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जब महारानी एलिजाबेथ पैगंबर मोहम्मद की वंशज हो सकती हैं तो कोई और क्यों नहीं ?
कोलकाता का मौलवी खुद का पैगंबर मोहम्मद का वंशज बता रहा है, तो यह बात हमें बेवकूफी भरी लग रही है. लेकिन उन शोध को क्यों कहेंगे जो साबित किए बैठे हैं कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ भी पैंगबर की वंशज हैं.
'मेरा पैगंबर मोहम्मद से सीधा नाता है. मैं उनका 35वां वंशज हूं. . . ' ये है कथित इमाम का बयान. ये वही इमाम है जिसने सोनू निगम के खिलाफ 10 लाख का फतवा जारी किया था और सोनू ने इनके ही कारण अपना सिर मुंडवा लिया. इमाम (कथित इमाम) सैयद शा अतिफ अली अल कादरी ना तो इमाम हैं ना मौलाना हैं. उनके पास कोई भी धार्मिक अधिकार नहीं है. कादरी का मुस्लिम समुदाय का कोई ऐसा चर्चित चेहरा नहीं है कि उनकी बात को माना जाए, लेकिन HT को दिए अपने इंटरव्यू में कादरी ने पैगंबर के वंशज होने का दावा किया है. इतना ही नहीं उनके विजिटिंग कार्ड में भी यही लिखा हुआ है.
इसी इंसान ने दावा किया है कि वो पैगंबर का 35वां वंशज हैअब इसे सुनकर आपको झटका लगा होगा और हो सकता है कि आप मन में इतना सोच रहे हों कि आखिर कितना फेंकता है ये इंसान. शायद स्वामी ओम जैसी छवि मन में बना ली हो आपने. खैर, कादरी की बात में कितना सच है ये तो बिलकुल नहीं पता और मुस्लिम समुदाय के लोगों को कादरी का ये बयान कैसा लगा होगा ये तो पता नहीं, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई किसी ईष्ट का वंशज होने का दावा कर रहा है.
ये सुनकर शायद आप चौंक जाएं, लेकिन इंटरनेट के मुताबिक ऐसा सच है. क्वीन एलिजाबेथ 2 पैगंबर मोहम्मद की वंशज हैं! एक Quora थ्रेड के मुताबिक ब्रिटेन की महारानी वाकई पैगंबर की 43वीं वंशज हैं.
(अब ज़ैदा का नाम कुछ जगहों पर इसाबेला भी कहा गया है. यहीं से पैगंबर के वंशज के इसाई होने की बात कही गई है)
यहां से ब्रिटिश रॉयल परिवार शुरू हो गया :
और जॉर्ज I के बेटे जॉर्ज II दोनों ही ब्रिटेन के राजा थे.
. . . और फिर अब जॉर्ज VI की बेटी एलिज़ाबेथ II ब्रिटेन की रानी हैं.
इस पूरी हिस्ट्री को देखें तो यकीन हो जाएगा कि ब्रिटेन की रानी पैगंबर मोहम्मद की वंशज हैं. अब ये जानकारी इंटरनेट पर बहुत सारी जगह मौजूद है.
हाल ही में एक और खबर आई है जिसमें वैज्ञानिकों और बाइबल स्कॉलरों की एक टीम जीसस के डीएनए को ट्रैक करने की कोशिश कर रही है. ऐसा वो श्राउड ऑफ ट्यूरियन (जिस कपड़े में जीसस को मृत्यू के बाद लपेटा गया था) और जीसस के कजिन जॉन की हड्डियों के सैंपल की मदद से किया जा रहा है. टीम का मानना है कि DNA सैंपल उन्हें 'भगवान के बेटे' तक पहुंचा सकता है. जीसस के वंशज के बारे में बताती किताब 'ड विंची कोड' को भी लोग इसी से जोड़कर देखते हैं.
जीसस के डीएनए का पता लगा लिया गया हैतो क्या भगवान की संतान हो सकती है? फिर तो ऐसा भी हो सकता है कि भगवान राम के वंशज भी मौजूद हों !
जो लोग क्वीन एलिज़ाबेथ को पैगंबर की वंशज मानते हैं, उन्हें तो फिर इस बात पर भी यकीन हो जाएगा कि कलकत्ता के कादरी पैगंबर के 35वें वंशज हैं. गाहे-बगाहे ऐसे किसी ना किसी किस्से के बारे में पता चल ही जाता है जिसमें लोग ये दावा करते हैं कि वो किसी इष्ट के खानदान से ताल्लुक रखते हैं. इन बातों में कितना सच है इसके बारे में तो नहीं बताया जा सकता, लेकिन हां ये सुनने में दिलचस्प जरूर लगता है.
देशभक्ति का पाठ सिर्फ मदरसों में ही क्यों ?
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राजधानी लखनऊ में बेखौफ चोरों के हौसले बुलंद, पुलिस थाने की जीप लेकर चलते बने. .
उत्तर प्रदेश की राजधानी में लगता है की चोर कुछ ज्यादा ही बेखौफ हो गए इसलिए चोर पुलिस के नाक के नीचे ही चोरी की घटना को अंजाम दे रहे हैं।
लखनऊः बिगड़ते कानून व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण सोमवार को राजधानी लखनऊ से सामने आया जह चोर पुलिस थाने से ही जीप उठा कर ले गए और तैनात सिपाही बस देखता ही रह गया। दरअसल महिला सम्मान प्रकोष्ठ डीजी के कार्यालय के गैराज में जीप नंबर यूपी 32 बीजी 790 खड़ी थी और चोरों की नजर उसपर पर गयी फिर क्या था चोर बड़े ही शातिराना तरीके से गैराज में घुसे और जीप को लेकर चलते बने और मौके पर मौजूद पीएसी की एक बटालियन देखती रह गयी। दारोगा रामसागर यादव ने महानगर कोतवाली में इस मामले में शिकायत दर्ज करा दी है। खबर फैलते ही लखनऊ के बार्डर को सील कर दिया गया है और आसपास के जिलों में चेकिंग अभियान शुरू कर दिया गया है।
राजधानी में यह चोरी की कोई पहली वारदात नही है इससे पहले भी गाजीपुर इलाके से पुलिस की सरकारी जीप चोरी हो गई थी और अब इस घटना ने पुलिस की सक्रियता की पोल खोल कर रख दी थी। पिछले दिनों हजरतगंज इलाके से ही एसपी हरदोई रहे राजीव मेहरोत्रा की सरकारी भी जीप चोरी हो गई थी जिसे पुलिस ने नेपाल से कटी हालत में बरामद करने का दावा किया था।
फिलहाल जीप चोरी होने की सूचना से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। आनन-फानन में पुलिस ने शहर की घेराबंदी कर चेकिंग शुरू कराई लेकिन कोई सुराग अभी तक हाथ नहीं लग पाया है।
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Airtel 5G Plus Service: भारती एयरटेल ने सोमवार को पटना में अपनी हाई-स्पीड 5जी सेवा शुरू करने की घोषणा की है।
Airtel 5G Plus Service In India: एयरटेल तथा रिलायंस जिओ ने इस साल 1 सितंबर को देश में अपने 5G सेवाओं को लांच किया था। फिलहाल दोनों टेलीकॉम कंपनियां भारत के चुनिंदा शहरों में अपनी 5G सेवाएं ग्राहकों को प्रदान भी कर रही हैं और काफी तेजी से दूसरे शहरों तक इसका विस्तार भी कर रही हैं। इसी सिलसिले में भारती एयरटेल ने सोमवार को बिहार के पटना में अपनी हाई स्पीड 5G सेवा को शुरू करने का ऐलान किया है। पटना में एयरटेल 5G की सेवा शुरू होने के बाद अब 5G स्माटफोन यूजर्स अपने हैंडसेट पर हाई स्पीड इंटरनेट का आनंद ले सकते हैं जिसके लिए उन्हें केवल कुछ सेटिंग्स करने होंगे।
पटना के भीतर और बाहर उड़ान भरने वाले ग्राहक एयरपोर्ट टर्मिनल पर हाई-स्पीड एयरटेल 5G प्लस का आनंद ले सकते हैं। पटना एयरपोर्ट के साथ-साथ वर्तमान में, पटना साहिब गुरुद्वारा, पटना रेलवे स्टेशन, डाक बंगला, मौर्या लोक, बेली रोड, बोरिंग रोड, सिटी सेंटर मॉल, पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र और कुछ अन्य चुनिंदा स्थानों पर 5G सेवाएं चालू हैं। पटना के अलावा बेंगलुरु, पुणे, वाराणसी और नागपुर में नया टर्मिनल अन्य हवाईअड्डे हैं जिनके पास एयरटेल 5G प्लस है। एयरटेल अपने नेटवर्क का विस्तार करेगा और आने वाले समय में पूरे शहर में अपनी सेवाएं उपलब्ध कराएगा, और सेवाएं चरणबद्ध तरीके से ग्राहकों के लिए उपलब्ध होंगी क्योंकि कंपनी अपने नेटवर्क का निर्माण और रोलआउट पूरा करना जारी रखेगी।
इस मौके पर भारती एयरटेल, बिहार, झारखंड और ओडिशा के सीईओ अनुपम अरोड़ा ने कहा, "मैं पटना में एयरटेल 5G प्लस के लॉन्च की घोषणा करते हुए रोमांचित हूं। एयरटेल ग्राहक अब अल्ट्राफास्ट नेटवर्क का अनुभव कर सकते हैं और मौजूदा 4G स्पीड की तुलना में 20-30 गुना तेज गति का आनंद ले सकते हैं। हम पूरे शहर को रोशन करने की प्रक्रिया में हैं जो ग्राहकों को हाई-डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग, गेमिंग, कई चैटिंग, फोटो को तुरंत अपलोड करने और बहुत कुछ करने के लिए सुपरफास्ट एक्सेस का आनंद लेने की अनुमति देगा। "
5G पांचवीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है जो डेटा के एक बड़े सेट को बहुत तेज गति से प्रसारित करने में सक्षम है। कम विलंबता न्यूनतम विलंब के साथ बहुत अधिक मात्रा में डेटा संदेशों को संसाधित करने की दक्षता का वर्णन करती है। 3G और 4G की तुलना में, 5G में बहुत कम विलंबता है जो विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ाएगी। 5G रोलआउट से खनन, वेयरहाउसिंग, टेलीमेडिसिन और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में रिमोट डेटा मॉनिटरिंग में और विकास होने की भी उम्मीद है।
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समय और दूरी सम्बन्धी प्रश्न ।
जितनी देर में खरगोश (४×१३) गज़ वा ६ गज़ दौड़ता है उतनी देर में इता ( ३४२३३ ) गज़ वा ७३ गज़ दौड़ता है, इस कारण
खरगोश के ६ गज़दौड़ने में कुत्ता उससे १३ गज़ अधिक दौड़ता है,
•• इष्ट दूरी १२० गज़ है।
३ उदाहरणक, प से फ स्थान को जो ५११ मील दूर है, ३० मील प्रतिघण्टा की चाल से चला, १ घण्टे पीछे ख, फ से प को ४२ मील प्रतिघण्टा की चाल से चला; तो बताओ क, ख को कब और कहाँ मिलेगा ।
जब क ३० मील चल चुका तब ख चला । शेष ४८ मील में से ३५ मील क और ४२ मील ख १ घण्टे में चलता है, अर्थात् दोनों मिलकर (३+४१) वा ८ मील १ घण्टे में चलते हैं। इस कारण ४८ मील हवा ६ घण्टे में चले, इस कारण ख के चलने से ६ घण्टे पीछे क, ख से मिला, इस कारण बे फ से ४२ ×६ वा २५३ मील की दूरी पर मिले ।
४ उदाहरण - दो रेलगाड़ी ७७ गज़ और ६६ गज़ लम्बी क्रम से २५ २० मील प्रतिघण्टे की चाल से दो समानान्तर पटरियों पर विपरीत दिशाओं को जाती हैं, तो उनको एक दूसरी के पार करने में कितना समय लगेगा ? यदि वे एक ही दिशा में जातीं, तो पार करने में कितना समय लगता ? एक मनुष्य को, जो पहली गाड़ी में बैठा हुआ है, दूसरी गाड़ी के पार करने में कितनी देर लगेगी ?
( १ ) दोनों गाड़ियों को जब विरुद्ध दिशाओं में चलती हैं एक दूसरी हैं के पार करने में उतना समय लगता है जितना (७७+६६) वा १७६ गज़ को (२५+२०) वा ४५ मील प्रतिघण्टे की चाल से चलने में लगता
जब, ४५ मील १ घण्टे में चलती है, अर्थात् ४५×१७६० गज़ १ घण्टे.....
१७६ गज़ ४० घण्टे........; इष्ट समय= घण्टे बा ८ सेकण्ड ।
(२) जब गाड़ी एक हो दिशा को जातीं, तो उनको एक दूसरी के पार करने में उतना समय लगता जितना (७७+६६) वा १७६ गज़ को (२२ - २० ) वा ५ मोल प्रतिघण्टे की चाल से चलने में लगता, इस प्रकार इष्ट समय २७२ सेकण्ड होगा । |
अमरावती/दि. 20- स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में हिरकणी कक्ष का अस्तित्व केवल कागजों पर ही है. जिला परिषद को छोडकर अन्य स्थानों हिरकणी कक्ष का अस्थित्व ही दिखाई नहीं देता और यदि कहीं पर यह कक्ष है भी, तो इस पर ताला लगा रहता है. साथ ही कुछ स्थानों पर कोई सुविधा नहीं है. जिसके चलते महिलाओं को काफी असुविधा का सामना करना पडता है. स्वायत्त संस्थाओं में आम जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला जनप्रतिनिधि भी इस असुविधा का शिकार हो रही है. साथ ही इन स्वायत्त संस्थाओं में अपने किसी काम के लिए आने वाली नवप्रसूता महिलाओं को भी अपने दुधमुहे बच्चे को स्तनपान कराने हेतु खुले में ही बैठना पडता है.
बता दें कि, अपने वार्ड व प्रभाग का कार्यभार देखने वाली कई महिला जनप्रतिनिधियों के बच्चे बेहद छोटे होते है और उन्हें अपने बच्चों को साथ लेकर ही स्थानीय स्वायत्त संस्थाओें में अपने कामकाज के लिए आना पडता है. ऐसी महिला सदस्यों और उनके छोटे बच्चों हेतु प्रत्येक स्थान पर हिरकणी कक्ष स्थापित किया गया है. लेकिन पंचायत समिति व ग्राम पंचायत स्तर पर यह कक्ष उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते अपने वार्ड, गट व गन की समस्याओं को रखने हेतु सभागृह में आने वाली महिला सदस्यों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है.
जिले की 840 ग्राम पंचायतों में करीब 3 हजार 500 महिला सदस्य है, जो अपने गांव के वार्ड का प्रतिनिधित्व करते हुए ग्रापं का कामकाज देखती है.
जिले की 14 पंचायत समितियों मेें 59 महिला सदस्य है. जिनके द्बारा अपने गण की समस्याओं व दिक्कतों को अपनी पंचायत समितियों में रखा जाता है.
जिला परिषद में 50 गटों का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला सदस्यों की संख्या 30 है, जो ग्रामीण क्षेत्र के गट व गण का प्रतिनिधित्व करती है. ग्रापं, पंस व जिप की सदस्य रहने वाली कई महिला जनप्रतिनिधियों के बच्चे बेहद छोटे व दुधमुहे है. जिनके लिए हिरकणी कक्ष का रहता बेहद जरुरी है.
ग्रामपंचायतों में हिरकणी कक्ष शुरु करने हेतु खुद ग्रामपंचायत प्रशासन ही गंभीर नहीं है. ऐसे में कई महिला प्रतिनिधियों को किसी कार्यालयीन कक्ष में बैठकर अपने दुधमुहे बच्चों को स्तनपान कराना पडता है.
जिला परिषद कार्यालय परिसर में हिरकणी कक्ष तो है, लेेकिन इस कक्ष में साफ-सफाई व पीने के पानी की सुविधाओं का नितांत अभाव है. ऐसे में इस कक्ष में बैठकर अपने बच्चों को स्तनपान कराने में महिलाओं को काफी असुविधाओं का सामना करना पडता है.
जिला परिषद के प्रांगण में हिरकणी कक्ष है. साथ ही कुछ पंचायत समितियों में भी यह सुविधा उपलब्ध है. इसके अलावा जिन स्थानों पर यह सुविधा नहीं है, वहां हिरकणी कक्ष शुरु करने के संदर्भ में संबंधित विभागों के जरिए निर्देश दिए जाएंगे.
- संतोष जोशी,
प्रभारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी,
जिप, अमरावती.
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शाहपुर - मंगलवार को शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी में अतिरिक्त कमरों के भवन का वन निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया ने शिलान्यास करके राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी के वार्षिक वितरण समारोह में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। पठानिया ने सरस्वती मां के आगे दीपज्योति प्रज्वलित करके वार्षिक वितरण समारोह का शुभारंभ किया। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी के प्रिंसीपल और कमेटी प्रधान सहित सभी सदस्यों ने पठानिया को शॉल टोपी और स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया। श्री पठानिया ने कहा कि प्रधान दुर्गा सिंह ने जो मांगें रखी उन पर 15 लाख से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में रिटेनिंग वाल और स्कूल का मैदान बनाया जाएगा। साइंस की क्लासें बिठाने की मांग पर कहा कि मुख्यमंत्री के आशीर्वाद से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी में साइंस की क्लासें बिठाने की मांग को पूरा किया जाएगा। घेरा से स्कूल तक सड़क बनाई जाएगी। करेरी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में एक एग्जामिनेशन हाल भी बनाया जाएगा। जल्द ही वन विभाग की दवब लेकर घेरा से करेरी कुठारना सड़क को जोड़ कर इस सड़क को बची 200 मीटर सड़क को जोड़ कर सड़क को धारकंडी की समस्या को दूर किया जाएगा। पठानिया ने कहा कि घेरा करेरी के बीच एक प्राइमरी हैल्थ सेंटर खोला जाएगा। मुख्यातिथि पठानिया ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी में वार्षिक वितरण समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले छात्र छात्राओं को सरकार की तरफ से 21 हजार देने की बात कही। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता देवदत्त शर्मा, नरेश लगवाल प्रिंसीपल, प्रधान दुर्गा सिंह, उपप्रधान राहुल कुमार, विनोद कुमार पूर्व प्रधान, अमर सिंह, देश राज, उत्तम चंद वार्ड पंच, नगीन वार्ड पंच, सुभाष चंद, मदन लाल, कांशी राम, ओम राज ओम प्रकाश उप प्रधान, रोशन लाल, बलदेव कपूर आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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"टामकाकाकी कुटिया
इसलिए सरसतासे पूर्ण दासके हृदयने क्रमशः सेन्टफ्लेयर को प्रसन्नकर लिया। राम जो सेन्टक्लेयरकी भक्ति और श्रद्धा आकर्षित करने लगा इसमें कोई आश्चर्य नहीं ।
मैं पहिले ही बतला चुका है कि सेन्टक्लेयरके गृहकार्य मे कोई सुश्रृंखला न थी। वे आय-व्ययको कोई हिसाव न रखते थे। उनको सहधर्मिणी तो प्राय शैव्यापर ही पड़ी रहती थीं । अडालक नामक उनका प्रधान दास वड़ा शरावी था । घंह अपने इच्छानुसार मालिकका बड़ा अपव्यय करता था । किन्तु टामके आ जानेसे सेन्टफ्लेयर कभी-कभी उसे भी किसी-किसी कार्य में नियुक्त करते थे। वे सारे कार्य वह इस विश्वस्त रीतिसे सम्पादन करता कि सेन्टफ्लेयरने उस की साधुता और प्रभुभक्ति देखकर आय-व्ययका सारा भार उसपर छोड़ दिया। टामके हाथ रुपये देते समय वे गिनते भी न थे । वह इच्छा करने पर सहज ही बहुतसे रुपये सार सकता था, किन्तु धोखेवाजी अथवा झूठेपनसे टॉस पूर्णतः घृणा करता था।
टाम सेन्टफ्लेयरको अपना स्वामी समझकर उनका सम्मान करता था। किन्तु सम्मानके भावने दूसरा ही रूप धारण किया। टाम वृद्ध था और सेन्टफ्लेयर तरुण युवक। • टाम गम्भीर प्रकृतिका आदमी था; सेन्टक्लेयर चंचल प्रकृतिकें थे । इसलिए टामके हृदयमें सेन्टक्लेयरके प्रति पितृवत्सलता उत्पन्न हुई । टामने देखा कि सेन्टक्लेयरको हृदय अत्यन्त दया पूर्ण है। किन्तु वे वाइविल नहीं पढ़ते । प्रातःकाल व सायं कालमें भूलकर भी कभी ईश्वरका नाम नहीं लेते। कभी गिरजो घरमें जाकर ईश्वरोपासना नहीं करते। सदा आमोद-प्रमोदमें ही रत रहते हैं, पं सदा नाट्यशाला में जाते है । कभी सम-घयस्क युवकोके साथ एकान्त में |
Khatron Ke Khiladi 12 first Elimination प्रोमो वीडियो देख फैंस शॉक्ड रह गए। इस वीडियो में टीवी की बहू शिवांगी जोशी के साथ हुए हादसे की झलक दिखाई गई है। इस प्रोमो में आप देख सकते हैं कि कैसे खतरनाक स्टंट करते वक्त शिवांग रोने और चिल्लाते लग जाती हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। खतरों के खिलाड़ी का 12वां सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। रोहित शेट्टी के इस स्टंट रियलिटी शो की शूटिंग इस वक्त साउथ अफ्रीका के केपटाउन में चल रही है। हाल ही में ही शो के मेकर्स ने इसका एक प्रोमो वीडियो शेयर किया जिसे देख फैंस शॉक्ड रह गए। इस वीडियो में टीवी की बहू शिवांगी जोशी के साथ हुए हादसे की झलक दिखाई गई है। इस प्रोमो में आप देख सकते हैं कि कैसे खतरनाक स्टंट करते वक्त शिवांग रोने और चिल्लाते लग जाती हैं।
कलर्स के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर 'खतरों के खिलाड़ी 12' का एक ताजा प्रोमो शेयर किया गया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि टीवी की सबसे पॉपुलर बहू शिवांगी जोशी बड़े जोश के साथ साड़ी पहने हुए शो में एंट्री के लिए पैरों से कलश को ठोकर मारती हैं। इसके अगले शॉर्ट में वो एक बॉक्स में लेटकर रोहित शेट्टी के शो का खतरनाक स्टंट करती हुई दिख रही हैं। वीडियो में आगे दिखाया है कि ये रिश्ता और बालिका वधू 2 जैसे सीरियल्स में काम करने वाली एक्ट्रेस फूट-फूट कर रो और चिल्ला रही हैं।
वैसे बता दें कि कुछ दिनों पहले ही खबर आई कि रोहित शेट्टी के शो में पहला एलिमिनेशन हो चुका है। खतरों के खिलाड़ी 12 से बाहर जाने वाली कंटेस्टेंट कोई और नहीं बल्कि शिवांगी जोशी ही हैं। फिलहाल तो इस खबर पर अभी तक कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं आया है और ना ही शिवांगी केपटाउन से वापस लौटीं हैं। तो ये कहना जल्दबाजी होगी कि शिवांगी ही वो सबसे पहली कंटेस्टेंट हैं जो शो से बाहर हुईं हैं।
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बहुत से लोग फेसबुक पर चैट करने के बाद अपनी चाट को डिलीट नहीं करते हैं और उसे ऐसे ही संभाल कर रखते हैं। लोगों का मानना है कि फेसबुक पर की गई चैट सुरक्षित रहती हैं उन्हें कोई नहीं पड़ता ।
अगर आप भी यहीं सोचते हैं तो यह बिल्कुल सही नहीं हैं। एक रिसर्त फर्म बोसनादेव का कहना है कि फेसबुक चैट्स पर सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी की ओर से चल रही एक कंपनी नजर रखती है।
बोसनादेव का कहना है कि नॉन पब्लिश एरिया में जब एप्लीकेशन को सेट अप कर जब हमने टेस्टिंग की तो हमारी नजर कुछ असामान्य गतिविधियों पर पड़ी। इस एप का लिंक फेसबुक चैट के जरिए भेजा गया तो इन असामान्य गतिविधियों की जानकारी मिली।
इसके अंदर लेटेस्ट नेटवर्क टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। चैट करते वक्त यूजर क्या लिख रहा है और साथ ही उसकी पर्सनल डीटेल भी यूजर की जानकारी के बिना शेयर की जाती है।
बोसनादेव ने पाया कि थर्ड पार्टी इस काम को करती है। यह CEO के निगरानी तंत्र का ही एक हिस्सा होता है।
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गर्मियों के मौसम में लोग खीरे का उपयोग बहुत ज्यादा करते हैं. स्वस्थ के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है. खीरे में पाए जाने वाले कई विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट स्वस्थ को बहुत फायदा पहुंचाते हैं. इतने फायदे देखते हुए लोग गर्मी में रोज-रोज खीरा खरीद लाते हैं लेकिन कई बार ऐसा होता है कि खीरा जैसे ही सजकर प्लेट में सामने आता है और हम उसे खाते हैं तो वह कड़वा निकल जाता है. अक्सर ऐसा हो जाता है, जिसकी वजह से उसे फेंकने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता है. आज हम आपको कुछ ऐसे ट्रिक्स बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप खीरे की कड़वाहट झट से दूर कर सकते हैं.
खीरा खाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लेना चाहिए . धोने के बाद उसे बिल्कुल बीच से चाकू से काट लें. खीरे के आगे और पीछे के हिस्से को हटा दें. अब खीरे को खाएं, यह कड़वा नहीं आएगा. यह तरीका काफी आसान है.
खीरे की कड़वाहट दूर करने के लिए सबसे पहले दोनों तरफ से गोल-गोल काटकर साफ कर लें. अब चाकू से कटे हुए हिस्से पर आरी तिरछी कई लाइन बना दें. दोनों कटे हिस्सों को आपस में रगड़ें. जब झाग बन जाए तो आगे-पीछे से थोड़ा-थोड़ा काटकर अलग कर दें. अब आप खीरे को खा सकते हैं. इसमें कड़वाहट नहीं रहेगी.
सबसे पहले खीरे के अगले और पिछले हिस्से को थोड़ा-थोड़ा काटकर उस पर नमक डाल दें. करीब दो मिनट बाद कटे हिस्से से इसे रगड़ लें. अब थोड़ा सा हिस्सा और काट लें. इसके बाद नमक वाले पानी में कुछ देर के लिए रख दें. इससे कड़वापन दूर हो जाएगा और आप मजे से इसे खा सकेंगे.
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चर्चा में क्यों?
श्रीलंका अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति के माध्यम से COVID-19 महामारी से जूझते हुए चीन द्वारा दिये गए ऋण को पूरा करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें से 2 और द्विपक्षीय करदाताओं (चीन, जापान और भारत जैसे देश) से प्राप्त ऋण से बहुत अधिक था।
- विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीस और अर्जेंटीना जैसे देशों की तुलना में श्रीलंका की आर्थिक स्थिति अभी ठीक है क्योंकि यह अपने मुद्रा भंडार, स्थानीय ऋण और नई मुद्रा छाप कर अपने स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्त्वों को पूरा करने में सफल रहा है।
- हालाँकि श्रीलंका द्वारा संप्रभु बॉण्ड (Sovereign Bond) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से लिया गया ऋण एक बड़ी चिंता का विषय है।
- श्रीलंका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संप्रभु बॉण्ड के माध्यम से लिये गए 1 बिलियन डॉलर के ऋण की अवधि अक्तूबर माह में पूरी हो जाएगी जो श्रीलंका के संकट को बढ़ा सकता है।
श्रीलंका द्वारा ऋण संकट से उबरने के प्रयासः
- हाल ही में श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के आर्थिक दबाव को स्वीकार करते हुए यह प्रस्ताव रखा कि इस संकट की स्थिति में 'दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन' यानी सार्क को लंदन क्लब (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ार में निजी करदाताओं का एक अनौपचारिक समूह) से बातचीत कर समाधान का प्रयास करना चाहिये।
- श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के अनुसार, वर्तमान ऋण के भुगतान के लिये कुछ दीर्घकालिक वित्तीय प्रबंध किये गए हैं, इन प्रयासों के माध्यम से श्रीलंका को मार्च 2020 में 500 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए थे और जल्दी ही 300 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त सहयोग प्राप्त होने की उम्मीद है।
- श्रीलंका के केंद्रीय बैंक द्वारा RBI के अलावा अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों के साथ भी मुद्रा हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के अंतिम चरण में है, साथ ही IMF और अन्य अंतर्राष्ट्रीय करदाताओं के साथ समझौते के प्रयास किये जा रहे हैं।
भारत और श्रीलंकाः
- ऐतिहासिक रूप से भारत और श्रीलंका के बीच सकारात्मक संबंध रहे हैं और भारत ने पूर्व में कई अन्य मौकों पर श्रीलंका को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई है।
- वर्ष 2000 की मुक्त व्यापार संधि के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई है।
- इस दौरान श्रीलंका को होने वाला भारतीय निर्यात 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2001) से बढ़कर 4495 मिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2018) तक पहुँच गया।
- हाल के वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास 'मित्र शक्ति' और नौसैनिक अभ्यास 'स्लिनेक्स' (SLINEX) का आयोजन किया जाता है। साथ ही श्रीलंका की सेना के 60% से अधिक सदस्य अपने 'यंग ऑफिसर्स कोर्स' (Young Officers' Course), जूनियर और सीनियर कमांड कोर्स का प्रशिक्षण भारत से प्राप्त करते हैं।
- हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता की दृष्टि से भी भारत-श्रीलंका संबंधों का मज़बूत होना बहुत ही आवश्यक है।
- हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में बढ़ते चीनी निवेश और वर्ष 2019 में भारत द्वारा 'मताला एयरपोर्ट' संचालन के प्रस्ताव के रद्द होने से कुछ चिंताएँ बढ़ी हैं।
आगे की राहः
- हाल ही में विश्व बैंक और IMF द्वारा जारी अनुमानों के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में 3% की गिरावट आने की संभावना है, अतः विदेशी ऋण को पूरा करने के साथ ही श्रीलंका सरकार को स्थानीय ज़रूरतों पर भी ध्यान देना होगा।
- विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में देश के ऋण में वृद्धि के साथ ही सरकार की आर्थिक नीतियों पर प्रश्न उठने लगे हैं, ऐसे में वर्तमान आर्थिक संकट से निपटने के साथ ही अब समय है कि सरकार अपनी आर्थिक नीतियों में कुछ मूलभूत बदलाव लाए और ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा कृषि पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
- हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता भारत के लिये एक चिंता का विषय है साथ ही हाल के वर्षों में श्रीलंका की राजनीतिक अस्थिरता से भारत-श्रीलंका संबंधों में कुछ अनिश्चितताएँ दिखने लगी हैं , अतः भारत द्वारा श्रीलंका के वर्तमान आर्थिक संकट में संभावित सहायता के साथ ही दोनों देशों के संबंधों में मज़बूती के लिये समन्वय और अन्य प्रयासों में वृद्धि की जानी चाहिये।
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JAMSHEDPUR: खाद्य आपूर्ति व संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने सोमवार को दलमा की तराई वाले इलाके का दौरा किया। दौरे का मकसद था दलमा के पानी को रोकने का उपाय करना। सरयू राय ने कहा कि बरसात के दिनों में दलमा से बहने वाला पानी पूरी तरह बर्बाद हो जाता है, जिसका खामियाजा गर्मी के दिनों में मानगोवासियों को उठाना पड़ता है। राय के अनुसार पारडीह से सन सिटी के पीछे तक करीब ब्00 हेक्टेयर खाली जमीन पर पेड़ लगाकर तथा तालाब व बांध बनाकर पानी को रोका जा सकता है। मंत्री सरयू राय के आह्वान पर आगामी फ्क् जुलाई को दलमा के तराई वाले क्षेत्रों में वृहद स्तर पर पौधरोपण कार्यक्रम रखा गया है। उन्होंने बताया कि वृक्ष लगाने से क्षेत्र में हरियाली होगी, साथ ही सरकारी वन भूमि पर कब्जा नहीं हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि मानगो को स्मार्ट मानगो के रूप में विकसित करना है। इस अवसर पर उपस्थित आरसीसीएफ शशि नंदकुलियार ने कहा कि इस क्षेत्र के समुचित विकास के लिए सरकार के पास प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि वन भूमि पर भू माफिया कब्जा कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों, सीओ व विशेष पदाधिकारी को आवश्यक कदम उठाने को कहा ताकि सरकारी व वन भूमि पर लोग कब्जा न करें। चारों ओर हरियाली देखने के बाद मंत्री ने इच्छा प्रकट की कि वह दलमा क्षेत्र का भ्रमण करेंगे। इस क्रम में मंत्री सरयू राय ने नए बन रहे आयुष भवन का शिलान्यास नारियल फोड़ कर किया। मंत्री के साथ आरसीसीएफ शशि नंदकुलियार, सीएफ, डीएफओ शबा आलम अंसारी, मानगो अक्षेस के विशेष पदाधिकारी जगदीश प्रसाद यादव, दलमा के फॉरेस्टर कोलेश्वर भगत, भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष विकास सिंह, नीरज सिंह, राजेश साव, संध्या नंदी, भोला पांडेय, सूरज प्रसाद के अलावा काफी संख्या में भाजपा व स्थानीय लोग उपस्थित थे।
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पिछली सदी में 20 के दशक में भारत में शुरू हुए कम्युनिस्ट आंदोलन ने कई पड़ाव तय किए हैं.
1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ने जहाँ 16 सीटें जीती थीं वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में वामपंथी दलों की कुल सीटों की संख्या बढ़कर 61 पहुँच गई थी.
इसमें अकेले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 43 सदस्य थे.
1957 में कम्युनिस्टों ने पहली बार केरल में विधानसभा चुनाव जीता था. ये पहला मौक़ा था जब दुनिया में कोई भी कम्युनिस्ट सरकार मतदान द्वारा चुनकर सत्ता में आई थीं.
ईएमएस नंबूदरीपाद वहाँ के मुख्यमंत्री बने. ये अलग बात है कि दो साल बाद 1959 में इस सरकार को केंद्र ने बर्ख़ास्त कर दिया.
वामपंथी दलों के सामने सबसे बड़ा धर्मसंकट 1962 में आया जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया.
जहाँ सोवियत संघ का समर्थन करने वाले वामपंथी नेताओं ने भारत सरकार का समर्थन किया, लेकिन कुछ कम्युनिस्ट नेताओं जैसे ईएमएस नम्बूदरीपाद और बीटी रणदिवे ने इसे समाजवादी और पूँजीवादी राष्ट्र के बीच संघर्ष करार दिया.
1964 के आते-आते कम्युनिस्ट पार्टी में औपचारिक विभाजन हो गया. 1970 से 1977 के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने काँग्रेस का समर्थन किया.
केरल में उसने काँग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अच्युत मेनन वहाँ के मुख्यमंत्री बने.
1977 में ज्योति बसु के नेतृत्व में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई और तभी से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भी काँग्रेस से मोह भंग शुरू हो गया.
1989 के लोकसभा चुनाव के बाद वामपंथी दलों ने विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार को बाहर से समर्थन दिया.
दिलचस्प बात यह कि इस सरकार को भारतीय जनता पार्टी भी बाहर से समर्थन दे रही थी.
1996 में जब काँग्रेस की हार हुई तो तीसरे मोर्चे की सरकार बनवाने में वामपंथी दलों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही.
'ऐतिहासिक भूल'
एक समय तो ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनाए जाने पर लगभग सहमति बन गई थी.
लेकिन उनकी पार्टी ने उन्हें ये पेशकश स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी. बाद में स्वयं ज्योति बसु ने इसे एक 'ऐतिहासिक भूल' बताया और कहा कि इसका कारण था पोलित ब्यूरो और केंद्रीय कमेटी के सदस्यों में उपयुक्त राजनीतिक समझ का अभाव.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने ज़रूर तीसरे मोर्चे की सरकार में शिरकत की और इंद्रजीत गुप्त भारत के गृह मंत्री बने.
आठ साल बाद जब वामपंथियों के पास एक बार फिर सरकार में शामिल होने का मौक़ा आया, तो इतिहास ने एक बार फिर अपने आप को दोहराया.
उन्हें केंद्र सरकार में भागीदारी कर किसानों, मज़दूरों, निम्न मध्यमवर्ग के लिए कुछ कर पाने और दक्षिणपंथियों द्वारा सत्ता व्यवस्था में कथित रूप से की गई घुसपैठ की सफ़ाई से ज़्यादा चिंता पश्चिम बंगाल और केरल के अपने किले को बचाए रखने की हुई.
मज़ेदार बात ये है कि 1967 और 1969 में कम्युनिस्टों ने ही अजय मुखर्जी के नेतृत्ववाली काँग्रेस की सरकार में शामिल होकर पश्चिम बंगाल में अपना असर बढ़ाया था.
सत्ता में शामिल हुए बग़ैर बंगाल में उनके द्वारा लाए गए भूमि सुधार के कार्यक्रम सफ़ल हो पाते इसमें काफ़ी संदेह है.
वामपंथियों के ख़िलाफ़ ये टिप्पणी भी की जाती रही हैं कि वे सरकार की सफलताओँ का श्रेय तो लेना चाहते हैं लेकिन कमज़ोरियों, विफलताओं, गड़बड़ियों की पूरी ज़िम्मेदारी सरकार पर ही डालना चाहते हैं.
वे इसका जवाब ये कहकर देते हैं कि जिस गठबंधन का नेतृत्व वामपंथियों के हाथ में न हो, उसकी नीतियों को भी एक सीमा से अधिक नहीं प्रभावित किया जा सकता.
वैश्वीकरण और उदारीकरण की काँग्रेस की नीतियों को अगर वे गरीबों के पक्ष में नहीं मोड़ पाते हैं तो जनअसंतोष के दंड का भागीदार भी वामपंथियों को बनना पड़ेगा.
केरल और पश्चिम बंगाल के बारे में उनकी दलील है कि दोनों राज्यों में काँग्रेस की नीतियों का विरोध कर ही वाम मोर्चे ने भारी विजय पाई है और उन्हीं नीतियों से भागीदारी दिखाना अलगे वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके लिए भारी पड़ जाएगा.
लेकिन सरकार से बाहर रहते हुए भी कई मुद्दों पर उन्होंने सरकार का हाथ मरोड़ा है.
हाल में संसद में पास हुआ पेटेंट बिल और पेंशन बिल का स्थाई समिति को भेजा जाना इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं.
कहा जाता है कि दुनिया भर में कम्युनिस्ट नेता कभी रिटायर नहीं होते-चाहे वो माओ हों, लियोनिद ब्रेझनेव हों या फिर फ़ीडेल कास्ट्रो हों.
लेकिन मार्क्सवादी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता हरकिशन सिंह सुरजीत अगली पीढ़ी को पार्टी का नेतृत्व सौंपने के बारे में सोच रहे हैं.
सुरजीत 1992 से पार्टी के महासचिव हैं और छह अप्रैल से शुरू होने वाली पार्टी काँग्रेस में नई केंद्रीय समिति का चयन होगा और नई केंद्रीय समिति नए महासचिव का चुनाव करेगी.
सबकी आँखें पोलित ब्यूरो के अपेक्षाकृत युवा चेहरे प्रकाश करात पर हैं जिन्हें वामपंथी हलकों में कट्टरपंथी माना जाता है.
इस पद के दूसरे दावेदार सीताराम येचुरी हैं जोकि गठबंधन राजनीति में पार्टी के रूख़ को सामने रखने के लिए जाने जाते हैं.
पार्टी की पिछली काँग्रेस में भी नेतृत्व परिवर्तन की बात आई थी और कहा गया था कि सुरजीत किसी युवा चेहरे को नेतृत्व की बागडोर सौंपना चाहते हैं.
लेकिन उन्होंने अंततः पद न छोड़ने का फ़ैसला किया था.
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इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने घरेलू उत्पादन क्षमता के बारे में तेहरान में लगी प्रदर्शनी का दौरा किया।
वरिष्ठ नेता की वेबसाइट के अनुसार प्रदर्शनी को वरिष्ठ नेता की ओर से इस वर्ष के लिए दिये गए उस नारे के अन्तर्गत लगाया गया था जिसका शीर्षक था, "रोज़गार पैदा करने वाला नाॅलेज बेस्ड प्रोडक्शन"।
इस प्रदर्शनी में विभिन्न क्षेत्रों में देश की क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया था जैसे खनन, इलैक्ट्रानिक्स, दूर संचार, एरोस्पेस, उपग्रह, आटोमोबाइल, कृषि, खाद्य पदार्थ, रेल, सड़क समुद्र और वायु परिवहन, आवास, तेल, पेट्रोकैमिकल, घरेलू उपकरण, कपड़ा, आवास, ऊर्जा और बिजली संयंत्र उद्योग, बांध निर्माण, जल प्रबंधन और सूचना तथा संचार प्रौद्घोगिकी आदि।
याद रहे कि इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नए शमसी वर्ष 1401 के लिए "रोज़गार पैदा करने वाला नाॅलेज बेस्ड प्रोडक्शन" का नारा दिया था। उनका कहना था कि नालेज बेस्ड कंपनियां, नए तरीक़े से रोज़गार सृजन का बहुत अच्छा माध्यम हैं।
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जावेद अख्तर के लेखन की बात की जाए तो उनकी तारीफों के पुल बंधते जाएंगे, और निरंतर बंधते ही चले जायँगे. उनके लिखने की कला में उर्दू भाषा का प्रयोग और तलफ़्फ़ुज़ की बारीकियों को मापने वाले दीवानों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इसी के साथ-साथ जावेद अख्तर अपने उसूलों के भी बड़े पक्के हैं. इसीलिए उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म 'कुछ कुछ होता है' नहीं लिखी. जावेद ने शाहरुख के शो 'टेड टॉक्स- इंडिया नई सोच' के दौरान इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि उस वक्त उन्हें लगा था कि फिल्म का नाम 'डबल मीनिंग' वाला है.
करन जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म 'कुछ कुछ होता है' के लिए काम न करने के बारे में जब जावेद अख्तर से पूछा गया तो उन्होंने, "मुझे लगा कि फिल्म का नाम 'डबल मीनिंग' है, इसलिए मैं इस फिल्म को लिखने के लिए तैयार नहीं हुआ. लेकिन मैं 'कल हो ना हो' में शाहरुख के अभिनय का कायल हो गया और खुश हूं कि मैं उस यात्रा का हिस्सा बन सका. मैंने एक अर्थपूर्ण गीत बनाने के लिए उन शब्दों का इस्तेमाल किया, जिन्हें मैंने पहले खुद सिरे से नकार दिया था. लेकिन दर्शकों को गीत बहुत पसंद आया और बहुत मशहूर भी हुआ. यह गाना था 'कुछ तो हुआ है, कुछ हो गया है'. "
साल 1998 में रिलीज 'कुछ कुछ होता है' ने 90 के दशक के अंतिम सालों में रिलीज हो रही मार-धाड़ वाली फिल्मों के बीच दोस्ती और प्यार का एक सन्देश लेकर उभरी थी. यह फिल्म एक ट्रेडमार्क बन गई थी. जावेद अख्तर के मना करने के बाद इसकी कहानी करन जौहर ने खुद ही लिखी थी.
शाहरुख खान टेड टॉक के जरिए देशभर में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग और नया काम करने वालों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की उम्मीद रखते हैं जिसे टेलीविजन चैनल स्टार प्लस पर ब्रॉडकास्ट किया जाता है.
तो इसलिए जावेद अख्तर ने नहीं लिखी 'कुछ कुछ होता है'
शबाना ने जावेद को कहा- "आप में अब्बा कैफी आजमी वाली बात नहीं"
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एमएस धोनी, आधुनिक समय के क्रिकेट के दिग्गजों में से एक, अपनी सेवानिवृत्ति के बाद इंडियन प्रीमियर लीग में एक सक्रिय खिलाड़ी रहे हैं। एमएस धोनी खिताब जीतने के लिए अपनी टीम का नेतृत्व कर सकते हैं और उन्होंने आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के साथ 2021 में टूर्नामेंट जीतने के लिए अपनी उसी क्षमता को जारी रखा है।
2020 में संन्यास लेने के बाद भी एमएस धोनी अपने निस्वार्थ स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। एमएस धोनी ने मैदान पर कई क्षण बनाए हैं जो हमें उनके निस्वार्थ स्वभाव के बारे में बताते हैं, फिर भी एमएस धोनी को कुछ पूर्व क्रिकेटरों द्वारा 'सबसे निस्वार्थ खिलाड़ी' के रूप में चुना गया है।
एमएस धोनी, 'सबसे निस्वार्थ खिलाड़ी'
पूर्व क्रिकेटर स्कॉट स्टायरिस, क्रिस गेल, अनिल कुंबले और रॉबिन उथप्पा एक इंटरव्यू के लिए एक साथ बैठे थे। इंटरव्यू के रैपिड-फायर दौर के दौरान, क्रिकेटरों ने एमएस धोनी को टी20 लीग इतिहास में 'सबसे निस्वार्थ खिलाड़ी' के रूप में चुना है। निर्णय सर्वसम्मत था और इसके बारे में कोई असहमति नहीं थी।
पूर्व क्रिकेटरों ने केएल राहुल को सबसे स्टाइलिश क्रिकेटर भी चुना। आईपीएल के पूर्व खिलाड़ी जियो सिनेमा पर रैपिड-फायर सवालों के इंटरव्यू के लिए एक साथ बैठे थे।
2023 के आईपीएल में बस कुछ ही महीने दूर हैं, चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कमर कस ली है और आगामी टूर्नामेंट की तैयारी शुरू कर दी है। जीत के मामले में, एमएस धोनी इंडियन प्रीमियर लीग के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं क्योंकि उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स को 4 इंडियन प्रीमियर लीग खिताब जिताने में मदद की है। धोनी ने सीएसके के लिए 210 मैचों में कप्तानी करते हुए 58. 85 प्रतिशत जीत भी हासिल की है।
कुछ दिन पहले जब भारतीय क्रिकेट टीम रांची में न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज का पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रही थी, तब एमएस धोनी को स्टेडियम में जाकर भारतीय टीम के खिलाड़ियों से मुलाकात करते देखा गया था. एमएस धोनी शुभमन गिल, युजवेंद्र चहल और वाशिंगटन सुंदर जैसे युवा खिलाड़ियों को अहम सलाह भी दे रहे थे। टीम के कप्तान हार्दिक पांड्या ने भी दिग्गज कप्तान से बात की।
मैच से पहले एमएस धोनी के दौरे के बारे में बताते हुए पंड्या ने कहा, "माही भाई यहां हैं जो अच्छा है क्योंकि हम उनसे मिल सकते हैं। हम होटल से बाहर भी निकल सकते हैं (उनसे मिलने के लिए)। नहीं तो हम जिस तरह से आखिरी में खेले हैं। महीना, यह सिर्फ होटल से होटल तक रहा है। "
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आईपीएल 2020 का ख़िताब मुंबई इंडियंस की टीम ने जीत लिया था और रिकॉर्ड पांचवी बार आईपीएल की चैम्पियन बन गई थी. बीसीसीआई ने आईपीएल 2021 की तैयारी भी शुरू कर दी है. हालांकि आईपीएल 2021 से पहले बीसीसीआई एक और टी-20 टूर्नामेंट का आयोजन करने जा रही है.
कोविड-19 के कारण इस बार भारतीय का घरेलू क्रिकेट सीजन भी प्रभावित रहा. ऐसी संभावना है कि इंडियन प्रीमियर लीग-14 की खिलाड़ियों की नीलामी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड कोरोना वायरस महामारी के कारण संशोधित घरेलू सीजन की शुरुआत जनवरी में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए राष्ट्रीय टी20 चैंपियनशिप के साथ कर सकता है.
पीटीआई न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा,
अधिकारी ने आगे अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा,
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के बाद आईपीएल 2021 संस्करण अगले साल अप्रैल-मई की सामान्य विंडो में हो सकता है. बीसीसीआई के ही एक सूत्र के अनुसार एक बड़ी नीलामी की योजना बनाई जा रही है, क्योंकि अगले सीजन में एक नई टीम की एंट्री हो सकती है. ऐसे में इस टूर्नामेंट में 8 की बजाय 9 टीमें हो सकती है.
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ओक्साना कोंदाकोवा - स्मार्ट और सुंदर लड़की, एक प्रसिद्ध मॉडल। लेकिन पूरी दुनिया के लिए, वह है क्योंकि इसके उत्कृष्ट बाह्य डेटा की नहीं प्रसिद्ध हो गया है। कुछ साल वह एनएचएल स्टार इव्गेनि माल्किन के साथ मुलाकात सुनहरे। क्यों ओक्साना कोंदाकोवा के साथ उनकी विदाई था? फोटो, जीवनी मॉडल और उसके निजी जीवन के विवरण - यह सब आप लेख में मिल जाएगा। अपने पढ़ने का आनंद लें!
प्रसिद्ध मॉडल Magnitogorsk में 23 फरवरी, 1984 को पैदा हुआ। उसके माता पिता मध्यम वर्ग के सदस्य हैं। खिलौने, कपड़े और इतने परः वे छोटी लड़की है के लिए हर प्रयास सब कुछ का सबसे अच्छा था।
हमारी नायिका विनम्र और दयालु महिला वृद्धि हुई। स्कूल में वह एक अच्छा विद्यार्थी था। वह हमेशा गर्लफ्रेंड और प्रेमी का एक बहुत था। ओक्साना कोंदाकोवा एक उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जा रहा था, लेकिन यह स्थगित करना पड़ा।
एक सुंदर चेहरे के साथ लंबे पैरों गोरा, लेकिन मदद नहीं ध्यान आकर्षित नहीं कर सका। एक बार सड़क पर वह Magnitogorsk मॉडलिंग एजेंसियों के एक प्रतिनिधि से संपर्क किया गया था। उन्होंने कहा कि महिला एक बिजनेस कार्ड सौंप दिया। ओक्साना कोंदाकोवा इस तरह के एक अवसर न कर सका। जल्द ही वह फैशन शो और फोटो शूट के लिए शुरू किया। Magnitogorsk महिला के देशी कोई वास्तविक स्टार बन गए। मॉडल अच्छा फीस मिलता है। वह प्रशिक्षण पर पैसा खर्च सकता है, लेकिन में निवेश करने का फैसला किया है "सौंदर्य। " ओक्साना उसके होंठ बनाया है, ताकि एंजेलीना जोली की तरह देखा।
यह ज्ञात है कि मॉडल पहले से ही शादी की थी। इतिहास नहीं बहुत सुंदर बाहर आया था। महिला Magnitogorsk कंपनियों में से एक में एक सचिव के रूप में एक नौकरी मिल गई। कोंदाकोवा एक सफल कैरियर का निर्माण और रजिस्ट्रार को अपने बॉस लाने में कामयाब रहे। शादी लंबे समय तक नहीं। लगातार झगड़े, गलतफहमी, विश्वासघात उनकी पत्नी द्वारा - यह सब एक आदमी के लिए मजबूर तलाक के लिए।
2008 में, एनएचएल स्टार Magnitogorsk में पहुंचे। एक नाइट क्लब में उन्होंने उज्ज्वल गोरा के साथ मुलाकात की और उसके साथ पहली बार प्यार हो गया। आप कल्पना कर सकते हैं, हम ओक्साना कोंदाकोवा के बारे में बात कर रहे हैं। मॉल्किन अपनी प्रेयसी की खातिर सबसे obezbashennym कर्मों बनाने के लिए तैयार था। उदाहरण के लिए, वह अपने अपार्टमेंट असली आतिशबाजी की खिड़कियों दे दी है। वह आँसू करने के लिए ले जाया गया था।
2008 के अंत में, मॉडल पिट्सबर्ग (अमरीका) में हॉकी खिलाड़ी के साथ चला गया। सभी अमेरिका पत्रिकाएँ ओक्साना कोंदाकोवा साथ इव्गेनी मालकोव संबंध के बारे में लिखा था। प्यार में एक जोड़े की फोटो भी लेख से जुड़ा हुआ है। पत्रकारों महिला के अतीत में तल्लीन करना शुरू किया और उस में काले धब्बे का एक बहुत मिल गया। लेकिन यूजीन यह सब में कोई दिलचस्पी नहीं थी। सब के बाद, वह Magnitogorsk मॉडल प्यार करता था।
मॉल्किन और Kondakov 4 साल के लिए मुलाकात की। उनके मित्रों और परिचितों आश्वस्त थे कि यह शादी के लिए एक मामला है। लेकिन जोड़ी अचानक जुदाई की घोषणा की। क्यों यह सब हुआ? कई संस्करण हैं। शायद उन दोनों के बीच प्यार बुझा रहा है। वहाँ भी अफवाहें हैं कि मॉल्किन माता-पिता मॉडल Magnitogorsk के साथ अपने रिश्ते के खिलाफ थे। खाई के लिए सच कारण केवल बच्चों से जाना जाता है। अब इव्गेनि माल्किन नई मंगेतर - टीवी प्रस्तोता अन्ना Kasterova।
अब आप जानते हैं जो इस ओक्साना कोंदाकोवा और क्या यह प्रसिद्ध हो गया है। हॉकी खिलाड़ी इव्गेनि माल्किन साथ रिश्ता हमेशा के लिए अपने जीवन के प्रतिभाशाली और सबसे खुशी का एपिसोड में से एक रहेगा। हम व्यक्तिगत मोर्चे पर इस खूबसूरत और प्यारी लड़की के भाग्य कामना करते हैं!
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इस्लामाबादः पाकिस्तान ने रविवार को भारतीय उच्चायोग को अपने यहां की जेलों में बंद 471 भारतीय कैदियों की की एक लिस्ट दी है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बयान जारी कर बताया कि इस लिस्ट को 21 मई 2008 को पाकिस्तान और भारत के बीच कॉन्सुलर एक्सेस एग्रीमेंट के प्रावधानों के मुताबिक दिया गया है। बयान में बताया गया है कि कुल 471 भारतीय कैदियों में से 418 मछुआरे और 53 अन्य कैदियों के नाम हैं।
बयान के मुताबिक, इन कौदियो को पाकिस्तानी जल सीमा में कथित तौर पर गैर-कानूनी ढंग से घुस जाने पर गिरफ्तार किया गया था। आपको बता दें कि दोनों देश 21 मई 2008 में हुए समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान को साल में 2 बार 1 जनवरी और 1 जुलाई को अपने-अपने देश में बंद पड़ोसी देश के कैदियों की सूची का आदान-प्रदान करना होता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार भी नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग को पाकिस्तानी कैदियों की सूची सौंपेंगी।
आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के संबंध पठानकोट एयरबेस और उड़ी में हुए आतंकी हमले के बाद बिगड़ते चले गए थे। उड़ी हमले का बदला लेने के लिए बाद में भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके अलावा भारतीय नेवी के पूर्व अधिकरी कुरभूषण जाधव की गिरफ्तारी के बाद भी दोनों देशों के संबंधों में खटास आई है। पाकिस्तान ने जाधव पर जासूसी के आरोप लगाते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई है जबकि भारत ने हमेशा जासूसी के आरोपों से इनकार किया है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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अतुल कुमार गुप्ता,
मुख्य सचिव,
उत्तर प्रदेश शासन।
सेवा में,
समस्त प्रमुख सचिव/सचिव, उ0प्र0 शासन।
समस्त मंडलायुक्त/जिलाधिकारी, उ0प्र0।
आयुक्त एवं निदेशक उद्योग, उ0प्र0।
औद्योगिक विकास विभाग के समस्त निगमों के प्रबंध निदेशक।
सुनिश्चित कराया जाए ताकि नवीन उद्योगों की सािपना का मार्ग प्रशस्त कराया जा सके।
अनुरोध है कि कृपया उपरोक्त शासनादेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
(अतुल कुमार गुप्ता)
मुख्य सचिव।
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निजी छोटे-बड़े अस्पतालों (Hospitals) द्वारा भी अपना कचरा निस्तारण खुद नहीं किया जा सकता, बल्कि इस कार्य को वहां पर भी वहां के लिए तय एजेंसी (agency) ही कर सकती है।
योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़।
हरियाणा में कोविड अस्पतालों से निकलने वाले कचरे के निस्तारण (Disposal) के लिए स्वास्थ्य मंत्री विज की ओर से जहां कचरा निस्तारण करने वाली एजेंसियों को खास दिशा निर्देश देकर उनका पूरी तरह से पालन करने के लिए कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ मेडिकल वेस्ट कोरोना संक्रमण मरीजों का हो या फिर अन्य तरह का इससे किसी भी तरह से पर्यावरण पर प्रतिकूल (Unfavorable) प्रभाव नहीं हो इस पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के दिशा निर्देशों का पालन कराने के लिए हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी पैनी नजर रखे हुए हैं।
यहां पर उल्लेखनीय है कि पूरे राज्य में मेडिकल वेस्ट उठाने और इसका निस्तारण करने के लिए 11 एजेंसियों को काम दिया गया है। केंद्र की ओर से जारी नियमों के हिसाब से ही मेडिकल वेस्ट के निस्तारण का काम किया जाता है। नियमों के मुताबिक 70 किलोमीटर के दायरे में एक ही एजेंसी काम कर सकती है, इतना ही नहीं एजेंसियों की संख्या में इजाफा करने के लिए भी नियमों में बदलाव करना होगा, यह भी केंद्र की अनुमति से ही किया जाएगा।
इन दिनों कोरोना संक्रमण की चुनौती औऱ मेडिकल वेस्ट भी कोविड अस्पतालों से ज्यादा निकल रहा है। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि राज्य के कोविड अस्पतालों से प्रतिदिन लगभग एक कुंतल कचरा रोजाना निकल रहा है क्योंकि संक्रमण और संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके मेडिकल वेस्ट और दूसरे वेस्ट के निस्तारण के लिए बनाए गए नियमों के हिसाब से ही इसका निस्तारण एजेंसिया कर रही हैं।
इस पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी नजर रखते हैं। विभाग की मुखिया एसीएस धीरा खंडेलवाल का कहना है कि इस मामले में विभाग के अधिकारियों द्वारा नजर रखी जा रही हैं, इस संबंध में हमने मीटिंग लेकर दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं ताकि किसी भी तरह की ढ़ील अथवा लापरवाही नहीं हो।
यहां पर यह भी बता दें कि निजी क्षेत्र के छोटे बड़े अस्पतालों द्वारा भी अपना कचरा निस्तारण खुद नहीं किया जा सकता, बल्कि इस कार्य को वहां पर भी वहां के लिए तय एजेंसी ही कर सकती है। हालांकि निजी क्षेत्र के अस्पताल संचालक इसके निस्तारण के लिए लंबे अर्से से उन्हें अधिकार देने की मांग कर रहे हैं।
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल का कहना है कि राज्य में सरकारी अस्पताल हों या फिर निजी अस्पताल सभी को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए जारी किए दिशा निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना होगा। जिन एजेंसियों को फिलहाल कोरोना मेडिकल वेस्ट उठाने का जिम्मा दिया गया है, उन्हें भी बेहद सावधानी के साथ में सही निस्तारण के लिए कहा गया है, जिसको समय-समय पर चेक भी किया जा रहा है। इस संबंध में एचपीसी बोर्ड अधिकारी मानीटरिंग कर रहे हैं। अगर किसी भी तरह की कोई लापरवाही सामने आई, तो कार्रवाई करेंगे।
प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि मेडिकल वेस्ट के सही निस्तारण को लेकर हमने पहले से ही दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं। कोविड मेडिकल वेस्ट उठाने का काम जिन ठेकेदारों को दिया गया है, उस काम में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कुछ जिलों में जहां जहां पर भी शिकायत मिली हमने अधिकारियों को इस तरह के लोगों के विरुद्ध एक्शन के लिए कहा है।
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नई दिल्ली : जैन समाज के पर्यूषण पर्व को लेकर मुंबई में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसे लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। एक ओर जहां कांग्रेस विरोध में जुटी हुई है वहीं एमआईएम ने भी अपना विरोध जताया है। यही नहीं शिवसेना द्वारा भी इस मसले पर अपना रूख दर्शाया गया है। अब इस मसले को गुजरात में गौमांस को लेकर चस्पा किए गए पोस्टर विवाद से जोड़ा जा रहा है। इस मामले में एमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भाजपा गुजरात में झूठ की फैक्ट्री चला रही है।
कुरान में ऐसा नहीं लिखा है। सरकार झूठा प्रोपेगेंडा फैला रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निवेशकों और उद्योगपतियों से भेंट कर रहे हैं। आखिर महाराष्ट्र में मांस नहीं मिलेगा तो लोग क्या खाऐंगे। लोगों का घर किस तरह से चलेगा। आखिर निवेशकों को क्या संदेश पहुंचेगा।
मुंबई में इस तरह के प्रतिबंध को 2 दिन तक कर देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि मुंबई और मीरा-भायंदर क्षेत्र में पर्यूषण पर्व के चलते मांस की बिक्री पर पांच दिन का प्रतिबंध लगा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि इस तरह की मांगों को धार्मिक रंग दिया जा रहा है जिससे लोगों की भावनाऐं भड़क रही हैं। ऐसे में देश में विकट स्थिति सामने आने की संभावनाऐं हैं।
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यहां कुम्भलगढ़ को पर्वत श्रेणी के नीची हो जाने से दर्रा बन गया है। दोनों सेनाओं के बीच की दूरी अब सिर्फ बारह मील रह गयी थी ।
मोलेला गांव पहुंचने और ठहरने के बाद भी मानसिंह को यह पता नहीं लग पाया था कि प्रताप की सेना इतने पास है। इस कारण यहां एक घटना होते-होते रह गयी जो मेवाड़ को शायद जीत दिला देती, परन्तु प्रताप की कीर्ति कम कर सकती थी ।
खमनोर से दक्षिण पहाड़ी प्रदेश से जांच-पड़ताल करने के लिए, शिकार का बहाना करके, मानसिंह मेवाड़ के सैन्य शिविर के बहुत पास जा पहुंचा। उस समय उसके साथ एक हजार से अधिक घुड़सवार नहीं होगे । गुप्तचरों ने आकर प्रताप को उसकी खबर दी । "उस वक्त कितने ही सरदारो ने अर्ज की कि कुंवर मानसिंह पर हमला करें, लेकिन झाला वीदा ने कहा कि इस तरह दगा करना बहादुरो का काम नहीं है। महाराणा ने भी वीदा के कहने को पसन्द किया। दूसरे रोज कुंवर मानसिंह को महाराणा प्रतापसिंह के ( इतने नजदीक ) आने की खबर मिली।"" इस तरह मान सिंह, और प्रताप का, सम्मान बच गया। हां, झाला सरदार वीदा को अपने परामर्श का मूल्य अपने जीवन से देना पड़ा । परन्तु अपने इस परामर्श और बाद में युद्ध मे अत्यन्त असाधारण त्याग और वीरता का प्रदर्शन करके उसने मेवाड़ के इतिहास में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया, मानवीय गुण कहां तक एक व्यक्ति को उठा सकते है, इसका वह उदाहरण बन गया है । हल्दीघाटी का युद्ध
मानसिंह और प्रतापसिंह के बीच हुआ यह युद्ध 'हल्दीघाटी युद्ध' के नाम से प्रसिद्ध है, परन्तु यह युद्ध हल्दीघाटी के भीतर नहीं हुआ था, और उस समय के भुगल इतिहासकारो ने इसका उल्लेख इस नाम से किया भी नहीं है । मेवाड़ के इतिहास से संबंधित जो प्राचीन ग्रन्थ उपलब्ध हैं उनमें भी इस युद्ध को 'हल्दीघाटी का युद्ध' नहीं कहा गया है ।
राजस्थानी का एक दोहा बहुत प्रचलित है, जिसकी प्रथम पंक्ति है गोगूंदा रै घाट पर, मचियो घाण मथाण
अर्थात् जिस स्थान पर प्रतापसिंह और मानसिंह की सेनाओं के बीच 'भयंकर युद्ध' हुआ था वह 'गोगूंदा के घाट' के नाम से प्रसिद्ध था ।
उदयपुर से 40 मील उत्तर की ओर बने राजसमुद्र सरोवर के तट पर श्री रणछोड़ भट्ट की लिखी 'राजप्रशस्ति' 25 काले पत्थरों पर खुदी लगी हुई है। इसमें लिखा है कि 'खमणोर गांव में प्रताप और मानसिंह के बीच भीषण युद्ध हुआ। इसी कवि के लिखे 'श्रमरकाव्य' में कहा गया है, 'खमणोर के बीच इतना रक्तपात हुआ कि वनास नदी का पानी लाल हो गया ।
1 'वीर विनोद', दूसरा भाग, पृष्ठ 151 |
बिधूना। तहसील के थाना बेला क्षेत्र में बेला-बिधूना मार्ग पर बीती रात्रि बांधमऊ गांव के समीप महिला को बचाने के प्रयास में तेज रफ्तार ट्रक ने ट्रैक्टर को टक्कर मार दी। जिसके बाद महिला को रौंद दिया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। वहीं ट्रैक्टर सवार 4 किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। सूचना पर पहुँची थाना पुलिस ने घायलों को एम्बुलेंस की सहायता से सीएचसी बिधूना में भर्ती कराया है। जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
जानकारी के अनुसार बिधूना क्षेत्र के गांव खरगपुर निवासी किसान राजेश, संजीव, जयवीर व उमेश रात्रि करीब 3 बजे कन्नौज कोल्ड स्टोरेज में रखे अपने आलू लेकर ट्रैक्टर में लादकर गांव वापस लौट रहे थे। उनका ट्रैक्टर बेला-बिधूना मार्ग पर स्थित गांव बांधमऊ व पुरवा दूजे के बीच पहुंचा था कि तभी बिधूना की ओर से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी। जिससे ट्रैक्टर के परखच्चे उड़ गये। वहीं उसमें सवार चारों किसान गंभीर रूप से घायल हो गये।
यही नहीं ट्रैक्टर में टक्कर मारने के बाद अनियंत्रित ट्रक ने वहां से निकल रही एक महिला दीपा शर्मा (45) पत्नी राजेश शर्मा निवासी आदर्श नगर को रौंदता हुआ निकल गया, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गयी। इसके बाद चालक व क्लीनर ट्रक को वहीं छोड़कर मौके से भाग गये। वहीं राहगीरों की सूचना पर पहुँची थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर घायलों को सीएचसी बिधूना में भर्ती कराया है। जहां से चारों घायलों को गंभीर हालत में रिम्स सैंफई के लिए रेफर कर दिया गया है।
घटना के बाद लगभग एक घंटे तक मार्ग पर लम्बा जाम लगा रहा। जिससे बेला-बिधूना मार्ग बाधित रहा। मौके पर क्षेत्राधिकारी बिधूना महेन्द्र प्रताप सिंह, कोतवाल बिधूना जीवाराम यादव, थानाध्यक्ष बेला सुरेश चंद्र पहुँचे। क्षेत्राधिकारी बिधूना ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर व घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। ट्रक चालक व क्लीनर फरार है।
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KANPUR : अनुष्का शर्मा ने बॉलीवुड में अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं। 2018 उनके लिए बेहद खास रहा। इस साल उनकी फिल्म परी आई, जो काफी पसंद की गई। वहीं दूसरी तरफ उनकी फिल्म सुई धागा भी कामयाब रही है। अब उनकी तीसरी फिल्म जीरो आ रही है और वह भी दिसंबर में। एक इंवेंट के दौरान जब अनुष्का से पूछा गया था कि वह अपने 10 साल के सफर को किस तरह देखती हैं?
ऐसा लग रहा है कि मेरे लिए यह पूरे जीरो की तरह है। मेरा करियर का पॉजिटिवली रूप से जीरो की तरह एक सर्किल पूरा हो रहा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि फिल्म में आफिया का कैरेक्टर लोगों को बेहद पसंद आएगा।
अनुष्का ने जीरो के कैरेक्टर को लेकर कहा कि मुझे इस फिल्म से बहुत कुछ अलग करने का मौका मिला है। यह मेरे करियर की सबसे टफ फिल्म है। मैं रियल लाइफ में बहुत बबली सी लड़की हूं। लेकिन सेरेबल पैलेस नाम की बीमारी की वजह से पूरी फिल्म में चेयर पर ही बैठना पड़ा है। बता दें कि इस फिल्म में अनुष्का, वर्टिकली चैलेंड लड़की का कैरेक्टर प्ले कर रही हैं।
मेरे लिए जीरो फिल्म से एक सर्किल पूरा हो रहा है। मेरे करियर की पहली फिल्म रब ने बना दी जोड़ी भी दिसंबर महीने में ही रिलीज हुई थी।
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बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र के तहत कुवारी गांव के पास पिंडर की सहायक नदी शंभू में पहाड़ से मलबा गिरने से झील बन गयी है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि झील से किसी तरह का खतरा नहीं है।
बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र के तहत कुवारी गांव के पास पिंडर की सहायक नदी शंभू में पहाड़ से मलबा गिरने से झील बन गयी है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि झील से किसी तरह का खतरा नहीं है। नदी में पानी का बहाव जारी है। कपकोट के एसडीएम पारितोष वर्मा ने भी रविवार देर रात बताया कि भूस्खलन के मलबे से नदी का बहाव थोड़ा सा प्रभावित हुआ है और खतरे की कोई बात नहीं है।
उन्होंने बताया कि कुवारी गांव में वर्ष 2013 की आपदा के समय से ही भूस्खलन हो रहा है, इससे पिंडारी नदी की सहायक नदी शंभू के थोड़े से क्षेत्र में पानी जमा हो गया है। वर्मा ने कहा, भूस्खलन का मलबा नदी में गिर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि पूरी नदी रुक गयी है। मलबे ने नदी के बहाव को थोड़ा बाधित किया है और थोड़े से क्षेत्र में पानी एकत्र हो गया है।
शंभू नदी इस स्थान कुछ दूरी पर पिंडर नदी में मिल जाती है। उन्होंने कहा कि झील से गांव को खतरा नहीं है, क्योंकि गांव काफी ऊपर है। हालांकि, उन्होंने कहा कि लगातार भूस्खलन होने से गांव से विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एसडीएम ने बताया कि अतिसंवेदनशील रूप में चिह्नित 18 परिवारों के विस्थापित करने का धन प्रशासन के पास आ गया है और उनमें से 10-12 परिवारों ने विस्थापन शुरू भी कर दिया है। बताया कि कुवारी गांव के 70-75 परिवारों को विस्थापन के लिए चिह्नित किया गया है।
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तीमरे अंतर को हम कच्छप काल कहेंगे । इमी काल में धरती पर फूलनेवाले पौधे लगे और रीढ़वाले जनुओं का आरभ हुआ । इस काल में सबसे बड़ी बात यह हुई कि उभयचरों का भी इसी समय आरंभ हुआ। उस समय समुद्र में भयानक मछलिया उत्पन्न हो चुकी थी और उभयचारी पशुओं का विकास हो चुका था। मंढक आदि का यही समय था ।
५ स्थलचरों का विकास
जिम युग के पत्थर के कोयले की बड़ी-बड़ी विस्तृत चट्टाने भूगर्भ में पड़ी हुई है उसमें इस धरतीपर ऋतु बहुत ही अनुकुल थी । न अत्यत ढडा था न बड़ी कड़ी गरमी थी । धगतल पर निरंतर वसत ऋतु का सुहावना समा था । आज कल के मे पेड़ न
थे । घास-फूस के बड़े बड़े विशालकाय पौधे थे जिन से वन में घना धेरा रहा करता था । इन महायनों में जुड़े हुए पायांवाले सूखी धरती से चढाई करनेवाले कीड़े-मकोड़े भरे रहते थे। कनखजूरं, मकड़े, बिच्छू आदि की तरह के असख्य प्राणी थे और इन के भी भोजन कर जानेवाले, जल-स्थल दोनों में विचरनेवाले अनेक जीव थे । कोड़े-मकोड़े पौधों की बीजों को और फूलों के केशरी और परागों को मिलाने में बरावर सहायता किया करते थे जिस से नये पौधों की उत्पत्ति होती थी। इस तरह चरी और अचरी दोनों का विकास साथ साथ चलता था और दोनों परस्पर सहायक थे । इसी कोयली के युग में रंगीन फूलों की उत्पति और विकास का समय समझना चाहिये । इस समय के जल-स्थल या उभयचर आज-कल के गधों के से बड़े आकार के होते थे। इन्हीं बड़े-बड़े जगलां के दब जाने से और बड़वानल से झुलस जाने से पृथ्वी के गर्भ मे कोयले के विशाल स्तर हो गये । इसी युग के आरंभ में उभयचरी ने जल के अतिरिक्त, स्थल के लिए उपयुक्त इडियो का विकास किया। मास लेने के लिए फफड़े, तीन घरोवाला हृदय, हिलने-डोलनेवाली जीभ कान के ढोल और ांखों को ढकने के लिये पलके, उभयचारी के लिये आवश्यक हो गयीं। मेंढक के शरीर का विकास आज भी इन बातों का गवाह है। जल में रहते हुए शब्द की जो कमी थी वह पूरी हुई। स्वरयंत्र का विकास हुआ। ऐसा अनुमान किया जाता है कि पहले करोड़ों वरम तक इस धरातल पर बिजली, तूफान, जलप्रपात और लहरी के शब्दो को छोड़कर और किसी तरह का प्राणियों का शब्द सुनने में नहीं श्रा सकता था। कुछ कीड़ो के बजाने के शब्द के सिवाय इस युग में पहले शब्द उभयचारियों के थे। मेंढकों ने अपनी मेंढकियो को बुलाना आरंभ किया। फिर माता पिता ने बच्चों को जोखिम से सावधान करने के लिये शब्द निकाले। फिर बच्चे ने माता-पिता को पुकारना शुरू किया। फिर धीरे-धीरे पक्षी चहचहाने लगे। भाबी का उदय हुआ और भाति-भांति के स्वर निकलने लगे। धीरे-धीरे स्वरों और व्यंजनों का विभाग हुआ और शब्द बनने लगे। "भोजन" "जोखिम" "घर" "मुम्ब" और "दुःख" का प्रकाश होने लगा। और भाषा का विकास
आरंभ हुआ। इसी काल में पतली या कटी कमरवाले कीड़े पैदा हुए और बड़े । श्रारभ में |
कैसे इनका अभाव कहते हो ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! यह सत्र जगत् विराट् पुरुष का शरीर है। जब वह आदि-विराट् ही उपजा नहीं, तो और की उत्पत्ति कैसे कहिये ? राम ने पूछा. हे मुनीश्वर जगत् का सद्भाव तो तीनों कालों में पाया जाता है, पर तुम कहते हो कि उपजा ही नहीं । वशिष्ठजी बोले, हे राम! जैसे स्वप्न में जगत् के सव पदार्थ प्रत्यक्ष दिखते हैं, पर कुछ उपजे नहीं। जैसे मृगतृष्णा का जल आकाश में द्वितीय चन्द्रमा और संकल्पनगर भ्रम से दिखता है, वैसे ही अहं त्वं आदि जगत् भ्रम से दिखता है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! अहं त्वं आदि जगत् दृढ़ भासित होता है, तब कैसे जानिये कि उपजा नहीं ? वशिष्ठजा बोले हे राम! जो पदार्थ कारण से उपजता है. निश्चय सत्य जाना जाता है। जब महाप्रलय होता है तब कारणकार्य कुछ नहीं रहता, सब शान्तरूप होता है, और फिर उस महाप्रलय से जगत् प्रकट होता है। इसी से जाना जाता है कि सव आभासगात्र है। राम ने पूछा, हे मुनीश्वर ! जब महायलय होता है, तब अज और अविनाशी गत्ता शेष रहती है। इसमे जाना जाता है कि वही जगत का कारण है। वशिष्ठजी बोले. हे राम! जैसा कारण होता है. वैसा ही उसका कार्य होता है. उससे उल्टा नहीं होता । जो आत्मसत्ता अद्वैत और आकाशरूप हैं तो जगत् भी वही रूप है। जैसे घट से पट नहीं उपजता. वैसे ही और कुछ नहीं उपजता ।
राम ने पूछा है भगवन् ! जब महाप्रलय होता है, तब जगत् सूक्ष्मरूप होकर स्थित होता है, और उसी से फिर प्रवृत्ति होती है। वशिष्ठजी बोले, हे निष्पाप राम महाप्रलय में जो तुमने सृष्टि का अनुभव किया, वह कैसी होती है ? राम बोले, हे भगवन् ! इतिरूप सत्ता ही वहाँ स्थित होती है और तुम जैमों ने अनुभव भी किया है कि वह चिदाकाशरूप है । सत्य और असत्य शब्द से नहीं कहा जाता । वशिष्ठजी बोले, हे महावाहु ! जो ऐसे हुआ तो भी जगत् तो ज्ञप्तिरूप हुआ इसलिए वह जन्म-गरण से रहित शुद्ध ज्ञानरूप है । राम ने पूछा, हे भगवन् ! तुम कहते हो कि जगत् उत्पन्न नहीं हुआ, भ्रममात्र है, तो
वह भ्रम कहाँ से आया ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! यह जगत् चित् के फुरने से भासित होता है। जैसे-जैसे चित्त फुरता है, वैसे ही वैसे यह भी भासित होता है। इसका और कोई कारण नहीं है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो यह चित्त के फुरने से दिखता है, तो यह परस्पर विरुद्ध कैसे दिखता है कि अग्नि को जल नष्ट करता है और जल को अग्नि नष्ट करती हैं ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! जो द्रष्टा पुरुष है, वह दृश्यभाव को नहीं प्राप्त होता । और ऐसी कुछ वस्तु नहीं, मानरूप आत्मा ही चैतन्यघन सर्वरूप होकर भासित होता है।
राम ने पूछा, हे भगवन् ! चिन्मात्रतत्त्व आदि-अन्त से रहित है। और जब वह जगत् को चिताता है, तब होता है, पर तो भी तो वह कुछ हुआ। जगत्रूप चैत्य को असंभव कैसे कहिये ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! इसका कारण कोई नहीं, इससे चैत्य असंभव है। चेतन्य सदा मुक्त और अवाच्यपद है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो इस प्रकार है तो जगत् और तत्त्व कैसे प्रकट होते हैं, और अहं त्वं आदिक द्वैत कहाँ से आये ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! कारण के अभाव से यह जगत् कुछ आदि से उपजा नहीं, सब शान्तरूप है। और नाना जो भासित होता है, सो भ्रममात्र है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! सर्वदा प्रकाशरूप निर्मलतत्त्व निरुल्लेख और अचलरूप है। आपमें भ्रान्ति कैसे है और किसको है ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! निश्चय करके जानो कि कारण के अभाव से भ्रान्ति कुछ वस्तु नहीं । अहं त्वं आदिक सब एक अनामय सत्ता स्थित है। राम ने पूछा, हे ब्राह्मण ! मुझे भ्रम हो रहा है, इससे इस विषय में और अधिक प्रश्न करना नहीं जानता और अत्यन्त प्रबुद्ध भी नहीं, तो अब क्या पूछू ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! यह प्रश्न करो कि कारण बिना जगत् कैसे उत्पन्न हुआ ? जब विचार करके कारण का अभाव जानोगे, तब परम स्वभाव अशब्द पद में विश्रान्ति पाओगे ।
राम ने पूछा, हे भगवन् ! मैं यह जानता हूँ कि कारण के अभाव से जगत् कुछ उपजा नहीं, परन्तु चैत्य का फुरना भ्रम कैसे हुआ ?
वशिष्ठजी बोले, हे राम ! कारण के अभाव से सर्वत्र शान्तिरूप है । भ्रम भी कुछ दूसरी वस्तु नहीं। जबतक आत्मपद में अभ्यास नहीं होता, तब तक भ्रम भासित होता है और शान्ति नहीं होती। पर जब अभ्यास करके केवल तत्त्व में विश्रान्ति पाओगे तब भ्रग मिट जायगा । राम ने पूछा, हे भगवन् ! अभ्यास और अनभ्यास कैसे होता है, और एक अद्वैत में अभ्यास अनभ्यास की भ्रान्ति कैसे होती है ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! अनन्ततत्त्व में शान्ति भी कुछ वस्तु नहीं और जो आभास शान्ति दिखती है, वह महाचिघन अविनाशरूप है। राम ने पूछा, हे ब्राह्मण ! उपदेश और उपदेश के अधिकारी, ये जो भिन्न-भिन्न शब्द हैं. वे सर्वात्मा में कैसे आमित होते हैं। वशिष्ठजी बोले, हे राम उपदेश और उपदेश के योग्य, ये शब्द भी ब्रह्म में कल्पित हैं। शुद्ध बोध में बन्धन और मोक्ष दोनों का अभाव है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो आदि में कुछ उत्पन्न नहीं हुआ तो देश, काल, किया और द्रव्य के भेद कैसे दिखते हैं ? वशिष्ठजी बोले हे राम! देश काल. क्रिया और द्रव्य के जो भेद हैं. सो संवेदन दृश्य में है और अज्ञानमात्र भासित होते हैंअज्ञानमात्र से कुछ मिन्न नहीं । राम ने पूछा, हे भगवन् ! बोध को दृश्य की प्राप्ति कैसे हुई ? जहाँ द्वेत और एकता का अभाव है, वहाँ दृश्य भ्रम कैसे है ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! बोध को दृश्य की प्राप्ति और द्वैत एक का भ्रम मूखों का विषय है; हम जैसा का विषय नहीं है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! अनन्ततत्त्व तो केवल बोधरूप है. तव अहं त्वं हमारे मन में कैसे होता है ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! शुद्ध बोधसत्ता में जो बोध का जानना है, वह अहं त्वं द्वारा कहाता है। जैसे पवन में स्फुरण है वैसे ही उसमें चेतना जगती है। राम ने पूछा हे भगवन् ! जैसे निर्मल अचल समुद्र में तरङ्ग और बुलबुले उठते हैं, सो वे कुछ जल से भिन्न नहीं होते. वैसे ही बोध में बोधसत्ता से भिन्न कुछ नहीं । वह अपने आपमें स्थित हैं। वशिष्ठजी बोले हे राम! जो यह बात है तो किसका किसको दुःख हो ? एक अनन्ततत्त्व अपने आपमें स्थित और पूर्ण हैं । राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो वह एक और निर्मल हैं तो अहं त्वं |
नई दिल्ली। महज सात साल पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में बनी आम आदमी पार्टी ने दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी को दिल्ली में करारी मात दी है. इस तरह से बीजेपी की दिल्ली में 22 साल के सत्ता के वनवास को खत्म करने की कोशिशें धरी की धरी रह गईं. इस तरह से बीजेपी का वनवास 5 साल का इजाफा और हो गया है. बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने लगातार दूसरी बार शिकस्त दी और भाजपा दोनों बार डबल डिजिट भी पार नहीं कर सकी. दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की मिली प्रचंड जीत ने बीजेपी की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के गठन के महज सात साल हुए हैं. कह सकते हैं कि AAP का सियासी आधार दिल्ली तक ही सीमित है और थोड़ा बहुत पंजाब में है. वहीं, बीजेपी के 12 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं और मौजूदा समय में बीजेपी या उसके सहयोगियों की 16 राज्यों में सरकार में है. ऐसे में बीजेपी ने दिल्ली की सल्तनत पर काबिज होने के लिए अपने सभी बड़े नेताओं ने प्रचार में उतारा था, लेकिन केजरीवाल के विजय रथ को नहीं रोक सके.
आम आदमी पार्टी के मुफ्त बिजली, पानी व महिलाओं को डीटीसी में फ्री यात्रा के मुद्दे का बीजेपी कोई तोड़ नहीं निकाल सकी. हालांकि बीजेपी ने शाहीन बाग को भी मुद्दा बनाया और इसका उसे लाभ भी मिला, लेकिन इतना नहीं कि वह आम आदमी पार्टी से बराबरी का मुकाबला कर सके.
दिल्ली में बीजेपी जिस तरह से शाहीन बाग मुद्दे पर आक्रामक रही, उससे मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी के पक्ष में एकजुट हो गया, जिसने करीब एक दर्जन सीटों को प्रभावित किया. वहीं, केजरीवाल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह को भी अपनाया और उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया. इससे वह हिंदू वोटों का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण होने से भी रोकने में सफल रहे.
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार के चुनाव को प्रतिष्ठा का चुनाव बनाकर लड़ा. गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में भाजपा ने गली-कूचे तक पहुंचकर आम आदमी पार्टी को बराबरी की टक्कर देने की कोशिश की. दिल्ली चुनावों में पीएम मोदी ने दो जनसभाएं कीं और गृहमंत्री अमित शाह ने करीब 50 रैलियां और रोड शो किए. शाह ने डोर टू डोर कैंपेन भी किया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 30 आम सभाएं कीं. वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 25 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 10 रैलियों को संबोधित किया.
मुख्यमंत्रियों की बात करें तो बीजेपी के फायरब्रांड नेता और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में 15 रैलियों को संबोधित किया. हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कई रैलियां कीं. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी दिल्ली में पार्टी के लिए कैंपेन किया. इसके अलावा कई और मंत्री और मुख्यमंत्रियों के आक्रामक प्रचार के बावजूद बीजेपी दहाई के अंक को पार नहीं कर सकी. 2015 में बीजेपी ने 3 सीटें जीती थीं, तो इस बार पार्टी 8 सीटों तक पहुंच सकी.
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिलीं और उसे दिल्ली में 54 फीसदी वोट मिले. 2015 के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर 32 से बढ़कर 38 तक पहुंचा, लेकिन इससे उसकी सीटें ज्यादा नहीं बढ़ीं. बीजेपी को सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली. इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल सकी. खास बात तो यह रही कि कांग्रेस की 67 सीटों पर जमानत जब्त हो गई.
दरअसल, बीजेपी की रणनीति दिल्ली में दस फीसदी वोट बढ़ाने की थी, लेकिन वह साढ़े छह फीसदी वोट ही बढ़ा सकी. कांग्रेस भी थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करती तो बीजेपी की राह आसान होती, क्योंकि कांग्रेस आम आदमी पार्टी का वोट काट सकती थी. लेकिन यह सब रणनीति सफल नहीं हो सकी. बीजेपी को तीनों नगर निगम में सत्ता में होने और सभी सात लोकसभा सांसदों के होने का भी कोई लाभ नहीं मिल सका. दिल्ली के चार संसदीय क्षेत्रों में तो बीजेपी का खाता भी नहीं खुला.
गौतम गंभीर के संसदीय क्षेत्र पूर्वी दिल्ली में चार, प्रदेश अध्यक्ष व उत्तर पूर्व दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी के क्षेत्र में तीन और उत्तर पश्चिम दिल्ली के सांसद हंसराज हंस के क्षेत्र में एक सीट मिली है. दिल्ली के नतीजे बीजेपी के लिए चिंता से ज्यादा चिंतन का विषय हैं. बीजेपी में अब नया नेतृत्व आ गया है. यह असफलता बीजेपी के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा के सिर तो नहीं बंधेगी, लेकिन उनको अब दिल्ली का तोड़ निकालना होगा तभी दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी का भारत के दिल पर काबिज होने का सपना साकार हो सकेगा.
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वाले घोंघे, झींगुर आदि जन्तुओं का विकास हुआ। फिर इनसे जल और स्थल दोनों जगह रहने वाले मेडक, मछली, छिपकली, तथा फिर कई लाखों सालों में सांप, गोह, मगरमच्छ आदि बने । इन से पीछे हाथी, घोड़े, और लंगूर आदि की सृष्टि हुई। लंगूर से बन्दर, बन्दर से बनमानुस और सब से अन्त में मनुष्य की सृष्टि हुई ।
मनुष्य की सृष्टि सब से अन्त में हुई । आज की अपेक्षा पहले जीवों के शरीर की रचना सरल थी और उनके अंग थोड़े थे तथा मस्तिष्क का तो नाम भी न था । पीछे से विकास होते होते जीवों के अंग बन गए और मस्तिष्क भी बढ़ता गया और अन्तिम जीव मनुष्य की रचना सब से पेचीदी और पूर्ण है उसका दिमाग भी अन्य जीवों की अपेक्षा बहुत अधिक विकसित हो चुका है।
ऊपर दिए हुए विकास के क्रम को बुद्धि एक दम नहीं मानती। परन्तु यदि हम प्रकृति के ढंग का सूक्ष्मता से अवलोकन करें तो इस के न मानने का कोई कारण नहीं रह जाता। आइए, ज़रा हम अपनी गाड़ियों की रचना का इतिहास देखें । सब से पहले बिना पहिए की गाड़ी की रचना मनुष्य ने की। अंग्रेजी में एक कहावत है कि
ही आविष्कार की जननी है। पहली गाड़ी तेज़ नहीं चल सकती थी और उसे खींचने मे बल भी बहुत लगता था । इस लिए गाड़ी में पहिए लगाए गए। उसके बाद पहिए पर स्प्रिंग और ग्रीज़ तथा बैठने के लिए गद्दे और छत लग गई। परन्तु यह गाड़ियाँ भी धीमी साबित हुई, इस लिए अपने आप ही रेल गाड़ी, मोटर का विकास हुआ। पानी में चलने के लिए स्टीमर और हवा में उड़ने के लिए हवाई जहाज़ तथा पहाड़ों जैसी ऊबड़ खाबड़ जगहों पर चलने के लिये टैंक बने ।
पहले वाहनों की अपेक्षा पिछले वाहन अधिक पंची और उपयोगी तथा पूर्ण बनते गए। गाड़ियों मे जो विकास हुए हैं, उनमें दो बातें मुख्य थीं । एक तो वे अधिक-अधिक पूर्ण अर्थात् उपयोगी बनते गए और दूसरा परिस्थितियों के अनुसार उनके अंगों में भेद होता गया अर्थात् जल स्थल, व श्राकाश मे जाने वाले वाहनों के अंगों का विकास अलग अलग ढंग से हुआ। आज भी बर्फ पर चलने वाली गाड़ी के पहिए नहीं है।
ठीक यही बात वैज्ञानिकों के मतानुसार प्राणियों के विकास में हुई। भिन्न भिन्न प्राणियों को जिन जिन परिस्थितियों में रहना पड़ा । उसो प्रकार उन के अंग विकसित होते गए। जल मे रहने वाले प्राणियों के पर और पूँछ, स्थलवासियों की टागे और आकाश में उड़ने वाले पक्षियों के पंखों का विकास हुआ । परिस्थितियों के अनुसार जिस अंग की आवश्यकता हुई, वह निकल आया और व्यर्थ अंग नष्ट होते गए ।
विकासवाद के जन्मदाता डार्विन है । हम पहले कह चुके हैं कि पानी के प्रवाह से चट्टाने टूट कर मिट्टी बनती गई और नीचे स्थानों मे भरती गई। एक के ऊपर दूसरी मिट्टी के तहे वनती गई । इन तहों मे खोदने पर पिछले जमाने के प्राणियों के अस्थि-पंजर मिलते हैं। नीचे की तहों मे पहले जीवों के अस्थिपंजर मिलते हैं और ऊपर की तहों से क्रमशः विकास पाए हुए जीवों की उत्पत्ति के प्रमाण मिलते हैं, यह पंजर हमारे लिए सृष्टि के इतिहास के पृष्ठ है तथा डार्विन के विकासवाद के मूर्त प्रमाण हैं ।
( १ ) विभिन्न जातियाँ.
पहले कभी संसार में एक ही मानव जाति रही होगी, लेकिन विभिन्न प्रदेशों में बस जाने के कारण बहुत समय बाद वह भिन्न भिन्न जातियों में बट गई । इस समय संसार के मनुष्य निम्न जातियों में बँटे हुए हैं।
हबशी - - ये लोग रेगिस्तान के दक्षिण मे अफ्रीका महाद्वीप में बसे हुए हैं। हबशी जाति के लोग मलय प्रायद्वीप, फिलीपाइन प्रायद्वीप, न्यूगिनी और आस्ट्रेलिया में पहुँच गए। जिन दिनों मे योरुप के लोगों ने गुलामों को बेचने का पेशा बना रखा था, उन दिनों में अफ्रीका के बहुत से लोग पकड़ लिए गए और नई दुनियाँ में बेच दिये गये । इस तरह लगभग तीन करोड़ हबशी लोग उत्तरी अमरीका के गरम भागों में बसे हुए हैं।
इस जाति के लोगों का सिर लम्बा होता है। उनकी नाक चपटी और चौड़ी होती है। उनके होंठ मोटे और मुड़े हुए होते है। उनकी आँखे बड़ी होती हैं। उनके बाल छोटे काले और ऊन के समान घूंघर दार होते हैं। उनका क़द लम्बा और गठीला होता है। रंग प्रायः काला होता है।
मंगोलियन या पीली इस जाति के लोगों का निवासस्थान 'हिमालय के उत्तर मे हैं। यहाँ से वे हिन्दु चीन (इण्डोचाइना) चीन, जापान, मलय प्रायद्वीप, तुर्किस्तान आदि में फैल गये। उनका. सिर छोटा और नाक बैठी हुई होती है। उनके होंठ पतले और आँखें तिरछी होती हैं। कहा जाता है कि इस्किमो और अमरीका के मूल
निवासी तुर्क और हँगरी के मेगायर लोग भी इसी जाति के हैं। रंग के अनुसार अमरीका के मूल निवासी लाल जाति मे गिने जाते हैं। लाल जाति के लोग प्रायः पीले होते हैं !
काकेशियन लोग - -गोरे होते हैं। ठंठ गोरं लोग रूप में बसे हुए हैं। पर ऐशिया के लोग काकेशियन जाति के होते हुए भी भूरे या गेहुए रंग वालों में गिने जाते हैं ।
इन वडी वडी जातियों की अनेक उपजातियाँ है । धर्मों के अनुसार योरुप और अमरीका के अधिकांश लोग ईसाई, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका के लोग मुसलमान, दक्षिणी पूर्वी एशिया के लोग बौद्ध, भारतवर्ष के हिन्दू है ।
अफ्रीका, आस्ट्रेलिया आदि संसार के बहुत से भागा के लोग प्रकृति के उपासक हैं।
दूसरा अध्याय भौगोलिक परिचय
पांच महासागर
हम पिछले अध्याय में पढ़ आये हैं कि इस विशाल पृथ्वी और मानव प्राणी का जन्म कैसे हुआ । पृथ्वी के इस स्थूल रूप से आने के बाद भी उसमें समय समय पर परिवर्तन होते रहे । भूमि के अन्नवर्ती ज्वालामुखी, भूकम्प और पानी का बहाव आदि के कारण पृथ्वी मे भारी परिवर्तन हुए। जहाँ जल था, वहाँ बड़े बड़े विशालकाय पर्वत वन गये और जहाँ पहले बड़े बड़े पहाड़ थे, यहाँ व सागर हिलोरें मार रहा है। हिमालय, ऐल्पस आदि पहाड़ भी किसी समय समुद्र थे । संपूर्ण भारत और यूरोप का भारी भाग भी जल मग्न था । लाखों करोड़ों सालों के परिवर्तनों के बाद का यह
बना है और यह नहीं कहा जा सकता कि लाखों साल बाद क्या रूप होगा । आज कल समस्त भूमण्डल का नेत्रफल प्रायः १९ करोड़ २० लाख वर्ग मील है । इसमें स्थल भाग सिर्फ ५, ७०,००,००० वर्ग मील है, शेष विशाल भाग जल है। इस प्रकार पृथ्वी में ७१ फ़ीलही जल और २६ फ़ोसड़ी स्थल है। स्थल का सबसे बड़ा भाग उत्तरी गोलाई में है, पर ४० अक्षांश के दक्षिा में न्यूजीलैट टसमेनिया, तथा अन्य छोटे छोटे द्वीप और टिका प्रदेश को छोड़कर |
अगर आपके जीवन में आर्थिक समस्याओं ने घर कर लिया है तो होली पर चंद्र उपाय आपकी सारी परेशानियों को दूर करने में मददगार होगा। इसके लिए बहुत ही सरल उपाय करने होंगे।
होली की रात में चंद्रोदय होने के बाद अपने घर की छत पर या खुली जगह, जहां से चांद नजर आए, पर खड़े हो जाएं। फिर चंद्रमा का स्मरण करते हुए चांदी की प्लेट में सूखे छुहारे और कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ अगरबत्ती या धूप अर्पित करें।
अब दूध को अर्घ्य दें। इसके बाद कोई सफेद प्रसाद तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। अंत में चंद्रमा से आर्थिक संकट दूर कर समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखाना बच्चों में बांट दें।
फिर लगातार आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा की रात चंद्रमा को दूध का अर्घ्य अवश्य दें। कुछ ही दिनों में आप महसूस करेंगें कि आर्थिक संकट दूर होंगे और समृद्धि निरंतर बढ़ रही है।
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इंडिया न्यूज़, नई दिल्लीः
IPL 2022 का 65वां मुकाबला मुंबई इंडियंस और सनराइज़र्स हैदराबाद के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला जाएगा। इस साल इन दोनों ही टीमों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। मुंबई इंडियंस की टीम के लिए तो यह साल किसी बुरे सपने से कम नहीं है।
मुंबई इंडियंस ने इस सीजन में अपने शुरूआती 8 मैच हारकर एक शर्मनाक रिकॉर्ड अपने नाम किया है। इससे पहले आईपीएल की कोई भी टीम अपने पहले 8 मुकाबले लगातार नहीं हारी थी। लेकिन यह शर्मनाक रिकॉर्ड मुंबई ने अपने नाम कर लिया है।
हालांकि इससे अगले 4 मुकाबलों में से मुंबई इंडियंस की टीम ने 3 मुकाबले जीते हैं। लेकिन फिर भी मुंबई की टीम इस साल पॉइंट्स टेबल में अब तक सबसे नीचे है। वहीं हैदराबाद के लिए भी सीजन की शुरुआत अच्छी नहीं थी। अपने शुरूआती 2 मैच हारने के बाद हैदराबाद ने शानदार वापसी की थी और अगले 5 मुकाबले लगातार जीते।
लेकिन इसके बाद फिर हैदराबाद की टीम जीत की पटरी से उतर गई और लगातार 5 मुकाबले हार गई। हैदराबाद की टीम इस समय पॉइंट्स टेबल में आठवें स्थान पर है। हैदराबाद को प्लेऑफ की रेस में बने रहने के लिए मुंबई को इस मैच में बड़े अंतर से हराना होगा।
इस मैच का सीधा प्रसारण डिज्नी+हॉटस्टार और स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क पर किया जाएगा। यह मैच भारतीय समयनुसार शाम 7:30 बजे शुरू होगा और मैच से आधा घंटा पहले टॉस होगा।
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नई दिल्ली। भीषण सर्दी से ठिठुर रही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश व पंजाब समेत उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत के लोगों को 19 जनवरी के बाद से कुछ राहत मिलने की संभावना है। पहाड़ों से आ रही बर्फीली हवाओं से इन इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। आईएमडी ने बताया कि आज सुबह 8. 30 बजे सफदरजंग का तापमान 2. 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और पालम का 4. 8 डिग्री दर्ज किया गया। मंगलवार धूप निकलने के साथ ही एक बार फिर मौसम बेहद सुहाना हो गया है। हालांकि कोहरे के कारण उत्तर भारत में कई ट्रेनें लेट हुईं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोग ट्रेनों का इंतजार करते देखे गए।
बता दें कि सोमवार को दिल्ली के मुख्य मौसम विज्ञान केंद्र सफदरजंग में न्यूनतम तापमान 1. 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इससे 16 जनवरी राजधानी में इस सीजन का सबसे ठंडा दिन रहा। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, दिल्ली में मंगलवार को न्यूनतम तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है। विभाग के मुताबिक, 18 और 20 जनवरी की रात पश्चिमी विक्षोभ के चलते गुरुवार से सर्दी कुछ कम होनी शुरू होगी। हालांकि, घने कोहरे से लगभग मुक्ति मिल जाने की उम्मीद है।
जन्मदर घटने से चिंता में चीन!
बीजिंग। चीन की जनसंख्या में साल 1961 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। चीन में अब नकारात्मक जनसंख्या ग्रोथ शुरू हो गई है। बता दें कि चीन में मरने वालों का आंकड़ा, पैदा होने वाले बच्चों से अधिक है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के अंत में देश की जनसंख्या 1. 41175 अरब थी जो कि साल 2021 के 1. 41260 अरब के मुकाबले कम है। चीन में कई दशकों तक जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू रही और माना जा रहा है कि उन जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के चलते ही देश की जनसंख्या में गिरावट आ रही है। हालांकि गिरती जनसंख्या से चीन की सरकार चिंतित है और वह देश की आबादी को फिर से बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रही है लेकिन किसी का भी सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आ रहा है।
आबादी में गिरावट, बुजुर्ग होती आबादी और जनसांख्यिकी में आ रहे बदलावों को रोकने के लिए चीन की सरकार कई नीतियां लेकर आई है, जिससे लोग एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित हो जिनमें आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा शामिल है, लेकिन इसके बावजूद चीन की आबादी नहीं बढ़ पा रही है। साल 2021 में चीन में जन्मदर 7. 52 बच्चे प्रति एक हजार लोग थी लेकिन बीते साल यह घटकर 6. 77 बच्चे प्रति एक हजार हो गई। इससे चीन की जनसंख्या में 10 लाख से ज्यादा बच्चे कम पैदा हुए। इतना ही नहीं चीन में मृत्युदर भी साल 1976 के बाद सबसे ज्यादा है। चीन में 2022 में मृत्युदर 7. 37 मौते प्रति एक हजार लोग रही। बुजुर्ग होती जनसंख्या के चलते चीन के सरकारी खजाने पर भी बोझ बढ़ रहा है और चीन की सरकार को बुजुर्गों की देखभाल और पेंशन आदि पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह खर्च और बढ़ेगा।
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के दूसरे दिन की शुरुआत भी काफी हंगामेदार रही। आज भी दिल्ली विधानसभा में शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोकने के मामले में जोरदार हंगामा देखने को मिला। सीएम अरविंद केजरीवाल ने सदन में एलजी को टीचर्स ट्रेनिंग की फाइल रोकने पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि एलजी साहब संविधान व सुप्रीमकोर्ट की भी नही सुन रहे। वह आम आदमी की सरकार को काम नही करने दे रहे।
केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यापल के ंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर दिल्ली की चुनी सरकार को परेशान कर रहे है। उन्होंने कहा ऐसा लगता जैसे वह दिल्ली से चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं।
इससे पहले सदन में बीजेपी विधायकों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया, वहीं मार्शल के जरिए बीजेपी विधायक ओपी शर्मा , जितेंद्र महाजन ,अजय महावर को सदन से बाहर किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने आज पूरे दिन के लिए बीजेपी के 6 सदस्यों को सदन से बाहर निकाला।
मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन टैक्स नहीं चुकाने के मामले मेेंं सुर्खियों आ गई है। ऐसी जानकारी मिली है कि ऐश्वर्या राय बच्चन को उनकी जमीन पर बाकी टैक्स जमा नहीं करने की वजह से नासिक के तहसीलदार ने नोटिस भेजा है।
ऐश्वर्या राय को नोटिस सिन्नर (नासिक) तहसीलदार की तरफ से भेजा गया है। नासिक के सिन्नर के अदवाड़ी शिवरात में एक्ट्रेस की जमीन है। इस जमीन का एक साल का टैक्स बाकी है, जो 21,960 रुपये है, इसे एक्ट्रेस ने जमा नहीं किया है, इसी बकाया टैक्स के चलते तहसीलदार ने ऐश्वर्या राय के खिलाफ नोटिस जारी किया है। नोटिस 9 जनवरी को जारी किया गया था और ऐश्वर्या राय बच्चन को मिला या नहीं, इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। बताया जा रहा है कि ऐश्वर्या के पास सिन्नर के थानगांव के पास अदवाड़ी के पहाड़ी इलाके में करीब 1 हेक्टेयर जमीन है। जानकारी सामने आ रही है कि ऐश्वर्या पर इस जमीन का एक साल का टैक्स बकाया है, ऐश्वर्या के साथ ही 1200 अन्य संपत्ति मालिकों को भी टैक्स बकाया के लिए नोटिस जारी किया गया है। राजस्व विभाग द्वारा यह कार्रवाई मार्च के अंत तक, वसूली के लक्ष्य को पूरा करने के लिए की गई है, क्योंकि मार्च का महीना राजस्व विभाग के लिए क्लोजिंग का महीना होता है। हालांकि, ऐश्वर्या राय ने अभी इस मामले पर रिएक्ट नहीं किया है। ये भी बताया जा रहा है कि ऐश्वर्या ने पवन ऊर्जा उत्पादन करने वाली कंपनी सुजलॉन में निवेश किया है, ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ-साथ कई मशहूर हस्तियों ने भी पवन ऊर्जा कंपनी सुजलॉन में निवेश किया है।
नई दिल्ली। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी इस बार गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि होंगे। भारत और मिस्र के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के इस महत्वपूर्ण अवसर पर जश्न मनाने के लिए मिस्र के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया है।
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने पर विदेश मंत्रालय के सचिव औसाफ सईद ने कहा कि इस दौरान दोनों देशों के बीच आपसी गर्मजोशी और दोस्ती मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिलने के सिर्फ तीन दिन के बाद ही दोनों देशों ने औपचारिक संबंध स्थापित किए थे। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिस्र के राष्टï्रपति अब्देल फतह को गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, जिसका उन्होंने गर्मजोशी से स्वीकार किया।
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कर ज्ञान विशेषकों पृथक् पदार्थ मानीयें, तव तो पदार्थ बहुत हो जायेंगे, क्योंकि ज्ञान विशेष अनेक प्रकारकें हैं.
संशय से उपरि नवितव्यता प्रत्ययरूप सदर्थपर्यालोचनात्मक तिसकों तर्क कहते हैं, जैसे कि यह स्याणु अथवा पुरुष जरुर होवेगा, यहनी ज्ञान विशेषही है, ज्ञानविशेष जो है, सो ज्ञातासें अनिन्न है, इस वास्ते पृथक् पदार्थ कल्पना ठीक नहीं.
ए संशय अरु तर्कसेंती उत्तर काल नावी नियात्मक पैसा जो ज्ञान, तिसका नाम निर्णय है, यहनी ज्ञान विशेष है, यरु निश्चयरूप हो ऐसें प्रत्यक्षादि प्रमाणोंके अंतर्भाव होनेंसें पृथक् पदार्थ कल्पना ठीक नहीं.
१०-११-१२ तथा वाद, जल्प, वितंभा, तहां प्रमाण तर्क साधन उपालंन सिद्धांत अविरुद्ध पंचावयव करके संयुक्त पत्र प्रतिपक्षका जो ग्रहण करण, तिसका नाम वाद है. सो वादतत्त्व ज्ञानके वास्ते शिष्य अरु आचार्यका होता है, यरु सोइ वाद जिसकों जीतना होवे, तिसके साथ ढल, जाति, निग्रह स्थान करके साधनोपलंन, सो जल्प है, तथा सो वादही प्रतिष स्थापना करकेंदी वितंमा है, यह वाद, जल्प, विर्तमा, इन तीनोका नेद ही नहीं हो सक्ता है, क्योंकि तत्त्वचिंताविषे तत्त्वके निर्णयार्थ वाद क रनां चाहियें, परंतु बल जाति आदिक करके तत्त्वका निश्चय नहीं होता है, क्योंकि बलादिक जो हैं, सो परके वंचने वास्ते करियें हैं, तिनसें त त्व निर्णयकी प्राप्ति नहीं होती है, जे कर इनका जेदजी मानोगे, तोन! ये पदार्थ नहीं हो सक्के हैं, क्योंकि जो परमार्थसें वस्तु है, सोइ पदार्थ है. घरु वाद जो है, सो पुरुषकी इबाके अधीन है, नियतरूप नहीं है. इस वास्ते पदार्थ नहीं, तथा एक औौरनी बात है, कि कुक्कड, लाल, मोंढे, ३ नके वादी पक्ष प्रतिपक ग्रहण करते हैं, तिनोंकोंजी तत्त्वज्ञान की प्राप्ति होनी चाहियें, परंतु यह तुम नहीं मानते हो, इस वास्ते वाद पदार्थ नहीं है.
१३ तथा १ असिद्ध, २ अनेकांतिक, ३ विरुद्ध, यह तीनो हेत्वानास हैं. हेतु तो नहीं, परंतु हेतुकी तरें नासन होते हैं, इस वास्ते हेत्वानास कहते हैं. जब सम्यक् हेतुवोंकी ही तत्त्वव्यवस्थिति नहीं, तो हेत्वानासों का तो क्याही कहना है ? क्योंकि जो नियत स्वरूप करकें रहे, सो वस्तु |
देश के नए सीडीएस का ऐलान हो गया है। 9 महीने पहले हेलिकॉप्टर हादसे में तत्कालीन सीडीएस जनरल बिपिन रावत की मौत हो गई थी। उसके बाद से यह पद खाली था। बुधवार शाम को रक्षा मंत्रालय ने CDS पर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को नियुक्त करने की घोषणा की।
नई दिल्लीः लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) को बुधवार को नए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) के रूप में नियुक्त किया गया। जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद से ही यह पद रिक्त था। पद रिक्त होने के 9 महीने से अधिक समय बाद इस पर नियुक्ति की गई है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर लेफ्टिनेंट जनरल चौहान की नियुक्ति की घोषणा की।
मंत्रालय ने कहा कि 61 वर्षीय चौहान कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से सैन्य मामलों से जुड़े विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। लगभग 40 वर्षों से अधिक के अपने करियर में, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कई कमान, स्टॉफ और महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्हें जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों का व्यापक अनुभव हैं। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान पिछले साल मई में सेवानिवृत्त हुए थे। उस समय वह पूर्वी सेना कमांडर के रूप में कार्यरत थे।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था। उन्हें 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्रदान किया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। मेजर जनरल के रैंक में उन्होंने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी।
बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाली और सितंबर 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने। मई 2021 में सेवानिवृत्ति तक यह पदभार संभाला। इन कमान नियुक्तियों के अलावा वह महानिदेशक, सैन्य अभियान के प्रभार समेत महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया।
सेवानिवृत्त होने के बाद भी, उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है।
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को त्रिपिटक कहा गया है ) । ये अंग महावीर के गणधर सुधर्मा स्वामी रचित माने जाते हैं। बारहवें अंग का नाम दृष्टिवाद है जिसमें चौदह पूर्वो का समावेश है । यह लुप्त हो गया है, इसलिये आजकल ग्यारह ही अंग उपलब्ध हैं। इन अंगों के विपयों का वर्णन समवायाग और नन्दीसूत्र मे दिया हुआ है ।
आयारंग (आचारांग )
आचारांग सूत्र का द्वादश अंगों से महत्वपूर्ण स्थान है, इसलिये इसे अगों का सार कहा है। सामयिक नाम से भी इसका उल्लेख किया गया है। निर्जन्थ और निर्मन्धिनियो के आचार-विचार का इनमें विस्तार से वर्णन है। इसमें दो श्रुतरकंब है। प्रथम श्रुतस्कन में अध्ययन है जो बचेर ( ब्रह्मचर्य ) कहलाते है । इनमे १४ उद्देशक है। द्वितीय श्रुतस्कंध में १६ अध्ययन है जो तीन चूलिकाओं में विभक्त हैं। दोनों के विषय और वर्णनषैली देखकर जान पड़ता है कि पहला श्रुनरकन दूसरे की अपेक्षा अधिक मौलिक और प्राचीन है। मृ में परवाही श्रुतस्कंध था, बाद में भद्रबाहु द्वारा आचाराग पर नियुक्ति लिखते समय इससे आयाश्ग्ग ( चूलिका) लगा दिये गये । आचाराय की गणना प्राचीनतम जैन सूत्रों में की जाती है । यह गद्य और पदोनों में कुछ गाधाये अनुष्टुप् छद में इसकी भाषा प्राचीन प्राऊत का नमूना है। इस सूत्र पर भद्रबाहु ने नियुक्ति जिनदासगण ने चूर्णी और शीलांक ( ईसवी मन ८७६ ) ने टीका लिखी है। शीलांक की टीका गधहस्तिकृत शत्रपरिक्षा विवरण के अनुसार लिखी गई है। जिनहन
1 नियुक्ति और शीलाक की टीका महिन आगमोदय समिति द्वारा सन् १९३५ में प्रकाशित । इसका प्रथम श्रुतस्कघ वाल्टर शूलिंग द्वारा संपादित होकर हिप्जग मे सन् १९१० में प्रकाशित हुआ ।
२. अगाणं कि सारो ? आयारो । आधारांग १.१ की भूमिका । ३. मायाधम्मकहाओ, अध्ययन ५ ।
ने इस पर दीपिका लिखी है। हर्मन जैकोबी ने सेक्रेड बुक्स ऑन द ईस्ट के २२वे भाग में इसका अंग्रेजी अनुवाद किया है और इसकी खोजपूर्ण प्रस्तावना लिखी है।
शस्त्रपरिज्ञा नाम के प्रथम अध्ययन में पृथ्वीकाय आदि जीवों की हिंसा का निषेध है । लोकविजय अध्ययन में अप्रमाद, अज्ञानी का स्वरूप धनसंग्रह का परिणाम आशा का त्याग, पापकर्म का निषेध आदि का प्रतिपादन है । मृत्यु से हर कोई डरता है, इस सम्बन्ध में उक्ति है :नत्थि कालस्स णागमो । सव्वे पाणा पियाउया. सुहमाया, दुक्खपडिकुला, अपियवहा. पियजीविणो जीविउकामा । सव्वेमि जीवियं पिय ।
-- मृत्यु का आना निश्चित है । सब प्राणियों को अपनाअपना जीवन प्रिय है, सभी सुख चाहते हैं, दुःख कोई नहीं चाहता, मरण सभी को अप्रिय है, सभी जीना चाहते हैं । प्रत्येक प्राणी जीवन की इच्छा रखता है. सबको जीवित रहना अच्छा लगता है ।
शीतोष्णीय अध्ययन में विरक्त मुनि का स्वरूप, सम्यकदर्शी का लक्षण और कपाय-त्याग आदि का प्रतिपादन है। मुनि और अमुनि के सम्बन्ध में कहा है.
सुत्ता अमुणी, मया मुणिणो जागरंति ।" अर्थात अमुनि मोते है और मुनि सदा जागते हैं ।
१. मिलाइये थेरगाथा ( १९३ ) के साथ ---
न ताव सुपित होति रतिनक्खत्तमालिनी । पटिरजग्मेिवेसा रति होनि विजानता । -नपत्रों से भरी यह रात सोने के लिये नहीं। ज्ञानी के लिये यह रात जागकर ध्यान करने योग्य है ।
इसियुत्तक, जागरियसुस ( ४७ ) और भगवद्गीता ( २ ६९ ) भी देखिये ।
रति और अरति में समभाव रखने का उपदेश देते हुए कहा हैःका अरई ? के आणंडे ? इत्थंपि अग्गहे चरं । सव्वं हामं परिवज आलीनगुत्तो परिव्वाए ।। - क्या अरति है और क्या आनन्द है ? इनमें आसक्ति न रख कर संयमपूर्वक विचरण करे । सब प्रकार के हास्य का परित्याग करे, तथा मन, वचन और काया का गोपन करके संयम का पालन करें ।
सम्यक्त्व अध्ययन में तीर्थंकरभापितधर्म, अहिंसा, देहदमन, सयम की साधना आदि का विवेचन है । यहाँ देह को कृश करने, मांस और शोणित को सुखाने तथा आत्मा को दमन करने का उपदेश है ।
लोकसार अध्ययन मे कुशील-त्याग, संयम में पराक्रम, चारित्र, तप आदि का प्ररूपण हूँ। बाह्य शत्रुओ से युद्ध करने की अपेक्षा अभ्यन्तर शत्रु से जूझना ही श्रेष्ठ बताया है । इन्द्रियों की उत्तेजना कम करने के लिये रूखा-सूखा आहार करना, भूख से कम खाना, एक स्थान पर कायोत्सर्ग से खड़े रहना और दूसरे गाँव में बिहार करने का उपदेश है । इतने पर भी इन्द्रियों यदि वश में न हो तो आहार का सर्वथा त्याग कर दे, किन्तु स्त्रियों के प्रति मन को चंचल न होने दे ।
धूत अध्ययन में परीपह-सहन, प्राणिहिसा, धर्म में रति आदि विविध विषयों का विवेचन है। मुनि को उपधि का त्याग करने का उपदेश देते हुए कहा है कि जो मुनि अल्प वस्त्र रखता है अथवा सर्वथा वस्नरहित होता होता है, उसे यह चिन्ता नहीं होती कि उसका वस्त्र जीर्ण हो गया है, उसे नया वस्त्र लाना है। अचेल मुनि को कभी तृण स्पर्श का कष्ट होता है, कभी गर्मी सर्दी का और कभी दंशमशक का, लेकिन इन सब कष्टों को वह यही सोच कर सहन करता है कि इससे उसके कर्मों का भार हलका हो रहा है। |
दमदार एक्शन से भरपूर फिल्म है "नाम शबाना"
एक्शन में खासकर महिला किरदार के होने की वजह से फिल्म अलग है।
आज सिनेमा घरों में तापसी पन्नू, मनोज वाजोयी, ओमपुरी सरीखे सितारों से सजी फिल्म 'नाम शबाना' दर्शकों के बीच है। नाम शबाना का रियल एक्शन दर्शकों को देखने को मिलेगा।
एक्शन में खास कर महिला किरदार के होने की वजह से फिल्म अलग हो गई है। फिल्म में एक ही कमी है कहानी। अगर नीरज पांडेय ने थोड़ा और ध्यान दिया होता तो एक बेहतरीन फिल्म मिलती।
निर्देशक शिवम नायर ने मिली हुई स्क्रिप्ट के साथ न्याय किया है। उन्होंने एक्शन, माहौल और प्रस्तुति में कोई कोताही नहीं की है। पुरानी मूवी पिंक से लोगों के दिलों पर अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ चुकी तापसी पन्नू इस भूमिका में प्रभावित करेंगी।
मुख्य कलाकारः तापसी पन्नू, मनोज वाजपेयी, ओमपुरी, पृथ्वीराज सुकुमारन, अनुपम खेर ।
यह जानना रोचक होगा कि क्या नीरज पांडेय ने तापसी पन्नू को शबाना की पृष्ठभूमि के बारे में यही सब बताया था जो 'नाम शबाना' में है।
'नाम शबाना' के केंद्र में शबाना है। तापसी पन्नू को टाइटल रोल मिला है। युवा अभिनेत्री तापसी पन्नू के लिए यह बेहतरीन मौका है। उन्होंने लेखक नीरज पांडेय और निर्देशक शिवम नायर की सोच के मुताबिक शबाना को विदाउट मुस्कान सख्त जान किरदार के रूप में पेश किया है।
वह 'नो नॉनसेंस' मिजाज की लड़की है। जिंदगी के कटु अनुभवों ने उसकी मुस्कान छीन ली है। सहज इमोशन में भी वह असहज हो जाती हैं। यहां तक कि अपने प्रेमी तक को नहीं बता पाती कि वह उससे उतना ही प्यार करती हैं। मूवी में यह सभी घटनाक्रम बड़ी तेजी से घटता है।
वह अपने एटीट्यूड की वजह से सुरक्षा एजेंसी की नजर में आ जाती हैं। वे उसकी मदद करते हैं और बदले में उसका गुस्सा और जोश ले लेते हैं। सुरक्षा एजेंसी की कार्यप्रणाली बहस का विषय हो सकती है।
सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी स्पष्ट शब्दों में बता देते हैं कि मुस्लिम परिवेश की होने की वजह से शबाना उनके लिए अधिक काम की है। जाहिर है कि मजहब, नाराजगी और प्रतिरोध का फायदा दोनों पक्ष उठाते हैं आतंकवादी और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां।
नीरज पांडेय के लेखन में राष्ट्रवादी सोच की झलक रहती है। उनके किरदार देशहित में लगे रहते हैं। वे पुरानी फिल्मों के किरदारों की तरह देशभक्ति होड़ में नहीं चलते। इसी फिल्म में शबाना किडो में इंटरनेशनल अवार्ड लाना चाहती है।
तापसी पन्नू फिल्म दर फिल्म निखरती जा रही हैं। उन्हें दमदार भूमिकाएं मिल रही हैं और वह किरदारों के अनुरूप खुद को ढाल रही है।
किरदारों की बारीकियों को वह पर्दे पर ले आती हैं। उनके एक्सप्रेशन संतुलित और किरदार के मिजाज में होते हैं। 'नाम शबाना' में उन्होंने किरदार की स्फूर्ति और हिम्मत बनाए रखी है।
मनोज वाजपेयी कर्मठ व निर्मम अधिकारी के रूप में जंचे हैं। वे सचमुच बहुरुपिया है जैसा किरदार समेत वैसी भाव-भंगिमाएं। उनके पोर-पोर से संजीदगी टपकती है।
अक्षय कुमार ने फिल्म की जरूरत के मुताबिक छोटी भूमिका निभाई है जिसे कैमियो कहा जाता है। लंबे समय के बाद वीरेन्द्र सक्सेना दिखे और सही लगे।
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यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका के बीच अमेरिका ने भी बड़ी तैयारी कर ली है। यदि रूस की ओर से यूक्रेन पर अटैक किया जाता है तो बाइडेन प्रशासन की ओर से टेक प्रोडक्ट्स की सप्लाई पर रोक लगाई जा सकती है।
कॉमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर्स, सेमीकंडक्टर्स और एयरक्राफ्ट के पार्ट्स की सप्लाई इससे प्रभावित हो सकती है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि अमेरिका की ओर से उन कंपनियों के प्रोडक्ट्स की सप्लाई रोक लगाई जा सकती है, जिनके एक्सपोर्ट के लिए कंपनियों को अमेरिकी सरकार से मंजूरी लेनी होती है। इन लाइसेंसों की मंजूरी बाइडेन प्रशासन खारिज कर सकता है।
अमेरिका की रणनीति यह है कि लेजर, टेलिकॉम इक्विपमेंट्स से लेकर मैरीटाइम आइटम्स तक की सप्लाई पर रोक लगा दी जाए। मंगलवार को बाइडेन प्रशासन ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनमें यह शामिल नहीं है। अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'यदि पुतिन यूक्रेन से जंग में आगे बढ़ते हैं तो फिर हम भी आगे बढ़ेंगे। हमारी तरफ से आर्थिक प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही एक्सपोर्ट पर भी कंट्रोल हो सकता है। अभी हम इस पर ऐलान करने वाले हैं। ' अधिकारी ने कहा कि हम यह जानने की कोशिशकर रहे हैं कि कौन सी तकनीकी चीजों की जरूरत रूस को ज्यादा है। उन पर हम रोक लगाएंगे ताकि वह ज्यादा प्रभावित है।
यही नहीं अमेरिका की रणनीति दूसरे देशों को भी इन प्रतिबंधों में साथ लाने की है। अमेरिकी अफसर ने कहा, 'बड़ी संख्या में हमने देशों की लिस्ट तैयार की है, जो एक्सपोर्ट कंट्रोल के नियमों को लागू करेंगे। ' दरअसल अमेरिका की रणनीति यह है कि युद्ध की स्थिति में रूस की औद्योगिक उत्पादकता को प्रतिबंधों के जरिए कमजोर किया जा सके। खासतौर पर तकनीकी मामलों में रूस पर इन प्रतिबंधों को लगाने की तैयारी की जा रही है।
इस बीच जापान ने भी रूस पर कई पाबंदियां लगाने का ऐलान कर दिया है। जापान में रूसी बॉन्डों को जारी करने पर लगा दी गई है। इसके अलावा कई रूसी नागरिकों की संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया गया है। यही नहीं जापान आने-जाने पर भी रोक लगाई गई है। जापान ने कहा कि रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला किया है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। हम इन कदमों कती कड़ी निंदा करते हैं और रूस से अपील करते हैं कि वह कूटनीतिक तरीकों से मसलों का हल करने पर विचार करे।
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कश्मीर का मुद्दा एक बार सुर्ख़ियों में है इसकी वजह है कि UNSC यानि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसको चीन के तरफ उठाना है. आपको बता दें कि कश्मीर का मुद्दा उठाने के फैसले का चीन ने बचाव किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसका मकसद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करना है। इसके पीछे उसका नेक इरादा है। उसने दावा किया कि परिषद में ज्यादातर सदस्यों ने घाटी की स्थिति पर चिंता जताई है।
आपको बता दें कि एक दिन पहले भारत ने कहा था कि पाकिस्तान की तरफ से सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाने का चीन का प्रयास विफल हो गया है। परिषद ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय मुद्दे पर चर्चा के लिए यह सही मंच नहीं है। इसके बाद से चीन की लगातार आलोचना शुरू हो गयी थी. वहीँ अब चीन ने इस मसले पर अपनी बात कही है.
गौरतलब है कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन की स्थिति एकरूप और स्पष्ट है। यह मुद्दा इतिहास से जुड़ा एक विवाद है। इसे संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, यूएनएससी के प्रस्तावों और द्विपक्षीय संधियों के आधार पर, शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए। वहीं गेंग ने कहा कि अगर आपको हमारी बात पर भरोसा नहीं है तो आप दूसरी साइट्स देख सकते हैं। भारत के बयान के बारे में उन्होंने कहा कि हम भारत के रुख और राय को समझते हैं, लेकिन मैंने जो कहा वह चीन की राय और रुख है।
* चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, हमारी स्थिति एकरूप और स्पष्ट।
* दावा किया, यूएन के सदस्यों ने कश्मीर की हालत पर चिंता जताई।
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मुंबई में बने फ्लाईओवर के नीचे की जगह को राज्य सरकार ने नो पार्किंग जोन घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने इसकी जानकारी मुंबई हाई कोर्ट की दी।
राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार फ्लाईओवर के नीचे गाड़ी पार्क करने पर अब कार्रवाई की जाएगी। इसके आदेश भी परिवहन पुलिस को दे दिए गये हैं।
इस बारे में प्रणव पोलिकर नामक व्यक्ति द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में आशंका जताई गई थी कि फ्लाईओवर के नीचे गाड़ी खड़ी करना सुरक्षा में भारी चूक हो सकती है। याचिका में आगे यह भी दर्ज था कि इसका अनुचित फायदा आतंकवादी संगठन उठा सकते हैं। इस बारे में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सुरक्षा संबधी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था। जिसे लेकर अब राज्य सरकार ने फ्लाईओवर के नीचे की जगह को नो पार्किंग जोन घोषित कर दिया है।
मुंबई जैसे शहर में जहां लाखो करोडो गाड़ियां चलती हैं पार्किंग एक बहुत बड़ी समस्या है। सरकार के इस निर्णय से मुंबईकरों पर क्या प्रभाव पड़ता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
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लिये जो सत्-कर्म, सत्-चर्चा और सत्-चिन्तन
परमात्मप्राप्ति के
किये जाते है, उनमें जडता ( असत् ) का आश्रय रहता ही है । - कारण यह है कि जड़ता ( स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर ) का आश्रय लिये बिना इनका होना सम्भव ही नहीं है । वास्तनमें इनकी सार्थकता जड़तासे सम्बन्धविच्छेद करानेमें ही हे । जड़तासे सम्बन्ध-निच्छेद तभी होगा, जन ये ( सत्-कर्म, सत्-चर्चा और सत्-चिन्तन ) केनल ससारके हित के लिये ही किये जायेंगे, अपने लिये कटापि नहीं ।
किसी विशेष साधन, गुण, योग्यता, लक्षण आदिके बदले में परमात्मप्रामि होगी - यह बिल्कुल गठत धारणा है । किसी मूल्यके बदलेमें जो वस्तु प्राप्त होती है, यह उस मूल्यसे कम मूल्यकी ही होती है- यह सिद्धान्त हे । अत यदि किसी विशेष साधन, योग्यता आदिके द्वारा ही परमात्मप्राप्तिका होना माना जाय, तो परमात्मा उस सापन, योग्यता आढिसे कम मूल्यके ( कमजोर ) ही सिद्ध होते हैं, जनकि परमात्मा किसीसे कम मूल्यके नहीं है। इसलिये वे किसी साधन आदिसे खरीदे नहीं जा सकते । इसके अतिरिक्त यदि किसी मूल्य (सान, योग्यता आदि ) के बदलेमें परमात्माकी प्रामि मानी जाय, तो उनसे हमें लाभ भी क्या होगा ? क्योकि उनसे अधिक मूल्यकी वस्तु ( साधन आदि ) तो हमारे पास पहलेसे है ही !
जैसे सासारिक पदार्थ कर्मोसे मिलते हैं ऐसे परमात्माकी प्राप्ति कर्मोंसे नहीं होती, क्योंकि परमात्मप्राप्ति किमी कर्मका फल नहीं है ।
* न त्वत्ममोऽस्त्यम्यधिक तोऽयो लोकत्रयेऽप्यप्रतिमप्रभाव ।। ( गीता ११ । ४३ ) |
अजमेर। अजमेर के पुष्कर में भी होली की धूम देखी गई। यहां मेला स्टेडियम में देश विदेश से आए मेहमानों ने रेतीले धोरों पर गुलाल उड़ाई और कपड़े फाड़े। ऐतिहासिक पूरी पुष्कर नगरी रंगों में दिखाई दी। मेला ग्राउंड पर होली खेल रहे मेहमानों पर पानी की बौछारें भी की गई। दिन चढ़ने के साथ होली का जश्न और बढ़ता गया। डीजे की धुनों पर देसी विदेशी मेहमानों ने खूब लुत्फ उठाया। एक दूसरे पर गुलाल लगाया। इजराइल, यूके, यूएसए, जापान समेत कई देशों के मेहमान होली की मस्ती में दिखाई दिए। पाबंदी के बावजूद लोगों ने होली खेलते वक्त एक दूसरे के कपड़े फाड़ डाले। फेस्टिवल से पहले एसपी चुनाराम जाट ने कहा था-आप सभी को होली की शुभकामनाएं। सभी से निवेदन है कि कोई भी अपने कपडे़ नहीं फाडे़गा। अगर ऐसा किया तो उठाकर बंद कर दिया जाएगा। होली के त्योहार की मर्यादा बनाए रखे। होली के त्योहार का आनन्द ले। यहां पहली बार होली मनाने आए मेहमान बहुत खुश नजर आए। उन्होंने बताया कि पुष्कर की होली के बारे में जैसा सुना था, उससे कहीं ज्यादा मजा आया है। हम दुबारा भी होली के मौके पर यहां आना चाहेंगे।
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आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश से भयंकर तबाही मची है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगातार बारिश होने की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है। दक्षिणी आंध्र प्रदेश के चित्तूर, कडप्पा, नेल्लोर और अनंतपुर जिलों में भारी बारिश के कारण फँसे 20,000 से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है और उन्हें राहत शिविरों में भेज दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि 1,316 से अधिक गाँव जलमग्न हो गए हैं। वहीं, चार जिलों की अलग-अलग घटनाओं में 100 अधिक लोगों के बह जाने का अंदेशा है।
राज्य सरकार के अनुसार, भारतीय वायु सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और दमकल सेवाकर्मियों ने अनंतपुरम, कडप्पा और चित्तूर जिलों में भीषण बाढ़ की चपेट में आए एक पुलिस निरीक्षक सहित कम-से-कम 64 लोगों को बचाया।
मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शनिवार (20 नवंबर 2021) को प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और जिला कलेक्टरों के साथ बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से बाढ़ का पानी कम होते ही फसल के नुकसान का आंकलन करने लिए भी कहा। राहत के रूप में प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है।
इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में बाढ़ की स्थिति पर मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था। इसी के साथ उन्होंने सभी के सुरक्षित रहने की प्रार्थना भी की।
बता दें कि बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात के चलते गुरुवार (18 नवम्बर 2021) की रात से ही आंध्र प्रदेश में भारी बारिश हो रही है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव मंदिर में पूजा कर रहे श्रद्धालु भी बाढ़ की चपेट में आ गए थे। राज्य की पुलिस, भारतीय वायु सेना, एसडीआरएफ और दमकल सेवा बचाव कार्यों में लगी हुई है।
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कृषि के लिए चीन में निर्मित इस मशीनरी पर सरकार ने बंद की सब्सिडी. .
बागवानी एवं कृषि के लिए चीन निर्मित पावर टिल्लर पर हिमाचल सरकार ने सब्सिडी बंद कर दी है। प्रदेश सरकार ने कृषि विभाग को पावर टिल्लर सब्सिडी बजट के साथ यह आदेश जारी किया है। सरकार ने किस मॉडल के पावर टिल्लर को खरीदना है, इसकी भी एक सूची भेजी है। बताया जा रहा है कि सूची में करीब 200 से अधिक पावर टिल्लर के मॉडल हैं।
अभी अभीः बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ पर बड़े हमले होने की मिली धमकी. .
सरकार का यह आदेश उन डीलरों के लिए बड़ा झटका है, जो चीनी कंपनियों के पावर टिल्लरों का कारोबार कर रहे हैं। बता दें कि कुल्लू जिला को पावर टिल्लर खरीदने के लिए 15 लाख रुपये जारी किए गए हैं। कृषि विभाग ने सरकार के आदेश के तहत किसानों से पावर टिल्लर खरीदने से पहले विभाग से संपर्क करने को कहा है।
कृषि विभाग कुल्लू ने राशि कम और मांग अधिक होने की वजह से 150 पावर टिल्लरों के लिए और सब्सिडी की मांग की है। विभाग ने एक पत्र भी सरकार को भेज दिया है।
कृषि विभाग कुल्लू के उपनिदेशक डॉ. राजेंद्र वर्मा और जिला कृषि अधिकारी डॉ. मनोज गौतम ने कहा कि सरकार के आदेशों के तहत चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित पावर टिल्लर पर सब्सिडी किसानों को नहीं मिलेगी।
प्रदेश सरकार ने कृषि विभाग को इस वित्त वर्ष के लिए किसानों को दी जाने वाली विभिन्न स्कीमों की सब्सिडी जारी कर दी है। विभाग की ओर से पावर टिल्लर पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी।
खेत-खलियानों को जोतने के काम में आने वाले पावर टिल्लर की कीमत 1. 50 से 1. 65 लाख रुपये तक है। ऐसे में इस पर आधी रकम कृषि विभाग देगा और आधी राशि किसान को देनी होगी।
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Meerut News Today: कानून पर जनता एकमत नजर नहीं आ रही है। शहर काजी बोले कि देश में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं और देशहित में यूसीसी सही नहीं है। वहीं शहर के तमाम व्यापारियों का कहना है कि सभी देश में एक झंडा एक कानून है। फिर हमारे देश में दो कानून क्यों हैं।
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नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी राहुल द्रविड़ और गौतम गंभीर समय-समय पर संजू सैमसन की तारीफ करते रहे हैं। वहीं उनके आलोचक यह कहते हुए सैमसन को नकारते रहे हैं कि उनमें निरंतरता की कमी है। ऐसे में जब टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने साफ कर दिया है कि अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए टीम में विकेटकीपर की जगह अभी भी खाली है तो सभी के दिमाग में सवाल यही है कि क्या सैमसन वो स्थान भर सकते हैं।
सैमसन को हाल ही में विंडीज सीरीज के लिए चोटिल शिखर धवन के स्थान पर भारतीय टी20 टीम में जगह मिली है। सैमसन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि वे विकेटकीपिंग के लिए तैयार हैं और निरंतरता वो चीज नहीं है जिसके कारण उन्हें परेशानी आ रही हो। सैमसन ने कहा कि उनके लिए टीम की जीत में योगदान देना प्राथमिकता है। केरल से आने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, मैंने इसके (निरंतरता) बारे में नहीं सोचा है कि यह एक मुद्दा है।
मैंने जो समझा है वो यह है कि मैं थोड़ा अलग तरह का खिलाड़ी हूं और मुझे लगता है कि मैं मैदान पर जाकर गेंदबाजों पर हावी हो सकता हूं। ऐसा हो सकता है कि जब मैं निरंतरता पर ध्यान दूं तो मैं अपनी स्टाइल खो बैठूं। निरंतरता लाने के लिए मैं अपने खेलने की शैली में बदलाव नहीं कर सकता।
है।
सैमसन ने बताया कि मैं पिछले पांच-छह साल से केरल के लिए सीमित ओवरों में विकेटकीपिंग कर रहा हूं। मैंने रणजी ट्रॉफी में भी की है। मैं इसे विकल्प के तौर पर रखता हूं। जो भी टीम चाहेगी वो मैं करूंगा। आईपीएल में जब मेरी टीम ने चाहा मैंने विकेटकीपिंग की। लेकिन जब उन्हें लगा कि मैं फील्डिंग से योगदान दे सकता हूं तो मैंने वैसा किया। मैंने अपने आपको एक कीपर और फील्डर दोनों के तौर पर तैयार किया है क्योंकि आप नहीं जानते कि टीम क्या देख रही है।
शास्त्री के साथ बैठकर आगे के बारे में बात करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए तैयार हूं, मुझे पहले ऐसा करने का मौका नहीं मिला। मैं उनसे बात करने को तैयार हूं। क्या उम्मीदों के दबाव ने उनके खिलाफ काम किया है? इस पर सैमसन ने कहा कि वे इन बातों को ज्यादा अहमियत नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं लोगों के विचारों का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं इन्हें अपने दिमाग में नहीं आने देता।
भरना उनका लक्ष्य है? सैमसन ने जवाब दिया ट्रॉफी जीतना है।
उन्होंने कहा, सपना भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाला टी20 विश्व कप को जीतना है। मैं इसके लिए तैयारी कर रहा हूं, न कि टीम का हिस्सा होने के लिए। मैं अपने देश के लिए विश्व कप जीतना चाहता हूं और यही पैमाना मैंने अपने लिए तय किया है। निश्चित तौर पर सपना ट्रॉफी जीतना है क्योंकि हमें विश्व कप जीते हुए काफी समय हो गया है। यही सपना है और मैं इस पर काम कर रहा हूं।
(IANS)
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देशः भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान आखिरकार अपने वतन को लौट आए हैं। उन्हें अटारी बॉर्डर से अमृतसर लाया गया है। उसके बाद विमान जरिए दिल्ली आये। बॉर्डर पर पहुंचते ही उन्होंने अपने अधिकारी से मुलाकात की। बाद में मीडिया ने उस अधिकारी से पूछा कि अभिनंदन से सबसे पहले क्या बोला। तब उन्होंने कहा कि अभिनंदन के सबसे पहले के शब्द थे कि वतन लौटने से खुश हूं।
अभिनंदन के वाघा-अटारी बॉर्डर पर पहुंचते ही भारत माता की जय के नारे के साथ उनका स्वागत किया गया। वायुसेना के अधिकारी ने प्रेस कॉंफ्रेंस में कहा कि हमने पाकिस्तान अथॉरिटीज से कुछ सवाल नहीं पूछा और हम खुश हैं कि अभिनंदन वापस भारत लौट चुके हैं। उन्हें मेडिकल के लिए भेजा गया है।
दरअसल, 27 फरवरी को पाकिस्तान की ओर से विमानों ने भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन किया। पाकिस्तान के हवाई हमले को वायुसेना ने बेअसर किया और एक एफ-16 विमान को नेस्तनाबूद कर दिया। पाकिस्तान के जहाजों को खदेड़ते हुए भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन का मिग-21 क्रैश हो गया और वो पैराशूट के जरिए पाकिस्तान में उतरे। इसके बाद वहां उन्हें लोगों ने घेर लिया। बाद में पाकिस्तान की सेना ने अभिनंदन को अपने कब्जे में ले लिया।
पहले तो विंग कमांडर को पता नहीं चला कि वे कहां हैं लेकिन जैसे ही उन्हें ये आभास हुआ कि वे पाकिस्तान में हैं तो उन्होंने अपने पास मौजूद दस्तावेज तालाब में फेंक दिए और कुछ को निगल गए। जिससे देश के अहम जानकारी दुश्मन देश के हाथ न लगे। वहां के लोगों ने उनपर हमला भी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं खोई।
भारतीय वायु सेना की मेडिकल टीम उनका मेडिकल टेस्ट करेगी। उसके बाद विंग कमांडर से बातचीत होगी। इसमें इंटेलिजेंस भी उनसे बात करेगी। उनसे सवाल पूछे जाएंगे कि उनके साथ क्या हुआ, कैसे हुआ और पाकिस्तान ने उन्हें किसी तरह से प्रताड़ित तो नहीं किया। इसके बाद एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी।
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूजः बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर अपनी पर्सनल लाइफ के साथ-साथ फिल्मों को लेकर भी काफी चर्चा में बने रहते हैं। शाहिद कपूर की इन दिनों अपनी सीरीज 'फर्जी' को लेकर सुर्खियों में छाए हुए है। शाहिद कपूर इस फिल्म के साथ ओटीटी की दुनिया में कदम रखने जा रहे है। यानी 'फर्जी' शाहिद कपूर की पहली ओटीटी सीरीज होने वाली है। इसी बीच अब 'फर्जी' से जुड़ा एक बड़ा अपडेट सामने आया है। जिसे जानने के बाद शाहिद कपूर के फैंस खुश हो जाएंगे। शाहिद कपूर की इस सीरीज का टीजर सामने आ गया है। तो चलिए देखते है कैसा है फिल्म का टीजर।
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- #Independence DayUS Independence Day: आजादी की 247वीं वर्षगांठ मनाएगा अमेरिका, जानिए कैसे हुआ था ब्रिटेन का गुलाम?
नई दिल्ली, 14 अगस्त : भारत 1947 में मिली आजादी के बाद 15 अगस्त को स्वाधीनता की 76वीं वर्षगांठ मनाएगा। 76वें स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर देश जश्न-ए-आजादी में डूब गया है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आजादी का अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा जैसा अभियान भी जारी है। भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस समारोह का मुख्य समारोह लाल किले पर आयोजित होगा। राष्ट्रीय राजधानी तिरंगे के रंग में रंग चुकी है। दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर तक मेगा समारोह होंगे। दिल्ली किले में तब्दील हो चुकी है। संवेदनशील जगहों पर सुरक्षाबलों मुस्तैद हैं, मानो 'सुरक्षा कवच' तैयार किया गया है।
जश्न-ए-आजादी में किसी भी तरह की बाधा या खलल न पड़े इसके लिए राज्यों में पुलिस तंत्र को सतर्क कर दिया गया है। मुख्य समारोह दिल्ली में होगा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे। मुगल-युग के स्मारक की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के 10,000 से अधिक जवानों को तैनात किया गया है। सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
लाल किले के प्रवेश द्वार पर लगे फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (FRS) कैमरों और बहुस्तरीय सुरक्षा कवर जैसे उपायों से सतर्कता बरती जा रही है। किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए किला क्षेत्र में छतों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर 400 से अधिक पतंग पकड़ने वालों और फ़्लायर्स की तैनाती की गई है। पारंपरिक हवाई प्लेटफार्म से किसी भी तरह की आशंका से निपटने के मद्देनजर हॉक आई की टीम निगरानी कर रही है।
लाल किले के कार्यक्रम में लगभग 7,000 आमंत्रित लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। स्मारक के आसपास के पांच किलोमीटर के क्षेत्र में तिरंगा फहराए जाने तक "कोई पतंगबाजी नहीं" की जा सकेगी। इलाके को no kite flying zone के रूप में चिह्नित किया गया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने बताया कि दिल्ली में धारा 144 के प्रावधान पहले ही लागू किए जा चुके हैं। पुलिस ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के ड्रोन रोधी सिस्टम भी लगाए गए हैं।
देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में सुरक्षा बंदोबस्त के सवाल पर एक अधिकारी ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एजेंसियों की मदद ली जा रही है। महानगर की सड़कों पर ड्रोन रोधी प्रणालियों के साथ लॉ एनफोर्सिंग यूनिट्स तैनात की गई हैं। अधिकारी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर कोई चिंताजनक खुफिया इनपुट नहीं है, लेकिन नियमित रूप से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अधिकारियों को मौके का दौरा करने भी भेजा गया।
अधिकारी ने कहा, "हम तोड़फोड़ विरोधी जांच (anti-sabotage check) कर रहे हैं। बुधवार से ही, 'ऑपरेशन ऑल आउट' चल रहा है, जिसमें होटल, वाहनों और रोड बैरिकेडिंग की जांच शामिल है। हिस्ट्रीशीटर और बाहरी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। " बता दें कि देश आजादी के 75 साल पूरे करने के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में अधिकारी ने हर वर्ष से अधिक या सामान्य से अधिक लोगों की भीड़ जुटने की आशंका जताई है।
कश्मीर में, जहां मुख्य समारोह शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में होगा, जिसकी अध्यक्षता उपराज्यपाल मनोज सिन्हा करेंगे। सुरक्षा के लिए ड्रोन, स्नाइपर और सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को निगरानी के लिए तैनात किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, वाहनों की जांच तेज कर दी गई है, जबकि शहर और घाटी में कई जगहों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों को भारी संख्या में तैनात किया गया है, जिससे आतंकवादियों के किसी भी नापाक मंसूबे को विफल किया जा सके। उन्होंने बताया कि घाटी में कई स्थानों पर वाहनों की अचानक तलाशी ली जा रही है और लोगों की तलाशी भी ली जा रही है।
किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए स्टेडियम के आसपास की सभी ऊंची इमारतों पर शार्प शूटर तैनात किए गए हैं। मानव और तकनीकी निगरानी का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। श्रीनगर पुलिस ने ट्विटर पर कहा, "श्रीनगर शहर के प्रमुख बाजारों में उपद्रवियों, अपराधियों और विध्वंसक तत्वों की तलाश में हवाई निगरानी की जा रही है। ऐसे तत्वों को पता होना चाहिए कि उनकी निगरानी में ऊपर एक नजर है। " इसी बीच एक चिंताजनक खबर में रविवार शाम श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में मुठभेड़ हुई। इसमें एक पुलिसकर्मी के घायल होने की सूचना है।
पूर्वोत्तर भारत में प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) (उल्फा (आई)) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के "बहिष्कार" का ऐलान किया है। पूर्वोत्तर के पांच राज्यों में "पूर्ण बंद" के आह्वान के कारण सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि अगरतला में रणनीतिक क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है, जबकि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए श्वान दस्ते को तैनात किया गया है।
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समारोह के दौरान शांति सुनिश्चित करने के लिए 856 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा को हाई अलर्ट पर रखा गया है। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं करीब हैं। ऐसे में असम के परेड मैदानों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
असम के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा "हमें कुछ जिलों में उग्रवादी गतिविधियों के इनपुट मिले हैं, ज्यादातर गतिविधियां ऊपरी असम में अरुणाचल के साथ लगती अंतर-राज्यीय सीमा के पास होने की आशंका है। ऐले में जिला एसपी को राज्य में परेड मैदान और उसके आसपास एक बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली तैनात करने के लिए कहा गया है। "
स्वतंत्रता दिवस का "बहिष्कार" !
बता दें कि असम में मुख्य स्वतंत्रता दिवस समारोह गुवाहाटी के खानापारा में पशु चिकित्सा कॉलेज के खेल के मैदान में आयोजित किया जाएगा। विगत 5 अगस्त को, उल्फा (आई) और एनएससीएन ने एक संयुक्त बयान जारी कर स्वतंत्रता दिवस के "बहिष्कार" और रविवार आधी रात से सोमवार शाम 6 बजे तक "पूर्ण बंद" का आह्वान किया है।
अन्य राज्यों की बात करें तो पंजाब और उत्तर प्रदेश (यूपी) में पुलिस बलों ने स्वतंत्रता दिवस से पहले आतंकवादी समूहों से जुड़े कुछ प्रमुख संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया। अधिकारियों ने रविवार को कहा, यूपी में पुलिस ने एक 19 वर्षीय व्यक्ति को कथित तौर पर आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के साथ संबंध रखने और सोशल मीडिया के माध्यम से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आकाओं के संपर्क में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
पंजाब पुलिस ने रविवार को दावा किया कि उसने पाकिस्तान आईएसआई समर्थित आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस ऑपरेशन को पंजाब पुलिस और दिल्ली पुलिस ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सोमवार को लुधियाना में राज्य स्तरीय समारोह में तिरंगा फहराएंगे, जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कड़ी सुरक्षा के बीच पानीपत के समालखा में झंडा फहराएंगे।
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जेल पॉलिश "Masaru": समीक्षा। जेल पॉलिश "Masaru" एकल चरण और तीन चरण। "बिल्ली नेत्र"
उच्च गुणवत्ता वाले लंबे समय से स्थायी मैनीक्योर सिर्फ कई लड़कियों के लिए एक सपना नहीं रह गया है। अब यह एक वास्तविकता है। नाखून के लिए आधुनिक उत्पादों कला आप एक सुंदर बना सकते हैं मैनीक्योर खुद। और यह विशेष रूप से आसान है, तो आप समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए। जेल पॉलिश "Masaru", उदाहरण के लिए, रूस में बहुत लोकप्रिय है।
कंपनी किस तरह का?
, कुछ स्वामी, जो उपयोग किया जाता है अमेरिकी ब्रांड्स इस सामग्री को आगे बढ़ रहे हैं के साथ काम करने के लिए - तथ्य यह है कि प्रचलित सकारात्मक प्रतिक्रिया (आज तक का सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक जेल नाखून "Masaru") के बावजूद। तो कंपनी, Masura किस तरह? सबसे पहले, यह एक घरेलू ब्रांड है कि न केवल हाथ, पैर, नाखूनों की देखभाल के लिए एक जेल रोगन, लेकिन यह भी अन्य साधनों के उत्पादन होता है। दूसरे, यह एक अपेक्षाकृत युवा कंपनी है। यह 2002 में स्थापित किया गया था। तीसरा, यह न केवल निर्माता, लेकिन यह भी एक प्रशिक्षण केंद्र है।
कंपनी अपने दुकान जहां बिचौलियों मार्कअप के बिना कंपनी के उत्पादों की खरीद कर सकते हैं। और यह अपने आप ही प्रतिक्रिया है। जेल पॉलिश "Masaru" अनुमान नहीं है, लेकिन दुकान में ही। केवल विवरण और मूल्य - वैसे, उत्पादन की साइट पर उपकरणों की कोई समीक्षा कर रहे हैं। , नकद और नकदी और इलेक्ट्रॉनिक धन ( "Yandex-धन" और Webmoney) प्लास्टिक कार्ड का उल्लेख नहींः एक ऑनलाइन स्टोर का लाभ तथ्य यह है कि यह नियमित रूप से, प्रचार और बिक्री का आयोजन के साथ-साथ कई भुगतान विधियों हो रहा है वीसा या मास्टरकार्ड। संयोग से, दुकान बहुत, बहुत अच्छी समीक्षा के अनुसार। जेल पॉलिश "Masaru" हमेशा सट्टेबाजों, कि लेकिन आनन्दित नहीं कर सकते हैं की तुलना में कम के लायक है।
इससे पहले कि आप किसी विशेष उत्पाद का मूल्यांकन, आप हमेशा क्या निर्माता प्रदान करता है के साथ परिचित हो जाना चाहिए। तो, संग्रह में भी सिंगल फेज जेल कोटिंग्स, और तीन चरण हैं। आवेदन के लिए है कि तीन चरण में एक दूसरे से उन दोनों के बीच मुख्य अंतर basecoat और फिक्सर की आवश्यकता है। सिंगल फेज एक पूरी तरह से स्वतंत्र और तैयार साधन के रूप में लागू किया जा सकता है। कौन सा सामग्री का चयन करने के लिए अपनी प्राथमिकताएँ पर निर्भर करता है। हालांकि, यह है कि शब्द मोजे तीन चरण जेल लाह अब नोटों। लेकिन सबसे पहली बात।
लगातार विकास हो रहा है, कंपनी ने बनाया है और अपना पहला है "मसूरीः सिंगल फेज जेल नाखून", समीक्षा , जिनमें से पहली बार में सबसे प्रशंसा कर रहे थे। और अच्छे कारण के साथ! सबसे पहले, वहाँ आधार और शीर्ष लागू करने के लिए कोई जरूरत नहीं है। लेकिन वे भी काफी एक बहुत कुछ कर रहे हैं। दो सप्ताह सामग्री की उपस्थिति को कोई नुकसान बिना रुके थे - दूसरे, खुद को पहनने के लिए odnofazniki बहुत अच्छा दिखाया। वैसे, फूलों का संग्रह बहुत व्यापक है। और मुख्य बात यह है कि यह लगातार अद्यतन किया जाता है। इन घड़ियों ध्यान के निर्माता, समय पर वर्गीकरण को अद्यतन करने।
समय के साथ, सिंगल फेज जेल नाखून "Masaru" है, जो की समीक्षा तो प्रशंसात्मक और सकारात्मक थे पहले हासिल कर लिया और कुछ नकारात्मक छाया के लिए प्रतिक्रियाओं। तो, उदाहरण के लिए, कई महिलाओं है कि odnofazniki तीन चरण सामग्री, एक छोटे से "पट्टी" से भी बदतर झूठ और मोजे के तीसरे सप्ताह तोड़ना का कहना है। बेशक, कई आधुनिक महिलाओं के लिए पिछले कसौटी, सबसे मौलिक नहीं है क्योंकि दूसरे सप्ताह में, मैं नाखून के डिजाइन में परिवर्तन करना चाहते हैं, लेकिन तलछट अभी भी बनी हुई है। और यह सब नकारात्मक समीक्षा नहीं है। जेल पॉलिश «मसूरी» एकल चरण अपने बगीचे में कुछ और पत्थर मिला है। कुछ स्वामी का कहना है कि को हटाने सामग्री में कुछ कठिनाइयों देखते हैं किः रंग वर्णक मजबूती से प्राकृतिक नाखून का पालन करता है। वहाँ एक समाधान हैः उपयोग अभी भी odnofaznik के तहत जेल नाखून आधार बनाते हैं। इस मामले में, हटाने के दौरान असुविधा नहीं होगा।
उत्पाद लाइन का यह हिस्सा सिंगल फेज की तुलना में अधिक व्यापक होते हैं। सबसे पहले, कंपनी के डेवलपर्स अच्छी तरह से पता है कि अच्छी चीजें सिर्फ लंबे समय से एक आधार है और शीर्ष के बिना नहीं रह सकते हैं। और अगर किसी भी चरण में पहले से ही उत्पाद का गठन किया। दूसरे, इस तरह के उपकरणों के लिए खुद को साबित किया है ज्यादा बेहतर। तथ्य यह है कि इसकी कीमत प्रतियोगिता से बहुत अलग नहीं है के बावजूद। और यह नहीं है, वास्तव में, जेल कील बाजार में "Masaru" चरण पर प्रकाश डाला गया। कई बार उसके बारे में जवाब के लिए एक एकल चरण पर की तुलना में बेहतर। रंगों की व्यापक संग्रह के लिए उल्लेखनीय है, और जाहिर है, गुणवत्ता। यह शीर्ष पर रहता है। सामग्री अच्छी तरह से और सुचारू रूप से है नाखून पर पड़ता है, जल्दी से लंबे polymerizes (लगभग तीन सप्ताह) करता है।
फिर भी, नहीं सब कुछ गुलाबी है। कुछ प्रयोक्ताओं की राय पर्ची वाक्यांशों कि कंपनी के उत्पादों के परीक्षण के लिए प्रदान किया गया है। तो, लेखकों बस नहीं उद्देश्य, हो सकता है क्योंकि वे जेल से मुक्त पेंट मिला है। निश्चित रूप से, आप केवल एक बात कह सकते हैंः "Masaru" छोटे स्ट्रिप्स के हल्के रंगों, भले ही वे कई परतों में डाले गए। इससे बचने के लिए, यह आधार जेल लाह प्राकृतिक रंग की एक पतली परत लागू करने के लिए संभव है। फिर चमकीले रंग इतना चमक नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि खरीदारों को confuses - लागत। फिर भी, 6. 5 मिलीलीटर की एक बोतल के लिए 400 रूबल का भुगतान करना होगा। यह सबसे किफायती मूल्य नहीं है। हालांकि, एक लंबे समय के लिए इस तरह के एक मात्रा की कमी है, यह एक नुकसान कॉल करने के लिए कठिन है क्योंकि।
फैशन नाखून "बिल्ली नेत्र"
उन्होंने कहा कि तेजी से फैशन में प्रवेश किया। और युवा लड़कियों और सभी उम्र की महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय। और बेशक, निर्माता इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि जेल नाखून "बिल्ली नेत्र" ( "Masaru") स्थापित किया गया है। उसके बारे में समीक्षा, वैसे, बहुत, बहुत अच्छा। कई लड़कियों और स्वामी यह "बिल्ली नेत्र" के संग्रह से सामग्री से संतुष्ट थे। वे डिफ़ॉल्ट तीन चरण जेल रोगन के हैं - दोनों आधार है और शीर्ष की आवश्यकता है। जब पूरी तरह से, पट्टी करने के लिए नीचे रोल नहीं है लागू किया, एक समान और समरूप है। लेकिन प्रभाव है, जो चुंबक के लिए एक विशेष प्रस्तुति के द्वारा प्राप्त किया जाता है, वहाँ हमेशा एक आश्चर्य और अतुलनीय है। और वह दोनों लंबी और छोटी नाखून पर उचित लग रहा है। शायद यह "Masaru" के सबसे सफल संतान है।
इस प्रकार, जेल नाखून "Masaru" कंपनियों उपयोग के लिए सिफारिश की जा सकती।
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RRB Group D Result for PET Exam: आरआरबी ग्रुप डी रिजल्ट 2022 पीईटी परीक्षा के लिए जारी कर दिया गया है। रेलवे भर्ती बोर्ड ग्रुप डी पीईटी परिणाम आरआरसी की संबंधित वेबसाइट और rrbcdg. gov. in पर जारी किया गया है। पीईटी क्लियर करने वाले उम्मीदवारों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन राउंड के लिए बुलाया जाएगा।
RRB Group D PET Result : रेलवे भर्ती बोर्ड, आरआरबी ग्रुप डी रिजल्ट 2022 के पीईटी दौर का परिणाम जारी कर दिया गया है। आरआरबी ग्रुप डी पीईटी रिजल्ट आरआरसी की संबंधित वेबसाइट पर जारी किया गया है। पीईटी के लिए उपस्थित हुए उम्मीदवार अपना रिजल्ट पीडीएफ आधिकारिक वेबसाइटों जैसे - rrbcdg. gov. in से चेक और डाउनलोड कर सकते हैं। यहां दिए गए रिजल्ट को डाउनलोड करने के लिए डायरेक्ट लिंक और स्टेप्स को उम्मीदवार चेक कर सकते हैं।
आरआरबी पीईटी 2022 परीक्षा सीबीटी स्टेज को पास करने वाले उम्मीदवारों के लिए आयोजित की गई थी। जोनल रेलवे के संबंधित रेलवे भर्ती सेल (आरआरसी) की ओर से शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के लिए पीईटी आयोजित किया जाता है। अब जिन उम्मीदवारों ने पीईटी पास कर लिया है, उन्हें डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन राउंड के लिए बुलाया जाएगा।
आरआरबी के आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, 'डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (डीवी) प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाएगा और कार्यक्रम वेबसाइट पर पब्लिश किया जाएगा। डीवी के लिए निर्धारित उम्मीदवारों को आरआरबी वेबसाइट से अपना ई कॉल लेटर डाउनलोड करने के लिए एक ईमेल और एसएमएस आएगा। '
आरआरबी ग्रुप डी पीईटी रिजल्ट तक पहुंचने का तरीका जानने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स चेक कर सकते हैं।
- आधिकारिक वेबसाइट rrbcdg. gov. in पर जाएं।
- दिखाई देने वाले होम पेज पर, आरआरबी ग्रुपो डी रिजल्ट लिंक को क्लिक करें।
- एक नई पीडीएफ फाइल खुलेगी।
- अपना रोल नंबर जांचें और पीडीएफ को सेव करें।
- आवश्यकतानुसार प्रिंटआउट निकाल लें।
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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रदेश के विकास का नया मॉडल विकसित करना चाहिए। हाइड्रो पावर क्रेज मॉडल, जो कि औद्योगिक प्रदूषण फैलाता है, के लिए बिना दिमाग की तलाश की जो हालिया परिपाटी है, उसे फेंक देने की जरूरत है। हिमाचल के मौसम, वातावरण व संस्कृति के संरक्षण के लिए जो विश्वव्यापी चिंता उभरी है, उसे संबोधित करने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी हो गया है। हिमाचली पर्वतों व बर्फ से संपन्न कुदरती नजारों को कायम रखना आज बेहद आवश्यक हो चुका है। प्रकृति ने हमें धूल रहित वातावरण दिया है, जिसे जॉब पैदा करने के नाम पर क्षति नहीं पहुंचाई जानी चाहिए। पैसा कमाने के लिए सीमेंट प्लांट लगाने के नाम पर पर्यावरणीय प्रदूषण के आगे किसी सूरत में समर्पण भी नहीं होना चाहिए।
सरकार ने विकास के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करने को मापदंड बनाने के उद्देश्य से एक सराहनीय पहल की है। उसने संबंधित विधायकों से सलाह-मशविरा भी किया है, परंतु यह केवल लोकतंत्र का सलाहकारी पहलू है। विकास के लिए चेतनायुक्त नियोजन की जरूरत होती है, जो कि राज्य की शक्ति व कमजोरी पर आधारित होती है। विकास की योजना के लिए विशेषज्ञ अध्ययन व चेतनायुक्त होकर रणनीति का निर्माण भी जरूरी है। इसके लिए एक विशेषज्ञ कमेटी की भी जरूरत है, जो विकास चार्टर का प्रारूप प्रस्तावित करे। मैं ऐसे निकाय के समक्ष विचार के लिए छह स्तंभों वाला विकास दृष्टिकोण रखना चाहूंगा। हमें अपने विचारों में बदलाव लाते हुए परंपरागत नजरिए को बदलना होगा। हमें परंपरागत फसलों को उगाना बंद कर देना चाहिए तथा उच्च दामों वाली फसलों की बिजाई करनी चाहिए।
तीन कारणों के चलते हम गेहूं, मक्की इत्यादि परंपरागत फसलों को उगाने के कारण कृषि क्षेत्र में अवनति की ओर जा रहे हैं। प्रथम, हमारे पास पर्याप्त सिंचाई सुविधा नहीं है तथा जलवायु परिवर्तन के इस दौर में वर्षा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। इसके कारण हमारी फसलें अकसर सूख जाती हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण खेती योग्य जमीन की उपलब्धता भी कम है। दूसरे, प्रदेश में बंदरों का आतंक निरंतर जारी है, जो कि सभी फसलों व फलों को नष्ट कर रहे हैं। सरकार इस समस्या से निपटने को अब तक कोई ठोस योजना नहीं बना पाई है। अन्य जंगली जानवर भी फसलों को नष्ट करते हैं। तीसरे, लैंटाना घास व अन्य खरपतवार, जो फसलों के लिए हानिकारक हैं, को नियंत्रित नहीं किया जा सका है। इसलिए राज्य को ऐसी फसलों को बढ़ावा देना चाहिए, जो इन तीन कारकों के प्रभाव से मुक्त हों। बेशक ऊंचे इलाकों में पैदा होने वाला सेब सुरक्षित है, लेकिन उसे भी सुरक्षा की जरूरत है।
जहां पर सेब पट्टी नहीं है, उन क्षेत्रों में भी नकदी फसलों की जरूरत है। किसानों को ऐेसी फसलों का उत्पादन करना चाहिए जो उन्हें उच्च दाम दिलाती हों तथा जो यहां वर्णित की गई सिरदर्दी का भी इलाज करती हों। मिसाल के तौर पर हल्दी, अदरक, अखरोट, आंवला व इसी तरह की अन्य फसलें उगाई जा सकती हैं। ये फसलें आपदाओं से प्रभावित भी नहीं होतीं, साथ ही इनके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। कृषि व बागबानी विभाग ऐसी तालिका बना सकते हैं तथा किसानों को मार्गदर्शन दे सकते हैं कि कैसे इन फसलों को उगाया जाए। साथ ही फसलों की विपणन व्यवस्था भी उन्हें सिखाई जा सकती है। कृषि क्षेत्र के बदले परिप्रेक्ष्य में जैविक खेती भविष्य की फसल रणनीति होनी चाहिए।
विकास के नए दृष्टिकोण का दूसरा स्तंभ यह है कि हाई एंड टूरिज्म के पक्ष में ट्रक टूरिज्म व धार्मिक पर्यटन पर फोकस करना छोड़ देना चाहिए। प्रदेश की ओर पर्यटकों को लुभाने के लिए पैकेज व्यवस्था शुरू की जानी चाहिए, ताकि इस प्रदेश को विश्व मानचित्र पर उभारा जा सके। पर्यटन से जुड़ी योजनाएं बनाते समय सृजनात्मकता व कल्पनात्मकता को तरजीह दी जानी चाहिए। इससे प्रदेश को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी। मैंने कई ऐसे देशों का अध्ययन किया, जिन्होंने पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास किया है। पर्यटन पैकेज के तहत हमने थाईलैंड की कावाई नदी पर बने पुल का भ्रमण किया। यह जगह द्वितीय विश्वयुद्ध पर बनी पुरानी हालीवुड फिल्म का एक आकर्षक स्थल है, जहां इसे फिल्मांकित किया गया था। हम फाइव स्टार होटल में ठहरे तथा इस स्थल तक हम नौका में गए। रास्ते में हमने देखा कि मिश्री बनाने के लिए लोग सीधे पेड़ों से चीनी निकाल रहे थे। इसी तरह मैं फ्रांस के दक्षिण में स्थित एक प्रसिद्ध स्थल पर भी गया। वहां मैं यह देख कर हैरान रह गया कि गांवों पर बने पर्यटन पैकेज बेचे जा रहे थे। हमें फाइव स्टार होटल से पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एक गांव में ले जाया गया। यह एक शांत गांव के अलावा कुछ भी नहीं था। इसी ओर जाते समय हमें एक परफ्यूम फैक्टरी भी दिखाई गई। हिमाचल में इतना कुछ है, लेकिन हम इसकी मार्केटिंग नहीं करते तथा इसे टूअर पैकेज के रूप में बेचते भी नहीं हैं। फाइव स्टार होटल्स से जुड़ा पर्यटन हमारे पास नहीं है। हमारे पास सड़कें भी नहीं हैं तथा कई आकर्षक स्थलों तक अभी तक पहुंच नहीं बन पाई है। मैंने मसरूर मंदिर की खोज की तथा इसके इतिहास पर लिखा। मैंने इसके लिए अनुसंधान किया। पुस्तक का नाम है-कारनेशन ऑफ शिवा ः रिडिस्कवरिंग मसरूर टैंपल। यह स्थल विश्व धरोहर स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता था, लेकिन अब तक इसकी उपेक्षा ही हुई है। जब मैंने इस विषय पर किताब लिखी, तो कई पाठकों का ध्यान इस ओर गया तथा सरकार ने मुझे पे्रजेंटेशन बनाने को कहा। धर्मशाला में मैंने मंदिर का स्वरूप भेंट किया। इसकी खासियत यह है कि इसमें भगवान शिव का राज्याभिषेक दिखाया गया है, जबकि अन्य देवताओं के विपरीत अब तक उन्हें इस रूप में दिखाया नहीं गया था।
यह एक अद्वितीय मंदिर है, पर इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस मंदिर के विकास में रुचि दिखाई थी, लेकिन उनके सत्ता से हटने के बाद इसकी ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। प्रेम कुमार धूमल ने इस मंदिर के प्रोजेक्ट को विकसित करना तथा इसे प्रचारित करना शुरू किया था। इस मंदिर के आसपास पौंग बांध के पक्षियों का डेरा इस स्थल को आकर्षक व एक बड़ा पर्यटक स्थल बनाता है, लेकिन इसे विकसित करने की जरूरत है। दुखद पहलू यह है कि हमारे पास यहां नजदीक में कोई कैफेटेरिया व शौचालय तक नहीं है। प्रदेश में कई ऐसे स्थल हैं, जिन्हें पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है, लेकिन इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया अन्यथा कई रोजगार पैदा हो सकते थे और राजस्व भी कमाया जा सकता था।
सरकार को बहुत सारे पैसे खर्च करने की जरूरत भी नहीं है, बस उसे कुछ सृजनात्मक सोच का परिचय देना होगा। हिमाचल में इतना कुछ होते हुए भी हम पर्यटन का विकास नहीं कर पाए, जबकि हरियाणा ने न कुछ होते हुए भी रोड साइड पर्यटन को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। आज जब एक ओर विश्व में प्रदूषण बढ़ रहा है, तो प्रदूषण रहित हिमाचल में वातावरण पर आधारित पैकेज बना कर उन्हें आसानी से बेचा जा सकता है। इससे हमारा पर्यटन समृद्ध होगा।
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लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह की पांचवीं शाम कवि डॉ. कुमार विश्वास के गीतों से जवां हो उठी। लखनऊ को समर्पित गोमती का मचलता ये पानी भी है. . . गीत से कार्यक्रम की शुरुआत करने वाले कुमार ने दो घंटे तक सभी को गुदगुदाया, युवा मन को टटोला, प्रेम का आभास कराया, टूटे मन को सांत्वना दी तो कुलपति और राजनेताओं की खिंचाई भी की। उनके गीतों में अटलजी को समर्पित इस शाम में पूर्व प्रधानमंत्री के लिए सम्मान दिखा तो कश्मीर के हालातों पर संजीदगी भी झलकी।
कोविड-19 की वजह से काफी बंदिशों के साथ विद्यार्थियों को कार्यक्रम में शामिल होने दिया गया था। इसको देखते हुए कुमार विश्वास ने कुलपति से हालत सामान्य होने पर दोबारा बुलाने के लिए न्योता भी मांगा। कुमार विश्वास ने अटलजी की कर्मभूमि लखनऊ को नमन करते हुए अपने गीत 'गोमती का मचलता ये पानी भी है, हिंद के उस गदर की कहानी भी है।
गंज हजरत चिकन चौक की आबरू, ये शाम-ए-अवध तर्जुमा रूबरू-रूबरू से कार्यक्रम की शुरुआत की तो पूरा कला प्रांगण तालियों से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने जवानी में कई गजलें अधूरी छूट जाती हैं. . . का भी वाचन किया। अटलजी की मशहूर कविता गीत नहीं गाता हूं, हार नहीं मानूंगा, गीत नया गाता हूं. . . सुनाया। इसके बाद डॉक्टर विश्वास ने ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता. . . गीत गाया तो युवाओं ने उनके शब्दों में अपने शब्द शामिल कर दिए।
पराए आंसुओं से आंखें नम कर रहा हूं मैं, इस अधूरी जवानी का क्या फायदा, बिन कथानक कहानी का क्या फायदा. . . से युवाओं में प्रणय का भाव भरा तो वक्त के क्रूर कल का भरोसा नहीं, आज जी लो कल का भरोसा नहीं. . . सुनाकर टूटे दिलों को दिलासा भी दी। ताल को ताल की झंकृति तो मिले, रूप को भाव की आकृति तो मिले, मैं भी सपनों में आने लगूं आपके, पर मुझे आपकी स्वीकृति तो मिले. . . सुनाई तो प्रांगण तालियाें और सीटियाें से गूंज उठा। इसके बाद कश्मीर के हालात पर 'ऋषि की कश्यप की तपस्या ने तपाया है तुझे, ऋषि अगस्त ने हम वार बनाया है तुझे, तेरी सरगोशी पर कुर्बान मेरा वतन, मेरे कश्मीर मेरी जान मेरे प्यारे चमन. . . सुनाकर सभी को देशभक्ति के भाव से भर दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. राकेश चंद्रा ने किया।
कार्यक्रम के दौरान कुमार विश्वास नेे चुटीले अंदाज तथा कटाक्षों से भी सभी को खूब हंसाया। मांस को लेकर हुई सख्ती पर उन्होंने कहा कि बाबा ने ऐसी व्यवस्था की कि चिकन केवल कपड़े पर ही रह गया। इसी तरह एंटी रोमियो स्क्वॉयड पर उन्होंने कहा कि मोदी कहते हैं कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा और यहां यह है कि न करूंगा न करने दूंगा।
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WWE Smackdown Highlights-Big E Injury: फ्राइडे नाइट स्मैकडाउन (Friday Night Smackdown) के आज रात के एपिसोड में रिज हॉलैंड और शेमस (Ridge Holland and Sheamus) ने कोफी किंग्सटन और बिग ई ( Kofi Kingston and Big E) का सामना किया था। लेकिन इस मैच के दौरान बिग ई आज रात बुरी तरह से घायल हो गए और उनकी गर्दन में चोट लग गई। जिसके बाद उन्हें तुरंत ही मेडिकल स्टाफ रिंग साइड पर आ गया और बिग ई को स्ट्रेचर पर बाहर ले गया।
बिग ई को यह चोट उस समय लगी जब इस मैच के दौरान रिज हॉलैंड ने बिग को रिंग के बाहर एक बेली-टू-बेली सुपलेक्स लगाया था। लेकिन इस सुपलेक्स बाद बिग ई अपने सिर के बल जमीन पर आकर गिरे। जिसके बाद मेडिक्स तुरंत आ गए और उन्होंने बिग ई की तरफ अपना रुख किया जबकि रिंग के अंदर शेमस ने किंग्सटन को पिन करके इस मैच को समाप्त कर दिया।
बिग ई की इस चोट का एक वीडियो एक डब्ल्यूडब्ल्यूई की फैंस के द्वारा भी शेयर किया गया है। जहां मेडिकल स्टाफ के द्वारा बिग ई को स्ट्रेचर पर ले जाते हुए देखा जा सकता है। वहीं इसके अलावा बिग ई ने भी अपने फैंस के लिए एक सेल्फी वीडियो जारी करते हुए संदेश दिया है। जिसमें उन्होंने घोषणा की है कि हॉलैंड के साथ स्पॉट के दौरान उनकी गर्दन में यह चोट आई है।
डब्ल्यूडब्ल्यूई की तरफ से बिग ई की इस चोट की गंभीरता के बारे में अभी कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन जैसे ही डब्ल्यूडब्ल्यूई की तरफ से बिग ई की चोट के बारे में कोई अन्य जानकारी दी जाती है तो हम आपको यहां अपडेट कर देंगे।
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पहले पीटीएस में फर्जी प्रशिक्षु महिला का पकड़ा जाना और अब पीएसी से चोरी इंसास की नाटकीय ढंग से बरामदगी से साफ है कि सुरक्षा बलों में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की घुसपैठ बढ़ती जा रही है। भले ही पीएसी के सिपाहियों ने इंसास चोरी करने में कोई साजिश रची हो। लेकिन यह सुरक्षा में बड़ी चूक मानी जा रही है। इस तरह की सेंधमारी से बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे पहले कुछ पुलिसकर्मियों के बदमाशों को संरक्षण देने और खुद अपराध में लिप्त पाए जाने के मामले भी सामने आते रहे हैं।
17 जून की रात पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय (पीटीएस) में एक फर्जी महिला प्रशिक्षु सिपाही को पकड़ा गया था। इस युवती के पास से परिचय पत्र, बेल्ट, टोपी और वर्दी भी बरामद की गई थी। इसका खुलासा तब हुआ जब महिला प्रशिक्षुओं की गिनती की गई तो 401 के स्थान पर 402 महिला प्रशिक्षु मिलीं। बिजनौर निवासी प्रीति नाम की जो युवती अतिरिक्त प्रशिक्षु मिली, उसका कहीं भी रिकॉर्ड नहीं मिला था। जिसके बाद आरोपी प्रीति के खिलाफ थाना खरखौदा पर केस दर्ज कराते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इस प्रकरण में आईजी पीटीएस लक्ष्मी सिंह ने जांच बैठाते हुए कहा था कि फर्जी महिला आरक्षी ने दूसरे जनपदों में भी ट्रेनिंग ली है, जिसके चलते उसकी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। वहीं, पुलिस की जांच में बिजनौर का सिपाही कपिल जांच के घेरे में है। विवेचक बीएस चौहान के अनुसार आरोपी सिपाही कपिल ने धामपुर के साइबर कैफे से युवती के फर्जी कागजात तैयार कराए। मेडिकल भी फर्जी पाया गया।
फर्जी महिला प्रशिक्षु सिपाही का मामला शांत भी नहीं हुआ कि पीटीएस के सामने ही 44 वी वाहिनी पीएसी के कमांड हाउस से इंसास चोरी हो गई। यह इंसास 22 जून को चोरी हो गई थी। लेकिन इसे 28 जून को चोरी होना बताकर पीएसी के एचसीपी गुरुदेव सिंह, कांस्टेबल सोनू सिंह, रत्नेश, प्रेमवीर और अंकित नागर के खिलाफ मुकदमा हुआ। इंसास प्रेमवीर के नाम आवंटित थी। इन पांच पुलिसकर्मियों के अलावा 11 अन्य के खिलाफ विभागीय जांच बैठी तो खलबली मच गई।
अभी तक प्राथमिक जांच में सामने आया कि साजिश के तहत नजदीकी सिपाही ने ही इंसास को चोरी कराया। उसके बाद अलग-अलग मोबाइल नंबरों से इंसास के बदले में 3. 5 लाख की की रकम मांगी गई। रकम न देने के लिए यह भी कहा गया कि तो फिर मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहें।
पुलिस मान रही है कि सिपाही प्रेमवीर और उसके साथियों पर मुकदमा, निलंबन और जेल भिजवाने को लेकर साजिश रची गई। जिसमें वह खुद भी फंस गया है। पुलिस और पीएसी के अधिकारी पहले से ही मान रहे थे कि मामला अंदर से ही जुड़ा हुआ है। कमांड हाउस की गारद तक बाहरी व्यक्ति नहीं पहुंच सकता।
इंसास की चोरी का जब केस दर्ज हुआ तो पीएसी परिसर का चप्पा-चप्पा खोजा गया था। लेकिन सुराग नहीं लगा था। लेकिन जैसे ही अधिकारी सक्रिय हुए तो शनिवार देर रात यह इंसास पीएसी परिसर के छज्जे पर रखवा दी गई।
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साक्षी रावत, गुड़गांव कैंसर से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए अप्रैल में एशियन अंडर-14 लॉन टेनिस टूर्नमेंट आयोजित किया जाएगा। यह टूर्नमेंट 14 अप्रैल से वालियाबास स्थित वैन स्पोर्ट्स क्लब में होगा। 8 दिनों के इस टूर्नमेंट में कई देशों के 100 से अधिक खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। हर खिलाड़ी को रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी। टूर्नमेंट के जरिए इकट्ठा हुई पूरी राशि कैंसर पीड़ित बच्चों की मदद के लिए एनजीओ को दी जाएगी।
वैन स्पोर्ट्स क्लब की डायरेक्टर मलिका रघुवंशी ने बताया कि कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह प्रतियोगिता कराई जा रही है। इसके जरिए लोगों को बताया जाएगा कि ब्लड कैंसर से जूझ रहे बच्चे ठीक हो सकते हैं। वैन स्पोर्ट्स क्लब में एक साल में इस तरह के 30 नैशनल टूर्नमेंट आयोजित हो चुके हैं। अब एशियन चैंपियनशिप के माध्यम से कैंसर पीड़ितों की मदद की जाएगी। कैन किड्स संस्था की फाउंडर पूनम ने बताया कि यह एनजीओ कैंसर से पीड़ित बच्चों की पूरी मदद करता है। ऐसे में इस टूर्नमेंट के माध्यम से बच्चों के लिए फंड मिलेगा, जिससे कई बच्चों को मदद मिल पाएगी।
12 साल के कृषांग रघुवंशी को बनाया ब्रैंड ऐंबैसडर लॉन टेनिस खिलाड़ी कृषांग रघुवंशी को टूर्नमेंट के लिए ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया गया है। 12 साल का कृषांग कैंसर सर्वाइवर है। उसे 3 साल की उम्र में कैंसर हुआ था। लंबे इलाज के बाद 8 साल की उम्र में वह पूरी तरह से ठीक हुआ। आज वह इंटरनैशनल लेवल का खिलाड़ी है। ऐसे में वह दूसरे बच्चों के लिए प्रेरणा है। कृषांग का कहना है कि वह इस बीमारी से उबरकर बेस्ट लॉन टेनिस प्लेयर बनने के लिए मेहनत कर रहा है।
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Vikram Vedha actress Yogita Bihani: योगिता बिहानी ऋतिक रोशन और सैफ अली खान अभिनीत अपनी आगामी फिल्म विक्रम वेधा के प्रमोशन में जुटी हुई हैं। इस मौके के लिए स्टार ने सी-थ्रू मेश ड्रेस में दिखाई दीं।
Yogita Bihani Latest Look: ऋतिक रोशन और सैफ अली खान की आगामी फिल्म विक्रम वेधा की स्टार कास्ट फिल्म प्रमोशन में जुट गई है। इस मौके पर योगिता का जबरदस्त लुक सामने आया। बोल्ड स्टाइल स्टेटमेंट के साथ एक्ट्रेस एक सी-थ्रू मेश ड्रेस और हॉट पिंक ब्लेजर में दिखाई दीं। एक्ट्रसे की ये तस्वीरें काफी ज्यादा वायरल हो रही हैं। सेलिब्रिटी स्टाइलिस्ट गरिमा गर्ग ने योगिता को हेड-टर्निंग मेश ड्रेस और ब्लेजर में स्टाइल किया।
योगिता बिहानी अपने इंस्टाग्राम पर अक्सर ही फैशनेबल फोटोज शेयर करती रहती हैं। हाल ही में फिल्म प्रमोशन के लिए उन्होंने एक ऑफ-व्हाइट ड्रेस को सी-थ्रू मेश फैब्रिक में चुना है। इस आउटफिट में एक्ट्रेस अपनी छत पर खड़ी हुई दिख रही हैं, वहीं उनका बोल्ड मेकअप लुक बहुत ही बढ़िया लग रहा था।
एक्ट्रेस की इस आउटफिट में बॉडी-हगिंग सिल्हूट, कट-आउट और प्लंजिंग यू-नेकलाइन है। लुक के लेवल को अप करने के लिए और असे क्लासी बनाने के लिए हसीना ने हॉट पिंक ब्लेजर भी पहना है। जिसमें नॉच लैपल कॉलर, फ्रंट बटन क्लोजर, पुल-बैक फुल-लेंथ स्लीव्स, साइड में पैच पॉकेट, बॉडी फिटिंग और पैडेड कंधे थे।
योगिता ने इस प्रमोशनल लुक को उन्होंने लेयर्ड बीडेड चेन्स और पेंडेंट के साथ नेकलेस, स्लीक ब्रेसलेट्स, मल्टी-कलर्ड स्टेटमेंट रिंग्स और स्ट्रैपी पिंक हाई हील्स के साथ एक्सेसराइज किया है।
हसीना ने बोल्ड-मिनिमल लुक को कैरी किया है। योगिता ने कर्ल, स्मोकी आई शैडो, स्लीक ब्लैक आईलाइनर, लैशेस पर मस्कारा, ग्लॉसी पिंक लिप शेड, ब्लश्ड गाल, बीमिंग हाइलाइटर और ग्लैम पिक्स के साथ कॉन्टूरिंग की है। वहीं बालों को सेंटर-पार्टेड करके ओपन हेयरडू चुना। यह भी पढ़ेंः कियारा आडवाणी ने डीप नेक आउटफिट में इंटरनेट पर लगाई आग, लुक देख आप भी कह देंगे 'सो हॉट'
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छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए भारत सरकार सब्सिडी स्कीम चला रही है. (तस्वीरः Canva)
Rooftop Solar Scheme: महंगाई के इस दौर में सभी चीजों के साथ बिजली बिल भी काफी महंगा हो गया है. वहीं अब गर्मियों में एसी, कूलर और पंखों के चलने से बिजली बिल भी दोगुना आता है. ऐसे में आपकी गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बिजली के बिल भरने में खर्च हो जाता है और भविष्य के लिए ज्यादा बचत नहीं हो पाती. लेकिन अगर आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल (Rooftop Solar Panel) लगवा लेते हैं, तो बस एक बार के खर्च में हर साल हजारों के बिजली बिल भरने से बच सकते हैं.
फायदे की बात ये हैं कि आपको आपकी छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए भारत सरकार सब्सिडी भी देगी, जिससे सोलर पैनल को लगवाने का खर्च लगभग आधा हो जाएगा. सोलर पैनल 25 साल तक चलते हैं, इसलिए लंबे समय तक इन्हें बदलवाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. 25 साल तक फ्री बिजली और ऊपर से सब्सिडी भी, क्यों है न ये फायदे की बात? तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे आप इस स्कीम का लाभ उठा सकते हैं.
घर में सोलर पैनल लगवाने से पहले इस बात पर जरूर चर्चा कर लें कि आपको कितनी बिजली की जरूरत है. कहने का मतलब है कि आप अपनी आवश्यकता के हिसाब से ही घर में सोलर सेटअप लगवाएं. वैसे तो घरों के लिए 1 KW से 10 KW क्षमता के सोलर सिस्टम उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल 3 KW के सोलर सिस्टम का होता है.
साफ तौर पर कहें तो अगर आपको घर में 5-6 एलईडी बल्ब, 2-3 पंखे, एक ऐसी या एक कूलर, टीवी, फ्रिज और वाशिंग मशीन चलाना हो तो आपको 3 KW के सोलर सिस्टम की जरूरत पड़ेगी. इस सिस्टम से ये सभी उपकरण आसानी से चल सकते हैं. वहीं अगर आपकी जरूरत ज्यादा है तो 4KW या उससे ऊपर का सोलर सिस्टम बेहतर होगा.
कैसे लगवाएं रूफटॉप सोलर?
अगर आप सोलर पैनल लगवाने में सरकार की स्कीम का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको डिस्कॉम (Discom) पर रजिस्टर्ड कंपनियों से ही सोलर सिस्टम खरीदना होगा. देश में केंद्र सरकार की "रूफटॉप सोलर योजना" चल रही है जिसके तहत आप सोलर पैनल लगवाने पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी के हकदार होंगे. घर में रूफटॉप सोलर पैनल लगवाने के लिए आपको नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New & Renewable energy) की वेबसाइट (solarrooftop. gov. in) पर जाकर डिस्कॉम में शामिल किसी भी सेलर से सोलर सिस्टम खरीद सकते हैं. इसके बाद कंपनी आपके घर में सोलर प्लांट इनस्टॉल करने आएगी.
डिस्कॉम द्वारा आपके घर में सोलर पैनल लगाए जाने के बाद सरकार उसे प्रमाणित करती है. इंस्टालेशन के पूरा होने के बाद आपको प्लांट की पूरी जानकारी देते हुए नेट मीटर के लिए ऑनलाइन आवेदन देना होता है. इसके बाद डिस्कॉम घर में लगाए गए प्लांट और सभी उपकरणों की जांच करता है. सभी तरह से प्रमाण हासिल करने के बाद आपके रजिस्टर्ड बैंक खाते में 30 दिनों के भीतर सब्सिडी भेज दी जाती है. उदहारण के तौर पर, यदि 3KW का सोलर लगवाने में 1. 20 लाख रुपये का खर्च आता है, तो आपको उसका 40%, यानी सरकार से 40 हजार रुपये सब्सिडी के तौर पर मिल जाएंगे.
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'हमारे पास तेज गेंदबाजों की लाइन नहीं लगी हुई है. . . ' प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाराज दिखे रोहित, क्यों कहा ऐसा?
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Upendra Kushwaha News : उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि JDU में 95 प्रतिशत आए-गए ही लोग ही हैं। उन्होंने इस बयान के साथ पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह आए-गए लोग सत्ता सुख भोगने आए हैं।
उपेंद्र कुशवाहा ने अपने साथ कई नेताओं को बैठाकर जताया कि वह अकेले नहीं हैं।
जनता दल यूनाईटेड में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जदयू में 95 प्रतिशत आए-गए ही लोग ही हैं। उन्होंने इस बयान के साथ पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह आए-गए लोग सत्ता सुख भोगने आए हैं। हम दो बार पार्टी छोड़े हैं, तीन बार की बात गलत है। कुछ लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बरगलाते रहते हैं। वह दूसरों से हैंडिल हो रहे हैं। अपना कुछ नहीं है! मुख्यमंत्री ने 2009 की पटेल जयंती पर मुझे भरी महफिल में ऑफर दिया था। इस बार भी एक नेता को मेरे पीछे लगाया गया, मुख्यमंत्री आवास से कॉल आया. . . तब पार्टी में आया। मैं नीतीश कुमार को अपना परिवार मानता हूं, उनका अपमान मेरा अपमान है। जब विलय हुआ था, तो उसके बाद उन्होंने कहा था अब मुझे कितना दिन रहना है आप लोग संलालिए. . . यानी मुझे यह कहा था। पार्टी जब जब कमजोर हुई तबतब मेरी खोज हुई। 2009 में जब उपचुनाव हुए थे तो जदयू कई सीट हार गई थी। तब मुझे बुलाया गया। फिर 2020 में 43 पर आ गए तो मुझे बुलाया गया।
शुक्रवार को कुशवाहा ने कुछ नेताओं को अपने साथ प्रेस कांफ्रेंस में बैठाया था, ताकि इसका भी पता चल जाए कि वह अकेले नहीं। शुरुआत में उन्होंने कहा कि चार-पांच दिनों में कई तरह की बात चल रही है और उसमें मुख्यमंत्री ने ऐसा कहा है, यह भी कहा गया। दिल्ली के अस्पताल की बात पर मुख्यमंत्री ने पहले मीडिया के जरिए बात कही। कुशवाहा ने कहा कि मैं तो पहले से चाह रहा कि पार्टी फोरम में बात करूं, लेकिन मैंने तो पहले मीडिया के जरिए बात नहीं की। मैंने इन विषयों पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की मांग की थी। उन्होंने कहा- "अध्यक्ष बैठक तो करें, अगर करनी है तो। बैठक होती है तो जाएंगे, इसके लिए तैयार हैं। राजद से डीलिंग की बात भी पार्टी की मीटिंग में रखना चाहते हैं। किस परिस्थिति में किससे और कैसी डील हुई, यह तो पार्टी के मंच पर रखना ही चाहते हैं। "
कुशवाहा ने मुख्यमंत्री के बयानों का जवाब थोड़ा संयमित होकर दिया और इस बहाने बरगलाने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार के आसपास रहने वाले अपने धुरंधर विरोधियों को जमकर निशाना बनाया। कुशवाहा ने तेजस्वी यादव का नाम भी लिया। उन्होंने कहा कि "मुख्यमंत्री के आसपास कौन हैं, यह उन्हें देखना चाहिए। 2020 के विधानसभा तेजस्वी यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री का एक बेटा है और वो उनका है भी या नहीं. . . । " उन्होंने कहा कि 2 फरवरी को जगदेव बाबू की जयंती मनाने से मुझे मना किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि वह अलग संगठन है। तो, इसका जवाब कौन देगा कि महाराणा प्रताप की जयंती किस बैनर के तहत हुई थी? 2 फरवरी का कार्यक्रम होगा ही। मैं पार्टी में हूं, लेकिन इस सामाजिक कार्यक्रम को जरूर करूंगा। उन्होंने घुमाकर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को भी लपेटा। उन्होंने कहा- ये मुझे आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं, जबकि हर बार नीतीश कुमार ने जरूरत में मुझे याद किया और दोनों बार मैं उनके बुलावे पर ही आया।
इस परेशानी की शुरुआत मकर संक्रांति के पहले तब हुई, जब उनके बारे में कुछ मीडिया ने यह खबरें चला दीं कि वह डिप्टी सीएम बनने वाले हैं। कुशवाहा ने भी हां में हां मिलाकर अपने लिए गड्ढा इसलिए खोद लिया कि उन्हें ऐसी कुछ उम्मीद है। तेजस्वी यादव के समकक्ष किसी को खड़ा नहीं करने की अपनी मंशा को साफ करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा का सपना तोड़ दिया कि ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। मामला यहां भी ठंडा हो सकता था, लेकिन फिर एक तस्वीर आई, जिसमें एम्स में इलाज करा रहे कुशवाहा को देखने भाजपा के तीन नेता आए। उन नेताओं की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर भाजपा और जदयू को हैशटैग करते हुए आई। हंगामा यहां और बढ़ गया। जदयू नेताओं पहले इसपर चुप थे, लेकिन फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा के पार्टी में आते-जाते रहने की बात कह दी। कुशवाहा भी चुप नहीं रहे और पटना एयरपोर्ट पर बातचीत में कह दिया कि जदयू ही भाजपा के साथ जुड़ती-हटती रही है। पार्टी बीमार है, इलाज की जरूरत है। इसके बाद मामला बहुत आगे बढ़ गया। नीतीश कुमार को जवाब देना जदयू में रहते हुए संभव नहीं। बाकी नेता भी बोलते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री ने भी कुशवाहा को मीडिया के जरिए ही जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया कि जबतक बोलना है बोलें और जितनी जल्दी निकलना है निकल जाएं। उधर नीतीश ने बाहर का रास्ता दिखाया और इधर कुशवाहा ने खुद को उनका सिपाही बता दिया। फिर बात पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा ने हिस्सेदारी की बात कर दी। गुरुवार को नीतीश थोड़े नरम होकर विकल्प देते भी नजर आए, लेकिन कुछ ही देर बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कह दिया कि उन्हें (उपेंद्र कुशवाहा को) शर्म आनी चाहिए।
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समाज आर प्रस / १७१
कानून पास हुआ था कि तु शासक वर्ग इतना ही चाहता था कि मतदाता लिख पढ़ सक और कुशल मजदूर बन सक अपना मालिक वनाना तो उनके विचारा से बहुत दूर था । वह कहते थे कि मतदाता हमारे मालिक हैं, जिस प्रकार हम किसान को अन्नदाता कहते हैं ।
नार्थ क्लिफ के विचार के पत्र मालिक अपने बचाव मे कहते हैं कि सर्वसाधारण जो चाहते है वही हम उनको देते है । हम सर्वसाधारण के लिए राजनीतिक शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए नहीं हैं। इन पत्र- मालिकों का गठवन्धन विज्ञापन देने वाली फर्मों से हुआ और आपस के सहयोग से दोनों फलने-फूलने लगे।
इस परिवर्तन से पत्र जगत् मे बड़ी हलचल मची। 'टाइम्स' और 'मैन्चेस्टर गार्जियन' अपना स्वरूप बदलने के लिए विवश हुए किन्तु उन्होंने अपने मूल ध्येय का परित्याग नहीं किया। अनेक पत्र बन्द हो गये या नये पत्र व्यापारियों द्वारा खरीद लिए गये । पुराने स्वतन्त्र विचार के सम्पादक धीरे-धीरे लुप्त होने लगे, पत्रों पर व्यवस्थापकों का अधिकार हो गया। आज सम्पादक की अपेक्षा व्यव स्थापक का स्थान ऊँचा है, उसी का अधिक मान और उसी का अधिक पुरस्कार है। कुछ पत्रों को जीवित रहने के लिए अपने ढग को बदलना पड़ा । उनको आदर्श और व्यापार के बीच समझौता करना पड़ा। आज उन्ही पत्रों की अधिक जिनमें अपराध, स्त्री-पुरुष का सम्वन्ध और खेल के समाचार अधिक रहते हैं। यद्यपि ये पत्र शुद्ध व्यापार की दृष्टि से चलाये जाते है तथापि इनकी सहानुभूति पूंजीपतियों के साथ होती है। अपने मालिकों के विशेष राजनीतिक विचारों को भी यह परिलक्षित करते है । धीरे-धीरे इनमें शक्ति के लिए प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है और यह राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करते है । इंगितों से जनता के विचार कैसे मोड़े जा सकते हैं और उनके भावों का उद्रेक कैसे हो सकता है, इस शास्त्र में वे व्युत्पन्न होते है और राजनीति में वे अपने मानव ज्ञान का उपयोग करते हैं । अपने विज्ञापनदाताओं का भी इनको लिहाज करना पड़ता है क्योंकि इनकी आय का मुख्य स्रोत विज्ञापन ही है ।
समाचार पत्रों के क्षेत्र में भी एकाधिकार होता जाता है। आज का युग पूंजी के एकाधिकार का है। फिर पत्रों का व्यवसाय इससे कैसे बच सकता था ? इंगलैंड
प्रेस मँगनेट कुछ थोड़े से पत्रो से सन्तुष्ट नहीं हैं। उन्होंने स्थानीय पत्रों पर भी धावा बोल दिया है। पत्र व्यवसायियों के गुटों ने स्थानीय पत्रों में से बहुतों को खरीद लिया है। सबकी नीति लन्दन से निर्धारित होती है। आज केम्जले प्रेस का बोलबाला है। जहाँ जाइये, वही आपको इसका अखबार मिलेगा । यही अवस्था अमेरिका में होती जा रही है। अभी हाल में वहाँ की सिनेट ने एक कमेटी नियुक्त की थी। उसकी रिपोर्ट है कि १९४१-१९४४ में केवल २ प्रतिशत फर्मों |
धौलपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेतन चौहान ने शुक्रवार को ग्राम पंचायतों और सरकारी ऑफिसों का निरीक्षण किया। निरीक्षण की कड़ी में सबसे पहले उन्होंने बसई डांग ग्राम पंचायत का निरीक्षण किया। इस दौरान राजीव गांधी सेवा केन्द्र पर भूसा, आटे की मशीन एवं भैस बंधी मिली। चौहान ने वहां मौजूद कर्मचारियों को जल्दी इनको हटाने के निर्देश दिए। साथ ही ग्राम विकास अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा।
जिला परिषद के सीईओ ने कोटरा ग्राम पंचायत का निरीक्षण भी किया गया। इसके बाद स्कूल के सामने निर्माणाधीन सड़क का निरीक्षण किया और मटेरियल में गुणवत्ता रखने के लिए ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) को निर्देशित किया। सीईओ ने शाम 5 बजकर 15 मिनट पर जिला परिषद ऑफिस में जलग्रहण विभाग का निरीक्षण किया। इस दौरान एएओ प्रमोद गुप्ता गैर हाजिर मिले। इस पर उनको कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं।
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अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव जल्द होने वाला है. इस पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन ने बताया है कि अगर वह इलेक्शन जीत जाते हैं, तो उनका प्रशासन भारत के समक्ष मौजूद खतरों से निपटने में उसके साथ खड़ा रहेगा. बिडेन ने भारत और अमेरिका के मध्य संबंधों को और मजबूत करने की बात कही है.
बता दे कि पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन में उपराष्ट्रपति रहे, बिडेन ने भारत के स्वाधीनता दिवस पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए, बताया कि मैं 15 वर्ष पहले भारत के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को मंजूरी देने के कोशिशों का नेतृत्व कर रहा था. मैंने बताया कि अगर भारत और अमेरिका निकट मित्र और सहयोगी बनते हैं, तो दुनिया अधिक सुरक्षित हो जाएगी. बिडेन ने बताया कि अगर वह इलेक्शन जीत जाते हैं, तो भारत अपने इलाकों और अपनी सीमाओं पर जिन खतरों का सामना कर रहा है, वह उनसे निपटने में उसके साथ खड़े रहेंगे. उन्होंने बताया कि वह दोनों मुल्कों के बीच व्यापार बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा जैसी बड़ी वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर कार्य करेंगे.
बिडेन ने बताया कि अगर उन्हें राष्ट्रपति चुना जाता है, तो वह उन लोकतंत्रों को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे जिनकी शक्ति उनकी विविधता है. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर "आइए, हमारे देशों और लोगों के बीच रिश्तों को और मजबूत करें". बिडेन ने कहा कि मैं राष्ट्रपति के तौर पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर भरोसा करना जारी रखूंगा. यह समुदाय दोनों देशों को जोड़कर रखता है. उन्होंने बताया कि डेलावेयर में मेरे निर्वाचन क्षेत्र के सदस्यों और सीनेट में मेरे कर्मियों में बड़ी तादाद में भारतीय-अमेरिकी थे.
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नई दिल्लीः पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चीफ लालू प्रसाद ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हमला बोला है। लालू यादव ने आरक्षण समाप्त करने की बात करने वालों को नसीहत देते हुए कहा है कि आरक्षण समाप्त करने की बात करने वाले जातियां खत्म करने की बात क्यों नहीं करते? राजद प्रमुख के इस विचार की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक व मोटिवेशनल स्पीकर चेतन भगत ने प्रशंसा की है।
चर्चित चारा घोटाले के कई मामलों में सजा काट रहे बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद के ट्विटर हैंडल से सोमवार को लिखा गया कि, 'आरक्षण समाप्त करने की बात करने वाले लोग जातियां खत्म करने की बात क्यों नहीं करते? इसलिए कि जातियां उन्हें श्रेष्ठ बनाती हैं, ऊंची जगह देकर अकारण उन्हें स्वयं पर अहंकार करने का मौका देती है। हम कहते हैं कि पहले बीमारी समाप्त करो, लेकिन वो कहते हैं कि नहीं, पहले उपचार खत्म करो। '
लालू के इस ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लेखक चेतन भगत ने लिखा कि, 'जाति हटाओ। सरल और महान विचार। ' सजा काट रहे लालू इन दिनों बीमारी की वजह से रांची के एक अस्पताल में भर्ती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण का दावा करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है और राज्य नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए विवश नहीं हैं।
Delhi Results Live: जानिए क्या है प्रमुख सीट का हाल, कहीं चली 'झाड़ू' तो कहीं खिला 'कमल'
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सच ये है कि लुटियंस इलाके की लगभग सारी कोठियां सरकार के शीर्ष मंत्रियों और बड़े बाबुओं को आवंटित होती हैं। सो सरकार के ही लोग सही मायने में आज के लुटियंस गैंग ठहरते हैं। किसी भी वक्त जाएं वहां इन्हीं के भीमकाय कमांडो और बड़ी-बड़ी एसयूवी गाड़ियां दिख जाएंगी।
अपने लंबे इतिहास में राजधानी दिल्ली बार-बार बसी और उजड़ी है। मुहम्मद तुगलक से लेकर अकबर और ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजधानी यहां से हटाकर अन्य जगह ले जाने के प्रयोग किए। पर कुछेक समय तक उलट-पलट के बाद दिल्ली ही दोबारा राजधानी बन गई। ऐसी नगरी में राजनीति के बदलाव का दौर सिर्फ कुछ सत्तारूढ़ या सत्ता से दर बदर हुए घरानों या दलों तक सीमित नहीं रहता। वह कई तरह की अनकही उलझनों से भरा और कहीं न कहीं बहत गहरे सामूहिक मानवीय अनुभवों और दर्शन से भी जुड़ा साबित हुआ होता है।
सत्ता के बदलाव के इन पहलुओं को अक्सर राजनेता नहीं, साहित्यकार का मन ही पकड़ पाता है। वजह यह, कि वह निजी राग-द्वेष या लालच की तहत फौरी डायग्नोसिस नहीं देता। बदलाव को वह तटस्थ मन से देश की सनातन विचार परंपरा की रौशनी में परखता है। आज जबकि 2019 के चुनाव खत्म हो चुके हैं और यह क्षण इसी तरह के सही शोध-बोध का है। पर यह काम दलीय प्रवक्ताओं और तथाकथित विशेषज्ञों की चें-चें, पें-पें से भरी टीवी बहसों की या राजनेताओं की फब्तियों, उक्तियों की तरफ से कान बंद करके ही किया जा सकता है।
सो चलिए इस बार के जनादेश को बाहर खड़े होकर देखा जाए। विजय गर्व से दमकते सत्ता पक्ष की जयकार बुलवा रहे पक्ष का सवाल चौखट पर रोकता है। राजनीतिक बदलाव में जो दौर पीछे छूट गया, जो दल वनवास भेज दिया गया, उसके इतिहास पर इतना क्या सोचना? क्या मतदाता ने इस बार यह साफ नहीं जता दिया है कि उसे राजनीति के शीर्ष पर पुराना संभ्रांत वर्ग (जाने क्यों अच्छी भली हिंदी बोलने वाले भी इसके लिए अंग्रेजी के 'इलीट' या 'खान मार्केट गैंग' सरीखे विशेषण इस्तेमाल कर रहे हैं) कुबूल नहीं है।
नए को समझो, उसका स्वागत करो। इलीट वर्ग और उसकी विचारधारा और जीवन शैली पर खाक डालो। जीत के बाद हारे हुओं की खिल्ली उड़ाना हर विजयी दल का प्रिय शगल होता है। मौजूदा पार्टी ही इसका अपवाद क्यों हो? पर इस बार खिल्ली का विषय चयन कठिन है। वाम दल की समाप्तप्राय धारा के मद्देनजर पुराने आरोप, शंकाएं या उपहास बेमानी पड़ चुके हैं। केंद्र द्वारा तेजी से अपनी विचारधारा में रंगे जा रहे जेएनयू के लिए 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का विशेषण या कि बड़ी तादाद में पिछले पांच सालों में बड़े सरकारी पुरस्कारों के कृतज्ञ लाभार्थियों के द्वारा की जा रही हर मंच से वंदना के बाद 'अवार्ड वापसी गैंग' को कोसना भी अब पहले की तरह सरकारी मीडिया प्रकोष्ठ के दिल की कली नहीं खिला सकता है।
'भारतमाता ग्रामवासिनी, खेतों में फैला है अंचल धूल धूसरित'. . . किस्म का 'हम गरीब बनाम वे शहरी थैलीशाह' वाला रुदन भी अब संभव नहीं। वजह यह कि इस बार की नवनिर्वाचित लोकसभा खुद भी करोड़पतियों से भरी पूरी है, जिनकी निजी संपत्ति का औसत लगभग 20. 9 करोड़ बताया जा रहा है। तो सत्तारूढ़ दल के लोग देश की कुल आबादी के 0. 1 फीसदी संपन्नतम वर्ग के सदस्य साबित होने के बाद अब तर्क दे रहे हैं कि मां भारती तरक्की कर गरीबी से उबर चुकी है, देखा नहीं कि इन चुनावों में धर्म और जाति के रसायनों से वोट बैंकों की कितनी सफल लामबंदी की गई?
'नामदार बनाम कामदार' की तुकबंदी भी सुनने में नहीं आ रही। ऊपर वाले की कृपा से सत्तारूढ़ सरकार में कितने नामदार आ गए हैं। 40 करोड़ की घोषित संपत्ति वाली बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर, मेनका गांधी, वरुण गांधी, धौलपर के राजकुंवर और जयपुर की राजकुमारी जैसे नामदार खानदानी रईस लोग भारी बहुमत से चुनाव जीत कर सांसद बन गए हैं तो नामदार कामदार छोड़ो।
फिर वे सोचते हैं चलो खान मार्केट पर ही चर्चा करें। सुनें कि पुराने रईस क्या खा-पहन या पढ़ रहे हैं! युवा वर्ग भी अब इस 'चलो जरा खान मार्केट तक टहल आते हैं,' वाली कामना से सहमत है। उसकी अपनी इच्छा पहले की पीढ़ी के झोलाधारियों की तरह किसी गांव में जाकर एनजीओ खोलकर धूल-पानी के बीच रहते हुए जनसेवा करने की नहीं है। वह पुराने अमीरों की नए अमीरों द्वारा टीवी पर खिंचाई सुन हंसता है। पर उस हंसी में कुंठा अधिक है, देश प्रेम या समाज सुधार के लिए लगाव बहुत कम।
फेसबुक गवाह है कि आज का औसत मिलेनियल सोशल मीडिया पर सेल्फी युग का अमरत्व हासिल करने, विदेश जाकर पढ़ने, अपने दोस्तों के साथ मॉल जाकर कीमती सामान मोलाने, रेस्तरां-पब गुलजार करने और अंततः खुद भी एक सेलेब्रिटी नामदार बनने के ही सपने दिन-रात देखता है। भारत, चीन या जल संकट से अधिक चिंता उसे अपनी पोस्ट पर आने वाली लाइक्स की रहती है। रही बात भ्रष्टाचार की, सो उनके लिए इतना ही काफी है कि भगोड़े माल्या और नीरव मोदी पर सात समुंदर पार अदालती कार्रवाई चालू है। बैंकिंग के कई बड़े सितारों को भी अस्ताचलगामी बना दिया गया है।
चीन के देंग श्याओ फिंग के व्यावहारिक मुहावरे में यह भारतीय मतदाता भी सोचता है कि बिल्ली काली हो या सफेद, इससे क्या फर्क पड़ना है? इतना ही जरूरी है कि वह उसकी खातिर चूहे पकड़ सकती हो। तो इस तरह कुल मिलाकर हमको तो भविष्य के लिए जो आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक सपने जगाए, गढ़े और मीडिया की मार्फत प्रचारित किए जा रहे हैं, बारीकी से देखने पर क्रांतिकारी नहीं यथास्थितिवादी ही दिख रहे हैं।
एक गुलाबी अखबार ने यह भी भली याद दिलाई है कि 'खान मार्केट गैंग' का विशेषण दरअसल मीडियावालों के बीच सभी दलों के खाते-पीते सांसदों के समूह के लिए मजाक-मजाक में बना था। यह वे गुट थे, जिनको संसद के सेंट्रल हॉल में मिलने वाला रेलवई का खाना रास नहीं आता था और अच्छा कुछ खाने-पीने के लिए यह मंडली संसदीय सत्र के दौरान अक्सर दोपहर में खान मार्केट के किसी दामी रेस्तरां का रुख करती दिखती थी। बहरहाल, इन दिनों खान मार्केट गैंग विशेषण को पुरानी इलीट का समानार्थक बनाकर धड़ल्ले से टीवी और सोशल मीडिया पर फेंका जा रहा है।
दूसरी गुप्त सच्चाई यह है कि लुटियंस इलाके की लगभग सारी कोठियां सरकार के शीर्ष मंत्रियों और बड़े बाबुओं को आवंटित होती रही हैं। सो आज की सरकार के ही लोग सही मायने में आज का लुटियंस गैंग ठहरते हैं। हाथ कंगन को आरसी क्या? आप किसी भी समय खान मार्केट चले जाइए आपको वहां इन्हीं के भीमकाय काले कैट कमांडो और बड़ी-बड़ी एसयूवी गाड़ियां मार्केट में उनके बीबी-बच्चों को शॉपिंग कराते या मालिकान के किसी रेस्तरां से खा-पीकर लौटने के इंतज़ार में चहलकदमी करते दिख जाएंगे।
तब 'मीर' की तरह उजड़ी दिल्ली के दयार के गरीब बाशिंदों, खासकर मीडिया के वरिष्ठ जनों को, अचानक खान मार्केट गैंग के खास उल खास नाम से काहे नवाजा जा रहा है? दरअसल, पत्रकारों और पढ़ने-पढ़ाने वालों के आकर्षण का विषय उस इलाके की 'बाहरी संस' या 'फकीरचंद' सरीखी पीढ़ियों पुरानी किताबों की दुकानें ही बची हैं, जो कमर्शियल आग्रह कम पुस्तक प्रेम के कारण ही अधिक चल रही हैं, और कब तक चलेंगी कहना कठिन है। उनमें घंटों नई किताबें पलटना वहां के जानकार पुराने कर्मचारियों से लेखकों की बाबत गप लड़ाने का अपना ही सुख है।
और पुराने किताबी कीड़ों के लिए ऐसी रसमय जगहें अब शेष दिल्ली में बहुत कम बची हैं। पब्लिक लायब्रेरियां तो और भी कम। पार्कों, कहवाखानों की न पूछिए, जिनकी जगह छोटे-बड़े पब हर जगह उपज रहे हैं। वहां बाहर पहलवानी व्यायमशालाओं से निकले मुच्छड़ दरबान पहरा देते हैं और भीतर अनवरत नाच-गाना और शराबनोशी चलती रहती है।
सो खान मार्केट में बची-खुची लुप्तप्राय सरस्वती धाराओं से ज्ञान रस ग्रहण करने, घर खर्च में कटौती करके भी किताबें खरीदने, और उजड्डता भरे अराजक कैंपसों में पढ़ने-पढ़ाने वालों का सीमित विद्याव्यसनी वर्ग बस किताबें खरीदता है। यह वही समुदाय है जो भारत की असली परंपराओं, 1950 के संविधान निर्माताओं के द्वारा एक समन्वयवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक भारत के सपनों का चश्मदीद गवाह और जानकार बचा है। कई बार अपनी नौकरी या सर गंवाने की कीमत पर भी दिल्ली के इसी वर्ग ने पीढ़ी दर पीढ़ी बर्बर जत्थों द्वारा उजाड़ी-जलाई जा रही ज्ञान की परंपराओं को वेदव्यास की तरह किसी सुदूर जंगल में छुपा कर बचाया भी है।
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ये हैं इस वक्त की 10 बड़ी खबरें।
खतौली रेल दुर्धटनाः हादसा या साजिश?
रेलवे की लापरवाही की वजह से गई 23 लोगों की जान. . . 150 से ज्यादा लोग घायल. . . मरने वालों के परिवार को राज्य सरकार ने 2 लाख और रेलवे ने साढ़े तीन लाख के मुआवजे का किया ऐलान. .
लापरवाही से गई 23 लोगों की जान!
बिहार का सियासी दंगल!
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ज्योति प्रसार
व्याख्यान मे उन्होंने विधवा विवाह का विरोध नहीं किया। बल्कि अपने पत्र मे बावू सूरजभान और घावू भूमनलाल एम० ए० वकील के लेख विधवा-विवाह के पक्ष मे बराबर निकाले । चावू ऋषभदास विधवा-विवाह के आन्दोलन को असामयिक ( Untisnely ) समझते थे और उनका विचार था, कि विधवाओं की वृद्धि, वृद्ध-विवाह, बाल-विवाह आदि कारणों को रोका जाय तथा इस प्रश्न पर समाज की शक्ति को खराब न किया जाय। बाल-विधवाओं के विवाह के वे हृदय से पक्ष में थे, पर बाबू ऋषभदास जी ने अपने इस विचार को भी कभी साहस करके प्रगट नहीं किया, वरन् विधवा-विवाह का विरोध किया । बाबू ऋषभदास के ऐसे लेख भी 'जैन प्रदीप' मे बराबर निकलते रहे । बाबू ज्योति प्रसाद का ढंग और कार्य-नीति भी कुछ. ऐसी ही रही। उन्होंने भी बार-बार विधवा-वृद्धि के कारणों को दूर करने के लिये लिखा । पर वावू ऋषभदास के समान उन्होंने विधवा विवाह का विरोध कभी नहीं किया। बावू के चरित्र मे एक ख़ास बात 'लोकेपणा' थी यानी जनता मे प्रिय तथा प्रसिद्ध बनने की इच्छा थी और विधवा- बवाह का समर्थन या विरोध करने से उनके सच्चे भाव तो प्रगट हो जाते, पर वे एक पक्ष को अवश्य खो बैठते । यही उनकी कमजोरी थी। मैं इसको नीति कहने को तैयार नहीं, इसे उनकी बुजदिली कहना, अधिक ठीक होगा । उनके इस दुतर्फा व्यवहार के कारण दोनों पक्षों मे वे अप्रिय से बन गए।
" ६, ७ मई सन १६२७ को. 'सनातन जैन, समाज' का प्रथम
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वार्षिक अधिवेशन घावू सूरजभान जी के सभापतित्व में अकोला में हुआ था । बाबू ज्योतीप्रसाद इस में जाना चाहते थे, परन्तु स्वास्थ्य अच्छा न होने के कारण वे आकोला की लम्बी यात्रा करने के योग्य न थे। पर सनातन जैन समाज के बारे में प्रदीप में उन का स्वलिखित नोट उन के हार्दिक भावों को अवश्य प्रकट करता है । उसका कुछ अंश पाठक देखेंः-"सनातन जैन समाज का उद्देश्य केवल विधवा विवाह का प्रचार करना ही नहीं है, बल्कि जैनधर्म का सच्चे रूप में प्रचार करना और समाज की हर तरह से चहवूदी ( उन्नति) और बहतराई के साधनो पर अमल करना भी है । सनातन जैन समाज का काम अगर इसही रफ्तार से चलता रहा, तो आशा है कि यह जरूर जैन समाज में समय के अनुसार परिवर्तन करदेगा । अगर समय के अनुसार परिवर्तन हो गया, तब जैन धर्म का सितारा भारत वर्षके आकाश मण्डल पर चमकता हुआ नजर आयेगा। इस सभा का मेम्बर ( सदस्य ) हरएक जैनी को होना चाहिये और सच्चे हृदय से काम करना चाहिए। ब्रह्मचारी जी ( त्र० सीतल प्रसाद जी ) अपने प्रयत्न मे सफल हों, ऐसी हमारी भावना है। बाबू सूरजभान सभापति का भाषण हमे मिल गया है । बडा ही दलेरी के साथ लिखा गया है । हमारा इरादा है, कि इस का उर्दु अनुवाद विचार के उद्देश्य से पाठकों के रूबरू पेश करे । "
पर सन् १९२८ की २३ जनवरी को उन्होंने मुझे एक पत्र लिखा जिसमे एक वाक्य यह है "विधवा विवाह का मजमून जैन प्रदीप वर्ष १७, अंक ५, पृष्ट ३४ ।
(लेख) जैन प्रदीप में शाया ( प्रकाशित ) न करूंगा। इस के लिए अभी मुफी चाहता हूँ ।" इसके बाद जैन प्रदीप मे विधवा विवाह के समर्थन या विरोध मे मे कोई लेख नहीं मिलता। एक बार फिर इस प्रश्न पर कुछ लेख लिखवाने का आपका विचार हुआ था। परन्तु फिर जैन प्रदीप ही बन्द हो गया ।
ऊपर की बातों का यही सार है कि आप विधवा विवाह पक्ष मे जरूर थे, परन्तु प्रकट रूप से उसके अनुकूल बोलने, लिखने या अपने विचारों को अमली जामा पहिनने मे हिचकते थे। और अपनी किसी प्रतिष्ठा मे धक्का लगने की जोखम को उठाने को तैयार नहीं थे।
११ विरोध
सुधार का मार्ग विरोध के दांतों मे से होकर गुजरता है। संसार में कौन ऐसा सुधार कार्य है, जिसका हंसी मजाक न उड़ाया गया हो और जिसका विरोध और दमन न किया गया हो
शक्ति- पूर्ण प्रचार और हितकर प्रमाणित होने पर उन्ही सुधारों 1 को जनता ने देर या सवेर मे अपनाया है। जैन समाज के अन्य सुधारकों के समान बाबू ज्योतिप्रसाद भी विरोध से न बच सके। मध्यम मार्ग को ग्रहण करके और प्रेम पूर्ण स्वभाव रखते हुए भी, आपका सम्बन्ध बाबू सूरजभान की पार्टी से होने तथा वैसे ही विचारों का नरम शब्दो मे प्रचार करने के कारण आपका विरोध होना भी अनिवार्य था । "धर्म चला" "धर्म डूवा" "धर्म को मिटाया जा रहा है" इस प्रकार चिल्लाने वाले पण्डित दल की नजर आप पर कैसे न पड़ती १ यदि आपके पत्र हिन्दी मे होते, तो मेरे विचार में यह विरोध और तीव्र हो जाता।
एक बार सम्पादक हिंदी जैन गज़ट ने आपकी समालोचना करते हुए आपको 'नास्तिक' लिख दियाथा। आपने पण्डित जी को रजिस्टर्ड नोटिस देकर नास्तिक होने का प्रमाण मांगा था ।
सहारनपुर मे जैनबालयोधिनी सभा के जलसे पर एक प्रस्ताव के द्वारा जैन प्रदीप में धर्म विरुद्ध (1) निकलने वाले लेखों का जचाव देने के लिये 'जैन पत्र समालोचक' कमेटी स्थापित की गई थी । जिसके कार्यकर्ता सहारनपुर के बडे बडे प्रतिष्ठित आदमी थे । पर इस सभा ने भी जैन प्रदीपक के किसी लेख का उत्तर किसी जैन पत्र या ट्रेक्टद्वारा नहीं दिया ।
हिंदी जैन गजट क ३५ (२३ जूलाई सन् १६२३ ) मे उसके प्रकाशक ने "पजाब प्रान्त के जैन भाई ध्यान दे ।" लेख मे पंजाब और सहारनपुर, फीरोजपुर, मेरठ आदि के जैनियों से अपील की थी, कि वे जैन प्रदीप को न पढौं क्योंकि यह (पत्र) जैन धर्म के विरुद्ध लेख लिखता है और उनके ( बाबू ज्योतिप्रसाद के ) विचार धर्म से गिरे हुये हैं x ।
इस प्रकार के दमन मय प्रचार से जैन समाज के कितने पत्रों और कार्यकर्ताओं को दवाने का प्रयत्न किया गया है, यह लिखते हुये हृदय कापता है । इस प्रकार के आन्दोलन का न बाबू ज्योतिप्रसाद पर और न जैन प्रदीप पर कुछ प्रभाव पड़ा, कारण कि जैन प्रदीप के पाठक अधिक उन्नति शील विचारों वाले थे। इस विरोध के बाद भी 'प्रदीप' सात आठ वर्ष चलता रहा और बा० ज्योति प्रसाद जैन समाज की सभाओं में सम्मानित रूप से रहे। विरोध और बायकाट की छाप लगजाने से निसन्देह आपका नाम सुधारकों की श्रेणी मे कुछ ऊ चा होगया है।
जैन प्रदीप वपे १०, अक २१ - २२, पृष्ट ३१ । x जैन प्रदीप वर्ष ११, १२-१३, पृष्ठ ६ |
अब तक फिल्म में अपनी हीरोइनों को लिपलॉक करने वाले रणबीर कपूर ने फिल्म 'बर्फी' के फर्स्ट लुक लॉन्च पर रणबीर कपूर ने क्यों किया निर्देशक अनुराग को लिपलॉक? यह सभी के लिए सवाल बना हुआ है।
क्या फिल्म 'बर्फी' को पहले ही दिन चर्चा में लाने के लिए रणबीर ने किया खुलेआम अनुराग को किस। दरअसल,'बर्फी' के ट्रेलर में रणबीर कपूर को अभिनेत्री इलियना डिक्रूज को किस करते दिखाया गया है। प्रमोशनल इवेंट के दौरान जब इलियना ने इस बारे में पूछा गया कि रणबीर और आप किस सीन के दौरान सहज थे तो इसका जवाब रणबीर ने अनुराग बसु को किस करके दिया।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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( ७ ) प्रत्येक वस्तु दुःख उत्पन्न करने वाली है। यहाँ तक कि सुख और वेदना भी दुःख ही उत्पन्न करती हैं। इसलिए सौत्रान्तिक लोगों के मत में समस्त पदार्थ दुःखमय है।
( ८ ) इनके मत में अतीक ( भूत ) तथा अनागत ( भविष्य ) दोनों शून्य हैं। वर्तमान ही काल सत्य है। काल के विषय में इस प्रकार वैभाषिकों से इनका पर्याप्त मतभेद है । वैभाषिक लोग भूत, वर्तमान है। तथा भविष्य तीनों काल के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं। परन्तु सौत्रान्तिक मत में वर्तमान काल की ही सता मानी जाती है ।
( १ ) निर्वाण के विषय में सौत्रान्तिक मत के आचार्य श्रीलब्ध का एक विशिष्ट मत था कि 'प्रतिसंख्यानिरोध' तथा 'अप्रति संख्या निरोध' में किसी प्रकार का अन्तर नहीं है। प्रतिसंख्या निरोध का अर्थ है प्रशानिबन्धन, भाविक्लेशानुत्पत्ति अर्थात् प्रज्ञा के कारण भविष्य में उत्पन्न होने वाले समस्त क्लेशों का न होना । अप्रति संख्या निरोध का अर्थ है क्लेश निवृत्तिमूलक दुःखानुत्पत्ति अर्थात् क्लेशों के निवृत्त हो जाने पर दुःख का उत्पन्न न होना । क्लेशों की निवृत्ति के ऊपर ही दुःख अर्थात् संसार को अनुत्पत्ति भवलम्बित है । अतः क्लेश का उत्पन्न न होना संसार के सत्पन्न न होने का कारण है। श्रीलब्ध की निर्वाण के विषय में यही कल्पना है।
( १० ) धर्मों का वर्गीकरण - सौत्रान्तिक मत के अनुसार धर्मों का एक नवीन वर्गीकरण है। जहाँ वैभाषिक लोग ७५ धर्म मानते हैं और विज्ञानवादी पूरे १०० धर्म मानते हैं, वहाँ सौत्रान्तिक केवल ४३ धर्मं स्वीकार करते हैं। यह वर्गीकरण साधारणतया उपलब्ध नहीं होता । सौभाग्यवश तामिळ देश के अरुणन्दीशिवाचार्य ( १२७५-१३२५ ई० ) द्वारा लिखित 'शिव्रज्ञान सिद्धिचर' नामक तामिळ ग्रन्थ में यह वर्गीकरण तथा सौत्रान्तिकमतेऽतीतानागतं शून्यमन्यदशून्यम् ।
- माध्यमिक वृत्ति पृ० ४४४ ।
उपलब्ध होता है । प्रमाण दो प्रकार का है- प्रत्यक्ष और अनुमान । इनके विषय सौत्रान्तिकों के अनुसार ४ प्रकार के हैं ( 9 ) रूप ( २ ) अरूप ( ३ ) निर्वाण ( ४ ) व्यवहार । रूप ४ ) व्यवहार । रूप दो प्रकार का उपादान और उपादाय, जो प्रत्येक ४ प्रकार का होता है। अन्तर्गत पृथ्वी, जल, तेज तथा वायु की गणना है तथा उपादाय में रूक्षता, आकर्षण, गति, तथा उष्णता इन चार धर्मों की गणना है । 'अरूप' भी दो प्रकार का होता है - चित्त और कर्म । निर्वाण दो प्रकार को है - सोपधि और निरुपधि व्यवहार भी दो प्रकार का होता है सत्य और असत्य । इस सामान्य वर्णन के अनन्तर ४३ धर्मों का वर्गकरण इस तरह है-( १ ) रूप = ८ ( ४ उपादान + ४ उपादाय
( २ ) वेदना = ३ ( सुख, दुःख, न सुख न दुःख ) । न ३) संज्ञा = ६ ( ५ इन्द्रियाँ तथा १ चित्त ) ।
( ४ ) विज्ञान = ६ ( चक्षु, श्रोत्र, घाण, रसन, काय तर्था मन ) -इन इन्द्रियों के विज्ञान । ( ५.) संस्कार = २० ( १० कुशल + १० अकुशल ) । (ग) सर्वास्तिवाद का समीक्षण
सर्वास्तिवादियों के सिद्धान्तों की समीक्षा अनेक आचार्यों ने की है बादरायण ने ब्रह्मसूत्र के तर्कपाद ( २ २ ) में इसकी बड़ो मार्मिक आलोचना की है। शङ्कराचार्य ने अपने भाष्य में इस समीक्षा की युक्तियों का बड़ा ही भव्य प्रदर्शन किया है। अबौद्ध दार्शनिकों ने अपनी उँगली बौद्धमत के सबसे दुर्बल अंश पर रखी है। वह दुर्बल अंश है संघातवाद ! सर्वास्तिवादियों की दृष्टि में परमाणुओं के संघात से भूतभौतिक जगत् का निर्माण होता
१- लम्बनपरीक्षा (रसंस्करण ) पृ. ११६-१८
है और पञ्चस्कन्धों से आन्तर जगत् ( चित्त - चैत्त ) की रचना होती है । भूत तथा चित्त दोनों संघातमात्र हैं। भूत परमाणुओं का संघात है । और चित्त पन्चस्कन्धाधोन होने से संघात है। सबसे बड़ी समस्या है इन समुदायों की सिद्धि । चेतन पदार्थों का संघात-मेलन युक्तियुक्त है, परन्तु यहाँ समुदायी द्रव्य ( अणु तथा संज्ञा ) अचेतन हैं। ऐसी परिस्थिति में समुदाय की सिद्धि नहीं बन सकती । चित्त अथवा विज्ञान इस संघात का कारण नहीं माना जा सकता। देह होने पर विज्ञान का का उदय होता है और विज्ञान के कारण देहात्मक संघात उत्पन्न होता है। ऐसी दशा में देह विज्ञान पर अवलम्बित रहता है और विज्ञान देह
पर । फलतः अन्योन्याश्रय दोष से दूषित होने से यह पक्ष समीचीन नहीं है । स्थिर संघातकर्ता की सत्ता बुद्धधर्म में मान्य नहीं है जो स्वयं चेतन होता हुआ इन अचैतनों को एक साथ संयुक्त कर देता । चेवनकर्ता के अभाव में परमाणुओं के संघात होने की प्रवृत्ति निरपेक्ष है अर्थात् विना किसी अपेक्षा ( आवश्यकता ) के ही ये समुदायी प्रवृत्ति उत्पन्न करते हैं, तब तो इस प्रवृत्ति के कभी न बन्द होने की भापत्ति उठ खड़ी होती है। साधारण नियम तो यही है कि कोई भी प्रवृत्ति किसी अपेक्षा के लिए होती है प्रवृत्ति का कर्ता चेतन होता है। जब तक उसे उसकी आवश्यकता बनी रहती है तब तक वह कार्य में प्रवृत्त रहता है। अपेक्षा की समाप्ति के साथ ही प्रवृत्ति का भी विराम हो जाता है । परन्तु अचेतन के लिए अपेक्षा कैसी ? अतः सर्वास्तिवादी मत में प्रवृत्ति के कहीं भी •समाप्त होने का अवसर ही नहीं भावेगा, जो व्यवहार से नितान्त विरुद्ध है।
विज्ञानवाढी कह सकते हैं कि श्रालय विज्ञान ( समस्त विज्ञानों का अण्डार ) इस संघात का कर्ता हो सकता है। पर प्रश्न यह है कि यह |
अमेरिका ने पाकिस्तान को एक और झटका देते हुए उसकी सैन्य सहायता रोकने का ऐलान किया है। उसने कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकी संगठनों पर कार्रवाई नहीं करता उसकी सारी मदद बंद रहेगी।
हीदर ने कहा कि दूसरी तरह की मदद जो पाकिस्तान को दी जाती रही हैं, उनके बारे में रक्षा मंत्रालय विचार कर रहा है। इस बीच खबरें यह भी है कि अमेरिका ने धार्मिक आजादी के मुद्दे पर पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला है। विदेश मंत्रालय की तरफ से इसकी भी जानकारी दी गई है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने धार्मिक मुद्दे उठाने पर लोगों को जेल भेजा, इससे साबित होता है कि पाकिस्तान सरकार लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में नाकाम रही है।
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Sonbhadra News: बभनी थाना क्षेत्र के एक गांव में एक महिला के साथ चार साल तक शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया गया। पीड़िता ने शादी के लिए दबाव बनाया तो आरोपी शौच के बहाने उसके मायके से भाग खड़ा हुआ। आरोप है कि अब वह चोरी छुपे दूसरी जगह शादी रचाने में लगा हुआ है।
एसपी से लगाई गई गुहार में पीड़िता ने जानकारी दी है कि वह चोरी-छिपे रविवार की रात शादी करने वाला है। पेट में आरोपी के संयोग से तीन माह का गर्भ पलने का हवाला देते हुए शादी रोकवाने और झांसा देकर कथित दुष्कर्म किए जाने के मामले में कार्रवाई की गुहार लगाई गई है।
एडीजी जोन वाराणसी और डीआईजी मिर्जापुर की तरफ से सोनभद्र पुलिस को प्रकरण संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पीड़िता की तरफ से एसपी सहित अन्य को अवगत कराया गया है कि बभनी थाना क्षेत्र के ही एक 27 वर्षीय युवक ने, शादी का झांसा देकर उसके साथ लगातार चार वर्ष तक दुष्कर्म किया। आरोप है, कि कई बार वह उसके मायके में आकर उसके साथ संबंध बनाया।
जब उसने विधि विधान से शादी या कोर्ट मैरिज करने के लिए दबाव बनाया तो वह उसके मायके से शौच जाने की बात कह कर गायब हो गया। रविवार को एसपी, डीआईजी और एडीजी को ट्वीट के जरिए दी गई जानकारी में बताया गया है कि रविवार की दोपहर उसे पता चला कि वह इलाके की एक युवती से चोरी छुपे शादी रचाने की तैयारी में लगा हुआ है।
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नक्काशी फल, सब्जियां, चॉकलेट, पनीर पर काटने की कला है। कड़ाई से बोलते हुए, अंग्रेजी से शाब्दिक अनुवाद में, जहां परिभाषा स्वयं से आई, नक्काशी का मतलब है "नक्काशी"।
इस तकनीक में महारत हासिल उत्पादों की कला का असली काम करता है बना सकते हैं। हम आपको क्या नक्काशी है से अधिक परिचित बनने के लिए।
जैसा कि आप अनुमान लगा सकते हैं, फल और सब्जियों के लिए नक्काशीदार नक्काशी की कला एशिया से यूरोप आ गई। लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि चीनी या थाई नक्काशी की खोज करने वाले पहले व्यक्ति कौन थे।
यद्यपि एक किंवदंती हैः त्योहार थाईलैंड में लॉय क्राथोंग (वर्ष निर्दिष्ट नहीं है, लेकिन लगभग अवधि - बारहवीं सदी) के बाद, राजा सब्जियों और फलों के पक्षियों और फूल है कि वह चाहती थी कि हर महिला ऐसा करने में सक्षम है की खुदी हुई आंकड़ों के साथ इतने खुश प्रतिनिधित्व किया कटोरा था। इसके बाद पूर्व भर में फैले हुए नक्काशी, और इस तरह की मेज सजाने और पकवान एक परंपरा बन गई है।
समय के साथ, फल पर नक्काशीदार नक्काशी की कलाऔर यूरोप में सब्जियां विकसित होने लगीं। लेकिन चीन और थाईलैंड में यह मान्यता, यहां नक्काशी प्राप्त नहीं हुई है। सबसे अधिक संभावना है, यह इस तथ्य के कारण है कि एशियाई देशों में सब्जियों और फलों के व्यंजन प्रमुख हैं, इसलिए, किसी भी तरह से मेज को विविधता देने के लिए, लोगों ने नक्काशी के रूप में ऐसी चाल का सहारा लिया। यूरोप में, व्यंजन बहुत अधिक विविध थे, इसलिए सब्जियों और फलों की नक्काशीदार मूर्तियों के साथ मेज को सजाने के लिए केवल रेस्तरां उद्योग के विकास के साथ ही शुरू हुआ।
अब नक्काशी में दो मुख्य शैलियों हैंः यूरोपीय और एशियाई। उनके मतभेद हैंः
- फल और सब्जियों का चयन;
- काटने की तकनीक;
- कुछ उपकरण;
- भूखंडों।
काम अच्छा हो, इसके लिएआपको उपयुक्त बुनियादी साधनों का उपयोग करना चाहिए। नक्काशी की तकनीक में ये विशेष चाकू हैं। यह इस तथ्य के कारण है कि सामान्य लोगों का उपयोग करके, आप बस उचित परिणाम प्राप्त नहीं करेंगे। उदाहरण के लिए, आपको ओपनवर्क पैटर्न नहीं मिल सकता है।
नक्काशी चाकूः
- चाकू लेनेः फीता काटने के लिए उपयोगी, बड़े और छोटे उत्पादों के लिए उपयुक्त;
- त्रिकोण तरबूज चाकू;
- पेंच चाकूः घने सब्जियों और फलों (उदाहरण के लिए, आलू, सेब), कोर हटाने और भराई के लिए गोल सर्पिल काटने के लिए उपयोग किया जाता है;
- लहराती काटने के लिए चाकू;
- स्क्वायर क्रॉस सेक्शन के साथ चाकूः पैटर्न और विभिन्न आकृतियों को काटने के लिए उपयोगी;
- लहराती अंडाकार चाकूः पंखुड़ी बनाने के लिए आवश्यक;
- कबूतर चाकूः त्रिकोणीय आकार की पंखुड़ियों को बनाने के लिए उपयोगी;
- छील के लिए चाकू;
- थाई चाकूः घनी त्वचा पर पतले पैटर्न बनाने के लिए आवश्यक है।
नक्काशी के लिए अतिरिक्त उपकरणः
- गाजर के लिए चोखाः विभिन्न सजावट के गाजर बनाने में मदद करता है (उदाहरण के लिए, फूल);
- दो तरफा चम्मचः सब्जियों और फलों से विभिन्न आकारों के गोले को काटने में मदद करता है;
- लगा दो तरफा चम्मच;
- सब्जी छीलने वाला;
- खाना पकाने की चिमटी;
- कटरों को काटें।
नक्काशी उपकरण के रूप में खरीदा जा सकता हैटुकड़ा द्वारा, और सेट, जो साधारण और पेशेवर में विभाजित हैं। सामान्य सेट में केवल 3-4 चाकू होते हैं। पेशेवर सेट में कई चाकू और अतिरिक्त उपकरण होते हैं (एक नियम के रूप में, लगभग 10-15 टुकड़े)। किट में मास्टर क्लास और उपयोगी युक्तियों के साथ एक पुस्तक और एक डीवीडी भी शामिल है।
एशियाई नक्काशी की एक जटिल रचना हैविदेशी सब्जियां और फल। पैटर्न में चित्रलिपि और प्राच्य रूपांकनों (उदाहरण के लिए, ड्रेगन और युद्ध के दृश्य) का प्रभुत्व है। और काटने की प्रक्रिया में मास्टर विभिन्न प्रकार के उपकरण, स्टेंसिल और रूपों का उपयोग करता है।
यूरोपीय नक्काशी एक मेज को सजाने के लिए एक बहुत ही सुंदर और अपेक्षाकृत सस्ती तरीका है। यह सबसे सरल सब्जियों और फलों का उपयोग करता है। जटिल पैटर्न और आकार अत्यंत दुर्लभ हैं।
1932 की क्रांति के अंत में, नक्काशी की कलाफल और सब्जियों ने थाईलैंड में पूर्व लोकप्रियता का हिस्सा खो दिया। इसलिए, अधिकारियों ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया, और आज ग्यारह साल की उम्र तक पहुंचने वाले बच्चों के लिए स्कूलों में नक्काशी सिखाई जाती है।
यूरोपीय देशों में भी मौजूद हैंविशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जो शुरुआती, उन्नत मास्टर्स, साथ ही कुछ पैटर्न बनाने के लिए एक मिनी-प्रोग्राम के लिए कार्यक्रम प्रदान करते हैं। ऐसे पाठ्यक्रम सस्ते नहीं हैं, और उनकी अवधि में लगभग सात से आठ घंटे लगते हैं, जिन्हें कई वर्गों में विभाजित किया गया है। प्रशिक्षण के बाद, आपको नक्काशी की कक्षाओं - नक्काशी के पूरा होने का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। स्नातकों की समीक्षाओं का कहना है कि कुछ इस कला से इतने अधिक मोहित हो गए हैं कि उन्होंने इससे कमाई भी शुरू कर दी है। सब के बाद, लाक्षणिक रूप से कटी हुई सब्जियाँ और फल बेचे जा सकते हैं।
घर पर नक्काशी की तकनीक में महारत हासिल करना अधिक कठिन है, लेकिन संभव है। ऐसा करने के लिए, आपको उपकरण और शैक्षिक सामग्री पर स्टॉक करने की आवश्यकता हैः विशेष साहित्य और वीडियो जिसमें नक्काशी तकनीक में वास्तविक शिक्षकों से सबक होता है। एमेच्योर या चित्र के बिना मास्टर कक्षाएं आपको वास्तव में इस तकनीक में महारत हासिल करने की अनुमति नहीं देंगी। इस पर विचार किया जाना चाहिए।
नक्काशी में नए शौकीन आसानी से तरबूज की टोकरी-फूलदान बना सकते हैं।
काम का अनुक्रमः
- एक तरबूज लें। इसे अच्छे से धोकर सुखा लें।
- पूरे व्यास के बीच में चाकू की नोक से हल्के से निशान करें।
- मोटे पेपर पर एकल लिंक पैटर्न बनाएं।
- चिपकने वाली टेप के साथ, तरबूज की दीवार के लिए खाका खींचा, मध्य में लंबवत।
- चाकू की नोक से पैटर्न को सर्कल करें।
- ऊपर दिए गए टेम्पलेट को स्थानांतरित करें और इसे तरबूज में स्थानांतरित करें। पूरी टोकरी को इस तरह से ड्रा करें।
- तरबूज के टुकड़ों को संभाल के किनारों पर सावधानी से काटें (यह दो चौथाई निकलता है), और इसके ऊपर मांस को न छुएं।
- संभाल पर लिंक के बीच से काटें।
- चम्मच गूदे से हैंडल के नीचे की जगह को साफ करते हैं, जिससे हैंडल पर लगभग दो सेंटीमीटर निकल जाता है।
- घुंघराले किनारों को आधा तरबूज बनाओ, जो एक टोकरी के रूप में कार्य करता है।
- लुगदी से आधा तरबूज चम्मच, दीवारों पर लगभग दो सेंटीमीटर छोड़ दें।
- छोटे बेरीज के साथ तैयार तरबूज की टोकरी भरेंः अंगूर, स्ट्रॉबेरी, रसभरी, चेरी, चेरी।
खाद्य टोकरी तैयार!
- आपको केवल ताजा और चिकनी सब्जियों और फलों का उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्हें अच्छी तरह से धोया और सूखा भी होना चाहिए।
- नक्काशीदार सजावट को मुख्य व्यंजनों के साथ रंग और स्वाद में जोड़ा जाना चाहिए।
- सभी उपकरणों को अच्छी तरह से तेज किया जाना चाहिए।
- फल का काम समाप्त हो गया (तरबूज और तरबूज को छोड़कर), ठंडे पानी में दस मिनट के लिए डालें।
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शुक्रवार (14 जुलाई) को लॉन्च के बाद चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष में तीसरी बाधा पार कर ली है। चंद्रयान-3 ने दूसरा ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार दोपहर यह अपडेट दिया। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 की लोकेशन अब 41603 km x 226 ऑर्बिट में है। यह धरती के चक्कर लगाते हुए उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकलेगा।
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 की तीसरी कक्षा को सफलतापूर्वक बदल दिया गया है। अगली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग 20 जुलाई 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे ही होगी. फिलहाल ISRO ने यह नहीं बताया है कि दूरी में कितना बदलाव किया गया है। चंद्रयान-3 के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है। चंद्रयान-3 में एक प्रपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723. 89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।
अभियान के तहत चंद्रयान 41 दिन की अपनी यात्रा में चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। गौरतलब है कि दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी देश ने सॉफ्ट लैंडिंग नहीं की है। चांद की सतह पर अबतक अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं लेकिन उनकी सॉफ्ट लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हो सकी है।
वहीं, अगर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का 600 करोड़ रुपये लागत से बना चंद्रयान-3 मिशन चार साल में तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग की तकनीक में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन जाएगा। यह चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का ISRO का दूसरा प्रयास है। धरती से लेकर चांद की दूरी 3. 83 लाख किलोमीटर है और चंद्रयान-3 अपनी यात्रा के दौरान फिलहाल पृथ्वी की कक्षा में ही चक्कर काट रहा है।
इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने शनिवार को जानकारी दी थी कि चंद्रयान-3 ने पहला ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि अंतरिक्ष यान सामान्य चाल से चल रहा था। चंद्रयान-3 अब ऐसी कक्षा में है, जो पृथ्वी से सबसे नजदीक होने पर 173 किलोमीटर पर है और पृथ्वी से सबसे दूर होने पर 41,762 किलोमीटर पर है।
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आगरा। एससी एसटी एक्ट को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद पूरे दिन भर चले बवाल आगजनी तोड़फोड़ देर शाम तक शांत हो गई। एसएसपी अमित पाठक और प्रभारी जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार इस पूरे मामले में मोर्चा संभाला। आगजनी और तोड़फोड़ के बाद पुलिसकर्मियों ने जैसे ही प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा तो उसी दौरान दलित समाज के बाहुल्य क्षेत्रों के पास PAC और क्षेत्रीय थाने की पुलिस को तैनात कर दिया गया।
शाम होते-होते मामला जैसे-जैसे शांत पड़ता चला गया तो पुलिसकर्मियों ने भी राहत की सांस ली लेकिन प्रदर्शनकारियों ने अभी तक रेलवे ट्रैक को खाली नहीं किया था। बाराहखंबा रेलवे ट्रैक हो या फिर काजीपाड़े क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाइन। यहां पर देर शाम तक दलित समाज के लोग बैठे रहे और रेल के आवागमन को बाधित करते रहे। ऐसे में फिर से कोई बवाल हो जाए इसके लिये एसएसपी अमित पाठक ने RAF की टुकड़ी को बुलवा लिया और ऐसे स्थानों पर RAF तैनात कर दी गई।
एसएसपी अमित पाठक का कहना था कि प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन अब शांत होता जा रहा है लेकिन अभी भी रेलवे ट्रैक पर जो लोग बैठे हैं उन से वार्ता की जा रही है। SP रेलवे भी इस पूरे मामले में जुटे हुए हैं। बवाल ना हो लाठीचार्ज ना करना पड़े इसके लिए दलित समाज के लोगों से शांति से वार्ता कर रेलवे ट्रैक खाली कराने का प्रयास किया जा रहा है। SSP अमित पाठक का कहना था कि इस पूरी कार्रवाई में 30 से अधिक बलवाइयों को गिरफ्तार किया गया है यह ऐसे असामाजिक तत्व जो सुबह से शराब पिए हुए थे जिन्होंने दंगा भड़काया।
प्रभारी जिलाधिकारी का कहना था कि भारत बंद को लेकर ऐसी आशंकाएं थी कि बवाल हो सकता है इसलिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। पुलिस बल तैनात ना होता तो बवाल बढ़ सकता था। फिलहाल स्थिति कंट्रोल में है और यथावत स्थिति को बनाए रखने के लिए दलित बाहुल्य क्षेत्र में अत्यधिक पुलिस बल और RAF की टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं।
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Sapna Chaudhary का नया गाना Nashile Nain हुआ रिलीज, सपना के डांस के आगे सब फेल!
Sapna Chaudhary New Haryanvi Song 2022: हरियाणा की मशहूर डांसर और बिग बॉस की एक्स कंटेस्टेंट सपना चौधरी का एक और गाना रिलीज हो गया है। इस गाने में सपना का धमारेदार डांस फैंस को दीवाना बना रहा है। सपना चौधरी का गाना नशीले नैन (Nashile Nain) यूट्यूब पर तेजी से वायरल हो रहा है।
New Haryanvi Song 2022; Sapna Chaudhary Dance: हरियाणा की मशहूर डांसर और बिग बॉस 11 की कंटेस्टेंट सपना चौधरी का एक नया गाना रिलीज कर दिया गया है। सपना चौधरी का गाना नशीले नैन (Nashile Nain) यूट्यूब पर काफी पसंद किया जा रहा है। इस गाने में सपना का डांस हमेशा की तरह ही काफी धमारेदार है। नशीले नैन (Nashile Nain) यूट्यूब पर तेजी से वायरल हो रहा है। सपना चौधरी के इस गाने को हरियाणा की मशहूर सिंगर कंचन नागर (Kanchan Nagar) ने गाया है। वहीं वीडियो में सपना के साथ एक्टर विवेक राघव ( Vivek Raghav ) भी नजर आ रहे हैं।
सपना चौधरी के इस नए गाने को फैंस सुपरहिट बता रहे हैं, एक यूजर ने लिखा, 'मुझे सपना के गाने से कुछ ऐसी ही उम्मीद थी'। आइए इस गाने पर एक नजर डालते हैं।
ट्रेंडिंगः
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- विदेशों में पढ़ाई को आसान बनाएगा 4 साल का डिग्री कोर्स, जल्द ही जारी होंगे फाइनल रेगुलेशंसदेशभर की ज्यादातर यूनिवर्सिटी में 4 साल के ग्रैजुएशन कोर्स को लागू करने की तैयारी की जा रही है। कई यूनविर्सिटी यूजीसी के साथ इस बारे में बात कर रही हैं। ऐसा करने से उन स्टूडेंट्स को फायदा होगा जो पीजी के लिए विदेश में जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं।
- 16 अगस्त तक शुरू हो जाएगा नया सेशन, फीस वापसी पर भी सख्त नियमदिल्ली यूनिवर्सिटी में नया सेशन इस साल 16 अगस्त से शुरू होगा। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. जगदीश कुमार ने इस बारे में बताते हुए कहा है कि इस साल सेशन समय पर शुरू करने की पूरी कोशिश की जा रही है। बता दें कि अभी देश भर की यूनिवर्सिटीज मे एडमिशन के लिए सीयूईटी एग्जाम चल रहे हैं।
- JEE-अडवांस्ड में गाजियाबाद के ऋषि कालरा को तीसरी रैंक, NCR के छात्रों का जलवाIIT के एंट्रेंस एग्जाम JEE-अडवांस्ड 2023 जारी हो गया है। इस बार का टॉपर हैदराबाद जोन से है। वीसी रेड्डी ने 341 मार्क्स के साथ टॉप किया है। रमेश सूर्या दूसरे और रुड़की जोन के ऋषि कालरा ने तीसरा स्थान हासिल किया है। दिल्ली जोन में प्रभाव खंडेलवाल को छठी रैंक मिली है।
- NEET-UG रिजल्ट्स के टॉप 50 में सबसे ज्यादा 8 कैंडिडेट दिल्ली केNEET-UG Result 2023: नैशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए मंगलवार रात मेडिकल नीट (यूजी) का एग्जाम रिजल्ट जारी कर दिया है। तमिलनाडु के स्टूडेंट प्रबंजन जे और आंध्र प्रदेश के स्टूडेंट बोरा वरुण ने 99. 99 पर्सेंटाइल के साथ नीट परीक्षा में टॉप किया है।
- NEET-UG में आ जाए एक जैसा स्कोर, तो फिजिक्स के नंबरों से होगा फैसला! NMC का ये नियम जानते हैं आपअगर दो या ज्यादा छात्रों के नीट यूजी में एक जैसा स्कोर आ जाए तो उन्हें रैंक कैसे दी जाएगी? इसके लिए नैशनल मेडिकल कमिशन ने नया फॉर्म्युला बनाया है। इस तरह के केस में पहले फिजिक्स, फिर केमिस्ट्री और बायोलॉजी के नंबरों को प्रधानता दी जाएगी।
- 9 साल में पूरा करना होगा MBBS कोर्स, जानें क्या हैं कोर्स के नए रेग्युलेशनNMC ने नोटिफिकेशन जारी करके कहा है कि एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्रों को एडमिशन की तारीख से लेकर 9 साल के अंदर कोर्स पूरा करना होगा। अभी भारत में एमबीबीएस कोर्स करने के लिए कुल मिलाकर 5. 5 से 6 वर्षों तक का समय लगता है। जिसमें 4. 5 साल पढ़ाई और फिर 1 साल की इंटर्नशिप है।
- क्यों चलते फिरते अचानक हो रही है लोगों की मौत? ICMR वजह पता लगाने के लिए कर रहा स्टडीसडन डेथ यानी अचानक मौत के कारणों का पता लगाने के लिए ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) एक साथ चार स्टडी कर रहा है। इन स्टडी में मुख्य तौर पर तीन बातों की जांच की जा रही है। पहला- जिनकी अचानक मौत हुई है, क्या उनमें कोविड के सामान्य लक्षण थे? दूसरा- क्या गंभीर कोविड हुआ था। तीसरा- अस्पताल में भर्ती होने से पहले टीका लगा डिस्चार्ज होने के बाद। इन बातों के साथ ICMR देश के 39 अस्पतालों में 2020 से भर्ती कोविड मरीजों के डेटा का भी विश्लेषण कर रहा है। इसमें देखा जा रहा है कि अस्पतालों में भर्ती जो मरीज ठीक होकर घर थे, उनकी मौत कैसे हुई? जून के आखिर तक स्टडी का अंतरिम विश्लेषण पूरा हो जाएगा और कुछ तथ्य सामने आ सकते हैं। बताया जा रहा है कि अचानक मौत के मामलों में अभी तक जो स्टडी हुई है, उनमें कुछ चीजें सामने आई हैं, जो सडन डेथ के जोखिम को बढ़ाती हैं।
- CUET-UG: और आगे बढ़ाई जाएंगी एग्जाम की तारीखेंCUET- UG के एग्जाम की तारीखों में एक और एक्सटेंशन किया जाने वाले है। NTA ने 9-11 जून के एग्जाम के लिए एडमिट कार्ड जारी किए हैं। 11 जून के बाद भी काफी स्टूडेंट बच जाएँगे जिसे देखते हुए टेस्ट की तारीखों को बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। 12-14 जून के एग्जाम की तैयारी भी की जा रही है।
- NIRF रैंकिंगः यूनिवर्सिटी कैटिगरी में IISc बेंगलुरु नंबर वन, देखें बाकी कैटिगरी में कौन किस नंबर परराष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की रैंकिंग में यूनिवर्सिटी कैटिगरी में IISc बेंगलुरु को पहला स्थान मिला है। इस रैंकिंग में केंद्र सरकार की ओर से उच्च शिक्षण संस्थानों को रैंकिंग दी जाती है। टॉप 10 रैंकिंग में 7 स्थानों पर आईआईटी ने अपना वर्चस्व साबित किया है।
- Civil Services Exam: सिविल सर्विसेज एग्ज़ाम में क्या आर्ट्स सब्जेक्ट्स की वापसी हो रही है? पिछले एक दो सालों का ट्रेंड देखें तो साफ पता चलता है कि अब सिविल सर्विसेज एग्जाम परीक्षाओं में आर्ट्स के स्टूडेंट भी बाजी मार रहे हैं। इस साल की यूपीएससी की टॉपर इशिता किशोर हों या फिर पिछले साल की टॉपर श्रुति शर्मा। इन स्टूडेंट्स ने आर्ट्स सब्जेक्ट से पढ़ाई करके सिविल परीक्षाओं में टॉप किया।
- अलग-अलग कोर्स पढ़ा रहे देश के एजुकेशन बोर्ड, फर्क घटाने की तैयारी कर रही है सरकारदेश में दो केंद्रीय बोर्ड के साथ-साथ राज्यों के करीब 60 बोर्ड हैं जिनमें अकैडमिक स्टैंडर्ड, सिलेबस, एग्जाम डेट्स का अलग-अलग फॉर्मूला है। सीबीएसई बोर्ड में पास पर्सेंटेज 95 फीसदी तक बोका है, वहीं राज्य बोर्ड की बात करें तो पास प्रतिशत 85 के आसपास है।
- UGC की नई वेबसाइट से अब आसानी से मिलेगी यूनिवर्सिटी-कॉलेज और एडमिशन की जानकारीयूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन की नई वेबसाइट लॉन्च होने जा रही है। वेबसाउट को लेकर यूजीसी के अध्यक्ष ने बताया कि यूजीसी अब डिजिटल शिक्षा पर भी फोकस कर रही है और इसके लिए कई नई चीजें की जा रही है। नई साइट में स्टूडेंट के साथ-साथ शिक्षकों को भी मदद मिलेगी।
- UGC ने बदला क्वॉलिफिकेशन फ्रेमवर्क, किस लेवल पर कितने क्रेडिट मिलेंगे बनाया यह नया फॉर्म्युलायूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन ने नैशनल हायर एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क में बदलाव करके अब 4. 5 से आठ लेवल कर दिया है। पहले यह 5 से 10 साल का था। नए व्यवस्था में यह फ्रेमवर्क ग्रेजुएशन से लेकर पीएचडी तक लागू होगा। इस बदलाव पर 25 मई को देश भर के यूनिवर्सिटी के कुलपति और कॉलेजों प्रिंसिपलों के बीच मीटिंग होगी।
- Assembly Election News: 2024 से पहले BJP का लिटमस टेस्ट, MP-राजस्थान समेत 5 राज्य तय करेंगे 'दिल्ली' का रास्ताKarnataka Chunav Results 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे (Karnataka Election Results) आ चुके हैं। इसी के साथ आगे की रणनीतिक तैयारी भी शुरू हो गई है। कर्नाटक के बाद अगला मैदान तैयार है। आम चुनाव से पहले मध्य प्रदेश-राजस्थान समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। जिन्हें 2024 रण से पहले सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा।
- CUET देने वाले छात्रों को राहत, एक दिन में 6 नहीं, अधिकतम 4 पेपर ही देने होंगेCUET एग्जाम देने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर हैं। अब परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को एक दिन 6 पेपर के बजाए ज्यादा से ज्यादा 4 ही पेपर देने होंगे। पिछले साल सीयूईटी परीक्षा के बाद छात्रों की ओर से मिली शिकायतों के बाद यह फैसला लिया गया है।
- छोटे शहरों में पानी की कमी दूर करेंगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, इसे किया जाएगा पानी को रीयूजपानी की कमी को दूर करने के लिए पानी के रीयूज का प्लान बनाना जरूरी हो गया है। इससे देखते हुए अब छोटे शहरों के पानी के फिर से इस्तेमाल पर फोकस किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2. 0 के तहत छोटे शहरों में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 11,785 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
- CUET-UG में रेकॉर्ड 14. 99 लाख आवेदन, पिछली बार से 50% ज़्यादा, सबसे ज्यादा आवेदन इन दो यूनिवर्सिटीज के लिए आएइस साल देश भर की यूनिवर्सिटीज में अंडर ग्रैजुएट कोर्सों में एडमिशन के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट देने के लिए रेकॉर्ड स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन किया है। खास बात यह है कि इस साल भी दिल्ली यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए सबसे ज्यादा आवेदन किए गए हैं।
- भारत अपनी युवा आबादी का फायदा उठा पाएगा? चीन को पीछे छोड़ने के लिए क्या करना होगाइस साल जून में भारत चीन को पछाड़ कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। अब सवाल उठता है कि भारत के पास जब सबसे अधिक युवा आबादी होगी तो वह इसका फायदा किस तरह से उठा सकता है। ऐसे में देश में किस तरह से नीतिगत योजनाएं बनाने की आवश्यकता होगी।
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फिल्म निमार्ता फराह खान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण के साथ एक सेल्फी साझा की है जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि यह कोविड -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण से पहले ली गई थी। फराह और दीपिका 'कौन बनेगा करोड़पति 13' के स्पेशल एपिसोड में नजर आएंगे।
इंस्टाग्राम तस्वीर में फरहा को शो के होस्ट अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण के साथ देखा जा सकता है। उन्होंने अमिताभ और दीपिका को टैग करते हुए इसे कैप्शन दिया, "आप जानते हैं कि यह वो बेस्ट दिन है जब सेल्फी खुद लीजेंड अमिताभ बच्चन द्वारा क्लिक गई थी। धन्यवाद मेरी प्यारी दीपिका पादुकोण, इस शिक्षक दिवस पर केबीसी के विशेष एपिसोड में मेरे साथ होने के लिए। "
फराह ने यह भी स्पष्ट किया कि तस्वीर कोविड -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण करने से पहले ली गई थी। उन्होंने कहा कि एपिसोड मेरा सकारात्मक परीक्षण आने से पहले शूट किया गया था और शुक्र है कि इस सेट पर सभी का नकारात्मक परीक्षण अया है।
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लगे रहते हैं। सैकड़ों प्रकारकी आशाकी फॉसियोंमें बँधे हुए, काम-क्रोधसे ही जीवनका उद्देश्य सिद्ध होना समझनेवाले वे लोग विषय-भोगों की प्राप्तिके लिये नाना प्रकारसे अन्यायपूर्वक धनसंग्रह करनेकी चेष्टधमें लगे रहते हैं । आज यह पैदा किया, कल उस मनोरथकी सिद्धि होगी। इतना धन तो मेरे पास हो गया, इतना और हो जायगा । एकको तो आज मार ही डाला, शेष शत्रुओंको भी मारे बिना नहीं छोडूंगा। मैं ही तो ईश्वर हूँ, मैं ही धन-ऐश्वर्य के भोगका अधिकारी हूँ । सारी सिद्धियों, शक्तियाँ और सुख मुझमें ही तो हैं । मैं बड़ा धनवान् हूँ, मेरा बड़ा परिवार है, मेरी समता करनेवाला दूसरा कौन है ? मैं धन कमाकर नामके लिये दान करूँगा, यज्ञ करूँगा और मौज उड़ाऊँगा ( गीता १६।८-१५ ) ।
इस तरह अपने आपको ही सबसे श्रेष्ठ समझनेवाले ऐसे अभिमानी मनुष्य धन और मानके मदसे मत्त होकर दम्भसे मनमाने तौरपर नाममात्रके लिये यज्ञ करते हैं । अहङ्कार, शरीर बल, मानसिक दर्प, कामना, क्रोध आदि दुर्गुणोंके परायण होकर वे परनिन्दा करनेवाले दुष्ट लोग अपने और पराये सभी शरीरों में स्थित भगवान्से द्वेष करते हैं ( गीता १६ । १७-१८) ।
छातीपर हाथ रखकर कहिये । इस बीसवीं शताब्दीके उन्नत मानव-समाजके हमलोगों के हृदयमे उपर्युक्त आसुरी -सम्पदा के कौन-से धनकी कमी है ? जहाँ भोगोंकी लालसा होगी, वहाँ इस धनकी कमी रहेगी भी नहीं । इसीलिये महात्माओंने भोगोंकी निन्दा कर त्यागकी महिमा गायी है । इसीलिये भारतके त्यागी महर्पियोंने हिन्दुओंके चार आश्रमों में से तीन प्रधान आश्रमों ( ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ और संन्यास ) को त्यागपूर्ण बनाया है ।
इस त्यागकी भावनाको तिलाञ्जलि देकर भोगोंमें ही उन्नतिकी इतिश्री समझनेवाले आसुरी - सम्पत्तिके मनुष्योंका पतन हो जाता है, वे अनेक प्रकारसे भ्रमित चित्त हो मोहजालमें फँसकर विषयभोगोंमें ही आसक हो रहते हैं, जिसके परिणाममें उन्हे अति अपवित्र नरकोंमें गिरना पड़ता है ( गीता १६ । १६ ) । भगवान् कहते हैं ( कि सबके हृदय में स्थित अन्तर्यामी परमात्मासे द्वेष करनेवाले उन पापी क्रूर नराधमोंको मैं बारम्बार आसुरी-योनियोंमें पटकता हूँ, वे जन्म-जन्ममें आसुरी योनियोंको प्राप्त होकर फिर उससे भी अति नीच गतिको प्राप्त होते हैं, परन्तु मुझको नहीं पा सकते । 'मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यघमा गतिम्' ( गीता १६ । १९-२० ) ।
अतएव हमलोगोंको चाहिये कि भौतिक उन्नतिके यथार्थ आसुरीस्वरूपको भलीभाँति पहचानकर इसके मोहसे शीघ्र अपनेको मुक्त कर लें और यथार्थ उन्नतिके प्रयत्नमें लगें। ससारमें वह मनुष्य धन्य है जिसके धन, जन, परिवार, कुटुम्ब, मान प्रतिष्ठा, पद- गौरव आदि कुछ भी नहीं है, जो सब तरहसे दीन, द्दीन, घृणित और उपेक्षित है, परन्तु जिसका अन्त करण देवी - सम्पदा के दिव्य गुणोंसे विभूषित है, जिसका मन परमात्मा के प्रेममें संलग्न है और जिसकी आत्मा परमात्माके मिलनेको छटपटा रही है, ऐसी आत्मा एक ग्रामीण, राजनीतिशून्य, मूर्ख, चाण्डाल, जंगली या कोढ़ी मनुष्यमें भी रह सकती है, अतएव किसीके भी नाम-रूपको देखकर घृणा न करो, पता नहीं उसके अंदर तुमसे और तुम्हारी ऊँची-सेऊँची कल्पनासे भी बहुत ऊँची आत्मा हो !
स्वराज्य, स्वदेश, स्वजाति आदि शब्द इस समय बहुत ज्यादा प्रचलित हैं, ऐसा कोई समाचारपत्र नहीं, जिसके अङ्कों में इन शब्दोंको स्थान न मिलता हो और वास्तवमे ये शब्द हमारे लिये हैं भी बहुत आवश्यक । स्वजाति और स्वदेशका प्रेम न होनेके कारण ही हम स्वराज्यसे वञ्चित हैं इसमें कोई सन्देह नहीं । इसलिये प्रत्येक मनुष्यका यह परम कर्तव्य है कि स्वराज्यकी प्राप्ति के लिये स्वदेश और स्वजातिकी सेवामें तन-मन-धन सब कुछ अर्पण कर दे; क्योंकि स्वराज्य हमारा अनादिसिद्ध अधिकार है । जो भाई स्वदेश, स्वजातिकी सेवामे लगे हुए हैं वे सर्वथा स्तुत्य और धन्धवादके पात्र हैं, परन्तु समझना चाहिये कि इन शब्दोंका यथार्थ अर्थ क्या है और वास्तव में इनका हमसे क्या सम्बन्ध है ? किसी कार्यविशेपसे या बलात्कारसे मनुष्यको जब किसी अन्य देशमें रहना पड़ता है, तब उसे वह स्वदेश मानकर वहाँ नहीं रहता । आज भारतके जो विद्यार्थी शिक्षालाभके लिये यूरोपमें रहते हैं या सरकारके अनुचित प्रतिबन्धकके कारण जिनको विदेशोंमें रहने के लिये वाध्य होना पड़
रहा है, वे स्वदेश भारतको ही समझते हैं, वे जहाँ रहते हैं वहाँ उन्हें कोई कष्ट न होनेपर भी उनको उस देशकी अपेक्षा भारत विशेष प्रिय लगता है, वे वहाँ रहते हुए भी भारतका स्मरण करते, भारतकी भलाई चाहते - - यथासाध्य भलाई करते और भारतवासियों- से मिलने में प्रसन्न होते हैं। कारण यही है कि वे अपने स्वदेशको भूले नहीं हैं, परन्तु उनमेसे जो परदेशके भोगविलासोंमे अपना मन रमाकर देशको भूल गये हैं, परदेशको ही स्वदेश मानने लगे है, उन्होंने अपने धर्म और अपनी सभ्यतासे गिरकर अपने आपको सर्वथा विदेशी बना लिया है, ऐसे लोगोंके कारण देशप्रेमी भारतवासी दुखी रहते हैं। वे चाहते हैं कि हमारे ये भूले हुए भाईजो ऊपरी चमक-दमकके चकमेमें फँसकर विदेशको स्वदेश और विजातीयको स्वजातीय समझने लगे है - किसी तरहसे अपने स्वरूपका स्मरण कर, अपने देश और जातिके गुणोंको जानकर पुन. स्वदेशी बन जायँ तो बड़ा अच्छा हो । स्वदेशी बन जानेका यह अर्थ नहीं कि इस समय वे विदेशी या विजातीय हैं, उन्होंने अपनेको भूल जाने के कारण भ्रमसे विदेशी या विजातीय मानकर विदेशी धर्मको धारण कर लिया है । यदि वे घर लौट आवें तो उनके लिये घरका दरवाजा सदा ही खुला है और रहना चाहिये, इसीसे जाति और देशहितैषी सज्जन भ्रमसे विधर्मी बने हुए भाइयोंको पुन. स्वधर्म में दीक्षित करना चाहते हैं ।
परन्तु यदि एक ही देशके रहनेवाले दो गाँवोके लोग या एक ही गाँवमें रहनेवाले दो मुहल्लोंके सजातीय भाई अपनेको
अलग-अलग मान लें; गाँव और मुहल्लोंके भेदसे परस्पर परभाव कर लें; अपने गाँवको या मुहल्लेको ही देश और दूसरे भाइयोंके निवासस्थान गॉव और मुहल्लोंको परदेश मान लें तो बड़ी गड़बड़ी मच जाती है। देश और जातिके शरीरका सारा संगठन विशृङ्खल हो जाता है । उसके सब अवयवों में दुर्बलता आ जाती है जिसका परिणाम सिवा मृत्युके और कुछ नहीं होता । सच पूछिये तो इन क्षुद्र भावोंके कारण ही आज भारत पर पददलित और परतन्त्र है । यदि भारतवासी अपने-अपने प्रान्त, छोटे राज्य, गॉव या मुहल्लोंको ही देश न मानकर सबकी समष्टिको स्वदेश मानते तो भारतका इतिहास और इसका मानचित्र आज दूसरे ही प्रकारका होता । अब भी इस देशके सभी निवासी अपनी-अपनी डफली अलग बजाना छोड़कर एक सूत्र में बँध जायँ और प्रान्तीयता तथा जातिगत झगड़ों को छोड़कर एक राष्ट्रीयता स्वीकार कर लें तो भारतको स्वराज्यकी प्राप्ति होने में विलम्ब नहीं हो सकता । पर क्या भारत ही हमारा देश है, भारतवासियोंकी जाति ही हमारी स्वजाति है और भारतको मिलनेवाला राजनैतिक अधिकार ही हमारा खराज्य है ?
आध्यात्मिकताका आदिगुरु, परमार्थ-सन्देशका नित्यवाहक, परमात्मतत्त्वका विवेचक, परमात्माके साकार अवतारोंकी लीलाभूमि, जगत्के धर्माचार्य और पैगम्बरोंकी जन्मभूमि, मुकिपथके पथिकोंको पाथेय वितरण करनेवाला भारत इस प्रश्नका क्या उत्तर देता है !
इहलौकिक उन्नतिको ही जीवनका चरम लक्ष्य माननेवाले
स्थूलवाद प्रधान जगत्का तो भूमिखण्डके किसी किसी खण्डको देश मानना, जिस कल्पित जातिमें स्थूल शरीर जन्मा हो उसीमें जन्म लेनेवालोंको स्वजाति बतलाना और उस देश या जातिको अपनी मनमानी करनेके अधिकारको ही स्वराज्य मानना सम्भव है । परन्तु भारतवासी - अखिल ब्रह्माण्डको ब्रह्मके एक अशमें स्थित और ब्रह्माण्ड में ब्रह्मको नित्य स्थित या चराचर ब्रह्माण्ड - को ब्रह्मका ही विवर्त माननेवाले भारतवासी यदि अपने असली ब्रह्मस्वरूपको भूलकर मायाकल्पित आपातरमणीय मायिक सुन्दरतायुक्त स्थल विशेषको ही अपना स्वदेश मान लें तो क्या यह ब्रह्मकी राष्ट्रीयताका विघातक नहीं है मायासे बने हुए जगत्को अपना देश मानकर उसीमें मोहित रहना क्या विदेशको स्वदेश मान लेना नहीं है ?
अपनी सच्चिदानन्दरूप नित्य अखण्ड स्वाभाविक सत्ताको भूलकर मायिक सत्ताको ही अपनी सत्ता मान लेना क्या सजातीयताको छोड़कर विजातीय बन जाना नहीं है? अपने 'सत्य ज्ञानमनन्तं ब्रह्म स्वरूपको विस्मृत कर अपने मूल स्वभाव-धर्मको छोड़कर जगत्के मायिक धर्मको अपना धर्म मान लेना क्या विधर्मी बन जाना नहीं है
विचार करो तुम कौन हो ' तुम अमर हो, तुम सुखरूप हो, तुम नित्य हो, तुम सर्वव्यापी हो, तुम अखण्ड हो, तुम पूर्ण हो, तुम अजर हो, तुम सबमें व्याप्त हो, तुम मायासे अतीत |
वाशिंगटन, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनके प्रशासन ने कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने को लेकर चीन की प्रतिक्रिया की 'बहुत गंभीरता से जांच' शुरू की है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते चीन पर सख्ती दिखाई। वह महामारी के प्रसार को रोकने और इस पर अंकुश लगाने के प्रयास में चीन के लिए अमेरिकी सीमाओं को बंद करने के अपने फैसले को कही बार सही बताते आए हैं।
कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि निर्णय से अमेरिका को तैयारी के लिए समय मिला, लेकिन ट्रंप प्रशासन इसका लाभ नहीं उठा पाया।
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हर साल 26 जनवरी (26 January) को देश गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाता है। साल 1930 को इसी दिन ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भारत में पहली बार "स्वराज" दिवस मनाया गया। जिससे आजादी के बाद गणतंत्र दिवस के नाम से जाना गया।
हर साल 26 जनवरी (26 January) को देश गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाता है। इस 70वां गणतंत्र दिवस (70th Republic Day) राजपथ (RajPath) पर परेड निकालकर मनाया जाएगा। इस दिन को संविधान लागू (Constitution of India) होने के तौर पर पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस बार गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2019 (Republic Day 26 January 2019) दिन शनिवार को मनाया जा रहा है। साल 1955 से भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi) के राजपथ पर इस भव्य पर्व का आयोजन किया जाता है। आज से 70 साल पहले 26 जनवरी 1950 के दिन भारत देश का संविधान लागू हुआ था और इससे पहले संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा अपनाने पर मुहर लगाई गई। लेकिन कुछ लोगों के मन में सवाल है कि आखिर 26 जनवरी के दिन गणतंत्र की शुरूआत आजादी के बाद हुई थी। लेकिन उससे पहले 26 जनवरी की तारीख को क्या होता था। 26 जनवरी की तारीख इतिहास के पन्नों पर मुगल काल से ही दर्ज है।
आजादी से पहले 'स्वराज दिवस'
लेकिन भारत में आजादी की लहर के बीच साल 1930 को इसी दिन ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भारत में पहली बार 'स्वराज' दिवस मनाया गया। इसके बाद हर साल आजादी की मांग के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वराज दिवस मनाया करती थी। 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था और पहली बार इसी दिन को स्वराज दिवस के रुप में घोषित किया गया।
जिसे बाद में आजादी के बाद गणतंत्र दिवस का नाम दिया गया। 1950 में संविधान लागू होने के बाद ब्रिटिश सरकार के भारत सरकार अधिनियम (एक्ट-1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया। जिसे भारत सरकार के नाम से जाना जाता है। बता दें कि साल 1950 में गणतंत्र दिवस इंडिया गेट के पास नेशनल स्टेडियम में मनाया गया था।
इसी दिन से भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया। सरकारी हाऊस के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रुप में राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली और राष्ट्रपति बन गए। इस दिन सरकार अवकाश होता है।
कहते है कि 26 जनवरी का पर्व हमारी आन, बान और शान का प्रतीक है। पूर्णं स्वराज के वर्षगांठ के रुप में हर साल इसे मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी करता है।
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बीडी पाण्डेय जिला अस्पताल में नर्सिंग डे पर सामाजिक दूरी के साथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें स्वास्थ कर्मियों ने कोरोना को हराने के लिए पूरे तन-मन से मरीजों की सेवा व प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया। इस दौरान कोरोना काल में बेहतर कार्य करने पर नर्सों को सम्मानित किया गया।
पिथौरागढ़ के बीडी पाण्डेय जिला अस्पताल में नर्सिंग डे पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें नर्सों ने फ्लोरेंस नाइटिंगेल की तस्वीर पर पुष्प अर्पित करते हुए पीड़ित मानवता के कल्याण के लिए उनकी सेवाओं को याद किया। नर्सिंग आफीसर दीपा रावत ने कहा कि साधन-संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने लोगों की सेवा के लिए नर्सिंग जैसा नोबेल प्रोफेशन चुना। इस समय पूरा विश्व कोरोना के संक्रमण से जूझ रहा है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के बताए मार्ग पर चलते हुए नर्सें कोरोना के खतरे के बीच सेवाएं दे रही हैं। पिथौरागढ़ के कोरोना मुक्त होने तक उनकी यह लड़ाई जारी रहेगी। इस दौरान पीएमएस डॉ. केसी भट्ट ने कोरोना काल में बेहतर कार्य करने पर नर्सों को सम्मानित किया। डॉ. एलएस बोरा व वरिष्ठ फार्मासिस्ट पीके जोशी ने उन्हें स्वास्थ विभाग की रीढ़ कहा। कहा कि आज से सिस्टर इंचार्ज को सीनियर नर्सिंग आफिसर व स्टाफ नर्स को नर्सिंग आफिसर के पदनाम से संबोधित किया जाएगा।
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दाना - एक pustular सूजन (प्रकार, कारण, उपचार)
दाना - इस भड़काऊ लाल चकत्ते, जो गुहा मवाद से भरा है। वहाँ त्वचा में यह के तत्व हैं, या मानव यौन पहचान के आधार पर नहीं एपिडर्मिस। इन pustules के अधिकांश चेहरे और पीठ पर गठन किया था। असामयिक उपचार या त्वचा के लिए उपेक्षा त्वचा टोन, छोटे निशान की उपस्थिति, और असमान रंजकता में एक महत्वपूर्ण कमी हो सकती है।
बाह्य सतह पर एक सफेद या हल्के पीले नए विकास के साथ अधिक से अधिक 0. 5-0. 9 सेमी की एक व्यास के साथ छोटी-छोटी गोलियां करने के दाने समान दाना। इस तरह के तत्वों दर्दनाक सूजन विस्फोट अंत में फट और इसकी सतह पर हो सकता है एक परत के रूप में। कभी-कभी आप बाहरी हस्तक्षेप (उद्घाटन) के बिना एक अलग सुखाने pustules देख सकते हैं।
भड़काऊ दाने या तो गोलाकार या शंक्वाकार या फ्लैट हो सकता है। दाना - त्वचा में इस प्राथमिक कोशिकाओं है कि सबसे अधिक बार वास्तव में किशोरावस्था में और शायद ही कभी बच्चों या वयस्कों में दिखाई देते हैं।
चेहरे पर Pustules जैसे इन नकारात्मक को प्रभावित करने वाले कारकों, के कारण होता हैः
- नहीं वसामय ग्रंथियों की सही कामकाज, जिसके कारण वहाँ staphylococci या स्ट्रेप्टोकोक्की द्वारा छिद्रों की एक रुकावट है, साथ ही संक्रमण है;
- त्वचा के लिए यांत्रिक क्षति;
- अत्यधिक पसीना;
- एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली;
- विटामिन की कमी;
- ऐसे उपदंश, कैंडिडिआसिस, खुजली, छोटी चेचक, और दूसरों के रूप में रोगों के सभी प्रकार के।
चिकित्सा आंकड़ों के अनुसार फफोले के कारण अक्सर बैक्टीरिया के शरीर के प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है। इस तरह के संक्रमण को प्रभावित त्वचा वसामय ग्रंथि pores रोकना के बाद है। मुख्य प्रेरणा का एजेंट - यह ऑरियस मर जाता है।
इस तरह के pustular तत्वों के स्थान पर निर्भर प्रतिष्ठित हैंः
- एपिडर्मल दाना (दाने का एक प्रकार है त्वचा की सतह पर और उसके लापता होने के निशान फार्म नहीं के बाद स्थित था);
- त्वचीय pustules (चमड़े के नीचे ऊतक में होते हैं और अक्सर healing धब्बे, निशान और त्वचा खुरदरापन के बाद दिखाई देते हैं)।
के संबंध में pustules के स्थान पर निर्भर बाल कूप सूजन बांटा गया हैः
- कूपिक (बाल कूप में सीधे उभरा);
- कूपिक नहीं (कूप से बाहर का गठन)।
बेशक, हम खुले pustular सूजन और मीडिया की एक किस्म की सलाह नहीं देते। इस तरह के सौंदर्य समस्याओं का पता लगाने पर शुरू में मदद सूजन की गंभीरता को निर्धारित करने और वास्तव में कुशल उपचार आवंटित करने के लिए एक त्वचा विशेषज्ञ या ब्यूटीशियन से परामर्श करने की सलाह दी।
Pimples, pustules एक शुरुआत और गंभीर बीमारी है जो त्वचा की शुद्धि के साथ आगे बढ़ने से पहले ठीक हो जाना चाहिए संकेत हो सकता है। ज्यादातर मामलों में, डॉक्टरों अतिरिक्त परीक्षणों से गुजरना करने की सलाह और रक्त परीक्षण के परिणाम की आवश्यकता हो सकती। ठीक से इलाज और सभी डॉक्टर के निर्देशों का pustules की लगातार पालन निर्धारित जब 1. 5-2 सप्ताह के भीतर गायब हो जाते हैं।
अक्सर दाना - यह सफेद pustules कि काफी समय है, इस प्रकार मनुष्य के जीवन उलझी और उनके आत्मसम्मान को कम करने सूख नहीं कर सकते। सूजन बुलबुले को निकालने के लिए शुरू में भाप स्नान से भाप के लिए चेहरे की सिफारिश की और फिर ध्यान से केवल दाना खोलें। प्रक्रिया से पहले, यह हाथ और त्वचा, जहां सूजन गठन किया गया था कीटाणुरहित करने के लिए आवश्यक है।
ऑटोप्सी फोड़ा एक रूमाल, जो पहले ध्यान से proutyuzhivaetsya द्वारा किया जाना चाहिए। यदि दबाने मजबूत दर्द पैदा करता है या मवाद बाहर आता है, इसलिए, दाना नहीं "परिपक्व"। नहीं संक्रमण के लिए सूजन क्षेत्र पर मुश्किल प्रेस करने की सिफारिश की "चला गया है" त्वचा में गहरी। अगर, हालांकि, सुरक्षित रूप से pustular पौधों पर छोटा दाना, खुले घाव एक कपास पैड या एक छड़ी के साथ एक जीवाणुरोधी एजेंट से लिप्त को दूर करने में कामयाब रहे। घर के माहौल में, सूजन को कम करने, यह इस तरह के रूप में इस तरह के जीवाणुरोधी तरल पदार्थ, मलहम और जैल, लागू करने के लिए सिफारिश की हैः
- "पेरोक्साइड";
- "Levomekol";
- शराब या आयोडीन;
- "जेनर";
- "Baziron"।
दाना - एक pustular सूजन है, जो स्वच्छता के सभी नियमों का पालन न करने के कारण दिखाई देते हैं। यह याद है कि यह साफ चेहरे और शरीर की त्वचा रखने के लिए आवश्यक है के लायक है, और pustules का पहला संकेत मिलते एक विशेषज्ञ, जो इस सौंदर्य समस्या की असली कारणों का पता लगाने के लिए सक्षम हो जाएगा देखने के लिए सलाह दी जाती है।
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खबर सामने आई है कि दिल्ली पुलिस के एक एएसआई की गाड़ी ने मंगलवार रात द्वारका मोड़ पर एक पीसीआर वैन को टक्कर मार दी। बताया जा रहा है कि यह घटना दोपहर 12:30 बजे हुई। पीसीआर वैन समेत एएसआई की गाड़ी ने 5 अन्य वाहनों को टक्कर मार दी। इस हादसे में एएसआई समेत 4 लोग घायल हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार दोपहर करीब 12:30 बजे हादसे के वक्त पुलिस एएसआई अपनी निजी कार में मौजूद थे। घटना की जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। आरोपी एएसआई के खिलाफ रेड लाइट पर वाहनों को टक्कर मारने का मामला दर्ज किया गया है।
इसके साथ ही पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी एएसआई के रक्त के नमूने भी लिए हैं ताकि खून में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाया जा सके. इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि वह गाड़ी चलाते समय नशे में था या नहीं। सभी घायलों का प्राथमिक उपचार कर दिया गया है।
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Emergency in Sri Lanka: देश की सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति के रखरखाव के लिए आपातकाल जैसा ठोस कदम उठाया गया है.
आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका के हालात बहुत ज्यादा बिगड़ चुके हैं. बद से बदतर होती स्थिति के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने शुक्रवार देर रात देश में आपातकाल का ऐलान (Emergency in Sri Lanka) कर दिया है. देश इस समय आजादी के बाद के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. यहां पर ईंधन का भारी संकट है और लोग कई घंटे की बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं. श्रीलंका में इस कदर कागज की कमी है कि यहां सभी परीक्षाओं को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन काफी उग्र हो गए हैं. राष्ट्रपति के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट रहा है. राष्ट्रपति आवास के बाहर गुरुवार को भी ऐसे ही हिंसक प्रदर्शन देखते को मिले.
बदतर हालात को देखते हुए सरकार ने आपातकाल का ऐलान किया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, आदेश में कहा गया है कि देश की सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति के रखरखाव के लिए ये कदम उठाया गया है. इससे पहले, श्रीलंका सरकार ने मौजूदा आर्थिक संकट को लेकर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के पास हुए हिंसक प्रदर्शन को शुक्रवार को 'आतंकी कृत्य' करार दिया और इस घटना के लिए विपक्षी दलों से जुड़े 'चरमपंथी तत्वों' को जिम्मेदार ठहराया. राजपक्षे के आवास के बाहर गुरुवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए थे जिन्होंने द्वीप राष्ट्र में भीषण आर्थिक संकट को दूर करने में उनकी विफलता को लेकर उनके इस्तीफे की मांग की. देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी थी.
आंदोलन के हिंसक होने से कई लोग घायल हो गए और वाहनों में आग लगा दी गई. राष्ट्रपति के आवास के पास लगे स्टील अवरोधक को गिराए जाने के बाद प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की. इस संबंध में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और कोलंबो शहर के अधिकांश हिस्सों में कुछ समय के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया. डेली मिरर समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के पास हुई हिंसा में एक चरमपंथी समूह शामिल था.
इससे पहले खबर आई थी कि ईंधन खरीद पाने में नाकाम श्रीलंका की सरकार स्ट्रीट लाइट बंद कर पैसा बचाने की कोशिश कर रही है. रॉयटर्स ने श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री के हवाले से ये जानकारी दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका में ईंधन की कमी की वजह से लंबे पावर कट देखने को मिल रहे हैं. स्थिति और बिगड़ने से बचाने के लिये सरकार सड़कों पर अंधेरा करने पर मजबूर हो गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका में फिलहाल 13-13 घंटे के पावर कट देखने को मिल रहे हैं. फिलहाल देश विदेशी मुद्रा भंडार की कमी की वजह से ईंधन का आयात नहीं कर पा रहा है. इसके साथ ही गर्मी में रिकॉर्ड तेजी की वजह से एक तरफ बिजली की मांग में तेज उछाल बना हुआ है तो दूसरी तरफ जल विद्युत उत्पन्न करने वाले जलाशयों में पानी इतना नीचे पहुंच गया है कि बिजली के उत्पादन पर असर देखने को मिला है. श्रीलंका की ऊर्जा मंत्री ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को सड़कों की लाइट बंद करने के निर्देश पहले से ही दे दिये हैं जिससे बिजली की बचत की जा सके. वहीं कोलंबो स्टॉक एक्सचेंज ने पावर कट की वजह से ही ट्रेडिंग का समय एक हफ्ते के लिये 2 घंटे कम कर दिया है.
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माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने एक बार फिर पेड प्रीमियम वेरिफिकेशन सर्विस 'ट्विटर ब्लू' को लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने सोमवार यानी आज से इस सर्विस को कुछ बदलाव के साथ पेश किया है। कंपनी ने कहा कि यूजर्स अब ट्विटर ब्लू का सब्सक्रिप्शन खरीद सकते हैं, ताकि वे ब्लू वेरिफाइड अकाउंट और विशेष फीचर हासिल कर सकें। इस सर्विस को पहले फर्जी अकाउंट्स की समस्या के चलते बंद कर दिया गया था।
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नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का पांचवा दिन है। बजट सत्र के पांचवें दिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास विधेयक 2020 पेश करेंगी। विधेयक प्रत्यक्ष कर में विवादों का समाधान प्रदान करता है और मंत्री द्वारा 2020-21 के बजट में घोषित किया गया था। इसके अलावा, लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव भी देखने को मिलेगा। सांसद तापिर गाओ के नेतृत्व में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए समिति रक्षा मंत्रालय के आर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण और रोजगार से संबंधित सिफारिशों पर सरकार की अंतिम रिपोर्ट को पटल पर रखेगी।
-संसद में पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या धाम की पवित्रता से हम सभी भलीभांति पर परिचित हैं। भविष्य में राम लला के दर्शन के लिए और आने वाले समय में श्रद्धालुओं की संख्या और उनकी भावना का ख्याल रखने के लिए मेरी सरकार ने फैसला किया है कि अधिगृहित संपूर्ण भूमि 67. 03 ट्रस्ट को दिया जाएगा।
-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास विधेयक 2020 पेश करेंगी। विधेयक प्रत्यक्ष कर में विवादों का समाधान प्रदान करता है और मंत्री द्वारा 2020-21 के बजट में घोषित किया गया था।
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पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) के घर 60 करोड़ रुपए के कथित रिश्वत मामले में पूछताछ के लिए सीबीआई पहुंची है। मामला स्वास्थ्य बीमा योजना (Health Insurance Scheme) से जुड़ा हुआ है,जिसे कथित रूप से आगे बढ़ाने के लिए कहा गया था, लेकिन जब वह जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य के राज्यपाल (Former Jammu and Kashmir Governor) थे, तब रद्द कर दिया गया था। मलिक का दावा था कि 23 अगस्त 2018 और 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की गई थी। इसके लिए ही सीबीआई की टीम उनके बयान दर्ज करने और अन्य जानकारी जुटाने के लिए उनके घर पहुंची है। पिछले साल सीबीआई ने इस संबंध में मामला दर्ज किया था और छह राज्यों में छापेमारी की थी।
सीबीआई (CBI) की टीम राष्ट्रीय राजधानी के आरके पुरम इलाके में मलिक के सोम विहार आवास पर उनके दावों पर बयान दर्ज करने के लिए पहुंची है। मलिक अभी तक मामले में आरोपी या संदिग्ध नहीं है। सात महीने में यह दूसरी बार है, जब विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के रूप में काम कर चुके मलिक से सीबीआई पूछताछ करेगी। पिछले साल अक्टूबर में बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय में राज्यपाल की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद उनका बयान दर्ज किया गया था।
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तालिबान सरकार में शिक्षा विभाग के प्रमुख नूरुल्लाह मुनीर का कहना है कि इस्लामी शरीयत लड़कियों की शिक्षा के ख़िलाफ़ नहीं है, इसलिए तालिबान को भी लड़कियों की शिक्षा से कोई समस्या नहीं है।
हालांकि लड़कों और लड़कियों के स्कूल अलग-अलग करने का बहाना बनाकर तालिबान की अंतरिम सरकार, लड़कियों को स्कूल जाने से रोक रही है, लेकिन इसके बावजूद मुल्लाह मुनीर ने दावा किया कि उनकी सरकार को लड़कियों के स्कूल जाने से कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक़, सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए उचित शैक्षिक व्यवस्था के लिए प्रयास कर रहे हैं।
अफ़ग़ानिस्तान में नए शैक्षिक सत्र को शुरू हुए 16 दिन बीत गए हैं, और इस दौरान लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं दी गई है।
मुल्लाह मुनीर का यह भी कहना था कि उनका शासन, किसी भी हालत में पश्चिम के सिद्धांतों को नहीं मानेगा और पाठ्यक्रमों में जो पाठ इस्लामी सिद्धांतों से विपरीत होंगो, उन्हें बदल दिया जाएगा।
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[कारिका १०३
सम्बन्ध उस कारिकासे न होकर आगे द्वार विधिका वर्णन करने वाली १०३ संख्या वाली कारिका से है । इसलिए उस पाठको वहाँसे उठाकर यहाँ लाना पड़ा है । उस स्थानान्तरित पाठको हमने यहाँ भिन्न टाइप में मुद्रित किया है। इसमें 'द्वितीये चैव कर्तव्यं रङ्गपीठस्य पृष्ठतः इस उत्तरार्ध भागकी व्याख्या की गई है । यह वात मूल कारिकाके इस भाग तथा व्याख्याके 'रंगपीठस्य यत्पृष्ठं रंगशिरः, तत्र द्वितीय मिति राश्यपेक्षयैक वचनम्' इस भागके देखते ही प्रतीत हो जाती है । इस लिए हमने इस पाठको प्रकृत कारिकासे ही सम्वद्ध मान कर उसको यहाँ स्थानान्तरित किया है। पाठसमीक्षा - इस कारिका के द्वारं तेनैव कोरणेन कर्तव्यं तस्य वेश्मनः' इस पूर्वार्द्ध भागकी व्याख्या करने वाली एक पंक्ति पूर्व-संस्करणों में यहाँ यथा स्थान छापी गई थी। किन्तु उसका पाठ पूर्व संस्करणों में 'तेनैव कोरणेनेति । वारुणीगतेन । द्वारं जनप्रवेशनम् । येन तस्मिन्नेव कोरणे द्वारे कर्तव्ये । इस प्रकार छपा था । किन्तु यह पाठ शुद्ध है । 'द्वारं तेनैव कोरणेन कर्तव्यं तस्य वेश्मनः' इस पंक्ति के द्वारा भरतमुनिने 'त्रिकोण नाटय-मण्डपके मुख्य द्वारके बनानेका निर्देश किया है। जैसा कि चतुरस्र मण्डप और विकृष्ट मण्डपके प्रकरण में हम देख चुके हैं नाटयगृहों का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वकी प्रोर ही होता है । इसलिए व्यस्र मण्डपका 'जनप्रवेशद्वार' या मुख्य द्वार पूर्व दिशा में ही होना चाहिए । किन्तु पूर्व संस्करणों में 'तेनैव कोरणेन' का अर्थ 'वारुणीगतेन' किया गया है । वारुणी दिशा पश्चिम दिशाका नाम है । उस दिशामें जनप्रवेशन द्वार का बनाना संगत नहीं है इसलिए 'बारुगोगतेन' पाठ शुद्ध है । उसके स्थानपर 'ऐन्द्रीगतेन' पाठ होना चाहिए ।
पाठसमीक्षा - पूर्वसंस्करणोमें ६३ संख्यावाली कारिकाको व्याख्या के साथ अ-स्थान में मुद्रित जिस पाठको हमने यहाँ स्थानानारित किया है उसमें भी कुछ प्रशुद्धि है । 'द्वितीये चैव कर्तव्यं रंगपीस्य पृष्ठतः' इस उत्तरार्धभागकी व्याख्या करते हुए उसमें रंगशीर्ष में दो द्वार बनाने का विधान किया गया है। इतनी बात तो ठीक है । पर इसके बाद इसी कारिका भागमें आए हुए चकारकी व्याख्या करते हुए 'चकारादन्यप्रवेशार्थ जनप्रवेशनद्वारं च । त्रीणि वा कार्याणि इति मतान्तरं संगृहोतं भवति' । यह पंक्ति पाई जाती है । परन्तु इस पंक्तिका पाठ अशुद्ध है । इसमें 'चकार' से 'जनप्रवेशनद्वार' का ग्रहण करना चाहिए यह वात इस पाठसे प्रतीत होती है। किन्तु 'जनप्रवेशद्वार' का विधान तो कारिका के पूर्वार्द्ध भाग में ही किया जा चुका है। यहाँ उसका दुबारा वर्णन असंगत है । अब तककी व्याख्या के अनुसार त्र्यस्र मण्डपके पूर्व दिशा में बनने वाले मुख्य द्वार या 'जनप्रवेशन द्वार' तथा रंगशीप में बनने वाले दोनों द्वारों अर्थात् कुल मिलाकर तीन द्वारोंका वर्णन किया जा चुका है । अब 'चकार' से केवल बचे हुए द्वारोंका ही ग्रहरण हो सकता है। इसके पूर्व ३८० पृष्ठपर हम यह देख चुके है नाटय-मण्डपके द्वारोंके सम्बन्ध' चतुर्द्वारं नाट्यगृहम्' तथा 'पड्वारं नाट्यगृहम् ' ये दो मत पाए जाते हैं । त्र्य मण्डपके तीन द्वारोंका वर्णन पहिले हो हो चुका है । इसलिए 'चनुर्द्वार' वाले पक्ष में एक, तथा 'पद्वारं' वाले पक्ष में तीन द्वार बननेको शेष रह गए हैं । इन्हीं अवशिष्ट द्वारोंका ग्रहण यहाँ 'चकार' से होता है । यह बात ग्रन्थकार यहां लिख रहे हैं । और वह भी दोनों मतोंका उल्लेख करते हुए लिख रहे हैं यह बात 'त्रीणि वा कार्याणि इति मतान्तरं संगृहीतं भवति' इस पंक्ति स्पष्ट होजाता है। ऐसी दशा में यह निश्चय है कि 'चकार' से 'जनप्रवेशनद्वार' का ग्रहण सम्भव नहीं है । इसलिए पूर्व संस्करण में 'चकाराव्य प्रवेशार्थं जनप्रवेशन द्वारं च' यह जो पाठ छपा है वह निश्चित रूद्ध है । यहाँ वास्तव नेपथ्यगृहमें नटोंके प्रवेश के लिए बनाए जाने वाले पिछले द्वारका ग्रहण 'चकार' से होता है । यह ग्रन्थकारका अभिप्राय है । इस अभिप्रायको व्यक्त करने के लिए 'चकारान्नटजनप्रवेशनार्थं नेपथ्यगृहद्वारं च' यह पाठ होना चाहिए । इसलिए हमने संशोधित रूप में इसी पाठको प्रस्तुत किया है।
भरत० - 'विधिर्यश्चतुरश्रस्य मित्तिस्तम्भसमाश्रयः ।
स तु सर्वः प्रयोक्तव्यः व्यवस्थापि प्रयोक्तृभिः । १०४.।। सर्वग्रहरणादन्यूनाधिकत्यमत्र दर्शयन् विकृष्टे स्तम्भानाभाधिक्यमनुजानीते । व्यरंगपीठे तु प्रतिरंगमध्य इति । रंगोऽत्र तच्छिरः, ततः पृष्ठतः यदि वामितः ॥१०४ ॥ 'अग्रिमाध्यायसंगति सूचयति 'एवमेतेन' इति -
- एवमेतेन विधिना कार्या 'नाटयगृहा बुधैः ।
"पुनरेषां प्रवक्ष्यामि पूजामेव यथाविधि ॥ १०५॥
यह व्याख्या 'चतुरं' वाले पक्षके अनुसार हुई । यदि 'पड्वरं नाट्यगृहम्' वाला पक्ष माना जाय तो नेपथ्यगृह वाले द्वारके अतिरिक्त मत्तवारणियोंमें बनने वाले दोनों द्वारोंका भी ग्रहरण इस चकारसे होता है । इस अभिप्रायसे 'त्रीरिण वा कार्याणि इति मतान्तरं संगृहीतं भवति यह पंक्ति ग्रन्थकारने लिखी है ।
भरत० - मित्तियों तथा स्तम्भोंके विषय में जो विधि चतुरस्र मण्डपमें बतलाया गया है, प्रयोक्ताको उस सबका प्रयोग व्यत्र मण्डपमें भी करना चाहिए । १०४ ।
अभिनव० - 'सर्व' पदके ग्रहणसे यहाँ [अर्थात् त्र्यस्त्र मण्डपमें चतुरस्र मण्डप की अपेक्षासे] न्यूनता या अधिकता नहीं होनी चाहिए इस बातको दिखलाते हुए विकृष्ट में स्तम्भोंकी अधिकताको स्वीकार किया गया है । [ त्र्यत्रमण्डपमें चतुरस्त्र मण्डपकी भित्ति तथा स्तम्भोंसे सम्बद्ध सम्पूर्ण विधिका अनुसरण करना चाहिए इसका अभिप्राय यह है कि विकृष्ट में उसका पूर्ण रूपसे पालन करने की आवश्यकता नहीं है । अतः उसमें स्तम्भोंकी अधिकता की स्वीकृति ध्वनित होती है । यह ग्रन्थकार का अभिप्राय है । यह बात आगे कहते हैं । चतुरश्र मण्डपमें रङ्गशीर्षके दोनों प्रोर दो द्वार बनानेका विधान किया था । त्र्यस्त्र मण्डपमें इतना संशोधन हो सकता है कि त्रिकोण 'प्रतिरङ्ग अर्थात् रङ्गशीर्षके बीचमें एक द्वार रचा जाय । अथवा दोनों ओर भी हो सकते हैं ] । त्र्यत्र रंगपीठ में तो प्रतिरंग अर्थात् रंगशीर्ष के मध्य में [एक द्वार बनाना चाहिए] । रङ्ग शब्दसे रंगशीर्षका ग्रहरण करना चाहिए । उसके पीछे [ एक द्वार बनाना चाहिए] अथवा उसके दोनों ओर [ दो द्वार बनाने चाहिए] ।
पाठसमीक्षा - इस इलोककी अभिनवभारतीका पाठ भी पूर्व संस्करणों में ६३वीं कारिका की व्याख्या के बीचमें छप गया था। हमने उसको यहाँपर यथा स्थान छापा है । १०४ ।। अभिनव० - 'एवमेतेन' आदि [[अगले श्लोक ] से अगले [तृतीय ] श्रध्याय में कहे हुए पूजन विधान] की संगति दिखलाते हैंभरत० - इस प्रकार इस [पूर्वोक्त] विधिसे विद्वानोंको [अनेक प्रकारके] नाट्यगृहोंकी रचना करनी चाहिए । इसके बाद मैं शास्त्र के अनुसार इन [मण्डपोंके अधिष्ठातृदेवताओं] के पूजनके विधिका वर्णन [अगले व्याय] करूंगा ।१०५॥
१. म. द्वितीयं चतुरश्रस्य । क. विधेयश्च पुरस्तस्य । २ ड. म. समन्वितः ।
३. सङ्गति । ४. म. कार्यं नाटयगृहं बुवैः । ५. च. म. तत ऊर्ध्वं । ६. च. य. पूजामेषां ।
डा. प्रसन्नकुमार आचार्य द्वारा प्रस्तुत नाटय-मण्डपके चित्र
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[ कारिका १०५
ये चित्र अभिनव भारती अथवा भरत नाट्यशास्त्र के आधार पर नहीं बनाए गए हैं। परन्तु चित्रकारकी सुरुचिपूर्ण कल्पनाका परिचय अवश्य देते हैं ।
कारिका १०५ ]
एतेन विधिना वहवो नाट्यमण्डपा : पूर्वोक्ताण्टादशमेदकलनयेत्यर्थः । बुधैरित्यूहापोहविद्भिः । पुनरिति यद्यपि गदिताः सर्वे शुभदाः तथापि पूजां वक्ष्यामीति पुनः शब्दार्थः । तच्च विधानेनोक्तम् । तदाह यथाविधीति । एषामिति मण्डपस्था देवता अनेन उपचारादुक्ताः ॥१०५।। -
इति भारतीये नाट्यशास्त्रे मण्डपविधानो नाम द्वितीयोऽध्यायः ।
द्वितीये मण्डपाध्याये वृत्तिरेषा शुभा कृता । मयाभिनवगुप्तेन दृष्ट्या सन्तोऽनुगृह्यताम् ।। इति महामाहेश्वराभिनवगुप्ताचार्य-विरचितायामभिनवभारत्यां भारतीय नाट्यशास्त्रविवृती मण्डपाध्यायो द्वितीयः ।
अभिनव० - इस विधिसे बहुत से मण्डप पूर्वोक्त अठारह भेदोंको समझ कर [[आवश्यकतानुसार ] नाना प्रकारके मण्डप बनाने चाहिए । यह अभिप्राय है । 'बुधैः ' इसका अर्थ ऊहा-पोह करनेमें समर्थ है । यद्यपि [ इसी प्रध्यायमें] सारे कल्यारण- प्रद व्यापारोंको पहिले ही कहा जा चुका है फिर भी पूजनके विधिको कहूंगा यह 'पुनः ' शब्दका अभिप्राय है । और वह [ पूजनका प्रकार शास्त्रीय] विधान के अनुसार कहा जायगा यह बात [कारिकामें आए हुए] 'यथाविधि' इस पदसे कही गई है। 'एषां' इनके [पूजाविधिको कहूंगा ] इससे उपचारसे मण्डपमें रहने वाले देवताओं [को पूजा ] का निर्देश किया गया है । ॥ १०५ ॥
श्री भरतमुनि प्ररणीत नाट्यशास्त्र में मण्डपविधान नामक द्वितीय अध्याय समाप्त हुआ । अभिनव० - [भरत नाट्यशास्त्र के ] मण्डपाध्याय नामक द्वितीय अध्याय के ऊपर मुझ अभिनवगुप्तने यह सुन्दर [ अभिनवभारती] वृत्ति लिखी है । हे विद्वज्जनो आप लोग उसको देखकर [ मुझे] अनुगृहीत करें ।
पाठसमीक्षा - अभिनवगुप्त ने अपनी 'अभिनवभारती' में प्रत्येक अध्यायके प्रारम्भ में मंगलाचरण और अन्त में समाप्ति सूचक श्लोक लिखे है। इस द्वितीयाध्यायकी समाप्ति में उन्होंने समाप्ति सूचक श्लोक लिखा था, परन्तु उसका ठीक पाठ उपलब्ध नहीं होता है। प्रथम संस्कररण में उसका केवल एक चरण 'दृष्टया सन्तोऽनुगृह्यताम्' इस रूपमें मुद्रित किया था। दूसरे संस्करण में उसको भी निकाल दिया गया है । अन्तिम श्लोक में अभिनवगुप्त प्रायः अध्यायके नाम और अपने नामका उल्लेख करते हुए ही प्रध्यायकी समाप्ति करते हैं । इसी आदर्श पर हमने अभिनवगुप्त के अभिप्राय के अनुरूप पाठकी पूर्ति करकेयह स्वनिर्मित अन्तिम श्लोक यहां दे दिया है । श्री महामाहेश्वर- प्रभिनवगुप्ताचार्य विरचित अभिनवभारती
नामक नाट्यशास्त्रको टीकामें 'मण्डपाध्याय' नामक द्वितीय अध्याय समाप्त हुआ ।
इति श्रीमदाचार्य - विश्वेश्वर-सिद्धान्तशिरोमरिणविरचिते 'अभिनवभारती सञ्जीवन भाष्ये' द्वितीयो ऽध्यायः समाप्तः ।
१. 'न तु' इत्यधिकम् । २ पूजामिति । तथापि वक्ष्यामीति । ३. तत्र हि । ४. श्रस्मदीयः । |
आप यदि किसी प्रतियोगी परीक्षा में हिस्सा लेते है तो पाते है की उसमें सामान्य ज्ञान के बहुत से प्रश्न अक्सर पूछे जाते है. कई बार तो यह भी होता है की हमारी गणित कमजोर होने की वजह से ये सामान्य ज्ञान ,सामान्य विज्ञान के प्रश्न हमें सफल होने में बड़ी मदद करते है . यदि आपका भी सामान्य ज्ञान अच्छा है तो आप भी जल्द ही सफलता पा सकते है.
प्रश्नः1 लैम्पों में प्रकाश उत्पन्न करने के काम में कौन सी गैस उपयोग में लायी जाती है?
प्रश्नः2 कच्चे फलों को पकाने में कौन सी गैस उपयोग में लायी जाती है?
प्रश्नः3 ऊनी कपड़ों की शुष्क धुलाई(Dry Cleaning) में कौन सी गैस उपयोग में लायी जाती है?
प्रश्नः 4 किस किसी परमाणु के रासायनिक गुण निम्न किस पर निर्भर करते हैं :
प्रश्नः 5 आयु निर्धारण में कार्बन के किस समस्थानिक का उपयोग करते हैं ?
प्रश्नः 6 नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का उपयोग का किस रूप में किया जाता है?
प्रश्नः 7 सूर्य के उच्च ताप का कारण क्या है?
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महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 70 साल तक ब्रिटेन की गद्दी पर राज किया लेकिन उनके प्यार की उम्र इससे भी कहीं बड़ी थी. ये प्रेम कहानी शुरू होती है साल 1939 में... तब एलिजाबेथ महज 13 साल की थीं जब पहली बार उन्होंने ग्रीस और डेनमार्क राजकुमार प्रिंस फिलिप को देखा था. उस वक्त फिलिप की उम्र 18 साल की थी. ये मुलाकात लंदन के रॉयल नेवल कॉलेज में हुई थी जहां एलिजाबेथ अपनी मां के साथ गई थीं.
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पूर्णिया जिले में स्थित टीकापट्टी में बापू की यादें फिर से जिंदा होंगी। पूर्णिया से 65 किलोमीटर दूर टीकापट्टी आजादी की लड़ाई का केंद्र था। 1934 में भूकंप की त्रासदी के बाद चंदा एकत्रित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1934 को टीकापट्टी आये थे।
इस स्थान की एतिहासिकता को देखते हुए बापू की यादों को सहेजने की कवायद प्रशासन की ओर से शुरू कर दी गयी है। टीकापट्टी को प्रखंड बनाने की मांग भी लंबे समय से इलाके के लोगों के द्वारा की जा रही है। मुख्यमंत्री अगले माह विकास यात्रा की शुरूआत करने वाले हैं। इस दौरान उनके टीकापट्टी आने की संभावना भी जतायी जा रही है।
मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए टीकापट्टी पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वह पहली बार यहां आये हैं। उन्होंने भरोसा दिया था कि वह जल्द ही सरकारी कार्यक्रम बनाकर यहां आयेंगे। उन्होंने ठीठरू मंडल को भी नमन किया था, जिन्होंने यहां स्वराज आश्रम के लिए पांच एकड़ जमीन दान दे दी थी। उनके आने पर यहां की दशा-दिशा बदलना तय है। बुधवार को जिलाधिकारी राहुल कुमार जब टीकापट्टी पहुंचे तो लोगों की उम्मीदें जग गई। गांधी सदन के कायाकल्प की आस भी जगी है। पूर्णिया से टीकापट्टी की दूरी भी काफी है। रूपौली प्रखंड से कई पंचायतें बीस से तीस किलोमीटर दूर हैं। टीकापट्टी में जहां गांधी जी आये थे, पहले वह खाली जगह थी। बाद में गांधी सदन का निर्माण किया गया। 1983 से इसी भवन में टीकापट्टी ओपी चलता रहा। 2007 में टीकापट्टी थाना बन गया। गांधी सदन के बगल में डायट है। दूसरी ओर बुनियादी विद्यालय है। जिला पदाधिकारी राहुल कुमार ने गांधी सदन का अवलोकन किया। गांधी जी के आगमन से लेकर इस स्थल के इतिहास को लेकर जानकारी जुटाई।
सैलानियों के आकर्षण का केंद्र काझा कोठी की सुंदरता भी निखरेगी। जिलाधिकारी ने काझा कोठी जाकर मुआयना किया। करीब 30 एकड़ में फैले काझा कोठी के बीचोबीच पांच से दस एकड़ में बना तालाब भी है। पहले यहां बोटिंग होती थी। मगर कुछ वर्षों से यह बंद है। डीएम ने कहा कि काझा कोठी के विकास का प्लान तैयार किया जाएगा।
जिलाधिकारी राहुल कुमार ने कहा कि भूकंप की त्रासदी के बाद महात्मा गांधी 1934 में टीकापट्टी आये थे। उन्होंने गांधी सदन जाकर जानकारी जुटाई है। यह विरासत स्थल है। गांधी जी की यादों को यहां जीवंत करने की कोशिश होगी। उन्होंने लोगों से पूछा कि यहां मान्यूमेंट वगैरह था या नहीं। जमीन की कितनी उपलब्धता है। विकास की क्या जरूरत है। प्रशासनिक स्तर पर जल्द ही विरासती स्थल को संवारने की कवायद की जायेगी। वह रानीपतरा स्थित सर्वोदय आश्रम भी जल्द जाएंगे। उन्होंने कहा कि टीकापट्टी को प्रखंड बनाने की मांग भी लोगों के द्वारा लंबे समय से की जा रही है।
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रक्षा मंत्रालय के तहत डीआरडीओ प्रयोगशाला, लेजर विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (LASTEC) ने जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) के पदों के लिए वॉक- इन- इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया है. इंटरव्यू 11 से 12 दिसंबर को सुबह 9:30 बजे से दोपहर 11:30 बजे आयोजित किए जाएंगे. बता दें, इससे पहले जूनियर रिसर्च फेलो के 12 पदों पर नियुक्ति कर दी गई है.
जो उम्मीदवार इन पदों पर इंटरव्यू देने जा रहे हैं वह पहले ये जान लें उनके रिज्यूमे में ये बातें होनी चाहिए.
- कास्ट सर्टिफिकेट (यदि लागू हो)
इसी के साथ सभी ऑरिजनल सर्टिफिकेट्स को उम्मीदवार सेल्फ अटेस्टेड करें. वहीं उम्मीदवार अपने ऑरिजनल सर्टिफिकेट्स जरूर लेकर आएं. फिलहाल अभी वॉक इन इंटरव्यू कहां होगा इसका पता जल्द ही जारी किया जाएगा.
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शब्द "बदमाशी" - यह क्या है? अंग्रेजी से अनुवादित, इसका अर्थ है गुंडागर्दी। बुलिंग एक व्यक्ति पर बार-बार नकारात्मक मनोवैज्ञानिक दबाव है। यह न केवल स्कूलों में होता है, बल्कि काम पर भी होता है। नतीजतन, जिस व्यक्ति को नकारात्मक प्रभाव का निर्देशन किया जाता है, वह निरंतर तनाव का अनुभव करना शुरू कर देता है। और परिणामस्वरूप - मुझे अपने अध्ययन या कार्य के स्थान को बदलना होगा। स्कूल की बदमाशी अपनी क्रूरता, अकर्मण्यता के लिए उल्लेखनीय है। और इसे अलग से माना जाना चाहिए।
बाहरी रूप से, उभयलिंगी अनुचित रूप से प्रकट होता हैएक व्यक्ति (कर्मचारी, छात्र) के प्रति बर्खास्तगी और अभिमानी रवैया। उनकी पूरी पहल पर सवाल उठाए गए और उनका मजाक उड़ाया गया। साथ ही बयान और कोई कार्रवाई। यह सब जहरीली आलोचना के अंतर्गत आता है।
धमकाने वाला व्यक्ति कोशिश कर रहा हैयह साबित करें कि सामूहिक के लिए उनका बलिदान मूर्खतापूर्ण और बेकार है। वह खुले अपमान और अपमान और अपमान का सामना कर सकता है। हमलावर हमेशा एक सहयोगी नहीं होता है, वह पीड़ित का मुखिया हो सकता है।
मैनेजर की ओर सेप्रबंधन की गतिविधियों में संलग्न होने में उनकी अक्षमता और अक्षमता को दर्शाता है। हमला पेशेवर अक्षमता और हीनता को छुपाता है, जो उत्पीड़न की डिग्री से निर्धारित होता है। यदि एक साधारण कर्मचारी धमकाने में लगा हुआ है, तो यह किसी और के खर्च पर आत्म-पुष्टि है।
इस तरह के उत्पीड़न का विरोध करना बहुत मुश्किल है। सहकर्मी अक्सर तटस्थ स्थिति लेते हैं, और शायद ही कभी पीड़ित व्यक्ति के लिए हस्तक्षेप करना शुरू करते हैं, अन्य लोगों के संबंधों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। कभी-कभी कर्मचारी हमलावर का समर्थन करते हैं, उसकी बदमाशी में शामिल होते हैं। खासकर अगर बॉस बुलिंग में व्यस्त हो।
लोग तैरने क्यों जाते हैं?
बुलिंग एक सामाजिक घटना हैकिसी अन्य व्यक्ति पर आक्रमण को निर्देशित करके उनकी असंगतता को छिपाने में मदद करता है अपनी हीनता दिखाने का डर। इस प्रकार हमलावर अपनी कमजोरियों को छिपाने की कोशिश करता है। ज्यादातर अक्सर यह काम में अक्षम व्यक्ति होता है।
कभी-कभी अन्य कर्मचारी उससे जुड़ जाते हैं। इसका मतलब यह है कि उपरोक्त गुणों का हिस्सा उनमें मौजूद है। लेकिन अगर हमलावर - प्रमुख, फिर अपने कार्यों का समर्थन करना अपनी नौकरी खोने के डर का प्रकटन हो सकता है।
मानव-निर्देशित खुला नकारात्मकमनोवैज्ञानिक प्रेस, उत्पीड़न - यह बुलिंग है। यह समझना कि कोई व्यक्ति या लोगों का एक समूह ऐसा क्यों करता है जो खड़े होने का सही तरीका चुनने में मदद करेगा।
सबसे पहले, पीड़ित को इस के आगे नहीं झुकना चाहिए।दबाव, घबराहट - शांत रखने का प्रयास करना चाहिए। और धमकाने का कारण समझें। उनमें से बहुत कुछ हो सकता है - व्यक्तिगत शत्रुता, एक लंबे समय तक संघर्ष, एक पीड़ित का पद पाने की इच्छा आदि। इस पर निर्भर करते हुए, हमलावर के प्रति व्यवहार की रणनीति पर काम करने की कोशिश करें।
यदि आप इसे स्वयं नहीं कर सकते,आप मैनुअल को संदर्भित करने का प्रयास कर सकते हैं। दूसरे विभाग या शाखा में स्थानांतरण के लिए कहें। यदि इस तरह के कोई विकल्प नहीं हैं और हमलावर के हमलावर का विरोध करने के लिए कोई शक्ति नहीं बची है, तो नौकरी बदलना आसान है। आपकी नसें और स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण हैं।
बुलिंग - यह क्या है? दूसरे शब्दों में - एक व्यक्ति या लोगों के समूह के उद्देश्य से लगातार मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न। आप बुलिंग का विरोध कर सकते हैं। मनोवैज्ञानिक इस समस्या के कई समाधान देते हैंः
- इस तरह से काम करना कि व्यावसायिकता को ठेस पहुँचाना असंभव हो;
- एक ही के साथ हमलावर का जवाब नहीं और स्टिंग टिप्पणी और अपमान का जवाब नहीं देने की कोशिश करें;
- रोने, एक खुले मौखिक संघर्ष, घोटालों और अशिष्टता के रूप में विघटन की अनुमति नहीं देने के लिए (यह केवल पीड़ित की नपुंसकता को दर्शाता है)
- समान विचारधारा वाले लोगों को ढूंढें (कुछ पहले इस तरह के उत्पीड़न के अधीन हो सकते हैं);
- उन सहयोगियों को खोजें, जिनके पास हमलावर के प्रति एंटीपैथी है, और उनके साथ एक आम भाषा खोजने की कोशिश करते हैं;
- प्रत्येक चरण और क्रिया की गणना करें।
बैल काम पर क्यों दिखाई देता है?
बुलिंग - यह क्या है? सरल शब्दों में - किसी व्यक्ति पर एक नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव, जिसके दौरान उसे खुले तौर पर अपमानित किया जाता है, अपमानित किया जाता है, आलोचना की जाती है और सब कुछ कास्टिक टोन में किया जाता है।
सबसे अधिक बार, रैंक्स रैंकों में होता हैकर्मचारियों को। यद्यपि यह कंपनी के व्यक्तिगत ग्राहकों को निर्देशित किया जा सकता है। प्रबंधक कभी-कभी अपनी स्थिति का दुरुपयोग करते हैं, और ऐसे मामले होते हैं जब उन्हें प्रबंधकों द्वारा भी समर्थन दिया जाता है।
शोध के अनुसार यह पाया गया किज्यादातर, बदमाशी के शिकार आज्ञाकारी, कमजोर और मामूली कार्यकर्ता होते हैं। ये गुण उन्हें सहयोगियों या वरिष्ठों को नापसंद करने का कारण बन सकते हैं। लेकिन मुखर और सफल कर्मचारियों को मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न के अधीन किया जा सकता है, जिससे अन्य लोग ईर्ष्या करते हैं।
बदमाशी करने में सक्षम प्रमुख खराब हैंप्रबंधक जो उच्च पदों के लिए सक्षम नहीं हैं, क्योंकि वे नहीं जानते कि क्रोध का सामना कैसे करना है, संचार और सामाजिक कौशल नहीं है। इस तरह के मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न के साथ वे बस अपनी शक्ति को बनाए रखना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए, कर्मचारियों के अपमान और अपमान का तिरस्कार न करें।
काम की वजह से बुलिंग हो सकती हैअसुविधाजनक कार्यस्थलों, तंग कमरे, खराब उपकरण और काम करने की स्थिति। इन मामलों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए कर्मचारियों पर दबाव टीम में ज्यादातर स्क्वैबल्स का कारण बनता है। और यह बदमाशी की अभिव्यक्ति की शुरुआत हो सकती है।
मनोवैज्ञानिकों ने अध्ययन किया हैजिसके परिणाम ने बदमाशी और व्यक्तित्व विकार के बीच एक संबंध स्थापित किया। कुल मिलाकर 11 प्रकार के मानसिक विकार हैं। इनमें से 3 सबसे अधिक बार अपराधियों के बीच नहीं, बल्कि संगठनों के प्रमुखों में पाए जाते हैंः
- थियेट्रिकल डिसऑर्डर - इनसाइनरिटी, मैनिपुलेशन, इगोरोस्ट्रिज्म और ध्यान की बढ़ी हुई आवश्यकता की विशेषता है;
- narcissistic - भव्यता के भ्रम से प्रतिष्ठित, सहानुभूति और समझ की कमी, अन्य लोगों पर श्रेष्ठता;
- जुनूनी-बाध्यकारी - पूर्णतावाद, हठ, तानाशाही, क्रूरता और काम के प्रति अत्यधिक समर्पण की विशेषता।
बदमाशी के कई प्रमुख रूप हैं। वे आक्रामक, अनुचित, निरंतर और अत्यधिक दृढ़ता के साथ दिखाई देते हैं। काम पर, बदमाशी के रूप में हो सकता हैः
- कर्मचारियों की थकावट (आदर्श से ऊपर का काम);
- ब्लैकमेल, डराना;
- किसी और की सफलता के लिए विनियोग करना;
- काम के लिए आवश्यक जानकारी (या इसकी अविश्वसनीयता) को छिपाना;
- टीम के बाकी कर्मचारियों से अलगाव;
- अच्छे काम की गैर-मान्यता;
- पिछले कर्मचारी गलतियों के निरंतर अनुस्मारक।
बुलिंग एक लंबी आक्रामक हैदूसरे व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक (कम शारीरिक) दबाव। यह सामान्य रूप से टीम के काम और विशेष रूप से लक्षित कर्मचारी के कार्य की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। उसके लिए नकारात्मक परिणामों में से एक तनाव होगा। किसी व्यक्ति को धमकाने की मदद से कभी-कभी आत्महत्या के लिए प्रेरित किया जाता है।
गवाहों के उत्पीड़न नकारात्मकता की उनकी खुराक प्राप्त करते हैं। काम पर स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है, और वे दूसरी जगह जाने की कोशिश करते हैं। नतीजतन, संगठन उच्च योग्य कर्मचारियों को खो सकता है। कार्मिक टर्नओवर, मुकदमे, अनुपस्थिति, काम में गलतियाँ, आदि दिखाई देते हैं।
स्कूल बदमाशी - यह घटना क्या है? दूसरे शब्दों में, एक बच्चे का आक्रामक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक उत्पीड़न दूसरे द्वारा (या व्यक्तियों का एक समूह)। मूल रूप से, यह घटना 11 साल से दिखाई देने लगती है। अक्सर न केवल मनोवैज्ञानिक दबाव होता है, बल्कि पिटाई भी होती है। गपशप, नाम-पुकार और चुभने वाले चुटकुले को भीड़ कहते हैं।
रूस में लगभग 50% बच्चे वस्तु बन जाते हैं।बदमाशी। प्राथमिक ग्रेड में, यह खुद को एक स्कूल रैकेट के रूप में प्रकट कर सकता है (सेल फोन, पैसे आदि के शिकार से वंचित)। 11 से 15 वर्ष की आयु में, उपहास, अपमान, बहिष्कार का दंश शुरू हो जाता है। नतीजतन, बच्चा पीड़ित निराशा, अकेलेपन और दर्द की भावना का अनुभव करता है।
बुलिंग हमेशा एक बच्चे को शुरू करता है। फिर अन्य लोग इसमें शामिल होते हैं। यदि पीड़ित विरोध नहीं करता है और शिक्षक उत्पीड़न को रोकने की कोशिश नहीं करता है, तो पीड़ित बच्चे के लिए कोई भी हस्तक्षेप नहीं करेगा। कभी-कभी उसके प्रति सहानुभूति उदासीनता और जलन में बदल जाती है।
ऐसे स्कूलों में जहां मानव गरिमा की शिक्षा पर जोर दिया जाता है, बदमाशी दुर्लभ है। शैक्षिक संस्थानों के विपरीत, जहां सब कुछ संयोग से निर्धारित होता है।
बुलिंग को भी मजबूत किया जा सकता है।स्कूली बच्चे, अगर उन पर सहपाठियों या अन्य बच्चों के समूह द्वारा दबाव डाला जाता है। अक्सर, पीड़ित खुद अनजाने में हमलावरों को उकसाते हैं। उदाहरण के लिए, उनकी अशिष्ट उपस्थिति, अतिसंवेदनशीलता और भेद्यता, यह शिक्षकों का पसंदीदा भी हो सकता है। बच्चों के साथ-साथ अपने सहपाठियों से अलग तरह से।
बुलिंग - यह क्या है और यह खुद को कैसे प्रकट करता है? इस शब्द को लंबे समय तक आक्रामकता के रूप में वर्णित किया जा सकता है,किसी अन्य व्यक्ति के उद्देश्य से। स्कूली बच्चे जिनके माता-पिता या वयस्कों का कोई सम्मान नहीं है, वे बछड़े बन जाते हैं। ऐसे आक्रामक बच्चों में अक्सर ध्यान और समझ की कमी होती है। अपने कार्यों से, वे उन्हें नोटिस करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ माता-पिता के प्यार के लिए तरसते हैं, जो अन्य बच्चों पर नहीं है।
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Lakhimpur Kheri Case: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार (19 जनवरी) को लखीमपुर खीरी केस के आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay MishrTeni) के बेटे आशीष मिश्रा 'मोनू' (Ashish Mishra) की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा 'केस के ट्रायल में 5 साल का वक्त लग सकता है, ऐसे में अभियुक्त को अनिश्चित काल के लिए कैद में नहीं रखा जा सकता है। किसी को अनिश्चितकालीन कारावास नहीं होना चाहिए...'।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर पीड़ितों की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) ने कहा कि यही तर्क सभी अभियुक्तों पर लागू होना चाहिए, जिनमें साल 2020 के दिल्ली दंगों के जेल में बंद आरोपी भी शामिल हैं। दवे ने कहा कि कानून तो सबके लिए बराबर होना चाहिए, दिल्ली दंगों के अभियुक्त तो अभी भी जेल में सड़ रहे हैं।
'बार एंड बेंच' की एक रिपोर्ट के मुताबिक आशीष मिश्रा (मोनू) की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा कि घटना के वक्त मिश्रा कार में मौजूद नहीं थे। कॉल रिकॉर्ड से पता लगा था कि हादसे के वक्त आशीष मिश्रा घटनास्थल से 4 किलोमीटर दूर थे। यह कोई मर्डर का केस नहीं है, बल्कि ऐसा मामला है जब भीड़ हिंसक हो गई और कुछ लोगों की हत्या कर दी। हमारे भी लोग मारे गए और कुछ किसानों की भी जान गई। न तो गोली चली है न ही गोली से घाव के निशान मिले हैं।
मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने तर्क दिया कि आशीष मिश्रा का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। वे 1 साल से ज्यादा समय से हिरासत में हैं। ट्रायल कोर्ट में हमारे खिलाफ कुल 208 गवाह हैं और अगर प्राथमिकता पर सुनवाई नहीं लगी तो 5 साल लग सकते हैं। रोहतगी ने कहा कि एक एफआईआर में 200 और एक में 198 गवाह हैं। इस तरह तो 400 गवाहों से पूछताछ में 7-8 साल का वक्त लग जाएगा।
SC ने यूपी सरकार से पूछा- क्या सबूतों से छेड़छाड़ की?
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) गरिमा प्रसाद से पूछा कि क्या आशीष मिश्रा ने सबूतों से छेड़छाड़ का प्रयास किया? इस पर गरिमा प्रसाद ने कहा कि नहीं ऐसा तो अभी तक नहीं हुआ है। कोर्ट ने पूछा कि फिर आपकी क्या राय है? इस पर गरिमा प्रसाद ने कहा कि ये बहुत गंभीर अपराध है और सोसाइटी पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा...।
उधर, पीड़ितों की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) ने कहा कि अगर आशीष मिश्रा को जमानत मिलती है तो इससे बहुत बुरा संदेश जाएगा। हमें नहीं ध्यान आ रहा है कि अभी तक किसी अन्य मर्डर का ट्रायल 5 साल से पहले पूरा हुआ हो। उनकी इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'आप ऐसा नहीं कह सकते हैं कि कोर्ट चुपचाप देखता है और यह भी नहीं कर सकते हैं कि अभी तक अगर कोई काम नहीं हुआ है तो इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट के पास ताकत नहीं है...'।
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दिल्ली ने बंगाल को पारी और 26 रन से रौंदकर रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश कर लिया।
पुणे। दिल्ली ने बंगाल को पारी और 26 रन से रौंदकर रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश कर लिया। पहली पारी में 112 रन की महत्वपूर्ण बढ़त लेने के बाद दिल्ली के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी और कुलवंत खेजरोलिया ने चार-चार विकेट बांटकर बंगाल को दूसरी पारी में 86 रन पर ढेर कर दिया।
बंगाल ने दूसरी पारी में बहुत खराब शुरुआत की और पहले पांच विकेट 44 रनों के अंदर ही गंवा दिए। उपकप्तान सुदीप चटर्जी (21), कप्तान मनोज तिवारी (14) और विकेटकीपर श्रीवत्स गोस्वामी (17) अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में तब्दील नहीं कर सके। सलामी बल्लेबाज अभिषेक रमन (00) तीसरे ओवर की आखिरी गेंद पर तेज गेंदबाज विकास टोकस (1/11) का शिकार बने। इसके बाद अभिमन्यु ईश्वरन (13) और सुदीप ने दूसरे विकेट के लिए 27 रनों की छोटी साझेदारी की, लेकिन खेजरोलिया (4/40) ने ईश्वरन को आउट करके इस साझेदारी को भी तोड़ दिया। इसके बाद चटर्जी को नवदीप सैनी (4/35) ने बोल्ड कर दिया। दिल्ली ने लगातार विकेट चटकाकर बंगाल को आखिरकार 86 रनों पर ढेर कर दिया।
इससे पहले दिल्ली ने दूसरे दिन के स्कोर 271 पर तीन से आगे खेलना शुरू किया और मुहम्मद शमी के छह विकेट की बदौलत 398 रनों पर ऑलआउट हो गई। कुणाल चंदेला और गौतम गंभीर के शतक के बाद तीसरे दिन हिम्मत सिंह ने भी 60 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली। दिल्ली पहली पारी में 112 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त लेने में कामयाब रही थी। दिल्ली का अब फाइनल में सामना कर्नाटक और विदर्भ के बीच चल रहे सेमीफाइनल मुकाबले के विजेता से होगा।
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लखनऊ। होली के दिन बुधवार को लखनऊ मेट्रो रेल सेवा अपराह्न ढाई बजे तक बंद रहेगी। लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि बुधवार को होली के दिन मेट्रो रेल सेवा अपराह्न दो बजकर 30 मिनट तक बंद रहेगी। उन्होंने बताया कि ढाई बजे के बाद यह सेवा दोनों टर्मिनल चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा मेट्रो स्टेशन और मुंशी पुलिया मेट्रो स्टेशन से शुरू होगी तथा सामान्य दिनों की तरह रात 10 बजे तक उपलब्ध रहेगी।
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खोद कर बहुत सी गुफाएँ प्राचीनकाल में बनाई गई थी, जो दूर से देखने पर मधुमक्षिकाओं के छत्ते-सी मालूम देती हैं। इन गुहाओं या गुहाविहारों का निर्माण चौथी सदी के मध्य भाग में शुरू हो गया था। पर पांचवीं सदी में चीन के वेई वंश के राजाओं ने बौद्ध धर्म तथा कला का विकास करने में विशेष उत्साह प्रदर्शित किया, और उनके द्वारा तुह्वांग मे भी बहुत से गुहाविहार तैयार कराए गए। ताग वंश के शक्तिशाली सम्राटो के शासन काल में भी अनेक नये गुहा-विहार बनवाए गए, और यह प्रक्रिया दशवी सदी तक जारी रही। चीनी भाषा मे लिखे हुए कितने ही अभिलेख तुङ्हांग् मे मिले हैं, जिनसे इन गुहाविहारो के निर्माण के इतिहास पर अच्छा प्रकाश पड़ता है । इनमे सबसे पुराना अभिलेख ६९८ ईस्वी का है, जिससे यह ज्ञात होता है कि लोचन नाम का भिक्षु कितने ही जगलों तथा मैदानो को पारकर ३६६ ईस्वी में इस स्थान पर आया था। यहाँ पहाड़ी पर उसे एक प्रकाश दृष्टिगोचर हुभा जिसमे हजारों बुद्ध दिखायी दे रहे थे । लो-चुन ने यहाँ एक गुहा-विहार का निर्माण कराया। बाद में फा-लियान नाम का एक अन्य बौद्ध आचार्य पूर्व की ओर से इस स्थान पर आया, और इसने लो-चुन की गुहा के समीप एक अन्य गुहा - विहार का निर्माण कराया। इस प्रकार गुहा- बिहारो की उस शृंखला का निर्माण प्रारम्भ हो गया, जो सहस्र-बुद्ध-गुहा - विहार के नाम से प्रसिद्ध हैं । लो-चुन और फालियान के अनुकरण में तुड़वा के स्थानीय शासको, प्रान्तीय शासको और उस नगरी के समृद्ध नागरिको ने भी बहुत सी गुहाओ का निर्माण कराया और यह सिलसिला छ. सदियों तक चलता रहा । ७७५ ईस्वी से चौदहवी सदी के मध्य तक के अन्य भी अनेक अभिलेख मिले हैं जिनमे इस सहस्र - बुद्ध - गुहा - विहार के निमित्त किए गए दान, गुहा-विहार की मरम्मत व पुननिर्माण प्रादि का उल्लेख है । ये पुण्य कार्य जिन व्यक्तियों द्वारा किए गए, उनके नाम भी इन अभिलेखो में दिए गए हैं। इनमे मगोलो का एक राजकुमार भी है ।
तुड्ग के दक्षिण-पश्चिम मे पहाडी को काट-काट कर या खोद-खोद कर जिन गुहा- विहारो का निर्माण किया गया है, उनके दो समुदाय हैं। इनमें दक्षिण वाला गुहा समुदाय मुख्य है। ये गुहा-बिहार पहाडी की ढलान पर एक हजार गज के लगभग तक फैले हुए हैं। पहाडी की लम्बाई पर लगातार गुहाएँ खुदी हुई है, जिनमे से कुछ ऊँचाई पर हैं और कुछ निचली ओोर हैं। ये गुहाएँ एक के बाद एक करके खोदी गई हैं, जिससे ये एक के ऊपर एक लटकी-सी दिखाई देती हैं। गुहा -विहारों के ऊपरी खण्ड पर पहुंचने के लिए लकडी की सीढ़ियाँ बनाई गई थी, जो अब टूट चुकी हैं । गुहा- विहार छोटे-बडे सब भाकारो के हैं। एक गुहा- बिहार की भीतरी गुहा मे ४५ फीट लम्बी चौकोर शाला है, जिसे ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है। इस शाला के बीच में बुद्ध की एक विशाल मूर्ति है, जिसके दोनो पार्श्वों मे विविध देवताओ तथा बोधिसत्त्वों की मूर्तियाँ हैं। मूर्तियों के पीछे की ओर कुछ जगह प्रदक्षिणा के लिए छोड दी गई है। शाला की दीवारों पर बहुत से भित्तिचित्र बने हुए है। चित्र बहुत सुन्दर हैं, और सुरक्षित दशा में हैं । प्राय सभी गुहा- बिहार इसी ढंग के हैं। उनमें बोधिसत्त्वों तथा देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं, और उनकी दीवारो पर सुन्दर
भित्तिचित्र बने हैं । तुझ्ह्वांगू की जलवायु प्रत्यन्त शुष्क है। अतः नमी (आर्द्रता) का इन गुहाविहरों के भित्तिचित्रों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा । ये गुहा-विहार तथा उनके भित्तिचित्र प्रायः उसी काल के हैं, जबकि अजन्ता के गुहामन्दिरों का निर्माण हुमा था। पर तुङ्वांग की ये कलाकृतियां अधिक सुरक्षित दशा में हैं। इसीलिए इनके द्वारा यह भलीभांति अध्ययन किया जा सकता है, कि चीन के इस पश्चिमी प्रदेश में कला का विकास किस प्रकार हुआ था ।
तुङ्-ह्वांग की कला-कृतियो (मूर्तियों तथा भित्तिचित्रो) को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है - (१) जिसका सम्बन्ध बुद्ध, बोधिसत्वों, प्रहंतो और देवताओं के साथ है, और (२) जिनमें सांसारिक जीवन का चित्रण किया गया है। यहाँ की सबसे पुरानी कलाकृतियो पर ग्रीस से प्रभावित गान्धार कला का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है । पर बाद में जब भारत और चीन का सम्बन्ध बहुत बढ़ गया और चीनी यात्री बडी संख्या में भारत आने लगे, तो उनका गुप्त युग की भारतीय कला से भी परिचय हुआ । सातवी सदी से दसवी सदी तक जो बहुत-से चीनी यात्री भारत आये, वे केवल बौद्ध ग्रन्थो को ही अपने साथ चीन नही ले गए, अपितु बहुत-सी मूर्तियाँ तथा चित्रों की अनुकृतियाँ भी वे अपने साथ ले गए। यह स्वाभाविक था कि भारत की इन कलाकृतियों की शैली का चीन की बौद्ध कला पर प्रभाव पडे । तुङ्-ह्वांग के गुहाविहारो की मूर्तियो तथा भित्तिचित्रो पर यह प्रभाव स्पष्ट रूप से विद्यमान है। वहाँ बुद्ध, बोधिसत्त्वो तथा देवताओं की जो मूर्तियाँ व भित्तिचित्र हैं, वे प्रायः भारतीय शैली मे ही हैं । पर जिन चित्रो मे सांसारिक जीवन चित्रित किया गया है, वे चीनी शैली के हैं। तुङ्-ह्वाग् की कलाकृतियों मे केवल चीनी और भारतीय शैलियाँ हो नहीं हैं, उन पर अन्य देशो का प्रभाव भी विद्यमान है। इस स्थान की भौगोलिक स्थिति ऐसी थी, कि वहाँ पश्चिम की ओर से चीन जाने वाले विविध मार्ग परस्पर मिल जाते थे । प्रतः स्वाभाविक रूप से ईरान, बल्ख, सुग्ध, खोतन, कुची, मंगोलिया प्रादि के विविध व्यापारी व यात्री वहाँ आते जाते थे और उन्हें वहां परस्पर मिलने तथा एक-दूसरे को प्रभावित करने का अवसर मिला करता था। इसी कारण तुङ्-ह्वाग् की कला-कृतियो पर ईरान आादि का प्रभाव भी दिखाई देता है।
तुङ्-ह्लागू के गुहाविहारों में विद्यमान मूर्तियों का सम्बन्ध प्राय. बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय के साथ है । यहाँ की बहुसंख्यक मूर्तियाँ आकार में सामान्य पुरुषो के बराबर हैं, पर दो मूर्तियाँ अत्यन्त विशाल भी है। एक की ऊंचाई तो १० फीट है। बहुत-सी मूर्तियाँ पहले सुवर्ण के रंग में रँगी हुई थी, पर यह रंग अब बहुत कम स्थानों पर ही शेष बचा है। समय के साथ-साथ बहुत-सी मूर्तियाँ खराब भी हो गई हैं, और कुछ तो मनुष्यों की पशुता की भी शिकार हुई हैं। गुहाविहारों की दीवारों पर जो भित्तिचित्र बनाए गए थे, वे अभी पर्याप्त रूप से सुरक्षित दशा में हैं, और उनके रंग भी अधिक खराब नहीं हुए हैं। इन भित्तिचित्रों में जहाँ बुद्ध, बोधिसत्त्व, अर्हत तथा देवता बनाए गए हैं, वहीं साथ ही सज्जा के लिए बीच-बीच में पत्र पुष्प भी चित्रित किए गए हैं, जो अत्यन्त सुन्दर तथा कलात्मक हैं । अनेक जातक कथाओं को भी |
सम्मेलन में दोनों नेता अपनी पार्टियों का नज़िरया रखने के साथ ही राजस्थान के विकास पर वहां रह रहे राजस्थान मूल के लोगों से चर्चा करेंगे.
जयपुर. ग्लोबल इंडिया इनिशिएटिव-जीआईआई और एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (Global India Initiative-GII and Association of Rajasthan) की ओर से गुरुवार को लंदन (London) में आयोजित होने वाले 'प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन' (Pravasi Rajasthani Sammelan) में पीसीसी चीफ एवं डिप्टी सीएम सचिन पायलट (PCC Chief and Deputy CM Sachin Pilot) और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (BJP state president Satish Poonia) शिरकत करेंगे. लंबे समय बाद यह ऐसा आयोजन होगा जिसमें दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष एक साथ मंच साझा (Platform sharing) करेंगे. न्यूज 18 राजस्थान के मीडिया पार्टनरशिप में होने वाले इस आयोजन के लिए दोनों नेता वहां पहुंच चुके हैं. दोनों नेताओं का एसोसिएशन के अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया.
प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन में दोनों नेता अपनी पार्टियों का नज़िरया रखने के साथ ही राजस्थान के विकास पर वहां रह रहे राजस्थान मूल के लोगों से चर्चा करेंगे. इस आयोजन में सहभागिता समेत अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया 10 दिसंबर तक यूके की यात्रा पर रहेंगे.
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थलापति विजय की 'लियो' होगी आखिरी फिल्म? नई पारी से पहले ले रहे हैं ब्रेक! तमिलनाडु की पदयात्रा का क्यों है प्लान?
कितने प्रतिशत होने पर फोन की बैटरी को करना चाहिए चार्ज? कब कर देना होता है बंद? 99 फीसदी लोग नहीं जानते सही जवाब!
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