्रशस्त हो गया होगा। एक उच्च और विकसित पदानुक्रमित व्यवस्था और अपेक्षाकृत कमतर पदानुक्रमित व्यवस्था की सजातीयता में बड़ा फर्क है। कारण, पहले वाले में कुछ को उत्पादन के साधनों (भूमि) पर अपने आप हक मिलता है तो अन्य आधारित पदानुक्रम के बीच कोई स्थापित या संबंध हम नहीं पाते। वर्णसंकर सिद्धांत के तहत इन अलग-अलग तत्वों को जोड़ने ने ही उस व्यापक वर्ण-वर्ग/ ढांचा को संभव किया जो आज भी विद्यमान है। ज्यादा विकसित उत्पादन व्यवस्था में जाति के प्रसार (सजातीय विवाह के आधार पर) को धारणात्मक स्तर पर औचित्य प्रदान करने के लिए वर्णसंकर का सिद्धांत एक सुविधाजनक साधन साबित हुआ।
5.1.3 धर्मशास्त्र
धर्मशास्त्रों में ये परिवर्तन बड़े ही व्यवस्थित ढंग से वर्णित हुए हैं। उनमें भी खासकर, मनु - रचित मनुस्मृति ज्यादा उल्लेखनीय है। इसकी रचना दूसरी सदी में हुई होगी। मनु ने इसके आरंभिक अध्यायों में वर्ण विभाजन को दैवीय इच्छा की रचना कहा है जो उतना ही पुराना है जितना की सृष्टि । मनु के अनुसार, सृष्टि की सुरक्षा के लिए ही सृष्टिकर्ता ने अपने शरीर के विभिन्न भागों-मुख, बांह, जंघा और पैर से जन्मे विभिन्न वर्णों को अलग-अलग कार्य सौंपा। ब्राह्मणों के विशेषाधिकार की वकालत वाले इस ग्रंथ का रचनाकार भी ब्राह्मण है और ब्राह्मण ही उसके लक्षित पाठक हैं जिनके हितों के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किए गए हैं। वर्णों की उत्पत्ति जिस आदि पुरुष के अंगों से हुई, उसके अंगों की शुद्धता में पदानुक्रम है। ब्राह्मण जिनकी उत्पत्ति मुख से हुई है वे सबसे ज्यादा शुद्ध हैं और सर्वोपरि भी। कारण, एक तो उन्होंने सबसे पहले जन्म लिया और दूसरा, सभी ज्ञान के स्त्रोत वेदों पर उनका अधिकार है। साथ ही, ब्राह्मण पवित्र नियम का शरीरी रूप हैं इसलिए ब्राह्मंड में जो कुछ भी है उस पर उनका हक हैं। नियम कहता है कि प्रत्येक वर्ण अपने लिए अनंत काल से निर्धारित आचार पर चले जिनका सीधा जुड़ाव विवाह, विवाह के अनुष्ठान, उचित/अनुचित आहाए, स्त्रियों के लिए निर्धारित आचार का उल्लंघन और उनके अतिक्रमण की वजह से होने वाले जातियों और स्थानीय / प्रथागत रिवाजों के मिश्रण मनु की संहिता के मुख्य विषयवस्तु हैं, जिन्हें विषयसूची के सारांश में रेखांकित किया गया है। इस सारांश से हमें संहिता की विचारधारात्मक संरचना के साथ-साथ वर्ण ढांचे को दी गई केंद्रीयता की झलक मिलती है जिसे स्थापित करना इसका अभीष्ट है।
समूचे मनुस्मृति में मनु की मूल चिंता जाति के आधार पर सामाजिक रुतबा, पेशा और सेवा तय करने यानी वर्ण व्यवस्था कायम करने से जुड़ा है। इससे जाहिर होता है कि ब्राह्मणवादी वर्ण व्यवस्था अपने पैर मजबूती से नहीं जमा पाई थी। तभी तो मनु को इसे औचित्य प्रदान करने की जरूरत पड़ी । इसे लादेन, क्रियान्वित करने और वर्चस्व की स्थिति में लाने का दायित्व राजा का था। अपनी स्थिति के अनुरूप प्रत्येक जाति निर्धारित रीति के तहत ही व्यवहार करे, इसका दायित्व राजा पर ही था। राजा से वैश्यों और शूद्रों को उनके लिए निर्धारित कार्य-क्षेत्र के दायरे में
बांधकर रखने के लिए कहा गया है; कारण, मनु के अनुसार, 'यदि ये जातियां अपने लिए निर्धारित कार्य करने से विमुख हो जाएं तो वे समूचे विश्व में 'गड़बड़ी' ला देंगी । ' दूसरे शब्दों में, श्रमिक यदि श्रम करना छोड़ देंगे तो ब्राह्मणों द्वारा संकल्पित पूरी व्यवस्था ही ढह जाएगी।
प्रत्येक समूह को उसके लिए निर्धारित सेवा की व्यवस्था तभी संभव थी जब आनुष्ठानिक सत्ता की संरचना, ज्ञान राजनीतिक सत्ता, पेशागत विभाजन, भूमि और श्रम सेवाओं पर नियंत्रण को व्यवस्थित रूप में सीमांकित सामाजिक समूह निरंतर बनाए रखते । सीमांकन के लिए एक व्यवस्थित विवाह संस्था अनिवार्य थी। साथ ही, परिवार का समाज की मूलभत इकाई होने के कारण ब्राह्मणवाद में विवाह की अनिवार्यता और परिवार की निरंतरता को प्राथमिकता दी गई। जबकि बौद्ध, जैन या अन्य विषमांगी (हेट्रोजेनस) व्यवस्थाओं में हम यह नहीं पाते कारण, वर्ण व्यवस्था की निरंतरता उनके एजेंडे का हिस्सा नहीं थी । यही कारण है कि गृहस्थ के कर्मकांडीय दायित्वों के प्रति ब्राह्मणवादी ग्रंथों में ज्यादा आग्रह दिखाई देता है। उनमें भी, मनुस्मृति धारणात्मक स्तर पर सबसे ज्यादा सुसंगत है। जैसा कि एक मानवविज्ञानी का मानना हैविवाह हिंदू समाज के हृदय-स्थल पर निवास करता है। यह किसी पुरुष के जीवन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना, हिंदू मानस के अग्रभाग का हिस्सा और समाज की धुरी है। इसका जाति से सीधा जुड़ाव है और जाति किसी हिंदू के लिए उसके अस्तित्व की बुनियाद है । पुरुष की जाति उसके माता और पिता दोनों की जातियों से निर्धारित होती है और तत्पश्चात उसके अपने विवाह और यौन संबंध के आधार पर बनी रहती है या बदलती है।
इसलिए मनु धर्मशास्त्र में विवाह को जो गंभीर तवज्जो मिला है वह आश्चर्य की बात नहीं। किसी गृहस्थ के लिए निर्धारित दायित्वों में इसकी जगह धुरी की हैं। कारण, इसे निभाने के माध्यम से ही वह परिवार, वंश, संपत्ति व्यवस्था और ब्राहणवादी रुतबा क्रम यानी समूची सामाजिक व्यवस्था को पुनरोत्पादित कर सकता है। यही वजह है कि विवाह और पुत्र उत्पन्न करना उसका परम कर्तव्य है। इसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह दूसरे परिवार की स्त्री को पत्नी के रूप में लाए। गौरतलब है, पत्नी के लिए स्त्री के चयन को लेकर मनु ने सावधानी बरतने की बात ने करते हुए विस्तृत निर्देश दिए हैं। मसलन, उसे न केवल समान जाति बल्कि सम्मानप्राप्त परिवार से होना चाहिए। ऐसे परिवार का रिश्ते-नाते के दायरे से बाहर का ही होना जरूरी है । मनु ने जहां कुछ लक्षणों से बचने की बात की है वहीं मांगलिक शारीरिक चिह्न वाली स्त्री को उसने समुचित माना है। विवाह में स्त्री के चुनाव को लेकर वर्गीकरण और पदानुक्रमीकरण के प्रति ब्राह्मणवादी, मनोग्रसित (ऑब्सेशन) की सबसे स्पष्ट अभिव्यक्ति अलग-अलग वर्णों का विवाह के अलग-अलग रूपों से जोड़े जाने में हुई है। विवाह के कुल आठ रूपों की बात की गई है जो इस प्रकार हैं - ब्रह्म, दैव, अर्ष, प्रजापत्य, असुर, गंधर्व, राक्षस और पिशाच । क्षत्रिय को गंधर्व विवाह की अनुमति मिली हुई है, जिसमें वर और वधू परस्पर प्रेम और सहमति के आधार पर विवाह के बंधन में बंधते हैं। इसके साथ ही, क्षत्रिय राक्षस विवाह भी कर सकते हैं, जिसमें वर वधू को जबरन ले आता है। सामान्यतः, विवाह के कुछ रूप निम्न वर्णों के खाते में डाल दिए गए हैं तो कुछ पर उच्च वर्णों का एकाधिकार है। उच्च वर्णों से जुड़े विवाह-रूपों में कन्या का पिता वर को कन्या के साथ-साथ अन्य चीजें भी ( उपहार में) देता है और इनमें पितृसत्तात्मक तत्व ज्यादा मुखर रहते हैं जबकि निम्न विवाह - रूपों- मसलन, असुर विवाह में वधू - मूल्य चुकाना पड़ता है । इतिहासकारों का मत है कि विवाह के निम्न रूपों का उद्देश्य जाति व्यवस्था में निचले क्रम पर समावेशित कुछ समुदायों में प्रचलित विवाह-रूपों को मान्यता देना था। तनिक ज्यादा उपयोगितावादी रुख के स्तर पर बौद्धयान धर्मशास्त्र (500-300 ई. पू., I. 14-15) कहता है कि कृषि और कामकाज में संलग्नता की वजह से वैश्यों और शूद्रों में स्त्रियों की कठोर निगरानी संभव नहीं था । उच्च विवाह - रूपों में विवाह अटूट बंधन माना जाता था जबकि निम्न विवाह - रूपों में विवाह - विछेद (तलाक) की अनुमति थी।
ब्राह्मण (वह जाति जिसके प्रति मनु सर्वाधिक चिंतित है) के लिए ब्रह्म विवाह उचित माना गया, जिसमें पिता अपनी कुंवारी कन्या और उसके साथ-साथ समुचित कपड़े और गहने वर को 'दान' करता है। स्पष्ट है, पिता कर्मकांडीय तरीका अपनाकर अपनी बेटी और उसकी यौनिकता वर को प्रदान करता है, जिसमें उसकी सहमति पर्याप्त होती है। अन्य जातियों में विवाहिता की इच्छा (सहमति) के मान के लिए जगह थी जबकि ब्रह्मण स्त्री अपने विवाह में किसी
भी स्तर पर इच्छा/अनिच्छा नहीं जता सकती थी। समय के साथ धीरे-धेरे मनु द्वारा रेखांकित आठ विवाह मोटे तौर पर दो कोटियों में बंट गए। पहला, अविच्छेद्य सांस्कारिक विवाह जो ऊंची जातियों के बीच प्रचलित रहा और दूसरा, अपेक्षाकृत लचीला जिसमें विवाह अटूट बंधन नहीं माना जाता, जिसमें पुनर्विवाह पर बंदिश नहीं । सांस्कारिक विवाह का मतलब था विधवा होने की स्थिति में 'वैधव्य' को जीने की बाध्यता यानी ऊंची जातियों की स्त्रियां पति की मृत्यु के बाद पुनर्विवाह नहीं कर सकती थीं। वे अत्यंत कठोर और संयमित विधवा जीवन जीने को बाध्य थीं। निम्न जातियों, जो सांस्कारिक विवाह अपनाने की हकदार नहीं थीं, वे विधवाएं अपने मृत पति के रक्त संबंधी (देवर) के साथ विवाह कर लेती थी।
विवाह के लिए जरूरी नियम-कायदों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए मनु ने कहा कि आदर्शतः वर और वधू दोनों का समान जाति/वर्ण का होना जरूरी है। कारण, संतान की स्थिति एक साथ माता और पिता दोनों से तय होती है। हालांकि, परोक्षतः वह उन अनुज्ञेय (छूट प्राप्त) प्रचलनों की ओर भी संकेत करता है जिनके तहत ब्राह्मण/क्षत्रिय/वैश्य पुरुष अपनी जाति की स्त्री को प्रथम पत्नी बनाने के पश्चात् अपने से निम्न क्रम के जाति / जातियों में से हरेक से एक-एक पत्नी रख सकता था। ब्राह्मण पुरुष को क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जातियों की स्त्रियों को पत्नी बनाने की अनुज्ञा के बावजूद वह शूद्र पत्नी के प्रति घृणा का भाव व्यक्त करने से नहीं चूकता । वह किसी ब्राह्मण पुरुष द्वारा अपनी प्रथम पत्नी के लिए किसी शूद्र स्त्री के चुने जाने की कड़ी निंदा करता है। कारण, इससे पदानुक्रम-व्यवस्था उल्लंघित और प्रदूषित होती । वैसे तो मनु का दावा है कि ऐसा कभी नहीं हुआ - घोर से घोर 'संक्रमण' काल में भी इसे इसका उदाहरण नहीं मिलता लेकिन उसने अपनी संहिता (मनुस्मृति) में ऐसे विवाह की जो कठोर निंदा की है उससे तो यही इंगित होता है कि उनका चलन था और ब्राह्मण सिद्धांतकार इस पर बंदिश लगाने के प्रयास में जुटे हुए थे। उल्लंघन करने वालों को इस जन्म ही नहीं बल्कि अगले जन्म में भी भयानक सजा मिलने की बात करने वाला मनु कामना, खासकर यौनेच्छा को दांपत्य संबंध के दायरे में बांध कर न रख पाने की कठिनाई की वजह से वर्णसंकर की सैद्धांतिकी गढ़ने की ओर प्रवृत्त होता है ताकि उल्लंघन / विचलन युक्तिसंगत लगें। दांपत्य दायरे के उल्लंघन के इस सिद्धांत ने वर्ण से जाति की ओर के संक्रमण के साथ-साथ जाति व्यवस्था के परिष्कार को भी संभव किया जिसमें प्रजनन, उत्पादन, पेशागत विशेषज्ञता और प्रत्येक जाति के लिए अलग-अलग सांस्कृतिक और कर्मकांडीय आचार व्यवहार एक साथ गुंथे गए।
वर्णसंकर सिद्धांत कुछ 'मूल कोटियों' की पदानुक्रमित व्यवस्था पर आधारित है, जिसमें तय किए गए सामान्य विवाहों के उल्लंघन की वजह से नई कोटियों के उदित होने की व्यवस्था है। उल्लंघन दो तरह से हो सकते हैं। पहला ऊंची जाति के पुरुष द्वारा निम्न जाति की स्त्री को पत्नी बनाने से, जिसकी अनुमति उसे है भी (अपनी जाति की स्त्री को प्रथम पत्नी बनाने के बाद ) । इसे 'अनुलोम' संबंध' कहा गया है। मानवविज्ञान की भाषा में इसे 'हाइपरगैमी' कहते हैं। चूंकि पुरुष का बीज (वीर्य) धरती (स्त्री) से ज्यादा ताकतवर माना जाता है, इसलिए (यदि ऐसा कई पीढ़ियों तक होता रहे तो) हाइपरगैमी सामाजिक गतिशीलता का मार्ग प्रशस्त करता है। वैसे भी इससे नई जातियां उत्पन्न होती हैं। दूसरे तरह के उल्लंघन में संबंध ऊंची जाति की स्त्री और निम्न जाति के पुरुष के बीच बनता है। इसे 'प्रतिलोम' कहा गया है। मानवविज्ञान में इसे 'हाइपोगैमी' कहते हैं। हालांकि मनुस्मृति में इसे निषिद्ध, अत्यंत निंदनीय और दंडनीय माना गया है लेकिन वर्णसंकर के सिद्धांत में यह एक महत्वपूर्ण तत्व है। मनु ने दोनों उल्लंघनों को जिन शब्दों में व्यक्त किया है वह गौरतलब है - अनुलोम, प्राकृतिक है। ऊंची जाति के पुरुष द्वारा निम्न जाति की स्त्री को पत्नी बनाना स्वाभाविक है, प्रकृति के अनुरूप है। लेकिन ऊंची जाति की स्त्री द्वारा निम्न जाति के पुरुष से संबंध स्थापित करना प्रकृति के प्रतिकूल यानी अप्राकृतिक है, अनुचित और धिक्कार्य है। जातियों का घालमेल प्रतिलोम विवाह / संबंध की ही उपज है।
दो और पहलू गौरतलब हैः वर्णसंकर सिद्धांत में अनुलोम संबंधों (जो कि स्वीकार्य है) की वजह से उत्पन्न होने वाली नई जातियों की संख्या की तुलना में प्रतिलोम (जिस पर पाबंदी है) संबंधों से उत्पन्न होने वाली नई जातियों की संख्या ज्यादा है। नई जातियों में से अधिकांश की उत्पत्ति (सबसे पवित्र जाति) ब्राह्मणों के अतिक्रमण (उल्लंघन) की वजह से हुई है। सबसे बड़ी अशुद्धता / अपवित्रता उन्हीं के माध्यम से होती है । कारण, ऊंची जाति
की स्त्री को अपने गर्भ और ब्राह्मण पुरुष को अपने व्यक्तित्व की शुद्धता के नष्ट होने का खतरा बना रहता है। इस विरोधाभास को तैंबिआ ने इस तरह व्याख्यायित किया हैमुझे ऐसा प्रतीत होता है कि अनेक अस्वीकार्य कोटियों को उत्पन्न करने, उन्हें निम्न स्थिति प्रदान करने और इतनी सारी जातियां/जाति के पदानुक्रम में निम्न स्तरों पर क्यों हैं। इसकी धारणात्मक व्याख्या करने के साथ-साथ इसे औचित्य प्रदान करने के लिए 'प्रतिलोम' की धारणा एक अच्छी बौद्धिक युक्ति (चाल) है... जातियुक्त समाज अपनी वास्तविक जनसांख्यिकी बुनावट में पिरामिड के आकार की भले ही न हो लेकिन हैसियत, अनुष्ठान और पेशों का इसका जो मूल्यांकन है वह पिरामिडीय है। शुद्ध हैसियत वाले बहुत कम हैं, जबकि अशुद्ध हैसियत वाले बहुत अधिक। शुद्धता और अशुद्धता का जो ( राजनीतिक) अर्थशास्त्र है वह इसे अपरिहार्य करता है। [इस वजह से और चूंकि समाज में उच्च हैसियत वाले या उच्च स्थिति में बहुत कम लोग हैं ] आचार संहिताओं में प्रतिलोम संबंधों के क्रमचय के प्रति हम उम्मीद से ज्यादा महत्ता देते हुए पाते हैं। नैतिक स्मर पर निंदनीय होने के बावजूद प्रतिलोम संबंध निम्न स्थितियों (पदों) को उत्पन्न करने का माध्यम है।
हालांकि वर्णसंकर सिद्धांत काल्पनिक और अनैतिहासिक है, जो विभेदकारी ढांचे का रूप लिए हुए है और विविधता लिए हुए गतिशील समाज पर खुद को आरोपित करने (ज्यादा सफल हुए बिना) की कोशिश करता रहा है लेकिन यह कुछ सैद्धांतिक और वास्तविक मसले जाहिर कर जाता है। पिरामिडीय संरचना समाज में विद्यमान असमानता को प्रतिबिंबित करती है-लड़ाकुओं और चिंतकों का संकीर्ण शीर्ष और उत्पादकों और कार्मिकों का चौड़ा आधार । शुद्धता / अशुद्धता के तर्काधार पर वर्णसंकर का सिद्धांत गढ़ने वाले ब्राह्मणों ने अपनी ओर से ऊंची जातियों की वर्चस्वता, उसके विशेषाधिकारों और भौतिक स्वार्थों को भी पक्का किया। साथ ही, उन्होंने न केवल निम्न और सेवा प्रदान करने वाले (श्रमिक) जातियों की ज्यादा संख्या का औचित्य प्रस्तुत किया (उस अवधि में जबकि ग्रंथ तैयार किया जा रहा था), बल्कि उस संरचना को भी तर्काधार प्रदान किया जो हिंदू सामाजिक संगठन में शामिल हो रहे प्रत्येक नए सामाजिक समूह को एक स्थिति (हैसियत) दे सके। हालांकि नए शामिल हो रहे अधिकांश समूह निचले पायदान पर भी जगह पाते थे जो निरंतर फैलने की क्षमता रखते थे। इसके साथ-साथ, समूची संरचना एक स्तर तक लचीलापन लिए हुई थी, जिसे वर्णसंकर द्वारा सैद्धांतिक औचित्य प्राप्त था और जिससे आधार फैल सकता था। सजातीयता के उल्लंघन को निंदनीय / दंडनीय रूप में रखते हुए ऊंची जातियों की सीमाओं को बनाए रखने की कोशिश होती रही, ताकि सांस्कृतिक और आनुष्ठानिक संपदा को अंतःसरण, तनूकरण और बिखराव से बचाया जा सके। संक्षेप में, वर्णसंकर की धारणा वह माध्यम थी जिसकी वजह से जाति व्यवस्था फल-फूल सकती थी और जातियों की स्थिति के आधार पर स्त्री यौनिकता नियंत्रित की जा सकती थी। इस तरह अनेक लिंग आधारित जातीय व्यवहार उस जटिल संरचना के भाग थे जो कई यौनाधारित और समाधारिता गठनों को समाहित किए हुई थी। मनु जिस आदर्श संरचना की नींव रख रहा था, वह उसके समय के हिसाब से काफी कमजोर धरातल पर भले ही थी, लेकिन बाद में उसने अपने पैर काफी मजबूती से जमाए (खासकर कुछ विशेष क्षेत्रों में ) । मनु की किताब की तुलना आरंभिक अवधि के बौद्ध और जैन साहित्य से करने पर हम पाते हैं कि सजातीयता, विभिन्न पेशों से जुड़े पदानुक्रमित सामूहिक इकाइयों, और कुछ को भूमि और उत्पादन के स्रोत पर मालिकाना हम रखने वलों और अन्य को श्रम प्रदान करने वालों के रूप में निश्चित कर और इन सबको आपस में गूंथकर जाति व्यवस्थाः (1) आनुष्ठानिक, (2) वैवाहिक, और (3) राजनीतिक और आर्थिक तंत्र के रूप में वजूद में आई। एक बार इन सबके बीच जुड़ाव हो गया और इससे सामने आई पूरी संरचना को पुनर्जीवित हो उठे ब्राह्मणवाद का समर्थन प्राप्त किए हुए राजनीतिक सत्ता का लगातार सहयाग मिलने लगा तब ज्यादा लचीली व्यवस्था (जिसमें सामाजिक स्थिति जन्म से नहीं तय होती) का विकल्प के रूप में उभरकर सामने आने की संभावना भी क्षीण हो गई। वर्ग जैसी ज्यादा लचीली कोटि जाति के तहत कुंद होकर रह गई । इसे सत्ता का सहयोग प्राप्त था और फिर पूरी की पूरी संरचना को कानूनी प्रावधानों, ऊंची जातियों की सामाजिक सत्ता और निम्न जातियों की तरफ से किसी भी प्रकार की पहलकदमी पर पाबंदी की सहायता से बरकरार रखा जाता रहा । यह शीर्ष पर स्थित समूहों के लिए 'लचीली' थी जिनके पास राजनीतिक सत्ता थी, शस्त्र थे और जिनका राजनीतिक संपर्क था । इस स्तर पर फैलते हुए या स्थानांतरित
कर रहे समूहों के साथ सामंजस्य हो सकता था । निम्न स्तर पर भी यह व्यवस्था उन लोगों को समाविष्ट करती रही जो 'श्रम' प्रदान कर सकते थे। इस तरह जाति व्यवस्था उत्पादन की एक पद्धति या स्वरूप भी बन गई। तो मूलतः जो लचीलापन हम बौद्ध साहित्य में पाते हैं वे बाद के ब्राह्मणवादी ग्रंथों द्वारा उल दिए गए। उत्पादन संबंध सामाजिक हैसियत के अनुरूप निश्चित किए गए। इससे जातियों के बीच जो विभाजन हुआ वह उत्पादन के स्रोत यानी भूमि पर केंद्रित हो गया। एक तरफ वे जातियां थीं जिनका भूमि पर हक था या जिन्हें इससे 'आय' प्राप्त होती थी और दूसरी तरफ वे भूमिहीन जातियां थीं जो भूपतियों के लिए श्रम करने को अभिशप्त थीं।
5.1.4 सामाजिक परिवर्तन और जाति व्यवस्था का प्रसार
कई इतिहासकार ब्राह्मणवाद और ब्राह्मणवादी सामाजिक संबंधों का विकास काल गुप्तों के उत्थान (300 ई. के आसपास) से लेकर बाद तक कुछ सदियां में देखते हैं। पांचवीं सदी तक आते-आते जाति व्यवस्था में अस्पृश्यता का समावेश हो चुका था (जिसे चीनी यात्री फाह्ययान ने भी दर्ज किया है) और वह फैलती जाति व्यवस्था का हिस्सा बन चुकी थी। इतिहासकारों ने परोक्ष अथवा अपरोक्ष तौर पर यह कहा है कि समूचे प्राचीन और मध्य काल के दौरान राज्य निर्माण के निरंतर और बार-बार प्रयास हुए। इसके साथ ही उन्होंने भूमि और अन्य विशेषाधिकारों के दान के माध्यम से ब्राह्मणवाद के गंगा की घाटी से मध्य, पूर्वी और प्रायद्वीपीय भारत की ओर फैलाव का भी रेखांकन किया है। इतिहासकारों का मत है कि दान के रूप में प्राप्त भूमि क्षेत्र में ब्राह्मण अपने साथ कृषि - ज्ञान, उत्पादन की पद्धति और नए सामाजिक संबंध भी ले जाते थे। कौसंबी के अनुसार, द्वीप भर में आर्यों के विस्तार का एक बड़ा परिणाम उनके द्वारा उत्पादन पद्धति के विविध रूपों और विभिन्न संस्कृतियों को खतम कर उन्हें एक बृहत्तर सामाजिक गठन के तहत एकीकृत करने के रूप में हुआ । नदी घाटी क्षेत्रों में, जहां कृषि का आधार ज्यादा मजबूत था इसलिए वहां कृषि कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में मजबूर श्रमिक चाहिए थे। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कृषि के प्रसार, उत्पादन और श्रम उगाही की रणनीतियों का अच्छा रेखांकन किया है। भूक्षेत्र के विस्तार के साथ-साथ श्रम संसाधनों के प्रसार की जुड़वां प्रक्रियाओं का चित्रण मौर्य शासन के लेखा-जोखा में हुआ है - युद्ध में विजित भूमि को कृषि के उपयोग के लिए पुरुष चाहिए इसलिए हजारों लोग बंदी बनाए जाते हैं। इस तरह उत्पादन की एक पद्धति सदियों तक या तो धीरे-धीरे नए क्षेत्रों की ओर या फिर युद्ध में विजित क्षेत्रों की ओर फैलती रही। इसके साथ ही ऐसी प्रक्रियाएं भी चल रही थीं जिनके तहत पुराने समुदाय टूटकर विकसित हो रहे नए सामाजिक संबंधों में समाविष्ट हो रहे थे। जाति व्यवस्था खुद शनैः शनैः, असमान रूप में और विविध प्रक्रियाओं के तहत निर्मित हुई, इसके इतिहास का संगत और व्यवस्थित आख्यान अभी लिखा जाना शेष है। इसके रूपरेखा की झलक हमें विभिन्न विद्वानों के कार्यों और क्षेत्रीय - इतिहासों में दिखाई देती है। असम की ब्रह्मपुत्र घाटी और तमिलनाडु के मैदानी भागों के इतिहास (अब लिखे जाने लगे हैं) ऐसे क्षेत्रीय इतिहासों के उदाहरण हैं।
तमिल क्षेत्र में जाति के उद्भव की संक्षिप्त पड़ताल से हमें यह समझ ने में मदद मिल सकती है कि कैसे स्थानीय संरचनाएं और विश्वास दूसरे क्षेत्रों की धारणाओं और सामाजिक गठन के रूपों अंतर्क्रियोपरांत क्षेत्र-विशिष्ट संरचना उत्पन्न करते हैं। तमिल संगम साहित्य (ईसा पूर्व पहली सदी से तीसरी सदी तक) से पता चलता है कि आरंभिक तमिल समाज तीसरी सदी के बाद की तुलना में कम स्तरीकृत था । अलग-अलग पारिस्थितिकी क्षेत्र में अलग-अलग उत्पादन पद्धति ली हुई समाज व्यवस्थाएं सरल थीं। हालांकि संगम साहित्य में भी हम ऐसे लोगों का जिक्र पाते हैं जो निम्न स्तर के थे और जिनका आचार व्यवहार निंदनीय था । निम्नजाद लोग गरीब थे और उनका बसेरा मुख्य आबादी से दूर और अलग तरह का था। उनके लिए चर्म-कार्य, कपड़े धोना, मछली पकड़ना आदि जैसे कार्य निर्धारित थे। 'गंदे' लोगों को मृत्यु से जोड़कर देखा जाता था। एक आम धारणा दैवी शक्ति को लेकर व्याप्त थी। ऐसी मान्यता थी कि यह शक्ति दो तरह के हैं - पहला मांगलिक और नियंत्रणीय और दूसरा अमांगलिक और अनियंत्रणीय। ऐसे अनेक सामाजिक संस्थान अथवा लोग चाहिए थे जो दूसरी कोटि यानी अमांगलिक को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हों । उदाहरण के लिए, पतिव्रता स्त्री । अनांकुधारिणी ऐसी स्त्री अपने प्रभाव से अमांगलिक को मांगलिक में बदल सकती थी।
कन्नगी तमिल स्त्री की ऐसी ही पवित्र / धार्मिक क्षमता का प्रतीक है। कन्नगी ने मदुरई को भस्म कर दिया, कारण, मदुरई ने वहां के निवासियों, खासकर कन्नगी के पति कोवलन को न्याय देने से मना कर दिया था। आज कन्नगी तमिल भाषी क्षेत्र में महिमामयी है। अपनी पवित्रता की वजह से वह करपूधारिणी है और लोगों की भलाई के लिए उसका आवाहन किया जाता है। कन्नगी और कोवलन की कथा शिल्पाधिकारक में दर्ज है।
उच्चजादों को विश्वास था कि निम्नजादों में अशुभ/अमंगल से निपटने की जन्मजात क्षमता होती है। वे अशुभ को नियंत्रित कर सकते हैं, उसे दूर रख सकते हैं लेकिन उसके स्वभाव को नहीं बदल सकते । राजा निम्नजाद अनुष्ठाताओं पर निर्भर रहने को मजबूर था। उनके अनुष्ठानों से युद्धों में उसकी ताकत बढ़ती थी।
ईसा पूर्व तीसरी सदी में अपनी उपस्थिति के संकेत देते ब्राह्मणों को तमिल क्षेत्र के राजाओं से गठंधन की जरूरत पड़ी होगी, जिसकी कवायद वे उत्तर भारत में ईसा पूर्व आठवीं सदी से ही करते आ रहे थे और जहां उन्होंने धार्मिक ज्ञान पर अधिकार की दावेदारी प्रस्तुत की। इसमें वे ज्यादा सफल नहीं हो पाए थे, कारण, बौद्ध चिंतन जैसी वैकल्पिक परंपराओं की चुनौती का उन्हें सामना करना पड़ रहा था। समय के साथ, वे धीरे-धीरे खुद को राजाओं के समक्ष निम्नजाद अनुष्ठाताओं के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करने में कामयाब होते गए। वे ऐसी ताकत थे जो जन्मजात ही शुद्ध, व्यवस्थित और मांगलिक सत्ता से लैसे होने का दावा कर रहे थे।
आर्थिक संरचनाओं के स्तर पर तमिल क्षेत्र में पांचवीं से दसवीं सदी के बीच व्यवस्थागत परिवर्तन होते देखने को मिलता है। छोटे-छोटे राजाओं और सरदारों की जो बड़ी संख्या हम संगम काल में पाते हैं उनकी जगह बड़े साम्राज्यों (पहले पल्लवों का और उसके बाद चोलों का) ने ली। कृषि के प्रसार और उसके जड़ जमाए जाने (खासकर नद्य-इलाकों मसलन, कावेरी क्षेत्र) के साथ ही तमिल समाज में स्तरीकरण की प्रक्रियाएं ज्यादा तीव्र होती गईं। कुछ विद्वानों ने इस अवधि को जाति निर्माण का दूसरा दौर मानने की बात की है, जिसका पहला दौर उत्तरी भारत की गंगा घाटी में पहली सहस्राब्दी के आरंभिक सदियों में ही पूरा हो चुका था। संगम काल में कई वजहों से कृषि प्रबल रूप नहीं ले पाई लेकिन संगमोत्तर काल में बड़े परिवर्तन हुए। मसलन, हल का प्रयोग, उत्पादन संबंधों का कुटुंब के दायरे फलांगना आदि। जहां, पहले जमीन पर परिवार / कुटुंब श्रम करते थे उनका जगह धीरे-धीरे उस व्यवस्था ने अपना पैर जमा लिया जिसमें उत्पादन के साधन यानी भूमि के अधिकतर हिस्सों पर ब्राह्मणों का अधिकार हो गया। राजाओं से बतौर दान के रूप में मिले जमीन के उत्पाद पर उनका हक हो गया। जिस जमीन पर पहले परिवार या कुटुंब अपने लिए श्रम करते आ रहे थे, उसी पर अब उन्हें ब्राह्मणों के लिए श्रम करना पड़ रहा था। ब्राह्मणों ने कृषि में हल का व्यापक प्रयोग कर उत्पादन और श्रम के दोहन में बड़े परिवर्तन को जन्म दिया। संचार और वैधता के साधनों पर ब्राह्मणों की वर्चस्वता ने उनको छठी सदी तक आते-आते साज का एक महत्त्वपूर्ण अंग बना दिया। उत्पादन व्यवस्था के संकेंद्रित और आर्थिक व्यवस्था से ज्यादा जटिल होते जाने के साथ-साथ पेशे के स्तर पर भी विविधता आई। वंशानुगत पेशे का प्रसार जाति के पदानुक्रम द्वारा आत्मसात कर लिया गया तो पदानुक्रम की समूची व्यवस्था मंदिर जैसे नए संस्थानों (दक्षिण भारत में सेवाओं का व्यापक नेटवर्क मंदिर के दायरे में लाया गया) से नियंत्रित होने लगी।
दसवीं सदी से तमिल क्षेत्र में अस्पृश्यता के विद्यमान होने के साक्ष्य अभिलेखों में दर्ज हैं। अस्पृश्यों का आवास गांव के मुख्य बसेरे से दूर होता था। प्रसिद्ध शैव भक्त नांदनर एक अस्पृश्य जाति परैया से थे। उनकी जीवनी में काफी विस्तार से चेरी की चर्चा हुई है, वहां वे और कई अन्य खेतिहर मजदूर रहते थे । अन्य परैये कारीगरी और शिल्प का काम करते थे। नांदनर खुद चमड़े का काम करते थे। इसी तरह एक और अस्पृश्य जाति थी पुल्लैया। एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि ये स्थानांतरित किए जा सकते थे। ऐसाप्रतीत होता है कि वे खेतों पर काम करने वाले दास थे। चोलों के शासन के कायम होते-होते विभिन्न संरचनाएं व्यवस्थित हो चुकी थीं, जिसके रूप आज तक विद्यमान हैं। कुटुंब आधारित उत्पादन संबंधों के टूटने और पदानुक्रम के पदों ( स्तरों) के बढ़ते जाने की वजह से सजातीय विवाह के जिस रूप का जिक्र हमें संगम साहित्य में मिलता है उसके निहितार्थ बदले होंगे। इसके साथ ही कुटुंब में ही विवाह, एरैंज्ड विवाह और 'प्रेम' जिसे साहित्य में महिमान्वित भाव के रूप में चित्रित किया गया है, इन सबके मायने भी बदले होंगे। जहां अनेक सजातीय समूह रहे होंगे, वहां संगमोत्तर काल में समूहों के बीच
'पदानुक्रम' की महत्ता बढ़ने के साथ ही विवाह और लिंग के रूपों में हुए परिवर्तनों के अन्वेषण की जरूरत है। कारण, तमिल क्षेत्र में अब तक की अवधि के लिंग या जाति पर जो कार्य हुए हैं उनके आधार पर उक्त परिवर्तनों के बारे में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है।
इस बिंदु पर आकर यह जानना प्रासंगिक होगा कि यह फैलाव सदियों तक विविध क्षेत्रों में किन रूपों में हुआ। एन.के. बोस द्वारा आधुनिक समय में जनजातियों के जाति व्यवस्था में जुड़ने का अध्ययन हमारे समक्ष है। उन्होंने दिखलाया है कि जनजातियों के जाति व्यवस्था के दायरे में जुड़ने की प्रक्रिया को किस भांति स्थानीय कारक प्रभावित करते हैं। बोस ने उड़ीसा के 'जुआंगों' का हवाला दिया है जा मलयगिरी की ढालों पर झूम खेती के साथ-साथ शिकार और खाद्य संग्रह पर आश्रित थे। मूल जीवन के लगातार सिकुड़ते (नष्ट होते) जाने की वजह से वे निचले हिस्सों में सिंचाई आधारित खेती करने को मजबूर हो गए। इसके साथ ही अपनी दैनिक जरूरतां की चीजें खरीदने के लिए उन्हें बांस की वस्तुएं बनाने और बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस तरह एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था से बाहर निकलने के बाद वे ' ज्यादा व्यापक हिंदू समाज व्यवस्था' के लपेटे में आ गए। एक उन्नत उत्पादन तंत्र रूपी पहिए में वे महज एक कॉग (किंगरी) भर थे । नई संरचना में बांस की वस्तुएं बनाने एक एकाधिकार की सुखद स्थिति में आने के साथ-साथ वे जाति के पदानुक्रम आधारित व्यवस्था के अधीन की स्थिति में भी पहुंच गए। जातियों की उत्पत्ति की मनु की व्याख्या को शब्दशः न लें तो हमें पता चलता है कि कितने समुदाय, कितने समूह एक व्यापक आर्थिक और सामाजिक ढांचे की आगोश में समाते गए। बोस का कहना है कि समुदायों को नई जातियों के रूप में आत्मसात करने या हिस्सा बनाने के क्रम में जहां जाति व्यवस्था हरेक समुदाय या कुछ समुदायों को एक समूह के रूप में लेते हुए हरेक के किसी पेशे पर एकाधिकार को सुनिश्चित करती है वहीं तदोपरांत यह भी तय कर देती है कि वे अपने-अपने पेशे और संस्कृति से बंधे रहें।
बोस का कहना है कि जाति व्यवस्था के आगोश में समाने वाली जनजातियों के सामाजिक और धार्मिक जगत में हस्तक्षेप न करके यानी एक तरह से उन्हें सांस्कृतिक स्वायत्तता प्रदान करके जाति व्यवस्था उस असंतोष की आंच से खुद को बचाए रखने में सफल रही होगी जो उनकी आर्थिक पराधीनता से उपजती । कारण, उनके उपजाऊ जमीन पर कब्जा कर उन्हें आर्थिक तौर पर पूर्णतः परनिर्भर की दमित स्थिति में लाकर रखना आसान नहीं था। व्यवस्था में उनका आर्थिक स्तर पर खस पेशों या दायरों से बंधने का कारण भले ही तात्कालिक परिस्थितियों का दबाव रहा होगा लेकिन उसे रिवाज और तत्पश्चात कायदे बनाकर स्थायित्व प्रदान कर दिया गया। इस तरह छोटी-छोटी सामाजिक और आर्थिक इकाइयां (जातियां) वजूद में आईं । कबीले या जनजाति से जाति की ओर के संक्रमण की प्रक्रिया में एक भिन्न अस्मिता, जिसका पदानुक्रमता से कोई वास्ता नहीं था, का पदानुक्रमयुक्त जाति व्यवस्था में निचले पायदानों पर जाति के रूप में स्थापित होते जाना एक बड़ा बदलाव था। जाति के रूप में उनके लिए अपनी आंतरिक शुद्धता बनाए रखना जरूरी था।
समूची व्यवस्था की कार्यपद्धति पर विचार करते हुए जिस एक बिंदु पर जोर डालने अथवा गौर करने की जरूरत है वह यह कि जाति व्यवस्था उतनी आत्मसातकारी (एसिमिलेटिव) नहीं थीं जितनी कि मान ली गई बल्कि उसे समुच्चयकारी (एग्रीगेटिव) कहना ज्यादा उचित होगा। आत्मसातीकरण यदि होता भी था तो ऊपरी पायदानों के इर्द-गिर्द ही जहां राजनीतिक सत्ता और भूमि पर नियंत्रण संक्रेद्रित रहते थे। निचले पायदानों पर तो विभिन्न समूह केवल जोड़े जाते थे यानी वहां केवल समुच्चयीकरण होता था । हरेक समूह सजातीय इकाई के रूप में अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता कायम रखते हुए और श्रम करते हुए अथवा सेवाएं प्रदान करते हुए। उन्हें व्यवस्था आत्मसात नहीं करती थी। विभिन्न समूहों का अपने-अपने सांस्कृतिक विशिष्टता बनाए रखने के प्रति 'नरम' रुख अपनाकर व्यवस्था 'पदानुक्रम' का आधार तैयार कर देती थी । विवाह की रीति औश्र भोजनादि किसी समूह की हैसियत के कारक हो जाते थे। राजा के लिए इससे अच्छी व्यवस्था और क्या हो सकती थी जिसमें सस्ते में ही श्रम और सेवाएं प्राप्त होती हों। उसमें भी यदि ब्राह्मण साथ हो [अथवा स्थानीय स्तर पर उनके ही समांतर ताकतें] व्यवस्था के स्थायित्व का क्या कहना? आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं के प्रति ज्यादा ध्यान दिए बिना ही विवाह व्यवस्था के माध्यम से समूची व्यवस्था पुनरोत्पादनीय थी।
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भी लगाया है।
उत्पाद स्पेशल लोक अभियोजक रवि भूषण श्रीवास्तव ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पूर्वी चंपारण जिले के चकिया के रहने वाले शराब तस्कर राकेश कुमार और मेहसी थाना क्षेत्र के रहने विकास कुमार इस साल सात जून को अपनी इंडिका कार से शराब की खेप लेकर उत्तर प्रदेश से बिहार आ रहे थे।
इस दौरान गोपालपुर थाना क्षेत्र के गंडक नहर के पास से उत्पाद विभाग की टीम ने शराब की खेप के साथ दोनों को गिरफ्तार किया था। उस दौरान कार से बीयर की बोतल में 168 लीटर अंग्रेजी शराब बरामद की गई थी।
इस मामले में उत्पाद विभाग की ओर से चार्जशीट दाखिल होने के साथ ही कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार सिंह की ओर से अपना पक्ष रखते हुए दोनों को निर्दोश साबित करने की कोशिश की गयी, लेकिन अभियोजन पक्ष की ओर से दिये गये साक्ष्य व दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
उल्लेखनीय है कि गोपालगंज में इसके पहले पांच मार्च को चर्चित खजूरबानी जहरीली शराबकांड में उत्पाद विभाग की स्पेशल कोर्ट ने नौ लोगों को फांसी और चार महिलाओं को उम्रकैद की सजा सुना चुकी है।
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BBC की स्थापना 18 अक्टूबर 1922 को की गई थी यानी यह न्यूज एजेंसी 100 साल से ज्यादा पुरानी है. 14 नवंबर 1922 को बीबीसी ने अपनी पहला डेली रेडियो सर्विस एक न्यूज़ बुलेटिन के साथ की गई थी. फिर इस पर मौसम की जानकारी दी गई थी. यह पूरी न्यूज अंग्रेजी में पढ़ी गई थी जिसे आर्थर बरोज ने आवाज दी थी.
बीबीसी ने अपनी वर्ल्ड सर्विस की शुरुआत 19 दिसंबर 1932 से की थी. यह आगाज ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम के एक क्रिसमस मैसेज से हुआ था. यह मैसे उन्होंने ब्रिटेन समेत दुनिया के उन देशों के लिए जारी किया था, जहां अंग्रेजो शासन था. आपको बता दें कि बीबीसी के अनुसार, भौगोलिक इलाके, भाषा चयन और ऑडियंस तक पहुंच के नज़रिये से देखें तो बीबीसी वर्ल्ड सर्विस आज दुनिया का सबसे बड़ा एक्सटर्नल ब्रॉडकास्टर है. आज के समय में बीबीसी दुनिया में 40 से अधिक भाषाओं में प्रसारित होता है. आपको बता दें कि बीबीसी ऑनलाइन की शुरूआत 1997 में हुई थी. वहीं, टीवी की बात की जाए तो बीबीसी दुनिया का पहला ब्रॉडकास्टर था जो 1936 में ही हाई डेफिनिशन टेलीविजन सर्विस दे रहा था.
BBC की सेवाएं भारत में 1940 में शुरू हुई थीं. आपको बता दें कि 1972 में BBC को भारत से निष्कासित तक कर दिया था. उस दौरान दिल्ली के ब्यूरो चीफ मार्क टुली को ब्रिटेन भेज दिया गया. परंतु अब BBC भारत में प्रतिष्ठित मीडिया ग्रुप के रूप में काम करती है. BBC वर्ल्ड सर्विस इस समय अंग्रेजी सहित 40 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है जिनमें हिंदी, मराठी, गुजराती, तेलुगु और पंजाबी प्रमुख है.
BBC हर साल कितनी कमाई करता है कि इसकी रिपोर्ट वो अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करता है. BBC Group Annual Report and Accounts 2021/22 रिपोर्ट में उसके Television, Radio, News और Digital क्षेत्र में वर्किंग है. 2021/22 की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने साल 2022 में 53,539 करोड़ रुपये कमाए थे. आपको बता दें कि इसका वर्किंग मॉडल यूनीक है. जहां, आमतौर पर ज्यादातर मीडिया हाउस विज्ञापन के जरिए कमाई करते हैं, वहीं, दूसरी तरफ BBC एक ट्रस्ट के तौर पर काम करती है. इस वजह से इस कंपनी की आय का अधिकांश हिस्सा लाइसेंस फीस के तौर पर आता है.
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इमरान खान को खूब ट्रोल किया जा रहा है.
बिश्केकः किर्गिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कूटनीतिक प्रोटोकॉल को नजरअंदाज किया. इसका एक वीडियो सामने आया है. दरअसल SCO सम्मेलन सभी राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत हो रहा था. इस दौरान बाकी मेहमान तो सम्मान में खड़े रहे, मगर इमरान आए और अपनी कुर्सी पर जाकर मजे से बैठ गए.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एंट्री पर इमरान कुर्सी से उठे और थोड़ी देर बाद फिर बैठ गए. बाकी राष्ट्राध्यक्ष आते रहे मगर इमरान ने अपनी कुर्सी नहीं छोड़ी. एक-दो लोगों ने इमरान को प्रोटोकॉल के बारे में बताया भी, मगर वह डटे रहे. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इमरान खान को खूब ट्रोल किया जा रहा है.
SCO सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिकरत करने पहुचे हैं. हालांकि उनका इमरान के साथ किसी मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है. मोदी और इमरान SCO सम्मेलन में डिनर के दौरान टेबल पर एक साथ तो बैठे, मगर कोई दुआ-सलाम नहीं हुआ. दोनों नेता पहली पंक्ति में बैठे थे, मगर उनके बीच सात और नेताओं को बिठाया गया था.
बिश्केक रवाना होने से पहले इमरान ने रूसी एजंसी स्पतनिक से कहा था कि पाकितान और भारत के रिश्ते शायद 'सबसे निचले' पायदान पर हैं. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि नरेंद्र मोदी 'भारी बहुमत' का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे समेत सभी मतभेद मिटाने के लिए करेंगे.
विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि चीन से पाकिस्तान पर संक्षिप्त चर्चा हुई. प्रधानमंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान को चाहिए कि वो आतंक रहित माहौल बनाए. फिलहाल हम ऐसा कुछ भी होते नहीं देख रहे हैं. हम चाहते हैं कि अब वह कोई ठोस कदम उठाए.
ओमान की खाड़ी में 'हलचल' से भारत में बढ़ जाएंगे पेट्रोल-डीजल के दाम!
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इलाहाबाद में सुभाष चंद्र बोस इंटर कालेज कादिलपुर का परीक्षा केंद्र कंधई सिंह इंटर कालेज खटांगी बना है, वहीं कंधई सिंह के परीक्षार्थी सुभाष चंद्र बोस कालेज में परीक्षा देंगे। ऐसे ही परीक्षार्थियों की अदला-बदली एसपी कांवेंट चक मुंडेरा और एसआर शेरवानी इंटर कालेज सल्लाहपुर के बीच हुई है।
केस दो : लखनऊ के शिवनंदन इंटर कालेज छतौनी की छात्रएं अनंतिम सूची में 57 किलोमीटर दूर भेजी गई थी। अंतिम सूची में छतौनी कालेज परीक्षा केंद्र बना है लेकिन, यहां पर काशीश्वर इंटर कालेज मोहनलालगंज के परीक्षार्थी 30 किलोमीटर दूर से आकर इम्तिहान देंगे।
केस तीन : लखनऊ का महात्मा गांधी इंटर कालेज मलिहाबाद में चहारदीवारी नहीं है, परीक्षा केंद्र बना है। अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल का निर्देश अमल नहीं हो पा रहा है। लखनऊ के जिन कालेजों को पहले डिबार करने की संस्तुति हुई थी, उनमें तीन को केंद्र बनने का मौका मिल गया है।
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झांसी जिला बदर और गैंगस्टर एक्ट में वाछित चल रहे शातिर अपराधी को प्रेमनगर पुलिस ने उसके तीन साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए अपराधी के विरूद्व नगर क्षेत्र के पांचों थाने में करीब दर्जन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।
एसपी सिटी विवेक त्रिपाठी ने गुरूवार को प्रेमनगर थाने में पत्रकारों को बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीणा के निर्देशन में अपराधियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत प्रेमनगर थाना प्रभारी जेपी पाल को सूचना मिली कि सीपरी बाजार थाने से जिलाबदर और प्रेमनगर से गैंगस्टर एक्ट में वांछित शातिर बदमाश सरताज उर्फ गुड्डे निवासी संगम विहार कालोनी सीपरी बाजार क्षेत्र में मौजूद है।
सूचना पर प्रेम नगर थाना प्रभारी निरीक्षक ने दलबल के बताये गए स्थान पर पहुंच कर घेराबंदी करते हुए सरताज उर्फ गुड्डे को उसके तीन साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसके साथियों ने अपने नाम मो' आविद शेख व जीशान शेख निवासीगण स्कूलपुरा प्रेमनगर व महमूब अली निवासी नूरनगर प्रेमनगर को भी गिरफ्तार कर लिया। यह तीनों भी गैंगस्टर एक्ट में वांछित थे।
पुलिस ने तीनों के विरूद्व कार्रवाई कर जेल भेज दिया। वही, गिरफ्तार करने वाली टीम प्रभारी निरीक्षक प्रेमनगर जेपी पाल, जगमोहन सिंह वरिष्ठ उपनिरीक्षक, अनिल कुमार उपनिरीक्षक, हेका. कृष्णकांत यादव, कां. नवीन पाल, ध्रुव सिंह, विपिन कुमार व मधुरेश कुमार शामिल रहे।
जिला बदर और गैंगस्टर सरताज उर्फ गुड्डे के विरूद्व मप्र के नौगांव छतरपुर में एक, थाना कोतवाली में एक, थाना नवाबाद में 10, थाना सीपरी बाजार में 05, थाना प्रेमनगर में 04 और थाना सदर बाजार में 02 आपराधिक मामले दर्ज है। वही जीशान पर प्रेमनगर और नवाबाद में एक-एक मामले दर्ज है। इसके साथ आबिद पर दो और महबूब पर एक मामला दर्ज है।
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देश में सत्ता पलटने की महत्वाकांक्षा पाले 26 दलों के गठबंधन I-N-D-I-A के नेताओं में अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि पीएम मोदी के सामने कौन 2024 लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार होगा। इस बीच राहुल गांधी के बहनोई और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने इशारों-इशारों में I-N-D-I-A के नेताओं को ये बताने की कोशिश की है कि सबसे योग्य और प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता राहुल गांधी ही हैं।
- रॉबर्ट वाड्रा ने विपक्षी नेताओं को दिया बड़ा संकेत'
- क्या राहुल होंगे I-N-D-I-A के सबसे योग्य उम्मीदवार'
क्या कहा रॉबर्ट वाड्रा ने'
रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्होंने बहुत कुछ अनुभव किया है। लोगों को कठिन समय में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वह (राहुल गांधी) जानते हैं कि जमीन पर क्या आवश्यक है। जब मैं भारत जोड़ो यात्रा में राहुल के साथ चला, मैंने लोगों के बीच प्यार देखा। लोगों को उम्मीद है कि यह राहुल हैं (प्रमुख चेहरे के रूप में) लेकिन यह एक गठबंधन है, जो भी सर्वसम्मति से चुना जाएगा, वह नेता होगा।
वाड्रा ने कहा, 'आप देख सकते हैं कि संसद में कौन सबसे अधिक बोलता है, कौन मुद्दे अधिक उठाता है, कौन लोगों के मुद्दे सामने लाता है। उसके मुताबिक आपको पद मिलेगा।'
जाहिर है कि मिशन 2024 को लेकर बीजेपी समेत बाकी सभी राजनीतिक पार्टियां जीत के लिए जोर आजमाइश में जुटी हुई हैं। जहां तक I-N-D-I-A में एकता की बात है तो केजरीवाल के 'दिल्ली अध्यादेश' पर संसद से कैसी तस्वीर सामने आई थी वो सबने देखा है। प्रधानमंत्री मोदी भी कई मौकों पर इस पर तंज क चुके हैं।
विपक्ष द्वारा बनाए गए I-N-D-I-A को लेकर पीएम ने कहा बीते दिनों कहा था, 'ये I-N-D-I-A नहीं घमंडिया गठबंधन है। यहां सबको प्रधानमंत्री बनान है। किसी को देश की चिंता नहीं है। चुनाव जीतने के लिए झूठ का मायाजाल फैलाया जा रहा है। घमंडिया गठबंधन को जनता सुधारेगी। देश की जनता सावधान रहे। इनकी नई दुकान पर ताला लगेगा। घमंडिया गठबंधन पर सतर्क रहना है। ये गठबंधन तुष्टिकरण की गठबंधन है।'
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसकी खासी चर्चा है. वहीं इस वीडियो को लेकर डीजीपी ने भी रुचि दिखाइ्र है. उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने एक वायरल वीडियो का संज्ञान लिया है जिसमें मेरठ में तैनात 2018 बैच के एक आईपीएस अधिकारी को रिश्वत मांगते हुए दिखाया गया है. उन्होंने जांच के निर्देश दिए हैं और तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश अपने मातहत अधिकारी को दिया है.
माना जा रहा कि रिपोर्ट आने के बाद अफसर पर कार्रवाई तय है. डीजीपी डीएस चौहान ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त को मामले की जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि जांच वाराणसी सीपी को दी गई थी क्योंकि वीडियो दो साल पुराना है, जिस दौरान संबंधित अधिकारी वाराणसी में तैनात थे। सूत्रों ने बताया कि 2021 में जब यह वीडियो सामने आया था, तब अधिकारी को खुफिया विभाग से जोड़ा गया था.
एक अन्य मामले में, उसी अधिकारी की पत्नी से संबंधित, जो वर्तमान में वाराणसी आयुक्तालय में डीसीपी के रूप में तैनात है और 2017 बैच की आईपीएस अधिकारी है, सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ है. आरोप है कि महिला अधिकारी जिस फ्लैट में रह रही हैं, उस फ्लैट के मालिक को किराया नहीं दिया है. डीजीपी ने वाराणसी सीपी को तीन दिन में मामले की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.
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झारंखड सीएम हेमंत सोरेन ने इतिहास रच दिया। सीएम ने आज विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य की नई डोमिसाइल पॉलिसी और ओबीसी, एससी-एसटी रिजर्वेशन के प्रतिशत में वृद्धि से जुड़े दो अलग-अलग विधेयक पारित किये। ये हेमंत सोरेन का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। उन्होंने इसे पारित कर अपने चुनावी वादे को भी पूरा करने का काम किया है।
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रांची लोकसभा का चुनाव एक ओर भाजपा जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर लड़ रही है, वहीं कांग्रेस अपने अनुभवी उम्मीदवार पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के भरोसे नैया पार लगाने की जुगत में है। रांची में भाजपा-कांग्रेस की सीधी लड़ाई को निर्दलीय प्रत्याशी व भाजपा के बागी सांसद रामटहल चौधरी त्रिकोणीय बनाने में जी-जान से जुटे हैं। भाजपा ने संजय सेठ को उम्मीदवार बनाया है। जातीय समीकरण साधने की तीन तरफा कवायद जारी है।
रांची कभी बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी। गर्मी के दिनों में पूरी की पूरी सरकार रांची पहुंच जाती थी। सरकार कैबिनेट के फैसले लेने के साथ-साथ प्रकृति की हरियाली और ठंडे मौसम का अहसास कराती थी। प्रकृति की गोद में बसी रांची चारों ओर हरे-भरे जंगलों से घिरी रमणीक नगरी हुआ करती थी। तीन दशक पहले तक महानगरों के लोग गर्मियों की छुट्टियां बिताने रांची की ठंडी आबोहवा में आया करते थे। टीबी के दो बड़े अस्पताल रांची शहर के दो छोरों पर स्थापित किए गए थे।
मरीज शुद्ध और प्राकृतिक वातावरण में जल्द चंगे होकर जाते थे। पंखे, एसी या कूलर का उन दिनों प्रचलन नहीं था। तपिश बढ़ी नहीं कि बारिश की फुहारें ठंडक का अहसास करा देती। गर्मियों में भी रात के वक्त एक चादर की ठंडक हुआ करती थी। कालांतर में रांची और इसके ईद-गिर्द के हरे-भरे जंगलों को माफिया की नजर लग गई। जंगल साफ हो चुके लगे। हरियाली खत्म हो गई। ग्रीष्मकालीन राजधानी रांची धीरे-धीरे कंक्रीट के जंगल में तब्दील होती चली गई। अब तो हल्की सी बारिश में शहर डूबने लगता है। 40 डिग्री का तापमान पार होते ही लोग गर्मी की मार से बेचैन हो उठते हैं।
उद्योग-धंधे दम तोड़ रहे : रांची और आसपास के इलाके कल-कारखानों के कारण औद्योगिक क्षेत्र का अहसास कराते रहे हैं। छोटे-बड़े उद्योग-धंधों को मिला दें तो कम से कम एक हजार से ज्यादा उद्योग-धंधे यहां चलते थे। लेकिन भूमडंलीकरण, सरकारी नीतियां, आधारभूत संरचना के प्रतिकूल असर, बिजली, कानून-व्यवस्था जैसे बुनियादी सुविधाओं के छीजने के कारण उद्योग-धंधे दम तोड़ रहे हैं।
बड़ी संख्या में यहां से उद्योगों का पलायन हुआ है। कई सरकारी और निजी कल-कारखाने बंद हो चुके हैं। रांची क्षेत्रीय औद्योगिक विकास प्राधिकार के कई औद्योगिक आंगन सूने हो गए हैं। इनकी वीरानी मजदूरों को डराती रहती हैं। विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग, मॉल और शॉपिंग काम्पलेक्स खड़े हो गए हैं, लेकिन नौकरी और रोजगार के आंकड़े सिरे नहीं चढ़ रहे हैं। रांची में गर्मियों के दिनों में बिजली की समस्या आम है, रोजाना तीन से चार घंटे कटौती होती है। ग्रामीण इलाकों में सड़क, पानी, जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
रांची लोकसभा के इतिहास पर नजर डालें तो यह दशकों से कांग्रेस और भाजपा के बीच चुनावी जंग का अखाड़ा रही है। आजादी के बाद से कांग्रेस सात बार और भाजपा पांच बार जीत चुकी है। शुरुआती दिनों में स्वतंत्र पार्टी, झारखंड पार्टी और जनता पार्टी को एक-एक बार सीट हासिल हुई है। इस बार भी चुनावी जंग भाजपा और कांग्रेस के बीच है। लेकिन दिलचस्प बात है कि इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच परंपरागत लड़ाई में एक चेहरा बदल गया है। कांग्रेस से सुबोधकांत सहाय मैदान में हैं, वहीं भाजपा ने नया चेहरा संजय सेठ को उतारा है। भाजपा से पांच बार सांसद रहे रामटहल चौधरी इस बार कमल फूल की बजाय फुटबॉल चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव मैदान में हैं।
रांची लोकसभा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में फैला हुआ है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गैर जनजातीय आबादी भी दस से 15 फीसदी है। खासकर पिछड़े वर्ग में कुर्मी जाति यहां 15 फीसदी से ज्यादा है।
संजय सेठ (भाजपा)
भाजपा ने संजय सेठ को अपना उम्मीदवार बनाया है। 60 वर्षीय संजय सेठ पहली बार कोई चुनाव लड़ेंगे। भाजपा के संगठन में विभिन्न पदों पर काम करने का अनुभव। आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं। चुनाव लड़ने के पहले झारखंड खादी बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे।
सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)
कांग्रेस उम्मीदवार सुबोधकांत राजनीति से आए। बिहार विधानसभा के लिए हटिया से दो बार जीते। रांची लोकसभा क्षेत्र से तीन बार निर्वाचित हुए। 1989, 2004 और 2009 में सांसद बने। 1989 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाए गए थे। 2009 में भी मनमोहन सिंह सरकार में खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री बने।
रामटहल चौधरी (निर्दलीय)
रामटहल 75 वर्ष पूरे करने के कारण भाजपा के टिकट से वंचित रहे। भाजपा से इस्तीफा दे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे। रांची लोकसभा से पांच बार भाजपा सांसद के रूप में निर्वाचित हुए। चुनाव लड़ने का लंबा अनुभव। पंचायत स्तर से राजनीति में प्रवेश किया।
रांची लोकसभा क्षेत्र के शहरी इलाके में पानी, साफ-सफाई, सीवरेज-ड्रेनेज की समस्या है। सबसे बड़ी समस्या सफाई है। अनियमित सफाई के साथ-साथ अभी तक कचरा निपटान की व्यवस्था नहीं हो सकी है। जलस्तर नीचे चला गया है। पानी की आपूर्ति एक बड़ी समस्या है।
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पिछले तीन हफ्तों में भारतीय रेलवे में आरक्षित टिकटों की बुकिंग में 230 फीसदी की वृद्धि हुई है क्योंकि कोरोना संक्रमण की संख्या तेजी से कम हो रही है और ज्यादातर राज्यों ने लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया है। साथ ही मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में कुल सीटों की बुकिंग में भी सुधार हुआ है।
सरकारी तेल कंपनियों की ओर से लगातार दूसरे दिन पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। डीजल कीमत अधिकतम 27 पैसे तक बढ़ी हैं तो वहीं पेट्रोल की कीमत भी 23 से 25 पैसे तक बढ़ी हैं।
कोरोना वैक्सीन (सांकेतिक तस्वीर)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सोमवार को सभी को मुफ्त में कोरोना टीका देने की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने 74 करोड़ वैक्सीन डोज की खरीद का ऑर्डर दिया है और साथ ही इसके लिए अग्रिम भुगतान भी कर दिया है।
लखनऊ में बुधवार से कर्फ्यू हटने पर 39 दिन बाद मेट्रो भी फिर से शुरू हो जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक नाइट कर्फ्यू के चलते अभी सुबह सात से शाम सात बजे तक ही सुविधा मिलेगी। कोविड नियमों के तहत ट्रेनें चलेंगी।
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हरिद्वारः लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने आखिरकार शनिवार देर रात 53 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी हरिद्वार नगर सीट से पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी को प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि रानीपुर सीट से अप्रत्याशित रूप से राजवीर सिंह चौहान को ही टिकट दिया गया है। सूची के अनुसार पुरोला से मालचंद यमुनोत्री से दीपक बिजलवान, गंगोत्री से विजय पाल सिंह सजवान, बद्रीनाथ से राजेंद्र भंडारी, थराली से जीतराम, करणप्रयाग से मुकेश नेगी, केदारनाथ से मनोज रावत, रुद्रप्रयाग से प्रदीप थपलियाल, घनसाली से धनीलाल शाह, देवप्रयाग से मंत्री प्रसाद नैथानी, प्रताप नगर से विक्रम सिंह नेगी, धनोल्टी से जोत सिंह बिष्ट, चकराता प्रीतम सिंह, विकास नगर नवप्रभात, सहसपुर आर्येन्दर शर्मा, धर्मपुर दिनेश अग्रवाल, रायपुर हीरा सिंह बिष्ट, राजपुर रोड राजकुमार, मसूरी गोदावरी थापली, हरिद्वार सतपाल ब्रह्मचारी, रानीपुर राजवीर सिंह चौहान, भगवानपुर ममता राकेश, पिरान कलियर मोहम्मद फुरकान, मंगलौर काजी निजामुद्दीन, यम्केश्वर शैलेंद्र रावत, पौड़ी नवल किशोर, श्रीनगर गणेश गोदियाल, कोटद्वार सुरेंद्र सिंह नेगी और धारचूला से हरीश धामी को प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि डीडीहाट से प्रदीप सिंह पाल, पिथौरागढ़ से मयूख महर, गंगोलीहाट से खजान चंद्र गुड्डू, कपकोट से ललित मोहन फर्स्वाण, बागेश्वर से रजनीत दास, द्वाराहाट मदन सिंह बिष्ट, रानीखेत करण महारा, सोमेश्वर राजेंद्र बड़कोटी, अल्मोड़ा मनोज तिवारी, जागेश्वर गोविंद सिंह कुंजवाल, लोहाघाट खुशाल सिंह अधिकारी, चंपावत हेमेश खर्कवाल, भीमताल से धन सिंह भंडारी, नैनीताल संजीव आर्य, हल्द्वानी सुमित हृदेश, जसपुर आदेश चौहान, काशीपुर नरेंद्र चंद्र सिंह, बाजपुर यशपाल आर्य, गदरपुर प्रेमानंद महाजन, रुद्रपुर मीना शर्मा, किच्छा तिलकराज बेहड़, सितारगंज नव तेजपाल सिंह, नानकमत्ता गोपाल सिंह राणा और खटीमा से भुवन चंद्र कापड़ी को टिकट दिया गया है। हरिद्वार जिले की सबसे हॉट सीट मानी जा रही हरिद्वार ग्रामीण सीट से अभी तक टिकट फाइनल नहीं हो पाया है। जिस कारण हरिद्वार ग्रामीण व रुड़की शहर समेत जिले की कई सीटों पर अभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की गई है।
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कश्मीरः 370 हटने के ऐलान के साथ ही दो गुटों में बट गई कांग्रेस, पढ़िए किसने किया विरोध, कौन समर्थन में उतरा?
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35A पर सरकार के फैसले के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस दो गुटों में बंट गई है।
पार्टी के कई बड़े नेता इस फैसले विरोध में हैं, जबकि मोदी सरकार के इस फैसल के समर्थन में उतर आए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फैसले को लेकर पार्टी के रुख से नाराज हैं, लेकिन आलाकमान की नाराजगी को देखते हुए चुप हैं। हालांकि इस कई नेताओं ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया है।
इस मसले पर मिलिंद देवड़ा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 को उदार बनाम रूढ़िवादी बहस में तब्दील कर दिया गया। उन्होंने कह कि सभी पार्टियों को अपनी विचारधारा से अलग हटकर इस पर बहस करनी चाहिए कि भारत की संप्रभुता और संघवाद, जम्मू-कश्मीर में शांति, कश्मीरी युवाओं को नौकरी और कश्मीरी पंडितों के न्याय के लिए बेहतर क्या है।
इन दोनों के अलावा कांग्रेस के दिग्गज नेता जनार्दन द्विवेदी ने मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का स्वागत किया। द्विवेदी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया हमेशा से इस आर्टिकल के खिलाफ थे। इतिहास की एक गलती को आज सुधारा गया है।
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शिमला। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग मंत्री के बयान पर हिमाचल किसान सभा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। किसान सभा ने कहा कि सरकार कदम-कदम पर शराब के ठेके खोल सकती है, लेकिन गेहूं खरीद केंद्र नहीं खोल सकती। किसान सभा के राज्याध्यक्ष डा. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि मंत्री ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग का दस्तावेज़ नहीं पढ़ा जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि हर पांच किलोमीटर के दायरे में कृषि उत्पाद, फल एवं सब्ज़ी खरीद मंडियां होनी चाहिए। इस हिसाब से देखें तो देश भर में 42000 मंडियां होनी चाहिए लेकिन अभी देश में 7000 से भी कम मंडियां हैं। डा.
तंवर ने आरोप लगाते हुए कहा कि लगता है सरकार की नाकामियों का आभास और हार का भय मंत्री को अभी से सताने लगा है जो उन्हें अनाज खरीद मंडियों और पोलिंग बूथ में कोई अंतर नहीं दिखाई देता। हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें किसान विरोधी रवैया त्याग कर उनके योगदान को सम्मान दे और अपनी संकीर्ण सोच से बाहर निकल कर किसानों की समस्या को समझने का प्रयास करे।
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भारत - इंग्लैंड टेस्ट सीरीज से पहले टीम इंडिया के दो खिलाड़ियों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद टेस्ट शृंखला पर संकट के बादल घिर गए हैं। इस बीच अनुभवी कमेंटेटर हर्षा भोगले (Harsha Bhogle) ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) से खिलाड़ियों के लिए सख्त कोविड-19 प्रोटोकॉल बनाने की मांग की है।
भारत के खिलाड़ियों के सकारात्मक कोविड परीक्षण के बारे में जानने के बाद हर्षा ने कहा कि 4 अगस्त से शुरू हो रहे भारत - इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में कठोर कोविड नियम अनिवार्य हो गया है। हर्षा ने दोनों टीमों के बोर्ड को सचेत करते हुआ कहा कि अगर इस सीरीज में कड़े नियम नहीं बनाए गए तो आगे ऐसे और मामले सामने आ सकते हैं।
बता दें कि पिछले दिनों इंग्लैंड में कई बड़े स्पोर्टिंग इवेंट जैसे कि विंबलडन और यूरो कप 2020 फाइनल जिसमे अधिक संख्या में दर्शक शामिल हुए थे। जिसके बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से आगामी सीरीज में सख्त कोविड नियम अपनाने की मांग की जा रही है। भारत के दो प्लेयर्स की कोरोना जांच पॉजिटिव होने के बाद ये नियम और अनिवार्य होते दिख रहे हैं। एएनआई के अनुसार एक सूत्र ने बताया कि दोनों खिलाड़ियों में कोरोना के हल्के लक्षण पाए गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार एक खिलाड़ी की दोबारा जांच होने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आ गई हैं वहीं दूसरे खिलाड़ी की जांच 18 जुलाई को होगी।
भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला 4 अगस्त को नॉटिंघम में शुरू होगा। उसके बाद दोनों टीमें लॉर्ड्स पर दूसरा टेस्ट खेलेगी। दस दिनों के अंतराल के बाद 25 - 29 अगस्त के बीच हेडिंगली में तीसरा मैच होगा। वहीं चौथा और पांचवां मुकाबला लंदन के ओवल और ओल्ड ट्रेफर्ड मैदान में खेला जाएगा।
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शॉर्टकटः मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
किसी संसदीय व्यवस्था मे संसद या विधानसभा में सबसे ज्यादा सदस्यों वाले दल के द्वारा पूर्ण बहुमत जुटाकर बनाई गई सरकार को बहुमत की सरकार कहते हैं। बहुमत के लिये जरूरी आंकणों के होने की वजह से किसी अल्पमत की सरकार की तुलना में ये सरकार ज्यादा स्थायी होती है। बहुमत की सरकार के पास अपने प्रस्ताव पारित कराने के सबसे ज्यादा संभावनाएँ होती हैं, और इनके विधेयक कभी कभार ही सदन में हारते हैं। इसकी तुलना में एक अल्पमत की सरकार को अपने विधेयक पारित कराने और अपनी बात मनवाने के लिये लगातार साथी और विरोधी दलों से मोल-भाव करते रहना पड़ता है। ऐसे में भ्रष्टाचार की संभावनाएँ बलवती हो जाती हैं। शब्द "बहुमत की सरकार" किसी सदन में एक से अधिक समान विचार वाले दलों के गठबंधन वाली स्थायी सरकार को भी कह सकते हैं जहाँ किसी एक के समर्थन खींचने की संभावना नगण्य हो। ऐसा उदाहरण भारत में भाजपा और शिव सेना का है जो लगभग समान विचारधारा वाले दल हैं और दशकों से विभिन्न कार्यपालिकाओं में सम्मिलित सरकार चलाते हैं। फ़िलहाल २०१४ से २०१९ के लिये भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बहुमत मिला है और २८२ की तुलना में इनके पास लोकसभा में ३३० से ज्यादा सीटें हैं। अन्य उदाहरण २०१०-१५ के दौरान यूनाइटेड किंगडम में मिलता है जहाँ कंज़र्वेटिव व लिबरल डेमोक्रैट दलों ने मिलकर बहुमत की सरकार चलायी। कंज़रवेटिवों ने २०१० के चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें हासिल कीं लेकिन बहुमत की संख्या से पीछे रह गये। ऐसे में लिबरल डेमोक्रैट्स के साथ मिलकर उन्होंने हाउस ऑफ कॉमन्स में एक ठोस बहुमत की सरकार बना ली जो पांच साल की पूरी अवधि तक काम करती रही। . भारतीय जनता पार्टी (संक्षेप में, भाजपा) भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक हैं, जिसमें दूसरा दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह राष्ट्रीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।.
बहुमत की सरकार और भारतीय जनता पार्टी आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नरेन्द्र मोदी, भारतीय संसद, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, लोक सभा, शिवसेना।
नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી Narendra Damodardas Modi; जन्मः 17 सितम्बर 1950) भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से जुड़े, जिसके साथ एक लंबे समय तक सम्बंधित रहे । स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केंद्रों का दौरा किया। गुजरात लौटने के बाद और 1969 या 1970 में अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975 में देश भर में आपातकाल की स्थिति के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे वे सचिव के पद पर पहुंचे। गुजरात भूकंप २००१, (भुज में भूकंप) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और ख़राब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मोदी जल्द ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, की आलोचना भी हुई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई है। मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए । उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज़ की। इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं।। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। उन्हें 'नमो' नाम से भी जाना जाता है। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं। .
संसद भवन संसद (पार्लियामेंट) भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा (लोगों का सदन) एवं राज्यसभा (राज्यों की परिषद) होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन 'संसद भवन' में होता है। जो कि नई दिल्ली में स्थित है। लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है। जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है। .
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन या एनडीए या राजग (अंग्रेजीः National Democratic Alliance NDA) भारत में एक राजनीतिक गठबंधन है। इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है। इसके गठन के समय इसके १३ सदस्य थे। शरद यादव को इसका संयोजक बनाया गया था, किन्तु उनकी पार्टी ने गठबन्धन से सम्बन्ध विच्छेद कर लिया। इसके मानद अध्यक्ष पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी हैं, जबकि लाल कृष्ण आडवाणी अध्यक्ष के रूप में वाजपेयी का कार्य देख रहे हैं। इसके अलावा प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा में नेता हैं जबकि रक्षामंत्री अरुण जेटली राज्यसभा में नेता हैं और सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष है। .
लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है, जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परंतु इसे समय से पूर्व भंग किया जा सकता है .
शिवसेना भारत का एक राष्ट्रीय राजनैतिक दल है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र प्रान्त में सक्रिय है। इसकी स्थापना १९ जून १९६६ को एक प्रमुख राजनीतिक कार्टूनिस्ट बाळासाहेब ठाकरे ने की थी। वर्तमान समय में इस दल के लोक सभा में 18, राज्य सभा में ४ और महाराष्ट्र विधान सभा में 63 निर्वाचित सदस्य हैं। इस दल का प्रतीक चिन्ह (लोगो) बाघ है। पूरे देश में शिव सेना को एक कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी दल के रूप में जाना जाता है। शिवसेना के मध्यप्रदेश में कुशाग्र शर्मा एक मुख्य हिंदुवादी राजनितीज्ञ है। पिछले कुछ दशकों से मुंबई की महानगरपालिका पर शिवसेना का ही राज है। .
बहुमत की सरकार 10 संबंध है और भारतीय जनता पार्टी 125 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 3.70% है = 5 / (10 + 125)।
यह लेख बहुमत की सरकार और भारतीय जनता पार्टी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखेंः
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भगवान् गतम बुद्ध
पर रक्षा करते हैं । ( २ ) प्रमत्त की संपत्तिकी रक्षा करते हैं । ( ३ ) भयभीत होनेपर शरण ( = रक्षक ) होते हैं ! ( ४ ) आपत्काल में नहीं छोड़ते । ( ५ ) दूसरी प्रजा ( = लोग ) भी ( ऐसे मित्र- आमत्यवाले, इस पुरुष का सत्कार करती है ।
गृहपनि-पुत्र! पाँच प्रकारों से क (= मालिक ) द्वारा कर्मकर रूपी निचली दिशा का प्रत्युपस्थान करना चाहिये - ( १ ) वलके अनुसार कर्मान्न ( = काम ) देने से, ( २ ) भोजन-वेतन (भक्तवेतन ) प्रदान से, ( ३ ) रोगी-सुश्रूषा से, ( ४ ) उत्तम रसों ( वाले पदार्थों ) को प्रदान करने से, ( ५ ) समय पर छुट्टी ( = वोसग्ग ) देने से गृहपति-पुत्र ! इन पाँचों प्रकारों से प्रत्युपस्थान किये जाने
पर दास-कर्मकर पाँच प्रकार से मालिक पर अनुकंपा करते हैं - ( १ ) ( मालिक से ) पहिले कर्तव्य कर्म को करने वाले होते हैं । ( २ ) ( ३ ) दिये को ( ही ) लेने वाले होते हैं । ( ४ ) कार्मों को तरह करनेवाले होते हैं । ( ५ ) कीर्ति-प्रशंसा फैलानेवाले होते हैं ।
गृहपति-पुत्र ! पाँच प्रकार से कुल-पुत्रको श्रमण-ब्राह्मण-रूपी ऊपर की दिशाका प्रत्युपस्थान करना चाहिये । ( १ ) मैत्री - भाव-युक्त कायिक-कर्म से, ( २ ) मैत्री - भाव-युक्त वाचिक कर्म से, ( ३ ) मानसिक-कर्म से, (४) ( याचकों-भिक्षुओं के लिये ) खुले द्वार वाला होने से, (५) श्रमिष ( खान-पान आदि की वस्तु ) के प्रदान करने से गृहपति पुन अनुकपा करते हैं - (१) पाप ( बुराई ) से निवारण - करते हैं । (२) कल्याण ( = भलाई में प्रवेश कराते हैं । (३) कल्याण ( प्रदान ) द्वारा इनपर करते हैं । (४) (विद्या) को
सुनाते हैं । (५) श्रत ( विद्या ) को दृढ़ करते हैं । (६) उन्नति का रास्ता बनलाते हैं ।
यह उपदेश सुन उस विगाल गृहपति-पुत्रने भगवान् को यह नुदान वाक्य कह दीक्षित हुआ कि "आश्चर्य । श्रद्मुत्त भन्ते । आज से मुझे भगवान अपना अंजलि-वद्ध शरणागत उपासक धारण करें । " |
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नागा चैतन्य- समांथा प्रभु के तलाक की खबरों के बीच कंगना रनौत ने आमिर खान पर मारा ताना, बताया 'तलाक एक्सपर्ट'
बीते दिन साउथ सुपरस्टार्स नागा चैतन्य और समांथा प्रभु ने अलग होने का फैसला लेते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया था। जहां कुछ लोग उन्हें इस खबर के बाद प्राइवेसी में दखल देना उचित नहीं समझ रहे। वहीं, अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक पोस्ट शेयर करते हुए नागा चैतन्य और समांथा के तलाक की खबरों को लेकर आमिर खान पर निशाना साधा है।
कुछ ही वक्त पहले आमिर खान और किरण राव ने भी शादी तोड़ने का फैसला लिया था। वहीं, पिछले दिनों आमिर और नागा चैतन्य ने फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के लिए साथ शूटिंग की। इन्हीं बातों को लेकर कंगना ने तंज कसा है।
कंगना ने इंस्टाग्राम पर स्टोरी शेयर करते हुए लिखा- "इस साउथ के एक्टर ने हाल में अचानक शादी के 4 साल बाद और 10 साल से ज्यादा की रिलेशनशिप के बाद अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। यह हाल में एक बॉलीवुड सुपरस्टार के संपर्क में आए थे जिन्हें बॉलीवुड के तलाक एक्सपर्ट के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने कई औरतों और बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर दी है और वह उन्हें भड़का रहे हैं। सभी को पता है मैं किसकी बात कर रही हूं।"
सैफ अली खान के बारे में बात करते हुए ये क्या बोल गई करीना कपूर खान- मेरी आंखें भर आती हैं क्योंकि..
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विकीहाउ एक "विकी" है जिसका मतलब होता है कि यहाँ एक आर्टिकल कई सहायक लेखकों द्वारा लिखा गया है। इस आर्टिकल को पूरा करने में और इसकी गुणवत्ता को सुधारने में समय समय पर, 18 लोगों ने और कुछ गुमनाम लोगों ने कार्य किया।
विकीहाउ एक "विकी" है जिसका मतलब होता है कि यहाँ एक आर्टिकल कई सहायक लेखकों द्वारा लिखा गया है। इस आर्टिकल को पूरा करने में और इसकी गुणवत्ता को सुधारने में समय समय पर, 18 लोगों ने और कुछ गुमनाम लोगों ने कार्य किया।
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फॉण्ट आपके डॉक्यूमेंट और वेबपेज को अलग दिखाता है और आपके रचनात्मकता और अंदाज को उजागर करता है। फिर कंप्यूटर के साथ प्राप्त फॉण्ट, तक ही क्यों सीमित रहें? अपने काम को और अच्छा, अपने से मेल खाते फॉण्ट को डाउनलोड कर बनायें। जानने के लिए नीचे पढ़ें।
विधि 1 का 4:
{"smallUrl":"https:\/\/www2अपने पसंद का फॉण्ट डाउनलोड करेंः किसी सम्मानित जगह से फॉण्ट डाउनलोड करें। ज्यादातर फॉण्ट ZIP फॉर्मेट में डाउनलोड होंगे। फाइल को डेस्कटॉप में सेव करें ताकि इन्हें ढूंढने में आसानी हो।
{"smallUrl":"https:\/\/www4C:\Windows\Fonts खोलेंः विंडोज एक्स्प्लोरर की मदद से, फॉण्ट फोल्डर में नेविगेट करें। आपको इनस्टॉल किये गए फॉण्ट से सम्बन्धी फाइल के लिस्ट प्राप्त होंगे।
{"smallUrl":"https:\/\/www1आपके विंडोज से संगत फॉण्ट फाइल ऑनलाइन ढूंढेः फाइल की जांच कर इन्हें डाउनलोड करें, ताकि किसी वायरस का प्रभाव आपके कंप्यूटर में ना हो। किसी भरोसेमंद साईट जिनमें अच्छे रिव्यु हो से ही डाउनलोड करें।
{"smallUrl":"https:\/\/www3कण्ट्रोल पैनल खोलेंः स्टार्ट में जाकर कण्ट्रोल पैनल पर क्लिक करें। आप इस मेनू से अपने कंप्यूटर के सेटिंग को नियंत्रण कर सकते हैं।
{"smallUrl":"https:\/\/www5फाइल मेनू पर क्लिक करेंः अगर फाइल मेनू दिखाई नहीं दे रहा हो, तो ऑल्ट दबाकर इसे उजागर करें। "इनस्टॉल न्यू फॉण्ट" को ड्राप डाउन मेनू से चुनें। आपको एक फॉण्ट डायलॉग बॉक्स प्राप्त होगा जिनकी मदद से आप इंस्टालेशन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
{"smallUrl":"https:\/\/www7फाइल के चयन के बाद "इंस्टाल" पर क्लिक करेंः इंस्टालेशन विज़ार्ड से प्राप्त संदेश का पालन करें। प्रोग्राम को दुबारा खोलने पर आप फॉण्ट का प्रयोग कर पाएंगे।
- फॉण्ट को प्रयोग करने में कोई समस्या आने पर कंप्यूटर को एक बार फिर से चालू करें।
विधि 3 का 4:
{"smallUrl":"https:\/\/www2फाइल को एक्सट्रेक्ट या एक्सपेंड करेंः ज़िप फाइल को एक्सपेंड करने के लिए, इसपर दो बार लगातार क्लिक करें। 3फॉण्ट फाइल पर डबल क्लिक करेंः इससे फॉण्ट बुक खुल जायेगा जहाँ से आप फॉण्ट को प्रीव्यू कर सकते हैं। आप फॉण्ट बुक को एप्लीकेशन फोल्डर से भी खोल सकते हैं।
- विंडो के ऊपर मौजूद मेनू में आप विभिन्न प्रकार के फॉण्ट जैसे बोल्ड या इटैलिक चुनकर जांच कर सकते हैं।
{"smallUrl":"https:\/\/www1किसी प्रतिष्ठित जगह से फॉण्ट चुनेंः ज्यादातर फाइल एक्सटेंशन, विंडोज जैसे ही होंगे अगर आप TrueType (2/usr/share/fonts/truetype में कॉपी करेंः फाइल मैनेजर (नॉटिलस) की मदद से ऐसा करें।
सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो २,९७० बार पढ़ा गया है।
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बिग बॉस 16 में अविनाश सचदेव ने एल्विश यादव से कहा था, 'बाप पर मत जाना।'
बिग बॉस ओटीटी 2 में एल्विश यादव का 'सिस्टम' काफी मशहूर हुआ।
बिग बॉस 16 में अंकित गुप्ता ने बाकी कंटेस्टेंट्स को कहा था, 'मैं कुछ नहीं करता, लेकिन फिर भी नौ हफ्ते से टिका हुआ हूं और घर में सुरक्षित हूं' ये तुम सबके मुंह पर तमाचा है।'
बिग बॉस 16 में एमसी स्टेन का शब्द 'शेमडी' काफी मशहूर हुआ।
बिग बॉस 13 में सिद्धार्थ शुक्ला ने कहा था, 'केला हूं, अकेला ठीक हूं, अकेला खुश हूं और अकेले से फटती है तुम सबकी।' ये सबके बीच काफी पसंद की गई।
बिग बॉस 16 में अर्चना गौतम का वन लाइनर 'मार मार कर मोर बना दूंगी' काफी पॉपुलर हुआ।
बिग बॉस 13 में शहनाज गिल की लाइन 'त्वाडा कुत्ता टॉमी' साड्डा कुत्ता-कुत्ता' काफी पसंद की गई।
राहुल वैद्य ने रुबीना दिलैक को कहा था, 'जो मुझे डाल चावल समझते हैं, मैं उन्हें बिरयानी वाली इज्जत नहीं दे सकता।'
गौतम गुलाटी बिग बॉस के टॉर्चर टास्क में 'मुझे हर्ट हो रहा है' चिल्लाते दिखे थे।
प्रतीक सहजपाल का वन लाइनर 'कॉम्पिटेटिव हूं, पहले दिन से हूं, ट्रॉफी जीतकर ही मानूंगा, कोई रोक सको तो रोक लो' काफी वायरल हुआ।
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मीडियाकर्मियों के लिए एक मोबाइल ऐप लांच किया है। इस ऐप के जरिए माडिया कर्मी वर्चुअल सुनवाई में जुड़ सकेंगे। चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि ने कहा कि ऐप लॉन्च होने के बाद मीडियाकर्मियों को कोर्ट आने की परेशानी नहीं होगी, और फिलहाल जो हालात हैं उसमें यह ऐप काफी कारगर सिद्ध होगा। यह ऐप जल्दी ही प्ले स्टोर पर उपलब्ध होगा।
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एयरलाइंस कंपनी विस्तारा पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। कंपनी के ऊपर सेफ्टी के नियम को तोड़ने का आरोप लगा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जरूरी ट्रेनिंग के बिना ही विस्तारा एयलाइन टेक ऑफ और लैंडिंग का क्लियरेंस ऑफिसर को दे दिया करती थी।
दरअसल, एयरक्राफ्ट पर पैसेंजर के साथ ऑनबोर्ड करने से पहले ऑफिसर को सिम्युलेटर में एयरक्राफ्ट को लैंड कराने की ट्रेनिंग दी जाती है। उसी तरह, लैंडिंग से पहले ऑफिसर की तरह ही कैप्टन को सिम्युलेटर में ही ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन एयरक्राफ्ट के ऑफिसर और कैप्टन को सिमुलेटर में ट्रेनिंग के बिना ही लैंड करा दिया जाता था।
ऐसे में ऑनबोर्डिंग के समय किसी हादसे की आशंका होती है, ये पूरी तरह से पैसेंजर की जान से खेलना है। ये लापरवाही इंदौर में लैंडिंग के समय पाई गई। जिसके चलते जुर्माना लगाया गया है ।
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जिन लोगों की स्किन एक्नेप्रोन है, वह अगर बार−बार चेहरा वॉश करते हैं तो इससे उनकी स्किन रूखी हो जाती है और उसमें बार−बार खुजली होने लगती है। इतना ही नहीं, चेहरे में इस्तेमाल किए जाने वाले साबुन व अल्कोहल आधारित टोनर के कारण स्किन में अधिक सीबम का उत्पादन करते हैं, जिससे मुंहासों Pimple की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए बार−बार साबुन या अल्कोहल आधारित टोनर का इस्तेमाल करने की बजाय आप क्लींजर का प्रयोग करें।
मानसिक तनाव ऐसे हार्मोन को बढ़ावा देता है, जिसके कारण मुंहासे होने लगते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने मानसिक तनाव को कम करने का प्रयास करें। इसके लिए आप ऐसे कुछ काम करें, जिससे आपको भीतर से खुशी प्राप्त हो। जब आपका तनाव कम होगा तो मुंहासे भी बार−बार परेशान नहीं करेंगे।
अगर आप अपने तकिए के कवर, बेडशीट व टॉवल आदि को समय−समय पर नहीं बदलते तो समझ लीजिए कि आपको एक्ने से कभी छुटकारा नहीं मिलने वाला। दरअसल, उसमें मौजूद गंदगी, धूल व बैक्टीरिया के कारण न सिर्फ मुंहासों की समस्या होती है, बल्कि इसके कारण अन्य भी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
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और अन्ततः सर्वांगीण सुन्दर बनाया है। प्रथम तो 'रामचरित' मानस' को ही मान सरोवर से पटता देकर, इस काव्य-ग्रन्थ की लोकोपयोगिता को प्रतिष्ठित किया है। आगे एक स्थान में, धर्म को रथ से समता देते समय भी रूपक को लम्बा किया है पर ऐसे रूपकों को पढ़कर भी पाठक कभी अरुचि का अरुचि का अनुभव नहीं कर सकता और न उसे ऐसा प्रतीत होता है कि महाकवि ने इतने लम्बे-लम्बे रूपक बांध कर समय और प्रयास का : दुरुपयोग किया है यही महात्मा जी की विशेषता है।
कुटिल कैकेई को सरोष तरङ्गिनी से जो उपमा दी है वह बहुत ही उपयुक्त हैःकहि कुटिल भई उठि ठाढ़ी, मानहु रोष तरंगिनि बाढ़ी । पाप पहाड़ प्रकट भई सोई,
भरी क्रोध जल, जाइ न जोई ।।
दोडकर कूल कठिन हठ धारा,
भँवर कूवरी, वचन प्रचारा ।
ढाहत भूप रूप तरु मूला,
चली विपति वारिधि अनुकूला ।।
श्रांगारिकता का वर्णन करते समय तुलसीदास जी ने सदैव मर्यादा का बहुत ध्यान रखा है और वे शिष्टता पूर्वक, शृंगार की भावनाओं को प्रकट कर जिस सुन्दरता से निभा गये हैं वह उपा |
गजेटियर (Gazzeteer) मूलतः अँगरेज़ प्रशासकों की जानकारी और सुविधा के लिए आविष्कृत बहुप्रयुक्त वह ग्रन्थ-परम्परा है जिसमें एक क्षेत्र विशेष की सम्पूर्ण प्रामाणिक भौगोलिक, सांस्कृतिक, समाज-संबंधी जानकारियों का यथासंभव सचित्र संचयन होता है ताकि उसके अध्ययन से सभी बुनियादी जानकारियां, उस क्षेत्र में नए आने वाले पाठक तक को एक ही जगह उपलब्ध हो जाएँ। गज़ेटियर एक क्षेत्र-विशेष का वर्णनात्मक विवरण है जिसमें प्रायः अकारादि क्रम से वहां के इतिहास, भूगोल, जलवायु, अवस्थिति, वर्षा, जनसँख्या, साक्षरता, उद्योग-धंधों, आर्थिक गतिविधियों, नगरों, जातियों, भाषा-साहित्य-संस्कृति आदि आदि अनेकानेक बातों का का उचित आंकड़ों सहित 'निरपेक्ष' उल्लेख होता है। पहले इसका रूप स्थानीय अथवा प्रादेशिक था, लेकिन १९वीं शताब्दी में समस्त संसार के उर्पुक्त विषयों से संबंधित हो गया और इस ढंग के अनेक कोश अद्यावधि प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष २०१० में केंद्र सरकार के स्तर पर गजेटियर-पुनर्लेखन की योजना कार्यान्वित किये जाने की खबर आयी थी जैसा ४-२-१०१० को दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित इस समाचार से ज्ञात होता है- "देश भर में गजेटियर को नए सिरे से बनाने के लिए सरकार ने तैयारियों को शुरु कर दिया है। केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई की अध्यक्षता में सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है जो कि राष्ट्रीय स्तर पर शुरु किए गए इस प्रोजेक्ट की देखरेख करेगी। पिल्लई ने देश के मुख्य सचिवों को सरकार की इस प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए कहा है कि इस दिशा में तेजी से काम करना होगा। पिल्लई ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि देश में कई नए राज्य और कई जिलों का गठन कर लिया गया है, लेकिन इनके गजेटियर नहीं बनाए गए हैं। गजेटियर जिले और राज्यों के बारे में सरकारी दस्तावेज है, जो कि सबसे प्रामाणिक माने जाते हैं। गजेटियर में न सिर्फ जिलों का इतिहास होता है बल्कि उस जिले के बारे में एक एक जानकारी होती है। पिल्लई ने कहा है कि राष्ट्र्रीय स्तर पर इस दिशा में काम करने के लिए नेशनल इनफारमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) से मिलकर काम किया जा रहा है इसलिए राज्यों को अपने स्तर पर एनआईसी के साथ मिल कर काम शुरु करना होगा। उन्होंने कहा है कि योजना के पहले चरण में सभी गजेटियर को वेबसाइट पर भी डालना होगा तकि लोगों को इससे आसानी हो सके। गजेटियर को बनाने की परंपरा को ब्रिटिश शासन में शुरु किया गया था। गजेटियर में इलाके की सामाजिक, आर्थिक व भौगोलिक जानकारी होती है। ब्रिटिश शासन में पहला गजेटियर इंपीरियर गजेटियर ऑफ इंडिया के नाम से सन 1881 में प्रकाशित किया गया था। सर विलियम हंटर ने इसकी योजना को तैयार किया था और 1869 में इस पर काम शुरु किया गया था। देश में उस समय के प्रशासकीय ढांचे के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इसके बाद में सन 1908, 1909, व 1931 में एडीशन प्रकाशित किए गए थे। इसके बाद प्रादेशिक स्तर पर भी इन्हें तैयार किया गया था। इससे पूर्व भारत में गजेटियर की शुरूआत सन् 1815 से देखने को मिलती है, जब वाल्टर हेमिल्टन ने 'ईस्ट इंडिया गजेटियर' प्रकाशित किया। सन् 1828 में इसका फिर दूसरा संस्करण निकला। यह दो वोल्यूम में था। इसके बाद सन् 1854 में गजेटियर आॅफ टेरिटरी का प्रकाशन हुआ। किन्तु इस दिशा में वास्तविक प्रगति अब भी प्रतीक्षित है । .
4 संबंधोंः तिलहर, पड़िला महादेव मंदिर, प्रतापगढ़, राजस्थान, शाहजहाँपुर जिला।
तिलहर (अंग्रेजीः Tilhar) भारतवर्ष के राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित शाहजहाँपुर जिले का एक महत्वपूर्ण नगर होने के साथ-साथ तहसील भी है। केवल इतना ही नहीं, यह उत्तर प्रदेश विधान सभा का एक प्रमुख क्षेत्र भी है। मुगल काल में सेना के लिये तीर और कमान बनाने के कारण प्राचीन भारत में इसे कमान नगर के नाम से ही जाना जाता था। तीर कमान तो अब नहीं बनते पर यहाँ के परम्परागत कारीगर मजबूत बाँस की निचले हिस्से पर लोहे का खोल चढ़ी गुलाही लाठी बनाने में आज भी माहिर हैं। टेढ़े से टेढ़े बाँस को शीरा लगाकर तेज आँच में गरम करके सीधा करना जब उन्हें आता है तो निस्सन्देह सीधे बाँस को इसी तकनीक से धनुष का आकार देने की कला भी उनके पूर्वजों को अवश्य ही आती होगी। .
पड़िला महादेव मंदिर, प्रयाग के पाँचकोशी यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान है।भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर तीर्थराज प्रयाग (इलाहाबाद) के उत्तरांचल मे जनपद मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर (इलाहाबाद-प्रतापगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग 96) फाफामऊ के थरवई गाँव मे स्थित हैं। इसे पांडेश्वर महादेव मंदिर कजे नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान सोराँव तहसील में फाफामऊ कस्बे से ३ किमी उत्तर पूर्व में स्थित हैं। किंवदन्ती है कि श्री कृष्ण की सलाह पर यहाँ पाण्ड्वों ने भगवान शंकर के लिंग की स्थापना अपने वनवासकाल के दौरान किया था। यह मन्दिर पूर्ण रूप से पत्थरों से बना हुआ है। गजेटियर के अनुसार यहाँ शिवरात्रि व फाल्गुन कृष्ण १५ को मेला लगता है। श्रेणीःशिव मंदिर.
प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .
शाहजहाँपुर जिला (अंग्रेजीः Shahjahanpur district) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है जिसका मुख्यालय शाहजहाँपुर है। यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसकी पुष्टि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा यहाँ के कुछ उत्साही व प्रमुख व्यक्तियों के माध्यन से कराये गये उत्खनन में मिले सिक्कों, बर्तनों व अन्य बस्तुओं के सर्वेक्षण से हुई है। उत्तर वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय की वस्तुस्थितियों तक इस जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सदैव ही चर्चा में रही है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सन् १८५७ के प्रथम स्वातन्त्र्य समर से लेकर १९२५ के काकोरी काण्ड तथा १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन तक इस जिले की प्रमुख भूमिका रही है। इसे शहीद गढ़ या शहीदों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। शाहजहांपुर को 2018 में उत्तर प्रदेश का 17 वां नगर निगम का दर्जा मिला है । .
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भारत में अगले महीने यानी अक्टूबर में दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। दिवाली के मौके पर ज्यादातक घर से बाहर रहने वाले लोग अपने घर जाते हैं। ऐसे में ट्रेनों, बसों और फ्लाइट्स में बुकिंग मिलने में काफी दिक्कत आती है। पहले से भी टिकट बुक करें तब भी कंफर्म टिकट के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
अगर आप भी दिवाली में घर जाना चाहते हैं और कंफर्म ट्रेन नहीं मिल रहा है। तो परेशान ना हो कंफर्म टिकट पाने का तरीका हम आपको यहां बताने जा रहे हैं।
IRCTC की ओर से दिवाली में घर जाने के लिए यात्रियों को कंफर्म टिकट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए केवल आपको ऐप स्टोर से confirmTkt-Train booking ऐप को डाउनलोड करना होगा।
इस ऐप का अथरॉइज्ड पार्टनर IRCTC है। ऐसे में किसी तरह के फ्रॉड की भी कोई संभावना नहीं है। इसे iOS और Android दोनों ही यूजर्स डाउनलोड कर सकते हैं।
इस ऐप के जरिए आपको लगभग सभी जगहों के लिए कंफर्म ट्रेन टिकट मिल जाएगा। केवल दिल्ली से लखनऊ, कानपुर और बिहार जाने वाली ट्रेनों के लिए यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कंफर्म टिकट देने के लिए रेलवे की तरफ से खास व्यस्था की गई है। त्योहारों को ध्यान में रखकर रेलवे ने अतिरिक्त ट्रेनें चलाई हैं।
इतना ही नहीं यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाए जा रहे हैं। आपको अगर कंफर्म टिकट ना मिले तो आप दिवाली पर घर जाने के लिए वेटिंग टिकट ले सकते हैं। टिकट कंफर्म होते ही इसकी सूचना आपको मिल जाएगी। आप ये ऐप के जरिए चेक कर सकते हैं कि किस ट्रेन में टिकट कंफर्म होने के ज्यादा चांस हैं। अगर 50 प्रतिशत से ज्यादा हो तो ले सकते हैं।
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हम रोते-रोते उठ खड़े हुए। अपनी देह झाड़ने लगे । सब लड़के उँगली पर उँगली चढ़ाकर कहने लगेतुमको हमलोग नहीं छू सकते, पहले जाकर धोबघाट पर नहाओ । नहीं तो अब हमलोगों की जमात में नहीं आ सकते ।
हम दौड़-दौड़कर लड़कों को छूने लगे। वे उसी तरह उँगली पर उँगली चढ़ाये भागने लगे । जब हम उन्हें न छू सके, तब मारे खीस के रोने लगे ।
इतने में चिरकुट धोबी दूर ही से लड़कों को ललकारता हुआ पहुँचा। उसने दो-चार लड़कों को खदेड़कर पकड़ा और पीटा । बहुतेरे लड़के भाग निकले। बैजू तो पास ही के पेड़ पर चढ़ गया । और हम - ऐसी राह से घर की ओर भागे कि - चिरकुट हमें देख ही न सका।
भोजन करके बाहर आते ही बाबूजी हमारी खोज करने लगे । जो कोई सामने की गली से गुजरता, उसीसे पूछते-उधर भोलानाथ कहीं देख पड़ा है ?
चिरकुट के खदेड़े हुए कुछ लड़के उसी गली से भागते चले जाते थे। उन्हीं लड़कों से बाबूजी को हमारा पता मालूम हो गया। सोचने लगे, आज ही इतना सिखलाया है। थोड़ी ही देर में सब सिखाया-पढ़ाया ताक पर रखकर यह फिर आवारागर्द लड़कों के साथ निकल भागा । बड़ा बेहंगम लड़का है । तनिक आँख बिचली कि फुर्र से उड़ा । अच्छा, आज इसे खम्भे से बाँधकर खजूर की छड़ी से पीटूंगा ।
बाबूजी यह सोच ही रहे थे कि हम उनकी आँख बचाकर भट घर में घुस गये । पर उन्होंने घर में घुसते-घुसते हमें देख ही लिया । फिर तो श्राग-बबूला होकर हमारे पीछे ही पीछे दौड़े आये। ज्योंही हमने उनकी खड़ाऊं की आवाज सुनी, त्योंही मइयाँ के पास तक पहुँचने का अवसर न पाकर डर के मारे देवड़ी के पास एक जबरे में छिप गये ।
बाबूजी भीतर आते ही मइयाँ से कड़क कर बोले--कहाँ गया भोलानाथ ! है। किधर छिप गया ? यह तुम्हारी ही कारसाजी है। आज ही उसे चिताया कि खा-पीकर गुरुजी के पास पढ़ने जाना; पर मेरी बात तो उसक चित्त में धँसती नहीं, सिर्फ एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देता है । आज जो पकड़ पाऊँगा, तो उसे छठी का दूध याद करा दूंगा । जितना ही में सहता हूँ, उतना ही उसका मन बढ़ता जाता है। दुनिया में वही एक लड़का है या और भी किसी के लड़का है ? देखती रहो, मैं तुम्हारी और उसकी सारी कारस्तानी आज भुला देता हूँ । उसको तो अब यहाँ रहने ही न दूँगा । कल ही उसे रामसहर भेज दूंगा। वहीं अपने नाना के पास पढ़ेगा । मुझसे ऐसे लड़के की देख-भाल न हो सकेगी। मैं तो आजिज़ हो गया, पढ़ना-लिखना गया चूल्हे में, दिन भर खेलने में ही चित्त देता है। भगवान ने एक लड़का भी दिया, तो वह ऐसा खेलाड़ी
निकला कि मेरे घर में जितने एक-से-एक मीर-मुंशी हो चुके हैं, सब का नाम डुबा देगा ।"
हम उसी छोटे कोठिले में बैठे-बैठे सब सुन रहे थे । बाबूजी की बातें सुनकर मइयाँ ने उन्हें बहुत झाड़ा । यहाँ तक कि वह कड़कड़ाते हुए बाहर चले गये ।
उनके चले जाने पर मइयाँ हमें हूँ ढ़ने लगी । हमने जब देखा कि बाबूजी बैठकखाने में चले गये, तब धीरे से जबरे में से निकल पड़े । मझ्याँ ने हमें देखते ही दौड़कर अपनी गोद में उठा लिया, धीमे स्वर से बोली- 'जल्दी चलकर भण्डारघर में सो रहो । नहीं तो आज तुम्हारे बाबूजी इतने बिगड़े हुए हैं कि भेंटेंगे तो
बड़ी मार मारेंगे । '
हमें तो सुबह की बात याद पड़ रही थी कि हमने आप ही अपने कान ऐंठकर वादा किया है - अब फिर कभी लड़कों के साथ खेलने न जायेंगे । पर याद पड़ने से क्या हुआ । गधे पर चढ़ने का शौक चर्राया, सब कुछ भूल गया ! लड़कों की जमात में यह थोड़े याद पड़ता था कि किससे क्या वादा किया है। वहाँ तो सिर्फ अपनी मौज की मस्ती थी ।
हाँ, घर पहुँचने पर वादा जरूर याद पड़ा । मगर अब लुक-छिपकर जान बचाने के सिवा हो ही क्या सकता था ।
खैर, जान बच गई । मइयाँ के कहने से हम भण्डार-घर में जाकर एक खटोले पर सो रहे ।
बाबूजी फिर आये। कहने लगे - 'चिरकुट धोबी उलाहना देने आया है। बैजू के साथ भोलानाथ भी गंधे पर चढ़ा था। गधे की छान खोलकर न जाने लड़कों ने किधर खदेड़ दिया है । बेचारा चारों ओर हैरान हुआ फिरता है । भोलानाथ घर ही में कहीं होगा। देखो, हूँ ढ़कर उसे नहलाओ धुलाओ । कोई खाने-पीने की चीज उससे न छू जाय; मैं बाज आया उसे मारने से । वह जरा-सा छूने से रोने लगता है, और तुम उसे डाँटने पर भी आग भभूका हो जाती हो । अरे, अब भी तो उसे राह पर लाने की कोशिश करो। लड़कपन से ही उसका मन सहक जायगा, तो सयाना होने पर एकदम बेकाबू हो जायगा। कल तुम महँगू के के लड़के की बात कह रही थी। जानती हो, उसके लड़के कैसे छटे बदमाश हैं ? बड़ा लड़का, जो चीनी डाँट से महँगू के साथ आया है, शुरू में घर-घर सराहा जाता था। जिसके मुँह से सुनो, वह उसकी बढ़ाई ही करता था। अब तो वह महँगू की कमाई में आग लगाना चाहता है। उसीके साथ बैजू भी बिगड़ता चला जाता है। वह टोले- महल्ले के सब लड़कों को खराब करके छोड़ेगा । वह तो चाहता ही है |
भारत ने अपनी ई-हेल्थ यात्रा में युगांतकारी मील के पत्थर को पार कर लिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी टेलिमेडिसिन सेवा आज टेलीकन्सलटेशन (टेलीपरामर्श) 10 लाख को पार कर गई है। टेलीमेडिसिन इंटरनेट का उपयोग करते हुए दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है। यह सेवा न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाती है बल्कि समय और धन की बचत करने के अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करती है। भारत में ई-संजीवनी सेवा की शुरूआत किसी विकासशील देश द्वारा राष्ट्रीय पैमाने पर स्वास्थ्य सेवाएं देने में अपनी तरह का डिजिटल परिवर्तन है। कोविड-19 महामारी के दौरान ई-संजीवनी ने स्वास्थ्य सेवाएं देने में न केवल विशाल डिजिटल परिवर्तन किया बल्कि देश में डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम को प्रोत्साहित भी किया।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी पहल 28 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में दो किस्म की सेवाएं दे रही है। ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी डॉक्टर से डॉक्टर टेलीपरामर्श को सक्षम बनाती है और इसका उपयोग लगभग 6,000 स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों में किया जा रहा है। राज्यों द्वारा जिला अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों में लगभग 240 हब बनाए गए हैं जिनमें विशेषज्ञ और डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी के इस्तेमाल के लिए 20,000 से अधिक पैरामेडिक, डॉक्टर तथा विशेषज्ञ प्रशिक्षित किए गए हैं। ई-संजीवनीओपीडी में दूरदराज अपने घरों में पड़े रोगियों को दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती है। ई-संजीवनीओपीडी डॉक्टर और रोगी के बीच सम्पर्क रहित, जोखिम मुक्त तथा सुरक्षित परामर्श को सक्षम बनाती है। लगभग 8,000 डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया गया है और वह ई-संजीवनीओपीडी पर हैं। औसतन लगभग 225 ऑनलाइन ओपीडी में 1500 डॉक्टर रोजाना टेलीमेडिसिन सेवा देते हैं। 225 ऑनलाइन ओपीडी में से 190 विशेषज्ञता वाली ओपीडी हैं और लगभग 30 सामान्य ओपीडी हैं। काफी समय से ई-संजीवनी रोजाना पूरे देश में 14,000 रोगियों को सेवा प्रदान करती है।
देश के 550 से अधिक जिलों में रोगी ई-संजीवनी का उपयोग कर रहे हैं। 10 प्रतिशत से अधिक यूजर्स 60 साल की आयु या उससे अधिक के हैं। कुल रोगियों में से एक-चौथाई रोगियों ने ई-संजीवनी का उपयोग एक बार से अधिक किया। यह इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि डॉक्टरों से परामर्श के लिए लोग अस्पतालों की ओपीडी जाने की तुलना में टेलीमेडिसिन को प्राथमिकता देने लगे हैं।
स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के उभरते हुए डिजिटल स्वरूप की अंतर्निहित संभावना और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए राज्यों ने ई-संजीवनी के आस-पास नवाचारी एप्लीकेशन को डिजाइन किया है। केरल में ई-संजीवनी ओपीडी का उपयोग पालक्कड जिला जेल के कैदियों को स्वास्थ्य सेवाएं देने में किया जा रहा है, हिमाचल प्रदेश में भी यह सेवा ओल्ड एज होम में दी जा रही है। देशभर में ई-संजीवनीओपीडी सेवाओं को त्वरित रुप से अपनाने से आयुष तथा प्राकृतिक चिकित्सा जैसी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों सहित अनेक स्पेशियलटी तथा सुपर स्पेशियल्टी की व्यापकता सक्षम बनी है। केरल ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य बाल कार्यक्रम कार्यक्रम की सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए ई-संजीवनीओपीडी पर ओपीडी पहले से स्थापित किए है। इन 14 ऑनलाइन ओपीडी में प्रत्येक में मनोवैज्ञानिक, स्पेशल एडुकेटर, स्पीच थेरापिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट को मिलाकर एक टीम बनाई गई है जो बाल विकास और बच्चों के भविष्य के स्वास्थ्य से संबंधित एक समान मामलों का समाधान करती है।
राज्य सरकारें ई-संजीवनी अपनाने में प्रोत्साहन देने के लिए मजबूत डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम तैयार कर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रयासों को पूरक बना रही हैं। इस ईको सिस्टम में आईटी जानकार तथा ढांचागत संसाधन शामिल हैं। मोहाली स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग का हेल्थ इन्फॉरमेटिक समूह चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के अतिरिक्त ई-संजीवनी ओपीडी का प्रारम्भ से अंत तक तकनीकी सेवाएं दे रहा है। इन तकनीकी सेवाओं में विकास क्रियान्वयन और संचालन है। स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों तथा सी-डैक मोहाली के परामर्श से ई-संजीवनी की विशेषताओं और कार्यप्रणालियों को समृद्ध बनाने की दिशा में काम कर रहा है ताकि रोगियों और डॉक्टरों को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।
ई-संजीवनी तथा ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफॉर्मों के माध्यम से सर्वाधिक परामर्श करने वाले शीर्ष 10 राज्य हैं तमिलनाडु (3,19,507), उत्तर प्रदेश (2,68,889), मध्य प्रदेश (70,838), गुजरात (63,601), केरल (62,797), हिमाचल प्रदेश (49,224), आंध्र प्रदेश (39,853), कर्नाटक (32,693), उत्तराखंड (31,910) तथा महाराष्ट्र (12,635) हैं।
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बॉलीवुड में कब क्या हो जाए यह कहना थोड़ मुश्किल होता है। ऐसा ही कुछ हाल ही में गुपचुप शादी रचाकर नवाब शाह (Nawab Shah) के साथ हुआ। नवाब शाह ने एक्ट्रेस पूजा बत्रा (Pooja Batra) के साथ गुपचुप शादी रचाई। शादी की यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इन सबके बीच एक और बड़ी खबर आई हैं। खबरों की मानें तो नवाब शाह के हाथ एक बड़ा ऑफर लगा है।
एक एंटरटेनमेंट वेबसाइट के मुताबिक नवाब शाह Nawab Shah) को रजनीकांत की फिल्म 'दरबार' में अहम रोल मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक इस फिल्म में नवाब शाह के अलावा सुनील शेट्टी (Sunil Shetty) भी नजर आएंगे। कहा जा रहा है कि नवाब इस फिल्म में कारोबारी का किरदार निभाएंगे। फिल्म में वह सुनील शेट्टी की टीम में दिखाए जाएंगे जबकि रजनीकांत के अपोजिट होंगे।
नवाब शाह आखिरी बार सलमान खान की फिल्म 'टाइगर जिंदा है' में नजर आए थे। इस फिल्म को रिलीज हुए 2 साल हो चुके हैं। फिल्मों में नवाब शाह साइड रोल में नजर आते हैं। ऐसे में शादी के तुरंत बाद नवाब शाह को ऑफर मिलना अपने आप में बड़ी बात है। वहीं इन दिनों वह सलमान की फिल्म 'दबंग 3' की शूटिंग में भी बिजी हैं। इसके अलावा 'पानीपत' में भी नजर आएंगे।
नवाब शाह ने साल 1999 में 'कारतूस' फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद 'राजा को रानी से प्यार हो गया', 'मुसाफिर', 'लक्ष्य', 'जान-ए-मन', 'लक', 'भाग मिल्खा भाग' जैसी कई और फिल्मों में काम कर चुके हैं। हिंदी फिल्मों के अलावा नवाब ने तमिल, तेलुगू और मलयालम फिल्मों में भी हाथ आजमाया। इसके साथ ही नवाब सुपरिहट सीरियल 'शक्तिमान' में भी अहम रोल में नजर आए थे।
आपको बता दें, नवाब शाह और पूजा बत्रा की शादी को कश्मीरा शाह ने कंफर्म किया। कश्मीरा कहती हैं, 'मैं दुआ करती हूं कि पूजा को दुनिया की सारी खुशियां मिले। पूजा को भी खुश रहने का हक है। मैं बहुत उत्साहित हूं। नवाब का हमारे परिवार में स्वागत है। ' पूजा और नवाब ने जम्मू-कश्मीर में शादी की है। नवाब ने ईद पर इंस्टाग्राम के जरिए पूजा के साथ अपना रिलेशन कंफर्म किया था। उन्होंने अपनी और पूजा की एक फोटो शेयर की थी। नवाब ने फोटो के कैप्शन में लिखा था कि उन्हें 46 साल बाद अपनी सोलमेट मिली है। ईद के बाद से नवाब लगातार पूजा के साथ तस्वीरें शेयर कर रहे हैं।
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अगर किसी व्यक्ति की इच्छा या आवश्यकता हैअंग्रेजी भाषा को माहिर करना, आज यह लक्ष्य काफी आसान और सुविधाजनक तरीके से हासिल करना संभव है। आसान, क्योंकि पहली चीज आपको बस इंटरनेट पर सही संसाधन खोजने के लिए है, और घर पर भाषा सीखने का अवसर, किसी भी स्वीकार्य समय पर, यह सबक सुविधाजनक और सुलभ बनाता है सेमेस्टर की शुरुआत की तारीख को समायोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं है, प्रशिक्षण की आवश्यकता तब होगी जब आपको इसकी आवश्यकता होगी।
इसलिए, आपने इस दिशा में दी गई सेवाओं का अध्ययन किया है और आपने चुना है, उदाहरण के लिए, अंग्रेजी सबक ऑनलाइन www.support.co.uk पर। आइए हम और अधिक विवरण पर विचार करें कि किस प्रकार और किस रूप मेंवांछित परिणाम प्राप्त करें, और जो अन्य समान स्कूलों से स्पीक अप को अलग करता है। आज तक, बोलो 26 स्कूल हैं जो रूसी संघ में अंग्रेजी का अध्ययन करते हैं और विदेशों में 40 से अधिक स्कूलों का अध्ययन करते हैं और निकट भविष्य में 25 नए केंद्र खुले होंगे।
अंग्रेजी बोलो ऑनलाइन की विशेषताएंः
प्रशिक्षण विधि की विशिष्टता, व्यक्तिगतप्रत्येक छात्र के लिए दृष्टिकोण, प्रक्रिया का नियंत्रण, अभिनव समाधानों का उपयोग - ये सभी घटक कम समय में सामग्री का उत्कृष्ट लाभ देते हैं। इस दृष्टिकोण के साथ, छात्रों को लिखित, व्याकरण और बोलने में अंग्रेजी के अपने स्तर को लगातार सुधार और बेहतर कर सकते हैं। और रोज़ाना हर रोज के लिए रोजाना भाषा सीखने का अवसर सकारात्मक परिणाम को प्रभावित करता है।
अंग्रेजी भाषा पाठ्यक्रम स्पीक अप एक्सप्रेस हैः
जैसा कि हम देखते हैं, ऑनलाइन गारंटियां बोलेंआपके किसी भी उद्देश्य के लिए गुणवत्ता की शिक्षा, चाहे वह व्यापार वार्ता, सामाजिक संचार या विभिन्न देशों के लिए दिलचस्प यात्राएं हो। एक स्तर परीक्षण पास करने के असफल प्रयास के साथ ऑनलाइन पाठ को दोहराने का अवसर प्राप्त करने से सीखने की प्रक्रिया को सहज और अर्थपूर्ण बना दिया जाएगा। स्कूल स्पिन ऑन ऑन लाइन उन ब्रांडों में से एक है, जो लर्निंग सिस्टम्स पोलैंड एसपी जे ओ ओ, जो ईएम एंड एफ समूह का हिस्सा है।
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अप्सराइस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि देश में चलने वाली गणिकावृति देशांतर में फैलने पर एक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बन जाती है। दोनों में व्यवसाय की समानता का संबंध अवश्य है; परंतु परिस्थिति की भिन्नता से दोनों अलग-अलग व्यवहार बन जाते हैं। दोनों की केन्द्र रचना, शाखा-प्रशाखाओं की स्थापना, आय खर्च का हिसाण, और लाभ का विभाजन आदि बातें एक दूसरे से पर्याप्त भिन्न होती है। इस प्रकार की गणिकावृत्ति में' अभिप्रेत गुलामी का राजीखुशी से स्वीकार करने के पीछे कभी गरीबी और सामाजिक 'बंधनों' जैसी मजबूरियाँ तो कभी अपने प्रेमी को सुखी करने की उदात्त इच्छा जैसे परस्पर विरोधी तत्व कारणभूत होते हैं। मानव जीवन की विचित्रताओं का इतना अद्भुत उदाहरण अन्य किसी क्षेत्र में शायद ही मिल सके । कुछ अंशों में जबरदस्ती और खल फरेब पर आधारित परंतु अधिकाश में स्त्री की स्वेच्छा से प्रेरित देह विक्रय का यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एशिया के नगरों में भी होता है और यूरोप-अमरीका में भी । आगे के परिच्छेदों में हम एशिया से आरंभ करके यूरोप-अमरीका की परिस्थिति पर विचार करेंगे । भु |
कोरोना काल के दौरान एक तरफ जहां देश आर्थिक महामारी से जूझ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ बेरोजगारों की संख्या में भी वेतन बढ़ोत्तरी होती जा रही है। हालांकि इस बीच सीएमआईई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है।
दरअसल, रोजगार देने के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर काबिज है। वहीं, प्रदेश में बेरोजगारी दर 1. 4 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। जबकि पहले स्थान पर असम को शामिल किया गया है।
दरअसल, कोरोना काल और लॉकडाउन के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में बनी शिवराज सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के मामले में देश में दूसरे नंबर पर अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है।
सेंटर फॉर मोनेट्री इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों की मानें तो मध्य प्रदेश में बेरोजगारी दर 1. 4 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। पहले स्थान पर 0. 2फीसदी के साथ असम को रखा गया है जबकि मध्य प्रदेश और मेघालय 1. 4 बेरोजगारी दर के साथ दूसरे नंबर पर काबिज हुए हैं।
इसके अलावा टॉप टेन राज्य में छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर तीन प्रतिशत आंकी गई है। वहीं, सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारी दर 11. 4 प्रतिशत बताई गई है। इससे पहले देश में बेरोजगारी दर 3. 5 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई थी, जो अब घटकर तीन प्रतिशत पर पहुंच गई है। 27. 3 प्रतिशत के साथ 26 नंबर पर दिल्ली को रखा गया है। वहीं, राजस्थान 28 प्रतिशत के साथ 27 नंबर पर रहा है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से लॉकडाउन में ना लगाकर कोरोना कर्फ्यू को लागू किया गया था। इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बनी शिवराज सरकार द्वारा लगातार प्रवासियों मजदूर सहित अनेकों बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध करवाए गए थे। अब ऐसी स्थिति में जहां कोरोना से आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। वहीं, लॉकडाउन की वजह से जहां व्यवसायिक और औद्योगिक इकाइयां बंद है। ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश के लिए आखिरी निश्चिय ही संतोषजनक होंगे।
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जापान में इस हफ्ते जी-20 सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, फ़्रांसिसी राष्ट्रपति एम्मानुएल मैक्रॉन और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे से मुलाकात करेंगे। भारत में आम चुनावो के बाद उनकी सभी वैश्विक नेताओं से यह पहली मुलाकात होगी।
नरेंद्र मोदी रूस, चीन और भारत की एक अलग बैठक में भी भाग लेंगे और जापान-अमेरिका-भारत या जय के मंच में भी शरीक होंगे। जय की संस्थापना बैठक बीते वर्ष बुएनोस एरेस में बीते वर्ष हुई थी। जी-20 के सम्मेलन के इतर भारतीय नेता 10 द्विपक्षीय बैठकों में शामिल होंगे। इसमें तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्डोगन भी शामिल है।
मोदी और ट्रम्प ने द्विपक्षीय बैठक पर सहमति जताई है। डोनाल्ड ट्रम्प चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जर्मन की चांसलर एंजेला मर्केल और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात करेंगे। मोदी ट्रम्प की मुलाकात के लिए अभी कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है।
दोनों नेताओं की व्यापार पर बातचीत की सम्भावना है। ट्रम्प के एजेंडा में व्यापार सर्वोपरि होगा और अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि कई अन्य मामलो जैसे राज्य प्रत्यक्षित आर्थिक गतिविधि, आईपी खतरा, ट्रांसफर टेक्नोलॉजी और टैरिफ और गर शुल्क बाधाओं पर चर्चा की जा सकती है।
अधिकारी ने कहा कि "हमें यकीन है कि जी-20 अर्थव्यवस्थाओं को एडवांस, ओपन और फेयर एंड मार्किट पर आधारित डिजिटल नीतियों के लिए एकजुट होकर कार्य करने की जरुरत है। भारत के शेरपा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु होंगे। उनके मुताबिक भारत का ऊर्जा सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता, बहुपक्षवाद में सुधार और डब्ल्यूटीओ में सुधार मुख एजेंडा होंगे।
जी-20 में एर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको,रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीफा, दक्षिण कोरिया, तुर्की, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल है। जी-20 की अर्थव्यवस्थाओं ने सकल विश्व में 90 फीसदी, वैश्विक व्यापार में 80 फीसदी, दो-तिहाई वैश्विक आबादी और इसमें विश्व में आधी जमीन है।
व्यापर जंग से चीन नुकसान पंहुचाने के बाद ट्रम्प के निशाने पर अब भारत है। इस महीने के शुरुआत में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों के तरजीह वाले दर्जे को खत्म कर दिया था। अमेरिका ने इसकी प्रतिक्रिया पर अमेरिका के उत्पादों पर टैरिफ लागू कर दिया था।
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कोच्चि । मलयालम फिल्म उद्योग के 'लैला-मंजनू' माने जाने वाले काव्या माधवन और दिलीप ने शुक्रवार को शादी रचा ली। दोनों के रिश्ते लंबे समय से चर्चा का विषय बने हुए थे। काव्या और दिलीप अपने करीबी मित्रों और रिश्तेदारों की मौजूदगी में यहां एक होटल में परिणय सूत्र में बंधे।
दोनों तलाकशुदा कलाकारों की यह दूसरी शादी है। दिलीप ने 1998 में लोकप्रिय अभिनेत्री मंजू वारियर से शादी की थी। दिलीप से शादी के बाद अभिनेत्री ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था।
वहीं काव्या ने 2009 में एक कंप्यूटर इंजीनियर से शादी की और महज एक साल बाद ही दोनों का तलाक हो गया।
बेहद गोपनीय अंदाज में हुई शादी के बारे में जब मीडिया और अन्य लोगों को पता चला तो वे हैरान रह गए।
दिग्गज निर्देशक कमल ने कहा कि आखिरकर फिजूल की अटकलों का अंत हो गया। इस शादी से दिलीप की बेटी भी खुश है।
दोनों ने 'मीशामाधवन', 'थेनकासिपत्तेनेन्म' सहित 21 फिल्मों में साथ काम किया है। 2016 में फिल्मकार अदूर गोपालकृष्णन की फिल्म 'पिन्नेयम' में भी दोनों साथ नजर आए थे।
मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस वहीदा रहमान का नाम 53वें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है। इसकी जानकारी केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने एक्स हैंडल पर दी है। उन्होंने अदाकारा के काम की तारीफ की है और कहा कि वो इसका ऐलान करके खुद सम्मानजनक महसूस कर रहे हैं। पिछले साल यह सम्मान आशा पारेख को मिला था।
अनुराग ठाकुर ने ट्विटर पर लिखा, 'मुझे यह ऐलान करते हुए बेहद खुशी और सम्मान महसूस हो रहा है कि वहीदा रहमान जी को भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए इस साल प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जा रहा है।
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Capricorn Makar Arthik Rashifal Today 12 march 2022: आज के दिन किसी से विवाद न हो इस बात का ध्यान रखें। मित्रों और परिवार के साथ मनमुटाव होने की संभावना है और स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। आज का दिन मध्यम फलदायी है। आपकी उच्च बौद्धिक क्षमताएं आपकी कमियों से लड़ने में आपकी मदद करेंगी। सकारात्मक विचारों से ही इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
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Ghatshila (Rajesh Chowbey) : आदिवासी स्वशासन व्यवस्था माझी परगना महाल का 24 घंटा झारखंड बंद का घाटशिला अनुमंडल में व्यापक असर है. गांव से लेकर शहर तक माझी परगना महाल एवं ओलचिकी हूल बैसी समाज के हजारों कार्यकर्ता सड़क से लेकर रेल ट्रैक तक जाम कर दिया है. घाटशिला अनुमंडल के धालभूमगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत सोनाखून में NH18 एवं चिरूगोड़ा में रेल चक्का जाम कर दिया गया है.
रेल चक्का जाम स्थल पर लोग मांदर और धमसा की थाप पर नाच गा रहे हैं. जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. रेल चक्का जाम के कारण टाटा-खड़गपुर मार्ग पर चलने वाली कई एक्सप्रेस गाड़ियां जहां -तहां रुकी हैं. इस दौरान हावड़ा-बड़बिल जनशताब्दी एक्सप्रेस, हावड़ा-टिटलागढ़ इस्पात एक्सप्रेस समेत कई गाड़ियां विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी हैं. इस्पात एक्सप्रस चाकुलिया स्टेशन पर खड़ी है. दोनों ओर वाहनों की लंबी जाम लग गई है. बंद समर्थक सड़क पर अपनी मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. दूसरी ओर माझी परगना महाल एवं समाज के लोग रैली निकालकर घाटशिला समेत अन्य स्थानों पर बाजार, स्कूल, दुकान, पेट्रोल पंप आदि सभी को बंद कराते दिखे. इस दौरान बंद करा रहे लोगों ने कई स्थानों पर जबरन दुकान बंद करा दी. जाम को देखते हुए घाटशिला अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी एवं रेल पुलिस कई स्थानों पर सुरक्षा के मद्देनजर तैनात हैं, लेकिन बंद समर्थकों को रोकने में विफल रहे हैं. जाम के कारण लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और लोगों को चाय पानी तक के लिए तरसना पड़ रहा है.
1. संताली भाषा के लिए KG से PG तक ओलचिकि लिपि का ही व्यवहार हो.
2. संताली भाषा को राज्य का प्रथम राज भाषा बनाया जाये.
3. संताली शिक्षकों की बहाली हो.
4. भाषा संस्कृति को संरक्षण के लिए झारखण्ड में संताली अकादमी का गठन हो.
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महाराष्ट्र से प्लाज़्मा थेरेपी के नाकामयाब साबित होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है।
मुंबई। दुनिया का हर देश कोविड-19 का इलाज ढूंढने का प्रयास कर रहा है इस बीच वैज्ञानिकों ने ब्लड प्लाजमा थेरेपी का परिचय दिया जो कि कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने में मददगार साबित हो सकती है। लेकिन अब महाराष्ट्र से इस थेरेपी से जुड़ी ऐसी खबर सामने आ रही है जो इसके कारगर होने पर सवाल उठाती है। दरअसल भारत में पिछले दिनों प्लाज्मा थेरेपी ने आशा की किरण दिखाई थी। लेकिन महाराष्ट्र में प्लाज्मा थेरेपी लेने वाले पहले कोरोना पाजिटिव मरीज की मौत हो गई है।
53 साल के इस मरीज ने मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में 29 अप्रैल को दम तोड़ दिया था। मरीज पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर पर था और उसे चार दिन पहले प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी. कोरोना से ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा लेकर उस मरीज को 200 एमएल का डोज दिया गया था।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ICMR की चेतावनी के बावजूद भी प्लाज़्मा थेरेपी पर भरोसा कर रहे हैं। उनके मुताबिक इसके शुरुआती नतीजे अच्छे आए हैं इसलिए वो इसका तकनीक का इस्तेमाल जारी रखेंगे, और इसके क्लीनिकल ट्रायल पर रोक नहीं लगाई जाएगी। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि ICMR ने पहले ही इस थेरेपी से जुड़ी एक चेतावनी जारी की थी जिसके मुताबिक मरीजों पर यह तकनीक जानलेवा साबित हो सकती है।
महाराष्ट्र से प्लाज़्मा थेरेपी के नाकामयाब साबित होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। इस तकनीक के सहारे दिल्ली को उबारने का रास्ता ढूंढ रही दिल्ली सरकार अब किस रास्ते पर जाएगी।
दूसरी तरफ उधर, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि ICMR की मंजूरी के बाद कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि प्लाज्मा थेरेपी से मरीज के ठीक होने का अब तक ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है और इसे प्रायोगिक तौर पर उपयोग किया जा रहा है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में हर दिन कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं। जिसको देखते हुए राज्य सरकार चिंतित है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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(1) Build Quality and Design :- सोनी ने इस साल एक प्लेबुक लॉन्च किया था, जिसकी डिजाइन बिल्कुल Xperia Z3+ जैसी ही है। इसके साइड में लगा मैटेलिक फ्रेम काफी आकर्षक है, जिसकी मोटाई 6. 9mm है। कंपनी ने इसके किनारों में शॉक रजिस्टेंट कैप लगाया हुआ है। वहीं फ्रंट और रियर साइड कोर्निंग गोरिल्ला ग्लॉस 3 प्रोटेक्शन से लैस हैं। सिम कार्ड और माइक्रोएसडी कार्ड स्लॉट इसके लेफ्ट साइड मौजूद है। जबकि दूसरी तरफ पॉवर और वॉल्यूम रॉकर बटन लगी हुई है। मैटेलिक की बनी यह बटन एक अच्छा एक्सपीरियंस साबित हो सकती है। 3. 5mm का ऑडियो जैक टॉप पर मिलेगा, वहीं यूएसबी चार्जिंग पोर्ट नीचे साइड उपलब्ध है। यह वॉटर और डस्ट प्रूफ है।
(2) Display :- Sony Xperia Z3+ स्मार्टफोन में आपको 5. 2 इंच की डिस्प्ले मिलेगी। यह स्मार्ट एडेप्टिव डिस्प्ले है, जिसमें ब्राइट सनलाइल कंडीशन में भी इमेज बैलेंस नजर आएगी। डिस्प्ले काफी ब्राइट और लाजवाब है। इसमें टेक्स्ट काफी अच्छे और साफ दिखते हैं। हालांकि इसमें लगा प्रोटेक्टिव कवर डिस्प्ले सरफेस को थोड़ा खराब कर सकता है। ऐसे में यूजर्स को हमेशा स्क्रीन साफ करती रहनी पड़ेगी। इससे बेहतर है कि, आप इस कवर को रिमूव कर दें।
(3) Chipset, RAM, Storage :- इंटरनल फीचर्स की बात करें, तो इसमें 64 बिट ऑक्टा-कोर Qualcomm Snapdragon 810 SoC प्रोसेसर लगा हुआ है। जिसके साथ 3जीबी रैम लगी है। इंटरनल फीचर्स में यह फोन काफी बेहतरीन है। इसमें कोई लैग या स्लोडाउन की समस्या नहीं है। हालांकि सैंपल इमेज का शॉट और एआर मोड पर प्ले करने से यह थोड़ा गर्म हो जाता है, जो एक ड्राबैक साबित हो सकता है। ऐसी ही समस्या Xperia Z3 स्मार्टफोन में भी देखने को मिली थी। फिलहाल स्टोरेज की बात करें, तो इसमें 32जीबी इंटरनल मेमोरी है, जिसमें कि 18जीबी यूजर्स के लिए खाली है।
(4) OS एंड बैटरी :- सोनी कंपनी ने अपने इस नये स्मार्टफोन Xperia Z3+ में एंड्रायड का ऑपरेटिंग सिस्टम दिया है। इसमें आपको एंड्रायड का लेटेस्ट ओएस लॉलीपॉप 5. 0 मिलेगा। कंपनी ने अपने इस नये हैंडसेट Xperia Z3+ को काफी स्टाईलिश बनाया है। इसका बेहतरीन लुक यूजर्स को अट्रैक्ट कर सकता है। वहीं इसमें 20. 7एमपी का रियर कैमरा मिलेगा, जिसमें की एलईडी फ्लैश होगा। जबकि फ्रंट कैमरा 5 एमपी का होगा। अगर कनेक्टिविटी की बात की जाये तो इसमें आपको 4जी, 3जी, ब्लूटूथ, वाई-फाई और जीपीएस आदि की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा बैटरी बैक-अप में यह बेहतरीन है. इसमें आपको 2930mAH की बैटरी मिलेगी। कलर वैरिएंट्स की बात करें, तो इसमें आपको Aqua Green, Black, Copper और White कलर मिलेगा।
Conclusion :- यह फोन गुड लुकिंग और इंप्रेसिव स्पेसिफिकेशन के कारण यूजर्स को अट्रैक्ट कर सकता है। इसकी बैटरी लाइफ भी काफी जर्बदस्त है। हालांकि प्राइस के मामले में यह थोड़ा मंहगा दिखाई देता है। कंपनी ने अपना पिछला वर्जन Xperia Z3 को 51,990 में लॉन्च किया था, जबकि यह नया 55,990 रुपये में मिल रहा है। कंपनी ने इसके प्राइस को लेकर ज्यादा रिसर्च नहीं किया। फिलहाल ओवरऑल यह एक बेहतरीन स्मार्टफोन है।
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एक लोकप्रिय विरोध प्रदर्शन जो अखबारों की सुर्खियों से हट चुका है उसके विफल होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। दिल्ली के इर्दगिर्द किसानों की कम होती तादाद को देखिए। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में 20 माह की कड़ाई के सफल होने के संकेत हैं। हालांकि जब तक कड़ाई लागू है तब तक कोई अनुमान लगाना जोखिम भरा है लेकिन कुछ बातें निर्विवाद हैं। आखिरी बार आपने लोकपाल के बारे में कब सुना था? सन 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रदर्शनकर्ताओं की प्रमुख मांग यही थी। सोवियत संघ के पतन के बाद जब दुनिया की कई सरकारें संवेदनशील दौर से गुजर रही थीं तब कश्मीरी अलगाववादियों को लगा था कि उन्हें आसानी से जीत मिलेगी। उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि अगले तीन दशक में लोगों को भीषण प्रताडऩा से गुजरना होगा और उनकी स्वायत्तता भी छिन जाएगी। हकीकत यह है कि राज्य सत्ता ने स्वयं को अधिक आक्रामक ढंग से प्रभावी बनाया है। यहां तक कि सड़कों पर होने वाले जनांदोलन भी एक के बाद एक विभिन्न देशों में नाकाम हो रहे हैं। म्यांमार, बेलारूस, चीन का हॉन्गकॉन्ग और रूस इसके उदाहरण हैं। इसकी तुलना सन 2000 से 2012 के बीच यूगोस्लाविया और यूक्रेन, जॉर्जिया और किर्गिजस्तान में कलर रिवॉल्यूशन (पूर्व सोवियत संघ के विभिन्न देशों में हुए आंदोलन) तथा अरब उभार से कीजिए जिसमें ट्यूनीशिया, मिस्र, लीबिया और यमन में लंबे समय से काबिज सत्ताधारी उखाड़ फेंके गए। दुनिया के अन्य हिस्सों में व्यापक आंदोलन का भी यही हाल रहा। पूर्व सोवियत संघ के देशों में हुए आंदोलन मोटे तौर पर शांतिपूर्ण रहे लेकिन इसके बावजूद वहां चुनावी धोखाधड़ी के आरोपी अलोकप्रिय नेताओं को हटाने में कामयाबी मिली। परंतु अब म्यांमार में इसका उलट देखने को मिल रहा है जहां सेना ने हस्तक्षेप किया क्योंकि उसे चुनाव नतीजे रास नहीं आए। देश के प्रदर्शनकारी गोलियों का सामना करने को तैयार हैं। बेलारूस में 30,000 लोगों को हिरासत में लिया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राज्य की बर्बरता ने अलेक्सान्द्र लुकाशेंको जैसे शासकों को सत्ता में बने रहने में मदद की जबकि उनके पूर्ववर्ती 15 वर्ष पहले भाग खड़े हुए थे। यूगोस्लाविया में प्रतिबंध कारगर साबित हुए थे लेकिन ईरान और रूस उनसे बेअसर रहे। म्यांमार के पिछले और मौजूदा दोनों शासनों पर प्रतिबंध लगाए गए लेकिन दोनों ही अवसरों पर यह बेअसर रहे। कुछ देशों में इन बंदिशों ने प्रतिबंध लगाने वाली अर्थव्यवस्थाओं को भी नुकसान पहुंचाया है। शायद परिदृश्य में इस बदलाव को बदलते शक्ति संतुलन से समझा जा सकता है। एक संक्षिप्त एक ध्रुवीय समय में अमेरिकी प्रभाव ने केंद्रीय यूरोप और कॉकेशस के देशों में सत्ता परिवर्तन में मदद की। उस दौर में बर्लिन की दीवार ढही थी और रूस इस स्थिति में नहीं था कि अपने आसपास हालात नियंत्रित कर सके। अब ऐसा नहीं है। रूस और चीन यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अमेरिका समर्थित लोकतंत्र आंदोलन और व्यवस्था परिवर्तन दोहराए न जाएं। रूस ने विपक्षी नेता एलेक्सी नावन्ली को जेल में डाल दिया है और सीरिया में अमेरिका को रोक दिया है। तुर्की में रेचेप एर्दोआन पश्चिम को नाराज करते हैं लेकिन राष्ट्रपति पुतिन से उनके रिश्ते काफी मधुर हैं। बेलारूस में लुकाशेंको के सफल समर्थन के बाद पुतिन ने म्यांमार में भी दखल दिया है। उन्होंने किर्गिजस्तान में सत्ता परिवर्तन की राह बनाई और लीबिया में परोक्ष हस्तक्षेप किया। चीन भी अब हॉन्गकॉन्ग में अंब्रेला क्रांति (प्रदर्शनकारियों ने छातों का इस्तेमाल किया था) को बरदाश्त करने का इच्छुक नहीं दिखता। उसे शिनच्यांग में बरती गई कड़ाई को लेकर पश्चिम की प्रतिक्रियाओं की भी परवाह नहीं है। क्रांति की शुरुआत करना, उसे राह दिखाने की तुलना में आसान है। यही कारण है कि कई जगह सत्ता परिवर्तन निरंकुश शासकों को हटाने वाले नागरिकों के लिए बेहतर नहीं साबित हुआ। किर्गिजस्तान में 2005 की ट्यूलिप क्रांति के बाद से हिंसा और अशांति बरकरार है। लीबिया की हालत खराब है, मिस्र में एक अधिनायकवादी शासक की जगह दूसरे ने ले ली है और यमन गृह युद्ध में उलझा है। सीरिया बरबाद हो चुका है, लेबनान का 2005 की सीडर क्रांति के बाद देश शासन लायक रह नहीं गया। यूक्रेन में विक्टर यानुकोविच को हटा दिया गया लेकिन वह सत्ता में वापस आए। यह बात और है कि उन्हें फिर हटा दिया गया। इतिहास बताता है कि क्रांति अपनी ही संतानों को खा जाती हैं। यदि आप विडंबना तलाश रहे हैं तो अजरबैजान प्रदर्शनकारियों को दूर रखने में कामयाब रहा जबकि पड़ोसी देश अर्मेनिया की सरकार 2018 में सत्ता से बेदखल कर दी गई। परंतु अजरबैजान ने हाल ही में अर्मेनिया के साथ एक छोटी लड़ाई में जीत हासिल की है। ऐसे में सवाल यह है कि कौन सा प्रदर्शन, कहां का लोकतंत्र, किसकी क्रांति और किस कीमत पर सफलता?
लेख प्रदर्शन की सार्थकता?
प्रदर्शन की सार्थकता?
Apple जल्द Samsung को पछाड़ बन जाएगी भारत की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्यातक !
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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने जम्मू-कश्मीर में पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती घोटाले संबंधी मामले में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक पूर्व कमांडेंट समेत 24 लोगों के खिलाफ शनिवार को आरोप पत्र दाखिल किया।
सीबीआई ने जम्मू में एक विशेष अदालत के समक्ष दाखिल अपने आरोप पत्र में कहा कि घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता रेवाड़ी निवासी यतिन यादव ने जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा का प्रश्न पत्र दिल्ली के ओखला स्थित एक छापाखाने के कर्मचारी प्रदीप कुमार कटियार के माध्यम से हासिल किया था।
अधिकारियों ने बताया कि यादव ने जम्मू-कश्मीर पुलिस एवं केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों और बिचौलियों के एक नेटवर्क का इस्तेमाल कर परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए 20-30 लाख रुपये खर्च करने के इच्छुक उम्मीदवारों को लक्ष्य बनाया। इस परीक्षा के माध्यम से जम्मू- कश्मीर पुलिस में 1,200 पदों को भरा जाना था। परीक्षा परिणामों की घोषणा चार जून को की गई थी।
आरोप पत्र में यादव, कटियार और बीएसएफ के पूर्व कमांडेट करनैल सिंह का नाम शामिल है। इनमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और बीएसएफ के कर्मी और बिचौलियों को भी शामिल किया गया है। इनमें से अधिकतर न्यायिक एवं पुलिस हिरासत में हैं।
सीबीआई ने पुलिस उपनिरीक्षकों की भर्ती के लिए 27 मार्च को आयोजित लिखित परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन के कहने पर इस साल तीन अगस्त को इस संबंध में मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में लेने के बाद हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 77 स्थानों पर छापे मारे थे।
सीबीआई ने जांच के दौरान यादव और पूर्व बीएसएफ कमांडेंट समेत 20 लोगों को गिरफ्तार किया। एजेंसी ने छापेमारी के दौरान 61.79 लाख रुपए नकद राशि बरामद की।
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इन दिनों इंस्टाग्राम पर एक अलग सी ही हवा बह चली है. दरअसल सैंडविच जैसे दिखने वाले जूतों ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वे इन 'सैंडविच जैसे जूतों' के शौकीन हैं या नहीं, इसलिए लोग इसके बारे में खूब चर्चा कर रहे हैं. यह सैंडविच जैसी आकार के स्नीकर्स ऐसे बनाए गए हैं, कि ये बिल्कुल सैंडविच की तरह दिख रहे हैं. इसको इतना शानदार तरीके के बनाया गया है कि 3D शाकाहारी लेदर, लेट्यूस, चीज और प्याज की लेयर्स भी बखूबी दिखाई दे रही हैं.
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, नए जूतों की एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा की गई और अब लोग जूतों इन जूतों के दीवाने हो रहे हैं. इनको पहनने पर लोगों को ऐसा लगता है कि उन्होंने सैंडविच को पैरों पर पहन रखा है. इंस्टाग्राम पर फोटो देखकर कुछ यूजर्स का कहना है कि उन्होंने 2022 की फैशन एक्सेसरी में इन जूतों की जोड़ी को शामिल किया है.
इन जूतों की कीमत £85 यानी करीब 8500 रुपये रखी गई है. इंस्टाग्राम पेज पर यह फोटो पोस्ट किए जाने के बाद, डॉल्स किल के 3. 8 मिलियन फॉलोअर्स हो गए और उनके पास जूतों से रिलेटेड कई सवाल आ रहे हैं.
कुछ क्रिटिसाइज करने वाले लोगों का कहना है कि कोई इसे कैसे बना सकता है. एक अन्य यूजर ने लिखा, 'इसे देखने के बाद तो सैंडविच खाने की इच्छा खत्म हो जाएगी. ' जबकि एक तीसरे यूजर ने इस 'बुरा प्रयोग' तक कह दिया. हालांकि लोग चाहे इसे पसंद करें यो क्रिटिसाइज करें लेकिन इसके बारे में चर्चा खूब हो रही है.
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Asia Cup 2023: एशिया कप 2023 में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले हाईवोल्टेज मैच को लेकर क्रिकेट फैंस उत्साहित हैं. अगर समीकरण सही बैठे तो वर्ल्डकप से पहले क्रिकेट फैंस को एक नहीं बल्कि तीन मैच चिर प्रतिद्वंदी टीम के बीच देखने को मिल सकते हैं.
Asia Cup 2023: एशिया कप 2023 का शेड्यूल सामने आ चुका है. टूर्नामेंट आयोजन 30 अगस्त से होने जा रहा है, इसकी मेजबानी हाईब्रिड मॉडल के तहत श्रीलंका और पाकिस्तान के पास होगी. एशिया कप का आयोजन वनडे फॉर्मेट में किया जाएगा. क्रिकेट फैंस की निगाहें भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच होने वाले मैच पर हैं. जानिए एशिया कप में दोनों टीमों के बीच कितने बार भिड़ंत हो सकती है.
बता दें कि एशिया कप में कुल 13 मैच खेले जाने हैं. टूर्नामेंट की शुरुआत 30 अगस्त 2023 को होगी जबकि इसका फाइनल मुकाबला 17 सितंबर 2023 को खेला जाएगा. इसमें कुल 6 टीमें भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और नेपाल हिस्सा ले रहे हैं. इनको दो ग्रुप में बांटा गया है. ग्रुप ए में भारत, पाकिस्तान और नेपाल है जबकि श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान ग्रुप बी में शामिल हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले हाईवोल्टेज मुकाबलों की बात करें तो वर्ल्डकप 2023 से पहले तीन ऐसे मौके बन रहे हैं जब दोनों चिर प्रतिद्वंदी टीम आपस में भिड़ सकती हैं. एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच 3 सितंबर को श्रीलंका के कैंडी स्टेडियम में मुकाबला खेला जाना पक्का है. इसके अलावा दोनों टीमों के बीच दो बार और भिड़ंत हो सकती है.
दरअसल, एशिया कप में हिस्सा ले रहीं 6 टीमों में दोनों ग्रुप से दो-दो टीमें सुपर-4 के लिए क्वालिफाई करेंगी. चूंकि ग्रुप ए में भारत और पाकिस्तान के अलावा नेपाल शामिल है, इसलिए दोनों की सुपर-4 में जगह लगभग पक्की मानी जा रही है. अगर ऐसा हुआ तो राउंड रॉबिन के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच 10 सितंबर को मुकाबला देखने को मिल सकता है. इसके बाद एक और मौका तब बन सकता है जब दोनों टीमें फाइनल में जगह बनाती हैं. तब 17 सितंबर को इनके बीच हाईवोल्टेज मैच देखने को मिल सकता है.
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बॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक करण जौहर के शो 'कॉफी विद करण' का सीजन 7 फैंस को खूब पसंद आ रहा है. सोशल मीडिया पर अक्सर शो के वीडियो वायरल होते रहते हैं. कुशा कपिला ने करण जौहर से पूछा, 'पिछले दो वर्षों में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त करने वाले कई एक्टर्स को अभी तक कॉफी विद करण में नहीं बुलाया गया है।
इन्हीं में से एक हैं तापसी पन्नू। क्या शो में बुलाने के लिए कोई जांच प्रक्रिया है? ' इस पर करण जौहर ने कहा, 'यह 12 एपिसोड का शो था, जिसमें आपको कॉम्बिनेशन चाहिए होता है। मैं तापसी से बस इतना ही कहना चाहता हूं कि हम एक कॉम्बिनेशन पर काम करेंगे और जब मैं उन्हें शो के लिए बुलाऊंगा और उन्होंने मुझे मना कर दिया, तो मुझे दुख होगा।
इसके साथ ही फिल्म इंडस्ट्री के कई सितारे कॉफी विद करण में अपनी हाजिरी लगा चुके हैं. इस बीच अपनी नई फिल्म 'दोबारा' को लेकर सुर्खियों में रह रहीं एक्ट्रेस तापसी पन्नू से पूछा गया कि वो करण जौहर के शो में नजर क्यों नहीं आती.
करण जौहर के वर्कफ्रंट की बात करें तो उनकी फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' अगले साल आने वाली है। समय यात्रा के रूप में एक अनूठी अवधारणा प्रस्तुत करने वाले 'दोबारा' की बात करें तो यह लंदन फिल्म महोत्सव और फंतासिया फिल्म महोत्सव 2022 जैसे प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में खुल गया है. 'मनमर्जियां' के बाद एक बार फिर 'दोबारा' में अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू साथ आए हैं.
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मोहन भागवत के एक बयान ने अखंड भारत की चर्चाओं को फिर से बल दिया है। जानते हैं कि यह सपना पूरा होने पर कैसा हो सकता है मानचित्र।
क्या RSS धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है? क्या RSS के अस्पताल केवल हिंदुओं के लिए होते हैं? इन सवालों से कभी उद्योगपति रतन टाटा भी जूझे थे।
जहाँगीर को लगता था कि आदिग्रन्थ के कुछ हिस्से मुस्लिम विरोधी हैं और उन्हें हटाना चाहिए। इनकार करने पर गुरु अर्जुन देव को सुनाई मौत की सज़ा उन्हें कैद में रख के जम कर प्रताड़ित किया गया था।
अमोघ लीला दास ने ईसाई मिशनरियों के बारे में बताया कि किस तरह से ये लोगों को जबरन ईसा मसीह की तरफ आकर्षित करते हैं।
एलन मस्क का कहना है कि ट्विटर में असीमित क्षमताएँ हैं। अगर ट्विटर ने उनके प्रस्ताव को नहीं माना तो वो अपनी हिस्सेदारी वापस ले सकते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान को अम्बेडकर जयंती के अवसर पर दिल्ली के LSR कॉलेज में व्याख्यान देने से रोक दिया गया।
भारत में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर सवाल उठाने वाले अमेरिका को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उसी की धरती पर करारा जवाब दिया है।
अमित शाह के हिंदी में कामकाज को बढ़ावा देने सम्बन्धी बयान पर राजनीति गरमा गई है। हमेशा की तरह, इस बार भी विरोध दक्षिण के राज्यों की तरफ से हुआ है।
राज्य में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ शिवराज सरकार द्वारा अपनाई गई 'बुलडोजिंग' नीति का जहाँ सराहना हो रही है वहीं इस एक्शन से काफी लोगों को मिर्ची लगी है।
दिल्ली के सरकारी स्कूल केवल हेडमास्टर विहीन ही नहीं हैं। शिक्षकों के सामने वेतन का भी संकट है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है।
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सरकारी गजट में प्रकाशित भी कर दिया गया है । इस खेदपूर्ण समाचारके मिलनेसे गांधीजी अकुला उठे, और जल्दीसे फिनिक्स के अपने संगी-साथियोंसे मिल-मुलाकर जोहान्सबर्ग के लिए चल पड़े ।
निःसन्देह उपरोक्त बिलकी शर्तें बहुत ही भयंकर और गर्क कर देनेवाली थीं । उसके पास होने और कानून बननेका स्पष्ट अर्थ था, भारतीयोंका दक्षिण अफ्रीकासे समूल विनाश ! इस भयंकर कानूनकी शर्तें इस प्रकारसे थीं : - (१) ट्रान्सवालमें बसनेकी इच्छा करने वाले हर एक भारतीय पुरुष, स्त्री और आठ या आठ वर्षसे ऊपर वाले बालक या बालिकाको एशियाई दफ्तर में अपना नाम लिखाकर परवाना प्राप्त करना, और पुराने परवानोंको अधिकारीको लौटा देना; (२) नाम लिखनेकी अर्जी में अपना नाम, स्थान, जाति, उम्र आदिका पूरा व्योरा देना; (३) शरीरकी मुख्य निशानियोंको नोट कराना, और तमाम उंगलियों तथा दोनों अंगुठोंकी छाप देना; (४) जो नियत समयके भीतर इस प्रकारकी अर्जी न दें, उन भारतीय स्त्री-पुरुषोंका ट्रान्सवालमें रहनेका हक रद कर दिया जाना; (५) अर्जी न करना एक अपराध माना जाना जिसके लिये जुर्माना, जेल वा देशनिकाले की सजा भी दी जा सकती है; (६) बच्चोंकी तरफसे माता-पिताको अर्जी देना होगा; (७) अर्जीदारको अपने परवाने हर किसी पुलिस अधिकारीको जहाँ और जिस वक्त मांगें, फौरन हाजिर कर देना चाहिये, वरना उसे जुर्माना अथवा कैदकी सजा दी जा सकती है; (८) परवाना जाँचनेके लिये अधिक लोग भारतीयोंके मकान में भी घुस जा सकते हैं । (९) जो भी भार१७६ |
राजधानी लखनऊ के अमौसी स्थित चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की कमान सोमवार से अडानी समूह के हाथों में आ गई है। एयरपोर्ट के निजी हाथों में जाने से अब करोड़ों रुपए की नई योजनाओं को गति मिलेगी।
राजधानी के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की कमान अब अडानी समूह के हाथों में आ गई है। अडानी समूह 03 वर्षों तक एयरपोर्ट प्रशासन के साथ मिलकर काम करेगा। एयरपोर्ट के निदेशक को छोड़कर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के करीब 124 एग्जीक्यूटिव, नॉन एग्जीक्यूटिव अधिकारी और कर्मचारी पहले की तरह काम करेंगे।
लखनऊ एयरपोर्ट पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी संभालता रहेगा। निजी हाथों में जाने के बाद आज से सीआईएसएफ अडानी समूह के निर्देशन में काम करेगा। एयरपोर्ट पर फायर फाइटिंग सिस्टम और इंजीनियरिंग सेवाओं से जुड़ी जिम्मेदारी भी अडानी समूह के अधिकारी संभालेंगे।
लखनऊ एयरपोर्ट पर अभी किसी सुविधा शुल्क को बढ़ाया नहीं गया है। इसके अलावा दिल्ली एयरपोर्ट की तर्ज पर यहां पर सुविधाएं बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। एयरपोर्ट पर समांतर टैक्सी-वे बनाने का कार्य शुरू हो गया है। आने वाले समय में एयरपोर्ट की जमीन पर मॉल और होटल बनेगा। इसके साथ ही यहां पर यात्रियों के लिए और सुविधाएं भी बढ़ेंगी।
एयरपोर्ट के निदेशक एके शर्मा ने बताया कि एयरपोर्ट के निजी हाथों में जाने से करोड़ों रुपए की लागत से नई योजनाओं को अब गति मिलेगी। इसमें करीब 1400 करोड़ रुपए की लागत से नए टर्मिनल टी-3 का निर्माण होना है। यहां पर 08 नए एप्रन बनाए जा रहे हैं। फायर फाइटिंग सिस्टम अपडेट होना है। इसके अलावा रनवे का विस्तार 2700 से 3500 मीटर होना है।
दरअसल लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को अडानी समूह को देने का फैसला काफी पहले लिया जा चुका है। फैसले के तहत अब एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
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नारियल तेल यह बात हम सभी जानते है कि नारियल तेल सिर की त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता है और यह बालों में सभी प्रकार के इन्फेक्शन और डेंड्रफ की आशंका को खत्म करता है। बाल धोने से एक रात पहले नारियल के तेल से सिर और बालों में अच्छी तरह से मसाज करें। यदि आप नारियल तेल को हल्का सा गर्म करके भी सिर पर मसाज कर सकते हैं। एलोवीरा भी आपको डेंड्रफ से राहत दे सकता है।
एलोवेराएलोवेरा बालों से लकर त्वचा तक आपको इसके गुणों से बहुत फायदा मिल सकता है। यह खोपड़ी पर स्किन यानी त्वचा को सूखने से बचाता है। एलोवेरा जेल अपनी खोपड़ी पर लगाकर 15 मिनट तक रखें और फिर बालों को नार्मल पानी से धो लें।
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राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल के 4 हजार 588 पदों के लिए 28 अक्टूबर से फिजिकल टेस्ट होगा। इसके लिए 21 अक्टूबर तक अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड राजस्थान पुलिस की ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी होंगे। 13 से 16 मई और 2 जुलाई को परीक्षा हुई थी। इसके लिए राजस्थान के 18 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने आवेदन किया था। 24 अगस्त को रिजल्ट जारी किया गया था।
राजस्थान पुलिस की भर्ती एवं पदोन्नति बोर्ड के पुलिस अधीक्षक डॉ रामेश्वर सिंह ने जारी किए आदेश।
कॉन्स्टेबल भर्ती में रिटन टेस्ट में शार्ट लिस्ट अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद फिजिकल टेस्ट क्लियर करने वाले अभ्यर्थियों को डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के लिए बुलाया जाएगा। इसमें मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को सिलेक्ट किया जाएगा।
राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल की परीक्षा में पास होने के लिए कैटेगिरी वाइज कटऑफ निर्धारित किया गया है। इसे क्वालिफाई करने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 40 प्रतिशत, ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को 35 प्रतिशत, एससी को 30 प्रतिशत और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को कम से कम 25 प्रतिशत अंक चाहिए होंगे।
- जिला पुलिस में कॉन्स्टेबल के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास है।
- आरएसी व एमबीसी बटालियन (बैंड सहित ) कॉन्स्टेबल पद के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं पास है।
- पुलिस दूरसंचार - फिजिक्स व मैथ्स के साथ साइंस में 12वीं पास होना जरूरी है।
- कॉन्स्टेबल ड्राइवर पद के लिए आवेदन के पास एक वर्ष पहले का बना ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए।
- राजस्थान पुलिस की वेबसाइट police. rajasthan. gov. in पर जाएं।
- Rajasthan Police Constable Recruitment Exam 2021 Result के लिंक पर क्लिक करें।
- अब रिजल्ट लॉगिन फॉर्म पर जरूरी डिटेल्स जैसे- रोल नंबर और डेट ऑफ बर्थ के जरिए भरकर सब्मिट करें।
- अब रिजल्ट पीडीएफ फॉर्मेट में आपके सामने होगा जिसमें अपना रोल नंबर चेक कर सकेंगे।
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पटना. पर्यटकों को गंगा नदी में सैर करने के लिए जल्द रो-रो वेसेल जहाज मिलने वाला है. जहाज का परिचालन करने के लिए इसी माह पर्यटन निगम और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के बीच एमयूएम होना है. जहाज को काेलकाता से गंगा नदी के रास्ते पटना लाया जायेगा. पटना लाने के लिए इसके लाइसेंस की प्रक्रिया चल रही है. यह जहाज भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का है. निगम पीपीपी मोड या सलाना राशि शुल्क पर एमयूएम होगा.
इस रो-रो वेसेल जहाज में 200 से अधिक पर्यटक के साथ-साथ चार ट्रक भी लोड करने की क्षमता है. वहीं चार पहिया वाहन भी लोड करने की सुविधा है. शुरुआत में ट्रायल के रूप में गायघाट से दीघा घाट तक परिचालन किया जाएगा. जहाज परिचालन को लेकर पर्यटन निगम के जीएम अभीजीत कुमार ने बुधवार को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण पटना के डायरेक्टर एल के रजक से मुलाकात की. जीएम ने बताया कि साकारात्मक बात हुई है.
पर्यटन विभाग के सूत्रों की मानें तो इस रो-रो वेसेल जहाज से एक साथ करीब 200 लोग यात्रा कर सकते हैं, जबकि 50 लोगों को एक साथ रेस्टोरेंट में बैठने की सुविधा होगी. इस जहाज से आप गंगा नदी की सैर तो करेंगे ही, साथ ही यात्रा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद ले सकेंगे. इसके अलावा इस वेसेल जहाज पर खाने-पीने की सुविधा होगी. जहाज के अंदर दो रेस्टोरेंट होंगे. बताया जा रहा है कि 50 से अधिक लोग वेसेल जहाज के रेस्टोरेंट में बैठकर एक साथ खाना खा सकेंगे.
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Dealing with a Breakup: प्यार-इश्क के रिश्तों में कई लोगों को ब्रेकअप (Breakup) की तकलीफ से भी गुज़रना पड़ता है। रिलेशनशिप जब खत्म होती है तो इससे दोनों ही पार्टनर्स की लाइफ पर असर पड़ता है। कुछ लोग कम समय में जल्दी ही इस दर्द (Breakup Pain) को भुलाकर आगे बढ़ जाते हैं तो, वहीं, कुछ लोगों के लिए ब्रेकअप का दर्द कई दिनों या महीनों तक परेशान करता है। हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपडा (Parineeti Chopra) ने पब्लिकली ब्रेकअप से जुड़े अपने अनुभव शेयर किए। अभिनेत्री ने बताया कि वह ब्रेकअप के बुरे दौर से गुज़र चुकी हैं और रिलेशनशिप टूटने के बाद वे बहुत निराश हो गयी थीं। लेकिन, उन्होंने खुद को संभाला और ज़िंदगी में आगे बढ़ने का फैसला भी किया। (Dealing with a breakup in Hindi. )
साइना नेहवाल (Saina Nehwal) की बायोग्राफी के कारण इन दिनों चर्चा में रहीं परिणीति ने कहा कि उन्हें अपने ब्रेकअप के बाद खुद से ही नफरत होने लगी थी। उन्होंने, ब्रेकअप के लिए खुद को ही ज़िम्मेदार मान लिया था। इसीलिए, वह हमेशा उदास और दुखी रहती थीं। अपने एक मीडिया इंटरव्यू में परिणीति चोपड़ा ने कहा कि ब्रेकअप (Parineeti Chopra Breakup) होने के बाद वह पूरी तरह टूट गयी थीं। परिणीति ब्रेकअप को अपनी ज़िंदगी के सबसे बुरे अनुभव के तौर पर याद करती हैं। परिणीति का कहना है कि ब्रेकअप के बाद उनकी लाइफ पूरी तरह बदल गयी थी। पर, अच्छी बात यह है कि अब वह संभल चुकी हैं। इस मुश्किल दौर से बाहर निकलने के लिए परिणीति ने क्या किया इसके बारे में उन्होंने खुद बताया।
परी कहती हैं कि मैं अपने दुख में इतना डूब गयी थी कि मुझे अपने परिवार के बारे में कुछ ख्याल ही ना रहा। लेकिन, फिर मुझे यह समझ में आया कि तकलीफ और नेगेटिव विचारों से बाहर निकलना ज़रूरी है। क्योंकि मेर परिवार को मेरी ज़रूरत है। मेरे परिवार की मदद से मैंने खुद को संभाला और मैं आज खुश हूं। (Parineeti Chopra talks about dealing with a breakup)
अभिनेत्री कहती है कि ब्रेकअप जैसी स्थितियों से गुज़रने वाले लोगों को रिलेशनशिप टूटने का दर्द इतना अधिक होता है कि वे अपनी मेंटल हेल्थ पूरी तरह बिगाड़ लेते हैं। वह खुद का लाचार समझते हैं और सामनेवाले को क्रूर। लेकिन, ब्रेकअप के बाद दोनों पक्षों के हालात की समीक्षा भी ज़रूर करें। अपने पार्टनर की भावनाओं को भी समझें और उसे या खुद को दोष देने की बजाय ज़िंदगी में आगे बढ़ें। (dealing with a breakup)
किसी को भी यह बात स्वीकार करने में तकलीफ होती है किसी ने उन्हें नकार दिया है। ऐसे में रिजेक्शन को बर्दास्त (dealing with rejection) कर पाना मुश्किल होता है। इसीलिए लोगों को बहुत अधिक दबाव और मानसिक परेशानियां महसूस होने लगती हैं। परिणीति ने स्वीकार किया है कि उन्हें भी इन सबसे गुज़रना पड़ा है। लेकिन, उन्होंने रिजेक्शन को स्वीकार किया और आंसू बहाने की बजाय खुद को स्ट्रॉन्ग बनाया। (tips for dealing with a breakup)
32 वर्षीय परिणीति चोपड़ा का मानना है आपकी भावनाओं को चाहे किसी से भी छुपाएं पर अपने घरवालों से नहीं। आपके मन में जो कुछ भी चल रहा है उसे अपनी फैमिली के साथ शेयर करें। इससे दिल का बोझ भी कम होगा और इस दुख से बाहर निकलने के रास्ते भी पता चलेंगे। (discussing about breakup with family)
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काफी जोरों शोरों से आखिरकार नथिंग फोन 1 ( Nothing Phone 1 ) 32,999 रुपये की शुरुआती कीमत पर लॉन्च हो गया है । यदि आप भाग्यशाली लोगों में से एक है जिन्हे को Nothing Phone 1 खरीदने के लिए आमंत्रण मिला है।
यदि कोई एक सर्वोत्कृष्ट ऐप है जिसे आपको परिवार और दोस्तों से जुड़े रहने की आवश्यकता है, तो वह है व्हाट्सएप। 2 बिलियन से अधिक लोगों द्वारा उपयोग किया जाने वाला, WhatsApp आपको मुफ्त में टेक्स्ट और फोटो , वीडियोस भेजने की सुविधा देता है। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ, आपकी व्यक्तिगत चैट और कॉल पूरी तरह से सुरक्षित है।
IFTTT एक ऑटोमेशन और वर्कफ़्लो ऐप है, जिसके इस्तेमाल से आप अपने रोज़मर्रा के कामों को सुव्यवस्थित और स्वचालित कर सकते है। IFTTT स्मार्ट होम इंटीग्रेशन प्रदान करता है, जिससे आप अपने स्मार्ट डिवाइस को सीधे ऐप से कनेक्ट कर सकते है। IFTTT ऑफ़र की एक विशेषता यह है कि जैसे ही आप अपने घर पहुंचते हैं, आपके घर की लाइटें अपने आप चालू हो जाती है। आप अपने सोशल मीडिया को IFTTT से भी एकीकृत कर सकते है और एक साथ कई प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर सकते है।
अगर आपने कभी दूसरी भाषा सीखने के बारे में सोचा है, तो डुओलिंगो आपके लिए सिर्फ एक ऐप है। छोटे पाठों और संवादात्मक खेलों के साथ, डुओलिंगो एक नई भाषा सीखने को अविश्वसनीय रूप से मजेदार बनाता है। डुओलिंगो आपसे नियमित रूप से पूछताछ भी करता है, ताकि आप अपनी प्रगति का रिकॉर्ड रख सकें।
Stitcher एक पॉडकास्ट है जिसकी लाइब्रेरी में हजारों मुफ्त पॉडकास्ट हैं। इसका इंटरेक्टिव और उपयोग में आसान इंटरफ़ेस और मीडिया प्लेयर पॉडकास्ट को नेविगेट करना और खेलना बहुत आसान बनाता है। आप अपनी पसंद के पॉडकास्ट को अपनी लाइब्रेरी में जोड़ सकते है और जब भी कोई नया एपिसोड रिलीज़ होगा तो यह अपने आप अपडेट हो जाएगा और आपको सूचित करेगा।
अपनी लाइब्रेरी में लाखों गानों और कलाकारों के साथ, Spotify संगीत स्ट्रीम करने के लिए एकदम सही ऐप है। जबकि Spotify पर संगीत स्ट्रीमिंग मुफ़्त है, आप विज्ञापनों से छुटकारा पाने और प्रीमियम सुविधाओं को अनलॉक करने के लिए प्रीमियम सदस्यता की सदस्यता ले सकते है।
स्लीप साइकल आपके सोने के पैटर्न को ट्रैक करता है और जब आप जागते है तो आपको अपने स्लीप साइकल का विस्तृत विश्लेषण देता है। स्लीप साइकल की सबसे दिलचस्प विशेषता इसकी स्मार्ट अलार्म घड़ी है जो आपको समय के साथ धीरे-धीरे जगाती है, इसलिए आपको ऐसा महसूस होता है कि आप स्वाभाविक रूप से जाग गए है और ऐसा नहीं है कि आप अचानक जाग गए।
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चुनावी महोत्सव अपने चरम पर है और इसमें भागीदारी करने वाले राजनैतिक दल, व्यक्ति भी पूरी तरह से उसके रंग में रंगे नजर आ रहे हैं. इसके अलावा इनसे ज्यादा खुमारी में इन दलों, व्यक्तियों के समर्थक हैं, जो नितांत अंध-भक्ति प्रदर्शित करने में लगे हैं. समर्थन देने, समर्थन करने, समर्थन लेने की अति-उत्साही प्रवृत्ति के बीच सभी इस बात को विस्मृत कर चुके हैं कि आगामी लोकसभा निर्वाचन महज एक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से देश के निचले सदन हेतु सदस्यों का निर्वाचन किया जाना है. ये प्रक्रिया राजनीति का अंग है, जो स्वयं अपने आपमें एक प्रक्रिया है. राजनीतिक प्रक्रिया के द्वारा देश के विकास से सम्बंधित, देश के नागरिकों से सम्बंधित नीतियों, योजनाओं का निर्माण, उनका क्रियान्वयन किया जाता है. इसी राजनैतिक प्रक्रिया द्वारा विदेश नीति का निर्धारण किया जाता है; विभिन्न देशों के साथ आर्थिक, वाणिज्यिक, व्यापारिक, सामरिक समझौते किये जाते हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राजनीति के द्वारा देशहित में व्यापक निर्णय लिए जाते हैं. इसके बाद भी वर्तमान में देखने में आ रहा है कि राजनीति को गाली देने वालों की, राजनीति को युद्ध बना देने वालों की, राजनीति को गन्दा कर देने वालों की संख्या नित्य बढ़ती ही जा रही है.
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आम आदमी से लेकर मीडिया तक सभी जगह राजनीति को विकृत स्वरूप में दिखाए जाने की, चर्चा किये जाने की आदत सी बन गई है. किसी भी प्रत्याशी के चुनाव लड़ने को युद्ध से कम करके नहीं देखा जा रहा है; उसके निर्वाचन करने के स्थानों उसके बहादुर, कायर होने से जोड़ा जा रहा है; खुद का चुनाव लड़ना संघर्ष बताया जा रहा है; जान चली जाए पर हार नहीं मानेंगे जैसे जुमले उछाले जा रहे हैं. समझ से परे है कि ऐसे लोग, ऐसी मीडिया, ऐसे राजनैतिक दल चुनाव मैदान में उतरे हैं अथवा किसी रणक्षेत्र में, जहाँ कायर, डरपोक, जान, संघर्ष आदि का होना आम दीखता है. ये देश की सबसे बड़ी बिडम्बना है कि यहाँ नागरिकों को और राजनीतिज्ञों को लोकतान्त्रिक व्यवस्था के प्रति जागरूक करने हेतु किसी तरह की व्यवस्था नहीं की जा सकी है. आज भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था, निर्वाचन प्रक्रिया, राजनीतिक प्रक्रिया आदि के बारे में संवेदना के स्थान पर उदासीनता ही दिखाई देती है. सभी दलों में अप्रत्यक्ष सा लोकतंत्र दिखाई देता है; एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द दल घूमते दिखते हैं; खुद को लोकतान्त्रिक बताकर शेष सभी को अलोकतांत्रिक बताने की मानसिकता दिखती है; खुद को ईमानदार बाकी को चोर बताने की क्षुद्रता दिखाई देती है; व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर अराजकता फैलाया जाना जायज बताया जाता है. ऐसी स्थितियाँ समाज में राजनीति के प्रति, लोकतंत्र के प्रति गलत अवधारणा का विकास करती हैं.
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लोकतंत्र की रक्षा के लिए, राजनीति की शुचिता के लिए काम करने का जज्बा अत्यंत कम लोगों में दीखता है. जो लोग काम भी कर रहे हैं, वे भी कहीं न कहीं राजनीतिक लोलुपता का शिकार होकर किसी दल विशेष से, व्यक्ति विशेष से प्रभावित होकर उसी की चाटुकारिता करने में लग जाते हैं. किसी दल के पदाधिकारियों का, निर्वाचित सदस्यों का, मंत्रियों आदि का अपने-अपने दल का समर्थन करना, अपने नेताओं की चाटुकारिता करना समझ में आता है किन्तु एक सामान्य समर्थकों का अंध-भक्ति दिखाना भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए घातक है, राजनैतिक प्रक्रिया में अवरोधक बनना है. इसमें मीडिया पूरी तरह से उत्प्रेरक की भूमिका में है. वर्तमान में यही हो रहा है, जिससे राजनीति को नुकसान हो रहा है, राजनैतिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्षरण दिख रहा है. राजनैतिक दलों को, राजनीतिज्ञों को, उनके समर्थकों को, मीडिया को समझना होगा कि राजनीति एक प्रक्रिया है कोई युद्ध नहीं; निर्वाचन इस प्रक्रिया का एक चरण मात्र है कोई संग्राम नहीं, जहाँ कायर-वीर-शहीद-संघर्ष-शहादत जैसी स्थितियाँ बनती दिखती हों.
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दौराला लावड़ मार्ग पर पनवाड़ी मंदिर के सामने पुलिस ने एक कंटेनर से 18 बैल पकड़े है। पुलिस ने एक आरोपी को दबोच लिया, लेकिन दूसरा आरोपी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। फिलहाल पुलिस फरार आरोपी की तलाश में जुटी हुई हैं।
पकड़े गए बैलों में कई बैल ऐसे भी है जिनकी हालत गंभीर है। बैलों को पंजाब से मुरादाबाद ले जाया जा जा रहा था। आरोपी नावेद रामपुर निवासी है। वहीं भाजयुमो जिला मंत्री मनिंदर विहान और मंडल मंत्री विक्रांत ढाका कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और बैलों का उपचार कराया। पुलिस भी मामले की जांच कर रही हैं।
पुलिस को इस बात की जानकारी तब हुई जब कुछ लोगों ने दो आरोपियों को चोरी से 18 बैल ले जाते देखा और उन्होंने तुरंत फोनकर पुलिस को सूचना दी। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और 18 बैलों के साथ एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि एक आरोपी फरार हो गया जिसे ढूढंने में पुलिस लगी हुई हैं।
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विकी कौशल और कैटरीना कैफ की जोड़ी शादी के बाद से ही काफी चर्चा में बनी हुई है। विकी अपनी पत्नी कैटरीना को लेकर काफी कुछ बोलते रहते हैं और कभी भी अपना प्यार दिखाने से पीछे नहीं हटते हैं। इसी बीच विकी ने एक इंटरव्यू में अपनी पत्नी की खूब तारीफ की है। विकी ने कैटरीना की तारीफ करते हुए कहा, 'कैटरीना कैफ आज जो भी हैं, अपने दम पर हैं। उन्होंने इसके लिए काफी मेहनत की हैं। मैं उनका दिल से सम्मान करता हूं। मैं और कैटरीना एक-दूसरे की रिस्पेक्ट करते हैं। ' इसके बाद विकी कौशल ने कैटरीना कैफ को हेमा मालिनी से कंपेयर कर दिया। विकी ने कहा, 'कैटरीना भी हेमा मालनी की तरह बॉलीवुड को इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर रिप्रेजेंट करती हैं। ' बता दें कि दोनों साल २०२१ में शादी के बंधन में बंधे थे।
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MP Heavy Rainfall Alert: एमपी के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने इन इलाकों में बारिश के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही भोपाल में भी गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना व्यक्त की है।
भोपालः एमपी (mp today rainfall alert) के कुछ जिलों में बारिश की गतिविधियां अभी थम गई हैं। वहीं, मौसम विभाग ने एमपी के एक दर्जन के करीब जिलों में बारिश के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। राजधानी भोपाल में रविवार को दोपहर बाद बादल छाए रहे हैं। राज्य के कुछ स्थानों पर बारिश भी हुई है। इसके साथ ही मौसम विभाग के कुछ जिलों के लिए भारी बारिश की चेतावनी भी दारी की है। मौसम विभाग भोपाल सर्कल के अधिकारी ने कहा कि मानसून ट्रफ हिमालय की तलहटी पर है।
मौसम विज्ञानियों ने कहा कि पूर्वी उत्तर और पड़ोस के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। एक उत्तर दक्षिण ट्रफ रेखा पूर्वी विदर्भ से दक्षिण तटीय क्षेत्र में आंध्र प्रदेश तक जाती है। राज्य के कुछ हिस्सों में बारिश जारी रहेगी। वहीं, रविवार को भोपाल में अधिकतम तापमान 29. 7 डिग्री सेल्सियस रेकॉर्ड किया गया है। न्यूनतम तापमान में 23. 2 डिग्री सेल्सियस रेकॉर्ड किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में सुबह साढ़े आठ बजे से शाम को साढ़े पांच बजे तक मंडला में 32 एमएम, सतना में 31 एमएम, खजुराहो में 26. 4 एमएम, दमोह में 18 एमएम, उमरिया में 11 एमएम, रीवा में तीन एमएम, सीधी में तीन एमएम, जबलपुर में 0. 7 एमएम बारिश हुई है। इसके साथ ही छिंदवाड़ा और नौगांव में भी बारिश होती रही है।
मौसम विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल में सोमवार को भी आसमान में बादल छाए रहेंगे। इसके साथ ही शहर के कुछ हिस्सों में गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना है। दिन में अधिकतम तापमान 29 और रात में 23 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। राज्य पूर्वानुमान के अनुसार कुछ जगहों पर भारी बारिश हो सकती है। इसमें नर्मदापुरम और रीवा संभाग शामिल है। साथ ही सीहोर, उमरिया, डिंडौरी, कटनी, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, पन्ना और छतरपुर में भी बारिश होगी।
इसके साथ ही मौसम विभाग ने नर्मदापुरम, भोपाल, शहडोल, रीवा, जबलपुर और सागर संभाग में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की संभावना व्यक्त की है। इसमें बुरहानपुर, खंडवा और खरगोन भी शामिल है।
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भारत व अमेरिका के वैज्ञानिकों ने शोध में ऐसे जींस की पहचान की है, जो मूंगफली की अधिक पांचक किसमें विकसित करने में मददगार साबित हो सकते हैं, मूंगफली की ये किस्में खनिजों की कमी से होने वाले कुपोषण को दूर करने का जरिया बन सकती हैं।
गुजरात के जूनागढ़ में स्थित मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान और भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान और अमेरिका की फ्लोरिडा एग्रीकल्चर ऐंड मैकेनिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को एक संयुक्त अध्ययन में यह सफलता मिली है।
वैज्ञानिकों ने मूंगफली में फाइटिक एसिड के संश्लेषण से एएचपीआईपीके1, एएचआईपीके2 और एएचआईटीपीके1 नामक जीन्स की पहचान की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन जीन्स के उपयोग से कम फाइटिक एसिड वाली मूंगफली की किस्में बनायी जा सकती हैं।
मूंगफली में मौजूद खनिजों की प्रचुर मात्रा की वजह से इसे एक संपर्ण आहार माना जाता है। मूंगफली में 2-3 प्रतिशत तक खनिज होते हैं। इसको आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, सोडियम और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत माना जाता है।इसमें मैंगनीज, तांबा, जस्ता और बोरान की भी कुछ मात्रा पायी जाती है।
इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अण्डों से 2.5 गुना एवं फलों से आठ गुना अधिक होती है। मूंगफली में मौजूद विभिन्न प्रकार के 30 विटामिन और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद खनिज कुपोषण से लड़ने में मददगार हो सकते हैं। मूंगफली में पाए जाने वाले फाइटिक एसिड जैसे तत्व पाचन के समय आयरन और जिंक के अवशोषण में रुकावट पैदा करते हैं। मूंगफली में फाइटिक एसिड 0.2-4 प्रतिशत होता है और इसके जीनोटाइपों में फाइटिक एसिड की मात्रा में बहुत अधिक विविधता देखी गई है। गेहूं, मक्का एवं जौ की तुलना में उच्च फाइटिक एसिड और अरहर, चना, उड़द एवं सोयाबीन की अपेक्षा मूंगफली में निम्न अकार्बनिक फॉस्फोरस पाया जाता है।
मनुष्यों में फाइटिक एसिड या फाइटेट को पचाने में असमर्थता के कारण मूंगफली के सेवन से पाचन में समस्या हो जाती है और ये शरीर से पाचन हुए बिना ही बाहर निकल जाते हैं। इस तरह अवांछित फाइटिक एसिड पर्यावरण में प्रदूषण और जल यूट्रोफिकेशन यानी जल में पादप पोषकों की मात्रा को बढ़ावा देते हैं।
फाइटिक एसिड के जैव-संश्लेषण में शामिल जीन्स को आणविक प्रजनन या जीनोमिक सहायता प्रजनन प्रक्रियाओं द्वारा अप्रभावी बनाकर अन्य प्रचलित अनाजों जैसे मक्का, बाजरा और सोयाबीन की निम्न फाइटिक एसिड वाली ट्रांसजेनिक किस्में बनाई जा चुकी हैं, परन्तु मूंगफली के लिए अभी इस तरह के प्रयास बहुत सीमित हैं। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि निम्न फाइटिक एसिड वाली मूंगफली का विकास समय की मांग है। यदि मूंगफली में फाइटिक एसिड की मात्रा को कम किया जा सके तो इसके अन्य पोषक तत्वों का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।
अध्ययनकर्ताओं के दल में बी.सी. अजय के अलावा डी. केंबिरंदा, एस.के. बेरा, नरेंद्र कुमार, के. गंगाधर, आर. अब्दुल फैयाज और के.टी. राम्या शामिल थे। यह अध्ययन हाल में शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित किया गया है।
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देश के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों में नया अकादमिक सत्र 1 दिसंबर से शुरू होगा। वहीं कोरोना महामारी को देखते हुए प्रवेश प्रक्रिया की समय सीमा को और बढ़ाया गया है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने सोमवार को इस आशय की जानकारी दी। कोरोना के दिशानिर्देश के मुताबिक क्लास ऑनलाइन, ऑफलाइन या मिश्रित रूपों में चलेंगी।
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बॉलीवुड की 'बार्बी गर्ल' कैटरीना कैफ ने शाहिद कपूर के साथ काम करने से इंकार कर दिया. उन्होंने शाहिद कपूर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' में काम करने से मना कर दिया.
बताया जा रहा कि कैटरीना इस फिल्म को करना चाहती थीं. लेकिन डेट्स नहीं होने की वजह से उन्होंने ऐसा किया. इस फिल्म में उनका किरदार उत्तराखंड की एक वकील का था. लेकिन डेट्स नहीं होने का कारण उन्हें यह प्रॉजेक्ट छोड़ना पड़ा.
इस रोल के लिए कैटरीना को छोटे शहर की लड़की जैसा लुक लेना पड़ता और उत्तराखंड में बोली जाने वाली भाषा का उच्चारण सीखना पड़ता. यह सब करने के लिए कैटरीना को काफी समय की जरूरत थी. इसलिए कटरीना ने फिल्म के शुरुआती चरण में ही खुद को इससे अलग कर लिया.
कैटरीना इन दिनों आनंद एल रॉय की फिल्म में व्यस्त हैं जिसमें शाहरुख खान एक बौने व्यक्ति की भूमिका निभा रहे हैं. इसके अलावा कैटरीना 'ठग्स ऑफ हिंदुस्तानी' की शूटिंग कर रही हैं.
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मध्य प्रदेश के विदिशा शहर से दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। घर से 12 वीं क्लास का पेपर देने निकले 4 दोस्तों की सड़क हादसे में एक ट्रैक्टर ने कुचल दिया। जिसमें 2 की जान चली गई जबकि दो गंभीर स्टूडेंट को बेहतर इलाज के लिए भोपाल रेफर किया गया है।
विदिशा (vidisha news). इस समय मध्य प्रदेश में बोर्ड एग्जाम का दौर चल रहा है। कई स्टूडेंट का एग्जाम सेंटर दूर होने के चलते वे अपने निजी वाहन लेकर परीक्षा देने जा रहे है। इसके चलते वे हादसों का भी शिकार हो रहे है। ताजा मामला प्रदेश के विदिशा शहर से सामने आया है। यहां एक ट्रैक्टर से कुचले जाने 4 स्टूडेंट में 2 की दर्दनाक तरीके से जान चली गई है, वहीं गंभीर घायलों के इलाज के लिए भोपाल रेफर किया गया है। घटना शहर के पामारिया और सेऊ गांव के बीच हुई है। नटेरन पुलिस थाना मामले की जांच कर रही रहै।
मामले की जांच कर रही पुलिस ने बताया कि आज के दिन 12 क्लास का पेपर होने के चलते 4 दोस्त बाइक लेकर अपने एग्जाम सेंटर के लिए निकले। वे साऊ गांव एग्जाम देने जा रहे थे। इसी दौरान रास्ते में उनकी गाड़ी सामने से आ रहे ट्रै्क्टर-ट्रॉली से टकरा गई। हादसे के बाद पीड़ितों की बाइक स्लिप होकर ट्रॉली के नीचे आ गई जिससे की उसका पहिया उन चारों के ऊपर से गुजर गया। इस दौरान पीड़ितों की बाइक भी चकनाचूर हो गई। चारों छात्रों की पहचान मनोहर मीणा, सौरभ मीणा, प्रहलाद मीणा और अरविंद मीणा के रूप में हुई। जहां प्रहलाद की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक स्टू़डेंट ने इलाज के लिए जाने के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं बाकी दो घायलों का प्राथमिक उपचार के बाद भोपाल के लिए रेफर कर दिया गया है।
घटना देख रहे लोगों ने बताया कि हादसा इतना भीषण था कि जैसे ही ट्रैक्टर की ट्रॉली का पहिया बाइक और छात्रों के ऊपर से चढ़ा तो उसका टायर फट गया जिससे की ट्यूब बाहर आ गया। घटना के बाद आरोपी ट्रैक्टर चालक मौके पर अपना वाहन छोड़कर फरार हो गया। बीच रास्ते पर वाहन छोड़कर जाने के चलते वहां ट्रैफिक जाम हो गया। आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही नटेरन थाना पुलिस पहुंची और ट्रेक्टर को रास्ते हटवाया और घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया। इसके साथ ही पुलिस ने आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज कर आरोपी ट्रैक्टर चालक की तलाश कर रही है।
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16 फरवरी, नई दिल्ली (CRICKETNMORE)> भारतीय क्रिकेट के महान दिग्गज सुनील गावस्कर ने दो टूक बयान देते हुए कहा है कि टेस्ट क्रिकेट में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव कमाल का परफॉर्मेंस कर भारत को जीत दिला सकते हैं।
गौरतलब है कि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल ने साउथ अफ्रीकी टीम के खिलाफ वनडे सीरीज में कमाल करते हुए अभी तक आपस में 30 विकेट से ज्यादा बांट चुके हैं।
ऐसे में सुनील गावस्कर ने बयान देते हुए कहा कि अगर युजवेंद्र और कुलदीप को टेस्ट क्रिकेट में भी मौका मिलता है तो यकिनन भारत की टीम को टेस्ट जीता सकने में बराबर भूमिका निभा सकते हैं।
गावस्कर ने एक न्यूज पेपर में लिखे अपने कॉलम में ये भी कहा कि कुलदीप मे टेस्ट क्रिकेट में खुद को साबित कर दिया है और अब समय आ गया है युजवेंद्र चहल के लिए भी।
सुनील गावस्कर ने ये भी कहा कि जिस तरह से बुमराह ने टेस्ट क्रिकेट में परफॉर्मेंस किया है वो शानदार रहा है। उन्हें विश्वास है कि आने वाले समय में युवा गेंदबाज भारत को विदेशों में जीत दिलाते रहेगें।
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