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विश्व कप 2019 इंग्लैंड और वेल्स में खेला गया. इस विश्व कप का फाइनल मैच इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेला गया. इस बार के फाइनल ने अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड की टीम ने 241 रन बनाए. इस लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड की टीम भी 50 ओवर में 241 रन ही बना पायी.
मैच सुपर ओवर में गया. जहाँ पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड की टीम ने 15 रन बनाए. जबकि न्यूजीलैंड की टीम ने भी 15 रन बनाए उसके बाद मैच में किस टीम ने सबसे ज्यादा बाउंड्री जड़े इस आकड़े को देखा गया और मैच का विजेता इंग्लैंड को घोषित किया गया. क्योंकी इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड की टीम से 9 बाउंड्री ज्यादा मारी थी.
इंग्लैंड की टीम पहली बार विश्व कप जीतने में सफलता पाई. इस विश्व कप में कई युवा खिलाड़ियों ने अपने प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया है. जिनमें से पांच खिलाड़ियों के बारें में हम आपको बता रहे हैं.
1. जोफ्रा आर्चर (इंग्लैंड)
इंग्लैंड की टीम के लिए इस तेज गेंदबाज ने शानदार प्रदर्शन किया. इस तेज गेंदबाज ने पूरे टूनामेंट में विपक्षी बल्लेबाजों को अपने गति से परेशान किया है. 2019 के विश्व कप में जोफ्रा आर्चर ने 11 मैच खेले. जिसमें उन्होंने 24. 40 की औसत से और 4. 75 की इकॉनमी रेट से रन देकर 20 विकेट चटकाए.
इस तेज गेंदबाज ने शुरूआती ओवरों में अपनी टीम के लिए विकेट निकाले और आखिरी के ओवरों में सधी हुई गेंदबाजी करके ज्यादा रन बनाने से रोका. फाइनल मैच में जिस तरह से इस गेंदबाज ने आखिरी ओवरों में गेंदबाजी की वो काबिलेतारीफ रहा था.
उसके बाद सुपर ओवर में एक छक्का खाने के बाद भी खुद पर दवाब नहीं आने दिया. ये खिलाड़ी बल्लेबाजी करने की क्षमता भी रखता है. इस खिलाड़ी की उम्र मात्र अभी 24 वर्ष की है. जोफ्रा आर्चर का ये पहला विश्व कप था. उनके प्रदर्शन को देखकर साफ़ पता चलता है की इस खिलाड़ी का भविष्य उज्ज्वल है.
2. निकोलस पूरन (वेस्टइंडीज)
वेस्टइंडीज के इस युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ने अपनी बल्लेबाजी से सभी को बहुत प्रभावित किया. निकोलस पूरन की लंबे शॉट खेलने की क्षमता के सभी कायल हो गये. 2019 के विश्व कप में इस खिलाड़ी ने 8 पारियों में 367 रन बनाए. जिसमें 1 शतक और 1 अर्द्धशतक भी शामिल था.
मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने वाला ये खिलाड़ी पारियों की बुनने की कला में माहिर नजर आया. मुश्किल परिस्थितियों में इस बल्लेबाज ने वेस्टइंडीज की टीम को अकेले संभाला और उस मैच में शानदार शतक भी जड़ा.
निकोलस पूरन ने स्पिनर और तेज गेंदबाजो को बहुत आराम से खेला. बीच के ओवरों में ये खिलाड़ी आसानी से स्ट्राइक रोटेट कर रहा था. पूरन की बल्लेबाजी देखने वाले सभी पूर्व खिलाड़ियों ने कहा की इस युवा खिलाड़ी का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल होने वाला है. इस खिलाड़ी की उम्र अभी मात्र 23 वर्ष की है.
3. अविष्का फ़र्नांडो (श्रीलंका)
श्रीलंका के इस युवा खिलाड़ी को विश्व कप में बहुत बाद में खेलने का मौका मिला, लेकिन इस खिलाड़ी ने उस कम मौके में भी शानदार प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा सभी को दिखा दी. 2019 के विश्व कप में अविष्का फ़र्नांडो ने श्रीलंका के लिए 4 पारियों में 203 रन बनाए. जिसमें एक शतक भी शामिल था.
ये खिलाड़ी इस विश्व कप में श्रीलंका के लिए एकमात्र सकरात्मक खोज रहा. इस खिलाड़ी ने जिस तरह से इस विश्व कप में अपने शॉट खेले. जो सिर्फ देखने के लायक थे. अविष्का फ़र्नांडो ने स्पिनर और तेज गेंदबाज दोनों को बहुत ही आसानी से खेला.
इस खिलाड़ी ने इंग्लैंड के खिलाफ अपनी 48 रनों की पारी से बता दिया था की मेरा भविष्य कितना उज्जवल है. लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में लगाया गया शतक ने श्रीलंका के पूर्व खिलाड़ियों की याद दिला दी. इस खिलाड़ी की उम्र मात्र अभी 21 वर्ष की है.
बांग्लादेश के लिए इस विश्व कप में बहुत कुछ सकरात्मक हुआ जिसमें से एक युवा गेंदबाजी आलराउंडर मोहम्मद सैफुद्दीन का प्रदर्शन भी रहा. इस खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से सभी को बहुत ज्यादा प्रभावित किया. 2019 के विश्व कप में मोहम्मद सैफुद्दीन ने 6 मैच में 13 विकेट लिए. इस गेंदबाज के पास गति भी अच्छी है.
मोहम्मद सैफुद्दीन ने इस विश्व कप में बल्लेबाजी करते समय भी सभी को प्रभावित किया. इस बल्लेबाज ने जिस तरह से भारतीय गेंदबाजो के सामने खेला वो काबिलेतारीफ रहा. भारत के खिलाफ इस खिलाड़ी ने शानदार अर्द्धशतक जड़ा था.
सैफुद्दीन इस विश्व कप में बांग्लादेश के दुसरे सबसे सफल गेंदबाज रहे. पहले नंबर पर मुस्ताफिजुर रहमान का नाम था. बांग्लादेश की टीम को इस खिलाड़ी पर कितना भरोसा था ये उस समय पता चला जब अनुभवी रूबेल हुसैन को बाहर बिठा पर इस खिलाड़ी को खेलने का मौका दिया गया. इस खिलाड़ी की उम्र मात्र अभी 22 वर्ष की है.
पाकिस्तान की टीम के लिए इस विश्व कप में सबसे सकरात्मक बात युवा तेज गेंदबाज शाहीन शाह आफरीदी की गेंदबाजी रही. इस खिलाड़ी ने इस विश्व कप में अपने प्रदर्शन से सभी को बहुत प्रभावित किया. 2019 के विश्व कप में शाहीन आफरीदी ने मात्र 5 मैच खेले जिसमें उन्होंने 16 विकेट हासिल किये.
बायें हाथ के तेज गेंदबाज शाहीन आफरीदी ने बांग्लादेश के खिलाफ मैच में 6 विकेट लिए. वो विश्व कप में ऐसा करना वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी भी बने. इस खिलाड़ी ने शुरूआती ओवरों में बल्लेबाजों को अपने गति से खूब परेशान किया.
इस खिलाड़ी ने अफगानिस्तान के खिलाफ भी बहुत ही शानदार गेंदबाजी की थी. इस तेज गेंदबाज ने साबित किया की पाकिस्तान से अच्छे तेज गेंदबाज हमेशा आते रहेंगे. मात्र 19 वर्ष के इस खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से सभी पूर्व खिलाड़ियों को ये कहने पर मजबूर कर दिया की, शाहीन आफरीदी का भविष्य बहुत ही उज्जवल है.
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कलेक्ट्रेट सभागार में सोमवार को देर शाम जिलाधिकारी शम्भु कुमार की अध्यक्षता में अन्तर विभागीय समन्वय बैठक आयोजित की गई। जिसमें 1 से 31 अक्तूबर तक आयोजित होने वाले संचारी रोग नियंत्रण अभियान तथा 28 सितम्बर से 7 अक्टूबर तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को सफल बनाने की चर्चा की गई।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुरेश सिंह ने बताया कि 1 से 31 अक्तूबर तक चलने वाले संचारी रोग नियंत्रण अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए जिले के सम्बन्धित 11 विभागों का राज्य स्तर से प्रशिक्षण करा दिया गया है। इसके अतिरिक्त 29 सितम्बर तक ब्लाक स्तर के समस्त कर्मचारियों, प्रधानों आदि का भी प्रशिक्षण करा दिया जाएगा। कोविड-19 संक्रमण के कारण उद्घाटन कार्यक्रम नहीं किया जाएगा। अभियान के दौरान सभी 11 विभाग संचारी रोगों से बचाव के लिए कार्य योजना के आधार पर कार्य करेंगे तथा 15 अक्तूबर तक आशा घर-घर जाकर दस्तक अभियान संचालित करेंगी।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार घर-घर जाकर कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए संचारी रोगों से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करें। साथ ही कोविड-19 से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। लक्षणयुक्त मरीजों की लाइन लिस्टिंग करते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तत्काल सूचित किया जाए। अभियान के दौरान फरवरी से अगस्त तक के मध्य जन्में बच्चों का भी लाइन लिस्टिंग करें जिससे 15 अक्तूबर के बाद कार्य योजना बनाकर इन बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण कराया जा सके। उन्होंने सभी सम्बन्धित विभागों को निर्देश दिया कि कार्य योजना के अनुसार स्वच्छता, सफाई, एंटीलार्वा छिड़काव, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, सुअर बाड़ों के संचालकों का संवेदीकरण आदि कार्य लक्ष्य के अनुरूप सुनिश्चित कराएं।
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पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज शॉन टैट (Shaun Tait) पाकिस्तान के गेंदबाजी कोच के रूप में अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान टीम के गेंदबाजों की तेज गति और आक्रामकता को बरकरार रखना चाहते हैं.
टैट ने 2016 में ऑस्ट्रेलिया के लिए अपना आखिरी टी20 खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. वह पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में टी 20 विश्व कप के दौरान अफगानिस्तान के गेंदबाजी कोच थे लेकिन उन्होंने दिसंबर में टीम का साथ छोड़ दिया था.
पाकिस्तान के लिए अगला एक साल काफी व्यस्त रहने वाला है. टीम को इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की मेजबानी के साथ-साथ एशिया कप के लिए श्रीलंका का दौरा करना है. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में टी 20 विश्व कप में खेलना है.
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दर्शन से सम्बन्धित विशिष्ट निवन्धो का भी संग्रह होगा जो प्रशसनीय पहल है।
मेरी दृष्टि मे यह ग्रन्थ उन परम्पराओ को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में आगे बढ़ाते हुए पूरे समाज के लिए ही नही, समूचे मानव समाज के लिए भी उपयोगी बने, यही कामना है । ।
श्री सम्पादक जी को इस दुर्गम पथ पर सफ लतापूर्वक चलते रहने की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
श्री सुशीलकुमारजी छजलानी ( सघ मन्त्री, श्री जैन श्वे० तपागच्छ सघ, जयपुर । )
परम विदुषी परमादरणीया, प्रवर्तिनी जी, श्री सज्जनश्रीजी महाराज के अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन का प्रयास प्रशसनीय एव स्तुत्य है ।
पूज्य प्रवर्तिनी श्री के दर्शन एव उपदेश श्रवण आत्मबोध की गहरी अनुभूति जागृत करते है। आपकी अद्वितीय सरलता, विनय एवं गहन अध्ययन पूर्ण जैन समाज की अनमोल निधि हैं ।
प्रवर्तिनी जी की गहन साधना एवं अध्ययन का आधार, उपदेश के माध्यम से, हम भविको को आत्मबोध जागृत करने के लिए मिलता रहे । आप दीर्घायु हो एव जैन शासन की सेवा मे रत रहे यही शासन देव से प्रार्थना है । तपागच्छ सघ, जयपुर की ओर से एव मेरी ओर से इस पुनीत अवसर पर इसके आयोजको को उनके प्रयास मे सफलता की हृदय से कामना करता हूँ एव बधाई देता ।
[] श्री सघ, ब्यावर
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ सघ व्यावर द्वारा प्रवर्तिनी महोदया श्री सज्जनश्रीजी महाराज सा का भाव भीना अभिनन्दन करते हुए अत्यन्त हपं हो रहा है ।
खण्ड २ आशीर्वचन शुभकामनाएँ
आपश्री का जीवन सदैव मानव कल्याण के प्रति सदा सलग्न एव तत्पर रहा । आपकी आवाज मे ओजस्विता एव वाणी मे मधुरता रूपी अमृत पाया जाता है जिसका आस्वादन प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। आप त्याग वैराग्य, समता, सहिष्णुता, सरलता, सहजता की प्रतिमूर्ति हैं ।
आप आगमो की ज्ञाता है एव प्रत्येक विषय का प्रतिपादन एव विवेचन बहुत ही सुन्दर ढंग से करती है । आपश्री का ज्ञान गूढ, गहन एव गम्भीर है।
पुन अन्तस्भावेन करबद्ध नतमस्तकेन परम पवित्र पादारविन्दो की कोटिश वन्दना करते हुए यही इप्टदेव से प्रार्थन करते है कि आपश्री शतायु दीर्घायु बनें एवं समय-समय पर हम सभी को सतर्क सावधान सचेत जाग्रत करती रहे ।
→ श्री त्रिलोकचन्दजी गोलेच्छा
( मत्री श्री जैन युवा परिषद्, जयपुर ) भगवान महावीर के बताये 'विश्ववात्सल्य' के मार्ग का अनुसरण करते हुए सेवा, त्याग, तप व सयम के मार्ग का प्रचार करते हुए प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी म० सा० ने भारत के साध्वी समाज मे विशेष स्थान प्राप्त किया है ।
आपके ८१ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर प्रकाशित 'ग्रन्थ' द्वारा 'श्री जैन युवा परिषद्' जयपुर आपका अभिनन्दन करती है व वीतराग प्रभु से आपके दीर्घ आयु की मगलकामना करती है । हम इस अवसर पर मानवसेवा के लिए व जैन धर्म के प्रचार के लिए पुन समर्पित होने का सकल्प लेते
[] जैन श्वे० श्रीसघ
टाटोटी (राज०)
पू० महाराज श्री सज्जनश्रीजी म० सा० का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है, जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई । आपश्री कलियुग में भी सतयुग की साक्षात् मूर्ति तुल्य है । आपनी सरलता, नम्रता,
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हमारी दादी-नानी और उनसे पहले की पीढ़ी की तरह सभी महिलाएं अपने पतियों की जानकारी के बिना कुछ पैसे रखती थीं। हमने कई बार अपनी मांओं को रसोई में सरसों और चावल के कनस्तरों में पैसे रखते देखा है।
यह एक ऐसी बात है जो आमतौर पर हर किसी के घर में होती है। माताएं बिना किसी को पता चले इसका ध्यान रखेंगी। यहां तक कि अगर घर में किसी चीज की जरूरत होती है, तो आर्थिक समस्या आने पर वे बचत किए हुए पैसे निकाल लेते हैं।
सभी दादी-नानी यही सलाह देती हैं कि सामान्यतः सभी महिलाओं को गुप्त धन रखना चाहिए। आज की आधुनिक दुनिया में महिलाएं अपने नाम पर एक गुप्त शॉपिंग खाता खोल सकती हैं। यह हर महिला की व्यक्तिगत जरूरत है। यह घर की रसोई या फिर बैंक भी हो सकता है।
यहां महत्वपूर्ण कारण बताए गए हैं कि क्यों सभी पत्नियों को अपने पतियों की जानकारी के बिना बैंक खाता रखना चाहिए। इस लेख में जानें कि वे क्या हैं।
जीवनसाथी की जानकारी के बिना एक गुप्त बैंक खाता रखने से वैवाहिक रिश्ते में किसी व्यक्ति को वित्तीय स्वतंत्रता और सुरक्षा की भावना मिल सकती है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी रिश्ते में आपात स्थिति, अप्रत्याशित परिस्थितियों या वित्तीय समस्याओं के मामले में आपके पास धन तक पहुंच हो। अपने आप को अकेले बचाना किसी भी स्थिति में हमेशा आपकी मदद करेगा।
पत्नियाँ पति की जानकारी के बिना एक गुप्त बैंक खाता रखती हैं, जिससे व्यक्तिगत खर्चों के प्रबंधन में गोपनीयता बनी रहती है। यह प्रत्येक महिला को अपने पति की निरंतर मंजूरी या जांच की आवश्यकता के बिना व्यक्तिगत हितों, शौक या उपहारों पर पैसा खर्च करने में सक्षम बनाता है।
धन को गुप्त रखना विभिन्न स्थितियों के लिए एक आकस्मिक योजना के रूप में कार्य कर सकता है। यह ऐसी चीज़ है जिसे आप बचा सकते हैं या शिक्षा, सेवानिवृत्ति या व्यवसाय शुरू करने जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं। घरेलू इक्विटी संकट होने पर यह बचत राशि आपके परिवार की बहुत मदद करेगी।
ऐसे मामलों में जहां एक पति या पत्नी काफी कम कमाते हैं या आर्थिक रूप से निर्भर हैं, एक गुप्त बैंक खाता होने से रिश्ते में शक्ति की गतिशीलता को संतुलित करने में मदद मिल सकती है। यह सुनिश्चित करता है कि दोनों साझेदारों के पास वित्तीय नियंत्रण हो और वे घरेलू खर्चों और निर्णय लेने में समान रूप से योगदान कर सकें।
याद रखें कि वित्त के बारे में खुला और ईमानदार संचार किसी भी रिश्ते में महत्वपूर्ण है। हालाँकि गुप्त बैंक खाता रखने के वैध कारण हैं, लेकिन अपने साथी के साथ विश्वास बनाना और पारदर्शिता बनाए रखना एक स्वस्थ और सफल विवाह के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए, देवियों, जब आप पैसे बचा रहे हों, तो होशियार रहें।
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ऑस्ट्रेलिया को वनडे सीरीज में 4-1 से हराने के बाद टीम इंडिया अब तीन मैचों की टी20 सीरीज के लिए तैयार है. टी20 सीरीज का पहला मुकाबला शनिवार को रांची के जेएससीए स्टेडियम में खेला जाएगा. जो टीम इंडिया के साथ कप्तान विराट कोहली के लिए भी लकी रहा है.
करीब 40000 दर्शकों की क्षमता वाले जेएससीए स्टेडियम के मैदान पर भारत ने अब तक एक टेस्ट, चार वनडे और एक टी20 मैच खेला है, जिसमें से सिर्फ एक वनडे में उसे न्यूजीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा है.
भारत ने यहां एकमात्र टी20 मैच फरवरी 2016 में खेला था, जिसमें भारत ने श्रीलंका पर 69 रन से धमाकेदार जीत दर्ज की थी. पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने छह विकेट पर 196 रन बनाये थे. इस मैच में शिखर धवन ने 51 रन और रोहित शर्मा ने 43 रन बनाए थे.
जनवरी 2013 में उद्घाटन के बाद से जेएससीए को नवंबर 2015 में टेस्ट वेन्यू का दर्जा मिला. यहां एकमात्र टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस साल मार्च में खेला गया जो ड्रा रहा. इस मैच को हालांकि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ के नाबाद 178 रन और चेतेश्वर पुजारा के दोहरे शतक के लिए याद रखा जाएगा.
उस सीरीज में धोनी को आराम दिया गया था और कोहली ने टीम की कमान संभाली थी. कोहली के नाबाद 139 रन की मदद से भारत ने यह आखिरी मैच जीता और सीरीज में 5-0 से क्लीन स्वीप भी किया था. इस मैदान पर सबसे ज्यादा रन कोहली के बल्ले से निकले हैं, जिन्होंने चार वनडे मैचों में एक शतक और एक अर्धशतक के साथ 261 रन बनाए हैं.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अक्टूबर 2013 में यहां खेला गया आखिरी वनडे बारिश की भेट चढ़ गया था. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए आठ विकेट पर 295 रन बनाए थे, जिसमें जार्ज बेली के 98 और ग्लेन मैक्सवेल के 92 रन शामिल थे. भारत का स्कोर बिना किसी नुकसान के 27 रन था, जब बारिश के कारण खेल रोकना पड़ा. बेली मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टीम में नहीं है, लेकिन मैक्सवेल टी20 टीम का हिस्सा हैं.
पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के गृहनगर में इस स्टेडियम पर पहला वनडे मैच जनवरी 2013 में खेला गया जिसमें भारत ने इंग्लैंड को हराया था. नवंबर 2014 में श्रीलंका के खिलाफ जीते वनडे में कप्तान विराट कोहली की बल्लेबाजी को शायद ही कोई भूल सका हो.
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मुंबई, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। अभिनेता आयुष्मान खुराना दर्शकों से अपनी फिल्मों को मिल रहे समर्थन के चलते काफी खुश हैं। हाल ही में आई उनकी फिल्म 'ड्रीम गर्ल' कमाई के मामले में अब तक की उनकी सबसे बड़ी फिल्म बन गई है।
इस पर अभिनेता ने कहा कि नए माइलस्टोन को छूना बेहद अच्छा लगता है।
साल 2012 में 'विक्की डोनर' फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाले बॉलीवुड अभिनेता इस बात को जानकर बेहद खुश हैं।
'ड्रीम गर्ल' फिल्म में आयुष्मान ने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार अदा किया है, जो महिलाओं की आवाज निकालने में सक्षम होता है।
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मोनु- मुझे भी देखने दो, किसका एक्सीडेंट हुआ है?
जिसका एक्सीडेंट हुआ है, मैं उसका पिता हूं।
मोनु-त्या आप टें नहीं बोल सकती हैं?
दादी-हां बोल सकती हूं।
मोनु-बोलिए !
मोनु-ओ तेली, आप तो बोल सकती हैं।
फिर मम्मी कैसे अपनी सहेली को कह रही थी।
औरतों का दिल सही मायनों में कब टूटता है?
मोहल्ले की काम वाली को पहने देखती हैं।
पूजा- मेरे चेहरे में जलन हो रही है।
चिकित्सक- आपके चेहरे का हमें एक्स रे करना पड़ेगा।
पूजा- एक्स रे में क्या होता है?
पूजा- 5 मिनट रुको, मैं मेकअप कर लूं।
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- कार्तिक आर्यन की पिछली फिल्म 'धमाका' थी, जो नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है।
- कार्तिक आर्यन आने वाले समय में 'कैप्टन इंडिया' और 'भूलभुलैया 2' में नजर आएंगे।
कार्तिक आर्यन को बॉलीवुड का चॉकलेट बॉय कहा जाता है, कार्तिक ने प्यार का पंचनामा और सोनू के टीटू की स्वीटी जैसी फिल्मों के साथ लड़कियों के लिए में खास जगह बनाई है। कार्तिक की फीमेल फॉलोइंग काफी ज्यादा है जिसकी झलक अक्सर देखने को मिल जाती है। मुंबई में कार्तिक आर्यन के घर के बाहर एक बार फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से कार्तिक आर्यन और उनकी फीमेल फैन फॉलोइंग दोबारा चर्चा में आई है।
दरअसल दो लड़कियां कार्तिक आर्यन के घर के बाहर जाकर कार्तिक-कार्तिक चिल्ला रही थीं। दोनों एक्टर से मिलना चाहती थीं।
लेकिन दिलचस्प वाकया तब हुआ जब कार्तिक आर्यन ने अपनी फैंस की विश पूरी कर दी। कार्तिक बाहर निकले और अपनी फीमेल फैंस के साथ फोटो क्लिक कराई। इस दौरान कार्तिक ने कोविड गाइडलाइन्स का पालन किया और दूर से ही पिक क्लिक करा, साथ ही वो पूरे टाइम मास्क में थे।
इस दौरान कार्तिक वाइट नाइकी शूज में थे, उन्होंने ब्लैक हुडी पहन रखी थी।
बाद में कार्तिक आर्यन ने भी अपने इंस्टाग्राम पर ये वीडियो शेयर किया और लिखा- चे प्यार. . . यही है जिसके लिए मैं जीता हूं। ये सब कुछ है। मेरे सभी फैंस के लिए मैं आप सभी को पाकर धन्य हो गया हूं। कभी आपको पर्याप्त शुक्रिया नहीं अदा कर सकता, कोशिश करता रहता हूं।
कार्तिक आर्यन की इस पोस्ट पर एक्टर गुलशन देवैया ने लिखा है- मैं कल आ रहा हूं, अपनी बालकनी से हेलो बोलना. . . ठीक है? साढ़े 4 बजे। कल मिलते हैं। जवाब में कार्तिक ने लिखा- हां जरूर। जिसके बाद गुलशन ने लिखा- ओह माय गॉड, उसने जवाब दिया. . . उसने जवाब दिया. . . मैं बेहोश।
वर्क फ्रंट की बात करें तो कार्तिक हाल ही में धमाका फिल्म में नजर आए थे। उनकी पाइपलाइन में भूलभुलैया 2, कैप्टन इंडिया जैसी फिल्में हैं।
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आप हमेशा की तरह, के बारे में सोचा गया है खुद से खुला गर्म मौसम ग्रीन हाउस झरोखों में है कि क्या है, यह ग्रीनहाउस के लिए थर्मल actuator पर विचार करने के लिए आवश्यक है। इस तरह के एक निर्माण अपने खुद के हाथों से काफी सरल है। इस डिवाइस को आप एक सप्ताह के लिए उद्यान को छोड़ने के लिए, कि गर्म दिनों के अंकुर प्रसारित किए जाने की जरूरत पर के बारे में चिंता मत करो अनुमति देता है।
कुछ घर स्वामी इसकी संवेदनशीलता की वजह से थर्मल प्रवर्तक के बारे में नकारात्मक राय व्यक्त की है। इसलिए, वे तापमान बदलने के लिए शुरू होता है के रूप में बिजली ड्राइव, जो अपने आप कुछ सेकंड के लिए खुला ट्रैन्सम है इस्तेमाल करने की कोशिश, जैसे ही। हालांकि, इस विधि से जो लोग इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए ही उपयुक्त है "तुम पर। " कई कलाकारों कि हाइड्रोलिक स्तर की प्रक्रिया थोड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स की तुलना में अधिक हैं।
अपने हाथों से ग्रीनहाउस के लिए थर्मल ड्राइव एक कंप्यूटर कुर्सी से एक सिलेंडर से बना जा सकता है। यह विचार बहुत ही दिलचस्प है, कई माली के रूप में वर्णित किया जा सकता है पहले से ही यह वास्तविकता में अनुवाद करने में कामयाब रहे। काम से बाहर ले जाने के लिए है, जबकि अन्य एक तरफ एक स्टील रॉड है, जिनमें से पर सिलेंडर की आवश्यकता होगी - एक प्लास्टिक की छड़ी।
एक प्लास्टिक की छड़ी के अंत आवश्यक घुटने है और यह खींच। गहराई धातु पिन को देखने के लिए सक्षम हो जाएगा। अगले कदम पर पकड़ में 8 मिमी रॉड कि वह 6 सेमी को देखा क्लैंप है। उन्होंने कहा कि एक सिलेंडर दबाव में दबाया से मुक्त कराने के स्थापित करना होगा। सिलेंडर कोण grinders का उपयोग कर, एक स्टील रॉड के लिए मजबूर कर में कटौती की जानी चाहिए। यह पॉलिश सतह और सिलेंडर पर कफ को नुकसान न महत्वपूर्ण है।
आप अपने हाथों से ग्रीनहाउस के लिए एक थर्मल actuator बनाने के लिए निर्णय लेते हैं, तो कैनवास दस्ताने की परतों के एक जोड़े में अगले चरण और रॉड क्लैंप की जरूरत समाप्त हो जाती है धागा काट दिया। कफ ध्यान से कोण पीस मशीनों का उपयोग कर हटा दिया। अंदर सिलेंडर आस्तीन है, जगह में स्थापित किया जाना। अन्य नोड खारिज कर दिया जाना चाहिए, लेकिन एक एल्यूमीनियम पिस्टन के लिए एक अपवाद के रूप में कार्य करता है। चूंकि यह हटाने योग्य अंगूठी। सभी आइटम पेट्रोल में धोया जाता है, यह धातु की कतरन निकाल देंगे।
आप स्थापित किया जाना चाहिए, अपने हाथों से ग्रीनहाउस के लिए एक थर्मल actuator प्रदर्शन तो आंतरिक आस्तीन में और ग्रंथि को नुकसान को रोकने के लिए सिलेंडर के स्टेम अंत हटाने का फैसला करते हैं। अब अखरोट दबाव डाला जा करने के लिए है, जो यह सुनिश्चित करें कि स्टेम सिलेंडर में सिंक नहीं करता है की आवश्यकता होती है थ्रेड।
एल्यूमिनियम पिस्टन वाल्व के सॉकेट में डाला जाता है। इसके अलावा, मामले में पाइप का एक टुकड़ा है, जो धागा के एक छोर पर होना चाहिए। तत्व छोटा सिलेंडर के किनारे करने के लिए वेल्डेड किया जाना चाहिए। अब विस्तारित अखरोट पिरोया रॉड पर दबाव डाला जाना चाहिए। यह बाजार है, जहां वे पाइप के लिए कॉलर बेचने पर खरीदा जा सकता है। हाथ मजबूत करने के लिए कांटा ट्रैन्सम में खराब कर दिया या फलक को मजबूत किया है। प्रणाली के बाद तेल के साथ भरे जाने के लिए सक्षम हो जाएगा, हवा हटाया जाना चाहिए। इस पर हम मान सकते हैं कि आप अपने खुद के हाथों से ग्रीनहाउस के लिए थर्मामीटरों का उत्पादन करने में सक्षम थे।
आदेश बाहर इन कार्यों आराम से, पाइप के एक छोर पर ले जाने के लिए आवश्यक प्लग बनाने के लिए है, जबकि दूसरे छोर गेंद वाल्व स्थापित है। यह एक लीटर प्लास्टिक की बोतल है, जो विस्तार टैंक प्रदर्शन करेंगे तैयार करने के लिए पीछा किया जाता है।
यह एक गेंद वाल्व और टी शाखाओं से पूरित है। बोतल थोड़ा जब तेल भरने का उत्पादन किया, यह अत्यधिक दबाव के निर्माण कर पाएगा निचोड़ चाहिए। संकुचित राज्य में, यह मुड़ जाता है, और के बाद वाल्व बंद हो, तो प्रणाली जगह में स्थापित किया जाएगा।
थर्मो ग्रीनहाउस के लिए किया जाता है, जो सबसे सकारात्मक समीक्षा करता है, हर साल स्टेम तकनीकी तेलों के क्षेत्र में greased किया जाना चाहिए। थर्मल actuator, ट्रक ड्राइवरों के अनुसार, यह सबसे अच्छा दूसरी तरफ, जो उद्घाटन के उद्घाटन से विपरीत छोर पर है पर रखने के लिए है। घरेलू स्वामी ध्यान दें कि थर्मल प्रवर्तक कुछ देरी के साथ तापमान में परिवर्तन के प्रति प्रतिक्रिया करता है।
अपने स्वयं के हाथों से ग्रीनहाउस के लिए थर्मल ड्राइव कभी कभी कार जैक से भी किया जाता (चित्र, आप अपने खुद बना सकते हैं)। में छोड़ दिया गैस के लिए एक छेद ड्रिल करने के लिए आवश्यक है, वहाँ पिरोया जाता है, जो नली जोड़ देती है। यह "Niva" या कार की दुकान पर खरीद से उधार ले करने के लिए सबसे अच्छा है। यह एक पिन उस जगह में काज के सिर से लॉक हो जाएगा के साथ बोल्ट को मजबूत करना चाहिए।
आप ग्रीनहाउस के लिए एक थर्मल actuator प्रदर्शन करने का निर्णय लेते हैं, तो अगले चरण रिसीवर की उपस्थिति है, जो टर्नर से आदेश दिया जा सकता है या अपना खुद का बनाएँ का ख्याल रखना है। अगले चरण में, हवा विस्थापित किया जाता है, और इस प्रणाली तेल से भरा है। सिलेंडर रॉड पूरी तरह से डूब जाना चाहिए। निर्माण के बाद संरचना लीक के लिए जाँच की जानी चाहिए।
आवश्यक काम पाइप के दो टुकड़े को तैयार करने के लिए, जो की छोर पिरोया किया जाना चाहिए। उनके कनेक्शन के बीच में एक टी के माध्यम से किया जाता है। सिरों पर पाइपलाइन ठूंठ स्थापित होना चाहिए। इसके अलावा, पाठ्यक्रम "Niva" है, जो दूर नीचे बोल्ट कटौती के सदमे अवशोषक है।
छेद के तल में 8. 5 मिमी एक व्यास के साथ किया जाना चाहिए। यह ब्रेक नली, साथ ही एक नट, जो 10 x 1,25 मिमी की राशि के लिए अधिक से बोल्ट की जरूरत है। बोल्ट के माध्यम से drilled किया जाना चाहिए। आप ग्रीनहाउस के लिए एक थर्मल प्रवर्तक बना रहे हैं, तो अगले चरण बीच में एक कवर ड्रिल और अंदर से एक बोल्ट डालें, अखरोट पंगा लेना है। सभी भागों से जुड़े हुए हैं paronitovye पैड। यह केवल टोपी खोलना और तेल के साथ भरने के लिए होगा।
अपने स्वयं के हाथों से ग्रीनहाउस के लिए थर्मल ड्राइव, यह भावना का निर्माण करने में आता है। इस डिजाइन कारखाने से सस्ता होगा। ऐसा करने के लिए, यहां तक कि, शायद, अतिरिक्त भागों खरीद करने के लिए है, क्योंकि उन सभी को गैरेज में पाया जा सकता है या शेड नहीं है। थर्मल ड्राइव एक स्वायत्त तंत्र है जो मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और बिजली की आवश्यकता नहीं है, जो एक निश्चित प्लस कहा जा सकता है के रूप में कार्य करता है।
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करतारपुर कॉरिडोर को लेकर हाल ही में पाकिस्तान के एक शीर्ष मंत्री ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने खुद कबूल किया है कि करतारपुर कॉरिडोर मामला पाक आर्मी चीफ बाजवा के नापाक इरादों का परिणाम था. वो भारत को बड़ा नुकसान पहुंचाने की फिराक में थे. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
बता दें कि जब करतारपुर कॉरिडोर शुरू हुआ तब सुरक्षा विशेषज्ञों ने भारत को चेताया था कि पाकिस्तानी सेना और उसके खुफिया एजेंसी आईएसआई कॉरिडोर का इस्तेमाल अपने आतंकी मंसूबों खासकर खालिस्तानी आतंकवाद के लिए कर सकती है. अमजद मिर्जा का कहना है कि पाकिस्तान किसी के कल्याण की नहीं सोचता है. उसके दिमाग में भारत विरोधी साजिश चलती रहती है.
करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान की नापाक मंसूबों का खुलासा पीओके के सामाजिक कार्यकर्ता अमजद मिर्जा ने भी किया था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अब इस गलियारे से जरिए खालिस्तानी कट्टरपंथियों का इस्तेमाल पंजाब में शांति और सद्भाव का माहौल बिगाड़ने के लिए करेगा.
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मे निर्मित असोक का नया भव्य प्रासाद तथा इसी प्रकार के दूसरे भवन आराम और ठाट-वाट के लिए थे, दूसरे राजा भी ऐसा ही करते । अर्थशास्त्र का राजप्रासाद उपयोग और व्यक्तिगत सुरक्षा की दृष्टि से बनाया जाता और उसमे लक्डो का इस्तेमाल होता, जबकि असोक ने अधिक मात्रा म पत्थरो का इस्तेमाल किया और इन पत्थरो को शीशे जैसा ओपदार बनवाया। असोक के स्तम्भा की शैली, भोप तथा सुदर घण्टाकार शीष, जिसका बाद में भारतीय स्तम्भो म खूब इस्तेमाल हुआ, हखामनि स्थापत्य की अनुकृति बताये जाते हैं। कहा जाता है कि असोक को दारयवहु प्रथम के अपदन प्रासाद का नमूना ही नही, कारीगर भी मिले थे। चूकि अपदन प्रासाद पाटलिपुत्र से २००० मील की दूरी पर था और ५०० ई० पू० के पहले बना था और सिकन्दर की रँगरलिया के दौरान ३३० ई० पू० मे इसे जला दिया गया था, इसलिए इस कथन को शब्दश सच मानने की जरूरत नहीं है। असोकीय कला, जिसमे में साँची के भव्य किन्तु कुछ बाद के तोरण द्वारा का भी समावेश करता हूँ, सुविकसित काप्ठशिल्प की परम्परा को सीधे पत्थर म उतराने की परिचायक है। कार्ले, कोडणे तथा दूसर स्थलो के चैत्यगहो के उच्चित्रो से प्रकट होता है कि बहु मजिले भवन अधिक्तर लकड़ी के बने होते थे, यहाँ तक कि विशिष्ट 'बौद्ध तोरण' भी आरम्भ म लक्डी वे ही बनते थे । पटना के समीप के कुमरहर स्थान की खुदायी में जिस परवर्ती मोय सभा-मण्डप के अवशेष मिले है (जिसे पहले भ्रातिवश असोक्का राज प्रासाद समझा गया था) उसका फश, उसकी भीतरी तथा ऊपरी छत, दरवाजे खिडकियाँ आदि, यहां तक कि नालियाँ भी, भारी इमारती लकडी से निर्मित थी इस सभा भवन के सुन्दर ओपदार प्रस्तर-स्तम्भ जमीन मे खडे गार्ड गय भारी लटठो पर मिटटी के थर बिछाकर दढतापूवक खड़े किये गये थे । आज तो यह परिवेश वक्षविहीन हो गया है, पर प्राचीन काल मे यहाँ इमारती लक्डी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी, ईसा की सातवी सदी में भी बिहार मे छोले हुए लटठो से मीला लम्बी सडकें बनती थी। पटना की सर्वोत्तम क्लेिब दी इमारती लकड़ी से हुई थी और इस पर मिट्टी का लेस चढा दिया गया था ।
भारतीय क्ला व स्थापत्य की, जो निश्चय ही भारतीय संस्कृति की सबसे कम मूल्यवान् निधि नहीं है, शुरुआत असोक के समय से मानी जा सकती है बावजूद इसके कि सिधु सभ्यता में भी निमाण-काय हुआ था । असो के पाटलिपुत्र प्रासाद के भग्नावशेष ४००ई० म भी चीनी यात्रियों को भव्य प्रतीत हुए थे और वे उन्हें जिना तथा देवताओ द्वारा निर्मित समझते थे । असोक्न ऐसे महत्त्व के सार्वजनिक निर्माण कार्यों पर काफी धन खर्च किया जिनसे राज्य को कोई मुनाफा नहीं था । साम्राज्य भर मे मनुष्यो और पशुओं के लिए चिकित्सा लय स्थापित किये गये जिनमें राज्य के खच पर इलाज की व्यवस्था थी। सभी
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प्रमुख व्यापारी मार्गों पर एक एक योजन (पाँच से नौ मील तक की दूरी, इस शब्द का मूल अथ वह दूरी थी जो लम्बी यात्रा के दौरान बैलो को विश्राम के लिए छोडे बिना बैलगाडी द्वारा आसानी से तं की जाती थी ) की दूरी पर सुव्यवस्थित रूप से छायादार कुज, बावडियाँ, फलो के बाग तथा विश्राम गह बनाये गये थे। ये नयी सुविधाएँ असोक वे अपने राज्य में ही नही बल्कि सीमाओ वे बाहर भी जुटायी गयी थी, जाहिर है कि व्यापारियों के लिए ये वरदान जैसी थी, विशेषकर इसलिए कि अनेक पडावो पर वैद्यो तथा पशु चिकित्सा का प्रबंध था । ये सब काय पिछले अध्याय मे उद्धृत बौद्ध प्रवचन में बताये गये परोपकारी चत्रवतिन् राजा वे कतव्यों के सदृश है। अर्थशास्त्र मे ऐसे कार्य के बारे मे नही सोचा गया है जिनसे अथलाभ न होता हो, यद्यपि उस निष्ठुर ग्रन्थ मे भी इस बात पर जोर दिया गया है कि बूढो, अपाहिजो तथा अनाथो की सहायता करनी चाहिए ।
इसका तात्पय यह नहीं है कि असोव दान धम के कार्यों में हो व्यस्त रहता था, कि उसने शासन व्यवस्था की उपक्षा की। वह स्पष्ट शब्दो मे कहता है कि राजा द्वारा हर समय प्रतिवेदवा ( गुप्तचरो) से समाचार सुनने की प्रथा अब नही रही । उसने यह बात चद्रगुप्त के व्यापक अभियानो, बिदुसार की बचे खुचे क्बोलो को समेटने की सनिव-वायवाहियो तथा सम्पूर्ण प्रायद्वीप में फैले हुए राज्य को देखकर ही कही होगी । असोक बहता है 'इसलिए मैंने यह प्रबंध किया है कि हर समय चाहे में खाता होऊ या मैं अत पुर मे रहूँ या शयनगह मे होऊ या टहलता होऊ या सवारी पर होऊँ या कूच कर रहा होऊँ, सब जगह सब समय, प्रतिवेदन प्रजा का हाल मुझे सुनावें ।' अयशास्त्र में वर्णित राजा की दिन चर्या की उपेक्षा की गयी थी, परंतु अब उसे विशेष प्रयत्न के साथ पुन लागू किया जा रहा था। किंतु चाणक्यीय प्रशामन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कर दिये गये थे । ( अप्रमाणित परम्परा के अनुसार चाणक्य विदुसार के शासन के आरम्भिक वाल मे सेवा निवृत्त हुआ था ।) अब स्वयं राजा अपने पूरे राज्य का हर पाचवें साल दौरा करता था । अत इन पांच सालो का अधिकाश समय दौरे मे ही व्यतीत होता होगा, जिसका अर्थ है - वर्षा ऋतु के दिनों के अलावा बाकी समय निरतर दौरे पर रहना। इससे पहले राजकीय यात्राएं, आमोद प्रमोद जैसे शिकार, के लिए होती थी अथवा सैनिक अभियानों के लिए। इसी प्रकार प्रशासन ने हर उच्चाधिकारी ( युक्त, रज्जुव तथा प्रादेशिक ) वो आदेश था कि वह हर पांचवें साल अपन समूचे अधिकार क्षेत्र का दौरा करे। इसके अलावा, राज कमचारियो तथा विशेष निधियों पर नियन्त्रण रखने के लिए पूर्णाधिकार प्राप्त अधोक्षक भी नियुक्त किये गये । इहे धम महामात्र कहा गया है, जिसका अथ होगा 'सदाचार मन्त्री, परन्तु बाद में इसका अर्थ हो गया 'दान श्रम सम्बधी
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कार्यों का उच्चायुक्त' । असोक के समय में इस पद का सही अथ था - 'समदष्टि का उच्चायुक्त' । समदृष्टि सहितावद्ध कानून व सामान्य कानून के पर, एक ऐसा सिद्धात है जिस पर कानून और याय दोना ही आधारित माने जाते है । धम्म' शब्द का आरम्भिव अथ भी ठीक यही था और इसलिए मिना दर द्वारा 'धम्मक' के लिए पयुक्त यूनानी शब्द 'दिवाइयो' बिल्कुल सही था । इन नये महामात्या का एक काम यह था कि, कानून को माननेवाले सभी समुदायो एव सम्प्रदाया की शिकायता की जाच करें और उह याय दिलायें। साथ ही, ये महामात्य ऐसे सभी समुदायो एव सम्प्रदायों के मता और सिद्धा तो की भी जावपडताल करते थे । राजा जब दौर पर निकलता तो वह स्वयं भी यह सब देखता था। आदिम समूह कानून को आदिम समूह धम से पथक नही किया जा सकता । अयशास्त्र के जनपद निवासी, विशेषत ग्रामवासी, निश्चय ही आदिम अवस्था मे थे । कृषि से सम्बंधित कोई भी काय - हल जोतन से लेकर अत मे ओसाई तक - शुरू करने के पहले जनुष्ठान किये जाते थे (आज भी किये जाते है) और बहुत मी प्रथाएँ अन्न सक्लक समाज की विरासत थी । अत समस्या थी इन सकोण और कभी-कभी परस्पर विरोधी विश्वासो को एक अन-उत्पादक बृहत्तर समाज में किस प्रकार समायोजित किया जाये। बौद्धधम का लक्ष्य भी यही था, परंतु उसने यज्ञक्भ तथा हर प्रकार की आनुष्ठानिक बलि की निदा की है जब कि अयशास्त्र न यज्ञ की उपेक्षा की है और जनपद की विपदा - चाहे सर्पों की, चाहे मूपका की या महामारी को-से रक्षा करने के लिए जादू टोने का प्रयोग करने की सलाह दी है।
असोक ने सभी प्राणियों के वध पर प्रतिब ध नहीं लगाया, पवल कुछ विशिष्ट पशुओ और पक्षिया का वध हो वर्जित कर दिया था, जिसका कारण अनात है पर सम्भव है कि टोटममूलक रहा हो। गाय-बल तथा वपभ आरक्षित नहीं थे, पर सड़क (साँड ) वपभ का वध नहीं होता था । सडक का जहाँ चाह चरने के लिए खुला छोड़ दिया जाता (जैसा कि आज भी होता है), ताकि वह अच्छी नस्ल पैदा करे, यद्यपि उसे पवित्र माना जाता था । असोक के समय भ अभी गोमास, दूसरे किस्म के मास की भाँति हो, खुले बाजार म और चौरस्ता पर बचा जाता था। सम्राट् ने अपने महल मे निरामिष भोजन का एक आदर्श स्थापित किया और राजा की पाक्शाला से भास लगभग गायब हो गया। राज्यादेश द्वारा यन-वलि पर रोक लगा दी गयी और ऐसे कुछ समाजो (उत्सव, मेला या गाष्टी) पर भी जिनम अत्यधिक मदिरापान और उ मुक्त भोग विलास वे सायमाथ अपराध तथा दूसरे निन्दनीय वाय भी होते थे। परंतु यहाँ भी सम्राट् ने स्वीकार किया कि कुछ समाज अच्छे होते हैं, इसलिए आवश्यक हैं। पहले बताया का चुका है कि ऐसा एक समाज-वसत का होली उत्सव - आज भी मनाया
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जाता है, पर इसके अश्लीलतम लक्षण कानून व जनमत के कारण फीके पड गये हैं । वाय पशुओं को घेरकर मारने के उद्देश्य से अथवा भूमि साफ करने के लिए जगलो को जलाना सवथा वर्जित कर दिया गया था। यह कोई बौद्ध सनव नही थी, बल्कि वस्तियो की रक्षा के लिए और प्राकृतिक सम्पदा को सुरक्षित रखने के लिए यह निषेध परमावश्यक था। ब्राह्मण धर्म के ग्रन्थ महाभारत के एक परवर्ती क्षेपक म भी यही निषेध मरणासन भोम के शब्दो मे व्यक्त हुआ है-जगलो को जलाना महापाप है। इसी महाकाव्य के प्रतापी पाण्डव वीरो ने भगवान् वृष्ण की सहायता से प्रस्थ (दिल्ली) का खाण्डववन जलाकर साफ किया था, इसलिए इस प्रसग म भीष्म का यह उपदेश वडा बेमेल जान पड़ता है। इसका वास्तविक अथ यह है कि प्राचीन वदिक आय जीवन पद्धति पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी थी, समाज अन मक्लन की अवस्था को पार करके अब पूर्ण रूप से अन-उत्पादन को अवस्था में पहुँच चुका था, इसलिए पशुचारी जीवन की कठोर प्रथाओं की अब कोई उपयोगिता नहीं थी । धम महामात्या को विशेष आदेश था कि वह कारागार म पडे हुए अपराधियों की खैरियत की देखभाल करे। बहुत से वदी, जिहे पूरी सजा भुगतने के बाद भी कारावास में रखा गया था, मुक्त कर दिये गये। जिन बदिया के जाति कुटुम्बवाले निराश्रित थ, उहे मदद पहुँचाने वा नये आयुक्तो ( रज्जुको) को आदेश दिया गया। कारागार म पड़े हुए जिन यदियों को मृत्युदण्ड सुनाया गया हो उहे अपने जाति-कुटुम्ब वालो से मिलने के लिए तीन दिन की मुहलत दी जाती थी, पर प्राणी व्यवस्था को खत्म नहीं किया गया था ।
असोक की राजानाएँ राजा की निरंकुशता पर पहली बार प्रतिबन्ध लगाती हैं, ये पहली बार नागरिको को स्वत्वाधिकार प्रदान करती हैं। यह इसीसे प्रमा णित है कि राज्याधिकारियों को यह आदेश था कि वह इन राजानाओं को साल मे कम-से-कम तीन बार विशान जनसमूह के सामने पढ़ और इहे सावधानी स समझायें । अब सक्षेप में विचारणीय प्रश्न है इस असाधारण परिवर्तन की क्या आवश्यकता पड़ी
असोक का सुधार काय इस तथ्य का एक बढ़िया उदाहरण है कि माना परिवतन के साथ-साथ जन मे गुण परिवतन भी होता है। गहस्था, वृपका तथा वारीगरो की तादाद में और जनपदो के विस्तार में इतनी अधिक वद्धि हा गयी थी कि भू राजस्व का नियोजन करनेवाला रज्जुक लाखो इसानो पर उसी प्रकार पूर्णाधिकार से शासन करने लगा था, जस कि अगरेजा के जमान में जिले का विलक्टर करता था। जनपदा की सीमाओं मे अब अधिक अतर नही रह गया था, न ही व्यापार मार्ग अब जगलो से गुजरनेवाली चन्द सेंवरी पगडण्डियाँ मात्रये । आटचिव पहले से कम रह गये थे और अब उनस काई वडा खतरा नही था, वृहत्तर मगध में राज्य और धर्म / २०५
मिफ उपद्रव ही मचात थे । असोक ने उनके पास भी धम्मदूत भेजे थे । अनेक साहसी व्यक्तियों ने जगला मे जाकर वहा भूखण्ड साफ किये थे और उन पर खेती शुरू कर दी थी, ऐसे भूखण्डो का समावेश न राष्ट्र-भूमि मे किया जा सकता था, न ही सोता भूमि मे । मगध की शक्तिशाली सेना अब अनावश्यक होती जा रही थी और उसे पहले के स्तर पर बनाये रखना अत्यत खर्चीला काम था । असोव ने स्पष्ट हो कहा है कि 'धर्मानुशासन' लागू होने के बाद से सेना का इस्तेमाल केवल क्वायद और प्रदशन के लिए होता है।
देश नितान्त भिन सरचनावाले तीन प्रमुख भागो मे बँटा हुआ था साम्राज्य का पश्चिमी प्रदेश तथा पंजाब बाहरी आरमण के लिए खुला था, इसलिए वहाँ एक या अधिक स्थानीय सेनाध्यक्षों के मातहत सजग सेना रखना जरूरी था। स्थानीय सेनाध्यक्ष को यह प्रलोभन हो सकता था कि वह स्वय को राजा घोषित कर दे, अथवा यूनानी, शक और दूसरे मध्य एशियाई उसे भगा भी दे सक्ते थे । असोक के लगभग पचास साल बाद ये दोनो प्रकार की घटनाएं घटित हुइ । राज्य के दूसरे भाग, गागेय प्रदेश मे, तब तक सेना की जरूरत न थी जब तक पंजाब मे शत्रु जमा न हुए हो। यह प्रदेश अब भी काफी सम्पन्न और समद्ध था। लेकिन धातुओ पर राज्य का एकाधिकार धीरे धीरे खत्म हो रहा था । बिहार मे ताबे की खानें जल-स्तर तक पहुँच चुकी थी, पर पम्प नही थे । लोहे को माँग इतनी अधिक बढ़ गयी थी कि मगध से उसकी पूर्ति सम्भव नही थी । मगधीय आक्रमण के काफी पहले, उत्तर के निजी उद्यमियो ने, दक्खन में लोहे ने नये स्रोतो की खोज करके कुछ हद तक उनका विकास किया था (जसा कि बावरी जातक से पता चलता है) । सिकन्दर के सौ साल अथवा इससे भी पहले भारतीय इस्पात से बननेवाले सर्वोत्तम खडग हखामनि दरबार तक मे पहुँचत थे। धातुकम के इस श्रेष्ठ उत्पादन की निरन्तर बढती मांग को सर्वोत्तम कोटि के खनिजा के छोटे छोटे भण्डारा मे निकालकर ही पूरा किया जा सकता था। ऐसे खनिज भण्डार आध्र व कर्णाटक के जगलो मे बिखरे हुए थे, परतु इन क्षेत्रो में खनिजा की खोज करनेवालो पर अपना कठोर अनुशासन-तत्र स्थापित करना मगध के लिए वडा व्ययसाध्य था। राज्य का यह तीसरा भाग, दक्खन, उसी प्रकार आवाद करना सम्भव नहीं था जसे कि मगधीय सोता क्षेत्र, क्योकि यहाँ बढिया मिट्टीवाले भूखण्ड दूर दूर बिखरे हुए थे और यहाँ की मिट्टी मगधीय मिट्टी से एकदम भिन्न थी। मगधीय साम्राज्य के इस तीसरे भाग के भावो विकास का अर्थ था स्थानीय आबादी स्थानीय भाषाओं तथा स्थानीय राज्यो का नूतन विकास । असोक् के समय म समस्त भारतभूमि का जो भाग उसके राज्य के अतगत नही था वहाँ किसी राजवशीय सत्ता का अस्तित्व नही था, वहाँ केवल वय अथवा अधवन्य बबीले हो थे। उसके शिलालेखा में राज्य की
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पश्चिमी सीमा के परे के वेवल यूनानी शासको के नाम ही मिलते हैं, कलिंग के किसी राजा वा भी उल्लेख नहीं है, यद्यपि सौ साल बाद ही हमे वलिंग के विजेता राजा यारवेल का नाम सुनने को मिलता है। अतिम बात यह है कि, वन कटाई कथा अधिकाधिक वाढा वा आना और आय का घटते जाना, यहाँ तक कि मगध मे भो, जहाँ पहले साफ की गयी भूमिया सर्वोत्तम थी और शेष भूमियो मे सिंचाई की व्यवस्था करना कठिन था । एक मौसम में भी विपदा आये-चाहे बाढ के कारण, चाहे महामारी की, चाहे वर्षा की कमी के कारण - ता बहुत बड़े क्षेत्र के राजस्व को पूर्ण क्षति पहुँचती थी, साथ ही, सहायता के कारण उतनी ही अधिक मात्रा में राजकोष पर अतिरिक्त भार पडता था। यह समस्या, अत्यधिर केद्रीभूत प्रशासन की दूसरी हर समस्या की भाति, यातायात के धीमे साधनो तथा लम्बी दूरियों के कारण अधिक जटिल हो जाती थी ।
असोक के सिक्कों को देखने से प्रकट होता है कि ये निष्प काल्पनिक नही हैं । चन्द्रगुप्त के बाद के चिह्नाहत मोय वार्यापण पूर्ववर्ती तौल के ही हैं, पर उनम ताबे की मात्रा अधिक है, उनकी बनावट अधिक अपरिष्कृत है और उनके तौल मे इतनी अधिक यूनाधिकता है कि उह निश्चिय ही जल्दी-जल्दी मे बनाया गया होगा । मुद्रा पर इस दवाव और मुद्रा की अस तुष्ट मार्ग के साथ-साथ सिक्को की धातु मे मिलावट (मुद्रा स्फीति) और उनके पाश्व मे आहत किये जानेवाले प्राचीन व्यापारी श्रेणिया के चिह्न भी गायब देखने को मिलते हैं। ऐसी स्थिति मे नये व्यापारी पर नियन्त्रण रखना पहले से अधिक कठिन हो गया। दक्खन मे तो नम सिक्को से, चांदी के हल्के सिक्कों से, यहाँ तक कि शोशे व जस्ते के प्रतीवात्मक सिक्को से काम लिया जाने लगा था, इससे सूचित होता है कि व्यापार म महती वृद्धि हुई थी और व्यापारी कबीलाई लोगा के साथ वस्तुओं का आदानप्रदान करके भारी मुनाफा कमा रहे थे। बताया जाता है कि मुद्रा का सवप्रथम अवमूल्यन स्वय चाणक्य ने ही किया था, अनुश्रुति है कि उसने चांदी की उतनी ही राशि से आठ गुना अधिक सिक्के बनवाय थे । पर राजकोष पर दबाव पड़ने पर अयशास्त्र ने दूसरे उपाय सुझाये हैं । आर्थिक कठिनाई मे फँसा हुआ राजा लोगा की पूजो पर, सचित माल, अनाज आदि पर विशेष कर लगा सक्ता था, पर एक बार, बार-बार नही। राज्य के सवव्यापी गुप्तचर, जनता को उत्साहित करने के उद्देश्य से, 'स्वेच्छा से अपना अशदान देते थे। नई पूजाविधियाँ खोजी' जाती, जैसे नाग-पूजा, भूतप्रेत पूजा आदि, इस प्रकार गुप्तचरा द्वारा फॅमाये गये भोले-भाले लोग अपना अशदान देते, जा चुपचाप राजकोष मे पहुँच जाता । कौटल्य जैसे ब्राह्मण-मन्त्री द्वारा सुझाया गया यह उपाय विचित जान पडता है, परंतु तीसरी सदी तक अनेक ब्राह्मण आदिम तथा अवैदिव अध विश्वासो को तिरस्कार की दृष्टि से ही देखते थे । वैयाकरण पतजलि प्रसंगवश वृहत्तर मगध में राज्य और धर्म / २०७
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नई दिल्ली, प्रीति अत्री। हर कोई जानता है कि बॉलिवुड के सुल्तान यानि सलमान खान बच्चों को कितना प्यार करते हैं। बच्चों के साथ उनकी खास ट्यूनिंग हमेशा नजर आ जाती है। वैसे तो भाईजान इन दिनों अपनी आने वाली फिल्मों में काफी बिजी हैं, साथ ही वो सोशल मीडिया पर भी खूब एक्टिव रहते हैं। अब ऐसे में सलमान खान ने अपने सोशल अकाउंट पर एक तस्वीर शेयर की है, जिसे दंबग खान के फैंस कुछ ज्यादा ही पसंद कर रहे हैं। इस तस्वीर में सलमान बच्चों के साथ नदी में मस्ती करते हुए दिखाई दे रहै हैं।
हाल ही में सलमान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की है। जिस वो पानी में नाव पर बैठे बच्चों के साथ बेहद खुश और मस्ती के मूढ में दिखाई दे रहे हैं। फोटो पोस्ट करने के साथ सलमान ने यहां कैप्शन भी दिया है, जिसमें वो लिखते हैं, "पानी के गोते लगाए आपके भाई ने कल, काफी कूल बच्चों के साथ, धरती माता का आदर सम्मान हमेशा सर आंखों पर"।
सलमान इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म 'दबंग 3' के प्रमोशन में पूरे जोर-शोर से लगे हुए है, आए दिन भाईजान अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए कोई ना कोई फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं। आपको बता दे कि सलमान की ये फिल्म '20 दिसम्बर' को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है, इस बार फिल्म को प्रभु देवा डायरेक्ट कर रहे है, हर बार की ही तरह इस फिल्म में भी सोनाक्षी सिन्हा रज्जो के किरदार में ही दिखाई देंगी। साथ ही इस फिल्म से महेश मांजरेकर की बेटी सई मांजरेकर बॉलीवुड में अपना पहला कदम रखने जा रही हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि क्या दंबग फ्रैंन्चाइजी की ये फिल्म दर्शकों को उसी तरह एंटरटेन कर पाएगी, जैसी कि पिछली दो फिल्मों ने किया है, या फिर सलमान के नाम पर दर्शकों को एक बार फिर बुद्धू बनाया जाएगा।
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को विदेश मंत्रालय से जुड़ी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
लोकसभा सचिवालय ने संसद की स्टैंडिंग कमेटी की जानकारी शुक्रवार देर रात जारी की गई है। तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले शशि थरूर को इस बार आईटी मंत्रालय से जुड़ी समितियों का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं आनंद शर्मा को गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
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नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी से परेशान देश की जनता के लिए सरकार जल्द से जल्द वैक्सीन का इंतजाम करना चाहती है। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (28 नवंबर) अहमदाबाद में जायडस बायोटेक पार्क में कोरोना वैक्सीन के विकास और विनिर्माण की प्रक्रिया का जायजा लिया उसके बाद हैदराबाद में भारत बायोटेक फैसिलिटी में वैक्सीन निर्माण का जायजा लिया। आखिर वो पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहुंचे। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी ने आज टीका विकास और निर्माण प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा करने के लिए तीन शहरों का दौरा किया। उन्होंने अहमदाबाद में Zydus बायोटेक पार्क, हैदराबाद में भारत बायोटेक और पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया। प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत टीके को न केवल अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानता है, बल्कि ये वैश्विक रूप से भी अच्छा हो, और यह हमारा कर्तव्य है कि हम वायरस के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में, हमारे पड़ोस के देशों सहित अन्य देशों की सहायता करें। '
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद के जाइडस बायोटेक पार्क और फिर हैदराबाद के भारत बायोटेक में वैक्सीन की समीक्षा करने के बाद अब पुणे पहुंच गए हैं। वो यहां कोविड-19 वैक्सीन के विकास की समीक्षा करने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा कर रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में टीम के साथ अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने अब तक की प्रगति के बारे में विवरण साझा किया कि वे टीका निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए कैसे योजना बनाते हैं। साथ ही उनकी निर्माण सुविधा पर भी नजर डाली। '
तेलंगानाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी COVID-19 वैक्सीन विकास की समीक्षा करने के लिए हैदराबाद में पहुंचे। वैक्सीन की तैयारियों का जायजा के लिए भारत बायोटेक फैसिलिटी का दौरा किया। पीएम नरेंद्र मोदी को आज हैदराबाद, तेलंगाना में भारत बायोटेक के स्वदेशी COVID-19 वैक्सीन के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने ट्वीट में कहा कि वैज्ञानिकों ने अब तक के परीक्षणों में उनकी प्रगति के लिए बधाई दी। उनकी टीम आईसीएमआर के साथ मिलकर काम कर रही है। भारत बायोटेक कोविड-19 की रोकथाम के लिए संभावित वैक्सीन का विकास भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय विषाणुविज्ञान संस्थान के साथ मिलकर कर रहा है जिसका तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। हैदराबाद में जीनोम वैली स्थित भारत बायोटेक की बीएसएल-3 (जैव-सुरक्षा स्तर 3) इकाई में टीके का विकास किया जा रहा है और यहीं इसका उत्पादन किया जाएगा।
अहमदाबादः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी COVID19 वैक्सीन उम्मीदवार ZyCOV-D के विकास की समीक्षा करने के लिए Zydus Biotech Park में पहुंचे और वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लिया। पीएम मोदी ने कहा कि अहमदाबाद में जायडस बायोटेक पार्क का दौरा किया और जायडस कैडिला द्वारा विकसित किए जा रहे स्वदेशी डीएनए आधारित वैक्सीन के बारे में अधिक जानकारी ली। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं इस काम के लिए इस टीम की सराहना करता हूं। भारत सरकार इस यात्रा में उनका सपोर्ट करने के लिए सक्रिय रूप से उनके साथ काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे, Zydus Biotech Park का दौरा करने के लिए COVID-19 वैक्सीन विकास की समीक्षा करने के लिए बाद में आज, पीएम हैदराबाद में भारत बायोटेक और पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा करेंगे।
पीएम मोदी सबसे पहले सुबह 9:30 बजे अहमदाबाद में जायडस बायोटेक पार्क पहुंचेंगे। जाइडस कैडिला का संयंत्र अहमदाबाद शहर के पास चांगोदर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है। दवा बनाने वाली कंपनी ने पहले घोषणा की थी कि कोविड-19 के संभावित टीके का प्रथम चरण का परीक्षण पूरा हो गया है और दूसरे चरण का परीक्षण अगस्त में शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री जाइडस कैडिला द्वारा विकसित किए जा रहे कोविड-19 के टीके के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।
पीएम मोदी दोपहर 1:30 बजे हैदराबाद में भारत बायोटेक पहुंच सकते हैं। पीएम पुणे से दोपहर में भारतीय वायुसेना के विमान में 'हकीमपेट वायुसेना अड्डे' पहुंचेंगे। वह सीधे जीनोम घाटी स्थित भारत बायोटेक केन्द्र जाएंगे और वहां का दौरा कर वायुसेना अड्डे लौट आएंगे। मोदी भारत बायोटेक केन्द्र में करीब एक घंटे रुकेंगे। भारत बायोटेक द्वारा विकसित किए जा रहे कोविड-19 टीके का तीसरे चरण का ट्रायल जारी है।
पीएम मोदी 4:30 बजे पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) पहुंचेंगे। पुणे स्थित का दौरा करने की उम्मीद है, जिसने कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए मशहूर दवा कम्पनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ भागीदारी की है।
उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 को लेकर ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन से बात की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि उन्होंने महामारी की वजह से उत्पन्न हुई चुनौतियों पर विचार साझा किए और भारत तथा ब्रिटेन के बीच टीके के विकास और निर्माण को लेकर सहयोग की समीक्षा की।
मोदी ने ट्वीट किया कि अगले दशक में भारत-ब्रिटेन संबंधों की महत्वाकांक्षी कार्ययोजना पर अपने दोस्त, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ शानदार चर्चा की। हमने व्यापार और निवेश, रक्षा व सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन तथा कोविड-19 से जंग समेत सभी क्षेत्रों में हमारे सहयोग को व्यापक रूप से बढ़ाने पर सहमति जताई।
डाउनिंग स्ट्रीट के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री जॉनसन और प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस के उपचार और टीके की तलाश के संयुक्त प्रयासों पर चर्चा की और दोनों देशों के प्रमुख वैज्ञानिकों के बीच सहयोग का स्वागत किया।
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भोजपुरी सिनेमा की नंबर 1 अभिनेत्री और टीवी की दुनिया में अपने अभिनय के दम पर अलग पहचान बनाने वालीं मोनालिसा को एक समय पर उनके वजन और स्किन कलर के लिए लोग सोशल मीडिया पर अभद्र शब्द कहते थे जिसका खुलासा खुद नजर एक्ट्रेस ने हाल ही में किया।
मोनालिसा ने सोशल मीडिया अनुभव के बारे में खास बात करते हुए बताया कि, 'सोशल मीडिया जितना सुहावना है कई बार उतना ही डरावना भी लगता है। बहुत से फैंस आपकी पोस्ट पर प्यार बरसायेंगे और आपको बहुत सपोर्ट करेंगे तो वही उस भीड़ में कई लोग ऐसे भी होंगे जिनकी कोशिश ही आपका कॉन्फिडेंस तोड़ने की होगी'। मोनालिसा कहती हैं, 'कई बार ऐसा हुआ जब मैंने सोशल मीडिया पर अपनी फोटो शेयर की और फोटो शेयर करते ही थोड़ी ही देर में मेरी बॉडी शेमिंग शुरू हो गई। मैं हैरान यह देखकर थी कि कैसे लोग मुझे भद्दे -भद्दे कमेंट कर गालियां लिख रहे थे। जब पहली बार ऐसा हुआ तो इतना आईडिया नही था कि ऐसा भी हो सकता है और जब मैंने वो अभद्र भाषा वाले कमेंट्स पढ़े तो मैं बहुत दुःखी हो गई। सच कहूं तो मैं रोने लगी थी और इसकी वजह से मुझे काफी फ्रस्ट्रेशन भी हुई लेकिन आपके पास दो ही रास्ते है या तो आप सोशल मीडिया से दूरी बना लो या फिर ऐसे कमेंट डिलीट कर, इस तरह के लोगो को इग्नोर करो'।
मोनालिसा आगे कहती हैं कि, 'सोशल मीडिया पर एक बार नही बल्कि न जाने कितनी बार मेरी Body Shaming हुई है। हालांकि ऐसा नही है कि जब लोग बिना वजह आपको ट्रोल कर आपके बॉडी पर भद्दे कमेंट्स करे तो बुरा नही लगता, अब भी बुरा लगता है लेकिन अब आदत सी हो गई है'। मोनालिसा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं कि, 'मेरे वजन से मुझे प्रॉब्लम होनी चाहिए ,मुझे कोई प्रॉब्लम नही हैं बल्कि कुछ लोगो को मेरी बॉडी से यह प्रॉब्लम थी कि अगर मैं मोटी हूं तो मैं एक्टर कैसे बन सकती हूं। मैं अपनी स्किन में शुरुआत से ही कम्फर्टेबल रही हूं। मुझे मेरे वजन या स्किन के कलर से कभी कोई शिकायत नही थी, लेकिन जब मुझे उल्टे -सीधे सिर्फ भद्दे कमेंट नही बल्कि गालियां सुनने को मिली, तब वाकई कुछ देर के लिए ऐसा लगता था कि जैसे मैंने एक्टर बनकर गुनाह कर दिया हो। जबकि हकीकत यह है कि मुझे कभी अपने वजन या लुक को लेकर काम मिलने में कभी दिक्कत नही हुई, न ही कभी किसी डायरेक्टर ने कहा कि आप ऐसी दिखती हैं, ये चेंज करो या वजन कम करो'।
मोनालिसा सोशल मीडिया से जुड़ी तमाम घटनाएं याद कर कहती हैं कि, 'असल मे कुछ सालों बाद यह कह देना बहुत आसान होता है कि हमे ट्रोल्स से फर्क नही पड़ता क्योंकि हम उन्हें जानते थोड़ी है ये तो वर्चुअल वर्ल्ड का हिस्सा है। जबकि ट्रोलिंग से लगातार जूझना बहुत मुश्किल है इसका सीधा असर आपकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इतने सालों में body Shaming करते हुए ट्रोल्स ने मेरी इतनी ट्रोलिंग की है कि अब मेरी काफी मोटी चमड़ी हो गई है। लेकिन भले ही मेरे साथ कई सोशल मीडिया पर डरावने किस्से हुए हो, लेकिन यह भी सच है कि सोशल मीडिया किसी भी टैलेंट के लिए अपने काम को प्रोमोट करने का बढ़िया प्लेटफार्म है। क्योकि यहां फैंस का आपसे बिना किसी इवेंट के भी डायरेक्ट कनेक्शन होता है।
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नई दिल्ली जिले की पुलिस अफसर ने बताया है कि 18 अगस्त की रात करीब सवा 8 बजे पुलिस को कॉल मिली थी। पूर्व पीएम के सरकारी आवास के सर्वेंट क्वॉर्टर में पंखे से शव लटका मिला था। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
नई दिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगोडा के सरकारी आवास पर ड्राइवर ने संदिग्ध परिस्थितियों में खुदकुशी कर ली। उनका शव 18 अगस्त की रात को सर्वेंट क्वार्टर में पंखे से लटका मिला था। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस पहुंची। पुलिस का कहना है कि खुदकुशी के कारणों का पता नहीं चल सका है। तुगलक रोड थाने की पुलिस मामले की जांच कर रही है।
नई दिल्ली जिले की पुलिस अफसर ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि 18 अगस्त की रात करीब सवा 8 बजे पुलिस को इस बारे में कॉल मिली थी। कॉलर ने बताया था कि 5, सफदरजंग लेन स्थित पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के सरकारी बंगले में बने सर्वेंट क्वार्टर के अंदर युवक ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है।
Crime: दोस्त को कॉल कर बाउंसर ने कहा श्यामजी के पास जा रहा हूं और मंदिर में जाकर मार ली गोली कॉल पर तुगलक रोड थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। जिस शख्स ने फांसी लगाकर खुदकुशी की, उनकी पहचान 25 वर्षीय अमित एचडी के रूप में हुई। वह मूल रूप से कर्नाटक के जिला मांडिया स्थित गांव कोडी वसूर के रहने वाले थे। वह सर्वेंट क्वार्टर के कमरे में पंखे में बंधे फंदे पर लटके हुए थे। पुलिस ने छानबीन के लिए क्राइम टीम और एफएसएल को बुलाया गया। मौके पर छानबीन में पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।
पुलिस अफसर के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के आवास पर वह बतौर ड्राइवर थे। फिलहाल वह कर्नाटक भवन में ड्राइवर की ड्यूटी दे रहे थे। वह पिछले साल दिसंबर में पूर्व पीएम के सरकारी आवास में बने सर्वेंट क्वार्टर में रहने आए थे। यहां उनका एक रिश्तेदार भी रहता है। शव का पोस्टमॉर्टम कर परिजनों को सौंप दिया है। डीसीपी अमरुथा गुगलोथ के मुताबिक, अभी तक की जांच में खुदकुशी की कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है। मामले की जांच जारी है।
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हेमन्चन्द्र और पाणिनि
किन्तु हेम ने इन तीनों प्रत्ययों के विधान के लिए पृथक पृथक तीन सूत्र रचे हैं। अच-विधायक श्रच ५/१/४९ सूत्र, अन्-विधायक नन्यादिभ्योऽनः ५/१/५२ और गिन् विधायक प्रहादिभ्यो जिन ५/१/५३ सूत्र हैं। हेम ने सरलता की दृष्टि रखकर तो विभाजन किया ही है, साथ ही अनुशासन शैली में मौलिकता भी स्थापित की है। यह स्पष्ट है कि अच प्रत्यय-विधायक सूत्र का हेम ने सामान्यतः उल्लेख किया है, इसमें एक बहुत बड़ा रहस्य है । नन्दादि एवं ग्रहादि दोनों गणों में पठित शब्द परिगणित हैं, इसी कारण पाणिनि ने भी पचादि को आकृतिगण माना है । आकृतिगण का मतलब यह होता है कि परिगणितों के सदृश शब्द भी उसी तरह सिद्ध समझे जायें। यहाँ पचादि को आकृतिगण मानने से पाणिनि का तात्पर्य यह है कि-पचादिसंबन्धी अच कार्य पचादि गण में अनिर्दिष्ट धातुओं से भी सम्पन्न हो ।
हैम व्याकरण में जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि - सामान्य रूप से सभी धातुओं से अच प्रत्यय का विधान माना गया है। इससे फल यह निकलता है कि पचादि का नाम लेकर उसे आकृतिगण भानने की आवश्यकता नहीं होती । इस शैली में एक यह अड़चन अवश्य होती हैं कि क्या सभी धातुओं के आगे अन्नू प्रत्यय लगे ? मालूम होता है कि विशेष रूप से अभिहित अण और णिन् प्रत्ययों में प्रकृति स्थलों को छोड़कर सर्वत्र अच प्रत्यय का अभिधान करना हेम को स्वीकार है। संभव है इनके समय में इस तरह के प्रयोग किये जाने लगे होंगे ।
पाणिनि ने जू धातु से अतन् प्रत्यय का विधान कर जरत् शब्द सिद्ध किया है, जिसका स्त्रीलिंग रूप जरनी होगा। हम ने जब धातु से अत् प्रत्यय करके उक्त रूपों की सिद्धि की है ।
संस्कृत भाषा की यह सामान्य विधि है कि इसमें परस्मैपदी धातुओं के साथ अत् और आत्मनेपदी धातुओं के साथ आन प्रत्यय ( होता हुआ अर्थ में ) लगते है। इसके विपरीत परस्मैपदी धातुओं से आन तथा आत्मनेपदी धातुओं से अत् प्रत्यय नहीं आ सकते । पाणिनीय व्याकरण में इस बात का पूर्ण निर्वाह किया गया है। पर हेम व्याकरण में पाणिनि की अपेक्षा प्रक्रिया की विशेषता है। हेमने शक्ति एवं शील अर्थ में गच्छमान आदि प्रयोग भी सिद्ध किये हैं। यह भाषा शास्त्र की एक घटना ही कही जायगी। ऐसा मालूम होता है कि पाणिनि के बहुत दिनों के बाद उक्त अर्थों में गच्छमान आदि प्रयोगों का भी औचित्य मान लिया गया होगा। इसलिए हम ने विशेष अर्थों में परस्मैपदी धातुओं से भी आन प्रत्यय का अनुशासन किया । कृदन्त प्रकरण में हेम और पाणिनि के अवशेष प्रत्ययों के अनुशासन में प्रायः
आचार्य हेमचन्द्र और उनका शब्दानुशासनः एक अध्ययन समता है। हेम ने अपने इस प्रकरण को पर्याप्त पुष्ट बनाने का प्रयास किया है ।
कृदन्त के अनन्तर हेम ने तद्धित प्रत्ययों का अनुशासन किया है। यद्यपि पाणिनीय असुशासन में तद्धित प्रकरण कृदन्त के पहिले आ गया है । भट्टोजि दीक्षित ने पाणिनीय तन्त्र की प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप देने के लिए सिद्धान्त कौमुदी का पाणिनीय संस्करण तैयार किया है। इसमें उन्होंने प्रतिपादित शब्दों के साधुत्व के अनन्तर उनके विकारी तद्धित रूपों की साधना प्रस्तुत की है । यह एक साधारण सी बात है कि सुबन्त शब्दों का विकार तद्धित निष्पन्न शब्द हैं, और तिङन्त शब्दों का विकार कृदन्त शब्द है । अतः व्याकरण के क्रमानुसार वर्णमाला, सन्धि, सुबन्त शब्द, उनके स्त्रीलिंग और पुंल्लिंग विधायक प्रत्यय, अर्थानुसार विभक्तिविधान, मुबन्तों के सामासिक प्रयोग, मुबन्तों के विकारी तद्धित प्रत्ययों से निष्पन्न तद्धितान्त शब्द, तिङन्त, तिङन्तों के विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त प्रक्रिया रूप एवं तिङन्त के विकारी कृत् प्रत्ययों के संयोग से निष्पन्न कृदन्त शब्द आते हैं। हैम व्याकरण में तिङन्तों के अनन्तर कृदन्त शब्द और उनके पश्चात् विभिन्न अर्थों में, विभिन्न तद्धित प्रत्ययों से निष्पन्न सुबन्त विकारी तद्धितान्त शब्द आये हैं। हेम का क्रम इस प्रकार है कि पहले वे सुबन्त, तिङन्त की समस्त चर्चा कर लेते हैं, इसके पश्चात् उनके विकारों का निरूपण करते हैं। इन विकारों में प्रथम तिङन्तविकारी कृत् प्रत्ययान्त कृदन्तों का प्ररूपण है, अनन्तर सुबन्तों के विकारी तद्धितान्त शब्दों का कथन है । अतः हेम ने अपने क्रमानुसार तद्धित प्रत्ययों का सबसे अन्त में अनुशासन किया है। हम हेम और पाणिनि की तुलना में इस प्रकरण को इसलिए अन्त में रखते हैं कि हेम के प्रकरणानुसार ही हमें विवेचन करना है ।
पाणिनि ने ण्य प्रत्यय के द्वारा दिति से दैत्य, अदिति और आदित्य दोनों से आदित्य तथा पत्यन्त बृहस्पति आदि शब्दों से बाईम्पत्य आदि शब्दों की व्युत्पत्ति की है। हेम ने अनिदम्यणपवादे च दित्यदित्यादित्ययमपत्युत्तर पदाव्यः ६।१।१५ द्वारा नवप्रयुक्त याम्य शब्द की भी व्युत्पत्ति उक्त शब्दों के साथ प्रदर्शित कर पाणिनि की अवशिष्ट पूर्ति की है।
पाणिनि ने गांधा शब्द से गौधेरः, गौधारः और गौधेयः इन तीन तद्धितान्त रूपों की सिद्धि की है। हेम ने भी गौधारः और गौधेरः की सिद्धि गोधाया दुष्टे रणार ६/११८१ के द्वारा की है। पाणिनीय तन्त्र में गौधारः और गौधेरः की
• सामान्यतः व्युत्पत्ति भर कर दी गयी है अर्थात् गोधा के अपत्य अर्थ में उक्त शब्दों का साधुत्व प्रदर्शित किया गया है। पर हेम ने आर्थिक दृष्टि से एक विशेष प्रकार की नवीनता दिखलायी है। इनके तन्त्र में ६/१/८१ के द्वारा
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ज्यों फेन से सराबोर समंदर की लहर हुलसकर तट तक जाती है और सब कुछ समर्पित कर बौखलाई-सी लौट आती है, रन्नी भी लौट आई। यूसुफ और अपने प्यार की निशानी को खुरच-खुरच कर निकलवा तो दिया पर मन से क्या खुरचने के दाग़ गए? क्यों रन्नी के साथ ही ऐसा होता आया है? हर ओर शिकस्त, ज़िन्दगी की हर बाजी शह और मात से लबरेज?.....कहीं तो अल्लाह एक किरण रोशनी की उसे भी सौंपता?
भाईजान के लौटने का वक़्त। घर में तरकारियाँ थीं नहीं और भाईजान को चाहिए रोटी तरकारी। रन्नी ने सिल पर एक कटोरी खसखस पीसी और हरी मिर्चें डालकर पका लीं।.....भाईजान आयेंगे तो फुलके उतार देगी। नूरा अपने आप में मस्त खेल रहा था। यूँ भी वह अब समझदार हो गया है। शकूरा का बड़ा भाई जो है। फिर बहन भी आने वाली है। भाभी के लड़की ही हो यह रन्नी की दिली तमन्ना है। कम से कम घर में पायल-चूड़ी तो बजे। रन्नी इस घर की बेटी होकर भी इस सुख से महरूम है। मन फिर पिघलने लगा, भीतरी परतें कसमसाने लगीं। रन्नी ने अपने पर काबू किया। नमाज का वक्त हो चला था। उसने बरामदे में रखे घड़े से लोटा भर पानी लेकर वजू किया और जॉनमाज़ बिछाकर नमाज़ पढ़ने लगी। सिजदा किया, तभी भाईजान आ गए। थैलों में सब्ज़ी तरकारी भरे। अंडे, पाव सभी कुछ। आते ही नूरा को प्यार किया। रन्नी को भर नज़र देखा। रन्नी निगाहें न मिला सकी। चौके में जाकर फुलके सेंकने लगी। भाईजान कपड़े बदलकर हाथ-मुँह धोकर तख़्त पर बैठ गए। तख़्त पर नमदा बिछा था। यह नमदा अम्मी ने उस समय ख़रीदा था जब रन्नी का ब्याह हुआ था। भाईजान नूरा से पूछ रहे थे कि शकूरा कैसा है और उसकी अम्मी कैसी हैं, कब लौटेंगी और यह कि दिन भर फूफी को तंग तो नहीं करता रहा वह?
वे चौंके-'ऊँऽऽ,' और नहीं में सिर हिलाया। अन्तिम कौर खाकर हाथ धोने बरामदे की ओर बढ़े फिर नूरा को आवाज़ दी-'बेटा, थोड़ा पानी और दे जा।' रन्नी हाहाकार कर उठी। भाईजान कुछ कहते क्यों नहीं, क्यों अबोला साध रखा है? क्या माफ़ नहीं करेंगे उसे? क्या अपनी जान से ज़्यादा अजीज बहन को अबोला साध ज़िबह कर डालेंगे? टूटे मन से रन्नी ने जूठी थाली उठाई, चौके का काम निपटाया। मन चिन्दी-चिन्दी हो उठा था।.....कैसे जोड़े इस घर के अपनापे को? यूसुफ ने समय माँगा है। वह क्या करे? कहाँ जाये?
मेरी रेहाना,
झन्न.....रेहाना के दिल की किर्चें चहुँ ओर बिखर गईं। उस पर पाँव रखता उसका एहसास लहूलुहान हो गया। रेहाना रोई नहीं, जड़ हो गई। विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हो सकता है पर सच तो सच है। आँखों पर परदा डाल लेने से सब कुछ ढँक तो नहीं जाता। रेहाना उठी, पत्र को तहाकर तकिये की खोल में घुसेड़ दिया। याद आई ब्याह की रात, पति के द्वारा बलात्कार की रात.....पीटे जाने की घटनाएँ, आरी-सी चलती किचकिचाती सास की बातें.....घर लौटना.....भाईजान, अम्मी का समझाकर वापस भेजना और सूनी कोख के लिए लानत-मलामत सहना और फिर पति की मौत। रेहाना को एक-एक हादसा याद है। याद है हर पल.....हादसों की मजार बना उसका अस्तित्व! फिर भी जीने को मजबूर वह। यूसुफ.....यूसुफ, तुम क्यों मिले बिना लौट गए। मौत की सज़ा सुनाने से पहले मिल तो लेते, मेरी अंतिम इच्छा तो पूछ लेते। नहीं यूसुफ.....डरो मत.....मरूँगी नहीं मैं.....लेकिन क्या साँस चलते रहने को तुम ज़िन्दगी मानते हो?
दूसरे दिन दोपहर तक खपरे आ गए। छानी दुरुस्त होने लगी। अमराई सूनी पड़ी थी, मिट्ठन का झोपड़ा भी खामोश था। आम उतार लिए गए थे। ट्रकों का शोर भी कम हो गया था। बादलों ने बड़ी मेहरबानी की दिन-भर बरसे नहीं और छानी छा दी गई। न जाने क्यों आमों के टूट जाने से रन्नी उदास हो गई थी। चौके की खिड़की से दिखती चहल-पहल में मन रमता रहता था। ख़ास कर जब मिट्ठन लम्बा बाँस लेकर सुग्गों को उड़ाता था। वह धोती पहने हमेशा खरेरी खटिया पर लेटा रहता था। रन्नी सोचती, कोई इतना फुरसत में कैसे पड़ा रहता है? जी नहीं अकुलाता?
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उपराष्ट्रपति श्री मोहम्मद हामिद अंसारी ने देशवासियों को श्रीराम नवमी के पवित्र अवसर पर बधाई दी है। अपने संदेश में उन्होंने कामना व्यक्त की कि भगवान राम का चिर संदेश हमें संमार्ग पर चलने की प्रेरणा देता रहे।
" मैं श्रीराम नवमी के पवित्र अवसर पर अपने देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
भगवान राम का चिर संदेश हमें संमार्ग पर चलने के लिए सदैव प्रेरित करता रहे।
इस हर्षपूर्ण अवसर पर हम यह संकल्प लें कि हम शांतिपूर्ण, न्यायप्रिय और सद्भावनापूर्ण समाज के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करें।"
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प्यार अंधा होता है, लेकिन उसकी भी एक मर्यादा होती है। लेकिन नोएडा में प्यार की एक अजीबोगरीब दास्तां सामने आई है। जानकारी के मुताबिक एक टीचर को अपने नाबालिग स्टूडेंट से प्यार हो गया। दोनों का प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि टीचर और स्टूडेंट दोनों गायब हो गए और अब लड़के के पिता ने टीचर के खिलाफ थाने में जाकर मुकदमा दर्ज करवाया। पिता ने पुलिस से गुहार लगाई है कि उसके नाबालिग बेटे को ढूंढ कर वापस लाया जाए। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। टीचर और स्टूडेंट की तलाश की जा रही है।
पुलिस ने बताया कि युवती के पास किशोर लगभग 6 महीने पहले ट्यूशन पढ़ने जाता था। जहां दोनों के बीच प्रेम प्रसंग हो गया। ट्यूशन पढ़ाने वाली मैडम की उम्र 22 साल है। लड़के की उम्र 16 साल है। अब छात्र के पिता ने टीचर के खिलाफ सेक्टर-113 के पुलिस थाना में मुकदमा दर्ज करवाया है। सेक्टर-113 के थानाध्यक्ष प्रमोद प्रजापति ने बताया कि उन्नति विहार कॉलोनी में रहने वाले विजय शुक्ला ने शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि 16 वर्षीय बेटा उसी कॉलोनी में रहने वाली आयशा के पास ट्यूशन पढ़ने जाता था। जहां पर आयशा को उनके बेटे से प्यार हो गया। पुलिस को शुरुआती जांच में पता चला है कि महिला टीचर छात्र से प्यार करती है। दोनों की तलाश पुलिस टीम कर रही है।
छात्र के पिता विजय शुक्ला ने बतया कि उनका बेटा 15 जनवरी की दोपहर को अपनी चाची के घर पर जाने की बात कहकर निकला था। इसके बाद से नहीं आया। उसके दोनों फोन नंबर भी बंद जा रहे है। उनका आरोप कि ट्यूशन टीचर उनके बेटे को अगवा करके फरार हो गई है। विजय शुक्ला की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
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"भोजन को औषधि बनाएं; और औषधि को भोजन" -हिप्पोक्रेट्स (431 ईसा पूर्व)
हम जो भी भोजन करते हैं, वह मात्रा और गुणवत्ता दोनों ही दृष्टियों से हमारे पोषण/स्वास्थ्य के स्तर और कुल मिला कर हमारी खुशहाली को प्रभावित करता है। इसलिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की समुचित मात्रा शैशव अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक हमारे भोजन में शामिल होनी चाहिए। ठीक ही कहा गया है कि 'हम जो कुछ हैं, वह इस पर निर्भर है कि हम खाते क्या हैं" दूसरे शब्दों में "जैसा अन्न-वैसा मन"। हमारे शरीर की संरचना हमारी खुराक पर निर्भर करती है। कोई अकेला भोजन ऐसा नहीं है, जो हमारी सभी पोषक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो। हमारा भोजन पौष्टिक तत्वों की दृष्टि से संतुलित होना चाहिए और उससे हमें ऊर्जा, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेड्स, विटामिन, खनिज, आहार संबंधी रेशा और जल पर्याप्त मात्रा में मिलने चाहिए।
पोषण हमारे स्वास्थ्य और खुशहाली में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पहले से ज्ञात आहार विषयक घटकों के अलावा; हाल के वर्षों में कुछ ऐसे मिश्रणों में रुचि बढ़ रही है, जिनका स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। इनमें एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स शामिल हैं।
एंटीऑक्सिडेंट एक कण है जो अन्य कणों के ऑक्सीकरण को रोकता है। ऑक्सीकरण अनुक्रियाएं हालांकि हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, परंतु कई बार वे क्षति भी पहुंचा सकती हैं। ऑक्सीकरण प्रक्रियाओं के दौरान पैदा होने वाले मुक्त रेडिकल्स (मूल तत्व) हमारे शरीर में सृजित होने वाले ऐसे उच्च-अनुक्रियात्मक मिश्रणों का विमोचन करते हैं, जो सामान्य प्रक्रियाओं के सह-उत्पाद के रूप में हमारे शरीर में पैदा होते हैं या वातावरण से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट्स का अपर्याप्त स्तर अथवा एंटी-ऑक्सिडेंट्स एन्जाइम्स (किण्वक) का निरोधन ऑक्सिडेंट्स तनाव पैदा करता है जो डीएनए कोशिकाओं को क्षति पहुंचा सकता है या उन्हें समाप्त कर सकता है।
एंटी-ऑक्सिडेंट्स ऐसे मिश्रण होते हैं जो ऑक्सीजन प्रजातियों/मुक्त मूल तत्वों को निष्क्रिय बनाते हैं और, इस तरह वे कोशिकाओं और शारीरिक ऊतकों को होने वाली ऑक्सिडेटिव क्षति को रोकते हैं। पौधों से बनने वाला भोजन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है, क्योंकि वह ऑक्सिडेंट्स और एंटी- ऑक्सिडेंट्स के बीच संतुलन कायम करते हुए हमारे शरीर में ऑक्सिडेटिव तनाव दूर करता है। पौधों/मवेशी से प्राप्त भोजन में कई किस्म के पोषक/ गैर-पोषक एंटी-ऑक्सिडेंट, जैसे ग्लुटेथिओन, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन ई होते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट्स का आहार विषयक पूरक तत्वों के रूप में व्यापक इस्तेमाल किया जा रहा है और वे कैंसर, कोरोनरी हृदय रोग और यहां तक कि ऊंचाई पर होने वाली रुग्णता जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए जांचे-परखे जा रहे हैं।
फाइटोकैमिकल्स ऐसे मिश्रण हैं जो प्राकृतिक रूप में पौधों (ग्रीक भाषा में फाइटो का अर्थ पौधा होता है) में घटित होते हैं। तकनीकी दृष्टि से, हालांकि इसके अंतर्गत पादप आधारित मिश्रणों की अनेक किस्में आती हैं, परंतु मुख्य रूप से इस शब्द का इस्तेमाल उन मिश्रणों के लिए किया जाता है जो मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
फाइटोकैमिकल्स के अंतर्गत गैर-पोषक एवं जैविक दृष्टि से सक्रिय मिश्रणों की कई प्रजातियां (फ्लेवोनोइड्स और पोलिफेनोल्स) आती हैं, जो पादप भोजन में पाई जाती हैं, जो बुनियादी पोषण से परे विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं।
फाइटोकैमिकल्स वास्तव में सभी फलों, सब्जियों, दालों/फलियों और अनाज में पाए जाते हैं, जिनका आमतौर पर सेवन किया जाता है। अतः उन्हें दैनिक आहार में आसानी से शामिल किया जा सकता है। हालांकि हजारों फाइटोकैमिकल्स की पहचान की गई है, लेकिन उनमें से गिने-चुने रसायनों के बारे में अध्ययन किया गया है। कुछ जाने-माने पादप रसायनों में β-कैरोटिन और अन्य कैरोटेनॉयड्स, एस्क्रोबिक ऐसिड (विटामिन सी), फोलिक एसिड, और विटामिन ई शामिल हैं। कुछ पादप रसायनों में एंटी-ऑक्सिडेंट सक्रियता या हार्मोन जैसी अनुक्रियाएं भी होती हैं।
अल्जाइमर बीमारी (एडी) चिरकालिक डिमेंशिया का एक रूप है जो मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में प्लेग एकत्र होने और विभिन्न प्रकार के स्नायुओं के नष्ट होने के कारण होता है। यह आमतौर पर 70 वर्ष की आयु के बाद शुरू होता है। इसके प्रारंभिक लक्षणों में विस्मृति और सुगंध/स्वाद के प्रति संवेदनशीलता में कमी आना शामिल है जिसकी परिणति धीरे धीरे व्यवहार संबंधी समस्याओं के रूप में होती है जैसे अस्थिर चित्त, उग्रता और निद्रादोष प्रकट होना। इनका दुष्प्रभाव भोजन ग्रहण करने और सुरक्षित पोषक तत्वों की बर्बादी के रूप में सामने आता है जिससे पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है।
पार्किंसन बीमारी (पीडी) डोपामाइन का समुचित सृजन न हो पाने के कारण होती है। इसकी शुरूआत आमतौर पर करीब 60 वर्ष की आयु या उससे पहले होती है। यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। इसके लक्षणों में हाथ, भुजा, पैर, जबड़ा और चेहरा कांपना; हाथ, पैर और धड़ का सख्त होना; गति में कमी आना; और संतुलन/समन्वय का अभाव होना शामिल है। कुछ रोगियों को डिप्रेशन और निद्रा संबंधी समस्याएं भी होती हैं।
एंटी-ऑक्सिडेंट्स और अन्य भोजन अवयवों के बीच लाभदायक परस्पर अनुक्रियाओं के लिए यह सलाह दी जाती है कि एंटी-ऑक्सिडेंट्स पूरक तत्वों के रूप में लेने की बजाय भोजन स्रोतों से ग्रहण करने चाहिए जो स्वास्थ्य को अधिक लाभ पहुंचाते हैं।
आधुनिक जीवनशैली संबंधी बदलावों (निष्क्रिय जीवनशैली, दोषपूर्ण आहार पद्धतियां, तनाव और कुछ मामलों में धूम्रपान/नशीली दवाएं/एल्कोहल का सेवन) के कारण मुक्त रेडिकल्स और अनुक्रियात्मक आक्सीजन प्रजातियों का उत्सृजन अधिक मात्रा में हो सकता है। अनेक प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट्स न केवल ऑक्सिडेंटिव तनाव कम करते हैं, बल्कि विभिन्न डिजेनेरेटिव बीमारियों के प्रति संरक्षण भी प्रदान करते हैं; और इस प्रकार एंटी-ऑक्सिडेंट्स स्वास्थ्य देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पादप भोजन प्राकृतिक रूप में पैदा होने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट्स का प्रमुख स्रोत होते हैं; फल, सब्जियां, जड़ें और ट्यूबर, पोलिफेनोल्स का समृद्ध स्रोत हैं। अतः डिजेनेरेटिव (अपकर्षक) बीमारियों का जोखिम कम करने के लिए फलों/सब्जियों के अधिक इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। सुरक्षा और उपचारात्मक प्रभाव की संभावनाओं को देखते हुए प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट्स में आहार विशेषज्ञों, खाद्य विनिर्माताओं और उपभोक्ताओं की पर्याप्त रुचि होती है।
फेनोलिक मिश्रणों की संभावित एंटी-ऑक्सिडेंट्स सक्रियता के आधार पर पादप खाद्य पदार्थों की कुल फेनोलिक मात्रा (टीपीसी) में भारी अंतर होता है। ताजा फलों की टीपीसी 26 मि.ग्रा./100 ग्राम (तरबूज) से लेकर 374 मि.ग्रा./100 ग्राम (अमरूद) तक और मेवों की टीपीसी 99.0 मि.ग्रा./100 ग्राम (पियाल बीज/चिरोंजी नट) से लेकर 959.7 मि.ग्रा./100 ग्राम (अखरोट) तक होती है। इसके अलावा गहरे रंग की सब्जियां जैसे चुकंदर और लाल पत्तागोभी में एंटी-ऑक्सिडेंट्स सक्रियता होती है जबकि गाजर में टीपीसी सबसे कम होती है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एंटी-ऑक्सिडेंट्स पूरक तत्वों की अधिक मात्रा, कुछ मामलों में, स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
उदाहरण के लिए बी-कैरोटीन की अधिक मात्रा से धूम्रपान करने वालों में फेफड़े के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है जबकि विटामिन ई की अधिकता से प्रोस्टेट कैंसर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
व्यावहारिक खा़द्य वस्तुएं इस तरह से तैयार की जाती हैं कि वे प्राकृतिक रूप में पौष्टिक भोजन के सेवन में मदद पहुंचाती हैं ताकि तरल अथवा कैपसूल के रूप में आहार विषयक पूरक लेने की आवश्यकता न पड़े। व्यावहारिक खाद्य वस्तुएं इस तरह से संसाधित या संरक्षित की जाती हैं कि वे पोषक तत्वों का स्तर उतना या उससे अधिक बनाए रख सके जितना कि प्रसंस्करण से पहले उनमें विद्यमान था। कभी कभी पोषक मूल्य बढ़ाने के लिए पूरक पोषक तत्व/विभिन्न मिश्रण जोड़े जाते हैं अथवा खाद्य वस्तुओं का स्वास्थ्यवर्धक प्रभाव बढ़ाया जाता है जैसे दूध में विटामिन डी जोड़ना, दूध आधारित पेय पदार्थों में पादप सांद्रव मिलाना।
फाइटोकैमिकल (पोलिफेनोल्स, टोकोफेरोल्स, टोकोट्रिएनोल्स, कैरोटेनॉयड्स, और एस्कोर्बिक ऐसिड) का सेवन स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने और अनेक बीमारियों की रोकथाम/उपचार से सम्बद्ध है। इन बीमारियों में कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, मेटाबोलिक सिंड्रोम और अन्य डिजेनेरेटिव बीमारियां शामिल हैं।
कुछ फाइटोकैमिकल भोजन के रंग एवं अन्य आर्गेनोलेप्टिक गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं जैसे ब्लूबेरी का गहरा बैंगनी रंग और लहसुन की तीखी गंध। विभिन्न प्रकार के करीब 4000 ऐसे फाइटोकैमिकल्स हैं जो बीमारी की स्थितियों में लाभ पहुंचाते हैं। उदाहरण के लिए टमाटर में मौजूद लिकोपिन को हृदय रोगों और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में मददगार समझा जाता है।
फाइटोकैमिकल्स, पोलिफेनोल्स के अनेक प्रमुख समूहों में व्यापक मिश्रणों का एक बड़ा उप समूह शामिल है जिसे फ्लेवोनोइड्स कहा जाता है। फ्लेवोनोइड्स विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों और अनाज में पाया जाता है, आइसोफ्ेलोनोस (सोयाबीन/सोया उत्पादों में मौजूद, अलसी के बीजों और साबुत अनाज में मौजूद लिग्नेन्स) मादा हार्मोन एस्ट्रोजेन के कार्य का अनुकरण करते हैं। पादप स्रोतों से मिलने वाले ये एस्ट्रोजन जैसे पदार्थ कुछ हार्मोन-आधारित कैन्सरों जैसे स्तन/प्रोस्टैट कैन्सर के खिलाफ संरक्षण में सहायता प्रदान करते हैं।
अन्य पोलिफेनोल्स (कुछ फ्लेवोनोइड्स सहित) एंटी-ऑक्सिडेंट्स के रूप में काम करते हैं। ये मिश्रण चाय और ब्रॉक्कली, ब्रसल्ज स्प्राउट्स, बंदगोभी, फूलगोभी, आदि सब्जियों में आमतौर पर पाए जाते हैं। काले अंगूरों, लाल पत्ता गोभी और लाल मूली में एंथोसाइएनिडिन्स (एक तरह का फ्लेवोनोइड) होता है जो सक्षम एंटी-ऑक्सिडेंट्स की तरह काम करता है। कार्टोनाएड्स, जो सब्जियों और फलों को पीले से नारंगी रंग में परिवर्तित करते हैं, को कैंसर-रोधी एजेंटों के रूप में प्रोन्नत किया जाता है। टमाटर, लाल मिर्च और गुलाबी अंगूर में लिकोपीन होता है जो एक सशक्त एंटी-ऑक्सिडेंट्स है। हरी पत्तेदार सब्जियों में लुटेइन और जेक्सांथिन नाम के कार्टोनोएड्स होते हैं जो विभिन्न प्रकार के कैंसरों का जोखिम कम करते हैं। फाइटोकैमिकल्स का एक अन्य समूह, एलाइल सल्फाइड्स (लहसुन और प्याज में विद्यमान) कहलाता है, जो ऐसे एंजाइम्स (किण्वकों) को तीव्र बनाता है जो नुकसानदायक रसायनों से छुटकारा पाने में मददगार हैं। ये हमारी रोग प्रतिरक्षण प्रणाली को सुदृढ़ करने में भी मददगार हैं।
अधिकतम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के पादप स्रोतों से प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट्स और फाइटो कैमिकल्स की पर्याप्त मात्रा का सेवन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
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कन्नौज। बसपा सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री रहे अजय भारती क्षेत्र पंचायत सदस्य पद का ही चुनाव हार गए। वर्तमान में वह बसपा जिलाध्यक्ष भी हैं। सूबे में वर्ष 2007 से 2012 तक रही बसपा सरकार में अजय भारती को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने नागरिक सुरक्षा परिषद उपाध्यक्ष (दर्जा प्राप्त मंत्री) बनाया गया था। वर्तमान में अजय भारती बसपा के कन्नौज जिलाध्यक्ष भी हैं। हसेरन ब्लाॅक क्षेत्र के वार्ड से क्षेत्र पंचायत सदस्य के उपचुनाव में पर्चा भरा। यहां से उपासना सिंह की जीत हुई। इस वार्ड से पहले उपासना सिंह के पति बृजेंद्र सिंह सदस्य थे। कैंसर की वजह से उनका निधन हो गया था। इसके कारण यहां उपचुनाव हुआ।
अजय भारती को महज 147 वोट ही मिले, जबकि 811 वोट पड़े थे। पूर्व मंत्री/बसपा जिलाध्यक्ष की 481 वोटों से करारी हार हुई।
करीब डेढ़ साल पहले हुए पंचायत चुनाव में बसपा जिलाध्यक्ष ने हसरेन ब्लॉक क्षेत्र के दो वार्डों से अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन दोनों ही जगह जमानत जब्त हो गई थी। उसी दौरान पुत्री किशनपुर बसंत और पत्नी भी इंदरगढ़ क्षेत्र से बीडीसी का चुनाव लड़ी थीं। इनको भी हार का सामना करना पड़ा था।
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बर्लिन, 2 जनवरी; मेक्सिमिलियन आर्नोल्ड ने वुल्फ्सबर्ग के साथ अपने करार में विस्तार के लिए हामी भर दी है। जर्मन लीग क्लब ने एक आधिकारिक बयान में इसकी जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, जर्मनी के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी ने बिना किसी क्लॉज के अपने करार में दो साल के विस्तार को स्वीकार किया है।
वुल्फ्सबर्ग के यूथ क्लब में आर्नोल्ड 2009 से ही खेलते आ रहे थे। इसके बाद 2011 में उन्हें मुख्य टीम में जगह मिली। इस दौरान क्लब के लिए खेले गए 140 मैचों में उन्होंने 20 गोल दागे और 10 गोल दागने में मदद की।
वुल्फ्सबर्ग वर्तमान में जर्मन लीग सूची में 12वें स्थान पर है। 14 जनवरी को उसका सामना बोरूसिया डार्टमंड से होगा।
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कोलार में एक युवक अचानक तीन मंजिला इमारत छत पर चढ़ गया। जैसे ही पुलिस उसके पास पहुंची उसने छत से छलांग लगा दी। युवक नीचे खड़े एएसआई जय कुमार सिंह के ऊपर गिरा। युवक के गिरने से एसआई के कंधे और हाथ में चोट आई है। युवक भी गंभीर घायल है। उपचार के लिए पुलिस दोनों को लेकर जेके अस्पताल पहुंची। सूचना मिलते ही मौके पर अस्पताल पहुंचे थाना प्रभारी चंद्रकांत पटेल। एसआई जय कुमार सिंह के सीने में भी चोट लगी है। अस्पताल में एसआई और युवक का उपचार जारी है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गुरुवार को ई बाइक योजना का शुभारंभ कर दिया। उन्होंने स्मार्ट पार्क से हरी झंडी दिखाकर बाईक को रवाना किया और खुद उसकी सवारी भी की। ये बाईक लोगों को अब किराए पर उपलब्ध होंगी। यह योजना भोपाल नगर निगम ने प्रारंभ की है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली में नए मप्र भवन का लोकार्पण करेंगे। इसमें हिस्सा लेने के लिए प्रदेश के सभी सांसदों को भी बुलाया गया है। लोकार्पण कार्यक्रम के बाद इसी भवन में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक भी होगी। मुख्यमंत्री ने इसकी जानकारी केबिनेट की पिछली बैठक में ही दे दी थी। इसलिए सभी मंत्री दिल्ली पहुंच गए हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बीच एक दूसरे से सवाल पूछने का अभियान जारी है। खास बात यह है कि दोनों ओर से सिर्फ सवाल पूछे जा रहे हैं, कोई जवाब नहीं दे रहा है। मुख्यमंत्री ने आज नवीन फसल योजना को लेकर सवाल पूछा तो कमलनाथ ने अविलंब मुआवजे पर सवाल दागा।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट काे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिडिल क्लास के लिए राहत भरा बताया है तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि बजट भाषण पुराने वादों पर जुमलों का पर्दा डालने का प्रयास है।
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री संत तुकाराम और उनकी पत्नी को लेकर कही गई बात पर घिर गए हैं। विरोध को देखते हुए उन्होंने माफी मांगी है। शास्त्री ने कहा कि संत तुकाराम मेरे भी आदर्श हैं। मेरे कथन से अगर किसी को ठेस पहुंची है तो मैं हाथ जोड़कर माफी मांगी मांगता हूं। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हुआ है, इसमें धीरेंद्र शास्त्री कहते हुए दिख रहे हैं कि संत तुकाराम की पत्नी उन्हें रोज डंडे से मारती थी।
मैनिट के पीएचडी स्कॉलर्स ने मैनिट प्रशासन से अकादमिक और परीक्षा विभाग के 30 जनवरी के उस नोटिस को रद्द करने की मांग की है जिसमें प्रोटेस्ट ना करने की अंडरटेकिंग देने को कहा गया है। उन्होंने शोधार्थी उद्घोष महाआंदोलन की 11 सूत्रीय मांगों को स्कॉलर्स के हित में पूरा करने की गुहार लगाई है। पीएचडी स्कॉलर्स लगातार तीन-चार वर्षों से मैनिट प्रशासन के असंगत, दबावपूर्ण, अलोकतांत्रिक, शोषण युक्त एवं रिसर्च स्कॉलर्स के अहितकारी रवैये से पीड़ित एवं तनाव में हैं।
मध्यप्रदेश के हनुवंतिया में 28 नवंबर 2022 से आयोजित किए जल महोत्सव का का समापन हो गया है। पर्यटन विभाग द्वारा चलाए गए महोत्सव में दो माह में रिकॉर्ड 2 लाख पर्यटक पहुंचे। टेंट सिटी में भी 5 हजार से अधिक परिवारों ने ठहर कर क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं रोमांचक गतिविधियों का आनंद लिया। उल्लेखनीय है कि 28 नवम्बर को महोत्सव का शुभारंभ पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर द्वारा किया गया था।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रही कलेक्टर्स -कमिश्नर्स कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों से कहा है कि आपकी जैसी इमेज होगी वैसी ही मेरी इमेज बनेगी। आप प्रमाणिकता से, मेहनत से, ईमानदारी से काम करेंगे तो लोग कहेंगे सरकार अच्छी है, मुख्यमंत्री बढ़िया काम कर रहे हैं। आप ऐसा नहीं करेंगे तो मैं कितना भी कह दूं, कुछ नहीं होगा। इंपैक्ट वहीं से आता है।
मध्यप्रदेश में सामान्य कालेजों की तरह अब सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में भी अतिथि विद्वान पढ़ाई करवाएंगे। प्रदेश में पहली बार यह व्यवस्था होगी, जिसमें इंजीनियरिंग और पालिटेक्निक कालेजों में आउटसोर्स फेकल्टी रखी जाएगी।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्री और विधायकों के बाद अब अधिकारियों से अलग-अलग चर्चा करेंगे। मंगलवार और बुधवार को भोपाल में होने वाली कलेक्टर-कमिश्नर, आइजी-एसपी कान्फ्रेंस में आधा दिन अधिकारियों से चर्चा के लिए आरक्षित रखा गया है। आज सुबह 11 बजे से कांफ्रेंस की शुरुआत हो चुकी है।
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श्रीनगर, 16 सितंबर जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक घर में हुए विस्फोट में 17 वर्षीय एक किशोरी की मौत हो गई और छह अन्य व्यक्ति घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट की प्रकृति के बारे में अभी स्पष्ट जानकारी नहीं है।
अधिकारियों ने बताया कि जिले के हंदवाड़ा इलाके के तारतपोरा में गुलाम अहमद वानी के घर में रात करीब आठ बजकर 45 मिनट पर विस्फोट हुआ।
उन्होंने बताया कि इस घटना में शबनम वानी (17) की मौत हो गई जबकि छह अन्य लोग घायल हैं। ऐसा माना गया है कि सभी घायल घर के मालिक के ही परिवार के सदस्य हैं।
अधिकारियों ने बताया कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया है और पुलिस ने विस्फोट की प्रकृति का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि पुलिस को संदेह है कि एलपीजी सिलेंडर में विस्फोट से यह घटना हुई।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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भर्तृहरि विचितम्
समुद्र में एक तरफ विष्णु विश्राम कर रहे हैं, दूसरे तरफ पर्वतों के समूह पड़े हैं और समीप ही बड़वानल भी जला रहा / है, पर समुद्र को कुछ भी नहीं जान पड़ता। क्योंकि वह विशाल काय और बलवान है । सत्पुरुष भी समुद्र के ही सदृश्य होते है ।
तृष्ण! छिन्धि भज क्षमां जहि मदं पापे रति मा कृथाः । सत्यं ब्रह्मनुयाहि साधुपदव सेवस्व विद्वज्जनम् ।। मान्यानमानय विद्विषोप्यनुनय प्रख्यापय स्वान्गुणान् । कीर्ति पालय दुःखितेकुरु दयामेतत्सता लक्षणम् ॥ ७८ ॥
तृष्णा को त्यागना, क्षमा करना, मद का विरोध, पाप से शत्रुता, सत्यावरण, निज मर्यादा में रहना, पंडितों की सेवा करना, मानियों को मानना, शत्रुओं को भी खुश रखना, कीर्ति स्थिर रखते हुए अपने गुणों को प्रसिद्ध करना, दीनों पर दया करना ये ही सत्पुरुषों के लक्षण हैं। मनसि वचसि काये पुराय स्त्रिभुवनमुपकार श्रेणिभिः परमाणुन्पर्वतोकृत्य
नित हृदि विकसन्तः सन्ति सन्तः कियन्तः ॥ ७९ ॥ मन, वचन और शरीर में भरे हुए तिल भर भी पुण्य रूपी अमृत को पर्वत के समान बढ़ाकर त्रिभुवन को उपकारों से तृप्ति करनेवाले बिरले ही होते हैं ।
चालम्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः । नास्त्युद्यमसमो वन्धुर्य कृत्वा नावसीदति ।। ८०॥
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लावा Lava की तरफ से इस स्मार्टफोन के फीचर को लेकर टीजर जारी किया गया था। तब से ही भारतीय ग्राहक इस देसी स्मार्टफोन के लॉन्च होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। Lava इस बार एक नहीं 4 स्मार्टफोन को एक साथ भारत में लॉन्च कर रहा है। हालांकि इन स्मार्टफोन के नामों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
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इसके बाद, सबसे आम सामग्रियों पर विचार करें जो अंधा बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं, व्यक्तिगत समाधानों के फायदे और नुकसान का खुलासा करने का प्रयास करें।
बाथरूम में धातु शटर की स्थापना एक उत्कृष्ट समाधान की तरह दिखती है इस तरह के उत्पाद विरूपण के अधीन नहीं हैं और उनके स्थायित्व से अलग हैं, क्योंकि वे विशेष सुरक्षात्मक परत के साथ आते हैं, जो उन्हें जंग प्रक्रियाओं के विकास से बचाते हैं।
इस तरह के अंधा के चिकनी बनावट देखभाल को आसान बनाते हैं, और एक ठोस नींव की उपस्थिति उनकी सतह पर विशेष रूप से ड्राइंग ग्राफ़िक चित्रों में, सबसे मूल डिजाइन विचारों की प्राप्ति की संभावना को खोलता है। अंत में, शौचालय में धातु अंधा स्थापित करने का निर्णय परिवार के बजट को नहीं मार देगा।
शौचालय में लकड़ी के अंधा एक अच्छा समाधान की तरह दिखते हैं, क्योंकि वे निम्नलिखित गुणों में भिन्न हैंः
प्लास्टिक रोलर शटर मजबूत पॉलिमर के लिए प्रतिरोधी, प्रतिरोधी के आधार पर बनाये जाते हैं। यह विकल्प बाथरूम में स्थापना के लिए बेहद फायदेमंद होता है, क्योंकि इस श्रेणी के उत्पादों की कम कीमत, देखभाल में आसानी, व्यापक रंग पैलेट है। अन्य बातों के अलावा, शौचालय में प्लास्टिक खड़ी अंधाधुंध स्थापित करने के लिए सुविधाजनक हैं, क्योंकि वे खुद को विरूपण के लिए उधार नहीं देते हैं, वे सतह पर स्थैतिक बिजली जमा नहीं करते हैं, जो धूल को आकर्षित कर सकते हैं।
वैकल्पिक रूप से, आप पाइप को छिपाने के लिए शौचालय में कपड़े के अंधा कर सकते हैं। इस तरह की ऊर्ध्वाधर व्यवस्थित स्लेट में घनत्व और मोटाई बहुत भिन्न हो सकती है। यहां रंगों की विविधता, सजावटी समाधान।
सामान्य तौर पर, कपड़े अंधा एक सही मायने में आर्थिक समाधान होते हैं ऐसे रोलर शटर स्वच्छ हैं, जो बाथरूम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साधारण घरेलू सफाई उत्पादों के इस्तेमाल पर सहूलियत करना, उनका ध्यान रखना आसान है।
कैसे शौचालय अंधा में पाइप बंद करने के लिए ? ऐसी तस्वीरें जो एक उदाहरण के रूप में काम कर सकती हैं, इस सामग्री में प्रस्तुत की जाती हैं। बाथरूम में अंधा की स्थापना में कई चरणों में काम करना शामिल हैः
- शुरूआत करने के लिए, कुछ छेदों को अवसाद के ऊपर की दीवार में ड्रिल किया जाता है जहां पाइपलाइन संचार स्थित हैं उत्तरार्द्ध एक बॉक्स की स्थापना और फिक्सिंग रेल की सेवा करेगा।
- निर्माण स्तर की सहायता से, अंकन को इष्टतम स्थिति चुनने के लिए किया जाता है जिसमें सिस्टम तय हो जाएगा।
- मुख्य इकाई स्थापित है, संरचना स्थिर स्थिति में सुरक्षित रूप से तय हो गई है।
- अंत में, सिस्टम को परिचालन के लिए जांच की जाती है, फास्टेंनिंग की विश्वसनीयता, वेब आंदोलन की आसानी और शांति का मूल्यांकन किया जाता है।
अंत में, हम कुछ सुझावों पर विचार करेंगे जो कि बाथरूम में अंधा के जीवन को बढ़ाएगा।
अगर हम धातु प्रणालियों के बारे में बात करते हैं, तो हमें यहाँ जितना संभव हो उतना सफाई करना चाहिए। बाहरी सजावटी कोटिंग को नुकसान न करने के लिए, अंधा को साफ करने के लिए यह नरम स्पंज का उपयोग करने के साथ-साथ गैर-संक्षारक रसायनों का उपयोग कर लायक है, जिसमें घर्षण कण नहीं होते हैं।
शौचालय में प्लास्टिक और कपड़े अंधा की सिफारिश की जाती है, साप्ताहिक को मुलायम सामग्री के कटौती के साथ मिटा दिया जाता है, हल्के साबुन वाला समाधान इस श्रेणी के उत्पादों को सूखा एक फ्लैट क्षैतिज सतह पर स्ट्रिप्स फैलकर होना चाहिए। गीली सफाई के एक दिन बाद, इस तरह के अंधा साइट पर वापस आ सकते हैं।
लकड़ी के लैमेलस कड़ाई से निषिद्ध हैं। इस मामले में, सूखे सफाई के लिए विशेष रूप से सहारा लेने के लिए आवश्यक है। स्वीकार्य विकल्प शराब के आधार पर धन का उपयोग है।
अंत में,
बाथरूम में बल्कि जटिल परिस्थितियों को देखते हुए, अंधा को चुनने पर महंगी सामग्री से बने उत्पादों को वरीयता देने की सिफारिश नहीं की जाती है। एक उच्च स्तर की आर्द्रता और तापमान में तेज बदलाव के प्रभाव में, बाद में जल्दी से अपने मूल आकर्षण खो देंगे। शौचालय में स्थापना के लिए, एक मजबूत फ्रेम के साथ सबसे आसान, व्यावहारिक मॉडल और कपड़े की तैनाती के लिए एक विश्वसनीय प्रणाली को रोकने के लिए बेहतर है।
शौचालय में अंधा की स्थापना की योजना बनाते हुए, आपको इस मुद्दे पर ध्यानपूर्वक ध्यान देना चाहिए। संरचना में स्लॉट्स के विशेष रूप से, थोड़ी सी भी गड़बड़ियों का प्रवेश, शोर इन्सुलेशन की गुणवत्ता में कमी, नमी के प्रभाव में प्रणाली के धातु तत्वों को नुकसान पहुंचा सकता है।
सही ढंग से चयनित और बाथरूम में गुणवत्ता स्थापित अंधा ही न केवल आकर्षक, आधुनिक और मूल वातावरण बनाएंगे, बल्कि पानी की पाइपलाइनों तक आसानी से पहुंच प्रदान करेंगे।
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रोहिणी जिले में पीसीआर में तैनात सिपाही ने कंझावला इलाके में फांसी लगाकर जान दे दी। उसके पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। शुरूआती जांच में पता चला है कि वह 10 दिन से किसी बात को लेकर परेशान था और गुमसुम रहता था।
पुलिस के अनुसार, सिपाही की शिनाख्त कुलवीर सिंह (34) के रूप में हुई है। वह परिवार के साथ कंझावला के उदयान पाना इलाके में रहता था। परिवार में पत्नी सोनिया के अलावा 10 साल की बेटी और आठ साल का बेटा है। कुलवीर रोहिणी जिले के पीसीआर में बतौर ड्राइवर तैनात था। रविवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे परिवार वालों ने देखा कि घर के सामने स्थित प्लॉट में बने टिन शेड में कुलवीर ने फांसी लगा ली है। परिजन उसे फंदे से उतारकर पास के सावित्री अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में मिली जानकारी के बाद वहां पहुंची पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जांच शुरू की।
पुलिस पूछताछ में परिजनों ने बताया कि कुलवीर किसी बात से परेशान था। कई बार पूछे जाने पर भी वह परिवार वालों को कुछ नहीं बता रहा था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कुलवीर के शव का पोस्टमार्टम कर उसके परिवार वालों को सौंप दिया गया है। परिवार वालों व उसके साथ काम करने वाले कर्मचारियों से पूछताछ कर खुदकुशी करने के कारणों के बारे में जानकारी हासिल की जा रही है।
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28 दिसंबर। साउथ अफ्रीका के ओपनर बल्लेबाज एडन मार्कराम बांये हाथ में फ्रैक्चर हो जाने के कारण सेंचुरियन टेस्ट मैच से बाहर हो गए हैं। इतना ही नहीं एडन मार्कराम पूरे 6 हफ्तों के लिए क्रिकेट के मैदान से बाहर रहेंगे।
28 दिसंबर। साउथ अफ्रीका के ओपनर बल्लेबाज एडन मार्कराम बांये हाथ में फ्रैक्चर हो जाने के कारण सेंचुरियन टेस्ट मैच से बाहर हो गए हैं। इतना ही नहीं एडन मार्कराम पूरे 6 हफ्तों के लिए क्रिकेट के मैदान से बाहर रहेंगे।
यानि एडन मार्कराम इंग्लैंड के खिलाफ पूरे सीरीज से बाहर हो गए हैं। एडन मार्कराम के बांये हाथ की सर्जरी होनी है। ऐसे में उनका ट्रिटमेंट में 6 हफ्तों का समय लगेगा। एडन मार्कराम इससे पहले भी भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान चोटिल हो चुके हैं।
एडन मार्कराम को सेंचुरियन टेस्ट मैच के दूसरे दिन बल्लेबाजी करते वक्त यह चोट लगी थी। सेंचुरियन टेस्ट मैच के दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक साउथ अफ्रीका की टीम दूसरी पारी में 4 विकेट 72 रन पर गिर गए हैं।
इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 181 रन बना पाने में सफल रही थी। इससे पहले साउथ अफ्रीका ने पहली पारी में 284 रन बनाए थे।
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Apple ने सोमवार को अपने वर्ल्डवाइड डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस (WWDC) के मुख्य कार्यक्रम में iOS 17 और iPadOS 17 का अनावरण किया। IPhone के लिए Apple के ऑपरेटिंग सिस्टम के अगले संस्करण फेसटाइम, मैसेज और फोन सहित कई Apple ऐप में नए बदलाव लाएंगे। कंपनी ने एक नए स्टैंडबाय फीचर की भी घोषणा की जो लैंडस्केप मोड और चार्जिंग में निष्क्रिय होने पर आईफोन को स्मार्ट डिस्प्ले में बदलने की अनुमति देगा। इस बीच, iPadOS 17 को आखिरकार लॉक स्क्रीन पर विजेट मिल जाएंगे, यह सुविधा पिछले साल iOS 16 के साथ iPhone में आई थी। iPhone और iPad दोनों उपयोगकर्ता एक नए जर्नल ऐप तक पहुंच प्राप्त करेंगे, जबकि स्वास्थ्य ऐप आखिरकार iPad पर आ रहा है। इस वर्ष में आगे।
iOS 17 और iPadOS 17 को कब जारी किया जाएगा, इस बारे में Apple की ओर से कोई शब्द नहीं आया है, लेकिन ये अपडेट 2023 की तीसरी तिमाही में आने की उम्मीद है। WWDC 2023 कीनोट के बाद, दोनों अपडेट के लिए पहला डेवलपर बीटा अब उपलब्ध है। यह ध्यान देने योग्य है कि बीटा सॉफ़्टवेयर को आमतौर पर दैनिक उपयोग के लिए पर्याप्त रूप से स्थिर नहीं माना जाता है और इसे कभी भी आपके प्राथमिक उपकरणों पर स्थापित नहीं किया जाना चाहिए। आपको अपने डेटा का बैकअप भी लेना चाहिए, जिससे डेटा को पुनर्स्थापित करना और स्थिर रिलीज़ पर वापस लौटना बहुत आसान हो जाएगा।
सार्वजनिक बीटा रिलीज़ के विपरीत, Apple के डेवलपर बीटा रिलीज़ केवल तभी उपलब्ध होते हैं जब आप Apple डेवलपर प्रोग्राम का हिस्सा होते हैं, जिसकी कीमत $99 (लगभग 8,200 रुपये) प्रति वर्ष होती है। यदि आप जुलाई में आने वाले iOS 17 और iPadOS 17 पब्लिक बीटा के लिए प्रतीक्षा नहीं करना चाहते हैं, तो आप आज ही पहले बीटा रिलीज़ को आज़माने के लिए साइन अप कर सकते हैं। यदि आप पहले से ही डेवलपर प्रोग्राम का हिस्सा हैं, तो आप निम्नलिखित गाइड में चरण 6 से शुरू कर सकते हैं।
- अपने iPhone या iPad पर अपने डेटा का बैकअप लें।
- ऐप स्टोर से इंस्टॉल करने के बाद ऐपल डेवलपर ऐप खोलें।
- अकाउंट > एनरोल नाउ पर टैप करें और अपने यूज़रनेम और पासवर्ड से साइन इन करें, फिर अपनी जानकारी सबमिट करें।
- व्यक्तिगत विकल्प का चयन करें और लाइसेंस की शर्तों को स्वीकार करें, फिर वार्षिक शुल्क का भुगतान करें।
- सत्यापित करें कि आप ऐप में खाता अनुभाग से Apple डेवलपर प्रोग्राम में नामांकित हैं।
- सेटिंग ऐप खोलें और सामान्य > सॉफ़्टवेयर अपडेट > बीटा अपडेट > iOS 17 डेवलपर बीटा/ iPadOS 17 डेवलपर बीटा पर टैप करें।
- पिछली स्क्रीन पर, डाउनलोड और इंस्टॉल पर टैप दिखाने के लिए डेवलपर बीटा की प्रतीक्षा करें।
अपडेट प्रक्रिया शुरू करने के लिए अपना डिवाइस पासकोड या पासवर्ड दर्ज करें और नियमों और शर्तों को स्वीकार करें।
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Ranchi : नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म करने के दो आरोपियों को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास व दो लाख अर्थदंड की सजा सुनायी गयी. तमाम गवाहों व सबूतों के आधार पर लोक अभियोजक एल हेम्ब्रम की पैरवी पर अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय की कोर्ट ने सजा सुनायी है. कोर्ट ने आरोपी रुबेन मलतो और समीर मलतो को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा औऱ एक-एक लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी है. गोड्डा जिले के राजाभीठा थाना क्षेत्र की एक किशोरी के साथ मई 2022 को सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. सामूहिक दुष्कर्म के बाद आरोपियों ने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था. किशोरी के परिजन की शिकायत पर राजाभीटा थाने में 31 मई 2022 को आरोपियों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. किशोरी के साथ दुष्कर्म की जानकारी मिलने पर पुलिस महकमे में खलबली मच गयी थी. पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद गवाहों और सबूतों को पेश करने का दौर चला. इस मामले को लेकर अदालत गंभीर थी. प्राथमिकता के आधार एक साल के अंदर ही दोनों आऱोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. इसके साथ ही दोनों आरोपियों पर अलग-अलग कुल 2 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.
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एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत सरकार ने 23.05.2023 को 141.12 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह समझौता आंध्र प्रदेश में तीन औद्योगिक क्षेत्रों में सड़कें, जलापूर्ति संयंत्रों और विद्युत वितरण तंत्र जैसे उच्च गुणवत्ता वाली आंतरिक बुनियादी सुविधाओं के विकास को समर्थन देने के लिये किया गया है। यह ऋण एडीबी द्वारा 2016 में मंजूर कार्यक्रम के तहत 500 मिलियन डॉलर के कई किस्त वाली वित्तपोषण सुविधा (एमएफएफ) की दूसरी किस्त के तौर पर दिया जायेगा। इस ऋण सुविधा से राज्य के विशाखापत्तनम और श्रीकलाहस्ती-चित्तूर क्षेत्र मंजूरी के तहत तीन औद्योगिक क्लस्टरों में बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जायेगा।
बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाते हुए एडीबी के वित्तपोषण से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने तथा परियोजना लक्षित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये औद्योगीकरण संवर्धन में राज्य को मदद मिलेगी। इस वित्तपोषण से विशेषतौर से विशाखपत्तनम में रामबेली 160 हेक्टेयर स्टार्ट-अप क्षेत्र और 441 हेक्टेयर नकापल्ली औद्योगिक क्लस्टर, 13.8 किलोमीटर अच्युतपुरम- अनाकपल्ली सड़क को चौड़ा करने और 4.4 किलोमीटर नकापल्ली क्लस्टर तक पहुंचने वाली सड़क के सुधार कार्य से बुनियादी सुविधाऔं को मजबूत करने में मदद मिलेगी। प्रस्तावित क्लस्टर में आंतरिक ढाचागत सुविधाओं में आंतरिक सड़कें, पानी की निकासी, जलापूर्ति प्रणाली और विद्युत वितरण प्रणाली को विकसित करना शामिल है। श्रीकलाहस्ती-चित्तूर अनुमति के तहत परियोजना से 938 हेक्टेयर चित्तूर-दक्षिण औद्योगिक क्लस्टर के स्टार्ट-अप क्षेत्र और 9.5 किलोमीटर की चित्तूर- दक्षिण औद्योगिक क्लस्टर पहुंच सड़क और 8.7 किलोमीटर नायडूपेट्टा औद्योगिक क्लस्टर पहुंच सड़क को विकसित करने में मदद मिलेगी।
इस समूची परियोजना से राज्य को निवेश संवर्धन के लिये मार्केटिंग कार्य योजना जारी करने साथ ही सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों का कौशल विकास में मदद मिलेगी। कठिन मौसम परिस्थितियों में औद्योगिक क्लस्टर की मजबूती के लिये परियोजना के तहत एक ग्रीन कॉरिडोर मॉडल परिचालन दिशानिर्देश स्थापित करने और एक आपदा जोखिम प्रबंधन योजना विकसित करने में मदद मिलेगी। औद्योगिक कलस्टर की दीर्घकालिक स्थिरता कार्यक्रम के तहत स्टार्ट-अप औद्योगिक क्लस्टर के परिचालन और रखरखाव को बेहतर रखने की योजना बनाई जायेगी। इसके साथ ही औद्योगिक क्लस्टर के आसपास उद्योग आवास सहित औद्योगिक और शहरी योजना के एकीकरण के लिए जेंडर रिस्पोंसिव और सामाजिक समावेश निर्देश के साथ एक टूलकिट भी जारी की जायेगी।
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रांची. झारखंड के नई विधानसभा भवन में नए सत्र की शुरुआत होने से पहले बुधवार देर शाम आग लग गई। पूरे वेस्ट विंग में आग से फर्स्ट फ्लोर और सेकेंड फ्लोर पर चार जगहों में बड़ा नुकसान हुआ है। जहां आग लगी वहां बैंक, पोस्ट ऑफिस, विपक्ष के सदस्यों के बैठने की जगह और सभापति का कक्ष था। आग से चारों जगहों में रखे कुर्सी टेबल, फाल्स सिलिंग समेत अन्य सभी फर्नीशिंग जलकर राख हो गए।
आग इतनी ज्यादा थी कि दमकल की 10 गाड़ियां तीन घंटे में बुझा पाईं। 50 से अधिक दमकलकर्मी आग बुझाने में लगे हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम के करीब 7. 30 बजे आग लगी। केयरटेकरों ने पहले विधानसभा का निर्माण करा रही कंपनी राम कृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के वरीय अधिकारियों को, फिर जगन्नाथपुर थाना और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। कंपनी जीएम सहित अधिकारी भी वहां पहुंचे। कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कहा कि आग शॉर्ट सर्किट से नहीं लगी है। यह साजिश है। चार जगहों पर एक साथ शॉर्ट सर्किट से आग नहीं लग सकती। जहां आग लगी है वहां काम चल रहा है, कोई भी घुस सकता है।
आग इतनी भयावह थी कि दमकल कर्मियों को पता ही नहीं लग पा रहा था कि किस ओर से आग पर काबू पाएं। आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मी अंदर से और छत पर चढ़कर आग बुझा रहे थे। सीढ़ी लगाकर दमकलकर्मी 30 फीट ऊंची छत पर चढ़े और खिड़कियों से पानी की बौछार कर आग पर काबू पाने की कोशिश की। करीब तीन घंटे के बाद आग पर काबू पाया गया।
नए विधानसभा का निर्माण राम कृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड करा रही है। आग लगने की सूचना पाकर कंपनी के जीएम सहित अन्य कर्मी व अधिकारी वहां तुरंत पहुंच गए। उन्हें खुद पता नहीं चल पा रहा था कि आग कैसे लगा। कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर भी वहां पहुंच गए। वे भी समझ नहीं पा रहे थे कि आग कैसे और अचानक एक साथ चार जगहों पर लग गई।
आर के कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीस से अधिक लोग आग बुझाने में लगे हुए थे। नीचे से लेकर दूसरे तल्ले तक सभी दौड़-धूप कर रहे थे, उनका कहना था कि ये पूरी तरह से साजिश है। एक साथ चार जगहों पर आग शॉर्ट सर्किट से नहीं लग सकती। साजिश की हो चाहिए जांच।
कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोग मीडिया वालों से भी उलझ गए। मीडिया वाले जब आग लगने की तस्वीर लेने लगे तो उन्हें पहले अंदर जाने से रोका गया। जब अंदर जाने के लिए मीडिया वालों ने जबरदस्ती की तो वे उनसे उलझ गए। उन्हें धक्का भी देने लगे। यह देख पुलिस वाले भी बीच-बचाव में आ गई, तब जाकर कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोग शांत हुए। कंपनी के लोगों ने सभी गेट पर गार्ड लगा रखा था कि कोई मीडियाकर्मी अंदर नहीं घुस सके।
आग बुझाने में फायर ब्रिगेड लगीं थीं। सभी के चेहरों पर गंभीरता थी, लेकिन विधानसभा सचिव महेंद्र प्रसाद जलते भवन को देख हंस रहे थे।
विधानसभा सचिव महेंद्र प्रसाद ने कहा- बुधवार को ही वहां अफसरों के साथ बैठक की थी। शाम तक सभी यहीं थे। हमने भवन का हैंडओवर ही नहीं लिया तो पुलिस ही इस मामले की जांच करेगी।
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शहर में कोरोना दिनों-दिन तेजी से फैल रहा है। वायरस ने अब जिला कलेक्टरेट में भी दस्तक दे दिया है। हैदराबाद जिला कलेक्टरेट में जिलाधीश श्वेता मोहंती सहित कुल 15 से ज्यादा कोरोना संक्रमित होने की खबर है।
कलेक्टरेट में इतने लोगों के कोरोना संक्रमित होने के बाद से कलेक्टर श्वेता मोहंती पिछले 5 दिनों सेे कार्यालय नहीं आ रही है। मीडिया सूत्रों से यह भी खबर मिल रही हैं कि जिलाधीश भी कोरोना से संक्रमित हुई हैं और यही वजह है कि वह कार्यालय नहीं आ रही हैं।
गौरतलब है कि हैदराबाद में मुख्य रूप सेे पुराने शहर में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। सरकारी काम के सिलसिले में हर दिन सैकड़ों लोगों का जिलाधीश कार्यालय आना-जाना होता है। राज्य में लॉकडाउन खुलने के बाद कोरोना के मामलों में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है।
प्रति दिन औसतन एक से डेढ़ हजार कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ते देख राज्य सरकार ने मंगलवार को सरकारी अस्पतालों केे अलावा निजी मेडिकल कॉलेजों में भी मुफ्त कोरोना इलाज करने का आदेश दिया है।
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IND vs SA T20 2022 भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच बाराबती के स्टेडियम पर खेले जाने वाले दूसरे टी20 मैच के दौरान बादल छाए रहेंगे हालांकि मौसम विभाग की तरफ से बारिश की संभावनाओं से इनकार किया गया है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। पहले टी20 में टीम इंडिया पहली बार 200 से ज्यादा का स्कोर बनाने के बाद भी हार गई। दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज डेविड मिलर ने आइपीएल के फार्म को यहां भी जारी रखा और 31 गेंद पर 64 रन की पारी खेलकर अपनी टीम को जीत दिला दी। बाराबती के मैदान पर टीम इंडिया की दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यादें अच्छी नहीं है पिछली बार जब दोनों टीमें इस मैदान पर भिड़ी थी तो बाजी दक्षिण अफ्रीका के हाथ लगी थी। इसलिए भारत के पास मौका है कि वो अपना हिसाब चुकता करे और 5 मैचों की सीरीज में वापसी करे।
भुवनेश्वर में स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने शनिवार को मैच की पूर्व संध्या पर मैच के दौरान बारिश की किसी भी बड़ी संभावना से इनकार किया, हालांकि उन्होंने कहा कि पूरे मैच के दौरान आसमान में बादल छाए रहेंगे।
दो साल बाद ऐसा मौका आया है कि ओडिशा में कोई अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला जा रहा है लेकिन ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि यह वेन्यू ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है।
बीसीसीआई की तकनीकी समिति के परामर्श से हमने बेहतर जल निकासी के लिए रेत आधारित मैदान बनाया है। इसके अलावा OCA ने पूरे मैदान को ढंकने के लिए इंग्लैंड से कवर खरीदा है। इसके अलावा यहां सुपर-सापर की व्यवस्था है।
यहां शाम के वक्त तेज हवाएं चलती है जिससे गेंदबाजों को स्विंग में मदद मिलती है। इस स्टेडियम में अब तक केवल दो टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले गए हैं। 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में मेजबान टीम केवल 92 रन पर आलआउट हो गई थी। 2017 में इस मैदान पर दूसरा टी20 खेला गया जहां भारतीय टीम को श्रीलंका के खिलाफ जीत मिली थी। इस मैच में चहल ने 4 विकेट लिए थे और श्रीलंका की टीम केवल 87 रन बनाकर आलआउट हो गई थी।
कैसा रहेगा मौसम?
दोनों टीमों के लिए अच्छी बात यह है कि यहां दिल्ली की तुलना में तापमान कम रहने की उम्मीद है। यहां 37 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान रहेगा जबकि आर्द्रता 64% रहने की उम्मीद है।
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वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा एवं नवाचार आधारित वृद्धि के लिये ब्रिक्स रणनीतिक साझेदारी के संदर्भ में, विकासशील देशों के महत्त्व को बरकरार रखने में ब्रिक्स की प्रासंगिकता की जांँच कीजिये। (150 शब्द)।
- परिचय में ब्रिक्स के संदर्भ में कुछ प्रासंगिक तथ्यों का उल्लेख कीजिये।
- विकासशील राष्ट्रों के संदर्भ में ब्रिक्स की प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिये।
- ब्रिक्स साझेदारी से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को बताइए।
- इस बात का उल्लेख कीजिये कि भारत किस प्रकार इस समूहीकरण से लाभान्वित हो सकता है।
ब्रिक्स देश विश्व जनसंख्या का 42%, वैश्विक जीडीपी का एक तिहाई और वैश्विक व्यापार में लगभग 17% हिस्से का प्रतिनिधित्त्व करते हैं।ब्रिक्स देशों का वैश्विक विकास, व्यापार एवं निवेश में महत्त्वपूर्ण योगदान है जो वैश्विक व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। विकसित राष्ट्रों में बढ़ता संरक्षणवाद विशेष रूप से अमेरिका में तथा अमेरिका-चीन के मध्य चल रहा व्यापार युद्ध बदलती हुई वैश्विक व्यवस्था को दर्शाता है।
विकासशील देशों के महत्त्व को बरकरार रखने में ब्रिक्स की प्रासंगिकताः
- वैश्विक आर्थिक क्रमः ब्रिक्स देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय और मौद्रिक प्रणाली में सुधार के एक साझे उद्देश्य को प्रस्तुत किया गया जो अधिक न्यायपूर्ण और संतुलित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को स्थापित करने की तीव्र प्रतिबद्धता पर आधारित थी।
- न्यू डेवलपमेंट बैंक और ब्रिक्स आकस्मिक रिज़र्व व्यवस्था (CRA) जैसी संस्थाएंँ वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में व्यवहार्य विकल्प साबित हो रही हैं। विश्व बैंक, आईएमएफ जैसे संस्थानों में विकसित देशों का वर्चस्व बना हुआ है तथा इन संस्थानों में विकासशील देशों की सीमित उपस्थिति है।
- सुरक्षाः इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज़ (Intermediate-Range Nuclear Forces-INF) संधि तथा ईरान के साथ समझौते से अमेरिका की एकतरफा वापसी ने वैश्विक शांति के लिये सुरक्षा संबंधी एक बड़ी चुनौती उत्पन्न कर दी है।
- निष्पक्षता के सिद्धांत के आधार पर विवाद के समाधान में ब्रिक्स समूह विश्व शांति को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- गरीबी को कम करनाः वैश्विक गरीबी को कम करने में ब्रिक्स का महत्त्वपूर्ण योगदान है। गरीबी के स्तर में कमी के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विषमताओं को कम करने के लिये ब्रिक्स का निरंतर विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- जलवायु परिवर्तन से निपटनाः ब्रिक्स समूह, प्रमुख विकासशील देशों को टिकाऊ विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा वैश्विक तापन के हानिकारक प्रभावों का मुकाबला करने के लिये व्यावहारिक समाधान तक पहुँचने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- संस्थानों का लोकतंत्रीकरणः UNSC के दो स्थायी सदस्यों (रूस व चीन) के साथ ब्रिक्स समूह, अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों जैसे यूएनएससी, डब्ल्यूटीओ आदि में वैश्विक स्तर पर वैश्विक दक्षिणी देशों की आवाज़ उठाने की क्षमता रखता है।
समूहीकरण के साथ चुनौतियांँः
- तीन बड़े देशों रूस-चीन-भारत का बढ़ता प्रभुत्त्व ब्रिक्स के समक्ष एक चुनौती प्रस्तुत करता है। दुनिया भर के बड़े उभरते बाज़ारों और विकासशील देशों का सच्चा प्रतिनिधि बनने के लिये, ब्रिक्स को अखिल महाद्वीपीय होना चाहिये। इसके लिये इसके सदस्य देशों में अन्य क्षेत्रों एवं महाद्वीपों से और अधिक देशों को शामिल किया जाना चाहिये।
- ब्रिक्स को वैश्विक क्रम में अपनी प्रासंगिकता को बढ़ाने के लिये अपने एजेंडे को विस्तार देने की आवश्यकता होगी। अब तक ब्रिक्स देशों के समक्ष जलवायु परिवर्तन और वित्त का विकास जैसे उद्देश्य ही इसके बुनियादी ढांँचा निर्माण के एजेंडे पर हावी है।
- ब्रिक्स अपने मूल सिद्धांतों को साथ लेकर आगे बढ़ा है अर्थात् वैश्विक शासन में संप्रभु समानता और बहुलतावाद के प्रति सम्मान का परीक्षण किया जा सकता है क्योंकि ब्रिक्स के पाँचों सदस्य देशों द्वारा अपने स्वयं के राष्ट्रीय एजेंडा को आगे बढाया गया है।
- डोकलाम पठार को लेकर भारत और चीन के मध्य उत्पन्न सैन्य गतिरोध ने इस अवधारणा को खंडित किया है कि ब्रिक्स सदस्यों के बीच एक सहज राजनीतिक संबंध हमेशा कायम रहेगें।
- विभिन्न राष्ट्रों को एक साथ जोड़ने या पास लाने के लिये चीन का प्रयास, जो उसकी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पहल के साथ चीन की एक व्यापक राजनीतिक व्यवस्था का अभिन्न अंग है, ब्रिक्स के सदस्य देशों विशेषकर चीन और भारत के मध्य संघर्ष को उत्पन्न कर सकता है।
- इस प्रकार ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है तथा वैश्विक आर्थिक विकास को सुनिश्चित कर सकता है ब्रिक्स बहु-ध्रुवीय विश्व का एकजुट केंद्र बन सकता है। भारत को इस मंच का उपयोग अपने भू-राजनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए करना चाहिये जिस कारण अमेरिका तथा रूस-चीन धुरी के मध्य रणनीतिक संतुलन को स्थापित करते हुए व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
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कार में चंडीगढ़ को जाते समय एक टोटल बैरियर पर कार रुकी तो मेरे साथ बैठे प्रिंस ने कार का शीशा नीचे किया। बाहर एक बुजुर्ग मुरमुरे के पैकेट बेच रहा था। बीस का एक बाबू जी। प्रिंस ने सौ रुपए का नोट दिया और मुरमुरे के पांच पैकेट लेकर कार में रख दिए। मैं हैरानी से सोचने लगा कि एक तो कार में हम दो लोग हैं, दूसरा एक पैकेट दस रुपए का आता है। इसने मोल-भाव भी नहीं किया। चंडीगढ़ के एक चौराहे पर कार रुकी तो एक बुढि़या, जो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, ने कार के पास आकर कहा कि पैन ले लो बाबू जी।
सिर्फ दस का एक है। प्रिंस ने उसके हाथ में पकड़े सभी पैन ले लिए और गिन कर उसे बनते पैसे दे दिए। मैं फिर हैरान हुआ, मगर बोला कुछ नहीं । बाद दोपहर लौटते समय प्रिंस ने कार को एक स्कूल के पास रोका और छुट्टी करके घरों को जा रहे बच्चों को रोक कर एक-एक पैन दे दिए। फिर छोटे बच्चों को मुरमुरे के चार पैकेट बांट दिए। मुस्कुराते हुए कार में बैठा और मुरमुरे का एक बचा हुआ पैकेट खोल कर मुझे कहने लगा, भाई साहब मुरमुरे खाइए। इसमें बूढे बाबा की दुआएं और बच्चों की मुस्कुराहट का स्वाद है। प्रिंस ने पहले मुरमुरे खरीदे, फिर पैन खरीदे, ये उसने क्यों खरीदे थे, अब मेरी समझ में आ गया था। मैं सोच रहा था कि उसने ये सब कुछ अपने लिए खरीदा था, लेकिन इस खरीद के पीछे परोपकार की भावना देखकर मुझे प्रसन्नता हुई।
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ऐसे में सवाल ये पैदा होता है कि अगर कंडक्टर क़ातिल है, तो वो मौका-ए-वारदात से भागा क्यों नहीं? कंडक्टर कत्ल के बाद न सिर्फ वहीं रुका रहा बल्कि खून से सने प्रद्युम्न को कार तक पहुंचाने में भी वो साथ था और ये सब वहां मौजूद लोगों ने अपनी आंखों से देखा।
बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को रेयान इंटरनेशनल स्कूल के ट्रस्टियों द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई को गुरुवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी।
पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने साफ कहा कि प्रद्युम्न की हत्या में दो लोग शामिल हो सकते हैं क्योंकि जिस तरह से उसे मारा गया, जैसे उसकी गर्दन पर एक के बाद एक दो वार किए गए उन हालात को देखकर दो कातिलों की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सौरभ का साफ कहना है कि ड्राइवर और कंडक्टर को स्कूल के अंदर जाने की इजाजत नहीं होती ऐसे में ये यकीन करना मुश्किल है कि वो खुद से स्कूल के अंदर गया होगा। सौरभ ने कहा कि बस के टूल बॉक्स में चाकू नहीं होता है।
Gurugram: Varun Thakur moved the Supreme Court on Monday and demanded a parallel CBI probe into the matter. Thakur accused the school's security lapse as one of the reasons for the death of his son.
Ryan International School CEO Ryan Pinto files anticipatory bail application in Bombay High Court.
Gurugram: Varun Thakur moved the Supreme Court on Monday and demanded a parallel CBI probe into the matter. Thakur accused the school's security lapse as one of the reasons for the death of his son.
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उद्यान उत्सव के अंतर्गत 29 मार्च 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन स्थित अमृत उद्यान में विशेष रूप से दिव्यांगजनों को आमंत्रित किया जिसमें राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने दिव्यांगजनों से भेंट की। इस कार्यक्रम में 13000 दिव्यांगजनों ने पंजीकरण करवाया और 10000 से अधिक दिव्यांगजनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब केवल दिव्यांगजनों को अमृत उद्यान के भ्रमण के लिए विशेष रूप से बुलाया गया। राष्ट्रपति ने दिव्यांगजनों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई। राष्ट्रपति ने टेक्टाइल उद्यान में दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों से बात की। दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों ने ब्रेल लिपि में अंकित अक्षरों को राष्ट्रपति की उपस्थिति में पढ़ा। महामहिम की उपस्थिति में दिव्यांग बच्चों ने फूलों को स्पर्श किया और अपना अनुभव बताया। राष्ट्रपति मुर्मु ने बच्चों को चॉकलेट भी वितरित की।
राष्ट्रपति ने दिव्यांगजनों से मुलाकात कर उनका कुशल क्षेम पूछा। उन्होंने ट्रांसजेंडर समाज के 100 से अधिक सदस्यों के साथ भी बातचीत की। सभी दिव्यांगजन इस कार्यक्रम के आयोजन से बहुत प्रसन्न थे। इस कार्यक्रम में चलने-फिरने में असमर्थ दिव्यांग, दृष्टिबाधित, वाक् और श्रवण दिव्यांग, बौद्धिक अशक्तता से पीड़ित दिव्यांग, सेरेब्रल पाल्सी, डाउन सिंड्रोम, कुष्ठ रोग, डार्फिस्म दिव्यांग इत्यादि शामिल थे। इस कार्यक्रम का आयोजन दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से किया गया और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांगजन संस्थान, नई दिल्ली को नोडल एजेंसी बनाया गया था। इस कार्यक्रम में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग एवं पीडीयूएनआईपीपीडी, नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों ने विशेष रूप से सहयोग किया। इसके अलावा विभाग के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजन संस्थान, दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग और दिल्ली नगर निगम, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
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कुछ हिदी, गुजराती और मराठी कहावतें
३६. दूसरो को सुख पहुॅचाने वाला साधारणत कष्ट मे रहता है । सामाजिक जीवन के इस पहल को दिया के नीचे अँधेरा मे बडी सुन्दरता से व्यक्त किया गया है। यह गुजराती और मराठी मे भी प्राप्त है। गुजराती दीवा तळे अधाड़; मराठी दिव्या खाली अधार ।
३७ एक बार का डहकाया या धोखा खाया हुआ व्यक्ति फूक-फूक कर कदम उठाता है। इस भाव को व्यक्त करने के लिए साकेतिक कहावत है दूध का जला मठा फूंक-फूंक कर पीता है। गुजराती मे भी यह इसी प्रकार है दूध नो दाझ्यो छास फूकोने पीए । मराठी मे भी यही है दुधाने तोड ( मुख) पोळणें (पोलणे == जलना ) को ताक ( तक ) सुद्धां फुंकून पितात ।
३८ जहाँ रहे उसके अनुकूल आचरण करे इस बात के लिए कहा जाता है जैसा देस वैसा भेस । गुजराती और मराठी दोनो मे यह इसी रूप मे है गुज० देश तेंवो वेश, मराठी
देश तसा वेश ।
३९ चुप रहने से सारे झगडो से मुक्ति मिल जाती है, इसीलिए कहावत है सब से भला चुप । गुजराती मे भी इस प्रकार है न बोल्यामा नव गुण । मराठी में भी यही है सब से बड़ी चूप । संस्कृत मे इसका रूप है मौन सर्वार्थ साधनम् ।
४० किसी वस्तु की महिमा सदा नही रहती, एतदर्थ कहा जाता है चार दिना की वॉदनी फिर अँधेरी रात । गुजराती मे यही इस प्रकार है नवो निशाळीयो ( पढवैया ) नव दिवस । मराठी मे यह इस रूप मे है नव्याचे नऊ दिवस ।
४१ लक्ष्य भेद अनिश्चित रहने पर भी यदि हानि की संभावना न हो तो कहते हैं लग गया तो तीर नही तो तुक्का । गुजराती मे यह इस प्रकार है बागवु ( लगाना ) तो तीर नहीं तो टखो । मराठी मे इस अनिश्चित लाभ को इस प्रकार कहा गया है गाजराची पुगी (तुबी) बाजली तर बाजली नाहीतर खाऊन टाकली ।
४२ सत्य को भय नही, इसके लिए हिदी तथा गुजराती दोनो में एक ही कहावत है हि० साँच को आँच नहीं, गुजराती साचनो कदी आंच न आवे । संस्कृत मे यह सत्यमेव जयते के रूप मे है । मराठी मे भी यही प्रचलित है ।
४३ स्तुति, खुशामद या चापलूसी किसको अच्छी नहीं लगती, इस अनुभव को इस प्रकार कहा जाता है खुशामद खुदा को भी प्यारी है। गुजराती मे भी यही है खुशामत तो खुदाने पण प्यारी । मराठी मे यह इस प्रकार हैः खुशामत कोणाला आवडत ( आवडणे = चाहना ) नाहीं
इन कहावतो के तुलनात्मक अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि भारत के इस विस्तृत क्षेत्र की सास्कृतिक एकता का स्वरूप क्या है। दार्शनिक चिन्तन, धार्मिक भावना, सामाजिक आदर्शी, नैतिक मानदण्डो, आर्थिक व्यवस्था आदि की दृष्टि से किस सीमा तक व्यापक समता है और जो किचित् भिन्नता है उसके कारण क्या है, इनपर भी इस अध्ययन से प्रकाश पड़ता है।
मध्यदेश का एक अज्ञात सांस्कृतिक केन्द्र
मध्यदेश के प्रमुख प्राचीन सास्कृतिक केन्द्रो मे हस्तिनापुर, इन्द्रप्रस्थ, अहिच्छत्रा, मथुरा, कान्यकुब्ज, नैमिषारण्य, कौशाम्बी, श्रावस्ती, सारनाथ, काशी और प्रयाग आदि की गणना की जाती है । इस सूची को कितना ही विस्तृत क्यो न किया जाय, 'अगईखेडा' इसमे उपलब्ध नहीं होगा, क्योकि इतिहास एव पुरातत्व की दृष्टि से उसकी महत्ता अब तक सर्वथा अज्ञात रही है । वहाँ के निवासी भी उसके ऐतिहासिक एव सास्कृतिक महत्व से प्राय
(१) सन्मुख
(२) पार्श्व ।
चित्र नं० १२ -- अगईखेडे से प्राप्त बडी काली चित्तियो वाले पत्थर की मूर्ति का शिरोभाग जो ग्रीक मेष देवता (Pan ) का प्रतीत होता है। समय कुषाणकालीन या उससे कुछ पूर्व ।
मध्यदेश का एक अज्ञात सास्कृतिक केन्द्र अंगईं खेड़ा
अपरिचित है। जो कुछ परिचय उन्हें है उसका तजकिरा मुज़फ्फर हुसेन खॉ ने अपने नामा-एमुजफ्फरी' मे इस तरह किया है"जिस जगह पर अब यह कस्बा शाहाबाद है, एक कस्बा 'अगईखेडा' के नाम से बसा था और उसमे ठठेरो की कौम आबाद थी इस कस्बए अगईखेडा की आबादी की मुतल्लिक हमे कोई तारीख हिन्दी नही मिली मगर हमारे एक महक्किक दोस्त ने, जो कौम के हिन्दू थे, एक ससकिरत की पोथी से तर्जुमा करके कुछ बयान लिखाये जो नत्र हाजिरीन पेश किये जाते है 'रवायत है कि अगई अस्ल मे अगदगढ था । राजा अगद ने यह बस्ती अपने नाम से बसायी थी । राजा अगद महाराजा रामचन्द्र के सिपहसालार थे बाज राजा अगद को महाराजा
रामचन्द्र की औलाद में भी बताते है । " -पृष्ठ १६५-१८०।
इसी विवरण मे पाँच प्रसिद्ध कुओ - गगोदक, समुन्दरखार, सौभद्रक, कोषोदक, और पयोवर्त के अतिरिक्त नर्वदा, वाराहवर्त आदि नौ तीर्थों की गणना भी करायी गयी है । लोक प्रचलित 'आठ कूप, छेत्र नव नर्वदा प्रसिद्ध जामे, बॉवन मोहल्ले आम जात देस देस को' के रूप मे भी ऐसी ही कुछ पूर्व स्मृतियाँ सुरक्षित है। 'अगदागाडो' और 'पुष्पावती' भी इसके अन्य नाम बताये जाते है । मुजफ्फर खॉ के अनुसार 'कस्बा शाहाबाद मुल्के अवध का सबसे बडा कस्बा है ।'
यह सारा विवरण अॅगईखेडे को एक महत्वपूर्ण सास्कृतिक केन्द्र के रूप में मान्यता दिलाने के लिए पूर्णतया अपर्याप्त है। इससे केवल यही सकेत मिलता है कि इसका इतिहास सभवत प्राचीन है तथा किसी अगद नाम के राजा से इसका नाम सम्बन्धित है । इसमे सदेह नही कि पुराणो मे सूर्यवश के प्रसग मे लक्ष्मण के दो पुत्रो मे अगद का नाम मिलता है - अगदविचत्रकेतुश्च लक्ष्मणस्यात्मजौ स्मृतौ ।' ( भागवत ९ । ११ । ११ ) । पर वह सस्कृत की कौन सी पोथी थी जिसमे इसका पूरा इतिहास अकित था, यह जिज्ञासा को उभार कर मात्र प्रश्न के रूप मे रह जाता है। इससे अधिक कुछ हाथ नहीं आता । प्राचीन कहे जाने वाले स्थानो की भारतवर्ष मे कमी नहीं है, परन्तु बिना पुरातत्व की यथेष्ट सामग्री के किसी भी स्थान के सास्कृतिक इतिहास का प्रामाणिक पुनर्गठन सभव नही है ।
मुझे हर्षमिश्रित आश्चर्य हुआ जब अगईखेडे से स्तरीय उपलब्धि (surface findings) के रूप मे शुग- कुषाण और गुप्तकाल की प्रभूत सामग्री उपलब्ध होने लगी। उपलब्धियो ने खोज की वृत्ति को जागृत किया और खोज-वृत्ति ने उपलब्धि को अनेकमुखी समृद्धि प्रदान की । विविध कालो की मृणमूर्तियाँ, मुद्राएँ, आलिखित इष्टक खण्ड, N. B. P. से युक्त ओपदार पात्र, खण्ड-मुद्रालेख, ताम्रफलक, पाषाण मूर्तियाँ तथा विभिन्न प्रकार के खण्डित मृत्पात्र आदि सब ने मिलकर पिछले एक डेढ वर्ष मे मेरे चित्र कक्ष ( studio) को ज़बरदस्ती संग्रहालय (Museum) का रूप दे दिया । सग्रह की प्रत्येक वस्तु के खोजने - पाने का स्वतन्त्र इतिहास है जो व्यक्तिगत है और जिसका अगईखेडे के सास्कृतिक इतिहास से कोई सम्बन्ध नही है । यहाँ इस दूसरे इतिहास की चर्चा ही अभीष्ट है।
भारतवर्ष का क्रमबद्ध इतिहास मौर्य काल से आरंभ होता है। इससे पूर्व हडप्पा और मोहेनजोदडो के काल से लेकर मौर्यकाल तक का व्यवधान अपेक्षित प्रामाणिक सामग्री के अभाव में पूरी तरह भरा नही जा सका है, यद्यपि पुरातत्व के विद्वान् इस दिशा में सक्रियतापूर्वक सलग्न है। अगईखेडे से जो प्राचीन सामग्री उपलब्ध हुई है वह उसके इतिहास को वर्तमान समय से लेकर मौर्यकाल तक प्राय क्रमबद्ध कर देती है और इस प्रकार ऐतिहासिकता उसे मध्यदेश के किसी भी पूर्वोक्त सास्कृतिक केन्द्र के समकक्ष रख देती है । इधर दो ताम्रअस्त्र (copper implements ) भी प्राप्त हुए है, जो अगईखेडे के इतिहास को सहस्रो वर्ष पीछे खीच ले जाते हैं। विधिवत् उत्खनन ( excavation) होने से पूर्व ही जब यह स्थिति दिखायी दे रही है तो वैज्ञानिक रीति से उत्खनित किये जाने पर और भी अप्रत्याशित तथ्य प्रकाश मे आने की संभावना स्पष्ट प्रतीत होती है । चौडी भारी ईटी से बनी दूर-दूर तक फैली हुई नीवे इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि अगईखेडा वर्तमान समय में भले ही 'खेडा' या 'कस्बा' रह गया हो पर मध्यकाल से पूर्व प्राचीन युग मे वह अवश्य ही एक छोटा किन्तु समृद्धिशाली महत्वपूर्ण सास्कृतिक नगर था जिसमे समय-समय पर अनेक धर्मों, जातियो और राजसत्ताओं का प्रभुत्व रहा होगा । कन्नौज, मथुरा, सकिसा, कपिला, अहिच्छत्रा के समीपस्थ होने के कारण तथा मूर्ति - मुद्राओ की व्यापक समरूपता के कारण यह सहज ही प्रतीत होता है कि इस केन्द्र का सास्कृतिक सम्बन्ध इन सब से अवश्य रहा होगा। इस प्रतीति को सप्रमाण सिद्ध करने के लिए मध्यदेशीय पुरातत्व की सामग्री के विस्तृत तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है जो इस क्षेत्र के विशेषज्ञो का कार्य है । यहाँ केवल उपलब्ध सामग्री की रूपरेखा तथा उसके महत्व का कुछ परिचय मात्र दे देना पर्याप्त है। सामग्री का निरीक्षण परीक्षण सागर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एव पुरातत्व विभाग के वर्तमान अध्यक्ष तथा मथुरा संग्रहालय के भूतपूर्व क्यूरेटर श्री कृष्णदत्त वाजपेयी और प्रयाग विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एव पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष तथा कौशाम्बी उत्खनन के सचालक श्री गोवर्धनराय शर्मा ने अनेक बार सम्मिलित रूप से किया है। मुद्राओ की प्राचीनता एवं तिथि- क्रम मे स्व० डॉ० अल्तेकर का मत भी सम्मिलित है। श्री वाजपेयी जी ने भी इस कार्य मे यथेष्ट सहायता दी है। अनेक मूर्ति मुद्राओं की महत्ता का निश्चय करने मे डां० सतीशचन्द्र काला, डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल, श्री रायकृष्णदास तथा श्री ब्रजमोहन व्यास से भी परामर्श लिया गया है । यो संग्रहालयाध्यक्षो के सामने जब कोई नयी सामग्री आती है तो वे उसे अपने संग्रहालय के लिए प्राप्त करने की बात पहले सोचते है, उसकी प्राचीनता के निश्चयात्मक निर्धारण का प्रश्न उनकी दृष्टि मे प्राय उतना तात्कालिक नही होता, परन्तु मुझे अधिकतर सबसे सद्भावपूर्ण परामर्श ही प्राथमिक रूप से मिला है।
अभिलिखित वस्तुएं
उपलब्ध सामग्री के इस वर्ग मे इष्टक खड, सीले तथा कुछ मुद्राएँ आती है। एक बृहदाकार इष्टक-खड पर पर्याप्त प्राचीन अवस्था के ब्राह्मी अक्षरों मे 'ततिजसो इटाकु' अक्ति मिलता है जो ई० पू० प्रथम शती के लगभग का अनुमानित किया गया है। एक सील पर
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नवजोत सिंह सिद्धू.
Punjab News: पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने दावा किया है कि राज्य की शांति को भंग करने की कोशिश की जा रही है. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुई घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने बेअदबी के मामलों में मौत की सजा देने की मांग की है. नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का हक किसी के पास नहीं है.
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, "मैं नवजोत सिंह सिद्धू ये एलान करता हूं कि जहाँ कहीं भी धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की जाएगी, चाहे वो क़ुरान शरीफ़ हो या भगवत गीता हो या फिर गुरु ग्रंथ साहिब, दोषियों को सरेआम फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए, उन्हें संविधान की सबसे बड़ी सज़ा दी जानी चाहिए. "
नवजोत सिंह सिद्धू ने बेअदबी की घटनाओं को पंजाब की शांति भंग करने के लिए हो रही साजिश का हिस्सा बताया है. नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, "इससे भावनाओं को ठेस पहुंचती है. ग़लतियां कोई भी कर सकता है लेकिन ये एक कौम को ख़त्म करने की साज़िश है. "
नवजोत सिंह सिद्धू ने आगे कहा, "मैं कहता हूं भारत एक है. भाई बहन की एकता को जगाने की जरूरत है. शासक ऐसा होना चाहिए जो कि पिता की तरह हो और सबको एक नज़र से देखे. जब आपस में प्यार होगा तभी इस तरह की साजिश नाकाम हो सकती हैं. "
बता दें कि शनिवार को अमृतसर के गोल्डन टेंपल में बेअदबी की घटना देखने को मिली है. हालांकि जिस व्यक्ति ने बेअदबी करने की कोशिश की उसकी वहां मौजूद भीड़ ने हत्या कर दी. पंजाब पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू की है.
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WWE NXT का इस हफ्ते का शो अब समाप्त हो चुका है। इस हफ्ते के शो की शुरूआत मैच से हुई, वहीं, इस शो का अंत एक शानदार मैच के जरिए हुआ। इसके अलावा भी इस हफ्ते NXT के एपिसोड के दौरान काफी कुछ देखने को मिला। आइए ज्यादा देर ना करते हुए इस हफ्ते WWE NXT के रिजल्ट्स पर एक नजर डालते हैं।
WWE NXT रिजल्ट्सः
- शो की शुरूआत डेक्स्टर लूमिस vs टोनी डी'एंजेलो के मैच से हुई और मैच शुरू होने के बाद टोनी भागने लगे तो लूमिस ने उनका पीछा किया। इसके बाद इन दोनों सुपरस्टार्स के बीच रिंग में फाइट शुरू हुई और अंत में टोनी ने लूमिस की आंख पर हमला करने के बाद उन्हें फिशरमैन नेकब्रेकर देते हुए मैच जीत लिया था।
- मैच के बाद मेलो & ट्रिक ने लूमिस पर हमला कर दिया लेकिन जल्द दी जॉनी गार्गानो, लूमिस को बचाने वहां आ गए। ब्रेक के बाद गार्गानो ने मेलो & ट्रिक को ललकारा लेकिन पहले पीट डन वहां आए और इसके बाद ट्रिक & मेलो भी आ गए। इस दौरान इन सुपरस्टार्स के बीच जुबानी जंग देखने को मिली और अगले हफ्ते के शो के लिए कार्मेलो vs जॉनी गार्गानो vs डन के ट्रिपल थ्रेट टाइटल मैच की घोषणा हुई।
- जैकेट टाइम & ओडेसी जोन्स का टैग टीम मैच में डायमंड माइन से मुकाबला हुआ। इस मैच में इन दोनों टीम्स ने एक-दूसरे को टक्कर दी और अंत में जैकेट टाइम द्वारा क्रीड ब्रदर्स का ध्यान भटकाने का फायदा उठाकर जोन्स ने स्ट्रॉन्ग को टॉप रोप क्रॉसबॉडी देते हुए मैच जीत लिया।
- MSK फ्लाइट में दिखाई दिए और एयरपोर्ट पर लैंड होने के बाद वो शामन नाम के टैग टीम की तलाश कर रहे थे।
- एंड्रयू चेस का मुकाबला ज्योन क्वीन से हुआ और इस मैच में इन दोनों सुपरस्टार्स ने एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दी थी और अंत में क्वीन, चेस को हराने में कामयाब रहे थे। मैच के बाद ज्योन क्वीन पर लिगाडो डेल फैंटासामा ने हमला कर दिया और इस दौरान इलेक्ट्रा लोपेज भी वहां नजर आईं।
- द ग्रिजल्ड यंग वेटरंस ने जैक गिब्सन की दादी को वीडियो कॉल किया और उन्होंने टॉक्सिक अट्रैक्शन से चुराए टाइटल बेल्ट्स को दिखाते हुए खुद को नया टैग टीम चैंपियंस बताया।
- बैकस्टेज रेचल गोंजालेज अपना टाइटल हारने से खुश नहीं दिखाई दीं और उन्होंने कहा कि वो आज डकोटा काई का बुरा हाल करते हुए अपना बदला लेंगी।
- ड्यूक हडसन और कैमरन ग्रिम्स के बीच पोकर मैच देखने को मिला। इस मैच के दौरान ग्रिम्स पर हडसन ने हमला कर दिया और उन्होंने ग्रिम्स को टेबल पर पावरबॉम्ब दे दिया। इसके बाद हडसन ने कैची का इस्तेमाल करके ग्रिम्स के बाल और दाढ़ी काट दिए।
- ब्रिग्स & जेनसेन का टैग टीम मैच में वॉन वैगनर & काइल ओ'राइली की टीम से मुकाबला हुआ। इन दोनों टीम्स के बीच शानदार मैच देखने को मिला। अंत में काइल ने ब्रिग्स को फ्लाइंग नी दे दिया और वैगनर, जेनसेन को बटरफ्लाई नेकब्रेकर देते हुए मैच जीतने में कामयाब रहे।
- डेक्स्टर लूमिस शो में हुए अटैक के बाद रिकवर हो रहे थे और उन्होंने पर्सिया पिरोटा को अकेले कम्पीट करने भेज दिया।
- लैश लैजेंड के शो में ग्रेसन वॉलर दिखाई दिए और इस दौरान वॉलर ने कहा कि इन-रिंग क्षमता से ज्यादा सोशल मीडिया गेम ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस दौरान वॉलर ने एलए नाइट को काफी भला-बुरा कहा।
- पर्सिया पिरोटा ने 2-ऑन-1 हैंडीकैप मैच में दो डेवलपमेंटल टैलेंट्स का सामना किया और इस दौरान पिरोटा ने अपनी ताकत का भरपूर प्रदर्शन करते हुए अकेले ही दोनों प्रतिद्वंदियों पर दबदबा बनाया और अंत में पिरोटा स्पिनिंग F5 देते हुए मैच जीतने में कामयाब रही थीं।
- बैकस्टेज द ग्रिजल्ड यंग वेटरंस ने NXT टैग टीम टाइटल्स वापस टॉक्सिक अट्रैक्शन को सौंप दिया।
- NXT चैंपियन टॉमैसो सिएम्पा का सैगमेंट देखने को मिला और इस दौरान उन्होंने हेज, टोनी डी'एंजेलो, वॉलर जैसे सुपरस्टार्स को काफी भला-बुरा कहा। इसके बाद ब्रॉन ब्रेकर वहां नजर आए और उन्होंने सिएम्पा पर रियल टैलेंट को इग्नोर करने का आरोप लगाया। इसका जवाब देते हुए सिएम्पा ने ब्रेकर को वो फुटेज दिखाई जहां उन्होंने ब्रेकर को हराया था। इसके बाद सिएम्पा ने दिग्गज स्कॉट स्टाइनर का जिक्र करते हुए ब्रेकर को बच्चा कहा।
- शो के मेन इवेंट में रेचल गोंजालेज का डकोटा काई से मैच हुआ और मैच शुरू होते ही रेचल ने काई पर जबरदस्त हमला करते हुए उनका बुरा हाल कर दिया था। इसके बाद काई ने वापसी करते हुए रेचल पर दबदबा बनाया। हालांकि, टॉक्सिक अट्रैक्शन द्वारा दखल देकर रेचल पर हमला किये जाने की वजह से मैच DQ के जरिए खत्म हुआ।
- जल्द ही कोरा जेड, रेचल की मदद करने आई लेकिन वो भी टॉक्सिक अट्रैक्शन के सामने टिक नहीं पाईं। इसके बाद जोई स्टार्क & आईओ शिराई ने वहां आकर टॉक्सिक अट्रैक्शन पर हमला करते हुए उन्हें वहां से भागने पर मजबूर कर दिया।
- इस तरह NXT के शो का अंत हो गया।
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लालचदास की मृत्यु स० १६०१ के पहले ही हो गई थी । स्पष्ट है कि सरोज मे दिया सवत १६५२ अशुद्ध हे ।
स्व० नलिनविलोचन शर्मा ने हरि चरित्र का सम्पादन प्रारम्भ किया था। सम्पादित अश बीरे-धीरे कर 'साहित्य' में प्रकाशित होता जाता था । पर इसी बीच सपादन को प्रधूरा छोडकर नलिन जी भी मूल ग्रथकर्ता के समान दिवगत हो गए । साहित्य में प्रकाशित प्रश विहार राष्ट्र भाषा परिषद्, पटना द्वारा स० २०२० मे पुस्तक रूप में प्रकाशित कर दिया गया है । इसमे पाठान्तरो का बहुत वडा, पर अनावश्यक, जाल है । सपादन भी ठीक नही हुआ है ।
लालच प्रशानद के सवध मे साहित्य सदेश जून १९६२ (पृष्ठ ५७५-७६ ) पर एक लेख निकला है, उसी से ऊपर वाला उद्धरण दिया गया है और उसके अनुसार प्रशानद जी दाही गाँव के रहने वाले थे । नलिन जी के अनुसार यह मूलत हस्तिनापुर के रहने वाले थे । वहाँ से छोडकर यह रायबरेली मे आ बसे थे । इनका पाठ हे
हस्तिग्राम विरत सो ही राए वरेली मदिल ताही
साथ ही नलिन जी ने आनंद का रचनाकाल स० १६७१ वि० माना है । इनके अनुसार रचनाकाल सूचक ऋश यह है -
'खोडस सात एकोतर भएउ '
'सात' के स्थान पर सत होना चाहिए । मैं साहित्य संदेश वाला पाठ ही स्वीकार कर इनका रचनाकाल स० १६०१ मानता हूँ ।
८३४ सुखदेव मिश्र - सुसदेव मिश्र ने ट गार लता की रचना मुरारमऊ के वैस राजा देवी सिंह के लिए की थी ।
८५७ शिवदीन कवि भिनगा - शिवदीन कवि ने कृष्णदत्त रामा के अतिरिक्त एक और ग्रथ कृष्णदत्त भूपरण भी लिखा है, जो साहित्य शास्त्र सवधी तथ है । इसमे साहित्य के सभी अगो का विवेचन है । इसमे कुल १२ प्रकाश हैं । ग्रथ का परिचम डॉ० आनद प्रकाश दीक्षित ने 'कृष्णदत्त भूषरण और उसका लेखक शीर्षक लेन मे दिया है, जो राजस्थान यूनिवर्सिटी स्टडीज़ १६६५ मे प्रकाशित हुआ है ।
इन लेख मे डॉ० दीक्षित ने प्रारम्भ में ही यह कहा है कि डॉ० किशोरी लाल गुप्त ने
'सरोज सर्वेक्षरण' मे एव डॉ० भगवतीप्रसाद सिंह ने दिग्विजय भूषरण की भूमिका मे एव हिंदी साहित्य कोश दूसरा भाग मे कृष्णदत्त की रचना कर श्रेय लाला गोकुलप्रसाद व्रज को दे दिया है । यहाँ इतना ही कहना है कि एक ही नाम के अनेक कवि और अनेक काव्य होना असभव नही, इस पर भी डॉ० दीक्षित को ध्यान देना चाहिए था । शिवदीन ने कृष्णदत्त भूषरण की रचना की, जो साहित्याग का ग्रय है । लाला गोकुलप्रसाद 'व्रज' ने भी कृष्णदत्त भूषण की रचना की। यह साहित्याग का ग्रथ नही है । इसमे नृप वशावली, धर्म, नीति और वर्षा व्यवस्था आदि का वर्णन है । दोनो कवियो के आश्रयदाता भी अलग-अलग है । शिवदीन के आश्रयदाता । भिनगा नरेश कृष्णदत्त सिंह है । व्रज के आश्रयदाता सिंहा चद। (गोडा ) के राजा कृष्णदत्त राम पाडेय हें । व्रज जी का ग्रय नागरी प्रचारिणी सभा काशी की खोज मे मिल चुका है । देखिए - १९०४।७५ क,ख । इस ग्रथ का रचनाकाल स० १६३७ वि० हे ।
६१६ सदानन्द - भगवन्त राय रासा के रचयिता सदानन्द ( स० १७६७ वि० ) भी हजारा १८७५ वि०) मे सकलित हो सकते है ।
६२२. सेन कबि -- सरोज मे सेन कवि के नाम पर जो 'जब ते गोपाल मधुवन को सिधारे आली ' प्रतीक वाला कवित्त उदाहृत है, वह वस्तुत शेख लख का कवित्त है । इसमे 'सेन कहें' जो छाप है, उसे 'सेख कहे' होना चाहिए । आलम केलि' मे यह कवित्त पृष्ठ ६६ पर २२६ सत्या पर सकलित है । यह रहस्य-भेद हो जाने पर अब रीतिकालीन शृगारा सेन का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और रामानन्द के शिष्य सेन नाई का अलग एव अमल अस्तित्व निखर उठता है । -
६२८ सूरदास - जैसे-जैसे शोध होती जा रही है, केवल सूरसागर सूर की कृति के रूप मे मान्य हो रहा है । सूरसारावली के इघर दो विशिष्ट संस्करण निकले है । एक तो डाँ० प्रेमनारायण टडन का है, जो लखनऊ से प्रकाशित हुआ है । इसकी भूमिका मे विद्वान लेखक ने इसे सूर की कृति नही स्वीकार किया है । दूसरा सस्कररण प्रभुदयाल मीतल का है, जो मथुरा से स० २०१४ मे प्रकाशित हुआ है । इसमे इसे महाकवि सूर की हा रचना स्वीकार किया गया है । मीतल जी ने साहित्य लहरी का भी एक अमडी-करण १० २०१८ मे मनुरा से प्रकाशित किया है । मीतल जी ने इसे महाकवि सूर की ही रचना के रूप में स्वीकार किया है ।
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उपेक्षा अपेक्षा
यदि ऐसा है तो फिर एक प्रश्न उपस्थित होता है। सूर्यरूप विज्ञानात्मा ( बुद्धि) को चन्द्ररूप प्रज्ञानात्मा पर ( मन पर) प्रतिष्ठित बतलाया गया है। मन और बुद्धि दोनों परस्पर में वि होती। नाभूत हैं । मन कभी बुद्धि से पृथक् नहीं हो सकता, एवं बुद्धि न मन से कभी पृथक् दोनों नित्य सम्बद्ध हैं, जैसा कि श्रुति कहती है -
"कतम आत्मेति ? योऽयं विज्ञानमयः प्राणेषु हृद्यन्तर्ज्योतिः पुरुषः ।" (बृ. आ. उ. ४।३।७१) । 'तद्वा अस्यैतदतिच्छन्दा अपहतपाप्माभयं रूपम् । तद्यथा प्रियया स्त्रिया संपरिष्वक्तो न बाह्यं किञ्चन वेद-नान्तरं, एवमेवायं पुरुषः (विज्ञानात्मा - चाक्षुषपुरुषः) प्राज्ञेनात्मना संपरिष्वक्तः"
ऐसी दशा में सदा ही सभी विषयों के साथ आसक्ति होनी चाहिए, क्योंकि संस्कार ग्राहक मन, एवं दृढ़तोत्पादिकाबुद्धि दोनों सदा ही सहकृत हैं । परन्तु हम देखते हैं कि कितने हीं विषयों से मन घृणा करता है। उन के स्मरणमात्र से मन उद्विग्न हो पड़ता है । इस का क्या कारण ? ध्यासक्तिभूता सामग्री के रहते हुए भी कहीं आसक्ति हो, कहीं न हो इसका क्या उत्तर ? 'बुद्धिदैविध्य' । बुद्धितत्व अपेक्षा, उपेक्षा भाव से दो भवों से आक्रान्त रहता है । अपेक्षा बुद्धि से संस्कार दृढ़ होजाता है, उपेक्षाबुद्धि से संस्कार स्थिर नहीं होने पाता । मन को हमनें क्षणिक बतलाया है । यदि मन प्रबल है तो स्थिर बुद्धि निर्बल होजाती है, ऐसी दशा में स्थिरभाव उत्पन्न नहीं होता, उपेक्षाभाव का उदय होजाता है। यदि बुद्धि प्रबल है तो मन की क्षणिकता निर्बल बन जाती है, उपेक्षा द्वारा स्थिरभाव उत्पन्न होजाता है। इसी को लोक में-'गौर करना' कहा जाता है । 'ग़ौर करो' इसका अर्थ है बुद्धि से काम लो, बुद्धिबल बढ़ाओ । इससे संस्कार दृढ़ होगा, अन्यथा संस्कार निर्बल रहेगा । इस प्रकार इस अपेक्षा बुद्धि से संस्कार दृढ़मूल बन जाते हैं, यही आसक्ति का मुल है । ठीक इसके विपरीत उपेक्षाबुद्धि में संस्कारशैथिल्य है, यही अनासक्ति का मूल है । उदासीनभाव
ईशोपनिषत् ।।.
ही उपेक्षाभाव है । 'मनसा गृहीतविषये बुद्धेश्चिरकालिकत्वमनुध्यान के अनुसार मन इन्द्रियों के द्वारा जिन विषयों का संस्काररूप से ग्रहण करता है, यदि संस्काररूप से आगत विषयों में ( अपेक्षाभाव की प्रधानता से ) बुद्धि अधिक समय तक ठहर जाती है तो वही वृत्ति 'अनुध्यान नाम से व्यवहृत होनें लगती है। चिन्तन करना अनुध्यान है। इस ध्यानरूप बुद्धि के व्यापार से आगत विषय का मन के साथ चिरकालिक संयोग हो जाता है, यह संयोग ही संग है, संग ही आसक्ति है।
'मनसः स्वगृहीतविषयस्य बहिधी परिजिघृक्षा कामः' के अनुसार संस्कारात्मक विषयावच्छिन्न मन का बहिःस्थित संस्कार जनक तत्तद् विषयों की ओर बार बार दोड़ना ही 'काम' है। संगरूप आसक्ति ही काम की जननी है। यही काम आगे जाकर क्रोध का जनक बन जाता है। 'अनुकूलसंयोगलक्षणः सुखानुशयी संस्कारो रागः, के अनुसार अभिलषित, अतएव सुख के साधनभूत विषय के साथ ही काम का सम्बन्ध होता है, यही राग है। यह विषयपरिजिघृक्षा 'रागमूला' है । एवं 'प्रतिकूलसंयोगलक्षणो दुःखानुशयी संस्कारो द्वेषः' के अनुसार मन का अपने अवाञ्छित विषय के साथ ( जो कि दुःख का प्रवर्त्तक है ) भुकना
है। आसक्ति दोनों में है। राग सम्बन्ध से एक मित्र के स्नेहपाश में मन जितना बद्ध रहता है, उस से कहीं अधिक शत्रु के साथ मन बद्ध रहता है । रावण-कंस आदि असुर इसी द्वेष बुद्धि से मुक्त हुए हैं। काम से ही राग का उदय है, काम से ही द्वेष का उदय है । कामसमानाधिकरण काम ही क्रोध का मूल है । एक वस्तु को आप भी चाहते हैं, उसी को एक दूसरा व्यक्ति भी चाहता है। एक ही स्थान पर दो कामों का समन्वय हो रहा है। दोनों का अधिकरण एक है। इस समानाधिकरणरूप काम से तत्काल क्रोध का उदय हो जाता है। "अभीहै प्सितविषयेऽन्याक्रमणाशङ्कायां तदमाप्तिसंभावनायां शारीरामाबुत्पन्नः क्षोभः क्रोधः" के अनुसार अपने अभिलषित पदार्थ को यदि अन्य व्यक्ति लेने की इच्छा करने लगता है तो उस व्यक्ति को उस की प्राप्ति में आशङ्का हो जाती है। इस से शरीर का अग्नि क्षुब्ध हो पड़ता है। अग्नि का यह क्षोभ ही 'क्रोध' है। राग से ही काम का उदय हुआ है, राग से
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[ इन्द्रजाल बालकों द्वारा भरी जानेवाली सिसिकियों और संसार के कातर
का प्रतीक है। चारु रूपी, शुभ एवं दयामय है और हमारा अपवित्र, त्याज्य एवं कठोर है । स्थूल दृष्टि तक में हम दोनों के बीच यह अन्तर प्रतीत होता है । इस अन्तर के हट जाने पर आप किस योग्य रह जायेंगे ?
चाण्डाल - कन्या के मुख से निकलती दुर्गन्धि से आगन्तुक व्याकुल होकर मूर्छित होने लगा था । करुणा तथा दया की उस प्रतिमा के अत्यन्त समीप आकर युवती ने फिर कहाआपका मुकुट, आपका छत्र, आपका वीर्य और आपकी शक्तिआपसे विमुख हो रहे है । कहिए, मैं चाहती हुई किस प्रकार सहायता करूँ ।
आगन्तुक पत्तियों का सहारा लेता हुआ कमर-टूटे व्यक्ति के समान भूमि पर बैठ गया । उसके दहिने हाथ की मुट्ठी में छोटी-छोटी पत्तियाँ सुरकती हुई आ गई थीं । वह हाथ जीवन हीन सा पृथ्वी पर गिर पड़ा । मुट्ठी खुल गई । फटी और मुरझाई पत्तियाँ भूमि में बिखर गईं । इसे देख युवती शोकाकुल हो उठी । उसकी आँखें भर आई । उसने समीप बैठते हुए कहाहम सबका जीवन एक है तथा पदार्थ ही जीवन को स्थिर रखते हैं । अतः पदार्थ आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं, आप इन्हें ग्रहण कर सकते हैं ।
आगन्तुक का बुझता जीवन-दीप जैसे टिमटिमा उठा ।
[ ग्यारह
उसके कृतज्ञतापूर्ण नेत्र युवती की ओर घूम गए । युवती प्रगल्भतापूर्वक मुसकराई । आगन्तुक अपनी इस मरणासन्न अवस्था में एक चाण्डाल-कन्या के मुख से दया की यह बात सुनकर चकित हो पड़ा। फिर उसकी लालायित आँखें जामुन के रस और भात पर जाकर स्थिर हो गई। युवती उसके मुख के पास अपना मुख 'लाकर बोलीभोजन दूँ ?
युवती के मुख से निकली दूषित वायु से विचलित होकर आगन्तुक ने दूसरी ओर मुख फेर लिया । किन्तु क्षुधा और प्यास से उसका प्राण निकलना चाहता था । अतः उसने व्याकुल होकर कठिनता से कहा- -
आगन्तुक ने उदासीन स्वर से कहा । युवती भाण्ड की ओर देखती हुई बोलीकिन्तु.....
युवती लज्जित हो गई। आगन्तुक की जिज्ञासापूर्ण दृष्टि युवती के लज्जित मुख पर पड़कर स्थिर हो गई । किंचित् काल तक युवती को इस लज्जित मुद्रा को देखने के पश्चात् वह अत्यन्त शिथिल एवं क्षीण स्वर में बोलाहॉ, क्या हानि है ।
कहते-कहते आगन्तुक की पलकें सन्ध्याकालीन कमल-पखड़ियों
बारह 1
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सलमान खान की बहल अर्पिता खान और उनके पति आयूष शर्मा ने हाल ही में डब्ल्यू डब्ल्यू ई रेलसर से हॉलिवुड एक्टर बने ड्वेन जॉनसन ( द रॉक) के साथ मुलाकात की। दोनों ने ड्वेन के साथ कुछ पिक्चर्स सोशल साइट इंस्टाग्राम पर शेयर भी की। अर्पिता-आयूष की ड्वेन के साथ यह मुलाकात प्रियंका चोपड़ा ने कराई थी। इसलिए दोनों ने प्रियंका का धन्यवाद भी किया। प्रियंका चोपड़ा ड्वेन जॉनसन के साथ हॉलिवुड फिल्म बेवॉच कर रही हैं। (pic source- instagram)
ड्वेन के साथ आयूष शर्मा। (pic source- instagram)
आयूष शर्मा और अर्पिता की शादी 2014 में हुई थी। इस साल दोनों के एक बेबी अहिल भी हुआ है। (pic source- instagram)
अर्पिता अपने बेबी के साथ। (pic source- instagram)
अर्पिता शू शॉपिंग करने के बाद। (pic source- instagram)
बीच में खबरें आईं थी कि आय़ूष जल्द ही बॉलिवुड में अपनी फिल्मी पारी शुरू कर सकते हैं। (pic source- instagram)
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लखनऊ (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कोरोना काल के समय से फ्री राशन योजना की शुरुआत की थी, जो मार्च 2022 तक जारी रहेगी। फ्री राशन योजना हाल ही में खत्म हुए विधानसभा चुनावों का एक मुद्दा बन गया, जिसने बीजेपी की जीत पर बहुत असर डाला। यह योजना पिछले दिसंबर में चार महीने के लिए शुरू की गई थी।
अंत्योदय योजना के तहत गरीब परिवार को हर महीने 35 किलो गेंहूं या चावल प्रति राशन कार्ड दिया जाता है। इसके साथ ही 1 किलो साबुत चना, 1 लीटर तेल, 1 किलो नमक भी दिया जाता है। ये राशन करीब 80 हजार राशन दुकानों के जरिए लाभार्थियों तक पहुंचाया जाता है। योगी सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि आने वाली नई सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग में इस योजना को जारी रखने के लिए प्रस्ताव रखा जा सकता है। इस योजना को आगे बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य विपक्ष को करारा जवाब देना है, जिन्होंने चुनाव प्रचार के वक्त मतदाताओं को लगातार यह बताकर भ्रमित करने की कोशिश की, कि चुनाव के बाद फ्री राशन बांटने की योजना समाप्त हो जाएगी।
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स्वीट फराली पैनकेक रेसिपीः मीठे और मुलायम पैनकेक ब्रेकफास्ट में खाना किसे पसंद नहीं होगा। यह उन रेसिपीज़ में से एक है जो आसानी से तैयार हो जाती है और स्वाद में भी काफी बढ़िया होती है। वहीं नवरात्रि का त्योहार नजदीक है और हम आपके साथ फराली रेसिपी शेयर करने जा रहे है और जब आप व्रत कर रहे हैं तो इस स्वादिष्ट पैनकेक को खाए बिना नहीं रह सकते है। समा, कुटू का आटा, केला, नारियल, गुड़, सेंधा नमक से यह फराली पैनकेक बनाया जाता है।
- 1. समवा मिलेट और कुट्टू को साफ करके अलग-अलग धोकर कर भिगो लेंं कम से कम एक घंटे के लिए। छानकर इसे एक तरफ रख दें।
- 2. समवा मिलेट में एक चौथाई कप पानी डालकर ब्लेंड करके स्मूद कर लें।
- 3. इसी तरह कुट्टू में भी 2 बड़े चम्मच पानी डालकर मिक्सी में डालकर स्मूद कर लें।
- 4. एक नॉनस्टिक तवा गर्म करें, इस पर हल्का घी डालकर चिकना कर लें, एक बड़ा चम्मच बैटर डालकर इसे पर डालकर गोलाकर में पैनकेक तैयार करें।
- 5. हल्का से घी डालें और दोनों तरफ से गोल्डन ब्राउन होने तक सेकें।
- 6. बाकी बचे बैटर से इसी तरह 12 और पैनकेक बना सकते हैं।
- 7. इन्हें तुरंत सर्व करें।
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चीन में विदेशी पत्रकारों के साथ शोषण की खबर का खुलासा हुआ है। यहाँ विदेशों से आये पत्रकारों को बिना वजह हिरासत में लेना, फ़ोन टैप करना और वीजा मिलने में देरी सामान्य बात बन गयी है। चीन में पत्रकारों के मुताबिक यहाँ का वातावरण कार्य करने के लिए काफी ख़राब होता जा रहा है। इनमे से कई पत्रकार पीछा करने और उत्पीड़न की शिकायत भी दर्ज करवा चुके हैं।
चीन में विदेशी पत्रकारों के समूह एफसीसीसी ने कहा कि चीन में 109 पत्रकारों के बीच कराये गए सर्वे में खुलासा हुआ है कि यहाँ पत्रकारिता की निर्दयिता से हत्या की जा रही है। क्लब की रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों के लिए सबसे बड़ा चिंतित कारण नज़र बनाये रखना है।
इनमे से आधे पत्रकारों ने साल 2018 में पीछा किये जाने की बात को स्वीकार किया है और 91 प्रतिशत पत्रकारों ने अपने फ़ोन टैपिंग की आशंका जताई थी। 14 विदेशी पत्रकारों ने बताया कि उन्हें शिनजियांग के दूरदराज इलाके में जाने से रोका गया था। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार इन इलाकों में लाखों उइगर उइगर मुस्लिमों को बंदी बनाकर शिविरों में रखा गया है।
चीन ने इस मसले पर विदेशी मीडिया पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया था। साल 2018 में शिनजियांग का दौरा करने वाले पत्रकारों ने कबूल किया कि तफ्तीश के दौरान उनके काम में दखलंदाजी की गयी थी। उन्होंने कैमरे में कैद की गयी तस्वीरे मिटाने, इंटरव्यू में रूकावट पैदा करने और गिरफ्तारी जैसी घटनाएं शामिल है।
ग्लोब एंड मेल समाचार पत्र के पत्रकार नाथन वेंड़ोर्क्लिप ने कहा कि उनका नौ गाड़ियों और 20 लोगों ने करीब 1600 किलोमीटर तक पीछा किया था। चीन उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न की बात को नकारता रहता है और शिनजियांग के शिविरों में राह से भटके लोगों को प्रशिक्षण देने की बात कहता है।
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ऊपरः दुनिया के इस नक्शे में मोटी काली लकीरें महाद्वीपों के उन इलाकों को दर्शा रही हैं जहां भूतकाल में प्लेट के किनारों पर पर्वत शृंखलाएं विकसित हुई थीं। चित्र से यह भी साफ झलकता है कि समस्त पर्वत शृंखलाएं आज के महाद्वीपों के किनारों पर स्थित नहीं हैं।
सात मुख्य प्लेट्स और कुछ उप-प्लेट्स में विभाजित धरती का नक्शा । ये प्लेट्स अलगअलग दिशाओं में खिसक रही हैं। इनके खिसकने की दिशाओं को तीर से दिखाया गया है। सफेद मोटी रेखाएं प्लेट्स की सीमाएं हैं। प्रमुख प्लेट्स इस प्रकार हैंः अफ्रिकन (Af), अमेरिकन (Am), अंटार्कटिक (An), यूरेशियन (Eu), इंडियन (In), पेसेफिक (Pa) और नजका (Na) ।
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तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने हालिया सालों में खेल के तीनों प्रारूपों में शानदार प्रदर्शन किया है. लेकिन पिछले कुछ समय से शमी को टी20 इंटरनेशनल में मौका नहीं मिला है. अब भारत के पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा को लगता है कि मोहम्मद शमी टी20 विश्व कप के लिए प्लान का हिस्सा नहीं हैं. शमी आईपीएल 2022 में आशीष नेहरा की कोचिंग वाली गुजरात टाइटन्स टीम का हिस्सा थे.
नेहरा ने क्रिकबज से कहा, 'ऐसा लगता है कि वह टी20 विश्व कप के लिए मौजूदा प्लान में शामिल नहीं है. लेकिन हम सभी को शमी की क्षमताओं के बारे में पता है. भले ही वह इस साल के टी20 विश्व कप में नहीं खेलते हैं, लेकिन भारत जरूर अपने घर पर साल 2023 में होने वाले विश्व कप के लिए उनके नाम पर विचार करेगा. '
नेहरा ने आगे कहा, इंग्लैंड के खिलाफ भारत अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ खेलना चाहेगा. शमी निश्चित रूप से उनमें से एक है. हमारे पास इस साल ज्यादा एकदिवसीय मैच नहीं हैं और शमी आईपीएल के बाद इस समय ब्रेक पर हैं. भारत टेस्ट मैच के बाद उन्हें इंग्लैंड में 50 ओवर्स के मैचों में मौका दे सकता है. आप शीर्ष टीम के खिलाफ तीन एकदिवसीय मैच खेलेंगे. इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ आप निश्चित रूप से जीतना पसंद करेंगे और इसके लिए आपको अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों की जरूरत है. मैं निश्चित रूप से शमी को उस ब्रैकेट में ले जाऊंगा.
मोहम्मद शमी फिलहाल इंग्लैंड दौरे पर हैं, जहां वह मेजबान टीम के खिलाफ पांचवें एवं अंतिम टेस्ट की तैयारी में जुटे हैं. यह पांचवां टेस्ट मैच पिछले साल स्थगित हुई टेस्ट सीरीज का हिस्सा है. 31 साल के शमी ने अपना आखिरी टी20 इंटरनेशनल गेम साल 2021 के टी20 विश्व कप में नामीबिया के खिलाफ खेला था. उसके बाद से शमी टीम में जगह बनाने में विफल रहे हैं.
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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नए शिक्षा सत्र के तहत स्कूलों में पढ़ाई 5 अप्रैल (5 April) से शुरू होने वाली है। इसके बाद राज्य बोर्ड्स की परीक्षा भी सिर पर हैं, लेकिन कोरोना के कहर के चलते स्कूलों को नहीं खोला जा रहा है।
नई दिल्ली। देश भर में कोरोना वायरस का प्रकोप फिर से सक्रिय होता जा रहा है। अधिकतर राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार और राज्या सरकारों के सामने एक बार फिर से इस घातक बीमारी से लड़ने की चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। कोरोना की दूसरी लहर ऐसे समय में बढ़ी है जब नए शिक्षा सत्र शुरू होने वाला है। नए शिक्षा सत्र के तहत स्कूलों में पढ़ाई 5 अप्रैल (5 April) से शुरू होने वाली है। इसके बाद राज्य बोर्ड्स की परीक्षा भी सिर पर हैं, लेकिन कोरोना के कहर के चलते स्कूलों को नहीं खोला जा रहा है। वहीं मंगलवार को मध्य प्रदेश और पंजाब सरकार ने स्कूलों की छुट्टियां फिर बढ़ा दी हैं। मप्र सरकार ने 15 अप्रैल तक आठवीं के बंद करने की घोषणा कर दी है। वहीं पंजाब सरकार ने 10 अप्रैल तक स्कूल बंद करने का आदेश दे दिया है। बता दें कि इससे पहले 10 राज्यों ने 31 मार्च तक छुट्टी के लिए कहा था, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कोरोना मामले बढ़ने के बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि देश के अन्य राज्य भी स्थिति गंभीर होने पर स्कूलों को अप्रैल में भी बंद कर सकते हैं।
कोरोना की आयी दूसरी लहर की रफ्तार को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कक्षा एक से आठ तक के सभी पार्षद एवं निजी विद्यालयों को रविवार 4 अप्रैल 2021 तक बंद रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अन्य विद्यालयों में कोरोना की गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित कराए जाने के लिए कहा है।
कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए मप्र सरकार ने पहली से लेकर आठवीं तक की ऑफलाइन कक्षाएं 15 अप्रैल तक बंद रखने का निर्णय लिया है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए है। वहीं नौवीं से 12वीं तक की कक्षाएं पूर्व की तरह ही संचालित होंगी। विभाग ने इस संबंध में नियमों का पालन कराने के लिए सभी कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया है।
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Exceptional achievement of an exceptional athlete!
Congratulations @DuteeChand for winning a hard earned and well deserved Gold in the Women's 100 m finals.
दुती चंद विश्व यूनिवर्सिटी खेलों में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इन खेलों में अव्वल रहने वाली पहली भारतीय महिला ट्रैक और फील्ड खिलाड़ी बन गई हैं।
तेईस बरस की दुती ने 11. 32 सेकंड का समय निकालकर रेस जीती है।
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जिले के कई स्कूलों में फर्जी छात्रों के नाम से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला इन दिनों चर्चा में है। सत्र 2019-20 में 12,664 छात्र-छात्राओं के नाम से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति जारी होने की बात कही जा रही है। इनमें से जांच के घेरे में जिले के 162 स्कूलों के आने की संभावना है। कई निजी स्कूलों ने दावा किया है कि उसके स्कूल के नाम से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की निकासी हुई है, जबकि स्कूल ने आवेदन ही नहीं किया था। यही नहीं कई स्कूलों का कहना है कि उसके गिनती के छात्रों ने आवेदन किया था, जबकि फर्जी तरीके से काफी संख्या में बाहरी छात्रों का नाम जोड़कर पैसों की निकासी कर ली गई है।
मामले का खुलासा स्कूलों ने ही किया है। सबसे पहले ईडेन पब्लिक स्कूल ने शिकायत की। इसके बाद अन्य स्कूलों ने भी सामने आकर यह बताया कि उसके स्कूल के नाम से भी फर्जीवाड़ा किया गया है। जानकारों का कहना है कि राज्य सरकार ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है। ऐसे में अगर जांच होती है तो जिले के 162 स्कूल जांच के दायरे में होंगे। प्राइवेट स्कूल एसो. व झारखंड प्राइवेट स्कूल एसो. की ओर से यह लगातार मांग की जा रही है कि राज्यस्तरीय जांच हो। महासचिव प्रवीण दुबे का दावा है कि करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है। सही तरीके से जांच होगी तो भ्रष्ट सिंडिकेट का खुलासा होगा।
धनबाद जिले में 2573 स्कूल संचालित हैं। इनमें से लगभग 500 बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूल शामिल हैं। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने के लिए दलालों की ओर से इन स्कूलों को ही टार्गेट किया गया है। बिना मान्यता प्राप्त इन स्कूलों के लेटर हेड का प्रयोग कर भ्रष्टाचारी गैंग ने मनमाने ढंग से फर्जी छात्रों की संख्या बढ़ाकर छात्रवृत्ति की राशि की निकासी की। अब तक इन्हीं प्राइवेट स्कूलों में छात्रवृत्ति घोटाले के मामले का खुलासा हुआ है।
इन स्कूलों में आठवीं कक्षा तक की ही पढ़ाई होती है, लेकिन फर्जी तरीके से नौंवी व दसवीं कक्षा के बच्चों का नाम व अन्य रजिस्ट्रेशन कराकर पैसों का गबन किया। जब इन स्कूलों को यह पता चला कि उसके स्कूल के नाम का दुरुपयोग किया गया है। उसके बाद स्कूलों ने कल्याण विभाग का चक्कर लगाकर जांच की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। झारखंड प्राइवेट स्कूल एसो. के जिला सचिव इरफान खान व जिला संयोजक सुधांशु शेखर का कहना है कि साजिश के तहत बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों को निशाना बनाया गया है। हमलोगों ने पूरी बात जिला के वरीय अधिकारियों के समक्ष रखते हुए राज्य के अधिकारियों व पीएमओ को ईमेल भी किया है। उम्मीद है कि इसपर संज्ञान लिया जाएगा।
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गुरु आपकी कुंडली में छठे और नौवें भाव का स्वामी है। अचानक हानि या लाभ होने की सम्भावना है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ग़लतियाँ करने से बचें, 2022 के प्रारम्भ में ही जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। गुरु ग्रह का गोचर कर्क राशि के आठवें अर्थात् आयु भाव में होगा। जिस कारण यह समय आपके लिए अत्यंत शुभ होने वाला है। कारोबारियों को लाभ तथा नौकरी वालों को पदोन्नति व स्थान परिवर्तन के योग हैं। धन से सम्बंधित समस्याएँ समाप्त होंगी।
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राजधानी के आईजीएमसी के कैंसर रोगियों के लिए अब राहत की खबर है। अब आईजीएमसी में जल्द पैट स्कैन की सुविधा मिलने जा रही है। अब किसी भी मरीज को पैट स्कैन सुविधा के लिए बाहरी राज्य का रूख नहीं करना पड़ेगा और न ही भारी भरकम बिलों का सामना करना पड़ेगा। आईजीएमसी अस्पताल से मेन सडक़ की ओर जाने वाले रास्ते में भूमि का चयन किया गया है और भूमि भी अस्पताल प्रशासन के नाम हो चुकी है। हालांकि अभी फोरेस्ट कलेयरेंस आनी बाकी है, लेकिन प्रशासन का दावा है कि वह भी जल्द ही मिल जाएगी और उसके बाद सभी स्पेसिफिकेशन पूर्ण हो जाएगी। प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने इसके लिए हाल ही में पांच करोड़ रुपए का बजट अस्पताल प्रशासन को उपलब्ध करवा लिया है।
बता दें कि अब जल्द ही इसका शिलान्यास भी कर लिया जाएगा, जिसके तुरंत बाद ही भवन का निर्माण कार्य भी शुरू करवा लिया जाएगा। इसके साथ-साथ पैट स्कैन मशीन की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। आईजीएमसी में अभी तक पैट स्कैन सीटी करवाने के लिए बाहरी राज्य के अस्पतालों का रूख करना पड़ता था, जिसमें मरीज के परिवार को भारी भरकम बिल भी चुकाना पड़ता था। हालांकि सरकार द्वारा इस मशीन को लगाने के लिए 20-21 बजट में घोषण की गई थी, लेकिन इस पर कोई कार्य नहीं किया गया। हालंाकि अब नई सरकार आने से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसके लिए पांच करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध करवा लिया है।
मरीज में कैंसर का पता लगाने के लिए एमआरआई में मरीज में ऑर्गन की शेप या ब्लड वैसल्स की सही स्थिति न पता चले तो पैट सीटी स्कैन टेस्ट की जरूरत रहती है। पैट स्कैन होने के बाद मरीज के मैटाबोलिज्म में हो रहे बदलाव का पता चलता है। पैट स्कैन यह भी बता देता है कि मरीज के ऑर्गन के साथ टिश्यू किस तरह से कार्य कर रहे हैं। पैट स्कैन से ही मरीज के ब्लड फ्लो, बॉक्सीजन इनटैव का सही बताया लगाया जाता है। इससे चिकित्सक आसानी से मरीज के उसी स्थान का इलाज कर पता है, जहां पर शरीर में कैंसर पनप रहा हो। पैट मशीन ही बताता है कि मरीज में कैंसर कितना बढ़ गया है या कितना नियंत्रण में आ रहा है।
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एक्टर वरुण धवन, जॉन अब्राहम और अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज के अभिनय से सजी फिल्म जिसका नाम 'ढिशूम' है सुनने में आ रहा है कि इस फिल्म कि शूटिंग पूरी हो गई है तथा इस फिल्म को डायरेक्टर रोहित धवन ने निर्देशित किया है. जो की वरुण धवन के भाई है.
वरुण धवन,अर्जुन कपूर व आलिया के बारे में अब सुनने में आया है कि यह तीनो हमे एक साथ में नजर आने वाले है. बॉलीवुड की यंग ब्रिगेड- आलिया भट्ट, अर्जुन कपूर और वरुण धवन 'धर्मा प्रोडक्शन' की अगली फिल्म में नजर आने वाली है. इस फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक वर्मा होंगे. बता दे कि यह फिल्म एक लव ट्रैंगल होगी.
लेकिन इस फिल्म और फिल्म 'कलंक' में कोई समानता नहीं है. बता दें कि 'कलंक' धर्मा प्रोडक्शन की ही फिल्म है जिसे पहले अभिषेक वर्मा डायरेक्ट करने वाले थे लेकिन किन्हीं कारणों से यह फिल्म अभी तक बन नहीं पाई है. सूत्रों के मुताबिक, कास्ट फाइनल करने में कुछ समय जरूर लगा लेकिन अब सब फाइनल हो गया है. फिल्म की टीम ने प्री-प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया है.
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पिछले 25 वर्षों में साथी लेखकों के साथ 30 सड़क-यात्राओं के जरिए मैंने भारत में कई हैरान करने वाली कहानियां पाई हैं। हालांकि पिछले महीने कर्नाटक में मिली कहानी से ज्यादा प्रोत्साहित किसी ने नहीं किया। हम यहां राजनीतिक अभियान पर आए थे, लेकिन हमें एक आर्थिक चमत्कार दिखा।
हम पिछली बार पांच साल पहले कर्नाटक गए थे, जब यह काफी हद तक अविकसित लगा था। अब इसकी जगह प्रगति ने ले ली है। ये सच है कि बाकी भारतीय राज्यों (और केंद्र शासित प्रदेशों) की तुलना में कर्नाटक कभी गरीब नहीं था, लेकिन उसकी स्थिति कभी औसत से बेहतर भी नहीं हुई थी।
फिर पिछले दशक में वैश्विक टेक दिग्गज राजधानी बेंगलुरू में जो तेजी लाए थे, वो खेती-किसानी वाले इलाकों में फैलने लगी। विकास को गति देने के लिए कृषि और संबंधित सेवाएं तकनीक से जुड़ीं। कर्नाटक की अर्थव्यवस्था प्रति वर्ष लगभग 8 फीसदी की दर से बढ़ी, जो राष्ट्रीय औसत से दो अंक तेज थी। इसका आर्थिक चमत्कार प्रति व्यक्ति आय में हुई बढ़ोतरी में दिखा।
2010 और 2020 के बीच कर्नाटक प्रति व्यक्ति आय के मामले में 16वें से 5वां सबसे अमीर राज्य बन गया। चूंकि भारत के स्वतंत्रता के बाद के रिकॉर्ड 1960 से शुरू होते हैं, उसमें किसी भी बड़े राज्य ने एक दशक में ऐसी बढ़त हासिल नहीं की है। इसके करीब आने वाला एकमात्र राज्य केरल था, जिसने 2000 के दशक में रैंकिंग में नौ स्थान की बढ़त पाई थी।
साल 2020 के बाद से कर्नाटक लगातार बढ़ रहा है और 2022 के आंकड़ों के मुताबिक अमीर राज्यों की सूची में तीसरे पायदान पर है। बड़े राज्यों में इस मामले में उसकी पहली रैंक है। हमने बिहार जैसे गरीब राज्य को बहुत नीचे से काफी ऊपर जाते देखा, लेकिन उसकी रैंक में बहुत फर्क नहीं पड़ा है।
हमने बेंगलुरू से शुरुआत की, जो पहले ही काफी गतिशील था और अब वहां पहले से कहीं ज्यादा खराब ट्रैफिक हो गया है। इंफोसिस के अध्यक्ष नंदन नीलेकणी ने कहा कि लोग यहां आते ही जा रहे हैं। उन्हें यहां प्रतिभा का भंडार और गहन तकनीकी इकोसिस्टम खींचता है, जिसकी भारत के स्टार्टअप निवेश में 45 फीसदी की हिस्सेदारी है।
बेंगलुरू को अब दुनिया का सबसे गतिशील टेक हब माना जाता है और कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में इसका एक तिहाई योगदान है। लेकिन यह शेयर पिछले एक दशक से इतना ही है। राजधानी, सफलता की पूरी कहानी नहीं है।
बेंगलुरू से हम दक्षिण-पश्चिम की ओर एक शानदार हाईवे से मैसूर और फिर उत्तर की ओर जाकर ग्रामीण इलाकों में पहुंचे। वरुणा में, जो कि खेती वाला कस्बा है, हम एक झील पर पहुंचे तो एक जेट-स्की पानी को चीरती हुई दौड़ रही थी। लग्जरी और आराम भरे जीवन की यह झलक हमारे लिए हैरान करने वाली थी।
जब हम आगे बढ़े तो ऐसे ही नजारे और दिखे। हर जगह यूपीआई से डिजिटल लेनदेन हो रहा था। सुन्नाडाहिली गांव को देखकर साफ समझ आता है कि कर्नाटक अब ज्यादा उन्नत है। कर्नाटक के आर्थिक उछाल से नए कल्याणकारी कार्यों को भी मदद मिल रही है।
यह खर्च पिछले दशक में 2019 तक लगभग तीन गुना हो गया था, जो किसी भी राज्य में सबसे बड़ी वृद्धि है। ये धनराशि अब राष्ट्रीय डिजिटल हस्तांतरण प्रणाली के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के पास जाती है, इससे बेंगलुरू में आई तेजी को ग्रामीण इलाकों में पहुंचाने में मदद मिल रही है।
राज्य प्रशासन ने ज्यादा मुनाफा देने वाली कृषि प्रौद्योगिकी और फसलों को बढ़ावा दिया है। ग्रामीण कर्नाटक के 10 में से लगभग 8 निवासियों के पास अब स्मार्टफोन है। यह पांच साल पहले से दोगुना आंकड़ा है। नई मोबाइल सेवाओं ने किसानों तक क्रेडिट की पहुंच को बढ़ाया है।
यहां 2010 के दशक में कृषि में सालाना 7 फीसदी की वृद्धि हुई, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुना है। यात्रा के अंत में, हम हुबली शहर के पास ट्रैक्टर के पुर्जों के डीलर से मिले। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पेमेंट और लोन मिलने की सुविधा से बिक्री तेजी से बढ़ रही है।
पर कोई चमत्कार परफेक्ट नहीं होता। कर्नाटक के मतदाताओं ने भी खामियां गिनाईं, जिनमें रोजगार की कमी और गरीबी शामिल थी। जैसे-जैसे हम उत्तर की ओर बढ़ते हैं, परेशानी ज्यादा दिखती है। मतदाताओं ने भ्रष्टाचार को भी चुनावी मुद्दा बताया, लेकिन अब रिश्वत भी पहले से 'अच्छे नतीजे' दे रही है। यानी अधिकारी घूस लेते हैं, लेकिन काम भी करते हैं!
कर्नाटक ने एक दशक में अपनी औसत आय लगभग तीन गुना बढ़ाकर 2,80,000 रुपए कर ली है और वह एक ऐसा राज्य था, जिसने पिछड़ेपन की निशानी को लगभग मिटा दिया। यह अभूतपूर्व है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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हेल्थ डेस्कः आज के वर्तमान समय में सभी लोग बीमारियों से मुक्त रहना चाहते हैं ताकि उनका शरीर स्वस्थ और सेहतमंद रह सके। लेकिन सही जानकारी नहीं होने के कारण वो अपने शरीर को स्वस्थ और सेहतमंद नहीं रख पाते हैं। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे कुछ ऐसे चीजों के सेवन के बारे में जिसके सेवन से आपका शरीर स्वस्थ रहेगा तथा कई बीमारियां भी दूर रहेगी। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।
1 . अंकुरित मूंग : अगर आप सुबह-सुबह अंकुरित मूंग का सेवन करते हैं तो इससे कई बीमारियां दूर रहेगी। शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रहेगा तथा शरीर में एनीमिया, थायराइड और रक्तचाप जैसे बीमारी होने के चांस कम जाएंगे। अंकुरित मूंग में फाइबर की मात्रा अधिक होती हैं। इसे आपके पेट में कब्ज और गैस की समस्या नहीं होगी और आपका शरीर बीमारियों से मुक्त रहेगा। इसलिए आप रोजाना इसका सेवन जरूर करें।
2 . तुलसी : सुबह-सुबह तुलसी के पत्तों का सेवन करना हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं। इससे शरीर की इम्युनिटी बूस्ट होती हैं तथा शरीर में बीमारी होने के चांस कम जाते हैं। इससे पेट अच्छी तरह से साफ हो जाता हैं और डाइजेशन क्रिया भी बेहतर रहता हैं। तुलसी के पत्ते का सेवन करने से शरीर में किसी भी प्रकार के संक्रमण होने के चांस कम जाते हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता हैं।
3 . किशमिश : दरअसल किशमिश आयरन, फाइबर, मेग्नेशियम का अच्छा स्रोत होता हैं। इसके सेवन करने से शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती हैं। साथ ही साथ इससे इंसान का शरीर स्वस्थ और फ़िट रहता हैं। अगर आप सुबह-सुबह किशमिश का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर में आयरन और हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होगी। साथ ही साथ एनीमिया, डिप्रेशन और थकान जैसी समस्या से छुटकारा मिल जायेगा। इसलिए आप इसका सेवन जरूर करें।
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मैक्सवेल की इस पारी को देखकर नीलमी में उन्हें खरीदने वाली किंग्स इलेवन पंजाब ने भी खुशी जताई है।
मैक्सवेल की इस शानदार पारी का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से शेयर करते हुए किंग्स XI पंजाब ने लिखा,'बिग शो की ओर से बड़ा शो! अपनी टीम की कप्तानी करते हुए मैक्सवेल बिग बैश लीग में और घातक हो गये हैं। 39 गेंद में 83 रन की होश उड़ा देने वाली पारी से टीम को दे रहे हैं बेस्ट। '
गौरतलब है कि गुरुवार को हुई आईपीएल 2020 के लिये खिलाड़ियों की नीलामी में ग्लेन मैक्सवेल पर जमकर पैसा बरसा। दिल्ली और पंजाब की टीमें उन्हें खरीदना चाहती थी लेकिन अंत में पंजाब की टीम ने 10. 75 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपने खेमे में शामिल कर लिया।
ग्लेन मैक्सवेल आईपीएल के 13वें सीजन के ऑक्शन में सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाले दूसरे खिलाड़ी बने हैं।
मेलबर्न स्टार की कप्तानी संभाल रहे ग्लेन मैक्सवेल मानसिक तनाव के चलते छुट्टियों पर थे और ब्रेक से वापसी के बाद यह पहला मौका है, जब वह किसी प्रतिस्पर्धात्मक क्रिकेट में खेल रहे हैं। मैक्सवेल की कप्तानी पारी के दम पर मेलबर्न स्टार ने यहां ब्रिसबेन हीट को 168 रन का लक्ष्य दिया था जिसका पीछा करने उतरी हीट की टीम निर्धारित 20 ओवरों में 8 विकेट गंवाकर 145 रन ही बना पाई और 22 रन से वह मैच हार गई।
मैक्सवेल को उनकी शानदार पारी के लिए मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया।
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस की गतिविधियों से संबंधित मामले में रविवार सुबह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के छह राज्यों में 13 संदिग्ध स्थानों पर एकसाथ छापेमारी की। एनआईए ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद से एक संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान कई जगहों से आपत्तिजनक सामग्री और दस्तावेज मिले हैं। देवबंद में एनआईए की कार्रवाई के दौरान यूपी एटीएस के अधिकारी भी मौजूद रहे। पकड़े गए शख्स से पूछताछ जारी है।
सूत्रों के मुताबिक, एनआईए ने आईएसआईएस की गतिविधियों से संबंधित मामले में छह राज्यों में 13 परिसरों की तलाशी ली। इस कार्रवाई में आपत्तिजनक सामग्री और दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। एनआईए की यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश में देवबंद, मध्य प्रदेश में भोपाल एवं रायसेन, गुजरात में भरूच, सूरत, नवसारी एवं अहमदाबाद, बिहार में अररिया, कर्नाटक में भटकल एवं तुमकुर शहर और महाराष्ट्र में कोल्हापुर एवं नांदेड़ जिले में की गई है। एनआईए ने 25 जून 2022 को आईपीसी की धारा 153ए, और 153बी और यूएपीए की धारा 18, 18बी, 38, 39 और 40 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस पूरे प्रकरण में आगे की जांच जारी है।
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में कई आतंकियों के पकड़े जाने के बाद इसके माड्यूल का पता लगाने के लिए एनआईए की ओर से यह कार्रवाई हुई है। एनआईए की एक टीम और यूपी एटीएस ने देवबंद से एक संदिग्ध को पकड़ा है। संदिग्ध मदरसे का छात्र फारूख बताया जा रहा है, जो आतंकी संगठन आईएएस मॉड्यूल के सम्पर्क में था। सीरिया में हुए बम धमाकों से भी उसका नाम जुड़ा होना बताया जा रहा है। हालांकि एनआईए या यूपी एटीएस की ओर से इसके बारे में कोई बयान नहीं जारी किया है।
फारूख मूलरूप से कर्नाटक का रहने वाला है और आईएसआईएस माड्यूल का संदिग्ध है। देवबंद के मदरसे में नाम बदलकर छात्र के रूप में रहकर यहां काफी समय से पढ़ाई कर रहा था। वह टेलिग्राम के जरिए आतंकी साहित्य का कई भाषाओं में अनुवाद करता था। पकड़े गए छात्र से पूछताछ की जा रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विपिन के मुताबिक एटीएस ने कार्रवाई की है, लेकिन इससे ज्यादा अभी उनके पास कोई जानकारी नहीं है। उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त से पहले हुई इस कार्रवाई के बाद एक बार फिर से देवबंद चर्चा में है। एक माह के भीतर देवबंद में यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले 23 जून को को मदरसा जकरिया से रोहिंग्या छात्र मुजीबुल्लाह को पकड़ा गया था।
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जो लोग साफ-सफाई, संगठित होने, या असामान्य रूप से अनुशासित होने के प्रति जुनूनी हैं, उन्हें ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसॉर्डर वाले व्यक्तियों के रूप में वर्णित किया गया है। यह शब्द का अनुचित उपयोग है क्योंकि यह ओसीडी से जुड़ी पीड़ा और गंभीरता को कम करता है। लेकिन निदान किये जाने पर इस विकार की विशेषताओं को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
DSM- पांचवा संस्करण ऑब्सेशन को परेशान करने वाले और अवांछित विचारों, छवियों के रूप में वर्णित करता है जो महान संकट, चिंता और आग्रह का कारण बनते हैं। DSM-5 के अनुसार कम्पल्शन, सनकी व्यवहार के साथ ऑब्सेशन को बदलने के लिए एक व्यक्ति द्वारा किए गए प्रयास हैं। किसी व्यक्ति की गतिविधि के मुख्य क्षेत्र प्रभावित होते हैं क्योंकि कम्पल्शन ज्यादातर समय ले लेते हैं।
हालांकि ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर को कीटाणुओं के डर या व्यवस्था की आवश्यकता के रूप में गलत समझा जाता है, ओसीडी के लिए सिर्फ दो संकेतक हैं, ऑब्सेशन और कम्पल्शन। ओसीडी के बारे में सब कुछ समझाने के अलावा, यह लेख ओसीडी के बारे में उन मिथकों पर प्रकाश डालता है जिन्हें तोड़ना जरुरी हैं।
अमेरिका में हर 100 वयस्कों में से एक ओसीडी से प्रभावित है जो एक मानसिक बीमारी है। इतना सामान्य होने के बावजूद, OCD सबसे गलत चिकित्सा स्थिति है। स्क्रीन पर इस विकार का रूढ़िवादी चित्रण इस गलतफहमी का कारण हो सकता है। ओसीडी के बारे में कुछ मिथक जिन्हें दूर करने की आवश्यकता हैः
साफ-सफाई के प्रति जुनून, जैसे कि घरेलू सामानों की जरूरत से ज्यादा सफाई करना या लगातार अपने हाथ धोना, ओसीडी का एक सामान्य लक्षण है। इंटरनेशनल ओसीडी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक जेफ सिमांस्की के अनुसार, स्वच्छता के बारे में अत्यधिक चिंता करना भी एक व्यक्तित्व विशेषता हो सकती है। यदि यह एक व्यक्तित्व विशेषता है, तो आपका उस पर नियंत्रण होता है। आप इसे करना या न करना चुन सकते हैं। लेकिन अगर यह एक ओसीडी विशेषता है, तो आप गंभीर चिंता के कारण काम कर रहे होते हैं।
ओसीडी वाले लोग आराम नहीं कर सकते और ऑब्सेसिव होना बंद नहीं कर सकते हैं। ओसीडी बेकाबू एंग्जाइटी और भय पैदा करता है। तनावपूर्ण स्थितियां इस विकार से निपटने वाले लोगों में लक्षणों को बढ़ा सकती हैं। अकेले तनाव ही ओसीडी का कारण नहीं हो सकता हैं।
शर्मिंदगी एक कारण है जिसके कारण ओसीडी वाले लोग मदद नहीं लेते हैं और यह मिथक विकसित हो गया है कि ओसीडी का कोई इलाज नहीं है। ओसीडी का इलाज बिहेविरल थैरेपी या दवाओं के साथ किया जा सकता है। कुछ को इनमें से दोनों की आवश्यकता हो सकती है। इसे ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ओसीडी जैसे चिंता विकारों से अधिक प्रभावित होती हैं, पर इंटरनेशनल ओसीडी फाउंडेशन की रिपोर्ट है कि महिलाएं, बच्चे और पुरुष ओसीडी से समान रूप से प्रभावित होते हैं। ओसीडी के लक्षण किसी भी उम्र में उभर सकते हैं, पर इनका 10 से 12 साल की उम्र के बीच या बचपन और किशोरावस्था के दौरान आना आम है।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप या कैंसर जैसी चिकित्सा स्थितियों के विपरीत, ओसीडी का निदान स्कैन या रक्त परीक्षण से नहीं किया जा सकता है। आपका डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षण करेगा और अन्य चिकित्सीय स्थितियों को खत्म करने के लिए परीक्षणों की सिफारिश करेगा। यदि एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ को ओसीडी का संदेह है, तो आपसे ओसीडी के 3 संकेतों की जांच के लिए कई प्रश्न पूछे जा सकते हैं ये तीन संकेत इस प्रकार से हैं कम्पलसिव बिहेवियर, ऑब्सेशन, और क्या वे नियमित गतिविधियों के रास्ते में आते हैं या नहीं।
ओसीडी 4 साल की कम उम्र में भी हो सकता है। औसत आकार के प्राथमिक विद्यालय में, आप ओसीडी वाले 4 से 5 बच्चों को देख सकते हैं। मध्यम और बड़े स्कूलों में इस विकार से ग्रसित होने वाले लगभग 20 छात्र होंगे।
ओसीडी के कारण क्या हैं?
हालांकि विशेषज्ञ ओसीडी के सटीक कारणों का पता लगाने में सफल नहीं हुए हैं, लेकिन यह माना जाता है कि ओसीडी में पारिवारिक इतिहास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को ओसीडी है, तो आपको यह स्थिति विकसित होने की पूरी संभावना है।
मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में हानि या मस्तिष्क के विकास में असामान्यताएं भी ओसीडी के कुछ कारण हो सकते हैं। सेरोटोनिन के प्रति आपके मस्तिष्क की प्रतिक्रिया, वह न्यूरोट्रांसमीटर जो आपके मूड और नींद को नियंत्रित करता है, ओसीडी के कारणों में से एक हो सकता है।
यदि आनुवंशिकी आपके ओसीडी के लिए सबसे संभावित कारण बन सकती है, तो संभावना है कि नीचे उल्लिखित जोखिम कारक भी ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसॉर्डर के प्रति आपकी संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं।
● बचपन में दुर्व्यवहारः वे लोग जो बचपन के आघात जैसे उपेक्षा या धमकाने के शिकार थे, उनमें इस विकार के विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
● चाइल्डहुड एक्यूट न्यूरोसेक्रिटिक सिम्पटम्स (CANS): कभी-कभी, वें बच्चे जिन्हें संक्रमण हो गया है उन्हें ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसॉर्डर के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। स्ट्रेप्टोकोकस से संक्रमित होने के बाद यह बाल चिकित्सा ऑटोम्यून्यून न्यूरोसाइचिकटिक विकार हो सकता है। ओसीडी के लक्षण अन्य संक्रमणों के साथ भी हो सकते हैं।
● व्यक्तित्व लक्षणः परिपूर्ण होना, अनिश्चितता को संभालने में असमर्थ होना, जिम्मेदारी से अभिभूत होना आदि कुछ ऐसे व्यक्तित्व लक्षण हैं जो ओसीडी का कारण बन सकते हैं। क्या ये एकमात्र लक्षण हैं यह अभी भी बहस का विषय है।
● तनाव या आघातः किसी भी प्रकार का तनाव भी जोखिम कारकों में से एक हो सकता है। यह विकार विकसित करने या पहले से मौजूद लक्षणों को खराब करने का एक कारण हो सकता है।
● सिर की चोटः अध्ययनों के अनुसार, ओसीडी के लक्षण मौजूद नहीं होने के बावजूद, सिर की चोट के बाद पहली बार दिखाई दे सकते हैं।
नीचे दी गई अन्य मानसिक स्थितियां भी ओसीडी के विकास के कारण हो सकती हैंः
ओसीडी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए ऑब्सेशन और कम्पल्शन व्यक्तिगत पसंद नहीं हैं। इसके बजाय, वे उनके दैनिक जीवन में जटिलता लाते हैं और हस्तक्षेप करते हैं। उनमें से बहुत से लोग महसूस करते हैं कि विश्वास और विचार जो उनके व्यवहार को बढ़ावा देते हैं, तार्किक नहीं हैं, हालांकि अकल्पनीय भी नहीं हैं। हालाँकि, वे इन जुनूनी विचारों के कारण होने वाली पीड़ा को कम करने और इन निरंतर भय को वास्तविकता बनने से रोकने के लिए इन अनुष्ठानों पर भरोसा करते हैं।
हालांकि, सभी जुनूनी बाध्यकारी विकार समान नहीं होते हैं। ओसीडी प्रकारों का कोई औपचारिक वर्गीकरण नहीं है लेकिन ओसीडी के लक्षणों को कई उपप्रकारों में वर्गीकृत किया गया हैः
आपके लक्षण उपरोक्त किसी भी उपप्रकार में फिट हो सकते हैं या कई श्रेणियों में फिट हो सकते हैं। ये उपप्रकार अनौपचारिक हो सकते हैं क्योंकि ओसीडी के लक्षण सिर्फ एक श्रेणी में फिट नहीं हो सकते हैं। ऊपर उल्लिखित के अलावा, अन्य अनौपचारिक उपप्रकार भी हैं जैसेः
● ईमानदारीः इसमें धार्मिक विश्वासों से संबंधित जुनून और मजबूरियां शामिल हैं। यदि आपके पास एक नास्तिक विचार है, तो आप कई बार गिनने, एक निश्चित संख्या में प्रार्थना करने, या इसे रद्द करने के लिए कई वस्तुओं को छूने के लिए मजबूर महसूस कर सकते हैं।
● शुद्ध ओ (ऑब्सेशन): इसमें दखल देने वाले यौन, हिंसक या धार्मिक विचार और जुनून शामिल हैं लेकिन कोई स्पष्ट मजबूरी नहीं है। प्योर ओ में मजबूरियां अभी भी मौजूद हो सकती हैं लेकिन वे शारीरिक क्रियाओं के रूप में नहीं बल्कि मानसिक अनुष्ठानों के रूप में प्रकट हो सकती हैं।
● संबंध OCD: इसमें आपके संबंधों के बारे में प्रश्न, संदेह और परेशान करने वाले विचार शामिल हैं।
यह मिथक होने कि ओसीडी का कोई उपचार नहीं है निराधार है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ओसीडी को दूर करने के लिए चिकित्सा या दवा या कभी-कभी दोनों की सलाह देते हैं। आम तौर पर ओसीडी के लिए एक्सपोजर एंड रिस्पांस प्रिवेंशन (ईआरपी) दृष्टिकोण की सिफारिश की जाती है। दिमागीपन-आधारित संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) जैसे अन्य दृष्टिकोण अधिक फायदेमंद हो सकते हैं।
यदि आपमें गंभीर ओसीडी के लक्षण हैं या चिकित्सा से आपको लाभ नहीं हो रहा है, तो आपको दवा के संबंध में मनोचिकित्सक से मदद लेने का सुझाव दिया जा सकता है। एंटीडिप्रेसेंट और एंटीसाइकोटिक्स दो दवाएं हैं जो ओसीडी के लक्षणों में मदद कर सकती हैं। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन भी एक नई उपचार पद्धति है जो ओसीडी के लक्षणों को कम करने में क़ाफीमददगार साबित हुई है।
ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसॉर्डर के लक्षण विभिन्न तरीकों से प्रकट हो सकते हैं। किसी भी तरह के ओसीडी के लक्षणों को इलाज से दूर किया जा सकता है। यदि आपके ओसीडी के लक्षण आपके लिए व्यक्तिगत संबंधों और दैनिक जिम्मेदारियों का सामना करना मुश्किल बनाते हैं, तो आपको एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए।
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भारतीय महिला हॉकी टीम की फॉरवर्ड की खिलाड़ी लालरेमसियामी ने शनिवार को कहा कि टीम ने एशियन गेम्स के फाइनल में की गयी गलतियों से सीख ली है और वे 2020 टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने को लेकर आश्वस्त हैं.
विश्व रैंकिंग में 10वें स्थान पर काबिज भारतीय टीम तोक्यो में चीन (विश्व रैंकिंग 11), जापान (विश्व रैंकिंग 14) और आस्ट्रेलिया के खिलाफ 17 अगस्त से शुरू होने वाली ओलिंपिक टेस्ट इवेंट में भाग लेंगी.
लालरेमसियामी ने कहा, 'टीम ओलिंपिक टेस्ट इवेंट से पहले आत्मविश्वास से भरी है क्योंकि हमने अभ्यास सत्र के दौरान कड़ी मेहनत की है. राष्ट्रीय शिविर में हर सत्र को ओलिंपिक क्वालिफायर को ध्यान में रखकर अयोजित किया जाता था. हमें लगता है कि हमारे पास ऐसी टीम है जो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर इतिहास रच सकती है. ' मिजोरम की 19 साल की इस खिलाड़ी ने कहा कि हॉकी इंडिया के विभिन्न शिविरों ने खिलाड़ियों के खेल को सुधारने में काफी मदद की है.
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टेलीवीजन के कई ऐसे फेमस सितारे हैं जो रियल लाइफ में भाई-बहन हैं।
आलोक नाथ और विनीता मलिक दोनों ही टेलीविजन के जानें पहचाने चेहरे हैं। दोनो रियल लाइफ में भाई-बहन हैं। इन दोनो को ज्यादातर संस्कारी टीवी शो में दादा-दादी के रोल करते हुए देखा जाता है।
विनीता मलिक ने टीवी के फेमस शो ये रिश्ता क्या कहलाता है, में एक प्यारी दादी का किरदार किया है।
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किसी उपभेदके बिना भी देशीगणके कई उल्लेख मिले है । इनमे दो लेखोंमें ( क्र० ८३, १६९ ) सन् ९५० तथा १०९६ में गुणचन्द्र और रविचन्द्र आचार्योंका उल्लेख है । इन लेखोंमें देशी गणके साथ सिर्फ़ कोण्डकुन्दान्वय यह विशेषण है । कोई १८ लेखोंमें मूलसंघ - देशीगण इस प्रकार उल्लेख है। इनमें प्राचीनतर लेख ( क्र० १९३, २२९, २५६ ) बारहवीं सदीके हैं । कोई ८ लेखोंमे देशीगणके साथ अन्य कोई विशेषण नहीं है। ऐसे लेखोंमे प्राचीनतर लेख ( क्र० १२६, १३९, १४० ) सन् १०३२ तथा १०५४ के है और इनमें अष्टोपवासी कनकनन्दि आचार्यको कुछ दान देनेका वर्णन है ।
( श्री ३ ) कोण्डकुन्दान्वय - देशी गणके पुस्तक गच्छको प्रायः कोण्डकुन्दान्वय यह विशेषण दिया गया है। कुछ लेखोमें किसी संघ या गणके बिना सिर्फ़ कोण्डकुन्दान्वयका उल्लेख है। ऐसे लेखोंमें प्राचीनतर लेख ( क्र० १८०, २२२ ) ग्यारहवीं-बारहवीं सदीके हैं। एक प्राचीन लेख ( क्र० ५४ ) मे सन् ८०८ मे कोण्डकुन्देय अन्वयके सिर्मलगेगूरु गणके कुमारनन्दि- एलवाचार्य - वर्धमानगुरु इस परम्पराका उल्लेख है । वर्धमानगुरुको राष्ट्रकूट राजा कम्भराजने एक ग्राम दान दिया था। इस लेखमे कोण्डकुन्देय अन्वय यह शब्द प्रयोग है जो स्पष्टतः कोण्डकुन्दे स्थानका सूचक है।
आ ४ ) सूरस्थ गण प्रस्तुत संग्रह में इस गणका पहला उल्लेख सन् ९६२ का है ( क्र० ८५ ) । इसमे प्रभाचन्द्र - कल्नेलेदेव- रविचन्द्र५. पहले संग्रह में कोण्डकुन्दान्वयका प्रथम उल्लेख सन् ७९७ मैं ( ऋ० १२२ ) बिना किसी गणके हुआ है। वहाँ सिर्कलगेगूर गणका कोई उल्लेख नहीं है । कोण्डकुन्दान्वय यह विशेषण वदचित् द्राविड़ संघ, सेनगण आदिके लिए भी प्रयुक्त हुआ है ( तीसरा भाग प्रस्तावना पृ० ४५, ५१ )
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सोनभद्र। पड़ोसी छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में मंगलवार को नक्सलियों ने एक चार पहिया वाहन को निशाना बनाते हुए बारूदी विस्फोट से उड़ा दिया। विस्फोट से वाहन सवार चालक समेत दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घटना को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने यूपी से सटे सभी जिलों के भी पुलिस को नक्सलियों की तलाश में लगा दिया है। वहां की पुलिस से बचने के लिए नक्सली सीमावर्ती इलाकों में पनाह न ले सकें इसे लेकर सोनभद्र पुलिस अलर्ट हो गई है। एसपी ने बार्डर पर पीएसी और नक्सल इलाकों के थानों की फोर्स को सतर्क कर दिया है।
खुफिया एजेेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार की सुबह छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र अंर्तगत राजपेटा गांव के पास नक्सलियों ने एक सूमो वाहन को निशाना बनाते हुए बारूदी विस्फोट से उड़ा दिया। आईईडी विस्फोट से वाहन के परखच्चे उड़ गये। वाहन में सवार दो ग्रामीण मो. इकबाल और बलराम बुरी तरह से घायल हो गये हैं। दोनों घायलों को जिला अस्पताल बीजापुर में उपचार चल रहा है। घटना के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन ने एक बार भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। वहां की पुलिस से बचने के लिए नक्सली पूर्व की भांति जिले के सीमावर्ती इलाकों में शरण न लेने पाएं इसको लेकर जिले की पुलिस महकमा सतर्क हो गया है। मंगलवार को बभनी, बीजपुर, कोन, विण्ढमगंज, रायपुर, मांची, जुगैल समेत अन्य थानों की फोर्स अपने-अपने इलाकों में भ्रमण करते हुए ग्रामीणों को संदिग्धों के दिखाई देने पर सूचना देने के लिए जागरूक करने में जुटी रही। बार्डर पर पीएसी को तैनात कर दिया गया है। पुलिस कर्मियों को संदिग्धों पर पैनी नजर रखने का आदेश दिया गया है।
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अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस की वार्षिक रिपोर्ट में हल्का जिक्र किया गया है कि अरुणाचल प्रदेश में चीन ने '2020 में किसी समय' '100 घरों का असैनिक गांव' बसाया है. इस जिक्र ने इस मसले को एक साल बाद फिर चर्चा में ला दिया है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने अमेरिकी कॉंग्रेस को जो रिपोर्ट सौंपी है वह 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' से जुड़े फौजी और सुरक्षा मामलों से संबंध रखती है. 'उस समय' और 'आज' जो चर्चा हो रही है उसमें ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या वह गांव 1959 से चीनी कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में बनाया गया? क्या वह 2014 से सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार की नज़रों के सामने बसाया गया?
दरअसल, बड़ा मसला विवादित इलाकों के मामले में अपने सीमावर्ती क्षेत्रों के प्रबंधन/विकास के जरिए अपनी संप्रभुता जताने की चीनी रणनीति से जुड़ा है और इस पर उतना ध्यान नहीं दिया गया है जितना देना चाहिए था. सीमावर्ती क्षेत्रों के प्रबंधन/विकास की इस प्रक्रिया को 23 अक्तूबर 2021 को 'लैंड बॉर्डर लॉ' नामक सीमा भूमि कानून बनाकर औपचारिक रूप दे दिया गया है.
चीनी भाषा से अंग्रेजी में अनूदित इस 'लैंड बॉर्डर लॉ' नामक कानून का लक्ष्य यह बताया गया है कि इसका मकसद 'सीमावर्ती जमीन की सुरक्षा और स्थिरता को मानक रूप देना और मजबूत करना' और 'राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और भौगोलिक अखंडता को सुरक्षित करना' है. यह कानून सीमावर्ती इलाकों के विकास और उनकी सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल बनाने में भी मदद करेगा. यह कानून 'सीमवर्ती जमीन के परिसीमन, सुरक्षा, प्रबंधन और विकास के मामलों' पर भी लागू होता है.
ऊपरी तौर पर तो यह कानून सीमा के प्रबंधन और विकास के लिए है, लेकिन इसके अनुच्छेद 3 और 4 भारत और भूटान के लिए गंभीर समस्या पैदा करते हैं, क्योंकि चीन के 14 पड़ोसी देशों में से केवल ये दो ही ऐसे हैं जिनके साथ उसके सीमा विवाद अभी तक सुलझे नहीं हैं. अनुच्छेद 3 के अनुसार 'सीमा भूमि का ताल्लुक उन सीमा रेखाओं से है जो चीन और इसके पड़ोसी देशों के बीच जमीन और आंतरिक जल क्षेत्र का विभाजन करती हैं'. अनुच्छेद 4 कहता है - 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की संप्रभुता और भौगोलिक अखंडता पवित्र और अनुलंघनीय है'.
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चीनी नक्शे पूरे अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड के बाराहोटी मैदानी इलाके, और लद्दाख में 1959 वाली दावा रेखा तक के पूरे क्षेत्र को अपना बताते हैं. भारत के लिए इसका अर्थ यह है कि उसकी जो भी जमीन हथिया ली गई है, फ़ौजी कब्जे में है या आगे कब्जे में होने वाली है उसे चीन की संप्रभुता के अधीन और अनुलंघनीय माना जाएगा, और उसकी भौगोलिक अखंडता पवित्र मानी जाएगी इसके अलावा चीन अपने क्षेत्र की नदियों पर अपना पूर्ण अधिकार मानता है और उनकी धारा के साथ लगे देशों के हितों की कोई परवाह नहीं करता.
यहां यह बताना उपयुक्त होगा कि मई 2020 के बाद से चीन ने 1959 वाली दावा रेखा तक कई बार अतिक्रमण करके और एलएसी पर अपनी सेना का जमावड़ा करके 1993, 1996, 2005, 2012, और 2013 में किए गए सीमा प्रबंधन समझौतों/ प्रोटोकॉल का मनमाना उल्लंघन किया है. इसलिए इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह भविष्य में इनका सम्मान करेगा.
उपरोक्त कानून चीन की सीमा के पास चीनी अधिकारियों की इजाजत के बिना किसी तरह के स्थायी निर्माण को प्रतिबंधित करता है. गोलमोल शब्दों के प्रयोग से यह मतलब निकाला जा सकता है कि यह कानून सीमा के दोनों तरफ के क्षेत्र के लिए लागू होगा. इस तरह टकराव का एक और कारण पैदा कर दिया गया है, खासकर इसलिए भी कि भारत के बड़े क्षेत्रों को चीनी नक्शों में चीन का बताया गया है. चीन नये कानून के बहाने फौजी तथा कूटनीतिक दबाव बनाकर भारत को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करने से रोक सकता है. याद रहे कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के भारत की कोशिश ही चीनी फौजी कार्रवाइयों की मुख्य वजह रही.
वास्तव में, चीन की कार्रवाइयां अपने सीमावर्ती क्षेत्रों के इर्दगिर्द गांवों के सशक्तीकरण की उस नीति का हिस्सा हैं, जो 2017 से 4. 6 अरब डॉलर के बजट के साथ लागू की जा रही थी. यह योजना 2020 में पूरी हुई. 624 मॉडल 'श्याओकांग' (समृद्ध) गांव तिब्बत में सीमाओं पर या उनके पास बसाए गए हैं. चीनी विद्वान क्लाउड आरपी के मुताबिक ऐसे गांवों की संख्या 965 है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास और सीमाओं पर मॉडल गांवों/कस्बों का निर्माण विवादित इलाकों पर चीनी दावे को वैध बनाता है. कानून का 90 फीसदी हिस्सा कब्जा करने पर ज़ोर देता है.
चीन की सीमा पर जो भीषण घटनाएं घट रही हैं उनके बारे में खंडन, घालमेल और गोपनीयता बरतने की नीति मोदी सरकार को तुरंत त्याग देनी चाहिए. सबसे पहले तो उसे सभी अटकलों को खत्म करने के लिए संसद और जनता के सामने एक श्वेतपत्र पेश करना चाहिए जिसमें चिन्हित नक्शों और उपग्रह चित्रों के साथ उन भारतीय क्षेत्रों का विवरण हो जिन पर चीन ने कब्जा कर रखा है.
मोदी सरकार को भी चीन और पाकिस्तान के मामले में चीन की तरह सीमा भूमि कानून बनाना चाहिए. खबर आ रही है कि पाकिस्तान भी एलओसी के लिए चीनी मॉडल को अपनाने जा रहा है. संसद के प्रस्तावों को कानून नहीं माना जाता. चाहे भी लागत हो, भारत को भी चीन के साथ लगी अपनी सीमाओं के प्रबंधन और विकास के लिए चीनी मॉडल को या उससे बेहतर मॉडल को लागू करना चाहिए.
सीमा भूमि कानून एक बार फिर साबित करता है की भौगोलिक अखंडता की सबसे अच्छी सुरक्षा इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास, लोगों के बसाहट और पर्यटन के जरिए की जा सकती है. जरा कल्पना कीजिए कि भारत ने चीनी सीमा पर गांवों-कस्बों के विकास के लिए 2020-21 में 190 करोड़ रुपये (25 लाख डॉलर) का बजट रखा, जबकि चीन ने तिब्बत में 624 गांवों पर 2017 से 2020 तक हर साल 1. 15 अरब डॉलर यानी कुल 4. 6 अरब डॉलर खर्च किया. भारत के सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम को बजट और काम की गति के लिहाज से तुरंत और मजबूत करना चाहिए. सड़कों, रेलवे, पनबिजली परियोजनाओं और उद्योग जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए ऐसी ही कार्रवाई की जरूरत है.
सीमाओं को पर्यटन के लिए खोल देना चाहिए क्योंकि उन्हें छिपा कर रखने का कोई औचित्य नहीं है, सिवा इसके कि इससे वहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमजोरी उजागर हो जाएगी. इनर लाइन परमिट जैसे प्रतिबंधों को खत्म कर देना चाहिए. जरा देखिए कि लद्दाख में जिन कुछ इलाकों को पर्यटन के लिए खोला गया है उनका कितना विकास हुआ है.
फौजी दृष्टि से एलएसी तक भारतीय लोगों के आवागमन की व्यवस्था करने के लिए इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस की चौकियां बनाई जाएं और उन्हें विकसित फौजी अड्डों द्वारा संचालित इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स के रूप में रैपिड रेस्पोंस फोर्स की आकस्मिक व्यय प्रदान करने के तौर पर हो. सैन्य क्षमता में चीन से बराबरी करने के लिए जबरदस्त प्रयास करने की जरूरत है. देश को भरोसे में लीजिए और प्रतिरक्षा के नाम पर टैक्स लगाकर जरूरी पूंजी जुटाइए.
चीन का सीमा भूमि कानून भारत के लिए चेतावनी की घंटी है. मेरा मानना है कि मौजूदा संधियों/ समझौतों/ प्रोटोकॉल के बावजूद यह कानून चीन के लिए अपनी शर्तों पर सीमा विवादों के निबटारे की रणनीति का आधार बनेगा. आज हम सैन्य क्षमता में कमजोर भले हों और अपनी जमीन जीतकर वापस हासिल न कर पा रहे हों, मगर हम चीन को आर्थिक विकास की आड़ में अपनी जमीन पर टुकड़े-टुकड़े कब्जा करने की छूट नहीं दे सकते.
(ले. जन. एचएस पनाग, पीवीएसएम, एवीएसएम (रिटायर्ड) ने 40 वर्ष भारतीय सेना की सेवा की है. वो नॉर्दर्न कमांड और सेंट्रल कमांड में जीओसी-इन-सी रहे हैं. रिटायर होने के बाद आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के सदस्य रहे. व्यक्त विचार निजी हैं)
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कन्नौज. वैसे तो घड़े को आमतौर पर सभी ने एक सामान्य से आकार में देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किसी घड़े का आकार एक ट्रक जैसा हो सकता है. जी, हां दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना घड़ा कन्नौज में रखा है. अपनी खुशबू के लिए विश्वविख्यात इत्र नगरी कन्नौज के म्यूजियम में इस घड़े को संरक्षित करके रखा गया है. इस घड़े में 2 हजार लीटर पानी आ सकता है. यह घड़ा करीब 40 साल पहले शहर क्षेत्र के शेखपुरा मोहल्ले में खुदाई के दौरान मिला था.
सम्राट हर्षवर्धन और राजा जयचंद का साम्राज्य रहें इस जिले का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. यहां समय-समय पर खुदाई के दौरान नायाब और दुर्लभ चीजें मिली है. जिनको देखकर लोगों को भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ. पहली से तीसरी सदी के बीच कुषाण वंश के दौरान सबसे बड़े घड़ो में से एक घड़ा यह भी माना जाता है.
करीब 1500 साल बने इस घड़े की ऊंचाई लगभग 5. 4 फीट है और चौड़ाई 4. 5 फीट है. टैंकर के साइज का मिट्टी का घड़ा जो दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना घड़ा माना जाता है.
कन्नौज में बीते करीब 50 साल से ज्यादा वक्त से पुरातत्व विभाग यहां पर समय-समय पर खुदाई कर रहा है. कन्नौज का नाम इतिहासों और वेद पुराणों में दर्ज है. जिसके चलते यहां पर जब भी खुदाई होती है तो कुछ ना कुछ ऐसा निकल कर सामने आता है. जो यहां के इतिहास के बारे में बयां करता है. फिर चाहे टेराकोटा की मूर्तियां हो या 1 हजार वर्ष से भी ज्यादा पुरानी मुद्राएं, भगवान शिव की कई अलग-अलग मुद्राओं की प्राचीन मूर्तियां भी यहां से निकलती रही हैं.
यहां अलग-अलग सदी के शिलालेख मूर्तियां बर्तन पत्थर भी निकलते रहते हैं. हिंदू जैन और बौद्ध धर्म से जुड़ी कई विरासत यहां पर सहेज कर रखी गई है. सभी की उम्र का आकलन कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक पद्धति से इसका आकलन किया जा चुका है.
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दरअसल बुधवार (7 जून) को फसल उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक हुई, जिसमें खरीफ फसलों की एमएसपी में वृद्धि का फैसला लिया गया। कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कृषि में हम समय-समय पर सीएसीपी (कृषि लागत और मूल्य आयोग) की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करते रहे हैं। इस साल खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी पिछले कुछ सालों की तुलना में सबसे ज्यादा है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसे समय जब खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आ रही है और एमएसपी में बढ़तोरी से किसानों को फायदा होगा। गोयल ने बताया कि केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2023-24 के दौरान सभी स्वीकृत खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 3 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 143 रुपए बढ़ोतरी की गई है। सामान्य ग्रेड के धान को 2040 से बढ़ाकर 2183 प्रति क्विंटल किया गया है। वहीं ए ग्रेड के धान को 2060 से बढ़ाकर 2203 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।
मोदी सरकार ने धान के साथ-साथ दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी को मंजूरी दी। न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे अधिक 10. 4 प्रतिशत वृद्धि मूंग में की गई है। मूंग की एमएसपी अब 7755 से बढ़कर 8558 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। 2022-23 के मुकाबले इसमें 803 रुपए प्रति प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही तुअर दाल की एमएसपी में 400 रुपए प्रति क्विटल की बढ़ोतरी की गई है। तुअर की एमएसपी अब 6600 से बढ़कर 7000 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। उड़द दाल की एमएसपी को 350 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 6,950 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इनके अलावा मक्के और मूंगफली की एमएसपी में भी बढ़ोतरी की गई है।
मोदी सरकार के इस फैसले से विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के दौरान एमएसपी में वृद्धि किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बजट 2018-19 की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1. 5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है। बाजरा (82%) के बाद तुअर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ सबसे अधिक होने का अनुमान है। बाकी अन्य फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% मार्जिन प्राप्त होने का अनुमान है।
चाहे वो किसानों से अनाज की रिकॉर्ड खरीदारी हो, एमएसपी की बात हो, उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा देना की बात हो, उनके सम्मान की बात हो। एक तरफ केंद्र सरकार ने किसान कल्याण की दिशा में ईमानदार कदम उठाये हैं।
मोदी सरकार रबी और खरीफ फसलों की एमएसपी में लगातार बढ़तोरी कर जहां फसालों का उचित मूल्य दिलाने के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि कर रही है, वहीं दलहनों, तिलहनों और अन्य पोषक धान्य/श्री अन्न जैसे अनाजों के अलावा कई फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) जैसी विभिन्न योजनाएं और गतिविधियां भी शुरू की हैं।
भारत सरकार कृषि क्षेत्र और किसानों को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
गौरतलब है कि धान खरीफ की प्रमुख फसल है और इसकी बुवाई आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन के साथ शुरू होती है। भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि अल नीनो प्रभाव के बावजूद इस साल जून-सितंबर के दौरान मानसून सामान्य रहेगा। वहीं मोदी सरकार के प्रोत्साहन और किसानों की मेहनत का नतीजा है कि खाद्यान्न उत्पादन में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है। देश में 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 330. 5 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 14. 9 मिलियन टन अधिक है। यह बीते 5 वर्षों में होने वाली सबसे अधिक वृद्धि को दर्शाता है।
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बेंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम में बांग्लादेश से मैच के लिए जब कोहली प्रैक्टिस के लिए पहुंचे उनके प्रशंसकों ने उन्हें घेर लिया। कोहली ने भी खुशी-खुशी सेल्फी खिंचवा ली।
सेल्फी खिंचवाने के बाद विराट कोहली ने मैदान के चक्कर लगाए।
बेंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम में बांग्लादेश के खिलाफ़ ग्रुप मैच के पहले विराट कोहली ने अपनी फ़िटनेस बरक़रार रखने के लिए फुटबाल भी खेली।
बेंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम में बांग्लादेश के खिलाफ़ मैच के एक दिन पहले टीम इंडिया के कप्तान धोनी प्रेक्टिस के दौरान फुटबाल खेलते हुए।
बेंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम में बांग्लादेश के खिलाफ़ मैच के एक दिन पहले अश्विन नैट्स पर बॉलिंग करते हुए। साथ में हैं पवन नेगी, रविंद्र जडेजा और हरभजन सिंह।
बेंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम में बांग्लादेश के खिलाफ़ मैच के एक दिन पहले टीम डायरेक्टर रवि शास्त्री की निगरानी में बॉलिंग प्रैक्टिस करते हुए जसप्रीत बूमरा।
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भाजपा इन दिनों अपने ही नेताओं के बनाए हुए अनेक मिथकों और भ्रम का शिकार बन गई है। देश के चुनावों में सबका साथ सबका विकास, मण्डल कमण्डल, गाय माता और भारत माता धर्म, पूजा धर्म, ध्वज के साथ खड़ी भाजपा में इन दिनों अनेक प्रकार के अन्तर विरोध दिखाई पड़ रहे हैं। चुनावों में विजय प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के मिथक गढ़ना और अपने कुतर्को से उन मिथकों को आगे बढ़ाते रहने की कला भाजपाइयों में कूट कूट कर भरी है। समय समय पर धर्म आधारित वैमनस्यता को बढ़ावा देने से अनेक बेकसूर व्यक्तियों की मौत भी सत्ता का स्वाद चखने वाले नेताओं के आचरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डाल पाई है।
सत्ता प्राप्त करने के अनेक प्रकार के नेता और उनके अपने अपने एजेन्डे इस पार्टी में ही है। चुनावी समय में निर्लज्ज भोंडेपन से इनके नेताओं द्वारा अपनी इस कला का सर्वज्ञान दिखाया जाता है। परन्तु सत्ता प्राप्त करते ही इनके अपने नेता ही इन सारे नफरत के विवादों, वादों को चुनावी जुमले करार देकर एकदम से पलट जाते हैं। सम्पूर्ण देश में गाय माता व राम मन्दिर के मुद्दे पर अपनी सियासी रोटी सेकने के आदतन ठेकेदार बने भाजपाइयों की सरकार में राजधानी जयपुर में ही देव देवालय पुजारी के साथ गाय माता सुरक्षित नहीं है।
राम जादो की ही सरकार में 50 से अधिक मन्दिर अबतक तोड़े जा चुके हैं। इन मन्दिरो में एक मन्दिर तो एेसा भी था जो जयपुर शहर के बसाने वाले राजा सवाई जय सिंह के समय का बना था। जयपुर शहर छोटी चौपड़ पर बना रोजगारेश्वर महादेव का मन्दिर एतिहासिक और पुरातत्व विभाग से संरक्षित हैरिटेज की श्रेणी में संरक्षित था। अचानक बिना किसी सरकारी आदेश के दिन दहाड़े भगवान शिव के इस मन्दिर को राम मन्दिर बनाने की कसमें खाने वालों की सरकार में तोड दिया गया। इस से पहले राजधानी में दर्जनों मन्दिर तोडने से पहले मन्दिर के पुजारियों को पुलिस थाने में बैठा कर पुलिसियाई दण्डे से सरकारी आतंक का ज्ञान दिया गया। आनन-फानन में बुलडोजर चलाकर एेतिहासिक मन्दिर तोड डाला। राम मन्दिर और शिव मन्दिर में राजनैतिक वोटों की फसल नहीं मिलने के फर्क के कारण ही शायद जयपुर में बेरहमी से मन्दिर पुजारी और देवताओं का अपमान भाजपा शासन में हुआ है अन्यथा तो सभी देवालय व देवालय में विराजमान देवमूर्ति भी सभी के लिए समान रूप से आदर के पात्र हैं। पर शायद राम मन्दिर व गाय माता के लिए मरने मारने वालों के लिए भगवान और उनकी आस्था का सम्मान समय स्थान देखकर व उनके लाभ अनुसार भिन्न-भिन्न है।
अभी ताजा घटना राजस्थान के प्रतापगढ़ के छोटी सादड़ी कस्बे की है, यहां गौ भक्तों ने एक व्यक्ति को निर्वस्त्र कर पुलिस की मौजूदगी में सिर्फ़ इसलिए मारा कि वह व्यक्ति कथित तौर पर एक ट्रक में गाय-बैल व भैंस को बुरी तरह से ठूंसकर ले जा रहा था। अगर वह व्यक्ति गोैवंश की तस्करी कर रहा था तो इसकी सजा उसको न्यायालय देता। पर इन गौभक्तो को कानून हाथ में लेना का अधिकार किसने दे दिया।
अब बात करते हैं इन गौ भक्तों की गौ भक्ती की। इन की गौ भक्ती जयपुर नगर निगम की गौशालाओ के भयावह हाल को देखकर गायब हो जाती है। वह भी जबकि नगर निगम जयपुर सहित प्रदेश में गौ भक्तों की सरकार है। सरकारी निगम की गौशाला से कई वर्षों से निगम के भ्रष्ट कर्मचारी ही गोवध के लिए गायों को बेच रहे हैं। गायों के चारे में भारी गोल माल है। एक ही दिन में जांच होने पर पाँच हजार गाये कागजों में मार दी जाती है। कागजों में गायों की नफरी दिखाकर चारे के साथ दवाइयों में भी खूब घपले किये जा रहे हैं। नगर निगम जयपुर के भाजपा के पार्षद ने ही पुलिस थाना कानोता में गायों की तस्करी करने के आरोपी निगम कर्मियों के विरूद्ध रिपोर्ट दी है। यह सब दर्शा रहा है आज के राजनेताओं के मन में अब मात्र कुर्सी प्रेम व धन की ही भूख बची है। गायों के चारे को भी भक्त गाय माता का प्रसाद समझ सपरिवार सहित खा रहे हैं। गायों की तस्करी में लिप्त भ्रष्ट अपने पैसों के बल पर राज्य सरकार से बचे हैं।
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बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया है कि वह आने वाले 1 साल में राज्य के सभी प्रकार के विद्यालय, उच्च शिक्षा के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में 3 लाख नए शिक्षकों को नियुक्त करेगी। साथ ही बिहार को नेक्स्ट जेनरेशन आईटी हब के रूप में विकसित करेगी।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना घोषणा पत्र 'संकल्प पत्र' के नाम से जारी कर दिया है। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री निर्माला सीतारमण ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। इस मौके पर पार्टी के दूसरे बड़े नेता मौजूद थे। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कई बड़े वादे किए हैं। घोषणा पत्र जारी करने के बाद प्रेस से बात करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर एनडीए की सरकार बिहार में आई तो हर आदमी को कोरोना का टीका मुफ्त में दिया जाएगा।
बिहार की जनता से अपने घोषणा पत्र में बीजेपी ने ये वादे किए हैंः
- बिहार के लोगों को कोरोना का टीका निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
- बिहार में मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत तकनीकी शिक्षा को हिंदी भाषा में उपलब्ध कराएंगे।
- आने वाले 1 साल में राज्य के सभी प्रकार के विद्यालय, उच्च शिक्षा के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में 3 लाख नए शिक्षकों की नियुक्ति करेंगे।
- बिहार को नेक्स्ट जेनरेशन आईटी हब के रूप में विकसित करेंगे, अगले 5 वर्षों में 5 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगे।
- स्वयं सहायता समूहों और माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के माध्यम एक करोड़ महिलाओं को स्वावलंबी बनाएंगें।
- 10 हजार चिकित्सक, 50 हजार पैरामेडिकल कर्मियों समेत राज्य में कुल 1 लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी के अवसर प्रदान करेंगे।
- प्रधानमंत्री जी द्वारा दरभंगा, बिहार को दिए दूसरे 'एम्स' का संचालन 2024 तक सुनिश्चित करेंगे।
- धान और गेंहू के बाद अब दलहन की भी खरीद MSP की निर्धारित दरों पर करेंगे।
- बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों तथा शहरी क्षेत्रों में और 30 लाख लोगों को वर्ष 2022 तक पक्के मकान देंगे।
- दुग्ध उत्पादन को लेकर को-ऑपरेटिव तथा कोम्फेड को प्रोत्साहित करेंगे।
- प्रोसेसिंग के क्षेत्र में निजी निवेश के लिए सुगमता प्रदान कर 2 सालों में निजी तथा कोम्फेड पर आधारित 15 नए प्रोसेसिंग उद्योग खड़े करेंगे।
- अगले 2 वर्षों में मीठे पानी में पलने वाली मछलियों के उत्पादन में राज्य को देश का नम्बर 1 राज्य बनाएंगे।
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पश्चिमी महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पंढरपुर में अषाढ़ी एकादशी के मौके पर लाखों भक्त इकट्ठा हुए। इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आज तड़के पंढरपुर में विट्ठल देव और देवी रुकमिनी की पूजा की।
पंढरपुर(महाराष्ट्र) पश्चिमी महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पंढरपुर में अषाढ़ी एकादशी के मौके पर लाखों भक्त इकट्ठा हुए। इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आज तड़के पंढरपुर में विट्ठल देव और देवी रुकमिनी की पूजा की।
मुख्यमंत्री ने पत्नी अमृता फडणवीस के साथ मिलकर विधि-विधान के अनुसार पूजा-अर्चना संपन्न की। पूजा के बाद मंदिर से बाहर निकलकर सीएम फडणवीस ने वहां पहुंचे श्रद्धालुओं से कहा, 'मैंने विट्ठल देव से महाराष्ट्र के किसानों की समृद्धि और खुशी के लिए प्रार्थना की, उन्हें कर्जमुक्त करने की दुआ मांगी। '
मुंबई में वडाला स्थिल विट्ठल मंदिर में इस मौके पर पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
अषाढ़ी एकादशी के मौके पर करीब एक माह लंबी धार्मिक यात्रा (वारी) पूरी कर महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से श्रद्धालु पंढरपुर पहुंचते हैं। यह यात्रा साल में एक बार होती है और यह परंपरा पिछले 800 वर्षों से चली आ रही है।
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वास्तव मे शस्त्रास्त्रों का घाव तो समय पाकर भर जाता है, चाहे वह गहरा ही क्यो न हो, किन्तु दुर्वचनो के द्वारा जो घाव हृदय मे हो जाता है वह नहीं भर पाता । इसलिये प्रत्येक अनुकम्पा के धारक को मन, वचन तथा काया से भी किसी को कष्ट नही पहुँचाना चाहिये ।
यह सही है कि गृहस्य अहिंसा का पालन पूरी तरह नहीं कर पाता । अपने विरोधी से आत्मरक्षा करने के लिये, किसी आक्रमणकारी अथवा आततायी मे देश, धर्म अथवा कुटुम्ब की रक्षा के लिये उसे एक आवश्यक सीमा तक हिंसात्मक कदम उठाना पडता है किन्तु उस समय भी मनुष्य के मन मे पापी के सुधार की तथा उसे पाप कर्म से बचाने की भावना होनी चाहिये ।
शिक्षक शिष्यं को अनुग्रहबुद्धि से दड देता है । उसे ताडना देते हुए कभी-कभी मार-पीट भी करनी पड़ती है। डॉक्टर रोगी को जीवन दान देने के लिये उसका ऑपरेशन और अगभग करता है। किन्तु इस सबके पीछे शिक्षक की और डाक्टर की भावना शिष्य अथवा बीमार को कष्ट पहुँचाने की नहीं होती । वह उनका हितचिन्तक ही होता है । हिंसा और अहिंसा का सम्बन्ध भावना से है। इसीलिये हिमा के दो प्रकार माने गए हैं - द्रव्य हिंसा और भावहिंसा । भावहिंसा ही वास्तविक हिंसा है ।
किमी जीव के प्राणो का घात हो जाना द्रव्य हिंसा है किन्तु हिमा करने की भावना न हो फिर भी अकस्मात् जीव का घात हो जाए तो प्रवृत्ति करने वाला हिंसा के पाप का भागी नहीं होता। इसके विपरीत, किसी प्राणी का घात करने की भावना होना, उमे पीडा पहुँचाने का इरादा होना, सकल्प होना भावहिंसा है। जहाँ भावहिमा होती है वहाँ पाप होना अवश्यभावी है । जैसे देश मे दुर्भिक्ष होने पर एक व्यापारी लोभ के वशीभूत होकर अन्न के भंडार को छिपाकर रखता है और अन्न के अभाव मे अनेक मनुष्य कालकवलित हो जाते हैं । उस स्थिति मे वह व्यापारी प्रकट रूप मे हिंसा न करता हुआ भी हिंसा के पाप का भागी बन जाता है ।
कहने का अर्थ यही है कि अनुकम्पा सिर्फ शरीर को हिंसा से बचाने मे ही नहीं वरन् मन तथा वचन को भी हिंसा तथा पर पोडा से बचाने मे है । मुक्ति के इच्छुक की तीनो प्रकार से अनुकम्पा वारण करना चाहिये । तभी वह अपने जीवन को सार्थक बना सकता है ।
जीवन को सार्थक बनाने के लिये तीसरी आवश्यकता है निस्वार्थ साधना की । आत्म-कल्याण की कामना करने वाले मनुष्य को ससार के निस्सार और नश्वर पदार्थों से विमुख होकर निस्वार्थ भाव मे आत्म-शुद्धि का प्रयत्न करना चाहिये । यम, नियम, दान, दया, त्याग तथा तपस्या आदि समस्त क्रियाओं के पीछे अगर मनुष्य को धन-वैभव, आदि प्राप्त करने की चाह होती है तो वहाँ स्वार्थ की भावना अपना प्रभाव दिखाए विना नही रहती । और जहाँ स्वार्थ का अस्तित्व होता है वहाँ सावना निष्फल मावित होती है। शास्त्र का सुस्पष्ट उद्घोप है कि सावना न इहलोक या परलोक सम्बन्धी अभ्युदय के लिए की जानी चाहिए और न यश कीर्ति के लिए । उसका एक ही लक्ष्य होना चाहिए कर्मनिर्जरा । गीता ने भी इसी कथन का अनुमोदन किया हैतस्मादसवत
सतत कार्य कर्म समाचर ।
असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुप ॥
अर्थात् फल सबधी आसक्ति छोडकर निरतर कर्तव्य कर्म करो । जो फल की इच्छा छोड़कर कर्म करते है उन्हें अवश्य मोक्ष पद प्राप्त होता है । निस्वार्थ कर्मों का महत्व अनिर्वचनीय है । उसे शब्दो ने कहकर बताना वडा कठिन है । क्योकि ममार की समस्त वस्तुएँ छूट जाती है किन्तु कर्म आत्मा का साथ सतत देते हैं । एक पाश्चात्य विद्वान् ने भी कहा है - "अभाग्य से हमारा वन, नीचना मे हमारा यश, मुसीवत से हमारा जोश, रोग से हमारा स्वास्थ्य और मृत्यु से हमारे मित्र छीने जा सकते हैं, किन्तु हमारे कर्म मृत्यु के बाद भी हमारा पीछा करते है । कोई भी शक्नि उन्हें हमसे नही छीन सकती ।
क्मों के मिवाय मसार की प्रत्येक वस्तु जीव को छोटनी पडती है । अनेक वस्तुएं तो मनुष्य के जीवनकाल में ही छूट जाती है। हम आए दिन देखते है कि आज जो वैभव की गोद में लोटने हैं कल उन्हें पेट भरने के भी लाले पड़ जाते हैं । आज जिन अभिन्न न्नेहियों के साथ मनुष्य राग-रग और कीडा मे मगन रहते हैं क्ल वे ही न्नेही स्वजन उन्हें रोने बिलखते छोडकर चिरकाल के लिये प्रयाण कर जाते हैं। मानव क्या कर सकता है ? कुछ भी तो नहीं, मिवाय रोने और सिर धुन-चुन कर विलाप करने के। ऐसे ही किसी व्यक्ति की दशा का वर्णन कवि ने किया है
जा यल कीन्हे विहार अनेकन, ता थल काँकरी बैठि चुन्यो करें । जा रसना सो करी बहु वातन,
ता रसना सो चरित्र गुन्यो करें । आलम जोन से कु जन मे करी,
केलि तहाँ अब सीस धुन्यो करै । आखित मे जो सदा रहते,
तिनकी अब कान कहानी सुन्यो करै ।
मूढ और रागी पुरुप रोकर, चिल्लाकर और हाय हाय करके भी गई हुई वस्तु को और गए हुए प्रिय जनो को नही पा सकता । अतएव विवेकशील मनुष्य का कर्तव्य है कि वह मसार के स्वरूप को समझे, ससार के पदार्थों से मिलने वाले सुखो को अमारता का अनुभव करे, तथा सयोगो की अनित्यता को पहचाने । वह भलीभाति समझ ले कि "मनुष्य भोगो को नहीं भोगता वरन् भोग ही उसे भोगते हैं ।
ऐसा करने पर मनुष्य के चित्त में स्थित राग, मोह और आसक्ति दूर हो जाएगी और उस अवस्था में की हुई साधना निस्वार्थ बन सकेगी । मन जब पूरी तरह से सघ जाएगा, अर्थात् जब किसी भी पदार्थ का सान्निध्य अन्त करण मे विकार उत्पन्न नहीं कर सकेगा तव सावना सहज ओर निस्वार्थ भाव से की जा सकेगी। विश्व की एक भी वस्तु मे आसक्ति होने पर साधना दूपित हो जाती है। किसी भी पदार्थ की चाह न होने पर ही साधक सच्ची साधना कर सकता है और भक्त भगवान् की भक्ति ।
राम जब सीता को रावण के चगुल से छुडाकर अयोध्या आए तो उन्होंने अपने सव सहयोगियों को पुरस्कार दिया। सिर्फ हनुमान बाकी रहे । सीता बोली -- आपने सबको दिया, पर हनुमान को तो कुछ दिया ही
नही ?
राम ने कहा - देवी । उसे तुम जो चाहो पुरस्कार दो । तुम भी लक्ष्मी का अवतार हो ।
सीता ने उसी क्षण अपने गले से बहुमूल्य रत्नहार उतार कर हनुमान को दे दिया ।
किन्तु धन्य है हनुमान को । उसने समस्त रत्नो को एक एक करके दाँतो ने तोडा ओर फेंक दिया । और कहा- इनमें से किसी मे भी तो राम नही
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अवस्था द्वय को भी देखता है। यह विश्वातीत होने से सदा के लिये काल-चक्र के ऊपर अवस्थित रहता है। किन्तु कालचक्र के नाभि-स्वरूप भी हैं। शक्ति का प्रसार ही, सृष्टि, तथा उसका सकोच ही, संहार; कहा जाता है। प्रसार और सकोच - इन दोनों के प्रारम्भ तथा अन्त मे साम्यावस्था रहती है। मध्य में इसका वैषम्य या कालचक्र का आवर्त्तन रहता है। किन्तु वैषम्य में भी साम्यावस्था अन्तर्निहित होती है। सृष्टि और संहार - अर्थात् प्रसार और सकोच-शक्ति का अनपायी स्वभाव या स्व-धर्म है। यह नियत रूप से बराबर होता ही रहता है। यह बहिर्गति और अन्तर्गति, अधोगत एव ऊर्ध्वगति, प्रवृत्ति और निवृत्ति, सम्मिलित भाव से वृत्ताकार धारण करती हुई 'कालचक्र' नाम से पुकारी जाती है। प्रदीप से जिस प्रकार प्रभा निर्गत होती है, जलाशय मे पापाण-निक्षेप करने से जिस प्रकार चारो तरफ जल का एक गोल मंडल रचित होता है, ठीक उसी प्रकार बिन्दु भी उसी स्वरूप में प्रसृत होता है। यह प्रसार क्रम से बढता रहता है, तथापि वह किसी अवस्था में अवश्य निरुद्ध होता है। कारण, सृष्टि का प्रसार अनन्त नहीं हो सकता, क्योंकि सृष्टि का प्रसार प्रेरणा से होता है, और प्रेरणा अपरिच्छिन्न नहीं हो सकती ।
हमने मकोच और प्रसार - इन दो धर्मों का उल्लेख कर दिया है। प्रसारशक्ति के क्षीण होने पर मकोच-शक्ति पुष्ट होती है, तथा सकोच शक्ति के क्षीण होने पर प्रसार शक्ति पुष्ट होती है । सकोच शक्ति और प्रसार-शक्ति क्रम से एक के अनन्तर दूसरी प्रकट होती हुई कालचक्र के नाम से पुकारी जाती हैं, अर्थात् ऊर्ध्वतम स्थान में निम्नतम भूमि-पर्यन्त समग्र विश्व इसी चक्र मे घूम रहा है। बिन्दु के केन्द्रम्थल का आश्रय लेता हुआ यह कालचक्र भ्रमण करता है। इस प्रकार समस्त व्यक्त जगत् मध्यस्थ बिन्दु की परिक्रमा कर रहा है। इसमें बिन्दु अपरिवर्त्तनशील, साक्षी और उदागीन है । जिस समय विन्दुरूपा साम्यशक्ति विभक्त होती हुई व्याकृतरूप ग्रहण करती है, उस समय वह बिन्दु अपना तीन स्वतन्त्र रूप धारण करता है।
यहाँ यह कहने की आवश्यकता नहीं कि तुरीय बिंदु उस समय में भी साक्षी से अभेद-भावापन्न एव अव्यक्त अवस्था में ही वर्तमान रहती है। साम्यावस्था में चतुर्थ बिन्दु के सहित अपर विन्दुत्रय का कोई भेद नहीं रहता, किंतु वैषम्य काल में मूल चिदु, अर्थात् चतुर्थ बिंदु से ही बिंदुत्रय पृथक्-भाव से प्रकट होता है। बिंदु के प्रकट होने से ही रेखा की सृष्टि होती है, यह रेखागणित का सिद्धात है। बिंदु के कम्पन अथवा स्पदन से ही रेखा की उत्पत्ति होती है, तथा सकल्प ही स्पदन का कारण है। यही सकल्प जिस समय विकल्प रहित - अर्थात् सकल्पातर शून्य - होता है (जो शास्त्रीय
१. इसी को 'साख्य दर्शन' में परिणाम (सध्श और विमश, अनुलोम और प्रतिलोम ) कहते हैं। वैदिक साहित्य में इसी का नाम 'संवत्सरचक्र' है, और यही उत्तरायण और दक्षिणायन गति है। उत्तरायण या ऊर्ध्वगति को 'देवयान' एव दक्षिणायन या अधोगति को 'पितृयान' कहते हैं। जिन्होंने तन्त्र के षोडश नित्या का तत्त्वालोचन किया है, वे जानते है कि यह सृष्टि और सहार ही शुक्ल या कृष्ण पक्षरूप से कल्पित मास-चक्र कहा जाता है और चन्द्रमा को अमृतरूपा षोडशी (सोलहवीं) कला ही इस कालचक की मध्य-विन्दु-स्वरूपा है ।
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भाजपा द्वारा अमृतसर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के कार्यालय स्थापित करने को लेकर आप सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर एनसीबी (NCB) के दुरुपयोग की आशंका जताते हुए कहा की भाजपा राजनीतिक लाभ पाने के लिए ऐसा कर रही है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एक अखिल भारतीय डार्कनेट ड्रग तस्करी कार्टेल का भंडाफोड़ किया है, मंगलवार को अधिकारियों को सूचित किया।
एनसीबी के विशेष जांच दल (SET) ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि समीर वानखेड़े की टीम के सदस्यों ने आर्यन खान मामले में पकड़े गए आरोपियों का कीमती सामान चुराया।
बॉलीवुड किंग खान शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स केस में गिरफ्तार करने वाले एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े के घर पर बीते दिन 13 घंटो तक छापेमारी की गई जिसके बाद सीबीआई को उनके घर से काफी कुछ बरामद हुआ।
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हमने पूछी जब अथाह नभ से इतनी-सी बात ; " इस सबमें मेरी छाया है" बोल उठा अज्ञात 'अज्ञात' का क्या रहस्य है ? इस प्रकार कवि ने भावों की प्रधानता रक्खी है, किंतु रहस्यात्मक भावों और अनुभूतियों की पुटक स्थलों पर पाई जाती है ।
कुछ वर्षों से कवि की कविताओं में एक नवीनता आ गई है । वह गीति-काव्य की ओर आकर्षित हुआ है । यद्यपि कवि ने जो कुछ लिखा है, वह संगीत के अनुरूप कम है, किंतु ढंग गीति-काव्य का ही है, और प्रधान विषय 'प्रेमोपासना' तथा 'प्रणयाख्यान' है । कवि 'ने 'देवि' और 'प्रिये' के संबोधन से अपनी प्रिय वस्तु की खोज की है । वह बार-बार तृप्त अवस्था में पीड़ित हो उठता है, और अपनी मर्म-भरी व्यथा बड़े वेग से प्रकट करता है । 'भाव' और 'आवेग' के सम्मिलन से इस प्रकार की रचनाएँ शृंगारिक हो गई हैं। उनमें उन्माद है, सरसता है, हृदय को आनंदित करनेवाली उन्मत्त भावना है, साथ ही कला के स्थायी स्वरूप का दर्शन भी होता है । भावुकता की जो मादकता कवि के 'मधुकरण' में पाई जाती है, उससे विशेषता लिए हुए छोटो रचनाओं में पाई जाती है । इनका प्रधान विषय 'उन्माद' और 'प्रेम' है । 'देवि' शब्द का प्रयोग कवि ने अधिक किया है । 'देवि' रहस्यउसे वादिनी नहीं, वरन् सांसारिक-सी जान पड़ती है । कवि वियोगी है, मिलन से अतुल प्रेम है, उसका 'प्रिये' से मिलन नहीं वह "प्रिये' या 'देवि' का अन्वेषण करता है। प्रेम की जैसी श्रीभगवतीचरणजी की कविताओं में पाई जाती है, जो तुरंत हो उन्मत्त चना देनेवाली है, वैसी अन्य किसी भी कवि की कविता में नहीं पाई जाती । वह एकाकीपन को भार समझता है । जीवन की संगिनी की उसे इच्छा है । दुख, निराशा की अपार वेदना का वह अनुभव करता है । इसीलिये वह कहता है1
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यूपी के बलिया जिले में रविवार को रिश्तों को शर्मसार करने का मामला सामने आया है. जहां पर एक चचेरे भाई ने कई बार अपनी बहन की आबरू लूटने की कोशिश की और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक फोटो अपलोड करने की धमकी देता रहा. अंत में तंग आकर बहन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी चचेरे भाई की तलाश में जुट गई है.
घटना रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के मंदा गांव की है. जहां पर अपनी आबरू बचाने के लिए छात्रा ने फांसी का फंदा बनाकर पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली. परिजनों की मानें तो कई दिनों से उसका चचेरा भाई पद्मेश उर्फ बिट्टू रास्ते में रोककर छेड़खानी कर रहा था और उसकी आपत्तिजनक फोटो को फेसबुक पर वायरल करने की धमकी देकर जबरन अवैध संबंध बनाना चाहता था.
कई दिनों से परेशान छात्रा का सब्र का बांध टूटा तो उसने अपने परिजनों को बताया. आखिरकार अपनी इज्जत बचाने के लड़की ने आत्महत्या कर ली. पीड़िता की बहन आरोपी चचेरे भाई को फांसी देने की मांग कर रही है. पुलिस के मुताबिक, आरोपी पद्मेश उर्फ बिट्टू है उसी गांव का रहने वाला है और घटना के बाद से फरार है. पुलिस मामला दर्ज कर अरोपी को जल्द गिरफ्तार करने में जुट गई है.
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देहरादूनः उत्तराखंड के चमोली जिले में आई आपदा के बीच टनल में फंसे लागों को बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य चलाया गया है। वहीं आज सुबह तक जोशीमठ में तपोवन टनल से अब तक कुल 11 शव बरामद किए जा चुके हैं। आपदा के बाद जिले में कुल 58 शव बरामद किए जा चुके हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 7 फरवरी रविवार का दिन चमोली में आई आपदा में लगभग 200 लोग लापता हो गए थे। वहीं इसके बाद देश कई राज्यों में अलर्ट जारी किया गया था।
वहीं न्यूज एजैंसी व अधिकारियों के मुताबिक अगले 3-4 दिनों में आपदा प्रभावित चमोली में बचाव अभियान खत्म हो सकता है। उस समय तक हम सब कुछ कवर कर सकते हैं। लेकिन अगर जरूरत पड़ी, तो बचाव अभियान और अधिक दिनों तक जारी रह सकता है। अगले एक महीने तक भी। आपदा के बाद से अभी भी कई लोग लापता हैं। वहीं सुरंग में भी कई लोग लापता है। लापता के लोगों के परिजन आपने के इंतजार में बैठे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी मोहम्मद शमी की पत्नी द्वारा "लिंग-तटस्थ धर्म-तटस्थ एक समान तलाक के आधार" के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की याचिका पर संबंधित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने समान मुद्दों को उठाने वाली अन्य समान याचिकाओं के साथ याचिका को टैग किया। याचिका अधिवक्ता दीपक प्रकाश ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अतिरिक्त-न्यायिक तलाक, तलाक-उल-हसन के एकतरफा रूप से पीड़ित है, और उसे मोहम्मद शमी द्वारा जारी दिनांक 23 जुलाई, 2022 को तलाक-उल-हसन के तहत तलाक की पहली घोषणा का नोटिस प्राप्त हुआ है।
इस तरह का नोटिस मिलने पर, याचिकाकर्ता ने अपने करीबी और प्रियजनों से संपर्क किया, जिन्होंने अपनी इसी तरह की शिकायतें भी रखीं, जिससे उनके पतियों ने उन्हें एकतरफा तलाक दे दिया, अपनी सनक और मनमर्जी से। इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने "तलाक-ए-हसन और एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों" से संबंधित बड़े मुद्दों के फैसले की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जो अभी भी प्रचलित हैं और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) के तहत लागू हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह एक पीड़ित पत्नी है, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) के तहत पालन की जा रही कठोर प्रथाओं के दुरुपयोग के अधीन है, जिसमें तलाक-ए बिद्दत को छोड़कर, एकतरफा तलाक के कई अन्य रूप मौजूद हैं, जिन्हें तलाक कहा जाता है।
जो मुस्लिम पुरुष को बिना किसी सुलह का अधिकार दिए या किसी भी तरीके से सुने बिना, लिंग और लिंग के आधार पर भेदभावपूर्ण होने के नाते, एक मुस्लिम महिला को एक सनकी और मनमौजी तरीके से तलाक देने की अबाध शक्तियां प्रदान करता है, इस प्रकार भारत के संविधान, 1950 में अनुच्छेद 14,15 और 21 के तहत गारंटीकृत महिलाओं के मूल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। विशेष रूप से, तलाक के ऐसे रूपों में एक तलाक-ए-हसन भी शामिल है, जिसे तलाक-उल-हसन के नाम से भी जाना जाता है, जिसका मुस्लिम पुरुषों द्वारा घोर दुरुपयोग किया जा रहा है, क्योंकि तलाक के इस रूप के माध्यम से, मुस्लिम व्यक्ति के पास एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक रूप है याचिका में कहा गया है कि लगातार तीन महीने की अवधि में तलाक की तीन घोषणाएं करने की शक्ति, जिसे पूरा करने पर मुस्लिम महिलाओं की सुनवाई के बिना विवाह भंग हो जाएगा। इसलिए, याचिकाकर्ता ने "लिंग-तटस्थ धर्म-तलाक के समान आधार और सभी के लिए तलाक की समान प्रक्रिया" के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने "तलाक-ए-हसन और एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों" की प्रथा को मनमाना, तर्कहीन और अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 के उल्लंघन के लिए असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की। याचिका में यह भी घोषित करने की मांग की गई थी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 की धारा 2 अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 का उल्लंघन करने के लिए शून्य और असंवैधानिक है, जहां तक यह "तलाक-" की प्रथा को मान्य करता है। ई-हसन और एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के अन्य रूप"। याचिका में मुस्लिम विवाह अधिनियम, 1939 के विघटन को अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 के उल्लंघन के लिए शून्य और असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की गई है, क्योंकि यह मुस्लिम महिलाओं को "तलाक-ए-हसन" से सुरक्षा प्रदान करने में विफल है।
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बहुचर्चित पुलिस जूता घोटाले में पूर्व डीजीपी एवं वर्तमान डीजी जेल सोमेश गोयल को विजिलेंस की क्लीन चिट मिल गई है। महानिदेशक पद पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार ने जरूरी विजिलेंस क्लीयरेंस रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि गोयल के खिलाफ हिमाचल में किसी भी तरह के मामले में संलिप्तता नहीं है।
न ही उनके खिलाफ किसी तरह का अभियोग पंजीकृत है।
खास बात यह है कि जूता घोटाले की विजिलेंस जांच में अक्सर नाम उछलने के बावजूद विजिलेंस ब्यूरो ने ही उन्हें क्लीन चिट दी है। सूत्रों के अनुसार साल 2013 में दो कंपनियों के खिलाफ दर्ज हुए कथित जूता सप्लाई घोटाले की जांच में अब तक विजिलेंस के हाथ खाली हैं।
सोमेश गोयल पर आरोप था कि हिमाचल पुलिस के लिए जूता खरीद के दौरान घपला हुआ। काफी समय तक गोयल को पूर्व वीरभद्र सरकार के दौरान भी इसी मामले में फंसा बताकर पहले पदोन्नति और बाद में डीजीपी न बनाने का आधार बनाया गया था।
लेकिन वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में ही उन्हें इस मामले में क्लीन चिट मिल गई और सरकार ने उनकी पुलिस महानिदेशक के पद पर पदोन्नति कर दी। विजिलेंस की क्लीयरेंस मिलने के बाद अब गोयल की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के डॉ. ज़ाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट की कथित अनियमितताओं के सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा दायर रिट याचिका इलाहाबाद बेंच स्थानांतरित कर दिया गया है. यह आदेश चीफ जस्टिस शिव कीर्ति सिंह ने ट्रस्ट के राज्य कोर्डिनेटर लखनऊ स्थित मोहम्मद कौनैन हुसैन द्वारा दिये आवेदन कर किया. इस आवेदन पत्र में कहा गया था कि ट्रस्ट के खिलाफ पत्रकार राजू पारुलेकर द्वारा एक दूसरी जनहित याचिका इलाहाबाद बेंच में दायर है. अतः लखनऊ बेंच में ठाकुर द्वारा दायर याचिका भी सुनवाई के लिए इलाहाबाद स्थानांतरित कर दी जाए.
ठाकुर ने इस का विरोध करते हुए कहा था कि उनकी याचिका राजू पारुलेकर की याचिका से पहले दायर की गयी थी. साथ ही इन दोनों याचिकाओं के पार्थना में भी अंतर है. कोर्ट ने इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये एक निर्णय का हवाला देते हुए याचिका इलाहाबाद स्थानांतरित करने के आदेश दिये. ट्रस्ट की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप नारायण माथुर और ठाकुर की ओर से रोहित त्रिपाठी ने बहस किया.
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छत्तीसगढ़ में हुए माओवादी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. अभी तक 22 जवान शहीद हो चुके हैं. जबकि 31 जवान घायल हुए हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, करीब 300 से 400 नक्सलियों के एक दल ने जवानों की टीम को धोखे से घेर कर हमला बोला. नक्सली एके-47 से लैश होकर आए थे. माओवादी नेता हिडमा ने ये पूरी साजिश रची थी. आइए हम आपको बताते हैं कि कौन है हिडमा.
इतनी बड़ी वारदात के बाद नक्सलियों की तलाश में सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, कुख्यात माओवादी लीडर हिडमा इस हमले के पीछे है और उसी के बनाए प्लान के अनुसार घने जंगलों में ट्रैप लगाकर जवानों को शिकार बनाया गया है. इलाके के नक्सली ग्रुप और हिडमा लगातार यहां सिक्योरिटी फोर्सेज द्वारा चलाए जा रहे एंटी-इंटरजेंसी ऑपरेशन से खफा थे और धमकी भी दे रहे थे. नक्सली पूरी तैयारी से आए थे और उन्होंने जवानों की टीम को चारों तरफ से घेर लिया था.
हिडमा के बारे में सिक्योरिटी फोर्सेज के पास ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है लेकिन जानकारी के मुताबिक ये एक 40 वर्षीय शख्स है. हिडमा का असली नाम हिडमन्ना है और सुकमा जिले के पुवर्ती गांव का रहने वाला है. इसे पीपुल लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी का चीफ है और इसके ग्रुप में करीब 250 माओवादी शामिल हैं. ये ग्रुप माओवादी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी में शामिल बताए जाते हैं.
21 सदस्यीय सीपीआई माओइस्ट सुप्रीम सेंट्रल कमेटी के 21 सदस्यों में से सबसे कम उम्र के हैं. ऐसी ख़बरें भी हैं कि इन्हें पार्टी की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का चीफ नियुक्त किया गया है. हालांकि इंटेलीजेंस एजेंसी के पास हिडमा की कोई तस्वीर मौजूद नहीं है. हिडमा पर 40 लाख का इनाम घोषित किया गया है. इसके खिलाफ भीम मांडवी केस में NIA ने चार्जशीट भी दायर की हुई है. माओवादियों की PLGA बटालियन हिडमा के नीचे कम करती है. इसके अंतर्गत पामेड, कोंटा, जगरगुंडा, बासगुडा इलाके की कमेटी से जुड़े नक्सली काम करते हैं.
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टीवी एक्टर सिद्धार्थ सूर्यवंशी के फैंस के लिए खुशखबरी है। उन्होंने 23 नवंबर को अपनी लॉन्ग टाइम रशियन गर्लफ्रेंड अलेसिया राउत से शादी कर ली। सिद्धार्थ सूर्यवंशी की ये दूसरी शादी है। पहली शादी से उनकी एक बेटी भी है।
हाल ही में दोनों की शादी की तस्वीरें सामने आई हैं। शादी में आनंद ने लाइट ब्लू कलर की शेरवानी और अलेसिया ने पिंक एंड स्काई ब्लू कलर का लहंगा पहना है। जिसमें दोनों काफी गॉर्जियस लुक में नजर आ रहे हैं।
सिद्धार्थ सूर्यवंशी लम्बे समय से टीवी इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। 'जमीन से आसमान तक', 'भाग्यविधाता', 'हमने ली है शपथ', 'सूर्यपुत्र कर्ण', 'वारिस' जैसे कई शोज में सिद्धार्थ काम कर चुके है। वहीं बात करें अलेसिया राउत कि तो वो सिंगल मदर हैं उनकी पिछली शादी से एक 10 साल का बेटा है। अलेसिया पेशे से मॉडल, वीजे और फैशन कोरियोग्राफर हैं।
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उच्च सदन में संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने अगले सप्ताह राज्यसभा में होने वाले सरकारी कामकाज की जानकारी देते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि बाल विवाह (रोकथाम) संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश करने और पारित करने के बाद इसे उच्च सदन में चर्चा एवं पारित करने के लिए रखा जाएगा।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बाल विवाह (रोकथाम) अधिनियम 2006 में संशोधन को मंजूरी दी थी। इस संशोधन के तहत लड़कियों के विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु को 18 साल से बढ़ाकर पुरुषों के बराबर 21 साल करने का प्रावधान है।
मौजूदा कानूनी प्रावधान के तहत लड़कों के विवाह लिए न्यूनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित है।
मुरलीधरन ने उच्च सदन में कहा कि अगले सप्ताह उच्च सदन में स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक सहित विभिन्न विधेयकों को चर्चा के बाद पारित करने और अनुदान की अनुपूरक मांगों को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटाने का प्रस्ताव है।
उल्लेखनीय है कि संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलने का कार्यक्रम है और अब कुल चार बैठक होनी शेष हैं।
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नयी दिल्ली, 15 अक्तूबर (एजेंसी)
गौर हो कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलों का उद्घाटन किया था। इसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि चीन, भारत द्वारा 'अवैध तरीके से स्थापित' लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता। चीन के प्रवक्ता ने यह दावा भी किया था कि भारत द्वारा सीमा पर बुनियादी विकास तनाव की मूल वजह है।
श्रीनगर (एजेंसी) : जम्मू-कश्मीर के मुख्य धारा के राजनीतिक दलों ने बृहस्पतिवार को एक बैठक की और पूर्ववर्ती राज्य के विशेष दर्जे की बहाली के लिए एक गठबंधन बनाने का ऐलान किया। यह गठबंधन इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों से वार्ता करेगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बैठक हुई। इसमें पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, पीपल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन, पीपल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर और माकपा नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी ने भी हिस्सा लिया। करीब 2 घंटे चली बैठक के बाद अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि गठबंधन का नाम 'पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन' रखा गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर के संबंध में संवैधानिक स्थिति बहाल करने के लिए प्रयास करेगा। उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जो छीन लिया गया, उसकी बहाली के लिए हम संघर्ष करेंगे। हम संविधान की बहाली के लिए प्रयास करेंगे, जैसा कि 5 अगस्त 2019 से पहले था।' अब्दुल्ला ने कहा कि गठबंधन जम्मू-कश्मीर के मुद्दे के समाधान के लिए सभी संबंधित पक्षों से वार्ता भी करेगा। जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर 'चिकित्सा कारणों से' बैठक में शामिल नहीं हो सके।
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डिजाइन के मामले में सैमसंग गैलेक्सी एफ22 पिछले हफ्ते भारत में लॉन्च हुए गैलेक्सी ए22 के जैसा ही दिखता है। दोनों डिवाइस में एक इन्फिनिटी-यू डिस्प्ले और एक चौकोर स्क्वायर शेप का रियर कैमरा मॉड्यूल मिलता है। फोन में साइड-माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर भी है। सैमसंग गैलेक्सी F22 में 6. 4-इंच HD+ sAMOLED डिस्प्ले है। स्मूद स्क्रॉलिंग अनुभव के लिए स्क्रीन 90Hz रिफ्रेश रेट तक सपोर्ट करती है। रियर कैमरा सिस्टम एक ट्रू 48MP प्राइमरी कैमरा है। गैलेक्सी F22 में 6,000mAh की बैटरी है।
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लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) ने कहा कि भारतीय टीम (India Cricket team) को विश्वास था कि मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) वेस्टइंडीज (West Indies Cricket team) के खिलाफ पहले वनडे में आखिरी ओवर में 15 रन की रक्षा कर लेंगे। भारत ने पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए रोमांचक पहले वनडे में वेस्टइंडीज को 3 रन से हराया।
मोहम्मद सिराज का आईपीएल 2022 में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। उन्होंने अंतिम ओवरों में काफी रन लुटाए थे। मगर वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले वनडे में सिराज ने सटीक यॉर्कर गेंदें डाली और टीम प्रबंधन ने उन पर जो भरोसा जताया, उस पर वो खरे उतरे।
मैच के बाद चहल ने सिराज और विकेटकीपर संजू सैमसन की तारीफ की, जिन्होंने आखिरी ओवर की पांचवीं गेंद पर डाइव लगाकर गेंद रोकी और टीम के लिए पांच रन बचाए थे। युजवेंद्र चहल ने कहा, 'जिस तरह सिराज सटीक यॉर्कर डाल रहे थे, हमें विश्वास था कि वो 15 रन नहीं बनाने देंगे। उसने पहले भी जो ओवर डाले थे, उसमें यॉर्कर गेंद सही डाली थी। मगर हां, आखिरी ओवर का दबाव तो हमेशा होता है। विशेषकर जब शेफर्ड बल्लेबाजी कर रहा हो। मगर सैमसन ने जिस तरह वाइड गेंद रोकी, तो उसने काफी विश्वास दिया। '
युजवेंद्र चहल का मानना है कि इस तरह की करीबी जीत से टीम का हौसला बढ़ता है। उन्होंने कहा, 'इस तरह के मैचों के बाद सभी गेंदबाजों का विश्वास बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मैदान छोटे हैं और उनके पास अच्छे हिटर्स हैं तो लक्ष्य की रक्षा करना आसान नहीं है। हम इसी मुताबिक योजना बनाते हैं और इससे सीखते हैं। '
बता दें कि पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए पहले वनडे में भारत ने पहले बल्लेबाजी की और निर्धारित 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 308 रन बनाए। जवाब में वेस्टइंडीज की टीम 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 305 रन बना सकी। इसी के साथ टीम इंडिया ने तीन मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है। अब दोनों टीमों के बीच रविवार को क्वींस पार्क ओवल मैदान पर सीरीज का दूसरा वनडे खेला जाएगा। भारतीय टीम जहां सीरीज अपने कब्जे में करने के इरादे से उतरेगी, वहीं वेस्टइंडीज की कोशिश सीरीज बराबर करने की होगी।
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आतंकी (Militant) शेर अली सरहद पार पाकिस्तान से ड्रग्स व हथियारों की तस्करी करवाने में भी वांटेड था। कुवैत से भारत के अच्छे संबंधों के चलते वहां की सरकार ने उसे भारत सरकार को सौंप दिया।
जम्मू कश्मीर राज्य के पुंछ जिले में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे कुवैत बैठे आतंकी शेर अली को वहां की सरकार ने डिपोर्ट कर भारत सरकार को सौंप दिया। जम्मू एयरपोर्ट पर जैसे ही आतंकी (Militant) शेर अली उतरा तो राज्य पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। आतंकी जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स का सदस्य है। यह कुवैत से ही जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ और हमलों की योजना बनाकर आतंकवादियों को भेजता था।
आतंकी (Militant) शेर अली सरहद पार पाकिस्तान से ड्रग्स व हथियारों की तस्करी करवाने में भी वांटेड था। कुवैत से भारत के अच्छे संबंधों के चलते वहां की सरकार ने उसे भारत सरकार को सौंप दिया।
जम्मू संभाग के आइजीपी मुकेश सिंह के मुताबिक, आतंकी शेर अली पर गुलाम कश्मीर के बालाकोट इलाके से प्रशिक्षित आतंकवादियों व हथियारों को भारतीय इलाके में पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स के इस आतंकी के खिलाफ पिछले वर्ष मेंढर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी।
आंतकी (Militant) शेर अली पर आरोप है कि उसने गुलाम कश्मीर के बालाकोट सेक्टर के डाबी इलाके से पिछले साल 24 व 25 नवंबर की रात दो आतंकवादियों को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करवाई थी। शेर अली उस समय कुवैत से बालाकोट में आतंकी हैंडलर सुल्तान से लगातार संपर्क में था।
आंतकी (Militant) शेर अली की मदद से सीमापार से ट्रेनिंग लेकर आये आतंकी नवंबर के महीने में मेंढ़र इलाके में सक्रिय थे। क्योंकि इनके पास थोराया सेटेलाइट फोन था, जिसके एक्टिवेट होने की सूचना स्थानीय पुलिस और सैन्य एजेंसियों को हो गई थी। लेकिन अभी उस सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल बंद हो गया है, ऐसे में इसके पीछे के कारणों की जांच हो रही है।
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शीघ्रपतन - 40 साल से कम आयु के पुरुषों के बीच एक आम समस्या। अध्ययन बताते हैं कि कम उम्र में ही सभी पुरुषों के 30% इस विकार से ग्रस्त है, और कई नहीं इस समस्या से लड़ने के लिए की हिम्मत।
लेकिन अन्यथा, खतरे या बीमारी के रूप में, इस हालत कहा जाता है नहीं, जो न केवल दो मिनट के लिए संभोग के समय कम कर देता है, लेकिन यह भी जोखिम में डाल संबंध भागीदारों अंतरंगता से अधिक खुशी का अनुभव नहीं कर रहे हैं। इसलिए, यह पुरुषों के लिए जो परिवार, या बस के लिए तैयार नहीं के भविष्य के मूल्य जल्द ही, बहिष्कृत बन तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी करने की सिफारिश की है। याद रखें कि शीघ्रपतन - सबसे खराब नहीं है। नसों और तनाव के बारे में यह इच्छा की वस्तुओं के रूप में महिलाओं की धारणा का उल्लंघन करने के लिए नेतृत्व, वहाँ अन्य पुरुष शरीर से जुड़ी समस्याओं हो सकता है।
आप शीघ्रपतन, जो पुरुषों में मौजूद हो सकता है के विभिन्न प्रकार के एक जोड़े को पता होना चाहिएः प्राथमिक स्खलन - जब यह मुंड लिंग की उच्च संवेदनशीलता के साथ एक सहज समस्या है, माध्यमिक - वर्ष की आयु में विचलन की उपस्थिति।
पहले मामले सर्जन जो नोकदार चमड़ी इस समस्या को हल करने के लिए (आंशिक रूप से) में मदद मिलेगी, तेजी से स्खलन के लिए कारणों में हस्तक्षेप कर सकते हैं माध्यमिक योजना विभिन्न स्रोतों के एक नंबर हो सकता हैः
- neurobiological प्रवृति हो, जब केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं सेरोटोनिन की "कब्जा" (दूसरे शब्दों में - खुशी के हार्मोन)।
- कोई प्रदर्शन prostatitis स्खलन के साथ समस्याओं को जन्म दे सकता है, समय और दर्दनाक उत्तेजना की अभिव्यक्ति को कम।
- स्तंभन दोष, जिसमें एक व्यक्ति, हमेशा तनाव में और चिड़चिड़ा, क्या शीघ्रपतन हो रहा है के लिए अग्रणी के तनाव राज्य।
- अतिगलग्रंथिता सेक्स सहित विभिन्न हार्मोन, की स्थिरता के उल्लंघन की वजह से, यह भी प्रभावित कर सकते हैं संभोग की अवधि।
और वह सभी समस्याओं है कि पुरुष सुविधाओं की अवांछित गतिविधि का कारण हो सकता है, लेकिन यह पर्याप्त होना चाहिए एक आदमी को अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचते हैं और चिकित्सा सलाह लेनी करने के लिए। मुख्य बात शर्मिंदगी और उत्तेजना है कि मजबूत लिंग में से प्रत्येक में रहते हैं जब यह इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए होता है।
का उपचार तेजी से स्खलन भी विभिन्न रूपों, जो डिग्री बदलती में, रोगियों की मदद कर सकते हैं, लेकिन पूरी वसूली के बारे में बात नहीं कर सकते।
सबसे सरल - विभिन्न दवाओं है कि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के कार्यप्रवाह, और सीधा होने के लायक़ समारोह पर प्रभाव को प्रभावित का अनुप्रयोग है। हाँ, अवधि संभोग की काफी वृद्धि हुई है, लेकिन गोलियों की अस्वीकृति मूल स्थिति की वापसी की ओर जाता है - शीघ्रपतन फिर से परेशान करने के लिए शुरू होता है।
वहाँ हयालूरोनिक प्लास्टिक सर्जरी में जाना जाता एसिड की त्वचा के नीचे प्रशासन के साथ एक संस्करण है। अभी हाल ही में बन लोकप्रिय एसिड और एक जेल, जो मानव शरीर में हो जाता है के रूप में पुरुषों, यह संवेदनशीलता जब उत्साहित, फलस्वरूप, 'प्यार' की प्रक्रिया बढ़ जाती है कम कर देता है।
termomagnitoterapiya - शीघ्रपतन दूर करने के लिए एक और लोकप्रिय तरीका है बीज ट्यूबरकल। इन प्रभावों (सबको एक साथ नहीं, यह कई प्रक्रियाओं लेता है) संवेदनशीलता में कमी करने के लिए नेतृत्व, और इस तरह संभोग लम्बा।
लेकिन इससे पहले कि आप उपचार के तरीकों चुनते हैं, तो यह समान रूप से सक्षम पेशेवरों, जो सभी आवश्यक परीक्षणों का संचालन और परिणाम निष्कर्ष निकालना के आधार पर होगा करने के लिए पता करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह जीवन के थोड़े मनोरंजन का परित्याग छाया और अपने स्वयं के मांग से बाहर निकलना आवश्यक नहीं है। अधिक इसलिए है क्योंकि इस रोग सुधारा जा सकता है।
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भोपाल, (एजेंसी/वार्ता):मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अपने जन्मदिन पर यहां स्मार्ट पार्क में परिवार के साथ पौधरोपण किया।
श्री चौहान ने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा कि आज अपने जन्मदिन पर भोपाल के स्मार्ट पार्क में सपरिवार पौधरोपण कर अप्रतिम आनंद की अनुभूति हुई। इस अवसर पर मां नर्मदा और बाबा श्री महाकाल से यही प्रार्थना करते हैं कि आपकी कृपा से संपूर्ण मध्यप्रदेश सदैव हरा-भरा व समृद्ध रहे और हर घर धन-धान्य तथा खुशियों से भरा रहे।
मुख्यमंत्री ने सिलेसिलेवार ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अद्भुत नेता हैं। वह सदैव हमे प्रेरणा देते हैं। जन्मदिन पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित अनेकों वरिष्ठजनों तथा आमजन ने आत्मीय शुभकामनाएं दी हैं, वे सबके आभारी हैं।
-(एजेंसी/वार्ता)
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पूजा भट्ट ने बताया क्यों शराब के लिए बेकाबू हो रहे हैं लोग, बोलीं- मैंने तीन साल से शराब को हाथ नहीं लगाया लेकिन...लॉकडाउन के 40 दिन बाद शराब की दुकानें खुलीं। सरकार ने ग्रीन और ऑरेंज जोन में शराब की दुकान खोलने की छूट दी। जहां दुकानें खुलीं वहां पर लोगों की जमकर भीड़ देखने को मिली। इतना ही नहीं लोग किसी तरह का कोई नियम न मानते हुए दुकानों पर टूट पड़े। सरकार ने लोगों से शराब की दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखने को कहा लेकिन लोगों ने शराब के आगे किसी की भी नहीं मानी। वहीं इस पर अब बॉलीवुड अभिनेत्री पूजा भट्ट ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बॉलीवुड एक्ट्रेस पूजा भट्ट ने देश के कई हिस्सों में शराब की दुकानें खोले जाने को लेकर ट्वीट किया है। पूजा भट्ट ने एक के बाद एक तीन ट्वीट किए हैं, और बताया है कि आखिर क्यों लोग शराब के लिए इतने बेताब हो रहे हैं। पूजा भट्ट भी किसी समय शराब का अत्यधिक सेवन करती थीं, लेकिन पिछले तीन साल से एक्ट्रेस ने इसे हाथ भी नहीं लगाया है।
Source - Twitterपूजा भट्ट ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'मैंने तीन साल से शराब को हाथ नहीं लगाया है और मैं शुक्रगुजार हूं कि मैं उन लोगों में से नहीं जो अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है कि जो लोग परेशानी और मानसिक अवसाद से गुजर रहे हैं, खुद को उनसे श्रेष्ठ समझ रहे हैं।'
Source - Twitterउन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा- 'आप बेशक इसे पसंद करें या नहीं लेकिन जो समाज तनाव से जुड़ी समस्याओं की हकीकत को नहीं समझ पाता, वहां इससे बचने की एक ही राह शराब रह जाती है। लोग अनिश्चितता के शिकार हो रहे हैं। शराब उनका आसान सहारा बन रही है। आप इसे सही करना चाहते हैं? पहले उनका दर्द कम करें।'
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व्याषिक्षमित्व- लसीकारोग-अनूर्जता
१ जातिगत - जैसे - फिरग, कुष्ठ, विसूचिका, रोहिणी आदि औपसगिक रोग केवल मनुष्यों को होते हैं। कुछ रोग पशु-पक्षियों को ही होते हैं। प्लेग, राजयक्ष्मा, जलसत्रास और रिकेट्स प्रभृति रोग मनुष्य, पणु या पक्षी को समानरूप से होते है । बकरी को राजयक्ष्मा नही होता। सहज रोगक्षमता जीवन भर स्थायी रहती है और सतति मे भी प्राय सक्रान्त होती है ।
२. वंशगत - यहूदियो को क्षयरोग बहुत कम और नेपालियो को अधिक होता है । अफ्रीकी हन्शियो को पीतज्वर कम यक्ष्मा अधिक तथा गौराङ्गो को यक्ष्मा और पीतज्वर दोनो अधिक होता है ।
३. व्यक्तिगत - लम्वे और चपटे वक्षवाले लोग राजयक्ष्मी हो जाते है । निरन्तर पोषक एवं सन्तुलित आहार-विहार वाला तथा व्यायामशील व्यक्ति रोगक्षमतायुक्त होता है । व्यवसाय रोगक्षमता को घटा-चढा सकता है । वाहर से त्वचा का दृढ आवरण ओपसर्गिक रोगो का प्रतिरोध करता है । श्लेष्मलकला का शोधन करते रहने से इस मार्ग से जीवाणु प्रविष्ट नहीं हो सकते हे । त्वचा, मुख, नासिका एव श्वास-पथ को शोधित करना आवश्यक है। पाचक रस की अम्लता एव मूत्र की अम्लता अनेक जीवाणुओ का विनाश करती रहती है ।
सहज क्षमता के ह्रास के कारण
अतिशीत या अति उष्ण जलवायु या शीतोष्ण विपर्यय, अनियमित एवं विषम आहार-विहार, अल्पाहार या उपवास, दूषित अन्नपान आदि क्षमता को घटाते है । दूषित वातावरण, मद्यपान, रक्तक्षय एव मधुमेह आदि जीर्ण रोग क्षमता का ह्रास करते है । सहज रोगक्षमता का ह्रास होने एव औपसंगिक जीवाणु विष की प्रबलता से रोगोत्पत्ति की सभावना अधिक होती है ।
( ख ) जन्मोत्तर या अर्जित रोगक्षमता
उनके विष धीरे-धीरे जब शरीर मे सचित होते है तो शरीर उनके प्रति सहिष्णु होकर उनसे होनेवाले रोग के प्रति भी रोगक्षमता अर्जित कर लेता है और शरीर मे एकत्रीभूत विष की पर्याप्त मात्रा के कारण अधिक उपसर्ग होने पर भी रोगाकान्त नही हो पाता । यही अर्जित क्षमता के उपार्जन का मूलाधार है । इसके निम्न विभाग किये जाते है -
( १ ) सक्रिय क्षमता - जब जरीर मे स्वय सक्रिय रूप से क्षमता की उत्पत्ति होती है, तो इसे सक्रिय क्षमता कहते है । यह स्थायी और अस्थायी, दो प्रकार की होती है ।
( क ) मृदु उपसर्गलब्ध - वचपन से ही शरीर मे अल्प मात्रा मे जोपसर्गिक जीवाणुओ का प्रवेश होता रहता है, किन्तु वह अव्यक्त रहता है। उस उपसर्ग से शरीर मे क्षमता उत्पन्न हो जाती है । उपसर्ग के मृदु होने से तथा सहज क्षमता सम्पन्न होने से कुछ बच्चे रोगाक्रान्त होते है और अन्य नही होते, जो भविष्य के
लिए रोगक्षम हो जाते है । अतएव युवावस्था में वे उन रोगों से आक्रान्त नही होते । यही कारण है कि बाल्यावस्था मे रोहिणी, तुण्डीकेरीशोथ, श्वकास, कर्णमूलशोय, रोमान्तिका आदि का प्रकोप अधिक होता है और युवावस्था में नही होता है ।
( ख ) प्रत्यक्ष रोगाक्रमणलब्ध -- कुछ रोगों से पीड़ित होने के पश्चात् शरीर मे लम्बे समय तक उस रोग को प्रतिरोधक क्षमता उपस्थित रहती है और कुछ मे बहुत थोडे समय तक । मसूरिका, रोमान्तिका, कर्णमूलशोथ, रोहिणी, श्वकास आदि से आक्रान्त होने के बाद प्राय जीवन भर या कम से कम १०-१२ वर्ष तक क्षमता बनी रहती है और ये रोग नहीं होते । आन्यिक ज्वर, श्लेग्मोल्वण सन्निपात और प्लेग मे क्षमता केवल १-२ वर्ष रहती है। उसलिए वाल्यावस्था में इनमे पीडित होने पर भी आगे चलकर व्यक्ति पुन उनसे आक्रान्त हो जाता है ।
(ग) सक्रिय कृत्रिम क्षमता - रोगकारक जीवाणुओ का शरीर मे सस्कारित रूप मे प्रवेश कराने पर रोगोत्पत्ति के विना क्षमता उत्पन्न हो जाती है, जिसके निम्नलिखित ३ प्रकार हैं-१ संस्कारित जीवित जीवाणुलब्ध - जीवाणुओ की तीव्रता मर्यादित कर या विपरीत परिस्थितियों में उनका सवर्धन कर तथा दूसरे सस्कारो द्वारा उनकी रोगोत्पादक शक्ति नष्ट कर दी जाती है, जिससे शरीर मे उनका अन्त रोपण होने पर रोगोत्पत्ति तो नहीं होती, किन्तु रोगक्षमता उत्पन्न हो जाती है । जलसत्रास, मसूरिका तथा तन्द्रिक ज्वर की मसूरी ( Vaccination ) का प्रयोग इस रूप मे होता है ।
२ मृत जीवाणुलब्ध - सर्वाधित जीवाणुओ को ५५ से २० सेण्टीग्रेड तापक्रम पर ३० मिनट तक गरम करते हे । बाद में इनको फार्मेलीन, फेनोल आदि के घोल म सुरक्षित कर प्रयोग किया जाता है। प्लेग, विसूचिका, आन्त्रिक ज्वर और श्वकास के जीवाणुओ का इस रूप मे उपयोग होता है । जिन जीवाणुओं का विष उनके शरीर मे केन्द्रित रहता है, उन्ही की मसूरी इस रूप में उपयोगी होती है ।
३ जीवाणुविषलब्ध - धनुर्वात तथा रोहिणी इस श्रेणी के प्रमुख रोग हैं, जिनके प्रतिकार के लिए रोगक्षमता उत्पन्न करने हेतु जीवाणुविपो या उनके विषाभ द्रव्यो ( Toxins or toxoids ) का प्रयोग होता है। इनके प्रयोग से शरीर मे ( प्रतिविष का निर्माण होता है, जिससे विषजन्य औपसर्गिक रोगो की लाक्षणिक निवृत्ति होती है । इसी क्रम से घोडे मे जीवाणुविपो का शनै -शनै प्रयोग कराकर प्रतिविप उत्पन्न किया जाता है और प्रतिविषयुक्त घोडे की लसीका का धनुर्वात तथा रोहिणी की चिकित्सा मे प्रयोग होता है।
( २ ) निष्क्रिय क्षमता - रोग से सक्रान्त हो जाने पर सक्रिय क्षमता के प्रयोग से रोग के वढ जाने की संभावना रहती है । ऐसी स्थिति मे रोगशमनार्थं बनी बनाई क्षमता का प्रयोग किया जाता है। शरीर की कोपाएँ इसकी उत्पत्ति मे सक्रिय
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शिल्प= भगण×7+2 गुरु ,
सावन मास रही तिथि पूनम,
क्रूर महा शिशुपाल सँहारे।
युध्द मझार उतार दिया रिपु ,
शीश सुदर्शन को कर धारे।
घायल अंगुलिका हरि रक्षति,
द्रौपदि अंबर को निज फारे।
वस्त्र हरे बलवान दुशासन,
चीर बढा हरि कर्ज उतारे।।
अबला नहिं आज रही महिला, सबला बन राज करे जगती।
मुहताज नहीं सब काज करे, मन ओज अदम्य सदा भरती ।।
धरती नभ नाप रही पल में, प्रतिमान नये नित है गढ़ती।
यह बात सभी जन मान गये, अब नार नहीं अबला फबती।१।
परिधान हरा तन धार खुशी, ललना गल धीरज हार गहा।
सिर बाँध दुकूल उमंग नया, मन केशरिया रँग आज लहा।।
शुभ कंगन साहस हाथ भरा, मुख आस सुहास विराज रहा।
जगत में मात के जैसा,नहीं दूजा दिखा भाई !
कहो माता कहो मम्मी, कहो चाहे उसे माई !
पुकारे बाल माँ जब भी, तुरत वह दौडकर आई !
जनम दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं आपको श्री सत्यनारायण सिंह जी । प्रभु आपको सदा सुखी और स्वस्थ रखे । ज्योतिर्मय पर्व की भी अग्रिम मंगल कामनाए । शुभ शुभ !
" जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय सत्यनारायण जी.."
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आपने बाजारों में गर्मागर्म कचौड़ी का मजा तो जरूर लिया होगा लेकिन क्या आपने खोये की कचौड़ी (Khoya Kachori in Hindi) खाई है. इसका स्वाद आपको बार-बार इसे खाने के लिए प्रेरित करेगा. आप इसे होली (Holi Recipe in Hindi) के मौके पर अपने दोस्तों और मेहमानों के लिए बना सकते हैं.
खोये कचौड़ी की सामग्री (Ingredient for Khoya Kachori Recipe) :
250 ग्राम मैदा, 1 टे. स्पून कॉर्नफ्लोर, 30 ग्राम घी.
200 ग्राम खोया, 50 ग्राम मिल्क पाउडर, 1 टी स्पून सूखी मेवा, 1/2 टी स्पून इलायची-दालचीनी पाउडर. चाशनी के लिएः 250 ग्राम चीनी, 1 कप पानी, 1 चुटकी केसर, तलने के लिए घी.
खोये की कचौड़ी बनाने की विधि (Method For Khoya Kachori Recipe)
1. भरावन की सामग्री मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें.
2. कचौड़ी के लिए मैदा में पानी मिलाकर गूंध लें और गीले कपड़े से ढककर रख दें.
3. पानी और चीनी की चाशनी बना लें, चाशनी को पारदर्शी बनाने के लिए इसमें एक चम्मच दूध भी डाल दें. चाशनी एक तार की होनी चाहिए.
4. केसर का ऊंगलियों से चूरा कर लें. मैदा की छोटी-छोटी लोइयां बना लें. लोई को बेल कर उसमें भरावन का मिश्रण भर कर अच्छी तरह बंद कर दें.
5. घी को गर्म करें, जब घी गर्म हो जाये तो धीमी आंच पर कचौडिय़ों को तल लें और ऊपर से केसर छिड़क दें.
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इस बार मैं "मन की असली बात" किसान भाइयों से करना चाहता हूँ। किसानों के बारे मैं इतना चिंतित रहता हूँ, इतना दुखी रहता हूँ कि बोल भी नहीं पाता हूँ। हज़ारों किसानों ने आत्महत्या कर ली, सल्फास खा कर मर गए, पेड़ पर लटक गए पर मैं दुख के मारे कुछ भी नहीं बोल पाया। किसान भाइयों, मैं आपके दुख से बहुत ही दुखी हूँ। अब किसी तरह से, सर्जिकल स्ट्राईक के बाद, माहौल कुछ मनमुताबिक हुआ है तो मन कुछ हल्का हुआ है, बहला है, दुःख कम हुआ है, और चुनाव भी घोषित हो गये हैं, तो किसान भाइयों, आज मैं आपसे अपने मन की असली बात करता हूँ।
मेरे प्यारे किसान भाइयों, मैंने पिछले चुनाव से पहले वायदा किया था कि आपको आपकी फसल का वाजिब दाम दिलवाऊंगा, पर मैंने वह पूरा किया नहीं। यह बात मुझे 2014 के चुनावों से पहले भी मालूम थी और अब भी मालूम है और आने वाले चुनावों के बाद भी मालूम रहेगी। इन चुनावों में भी मैं बहुत से ऐसे वायदे करुंगा जिनके बारे में मुझे स्वयं पता होगा कि मैं उन वायदों को पूरा नहीं करूंगा।
अब फसल का वाजिब दाम दिलाने के वायदे की ही बात लें। अगर, किसान भाइयों, आपकी फसल के वाज़िब दाम आपको दिलवाऊं, तो शहरों में महंगाई कहाँ तक पहुँच जायेगी। और मुझे शहरवासियों की भी चिंता करनी है। बल्कि कहा जाये तो उनकी चिंता आपकी चिंता से ज्यादा करनी है क्योंकि वे आप लोगों से बड़े उपभोक्ता हैं। अगर उनकी कमाई का बड़ा भाग दाल-भात, गेहूं और सब्जियाँ आदि खरीदने में ही चला जायेगा तो मैं जो इतनी बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज लगवा रहा हूँ, उनका सामान कौन खरीदेगा। जो मैं विदेशों में जा कर वहां के बड़े-बड़े लोगों की खुशामद करता हूँ कि वे भारत आएं, यहाँ पैसा लगाएं, इंडस्ट्री खोलें, और खूब सारा पैसा कमा कर ले जाएँ, वे यहां आयेंगे क्या। जब खरीददार ही ख़तम हो जायेंगे तो भारत में पैसा लगाने कौन आएगा। अब आप खुद बताओ, मैं आप किसान भाइयों के बारे में सोचूँ या भारत माता के विकास के बारे में सोचूँ।
प्रिय किसान भाइयों, सिर्फ यही एक वजह नहीं है कि मैं किसानों को उनकी फसल के वाजिब दाम नहीं दिला रहा हूँ। इसके पीछे और भी कई वजह हैं। आप सब लोग तो जानते ही हैं, मैं भारत माता को असीम ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता हूँ। बहुत सारे कारखाने लगाना चाहता हूँ। बहुत सारे बड़े-बड़े कारखाने। अम्बानी, अडानी और टाटा के सहयोग से कारखाने। देसी विदेशी पैसे से कारखाने। और उन सब कारखानों के लिए चाहिए जमीन, बहुत सारी जमीन। और वो जमीन है आपके पास। अगर आपको खेती से अच्छी आमदनी होने लगे तो आप वो जमीन बेचोगे? नहीं बेचोगे न। तो इसीलिए खेती में आमदनी नहीं बढ़ानी है। देश की उन्नति के लिए, बड़ी से बड़ी इंडस्ट्रीज लगाने के लिए जरूरी है कि खेती में आमदनी बढ़े नहीं, बल्कि घटे। इसीलिए सरकार खेती में लागत बढ़ाती जा रही है बिजली महंगी, बीज महंगा, खाद भी महंगी। पर सरकार फसलों के दाम लागत के अनुपात में नहीं बढ़ा रही है। जिससे किसान भाई, आपकी आमदनी न बढ़े और आप अपनी जमीन कम से कम दामों पर बेच दें। भारत माता असीम ऊंचाइयों को छुए, नये नये कारखाने लगें, इसलिए किसान भाइयों आपका बलिदान जरूरी है।
अब किसान भाइयों, जमीन मिल जाने के बाद, इंडस्ट्रीज को बनाने के लिए, उनमे काम करने के लिए लोग चाहियें, चाहिए या नहीं। आर्किटेक्ट चाहियें, इंजीनियर चाहियें, अफसर चाहियें, मैनेजर चाहियें। वे सब तो शहरों से आ जायेंगे। पर मजदूर कहां से आयेंगे। मजदूरों के बिना तो ये फ़ैक्टरियाँ न बनेंगी न चलेंगी। और किसान भाइयों, वे मजदूर कहाँ से आएंगे, आपके गावों से ही न। किसान भाइयों, आप ही के बच्चों को उन फैक्टरियों में नौकरी मिलेगी और जरूर मिलेगी। पर अगर किसानी में अच्छी कमाई होने लगे, तो क्या कोई फैक्टरियों में मजदूरी करने आएगा। नहीं आएगा न। फैक्ट्रियां चलें, कारखाने चलें, कम तनख़्वाह में कारखानों को मजदूर मिलें, मेरा भारत वर्ष ऊंचाई के नए आसमान छुए, इसलिए जरूरी है किसान भाइयों, कि किसानी में आमदनी न हो।
किसान भाइयों, आपने चुन कर मुझे अपना प्रधान सेवक बनाया है। और अब यह भारत का प्रधान सेवक पूरे विश्व का प्रधान सेवक बन चुका है। मैं ऐसे-ऐसे देशों में हो आया हूँ, जहाँ का नाम आपने कभी सुना भी नहीं होगा। क्या किसान भाइयों ने मोज़ाम्बिक नाम के देश का नाम सुना है। नहीं न। जब मैं वहां गया तो वहां के किसानों का हाल मुझसे देखा नहीं गया। दिल भर आया उनकी दरिद्र हालत देख कर। मैंने उनसे वायदा किया कि वे दाल पैदा करें, भारत उनकी सारी पैदावार खरीद लेगा, वो भी अच्छे दामों पर। आप भी उनकी गरीबी देखते तो आपसे भी नहीं रहा जाता। अब आपके द्वारा चुना गया मैं, विश्वनेता बन गया हूँ तो मस्तक किसका ऊँचा होगा। आपका ही न और भारत माता का। इसीलिए किसान भाइयों, देश का मस्तक ऊँचा करने के लिए, मोज़ाम्बिक के बेचारे गरीब किसानों को दाल का अधिक दाम देना पड़े और आपको कम, तो भी आप मेरे साथ ही तो रहेंगे न और वोट भी मुझे ही देंगे न। इसलिए भी जरूरी है किसान भाइयों, कि आपको आपकी फसल की पूरी कीमत न दी जाये।
किसान भाइयों, मुझे पता है, आप लोगों ने मुझसे मिलने, अपनी तकलीफें बतलाने की, दिल्ली में आने की कई बार कोशिश की। पर मैंने आप लोगों को दिल्ली के बार्डर पर ही बलपूर्वक रोक दिया। मुझे आपकी कठिनाइयों के बारे में पहले से ही भलीभांति पता है। मुझे पता था कि आप लोग बहुत दूर से, कोई सौ किलोमीटर से तो कोई दो सौ किलोमीटर से। और कोई कोई तो पांच सौ या हजार किलोमीटर दूर से भी, सिर्फ और सिर्फ मुझसे मिलने और अपना दुख दर्द बताने चले आ रहे थे। फिर भी मैंने जबरन क्यों रोका। मुझसे आपकी थकान देखी नहीं जाती थी। मुझे लगा, आपकी जितनी भी सेवा कर सकूं, अच्छा है। इस लिए दस-पंद्रह किलोमीटर पहले आपकी यात्रा रोक दी। आप नहीं माने, तो जबरन रोकी। पर सब आपके भले के लिए ही किया, आपको फालतू की और थकान न हो इसीलिए ऐसा किया। वैसे भी, आप दिल्ली में आते तो दिल्ली के लोगों को भी बुरा भी लगता। उनका जीवन अस्त वयस्त हो जाता। उनका खयाल भी तो रखना ही था न।
किसान भाइयों, मैं जानता और मानता हूँ कि आप लोग बहुत बड़े देशभक्त हैं। आप कभी नहीं चाहेंगे कि आप के किसी कृत्य से देश का नाम नीचा हो। अब मैं आपके सामने सारी बात रख चुका हूँ। मैं जानता हूँ, अब सारी बात जान-समझ कर आप कभी भी नहीं चाहेंगे कि आपको आपकी फसल की अधिक कीमत मिले। ऐसा नहीं है कि सरकार के पास पैसा नहीं है। पर आप देशभक्त हैं। आप जान दे देंगे, आत्महत्या कर लेंगे, पर अब आप फसल की कीमत बढ़ने की इच्छा कभी नहीं करेंगे। और हाँ ! 2019 के इस चुनाव में वोट मुझे ही देना। आप लोगों के इसी सहयोग से मैं भारत माता को और ऊपर ले जाऊंगा। भारत माता की जय। किसान भाइयों की जय ।
इस बार का नारा : जय जवान, जय किसान। सरकार की नीति, जय धनवान।
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