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यह बच्चा मुझे प्यारा है। | यह बच्चा मुझे प्यारा नहीं है। | यह बच्चा मेरी आँखों का तारा है। | 0 | hi |
यह बच्चा मुझे प्यारा है। | यह बच्चा मुझे प्यारा नहीं है। | यह बच्चा मेरी आँखों का काँटा है। | 1 | hi |
उनके बच्चे का रोना मधुर लगता था। | उनके बच्चे का रोना बिलकुल ही मधुर नहीं लगता था। | उनके बच्चे का रोना तितलियों के समान प्यारा था। | 0 | hi |
उनके बच्चे का रोना मधुर लगता था। | उनके बच्चे का रोना बिलकुल ही मधुर नहीं लगता था। | उनके बच्चे का रोना काली मक्खियों के समान प्यारा था। | 1 | hi |
दिवार के पीछे से कोई सुन सकता है। | दिवार को पीछे से कोई देख सकता है। | दीवारों के भी कान होते हैं । | 0 | hi |
दिवार के पीछे से कोई सुन सकता है। | दिवार को पीछे से कोई देख सकता है। | दीवारों के भी आंखें होती हैं । | 1 | hi |
इतना चल के मैं बहुत थक हो गया हूँ। | इतना चल के मैं बहुत जोश में आ गया हूँ। | मई की धूप में चार कि मी की पैदल यात्रा करने के कारण मैं तो थककर चूर हो गया हूँ। | 0 | hi |
इतना चल के मैं बहुत थक हो गया हूँ। | इतना चल के मैं बहुत जोश में आ गया हूँ। | मई की धूप में चार कि मी की पैदल यात्रा करने के कारण मैं तो जोश से भरपूर हो गया हूँ। | 1 | hi |
जब डाँट पड़ेगी तब समझ में आएगी। | जब तारीफ़ होगी तब समझ में आएगी। | लगता है जब जूते पड़ेंगे तभी मेरी बात समझ में आएगी। | 0 | hi |
जब डाँट पड़ेगी तब समझ में आएगी। | जब तारीफ़ होगी तब समझ में आएगी। | लगता है जब फूल पड़ेंगे तभी मेरी बात समझ में आएगी। | 1 | hi |
जून महीने की दोपहर में गर्मी बहुत होती है। | जून महीने की दोपहर में इतनी गर्मी नहीं होती है। | जून मास की दोपहरी में आग के अंगारे बरसते प्रतीत होते हैं। | 0 | hi |
जून महीने की दोपहर में गर्मी बहुत होती है। | जून महीने की दोपहर में इतनी गर्मी नहीं होती है। | जून मास की दोपहरी में पानी के फव्वारे बरसते प्रतीत होते हैं। | 1 | hi |
युद्ध में हमारे सैनिकों ने मुश्किलों से विजय प्राप्त की। | युद्ध में हमारे सैनिकों ने आसानी से विजय प्राप्त की। | युद्ध के मैदान में हमारे सैनिकों ने अंगारों पर पैर रखकर विजय प्राप्त की। | 0 | hi |
युद्ध में हमारे सैनिकों ने मुश्किलों से विजय प्राप्त की। | युद्ध में हमारे सैनिकों ने आसानी से विजय प्राप्त की। | युद्ध के मैदान में हमारे सैनिकों ने फ़ूलों पर पैर रखकर विजय प्राप्त की। | 1 | hi |
उससे झगड़ा कर व्यर्थ ही विपत्ति मोल मत लो । | उससे झगड़ा कर व्यर्थ ही अपना समय बर्बाद ना करो। | उससे झगड़ा लेकर व्यर्थ ही पत्थर सिर पर मत धरो। | 0 | hi |
उससे झगड़ा कर व्यर्थ ही विपत्ति मोल मत लो । | उससे झगड़ा कर व्यर्थ ही अपना समय बर्बाद ना करो। | उससे झगड़ा लेकर व्यर्थ ही कागज़ सिर पर मत धरो। | 1 | hi |
कभी तो काम में दूसरों की मादा लेना बंद करो। | कभी तो काम में दूसरों की मादा लिया करो। | कभी तो काम में अंगूठा चूसना बंद करो? | 0 | hi |
कभी तो काम में दूसरों की मादा लेना बंद करो। | कभी तो काम में दूसरों की मादा लिया करो। | कभी तो काम में बंद दरवाजे को खोला करो? | 1 | hi |
उधार वापस करने को कहा तो उसने इंकार कर दिया। | उधार वापस करने को कहा तो उसने स्वीकार कर लिया । | उधार वापस करने को कहा तो उसने ठेंगा दिखा दिया। | 0 | hi |
उधार वापस करने को कहा तो उसने इंकार कर दिया। | उधार वापस करने को कहा तो उसने स्वीकार कर लिया । | उधार वापस करने को कहा तो उसने हाथ जोड़ दिए। | 1 | hi |
राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या बहुत प्रसन्न हुई । | राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या बहुत दुखी हुई । | राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या का अंग-अंग फूले नहीं समाया। | 0 | hi |
राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या बहुत प्रसन्न हुई । | राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या बहुत दुखी हुई । | राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या का अंग-अंग सूखने लगा । | 1 | hi |
अकबर के नवरत्नों में बीरबल अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति थे। | अकबर के नवरत्नों में बीरबल अत्यधिक सामान्य व्यक्ति थे। | अकबर के नवरत्नों में बीरबल तो जैसे अंगूठी का नगीना थे। | 0 | hi |
अकबर के नवरत्नों में बीरबल अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति थे। | अकबर के नवरत्नों में बीरबल अत्यधिक सामान्य व्यक्ति थे। | अकबर के नवरत्नों में बीरबल तो जैसे रास्ते का कंकड़ थे। | 1 | hi |
इस पहाड़ी को काट कर रेल की पटरी बिछाना अति दुष्कर कार्य है । | इस पहाड़ी को काट कर रेल की पटरी बिछाना अति सरल कार्य है । | यह पहाड़ी कोई अंगद का पैर तो है नहीं, जिसे हटाकर रेल की पटरी ना बिछाई जा सके। | 0 | hi |
इस पहाड़ी को काट कर रेल की पटरी बिछाना अति दुष्कर कार्य है । | इस पहाड़ी को काट कर रेल की पटरी बिछाना अति सरल कार्य है । | यह पहाड़ी कोई धनिये का पौधा तो है नहीं, जिसे हटाकर रेल की पटरी ना बिछाई जा सके। | 1 | hi |
लोकेन्द्र को भाग्यवश इच्छित वस्तु की प्राप्ति हो गई। | लोकेन्द्र को भाग्यवश इच्छित वस्तु की प्राप्ति नहीं हो पाई । | लोकेन्द्र को क्लर्क की नौकरी क्या मिली, मानो अन्धे के हाथों बटेर लग गई। | 0 | hi |
लोकेन्द्र को भाग्यवश इच्छित वस्तु की प्राप्ति हो गई। | लोकेन्द्र को भाग्यवश इच्छित वस्तु की प्राप्ति नहीं हो पाई । | लोकेन्द्र को क्लर्क की नौकरी क्या मिली, मानो अन्धे के हाथों में करंट लग गया। | 1 | hi |
दुर्योधन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी। | दुर्योधन बहुत बुद्धिमान था। | दुर्योधन स्कूल में चरने जाता था। | 0 | hi |
दुर्योधन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी। | दुर्योधन बहुत बुद्धिमान था। | दुर्योधन स्कूल में पढ़ने जाता था। | 1 | hi |
तुम स्वयं मूर्खतापूर्ण कार्य करते हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें। | तुम स्वयं अक्लमंद हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें। | तुम स्वयं तो अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरते हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें। | 0 | hi |
तुम स्वयं मूर्खतापूर्ण कार्य करते हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें। | तुम स्वयं अक्लमंद हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें। | तुम स्वयं तो अक्ल के पीछे माला लिये फिरते हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें। | 1 | hi |
सरकार कालाबाज़ारी को बढ़ावा दे रही है। | सरकार कालाबाज़ारी को खत्म करने में लगी है। | सरकार कालाबाजारी को आँख बंद के देख रही है। | 0 | hi |
सरकार कालाबाज़ारी को बढ़ावा दे रही है। | सरकार कालाबाज़ारी को खत्म करने में लगी है। | सरकार कालाबाजारी को आँख खोल के देख रही है। | 1 | hi |
कोई भी तुम्हारा आदरपूर्वक स्वागत नहीं करेगा। | सब तुम्हारा आदरपूर्वक स्वागत करेंगे। | यहाँ कोई ऐसा नहीं है, जो तुम्हारे लिए आँखें बिछाए बैठा रहेगा। | 0 | hi |
कोई भी तुम्हारा आदरपूर्वक स्वागत नहीं करेगा। | सब तुम्हारा आदरपूर्वक स्वागत करेंगे। | यहाँ कोई ऐसा नहीं है, जो तुम्हारे लिए काँटे बिछाए बैठा रहेगा। | 1 | hi |
रमेश अपने माता-पिता का अच्छा बच्चा था। | रमेश अपने माता-पिता का बुरा बच्चा था। | रमेश अपने माता-पिता का सपूत है। | 0 | hi |
रमेश अपने माता-पिता का अच्छा बच्चा था। | रमेश अपने माता-पिता का बुरा बच्चा था। | रमेश अपने माता-पिता का कपूत है। | 1 | hi |
राम को धोके से किसी ने नकली नोट दे दिया। | राम को प्यार से किसी ने नकली नोट दे दिया। | राम की आँखों में धूल झोंककर उसे किसी ने नकली नोट दे दिया। | 0 | hi |
राम को धोके से किसी ने नकली नोट दे दिया। | राम को प्यार से किसी ने नकली नोट दे दिया। | राम की आँखों में सपना झोंककर उसे किसी ने नकली नोट दे दिया। | 1 | hi |
आपकी भाषा बहुत अच्छी है। | आपकी भाषा बहुत भद्दी है। | आपकी भाषा मोतियों सी साफ़ है। | 0 | hi |
आपकी भाषा बहुत अच्छी है। | आपकी भाषा बहुत भद्दी है। | आपकी भाषा नाली सी साफ़ है। | 1 | hi |
मोहन सब गलत बोल रहा था। | मोहन को जैसे सब रटा हुआ था। | मोहन तोते की तरह बोले जा रहा था। | 0 | hi |
मोहन सब गलत बोल रहा था। | मोहन को जैसे सब रटा हुआ था। | मोहन खोते की तरह बोले जा रहा था। | 1 | hi |
अपने इम्तिहान का नतीजा देख रोशन शर्मिंदा हो गया। | अपने इम्तिहान का नतीजा देख रोशन ख़ुशी से भर गया। | अपने इम्तिहान का नतीजा देख रोशन पानी-पानी हो गया। | 0 | hi |
अपने इम्तिहान का नतीजा देख रोशन शर्मिंदा हो गया। | अपने इम्तिहान का नतीजा देख रोशन ख़ुशी से भर गया। | अपने इम्तिहान का नतीजा देख रोशन गदगद होना हो गया। | 1 | hi |
प्रदीप कपटी मित्र है। | प्रदीप अच्छा मित्र है। | प्रदीप रामलाल के माकन पर साँप की तरह बैठ गया। | 0 | hi |
प्रदीप कपटी मित्र है। | प्रदीप अच्छा मित्र है। | प्रदीप रामलाल के माकन पर साँप की तरह बैठ गया। | 1 | hi |
सैनिकों ने दुश्मन को करारा जवाब दिया। | सैनिकों ने दुश्मन का प्यार से स्वागत किया। | सैनिकों ने दुश्मन को ईंट का जवाब पत्थर से दिया। | 0 | hi |
सैनिकों ने दुश्मन को करारा जवाब दिया। | सैनिकों ने दुश्मन का प्यार से स्वागत किया। | सैनिकों ने दुश्मन को ईंट का जवाब फूल माला से दिया। | 1 | hi |
कुछ लोग बड़ी बेवकूफी भरी बात करते हैं। | कुछ लोग बड़ी अच्छी तरह बात करते हैं। | कुछ लोग उल्लू की तरह बात करते हैं। | 0 | hi |
कुछ लोग बड़ी बेवकूफी भरी बात करते हैं। | कुछ लोग बड़ी अच्छी तरह बात करते हैं। | कुछ लोग कोयल की तरह बात करते हैं। | 1 | hi |
जब से तुम अध्यापक बने हो तब से कभी कभी ही मिलते हो। | जब से तुम अध्यापक बने हो तब से रोज ही मिलते हो। | अध्यापक बनने के बाद से तो तुम ईद के चाँद ही हो गए हो। | 0 | hi |
जब से तुम अध्यापक बने हो तब से कभी कभी ही मिलते हो। | जब से तुम अध्यापक बने हो तब से रोज ही मिलते हो। | अध्यापक बनने के बाद से तो तुम दिन का सूरज ही हो गए हो। | 1 | hi |
रमेश अपनी का बिलकुल ख्याल नहीं रखता है। | रमेश अपनी का बहुत ख्याल रखता है। | रमेश अपनी पत्नी को उँगलियों पर रखता है। | 0 | hi |
रमेश अपनी का बिलकुल ख्याल नहीं रखता है। | रमेश अपनी का बहुत ख्याल रखता है। | रमेश अपनी पत्नी को आँखों पर रखता है। | 1 | hi |
जिसकी उपेक्षा ईश्वर करने लगे, उसकी सहयता कोई नहीं कर सकता है। | जिसके साथ ईश्वर हो उसको किसी और की जरूरत नहीं है। | जिससे ईश्वर भी आँखे फेर ले, कोई उसकी सहायता कैसे कर सकता है। | 0 | hi |
जिसकी उपेक्षा ईश्वर करने लगे, उसकी सहयता कोई नहीं कर सकता है। | जिसके साथ ईश्वर हो उसको किसी और की जरूरत नहीं है। | जिससे ईश्वर भी दिल मिला ले, कोई उसकी सहायता कैसे कर सकता है। | 1 | hi |
दो रोटियों से मोहन का पेट बिलकुल नहीं भर सकता है। | दो रोटियों से मोहन का पेट आराम से भर जाता है। | मोहन को दो रोटियाँ देना तो ऊँट के मुँह में जीरा देने के समान है। | 0 | hi |
दो रोटियों से मोहन का पेट बिलकुल नहीं भर सकता है। | दो रोटियों से मोहन का पेट आराम से भर जाता है। | मोहन को दो रोटियाँ देना तो ऊँट के मुँह में तरबूज देने के समान है। | 1 | hi |
लोग मंत्री जी की जीत से बहुत खुश थे। | लोग मंत्री जी की जीत से बहुत दुखी थे। | जीत पर मंत्री जी को लोगों ने फूलों की माला पहनाई। | 0 | hi |
लोग मंत्री जी की जीत से बहुत खुश थे। | लोग मंत्री जी की जीत से बहुत दुखी थे। | जीत पर मंत्री जी को लोगों ने जूतों की माला पहनाई। | 1 | hi |
सच्चा शासक सबके साथ अच्छा व्यवहार करता है। | सच्चा शासक सबके साथ बुरा व्यवहार करता है। | सच्चा शासक वही होता है, जो सबको सोने के समान देखता है। | 0 | hi |
सच्चा शासक सबके साथ अच्छा व्यवहार करता है। | सच्चा शासक सबके साथ बुरा व्यवहार करता है। | सच्चा शासक वही होता है, जो सबको पत्थर के समान देखता है। | 1 | hi |
मुझे पढ़ना बहुत पसंद है। | मुझे पढ़ना पसंद नहीं है। | किताबें मेरे लिए मंदिर की तरह हैं। | 0 | hi |
मुझे पढ़ना बहुत पसंद है। | मुझे पढ़ना बहुत पसंद नहीं है। | किताबें मेरे लिए मधुशाला की तरह हैं। | 1 | hi |
मिताली खूब चुस्त है। | मिताली थकी हुई है। | मिताली सुबह की तरह चुस्त है। | 0 | hi |
मिताली खूब चुस्त है। | मिताली थकी हुई है। | मिताली शाम की तरह चुस्त है। | 1 | hi |
गुप्ता जी बहुत गरीब हैं। | गुप्ता जी बहुत अमीर हैं। | गुप्ता जी के कार चौरी होना ऐसा है जैसे कंगाली में आटा गीला होना। | 0 | hi |
गुप्ता जी बहुत गरीब हैं। | गुप्ता जी बहुत अमीर हैं। | गुप्ता जी के कार चौरी होना ऐसा है जैसे कंगाली में समुन्दर गीला होना। | 1 | hi |
दुकान से अच्छी कमाई हो रही है। | दुकान से कुछ कमाई नहीं हो रही है। | दूकान घोड़े की दौड़ रही है। | 0 | hi |
दुकान से अच्छी कमाई हो रही है। | दुकान से कुछ कमाई नहीं हो रही है। | दूकान घोंघे की दौड़ने रही है। | 1 | hi |
दीपक की किस्मत ज़ोरो पर है। | दीपक की किस्मत बुरी है। | दीपक उगते सूरज की तरह चमका। | 0 | hi |
दीपक की किस्मत ज़ोरो पर है। | दीपक की किस्मत बुरी है। | दीपक उगते चाँद की तरह चमका। | 1 | hi |
मोहन और रमेश में बहुत लड़ाई होती है। | मोहन और रमेश में बहुत प्यार है। | मोहन और रमेश का कुत्ते-बिल्ली सा प्यार है। | 0 | hi |
मोहन और रमेश में बहुत लड़ाई होती है। | मोहन और रमेश में बहुत प्यार है। | मोहन और रमेश का राम-शाम सा प्यार है। | 1 | hi |
रचना से मिल मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। | रचना से मिल मेरा दिल को चैन मिल गया। | रचना से मिल मेरा दिल आंधी सा हल्का हो गया है। | 0 | hi |
रचना से मिल मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। | रचना से मिल मेरा दिल को चैन मिल गया। | रचना से मिल मेरा दिल हवा सा हल्का हो गया है। | 1 | hi |
राधा धीरे धीरे रोने लगी। | राधा फूट फूट कर रोने लगी। | राधा के आँसू फूलों की पत्तियों से बहने लगे। | 0 | hi |
राधा धीरे धीरे रोने लगी। | राधा फूट फूट कर रोने लगी। | राधा के आँसू पहाड़ों के झरने से बहने लगे। | 1 | hi |
शाम बहुत अमीर है। | शाम बहुत गरीब है। | शाम की टोपी उसके राजा होने का प्रतीक है। | 0 | hi |
शाम बहुत अमीर है। | शाम बहुत गरीब है। | शाम की टोपी उसके भिखारी होने का प्रतीक है। | 1 | hi |
तुम अपनी अच्छाई के लिए जाने जाते हो। | तुम अपनी बुराई के लिए जाने जाते हो। | तुम उस पेड़ की छायादार पत्तियों के लिए मशहूर है। | 0 | hi |
तुम अपनी अच्छाई के लिए जाने जाते हो। | तुम अपनी बुराई के लिए जाने जाते हो। | तुम उस पेड़ के सड़े फलों के लिए मशहूर है। | 1 | hi |
वह लोग शहर को गंदा कर रहे थे। | वह लोग ससे मिल कर रहते थे। | वह लोग जंगली घास की तरह शहरों में बस गए थे। | 0 | hi |
वह लोग शहर को गंदा कर रहे थे। | वह लोग ससे मिल कर रहते थे। | वह लोग बहते पानी की तरह शहरों में बस गए थे। | 1 | hi |
पिता जी ने पत्र में अपना गुस्सा भेजा था। | पिता जी ने पत्र में अपना प्यार भेजा था। | पत्र में जैसे पिता जी ने साँप भेजे थे। | 0 | hi |
पिता जी ने पत्र में अपना गुस्सा भेजा था। | पिता जी ने पत्र में अपना प्यार भेजा था। | पत्र में जैसे पिता जी ने लडू भेजे थे। | 1 | hi |
मैं वो करना चाहता हूँ जो मुमकिन हो। | मैं वो करना चाहता हूँ जो असंभव हो। | मैं पक्षी सा उड़ना चाहता हूँ। | 0 | hi |
मैं वो करना चाहता हूँ जो मुमकिन हो। | मैं वो करना चाहता हूँ जो असंभव हो। | मैं वृक्ष सा उड़ना चाहता हूँ। | 1 | hi |
तुम हेमशा बुरी बात करते हो। | तुम हेमशा अच्छी बात करते हो। | तुहारी जीभ नहीं जैसे ज़ेहर है। | 0 | hi |
तुम हेमशा बुरी बात करते हो। | तुम हेमशा अच्छी बात करते हो। | तुहारी जीभ नहीं जैसे शहद है। | 1 | hi |
तुम्हारे लोग दूसरों की मदद करते हैं। | तुम्हारे लोग दूसरों की मदद नहीं करते हैं। | तुम्हारे लोगों का दिल समुन्दर सा विशाल है। | 0 | hi |
तुम्हारे लोग दूसरों की मदद करते हैं। | तुम्हारे लोग दूसरों की मदद नहीं करते हैं। | तुम्हारे लोगों का दिल लोटे सा विशाल है। | 1 | hi |
दुनिया में सब जगह लड़ाई चल रही है। | दुनिया में सब लोग प्यार से रहते हैं। | दुनिया में जैसे हर जगह गोलियां चल रही हैं। | 0 | hi |
दुनिया में सब जगह लड़ाई चल रही है। | दुनिया में सब लोग प्यार से रहते हैं। | दुनिया में जैसे हर जगह गाने चल रही हैं। | 1 | hi |
काली बहुत बुरा नाचा। | काली बहुत अच्छा नाचा। | काली ऐसे नाचा जैसे उसके अंदर भूत आ गया हो। | 0 | hi |
काली बहुत बुरा नाचा। | काली बहुत अच्छा नाचा। | काली ऐसे नाचा जैसे उसके अंदर गोविंदा आ गया हो। | 1 | hi |
उसके पास सब कुछ हो कर भी कुछ नहीं था। | उसके पास कुछ नहीं था इस लिए कुछ नहीं कर पा रही थी। | वो ऐसे प्यासी थी जैसे जल में मछली। | 0 | hi |
उसके पास सब कुछ हो कर भी कुछ नहीं था। | उसके पास कुछ नहीं था इस लिए कुछ नहीं कर पा रही थी। | वो ऐसे प्यासी थी जैसे रेगिस्तान में मछली। | 1 | hi |
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